भारत रत्न की पुरस्कार राशि 2018 2019 विजेता लिस्ट में कितनी दी जाती है सूची pdf सुविधा download |
क्रम
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वर्ष
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नाम
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जीवन
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१.
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१९५४ -
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डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
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(५ सितंबर, १८८८ – १७ अप्रैल, १९७५)
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२.
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१९५४ -
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चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
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(१० दिसम्बर, १८७८ - २५ दिसम्बर, १९७२)
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३.
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१९५४ -
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डॉक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरमण
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(७ नवंबर, १८८८ - २१ नवंबर, १९७०)
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४.
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१९५५ -
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डॉक्टर भगवान दास
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(१२ जनवरी, १८६९ - १८ सितंबर, १९५८)
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५.
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१९५५ -
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सर डॉ॰ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या
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(१५ सितंबर, १८६० - १२ अप्रैल, १९६२)
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६.
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१९५५ -
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पं. जवाहर लाल नेहरु
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(१४ नवंबर, १८८९ - २७ मई, १९६४)
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७.
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१९५७ -
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गोविंद वल्लभ पंत
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(१० सितंबर, १८८७ - ७ मार्च, १९६१)
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८.
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१९५८ -
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डॉ॰ धोंडो केशव कर्वे
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(१८ अप्रैल, १८५८ – ९ नवंबर, १९६२)
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९.
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१९६१ -
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डॉ॰ बिधन चंद्र रॉय
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(१ जुलाई, १८८२ - १ जुलाई, १९६२)
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१०.
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१९६१ -
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पुरूषोत्तम दास टंडन
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(१ अगस्त, १८८२ - १ जुलाई, १९६२)
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११.
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१९६२ -
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डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद
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(३ दिसम्बर, १८८४ - २८ फरवरी, १९६३)
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१२.
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१९६३ -
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डॉ॰ जाकिर हुसैन
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(८ फरवरी, १८९७ - ३ मई, १९६९)
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१३.
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१९६३ -
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डॉ॰ पांडुरंग वामन काणे
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(१८८०-१९७२)
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१४.
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१९६६ -
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लाल बहादुर शास्त्री
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(२ अक्टूबर, १९०४ - ११ जनवरी, १९६६), मरणोपरान्त
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१५.
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१९७१ -
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इंदिरा गाँधी
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(१९ नवंबर, १९१७ - ३१ अक्टूबर, १९८४)
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१६.
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१९७५ -
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वराहगिरी वेंकट गिरी
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(१० अगस्त, १८९४ - २३ जून, १९८०)
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१७.
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१९७६ -
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के. कामराज
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(१५ जुलाई, १९०३ - १९७५), मरणोपरान्त
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१८.
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१९८० -
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मदर टेरेसा
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(२७ अगस्त, १९१० - ५ सितंबर, १९९७)
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१९.
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१९८३ -
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आचार्य विनोबा भावे
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(११ सितंबर, १८९५ - १५ नवंबर, १९८२), मरणोपरान्त
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२०.
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१९८७ -
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खान अब्दुल गफ्फार खान
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(१८९० - २० जनवरी, १९८८), पहले गैर-भारतीय
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२१.
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१९८८ -
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एम जी आर
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(१७ जनवरी, १९१७ - २४ दिसम्बर, १९८७), मरणोपरान्त
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२२.
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१९९० -
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बाबा साहेब डॉ॰ भीमराव रामजी आंबेडकर
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(१४ अप्रैल, १८९१ - ६ दिसम्बर, १९५६), मरणोपरान्त
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२३.
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१९९० -
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नेल्सन मंडेला
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(१८ जुलाई, १९१८ - ५ दिसम्बर, २०१३), दूसरे गैर-भारतीय
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२४.
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१९९१ -
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राजीव गांधी
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(२० अगस्त, १९४४ - २१ मई, १९९१), मरणोपरान्त
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२५.
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१९९१ -
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सरदार वल्लभ भाई पटेल
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(३१ अक्टूबर, १८७५ - १५ दिसम्बर, १९५०), मरणोपरान्त
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२६.
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१९९१ -
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मोरारजी देसाई
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(२९ फरवरी, १८९६ - १० अप्रैल, १९९५)
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२७.
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१९९२ -
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मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
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(११ नवंबर, १८८८ - २२ फरवरी, १९५८), मरणोपरान्त
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२८.
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१९९२ -
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जे आर डी टाटा
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(२९ जुलाई, १९०४ - २९ नवंबर, १९९३)
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२९.
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१९९२ -
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सत्यजीत रे
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(२ मई, १९२१ - २३ अप्रैल, १९९२)
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३०.
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१९९७ -
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अब्दुल कलाम
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(१५ अक्टूबर, १९३१-२७ जुलाई, २०१५)
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३१.
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१९९७ -
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गुलजारी लाल नंदा
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(४ जुलाई, १८९८ - १५ जनवरी, १९९८)
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३२.
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१९९७ -
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अरुणा असाफ़ अली
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(१६ जुलाई, १९०९ - २९ जुलाई, १९९६), मरणोपरान्त
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३३.
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१९९८ -
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एम एस सुब्बुलक्ष्मी
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(१६ सितंबर, १९१६ - ११ दिसम्बर, २००४)
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३४.
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१९९८ -
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सी सुब्रामनीयम
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(३० जनवरी, १९१० - ७ नवंबर, २०००)
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३५.
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१९९८ -
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जयप्रकाश नारायण
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(११ अक्टूबर, १९०२ - ८ अक्टूबर, १९७९), मरणोपरान्त
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३६.
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१९९९ -
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पं. रवि शंकर
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(७ अप्रैल, १९२०-१२ दिसम्बर, २०१२ )
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३७.
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१९९९ -
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अमृत्य सेन
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(३ नवंबर, १९३३)
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३८.
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१९९९ -
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गोपीनाथ बोरदोलोई
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(१८९०-१९५०), मरणोपरान्त
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३९.
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२००१ -
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लता मंगेशकर
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(२८ सितंबर, १९२९)
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४०.
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२००१ -
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उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां
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(२१ मार्च, १९१६ - २१ अगस्त, २००६)
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४१.
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२००८ -
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पं.भीमसेन जोशी
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(४ फरवरी, १९२२ -२५ जनवरी, २०११)
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४२.
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२०१४
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सी॰ एन॰ आर॰ राव
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(३० जून, १९३४- अब तक), १६ नवंबर, २०१४ को घोषित
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४३.
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२०१४
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सचिन तेंदुलकर
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(२४ अप्रैल, १९७३- अब तक), १६ नवंबर, २०१४ को घोषित
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४४.
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२०१५
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अटल बिहारी वाजपेयी
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(२५ दिसंबर, १९२४- १६ अगस्त २०१८), २४ दिसम्बर २०१४ को घोषित
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४५.
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२०१५
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महामना मदन मोहन मालवीय
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(२५ दिसंबर, १८६१- १२ नवंबर, १९४६), मरणोपरान्त, २४ दिसम्बर २०१४ को घोषित
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४६.
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२०१९
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प्रणब मुखर्जी
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(११ दिसम्बर १९३५)
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४७.
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२०१९
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भूपेन हजारिका
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(८ सितम्बर १९२६ – ५ नवम्बर २०११) , मरणोपरान्त
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४८.
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२०१९
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नानाजी देशमुख
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(११ अक्टूबर १९१६ – २७ फ़रवरी २०१०) , मरणोपरान्त
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भारत रत्न सम्मान में एक पदक और प्रशस्ति पत्र (Praise Letter) दिया जाता है. भारत रत्न से सम्मानित किए जाने वाले शख्स को भारत के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाला सर्टिफिकेट और एक प्राचीन पदक दिया जाता है. यह पदक पीपल की पत्ती के आकार का करीब 5.8 सेमी लंबा और 4.7 सेमी चौथा और 3.1 मिमी मोटाई का होता है. ये तांबे धातु का बना होता है. और इस पर चमकते हुए सूर्य की कलाकृति बनी होती है. फिर इसके नीचे हिंदी भाषा में 'भारत रत्न' लिखा होता है.
क्या सम्मान पाने वाले को मिलते हैं पैसे?
कई दूसरे अवॉर्ड्स की तरह भारत रत्न अवॉर्ड पाने वाले को रकम नहीं दी जाती है. इसे पाने को कई प्रकार की सुविधाएं दी जाती है.
भारत रत्न से सम्मानित होने वाले को दी जाती हैं ये खास सुविधाएं
भारत रत्न से सम्मानित होने वाले व्यक्ति अगर किसी राज्य में जाते हैं तो राज्य सरकार उन्हें राज्य के अतिथि के रूप में ही उनका स्वागत करती है. साथ ही राज्य के मेहमानों का स्वागत, परिवहन, बोर्डिंग और राज्य में ठहरने की सुविधा देती है. नियम के आधार पर विस्तारित सुरक्षा भी दी जाती है.
राज्य अतिथि परिवार के सदस्यों (पति / पत्नी और बच्चों) को भी सुविधा प्रदान करती है. इसी के साथ व्यक्तिगत स्टाफ और ड्राइवर भी दिए जाते हैं.
विदेश यात्रा के दौरान विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास उनकी यात्राओं पर उचित सुरक्षा प्रदान करते हैं. भारत रत्न पुरस्कार विजेता एक डिप्लोमैटिक पासपोर्ट (diplomatic passport) के भी हकदार होते हैं.
डिप्लोमैटिक पासपोर्ट में एक मरून कवर होता है. डिप्लोमैटिक पासपोर्ट हर व्यक्ति के लिए जारी नहीं होता. यह पासपोर्ट विदेश विभाग के अधिकारियों के अलावा सांसदों और चुनिंदा लोगों के लिए ही जारी किया जाता है. नियमों के मुताबिक, विशेष अधिकार रखने वाले सरकार के टॉप अधिकारियों के लिए ही यह पासपोर्ट जारी किया जाता है.
भारत रत्न पाने वाले को टेबल ऑफ प्रेसिडेंस (वरीयता क्रम) में 7A पोजिशन पर जगह दी जाती है. यह सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिए होता है.
आपको बता दें, साल 2011 से पहले सिर्फ कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत रत्न दिया जाता था, लेकिन 2011 में इसमें संशोधन किया गयाय अब भारत रत्न के पाने के लिए कोई क्षेत्र निर्धारित नहीं किया गया है. भारत रत्न हासिल करने वाले किसी भी क्षेत्र के हो सकते हैं.
आज सुबह से चारो तरफ भारत रत्न की चर्चा हो रही है।
तो आईए हम आपको बताते हैं कि भारत रत्न को क्या-क्या मिलता है? भारत रत्न पाने वालों को भारत सरकार की ओर से सिर्फ एक प्रमाणपत्र और एक तमगा मिलता है। इस सम्मान के साथ कोई रकम नहीं दी जाती। हां इसे पाने वालों को सरकारी महकमे सुविधाएं बहुत मुहैया कराते हैं। उदाहरण के तौर पर बात करें तो भारत रत्न पाने वालों को रेलवे की ओर से ताउम्र मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलती है।
भारत रत्न पाने वालों को अहम सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए न्यौता मिलता है। सरकार वॉरंट ऑफ प्रिसिडेंस में उन्हें जगह देती है। जिन्हें भारत रत्न मिलता है, उन्हें प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है।
उल्लेखनीय है कि वॉरंट ऑफ प्रिसिडेंस का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिए होता है। राज्य सरकारें भारत रत्न पाने वाली हस्तियों को अपने राज्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं। मसलन दिल्ली सरकार डीटीसी बसों में उन्हें मुफ़्त सफर करने की सुविधा देती है। इसके अलावा भारत रत्न से सम्मानित होने वाले अपने विजिटिंग कार्ड पर 'राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित' या 'भारत रत्न प्राप्तकर्ता' लिख सकते हैं
कैसा होता है भारत रत्न
भारत रत्न एक तांबे के बने पीपल के पत्ते जैसा होता है, जो 59 मिमी लंबा, 48 मिमी चौड़ा और 3 मिमी मोटा होता है। इसमें सामने की तरफ प्लेटिनम से सूरज का चित्र बना होता है। पूरे रत्न की किनारी को प्लेटिनम से बनाया जाता है। भारत रत्न के सामने की तरफ सूरज के चिह्न के साथ हिन्दी में 'भारत रत्न' लिखा होता है। इसके पीछे की तरफ अशोक स्तम्भ का चिह्न बना होता है और साथ में 'सत्यमेव जयते' लिखा होता है।
इसके साथ ही एक सफेद रंग का रिबन भी लगा होता है, ताकि इसे आसानी से गले में पहना जा सके। 1954 में भारत रत्न 35 मिमी का एक गोल सोने का मेडल था, जिस पर चमकते सूरज के चिह्न के साथ 'भारत रत्न' लिखा होता था और पीछे की तरफ अशोक स्तंभ के साथ 'सत्यमेव जयते' लिखा होता था। हालांकि, इसके साल भर बाद ही इसका डिजाइन बदल दिया गया था।
भारत रत्न पाने वालों को भारत सरकार की ओर से सिर्फ़ एक प्रमाणपत्र और एक तमगा मिलता है। इस सम्मान के साथ कोई रकम नहीं दी जाती। इसे पाने वालों को सरकारी महकमे सुविधाएं मुहैया कराते हैं। उदाहरण के तौर पर भारत रत्न पाने वालों को रेलवे की ओर से मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलती है।
भारत रत्न पाने वालों को अहम सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए न्यौता मिलता है। सरकार वॉरंट ऑफ़ प्रिसिडेंस में उन्हें जगह देती है। जिन्हें भारत रत्न मिलता है, उन्हें प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है।
वॉरंट ऑफ़ प्रिसिडेंस का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिए होता है। राज्य सरकारें भारत रत्न पाने वाली हस्तियों को अपने राज्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं। मसलन दिल्ली सरकार डीटीसी बसों में उन्हें मुफ़्त सफ़र करने की सुविधा देती है।
ये पुरस्कार पाने वाले अपने विज़िटिंग कार्ड पर यह लिख सकते हैं, 'राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित' या 'भारत रत्न प्राप्तकर्ता'। सबसे पहला भारत रत्न सी राजागोपालाचारी को दिया गया था। 25 दिसंबर को अटल बिहारी बाजपेयी और मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न का सम्मान दिया जाएगा।
भारत रत्न एक तांबे के बने पीपल के पत्ते जैसा होता है, जो 59 मिमी. लंबा, 48 मिमी. चौड़ा और 3. मिमी. मोटा होता है। इसमें सामने की तरफ प्लेटिनम से सूरज का चित्र बना होता है। पूरे रत्न की किनारी को प्लेटिनम से बनाया जाता है। भारत रत्न के सामने की तरफ सूरज के चिह्न के साथ हिन्दी में 'भारत रत्न' लिखा होता है। इसके पीछे की तरफ अशोक स्तम्भ का चिह्न बना होता है और साथ में 'सत्यमेव जयते' लिखा होता है।
इसके साथ ही एक सफेद रंग का रिबन भी लगा होता है, ताकि इसे आसानी से गले में पहना जा सके। 1954 में भारत रत्न 35 मिमी. का एक गोल सोने का मेडल था, जिस पर चमकते सूरज के चिह्न के साथ 'भारत रत्न' लिखा होता था और पीछे की तरफ अशोक स्तंभ के साथ 'सत्यमेव जयते' लिखा होता था। हालांकि, इसके साल भर बाद ही इसका डिजाइन बदल दिया गया था।
यह उपाधि दिसंबर 2011 से पहले तक सिर्फ कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा में कार्य करने वाले लोगों को दिया जाता था, लेकिन दिसंबर 2011 में इसमें संशोधन किया गया। अब भारत रत्न किसी खास क्षेत्र तक सीमित नहीं है। अब किसी भी क्षेत्र में बिना किसी भेदभाव के एक व्यक्ति को उसके काम के लिए भारत रत्न दिया जा सकता है।
कौन देता है भारत रत्न
किसी भी व्यक्ति को भारत रत्न देश के राष्ट्रपति देते हैं। भारत रत्न किसे देना चाहिए, इसके लिए नाम का प्रस्ताव देश के प्रधानमंत्री देते हैं। एक साल में प्रधानमंत्री अधिक से अधिक तीन लोगों को भारत रत्न देने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को दे सकते हैं।भारत रत्न सिर्फ एक उपाधि है। इसमें किसी को भी पैसे नहीं दिए जाते हैं। इसमें राष्ट्रपति का साइन किया हुआ एक प्रमाण पत्र दिया जाता है।
दो गैर भारतीयों को मिला है भारत रत्न
अब तक दो ऐसे लोगों को भारत रत्न दिया गया है, जो भारतीय मूल के नहीं थे। इनमें खान अब्दुल गफ्फार खान (1987) और अफ्रीका के नेल्सन मंडेला (1990) हैं।
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