बुधवार, 8 मई 2013

आज भारत की वास्‍तुकला का सर्वर उदाहरण “ताजमहल” है जिसने विश्‍व की अपूर्व कलाकृत्तियॉं के सात आश्‍चर्य में शीर्षस्‍थ स्‍थान पाया है । लालकिला, अक्षरधाम मन्दिर, कुतुबमीनार, जामा मस्जिद भी भारतीय वास्‍तुकला का अनुपम उदाहरण रही है । मूर्तिकला, समन्‍वयवादी वास्‍तुकला तथा भित्तिचित्रों की कला के साथ-साथ पर्वतीय कलाओं ने भी भारतीय कला से समृद्ध किया है ।
कपूर एक कार्बनिक यौगिक है। यह सफेद रंग का मोम की तरह का पदार्थ है। इसमे एक तीखी गंध होती है।
छोटी आयु में ही इनका विवाह फरीदाबाद के इज़्ज़त राय की पुत्री नारायनी देवी से हुआ. उनका स्वभाव बहुत विशाल हृदयी था और वे पति के प्रति बहुत समर्पित थीं. शिव दयाल सिंह स्कूल से ही बांदा में एक सरकारी कार्यालय के लिए फारसी के विशेषज्ञ के तौर पर चुन लिए गए. वह नौकरी उन्हें रास नहीं आई. उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी और वल्लभगढ़ एस्टेट के ताल्लुका में फारसी अध्यापक की नौकरी कर ली. सांसारिक उपलब्धियाँ उन्हें आकर्षित नहीं करती थीं और उन्होंने वह बढ़िया नौकरी भी छोड़ दी. वे अपना समस्त समय धार्मिक कार्यों में लगाने के लिए घर लौट आए. [३][५]
खास वाराणसी शहर गंगा और वरुणा नदियों के बीच एक ऊंचे पठार पर बसा है। नगर की औसत ऊंचाई समुद्र तट से ८०.७१ मी. है।[५०] यहां किसी सहायक नदी या नहर के अभाव में मुख्य भूमि लगातार शुष्क बनी रही है। प्राचीन काल से ही यहां की भौगोलिक स्थिति बसावट के लिये अनुकूल रही है। किन्तु नगर की मूल स्थिति का अनुमान वर्तमान से लगाना मुश्किल है, क्योंकि आज की स्थिति कुछ प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित स्थिति से भिन्न है।
समस्त आगम ग्रंथो को चार भागो मैं बांटा गया है १ प्रथमानुयोग् २ करनानुयोग ३ चरर्नानुयोग ४ द्रव्यानुयोग
७. सिद्धपुर- यह ब्रह्मगिरि से एक मील उ. पू. में स्थित है ।
अपने विशुद्ध रूप में ब्रजभाषा आज भी आगरा, धौलपुर, मथुरा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम "केंद्रीय ब्रजभाषा" के नाम से भी पुकार सकते हैं। केंद्रीय ब्रजभाषा क्षेत्र के उत्तर पश्चिम की ओर बुलंदशहर जिले की उत्तरी पट्टी से इसमें खड़ी बोली की लटक आने लगती है। उत्तरी-पूर्वी जिलों अर्थात् बदायूँ और एटा जिलों में इसपर कन्नौजी का प्रभाव प्रारंभ हो जाता है। डा. धीरेंद्र वर्मा, "कन्नौजी" को ब्रजभाषा का ही एक रूप मानते हैं। दक्षिण की ओर ग्वालियर में पहुँचकर इसमें बुंदेली की झलक आने लगती है। पश्चिम की ओर गुड़गाँवा तथा भरतपुर का क्षेत्र राजस्थानी से प्रभावित है।
हिन्दू परम्पराओं एवं पुराणों में दी गयी प्राचीन राजवंशों की सूची के आधार पर तथा अन्य वैदिक ग्रंथों में दी गयी ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर महाभारत काल के बाद का प्राचीन भारतीय राजवंश ऐतिहासिक घटना कालक्रम में निम्नलिखित है-
2008 की कक्षा ने कैम्पस उत्सवों के लिए छात्र समुदाय से "क्लास ऑफ 2008 इवेंट लाउंज़" के निर्माण के लिए रकम जुटाई. 2009 की कक्षा द्वारा दान में दी गयी धनराशि से खुली हवा में रंगशाला का निर्माण किया गया.
बुर्ज ख़लीफ़ा दुबई में आठ अरब डॉलर की लागत से छह साल में निर्मित ८२८ मीटर ऊंची १६८ मंज़िला दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है (जनवरी, सन् २०१० में) । इसका लोकार्पण ४जनवरी, २०१० को भव्य उद्घाटन समारोह के साथ किया गया। इसमें स्वीमिंग पूल, मॉल्स, दफ्तर, सिनेमा हॉल सहित सारी सुविधाएं मौजूद है। इसकी ७६ वीं मंजिल पर एक मस्जिद भी बनाई गई है। इसे ९६ किलोमीटर दूर से भी साफ साफ देखा जा सकता है। इसमें लगाई गई लिफ्ट दुनिया की सबसे तेज चलने वाली लिफ्ट है।
9166 साबरमती एक्सप्रेस -- मुजफ्फरपुर -- अहमदाबाद
इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार प्रारम्भ किए गए ।
के बारे में..
परंपरागत रूप से, सूमो जापान के राष्ट्रीय खेल माना जाता है [६] और यह जापान में एक लोकप्रिय दर्शक खेल है. जूडो जैसे मार्शल आर्ट, कराटे और आधुनिक Kendo भी व्यापक रूप से प्रचलित है और देश में दर्शकों ने आनंद उठाया. मीजी पुनरुद्धार के बाद कई पश्चिमी खेल जापान में शुरू किया गया और शिक्षा प्रणाली के माध्यम से फैल शुरू किया. [७]
१९३१ में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश पुलिस से घिर जाने पर स्वयं को गॊली मार कर अपनी न पकड़े जाने की प्रतिज्ञा को सत्य किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में नेहरु परिवार के पारिवारिक आवास आनन्द भवन एवं स्वराज भवन यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों के केन्द्र रहे थे। यहां से हजारों सत्याग्रहियों को जेल भेजा गया था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु इलाहाबाद निवासी ही थे।
(१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं । इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से हिन्दी और देवनागरी के मानकीकरण की दिशा में निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रयास हुये हैं :-
राय ने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध पर भी एक फ़िल्म बनाने की सोची, लेकिन बाद में यह विचार त्याग दिया क्योंकि उन्हें राजनीति से अधिक शरणार्थियों के पलायन और हालत को समझने में अधिक रुचि थी।[३२]1977 में राय ने मुंशी प्रेमचन्द की कहानी पर आधारित शतरंज के खिलाड़ी फ़िल्म बनाई। यह उर्दू भाषा की फ़िल्म 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक वर्ष पहले अवध राज्य में लखनऊ शहर में केन्द्रित है। इसमें भारत के गुलाम बनने के कारणों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें बॉलीवुड के बहुत से सितारों ने काम किया, जिनमें प्रमुख हैं — संजीव कुमार, सईद जाफ़री, अमजद ख़ान, शबाना आज़मी, विक्टर बैनर्जी और रिचर्ड एटनबरो। 1980 में राय ने गुपी गाइन बाघा बाइन की कहानी को आगे बढ़ाते हुए हीरक राज नामक फ़िल्म बनाई जिसमें हीरे के राजा का राज्य इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौरान के भारत की ओर इंगित करता है।[३३] इस काल की दो अन्य फ़िल्में थी — लघु फ़िल्म पिकूर डायरी (पिकू की दैनन्दिनी) या पिकु और घंटे-भर लम्बी हिन्दी फ़िल्म सदगति।
यह पृष्ठ गुरु शब्द के बारे में है । यदि आप मणिरत्नम द्वारा निर्मित फिल्म के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां जाएं -गुरु (फिल्म)
हरमंदिर साहब परिसर में दो बडे़ और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय के चारों तरफ फैले हुए हैं। इस जलाशय को अमृतसर और अमृत झील के नाम से जाना जाता है। पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद पत्थरों से बना हुआ है और इसकी दिवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है। हरमंदिर साहब में पूरे दिन गुरु बानी की स्वर लहरियां गुंजती रहती हैं। मंदिर परिसर में पत्थर का स्मारक लगा हुआ है। यह पत्थर जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगा हुआ है।
गर्भिणी अपना दाहिना हाथ पेट पर रखे । पति सहित परिवार के सभी परिजन अपना हाथ गर्भिणी की तरफ आश्वासन की मुद्रा में उठाएँ । मन्त्र पाठ तक वही स्थिति रहे । भावना की जाए कि गर्भिणी गर्भस्थ शिशु तथा दैवी सत्ता को आश्वस्त कर रही है । सभी परिजन उसके इस प्रयास में भरपूर सहयोग देने की शपथ ले रहे हैं । इस शुभ संकल्प में दैवी शक्तियाँ सहयोग दे रही है । इस श्रेष्ठ संकल्प-पूर्ति की क्षमता दे रही हैं । ॐ यत्ते ससीमे हृदये हितमन्तः प्रजापतौ । मन्येऽहं मां तद्विद्वांसं, माहं पौत्रमघन्नियाम्॥ - आश्व०गृ०सू० १.१३ आश्वास्तना के बाद अग्नि स्थापन से लेकर गायत्री मन्त्र की आहुतियाँ पूरी करने का क्रम चलाएँ । उसके बाद विशेष आहुतियाँ प्रदान करें ।
दिव्यादान में अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी है, जो चम्पा के एक ब्राह्मण की पुत्री थी ।
मिटटी संदूषण (Soil contamination)
श्री इसाक अश्क
एकबंध (:) द्विबंध (::) की अपेक्षा और द्विबंध त्रिबंध (:::) की अपेक्षा अधिक प्रबल है। जिन यौगिकों में द्विबंध हैं, वे अधिक अस्थायी और अधिक असंतृप्त हैं।
१५. नेतुर- यह मैसूर जिले में स्थित है ।
In 1767, the Parliament passed the Townshend Acts , which placed a tax on a number of essential goods including paper, glass, and tea. 1767 में, संसद पारित अधिनियमों Townshend , रखा,, कांच के पेपर माल सहित आवश्यक संख्या का एक एक कर जिस पर और चाय. Angered at the tax increases, colonists organized a boycott of British goods. कर बढ़ जाती है पर नाराज colonists ब्रिटिश माल की एक बहिष्कार का आयोजन किया. In Boston on March 5, 1770, a large mob gathered around a group of British soldiers. 5 मार्च 1770, एक बड़े ब्रिटिश सैनिकों के एक समूह के पास इकट्ठे हुए भीड़ पर बोस्टन में. The mob grew more and more threatening, throwing snowballs, rocks and debris at the soldiers. भीड़ अधिक से अधिक की धमकी बढ़ी, सैनिकों पर snowballs चट्टानों, और मलबे फेंक. One soldier was clubbed and fell. एक सैनिक था clubbed और गिर गया. All but one of the soldiers fired into the crowd. सभी लेकिन एक भीड़ में निकाल सैनिकों की. Eleven people were hit; three civilians were killed at the scene of the shooting, and two died after the incident. ग्यारह लोगों को, मारा गया था तीन नागरिकों की शूटिंग के दृश्य में मारे गए थे, और दो घटना के बाद निधन हो गया. The event quickly came to be called the Boston Massacre . घटना जल्दी से आया कहा जा करने के लिए बोस्टन नरसंहार . Although the soldiers were tried and acquitted (defended by John Adams ), the widespread descriptions soon became propaganda to turn colonial sentiment against the British. हालांकि सैनिकों की कोशिश की गई और बरी (द्वारा बचाव जॉन एडम्स ), व्यापक विवरण जल्द ही ब्रिटिश औपनिवेशिक भावना के खिलाफ हो गया बारी प्रचार करने के लिए. This in turn began a downward spiral in the relationship between Britain and the Province of Massachusetts. यह बदले में ब्रिटेन और मैसाचुसेट्स के प्रांत के बीच संबंधों में एक नीचे सर्पिल शुरू कर दिया. [ edit ] Tea Act 1773 [ संपादित करें ] चाय अधिनियम 1773 This 1846 lithograph has become a classic image of the Boston Tea Party यह 1846 लिथोग्राफ बोस्टन चाय पार्टी के एक क्लासिक छवि बन गई है Main article: Tea Act मुख्य लेख: चाय अधिनियम Further information: Boston Tea Party इसके अतिरिक्त जानकारी: बोस्टन चाय पार्टी
मुग़ल सम्राटों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण विवरण नीचे सारणीबद्ध है:
Papulation density - 745 per square km.
एस. टी. डी (STD) कोड - (०५६५) जिलाधिकारी - (सितम्बर 2006 में)
परंतु राजनीतिक क्षेत्र में हमारी पत्रकारिता को नेतृत्व प्राप्त नहीं हो सका। पिछले युग की राजनीतिक पत्रकारिता का केंद्र कलकत्ता था। परंतु कलकत्ता हिंदी प्रदेश से दूर पड़ता था और स्वयं हिंदी प्रदेश को राजनीतिक दिशा में जागरूक नेतृत्व कुछ देर में मिला। हिंदी प्रदेश का पहला दैनिक राजा रामपालसिंह का द्विभाषीय "हिंदुस्तान" (1883) है जो अंग्रेजी और हिंदी में कालाकाँकर से प्रकाशित होता था। दो वर्ष बाद (1885 में), बाबू सीताराम ने "भारतोदय" नाम से एक दैनिक पत्र कानपुर से निकालना शुरू किया। परंतु ये दोनों पत्र दीर्घजीवी नहीं हो सके और साप्ताहिक पत्रों को ही राजनीतिक विचारधारा का वाहन बनना पड़ा। वास्तव में उन्नीसवीं शतब्दी में कलकत्ता के भारत मित्र, वंगवासी, सारसुधानिधि और उचित वक्ता ही हिंदी प्रदेश की रानीतिक भावना का प्रतिनिधित्व करते थे। इनमें कदाचित् "भारतमित्र" ही सबसे अधिक स्थायी और शक्तिशाली था। उन्नीसवीं शताब्दी में बंगाल और महाराष्ट्र लोक जाग्रति के केंद्र थे और उग्र राष्ट्रीय पत्रकारिता में भी ये ही प्रांत अग्रणी थे। हिंदी प्रदेश के पत्रकारों ने इन प्रांतों के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया और बहुत दिनों तक उनका स्वतंत्र राजनीतिक व्यक्तित्व विकसित नहीं हो सका। फिर भी हम "अभ्युदय" (1905), "प्रताप" (1913), "कर्मयोगी", "हिंदी केसरी" (1904-1908) आदि के रूप में हिंदी राजनीतिक पत्रकारिता को कई डग आगे बढ़ाते पाते हैं। प्रथम महायुद्ध की उत्तेजना ने एक बार फिर कई दैनिक पत्रों को जन्म दिया। कलकत्ता से "कलकत्ता समाचार", "स्वतंत्र" और "विश्वमित्र" प्रकाशित हुए, बंबई से "वेंकटेश्वर समाचार" ने अपना दैनिक संस्करण प्रकाशित करना आरंभ किया और दिल्ली से "विजय" निकला। 1921 में काशी से "आज" और कानपुर से "वर्तमान" प्रकाशित हुए। इस प्रकार हम देखते हैं कि 1921 में हिंदी पत्रकारिता फिर एक बार करवटें लेती है और राजनीतिक क्षेत्र में अपना नया जीवन आरंभ करती है। हमारे साहित्यिक पत्रों के क्षेत्र में भी नई प्रवृत्तियों का आरंभ इसी समय से होता है। फलत: बीसवीं शती के पहले बीस वर्षों को हम हिंदी पत्रकारिता का तीसरा चरण कह सकते हैं।
भूटान का राजतंत्र हिमालय पर बसा दक्षिण एशिया का एक छोटा और महत्वपूर्ण देश है। यह देश चीन (तिब्बत) और भारत के बीच स्थित है। इस देश का स्थानीय नाम द्रुक यू है, जिसका अर्थ होता है 'ड्रैगन का देश । यह देश मुख्यतः पहाड़ी है केवल दक्षिणी भाग में थोड़ी सी समतल भूमि है। सांस्कृतिक और धार्मिक तौर से तिब्बत से जुड़ा है, लेकिन भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर वर्तमान में यह देश भारत के करीब है।
वे संस्कृत के भी विद्वान हैं, इस भाषा में उन्होंने वेदान्त के नए सूत्र (प्रज्ञा सूत्र) की रचना की है।
फ़िरदौसी का जन्म 920 ई. में खुरासान के तूस नामक कस्बे में हुआ। असदी नामक कवि ने उसे शिक्षा दी और कविता की ओर प्रेरित किया। उसने ईरान के पौराणिक राजाओं के संबंध में उसे एक ग्रंथ दिया जिसके आधार पर फ़िरदौसी ने शाहनामे की रचना की। इसमें 60,000 शेर हैं। वह 35 वर्ष तक इस महान् कार्य में व्यस्त रहा और 25 फरवरी, 1010 ई. को इसे पूरा किया। इस समय वह 85 वर्ष का हो चुका था। उसने यह काव्य सुल्तान महमूद ग़ज़नवी को समर्पित किया जिसने 999 ई. में खुरासान विजय कर लिया था। उसे केवल 20 हजार दिरहम प्रदान किए गए। फ़िरदौसी के तन बदन में आग लग गई। वह अपने देश से हिरात की ओर भागा किंतु भागने से पूर्व एक कविता शाहनामे में जोड़ गया, जिसमें सुल्तान महमूद की घोर निंदा की गई है।
Sovereignty ("by God" or "by people") must be distinguished from its exercise by branches of government. In democratic states, sovereignty is held by the citizenry. This is known as popular sovereignty; it may be exercised directly, as in a popular assembly, or, more commonly, indirectly through the election of representatives to government. This is known as a representative democracy, a system of government currently used in most countries. Popular sovereignty also exists in other forms, such as in constitutional monarchies, usually identical in political reality as in the Commonwealth realms. Systems of representative democracy can also be mixed with other methods of government, for instance the use of referenda in many countries.
उपसाला में इनका समय आर्थिक तंगी में गुजरा, जब तक ये एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ओलोफ सेल्सियस से नहीं मिले। ओलोफ खगोलज्ञ ऐन्डर्स सेल्सियस का भतीजा था। ऐन्डर्स सेल्सियस वही थे, जिहोंने थर्मामीटर का आविष्कार किया था, और तापमान स्केल को उन्हिं का नाम दिया गया था। सेल्सियस कार्ल के ज्ञान एवं वनस्पति संग्रह से पहुत प्रभावित हुए, तथा उन्हें आवास तथा खाने की सुविधा का प्रस्ताव दिया। अब कार्ल के दिन सुधरे।[२]लीनियस ने उप्साला विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा ग्रहण की थी और १७३० में वो वहाँ पर वनस्पति विज्ञान के व्याख्यान देने लगे थे। उन्होंने १७३५-१७३८ के बीच विदेश प्रवास किया जहाँ उन्होने आगे की पढ़ाई जारी रखी साथ ही इनकी पुस्तक सिस्टेमा नेचुरी का पहला संस्करण १७३५ में नीदरलैंड में प्रकाशित हुआ। यह पुस्तक प्रथम संस्करण में मात्र ग्यारह पृष्ठों की थी। इसमें दशम संस्करण (१७५८) तक पहुंचते हुए ४४०० से अधिक जंतुओं की प्रजातियों एवं ७७०० से अधिक पादपों की प्रजातियों का वर्गीकरण किया गया था।
हमारे शास्त्रों में मान्य सोलह संस्कारों में गर्भाधान पहला है। गृहस्थ जीवन में प्रवेश के उपरान्त प्रथम क‌र्त्तव्य के रूप में इस संस्कार को मान्यता दी गई है। गार्हस्थ्य जीवन का प्रमुख उद्देश्य श्रेष्ठ सन्तानोत्पत्ति है। उत्तम संतति की इच्छा रखनेवाले माता-पिता को गर्भाधान से पूर्व अपने तन और मन की पवित्रता के लिये यह संस्कार करना चाहिए। वैदिक काल में यह संस्कार अति महत्वपूर्ण समझा जाता था।
अष्टाध्यायी के अतिरिक्त उसी से संबंधित गणपाठ और धातुपाठ नामक दो प्रकरण भी निश्चित रूप से पाणिनि निर्मित थे। उनकी परंपरा आज तक अक्षुण्ण चली आती है, यद्यपि गणपाठ में कुछ नए शब्द भी पुरानी सूचियों में कालांतर में जोड़ दिए गए हैं। वर्तमान उणादि सूत्रों के पाणिनिकृत होने में संदेह है और उन्हें अष्टाध्यायी के गणपाठ के समान अभिन्न अंग नहीं माना जा सकता। वर्तमान उणादि सूत्र शाकटायन व्याकरण के ज्ञात हाते हैं।
(सभी बंग्ला से हिन्दी में रुपांतरण) अक्लांत कौरव, अग्निगर्भ, अमृत संचय, आदिवासी कथा, ईंट के ऊपर ईंट, उन्तीसवीं धारा का आरोपी, उम्रकैद, कृष्ण द्वादशी, ग्राम बांग्ला, घहराती घटाएँ, चोट्टि मुंडा और उसका तीर, जंगल के दावेदार, जकड़न, जली थी अग्निशिखा, झाँसी की रानी, टेरोडैक्टिल, दौलति, नटी, बनिया बहू, मर्डरर की माँ, मातृछवि, मास्टर साब, मीलू के लिए, रिपोर्टर, रिपोर्टर, श्री श्री गणेश महिमा, स्त्री पर्व, स्वाहा और हीरो-एक ब्लू प्रिंट आदि
आज दलितों को भारत में जो भी अधिकार मिले हैं उसकी पृष्ठभूमि इसी शासन की देन थी। यूरोप में हुए पुर्नजागरण और ज्ञानोदय आंदोलनों के बाद मानवीय मूल्यों का महिमा मंडन हुआ। यही मानवीय मूल्य यूरोप की क्रांति के आर्दश बने। इन आर्दशों की जरिए ही यूरोप में एक ऐसे समाज की रचना की गई जिसमें मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता दी गई। ये अलग बाद है कि औद्योगिकीकरण के चलते इन मूल्यों की जगह सबसे पहले पूंजी ने भी यूरोप में ली...लेकिन इसके बावजूद यूरोप में ही सबसे पहले मानवीय अधिकारों को कानूनी मान्यता दी गई। इसका सीधा असर भारत पर पड़ना लाजमी था और पड़ा भी। इसका सीधा सा असर हम भारत के संविधान में देख सकते हैं। भारतीय संविधान की प्रस्तावना से लेकर सभी अनुच्छेद इन्ही मानवीय अधिकारों की रक्षा करते नज़र आते हैं। भारत में दलितों की कानूनी लड़ाई लड़ने का जिम्मा सबसे सशक्त रूप में डॉ. अम्बेडकर ने उठाया। डॉ अम्बेडकर दलित समाज के प्रणेता हैं। बाबा साहब अंबेडकर ने सबसे पहले देश में दलितों के लिए सामाजिक,राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों की पैरवी की। साफ दौर भारतीय समाज के तात्कालिक स्वरूप का विरोध और समाज के सबसे पिछडे़ और तिरस्कृत लोगों के अधिकारों की बात की। राजनीतिक और सामाजिक हर रूप में इसका विरोध स्वाभाविक था। यहां तक की महात्मा गांधी भी इन मांगों के विरोध में कूद पड़े। बाबा साहब ने मांग की दलितों को अलग प्रतिनिधित्व (पृथक निर्वाचिका) मिलना चाहिए यह दलित राजनीति में आज तक की सबसे सशक्त और प्रबल मांग थी। देश की स्वतंत्रता का बीड़ा अपने कंधे पर मानने वाली कांग्रेस की सांसें भी इस मांग पर थम गई थीं। कारण साफ था समाज के ताने बाने में लोगों का सीधा स्वार्थ निहित था और कोई भी इस ताने बाने में जरा सा भी बदलाव नहीं करना चाहता था। महात्मा गांधी जी को इसके विरोध की लाठी बनाया गई और बैठा दिया गया आमरण अनशन पर। आमरण अनशन वैसे ही देश के महात्मा के सबसे प्रबल हथियार था और वो इस हथियार को आये दिन अपनी बातों को मनाने के लिए प्रयोग करते रहते थे। बाबा साहब किसी भी कीमत पर इस मांग से पीछे नहीं हटना चाहते थे वो जानते थे कि इस मांग से पीछे हटने का सीधा सा मतलब था दलितों के लिए उठाई गई सबसे महत्वपूर्ण मांग के खिलाफ में हामी भरना। लेकिन उन पर चारों ओर से दबाव पड़ने लगा.और अंततः पूना पैक्ट के नाम से एक समझौते में दलितों के अधिकारों की मांग को धर्म की दुहाई देकर समाप्त कर दिया गया। इन सबके बावजूद डॉ.अंबेडकर ने हार नहीं मानी और समाज के निचले तबकों के लोगों की लड़ाई जारी रखी। अंबेडकर की प्रयासों का ही ये परिणाम है कि दलितों के अधिकारों को भारतीय संविधान में जगह दी गई। यहां तक कि संविधान के मौलिक अधिकारों के जरिए भी दलितों के अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश की गई।
कई सालों के दर्मियान नवाब थोड़ा थोड़ा कर के अपनी आज़ादी खोते गए। अंग्रेज़ फ़ौज की सुरक्षा और युद्ध में सहायता का खर्च चुकाने के लिए अवध ने पहले चुनार का किला, और फिर बनारस और ग़ाज़ीपुर के जिले, और फि इलाहाबाद का किला दे दिया। इस दौरान नवाब द्वारा कंपनी को दिए जाने वाली नकदी सहायता भी बढ़ती ही गई।
गुण कार्य का असमवायिकरण "गुण" है। रूप, रस, गंध, स्पर्श, संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग, विभाग, परत्व, अपरत्व, गुरुत्व, द्रवत्व, स्नेह (चिकनापन), शब्द, ज्ञान, सुख, दु:ख, इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, धर्म अधर्म तथा संस्कार ये चौबीस गुण के भेद हैं। इनमें से रूप, गंध, रस, स्पर्श, स्नेह, स्वाभाविक द्रवत्व, शब्द तथा ज्ञान से लेकर संस्कार पर्यंत, ये "वैशेषिक गुण" हैं, अवशिष्ट साधारण गुण हैं। गुण द्रव्य ही में रहते हैं।
तात्या असीरगढ पहुँचना चाहते थे, परंतु असीर पर कडा पहरा था। अतः निमाड से बिदा होने के पहले तात्या ने खण्डवा, पिपलोद आदि के पुलिस थानों और सरकारी इमारतों में आग लगा दी। खण्डवा से वे खरगोन होते हुए सेन्ट्रल इण्डिया वापस चले गये। खरगोन में खजिया नायक अपने ४००० अनुयायियों के साथ तात्या टोपे के साथ जा मिला। इनमें भील सरदार और मालसिन भी शामिल थे। यहाँ राजपुर में सदरलैण्ड के साथ एक घमासान लडाई हुई, परंतु सदरलैण्ड को चकमा देकर तात्या नर्मदा पार करने में सफल हो गये। भारत की स्वाधीनता के लिए तात्या का संघर्ष जारी था। एक बार फिर दुश्मन के विरुद्ध तात्या की महायात्रा शुरु हुई खरगोन से छोटा उदयपुर, बाँसवाडा, जीरापुर, प्रतापगढ, नाहरगढ होते हुए वे इन्दरगढ पहुँचे। इन्दरगढ में उन्हें नेपियर, शाबर्स, समरसेट, स्मिथ, माइकेल और हार्नर नामक ब्रिगेडियर और उससे भी ऊँचे सैनिक अधिकारियों ने हर एक दिशा से घेर लिया। बचकर निकलने का कोई रास्ता नहीं था, लेकिन तात्या में अपार धीरज और सूझ-बूझ थी। अंग्रेजों के इस कठिन और असंभव घेरे को तोडकर वे जयपुर की ओर भागे। देवास और शिकार में उन्हें अंग्रेजों से पराजित होना पडा। अब उन्हें निराश होकर परोन के जंगल में शरण लेने को विवश होना पडा।
राज्य का आश्रय पाकर अनेक स्तूपों, चैत्यों, बिहारों, स्तंभों, तोरणों, और गुफामंदिरों में वास्तुकला का चरम विकास हुआ। तत्कालीन वास्तुकौशल के उत्कृष्ट उदाहरण पत्थर और ईंट के साथ-साथ लकड़ी पर भी मिलते हैं, जिनके विषय में सर जॉन मार्शल ने "भारत का पुरातात्विक सर्वेंक्षण, 1912-13" में लिखा है कि "वे तत्कलीन कृतियों की अद्वितीय सूक्ष्मता और पूर्णता का दिग्दर्शन कराते हैं। उनके कारीगर आज भी यदि संसार में आ सकते, तो अपनी कला के क्षेत्र में कुछ विशेष सीखने योग्य शायद न पो।" "साँची, भरहुत, कुशीनगर, बेसनगर (विदिशा), तिगावाँ (जबलपुर) उदयगिरि, प्रयाग, कार्ली (बंबई), अजंता, इलोरा, विदिशा, अमरावती, नासिक, जुनार (पूना), कन्हेरी, भुज, कोंडेन, गांधार (वर्तमान कंधार-अफगानिस्तान), तक्षशिला पश्चिमोत्तर सीमांत में चौथी शती ई. पू. से चौथी शती ई. तक की वास्तुकृतियाँ कला की दृष्टि से अनूठी हैं। दक्षिण भारत में गुंतूपल्ले (कृष्ण जिला) और शंकरन् पहाड़ी (विजगापट्टम् जिला) में शैलकृत्त वास्तु के दर्शन होते हैं। साँची, नालंदा और सारनाथ में अपेक्षाकृत बाद की वास्तुकृतियाँ हैं।
समुद्र तल से उचाई - मी.
उन्हां ने आपणे फ़िलमी जीवन दी शुरुआत 'रहिणा है तेरे दिल में' नां दी फ़िलम नाल कीती। इस विच्च उन्हां ने आर. माधवन दे नाल कम्म कीता। हालांकि इह फ़िलम बाक्कस आफ़िस ते सफल नहीं होई पर इस फ़िलम दा संगीत बहुत ही वधीआ सी। इस तों बाद उन्हां ने 'दीवानापण' अते 'तुमको नां भूल पाएंगे' विच्च कम्म कीता।
1500–1822  Brazil
यह शहर प्रारंभ से ही गुलाबी नगरी नहीं था बल्कि अन्य नगरों की ही तरह था, लेकिन १८५३ में जब वेल्स के राजकुमार आए तो पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंग जादुई आकर्षण प्रदान करने की कोशिश की गई थी। उसी के बाद से यह शहर गुलाबी नगरी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। सुंदर भवनों के आकर्षक स्थापत्य वाले, दो सौ वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैले जयपुर में जलमहल, जंतर-मंतर, आमेर महल, नाहरगढ़ का किला, हवामहल और आमेर का किला राजपूतों के वास्तुशिल्प के बेजोड़ नमूने हैं।
हैदर अली, (१७२२-१७८२), मैसूर का शासक था।
शस्य श्यामलां मातरम्
एंजियोजिनेसिस संदमक रक्त वाहिनियों की व्यापक वृद्धि को रोकता है (एंजियोजिनेसिस) जो ट्यूमर को जीवित रहने के लिए जरुरी है.कुछ, जैसे बेवासीज़ुमेब, को मान्यता दे दी गयी है और चिकित्सकीय उपयोग में इनका उपयोग किया जा रहा है. एन्जियोजिनेसिस विरोधी दवाओं के साथ एक मुख्य समस्या यह है कि कई कारक सामान्य और कैंसर युक्त कोशिकाओं में रक्त वाहिनियों की वृद्धि को उत्तेजित करते हैं. एंजियोजिनेसिस विरोधी दवाये केवल एक ही कारक को लक्ष्य बनाती हैं, इसलिए अन्य कारक रक्त वाहिनी की वृद्धि को उत्तेजित करना जारी रखते हैं.अन्य समस्याओं में शामिल हैं प्रशासन का मार्ग, स्थिरता का रख-रखाव, और ट्यूमर वाहिका संरचना पर क्रिया और लक्ष्यीकरण.[८५]
During the first half-century after the Constitution was ratified, the right of secession was asserted on several occasions, and various states considered secession (including, for example, the Hartford Convention after the War of 1812; in response, not a single state objected on the grounds that such was unlawful. It was not until later, c. 1830, that Andrew Jackson, Joseph Story, Daniel Webster and others began to publish the theory that secession was illegal, and that the United States was a supremely sovereign nation over the various member-states. These writers inspired Lincoln's later declaration that "no state may lawfully get out of the Union by its own mere motion", based on the premise that "the Union is older than the Constitution or the even states," in effect an assertion that the 1781 confederation had conferred union on the states.
न्यायपालिका (Judiciary या judicial system या judicature) किसी भी जनतंत्र के तीन प्रमुख अंगों में से एक है । अन्य दो अंग हैं - कार्यपालिका और व्यवस्थापिका। न्यायपालिका, संप्रभुतासम्पन्न राज्य की तरफ से कानून का सही अर्थ निकालती है एवं कानून के अनुसार न चलने वालों को दण्डित करती है। इस प्रकार न्यायपालिका विवादों को सुलझाने एवं अपराध कम करने का काम करती है जो अप्रत्यक्ष रूप से समाज के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। 'शक्तियों के पृथक्करण सिद्धान्त के अनुरूप न्यायपालिका स्वयं कोई नियम नहीं बनाती और न ही यह कानून का क्रियान्यवन कराती है।
अब न अगले वलवले हैं और न अरमानों की भीड़
अल्मोड़ा  · उधमसिंह नगर  · चम्पावत  · नैनीताल  · पिथौरागढ़  · बागेश्वर
आर्यों का कई शाखाए ईरान (तथा अन्य देशों तथा क्षेत्रों) में आई। इनमें से कुछ मिदि, कुछ पार्थियन, कुछ फारसी, कुछ सोगदी तो कुछ अन्य नामों से जाने गए। मीदी तथा फारसियों का ज़िक्र असीरियाई स्रोतों में 836 ईसापूर्व के आसपास मिलता है। लगभग यही समय जरथुस्ट्र (ज़रदोश्त या ज़ोरोएस्टर के नाम से भी प्रसिद्ध) का काल माना जाता है। हालांकि कई लोगों तथा ईरानी लोककथाओं के अनुसार ज़रदोश्त बस एक मिथक था कोई वास्तविक आदमी नहीं। पर चाहे जो हो उसी समय के आसपास उसके धर्म का प्रचार उस पूरे प्रदेश में हुआ।
प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी शिवरात्रि कहलाती है, लेकिन फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी महाशिवरात्रि कही गई है। इस दिन शिवोपासना भुक्ति एवं मुक्ति दोनों देने वाली मानी गई है, क्योंकि इसी दिन अर्धरात्रि के समय भगवान शिव लिंगरूप में प्रकट हुए थे।
यह द्वीप के दक्षिणतम छोर पर गंगा डेल्टा में गंगा के बंगाल की खाड़ी में पूर्ण विलय (संगम) के बिंदु पर लगता है।[४] बहुत पहले इस ही स्थानपर गंगा जी की धारा सागर में मिलती थी, किंतु अब इसका मुहाना पीछे हट गया है। अब इस द्वीप के पास गंगा की एक बहुत छोटी सी धारा सागर से मिलती है। [३] यह मेला पांच दिन चलता है। इसमें स्नान मुहूर्त तीन ही दिनों का होता है। यहां गंगाजी का कोई मंदिर नहीं है, बस एक मील का स्थान निश्चित है, जिसे मेले की तिथि से कुछ दिन पूर्व ही संवारा जाता है। यहां स्थित कपिल मुनि का मंदिर सागर बहा ले गया, जिसकी मूर्ति अब कोलकाता में रहती है, और मेले से कुछ सप्ताह पूर्व पुरोहितों को पूजा अर्चना हेतु मिलती है। अब यहां एक अस्थायी मंदिर ही बना है। [३] इस स्थान पर कुछ भाग चार वर्षों में एक बार ही बाहर आता है, शेष तीन वर्ष जलमग्न रहता है। इस कारण ही कह जाता है:
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तब अर्धरात्रि में वह आया लेकिन उसे उन तीनों पर कुछ संदेह हुआ की वे ब्राह्मण नहीं है और उन्हेण उनके वास्तविक रूप में आने को कहा। तब श्रीकृष्ण की खरी-खोटी सुनने के बाद उसे क्रोध आ गया और उस्ने कहा की उन्हें जो भी चाहिए वे माँग ले और यहाँ से चले जाएं। तब उन्होंने ब्राह्मण भेष में ही जरासंध को मल्लयुद्ध करने के लिए कहा और फिर अपना वास्तविक परिचय दिया। उसने मल्ल युद्ध के लिए भीम को चुना।
अंग्रेजी में कर्नाटक शब्द विकृत होकर कर्नाटिक (Karnatic) अथवा केनरा (Canara), फिर केनरा से केनारीज़ (Canarese) बन गया है। उत्तरी भारत की हिंदी तथा अन्य भाषाओं में कन्नड़ शब्द के लिए कनाडी, कन्नडी, केनारा, कनारी का प्रयोग मिलता है।
इसे फारसी-अरबी लिपि में लिखा जाता है ।
एक बार देवासुर संग्राम में, देवाताओं की सहायता के लिए राजा दिवोदास के पुत्र प्रतर्दन स्वर्गलोक गये थे। वहां उनकी अद्वितीय युद्धकला एवं शौर्य से प्रसन्न होकर इन्द्र ने उन्हें वरदान देना चाहा था। इस पर प्रतर्दन ने कहा-'हे देवराज! जिस श्रेष्ठ वर को आप मानव-जाति के लिए परम कल्याणयुक्त मानते हों, वैसा ही कोई श्रेष्ठ वर आप स्वयं ही मुझे प्रदान करें।'
"विद्यावतां भागवते परीक्षा" - भागवत विद्वत्ता की कसौटी है और इसी कारण टीकासंपत्ति की दृष्टि से भी यह अतुलनीय है। विभिन्न वैष्णव संप्रदाय के विद्वानों ने अपने विशिष्ट मत की उपपत्ति तथा परिपुष्टि के निमित्त भागवत के ऊपर स्वसिद्धांतानुयायी व्याख्याओं का प्रणयन किया है जिनमें कुछ टीकाकारों का यहाँ संक्षिप्त संकेत किया जा रहा हैहृश्रीधर स्वामी (भावार्थ दीपिका; 13वीं शती, भागवत के सबसे प्रख्यात व्याखाकार), सुदर्शन सूरि (14वीं शती की शुकपक्षीया व्याख्या विशिष्टाद्वैतमतानुसारिणी है); विजय ध्वज (पदरत्नावली 16वीं शती; माध्वमतानुयायी), वल्लभाचार्य (सुबोधिनी 16वीं श., शुद्धाद्वैतवादी), शुदेवाचार्य (सिद्धांतप्रदीप, निबार्कमतानुयायी), सनातन गोस्वामी (बृहदैवैष्णवताषिणी), जीव गोस्वामी (क्रमसंदर्भ)। फ्हफ्द्झस्फ्द्झ्सग्फ्द्ल्झेव्ग्
इस भाषा के नाम को "तमिल" या "तामिल" के रूप में हिन्दी भाषा-भाषी उच्चारण करते हैं। तमिल भाषा के साहित्य तथा निघण्टु में तमिल शब्द का प्रयोग 'मधुर' अर्थ में हुआ है। कुछ विद्वानों ने संस्कृत भाषा के द्राविड़ शब्द से तमिल शब्द की उत्पत्ति मानकर द्राविड़ > द्रविड़ > द्रमिड > द्रमिल > तमिल आदि रूप दिखाकर तमिल की उत्पत्ति सिद्ध की है, किन्तु तमिल के अधिकांश विद्वान इस विचार से सर्वथा असहमत हैं।
6. हजारी प्रसाद द्विवेदी : हिंदी साहित्य की भूमिका; हिंदी साहित्य का आदिकाल; हिंदी साहित्य :उद्भव और विकास
इसकी सबसे महत्वपूर्ण परिणति यह हुई है कि अब विंडोज़ हिंदी का संपूर्ण इंटरफ़ेस ही हिंदी में रूपांतरित हो गया है अर्थात् इसका मेनू, सबमेनू, सहायता आदि भी हिंदी में हो गए हैं। इससे अंग्रेज़ी न जानने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए काफ़ी सुविधा हो गई है। अब फ़ाइलों के नाम हिंदी में रखे जा सकते हैं। हिंदी और अंग्रेज़ी में तथा हिंदी के विभिन्न कुंजीपटलों के बीच स्विच करने के लिए एक भाषा पट्टी दी गई है। इस पट्टी की सहायता से उपयोगकर्ता हिंदी के विभिन्न कुंजीपटलों में से अपनी पसंद के कुंजीपटल का चुनाव कर सकते हैं। इनमें प्रमुख कुंजीपटल हैं: रेमिंगटन,इन्स्क्रिप्ट और ध्वन्यात्मक लिप्यंतरण कुंजीपटल। रेमिंगटन कुंजीपटल उन उपयोगकर्ताओं के लिए सहज है जो टाइपराइटर पर काम करना के अभ्यस्त रहे हैं। इन्स्क्रिप्ट कुंजीपटल कंप्यूटर का तर्कसंगत कुंजीपटल है, जिसे देवनागरी के वर्णक्रम के अनुरूप बनाया गया है।
दक्षिण अफ्रीका में गांधी को भारतीयों पर भेदभाव का सामना करना पड़ा।आरंभ में उसे प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के लिए में ट्रेन से बाहर फैंक दिया गया था। पायदान पर शेष यात्रा करते हुए एक यूरोपियन यात्री के अंदर आने के लिए उसे चालक द्वारा पिटाई भी झेलनी पड़ी थी। उन्होंने अपनी इस यात्रा में अन्य कठिनाइयों का सामना किया जिसमें कई होटलों को उनके लिए वर्जित कर दिया गया। इसी तरह ही बहुत सी घटनाओं मे की एक अदालत के न्यायाधीश ने गांधी जी को अपनी पगड़ी|पगड़ी उतारने के लिए आदेश दिया था जिसे गांधी जी ने नहीं माना। ये सारी घटनाएं गांधी जी के जीवन में एक मोड़ बन गई और विद्ध्‍मान सामाजिक अन्याय के प्रति जागरूकता का कारण बना तथा सामाजिक सक्रियता की व्याख्या करने में मदद की। दक्षिण अफ्रीका में पहली नज़र में ही भारतीयों पर और अन्याय को देखते हुए गांधी जी ने अंग्रजी साम्राज्य के अंतर्गत अपने लोगों के सम्मान तथा देश में स्वयं अपनी स्थिति के लिए प्रश्न उठाएं।
बिहार की राजधानी पटना के दक्षिणपूर्व में लगभग १०० किलोमीटर दूर स्थित बोधगया गया जिले से सटा एक छोटा शहर है। कहते हैं बोधगया में बोधि पेड़़ के नीचे तपस्या कर रहे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. तभी से यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. वर्ष २००२ में यूनेस्को द्वारा इस शहर को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया।
7.
जब सन् १९२२ में चौरी चौरा काण्ड हुआ और गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया तो कुछ नेताओं ने इसके विरोध में स्वराज पार्टी की स्थापना की। इन नेताओंका विचार था कि असहयोग आन्दोलन को वापस नही लिया जाना चाहिये था क्योंकि इस आन्दोलन को आश्चर्यचकित करने वाली सफलता मिल रही थी और कुछ दिनों में यह अंग्रेजी राज की कमर तोड़ देती। दिसम्नर, १९२२ में चित्तरंजन दास, एन सी केलकर और मोतीलाल नेहरू ने कांग्रेस-खिलाफत स्वराज्य पार्टी नाम के दल की स्थापना की जिसके अध्यक्ष श्री चित्तरंजन दास बनाये गये और मोतीलाल उसके एक सचिव बनाये गये। इस प्रकार कांग्रेस में दो दल बन गये।
ॐ पुरुदस्मो विषुरूपऽ इन्दुः अन्तमर्हिमानमानञ्जधीरः । एकपदीं द्विपदीं त्रिपदीं चतुष्पदीम्, अष्टापदीं भ्ाुवनानु प्रथन्ता स्वाहा । -८.३०
Colonial Kolkata
घाट से गंगा का दृश्य
संरेखण="दाएँ"|१८.२ अरब डॉलर
पाम जुमेरह पर एक मोनोरेल 2009 में खोला गया . यह क्षेत्र में बनाई गई पहली मोनोरेल है .
श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी का जन्म 16 सितंबर 1916 को तमिलनाडू के मदुरै शहर में हुआ। आप ने छोटी आयु से संगीत का सिक्षण आरंभ किया, और दस साल की उम्र में ही अपना पहला डिस्क रेकौर्ड किया। इसके बाद आपने शेम्मंगुडी श्रीनिवास अय्यर से कर्णाटक संगीत में, तथा पंडित नारायणराव व्यास से हिंदुस्तानी संगीत में उच्च शिक्षा प्राप्त की। आपने सत्रह साल की आयु में चेन्नै की विख्यात 'म्यूज़िक अकैडेमी' में संगीत कार्यक्रम पेश किया। इसके बाद आपने मलयालम से लेकर पंजाबी तक भारत की अनेक भाषाओं में गीत रेकौर्ड किये।
सोनपुर- सोनपुर का नाम जैसा प्रतिबिम्बित करता है, इस अनुपम शहर के विभिन्न भागों में पुराने सोने के सिक्के पाए जाते थे। यह महानदी और तेल नदी के संगम के मध्य स्थित बसाया गया एक प्राचीन नगर है। यह बलांगीर से ४८ किलोमीटर दूर है और चारों ओर मन्दिरों से घिरा है।
Eastern Kolkata wetlands
बिहार की राजधानी पटना के दक्षिणपूर्व में लगभग १०० किलोमीटर दूर स्थित बोधगया गया जिले से सटा एक छोटा शहर है। कहते हैं बोधगया में बोधि पेड़़ के नीचे तपस्या कर रहे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. तभी से यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. वर्ष २००२ में यूनेस्को द्वारा इस शहर को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया।
राय ने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध पर भी एक फ़िल्म बनाने की सोची, लेकिन बाद में यह विचार त्याग दिया क्योंकि उन्हें राजनीति से अधिक शरणार्थियों के पलायन और हालत को समझने में अधिक रुचि थी।[३२]1977 में राय ने मुंशी प्रेमचन्द की कहानी पर आधारित शतरंज के खिलाड़ी फ़िल्म बनाई। यह उर्दू भाषा की फ़िल्म 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक वर्ष पहले अवध राज्य में लखनऊ शहर में केन्द्रित है। इसमें भारत के गुलाम बनने के कारणों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें बॉलीवुड के बहुत से सितारों ने काम किया, जिनमें प्रमुख हैं — संजीव कुमार, सईद जाफ़री, अमजद ख़ान, शबाना आज़मी, विक्टर बैनर्जी और रिचर्ड एटनबरो। 1980 में राय ने गुपी गाइन बाघा बाइन की कहानी को आगे बढ़ाते हुए हीरक राज नामक फ़िल्म बनाई जिसमें हीरे के राजा का राज्य इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौरान के भारत की ओर इंगित करता है।[३३] इस काल की दो अन्य फ़िल्में थी — लघु फ़िल्म पिकूर डायरी (पिकू की दैनन्दिनी) या पिकु और घंटे-भर लम्बी हिन्दी फ़िल्म सदगति।
विकिपीडिया को मई 2004 में दो प्रमुख सम्मान मिले: पहला प्रिक्स आर्स इलेक्ट्रोनिका द्वारा गोल्डन नीसा फार डिजीटल कम्युनीटीज़; दुसरा कमुनिटी क्षेत्र में जजों द्वारा वेबी सम्मान। साथ ही विकिपीडिया को कई स्रोत्रों से प्रशंसा भी मिली है, जिनमें प्रमुख हैं: बीबीसी न्युज़, वाशिंगटन पोस्ट, द इकोनॉमिस्ट, न्यूज़ वीक, टाइम मैगज़ीन और रीइडर-डाइजेस्ट। टाइम मैगज़ीन ने विकिपीडिया के संस्थापक जिमी वेल्स को वर्ष 2006 के विश्व के 100 सवसे प्रभावशाली व्यक्तियो में से एक भी बताया। विकिपीडिया का अब 6 अरब के ज़्यादा लेख है 250 भाषा में।
(8) नैयायिक लोग शिव के भक्त हैं और वैशेषिक महेश्वर या पशुपति के भक्त हैं। आगम शास्त्र के अनुसार इन देवताओं में परस्पर भेद है।
याज्ञवल्क्य- गन्धर्वलोक आदित्यलोक में ओतप्रोत है।
The Andes mountains around Santiago are quite tall, culminating in Tupungato volcano at ६,५७० मी. (२१,५५५ फुट). Other volcanoes include Tupungatito, San José and Maipo. Cerro El Plomo is the highest mountain visible from Santiago's urban area.
पश्चिम बंगाल का मौसम मुख्यतः उष्णकटिबंधीय है।
16. तातरस्तान
तीसरी श्रेणी के नीचे के कर्मचारियों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों तथा कार्य प्रभारित कर्मचारियों को छोड़कर केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के साथ-साथ केन्द्र सरकार के स्वामित्व एवं नियंत्रणाधीन निगमों, उपक्रमों, बैंकों आदि के कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए हिन्दी भाषा, टंकण एवं आशुलिपि का अनिवार्य प्रशिक्षण ।
Tsunami Memorial
भगवान राम ने जब रावण को युद्ध में परास्त किया और उसके छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया| राम, सीता, लक्षमण और कुछ वानर जन पुष्पक विमान से अयोध्या कि ओर प्रस्थान किया| वहां सबसे मिलने के बाद राम और सीता का अयोध्या मे राज्याभिषेक हुआ| पूरा राज्य कुशल समय व्यतीत करने लगा|
महाराष्ट्र के सभी विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त, बड़ोदा (गुजरात) का महाराजा सयाजीराओ विश्वविद्यालय, ओस्मानिया विश्वविद्यालय (आंध्र प्रदेश), गुलबर्ग विश्वविद्यालय (कर्णाटक), इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, और गोआ विश्वविद्यालय (पणजी) में मराठी में उच्च शिक्षा के लिए विशेष विभाग हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने भी मराठी के लिए एक विशेष विभाग बनाने की परियोजना की घोषणा की है।
मौर्यकालीन अभिलेख लौरिया नंदनगढ़, लौरिया अरेराज, रामपुरवा आदि स्थानों से प्राप्त हुए हैं तथा आहत सिक्‍के की प्राप्ति से गुप्तकालीन जानकारियाँ मिलती हैं । प्राचीन स्मारकों, स्तम्भों, अभिलेखों व पत्रों में प्राचीन बिहार की ऐतिहासिक झलक मिलती है ।
१. पुष्यमित्र से युद्ध- भीतरी अभिलेख से ज्ञात होता है कि कुमारगुप्त के शासनकाल के अन्तिम क्षण में शान्ति नहीं थी । इस काल में पुष्यमित्र ने गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किया । इस युद्ध का संचालन कुमारगुप्त के पुत्र स्कन्दगुप्त ने किया था । उसने पुष्यमित्र को युद्ध में परास्त किया ।
सैद्धांतिक रूप से गांधीजी भारत के विभाजन के खिलाफ रहे क्योंकि इससे उनके धार्मिक एकता की भावना को चोट पहुंचती थी[१] उन्होंने भारत के विभाजन के बारे में ६ अक्तूबर १९४६ को अपने पत्र हरिजन में लिखा था:
१२. राजूल मंडागिरि- यह आन्ध्र प्रदेश के कूर्नुल जिले में स्थित है ।
अमेरिका के कवि-आलोचक-कथाकार 'एडगर एलिन पो' के अनुसार कहानी की परिभाषा इस प्रकार हैः "कहानी वह छोटी आख्यानात्मक रचना है, जिसे एक बैठक में पढ़ा जा सके, जो पाठक पर एक समन्वित प्रभाव उत्पन्न करने के लिये लिखी गई हो, जिसमें उस प्रभाव को उत्पन्न करने में सहायक तत्वों के अतिरिक्‍त और कुछ न हो और जो अपने आप में पूर्ण हो।" हिंदी कहानी को सर्वश्रेष्ठ रूप देने वाले 'प्रेमचन्द' ने कहानी की परिभाषा इस प्रकार से की हैः "कहानी वह ध्रुपद की तान है, जिसमें गायक महफिल शुरू होते ही अपनी संपूर्ण प्रतिभा दिखा देता है, एक क्षण में चित्त को इतने माधुर्य से परिपूर्ण कर देता है, जितना रात भर गाना सुनने से भी नहीं हो सकता।" हिन्दी के लेखकों में प्रेमचंद पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने तीन लेखों में कहानी के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए हैं – ‘कहानी (गल्प) एक रचना है जिसमें जीवन के किसी एक अंग या किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य रहता है। उसके चरित्र, उसकी शैली, उसका कथा-विन्यास, सब उसी एक भाव को पुष्ट करते हैं। उपन्यास की भाँति उसमें मानव-जीवन का संपूर्ण तथा बृहत रूप दिखाने का प्रयास नहीं किया जाता। वह ऐसा रमणीय उद्यान नहीं जिसमें भाँति-भाँति के फूल, बेल-बूटे सजे हुए हैं, बल्कि एक गमला है जिसमें एक ही पौधे का माधुर्य अपने समुन्नत रूप में दृष्टिगोचर होता है।’ कहानी की और भी परिभाषाएँ उद्धृत की जा सकती हैं। पर किसी भी साहित्यिक विधा को वैज्ञानिक परिभाषा में नहीं बाँधा जा सकता, क्योंकि साहित्य में विज्ञान की सुनिश्चितता नहीं होती। इसलिए उसकी जो भी परिभाषा दी जाएगी वह अधूरी होगी।
नरकासुर के नीच कार्यों के बाद एवं विशिष्ट मुनि के अभिशाप से देवी अप्रकट हो गयी थीं और कामदेव द्वारा प्रतिष्ठित कामाख्या मंदिर ध्वंसप्राय हो गया था।
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देवताओं की पूजा पंथ मंदिरों में की जाती थी, जिसे राजा के निमित्त कार्य कर रहे पुजारियों द्वारा प्रशासित किया जाता था. मंदिर के केंद्र में एक पुण्यस्थान पर पंथ प्रतिमा होती थी. मंदिर, सार्वजनिक पूजा या मण्डली के स्थान नहीं थे, और सिर्फ दावत और समारोह के चुनिन्दा दिन, देवता की मूर्ति के साथ पुण्यस्थान को सार्वजनिक पूजा के लिए मंदिर से बाहर लाया जाता था. आम तौर पर, भगवान का इलाका, बाहर की दुनिया से कटा हुआ था और अभिगम, सिर्फ मंदिर के अधिकारियों को सुलभ था. आम नागरिक, अपने घरों में निजी मूर्तियों की पूजा कर सकते थे, और अराजक शक्तियों के खिलाफ, ताबीज सुरक्षा प्रदान करते थे.[१४५] नवीन साम्राज्य के बाद, एक आध्यात्मिक मध्यस्थ के रूप में फैरो की भूमिका पर बल देना कम हो गया, क्योंकि धार्मिक संस्कारों का झुकाव, देवताओं की प्रत्यक्ष पूजा करने की ओर स्थानांतरित हो गया. परिणामस्वरूप, पुजारियों ने लोगों तक देवताओं की इच्छा के सीधे सम्प्रेषण के लिए ऑरेकल की एक प्रणाली विकसित की.[१४६]
करग़ीज़सतान की मसह हित 198500 किलोमीटर मरब्बा है जिस में से पैऩ्सटह फ़ीसद तयानि शान और पा मीर के पहाड़ी सिलसिलों का इलाका है। इस इलाके के शुमाल मशरिक़ में 1606 मीटर की बुलंदी पर असम्यक कौल की नमकीन झील वाक़िअ है जो दुनिया में इस नौईयत की दूसरी सब से बड़ी झील है। गुरग़ीज़ी ज़बान में इस के मानी "गर्म झील" हैं क्योंकि इतने बर्फ़ानी इलाके में और इस बुलंदी पर होने के बावजूद यक्का ये साल भर जमती नहीं है। इस नमकीन झील के अलॉओ-म करग़ीज़सतान बाक़ी कई वुस़्त एशियाई मुमालिक की तरह मुकम्मल तौर पर खुश्की से महसूर है। इस की सरहदें किसी समुंद्र से नहीं मिलतीं।
किन्तु आजकल बहुत सारे ब्राह्मण धर्म-निरपेक्ष व्यवसाय करते हैं और उनकी धार्मिक परंपराएं उनके जीवन से लुप्त होती जा रही हैं | यद्यपि भारतीय जनसंख्या में ब्राह्मणों का प्रतिशत कम है, तथापि धर्म, संस्कॄति, कला, शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान तथा उद्यम के क्षेत्र में इनका योगदान अपरिमित है |
राजभाषा किरण
कैंसर के लिए शल्यचिकित्सा की प्रक्रियाओं के उदाहरणों में शामिल हैं- स्तन कैंसर के लिए स्तनोछेदन (स्तन को काट कर हटा देना) और प्रोस्टेट कैंसर के लिए प्रोस्टेट-छेदन (प्रोस्टेट को काट कर हटा देना). शल्य चिकित्सा का लक्ष्य होता है या तो केवल गाँठ को हटाना या पूरे अंग को निकाल देना.एक कैंसर कोशिका नग्न आंखों के लिए अदृश्य होती है, लेकिन फ़िर से वृद्धि कर के नयी गाँठ बना सकती है, यह प्रक्रिया पुनरावृत्ति कहलाती है.इस कारण के लिए, रोगविज्ञानी शल्य क्रिया से निकाले गए नमूने की जांच करते हैं, यदि स्वस्थ उतक की सीमा उपस्थित है, तो इस बात की संभावना कम हो जाती है कि सूक्ष्म कैंसर की कोशिकायें रोगी के शरीर में रह गई हैं.
दिक्सूचक (Compass) या कुतुबनुमा दिशा का ज्ञान कराता है।
गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद पटना का भविष्य काफी अनिश्चित रहा । 12 वीं सदी में बख़्तियार खिलजी ने बिहार पर अपना अधिपत्य जमा लिया और कई आध्यात्मिक प्रतिष्ठानों को ध्वस्त कर डाला । पटना देश का सांस्कृतिक और राजनैतिक केन्द्र नहीं रहा ।
उत्तरापथ - तक्षशिला
एच-3, वल्लभदास मेहता, नेहरूनगर
पिच (pitch) विकेटों के बीच की लम्बाई[११] होती है और चौडी होती है. यह एक समतल सतह है, इस पर बहुत ही कम घास होती है जो खेल के साथ कम हो सकती है. पिच की "हालत" मैच और टीम की रणनीति पर प्रभाव डालती है, पिच की वर्तमान और प्रत्याशित स्थिति टीम की रणनीति को निर्धारित करती है.
1994 में आंध्र प्रदेश ने दुबारा TDP को जनादेश दिया और फिर से NTR मुख्यमंत्री बने. NTR के दामाद चंद्रबाबू नायडू ने राजनीतिक तिकड़म भिड़ा कर, पीठ पीछे वार करते हुए उनसे सत्ता छीन ली. इस विश्वासघात को पचा पाने में असमर्थ NTR की बाद में दिल के दौरे से मृत्यु हो गई.TDP ने 1999 में चुनाव जीता, पर मई 2004 के चुनावों में वै.एस. राजशेखर रेड्डी के नेतृत्व वाली INC प्रधान गठबंधन से उसकी हार हुई.
2. प्रस्ताव मिलने पे सदन का सभापति एक 3 सद्स्य समिति बनायेगा जो आरोपों की जाँच करेगी समिति का अध्यक्ष सप्रीम कोर्ट का कार्यकारी जज होगा दूसरा सदस्य किसी हाई कोर्ट का मुख्य कार्यकारी जज होगा तीसरा सदस्य माना हुआ विधिवेत्ता होगा इस की जाँच रिपोर्ट सदन के सामने आयेगी यदि इस मे जज को दोषी बताया हो तब भी सदन प्रस्ताव पारित करने को बाध्य नही होता किंतु यदि समिति आरोपों को खारिज कर दे तो सदन प्रस्ताव पारित नही कर सकता है
चूंकि उपरोक्त प्रश्न अभी तक वर्तमान विज्ञान द्वारा अनुत्तरित है कदाचित इसका मूल कारण है, वर्तमान विज्ञान द्वारा दिया गया "प्रथम लक्ष्य" के सम्बन्ध में त्रुटिपूर्ण स्पष्टिकरण। क्योंकि अगर "प्रथम लक्ष्य" के सम्बन्ध में दिया गया स्पष्टिकरण परिशुद्ध होता तो, स्पष्टिकरण के उपरांत कोई भी अनुत्तरित प्रश्न शेष रहने की सम्भवत: न्यूनतम् सम्भावना ही शेष रहती।
भाषा तथा उपनिषदों के विकास क्रम की दृष्टि से डा. डासन ने उनका विभाजन चार स्तर में किया है:
‘मानक भाषा’ को लोगों ने तरह-तरह से स्पष्ट करने का यत्न किया है। रॉबिन्स (१९६६) के अनुसार सामाजिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण लोगों की बोली को मानक भाषा का नाम दिया जाता है। स्टिवर्ट (१९६८) ने प्रकृति, आंतरिक व्यवस्था तथा सामाजिक प्रयोग आदि के आधार पर भाषा के विभिन्न प्रकारों में अंतर दिखाने के लिए चार आधार माने हैं।
लोकरंग सांस्कृतिक समिति´ विगत तीन वषों से लोक संस्कृतियों के अन्वेषण, संवर्धन और संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही है । किसी भी समाज की लोक संस्कृति, कला और संगीत का उसके मानवीय संवेदनाओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान होता है । हम असीम लिप्सा, धूर्तता, पाखण्ड से आवृत परिवेश में जी रहे हैं, जहां ठहर कर लोकसंस्कृतियों की हिफाजत के लिए वक्त नहीं है । ऐसे में हमारी लोक संस्कृतियां समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं । इन्हीं चिन्ताओं को केंन्द्र में रखकर `लोकरंग सांस्कृतिक समिति´ ने ग्राम-जोगिया जनूबी पट्टी, फाजिलनगर, कुशीनगर के ग्रामीण इलाके में हस्तक्षेप किया है । `लोकरंग 2008´ के माध्यम से हमने प्रयास किया था कि पूर्वांचल के, देवीगीत, हुड़का, पखावज, फरी नृत्य, विविध लोकगीतों और नुक्कड़ नाटकों को एक मंच पर लाया जाए और इस दिशा में हम सफल भी हुए थे । `लोकरंग 2009´ में हमने चइता, बिरहा, जोगीरा, कहरवा, कबीर, कजरी, और निर्गुन गायकी, एकतारा वादन, जांघिया, धोबियाऊ और फरी नृत्य, विविध लोकगीतों और नाटकों को मंच प्रदान किया । दोनों ही वर्ष हमने विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जिनमें देश के महत्वपूर्ण साहित्यकार और लोक कलाकार सम्मिलित हुए ।
अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह, भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है। यह भारत की मुख्यभूमि से अलग, हिन्द महासागर में स्थित है। अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह में कुल तीन जिले हैं जो इस प्रकार हैं:
पाकिस्तान के गठन के समय पश्चिमी क्षेत्र में सिंधी, पठान, बलोच और मुजाहिरों की बड़ी संख्या थी, जबकि पूर्व हिस्से में बंगाली बोलने वालों का बहुमत था। लेकिन पूर्वी हिस्सा हमेशा राजनीतिक रूप से उपेक्षित रहा। इससे पूर्वी पाकिस्तान के लोगों में जबर्दस्त नाराजगी थी। और इसी नाराजगी को भुनाने के लिए बांग्लादेश के नेता शेख मुजीब-उर-रहमान ने अवामी लीग का गठन किया और पाकिस्तान के अंदर ही और स्वायत्तता की मांग की। 1970 में हुए आम चुनाव में पूर्वी क्षेत्र में शेख की पार्टी ने जबर्दस्त विजय हासिल की। उनके दल ने संसद में बहुमत भी हासिल किया लेकिन बजाए उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के उन्हें जेल में डाल दिया गया। और यहीं से पाकिस्तान के विभाजन की नींव रखी गई।
मंझन, हिंदी सूफी प्रेमाख्यान परंपरा के कवि थे। मंझन के जीवनवृत्त के विषय में उसकी एकमात्र कृति "मधुमालती" में संकेतित आत्मोल्लेख पर ही निर्भर रहना पड़ता है। मंझन ने उक्त कृति में शहएवक्त सलीम शाह सूर, अपने गुरू शेख मुहम्मद गौस एवं खिज्र खाँ का गुणानुवाद और अपने निवासस्थान तथा "मधुमालती" की रचना के विषय का उल्लेख किया है।
इब्न बत्तूता दमिश्क और फिलिस्तीन होता एक कारवाँ के साथ मक्का पहुँचा। यात्रा के दिनों में दो साधुओं से उसकी भेंट हुई थी जिन्होंने उससे पूर्वी देशों की यात्रा के सुख सौंदर्य का वर्णन किया था। इसी समय उसने उन देशों की यात्रा का संकल्प कर लिया। मक्के से इब्न बत्तूता इराक, ईरान, मोसुल आदि स्थानों में घूमकर १३२९ (७२९ हि.) में दुबारा मक्का लौटा और वहाँ तीन बरस ठहरकर अध्ययन तथा भगवनदभक्ति में लगा रहा। बाद में उसने फिर यात्रा आरंभ की और दक्षिण अरब, पूर्वी अफ्रीका तथा फारस के बंदरगाह हुर्मुज से तीसरी बार फिर मक्का गया। वहाँ से वह क्रीमिया, खीवा, बुखारा होता हुआ अफगानिस्तान के मार्ग से भारत आया। भारत पहुँचने पर इब्न बत्तूता बड़ा वैभवशाली एवं संपन्न हो गया था।
राम राज नहिं काहुहि ब्यापा।।
Dark Blue tiger butterflies
दक्षिण एशिया, एशिया का एक हिस्सा है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण एशिया के देश:
होली से अगला दिन धूलिवंदन कहलाता है। इस दिन लोग रंगों से खेलते हैं। सुबह होते ही सब अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने निकल पड़ते हैं। गुलाल और रंगों से सबका स्वागत किया जाता है। लोग अपनी ईर्ष्या-द्वेष की भावना भुलाकर प्रेमपूर्वक गले मिलते हैं तथा एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। इस दिन जगह-जगह टोलियाँ रंग-बिरंगे कपड़े पहने नाचती-गाती दिखाई पड़ती हैं। बच्चे पिचकारियों से रंग छोड़कर अपना मनोरंजन करते हैं। सारा समाज होली के रंग में रंगकर एक-सा बन जाता है। रंग खेलने के बाद देर दोपहर तक लोग नहाते हैं और शाम को नए वस्त्र पहनकर सबसे मिलने जाते हैं। प्रीति भोज तथा गाने-बजाने के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
नाविक तोप - टॉरपीडो के आविष्कार के पहले तोपें ही जहाजों के मुख्य आयुध होती थीं। अब तोप, टारपीडो और हवाई जहाज ये तीन मुख्य आयुध हैं। 18वीं शताब्दी में 2,000 टन के बोझ लाद सकनेवाले जहाजों में 100 तोपें लगी रहती थीं। इनमें से आधी भारी गोले (24 से 42 पाउंड तक के) छोड़ती थीं और शेष हल्के गोले (6 से 12 पाउंड तक के); परंतु आधुनिक समय में तोपों की संख्या तथा गोलों का भार कम कर दिया गया है और गोलों का वेग बढ़ा दिया गया है। उदाहरणत: सन् 1915 में बने रिवेंज नामक ड्रेडनॉट जाति के जहाजों में आठ तोपें 15 इंच भीतरी व्यास की पीछे लगी थीं। ऐसी ही चार तोपें आगे और आठ बगल में थीं। इनके अतिरिक्त 12 छोटी तोपें छह इंच (भीतरी व्यास) की थीं।
पोलैंड का भुभाग विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में बंटा हुआ है. इसके उत्तर-पश्चिमी भाग में बाल्टिक तट अवस्थित है जो कि पोमेरेनिया की खाडि से लेकर ग्डान्स्क के खाडि तक विस्तृत है.
करग़ीज़सतान में सोने और दीगर क़ीमती फ़लज़ात की कई रसोबअत मौजूद हैं। पहाड़ों के बाइस मुल्क में सिर्फ आठ फ़ीसद इलाका क्षति कारी के लायक़ है और तक़रीबअ सब मज़र वाह जमीं जनूब में वाक़िअ वादि फरगाना तक महिदूद है।। इस वादी में से करग़ीज़सतान के दो बड़े दरिया, कारओ- दरीओ- (काला दरिया) और नारीन गुज़रते हैं। इन के संगम से दरयाऐ सियाओ-ं निकलता है जो बाज़ इस्लामी रवायात के मुताबिक जन्नत के चार दरियाओ-ं में से एक है।
श्यानता (Viscosity) आम तौर पर यह देखा जाता है कि सभी वस्तुएँ, चाहे वे गैस, द्रव अथवा ठोस हों, यदि उनका विरूपण (deformation) होता है, अथवा उनके पिंड (body) के विभिन्न हिस्सों में सापेक्ष गति (relative motion) कराई जाती है, तो उनमें अवरोध करने की प्रवृत्ति होती है। कुछ वस्तुओं में इस प्रवृत्ति की कोटि (degree) ज्यादा होती है और कुछ में कम। जब हम पानी को चिकनी सतह पर गिराते हैं, तो यह देखा जाता है कि पानी तेजी से बहता है, लेकिन यदि हम शीरा (treacle) या ग्लिसरीन की उतनी ही मात्रा उसी प्रकार की चिकनी सह पर गिराएँ, तो यह सतह पर फैलने में ज्यादा समय लेता है। शीरे की किस्म की वस्तुओं को, जो फैलने में ज्यादा समय लेती हैं, साधारण लोगों की भाषा में चिपचिपी या श्यान (viscous) कहते हैं, जब कि पानी जैसी वस्तुओं को तरल अथवा गतिशील (mobile) की संज्ञा दी जाती है। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि शीरा पानी से ज्यादा श्यान है। दूसरों शब्दों में यह भी कहा जाता है कि स्वरूपपरिवर्तन शीरे में धीरे धीरे होता है, जब कि पानी जैसी वस्तुओं में तेजी से। श्यानता तरलों (fluids) का वह गुण है जिसके कारण तरल उन बां (forces) का विरोध करता है जो उसके स्वरूप को बदलना चाहते हैं। इस प्रकार हम श्यानता को किसी भी द्रव अथवा गैस के आंतरिक घर्षण (internal friction), के रूप में भी देख सकते हैं। द्रवों तथा गैसों, दोनों में, श्यानता का गुण पाया जाता है, लेकिन द्रव गैसों की अपेक्षा ज्यादा श्यान होते हैं। इसी श्यानता के कारण द्रव की एक परत (layer) दूसरी परत पर होकर आगे बढ़ती है।
Petalite
तिब्बत से हिमाली (हिमालयी) मार्ग के नियन्त्रण के लिए हुआ विवाद और उसके पश्चात युद्ध में तिब्बत की सहायता के लिए चीन के आने के बाद नेपाल पीछे हट गया। नेपाल की सीमा के नजदीक का छोटे-छोटे राज्यों को हड़पने के कारण से शुरु हुआ विवाद ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ दुश्मनी का कारण बना । इसी वजह से १८१४–१६ रक्तरंजित एंग्लो-नेपाल युद्ध हो गया, जिसमे नेपाल को अपनी दो तिहाई भूभाग से हाथ धोना पड़ा लेकिन अपनी सार्वभौमसत्ता और स्वतन्त्रता को कायम रखा। भारत वर्ष में यही एक खण्ड है जो कभी भी किसी बाहरी सामन्त (उपनिवेशों) के अधीन में नही आया। विलायत से लड़ने में पश्चिम मे सतलुज से पुर्व में तीस्ता नदी तक फैला हुआ विशाल नेपाल सुगौली सन्धि के बाद पश्चिम में महाकाली और मेची नदियों के बीच सिमट गया लेकिन अपनी स्वाधीनता को बचाए रखने में नेपाल सफल रहा, बाद मे अंग्रेजो ने १८२२ मे मेची नदी व राप्ती नदी के बीच की तराई का हिस्सा नेपाल को वापस किया उसी तरह १८६० मे राणा प्रधानमन्त्री जंगबहादुर से खुश होकर अंग्रेजों ने राप्तीनदी से महाकाली नदी के बीच का तराई का थोड़ा और हिस्सा नेपाल को लौटाया । लेकिन सुगौली सन्धी के बाद नेपाल ने जमीन का बहुत बडा हिस्सा गँवा दिया, यह क्षेत्र अभी उत्तराखंड राज्य और हिमाचल प्रदेश और पंजाब पहाडी राज्य मे सम्मिलित है। पूर्व मे दार्जिलिंग और उसके आसपास का नेपाली मूल के लोगों का भूमि (जो अब पश्चिम बंगाल मे है) भी ब्रिटिश इन्डिया के अधीन मे हो गया तथा नेपाल का सिक्किम पर प्रभाव और शक्ति भी नेपाल को त्यागने पड़े।
भौंरा भौंरा चलाते समय खिलाड़ी गाते है -
६) शब्द-रूप - विश्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 25 रूप होते हैं।
15. गोरखगणेश गोष्ठी
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इस फराक्का बैराज यह है कि गंगा से मुर्शिदाबाद जिले में तिलडंगा के शहर के निकट एक नहर में पानी डीवर्ट एक बांध है. इस नहर के हुगली के पानी के साथ शुष्क मौसम में भी प्रदान करता है. यह जहांगीरपूर बस के ऊपर तक जहां नहर समाप्त हो जाती है और नदी के अपने पाठ्यक्रम लेता गंगा, पिछले धुलियन, पैरालेल किया. सिर्फ दक्षिण जहांगीरपूर से और गंगा क्षेत्र के पत्तों दक्षिण पिछले जियागंज अज़ीमगंज, मुर्शिदाबाद, और बहारम्पूर बहती है. दक्षिण बहारम्पूर की और उत्तर पलाशी का यह वर्धमान जिला और नादिया जिले के बीच की सीमा के रूप में प्रयोग किया जाता है, लेकिन समय सीमा के नदी अब अक्सर पूर्व या उसके पूर्व बिस्तर से पश्चिम है वही बनी हुई है. नदी तो दक्षिण पिछले कट्वा, नवद्वीप और कल्ना बहती है. कल्ना में यह मूलतः, और फिर आगे दक्षिण हुगली जिले और उत्तरी २४ परगना के बीच जिला नादिया जिला और हुगली जिले के बीच की सीमा का गठन. यह पिछले हालीसहार, चुंचूरा, रिश्रा, और कमारहाटि बहती है. तब से पहले कोलकाता के जुड़वां शहरों (कलकत्ता) और हावड़ा में प्रवेश, यह दक्षिण पश्चिम में बदल जाता है. नूरपूर में यह गंगा के एक पुराने चैनल में प्रवेश और दक्षिण बंगाल खाड़ी में खाली करने के लिए बदल जाता है. दो इसकी अच्छी तरह से ज्ञात सहायक नदियों के दामोदर और रूपनारायण हैं.
सुहरावर्दी उद्यान: यह एक एतिहासिक पार्क है। 7 मार्च 1971 को इसी पार्क में बंगलादेश के राष्‍ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजिबुर रहमान ने आजादी का बिगुल फुका था। इस हरे-भरे पार्क में शहीद हुए सैनिकों की याद में अखण्‍ड ज्‍योति जल रही है।
(१) योरप में विशेष रुप से और भारत में आंशिक रुप से - आदिमध्यकालीन कोशकर्म में कठिन शब्दों का सरल शब्दों या पर्यायों द्वारा अर्थज्ञापन होता था । योरप में सामान्यतः एक पर्याय दे दिया जाता था और भारत में वैदिक निघंटुकाल से ही पर्यायशब्दों का अर्थबोधकपरक एकत्रीकरण होता था । इनमें दुर्बोंध्य और कठिन शब्दों के संग्रह की मुख्य प्रेरणा थी । भारतीय कोशों में बहुपर्याय संग्रह के कारण अनेक क्लिष्ट शब्दों के साथ पर्यायवाची कोशों में सरल शब्द भी समाविष्ट रहते थे । निघंटु का शब्दसंकलन भई वैदिक वाङ्मय के समग्र शब्दनिधि का संग्रह न होकर अधिकत: दुर्बोध्य और विवेच्य शब्दों की संकलन प्रेरणा से प्रभावित है ।
जल परिवहन पटना शहर १६८० किलोमीटर लंबे इलाहाबाद-हल्दिया राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-१ पर स्थित है। गंगा नदी का प्रयोग नागरिक यातायात के लिए हाल तक किया जाता था पर इसके उपर पुल बन जाने के कारण इसका महत्व अब भारवहन के लिए सीमित रह गया है। देश का एकमात्र राष्ट्रीय अंतर्देशीय नौकायन संस्थान पटना के गायघाट में स्थित है।
भारतीय खगोलीय परंपरा में आर्यभट्ट के कार्य का बड़ा प्रभाव था, और अनुवाद के माध्यम से इसने कई पड़ोसी संस्कृतियों को प्रभावित किया.इस्लामी स्वर्ण युग (ई. ८२०), के दौरान इसका अरबी अनुवाद विशेष प्रभावशाली था. उनके कुछ परिणामों को अल-ख्वारिज्मी द्वारा उद्धृत किया गया है, और १० वीं सदी के अरबी विद्वान अल-बिरूनी द्वारा उन्हें संदर्भित किया गया गया है, जिन्होंने अपने वर्णन में लिखा है कि आर्यभट्ट के अनुयायी मानते थे कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है.
19. 18 वीं सदी का भरतपुर पक्षी अभ्यारण्य, जो केवलादेव घाना नेशनल पार्क के रूप में भी जाना जाता है।
आनंद विहार पूर्वी दिल्ली का एक आवासीय क्षेत्र है। यहां अन्तर्राज्यीय बस अड्डा भी है।
टाइम्स ऑफ इंडिया कई शहर विशिष्ट पूरकों के साथ आता है, जैसे दिल्ली टाइम्स, बॉम्बे टाइम्स, हैदराबाद टाइम्स, लखनऊ टाइम्स, नागपुर टाइम्स, बंगलूरू टाइम्स, पुणे टाइम्स, अहमदाबाद टाइम्स और चेन्नई टाइम्स, कोलकाता टाइम्स
बोध-गया घूमने के लिए दो दिन का समय पर्याप्‍त है। अगर आप एक रात वहां रूकते हैं तो एक दिन का समय भी प्रर्याप्‍त है। खराब कानून व्‍यवस्‍था के कारण बिहार में रात में सफर करने का सलाह नहीं दिया जाता है। बोध-गया के पास ही एक शहर है गया। यहां भी कुछ पवित्र मंदिर हैं जिसे जरुर देखना चाहिए। इन दोनों गया को देखने के लिए कम से कम एक-एक दिन का समय देना चाहिए। एक अतिरिक्‍त एक दिन नालन्‍दा और राजगीर को देखने के लिए रखना चाहिए। बोधगया घूमने का सबसे बढिया समय बुद्ध जयंती (अप्रैल-मई) है जिसे राजकुमार सिद्धार्थ के जंमदिवस के रुप में मनाया जाता है। इस समय यहां होटलों में कमरा मिलना काफी मुश्किल होता है। इस दौरान महाबोधि मंदिर को हजारों कैंडिलों की सहायता से सजाया जाता है। यह दृश्‍य देखना अपने आप में अनोखा अनुभव होता है। इस दृश्‍य की यादें आपके जेहन में हमेशा बसी रहती है। बोधगया में ही मगध विश्‍वविद्यालय का कैंपस है। इसके नजदीक एक सैनिक छावनी है तथा एक छोटा सा एयरपोर्ट है।
राजधानी
Warszawa
इस नाम से नैना देवी के कई मंदिर हैं:-
उपनिषद् में आत्म और अनात्म तत्त्वों का निरूपण किया गया है जो वेद के मौलिक रहस्यों का प्रतिपादन करता है। प्राय: उपनिषद् वेद के अन्त में ही आते हैं। इसलिए ये वेदान्त के नाम से भी प्रख्यात हैं। वैदिक धर्म के मौलिक सिद्धान्तों को तीन प्रमुख ग्रन्थ प्रमाणित करते हैं जो प्रस्थानत्रयी के नाम से विख्यात हैं, ये हैं - उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और श्रीमद्भगवद्गीता ।
विनायक दामोदर सावरकर (२८ मई, १८८३ - २६ फरवरी, १९६६) [१]भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। ये न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रांतिकारी, चिंतक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रमाणिक ढंग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने १८५७ के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिख कर ब्रिटिश शासन को हिला डाला था।[२]
उनका जन्म दक्षिण भारत के सलेम जिले मे थोरापल्ली नामक गांव मे हुआ था। राजाजी तत्कालीन सलेम जनपद के थोरापल्ली नामक एक छोटे से गाँव में एक तमिल ब्राह्मण परिवार (श्री वैष्णव) में जन्मे थे। आजकल थोरापली कृष्णागिरि जनपद में है। उनकी आरम्भिक शिक्षा होसूर में हुई। कालेज की शिक्षा मद्रास (चेन्नई) एवं बंगलुरू में हुई।
लैम्बार्ड विकिपीडिया विकिपीडिया का लैम्बार्ड भाषा का संस्करण है। २७ मई, २००९ तक इस विकिपीडिया पर लेखों की संख्या ५,७२०+ है और यह विकिपीडिया का १०४वां सबसे बड़ा संस्करण है।
क्रिसमस का पेड़ को अक्सर बुतपरस्त (pagan) परंपरा और अनुष्ठान के ईसाईता के रूप में जाना जाता है और तकालीन उच्चतम शिखर के आस पास सदाबहार (evergreen) टहनियों, और बुतपरस्ती का एक रूपांतर पेड़ की पूजा (tree worship).[३४] ऐ पिसमे शामिल होती है अंग्रेजी भाषा मे कहा जाने वाला वाक्यांश क्रिसमस ट्री सबसे फेले 1835 [३२] मे दर्ज किया गया और ये जर्मन भाषा के एक आयत का प्रतिनिधित्व करता है आज के युग का क्रिसमस ट्री का रिवाज़ मन जाता है की जर्मनी में 18वि शाताब्दी[३४] मे किया गया, जबकि बहुत लोग इस बात पैर बहस करते है की इसे मार्टिन लुथेर ने 16वि शाताब्दी [३५][३६] मे शुरू किया जर्मनी से इंग्लैंड में सबसे पहले इस प्रथा को कुइन चर्लोत्ते (Queen Charlotte),जॉर्ज III (George III)की पत्नी ने शुरू किया था पर इसे ज्यादा सफलतापूर्वक प्रिंस अलबर्ट (Prince Albert) ने कुइन विक्टोरिया के शासन में आगे बढाया. लगभग उसी समय, जर्मन आप्रवासी संयुक्त राज्य में यह प्रथा शुरू की.[३७] क्रिसमस पेड की सजावट रौशनी (lights)और गहने (ornaments)से भी होती है
भारत के विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए। विभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब 5 लाख[१] लोग मारे गए, और करीब 1.45 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत संप्रदाय वाले देश में शरण ली।[तथ्य वांछित]
३२२ ई. पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरू चाणक्य की सहायता से धनानन्द की हत्या कर मौर्य वंश की नींव डाली थी ।
1934 में, कैडेट्स के पहले दल के उत्तीर्ण होने से पहले, भारत के वाइसरॉय, लॉर्ड विलिंग्डन ने, राजा की ओर से अकादमी को ध्वज प्रदान किया. परेड की कमान अन्डर-ऑफिसर GC स्मिथ डून ने संभाली. विश्व युद्ध छिड़ने के बाद, अकादमी में प्रवेश पाने वालों की संख्या और उनकी श्रेणियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई. दिसंबर 1934 और मई 1941 के बीच, 16 दल नियमित कोर्स उत्तीर्ण कर चुके थे, पर केवल 524 जेंटलमैन कैडेट्स को सेना में भर्ती किया गया, जबकि अगस्त 1941 से जनवरी 1946 के दौरान 3,887 कैडेट्स की भर्ती हुई है.
स्कन्दगुप्त (४५५ ई. से ४६७ ई.)- पुष्यमित्र के आक्रमण के समय ही गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम की ४५५ ई. में मृत्यु हो गयी थी ।
सिक्किम के पक्षी जगत में प्रमुख हैं - Impeyan pheasant, the crimson horned pheasant, the snow partridge, the snow cock, the lammergeyer and griffon vultures, as well as golden eagles, quail, plovers, woodcock, sandpipers, pigeons, Old World flycatchers, babblers and robins. यहां पक्षियों की कुल 550 प्रजातियां अभिलिखित की गयी हैं, जिन में से कुछ को विलुप्तप्रायः घोषित किया गया है।[४]
इस द्वीप के स्वामि वीरवर ज्योतिष्मान थे। इनके सात पुत्रों : उद्भिद, वेणुमान, वैरथ, लम्बन, धृति, प्रभाकर, कपिल के नाम संज्ञानुसार ही इसके सात भागों के नाम हैं। मदिरा सागर अपने से दूने विस्तार वाले कुश द्वीप से चारों ओर से घिरा हुआ है। यहां भी सात पर्वत, सात मुख्य नदियां और सात ही वर्ष हैं।
वेल्स नें दो बार शादी की. क्रिस्टिन उनकी दूसरी पत्नी है - जिस से वह अब अलग है, के साथ उनकी एक बेटी l
१७६० ई. में क्लाइव इंग्लैंड वापस लौटा । उस समय क्लाइव के पास ३० लाख पौंड सालाना की रकम मिलने की व्यवस्था थी। इंग्लैंड पहुँचने पर उसे बैरन ऑव प्लासी की उपाधि मिली। उसने बड़ी जायदाद खरीदी और अपने मित्रों को पार्लमेंट का सदस्य बनवाया।
ईंट और रोड़ी से बने इस विशाल स्तूप को 1876 में कार्लाइल द्वारा खोजा गया था। इस स्तूप की ऊंचाई 2.74 मीटर है। इस स्थान की खुदाई से एक तांबे की नाव मिली है। इस नाव में खुदे अभिलेखों से पता चलता है कि इसमें महात्मा बुद्ध की चिता की राख रखी गई थी।
लखनऊ में देश के कई उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान भी हैं। इनमें से कुछ हैं: किंग जार्ज मेडिकल कालेज और बीरबल साहनी अनुसंधान संस्थान। यहां भारत के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की चार प्रमुख प्रयोगशालाएँ (केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, औद्योगिक विष विज्ञान अनुसंधान केन्द्र, राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान अनुसंधान संस्थान(एनबीआरआई) और केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान(सीमैप)) हैं।
२+१/४ - सवा दो
कहा जाता है कि बौद्ध संत गुरु Rinpoche 9 वीं सदी में सिक्किम दौरा किया, बौद्ध धर्म और राजशाही के पूर्वाभास युग शुरू की. तदनुसार, नामग्याल राजवंश 1642 में स्थापित किया गया था. अगले 150 वर्षों में राज्य नेपाली आक्रमणकारियों के लिए लगातार छापे मारे और प्रादेशिक नुकसान देखा. इसे ही भारत के ब्रिटिश शासकों के साथ संबद्ध है लेकिन जल्द ही उनके द्वारा कब्जा कर लिया था. बाद में, सिक्किम एक ब्रिटिश संरक्षित राज्य बन गया और 1975 में एक जनमत संग्रह के बाद भारत के साथ विलय हो गया
सैन्य व्यवस्था- सैन्य व्यवस्था छः समितियों में विभक्‍त सैन्य विभाग द्वारा निर्दिष्ट थी । प्रत्येक समिति में पाँच सैन्य विशेषज्ञ होते थे ।
स्टैण्डर्ड कंसर्ट बांसुरी को सप्तक सी स्वर में स्वर बद्ध किया गया है एवं इसका विस्तार मध्य सी (या ढ़ेड़ पायदान नीचे, जब बी फुट को यंत्र के साथ जोड़ा गया हो) से प्रारंभ होकर तीसरे सप्तक तक जाता है. इसका तात्पर्य है कि कंसर्ट बांसुरी सर्वाधिक प्रचलित आर्केस्ट्रा यंत्रों में से एक है, इसका अपवाद पिकोलो है जो एक सप्तक ऊपर बजता है. जी आल्टो एवं सी बांस बांसुरी का प्रयोग यदा-कदा ही होता है एवं इन्हें क्रमशः पूर्ण चतुर्थ सप्तक एवं कंसर्ट बांसुरी से एक सप्तक नीचे स्वरबद्ध किया गया है. बांस की तुलना में आल्टो बांसुरी के अंश अधिक लिखे जाते हैं.[उद्धरण वांछित]कॉन्ट्राबास, डबल कॉन्ट्राबास एवं हाइपरबास कुछ अन्य विरले बांसुरी रूप हैं जिन्हें मध्य सप्तक से क्रमशः दो, तीन और चार सप्तक नीचे स्वरबद्ध किया गया है.
Toruń
आंध्र प्रदेश में 294 सीटों की विधान सभा है. भारत के संसद में राज्य के 60 सदस्य हैं; उच्च सदन, राज्य सभा में 18, और निचले सदन, लोक सभा में 42. [२६][२७]
इन्हें भी देखें 2010 भारत 2010 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2010 साहित्य संगीत कला 2010 खेल जगत 2010
The Gathas
गोहत्या तथा गोभाक्तो के नरसंहार के विरुद्ध पूरी के शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ, संत प्रभुदुत्त ब्रहमचारी व् वीर जी ने अनशन किये. तब वीर जी ने पुरे १६६ दिन का अनशन करके पुरे संसार तक गोरक्षा की मांग पहुचने में सफलता प्राप्त की थी.
छठा चरण 26 जनवरी 1950
मानवता के ज्योतिर्मय सूर्य जगद्गुरु शंकराचार्य: एक संन्यासी बालक, जिसकी आयु मात्र ७ वर्ष थी, गुरुगृह के नियमानुसार एक ब्राह्मण के घर •िाक्षा माँगने पहुँचा। उस ब्राह्मण के घर में •िाक्षा देने के लिए अन्न का दाना तक न था। ब्राह्मण पत्नी ने उस बालक के हाथ पर एक आँवला रखा और रोते हुए अपनी विपन्नता का वर्णन किया। उसकी ऐसी अवस्था देखकर उस प्रेम-दया मूर्ति बालक का हृदय द्रवित हो उठा। वह अत्यंत आर्त स्वर में माँ लक्ष्मी का स्तोत्र रचकर उस परम करुणामयी से निर्धन ब्राह्मण की विपदा हरने की प्रार्थना करने लगा। उसकी प्रार्थना पर प्रसन्न होकर माँ महालक्ष्मी ने उस परम निर्धन ब्राह्मण के घर में सोने के आँवलों की वर्षा कर दी। जगत् जननी महालक्ष्मी को प्रसन्न कर उस ब्राह्मण परिवार की दरिद्रता दूर करने वाला, दक्षिण के कालाड़ी ग्राम में जन्मा वह बालक था- ‘शंकर’, जी आगे चलकर ‘जगद्गुरु शंकराचार्य’ के नाम से विख्यात हुआ। इस महाज्ञानी शक्तिपुंज बालक के रूप में स्वयं •ागवान शंकर ही इस धरती पर अवतीर्ण हुए थे। इनके पिता शिवगुरु नामपुद्रि के यहाँ विवाह के कई वर्षों बाद तक जब कोई संतान नहीं हुई, तब उन्होंने अपनी पत्नी विशिष्टादेवी के साथ पुत्र प्राप्ति की कामना से दीर्घकाल तक चंद्रमौली •ागवान शंकर की कठोर आराधना की। आखिर प्रसन्न होकर •ागवान शंकर ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और कहा- ‘वर माँगो।’ शिवगुरु ने अपने इष्टप्र•ाु से एक दीर्घायु सर्वज्ञ पुत्र माँगा। •ागवान शंकर ने कहा- ‘वत्स, दीर्घायु पुत्र सर्वज्ञ नहीं होगा और सर्वज्ञ पुत्र दीर्घायु नहीं होगा। बोलो तुम कैसा पुत्र चाहते हो?’ तब धर्मप्राण शास्त्रसेवी शिवगुरु ने सर्वज्ञ पुत्र की याचना की। औढरदानी •ागवान शिव ने पुन: कहा- ‘वत्स तुम्हें सर्वज्ञ पुत्र की प्राप्ति होगी। मैं स्वयं पुत्र रूप में तुम्हारे यहाँ अवतीर्ण होऊँगा।’
सत्याग्रह का शाब्दिक अर्थ सत्य के लिये आग्रह करना होता है।
इसके अतिरिक्त उन्होंने अपना पांचवा सिद्धांत भी अपने उपदेशों में जोड़ा -
भारतीय संगीत में विभिन्न प्रकार के धार्मिक , लोक (folk) , लोकप्रिय (popular) , पॉप (pop) और शास्त्रीय संगीत शामिल हैं भारतीय संगीत का सबसे पुराना संरक्षित उदाहरण है सामवेद की कुछ धुनें जो आज भी निश्चित वैदिक श्रोता (Shrauta) बलिदान में गाई जाती है भारतीय शास्त्रीय संगीत की परंपरा हिंदू ग्रंथों से काफी प्रभावित है.इसमें कर्नाटक और हिन्दुस्तानी संगीत और कई राग शामिल हैं . ये कई युगों के दौरान विकसित हुआ और इसका इतिहास एक सहस्राब्दी तक फैला हुआ है . यह हमेशा से धार्मिक प्रेरणा, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और शुद्ध मनोरंजन का साधन रहा है विशिष्ठ उपमहाद्वीप रूपों के साथ ही इसमें अन्य प्रकार के ओरिएंटल संगीत से भी कुछ समानताएं हैं
18 अगस्त, 1945 के दिन नेताजी कहाँ लापता हो गए और उनका आगे क्या हुआ, यह भारत के इतिहास का सबसे बडा अनुत्तरित रहस्य बन गया हैं।
              
यूरोपि‍यन शैली के बंगलों और आदिवासी संग्राहलय के लिए मैक क्लुस्किगंज स्थानीय निवासियों के साथ पर्यटकों में भी बहुत लोकप्रिय है। यहां पर कई खूबसूरत बंगले देखे जा सकते हैं। बंगलों के अलावा यहां पर आदिवासी संग्राहलय की स्थापना भी की गई है जिसमें आदिवासियों के इतिहास और संस्कृति से जुड़ी कई महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक वस्तुओं को देखा जा सकता है।
आर्किमिडीज का जन्म 287 ई.पू. सेराक्यूस, सिसिली के बंदरगाह शहर में मैग्ना ग्रासिया की एक बस्ती में हुआ था. उनके जन्म की तारीख, बीजान्टिन यूनानी इतिहासकार जॉन ज़ेतज़ेस के कथन पर आधारित है, इसके अनुसार आर्किमिडीज़ 75 वर्ष तक जीवित रहे. [७]द सेंड रेकोनर में, आर्किमिडीज़ अपने पिता का नाम फ़िदिआस बताते हैं, उनके अनुसार वे एक खगोल विज्ञानी थे, जिसके बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं है. प्लूटार्क ने अपनी पेरेलल लाइव्ज़ में लिखा कि आर्किमिडीज़ सेराक्यूस के शासक, राजा हीरो से सम्बंधित थे.[८] आर्किमिडीज़ की एक जीवनी उनके मित्र हीराक्लिडस के द्वारा लिखी गयी, लेकिन उनका कार्य खो गया है, जिससे उनके जीवन के विवरण अस्पष्ट ही रह गए हैं.[९] उदाहरण के लिए, यह अज्ञात है कि वह शादी शुदा थे या नहीं या उनके बच्चे थे या नहीं. संभवत: अपनी जवानी में आर्किमिडीज़ ने अलेक्जेंड्रिया, मिस्र में अध्ययन किया, जहां वे सामोस के कोनन और सायरीन के इरेटोस्थेनेज समकालीन थे. उन्हें उनके मित्र की तरह सामोस के कोनन से संदर्भित किया जाता था, जबकि उनके दो कार्यो (यांत्रिक प्रमेय की विधि और केटल समस्या (the Cattle Problem) ) का परिचय इरेटोस्थेनेज के संबोधन से दिया जाता था.[20]
वसंत · ग्रीष्मपतझड़ · शीतकाल
समुद्रगुप्त एक असाधारण सैनिक योग्यता वाला महान विजित सम्राट था । यह उच्चकोटि का विद्वान तथा विद्या का उदार संरक्षक था । उसे कविराज भी कहा गया है । वह महान संगीतज्ञ था जिसे वीणा वादन का शौक था । इसने प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान वसुबन्धु को अपना मन्त्री नियुक्‍त किया था ।
ह्रदय की संरचना जंतु जगत (animal kingdom)की भिन्न शाखाओं में अलग अलग होती है.(देखिए परिसंचरण तंत्र (Circulatory system).)सिफेलोपोड़ (Cephalopod) में दो "गिल ह्रदय" और एक "सिस्टमिक ह्रदय " होता है.मछली में एक दो कक्षों का ह्रदय होता है, जो रक्त को गिल (gill)में पम्प करता है, और वहां से रक्त शेष शरीर में जाता है.उभयचरों (amphibian)और अधिकांश रेप्टाइल्स में द्विक परिसंचरण तंत्र (double circulatory system)होता है, लेकिन ह्रदय हमेशा दो पम्पों में पृथक नहीं होता है.उभयचरों में तीन कक्षों से युक्त ह्रदय होता है.
एल्लोजिनेनिक हिमेटोपोयटिक स्टेम कोशिका प्रत्यारोपण (आनुवंशिक रूप से असमान दाता से "अस्थि-मज्जा स्थानान्तरण") को प्रतिरक्षा थेरेपी का एक रूप माना जा सकता है, क्योंकि दाता की प्रतिरक्षा कोशिकाएं ग्राफ्ट-बनाम-गाँठ प्रभाव के तहत गाँठ पर अक्सर आक्रमण करती हैं.इसीलिए, एल्लोजिनेनिक HSCT, कई प्रकार के कैंसर के लिए ऑटोलॉगस प्रत्यारोपण की तुलना में उपचार की उच्च दर का कारण बनती है, यद्यपि पार्श्व दुष्प्रभाव भी अधिक गंभीर होते हैं.
2 NADH
निषादराज निषादों के राजा का उपनाम है। वे ऋंगवेरपुर के राजा थे, उनका नाम गुह था और उन्होंने ही वनवासकाल में राम, सीता तथा लक्ष्मण को गंगा पार करवाया था।
पोस्टल कोड - २७२००१ ( बस्ती शहर )
जुलाई २०१० की स्थिति तक, चीनी जनवादी गणराज्य की कुल जनसंख्या १,३३,८६,१२,९६८ है। २१% लोग १४ वर्ष या कम के हैं, ७१% १५ से ६४ वर्ष के बीच हैं, और ८% ६५ वर्ष या ऊपर हैं। जनसंख्या वृद्धि दर २००६ में ०.६% थी।
भारतीय लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया के अलग-अलग स्तर हैं लेकिन मुख्य तौर पर संविधान में पूरे देश के लिए एक लोकसभा तथा पृथक-पृथक राज्यों के लिए अलग विधानसभा का प्रावधान है।
निर्देशांक: 11°41′N 92°46′E / 11.68, 92.77 अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह, (अंग्रेजी:Andaman and Nicobar Islands) भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है। ये बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित है। अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह लगभग ३०० छोटे बड़े द्वीपों से मिलकर बना है जिनमें से सिर्फ कुछ ही द्वीपों पर लोग रहते हैं। यहाँ की राजधानी पोर्ट ब्लेयर है।
भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत की विभिन्नताओं से भरी जनता में भाषा, जाति और धर्म, सामाजिक और राजनीतिक संगठन के मुख्य शत्रु हैं।
विराट पर्व के अन्तर्गत ५ उपपर्व और ७२ अध्याय हैं।
मदुरै शहर से २१ किमी. दूर अजगर भगवान विष्णु का खूबसूरत मंदिर हे। यहां पर भगवान विष्णु को अजगर नाम से पुकारा जाता है। वे देवी मीनाक्षी के भाई थे। जब चित्रई माह में देवी का विवाह हुआ था तो अजगर शादी में शामिल होने के लिए यहां से मदुरै गए थे। भगवान सुब्रमण्यम के छ: निवासों में से एक पलामुधिरसोलक्षर अजगर कोइल के ऊपर चार किमी. दूर है। पहाड़ी की चोटी पर नुबुरगंगई नामक झरना है जहां तीर्थयात्री स्नान करते हैं।
२०वीं शताब्दी के प्रारंभ में 'मानसिक आयु' (मेंटल एज) का प्रयोग किया गया है। यद्यपि इस शब्दावली की ओर सन्‌ १८८७ ई. में भी संकेत किया गया था, तथापि इसका श्रेय फ्रांस के मनोवैज्ञानिक अल्फ्रडे बीने (१८५७-१९११) को दिया जाता है। मानसिक आयु का तात्पर्य कुछ समान आयुवाले बालकों की औसत मानसिक योग्यता से है। इससे बालक की साधारण मानसिक योग्यता का अनुमान मिलता है। मानसिक आयु बढ़ती है और परिपक्व होती है। सामान्यत: इसकी परिपक्वता का समय १४ से २२ वर्ष की आयु के भीतर कभी भी आ सकता है। कुछ लोगों में इसकी परिपक्वता २२ वर्ष के बाद भी आ सकती है।
हिन्दी के प्रारंभिक संस्मरण लेखकों में पकृ सिंह शर्मा हैं। इनके अतिरिक्त बनारसीदास चतुर्वेदी, महादेवी वर्मा तथा रामवृक्ष बेनीपुरी आदि हैं। चतुर्वेदी ने "संस्मरण" तथा "हमारे अपराध" शीर्षक कृतियों में अपने विविध संस्मरण आकर्षक शैली में लिखे हैं। हिन्दी के अनेक अन्य लेखकों तथा लेखिकाओं ने भी बहुत अच्छे संस्मरण लिखे हैं। उनमें से कुछ साहित्यकारों का उल्लेख करना प्रासंगिक होगा। श्रीमती महादेवी वर्मा की "स्मृति की रेखाएँ" तथा "अतीत के चलचित्र" संस्मरण साहित्य की श्रेष्ठ कृतियाँ हैं। रामबृक्ष बेनीपुरी की कृति "माटी की मूरतें" में जीवन में अनायास मिलने वाले सामान्य व्यक्तियों का सजीव एवं संवेदनात्मक कोमल चित्र्ण किया गया है।
   क.    ^ "मन्दाकिनीदशार्णा च चित्रकूटा तथैव च।
पिच की स्थिरता भिन्न हो सकती है जिसके कारण गेंदबाज को मिलने वाला बाउंस, स्पिन, और गति अलग अलग हो सकती है. सख्त पिच पर बल्लेबाजी करना आसान होता है, क्यों की इस पर बाउंस ऊँचा लेकिन समान होता है. सूखी पिच बल्लेबाजी के लिए खराब मानी जाती है क्यों की इस पर दरारें आ जाती हैं, और जब ऐसा होता है तो स्पिनर एक अहम भूमिका अदा कर सकता है.नम पिच या घास से ढकी पिचें (जो "हरी" पिचें कहलाती हैं) अच्छे तेज गेंदबाज को अतिरिक्त बाउंस देने में मदद करती है.इस तरह की पिच पूरे मेच के दौरान तेज गेंदबाज की मदद करती है लेकिन जैसे जैसे मेच आगे बढ़ता है ये बल्लेबाजी के लिए और भी बेहतर होती जाती है.
1996 -अवामी लीग सत्ता में लौटी, शेख़ हसीना प्रधानमंत्री बनीं. देश में हड़तालों का दौर शुरू हुआ.
मशहद (फारसी: مشهد ) ईरान का शहर है। यह शहर खुरासान-ए-रज़वी प्रांत में आता है इस जिले की जनसंख्या 2,427,316 (गणना वर्ष २००६ अनुसार) है
रत्नों की श्रेष्ठता प्रमाणित करने में उसके मुख्यतया तीन गुण हैं- रत्नों की अद्भुत सौंदर्यता, रत्नों की दुर्लभता, रत्नों का स्थायित्व।
कुमाऊँनी रंगमंच का विकास 'रामलीला' नाटकों के द्वारा हुआ, जो धीरे-धीरे आधुनिक रंगमंच के रुप में विकसित हुआ जिसमे मोहन उप्रेति और दिनेश पांडे जैसे रंगमंच के दिग्गजों, और पर्वतीय कला केन्द्र (मोहन उप्रेति द्वारा आरंभित) और पर्वतीय लोक कला मंच जैसे समुहों का बहुत बडा़ योगदान है।
हिन्दी सिनेमा का उल्लेख किये बिना हिन्दी का कोई भी लेख अधूरा होगा। मुम्बई मे स्थित "बॉलीवुड" हिन्दी फ़िल्म उद्योग पर भारत के करोड़ो लोगों की धड़कनें टिकी रहती हैं। हर चलचित्र में कई गाने होते हैं । हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बइया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों मे उपयुक्त होती हैं । प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं । अधिकतर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं । कुछ लोकप्रिय चलचित्र हैं: महल (१९४९), श्री ४२० (१९५५), मदर इंडिया (१९५७), मुग़ल-ए-आज़म (१९६०), गाइड (१९६५), पाकीज़ा (१९७२), बॉबी (१९७३), ज़ंजीर (१९७३), यादों की बारात (१९७३), दीवार (१९७५), शोले (१९७५), मिस्टर इंडिया (१९८७), क़यामत से क़यामत तक (१९८८), मैंने प्यार किया (१९८९), जो जीता वही सिकन्दर (१९९१), हम आपके हैं कौन (१९९४), दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (१९९५), दिल तो पागल है (१९९७), कुछ कुछ होता है (१९९८), ताल (१९९९), कहो ना प्यार है (२०००), लगान (२००१), दिल चाहता है (२००१), कभी ख़ुशी कभी ग़म (२००१), देवदास (२००२), साथिया (२००२), मुन्ना भाई एमबीबीएस (२००३), कल हो ना हो (२००३), धूम (२००४), वीर-ज़ारा (२००४), स्वदेस (२००४), सलाम नमस्ते (२००५), रंग दे बसंती (२००६) इत्यादि।
भारतीय उपमहाद्वीप के लिए मुग़ल का प्रमुख योगदान उनकी अनूठी वास्तुकला थी.मुग़ल काल के दौरान मुस्लिम सम्राटों द्वारा ताज महल सहित कई महान स्मारक बनाए गए थे.मुस्लिम मुग़ल राजवंश ने भव्य महलों, कब्रों, मीनारों और किलों को निर्मित किया था जो आज दिल्ली, ढाका, आगरा, जयपुर, लाहौर, शेखपुरा और भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के कई अन्य शहरों में खड़े हैं.[३][४]
जब विभिन्न तत्व रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा आपस में मिलते हैं तब रत्न बनते हैं। जैसे स्फटिक, मणिभ, क्रिस्टल आदि। इसी रासायनिक प्रक्रिया के बाद तत्व आपस में एकजुट होकर विशिष्ट प्रकार के चमकदार आभायुक्त बन जाते हैं तथा कई अद्भुत गुणों का प्रभाव भी समायोजित हो जाता है। यह निर्मित तत्व ही रत्न कहलाता है, जो कि अपने रंग, रूप व गुणों के कारण मनुष्यों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यथा- रमन्ते अस्मिन्‌ अतीव अतः रत्नम्‌ इति प्रोक्तं शब्द शास्त्र विशारदैः॥ (आयुर्वेद प्रकाश 5-2)
क्रांति की मषाल जब जल चुकी तो वह क्षेत्र में फैलती गयी और सभी भागो में स्थानीय नेताओं की देख-रेख में आगे बढ़ी। प्रो. सक्सेना जी के विष्वास पात्र कार्यकर्ता श्री सुदामा प्रसाद जो बाद में विधायक हुए थे, लेहड़ा के अंग्रेज जमींदार के विरूद्व मोर्चा संभाला। जमींदार के अत्याचार का बुकलेट छपवाकर जन सामान्य में वितरित किया। नौतनवां क्षेत्र में श्री पूर्णमासी एवं श्री राम लगन दूबे ने जनता का नेतृत्व किया, और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जन जागृति पैदा की।
-भूमि की जुताई 2-3 बार 14-20 सेमी गहरी की जाये खेत जुताई से पूर्व उसरीले पैच को 2 सेमी की सतह खुरपी से खुरचकर बाहर नाले में डाल दें |
नेपाल के कोशी प्रान्त का जिला।
उत्तरी आयरलैंड फुटबॉल लीग प्रणाली में IFA प्रेमिएर्शिप शामिल है.एक उत्तरी आयरलैंड का क्लब, डेरि सिटी, UK के बाहर आयरलैंड गणराज्य फुटबॉल लीग प्रणाली में फुटबॉल खेलता है.
तकनीकी • जैवप्रौद्योगिकी • नैनोतकनीकी • अभियान्त्रिकी • रासायनिक अभियान्त्रिकी • वैमानिक अभियान्त्रिकी • अन्तरिक्षीय अभियान्त्रिकी • संगणक • संगणक अभियान्त्रिकी • सिविल अभियान्त्रिकी • विद्युतीय अभियान्त्रिकी • इलेक्ट्रॉनिक्स • यान्त्रिकी
रणछोड़जी के मन्दिर की ऊपरी मंजिलें देखने योग्य है। यहां भगवान की सेज है। झूलने के लिए झूला है। खेलने के लिए चौपड़ है। दीवारों में बड़े-बड़े शीशे लगे है।
रामचरितमानस गोस्वामी जी का सर्वाति लोकप्रिय ग्रंथ रहा है। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं के सम्बन्ध में कही उल्लेख नहीं किया है, इसलिए प्रामाणिक रचनाओं के संबंध में अंतस्साक्ष्य का अभाव दिखाई देता है। नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित ग्रंथ इस प्रकार हैं :
भारत एक और ऐसा उदाहरण है जहाँ सरकार ने देश की आबादी कम करने के लिए कई उपाय किये हैं. तेज़ी से बढती जनसँख्या आर्थिक वृद्धि और जीवन स्तर पर दुष्प्रभाव डालेगी, इस बात की चिंता के चलते 1950 के दशक के आखिर और 1960 के दशक के शुरू में भारत ने एक आधिकारिक परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू किया; विश्व में ऐसा करने वाले ये पहला देश था.
इस श्रेणी में हिन्दू एवं वैदिक धर्म ग्रंथों में दिये समस्त पौराणिक पात्रों को रखा गया है शांतनु महाभारत के एक प्रमुख पात्र हैं। वे हस्तिनापुर के महाराज प्रतीप के पुत्र थे। उनका विवाह गंगा से हुआ था। जिससे उनका देवव्रत नाम का पुत्र हुआ। यही देवव्रत आगे चलकर महाभारत के प्रमुख पात्र भीष्म के नाम से जाने गए। शान्तनु का दूसरा विवाह निषाद कन्या सत्यवती से हुआ था। इस विवाह को कराने के लिए ही देवव्रत ने राजगद्दी पर न बैठने और आजीवन कुँवारा रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की थी, जिसके कारण उनका नाम भीष्म पड़ा। सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुये।
अनुवाद : हिन्दी में-
गूढ़ वैज्ञानिक तथ्य ‎जो अब तक हमें ज्ञात हैं, क़ुरान में छुपे हैं और ऐसे सैकड़ों स्थान है जहां ‎लगता है कि मनुष्य ज्ञान अभी उस सच्चाई तक नहीं पहुंचा है। बार-बार क़ुरान आपको विचार करने की दावत देता है। धरती और आकाश के ‎रहस्यों को जानने का आमंत्रण देता हैं।
जब महाभारत का युद्ध निकट था, तब माता कुंती, कर्ण से भेंट करने गई और उसे उसकी वास्तविक पहचान का ज्ञान कराया। वह उसे बताती हैं कि वह उनका पुत्र है और ज्येष्ठ पाण्डव है। वह उससे कहती हैं कि वह स्वयं को 'कौन्तेय' (कुन्ती पुत्र) कहे नाकी 'राधेय' (राधा पुत्र), और तब कर्ण उत्तर देता है की वह चाहता है कि सारा संसार उसे राधेय के नाम से जाने नाकी कौन्तेय के नाम से।[४] कुंती उसे कहती हैं कि वह पाण्डवों की ओर हो जाए और वह उसे राजा बनाएगें। तब कर्ण कहता है कि बहुत वर्ष पूर्व उस रंगभूमि में यदि उन्होनें उसे कौन्तेय कहा होता तो आज स्थिति बहुत भिन्न होती। पर अब किसी भी परिवर्तन के लिए बहुत देर हो चुकि है और अब ये संभव नहीं है। वह आगे कहता है कि दुर्योधन उसका मित्र है और उस पर बहुत विश्वास करता है, और वह उसके विश्वास को धोखा नहीं दे सकता। लेकिन वह माता कुंती को ये वचन देता है की वह अर्जुन के अतिरिक्त किसी और पांडव का वध नहीं करेगा। कर्ण और अर्जुन दोनों ने ही एक दूसरे का वध करने का प्रण लिया होता है, और इसलिए दोनों में से किसी एक की मृत्यु तो निश्चित है। वह कहता है की उनके कोई भी पाँच पुत्र जीवित रहेंगे - चार अन्य पाण्डव, और उसमें या अर्जुन में से कोई एक। कर्ण अपनी माता से निवेदन करता है कि वह उनके संबंध और उसके जन्म की बात को उसकी मृत्यु तक रहस्य रखे।
   क.    ^ गीतस्य च वादस्य च पाठ्यस्य च नैकभाव विहितस्य. शिष्टोपदेशयोगात् सूत्रज्ञः सूत्रधारस्तु।।
इस फोटोलाइसिस प्रक्रिया में O2 पानी से स्वतन्त्र हो जाती है तथा हाइड्रोजन भी हाइड्रोजन ग्राहक पर चली जाती है।
चन्द्रगुप्त प्रथम- यह घटोत्कच का उत्तराधिकारी था, जो ३२० ई. में शासक बना ।
इसके पश्चात् राजा ययाति ने अपने ज्येष्ठ पुत्र से कहा, "वत्स यदु! तुम अपने नाना के द्वारा दी गई मेरी इस वृद्धावस्था को लेकर अपनी युवावस्था मुझे दे दो।" इस पर यदु बोला, "हे पिताजी! असमय में आई वृद्धावस्था को लेकर मैं जीवित नहीं रहना चाहता। इसलिये मैं आपकी वृद्धावस्था को नहीं ले सकता।" ययाति ने अपने शेष पुत्रों से भी इसी प्रकार की माँग की किन्तु सबसे छोटे पुत्र पुरु को छोड़ कर अन्य पुत्रों ने उनकी माँग को ठुकरा दिया। पुरु अपने पिता को अपनी युवावस्था सहर्ष प्रदान कर दिया। पुनः युवा हो जाने पर राजा ययाति ने यदु से कहा, "तूने ज्येष्ठ पुत्र होकर भी अपने पिता के प्रति अपने कर्तव्य को पूर्ण नहीं किया। अतः मैं तुझे राज्याधिकार से वंचित करके अपना राज्य पुरु को देता हूँ। मैं तुझे शाप भी देता हूँ कि तेरा वंश सदैव राजवंशियों के द्वारा बहिष्कृत रहेगा।" (राजा ययाति के इसी पुत्र यदु के वंश में श्री कृष्ण का अवतार हुआ तथा शिशुपाल ने धर्मराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में ययाति के इसी शाप का उल्लेख किया था।)
फांसी पर जाते समय वे तीनों गा रहे थे -
1485–1550  Mazagan (El Jadida)
अफशर (1740-1757)
इस गुफा के भीतर का कक्ष ८ ६ फीट का है तथा गहराई ६ फीट ३ इंच है। पहले दरवाजे के ठीक सामने कोई पुरुष मूर्ति होने का संकेत मिलता है, जो अब नष्ट हो चुका है। इसमें बचे पाँच मूर्तियों में कुछ मूर्तियाँ चर्तुमुखी है व वनमाला धारण किये हुए है।
काँच का आविष्कार मिस्र या मैसोपोटामिया में लगभग ढाई हज़ार साल ईसा पूर्व हुआ था। शुरु में इसका इस्तेमाल साज-सज्जा के लिए किया गया। फिर ईसा से लगभग डेढ़ हज़ार साल पहले काँच के बरतन बनने लगे। पहली शताब्दी आते-आते फ़लस्तीन और सीरिया में, एक खोखली छड़ में फूंक मारकर पिघले काँच को मनचाहे रूप में ढालने की कला विकसित हुई और ग्यारहवीं शताब्दी में वेनिस शहर काँच की चीज़ें बनाने का केन्द्र बन गया।
3 O2
जहां R = किराए
प्रथम प्रयोग सिल्वर नाम का अँग्रेजी़ भाषा में 1481 में हुआ था। [२]
दुर्गा पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है ।
इसके बाद इसे कोक के साथ वात्या भट्ठी में गर्म करते हैं जिससे फेरस सल्फाईड फेरस ऑक्साईड बनाता है तथा सिलिका के साथ अभिक्रिया करके धातुमल (फेरस सिलिकेट) बनाता हुआ निकल जाता है । इसके बाद इस को एक भट्ठी में गर्म करते हैं तो कॉपर के सल्फाईड पहले आक्साइड में बदल जाते हैं तथा फिर बचे हुए सल्फाइड से अभिक्रिया करके सल्फर डाई ऑक्साईड तथा कॉपर देते हैं ।
साँचा:सितंबर कैलंडर२०११ 14 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 257वॉ (लीप वर्ष मे 258 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 108 दिन बाकी है।
पत्तिं तु त्रिगुणामेतामाहु: सेनामुखं बुधा:।
पिनाक भारतीय भाषाई कम्प्यूटिंग को समर्पित गैर सरकारी चैरीटेबल सोसायटी है। स्थानीय भाषाओं मे कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर उपलब्ध करवाने, भाषाई सॉफ्टवेयरों का विकास करने, मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयरों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने तथा ऑनलाइन ज्ञानकोषों में सामग्रियां बढाने जैसे कार्य करती है। इसके अलावा पिनाक लोगों को कम्प्यूटिंग का ज्ञान, इण्टरनेट की उपयोगिता का ज्ञान तथा इण्टरनेट पर भारतीय भाषाओं के उपयोग संबंधी जानकारी देने का कार्य कर रही है।
(7 कि.मी.) 1975 मी. : शिमला-कालका सड़क मार्ग पर (रा.राज.-22) पर "भगवान हनुमान" का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां से शिमला शहर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। यहां बस/टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है।
अरुणाचल प्रदेश में भारी यानि 160 से 80 इंच (2000 से 4000 मिमी) सालाना वर्षा होती है। ज्यादातर वर्षा मई और सितंबर के बीच होती है। पहाड़ और इनकी ढलानें अल्पाइन, समशीतोष्ण, और उपविषुवतीय वृक्षों के जंगलों से ढकी हैं यहाँ बौना रॉडॉडेन्ड्रोन, ओक, चीड़, मैप्ले, फर और जुनिपर के वृक्षों के साथ साल और सागौन जैसे मुख्य आर्थिक प्रजाति के वृक्ष भी पाये जाते है।
गंगा नदी में होने वाला प्रदूषण पिछले कई सालों से भारतीय सरकार और जनता के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस नदी उत्तर भारत की सभ्यता और संस्कृति की सबसे मजबूत आधार है। उत्तर भारत के लगभग सभी प्रमुख शहर और उद्योग करोड़ों लोगों की श्रद्धा की आधार गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे हैं और यही उसके लिए सबसे बड़ा अभिशाप साबित हो रहे हैं।
२. चीन उस जनसंख्या स्थानान्तरण नीति का परित्याग करे जिसके द्वारा तिब्बती लोगों के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो रहा है।
उत्तरकाण्ड राम कथा का उपसंहार है। सीता, लक्ष्मण और समस्त वानर सेना के साथ राम अयोध्या वापस पहुँचे। राम का भव्य स्वागत हुआ, भरत के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और शिव की स्तुति के साथ राम का राज्याभिषेक हुआ। वानरों की विदाई दी गई। राम ने प्रजा को उपदेश दिया और प्रजा ने कृतज्ञता प्रकट की। चारों भाइयों के दो दो पुत्र हुये। रामराज्य एक आदर्श बन गया।
परांठा (उर्दू: پراٹھا, तमिल: பராட்டா ) भारतीय रोटी का विशिष्ट रूप है। यह उत्तर भारत में जितना लोकप्रिय है, लगभग उतना ही दक्षिण भारत में भी है, बस मूल फर्क ये है, कि जहां उत्तर में आटे का बनता है, वहीं दक्षिण में मैदे का बनता है। प्रतिदिन के उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीपीय नाश्ते में सबसे लोकप्रिय पदार्थ अगर कोई है तो वह परांठा ही है। इसे बनाने की जितनी विधियां हैं वैसे ही हिन्दी में इसके कई रूप प्रचलित हैं जैसे पराठा, परौठा, परावठा, परांठा और परांवठा। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक यह भारतीय रसोई का हिस्सा है और हर सुबह तवे पर सेंके जाते परांठे की लुभावनी खुशबू भूख बढ़ा देती है। हां स्वास्थ्य की दृष्टि से ये अवश्य वसा से भरपूर होने के कारण सीमित मात्रा में ही उपभोग किये जाने चाहिये।
2. जो धम्म मैत्री की वृद्धि करे--
भरतनाट्यम् काफी लोकप्रिय और प्रसिद्ध है ।
इस वचन से भट्ट पादका अभिहितान्वयवाद का स्वरूप दिग्दर्शित होता है। कुछ विद्वानों का कथन है कि "अनन्वितावस्थ" पदार्थ पदों से अभिहित होते हैं। उनकी अन्वितावस्था केवल लक्षित होती है। अतएव "अन्विताभिधानवाद" कुमारिल भट्ट का है, किंतु भट्ट मत का अनुवादक अन्विताभिधानवाद मानकर जो खंडन करते हैं, यह उचित नहीं है, क्योंकि उनके ग्रंथों में उपर्युक्त लेख की चर्चा कहीं भी नहीं है।
क्योंकि ये अधिक कटिबंधों वाले चक्रवातों से बनते हैं, जिनका तापमान अन्य कटी बंधों से ठंडा होता है, उनके गठन के लिए प्रयुक्त समुद्र के सतह का तापमान उष्णकटिबंधीय चक्रवात दहलीज की तुलना में तीन डिग्री सेल्सियस, या पाँच डिग्री फेरनहाइट से कम होता है जो, 23 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता हैं. [३४]इससे यह पता चलता है कि अन्तः उष्ण कटिबंधीय चक्रवात परंपरागत सीमा के बाहर तूफानी मौसम में बनते हैं . यद्यपि अंत:उष्णकटिबंधीय तूफानों में कभी-कभार ही तूफानी हवाओं का दबाव होता है, वे प्रकृतित: उष्णकटिबंधीय हो सकते है यदि उनके सत्व गर्म हो जाएँ तो .[३५]
बर्मी साहित्य के विकास को दृष्टि में रखकर विद्वानों ने इसे नौ कालों में विभाजित किया है, जिसमें प्रत्येक युग के साहित्य की अपनी विशेषता है।
अन्टार्कटिका और दक्षिण गंगोत्री और मैत्री पर भी भारत के वैज्ञानिक स्थल हैं यद्यपि अभी तक कोई वास्तविक आधिपत्य स्थापित नहीं किया गया है।
नारायणा पश्चिम-दक्षिण दिल्ली का इलाका है (Coordinates: 28°38'27"N 77°8'38"E) । यहां औद्योगिक, आवासीय व ग्रामीण; तीनों ही क्षेत्र हैं। यहां एशिया की सबसे बङी लौह /इस्पातमण्डी है।
While all media in Vietnam must be sponsored by a Communist Party organization and be registered with the government, the following media sources have less government control than others.
पराबैंगनी किरण (पराबैंगनी लिखीं जाती हैं) एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय विकिरण हैं, जिनकी तरंग दैर्घ्य प्रत्यक्ष प्रकाश से छोटी हो एवं कोमल एक्स किरण से अधिक हो। इनकी ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि, इनका वर्णक्रम लिए होता है विद्युत चुम्बकीय तरंग जिनकी आवृत्ति मानव द्वारा दर्शन योग्य बैंगनी वर्ण से ऊपर होती हैं । ये पृथ्वी द्वारा सूर्य से पाए गए विकिरण का भाग होतीं हैं। अधिकतर मानव इनके प्रभाव से परिचित होते हैं, जो कि सौर्य जलन या sunburn होता है । पराबैंगनी वर्णक्रम के बहुत से अन्य प्रभाव भी होते हैं, जिनमें लाभदायक एवं हानिकारक, दोनों ही संयुक्त हैं ।
डायनासोर (यूनानी: δεινόσαυρος, deinosauros) जिसका अर्थ यूनानी भाषा में बड़ी छिपकली होता है लगभग 16 करोड़ वर्ष तक पृथ्वी के सबसे प्रमुख स्थलीय कशेरुकी जीव थे। यह ट्राइएसिक काल के अंत (लगभग 23 करोड़ वर्ष पहले) से लेकर क्रीटेशियस काल (लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पहले), के अंत तक अस्तित्व मे रहे, इसके बाद इनमें से ज्यादातर क्रीटेशियस -तृतीयक विलुप्ति घटना के फलस्वरूप विलुप्त हो गये। जीवाश्म अभिलेख इंगित करते हैं कि पक्षियों का प्रादुर्भाव जुरासिक काल के दौरान थेरोपोड डायनासोर से हुआ था, और अधिकतर जीवाश्म विज्ञानी पक्षियों को डायनासोरों के आज तक जीवित वंशज मानते हैं।
सी के ठक्कर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं।
प्रेमचंद ने अपनी कला के शिखर पर पहुँचने के लिए अनेक प्रयोग किए। जिस युग में प्रेमचंद ने कलम उठाई थी, उस समय उनके पीछे ऐसी कोई ठोस विरासत नहीं थी और न ही विचार और प्रगतिशीलता का कोई मॉडल ही उनके सामने था सिवाय बांग्ला साहित्य के। उस समय बंकिम बाबू थे, शरतचंद्र थे और इसके अलावा टॉलस्टॉय जैसे रुसी साहित्यकार थे। लेकिन होते-होते उन्होंने गोदान जैसे कालजयी उपन्यास की रचना की जो कि एक आधुनिक क्लासिक माना जाता है। उन्होंने चीजों को खुद गढ़ा और खुद आकार दिया। जब भारत का स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था तब उन्होंने कथा साहित्य द्वारा हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं को जो अभिव्यक्ति दी उसने सियासी सरगर्मी को, जोश को और आंदोलन को सभी को उभारा और उसे ताक़तवर बनाया और इससे उनका लेखन भी ताक़तवर होता गया।[१८] प्रेमचंद इस अर्थ में निश्चित रुप से हिंदी के पहले प्रगतिशील लेखक कहे जा सकते हैं। १९३६ में उन्होंने प्रगतिशील लेखक संघ के पहले सम्मेलन को सभापति के रूप में संबोधन किया था। उनका यही भाषण प्रगतिशील आंदोलन के घोषणा पत्र का आधार बना।[१९] प्रेमचंद ने हिन्दी में कहानी की एक परंपरा को जन्म दिया और एक पूरी पीढ़ी उनके कदमों पर आगे बढ़ी, ५०-६० के दशक में रेणु, नागार्जुन औऱ इनके बाद श्रीनाथ सिंह ने ग्रामीण परिवेश की कहानियाँ लिखी हैं, वो एक तरह से प्रेमचंद की परंपरा के तारतम्य में आती हैं।[२०] प्रेमचंद एक क्रांतिकारी रचनाकार थे, उन्होंने न केवल देशभक्ति बल्कि समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों को देखा और उनको कहानी के माध्यम से पहली बार लोगों के समक्ष रखा। उन्होंने उस समय के समाज की जो भी समस्याएँ थीं उन सभी को चित्रित करने की शुरुआत कर दी थी। उसमें दलित भी आते हैं, नारी भी आती हैं। ये सभी विषय आगे चलकर हिन्दी साहित्य के बड़े विमर्श बने।[२१] प्रेमचंद हिन्दी सिनेमा के सबसे अधिक लोकप्रिय साहित्यकारों में से हैं। सत्यजित राय ने उनकी दो कहानियों पर यादगार फ़िल्में बनाईं। १९७७ में शतरंज के खिलाड़ी और १९८१ में सद्गति। उनके देहांत के दो वर्षों बाद के सुब्रमण्यम ने १९३८ में सेवासदन उपन्यास पर फ़िल्म बनाई जिसमें सुब्बालक्ष्मी ने मुख्य भूमिका निभाई थी। १९७७ में मृणाल सेन ने प्रेमचंद की कहानी कफ़न पर आधारित ओका ऊरी कथा[२२] नाम से एक तेलुगू फ़िल्म बनाई जिसको सर्वश्रेष्ठ तेलुगू फ़िल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। १९६३ में गोदान और १९६६ में गबन उपन्यास पर लोकप्रिय फ़िल्में बनीं। १९८० में उनके उपन्यास पर बना टीवी धारावाहिक निर्मला भी बहुत लोकप्रिय हुआ था।[२३]
2. अर्खांगेल्स्क
अशोक ने अपने राज्याभिषेक के ८वें वर्ष २६१ ई. पू. में कलिंग पर आक्रमण किया था । आन्तरिक अशान्ति से निपटने के बाद २६९ ई. पू. में उसका विधिवत्‌ अभिषेक हुआ । तेरहवें शिलालेख के अनुसार कलिंग युद्ध में एक लाख ५० हजार व्यक्‍ति बन्दी बनाकर निर्वासित कर दिए गये, एक लाख लोगों की हत्या कर दी गयी । सम्राट अशोक ने भारी नरसंहार को अपनी आँखों से देखा । इससे द्रवित होकर अशोक ने शान्ति, सामाजिक प्रगति तथा धार्मिक प्रचार किया ।
चन्दौली भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है ।
बर्मा विश्व के उन तीन देशो में शामिल है, जो अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली का उपयोग नहीं करते है।
भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत की विभिन्नताओं से भरी जनता में भाषा, जाति और धर्म, सामाजिक और राजनीतिक संगठन के मुख्य शत्रु हैं।
ॐ सवित्रा प्रसूता दैव्या, आपऽउदन्तु ते तनूम् । दीघार्युत्वाय वचर्से । -पार०गृ०सू० २.१.९
बेगमपेट हवाई अड्डा अन्तर्देशीय व अन्तर्राजीय विमान सेवा देता है। एक नया विमानक्षेत्र शम्साबाद में बन चुका है। पहले सभी बड़े शहरों की भांति यहां वयु यातायात संकुलन समस्या होती थी, परंतु नया हवाई अड्डा बन जाने से वह दूर हो चुकी है। यहां ट्रैफिक संकुलन की समस्या सड़कों पर बहुत दिखायी देती है। यह ऑटो, कार, इत्यादि की अत्यधिक संख्या के कारण होती है। इससे निबटाने के लिये अनेकों सेतु, फ्लाईओवर निर्माण हुए, परंतु यह वैसी की वैसी बनी हुई है। आंध्र प्रदेश सरकार ने इससे निबटने के लिये दिल्ली व कोलकाता की भांति ही यहां भी मैट्रो ट्रेन शुरु करने की मंजूरी दे दी है। [८] इसके पूर्ण हो जाने पर आशा है, कि यह समस्या काफी हद तक सुलझ जाये गी।
उद्भवः सुन्दरः सुन्दो रत्ननाभः सुलोचनः ।
जिस समय अजमीढ़ साम्राज्य की स्थापना हुई (ईसापूर्व 648 में), उस समय मेड लोग ईरान में सबसे ज्यादा शक्तिशाली थे । अन्शान तथा फारस के राज्य ( जो मीदिया के दक्षिण में थे) उसके सहयोगी थे । ये लोग असीरिया के खिलाफ़ युद्ध करते थे । फारस का राज्य ईरान के दक्षिण में था और अन्य ईरानी राज्यों की तरह छोटा था । ईसापूर्व सन् 559 में जब कुरु (फ़ारसी में कुरोश) अन्शान का राजा बना तो उसने मेड प्रभुत्व स्वीकार करने से मना कर दिया और मेड साम्राज्य के ख़िलाफ विद्रोह कर दिया । उसने ईसापूर्व 549 में मेड राजा अस्त्यागस की राजधानी हमादान (एक्बताना) पर अधिकार कर लिया । उसने अपने को फ़ारस का शाह घोषित कर दिया और मेड साम्राज्य को अपना सहयोगी राज्य बना दिया । इससे मीदिया और फ़ारस के रिश्ते पूरी तरह बदल गए और फारस उसके बाद आने वाली सदियों के लिए ईरानी प्रभुसत्ता का केन्द्र बन गया ।
(२) भाषा संकेतात्कम है अर्थात् इसमे जो ध्वनियाँ उच्चारित होती हैं, उनका किसी वस्तु या कार्य से सम्बन्ध होता है। ये ध्वनियाँ संकेतात्मक या प्रतीकात्मक होती हैं।
उम्मीद के विपरीत, इस परीक्षण के दौरान दिए गए बीटा केरोटीन के पूरक आहार ने फुफ्फुस कैंसर की घटनाओं या मृत्यु दर को कम करने में कोई भूमिका नहीं निभायी. वास्तव में, बीटा कैरोटीन, के द्वारा फेफड़ों के कैंसर का खतरा बहुत अधिक नहीं लेकिन बहुत कम बढ़ा , इसने प्रारंभिक अध्ययन को यहीं पर समाप्त कर दिया. [७४]
1530 में बाबर के बेटे हुमायूं उत्तराधिकारी बने लेकिन पशटुन शेर शाह सूरी के हातों प्रमुख उलटाव सहे और नए साम्राज्य के अधिकाँश भाग को क्षेत्रीय राज्य से आगे बड़ने से पहले ही प्रभावी रूप से हार गए.1540 से हुमायूं एक निर्वासित शासक बने, 1554 में साफाविड के कोर्ट के शासन में पहुंचे जबकि अभी भी कुछ किले और छोटे क्षेत्र उनकी सेना द्वारा नियंत्रित थे.लेकिन शेर शाह सूरी के निधन के बाद जब पशटुन अव्यवस्था में गिर गया, तब हुमायूं एक मिश्रित सेना के साथ लौटे, अधिक सैनिकों को बटोरा और 1555 में दिल्ली को पुनः जीतने में कामयाब रहे.
हांगकांग, मकाऊ
जन्म- 21 अप्रैल 1964 शिक्षा- परास्नातक (हिंदी)
• हीरालाल सेन
चेन्नई में वार्षिक तापमान लगभग एक समान होता है। इसका कारण चेन्नई का सागर तट पर एवं थर्मल इक्वेटर पर स्थित होना है। वर्ष भर मौसम आम तौर पर गर्म एवं उमस भरा होता है। मई एवं जून का प्रथम सप्ताह वर्ष का सबसे गर्म समय होता है। इस समय जब तापमान ३८-४२ डिग्री सेल्सियस के आस-पास पहुँच जाता है, तो स्थानीय लोग इसे अग्नि नक्षत्रम या कथिरि वेय्यी कहते है।[१६] वर्ष का सबसे ठंडा महीना जनवरी का होता है, जब न्यूनतम तापमान १८-२० डिग्री सेल्सियस तक पँहुच जाता है। अब तक यहाँ का सबसे न्यूनतम तापमान १५.८ डिग्री सेल्सियस और उच्चतम तापमान ४५ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।[१७][१८] चेन्नई में वर्ष में औसतन १,३०० मिलीमीटर वर्षा होती है। मुख्यतः वर्षा सितम्बर से दिसंबर के मध्य होती है। देश के अन्य भागों से विपरीत चेन्नई में वर्षा मानसून के लौटने के दौरान उत्तर-पूर्वी हवाओं के चलते होती है। बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवात कई बार चेन्नई भी पहुँच जाते है। सन २००५ में आज तक की सबसे ज्यादा वर्षा २,५७० मिलीमीटर दर्ज की गई थी। [१९]
निर्देशांक: 13°05′N 80°16′E / 13.09, 80.27 चेन्नई (तमिल: சென்னை IPA: [ˈtʃɛnnəɪ]), पूर्व नाम मद्रास सहायता·सूचना, भारत में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित तमिलनाडु की राजधानी, भारत का पाँचवा बड़ा नगर तथा तीसरा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। इसकी जनसंख्या ४३ लाख ४० हजार है।[२] यह शहर अपनी संस्कृति एवं परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। ब्रिटिश लोगों ने १७वीं शताब्दी में एक छोटी-सी बस्ती मद्रासपट्ट्नम का विस्तार करके इस शहर का निर्माण किया था। उन्होंने इसे एक प्रधान शहर एवं नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित किया। बीसवीं शताब्दी तक यह मद्रास प्रेसिडेंसी की राजधानी एवं एक प्रमुख प्रशासनिक केन्द्र बन चुका था।
1960 और 1970 के दशक में रॉक संगीत के विकास के लिए ब्रिटेन योगदानकर्ताओं के बीच प्रमुख थे द बीटल्स, रोलिंग स्टोन्स, द किंक्स, एरिक क्लैपटन, एल्टन जॉन, पिंक फ्लोइड, जेनेसिस, स्टेट्स कुओ,[२२६]स्लेड,[२२७]लेड ज़ेप्पलिन, द हू, कुईन, डेविड बॉवी, रॉड स्टीवर्ट, स्टिंग, डीप पर्पल, और ब्लैक सब्बाथ.UK के कलाकारों ने अन्य शैलीयों को महत्वपूर्ण योगदान दिया है जैसे की भारी धातु, हार्ड रॉक, पंक रॉक, न्यू वेव, न्यू रोमांटिक, इन्डी रॉक, टेक्नो और इलेक्ट्रॉनिका.सेक्स पिसटल्स, द क्लैश, कल्चर क्लब, डूरैन डूरैन, ह्यूमन लीग, द स्मिथ्स, केट बुश, ओएसिस, ब्लर, रेडियोहेड, मैस्सिव अटैक और द प्रोडिजी उल्लेखनीय कलाकार थे.वहाँ कई लोकप्रिय संगीत शैली हैं जो UK में उभरे और दुनिया के अन्य हिस्सों में निर्यात हुए.इनके उदाहरण हैं 2-टोन, ट्रिप होप, इन्डी पॉप, ब्रिटपॉप, शूगेजिंग, हार्ड हाउस और डबस्टेप.हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय संगीत कलाकारों में रेडियोहेड, स्पाइस गर्ल्स, कोल्डप्ले, एमी वाइनहाउस और लिओना लुईस शामिल हुए हैं.
यहां की राजधानी एथेंस है। प्राचीन मन्दिरों में पार्थेनान और कुछ दूर नगर से बाहर डेल्फी का मन्दिर देखने योग्य है।
भारतीय चिकित्सा शास्त्र के तीन बड़े नाम हैं - चरक, सुश्रुत और वाग्भट्ट. चरक के नाम से जहां चरक संहिता है, वहीं सुश्रूत के नाम से सुश्रूत संहिता. चरक संहिता, सुश्रूत संहिता तथा वाग्भट्ट का अष्टांग संग्रह आज भी भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) के मानक ग्रन्थ हैं. इन ग्रन्थों की प्रामाणिकता और प्रासंगिकता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि जहाँ ग्रीक और रोमन चिकित्सा पद्धतियों की तत्कालीन पुस्तकों के नाम स्वयं उस चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक नहीं बता सकते ये ग्रन्थ आज भी पाठ्यक्रम के अंग हैं.
सियोल दक्षिण कोरिया की राजधानी है।
सोने के मुकुट की कहानी आर्किमिडीज़ के ज्ञात कार्यों में प्रकट नहीं होती है. इसके अलावा, पानी के विस्थापन के मापन में आवश्यक सटीकता की अत्यधिक मात्रा के कारण, इसके द्वारा वर्णित विधि की व्यवहारिकता पर सवाल उठाये गए हैं. [१६] संभवत: आर्किमिडीज़ ने एक ऐसा हल दिया जो जलस्थैतिकी में आर्किमिडीज़ के सिद्धांत नामक सिद्धांत पर लागू होता है, जिसे वे अपने एक ग्रन्थ ऑन फ्लोटिंग बोडीज़ (on Floating Bodies) में वर्णित करते हैं.
'साथ सहा गया दुःख' नरेंद्र कोहली की उस साहित्यिक शक्ति को उद्घाटित करता है जिसे 'अभिधा' कहते हैं. 'सीधी बात' को सीधे-सीधे स्पष्ट रूप से ऐसे कह देना कि वह पाठक के मन में उतर जाए, उसे हंसा भी दे और रुला भी, यही अभिधा है. इस कला में नरेंद्र कोहली अद्वितीय हैं.
कुछ विद्वानों का मत है (अल्तेकर, एजुकेशन इन एेंशेंट इंडिया, 1944, पृष्ठ 106-7) कि तक्षशिला में कोई आधुनिक महाविद्यालयों अथवा विश्वविद्यालयों जैसी एक संगठित एवं समवेत संस्था नहीं थी, अपितु वह विद्या का ऐसा केंद्र था जहाँ अलग-अलग छोटे-छोटे गुरुकुल होते और व्यक्तिगत रूप से विभिन्न विषयों के आचार्य आगंतुक विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करते थे। किंतु इस बात का ध्यान रखते हुए कि उस समय के गुरुकुलों पर गुरुओं के अतिरिक्त अन्य किसी अधिकारी अथवा केंद्रीय संस्था का कोई नियंत्रण नहीं होता था, यह असंभव नहीं जान पड़ता कि तक्षशिला के सभी गुरुकुलों के छात्रों की सारी संख्या और उन अलग अलग गुरुकुलों का समवेत स्वरूप आधुनिक विश्वविद्यालयों से विशेष भिन्न न रहा हो। कभी-कभी तो एक-एक गुरुकुल में पाँच-पाँच सौ विद्यार्थी होते थे (जातक, फॉसबॉल, प्रथम, पृष्ठ 239, 317, 402; तृतीय, पृ0 18, 235 आदि) और उनमें विभिन्न विषय अवश्य पढ़ाए जाते होगें। उनको महाविद्यालयों की संज्ञा देना अनुचित न होगा।
ब्रिटिश भारत के विभाजन उपरांत १९४७ में पंजाब राज्य को भारत और पाकिस्तान में दो भागों में भांट दिया गया था। इसके साथ ही राज्य की पुरानी राजधानी लाहौर पाकिस्तान के भाग में चली गयी थी। अब भारतीय पंजाब को एक नयी राजधानी की आवश्यकता पड़ी। पूर्व स्थित शहरों को राजधाणी में बदलने में आने वाली बहुत सी कठिनाइयों के फलस्वरूप एक नये योजनाबद्ध राजधानी शहर की स्थापना का निश्चय किया गया।
भारत सरकार नये चिह्न को देश में छह महीनों तथा विश्व में १८ से २४ महीनों में अपनाने की कोशिश करेगी।[१].भारतीय रुपया चिह्न वर्तमान में यूनिकोड कैरक्टर सेट में ऍन्कोड किये जाने हेतु प्रस्तावना के प्रथम चरण में है,[१३] एक ऐसे चिह्न के तौर पर जो मौजूदा सामान्य रुपया चिह्न "₨" जो कि U+20A8 पर ऍन्कोड किया गया है, से भिन्न हो। फिलहाल इस चिह्न को कम्प्यूटर पर मुद्रित करने के लिये कुछ नॉन-यूनिकोड फॉण्ट बनाये गये हैं।[१४][१५]। इसके अतिरिक्त लिनक्स के लोहित-देवनागरी नामक फॉण्ट में यह चिह्न शामिल किया जा चुका है।[१६]उबण्टू १०.१० पहला ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसमें भारतीय रुपया चिह्न का प्रतीक शामिल किया गया है
दिन में कुल १५-२० ग्राम खाना पकाने का तेल ही प्रयोग करना चाहिये। वसा की शेष दैनिक जरूरत अनाज, दालों और सब्जियों से पूरी हो जाती है। बादाम, काजू और मूंगफली तथा दूध, पनीर और क्रीम में भी वसा प्रचुर मात्र में होती है।वसा वाले वनस्पति तेल में बने पकवान भी बार-बार गरम किए जाएं तो ये नुकसानदेह होते हैं। अच्छी सेहत के लिए व्यंजनों को तलें नहीं, बल्कि उन रेसिपी पर जोर दें जिनमें पकवान स्टीम, बेक या ग्रिल करके बनते हैं।
६)
गुरु गोबिन्द सिंह ( जन्म: २२ दिसंबर १६६६, मृत्यु: ७ अक्टूबर १७०८) सिखों के दसवें एवं अन्तिम गुरु थे। उनका जन्म बिहार के पटना शहर में हुआ था । उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त ११ नवम्बर सन १६७५ को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। उन्होने सन १६९९ में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। उन्होने मुगलों या उनके सहयोगियों ( जैसे, शिवालिक पहाडियों के राजा) के साथ १४ युद्ध लड़े।
"मधुमालती" का रचनाकाल 952 हिजरी (सन् 1545 ई0) है। इसमें कनकगिरि नगर के राजा सुरजभान के पुत्र मनोहर और महारस नगर नरेश विक्रमराय की कन्या मधुमालती की सुखांत प्रेमकहानी कही गई है। इसमें "जो सभ रस महँ राउ रस ताकर करौं बखान "कविस्वीकारोक्ति के अनुसार जो सभी रसों का राजा (शृंगार रस) है उसी का वर्णन किया गया है, जिसकी पृष्ठभूमि में प्रेम, ज्ञान और योग है।
पाणिनि का संस्कृत व्याकरण चार भागों में है -
यमुना के किसी द्वीप में इनका जन्म हुआ था। व्यासजी कृष्ण द्वैपायन कहलाये क्योंकि उनका रंग श्याम था। वे पैदा होते ही माँ की आज्ञा से तपस्या करने चले गये थे और कह गये थे कि जब भी तुम स्मरण करोगी, मैं आ जाऊंगा। वे धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा विदुर के जन्मदाता ही नहीं, अपितु विपत्ति के समय वे छाया की तरह पाण्डवों का साथ भी देते थे। उन्होंने तीन वर्षों के अथक परिश्रम से महाभारत ग्रंथ की रचना की थी-
हरिषेण समुद्रगुप्त का मन्त्री एवं दरबारी कवि था । हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति से समुद्रगुप्त के राज्यारोहण, विजय, साम्राज्य विस्तार के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है ।
5. उसे सामान्यत अपने पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने दिया जाये ताकि वह निष्पक्ष रूप से काम कर सके
प्रारूपिक रूप से 5 वर्ष के लिए एक चयनात्मक एस्ट्रोजन रिसेप्टर मोड्युलेटर (SERM), टेमोक्सीफेन का दैनिक उपयोग उच्च जोखिम युक्त महिलाओं में स्तन कैंसर के खतरे को लगभग 50% तक कम कर देता है. हाल ही के अध्ययन की एक रिपोर्ट के अनुसार चयनात्मक एस्ट्रोजन रिसेप्टर मोड्युलेटर रेलोक्सिफ़ेन भी टेमोक्सीफेन की तरह ही लाभकारी है, और उच्च जोखिम युक्त महिलाओं में स्तन कैंसर के खतरे को कम करता है इसके पार्श्व प्रभावों का प्रोफाइल अधिक अनुकूल है.[७६]
मंझन ने "मधुमालती" की रचना का प्रारंभ उसी वर्ष किया, जिस वर्ष सलीम अपने पिता शेरशाह सूर की मृत्यु (952 हिजरी सन् 1545 ई0) के पश्चात् शासक बना। इसीलिए सूफी-काव्य-परंपरा के अनुसार कवि ने शाह-ए-वक्त सलीम शाह सूर की अत्युक्तिपूर्ण प्रशंसा की है। शत्तारी संप्रदायी सूफी संत शेख मुहम्मद गौस के मंझन के गुरू थे। जिनका पर्याप्त प्रभाव बाबर, हुमायूँ और अकबर तक पर भी था। बड़ी निष्ठा और बड़े विस्तार के साथ कवि ने अने इस गुरू की सिद्धियों की बड़ाई की है। उक्त उल्लेख को देखे हुए मंझन ऐतिहासिक व्यक्ति खिज्र खाँ (नौंना) के कृपापात्र जान पड़ते हैं। मंझन जाति के मुसलमान थे।
भारत में शादियों को जीवन भर के लिए माना जाता है[११] और यहाँ तलक कि दर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका कि ५०% कि तुलना में मात्र १.१% है[१२] . तय्शादियों में तलक कि दर और भी कम होती है हाल के वर्षों में तलाकदर में काफी वृद्धि हो रही है:
पिछली सदी में, समुद्र का जल स्तर बढ़ गया है २०-centimetre (८ इंच), केवल २.३-मीटर (७.५ फुट) अधिकतम प्राकृतिक जमीनी स्तर के साथ और समुद्र स्तर से ऊपर केवल १.५-मीटर (४.९ फुट) उसत के साथ, यह दुनिया का सबसे नीचला देश है और महासागर में [१३][१४] इससे ज्यादा उछाल मालदीवज के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो सकता है. लेकिन, 1970 के आसपास, वहाँ समुद्र स्तर में गिरावट आई है.नवम्बर 2008 में, राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया में नई जमीनें खरीदने के योजना की घोषणा की, ग्लोबल वार्मिंग और ज्यादा द्वीपों के जल स्तर बढ़ने से बाढ़ की संभावना के बारे में अपनी चिंता के कारण उन्होंने यह योजना बनाई. मौजूदा अनुमान के अनुसार वर्ष 2100 तक समुद्र तल में ५९-centimetre (२३ इंच) की वृद्धि हो सकती है. भूमि की खरीद पर्यटन द्वारा उत्पन्न मूलधन से किया जाएगा.[१५] राष्ट्रपति ने अपने इरादे स्पष्ट किए है:
In response to protests in Boston over Parliament's attempts to assert authority, the British sent combat troops, dissolved local governments, and imposed direct rule by Royal officials. में विरोध प्रदर्शन के जवाब में बोस्टन अधिकार संसद पर जोर है प्रयास, ब्रिटिश लड़ाकू सैनिकों को भेजा, भंग स्थानीय सरकारों, और लगाया प्रत्यक्ष शासन के अधिकारियों ने रॉयल. Consequently, the Colonies mobilized their militias , and fighting broke out in 1775. नतीजतन, कालोनियों उनके जुटाए लड़ाकों और लड़ाई 1775 में बाहर तोड़ दिया. First ostensibly loyal to King George III , the repeated pleas by the First Continental Congress for royal intervention on their behalf with Parliament resulted in the declaration by the King that the states were "in rebellion", and Congress traitors. पहले ostensibly के प्रति वफादार किंग जॉर्ज III , दोहराया अपील संसद पर उनकी ओर से हस्तक्षेप करने के लिए शाही कांग्रेस द्वारा पहले महाद्वीपीय के परिणामस्वरूप राजा द्वारा घोषणा कि राज्यों "विद्रोह में थे", और कांग्रेस धोखेबाज. In 1776, representatives from each of the original thirteen states voted unanimously in the Second Continental Congress to adopt a Declaration of Independence , which now rejected the British monarchy in addition to its Parliament. 1776 में, संयुक्त राज्य तेरह मूल प्रतिनिधियों से प्रत्येक के कॉनटिनेंटल कांग्रेस द्वितीय मतदान में सर्वसम्मति से एक को अपनाने के लिए स्वतंत्रता की घोषणा , जो अब अस्वीकार ब्रिटिश राजशाही संसद में उसके लिए इसके अलावा. The Declaration established the United States, which was originally governed as a loose confederation through a representative government selected by state legislatures (see Second Continental Congress and Congress of the Confederation ). ढीला की स्थापना की घोषणा संयुक्त राज्य अमेरिका है, जो एक के रूप में मूल शासित संघ के माध्यम से एक प्रतिनिधि सरकार (राज्य विधायिकाओं द्वारा चयनित देख दूसरा कॉनटिनेंटल कांग्रेस और कांग्रेस के परिसंघ .) [ edit ] Liberalism, republicanism, and religion [ संपादित करें ] उदारवाद, गणतंत्रवाद, और धर्म Main articles: Republicanism in the United States and Liberalism in the United States मुख्य लेख: संयुक्त राज्य अमेरिका गणतंत्रवाद में और संयुक्त राज्य अमेरिका में उदारवाद Further information: A Summary View of the Rights of British America , Letters from a Farmer in Pennsylvania , and Declaration of the Causes and Necessity of Taking Up Arms इसके अतिरिक्त जानकारी: अमेरिका के ब्रिटिश अधिकार के एक सारांश देखें , पेंसिल्वेनिया में एक किसान से पत्र और शस्त्र ऊपर घोषणा की आवश्यकता लेने के कारण और
कुछ प्रमुख हस्तकलाओं की सूची निम्नवत है -
वाल्मीकि प्राचीन भारतीय महर्षि हैं। ये आदिकवि के रुप में प्रसिद्ध हैं। उन्होने संस्कृत मे रामायण की रचना की। उनके द्वारा रची रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाई। रामायण एक महाकाव्य है जो कि श्रीराम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य से, कर्तव्य से, परिचित करवाता है।
28 दिसम्बर 2005 को आमिर ने किरण राव से शादी की जो आशुतोष गोवारिकर (Ashutosh Gowariker) की फ़िल्म लगान के दौरान उनकी सह निर्देशक थी.[१८]
भारत का कोई नागरिक जिसकी उम्र 35 साल या अधिक हो वो एक राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार हो सकता है। राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार को लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता होना चाहिए और सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण नहीं करना चाहिए। परन्तु निम्नलिखित कुछ कार्यालय-धारकों को राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में खड़ा होने की अनुमति दी गई है:
भाषिक और सास्कृतिक रूप से ये शेष भारत से भिन्न है ।
हिन्दी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत शब्द सिन्धु से माना जाता है। 'सिन्धु' सिन्ध नदी को कहते थे ओर उसी आधार पर उसके आसपास की भूमि को सिन्धु कहने लगे। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया। बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होता गया तथा हिन्द शब्द पूरे भारत का वाचक हो गया। इसी में ईरानी का ईक प्रत्यय लगने से (हिन्द ईक) ‘हिन्दीक’ बना जिसका अर्थ है ‘हिन्द का’। यूनानी शब्द ‘इन्दिका’ या अंग्रेजी शब्द ‘इण्डिया’ आदि इस ‘हिन्दीक’ के ही विकसित रूप हैं। हिन्दी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफुद्दीन यज्+दी’ के ‘जफरनामा’(१४२४) में मिलता है।
इस दुनिया में सब कुछ क्षणिक है और नश्वर है । कुछ भी स्थायी नहीं । परन्तु वेदिक मत से विरोध है।
जन्म दर को कम करके जनसंख्या वृद्धि में कटौती करने को ही आम तौर पर जनसँख्या नियंत्रण माना जाता है. प्राचीन ग्रीस दस्तावेजों में मिले उत्तरजीविता के रिकॉर्ड जनसँख्या नियंत्रण के अभ्यास एवं प्रयोग के सबसे पहले उदाहरण हैं. इसमें शामिल है उपनिवेशन आन्दोलन, जिसमे भूमध्य और काला सागर के इर्द-गिर्द यूनानी चौकियों का निर्माण किया गया ताकि अलग- अलग राज्यों की अधिक जनसँख्या को बसने के लिए पर्याप्त जगह मुहैया कराई जा सके. कुछ यूनानी नगर राज्यों में जनसँख्या कम करने के लिए शिशु हत्या और गर्भपात को प्रोत्साहन दिया गया.[९]
हिन्दी में बहुत से शब्द हैं जिनकी वर्तनी आम तौर पर गलत लिखी जाती है। ये वर्तनियाँ प्रिण्ट मीडिया में मौजूद होने से आम आदमी इन्हें ही सही समझने लगता है। उपरोक्त मुख्य लेख में इस प्रकार के शब्दों की सूची दी गयी है।
• गौतम घोष
Course notes
इस अध्याय में 'प्राणतत्त्व' की उपासना और 'ब्रह्मविद्या' के व्यावहारिक पक्ष पर प्रकाश डाला गया है। इसके अतिरिक्त अपने पापों को नष्ट करने के लिए 'सूर्योपासना' पुत्र की कुशल-मंगल कामना और सुरक्षा के लिए, 'चन्द्रोपासना,' अच्छे स्वास्थ्य के लिए 'सोमोपासना,'मोक्ष-प्राप्ति के लिए 'प्राणोंपासना' तथा पुत्र को अपने सम्पूर्ण जीवन का दायित्व-भार सौंपते समय 'सम्प्रदान कर्म' का बड़ा ही सांगोपांग वर्णन किया है।प्राणतत्त्व की उपासना
Sher Khan built the Rohtas Fort in 1541-43 to crush the Gakhars, who were loyal to Humayun, to whom the fort was finally surrendered by a treacherous commander 10 years after Sher Khan's death.
अलम्बुष एक राक्षस योद्धा था और दुर्योधन का मित्र था। आठवें दिन के युद्ध में उसने अर्जुन के पुत्र इरावन का वध कर दिया। अलम्बुष और एक अन्य राक्षस अलायुध चौदहवें दिन के युद्ध में घटोत्कच द्वारा मारे गए। अलम्बुष एवं घटोत्कच आपस में कड़े प्रतिद्वंदी थे। घटोत्कच की ही तरह अलम्बुष कई प्रकार की माया करना जानता था। अलम्बुष ने भीम को भी महाभारत युद्ध में कड़ी चुनोती दी।
जिस हिन्दी में अरबी, फ़ारसी और अंग्रेज़ी के शब्द लगभग पूरी तरह से हटा कर तत्सम शब्दों को ही प्रयोग में लाया जाता है, उसे "शुद्ध हिन्दी" कहते हैं ।
तपलोक से बारह करोड़ योजन ऊपर सत्यलोक है। जन, तप और सत्य लोक – तीनों अकृतक लोक कहलाते हैं। महर्लोक कृतक और अकृतक लोकों के मध्य में है, और कल्पान्त में यह केवल जनशून्य हो जाता है, नष्ट नहीं होता है। इसलिये इसे कृतकाकृतक लोक कहते हैं।
   
बाणभट्ट की आत्मकथा
13. जयपुर संगमरमर की प्रतिमाओं, ब्लू पॉटरी औऱ राजस्थानी जूतियों के लिए भी प्रसिद्ध है।
जो भी हो, बाकी बातें सभी हिन्दू मानते हैं : ईश्वर एक, और केवल एक है। वो विश्वव्यापी और विश्वातीत दोनो है। बेशक, ईश्वर सगुण है। वो स्वयंभू और विश्व का कारण (सृष्टा) है। वो पूजा और उपासना का विषय है। वो पूर्ण, अनन्त, सनातन, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। वो राग-द्वेष से परे है, पर अपने भक्तों से प्रेम करता है और उनपर कृपा करता है। उसकी इच्छा के बिना इस दुनिया में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। वो विश्व की नैतिक व्यवस्था को कायम रखता है और जीवों को उनके कर्मों के अनुसार सुख-दुख प्रदान करता है। श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार विश्व में नैतिक पतन होने पर वो समय-समय पर धरती पर अवतार (जैसे कृष्ण) रूप ले कर आता है। ईश्वर के अन्य नाम हैं : परमेश्वर, परमात्मा, विधाता, भगवान (जो हिन्दी मे सबसे ज़्यादा प्रचलित है)। इसी ईश्वर को मुसल्मान (अरबी में) अल्लाह, (फ़ारसी में) ख़ुदा, ईसाई (अंग्रेज़ी में) गॉड, और यहूदी (इब्रानी में) याह्वेह कहते हैं।
वर्तमान विज्ञान के दृष्टिकोंण से अगर उपरोक्त केन्द्र बिन्दु को देखा जाए तो, निष्कर्ष रूप में अभी तक एक ही मूल कारण स्पष्ट हो पाया है कि - "हमारे ब्रह्माण्ड के सम्पूर्ण ग्रह, उपग्रह और सूर्य तथा तारे आदि इसलिए अपनी कक्षा से बाहर नहीं निकल पाते तथा अपनी ही गोलाकार कक्षा में ही स्थित रहते हुए, अपने-अपने केंद्र की निरंतर परिक्रमा करते रहते है क्योंकि, ये अपने-अपने गोलाकार केन्द्र के गोलाकार चुम्बकीय क्षेत्र में फँसे हुए हैं।"
एक और उल्लेखनीय बत यह है कि दूसरे आर्यभाषाओं के जैसे छत्तीसगढ़ी में भी मध्ययुग तक सिर्फ पद्यात्मक रचनाएँ हुई है।
९. हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।
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आज बनारसी तबला घराना अपने शक्तिशाली रूप के लिये प्रसिद्ध है, हालांकि बनारस घराने के वादक हल्के और कोमल स्वरों के वादन में भी सक्षम हैं। घराने को पूर्वी बाज मे वर्गीकृत किया गया है, जिसमें लखनऊ, फर्रुखाबाद और बनारस घराने आते हैं। बनारस शैली तबले के अधिक अनुनादिक थापों का प्रयोग करती है, जैसे कि ना और धिन। बनारस वादक अधिमान्य रूप से पूरे हाथ से थई-थई थाप देते हैं, बजाय एक अंगुली से देने के; जैसे कि दिल्ली शैली में देते हैं। वैसे बनारस बाज शैली में दोनों ही थाप एकीकृत की गई हैं। बनारस घराने के तबला वादक तबला वादन की सभी शैलियों में, जैसे एकल, संगत, गायन एवं नृत्य संगत आदि में पारंगत होते हैं।
पुणे यह नाम 'पुण्यनगरी' नाम से आया समझा जाता है। यह शहर इ.स. 8 के शतक मे 'पुन्नक' (या 'पुण्यक') नाम से जाना जाता था, ऐसा संदर्भ मिलता है। इ.स. 11 के शतक मे 'कसबे पुणे' या 'पुनवडी' नाम से जाना जाने लगा। मराठा साम्राज्य के काल खंड मे शहर का नाम 'पुणे' मे रूप मे उपयोग मे लाया जाने लगा। ब्रिटिश ने उसे 'पूना' कह कर संबोधित करने की सुरुआत की। अब यह पुणे, इस आधिकारिक नाम से जाना जाता है।
बीसियों भाषाओं के ज्ञाता विनोबा जी देवनागरी को विश्व लिपि के रूप में देखना चाहते थे। भारत के लिये वे देवनागरी को सम्पर्क लिपि के रूप में विकसित करने के पक्षधर थे। वे कहते थे कि मैं नही कहता कि नागरी ही चले, बल्कि मैं चाहता हूं कि नागरी भी चले। उनके ही विचारों से प्रेरणा लेकर नागरी लिपि संगम की स्थापना की गयी है जो भारत के अन्दर और भारत के बाहर देवनागरी को उपयोग और प्रसार करने के लिये कार्य करती है।
श्रावण कृष्ण अष्टमी पर जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। इस तिथि में दिन भर उपवास कर रात्रि बारह बजे पालने में बालक श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है, उसके उपरांत प्रसाद लेकर उपवास खोलते हैं, अथवा अगले दिन प्रात: दही-कलाकन्द का प्रसाद लेकर उपवास खोलते हैं।
दुबई में विभिन्न स्थापत्य शैली के अनेक भवन और संरचाएं है . आधुनिक इस्लामी स्थापत्य को हाल ही में एक नए स्तर पर ले जाया गया है जिसमे ऐसी इमारतों जैसे बुर्ज खलीफा के रूप में वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा निर्माण . बुर्ज खलीफा का डिजाइन इस्लामी स्थापत्य कला में सन्निहित आकृति प्रणाली से बनाया गया है . बिल्डिंग के तीन भाग पदचिन्ह एक रेगिस्तानी फूल हय्मानोकालिस जो दुबई क्षेत्र में होता है , के सार पर आधारित है . अरब समाज में वास्तुकला वृद्धि से कई इस्लामी स्थापत्य की आधुनिक व्याख्या दुबई में देखी जा सकती है .
शाकाहारी: कोफ्ते की सब्जी • नरगिसी कोफ्ता • मलाई कोफ़्ता • मटर पुलाव • शाही पनीर • पनीर मसाला • केले की सब्जी • मशरूम बिरयानी • नवरत्न कोरमा • नवरत्न पुलाव • नवाबी करी • पालक पनीर • पनीर कोरमा • पनीर भरे टमाटर • पनीर टिक्का • पापड़ी • तहरी • तिल पापड़ी • वेज बिरयानी • वेज पुलाव • कूटू परांठा • लच्छा परांठा • नान • हरे मटर का परांठा • कचौड़ी • खस्ता कचौड़ी • बूंदी रायता • दही बड़ा • गेंहूँ की रोटी • मक्के की रोटी • बाजरे की रोटी • दाल-भात • खिचडी • दलिया • सत्तू • पराठा • चीला • खीर • हलुआ • पूरी • कचॉरी • पापड • रायता • बेसन • अरहर की दाल • उरद की दाल • मूँग की दाल मांसाहारी: अदरखी मुर्ग]] • चिकन कोरमा • दही गोश्त • बत्तख के चीले • मछली कबाब • कीमा • लैम्ब कबाब • शामी कबाब • मटन कबाब • मुर्ग मुसल्लम • मीठा: बादाम कुल्फी • बादाम हलुआ • गाजर का हलुआ • गुझिया • गुलाब जामुन • इमरती • जलेबी • गुलकंद पेड़ा • कुरमुरा लड्डू • मूंग दाल हलुआ • मोतीचूर लड्डू • फिरनी • रबड़ी • ठंडाई • कद्दू की खीर • खाजा • आम की बर्फी • खाजा •
रत्नाकर को अपने परिजनों की बातें सुनकर बहुत दुख हुआ और नारद जी से क्षमा मांग कर उन्हें छोड़ दिया। नारद जी से रत्नाकर ने अपने पापों से उद्धार का उपाय भी पूछा। नारद जी ने उन्हें तमसा नदी के तट पर जाकर 'राम-राम' का जाप करने का परामर्श दिया। रत्नाकर ने वैसा ही किया परंतु वे राम शब्द को भूल जाने के कारण 'मरा-मरा' का जाप करते हुये अखण्ड तपस्या में लीन हो गये। तपस्या के फलस्वरूप उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध हुये।
पहुँच घाटा शुल्क(ऐ डी सी, बी एस एन एल को निजी ऑपरेटरोंद्वारा सेवा प्रदान करने के लिए गैर क्षेत्रों में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लाभप्रद)ट्राई द्वारा 37 % कटौती की गई है 1 अप्रैल, 2007.[४] ADC में कमी से बीएसएनएल बोत्तोम्लिनेस प्रभावित हो सकती है
मोनरागल' जिला श्रीलंका का जिला है।इस जिले का मुख्यालय मुनेरगला है इस जिले का कुल क्षेत्रफल 5,639 वर्ग किलोमीटर है। इस जिले की जनसंख्या 420,000 (गणना वर्ष २००६ अनुसार) हैइस जिले के नाम का लघुरूप MON है।
कैल्शियम एक भौतिक तत्त्व है। यह जीवित प्राणियों के लिए अत्यावश्यक होता है। भोजन में इसकी समुचित मात्र होनी चाहिए। खाने योग्य कैल्शियम दूध सहित कई खाद्य पदार्थो में मिलती है। खान-पान के साथ-साथ कैल्शियम के कई औद्योगिक इस्तेमाल भी हैं जहां इसका शुद्ध रूप और इसके कई यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है। आवर्त सारिणी में कैल्शियम का अणु क्रमांक 20 है और इसे अंग्रेजी शब्दों ‘सीए’ से इंगित किया गया है। 1808 में सर हम्फ्री डैवी ने इसे खोजा था। उन्होंने इसे कैल्शियम क्लोराइड से अलग किया था। कैल्शियम का नाम लातिन भाषा के शब्द ‘काल्क्स’ पर रखा गया है जिसका मतलब है चूना पत्थर जिसमें बड़ी मात्र में कैल्शियम पाया जाता है। पौधों में भी कैल्शियम पाया जाता है।
बूंदी के महाराव बहादुर सिंह नहीं चाहते थें कि उन्हें अपने छोटे भाई महाराव भीमसिंह की राजप्रमुखता में काम करना पडें, मगर बडे राज्य की वजह से भीमसिंह को राजप्रमुख बनाना तत्कालीन भारत सरकार की मजबूरी थी। जब बात नहीं बनी तो बूंदी के महाराव बहादुर सिंह ने उदयपुर रियासत को पटाया और राजस्थान संघ में विलय के लिए राजी कर लिया। इसके पीछे मंशा यह थी कि बडी रियासत होने के कारण उदयपुर के महाराणा को राजप्रमुख बनाया जाएगा और बूंदी के महाराव बहादुर सिंह अपने छोटे भाई महाराव भीम सिंह के अधीन रहने की मजबूरी से बच जाएगे और इतिहास के पन्नों में यह दर्ज होने से बच जाएगा कि छोटे भाई के राज में बडे भाई ने काम किया। अठारह अप्रेल 1948 को राजस्थान के एकीकरण के तीसरे चरण में उदयपुर रियासत का राजस्थान संध में विलय हुआ और इसका नया नाम हुआ संयुक्त राजस्थान संघ। माणिक्य लाल वर्मा के नेतृत्व में बने इसके मंत्रिमंडल में उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह को राजप्रमुख बनाया गया कोटा के महाराव भीमसिंह को वरिष्ठ उपराजप्रमुख बनाया गया। इसीके साथ बूंदी के महाराजा की चाल भी सफल हो गयी।
जो अपने अनुकूल न हो वैसा व्यवहार दूसरे के साथ न करना चाहिये - यह धर्म की कसौटी है।
यहाँ की सूफ़ी-परम्परा बहुत विख्यात है, जो कश्मीरी इस्लाम को परम्परागत शिया और सुन्नी इस्लाम से थोड़ा अलग और हिन्दुओं के प्रति सहिष्णु बना देती है । कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीरी पंडित कहा जाता है और वो सभी ब्राह्मण माने जाते हैं । सभी कश्मीरियों को कश्मीर की संस्कृति, यानि कि कश्मीरियत पर बहुत नाज़ है । वादी-ए-कश्मीर अपने चिनार के पेड़ों, कश्मीरी सेब, केसर (ज़ाफ़रान, जिसे संस्कृत में काश्मीरम् भी कहा जाता है), पश्मीना ऊन और शॉलों पर की गयी कढ़ाई, गलीचों और देसी चाय (कहवा) के लिये दुनिया भर में मशहूर है । यहाँ का सन्तूर भी बहुत प्रसिद्ध है । आतंकवाद से बशक इन सभी को और कश्मीरियों की खुशहाली को बहद धक्का लगा है । कश्मीरी व्यंजन भारत भर में बहुत ही लज़ीज़ माने जाते हैं । नोट करें कि ज़्यादातर कश्मीरी पंडित मांस खाते हैं । कश्मीरी पंडितों के मांसाहारी व्यंजन हैं : नेनी (बकरे के ग़ोश्त का) क़लिया, नेनी रोग़न जोश, नेनी यख़ियन (यख़नी), मच्छ (मछली), इत्यादि । कश्मीरी पंडितों के शाकाहारी व्यंजन हैं : चमनी क़लिया, वेथ चमन, दम ओलुव (आलू दम), राज़्मा गोआग्जी, चोएक वंगन (बैंगन), इत्यादि । कश्मीरी मुसल्मानों के (मांसाहारी) व्यंजन हैं : कई तरह के कबाब और कोफ़्ते, रिश्ताबा, गोश्ताबा, इत्यादि । परम्परागत कश्मीरी दावत को वाज़वान कहा जाता है । कहते हैं कि हर कश्मीरी की ये ख़्वाहिश होती है कि ज़िन्दगी में एक बार, कम से कम, अपने दोस्तों के लिये वो वाज़वान परोसे । कुल मिलाकर कहा जये तो कश्मीर हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का अनूठा मिश्रण है ।
इंद्रियों का संयम। किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए तप करना ही पड़ता है। धर्म को पाने के लिए भी तप करना जरूरी है। ब्रह्मचर्य-जीवन में जिस तरह तपस्या करनी पड़ती है, उसी तरह आगे भी।
खाने के लिए सदा तैयार रहने वालों में भी होती है।
गान मानव के लिए प्राय: उतना ही स्वाभाविक है जितना भाषण। कब से मनुष्य ने गाना प्रारंभ किया, यह बतलाना उतना ही कठिन है जितना कि कब से उसने बोलना प्रारंभ किया। परंतु बहुत काल बीत जाने के बाद उसके गान ने व्यवस्थित रूप धारण किया। जब स्वर और लय व्यवस्थित रूप धारण करते हैं तब एक कला का प्रादुर्भाव होता है और इस कला को संगीत, म्यूजिक या मौसीकी कहते हैं।
वैदिक काल प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक काल खंड है, जब वेदों की रचना हुई थी। हड़प्पा संस्कृति के पतन के बाद भारत में एक नई सभ्यता का आविर्भाव हुआ। इस सभ्यता की जानकारी के स्रोत वेदों के आधार पर इसे वैदिक सभ्यता का नाम दिया गया। वैदिक काल को दो भागों ऋग्वैदिक काल ( 1500- 1000 ई. पू. ) तथा उत्तर वैदिक काल ( 1000 - 700 ई. पू. ) में बांटा गया जाता है।
ई-11, सादतपुर, दिल्ली-110094
मुसलमान एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वो अल्लाह (फ़ारसी: ख़ुदा) कहते हैं। एकेश्वरवाद को अरबी में तौहीद कहते हैं, जो शब्द वाहिद से आता है जिसका अर्थ है एक। इस्लाम में इश्वर को मानव की समझ से ऊपर समझा जाता है। मुसलमानों से इश्वर की कल्पना करने के बजाय उसकी प्रार्थना और जय जयकार करने को कहा गया है। मुसलमानों के अनुसार इश्वर अद्वितीय हैः उसके जैसा और कोई नहीं। इस्लाम में ईश्वर की एक विलक्षण अवधारणा पर ज़ोर दिया गया है। साथ में यह भी माना जाता कि उसकी पूरी कल्पना मनुष्य के बस में नहीं है।
ई-मेल- girishpnkj@yahoo.co.in
सड़क पर होने वाले शोर शराबे (roadway noise)को शांत करने के लिए विभिन्न रणनीतियां हैं जिनमें ध्वनि अवरोधक (noise barrier), वाहनोंकी गति पर प्रतिबंध, सड़क के धरातल में परिवर्तन, भारी वाहनों पर प्रतिबंध (heavy duty vehicle), यातायात नियंत्रण का उपयोग जो ब्रेक और गति बढाने को कम करे तथा टायरों की डिजाईन शामिल हैं। इन रण्नीतियों को लागू करने का एक महत्वपूर्ण कारक सड़क पर होने वाले शोर शराबे (roadway noise)के लिए कम्प्यूटर मॉडल (computer model)है जिसमें स्थानीय जलवायु, मौसम (meteorology), यातायात संचालन तथा संकल्पनात्मक शमन को परिभाषित करने की क्षमता होती है। शमन - निर्माण की लागत को कम किया जा सकता है बशर्ते ये उपाय सड़कमार्ग परियोजना के नियोजन चरण में उठाए गए हों।
(४) अथर्ववेद- इसमें यज्ञानुष्ठान के ब्रह्मवर्ग के उपयोगी मन्त्रों का संकलन है। अथर्व का अर्थ है कमियों को हटाकर ठीक करना या कमी-रहित बनाना। अतः इसमें यज्ञ-सम्बन्धी एवं व्यक्ति सम्बन्धी सुधार या कमी-पूर्ति करने वाले मन्त्र भी है। इसमें पद्यात्मक मन्त्रों के साथ कुछ गद्यात्मक मन्त्र भी उपलब्ध है। इस वेद का नामकरण अन्य वेदों की भाँति शब्द-शैली के आधार पर नहीं है, अपितु इसके प्रतिपाद्य विषय के अनुसार है। इस वैदिक शब्दराशि का प्रचार एवं प्रयोग मुख्यतः अथर्व नाम के महर्षि द्वारा किया गया। इसलिये भी इसका नाम अथर्ववेद है।
वेदों के प्रकाश में आने के पहले से ही संभवत: भारत में क्षय रोग विद्यमान था, क्योंकि ऋग्वेद में क्षय का ही राजयक्ष्मा के नाम से वर्णन आता है। ऐसा विश्वास किया जाता था कि यह रोग देवताओं की ओर से उदासीन रहने के फलस्वरूप उनके प्रकोप का फल होता था।
इस द्वीप के स्वामि भव्य वीरवर थे। इनके सात पुत्रों : जलद, कुमार, सुकुमार, मरीचक, कुसुमोद, मौदाकि और महाद्रुम के नाम संज्ञानुसार ही इसके सात भागों के नाम हैं। मठ्ठे का सागर अपने से दूने विस्तार वाले शाक द्वीप से चारों ओर से घिरा हुआ है। यहां भी सात पर्वत, सात मुख्य नदियां और सात ही वर्ष हैं।
मुख्य लेख देखें - रोमर
वातपरागित फूल: वायु का इस्तेमाल पराग को एक फूल से अगले फूल तक ले जाने में करते हैं उदाहरण के लिए घासें (grasses), संटी वृक्ष, एम्बोर्सिया जाति की रैग घांस और एसर जाति के पेड़ और झाडियाँ. उन्हें परागनों को आकर्षित करने की जरुरत नही पड़ती जिस कारण उनकी प्रवृति 'दिखावटी फूलों' की नही होती. जहाँ कि कीटप्रागीय फूलों के पराग बड़े और लसलसे दानों कि प्रवृति लिए हुए रहते हैं जो कि प्रोटीन (protein) में धनी होते हैं (परागनकर्ताओं के लिए एक पुरुस्कार), वातपरागित फूलों के पराग ज्यादातर छोटे दाने लिए हुए रहते हैं, बहुत हल्के और कीटों (insect) के लिए इतने पोषक भी नही. मधुमक्खी और बम्बल मक्खी सक्रिय रूप से वातपरागित पराग कोर्न (मक्के) जो जमा करते हैं हालाँकि ये उनके ज्यादा महत्त्व के नही होते.
समुद्रगुप्त- चन्द्रगुप्त प्रथम के बाद ३५० ई. में उसका पुत्र समुद्रगुप्त राजसिंहासन पर बैठा । समुद्रगुप्त का जन्म लिच्छवि राजकुमारी कुमार देवी के गर्भ से हुआ था । सम्पूर्ण प्राचीन भारतीय इतिहास में महानतम शासकों के रूप में वह नामित किया जाता है । इन्हें परक्रमांक कहा गया है । समुद्रगुप्त का शासनकाल राजनैतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से गुप्त साम्राज्य के उत्कर्ष का काल माना जाता है । इस साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी ।
यह भी देखें: भारत के शहर
छेरछेरा पुन्नी और होली पर गांव में घर-घर और चौपाल में डंडा नाच कर रुपये-चांवल मांकते हैं । इस गीत के साथ जो गीत गाये जाते है । उसे डंडा गीत कहते है । डंडा नाच केवल पुरुषों का नृत्य है, वर्षा काल के फसल कट जाने पर ही यह नृत्य प्रारम्भ होता है । इसके लिए लगभग 2 - 5 युवकों की टोली होती है । ये रंग बिरंगे वस्त्र धारण कर मयूर पंख आदि से अपना श्रृंगार करते हैं । प्रत्येक युवक के हाथ में लगभग आधी मीटर के लंबाई के डंडे रहते है । गोल घेरे रहकर नृत्य प्रारंभ होता है, घेर के मध्य में अगूवा तथा वाद्य मंडली वाले रहते है । राग, ताल एवं लय पर नर्तक के पग थिरक उठ पड़ते है, तथा कुछ समय के अन्तर पर वे सब एक दूसरे डंडे पर प्रहार करते है । नृत्य के आधे गीत को एक व्यक्ति गाते है, तथा अन्य उसे दोहराते है । नृत्य की गति परिवर्तन अगूवा की हुकारु मारना (अ.हू.ई.की ध्वनि) से होता है। इस अवसर पर मांदर, झांझ आदि उपयोग में लाये जाते है । अगुवा जितने बार कुई-सुई की हॉक लगाता है , भीतर के नर्तक बाहर और बाहर के नर्तक भीतर, नाचते कूदते भीतर-बाहर होते हैं । नाचने में पांव को पूरे जमीन पर रखने के साथ पहले दाहिने पांव पिंडली तक उठाते हैं, फिर बायॉं पॉंव |
माइक्रोसॉफ्ट ने विस्ता आपरेटिंग सिस्टम इन्स्टाल करने के लिहाज से कंप्यूटरों की दो श्रेणियां बना हैं- विस्ता कैपेबल पीसी (विस्ता सक्षम कंप्यूटर) और विस्ता प्रीमियम रेडी (विस्ता में उपलब्ध आधुनिक सुविधाओं के लिए तैयार कंप्यूटर)।
2. अनु 31[ब] के द्वारा नौवीं अनुसूची भी जोडी गयी है तथा उन सभी अधिनियमों को जो राज्य विधायिका द्वारा पारित हो तथा अनुसूची के अधीन रखें गये हो को भी न्यायिक पुनरीक्षा से छूट मिल जाती है लेकिन यह कार्य संसद की स्वीकृति से होता है
पंजाबी और हिंदी खड़ी बोली में बहुत अंतर है। पुंलिंग एकवन शब्दों की आकारांत रचना और इनसे विशेषण और क्रिया का सामंजस्य, संज्ञाओं और सर्वनामों के प्रत्यक्ष और तिर्यक् रूप, क्रियाओं कालादि भेद से जुड़नेवाले प्रत्यय दोनों भाषाओं में प्राय: एक से हैं। पंजाबी के कारकचिह्र इस प्रकार हैं - ने; नूँ (हिं. को); थों या ओं (हिं से); दा, दे, दी (हिं. का, के, की); विच (हिं. में)। पुंलिंग और स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन तिर्यक् रूप - आँ होता है, बाताँ, कुड़ियाँ, मुड्याँ, पथराँ, साधुआँ। यह स्वरसामंजस्य संज्ञा, विशेषण और क्रिया में बराबर बना रहता है, जैसे छोट्याँ मूंड्याँ, द्याँ माप्याँ नूं (हिं. छोटे लड़कों के माँ बाप को), छटियाँ कुड़ियाँ जाँ दियाँ हैन (हिं. छोटी लड़कियाँ जाती हैं)।
तत्पश्चात लक्ष्मी वृद्धि पैकट वितरण व् भंडारा
(५) जौगढ़- यह उड़ीसा के जौगढ़ में स्थित है ।
जम्मू एवं कश्मीर राज्य से संबंधित सभी संवैधानिक उपबंधों तथा राज्य से संबंधित अन्य सभी मामलों को देखता है, सिवाय उन मामलों के जो विदेश मंत्रालय से संबंधित हैं।
१) तत्पुरुष
अभी इराक़ में नाटो की सेनाएं बनी हुई हैं।
ये ईरान के वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक थे। १२ जनवरी २०१० को तेहरान में उनकी बम विस्फोट द्वारा हत्या कर दी गई।
नरेंद्रपुर कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी के अधीन आता है।
देहरादून की जलवायु समशीतोष्ण है। यहां का तापमान १६ से ३६ डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है जहां शीत का तापमान २ से २४ डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। देहरादून में औसतन २०७३.३ मिलिमीटर वर्षा होती है। अधिकांश वर्षा जून और सितंबर के बीच होती है। अगस्त में सबसे अधिक वर्षा होती है।
२०-शरद जोशी का अंधों का हाथी और एक था गधा
निर्वाण
१३. भारत की राजभाषा
२०. मणिपुर (इम्फाल)
पुस्तक में लेखक के अठारह (उपसंहार सहित) निबंध संकलित हैं। इनमें प्रथम चार का संबंध राहुलजी की कुल परंपरा, उनके माता-पिता, उनके प्रथम विवाह एवं उनके किशोर मन में मौजूद अस्वीकार एवं विद्रोह की मुद्रा से है। आगे आने वाले निबंधों में उनके घुमक्कड़ स्वभाव, भाषा, साहित्य तथा ज्ञान के अन्य क्षेत्रों में उनकी खोजों एवं उपलब्धियों, बौद्ध धर्म तथा दर्शन के प्रति उनके झुकाव तथा दीक्षा, मार्क्सवाद, किसान आंदोलन आदि को लेकर व्यापक चर्चा हुई है।
सितार भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्र में से एक है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है। इसके इतिहास के बारे में अनेक मत हैं किंतु अपनी पुस्तक भारतीय संगीत वाद्य में प्रसिद्ध विचित्र वीणा वादक डॉ लालमणि मिश्र ने इसे प्राचीन त्रितंत्री वीणा का विकसित रूप सिद्ध किया। सितार पूर्ण भारतीय वाद्य है क्योंकि इसमें भारतीय वाद्योँ की तीनों विशेषताएं हैं। तंत्री या तारों के अलावा इसमें घुड़च, तरब के तार तथा सारिकाएँ होती हैं। कहा जाता है कि भारतीय तन्त्री वाद्यों का सर्वाधिक विकसित रूप है।
चन्द्रगुप्त एक महान प्रतापी सम्राट था । उसने अपने साम्राज्य का और विस्तार किया ।
जब तक कांग्रेस का कोई विकल्प नही माना जाता था, आज की स्थिति में यह उल्टा हो गया है। अब भाजपा का कोई विकल्प नही दिखता। 1967 में आंतरिक समर्थन से 1989 में बाहरी समर्थन से भाजपा ने सबक सीखा और यह नेति नेति के सिध्दान्त पर चलता चला गया।
युगों के द्रुत विकासक्रम में वास्तुकला विकसी, ढली, और मानव की परिवर्तनशील आवश्कताओं के - उसकी सुरक्षा, कार्य, धर्म, आनंद, और अन्य युगप्रर्वतक चिह्रों, अनुरूप बनी। मिस्र के सादे स्वरूप, चीन के मानक अभिकल्प-स्वरूप, भारत के विदेशी तथा समृद्ध स्वरूप, मैक्सिको के मय और ऐजटेक की अनगढ़ महिमा, यूनान के अत्यंत विकसित देवायतन, रोमन साम्राज्य की बहुविध आवश्यकताओं की पूर्ति करनेवाले जटिल प्रकार के भवन, पुराकालीन आडंबरहीन गिरजे, महान् गाथिक गिरजा भवन और चित्रोपम दुर्ग, तुर्की इमारतों के उत्कृष्ट विन्यास एवं अनुपात, और यूरोपीय पुनरुत्थान के भव्य वास्तुकीय स्मारक ऐतिहासिक वास्तु के सतत विकास का लेखा प्रस्तुत करते हैं। ये सब इमारतें मानव विकास के महान युगों की ओर इंगित करती हैं, जिनमें वास्तुकला जातीय जीवन से अत्यधिक संबंधित होने के कारण उन जातियों की प्रतिभा और महत्वाकांक्षा का, जिनकी उनके स्मारकों पर सुस्पष्ट छाप हैं, दिग्दर्शन कराती हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्तों की सुची [१] :
समाचार प्रेमियों को अब एनएसडी की आधिकारिक वेबसाइट www.newsonair.com (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) और www.newsonair.nic.in (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) पर हमारे बुलेटिन और ताजा समाचार मिल सकते हैं। इस वेबसाइट को नवम्‍बर 2007 में एनआईसी के माध्‍यम से पुन: लोकार्पित किया गया था, जिसमें फीड बैक तथा अन्‍य विशेषताओं जैसे 'आरकाइविंग एण्‍ड सर्च' के साथ आरंभ किया गया है, जो भारत और विदेश में इंटरनेट प्रयोक्‍ताओं की आधुनिकतम आवश्‍यकताओं को पूरा करेगा।
Striped tiger and common Indian crow butterflies
अन्टार्कटिका और दक्षिण गंगोत्री और मैत्री पर भी भारत के वैज्ञानिक स्थल हैं यद्यपि अभी तक कोई वास्तविक आधिपत्य स्थापित नहीं किया गया है।
कई मांसाहारी मुसलमानों जब गैर-हलाली रेस्त्रां में खाना खाने जाते हैं तब वे शाकाहार (या समुद्री खाद्य) का चयन करेंगे. हालांकि, सही तरह का मांस न खाने के बजाए पूरी तरह से मांस खाने को प्राथमिकता देने का मामला है.[१५०]
          बारि तिहारो निहारि मुरारि भएँ परसें पद पापु लहौंगो। / ईस ह्वै सीस धरौं पै डरौं, प्रभु की समताँ बड़े दोष दहौंगो।
इसके अतिरिक्त ऑटो करेक्ट, ऑफ़िस हिंदी की अन्यतम विशेषता है। ऑटो करेक्ट और स्पेल चेकर में मुख्य अंतर यही है कि स्पेल चेकर केवल अशुद्धियों को रेखांकित करता है और ऑटो करेक्ट उन्हें ठीक भी कर देता है। हिंदी में थिसॉरस का प्रवेश भी पहली बार ऑफ़िस हिंदी में ही किया गया है। दाहिने क्‍लिक से आप किसी भी शब्द के पर्याय,विलोम और संबद्ध शब्दों को देख सकते हैं। हिंदी में अकारादि क्रम से अनुक्रमणिका तैयार करने का कार्य सॉर्टिंग के माध्यम से वर्ड, एक्सेस और एक्सेल के माध्यम से सहजता से किया जा सकता है। इसका उपयोग कोश निर्माण, पुस्तकालय और वरीयता सूची आदि के लिए किया जा सकता है। खोजें और बदलें के माध्यम से आप हिंदी या अंग्रेज़ी के किसी भी शब्द या वाक्य को खोजकर पूरे पाठ में एक साथ भी बदल सकते हैं। वर्ड आर्ट डीटीपी की खास विशेषता मानी जाती है। अब यह विशेषता ऑफ़िस हिंदी में भी सुलभ हो गई है। वाटर मार्क या जलचिह्न का उपयोग करेंसी नोट या गोपनीय दस्तावेजों में किया जाता है। यह सुविधा भी ऑफ़िस हिन्दी में उपलब्ध करा दी गई है। कुल मिला कर यह कि ऑफ़िस हिंदी के आगमन से आज कंप्यूटर के क्षेत्र में कोई वर्जित प्रदेश नहीं रह गया है।
जब ये सूनामी लहरें किसी भी महाद्वीप की उस परत के उथले पानी तक पहुँचती हैं जहाँ से वो दूसरे महाद्वीप से जुड़ा है और जो कि एक दरार के रूप में देखा जा सकता है। वहाँ सूनामी लहर की तेज़ी कम हो जाती है. वो इसलिए क्यों कि उस जगह दूसरा महाद्वीप भी जुड़ रहा है और वहां धरती की जुड़ी हुई परत की वजह से दरार जैसी जो जगह होती है वो पानी को अपने अंदर रास्ता देती है। लेकिन उसके बाद भीतर के पानी के साथ मिल कर जब सूनामी किनारे की तरफ़ बढ़ती है तो उसमे इतनी तेज़ी होती है कि वो 30 मीटर तक ऊपर उठ सकती है और उसके रास्ते में चाहे पेड़, जंगल या इमारतें कुछ भी आएँ- सबका सफ़ाया कर देती है।
13. किरोव
कटक अनुसंधान केंद्र ने परीक्षा करके देखा है कि खेतों में शैवाल को कृत्रिम रूप से उपजाने पर धान की फसल में ८०० पाउंड तक की वृद्धि हुई। नाइट्रोजन स्थिर करनेवाले शैवाल की बहुत न्यून मात्रा बालू में मिलाकर, खेतों में डाली गई तथा सिंचाई की गई। इससे शैवाल की वृद्धि हुई, नाइट्रोजन अधिक मात्रा में मिट्टी में प्राप्त हुआ तथा धान की फसल में भी वृद्धि हुई। लेखक के अनुसंधान से यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि शैवाल से मिट्टी की ऊपरी सतह पर लगभग २४ पाउंड फ़ॉस्फ़ेट की वृद्धि होती है। साथ साथ १,००० पाउंड जैव कार्बन भी बढ़ जाता है, जिससे मिट्टी की संरचना और उर्वरा शक्ति में उन्नति होती है।
गोदावरी दक्षिण भारत की एक प्रमुख नदी है| इसकी उत्पत्ति पश्चिमघाट की पर्वत श्रेणी के अन्तर्गत त्रिम्बक पर्वत से हुई है. इसकी लम्बाई प्रायः 1450 किलोमीटर है. इस नदी का पाट बहुत बड़ा है. गोदावरी की उपनदियों में प्रमुख हैं प्राणहिता, इन्द्रावती, मंजिरा. यह महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से बहते हुए राजहमुन्द्री शहर के समीप बंगाल की खाड़ी मे जाकर मिलती है।[१]
भारतीय दंड-संहिता के निर्माण के साथ-साथ मैकाले औपनिवेशिक कारावास-व्यवस्था का भी जन्मदाता था। मैकाले की इस कारावास-व्यवस्था का उद्देश्य एक ऐसी दंड तकनीक को विकसित करना था, जो अराजकता के स्थान पर व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त कर सके। 1835 में ही उसने एक समिति का गठन कर कारावास के नियमों को विकसित कराने का कार्य किया। इस समिति ने एक ऐसे कारावास-व्यवस्था की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें प्रत्येक कारावास का एक अधीक्षक हो, प्रत्येक बंदी के सोने के लिए एक अलग स्थान हो, एकांत काल-कोठरी की व्यवस्था हो, तथा भौतिक सुख अनुपस्थित हो। अंडमान के दंडी-बस्ती में निर्वासित बंदियों को दंड व अनुशासन के जिन नियमों के अंतगर्त रहना पड़ता था, उनका मूल स्रोत्र उक्त मैकाले-समिति द्वारा विकसित वही कारावास-व्यवस्था थी, जो 1830 के दशक में बनायी गयी। नव-निर्मित भारतीय दंड-संहिता ने दंडी-बस्तियों की व्यवस्था का पुष्टिकरण कर दिया था।
4.
अपभ्रंश के संबंध में ‘देशी’ शब्द की भी बहुधा चर्चा की जाती है। वास्तव में ‘देशी’ से देशी शब्द एवं देशी भाषा दोनों का बोध होता है। प्रश्न यह कि देशीय शब्द किस भाषा के थे ? भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में उन शब्दों को ‘देशी’ कहा है ‘जो संस्कृत के तत्सम एवं सद्भव रूपों से भिन्न हैं। ये ‘देशी’ शब्द जनभाषा के प्रचलित शब्द थे, जो स्वभावतया अप्रभंश में भी चले आए थे। जनभाषा व्याकरण के नियमों का अनुसरण नहीं करती, परंतु व्याकरण को जनभाषा की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करना पड़ता है, प्राकृत-व्याकरणों ने संस्कृत के ढाँचे पर व्याकरण लिखे और संस्कृत को ही प्राकृत आदि की प्रकृति माना। अतः जो शब्द उनके नियमों की पकड़ में न आ सके, उनको देशी संज्ञा दी गई।
रूस का एक ओब्लास्ट (области, ओब्लास्टि, प्रांत) ।
वस्त्र पूजन के बाद अग्नि स्थापन से गायत्री मन्त्र की आहुति देने तक का क्रम पूरा करके विशेष आहुतियाँ दी जाएँ ।
(३) लौरिया अरराज तथा लौरिया नन्दगढ़- यह स्तम्भ लेख बिहार राज्य के चम्पारण जिले में है ।
गुफा १२
चांगलांग में अनेक जंगल हैं। इन जंगलों में पर्यटक चांगलांग के वन्य जीवन के खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। यहां पर पर्यटक तेंदुआ, हाथी, गौर, साम्भर, मलायन साम्भर, हिरण, भालु और पांडा देख सकते हैं। इन जंगली जानवरों के अलावा पर्यटक यहां पर कई खूबसूरत पक्षियों को भी देख सकते हैं। पक्षियों में पर्यटक मोर, बुलबुल, कठफोड़ा, पेडुकी, बतख और कबूतर देख सकते हैं। सर्दियों में पर्यटक यहां पर प्रवासी पक्षियों को भी देख सकते हैं।
प्रशासनीय कार्यों के सम्पादन के लिए लिच्छविगण की सभा थी जिसके 7707 सदस्य थे और सब राजा कहलाते थे। स्पष्ट प्रमाणों के अभाव में यह कहना कठिन है कि संघसभा के सभी सदस्यों का निर्वाचन होता था। ललितविस्तर में वर्णन आता है कि लिच्छवि परस्पर एक दूसरे को छोटा बड़ा नहीं मानते थे, सभी अपने को राजा समझते थे (ललित विस्तर अ. 3) इस संबंध में जातक का यह कथन भी महत्वपूर्ण है कि शासन निमित्त वैशाली नगर के गण राजाओं का अभिषेक किया जाता था। (वेसालिनगरे गणराजकुलानं अभिषेक पोक्खरणियं - जा. 4) भगवान् बुद्ध ने लिच्छवि गण के संबंध में कहा था कि सभी सदस्य एकमत होकर अधिवेशन में उपस्थित होते थे। बिना नियम बनाए कोई आज्ञा प्रेषित नहीं करते तथा पूर्व नियमों के अनुसार कार्य करते थे। (समग्गा सन्नि पतिस्संति समग्गा संघकरणीयानि करिस्संति महापरिनिव्वाण सुत्त, भा. 2)
गुरुमुखी लिपि एक लिपि है जिसमें पंजाबी भाषा लिखी जाती है ।
हर कुछ मिनटों पर थ्रिसुर शक्तन थामपुरण बस अड्डे, एर्नाकुलम बोर जेट्टी केएसआरटीसी (KSRTC) अड्डे और कलूर से बसें चलती हैं. उत्तरी परावुर, कोझिकोड, पलक्कड़, कोडुन्गल्लुर, कोट्टायम, पथानाम्थित्ता, पाम्बा/सबरीमाला, मवेलिक्कारा और थिरुवनंतपुरम से भी बसें चलती हैं. प्रत्येक कुछ मिनटों पर गुरुवायुर केएसआरटीसी (KSRTC) अड्डे से कोडुन्गल्लुर, पारावुर होते हुए एर्नाकुलम बोट जेट्टी के लिए बसें चलती हैं, जो दक्षिण केरल पहुंचने का सबसे आसान रास्ता है. . गुरुवायुर स्टेशन से थ्रिसुर और एर्नाकुलम के लिए यात्री ट्रेनें चलती हैं, साथ ही साथ रात को चलकर सुबह पहुंचाने वाली एक एक्सप्रेस ट्रेन भी थिरुवनंतपुरम और आगे चेन्नई तक चलती है. सबसे नजदीकी हवाई अड्डा, कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, गुरुवायुर से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर है. यदि आप कोझिकोड से आ रहे हैं, तो बस या कार द्वारा गुरुवायुर पहुंचने में लगभग 3.5 घंटे लगेंगे.
इलाहाबाद का शहरी क्षेत्र तीन भागों एं वर्गीकृत किया जा सकता है: पुराना शहर जो शहर का आर्थिक केन्द्र रहा है। यह शहर का सबसे घना क्षेत्र है, जहां भीड़-भाड़ वाली सड़कें यातायात व बाजारों का कां देती हैं। नया शहर जो सिविल लाइंस क्षेत्र के निकट स्थित है; ब्रिटिश काल में स्थापित किया गया था। यह भली-भांति सुनियोजित क्षेत्र ग्रिड-आयरन रोड पैटर्न पर बना है, जिसमें अतिरिक्त कर्णरेखीय सड़कें इसे दक्ष बनाती हैं। यह अपेक्षाकृत कम घनत्व वाला क्षेत्र हैजिसके मार्गों पर वृक्षों की कतारें हैं। यहां प्रधान शैक्षिक संस्थान, उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कार्यालय, अन्य कार्यालय, उद्यान एवं छावनी क्षेत्र हैं। यहां आधुनिक शॉपिंग मॉल एवं मल्टीप्लेक्स बने हैं, जिनमें अटलांटिस मॉल, सालासर मॉल एवं विनायक सिटी सेंटर मॉल नुख्य हैं। बाहरी क्षेत्र में शहर से गुजरने वाले मुख्य राजमार्गों पर स्थापित सैटेलाइट टाउन हैं। इनमें गंगा-पार (ट्रांस-गैन्जेस) एवं यमुना पार (ट्रांस-यमुना) क्षेत्र आते हैं। विभिन्न रियल-एस्टेट बिल्डर इलाहाबाद में निवेश कर रहे हैं, जिनमें ओमेक्स लि. प्रमुख हैं। नैनी सैटेलाइट टाउन में १५३५ एकड़ की हाई-टेक सिटी बन रही है।
इस्लाम धर्म के प्रमुख मत यह हैं। इसे अकीदाह कहते हैं:
यूनाइटेड किंगडम में ऐसे अनेक गाँधी जी की प्रतिमाएँ उन ख़ास स्थानों पर हैं जैसे लन्दन विश्वविद्यालय कालेज (Tavistock Square) के पास ताविस्तोक चौक ,लन्दन (University College London) जहाँ पर उन्होंने कानून की शिक्षा प्राप्त की. यूनाइटेड किंगडम में जनवरी ३० को “राष्ट्रीय गाँधी स्मृति दिवस” मनाया जाता है.संयुक्त राज्य में , गाँधी की प्रतिमाएँ न्यू यार्क शहर (Union Square) में यूनियन स्क्वायर के बहार और अटलांटा (Martin Luther King, Jr. National Historic Site) में मार्टिन लूथर किंग जूनियर राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल और वाशिंगटन डी सी में भारतीय दूतावास के समीप मेसासुशैट्स मार्ग में हैं.सी. (Washington, D. C.), भारतीय दूतावास के समीप पितर्मरित्ज़्बर्ग (Pietermaritzburg) , दक्षिण अफ्रीका, जहाँ पर १८९३ में गाँधी को प्रथम-श्रेणी से निकल दिया गया था वहां उनकी स्मृति में एक प्रतिमा स्थापित की गए है.गाँधी की प्रतिमाएँ मदाम टुसौड (Madame Tussaud's) के मोम संग्रहालय, लन्दन में, न्यू यार्क और विश्व के अनेक शहरों में स्थापित हैं.
सचिवालय इमारत, केरल सरकार
प्रयाग के मुख्य शहर को इलाहाबाद के नाम से जाना जाता है जो भारत के सर्वाधिक पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। प्रयाग का माघ मेला विश्व का सबसे बड़ा मेला है। हिन्दु पुराणों में, हिन्दु धर्म के अनुसार सृष्टि के सृजनकर्ता भगवान ब्रह्मा द्वारा इसे 'तीर्थ राज' अथवा तीर्थस्थलों का राजा कहा गया है, जिन्होंने तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर 'प्राकृष्ठ यज्ञ' संपन्न किया था। हमारे पवित्र धर्मग्रंथों - वेदों और रामायण तथा महाभारत जैसे महाकाव्यों और पुराणों में भी इस स्थान को 'प्रयाग' कहे जाने के साक्ष्य मिलते हैं। उत्तर भारत में जलमार्ग के द्वारा इस शहर के सामरिक महत्व को समझते हुए मुगल सम्राट अकबर ने पवित्र 'संगम' के किनारे एक शानदार किले का निर्माण कराया। प्रत्येक वर्ष जनवरी-फरवरी माह में यहां पवित्र 'संगम' के किनारे विश्व प्रसिद्ध माघ मेला आयोजित होता है, जो प्रत्येक जनवरी में वर्ष मकर संक्रांति को आरंभ होकर फरवरी में महा शिवरात्रि को समाप्त होता है।[३]
सभी रथिकाएँ उद्गमों से सुसज्जित है। दाहिनी शाख पर कमल- पत्र और बायीं ओर यमुना अंकित किया गया है। द्वार शिला की एक रथिका सरस्वती को अभय के साथ प्रदर्शित करती है। यहाँ सरस्वती चक्रदार कमल दंड और कमंडल भी धारण किये हुए हैं। स्तंभ शाखा के नीचे रथिका में शिव- पार्वती को बैठे दिखाया गया है और नाग रथिका के नीचे की रथिका, चार व्यक्तियों को आसीन किया गया है। भीतरी वितान में कमल पुष्प और कोनों में कीर्कित्त मुख प्रतिमाएँ हैं। रेतीले पत्थर की एक पीठिका पत्थर के शिवलिंग को सहारा देती दिखाई गई है।
इस बारे में `राजराजेश्वरी कामाख्या रहस्य' एवं `दस महाविद्याओं' नामक ग्रंथ के रचयिता एवं मां कामाख्या के अनन्य भक्त ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ. दिवाकर शर्मा ने बताया कि अम्बूवाची योग पर्व के दौरान मां भगवती के गर्भगृह के कपाट स्वत ही बंद हो जाते हैं और उनका दर्शन भी निषेध हो जाता है। इस पर्व की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व से इस पर्व में तंत्र-मंत्र-यंत्र साधना हेतु सभी प्रकार की सिद्धियाँ एवं मंत्रों के पुरश्चरण हेतु उच्च कोटियों के तांत्रिकों-मांत्रिकों, अघोरियों का बड़ा जमघट लगा रहता है। तीन दिनों के उपरांत मां भगवती की रजस्वला समाप्ति पर उनकी विशेष पूजा एवं साधना की जाती है।
मुसलमानों या इस्लाम के अनुयायियों को चिकित्सकीय कारण या फिर व्यक्तिगत तौर पर मांस का स्वाद पसंद न करने वालों को शाकाहार चुनने की आजादी प्रदान करता है. हालांकि, गैर चिकित्सकीय कारण से शाकाहार बनने का विकल्प कभी-कभी विवादास्पद हो सकता है. हो सकता है और भी कुछ परंपरागत मुसलमान हैं जो अपने शाकाहारी होने के बारे में चुप्पी बनाये रखते हों, तभी शाकाहार मुसलमानों की तादाद बढ़ रही है.[१५०]
काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है। कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की श्रृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है।
आमि तोमाए भालोबाशी.
अफसढ़ लेख के अनुसार महासेनगुप्त बहुत पराक्रमी था ।
वर्तमान में यह भारत सरकार की खान मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक संगठन है। इसका उद्गम सन १८३६ में हुआ था, जब एक समिति, जिसका नाम कोयला समिति थी, का गठन किया गया था। इसकी स्थापना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के पूर्वी क्षेत्रों में कोयले की उपलब्धता की खोज एवं अध्ययन करने हेतु की गयी थी। ऐसी ही एक समिति द्वारा अपनी १८४८-१८४९ की एक रिपोर्ट में पहली बार जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया वाक्यांश का प्रयोग किया गया था। 4 फरवरी, 1848 को सर डैविड विलियम्स को भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग का भूगर्भीय सर्वेक्षणकर्ता (जियोलॉजिकल सर्वेयर) नियुक्त किया गया था। 1848 में उनकी मृत्योपरंत, मैक्लेलैंड ने कार्यकारी सर्वेयर का पदभार ग्रहण किया, और 5 मार्च, 1851 को अपने सेवा-निवृत्त होने तक निभाया।
मध्य प्रदेश में समूची कपास फसल बर्बाद हो गई थी। महाराष्ट्र में भी तीस हजार हैक्टेयर में उगाई गई फसल बर्बाद हो गई थी। नतीजतन, 200 से अधिक किसानों ने आत्महत्याएं की और करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। बाद में नतीजे सामने आए कि कीट के कारण फसल को नुकसान पहुंचा था और यह फसल पारंपरिक और बीटी दोनों थीं।
संस्कृत के विकिपिडिया प्रकल्प
1 जनवरी 1901 को, छ: नगर महासंघ हो गए और ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रमंडल का गठन हुआ.महासंघ के समय से लेकर ऑस्ट्रेलिया ने एक स्थायी उदार प्रजातांत्रिक राजनैतिक व्यवस्था का निर्वहन किया,और प्रभुता संपन्न राष्ट्र बना रहा.जनसंख्या 21.7मिलियन(दस लाख) से थोडा ही उपर है, साथ ही लगभग 60% जनसंख्या मुख्य राज्यों सिडनी,मेलबर्न,ब्रिस्बेन,पर्थ और एडिलेड में केन्द्रित है. राष्ट्र की राजधानी केनबर्रा है जो ऑस्ट्रेलियाई प्रधान प्रदेश(ACT) में अवस्थित है.
किंतु लिखित संविधान सुनम्य ,कठोर तथा मिश्रित प्रकार का हो सकता हैअन्य प्रकार से वर्गीकरण१ एकात्मक संविधान२ संघात्मक संविधान
1588-1648  Matrah
उत्तर प्रदेश का भारतीय एवं हिन्दू धर्म के इतिहास मे अहम योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश आधुनिक भारत के इतिहास और राजनीति का केन्द्र बिन्दु रहा है और यहाँ के निवासियों ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम और पाकिस्तान पृथकता आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभायी। इलाहाबाद शहर प्रख्यात राष्ट्रवादी नेताओं जैसे मोतीलाल नेहरू, पुरुषोत्तम दास टन्डन और लालबहादुर शास्त्री का घर था। यह शहर भारत देश के आठ प्रधान मन्त्रियों जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, लालबहादुर शास्त्री, चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह चन्द्रशेखर, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी का चुनाव क्षेत्र भी रहा है। इंदिरा गांधी के पुत्र स्वर्गीय संजय गांधी का चुनाव-क्षेत्र भी यहीं था और वर्तमान में सोनिया गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ रही हैं जबकि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ रहे हैं।
[[Main Town : Baraut & Khekra is the main town in district baghpat khekra have the 5 no. of inter college named M.M.inter college, jain inter college K.K. inter college vidya niketan inter college sulbha inter college gandhi vidyalay inter college & have a P.P college named mahamna malviya vishividyalay it have nagar panchayet khekra is teshil it is not doveloped more becose delhi is not do far from khekra delhi's chandni chowk is 28 km far from it it have ralway station train timing is very sutable for going delhi its run only 45 minuts from khekra it have another name export nagri khekra it have many industries like iren & textile main bisuness is textile in khekra there makes many home furnishing item in]]
भाषा - वागडी
सुप्रसिद्ध मासिक पत्रिका सरस्वती का श्रीगणेश और उसके संपादनादि की संपूर्ण व्यवस्था आरंभ में इस सभा ने ही की थी। अखिल भारतीय हिंदी साहित्य संमेलन का संगठन और सर्वप्रथम उसका आयोजन भी सभा ने ही किया था। इसी प्रकार, संप्रति हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित भारत-कला-भवन नामक अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पुरातत्व और चित्रसंग्रह का एक युग तो संरक्षण, पोषण और संवर्धन यह सभा ही करती रही। अंततः जब उसका स्वतंत्र विकास यहाँ अवरुद्ध होने लगा और विश्वविद्यालय में उसकी भविष्योन्नति की संभावना हुई तो सभा ने उसे विश्वविद्यालय को हस्तांतरित कर दिया।
अनेक संस्थाएँ भूगोल के अध्ययन और शोध के लिये स्थापित हुई है और अनेक उत्कृष्ट कोटि की पत्रपत्रिकाएँ देश के विभिन्न भागों से प्रकाशित हो रही है। भूगोल के संबंध में प्रति वर्ष विभिन्न विश्वविद्यालयों में सम्मेलन भी होते रहे हैं जिनमें उच्च कोटि के मौलिक निबंध पढ़े जाते है। भौगोलिक अनुसंधान में भारत अब अन्य देशों से पिछड़ा नहीं है। मीरा गुहा, जी0 एस0 गोशल, यू0 सिंह, पी0 के0 सरकार, इत्यादि ने अपने क्षेत्रों में अग्रिम एवं असाधारण शोध किया है।
गणपति उपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
इन्हीं विकृतियों से तत्कालीन साहित्यकार एवं आलोचक भी ग्रस्त रहे, जिन्हें तत्कालीन कृतियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. इस युग में कविता और गद्य दोनों ही क्षेत्रों में प्रयोग एवं यथार्थ के नाम पर दुर्बल चरित्रों का चित्रण, उनकी ग्रंथियों एवं विकृतियों के नग्न चित्रण की परम्परा चल पड़ी.
इसके पूर्वी किनारे पर सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव हुआ । कुछ विद्वानों का मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता के मूल लोग बलोच ही थे । पर इसके साक्ष्य नगण्य हैं । सिंधु घाटी की लिपि को न पढ़े जाने के कारण संशय अब तक बना हुआ है । पर सिंधु सभ्यता के अवशेष आज के बलूचिस्तान में कम ही पाए जाते हैं ।
नैमिषारण्य की परिक्रमा ८४ कोस की है। यह परिक्रमा प्रतिवर्ष फाल्गुन की अमावस्या को प्रारंभ होकर पूर्णिमा को पूर्ण होती है। नैमिषारण्य की छोटी (अंतर्वेदी) में यहां के सभी तीर्थ आ जाते हैं। यहां के प्रमुख तीर्थों में:
संस्कृत साहित्य की महानता को प्रसिद्ध भारतविद जुआन मस्कारो (Juan Mascaro) ने इन शब्दों में वर्णन किया है:
अशोक के गुहा लेख
16.
तात
बनागी- यह नंदा देवी विशाल हिमखण्ड के निचले भाग में स्थित है जिससे ऋषि गंगा नदी बनती है।
स्वामी जी ने अध्यात्म और सच्चे 'नाम' का भेद वर्णित किया है.
उत्तर प्रदेश में उन्मुक्त कारागार का अद्भुत प्रयोग आपने प्रारंभ किया जो यथेष्ट रूप से सफल हुआ। नैनीताल में वेधशाला स्थापित कराने का श्रेय भी आपको ही है। वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय और उत्तर प्रदेश सरकर द्वारा संचालित हिंद समिति की स्थापना में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये दोनों संस्थाएँ आपकी उत्कृष्ट संस्कृतनिष्ठा एवं हिंद प्रेम के अद्वितीय स्मारक हैं। कला के क्षेत्र में लखनऊ के मैरिस म्यूजिक कॉलेज को आपने विश्वविद्यालय स्तर का बना दिया। कलाकारों और साहित्यकारों को शासकीय अनुदान देने का आरंभ देश में प्रथम बार आपने ही किया। वृद्धावस्था की पेंशन भी आपने आरंभ की। आपको देश के अनेक विश्वविद्यालयों ने "डॉक्टर" की सम्मानित उपाधि से विभूषित किया था। हिंदी साहित्य सम्मेलन की सर्वोच्च उपाधि "साहित्यवाचस्पति" भी आपको मिली थी तथा हिंदी साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार "मंगलाप्रसाद पुरस्कार" भी आप प्राप्त कर चुके थे।
सूत्रकृतांग में हिंसा के पाँच समाधान बतलाए गए हैं : (1) अर्थदंड, (2) अनर्थदंड, (3) हिंसादंड, (4) अकस्माद्दंड, (5) दृष्टिविपर्यासदंड। अहिंसा आत्मा की पूर्ण विशुद्ध दशा है। वह एक ओर अखंड है, किंतु मोह के द्वारा वह ढकी रहती है। मोह का जितना ही नाश होता है उतना ही उसका विकास। इस मोहविलय के तारतम्य पर उसके दो रूप निश्चित किए गए हैं : (1) अहिंसा महाव्रत, (2) अहिंसा अणुव्रत। इनमें स्वरूपभेद नहीं, मात्रा (परिमाण) का भेद है।
सृष्टि तथा मानव की उत्पत्ति से भूगोल का संबंध है। भौगोलिक धारणाओं की उत्पत्ति मनुष्य के शब्दों में वर्तमान थी जो तदुपरांत वाक्यों में लिखी गई है। वैदिक काल में भूगोल वैदिक रचनाओं के रूप में मिलता है। ब्रह्मांड, पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि, अकाश, सूर्य, नक्षत्र तथा राशियों का विवरण वेदों, पुराणों और अन्य ग्रंथों में दिया ही गया है किंतु इतस्तत: उन ग्रंथों में सांस्कृतिक तथा मानव भूगोल की छाया मिलती है। भारत में अन्य शास्त्रों के साथ साथ ज्योतिष, ज्यामिति तथा खगोल भूगोल का भी विकास हुआ था जिनकी झलक प्राचीन खंडहरों या अवशेष ग्रंथों में मिलती है। महाकाव्य काल में सामरिक, सांस्कृतिक एवं वायु परिवहन भूगोल के विकास के संकेत हैं।
अंग्रेजी एक इन्टोनेशन भाषा है. इसका अर्थ यह है की वाणी के उतार चढाव को परिस्थिति के अनुसार इस्तेमाल किया जाता है. उदहारण के तौर पर, आश्चर्य अथवा व्यंग्य व्यक्त करना, या एक वक्तव्य को प्रश्न में बदलना.
ककडू राष्ट्रीय उद्यान में जल प्रपात
गाँधी ने १९३० में जर्मनी में यहूदियों (persecution of the Jews in Germany) के उत्पीडन को सत्याग्रह (Satyagraha) के भीतर ही संदर्भित कहा. नवम्बर १९३८ में उपरावित यहूदियों के नाजी उत्पीडन के लिए उन्होंने अहिंसा के उपाय को सुझाया:
दक्षिण सीमा पर स्थित राज्य चोल, पाण्ड्‍य, सतिययुक्‍त केरल पुत्र एवं ताम्रपार्णि बताये गये हैं ।
निर्देशांक: 3°12′N 73°13′E / 3.20, 73.22
2554 वैशाली एक्सप्रेस -- नयी दिल्ली -- बरौनी
वराहमिहिर भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे। इनका जन्म छठी शताब्दी ईसवी में हुआ था। इनके पिता का नाम आदित्य दास था और वे अवंती के निवासी थे। 550 ई. के लगभग इन्होंने तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें वृहज्जातक, वृहत्संहिता और पंचसिद्धांतिका, लिखीं। इन पुस्तकों में त्रिकोणमिति के महत्वपूर्ण सूत्र दिए हुए हैं, जो वराहमिहिर के त्रिकोणमिति ज्ञान के परिचायक हैं।
वरणा च नदी यावद्यावच्छुष्कनदी तथा।
1अप्रैल 2009 से लोकसभा के सदस्य का बुनियादी वेतन £64766 तक बढ़ा दिया गया है.[५] कुछ सांसद (मंत्रियों, अध्यक्ष, विपक्षी नेता आदि) अपनी विशिष्ट जिम्मेदारियों के लिए एक अनुपूरक वेतन प्राप्त करते हैं. 1 अप्रैल 2008 को चयन समिति के अध्यक्षों के लिए £ 14,039 एवं प्रधानमंत्री के लिए £130959 पाउंड की वेतनवृद्धि की गयी. अपने मूल आवास से दूर रहने पर सदस्यों को आवास खरीदने तथा उसे सजाने सहित अन्य खर्चे के लिए भी भुगतान किया जाता है.[६] ब्रिटेन के सांसदों की पेंशन व्यवस्था भी समान रूप से उदार है. सदस्यों को उनके द्वारा चुने गए योगदान की दर के आधार पर पेंशन योग्य सेवा के प्रत्येक वर्ष के अंतिम पेंशन योग्य वेतन के 1/40 वें या 1/50 वें भाग के सामान राशि पेंशन के तौर पर दी जाती है. अपने वेतन के 10 % का योगदान करने वाले सदस्य को 1/40 की दर से संग्रहित लाभ दिया जाता है.[७] एक सांसद, जिसने 26 साल तक सेवा की है, अगर वह आज अवकाश ग्रहण कर रहा हो वह अपने पेंशन के तौर पर मुद्रास्फीति से अप्रभावित £ 40,000 का वार्षिक भुगतान प्राप्त करने की आशा रख सकता है. डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, संसद के ब्रिटिश सदस्यों के लिए राज्य का योगदान कंपनियों द्वारा किये जाने वाले औसत अंतिम वेतन योजनाओं के चार गुना से भी अधिक है, हालांकि, वह अधिकांश सार्वजानिक संस्थाओं के पेंशन से बहुत अधिक उदार नहीं है.[८]
इस संघर्ष में अनेक कूका वीर शहीद हुए और 68 पकड़ लिये गये। इनमें से 50 को सत्रह जनवरी 1872 को मलेरकोटला में तोप के सामने खड़ाकर उड़ा दिया गया। शेष 18 को अगले दिन फांसी दी गयी। दो दिन बाद गुरू रामसिंह को भी पकड़कर बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया। 14 साल तक वहां कठोर अत्याचार सहकर 1885 ई. में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।
धन बिल केवल लोकसभा मे प्रस्तावित किए जा सकते है इसे लाने से पूर्व राष्ट्रपति की स्वीकृति आवशय्क है इन्हें पास करने के लिये सदन का सामान्य बहुमत आवश्यक होता है
शून्यवाद या शून्यता बौद्धों की महायान शाखा माध्यमिक नामक विभाग का मत या सिद्धान्त है जिसमें संसार को शून्य और उसके सब पदार्थों को सत्ताहीन माना जाता है (विज्ञानवाद से भिन्न)।
रवीन्द्र संगीत अब जाल पर उपलब्ध है। यहां सुनियेः
फ़्रियुलियाई विकिपीडिया विकिपीडिया का फ़्रियुलियाई भाषा का संस्करण है। यह २५ जनवरी २००५ में आरंभ किया गया था, और २६ मई, २००९ तक इस पर लेखों की कुल संख्या २,७००+ है। यह विकिपीडिया का १३७वां सबसे बड़ा संस्करण है।
दूसरे ध्रुव पर उनका दूसरा उपन्यास "साथ सहा गया दुःख" है जो मात्र दो पात्रों को लेकर बुना गया है. उनके द्वारा लिखा गया प्रारम्भिक उपन्यास होने के बावजूद यह हिन्दी साहित्य की एक अत्यंत सशक्त एवं प्रौढ़ कृति है. प्रसिद्ध समालोचक डा. विवेकी राय का कथन है,
मिलखा सिंह ने बाद में खेल से सन्यास ले लिया और भारत सरकार के साथ खेलकूद के प्रोत्साहन के लिए काम करना शुरू किया। अब वे चंडीगढ़ में रहते हैं।
5 नवम्बर 2004 पर, नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के लिए रोग (सीडीसी) ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के दौरान इराक / कुवैत क्षेत्र में घायल सदस्यों की संख्या असिनेतोबक्टेर खून बौमंनी संक्रमण में सेवा, जिस पर सेना चिकित्सा सुविधाओं में रोगियों की रिपोर्ट में वृद्धि एक और अफगानिस्तान में के दौरान ऑपरेशन स्थायी स्वतंत्रता इलाज किया गया. कुछ एक के साथ सबसे अधिक मुल्तिदृग प्रतिरोध (MRAB), से पता चला है की इन दवाओं सभी के लिए प्रतिरोधी आइसोलेट्स परीक्षण किया गया.[४३][४४]
काकोडकर ने सन् २००८ में भारत व अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। काकोडकर वैज्ञानिकों के उस दल के सदस्य रहे हैं, जिसने सफलतापूर्वक पोखरण-प्रथम (1974) और पोखरण-द्वितीय (1998) परमाणु परीक्षण संपन्न कराए थे।
त्रिकूट, शिशिर, पतंग, रुचक और निषाद आदि पर्वत हैं।
सकल नगर औ' ग्राम, मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम।
आगे भी गणतंत्रात्मक भावनाओं का उच्छेद नहीं हुआ। इंग्लैंड आनुवंशिक नृपराज्य था, तथापि मध्ययुग में वह कभी कभी अपने को कामनबील अथवा कामनवेल्थ नाम से पुकारता रहा। 18वीं सदी में वहाँ के नागरिकों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिये अपने राजा (चाल्र्स प्रथम) का वध कर डाला और कामनवेल्थ अथवा रिपब्लिक (गणतंत्र) की स्थापना हुई। पुन: राजतंत्र आया पर गणतंत्रात्मक भावनाएँ जारी रहीं, राजा जनता का कृपापात्र, खिलौना बन गया और कभी भी उसकी असीमित शक्ति स्थापित न हो सकी। मानव अधिकारी (राइट्स ऑव मैन) की लड़ाई जारी रही और अमरीका के अंग्रेजी उपनिवेशों ने इंग्लैंड के विरु द्ध युद्ध ठानकर विजय प्राप्त की और अपनी स्वतंत्रता की घोषणा में उन अधिकारों को समाविष्ट किया। फ्रांस की प्रजा भी आगे बढ़ी; एकता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के नारे लगे, राजतंत्र ढह गया और क्रांति के फलस्वरूप प्रजातंत्र की स्थापना हुई। नेपोलियन उन भावनाओं की बाढ़ पर तैरा, फ्रांस स्वयं तो पुन: कुछ दिनों के लिए निरंकुश राजतंत्र की चपेट में आ गया, किंतु यूरोप के अन्यान्य देशों और उसके बाहर भी स्वातंत्र्य भावनाओं का समुद्र उमड़ पड़ा। 19वीं सदी के मध्य से क्रांतियों का युग पुन: प्रारंभ हुआ और कोई भी देश उनसे अछूता न बचा। राजतंत्रों को समाप्त कर गणतंत्रों की स्थापना की जाने लगी। परंतु 19वीं तथा 20वीं सदियों में यूरोप के वे ही देश, जो अपनी सीमाओं के भीतर जनवादी होने का दम भरते रहे, बाहरी दुनियाँ में----एशिया और अफ्रीका में----साम्राज्यवाद का नग्न तांडव करने से न चूके। 1917 ई. में माक्र्सवाद से प्रभावित होकर रूस में राज्यक्रांति हुई और जारशाही मिटा दी गई। 1948 ई. में उसी परंपरा में चीन में भी कम्युनिस्ट सरकार का शासन शुरू हुआ। ये दोनों ही देश अपने को गणतंत्र की संज्ञा देते हैं और वहाँ के शासन जनता के नाम पर ही किए जाते हैं। परंतु उनमें जनवाद की डोरी खींचनेवाले हाथ अधिनायकवादी ही हैं। सदियों की गुलामी को तोड़कर भारत भी आज गणराज्य की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिय कटिबद्ध है और अपने लिए एक लोकतंत्रीय सांवैधानिक व्यवस्था का सृजन कर चुका है।
जिले का मुख्यालय है ।
जो सुमिरत सिधि होय, गननायक करिबर बदन। करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥
राष्ट्र और क्षेत्र सूची: ईस्ट • ईस्ट मिडलंड्स • लंदन • नॉर्थ ईस्ट ऐंड कम्ब्रिया • नॉर्थ वेस्ट • नॉर्दर्न आयरलैंड • स्कॉटलैंड (अल्पा) • साउथ • साउथ ईस्ट • साउथ वेस्ट • वेल्स • वेस्ट • वेस्ट मिडलंड्स • यॉर्कशायर • यॉर्कशायर ऐंड लिंकनशायर
ध्रुवलोक से एक करोड़ योजन ऊपर महर्लोक है।
भारत में आर्यों का आगमन ईसा के कोई 1500 वर्ष पूर्व हुआ । आर्यों की पहली खेप ऋग्वैदिक आर्य कहलाती है । ऋग्वेद की रचना इसी समय हुई । इसमें कई अनार्य जातियों का उल्लेख मिलता है । आर्य लोग भारतीय-यूरोपीय परिवार की भाषाएं बोलते थे । इसी शाखा की भाषा आज भी भारत, ईरान (फ़ारस) और यूरोप में बोली जाती है । भारत आगमन के क्रम में कुछ आर्य ईरान चले गए । ऋग्वेद की कई बाते अवेस्ता से मिलती हैं । अवेस्ता ईरानी भाषा के प्राचीनतम ग्रंथ है । दोनो ग्रंथों में बहुत से देवताओं तथा सामाजिक वर्गों के नाम भी समान हैं । ऋग्वेद में अफ़ग़ानिस्तान की कुभा तथा सिन्धु और उसकी पाँच सहायक नदियों का उल्लेख मिलता है ।
महाकवि कालिदास उज्जयिनी के इतिहास प्रसिध्द सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में से एक थे। इनको उज्जयिनी अत्यंत प्रिय थी। इसीलिये कालिदास ने उज्जयिनी का अत्यंत ही सुंदर वर्णन किया है। सम्राट विक्रमादित्य ही महाकवि कालिदास के वास्तविक आश्रयदाता के रूप में प्रख्यात है।
साँचा:भारत
GSM मानक की सर्वव्यापकता उपभोक्ताओं (जो रोमिंग और बिना अपना फ़ोन बदले वाहक बदलने की सुविधा से लाभान्वित होते हैं) और नेटवर्क ऑपरेटरों (जो GSM अमल में लाने वाले विभिन्न विक्रेताओं से उपकरण चुन सकते हैं[४]) दोनों के लिए फ़ायदेमंद है. GSM ने एक कम लागत वाले(नेटवर्क वाहक के लिए)वाइस कॉल के विकल्प का लघु संदेश सेवा (SMS जिसे "टेक्स्ट मेसेजिंग" भी कहते है) प्रवर्तन किया है, जो अब अन्य मोबाइल मानकों पर भी समर्थित है.एक और लाभ यह है कि इस मानक में एक विश्वव्यापी आपातकालीन टेलीफोन नंबर, 112 शामिल है.[५] इससे अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को काफ़ी सुविधा हो जाती है, जो स्थानीय आपातकालीन नंबर जाने बिना भी आपातकालीन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं.
जी -8, APEC, "आसियान प्लस तीन और पूर्व एशिया शिखर बैठक में एक भागीदार के एक सदस्य के रूप में, जापान सक्रिय रूप से अंतरराष्ट्रीय मामलों में भाग लेता है और दुनिया भर में अपने महत्वपूर्ण सहयोगी के साथ राजनयिक संबंधों को बढ़ाती है. जापान मार्च 2007 [१३] और भारत के साथ अक्टूबर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के साथ एक सुरक्षा समझौते [१४] यह भी दुनिया की सरकारी विकास सहायता का तीसरा सबसे बड़ा दाता है पर हस्ताक्षर किए. होने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका 2004 में 8,86 अरब डॉलर का दान. [१५] जापान इराक युद्ध करने के लिए गैर लड़नेवाला सैनिक भेजे हैं, लेकिन बाद में इराक से अपनी सेना वापस ले लिया [51] जापानी समुद्री सेल्फ डिफेंस फोर्स. RIMPAC समुद्री अभ्यास में एक नियमित रूप से भागीदार है.
(१) दिल्ली तोपरा- यह स्तम्भ लेख प्रारंभ में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में पाया गया था । यह मध्य युगीन सुल्तान फिरोजशाह तुगलक द्वारा दिल्ली लाया गया । इस पर अशोक के सातों अभिलेख उत्कीर्ण हैं ।
गाय, बैल, कोयल इत्यादि का पूजन करके उनके साथ आत्मीयता साधने का हम प्रयत्न करते हैं, क्योंकि वे उपयोगी हैं। लेकिन नाग हमारे किस उपयोग में आता है, उल्टे यदि काटे तो जान लिए बिना न रहे। हम सब उससे डरते हैं। नाग के इस डर से नागपूजा शुरू हुई होगी, ऐसा कई लोग मानते हैं, परन्तु यह मान्यता हमारी संस्कृति से सुसंगत नहीं लगती।
गाँधी के कठोर अहिंसा (ahimsa) का नतीजा शांतिवाद (pacifism) है, जो की राजनैतिक क्षेत्र से आलोचना का एक मूल आधार है.
‘मानक भाषा’ किसी भाषा के उस रूप को कहते हैं जो उस भाषा के पूरे क्षेत्र में शुद्ध माना जाता है तथा जिसे उस प्रदेश का शिक्षित और शिष्ट समाज अपनी भाषा का आदर्श रूप मानता है और प्रायः सभी औपचारिक परिस्थितियों में, लेखन में, प्रशासन और शिक्षा, के माध्यम के रुप में यथासाध्य उसी का प्रयोग करने का प्रयत्न करता है।
याज्ञवल्क्य- ब्रह्मलोक में ओतप्रोत है।
कैंसर मूलरूप में ऊतक विकास के विनियमन का एक रोग है. एक सामान्य कोशिका को कैंसर कोशिका में रूपांतरित करने के लिए, कोशिका वृद्धि और विभेदन को नियमित करने वाले जीनों में रूपांतरण होना चाहिए. [२९] आनुवंशिक परिवर्तन कई स्तरों पर हो सकते हैं, ये पूर गुणसूत्र के लाभ या हानि के रूप में हो सकते हैं, जो उत्परिवर्तन का ही एक रूप है और एक मात्र DNA न्युक्लिओटाइड को प्रभावित करता है.
दोनों सदनों में प्रत्‍येक बैठक के प्रारंभ में एक घंटे तक प्रश्‍न किए जाते हैं। और उनके उत्तर दिए जाते हैं। इसे ‘प्रश्‍नकाल’ कहा जाता है।इसके अतिरिक्‍त, खोजी और अनुपूरक प्रश्‍न पूछने से मंत्रियों का भी परीक्षण होता है कि वे अपने विभागों के कार्यकरण को कितना समझते हैं।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार राक्षस कबंध से युद्ध के अवसर पर लक्ष्मण राम से कहते हैं, "हे राम! इस कबंध राक्षस का वध करने के लिये आप मेरी बलि दे दीजिये। मेरी बलि के फलस्वरूप आप सीता तथा अयोध्या के राज्य को प्राप्त करने के पश्चात् आप मुझे स्मरण करने की कृपा बनाये रखना।"
भगवान राम ने जब रावण को युद्ध में परास्त किया और उसके छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया| राम, सीता, लक्षमण और कुछ वानर जन पुष्पक विमान से अयोध्या कि ओर प्रस्थान किया| वहां सबसे मिलने के बाद राम और सीता का अयोध्या मे राज्याभिषेक हुआ| पूरा राज्य कुशल समय व्यतीत करने लगा|
इस प्रक्रिया के लिए प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रक्रिया में प्रायः कार्बनडाइऑक्साइड का अवकरण होता है। इस प्रक्रिया में पत्ती के स्टोमेटा द्वारा ग्रहण की गई कार्बनडाइऑक्साइड, पानी से निकली हाइड्रोजन (प्रकाश प्रक्रिया के अन्तर्गत) प्रकाश की ऊर्जा (जो क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश क्रिया में प्राप्त की गई है) के कारण मिलकर एक स्थायी द्रव्य बनाता है।
1859 और 1865 के बीच टेनिस खेल पहले बर्मिंघम शहर में उत्पन्न हुआ.चैंपियनशिप, विम्बल्डन अंतरराष्ट्रीय टेनिस घटनाएँ हैं जो हर गर्मियों में दक्षिण लंदन में विंबलडन में आयोजित होता है और विश्व टेनिस कैलेंडर का सबसे प्रतिष्ठित समारोह के रूप में माना जाता है.[तथ्य वांछित]नसली घोडों की दौड़, जो "राजाओं के खेल" के रूप में इंग्लैंड के चार्ल्स II के अधीन उद्भव हुआ, दुनिया के प्रसिद्ध दौड़ के लिए UK भर में लोकप्रिय है जिसमें ग्रैंड नेशनल, एप्सोम डर्बी और रोयल एस्कोट शामिल है.सेमशहूर न्यूमार्केट दौड़ का मैदान की वजह से न्यूमार्केट शहर अंग्रेज़ी रेसिंग का केंद्र माना जाता है.
नंदवंश अपनी शूद्र कुलोत्पत्ति के कारण वर्णव्यवस्थापरक भारतीय समाज में अप्रिय हो गया, इसमें कोई संदेह नहीं। नंदों की सारी प्रवृत्तियाँ ही परंपराविरुद्ध जान पड़ती हैं, तथापि उन्हें इस बात का अवश्य ही श्रेय है कि उन्होंने भारतवर्ष के राजनीतिक और शासकीय एकीकरण की प्रक्रिया को अत्यंत जोरदार रूप में आगे बढ़ाया।
यद्यपि भक्ति का स्रोत दक्षिण से आया तथापि उत्तर भारत की नई परिस्थितियों में उसने एक नया रूप भी ग्रहण किया। मुसलमानों के इस देश में बस जाने पर एक ऐसे भक्तिमार्ग की आवश्यकता थी जो हिंदू और मुसलमान दोनों को ग्राह्य हो। इसके अतिरिक्त निम्न वर्ग के लिए भी अधिक मान्य मत वही हो सकता था जो उन्हीं के वर्ग के पुरुष द्वारा प्रवर्तित हो। महाराष्ट्र के संत नामदेव ने १४वीं शताब्दी में इसी प्रकार के भक्तिमत का सामान्य जनता में प्रचार किया जिसमें भगवान्‌ के सगुण और निर्गुण दोनों रूप गृहीत थे। कबीर के संतमत के ये पूर्वपुरुष हैं। दूसरी ओर सूफी कवियों ने हिंदुओं की लोककथाओं का आधार लेकर ईश्वर के प्रेममय रूप का प्रचार किया।
गांधी जी ने असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार को अंग्रेजों के खिलाफ़ शस्त्र के रूप में उपयोग किया। पंजाब में अंग्रेजी फोजों द्वारा भारतीयों पर जलियावांला नरसंहार जिसे अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता है ने देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी। गांधीजी ने ब्रिटिश राज तथा भारतीयों द्वारा ‍प्रतिकारात्मक रवैया दोनों की की। उन्होंने ब्रिटिश नागरिकों तथा दंगों के शिकार लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की तथा पार्टी के आरंभिक विरोध के बाद दंगों की भंर्त्सना की। गांधी जी के भावनात्मक भाषण के बाद अपने सिद्धांत की वकालत की कि सभी हिंसा और बुराई को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है। [४] किंतु ऐसा इस नरसंहार और उसके बाद हुई हिंसा से गांधी जी ने अपना मन संपूर्ण सरकार आर भारतीय सरकार के कब्जे वाली संस्थाओं पर संपूर्ण नियंत्रण लाने पर केंद्रित था जो जल्‍दी ही स्वराज अथवा संपूर्ण व्यक्तिगत, आध्‍यात्मिक एवं राजनैतिक आजादी में बदलने वाला था।
सांची भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले, में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह भोपाल से ४६ कि.मी. पूर्वोत्तर में, तथा बेसनगर और विदिशा से १० कि.मी. की दूरी पर मध्य-प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। यहां कई बौद्ध स्मारक हैं, जो तीसरी शताब्दी ई.पू से बारहवीं शताब्दी के बीच के काल के हैं। सांची में रायसेन जिले की एक नगर पंचायत है। यहीं एक महान स्तूप स्थित है। इस स्तूप को घेरे हुए कई तोरण भी बने हैं। यह प्रेम, शांति, विश्वास और साहस के प्रतीक हैं। सांची का महान मुख्य स्तूप, मूलतः सम्राट अशोक महान ने तीसरी शती, ई.पू. में बनवाया था।[१] इसके केन्द्र में एक अर्धगोलाकार ईंट निर्मित ढांचा था, जिसमें भगवान बुद्ध के कुछ अवशेष रखे थे। इसके शिखर पर स्मारक को दिये गये ऊंचे सम्मान का प्रतीक रूपी एक छत्र था।[२].
हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में १४ सितम्बर, सन् १९४९ को स्वीकार किया गया। इसके बाद संविधान में राजभाषा के सम्बन्ध में धारा ३४३ से ३५२ तक की व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये १४ सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कर्नाटक के पश्चिमी घाट में आने वाले तथा दक्षिणी जिलों में प्रसिद्ध पारिस्थितिकी पर्यटन स्थल हैं जिनमें कुद्रेमुख, मडिकेरी तथा अगुम्बे]] आते हैं। Karnataka has 25 wildlife sanctuaries and five national parks. Popular among them are Bandipur National Park, Bannerghatta National Park and Nagarhole National Park. The ruins of the Vijayanagara Empire at Hampi and the monuments of Pattadakal are on the list of UNESCO's World Heritage Sites. The cave temples at Badami and the rock-cut temples at Aihole representing the Badami Chalukyan style of architecture are also popular tourist destinations. The Hoysala temples at Belur and Halebidu, which were built with Chloritic schist (soap stone) are proposed UNESCO World Heritage sites.[१३०] The Gol Gumbaz and Ibrahim Rauza are famous examples of the Deccan Sultanate style of architecture. The monolith of Gomateshwara at Shravanabelagola is the tallest sculpted monolith in the world, attracting tens of thousands of pilgrims during the Mahamastakabhisheka festival.[१३१]
इसमें रानों की लसीका ग्रंथियों में कणांकुर ऊतक (granulation tissue) बढ़ जाते हैं। यह रोग जननेंद्रियों पर आरंभ होता है और दोनों रानों तथा मूलाधार (perineum) तक पहुँचकर लाल व्राण बन जाता है। रोगजनक प्रोटोज़ोआ हैं, या जीवाणु, यह अभी तक संदिग्ध है।
मलयालम् भाषा अथवा उसके साहित्य की उत्पत्ति के संबंध में सही और विश्वसनीय प्रमाण प्राप्त नहीं हैं। फिर भी मलयालम् साहित्य की प्राचीनता लगभग एक हजार वर्ष तक की मानी गई हैं। भाषा के संबंध में हम केवल इस निष्कर्ष पर ही पहुँच सके हैं कि यह भाषा संस्कृतजन्य नहीं है - यह द्रविड़ परिवार की ही सदस्या है। परंतु यह अभी तक विवादास्पद है कि यह तमिल से अलग हुई उसकी एक शाखा है, अथवा मूल द्रविड़ भाषा से विकसित अन्य दक्षिणी भाषाओं की तरह अपना अस्तित्व अलग रखनेवाली कोई भाषा है। अर्थात् समस्या यही है कि तमिल और मलयालम् का रिश्ता माँ-बेटी का है या बहन-बहन का। अनुसंधान द्वारा इस पहेली का हल ढूँढने का कार्य भाषा-वैज्ञानिकों का है और वे ही इस गुत्थी को सुलझा सकते हैं। जो भी हो, इस बात में संदेह नहीं है कि मलयालम् का साहित्य केवल उसी समय पल्लवित होने लगा था जबकि तमिल का साहित्य फल फूल चुका था। संस्कृत साहित्य की ही भाँति तमिल साहित्य को भी हम मलयालम् की प्यास बुझानेवाली स्रोतस्विनी कह सकते हैं।
छोटा गोविंद्पुर पहुँचने के लिए जमशेदपुर के मुख्य बस पड़ाव जो कि साक्ची में स्थित हैं, वहाँ से आप नियमित रुप से चलने वाली मिनी बसों की सहायता ले सकते हैं। प्रात: पाँच बजे से रात के बारह बजे तक यह परिवहन सुविधा उपलब्ध रहती है। इसके अतिरिक्त आप साक्ची से ही चलने वाले थ्री व्हीलर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, परंतु इसके लिए आपको टेल्को स्थित लेबर ब्यूरो (आम बोलचाल की भाषा में लेबरबीरो) नामक स्थान से छोटा गोविंदपुर जाने वाले थ्री व्हीलर के लिए बदलना पड़ेगा। आप चाहें तो साठ-सत्तर रुपये अदा कर पूरी थ्री व्हीलर में अकेले या सपरिवार सफ़र कर सकते हैं।
दिल्ली का प्राचीनतम उल्लेख महाभारत में मिलता है जहाँ इसका उल्लेख प्राचीन इन्द्रप्रस्थ के के रूप में किया गया है। इन्द्रप्रस्थ पांडवों की राजधानी थी।[५] पुरातात्विक रूप से जो पहले प्रमाण मिले हैं उससे पता चलता है कि ईसा से दो हजार वर्ष पहले भी दिल्ली तथा उसके आस-पास मानव निवास करते थे।[६]मौर्य-काल (ईसा पूर्व ३००) से यहाँ एक नगर का विकास शुरु हुआ। चंदरबरदाई की रचना पृथ्वीराज रासो में राजपूत राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि उसने ही 'लाल-कोट' का निर्माण करवाया था और लौह-स्तंभ को दिल्ली लाया। दिल्ली में राजपूतों का शासनकाल ९००-१२०० इसवीं तक माना जाता है। 'दिल्ली' या 'दिल्लिका' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम उदयपुर में प्राप्त शिलालेखों पर पाया गया। इस शिलालेख का समय ११७० इसवीं निर्धारित किया गया।
मूल योजना से फूलों के बदलाव पर अतिरिक्त विचार-विमर्श का उल्लेख फूलों के मूल भागों वाले लेखों में किया गया है.उन प्रजातियों में जहाँ एक ही शिखर पर एक से ज्यादा फूल होते हैं जिसे तथाकथित रूप से सयुंक्त फुल भी कहा जाता हैं-ऐसे फूलों के संग्रह को इनफ्लोरोसेंस (inflorescence) भी कहा जाता है, इस शब्द को फूलों की तने पर एक विशिष्ट व्यवस्था को लेकर भी किया जा सकता है. इस सम्बन्ध में ध्यान देने का अभ्यास किया जाना चाहिए कि "फूल" क्या है. उदहारण के लिए वनस्पतिशास्त्र की शब्दावली में एक डेजी (daisy) या सूर्यमुखी (sunflower) एक फूल नही है पर एक फूल शीर्ष (head) है-एक पुष्पण जो कि कई छोटे फूलों को धारण किए हुए रहते हैं (कभी कभी इन्हें फ्लोरेट्स भी कहा जाता है) इनमे से प्रत्येक फूल का वर्णन शारीरिक रूप में वैसे ही होंगे जैसा कि इनका वर्णन ऊपर किया जा चुका है. बहुत से फूलों में अवयव संयोग होता है, अगर बाह्य भाग केंद्रीय शिखर से किसी भी बिन्दु पर विभाजीत होता है, तो दो सुमेल आधे हिस्से सृजित होते हैं- तो उन्हें नियत या समानधर्मी कहा जाता है. उदा गुलाब या ट्रीलियम. जब फूल विभाजित होते हैं और केवल एक रेखा का निर्माण करते हैं जो कि अवयव संयोंग का निर्माण करते हैं ऐसे फूलों को अनियमित या जाइगोमोर्फिक उदा स्नैपड्रैगन/माजुस या ज्यादातर ओर्किड्स.
मुंबई शहर में विद्युत आपूर्ति बेस्ट, रिलायंस एनर्जी, टाटा पावर और महावितरण (महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लि.) करते हैं। यहां की अधिकांश आपूर्ति जल-विद्युत और नाभिकीय शक्ति से होती है। शहर की विद्युत खपत उत्पादन क्षमता को पछाड़ती जा रही है। शहर का सबसे बड़ा दूरभाष सेवा प्रदाता एम टी एन एल है। इसकी २००० तक लैंडलाइन और सेल्युलर सेवा पर मोनोपॉली थी। आज यहां मोबाइल सेवा प्रदाताओं में एयरटेल, वोडाफोन, एम टी एन एल, बी पी एल, रिलायंस कम्युनिकेशंस और टाटा इंडिकॉम हैं। शहर में जी एस एम और सी डी एम ए सेवाएं, दोनों ही उपलब्ध हैं। एम टी एन एल एवं टाटा यहां ब्रॉडबैंड सेवा भी उपलब्ध कराते हैं।
यह वस्तुत: महायुग है। अन्य अवांतर युग भी है।
सहगान:
१८ अगस्त १९५१ को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के द्वारा औपचारिक उद्घाटन से पूर्व "भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान" का नाम ग्रहण किया गया था। १५ सितम्बर १९५६ को भारतीय संसद ने "भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (खड़गपुर) अधिनियम" पारित कर दिया जिसके तहत संस्थान को "राष्ट्रीय महत्व के संस्थान" का दर्जा मिला। १९५६ में प्रधानमंत्री नेहरु ने संस्थान के पहले दीक्षांत अभिभाषण में कहा:[४]
उत्तर-मीमांसा में आत्मा को एक ही माना गया है; किंतु "सांख्य योग", न्याय, वैशेषिक और पूर्वमीमांसा में आत्मा को अनेक माना गया है, जिसका कर्म के द्वारा शरीर, इंद्रिय और मन से संबंध होता है। अतएव शरीर, इंद्रिय और विषय को बंध कहा गया है। उक्त त्रय आत्मा को बंधन में डालते हैं, जिससे आत्मा सुखदु:खादि द्वंद्व को भोगता है। नित्य नैमित्तिक कर्मों को कत्र्तव्य बुद्धया करते हुए प्रारब्ध कर्मों को जीव भोगता रहता है। शरीर इंद्रिय से अतिरिक्त जो ब्रह्म बुद्धि से आत्मा की उपासना करता है उसका शरीर इंद्रिय आदि से संबंध का कोई कारण (काम्य और निषिद्ध कर्म) नहीं है, ऐसा व्यक्ति वर्तमान शरीर के नाश के पश्चात् स्व स्वरूप में स्थित हो जाता है। उत्तरमीमांसा के अनुसार शरीर, इंद्रिय और विषय को बंधन कहा गया है जो अज्ञान का कारण है; उसकी निवृत्ति ही मोक्ष है। उदाहरणार्थ -
बहुत से पुराणों में कैकेय वासियों को गंधर्व, यवन, शक, परद, बाह्लीक, कंबोज, दरदास, बर्बर, चीनी, तुषार, पहलव आदि की गिनती में जोड़ा गया है। इन्हें इदीच्य के लोग कहा गया है। उदीच्य यानि उत्तरपथ की उत्तरी मंडल।[३]। केकैय ने वर्तमान झेलम, शाहपुर और गुजरात (पाकिस्तान) के क्षेत्रों में निवास किया था। [४]
भारत के कई प्रमुख शहरों से कैमूर रेलमार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
बीगल पर विश्व भ्रमण हेतु अपनी समुद्री-यात्रा को वे अपने जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना मानते थे जिसने अनके व्यवसाय को सुनिश्चित किया। समुद्री-यात्रा के बारे में उनके प्रकाशनों तथा उनके नमूने इस्तेमाल करने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के कारण, उन्हें लंदन की वैज्ञानिक सोसाइटी में प्रवेश पाने का अवसर प्राप्त हुआ।
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क्रिया कर्दम ऋषि एवं देवहूति की षष्ठम कन्या थी। क्रिया का विवाह कृतु ऋषि के साथ हुआ था। कृतु और क्रिया से बाल-खिल्यादि साठ सहस्त्र ऋषि उत्पन्न हुये।
संख्या सिद्धांत (Number theory) सामान्यत: सभी प्रकार की संख्याओं के गुणधर्म का अध्ययन करता है किन्तु विशेषत: यह प्राकृतिक संख्याओं 1, 2, 3....के गुणधर्मों का अध्ययन करता है। पूर्णता के विचार से इन संख्याओं में हम ऋण संख्याओं तथा शून्य को भी सम्मिलित कर लेते हैं। जब तक निश्चित रूप से न कहा जाए, तब तक संख्या से कोई प्राकृतिक संख्या, धन, या ऋण पूर्ण संख्या या शून्य समझना चाहिए। संख्यासिद्धांत को गाउस (Gauss) गणित की रानी कहता था। संख्या सिद्धान्त, शुद्ध गणित की शाखा है।
खान ने वर्ष २००७ की शुरूआत सलाम ए इश्क फिल्म से की जो बॉक्स ऑफिस पर कुछ अच्छा न कर सकी। उनकी अगली रिलीज पार्टनर (Partner) ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कार्य किया और ब्लॉकबस्टर की छवि [१०]दिलवाई। इसके बाद वे हालीवुड की एक मुवी में Marigold: An Adventure in Indiaअमरीकी महिला कलाकार अली लार्टर (Ali Larter) के साथ दिखाई दिए। एक भारतीय आदमी और अमरीकी महिला की प्रेम कहानी बताने वाली यह फिल्म व्यापार और आलोचकों की दृष्टि से एक बड़ी असफलता रही।
शेष भारत के समान ही उत्तराखण्ड में हिन्दू बहुमत में हैं और कुल जनसंख्या का ८५% हैं, इसके बाद मुसलमान १२%, सिख २.५%, और अन्य धर्मावलम्बी ०.५% हैं। यहाँ लिंगानुपात प्रति १००० पुरुषों पर ९६४, और साक्षरता दर ७२.२८%[२१] है। राज्य के बड़े नगर हैं देहरादून (५,३०,२६३), हरिद्वार (२,२०,७६७), हल्द्वानी (१,५८,८९६), रुड़की (१,१५,२७८), और रुद्रपुर (८८,७२०)। राज्य सरकार द्वारा १५,६२० ग्रामों और ८१ नगरीय क्षेत्रों की पहचान की गई है।
पाठ्य तथा विधि
१९९२ में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को इस पुरस्कार से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया था। लेकिन उनकी मृत्यु विवादित होने के कारण पुरस्कार के मरणोपरान्त स्वरूप को लेकर प्रश्न उठाया गया था। इसीलिए भारत सरकार ने यह पुरस्कार वापस ले लिया। यह पुरस्कार वापस लिये जाने का यह एकमेव उदाहरण है|
गुरुओ के तलाब मे हनुमान सिन्ह राजपुरोहित द्वारा रजपुति,अम्रेला वेश सुन्दर बनाये जाते है जो सब से बधिया ओर फेस्नेबल होते है = उप्लब्धिया == जोधपुर को राजस्थान कि न्यायिक राज्धानि कहा जाता है, राजस्थान का उच्च न्यालय यहि स्थित है। आज यह शहर किसि भी क्षैत्र पिछे नहि है क्योकि यहा सभी केन्द्रिय एव राज्य विभाग उप्लब्ध है, यहा पुरे विश्व से जङ्ने के लिये अन्तराश्ट्रिय हवाइ अडडा भी मौजुद है, चर्चा मे रह् ने वलि थार एक्ष्प्रेस्स रेल गाङी ओर पेलेस ओन व्हिल जैसी शाही रेल गाङीया यही से शुरु होती है। पुरे राज्स्थान के प्रसिध विभाग जैसे मौसम विभाग, नार्कोटिक विभाग्, सी बी आइ, कस्टम्, वस्त्र मन्त्रालय आदि मौजुद है।
यूरोपीय संघ के न्यायिक प्रक्रिया का दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा यूरोपीय संसद होती है। यूरोपीय संसद के सदस्य के ७८५ सदस्य हर पांच वर्ष में यूरोपीय संघ की जनता द्वारा सीधे चुने जाते हैं। हलांकि इन सदस्यों का चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर होता है परंतु यूरोपीय संसद में वे अपनी राष्ट्रीयता के अनुसार न बैठकर दलानुसार बैठते हैं। हर सदस्य राष्ट्र के लिए सीटों की एक निश्चित संख्या आवंटित होती है। यूरोपीय संसद को संघ के विधायी शक्तियों के मामलों में यूरोपीय परिषद की तरह ही शक्तियां हासिल होती हैं और संसद वे संघ की खास विधायिकाओं को स्वीकृत या अस्वीकृत करने की शक्ति से लैस होते हैं। यूरोपीय संसद का अध्यक्ष न सिर्फ बाहरी मंचों पर संघ का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि यूरोपीय संसद के स्पीकर का भी दायित्व निभाता है। अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव यूरोपीय संसद के सदस्य हर ढा़ई साल के अंतराल पर करते हैं। [४०] कुछेक मामलों को छोडकर ज्यादातर मामलों में न्यायिक प्रक्रिया की शुरुआत करने का अधिकार युरोपियन कमीशन को होता है, ऐसा ज्यादातर रेग्यूलेशन, एवं संसद के अधिनियमों द्वारा किया जाता है जिसे सदस्य राष्ट्रों को अपने अपने देशों में लागू करने की बाध्यता होती है।[४१]
Victoria
इतिहास तथा नेता
१- मन्त्रीपरिषद के गठन का कार्य २- प्रमुख शासक ३- नीति निर्माता ४- ससद का नेता ५- विदेश निती का निर्धारक
आश्रमः श्रमणः क्शामः सुपर्णो वायुवाहनः ।।(९१)
उन्नसवीं बार भगवान ने सम्पूर्ण कलाओं से युक्त कृष्ण के रूप में अवतार लिया।
दिल्ली गोल्फ कोर्स दिल्ली का गोल्फ मैदान (कोर्स) है।
पर्व त्योहारों या विशेष उत्सव पर यहाँ घर में पूजागृह एवं भित्ति चित्र का प्रचलन पुराना है। १७वीं शताब्दी के आस-पास आधुनिक मधुबनी कला शैली का विकास माना जाता है। मधुबनी शैली मुख्‍य रुप से जितवारपुर (ब्राह्मण बहुल) और रतनी (कायस्‍थ बहुल) गाँव में सर्वप्रथम एक व्‍यवसाय के रूप में विकसित हुआ था। यहाँ विकसित हुए पेंटिंग को इस जगह के नाम पर ही मधुबनी शैली का पेंटिग कहा जाता है। इस पेंटिग में पौधों की पत्तियों, फलों तथा फूलों से रंग निकालकर कपड़े या कागज के कैनवस पर भरा जाता है। मधुबनी पेंटिंग शैली की मुख्‍य खासियत इसके निर्माण में महिला कलाकारों की मुख्‍य भूमिका है। इन लोक कलाकारों के द्वारा तैयार किया हुआ कोहबर, शिव-पार्वती विवाह, राम-जानकी स्वयंवर, कृष्ण लीला जैसे विषयों पर बनायी गयी पेंटिंग में मिथिला संस्‍कृति की पहचान छिपी है। पर्यटकों के लिए यहाँ की कला और संस्‍कृति खासकर पेंटिंग कौतुहल का मुख्‍य विषय रहता है। मैथिली कला का व्‍यावसायिक दोहन सही मायने में १९६२ में शुरू हुआ जब एक कलाकार ने इन गाँवों का दौरा किया। इस कलाकार ने यहां की महिला कलाकारों को अपनी पेंटिंग कागज पर उतारने के लिए प्रेरित किया। यह प्रयोग व्‍यावसायिक रूप से काफी कारगर साबित हुई। आज मधुबनी कला शैली में अनेकों उत्‍पाद बनाए जा रहे हैं जिनका बाजार फैलता ही जा रहा है। वर्तमान में इन पेंटिग्‍स का उपयोग बैग और परिधानों पर किया जा रहा है। इस कला की मांग न केवल भारत के घरेलू बाजार में बढ़ रही है वरन विदेशों में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। अन्य उत्पादों में कार्ड, परिधान, बैग, दरी आदि शामिल है।
प्रधानमन्त्री के कार्य
गूगल के उन्नत खोज वेब के फॉर्म में कई अतिरिक्त क्षेत्र दिए गये हैं, जिनसे खोज करने वालों को प्रथम पुनः प्राप्ति की तारीख जैसी श्रेणी के जरिये खोज की अर्हता प्राप्त होती है. सभी उन्नत प्रश्न आमतौर पर अतिरिक्त योग्य शब्दों के रूप में नियमित प्रश्नों में बदल जाते हैं.
माण्डूक्योपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
मॉरीशस गणराज्य( अंग्रेज़ी: Republic of Mauritius, फ़्रांसीसी : République de Maurice), अफ्रीकी महाद्वीप के तट के दक्षिणपूर्व में लगभग 900 किलोमीटर की दूरी पर हिंद महासागर मे और मेडागास्कर के पूर्व मे स्थित एक द्वीपीय देश है। मॉरीशस द्वीप के अतिरिक्त इस गणराज्य मे, सेंट ब्रेंडन, रॉड्रीगज़ और अगालेगा द्वीप भी शामिल हैं. दक्षिणपश्चिम मे 200 किलोमीटर पर स्थित फ्रांसीसी रीयूनियन द्वीप और 570 किलोमीटर उत्तर पूर्व मे स्थित रॉड्रीगज़ द्वीप के साथ मॉरीशस मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है। मारीशस की संस्कृति, मिश्रित संस्कृति है, जिसका कारण पहले इसका फ्रांस के आधीन होना तथा बाद मे ब्रिटिश स्वामित्व मे आना है। मॉरीशस द्वीप विलुप्त हो चुके डोडो पक्षी के अंतिम और एकमात्र घर के रूप में भी विख्यात है।
यह कोलकाता का टीम है। इसका कप्टान सौरव गांगुली एवम ब्रेन्दन मैक्कलम है।
1515-1633? Julfar (Ras al-Khaimah)
एक्स्पेस-मार्ग राजधानी को वृहद्तर टोक्यो क्षेत्र के अन्य बिन्दुओं से जोड़ते हैं, जैसे कान्तो क्षेत्र, और क्युशु और शिकोकू द्वीप।
समुद्र तल से 2440 मी. की ऊंचाई पर स्थित यह जंगल बहुत ही घना है। विभिन्न प्रकार के पक्षियों को देखने के लिए यह जगह बिल्कुल उपयुक्त है। यहां की खूबसूरती भी देखते ही बनती है। जो पर्यटक यहां रात भर रुकना चाहते हैं उनके लिए एक रेस्ट हाउस भी है। यहां ठहरने के लिए डलहौजी में आरक्षण कराना होता है। इस जंगल के पास ही लक्कड़ मंडी है।
कल्कि पुराण के अनुसार परशुराम, भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के गुरु होंगे और उन्हें युद्ध की शिक्षा देंगे। वे ही कल्कि को भगवान शिव की तपस्या करके उनके दिव्यास्त्र को प्रप्त करने के लिये कहेंगे।
बोल्शेविक दल रूस के कई समाजवादी दलों में से एक था। 1917 की विशेष परिस्थितियों में इसको सफलता प्राप्त हुई। रूसी समाजवाद की पार्श्वभूमि अन्य यूरोपीय समाजवादों की स्थिति से भिन्न थी। रूसी साम्राज्य यूरोप के अग्रणी देशों से उद्योग धंधों में पिछड़ा हुआ था, अत: यहाँ मजदूर वर्ग बहुसंख्यक और अधिक प्रभावशाली न हो सका। यहाँ लोकतंत्रात्मक शासन और व्यक्तिगत स्वाधीनताओं का भी अभाव था। रूसी बुद्धिजीवी और मध्यमवर्ग इनके लिए इच्छुक था पर जारशाही दमननीति के कारण इनकी प्राप्ति का संवैधानिक मार्ग अवरुद्धप्राय था। इन परिस्थितियों से प्रभावित वहाँ के प्रथम समाजवादी रूस के ग्रामीण कम्यून (समुदाय) को अपने विचारों का आधार मानते थे तथा क्रांतिकारी मार्ग द्वारा जारशाही का नाश लोकतंत्रवाद की सफलता के लिए प्रथम सोपान समझते थे। उन विचारकों में हर्जेन (Herzen), लावरोव (Lavrov), चर्नीशेव्सकी (Chernishevrzky) और बाकुनिन (Bakunin) मुख्य हैं। इनसे प्रभावित होकर अनेक बुद्धिजीवी क्रांति की ओर अग्रसर हुए। इस प्रकार नरोदनिक (Narodnik) जन आंदोलन की नींव पड़ी तथा नारोदन्या वोल्या (Narodnya Volya, जनेच्छा) संगठन बना। सन् 1901 में इसका नाम सामाजिक क्रांतिकारी (Social Revolutionary Party) रखा गया। सन् 1917 की बोल्शेविक क्रांति के समय तक यह रूस का सबसे बड़ा समाजवादी दल था, परंतु इसका प्रभावक्षेत्र अधिकांशत: ग्रामीण जनता थी। इसके वाम पक्ष ने बोल्शेविक क्रांति का समर्थन किया।
यांगून म्यानमार देश की पुराना राजधानी है। इसका पुराना नाम रंगून था।
राजधानी
हिन्दी कवि और लेखक
(17). एक चतुर्युगी का दशांश को क्रमशः चार, तीन, दो और एक से गुणा करने पर कॄतयुग और अन्य युगों की अवधि मिलती है. इन सभी का छठा भाग इनकी उषा और संध्या होता है.
यूरोपीय संघ की अध्यक्षता का कार्य हर सदस्य देश के जिम्मे रोटेटिंग आधार पर छह महीने के लिए आता है, इस दौरान यूरोपियन काउंसिल एवं काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स के हर बैठक की जिम्मेवारी उस सदस्य राष्ट्र पर होती है। [३९] अध्यक्षता के दौरान अध्यक्ष राष्ट्र अपने खास एजेंडों पर ध्यान देता है जिसमे आम तौर पर आर्थिक एजेंडा, यूरोपीय संघ में सुधार एवं संघ के विस्तार एवं एकीकरण के मुद्दे खास होते हैं।
स्फटिक शिला से लगभग 4 किमी. की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकान्त आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्री मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेयय और दुर्वाशा मुनी की प्रतिमा स्थापित हैं।
1. एक राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राज्य के मुख्यमंत्री की सलाह के बाद ही राष्ट्रपति करे
पुराण के अनुसार यदुकुल के राजा।
अहिंसात्मक कार्य उनका यह कर्तव्य होगा कि वे विजय दिलाने वाले समुदायों को एकजुट करें जिसमें शांति का प्रसार, तथा ऐसी गतिविधियों का समावेश हो जो किसी भी व्यक्ति को उसके चर्च अथवा खंड में संपर्क बनाए रखते हुए अपने साथ मिला लें। इस प्रकार की सैना को किसी भी आपात स्थिति से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए तथा भीड़ के क्रोध को शांत करने के लिए उसके पास मरने के लिए सैनिकों की पर्याप्त नफरी भी होनी चाहिए;;;;;;सत्याग्रह (सत्यबल) के बिग्रेड को प्रत्येक गांव तथा शहर तक भवनों के प्रत्येक ब्लॉक में संगठित किया जा सकता हैयदि अहिंसात्मक समाज पर हमला किया जाता है तब अहिंसा के दो मार्ग खुलते हैं। अधिकार पाने के लिए हमलावर से सहयोग न करें बल्कि समर्पण करने की अपेक्षा मृत्यु को गले लगाना पसंद करें। दूसरा तरीका होगा ऐसी जनता द्वारा अहिंसक प्रतिरोध करना हो सकता है जिन्हें अहिंसक तरीके से प्रशिक्षित किया गया हो ...इस अप्रत्याशित प्रदर्शन की अनंत राहों पर आदमियों और महिलाओं को हमलावर की इच्छा लिए आत्मसमर्पण करने की बजाए आसानी से मरना अच्छा लगता है और अंतंत: उसे तथा उसकी सैनिक बहादुरी के समक्ष पिघलना जरूर पड़ता है;;;;। ऐसे किसी देश अथवा समूह जिसने अंहिंसा को अपनी अंतिम नीति बना लिया है उसे परमाणु बम भी अपना दास नहीं बना सकता है। उस देश में अहिंसा का स्तर खुशी-खुशी गुजरता है तब वह प्राकृतिक तौर पर इतना अधिक बढ़ जाता है कि उसे सार्वभोमिक आदर
कोटा जंक्शन निजामुद्दीन-उदयपुर एक्सप्रेस के माध्यम से दिल्ली से जुड़ा हुआ है। मुम्बई अगस्त क्रान्ति और त्रिवेन्द्रम राजधानी सुपरफास्ट ट्रेनों से भी कोटा पहुंचा जा सकता है। जयपुर से जयपुर-कोटा फास्ट पेसेन्जर और जयपुर- बॉम्बे सेन्ट्रल सुपरफास्ट ट्रैनों से कोटा जाया जा सकता है।
२७४ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग जम्मू और कश्मीर में बटोटे को खानाबल से जोड़ता है। इसका रूट बटोटे - दोडा - किस्त्वर - सिंथन पास – खानाबल है।
इसी प्रकार प्राचीन भारत के महाजनपद कम्बोजों से भी इनका सम्बंध लगाया जाता है । यवन (ग्रीक), जोकि उत्तर पश्चिम भारत में कम्बोजों के पड़ोसी थे, से भी इनका व्यापारिक सम्बंध था और उनके व्यापारिक उपनिवेश भी इन क्षेत्रों में थे - खासकर अनुराधपुरा के इलाके में ।
लिथुआनिया यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है । पहले ये सोवियत संघ का हिस्सा था ।
भ्राजिष्णुर-भोजनं भोक्ता सहिष्णुर-जगदादिजः ।
The Santiago Metro has five operating lines. Two subway lines (Line 4 and 4A) and an extension of Line 2 were inaugurated during late 2005 and 2006. The system is under expansion, and extensions are going to be built on Lines 1 and 5 throughout 2009.
भारत के राष्ट्रपति नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में रहते हैं, जिसे रायसीना हिल के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रपति अधिकतम दो कार्यकाल तक हीं पद पर रह सकते हैं। अब तक केवल पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने हीं इस पद पर दो कार्यकाल पूरा किया है।
रिकॉर्ड योग्य DVD का अब उपभोक्ता ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए भी प्रयोग किया जाता है. तीन फ़ॉर्मेट विकसित किये गए: DVD-R/RW (हाइफन), DVD+R/RW (प्लस), और DVD-RAM.
19वीं शती के उत्तरार्ध के प्रतिनिधि लेखक निम्नलिखित हैं : यरोस्लाव व्ररिव्ललत्स्की (1853-1912) के विशाल कृतित्व ने आधुनिक चेक कविता के लिये नवीन मार्ग खोले। उनकी अनेक कविताएँ सार्वभौम मनुष्यता के प्रति सहानुभूति अभिव्यक्त करती हैं। अत्यंत सफल कवि के रूप में व्ररिव्ललत्स्की छंदों में सुधार तथा पूर्णता के लिये प्रयत्नशील रहे। अन्य कवि स्वतोप्लुक चेख (1846-1908) की रचनाएँ प्रबल देशभक्तिपूर्ण भावनाओं और सामाजिक तत्वों से ओतप्रोत हैं। कवि योसेफ वात्स्लाव स्लादेक (1845-1912) की काव्यभाषा को अद्भुत स्वच्छता प्राप्त हुई है। उसकी बाल कविताएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। लेखक और कवि युलिउस जेयेर (1841-1901) ने अपने महाकाव्यों में पुरातन चेक इतिहास और विख्यात घटनाओं का बहुधा उल्लेख किया। उसने अपनी रचनाओं के प्रसगं विशेषतया प्राच्य देशों की सभ्यता से ग्रहण किए हैं। अन्य चेक कवि जो पूर्वी चेतना और भावों से अधिक से अधिक प्रभावित था, ओतकार ब्रेजिना (1867-1929) था। काव्यमय अभिव्यक्ति का धनी यह चेक कवि रहस्यात्मक काव्यों का प्रधान तथा प्राय: एकमात्र कवि है।
भाषाविद और इतिहासकार ऋग्वेद संहिता को पूरी दुनिया कि सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक मानते हैं ।
मणिमुतार नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं । यह पश्चिमी घाट से निकलती है।
गोरखनाथ' या गोरक्षनाथ जी महाराज ११वी से १२वी शताब्दी के नाथ योगी थे। गुरु गोरखनाथ जी ने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की। गोरखनाथ जी का मन्दिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर मे स्थित है। गोरखनाथ के नाम पर इस जिले का नाम गोरखपुर पडा है।
डुगावा नदी पर तीन पनबिजली बांध हैं - रीगास एचईएस जो रीगा से थोड़ा ऊपर को या नदी उदग्म से ३५ किमी पर है, कीगम्स एचपीपी जो नदीमुख से ७० किमी पर है, और तीसरा प्लाविनास एचपीपी जो नदीमुख से १०७ किमी पर स्थित है। एक चौथा बांध, डौगावपिल्स एचईएस की योजना बनाई गई है लेकिन इसे बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा है। बेलारूस वर्तमान में डुगावा नदी के बेलारूसी भाग में कई पनबिजली बांधों के निर्माण की योजना बना रहा है।
27-33 सात हविर्यज्ञ,
फोटोनसूर्य से निकलकर,जो 9.3 अरब मील दूर है, असीम ऊर्जा लेकर, जीवन की आस लेकर, प्यारकी बहार लेकर, खुशियों की सौगात लेकर आते हैं, अपनी लय, ताल व आवृत्ति बदल करइलेक्ट्रोन, जो अपने कक्ष में निश्चित आवृत्ति पर सदैव परिक्रमा करते रहते हैं, कीओर आकर्षित होते हैं, साथ मिल कर नृत्य करते हैं और तब पूरा कक्ष समान आवृत्ति मेंदिव्य गुंजन करता है और असीम सौर ऊर्जा का प्रवाह होता है। यही है जीवन का असलीफलसफा, प्रेम का उत्सव, यही है प्रकृति का संगीत। यही है फोटोन रूपी सूर्य औरइलेक्ट्रोन रूपी चंद्र का पारलौकिक गंधर्व विवाह, यही है शिव और पार्वति का तांण्डवनृत्य, यही है विष्णु और लक्ष्मी की रति क्रीड़ा, यही है कृष्ण और राधा का अनंत, असीम प्रेम।
सिंध के तीन भौगोलिक भाग माने जाते हैं-1. सिरो (शिरो भाग), 2. विचोली (बीच का) और 3. लाड़ (सं. लाट प्रदेश, नीचे का)। सिरो की बोली सिराइकी कहलाती है जो उत्तरी सिंध में खैरपुर, दादू, लाड़कावा और जेकबाबाद के जिलों में बोली जाती है। यहाँ बलोच और जाट जातियों की अधिकता है, इसलिए इसको बरीचिकी और जतिकी भी कहा जाता है। दक्षिण में हैदराबाद और कराची जिलों की बोली लाड़ी है और इन दोनों के बीच में विचोली का क्षेत्र है जो मीरपुर खास और उसके आसपास फैला हुआ है। विचोली सिंध की सामान्य और साहित्यिक भाषा है। सिंध के बाहर पूर्वी सीमा के आसपास थड़ेली, दक्षिणी सीमा पर कच्छी, और पश्चिमी सीमा पर लासी नाम की सम्मिश्रित बोलियाँ हैं। धड़ेली (धर उ थल उ मरुभूमि) जिला नवाबशाह और जोधपुर की सीमा तक व्याप्त है जिसमें मारवाड़ी और सिंधी का सम्मिश्रण है। कच्छी (कच्छ, काठियावाड़ में) गुजराती और सिंधी का एवं लासी (लासबेला, बलोचिस्तान के दक्षिण में) बलोची और सिंधी का सम्मिश्रित रूप है। इन तीनों सीमावर्ती बोलियों में प्रधान तत्व सिंधी ही का है। भारत के विभाजन के बाद इन बोलियों के क्षेत्रों में सिंधियों के बस जाने के कारण सिंधी का प्राधान्य और बढ़ गया है। सिंधी भाषा का क्षेत्र 65 हजार वर्ग मील है।
औद्योगिक पैमाने के पशु फार्मिंग में पशुओं की निकटता से रोग संक्रमण की दर में वृद्धि हुई है.[उद्धरण वांछित] मानव में इन्फ्लूएंजा के वायरस के संक्रमण के प्रमाण दर्ज हो चुके हैं, लेकिन ऐसे मामलों में हुई बीमारियों की तुलना अब मानव द्वारा अनुकूलित हो चुके आम पुराने इन्फ्लूएंजा वायरस के साथ कभी-कभार ही होती है,[१०४] जो बिमारी बहुत पहले भूतकाल में पशुओं से मनुष्यों में संक्रमित हुई.[nb ३][१०६][१०७][१०८] पहला मामला 1959 में दर्ज किया गया था, और 1998 में, H5N1 इन्फ्लूएंजा के 18 नए मामलों का निदान किया गया, जिनमें से छः लोगों की मृत्यु हो गयी. 1997 में हांगकांग में H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा के और अधिक मामले मुर्गियों में पाए गये.[१०४]
अर्देशिर रुत्तनजी वाडिया को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये महाराष्ट्र से हैं।
धर्म • हिन्दू धर्म • इस्लाम धर्म • ईसाई धर्म • सिख धर्म • रोमन धर्म • बौद्ध धर्म • जैन धर्म • यहूदी धर्म • ईश्वर • देवी-देवता • नास्तिकता
ऑस्ट्रेलिया नाम मैथ्यू फ्लिनडेर्स द्वारा मशहूर हुआ,जिन्होंने 1804 के करीब इसे औपचारिक तौर पर अपनाने के लिए दबाव डाला.जब वह अपनी पाण्डुलिपि और चार्ट अपनी किताब 1814 ए वोयज टू टेरा ऑस्ट्रैलिस (A Voyage to Terra Australis) के लिए तैयार कर रहे थे तब वे अपने सहयोगी सर जोसफ बैंक्स द्वारा टेर्रा ऑस्ट्रैलिस शब्द का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किये गए क्योंकि ये जनता के लिए सबसे परिचित शब्द था.फ्लिनडेर्स ने भी ऐसा ही किया पर एक टिप्पणी के साथ:साँचा:Quote "क्या मैं अपने आप को मौलिक शब्द से किसी नवरचना को अनुमति दूँ, यह होगा इसे ऑस्ट्रेलिया में बदलना,जो कानों को सुनने में ज्यादा अच्छा लगे और पृथ्वी के दूसरे महान भू-भागो का सम्मिलन हो", उस व्याखान में यही एक मात्र संयोग ऑस्ट्रेलिया शब्द का था लेकिन परिशिष्ट III,"रॉबर्ट ब्राउन के सामान्य टिप्पणी, भौगोलिक और व्यवस्थित, टेर्रा ऑस्ट्रैलिस का वनस्पति विज्ञान" में ब्राउन ने विशेषण रूप 'आस्ट्रेलियन ' का लगातार प्रयोग किया है, [१५]यह उस रूप का पहला जाना हुआ प्रयोग था. [१६]लोकप्रिय धारणा के बावजूद किताब नाम धारण करने में सहायक नहीं बनी, यह नाम अगले दस वर्षो में धीरे-धीरे सामने आया.[१७]
कराची मैं कई सनअती ज़ुन वाकिअ हैं जन मैं कपड़े, अदवीआत, धातों और आटो मुबाइल की सनातें बुनिआदी अहिमीअत की हामल हैं। मज़ीद बुरिआं कराची मैं इक नुमाइस़ी मरकज़ इकसपो सैंटर भी है जिस मैं कई इलाकाई व बिन अलाकवामी नमाइस़ें मुनअकिद होती हैं। टवीवटा और सोज़ोकी मोटरज़ के कारख़ाने भी कराची मैं काइम हैं। इस सनात से मतालिक दिगर इदारों मैं मलत टरैकटरज़, आदम मोटर कपनी और हीनो पाक के कारख़ाने भी यहीं मौजूद हैं। गाड़ीउं की तिआरी का स़ुअबा पाकिसतान मैं सब से ज़िआदा तेज़ी से अभरती हवा सनअती स़ुअबा है जिस का मरकज़ कराची है।
In other English speaking countries, it would be extremely unlikely to class films made in the U.S. as foreign films, or belonging to World cinema, as American films are reasonably dominant in all English-language markets.
मद्रास नाम मद्रासपट्नम से लिया गया है। मद्रासपट्नम ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा सन् १६३९ में चुना गया स्थायी निवास स्थल है। इसके दक्षिण में चेन्नपट्नम नामक गाँव स्थित था। कुछ समय बाद इन दोनों गाँवों के संयोग से मिलकर बने शहर को "मद्रास" नाम दिया गया। परन्तु उसी जगह के निवासी इसे "चेन्नपट्नम" या "चेन्नपुरी" कहते थे। सन् १९९६ में शहर का नाम बदल कर "चेन्नै" रखा गया (हिन्दी में "चेन्नई" भी लिखा जाता है), क्योंकि "मद्रास" शब्द को पुर्तगी नाम माना जाता था। यह माना जाता है कि इस शहर का पुर्तगी नाम "माद्रे-डि-सॉइस" नामक पुर्तगी सरकारी अफ़सर के नाम से लिया गया था, जो लगभग सन् १५५० में इस जगह को अपने स्थायी निवास बनाने वाले पहले लोगों में शामिल थे। पर कुछ लोग यह मानते हैं कि "मद्रास" शब्द ही तमिल मूल का है, तथा "चेन्नई" शब्द किसी अन्य भाषा का हो सकता है।
नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाएँ अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।
• अन्य...
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मोबाइल फ़ोन या मोबाइल (इसे सेलफोन और हाथफोन भी बुलाया जाता है,[१] या सेल फोन , सेलुलर फोन , सेल , वायरलेस फोन , सेलुलर टेलीफोन , मोबाइल टेलीफोन या सेल टेलीफोन ) एक लंबी दूरी का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसे विशेष बेस स्टेशनों के एक नेटवर्क के आधार पर मोबाइल आवाज या डेटा संचार के लिए उपयोग करते हैं इन्हें सेल साइटों के रूप में जाना जाता है.मोबाइल फोन, टेलीफोन, के मानक आवाज कार्य के अलावा वर्तमान मोबाइल फोन कई अतिरिक्त सेवाओं और उपसाधन का समर्थन कर सकते हैं, जैसे की पाठ संदेश के लिए SMS, ईमेल, इंटरनेट के उपयोग के लिए पैकेट स्विचिंग, गेमिंग, ब्लूटूथ, इन्फ़रा रेड, वीडियो रिकॉर्डर के साथ कैमरे और तस्वीरें और वीडियो भेजने और प्राप्त करने के लिए MMS, MP3 प्लेयर, रेडियो और GPS. अधिकांश वर्तमान मोबाइल फोन, बेस स्टेशनों (सेल साइटों) के एक सेलुलर नेटवर्क से जुड़ते हैं, जो बदले में सार्वजनिक टेलीफोन स्विचित नेटवर्क (PSTN) से जुड़ता है (सॅटॅलाइट फोन इसका अपवाद है).
औरैया भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है ।
डेल्फी फोनेबस अपोलो (Phoebus Apollo) के एक प्रमुख मंदिर, व साथ ही पाइथियन गेम्स तथा प्रसिद्ध पूर्व ऐतिहासिक ऑरेकल का एक स्थल बन गया. यहां तक कि रोमन काल में भी, मन्नत की सैकड़ों मूर्तियां बचीं रहीं, जिनका वर्णन प्लाइनी द यंगर (Pliny the Younger) ने किया और जिन्हें पॉसेनियस (Pausanias) द्वारा देखा गया था. ऐसा माना जाते है कि मंदिर में तीन वचन:γνωθι σεαυτόν (gnōthi seautón = "स्वयं को जानो") और μηδέν άγαν (mēdén ágan = "अधिकता में कुछ नहीं "), और Εγγύα πάρα δ'ατη (engýa pára d'atē = "एक शपथ लो और हानि निकट है "),[७] तथा साथ ही एक बड़ा वर्ण E उकेरे गये थे.[८] अन्य वस्तुओं में एप्सिलोन अंक 5 का प्रतीक है. “डेल्फी में बने E (E at Delphi)” के अर्थ के बारे में प्लुटार्क (Plutarch) का निबंध इस शिलालेख के बारे में एकमात्र साहित्यिक स्रोत है. प्राचीन काल में, इन वचनों का मूल ग्रीस के सात विद्वानों (Seven Sages of Greece) में से एक या अनेक को माना जाता था,[९] हालांकि प्राचीन व साथ ही आधुनिक विद्वानों ने ऐसे आरोपणों की वैधता पर संदेह जाहिर किया है.[१०] विद्वानों के एक जोड़े के अनुसार, “डेल्फियाई मंदिर पर बने तीन वचनों के वास्तविक लेखकत्व को अनिश्चित छोड़ा जा सकता है. सर्वाधिक संभावना इस बात की है कि वे लोकप्रिय मुहावरे थे, जिनका श्रेय बाद में विशिष्ट विद्वानों को दे दिया गया." [११]
1993 में सरकार ने 1, 10 और 50 तैय्यिन नोट और कज़ाख़िस्तान बैंक ने 1, 5 और 20 सोम के नोट जारी किए। 1994 में कज़ाखिस्तान बैंक ने 1, 5, 10, 20, 50 और 100 मूल्यवर्ग के सोम नोटों की दूसरी श्रृंखला जारी की। 1997 के बाद से 1, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500 और 1000 सोम मूल्यवर्ग के नोटों की तीसरी श्रृंखला जारी की गई। 2009 में किर्गिज़स्तान बैंक ने 20, 50 और 100 सोम के अलावा 5000 मूल्यवर्ग का सोम जारी किया।
छोटौ बड़ौ कछू नहिं देख्यौ, छाइ रह्यौ अभियान।
Copper tube.
कोस्टा रीका ३२ .
यूरोपीय संघ के गठन के लिए 2004 में रोम में एक संधि पर हस्ताक्षर किए गये जिसका उद्देश्य पिछले सभी संधियों को नकार कर एकीकृत कर एकल दस्तावेज तैयार करना था। लेकिन ऐसा कभी संभव न हो सका क्योंकि इस उद्देश्य के लिए कराए गये जनमत सर्वेक्षण में फ्रांसिसी एवं डच मतदाताओं ने इसे नकार दिया। 2007 में एक बार फिर लिस्बन समझौता हुआ जिसमें पिछली संधियों को बगैर नकारे हुए उनमें सुधार किए गये। इस संधि की प्रभावी तिथि जनवरी 2009 में तय की गयी है, जब इस संधि के प्रावधानों को पूरी तरह लागू किया जाएगा।
११. सम प्रॉब्लम्स ऑफ लाइफ - १९००
अद्वयतारकोपनिषद शुक्ल यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है
इसी कालावधि में मैथिल कोकिल विद्यापति हुए जिनकी पदावली में मानवीय सौंदर्य ओर प्रेम की अनुपम व्यंजना मिलती है। कीर्तिलता और कीर्तिपताका इनके दो अन्य प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। अमीर खुसरो का भी यही समय है। इन्होंने ठेठ खड़ी बोली में अनेक पहेलियाँ, मुकरियाँ और दो सखुन रचे हैं। इनके गीतों, दोहों की भाषा ब्रजभाषा है।
एक १९७६ के ग्राउंड ब्रेकिंग पेपर में वाईटफील्ड डिफ्फी (Whitfield Diffie) और मार्टिन हेलमैन (Martin Hellman) ने सार्वजानिक कुंजी (अधिक सामान्य रूप से यह असममित कुंजी कहलाती है )क्रिप्टोग्राफ़ी की धारणा को प्रस्तावित किया. जिसमें दो अलग लेकिन गणितीय रूप से सम्बंधित कुजियों का प्रयोग किया जाता है; एक सार्वजनिक कुंजी और निजी कुंजी.[१७] सार्वजनिक कुंजी को इस प्रकार से बनाया गया है कि एक कुंजी (निजी कुंजी )कि गणना दूसरी (सार्वजनिक कुंजी )से अव्यवहारिक है. फ़िर भी वे आवश्यक रूप से सम्बंधित हैं.इसके बजाय ,दोनों कुंजियों को गुप्त रूप से, एक असंबंधित जोड़े के रूप में उत्पन्न किया गया है.[१८] इतिहासकार डेविड कहन (David Kahn) ने सार्वजानिक कुंजी क्रिप्टो ग्राफी को "पुनर्जागरण में उत्पन्न एक बहुवर्णी प्रतिस्थापन से लेकर क्षेत्र में एक नई सर्वाधिक क्रन्तिकारी अवधारणा "के रूप में वर्णित किया है.[१९]
कुमारगुप्त- यह उत्तर गुप्त वंश का चौथा राजा था जो जीवित गुप्त का पुत्र था । यह शासक अत्यन्त शक्‍तिशाली एवं महत्वाकांक्षी था । इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की । उसका प्रतिद्वन्दी मौखरि नरेश ईशान वर्मा समान रूप से महत्वाकांक्षी शासक था । इस समय प्रयाग में पूष्यार्जन हेतु प्राणान्त करने की प्रथा प्रचलित थी ।
म्यान्मार क्याट म्यान्मार की मुद्रा का नाम है। इसे संक्षेप मे अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन के अक्षर "K" के माध्यम द्वारा लिखा जाता है, तथा इसे नोट के अंकीय मूल्य से पूर्व लिखा जाता है। उदाहरण के लिये ३५ क्यात को K ३५ से दर्शाया जाता है।
मध्यप्रदेश-456039
अध्वर्यु- यजुर्वेद का पाठ करने वाला।
3.
तेईस लाख सक्रीय सैनिकों के साथ, चीनी मुक्ति सेना विश्व की सबसे बड़ी पदवीबल सेना है। चीमुसे के अन्तर्गत थलसेना, नौसेना, वायुसेना, और रणनीतिक नाभिकीय बल सम्मिलित हैं। देश का आधिकारिक रक्षा व्यय ७० अरब अमेरिकी $ है। हालांकि संराअमेरिका का दावा है कि चीन अपने वास्तविक सैन्य व्यय को गुप्त रखता है। संराअमेरिका की एक संस्था का अनुमान है कि २००८ का चीनी रक्षा व्यय १०५ से १५० अरब अमेरिकी $ के बीच में कहीं है।
अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है:
यह भी देखें: रंगभेद, तियननमेन चौक का प्रदर्शन १९८९, अफ्रीकी-अमरीकी नागरिक अधिकार आंदोलन
सन् 3100 ईसापूर्व से लेकर 100 ईसापूर्व तक यह प्रचीन तमिळ का एक स्थानीय रूप थी । ईसा पूर्व प्रथम सदी से इस पर संस्कृत का प्रभाव हुआ । तीसरी सदी से लेकर पन्द्रहवीं सदी के मध्य तक मलयालम का मध्यकाल माना जाता है । इस काल में जैनियों ने भी भाषा को प्रभावित किया । आधुनिक काल में सन् 1795 में परिवर्तन आया जब इस राज्य पर अंग्रेजी शासन पूर्णरूपेण स्थापित हो गया ।
पर्यावरण विज्ञान (Environmental Science)
2. यहाँ प्रक्रिया संहिता/साक्ष्य एक्ट नहीं लागू होते
निर्देशांक: 30°17′N 78°59′E / 30.28, 78.98
सत्याग्रह में स्वयं कष्ट उठाने की बात है। सत्य का पालन करते हुए मृत्यु के वरण की बात है। सत्य और अहिंसा के पुजारी के शस्त्रागार में "उपवास' सबसे शक्तिशाली शस्त्र है। जिसे किसी रूप में हिंसा का आश्रय नहीं लेता है, उसके लिए उपवास अनिवार्य है। मृत्यु पर्यंत कष्ट सहन और इसलिए मृत्यु पर्यत उपवास भी, सत्याग्रही का अंतिम अस्त्र है।' परंतु अगर उपवास दूसरों को मजबूर करने के लिए आत्मपीड़न का रूप ग्रहण करे तो वह त्याज्य है : आचार्य विनोबा जिसे सौम्य, सौम्यतर, सौम्यतम सत्याग्रह कहते हैं, उस भूमिका में उपवास का स्थान अंतिम है।
११. पालकिगुण्क- यह गोविमठ की चार मील की दूरी पर है ।
इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया । सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया तो इसे पाँचवीं बार गिराया गया । मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः 1706 में गिरा दिया । इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया ।
सरकार अपनी प्रत्‍येक भूल चूक के लिए संसद के प्रति और संसद के द्वारा लोगों के प्र‍ति उत्तरदायी होती है। सदन के सदस्‍य इस अधिकार का प्रयोग, अन्‍य बातों के साथ साथ, संसदीय प्रश्‍नों के माध्‍यम से करते हैं। संसद सदस्‍यों को लोक महत्‍व के मामलों पर सरकार के मंत्रियों से जानकारी प्राप्‍त करने के लिए पूछने का अधिकार होता है।जानकारी प्राप्‍त करना प्रत्‍येक गैर-सरकारी सदस्‍य का संसदीय अधिकार है। संसद सदस्‍य के लिए लोगों के प्रतिनिधि के रूप में यह आवश्‍यक होता है कि उसे अपनी जिम्‍मेदारियों के पालन के लिए सरकार के क्रियाकलापों के बारे में जानकारी हो। प्रश्‍न पूछने का मूल उद्देश्‍य लोक महत्‍व के किसी मामले पर जानकारी प्राप्‍त करना और तथ्‍य जानना है।
हालांकि दुलाल दत्ता राय के नियमित फ़िल्म संपादक थे, राय अक्सर संपादन के निर्णय ख़ुद ही लेते थे, और दत्ता बाकी काम करते थे। वास्तव में आर्थिक कारणों से और राय के कुशल नियोजन से संपादन अक्सर कैमरे पर ही हो जाता था। शुरु में राय ने अपनी फ़िल्मों के संगीत के लिए लिए रवि शंकर, विलायत ख़ाँ और अली अक़बर ख़ाँ जैसे भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञों के साथ काम किया, लेकिन राय को लगने लगा कि इन संगीतज्ञों को फ़िल्म की अपेक्षा संगीत की साधना में अधिक रुचि है।[३९] साथ ही राय को पाश्चात्य संगीत का भी ज्ञान था जिसका प्रयोग वह फ़िल्मों में करना चाहते थे। इन कारणों से तीन कन्या (তিন কন্যা) के बाद से फ़िल्मों का संगीत भी राय ख़ुद ही रचने लगे। राय ने विभिन्न पृष्ठभूमि वाले अभिनेताओं के साथ काम किया, जिनमें से कुछ विख्यात सितारे थे, तो कुछ ने कभी फ़िल्म देखी तक नहीं थी।[४०] राय को बच्चों के अभिनय के निर्देशन के लिए बहुत सराहा गया है, विशेषत: अपु एवं दुर्गा (पाथेर पांचाली), रतन (पोस्टमास्टर) और मुकुल (सोनार केल्ला)। अभिनेता के कौशल और अनुभव के अनुसार राय का निर्देशन कभी न के बराबर होता था (आगन्तुक में उत्पल दत्त) तो कभी वे अभिनेताओं को कठपुतलियों की तरह प्रयोग करते थे (अपर्णा की भूमिका में शर्मिला टैगोर)।[४१]
गंगा नदी विश्व भर में अपनी शुद्धीकरण क्षमता के कारण जानी जाती है। लंबे समय से प्रचलित इसकी शुद्धीकरण की मान्यता का वैज्ञानिक आधार भी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। नदी के जल में प्राणवायु (ऑक्सीजन) की मात्रा को बनाए रखने की असाधारण क्षमता है। किंतु इसका कारण अभी तक अज्ञात है। एक राष्ट्रीय सार्वजनिक रेडियो कार्यक्रम के अनुसार इस कारण हैजा और पेचिश जैसी बीमारियाँ होने का खतरा बहुत ही कम हो जाता है, जिससे महामारियाँ होने की संभावना बड़े स्तर पर टल जाती है।[२१] लेकिन गंगा के तट पर घने बसे औद्योगिक नगरों के नालों की गंदगी सीधे गंगा नदी में मिलने से गंगा का प्रदूषण पिछले कई सालों से भारत सरकार और जनता की चिंता का विषय बना हुआ है। औद्योगिक कचरे के साथ-साथ प्लास्टिक कचरे की बहुतायत ने गंगा जल को भी बेहद प्रदूषित किया है। वैज्ञानिक जांच के अनुसार गंगा का बायोलाजिकल ऑक्सीजन स्तर ३ डिग्री (सामान्य) से बढ़कर ६ डिग्री हो चुका है। गंगा में २ करोड़ ९० लाख लीटर प्रदूषित कचरा प्रतिदिन गिर रहा है। विश्व बैंक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर-प्रदेश की १२ प्रतिशत बीमारियों की वजह प्रदूषित गंगा जल है। यह घोर चिन्तनीय है कि गंगा-जल न स्नान के योग्य रहा, न पीने के योग्य रहा और न ही सिंचाई के योग्य। गंगा के पराभव का अर्थ होगा, हमारी समूची सभ्यता का अन्त।[२२] गंगा में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए घड़ियालों की मदद ली जा रही है।[२३] शहर की गंदगी को साफ करने के लिए संयंत्रों को लगाया जा रहा है और उद्योगों के कचरों को इसमें गिरने से रोकने के लिए कानून बने हैं। इसी क्रम में गंगा को राष्ट्रीय धरोहर भी घोषित कर दिया गया है और गंगा एक्शन प्लान व राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना लागू की गई हैं। हांलांकि इसकी सफलता पर प्रश्नचिह्न भी लगाए जाते रहे हैं।[२४] जनता भी इस विषय में जागृत हुई है। इसके साथ ही धार्मिक भावनाएँ आहत न हों इसके भी प्रयत्न किए जा रहे हैं।[२५] इतना सबकुछ होने के बावजूद गंगा के अस्तित्व पर संकट के बादल छाए हुए हैं। २००७ की एक संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के अनुसार हिमालय पर स्थित गंगा की जलापूर्ति करने वाले हिमनद की २०३० तक समाप्त होने की संभावना है। इसके बाद नदी का बहाव मानसून पर आश्रित होकर मौसमी ही रह जाएगा। [२६]
चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को स्वर्ण युग भी कहा गया है । चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय में ही फाह्यान नामक चीनी यात्री (३९९ ई.) आया था ।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नगर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नील की खेती के लिये १९१७ में चम्पारण आन्दोलन तथा 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन के समय पटना की भूमिका उल्लेखनीय रही है। आजादी के बाद पटना बिहार की राजधानी बना रहा। सन 2000 में झारखंड राज्य के अलग होने के बाद पटना बिहार की राजधानी पूर्ववत बना रहा।
गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर को अंतर्राष्ट्रीय स्त्रीरोग-विज्ञान और प्रसूति-विज्ञान संघ (FIGO) चरण-प्रणाली द्वारा चरणबद्ध किया जाता है, जो नैदानिक परीक्षा पर आधारित है, ना कि शल्य-चिकित्सा निष्कर्षों पर. चरणों के निर्धारण में उपयोगार्थ, यह केवल निम्नलिखित नैदानिक परीक्षणों की अनुमति देता है: स्पर्श-परीक्षा, निरीक्षण, योनिभित्तिदर्शन, अंतर्गर्भाशय-ग्रीवा खुरचन, गर्भाशयदर्शन, मूत्राशयदर्शन, मलाशयदर्शन, शिराभ्यंतर मूत्रपथदर्शन, और फेफड़े और कंकाल का एक्स-किरण परीक्षण, तथा गर्भाशय-ग्रीवा शंकु-उच्छेदन.
भारत के आंध्र प्रदेश में कनकदुर्गा मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है. यह कृष्णा नदी के तट पर विजयवाड़ा शहर के इंद्रकीलाद्रि पहाड़ी पर स्थित है. एक कथा के अनुसार, वर्तमान हरा-भरा विजयवाड़ा किसी ज़माने में चट्टानी क्षेत्र था, जहां कृष्णा नदी के प्रवाह को रोकते हुए पहाड बिखरे थे. इस प्रकार भूमि, निवास के लिए या खेती के योग्य नहीं थी. भगवान शिव से प्रार्थना किए जाने पर उन्होंने पहाड़ियों को कृष्णा नदी के लिए रास्ता बनाने का निर्देश दिया. और चमत्कार! नदी भगवान शिव द्वारा पहाड़ियों में किए गए छेद "बेज्जम" या सुरंगों के माध्यम से बिना रोक-टोक के पूरे जोश में बहने लगी.इस तरह स्थान का नाम बेज़वाडा पड़ा.
यूरोपीय संघ के न्यायिक प्रक्रिया का दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा यूरोपीय संसद होती है। यूरोपीय संसद के सदस्य के ७८५ सदस्य हर पांच वर्ष में यूरोपीय संघ की जनता द्वारा सीधे चुने जाते हैं। हलांकि इन सदस्यों का चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर होता है परंतु यूरोपीय संसद में वे अपनी राष्ट्रीयता के अनुसार न बैठकर दलानुसार बैठते हैं। हर सदस्य राष्ट्र के लिए सीटों की एक निश्चित संख्या आवंटित होती है। यूरोपीय संसद को संघ के विधायी शक्तियों के मामलों में यूरोपीय परिषद की तरह ही शक्तियां हासिल होती हैं और संसद वे संघ की खास विधायिकाओं को स्वीकृत या अस्वीकृत करने की शक्ति से लैस होते हैं। यूरोपीय संसद का अध्यक्ष न सिर्फ बाहरी मंचों पर संघ का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि यूरोपीय संसद के स्पीकर का भी दायित्व निभाता है। अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव यूरोपीय संसद के सदस्य हर ढा़ई साल के अंतराल पर करते हैं। [४०] कुछेक मामलों को छोडकर ज्यादातर मामलों में न्यायिक प्रक्रिया की शुरुआत करने का अधिकार युरोपियन कमीशन को होता है, ऐसा ज्यादातर रेग्यूलेशन, एवं संसद के अधिनियमों द्वारा किया जाता है जिसे सदस्य राष्ट्रों को अपने अपने देशों में लागू करने की बाध्यता होती है।[४१]
1455–1633  Arguin
अन्तर्मुखी एवं व्यक्तिपरक होने पर भी छायावादी काव्य में सांस्कृतिक विचारधारा कहीं-कहीं अपने प्रबल रूप में प्रकट होती है. इस युग की प्रमुख उपलब्धियां हैं निराला कृत 'राम की शक्ति पूजा' एवं 'तुलसीदास', प्रसाद की 'कामायनी' एवं महादेवी के प्रायः ढाई सौ रहस्यवादी गीत.
इस प्रकार भारत में सबसे पहले "व्याकरण" विद्या का जन्म हुआ।
देशी उपद्रवी
अलग अलग संगीतकारों (गायक, गीतकार, वाद्ययंत्रवादक ) की अपनी शैली होती है। पर इनके संगीत को अलग समयबद्ध करके अलग-अलग भावनाओं के अंतर्गत डाला जाए, तो उन शैलियों को संगती शैली कहते हैं।
विस्तृत लेख देवनागरी की वैज्ञानिकता देखें।
नृत्य, संगीत तथा चलचित्रों की यहां लम्बी तथा सुव्यवस्थित परम्परा रही है ।दुर्गापूजा (बांग्ला: দুর্গাপূজা दुर्गापुजा) यहां अति उत्साह तथा व्यापक जन भागीदारी के साथ मनाई जाती है। क्रिकेट तथा फुटबॉल यहां के लोकप्रियतम खेलों में से हैं । सौरभ गांगुली जैसे खिलाङी तथा मोहन बगान एवं इस्ट बंगाल जैसी टीम इसी प्रदेश से हैं। अगर आंकङों पर जांय तो नक्सलवाद जैसे शब्दों का जन्म यहीं हुआ, पर यहां के लोगों की शांतिप्रियता ही वो चीज है जो सर्वत्र दर्शास्पद (देखने लायक) है। परस्पर बातचीत में तूइ(बांग्ला - তুই) (हिन्दी के तू के लगभग समकक्ष), तूमि (बांग्ला - তুমি) (हिन्दी के तुम के लगभग समकक्ष), तथा आपनि (बांग्ला - আপনি) (हिन्दी के आप के समकक्ष), का प्रयोग द्वितीय पुरूष की वरिष्ठता के आधार पर किया जाता है। शहरों में लोग प्रायः छोटे परिवारों में रहते हैं। यहां के लोग मछली-भात (बांग्ला - মাছ ভাত (माछ-भात)) बहुत पसंद करते हैं । यह प्रदेश अपनी मिठाईयों के लिये काफी प्रसिद्ध है - रसगुल्ले का आविष्कार भी यहीं हुआ था ।
यूनानी स्त्रोतों से ज्ञात होता है कि नगर प्रशासन में तीन प्रकार के अधिकारी होते थे-एग्रोनोयोई (जिलाधिकारी), एण्टीनोमोई (नगर आयुक्‍त), सैन्य अधिकार ।
अब्दुल्ला जफ़र इब्न मुहम्म्द रुदाकी (859-941) फारसी के सबसे प्रमुख कवियों में से एक हैं । इन्हें आधुनिक फ़ारसी भाषा के प्रवर्तक कवि के रूप में भी जाना जाता है । उस समय जब फ़ारस (ईरान) पर अरबों का अधिकार हो गया था और साहित्यिक जगत में अरबी का प्रभुत्व बढ़ गया था, रुदाकी ने फ़ारसी भाषा के नवोदय करवाया था । उन्होंने अरबी लिपि के नए संशोधित संस्करण में लिखना चालू किया जो बाद में फ़ारसी भाषा की लिपि बन गई ।
उसने विवाह की स्मृति में राजा-रानी प्रकार के सिक्‍कों का चलन करवाया । इस प्रकार स्पष्ट है कि लिच्छवियों के साथ सम्बन्ध स्थापित कर चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने राज्य को राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ तथा आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बना दिया । राय चौधरी के अनुसार चन्द्रगुप्त प्रथम ने कौशाम्बी तथा कौशल के महाराजाओं को जीतकर अपने राज्य में मिलाया तथा साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित की ।
चिकित्सा में पहला व्यापक परिवर्तन बुद्धपूर्व भारत की दिवोदास सुश्रुत परंपरा द्वारा हुआ। इसमें ओषधियों के प्रयोग के साथ साथ शवों के व्यवच्छेदन से प्राप्त ज्ञान का उपयोग प्रारंभ हुआ और दोनों प्रकार की चिकित्साओं को एक ही पंक्ति में रखा गया। इस परंपरा के प्रख्यात चिकित्सकों में बुद्धकालीन जीवक का नाम उल्लेखनीय है, जिन्होंने शल्यकर्म और वैद्यक को समान महत्व देकर उन्हे पूर्णत: समकक्ष बनाया। इसके पश्चात् अनेक भारतेतर देशों ने भी शल्यकर्म को चिकित्सा का अभिन्न अंग बनाना आरंभ किया तथा इसी प्रसंग में प्रसवकर्म भी चिकित्सा के भीतर आया।
नाथूला दर्रा भारत के सिक्किम और दक्षिण तिब्बत को जोड़ता है। यह १४ हजार २०० फीट की ऊंचाई पर है। भारत और चीन के बीच १९६२ में हुए युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था। इसे वापस जूलाई ५, २००६ को व्यापार के लिए खोल दिया गया है। बीसवीं सदी की शुरुआत में भारत और चीन के होनेवाले व्यापार का ८० प्रतिशत हिस्सा नाथू ला दर्रे के ज़रिए ही होता था। यह दर्रा प्राचीन सिल्क रुट का भी हिस्सा रहा है।
रीतिकाव्य रचना का आरंभ एक संस्कृतज्ञ ने किया। ये थे आचार्य केशवदास, जिनकी सर्वप्रसिद्ध रचनाएँ कविप्रिया, रसिकप्रिया और रामचंद्रिका हैं। कविप्रिया में अलंकार और रसिकप्रिया में रस का सोदाहरण निरूपण है। लक्षण दोहों में और उदाहरण कवित्तसवैए में हैं। लक्षण-लक्ष्य-ग्रंथों की यही परंपरा रीतिकाव्य में विकसित हुई। रामचंद्रिका केशव का प्रबंधकाव्य है जिसमें भक्ति की तन्मयता के स्थान पर एक सजग कलाकार की प्रखर कलाचेतना प्रस्फुटित हुई। केशव के कई दशक बाद चिंतामणि से लेकर अठारहवीं सदी तक हिंदी में रीतिकाव्य का अजस्र स्रोत प्रवाहित हुआ जिसमें नर-नारी-जीवन के रमणीय पक्षों और तत्संबंधी सरस संवेदनाओं की अत्यंत कलात्मक अभिव्यक्ति व्यापक रूप में हुई।
बंगदूत (1829), प्रजामित्र (1834), बनारस अखबार (1845), मार्तंड पंचभाषीय (1846), ज्ञानदीप (1846), मालवा अखबार (1849), जगद्दीप भास्कर (1849), सुधाकर (1850), साम्यदंड मार्तंड (1850), मजहरुलसरूर (1850), बुद्धिप्रकाश (1852), ग्वालियर गजेट (1853), समाचार सुधावर्षण (1854), दैनिक कलकत्ता, प्रजाहितैषी (1855), सर्वहितकारक (1855), सूरजप्रकाश (1861), जगलाभचिंतक (1861), सर्वोपकारक (1861), प्रजाहित (1861), लोकमित्र (1835), भारतखंडामृत (1864), तत्वबोधिनी पत्रिका (1865), ज्ञानप्रदायिनी पत्रिका (1866), सोमप्रकाश (1866), सत्यदीपक (1866), वृत्तांतविलास (1867), ज्ञानदीपक (1867), कविवचनसुधा (1867), धर्मप्रकाश (1867), विद्याविलास (1867), वृत्तांतदर्पण (1867), विद्यादर्श (1869), ब्रह्मज्ञानप्रकाश (1869), अलमोड़ा अखबार (1870), आगरा अखबार (1870), बुद्धिविलास (1870), हिंदू प्रकाश (1871), प्रयागदूत (1871), बुंदेलखंड अखबर (1871), प्रेमपत्र (1872), और बोधा समाचार (1872)।
मेरे मन में बाँसुरी सी बजाती है.
मेसेडोनिया गणराज्य की संसद में 120 संसद सदस्य साँचा:Lang-mkहोते हैं, जिन्हें 'प्रतेनिकी' (प्रतेनिक का एकवचन) कहा जाता है.
राय अजायब देव राय बैरम देव राय खोखर देव (देहान्त १५२८)
आचार्य भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञ थे, पर हर बात को निर्मम तर्क की कसौटी पर कसने वाले. उनके प्रसिद्ध निबंध 'कुटज' की यह पंक्तियाँ देखिये:
इतिहास तथा नेता
कोहिमा की दक्षिण दिशा में 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित दजुकोउ घाटी बहुत खूबसूरत है। अपनी खूबसूरती के दम पर इसने पर्यटकों के बीच खास पहचान बनाई हैं। यहां पर पर्यटक विभिन्न रंगों और आकार के खूबसूरत फूलों को देख सकते हैं। इन फूलों में एकोनिटम और एन्फोबियस प्रमुख हैं। दजुकोउ घाटी के खूबसूरत दृश्य देखने के बाद जप्फु चोटी के मनोहारी दृश्य देखे जा सकते हैं। यह चोटी सदाबहार जंगलों से भरी पड़ी है। इन जंगलों में सबसे ऊंचे वृक्ष को देखा जा सकता है। अपनी इस विशेषता के कारण इस पेड़ को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्डस में शामिल किया गया है।
इन्फोसिस डेवेलपमेंट सेंटर - http://www.infosys.com/ सत्यम कम्प्यूटर्स - http://www.satyam.com/
खुसरो बाग, इलाहाबाद
मुक्त कथन
बी एम सी शहर की पेय जलापूर्ति करता है। इस जल का अधिकांश भाग तुलसी एवं विहार झील से तथा कुछ अन्य उत्तरी झीलों से आता है। यह जल भाण्डुप एशिया के सबसे बड़े जल-शोधन संयंत्र में में शोधित कर आपूर्ति के लिए उपलब्ध कराया जाता है। भारत की प्रथम भूमिगत जल-सुरंग भी मुंबई में ही बनने वाली है।[४०]बी एम सी ही शहर की सड़क रखरखाव और कूड़ा प्रबंधन भी देखता है। प्रतिदिन शहर का लगभग ७८०० मीट्रिक टन कूड़ा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में मुलुंड, उत्तर-पश्चिम में गोराई और पूर्व में देवनार में डम्प किया जाता है। सीवेज ट्रीटमेंट वर्ली और बांद्रा में कर सागर में निष्कासित किया जाता है।
समुद्रगुप्त एक असाधारण सैनिक योग्यता वाला महान विजित सम्राट था । यह उच्चकोटि का विद्वान तथा विद्या का उदार संरक्षक था । उसे कविराज भी कहा गया है । वह महान संगीतज्ञ था जिसे वीणा वादन का शौक था । इसने प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान वसुबन्धु को अपना मन्त्री नियुक्‍त किया था ।

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