मंगलवार, 7 मई 2013

मीमांसा दर्शन में भारतवर्ष के मुख्य प्राणधन धर्म का वर्णाश्रम व्यवस्था, आधानादि, अश्वमेधांत आदि विचारों का विवेचन किया गया है।
सपने कहाँ गए (स्वाधीनता संग्राम पर आधारित पुस्तक)
निर्देशांक: 38°54′00″N 77°2′39″W / 38.9, -77.04417
उपनिषद् ब्रह्म विद्या का द्योतक है। कहते हैं इस विद्या के अभ्यास से मुमुक्षुजन की अविद्या, नष्ट हो जाती है (विवरण); वह ब्रह्म की प्राप्ति करा देती है (गति); जिससे मनुष्यों के गर्भवास आदि सांसारिक दु:ख सर्वथा शिथिल हो जाते हैं (अवसादन) । फलत: उपनिषद् वे ‘तत्त्व’ प्रतिपादक ग्रंथ माने जाते हैं जिनके अभ्यास से मनुष्य को ब्रह्म अथवा परमात्मा का साक्षात्कार होता है।
आकाशवाणी विदेश सेवा प्रभाग का विश्‍व के विदेशी रेडियो नेटवर्क में ऊंचा स्‍थान है। यह 100 देशों के लिए 27 भाषाओं जिनमें 16 विदेशी तथा 11 भारतीय हैं, में रोजाना 70 घंटे 30 मिनट का प्रसारण करता है। आकाशावाणी अपने विदेशी प्रसारणों से विदेशी श्रोताओं को खुले समाज के रूप में भारत के विचारों और उपलब्धियों को उजागर कर भारत के संस्‍कार और भारतीय वस्‍तुओं से जोड़े रखता है।
चूंकि उपर्युक्त समस्याएं आज भी वर्तमान हैं, इसलिए आश्चर्य नहीं की यह उच्छृंखलतावाद, भोगवाद, निराशावाद एवं अन्य पतानोन्मुखी वृत्तियाँ आज भी हिन्दी साहित्य के कई रचनाकारों एवं आलोचकों में पर्याप्त प्रबल हैं. आश्चर्य नहीं कि नरेन्द्र कोहली का निर्माणोन्मुखी एवं आदर्शवादी साहित्य उनके लिए विस्मय, उपेक्षा एवं भय का विषय है।
रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डर्स ने अपने 2007 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक, पर बेल्जियम को (फिनलैंड और स्वीडन के साथ) 169 देशों में 5वें स्थान पर रखा.[३२]
Fishing boats at the Port of Karachi.
बीजिंग, शांघाई, चोंगिंग, त्यांजिन
(3) अन्वयव्यतिरेक- जब लिंग और साध्य का सहअस्तित्व और सहअभाव दोनों ही अनुभव में आते हों। आँग्ल तर्कशास्त्री जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपने ग्रंथों में आगमन की पाँच प्रक्रियाओं का विशद वर्णन किया है। आजकल की वैज्ञानिक खोजों में उन सबका उपयोग होता है।
आत्मज्ञान की प्राप्ति
फोन पर हिन्दी साइटों को देखने हेतु ऑपेरा मिनी तथा ऑपेरा मोबाइल मुफ्त एवं बेहतरीन ब्राउज़र हैं। यह यूनिकोड समर्थन युक्त हिन्दी मित्र ब्राउजर हैं। इनका मुफ्त संस्करण फोन के ब्राउजर से http://m.opera.com पर जाकर डाउनलोड किया जा सकता है। यह हिन्दी साइटों और चिट्ठों को सही तरीके से दिखाने के अलावा वॅबसाइटों को मोबाइल स्क्रीन के हिसाब से संपीड़ित करके भी दिखाता है ताकि उन्हें फोन की छोटी स्क्रीन पर आसानी से पढ़ा जा सके। इसके अलावा भी इनमें बहुत सी फीचर हैं जो कि फोन के डिफॉल्ट ब्राउज़र में नहीं होती। ऑपेरा मोबाइल हिन्दी समर्थन के मामले में बेहतर है, यदि फोन में हिन्दी का फॉण्ट हो तो यह हिन्दी साइटों के केवल कुछ संयुक्ताक्षर छोड़कर सही तरीके से दिखाता है। ऑपेरा मिनी लगभग हर फोन प्लेटफॉर्म के लिये उपलब्ध है जबकि ऑपेरा मोबाइल केवल सिम्बियन (S60) तथा विण्डोज़ मोबाइल के लिये उपलब्ध है।
बंगलौर विमानक्शःएत्र सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बंगलौर सेंट्रल रेल स्टेशन से करीब 3० किलोमी. की दूरी पर स्थित है। कई प्रमुख शहरों जैसे कलकत्ता, मुम्बई, दिल्ली, हैदराबाद, चैन्नई, अहमदाबाद, गोवा, कोच्ची, मंगलूर, पुणे और तिरूवंतपुरम से यहां के लिए नियमित रूप से उड़ानें भरी जाती है। अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी इसी एयरपोर्ट से निकलती हैं।
19वीं शताब्दी के उदारवादी और कैथोलिक दलों की विशिष्टताओं से यक्त बेल्जियम के राजनैतिक परिदृश्य की दोहरी संरचना को प्रतिबिंबित करते हुए, शिक्षा प्रणाली को एक धर्मनिरपेक्ष और एक धार्मिक वर्ग के बीच पृथक किया गया है. स्कूली शिक्षा की धर्मनिरपेक्ष शाखा का नियंत्रण समुदायों, प्रांतों, या नगर पालिकाओं द्वारा किया जाता है, जबकि धार्मिक का, मुख्य रूप से कैथोलिक शाखा शिक्षा का प्रबंधन धार्मिक अधिकारियों द्वारा होता है, यद्यपि यह समुदायों द्वारा सब्सिडी प्राप्त और उनकी निगरानी होती है.[७५]
अलसी में दूसरा महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व लिगनेन होता है। अलसी लिगनेन कासबसे बड़ा स्रोत हैं। अलसी में लिगनेन अन्य खाद्यान्नों से कई सौ गुनाज्यादा होते हैं। लिगनेन एन्टीबैक्टीरियल, एन्टीवायरल, एन्टी फंगल औरकैंसर रोधी है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। लिगनेन कॉलेस्ट्रोल कमकरता है और ब्लड शुगर नियंत्रित रखता है। लिगनेन सचमुच एक सुपर स्टार पोषकतत्व है। लिगनेन पेड़ पौधों में ईस्ट्रोजन यानी महिला हारमोन के तरह कार्यकरता है। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ईस्ट्रोजन का स्त्राव कम हो जाताहै और महिलाओं को कई परेशानियां जैसे हॉट फ्लेशेज़, ओस्टियोपोरोसिस आदिहोती हैं। लिगनेन इन सबमें बहुत राहत देता है। लिगनेन मासिक धर्म संबंधीअनियमितताएं ठीक करता है।
उर्दू साहित्य में चार पंक्तियों की उस कविता को रुबाइ कहते हैं जिनमें एक ही विचार प्रकट किया गया हो। इनमें हर प्रकार के विचार लाए जा सकते हैं। पर प्रायः इसमें लाए जाने वाले विचार दार्अशनिक होते हैं।
मध्यकाल में कई अफ़ग़ान शासकों ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया या करने का प्रयत्न किया जिनमें लोदी वंश का नाम प्रमुख है। इसके अलावा भी कई मुस्लिम आक्रमणकारियों ने अफगान शाहों की मदद से हिन्दुस्तान पर आक्रमण किया था जिसमें बाबर, नादिर शाह तथा अहमद शाह अब्दाली शामिल है। अफ़गानिस्तान के कुछ क्षेत्र दिल्ली सल्तनत के अंग थे।
श्री सत्यव्रत
कबीर की वाणी का संग्रह 'बीजक' के नाम से प्रसिद्ध है। इसके तीन भाग हैं- रमैनी, सबद और साखी यह पंजाबी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूरबी, ब्रजभाषा आदि कई भाषाओं की खिचड़ी है।कबीर परमात्मा को मित्र, माता, पिता और पति के रूप में देखते हैं।यही तो मनुष्य के सर्वाधिक निकट रहते हैं।
टीपू पैलेस व किला बंगलूरू के प्रसिद्व पर्यटन स्थलों में से है। इस महल की वास्तुकला व बनावट मुगल जीवनशैली को दर्शाती है। इसके अलावा यह किला अपने समय के इतिहास को भी दर्शाता है। टीपू महल के निर्माण का आरंभ हैदर अली ने करवाया था। जबकि इस महल को स्वयं टीपू सुल्तान ने पूरा किया था।
नगर में अनुशासन बनाये रखने के लिए तथा अपराधों पर नियन्त्रण रखने हेतु पुलिस व्यवस्था थी जिसे रक्षित कहा जाता था ।
1471–1550  Arzila (Asilah)
Mydeathandme@gmail.com
पाण्डु महाराज विचित्र वीर्य के अम्बालिका से उत्पन्न पुत्र थे. महर्षि व्यास के डर से अम्बालिका का मुख पीला पद गया था इसी से ये पाण्डु रोग से ग्रस्त पैदा हुए और इनका नाम पाण्डु पड़ा. धृतराष्ट के अंधे होने की वजह से ये राजा बने. ऋषि कंदम के श्राप से ये पुत्र प्राप्ति में असमर्थ थे इसलिए ये अपनी दोनों पत्नियों कुंती और माद्री के साथ वन चले गए. वहां कुंती और माद्री द्वारा महर्षि दुर्वासा के दिए मंत्र के प्रभाव से पांच पांडवो का जन्म हुआ. भूलवश माद्री के साथ समागम करने से श्राप के प्रभाव से इनकी असमय मृत्यु हो गयी.
नवपाषाण युग का अन्त होते होते धातुओं का प्रयोग शुरू हो गया था । ताम्र पाषाणिक युग में तांबा तथा प्रस्तर के हथियार ही प्रयुक्त होते थे । इस समय तक लोहा या कांसे का प्रयोग आरम्भ नहीं हुआ था । भारत में ताम्र फाषाण युग की बस्तियां दक्षिण पूर्वीराजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिमी महाराष्ट्र तथा दक्षिण पूर्वी भारत में पाई गई है ।
ও মা, ,
बाइबिल कुल मिलाकर 72 ग्रंथों का संकलन है - पूर्वविधान में 45 तथा नवविधान में 27 ग्रंथ हैं।
भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1885) को हिन्दी-साहित्य के आधुनिक युग का प्रतिनिधि माना जाता है. उन्होंने कविवचन सुधा, हरिश्चन्द्र मैगजीन और हरिश्चंद्र पत्रिका निकाली. साथ ही अनेक नाटकों की रचना की. उनके प्रसिध्द नाटक हैं- चंद्रावली, भारत दुर्दशा, अंधेर नगरी. ये नाटक रंगमंच पर भी बहुत लोकप्रिय हुए. इस काल में निबंध नाटक उपन्यास तथा कहानियों की रचना हुई. इस काल के लेखकों में बालकृष्ण भट्ट, प्रताप नारायण मिश्र, राधा चरण गोस्वामी, उपाध्याय बदरीनाथ चौधरी प्रेमघन, लाला श्रीनिवास दास, बाबू देवकी नंदन खत्री, और किशोरी लाल गोस्वामी आदि उल्लेखनीय हैं. इनमें से अधिकांश लेखक होने के साथ साथ पत्रकार भी थे. श्रीनिवासदास के उपन्यास परीक्षागुरू को हिन्दी का पहला उपन्यास कहा जाता है. कुछ विद्वान श्रद्धाराम फुल्लौरी के उपन्यास भाग्यवती को हिन्दी का पहला उपन्यास मानते हैं. बाबू देवकीनंदन खत्री का चंद्रकांता तथा चंद्रकांता संतति आदि इस युग के प्रमुख उपन्यास हैं. ये उपन्यास इतने लोकप्रिय हुए कि इनको पढने के लिये बहुत से अहिंदी भाषियों ने हिंदी सीखी. इस युग की कहानियों में शिवप्रसाद सितारे हिन्द की राजा भोज का सपना महत्त्वपूर्ण है.
त्रिपुर सुन्दरी मन्दिर जबलपुर शहर से करीब १४ कि.मी. कि दूरी पर भेडाघाट रोड पर "हथियागड" नाम के स्थान में स्तिथ है, मन्दिर के अन्दर माता महाकाली, माता महालछ्मी, और माता सरस्वती की विशाल मुर्ती स्थापित है . कहा जाता रहा है कि राजा "करन" जो कि हथियागड के राजा थे वे देवी के सामने खौलते हुये तेल के कडाहे मे स्वयं को समर्पित कर देते थे और देवी प्रसन्न होकर उन्हें (राजा को) उनके वजन के बराबर सोना आशीर्वाद के रूप मे देती थीं.
यह दरगाह सूफी संत तवक्कल मस्तान की है। इस दरगाह में मुस्लिम व गैर-मुस्लिम दोनों ही श्रद्धालु आते हैं।
यूरोपियन संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यत: यूरोप में स्थित 27 देशों का एक राजनैतिक एवं एवं आर्थिक मंच है जिनमें आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रो पर लागू होती है। इसका अभ्युदय 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपिय आर्थिक परिषद के माध्यम से छह यूरोपिय देशों की आर्थिक भागीदारी से हुआ था। तब से इसमें सदस्य देशों की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती रही और इसकी नीतियों में बहुत से परिवर्तन भी शामिल किये गये। 1993 में मास्त्रिख संधि द्वारा इसके आधुनिक वैधानिक स्वरूप की नींव रखी गयी। दिसंबर 2007 में लिस्बन समझौता जिसके द्वारा इसमें और व्यापक सुधारों की प्रक्रिया 1 जनवरी 2008 से शुरु की गयी है।
हुमायूं ने अपनी पत्नी के साथ मकरन के खुरदुरे इलाकों को पार किया, लेकिन यात्रा की निठरता से बचाने के लिए अपने शिशु बेटे जलालुद्दीन को पीछे छोड़ गए.जलालुद्दीन को बाद के वर्षों में अकबर के नाम से बेहतर जाना गया था, वे सिंध के राजपूत शहर उमेरकोट में पैदा हुए जहाँ उनके चाचा अस्करी ने उन्हें पाला.वहाँ वे मैदानी खेल, घुड़सवारी, और शिकार करने में उत्कृष्ट बने, और युद्ध की कला सीखी.तब पुनस्र्त्थानशील हुमायूं ने दिल्ली के आसपास के सेंट्रल पठार पर कब्ज़ा किया, लेकिन महीनों बाद एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई, जिससे वे दायरे को अस्थिर और युद्ध में छोड़ गए.
কি আঁচল বিছায়েছ,
गुम्फा का शब्दिक अर्थ गुफा होता है। सीता गुम्फा पंचवटी में पांच बरगद के पेड़ के समीप स्थित है। यह नाशिक का एक अन्य प्रमुख आकर्षण जगह है। इस गुफा में प्रवेश करने के लिए संकरी सीढ़ियों से गुजरना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने सीताहरण इसी जगह से किया था।
प्राचीन हिंदू व्यवस्था में वर्ण व्यवस्था और जाति का विशेष महत्व था। चार प्रमुख वर्ण थे - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। पहले यह व्यवस्था कर्म प्रधान थी। अगर कोइ सेना में काम करता था तो वह क्षत्रिय हो जाता था चाहे उसका जन्म किसी भी जाति में हुआ हो।
भारत (और आधुनिक पाकिस्तानी क्षेत्र) की सिन्धु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के कई निशान मिलते हैं। इनमें एक अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ, शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ, लिंग, पीपल की पूजा, इत्यादि प्रमुख हैं। इतिहासकारों के एक दृष्टिकोण के अनुसार इस सभ्यता के अन्त के दौरान मध्य एशिया से एक अन्य जाति का आगमन हुआ, जो स्वयं को आर्य कहते थे, और संस्कृत नाम की एक हिन्द यूरोपीय भाषा बोलते थे। एक अन्य दृष्टिकोण के अनुसार सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग स्वयं ही आर्य थे और उनका मूलस्थान भारत ही था। आर्यों की सभ्यता को वैदिक सभ्यता कहते हैं। पहले दृष्टिकोण के अनुसार लगभग १७०० ईसा पूर्व में आर्य अफ़्ग़ानिस्तान, कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में बस गये। तभी से वो लोग (उनके विद्वान ऋषि) अपने देवताओं को प्रसन्न करने के लिये वैदिक संस्कृत में मन्त्र रचने लगे। पहले चार वेद रचे गये, जिनमें ऋग्वेद प्रथम था। उसके बाद उपनिषद जैसे ग्रन्थ आये। बौद्ध और जैन धर्मों के अलग हो जाने के बाद वैदिक धर्म मे काफ़ी परिवर्तन आया। नये देवता और नये दर्शन उभरे। इस तरह आधुनिक हिन्दू धर्म का जन्म हुआ। दूसरे दृष्टिकोण के अनुसार हिन्दू धर्म का मूल कदाचित सिन्धु सरस्वती परम्परा (जिसका स्रोत मेहरगढ की ६५०० ईपू संस्कृति में मिलता है) से भी पहले की भारतीय परम्परा में है। निरुक्त
8.
रामकुंड गोदावरी नदी पर स्थित है, जो असंख्य तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां भक्त स्नान के लिए आते हैं। यह माना जाता है कि जब भगवान श्री राम नासिक आए थे तो उन्होंने यही स्नान किया था। यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
एक ब्राह्मण के गले में द्रौपदी को वरमाला डालते देख समस्त क्षत्रिय राजा-महाराजा एवं राजकुमारों ने क्रोधित हो कर अर्जुन पर आक्रमण कर दिया। पाण्डवों तथा क्षत्रिय राजाओं में घमासान युद्ध होने लगा।
कार्बी पीपुल्स फ्रंट (केपीएफ)
मणि रत्नम की फ़िल्म गुरु , 2007 में बालन की पहली फ़िल्म थी जिसमें वह एक अपाहिज (disability) की भूमिका में थी , को आलोचकों द्वारा काफी सराहा गया Iइस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस[८] पर बहुत अच्छा किया और उसके अभिनय के लिए उन्हें सराहा गया I[९]उनकी बाद की दो प्रदर्शित फिल्में, Salaam-e-Ishq: A Tribute To Love(2007) और Eklavya: The Royal Guard (2007) हांलांकि ज्यादा चली नहीं[८] लेकिन दूसरी फ़िल्म को ऑस्कर की (India's official entries to the Oscars) 80 वीं अकादमी पुरस्कार के लिए भारत की ग्द्र्ग्ग्थ्व्॑व्॑वे ओर से नामित किया गया.[१०] साल के दो रिलीज में हे बेबी (Heyy Babyy) (2007) और भूल भूलैया (Bhool Bhulaiyaa) (2007) ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा किया.[८]
हिन्दु धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से कियी था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है।
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गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों की शिक्षा पूरी होने पर हस्तिनापुर में एक रंगभूमि का आयोजन करवाया। रंगभूमि में अर्जुन विशेष धनुर्विद्या युक्त शिष्य प्रमाणित हुआ। तभी कर्ण रंगभूमी में आया और अर्जुन द्वारा किए गए करतबों को पार करके उसे द्वंद्वयुद्ध के लिए ललकारा। कब कृपाचार्य ने कर्ण के द्वंद्वयुद्ध को अस्वीकृत कर दिया और उससे उसके वंश और साम्राज्य के विषय में पूछा - क्योंकि द्वंद्वयुद्ध के नियमों के अनुसार केवल एक राजकुमार ही अर्जुन को, जो हस्तिनापुर का राजकुमार था, द्वंद्वयुद्ध के लिए ललकार सकता था। तब कौरवों मे सबसे ज्येष्ठ दुर्योधन ने कर्ण को अंगराज घोषित किया जिससे वह अर्जुन से द्वंदयुद्ध के योग्य हो जाए। जब कर्ण ने दुर्योधन से पूछा कि वह उससे इसके बदले में क्या चाहता है, तब दुर्योधन ने कहा कि वह केवल ये चाहता है कि कर्ण उसका मित्र बन जाए।
जिले का मुख्यालय बलरामपुर है ।
सूर्य और ध्रुव के बीच जो चौदह लाख योजन का अन्तर है, उसे स्वर्लोक कहते हैं।
भगवान शंकरजी की प्रेरणा से रामशैल पर रहनेवाले श्री अनन्तानन्द जी के प्रिय शिष्य श्रीनरहर्यानन्द जी (नरहरि बाबा) ने इस बालक को ढूँढ़ निकाला और उसका नाम रामबोला रखा। उसे वे अयोध्या ( उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक जिला है।) ले गये और वहाँ संवत्‌ १५६१ माघ शुकला पञ्चमी शुक्रवार को उसका यज्ञोपवीत-संस्कार कराया। बिना सिखाये ही बालक रामबोला ने गायत्री-मन्त्र का उच्चारण किया, जिसे देखकर सब लोग चकित हो गये। इसके बाद नरहरि स्वामी ने वैष्णवों के पाँच संस्कार करके रामबोला को राममन्त्र की दीक्षा दी और अयोध्या ही में रहकर उन्हें विद्याध्ययन कराने लगे। बालक रामबोला की बुद्धि बड़ी प्रखर थी। एक बार गुरुमुख से जो सुन लेते थे, उन्हें वह कंठस्थ हो जाता था। वहाँ से कुछ दिन बाद गुरु-शिष्य दोनों शूकरक्षेत्र (सोरों) पहुँचे। वहाँ श्री नरहरि जी ने तुलसीदास को रामचरित सुनाया। कुछ दिन बाद वह काशी चले आये। काशी में शेषसनातन जी के पास रहकर तुलसीदास ने पन्द्रह वर्ष तक वेद-वेदांग का अध्ययन किया। इधर उनकी लोकवासना कुछ जाग्रत्‌ हो उठी और अपने विद्यागुरु से आज्ञा लेकर वे अपनी जन्मभूमि को लौट आये। वहाँ आकर उन्होंने देखा कि उनका परिवार सब नष्ट हो चुका है। उन्होंने विधिपूर्वक अपने पिता आदि का श्राद्ध् किया और वहीं रहकर लोगों को भगवान राम की कथा सुनाने लगे।
Western यूरोप:Austria • Belgium • British Crown Dependencies • Denmark • Faroe Islands (Denmark) • Finland • France • Germany • Gibraltar (United Kingdom) • Greece • Iceland • Ireland • Italy • Luxembourg • Malta • Monaco • Netherlands • Norway • Portugal • Spain • Sweden • Switzerland • United Kingdom of Great Britain and Northern IrelandCentral यूरोप:Czech Republic • Hungary • Poland • Slovakia • SloveniaEastern यूरोप (including all of Russia and Turkey):Albania • Belarus • Bosnia and Herzegovina • Bulgaria • Croatia • Cyprus • Estonia • Latvia • Lithuania • Macedonia, Former Yugoslav Republic of • Moldova, Republic of • Montenegro • Romania • Russian Federation • Serbia • Turkey • Ukraine
पुरानी बँगला में कोई बड़ा प्रबंध काव्य रचा गया हो, इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। उस समय ऐसी रचनाएँ बंगाल में भी प्राय: अपभ्रंश में ही होती थीं। जो हो, मिथिला (बिहार) के प्रसिद्ध कवि विद्यापति ने जब प्रसिद्ध ऐतिहासिक काव्य (कीर्तिलता) की रचना की (लगभग 1,410 ई.) तब उन्होंने भी इसका प्रणयन अपनी मातृभाषा मैथिली में न कर अपभ्रंश में ही किया, यद्यपि बीच-बीच में इसमें मैथिल शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। 15वीं शती तथा विशेष रूप से 16वीं शती से ही बड़े प्रबंध काव्यों एवं वर्णनात्मक रचनाओं का निर्माण प्रारंभ हुआ, उदाहरणार्य आदर्श नारी बिहुला और उसके पति लखीधर की कथा, कालकेतु और फुल्लरा का कथानक, इत्यादि।
से अधिक अंतर ना हो पंरपरानुसार संसद के तीन नियमित सत्रॉ तथा विशेष सत्रों मे आयोजित की जाती है
1 नवंबर 2006 से आधिकारिक रूप से इस शहर का नाम बदलकर बेंगळूरु कर दिया गया है ।
आदि शंकराचार्य, जिन्हें शंकर भगवद्पादाचार्य के नाम से भी जाना जाता है, वेदांत के अद्वैत मत के प्रणेता थे। उनके विचारोपदेश आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित हैं जिसके अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरूपों में रहता है। स्मार्त संप्रदाय में आदि शंकराचार्य को शिव का अवतार माना जाता है।
नगर के कार्यक्षेत्र का एक बड़ा भाग केन्द्र एवं राज्य सरकारी कर्मचारी बनाते हैं। मुंबई में एक बड़ी मात्रा में कुशल तथा अकुशल व अर्ध-कुशल श्रमिकों की शक्ति है, जो प्राथमिकता से अपना जीवन यापन टैक्सी-चालक, फेरीवाले, यांत्रिक व अन्य ब्लू कॉलर कार्यों से करते हैं। पत्तन व जहाजरानी उद्योग भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से ढ़ेरों कर्मचारियों को रोजगार देता है। नगर के धारावी क्षेत्र में, यहां का कूड़ा पुनर्चक्रण उद्योग स्थापित है। इस जिले में अनुमानित १५,००० एक-कमरा फैक्ट्रियां हैं।[३२]
भारतीय कंसर्ट बांसुरी मानक स्वरबद्ध लहरियों (पिचों)पर उपलब्ध हैं. कर्नाटक संगीत में इन स्वरबद्ध लहरियों को नंबर के द्वारा जाना जाता है जैसे कि (सी को स्वर मानते हुये) 1 (सी के लिये), 1-1/2 (सी#), 2 (डी), 2-1/2 (डी#), 3 (ई), 4 (एफ), 4-1/2 (एफ#), 5 (जी), 5-1/2 (जी#), 6 (ए), 6-1/2 (ए#) एवं 7(बी). हालांकि किसी रचना का स्वर अपने आप में नियत नहीं है अतः कंसर्ट के लिये किसी भी बांसुरी का प्रयोग किया जा सकता है (जब तक कि संगत वाद्ययंत्र,यदि हो, भलीभांति स्वर बद्ध न हो जाये) एवं यह मुख्यतः कलाकार की व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है.[उद्धरण वांछित]
4.
यहूदियों के लिए साखालिन के पास एक स्वायत्त राज्य स्तालिन के समय से बना हुआ है ।
टर्की के पूर्व में पॉण्टस तथा टॉरस पर्वतश्रेणियाँ मिलकर आरमीनिया के पहाड़ी भाग का निर्माण करती हैं। यहीं से दजला और फरात नदियाँ निकलती हैं। उत्तर और दक्षिण की ओर से पहाड़ी श्रेणियाँ मध्य के पठार को घेरती हैं। दक्षिण की ओर टॉरस की क्षेणी कुर्दिस्तान तथा उत्तर की ओर पॉण्टस की श्रेणी कारावाग, इस भाग को घेरे हुए हैं। ज्वालामुखी पर्वत तथा लाबा के विस्तार से धरातल और भी ऊँचा नीचा हो गया है। ऊँचाई के कारण यह भाग अधिक ठंडा रहता है और बहुत से दरें वर्ष में करीब आठ महीने तक बर्फ से ढके रहते हैं। पूर्व की ओर अरादार ज्वालामुखी पर्वत (19,916 फुट) टर्की, ईरान और रूस की सीमा पर स्थित है। कृषि की अपेक्षा चरागाही इस क्षेत्र में अधिक महत्वपूर्ण है।
धर्मशाला में ओक, सेदार, पाइन और इमारती लकड़ी देने वाले पेड़ बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं और यहां उत्‍कृष्‍ट दृश्‍यों के साथ कुछ मनोहारी रास्‍ते हैं। भारत के ब्रिटिश वाइसराय (1862-63) लॉड एल्गिन को धर्मशाला की प्राकृतिक सुंदरता इंग्‍लैंड में स्थित उनके अपने घर स्‍कॉटलैंड के समान लगती थी।
भारत में टेलिविज़न प्रसारण का प्रारम्भ १५ सितंबर, १९५९ में हुआ जब एक प्रायोगिक परियोजना के रुप में दिल्ली में टी.वी केन्द्र खोला गया तथा दूरदर्शन नाम से सरकारी टीवी चैनल की नींव पड़ी। दूरदर्शन में सेटेलाइट तकनीक का प्रयोग १९७५-१९७६ में प्रारम्भ हुआ।
विश्व के विभिन्न देशों में (इसराइल, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमरीका, कनाडा, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि) जहाँ कहीं भी भूतपूर्व सोवियत संघ या रूस के प्रवासी बसे हुए हैं, वहाँ कई जगहों पर रूसी पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं, रूसी भाषा में रेडियो और दूरदर्शन काम करते हैं तथा स्कूलों में रूसी सिखाई जाती है। कुछ वर्ष पहले तक पूर्वी यूरोपियाई देशों के स्कूलों में रूसी भाषा विदेशी भाषा के रूप में पढ़ाई जाती थी। कुल मिला कर विश्व में रूसी भाषा बोलने वालों की संख्या ३० - ३५ करोड़ है, जिस में से 16 करोड़ लोग इसे अपनी मातृभाषा मानते हैं। इसके आधार पर रूसी संसार की भाषाओं में पाँचवे स्थान पर है और वह सँयुक्त राष्ट्र (UN) की ५ आधिकारिक भाषाओं में से एक है।
-सिंचाई नाली भूमि की सतह से ऊपर बनाई जाये, जो आधार पर 30 सेमी गहरी तथा शीर्ष पर 120 सेमी हो |
२६ दिसंबर २००४ को सुनामी लहरों के कहर से इस द्वीप पर ६००० से ज्यादा लोग मारे गये।
डांडी पौहा डांडी पौहा गोल घेरे में खेला जाने वाला स्पर्द्धात्मक खेल है । गली में या मैदान में लकड़ी से गोल घेरा बना दिया जाता है । खिलाड़ी दल गोल घेरे के भीतर रहते है । एक खिलाड़ी गोले से बाहर रहता है । खिलाड़ियों के बीच लय बद्ध गीत होता है । गीत की समाप्ति पर बाहर की खिलाड़ी भीतर के खिलाड़ी किसी लकड़े के नाम लेकर पुकारता है । नाम बोलते ही शेष गोल घेरे से बाहर आ जाते है और संकेत के साथ बाहर और भीतर के खिलाड़ी एक दुसरे को अपनी ओर करने के लिए बल लगाते है, जो खींचने में सफल होता वह जीतता है । अंतिम क्रम तक यह स्पर्द्धा चलता है । गीत इस प्रकार है -
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।
29 साल की तेजस्विनी ने रूसी निशानेबाज मरीना बोबकोवा के 12 साल पुराने रिकॉर्ड की बराबरी की। इसके बाद उन्हें हथियार बनाने वाली प्रसिद्ध कंपनी वाल्दनर ने अनुबंधित कर लिया। इस तरह पैसों की उनकी किल्लत दूर होने के कुछ आसार तो बन गए हैं।
वैद्य बृहस्पतिदेव त्रिगुण भारत सरकार ने १९९२ में [[ ]] के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये दिल्ली से हैं।
अधिकतर रुप से आइएऍसटी ISO 15919 का एक उपसमुच्चय है। निम्नलिखित पाँच अपवाद The following five exceptions are due to the ISO standard accommodating an extended repertoire symbols to allow transliteration of Devanāgarī and other Indic scripts as used for languages other than Sanskrit.
वरुण देव की बात सुनकर उस दैत्य ने देवर्षि नारद के पास जाकर नारायण का पता पूछ।। देवर्षि नारद ने उसे बताया कि नारायण इस समय वाराह का रूप धारण कर पृथ्वी को रसातल से निकालने के लिये गये हैं। इस पर हिरण्याक्ष रसातल में पहुँच गया। वहाँ उसने भगवान वाराह को अपने दाढ़ पर रख कर पृथ्वी को लाते हुये देखा। उस महाबली दैत्य ने वाराह भगवान से कहा, "अरे जंगली पशु! तू जल में कहाँ से आ गया है? मूर्ख पशु! तू इस पृथ्वी को कहाँ लिये जा रहा है? इसे तो ब्रह्मा जी ने हमें दे दिया है। रे अधम! तू मेरे रहते इस पृथ्वी को रसातल से नहीं ले जा सकता। तू दैत्य और दानवों का शत्रु है इसलिये आज मैं तेरा वध कर डालूँगा।"
पन्ना निवास(साईकिल मार्केट) के पास
उपर्युक्त नामों के अलावा उसके और भी कई नामों का उल्लेख मिलता है, जैसे विष्णुगुप्त। कहा जाता है कि उसका मूल नाम विष्णुगुप्त ही था। उसके पिता ने उसका नाम विष्णुगुप्त ही रखा था। कौटिल्य, चाणक्य और विष्णुगुप्त तीनों नामों से संबंधित कई संदर्भ मिलते हैं, किंतु इन तीनों नामों के अलावा उसके और भी कई नामों का उल्लेख किया गया है, जैसे वाल्सायन, मलंग, द्रविमल, अंगुल, वारानक्, कात्यान इत्यादि इन भिन्न-भिन्न नामों में कौन सा सही नाम है और कौन-सा गलत नाम है, यह विवाद का विषय है, परन्तु अधिकांश पाश्चात्य और भारतीय विद्वानों ने 'अर्थशास्त्र' के लेखक के रूप में कौटिल्य नाम का ही प्रयोग किया है। इसलिए हम भी कौटिल्य नाम का प्रयोग करना ही श्रेयस्कर समझते हैं।
५. संपर्कपरीक्षा तथा
मंत्री संसद की किसी भी सभा से हो सकते हैं। इस संबंध में संविधान सभाओं के बीच कोई भेद नहीं करता है। प्रत्येक मंत्री को किसी भी सभा में बोलने और उसकी कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार होता है, लेकिन वह उसी सभा में मत देने का हकदार होता है जिसका वह सदस्य होता है।
वे रत्न जो प्राकृतिक रचनाओं अर्थात चट्टान, भूगर्भ, समुद्र आदि से प्राप्त किए जाते हैं।
साबरमती नदी के किनारे की उबड़-खाबड़ टेकरियो (मिटटी के टीलों) पर भक्तों द्वारा आश्रम के रूप में दिनांक : 29 जनवरी, 1972 को एक कच्ची कुटिया तैयार की गयी | इस स्थान के चारों ओर कंटीली झाड़ियों व बीहड़ जंगल था, जहाँ दिन में भी आने पर लोगों को चोर-डाकुओं का भय बराबर बना रहता था | लेकिन आश्रम की स्थापना के बाद यहाँ का भयानक और दूषित वातावरण एकदम बदल गया | आज इस आश्रमरूपी विशाल वृक्ष की शाखाएँ भारत ही नहीं, विश्व के अनेक देशों तक पहुँच चुकी है | साबरमती के बीहड़ों में स्थापित यह कुटिया आज ‘संत श्री आसारामजी आश्रम’ के नाम से एक महान पवित्र धाम बन चुकी है | इस ज्ञान की प्याऊ में आज लाखों की संख्या में आकर हर जाति, धर्म व देश के लोग ध्यान और सत्संग का अमृत पीते है तथा अपने जीवन की दुःखद गुत्थियाँ को सुलझाकर धन्य हो जाते है |
1988 में बेनज़ीर भारी मतों से चुनाव जीत कर आईं और पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं। वे किसी इस्लामी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। दो साल बाद 1990 में उनकी सरकार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ग़ुलाम इशाक ख़ान ने बर्ख़ास्त कर दिया। 1993 में फिर आम चुनाव हुए और वे फिर विजयी हुईं। उन्हें 1996 में दोबारा भ्रष्टाचार के आरोप में बर्ख़ास्त किया गया। पहली बार प्रधानमंत्री निर्वाचित होने के समय बेनज़ीर लोकप्रियता के शिखर पर थीं। उनकी ख्याति विश्व स्तर पर सर्वप्रमुख महिला नेता की थी। लेकिन दूसरी बार सत्ता से बेदखल किए जाने तक उनकी छवि पूरी तरह बदल चुकी थी। पाकिस्तान का एक बड़ा तबका उन्हें भ्रष्टाचार और कुशासन के प्रतीक के रूप में देखने लगा। अनेक विश्लेषकों के अनुसार बेनज़ीर के पतन में उनके आसिफ़ ज़रदारी का हाथ रहा है, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी। भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद बेनज़ीर ने 1999 में पाकिस्तान छोड़ दिया और संयुक्त अरब इमारात के नगर दुबई में आकर रहने लगीं। उनकी अनुपस्थिति में पाकिस्तान की सैनिक सरकार ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों की जाँच की और उन्हें निर्दोष पाया गया। वे 18 अक्तूबर 2007 में पाकिस्तान लौटीं। उसी दिन एक रैली के दौरान कराची में उन पर दो आत्मघाती हमले हुए जिसमें करीब 140 लोग मारे गए, लेकिन बेनज़ीर बच गईं थी। इसके कुछ ही दिन बाद 27 दिसंबर 2007 को एक चुनाव रैली के बाद उनकी हत्या कर दी गई। उनकी हत्या तब हुई जब वे रैली खत्म होने के बाद बाहर जाते वक्त अपने कार की सनरूफ़ से बाहर देखते हुए समर्थकों को विदा दे रही थीं । उनकी मौत से पाकिस्तान में लोकतंत्र की बहाली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
(1) गायन, (2) वादन, (3) नर्तन, (4) नाटय, (5) आलेख्य (चित्र लिखना), (6) विशेषक (मुखादि पर पत्रलेखन), (7) चौक पूरना, अल्पना, (8) पुष्पशय्या बनाना, (9) अंगरागादिलेपन, (10) पच्चीकारी, (11) शयन रचना, (12) जलतंरग बजाना (उदक वाद्य), (13) जलक्रीड़ा, जलाघात, (14) रूप बनाना (मेकअप), (15) माला गूँथना, (16) मुकुट बनाना, (17) वेश बदलना, (18) कर्णाभूषण बनाना, (19) इत्र यादि सुगंधद्रव्य बनाना, (20) आभूषणधारण, (21) जादूगरी, इंद्रजाल, (22) असुंदर को सुंदर बनाना, (23) हाथ की सफाई (हस्तलाघव), (24) रसोई कार्य, पाक कला, (25) आपानक (शर्बत बनाना), (26) सूचीकर्म, सिलाई, (27) कलाबत्, (28) पहेली बुझाना, (29) अंत्याक्षरी, (30) बुझौवल, (31) पुस्तकवाचन, (32) काव्य-समस्या करना, नाटकाख्यायिका-दर्शन, (33) काव्य-समस्या-पूर्ति, (34) बेंत की बुनाई, (35) सूत बनाना, तुर्क कर्म, (36) बढ़ईगरी, (37) वास्तुकला, (38) रत्नपरीक्षा, (39) धातुकर्म, (40) रत्नों की रंगपरीक्षा, (41) आकर ज्ञान, (42) बागवानी, उपवनविनोद, (43) मेढ़ा, पक्षी आदि लड़वाना, (44) पक्षियों को बोली सिखाना, (45) मालिश करना, (46) केश-मार्जन-कौशल, (47) गुप्त-भाषा-ज्ञान, (48) विदेशी कलाओं का ज्ञान, (49) देशी भाषाओं का ज्ञान, (50) भविष्यकथन, (51) कठपुतली नर्तन, (52) कठपुतली के खेल, (53) सुनकर दोहरा देना, (54) आशुकाव्य क्रिया, (55) भाव को उलटा कर कहना, (56) धोखा धड़ी, छलिक योग, छलिक नृत्य, (57) अभिधान, कोशज्ञान, (58) नकाब लगाना (वस्त्रगोपन), (59) द्यूतविद्या, (60) रस्साकशी, आकर्षण क्रीड़ा, (61) बालक्रीड़ा कर्म, (62) शिष्टाचार, (63) मन जीतना (वशीकरण) और (64) व्यायाम।
जैसे जैसे मुग़ल शक्ति का ह्रास होता गया, और शहंशाहों की ज़ोर कम होने लगा, वे धीरे धीरे पहले अपने जागीरदारों के कठपुतले और अंततः उनके क़ैदी बनते गए, साथ ही साथ अवध और शक्तिशाली व अधिक स्वाधीन होता गया। इसकी राजधानी फ़ैज़ाबाद थी।
मुख्य लेख देखें: पटना में दशहरा
देवताओं के चले जाने के बाद विश्वामित्र भी ब्राह्मण का पद प्राप्त करने के लिये पूर्व दिशा में जाकर कठोर तपस्या करने लगे‌।‌ इस तपस्या को भ़ंग करने के लिए नाना प्रकार के विघ्न उपस्थित हुए किन्तु उन्होंने बिना क्रोध किये ही उन सबका निवारण किया। तपस्या की अवधि समाप्त होने पर जब वे अन्न ग्रहण करने के लिए बैठे, तभी ब्राह्मण भिक्षुक के रुप में आकर इन्द्र ने भोजन की याचना की विश्वामित्र ने सम्पूर्ण भोजन उस याचक को दे दिया और स्वयं निराहार रह गये इन्द्र को भोजन देने के पश्चात विश्वामित्र के मन में विचार आया कि सम्भवत: अभी मेरे भोजन ग्रहण करने का समय नहीं आया है इसीलिये याचक के रूप में यह विप्र उपस्थित हो गया। मुझे अभी और तपस्या करना चाहिये। अतएव वे मौन रहकर फिर दीर्घकालीन तपस्या में लीन हो गये। इस बार उन्होंने प्राणायाम से श्वाँस रोक कर महादारुण तप किया। इस तप से प्रभावित देवताओं ने ब्रह्माजी से निवेदन किया कि भगवन्! विश्वामित्र की तपस्या अब पराकाष्ठा को पहुँच गई है। अब वे क्रोध और मोह की सीमाओं को पार कर गये हैं। अब इनके तेज से सारा संसार प्रकाशित हो उठा है। सूर्य और चन्द्रमा का तेज भी इनके तेज के सामने फीका पड़ गया है। अतएव आप प्रसन्न होकर इनकी अभिलाषा पूर्ण कीजिये।
मुख्य रूप से यह भारत के दक्षिणी राज्य तमिल नाडू, श्री लंका के तमिल बहुल उत्तरी भागों, सिंगापुर और मलेशिया के भारतीय मूल के तमिलों द्वारा बोली जाती है। भारत, श्रीलंका, और सिंगापुर में इसकी स्थिति एक आधिकारिक भाषा के रूप में है। इसके अतिरिक्त यह मलेशिया, मॉरिशस, वियतनाम, रियूनियन इस्त्यादि में भी पर्याप्त संख्या में बोली जाती है। लगभग ७ करोड़ लोग तमिल भाषा का प्रयोग मातृ-भाषा के रूप में करते हैं। यह भारत के तमिल नाडु राज्य की प्रशासनिक भाषा है, और यह पहली ऐसी भाषा है जिसे २००४ में भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।
यह भार मापन इकाई है ।
संस्कृत के विकिपिडिया प्रकल्प
Etymology
आकाशवाणी में परामर्श और प्रसारण के क्षेत्र में संपूर्ण समाधान प्रदान करने के लिए इसकी एक वाणिज्यिक शाखा के रूप में 'आकाशवाणी संसाधन' को आरंभ किया गया। इसकी वर्तमान गतिविधियों में निम्‍नलिखित शामिल है।
शैक्षणिक वर्ष अप्रैल में शुरू होता है और 8 वर्गों में विभाजित होता है- 4 मुख्या वर्ग और 4 ऐच्छिक वर्ग, प्रत्येक वर्ग की अवधि 6-7 हफ्तों की होती है. मुख्या वर्गों के दौरान, सभी छात्र विविध प्रकार के पाठ्यक्रम लेते है जैसे लेखा, विपणन, वित्त, संगठनात्मक व्यवहार, सूचना प्रौद्योगिकी, रणनीति, आदि जो कि एक व्यापार की डिग्री के लिए आधार प्रदान करते है. वैकल्पिक वर्गों में, छात्र को अपनी एकाग्रता का अनुशीलन करने के लिए ऐच्छिक विकल्पो के बीच में से विकल्प चुन सकते हैं. प्रत्येक पाठ्यक्रम 1 क्रेडिट के लिए उत्तरदायी होता है, और केन्द्रीकरण (कौन्सनट्रेशन) के लिए एक ट्रैक से 6 क्रेडिट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है. यह अनिवार्य है कि किसी भी एक क्षेत्र में केन्द्रीकरण प्राप्त हो, हालांकि एक छात्र अधिकतम दो केंद्रीकृत विषयों को चुन सकता है.
समय मण्डल पृथ्वी के ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर समय का एक सा मानकीकरण कर दिया गय है।यह सारे क्षेत्र अपने स्थानीय समय को ग्रीनविच मीन टाईम(ग्रीनविच मानक समय) के अनुसार गणते हैं।
दोनो में से कोई भी संकल्प अभी तक लागू नही हो पाया है ।
1506–1525  Mogador (Essaouira)
किर्गिज़ एक तुर्कीक भाषा है और रूसी भाषा के अतिरिक्त यह किर्गिज़स्तान की आधिकारिक भाषा है। कुल के हिसाब से यह अल्तेय से बहुत निकट से और कज़ाख से दूर से जुड़ती है। हालांकि वर्तमान समय में भाषीय सम्मिलन की वजह से किर्गिज़ और कज़ाख के बीच ज्यादा निकटता नजर आती है।
भगवान मुरुगन के छ: निवास स्थानों में से एक तिरुप्परनकुंद्रम मदुरै से १० किमी. दक्षिण में स्थित है। यहां साल भर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। इसी स्थान पर भगवान मुरुगन का देवयानी के साथ विवाह हुआ था इसलिए यह स्थान शादी करने के लिए पवित्र माना जाता है। चट्टानों को काट कर बनाए गए इस मंदिर में भगवान गणपति, शिव, दुर्गा, विष्णु आदि के अलग से मंदिर भी बने हुए हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके सबसे भीतरी मंदिर को एक ही चट्टान से काटकर बनाया गया है। इस मंदिर की एक और विशेषता यहां के गुफा मंदिर हैं जिनमें तराशी गई भगवान की प्रतिमाएं समान दूरी पर बनाई गई हैं। उनकी यह समानता सभी को आकर्षित करती है। इन गुफाओं तक आने के लिए संकर अंधियारे रास्ते से होकर जाना पड़ता है।
संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी महाराज जी
फारसी भोजन से जबर्दस्त प्रभाव भारतीय रसोई के परंपराओं में देखा जा सकता है जो इस अवधि में प्रारंभिक थे.
भुवनेश्‍वर जाने पर यहां का राज्‍य संग्रहालय जरुर घूमना चाहिए। यह संग्रहालय जयदेव मार्ग पर स्थित है। इस संग्रहालय में हस्‍तलिखित तारपत्रों का विलक्षण संग्रह है। यहां प्राचीन काल के अदभूत चित्रों का भी संग्रह है। इन चित्रों में प्रकृति की सुंदरता को दर्शाया गया है। इसी संग्रहालय में प्राचीन हस्‍तलिखित पुस्‍तक 'गीतगोविंद' है जिससे जयदेव ने 12वीं शताब्‍दी में लिखा था।
राष्‍ट्रीय संग्रहालय: यह संग्रहालय शहर के शाहबंग क्षेत्र में स्थित है। इस संग्रहालय में हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध धर्म से संबंधित चित्रों तथा हस्‍तशिल्‍पों को रखा गया है। इस संग्रहालय के बगल में पब्लिक लाइब्रेरी है।
1. इस याचिका से जनता मे स्वयं के अधिकारों तथा न्यायपालिका की भूमिका के बारे मे चेतना बढती है यह मौलिक अधिकारों के क्षेत्र को वृहद बनाती है इसमे व्यक्ति को कई नये अधिकार मिल जाते है
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12. कृष्ण-काव्य व्यंग्यात्मक है। इसमें उपालंभ की प्रधानता है। सूर का भ्रमरगीत इसका सुंदर उदाहरण है।
पाण्डु पौत्र मारन चले, ले करमें धनुवान॥
फल - प्रश्नकर्ता का प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।
इन्हें संगीत नाटक अकादमी सम्मान १९६९ में मिला। इसके बाद इन्हें पद्मश्री १९७५ में मिला। १९९४ में इन्हें कालीदास सम्मान से सम्मानित किया गया। बाद में इन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण दिया गया जिसे इन्होंने लेने से मना कर दिया। इन्होंने कहा कि क्या सरकार मेरे योगदान को नहीं जानती है। ये मेरे लिये सम्मान नहीं अपमान है। मैं भारत रत्न से कम नहीं लूंगी। मात्र १६ वर्ष की आयु में इनके प्रदर्शन को देखकर भावविभोर हुए गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने इन्हें नृत्य सम्राज्ञी की उपाधि दी थी।
गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से निवेशक सोने को डीमैट फॉर्म में खरीद सकते हैं, और इससे भौतिक रूप में सोने को खरीदने से जुड़े खतरे कम हो जाते हैं। इसके भंडारण और सुरक्षा से जुड़े बिन्दु निवेश की होल्डिंग यूनिट्स में दिखाई जाती है जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती हैं।[१] यह पूर्णतया संचालित निधि होती हैं जिनमें स्पॉट मार्केट में सोने के मूल्य के सूचकांक के अनुसार क्रय-विक्रय किया जाता है।
(९) स्त्रीपुंसधर्म, विभाग धर्म, धूत, कंटकशोधन, वैश्यशूद्रोपचार;
उन्‍होंने महिलाओं के कल्‍याण के लिए कार्य किया और मुम्‍बई, दिल्‍ली में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास, ग्रामीण युवाओं के लाभ हेतु जलगांव में इंजीनियरिंग कॉलेज के अलावा श्रम साधना न्यास की स्‍थापना की। श्रीमती पाटिल ने महिला विकास महामण्‍डल, जलगांव में दृष्टिहीन व्‍यक्तियों के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण विद्यालय और विमुक्‍त जमातियों तथा बंजारा जनजातियों के निर्धन बच्‍चों के लिए एक स्‍कूल की स्‍थापना की। श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने अनेक यात्राएं की है और इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ सोशल वेलफेयर कॉन्‍फ्रेंस, नैरोबी और पोर्टे रीको में भाग लिया। उन्‍होंने १९८५ में इस सम्‍मेलन में शिष्‍टमण्‍डल के सदस्‍य के रूप में बुल्‍गारिया में, महिलाओं की स्थिति पर ऑस्ट्रिया के सम्‍मेलन में शिष्‍टमण्‍डल की अध्‍यक्ष के रूप में, लंदन में १९८८ के दौरान आयोजित राष्‍ट्रमण्‍डलीय अधिकारी सम्‍मेलन में, चीन के बीजिंग शहर में विश्‍व महिला सम्‍मेलन में भाग लिया।
क्रांतिकारी रष्ट्र भक्ति और बलिदान की भावना से प्रेरित-संचालित युवक थे। अवसर आने पर उन्होंने हमेशा बलिदान से इसे प्रमाणित भी किया। लेकिन यशपाल अपने साथियों को ईर्ष्या-द्वेष, स्पर्धा-आकांक्षावाले साधारण मनुष्यों के रूप में देखे जाने पर बल देते हैं। अपने संस्मरणों में आज राजेन्द्र यादव जिसे आदर्श घोषित करते हैं—‘वे देवता नहीं हैं’—उसकी शुरुआत हिन्दी में वस्तुतः यशपाल के इन्हीं संस्मरणों से होती है। ये क्रांतिकारी सामान्य मनुष्यों से कुछ अलग, विशिष्ठ और अपने लक्ष्यों के लिए एकांतिक रूप से समर्पित होने पर भी सामान्य मानवीय अनुभूतियों से अछूते नहीं थे। हो भी सकते थे। शरतचंद्र ने पथेरदावी में क्रांतिकारियों का जो आदर्श रूप प्रस्तुत किया, यशपाल उसे आवास्तविक मानते थे, जिससे राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा मिलती हो, उसे क्रांतिकारी आंदोलन और उस जीवन को वास्तविकता का एक प्रतिनिधि और प्रामाणिक चित्र नहीं माना जा सकता। सुबोधचंद्र सेन गुप्त पथेरदावी में बिजली पानीवाली झंझावाती रात में सव्यसाची के निषक्रमण को भावी महानायक सुभाषचंद्र बोस के पलायन के एक रूपक के तौर पर देखते हैं, जबकि यशपाल सव्यसाची के अतिमानवीय से लगने वाले कार्य-कलापों और खोह-खंडहरों में बिताए जानेवाले जीवन को वास्तविक और प्रामाणिक नहीं मानते। क्रांतिकारी जीवन के अपने लंबे अनुभवों को ही वे अपनी इस आलोचना के मुख्य आधार के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
चन्द्रगुप्त मौर्य के विशाल साम्राज्य में काबुल, हेरात, कन्धार, बलूचिस्तान, पंजाब, गंगा-यमुना का मैदान, बिहार, बंगाल, गुजरात था तथा विन्ध्य और कश्मीर के भू-भाग सम्मिलित थे, लेकिन चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना साम्राज्य उत्तर-पश्‍चिम में ईरान से लेकर पूर्व में बंगाल तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक तक विस्तृत किया था । अन्तिम समय में चन्द्रगुप्त मौर्य जैन मुनि भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला चला गया था । २९८ ई. पू. में उपवास द्वारा चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना शरीर त्याग दिया ।
धर्मशाला भारत के हिमाचल प्रदेश प्रान्त का शहर है। धर्मशाला की ऊंचाई 1,250 मीटर (4,400 फीट) और 2,000 मीटर (6,460 फीट) के बीच है। यह पर्वत 3 तरफ से कस्‍बे से घिरा हुआ है और यह घाटी दक्षिण की ओर जाती है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां पाइन के ऊंचे पेड़, चाय के बागान और इमारती लकड़ी पैदा करने वाले बड़े वृक्ष ऊंचाई, शांति तथा पवित्रता के साथ यहां खड़े दिखाई देते हैं। वर्ष 1960 से, जब से दलाई लामा ने अपना अस्‍थायी मुख्‍यालय यहां बनाया, धर्मशाला की अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति भारत के छोटे ल्‍हासा के रूप में बढ़ गई है।
The flora of Sikkim includes the rhododendron, the state tree, with a huge range of species occurring from subtropical to alpine regions. Orchids, figs, laurel, bananas, sal trees and bamboo in the lower altitudes of Sikkim, which enjoy a sub-tropical type climate. In the temperate elevations above 1,500 metres, oaks, chestnuts, maples, birchs, alders, and magnolias grow in large numbers. The alpine type vegetation includes juniper, pine, firs, cypresses and rhododendrons, and is typically found between an altitude of 3,500 metres to 5,000 m. Sikkim boasts around 5,000 flowering plants, 515 rare orchids, 60 primulas species, 36 rhododendrons species, 11 oaks varieties, 23 bamboos varieties, 16 conifer species, 362 types of ferns and ferns allies, 8 tree ferns, and over 424 medicinal plants. The orchid Dendrobium nobile is the official flower of Sikkim.
आत्म-साक्षात्कार पद को प्राप्त करने के बाद उससे ऊँचा कोई पद प्राप्त करना शेष नहीं रहता है | उससे बड़ा न तो कोई लाभ है, न पुण्य…| इसे प्राप्त करना मनुष्य जीवन का परम कर्त्तव्य माना गया है | जिसकी महिमा वेद और उपनिषद अनादिकाल से गाते आ रहे है…| जहाँ सुख और दुःख की तनिक भी पहुँच नहीं है…जहाँ सर्वत्र आनंद-ही-आनंद रहता है…देवताओं के लिये भी दुर्लभ इस परम आनन्दमय पद में स्थिति प्राप्तकर आप संत श्री आसारामजी महाराज बन गये |
लक्ष्मीचंद जैन का जन्म 1909 ईं में नौगाँव में हुआ। अंग्रेज़ी तथा संस्कृत में एम.ए. किया। कुछ दिनों तक दिल्ली के रेडियो केंद्र से संबद्ध रहे। इसके बाद साहू जैन औद्योगिक प्रतिष्ठान और भारतीय ज्ञानपीठ मे रहते हुए, दिल्ली प्रकाशनों के संपादक तथा नियोजक के पद पर कार्य किया। वे ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित 'ज्ञानोदय' मासिक पत्र के संपादक भी रहे। हिंदी के नये साहित्य के प्रकाशन तथा प्रसार में आपका योगदान महत्वपूर्ण है।
वर्तमान में टाइपराइटर द्वारा हिन्दी टाइपिंग का स्थान कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग ने ले लिया है तथा इसका प्रयोग बहुत ही कम देखने को मिलता है।
1945 Kolkata street
नेपाल का ध्वज नेपाल का राष्ट्रीय ध्वज है।
तिथिक्रम से प्राचीन अभिलेख मिस्र की चित्रलिपि के माने जाते हैं। फिर प्राचीन इराक के अभिलेखों का स्थान है, जो पहले अर्धचित्र और पुन: इराक के अभिलेखों का स्थान है, जो पहले अर्धचित्रलिपि और पुन: कीलाक्षरों में अंकित हैं। सिंधुघाटी के अभिलेख इराकी अभिलेखों के प्राय: समकालीन हैं। इनके पश्चात् क्रीट, यूनान और रोम के अभिलेखों की गणना की जा सकती है। ईरान के कीलाक्षर और आरामाई लिपि के लेख भी प्रसिद्ध हैं। चीन में चित्र एवं भावलिपि के लेख बहुत प्राचीन काल से पाए जाते हैं। भारत में सिंधुघाटी के परवर्ती अभिलेखों का मोटे तौर पर निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है:
देश का नाम माउंट केन्या पर रखा गया है, जो एक महत्वपूर्ण प्रतीक है और अफ्रीका का दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। 1920 से पहले, जिस क्षेत्र को अब कीनिया के नाम से जाना जाता है, उसे ब्रिटिश ईस्ट अफ्रीका संरक्षित राज्य के रूप में जाना जाता था।
हिन्दी हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार परिवार के अन्दर आती है । ये हिन्द ईरानी शाखा की हिन्द आर्य उपशाखा के अन्तर्गत वर्गीकृत है। हिन्द-आर्य भाषाएँ वो भाषाएँ हैं जो संस्कृत से उत्पन्न हुई हैं। उर्दू, कश्मीरी, बंगाली, उड़िया, पंजाबी, रोमानी, मराठी नेपाली जैसी भाषाएँ भी हिन्द-आर्य भाषाएँ हैं।
यह एक 2000 वर्ष पुराना विशाल पेड़ है जो आज भी हरा-भरा है। डोड्डा सैमपिगे मारा का अर्थ है चंपक का बड़ा पेड़। स्थानीय सालिगा जनजाति इस वृक्ष का बहुत आदर करती है। उनके अनुसार इस वृक्ष में भगवान रंगास्वामी का निवास स्‍थान है। यह भी माना जाता है यहां अन्य देवी-देवताओं का वास है जिन्हें पत्थर के 101 लिंगों द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
सबसे पहले गांधी ने रोजगार अहिंसक सविनय अवज्ञा प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका, में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष हेतु प्रयुक्त किया। १९१५ में उनकी वापसी के बाद उन्होंने भारत में किसानों , कृषि मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्याधिक भूमि कर और भेदभाव के विरूद्ध आवाज उठाने के लिए एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद गांधी जी ने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण, आत्म-निर्भरता के लिए अस्पृश्‍यता का अंत आदि के लिए बहुत से आंदोलन चलाएं। किंतु इन सबसे अधिक विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाले स्वराज की प्राप्ति उनका प्रमुख लक्ष्‍य था।गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नमक कर के विरोध में १९३० में दांडी मार्च और इसके बाद १९४२ में , ब्रिटिश भारत छोड़ो छेडकर भारतीयों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा।
44. सेन्ट्रल मार्केट, सोजती गेट, स्टेशन रोड़, सरदार मार्केट, त्रिपोलिया बाजार, मोची बाजार, लखेरा बाजार, जोधपुर में कुछ सबसे अच्छे खरीददारी स्थानों में हैं।
किसी भी हिन्दू का शाकाहारी होना आवश्यक है, क्योंकि शाकाहार का गुणज्ञान किया जाता है। शाकाहार को सात्विक आहार माना जाता है। आवश्यकता से अधिक तला भुना शाकाहार ग्रहण करना भी राजसिक माना गया है। मांसाहार को इसलिये अच्छा नही माना जाता,क्योंकि मांस पशुओं की हत्या से मिलता है, अत: तामसिक पदार्थ है। वैदिक काल में पशुओं का मांस खाने की अनुमति नहीं थी, एक सर्वेक्षण के अनुसार आजकल लगभग ३०% हिन्दू, अधिकतर ब्राह्मण व गुजराती और मारवाड़ी हिन्दू पारम्परिक रूप से शाकाहारी हैं। वे भी गोमांस कभी नहीं खाते, क्योंकि गाय को हिन्दू धर्म में माता समान माना गया है। कुछ हिन्दू मन्दिरों में पशुबलि चढ़ती है, पर आजकल यह प्रथा हिन्दुओं द्वारा ही निन्दित किये जाने से समाप्तप्राय: है।
के बोलोना विश्वविद्यालय (University of Bologna), का एक चित्रण
श़िया राजवंश का अस्तित्व एक लोककथा लगता था पर हेनान में पुरातात्विक खुदाई के बाद इसके अस्तित्व की सत्यता सामने आई। प्रथम प्रत्यक्ष राजवंश था - शांग राजवंश, जो पूर्वी चीन में १८वीं से १२वीं सदी इसा पूर्व में पीली नदी के किनारे बस गए। १२वीं सदी ईसा पूर्व में पश्चिम से झाऊ शासकों ने इनपर आक्रमण किया और इनके क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इन्होंने ५वीं सदी ईसा पूर्व तक राज किया। इसके बाद चीन के छोटे राज्य आपसी संघर्षों में भिड़ गए। २२१ ईसा पूर्व में किन राजाओं ने चीन का प्रथम बार एकीकरण किया। इन्होंने राजा का कार्यालय स्थापित किया और चीनी भाषा का मानकीकरण किया। २२० से २०६ ईसा पूर्व तक हान राजवंश के शासकों ने चीन पर राज किया और चीन की संस्कृति पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। यह प्रभाव अब तक विद्यमान है। हानों के पतन के बाद चीन में फिर से अराजकता का दौर गया। सुई राजवंश ने ५८० ईस्वी में चीन का एकीकरण किया जिसके कुछ ही वर्षों बाद (६१४ ई.) इस राजवंश का पतन हो गया।
अन्त्येष्टि को अंतिम अथवा अग्नि परिग्रह संस्कार भी कहा जाता है। आत्मा में अग्नि का आधान करना ही अग्नि परिग्रह है। धर्म शास्त्रों की मान्यता है कि मृत शरीर की विधिवत् क्रिया करने से जीव की अतृप्त वासनायें शान्त हो जाती हैं। हमारे शास्त्रों में बहुत ही सहज ढंग से इहलोक और परलोक की परिकल्पना की गयी है। जब तक जीव शरीर धारण कर इहलोक में निवास करता है तो वह विभिन्न कर्मो से बंधा रहता है। प्राण छूटने पर वह इस लोक को छोड़ देता है। उसके बाद की परिकल्पना में विभिन्न लोकों के अलावा मोक्ष या निर्वाण है। मनुष्य अपने कर्मो के अनुसार फल भोगता है। इसी परिकल्पना के तहत मृत देह की विधिवत क्रिया होती है।
मुग़ल सम्राटों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण विवरण नीचे सारणीबद्ध है:
कैल्कटा ट्रामवेज़ कंपनी कोलकाता में ट्राम और बसें संचालित करने वाली पश्चिम बंगाल सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है।
चित्रकूट से 8 किमी. की दूरी कर्वी निकटतम रेलवे स्टेशन है। इलाहाबाद, जबलपुर, दिल्ली, झांसी, हावड़ा, आगरा, मथुरा, लखनऊ, कानपुर, ग्वालियर, झांसी, रायपुर, कटनी, मुगलसराय, वाराणसी आदि शहरों से यहां के लिए रेलगाड़ियां चलती हैं। इसके अलावा शिवरामपुर रेलवे स्टेशन पर उतकर भी बसें और टू व्हीलर लिए जा सकते हैं। शिवरामपुर रेलवे स्टेशन की चित्रकूट से दूरी ४ किलोमीटर है।
थाईलैण्ड जिसका प्राचीन भारतीय नाम श्याम्देश है दक्षिण पूर्वी एशिया में एक देश है । इसकी पूर्वी सीमा पर लाओस और कम्बोडिया, दक्षिणी सीमा पर मलेशिया और पश्चिमी सीमा पर म्यानमार है। थाईलैण्ड को सियाम के नाम से भी जाना जाता है जो ११ मई, १९४९ तक थाईलैण्ड का अधिकृत नाम था। थाई शब्द का अर्थ थाई भाषा में आज़ाद होता है। यह शब्द थाई नागरिको के सन्दर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है । इस वजह से कुछ लोग विशेष रूप से यहाँ बसने वाले चीनी लोग, थाईलैंड को आज भी सियाम नाम से पुकारना पसन्द करते हैं। थाईलैण्ड की राजधानी बैंकाक है|
प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को व्‍यापक कृषि जलवायु परिस्थितियां प्रदान की हैं जिसकी वजह से किसानों को विविध फल उगाने में सहायता मिली है। बागवानी के अंतर्गत आने वाले प्रमुख फल हैं-सेब, नाशपाती, आडू, बेर, खूमानी, गुठली वाले फल, नींबू प्रजाति के फल, आम, लीची, अमरूद और झरबेरी आदि। 1950 में केवल 792 हेक्‍टेयर क्षेत्र बागवानी के अंतर्गत था, जो बढ़कर 2.23 लाख हेक्‍टेयर हो गया है। इसी तरह,1950 में फल उत्‍पादन 1200 मीट्रिक टन था, जो 2007 में बढकर 6.95 लाख टन हो गया है।
१) प्लूटो
यदि किसी को कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, तो हैदराबाद, उभरता हुआ सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक है, उपचार हेतु। नगर पहले ही औषधि का केन्द्र है, जहां औषधियों का कई करोड़ का व्यापार है। यहां कई सस्ते व अच्छे अस्पताल भी हैं।
लेकिन इसके बाद से इंडोनेशिया का इतिहास उथलपुथल भरा रहा है, चाहे वह प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हो, भ्रष्टाचार की वजह से, अलगाववाद या फिर लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया से उत्पन्न चुनौतियां हों। वर्ष २००४ के अंत में आये सूनामी लहरों की विनाशलीला से यह देश सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। यहाँ के आचे प्रान्त में लगभग डेढ लाख लोग मारे गये थे और हजारो करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
महर्षि चित्र आगे बताते हैं-'हे गौतम! ब्रह्मवेत्ता बन साधक अपनी सम्पूर्ण इन्द्रियों में ब्रह्मगन्ध, ब्रह्मरस, ब्रह्मतेज, ब्रह्मयश तथा ब्रह्मनाद का अनुभव करता है। तब ब्रह्मा जी उस ब्रह्मज्ञानी से प्रश्न करते हैं-'तुम कौन हो?' उस समय ब्रह्मा जी द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर ब्रह्मज्ञानी को इस प्रकार देना चाहिए—
(६) वानप्रस्थ, मोक्ष, संन्यास;
हनुमान सीता के पास पहुँचे। सीता ने अपनी चूड़ामणि] दे कर उन्हें विदा किया। वे वापस समुद्र पार आकर सभी वानरों से मिले और सभी वापस सुग्रीव के पास चले गये। हनुमान के कार्य से राम अत्यंत प्रसन्न हुये। राम वानरों की सेना के साथ समुद्रतट पर पहुँचे। उधर विभीषण] ने रावण को समझाया कि राम से बैर न लें इस पर रावण ने विभीषण को अपमानित कर लंका से निकाल दिया। विभीषण राम के शरण में आ गया और राम ने उसे लंका का राजा घोषित कर दिया। राम ने समुद्र से रास्ता देने की विनती की। विनती न मानने पर राम ने क्रोध किया और उनके क्रोध से भयभीत होकर समुद्र ने स्वयं आकर राम की विनती करने के पश्चात् नल और नील के द्वारा पुल बनाने का उपाय बताया।
अधिकतर संगणक, संचिकाओं को सोपान के आधार पर आयोजित करते हैं और इसके लिए फ़ोल्डर, निर्देशिका या कैटलाग का इस्तेमाल करते हैं। शब्द जो भी हो विचार एक ही है। हर फ़ोल्डर में कुछ संख्या में संचिकाएँ हो सकती हैं, और उनमें अन्य फ़ोल्डर हो सकते हैं। इन अन्य फ़ोल्डरों को उपफ़ोल्डर कहते हैं। इनमें और संचिकाएँ व फ़ोल्डर हो सकते हैं, आदि-आदि, ऐसे कर के एक वृक्ष-रूपी ढाँचा निर्मित होता है जिसमें एक "गुरु फ़ोल्डर" या ("जड़ फ़ोल्डर" - प्रणाली के अनुसार नाम अलग अलग है) होता है जिसके अधीन कितने भी स्तर तक संचिकाएँ व फ़ोल्डर हो सकते हैं। फ़ोल्डरों के भी संचिकाओं की तरह नाम हो सकते हैं (सिवाय जड़ फ़ोल्डर के जिसका अक्सर कोई नाम नहीं होता है)। फ़ोल्डरों के जरिए संचिकाओं को तार्किक तरीके से आयोजित करना सरल हो जाता है।
इसी महाचेतना में सब संसार की सृष्टि, स्थिति और लय है। "अहम्‌' अर्थात "मैं' आत्मा का स्वरूप है। "एतन्‌' अर्थात्‌ "यह' अनात्मा का स्वरूप है। इन दोनों का संबंध निषेध रूप है। "मैं यह नहीं हूं' इस भावना, इस धारणा, इस संवित्‌ को यदि क्रमदृष्टि से देखिए तो इसमें तीन बातें अवश्य मिलती हैं। पहले तो "मैं' के सामने "यह' पदार्थ आता है। इस क्षण में ज्ञान होता है। इसके पीछे "मैं' और "यह' के संयोग वियोग का संभंव होता है। यही इच्छा है। तीसरे क्षण में संयोग वियोग होता है। यह क्रिया है। संयोग वियोग दोहरा क्षण में संयोग वियोग होता है। यह क्रिया है। संयोग वियोग दोहरा शब्द इसलिए कहा जाता है कि पहले संयोग होकर पीछे वियोग होता है। पहले राग, पीछे द्वेष, पहले प्रवृत्ति पीछे निवृत्ति, पहले लेना पीछे देना, पहले जन्म पीछे मरण, पुन: जन्म पुन: मरण, यही संसरण क्रिया है।,
फुन्त्सोंग नामग्याल के पुत्र, तेन्सुंग नामग्याल ने उनके पश्चात १६७० में कार्य-भार संभाला। तेन्सुंग ने राजधानी को युक्सोम से रबदेन्त्से स्थानान्तरित कर दिया। सन 1700 में भूटान में चोग्याल की अर्ध-बहन, जिसे राज-गद्दी से वंचित कर दिया गया था, द्वारा सिक्किम पर आक्रमण हुआ। तिब्बतियों की सहयता से चोग्याल को राज-गद्दी पुनः सौंप दी गयी। 1717 तथा 1733 के बीच सिक्किम को नेपाल तथा भूटान के अनेक आक्रमणों का सामना करना पड़ा जिसके कारण रबदेन्त्से का अन्तत:पतन हो गया।[३]
जिन्ना कश्मीर तथा हैदराबाद पर पाकिस्तान का आधिपत्य चाहते थे। उन्होंने अपने सैन्य सचिव को तीन बार महाराजा कश्मीर से मिलने के लिए भेजा। तत्कालीन कश्मीर के प्रधानमंत्री काक ने भी उनसे मिलाने का वायदा किया था। पर महाराजा ने बार-बार बीमारी का बहाना बनाकर बातचीत को टाल दिया। जिन्ना ने गर्मियों की छुट्टी कश्मीर में बिताने की इजाजत चाही थी। परन्तु महाराजा ने विनम्रतापूर्वक इस आग्रह को टालते हुए कहा था कि वह एक पड़ोसी देश के गर्वनर जनरल को ठहराने की औपचारिकता पूरी नहीं कर पाएंगे। दूसरी ओर शेख अब्दुल्ला गद्दी हथियाने तथा इसे एक मुस्लिम प्रदेश (देश) बनाने को आतुर थे। पं. नेहरू भी अपमानित महसूस कर रहे थे। उधर माउंटबेटन भी जून मास में तीन दिन कश्मीर रहे थे। शायद वे कश्मीर का विलय पाकिस्तान में चाहते थे, क्योंकि उन्होंने मेहरचन्द महाजन से कहा था कि "भौगोलिक स्थिति" को देखते हुए कश्मीर के पाकिस्तान का भाग बनना उचित है। इस समस्त प्रसंग में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका श्री गुरुजी (माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर) ने निभाई। वे महाराजा कश्मीर से बातचीत करने १८ अक्तूबर को श्रीनगर पहुंचे। विचार-विमर्श के पश्चात महाराजा कश्मीर अपनी रियासत के भारत में विलय के लिए पूरी तरह पक्ष में हो गए थे।
DVD को मूल रूप से अनधिकृत डिजिटल विडियोडिस्क के प्रथमाक्षर के रूप में इस्तेमाल किया गया था. [१५]
इस भाग में दो मंदिर हैं। एक भगवान शिव से संबंधित दुलादेव मंदिर है और दूसरा विष्णु से संबंधित है जिसे चतुर्भुज मंदिर कहा जाता है। दुलादेव मंदिर खुद्दर नदी के किनारे स्थित है। इसे 1130 ईसवी में मदनवर्मन द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर में खंडों पर मुंद्रित दृढ़ आकृतियां हैं। चतुर्भुज मंदिर का निर्माण 1100 ईसवीं में किया गया था। इसके गर्भ में 9 फुट ऊंची विष्णु की प्रतिमा को संत के वेश में दिखाया गया है। इस समूह के मंदिर को देखने लिए दोपहर का समय उत्तम माना जाता है। दोपहर में पड़ने वाली सूर्य की रोशनी इसकी मूर्तियों को आकर्षक बनाती है।
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर,
गाँधी ने १९३० के अंत-अंत में विभाजन (partition) को लेकर इस्राइल के निर्माण के लिए फिलिस्तीन के विभाजन के प्रति भी अपनी अरुचि जाहिर की थी (partition of Palestine to create Israel). २६ अक्तूबर १९३८ (26 October) को उन्होंने हरिजन में कहा था:
प्राचीन मिस्रवासी अवकाश में खेल और संगीत सहित कई गतिविधियों का आनंद लेते थे. सेनेट, एक बोर्ड गेम, जिसमें टुकड़े यादृच्छिक मौके के मुताबिक चलते थे, आरंभिक काल से विशेष रूप से लोकप्रिय था; एक और इसी तरह का खेल मेहेन था, जिसका गेम बोर्ड वृत्ताकार था. करतब दिखाना और गेंद के खेल बच्चों में लोकप्रिय थे, और बेनी हसन में एक कब्र में कुश्ती को भी प्रलेखित किया गया है.[१२८] प्राचीन मिस्र के समाज के धनी सदस्य, शिकार और नौका विहार का भी आनंद लेते थे.
• बिमल राय
"शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।"
आगे वाक्यार्थ निर्णयोपयोगी सहस्रों न्यायों का वर्णन किया गया है। यहाँ तक छह अध्यायों का संक्षिप्त विषयनिर्देश किया गया।
यह संपूर्ण भाग पहाड़ी है जिसके बीच में अपेनाइंस रीढ़ की भाँति फैला हुआ है तथा दोनों ओर नीची पहाड़ियाँ हैं। इस भाग की औसत चौड़ाई 50 मील से लेकर 60 मील तक है। पश्चिमी तट पर एक सँकरा "तेरा डी लेवोरो" नाम का तथा पूर्व में आपूलिया का चौड़ा मैदान है। इन दो मैदानों के अतिरिक्त सारा भाग पहाड़ी है और अपेनाइंस की ऊँची नीची श्रंखलाओं से ढका हुआ है। पोटेंजा की पहाड़ी दक्षिणी इटली की अंतिम सबसे ऊँची पहाड़ी (पोलिनो की पहाड़ी) से मिलती है। सुदूर दक्षिण में ग्रेनाइट तथा चूने के पत्थर की, जंगलों से ढकी हुई पहाड़ियाँ तट तक चली गई हैं। लीरी तथा गेटा आदि एड्रियाटिक सागर में गिरनेवाली नदियाँ पश्चिमी ढाल पर बहनेवाली नदियों से अधिक लंबी हैं। ड्रिनगो से दक्षिण की ओर गिरनेवाली विफरनो, फोरटोरे, सेरवारो, आंटों तथा ब्रैडानो मुख्य नदियाँ हैं। दक्षिणी इटली में पहाड़ों के बीच स्थित लैगोडेल-मोटेसी झील है।
2. तुर्कीस रिपब्लिक आफ नार्थ साइप्रस।टीआरएनसी के राष्ट्रपति (मेहमत अली तलत) हैं।
अजातशत्रु ने उत्तर दिया-'हे विप्रवर! मैं इस विषय में कुछ नहीं कहना चाहता। यह तो पूर्ण, प्रवृत्ति-रहित (क्रिया-रहित) ब्रह्म, सभी से विशाल है। अवश्य ही मैं इसी रूप में इसकी उपासना करता हूं। जो ऐसे दिव्य ब्रह्म की उपासना करता है, वह समस्त प्राणियों में निर्विकार हो जाता है। समय से पूर्व उसकी मृत्यु नहीं होती।'
दण्डक वन रामायणकाल के एक वन का नाम है।
मुद्रिका अँगूठी को कहा जाता है।
इनकी अर्धाङ्गिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र स्कन्द और गणेश हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा लिंग के रूप में की जाती है। भगवान शिव को सन्हार का देवता कहा जाता है ।
कमला रिट्रीट एग्रीकल्चर कॉलेज के पश्चिम में स्थित है। इस खूबसूरत संपदा पर सिंहानिया परिवार का अधिकार है। यहां एक स्वीमिंग पूल बना हुआ है, जहां कृत्रिम लहरें उत्पन्न की जाती है। यहां एक पार्क और नहर है। जहां चिड़ियाघर के समानांतर बोटिंग की सुविधा है। कमला रिट्रीट में एक संग्रहालय भी बना हुआ है जिसमें बहुत सी ऐतिहासिक और पुरातात्विक वस्तुओं का संग्रह देखा जा सकता है। यहां जाने के लिए डिप्टी जनरल मैनेजर की अनुमति लेना अनिवार्य है।
मराठी, भारतीय राज्य महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है, और गोआ, केन्द्र शासित प्रदेशों दमन और दीव, और दादर और नागर हवेली में सह-आधिकारिक भाषा है या आधिकारिक कार्यो में उपयोग में लाई जाती है। भारत का संविधान मराठी को भारत की २२ आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में स्वीकार करता है।
आगरा का एक अन्य विश्व धरोहर स्थल है आगरा का किला। यह आगरा का एक प्रधान निर्माण है, जो शहर के बीच सर उठाए खड़ा है। इसे कभी कभार लाल किला भि कहा जाता है। यह अकबर द्वारा 1565 में बनवाया गया था। बाद में शाहजहां द्वारा इस किले का पुनरोद्धार लाल बलुआ पत्थर से करवाया गया, व इसे किले से प्रासाद में बदला गया। यहां संगमर्मर और पीट्रा ड्यूरा नक्काशी का क्महीन कार्य किया गया। इस किले की मुख्य इमारतों में मोती मस्जिद, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, जहांगीर मह्ल, खास महल, शीश महल एवं मुसम्मन बुर्ज आते हैं।
इनकी मृत्यु १८३५ में होने पर राज्य इनके उत्तराधिकारी भतीजे ईश्वरी प्रसाद नारायण सिंह, झी.सी.एस.आई, केसर-ए-हिन्द (१८२२-जून १८८९) को मिला था।
१ नवंबर, १९६६ को पंजाब के हिन्दी-भाषी पूर्वी भाग को काटकर हरियाणा राज्य का गठन किया गया, जबकि पंजाबी-भाषी पश्चिमी भाग को वर्तमान पंजाब ही रहने दिया था। चंडीगढ़ शहर दोनों के बीच सीमा पर स्थित था, जिसे दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी के रूप में घोषित किया गया, और साथ ही संघ शासित क्षेत्र भी घोषित किया गया था। १९५२ से १९६६ तब ये शहर मात्र पंजाब की राजधानी रहा था। [६] अगस्त १९८५ में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच हुए समझौते के अनुसार, चंडीगढ़ को १९८६ में पंजाब में स्थानांतरित होना तय हुआ था। इसके साथ ही हरियाणा के लिए एक नयी राजधानी का सृजन भी होना था, किन्तु कुछ प्रशासनिक कारणों के चलते इस स्थानांतरण में विलंब हुआ। इस विलंब के मुख्य कारणों में दक्षिणी पंजाब के कुछ हिन्दी-भाषी गांवों को हरियाणा, और पश्चिम हरियाणा के पंजाबी-भाषी गांवों को पंजाब को देने का विवाद था।
संस्थान
12. केमेरोवो
अलसी ब्लड शुगर नियंत्रित रखती है, डायबिटीज़ के शरीर पर होने वालेदुष्प्रभावों को कम करती हैं। चिकित्सक डायबिटीज़ के रोगी को कम शर्करा औरज्यादा फाइबर लेने की सलाह देते हैं। अलसी व गैंहूं के मिश्रित आटे में 50 प्रतिशत कार्ब, 16 प्रतिशत प्रोटीन व 20 प्रतिशत फाइबर होते हैं। यानीइसका ग्लायसीमिक इन्डेक्स गैंहूं के आटे से काफी कम होता है। डायबिटीज़ केरोगी के लिए इस मिश्रित आटे से अच्छा भोजन क्या होगा ? मोटापे के रोगी कोभी बहुत फायदा होता है। अलसी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इस कारणअलसी सेवन से लंबे समय तक पेट भरा हुआ रहता है, देर तक भूख नहीं लगती है।यह बी.एम.आर. को बढ़ाती है, शरीर की चर्बी कम करती है और हम ज्यादा कैलोरीखर्च करते हैं।
स्कॉटलैंड के योगदान में जासूस लेखक आर्थर कॉनन डोयल, सर वॉल्टर स्कॉट द्वारा रोमांटिक साहित्य और रॉबर्ट लुईस स्टीवेनसन की महाकाव्य रोमांच.इसने प्रसिद्ध कवि रॉबर्ट बर्न्स प्रस्तुत किया है, साथ ही विलियम मैकगोनागल, जो दुनिया का निकृष्ट माना जाता है.[२१८]?हाल ही में, आधुनिकतावादी और राष्ट्रवादी ह्यूग मैकडिअर्मिड और नील एम. गन ने स्कॉटिश नवजागरण में योगदान किया. इयान रैंकिन की कहानियों और इयान बैंक्स की मनोवैज्ञानिक कंपकंपी-हास्य में एक और अधिक गंभीर दृष्टिकोण पाया जाता है.स्कॉटलैंड की राजधानी, एडिनबर्ग, UNESCO का पहला विश्व व्यापक साहित्य का शहर है.[२१९]
राज्य के प्रमुख बस अड्डे हैं:
जवाहरलाल नेहरू · गुलज़ारीलाल नन्दा† · लालबहादुर शास्त्री · गुलज़ारीलाल नन्दा† · इन्दिरा गांधी · मोरारजी देसाई · चौधरी चरण सिंह · राजीव गांधी · विश्वनाथ प्रताप सिंह · चन्द्रशेखर · पी. वी. नरसिंह राव · अटल बिहारी वाजपेयी · ऍच. डी. देवगौड़ा · इन्द्र कुमार गुजराल · मनमोहन सिंह
योजना की स्वीकृति के पश्चात् नागरीप्रचारिणी सभा ने जनवरी, 1957 में विश्वकोश के निर्माण का कार्यारंभ किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देशानुसार "विशेषज्ञ समिति" की संस्तुति के अनुसार देश के विश्रुत विद्वानों, विख्यात विचारकों तथा शिक्षा क्षेत्र के अनुभवी प्रशांसकों का एक पचीस सदस्यीय परामर्शमंडल गठित किया गया। सन् 1958 में समस्त उपलब्ध विश्वकोशों एवं संदर्भग्रंथों की सहायता से 70,000 शब्दों की सूची तैयार की गई। इन शब्दों की सम्यक् परीक्षा कर उनमें से विचारार्थ 30,000 शब्दों का चयन किया गया। मार्च, सन् 1959 में प्रयोग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग भूतपूर्व प्रोफेसर डॉ. धीरेंद्र वर्मा प्रधान संपादक नियुक्त हुए। विश्वकोश का प्रथम खंड लगभग डेढ़ वर्षों की अल्पावधि में ही सन् 1960 में प्रकाशित हुआ।
जब 1498 ई. में वास्को दी गामा ने उत्तमाशा द्वीप यानी केप ऑव गुड होप द्वारा भारतयात्रा के लिए नया समुद्री मार्ग खोज निकाला, तब संसार के इतिहास में एक क्रांतिकारी मार्ग खुला। अब यूरोपीय देशों का भारत तथा पूर्वी द्वीपों से प्रत्यक्ष संपर्क हो गया। स्वभावत: सुदृढ़ नाविक शक्ति के कारण इस मार्ग पर सर्वप्रथम पुर्तगाल का एकाधिकार स्थापित हुआ; किंतु, शीघ्र ही पहले हालैंड और बाद में इंग्लैंड ने पुर्तगाल की राह में गतिरोध पैदा कर दिया।
महाराज सगर के पुत्रों के पृथ्वी को खोदने से जम्बूद्वीप में आठ उपद्वीप बन गये थे जिनके नाम हैं।:
आधुनिक भारत के निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों , जैसे साहित्य , विज्ञान एवम् प्रौद्यौगिकी , राजनीति , संस्कॄति , पाण्डित्य , धर्म में ब्राह्मणों का अपरिमित योगदान है | प्रमुख क्रन्तिकअरि और स्वतन्त्रता-सेनअनियोन मे बाल गंगाधर तिलक, चंद्रशेखर आजाद इत्यअदि है। लेखको और विद्वन मे कालिदास, रबिन्द्रनाथ थाकुर,गंगा धर शर्मा "हिंदुस्तान" है। --Dk.bajpai १६:४७, ५ जुलाई २०१० (UTC)
"ग्लोबल वॉर्मिंग" से आशय हाल ही के दशकों में हुई वार्मिंग और इसके निरंतर बने रहने के अनुमान और इसके अप्रत्‍यक्ष रूप से मानव पर पड़ने वाले प्रभाव से है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र समझौते की रूपरेखा में "मानव द्वारा किए गए परिवर्तनों के लिए "जलवायु परिवर्तन और अन्‍य परिवर्तनो के लिए "जलवायु परिवर्तनशीलता" शब्‍द का इस्तेमाल किया है। यह शब्द " जलवायु परिवर्तन " मानता है कि बढ़ते तापमान ही एकमात्र प्रभाव नहीं हैं यह शब्द " एन्थ्‍रोपोजेनिक ग्लोबल वॉर्मिंग " कई बार प्रयोग उस समय प्रयोग किया जाता है जब मानव प्रेरित परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित होता है।
दक्षिण मध्य रेलवे भारतीय रेल की एक इकाई है। इसे लघुरूप में दमरे कहा जाता है।
भुवनेश्‍वर से 12 किलोमीटर दूर राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 5 पर कटक जाने वाले रास्‍ते पर पाहाल गांव में प्रसिद्ध कलिंग स्‍वीट दुकान है। यहां भारत के तीन प्रसिद्ध मिठाईयां रसगुल्‍ला, चेन्‍नापोडा (छेनापोड) तथा चेन्‍नागाजा (छेनागजा) मिलती हैं। अगर आप भुवनेश्‍वर जाएं तो इन मिठाईयों का जरुर स्‍वाद लें। साथ ही यहां का दहीबाड़ा भी काफी प्रसिद्व है जोकि इमली की चटनी के साथ परोसा जाता है।
१०. गोविमठ- यह मैसूर के कोपवाय नामक स्थान के निकट है ।
हिंदी साहित्य के मुख्य इतिहासकार और उनके ग्रंथ निम्नानुसार हैं -
महत्वपूर्ण भारतीय सॉफ्टवेर कंपनियाँ - इन्फोसिस, टाटा, फ्ल्युएंट, क्सांसा, टी.सी.एस., टेक महिंद्रा, विप्रो, पटनी, सत्यम, सायबेज, के.पी.आय.टी. कमिन्स, दिशा, पर्सिस्टंट सिस्टम्स, जियोमेट्रिक सॉफ्टवेयर, नीलसॉफ्ट व कॅनबे पुणे मे है।
सामवेद से संबद्ध एक ही आरण्यक है। जिसमें चार अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में कई अनुवाक। चतुर्थ अध्याय के दशम अनुवाक में प्रख्यात तवलकार (या केन) उपनिषद् है।
डा. भगवान्‌दास ने सभी धर्मो के अनुयायियों की नासमझी में भी समता दिखाई है। मेरा मजहब सबसे अच्छा है, दूसरे मजहबवालों को जबरदस्ती से अपने मजहब में लाना चाहिए, यह अहंकार सबमें देखा जाता है। यह नहीं समझते कि खास तरीके खास खास देशकाल अवस्था के लिए बताए गए हैं। अंत में डा. भगवान्दास ने इस बात पर बल दिया है कि आदमी की रूह इन सबों में बड़ी है। आदमियों ने ही मजहब की शक्ल समय-समय पर बदल डाली है।
• तरुण मजूमदार
रागी तो गाए रागिनी,
GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के इस उपयोग के बारे में कई विवाद हैं.
उपवास पूर्ण हो या अधूरा, थोड़ी अवधि के लिए हो या लंबी अवधि के लिए, चाहे धर्म या राजनीति पर आधारित हो, शरीर पर उसका प्रभाव अवधि के अनुसार समान होता है। दीर्घकालीन अल्पाहार से शरीर में वे ही परिवर्तन होते हैं जो पूर्ण उपवास में कुछ ही समय में हो जाते हैं। उपवास तोड़ने के भी विशेष नियम हैं। अनशन: प्राय: फलों के रस से तोड़ा जाता है। रस भी धीरे-धीरे देना चाहिए, जिससे पाचकप्रणाली पर विशेष भार न पड़े। दो तीन दिन थोड़ा रस लेने के पश्चात् आहार के ठोस पदार्थों को भी ऐसे रूप में प्रारंभ करना चाहिए कि आमाशय आदि पर, जो कुछ समय से पाचन के अनभ्यस्त हो गए हैं, अकस्मात् विशेष भार न पड़ जाए। आहार की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए। इस अवधि में शरीर विशेष अधिक मात्रा में प्रोटीन ग्रहण करता है, इसका भी ध्यान रखना आवश्यक है।
सॉफ्ट स्ट्रोक खेलने के लिए हिटिंग कार्रवाई के धीमे हो जाने से पहले शक्तिशाली स्ट्रोक के द्वारा चालबाज़ीके इस स्टाइल को उलट देना भी संभव है. रिअरकोर्ट में सामान्यतया चालबाज़ीकी पिछली शैली बहुत आम है (उदाहरण के लिए, ड्रॉपशॉर्ट खास तरह का स्मैश है), जबकि बादवाली शैली फोरकोर्ट और मिडकोर्ट में (उदाहरण के लिए लिफ्ट खास तरह का नेटशॉर्ट है) बहुत आम है.
प्रथम महायुद्ध समाजवादी आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। एक ओर तो इसके आरंभ होते ही समाजवादी आंदोलन और उनका अंतरराष्ट्रीय संगठन प्राय: छिन्न-भिन्न हो गया और दूसरी ओर इसके बीच रूस में बोल्शेविक क्रांति (अक्टूबर-नंवबर 1917) हुई और संसार में प्रथम सफल समाजवादी राज्य की नींव पड़ी जिसका संसार के समाजवादी आंदोलन पर गहरा असर पड़ा। प्रथम महायुद्ध के पूर्व समाजवादी दलों का मत था कि पूंजीवादी व्यवस्था ही युद्धों के लिए उत्तरदायी है और यदि विश्वयुद्ध आरंभ हुआ तो प्रत्येक समाजवादी दल का कर्तव्य होगा कि वह अपनी पूँजीवादी सरकार की युद्धनीति का विरोध करे और गृहयुद्ध द्वारा समाजवाद की स्थापना के लिए प्रयत्नशील हो। परंतु ज्यों ही युद्ध आरंभ हुआ, रूस और इटली के समाजवादी दलों को छोड़कर शेष सब दलों के बहुमत ने अपनी सरकारों की नीति का समर्थन किया। समाजवादियों के केवल एक नगण्य अल्पमत ने ही युद्ध का विरोध किया और आगे चलकर इनमें से कुछ लेनिन और उसके साम्यवादी अंतरराष्ट्रीय संगठन के समर्थक बने। परंतु विभिन्न देशों के समाजवादी आंदोलनों की परस्पर विरोधी युद्धनीति के कारण उनका ऐक्य खत्म हो गया।
ये पृथ्वी आदि वे ही नहीं है जो हमें नित्यप्रति स्थूल जगत्‌ में देखने को मिलते हैं। ये पिछले सब तो पूर्वोक्त पांचों तत्वों के संयोग से उत्पन्न पांचभौतिक हैं। वस्तुओं में जिन तत्वों की बहुलता होती है वे उन्हीं नामों से वर्णित की जाती हैं। उसी प्रकार हमारे शरीर की धातुओं में या उनके संघटकों में जिस तत्व की बहुलता रहती है वे उसी श्रेणी के गिने जाते हैं। इन पांचों में आकाश तो निर्विकार है तथा पृथ्वी सबसे स्थूल और सभी का आश्रय है। जो कुछ भी विकास या परिवर्तन होते हैं उनका प्रभाव इसी पर स्पष्ट रूप से पड़ता है। शेष तीन (वायु, तेज और जल) सब प्रकार के परिवर्तन या विकार उत्पन्न करने में समर्थ होते हैं। अत: तीनों की प्रचुरता के आधार पर, विभिन्न धातुओं एवं उनके संघटकों को वात, पित्त और कफ की संज्ञा दी गई है। सामान्य रूप से ये तीनों धातुएं शरीर की पोषक होने के कारण विकृत होने पर अन्य धातुओं को भी दूषित करती हैं। अत: दोष तथा मल रूप होने से मल कहलाती हैं। रोग में किसी भी कारण से इन्हीं तीनों की न्यूनता या अधिकता होती है, जिसे दोषप्रकोप कहते हैं।
संविधान के अनुसार, भारत एक प्रधान, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक राज्य है, जहां पर सरकार जनता के द्वारा चुनी जाती है । अमेरिका की तरह, भारत में भी संयुक्त सरकार होती है, लेकिन भारत में केन्द्र सरकार राज्य सरकारों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है, जो कि ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है । बहुमत की स्थिति में न होने पर सरकार न बना पाने की दशा में अथवा विशेष संवेधानिक परिस्थिति के अंतर्गत, केन्द्र सरकार राज्य सरकार को निष्कासित कर सकती है, और सीधे संयुक्त शासन लागू कर सकती है, जिसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है ।
एक भारतीय उपनाम ।
ऐसा हमारा देश है।
इन्हें भी देखें
घटक की एकमात्र प्रमुख व्यावसायिक सफलता फिल्म मधुमति (1958) थी, जो एक हिंदी फिल्म है और उन्होंने इसकी पटकथा लिखी थी. पुनर्जन्म के विषय वाली यह सबसे पहली फिल्मों में से एक थी और यह माना जाता है की यह फिल्म बाद के कई भारतीय सिनेमा, भारतीय टेलीविजन, और शायद विश्व सिनेमा में पुनर्जन्म के विषय का स्रोत बनी रही. यह अमेरिकी फिल्म दी रीइंकारनेशन ऑफ़ पीटर प्राउड (1975) और हिंदी फिल्म कर्ज़ (1980) के लिए प्रेरणा स्रोत बनी, जिनमें से दोनों ही फ़िल्में पुनर्जन्म से सम्बंधित थी और अपनी-अपनी संस्कृतियों पर प्रभावशाली रही.[७] विशेष रूप से कर्ज़ को कई बार पुनर्निमित किया गया: कन्नड़ फिल्म युग पुरुष (1989), तमिल फिल्म एनाकुल ओरूवन (1984), और हालिया बॉलीवुड फिल्म कर्ज (Karzzzz) (2008) के रूप में. कर्ज़ और दी रीइंकारनेशन ऑफ़ पीटर प्राउड ने संभवतः अमेरिकी फिल्म चांसेज आर (1989) को प्रेरित किया.[७] सबसे हालिया फिल्म जो सीधे मधुमति से प्रेरित हुई वह है हिट बॉलीवुड फिल्म ओम शांति ओम (2007) है, जिसके कारण बिमल रॉय की बेटी रिंकी भट्टाचार्य ने इस फिल्म पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगाया और उसके निर्माता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी.[८][९]
दूसरे चेहरे-१९७१,अलग-अलग अस्वीकार (१९७३), काल विदूषक-१९७६, धरातल-१९७७, केवल पिता-१९७८, सिलशिला-१९७९, अकर्मक क्रिया (१९८१), टापू पर अकेले (१९८३), खंडित-संवाद-१९८५,२००९, नया सम्बन्ध -१९८७, भूख तथा अन्य कहानिया-१९९३, अभयदान १९९४, पुल टूटते हुए -१९९४, चर्चित कहानियां (१९९४) ख़ारिज और बे दखल-१९९८, विरोधी स्वर-२०००,२१ पुरस्कृत कहानियां-२००१, परजीवी-२००२
1. बजट सत्र वर्ष का पहला सत्र होता है सामान्यत फरवरी मई के मध्य चलता है यह सबसे लंबा तथा महत्वपूर्ण सत्र माना जाता है इसी सत्र मे बजट प्रस्तावित तथा पारित होता है सत्र के प्रांरभ मे राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है
भारत के ३५०० करोड़ के रेशम उद्योग से अधिकांश भाग कर्नाटक राज्य में आधारित है, विशेषकर उत्तरी बंगलौर क्षेत्रों जैसे मुद्दनहल्ली, कनिवेनारायणपुरा एवं दोड्डबल्लपुर, जहां शहर का ७० करोड़ रेशम उद्योग का अंश स्थित है। यहां की बंगलौर सिल्क और मैसूर सिल्क विश्वप्रसिद्ध हैं।[७५][७६]
23. नेहरू पार्क, एक सुंदर बगीचा भरतपुर संग्रहालय के पास में है।
यह स्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। गंगा नदी के तट पर स्थित शुक्रतल जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि इस जगह पर अभिमन्यु के पुत्र और अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पश्चात् केवल महर्षि सुखदेव जी ने भागवत गीता का वर्णन किया था। इसके समीप स्थित वट वृक्ष के नीचे एक मंदिर का निर्माण किया गया था। इस वृक्ष के नीचे बैठकर ही सुखदेव जी भागवत गीता के बारे में बताया करते थे। सुखदेव मंदिर के भीतर एक यज्ञशाला भी है। राजा परीक्षि‍त महाराजा सुखदेव जी से भागवत गीता सुना करते थे। इसके अतिरिक्त यहां पर पर भगवान गणेश की 35 फीट ऊंची प्रतिमा भी स्‍थापित है। इसके साथ ही इस जगह पर अक्षय वट और भगवान हनुमान जी की 72 फीट ऊंची प्रतिमा बनी हुई है। लेखक्---ताबिश नगला मोबाइल न्०--००९१९७१९५०९१७२
Hej Indien. Hvad er I ude på? I virker til at være rigtig mange mennesker. Hilsen Danmmark.
किंगफिशर कोरासीफोर्म्स वर्ग के छोटे से मध्यम आकार के चमकीले रंग के पंक्षियों का एक समूह है. इनका एक सर्वव्यापी वितरण है जिनमें से ज्यादातर प्रजातियाँ ओल्ड वर्ल्ड और ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती हैं. इस समूह को या तो एक एकल परिवार एल्सिडिनिडी के रूप में या फिर उपवर्ग एल्सिडाइन्स में माना जाता है जिनमें तीन परिवार शामिल हैं, एल्सिडिनिडी (नदीय किंगफिशर), हैल्सियोनिडी (वृक्षीय किंगफिशर) और सेरीलिडी जलीय किंगफिशर). किंगफिशर की लगभग 90 प्रजातियां हैं. सभी के बड़े सिर, लंबे, तेज, नुकीले चोंच, छोटे पैर और ठूंठदार पूंछ हैं. अधिकांश प्रजातियों के पास चमकीले पंख हैं जिनमें अलग-अलग लिंगों के बीच थोड़ा अंतर है. अधिकांश प्रजातियां वितरण के लिहाज से उष्णकटिबंधीय हैं, और एक मामूली बड़ी संख्या में केवल जंगलों में पायी जाती हैं. ये एक व्यापक रेंज के शिकार और मछली खाते हैं, जिन्हें आम तौर पर एक ऊंचे स्थान से झपट्टा मारकर पकड़ा जाता है. अपने वर्ग के अन्य सदस्यों की तरह ये खाली जगहों में घोंसला बनाते हैं, जो आम तौर पर जमीन पर प्राकृतिक या कृत्रिम तरीके से बने किनारों में खोदे गए सुरंगों में होते हैं. कुछ प्रजातियों, मुख्यतः द्वीपीय स्वरूपों के विलुप्त होने का खतरा बताया जाता है.
इस पिटक के पाँच भाग हैं जो निकाय कहलाते हैं। निकाय का अर्थ है समूह। इन पाँच भागों में छोटे बड़े सुत संगृहीत हैं। इसीलिए वे निकाय कहलाते हैं। निकाय के लिए "संगीति" शब्द का भी प्रयोग हुआ है। आरंभ में, जब कि त्रिपिटक लिपिबद्ध नहीं था, भिक्षु एक साथ सुत्तों का पारायण करते थे। तदनुसार उनके पाँच संग्रह संगीति सहलाने लगे। बाद में निकाय शब्द का अधिक प्रचलन हुआ और संगीति शब्द का बहुत कम।
आख़िर अंतिम नबी हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) क़ुरआन के साथ इस ‎धरती पर आए और क़ुरआन ईश्वर की इस चुनौती के साथ आई कि इसकी ‎रक्षा स्वयं ईश्वर करेगा। १५०० वर्षों का लम्बा समय यह बताता है कि क़ुरान विरोधियों के सारे प्रयासों के बाद भी क़ुरान के एक शब्द में भी ‎परिवर्तन संभव नहीं हो सका है। यह पुस्तक अपने मूल स्वरूप में प्रलय ‎तक रहेगी। इसके साथ क़ुरान की यह चुनौती भी अपने स्थान पर अभी ‎तक बैइ हुई है कि जो इसे ईश्वरीय ग्रंथ नहीं मानते हों तो वे इस जैसी पूरी ‎पुस्तक नहीं बल्कि उसका एक छोटा भाग ही बना कर दिखा दें।
पथेर पांचाली (1955) • अपराजितो (1957) • पारश पत्थर (1958) • जलसाघर (1958) • अपुर संसार (1959) • देवी (1960) • तीन कन्या (1961) • रवीन्द्रनाथ ठाकुर (1961) • कांचनजंघा (1962) • अभियान (1962) • महानगर (1963) • चारुलता (1964) • टू (1965) • कापुरुष (1965) • महापुरुष (1965) • नायक (1966) • चिड़ियाखाना (1967) • गुपी गाइन बाघा बाइन (1969) • अरण्येर दिनरात्रि (1970) • प्रतिद्वंद्वी (1971) • सीमाबद्ध (1971) • सिक्किम (1971) • द इनर आइ (1972) • अशनि संकेत (1973) • सोनार केल्ला (1974) • जन अरण्य (1976) • बाला (1976) • शतरंज के खिलाड़ी (1977) • जॉय बाबा फेलुनाथ (1978) • हीरक राजार देशे (1980) • पिकूर डायरी (1981) • सद्गति (1981) • घरे बाइरे (1984) • सुकुमार राय (1987) • गणशत्रु (1989) • शाखा प्रशाखा (1990) • आगन्तुक (1991)
गुरुद्वारे के आसपास कई अन्य महत्वपूर्ण स्थान हैं। थारा साहिब, बैर बाबा बुड्ढा जी, गुरुद्वारा लाची बार, गुरुद्वारा शहीद बंगा बाबा दीप सिंह जैसे छोटे गुरुद्वारे स्वर्ण मंदिर के आसपास स्थित हैं। उनकी भी अपनी महत्ता है। नजदीक ही ऐतिहासिक जालियांवाला बाग है, जहां जनरल डायर की क्रूरता की निशानियां मौजूद हैं। वहां जाकर शहीदों की कुर्बानियों की याद ताजा हो जाती है।
निर्देशांक: 26°12′N 89°00′E / 26.2, 89 कूचबिहार (बांग्ला: কোচবিহার জেলা, राजबोंग्शी/कामतापुरी: কোচবিহার) पश्चिम बंगाल और बिहार की सीमा पर स्थित एक शहर है।पश्चिम बंगाल में स्थित कूच बिहार अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक स्थलों के अलावा यह अपने आकर्षक मन्दिरों के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है। अपने बेहतरीन पर्यटक स्थलों और मन्दिरों के अतिरिक्‍त यह अपनी प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। शहर की भाग-दौड़ से दूर कूच बिहार एक शांत इलाका है। यहां पर छुट्टियां बिताना पर्यटकों का बहुत पसंद आता है क्योंकि इसकी प्राकृतिक सुन्दरता उनमें नई स्फूर्ति और ऊर्जा का संचार कर देती है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहां पर कोच राजाओं का शासन था और वह नियमित रूप से बिहार की यात्रा किया करते थे। इस कारण इसका नाम कूच बिहार पड़ा।
सुआ गीत करुण गीत है जहां नारी सुअना (तोता) की तरह बंधी हुई है। इसालिए अगले जन्म में नारी जीवन पुन न मिलने ऐसी कामना करती है। सुआ का अर्थ होता है मिट्ठू या तोता । सुआगीत नारियों और मुख्य रुप से गोड़ आदिवासी नारियों का नाच गीत है । नारियाँ दीपावली के अवसर पर आंगन के बीच में पिंजरे में बंद हुआ सुआ को प्रतीक बनाकर (मिट्टी का तोता) उसकेचारो ओर गोलाकार वृत्त में नाचती गाती जाती हैं। एक छोटी टोकरी जिसे चुरकी या दौरी कहा जाता है में धान भरकर, धान के उपर मिट्टी से बनाये, हरे रंग से चित्रित सुआ प्रतिस्थापित कर दिया जाता है । नारियाँ चुरकी के चारों ओर मंडलाकार खड़ी हो जाती है । फिर नीचे झुककर क्रमशः एकबार दाहिनी ओर दूसरी बार बायीं ओर ताली बजाती है । साथ ही उसी तरफ दाहिनी तथा बांया पैर भी उठा-उठाकर रखती है । एक टोली गाना गाती है । दूसरी टोली उस गीत को दोहराती है । तालियां बजाकर गायें जाने वाले इस गीत के साथ ककिसी विशेष वाद्य की आवश्यकता नहीं होती है ।
काल के अंगविशेष के रूप में युग शब्द का प्रयोग ऋग्वेद से ही मिलता है (दश युगे, ऋग्0 1।158।6) इस युग शब्द का परिमाण अस्पष्ट है। ज्यौतिष-पुराणादि में युग के परिमाण एवं युगधर्म आदि की सुविशद चर्चा मिलती है।
जन्मकाल के अतिरिक्त आधुनिक भारतीय साहित्यों के विकास के चरण भी प्रायः समान ही हैं। प्रायः सभी का आदिकाल पंद्रहवीं शती तक चलता है। पूर्वमध्यकाल की समाप्ति मुगल-वैभव के अंत अर्थात शती के मध्य में तथा सत्रहवीं शती के मध्य में तथा उत्तर मध्याकाल की अंग्रेजी सत्ता की स्थापना के साथ होती है और तभी से आधुनिक युग का आरंभ हो जाता है। इस प्रकार भारतीय भाषाओं के अधिकांश साहित्यों का विकास-क्रम लगभग एक-सा ही है; सभी प्रायः समकालीन चार चरणों में विभक्त हैं। इस समानांतर विकास-क्रम का आधार अत्यंत स्पष्ट है, और वह है भारत के राजनीतिक एवं सांस्कृतिक जीवन का विकास-क्रम।
प्रति वर्ष ३० जनवरी को, महात्मा गाँधी के पुण्यतिथि पर कई देशों के स्कूलों में अहिंसा और शान्ति का स्कूली दिन (School Day of Non-violence and Peace) ( DENIP (DENIP) ) मनाया जाता है जिसकी स्थापना १९६४ स्पेन में हुयी थी. वे देश जिनमें दक्षिणी गोलार्ध कैलेंडर इस्तेमाल किया जाता हैं, वहां ३० मार्च को इसे मनाया जाता है.
अब्बासी शासन के पतनोन्मुख दिनों में उसका जन्म ख्वारज़्म में सन् 973 में हुआ था । यह स्थान अब उज़्बेकिस्तान में है । उसने गणित और खगोलविज्ञान अबू नस्र मंसूर से सीखी । वे अवेसिन्ना के साथी थे । अफ़ग़ानिस्तान और दक्षिण एशिया की यात्रा पर वो महमूद गज़नवी के साथ उसके काफ़िले में गया । भारत में रहते हुए उसने भारतीय भाषाओं का अध्ययन किया और 1030 में तारीख़-अल-हिन्द (भारत के दिन) नामक क़िताब लिखी । उसकी मृत्यु ग़ज़नी, अफ़ग़ानिस्तान (उस समय इसे अफ़गानिस्तान नहीं कहा जाता था बल्कि फ़ारस का हिस्सा कहते थे) में हुई ।
मध्यपूर्व में स्थित यह देश विश्व राजनीति और इतिहास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है । इतिहास और ग्रंथों के अनुसार यहूदियों का मूल निवास रह इस क्षेत्र का नाम ईसाइयत, इस्लाम और यहूदी धर्मों में प्रमुखता से लिया जाता है । यहूदी, मध्यपूर्व और यूरोप के कई क्षेत्रो में फैल गए थे । उन्नीसवी सदी के अन्त में तथा फ़िर बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में यूरोप में यहूदियों के उपर किए गए अत्याचार के कारण यूरोपीय (तथा अन्य) यहूदी अपने क्षेत्रों से भाग कर येरूशलम और इसके आसपास के क्षेत्रों में आने लगे । सन् 1948 में आधुनिक इसरायल राष्ट्र की स्थापना हुई ।
   क.    ^ "देखने में एक अस्थिपंजर किन्तु आँखों में अनन्त ज्योतिराशि, मन में अजस्र आत्म शक्ति, माथे की चिन्तित रेखाओं में युग का संघर्ष, वाणी में निसंग निष्ठा, संकेतों में विश्वास और अस्त-व्यस्त केशों तथा रूखे सूखे कलेवर में अनन्त जीवन रस। छेड़िये तो तपस्वी की विभूति मिले, मौन रूप देखिये तो निर्विकल्प समाधि की परिधि तक चले जाइये। विरोध करिये तो फौलाद के स्पर्श का भान मिले। स्वीकृति दीजिए तो एक दिव्य आलोक की अनुभूति।"[१]
अजातशत्रु—'हे ब्रह्मन! ऐसा नहीं है। यह श्वेत वस्त्रधारी सूर्य तो सभी से महान है। यह सबसे उच्च स्थिति में केन्द्रित, सबका शीश है। जो मनुष्य इस विराट पुरुष की इस प्रकार से आराधना करता है, वह सबसे उच्च स्थिति में पहुंचता है।'
चंद्रिका देवी मंदिर में मां भगवती की विशाल प्रतिमा अत्यंत भव्य आकर्षक है। हजारों देवी भक्त मानते है कि ग्रेनाइट शिला पर उत्कीर्ण हजारों वर्ष पुरानी मां चंद्रिका देवी की यह प्रतिमा दिन में 16 कलाएं बदलती है। इसे परखने के लिये सैकड़ों भक्त दिन में कई बार उनका दर्शन करने जाते है।
4.
चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल कला-साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है । उसके दरबार में विद्वानों एवं कलाकारों को आश्रय प्राप्त था । उसके दरबार में नौ रत्‍न थे- कालिदास, धन्वन्तरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बेताल भट्ट, घटकर्पर, वाराहमिहिर, वररुचि उल्लेखनीय थे ।
Switzerland, although not a member of the European Union, adheres to the same principle, stating that "neither a political unit needs to be recognized to become a state, nor does a state have the obligation to recognize another one. At the same time, neither recognition is enough to create a state, nor does its absence abolish it."[६]
वेदों के सर्वांगीण अनुशीलन के लिये शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष- इन ६ अंगों के ग्रन्थ हैं। प्रतिपदसूत्र, अनुपद, छन्दोभाषा (प्रातिशाख्य), धर्मशास्त्र, न्याय तथा वैशेषिक- ये ६ उपांग ग्रन्थ भी उपलब्ध है। आयुर्वेद, धनुर्वेद, गान्धर्ववेद तथा स्थापत्यवेद- ये क्रमशः चारों वेदों के उपवेद कात्यायन ने बतलाये हैं।
हर घाट की अपनी अलग-अलग कहानी है। तुलसीघाट प्रसिद्ध कवि तुलसीदास से संबंधित है। तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी। कहा जाता है कि तुलसीदास ने अपना आखिरी समय यहीं व्‍यतीत किया था। इसी के समीप बच्‍चाराजा घाट है। यहीं पर जैनों के सातवें तीर्थंकर सुपर्श्‍वनाथ का जन्‍म हुआ था। अब यह जैनघाट के नाम से जाना जाता है। चेत सिंह घाट एक किला की तरह लगता है। चेत सिंह बनारस के एक साहसी राजा थे जिन्‍होंने 1781 ई. में वॉरेन हेस्टिंगस की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। महानिर्वाणी घाट में महात्‍मा बुद्ध ने स्‍नान किया था। हरिश्‍चंद्र घाट का संबंध राजा हरिश्‍चंद्र से है। मणिकर्णिघाट पर स्थित भवनों का निर्माण पेशवा बाजीराव तथा अहिल्‍याबाई होल्‍कर ने करवाया था। 'दूध का कर्ज' मंदिर को जरुर देखना चाहिए। लोक कथाओं के अनुसार एक अमीर घमण्‍डी पुत्र ने इस मंदिर को बनवाया और इसे अपनी मां को समर्पित कर दिया। उसने अपनी मां से कहा मैंने तेरे लिए मंदिर बनवाकर तेरा कर्ज चुका दिया। तब उसकी मां ने कहा कि दूध का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता। तभी से इस मंदिर का नाम दूध का कर्ज मंदिर पड़ गया। पंचगंगा घाट भी काशी के ऐतिहासिक गंगा घाटों में एक है.ये विष्णु काशी क्षेत्र में आता है. यहां कार्तिक माह में स्नान का बड़ा पुण्य माना गया है. कार्तिक में आकाशी द्वीप जलाने की सदियों पुरानी परम्परा है. यहीं पर ऐतिहासिक विन्दु माधव भगवान का मंदिर , रामानंदाचार्य पीठ के नाम से विख्यात श्रीमठ और तैलंग स्वामी का समाधी स्थल भी है. पंचगंगा घाट की सीढियों पर हीं कभी कबीर दास को स्वामी रामानंद ने तारक राममंत्र की दीक्षा दी थी और उन्हें अपना शिष्य बनाया था. देव दीपावली के दिन यहां मेला सजता है. श्रीमठ के पास हीं रानी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित हजारा द्वीप स्तम्भ भी दर्शनीय है. गांगा घाटों की सैर करने वाले हजारो तीर्थयात्री प्रतिदिन वहां रूके वगैर आगे नहीं बढ़ते.
आक्सीजन पृथ्वी के अनेक पदार्थों में रहता है और वास्तव में अन्य तत्वों की तुलना में इसकी मात्रा सबसे अधिक है। आक्सीजन वायुमंडल में स्वतंत्र रूप में मिलता है और आयतन के अनुसार उसका लगभग पाँचवाँ भाग है। यौगिक रूप में पानी, खनिज तथा चट्टानों का यह महत्वपूर्ण अंश है। वनस्पति तथा प्राणियों के प्राय: सब शारीरिक पदार्थों का आक्सीजन एक आवश्यक तत्व है।
किंगफिशर रेड दिल्ली ,नागपुर ,हैदराबाद ,इंदौर ,पुणे
जिस भोजन में प्रोटीन, विटामिन और खनिज अधिक पाये जाते हैं उसे संरक्षण देने वाला भोजन कहते हैं। दूध और दूध के उत्पाद, अंडे, कलेजी, हरी पत्तेदार सिब्जयां और फल इस वर्ग में आते हैं।
हिंदी शिक्षक-प्रशिक्षण के स्तर को समुन्नत करने और राष्ट्रीय स्तर पर उसमें एकरूपता लाने के प्रयास में भारत सरकार के निर्देश पर देश के कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अपने-अपने क्षेत्रों में हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालयों, संस्थाओं को स्थापित किया गया है और उन्हें संस्थान से संबद्ध किया है। इन संबद्ध महाविद्यालयों/संस्थाओं में प्रांतीय आवश्यकताओं के अनुरूप संस्थान के पाठ्यक्रम संचालित एवं आयोजित किए जाते हैं और संस्थान ही इन पाठ्यक्रमों की परीक्षाएँ नियंत्रित करता है। कुछ प्रमुख महाविद्यालयों/संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं-
अगर एक बल्लेबाज मैदान छोड़ के जाता है (आम तौर पर चोट के कारण) और वापस नहीं लौट पता है तो वह वास्तव में "नॉट आउट" होता है और उसका बहार जाना आउट नहीं माना जाता है, परन्तु उसे बर्खास्त कर दिया जाता है क्योंकि उसकी पारी समाप्त हो चुकी होती है. प्रतिस्थापित बल्लेबाज को अनुमति नहीं होती है.
बुख़ारी
पंजाबी और मुगलई खान पान जैसे कबाब और बिरयानी दिल्ली के कई भागों में प्रसिद्ध हैं।[३४][३५] दिल्ली की अत्यधिक मिश्रित जनसंख्या के कारण भारत के विभिन्न भागों के खानपान की झलक मिलती है, जैसे राजस्थानी, महाराष्ट्रियन, बंगाली, हैदराबादी खाना, और दक्षिण भारतीय खाने के आइटम जैसे इडली, सांभर, दोसा इत्यादि बहुतायत में मिल जाते हैं। इसके साथ ही स्थानीय खासियत, जैसे चाट इत्यादि भी खूब मिलती है, जिसे लोग चटकारे लगा लगा कर खाते हैं। इनके अलावा यहाँ महाद्वीपीय खाना जैसे इटैलियन और चाइनीज़ खाना भी बहुतायत में उपलब्ध है।
अतिथि का अर्थ होता है पाहुन।
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका और सोवियत रूस मे शीत युद्ध छिड गया । ये कोइ युद्ध नही था पर इससे सारा विश्व दो केन्द्रोँ मे बट गया ।
भारत-एशियाई साहित्य अकादमी
विवेकानंद सेतु भारत के पश्चिम बंगाल प्रान्त में हुगली नदी पर हावड़ा एवं कोलकाता को जोड़ता है इस सेतु का निर्माण १९३२ में हुआ था।
प्रमुख राष्ट्रवादी व विद्वान आचार्य नरेन्द्र देव, डा॰ राजेन्द्र प्रसाद, जीवत राम कृपलानी, बाबू श्री प्रकाश, बाबू सम्पूर्णानन्द आदि महान् लोग इसमें शिक्षण कार्य किये। भारत के पूर्व प्रधान मंत्री स्व॰ लाल बहादुर शास्त्री ने भी इस विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण की थी।
विषय की गम्भीरता तथा विवेचन की विशदता के कारण १३ उपनिषद् विशेष मान्य तथा प्राचीन माने जाते हैं। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने १० पर अपना भाष्य दिया है- (१) ईश, (२) ऐतरेय (३) कठ (४) केन (५) छांदोग्य (६) प्रश्न (७) तैत्तिरीय (८) बृहदारण्यक (९) मांडूक्य और (१०) मुंडक। उन्होने निम्न तीन को प्रमाण कोटि में रखा है- (१) श्वेताश्वतर (२) कौषीतकि तथा (३) मैत्रायणी।
इन्होंने अक्षरी शब्द का प्रयोग किया, जो प्रचलन में नहीं आ सका; क्योंकि उसी समय लेखक ने सिलेबिल के लिए अक्षर का प्रयोग अपने डॉक्टरेट के ग्रंथ हिंदी भाषा में ‘अक्षर’ तथा शब्द की सीमा’ में स्थिर कर दिया। उस समय तक बिहार में ‘विवरण’ बंगाल में ‘बनान’ शब्द हिज्जे स्पेलिंग के लिए चल रहे थे। इसके अलावा प्रचलन में कुछ अन्य शब्द थे -अक्षरन्यास, अक्षर विन्यास, वर्णन्यास, वर्ण विन्यास, आदि। शिक्षा के प्रोफेसर कृष्ण गोपाल रस्तोगी ने अक्षर विन्यास शब्द का प्रयोग बहुत समय तक किया। यही वर्ण विन्यास है। अमरकोश में लिपि के लिए अक्षर विन्यासः तथा लिखितम् का प्रयोग भी पर्याय के रूप में मिलता है।
मुंबई में बहुत से समाचार-पत्र, प्रकाशन गृह, दूरदर्शन और रेडियो स्टेशन हैं। मराठी पत्रों में नवकाल, महाराष्ट्र टाइम्स, लोकसत्ता, लोकमत, सकाल आदि प्रमुख हैं। मुंबई में प्रमुख अंग्रेज़ी अखबारों में टाइम्स ऑफ इंडिया, मिड डे, हिन्दुस्तान टाइम्स, डेली न्यूज़ अनालिसिस एवं इंडियन एक्स्प्रेस आते हैं।[९९] मुंबई में ही एशिया का सबसे पुराना समाचार-पत्र बॉम्बे समाचार भी निकलता है। [१००]बॉम्बे दर्पण प्रथम मराठी समाचार-पत्र था, जिसे बालशास्त्री जाम्भेकर ने १८३२ में आरंभ किया था। [१०१]
कंबोडिया जिसे पहले कंपूचिया के नाम से जाना जाता था दक्षिणपूर्व एशिया का एक प्रमुख देश है जिसकी आबादी १,४२,४१,६४० (एक करोड़ बयालीस लाख, इकतालीस हज़ार छे सौ चालीस) है। नामपेन्ह इस राजतंत्रीय देश का सबसे बड़ा शहर एवं इसकी राजधानी है। कंबोडिया का आविर्भाव एक समय बहुत शक्तिशाली रहे हिंदू एवं बौद्ध खमेर साम्राज्य से हुआ जिसने ग्यारहवीं से चौदहवीं सदी के बीच पूरे हिन्द चीन क्षेत्र पर शासन किया था। कंबोडिया की सीमाएँ पश्चिम एवं पश्चिमोत्तर में थाईलैंड, पूर्व एवं उत्तरपूर्व में लाओस तथा वियतनाम एवं दक्षिण में थाईलैंड की खाड़ी से लगती हैं। मेकोंग नदी यहाँ बहने वाली प्रमुख जलधारा है।
पुराणों के अनुसार[१] सती के शव के विभिन्न अंगों से बावन शक्तिपीठो का निर्माण हुआ था। इसके पीछे यह अन्तर्पथा है कि दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में `बृहस्पति सर्व' नामक यज्ञ रचाया। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया। शंकरजी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी यज्ञ में भाग लेने गयीं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे। इस अपमान से पीड़ित हो, सती ने यज्ञ-अग्नि पुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शंकर के आदेश पर उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता और त्र+षिगण यज्ञस्थल से भाग गये। भगवान शंकर ने यज्ञपुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कर कंधे पर उठा लिया और दुःखी हो इधर-उधर घूमने लगे। तदनन्तर जहाँ-जहाँ सती के शव के विभिन्न अंग और आभूषण गिरे, वहाँ बावन शक्ति पीठो का निर्माण हुआ। अगले जन्म में सती ने हिमवान राजा के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिवजी को पुन पति रूप में प्राप्त किया।
महाभारत युद्ध होने का मुख्य कारण कौरवों की उच्च महत्वाकांक्षाएँ और धृतराष्ट्र का पुत्र मोह था। कौरव और पाण्डव आपस में सहोदर भाई थे। वेदव्यास जी से नियोग के द्वारा विचित्रवीर्य की भार्या अम्बिका के गर्भ से धृतराष्ट्र और अम्बालिका के गर्भ से पाण्डु उत्पन्न हुए। धृतराष्ट्र ने गान्धारी के गर्भ से सौ पुत्रों को जन्म दिया, उनमें दुर्योधन सबसे बड़ा था। पाण्डु के युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव आदि पाँच पुत्र हुए| धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे अतः उनकी जगह पर पाण्डु को राज दिया गया जिससे धृतराष्ट्र को सदा पाण्डु और उसके पुत्रों से द्वेष रहने लगा। यह द्वेष दुर्योधन के रुप मे फलीभूत हुआ और शकुनि ने इस आग में घी का काम किया। शकुनि के कहने पर दुर्योधन ने बचपन से लेकर लाक्षागृह तक कई षडयंत्र किये। परन्तु हर बार वो विफल रहा। युवावस्था में आने पर जब युधिष्ठिर को युवराज बना दिया गया तो उसने उन्हें लाक्षागृह भिजवाकर मारने की कोशिश की परन्तु पाण्डव बच निकले। पाण्डवों की अनुपस्थिति में धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को युवराज बना दिया परन्तु जब पाण्डवों ने वापिस आकर अपना राज्य वापिस मांगा तो उन्हें राज्य के नाम पर खण्डहर रुपी खाण्डव वन दिया गया। धृतराष्ट्र के अनुरोध पर गृहयुद्ध के संकट से बचने के लिए युधिष्ठिर ने यह प्रस्ताव भी स्वीकार कर लिया। पाण्डवों ने श्रीकृष्ण की सहायता से इन्द्र की अमारावती पुरी जितनी भव्य नगरी इन्द्रप्रस्थ का निर्माण किया। पाण्डवों ने विश्वविजय करके प्रचुर मात्रा में रत्न एवं धन एकत्रित किया और राजसूय यज्ञ किया। दुर्योधन पाण्डवों की उन्नति देख नहीं पाया और शकुनि के सहयोग से द्यूत में छ्ल से युधिष्ठिर से उसका सारा राज्य जीत लिया और कुरु राज्य सभा में द्रौपदी को निर्वस्त्र करने का प्रयास कर उसे अपमानित किया। सम्भवतः इसी दिन महाभारत के युद्ध के बीज पड़ गये थे। अन्ततः पुनः द्यूत में हारकर पाण्डवों को १२ वर्षो को ज्ञातवास और १ वर्ष का अज्ञातवास स्वीकार करना पड़ा। परन्तु जब यह शर्त पूरी करने पर भी कौरवों ने पाण्डवों को उनका राज्य देने से मना कर दिया। तो पाण्डवों को युद्ध करने के लिये बाधित होना पड़ा, परन्तु श्रीकृष्ण ने युद्ध रोकने का हर सम्भव प्रयास करने का सुझाव दिया।
राज्‍य के अहमदाबाद स्थित मुख्‍य हवाई अड्डे से मुम्बई, दिल्‍ली और अन्‍य नगरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्‍ध है। अहमदाबाद हवाई अड्डे को अब अन्तरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिल गया हैं। अन्‍य हवाई अड्डे वड़ोदरा, भावनगर, भुज, सूरत, जामनगर, काण्डला, केशोद, पोरबन्दर और राजकोट में है।
वैदिक काल में अस्त्रशस्त्रों का वर्गीकरण इस प्रकार था :
इस स्तोत्र को पढने के बाद एक सौ आठबार "ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां " का जाप मानसिक रूप से करना चाहिये.इसके बाद दस माला का जाप नित्य इस मंत्र से करना चाहिये " ऊँ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा"।
हरि को भजै सो हरि का होई.
h v1/3 = AeC/vT ..... ..... .... (6)
गुरुवायुर मंदिर का प्रवेश द्वार
जनकपुर में भगवान जगन्नाथ दसों अवतार का रूप धारण करते हैं..विभिन्न धर्मो और मतों के भक्तों को समान रूप से दर्शन देकर तृप्त करते हैं। इस समय उनका व्यवहार सामान्य मनुष्यों जैसा होता है। यह स्थान जगन्नाथ जी की मौसी का है। मौसी के घर अच्छे-अच्छे पकवान खाकर भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। तब यहाँ पथ्य का भोग लगाया जाता है जिससे भगवान शीघ्र ठीक हो जाते हैं। रथयात्रा के तीसरे दिन पंचमी को लक्ष्मी जी भगवान जगन्नाथ को ढूँढ़ते यहाँ आती हैं। तब द्वैतापति दरवाज़ा बंद कर देते हैं जिससे लक्ष्मी जी नाराज़ होकर रथ का पहिया तोड़ देती है और हेरा गोहिरी साही पुरी का एक मुहल्ला जहाँ लक्ष्मी जी का मंदिर है, वहां लौट जाती हैं। बाद में भगवान जगन्नाथ लक्ष्मी जी को मनाने जाते हैं। उनसे क्षमा माँगकर और अनेक प्रकार के उपहार देकर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। इस आयोजन में एक ओर द्वैतापति भगवान जगन्नाथ की भूमिका में संवाद बोलते हैं तो दूसरी ओर देवदासी लक्ष्मी जी की भूमिका में संवाद करती है। लोगों की अपार भीड़ इस मान-मनौव्वल के संवाद को सुनकर खुशी से झूम उठती हैं। सारा आकाश जै श्री जगन्नाथ के नारों से गूँज उठता है। लक्ष्मी जी को भगवान जगन्नाथ के द्वारा मना लिए जाने को विजय का प्रतीक मानकर इस दिन को विजयादशमी और वापसी को बोहतड़ी गोंचा कहा जाता है। रथयात्रा में पारम्परिक सद्भाव, सांस्कृतिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता का अद्भूत समन्वय देखने को मिलता है।
बाबा इशवर ह्ऐन। बाबा ज्ऐसा कोइ नही। ।
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3. वह राज्य के बाहर का रहने वाला हो
भूटान में भूटानी अध्ययन का केंद्र वर्तमान में विभिन्न डोमेन मानकों (स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिस्थितिक तंत्र की विविधता और लचीलापन, सांस्कृतिक जीवन शक्ति और विविधता, समय प्रयोग और संतुलन, अच्छा नियंत्रण, सामुदायिक जीवन और मनोवैज्ञानिक जीवन) में 'राष्ट्रीय ख़ुशी' के मापन के लिए विषय परक और विकल्पी संकेतक के एक जटिल समुच्चय पर काम कर रहा है.
श्री माधवाचार्य ने प्रस्थान-त्रय-ग्रंथों से अपने द्वैतवाद सिद्धांत का विकास किया। यह `सद्वैष्णव´ भी कहा जाता है, क्योंकि यह श्री रामानुजाचार्य के श्री वैष्णवत्व से अलग है।
चांदी का शालीमार बाग
जिस रत्न में रंग बिल्कुल ही न हो।
विपक्ष के नेता
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समाजवादी शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया. यह अपने सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित करता है. जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव किए बिना सभी को बराबर का दर्जा और अवसर देता है. सरकार केवल कुछ लोगों के हाथों में धन जमा होने से रोकेगी तथा सभी नागरिकों को एक अच्छा जीवन स्तर प्रदान करने की कोशिश करेगी.
संस्कृत साहित्य की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार है:
2. राष्ट्रपति की अनुमति हो
यह गहरे कत्थई रंग का अपारदर्शी होता है।
टमाटर चटनी एक बंगाली व्यंजन है।
यह मंदिर निर्वाण स्तूप से लगभग 400 गज की दूरी पर है। भूमि स्पर्श मुद्रा में महात्मा बुद्ध की प्रतिमा यहां से प्राप्त हुई है। यह प्रतिमा बोधिवृक्ष के नीचे मिली है। इसके तल में खुदे अभिलेख से पता चलता है कि इस मूर्ति का संबंध 10-11वीं शताब्दी से है। इस मंदिर के साथ ही खुदाई से एक मठ के अवशेष भी मिले हैं।
इस अनोखे नाम का कारण इस पुल पर रात को जलने वाली रंगबिरंगी रोशनी हैं। यह पुल मिनटोकु और ओडैबा को जोड़ता है। यहां पर आठ यातायात लेन और दो रेलमारग हैं। पैदल चलने वालों के लिए भी रास्ता है। यह पुल १९९३ में चालू किया गया था। इस पुल की सुन्दरता को देखने का एक अन्य उपाय है मोनोरल, जो शिम्बाशी से चलती है। इसके अतिरिक्त हिनोक पीयर से असाकुसा के बीच क्रूज से यात्रा करके इसकी सुन्दरता को निहारा जा सकता है।
विज्ञान के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉनिकी वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार के माध्यमों ( निर्वात, गैस, धातु, अर्धचालक, नैनो-संरचना आदि) से होकर आवेश ( मुख्यतः इलेक्ट्रॉन) के प्रवाह एवं उसके प्रभाव का अध्ययन करता है।
संसदीय शासन का अर्थ होना चाहिए संसद द्वारा शासन। किंतु संसद स्‍वयं शासन नहीं करती और न ही कर सकती है। मंत्रिपरिषद के बारे में एक तरह से कहा जा सकता है कि यह संसद की महान कार्यपालिका समिति होती है। जिसे मूल निकाय की ओर से शासन करने का उत्तरदायित्‍व सौंपा जाता है। संसद का कार्य विधान बनाना, मंत्रणा देना, आलोचना करना और लोगों की शिकायतों को व्‍यक्‍त करना है। कार्यपालिका का कार्य शासन करना है, यद्यपि वह संसद की ओर से ही शासन करती है।
देवताओं का वर्गीकरण कई प्रकार से हुआ है,इनमे चार प्रकार मुख्य है:-
अन्य आधिकारिक जालस्थल
आज़ादी के समय कश्मीर में पाकिस्तान ने घुसपैठ करके कश्मीर के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया । बचा हिस्सा भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर का अंग बना । हिन्दू और मुस्लिम संगठनों ने साम्पदायिक गठबंधन बनाने शुरु किये । साम्प्रदायिक दंगे 1931 (और उससे पहले से) से होते आ रहे थे । नेशनल कांफ़्रेस जैसी पार्टियों ने राज्य में मुस्लिम प्रतिनिधित्व पर ज़ोर दिया और उन्होंने जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों की अनदेखी की । स्वतंत्रता के पाँच साल बाद जनसंघ से जुड़े संगठन प्रजा परिषद ने उस समय के नेता शेख अब्दुल्ला की आलोचना की । शेख अब्दुल्ला ने अपने एक भाषण में कहा कि "प्रजा परिषद भारत में एक धार्मिक शासन लाना चाहता है जहाँ मुस्लमानों के धार्मिक हित कुचल दिये जाएंगे ।" उन्होने अपने भाषण में यह भी कहा कि यदि जम्मू के लोग एक अलग डोगरा राज्य चाहते हैं तो वे कश्मीरियों की तरफ़ से यह कह सकते हैं कि उन्हें इसपर कोई ऐतराज नहीं ।
संवैधानिक प्रावधान स्वतः जम्मू तथा कश्मीर पे लागू नहीं होते केवल वहीं प्रावधान जिनमे स्पष्ट रूप से कहा जाए कि वे जम्मू कश्मीर पे लागू होते है उस पर लागू होते है
कहानियाँ
गृहस्याथर्व्यवस्थायां, मन्त्रयित्वा त्वया सह । संचालनं करिष्यामि, गृहस्थोचित-जीवनम्॥६॥ गृह व्यवस्था में धर्म-पत्नी को प्रधानता दूँगा । आमदनी और खर्च का क्रम उसकी सहमति से करने की गृहस्थोचित जीवनचयार् अपनाऊँग ।
प्रेमचन्द की रचना-दृष्टि, विभिन्न साहित्य रूपों में, अभिव्यक्त हुई। वह बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की किन्तु प्रमुख रूप से वह कथाकार हैं। उन्हें अपने जीवन काल में ही ‘उपन्यास सम्राट’ की पदवी मिल गयी थी। उन्होंने कुल १५ उपन्यास, ३०० से कुछ अधिक कहानियाँ, ३ नाटक, १० अनुवाद, ७ बाल-पुस्तकें तथा हजारों पृष्ठों के लेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की लेकिन जो यश और प्रतिष्ठा उन्हें उपन्यास और कहानियों से प्राप्त हुई, वह अन्य विधाओं से प्राप्त न हो सकी। यह स्थिति हिन्दी और उर्दू भाषा दोनों में समान रूप से दिखायी देती है। उन्होंने ‘रंगभूमि’ तक के सभी उपन्यास पहले उर्दू भाषा में लिखे थे और कायाकल्प से लेकर अपूर्ण उपन्यास ‘मंगलसूत्र’ तक सभी उपन्यास मूलतः हिन्दी में लिखे। प्रेमचन्द कथा-साहित्य में उनके उपन्याकार का आरम्भ पहले होता है। उनका पहला उर्दू उपन्यास (अपूर्ण) ‘असरारे मआबिद उर्फ़ देवस्थान रहस्य’ उर्दू साप्ताहिक ‘'आवाज-ए-खल्क़'’ में ८ अक्तूबर, १९०३ से १ फरवरी, १९०५ तक धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ। उनकी पहली उर्दू कहानी दुनिया का सबसे अनमोल रतन कानपुर से प्रकाशित होने वाली ज़माना नामक पत्रिका में १९०८ में छपी। उनके कुल १५ उपन्यास है, जिनमें २ अपूर्ण है। बाद में इन्हें अनूदित या रूपान्तरित किया गया। प्रेमचन्द की मृत्यु के बाद भी उनकी कहानियों के कई सम्पादित संस्करण निकले जिनमें कफन और शेष रचनाएँ १९३७ में तथा नारी जीवन की कहानियाँ १९३८ में बनारस से प्रकाशित हुए। इसके बाद प्रेमचंद की ऐतिहासिक कहानियाँ तथा प्रेमचंद की प्रेम संबंधी कहानियाँ भी काफी लोकप्रिय साबित हुईं। नीचे उनकी कृतियों की विस्तृत सूची है।
जगतसिंहपुर भारतीय राज्य उड़ीसा का एक जिला है ।
भारतीय चुनाव आयोग एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विभिन्न से भारत के प्रातिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए गया था। भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गयी थी।
हिंदू धर्म के पवित्र ग्रन्थों को दो भागों में बाँटा गया है- श्रुति और स्मृति। श्रुति हिन्दू धर्म के सर्वोच्च ग्रन्थ हैं, जो पूर्णत: अपरिवर्तनीय हैं, अर्थात् किसी भी युग में इनमे कोई बदलाव नही किया जा सकता। स्मृति ग्रन्थों मे देश-कालानुसार बदलाव हो सकता है। श्रुति के अन्तर्गत वेद : ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद ब्रह्म सूत्र व उपनिषद् आते हैं। वेद श्रुति इसलिये कहे जाते हैं क्योंकि हिन्दुओं का मानना है कि इन वेदों को परमात्मा ने ऋषियों को सुनाया था, जब वे गहरे ध्यान में थे। वेदों को श्रवण परम्परा के अनुसार गुरू द्वारा शिष्यों को दिया जाता था। हर वेद में चार भाग हैं- संहिता -- मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ -- गद्य भाग, जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक -- इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद् -- इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है। अगर श्रुति और स्मृति में कोई विवाद होता है तो श्रुति ही मान्य होगी। श्रुति को छोड़कर अन्य सभी हिन्दू धर्मग्रन्थ स्मृति कहे जाते हैं, क्योंकि इनमें वो कहानियाँ हैं जिनको लोगों ने पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया और बाद में लिखा। सभी स्मृति ग्रन्थ वेदों की प्रशंसा करते हैं। इनको वेदों से निचला स्तर प्राप्त है, पर ये ज़्यादा आसान हैं और अधिकांश हिन्दुओं द्वारा पढ़े जाते हैं (बहुत ही कम हिन्दू वेद पढ़े होते हैं)। प्रमुख स्मृतिग्रन्थ हैं:- इतिहास--रामायण और महाभारत, भगवद गीता, पुराण--(18), मनुस्मृति, धर्मशास्त्र और धर्मसूत्र, आगम शास्त्र। भारतीय दर्शन के ६ प्रमुख अंग हैं- साँख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त।
१८. इण्डिया ऐण्ड ए एम्पायर - १९१४
अफसढ़ लेख के अनुसार मगध उसका मूल स्थान था, जबकि विद्वानों ने उनका मूल स्थान मालवा कहा गया है । उसका उत्तराधिकारी हर्षगुप्त हुआ है । उत्तर गुप्त वंश के तीन शासकों ने शासन किया । तीनों शासकों ने मौखरि वंश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध कायम रह ।
जम्मू एक प्रमुख नगर और जिला है। यह एक प्रान्त भी था। जम्मू राज्य की नींव राय जम्बुलोचन ने डाली।
हरिषेण समुद्रगुप्त का मन्त्री एवं दरबारी कवि था । हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति से समुद्रगुप्त के राज्यारोहण, विजय, साम्राज्य विस्तार के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है ।
एक सनातन मित्र के समान,
14. कोस्त्रोमा
अंटार्कटिका पृथ्वी का दक्षिणतम महाद्वीप है, जिसमें दक्षिणी ध्रुव अंतर्निहित है। यह दक्षिणी गोलार्द्ध के अंटार्कटिक क्षेत्र और लगभग पूरी तरह से अंटार्कटिक वृत के दक्षिण में स्थित है। यह चारों ओर से दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है। अपने 140 लाख वर्ग किलोमीटर (54 लाख वर्ग मील) क्षेत्रफल के साथ यह, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के बाद, पृथ्वी का पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है, अंटार्कटिका का 98% भाग औसतन 1.6 किलोमीटर मोटी बर्फ से आच्छादित है।
प्राचीन हिंदू व्यवस्था में वर्ण व्यवस्था और जाति का विशेष महत्व था। चार प्रमुख वर्ण थे - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। पहले यह व्यवस्था कर्म प्रधान थी। अगर कोइ सेना में काम करता था तो वह क्षत्रिय हो जाता था चाहे उसका जन्म किसी भी जाति में हुआ हो।
यह मूर्ति 65 फीटर ऊंची है। इस मूर्ति में भगवान शिव पदमासन की अवस्था में विराजमान है। इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में कैलाश पर्वत, भगवान शिव का निवास स्थल तथा प्रवाहित हो रही गंगा नदी है।
सन १५०९ में जब ये अपने पिता का श्राद्ध करने गया गए, तब वहां इनकी भेंट ईश्वरपुरी नामक संत से हुई। उन्होंने निमाई से कृष्ण-कृष्ण रटने को कहा। तभी से इनका सारा जीवन बदल गया और ये हर समय भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहने लगे। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति इनकी अनन्य निष्ठा व विश्वास के कारण इनके असंख्य अनुयायी हो गए। सर्वप्रथम नित्यानंद प्रभु व अद्वैताचार्य महाराज इनके शिष्य बने। इन दोनों ने निमाई के भक्ति आंदोलन को तीव्र गति प्रदान की। इन्होंने अपने इन दोनों शिष्यों के सहयोग से ढोलक, मृदंग, झाँझ, मंजीरे आदि वाद्य यंत्र बजाकर व उच्च स्वर में नाच-गाकर हरि नाम संकीर्तन करना प्रारंभ किया।
• माया तिवारा लिखती हैं कि आयुर्वेद कुछ लोगों की माँस की छोटी मात्रा की अनुशंसा करता है, हालांकि, “स्थानीय लोगों में प्रचलित पशुओं के शिकार और हत्या के नियम बहुत विशिष्ट एवं विस्तृत थे. अब जबकि शिकार व हत्या के ऐसे नियमों का पालन नहीं किया जाता, वे “किसी भी प्रकार के जानवर, यहाँ तक कि वात प्रकार के भी, के माँस की भोजन के रूप में” अनुशंसा नहीं करतीं.
यह मंदिर हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। हिन्दू मान्यतानुसार एक हिंदू के लिए मुक्ति प्राप्ति की यात्रा बनारस में शुरु होती है और रामेश्‍वरम में खत्म होती है। हिंदू महाकाव्यों के अनुसार यहीं पर भगवान राम ने शिव की उपासना की थी। इसलिए वैष्णव और शैव दोनों के लिए यह स्थान महत्व रखता है। समुद्र के पूर्वी किनारे पर स्थित रामनाथस्वामी मंदिर अपने अद्भुत आकार और खूबसूरती से तराशे गए स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का गलियारा एशिया का सबसे बड़ा गलियारा है। इस मंदिर का निर्माण १२वीं शताब्दी के बाद के विभिन्न वंशों ने विभिन्न समय अवधियों के दौरान किया था।
जिस प्रकार भारतीय अंकों को उनकी वैज्ञानिकता के कारण विश्व ने सहर्ष स्वीकार कर लिया वैसे ही देवनागरी भी अपनी वैज्ञानिकता के कारण ही एक दिन विश्वनागरी बनेगी।
यह पाषाण-शिल्पित मंदिर समूह लगभग ६,००० वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला है, जिसमें मुख्य कक्ष, दो पार्श्व कक्ष, प्रांगण व दो गौण मंदिर हैं। इन भव्य गुफाओं में सुंदर उभाराकृतियां, शिल्पाकृतियां हैं व साथ ही हिन्दू भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर भी है। ये गुफाएँ ठोस पाषाण से काट कर बनायी गई हैं। [४]यह गुफाएं नौंवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक के सिल्हारा वंश (८१००–१२६०) के राजाओं द्वारा निर्मित बतायीं जातीं हैं। कई शिल्पाकृतियां मान्यखेत के राष्ट्रकूट वंश द्वारा बनवायीं हुई हैं। (वर्तमान कर्नाटक में)।
(लैक्टो) शाकाहार के प्रारंभिक रिकॉर्ड ईसा पूर्व 6ठी शताब्दी में प्राचीन भारत और प्राचीन ग्रीस में पाए जाते हैं.[१२] दोनों ही उदाहरणों में आहार घनिष्ठ रूप से प्राणियों के प्रति नान-वायलेंस के विचार (भारत में अहिंसा कहा जाता है) से जुड़ा हुआ है, और धार्मिक समूह तथा दार्शनिक इसे बढ़ावा देते हैं.[nb १] प्राचीनकाल में रोमन साम्राज्य के ईसाईकरण के बाद शाकाहार व्यावहारिक रूप से यूरोप से गायब हो गया.[१४] मध्यकालीन यूरोप में भिक्षुओं के कई नियमों के जरिये संन्यास के कारणों से मांस का उपभोग प्रतिबंधित या वर्जित था, लेकिन उनमें से किसीने भी मछली को नहीं त्यागा.[१५]पुनर्जागरण काल के दौरान यह फिर से उभरा,[१६] 19वीं और 20वीं शताब्दी में यह और अधिक व्यापक बन गया. 1847 में, इंग्लैंड में पहली शाकाहारी सोसायटी स्थापित की गयी,[१७] जर्मनी, नीदरलैंड, और अन्य देशों ने इसका अनुसरण किया. राष्ट्रीय सोसाइटियों का एक संघ, अंतर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ, 1908 में स्थापित किया गया. पश्चिमी दुनिया में, 20वीं सदी के दौरान पोषण, नैतिक, और अभी हाल ही में, पर्यावरण और आर्थिक चिंताओं के परिणामस्वरुप शाकाहार की लोकप्रियता बढ़ी.
अशोक (२७३ ई. पू. से २३६ ई. पू.)- राजगद्दी प्राप्त होने के बाद अशोक को अपनी आन्तरिक स्थिति सुदृढ़ करने में चार वर्ष लगे । इस कारण राज्यारोहण चार साल बाद २६९ ई. पू. में हुआ था ।
वेद की संहिताओं में मंत्राक्षरॊं में खड़ी तथा आड़ी रेखायें लगाकर उनके उच्च, मध्यम, या मन्द संगीतमय स्वर उच्चारण करने के संकेत किये गये हैं। इनको उदात्त, अनुदात्त ऒर स्वारित के नाम से अभिगित किया गया हैं। ये स्वर बहुत प्राचीन समय से प्रचलित हैं और महामुनि पतंजलि ने अपने महाभाष्य में इनके मुख्य मुख्य नियमों का समावेश किया है ।
साँचा:जनवरी कैलंडर२०११ 25 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 25वॉ दिन है। साल मे अभी और 340 दिन बाकी है (लीप वर्ष मे 341)।
९) बुद्ध अवतार: इसमें विष्णु जी बुद्ध के रूप में असुरों को वेद की शिक्षा के लिये तैयार करने के लिये प्रकट हुए।
कौषीतकि ऋषि ने अपने अनुभव से सूर्योपासना तीन बार-प्रात:काल, मध्याह्नकाल और सांयकाल- करने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि प्रात:काल यज्ञोपवीत को सव्य भाव से बाएं कन्धे पर रखकर आचमन करें। फिर जलपात्र को तीन बार शुद्ध जल से भरकर, उदय होते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें—'ॐ वर्गोऽसि पाप्मानं मे वृडधि।'[१] इस प्रकार मध्याह्नकाल में, भगवान भास्कर को स्मरण करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें-'ॐ उद्वर्गोऽसि पाप्मानं में संवृडधि।'[२] इसी प्रकार सांयकाल में, अस्त होते हुए सूर्य की उपासना करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें-
17 वीं सदी के दौरान, अनेक संदर्भ इंग्लैंड के पूर्व दक्षिण में क्रिकेट के विकास का संकेत देते हैं.इस सदी के अंत तक, यह उच्च दांव के लिए खेली जाने वाली एक संगठित गतिविधि बन गया था, और ऐसा माना जाता है कि 1660 में पुनर्संस्थापन (Restoration) के बाद पहले पेशेवर प्रकट हुए. 1697 में ससेक्स में ऊँचे दांव पर यह खेल खेला गया जो एक "बड़ा क्रिकेट मैच" था जिसमें एक पक्ष में ११ खिलाड़ी थे, इसकी रिपोर्ट एक अखबार में छापी गई, इतने महत्वपूर्ण रूप में यह क्रिकेट का पहला ज्ञात सन्दर्भ है.
धूप और कुहरे में तुलना
कोहिमा भारतीय राज्य नागालैंड का एक जिला है ।
मनोविज्ञान की मूलभूत एवं अनुप्रयुक्त - दोनों प्रकार की शाखाएं हैं। इसकी महत्वपूर्ण शाखाएं सामाजिक एवं पर्यावरण मनोविज्ञान, संगठनात्मक व्यवहार/मनोविज्ञान, क्लीनिकल (निदानात्मक) मनोविज्ञान, मार्गदर्शन एवं परामर्श, औद्योगिक मनोविज्ञान, विकासात्मक, आपराधिक, प्रायोगिक परामर्श, पशु मनोविज्ञान आदि है। अलग-अलग होने के बावजूद ये शाखाएं परस्पर संबद्ध हैं।
कोलकाता, चेन्नई और विशाखापट्टनम से जलयान पोर्ट ब्लेयर जाते हैं। जाने में दो-तीन दिन का समय लगता है। पोर्ट ब्लेयर से जहाज छूटने का कोई निश्चित समय नहीं है।
यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं ।
मौर्य साम्राज्य का पतन
हर प्रमुख शहरों से कोलकाता जाया जा सकता है। स्थानीय साधन लकाता में मीटर से टैक्सी चलती है। बस, मेट्रो रेल, साइकल रिक्शा तथा ऑटो रिक्शा चलते हैं।
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, हिन्दी भवन
21.
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सुप्रिय नामक एक बड़ा धर्मात्मा और सदाचारी वैश्य था। वह भगवान्‌ शिव का अनन्य भक्त था। वह निरंतर उनकी आराधना, पूजन और ध्यान में तल्लीन रहता था। अपने सारे कार्य वह भगवान्‌ शिव को अर्पित करके करता था। मन, वचन, कर्म से वह पूर्णतः शिवार्चन में ही तल्लीन रहता था। उसकी इस शिव भक्ति से दारुक नामक एक राक्षस बहुत क्रुद्व रहता था। भगवान्‌ शिव का यह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रांत में द्वारकापुरी से लगभग 17 मील की दूरी पर स्थित है। इस पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन की शास्त्रों में बड़ी महिमा बताई गई है। कहा गया है कि जो श्रद्धापूर्वक इसकी उत्पत्ति और माहात्म्य की कथा सुनेगा।
१३. अहरौरा- यह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित है ।
1974 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
इन दैवी बाणों के अतिरिक्त ब्रह्मशिरा और एकाग्नि आदि बाण है। आज यह सब बाण-विद्या इस देश के लिये अतीत की घटना बन गयीं महाराज पृथ्वीराज के बाद बाण-विद्या का सर्वथा लोप हो गया।
आर्किमिडीज़ के उपस्थित कार्य में से, टी. एल. हेथ निम्न सुझाव देते हैं, जिन्हें इस क्रम में लिखा गया है: ऑन द एक्व्लिब्रियम ऑफ़ प्लेन्स I , द क्वड्राचर ऑफ़ द पेराबोला , ऑन द एक्व्लिब्रियम ऑफ़ प्लेन्स II , ऑन द स्फीयर एंड सिलिंडर I , ऑन स्पाईरल्स , ऑन कोनोइड्स एंड स्फीरोइड , ऑन फ्लोटिंग बोडीज़ I, II , ऑन द मेजरमेंट ऑफ़ अ सर्कल , द सेंड रिकोनर .
खुद्दक निकाय में विषय तथा रचना की दृष्टि से प्राय: सर्वथा स्वतंत्र 15 रचनाओं का समावेश है, जिनके नाम हैं – (1) खुद्दक पाठ (2) धम्मपद (3) उदान (4) इतिवुत्तक (5) सुत्तनिपात (6) विमानवत्थु (7) पेतवत्थु (8) थेरगाथा (9) थेरीगाथा (10) जातक (11) निद्देस (12) पटिसंभिदामग्ग (13) अपादान (14) बुद्धवंस और (15) चरियापिटक। अभिधम्मपिटक पालि त्रिपिटक के तीसरे भाग अभिधम्मपिटक में भगवान् बुद्ध के दर्शनात्मक विचारों का विश्लेषण और वर्गीकरण किया गया है तथा तात्विक दृष्टि से उनकी सूचियाँ और परिभाषाएँ उपस्थित की गई हैं। इस पिटक में निम्न सात ग्रंथों का समावेश है- (1) धम्म्संगणि (2) विभंग (3) कथावत्थु (4) पुग्गलपञ्ञत्ति (5) धातुकथा (6) यमक और (7) पठ्ठान।
पूरु कुल के राजा।
श्री जमुना जल नित प्रति न्हाऊं, मन वच कर्म कृष्ण रस गुन गाऊं ॥२॥
पान की दुकान
जनसंख्या - 24,19,234 (2001 जनगणना)
नृत्य खेल या प्रतिस्पर्धी बालरूम नृत्य UK में तब उत्पन्न हुआ जब उस समय के लोकप्रिय नृत्य 1920 के दशक के बाद से ब्रिटिश नृत्य स्कूलों द्वारा संहिताबद्ध होते थे.UK खेल और बालरूम नृत्य के मामले में एक मुख्य केंद्र रहा है, ब्लैकपूल में विंटर गार्डन के एम्परेस बालरूम के साथ जो बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए एक लोकप्रिय स्थान है.
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द्वितीय विश्व युद्घ की रचना होने तक फ्लोरिडा की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ठीक नहीं थी, एयर कंडीशनिंग की बढ़ती उपलब्धता से गर्म जलवायु भी ठंडा रहता था और जीने की कम लागत ने राज्य का स्वर्ग बना दिया था.युद्ध के बाद रस्ट बेल्ट और पूर्वोत्तर से पलायन की वजह से आबादी में तेजी से वृद्धि हुई.हाल के दशकों में, अधिकतर प्रवासी एक विकासशील अर्थव्यवस्था में अच्छे रोजगार पाने की उम्मीद में आए थे.आज, 18 मिलियन से अधिक की अनुमानित जनसंख्या के साथ, फ्लोरिडा दक्षिण-पूर्व संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, दक्षिण में टेक्सास के बाद दूसरा और संयुक्त राज्य अमेरिका में चौथा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है.जनगणना ब्यूरो का अनुमान है कि "फ्लोरिडा, चौथा सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य जिसकी कुल जनसंख्या 2011 में न्यूयॉर्क से ज्यादा होगी जो अभी तीसरे स्थान पर है.[१२]
मणिपुर- 795001
मनाली से 3 किमी. दूर वशिष्ठ स्थित है। प्राचीन पत्थरों से बने मंदिरों का यह जोड़ा एक दूसरे के विपरीत दिशा में है। एक मंदिर भगवान राम को और दूसरा संत वशिष्ठ को समर्पित है।
अद्दूपुर फ़र्रूख़ाबाद जिले के अन्तर्गत कायमगंज से फ़र्रूख़ाबाद मार्ग पर है।
उन्हें क्षमा प्रदान करने का अधिकार है.वह किसी भी व्यक्ति की मौत की सज़ा को शिथिल, निलंबित या बदल सकते हैं.
पूर्व मेदिनीपुर भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है ।
यह भाषा अंगोला में बोली जाती हैं
राष्ट्रीय संघ अलग अलग देशों के भीतर फुटबॉल का निरीक्षण करती है.ये फीफा और उनके महाद्वीपीय संघों के साथ संबद्ध रहे हैं.
हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा २५ जनवरी, १९७१ को मिला। अप्रैल 1948 में इस क्षेत्र की 27,000 वर्ग कि.मी. में फैली लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इस राज्‍य को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। 1954 में जब ‘ग’ श्रेणी की रियासत बिलासपुर को इसमें मिलाया गया, तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 28,241 वर्ग कि.मी.हो गया। सन 1966 में इसमें पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को मिलाकर इसका पुनर्गठन किया गया तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 55,673 वर्ग कि.मी. हो गया।
इस कारण हमें किसी वस्तु पर 'एकांत' दृष्टि से नहीं अपितु अनेकांत दृष्टि से विचार करना चाहिए। अनेकांत एकांगी एवं आग्रह के विपरीत समग्रबोध एवं अनाग्रह का द्योतक है। इसी प्रकार 'स्याद्वाद' के 'स्यात्‌' निपात का अर्थ है- अपेक्षा से। स्याद्वाद का अर्थ है- अपेक्षा से कथन करने की विधि या पद्धति। अनेक गुण-धर्म वाली वस्तु के प्रत्येक गुण-धर्म को अपेक्षा से कथन करने की पद्धति। प्रतीयमान विरोधी दर्शनों में अनेकांत दृष्टि से समन्वय स्थापित कर सर्वधर्म समभाव की आधारशिला रखी जा सकती है।
इस विभाग के ग्रन्थों की संख्या 123 से लेकर 1194 तक मानी गई है, किन्तु उनमें 10 ही मुख्य माने गये हैं। ईष, केन, कठ, प्रश्, मुण्डक, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य और बृहदारण्यक के अतिरिक्त श्वेताश्वतर और कौशीतकि को भी महत्त्व दिया गया हैं।
यदि किसा एक ही वस्तु का तापमान, फॉरेन्हाइट पैमाने पर F हो, सेल्सियस पैमाने पर C, केल्विन पैमाने पर K, और रोमर पैमाने पर R हो, तो इन पैमानों में इस तरह का संबंध होता है -
इसी प्रकार मुहम्मद अब्दुल लतीफ भी लिखता है कि जब मैं गुरु गोविंदसिंहजी के व्यक्तित्व के बारे में सोचता हूँ तो मुझे समझ में नहीं आता कि उनके किस पहलू का वर्णन करूँ। वे कभी मुझे महाधिराज नजर आते हैं, कभी महादानी, कभी फकीर नजर आते हैं, कभी वे गुरु नजर आते हैं। सिखों के दस गुरू हैं ।
रे रोक युधिष्ठर को न यहां, जाने दे उनको स्वर्ग धीर पर फिरा हमें गांडीव गदा, लौटा दे अर्जुन भीम वीर (हिमालय से)
भारत के पांचवें राष्ट्रपति श्री फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रशंसा के चिह्न के रूप में इंडियन मिलिटरी ऐकडमी को नया ध्वज प्रदान किया. उन्होंने जेंटलमैन कैडेट सीनियर अंडर ऑफिसर डी. एस. हूडा के कमरबंद में ध्वज लगाया. जी.सी. रुमेल दहिया को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर और गोल्ड मेडल दोनों से सम्मानित किया गया.
दमयन्ती विदर्भ नरेश भीम की पुत्री थ जो हंस द्वारा गुण श्रवण करके नॅषधराज नल पर अनुरक्त हो गई थी। उसने स्वयम्बर में देवताओं तथा अन्य राजाओं को छोडकर नल को ही वरमाला पहनाई। परिणाम स्वरूप कुपित होकर कलि ने उन्हें अनेक कष्ट दिए।uy netyh7uur78i8ji87tyht6uhr78ytyhtujnhyhyu7j
इनमें से प्रत्येक पिटक के भीतर अपने अपने विषय से संबंध रखनेवाली अनेक छोटी बड़ी रचनाओं का समावेश है।
1890 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
कर्नल हर्कोर्ट के अधीन, ब्रिटिश सेना ने दक्षिण में गंजाम से कूच आरम्भ किया, और मुगलबन्दी जिले कटक, पुरी, बालेश्वर और अन्ततः सम्पूर्ण ओडिशा पर अधिकार किया। ओडिआ में छपी प्रथम पुस्तक “न्यू टेस्टामेण्ट” सीरमपोर बाप्टिस्ट मुद्रणालय से प्रकाशित हुई।
चन्द्रशेखर संग्रहालय मल्टी-परपस म्यूजियम है। इसकी स्थापना 1985 ई. में हुई थी। जमुई स्थित चन्द्रशेखर संग्रहालय की स्थापना प्रोफेसर डां. श्यामनंदन प्रसाद ने की थी। पुरातात्विक वस्तुएं, टेरीकोटा सील और प्राचीन चट्टान आदि इस संग्रहालय में देखी जा सकती है। इसके अतिरिक्त, संग्रहालय में भगवान विष्णु, भगवान सूर्या, देवी उमा और दुर्गा की अनेक प्रतिमाएं देखी जा सकती है। यह संग्रहालय चन्द्रशेखर सिंह संग्रहालय के नाम से प्रसिद्ध है। यह संग्रहालय प्रत्येक दिन खुला रहता है। केवल सोमवार को अवकाश रहता है। खुलने का समय: सुबह 10 बजे से शाम 4.30 बजे तक
कुमाराभाष्य की सहायता के लिए प्रत्येक प्रान्त में महापात्र नामक अधिकारी होते थे । शीर्ष पर साम्राज्य का केन्द्रीय प्रभाग तत्पश्‍चात्‌ प्रान्त आहार (विषय) में विभक्‍त था । ग्राम प्रशासन की निम्न इकाई था, १०० ग्राम के समूह को संग्रहण कहा जाता था ।
12वीं शती में गालीशियन-पुर्तगाली भाषा का पहला लेख मिलता है जो आइबेरिया प्रायद्वीप में बोली जानेवाली बोलियों से भिन्न है।
क/ख - क बटा ख
कानूनी पहलुओं की मौत देशों के हैं कई के भी हिस्सा संस्कृतियों, मृतक की विशेष रूप से संपत्ति के निपटान के मुद्दों की और कुछ और विरासत में पाया हुआ धन जैसे कारणों से मौत पाया जाता है
सामान्यतया इस गिनती में हैदराबादी खाना नहीं गिना जाता है। उसकी अपनी अलग गिनती है। इडली, दोसा, सांबर, रसम, उत्तपम, अवियल, वत्ताकुरम
हिन्दी और उर्दू दोनों को मिलाकर हिन्दुस्तानी भाषा कहा जाता है । हिन्दुस्तानी मानकीकृत हिन्दी और मानकीकृत उर्दू के बोलचाल की भाषा है । इसमें शुद्ध संस्कृत और शुद्ध फ़ारसी-अरबी दोनों के शब्द कम होते हैं और तद्भव शब्द अधिक । उच्च हिन्दी भारतीय संघ की राजभाषा है (अनुच्छेद ३४३, भारतीय संविधान) । यह इन भारयीय राज्यों की भी राजभाषा है : उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली। इन राज्यों के अतिरिक्त महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब, और हिन्दी भाषी राज्यों से लगते अन्य राज्यों में भी हिन्दी बोलने वालों की अच्छी संख्या है। उर्दू पाकिस्तान की और भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर की राजभाषा है । यह लगभग सभी ऐसे राज्यों की सह-राजभाषा है; जिनकी मुख्य राजभाषा हिन्दी है । दुर्भाग्यवश हिन्दुस्तानी को कहीं भी संवैधानिक दर्जा नहीं मिला हुआ है ।
उमर खय्याम ( 1048,-1131) फ़ारसी साहित्यकार, गणितज्ञ एवं ज्योतिर्विद थे। इनका जन्म उत्तर-पूर्वी फ़ारस के निशाबुर (निशापुर) में ग्यागरहीं सदी में एक ख़ेमा बनाने वाले परिवार[१] में हुआ था । इन्होंने इस्लामी ज्योतिष को एक नई पहचान दी और इसके सुधारों के कारण सुल्तान मलिकशाह का पत्रा (तारीख़-ए-मलिकशाही), जलाली संवत या सेल्जुक संवत का आरंभ हुआ । इनकी रुबाईयों (चार पंक्तियों में लिखी एक प्रकार की कविता) को विश्व स्तरीय करने में अंग्रेज़ी कवि एडवर्ड फ़िज़्ज़ेराल्ड का बहुत योगदान रहा है ।
कुरान · सुन्नाह · हदीसफिकह · शरियाकलाम · तसव्वुफ़ (सूफीवाद)
भारत में अंतरजाल 80 के दशक मे आया,जब एर्नेट(educational & research network) को सरकार ,इलेक्ट्रानिक्स विभाग और संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम(UNDP)की ओर से प्रोत्साहन मिला|सामान्य उपयोग के लिये जाल 15 अगस्त1995 से उपलब्ध हुआ, जब विदेश सचांर निगम सीमित (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की।
यहाँ इस्लाम के प्रवर्तक मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था और यहाँ इस्लाम के दो सबसे पवित्र स्थल मक्का और मदीना अवस्थित हैं । इस्लाम में हज का स्थान मक्का बताया गया है और दुनिया के सारे मुसलमान मक्का की ओर ही नमाज अदा करते हैं । यहाँ के मुसलमान मुख्यतः सुन्नी हैं और इस्लाम की राजनैतिक राजधानी के इस देश से बाहर रहने के बावजूद इस देश के लोगों ने इस्लाम धर्म पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है ।
राय की कृतियों को मानवता और समष्टि से ओत-प्रोत कहा गया है। इनमें बाहरी सरलता के पीछे अक्सर गहरी जटिलता छिपी होती है।[४२][४३] इनकी कृतियों को अन्यान्य शब्दों में सराहा गया है। अकिरा कुरोसावा ने कहा, “राय का सिनेमा न देखना इस जगत में सूर्य या चन्द्रमा को देखे बिना रहने के समान है।” आलोचकों ने इनकी कृतियों को अन्य कई कलाकारों से तुलना की है — आंतोन चेखव, ज़ाँ रन्वार, वित्तोरियो दे सिका, हावर्ड हॉक्स, मोत्सार्ट, यहाँ तक कि शेक्सपियर के समतुल्य पाया गया है।[४४][४५]नाइपॉल ने शतरंज के खिलाड़ी के एक दृश्य की तुलना शेक्सपियर के नाटकों से की है – “केवल तीन सौ शब्द बोले गए, लेकिन इतने में ही अद्भुत घटनाएँ हो गईं!”[४६] जिन आलोचकों को राय की फ़िल्में सुरुचिपूर्ण नहीं लगतीं, वे भी मानते हैं कि राय एक सम्पूर्ण संस्कृति की छवि फ़िल्म पर उतारने में अद्वितीय थे।[४७]
अण्डमान शब्द मलय भाषा के शब्द हांदुमन से आया है जो हिन्दु देवता [हनुमान]] के नाम का परिवर्तित रुप है। निकोबार शब्द भी इसी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है नग्न लोगों की भूमि। हिन्द महासागर में बसा निर्मल और शांत अण्डमान पर्यटकों के मन को असीम आनंद की अनुभूति कराता भारत का एक लोकप्रिय द्वीप समूह है। अण्डमान अपने आंचल में मूंगा भित्ति, साफ-स्वच्छ सागर तट, पुरानी स्मृतियों से जुड़े खण्डहर और अनेक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियां संजोए है। सुन्दरता में एक से बढ़कर एक यहां कुल ५७२ द्वीप हैं। अण्डमान का लगभग ८६ प्रतिशत क्षेत्रफल जंगलों से ढका हुआ है। समुद्री जीवन, इतिहास और जलक्रीड़ाओं में रूचि रखने वाले पर्यटकों को यह द्वीप बहुत रास आता है।
कर्नाटक राज्य में ३० जिले हैं —बागलकोट, बंगलुरु ग्रामीण, बंगलुरु शहरी, बेलगाम, बेल्लारी, बीदर, बीजापुर, चामराजनगर, चिकबल्लपुर,[३९]चिकमंगलूर, चित्रदुर्ग, दक्षिण कन्नड़, दावणगिरि, धारवाड़, गडग, गुलबर्गा, हसन, हवेरी, कोडगु, कोलार, कोप्पल, मांड्या, मैसूर, रायचूर, रामनगर,[३९]शिमोगा, तुमकुर, उडुपी, उत्तर कन्नड़ एवं यादगीर। प्रत्येक जिले का प्रशासन एक जिलाधीश या जिलायुक्त के अधीन होता है। ये जिले फिर उप-क्षेत्रों में बंटे हैं, जिनका प्रशासन उपजिलाधीश के अधीन है। उप-जिले ब्लॉक और पंचायतों तथा नगरपालिकाओं द्वारा देखे जाते हैं।
वीओसी पार्क कोयंबटूर का मुख्य आकर्षण है। इस उद्यान का नाम मशहूर स्वतंत्रता सैनानी वी.ओ. चिदंबरम के नाम पर पड़ा। यूं तो यह पार्क सभी आयु वर्ग के लोगों को पसंद आता है लेकिन बच्चों को यह उद्यान खास तौर से लुभाता है। यहां पर एक एक्वेरियम भी है जहां विभिन्न प्रजातियों की मछलियों को देखा जा सकता हैं। इसके अलावा यहां एक छोटा चिड़ियाघर और टॉय ट्रेन भी है जिनका आनंद उठाया जा सकता है।
राम के विवाह के कुछ समय पश्चात् राजा दशरथ ने राम का राज्याभिषेक करना चाहा। इस पर देवता लोगों को चिन्ता हुई कि राम को राज्य मिल जाने पर रावण का वध असम्भव हो जायेगा। व्याकुल होकर उन्होंने देवी सरस्वती से किसी प्रकार के उपाय करने की प्रार्थना की। सरस्वती नें मन्थरा, जो कि कैकेयी की दासी थी, की बुद्धि को फेर दिया। मन्थरा की सलाह से कैकेयी कोपभवन में चली गई। दशरथ जब मनाने आये तो कैकेयी ने उनसे वरदान[६] मांगे कि भरत को राजा बनाया जाये और राम को चौदह वर्षों के लिये वनवास में भेज दिया जाये।
ताशी लिंग मुख्‍य शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से कंचनजंघा श्रेणी बहुत सुंदर दिखती है। यह मठ मुख्‍य रुप से एक पवित्र बर्त्तन बूमचू' के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस बर्त्तन में पवित्र जल रखा हुआ है। यह जल 300 वर्षों से इसमें रखा हुआ है और अभी तक नहीं सुखा है।
यूरोपीय संघ के २३ आधिकारिक एवं कार्यकारी भाषायें: बुल्गारियाई, चेक, डैनिश, डच, अंग्रेजी, एस्तोनियाई, फिनिश, फ्रेंच, जर्मन, यूनानी, हंगेरियाई, इतालवी, आयरिश, लातीवियाई, लिथुयानियाई, माल्टी, पोलिश, पुर्तगाली, रुमानियाई, स्लोवाक, स्लोवानियाई, स्पैनिश एवं स्वीडिश हैं।[५३]
ऋग्वेद सनातन धर्म अथवा हिन्दू धर्म का स्रोत है । इसमें १०१७ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है । इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को दुनिया के सभी इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की सबसे पहली रचना मानते हैं । ये दुनिया के सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है। ऋक् संहिता में १० मंडल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। कात्यायन प्रभति ऋषियों की अनुक्रमणी के अनुसार ऋचाओं की संख्या १०५८०, शब्दों की संख्या १५३५२६ तथा शौनक कृत अनुक्रमणी के अनुसार ४,३२,००० अक्षर हैं। ऋग्वेद की जिन २१ शाखाओं का वर्णन मिलता है, उनमें से चरणव्युह ग्रंथ के अनुसार पाँच ही प्रमुख हैं- १. शाकल, २. वाष्कल, ३. आश्वलायन, ४. शांखायन और माण्डूकायन । ऋग्वेद में ऋचाओं का बाहुल्य होने के कारण इसे ज्ञान का वेद कहा जाता है। ऋग्वेद में ही मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र या मृत्युञ्जय मन्त्र (७/५९/१२) वर्णित है, ऋग्विधान के अनुसार इस मंत्र के जप के साथ विधिवत व्रत तथा हवन करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है तथा मृत्यु दूर हो कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। विश्वविख्यात गायत्री मन्त्र (ऋ० ३/६२/१०) भी इसी में वर्णित है। ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७),श्री सूक्त या लक्ष्मी सुक्त (ऋग्वेद के परिशिष्ट सूक्त के खिलसूक्त में), तत्त्वज्ञान के नासदीय-सूक्त (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा हिरण्यगर्भ-सूक्त (ऋ०१०/१२१/१-१०) और विवाह आदि के सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है। ऋग्वेद के विषय में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित है-
उपरोक्त स्पष्टिकरण के उपरान्त ऐसे तो बहुत सारे प्रश्न एकाएक उत्पन्न हो जाते है, किन्तु इनके निचोड़ को एक प्रश्न के रूप में ऐसे व्यक्त किया जा सकता है कि - "हमारे ब्रह्माण्ड में स्थित केन्द्रीय कक्षा हो या अन्य, किसी भी गोलाकार कक्षा के निर्माण का मूल आधार क्या है अर्थात् गोलाकार कक्षा के निर्माण हेतु किन-किन दशाओं का होना अनिवार्य है?"
वाल्मीकि प्राचीन भारतीय महर्षि हैं। ये आदिकवि के रुप में प्रसिद्ध हैं। उन्होने संस्कृत मे रामायण की रचना की। उनके द्वारा रची रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाई। रामायण एक महाकाव्य है जो कि श्रीराम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य से, कर्तव्य से, परिचित करवाता है।
१९९१ के बाद भारत मे हुए आर्थिक सुधारोँ ने भारत के सर्वांगीण विकास मे बड़ी भूमिका निभाई। भारतीय अर्थव्यवस्था ने कृषि पर अपनी ऐतिहासिक निर्भरता कम की है और कृषि अब भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का केवल २५% है। दूसरे प्रमुख उद्योग हैं उत्खनन, पेट्रोलियम, बहुमूल्य रत्न, चलचित्र, वस्त्र, सूचना प्रोद्योगिकी सेवाएं, तथा सजावटी वस्तुऐं। भारत के अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र उसके प्रमुख महानगरों के आसपास स्थित हैं। हाल ही के वर्षों में $१७२० करोड़ अमरीकी डालर वार्षिक आय २००४-२००५ के साथ भारत सॉफ़्टवेयर और बीपीओ सेवाओं का सबसे बडा केन्द्र बनकर उभरा है। इसके साथ ही कई लघु स्तर के उद्योग भी हैं जोकि छोटे भारतीय गाँव और भारतीय नगरों के कई नागरिकों को जीविका प्रदान करते हैं। पिछले वषों में भारत में वित्तीय संस्थानो ने विकास में बड़ी भूमिका निभाई है।
प्रकृति की अदभुद देन यह स्थान बहुत ही सुंदर है । सलफर युक्त गर्म पानी जो कि झरने से निकलता है चरम रोंगो के लिये एक औषधि का कार्य करता है । झरने के पानी को पाईप लाईन द्वारा स्नान घर में पहुंचाया गया है जहां पर महिला व पुरूष आराम पूर्वक स्नान कर सकते हैं । स्नान करने के बाद पूरी थकान दूर हो जाती है ।
फ़िनलैंड 50.
जिनमें 108 न्याय पंचायतें हैं।
सहनशीलता और उदारता इस युग के धार्मिक जीवन की विशेषताएँ थीं। सभी धर्म और संप्रदाय समान रूप से राजाओं और सामंतों के दान के पात्र थे। ब्राह्मण धर्म में शिव और विष्णु की उपासना का अधिक प्रचलन था, इनमें भी शिव की पूजा राजवंश और देश दोनों में ही अधिक जनप्रिय थी। कलचूर्य लोगों के समय में लिंगायत संप्रदाय के महत्व में वृद्धि हुई थी। कोल्लापुर महालक्ष्मी की शाक्त विधि से पूजा का भी अत्यधिक प्रचार था। इसके बाद कार्तिकेय की पूजा का महत्व था। बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्र बेल व गावे और डंबल थे। किंतु बौद्ध धर्म की तुलना में जैन धर्म का प्रचार अधिक था।
इस प्रकार ईक्षण से लेकर परमात्मा के प्रवेशपर्यन्त जो सृष्टिक्रम बतलाया गया है, इसे ही विद्यारण्यस्वामी ने ईश्वर सृष्टि कहा है। ‘ईक्षणादिप्रवेशान्तः संसार ईशकल्पितः। इस आख्यायिकामें बहुत-सी विचित्र बातें देखी जाती हैं। यों तो माया में कोई भी बात कुतूहलजनक नहीं हुआ करती; तथापि आचार्यका तो कथन है कि यह केवल अर्थवाद है। इसका अभिप्राय आत्मबोध कराने में है। यह केवल आत्माके अद्वितीयत्वका बोध कराने के लिये ही कही गयी है; क्योकि समस्त संसार आत्माका ही संकल्प होनेके कारण आत्मस्वरूप ही है। द्वितीय अध्यात्म के आरम्भ में इसी प्रकार उपक्रम कर भगवान् भाष्याकारने आत्मतत्वका बड़ा सुन्दर और युक्तियुक्त विवेचन किया है।
पिछले वर्षों में साहित्यिक पंजाबी ने नए मोड़ लिए हैं। 20वीं सदी के पूर्वार्ध में पंजाबी ने फारसी और अँगरेजी शब्दावली और प्रयोगों का ग्रहण किया, स्वतंत्रताप्राप्ति के बाद से हिंदी के राष्ट्रभाषा हो जाने के कारण अब इसमें अधिकाधिक संस्कृत हिंदी के शब्द आ रहे हैं।
१०८ उपनिषदों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जाता है- (१) ऋग्वेदीय १० उपनिषद् (२) शुक्ल यजुर्वेदीय १९ उपनिषद् (३) कृष्ण यजुर्वेदीय ३२ उपनिषद् (४) सामवेदीय १६ उपनिषद् (५) अथर्ववेदीय ३१ उपनिषद् कुल १०८ उपनिषद्
अपने पहले उपन्यास दादा कॉमरेड की भूमिका में उन्होंने लिखा, ‘कला के प्रेमियों को एक शिकायत मेरे प्रति है कि (मैं) कला को गौण और प्रचार को प्रमुख स्थान देता हूँ। मेरे प्रति दिए गए इस फ़ैसले के विरुद्ध मुझे अपील नहीं करनी। संतोष है अपना अभिप्राय स्पष्ट कर पाता हूं...(दादा कॉमरेड, संस्करण’ 59, पृ.4) अपने लेखकीय सरोकारों पर और विस्तार से टिप्पणी करते हुए बाद में उन्होंने लिखा, ‘मनुष्य के पूर्ण विकास और मुक्ति के लिए संघर्ष करना ही लेखक की सार्थकता है। जब लेखक अपनी कला के माध्यम से मनुष्य की मुक्ति के लिए पुरानी व्यवस्था और विचारों में अंतर्विरोध दिखाता है और नए आदर्श सामने रखता है तो उस पर आदर्शहीन और भौतिकवादी होने का लांछन लगाया जाता है। आज के लेखक की जड़ें वास्तविकता में हैं, इसलिए वह भौतिकवादी तो है ही परंतु वह आदर्शहीन भी नहीं है। उसके आदर्श अधिक यथार्थ हैं। आज का लेखक जब अपनी कला द्वारा नए आदर्शों का समर्थन करता है तो उस पर प्रचारक होने का लांछन लगाया जाता है। लेखक सदा ही अपनी कला से किसी विचार या आदर्श के प्रति सहानुभूति या विरोध पैदा करता है। साहित्य विचारपूर्ण होगा।
- कालिदास
हिन्दी में इस धर्म को सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नही है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है " हिंसायाम दूयते या सा हिन्दु "[टंकणगत अशुद्धि?] अर्थात् जो अपने मन, वचन, कर्म से हिंसा से दूर रहे वह हिन्दू है और जो कर्म अपने हितों के लिए दूसरों को कष्ट दे वह हिंसा है।
इस श्रेणी में हिन्दू एवं वैदिक धर्म ग्रंथों में दिये समस्त पौराणिक पात्रों को रखा गया है कृष्ण की बहन, महाभारत की एक पात्र। सुभाद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था, आभिमन्यु इनका ही पुत्र थे,
(6) दत्तक ने वैशिक पर तथा
आश्चर्य नहीं कि तत्कालीन सभी दिग्गज साहित्यकारों से युवा नरेन्द्र कोहली को भरपूर आशीर्वाद भी मिला और बड़ाई भी. मूर्धन्य आलोचक और साहित्यकार आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, अमृतलाल नागर, यशपाल, जैनेन्द्रकुमार इत्यादि प्रायः सभी शीर्षस्थ रचनाकारों ने नरेन्द्र कोहली की खुले शब्दों में खुले दिल से भरपूर तारीफ़ करी.
इस द्वीप के स्वामि भव्य वीरवर थे। इनके सात पुत्रों : जलद, कुमार, सुकुमार, मरीचक, कुसुमोद, मौदाकि और महाद्रुम के नाम संज्ञानुसार ही इसके सात भागों के नाम हैं। मठ्ठे का सागर अपने से दूने विस्तार वाले शाक द्वीप से चारों ओर से घिरा हुआ है। यहां भी सात पर्वत, सात मुख्य नदियां और सात ही वर्ष हैं।
शिक्षा का दर्शनशास्त्र (philosophy of education) शिक्षा के उद्देश्य, प्रकृति और आदर्श के अध्ययन सामग्री (content) हैं संबंधित विषयों में शामिल हैं स्वयं ज्ञान (knowledge itself), बुद्धि की प्रकृति को जानना (the nature of the knowing mind) और मनुष्य विषय, प्राधिकारी की समस्याएँ, और शिक्षा और समाज के बीच का रिश्ता.कम से कम Locke (Locke's) के समय से शिक्षण के दर्शनशास्त्र को विकासात्मक मनोविज्ञान (developmental psychology) और मानव विकास (human development). के सिद्धांतों से जोड़ा गया है
हिन्दू परम्पराओं एवं पुराणों में दी गयी प्राचीन राजवंशों की सूची के आधार पर तथा अन्य वैदिक ग्रंथों में दी गयी ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर महाभारत काल के बाद का प्राचीन भारतीय राजवंश ऐतिहासिक घटना कालक्रम में निम्नलिखित है-
बावन पोकर के उत्तरी छोर पर बना पालकालीन मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ स्थापित है।
कन्या की सहमति के बिना उसका विवाह अभिजात्य वर्ग के वर से कर देना 'प्रजापत्य विवाह' कहलाता है।
स्वीडिश भाषा (Svenska स्वेन्स्का) एक हिन्द-यूरोपीय भाषा है जो स्वीडेन, फ़िनलैंड और ऑलान्द द्वीप में बोलते है।
१९६० – विष्णु सखाराम खांडेकर – 'ययाति'
केदारनाथ आने के लिए कोटद्वार जो कि केदारनाथ से २६० किलोमीटर तथा ऋर्षिकेश जो कि केदारनाथ से २२९ किलोमीटर दूर है तक रेल द्वारा आया जा सकता है। सड़क मार्ग द्वारा गौरीकुण्ड तक जाया जा सकता है जो कि केदारनाथ मंदिर से १४ किलोमीटर पहले है। यहां से पैदल मार्ग या खच्चर तथा पालकी से भी केदारनाथ जाया जा सकता है। नजदीक हवाई अड्डा जौली ग्रांट २४६ किलोमीटर दूरी पर स्थित है, यहां से केदारनाथ के लिए हवाई सेवा हाल ही में शुरू हुई है।[३]
चतुराहतवर्गसमै रुपैः पक्षद्वयं गुणयेत
Chokes and strangulations (締め技, shime-waza?) को आम तौर पर और सामान्य रूप से गला दबाकर दम घोंटने की तकनीक के नाम से जाना जाता है. इसकी सहायता से व्यक्ति अपने प्रतिद्वंद्वी को बेहोश और यहां तक कि मौत की नींद सुलाने के लिए गला घोंटने की तकनीक का इस्तेमाल कर सकता है. गला दबाने की तकनीक का इस्तेमाल करने पर गर्दन की ग्रीवा धमनी पर दबाव पड़ने से मस्तिष्क तक होने वाली खून की आपूर्ति बंद हो जाती है जबकि गला घोंटने की तकनीक का इस्तेमाल करने पर गर्दन के सामने का वायुमार्ग अवरूद्ध हो जाता है. आम तौर पर इन शब्दों को अक्सर एक दूसरे की जगह इस्तेमाल किया जाता है और ज्यादातर जुडोका द्वारा इसके इस्तेमाल में औपचारिक रूप से अंतर नहीं किया जाता है.[९] प्रतियोगिता में, उस समय जुडोका की जीत हो जाती है जब उसका प्रतिद्वंद्वी समर्पण कर देता है या बेहोश हो जाता है, क्योंकि गला दबाने की तकनीक का सही तरह से इस्तेमाल होने पर प्रतिद्वंद्वी बस कुछ सेकण्ड में ही बेहोश हो सकता है लेकिन इसके बाद तुरंत मुक्त कर देने पर आम तौर पर कोई नुकसान नहीं होता है.
यहां इस द्वीप के भी भारतवर्ष की भांति ही सात पुत्रों में सात भाग बांटे गये, जो उन्हीं के नामों पर रखे गये थे: शान्तहयवर्ष, इत्यादि।
(9) स्मारक तथा
चर्च के केंद्रीय संगठन की इस दुर्दशा के अतिरिक्त विभिन्न धर्मप्रांतों की परिस्थिति भी संतोषजनक नहीं थी। इस समय समस्त पश्चिमी यूरोप लगभग सात सौ धर्मप्रांतों में विभक्त था। उनके शासक बिशप कहलाते थे। ये बिशप सामंत थे जो राजा द्वारा प्राय: अभिजात वर्ग में से चुने जाते थे, दरबार के सदस्य थे और जर्मनी में बहुधा अपने क्षेत्र के राजनीतिक शासक भी थे। अत: बहुत से बिशप राजनीति में अधिक, धर्म में कम रुचि लेते थे और अपने धर्मप्रदेश का धार्मिक प्रशासन विश्वविद्यालय के उच्च अधिकार प्राप्त पुरोहितों के हाथ में छोड़ देते थे। गाँवों में बसनेवाले अधिकांश साधारण पुरोहित अर्धशिक्षित थे। प्रवचन देने में असमर्थ थे और प्राय: गरीब भी थे। साधारण पुरोहितों की यह दयनीय दशा 16वीं शताब्दी के यूरोपीय काथलिक चर्च की सब से बड़ी कमजोरी थी। भ्रमण करनेवाले फ्रांसिस्को आदि धर्मसंधियों के अतिरिक्त जनसाधारण को (जो दो तिहाई निरक्षर था) धार्मिक शिक्षा देनेवाला कोई नहीं था। इससे सर्वत्र अंधविश्वास फैल गया और कर्मकांड को अनावश्यक एवं असंतुलित महत्व दिय जाने लगा।
प्रत्येक ऐतिहासिक वास्तु की उपलब्धियाँ मोटे तौर से दो मूलभूत सिद्धांतों से निश्चित की जा सकती हैं, एक जो संकल्पना में अंतर्निहित है, और दूसरा जो सर्वोच्च विशिष्टता का द्योतक है। मिस्री वास्तु में यह युगोत्तरजीवी विशाल और भारी स्मारकों द्वारा व्यक्त रहस्यमयता है, असीरियाई, बेबींलोनी और ईरानी कला में, यह शस्त्रशक्ति और विलासी जीवन था, यूनानी कला में यह निश्चयात्मक आयोजना और संशोधित दृष्टिभ्रम था जिसके फलस्वरूप सादगी और परिष्कृत पूर्णता आई। रोमनों में यह भव्यता, आनंद एवं शक्ति का प्रेम था जिसके फलस्वरूप विलक्षण वैज्ञानिक निर्माण हुआ। पुराकालीन ईसाइयों में यह ईसामसीह की सच्ची सादगी और गौरव व्यक्त करनेवाले गिरजाघरों के निर्माण के प्रति भारी उत्साह के रूप में था; गाथिक निर्माताओं में यह संरचना यांत्रिकी के ज्ञान से युक्त उत्कट शक्ति थी; इतालवी पुनरुद्धार में यह उस युग की विद्वत्ता थी। बौद्ध और हिंदू वास्तुकला का उत्कृष्ट गुण उसका आध्यात्मिक तत्व है, जा उसके विकास में आद्योपांत प्रत्यक्ष है। मुसलमानी वास्तुकला में अकल्पनीय धन संपदा, ठाट, और विशाल भूखंड पर उसका प्रभुत्व झलकता है; जबकि भारत का भीमकाय अफगानी वास्तु उस शासन की आक्रामक प्रवृत्ति प्रकट करता है; किंतु मुगल स्मारक उत्कृष्ट अनुपात मुगलों के और कृति संबंधी प्रेम को दर्शाने में श्रेष्ठ हैं तथा भारत की गर्मी में उनका जीवन भलीभाँति व्यक्त करते हैं। इस प्रकार भूतकालीन कृतियों में हम देखते हैं कि चट्टनों, ईंटों और पत्थरों में मूर्त वे विचार ही हैं जो उपर्युक्त और विश्वसनीय ढंग से किसी न किसी रूप में गौरव के शिखर पर पहुँची हुई सभ्याताओं की तत्कलीन धर्म संबंधी या अन्य जागृति व्यक्त करते हैं।
कुछ दैवी साँपों के मस्तिष्क पर मणि होती है। मणि अमूल्य होती है। हमें भी जीवन में अमूल्य वस्तुओं को (बातों को) मस्तिष्क पर चढ़ाना चाहिए। समाज के मुकुटमणि जैसे महापुरुषों का स्थान हमारे मस्तिष्क पर होना चाहिए। हमें प्रेम से उनकी पालकी उठानी चाहिए और उनके विचारों के अनुसार हमारे जीवन का निर्माण करने का अहर्निश प्रयत्न करना चाहिए। सर्व विद्याओं में मणिरूप जो अध्यात्म विद्या है, उसके लिए हमारे जीवन में अनोखा आकर्षण होना चाहिए। आत्मविकास में सहायक न हो, उस ज्ञान को ज्ञान कैसे कहा जा सकता है?
जॉनी वॉकर (जन्म 15 मई 1923 - निधन 29 जुलाई 2003) भारत के एक प्रसिद्ध हास्य अभिनेता का स्क्रीन नाम था, इनका मूल नाम बहरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी था।
नंद दास
बुख़ारी
भाग 3 तथा 4 मिल कर संविधान की आत्मा तथा चेतना कहलाते है क्यों कि किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के लिए मौलिक अधिकार तथा निति निर्देश देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नीति निर्देशक तत्व जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व हैं सर्वप्रथम ये आयरलैंड के संविधान मे लागू किये गये थे। ये वे तत्व है जो संविधान के विकास के साथ ही विकसित हुए है। इन तत्वॉ का कार्य एक जनकल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। भारतीय संविधान के इस भाग में नीति निर्देशक तत्वों का रूपाकार निश्चित किया गया है, मौलिक अधिकार तथा नीति निर्देशक तत्व मे भेद बताया गया है और नीति निदेशक तत्वों के महत्व को समझाया गया है।
तुरंत युद्धोत्तर वर्षों ने कल्याण राज्य की स्थापना देखी, जिसमें दुनिया के पहले और सबसे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ शामिल थी, जबकि अर्थव्यवस्था में सुधार की मांग ने एक बहु जातीय ब्रिटेन बनाने के लिए राष्ट्रमंडल भर से लोगों को अग्रानीत किया. हालाँकि 1956 के स्वेज संकट द्वारा ब्रिटेन की राजनीतिक भूमिका का नया युद्धोत्तर सीमा पुष्टि हुआ, अंग्रेजी भाषा के अंतरराष्ट्रीय फैल का मतलब है साहित्य और संस्कृति का प्रभाव जारी रहना, जबकि 1960 से इसकी लोकप्रिय संस्कृति का विदेश में भी प्रभाव पाया गया था.
नववर्ष - द्वादशमासै: संवत्सर:।' ऐसा वेद वचन है, इसलिए यह जगत्मान्य हुआ। सर्व वर्षारंभों में अधिक योग्य प्रारंभदिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है। इसे पूरे भारत में अलग-अलग नाम से सभी हिन्दू धूम-धाम से मनाते हैं।
अज़रबैजानी विकिपीडिया विकिपीडिया का अज़रबैजानी भाषा का संकरण है। यह दिसंबर, २००४ में आरंभ किया गया था और इस पर लेखों की कुल संख्या २५ मई, २००९ तक २२,७५०+ है। यह विकिपीडिया का साठवां सबसे बड़ा संकरण है।
भारत संचार निगम लिमिटेड (बी एस एन एल के नाम से जाने जाने वाला भारतीय संचार निगम लिमिटेड भारत का एक सार्वजनिक क्षेत्र की संचार कंपनी है ३१ मार्च २००८ को २४% के बाजार पूँजी के साथ यह भारत की सबसे बड़ी, संचार कंपनी है.इसका मुख्यालय भारत संचार भवन,हरीश चन्द्र माथुर लेन , जनपथ , नई दिल्ली में है इसके पास मिनी - रत्ना का दर्जा है - भारत में सम्मानित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को दिया गया एक दर्जा
परन्तु मआभ्अरत मै यह भि उलेख है कि पान दके अगयत्वस के दोरन अर्जुन ने अप्न नाम च्हित्रसेन रेखा
साँचा:माहितीचौकट राज्याधिकारी
सृष्टि, प्रलय, मंत्र-निर्णय, देवताओं का संस्थान, तीर्थवर्णन, आश्रम धर्म, विप्र संस्थान, भूतादि का संस्थान, कल्प वर्णन, ज्योतिष संस्थान, पुराणाख्यान, कोष, व्रत, शौचाऽशौच, स्त्री-पुरूष लक्षण, राजधर्म, दानधर्म, युग धर्म व्यवहार, अध्यात्म आदि विषयों का वर्णन किया गया है। तन्त्र शास्त्र सम्प्रदायात्मक है। वैष्णवों, शैवों, शाक्तों आदि के अलग-अलग तंत्र ग्रन्थ हैं।
24. नेहरू पार्क रंग बिरंगे फूलों और हरी घास के मैदान से भरा हुआ है, इसकी उत्कृष्ट सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।
रेल मार्ग: कटिहार में रेलवे स्‍टेशन कटिहार रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
बांग्ला में काली का एक और अर्थ होता है - स्याही या रोशनाई
मूलतः यह नया चिह्न देवनागरी अक्षर 'र' पर आधारित है किन्तु यह रोमन के कैपिटल अक्षर R का बिना उर्ध्वाकार डण्डे का भी आभास देता है। अतः इस चिह्न को इन दोनो अक्षरों का मिश्रण माना जा सकता है। मूल रूप से तमिल भाषी इसके अभिकल्पक उदय के अनुसार जब वो इसका डिजाइन सोच रहे थे तो उन्हें लगा कि सिर्फ देवनागरी लिपि से संबंधित कोई चिन्ह ही भारतीय भावनाओं को व्यक्त कर सकता है। ऊपर की तरफ समान्तर रेखायें (उनके बीच में खाली जगह समेत) भारतीय झण्डे तिरंगे का आभास देती हैं।[१२]
आबादी का मुख्य भोजन भात-दाल-रोटी-तरकारी-अचार है । सरसों का तेल पारम्परिक रूप से खाना तैयार करने में प्रयुक्त होता है । खिचड़ी , जोकि चावल तथा दालों से साथ कुछ मसालों को मिलाकर पकाया जाता है, भी भोज्य व्यंजनों में काफी लोकप्रिय है । खिचड़ी, प्रायः शनिवार को, दही, पापड़, घी, अचार तथा चोखा के साथ-साथ परोसा जाता है ।
दक्षिण अफ्रीका १२१
यदि इस श्रृंखला में पहला पद त्रिभुज का क्षेत्रफल है, तो दूसरा दो त्रिभुजों के क्षेत्रफल का योग है, जिनके आधार दो छोटी छेदिका रेखाएं हैं, और इसी प्रकार. यह प्रमाण श्रृंखला 1/4 + 1/16 + 1/64 + 1/256 + · · · की भिन्नता का उपयोग करता है, जिसका योग 1⁄3 है.
सुरंगमय पहाडियों के बीच में गोरखा रेजीमेंट द्वारा निर्मित एक प्राचीन मंदिर है । इस मंदिर से भगवान शंकर की अनेक दंत कथाए जुडी हुई है । शिलांग के मारवाडी समाज के लिये यह श्रद्धा का केन्द्र है । शिवरात्रि के दिन यहां बडा मेला लगता है ।
1471–1662  Tangier
पाणिनि के काल में शिक्षा और वाङ्मय का बहुत विस्तार था। संस्कृत भाषा का उन्होंने बहुत ही गहरा अध्ययन किया था। वैदिक और लौकिक दोनों भाषाओं से वे पूर्णतया परिचित थे। उन्हीं की सामग्री से पाणिनि ने अपने व्याकरण की रचना की पर उसमें प्रधानता लौकिक संस्कृत की ही रखी। बोलचाल की लौकिक संस्कृत को उन्होंने भाषा कहा है। उन्होंने न केवल ग्रंथरचना को किंतु अध्यापन कार्य भी किया। (व्याकरण के उदाहरणों में उनके विषय का नाम कोत्स कहा है)। पाणिनि का शिक्षा विषयक संबंध, संभव है, तक्षशिला के विश्वविद्यालय से रहा हो। कहा जाता है, जब वे अपनी सामग्री का संग्रह कर चुके तो उन्होंने कुछ समय तक एकांतवास किया और अष्टाध्यायी की रचना की।
शैक्षिक पर्यटन का विकास अध्यापन की बढती लोकप्रियता, ज्ञान के विकास, और कक्षा के बाहर के वातावरण में तकनीकी प्रतिस्पर्धा के बढ़ने के कारण हुआ है.शैक्षिक पर्यटन में यात्रा का मुख्य उद्देश्य होता है, दूसरे देश की संस्कृति के बारे में जानना और सीखना (छात्र विनिमय कार्यक्रम और अध्ययन यात्रा)या भिन्न वातावरण में कक्षा के अन्दर अपनी सीखी हुई चीजो पर काम करना और उन्हें लागू करना.( ( अंतर्राष्ट्रीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम )
१६ मई, २००९: राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने घोषणा की कि लिट्टे को सैन्य स्तर पर हरा दिया गया है।
फूल की दुकान
Tenere also runs a national independent television station of the same name.
यह एक खूबसूरत विशाल झील प्रसिद्ध पक्षी अभ्यारण भी है। पूरे वर्ष यहां पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां देखी जा सकती है।
हाल ही के वर्षों में बहुत से निजी संस्थान भी यहाँ खुले हैं जिनके कारण उत्तराखण्ड तकनीकी, प्रबन्धन, और अध्यापन-शिक्षा के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में उभरा है। कुछ उल्लेखनीय संस्थान हैं देहरादून प्रौद्योगिकी संस्थान (देहरादून), अम्रपाली अभियांत्रिकी एवँ प्रौद्योगिकी संस्थान (हल्द्वानी), सरस्वती प्रबन्धन एवँ प्रौद्योगिकी संस्थान (रुद्रपुर), और पाल प्रबन्धन एवँ प्रौद्योगिकी संस्थान (हल्द्वानी)।
मत्स्यपुराणादि में भी खंड प्रलय के अंतर्गत विद्यमान पदार्थों की स्थिति का विवरण प्राप्त होता है, किंतु पूर्व मीमांसा महासृष्टि और महाप्रलय को स्वीकार नहीं करता। उसके अनुसार सभी पदार्थों के नाश में कोई भी प्रमाण उपलब्ध नहीं होता। जैसा कि वार्तिककार ने कहा है -
१. वक्ष निदानगृह,
२ FADH2 से ४ एटीपी(माना २ एटीपी/FADH2)
यहाँ युग-प्रवर्तन की एक और शर्त आ जाती है, और वह है उस कालखंड में उस कृति के समकक्ष अन्य समर्थ कृतियों का एकाधिक व्यक्तियों द्वारा लिखा जाना (जैसे छायावाद का युग) अथवा एक ही व्यक्ति के द्वारा एक के पश्चात् एक निरंतर सशक्त कृतियों का सृजन (जैसे प्रेमचंद युग). इसके साथ ही एक आवश्यक निकष है जनप्रियता अथवा लोकप्रियता. साधारण पाठकों तक कृति पहुँच सके एवं पाठक बड़ी संख्या में उसे पढ़ कर उसका आस्वादन कर सकें, उससे प्रेरित हों और उसी लीक पर कई अन्य रचनाकार (भले ही वह दोयम दर्जे के क्यों न हों) आगे चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकें. 'बाणभट्ट की आत्मकथा' साहित्यकारों एवं आलोचकों के लिए प्रेरणा-स्रोत रही, यह अवश्य सत्य है; पर उस परिमाण में वह साधारण पाठक की पकड़ के बाहर रही. स्वयं हजारीप्रसाद द्विवेदी का दूसरा उपन्यास 'चारु-चंद्रलेख'(१९६२) 'बाणभट्ट की आत्मकथा'(१९४६) से सोलह वर्ष के दीर्घ अंतराल के बाद प्रकाशित हुआ. सृजन के नैरन्तर्य एवं व्यापक अभिरुचि को जागृत कर सकने के अभाव के कारण हम इसके प्रकाशन से सांस्कृतिक पुनर्जागरण के युग का प्रारम्भ नहीं मान सकते. पर 'बाणभट्ट की आत्मकथा' निस्संदेह एक अभिनव प्रेरणा स्रोत तो है ही, हिन्दी साहित्य की एक सर्वकालिक श्रेष्ठ कृति भी है.
रविवार व्रत कथा
Basileus is the Greek word for "king," who has auctoritas, the Latin root for authority, which is to be distinguished from simple imperium, also a Latin concept of power, akin to that retained by an archon the ancient Greek equivalent to something like a "magistrate".
गणित और मापन के बीच घनिष्ट सम्बन्ध है। इसलिये आश्चर्य नहीं कि भारत में अति प्राचीन काल से दोनो का साथ-साथ विकास हुआ।
रंग नया है लेकिन घर ये पुराना है
36. मेहरानगढ़ दुर्ग के सात दरवाजे हैं औऱ शहर का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
स्कन्द पुराण में हिमालय को पाँच भौगोलिक क्षेत्रों में विभक्त किया गया है:-
नगर के उत्तर में स्थित यह किला एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है। लाल बलुआ पत्थर से बना यह विशाल किला समृद्ध इतिहास के आइने का झरोखा है, जो अनेक उतार-चढ़ावों को देख चुका है। 14वीं शताब्दी के आसपास सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने यह किला बनवाया था। 1857 के विद्रोह दौरान इस किले का महत्व बढ़ गया था। क्रांतिकारियों ने विद्रोह के दौरान इस किले पर अधिकार कर लिया था। बाद में ब्रिटिश सेना ने किले पर पुन: अधिकार कर लिया और यहां के लोगों पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए। हिन्दु, मुस्लिम और अफगान शैली में बना यह किला पर्यटकों को लुभाने में सफल होता है।
कालजयी कथाकार एवं मनीषी डा. नरेन्द्र कोहली की गणना आधुनिक हिन्दी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में होती है. कोहली जी ने साहित्य के सभी प्रमुख विधाओं (यथा उपन्यास, व्यंग, नाटक, कहानी) एवं गौण विधाओं (यथा संस्मरण, निबंध, पत्र आदि) और आलोचनात्मक साहित्य में अपनी लेखनी चलाई. उन्होंने शताधिक श्रेष्ठ ग्रंथों का सृजन किया है. हिन्दी साहित्य में 'महाकाव्यात्मक उपन्यास' की विधा को प्रारंभ करने का श्रेय नरेंद्र कोहली को ही जाता है. पौराणिक एवं ऐतिहासिक चरित्रों की गुत्थियों को सुलझाते हुए उनके माध्यम से आधुनिक सामाज की समस्याओं एवं उनके समाधान को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना कोहली की अन्यतम विशेषता है. कोहलीजी सांस्कृतिक राष्ट्रवादी साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जीवन-शैली एवं दर्शन का सम्यक् परिचय करवाया है.
शनि मण्डल से एक लाख योजन ऊपर सप्तर्षि मण्डल है।
The province of Santiago is divided into 32 municipalities (comunas in Spanish). Each municipality in Chile is headed by a mayor (alcalde) elected by voters every four years. The members of the municipal council (concejales) are elected in the same election on a separate ballot.
Democratic strength is centered in coastal regions, of Los Angeles County, and the San Francisco Bay Area. The Democrats also hold a majority in Sacramento. The Republican strength is greatest in the San Joaquin Valley, which includes the growing cities of Stockton, and Modesto. Orange County, remains mostly Republican.
In the early 1990s, the old petrol engine was replaced in favour of an Isuzu 1.8 litre engine and became the fastest production car in India, beating Fiats, the Maruti Udyog, and other Tata cars at that time. The engines currently available are a 75 bhp petrol engine and a 80 bhp (59.8 kW) Isuzu turbocharged and intercooled diesel engine.
गुप्त कालीन स्वर्ण मुद्राओं में "चंद्रगुप्त व श्री कुमार देवी" के नाम से प्रसिद्ध एक स्वर्णमुद्रा मिलती है जिसके अग्रभाग में राजा तथा रानी की आकृति खुदी है और "चंद्रगुप्त" तथा "श्री कुमार देवी" अंकित है। पृष्ठ भाग पर सिंह की पीठ पर बैठी अंबिका की मूर्ति है। दाहिनी ओर "लिच्छवय:" मुद्रालेख पढ़ा गया है। पर्याप्त विवेचन के पश्चात् यह सिद्ध किया गया है कि गुप्त नरेश प्रथम चंद्रगुप्त ने लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से विवाहोपरांत यह सिक्का निकाला। इस विवाह की पुष्टि समुद्रगुप्त के प्रयाग स्तंभलेख से होती है जहाँ समुद्र निम्न शब्दों में वर्णित किया गया है : - "श्री महाराजाधिराज चंद्रगुप्तस्य लिच्छवि दौहित्रस्य महादेव्यां कुमारदेव्यामुत्पन्नस्य महाराजाधिराज श्री समुद्रगुप्तस्य"। इससे दोनों राष्ट्रों में पारस्परिक सहानुभूति तथा सहयोग रहा। संभवत: साम्राज्यवादी कल्पना के सम्मुख लिच्छवि आदि गण राज्य अस्तित्व को बचाए न रख सके। प्रजातंत्रों के भारतीय रंगमंच से हट जाने के कारण राजनीतिक चेतना को नवजीवन प्रदान करनेवाला स्रोत समाप्त हो गया। लिच्छवि जाति उत्तरी बिहार से हटकर छठी सदी में नेपाल चली गई। उन्होंने काठमांडु के सुरक्षित भूभाग में प्रवेश कर राज्य स्थापित किया। लिच्छवि जाति (वंश) के कई अभिलेख (पाटन, पशुपतिनाथ मंदिर) वहाँ मिले हैं जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि इस जाति ने कई सदियों तक नेपाल में शासन किया। इनका शासनकाल नेपाल के इतिहास में "स्वर्ण युग" कहा गया है। संतान न होने के कारण लिच्छवि जाति का उस देश में अंत हो गया।
अस्तु कौटल्य इति वा कौटिल्य इति या चाणक्यस्य गोत्रनामधेयम्।
बरगद तले
रचना का अर्थ होता है निर्माण।
Leo Tolstoy in the media
ज्योतिष उद्यमों से प्राप्त किये गए खगोलीय ज्ञान का स्वरूप इतिहास में प्राचीन भारत से लेकर माया सभ्यता से मध्यकालीन यूरोप तक कई संस्कृतियों में दोहराया गया है, . इस ऐतिहासिक योगदान को देखते हुए, ज्योतिष को रसायन विद्या (alchemy) की तरह छद्म विज्ञान (pseudoscience) के साथ-साथ प्रोटो साइंस (protoscience) कहा जाने लगा (पश्चिमी ज्योतिष तथा रसायन विद्या नीचे से देखें).
यह अनुबंधित होने के कारण उत्पन्न होने वाला भेदभाव, इम्पीरियल सिविल सर्विस ऑफ इंडिया के गठन, जो लोक सेवा आयोग (पब्लिक सर्विस कमीशन)1886–87 की सिफारिश से गठित हुई थी; के बाद समाप्त हो गया। हां कॉन्वेनेटेड शब्द लम्बी अवधि तक सेवा संलग्न पद के लिये प्रयोग होता रहा।
हिन्दू एक फ़ारसी शब्द है। हिन्दू अपने धर्म को सनातन धर्म या वैदिक धर्म कहना बेहतर समझते हैं। ऋग्वेद में कई बार सप्त सिन्धु का उल्लेख मिलता है -- वो भूमि जहाँ आर्य सबसे पहले बसे थे। संस्कृत में सिन्धु शब्द के दो मुख्य अर्थ हैं -- पहला, सिन्धु नदी जो मानसरोवर के पास से निकल कर लद्दाख़ और पाकिस्तान से बहती हुई समुद्र मे मिलती है, दूसरा, कोई समुद्र या जलराशि। ऋग्वेद की नदीस्तुति के अनुसार वे सात नदियाँ थीं : सिन्धु, सरस्वती, वितस्ता (झेलम), शुतुद्रि (सतलुज), विपाशा (व्यास), परुषिणी (रावी) और अस्किनी (चेनाब)। भाषाविदों के अनुसार हिन्द आर्य भाषाओं की [ स ] ध्वनि ईरानी भाषाओं की [ ह ] ध्वनि में बदल जाती है। इसलिये सप्त सिन्धु अवेस्तन भाषा (पारसियों की धर्मभाषा) मे जाकर हफ्त हिन्दु मे परिवर्तित हो गया (अवेस्ता : वेन्दीदाद, फ़र्गर्द 1.18)। इसके बाद ईरानियों ने सिन्धु नदी के पूर्व में रहने वालों को हिन्दु नाम दिया। जब अरब से मुस्लिम हमलावर भारत में आए, तो उन्होने भारत के मूल धर्मावलम्बियों को हिन्दू कहना शुरू कर दिया। मुख्य सिद्धान्त
• कोरबा • उराँव • भतरा • कँवर • कमार • माड़िय • मुड़िया • भैना • भारिया • बिंझवार • धनवार • नगेशिया • मंझवार • खैरवार • भुंजिया • पारधी • खरिया • गड़ाबा या गड़वा
जब राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया, वाइसरॉय ने नव-निर्मित सर एड्विन लूट्यन्स द्वारा अभिकल्पित, वाइसरॉय हाउस में आवास किया। हालांकि निर्मान १९१२ में आरम्भ हुआ, परन्तु वह १९२९ तक भी पूर्ण ना हो सका; और १९३१ तक भी उसका औपचारिक उद्घाटन नहीं सम्पन्न हो पाया। इसाखी अंतिम लागत पाउण्ड ८,७७,००० (आज के अनुसार साढ़े तीन करोड़ पाउण्ड) थी। वर्तमान में, यह आवास, अपने वर्तमान हिन्दी नाम “राष्ट्रपति भवन” से प्रसिद्ध है।
वेनगंगा नदी के बांए तट पर स्थित मरकड एक धार्मिक स्थल के रूप में लोकप्रिय है। संत मार्कडेंय के नाम पर इस जगह का नाम पड़ा। यहां लगभग 24 मंदिरों का समूह है। माना जाता है कि यहां के शिवलिंग की मार्कडेंयने पूजा की थी। यहां के मंदिरों की वास्तुकारी खजुराहो के मंदिरों से मिलती है।
(2) वे शस्त्र हैं, जो यान्त्रिक उपाय से फेंके जाते हैं; ये अस्त्रनलिका आदि हैं नाना प्रकार के अस्त्र इसके अन्तर्गत आते हैं। अग्नि, गैस, विद्युत से भी ये अस्त्र छोडे जाते हैं। प्रमाणों की ज़रूरत नहीं है कि प्राचीन आर्य गोला-बारूद और भारी तोपें, टैंक बनाने में भी कुशल थे। इन अस्त्रों के लिये देवी और देवताओं की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये भयकंर अस्त्र हैं और स्वयं ही अग्नि, गैस या विद्युत आदि से चलते हैं। यहाँ हम कुछ अस्त्र-शस्त्रों का वर्णन करते हैं, जिनका प्राचीन संस्कृत-ग्रन्थों में उल्लेख है।
बुद्ध ने ज्ञान प्राप्‍ित के बाद दूसरा सप्‍ताह इसी बोधि वृक्ष के आगे खड़ा अवस्‍था में बिताया था। यहां पर बुद्ध की इस अवस्‍था में एक मूर्त्ति बनी हुई है। इस मूर्त्ति को अनिमेश लोचन कहा जाता है। मुख्‍य मंदिर के उत्तर पूर्व में अनिमेश लोचन चैत्‍य बना हुआ है।
कंपनी को अब डचों के विरुद्ध लोहा लेना था। सर्वप्रथम कंपनी का मुख्य ध्येय हिंदेशिया में ही अपना व्यवसाय केंद्रित करना था, जहाँ डच पहले से ही सशक्त थे। एंबीयना के हत्याकांड (1623) के बाद यह विचार त्याग कर उसने भारत की ओर रुख किया, जहाँ डच शक्ति क्षीण थी। यूरोप में क्रामवेल कालीन एेंग्लो डच युद्ध, तथा लुई 14 वें के हालैंड पर आक्रमण से हालैंड की सामुद्रिक शक्ति का ह्यास प्रारंभी हो गया। 1759 में क्लाइव ने डच बेड़े को पूर्णत: पराजित कर दिया।
रंजीत सिंह, ने स्वयं को पंजाब का महाराजा घोषित किया था। १८३९ में, अपनी मृत्यु शय्या पर उसने अपनी वसीयत में, कोहिनूर को पुरी, उड़ीसा प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ, मंदिर को दान देने को लिखा था। किन्तु उसके अंतिम शब्दों के बारे में विवाद उठा, और अन्ततः वह पूरे ना हो सके। २९ मार्च,१८४९ को लाहौर के किले पर ब्रिटिश ध्वज फहराया। इस तरह पंजाब, ब्रिटिश भारत का भाग घोषित हुआ। लाहौर संधि का एक महत्वपूर्ण अंग निम्न अनुसार था: "कोह-इ-नूर नामक रत्न, जो शाह-शूजा-उल-मुल्क से महाराजा रण्जीत सिंह द्वारा लिया गया था, लाहौर के महाराजा द्वारा इंग्लैण्ड की महारानी को सौंपा जायेगा।"
1982 - एक और तख्ता पलट के बाद जनरल एरशाद सत्ता में आए. संविधान और राजनैतिक दलों की वैधता समाप्त की गई.
१.ईश, २.कठ, ३. श्वेताश्वतर तथा नारायण इनका पद्य वैदिक मंत्रों के अनुरूप सरल, प्राचीन तथा सुबोध है।
UTC+4 का प्रयोग:
वर दाहिने हाथ में अक्षत स्वीकार करते हुए भावना करें कि स्वागतकत्तार् की श्रद्धा पाते रहने के योग्य व्यक्तित्व बनाये रखने का उत्तरदायित्व स्वीकार कर रहे हैं । बोलें- 'ॐ अचर्य ।' आसन- स्वागतकत्तार् आसन या उसका प्रतीक (कुश या पुष्प आदि) हाथ में लेकर निम्न मन्त्र बोलें । भावना करें कि वर को श्रेष्ठता का आधार-स्तर प्राप्त हो । हमारे स्नेह में उसका स्थान बने । ॐ विष्टरो, विष्टरो, विष्टरः प्रतिगृह्यताम् । -पार०गृ०सू० १.३.६ वर कन्या के पिता के हाथ से विष्टर (कुश या पुष्प आदि) लेकर कहें- ॐ प्रतिगृह्णामि । - पार०गृ०सू० १.३.७ उसे बिछाकर बैठ जाए, इस क्रिया के साथ निम्न मन्त्र बोला जाए- ॐ वष्मोर्ऽस्मि समानानामुद्यतामिव सूयर्ः । इमन्तमभितिष्ठामि, यो मा कश्चाभिदासति॥ - पार०गृ०सू० १.३.८ पाद्य- स्वागतकत्तार् पैर धोने के लिए छोटे पात्र में जल लें । भावना करें कि ऋषियों के आदर्शों के अनुरूप सद्गृहस्थ बनने की दिशा में बढ़ने वाले पैर पूजनीय हैं । कन्यादाता कहें- ॐ पाद्यं, पाद्यं, पाद्यं, प्रतिगृह्यताम् । - पार०गृ०सू०१.३.६ वर कहें- ॐ प्रतिगृह्णामि । - पार०गृ०सू०१.३.७ भावना करें कि आदर्शों की दिशा में चरण बढ़ाने की उमंग इष्टदेव बनाये रखें । पद प्रक्षालन की क्रिया के साथ यह मन्त्र बोला जाए । ॐ विराजो दोहोऽसि, विराजो दोहमशीय मयि, पाद्यायै विराजो दोहः । - पार०गृ०सू० १.३.१२
2 CoA-S-H
आश्विन शुक्ल दशमी को विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाता है। दशहरे के पहले नौ दिनों (नवरात्रि) में दसों दिशाएं देवी की शक्ति से प्रभासित होती हैं, व उन पर नियंत्रण प्राप्त होता है, दसों दिशाओंपर विजय प्राप्त हुई होती है। इसी दिन राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी।
ज़िरो विमानक्षेत्र अरुणाचल प्रदेश स्थित हवाईअड्डा है।
यूरो (मुद्रा चिह्न €; बैंक कोड: EUR) यूरोपीय संघ के 27 में से 16 सदस्य की आधिकारिक मुद्रा है, जिन्हें सामूहिक रूप से यूरोजोन कहा जाता है। इसमें आस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लग्ज़म्बर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, स्लोवाकिया और स्पेन शामिल हैं। इसके अलावा पांच अन्य यूरोपीय देशों में आधिकारिक सहमति या बिना सहमति के भी यह प्रचलन में है। अमेरिकी डॉलर के बाद यूरो दुनिया में दूसरी सबसे सुरक्षित रखने वाली और प्रचलन में रहने वाली मुद्रा है। यूरो नाम आधिकारिक रूप से 16 दिसंबर 1995 को अपनाया गया। वैश्विक बाजार में इसे यूरोपियन करेंसी यूनिट के स्थान पर सम मूल्य पर 1 जनवरी 1999 को जारी किया गया।
सोमपो-अम्ड़ितपः सोमः पुरुजित पुरुसत्तमः ।
''मात्रा स्वर : इ, -उ्, -ऊ्
युवावस्था मैं महाराज जी पंडित रामचन्द्र शर्मा वीर जी के नाम से पूरे देश मैं विख्यात थे. इन्होने कोलकाता और लाहौर के कांग्रेस अधिवेशनो मैं भाग लेकर स्वाधीनता का संकल्प लिया. सं 1932 में इन्होने अजमेर के चीएफ़ कमिश्नर गिवाह्सों की उपस्थिति में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध ओजश्वी भाषण देकर अपनी निर्भीकता का परिचय दिया. परिणामस्वरुप इन्हें ६ माह के लिए जेल भेज दिया गया. रतलाम और महू में इनके ओजपूर्ण भाषणों के कारण ब्रिटिश प्रशासन कांप उठा था।
महाराष्ट्र के सभी विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त, बड़ोदा (गुजरात) का महाराजा सयाजीराओ विश्वविद्यालय, ओस्मानिया विश्वविद्यालय (आंध्र प्रदेश), गुलबर्ग विश्वविद्यालय (कर्णाटक), इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, और गोआ विश्वविद्यालय (पणजी) में मराठी में उच्च शिक्षा के लिए विशेष विभाग हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने भी मराठी के लिए एक विशेष विभाग बनाने की परियोजना की घोषणा की है।
व्यक्तिगत प्रजातियों में आम किंगफिशर की तरह व्यापक विस्तार हो सकता है, जो आयरलैंड से समूचे यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और एशिया से ऑस्ट्रेलेशिया में सुदूर सोलोमन द्वीपों तक, या धब्बेदार किंगफिशर जिसका समूचे अफ्रीका और एशिया में व्यापक फैलाव है. अन्य प्रजातियों का बहुत संकीर्ण विस्तार है, विशेष रूप से द्वीपीय प्रजातियाँ जो एक एकल छोटे द्वीप में स्थानिक तौर पर रहते हैं. कोफियाऊ पैराडाइज किंगफिशर न्यू गीनिया के पास एक छोटे से द्वीप कोफियाऊ तक ही सीमित हैं.[२]
অঘ্রানে তোর ভরা খেতে,
यह दोनों पक्षी अभ्यारण्य कांचीपुरम के अंदरूनी भाग में स्थित हैं। वेदानथंगल 30 हेक्टेयर और किरीकिरी 61 हेक्टेयर में फैला हुआ है। यह अभ्यारण्य बबूल और बैरिंगटोनिया पेड़ो से भर हुए हैं। इन अभ्यराण्य में पाकिस्तान, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और साइबेरियन पक्षियों को देखा जा सकता है। पिन्टेल्स, स्टिल्ट्स, गारगानी टील्स और सैंडपाइपर जसी पक्षियों की प्रजातियां यह नियमित रूप से देखी जा सकती हैं। इन दोनों अभ्यराण्य में तकरीबन 115 पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
बी ।।। /35, मुनीडीह, धनबाद
साँचा:Taxobox norank entry
फॉस्फेट खनन बोन घाटी में केंद्रित है, यह राज्य का तीसरा सबसे बड़े उद्योग है. संयुक्त राज्य अमेरिका में किसानों के फास्फेट की जरूरत का 75 प्रतिशत फास्फेट का उत्पादन यह राज्य अकेला ही करता है जो विश्व की आपूर्ति का 25 प्रतिशत है. इसका लगभग 95 प्रतिशत का इस्तेमाल कृषि के लिए (90 प्रतिशत उर्वरक और 5 प्रतिशत पशु आहार संपूरक के रूप में) और 5 प्रतिशत का इस्तेमाल अन्य कामों के लिए किया जाता है.[६८]
हरदोई में श्री बाबा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थान हैं। इस मंदिर के पास एक पुराना टीला भी है, जिसे हिरण्याकश्यप के महल का खंडहर कहा जाता है। इसी के पास श्रवन देवी का मंदिर है। श्री महेन्द्र नाथ वर्मा द्वारा रचत पुस्तक "हरदोइ (हरिद्वयई) इसके अतिरिक्त हरदोई से लगभग ३६ किमी दूरी पर स्थित शाहाबाद मे दिलेर शाह का मकबरा भी दर्शनीय स्थल है
खुसरो बाग, इलाहाबाद
गूगल में कुछ ऐसे भी उत्पाद उपलब्ध हैं, जो सीधे खोज से संबंधित नहीं हैं. उदाहरण के लिए जीमेल (Gmail) एक वेबमेल आवेदन है, लेकिन अभी भी उसमें खोज की सुविधाएं शामिल हैं; गूगल ब्राउज़र सिंक किसी भी खोज की पेशकश नहीं करता है, हालांकि इसका मकसद आपके ब्राउ‍िजंग समय को व्यवस्थित करना है.
75. फतेह प्रकाश पैलेस विलासिता और सौर्दर्य का एक उत्तम उदाहरण है जो उदयपुर को शाही आतिथ्य और संस्कृति के शहर के रूप में अभिव्यक्त करता है।
अपनी मृत्यु के समय पोदिला इंटरनेशनल सिम्बायोसिस सोसायटी के एक पार्षद थे। मृत्यु के समय उनकी पत्नी वाणी पोदिला उनके साथ थीं।
अष्टाध्यायी (अष्टाध्यायी = आठ अध्यायों वाली) महर्षि पाणिनि द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण का एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ (५०० ई पू) है। इसमें आठ अध्याय हैं; प्रत्येक अध्याय में चार पाद हैं; प्रत्येक पाद में 38 से 220 तक सूत्र हैं। इस प्रकार अष्टाध्यायी में आठ अध्याय, बत्तीस पाद और सब मिलाकर लगभग 3155 सूत्र हैं। अष्टाध्यायी पर महामुनि कात्यायन का विस्तृत वार्तिक ग्रन्थ है और सूत्र तथा वार्तिकों पर भगवान पतञ्जलि का विशद विवरणात्मक ग्रन्थ महाभाष्य है। संक्षेप में सूत्र, वार्तिक एवं महाभाष्य तीनों सम्मिलित रूप में "पाणिनीय व्याकरण" कहलाता है और सूत्रकार पाणिनी, वार्तिककार कात्यायन एवं भाष्यकार पतञ्जलि तीनों व्याकरण के "त्रिमुनि" कहलाते हैं।
गोविंद विनायक करंदीकर (२३ ऑगस्ट १९१८ - १४ मार्च २०१०) मराठी के प्रसिद्ध लेखक थे। वे 'विंदा करंदीकर' के नाम से भी जाने जाते थे।
भारतीय वैज्ञानिक पूर्वजों ने ब्रह्माण्ड को समझने के लिए कौन कौन से वैज्ञानिक प्रयोग और कौन कौन सी गणनाएं की, इसका कोई ठोस प्रमाण, सम्पूर्ण विश्व में प्रत्यक्ष रूप से वर्तमान समय में कहीं भी उपलब्ध तो नहीं है किन्तु, ये तो निश्चीत है कि उन्होंने अपने वैज्ञानिक प्रयोगों और गणनाओं के आधार पर अवश्य ही किसी ऐसे सिद्धान्त को और उसके प्रयोग की उचित दिशा को उसी समय खोज लिया था जिसके बिना उनके द्वारा ये सिद्ध करना सम्भव नहीं था कि हमारा ब्रह्माण्ड जीव के अण्डे जैसा ही है।
मोजिला एक ब्राउज़र है ।
Black sands at a beach near Vattakottai Fort
इस अवसर के महत्व पर, हर साल एक भव्य परेड की राजधानी में आयोजित किया, राजघाट से है, Vijaypath साथ. सेना की विभिन्न रेजीमेंटों, नौसेना और वायु सेना मार्च पास्ट अपने सभी सजधज और सरकारी सजावट भी घुड़सवार सेना के घोड़ों में आकर्षक इस अवसर पर वाद caparisoned हैं. एन सी सी कैडेटों की crème, में से चुने हुए पूरे देश में विचार के लिए इस समारोह में भाग लेने के सम्मान एक, के रूप में राजधानी में विभिन्न स्कूलों के बच्चों को स्कूल है. वे कई समारोह की तैयारी दिन और कोई कसर नहीं खर्च करते हैं बख्शा देखना है कि हर विस्तार का ध्यान रखा, अभ्यास के लिए अपने व्यवहार से है, आवश्यक रंगमंच की सामग्री और अपनी वर्दी.
छेना जलेबी एक उड़िया व्यंजन है।
दुनिया भर में इस समय लगभग चार करोड़ 20 लाख लोग मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु का शिकार हैं। इनमें से दो तिहाई सहारा से लगे अफ़्रीकी देशों में रहते हैं और उस क्षेत्र में भी जिन देशों में इसका संक्रमण सबसे ज़्यादा है। वहाँ हर तीन में से एक वयस्क इसका शिकार है। दुनिया भर में लगभग 14,000 लोगों के प्रतिदिन इसका शिकार होने के साथ ही यह डर बन गया है कि ये बहुत जल्दी ही एशिया को भी पूरी तरह चपेट में ले लेगा। जब तक कारगर इलाज खोजा नहीं जाता, उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण से बचना ही उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण का सर्वोत्तम उपचार है।
दूरदर्शन या टेलिविज़न (या संक्षेप में, टीवी) एक ऐसी दूरसंचार प्रणाली है जिसके द्वारा चलचित्र व ध्वनि को दो स्थानों के बीच प्रसारित व प्राप्त किया जा सके। यह शब्द टीवी सेट, टीवी कार्यक्रम तथा प्रसारण के लिये भी प्रयुक्त होता है। टेलीविज़न शब्द लैटिन तथा यूनानी शब्दों से बनाया गया है जिसका अर्थ होता है दूर दृष्टि (यूनानी - टेली = दूर, लैटिन - विज़न = दृष्टि)। टेलीविज़न सेट १९३० के उत्तरार्ध से उपलब्ध रहे हैं और समाचार व मनोरंजन के स्रोत के रूप में शीघ्र ही घरों व संस्थाओं में आम हो गये। १९७० के दशक से वीसीआर टेप और इसके वाद वीसीडी व डीवीडी जैसे डिजीटल प्रणालियों के द्वारा रिकार्ड किये कार्यक्रम व सिनेमा देखना भी सम्भव हो गया।
(२) इस तरह भाषा की मानकता का प्रश्न तत्त्वतः भाषाविज्ञान का न होकर समाज-भाषाविज्ञान का है। भाषाविज्ञान भाषा की संरचना का अध्ययन करता है, और संरचना मानक भाषा की भी होती है और अमानक भाषा की भी। उसका इससे कोई संबंध नहीं कि समाज किसे शुद्ध मानता है और किसे नहीं। इस तरह मानक भाषा की संकल्पना को संरचनात्मक न कहकर सामाजिक कहना उपयुक्त होगा।
एम्मा थॉम्पसन स्कूल
श्री ललित कुमार ‘ललित’
स्टार शब्दकोष की सहायता से आप किसी भी शब्द के ऊपर बस माउस ले जा कर शब्दों का अर्थ जान सकते हैं. उदाहरण के तौर पर: आप किसी वेब साइट या किसी वर्ड फाइल में जैसे ही किसे शब्द पर माउस ले जायेंगे, एक पौप-अप में आपको उस शब्द का अर्थ मिल जाएगा.
1506–1525  Aguz (Souira Guedima)
पुलकेसि २ (कन्नड: ಇಮ್ಮಡಿ ಪುಲಿಕೇಶಿ) (609 - 642) चालुक्य राजवंश का सबसे महान सम्राट था।
मोनैको की राजकुमारशाही (en:Monaco, .फ़्रांसिसी: Principauté de Monaco, मोनेगास्क : Principatu de Munegu, अंग्रेज़ी : Principality of Monaco) यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है । फ़्रांस और इटली के बीच स्थित मोनैको दुनिया का दूसरा सबसे छोटा देश है । इसका मुख्य कस्बा है मॉन्टे कार्लो (en:Monte Carlo) । इसकी मुख्य- और राजभाषा है फ़्रांसिसी भाषा । यहाँ दुनिया के किसी भी देश से ज़्यादा प्रतिव्यक्ति करोड़पति हैं ।
अधिकतर उच्च स्तरीय फोन S60 प्रचालन तन्त्र युक्त होते हैं जिनमें आम तौर पर हिन्दी समर्थन नहीं होता। नोकिया के कुछ चुनिंदा स्मार्टफोन मॉडलों (खासकर पुराने मॉडल) में ही पूर्ण हिन्दी समर्थन (हिन्दी इनपुट सहित) उपलब्ध है। नोकिया के बिना टचस्क्रीन वाले अधिकतर फोन S60 v3 संस्करण युक्त होते हैं जिनमें आम तौर पर हिन्दी प्रदर्शन समर्थन होता है परन्तु इनपुट समर्थन नहीं, उदाहरण के लिये नोकिया ई६३, नोकिया ई७१ आदि। नोकिया के टचस्क्रीन वाले अधिकतर फोन S60 v5 संस्करण युक्त होते हैं जिनमें हिन्दी प्रदर्शन समर्थन आंशिक रुप से होता है अर्थात फोन में हिन्दी फॉण्ट होने से हिन्दी दिखाई तो देती है लेकिन सही प्रकार से रॅण्डर नहीं होती जिस कारण मात्रायें तथा संयुक्ताक्षर सही प्रकार से नहीं दिखते, उदाहरण के लिये नोकिया ऍन९७, नोकिया ऍन९७ मिनी, नोकिया ५८०० ऍक्सप्रैस म्यूजिक, नोकिया ५२३३, नोकिया ५२३० आदि। अभी तक नोकिया के किसी भी टच स्क्रीन फोन में पूर्ण हिन्दी समर्थन (खासकर हिन्दी इनपुट) नहीं देखा गया।
स्पाइरोगाइरा
2 Pi
तत्कालीन ब्रितानी सेना प्रमुख (भारत) जार्ज एनसन ने अपने अफ़सरों की सलाह को दरकिनार हुए इस कवायद और नयी बंदूक से उत्पन्न हुई समस्या को सुलझाने से मना कर दिया।
इधर अपनी बहन को लौट कर आने में विलम्ब होता देख कर हिडिम्ब उस स्थान में जा पहुँचा जहाँ पर हिडिम्बा भीमसेन से वार्तालाप कर रही थी। हिडिम्बा को भीमसेन के साथ प्रेमालाप करते देखकर वह क्रोधित हो उठा और हिडिम्बा को दण्ड देने के लिये उसकी ओर झपटा। यह देख कर भीम ने उसे रोकते हुये कहा, "रे दुष्ट राक्षस! तुझे स्त्री पर हाथ उठाते लज्जा नहीं आती? यदि तू इतना ही वीर और पराक्रमी है तो मुझसे युद्ध कर।" इतना कह कर भीमसेन ताल ठोंक कर उसके साथ मल्ल युद्ध करने लगे। कुंती तथा अन्य पाण्डव की भी नींद खुल गई। वहाँ पर भीम को एक राक्षस के साथ युद्ध करते तथा एक रूपवती कन्या को खड़ी देख कर कुन्ती ने पूछा, "पुत्री! तुम कौन हो?" हिडिम्बा ने सारी बातें उन्हें बता दी।
पाठ देखें.
साँचा:मई कैलंडर२०११ 9 मई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 129वॉ (लीप वर्ष मे 130 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 236 दिन बाकी है।
इस काल के कवियों को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-
प्रतीकों की कुण्जी
इस अंतिम शाखा के अंतर्गत उड़िया, असमी, बँग्ला और पुरबिया भाषाओं की गणना की जाती है। पुरबिया भाषाओं में मैथिली, मगही और भोजपुरी - ये तीन बोलियाँ मानी जाती हैं। क्षेत्रविस्तार और भाषाभाषियों की संख्या के आधार पर भोजपुरी अपनी बहनों मैथिली और मगही में सबसे बड़ी है।
† चंडीगढ़ एक केंद्र शाशित प्रदेश और पंजाब और हरियाणा राज्यों की राजधानी दोनों है।
== यह भी देखिए
इसी प्रकार रसखान ने समस्त शारीरिक अवयवों तथा इन्द्रियों की सार्थकता तभी मानी है, जिनसे कि वे प्रभु के प्रति समर्पित रह सकें।
साँचा:प्राचीन भारत के वैज्ञानिक
वाराणसी विमानक्षेत्र (IATA: VNS, ICAO: VIBN) का नाम लाल बहादुर शास्त्री विमानक्षेत्र है। ये शहर के केन्द्र से लगभग २५ कि.मी. पश्चिम में स्थित है। भारत के वाराणसी शहर में स्थित हवाई अड्डा है। इसका ICAO कोड है: VIBN , और IATA कोड है: VNS । यह नागरिक हवाई अड्डा है। यहाँ कस्टम विभाग है। यहाँ की उड़ान पट्टी पेव्ड है, इसकी लंबाई ७२०० फुट है और यहाँ की अवतरण प्रणाली यांत्रिक है।
DVD के लिए राइटिंग गति 1 × थी, यानी 1350 kB/s ((1,318 KiB/s)), पहले ड्राइव और मीडिया मॉडल में. हाल के अधिक नए मॉडल 18× या 20× में, उस गति का 18 या 20 गुना है. ध्यान दें कि CD ड्राइव के लिए, 1× का अर्थ है 150 KiB/s (153.6 kB/s), लगभग 9 गुना धीमा. [२१]
πr 2 फार्मूला का एक तर्कसंगत सन्निकटन.[१७६][१७७]
सामवेद यद्यपि छोटा है परन्तु एक तरह से यह सभी वेदों का सार रूप है और सभी वेदों के चुने हुए अंश इसमें शामिल किये गये है। सामवेद संहिता में जो १८७५ मन्त्र हैं, उनमें से १५०४ मन्त्र ऋग्वेद के ही हैं। सामवेद संहिता के दो भाग हैं, आर्चिक और गान। पुराणों में जो विवरण मिलता है उससे सामवेद की एक सहस्त्र शाखाओं के होने की जानकारी मिलती है। वर्तमान में प्रपंच ह्रदय, दिव्यावदान, चरणव्युह तथा जैमिनि गृहसूत्र को देखने पर १३ शाखाओं का पता चलता है। इन तेरह में से तीन आचार्यों की शाखाएँ मिलती हैं- (१) कौमुथीय, (२) राणायनीय और (३) जैमिनीय। सामवेद का महत्व इसी से पता चलता है कि गीता में कहा गया है कि -वेदानां सामवेदोऽस्मि। (गीता-अ० १०, श्लोक २२)। महाभारत में गीता के अतिरिक्त अनुशासन पर्व में भी सामवेद की महत्ता को दर्शाया गया है- सामवेदश्च वेदानां यजुषां शतरुद्रीयम्। (म०भा०,अ० १४ श्लोक ३२३)। सामवेद में ऐसे मन्त्र मिलते हैं जिनसे यह प्रमाणित होता है कि वैदिक ऋषियों को एसे वैज्ञानिक सत्यों का ज्ञान था जिनकी जानकारी आधुनिक वैज्ञानिकों को सहस्त्राब्दियों बाद प्राप्त हो सकी है। उदाहरणतः- इन्द्र ने पृथ्वी को घुमाते हुए रखा है। (सामवेद,ऐन्द्र काण्ड,मंत्र १२१), चन्द्र के मंडल में सूर्य की किरणे विलीन हो कर उसे प्रकाशित करती हैं। (सामवेद, ऐन्द्र काण्ड, मंत्र १४७)। साम मन्त्र क्रमांक २७ का भाषार्थ है- यह अग्नि द्यूलोक से पृथ्वी तक संव्याप्त जीवों तक का पालन कर्ता है। यह जल को रूप एवं गति देने में समर्थ है। अग्नि पुराण के अनुसार सामवेद के विभिन्न मंत्रों के विधिवत जप आदि से रोग व्याधियों से मुक्त हुआ जा सकता है एवं बचा जा सकता है, तथा कामनाओं की सिद्धि हो सकती है। सामवेद ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग की त्रिवेणी है। ऋषियों ने विशिष्ट मंत्रों का संकलन करके गायन की पद्धति विकसित की। अधुनिक विद्वान् भी इस तथ्य को स्वीकार करने लगे हैं कि समस्त स्वर, ताल, लय, छंद, गति, मन्त्र, स्वर-चिकित्सा, राग नृत्य मुद्रा, भाव आदि सामवेद से ही निकले हैं।
३. मैं अपनी पुत्रियों का विवाह १६ वर्ष से पहले नहीं करुंगा।

कविता या काव्य क्या है, इस विषय में भारतीय साहित्य में आलोचकों की बड़ी समृद्ध परंपरा है— आचार्य विश्वनाथ, पंडितराज जगन्नाथ, पंडित अंबिकादत्त व्यास, आचार्य श्रीपति, भामह आदि संस्कृत के विद्वानों से लेकर आधुनिक आचार्य रामचंद्र शुक्ल तथा जयशंकर प्रसाद जैसे प्रबुद्ध कवियों और आधुनिक युग की मीरा महादेवी ने कविता का स्वरूप स्पष्ट करते हुए अपने अपने मत व्यक्त किए हैं। विद्वानों का विचार है कि मानव हृदय अनन्त रूपतामक जगत के नाना रूपों, व्यापारों में भटकता रहता है, लकिन जब मानव अहं की भावना का परित्याग करके विशुद्ध अनुभूति मात्र रह जाता है, तब वह मुक्त हृदय हो जाता है। हृदय की इस मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है उसे कविता कहते हैं। कविता मनुष्य को स्वार्थ सम्बन्धों के संकुचित घेरे से ऊपर उठाती है और शेष सृष्टि से रागात्मक संबंध जोड़ने में सहायक होती है। काव्य की अनेक परिभाषाएं दी गई हैं। ये परिभाषाएं आधुनिक हिंदी काव्य के लिए भी सही सिद्ध होती हैं। काव्य सिद्ध चित्त को अलौकिक आनंदानुभूति कराता है तो हृदय के तार झंकृत हो उठते हैं। काव्य में सत्यं शिवं सुंदरम् की भावना भी निहित होती है। जिस काव्य में यह सब कुछ पाया जाता है वह उत्तम काव्य माना जाता है।
हैती (फ्रांसीसीः हैती, हैतियन क्रियोल: अयेति), आधिकारिक तौर पर हैती गणराज्य एक क्रियोल और फ्रांसीसी भाषा बोलने वाला केरिबियन देश है।[१] यह ग्रेटर एल्तिलिअन द्वीपसमूह में हिस्पानिओला द्वीप पर डोमिनिकन गणराज्य के साथ स्थित है। अयेति (ऊंचे पहाड़ों की भूमि) द्वीप के पहाड़ी पश्चिमी हिस्से के लिए स्थानीय ताइनो या अमरेनियन नाम था। देश की सर्वाधिक ऊंची चोटी पिक ला सेली (२,६८० मीटर) है। हैती का कुल क्षेत्रफल २७,७५० वर्ग किलोमीटर है (१०,७१४ वर्ग मील) है और इसकी राजधानी पोर्ट-अउ-प्रिंस है।
आधिकारिक (सीएमवाइके) शीर्ष पट्टी के मूल (0,50,90,0)-रंग कद्दू के सबसे करीब-सीएमवाइके (0,54,90,0 के साथ); ट्रू डीप भगवा (23, 81, 5)) और (0, 24, 85, 15)) हैं।[७]
विण्डोज़ विस्ता माइक्रोसॉफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम की श्रृंखला की सबसे नई कड़ी है और संभवतः विण्डोज़ ९५ के पश्चात सबसे क्रांतिकारी भी। हालांकि विस्ता ऑपरेटिंग सिस्टम को अधिक लोकप्रियता उसके त्रिआयामी ग्राफिक्स स्वरूप और विभिन्न डेस्कटॉप ऍनीमेशन की वजह से मिली है लेकिन वास्तव में यह माइक्रोसॉफ्ट की ओर से जारी किया गया अब तक का सबसे सुरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम भी माना जा रहा है। संचार और नेटवर्किंग के लिहाज से भी यह अपने से पिछले आपरेटिंग सिस्टम की तुलना में ज्यादा क्षमतावान है। विस्ता के लिए हिंदी समर्थन भी पूरी तरह उपलब्ध है और हिंदी लैंग्वेज इंटरफेस पैक (LIP) के माध्यम से विण्डोज़ विस्ता को पूरी तरह हिंदी के रंग में रंगा जा सकता है।

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