बुधवार, 8 मई 2013

देक्कन चार्जर्स
ऑस्ट्रेलिया के मानव निवास-स्थान की शुरुवात आज से 42000 और 48000 वर्षो पहले की अनुमानित की गयी है.[२०]ये पहले ऑस्ट्रेलियाई आज के आधुनिक स्वदेशी ऑस्ट्रैलियाईयो के पूर्वज रहे होंगे,वे भू-सेतु के रास्ते आये होंगे और छोटी समुद्री यात्रा वहां से कियें होंगे जो आज दक्षिणी-पूर्वी एशिया है.इनमें से अधिकांश लोग शिकारी-संग्राहक, और साथ में मिश्रित मौखिक संस्कृति और ड्रीमटाइम में विश्वास और भूमि की इज्ज़त करने पर आधारित आध्यात्मिक गुण वाले थे.द टोर्रेस जलसंयोगी द्वीपवासी एथ्निकल्लीमेलानेसियन, वास्तविक में शिकारी और बागवानी करने वाले थे.उनकी सांस्कृतिक परंपरा हमेशा से महाद्वीप के आदि निवासियों से अलग रही है.[तथ्य वांछित]
डॉ. मंगल प्रसाद
ये रिपोर्टें अक्सर संवर्धित कोशिका माध्यम या जंतुओं में किये गए अध्ययन पर आधारित होती हैं. सार्वजनिक स्वास्थ्य सिफारिशों को इन अध्ययनों के आधार पर नहीं बनाया जा सकता है, जब तक वे मानव में परीक्षण (या कभी कभी एक अवलोकन हस्तक्षेप) में सही साबित न हो जायें.
1847 मे मॉरीशस डाक टिकट जारी करने वाला पाँचवां देश बना। यहाँ से दो प्रकार के डाक टिकट जारी किए गये जिन्हें तब मॉरीशस "डाकघर" टिकट के नाम से जाना जाता था। एक टिकट एक "लाल पेनी" और दूसरी " दो नीले पेंस" मूल्य वर्ग की थी, और आज यह टिकट शायद दुनिया की सबसे प्रसिद्ध और मूल्यवान टिकटें है।
१९९६ में, भारत सरकार ने महात्मा गाँधी की श्रृंखला के नोटों (rupee) के मुद्रण को १ ,५ ,१० ,२०, ५० ,१०० ,५०० और १००० के अंकन के रूप में आरम्भ किया. आज जितने भी नोट इस्तेमाल में हैं उनपर महात्मा गाँधी का चित्र है.१९६९ में यूनाइटेड किंगडम ने डाक टिकेट की एक श्रृंखला महात्मा गाँधी के शत्वर्शिक जयंती के उपलक्ष्य में जारी की.
२००१ की भारत की जनगणना के अनुसार, कर्नाटक की कुल जनसंख्या ५२,८५०,५६२ है, जिसमें से २६,८९८,९१८ (५०.८९%) पुरुष और २५,९५१,६४४ स्त्रियां (४३.११%) हैं। यानि प्रत्येक्क १००० पुरुष ९६४ स्त्रियां हैं। इसके अनुसार १९९१ की जनसंख्या में १७.२५% की वृद्धि हुई है। राज्य का जनसंख्या घनत्व २७५.६ प्रति वर्ग कि.मी है और ३३.९८% लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। यहां की साक्षरता दर ६६.६% है, जिसमें ७६.१% पुरुष और ५६.९% स्त्रियां साक्षर हैं।[१] यहां की कुल जनसंख्या का ८३% हिन्दू हैं, और ११% मुस्लिम, ४% ईसाई, ०.७८% जैन, ०.७३% बौद्ध और शेष लोग अन्य धर्मावलंबी हैं। [४२]
(१) सुखायु : किसी प्रकार के शीरीरिक या मानसिक विकास से रहित होते हुए, ज्ञान, विज्ञान, बल, पौरुष, धनृ धान्य, यश, परिजन आदि साधनों से समृद्ध व्यक्ति को "सुखायु' कहते हैं।
३. विभिन्न व्यक्तियों अथवा संस्थाओं द्वारा "रोगनिवारण' के दावों का मूल्याँकन करना।
शिक्षा के प्रसार के मामले में मधुबनी एक पिछड़ा जिला है। साक्षरता मात्र 41.97% है जिसमें स्त्रियों की साक्षरता दर 26.54% है। आधारभूत संरचना के अभाव को शिक्षा क्षेत्र में पिछड़ेपन का मुख्य कारण माना जाता है। जिले में शिक्षण संस्थानों की कुल संख्या इस प्रकार है:
ग्रियर्सन ने जिन तर्कों के आधार पर कश्मीरी के "दारद" होने की परिकल्पना की थी, उन्हें फिर से परखना आवश्यक है; क्योंकि इससे भी कश्मीरी भाषा की गई गुत्थियाँ सुलझ नहीं पातीं। घोष महाप्राण के अभाव में जो दारद प्रभाव देखा गया है वह तो सिंधी, पश्तू, पंजाबी, डोगरी के अतिरिक्त पूर्वी बँगला और राजस्थानी में भी दिखाई पड़ता है; पर क्रियापदों के संश्लेषण में कर्ता के अतिरिक्त कर्म के पुरुष, लिंग और वचन का जो स्पर्श पाया जाता है उसपर दारद भाषाएँ कोई प्रकाश नहीं डालतीं। संभवत: कश्मीरी भाषा "दारद" से प्रभावित तो है, पर उद्भूत नहीं।
प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने निर्गुण भक्ति के स्वरूप के बारे में प्रश्न उठाए हैं तथा प्रतिपादित किया है कि संतों की निर्गुण भक्ति का अपना स्वरूप है जिसको वेदांत दर्शन के सन्दर्भ में व्याख्यायित नहीं किया जा सकता. उनके शब्द हैं: " भक्‍ति या उपासना के लिए गुणों की सत्‍ता आवश्‍यक है। ब्रह्म के सगुण स्‍वरूप को आधार बनाकर तो भक्‍ति / उपासना की जा सकती है किन्‍तु जो निर्गुण एवं निराकार है उसकी भक्‍ति किस प्रकार सम्‍भव है ? निर्गुण के गुणों का आख्‍यान किस प्रकार किया जा सकता है ? गुणातीत में गुणों का प्रवाह किस प्रकार माना जा सकता है ? जो निरालम्‍ब है, उसको आलम्‍बन किस प्रकार बनाया जा सकता है। जो अरूप है, उसके रूप की कल्‍पना किस प्रकार सम्‍भव है। जो रागातीत है, उसके प्रति रागों का अर्पण किस प्रकार किया जा सकता है ? रूपातीत से मिलने की उत्‍कंठा का क्‍या औचित्‍य हो सकता है। जो नाम से भी अतीत है, उसके नाम का जप किस प्रकार किया जा सकता है।
इस प्रकार चर्च या ईसाई धर्म संस्थान कम से कम हजार वर्षों तक, अपनी संपूर्ण व्याप्ति के साथ यूरोप के मन पर अधिकार किए रहा। यहाँ तक कि साधारण से साधारण आचार अथवा विचार-कल्पना पर भी ईसाइयत की छाप रखती पड़ती थी। किंतु वही चर्च जो मूलत: अत्याचार और दमन के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए विकसित हुआ था, अब स्वयं जुल्म और निरंकुशता का सबसे बड़ा वाहक यंत्र बन गया।
अन्तिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र ने कर दी। इससे मौर्य साम्राज्य समाप्त हो गया।
प्राकृतिक दृष्टिकोण से बेलारूस एक समतल मैदानी भाग है।
१९३१ में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश पुलिस से घिर जाने पर स्वयं को गॊली मार कर अपनी न पकड़े जाने की प्रतिज्ञा को सत्य किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में नेहरु परिवार के पारिवारिक आवास आनन्द भवन एवं स्वराज भवन यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों के केन्द्र रहे थे। यहां से हजारों सत्याग्रहियों को जेल भेजा गया था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु इलाहाबाद निवासी ही थे।
इनके अलावा निम्न ऋषि भी स्मृतिकार माने गये हैं और उनकी स्मृतियाँ उपसमृतियाँ मानी जाती हैं। -
महाह्ड़दो महागर्तो महाभूतो महानिधः ।।(८६)
सोनभद्र भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है । जिले का मुख्यालय राबर्ट्सगंज है ।
द्वापरयुग की समाप्ति के समय श्रीकृष्णद्वैपायन वेदव्यास जी ने यज्ञानुष्ठान के उपयोग को दृष्टिगत उस एक वेद के चार विभाग कर दिये और इन चारों विभागों की शिक्षा चार शिष्यों को दी। ये ही चार विभाग ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के नाम से प्रसिद्ध है। पैल, वैशम्पायन, जैमिनि और सुमन्तु नामक - इन चार शिष्यों ने शाकल आदि अपने भिन्न-भिन्न शिष्यों को पढ़ाया। इन शिष्यों के द्वारा अपने-अपने अधीत वेदों के प्रचार व संरक्षण के कारण वे शाखाएँ उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध हो रही है।
इस के अनुसार इस परम्परा का गूढ रहस्य चेतना अथवा आत्मज्ञान विज्ञान है।
मनुष्यों में शूकर इन्फ्लूएंजा का मुख्य लक्षण हैं: -
यह मंदिर कई बार ध्‍वस्‍त हुआ। वर्तमान में जो मंदिर है उसका निर्माण चौथी बार में हुआ है। कुतुबुद्दीन ऐबक ने सर्वप्रथम इसे 1194 ई. में ध्‍वस्‍त किया था। रजिया सुल्‍तान (1236-1240) ने इसके ध्‍वंसावशेष पर रजिया मस्जिद का निर्माण करवाया था। इसके बाद इस मंदिर का निर्माण अभिमुक्‍तेश्‍वर मंदिर के नजदीक बनवाया गया। बाद में इस मंदिर को जौनपुर के शर्की राजाओं ने तोड़वा दिया। 1490 ई. में इस मंदिर को सिंकदर लोदी ने ध्‍वंस करवाया था। 1585 ई. में बनारस के एक प्रसिद्ध व्‍यापारी टोडरमल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया। 1669 ई. में इस मंदिर को औरंगजेब ने पुन: तोड़वा दिया। औरंगजेब ने भी इस मंदिर के ध्‍वंसावशेष पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था।[१]
हेनरी स्टीफन ‍साल्ट (Henry Stephens Salt)की कृतियों को पढने और प्रशंषा करने के बाद युवा मोहनदास गांधी शाकाहारी प्रचारक से मिले और उनके साथ पत्राचार किया। गांधी जी ने लंदन में रहते समय और उसके बाद शाकाहारी भोजन की वकालत करने में काफी समय बिताया। गांधी जी का कहना था कि शाकाहारी भोजन न केवल शरीर की जरूरतों को पूरा करता है बल्कि यह आर्थिक प्रयोजन की भी पूर्ति करता है जो मांस से होती है और फिर भी मांस अनाज, सब्जियों और फलों से अधिक मंहगा होता है। इसके अलावा कई भारतीय जो आय कम होने की वजह से संघर्ष कर रहे थे, उस समय जो शाकाहारी के रूप में दिखाई दे रहे थे वह आध्यात्मिक परम्परा ही नहीं व्यावहारिकता के कारण भी था.वे बहुत देर तक खाने से परहेज रखते थे , और राजनैतिक विरोध के रूप में उपवास (fasting) रखते थे उन्होंने अपनी मृत्यु तक खाने से इनकार किया जब तक उनका मांग पुरा नही होता उनकी आत्मकथा में यह नोट किया गया है कि शाकाहारी होना ब्रह्मचर्य (Brahmacharya) में गहरी प्रतिबद्धता होने की शुरूआती सीढ़ी है, बिना कुल नियंत्रण ब्रह्मचर्य में उनकी सफलता लगभग असफल है.
अभिज्ञान शाकुन्तलम् कालिदास की दूसरी रचना है जो उनकी जगतप्रसिद्धि का कारण बना। इस नाटक का अनुवाद अंग्रेजी और जर्मन के अलावा दुनिया के अनेक भाषाओं में हुआ है। इसमें राजा दुष्यंत की कहानी है जो वन में एक परित्यक्त ऋषि पुत्री शकुन्तला (विश्वामित्र और मेनका की बेटी) से प्रेम करने लगता है। दोनों जंगल में गंधर्व विवाह कर लेते हैं। राजा दुष्यंत अपनी राजधानी लौट आते हैं। इसी बीच ऋषि दुर्वासा शकुंतला को शाप दे देते हैं कि जिसके वियोग में उसने ऋषि का अपमान किया वही उसे भूल जाएगा। काफी क्षमाप्रार्थना के बाद ऋषि ने शाप को थोड़ा नरम करते हुए कहा कि राजा की अंगूठी उन्हें दिखाते ही सब कुछ याद आ जाएगा। लेकिन राजधानी जाते हुए रास्ते में वह अंगूठी खो जाती है। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब शकुंतला को पता चला कि वह गर्भवती है। शकुंतला लाख गिड़गिड़ाई लेकिन राजा ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया। जब एक मछुआरे ने वह अंगूठी दिखायी तो राजा को सब कुछ याद आया और राजा ने शकुंतला को अपना लिया। शकुंतला शृंगार रस से भरे सुंदर काव्यों का एक अनुपम नाटक है। कहा जाता है काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला (कविता के अनेक रूपों में अगर सबसे सुन्दर नाटक है तो नाटकों में सबसे अनुपम शकुन्तला है।)
ऋग्वेद के प्रथम श्लोक में ही जो रत्न धात्तमम्‌ शब्द आया है। उसका अर्थ आधिभौतिक के अनुसार अग्नि रत्नों या पदार्थों के धारक अथवा उत्पादक से है। अतः यह सुस्पष्ट है कि रत्नों की उत्पत्ति में अग्नि सहायक है तथा आधुनिक वैज्ञानिक भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि अधिकांशतः रत्न किसी न किसी रूप में ताप प्रक्रिया अर्थात अग्नि के प्रभाव के कारण ही बने हैं।
एक भारतीय उपनाम ।
गाथ शब्द की उपलब्धि होने पर भी आकारांत शब्द का ही प्रयोग लोकप्रिय है (ऋग्. 9।99।4)। गाथा शब्द से बने हुए शब्दों की सत्ता इसके बहुल प्रयोग की सूचिका है। गाथानी एक गीत का नायकत्व करनेवाले व्यक्ति के लिये प्रयुक्त है (ऋग्0 1।43।14)। ऋजुगाथ शुद्ध रूप से मंत्रों के गायन करनेवाले के लिये (ऋग. 8।9।212) तथा गाथिन केवल गायक के अर्थ में व्यवहृत किया गया है (ऋग्. 5।44।5)। यद्यपि इसका पूर्वोक्त सामान्य अर्थ ही बहुश: अभीष्ट है, तथापि ऋग्वेद के इस मंत्र में इसका अपेक्षाकृत अधिक विशिष्ट आशय है, क्योंकि यहाँ यह नाराशंसी तथा रैभी के साथ वर्गीकृत किया गया है:
1। सगद वलाएती (खोक़ंद)
अधिकाँश हिन्दू चार शंकराचार्यों को (जो ज्योतिर्मठ, द्वारिका, शृंगेरी और पुरी के मठों के मठाधीश होते हैं) हिन्दू धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु मानते हैं।
यह स्मारक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को Maushi wale ki upadhi Di gayi thi....∞ ö समर्पित है। यही पर महात्मा गांधी की चिता की राख रखी हुई है। इस स्मारक की स्थापना 1956 में हुई थी। महात्मा गांधी 1937 में यहां आए थे। उनकी मृत्‍यु ∞ के बाद 1948 में कन्याकुमारी में ही उनकी अस्थियां विसर्जित की गई थी। स्मारक को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर सूर्य की प्रथम किरणें उस स्थान पर पड़ती हैं जहां महात्मा की राख रखी हुई है।
२४ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२८वॉ (लीप वर्ष मे ३२९ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ३७ दिन बाकी है।
आजाद सत्य का सहारा लेकर ही अन्ग्रेजो से मुकाब्ला करते थे -घनश्याम दास सुमन जानकि नगर ।==यह भी देखें==
स्वामी रामानंद
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आर्मेनियाई सेना
—इस कोटि के जजॉ के राष्ट्रपति तब पदच्युत करेगा जब संसद के दोणो सदनॉ के कम से कम 2/3 उपस्थित तथा मत देने वाले तथा सदन के कुल बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव जो कि सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पे लाया गया हो के द्वारा उसे अधिकार दिया गया हो ये आदेश उसी संसद सत्र मे लाया जायेगा जिस सत्र मे ये प्रस्ताव संसद ने पारित किया हो अनु 124[5] मे वह प्रक्रिया वर्णित है जिस से जज पद्च्युत होते है इस प्रक्रिया के आधार पर संसद ने न्यायधीश अक्षमता अधिनियम 1968 पारित किया था इसके अंतर्गत
ग्रेट Hanshin भूकंप (Great Hanshin earthquake) ( १९९५ ) में कोबे, जापान
पोदिला निम्नलिखित संपादकीय पत्रिकाओं के बोर्ड के सदस्य थे: सिम्बायोसिस, न्यू फाय्टोलॉजिस्ट, फिजियोलॉजी एण्ड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ऑफ़ प्लाण्ट्स, और जॉरनल ऑफ़ प्लाण्ट इण्टरैक्श्न्स।
== बाहरी कड़ियां ==Faizabad jilaa kaa jilaa mukhyaalay Ayodhyaa nahi ,svam Faizabad city[nagar] hi hai.
हिन्दी साहित्य के श्रेष्ठ कृष्णभक्त कवि सूरदास का जन्म 1483 ई. के आस-पास हुआ था. इनकी मृत्यु अनुमानत: 1563 ई. के आस-पास हुई. इनके बारे में ‘भक्तमाल’ और ‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ में थोड़ी-बहुत जानकारी मिल जाती है. ‘आईने अकबरी’ और ‘मुंशियात अब्बुलफजल’ में भी किसी संत सूरदास का उल्लेख है, किन्तु वे बनारक के कोई और सूरदास प्रतीत होते हैं. अनुश्रुति यह अवश्य है कि अकबर बादशाह सूरदास का यश सुनकर उनसे मिलने आए थे. ‘भक्तमाल’ में इनकी भक्ति, कविता एवं गुणों की प्रशंसा है तथा इनकी अंधता का उल्लेख है. ‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ के अनुसार वे आगरा और मथुरा के बीच साधु या स्वामी के रूप में रहते थे. वे वल्लभाचार्य के दर्शन को गए और उनसे लीलागान का उपदेश पाकर कृष्ण-चरित विषयक पदों की रचना करने लगे. कालांतर में श्रीनाथ जी के मंदिर का निर्माण होने पर महाप्रभु वल्लभाचार्य ने इन्हें यहाँ कीर्तन का कार्य सौंपा. सूरदास के विषय में कहा जाता है कि वे जन्मांध थे. उन्होंने अपने को ‘जन्म को आँधर’ कहा भी है. किन्तु इसके शब्दार्थ पर अधिक नहीं जाना चाहिए. सूर के काव्य में प्रकृतियाँ और जीवन का जो सूक्ष्म सौन्दर्य चित्रित है उससे यह नहीं लगता कि वे जन्मांध थे. उनके विषय में ऐसी कहानी भी मिलती है कि तीव्र अंतर्द्वन्द्व के किसी क्षण में उन्होंने अपनी आँखें फोड़ ली थीं. उचित यही मालूम पड़ता है कि वे जन्मांध नहीं थे. कालांतर में अपनी आँखों की ज्योति खो बैठे थे. सूरदास अब अंधों को कहते हैं. यह परम्परा सूर के अंधे होने से चली है. सूर का आशय ‘शूर’ से है. शूर और सती मध्यकालीन भक्त साधकों के आदर्श थे.
कृष्णा सोबती (१८ फरवरी १९२५, गुजरात (अब पाकिस्तान)) अपनी संयमित अभिव्यक्ति और सुथरी रचनात्मकता के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने हिंदी की कथा भाषा को विलक्षण ताज़गी़ दी है। उनके भाषा संस्कार के घनत्व, जीवंत प्रांजलता और संप्रेषण ने हमारे वक्त के कई पेचीदा सत्य उजागर किए हैं।
मिलने लगता है।
तीव्रता वर्ष २०००
वसंत पंचमी का लाहौर निवासी वीर हकीकत से भी गहरा संबंध है। एक दिन जब मुल्ला जी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले गये, तो सब बच्चे खेलने लगे, पर वह पढ़ता रहा। जब अन्य बच्चों ने उसे छेड़ा, तो दुर्गा मां की सौगंध दी। मुस्लिम बालकों ने दुर्गा मां की हंसी उड़ाई। हकीकत ने कहा कि यदि में तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा? बस फिर क्या था, मुल्ला जी के आते ही उन शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है। फिर तो बात बढ़ते हुए काजी तक जा पहुंची। मुस्लिम शासन में वही निर्णय हुआ, जिसकी अपेक्षा थी। आदेश हो गया कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाये, अन्यथा उसे मृत्युदंड दिया जायेगा। हकीकत ने यह स्वीकार नहीं किया। परिणामत: उसे तलवार के घाट उतारने का फरमान जारी हो गया।
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শস্যশ্যামলাং মাতরম্॥
इस प्रकार में सम्राट् के स्थान पर तोकुगावा परिवार के लोग राज्य करने लगे, तोक्यो राजधानी हो गया तथा जागीरदारी पद्धति दृढ़ हो गई। आरंभ में ओसाका सांस्कृतिक केंद्र था परंतु 18 वीं शताब्दी के अंतिम भाग से "एदो" (आजकल का तोक्यो) सांस्कृतिक केंद्र बना। साहित्य अधिकतर एदो की बोली में ही लिखा जाने लगा। देश जागीरों में विभाजित होने के कारण और लोगों के जागीरों के बाहर आने जाने का अवसर बहुत कम होने के कारण इस काल में अनेक बोलियों का विकास हुआ। उच्चारण आधुनिक भाषा की भाँति हो गया और व्याकरण में क्रिया के रूपपरिवर्तन के नियमों का सरल होना प्रारंभ हुआ। आरंभ में एदो में भिन्न भिन्न बोलियाँ बोलनेवाले इकट्ठे हुए थे परंतु धीरे धीरे एदो नगर की अपनी बोली का विकास हुआ। यह और भी विकसित होकर आजकल की सर्वमान्य भाषा बन गई है। इस समय प्राचीन जापानी भाषा तथा साहित्य का अध्ययन बहुत अधिक किया जाने लगा। इस समय से हिराकाना में चीनी लिपियों को अधिक मिलाकर लिखने की पद्धति पसंद की जाने लगी।
रुदाकी की जन्म आधुनिक ताजिकिस्तान में माना जाता था जो उस समय फ़ारसी सांस्कृतिक क्षेत्र के अन्दर आता था । कहा जाता है कि वे जन्मजात अन्धे थे पर उनके द्वारा रंगों का इतना संजीदा चित्रण किया है कि यह विश्वास करना मुश्किल लगता है । यह जनश्रुति हिन्दी कवि सूरदास की कहानी जैसी लगती है ।
क्रोएशिया दक्षिण पूर्व यूरोप में पानोनियन प्लेन, बाल्कन्स और भूमध्य सागर के बीच बसा एक देश है। देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर जगरेब है। क्रोएशिया की सीमाएं उत्तर में स्लोवेनिया और हंगरी, उत्तर पूर्व में सर्बिया, पूर्व में बॉस्निया और हर्ज़ेगोविना और दक्षिण पूर्व में मोंटेंग्रो से मिलती है। देश का दक्षिण और पश्चिमी किनारा एड्रियाटिक सागर से मिलता है।
तीनों लोकों से समाहित एक शहर है, जिसमें स्थित मेरा निवास प्रासाद है काशी[१९]
समोसा उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध अल्पाहार है
संस्कृत को रोमन में लिखने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत लिप्यन्तरण वर्णमाला का प्रयोग किया जाता है। इस्कॉन ने इसके लिये कुछ फॉण्ट बनाये हैं।[४][५]
1. न्यायालय की कार्यवाही तथा निर्णय को दूसरे न्यायालय मे साक्ष्य के रूप मे प्रस्तुत किया जा सकेगा
(इ) कुंद शस्त्र, जैसे गदा।
प्रणव मुखर्जी की खुद की छवि पाक-साफ है, लेकिन वह एक उपयोगितावादी है. सन 1998 में rediff.com को दिये गये एक साक्षात्कार में उनसे जब कांग्रेस सरकार, जिसमें वह विदेश मंत्री थे, पर लगे भ्रष्टाचार के बारे में पूछा गया था. उन्होंने कहा:
धरा धरेंद्र नंदिनी विलाधुवंधुर- स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
मेगस्थनीज के अनुसार मौर्य शासन की नगरीय प्रशासन छः समिति में विभक्‍त था ।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर और गाँव ब्रह्मगिरि नामक पहाड़ी की तलझटी में स्थित है। इस गिरि‍ को शिव का साक्षात रूप माना जाता है। इसी पर्वत पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गमस्थल है। कहा जाता है-
कर्नाटक में ११ जहाजपत्तन हैं, जिनमें मंगलौर पोर्ट सबसे नया है, जो अन्य दस की अपेक्षा सबसे बड़ा और आधुनिक है।[८१] मंगलौर का नया पत्तन भारत के नौंवे प्रधान पत्तन के रूप में ४ मई, १९७४ को राष्ट्र को सौंपा गया था। इस पत्तन में वित्तीय वर्ष २००६-०७ में ३ करोड़ २०.४ लाख टन का निर्यात एवं १४१.२ लाख टन का आयात व्यापार हुआ था। इस वित्तीय वर्ष में यहां कुल १०१५ जलपोतों की आवाजाही हुई, जिसमें १८ क्यूज़ पोत थे। राज्य में अन्तर्राज्यीय जलमार्ग उल्लेखनीय स्तर के विकसित नहीं हैं।[८२]
संगीत, नाटक, और अभिनय के संपूर्ण ग्रंथ के रूप में भारतमुनि के नाट्य शास्त्र का आज भी बहुत सम्मान है। उनका मानना है कि नाट्य शास्त्र में केवल नाट्य रचना के नियमों का आकलन नहीं होता बल्कि अभिनेता रंगमंच और प्रेक्षक इन तीनों तत्वों की पूर्ति के साधनों का विवेचन होता है। 37 अध्यायों में भरतमुनि ने रंगमंच अभिनेता अभिनय नृत्यगीतवाद्य, दर्शक, दशरूपक और रस निष्पत्ति से संबंधित सभी तथ्यों का विवेचन किया है। भरत के नाट्य शास्त्र के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि नाटक की सफलता केवल लेखक की प्रतिभा पर आधारित नहीं होती बल्कि विभिन्न कलाओं और कलाकारों के सम्यक के सहयोग से ही होती है।[१]
3 अनुच्छेद 7 के अंतर्गत कोई भी सूची
मित्र संगम
मैं आपके सामने नतमस्‍तक होता हूँ। ओ माता,
इस युग में सूफियाना कविता की बड़ी वृद्धि हुई, जिसका कारण मुगलों के आक्रमणों से हर ओर फैली हुई बरबादी थी। इससे संसार की अस्थिरता सबसे हृदयों पर जम गई। सूफी मत में संसार की नश्वरता पर बड़ा बल दिया जाता है। इस काल के सामाजिक जीवन में बहुत सी बुराइयाँ आ गई थीं, जिनपर इस समय के कवियों ने बहुत लिखा है। इस काल के बड़े कवियों में से जलालुद्दीन रूमी उल्लेख्य हैं। ये सन् 1207 ई. में बल्ख में पैदा हुए और सन् 1273 ई. में कोनैन: में, जो तुर्की में है, मरे। इनकी प्रसिद्ध मसनवी की सूफी संसार में बड़ी प्रतिष्ठा है और इसे फारसी का कुरान कहा जाता है। मसनवी के सिवा इनका दीवान भी है, जो "दीवान शम्स तब्रेज" के नाम से प्रसिद्ध है।
भारत के शहरों का पुनर्नामकरण, स्न 1947 में, अंग्रेज़ोंके भारत छोड़ कर जाने के बाद आरंभ हुआ था, जो आज तक जारी है। कई पुनर्नामकरणों में राजनैतिक विवाद भी हुए हैं। सभी प्रस्ताव लागू भी नहीं हुए हैं। प्रत्येक शहर पुनर्नामकरण को केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुमोदित होना चाहिये।
Scheme of a lithium atom
The rapidly growing population of the state is straining all of its transportation networks. A regularly recurring issue in California politics is whether the state should continue to aggressively expand its freeway network or concentrate on improving mass transit networks in urban areas.
कमल संदेश भारतीय जनता पार्टी की मुखपत्रिका है। श्री प्रभात झा, राज्‍यसभा सांसद इसके संपादक हैं एवं श्री संजीव कुमार सिन्‍हा संपादकमंडल सदस्‍य हैं।
कुछ काल के पश्चात राम ने चित्रकूट से प्रयाण किया तथा वे अत्रि ऋषि के आश्रम पहुँचे। अत्रि ने राम की स्तुति की और उनकी पत्नी अनसूया ने सीता को पातिव्रत धर्म के मर्म समझाये। वहाँ से फिर राम ने आगे प्रस्थान किया और शरभंग मुनि से भेंट की। शरभंग मुनि केवल राम के दर्शन की कामना से वहाँ निवास कर रहे थे अतः राम के दर्शनों की अपनी अभिलाषा पूर्ण हो जाने से योगाग्नि से अपने शरीर को जला डाला और ब्रह्मलोक को गमन किया। और आगे बढ़ने पर राम को स्थान स्थान पर हड्डियों के ढेर दिखाई पड़े जिनके विषय में मुनियों ने राम को बताया कि राक्षसों ने अनेक मुनियों को खा डाला है और उन्हीं मुनियों की हड्डियाँ हैं। इस पर राम ने प्रतिज्ञा की कि वे समस्त राक्षसों का वध करके पृथ्वी को राक्षस विहीन कर देंगे। राम और आगे बढ़े और पथ में सुतीक्ष्ण, अगस्त्य आदि ऋषियों से भेंट करते हुये दण्डक वन में प्रवेश किया जहाँ पर उनकी मुलाकात जटायु से हुई। राम ने पंचवटी को अपना निवास स्थान बनाया।
थिरूक्कुरल की रचना करने वाले अमर तमिल कवि तिरूवल्लुवर की यह प्रतिमा पर्यटकों को बहुत लुभाती है। 38 फीट ऊंचे आधार पर बनी यह प्रतिमा 95 फीट की है। इस प्रतिमा की कुल उंचाई 133 फीट है और इसका वजन 2000 टन है। इस प्रतिमा को बनाने में कुल 1283 पत्थर के टुकड़ों का उपयोग किया गया था।
नौंवी सदी में यह सामानी साम्राज्य का अंग बना। सामानियों ने पारसी धर्म त्यागकर सुन्नी इस्लाम को आत्मसात किया। चौदहवीं सदी के अंत में यह तब महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया जब यहाँ तैमूर लंग का उदय हुआ। तैमूर ने मध्य और पश्चिमी एशिया में अद्भुत सफ़लता पाई। तैमूर ने उस्मान (ऑटोमन) सम्राट को भी हरा दिया था। उन्नीसवीं सदी में यह बढ़ते हुए रूसी साम्राज्य और 1924 में सोवियत संघ का सदस्य का अंग बना। 1991 में इसने सोवियत संघ से आजादी हासिल की।
Gdańsk
• हीरालाल सेन
ईलियद में जिस युग की घटनाओं का उल्लेख है उसको वीरयुग कहते हैं। श्लीमान और डेफैल्ट को ट्राय नगर की खुदाई के पश्चात् इस युग की सत्यता निर्विवाद सिद्ध हो चुकी थी। ई.पू. 13वीं और 13 शताब्दियाँ इस युग का काल मानी जाती हैं। पर ईलियद के रचनाकाल की सीमाएँ ई.पू. नवीं और सातवीं शताब्दियाँ हैं। होमर की रचनाओं से संबंध रखनेवाली समस्याएँ अत्यंत जटिल हैं। एक समय होमर के अस्तित्व तक पर संदेह किया जाने लगा था। पर अब स्थिति अधिक अनुकूल हो चली है, यद्यपि अब भी होमर के महाकाव्य एक विकासक्रम की चरम परिणति माने जाते हैं जिनमें एक लोकोत्तर प्रतिभा का कौशल स्पष्ट लक्षित होता है।
A titanium crystal bar made by the iodide process
मुग़ल साम्राज्य (मुग़ल सलतनत-ए-हिंद, बाबर इम्पारातोरलुगु), एक इस्लामी तुर्की साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ. मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे, और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया ।1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊंचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था । उस समय 40 लाख km² (15 लाख mi²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था ।[१] 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई । उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष, और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया ।
काशी विश्वनाथ मंदिर, जिसे कई बार स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है,[८१] अपने वर्तमान रूप में १७८० में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्करद वारा बनवाया गया था। ये मंदिर गंगा नदी के दशाश्वमेध घाट के निकट ही स्थित है। इस मंदिर की काशी में सर्वोच्च महिमा है, क्योंकि यहां विश्वेश्वर या विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इस ज्योतिर्लिंग का एक बार दर्शनमात्र किसी भी अन्य ज्योतिर्लिंग से कई गुणा फलदायी होता है। १७८५ में तत्कालीन गवर्नर जनरल वार्रन हास्टिंग्स के आदेश पर यहां के गवर्नर मोहम्मद इब्राहिम खां ने मंदिर के सामने ही एक नौबतखाना बनवाया था। १८३९ में पंजाब के शासक पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह इस मंदिर के दोनों शिखरों को स्वर्ण मंडित करवाने हेतु स्वर्ण दान किया था। २८ जनवरी, १९८३ को मंदिर का प्रशासन उत्तर प्रदेश सरकार नेल लिया और तत्कालीन काशी नरेश डॉ.विभूति नारायण सिंह की अध्यक्षता में एक न्यास को सौंप दिया। इस न्यास में एक कार्यपालक समिति भी थी, जिसके चेयरमैन मंडलीय आयुक्त होते हैं।[८२]
Other archaeological sites including:
अपनी व्यक्तिगत धार्मिक अनुभूति और सामाजिक आलोचना द्वारा कबीर आदि संतों ने जनता को विचार के स्तर पर प्रभावित किया था। सूफी संतों ने अपने प्रेमाख्यानों द्वारा लोकमानस को भावना के स्तर पर प्रभावित करने का प्रयत्न किया। ज्ञानमार्गी संत कवियों की वाणी मुक्तकबद्ध है, प्रेममार्गी कवियों की प्रेमभावना लोकप्रचलित आख्यानों का आधार लेकर प्रबंधकाव्य के रूप में ख्पायित हुई है। सूफी ईश्वर को अनंत प्रेम और सौंदर्य का भंडार मानते हैं। उनके अनुसार ईश्वर को जीव प्रेम के मार्ग से ही उपलब्ध कर सकता है। साधाना के मार्ग में आनेवाली बाधाओं को वह गुरु या पीर की सहायता से साहसपूर्वक पार करके अपने परमप्रिय का साक्षात्कार करता है। सूफियों ने चाहे अपने मत के प्रचार के लिए अपने कथाकाव्य की रचना की हो पर साहित्यिक दृष्टि से उनका मूल्य इसलिए है कि उसमें प्रेम और उससे प्रेरित अन्य संवेगों की व्यंजना सहजबोध्य लौकिक भूमि पर हुई है। उनके द्वारा व्यंजित प्रेम ईश्वरोन्मुख है पर सामान्यत: यह प्रेम लौकिक भूमि पर ही संक्रमण करता है। परमप्रिय के सौंदर्य, प्रेमक्रीड़ा और प्रेमी के विरहोद्वेग आदि का वर्णन उन्होंने इतनी तन्मयता से किया है और उनके काव्य का मानवीय आधार इतना पुष्ट है कि आध्यात्मिक प्रतीकों और रूपकों के बावजूद उनकी रचनाएँ प्रेमसमर्पित कथाकाव्य की श्रेष्ठ कृतियाँ बन गई हैं। उनके काव्य का पूरा वातावरण लोकजीवन का और गार्हस्थिक है। प्रेमाख्यानकों की शैली फारसी के मसनवी काव्य जैसी है।
अमृतसर के व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहां का बना चिकन, मक्के की रोटी, सरसों का साग और लस्सी बहुत प्रसिद्ध है। अमृतसर पंजाब में स्थित है। खाने-पीने के शौकीन लोगों के लिए पंजाब स्वर्ग माना जाता है।
पुराणों में इस जगह को कलयाणपुरी या कलयाण नगर के नाम से जाना जाता था । अन्ग्रेज़ों के आगमन के पश्चात ही बंगलोर को अपना यह अन्ग्रेज़ी नाम मिला ।
बौद्ध धर्मानुयायी होने के कारण लिच्छवि जाति ने शांति तथा अहिंसा का समर्थन किया। संभवत: मगध साम्राज्य के अंतर्गत लिच्छवि जाति प्रजातंत्र ढंग पर सदियों तक शासन करती रही। ईसवी सन् के आरंभ से कुषाण काल में लिच्छवि संघ ने पुन: स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। उनका संगठन प्रबल हो गया और उत्तरी बिहार में वैशाली राज्य प्रमुख हो गया। चौथी सदी में गुप्त वंश का उदय होने पर गुप्त नरेश लिच्छवि वंश से वैवाहिक संबंध के कारण शक्तिशाली हो गए। गुप्त साम्राज्य का प्रादुर्भाव लिच्छवियों के सहयोग से संभव हो सका था। इसकी पुष्टि गुप्त अभिलेखों तथा स्वर्णमुद्राओं से हो जाती है।
1487- middle 16th century  Ouadane
14 नवम्बर 1976 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त तिवारी ने गाजियाबाद को एक जिला घोषित किया था, इससे पहले यह मेरठ जिले की एक तहसील था। 31 अगस्त 1994 को गाजियाबाद को नगर निगम का दर्जा दिया गया। जिला बनने के बाद गाजियाबाद ने सामाजिक, आर्थिक और कृषि के मोर्चे पर अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है।
मेघदूतम् और ऋतुसंहारः उनके गीतिकाव्य हैं। मेघदूतम् में एक विरह-पीड़ित निर्वासित यक्ष एक मेघ से अनुरोध करता है कि वह उसका संदेश अलकापुरी उसकी प्रेमिका तक लेकर जाए, और मेघ को रिझाने के लिए रास्ते में पड़ने वाले सभी अनुपम दृश्यों का वर्णन करता है। ऋतुसंहार में सभी ऋतुओं में प्रकृति के विभिन्न रूपों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
१९१० से १९६० के बीच हिन्दी कहानी का विकास जितनी गति के साथ हुआ उतनी गति किसी अन्य साहित्यिक विधा के विकास में नहीं देखी जाती। सन १९०० से १९१५ तक हिन्दी कहानी के विकास का पहला दौर था। मन की चंचलता (माधवप्रसाद मिश्र) १९०७ गुलबहार (किशोरीलाल गोस्वामी) १९०२, पंडित और पंडितानी (गिरिजादत्त वाजपेयी) १९०३, ग्यारह वर्ष का समय (रामचंद्र शुक्ल) १९०३, दुलाईवाली (बंगमहिला) १९०७, विद्या बहार (विद्यानाथ शर्मा) १९०९, राखीबंद भाई (वृन्दावनलाल वर्मा) १९०९, ग्राम (जयशंकर 'प्रसाद') १९११, सुखमय जीवन (चंद्रधर शर्मा गुलेरी) १९११, रसिया बालम (जयशंकर प्रसाद) १९१२, परदेसी (विश्वम्भरनाथ जिज्जा) १९१२, कानों में कंगना (राजाराधिकारमण प्रसाद सिंह) १९१३, रक्षाबंधन (विश्वम्भरनाथ शर्मा 'कौशिक') १९१३, उसने कहा था (चंद्रधर शर्मा गुलेरी) १९१५, आदि के प्रकाशन से सिद्ध होता है कि इस प्रारंभिक काल में हिन्दी कहानियों के विकास के सभी चिन्ह मिल जाते हैं। प्रेमचंद के आगमन से हिन्दी का कथा-साहित्य आदर्शोन्मुख यथार्थवाद की ओर मुड़ा। और प्रसाद के आगमन से रोमांटिक यथार्थवाद की ओर। चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' की कहानी 'उसने कहा था' में यह अपनी पूरी रंगीनी में मिलता है। सन १९२२ में उग्र का हिन्दी-कथा-साहित्य में प्रवेश हुआ। उग्र न तो प्रसाद की तरह रोमैंटिक थे और न ही प्रेमचंद की भाँति आदर्शोन्मुख यथार्थवादी। वे केवल यथार्थवादी थे – प्रकृति से ही उन्होंने समाज के नंगे यथार्थ को सशक्त भाषा-शैली में उजागर किया। १९२७-१९२८ में जैनेन्द्र ने कहानी लिखना आरंभ किया। उनके आगमन के साथ ही हिन्दी-कहानी का नया उत्थान शुरू हुआ। १९३६ प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना हो चुकी थी। इस समय के लेखकों की रचनाओं में प्रगतिशीलता के तत्त्व का जो समावेश हुआ उसे युगधर्म समझना चाहिए। यशपाल राष्ट्रीय संग्राम के एक सक्रिय क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे, अतः वह प्रभाव उनकी कहानियों में भी आया। अज्ञेय प्रयोगधर्मा कलाकार थे, उनके आगमन के साथ कहानी नई दिशा की ओर मुड़ी। जिस आधुनिकता बोध की आज बहुत चर्चा की जाती है उसके प्रथम पुरस्कर्ता अज्ञेय ही ठहरते हैं। अश्क प्रेमचंद परंपरा के कहानीकार हैं। अश्क के अतिरिक्त वृंदावनलाल वर्मा, भगवतीचरण वर्मा, इलाचन्द्र जोशी, अमृतलाल नागर आदि उपन्यासकारों ने भी कहानियों के क्षेत्र में काम किया है। किन्तु इनका वास्तविक क्षेत्र उपन्यास है कहानी नहीं। इसके बाद सन १९५० के आसपास से हिन्दी कहानियाँ नए दौर से गुजरने लगीं। आधुनिकता बोध की कहानियाँ या नई कहानी नाम दिया गया।
एक सक्रिय प्रतियोगी उच्च रैंक पाने का अनुसरण न करने का विकल्प चुन सकता है और प्रतियोगिता की तैयारी अपना ध्यान केन्द्रित करने का विकल्प ले सकता है; उदाहरण के लिए, 2004 पैराओलम्पिक्स में 70 किलो से कम वजन वाली श्रेणी में लोरेना पियर्स नामक एक इक्क्यु (ब्राउन बेल्ट या भूरा रंग का बेल्ट) महिला प्रतियोगी ने एक रजत पदक प्राप्त किया था. ज्ञान और क्षमता के अलावा, रैंक पाने के लिए आम तौर पर एक न्यूनतम आयु सीमा की जरूरत पड़ती है.[२५] इसलिए, राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में किशोर/किशोरी प्रतियोगियों को देखना कोई बड़ी बात नहीं है जो पिछले 10 सालों से जुडो का अभ्यास कर रहे हैं लेकिन एक डैन रैंक की योग्यता पाने के लिए काफी कम उम्र होने की वजह से उन्हें केवल ब्लू बेल्ट अर्थात् नीले रंग का बेल्ट या ब्राउन बेल्ट अर्थात् भूरा रंग का बेल्ट मिला हुआ है. जब एक बार एक व्यक्ति को एक डैन रैंक का एक स्तर प्राप्त हो जाता है तो अलग-अलग कारणों से उसे आगे भी पदोन्नत किया जा सकता है जिसमें कुशलता का स्तर, प्रतियोगिता का प्रदर्शन और/या जुडो में योगदान, जैसे - प्रशिक्षण और स्वयं सेवा समय, शामिल हैं.[२६] इसलिए, जरूरी नहीं है कि एक अधिक ऊंचे डैन रैंक का मतलब यह हो कि इसे धारण करने वाला एक बढ़िया लड़ाका है (हालांकि अक्सर ऐसा होता है).
शिव में परस्पर विरोधी भावों का सामंजस्य देखने को मिलता है। शिव के मस्तक पर एक ओर चंद्र है, तो दूसरी ओर महाविषधर सर्प भी उनके गले का हार है। वे अर्धनारीश्वर होते हुए भी कामजित हैं। गृहस्थ होते हुए भी श्मशानवासी, वीतरागी हैं। सौम्य, आशुतोष होते हुए भी भयंकर रुद्र हैं। शिव परिवार भी इससे अछूता नहीं हैं। उनके परिवार में भूत-प्रेत, नंदी, सिंह, सर्प, मयूर व मूषक सभी का समभाव देखने को मिलता है। वे स्वयं द्वंद्वों से रहित सह-अस्तित्व के महान विचार का परिचायक हैं। ऐसे महाकाल शिव की आराधना का महापर्व है शिवरात्रि।
—इस कोटि के जजॉ के राष्ट्रपति तब पदच्युत करेगा जब संसद के दोणो सदनॉ के कम से कम 2/3 उपस्थित तथा मत देने वाले तथा सदन के कुल बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव जो कि सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पे लाया गया हो के द्वारा उसे अधिकार दिया गया हो ये आदेश उसी संसद सत्र मे लाया जायेगा जिस सत्र मे ये प्रस्ताव संसद ने पारित किया हो अनु 124[5] मे वह प्रक्रिया वर्णित है जिस से जज पद्च्युत होते है इस प्रक्रिया के आधार पर संसद ने न्यायधीश अक्षमता अधिनियम 1968 पारित किया था इसके अंतर्गत
जैसे ही हम नैनीताल से हल्द्वानी की ओर आते हैं, हमें चीड़ के घने वृक्षों के मध्य एक बस्ती सड़क के दाहिनी तरफ दिखाई देती है। यही पटुवा डाँगर है। यह नैनीताल से १४.९ कि.मी. की दूरी पर स्थित है। पटुवा डाँगर पहाड़ों के मध्य एक सुन्दर नगर है यहाँ प्रदेश का 'वैक्सीन' का सबसे बड़ा संस्थान है, यहाँ भी देश-विदेश के पर्यटक आते रहते हैं।
यूएसएस सेन फ्रांसिस्को 1942 में गोल्डन गेट ब्रिज के तहत द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, steams. शहरी 1950 और 1960 के दशक में परियोजनाओं की योजना बना व्यापक विनाश और पश्चिम की ओर पड़ोस के पुनर्निर्माण और नए freeways, जिसमें से केवल छोटे क्षेत्रों की एक श्रृंखला के नागरिक होने के नेतृत्व वाली विपक्षी द्वारा रोक से पहले बनाया गया था के निर्माण देखा [42] Transamerica पिरामिड. था 1972 में पूरा हो, [43] और 1980 में सैन फ्रांसिस्को की Manhattanization देखा व्यापक उच्च वृद्धि शहर विकास [44] पोर्ट गतिविधि. ओकलैंड में ले जाया गया, शहर के औद्योगिक नौकरी खो शुरू किया, और सेन फ्रांसिस्को के रूप में पर्यटन के लिए बारी है शुरू किया अपनी अर्थव्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण खंड. उपनगरों तेजी से विकास अनुभवी, और सैन फ्रांसिस्को उल्लेखनीय जनसांख्यिकीय परिवर्तन आया और सफेद आबादी के बड़े वर्ग के रूप में शहर छोड़ दिया है, एशिया और लैटिन अमेरिका से आव्रजन के एक बढ़ती हुई लहर द्वारा supplanted. [45] [46] इस अवधि के दौरान, सेन फ्रांसिस्को अमेरिका के counterculture के लिए एक चुंबक बने. मारो जनरेशन लेखकों सेन फ्रांसिस्को नवजागरण fueled और 1950 के दशक में उत्तरी समुद्र तट पर केन्द्रित पड़ोस [47.] हिप्पी 1960 के दशक में Haight-Ashbury करने के लिए flocked, 1967 के प्यार की गर्मी के साथ एक चोटी तक पहुंच गया. [48] 1970 के दशक में शहर में समलैंगिक अधिकार आंदोलन का केंद्र एक शहरी समलैंगिक गांव के रूप में कास्त्रो के उद्भव के साथ, बन गया है, हार्वे दूध के पर्यवेक्षकों के बोर्ड के चुनाव, और उनकी हत्या, मेयर जॉर्ज Moscone की, के साथ 1978 में [49. ] 1989 के Loma Prieta भूकंप के विनाश और जीवन की हानि भर खाड़ी क्षेत्र के कारण होता है. सेन फ्रांसिस्को में, भूकंप गंभीर Marina और बाजार जिलों के दक्षिण में क्षतिग्रस्त संरचनाओं और क्षतिग्रस्त Embarcadero फ्रीवे के विध्वंस और क्षतिग्रस्त precipitated केंद्रीय फ्रीवे से ज्यादा है, शहर अपने ऐतिहासिक waterfront शहर को पुनः प्राप्त करने के लिए अनुमति देता है. के दौरान-com देर से 1990 के दशक के बूम, स्टार्टअप अर्थव्यवस्था invigorated कंपनियों डॉट. उद्यमियों और कंप्यूटर अनुप्रयोग डेवलपर्स के बड़ी संख्या में शहर में ले जाया गया, विपणन और बिक्री पेशेवरों द्वारा पीछा किया, सामाजिक परिदृश्य को बदलने के रूप में एक बार गरीब neighborhoods gentrified बन गया. जब 2001 में बुलबुला फट, इन कंपनियों के कई तह, और अपने कर्मचारियों को छोड़ दिया, हालांकि उच्च प्रौद्योगिकी और उद्यमशीलता को सैन फ्रांसिस्को की अर्थव्यवस्था के mainstays बने हुए हैं. [
5. सांसद/विधायक की अयोग्यता[दल बदल को छोडकर]पर राष्ट्रपति/राज्यपाल को सलाह देना
समस्त चेष्टाओं, इंद्रियों, मन ओर आत्मा के आधारभूत पांचभौतिक पिंड की शरीर कहते हैं। मानव शरीर के स्थूल रूप में छह अंग हैं; दो हाथ, दो पैर, शिर और ग्रीवा एक तथा अंतराधि (मध्यशरीर) एक। इन अंगों के अवयवों को प्रत्यंग कहते हैं,-मूर्धा (हेड), ललाट, भ्रू, नासिका, अक्षिकूट (ऑर्बिट), अक्षिगोलक (आइबॉल), वर्त्स (पलक), पक्ष्म (बरुनी), कर्ण (कान), कर्णपुत्रक (ट्रैगस), शष्कुली और पाली (पिन्न एंड लोब ऑव इयर्स), शंख (माथे के पार्श्व, टेंपुल्स), गंड (गाल), ओष्ठ (होंठ), सृक्कणी (मुख के कोने), चिबुक (ठुड्डी), दंतवेष्ट (मसूड़े), जिह्वा (जीभ), तालु, टांसिल्स, गलशुंडिका (युवुला), गोजिह्विका (एपीग्लॉटिस), ग्रीवा (गरदन), अवटुका (लैरिंग्ज़), कंधरा (कंधा), कक्षा (एक्सिला), जत्रु (हंसुली, कालर), वक्ष (थोरेक्स), स्तन, पार्श्व (बगल), उदर (बेली), नाभि, कुक्षि (कोख), बस्तिशिर (ग्रॉयन), पृष्ठ (पीठ), कटि (कमर), श्रोणि (पेल्विस), नितंब, गुदा, शिश्न या भग, वृषण (टेस्टीज़), भुज, कूर्पर (केहुनी), बाहुपिंडिका या अरत्नि (फ़ोरआर्म), मणिबंध (कलाई), हस्त (हथेली), अंगुलियां और अंगुष्ठ, ऊरु (जांघ), जानु (घुटना), जंघा (टांग, लेग), गुल्फ (टखना), प्रपद (फुट), पादांगुलि, अंगुष्ठ और पादतल (तलवा),। इनके अतिरिक्त हृदय, फुफ्फुस (लंग्स), यकृत (लिवर), प्लीहा (स्प्लीन), आमाशय (स्टमक), पित्ताशय (गाल ब्लैडर), वृक्क (गुर्दा, किडनी), वस्ति (यूरिनरी ब्लैडर), क्षुद्रांत (स्मॉल इंटेस्टिन), स्थूलांत्र (लार्ज इंटेस्टिन), वपावहन (मेसेंटेरी), पुरीषाधार, उत्तर और अधरगुद (रेक्टम), ये कोष्ठांग हैं और सिर में सभी इंद्रियों और प्राणों के केंद्रों का आश्रय मस्तिष्क (ब्रेन)है।
अस्त्रों को दो विभागों में बाँटा गया है-
कार्डिफ़, वेल्स, संयुक्त साम्राज्य में १९५८ के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण जेतने के बाद सिख होने की वजह से लंबे बालों के साथ पदक स्वीकारने पर पूरा खेल विश्व उन्हें जानने लगा।
जैसे जैसे बहुभुज की भुजाओं की संख्या बढ़ती है, व्रत का सन्निकटन अधिक सटीक हो जाता है. जब प्रत्येक बहुभुज में 96 भुजाएं थीं, उन्होंने उनकी भुजाओं की लम्बाई की गणना की और दर्शाया कि π का मान 31⁄7 (लगभग 3.1429) और 310⁄71 (लगभग 3.1408) के बीच था, यह इसके वास्तविक मान लगभग 3.1416 के अनुरूप था. उन्होंने यह भी प्रमाणित किया कि व्रतों का क्षेत्रफल π और व्रत की त्रिज्या के वर्ग के गुणनफल के बराबर था.
सर्बो-क्रोएशियाई विकिपीडिया विकिपीडिया का सर्बो-क्रोएशियाई संस्करण है। २६ मई, २००९ तक इस पर लेखों की कुल संख्या २२,०००+ है। यह विकिपीडिया का इक्सठवां सबसे बड़ा संस्करण है।
सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है।[३] इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है।
कलिंग युद्ध में हुई क्षति तथा नरसंहार से उसका मन लड़ाई करने से उब गया और वो अपने कृत्य से व्यथित हो गया । इसी शोक में वो बुद्ध के उपदेशों के करीब आता गया और उसने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिय ।
जोशीमठ बहुत ही पवित्र स्थान है। यह माना जाता है कि महागुरू आदि शंकराचार्य ने यहीं पर ज्ञान प्राप्त किया था। यह मानना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि यहां पर बहुत ही विषम परिस्थितियां है। इसके अलावा यहां पर नरसिंह, गरूड मंदिर, आदि शंकराचार्य का मठ और अमर कल्प वृक्ष है। यह माना जाता है कि यह वृक्ष लगभग 2,500 वर्ष पुराना है। इसके अलावा तपोवन भी घुमा जा सकता है। यह जोशीमठ से 14 किमी. और औली से 32 किमी. दूर है। तपोवन पवित्र बद्रीनाथ यात्रा के रास्ते में पड़ता है। यहीं से बद्रीनाथ यात्रा की शुरूआत मानी जाती है। बद्रीनाथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र चार धाम यात्रा में से एक मानी जाती है।
नामकरण के बाद चूडाकर्म और यज्ञोपवीत संस्कार होता है। इसके बाद विवाह संस्कार होता है। यह गृहस्थ जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार है। हिन्दू धर्म में स्त्री और पुरुष दोनों के लिये यह सबसे बडा संस्कार है, जो जन्म-जन्मान्तर का होता है।
भारत के दक्षिणी भाग को दक्षिण भारत भी कहते हैं । अपनी संस्कृति, इतिहास तथा प्रजातीय मूल की भिन्नता के कारण यह शेष भारत से अलग पहचान बना चुका है । हलांकि इतना भिन्न होकर भी यह भारत की विविधता का एक अंगमात्र है ।
यूनिस्क्राइब माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़ में यूनिकोड ऍन्कोडित टैक्स्ट, विशेषकर कॉम्प्लॅक्स स्क्रिप्ट लेआउट रॅण्डर करने हेतु सेवायें प्रदान करने वाला इञ्जन है। ये USP10.DLL नामक डायनेमिक लिंक लाइब्रेरी में क्रियान्वित किये जाते हैं। USP10.dll विण्डोज़ २००० में तथा इण्टरनेट ऍक्सप्लोरर ५.० में आया था। इसके अतिरिक्त विण्डोज़ सीई प्लेटफॉर्म यूनिस्क्राइब का संस्करण ५.० से समर्थन करता है।
श्रीमती मदुरै षण्मुखवडिवु सुब्बुलक्ष्मी (16 सितंबर, 1916-2004) कर्णाटक संगीत की मशहूर संगीतकार थीं। आप शास्तीय संगीत की दुनिया में एम. एस. अक्षरों से जानी जाती हैं।
आयुर्वेद के संबंध में सुश्रुत का मत है कि ब्रह्माजी ने पहली बार एक लाख श्लोक के, आयुर्वेद का प्रकाशन किया था जिसमें एक सहस्र अध्याय थे। उनसे प्रजापति ने पढ़ा तदुपरांत उनसे अश्विनी कुमारों ने पढ़ा और उन से इन्द्र ने पढ़ा। इन्द्रदेव से धन्वंतरि ने पढ़ा और उन्हें सुन कर सुश्रुत मुनि ने आयुर्वेद की रचना की।[८] भावप्रकाश के अनुसार आत्रेय प्रमुख मुनियों ने इन्द्र से आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त कर उसे अग्निवेश तथा अन्य शिष्यों को दिया।
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किसी भी महत्त्वपूर्ण पद ग्रहण के साथ शपथ ग्रहण समारोह भी अनिवार्य रूप से जुड़ा रहता है । कन्यादान, पाणिग्रहण एवं ग्रन्थि-बन्धन हो जाने के साथ वर-वधू द्वारा और समाज द्वारा दाम्पत्य सूत्र में बँधने की स्वीकारोक्ति हो जाती है । इसके बाद अग्नि एवं देव-शक्तियों की साक्षी में दोनों को एक संयुक्त इकाई के रूप में ढालने का क्रम चलता है । इस बीच उन्हें अपने कर्त्तव्य धर्म का महत्त्व भली प्रकार समझना और उसके पालन का संकल्प लेना चाहिए । इस दिशा में पहली जिम्मेदारी वर की होती है । अस्तु, पहले वर तथा बाद में वधू को प्रतिज्ञाएँ कराई जाती हैं ।
ध्वनिविकास की दृष्टि से पंजाबी अभी तक अपनी प्राकृत अवस्था से बहुत आगे नहीं बढ़ी है। तुलना कीजिए पंजाबी हत्थ, कन्न, जंघ, सत्त, कत्तणा, छडणा और हिंदी हाथ, कान, जाँघ, सात, कातना, छोड़ना आदि। पूर्वी पंजाबी में सघोष महाप्राण ध्वनियाँ (घ, झ, ढ, ध, भ) अघोष आरोही सुर के साथ बोली जाती हैं। यह पंजाबी की अपनी विशेषता है। पंजाबी बोलनेवालों की कुल संख्या करोड़ है।
यूनान, स्पेन एवं पुर्तगाल 1980 में यूरोपीय संघ के सदस्य बने। [१६] 1985 में श्लेगेन संधि संपन्न हुई जिसके बाद सदस्य राष्ट्रों के नागरिकों का एक-दूसरे के राष्ट्र में बगैर पासपोर्ट के आना जाना शुरु हुआ।[१७] 1986 में यूरोपीय संघ के सदस्यों ने सिंगल यूरोपियन एक्ट पर हस्ताक्षर किये और संघ का झंडा वजूद में आया। 1990 में पूर्वी जर्मनीका पश्चिमी जर्मनी में एकीकरण हुआ।[१८]
पहले सम्राट अकबर ने इस मंदिर को बनवाने की अनुमति दी थी। [२] बाद में औरंगजेब ने 1669 में इसे तुड़्वा दिया [१] और यहां ज्ञानवापी नामक सरोवर के स्थान पर एक मस्जिद बन्वा दी थी। वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन 1780 में करवाया गया था। [३]. बाद में महाराजा रंजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि.ग्रा शुद्ध सोने द्वारा मढ़्वाया गया था।[४].
अवस्थी मरने से पहले कुछ असाधारण काम करने का निर्णय लेता है। वह दूसरों की खुशी का स्रोत बन खुद की जिन्दगी का मकसद बनता है। आज के उपभोक्तावादी समाज मे जीवन की वास्तविकताओ को नाटक मे दर्शाया गया है। कुरुसावा की फ़िल्म ‘इकिरू’से प्रेरित अशोक लाल का नाटक 'एक मामूली आदमी' रोचक तरीके से दिखाता है कि किस तरह पारिवारिक और सामाजिक संवाद-विहीनता व्यक्तिगत और सामुदायिक जीवन मे व्यक्ति को संवेदनशीलता से दूर ले जाकर कुछ ख़ास होने की क़ैद में डाल देती है। यह् नाटक चुनौती के साथ आशा और सकारात्मक सोच के विकास मे योगदान देता है ।
इस पैमाने के अनुसार पानी, सामान्य दबाव पर 32 डिग्री फॉरेन्हाइट पर जमता है और 212 डिग्री फॉरेन्हाइट पर उबलता है । परम्परागत बुखार मापने के लिये प्रयुक्त थर्मॉमीटर में इसी पैमाने का प्रयोग होता है । यदि किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 98 डिग्री से ज्यादा हो जाता है तो वह ज्वर पीड़ित होता है । यह पैमाना दैनिक वातावरणीय तथा अन्य कामों मे प्रयुक्त होता है ।
उनका विश्वास था कि ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार, परहित-भावना तथा सद्व्यवहार का पालन करना अत्यावश्यक है। अभिमान त्याग कर दूसरों के साथ व्यवहार करने और विनम्रता तथा शिष्टता के गुणों का विकास करने पर उन्होंने बहुत बल दिया। अपने एक भजन में उन्होंने कहा है-
Purple rumped sunbird
विशाल अवरोधक चट्टान, दुनिया का सबसे बड़ा मूंगा- चट्टान,[४६] उत्तरी पूर्वी तट से बहुत कम दुरी में स्थित है और २,०००-किलोमीटर (१,२४० मील) से ज्यादा तक फैला हुआ है.माउंट अगस्टस को दुनिया का सबसे बड़ा पत्थर का खम्भा,माना जाता है, [४७] जो पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में स्थित है.२,२२८-मीटर (७,३१० फुट) पर स्थित ग्रेट डिवाइडिंग रेंज पर माउंट कोसिक्जो ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप का सबसे बड़ा चट्टान है; हलाकि हर्ड द्वीप के सुदूर ऑस्ट्रेलियन प्रदेश का मासन पीक २,७४५-मीटर (९,००६ फुट) लम्बा है.
समुद्रगुप्त के काल में सदियों के राजनीतिक विकेन्द्रीकरण तथा विदेशी शक्‍तियों के आधिपत्य के बाद आर्यावर्त पुनः नैतिक, बौद्धिक तथा भौतिक उन्‍नति की चोटी पर जा पहुँचा था ।
शैव मन्दिरों की सूची
कानपुर, उत्तरप्रदेश- 208011
बी पी सिन्हा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं।
कहां, कितनी जीएम फसलें दुनिया के कई देशों में जीएम फसलें इस्तेमाल में लाई जाती हैं। इनमें उत्तर और दक्षिण अमेरिका के अधिकांश देश शामिल हैं जहां सोयाबीन, मक्का, राई और चुकंदर आदि की जीएम फसलें उगाई और इस्तेमाल में लाई जाती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में पूरी दुनिया की आधी से अधिक जीएम फसलें इस्तेमाल की जाती हैं। इसके विपरीत यूरोप के केवल सात देशों में ही अभी तक जीएम फसलों के इस्तेमाल को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है। एशिया में भी भारत और चीन समेत केवल तीन देशों में ही जीएम फसलों को इस्तेमाल में लाए जाने की शुरुआत हुई है, लेकिन इसके लिए कड़े नियामक हैं। अफ्रीका में भी केवल तीन देश ही हैं जिन्होंने जीएम फसलों के इस्तेमाल की इजाजत अभी तक दी है।
कर्नाटक संगीत यहां की मुख्यधारा संगीत-विधा है ।
राम ऋष्यमूक पर्वत के निकट आ गये। उस पर्वत पर अपने मन्त्रियों सहित सुग्रीव रहता था। सुग्रीव ने, इस आशंका में कि कहीं बालि ने उसे मारने के लिये उन दोनों वीरों को न भेजा हो, हनुमान को राम और लक्ष्मण के विषय में जानकारी लेने के लिये ब्राह्मण के रूप में भेजा। यह जानने के बाद कि उन्हें बालि ने नहीं भेजा है हनुमान ने राम और सुग्रीव में मित्रता करवा दी। सुग्रीव ने राम को सान्त्वना दी कि जानकी जी मिल जायेंगीं और उन्हें खोजने में वह सहायता देगा साथ ही अपने भाई बालि के अपने ऊपर किये गये अत्याचार के विषय में बताया। राम ने बालि का छलपूर्वक वध कर के सुग्रीव को किष्किन्धा का राज्य तथा बालि के पुत्र अंगद को युवराज का पद दे दिया।[११]
13. श्रीकृष्ण काव्य में लोक-जीवन के प्रति उपेक्षा की भावना पाई जाती है। इसका मुख्य कारण है- कृष्ण के लोकरंजक रूप की प्रधानता।
3. नरेन्द्र कोहली :चिंतन और सृजन, लेखक: डॉ. सतीश पांडेय, 2002 ई. प्रकाशक: प्रज्ञा प्रकाशन, ए- 18, संतोषी मां अपार्टमेंट, विट्ठलवाडी, कल्याण (पूर्व) - 421306
चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर) के सेनापति सेल्यूकस को ३०५ ईसापूर्व के आसपास हराया था । ग्रीक विवरण इस विजय का उल्ले़ख नहीं करते हैं पर इतना कहते हैं कि चन्द्रगुप्त (यूनानी स्रोतों में सैंड्रोकोटस नाम से द्योतित) और सेल्यूकस के बीच एक संधि हुई थी जिसके अनुसार सेल्यूकस ने कंदहार, काबुल, हेरात और बलूचिस्तान के प्रदेश चन्द्रगुप्त को दे दिए थे । इसके साथ ही चन्द्रगुप्त ने उसे ५०० हाथी भेंट किए थे । इतना भी कहा जाता है चन्द्रगुप्त ने या उसके पुत्र बिंदुसार ने सेल्यूकस की बेटी से वैवाहिक संबंध स्थापित किया था । सेल्यूकस ने मेगास्थनीज़ को चन्द्रगुप्त के दरबार में राजदूत के रूप में भेजा था । प्लूटार्क के अनुसार "सैंड्रोकोटस उस समय तक सिंहासनारूढ़ हो चुका था, उसने अपने ६,००,००० सैनिकों की सेवा से सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला और अपने अधीन कर लिया" । यह टिप्पणी थोड़ी अतिशयोक्ति कही जा सकती है क्योंकि इतना ज्ञात है कि कावेरी नदी और उसके दक्षिण के क्षेत्रों में उस समय चोलों, पांड्यों, सत्यपुत्रों तथा केरलपुत्रों का शासन था । अशोक के शिलालेख कर्नाटक में चित्तलदुर्ग, येरागुडी तथा मास्की में पाए गए हैं । उसके शिलालिखित धर्मोपदेश प्रथम तथा त्रयोदश में उनके पड़ोसी चोल, पांड्य तथा अन्य राज्यों का वर्णन मिलता है । चुंकि ऐसी कोई जानकारी नहीं मिलती कि अशोक या उसके पिता बिंदुसार ने दक्षिण में कोई युद्ध लड़ा हो और उसमें विजय प्राप्त की हो अतः ऐसा माना जाता है उनपर चन्द्रगुप्त ने ही विजय प्राप्त की थी । अपने जीवन के उत्तरार्ध में उसने जैन धर्म अपना लिया था और सिंहासन त्यागकर कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में अपने गुरु जैनमुनि भद्रबाहु के साथ सन्यासी जीवन व्यतीत करने लगा था ।
दुबई की नगर पालिका की सामरिक योजना 2007-2011 , 2011 तक प्रति व्यक्ति हरित क्षेत्र 23.4 वर्ग मीटर तक और दुबई के शहरी क्षेत्रों में खेती 3.15% तक बढ़ाना चाहती है .नगर पालिका ने एक हरियाली परियोजना शुरू की है जो चार चरणों में पूरी की जाएगी जिसमे प्रत्येक चरण में 10,000 पौधे लगाये जायेंगे . प्रसिद्ध उद्यानों में शामिल हैं:
जी.के. पोदिला ने आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय, भारत से विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। लुइसियाना राज्य विश्वविद्यालय से उन्होंने १९८३ में स्नात्कोतर और १९८७ में इण्डियाना राज्य विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी। हन्ट्सविल के अलाबामा विश्वविद्यालय से जुड़ने से पहले वे १९९०-२००२ तक मिशिगन तकनीकी विश्वविद्यालय में कार्यरत थे।
थाईलैंड के शास्त्रीय संगीत चीनी, जापानी, भारतीय ओर इंडोनेशिया के संगीत के बहुत समीप जान पड़ता है। यहां बहुत की नृत्य शैलियां हैं जो नाटक से जुड़ी हुई हैं। इनमें रामायण का महत्वपूर्ण स्थान है। इन कार्यक्रमों में भारी परिधानों और मुखोटों का प्रयोग किया जाता है।
विशेष रूप से इन बंधित पदार्थों के ओलिगो- या मल्टीमर्स बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, चूँकि वे गाँठ की विशिष्टता और उत्कंठा को बढ़ाते हैं.
तथान्यातिलघुश्रोणी विपाया शेवला नदी।।"ब्रह्मपुराण - भारतवर्ष वर्णन प्रकरण - 19/31)
रामकृष्ण परमहंस की प्रशंसा सुनकर नरेंद्र उनके पास पहले तो तर्क करने के विचार से ही गए थे किंतु परमहंसजी ने देखते ही पहचान लिया कि ये तो वही शिष्य है जिसका उन्हें कई दिनों से इंतजार है। परमहंसजी की कृपा से इनको आत्म-साक्षात्कार हुआ फलस्वरूप नरेंद्र परमहंसजी के शिष्यों में प्रमुख हो गए। संन्यास लेने के बाद इनका नाम विवेकानंद हुआ।
(14). देवताओं और दैत्यों के दिन और रात्रि पारस्परिक उलटे होते हैं. उनके छः गुणा साठ देवताओं के (दिव्य) वर्ष होते हैं. ऐसे ही दैत्यों के भी होते हैं.
भारतीय दर्शन के अनुसार सृष्टि उत्पत्ति के पश्चात ब्रह्मा के मानस पुत्र स्वायंभुव मनु ने व्यवस्था सम्भाली। इनके दो पुत्र, प्रियव्रत और उत्तानपाद थे। उत्तानपाद भक्त ध्रुव के पिता थे। इन्हीं प्रियव्रत के दस पुत्र थे। तीन पुत्र बाल्यकाल से ही विरक्त थे। इस कारण प्रियव्रत ने पृथ्वी को सात भागों में विभक्त कर एक-एक भाग प्रत्येक पुत्र को सौंप दिया। इन्हीं में से एक थे आग्नीध्र जिन्हें जम्बूद्वीप का शासन कार्य सौंपा गया। वृद्धावस्था में आग्नीध्र ने अपने नौ पुत्रों को जम्बूद्वीप के विभिन्न नौ स्थानों का शासन दायित्व सौंपा। इन नौ पुत्रों में सबसे बड़े थे नाभि जिन्हें हिमवर्ष का भू-भाग मिला। इन्होंने हिमवर्ष को स्वयं के नाम अजनाभ से जोड़कर अजनाभवर्ष प्रचारित किया। यह हिमवर्ष या अजनाभवर्ष ही प्राचीन भारत देश था। राजा नाभि के पुत्र थे ऋषभ। ऋषभदेव के सौ पुत्रों में भरत ज्येष्ठ एवं सबसे गुणवान थे। ऋषभदेव ने वानप्रस्थ लेने पर उन्हें राजपाट सौंप दिया। पहले भारतवर्ष का नाम ॠषभदेव के पिता नाभिराज के नाम पर अजनाभवर्ष प्रसिद्ध था। भरत के नाम से ही लोग अजनाभखण्ड को भारतवर्ष कहने लगे।
इसके प्रांगण में विश्वनाथ का एक विशाल मंदिर भी है। विशाल सर सुंदरलाल चिकित्सालय, गोशाला, प्रेस, बुकडिपो एवं प्रकाशन, टाउन कमेटी (स्वास्थ्य), पी.डब्ल्यू.डी., स्टेट बैंक की शाखा, पर्वतारोहण केंद्र, एन.सी.सी. प्रशिक्षण केंद्र, "हिंदू यूनिवर्सिटी" नामक डाकखाना एवं सेवायोजन कार्यालय भी विश्वविद्यालय तथा जनसामान्य की सुविधा के लिए इसमें संचालित हैं। श्री सुंदरलाल, पं. मदनमोहन मालवीय, डा. एस. राधाकृष्णन् (भूतपूर्व राष्ट्रपति), डा. अमरनाथ झा, आचार्य नरेंद्रदेव, डा. रामस्वामी अय्यर, डा. त्रिगुण सेन (भूतपूर्व केंद्रीय शिक्षामंत्री) जैसे मूर्धन्य व्यक्ति यहाँ के कुलपति रह चुके हैं।
इंदिरा जी ने अकाली दल को बांटने और उसे कमजोर करने के उद्देश्य से भिंडरावाले को मान्यता दी और उसे प्रचारित किया जो देश के लिए उनके द्वारा की गयी सबसे बड़ी कलंकित सेवा थी। देश में इंदिरा जी के इस कृत्य से उत्पन्न आग आज तक ठंडी नहीं हो पाई है, जिसका ताजा़ शिकार पंजाब मे इंदिरा जी के ही मुख्य मंत्री श्री बेअंतसिंह हैं।
सिक्किम हिमालय के निचले हिस्से में पारिस्थितिक गर्मस्थान में भारत के तीन पारिस्थितिक क्षेत्रों में से एक बसा हुआ है। यहाँ के जंगलों में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु एवं वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। अलग अलग ऊँचाई होने की वज़ह से यहाँ ट्रोपिकल, टेम्पेरेट, एल्पाइन और टुन्ड्रा तरह के पौधे भी पाये जाते हैं। इतने छोटे से इलाके में ऐसी भिन्नता कम ही जगहों पर पाई जाती है।
'हंस के संपादक प्रेमचंद तथा कन्हैयालाल मुंशी थे। परन्तु कालांतर में पाठकों ने 'मुंशी' तथा 'प्रेमचंद' को एक समझ लिया और 'प्रेमचंद'- 'मुंशी प्रेमचंद' बन गए। यह स्वाभाविक भी है। सामान्य पाठक प्राय: लेखक की कृतियों को पढ़ता है, नाम की सूक्ष्मता को नहीं देखा करता। आज प्रेमचंद का मुंशी अलंकरण इतना रूढ़ हो गया है कि मात्र मुंशी से ही प्रेमचंद का बोध हो जाता है तथा 'मुंशी' न कहने से प्रेमचंद का नाम अधूरा-अधूरा सा लगता है।[१७]
लिंबू भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार और भाषा प्रवर्तक इस प्रकार है-
1. परिभाषित हो
हिन्दी टाइपराइटर अत्यंत जटिल था। कारण यह कि देवनागरी के अनेक चिह्न येन-केन प्रकारेण २६ कुञ्जियों पर ही व्यवस्थित करने थे। इसके अतिरिक्त टाइपराइटर मैकेनिकल होने के कारण कम्प्यूटर की तरह न तो मात्राओं को खुद ही जोड़ सकता था, न वर्ण-क्रम के अनुसार संयुक्ताक्षर बना सकता था, अतः सभी चिह्नों, मात्राओं, संयुक्ताक्षरों के लिये अलग से कुञ्जियाँ याद रखनी पड़ती थी। इस कारण टाइपराइटर का लेआउट अत्यंत जटिल हो गया। परन्तु उस समय हिन्दी टाइप करने का केवल यही एक साधन था।
नारद से सुक व्यास रटैं पचि हारे तऊ पुनि पार न पावैं।
काँटा वन - प्राकृतिक वनों जिसमें > 30% से कम कैनोपी कवर है जो की 1200 मीटर ऊंचाई से नीचे है ,जिसमें जादातर पर्णपाती पेड है जिसमें कांटों और कांटों के साथ रसीला फनेरोफ्य्तेस भी अकसर
मुंबई में ६७.३९% हिन्दू, १८.५६% मुस्लिम, ३.९९% जैन और ३.७२% ईसाई लोग हैं। इनमें शेष जनता सिख और पारसीयों की है।[४९][५०] मुंबई में पुरातनतम, मुस्लिम संप्रदाय में दाउदी बोहरे, खोजे और कोंकणी मुस्लिम हैं। [५१] स्थानीय ईसाइयों में ईस्ट इंडियन कैथोलिक्स हैं, जिनका धर्मांतरण पुर्तगालियों ने १६वीं शताब्दी में किया था।[५२] शहर की जनसंख्या का एक छोटा अंश इज़्राइली बेने यहूदी और पारसीयों का भी है, जो लगभग १६०० वर्ष पूर्व यहां फारस की खाड़ी या यमन से आये थे।[५३]
दो अक्षर (पूर्व अक्षर तथा पर अक्षर) जब मिलकर एकरूप होते हैं, तो यह प्रक्रिया "संधि" कहलाती है। शुद्ध सिंहल में संधियों के केवल दस प्रकार माने गए हैं। किंतु आधुनिक सिंहल में संस्कृत शब्दों की संधि अथवा संधिच्छेद संस्कृत व्याकरणों के नियमों के ही अनुसार किया जाता है।
हिन्दी गद्यकार
चिकित्सा के वर्ग जो HDAC संदमक और DNA (डीएनए) मिथाइल ट्रांसफरेज संदमक के रूप में जाने जाते हैं, वे कैंसर कोशिका में अधि-अनुवांशिक संकेतन को पुनः नियमित कर सकते हैं.
राज्य के प्रमुख तालों व झीलों में गौरीकुण्ड, रूपकुण्ड, नन्दीकुण्ड, डूयोढ़ी ताल, जराल ताल, शहस्त्रा ताल, मासर ताल, नैनीताल, भीमताल, सात ताल, नौकुचिया ताल, सूखा ताल, श्यामला ताल, सुरपा ताल, गरूड़ी ताल, हरीश ताल, लोखम ताल, पार्वती ताल, तड़ाग ताल (कुमाऊँ क्षेत्र) इत्यादि आते हैं।[९]
भोजपुरी बहुत ही सुंदर, सरस, तथा मधुर भाषा है। भोजपुरी भाषाभाषियों की संख्या भारत की समृद्ध भाषाओं- बँगला, गुजराती और मराठी आदि बोलनेवालों से कम नहीं है। इन दृष्टियों से इस भाषा का महत्व बहुत अधिक है और इसका भविष्य उज्जवल तथा गौरवशाली प्रतीत होता है।
यहां के लोग आपस में पत्थर, धातु शल्क (हड्डी) आदि का व्यापार करते थे। एक बड़े भूभाग में ढेर सारी सील (मृन्मुद्रा), एकरूप लिपि और मानकीकृत माप तौल के प्रमाण मिले हैं। वे चक्के से परिचित थे और संभवतः आजकल के इक्के (रथ) जैसा कोई वाहन प्रयोग करते थे। ये अफ़ग़ानिस्तान और ईरान (फ़ारस) से व्यापार करते थे। उन्होने उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में एक वाणिज्यिक उपनिवेश स्थापित किया जिससे उन्हें व्यापार में सहूलियत होती थी। बहुत सी हड़प्पाई सील मेसोपोटामिया में मिली हैं जिनसे लगता है कि मेसोपोटामिया से भी उनका व्यापार सम्बंध था। मेसोपोटामिया के अभिलेखों में मेलुहा के साथ व्यापार के प्रमाण मिले हैं साथ ही दो मध्यवर्ती व्यापार केन्द्रों का भी उल्लेख मिलता है - दलमुन और माकन। दिलमुन की पहचान शायद फ़ारस की खाड़ी के बहरीन के की जा सकती है।
एक रॉकेट कार (rocket car) रिकार्ड हासिल की है ड्रैग रेसिंग (drag racing) में .हालाँकि ,उनमें से सबसे तेज कारों को उपयोग किया जाता था भूमि रिकार्ड की गति (Land Speed Record) सेट करने में ,और आगे बढ़नेवाला जेट विमानों से उत्सर्जित रॉकेट (rocket), टुर्बो जेट (turbojet) द्वारा ,या सबसे आधुनिक और सबसे टुर्बो फेन (turbofan) इंजन द्वारा.यह ठ्रुस्त SSC (ThrustSSC) कार जो इस्तेमाल कर रही कर दो रोल-रोयस स्पे (Rolls-Royce Spey) टुर्बो फंस री हीत (reheat) के साथ सक्षम था ध्वनि की गति (speed of sound) को पार करने में ,ग्राउंड लेवल पर 1997 में.
[[चित्र:Continental models.gif|thumb|300px| अनुप्राणित एवं रंग कूटलिखित नक्शा, जिसमें विभिन्न महाद्वीप दर्शित हैं । प्रचलन एवं प्रतिरूप पर आधारित, महाद्वीपों को समाहित या विभाजित किया जा सकता है, उदाहरणतः यूरेशिया को प्रायः यूरोप तथा एशिया में विभाजित किया जाता है लाल रंग में । [[चित्र:Dymaxion map unfolded-no-ocean.png|thumb|300px|right| बक्मिन्स्टर फुलर द्वारा डायमैक्सियम नक्शा जो दर्शित करता है भूमिखण्ड कम से कम विरूपण समेत, एक एक लगातार महाद्वीप में बंटे हुए]]
इस अवधि में राय ने कई विषयों पर फ़िल्में बनाईं, जिनमें शामिल हैं, ब्रिटिश काल पर आधारित देवी (দেবী), रवीन्द्रनाथ ठाकुर पर एक वृत्तचित्र, हास्यप्रद फ़िल्म महापुरुष (মহাপুরুষ) और मौलिक कथानक पर आधारित इनकी पहली फ़िल्म कंचनजंघा (কাঞ্চনজঙ্ঘা)। इसी दौरान इन्होने कई ऐसी फ़िल्में बनाईं, जिन्हें साथ मिलाकर भारतीय सिनेमा में स्त्रियों का सबसे गहरा चित्रांकन माना जाता है।[१९]
बौद्ध भिक्षु गुरु रिन्पोचे (पद्मसंभव) का ८ वीं सदी में सिक्किम दौरा यहाँ से सम्बन्धित सबसे प्राचीन विवरण है। अभिलेखित है कि उन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार किया, सिक्किम को आशीष दिया तथा कुछ सदियों पश्चात आने वाले राज्य की भविष्यवाणी की। मान्यता के अनुसार १४ वीं सदी में ख्ये बुम्सा, पूर्वी तिब्बत में खाम के मिन्यक महल के एक राजकुमार को एक रात दैवीय दृष्टि के अनुसार दक्षिण की ओर जाने का आदेश मिला। इनके ही वंशजों ने सिक्किम में राजतन्त्र की स्थापना की। 1642 इस्वी में ख्ये के पाँचवें वंशज फुन्त्सोंग नामग्याल को तीन बौद्ध भिक्षु, जो उत्तर, पूर्व तथा दक्षिण से आये थे, द्वारा युक्सोम में सिक्किम का प्रथम चोग्याल(राजा) घोषित किया गया। इस प्रकार सिक्किम में राजतन्त्र का आरम्भ हुआ।
शासन कर रही गठबंधन सरकार में कई विवादों के चलते श्रीमती नंदिनी सतपथी मुख्य मंत्री बनीं। १९७३ में ओडिशा में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ।
१०८ उपनिषदों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जाता है- (१) ऋग्वेदीय १० उपनिषद् (२) शुक्ल यजुर्वेदीय १९ उपनिषद् (३) कृष्ण यजुर्वेदीय ३२ उपनिषद् (४) सामवेदीय १६ उपनिषद् (५) अथर्ववेदीय ३१ उपनिषद् कुल १०८ उपनिषद्
इसके नामकरण के दो करण कहे जाते हैं -
सफदर जन नाट्य मंच(जनम) के संस्थापक सदस्य थे, यह संगठन १९७३ में इप्टा से अलग होकर बना, सीटू जैसे मजदूर संगठनो के साथ जनम का अभिन्न जुड़ाव रहा। इसके अलावा जनवादी छात्रों, महिलाओं, युवाओं, किसानो इत्यादी के आंदोलनो में भी इसने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। १९७५ में इमरजेंसी के लागू होने तक सफदर जनम के साथ नुक्कड़ नाटक करते रहे, और उसके बाद इमरजेंसी के दौरान उन्होने, गढ़वाल, कश्मीर और दिल्ली के विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी साहित्य के लेक्चरर का पद संभाला। इमरजेंसी के बाद सफदर वापिस राजनैतिक तौर पर सक्रिय हो गए, और १९७८ तक जनम भारत में नुक्कड़ नाटक के एक बड़ संगठन के रूप में उभरकर आया। एक नए नाटक 'मशीन' को दो लाख मजदूरों की विशाल सभा के सामने आयोजित किया गया। इसके बाद और भी बहुत से नाटक सामने आए, जिनमे निम्र वर्गीय किसानों की बेचैनी का दर्शाता हुआ नाटक 'गांव से शहर तक', सांप्रदायिक फासीवाद को दर्शाते(हत्यारे और अपहरण भाईचारे का), बेरोजगारी पर बना नाटक 'तीन करोड़', घरेलू हिंसा पर बना नाटक 'औरत' और मंहगाई पर बना नाटक 'डीटीसी की धंाधली' इत्यादि प्रमुख रहे। सफदर ने बहुत सी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों और दूरदर्शन के लिए एक धारावाहिक 'खिलती कलियों का निर्माण भी किया'। उन्होने बच्चों के लिए किताबें लिखीं, और भारतीय थिएटर की आलोचना में भी अपना योगदान दिया।
भारतीय भाषाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भारत की प्राय: सभी प्रमुख भाषाओं की (उर्दू और सिंधी को छोड़कर) लिपियां ब्राह्मी लिपि से ही उद्भत हैं। देवनागरी, ब्राह्मी लिपि की सबसे व्यापक, विकसित और वैज्ञानिक लिपि है, जो भारतीय भाषाओं की सहोदरा लिपि होने के नाते इन सबके बीच स्वाभाविक रूप से संपर्क लिपि का कार्य कर सकती है। यदि हम इन भाषाओं के साहित्य को उनकी अपनी-अपनी लिपियों के अलावा एक समान लिपि देवनागरी लिपि में भी उपलब्ध करा दें, तो इन भाषाओं का साहित्य अन्य भाषाभाषियों के लिए भी सुलभ हो सकेगा। नागरी लिपि इन भाषाओं के बीच सेतु का कार्य कर सकेगी।
भारत के दो आधिकारिक नाम हैं हिन्दी में भारत और अंग्रेज़ी में इण्डिया (India)। इण्डिया नाम की उत्पत्ति सिन्धु नदी के अंग्रेजी नाम "इण्डस" से हुई है। भारत नाम, एक प्राचीन हिन्दू सम्राट भरत जो कि मनु के वंशज ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र थे तथा जिनकी कथा भागवत पुराण में है, के नाम से लिया गया है। भारत (भा + रत) शब्द का मतलब है आन्तरिक प्रकाश या विदेक-रूपी प्रकाश मे लीन। एक तीसरा नाम हिन्दुस्तान भी है जिसका अर्थ हिन्द(हिन्दू) की भूमि होता है जो कि प्राचीन काल ऋषियों द्वारा दिया गया था। प्राचीन काल में यह कम प्रयुक्त होता था तथा कालान्तर में अधिक प्रचलित हुआ विशेषकर अरब/ईरान में। भारत में यह नाम मुगल काल से अधिक प्रचलित हुआ यद्यपि इसका समकालीन उपयोग कम और प्रायः उत्तरी भारत के लिए होता है। इसके अतिरिक्त भारतवर्ष को वैदिक काल से आर्यावर्त "जम्बूद्वीप" और "अजनाभदेश" के नाम से भी जाना जाता रहा है। बहुत पहले यह देश सोने की चिड़िया जाना जाता था।[२]
संप्रेषण
कोलकाता नगर निगम (पूर्व कैल्कटा नगर निगम) कोलकाता शहर के नागरिक प्रशासन एवं संरचना के लिए उत्तरदायी है। इसका लघु नाम के.एम.सी (पूर्व: सी.एम.सी) है। यह निगम षर का १८५ कि.मी.² का अनुरक्षण करता है। इसका आदर्श वाक्य, पुरोश्री बिबर्धन, इसके चिह्न पर बांग्ला लिपि में अंकित है। के.एम.सी के वर्तमान महापौर श्री बिकाश रंजन भट्टाचार्य हैं।
(4) चतुर्थाध्याय में, श्रुति अर्थ, पाठ, स्थान, मुख्य और प्रवृत्ति में छह बोधक प्रमाण हैं
कम क्षयशील समस्थानिक 63 तथा 65 के अलावा तांबे के कोई 2 दर्जन समस्थानिक हैं जो क्षयशील (रेडियोसमस्थानिक) हैं ।
जापान की सेना द्वारा प्रतिबंधित है अनुच्छेद 9 जापानी संविधान है, जो जापान के युद्ध की घोषणा करने के लिए या अंतर्राष्ट्रीय विवादों के समाधान का एक साधन के रूप में सैन्य बल के प्रयोग का अधिकार त्याग की. जापान के सैन्य रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित है, और मुख्य रूप से जापान ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स (JGSDF) के होते हैं, जापान मेरीटाइम सेल्फ डिफेंस (JMSDF) सेना और जापान एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स (JASDF). सेना ने हाल ही में आपरेशन किया गया है शांति और जापानी सैनिकों की इराक में तैनाती में प्रयुक्त विश्व युद्ध के [. द्वितीय के बाद से पहली बार अपने सैन्य उपयोग के विदेशी चिह्नित
इनमें सत्ता के लिए संघर्ष चलता रहता था ।
आनंदमठ (१८८२) राजनीतिक उपन्यास है। इस उपन्यास में उत्तर बंगाल में 1773 के संन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में देशभक्ति की भावना है। चटर्जी का अंतिम उपन्यास सीताराम (1886) है। इसमें मुस्लिम सत्ता के प्रति एक हिंदू शासक का विरोध दर्शाया गया है।
प्रवेश शुल्‍क: भारतीयों के लिए 5 रु. तथा विदेशियों के लिए 100 रु। समय: सूर्योदय से सूर्यास्‍त तक।
विश्व अर्थव्यवस्था या वैश्विक अर्थव्य्वस्था (global economy) से प्रायः विश्व के सम्पूर्ण देशों की अर्थव्यवस्था पर आधारित अर्थव्यवस्था का बोध होता है। इस प्रकार वैश्विक अर्थव्य्वस्था को 'विश्व समाज' की अर्थव्य्वस्था कह सकते हैं जबकि राष्ट्रीय अर्थव्य्वस्थाएँ 'स्थानीय अर्थव्यवस्थाएं' कहलायेंगी।
हिन्दी में ड़ और ढ़ व्यंजन फ़ारसी या अरबी से नहीं लिये गये हैं, न ही ये संस्कृत में पाये जाये हैं। वास्तव में ये संस्कृत के साधारण ड, "ळ" और ढ के बदले हुए रूप हैं।
1. चंदबरदाईकृत पृथ्वीराज रासो को हिंदी का प्रथम महाकाव्य कहा जाता है ।
द्वितीय विश्व युद्ध में सेना के उच्च स्तरीय जनरल स्टाफ के संदेशों को कूटबद्ध करने के लिए या उन्हें गुप्त भाषा में लिखने के लिए प्रयोग की गई
1996 में तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के अधिकतर क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया । 2001 के अफ़ग़ानिस्तान युद्ध के बाद यह लुप्तप्राय हो गया था पर 2004 के बाद इसने अपना गतिविधियाँ दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान में बढ़ाई हैं। फरवरी 2009 में इसने पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सरहद के करीब स्वात घाटी में पाकिस्तान सरकार के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत वे लोगों को मारना बंद करेंगे और इसके बदले उन्हें शरीयत के अनुसार काम करने की छूट मिलेगी।
शेष उत्तरी यूरोप के समान ही, यूनाइटेड किंगडम में घटना 9.1/100,000 प्रति वर्ष (2005) रही है, और मृत्यु-दर 3.1/100,000 प्रति वर्ष (2006) रही है (UK के लिए कैंसर रिसर्च UK गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के आंकड़े).[६५] 1988-1997 से 42% कमी के साथ, NHS द्वारा कार्यान्वित परीक्षण कार्यक्रम बेहद सफल रहा है, जिसमें प्रति 3 वर्ष, उच्चतम जोखिम आयु-वर्ग (25-49 वर्ष), और प्रति 5 वर्ष, 50-64 की उम्र वालों का परीक्षण किया गया.
जेल से मुक्त होने पर वह 'अनुशीलन समिति' के सक्रिय सदस्य बन गए और 'युगान्तर' का कार्य संभालने लगे। उन्होंने अपने एक लेख में उन्हीं दिनों लिखा था-' पूंजीवाद समाप्त कर श्रेणीहीन समाज की स्थापना क्रांतिकारियों का लक्ष्य है। देसी-विदेशी शोषण से मुक्त कराना और आत्मनिर्णय द्वारा जीवनयापन का अवसर देना हमारी मांग है।' क्रांतिकारियों के पास आन्दोलन के लिए धन जुटाने का प्रमुख साधन डकैती था। दुलरिया नामक स्थान पर भीषण डकैती के दौरान अपने ही दल के एक सहयोगी की गोली से क्रांतिकारी अमृत सरकार घायल हो गए। विकट समस्या यह खड़ी हो गयी कि धन लेकर भागें या साथी के प्राणों की रक्षा करें! अमृत सरकार ने यतींद्र नाथ से कहा कि धन लेकर भागो। यतींद्र नाथ इसके लिए तैयार न हुए तो अमृत सरकार ने आदेश दिया- 'मेरा सिर काट कर ले जाओ ताकि अंग्रेज पहचान न सकें।' इन डकैतियों में 'गार्डन रीच' की डकैती बड़ी मशहूर मानी जाती है। इसके नेता यतींद्र नाथ मुखर्जी थे। विश्व युद्ध प्रारंभ हो चुका था। कलकत्ता में उन दिनों राडा कम्पनी बंदूक-कारतूस का व्यापार करती थी। इस कम्पनी की एक गाडी रास्ते से गायब कर दी गयी थी जिसमें क्रांतिकारियों को ५२ मौजर पिस्तौलें और ५० हजार गोलियाँ प्राप्त हुई थीं। ब्रिटिश सरकार हो ज्ञात हो चुका था कि 'बलिया घाट' तथा 'गार्डन रीच' की डकैतियों में यतींद्र नाथ का हाथ था।
"छीतस्वामि" देखत अपनायौ, विट्ठल कृपा निधान।।
भाटसा बांध के अलावा, ६ मुख्य झीलें नगर की जलापूर्ति करतीं हैं: विहार झील, वैतर्णा, अपर वैतर्णा, तुलसी, तंस व पोवई। तुलसी एवं विहार झील बोरिवली राष्ट्रीय उद्यान में शहर की नगरपालिका सीमा के भीतर स्थित हैं। पोवई झील से केवल औद्योगिक जलापुर्ति की जाती है। तीन छोटी नदियां दहिसर, पोइसर एवं ओहिवाड़ा (या ओशीवाड़ा) उद्यान के भीतर से निकलतीं हैं, जबकि मीठी नदी, तुलसी झील से निकलती है, और विहार व पोवई झीलों का बढ़ा हुआ जल ले लेती है। नगर की तटरेखा बहुत अधिक निवेशिकाओं (संकरी खाड़ियों) से भरी है। सैलसेट द्वीप की पूर्वी ओर दलदली इलाका है, जो जैवभिन्नताओं से परिपूर्ण है। पश्चिमी छोर अधिकतर रेतीला या पथरीला है।
५. सम्यक जीविका : कोई भी स्पष्टतः या अस्पष्टतः हानिकारक व्यापार न करना
गाजियाबाद में निजी इंजीनियरिंग कॉलेज और प्रबंधन संस्थान एक बडी़ संख्या मे स्थित हैं। यहाँ कुछ दंत चिकित्सा महाविद्यालय और भौतिक चिकित्सा संस्थान भी हैं। गाजियाबाद में मुख्य विद्यालयों (स्कूलों) और महाविद्यालयों (कॉलेजों) की सूची इस प्रकार हैं:
महासेनगुप्त- दामोदरगुप्त के बाद उसका पुत्र महासेनगुप्त शासक बना था । उसने मौखरि नरेश अवन्ति वर्मा की अधीनता स्वीकार कर ली । महासेनगुप्त ने असम नरेश सुस्थित वर्मन को ब्राह्मण नदी के तट पर पराजित किया ।
यद्यपि विभिन्न पिस्तोंलेस रोटरी इंजन (pistonless rotary engine) डिजाइन पारंपरिक पिस्टन (piston) और क्रन्क्शफ़्त (crankshaft) के साथ प्रतिस्पर्धा करने का प्रयास किया ,केवल मज़्दा (Mazda) जिसका संस्करण वान्केल इंजन (Wankel engine) को बहुत सिमित सफलता प्राप्त हुई .
सुमतिनाथ जी पांचवें तीर्थंकर है
6. अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔद्य' - प्रियप्रवास
अन्य अनुच्छेद शक्ति विभाजन से सम्बन्धित नही है
शटलकॉक के ड्रैग का एक महत्त्व यह है कि कोर्ट की पूरी लंबाई में मारने के लिए इसमें पर्याप्त कौशल की ज़रुरत पड़ती है, जो ज़्यादातर रैकेट वाले खेल के लिए नहीं है. ड्रैग शटलकॉक के ऊपर उठे हुए उड़न मार्ग (धीमे से ऊपर फेंका गया ) को भी प्रभावित करता है: इसके उड़न का परवलय बहुत अधिक तिरछा होकर यह ऊपर उठने के बजाए एक ढलान वाले कोण से होकर गिरता है. बहुत ऊंचे सर्व के साथ भी शटलकॉक एकदम लंबरूप में गिर सकता है.
लेकिन प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पंजाब के क्षेत्र में ब्रिटिशों का विरोध कुछ अधिक बढ़ गया था जिसे भारत प्रतिरक्षा विधान (1915) लागू कर के कुचल दिया गया था। उसके बाद 1918 में एक ब्रिटिश जज सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक सेडीशन समिति नियुक्त की गई थी जिसकी ज़िम्मेदारी ये अध्ययन करना था कि भारत में, विशेषकर पंजाब और बंगाल में ब्रिटिशों का विरोध किन विदेशी शक्तियों की सहायता से हो रहा था। इस समिति के सुझावों के अनुसार भारत प्रतिरक्षा विधान (1915) का विस्तार कर के भारत में रॉलट एक्ट लागू किया गया था, जो आजादी के लिए चल रहे आंदोलन पर रोक लगाने के लिए था, जिसके अंतर्गत ब्रिटिश सरकार को और अधिक अधिकार दिए गए थे जिससे वह प्रेस पर सेंसरशिप लगा सकती थी, नेताओं को बिना मुकदमें के जेल में रख सकती थी, लोगों को बिना वॉरण्ट के गिरफ़्तार कर सकती थी, उन पर विशेष ट्रिब्यूनलों और बंद कमरों में बिना जवाबदेही दिए हुए मुकदमा चला सकती थी, आदि। इसके विरोध में पूरा भारत उठ खड़ा हुआ और देश भर में लोग गिरफ्तारियां दे रहे थे।
इस प्रकार गृह्यसूत्रों से पूर्व हमें संस्कारों के पूरे नियम नहीं मिलते। ऐसा प्रतीत होता है कि गृहसूत्रों से पूर्व पारंपरिक प्रथाओं के आधार पर ही संस्कार होते थे। सबसे पहले गृहसूत्रों में ही संस्कारों की पूरी पद्धति का वर्णन मिलता है। गृह्यसूत्रों में संस्कारों के वर्णन में सबसे पहले विवाह संस्कार का उल्लेख है। इसके बाद गर्भाधान, पुंसवन, सीमंतोन्नयन, जात- कर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्न- प्राशन, चूड़ा- कर्म, उपनयन और समावर्तन संस्कारों का वर्णन किया गया है। अधिकतर गृह्यसूत्रों में अंत्येष्टि संस्कार का वर्णन नहीं मिलता, क्योंकि ऐसा करना अशुभ समझा जाता था। स्मृतियों के आचार प्रकरणों में संस्कारों का उल्लेख है और तत्संबंधी नियम दिए गए हैं। इनमें उपनयन और विवाह संस्कारों का वर्णन विस्तार के साथ दिया गया है, क्योंकि उपनयन संस्कार के द्वारा व्यक्ति ब्रह्मचर्य आश्रम में और विवाह संस्कार के द्वारा गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करता था।
दोहा
हिलेरी डायेन रोढम क्लिंटन (जन्म: 26 अक्टुबर, 1947) अमरीका के न्यूयॉर्क प्रांत से कनिष्ठ सेनेटर हैं। वे अमरीका के बयालीसवें राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हैं और सन् 1993 से 2001 तक अमरीका की प्रथम महिला रहीं।
सरदार वल्लभ भाई पटेल (31 अक्तूबर, 1875 - 15 दिसंबर, 1950) (गुजराती: સરદાર વલ્લભભાઈ પટેલ) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतन्त्र भारत के प्रथम गृह मंत्री थे। उनका जन्म नडियाद, गुजरात मे हुआ था। भारत की स्वतंत्रता संग्राम मे उनका मह्त्वपूर्ण योगदान है। भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री बने। उन्हे भारत का लौह पुरूष भी कहा जाता है।
जोशीमठ से बद्रीनाथ की ओर की यात्रा ‘गेट’ प्रणाली से नियंत्रित है। इस सड़क पर जगह इतनी संकरी है कि वहां दो कतार में गाड़ियां (विपरीत दिशाओं से) नहीं गुजर सकती और इस कारण जोशीमठ एवं बद्रीनाथ दोनों दिशाओं से गाड़ियों की लंबी कतार लगी होती है जो निश्चित समय पर ही छोड़ी जाती है। यहां से निकलने का समय 6-7 तथा 9-10 बजे सुबह तथा 11-12 एवं 2.30 दोपहर तथा 4.30-5.30 शाम होता है। जोशीमठ या बद्रीनाथ से छूटने के बाद परिवहन फिर पांडुकेश्वर (लगभग बीच का स्थान) में रूकता है जो थोड़ी दूर का दोतरफा रास्ता है यहीं दोनों एक/दूसरे को पार करते हैं और इसके बाद फिर एकल-वाहन का रास्ता होता है।
इस आलोचना के लिए गाँधी ने कहा,"एक ऐसा समय था जब लोग मुझे सुना करते थे की किस तरह अंग्रेजो से बिना हथियार लड़ा जा सकता है क्योंकि तब हथयार नही थे...पर आज मुझे कहा जाता है कि मेरी अहिंसा किसी काम की नही क्योंकि इससे हिंदू-मुसलमानों के दंगो को नही रोका जा सकता इसलिए आत्मरक्षा के लिए सशस्त्र हो जाना चाहिए."[६५]
इस त्यौहारका नाम पोंगल इसलिए है क्योंकि इस दिन सूर्य देव को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है वह पोगल कहलता है। तमिल भाषा में पोंगल का एक अन्य अर्थ निकलता हैअच्छी तरह उबालना। दोनों ही रूप में देखा जाए तो बात निकल कर यह आती है किअच्छी तरह उबाल कर सूर्य देवता को प्रसाद भोग लगाना।पोंगल का महत्व इसलिए भी है क्योकि यह तमिल महीने की पहली तारीख को आरम्भ होता है।
माँ, तेरे मुख की वाणी,
संसदीय समिति की रिपोर्ट पर राष्ट्रपति के आदेश जारी किए गए जिनमें हिन्दी शब्दावलियों का निर्माण, संहिताओं व कार्यविधिक साहित्य का हिंदी अनुवाद, कर्मचारियों को हिंदी का प्रशिक्षण, हिंदी प्रचार, विधेयकों की भाषा, उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों की भाषा आदि मुद्दे हैं ।
ये सभी दस दस हजार योजन ऊंचे हैं। इन पर्वतों पर ध्वजाओं समान ग्यारह ग्यारह हजार योजन ऊंचे क्रमशह कदम्ब, जम्बु, पीपल और वट वृक्ष हैं। इनमें जम्बु वृक्ष सबसे बड़ा होने के कारण इस द्वीप का नाम जम्बुद्वीप पड़ा है। इसके जम्बु फ़ल हाथियों के समान बड़े होते हैं, जो कि नीचे गिरने पर जब फ़टते हैं, तब उनके रस की धारासे जम्बु नद नामक नदी वहां बहती है। उसका पान करने से पसीना, दुर्गन्ध, बुढ़ापा अथवा इन्द्रियक्षय नहीं होता। उसके मिनारे की मृत्तिका (मिट्टी) रस से मिल जाने के कारण सूखने पर जम्बुनद नामक सुवर्ण बनकर सिद्धपुरुषों का आभूषण बनती है।
19 वीं सदी में अंडर आर्म गेंदबाजी (underarm bowling) पहले राउंड आर्म गेंदबाजी (roundarm)में बदल गई और फ़िर ओवर आर्म गेंदबाजी (overarm bowling)में बदल गई.दोनों विकास विवादास्पद थे.काउंटी स्तर पर खेल के संगठन से काउंटी क्लबों का निर्माण शुरू हुआ. इसकी शुरुआत १८३९ में ससेक्स सी सी सी (Sussex CCC)से हुई,जिसने अंत में १८९० में आधिकारिक गठन काउंटी चैम्पियनशिप (County Championship) बनाया.इस बीच, ब्रिटिश साम्राज्य ने इस खेल के प्रसार में बहुत योगदान दिया. 19 वीं सदी के मध्य तक यह अच्छी तरह से भारत, उत्तरी अमेरिका, कैरिबियाई, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में स्थापित हो गया था.1844 में, पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) और कनाडा (Canada) के बीच अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच हुआ. (हालांकि इनमें से किसी भी राष्ट्र को कभी भी टेस्ट खेलने वाले राष्ट्र के रूप में रेंक नहीं किया गया.)
हिट्लर के यहूदी नरसंहार के बाद अब "आर्य" शब्द का मतलब भाषाई अर्थ में लगाया जाता है, न कि नस्ल के लिये । पर अभी भी इतिहासकार और भाषाविद आर्यों की जन्मभूमि की खोज कर रहे हैं । एक विचारधारा के मुताबिक आर्यों की जन्मभूमि मध्य एशिया में थी, शायद दक्षिणी रूस या कैस्पियन सागर के आस-पास । वहीं से उनके कबीले दुनिया के कई देशों में पहुँचे । हिन्द-आर्य कबीलों का भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवास धीरे-धीरे और शान्तिपूर्वक हुआ था, और ब्रिटिश इतिहासकारों की "ख़ून-खराबे" वाली बातों का कोई प्रमाण नहीं है । उस वक़्त (1800 ई.पू.) तक सिन्धु-घाटी सभ्यता या तो भूकम्पों से या सिन्धु-सरस्वती नदियों की धारा में बदलाव और सूखे की वजह से ख़ुद ही तबाह हो गयी थी । ये विचारधारा आजकल दुनिया के ज़्यादातर भाषाविद और इतिहासकार मानते हैं । मध्य एशिया के "कुरगन कब्र-टीले" प्राचीन आर्यों द्वारा बनाये गये माने जाते हैं । एक दूसरी विचारधारा के मुताबिक प्राचीन आर्यों की जन्मभूमि भारत ही है, और यहीं से आर्य कबीले यूरोप और बाकी एशिया में प्रवास किये । इस बात को कई भारतीय और हिन्दुत्व-वादी मानते हैं (और ये भी कि सिन्धु-सरवती सभ्यता आर्यों की सभ्यता थी और बाकी हिन्द-यूरोपीय भाषाएँ संस्कृत से विकसित हुई हैं), पर बाकी दुनिया में इस दृष्टिकोण की कोई कद्र नहीं है । ज़्यादातर भाषाविदों के मुताबिक "आदिम-हिन्द-यूरोपीय" भाषा के पुनर्निर्मित शब्द यही इशारा करते हैं कि प्राचीन आर्य जन्मस्थान एक विशाल, शीतोष्ण घास का चारागाह था । वैसे भी भारतीय जलवायु और पशु-पक्षियों के शब्दों के लिये यूनानी, लैटिन, जर्मन, और अन्य हिन्द्-यूरोपीय भाषाओं में मिलते जुलते शब्द नहीं मिलते, जैसे मोर, मुर्गा, बाघ, हाथी, आम, केला, पीपल, बरगद, नीम, गर्म-मौसम, गैण्डा, भैंस, चावल, इत्यादि । साथ-ही-साथ, सिन्धु घाटी सभ्यता में बड़े शहर, मछ्ली का उपभोग, 2000 ई.पू. से पहले घोड़े की पूरी ग़ैरहाज़िरी और बाद में भी घोड़ों के बहुत ही कम अवशेष, उनके देवताओं के चित्रों का वैदिक देवताओं से भिन्न होना, उनका बाघ और बैल को आदर जबकि ऋग्वेद में बब्बर-शेर और गाय अधिक उल्लेखित हैं, उनके अधिकांश शहरों में (कालीबंगन, आदि को छोड़कर) वैदिक यज्ञ-अग्नि-वेदी का अभाव, इत्यादि यही इशारा करते हैं कि इसके निवासी आर्य तो नहीं थे । जो भी हो, ये सवाल आज भी तीखी नोक-झोंक का केन्द्र बना हुआ है ।
गार्गी- अन्तरिक्ष किसमें ओतप्रोत है?
मराठी भाषा के अद्वितीय साहित्यभांडार का निर्माण करनेवाले ज्ञानदेव को ही मराठी का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है। 15 वर्ष की अवस्था में लिखी गई उनकी रचना ज्ञानेश्वरी अत्यंत प्रसिद्ध है। उनके ग्रंथ अमृतानुभव तथा चांगदेव पासष्टी, वेदांत चर्चा से ओतप्रोत हैं। ज्ञानदेव का श्रेष्ठत्व उनके अलौकिक ग्रंथनिर्माण के समान ही उनकी भक्तिपंथ की प्रेरणा में भी विद्यमान है। इस कार्य में उन्हें अपने समकालीन संत नामदेव की अमूल्य सहायता प्राप्त हुई है। ज्ञान और भक्ति के साकार स्वरूप इन दोनों संतों ने महाराष्ट्र के पारमार्थिक जीवन की नई परंपरा को सुदृढ़ स्थान प्राप्त करा दिया। इनके भक्तिप्रधान साहित्य तथा दिव्य जीवन के कारण महाराष्ट्र के सभी वर्गों के समाज में भगवद्भक्तों का पारमार्थिक लोकराज्य स्थापित होने का आभास मिला। चोखा मेला, गोरा कुम्हार, नरहरि सोनार इत्यादि संत इसी परंपरा के हैं।
रामगुप्त- समुद्रगुप्त के बाद रामगुप्त सम्राट बना, लेकिन इसके राजा बनने में विभिन्‍न विद्वानों में मतभेद है|
माना जाता है कि आर्किमिडीज़ के अंतिम शब्द थे, "मेरे वृतों को परेशान मत करो (Do not disturb my circles)" (यूनानी : μή μου τούς κύκλους τάραττε), यहां वृतों का सन्दर्भ उस गणितीय चित्र के वृतों से है जिसे आर्किमिडीज़ उस समय अध्ययन कर रहे थे जब रोमन सैनिक ने उन्हें परेशान किया. इन शब्दों को अक्सर लैटिन में "Noli turbare circulos meos" के रूप में वर्णित किया जाता है, लेकिन इस बात के कोई भरोसेमंद प्रमाण नहीं हैं कि आर्किमिडिज़ ने ये शब्द कहे थे, और ये प्लूटार्क के द्वारा दिए गए विवरण में नहीं मिलते हैं. [१०]
३. लेखन-खुरचना (स्क्रेपिंग या स्कैरिफ़िकेशन),
असगर वजाहत का जन्म 5 जुलाई 1946 को फतेहपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पी एच डी तक की पढ़ाई करी। उनके लेखन में तीन कहानी संग्रह, चार उपन्यास, छ: नाटक और कई अन्य रचनाएँ शामिल हैं। उनके छह नाटकों का देश भर में मंचन और प्रदर्शन हुआ है। 'जिन लाहौर नईं वेख्या, ते जन्म्या नईं' ने देश की सरहद के बाहर भी खूब तारीफें बटोरी हैं। बुदापैस्त, हंगरी में आपकी दो एकल चित्र प्रदर्शनियाँ भी हो चुकी हैं। वो टेलीविज़न व फ़िल्म लेखन और निर्देशन से भी जुड़े रहे हैं। कई वृत्ताचित्रों, धारावाहिकों और कुछ फीचर फ़िल्मों के लिए पटकथा लेखन भी आपने किया है। सप्रंति, हिंदी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया (नई दिल्ली) में अध्यापन कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित रहते हैं, जबकि दसवें दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की वंदना की जाती है। इस दिन विद्यालय जाने वाले बच्चे अपनी पढ़ाई में आशीर्वाद पाने के लिए मां सरस्वती के तांत्रिक चिह्नों की पूजा करते हैं। किसी भी चीज को प्रारंभ करने के लिए खासकर विद्या आरंभ करने के लिए यह दिन काफी शुभ माना जाता है। महाराष्ट्र के लोग इस दिन विवाह, गृह-प्रवेश एवं नये घर खरीदने का शुभ मुहूर्त समझते हैं।[२]

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने सूर की कवित्व-शक्ति के बारे में लिखा है- सूरदास जब अपने प्रिय विषय का वर्णन शुरू करते हैं तो मानो अलंकार-शास्त्र हाथ जोड़कर उनके पीछे-पीछे दौड़ा करता है। उपमाओं की बाढ़ आ जाती है, रूपकों की वर्षा होने लगती है।
पाठ्य तथा विधि
गिराया।दुर्योधन की प्राय: सारी सेना युद्ध में मारी गयी थी। अन्ततोगत्वा उसका भीमसेन के साथ युद्ध हुआ। उसने पाण्डव-पक्ष के पैदल आदि बहुत-से सैनिकों का वध करके भीमसेन पर धावा किया। उस समय गदा से प्रहार करते हुए दुर्योधन के अन्य छोटे भाई भी भीमसेन के ही हाथ से मारे गये थे।महाभारत-संग्राम के उस अठारहवें दिन रात्रिकाल में महाबली अश्वत्थामा ने पाण्डवों की सोयी हुई एक अक्षौहिणी सेना को सदा के लिये सुला दिया। उसने द्रौपदी के पाँचों पुत्रों, उसके पांचालदेशीय बन्धुओं तथा धृष्टद्युम्न को भी जीवित नहीं छोड़ा। द्रौपदी पुत्रहीन होकर रोने-बिलखने लगी। तब अर्जुन ने सींक के अस्त्र से अश्वत्थामा को परास्त करके उसके मस्तक की मणि निकाल ली। (उसे मारा जाता देख द्रौपदी ने ही अनुनय-विनय करके उसके प्राण बचाये)।अश्वत्थामा इतने पर भी दुष्ट अश्वत्थामा ने उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने के लिये उस पर अस्त्र का प्रयोग किया। वह गर्भ उसके अस्त्र से प्राय: दग्ध हो गया था; किंतु भगवान् श्रीकृष्ण ने उसको पुन: जीवन-दान दिया। उत्तरा का वही गर्भस्थ शिशु आगे चलकर राजा परीक्षित् के नाम से विख्यात हुआ। कृतवर्मा, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा- ये तीन कौरवपक्षीय वीर उस संग्राम से जीवित बचे। दूसरी ओर पाँच पाण्डव, सात्यकि तथा भगवान श्रीकृष्ण-ये सात ही जीवित रह सके; दूसरे कोई नहीं बचे। उस समय सब ओर अनाथा स्त्रियों का आर्तनाद व्याप्त हो रहा था। भीमसेन आदि भाइयों के साथ जाकर युधिष्ठिर ने उन्हें सान्त्वना दी तथा रणभूमि में मारे गये सभी वीरों का दाह-संस्कार करके उनके लिये जलांजलि दे धन आदि का दान किया। तत्पश्चात कुरुक्षेत्र में शरशय्या पर आसीन शान्तनुनन्दन भीष्म के पास जाकर युधिष्ठिर ने उनसे समस्त शान्तिदायक धर्म, राजधर्म (आपद्धर्म), मोक्ष धर्म तथा दानधर्म की बातें सुनीं। फिर वे राजसिंहासन पर आसीन हुए। इसके बाद उन शत्रुमर्दन राजा ने अश्वमेध यज्ञ करके उसमें ब्राह्मणों को बहुत धन दान किया। तदनन्तर द्वारका से लौटे हुए अर्जुन के मुख से मूसलकाण्ड के कारण प्राप्त हुए शाप से पारस्परिक युद्ध द्वारा यादवों के संहार का समाचार सुनकर युधिष्ठिर ने परीक्षित् को राजासन पर बिठाया और स्वयं भाइयों के साथ महाप्रस्थान कर स्वर्गलोक को चले गये।
१३. रेलिजस प्रॉब्लम् इन इण्डिया - १९०२ - यह उनकी एक महान् साहित्यिक कृति थी जो कालान्तर में चार भागों - इस्लाम, जैनिज्म, सिक्खिज्म, थियोसॉफी - में प्रकाशित हुई।
यहां किसी जमाने में गुलाम भारत से लाए गए बंदियों को पोर्ट ब्लेयर के पास वाइपर द्वीप पर उतारा जाता था। अब यह द्वीप एक पिकनिक स्थल के रूप में विकसित हो चुका है। यहां के टूटे-फूटे फांसी के फंदे निर्मम अतीत के साक्षी बनकर खड़े हैं। यहीं पर शेर अली को भी फांसी दी गई थी, जिसने १८७२ में भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड मेयो की हत्या की थी|
Thermal inversion (a meteorological phenomenon whereby a stable layer of warm air holds down colder air close to the ground) causes high levels of smog and air pollution to be trapped and concentrate within the Central Valley during winter months. In the 1990s air pollution fell by about one-third, but there has been little progress since 2000.
क्यों कि यात्रा और व्यापक जानकारी कम सामान्य थी, अतः प्रदूषण उत्पन्न करने वाले स्थानीय कारकों से अधिक सामान्य कारकों का अस्तित्व नहीं था. प्रदूषित हवा को परेशानी का कारण माना गया और लकड़ी, या कोयले के जलने से धुआं उत्पन्न (smoke)हुआ, यह धुआं भावी जनसंख्या के लिए पर्याप्त मात्रा में खतरनाक था.पीने के साफ़ पानी के स्रोत का सेप्टिक संदूषण या विषिकरण उन लोगों के लिए घातक था जो इस पर निर्भर थे,खास तौर पर तब जब ऐसा स्रोत दुर्लभ हों. अंध विश्वास (Superstitions) बहुत प्रभावी थे और ऐसे मुद्दे संभवतया एक सीमा से अधिक पाए जाते थे.
पुराणों तथा महाभारत के रचयिता महर्षि का मन्दिर व्यासपुरी में विद्यमान है जो काशी से पाँच मील की दूरी पर स्थित है। महाराज काशी नरेश के रामनगर दुर्ग में भी पश्चिम भाग में व्यासेश्वर की मूर्ति विराजमान् है जिसे साधारण जनता छोटा वेदव्यास के नाम से जानती है। वास्तव में वेदव्यास की यह सब से प्राचीन मूर्ति है। व्यासजी द्वारा काशी को शाप देने के कारण विश्वेश्वर ने व्यासजी को काशी से निष्कासित कर दिया था। तब व्यासजी लोलार्क मंदिर के आग्नेय कोण में गंगाजी के पूर्वी तट पर स्थित हुए।
बंगाल में चले आजादी के आंदोलन में विभिन्न रैलियों में जोश भरने के लिए यह गीत गाया जाने लगा। धीरे-धीरे यह गीत लोगों में लोकप्रिय हो गया। ब्रितानी हुकूमत इसकी लोकप्रियता से सशंकित हो उठी और उसने इस पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करना शुरु कर दिया। 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में भी गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यह गीत गाया। पांच साल बाद यानी 1901 में कलकत्ता में हुए एक अन्य अधिवेशन में श्री चरन दास ने यह गीत पुनः गाया। 1905 में बनारस में हुए अधिवेशन में इस गीत को सरला देवी चौधरानी ने स्वर दिया।
भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पन्द्रह सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। १९९१ से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रुप में उभरकर आया है। सुधारों से पूर्व मुख्य रुप से भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियंत्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पूर्व इसका जोरदार विरोध भी हुआ परंतु आर्थिक सुधारों के अच्छे परिणाम सामने आने से विरोध काफी हद तक कम हुआ है। हलाकि मूलभूत ढाँचे में तेज प्रगति न होने से एक बड़ा तबका अब भी नाखुश है और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हुये हैं।
गुरुद्वारे के आसपास स्थित कुछ ऐसी जगहें जो दर्शनीय हैं। गुरुद्वारे के बाहर दाईं ओर अकाल तख्त है। अकाल तख्त का निर्माण सन 1606 में किया गया था। यहां दरबार साहिब स्थित है। उस समय यहां कई अहम फैसले लिए जाते थे। संगमरमर से बनी यह इमारत देखने योग्य है। इसके पास शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समि‍ति‍ का दफ्तर है, जहां सिखों से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं।
संस्कृत भारत की कई लिपियों में लिखी जाती रही है, लेकिन आधुनिक युग में देवनागरी लिपि के साथ इसका विशेष संबंध है। देवनागरी लिपि वास्तव में संस्कृत के लिये ही बनी है, इसलिये इसमें हरेक चिह्न के लिये एक और केवल एक ही ध्वनि है। देवनागरी में १२ स्वर और ३४ व्यंजन हैं। देवनागरी से रोमन लिपि में लिप्यन्तरण के लिये दो पद्धतियाँ अधिक प्रचलित हैं : IAST और ITRANS. शून्य, एक या अधिक व्यंजनों और एक स्वर के मेल से एक अक्षर बनता है।
रामायाण के अनुसार मिथिला के राजा जनक एक याग करते खेतों में हल जोतते समय एक पेटी अटका। इन्हें उस पेटी में पाया था। संस्कृत मे हल को 'सीत' कहने के कारण इनका नाम सीता पडा। राजा जनक और रानी सुनयना ने इनका परवरिश किया।
अहमदाबाद "नगरपालिका निगम" इस शहर के देख रेख का काम सम्भालता है और कुछ भाग औडा सम्भालता है.
नववर्ष - द्वादशमासै: संवत्सर:।' ऐसा वेद वचन है, इसलिए यह जगत्मान्य हुआ। सर्व वर्षारंभों में अधिक योग्य प्रारंभदिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है। इसे पूरे भारत में अलग-अलग नाम से सभी हिन्दू धूम-धाम से मनाते हैं।
१८१९ के बाद से अवध में गतिविधियाँ चलती रहगीं। सआदत अली के देहांत के बाद उनके पुत्र ग़ाज़ी मसनद पर बैठे, और उन्होंने उद्-दीन की उपाधि ली, जिसका अर्थ होता है धर्म के रक्षक। अंग्रेज़ों ने औपचारिक तौर पर उन्हें राजा की उपाधि दी, हालाँकि यह एक ऐसा काल था जब वे पूरी तरह अंग्रेज़ों पर ही निर्भर थे। नेपाल युद्ध के लिए उन्होंने अंग्रेज़ फ़िरंगी को २० लाख रुपए का उधार दिया, और आधे उधार की वापसी के तौर पर युद्ध के अंत में नेपाली तराई अंग्रेज़ों से प्राप्त की - यह हिमालय पर्वतमाला के पहले मौजूद एक कीचड़ वाला जंगल था। कुछ का सोचना था कि सौदा अच्छा नहीं था, लेकिन अंततः तराई में काफ़ी क़ीमती लकड़ी पैदा हुई।
परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे। सूबेदार सिंह जम्मू कश्मीर लाइट इनफेन्ट्री के आठवें रेजीमेंट में कार्यरत थे।
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हवाई यातायात द्वारा दिल्ली इन्दिरा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल से पूरे विश्व से जुड़ा है।.
हिन्दी लेखक
उत्तराखण्ड के नगर नामक इस सूची में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के नगरों और कस्बों की सूची जिलावार दी गई है जो वर्णमालानुसार क्रमित है।
जब इन्होंने धर्म का ह्रास होते देखा तो इन्होंने वेद का व्यास अर्थात विभाग कर दिया और वेदव्यास कहलाये। वेदों का विभाग कर उन्होंने अपने शिष्य सुमन्तु, जैमिनी, पैल और वैशम्पायन तथा पुत्र शुकदेव को उनका अध्ययन कराया तथा महाभारत का उपदेश दिया। आपकी इस अलौकिक प्रतिभा के कारण आपको भगवान् का अवतार माना जाता है।
पढे संत श्री आसारामजी आश्रम
भारत के सार्वजनिक जीवन में डा. सिंह को बहुत से पुरस्कारों और सम्मानों से नवाज़ा गया है । इनमें प्रमुख हैं: -
सुवत्या शब्दारत्नानि ताम्रपर्णा जितायया ॥
१९३७ में वे अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के कर्णावती (अहमदाबाद) में हुए १९वें सत्र में अध्यक्ष चुने गए, जिसके बाद वे पुनः सात वर्षों के लिए अध्यक्ष चुने गए। १५ अप्रैल, १९३८ को इन्हें मराठी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष भी चुना गया। १३ दिसंबर, १९३७ को नागपुर की एक जनसभा में उन्होंने अलग पाकिस्तान के लिए चल रहे प्रयासों असफल करने की प्रेरणा दी थी। ।[३]२२ जून, १९४१ को इनकी भेंट नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हुई। ९ अक्तूबर १९४२ को भारत की स्वतंत्रता के निवेदन सहित उन्होंने चर्चिल को तार भेज कर सूचित किया। सावरकर जीवन भर जीवन अखंड भारत के पक्ष में रहे। स्वतंत्रता प्राप्ति के माध्यमों के बारे में गांधी और सावरकर का एकदम अलग दृष्टिकोण था। १९४३ के बाद दादर, बंबई में रहे। १६ मार्च, १९४५ को इनके भ्राता बाबूराव का देहान्त हुआ। १९ अप्रैल, १९४५ को इन्होंने अखिल भारतीय रजवाड़ा हिन्दू सभा सम्मेलन की अध्यक्षता की। इसी वर्ष ८ मई इनकी पुत्री प्रभात का विवाह संपन्न हुआ। अप्रैल १९४६ में बंबई सरकार ने सावरकर के लिखे साहित्य पर से निषेध हटा लिया। 1947 में इन्होने भारत विभाजन का विरोध किया. महात्मा रामचन्द्र वीर (हिन्दू महासभा नेता एवं संत) ने इनका समर्थन किया.
1973 में इस समुदाय में डेनमार्क, आयरलैंड एवं ब्रिटेन का पदार्पण हुआ।[१४]नार्वे भी इसी समय इसमें शामिल होना चाहता था लेकिन जनमत संग्रह के विपरित परिणामों के कारण उसे सदस्यता से वंचित रहना पड़ा। 1979 में पहली बार यूरोपीय संसद का गठन हुआ और इसमें लोकतांत्रिक पद्धति से सदस्य चुने गये।[१५]
आन्ध्रप्रदेश—1
नया ग्रीनफिल्ड पुणे अन्तरराष्ट्रीय विमानतल प्रकल्प महाराष्ट्र सरकार द्वारा शुरू करने पर यह चाकण व राजगुरुनगर गाँवो के बीच चांदूस व शिरोली के पास (पुणे से ४० कि.मी.) होने की संभावना है। इस परियोजना की जिम्मेदारी महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल को सौपी गई है।
फ्रांस अनेक (प्रशासनिक) क्षेत्रों में विभाजित है, इनमें से २२ क्षेत्र महानगर फ्रांस के अंतर्गत आते हैं:
वैशाली को चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्म स्थल का गौरव भी प्राप्त है। जैन धर्मावलंबियों के लिए वैशाली काफी महत्‍वपूर्ण है। यहीं पर 599 ईसापूर्व में जैन धर्म तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्‍म कुंडलपुर (कुंडग्राम) में हुआ था। वज्जिकुल में जन्मे भगवान महावीर यहाँ 22 वर्ष की उम्र तक रहे थे। इस तरह वैशाली हिंदू धर्म के साथ-साथ भारत के दो अन्य महत्‍वपूर्ण धर्मों का केंद्र था। बौद्ध तथा जैन धर्मों के अनुयायियों के अलावा ऐतिहासिक पर्यटन में दिलचस्‍पी रखने वाले लोगों के लिए भी वैशाली महत्‍वपूर्ण है। वैशाली की भूमि न केवल ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है वरन कला और संस्‍कृति के दृष्टिकोण से भी काफी धनी है। वैशाली जिला के चेचर (श्वेतपुर) से प्राप्त मूर्तियाँ तथा सिक्के पुरातात्विक महत्व के हैं।
वराहमिहिर भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे। इनका जन्म छठी शताब्दी ईसवी में हुआ था। इनके पिता का नाम आदित्य दास था और वे अवंती के निवासी थे। 550 ई. के लगभग इन्होंने तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें वृहज्जातक, वृहत्संहिता और पंचसिद्धांतिका, लिखीं। इन पुस्तकों में त्रिकोणमिति के महत्वपूर्ण सूत्र दिए हुए हैं, जो वराहमिहिर के त्रिकोणमिति ज्ञान के परिचायक हैं।
इनका समयकाल अनिश्चित तथा विवादित है । इतना तय है कि छठी सदी ईसा पूर्व के बाद और चौथी सदी ईसापूर्व से पहले की अविध में इनका अस्तित्व रहा होगा । ऐसा माना जाता है िक इनका जन्म पंजाब के शालातुला में हुआ था जो आधुनिक पेशावर (पाकिस्तान) के करीब है । इनका जीवनकाल ५२०-४६० ईसा पूर्व माना जाता है ।
एक रिकॉर्ड के अनुसार 2004 में फ्लोरिडा को चार तूफानों का सामना करना पड़ा.तूफान चार्ली (13 अगस्त), फ्रांसिस (4-5 सितम्बर), इवान (16 सितम्बर) और जेन (25-26 सितम्बर) सब मिलाकर संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था को 42 अरब डॉलर की कीमत चुकानी पड़ी थी. ग्यारह महीने के भीतर फ्लोरिडा में पांच तूफान आये जिसमे तूफान डेनिस पांचवां तूफान था जो 10 जुलाई 2005 को आया.बाद में, तूफान कैटरीना (25 अगस्त) दक्षिण फ्लोरिडा से गुजरा और तूफान रीटा (20 सितम्बर) को फ्लोरिडा कीस के ऊपर से गुजरा था. तूफान विल्मा (24 अक्टूबर) केप रोमानो के पास मार्को द्वीप के दक्षिण में आया. इस तरह एक बहुत सक्रिय तूफान का मौसम खत्म हुआ.
मेले में/ अरघान मचाये हैं पिलके/
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ गांधीजी के इस फलसफ़े से पूर्ण रूप से सहमत रहा कि हिंदू धर्म में ईसा, मोहम्मद, ज़ोरोस्टर तथा मोजेज़ के प्रति पूरी आस्था है और सम्मान भी। परिस्थितियों के परिणामस्वरूप अधिकांश हिंदू मुसलमान बनने के लिए विवश हुए। आज के संदर्भों में अधिकांश मुसलमान स्वतंत्र, समृध्द और प्रगतिशील भारत में हिंदुओं की तरह विचारधारा रखते हैं। विश्व में आ रहे बदलाव और विवेकशीलता के परिणामस्वरूप वे अपने प्राचीन विश्वास और जीवन पथ में परिवर्तन के लिए स्वतंत्र हैं और ऐसे भारतीय मुसलमान विचारधारा से हिंदू ही है।
उन्नीसवी शताब्दी के अंतिम दौर में, लोगों में नयी जागरुकता आने लगी थॊ। आधुनिक शिक्षा का उत्थान, मध्यम-वर्गीय समाज की बुद्धिमता, प्रेस का आगमन, कई सप्ताहिक, एवं अन्य आवधिक समाचार-पत्रों का मुद्रण, व अन्य कई बुद्दिजीवियों द्वारा मुद्रित सामग्री का प्रचार, जैसे फकिर मोहन सेनापति, राधानाथ रथ, सामजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी व कई समूहों, जैसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से सभी ओडिआ क्षेत्र एक प्रशासन से जुड़ने लगे।
धर्म • हिन्दू धर्म • इस्लाम धर्म • ईसाई धर्म • सिख धर्म • रोमन धर्म • बौद्ध धर्म • जैन धर्म • यहूदी धर्म • ईश्वर • देवी-देवता • नास्तिकता
प्रवेशद्वार:छत्तीसगढ़ की जातियाँ/चयनित लेख
महाराज ने बैल से पूछा कि हे बैल तुम्हारे तीन पैर कैस टूटे गये हैं। तुम बैल हो या कोई देवता हो। हे धेनुपुत्र! तुम निर्भीकतापूर्वक अपना अपना वृतान्त मुझे बताओ। हे गौमाता! अब तुम भयमुक्त हो जाओ। मैं दुष्टों को दण्ड देता हूँ। किस दुष्ट ने मेरे राज्य में घोर पाप कर के पाण्डवों की पवित्र कीर्ति में यह कलंक लगाया है? चाहे वह पापी साक्षात् देवता ही क्यों न हो मैं उसके भी हाथ काट दूँगा। तब धर्म बोला - "हे महाराज! आपने भगवान श्रीकृष्ण के परमभक्त पाण्डवों के कुल में जन्म लिया है अतः ये वचन आप ही के योग्य हैं। हे राजन्! हम यह नहीं जानते कि संसार के जीवों को कौन क्लेश देता है। शास्त्रों में भी इसका निरूपण अनेक प्रकार से किया गया है। जो द्वैत को नहीं मानता वह दुःख का कारण अपने आप को ही स्वीकार करता हैं। कोई प्रारब्ध को ही दुःख का कारण मानता है और कोई कर्म को ही दुःख का निमित्त समझता है। कतिपय विद्वान स्वभाव को और कतिपय ईश्वर को भी दुःख का कारण मानते हैं। अतः हे राजन्! अब आप ही निश्चित कीजिये कि दुःख का कारण कौन है।"
दुबई में सुस्थापित प्रिंट, रेडियो, टीवी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है जो शहर की सेवा करता है . दुबई अरब रेडियो नेटवर्क का आवास है, जो आठ ऍफ़ एम् रेडियो स्टेशनों का प्रसारण करता है जिसमे मध्य पूर्व में पहला बात करने वाला रेडियो स्टेशन भी शामिल है, दुबई आई 103.8 | कई अंतरराष्ट्रीय चैनेल केबल के माध्यम से उपलब्ध है, जबकि उपग्रह, रेडियो और स्थानीय चैनल अरेबियन रेडियो नेटवर्क और दुबई मीडिया इन्कोर्पोरेटेड सिस्टम द्वारा प्रदान किये जाते है . कई अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी जैसे राउटर्स, एपीटीएन , ब्लूमबर्ग एल.पी. और एमबीसी और नेटवर्क समाचार चैनल दुबई मीडिया सिटी और दुबई इंटरनेट सिटी के बाहर संचालित होते है .
यमुना के तटवर्ती स्थानों में दिल्ली के बाद सर्वाधिक बड़ा नगर आगरा ही है। यह एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक, व्यापारिक एंव पर्यटन स्थल है, जो मुगल सम्राटों की राजधानी भी रह चुका है। यह यमुना तट से काफी ऊँचाई पर बसा हुआ है। यहाँ पर भी यमुना पर दो पुल निर्मित हैं। आगरा में यमुना तट पर जो इमारतें है, मुगल बादशाहों द्वारा निर्मित किला और ताज महल पर्यटकों के निमित्त अत्याधिक प्रसिद्ध हैं।
यहां कई पर्यटक आकर्षण हैं। जिनमें से कुछ हैं:-
Treccia in rame.
अमरीका में मिसेज़ मार्गेरेट सैंगर ने इस संबंध में बहुत बड़ा कार्य किया। बर्थ कंट्रोल का शब्द पहले इन्होंने ही प्रयोग किया (सन् 1914-15)। गरीब स्त्रियों और उनकी बहुत सी संतानों की दशा देखकर श्रीमती सैंगर का हृदय पिघल गया। उन स्त्रियों को न रहने का उपयुक्त स्थान था, न पर्याप्त भोजन ही मिलता था। बच्चों को भोजन तक का अभाव था, पहनने के वस्त्रों की कौन कहे। तो भी उनको संतान होती जाती थी। प्रत्येक प्रत्येक बच्चे के माने थे अधिक व्यय। इन सबका परिणाम था बच्चों की मृत्यु, क्योंकि चिकित्सा या सुश्रूषा का कोई साधन न था।
उत्तराखण्ड में चूना पत्थर, राक फास्फेट, डोलोमाइट, मैग्नेसाइट, तांबा, ग्रेफाइट, जिप्सम आदि के भण्डार हैं। राज्य में ४१,२१६ लघु औद्योगिक इकाइया स्थापित हैं, जिनमें लगभग ३०५.५८ करोड़ की परिसंपत्ति का निवेश हुआ है और ६३,५९९ लोगों को रोजगार प्राप्त है। इसके अतिरिक्त १९१ भारी उद्योग स्थापित हैं, जिनमें २,६९४.६६ करोड़ रुपयों का निवेश हुआ है। १,८०२ उद्योगों में ५ लाख लोगों को कार्य मिला हुआ है। वर्ष २००३ में एक नयी औद्योगिक नीति बनायी गई जिसके अन्तर्गत्त निवेशकों को कर में राहत दी गई थी, जिसके कारण राज्य में पूंजी निवेश की एक लहर दौड़ गयी।
उन्हें १९७२ में बुनी हुई रस्सी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। १९८१-८२ में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के संस्थान सम्मान से सम्मानित हुए और १९८३ में उन्हें मध्य प्रदेश शासन के शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया।
करता - ने कर्म - को करण - से समप्रदान - के लिये अपादान - से सम्बन्ध - मे,पर
नागरिकों से युक्त एक ऐसा आन्दोलन जो संयुक्त राज्य के ओरेगोन राज्य में स्वास्थ्य रक्षा के लिए सार्वभौमिक पहुंच को लक्ष्य बनता है, इसे "आर्किमिडीज़ आन्दोलन" नाम दिया गया है, इसके अध्यक्ष पूर्व ओरेगोन गवर्नर जॉन किट्साबर हैं। [५८]
पणजी गोवा की राजधानी है। यहां के आधुनिक बाजार भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मांडवी नदी के तट पर बसे इस शहर में शाम के समय सैलानी रिवर क्रूज का आनन्द लेने पहुंचते हैं। मांडवी पर तैरते क्रूज पर संगीत एवं नृत्य के कार्यक्रम में गोवा की संस्कृति की एक झलक देखने को मिलती है।
ये लगभग १५ मीटर की ऊँचाई तक उछल सकते हैं।
इन सार्वजनिक संस्थानों के अलावा उत्तराखण्ड में बहुत से निजी संस्थान भी हैं, जैसे ग्राफ़िक एरा संस्थान, देहरादून प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय एयर हॉस्टेस अकादमी इत्यादि।
•पटेल नगर •राजौरी गार्डन •पंजाबी बाग
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम
आयुर्वेद के दो उद्देश्य होते हैं :
दक्षिणी यूरोप के भूमध्य सागरीय प्रदेश में जहाँ भूमध्यसागरीय जलवायु पाइ जाती है वहाँ चोड़ी पत्ती वाले सदाबहार वन मिलते हैं। यहाँ ओक, जैतून, सीडार, साइप्रस, अखरोट, बादाम, संतरा, अंजीर एवं अंगूर जैसे फलों के वृक्ष खूब पैदा होते हैं। उत्तरी-पश्चिमी मध्य यूरोप में समशीतोष्ण कटिबन्धीय चौड़ी पत्ती वाले पतझड़ के वन पाए जाते हैं। कठोर शीत से सुरक्षा के लिए यहाँ के वृक्ष जाड़े के प्रारम्भ में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। ऐसे वृक्षों में ओक, ऐश, बीच, बर्च, एल्म, मैपिल, चेस्टनट और बालनट मुख्य हैं। ऊँचें प्रवतीय भागों में अधिक ठण्डक के कारण नुकीली पत्ती वाले वन पाए जाते हैं। इनके प्रमुख वृक्ष चीड़, फर, पाइन, सनोवर, लार्च, स्प्रूस, सीडार और हेमलाक हैं। इस प्रकार यूरोप में पतझड़ एवं नुकीली पत्ती के वृक्षों के मिश्रित वन पाए जाते हैं।
पेरुर कोयंबटूर से 6 किमी. दूर स्थित एक छोटा सा शहर है। इसका मुख्य आकर्षण पेरुर मंदिर है जो सात कोंगु शिवालयम में से एक है। मंदिर की बाहरी इमारत मदुरै के शासकों ने 17वीं शताब्दी में बनवाई थी लेकिन अंदर का मुख्य मंदिर उससे काफी पुराना है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के प्रवेश द्वार के पास स्तंभ के नीचे उकेरी गई एक सैनिक की प्रतिमा यहां का मुख्य आकर्षण है। इस सिपाही की वर्दी औरंगजेब के सैनिकों के समान है।
• उत्तम कुमार
1488 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है।
बीरगंज नेपाल का एक दक्षिणी सीमावर्ती शहर है जिसकी सीमा बिहार में पूर्वी चंपारण के रक्सौल शहर से लगती है। नेपाल में सड़क मार्ग से प्रवेश करने का यह एक प्रमुख रास्ता है। अगर आप पटना याकोलकाता की ओर से आ रहे हों तो यह सबसे सुगम मार्ग है। बीरगंज नेपाल भारत व्यापार का प्रमुख नाका है यह नारायणी अञ्चल के पर्सा जिले मे पडता है ।
उपर्युक्त संस्थान के साथ (१) औषधीय वनस्पति सर्वेक्षण इकाइयाँ (सर्वे आफ मेडिसिनल प्लांट्स यूनिट्स), (२) तथ्यनिष्कासन चल नैदानिक अनुसंधान इकाइयाँ
9. सूर का भ्रमरगीत वियोग-श्रृंगार का ही उत्कृष्ट ग्रंथ नहीं है, उसमें सगुण और निर्गुण का भी विवेचन हुआ है। इसमें विशेषकर उद्धव-गोपी संवादों में हास्य-व्यंग्य के अच्छे छींटें भी मिलते हैं।
लखनऊ हिन्दी चलचित्र उद्योग की आरंभ से ही प्रेरणा रहा है। यह कहना अतिशयोक्ति ना होगा कि लखनवी स्पर्श के बिना, बॉलीवुड कभी उस ऊंचाई पर नहीं आ पाता, जहां वह अब है। अवध से कई पटकथा लेखक एवं गीतकार हैं, जैसे मजरूह सुलतानपुरी, कैफ़े आज़मी, जावेद अख्तर, अली रज़ा, भगवती चरण वर्मा, डॉ.कुमुद नागर, डॉ.अचला नागर, वजाहत मिर्ज़ा (मदर इंडिया एवं गंगा जमुना के लेखक), अमृतलाल नागर, अली सरदार जाफरी एवं के पी सक्सेना जिन्होंने भारतीय चलचित्र को प्रतिभा से धनी बनाया। लखनऊ पर बहुत सी प्रसिद्ध फिल्में बनी हैं जैसे शशि कपूर की जुनून, मुज़फ्फर अली की उमराव जान एवं गमन, सत्यजीत राय की शतरंज के खिलाड़ी और इस्माइल मर्चेंट की शेक्स्पियर वाला की भी आंशिक शूटिंग यहीं हुई थी।
सेबुआनो विकिपीडिया विकिपीडिया का सेबुआनो भाषा का संकरण है। इस पर लेखों की कुल संख्या २५ मई, २००९ तक ३७,०००+ है। यह विकिपीडिया का सैंतालीसवां सबसे बड़ा संकरण है।
1536–1620  Barbados
साम्राज्यवादी वेलेज़ली ने युद्ध और नीति से ब्रिाटिश साम्राज्य का खूब प्रसार किया। टीपू नष्ट हो गया। पेशवा के वेलेज़ली के संरक्षण में आने से, ओवन के कथनानुसार अब "भारत में ब्रिाटिश साम्राज्य' की अपेक्षा, ब्रिाटिश साम्राज्य का भारत हो गया। फिर मराठा सरदारों को अलग अलग पराजित कर उन्हें सहायक संधि करने के लिए मजबूर किया। अवध का विस्तार घटाकर, उसे अपने प्रभुत्व के अंतर्गत कर लिया। सहायक संधि वेलेज़ली के साम्राज्यवादी प्रसारण का अद्भुत यंत्र था, जिसमें फ्रांसीसी प्रभाव का भी भारत से समूल उच्छेद हो गया। फिर मराठों की रही सही शक्ति भी लार्ड हेÏस्टग्ज़ ने तोड़ दी।
बाल्यावस्था में गांधी को मांस खाने का अनुभव मिला। ऐसा उनकी उत्तराधिकारी जिज्ञासा के कारण ही था जिसमें उसके उत्साहवर्धक मित्र शेख मेहताब का भी योगदान था। वेजीटेरियनिज्म का विचार भारतकी हिंदु और जैन प्रथाओं में कूट-कूट कर भरा हुआ था तथा उनकी मातृभूमि गुजरात में ज्यादातर हिंदु शाकाहारी ही थे। इसी तरह जैन भी थे। गांधी का परिवार भी इससे अछूता नहीं था। पढाई के लिए लंदन आने से पूर्व गांधी जी ने अपनी माता पुतलीबाई और अपने चाचा बेचारजी स्वामी से एक वायदा किया था कि वे मांस खाने, शराब पीने से तथा संकीणता से दूर रहेंगे।उन्होने अपने वायदे रखने के लिए उपवास किए और ऐसा करने से सबूत कुछ ऐसा मिला जो भोजन करने से नहीं मिल सकता था, उन्होंने अपने जीवन पर्यन्त दर्शन के लिए आधार जो प्राप्त कर लिया था। जैसे जैसे गांधी जी व्यस्क होते गए वे पूर्णतया शाकाहारी (vegetarian)बन गए। उन्होंने द मोरल बेसिस ऑफ वेजीटेरियनिज्म तथा इस विषय पर बहुत सी लेख भी लिखें हैं जिनमें से कुछ लंदन वेजीटेरियन सोसायटी के प्रकाशन द वेजीटेरियन [२७]में प्रकाशित भी हुए हैं। गांधी जी स्वयं इस अवधि में बहुत सी महान विभूतियों से प्रेरित हुए और लंदन वेजीटेरियन सोसायटी के चैयरमेन डॉ० जोसिया ओल्डफील्ड के मित्र बन गए।
सूत्र पिटक
कैनाइन कैंसर की जाँच के सटीक परिणाम होते हैं, लेकिन यह अभी भी अनुसंधान के प्रारंभिक चरण में है.
टेलीफोन : प्रत्‍येक सदस्‍य निशुल्‍क टेलीफोन-एक दिल्‍ली में तथा दूसरा अपने निवास स्‍थान पर लगवानें का हकदार है। इसके अलावा, उसे प्रतिवर्ष निशुल्‍क 50,000 स्‍थानीय काल करने की छूट होती है।
भेड़ एक प्रकार का पालतू पशु है। इसे मांस, ऊन और दूध के लिए पाला जाता है।
यदि बाँध क्षतिग्रस्त हो जाएँ तो बाढ़ भूकंप का द्वितीयक प्रभाव हो सकता है.
ई एस वेंकटरमैय्या भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं।
मध्यकालीन मुगलकालीन बिहार के सन्दर्भ में जानकारी अबुल फजल द्वारा रचित अकबरनामा से प्राप्त होती है । आलमगीरनामा से मुहम्मद कासिम के सन्दर्भ में बिहार की जानकारी होती है ।
हिमालय क्षेत्र मे मनुष्यों का आगमन लगभग ९,००० वर्ष पहले होने के तथ्य की पुष्टि काठमांडू उपत्यका में पाये गये नव पाषाण औजारों से होती है। सम्भवतः तिब्बती-बर्माई मूल के लोग नेपाल मे २,५०० वर्ष पहले आ चुके थे।[३]
मूलतः गुरु वह है जो ज्ञान दे । संस्कृत भाषा के इस शब्द का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है । हिन्दू तथा सिक्ख धर्म में गुरु का अर्थ धार्मिक नेताओं से भी लगाया जाता है । सिक्खों के दस गुरु थे ।
राजबीर पैलेस कूच बिहार के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। इसका निर्माण यूरोपियन शैली में किया गया है। इस पैलेस का निर्माण कोच सम्राट महाराजा नृपेन्द्र नारायण ने 1887 ई. में कराया था। यह दो मंजिला पैलेस है। इन दोनों मंजिलों का निर्मार्ण ईटों से किया गया है। पैलेस का कुल क्षेत्रफल 4768 वर्ग मी. और इसकी लंबाई व चौड़ाई क्रमश: 120 और 90 मी. है। पर्यटकों को यह पैलेस बहुत पसंद आता है और वह इसकी खूबसूरत तस्वीरों को अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं।
समय-सुरभि
डा. अरुणा सीतेश (३१ अक्तूबर १९४५-१९ नवंबर २००७) हिंदी की प्रसिद्ध कथाकार थीं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से १९६५ में अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया और स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया। १९७० में उन्होंने यहीं से डी. फ़िल की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध इंद्रप्रस्थ कॉलेज में प्राध्यापिका के पद से उन्होंने अपने कार्य-जीवन का प्रारंभ किया। बाद में वे क्रमशः रीडर तथा प्रधानाचार्या के पद पर आसीन हुईं। अंग्रेज़ी की प्राध्यापिका और प्रख्यात शिक्षाविद डॉ. अरुणा सीतेश १० वर्षों तक दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ महिला कालेज में प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत रहीं।[१] चाँद भी अकेला है, वही सपने, कोई एक अधूरापन, लक्ष्मण रेखा और छलांग उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियाँ हैं। इनमें से ‘छलांग’ कहानी-संग्रह अपने समय में काफी चर्चित रहा। उन्होंने विष्णु प्रभाकर तथा मोहन राकेश के नाटकों का अंग्रेज़ी अनुवाद भी किया। वे ‘प्रतिभा इंडिया’ पत्रिका की संपादिका रहीं, देश-विदेश में उन्हें अनेक पुरस्कार, सम्मान तथा फैलोशिप प्राप्त हुए, जिसमें उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान का महादेवी पुरस्कार तथा दिल्ली सरकार का अखिल भारतीय साहित्य परिषद सम्मान प्रमुख हैं।[२] वे सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार सीतेश आलोक की पत्नी थीं। अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में सर्जनात्मक लेखन से जुडने वाली रचनाकार डॉ. अरुणा सीतेश ने बहुत कम समय में ही तत्कालीन कथा-लेखिकाओं के बीच अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर ली थी। उनके कथा- साहित्य के केंद्र में प्रायः स्त्री जीवन की गहन भावनाओं का मार्मिक चित्रण उपस्थित रहता है। उनके द्वारा लिखी गई कहानियाँ जहाँ एक ओर नारी मन के अंतर्द्वंद्व को उजागर करती हैं तो साथ ही मानवीय मनोविज्ञान का विश्लेषण भी करती हैं। उनकी कहानियाँ हमारे आस-पास के जीवन से जुडी तो हैं ही साथ ही इनके माध्यम से बनते- बिगड़ते पारिवारिक और सामाजिक संदर्भों का भी प्रभावी चित्रण करती हैं।[३]
 विकिपीडिया के बन्धु प्रकल्प
पाणिनि (५०० ई पू) संस्कृत भाषा के सबसे बड़े वैयाकरण हुए हैं। इनका जन्म तत्कालीन उत्तर पश्चिम भारत के गांधार में हुआ था। इनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है जिसमें आठ अध्याय और लगभग चार सहस्र सूत्र हैं।
बोस "अपने कोहिरर" को बेह्तर करने की योजना बनाई लेकिन यह पेटेंट के बारे में कभी नहीं सोचा।
2000 में, शंघाई में एयर इंडिया को सेवाएं शुरू की अपनी Newark में Newark लिबरटी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तीसरा और अमेरिका के प्रवेश द्वार के लिए. मई 2004 पर, एयर इंडिया के एक पूर्ण स्वामित्व वाली कम लागत एयर इंडिया एक्सप्रेस नामक विमान सेवा शुरू की है. एयर इंडिया एक्सप्रेस मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और उपमहाद्वीप के साथ जोड़ने भारत में शहरों. 2004 में एयर इंडिया अपनी लॉस लॉस एंजिल्स (जो बाद से समाप्त कर दिया गया है) में एंजिल्स अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर चौथे अमेरिकी प्रवेश द्वार के लिए उड़ानें शुरू की और अपने अंतरराष्ट्रीय रूटों का विस्तार करने के लिए अहमदाबाद, अमृतसर, बंगलौर और हैदराबाद से उड़ानें शामिल हैं.
आंध्र प्रदेश: नारायण दत्त तिवारीअरुणाचल प्रदेश: के शंकरनारायणनअसम: अजय सिंहबिहार: आर एस गवईछत्तीसगढ: ई एस एल नरसिंहनगोआ: एस सी जमीरगुजरात: नवल किशोर शर्माहरियाणा: ए आर किदवईहिमाचल प्रदेश: विष्णु सदाशिव कोकजेजम्मू कश्मीर: एस के सिन्हाझारखंड: सैयद सिब्ते रजीकर्नाटक: रामेश्वर ठाकुर
खुलना डिविजन के शहर, खुलना शहर को छोडकर:
२२. महाराष्ट्र (मुंबई)
Stern Review (Stern Review) संभावित आर्थिक प्रभाव पर एक व्यापक रूप से प्रचारित रिपोर्ट है ; यह सुझाव देती है की दुनिया भर में अत्यधिक कठोर मौसम कम हो सकता है , कुल domestic product एक प्रतिशत तक बड़ सकता है और बुरी से बुरी हालत में प्रति व्यक्ति (per capita) खपत 20 प्रतिशत गिर सकती है .[८५] इस रिपोर्ट की पद्धति , और निष्कर्ष की कई अर्थशास्त्रियों द्वारा आलोचना की है ,मुख्यतः इसमे जो धारणाए हैं उनकी जैसे की छूट (discounting) और इसकी स्थितियों के विकल्प,[८६] जबकि अन्य ने आर्थिक जोखिम की गणना का समर्थन किया है, चाहे वे उनकी संखयों से सहमत नही है [८७][८८]
जमुना नदी (बांग्ला: যমুনা जोमुना) बांग्लादेश की तीन मुख्य नदियों में से एक है। यह भारत से बांग्लादेश को बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी की मुख्य धारा है। जमुना नदी दक्षिण को बहती है और गोआलुंडो घाट में पद्मा नदी में मिल जाती है। आगे पद्मा में मिलने के बाद चांदपुर जिला में यह मेघना नदी में मिल जाती है। इसका पूर्ण जल बंगाल की खाड़ी में मेघना नदी के रूप में मिलता है।[१]
सम्मेलन के साहित्य विभाग द्वारा एक त्रैमासिक शोधपत्रिका "सम्मेलन पत्रिका" का प्रकाशन होता है।
डॉ.श्याम सखा ‘श्याम’
भूमध्य रेखा १४ देशों के स्थल या जल से होकर जाती है। मध्याह्न रेखा से प्रारंभ होकर ये पूर्व की ओर जाती है:
लाल सागर अफ्रीका एवं एशिया के बीच हिंद महासागर का एक नमकीन पानी की एक खाड़ी हैं। दक्षिण में अदेन की खाड़ी से लाल सागर हिंद महासागर से मिलता है। इसका पानी लाल नहीं है, हाँलांकि, समुद्री सतह पर प्रवाल की मौसमी उपस्थिति के कारण यह कभी-कभी लाल दिखता है । लगभग 2250 किलोमीटर लंबाई के इस समुद्री विस्तार की औसत गहराई 490 मीटर है तथा सबसे चौड़े स्थान पर इसके तटों के बीच 355 किलोमीटर की दूरी है । मिस्र और अरब-इस्राइल को पृथक करने वाले इस सागर को बाईबल तथा हिब्रू ग्रंथों में वर्णित सागर का यथार्थ माना जाता है ।
इस काल में प्रबंध और प्रगीत के संयोजन से पौराणिक प्रणयकाव्य और प्रेममार्गा (सफी) मसनवी काव्य परिपुष्ट हुए। एक ओर रामचरित, कृष्णलीला, पार्वतीपरिणय, दमयंती स्वंयवर आदि आख्यानों पर मार्मिक लीलाकाव्य रचे गए तो दूसरी ओर फारसी मसनवियों के रूपांतरण के अतिरिक्त अरबी, उर्दू और पंजाबी प्रेमाख्यानों से भी सामग्री ली गई; साथ ही कुछ ऐसे धार्मिक प्रगीतों की भी रचना हुई जिनमें लौकिक तथा अलौकिक प्रेम के संश्लिष्ट चित्रण के साथ-साथ पारिवारिक वेदना का प्रतिफलन भी हुआ है। इस काल की रचनाओं में विशेष उल्लेखनीय ये हैं-रमज़ान बट का अकनंदुन; प्रकाशराम का रामायन; महमूद गामी के शीरीन खुसरव, लैला मजनूँ और युसुफ जुलेखा; परमानंद के रादा स्वयंवद, शेविलगन और सो"दामचर्यथ; वलीउल्लाह मत्तू तथा जरीफ़शाह की सहकृति होमाल; मक़बूल शाह क्रालवारी की गुलरेज; अज़ीज़ुल्लाह हक्कानी की मुमताज़ बेनज़ीर; कृष्ण राज़दान का श"वलगन; तथा ल"ख्ययन बठ नागाम "बुलबुल" का नलदमन।
ऑस्ट्रेलिया ने अपनी राष्ट्रीय प्रथम श्रेणी चैम्पियनशिप की स्थापना 1892-93 में की जब शेफील्ड शील्ड (Sheffield Shield) शुरू की गई थी.ऑस्ट्रेलिया में, प्रथम श्रेणी की टीमें विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं. न्यू साउथ वेल्स (New South Wales)ने 2008 तक ४५ के साथ सबसे ज्यादा खिताब जीते हैं.
2. जो धम्म मैत्री की वृद्धि करे--
वृंदावन की कथाओं में कालिया नाग, गोवर्धन, रासलीला और महारास वाली कथाएं अधिक प्रसिद्ध हैं। श्रीकृष्ण ने यमुना को कालिया नाग से मुक्त-शुद्ध किया था। यमुना, गंगा, सरस्वती नदियों को क्रमशः कर्म, भक्ति और ज्ञान की प्रतीक माना गया है। ज्ञान अथवा भक्ति के अभाव मेंकर्म का परिणाम होता है, कर्ता में कर्तापन के अहंकार-विष का संचय। यह अहंकार ही कर्म-नद यमुना का कालिया नाग है। सर्वात्म रूप श्रीकृष्ण भाव का उदय इस अहंकार-विष से कर्म और कर्ता की रक्षा करता है (गीता- 18.55.58)।
आततायी शासक की धर्म विरोधी और वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाली नीतियों के विरुद्ध गुरु तेग बहादुरजी का बलिदान एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक घटना थी। यह गुरुजी के निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण था। गुरुजी मानवीय धर्म एवं वैचारिक स्वतंत्रता के लिए अपनी महान शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे।
अपने आधारतम रूप में बांसुरी एक खुली नलिका हो सकती है जिसे बोतल की तरह बजाया जाता है. बांसुरी की कुछ विस्तृत श्रेणियां हैं. ज़्यादातर बांसुरियों को संगीतकार या वादक ओठ के किनारों से बजाता है. हालांकि, कुछ बांसुरियों, जैसे विस्सल, जैमशोर्न, फ्लैजिओलैट, रिकार्डर, टिन विस्सल, टोनेट, फुजारा एवं ओकारिना में एक नली होती है जो वायु को किनारे तक भेजती है ("फिपिल" नामक एक व्यवस्था). इन्हें फिपिल फ्लूट कहा जाता है. फिपिल, यंत्र को एक विशिष्ट ध्वनि देता है जो गैर-फिपिल फ्लूटों से अलग होती है एवं यह यंत्र वादन को आसान बनाता है, लेकिन इस पर संगीतकार या वादक का नियंत्रण कुछ कम होता है.
ग्लोब पर भूमध्य रेखा के समान्तर खींची गई कल्पनिक रेखा । अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या १८० है । प्रति १ डिग्री की अक्षांशीय दूरी लगभग १११ कि. मी. के बराबर होती हैं जो पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक भिन्न-भिन्न मिलती हैं । इसे यूनानी भाषा के अक्षर फाई यानि  से दर्शाया जाता है। तकनीकी दृष्टि से अक्षांश, अंश (डिग्री) में अंकित कोणीय मापन है जो भूमध्य रेखा पर 0° से लेकर ध्रुव पर 90° हो जाता है।
(6) दान संबंधी,
दक्षिण अफ्रीका, जहाँ से उन्होंने वकालत पूरी की थी तथा धन और सफलता के साथ जुड़े थे वहां से लौटने के पश्चात् उन्होंने पश्चमी शैली के वस्त्रों का त्याग किया.उन्होंने भारत के सबसे गरीब इंसान के द्वारा जो वस्त्र पहने जाते हैं उसे स्वीकार किया, तथा घर में बने हुए कपड़े (खादी) पहनने की वकालत भी की.गाँधी और उनके अनुयायियों ने अपने कपड़े सूत के द्वारा ख़ुद बुनने के अभ्यास को अपनाया और दूसरो को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया हालाँकि भारतीय श्रमिक बेरोज़गारी के कारण बहुधा आलसी थे, वे अक्सर अपने कपड़े उन औद्योगिक निर्माताओं से खरीदते थे जिसका उद्देश्य ब्रिटिश हितों को पुरा करना था. गाँधी का मत था कि अगर भारतीय अपने कपड़े ख़ुद बनाने लगे, तो यह भारत में बसे ब्रिटिशों को आर्थिक झटका लगेगा. फलस्वरूप, बाद में चरखा (spinning wheel) को भारतीय राष्ट्रीय झंडा में शामिल किया गया. अपने साधारण जीवन को दर्शाने के लिए उन्होंने बाद में अपनी बाकी जीवन में धोती पहनी
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अपभ्रंश ........आधुनिक आर्य भाषा तथा उपभाषा
रन लेने का फ़ैसला बल्लेबाज, जिसको गेंद की दिशा और गति का ज्ञान होता है, उसके द्वारा किया जाता है और इसको वह "हाँ", "ना" या "रुको" कहके बताता है.
जानकी कुण्ड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार ही यह शिला स्थित है। माना जाता है कि इस शिला पर सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुन्दरता निहारते थे।
३४४ ई. पू. में महापद्यनन्द नामक व्यक्‍ति ने नन्द वंश की स्थापना की । पुराणों में इसे महापद्म तथा महाबोधिवंश में उग्रसेन कहा गया है । यह नाई जाति का था ।
67. उदयपुर इसकी सुंदर झीलों, सुनिर्मित महलों, हरे भरे बगीचों और मंदिरों के लिए जाना जाता है, लेकिन इस जगह के प्रमुख आकर्षण लेक पैलेस और सिटी पैलेस हैं।
पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान को भुवर्लोक कहते हैं।
28 जून , 1926 को बेंज & Cie. और DMG अंततः मर्ज होके Daimler-बेंज कम्पनी बनी ,और अपने सभी मोटर वाहनों का नामकरन किया, मर्सिडीज बेंज ,एक ऐसे ब्रांड के तौर पर जिसने समानित किया सबसे महत्वपूर्ण मॉडल DMG औतोमोबिलेस का ,बाद में माय्बैक डिजाईन को जन गाया 1902 मर्सिडीज-35hp के तौर पे बेन्ज़ के नाम के साथ . 1929 में बेन्ज़ की मृत्यु तक वोह दैम्लेर - बेन्ज़ के निदेशक मंडल के सदस्य बने रहे ,और कभी कभी उनके दोनों पुत्र भी कंपनी के काम काज में हाथ बताते थे .
एक दिन राजा पाण्डु माद्री के साथ वन में सरिता के तट पर भ्रमण कर रहे थे। वातावरण अत्यन्त रमणीक था और शीतल-मन्द-सुगन्धित वायु चल रही थी। सहसा वायु के झोंके से माद्री का वस्त्र उड़ गया। इससे पाण्डु का मन चंचल हो उठा और वे मैथुन मे प्रवृत हुये ही थे कि शापवश उनकी मृत्यु हो गई। माद्री उनके साथ सती हो गई किन्तु पुत्रों के पालन-पोषण के लिये कुन्ती हस्तिनापुर लौट आई।
"बहादुर शाह जफर सिर्फ एक देशभक्त मुगल बादशाह ही नहीं बल्कि उर्दू के मशहूर कवि भी थे। उन्होंने बहुत सी मशहूर उर्दू कविताएं लिखीं, जिनमें से काफी अंग्रेजों के खिलाफ बगावत के समय मची उथल-पुथल के दौरान खो गई या नष्ट हो गई। उनके द्वारा उर्दू में लिखी गई पंक्तियां भी काफी मशहूर हैं-
कुछ विद्वानों का कहना है कि "मालदीव" नाम संस्कृत शब्द माँलाद्विपा (द्मालावीप) मतलब "द्वीपों का हार" से उत्पन्न हुआ है.[७] कोई भी नाम का किसी भी साहित्य में ज़िक्र नहीं किया गया मगर वैदिक समय का पारम्परिक संस्कृत अवतरण "सौ हज़ार द्वीप"(लक्शाद्वीपा) के बारे में चर्चा करता है, यह एक वर्गीय नाम है जिसमें न केवल मालदीवज बल्कि लक्षद्वीप और चागोस द्वीप समूह भी शामिल है.[८]
पूर्व मध्य रेलेवे भारतीय रेल की एक इकाई है। इसे लघुरूप में ECR कहा जाता है।
भारतीय रेल द्वारा जुड़ा हुआ, इलाहाबाद जंक्शन उत्तर मध्य रेलवे का मुख्यालय है। ये अन्य प्रधान शहरों जैसे कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, छपरा, पटना, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, बंगलुरु एवं जयपुर से भली भांति जुड़ा हुआ है। शहर में आठ रेलवे-स्टेशन हैं:
लार्ड इरविन १९२५ से १९३१ ईस्वी तक् भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल थे| इन्ही के कार्यकाल मे असहयोग आन्दोलन , सविनय अवज्ञा आन्दोलन , गांधी-इरविन समझौता जैसी महत्वपूर्ण घटनायें हुई।
   हिन्द ईरानी
Niger (उच्चारण सहायता /niːˈʒɛər/ or /ˈnaɪdʒɚ/); in French उच्चारित [niʒɛʁ]), officially the Republic of Niger, is a landlocked country in Western Africa, named after the Niger River. It borders Nigeria and Benin to the south, Burkina Faso and Mali to the west, Algeria and Libya to the north and Chad to the east. The capital city is Niamey.
2008 में फ़िल्म अभिनेता चिरंजीवी द्वारा प्रजा राज्यम पार्टी (PRP) का गठन किया गया और 2009 चुनावों में त्रिकोणीय संघर्ष सामने आया. विशाल मीडिया प्रचार और अपेक्षाओं के बावजूद, वह परिवर्तक खेल नहीं खेल पाया और केवल 18 सीटें जीतने में सफल रहा. आशा की किरण यह है कि वह कांग्रेस के 36 प्रतिशत और तेलुगू देशम के 25 प्रतिशत की तुलना में कुल मतों का 17 प्रतिशत जीतने में कामयाब रहा.
उन्नीसवीं सदी में आंग्ल-अफ़ग़ान युद्धों के कारण अफ़ग़ानिस्तान का काफी हिस्सा ब्रिटिश इंडिया के अधीन हो गया जिसके बाद अफ़ग़ानिस्तान में यूरोपीय प्रभाव बढ़ता गया। १९१९ में अफ़ग़ानिस्तान ने विदेशी ताकतों से एक बार फिर स्वतंत्रता पाई। आधुनिक काल में १९३३-१९७३ के बाच का काल अफ़ग़ानिस्तान का सबसे अधिक व्यवस्थित काल रहा जब ज़ाहिर शाह का शासन था। पर पहले उसके जीजा तथा बाद में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्तापलट के कारण देश में फिर से अस्थिरता आ गई। सोवियत सेना ने कम्युनिस्ट पार्टी के सहयोग के लिए देश में कदम रखा और मुजाहिदीन ने सोवियत सेनाओं के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया और बाद में अमेरिका तथा पाकिस्तान के सहयोग से सोवियतों को वापस जाना पड़ा। ११ सितम्बर २००१ के हमले में मुजाहिदीन के सहयोग होने की खबर के बाद अमेरिका ने देश के अधिकांश हिस्से पर सत्तारुढ़ मुजाहिदीन (तालिबान), जिसको कभी अमेरिका ने सोवियत सेनाओं के खिलाफ लड़ने में हथियारों से सहयोग दिया था, के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।
केप टाउन स्थित विक्‍टोरिया एंड अल्‍फ्रेड वाटरफ्रंड पर्यटकों के सबसे पसंदीदा स्‍थलों में से है। यह एक ऐतिहासिक बंदरगाह है, जो अभी भी काम कर रहा है। यह बंदगाह रोबेन आइसलैंड और टेबल माउंटेन के बीच स्थित है। इस बंदगाह के आस-पास पर्यटकों के मनोरंजन का भी प्रबंध किया गया है। इस बंदरगाह का निर्माण 1860 ई. में रानी विक्‍टोरिया के पुत्र प्रिंस अल्‍फ्रेड ने करवाया था।
चाड झील अफ़्रीका मे स्थित एक मीठे पानी की झील है। यह झील ४ देशो के २ करोड़ लोगो के पीने की पानी की आवश्यकता को पूरी करती है। चारी नदी चाड झील के पानी का स्रोत है। चाड झील से ही अफ़्रीकी देश चाड का नाम पड़ा है।
आधुनिक हिन्दी गद्य का विकास केवल हिन्दी भाषी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहा. पूरे देश में और हर प्रदेश में हिन्दी की लोकप्रियता फैली और अनेक अन्य भाषी लेखकों ने हिन्दी में साहित्य रचना करके इसके विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया. हिन्दी गद्य के विकास को विभिन्न सोपानों में विभक्त किया जा सकता है.
अर्चिष्मानर्चितः कुम्भो विशुद्धात्मा विशोधनः ।
    रोमानी
2. लोकसभा एक अध्यादेश को अस्वीकृत करने वाला प्रस्ताव 6 सप्ताह की अवधि समाप्त होने से पूर्व पास कर सकती है
Yahan EK Khat Likhdo,Aapko Har Maah Sunni Risale Milenge(Free) "Maahnama Yasin & Nek Khatun Loko Road,Gandhi colony,Kota(Rajasthan)324002"
विशाल गांगेय मैदान के हृदय क्षेत्र में स्थित लखनऊ शहर बहुत से ग्रामीण कस्बों एवं गांवों से घिरा हुआ है, जैसे अमराइयों का शहर मलिहाबाद, ऐतिहासिक काकोरी, मोहनलालगंज, गोसांईगंज, चिन्हट और इटौंजा। इस शहर के पूर्वी ओर बाराबंकी जिला है, तो पश्चिमी ओर उन्नाव जिला एवं दक्षिणी ओर रायबरेली जिला है। इसके उत्तरी ओर सीतापुर एवं हरदोई जिले हैं। गोमती नदी, मुख्य भौगोलिक भाग, शहर के बीचों बीच से निकलती है, और लखनऊ को ट्रांस-गोमती एवं सिस-गोमती क्षेत्रों में विभाजित करती है। लखनऊ शहर भूकम्प क्षेत्र तृतीय स्तर में आता है।[१०]
निर्देशांक: 26°51′N 80°55′E / 26.85, 80.91
तटरक्षक देश भर के सेना और सैन्य उपकरणों के सशस्त्र समुद्री परिवहनों का उपक्रम करते हैं.
सुंदरवन या सुंदरबोन भारत तथा बांग्लादेश में स्थित विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा है । यहां के नरभक्षी बाघ 'बंगाल टाइगर' के नाम से विश्व भर में प्रसिद्ध हैं । मै
ये चार विदेशी क्षेत्रों की महानगरीय वाले के रूप में एक ही स्थिति है. वे अलास्का और हवाई के विदेशी अमेरिकी राज्यों की तरह हैं। इसके बाद फ्रांस १०० विभागों में विभाजित है। यह विभाग ३४२ भागो (अर्रोंदिस्सेमेंट्स) में विभाजित हैं। ये अर्रोंदिस्सेमेंट्स ४०३२ भागों (कान्तोंस) में विभाजित है। इस छोटा उपखंड कम्यून है। १ जनवरी २००८ को, फ्रांस में ३६,७८१ कम्यून्स की गिनती की गई थी। इनमें से ३६.५६९ महानगरीय फ्रांस में हैं और इनमें से २१२ विदेशी फ्रांस में हैं।
गूगल आइऍमई भारतीय भाषाओं हेतु एक टाइपिंग औजार (इनपुट मैथड ऍडीटर) है। यह एक वर्चुअल कीबोर्ड है जो कि बिना कॉपी-पेस्ट के झंझट के विण्डोज़ में किसी भी ऍप्लीकेशन में सीधे हिन्दी में लिखने की सुविधा प्रदान करता है। पहले गूगल की यह सेवा गूगल इण्डिक लिप्यन्तरण के नाम से ऑनलाइन सम्पादित्र के रुप में थी, बाद में इसकी लोकप्रियता को देखते हुये इसे ऑफलाइन प्रयोग के लिये दिसम्बर २००९ में गूगल आइऍमई के नाम से जारी किया गया।
भारतवर्ष को प्राचीन ऋषियों ने "हिन्दुस्थान" नाम दिया था जिसका अपभ्रंश "हिन्दुस्तान" है। "बृहस्पति आगम" के अनुसार:
१. संधान कर्म पुनर्निर्माण संबंधी शल्यक्रिया है और संधानक शलयविज्ञान का आधारस्तंभ भी। इसके अंतर्गत (क) कर्णसंधान, (ख) नासासंधान तथा (ग) ओष्ठसंधान इत्यादि शल्यक्रियाओं का समावेश किया गया है।
5500 ई.पू. तक, नील नदी घाटी में रहने वाली छोटी जनजातियां संस्कृतियों की एक श्रृंखला में विकसित हुईं, जो उनके कृषि और पशुपालन पर नियंत्रण से पता चलता है और उनके मिट्टी के पात्र और व्यक्तिगत वस्तुएं जैसे कंघी, कंगन और मोतियों से उन्हें पहचाना जा सकता है. ऊपरी मिस्र की इन आरंभिक संस्कृतियों में सबसे विशाल, बदारी को इसकी उच्च गुणवत्ता वाले चीनी मिट्टी की वस्तुओं, पत्थर के उपकरण, और तांबे के उनके उपयोग के लिए जाना जाता है.[१२]
दशहरा (विजयदशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है। [१]
जापानी लोककथाओं के अनुसार विश्व के निर्माता ने सूर्य देवी तथा चन्द्र देवी को भी रचा । फिर उसका पोता क्यूशू द्वीप पर आया और बाद में उनकी संतान होंशू द्वीप पर फैल गए । हँलांकि यह लोककथा है पर इसमें कुछ सच्चाई भी नजर आती है ।
इसमें प्राचीन यहूदी धर्म और यहूदी लोगों की गाथाएँ, पौराणिक कहानियाँ, मिथक (ख़ास तौर पर सृष्टि) आदि का वर्णन है । इसकी मूलभाषा इब्रानी और अरामी थी ।
बेल्लारी विमानक्षेत्र कर्नाटक स्थित हवाईअड्डा है।
संघीय कार्यपालिका मे राष्ट्रपति ,उपराष्ट्रपति,मंत्रिपरिषद तथा महान्यायवादी आते है। रामजवाया कपूर बनाम पंजाब राज्य वाद मे सुप्रीम कोर्ट ने कार्यपालिका शक्ति को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है-
झारखंड की सीमाँए उत्तर में बिहार, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ, दक्षिण में उड़ीसा और पूर्व में पश्चिम बंगाल को छूती हैं। लगभ संपूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है। कोयल, दामोदर, खड़कई, और सुवर्णरेखा। स्वर्णरेखा यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। संपूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है तथा वन्यजीवों के संरक्षण के लिये मशहूर है।
ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका और यूरोप में कई ऑपरेटर उन मोबाइल को लॉक कर देते हैं, जिन्हें वे बेचते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है कि मोबाइल फ़ोन की क़ीमतों पर आम तौर पर सदस्यता के समय से रियायत दी जाती है, और ऑपरेटर अपने प्रतियोगियों के मोबाइल पर किसी प्रकार की रियायत को टालना चाहते हैं. एक ग्राहक आम तौर पर कुछ शुल्क देकर इस बाधा को दूर करने के लिए प्रदाता से संपर्क कर सकता है, या फिर वह निजी सेवाओं के ज़रिये ब्लॉक को खोल सकता है, या इंटरनेट पर उपलब्ध तमाम सॉफ्टवेयर और वेब-साइट का उपयोग करके भी वह अपने हैण्डसेट का ब्लॉक खोल सकता है. हालांकि अधिकांश वेब-साइट ब्लॉक हटाने के एवज में कुछ शुल्क मांगते हैं, मगर कुछ लोग निःशुल्क ऐसा करते हैं. यह लॉकिंग हैंडसेट पर लागू होता है, जो उसके अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान(IMEI) संख्या से जाना जाता है, ना कि खाते पर (जो कि SIM कार्ड द्वारा जाना जाता है)
चौरंगी कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता नगर निगम के अधीन आता है।
बाबू देवकीनन्दन खत्री ने जब उपन्यास लिखना चालू किया था उस जमाने में अधिकतर हिन्दू लोग भी उर्दूदाँ ही थे । ऐसी परिस्थिति में खत्री जी का मुख्य लक्ष्य था ऐसी रचना करना जिससे देवनागरी हिन्दी का प्रचार-प्रसार हो । यह उतना आसान कार्य नहीं था । परन्तु उन्होंने ऐसा कर दिखाया । चन्द्रकान्ता उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ कि जो लोग हिन्दी लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे या उर्दूदाँ थे, उन्होंने केवल इस उपन्यास को पढ़ने के लिए हिन्दी सीखी । इसी लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसी कथा को आगे बढ़ाते हुए दूसरा उपन्यास "चन्द्रकान्ता सन्तति" लिखा जो "चन्द्रकान्ता" की अपेक्षा कई गुणा रोचक था । इन उपन्यासों को पढ़ते वक्त लोग खाना-पीना भी भूल जाते थे । इन उपन्यासों की भाषा इतनी सरल है कि इन्हें पाँचवीं कक्षा के छात्र भी पढ़ लेते हैं । पहले दो उपन्यासों के २००० पृष्ठ से अधिक होने पर भी एक भी क्षण ऐसा नहीं आता जहाँ पाठक ऊब जाए ।
बंकिमचंद्र के उपन्यासों का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद किया गया। बांग्ला में सिर्फ बंकिम और शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय को यह गौरव हासिल है कि उनकी रचनाएं हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं में आज भी चाव से पढ़ी जाती है। लोकप्रियता के मामले में बंकिम और शरद रविन्द्र नाथ टैगोर से भी आगे हैं। बंकिम बहुमुखी प्रतिभा वाले रचनाकार थे। उनके कथा साहित्य के अधिकतर पात्र शहरी मध्यम वर्ग के लोग हैं। इनके पात्र आधुनिक जीवन की त्रासदियों और प्राचीन काल की परंपराओं से जुड़ी दिक्कतों से साथ साथ जूझते हैं। यह समस्या भारत भर के किसी भी प्रांत के शहरी मध्यम वर्ग के समक्ष आती है। लिहाजा मध्यम वर्ग का पाठक बंकिम के उपन्यासों में अपनी छवि देखता है।
सरोद भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्र में से एक है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है।
सूचना का अधिकार अधिनियम को इसके समाचार बुलेटिनों और कार्यक्रमों में सर्वोच्‍च प्राथमिकता दी गई। विशेष कार्यक्रमों में आर्थिक मुद्दों का उठाया गया जैसे कि डब्‍ल्यूटीओ वार्ताएं, मूल्‍यवृद्धि को सीमित रखने के लिए सरकार के प्रयास और किसानों के लिए राहत पैकेज तथा राष्‍ट्रीय रोजगार गारंटी योजना और इसका कार्यान्‍वयन। समाचार आधारित कार्यक्रम में भारत और पाकिस्‍तान के संबंधों पर कार्यक्रम प्रसारित किया गया, जो विशेष रूप से सीमा पार के आतंकवाद के संदर्भ में था।
जनसंख्या - २०६८९२२ ( २००१ जनगणना ), पुरूष १०७९९७१ , महिला ९८८९५१
महाभारत का युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य अपरिहार्य हो गया था, यह समाचार बर्बरीक को प्राप्त हुये तो उनकी भी युद्ध में सम्मिलित होने की इच्छा जाग्रत हुयी। जब वे अपनी माँ से आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचे तब माँ को हारे हुये पक्ष का साथ देने का वचन दिया। वे अपने लीले घोडे, जिसका रंग नीला था, पर तीन बाण और धनुष के साथ कुरूक्षेत्र की रणभुमि की और अग्रसर हुये।
सेब का शर्बत एक शर्बत है।
गंगा नदी के किनार स्थित शिवकुटी भगवान शिव को समर्पित है।
1917 में रूस में ग्रह युद्ध के बाद सोवियत संघ का निर्माण हुआ जो की जोसफ स्तालिन के शःसन में था , 1922 में उसी समय इटली में बेनेतो मुस्सोलीनी का एकाधिपत्य राज्य कायम हुआ .
यह चन्द्रमा के पथ का द्योतक है। इसे नवग्रह में से एक माना जाता है। इस छाया ग्रह का मानव के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
अर्जुन द्वारा द्रुपद सभा में मत्स्य भेदन
चंद बरदाई (संवत 1225-) भारतीय राजा पृथ्वीराज तृतीय चौहान, जिन्होंने अजमेर और दिल्ली पर 1165 से 1192 तक राज्य किया, के राजकवि थे। लाहौर में जन्मे, चंद् बरदाई भाट जाति के जगात नामक गोत्र के ब्राह्मण थे। चन्द पृथ्वीराज के पिता सोमेश्वर के समय में राजपूताने आए थे। सोमेश्वर ने चंदबरदाई के पिता को अपना दरबारी कवि बनाया। यहीं से चंद के दरबारी जीवन की प्रारंभ हुआ। पृथ्वीराज के समय में उनके पिता नागौर में बस गए। यहाँ आज भी उनके वंशज रहते हैं।
अयोध्या का निकटतम एयरपोर्ट लखनऊ में है जो लगभग 140 किमी. की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरों से विभिन्न फ्लाइटों के माध्यम से जुड़ा है।
Darbhanga House at Kali Ghat
भारत एक विशाल देश है, लेकिन उसकी विशालता और महानता को हम तब तक नहीं जान सकते, जब तक कि उसे देखें नहीं। इस ओर वैसे अनेक महापुरूषों का ध्यान गया, लेकिन आज से बारह सौ वर्ष पहले आदिगुरू शंकराचार्य ने इसके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होनें चारों दिशाओं में भारत के छोरों पर, चार पीठ (मठ) स्थापित उत्तर में बदरीनाथ के निकट ज्योतिपीठ, दक्षिण में रामेश्वरम् के निकट श्रृंगेरी पीठ, पूर्व में जगन्नाथपुरी में गोवर्धन पीठ और पश्चिम में द्वारिकापीठ।तीर्थों के प्रति हमारे देशवासियों में बड़ी भक्ति भावना है। इसलिए शंकराचार्य ने इन पीठो की स्थापना करके देशवासियों को पूरे भारत के दर्शन करने का सहज अवसर दे दिया। ये चारों तीर्थ चार धाम कहलाते है। लोगों की मान्यता है कि जो इन चारों धाम की यात्रा कर लेता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है।
ऋषि-मुनियों की बात सुन कर पाण्डु अपनी पत्नी से बोले, "हे कुन्ती! मेरा जन्म लेना ही वृथा हो रहा है क्योंकि सन्तानहीन व्यक्ति पितृ-ऋण, ऋषि-ऋण, देव-ऋण तथा मनुष्य-ऋण से मुक्ति नहीं पा सकता क्या तुम पुत्र प्राप्ति के लिये मेरी सहायता कर सकती हो?" कुन्ती बोली, "हे आर्यपुत्र! दुर्वासा ऋषि ने मुझे ऐसा मन्त्र प्रदान किया है जिससे मैं किसी भी देवता का आह्वान करके मनोवांछित वस्तु प्राप्त कर सकती हूँ। आप आज्ञा करें मैं किस देवता को बुलाऊँ।" इस पर पाण्डु ने धर्म को आमन्त्रित करने का आदेश दिया। धर्म ने कुन्ती को पुत्र प्रदान किया जिसका नाम युधिष्ठिर रखा गया। कालान्तर में पाण्डु ने कुन्ती को पुनः दो बार वायुदेव तथा इन्द्रदेव को आमन्त्रित करने की आज्ञा दी। वायुदेव से भीम तथा इन्द्र से अर्जुन की उत्पत्ति हुई। तत्पश्चात् पाण्डु की आज्ञा से कुन्ती ने माद्री को उस मन्त्र की दीक्षा दी। माद्री ने अश्वनीकुमारों को आमन्त्रित किया और नकुल तथा सहदेव का जन्म हुआ।
मण्डल
(12) * वृक्षारोपण अनिर्दिष्ट वन - वन वृक्षारोपण उनके प्रकार के बारे में कोई अधिक जानकारी के साथ ही सीमा तक दिखा, यह डाटा वर्तमान में केवल यूक्रेन.
सिसलीयाई विकिपीडिया विकिपीडिया का सिसलीयाई भाषा का संस्करण है। यह अक्टूबर २००४ में आरंभ किया गया था, और २६ मई, २००९ तक इस पर लेखों की कुल संख्या १३,७५०+ है। यह विकिपीडिया का पिचहत्तरवां सबसे बड़ा संस्करण है।
गुजराती कविता है, 'हेम प्रदीप प्रगटावी सरस्वतीनो सार्थक्य कीधुं निज नामनुं सिद्धराजे'। अर्थात सिद्धराजने सरस्वतीका हेम प्रदीप जलाकर (सुवर्ण दीपक अथवा हेमचंद्र) अपना 'सिद्ध'नाम सार्थक कर दिया। हेमचंद्रका कहना था स्वतंत्र आत्माके आश्रित ज्ञान ही प्रत्यक्ष है
जमींदारी प्रथा के अस्त के क्रम में दूसरा चरण सन् 1930 ई0 से 1944 ई0 तक रहा। इस समय में सारे देश में किसान आंदोलन होने लगे। इन आंदोलनों का बीज एक किसान सभा ने बोया था जो अखिल भारतीय कांग्रेस की इलाहाबाद बैठक में तारीख 11 फरवरी, सन् 1918 ई0 को हुई थी। तत्पश्चात् कांग्रेस किसानों के हितों को आगे बढ़ाने लगी। परिणाम स्वरूप ग्रामीण जनता में काफी जाग्रति पैदा हो गई। पं0 जवाहरलाल नेह डिग्री ने यू0 पी0 कांग्रेस कमेटी में तारीख 27 अक्टूबर, 1928 को घोषणा की कि राजनीतिक स्वतंत्रता निरर्थक है जब तक किसानों को शोषण से मुक्ति न प्राप्त हो। शनै: शनै: किसानों की जागरूकता बढ़ी और साथ ही साथ उनकी व्याकुलता भी। किसान वर्ग अब अधिक मुखर हो गया और भूधृति की स्थिरता एवं लगान में कमी की मांग करने लगा। किसान आंदोलनों से प्रभावित होकर रैय्यतवाड़ीक्षेत्रों में नए अधिनियम बनाए गए जिनसे कृषकों के हितों की रक्षा हो सके। मलाबार टेनेंसी ऐक्ट (1930 ई) इस संबंध में सीमाचिन्ह है। इसके बाद भोपाल लैंड रेवेन्यू ऐक्ट, 1935 तथा आसाम टेनेंसी ऐक्ट 1935 पास हुए। गवर्नमेंट ऑव इंडिया ऐक्ट, 1935, के अर्न्तगत जब ‘प्राविंशल आटोनोमी’ का उद्घाटन हुआ तो प्रांतीय सरकारों ने भूमिसुधार अधिनियमों की व्यवस्था की जिनमें कृषकों को और अधिकार प्रदान किए गए तथा जमींदारों के अधिकारों की कटौती की गई। यू0 पी0 टेनेंसी ऐक्ट, 1939, तथा बंबई टेनेंसी ऐक्ट, 1939 विशिष्ट उदाहरण ऐसे व्यापक अधिनियमों के हैं जिनके द्वारा कृषकों को मौरूसी अधिकार दिए गए एवं कृषकों के हित में जमींदारों के कतिपय अधिकार छीन लिए गए।
मोह-मोल उत्सव चांगलांग का प्रसिद्ध उत्सव है। चांगलांग के अधिकतर निवासी कृषि कार्यों से जुडे हुए है। यह उत्सव भी कृषि से जुडा हुआ है। इस उत्सव को फसल की बुवाई शुरू होने से पहले मनाया जाता है। स्थानीय निवासी इस उत्सव को बडी धूमधाम से मनाते हैं। इस उत्सव में वह अपने पारंपरिक वस्त्र और आभूषण पहनते हैं और लोकगीत गाते हुए नृत्य करते हैं। इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति के प्रति आकर्षित करना है। चांगलांग के गांवों में विभिन्न प्रकार से खेती की जाती है। इसलिए उत्सव भी अलग-अलग समय पर मनाए जाते हैं। यह सभी उत्सव अप्रैल-जुलाई माह में मनाए जाते हैं। स्थानीय निवासी इन उत्सवों में अपने पूर्वजों को पिंडदान भी करते हैं। अंत में फसल की देवी तुगजा चमजा और सम्पन्नता की देवी नोंग की पूजा की जाती है।
५. निग्लीवा- नेपाल के तराई में है ।
फ़र्रूख़ाबाद में एक पर्यटक के लिए पर्याप्त दर्शनीय स्थल व सामग्री है। काम्पिल में देवी-देवताओं की प्राचीन प्रतिमाएं हैं, जो कि शिलाखण्डों पर उत्कीर्णित हैं। जो कि अनेकों शताब्दियों के बाद भी जीवन्त प्रतीत होती हैं।
बर्मा दक्षिण पुर्व एशिया का सबसे बड़ा देश है, जिसका कुल क्षेत्रफ़ल ६,७८,५०० वर्ग किलोमीटर है। बर्मा विश्व का चॉलीसवां सबसे बड़ा देश है। बर्मा की उत्तर पश्चि्मी सीमाएं भारत के मिज़ोरम, नागालॅण्ड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और बांग्लादेश के चिटगॉव प्रांत को मिलती है। उत्तर मे देश की सबसे लंबी सीमा तिब्ब्त और चीन के उनान प्रांत के साथ है। बर्मा के दक्षिण पुर्व मे बर्मा लाओस ओर थाईलैंड देश है। बर्मा की तट रेखा (१,९३० किलोमिटर) देश के कुल सीमा का एक तिहाई है। बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर देश के दक्षिण पश्चि्म और दक्षिण में क्रमशः पड़ते है। उत्तर में हेंगडुआन शान पर्वत चीन के साथ सीमा बनाते है।
समय माजरा
यह स्थान प्राचीन काल में जरासंध का सोने का खजाना था। कहा जाता है कि अब भी इस पर्वत की गुफ़ा के अन्दर अतुल मात्रा में सोना छुपा है और पत्थर के दरवाजे पर उसे खोलने का रहस्य भी किसी गुप्त भाषा में खुदा हुआ है।
1620-?   Khor Fakkan
महाकालेश्वर और वीर विक्रमादित्य की प्रसिध्द नगरी उज्जैन भारत की अत्यंत प्राचीन नगरी है। भारतीय पुरातन साहित्य में अनेक स्थानों पर इसकी महिमा और वैभव के वर्णन है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से उज्जैन (अवंतिका) का महत्व उल्लेखनीय है।
1982- मोनैको की राजकुमारी ग्रेस, जो कार दुर्घटना में घायल हो गई थीं, की मौत।
इस मंदिर के सामने नट मंदिर स्थित है। मुख्य मंदिर के पास अन्य तीर्थ स्थलों के दर्शन के लिए भक्तजन की भीड़ लगी रहती है। दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है। दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है।
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इन नदियों में ब्रह्मपुत्र नदी प्रमुख है। बाकी अन्य इसकी सहायक नदियां हैं। इन सहायक नदियों में दूधनोई, कृष्णाई, जिंजीराम और जिनारी प्रमुख हैं। इनमें से दूधनोई और कृष्णाई मेघालय की चोटियों से निकलती हैं और मतिया में मिलती हैं। संगम के बाद यह एक नदी बन जाती है और इसे मोरनोई के नाम से जाना जाता है।
इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी अर्थात नाना साहब पेशवा ने करवाया था। इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1755 में शुरू हुआ था और 31 साल के लंबे समय के बाद 1786 में जाकर पूरा हुआ। कहा जाता है कि इस भव्य मंदिर के निर्माण में करीब 16 लाख रुपए खर्च किए गए थे, जो उस समय काफी बड़ी रकम मानी जाती थी।
मतगणना तिथि- १६ मई
सत्रहवीं बार पाराशर जी के द्वारा सत्यवती के गर्भ से भगवान ने वेदव्यास के रूप में अवतार धारण किया जिन्होंने वेदों का विभाजन कर के अने उत्तम ग्रन्थों का निर्माण किया।
गांधी जी की राख को एक अस्थि-रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद दिलाने के लिए संपूर्ण भारत में ले जाया गया। इनमें से अधिकांश को इलाहाबाद के संगम (Sangam at Allahabad)पर १२ फरवरी १९४८ को जल में विसर्जित कर दिया गया किंतु कुछ को अलग [१९] पवित्र रूप में रख दिया गया। १९९७ में , तुषार गाँधी (Tushar Gandhi) ने बैंक में नपाए गए एक अस्थि-कलश की कुछ सामग्री को अदालत के माध्यम से ,इलाहाबाद में संगम (Sangam at Allahabad).[१९][२०] नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया। ३० जनवरी२००८ को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी द्वारा गांधी जी की राख वाले एक अन्य अस्थि-कलश को मुंबई संग्रहालय [१९] में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी (Girgaum Chowpatty) नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया। एक अन्य अस्थि कलश आगा खान (Aga Khan) जो पुणे[१९] में है, ( जहाँ उन्होंने १९४२ से कैद करने के लिए किया गया था १९४४ ) वहां समाप्त हो गया और दूसरा आत्मबोध फैलोशिप झील मंदिर (Self-Realization Fellowship Lake Shrine) में लॉस एंजिल्स.[२१] रखा हुआ है। इस परिवार को पता है कि इस पवित्र राख का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरूपयोग किया जा सकता है लेकिन उन्हें यहां से हटाना नहीं चाहती हैं क्योंकि इससे मंदिरों .[१९] को तोड़ने का खतरा पैदा हो सकता है।
चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना १ अक्टूबर, १९४९ को हुई थी, जब साम्यवादियों ने गृहयुद्ध में कुओमिन्तांग पर जीत प्राप्त की। कुओमिन्तांग की हार के बाद वे लोग ताइवान या चीनी गणराज्य को चले गए और मुख्यभूमि चीन पर साम्यवादी दल ने साम्यवादी गणराज्य की स्थापना की। लेकिन चीन, ताईवान को अपना स्वायत्त क्षेत्र कहता है जबकि ताईवान का प्रशासन स्वयं को स्वतन्त्र राष्ट्र कहता है।
वर्ष 2008 की जनगणना के मुताबिक देश की जनसंख्या 1,53,40,533 थी।
सामवेद की अधिकांश ऋचाएं ऋग्‍वेद से ही ली गयी हैं। यह वेद गीत-संगीत प्रधान है। प्राचीन आर्यों द्वारा साम-गान किया जाता था। सामवेद चारों वेदों में आकार की दृष्टि से सबसे छोटा है और इसके १८७५ मन्त्रों में से ६९ को छोड़ कर सभी ऋगवेद के हैं। केवल १७ मन्त्र अथर्ववेद और यजुर्वेद के पाये जाते हैं। फ़िर भी इसकी प्रतिष्ठा सर्वाधिक है। इसकी प्रतिस्ठा अधिक होने का एक कारण गीता में कृष्ण द्वारा 'वेदाना सामवेदोऽस्मि' कहना भी है।
निर्वाचन/नामनिर्देशन की प्रक्रिया निर्वाचक मंडल
यह हकीक जाति का पत्थर है तथा यह अनेक रंगों में प्राप्त होता है। इसका मध्य भाग खोखलापन लिए होता है, जिसमें सफेद रंग होता है। इसे खिलौने तथा मूर्तियों के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
यहूदियों को अपने लिए स्वयं कसाई का चाकू दे देना चाहिए था।उन्हें अपने आप को समुद्री चट्टानों से समुद्र के अंदर फैंक देना चाहिए था।
Introduced on February 10 2007, it attempted to rationalize bus routes by eliminating redundancy, patent in the previous chaotic system run by thousands of independent bus operators. The plan backfired, however, as the decreased bus fleet and the newer routes proved insufficient to properly serve a population inadequately prepared for the changes. The major complaints are the lack of buses and their inconsistent frequencies, missing or poor infrastructure (such as segregated corridors, pre-paid areas and bus stops), the network's coverage, and the number of transfers needed for longer trips. As a result, users have overcrowded the Metro, which they see as fast and predictable.
अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन महासंघ (IBF) (जो अब विश्व बैडमिंटन महासंघ के नाम से जाना जाता है) सन् 1934 में स्थापित किया गया; कनाडा, डेन्मार्क, इंग्लैंड, फ्रांस, नीदरलैंड, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स इसके संस्थापक बने. भारत सन् 1936 में एक सहयोगी के रूप में शामिल हुआ. BWF अब अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन खेल को नियंत्रित करता है और खेल को दुनिया भर में विकसित करता है.
जालंगी नदी सुंदरवन डेल्टा में गंगा नदी के मुहाने पर बनी एक ज्वारीय नदी है।
केन्द्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान का गठन कर्मचारियों/अधिकारियों को हिन्दी भाषा, हिन्दी टंकण और हिन्दी आशुलिपि के पूर्णकालिक गहन प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया गया ।
(4) मुक्तसंनिवृत्ती - वे शस्त्र जो फेंककर लौटाए जा सकते थे।
इसी के साथ शरीर को बीमार करने वाले कारणों की भी चर्चा की गई है यथा-
एक रोमन सैनिक ने उन्हें आकर जनरल मार्सेलस से मिलने का आदेश दिया, लेकिन उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि उन्हें अपनी समस्या पर काम पूरा करना है. इससे सैनिक नाराज हो गया, और उसने अपनी तलवार से आर्किमिडीज़ को मार डाला. प्लूटार्क आर्किमिडीज़ की मृत्यु का भी एक विवरण देते हैं lesser-known जिसमें यह कहा गया है कि संभवतया उन्हें तब मार दिया गया जब वे एक रोमन सैनिक को समर्पण करने का प्रयास कर रहे थे. इस कहानी के अनुसार, आर्किमिडीज गणितीय उपकरण ले जा रहे थे, और उन्हें इसलिए मार दिया गया क्योंकि सैनिक ने सोचा कि ये कीमती सामान है. कहा जाता है कि आर्किमिडीज़ की मृत्यु से जनरल मार्सेलस बहुत क्रोधित हुए, क्योंकि वे उन्हें एक अमूल्य वैज्ञानिक सम्पति मानते थे, और उन्होंने आदेश दिए थे कि आर्किमिडीज़ को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए. [१०]
मेजर स्की रिसॉर्ट् विभिन्न यूरोपीय देशों , कनाडा , अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड , जापान , कोरिया , चिली और अर्जेंटीना के मुख्य भागों में स्थित हैं.
अप्रैल | मार्च | फरवरी | जनवरी
यहां 'मीडिया' से तात्पर्य प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है.
1942 ई. भारतीय इतिहास में एक युगांतकारी परिवर्तन की चेतना के लिए ख्यात है। इस चेतना का संचार इस क्षेत्र मंे भी हुआ और यह क्षेत्र भी कुछ कर गुजरने को तैयार था। इस समय यहां के आंदोलनकारियों का नेतृत्व श्री षिब्बन लाल सक्सेना कर रहे थे। अंग्रेजों भारत छोड़ो एवं ‘करो या मरो’े का नारा जन-जन की वाणी में समाहित हो रहा था। अगस्त क्रांति के दौरान गुरूधोवा गा्रम में षिब्बन लाल सक्सेना को उनकी गिरफ्तारी के समय गोली मारी गई किंतु वह गोली उनके कंधे के पास से निकलते हुए, उस जमीदार को लग गई जिसने सक्सेना जी को बंदी बनाया था। गोरखपुर के तत्कालीन, जिलाधीष श्री ई.वी.डी. मास के आदेष पर 27 अगस्त 1942 को विषुनपुर गबडुआ गांव में निहत्थे एवं षांतिप्रिय नागरिकों पर गोली चलाई गई जिसमें सुखराज कुर्मी एंव झिनकू कुर्मी नामक दो कांतिकारी वीर षहीद हो गये। पुलिस की गोली से आहत काषीनाथ कुर्मीै को 1943 में जेल में ही मृत्यु हो गयी। सक्सेना जी को ब्रिटिष राज के विरूद्व षडयंत्र रचने के आरोप में 26 महीने कठोर कारावास एवं 26 महीने फांसी की कोठरी में रखा गया।
नदिया में पर्यटक प्लासी की सैर कर सकते हैं। प्लासी में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और अंग्रेजों के बीच भयंकर युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय हुई थी। युद्ध के बाद लार्ड कर्जन ने यहां पर अंग्रेजों की जीत का स्मारक भी बनवाया था। इस स्मारक को पर्यटक आज भी यहां पर देख सकते हैं।
राष्ट्रपति,जो कि राष्ट्र का प्रमुख है, की भूमिका अधिकतर आनुष्ठानिक ही है। उसके कार्यों में संविधान का अभिव्यक्तिकरण, प्रस्तावित कानूनों (विधेयक) पर अपनी सहमति देना, और अध्यादेश जारी करना। वह भारतीय सेनाओं का मुख्य सेनापति भी है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को एक अप्रत्यक्ष मतदान विधि द्वारा ५ वर्षों के लिये चुना जाता है। प्रधानमन्त्री सरकार का प्रमुख है और कार्यपालिका की सारी शक्तियाँ उसी के पास होती हैं। इसका चुनाव राजनैतिक पार्टियों या गठबन्धन के द्वारा प्रत्यक्ष विधि से संसद में बहुमत प्राप्त करने पर होता है। बहुमत बने रहने की स्थिति में इसका कार्यकाल ५ वर्षों का होता है। संविधान में किसी उप-प्रधानमंत्री का प्रावधान नहीं है पर समय-समय पर इसमें फेरबदल होता रहा है।
गमक कर्नाटक संगीत पर आधारित एक अन्य शास्त्रीय संगीत शैली है, जिसका प्रचलन कर्नाटक राज्य में है। कन्नड़ भगवती शैली आधुनिक कविगणों के भावात्मक रस से प्रेरित प्रसिद्ध संगीत शैली है। मैसूर चित्रकला शैली ने अनेक श्रेष्ठ चित्रकार दिये हैं, जिनमें से सुंदरैया, तंजावुर कोंडव्य, बी.वेंकटप्पा और केशवैय्या हैं। राजा रवि वर्मा के बनाये धार्मिक चित्र पूरे भारत और विश्व में आज भी पूजा अर्चना हेतु प्रयोग होते हैं।[८८] मैसूर चित्रकला की शिक्षा हेतु चित्रकला परिषत नामक संगठन यहां विशेष रूप से कार्यरत है।
टचनागरी ई-पण्डित द्वारा विकसित किसी भी प्रकार के टच डिवाइस यथा टचस्क्रीन फोन, पीडीए, आइपॉड टच, आइपैड, टैबलेट पीसी आदि पर हिन्दी लिखने हेतु एक ऑनलाइन सॉफ्ट वर्चुअल कीबोर्ड है। इसे ब्राउजर के जरिये किसी भी टच डिवाइस पर प्रयोग किया जा सकता है। कीबोर्ड के प्रयोग द्वारा हिन्दी सामग्री लिखने के बाद उसे कॉपी करके वेब पर कहीं भी प्रयोग किया जा सकता है। बिना हिन्दी इनपुट व्यवस्था वाले डिवाइसों के लिये यह विशेष उपयोगी है।
विमला शक्तिपीठ ओडिशा राज्य के पुरी शहर के जगन्नाथ मन्दिर मे मोह्जुद है।यह शक्तिपीठ बहुत प्राचीन मनि जाति है।देवी विमला शक्ति स्वरुपिणि है जो जगन्नाथ जी को निवेदन किया गया नैवेद्य सब्से पहले ग्रहण करती है।उस्के वाद हि सब लोगोमे प्रसाद महाप्रसाद के रुप मै बंट जाता है।देवी के मन्दिर मे शरद ऋतु मे दुर्गा पुजन का त्योहार मनया जाता है जो कि महालया के ७ दिन पहलेवालि अष्टमी से गुप्त नवरत्रि के रुप मै होके महालया के बाद प्रकट नवरत्रि के रुप नवमी तक होति है।इसको षोडश दिनात्मक या १६ दिन चलनेवाली शारदिय उत्सव कह्ते है जो कि पुरे भारत मे विरल है।देवी विमला और याजपुर नगर में स्थित विरजा एक हि शक्ति मानि जाति है। विरजा देवी के मन्दिर से विमला देवी के मन्दिर तक का पुरा स्थान विरजमण्डल के रुप मै मानि जाति है।
इसमें ईश्वरकृष्ण ने कहा है कि इसकी शिक्षा कपिल से आसुरी को, आसुरी से पंचाशिका को और पंचाशिका से उनको प्राप्त हुई। इसमें उन्होने सांख्य दर्शन की 'षष्टितंत्र' नामक कृति का भी उल्लेख किया है। सांख्यकारिका में ७२ श्लोक हैं जो आर्या छन्द में लिखे हैं। ऐसा अनुमान किया जाता है कि अन्तिम ३ श्लोक बाद में जोड़े गये (प्रक्षिप्त) हैं।
दूसरी मूर्ति शिव के पंचमुखी परमेश्वर रूप की है जिसमें शांति तथा सौम्यता का राज्य है। एक अन्य मूर्ति शंकर जी के अर्धनारीश्वर रूप की है जिसमें दर्शन तथा कला का सुन्दर समन्वय किया गया है। इस प्रतिमा में पुरुष तथा प्रकृति की दो महान शक्तियों को मिला दिया गया है। इसमें शंकर तनकर खड़े दिखाये गये हैं तथा उनका हाथ अभय मुद्रा में दिखाया गया है। उनकी जटा से गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिधारा बहती हुई चित्रित की गई है। एक मूर्ति सदाशिव की चौमुखी में गोलाकार है। यहाँ पर शिव के भैरव रूप का भी सुन्दर चित्रण किया गया है तथा तांडव नृत्य की मुद्रा में भी शिव भगवान को दिखाया गया है। इस दृश्य में गति एवं अभिनय है। इसी कारण अनेक लोगों के विचार से एलिफेण्टा की मूर्तियाँ सबसे अच्छी तथा विशिष्ट मानी गई हैं। यहाँ पर शिव एवं पार्वती के विवाह का भी सुन्दर चित्रण किया गया है। [३] १९८७ में यूनेस्को द्वारा एलीफेंटा गुफ़ाओं को विश्व धरोहर घोषित किया गया है।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन-कुमार।
मंत्रिपरिषद तब तक पदासीन रहती है जब तक उसे लोक सभा का विश्‍वास प्राप्‍त हो। लोक सभा द्वारा मंत्रिपरिषद में अविश्‍वास व्‍यक्‍त करते ही सरकार को संवैधानिक रूप से पद छोड़ना होता है। नियमों में इस आशय का एक प्रस्‍ताव पेश करने का उपबंध है जिसे ‘अविश्‍वास प्रस्‍ताव’ कहा जाता है। राज्‍य सभा को अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर विचार करने की शक्‍ति प्राप्‍त नहीं है।
क्षेत्रफल: 13वर्ग किमी.
अफ़्रीकी गेंडे
welcome
इन कार्यक्रमों का रूप अलग अलग होता है जैसे कि चर्चाएं, साक्षात्‍कार, वार्ता, समाचारपत्रिका, विश्‍लेषण और कमेंटरी। समाचार निर्माता और विशेषण तथा आम जनता द्वारा विभिन्‍न क्षेत्रों के ताजा मामलों पर चर्चा और विशेषण किए जाते हैं। इनमें कुछ अत्‍यधिक अत्‍यंत लोकप्रिय कार्यक्रम हैं चर्चा का विषय है, सामायिकी, स्‍पोर्ट लाइट, मार्किट मंत्रा (व्‍यापार पत्रिका), स्‍पोर्ट्स स्‍केन (खेल पत्रिका), संवाद, कंट्री वाइड, मनी टॉक, सुर्खियों से परे और ह्युमन फेस। इंटरनेट और इंट्रा एनएसडी पर समाचार
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ब्रह्मा का एक दिवस 10,000 भागों में बंटा होता है, जिसे चरण कहते हैं:
99. गौमुख मंदिर भगवान राम को समर्पित है, यह छोटा मंदिर माउण्ट आबू के 4 किमी दक्षिण मे स्थित है और इसका नाम एक संगमरमर का गाय के मुंह से बहते हुए एक प्राकृतिक झरने से लिया है।
ॐ भूभुर्वः स्वः
जल पात्र स्वीकार करते हुए वर कहे- ॐ प्रतिगृह्णामि । - पार०गृ०सू०१.३.७ भावना करें कि सुगन्धित जल सत्पुरुषार्थ के संस्कार दे रहा है । जल से हाथ धोएँ । क्रिया के साथ निम्न मन्त्र बोला जाए ।
मालदीव सजातीय पहचान संस्कृतियों का मिश्रण है जो उन लोगों को दर्शाता है जो इन द्वीपों पर बसे, यह धर्म और भाषा के द्वारा प्रबलित है. आरम्भिक निवासी सम्भवतः दक्षिणी भारत और श्रीलंका से थे. वह भाषा और सजातीय में भारतीय उपमहाद्वीप के द्रविड़ लोगों से संबंधित है. उन्हें सजातीय तौर पर माहलज (स्थानीय रूप में धिवेहिस) कहा जाता है.
भारतेंदु जी ने लगभग सभी रसों में कविता की है। श्रृंगार और शांत की प्रधानता है। श्रृंगार के दोनों पक्षों का भारतेंदु जी ने सुंदर वर्णन किया है। उनके काव्य में हास्य रस की भी उत्कृष्ट योजना मिलती है।
हिन्दी अंक :- १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०
प्रीति ज़िंटा हिन्दी फिल्मों की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं । प्रीति ज़िंटा मुम्बई मे रह्ती हैं।
अक्सर, हालांकि, पारिस्थितिकी प्रणालियों की क्षमता एक विघटनकारी एजेंट से उलट आना पड़ता है. पतन या एक सौम्य उच्छलन के बीच का अंतर दो कारकों द्वारा शुरू तत्व की - की विषाक्तता और मूल पारिस्थितिकी तंत्र के लचीलाता निर्धारित किया जाता है.
साँचा:Physical Earthसाँचा:Nature nav
--- अनु 266 इसका वर्णन भी करता है वह धन जिसे भारत सरकार कर एकत्रीकरण प्राप्त आय उगाहे गये ऋण के अलावा एकत्र करे भारत की लोकनिधि कहलाती है कर्मचारी भविष्य़ निधि को भारत की लोकनिधि मे जमा किया गया है यह कार्यपालिका के अधीन निधि है इससे व्यय धन महालेखानियंत्रक द्वारा जाँचा जाता है अनु 266 राज्यॉ की लोकनिधि का भी वर्णन करता है
अवधी के पश्चिम में पश्चिमी वर्ग की बुंदेली और ब्रज का, दक्षिण में छत्तीसगढ़ी का और पूर्व में भोजपुरी बोली का क्षेत्र है। इसके उत्तर में नेपाल की तराई है जिसमें था डिग्री आदि आदिवासियों की बस्तियाँ हैं जिनकी भाषा अवधी से बिलकुल अलग है।
यह मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं । इस शाखा में अन्तर्राष्ट्रीय सीमा-विवादों, सामरिक महत्व के क्षेत्रों, युद्धों एवं सन्धियों के भौगोलिक कारकों, विभिन्न राष्ट्रों के उपनिवेशों, संयुक्त राष्ट्र संघ की गतिविधियों एवं अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सदभावना का अध्यन भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में किया जाता हैं ।
श्री मंजूर फ़ाखिर
2. इसमें आपको 2 जीबी भंडारण सुविधा मिलती है, साथ ही 10 एमबी फ़ाइल अटेचमेंट की सुविधा भी.
इंग्लैंड में क्रिकेट के आविष्कार का दावा किया जाता है (यद्यपि हाल के अनुसंधान का कहना है की वास्तव में बेल्जियम में इसका आविष्कार किया गया था) [२०८] और इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड द्वारा नियंत्रित इंग्लैंड क्रिकेट टीम,[२०९]टेस्ट दर्जे के साथ UK की एकमात्र राष्ट्रीय टीम है.मुख्य काउंटी पक्षों से टीम के सदस्यों को तैयार किया जाता है, और इसमें दोनों ही अंग्रेजी और वेल्श खिलाड़ियों में शामिल हैं.फुटबॉल और रग्बी से क्रिकेट अलग है जहाँ वेल्स और इंग्लैंड अलग राष्ट्रीय टीमों की तरह खेलते हैं, हालांकि अतीत में वेल्स की अपनी टीम थी. आयरलैंड के और स्कॉटलैंड के खिलाड़ीयों से इंग्लैंड के लिए खेला है क्योंकि न ही स्कॉटलैंड या आयरलैंड टेस्ट दर्जा है और एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में हाल ही में खेलना शुरू किया है.स्कॉटलैंड, इंग्लैंड (और वेल्स), और आयरलैंड ने (उत्तरी आयरलैंड सहित) क्रिकेट विश्व कप में अंतिम में तीन बार पहुँचने के साथ इंग्लैंड से बराबरी की है.वहाँ एक पेशेवर लीग चैम्पियनशिप है जिसमें 17 अंग्रेजी देशों के क्लब और 1 वेल्श काउंटी प्रतियोगिता करते हैं.
भारतीय धर्मों में सिख धर्म का अपना एक पवित्र एवं अनुपम स्थान है सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव सिख धर्म के प्रवर्तक हैं। उन्होंने अपने समय के भारतीय समाज में व्याप्त कुप्रथाओं, अंधविश्वासों, जर्जर रूढ़ियों और पाखण्डों को दूर करते हुए जन-साधारण को धर्म के ठेकेदारों, पण्डों, पीरों आदि के चंगुल से मुक्त किया। उन्होंने प्रेम, सेवा, परिश्रम, परोपकार और भाई-चारे की दृढ़ नीव पर सिख धर्म की स्थापना की। ताज़्जुब नहीं कि एक उदारवादी दृष्टिकोण से गुरुनानक देव ने सभी धर्मों की अच्छाइयों को समाहित किया। उनका मुख्य उपदेश था कि ईश्वर एक है, उसी ने सबको बनाया है। हिन्दू मुसलमान सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं और ईश्वर के लिए सभी समान हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि ईश्वर सत्य है और मनुष्य को अच्छे कार्य करने चाहिए ताकि परमात्मा के दरबार में उसे लज्जित न होना पड़े। गुरुनानक ने अपने एक सबद में कहा है कि पण्डित पोथी (शास्त्र) पढ़ते हैं, किन्तु विचार को नहीं बूझते। दूसरों को उपदेश देते हैं, इससे उनका माया का व्यापार चलता है। उनकी कथनी झूठी है, वे संसार में भटकते रहते हैं। इन्हें सबद के सार का कोई ज्ञान नहीं है। ये पण्डित तो वाद-विवाद में ही पड़े रहते हैं।
5046 गोरखपुर-अहमदाबाद एक्सप्रेस -- गोरखपुर -- अहमदाबाद
DVD के प्रत्येक सेक्टर में 2,418 बाइट्स के डेटा होते हैं जिसमें से 2,048 डेटा उपयोगकर्ता डेटा होते हैं. + और - (हाइफन) फ़ॉर्मेट के बीच, भंडारण जगह में थोड़ा सा अंतर है:
लोकेशन: धौलाधार और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के बीच
1971 में खुला यह चिड़ियाघर देश के सर्वोत्तम चिड़ियाघरों में एक है। कुछ समय पिकनिक के तौर पर बिताने और जीव-जंतुओं को देखने के लिए यह चिड़ियाघर एक बेहतरीन जगह है।
बेल्जियम सिनेमा ने कई, मगर मुख्य रूप से फ्लेमिश उपन्यासों को परदे पर जीवंत किया है.[१०५] बेल्जियम के अन्य निर्देशकों में शामिल हैं आन्द्रे डेलवौक्स, सतिज्न कोनिन्क्स, लक और जीन पियरे डारडेन; प्रसिद्ध अभिनेताओं में शामिल हैं जैन डेक्लेयर और मैरी गिलेन; और सफल फिल्मों में शामिल हैं मैन बाइट्स डॉग और द अल्ज़ाइमर अफेयर .[१०६] 1980 के दशक में, एंटवर्प की रॉयल अकादमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स ने महत्वपूर्ण फैशन निर्माताओं को पैदा किया, जिन्हें एंटवर्प सिक्स के नाम से जाना जाता है.[१०७]
ग़ैर अरब अल्पसंख्यकों में से प्रमुख हैं:
हेनरी स्टीफन ‍साल्ट (Henry Stephens Salt)की कृतियों को पढने और प्रशंषा करने के बाद युवा मोहनदास गांधी शाकाहारी प्रचारक से मिले और उनके साथ पत्राचार किया। गांधी जी ने लंदन में रहते समय और उसके बाद शाकाहारी भोजन की वकालत करने में काफी समय बिताया। गांधी जी का कहना था कि शाकाहारी भोजन न केवल शरीर की जरूरतों को पूरा करता है बल्कि यह आर्थिक प्रयोजन की भी पूर्ति करता है जो मांस से होती है और फिर भी मांस अनाज, सब्जियों और फलों से अधिक मंहगा होता है। इसके अलावा कई भारतीय जो आय कम होने की वजह से संघर्ष कर रहे थे, उस समय जो शाकाहारी के रूप में दिखाई दे रहे थे वह आध्यात्मिक परम्परा ही नहीं व्यावहारिकता के कारण भी था.वे बहुत देर तक खाने से परहेज रखते थे , और राजनैतिक विरोध के रूप में उपवास (fasting) रखते थे उन्होंने अपनी मृत्यु तक खाने से इनकार किया जब तक उनका मांग पुरा नही होता उनकी आत्मकथा में यह नोट किया गया है कि शाकाहारी होना ब्रह्मचर्य (Brahmacharya) में गहरी प्रतिबद्धता होने की शुरूआती सीढ़ी है, बिना कुल नियंत्रण ब्रह्मचर्य में उनकी सफलता लगभग असफल है.
नान
पंचवटी में रावण की बहन शूर्पणखा ने आकर राम से प्रणय निवेदन-किया। राम ने यह कह कर कि वे अपनी पत्नी के साथ हैं और उनका छोटा भाई अकेला है उसे लक्ष्मण के पास भेज दिया। लक्ष्मण ने उसके प्रणय-निवेदन को अस्वीकार करते हुये शत्रु की बहन जान कर उसके नाक और कान काट लिये। शूर्पणखा ने खर-दूषण से सहायता की मांग की और वह अपनी सेना के साथ लड़ने के लिये आ गया। लड़ाई में राम ने खर-दूषण और उसकी सेना का संहार कर डाला। शूर्पणखा ने जाकर अपने भाई रावण से शिकायत की। रावण ने बदला लेने के लिये मारीच को स्वर्णमृग बना कर भेजा जिसकी छाल की मांग सीता ने राम से की। लक्ष्मण को सीता के रक्षा की आज्ञा दे कर राम स्वर्णमृग रूपी मारीच को मारने के लिये उसके पीछे चले गये। मारीच के हाथों मारा गया पर मरते मरते मारीच ने राम की आवाज बना कर 'हा लक्ष्मण' का क्रन्दन किया जिसे सुन कर सीता ने आशंकावश होकर लक्ष्मण को राम के पास भेज दिया। लक्ष्मण के जाने के बाद अकेली सीता का रावण ने छलपूर्वक हरण कर लिया और अपने साथ लंका ले गया। रास्ते में जटायु ने सीता को बचाने के लिये रावण से युद्ध किया और रावण ने उसके पंख काटकर उसे अधमरा कर दिया।
Int $1000 मे उत्पादन की गणना 1999-2001 के अन्तर्राष्ट्रीय मूल्यों पर आधारित है
अहिंसात्मक कार्य उनका यह कर्तव्य होगा कि वे विजय दिलाने वाले समुदायों को एकजुट करें जिसमें शांति का प्रसार, तथा ऐसी गतिविधियों का समावेश हो जो किसी भी व्यक्ति को उसके चर्च अथवा खंड में संपर्क बनाए रखते हुए अपने साथ मिला लें। इस प्रकार की सैना को किसी भी आपात स्थिति से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए तथा भीड़ के क्रोध को शांत करने के लिए उसके पास मरने के लिए सैनिकों की पर्याप्त नफरी भी होनी चाहिए;;;;;;सत्याग्रह (सत्यबल) के बिग्रेड को प्रत्येक गांव तथा शहर तक भवनों के प्रत्येक ब्लॉक में संगठित किया जा सकता हैयदि अहिंसात्मक समाज पर हमला किया जाता है तब अहिंसा के दो मार्ग खुलते हैं। अधिकार पाने के लिए हमलावर से सहयोग न करें बल्कि समर्पण करने की अपेक्षा मृत्यु को गले लगाना पसंद करें। दूसरा तरीका होगा ऐसी जनता द्वारा अहिंसक प्रतिरोध करना हो सकता है जिन्हें अहिंसक तरीके से प्रशिक्षित किया गया हो ...इस अप्रत्याशित प्रदर्शन की अनंत राहों पर आदमियों और महिलाओं को हमलावर की इच्छा लिए आत्मसमर्पण करने की बजाए आसानी से मरना अच्छा लगता है और अंतंत: उसे तथा उसकी सैनिक बहादुरी के समक्ष पिघलना जरूर पड़ता है;;;;। ऐसे किसी देश अथवा समूह जिसने अंहिंसा को अपनी अंतिम नीति बना लिया है उसे परमाणु बम भी अपना दास नहीं बना सकता है। उस देश में अहिंसा का स्तर खुशी-खुशी गुजरता है तब वह प्राकृतिक तौर पर इतना अधिक बढ़ जाता है कि उसे सार्वभोमिक आदर
इस फोटोलाइसिस प्रक्रिया में O2 पानी से स्वतन्त्र हो जाती है तथा हाइड्रोजन भी हाइड्रोजन ग्राहक पर चली जाती है।
२०६ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग बामनबोर को पोरबंदर से जोड़ता है। इसका रूट बामनबोर - राजकोट – पोरबंदर है।
सत्याग्रह कुछ नया नहीं है, कौटुंबिक जीवन का राजनीतिक जीवन में प्रसार मात्र है। गांधी जी की देन यह है कि उन्होंने सत्याग्रह के विचार का राजनीतिक जीवन में सामूहिक प्रयोग किया। कहा जाता है।, लोकतंत्र में, जहाँ सारा काम "लोक' की राय से, लोकप्रतिनिधियों के माध्यम से चल रहा है , सत्याग्रह के लिए कोई स्थान नहीं है। विनोबा कहते हैं-वास्तव में सामूहिक सत्याग्रह आवश्यकता तो उस तंत्र' में नहीं होगी, जिसमें निर्णय बहुमत से नहीं, सर्वसम्मति से होगा। परंतु उस दशा में भी व्यक्तिगत सत्याग्रह पड़ोसी के सम्यक् चिंतन में सहकार के लिए तो हो ही सकता है। परंतु लोकतंत्र में जब विचारस्वातंत्र्य और विचारप्रधान के लिए पूरा अवसर है, तो सत्याग्रह को किसी प्रकार के "दबाव, घेराव अथवा बंद,' का रूप नहीं ग्रहण करना चाहिए। ऐसा हुआ तो सत्याग्रह की सौम्यता नष्ट हो जाएगी। सत्याग्रही अपने धर्म से च्युत हो जाएगा।
डेनिस टीटो संयुक्त राज्य अमेरिका के निवासी हैं जो सर्वप्रथम अंतरिक्ष पर्यटक बने । उन्होने २८ अप्रैल २००६ से ०६ मई २००६ के बीच अंतरिक्ष में रहकर यह् किर्तिमान स्थापित किया ।
परमाणु (एटम) किसी तत्व का सबसे छोटा भाग है जिसमें उस तत्व के रासायनिक गुण निहित होते हैं। परमाणु के केन्द्र में नाभिक (न्यूक्लिअस) होता है जिसका घनत्व बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर ऋणात्मक आवेश वाले एलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते हैं जिसको एलेक्ट्रान घन (एलेक्ट्रान क्लाउड) कहते हैं। नाभिक, धनात्मक आवेश वाले प्रोटानों एवं अनावेशित (न्यूट्रल) न्यूट्रानों से बना होता है। जब किसी परमाणु में एलेक्ट्रानों की संख्या उसके नाभिक में स्थित प्रोटानों की संख्या के समान होती है तब परमाणु वैद्युकीय दृष्टि से अनावेशित होता है; अन्यथा परमाणु धनावेशित या ऋणावेशित ऑयन के रूप में होता है।
इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं।
ऑस्ट्रेलियाई सशस्त्र सेनाएँ -- ऑस्ट्रेलियन सुरक्षा बल(ADF) में शाही ऑस्ट्रेलियन नौसेना(RAN) ऑस्ट्रेलियाई फौज और शाही ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना(RAAF) की कुल संख्या 73,000 है(जिसमे 53000 नियमित और 20000 आरक्षित)है.[४०]ऑस्ट्रेलिया की सेना दुनिया की 68वी बड़ी सेना है, लेकिन प्रति व्यक्ति आधार पर दुनिया की एक छोटी सेनाहै.ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा बल(ADF) की सभी शाखाएँ संयुक्त राष्ट्र में और क्षेत्रीय शांति के लिए(अभी हाल ही में पूर्वी तिमोर,सोलोमन द्वीप और सूडान में),आपदा सहायता और सैन्य संघर्ष, जिसमे 2003 का इराक़ युद्घ सम्मिलित है,में शामिल है.सरकार किसी भी एक सैन्य बल से सुरक्षा बल के अध्यक्ष को नियुक्त करती है; वर्तामान में सुरक्षा बल के अध्यक्ष वायु सेना अध्यक्ष एंगस हस्टन है.2006-07 के बजट में रक्षा खर्च $22 करोड़ था, [४१]जो वैश्विक सैन्य खर्च का 1% से भी कम है. प्रमुखत:अपने अफगानिस्तान में उपस्थिति के कारण,2008 विश्व शांति सुचनांक, में ऑस्ट्रेलिया को 27वा स्थान दिया गया.[४२]जबकि गवर्नर जनरल ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा बल का प्रधान सेनापति होता है, इनका सुरक्षा बल(ADF) को चलाने में कोई सक्रिय योगदान नही होता, यह चुनी हुई ऑस्ट्रेलियाई सरकार चलाती है.[४३]
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र मंडल का 20वाँ नक्षत्र है। यह धनुराशि में आता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक है तो राशि स्वामी शुक्र। नक्षत्र स्वामी की सर्वाधिक दशा 20 वर्ष की होती है। इसके बाद सूर्य व चंद्र 16 वर्ष की दशा रहती है।
उखरा की तरह ही मेलों की सर्वप्रिय एक खरीदी बताशे की होती है । यह एक प्रकार से कथित क्रमशः उपर और खाल्हे राज के मेलों की पहचान भी है । इस संदर्भ में उपर और खाल्हे राज की पहचान का प्रयास करना आवश्यक प्रतीत होता है । इसके अलावा एक अन्य प्रचलित भौगोलिक नामकरण चांतर राज है, जो निर्विवाद रुप से छत्तीसगढ़ का मध्य मैदानी हिस्सा है, किन्तु उपर और खाल्हे राज, उच्च और निम्न का बोध कराते हैं और शायद इसीलिए, उच्चता की चाह होने के कारण इस संबंध में मान्यता एकाधिक है । ऐतिहासिक दृष्टि से राजधानी होने के कारण रतनपुर, जो लीलागर नदी के दाहिने तट पर है, को उपर राज और लीलागर नदी के बायें तट का क्षेत्र खाल्हे राज कहलाया और कभी-कभार दक्षिणी-रायपुर क्षेत्र को भी पुराने लोग बातचीन में खाल्हे राज कहा करते हैं । बाद में राजधानी-संभागीय मुख्यालय रायपुर आ जाने के बाद उपर राज का विशेषण, इस क्षेत्र ने अपने लिए निर्धारित कर लिया, जिसे अन्य ने भी मान्य कर लिया । एक मत यह भी है कि शिवनाथ का दाहिना-दक्षिण तट, उपर राज और बायां-उत्तरी तट खाल्हे राज,जाना जाता है किन्तु अधिक संभव और तार्किक जान पड़ता है कि शिवनाथ के बहाव की दिशा में यानि उद्गम क्षेत्र उपर राज और संगम की ओर खाल्हे राज के रुप में माना गया है ।
हरिदेव शौरी को सन १९९९ में भारत सरकार ने समाज सेवा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये दिल्ली राज्य से हैं।
सर शांति स्वरूप भटनागर, OBE, FRS (२१ फरवरी १८९४ – १ जनवरी १९५५) जाने माने भारतीय वैज्ञानिक थे। इनका जन्म शाहपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। इनके पिता परमेश्वरी सहाय भटनागर की मृत्यु तब हो गयी थी, जब ये केवल आठ महीने के ही थे। इनका बचपन अपने ननिहाल में ही बीता। इनके नाना एक इंजीनियर थे, जिनसे इन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी में रुचि जागी। इन्हें यांत्रिक खिलौने, इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाने का शौक रहा। इन्हें अपने ननिहाल से कविता का शौक भी मिला, और इनका उर्दु एकांकी करामाती प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया था।
स्वजीवनं मेलयित्वा, भवतः खलु जीवने । भूत्वा चाधार्ंगिनी नित्यं, निवत्स्यामि गृहे सदा॥१॥ अपने जीवन को पति के साथ संयुक्त करके नये जीवन की सृष्टि करूँगी । इस प्रकार घर में हमेशा सच्चे अर्थों में अर्द्धांगिनी बनकर रहूँगी ।
मध्य एशियाई देश क़ज़ाख़स्तान का एक राज्य ।
अशोक ने दूर-दूर तक बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु दूतों, प्रचारकों को विदेशों में भेजा अपने दूसरे तथा १३वें शिलालेख में उसने उन देशों का नाम लिखवाया जहाँ दूत भेजे गये थे ।
इब्न बत्तूता अरब यात्री, विद्धान् तथा लेखक। उत्तर अफ्रीका के मोरक्को प्रदेश के प्रसिद्ध नगर तांजियर में १४ रजब, ७०३ हि. (२४ फरवरी, १३०४ ई.) को इसका जन्म हुआ था। इसक पूरा नाम था मुहम्मद बिन अब्दुल्ला इब्न बत्तूता। इब्न बतूता मुसलमान यात्रियों में सबसे महान् था। अनुमानत: उसने लगभग ७५,००० मील की यात्रा की थी। इतना लंबा भ्रमण उस युग के शायद ही किसी अन्य यात्री ने किया हो। अपनी यात्रा के दौआन भारत भी आया था।
संविधान, राष्ट्रपति को बिल अहस्ताक्षरित वापस करने की शक्ति देता है, लेकिन केवल एक बार पुनर्विचार के लिए भेजने की शक्ति से घेर लेता है.यदि संसद, परिवर्तन के साथ या बिना बिल को वापस भेजता है, तो उस पर हस्ताक्षर करना राष्ट्रपति का कर्तव्य है.हालांकि, संविधान जानबूझकर या अनजाने में, राष्ट्रपति को बिल स्वीकार करने के लिए मजबूर होने की समय सीमा निर्धारित नहीं करता है, इसलिए वे अनिश्चित काल तक अनुमति रोक सकते हैं.कानूनी और संवैधानिक हलकों में इसे "पॉकेट वीटो" के नाम से जाना जाता है, और कई अवसरों में विवादास्पद विधेयकों के खिलाफ प्रयोग किया गया है.
कोंकणी, मणिपुरी व नेपाली भाषाएं संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित की गई ।
कार्बन, अल्यूमीनियम, बेरियम, बेरिलियम, कैल्शियम, तांबा, हाइड्रोजन, लोहा, फासफोरस, मैंगनीज, पोटेशियम, गंधक, सोडियम, टिन, जस्ता, जिर्केनियम आदि।
जिसमें रंग तो हो, परन्तु हीन दशा में हो अर्थात्‌ रंग न अधिक गहरा हो और न अधिक हल्का तथा पारदर्शक हो, वह श्रेष्ठ होता है।
सन २००० में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन उन्हें सिर्फ सात दिनों में त्यागपत्र देना पड़ा। उसी साल वे फिर से केन्द्रीय मंत्रीमंडल में कृषि मंत्री बने। मई २००१ से २००४ तक वे बाजपेयी सरकार में केन्द्रीय रेलमंत्री रहे। २००४ के लोकसभा चुनावों में उन्होंने बाढ एवं नालंदा से अपना पर्चा दाखिल किया लेकिन वे बाढ की सीट हार गये।
Алтын дән даласы,
As far as his revenue and agricultural reforms, he was the first one among the kings of Delhi to start land measurement, categorize cultivated land according to its product, and implement a new revenue system. He made a farmer friendly policy of agricultural loans called “Taqavi system”. He also used his experience of managing his own Jageer at Sasaram. He introduced system of “Sarkars”, “Parganas” and villages in place of provinces. “Shiqdars” governed Sarkars whereas Parganas were under minor Shiqdars called “Shiqdaran”. There were “Munsifan” in Sarkars and Munsifs in Parganas to run judicial functions. Munsifan also resolved disputes between Sarkar and Pargana. There was a “Qanoongo” in each Sarkar who was the supervisor of records of property. “Fautedar” kept records both in Persian and Hindi.
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अब कंपनी के अंतिम प्रतिद्वंद्वी फ्रांसीसी ही शेष रहे। डूप्ले के नेतृत्व में उनके सशक्त और महत्वाकांक्षी होने के अतिरिक्त, एक मुख्य कारण यह भी था कि औरंगजेब की मृत्यु के पूर्व ही गृहयुद्धों और शिवाजी के उत्कर्ष ने मुगल साम्राज्य को लड़खड़ा दिया था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य तीव्र गति से पतनोन्मुख हो चला था। तज्जनित भारतव्यापी अव्यवस्था ने दोनों प्रतिद्वंद्वियों के कार्यक्षेत्र को सुलभ और विस्तृत हो जाने दिया। आस्ट्रियाई उत्तरधिकार के युद्ध के सिलसिले में भारत में प्रथम कर्नाटक युद्ध छिड़ गया। यद्यपि इससे दोनों कंपनियों की स्थिति में विशेष फर्क नहीं पड़ा, तथापि कर्नाटक पर फ्रांसीसी विजय से यह अत्यंत महत्वपूर्ण निष्कर्ष स्थापित हो गया कि यूरोपीय युद्धनीति तथा युद्धसज्जा की अपेक्षा भारतीय युद्धनीति तथा युद्धसज्जा हेय थी और दक्षिण भारतीय राजनीतिक परिस्थिति इतनी खोखली थी कि उसपर विदेशी आधिपत्य संभव था। अस्तु, द्वितीय कर्नाटक युद्ध में दोनों ओर से भारतीय राजनीति और राज्यों में स्वार्थप्रसार के लिए हस्तक्षेप प्रारंभ हो गया। इसी भित्ति पर डूप्ले ने फ्रांसीसी साम्राज्य स्थापित करने की कल्पना की थी, किंतु उसकी असफलता पर साम्राज्य स्थापना के स्वप्न को साकार किया क्लाइव के योगदान से अंग्रेजों ने। नाजुक परिस्थिति में डूप्ले के फ्रांस सरकार द्वारा प्रत्यावाहन ने फ्रांसीसी महत्वाकांक्षाओं पर तुषारपात कर दिया। अंतत: लाली की असफलता, चंद्रनगर की पराजय और वांडीबाश की हार ने फ्रांसीसी प्रतिद्वंद्वी की रीढ़ तोड़ दी। उनके शेष प्रभाव को वेलेज़ली ने ध्वस्त कर दिया।
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हिन्दी टूलकिट में हिन्दी समर्थन हेतु इंस्टालर एवं हिन्दी इण्डिक आइऍमई शामिल हैं। स्थापना के उपरान्त कण्ट्रोल पैनल में Regiional and language options में जाकर बस हिन्दी आइऍमई का कीबोर्ड जोड़ना होता है।
किस संगणक द्वारा संचिकाओं को आयोजित, नामित, भंडारित व परिवर्तित करने की प्रणाली को उसकी संचिका प्रणाली कहा जाता है। अधिकतर प्रचालन प्रणालियों में कम से कम एक संचिका प्रणाली होती है। कई प्रचालन प्रणालियों में कई संचिका प्रणालियाँ एक साथ चलाई जा सकती है। उदाहरण के लिए, नए एमएस विंडोज़ संगणकों पर एमएस-डॉस के पुराने एफ़एटी-शैली की संचिका प्रणालियाँ समर्थित हैं, और साथ ही ताज़े विंडोज़ संस्करणों की प्रचलित संचिका प्रणाली एनटीएफ़एस भी चलती है। हर प्रणाली के अपने फ़ायदे नुकसान हैं। उदाहरण के लिए मानक एफ़एटी में केवल ८ अक्षर के संचिका नाम (और तीन अक्षर का विस्तार) चलते हैं (बिना खाली स्थान के), जबकि एनटीएफ़एस में लंबे संचिका नाम संभव हैं जिनमें खाली स्थान भी हो सकते हैं। आप किसी संचिका को एनटीएफ़एस में Payroll records जैसा नाम दे सकते हैं लेकिन एफ़एटी में यह नाम कुछ payroll.dat जैसा ही हो सकता है (या फिर आप ( वीएफ़एटी का इस्तेमाल करें जो कि एफ़एटी का एक लंबे संचिका नाम की सुविधा देने वाला विस्तार है)।
(ठ) रतिरत्नदीपिका प्रौढदेवराय कृत :- विजयनगर के महाराजा श्री इम्मादी प्रौढदेवराय (1422-48 ई.) प्रणीत ४७६ श्लोकों एवं ७ अध्यायों में निबद्ध यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित चौखंबा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी से प्रकाशित है। श्री इम्मादी प्रौढदेवराय का समय पंचदश शतक के पूर्वार्ध में स्वीकृत है।
बंगलौर विमानक्शःएत्र सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बंगलौर सेंट्रल रेल स्टेशन से करीब 3० किलोमी. की दूरी पर स्थित है। कई प्रमुख शहरों जैसे कलकत्ता, मुम्बई, दिल्ली, हैदराबाद, चैन्नई, अहमदाबाद, गोवा, कोच्ची, मंगलूर, पुणे और तिरूवंतपुरम से यहां के लिए नियमित रूप से उड़ानें भरी जाती है। अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी इसी एयरपोर्ट से निकलती हैं।
१५६१ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
अंतर्राष्ट्रीय स्त्रीरोग-विज्ञान और प्रसूति-विज्ञान के अनुसार, जब विकिरण-चिकित्सा को सिस्प्लाटिन-आधारित रसायन-चिकित्सा के साथ किया जाता है, तो उत्तरजीविता में सुधार हो सकता है.[५८]
दोहरी परत रिकॉर्डिंग (जिसे अंग्रेज़ी में कभी-कभी डबल-लेयर रिकॉर्डिंग भी कहते हैं) DVD-R और DVD+R डिस्क को काफी ज्यादा डेटा भंडारण की अनुमति देता है - एक एकल परत डिस्क के 4.7 गीगाबाइट की तुलना में, प्रति डिस्क 8.54 गीगाबाइट तक. इसके साथ-साथ, सामान्य DVD की तुलना में, DVD-DL में राईट गति धीमी है और जब एक DVD प्लेयर पर चलाया जाता है तो परतों के बीच एक मामूली परिवर्तन देखा जा सकता है. DVD-R DL, पायनियर कोर्पोरेशन द्वारा DVD फोरम के लिए विकसित किया गया था; DVD+R DL Philips और Mitsubishi Kagaku Media (MKM) द्वारा DVD+RW अलाएंस के लिए विकसित किया गया था.[२४]
राधा माधव रंग रंगी (गीतगोविन्द की सरस व्याख्या)
तमिलनाडु में LTTE लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या होने तक सक्रिय रहा. LTTE ने तमिलनाडु राज्य में वेलुपिल्लई प्रभाकरन, तमिलसेल्वन और ईलम के अन्य सदस्यों के नेतृत्व में कई वक्तव्य दिये. तमिल टाइगर्स, जो अब एक प्रतिबंधित संगठन है, को अतीत में भारत में काफी चंदे और समर्थन प्राप्त हुए. भारत में एक आतंकवादी तमिल आंदोलन से जुड़े तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी का सम्बंध LTTE से है.
(ग) रतिरहस्य कोक्कोक कृत :- यह ग्रन्थ कामसूत्र के पश्चात दूसरा ख्यातिलब्ध ग्रन्थ है। परम्परा कोक्कोक को कश्मीरी स्वीकारती है। कामसूत्र के सांप्रयोगिक, कन्यासंप्ररुक्तक, भार्याधिकारिक, पारदारिक एवं औपनिषदिक अधिकरणों के आधार पर पारिभद्र के पौत्र तथा तेजोक के पुत्र कोक्कोक द्वारा रचित यह ग्रन्थ ५५५ श्लोकों एवं १५ परिच्छेदों में निबद्ध है। इनके समय के बारे में इतना ही कहा जा सकता है कि कोक्कोक सप्तम से दशम शतक के मध्य हुए थे। यह कृति जनमानस में इतनी प्रसिद्ध हुई सर्वसाधारण कामशास्त्र के पर्याय के रूप में "कोकशास्त्र" नाम प्रख्यात हो गया।
 · सूरा · भारत की प्रसिद्ध मस्जिदें · इस्लामी शब्दों का शब्द संग्रह
(८) गिरनार- यह काठियाबाड़ में जूनागढ़ के पास है ।
प्रवेशद्वार:हिन्दू धर्म
पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
भारतीय वैज्ञानिक पूर्वजों ने ब्रह्माण्ड को समझने के लिए कौन कौन से वैज्ञानिक प्रयोग और कौन कौन सी गणनाएं की, इसका कोई ठोस प्रमाण, सम्पूर्ण विश्व में प्रत्यक्ष रूप से वर्तमान समय में कहीं भी उपलब्ध तो नहीं है किन्तु, ये तो निश्चीत है कि उन्होंने अपने वैज्ञानिक प्रयोगों और गणनाओं के आधार पर अवश्य ही किसी ऐसे सिद्धान्त को और उसके प्रयोग की उचित दिशा को उसी समय खोज लिया था जिसके बिना उनके द्वारा ये सिद्ध करना सम्भव नहीं था कि हमारा ब्रह्माण्ड जीव के अण्डे जैसा ही है।
नवरत्न पुलाव एक अवधी व्यंजन है।
अनुसूचित जाति औद्योगिकीकरण २००२-२००८ भारत में दलितों के अधिकारों की मांग आजादी से पहले से ही शुरू हो गई थी। जिसका सीधा सा कारण था अंग्रेजी शिक्षा और शासन। यद्यपि अंग्रेज देश की सामाजिक संरचना में किसी भी तरह का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते थे इसके बावजूद मानवीय अधिकारों के संदर्भ में उनकी विचारधाराएं इतनी प्रबल थीं कि उन्हें दलितों के अधिकारों के संदर्भ में सोचने को मजबूर होना पड़ा। भारत में दलित आंदोलन की शुरूआत ज्योतिराव गोविंदराव फुले के नेतृत्व में हुई। ज्योतिबा जाति से माली थे और समाज के ऐसे तबके से संबध रखते थे जिन्हे उच्च जाति के समान अधिकार नहीं प्राप्त थे। इसके बावजूद ज्योतिबा फूले ने हमेशा ही तथाकथित 'नीची' जाति के लोगों के अधिकारों की पैरवी की। भारतीय समाज में ज्योतिबा का सबसे दलितों की शिक्षा का प्रयास था। ज्योतिबा ही वो पहले शख्स थे जिन्होंन दलितों के अधिकारों के साथ-साथ दलितों की शिक्षा की भी पैरवी की। इसके साथ ही ज्योति ने महिलाओं के शिक्षा के लिए सहारनीय कदम उठाए। भारतीय इतिहास में ज्योतिबा ही वो पहले शख्स थे जिन्होंने दलितों की शिक्षा के लिए न केवल विद्यालय की वकालत की बल्कि सबसे पहले दलित विद्यालय की भी स्थापना की। ज्योति में भारतीय समाज में दलितों को एक ऐसा पथ दिखाया था जिसपर आगे चलकर दलित समाज और अन्य समाज के लोगों ने चलकर दलितों के अधिकारों की कई लड़ाई लडी। यूं तो ज्योतिबा ने भारत में दलित आंदोलनों का सूत्रपात किया था लेकिन इसे समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम बाबा साहब अम्बेडकर ने किया। एक बात और जिसका जिक्र किए बिना दलित आंदोलन की बात बेमानी होगी वो है बौद्ध धर्म। ईसा पूर्व 600 ईसवी में ही बौद्घ धर्म ने समाज के निचले तबकों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई। बुद्घ ने इसके साथ ही बौद्ध धर्म के जरिए एक सामाजिक और राजनीतिक क्रांति लाने की भी पहल की। इसे राजनीतिक क्रांति कहना इसलिए जरूरी है क्योंकि उस समय सत्ता पर धर्म का आधिपत्य था और समाज की दिशा धर्म के द्वारा ही तय की जाती थी। ऐसे में समाज के निचले तलबे को क्रांति की जो दिशा बुद्घ ने दिखाई वो आज भी प्रासांगिक है। भारत में चार्वाक के बाद बुद्घ ही पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने ब्राह्मणवाद के खिलाफ न केवल आवाज उठाई बल्कि एक दर्शन भी दिया। जिससे कि समाज के लोग बौद्घिक दासता की जंजीरों से मुक्त हो सकें।
(छ) रतिकल्लोलिनी सामराज दीक्षित कृत  :- दाक्षिणात्य बिन्दुपुरन्दरकुलीन ब्राह्मण परिवार में उत्पन्न एवं बुन्देलखण्डनरेश श्रीमदानन्दराय के सभापण्डित आचार्य सामराज दीक्षित द्वारा १९३ श्लोकों में निबद्ध इस ग्रन्थ का प्रणयन संवत १७३८ अर्थात १६८१ ई० में हुआ था। यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित चौखंबा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी से प्रकाशित है।
• बुद्धदेव दासगुप्ता
श्री नरेन्द्र कुमार सिंह
2.7.7 विसर्ग को वर्ण के साथ मिलाकर लिखा जाए, जबकि कोलन चिह्‍न (उपविराम :) शब्द से कुछ दूरी पर हो। जैसे :– अत:, यों है :–
(३) कंदुक (Ball) तड़ित एक ज्योतिर्मय गेंद की भाँति पृथ्वी की और आती हुई दिखलाई पड़ती है। इसका औसत व्यास २० सेंमी० होता है। ज्यों-ज्यों वह पृथ्वी की ओर अग्रसर होती है, इसका वेग घटता जाता है। लगभग तीन से पाँच सेकंड तक दिखलाई पड़ने के उपरांत वह अत्यंत प्रचंड ध्वनि के साथ विस्फोटित हो जाती है। यह बहुत ही कम दिखलाई पड़ती है और इसकी उत्पत्ति का कारण अज्ञात है।
विष्णु वामन शिरवाडकर (कवि कुसुमाग्रज)
संसद के दोनों सदनों में प्रश्‍नकाल के ठीक बाद का समय आमतौर पर ‘शून्‍यकाल’ अथवा जीरो आवर के नाम से जाना जाने लगा है। यह एक से अधिक अर्थों में शून्‍यकाल होता है। 12 बजे दोपहर का समय न तो मध्‍याह्न पूर्व का समय होता है और न ही मध्‍याह्न पश्‍चात का समय। ‘शून्‍यकाल’ 12 बजे प्रारंभ होने के कारण इस नाम से जाना जाता है इसे ‘आवर’ भी कहा गया क्‍योंकि पहले ‘शून्‍यकाल’ पूरे घंटे तक चलताथा। अर्थात 1 बजे दिन में सदन का दिन के भोजन के लिए अवकाश होने तक।
अकबर जब आंतरिक झगड़ों से मुक्त हुआ तो उसका धर्म-सुधार की ओर ध्यान गया। उसने एक नए धर्म की स्थापना की। इसमें उसने पवित्र कुरान, ब्राह्मणों के धर्मशास्त्र और ईसा मसीह के उपदेशों का समन्वय किया। इस हेतु उसने एक सभा की। इसमें सभी धर्मों के आचार्यों को बुलाया, साथ ही अपने मनसबदारों को भी बुलाया।
आयरॉन्स हिन्दी सपोर्ट विण्डोज़ मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम युक्त टचस्क्रीन मोबाइल फोनों पर हिन्दी समर्थन सक्षम करने हेतु एक सॉफ्टवेयर टूल है। यह विण्डोज़ मोबाइल के लिये वैसी ही युक्ति है जैसी विण्डोज़ ऍक्सपी के लिये हिन्दी टूलकिट है। इस औजार में हिन्दी फॉण्ट, फॉण्ट इंजन तथा एक वर्चुअल कीबोर्ड शामिल है।
२२-राजेश कुमार का मी गांधी बोल्तो ( गांधी ने कहा था ),नुक्कड़ नाटक व मंच नाटक
इस मंदिर परिसर में उन सात स्‍थानों को भी चिन्हित किया गया है जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्‍ित के बाद सात सप्‍ताह व्‍यतीत किया था। जातक कथाओं में उल्‍लेखित बोधि वृक्ष भी यहां है। यह एक विशाल पीपल का वृक्ष है जो मुख्‍य मंदिर के पीछे स्थित है। कहा जाता बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्‍त हुआ था। वर्तमान में जो बोधि वृक्ष वह उस बोधि वृक्ष की पांचवीं पीढी है। मंदिर समूह में सुबह के समय घण्‍टों की आवाज मन को एक अजीब सी शांति प्रदान करती है।
सीमित वनस्पति और भूमि वन्यजीवों का बहुतायत समुद्री जीवन से पूरक है. मालदीव के आस-पास का जल जैविक और वाणिज्यिक मूल्य की दुर्लभ प्रजातियों में प्रचुर मात्रा में हैं, टूना मछली पालन परंपरागत रूप से देश के मुख्य वाणिज्यिक संसाधनों में से एक है. मालदीव में समुद्र जीवन की अद्भुत विविधता है., इसमें प्रवाल और 2,000 से भी अधिक प्रकार की मछलियां हैं, रीफ मछली से लेकर रीफ शार्क, मोरे इल्ज़ और कई प्रकार की रे मछालियाँ: मानता रेज़, स्टिंग रे और ईगल रे. मालदीवी जल व्हेल शार्क के लिए घर भी है.[उद्धरण वांछित]
धृतराष्ट्र के कथनानुसार, पांडवों ने हस्तिनापुर से प्रस्थान किया। आधे राज्य के आश्वासन के साथ उन्होंने खांडवप्रस्थ के वनों को हटा दिया। उसके उपरांत पांडवों ने श्रीकृष्ण के साथ मय दानव की सहायता से उस शहर का सौन्दर्यीकरण किया। वह शहर एक द्वितीय स्वर्ग के समान हो गया। उसके बाद सभि महारथियों व राज्यों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में वहां श्रीकृष्ण द्वैपायन व्यास के सान्निध्य में एक महान यज्ञ और गृहप्रवेश अनुष्ठान का आयोजन हुआ। उसके बाद, सागर जैसी चौड़ी खाई से घिरा, स्वर्ग गगनचुम्बी चहारदीवारी से घिरा व चंद्रमा या सूखे मेघों जैसा श्वेत वह नगर नागों की राजधानी, भोगवती नगर जैसा लगने लगा। इसमें अनगिनत प्रासाद, असंख्य द्वार थे, जो प्रत्येक द्वार गरुड़ के विशाल फ़ैले पंखों की तरह खुले थे। इस शहर की रक्षा दीवार में मंदराचल पर्वत जैसे विशाल द्वार थे। इस शस्त्रों से सुसज्जित, सुरक्षित नगरी को दुश्मनों का एक बाण भी खरौंच तक नहीं सकता था। उसकी दीवारों पर तोपें और शतघ्नियां रखीं थीं, जैसे दुमुंही सांप होते हैं। बुर्जियों पर सशस्त्र सेना के सैनिक लगे थे। उन दीवारों पर वृहत लौह चक्र भी लगे थे।
पाठ्य तथा विधि
मदुरै विमानक्षेत्र नियमित उड़ानों के जरिए चेन्नई, कालीकट, मुंबई और पांडिचेरी से जुड़ा हुआ है।
हसन जमाल
5 न्यायालयो की अधिकारिता- इसका अर्थ है कि केन्द्र-राज्य कानून की व्याख्या हेतु एक निष्पक्ष तथा स्वतंत्र सत्ता पर निर्भर करेंगेविधि द्वारा स्थापित 1.1
माधवगुप्त- हर्षवर्धन के समय में माधवगुप्त मगध के सामन्त के रूप में शासन करता था । वह हर्ष का घनिष्ठ मित्र और विश्‍वासपात्र था । हर्ष जब शशांक को दण्डित करने हेतु गया तो माधवगुप्त साथ गया था । उसने ६५० ई. तक शासन किया ।
सभी गेंदबाजों को उनकी गति और शैली के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है. ज्यादा क्रिकेट शब्दावली के अनुसार वर्गीकरण (classifications) बहुत भ्रमित कर सकते हैं. इस प्रकार से एक गेंदबाज को एल एफ में वर्गीकृत किया जा सकता है जिसका अर्थ है बाएं हाथ का तेज गेंदबाज या एल बी जी में वर्गीकृत किया जा सकता है जिसका अर्थ है दायें हाथ का स्पिन गेंदबाज जो "लेग ब्रेक" या "गूगली" डाल सकता है.
1990 - भारी जन-विरोध के बाद एरशाद पद से हटे.
एक तिथि में दो करण होते हैं- एक पूर्वार्ध में तथा एक उत्तरार्ध में। कुल 11 करण होते हैं- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (14) के उत्तरार्ध में शकुनि, अमावस्या के पूर्वार्ध में चतुष्पाद, अमावस्या के उत्तरार्ध में नाग और शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पूर्वार्ध में किस्तुघ्न करण होता है। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं। भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
संतश्री की प्रारम्भिक शिक्षा सिन्धी भाषा से आरम्भ हुई | तदनन्तर सात वर्ष की आयु में प्राथमिक शिक्षा के लिए आपको जयहिन्द हाईस्कूल, मणिनगर, (अमदावाद) में प्रवेश दिलवाया गया | अपनी विलक्षण स्मरणशक्ति के प्रभाव से आप शिक्षकों द्वारा सुनाई जानेवाली कविता, गीत या अन्य अध्याय तत्क्षण पूरी-की-पूरी हू-ब-हू सुना देते थे | विद्यालय में जब भी मध्यान्ह की विश्रान्ति होती, बालक आसुमल खेलने-कूदने या गप्पेबाजी में समय न गँवाकर एकांत में किसी वृक्ष के नीचे ईश्वर के ध्यान में बैठ जाते थे |
32. राठौंड़ों के रूप में प्रसिद्ध एक वंश के प्रमुख, राव जोधा ने मृतकों की भूमि कहलाये गये, जोधपुर की 1459 में स्थापना की।
फीफा U-20 विश्व कप 2007 (2007 FIFA U-20 World Cup) में
भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्रबांधा जाता है। दृश्यगणित के अनुसार मंगलवार 25सितंबर को प्रात:7.14बजे भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी प्रारंभ होकर बुधवार के सूर्योदय से पूर्व प्रात:4.27बजे तक विद्यमान रहेगी। अतएव अनन्तचतुर्दशीका व्रत-पूजन 25सितंबर को ही सम्पन्न होगा।
इसके अलावा
यह स्मारक स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किये गये बलिदानों का प्रतीक है। 28 अप्रैल 1858 को ब्रिटिश सेना द्वारा बावन स्वतंत्रता सेनानियों को एक इमली के पेड़ पर फाँसी दी गयी थी। ये इमली का पेड़ अभी भी मौजूद है। लोगो का विश्वास है के उस पेड़ का विकास उस नरसंहार के बाद बंद हो गया है। यह जगह बिन्दकी उपखंड में खजुआ कस्बे के निकट है। बिन्दकी तहसील मुख्यालय से तीन किलोमीटर पश्चिम मुगल रोड स्थित शहीद स्मारक बावनी इमली स्वतंत्रता की जंग में अपना विशेष महत्व रखती है। शहीद स्थल में बूढ़े इमली के पेड़ में 28 अप्रैल 1857 को रसूलपुर गांव के निवासी जोधा सिंह अटैया को उनके इक्यावन क्रांतिकारियों के साथ फांसी पर लटका दिया गया था इन्हीं बावन शहीदों की स्मृति में इस वृक्ष को बावनी इमली कहा जाने लगा।
A busy street in Tehran
Cap
otherwise [h] or silent
तीर्थस्थान एक ऐसा स्थल है जहां लोग प्रेरणा और सन्तोष के लिये जाते हैं। साधारणतः यह नदी के घाट पर अथवा पहाडी पर होता है जहां एक और लोक प्रस्थान करने की कल्पना की जा सकती है।
भगवान् विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्माजी उत्पन्न हुए। ब्रह्माजी से अत्रि, अत्रि से चन्द्रमा, चन्द्रमा से बुध, और बुध से इलानन्दन पुरूरवा का जन्म हुआ। पुरूरवा से आयु, आयु से राजा नहुष, और नहुष से ययाति उत्पन्न हुए।
उनके द्वारा रचित पुस्तकों की सूची इस प्रकार है:
उल्टाडंग कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता नगर निगम के अधीन आता है।
हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार (Indo-European family of languages) दुनिया का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बन्धित भाषाओं का समूह) हैं । हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं । आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं : हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि । ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है -- आदिम-हिन्द-यूरोपीय (Proto-Indo-European) भाषा, जो संस्कृत से काफ़ी मिलती-जुलती थी, जैसे कि वो सांस्कृत का ही आदिम रूप हो ।
कुमाऊँनी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक भाषा/बोली है। इस भाषा को हिन्दी की सहायक पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा जाता है।
पुरस्कार-सम्मान- २००८ में अपने उपन्यास कुइयाँजान के लिए यू.के. कथा सम्मान से सम्मानित।
শুভ্রজ্যোত্স্না পুলকিতযামিনীম্
इन भाषाओं की आकृति मुख्य रूप से अयोगात्मक एकाक्षर धातुओं के अस्तित्व और उपसर्ग तथा प्रत्ययों के नितांत अभाव के कारण चीनी भाषाओं की तरह यहाँ भी अर्थ का भेद सूरो पर आधारित हैं। शब्दों मे लिंग नहीं होता । आवश्यकता पड़ने पर नर और मादा मे बोधक शब्दों द्वारा लिंग दिखाया जाता हैं। बहुवचन का भाव साफ-साफ इन भाषाओं मे नही झलकता। वाक्य अधिकांशत: छोटे छोटे, एक संज्ञा और एक क्रिया के होते हैं। सूडानी भाषाओं में एक तरह के मुहावरे होते हैं जिन्हें ध्वनिचित, शब्दचित्र या वर्णनात्मक क्रियाविशेष कह सकते हैं: जैसे, ईव भाषा मे "जो' धातु का अर्थ चलना होता है और इससे कई दर्जन मुहावरे बनते हैं जिनका अर्थ सीधे चलना, जल्दी चलना, छोटे छोटे कदम रखकर चलना, लंबे आदमी की चाल चलना, चूहे आदि छोटे जानवरों की तरह चलना, इत्यादि अर्थ प्रकट होते है।
मध्य एशिया में एक बड़े भूभाग में फैला हुआ यह देश पहले सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के उपरांत इसने सबसे अंत में अपने आपको स्वतंत्र घोषित किया। सोवियत प्रशासन के दौरान यहाँ कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ संपन्न हुईं, जिसमें कई रॉकेटों का प्रक्षेपण से लेकर क्रुश्चेव का वर्ज़िन भूमि परियोजना शामिल हैं। देश की अधिकाँश भूमि स्तेपी घास मैदान, जंगल तथा पहाड़ी क्षेत्रों से ढकी है।
कबीर के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न-भिन्न लेखों के अनुसार भिन्न-भिन्न है। एच.एच. विल्सन के अनुसार कबीर के नाम पर आठ ग्रंथ हैं। विशप जी.एच. वेस्टकॉट ने कबीर के ८४ ग्रंथों की सूची प्रस्तुत की तो रामदास गौड़ ने 'हिंदुत्व' में ७१ पुस्तकें गिनायी हैं।
गीताप्रेस की स्थापना सन् 1923 ई० में हुई थी। इसके संस्थापक महान गीता-मर्मज्ञ श्री जयदयाल गोयन्दका थे। इस सुदीर्घ अन्तरालमें यह संस्था सद्भावों एवं सत्-साहित्य का उत्तरोत्तर प्रचार-प्रसार करते हुए भगवत्कृपा से निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। आज न केवल समूचे भारत में अपितु विदेशों में भी यह अपना स्थान बनाये हुए है। गीताप्रेस ने निःस्वार्थ सेवा-भाव, कर्तव्य-बोध, दायित्व-निर्वाह, प्रभुनिष्ठा, प्राणिमात्र के कल्याण की भावना और आत्मोद्धार की जो सीख दी है, वह सभी के लिये अनुकरणीय आदर्श बना हुआ है।
पतन्जलि योग्पीतथ की स्थापना स्वामी रामदेव ने की थी, इसकी स्थपना का मुख्य उद्देस्य यह है की योग का प्रचार अधिक से अधिक हो सके और सर्व सुल॑भ व सस्टी
मंदिरों के हर प्राचीन शहर की तरह जोशीमठ भी ज्ञान पीठ है जहां आदि शंकराचार्य ने भारत के उत्तरी कोने के चार मठों में से पहला की स्थापना की। इस शहर को ज्योतिमठ भी कहा जाता है तथा इसकी मान्यता ज्योतिष केंद्र के रूप में भी है। संपूर्ण देश से यहां पुजारियों, साधुओं एवं संतों का आगमन होता रहा तथा पुराने समय में कई आकर यहीं बस गये। बद्रीनाथ मंदिर जाते हुए तीर्थयात्री भी यहां विश्राम करते थे। वास्तव में तब यह मान्यता थी कि बद्रीनाथ की यात्रा तब तक अपूर्ण रहती है जब तक जोशीमठ जाकर नरसिंह मंदिर में पूजा न की जाए।
अर्थात् नाम एवं रूप से व्याकृत, अनेक कत्र्ता, अनेक भोक्ता से संयुक्त, जिसमें देश, काल, निमित्त और क्रियाफल भी नियत हैं। जिस जगत् की सृष्टि को मन से भी कल्पना नहीं कर सकते, उस जगत् की उत्पत्ति, स्थिति तथा लय जिससे होता है, उसको ब्रह्म कहते है। सम्पूर्ण जगत् के जीवों को ब्रह्म के रूप में स्वीकार करना, तथा तर्क आदि के द्वारा उसके सिद्ध कर देना, आदि शंकराचार्य की विशेषता रही है। इस प्रकार शंकराचार्य के व्यक्तित्व तथा कृतित्वके मूल्यांकन से हम कह सकते है कि राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का कार्य शंकराचार्य जी ने सर्वतोभावेनकिया था। भारतीय संस्कृति के विस्तार में भी इनका अमूल्य योगदान रहा है।
मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद उज्जैन शकों और सातवाहनों की प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन गया। शकों के पहले आक्रमण को उज्जैन के वीर विक्रमादित्य के नेतृत्व में यहाँ की जनता ने प्रथम सदी ईसा पूर्व विफल कर दिया था। कालांतर में विदेशी पश्चिमी शकों ने उज्जैन हस्त गत कर लिया। चस्टान व रुद्रदमन इस वंश के प्रतापी व लोक प्रिय महाक्षत्रप सिद्ध हुए।
सांता क्लॉस (Santa Claus) की लोकप्रिय छवि को जर्मन मूल के अमेरिकी (German-American) कार्टूनिस्ट थॉमस Nast (Thomas Nast) (1840-1902) के द्वारा बनाया गया, जो हर साल एक नई छवि को बनाते थे, 1863 से शुरू.१८८० तक ,नस्त जिसे अब हम संता कहते हैं उसके पहचान बनी छवि को 1920 के दशक में विज्ञापनदाताओं के द्वारा मानकीकृत किया गया.[३१]
यू. एस. एम, पत्रिका
आलुतुआ एक बंगाली व्यंजन है।
भारत सेवा आश्रम संघ के स्वामी प्रणबानंद महाराज, संस्थापक
नॉर्वेयाई विकिपीडिया विकिपीडिया के दो संस्करण हैं: बोक्माल और नाय्नोर्स्क। प्रथम मूल नार्वेयाई विकिपीडया २६ नवंबर, २००१ को जारी कि गई थी और इस पर नार्वेयाई मानक की किसी भी भाषा में लिखने की अनुमति थी। ३१ जुलाई, २००४ को नाय्नोर्स्क-विशिष्ट विकिपीडिया जारी किया गया और फिर यह संस्करण भी तेज़ी से बढ़ा।
parimal ne jijaaji ko bewkoof banaya
सर फ्रांसिस ड्रेक, वाइस एडमिरल (1540 - 27 जनवरी 1596) महारानी एलिजाबेथ के समय के एक जहाज कप्तान, समुद्री लुटेरा, खोजी और राजनीतिज्ञ थे। महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने 1581 में उन्हें नाइटहुड प्रदान किया था। स्पेनिश अरमाडा के खिलाफ अंग्रेज जहाज बेडे के दूसरे प्रमुख व्यक्ति थे। सान जुआन, पोर्ते रिको पर असफल हमले के बाद इनकी दस्त की वजह से 1596 में मौत हो गई। अपने सफल अभियान की बदौलत जहां ड्रेक एक तरफ अंग्रेजों के लिए हीरो थे, वहीं दूसरी ओर स्पेनिश लोगों के लिए समुद्री लुटेरे थे, जिन्हें वे एल ड्रेक के नाम से बुलाते थे। माना जाता है कि राजा फिलिप द्वितीय ने उन पर 20 हजार डुकाट्स (आज के हिसाब से करीबन 60 लाख डालर) का इनाम रखा था। ड्रेक अन्य बातों के अलावा अपने विश्व भ्रमण के लिए प्रसिद्ध हैं।
संसदीय विशेषाधिकार वे विशिष्‍ट अधिकार हैं जो संसद के दोनों सदनों को, उसके सदस्‍यों को और समितियों को प्राप्‍त है। विशेषाधिकार इस दृष्‍टि से दिए जाते हैं कि संसद के दोनों सदन, उसकी समितियां और सदस्‍य स्‍वतंत्र रूप से काम कर सकें। उनकी गरिमा बनी रहे परंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि कानून की नजरों में साधारण नागरिकों के मुकाबले में विशेषाधिकार प्राप्‍त सदस्‍यों की स्‍थिति भिन्‍न है। जहां तक विधियों के लागू होने का संबंध है, सदस्‍य लोगों के प्रतिनिधि होने के साथ साथ साधारण नागरिक भी होते हैं। मूल विधि यह है कि संसद सदस्‍यों सहित सभी नागरिक कानून की नजरों में बराबर माने जाने चाहिए। जो दायित्‍व अन्‍य नागरिकों के हों वही उनके भी होते हैं और शायद सदस्‍य होने के नाते कुछ अधिक होते हैं।
2. छत्तीसगढ़ी लोग, वे लोग जो भारत के छत्तीसगढ़ प्रांत में रहते हैं या जिनका जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ है।
२०. विश्वकर्मा का अर्जुन को दिया गया 'गांडीव'।
Amritsar · Bathinda · Faridkot · Fatehgarh Sahib · Firozpur · Gurudaspur · Hoshiarpur · Jalandhar · Kapurthala · Ludhiana · Mansa · Moga · Mohali · Muktsar · Shahid Bhagat Singh Nagar · Patiala · Rupnagar · Sangrur · Tarn Taran
नगर परिषद के द्वारा जनकल्याण के कार्य करने के लिए विभिन्न प्रकार के अधिकारी भी नियुक्त किये जाते थे, जैसे - सड़कों, बाज़ारों, चिकित्सालयों, देवालयों, शिक्षा-संस्थाओं , जलापूर्ति, बंदरगाहों की मरम्मत तथा रखरखाव का काम करना । नगर का प्रमुख अधिकारी नागरक कहलाता था । कौटिल्य ने नगर प्रशासन में कई विभागों का भी उल्लेख किया है जो नगर के कई कार्यकलापों को नियमित करते थे, जैसे - लेखा विभाग, राजस्व विभाग, खान तथा खनिज विभाग, रथ विभाग, सीमा शुल्क और कर विभाग ।
उसी समय बिमल राय की मधुमति बन रही थी¸ जिसमें संगीतकार सलिल चौधरी दिलीप कुमार के लिए तलत की आवाज़ लेना चाहते थे। पर उस समय मुकेश गर्दिश के दौर में थे। तलत ने सलिल चौधरी से कहा कि वे उनकी बजाय मुकेश को काम दें और मधुमति में मुकेश ने दिलीप कुमार के लिए आख़िरी बार गाया। फ़िल्म संगीत के जानकार मानते हैं कि उनमें संगीत रचना की अदभुत प्रतिभा थी। 'ग़मे आशिकी से कह दो' की धुन उन्होंने पलक झपकते तैयार कर दी थी। अभिनय के चक्कर में पड़ने की बजाय वे संगीतकार बनने की ओर कदम बढ़ाते¸ तो बहुत आगे जाते।
Home to some of most prominent universities in the United States, California has long had many respected collegiate sports programs. In particular, the athletic programs of UC Berkeley, USC, UCLA, Stanford and Fresno State are often nationally ranked in the various collegiate sports. California is also home to the oldest college bowl game, the annual Rose Bowl, and the Holiday Bowl, among others.
वाराणसी विमानक्षेत्र यहां का निकटतम प्रमुख हवाई-अड्डा है। दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता और पटना आदि शहरों से यहां के लिए नियमित उड़ानें हैं। इसके अतिरिक्त लखनऊ और गोरखपुर भी वायुयान से आकर यहाँ आया जा सकता है।
हिन्दू धर्म के महाकाव्य महाभारत में जयद्रथ सिंधु प्रदेश के राजा थे। इनका विवाह कौरवों की एकमात्र बहन दुःशला से हुई। जयद्रथ सिंधु नरेश वृद्धक्षत्र के पुत्र थे। वृद्धक्षत्र के यहाँ जयद्रथ का जन्म काफी समय बाद हुआ था और उन्हें साथ ही यह वरदान प्राप्त हुआ कि जयद्रथ का वध कोई सामान्य व्यक्ति नहीं कर पायेगा। उसने साथ ही यह वरदान भी प्राप्त किया कि जो भी जयद्रथ को मारकर जयद्रथ का सिर ज़मीन पर गिरायेगा, उसके सिर के हज़ारों टुकड़े हो जायेंगे।
(1) आदर्श भोजपुरी,
In the winter of 1775, the Americans invaded Canada . General Richard Montgomery captured Montreal but a joint attack on Quebec with the help of Benedict Arnold failed.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय भारत का ही नही एशिया का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है, यहॉं पर 95 न्यायाधीशो की क्षमता है।
गांधी जी की राख को एक अस्थि-रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद दिलाने के लिए संपूर्ण भारत में ले जाया गया। इनमें से अधिकांश को इलाहाबाद के संगम (Sangam at Allahabad)पर १२ फरवरी १९४८ को जल में विसर्जित कर दिया गया किंतु कुछ को अलग [१९] पवित्र रूप में रख दिया गया। १९९७ में , तुषार गाँधी (Tushar Gandhi) ने बैंक में नपाए गए एक अस्थि-कलश की कुछ सामग्री को अदालत के माध्यम से ,इलाहाबाद में संगम (Sangam at Allahabad).[१९][२०] नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया। ३० जनवरी२००८ को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी द्वारा गांधी जी की राख वाले एक अन्य अस्थि-कलश को मुंबई संग्रहालय [१९] में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी (Girgaum Chowpatty) नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया। एक अन्य अस्थि कलश आगा खान (Aga Khan) जो पुणे[१९] में है, ( जहाँ उन्होंने १९४२ से कैद करने के लिए किया गया था १९४४ ) वहां समाप्त हो गया और दूसरा आत्मबोध फैलोशिप झील मंदिर (Self-Realization Fellowship Lake Shrine) में लॉस एंजिल्स.[२१] रखा हुआ है। इस परिवार को पता है कि इस पवित्र राख का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरूपयोग किया जा सकता है लेकिन उन्हें यहां से हटाना नहीं चाहती हैं क्योंकि इससे मंदिरों .[१९] को तोड़ने का खतरा पैदा हो सकता है।

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