गुरुवार, 8 दिसंबर 2022
शनिवार, 1 अक्तूबर 2022
नोवाक जोकोविच
नोवाक जोकोविच एक सर्बियाई टेनिस खिलाड़ी हैं।
नोवाक जोकोविच को पुरुषों के टेनिस में "बिग फोर" में से एक और दुनिया के पूर्व नंबर 1 के रूप में माना जाता था। वह 8 बार ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट विजेता, ओलंपिक खेलों में 11 बार के पदक विजेता हैं, और प्रकाशन के समय एक अलग-अलग ग्रैंड स्लैम में सबसे अधिक एकल फाइनल में पहुंचने के लिए केवल रोजर फेडरर के साथ भेद साझा किया गया। वह 1989 के बाद से पेशेवर बनने वाले सबसे महान टेनिस खिलाड़ियों में से एक होने की प्रतिष्ठा भी रखते हैं।
नोवाक जोकोविच के माता-पिता स्लाविका रेडुलोविक और श्रीजन जोकोविच हैं, और उनकी एक बड़ी बहन है जिसका नाम जेलेना है। उनका पैतृक गृहनगर कोसोवो में बेली पोटोक है, जहां उनका परिवार 1990 के क्रोएशियाई युद्ध के दौरान चला गया था।
जोकोविच टेलीविजन शो के व्यापक पहलुओं जैसे स्टीफन कोलबर्ट के साथ द लेट शो, द टुनाइट शो स्टारिंग जिमी फॉलन, टुडे टीवी श्रृंखला, द एलेन में दिखाई दिए हैं।
नोवाक जोकोविच जिन्होंने 12 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं जिनमें से छह ऑस्ट्रेलियन ओपन खिताब हैं, तीन विंबलडन चैंपियनशिप हैं, तीन यूएस ओपन खिताब और एक फ्रेंच ओपन खिताब है।
- 26 साल की उम्र में वह चारों बड़े टूर्नामेंटों में सेमीफाइनल में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे।
- वर्तमान में एटीपी रैंकिंग में दूसरे स्थान पर है; प्रोफेशनल टेनिस हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल होने के लिए नामांकित होने के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति नियम दिया गया
- उन्नत खुफिया प्रणाली हमें किसी भी समय उसके डेटा प्रदर्शन आंकड़े अपडेट करने की अनुमति देती है।
मई 1986 में सर्बिया के बेलग्रेड में जन्मे नोवाक का पालन-पोषण नेनाद और दीजाना जोकोविच ने किया था। उनके पिता, जिन्होंने उन्हें खेल और खेल की सफलता में रुचि दी। नौ साल की उम्र में उन्होंने खेलना शुरू किया
फ्लोरिडा के ब्रैडेंटन में IMG अकादमी के जूनियर प्रशिक्षण कार्यक्रम में टेनिस। वह शीर्ष क्रम के पेशेवर टेनिस खिलाड़ियों में से एक हैं।
नोवाक जोकोविच का जन्म 22 मई 1987 को सर्बिया के बेलग्रेड में हुआ था।
जोकोविच 1988 के बाद से माइकल चांग और एंडी रोडिक को हराकर विंबलडन के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने। अगले वर्ष उन्होंने अपना पहला ग्रैंड स्लैम इवेंट जीता।
नोवाक जोकोविच की कुल संपत्ति $ 150 मिलियन है जिसमें एडिडास, नाइके और मर्सिडीज-बेंज से उनका $ 58 मिलियन का घोंसला अंडा शामिल है।
नोवाक जोकोविच को 2016 में उनकी दीर्घकालिक प्रेमिका जेलेना रिस्टिक द्वारा पेश किया गया था, जो विरासत के अपने अधिकारों की प्रतीक्षा कर रही है और नोवाक के वित्तीय योजनाकारों द्वारा उनकी नींव के आधार पर विरासत आय और लाभ कराधान के क्षेत्र में समय के साथ उन्हें उपहार में दी गई बढ़ती रुचि है। .
नोवाक जोकोविच ने जेलेना से शादी की, जब वे दोनों 17 साल के थे, 1992 के जूनियर यूएस ओपन जीत से पहले अन्य खिताबों के बीच उन्हें 17 साल की उम्र में जूनियर ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले सबसे कम उम्र के पुरुष बना दिया।
5G एक नई वायरलेस कनेक्शन तकनीक
भारत 2020 में अपना 5G नेटवर्क लॉन्च करने के लिए तैयार है। लॉन्च दिसंबर 2020 के लिए निर्धारित है।
5G, 4G की तुलना में 100 गुना अधिक डेटा देने में सक्षम होगा, और इसका मतलब यह होगा कि सभी के लिए और हर समय बहुत अधिक बैंडविड्थ है। यानी बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी, जिससे दुनिया में सारा फर्क पड़ेगा।
4 अप्रैल को, Reliance Jio ने भारत में अपनी 5G सेवाओं को लॉन्च करने की घोषणा की। कंपनी सितंबर 2019 में 5G नेटवर्क का ट्रायल शुरू करेगी।
Reliance Industries Limited (RIL) एक भारतीय तेल और गैस कंपनी है जिसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। RIL दुनिया भर के 20 से अधिक देशों में काम करती है, जिसकी कुल संपत्ति 7 ट्रिलियन रुपये है। इसके अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी हैं, जो एशिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक हैं। उन्हें दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक के रूप में भी स्थान दिया गया है, जिनकी कुल संपत्ति $50 बिलियन से अधिक है।
Reliance Jio भारत में पहली 5G सेवा धारण कर रहा है। कंपनी भारत में जल्द से जल्द 5जी सेवाएं लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
5G एक नई वायरलेस कनेक्शन तकनीक है जिसे 4G से कम से कम 10 गुना तेज और दुनिया की किसी भी अन्य वायरलेस कनेक्शन तकनीक से भी तेज माना जाता है। सेवाएं सभी ग्राहकों के लिए उपलब्ध होंगी, चाहे वे किसी भी हैंडसेट का उपयोग करें या इंटरनेट एक्सेस के लिए वे जिस डिवाइस का उपयोग कर रहे हैं।
यह नया तेज़ वायरलेस कनेक्शन न केवल आपको शानदार गति प्रदान करेगा, बल्कि यह आपको आभासी वास्तविकता, संवर्धित वास्तविकता, चालक रहित कार और रोबोट जैसी कुछ और कार्यात्मकताएं भी प्रदान करेगा।
भारत में 5G नेटवर्क के 2020 में लॉन्च होने की उम्मीद है
5G निस्संदेह अगली बड़ी बात है। इंटरनेट जैसा कि हम आज जानते हैं, पहले से ही उच्च उपयोगकर्ता उपयोग है और इस प्रकार यह केवल तभी उपयुक्त होगा जब दूरसंचार डेटा उपयोग और गुणवत्ता पर गंभीर प्रतिस्पर्धा का सामना करने से पहले अपग्रेड हो।
5G मूल रूप से आज तक की नई पीढ़ी के सेलुलर नेटवर्क का परिणाम है, पांचवीं पीढ़ी या 5.5 वीं पीढ़ी जिसके इस साल ही बाहर आने की भविष्यवाणी की गई है। 5waves-1मौसम की स्थिति, निर्माण की जटिलता और कम्प्यूटेशनल जरूरतों पर विचार करते हुए, डॉयचे टेलीकॉम ने अपनी उम्मीदों का पुनर्मूल्यांकन किया, जो कि इसके सिमुलेशन परीक्षण चरण के लिए 2019/2020 को निर्दिष्ट करके भारत में 5g लॉन्च के लिए अगस्त 2020 से शुरू होगी। दो भारी कंपनी के फ्रांस टेलेकॉम के टेट्रिसनेटवर्क 2020 लक्ष्य जैसे कम से कम एक सर्जक बनाम उपलब्धि की पहचान करने वाले कार्यक्रमों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस वर्ष अधिक लोग अपने स्मार्टफोन पर 5 जी का अधिक उपयोग करें, तो वास्तव में एक अच्छा मौका है
5G के eMBB और mmWave के साथ लगभग हर जगह एक गीगाबिट अनुभव प्रदान करने के साथ, अगला चरण अल्ट्रा-विश्वसनीय एक्सेस सेवाओं (URAS) और eMRTC को लॉन्च करना है जो जीवन रक्षक संचार का एक नया आयाम लाएगा जो दोनों पहले उत्तरदाताओं का समर्थन करेगा, जिससे राष्ट्रों की प्रबंधन करने की क्षमता में वृद्धि होगी। सभी जोखिम यथोचित रूप से दूरदर्शी आयन भविष्य।
भारत में 5G नेटवर्क को व्यापक रूप से अलग-अलग वायरलेस स्पेक्ट्रम बैंड में व्यापक रूप से तैनात किया जाएगा।
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5G नेटवर्क, जिसे 5वीं पीढ़ी के रूप में भी जाना जाता है, दुनिया से जुड़ने का असुरक्षा का तरीका है। यह परिवर्तनकारी होगा, जिस गति से बड़ी मात्रा में डेटा पारित किया जा सकता है और यह बदलता है कि मनुष्य, छोटे, फर्म और समाज दुनिया से कैसे जुड़ते हैं और इसका उपयोग करते हैं।
27 मार्च को लॉन्च करते हुए, Jio Industries ने 2015 में भारत के 4G लॉन्च के लिए अपनी योजना का खुलासा किया है।
2020 में 5G सेवाओं को पेश करने का भी काम चल रहा है।
भारत को सेडान कार की बजाय बुलेट ट्रेन की जरूरत है
2020 तक स्वास्थ्य सेवा जैसी सेवाएं काफी हद तक 5g नेटवर्क पर निर्भर होंगी
एलोवेरा
एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जिसका उपयोग सदियों से इसके औषधीय गुणों के लिए किया जाता रहा है। यह दुनिया में सबसे लोकप्रिय पौधों में से एक है, और इसका उपयोग दुनिया भर में कई अलग-अलग बीमारियों और स्थितियों को ठीक करने के लिए किया जाता है।
बालों के विकास के लिए एलोवेरा जेल के कई फायदे हैं। बालों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए इसे सीधे खोपड़ी पर लगाया जा सकता है, या इसे स्वस्थ बाल उत्पाद बनाने के लिए नारियल के तेल, अंडे और शहद जैसी अन्य सामग्री के साथ मिलाया जा सकता है।
एलोवेरा से ठीक होने वाले रोगों की सूची भी बहुत लंबी है। एलोवेरा जेल का उपयोग त्वचा की स्थितियों जैसे सोरायसिस, एक्जिमा और मुंहासों के लिए या सर्दी या गले में खराश के लिए एक मौखिक उपचार के रूप में किया जा सकता है।
एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जिसके कई उपयोग हैं। इसका उपयोग सदियों से पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता रहा है और अब व्यापक रूप से कॉस्मेटिक घटक के रूप में उपयोग किया जाता है।
एलोवेरा जेल को सीधे स्कैल्प या बालों पर लगाया जा सकता है, या इसे शैम्पू के साथ मिलाया जा सकता है। एलोवेरा को एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है और यह बालों को धूप, गर्मी और रसायनों से होने वाले नुकसान से बचा सकता है।
बुधवार, 31 अगस्त 2022
झोप.....!
झोप.....!
शास्त्रज्ञांनी अशी एक उपाययोजना शोधली आहे की जी तुम्हाला दीर्घायुषी बनवते,
तुमची स्मृती, सर्जनशीलता वाढवते, तुम्ही बारीक राहता, जास्त लक्षवेधक दिसू लागता.
ही उपाययोजना तुम्हाला सर्दी, फ्लूपासूनच नाही तर कर्करोग आणि स्मृतीभ्रंशापासून देखील वाचवू शकते. हृदयविकार,
पक्षाघात, मधुमेह होण्याचा धोका कमी करते आणि तुम्हाला जास्त आनंदी आणि तणावमुक्त ठेवते..
काहींना हे वर्णन अतिरंजित वाटेल, पण यातला प्रत्येक शब्द शास्त्रीय चाचणीवर खरा उतरलेला आहे. ही बातमी ना रंजक द्रव्याची आहे ना कुठल्या जादूई औषधाची! ही आहे आठ तासांच्या शांत झोपेमुळे मिळणाऱ्या फायद्याची! आपण मात्र आज या आठ तास झोपेला फारसे महत्त्व देत नाही, ती नियमित घेत नाही आणि खरं सांगायचं तर कित्येकांना ‘ती’ येतही नाही. ती म्हणजे, झोप!
झोप म्हणजे फक्त जागेपणाचा अभाव असा अर्थ होत नाही. ती एक खूप गुंतागुंतीची, चयापचय असलेली प्रक्रिया आहे. झोप सर्वानाच जरुरी आहे. आपल्या मेंदूत एक घडय़ाळ असतं, जे अंधार, प्रकाश किंवा तापमानातील बदल यावर चालतं. ‘सरकाडियन ऱ्हिदम’ (circadian rhythm) म्हणतात याला. हे घड्याळ वसलेले असते ‘सुप्राकयाझमॅटिक नुक्लियस’ नावाच्या मेंदूच्या छोटय़ाशा भागात. सुप्रा म्हणजे वर आणि कयाझमा म्हणजे क्रॉसिंग. हा भाग डोळ्यातून संवेदना घेऊन येणाऱ्या दोन नसांच्या क्रॉसिंगच्या वर असल्यामुळे डोळ्यांतून आलेल्या प्रकाश संवेदना त्याला लगेच कळतात. संध्याकाळ झाली की हे घडय़ाळ मेलॅटोनीन नावाचा एक दूत मेंदूकडे पाठवते. तो इशारा देतो की, ‘अंधार होतोय, झोपेची वेळ झाली’.
प्रत्यक्ष झोप अडिनोसिन नावाचे रसायन आणते. जशी याची मात्रा वाढते मेंदूत एक प्रकारचा झोपेचा दबाव निर्माण होतो आणि झोप लागते. दिवस उजाडल्यावर प्रकाशाची संवेदना डोळ्यांतून मेंदूकडे जाते. मेलॅटोनिनचे स्रवणे बंद होते. मेंदूला उठण्याचा इशारा मिळतो. मेंदूतील घडय़ाळ आणि झोपेसाठीचा दबाव हे झोप लागण्यासाठीचे दोन महत्त्वाचे घटक आहेत. झोपेला घालवण्यासाठी लोक कॉफी पितात. कॉफीत कॅफिन असते. अडिनोसिन मेंदूच्या पेशींच्या ज्या खाचांमध्ये स्वत:ला फिट करून झोपेचा दबाव निर्माण करते त्या जागा कॅफिन चक्क अनधिकृतरित्या बळकावते. त्यामुळे अडिनोसिनने निर्मिलेला झोपेचा दबाव मेंदूला समजत नाही. आपण जागेच राहतो.
आपण झोपतो तेव्हा आपले सारे स्नायू शिथिल होतात. जलचर प्राणी असा झोपला तर त्याला जलसमाधीच मिळायची. एका वेळेस त्यांचा अर्धाच मेंदू झोपतो, बाकी अर्धा शरीराच्या गतिविधी सांभाळतो. पक्षांमध्येही सुरक्षेसाठी हे घडते. पक्षांच्या मेंदूचा जो अर्धा भाग जागा असतो त्याच्या विरुद्ध बाजूचा डोळाही उघडा असतो. म्हणजे पक्षाचा अर्धा मेंदू संकटावर चक्क ‘डोळा’ ठेवून असतो. आपले पूर्वज दोन भागांत झोपायचे. रात्रीची लांब आणि दुपारची छोटी झोप (nap) आजकाल दुपारची झोप दुर्मिळ झाली. तरीही दर दुपारी आपला जेनेटिक कोड आपल्याला या झोपेशी जोडू पाहतो. जेवणानंतर नवीन गोष्ट लक्षपूर्वक ग्रहण करायची आपली शक्ती कमी होते. जेवणानंतरच्या मीटिंगमध्ये, वर्गांत लोक पेंगतात. ग्रीसमध्ये पूर्वी दुपारी १ ते ४ सारी दुकाने बंद असायची आणि तेव्हा त्या भागातले लोक दीर्घायुषी होते म्हणे. पुण्यातल्या लोकांचे दुपारचे बंद दुकान आणि त्यांची झोप हा चेष्टेचा विषय अनेक वर्षांपासून होता, पण शरीरशास्त्राच्या दृष्टिकोनातून ते बरोबरच होते. 👍🏻👍🏻👍🏻
झोपल्यावर आपला मेंदू जास्त क्रियाशील असतो. नवीन गोष्ट शिकण्यासाठी मेंदूला तयार करायला आणि शिकल्यानंतर ती गोष्ट पक्की लक्षात ठेवायला शांत झोप अत्यावश्यक आहे.
दिवसभरात मिळालेली माहिती मेंदूत हिप्पोकॅम्पस नावाच्या भागात साठवली जाते. याची साठवण क्षमता यूएसबी ड्राइव्हसारखी छोटी असते. त्यात जर माहिती जातच राहिली तर नवीन गोष्टी साठवल्याच जाणार नाहीत. इथे झोप आपली अहं भूमिका पार पाडते. गाढ झोपेत मेंदूतल्या विद्युत लहरी कुरिअर सव्र्हिससारखे काम करतात. हिप्पोकॅम्पसमधल्या मेमरी फाइल्स मुबलक जागा असलेल्या कॉर्टेक्समध्ये पाठवल्या जातात. मगच त्या गोष्टी आपल्या आठवणीत पक्क्या बसतात. आपली एखादी मेमरी फाइल विस्मृतीच्या कप्प्यात गेली असेल, तर आठ तासांच्या शांत झोपेत मेंदू या फाइल्स शोधून परत आणू शकतो. शांत झोपेतून उठल्यावरचा अनुभव सांगतो, ‘‘अरे, काल मला जे आठवत नव्हतं ना ते आत्ता आठवलं पहा!’’ ही आहे झोपेची करामत.
झोप काय देते यापेक्षा ती घेतली नाही तर ती काय घेऊन जाते हे पाहणे जास्त डोळे उघडणारे ठरू शकते. अपुऱ्या झोपेचा परिणाम सगळ्यात आधी आपल्या एकाग्रतेवर होतो. तिचा पायाच डळमळतो. अशा व्यक्तीने ड्रायव्हींग केलं तर झोपेच्या दबावामुळे ती व्यक्ती मायक्रोस्लीपमध्ये जाऊ शकते. या स्थितीत काही क्षणासाठी मेंदूच्या सगळ्या संवेदना जातात. अॅक्सिलरेटर दाबायचा की ब्रेक, व्हील कुणीकडे फिरवायचं याची निर्णयक्षमता ४५ सेकंदासाठी पूर्णपणे जाते. भयानक अपघात घडतात.
दारू आणि अपुरी झोप याचं एकत्र येणं तर आणखीनच भयावह. वर्तमानपत्रात रोज दिसणारे अपघातांचे फोटो पाहिल्यावर आणि ड्रायव्हरचा ताबा सुटला हे वाक्य वाचल्यावर अपुरी झोप आपल्याला मृत्यूच्या दारात नेऊन उभी करू शकते हे पुरेपूर पटतं.
अपुरी झोप आपले भावनांवरचे नियमनही घालवते. छोटय़ाशा कारणाने आपण राग, भीती, नैराश्य अशा आदिम भावनांकडे जातो. झोपेपासून वंचित असणाऱ्या माणसाच्या मेंदूत राग, भीती या भावनांच्या पायडलवर विवेकी विचारांचा ब्रेक राहत नाही, कारण मेंदूतल्या जोडण्या विस्कळीत झालेल्या असतात. कित्येक लोक आठवडय़ातले पाच दिवस चार ते पाच तासही झोपत नाहीत. आणि म्हणतात, आम्ही शनिवार, रविवारी ही उरलेली झोप भरून काढतो. पण झोपेचं बँकेसारखं नसतं. कर्ज जमा करायचं आणि मग ते भरत जायचं. दिवसभरात गोळा केलेली माहिती आठवणींच्या कप्प्यात पक्की होण्यासाठी त्या दिवशीची झोप त्याच दिवशी घ्यावी लागते. झोपेच्या योग्य काळ वेळेचे महत्त्व न समजल्यामुळे अपुरी झोप जीवन पद्धत बनली आहे. हीच आपल्याला स्मृतिभ्रंशाकडेही नेते आहे. आठ तासांच्या शांत झोपेत मेंदूत स्वच्छता मोहीम राबवली जाते. दिवसभरात तयार झालेली अमिलॉइडसारखी विषारी प्रथिने एका सिस्टीमद्वारे मेंदूतून दूर केली जातात. ही घातक प्रथिने जर नियमित झोपेद्वारे दूर केली गेली नाहीत तर त्याचे छोटे छोटे गोळे मेंदूच्या विविध भागांत साचतात. अल्झायमर होण्याचे हे एक महत्त्वाचे कारण मानले जाते.
संकटाच्या क्षणी म्हणजे जेव्हा लढा अथवा पळा अशा परिस्थितीशी आपण सामना करतो तेव्हा ‘सिम्पाथेटीक नव्र्हस सिस्टीम’ उत्तेजित होते. मग हृदय जोरात पळू लागतं, जास्त रक्त जास्त जोराने शरीरात पंप होतं, रक्तदाब वाढतो. या चेतासंस्थेला परत शांत करण्याच्या कामात रोज रात्रीची शांत झोप खूप महत्त्वाची भूमिका बजावते. जर ही शांत झोप ५ ते ६ तासांपेक्षा कमी मिळाली तर ही चेतासंस्था उत्तेजित स्थितीतच राहते. हे आपल्या शरीरासाठी हानीकारक असते. शरीराला वाटत राहतं की आपण स्ट्रेसमधून जातो आहोत. मग कॉर्टीसाॅल नावाचे द्रव्य पण हिरिरीने पुढे येते. या सगळ्याचा परिणाम असा होतो की हृदयाची गती व रक्तदाब वाढलेलाच राहतो. ही स्ट्रेस हार्मोन्स रक्त वाहिन्यांनाही हानी पोहोचवतात. साहजिकच हृदयविकार, उच्च रक्तदाब, अर्धागवायू होण्याचा धोका कैकपटीने वाढतो.
जेव्हा शांत झोप कमी होते तेव्हा वजन वाढीस लागतं. विशेषत: पोटाचा घेर. आपली भूक नियंत्रित करणारी दोन हार्मोन्स असतात. लेप्टीन, जे पोट भरल्याचे संकेत देतं. दुसरं घ्रेलिन, जे भूक लागली हे सांगतं. अपुऱ्या झोपेमुळे लेप्टीन कमी होतं आणि घ्रेलिन वाढतं. पोट भरलेलं लेप्टीन सांगत नाही आणि घ्रेलिन सांगत राहतं की, भूक शमलेली नाही. त्यामुळे कमी झोपणाऱ्या माणसाला जेवायचं समाधान मिळतच नाही. जणू अपुऱ्या झोपेचा गुन्हा करणाऱ्याला डबल शिक्षा. जे कमी झोपतात ते दुसऱ्या दिवशी उत्साही नसतात म्हणून ते व्यायाम करत नाहीत आणि खाण्यासाठी जास्त गोड पदार्थ निवडतात. सध्या दिसत असलेल्या लठ्ठपणाचे इतर कारणांसोबतच अपुरी शांत झोप हे पण एक महत्त्वाचे कारण ठरते.
आपण जेव्हा जेवतो तेव्हा आपल्या रक्तातली साखर वाढते. इन्सुलिन नावाचे हार्मोन लगेच शरीरातल्या पेशींना हाकारून सांगते की, ‘‘तुमच्या झडपा उघडा आणि रक्तातल्या साखरेला आत घ्या. पेशी त्याप्रमाणे ऐकतात आणि रक्तातली साखर प्रमाणात राहाते. अपुऱ्या झोपेमुळे शरीरातल्या पेशी इन्सुलिनच्या हाकेला ओ देणं कमी करतात. मग त्यांच्या झडपा उघडत नाहीत आणि रक्तातली साखर वाढलेली राहते. म्हणजे अपुऱ्या झोपेमुळे येणारा लठ्ठपणा, कमी व्यायाम, जास्त गोड खायची इच्छा, शरीरातल्या पेशींनी इन्सुलिनचे न ऐकणे हे सारे काही आपल्याला रेड कारपेट अंथरून टाईप २ डायबेटिजपर्यंत घेऊन जाऊ शकतात.
कुठलाही जिवाणू किंवा विषाणू शरीरात दाखल झाला की त्याच्याशी लढायला शरीरात एक लढाऊ फौज ‘इम्युन सिस्टीम’ असते. साधारण सात तासांची शांत झोप या सैन्याला अधिक शक्तिशाली बनवते आणि नवीन कुमक तयार करते. कोरोना असो की स्वाइन फ्लू या साथींच्या वेळी दिल्या जाणाऱ्या सूचनांमध्ये एक असते ‘पुरेशी झोप घ्या’. कुठल्याही आजाराशी लढायला ‘अंदरसे स्ट्राँग’ बनण्यासाठी ही सूचना फार महत्त्वाची आहे. या फौजेत एक बटालियन असते किलर सेलची. ही कर्करोगाच्या पेशी नामोहरम करून टाकते. हे किलर सेल सतत सज्ज ठेवायला आपल्याला पुरेशी झोप घ्यायलाच पाहिजे.
सध्या घराघरात दिसणाऱ्या अनेक आजारांच्या मुळाशी अपुरी झोप ही महत्त्वाची गोष्ट आहे याची आपल्याला जाणीव नाही. कारण आपण तिला महत्त्वच देत नाही. आपल्या जगण्याच्या रेटय़ात, रंगीबेरंगी स्क्रीन्सच्या वेडाच्या भरात आपण "झोप" या मूलभूत गरजे कडे दुर्लक्ष करतो आहोत.
आपल्या दैनंदिन जीवनात रोजच्या धकाधकीच्या जीवनातल्या कुठल्याही कामात यश हवे असेल तर एकाग्रता हवी. ती साधण्यासाठी जीवन मोजके असावे. म्हणजे मोजकेच शब्द बोलावे, नियमित पावलांनीं चालावे आणि महत्त्वाचे म्हणजे कोणा एका योग्य वेळी झोपेलाही मान द्यावा. यात जणू आर्जव आहे. झोप आली असता तिचा मान राखा. तिला महत्त्व द्या. आज एकविसाव्या शतकातले विज्ञानही पुन्हा हेच सांगते आहे.
मॅथ्यु वॉकर ह्या न्यूरोसायण्टिस्टचे असे मत आहे की, ‘आता अशी वेळ आलेली आहे की इतर आजारांसाठी औषधोपचार लिहिताना डॉक्टरांनी झोपेचे पण प्रिस्क्रिप्शन द्यावे. अर्थात ते झोपेच्या गोळ्यांच्या प्रकारात नसावे.’
आत्तापर्यंत उपलब्ध असलेल्या झोपेच्या गोळ्या झोप लवकर आणतात, परंतु ही झोप नैसर्गिक झोपेसारखी नसते. आपली स्मृती, एकाग्रता, कलात्मकता वाढवणारे जे नैसर्गिक झोपेचे फायदे आहेत ते ही झोप पूर्णत: देऊ शकत नाही. चांगली झोप येण्यासाठी आपण खालील गोष्टी नक्कीच करू शकतो-
* झोपेच्या वेळेत फारसा बदल करू नका. कधी उठायचे यासाठी गजर लावण्याऐवजी कधी झोपायला जायचं यासाठी लावा आणि ती वेळ पाळा.
* नियमित व्यायाम करा, पण झोपेच्या आधी दोन-तीन तास नको.
* कॉफी, चहा, चॉकलेट दुपारनंतर नको.
* दारू आणि तत्सम पदार्थ टाळा.
* रात्री उशिरा खूप जड जेवण घेऊ नका.
* झोपायची खोली शांत, पुरेशी थंड आणि अंधारी असावी. बिछाना आणि उशी आरामदायी असावी. कुठलेही इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तिथे नसावे.
* झोपण्यापूर्वी गरम पाण्याने आंघोळ करा.
* खोलीतल्या घडय़ाळ्याचे तोंड तुमच्याकडे नसावे. झोप आली नाही तर आपण सारखे त्याकडे पाहतो आणि मग अरे बापरे इतके वाजले अजून आपल्याला झोप येत नाही, या ताणाने येणारी झोप येत नाही.
* दिवसाचा प्रकाश ही झोपेचे नियमन करणारी महत्त्वाची गोष्ट आहे. रोज अर्धा तास तरी स्वच्छ सूर्यप्रकाशात वावरा.
* रात्री आठनंतर घरातले सर्वच दिवे मंद ठेवा. सगळे स्क्रीन्स नाईट मोडवर ठेवा. टीव्ही, मोबाइल, लॅपटॉप कोणतीही स्क्रीन नको.
* बिछान्यावर पडल्यावर झोप आली नाही तर तिची वाट पाहात पडून राहू नका, अशा वेळी मोठा दिवा लावून काही वाचूही नका. ताण घालवण्यासाठी मंद संगीत ऐकणे सगळ्यात चांगले.
या वर्षीच्या जागतिक झोप दिनाचे (१३ मार्च) ब्रीदवाक्य होते, ‘बेटर स्लीप, बेटर लाइफ, बेटर प्लॅनेट.’ जे कायमस्वरूपी आपल्याला लागू आहे. अधिक चांगले जग हवे असेल तर सुरुवात स्वत:पासूनच करायला हवी.
गेल्या आठ दिवसांतली आपल्या झोपेची पाने जरा चाळून बघा. कशी होती माझी झोप? एकदा का त्यातल्या कमतरता उमजल्या, समजल्या, आपण त्या स्वीकारल्या तर त्या दूर करण्यासाठी प्रयत्न करता येतील. हो अगदी आजपासूनच.
आठ तासांच्या शांत, निवांत, निरामय शुभेच्छा
मंगलवार, 19 जुलाई 2022
“भाजलेल्या शेंगा”
“भाजलेल्या शेंगा”
खूप दिवसांनी छान गाढ झोप लागली. जाग आल्यावर हॉस्पिटलमध्ये आहोत हे लक्षात यायला काही क्षण लागले. बेल वाजवल्यावर रुममध्ये नर्स आल्या.
“गुड ईव्हिनिंग सर,”
“कोणी भेटायला आलं होत का?
“नाही”
“बराच वेळ झोपलो होतो म्हणून विचारलं” मोबाईलवरसुद्धा एकही मिस कॉल किवा मेसेज नव्हता.
“आता कसं वाटतंय” नर्स
“प्रचंड बोर झालंय”
“तीन दिवसात ते प्यून काका सोडून तर भेटायला दुसरं कोणीच कसं आलं नाही?”
“सगळे बिझी असतील”
“आपलं माणूस म्हणून काळजी आहे कि नाही” नर्स बोलत होत्या, पण मी काहीच उत्तर दिलं नाही.
“सॉरी, मी जरा जास्तच बोलले.” नर्स
“जे खरं तेच तर बोललात!”
ब्लडप्रेशर तपासताना दोन-तीन वेळा ‘सॉरी’ म्हणून नर्स निघून गेल्या. त्यांनी सहजपणे म्हटलेलं खोलवर लागलं. दोन शब्द बोलायला, विचारपूस करायला हक्काचं, प्रेमाचं कोणीच नाही याचं खूप वाईट वाटलं. एकदम रडायला आलं. भर ओसरल्यावर बाहीने डोळे पुसले. डोक्यात विचारांचा पंखा गरागरा फिरायला लागला.अस्वस्थता वाढली.
आज मला काही कमी नाही. मोठा बंगला, फार्म हाउस, तीन तीन गाड्या, भरपूर बँक बॅलन्स, सोशल स्टेटस सगळं आहे, तरीही मन शांत नाही. कशाची तरी उणीव भासतेय. प्रत्येकजणच स्वार्थी असतो, पण मी पराकोटीचा आहे. प्रचंड हुशार, तल्लख बुद्धी परंतु तिरसट, हेकेखोर स्वभावामुळे कधीच आवडता नव्हतो. फटकळ बोलण्यामुळे फारसे मित्र नव्हते. जे होते तेसुद्धा लांब गेले. माझ्या आयुष्यात कधीच कोणाला ढवळाढवळ करू दिली नाही अगदी बायकोलासुद्धा. तिला नेहमीच ठराविक अंतरावर ठेवलं. लौकिक अर्थाने सुखाचा संसार असला, आमच्यात दुरावा कायम राहिला. पैशाच्या नादात म्हातारपणी आई-वडिलांना दुखावले. मोठ्या भावाला फसवून वडिलोपार्जित संपत्ती नावावर करून घेतली. एवढं सगळं करून काय मिळवलं तर अफाट पैसा सोबत विकृत समाधान आणि टोचणारं एकटेपण. विचारांची वावटळ डोक्यात उठली होतो. स्वतःचा खूप राग आला. मन मोकळं करायची इच्छा झाली. बायकोला फोन केला पण उगीच डिस्टर्ब करू नकोस. काही हवं असेल तर मेसेज कर असं सांगत तिनं फोन कट केला. तारुण्याच्या धुंदीतल्या मुलांशी बोलायचा तर प्रश्नच नव्हता.
......फोन नंबर पाहताना दादाच्या नंबरवर नजर स्थिरावली. पुन्हा आठवणींची गर्दी. दादाचा नंबर डायल केला पण लगेच कट केला कारण आमच्यातला अबोला. तीन वर्षांपूर्वी आमच्यात कडाक्याचे भांडण झालं होत. त्यानंतर पुढाकार घेऊन दादानं समेटाचा प्रयत्न केला पण माझा ईगो आडवा आला. म्हणूनच आता तोंड उघडायची हिंमत होत नव्हती तरीपण बोलावसं वाटत होतं. शेवटी धाडस करून नंबर डायल केला आणि डोळे गच्च मिटले.
“हं” तोच दादाचा आवाज
“दादा, मी बोलतोय”
“अजून नंबर डिलीट केलेला नाही”
“कसायेस”
“फोन कशाला केलास”
“तुझा राग समजू शकतो.खूप चुकीचा वागलो.गोड गोड बोलून तुला फसवले” ठरवलं नसताना आपसूकच मनात साठलेलं धाडधाड बोलायला लागलो.
“मुद्द्याचं बोल.उगीच शिळ्या कढीला ऊत आणू नकोस. आपल्यात आता काही शिल्लक राहिलेलं नाही”
“दादा, इतकं तोडून बोलू नकोस”
“मी तर फक्त बोलतोय. तू तर..........”
“पैशाच्या नादानं भरकटलो होतो. चुकलो.”
“एकदम फोन का केलास. सगळ्या वाटण्या झाल्यात आता काहीच शिल्लक नाही”
“मला माफ कर” म्हणालो पण पलीकडून काहीच उत्तर आलं नाही.
“दादा!!!”
“ऐकतोय, काय काम होतं”
“माझ्याकडून डोंगराएवढ्या चुका झाल्यात”
“मुद्द्याचं बोल”
“झालं गेलं विसरून जा.”
“ठीकय”दादा कोरडेपणाने बोलला परंतु मी मात्र प्रचंड भावूक झालो.
“झालं असेल तर फोन ठेवतो”
“आज सगळं काही आहे अन नाहीही.”
“काय ते स्पष्ट बोल”
“हॉस्पिटलमध्ये एकटा पडलोय”
“का, काय झालं” दादाचा आवाज एकदम कापरा झाला.
“बीपी वाढलंय. चक्कर आली म्हणून भरती झालोय. डॉक्टरांनी आराम करायला सांगितलंय.”
“सोबत कोण आहे ”
“कोणीच नाही. दिवसातून दोनदा बायको आणि मुलं व्हिडीओ कॉल करून विचारपूस करायचं कर्तव्य पार पाडतात”
“अजबच आहे”
“जे पेरलं तेच उगवलं. मी त्यांच्याशी असाच वागलोय. कधीच प्रेमाचे दोन शब्द बोललो नाही. फक्त व्यवहार पाहिला. स्वार्थासाठी नाती वापरली आणि तोडली. आता एकटेपणाने कासावीस झाल्यावर डोळे उघडलेत”
कंठ दाटल्याने फोन कट केला. अंधार करून पडून राहिलो. बऱ्याच वेळानंतर नर्स आल्या. लाईट लावून हातात कागदाचा पुडा दिला.मस्त घमघमाट सुटला होता. घाईघाईने पुडा उघडला तर त्यात भाजलेल्या शेंगा. प्रचंड आनंद झाला.
“नक्की दादा आलाय. कुठंय????”
“मी इथचं आहे” दादा समोर आला.
आम्ही सख्खे भाऊ तीन वर्षानंतर एकमेकांना भेटत होतो. दोघांच्याही मनाची विचित्र अवस्था झाली. फक्त एकमेकांकडे एकटक पाहत होतो. नकळतपणे माझे हात जोडले गेले.
“राग बाजूला ठेवून लगेच भेटायला आलास.”
“काय करणार तुझा फोन आल्यावर रहावलं नाही. जे झालं ते झालं. आता फार विचार करू नको.”
“तुला राग नाही आला”
“खूप आला. तीन वर्षे तोच कुरवाळत होतो पण आज तुझ्याशी बोलल्यावर सगळा राग वाहून गेला.तुला आवडणाऱ्या भाजलेल्या शेंगा घेतल्या आणि तडक इथं आलो”
“दादा!!!!!....”मला पुढे काही बोलता येईना. दादानं डोक्यावरून हात फिरवला तेव्हा खूप शांत शांत वाटलं.
“राग कधीच नात्यापेक्षा मोठा नसतो. मग ते रक्ताचं असो वा मैत्रीचं.चुका,अपमान काळाच्या ओघात बोथट होतात.जुन्या गोष्टींना चिकटून बसल्याचा त्रास स्वतःलाच जास्त होतो. एक गोष्ट कायम लक्षात ठेव - आपलं नातं म्हणजे फेविकोल का जोड ... ..”
दादा लहानपणी द्यायचा तसचं शेंगा सोलून दाणे मला देत बोलत होता.त्या भाजलेल्या खरपूस दाण्यांची चव अफलातून होती.
सहज कचऱ्याच्या डब्याकडे लक्ष गेलं त्यात शेगांच्या टरफलाच्या जागी मलाच माझा इगो दिसत होता!!
गुरुवार, 7 जुलाई 2022
कोकणातले स्पेशल टेस्टी खमंग पदार्थ यादी ..
कोकणातले स्पेशल टेस्टी खमंग पदार्थ यादी ..
आपल्या समस्त कोकणस्थ बंधू भगिंनीसाठी मी सर्व कमेंटस चिन्मय गोखले ह्यांच्या पोस्टमधून एकत्र केले आहेत, धन्यवाद चिन्मय गोखले ह्यांना, ज्यांच्यामुळे हे अनेक कोकणी पदार्थ आम्हाला कळले, ही पोस्ट मुद्दामहून मी वेगळी टाकली आहे, कारण त्यांच्या पोस्टखालच्या कमेंटस सगळेजण वाचतीलच असे नाही म्हणून,
आणि काहींनी माहिती नसलेल्या रेसिपीही डिटेलमधे द्याव्यात म्हणजे सगळ्या कोकणस्थ भगिनींना त्या घरी करुन बघता येतील.
कोकणातील स्पेशल टेस्टी खमंग पदार्थांची यादी खालीलप्रमाणे 👇
1) शिरवळ्या(शेवया) व नारळाचे दूध
2)सोलकढी
3)रायवळ आंब्याची आमटी
4)घावन,आंबोळ्या
5)बटाट्याची कापं
6)अळूवाडी व अळूचे फतफते
7)गुळपोहे
8)तिखट मिरची चुरडून केलेले पोहे
9)उकडीच्या पोळ्या, पुरणपोळीसारखे गव्हाच्या लाटीत तांदूळाची उकड घालून पोळी करणे ही आमरसाबरोबर खातात
10)कोळ पोहे,
11)सांदण,
12)पातोळे,
13) ओल्या फेण्या.
14) कोळाच भरीत ( वांग्याचे)
15)कडधान्याच्या पाण्याचं कळण,
16)फणसाच्या पुर्या,
17)भोपळ्याचे घारगे,
18)काकडीचे (तवसाचे) घावन.
19)रायवळ आंब्यांचे कोयाडं.
20)दडपे पोहे,उकड,
21)पावसाळ्यात मिळणारी भारंग भाजी
22)केळफूल भाजी,
23) आठळ्या भाजी, ( फणस बिया) (गोड ,तिखट)
24)आंबोळी,
25)फणसाच घावन घाटलं
26) चांदीवड्याच्या पानावरच्या फेण्या
27)फणसा चा रस काढून केलेली सांदण
28)ऋषी पंचमीची भाजी
29 मोकळं भाजणी
30)पंचामृत, घारगे,
31)तिखटामिठाचा शिरा,
32)दूधातले घावन
33)फोडणीची पोळी,
34)पोळीचे लाडू
35)तांदुळाच्या साल पापड्या ,
36)गव्हाचा चीक,
37)पंचामृत,
38)कायरस,
39)दिंड,
40)कडबू,
41)उकडीच्या पोळ्या,
42)फणसाची भाजी,
43)केळफुलाची भाजी..
44)फणसाच्या अाठीळांची खेड ,
45)गोवलाच्या पानांच्या अळूवडीसारख्या वड्या,
46) गरे घालून केलेली कढी,
47)पडवळाच्या बीयांची चटणी,
48)अांब्याचं रायतं,
49)सगळ्या प्रकारच्या फळभाज्यांची भरीतं,
50)मोदकाबरोबर नारळाचं दूध
51)पारोशाची भाजी/भजी इ.इ.
52)कुळीथ पिठलं..
53)मेतकुट गुरगुट्या भात ..
54) सुधारस
55) हळदी च्या पानावर थापून उकडलेली पानगी
56)खापराची पोळी आणि त्याच्याबरोबर नारळाचं दूध गूळ घातलेलं
57)बिंबलाचे लोणचे,
58)मनगणं,
59) रस शेवया.
60)ओल्या फेण्या बरक्या फणसाचे गरे घालून केलेली कढी
61)फणसाचं सांदण,
62)खांडवी
63)ओल्या काजुची उसळ,
64)अंबाडे फळाची उड्ड मेथी, चटणी, लोणचे
पाटवड्या,
65)राघवदासाचे लाडू, आंबोळी.
66)भोपळ्याचे घारगे
67)भोपळ्याच्या सालींची चटणी,
68)उकड कडबोळी
भारंगीची,
69)कुवाळीची,खडकतेऱ्याची भाजी
70)कापे गऱ्यांची खीर
71)निवगऱ्या,
72)सांज्याच्या पोळ्या,
73)घोळीची भाजी
74) तांदूळाची पेज,
75)रातांब्याच बियांच सार ,
76)खापर पोळी,
77)वेसवार ,
78)कापा फणसा चे पिकलेले गरे, उभे चिरून त्याला साखर मीठ मोहोरी लाल सुकी मिरची घालून केलेली भाजी
79)बरक्या फणसाचे गर घालून केलेली कढी
80))मिरगुंड
81)पोह्याचे पापड
82) फणसाचे तळलेले काप
83) आंबापोळी
84)तांदूळ चिकवड्या,
85)लाल तांदूळाचा भात,
86) वालाची उसळ,
87) तांदूळ भाकरी,
88)पोह्याचे डांगर
89)गव्हल्याची खीर
90) पावटे किंवा कुळिथाची आठीळ्या घालून उसळ .
91) कैरीचे नारळाचा रस घालून केलेले सार
92) भारंगी ची भाजी ,
93) उडीदाच्या पापडाच्या डांगराच्या लाट्या,
94)कच्च्या कुयरिची(छोटासा कोवळा फणस)
95) भिजवलेले शेंगदाणे व सांडगे मिरची तळून भाजी.
96) जमिनीत अंकुरलेल्या हिरव्या काजुची भाजी
97) गोड आमसूले, आमसूलाच्या वड्या,
98) बिमलं, करमल यांची उड्डामेथी, चटणी, लोणचे,
99) काळ्या वाटण्याची उसळ व वडे
100) पातोळे . ---- कोकणी खाद्यसंस्कृतीमधला अजून एक आगळावेगळा पदार्थ . कोकणी पदार्थात तांदूळाला महत्त्वाचे स्थान आहे .खुपशा पाककृती या तांदूळाभोवती फिरत राहतात .
पातोळ्यांचे घटक पदार्थ - तांदूळाचे जाडसर पीठ , तवशाचा कीस ( जुन मोठी काकडी साधारण एक किलो वजन ) , गुळ पाऊण किलो , हळदीची पाने साधारण १८-२० .अर्धा चमचा मीठ .
काकडीच्या बिया काढून काकडी किसुन घ्यावी.एका मोठ्या पातेल्यात तुपावर कीस परतुन घ्यावा .काकडी किसल्यावर त्याला पाणी सुटते ते सुद्धा यात वापरावे .नंतर यात गुळ मिसळावा .थोडे मीठ घालावे .गॕसवरच गुळ मिसळून घ्यावा .गॕस बंद करून मिश्रण गरम असताना त्यात तांदूळाचे पीठ चांगले मिसळुन घ्यावे .हे मिश्रण साधारणपणे दोन तास भिजू द्यावे . नंतर हळदीचे पानाला तुपाचा हात फिरवावा .पानाच्या अर्ध्या भागात भिजवलेले पीठ थोडे जाडसर थापावे आणि उरलेले अर्धे पान त्यावर घडी घालावे .जास्ती जाड करू नये .नीट शिजत नाही .अशी सर्व पाने लावून घ्यावी .
इडली पात्रात तळाशी पाणी घालावे .त्यात एक चाळण ठेवावी .चाळण पाण्यात बुडणार नाही याची खबरदारी घेणे . चाळणीत मध्यभागी एक तांब्या उपडा ठेवावा .त्याच्या कडेने ही पाने उभी लावावी .साधारणपणे आठ ते दहा .(छायाचित्रे पहावी .म्हणजे योग्य कल्पना येईल .) साधारण पंधरा मिनिटे शिजवावे . पाच मिनिटांनी वाफ जिरल्यावर झाकण उघडून पातोळे बाहेर काढावे .बरोबर तोंडी लावायला भरपूर तुप आणि कैरीचे लोणचे .
तवसे मिळाले नाही तर कोणतीही जुन काकडी वापरलेली चालते . पण तवशाचा स्वाद काही वेगळाच .
101) गवसणी ची पोळी..हा पदार्थ मी केवळ ऐकला आहे, कधी खाल्ला नाही. माझ्या आईनी सांगितल्या प्रमाणे हि पोळी आमरसा बरोबर खायला करतात..जसे पुरणपोळी करताना, गव्हाच्या कणकेत पुरण भरून पोळी करतात तसे ह्या पोळी मध्ये गव्हाच्या कणकेत तांदुळाची उकड भरून हि पोळी करतात.
102) कुळथाचे कळण आणि उसळ
Ravyach(Rawa tupawar khamanga bhajun) kanheri.Panyatil,tup,jire ,mith,Pani ghalun keleli.Kanheri.
Pachayla sopi.
103)
अंबाडीची भाजी लुप्त झाली आहे,बहुतांश भाजीवल्याना सुद्धा ही पालेभाजी माहिती नाही,जी लसूण अँड मुगाची डाळ घालून अतिशय उत्तम लागते
104) घोळीची भाजी,
105) पोह्याच्या पीठाचा दुध-गुळ घालून केलेला मधल्या वेळी खाण्यासाठी केलेला लाडू
106) देवदिवाळीला कोकणात नैवेद्याला घारगे करतात.साजूक
तुपातला शिरा करुन त्यात कणीक घालून तळायचे.अप्रतिम
लागतात.
107) आठळ्या पावटे भाजी, भाजून पावटे घातलेली पाऱ्याची भाजी, अळूची देठी 2 प्रकारची, देठी गाठी भाजी, घाटले, कच्च्या आंब्याचे सार, गोड गुळाचे पोहे, गूळ घालून केलेली शिकरण, अनेक प्रकारची भरीत, रायते आणि कायरस, भाजणीतील शेवग्याच्या शेंगा, तिखट गोड घारगे, गुळाची सांजा पोळी, डाळिंबी सोबत कॉम्बिनेशन असलेल्या भाज्या उदा. पडवळ, दुधी,तोंडली घोसाळे etc घालून केलेली. काही विशिष्ट तूप जिऱ्याच्या फोडणीत केलेल्या भाज्या, मेथी,अळू,अंबाडी ची डाळ कण्या घालून केलेली गोळा भाजी, आंबोळ्या v नारळाचे दूध, मोकळ भाजणी, वाटली डाळ, घट्ट उकड हे माझ्या माहितीतले विस्मरणात गेलेले पदार्थ, आई मावशी यांना विचारले तर त्या अजून खूप,माहीत नसलेली नावे सांगतील
108) लुप्त हत चाललेले चित्पावनी खाद्य पदार्थ:
खालती दिलेले खाद्यपदार्थ आमी आमच्या खाद्यसंस्कृती थीन हद्द पार करीत सों. क्ष
पुढच्या पिढ्यांना आमी न्यूडल कमी ड्रायफुड ची दिशा दाखवीत सों.
असे हे पदार्थ एक वेळ पोटाची भूक म्हणी खात सलो. आज ती खाद्यसंस्कृतीची एक विविधता म्हणी पुढल्या पीढ्यासमोर रेल्वे किमान हरकत से.
१. कायरस :
२. सुकृण्डे: म्हटले सारखा सुखरून्डे (सुक्कीना उंडे ) मुग्गांची डाळ किंवा चणेचे दाळीचे दर वर्खा श्रादद्ध /महालायला मुद्दाम करीत सले. एतां करीत नाय.
३.पानगा/पाने :
४. पिठलां :
५. चुलीवेल्ली भाकरी : अतशा भाकरी गॅसवर भाजसत. तांदळाचे पिठाची उकड करनी, केळीचे पानावर थापटुनी, चुलीवर भाकरी भाजीत सतांना ओले कपडेन पाणी फिरवनी भाजलेली भाकरी खूसखुशीत हसे. भाजनी चुलीत घालनी फुगयलेली भाकऱ्याची चवच वेगळी.
६. तांबडे तांदुळाची पेज अणि बरोबर खारतली आंबाडी.
७.टायकिळेची भाजी.
८. उकड आंबाडेचां रायतां
९. आंकुराची भाजी अणी सांबारां.
१०. लापशी:
११. तांदुळाची उकड :
१२. कर्मलाचां लोणचां :
१३. पणसाची खीर :
१४. गावठी तिखटमिठाचे पाहु/पोहे :
१५. नासणेची आंबील :
१६. मिरची पुड कमी खोबरेल तेला बरोबर उकडलेल्यो आठुळ्यो :
१७. हिरवां केळां निखाऱ्यात भाजनी खाणां. :
१८.कुड्याच्या फुलांची भाजी/ शेंगांची चटणी :
१९. घोटशेरीचे आकूर तेची भाजी :
२० तांदुळाच्यो शेव्यो
२१. खापरोळी : कोकणातली आणखीन एक दुर्मिळ झालेला पदार्थ म्हणजे खापरोळी.
साहित्य-4वाट्या तांदूळ,2वाट्या हरभरा डाळ, 1वाटी उडीद डाळ, चमचा भर मेथीदाणे, नारळाचा रस आणि गुळ, वेलची पुड.
दोन्ही डाळी तांदूळ आणि मेथीदाणे स्वच्छ धूवून 7ते8तास भिजवावे. नंतर रवाळ वाटून घ्यावे. आणि परत 7/8तास झाकून ठेवावे. नारळाचा रस गुळ आणि वेलची घालून तयार करावा. ८तासांनंतर हे पिठ फुगुन येईल. आता भिड्याला तेल लावून आंबोळी घालावी. वाढताना डीश मध्ये आंबोळी ठेऊन वर नारळाचा रस घालावा.
२२. खांटोळी :
२३. तवसळी :
२४. दुधी भोपळेची खिर :
२५. कणग्यांची खिर :
२६. मेथीची पेज :
२७. कुवाळेचे सांडगे :
२८. भारलेली मिर्ची :
२९. घोटांचां रायतां :
३०. अननसाची चटणी अणी भाजी :
३१. खोबरे ची कापां :
109) रातांब्याच बियांच सार ,खापर पोळी, वेसवार ,
110) मेतकुटाची धिरडी
111) ओली हळद आंबे हळदिचे लोणचे
112) दही केळं. ( पिकलेल्या केळ्याची कोशिंबीर थोडीशी मोहरी फेसून लावायची, थोडसं मीठ, थोडीशी साखर)
113) दामटी
ही दामटी माझी आजी छान करायची तांदूळाच्या पिठात तेल,मीठ, थोडा ओवा जीरे घालायचे (हे ओवा जीरे मी नंतर अॕड करायला लागले छान चव लागते आजी फक्त तेल मीठ घालायची) आणि संपूर्ण पीठ दुधात भिजवायचे पोळीच्या पिठासारखे आणि थालिपिठासारखे तव्यावर तेल टाकून छान खरपूस मिडियम आचेवर भाजून घ्यायचे वरुन तूप घ्यायचे खाताना, लींबू लोणच्याबरोबर छान लागतात ह्या दामट्या.
राघवदास लाडू रेसिपी 👇
(रवा, खवा खोबरे लाडू )
साहित्य : 2 भांडी रवा, 2 भांडी साखर, 1 भांडं खवा, पाऊण भांडे डेसीकेटेड खोबरे (खरे तर नारळाचा चव घालतात पण पावसाळ्याचे दिवस आहेत त्यामुळे लवकर खराब होतील म्हणून नाही घातला) तूप 1 भांड्याच्या वर, वेलची पूड, काजू, बेदाणे चिमूटभर मीठ..
रवा तूप घालून खमंग भाजून झल्यावर त्यातच डेसीकेटेड नारळ घालून थोडे परतावे, दुसरीकडे खवा परतून घ्यावा नंतर रवा खवा खोबरे सगळे एकत्र करून थोडे भाजावे
बेदाणे धुवून थोडा वेळ पाण्यात भिजू द्यावेत नंतर ह्या भाजलेल्या रवा खवा ह्यात काजू बेदाणे घालावे रव्याच्या गरम असण्याने बेदाणे पण थोडे गरम होतात त्यावरच वेलची पूड घालावी..
दुसरीकडे 2 भांडी साखरेचा पाक करायला ठेवावा अगदी एक तारी न करता थोडासा घट्ट असू द्यावा मग ह्या रव्याच्या मिश्रणात पाक घालून नीट एकत्र करावे थोड्या वेळाने थोडे थोडे ढवळावे मिश्रण आळले की त्याचे लाडु वळावेत...
टीप : मिश्रण हळूहळू आळंत गेले की समजावे लाडु मऊ होणार आणि पटकन आळले तर हमखास भागराच होणार..
खांडवी ...रेसिपी👇
माझाही एक प्रयत्न...
मी हे microwave मध्ये केलंय तयारीचा वेळ सोडून अवघ्या 6 ते 7 मिनिटांत तयार..
एकीकडे गुळ पाण्यात विरघळवून उकळत ठेवले उकळी आल्यावर त्यातच कीसलेलं आलं, चिमूटभर मीठ आणि नारळाचा चव घातला चांगली उकळी आल्यावर गॅस बंद केला...
दुसरी कडे 2 वाट्या इडली रवा त्यात तूप घालून microwave ला 2,2 मिनिटे असे 6 मिनिटं ठेवून खमंग भाजून घेतले नंतर गुळ खोबरे आले मिश्रित उकळते पाणी थोडे थोडे घातले रवा थोडे थोडे पाणी घातल्याने छान मोकळा शिजला पुन्हा 1 मिनिट microwave मधे ठेवून बाहेर काढले आणि मग छान ढवळून आधीच तूप लावून ठेवलेल्या ताटात घातले नीट पसरून त्यावर नारळाचा चव घालून थापले गार झल्यावर वड्या पाडल्या...
सुरणाची उपासाची भाजी, केनी -कुर्डू ची भाजी, बिरडे उसळ, केळ्याचे घारगे, ताकातल्या तिखट पानग्या, सुरळीच्या वड्या, शेवग्याच्या शेंगा घालून आमटी, गोळ्यांची आमटी, डाळिंब्या , शेवग्याच्या फुलांची पीठ पेरून भाजी, ओव्याच्या पानांची भजी.
प्राजक्ता मेहेंदळे
अळूची देठी -
हे आळूच्या दांड्या न चे उकडुन आणि साल काढून केलेलं भरित असतं.. दही मीठ तूप जिऱ्याची फोडणी
घालून करायचे
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