शनिवार, 30 मई 2020

Lockdown 5.0 Guidelines State-wise:

Lockdown 5.0

Lockdown 5.0 Guidelines News: Full List of Activities Likely to be ...


Lockdown  5.0 Guidelines in India Latest Updates: The Central government has issued revised guidelines for Lockdown 5.0 for reopening of activities outside containment zones across India. In lockdown 5 guidelines, the government has allowed several relaxations. The lockdown has been extended in containment zones till June 30. However, rules have been relaxed for outside containment zones. Night curfew timing has been revised. Now the movement of individuals will be prohibited between 9 pm and 5 am across the country. On the opening of academic institutions, Ministry of Home Affairs said that consultations will be held with States, UTs will hold consultations, other stakeholders on re-opening of academic institutions from July. Following are more details about Lockdown 5.0 guidelines:
  • As per the Ministry of Home Affairs, only essential activities will be allowed in containment zones till June 30.
  • In lockdown 5, three phases of relaxations have been announced.
  • Phase 1: MHA has issued national directives for COVID-19 management, including compulsory use of face masks and social distancing norms.
  • In Phase II: Schools, colleges, educational/ training/ coaching institutions etc., will be opened after consultations with States and UTs.
  • In Phase III: Dates for their opening of International air travel of passengers; operation of Metro Rail; cinema halls, gymnasiums, swimming pools, entertainment parks etc will be decided based on the assessment of the situation.
In the last 24 hours itself, India has witnessed highest ever spike in COVID-19 cases, with 7,964 new COVID-19 cases and 265 deaths. According to the Health Ministry, the total number of COVID-19 cases in the country are now at over 1.73 lakhs. Earlier, expectations were high over lockdown extension, especially after the Union Home Minister Amit Shah on Friday met PM Modi to inform him about views of all chief ministers on lockdown extension.
The present lockdown will end on May 31. Shah had telephonic conversations with all CMs before the end of Lockdown 4.0. Meanwhile, Goa Chief Minister Pramod Sawant told news agency ANI that lockdown must be extended for 15 more days. He said it lockdown extension was needed, as the graph of COVID-19 cases was rising. Sawant said he spoke to Shah on phone and he felt that the lockdown may be extended for 15 more days. “However, we demand that there should be some relaxations – restaurants should be allowed with social distancing at 50 per cent capacity. Many people also want gyms to resume,” Sawant was quoted as saying. Delhi Health Minister Satyendra Jain said Delhi govt believes that places where large gatherings take place, like cinema halls, should remain closed. Schools and colleges should also remain closed.
New Lockdown guidelines: What was expected?
The Central government has been relaxing rules in all subsequent lockdowns since the first announced in March this year. It is expected that more relaxations will be allowed in Lockdown 5.0 guidelines. Sawant’s statement today was the first indication that the lockdown may further be extended further. However, guidelines may further be relaxed. In case the lockdown is extended, following relaxations may be allowed:
Air travel:  More flight routes may be opened in Lockdown 5.0. Currently, flights are allowed to carry passengers up to one-third of capacity. new guidelines may take a re-look on this. On the issue of international flights, Union Civil Aviation Minister Hardeep Singh Puri had last week indicated that some flights may begin before August.
Train services: Railways is going to run 100 pairs of mail.express trains from June 1. The next set of trains may have AC class services.
Bus and metro: Relaxations in running intra-state buses may in seen in more states. Metro services may also be opened up in a limited capacity.
Shops, malls, markets: Fourth phase of lockdown allowed sale of non-essential items. The fifth phase may have more relaxed measures for markets, shopping complexes and malls.
Gyms, movie theatres, religious places, salons: Considering the rapidly rising cases of COVID-19, restrictions on these may likely remain.
Schools: The HRD ministry working on guidelines to re-open schools.
The Indian Express reported today that the next phase of lockdown, which will kickstart from Monday, will likely have a lesser number of items in the prohibited list of Lockdown Guidelines. The government may allow states to decide on the opening of malls and multiplexes, places of worship and dine-in restaurants. The report said that the Central Government may also consider the following:
– Relaxing night curfew hours based on suggestions from experts.
– Relaxations on visiting places of worship
– States may get to decide on inter-state travel

शुक्रवार, 29 मई 2020

डोळ्यांच्या आणि त्वचा समस्येवर घरगुती उपचार home remedies for eye / skin problems

त्वचा आणि डोळ्यांच्या समस्येवर घरगुती उपचार

सध्याच्या काळात लहान मुलांपासून ते अगदी वयोवृद्धांपर्यंत अनेकांच्या हातात इलेक्ट्रॉनिक्स गॅजेट्स पाहायला मिळतात. त्यामुळे सध्याच्या काळात इलेक्ट्रॉनिक गॅजेट्स जणू काय प्रत्येकाच्या जीवनचा अविभाज्य भाग झाला आहे. 

मात्र या गॅजेट्सच्या अतिवापरामुळे त्याचा परिणाम थेट आपल्या त्वचेवर होत असतो. सतत कम्प्युटर, टीव्ही, मोबाईल यांचा वापर केल्यामुळे डोळ्यांना इजा पोहोचू शकते. तसंच डोळ्यांभोवती सुरकुत्याही पडू लागतात. 

डोळ्यांवर ताण येतो. त्यामुळे गॅजेट्सच्या अतिवापरामुळे कोणत्या समस्या निर्माण होऊ शकतात आणि त्यावर घरगुती उपाय कोणते हे पाहुयात.
बादाम खाने के नुकसान, जानें 4 ...

शनिवार, 18 अप्रैल 2020

Shiv Tandav Stotram | शिवतांडव स्तोत्रम | Shiva Stotra |

Shiv Tandav Stotram | शिवतांडव स्तोत्रम | Shiva Stotra | 






















शिव तांडव स्तोत्र – Hindi Lyrics and Meaning

जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥
उनके बालों से बहने वाले जल से उनका कंठ पवित्र है,
और उनके गले में सांप है जो हार की तरह लटका है,
और डमरू से डमट् डमट् डमट् की ध्वनि निकल रही है,
भगवान शिव शुभ तांडव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको संपन्नता प्रदान करें।

जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥
मेरी शिव में गहरी रुचि है,
जिनका सिर अलौकिक गंगा नदी की बहती लहरों की धाराओं से सुशोभित है,
जो उनकी बालों की उलझी जटाओं की गहराई में उमड़ रही हैं?
जिनके मस्तक की सतह पर चमकदार अग्नि प्रज्वलित है,
और जो अपने सिर पर अर्ध-चंद्र का आभूषण पहने हैं।

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
मेरा मन भगवान शिव में अपनी खुशी खोजे,
अद्भुत ब्रह्माण्ड के सारे प्राणी जिनके मन में मौजूद हैं,
जिनकी अर्धांगिनी पर्वतराज की पुत्री पार्वती हैं,
जो अपनी करुणा दृष्टि से असाधारण आपदा को नियंत्रित करते हैं, जो सर्वत्र व्याप्त है,
और जो दिव्य लोकों को अपनी पोशाक की तरह धारण करते हैं।

जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥
मुझे भगवान शिव में अनोखा सुख मिले, जो सारे जीवन के रक्षक हैं,
उनके रेंगते हुए सांप का फन लाल-भूरा है और मणि चमक रही है,
ये दिशाओं की देवियों के सुंदर चेहरों पर विभिन्न रंग बिखेर रहा है,
जो विशाल मदमस्त हाथी की खाल से बने जगमगाते दुशाले से ढंका है।

सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥
भगवान शिव हमें संपन्नता दें,
जिनका मुकुट चंद्रमा है,
जिनके बाल लाल नाग के हार से बंधे हैं,
जिनका पायदान फूलों की धूल के बहने से गहरे रंग का हो गया है,
जो इंद्र, विष्णु और अन्य देवताओं के सिर से गिरती है।

ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥
शिव के बालों की उलझी जटाओं से हम सिद्धि की दौलत प्राप्त करें,
जिन्होंने कामदेव को अपने मस्तक पर जलने वाली अग्नि की चिनगारी से नष्ट किया था,
जो सारे देवलोकों के स्वामियों द्वारा आदरणीय हैं,
जो अर्ध-चंद्र से सुशोभित हैं।

करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥
मेरी रुचि भगवान शिव में है, जिनके तीन नेत्र हैं,
जिन्होंने शक्तिशाली कामदेव को अग्नि को अर्पित कर दिया,
उनके भीषण मस्तक की सतह डगद् डगद्… की घ्वनि से जलती है,
वे ही एकमात्र कलाकार है जो पर्वतराज की पुत्री पार्वती के स्तन की नोक पर,
सजावटी रेखाएं खींचने में निपुण हैं।

नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥
भगवान शिव हमें संपन्नता दें,
वे ही पूरे संसार का भार उठाते हैं,
जिनकी शोभा चंद्रमा है,
जिनके पास अलौकिक गंगा नदी है,
जिनकी गर्दन गला बादलों की पर्तों से ढंकी अमावस्या की अर्धरात्रि की तरह काली है।

प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥
मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनका कंठ मंदिरों की चमक से बंधा है,
पूरे खिले नीले कमल के फूलों की गरिमा से लटकता हुआ,
जो ब्रह्माण्ड की कालिमा सा दिखता है।
जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया,
जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया,
जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं,
और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया।

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥
मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनके चारों ओर मधुमक्खियां उड़ती रहती हैं
शुभ कदंब के फूलों के सुंदर गुच्छे से आने वाली शहद की मधुर सुगंध के कारण,
जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया,
जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया,
जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं,
और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया।

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥
शिव, जिनका तांडव नृत्य नगाड़े की ढिमिड ढिमिड
तेज आवाज श्रंखला के साथ लय में है,
जिनके महान मस्तक पर अग्नि है, वो अग्नि फैल रही है नाग की सांस के कारण,
गरिमामय आकाश में गोल-गोल घूमती हुई।

दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
मैं भगवान सदाशिव की पूजा कब कर सकूंगा, शाश्वत शुभ देवता,
जो रखते हैं सम्राटों और लोगों के प्रति समभाव दृष्टि,
घास के तिनके और कमल के प्रति, मित्रों और शत्रुओं के प्रति,
सर्वाधिक मूल्यवान रत्न और धूल के ढेर के प्रति,
सांप और हार के प्रति और विश्व में विभिन्न रूपों के प्रति?

कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥
मैं कब प्रसन्न हो सकता हूं, अलौकिक नदी गंगा के निकट गुफा में रहते हुए,
अपने हाथों को हर समय बांधकर अपने सिर पर रखे हुए,
अपने दूषित विचारों को धोकर दूर करके, शिव मंत्र को बोलते हुए,
महान मस्तक और जीवंत नेत्रों वाले भगवान को समर्पित?

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥
इस स्तोत्र को, जो भी पढ़ता है, याद करता है और सुनाता है,
वह सदैव के लिए पवित्र हो जाता है और महान गुरु शिव की भक्ति पाता है।
इस भक्ति के लिए कोई दूसरा मार्ग या उपाय नहीं है।
बस शिव का विचार ही भ्रम को दूर कर देता है।


Lyrics Jata tavi galajjala pravaha pavitasthale Galea valambya lambitam bhujanga tungamalikam || Damad damad damad dama ninada vadda marvayam Chakara chand tandavam tanotu nah shivah shivam ||1|| Jata kata hasam bhrama bhrama nilimpa nirjhari Vilolavi chivalarai viraja mana murdhani || Dhagadhagadha gajjvala lalata patta pavake Kishora chandra shekhare ratih pratikshanam mama ||2|| Dhara dharendra nandini vilasa bandhu bandhura Sphuradi ganta santati pramoda mana manase || Krupa kataksha dhorani nirudhadurdha rapadi Kvachit digambare mano vinodametu vastuni ||3|| Jata bhujanga pingala sphurat phana mani prabha Kadamba kunkuma drava pralipta digva dhumukhe || Madandha sindhura sphura tvaguttari ya medure Mano vinoda madbhutam bibhartu bhuta bhartari ||4|| Sahasra lochana prabhritya shesha lekha shekhara Prasuna dhulidhorani vidhu saranghri pithabhuh || Bhujanga raja malaya nibaddha jata jutaka Shriyai chiraya jayatam chakora bandhu shekharah ||5|| Lalata chatva rajvala dhanajn jaya sphu lingabha Nipita pancha sayakam naman nilimpa nayakam || Sudha mayukha lekhaya viraja mana shekharam Maha kapali sampade shiro jata lamastu nah ||6|| Karala bhala pattika dhagad dhagad dhagaj jvaltt Ddhanajn jaya huti kruta prachanda pancha sayake || Dhara dharendra nandini kuchagra chitra patraka Prakalpa naika shilpini trilochane ratir mama ||7|| Navina megha mandali niruddha durdha rasphurat Kuhunishithi nitamah prabandha baddha kandharah || Nilimpa nirjhari dhara stanotu krutti sindhurah Kala nidhana bandhurah shriyam jagad dhurandharah ||8|| Prafulla nila pankaja prapancha kali maprabha Valambi kantha kandali ruchi prabaddha kandharam || Smarachchhidam purachchhidam bhavachchhidam makhachchhidam Gajachchhidandha kachhidam tamanta kachchhidam bhaje ||9|| Akharva sarva mangala kala kadamba manjari Rasa pravaha madhuri vijrum bhanama dhuvratam || Smarantakam purantakam bhavantakam makhantakam Gajanta kandha kantakam tamanta kantakam bhaje ||10|| Jayatvada bhravibhrama bhramad bhujanga mashvasa Dvi nirgamatkrama sphurat karala bhala havyavat || Dhimid dhimid dhimidhvanan mrudanga tunga mangala Dhvani karma pravartita prachanda tandavah shivah ||11|| Shrushadvi chitra talpayor bhujanga maukti kasrajo Garishtha ratna loshthayoh suhrudvi paksha pakshayoh || Trunara vinda chakshushoh praja mahi mahendrayoh Sama pravrutikah samam pravartayan manah kada sada shivam bhajamyaham ||12|| Kada nilimpa nirjhari nikunja kotare vasanh Vimukta durmatihs sada shirah stha manjalim vahan || Vimukta lola lochano lalama bhala lagnakah Shiveti mantra muncharan sada sukhi bhavamyaham ||13|| Idam hi nityameva mukta mukta mottamam stavam Pathan smaran bruvannaro vishuddhi meti santatam || Hare gurav subhakti mashu yati nanyatha gatim Vimohanam hi dehinam sushankarasya chintanam ||14||

शनिवार, 11 अप्रैल 2020

Ram Raksha Stotra | राम रक्षा स्तोत्र डाउनलोड | राम रक्षा स्तोत्र का लाभ | राम रक्षा स्तोत्र अनुभव |

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Ramayan: Lord Shri Ram Stayed 17 Places In 14 Years Of Exile, Know ...

विनियोग: 
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान कीलकम। श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः।

अथ ध्यानम्‌:
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌। वामांकारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकार दीप्तं दधतमुरुजटामंडलं रामचंद्रम।
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ ।
 
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥1॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ ।
 
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमंडितम्‌ ॥2॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरांतकम्‌ ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥3॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌ ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥

 Ramayan: श्री राम जैसे बनना चाहते हैं तो ...
 
 
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवंदितः ।
स्कंधौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित्‌ ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
उरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत्‌ ॥8॥


जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तकः ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः ॥9॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्‌ ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्‌ ॥10॥ 


पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः ।
न दृष्टुमति शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥

रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्‌ ।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥


जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाऽभिरक्षितम्‌ ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥Shri Ram Chalisa in Hindi – Devshoppe
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्‌ ।
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम्‌ ॥14॥

आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान्प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्‌ ।
अभिरामस्रिलोकानां रामः श्रीमान्स नः प्रभुः ॥16॥

तरुणौ रूप सम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥

शरण्यौ सर्र्र्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्‌ ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥
    आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषंगसंगिनौ ।

यह राम स्तुति सुनकर प्रसन्न होंगे ...
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्मनोरथान्नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥

रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥


इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयाऽन्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥

रामं दूवार्दलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्‌ ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः ॥25॥

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्‌ ।

राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिं
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्‌ ॥26॥

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे । रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥

श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।

श्रीराम राम रणकर्कश राम राम
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचंसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयलुर्नान्यं
जाने नैव जाने न जाने ॥30॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वंदे रघुनन्दनम्‌ ॥31॥

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्‌ ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥

कूजन्तं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम्‌ ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्‌ ॥34॥


आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्‌ ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥35॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्‌ । तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम्‌ ॥36॥

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रामेशं भजे
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं

रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥37॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥
॥ इति संपूर्णम्‌ ॥

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