बुधवार, 8 मई 2013

तुलसीदास जी के अनुसार सर्वप्रथम श्री राम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वती जी को सुनाया था। जहाँ पर भगवान शंकर पार्वती जी को भगवान श्री राम की कथा सुना रहे थे वहाँ कागा (कौवा) का एक घोसला था और उसके भीतर बैठा कागा भी उस कथा को सुन रहा था। कथा पूरी होने के पहले ही माता पार्वती को ऊँघ आ गई पर उस पक्षी ने पूरी कथा सुन ली। उसी पक्षी का पुनर्जन्म काकभुशुण्डि[घ] के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि जी ने यह कथा गरुड़ जी को सुनाई। भगवान श्री शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा अध्यात्म रामायण के नाम से प्रख्यात है। अध्यात्म रामायण को ही विश्व का सर्वप्रथम रामायण माना जाता है।
वाल्मीकि रामायण में भरत जी रामराज्य के विलक्षण प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहते हैं, "राघव! आपके राज्य पर अभिषिक्त हुए एक मास से अधिक समय हो गया। तब से सभी लोग नीरोग दिखाई देते हैं। बूढ़े प्राणियों के पास भी मृत्यु नहीं फटकती है। स्त्रियां बिना कष्ट के प्रसव करती हैं। सभी मनुष्यों के शरीर हृष्ट–पुष्ट दिखाई देते हैं। राजन! पुरवासियों में बड़ा हर्ष छा रहा है। मेघ अमृत के समान जल गिराते हुए समय पर वर्षा करते हैं। हवा ऐसी चलती है कि इसका स्पर्श शीतल एवं सुखद जान पड़ता है। राजन नगर तथा जनपद के लोग इस पुरी में कहते हैं कि हमारे लिए चिरकाल तक ऐसे ही प्रभावशाली राजा रहें।"
वृद्धि की मात्रा और गुणवत्ता के बीच, लागत और रिटर्न के बीच, और दीर्घकाल और अल्पकाल के बीच अंतर को ध्यान में रखना चाहिए.
पाणिनि ने संस्कृत भाषा के सभी शब्दों के निर्वचन के लिए करीब 4000 सूत्रों की रचना की जो अष्टाध्यायी के आठ अध्यायों मे वैज्ञानिक ढंग से संगृहीत हैं। ये सूत्र वास्तव मे गणित के सूत्रों की भाँति हैं। जिस तरह से जटिल एवं विस्तृत गणितीय धारणाओं अथवा सिद्धान्तों को सूत्रों (Formula/formulae) द्वारा सरलता से व्यक्त किया जाता है, उसी तरह पाणिनि ने सूत्रों द्वारा अत्यन्त संक्षेप मे ही व्याकरण के जटिल नियमों को स्पष्ट कर दिया है। भाषा के समस्त पहलुओं के विवेचन हेतु ही उन्हें 4000 सूत्रों की रचना करनी पड़ी।
1700 वीं शताब्दी के बाद जैसे जैसे औद्योगिक क्रांति तेज़ गति से बढती गयी वैसे वैसे जनसंख्या वृद्धि में भी काफी बढ़त देखने को मिली[४]. पिछले 50 वर्षों में जनसंख्या वृद्धि की दर और भी ज्यादा तेज़ हुयी है[४] और इसकी मुख्य वजह है चिकित्सा जगत में हुयी तरक्की और कृषि उत्पादकता में होने वाली महत्वपूर्ण बढ़त, ख़ास तौर से वर्ष 1960 से 1995[५] के बीच हरित क्रांति के कारण हुई प्रगति.[६] सन् 2007 में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग ने अनुमान लगाया कि वर्ष 2055 में दुनिया की आबादी 10 अरब के आँकड़े को पार कर जाएगी.[७] भविष्य में, उम्मीद है कि दुनिया की आबादी में वृद्धि शिखर तक पहुंचेगी और उसके बाद आर्थिक कारणों, स्वास्थ्य चिंताओं, भूमि के अंधाधुंध प्रयोग और उसकी कमी और पर्यावरणीय संकटों के कारण आबादी कम होने लगेगी. इस बात की भी 85% संभावना है कि इस सदी के अंत से पहले दुनिया की आबादी बढ़नी बंद हो जायेगी. 60% संभावना है कि दुनिया की जनसंख्या वर्ष 2100 से पहले 10 अरब लोगों से अधिक नहीं होगी, और करीब 15% संभावना है कि सदी के अंत में विश्व की जनसंख्या आज की तिथि में विश्व की कुल जनसंख्या से कम हो जाएगी. विभिन्न क्षेत्रों के लिए, सर्वाधिक जनसंख्या के तारीख और आकार में काफी भिन्नता होगी.[८]
सैनिक प्रबन्ध का सर्वोच्च अधिकारी अन्तपाल कहलाता था । यह सीमान्त क्षेत्रों का भी व्यवस्थापक होता था । मेगस्थनीज के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना छः लाख पैदल, पचास हजार अश्‍वारोही, नौ हजार हाथी तथा आठ सौ रथों से सुसज्जित अजेय सैनिक थे ।
कई धार्मिक विचारक जैसे की महात्मा गाँधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अन्य सदस्यों ने राजनीतिक दर्शन के नए रूप को जन्म दिया जिसने आधुनिक भारतीय लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और उदारवाद के आधार को बनाया.आज, एशिया का पहला आर्थिक विज्ञान में नोबेल मेमोरियल पुरस्कार (Nobel Memorial Prize in Economic Sciences) जीतने वाले अमर्त्य सेन जैसे अर्थशास्त्री भारत को दुनिया के विचारों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले एक देश के रूप में प्रतिष्ठित कर रहे है.
प्राचीन शिवलिंग: जिला मुख्यालय से लगभग12 किलोमीटर की दूरी की कटहरा गांव स्थित है। इस गांव के समीप ही दो टीले स्थित है। इन टीलों पर दो प्राचीन शिवलिंग स्थित है। पहली शिवलिंग मंदिर के भीतर स्थित है वहीं दूसरी शिवलिंग खुले आसमान के नीचे स्थित है। माना जाता है कि इस जगह का सम्बन्ध शव और बौद्ध मतावलम्बियों से रहा है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में लोग इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
यह देखकर राजा को उसकी बात का विश्वास हो गया और उसने प्रसन्न होकर उसे बहुत सी मुद्राएं भी पुरस्कार में दीं। छोटी वह अपने हार और इन सहित घर लौट आई। उसके धन को देखकर बड़ी बहू ने ईर्षा के कारण उसके पति को सिखाया कि छोटी बहू के पास कहीं से धन आया है। यह सुनकर उसके पति ने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा- ठीक-ठीक बता कि यह धन तुझे कौन देता है? तब वह सर्प को याद करने लगी।
आरम्भ में अधिकतर हिन्दी चिट्ठे व्यक्तिगत प्रकृति के थे एवं विषय आधारित चिट्ठों नहीं थे अथवा नगण्य थे। सन २००७ से हिन्दी चिट्ठों की सँख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई एवं सिनेमा, तकनीक, विज्ञान आदि विविध विषयों पर अनेकों चिट्ठों का उदय हुआ।
वैशेषिक मत में समस्त विश्व "भाव और अभाव" इन दो विभागों में विभाजित है। इनमें "भाव" के छह विभाग किए गए है जिनके नाम हैं - द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, तथा समवाय। अभाव के चार भेद हैं - प्रागभाव, प्रध्वंसाभाव, अत्यंताभाव तथा अन्योन्याभाव। इनके लक्षण आदि नीचे दिए जाते हैं :
बताया जा चुका है कि इस भाषा का परिचय होने से ही आर्य जाति, उसकी संस्कृति, जीवन और तथाकथित मूल आद्य आर्यभाषा से संबद्ध विषयों के अध्ययन का पश्चिमी विद्वानों को ठोस आधार प्राप्त हुआ। प्राचीन ग्रीक, लातिन, अवस्ता और ऋक्संस्कृत आदि के आधार पर मूल आद्य आर्यभाषा की ध्वनि, व्याकरण और स्वरूप की परिकल्पना की जा सकी जिसें ऋक्संस्कृत का अवदान सबसे अधिक महत्व का है। ग्रीक, लातिन प्रत्नगाथिक आदि भाषाओं के साथ संस्कृत का पारिवारिक और निकट संबंध है। पर भारत-इरानी-वर्ग की भाषाओं के साथ (जिनमें अवस्ता, पहलवी, फारसी, ईरानी, पश्तो आदि बहुत सी प्राचीन नवीन भाषाएँ हैं) संस्कृत की सर्वाधिक निकटता है। भारत की सभी आद्य, मध्यकालीन एवं आधुनिक आर्यभाषाओं के विकास में मूलत: ऋग्वेद-एवं तदुत्तरकालीन संस्कृत का आधारिक एवं औपादानिक योगदान रहा है। आधुनिक भाषावैज्ञानिक मानते हैं कि ऋग्वेदकाल से ही जनसामान्य में बोलचाल की तथाभूत प्राकृत भाषाएँ अवश्य प्रचलित रही होंगी। उन्हीं से पालि, प्राकृत अपभ्रंश तथा तदुत्तरकालीन आर्यभाषाओं का विकास हुआ। परंतु इस विकास में संस्कृत भाषा का सर्वाधिक और सर्वविध योगदान रहा है। यहीं पर यह भी याद रखना चाहिए कि संस्कृत भाषा ने भारत के विभिन्न प्रदेशों, और अंचलों की आर्येतर भाषाओं को भी काफी प्रभावित किया तथा स्वयं उनसे प्रभावित हुई; उन भाषाओं और उनके भाषणकर्ताओं की संस्कृति और साहित्य को तो प्रभावित किया ही, उनकी भाषाओं शब्दकोश उनक ध्वनिमाला और लिपिकला को भी अपने योगदान से लाभान्वित किया। भारत की दो प्राचीन लिपियाँ-(1) ब्राह्मी (बाएँ से लिखी जानेवाली) और (2) खरोष्ट्री (दाएँ से लेख्य) थीं। इनमें ब्राह्मी को संस्कृत ने मुख्यत: अपनाया।
भारत-एशियाई साहित्य
साँचा:Korea topics निर्देशांक: 38°19′N 127°14′E / 38.317, 127.233
साँचा:छत्तीसगढ़ की जातियाँ/Intro
साँचा:बलूचिस्तान के जिले
(3) न्यूमोनिक प्लेग, जिसमें रोग का आक्रमणकेंद्र फेफड़ा होता है। यह अत्यंत घातक प्रकार है और तीन चार दिन में प्राण हर लेता है;
14. श्रीमति निरुपमा देवी तथा
भारत मे ये पांचों लक्षण सविन्धान मे मौजूद है अत्ः यह संघात्मक है परंतु
ग्यारहवीं सदी के लगभग देशभाषा हिंदी का रूप अधिक स्फुट होने लगा। उस समय पश्चिमी हिंदी प्रदेश में अनेक छोटे छोटे राजपूत राज्य स्थापित हो गए थे। ये परस्पर अथवा विदेशी आक्रमणकारियों से प्राय: युद्धरत रहा करते थे। इन्हीं राजाओं के संरक्षण में रहनेवाले चारणों और भाटों का राजप्रशस्तिमूलक काव्य वीरगाथा के नाम से अभिहित किया गया। इन वीरगाथाओं को रासो कहा जाता है। इनमें आश्रयदाता राजाओं के शौर्य और पराक्रम का ओजस्वी वर्णन करने के साथ ही उनके प्रेमप्रसंगों का भी उल्लेख है। रासो ग्रंथों में संघर्ष का कारण प्राय: प्रेम दिखाया गया है। इन रचनाओं में इतिहास और कल्पना का मिश्रण है। रासो वीरगीत (बीसलदेवरासो और आल्हा आदि) और प्रबंधकाव्य (पृथ्वीराजरासो, खमनरासो आदि) - इन दो रूपों में लिखे गए। इन रासो ग्रंथों में से अनेक की उपलब्ध प्रतियाँ चाहे ऐतिहासिक दृष्टि से संदिग्ध हों पर इन वीरगाथाओं की मौखिक परंपरा अंसदिग्ध है। इनमें शौर्य और प्रेम की ओजस्वी और सरस अभिव्यक्ति हुई है।
सचिन राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित एकमात्र क्रिकेट खिलाड़ी हैं। वे सन् २००८ मे पद्म विभूषण से भी पुरस्कृत किये जा चुके है। वे क्रिकेट जगत के सर्वाधिक प्रायोजित खिलाड़ी हैं और विश्वभर मे उनके अनेक प्रशंसक हैं। उनके प्रशंसक उन्हें प्यार से लिटिल मास्टर व मास्टर ब्लास्टर कह कर बुलाते हैं। क्रिकेट के अलावा वे अपने ही नाम के एक सफल रेस्टोरेंट के मालिक भी हैं।
बुधवार सप्ताह का एक दिन है । यह मंगलवार के बाद और बृहस्पतिवार से पहले आता है । बुधवार का यह नाम बुध से पड़ा है जिसका मतलब एक हिन्दू देवता से है ।
इस विशिष्ट खेल में खिलाड़ी अपने व्यक्तिक नियंत्रण जैसे ड्रिब्लिंग (dribbling), अपने टीम के खिलाड़ियों को गेंद देना और गोल पोस्ट में गोल मारना जहाँ विरोधी टीम का गोल कीपर के द्वारा रक्षा किया जाता है के माध्यम से गोल स्कोरिंग अवसरों का निर्माण करता है.विरोधी खिलाड़ी गेंद को एक दुसरे को देते समय गेंद को अपने कब्जे लेने की कोशिश तथा प्रतिद्वंदी से निबटने के माध्यम से गेंद पर नियंत्रण कर सकते हैं, लेकिन विरोधियों से शारीरिक संपर्क सीमाबद्ध है आम तौर पर फुटबॉल न रुकने वाला खेल है यह खेल तभी रूकती है जब गेंद मैदान से बाहर न जाए या रेफरी (referee) के द्वारा खेल को न रोका जाए ठहराव के बाद खेल निर्दिष्ट समय के लिए फिर से शुरू होती है [२]
भारत को एक सनातन राष्ट्र माना जाता है क्योंकि यह मानव सभ्यता का पहला राष्ट्र था। श्रीमद्भागवत के पञ्चम स्कन्ध में भारत राष्ट्र की स्थापना का वर्णन आता है।
मधेसी शब्द संस्कृत के "मध्य प्रदेश" से निकला है जिसका अर्थ है बीच का देश। चूँकि यह बोली तिरहुत की मैथिली बोली और गोरखपुर की भोजपुरी के बीचवाले स्थानों में बोली जाती है, अत: इसका नाम मधेसी (अर्थात वह बोली जो इन दोनो के बीच में बोली जाये) पड़ गया है। यह बोली चंपारण जिले में बोली जाती और प्राय: "कैथी" लिपि में लिखी जाती है।
अब ज्ञानदेव और नामदेव के समय की राज्यस्थिति बदल चुकी थी। यादवों का राज्य नष्ट होकर उसके स्थान पर मुसलमानों का राज्य स्थापित हो जाने के कारण निराशा की गहरी छाया छाई हुई थी। उसे दूरकर परमार्थ मार्ग को फिर से प्रकाशमान बनाने का कार्य मराठवाडा के अंतर्गत पैठण क्षेत्र के निवासी संत एकनाथ ने किया। इनके ग्रंथ विशद तथा साहित्यिक गुणों से संपन्न है। इनमें वेदांत ग्रंथ, आख्यान, कविता, स्फुट प्रकरण, लोकगीत, रामायणकथा इत्यादि नाना प्रकार के साहित्य का समावेश है। एकनाथी भागवत, भावार्थ रामायण, रुक्मिणी स्वयंवर, भारुड आदि ग्रंथ मराठी में सर्वमान्य हैं। एकनाथ के ही समय में प्रचुर मात्रा में साहित्यनिर्माण करनेवाले दासोपंत नामक कवि हुए। एकनाथ के पौत्र (नाती) मुक्तेश्वर के "कलाविलास" को मराठी भाषा में उच्च स्थान प्राप्त है। इनके लिखे महाभारत के पाँचों पर्व मानो नवरसों से सुसज्जित मंदाकिनी ही हैं।
संत कबीर नगर जिला 5 सितंबर, 1997 को बनाया गया था नए जिले में बस्ती जिले के तत्कालीन बस्ती तहसील के 131 गांवों और सिद्धार्थ नगर जिले के तत्कालीन बंसी तहसील के 161 गांवों शामिल थे । 5 सितंबर 1997 से पहले यह बस्ती जिले का तहसील था ।
वाक्य-विन्यास
वे केरल प्रदेश से लंबी पदयात्रा करके नर्मदा तट स्थित ओंकारनाथ पहुँचे। वहाँ गुरु गोविंदपाद से योग शिक्षा तथा अद्वैत ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करने लगे। तीन वर्ष तक आचार्य शंकर अद्वैत तत्व की साधना करते रहे। तत्पश्चात गुरु आज्ञा से वे काशी विश्वनाथजी के दर्शन के लिए निकल पड़े। जब वे काशी जा रहे थे कि एक चांडाल उनकी राह में आ गया। उन्होंने क्रोधित हो चांडाल को वहाँ से हट जाने के लिए कहा तो चांडाल बोला- ‘हे मुनि! आप शरीरों में रहने वाले एक परमात्मा की उपेक्षा कर रहे हैं, इसलिए आप अब्राह्मण हैं। अतएव मेरे मार्ग से आप हट जाएँ।’ चांडाल की देववाणी सुन आचार्य शंकर ने अति प्रभवित होकर कहा-‘आपने मुझे ज्ञान दिया है, अत: आप मेरे गुरु हुए।’ यह कहकर आचार्य शंकर ने उन्हें प्रणाम किया तो चांडाल के स्थान पर शिव तथा चार देवों के उन्हें दर्शन हुए। काशी में कुछ दिन रहने के दौरान वे माहिष्मति नगरी में आचार्य मंडल मिश्र से मिलने गए। आचार्य मिश्र के घर जो पालतू मैना थी वह •ाी वेद मंत्रों का उच्चारण करती थी। मिश्रजी के घर जाकर आचार्य शंकर ने उन्हें शास्त्रार्थ में हरा दिया। पति आचार्य मिश्र को हारता देख पत्नी आचार्य शंकर से बोलीं- ‘महात्मन्! अ•ाी आपने आधे ही अंग को जीता है। अपनी युक्तियों से मुझे पराजित करके ही आप विजयी कहला सकेंगे।’
सभी मुसलमान ईश्वर द्वारा भेजे गये सभी नबियों की वैधता स्वीकार करते हैं और मुसलमान, मुहम्मद साहब को ईशवर का अन्तिम नबी मानते हैं। अहमदिय्या समुदाय के लोग मुहम्मद साहब को अन्तिम नबी नहीं मानते हैं और स्वयं को इस्लाम का अनुयायी भी कहते हैं। भारत के उच्चतम न्यायालय के अनुसार उनको भारत में मुसलमान माना जाता है।[३] कई अन्य प्रतिष्ठित मुसलमान विद्वान समय-समय पर पहले भी मुहम्मद साहब के अन्तिम नबी होने पर प्रश्न उठा चुके हैं।[४][५][६]
हैदरबाद नाम के पीछे कई धारणायें हैं । एक प्रसिद्ध धारणा है कि इस शहर को बसाने के बाद मुहम्मद कुली कुतुब शाह एक स्थानीय बंजारा लड़की भागमती से प्रेम कर बैठा था, लड़की से शादी के बाद उसने इस शहर का नाम भाग्यनगरम् रखा। इस्लाम स्वीकार करने के बाद, भागमती का नाम हैदर महल हुआ - और शहर का भी नया नाम हैदराबाद ("हैदर का बसाया गया शहर") [१]
प्रसिद्ध विचारक रामकृष्ण परमहंस ने माँ काली के मंदिर में देवी की आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त की थी तथा उन्होंने इसी स्थल पर बैठ कर धर्म-एकता के लिए प्रवचन दिए थे। रामकृष्ण इस मंदिर के पुजारी थे तथा मंदिर में ही रहते थे। उनके कक्ष के द्वार हमेशा दर्शनार्थियों के लिए खुला रहते थे।
कर्नाटक सरकार की अध्यक्षता शासन में आयी पार्टी के सदस्य द्वारा चुने गये मुख्य मंत्री करते हैं। मुख्य मंत्री अपने मंत्रिमंडल सहित तय किये गए विधायी एजेंडा का पालन अपनी अधिकांश कार्यकारी शक्तियों के उपयोग से करते हैं।[४९] फिर भी राज्य का संवैधानिक एवं औपचार्क अध्यक्ष राज्यपाल ही कहलाता है। राज्यपाल को ५ वर्ष की अवधि हेतु केन्द्र सरकार के परामर्ष से भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। [५०] कर्नाटक राज्य की जनता द्वारा आम चुनावों के माध्यम से २८ सदस्य लोक सभा हेतु भी चुने जाते हैं। [५१][५२] विधान परिषद के सदस्य भारत के संसद के उच्च सदन, राज्य सभा हेतु १२ सदस्य चुन कर भेजते हैं।
अफसढ़ लेख के अनुसार महासेनगुप्त बहुत पराक्रमी था ।
यह दक्षिण भारत में प्रचलित हुआ। हिन्दुस्तानी संगीत मुगल बादशाहों की छत्रछाया में विकसित हुआ और कर्नाटक संगीत दक्षिण के मन्दिरों में। इसी कारण दक्षिण भारतीय कृतियों में भक्ति रस अधिक मिलता है और हिन्दुस्तानी संगीत में श्रृंगार रस।
वाकाटकों से युद्ध- मन्दसौर शिलालेख से ज‘जात होता है कि स्कन्दगुप्त की प्रारम्भिक कठिनाइयों का फायदा उठाते हुए वाकाटक शासक नरेन्द्र सेन ने मालवा पर अधिकार कर लिया परन्तु स्कन्दगुप्त ने वाकाटक शासक नरेन्द्र सेन को पराजित कर दिया ।
पुराणों के अनुसार उज्जैन नगरी को मंगल की जननी कहा जाता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल भारी रहता है, वे अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए यहाँ पूजा-पाठ करवाने आते हैं। यूँ तो देश में मंगल भगवान के कई मंदिर हैं, लेकिन उज्जैन इनका जन्मस्थान होने के कारण यहाँ की पूजा को खास महत्व दिया जाता है।कहा जाता है कि यह मंदिर सदियों पुराना है। सिंधिया राजघराने में इसका पुनर्निर्माण करवाया गया था। उज्जैन शहर को भगवान महाकाल की नगरी कहा जाता है, इसलिए यहाँ मंगलनाथ भगवान की शिवरूपी प्रतिमा का पूजन किया जाता है। हर मंगलवार के दिन इस मंदिर में श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है।
कुरुक्षेत्र युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य कुरु साम्राज्य के सिंहासन की प्राप्ति के लिए लड़ा गया था। महाभारत के अनुसार इस युद्ध में भारत के प्रायः सभी जनपदों ने भाग लिया था। महाभारत व अन्य वैदिक साहित्यों के अनुसार यह प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था। [१] इस युद्ध में लाखों क्षत्रिय योद्धा मारे गये जिसके परिणामस्वरूप वैदिक संस्कृति तथा सभ्यता का पतन हो गया था। इस युद्ध में सम्पूर्ण भारतवर्ष के राजाओं के अतिरिक्त बहुत से अन्य देशों के क्षत्रिय वीरों ने भी भाग लिया और सब के सब वीर गति को प्राप्त हो गये। [२] इस युद्ध के परिणामस्वरुप भारत में ज्ञान और विज्ञान दोनों के साथ-साथ वीर क्षत्रियों का अभाव हो गया। एक तरह से वैदिक संस्कृति और सभ्यता जो विकास के चरम पर थी उसका एकाएक विनाश हो गया। प्राचीन भारत की स्वर्णिम वैदिक सभ्यता इस युद्ध की समाप्ति के साथ ही समाप्त हो गयी। इस महान् युद्ध का उस समय के महान् ऋषि और दार्शनिक भगवान वेदव्यास ने अपने महाकाव्य महाभारत में वर्णन किया, जिसे सहस्राब्दियों तक सम्पूर्ण भारतवर्ष में गाकर एवं सुनकर याद रखा गया। [३]
रामायण के चरित्रों से सीख लेकर मनुष्य अपने जीवन को सार्थक बना सकता है।
७. संगीत श्रवण हेतु लिन्क
Exploitable deposits of gold are known to exist in Niger in the region between the Niger River and the border with Burkina Faso. On October 5 2004, President Tandja announced the official opening of the Samira Hill Gold Mine in the region of Tera and the first Nigerien gold ingot was presented to him. This marked a historical moment for Niger as the Samira Hill Gold Mine represents the first commercial gold production in the country. Samira Hill is owned by a company called SML (Societe des Mines du Liptako) which is a joint venture between a Moroccan company, Societe Semafo, and a Canadian company, Etruscan Resources. Both companies own 80% (40% - 40%) of SML and the Government of Niger 20%. The first year’s production is predicted to be 135,000 troy ounces (4,200 kg; 9,260 lb avoirdupois) of gold at a cash value of USD 177 per ounce ($5.70/g). The mine reserves for the Samira Hill mine total 10,073,626 tons at an average grade of 2.21 grams per ton from which 618,000 troy ounces (19,200 kg; 42,400 lb) will be recovered over a 6 year mine life. SML believes to have a number of significant gold deposits within what is now recognized as the gold belt known as the "Samira Horizon", which is located between Gotheye and Ouallam.
हिन्दू धर्म में सूर्योपासनाके लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होनेके कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्षमें दो बार मनाया जाता है, किन्तु काल क्रम मे अब यह बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश वासियों तक ही सीमित रह गया है।
एस. टी. डी (STD) कोड - 05568
नानक देव । अंगद देव । अमर दास । राम दास । अर्जुन देव । हरगोबिन्द सिंह । हर राय । हर किशन सिंह । तेग बहादुर सिंह । गोबिंद सिंह
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एक दिन सभी स्त्रियां मिलकर माता गूजरी के पास पहुंचीं और गोबिंदराय की शिकायत करने लगीं। ‘‘बीजी ! संभालो अपने लाड़ले को।’’ एक बोली, ‘‘वह रोज हमारे घड़े फोड़ देता है। रोज-रोज का नुकसान हम कहां तक उठाएं ?’’ दूसरी बोली, ‘‘बीजी ! वो अकेला नहीं है, उसके साथ उसकी पूरी मित्र-मंडली है। हमने कई बार उन्हें समझाया, पर वे मानते ही नहीं।’’ तीसरी बोली, ‘‘बीजी ! आप जरा सोचो, अगर कभी निशाना चूक गया तो हमारी तो जान ही चली जाएगी। ये भी कोई खेल हुआ ? हम तो तंग आ गए हैं, इसकी इन रोज-रोज की शैतानियों से।’’ ‘‘तुम लोगों ने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ?’’ माता गूजरी ने कहा, ‘‘अच्छा देखो, मैं तुम्हें पीतल के घड़े दिलवा देती हूँ। यह उन्हें नहीं फोड़ पाएगा और मैं उसे फटकारूंगी भी। तुम चिंता मत करो।’’
ईंधन कर (Fuel tax) काम कर सकता है एक प्रोत्साहन के रूप में ज्यादा कुशल उत्पादन के लिए ,तो कम प्रदुषण ,कार डिजाईन ( उदाहरण हाइब्रिड वेहिकल (hybrid vehicles)और वैकल्पिक ईंधन (alternative fuel) के विकास के लिए .उचे ईंधन कर खरिदारों को प्रोत्साहित करती है की वोह हलकी ,छोटी और अधिक फुएल कुशल कारें ,या फी कार ही न चलायें .औसत तौर पर ,आज की ऑटोमोबाइल 75 प्रतिशत फिर से बनाई जा सकती है ,और पुनर्नवीनीकरण इस्पात का उपयोग हम ऊर्जा प्रयोग और प्रदूषण कम करने में कार सकते हैं .[३८]संयुक्त राज्य में कांग्रेस ,फेदेराल्ली अनिवार्य बनाई ईंधन दक्षता ,जिसपे नियमित रूप से बहस हुआ ,हालाँकि यात्री कार मानकों को इससे ज्यादा नही सुधार जा सका जो मानक 1985 में बना दिया गया था उससे . हलकी ट्रक मानकों में भी बहुत जल्दी परिवर्तन आया है और इन्हे बताया गया 2007 में.[३९]वैकल्पिक ईंधन वाहनों (Alternative fuel vehicles) एक और विकल्प है जो कम प्रदूषण फैलाने वाली है ,अपेक्षा पारंपरिक पेट्रोलियम (petroleum) से चलने वाली वाहनों के .
मंत्र में हिंदी और अंग्रेजी के लिए लेक्सिकल ट्री एडजॉइनिंग ग्रामर का प्रयोग किया जाता है । मंत्र को कंप्यूटर जगत स्मिथसोनियन अवार्ड से पुरस्कृत किया गया और यह अमेरिकी ऐतिहासिक राष्ट्रीय संग्रहालय में १९९९ नवीन शोध संकलन का भाग है। मंत्र-राजभाषा में अंग्रेजी दस्तावेज़ पहले पूर्व-संसाधन तत्पश्चात पारसिंग एवं जनरेशन के लिए भेजा जाता है जिसके दौरान अंग्रेजी लेक्सिकॉन (शब्दकोश), हिंदी लेक्सिकॉन और अंतरण (ट्रांसफर) लेक्सिकॉन का प्रयोग किया जाता है। जनरेटर हिंदी आउटपुट या अनुवाद देता है जिसे आवश्यकतानुसार पश्च-संसाधन के लिए भेजा जाता है और अंततः दस्तावेज़ का हिंदी अनुवाद प्राप्त हो जाता है। इस में भी अनुवाद संबंधित सामान्य सहायक उपकरण जैसे कि एड्वर्ड, बहुविध आऊटपुट, ऑनलाइन थिसॉरस और शब्दकोश आदि दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त सिस्टम में रिर्पोट तैयार करने, बड़े दस्तावेज़ को छोटे छोटे दस्तावेज़ों में विभाजित करने जिससे एक से अधिक अनुवादक या पुनरीक्षक को वितरित किया जा सके,विभाजित अनुवादित भागों को एक दस्तावेज़ में संयुक्त करने संबंधित सुविधाएं दी गई है। मंत्र राजभाषा इंटरनेट संस्करण का डिज़ाइन और विकास थिन क्लांइट आर्किटेक्चर पर आधारित है। इसमें संपूर्ण अनुवाद प्रक्रिया सर्वर पर ही होती है। इसलिए दूरवर्ती स्थानों में भी इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध लो-एण्ड सिस्टम पर भी दस्तावेज़ों के अनुवाद करने के लिए इस सुविधा का उपयोग किया जा सकता है। अनुवादित दस्तावेज़ो को पुन:प्रप्ति के लिए प्रयोक्ता के इनबॉक्स में रखा जाता है। टेक्नोलॉजी आपके घर तक पहुँचेगी, आप को उस तक पहुँचने की ज़रूरत नहीं है।
'==जैन साहित्य== अपभ्रंश की जैन-साहित्य परंपरा हिंदी में भी विकसित हुई है। बड़े-बड़े प्रबंधकाव्यों के उपरांत लघु खंड-काव्य तथा मुक्तक रचनाएं भी जैन-साहित्य के अंतर्गत आती हैं। स्वयंभू का पउम-चरिउ वास्तव में राम-कथा ही है। स्वयंभू, पुष्पदंत, धनपाल आदि उस समय के प्रख्यात कवि हैं। गुजरात के प्रसिध्द जैनाचार्य हेमचंद्र भी लगभग इसी समय के हैं। जैनों का संबंध राजस्थान तथा गुजरात से विशेष रहा है, इसीलिए अनेक जैन कवियों की भाषा प्राचीन राजस्थानी रही है, जिससे अर्वाचीन राजस्थानी एवं गुजराती का विकास हुआ है। सूरियों के लिखे राम-ग्रंथ भी इसी भाषा में उपलब्ध हैं।
राष्ट्रपति भवन प्रकाश वीर शास्त्री एवेन्यू में स्थित है व इसकी मुख्य प्रवेश द्वार, 35 गेट स्थित है। यह घर नई दिल्ली के शहरी जिला में है।
नोकिया फोन में हिन्दी हेतु टी-९ इनपुट व्यवस्था होती है। देवनागरी वर्णों को ९ कुञ्जियों पर निम्न अनुसार सैट किया गया है।
Fort William in 1828
कुमोरतुली कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता नगर निगम के अधीन आता है।
बोइंग ७३७-८००
इंस्क्रिप्ट कुंजीपटल पर देवनागरी वर्ण (Windows, Solaris, Java)
जीवाणुभोजी चिकित्सा प्रतिरोधी रोगज़नक़ों मुल्तिदृग के वर्तमान युग में एक एंटीबायोटिक दवाओं के लिए महत्वपूर्ण विकल्प है. अध्ययन है कि 1966-1996 से फगेस के चिकित्सीय का उपयोग करें और इंटरनेट के माध्यम से कुछ नवीनतम फेज चल रही परियोजनाओं के साथ निपटा चिकित्सा की समीक्षा: दिखाया फेज तोप्प्य्काल्ली प्रयोग किया गया पोलिश में मौखिक रूप से या प्रणालीगत और सोवियत अध्ययन किया गे है. सफलता की दर इन अध्ययनों में पाया कुछ जठरांत्र या एलर्जी साइड इफेक्ट के साथ 80-95% थी. ब्रिटिश अध्ययन भी सप्प, एस्चेरिचिया कोलाई असिनेतोताबर के खिलाफ प्रदर्शन महत्वपूर्ण प्रभाव का फेगेस स्यूडोमोनास सपा और {३ }संघाता है. अमेरिका फेज की बिओवियाब्लिटी सुधार के साथ पेश अध्ययन करता है. फेज उपचार रोगज़नक़ों प्रतिरोधी विकल्प के रूप में एक महत्वपूर्ण साबित हो सकता है मुल्तिदृग के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के लिए.[५१][५२]
२. दुःख प्रारंभ : तृष्णा, या चाहत, दुःख का कारण है और फ़िर से सशरीर करके संसार को जारी रखती है ।
8. प्रभातकुमार मुखर्जी, उपन्यासकार तथा लघुकथा लेखक;
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पत्रिकाओं के विशेषांक
मंत्र-राजभाषा अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद सॉफ्टवेयर प्रशासनिक एवं वित्तिय क्षेत्रों के लिए प्रयोग एवं डाउनलोड हेतु राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया ।
नृसिंहोत्तरतापनीयोपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
परिसर में अन्य सुविधाओं में एक किराने की दुकान, किताब की दुकान, बैंक/एटीएम, ट्रैवल डेस्क, चिकित्सीय सुविधा/डॉक्टर, और बच्चों के लिए एक छोटा पालन केंद्र शामिल है.
बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये संघर्ष चला। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 1947 ई को सफल हुआ जब भारत ने अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, मगर देश को विभाजन कर दिया गया। तदुपरान्त 26 जनवरी, 1950 ई को भारत एक गणराज्य बना।
जन्म से मनुष्य शुद्र, संस्कार से द्विज (ब्रह्मण), वेद के पठान-पाठन से विप्र और जो ब्रह्म को जनता है वो ब्राह्मण कहलाता है |
यह चुंबकीय दिक्सूचक साधारण यंत्र की अपेक्षा अधिक जटिल एवं यथार्थ होता है। इस यंत्र के पाँच मुख्य भाग होते हैं : पत्रक, चुंबकीय सुइयाँ, रत्नित टोपी (jewelled cap), कीलक (द्रत्ध्दृद्य) तथा कटोरा। पत्रक के केंद्र पर रत्नित टोपी संलग्न रहती है तथा पत्रक के नीचे विभिन्न चुंबकीय सुइयाँ संलग्न रहती है। पत्रक और सुइयों की यह संपूर्ण व्यवस्था, कटोरे के अंदर एक केंद्रीय कीलक पर आरोपि इस प्रकार संतुलित रहती है कि चाहे पोत की स्थिति में कितना भी परिवर्तन हो जाए, दिक्सूचक पत्रक सदैव क्षैतिज अवस्था में रहता है।
आर्यों का कई शाखाए ईरान (तथा अन्य देशों तथा क्षेत्रों) में आई। इनमें से कुछ मिदि, कुछ पार्थियन, कुछ फारसी, कुछ सोगदी तो कुछ अन्य नामों से जाने गए। मीदी तथा फारसियों का ज़िक्र असीरियाई स्रोतों में 836 ईसापूर्व के आसपास मिलता है। लगभग यही समय जरथुस्ट्र (ज़रदोश्त या ज़ोरोएस्टर के नाम से भी प्रसिद्ध) का काल माना जाता है। हालांकि कई लोगों तथा ईरानी लोककथाओं के अनुसार ज़रदोश्त बस एक मिथक था कोई वास्तविक आदमी नहीं। पर चाहे जो हो उसी समय के आसपास उसके धर्म का प्रचार उस पूरे प्रदेश में हुआ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥
[ edit ] Bibliography [ संपादित करें ] ग्रंथ सूची [ edit ] Notes [ संपादित करें ] नोट्स
विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेम्बली में तत्कालीन विदेश मंत्री श्री नरसिंह राव जी हिंदी में बोले ।
स्कॉटिश सरकार और संसद को किसी भी मामले में व्यापक अधिकार हैं जो की विशेष रूप से UK की संसद के लिए 'आरक्षित' नहीं है, इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, स्कॉट्स कानून और स्थानीय सरकार शामिल हैं.[४३]2007 के चुनावों में अपनी जीत के बाद, समर्थक स्वतंत्रता SNP ने अल्पमत सरकार का गठन किया जिसके नेता थे, एलेक्स सैल्मोंड, जो स्कॉट्लैंड के पहले मंत्री बने.[४४]
जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा
मैदान में जहा इस समय यमुना का प्रवाह है, वहा वह सदा से प्रवाहित नहीं होती रही है। पौराणिक अनुश्रुतियों और ऐतिहासिक उल्लेखों से ज्ञात होता है, यद्यपि यमुना पिछले हजारों वर्षो से विधमान है, तथापि इसका प्रवाह समय समय पर परिवर्तित होता रहा है। अपने सुधीर्ध जीवन काल में इसने जितने स्थान वदले है, उनमें से बहुत कम की ही जानकारी हो सकी है।
कलिंग युद्ध ने अशोक के हृदय में महान परिवर्तन कर दिया । उसका हृदय मानवता के प्रति दया और करुणा से उद्वेलित हो गया । उसने युद्ध क्रियाओं को सदा के लिए बन्द कर देने की प्रतिज्ञा की । यहाँ से आध्यात्मिक और धम्म विजय का युग शुरू हुआ । उसने बौद्ध धर्म को अपना धर्म स्वीकार किया ।
गेंद (ball) एक सख्त चमड़े का गोला होती है जिसकी परिधि गेंद की कठोरता जिसे से अधिक स्पीड से डिलीवर किया जा सकता है, वो एक विचारणीय मुद्दा है, और बल्लेबाज सुरक्षात्मक कपड़े पहनता है जिसमें शामिल है पेड (pads) (जो घुटनों और पाँव के आगे वाले भाग की रक्षा के लिए पहने जाते हैं), बल्लेबाजी के दस्ताने (batting gloves) हाथों के लिए, हेलमेट (helmet) सर के लिए और एक बॉक्स (box) जो पतलून के अन्दर पहना जाता है और क्रोच (crotch) क्षेत्र को सुरक्षित करता है.कुछ बल्लेबाज अपनी शर्ट और पतलून के अन्दर अतिरिक्त पेडिंग पहनते हैं जैसे थाई पेड, आर्म पेड, रिब संरक्षक और कंधे के पैड
आनंद भवन के बगल में स्थित इस प्लेनेटेरियम में खगोलीय और वैज्ञानिक जानकारी हासिल करने के लिए जाया जा सकता है।
उपनिवेश-पूर्व अफ़्रीकी साहित्य देखें तो पश्चिम अफ़्रीका के मौखिक साहित्य में मध्यकालीन माली में रचित सुनडिआटा का महाकाव्य और पुराने घाना साम्राज्य में विकसित डिंगा का पुराना महाकाव्य प्रमुख हैं। इथोपिया में, मौलिक रूप से गे'इज लिपि में लिखा हुआ केब्रा नेगास्ट अथवा राजाओं की पुस्तक महत्वपूर्ण साहित्यिक ग्रंथ है। पारंपरिक अफ़्रीकी लोककथा का एक लोकप्रिय रूप "चतुर चरित्र" कथाएँ है, जहाँ एक छोटा जानवर अपनी समझ का प्रयोग बड़े जन्तुओं के साथ मुठभेड़ में बचने के लिए करता है। घाना की अशांती जाति की एक लोककथा में अनांसी नामक एक मकड़ी, नाइजीरिया की योरुबा लोककथा में इजापा नाम का एक कछुआ तथा केन्द्रीय-पूर्वी अफ़्रीकी लोककथा में सुन्गुरा नाम का एक खरगोश इस प्रकार की कथाओं के नायक हैं। लिखित साहित्य में उत्तर अफ़्रीका, पश्चिम अफ़्रीका के साहेल क्षेत्र और स्वाहिली समुद्रतट पर प्रचुर साहित्य मिलता है। केवल टिम्बकटू में ही, ३००,००० से भी अधिक पांडुलिपियाँ विभिन्न पुस्तकालयों और निजी संकलनों में संग्रहीत हैं, जिनमें से अधिकांश अरबी में हैं, परंतु कुछ मूल भाषाओं पियूल और सोन्घाई में भी लिखी गई हैं। इनमें से अधिकतर प्रसिद्ध टिम्बकटू विश्वविद्यालय में लिखी गई थीं। इनकी विषय वस्तु में विभिन्नता हैं। प्रमुख विषयों में खगोलशास्त्र, कविता, विधि, इतिहास, विश्वास, राजनीति, और दर्शन है। स्वाहिली साहित्य सामान्य रूप से, इस्लामी शिक्षा से प्रेरित परंतु स्थानीय परिस्थियों के अन्तर्गत विकसित किया गया था। स्वाहिली साहित्य के सबसे ख्यातिप्राप्त और आरंभिक लेखनों में से एक उटेण्डी वा टम्बूका अथवा "टम्बूका की कहानी" का नाम लिया जा सकता है। इस्लामी काल में, उत्तर अफ़्रीकियों के प्रतिनिधि साहित्यकार इब्न खल्दून ने अरबी साहित्य में बहुत प्रसिद्धि अर्जित की थी। मध्यकालीन उत्तर अफ़्रीका में विश्वविद्यालय फ़ेज़ और काहिरा में, साहित्य की विपुल मात्राएँ होने के प्रमाण मिलते हैं। अफ्रीका के औपनिवेशिक साहित्य की ओर दृष्टिपात करें तो अधिकतर साहित्य इस बात का प्रतीक है कि किस तरह पराधीनता के शोषण से बाहर निकलने के लिए वहाँ के रचनाकारों ने विद्रोह किया।[३१] अश्वेत अफ्रीका की परंपरा, संस्कृति और धार्मिक विश्वास में युगों-युगों से रचे-बसे मिथकों की काव्यात्मकता और उनकी नई रचनात्मक सम्भावनाओं को प्रकट करने वाले आधुनिक कवियों में वोले शोयिंका का नाम उल्लेखनीय है।[३२]
गुरु गोरखनाथ जी के नाम से ही नेपाल के गोरखाओं ने नाम पाया। नेपाल में एक जिला है गोरखा, उस जिले का नाम गोरखा भी इन्ही के नाम से पड़ा। माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ सबसे पहले यही दिखे थें। गोरखा जिला में एक गुफा है जहाँ गोरखनाथ का पग चिन्ह है और उनकी एक मुर्ती भी है। यहाँ हर साल वैशाख पुर्णिमा को एक उत्सव मनाया जाता है जिसे रोट महोत्सव कहते है और यहाँ मेला भी लगता है।
दिसंबर 1954 में, जॉइंट सर्विसेस विंग खडकवासला के एक सम्पूर्ण नवीन परिसर में स्थानांतरित हो गया और इसके साथ इसका नाम, निर्माण चिह्न और कमांडेंट भी गया. इंडियन मिलिटरी ऐकडमी (तब मिलिटरी कॉलेज नाम दिया गया) अपनी असली पहचान और भूमिका को फिर से प्राप्त किया. ब्रिगेडियर आप्जी रणधीर सिंह ने कमांडेंट का पदभार संभाला. 1956 के अंत में, इंडियन मिलिटरी ऐकडमी की कमान सैंडहर्स्ट-प्रशिक्षित अधिकारियों के हाथों से IMA-प्रशिक्षित अधिकारियों के हाथों में आ गई, जब ब्रिगेडियर एम. एम. खन्ना, MVC ने ब्रिगेडियर आप्जी रणधीर सिंह का पदभार संभाला. 10 दिसंबर 1957 को मिलिटरी कॉलेज ने अपनी रजत जयंती मनाई जहां बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित दिग्गजों ने भाग लिया.
रेफरी खिलाड़ी या किसी खिलाड़ी के बदले में आए खिलाड़ी को रेफरी दंड के रूप में उसके दुर्व्यवहार (misconduct) के लिए (पीला कार्ड (yellow card)) या मैदान के बाहर भेज सकता है (लाल कार्ड (red card))एक ही खेल में दूसरी बार पीला कार्ड मिलने का अर्थ है रेड/लाल कार्ड का मिलना और उसके बाद मैदान से बाहर.यदि एक खिलाड़ी को बाहर निकाल दिया जाता है तो उसके स्थान में कोई दूसरा खिलाड़ी नही आ सकता है.दुर्व्यवहार कभी भी हो सकता है, और जब अपराधों में दुर्व्यवहार का गठन हुआ है और सूचीबद्ध है,इसकी परिभाषा बहुत व्यापक है.विशेष रूप से "ख़राब व्यवहार" जैसा अपराध अधिकतर मैचों में दिखलाई देती है जो खेल की भावना का उल्लंघन करती है, भले ही वे विशिष्ट अपराध के रूप में सूचीबद्ध नही है.किसी खिलाड़ी, किसी खिलाड़ी के बदले में आए खिलाड़ी या वैकल्पिक खिलाड़ी के बदले आए खिलाड़ी को रेफरी येल्लो/पीला कार्ड या रेड/लाल कार्ड दिखा सकता है.गैर खिलाड़ी जैसे प्रबंधक और सहायक कर्मचारी को येल्लो/पीला या रेड/लाल कार्ड नहीं दिखाया जा सकता लेकिन यदि वे एक जिम्मेदार ढंग से स्वयं को संचालित करने में असफल रहे तो उन्हें तकनीकी क्षेत्र से निष्कासित किया जा सकता है.[१]
 यह विश्वविद्यालय से सम्बन्धित लेख अपनी प्रारम्भिक अवस्था में है, यानि कि एक आधार है। आप इसे बढ़ाकर विकिपीडिया की सहायता कर सकते है।
एतिहासिक रूप से यह माना जाता है की उत्तराखण्ड वह भूमि है जहाँ पर शास्त्रों और वेदों की रचना की गई थी और महाकाव्य, महाभारत लिखा गया था। ऋषिकेश को व्यापक रूप से विश्व की योग राजधानी माना जाता है।
भारत के बंगाल प्रांत के निवासियों को बंगाली कहते हैं। भारत के साहित्यिक सांस्कृतिक व साहित्यिक विकास में बंगाल प्रांत के निवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1947 में भारत विभाजन के पश्चात जब बंगाल का विभाजन हुआ तब पूर्वी बंगाल पाकिस्तान का अंग बन गया लेकिन जब यह भूभाग स्वतंत्र बांगला देश बना तब इसके निवासियों को भी बंगाली या बांगलादेशी कहा जाने लगा।
एक सिटी मेयर के सर्वेक्षण में दुबई को दुनिया के बेहतरीन वित्तीय शहरों में 44 वें स्थान पर रखा गया था [६३] और सिटी मेयर की दूसरी रिपोर्ट में संकेत दिया गया था कि खरीद की क्षमता में दुबई दुनिया के सबसे अमीर शहरों में 33 वें स्थान पर था .[६४] दुबई एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र भी है और मास्टरकार्ड वर्ल्डवाइड सेंटर्स ऑफ़ कॉमर्स इंडेक्स (Mastercard Worldwide Centers of Commerce Index) (2007)[६५] के सवेक्षण में शीर्ष 50 वैश्विक वित्तीय शहरों में 37 वें और मध्य पूर्व में पहले स्थान पर था .
विवाह दो आत्माओं का पवित्र बन्धन है । दो प्राणी अपने अलग-अलग अस्तित्वों को समाप्त कर एक सम्मिलित इकाई का निर्माण करते हैं । स्त्री और पुरुष दोनों में परमात्मा ने कुछ विशेषताएँ और कुछ अपूणर्ताएँ दे रखी हैं । विवाह सम्मिलन से एक-दूसरे की अपूर्णताओं की अपनी विशेषताओं से पूर्ण करते हैं, इससे समग्र व्यक्तित्व का निर्माण होता है । इसलिए विवाह को सामान्यतया मानव जीवन की एक आवश्यकता माना गया है । एक-दूसरे को अपनी योग्यताओं और भावनाओं का लाभ पहुँचाते हुए गाड़ी में लगे हुए दो पहियों की तरह प्रगति-पथ पर अग्रसर होते जाना विवाह का उद्देश्य है । वासना का दाम्पत्य-जीवन में अत्यन्त तुच्छ और गौण स्थान है, प्रधानतः दो आत्माओं के मिलने से उत्पन्न होने वाली उस महती शक्ति का निमार्ण करना है, जो दोनों के लौकिक एवं आध्यात्मिक जीवन के विकास में सहायक सिद्ध हो सके ।
27 योगों में से कुल 9 योगों को अशुभ माना जाता है तथा सभी प्रकार के शुभ कामों में इनसे बचने की सलाह दी गई है। ये अशुभ योग हैं: विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतीपात, परिघ और वैधृति।
नवीन पटनायक भारत कि राजनीति की एक जानेमाने व्यक्तित्व है | वे संप्रति ओड़िशा राज्य के मुख्यमंत्री हैं | बिजु जनता दल, जो कि ओडिशा कि एक आंचलिक राजनैतिक दल है बे उसके सभापति भी है और उनके द्वारा हि संगठित दल है |
फैटी अम्ल एक खाद्य पूरक है।
कंपनी वित्त वर्ष 2002-03 के दौरान 3120 करोड़ रुपए की कुल बिक्री एवं 103.89 करोड़ रूपए के निर्यात प्राप्त करके नए शिखर पर पहुँच गयी है।
नागा पर्वत, पाकिस्तान
निर्वाणोपनिषद ॠग्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है
ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना ३१ दिसम्बर १६०० ईस्वी में हुई थी । इसे यदाकदा जॉन कंपनी के नाम से भी जाना जाता था । इसे ब्रिटेन की महारानी ने भारत के साथ व्यापार करने के लिये २१ सालो तक की छूट दे दी । बाद में कम्पनी ने भारत के लगभग सभी क्षेत्रों पर अपना सैनिक तथा प्रशासनिक अधिपत्य जमा लिया । 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम यानी सिपाही विद्रोह के बाद सन 1858 में इसका विलय हो गया ।
मेरठ की भौगोलिक स्थिति 28.98° N 77.7° E[११] यहां की औसत ऊंचाई 219 मीटर (718 फीट) है|
ये स्वर आधुनिक हिन्दी (खड़ीबोली) के लिये दिये गये हैं। संस्कृत में इनके उच्चारण थोड़े अलग होते हैं।
19. खाकाशिया
परस्पर वीरोधी, मिलकत या संपदा का अधिकार मूल अधिकार रहा । कई साल तक शिक्षा का मूल अधिकार न होकर नीति के निदेशक के कारण भ्रष्टाचार में वृद्धि होती रही ओर गरीब, गरीब होते रहें ।
ईस्ट इंडिया कम्पनी ने हरिहरपुर एवं बालेश्वर में व्यापार केन्द्र बनाये।
1515–1650  Muscat
एस. टी. डी (STD) कोड ०५७२२-
कविता जीवन के पहेलियों पर प्रकाश डालती है। सुभाष काक की शैली सरल है पर इस सरलता के भीतर विचारों की जटिलता छिपी हुई है। वह प्रकृतिवाद के समर्थक हैं। प्रकृति के माध्यम से वह जटिल मानव भाव प्रस्तुत करते हैं। विख्यात विद्वान और आलोचक गोविन्द चन्द्र पाण्डे ने उनकी कविता की अंग्रेजी के विलियम वर्ड्सवर्थ (William Wordsworth) की रचनाओं से तुलना की है। पाण्डेजी लिखते हैं --
कैंसर सभी उम्र के लोगों को, यहाँ तक कि भ्रूण को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन अधिकांश किस्मों का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है. [१] कैंसर कुल मानव मौतों में से 13% का कारण है. [२]अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, 2007 के दौरान पुरे विश्व में 7.6 मिलियन लोगों की मृत्यु कैंसर के कारण हुई. [३] कैंसर सभी जानवरों को प्रभावित कर सकता है.
१३) देवनागरी एवं संस्कृत ही दो मात्र साधन हैं जो क्रमश: अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं। इसके अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएँ ग्रहण करने में सहायता मिलती है।
जालीनूस ने जो एक प्रकार से यूनानी परंपरा का अंतिम विद्वान् चिकित्सक था, अनेक बड़े बड़े ग्रंथ चिकित्सा शास्त्र पर लिखे। उसके ग्रंथ सारे ग्रीक वैद्यक के विश्वकोश हैं। पश्चिमी काल के पूर्ववर्ती युग (700 ई से 1,200 ई.) में अरबों ने चिकित्सा विज्ञान का दीपक प्रज्वलित किया और शल्यचिकित्सा में भी प्रशंसनीय उन्नति की, जिसका प्रभाव स्पेन तक था। इसी ज्ञान को आधार मानकर आधुनिक शल्यचिकित्सा आज पराकाष्ठा पर पहुँच रही है। अबुल कासिम जहरावी का प्रसिद्ध ग्रंथ, अत्तसरीफ, यूरोप में शल्यतंत्र की उन्नति की आधारभूत नींव है। आधुनिक शल्यचिकित्सा की अद्भुत उन्नति की प्रधान कारण उत्तम चेतनाहर एवं संवेदनाहर ओषधियों (anaesthetics) तथा विश्वसनीय रक्तस्तंभक द्रव्य (haemostatics), पूतिरोधी एवं प्रतिजैविक पदार्थ की सुलभता है, जिनकी सुविधा विक्त युगों में प्राय: नहीं सी थी। अतएव विचारकों के लिए यह एक नितांत जिज्ञासापूर्ण विषय बना रहा कि इन साधनों के अभाव में प्राचीन लोग गंभीर स्वरूप के शल्यकर्म (operation) कैसे करते थे।
कुछ राज्यों में जनसंघ और कम्यूनिस्ट पार्टियों ने अपने पांव गाड़ दिए। उनके मन में केवल यही भावना थी कि हम भारत की संतान हैं और भारत माता के लिए 20वीं शताब्दी के लिए समर्पित हैं।
• तरुण मजूमदार
उन्नीसवीं शताब्दी एक ईसवीं शताब्दी है।
सेवानिवृत (आयु ६५+)
सोनाली बेंद्रे (जन्म: 1 जनवरी, 1975) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं।
यहाँ श्री अवनींद्रनाथ ठाकुर (1871-1951) का भी उल्लेख कर देना चाहिए। उन्होंने कितनी ही पुस्तकें बालकों की दृष्टि से लिखीं और उनकी चित्रसज्जा स्वयं प्रस्तुत की। ये पुस्तकें कल्पनात्मक साहित्य के अन्य प्रेमियों के लिए भी अत्यंत रोचक हैं। उन्होंने कुछ छोटे-छोटे नाटक भी लिखे और कला पर कुछ गंभीर निबंध भी प्रकाशित किए। इसी तरह योगी अरविंद घोष का भी नाम यहाँ लिया जाना चाहिए जिनकी महत्वपूर्ण रचनाओं से बँगला साहित्य की श्रीवृद्धि में सहायता मिली।
बड़ी ज्ञ्रे महासागरों मैं अल्पकालिक प्लास्टिक के मलबे को फासा लेते हैं (plastic debris).उदाहरण के लिए (North Pacific Gyre)उत्तरी प्रशांत ज्ञ्रे ने ग्रेट प्रशांत कचरा पैच को इख्त्ता कर लिया है ,जो अभी टैक्सस के १०० गुणों के (Great Pacific Garbage Patch)आकार का हो गया है इनमें से कई लंबे समय से तुकडोए हवा के कारन समुद्री पक्षियों और जानवरों के पेट मैं आ जाते है . इस के परिणाम से पाचन के रास्ते में रूकावट अति हैं जिसे भूख कम और भुखमरी भी हो सकती है
मनुष्य के चार पुरुषार्थ हैं : धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष वा ब्रह्मानंद। पहले तीन आश्रमों में अधिकतर धर्म-अर्थ-काम, और चौथे में विशेष रूप से मोक्ष को साधना चाहिए।
रंती-ड्योढी (मधुबनी) के स्वर्गीय चंद्रधारी सिंह द्वारा दान किए गए कलात्मक एवं अमूल्य दुर्लभ सामग्रियों को शहर के मानसरोवर झील किनारे 7 दिसंबर 1957 को स्थापित एक संग्रहालय में रखा गया है। इस संग्रहालय को सन 1974 में दोमंजिले भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया जहाँ संग्रहित वस्तुओं को ११ कक्षों में रखा गया है। सितंबर 1977 में दरभंगा के तत्कालिन जिलाधिकारी द्वारा महाराजा लक्ष्मिश्वर सिंह संग्रहालय की स्थापना की गयी। दरभंगा महाराज के वंशज श्री शुभेश्वर सिंह द्वारा दान की गयी दुर्लभ कलाकृतियाँ एवं राज से संबधित वस्तुएँ यहाँ संग्रहित है। दरभंगा राज की अमूल्य एवं दुर्लभ वस्तुएं तथा सोने, चाँदी एवं हाथी दाँत के बने हथियारों आदि को आठ कक्षों में सजाकर रखा गया है। सोमवार छोडकर सप्ताह में प्रत्येक दिन खुलनेवाले दोनों संग्रहालयों में प्रवेश नि:शुल्क है।
साँचा:मार्च कैलंडर२०१० 11 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 70वॉ (लीप वर्ष मे 71 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 295 दिन बाकी है।
प्रकाश-संश्लेषण की अंधेरी प्रक्रिया में जिन पौधों में पहला स्थाई यौगिक फास्फोग्लिसरिक अम्ल बनता है उन्हें C3 पौधा कहते हैं। फास्फोग्लिसरिक अम्ल एक ३ कार्बन वाला योगिक है इसलिए इन पौधों का ऐसा नामकरण है। जिन पौधों में पहला स्थाई यौगिक ४ कार्बन वाला यौगिक बनता है उनको C4 पौधा कहते हैं। साधारणतः ४ कार्बन वाला यौगिक ओक्सैलोएसिटिक अम्ल (ओएए) बनता है। पहले ऐसा विश्वास किया जाता था कि प्रकाश-संश्लेषण में कार्बनडाइऑक्साइड के स्थिरीकरण या यौगिकीकरण के समय केवल C3 या केल्विन चक्र ही होता था अर्थात पहला स्थाई यौगिक फास्फोग्लिसरिक अम्ल ही बनता है। लेकिन १९६६ में हैच एवं स्लैक ने बताया कि कार्बनडाइऑक्साइड के स्थिरीकरण का एक दूसरा पथ भी है। उन्होंने गन्ना, मक्का, अमेरेन्थस आदि पौधों में अध्ययन कर बताया कि फोस्फोइनोल पाइरूविक अम्ल जो कि ३ कार्बन विशिष्ठ यौगिक है कार्बनडाइऑक्साइड से संयुक्त होकर ४ कार्बन विशिष्ठ यौगिक ओक्सैलोएसिटिक अम्ल बनाता है। इस क्रिया में फोस्फोइनोल पाइरूवेट कार्बोक्सिलेज इन्जाइम उत्प्रेरक का कार्य करता है।
विसम बहुभुजों (irregular polygons) का क्षेत्रफल सर्वेयर के सूत्र से निकाला जा सकता है।[१]
होली भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है जो होली, होलिका या होलाका[४] नाम से मनाया जाता था। वसंत की ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव और काम-महोत्सव भी कहा गया है।
एक दिन जब चित्रसेन अर्जुन को संगीत और नृत्य की शिक्षा दे रहे थे, वहाँ पर इन्द्र की अप्सरा उर्वशी आई और अर्जुन पर मोहित हो गई। अवसर पाकर उर्वशी ने अर्जुन से कहा, “हे अर्जुन! आपको देखकर मेरी काम-वासना जागृत हो गई है, अतः आप कृपया मेरे साथ विहार करके मेरी काम-वासना को शांत करें।” उर्वशी के वचन सुनकर अर्जुन बोले, “हे देवि! हमारे पूर्वज ने आपसे विवाह करके हमारे वंश का गौरव बढ़ाया था अतः पुरु वंश की जननी होने के नाते आप हमारी माता के तुल्य हैं। देवि! मैं आपको प्रणाम करता हूँ।” अर्जुन की बातों से उर्वशी के मन में बड़ा क्षोभ उत्पन्न हुआ और उसने अर्जुन से कहा, “तुमने नपुंसकों जैसे वचन कहे हैं, अतः मैं तुम्हें शाप देती हूँ कि तुम एक वर्ष तक पुंसत्वहीन रहोगे।” इतना कहकर उर्वशी वहाँ से चली गई।
वैसे तो भारत का राष्‍ट्रपति संसद का अंग होता है। फिर भी वह दोनों में से किसी भी सदन में न बैठता है न ही उसकी चर्चाओं मेंभाग लेता है। राष्‍ट्रपति समय समय पर संसद के दोनों सदनों को बैठक के लिए आमंत्रित करता है। दोनों सदनों द्वारा पास किया गया कोई विधेयक तभी कानून बन सकता है जब राष्‍ट्रपति उस पर अपनी अनुमति प्रदान कर दे। इतना ही नहीं, जब संसद के दोनों सदनों का अधिवेशन न चल रहा हो और राष्‍ट्रपति को महसूस हो कि इन परिस्‍थितियों में तुरंत कार्यवाही जरूरी है तो वह अध्‍यादेश जारी कर सकता है। इस अध्‍यादेश की शक्‍ति एवं प्रभाव पही होता है जो संसद द्वारा पास की गई विधि का होता है।
इसके अतिरिक्त, टोक्यो का लंदन, संयुक्त राजशाही के साथ एक "भागीदारी" समझौता भी है।[३]
इस प्रकार जब सभी नवें अक्षर या मात्राएँ जोड़े जाएँगे तो श्री राम चरित मानस की कोई एक चौपाई पूरी हो जाएगी जिसमें अभीष्ट प्रश्न का उत्तर निहित है जिनकी व्याख्याएँ निम्नलिखित प्रकार से हैं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत का एक राजनैतिक दल है। इस दल की स्थापना १८८५ में हुई थी। श्री ए ओ ह्यूम नें इस दल की स्थापना की थी। इस दल की वर्तमान नेता श्रीमती सोनिया गांधी है। यह दल कांग्रेस संदेश का प्रकाशन करता है। इस दल का युवा संगठन, भारतीय युवा कांग्रेस है। २००४ के संसदीय चुनाव में इस दल को १०३ ४०५ २७२ मत (२६.७%, १४५ सीटें) मिले थे।
१९८४ के चुनावों से लोगों - खासकर राजनेताओं - को ये सीख मिली कि मुस्लिम वोट एक बड़ी कुञ्जी है । प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के जम्मू दौरों के बाद फ़ारुख़ अब्दुल्ला तथा उनके नए साथी मौलवी मोहम्मद फ़ारुख़ (मीरवाइज़ उमर फ़ारुख़ के पिता) ने कश्मीर में खुद को मुस्लिम नेता बताने की छवि बनाई । मार्च 1987 में स्थिति यहाँ तक आ गई कि श्रीनगर में हुई एक रैली में मुस्लिम युनाईटेड फ़्रंट ने ये घोषणा की कि कश्मीर की मुस्लिम पहचान एक धर्मनिरपेक्ष देश में बची नहीं रह सकती । इधर जम्मू के लोगों ने भी एक क्षेत्रवाद को धार्मिक रूप देने का काम आरंभ किया । इसके बाद से राज्य में इस्लामिक जिहाद तथा साम्प्रदायिक हिंसा में कई लोग मारे जा चुके हैं ।
१) संस्कृत, विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक (वेद) की भाषा है। इसलिये इसे विश्व की प्रथम भाषा मानने में कहीं किसी संशय की संभावना नहीं है।
Titan - Ti
बिन्दुसार के समय में भारत का पश्‍चिम एशिया से व्यापारिक सम्बन्ध अच्छा था । बिन्दुसार के दरबार में सीरिया के राजा एंतियोकस ने डायमाइकस नामक राजदूत भेजा था । मिस्र के राजा टॉलेमी के काल में डाइनोसियस नामक राजदूत मौर्य दरबार में बिन्दुसार की राज्यसभा में आया था ।
शीतकाल: ६ डिग्री से- १६.६ डिग्री से
विशिष्टाद्वैत में ज्ञान की अपेक्षा भक्ति को प्रधान माना गया है। भक्ति के माध्यम से नारायण का सान्निध्य प्राप्त होता है।
रूस का एक प्रदेश (края ,क्राइ)।
सन २०१० में ३ अक्टूबर से १४ अक्टूबर के मध्य आयोजित किए जाने वाले राष्ट्रमंडल खेलों की कुछ खेल स्पर्धाओं के अलावा इन खेलों के उद्घाटन और समापन समारोह भी इसी स्टेडियम में किए गए। इन खेलों के लिए इस स्टेडियम का पुनर्निर्माण किया गया है। जिसमें भ्रष्टाचार के होने की बात बतायी गई है। [२][३][४][५][६]
हरगोविंद खुराना (जन्म: ९ जनवरी १९२२) नोबल पुरस्कार सम्मानित भारतीय वैज्ञानिक हैं।
1973 में इस समुदाय में डेनमार्क, आयरलैंड एवं ब्रिटेन का पदार्पण हुआ।[१४]नार्वे भी इसी समय इसमें शामिल होना चाहता था लेकिन जनमत संग्रह के विपरित परिणामों के कारण उसे सदस्यता से वंचित रहना पड़ा। 1979 में पहली बार यूरोपीय संसद का गठन हुआ और इसमें लोकतांत्रिक पद्धति से सदस्य चुने गये।[१५]
2 राज्य अपना पृथक संविधान नही रख सकते है, केवल एक ही संविधान केन्द्र तथा राज्य दोनो पर लागू होता है
अक्टूबर १९६९ में दिल्ली के अंदर अवैतनिक मैजिस्ट्रो की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। वर्ष १९७२ में दिल्ली की न्यायिक व्यवस्था में न्यायाधीशों की पद संख्या इस प्रकार थीः-
मध्य-16 वीं शताब्दी और 17-वीं शताब्दी के अंत के बीच मुग़ल साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप में प्रमुख शक्ति थी.1526 में स्थापित, यह नाममात्र 1857 तक बचा रहा, जब वह ब्रिटिश राज द्वारा हटाया गया.यह राजवंश कभी कभी तिमुरिड राजवंश के नाम से जाना जाता है क्यूंकि उमेर तैमूर का वंशज था.
एक ही प्रकार की मोनोमर इकाइयों से बनने वाले बहुलक को होमोपॉलीमर कहते हैं। जैसे पॉलीस्टायरीन का एकमात्र मोनोमर स्टायरीन ही है।
वर्तमान उज्जैन नगर विंध्यपर्वतमाला के समीप और पवित्र तथा ऐतिहासिक क्षिप्रा नदी के किनारे समुद्र तल से 1678 फीट की ऊंचाई पर 23डिग्री.50' उत्तर देशांश और 75डिग्री .50' पूर्वी अक्षांश पर स्थित है। नगर का तापमान और वातावरण समशीतोष्ण है। यहां की भूमि उपजाऊ है। कालजयी कवि कालिदास और महान रचनाकार बाणभट्ट ने नगर की खूबसूरती को जादुई निरूपति किया है। कालिदास ने लिखा है कि दुनिया के सारे रत्न उज्जैन में हैं और समुद्रों के पास सिर्फ उनका जल बचा है। उज्जैन नगर और अंचल की प्रमुख बोली मीठी मालवी बोली है। हिंदी भी प्रयोग में है।
समाप्तवचने तस्मिन्नर्थशास्त्र विशारदः।
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मनोरंजन
Coppermine Chuquicamata, Chile
मगध बुद्धकालीन समय में एक शक्‍तिशाली राजतन्त्रों में एक था । यह दक्षिणी बिहार में स्थित था जो कालान्तर में उत्तर भारत का सर्वाधिक शक्‍तिशाली महाजनपद बन गया । यह गौरवमयी इतिहास और राजनीतिक एवं धार्मिकता का विश्‍व केन्द्र बन गया ।
इज़रायल राष्ट्र (इब्रानी: מְדִינַת יִשְׂרָאֵל सहायता·सूचना, मेदिनत यिसरा'एल; دَوْلَةْ إِسْرَائِيل, दौलत इसरा'ईल) एक दक्षिणपश्चिम एशिया में स्थित एक देश है । यह दक्षिणपूर्व भूमध्य सागर के पूर्वी छोर पर स्थित है । इसके उत्तर में लेबनॉन है, पूर्व में सीरिया और जॉर्डन है, और दक्षिनपश्चिम में मिस्र है ।
प्रबोधन के बाद पूर्णाहुति आदि शेष कृत्य पूरे किये जाएँ । विसर्जन के पूर्व आचार्य, शिशु एवं अभिभावकों को पुष्प, अक्षत, तिलक सहित आशीर्वाद दें, फिर सभी मंगल मन्त्रों के साथ अक्षत, पुष्प वृष्टि करके आशीर्वाद दें ।
१ . अलसस
लैकोनियन जनसंख्या में स्पार्टन्स (स्पार्ती)अल्पसंख्यक थे. निवासियों का सबसे बड़ा वर्ग हेलोट्स था (क्लासिकल ग्रीक में [52] / हेलोट्स (Heílôtes)).
तब याज्ञवल्क्य ने कहा- गार्गी! अब इससे आगे मत पूछो। इसके बाद महर्षि याज्ञवक्ल्यजी ने यथार्थ सुख वेदान्ततत्त्‍‌व समझाया, जिसे सुनकर गार्गी परम सन्तुष्ट हुई और सब ऋषियों से बोली-भगवन्! याज्ञवल्क्य यथार्थ में सच्चे ब्रह्मज्ञानी हैं। गौएँ ले जाने का जो उन्होंने साहस किया वह उचित ही था। गार्गी परम विदुषी थीं, वे आजन्म ब्रह्मचारिणी रहीं!
पौराणिक-महाकाव्य युग की महान विभूति, महाभारत, अट्ठारह पुराण, श्रीमद्भागवत, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा जैसे अद्वितीय साहित्य-दर्शन के प्रणेता वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग ३००० ई. पूर्व में हुआ था। वेदांत दर्शन, अद्वैतवाद के संस्थापक वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे। पत्नी आरुणी से उत्पन्न इनके पुत्र थे महान बाल योगी शुकदेव। श्रीमद्भागवत गीता विश्व के सबसे बड़े महाकाव्य 'महाभारत' का ही अंश है। रामनगर के किले में और व्यास नगर में वेदव्यास का मंदिर है जहॉ माघ में प्रत्येक सोमवार मेला लगता है। गुरु पूर्णिमा का प्रसिद्ध पर्व व्यास जी की जयन्ती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
(१ जनवरी २००७ से ३१ दिसंबर २००८ तक)बेल्जियम, इंडोनेशिया, इटली, पनामा, दक्षिण अफ्रिका(१ जनवरी २००८ से ३१ दिसंबर २००९ तक)बुरकीना फ़ासो, कोस्टा रीका, क्रोएशिया, लीबिया, वियतनाम
नया यमुना सेतु
भारतीय चुनाव
जनवरी 2007 में 62 हिंदी भाषियों विशेषकर बिहारी मजदूरों की हत्या
जैमिनि जनमेजय के सर्पयज्ञ में 'ब्रह्मा' बनाए गए थे (महाभारत, आदिपर्व 53।6)। युधिष्ठिर की सभा में ये विद्यमान थे (महाभारत, सभापर्व, 4।11) और शरशय्‌या पर पड़े हुए भीष्मपितामह को देखने गए थे (महाभारत, शांतिपूर्व 47।6)। पुराणों में लिखा है कि जैमिनि 'वज्रवारक' थे (शब्द कल्पद्रुम, पo 345 बंगला संस्करण)
समस्त भूमण्डल पचास करोड़ योजन विस्तार वाला है। इसकी ऊंचाई सत्तर सहस्र योजन है। इसके नीचे सात पाताल नगरियां हैं। अतल उनमें से दूसरा है।
२३.
गीतगोविंद के रचयिता जयदेव बंगाल के हिंदू राजा लक्ष्मण सेन (लगभग 1180 ई.) के शासनकाल में विद्यमान थे। राधा और कृष्ण के प्रेम का वर्णन करनेवाले इस सुंदर काव्य में 24 गीत हैं जो अतुकांत न होकर, सबके सब तुकांत हैं। संस्कृत में प्राय: तुकांत नहीं मिलता। यह तो अपभ्रंश या नवोदित भारतीय-आर्य भाषाओं की विशेषता है। कुछ विद्वानों का मत है कि इन पदों की रचना मूलत: पुरानी बँगला में या अपभ्रंश में की गई थी और फिर उनमें थोड़ा परिवर्तन कर संस्कृत के अनुरूप बना दिया गया। इस तरह जयदेव पुरातन बंगाल के प्रसिद्ध कवि माने जा सकते हैं जिन्होंने संस्कृत के अतिरिक्त संभवत: पुरानी बँगला में भी रचना की। जो हो, बंगाल के कितने ही परगामी कवियों को उनसे प्रेरणा मिली, इसमें संदेह नहीं।
वैदिक मन्त्र छन्दोवद्ध हैं। छन्दों का ठीक ज्ञान बिना प्राप्त किये, वेद- मन्त्रों का शुद्ध उच्चारण नहीं हो सकता। अतः छन्दों की विस्तृत विवेचना आवश्यक समझी गई। शौनक मुनि के ऋक्प्रातिशाख्य में, शांखायन श्रौतसूत्र में तथा सामवेद से सम्बद्ध निदान सूत्र में इस शास्त्र का व्यवस्थित वर्णन है। किन्तु इस वेदांग का एकमात्र स्वतन्त्र ग्रन्थ पिंगलाचार्य-प्रणीत छन्द सूत्र है। इसमें वैदिक और लौकिक दोनों प्रकार के छन्दों का वर्णन है।
अपभ्रंश का अस्त तथा आधुनिक हिन्दी का विकास
विद्यासागर सेतु
अगर पकड़ कर गिराए जाने वाले व्यक्ति ने अपने पैरों को अपने प्रतिद्वंद्वी के शरीर के निचले भाग या धड़ के किसी हिस्से के इर्द-गिर्द लपेट लिया है तो वह भी अपने प्रतिद्वंद्वी को उतना ही गिराने की कोशिश कर रहा होता है जितनी कोशिश उसका प्रतिद्वंद्वी उसे गिराने के लिए कर रहा होता है क्योंकि उसका प्रतिद्वंद्वी तब तक खड़ा नहीं हो सकता है और आजाद नहीं हो सकता है जब तक नीचे उसके शरीर से लिपटा हुआ व्यक्ति उसे नहीं छोड़ता है. अपने प्रतिद्वंद्वी के इर्द-गिर्द अपने पैरों को लपेटे हुए उसे ऊपर से प्रभावी रूप से हमला करने में असमर्थ करने के लिए उस पर काबू करते समय नीचे वाला व्यक्ति अपने प्रतिद्वंद्वी पर विभिन्न आक्रमणकारी तकनीकों का इस्तेमाल कर सकता है जिसमें गला घोंटना, बाजुओं को उलझाना और "बॉडी सीज़र्स" (डो-जिमे ) अर्थात् 'शरीर पर दबाव डालकर सांस लेने में तकलीफ पैदा करना' शामिल है. इस हालत में, जिसे जापानी भाषा में "डो-ओसा " कहते हैं जिसका मतलब "ट्रंक होल्ड" अर्थात् 'धड़ पर दबाव बनाए रखना' है,[७] ऊपर वाला व्यक्ति ओसाकोमी कहलाने वाली इस स्थिति की वजह से अपने प्रतिद्वंद्वी पर पर्याप्त नियंत्रण नहीं रख पाता है. (ध्यान दें कि जबकि आमतौर पर गार्ड का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन जुडो प्रतियोगिता में डो-जिमे का इस्तेमाल करना अब वैध नहीं रह गया है.)[८] ऊपर वाला व्यक्ति अपने प्रतिद्वंद्वी के पैरों से बचकर निकलने की कोशिश कर सकता है और बदले में उसे नीचे गिराने या समर्पण करने पर मजबूर कर सकता है या वह अपने प्रतिद्वंद्वी के गार्ड को तोड़ने और खड़ा होने की कोशिश कर सकता है. नीचे वाला व्यक्ति अपने गार्ड वाली तकनीक की मदद से अपने प्रतिद्वंद्वी को समर्पण करने पर मजबूर करने की कोशिश कर सकता है या अपने प्रतिद्वंद्वी के ऊपर चढ़ने के लिए उसे लुढ़काने की कोशिश कर सकता है.
कोडक थियेटर
लखनऊ में देश के कई उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान भी हैं। इनमें से कुछ हैं: किंग जार्ज मेडिकल कालेज और बीरबल साहनी अनुसंधान संस्थान। यहां भारत के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की चार प्रमुख प्रयोगशालाएँ (केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, औद्योगिक विष विज्ञान अनुसंधान केन्द्र, राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान अनुसंधान संस्थान(एनबीआरआई) और केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान(सीमैप)) हैं।
मई से नवंबर तक यहां कि यात्रा की जा सकती है। हालांकि यात्रा बाकी समय में भी की जा सकती है लेकिन बर्फ गिरी होने के कारण से वाहन की यात्रा कम और पैदल यात्रा अधिक होती है। जनवरी व फरवरी के महीने में भी यहां की बर्फ की मजा लेने जाया जा सकता है।
चालुक्य नरेशों की पूर्ण उपाधि सत्याश्रय श्री पृथिवीवल्लभ महाराजाधिराज परमेश्वर भट्टारक थी। इसमें से परमेश्वर का सर्वप्रथम उपयोग हर्षवर्धन पर पुलकेशिन् द्वितीय की विजय के बाद हुआ और महाराजाधिराज तथा भट्टारक सर्वप्रथम विक्रमादित्य प्रथम के समय प्रयुक्त हुए। राजवंश के योग्य व्यक्तियों को राज्य में अधिकार के पदों पर नियुक्त किया जाता था। राज्य में रानियों का महतव भी नगण्य नहीं होता था। विजित प्रदेश के शासकों को विजेता की अधीनता स्वीकार कर लेने पर शासन पर अधिकार फिर से प्राप्त हो जाता था। अभिलेखों में सामंत और महत्तर के अतिरिक्त विषयपति, देशधिपति, महासांधिविग्रहिक, गामुंड, ग्रामभोगिक और करण के उल्लेख मिलते हैं। राज्य राष्ट्र, विषय, नाडु और ग्रामों में विभक्त था। राज्य के करों में निधि, उपनिधि, क्लृप्त, उद्रंग और उपरिकर के अतिरिक्त मारुंच, आदित्युंच, उचमन्न और मरुपन्न आदि स्थानीय करों के उल्लेख हैं। मकानों और उत्सवों पर भी कर था। व्यापारी संघ स्वयं अपने ऊपर भी कर लगाया करते थे। चालुक्यों को सेना संगठित और शाक्तिशाली थी। इसका उल्लेख युवानच्वाङ् ने किया है और इसका समर्थन चालुक्यों की विजयों से, विशेष रूप से हर्ष पर सिद्ध होता है। उसका कहना है कि पराजित सेनापति को कोई दंड नहीं दिया जाता, केवल उसे स्त्रियों के वस्त्र पहनने पड़ते हैं। चालुक्यों की नौसेना की शक्ति भी नगण्य नहीं थी।
Golghar
इस ज्योतिर्लिंग के विषय में पुराणों में यह कथा वर्णित है- दक्षिण देश में देवगिरिपर्वत के निकट सुधर्मा नामक एक अत्यंत तेजस्वी तपोनिष्ट ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम सुदेहा था दोनों में परस्पर बहुत प्रेम था। किसी प्रकार का कोई कष्ट उन्हें नहीं था। लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं थी।
यह मंदिर बसवनगुडी के समीप स्थित है। यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए भी विशेष रूप से जाना जाता है। यह मंदिर बंगलूरू के पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण केम्पोगोड़ा ने करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस मंदिर में एक प्राकृतिक गुफा है। मकर सक्रांति के दिन काफी संख्या में भक्तगण यहां एकत्रित होते हैं। यह मंदिर सुबह 7.30 बजे खुलता है और और दिन के 12 बजे तक खुला रहता है। इसके अलावा शाम 5 बजे से रात 8.30 बजे तक खुला रहता है।
निर्वाण स्थान
भारत में वर्तमान में ये केन्द्र शासित क्षेत्र हैं:
कैथी की उतपत्ति कायस्थ शब्द से हुई है जो कि उत्तर भारत का एक सामाजिक समूह है। कायस्थ समुदाय का पुराने रजवाड़ों एवं ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों से काफी नजदीक का रिश्ता रहा है। ये उनके यहाँ विभिन्न प्रकार के आँकड़ों का प्रबंधन एवं भंडारण करने के लिये नियुक्त किये जाते थे। कायस्थों द्वारा प्रयुक्त इस लिपि को बाद में कैथी के नाम से जाना जाने लगा। अभी भी बिहार समेत देश के उत्‍तर पूर्वी राज्‍यों में इस लिपि में लिखे हजारों अभिलेख हैं। समस्‍या तब होती है जब इन अभिलेखों से संबंधित कानूनी अडचनें आती हैं। दैनिक जागरण के पटना संस्‍करण में नौ सितंबर 2009 को पेज बीस पर बक्‍सर से छपी कंचन किशोर की एक खबर का संदर्भ लें तो इस लिपि के जानकार अब उस जिले में केवल दो लोग बचे हैं। दोनों काफी उम्रदराज हैं। ऐसे में निकट भविष्‍य में इस लिपि को जानने वाला शायद कोई न बचेगा और तक इस लिपि में लिखे भू'अभिलेखों का अनुवाद आज की प्रचलित लिपियों में करना कितना कठिन होगा इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। भाषा के जानकारों के अनुसार यही स्थिति सभी जगह है। ऐसे में जरूरत है इस लिपि के संरक्षण की।
वन से भाग कर बहेलिये के द्वारा खोये हुए गड्ढे में गिरा हुआ हाथी अपनी व्यथा किस से कहे ?
ऐफ़ पी सी सी आई टावर (मजोज़ा)
चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना १ अक्टूबर, १९४९ को हुई थी, जब साम्यवादियों ने गृहयुद्ध में कुओमिन्तांग पर जीत प्राप्त की। कुओमिन्तांग की हार के बाद वे लोग ताइवान या चीनी गणराज्य को चले गए और मुख्यभूमि चीन पर साम्यवादी दल ने साम्यवादी गणराज्य की स्थापना की। लेकिन चीन, ताईवान को अपना स्वायत्त क्षेत्र कहता है जबकि ताईवान का प्रशासन स्वयं को स्वतन्त्र राष्ट्र कहता है।
भारत में वन्य जीव संरक्षण हेतू राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्य जीव अभयारण्यों कि स्थापना की गई हैं । वर्तमान में देश में ८९ राष्ट्रीय उद्यान एवं ४९० वन्य जीव अभयारण्य हैं ।
मुसलिम युनाइटेड लिबरेशन टाइगर्स ऑफ असम (मुल्टा)
यहां और पूरे इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता (संस्कृत: जयकर्त) है।
फिजी चार राजनैतिक प्रभागों मे विभाजित है:
२००१ की जनगणना अनुसार मुंबई की जनसंख्या ११,९१४,३९८ थी।[४२] वर्ल्ड गैज़ेटियर द्वारा २००८ में किये गये गणना कार्यक्रम के अनुसार मुंबई की जनसंख्या १३,६६२,८८५ थी।[४३] तभी मुंबई महानगरीय क्षेत्र की जनसंख्या २१,३४७,४१२ थी।[४४] यहां की जनसंख्या घनत्व २२,००० व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था। २००१ की जनगणना अनुसार बी.एम.सी के प्रशासनाधीन ग्रेटर मुंबई क्षेत्र की साक्षरता दर ७७.४५% थी,[४५] जो राष्ट्रीय औसत ६४.८% से अधिक थी।[४६] यहां का लिंग अनुपात ७७४ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष द्वीपीय क्षेत्र में, ८२६ उपनगरीय क्षेत्र और ८११ ग्रेटर मुंबई में,[४५] जो आंकड़े सभी राष्ट्रीय औसत अनुपात ९३३ से नीचे हैं।[४७] यह निम्नतर लिंग अनुपात बड़ी संख्या में रोजगार हेतु आये प्रवासी पुरुषों के कारण है, जो अपने परिवार को अपने मूल स्थान में ही छोड़कर आते हैं।[४८]
बोली भाषा की छोटी इकाई है। इसका सम्बन्ध ग्राम या मण्डल से रहता है। इसमें प्रधानता व्यक्तिगत बोली की रहती है और देशज शब्दों तथा घरेलू शब्दावली का बाहुल्य होता है। यह मुख्य रूप से बोलचाल की ही भाषा है। अतः इसमें साहित्यिक रचनाओं का प्रायः अभाव रहता है। व्याकरणिक दृष्टि से भी इसमें असाधुता होती है।
कई अतिरिक्त चिन्हों का इस्तेमाल किया जाता है (पुष्प सूत्रों की कुंजी देखें)
साँचा:अगस्त कैलंडर२०११ 3 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 215वॉ (लीप वर्ष मे 216 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 150 दिन बाकी है।
12. जयपुर में बाजार जीवंत होते हैं और दुकाने रंग बिरंगे सामानों से भरी है, जिसमें हथकरघा उत्पाद, बहुमूल्य पत्थर, वस्त्र, मीनाकारी सामान, आभूषण, राजस्थानी चित्र आदि शामिल हैं।
2 NAD
॥राम॥
१५०० ईसा पूर्व का एक वर्ष है। ये ईसा पूर्व दूसरी सहस्राब्दी का ५००वां वर्ष था।
Kerala: R. S. GavaiMadhya Pradesh: Balram JakharMaharashtra: S. C. JamirManipur: Gurbachan JagatMeghalaya: Ranjit Shekhar MooshaharyMizoram: Madan Mohan LakheraNagaland: Kateekal SankaranarayananOrissa: Murlidhar Chandrakant BhandarePunjab: Sunith Francis RodriguesRajasthan: S.K. SinghSikkim: Balmiki Prasad SinghTamil Nadu: Surjit Singh Barnala
इस प्रकार द्वितीय अध्यायमें आत्माज्ञान को परमपद-प्राप्तिका एकमात्र साधन बतलाकर तीसरे अध्यायमें उसी का प्रतिपादन किया गया है। वहाँ बतलाया है कि हृदय मन, संज्ञान, आज्ञान, विज्ञान, मेधा, दृष्टि, धृत, मति, मनीषा, जूति, स्मृति, संकल्प, क्रतु, असु काम एवं वश-ये सब प्रज्ञान के ही नाम हैं। यह प्रज्ञान ही ब्रह्मा, इन्द्र, प्रजापति, समस्त देवगण, पश्चमहाभूत तथा उद्विज्ज, स्वेदज अण्डज और जरायुज आदि सब प्रकार जीव-जन्तु हैं। यही हाथी, घोड़े, मनुष्य तथा सम्पूर्ण स्थावर जङ्गम जगत् है। इस प्रकार यह सारा संसार प्रज्ञानमें स्थिति है, प्रज्ञानसे ही प्रेरित होनेवाला है और स्वयं भी प्रज्ञानस्वरूप ही है, तथा प्रज्ञान ही ब्रह्म है। जो इस प्रकार जानता है वह इस लोक से उत्क्रमण कर उस परमाधाम में पहुँच समस्त कामनाओं को प्राप्त कर अमर हो जाता है।
कैंसर अनुसंधान एक गहन वैज्ञानिक प्रयास है जो रोग प्रक्रियाओं को समझने के लिए और संभव उपचार की खोज के लिए किया जाता है.कैंसर अनुसंधान के कारण आण्विक जीव विज्ञान और कोशिका जीव विज्ञान के ज्ञान के बढ़ने से कैंसर के कई नए प्रभावी उपचारों की खोज हुई है. ऐसा तब से हुआ जब से 1971 में राष्ट्रपति निक्सन ने "कैंसर पर युद्ध" की घोषणा की.संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1971 के बाद से कैंसर अनुसंधान पर 200 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है; यह धन सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के द्वारा और संस्थाओं के द्वारा लगाया गया है. [१००] इस भारी निवेश के बावजूद, 1950 और 2005 के बीच देश की कैंसर से मृत्यु दर में केवल एक पाँच प्रतिशत की कमी देखी गई है (आबादी के आकार और आयु के लिए समायोजन करते हुए). [१०१]
ई हिन्दी साहित्य सभा
एक अन्य कथा के अनुसार महाराज सुदेव के पुत्र राजा दिवोदासने गंगातटपर वाराणसी नगर बसाया था। एक बार भगवान शंकर ने देखा कि पार्वती जी को अपने मायके (हिमालय-क्षेत्र) में रहने में संकोच होता है, तो उन्होंने किसी दूसरे सिद्धक्षेत्रमें रहने का विचार बनाया। उन्हें काशी अतिप्रियलगी। वे यहां आ गए। भगवान शिव के सान्निध्य में रहने की इच्छा से देवता भी काशी में आकर रहने लगे। राजा दिवोदासअपनी राजधानी काशी का आधिपत्य खो जाने से बडे दु:खी हुए। उन्होंने कठोर तपस्या करके ब्रह्माजीसे वरदान मांगा- देवता देवलोक में रहें, भूलोक (पृथ्वी) मनुष्यों के लिए रहे। सृष्टिकर्ता ने एवमस्तु कह दिया। इसके फलस्वरूप भगवान शंकर और देवगणोंको काशी छोडने के लिए विवश होना पडा। शिवजी मन्दराचलपर्वत पर चले तो गए परंतु काशी से उनका मोह भंग नहीं हुआ। महादेव को उनकी प्रिय काशी में पुन:बसाने के उद्देश्य से चौसठ योगनियों,सूर्यदेव, ब्रह्माजीऔर नारायण ने बडा प्रयास किया। गणेशजीके सहयोग से अन्ततोगत्वा यह अभियान सफल हुआ। ज्ञानोपदेश पाकर राजा दिवोदासविरक्त हो गए। उन्होंने स्वयं एक शिवलिङ्गकी स्थापना करके उसकी अर्चना की और बाद में वे दिव्य विमान पर बैठकर शिवलोक चले गए। महादेव काशी वापस आ गए।
यहाँ * का अर्थ उन स्वरों पर निशान लगाना है जो हिन्दी के ध्वनि-तन्त्र में नहीं होते, या जिनका शुद्ध उच्चारण अधिकांश भारतीय नहीं कर पाते ।
shambar
इस मंदिर से संबद्ध अन्‍य सांस्‍कृतिक उत्‍सव: फागुन (फरवरी-मार्च) में शिवरात्रि के उत्‍सव के दौरान यहां जरुर आना चाहिए। इस दौरान मंदिर के देवता का श्रृंगार किया जाता है। रंगभरी एकादशी भी यहां बहुत उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान शिवभक्‍त भगवान शिव की मूर्त्ति को लाल रंग के चूर्ण से रंग देते है। पंचकरोशी यात्रा प्रत्‍येक साल अप्रैल के महीने में होती है। दुर्गा पूजा (सितम्‍बर-अक्‍टूबर) के दौरान मनाया जाता है। भरत मिलाप उत्‍सव विजयादशमी को मनाया जाता है। इस दिन संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय के समीप मेला लगता है। दीपावली के समय का यहां का गंगा स्‍नान भी काफी प्रसिद्ध है। दीपावली के अगले दिन यहां अन्‍नाकूता उत्‍सव मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दौरान यहां सभी घाटों को मृत्‍यु के देवता यमराज के सम्‍मान में दीयों से सजाया जाता है।
शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित रामकोट अयोध्या में पूजा का प्रमुख स्थान है। यहां भारत और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का साल भर आना जाना लगा रहता है। मार्च-अप्रैल में मनाया जाने वाला रामनवमी पर्व यहां बड़े जोश और धूमधाम से मनाया जाता है।
1990 में कुवैत पर इराक ने आक्रमण कर कब्जा जमा लिया था। सात महीने का इराकी कब्जा संयुक्त राज्य अमेरिका नीत सेना द्वारा सीधे आक्रमण के बाद खत्म हुआ था। लौटती हुई इराकी सेना ने करीबन 750 तेल के कुंओं को खाक में मिला दिया, जो एक बड़ी आर्थिक और पयार्वरण त्रासदी के रूप में परिणीत हुई। युद्ध में कुवैत की आधारभूत संरचना बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई, जिसे पुनः सुधारना पड़ा।
आआआएस. अहमद खाँ : दि ईस्ट इंडिया ट्रेड इन द ट्वेल्फ़्थ सेंचुरी इन इट्स पोलिटिकल एेंड इकोनोमिक ऐस्पेक्ट्स; डब्ल्यु. फोस्टर : दि इंगलिश फैक्टरीज़ इन इंडिया 1618-1669 .
कयामत से कयामत तक सन् 1988 में बनी एक युवक (* आमिर ख़ान) और एक युवती (* जूही चावला) की प्रेम कहानी थी, जिनके परिवारों में कट्टर दुश्मनी थी ।
छंद को पद्य रचना का मापदंड कहा जा सकता है। बिना कठिन साधना के कविता में छंद योजना को साकार नहीं किया जा सकता ।
दक्षिण कोरियाई सरकार द्वारा संकलित 2005 के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 46% नागरिकों ने किसी विशेष धर्म का पालन न करने को स्वीकार किया. ईसाई जनसंख्या का 29.2% के लिए खाते में (जो की Protestants 18.3% और 10.9% कैथोलिक हैं) और बौद्ध 22.8%.[२०]
राज्य का निर्माण होने के समय झारखंड में 18 जिले थे जो पहले दक्षिण बिहार का हिस्सा हुआ करते थे। इनमें से कुछ जिलों को पुनर्गठित करके छह नये जिले सृजित किए गये :- लातेहार, सराईकेला खरसाँवा जामताड़ा साहिबगंज खूँटी एवं रामगढ। वर्तमान में राज्य में चौबीस जिले हैं झारखंड के जिले:
अवेस्ता काल के धार्मिक ग्रंथों की सूची के अंत में "वेंदीडाड", "विदेवो दात" (राक्षसों के विरुद्ध कानून) का उल्लेख हुआ है। यह कानून विषयक एक धर्मपुस्तक है जिसमें 22 "फरगरद" या अध्याय हैं। इसके प्रधान वण्र्य विषय इस प्रकार हैं--अहुरमज्द की रचना तथा अंग्र मैन्यु की प्रति रचनाएँ, कृषि, समय, शपथ, युद्ध, वासना, अपवित्रता, शुद्धि एवं दाहसंस्कार।
इस कालावधि की सबसे महत्वपूर्ण घटनाएँ दो हैं - एक तो सामान्य काव्यभाषा के रूप में खड़ी बोली की स्वीकृति और दूसरे हिंदी गद्य का नियमन और परिमार्जन। इस कार्य में सर्वाधिक सशक्त योग सरस्वती' संपादक महावीरप्रसार द्विवेदी का था। द्विवेदी जी और उनके सहकर्मियों ने हिंदी गद्य की अभिव्यक्तिक्षमता को विकसित किया। निबंध के क्षेत्र में द्विवेदी जी के अतिरिक्त बालमुकुंद, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, पूर्णसिंह, पद्मसिंह शर्मा जैसे एक से एक सावधान, सशक्त और जीवंत गद्यशैलीकार सामने आए। उपन्यास अनेक लिखे गए पर उसकी यथार्थवादी परंपरा का उल्लेखनीय विकास न हो सका। यथार्थपरक आधुनिक कहानियाँ इसी काल में जनमी और विकासमान हुई। गुलेरी, कौशिक आदि के अतिरिक्त प्रेमचंद और प्रसाद की भी आरंभिक कहानियाँ इसी समय प्रकाश में आई। नाटक का क्षेत्र अवश्य सूना सा रहा। इस समय के सबसे प्रभावशाली समीक्षक द्विवेदी जी थे जिनकी संशोधनवादी और मर्यादानिष्ठ आलोचना ने अनेक समकालीन साहित्य को पर्याप्त प्रभावित किया। मिश्रबंधु, कृष्णबिहारी मिश्र और पद्मसिंह शर्मा इस समय के अन्य समीक्षक हैं पर कुल मिलाकर इस समय की समीक्षा बाह्यपक्षप्रधान ही रही।
याज्ञवल्क्य- अन्तरिक्ष गन्धर्वलोक में ओतप्रोत है।
कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, 'हे पारधी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी।' शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिंता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, 'हे पारधी!' मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे मत मारो।
बारह से चौदह हजार फुट की ऊंचाई पर बसा ये क्षेत्र गढ़वाल हिमालय के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। जनवरी-फरवरी के महीनों में आमतौर पर बर्फ की चादर ओढ़े इस स्थान की सुंदरता जुलाई-अगस्त के महीनों में देखते ही बनती है। इन महीनों में यहां मीलों तक फैले मखमली घास के मैदान और उनमें खिले फूलों की सुंदरता देखने योग्य होती है। इसीलिए अनुभवी पर्यटक इसकी तुलना स्विट्जरलैंड से करने में भी नहीं हिचकते। सबसे विशेष बात ये है कि पूरे गढ़वाल क्षेत्र में ये अकेला क्षेत्र है जहां बस द्वारा बुग्यालों की दुनिया में सीधे प्रवेश किया जा सकता है। यानि यह असाधारण क्षेत्र श्रद्धालुओं और पर्यटकों की साधारण पहुंच में है।
साँचा:C21YearInTopic साँचा:Year in other calendars
गणित में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए फील्ड मेडल में आर्किमिडीज़ का चित्र है, साथ ही उनका एक प्रमाण भी एक गोले और बेलन के रूप में दिया गया है। आर्किमिडीज़ के सर के चारों ओर लैटिन में लिखा गया है: "Transire suum pectus mundoque potiri" (अपने ऊपर उठाना और दुनिया को पकड़ना)।[५५]
    हिन्द आर्य
(2) पश्चिमी भाग जो बौद्ध धमानुयाई शासक लामा के हाथ में रहा। इसे बाह्य तिब्बत (Outer Tibet) कहा गया।
According to Islamic tradition, Abraha, governor of Yemen, then a province of the Christian Kingdom of Aksum (Ethiopia), attempted to destroy the Kaaba with an army which included several elephants. Although the raid was unsuccessful, because it was customary to name a year after a major event which occurred during it, that year became known as the Year of the Elephant, which was also the year that Muhammad was born. (See surat al-Fil.) Although most Muslims equate it with the Western year 570, a minority equate it with 571.
Concrete nouns भौतिक तत्वों को संदर्भित करती हैं, जो कम से कम सिद्धांततः, एक भाव द्वारा देखा जा सके (उदाहरण के लिए, chair , apple , Janet या atom ). दूसरी ओर Abstract nouns अमूर्त चीज़ों को संदर्भित करते हैं; यानी, विचार या अवधारणाएं (जैसे कि justice या hatred ). जबकि इस तरह के अंतर कभी-कभी उपयोगी होते हैं, concrete और abstract के बीच की सीमा हमेशा स्पष्ट नहीं है, उदाहरण के लिए, संज्ञा art , जो आम तौर पर अवधारणा को संदर्भित करता है (उदा. Art is an important element of human culture ), लेकिन जो कुछ संदर्भों में विशिष्ट कलाकृति का उल्लेख कर सकता है (जैसे I put my daughter's art up on the fridge ).
यह मानते हुए 1996 के पतन में बिजली सरकार पिछली सरकार के संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम को समाप्त करने के बाद, यह दावा समाज के गरीब तत्वों के लिए अनुचित था. कर राजस्व पुराने व्यपगत करों के रूप में गिर गया और सरकार को नए विकल्प लागू कर पाई. खराब 1997 के अंत तक, नया डच विकास कोष के आवंटन सूरीनामी नीदरलैंड के साथ सरकार के संबंधों के रूप में जमे हुए थे. आर्थिक विकास 1998 में धीमा, खनन, निर्माण में गिरावट के साथ, और उपयोगिता क्षेत्रों. बड़े पैमाने पर सरकारी व्यय, गरीब कर संग्रह, एक फूला हुआ प्रशासनिक सेवा, 1999 में और कम विदेशी सहायता राजकोषीय घाटे के लिए योगदान दिया, सकल घरेलू उत्पाद का 11% का अनुमान. सरकार को मौद्रिक विस्तार, जो मुद्रास्फीति में एक नाटकीय वृद्धि करने के लिए नेतृत्व के माध्यम से इस घाटे को कवर करने की मांग की.[५]
ॐ बृहस्पते अति यदयोर्ऽ, अहार्द्द्युमद्विभाति क्रतुमज्ज्ानेषु, यद्दीदयच्छवसऽ ऋतप्रजात, तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम् । उपयामगृहीतोऽसि बृहस्पतये, त्वैष ते योनिबृर्हस्पतये त्वा॥ ॐ श्री गुरवे नमः । आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि । -२६.३, तैत्ति०सं० १.८.२२.१२ ।
माँ गंगा करे रो - रो कर करुण पुकार ! कहा गए मेरे तारणहार !!
जिले का मुख्यालय महोबा है ।
कालिदास के प्रमुख नाटक हैं- मालविकाग्निमित्रम् (मालविका और अग्निमित्र), विक्रमोर्वशीयम् (विक्रम और उर्वशी), और अभिज्ञान शाकुन्तलम् (शकुंतला की पहचान)।
बहुत से संघीय देशों जैसे जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका में महापौर नगर-राज्य की सरकार का प्रमुख भी होता है।
कुमारगुप्त द्वितीय- पुरुगुप्त का उत्तराधिकारी कुमारगुप्त द्वितीय हुआ । सारनाथ लेख में इसका समय ४४५ ई. अंकित है ।
महात्मा गांधी सेतु जो कि पटना से हाजीपुर को जोड़ने को लिये गंगा नदी पर उत्तर-दक्षिण की दिशा में बना एक पुल है, दुनिया का सबसे लम्बा सड़क पुल है । दो लेन वाले इस प्रबलित कंक्रीट पुल की लम्बाई 5575 मीटर है।
1971 में खुला यह चिड़िय
1 जनवरी 1901 को, छ: नगर महासंघ हो गए और ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रमंडल का गठन हुआ.महासंघ के समय से लेकर ऑस्ट्रेलिया ने एक स्थायी उदार प्रजातांत्रिक राजनैतिक व्यवस्था का निर्वहन किया,और प्रभुता संपन्न राष्ट्र बना रहा.जनसंख्या 21.7मिलियन(दस लाख) से थोडा ही उपर है, साथ ही लगभग 60% जनसंख्या मुख्य राज्यों सिडनी,मेलबर्न,ब्रिस्बेन,पर्थ और एडिलेड में केन्द्रित है. राष्ट्र की राजधानी केनबर्रा है जो ऑस्ट्रेलियाई प्रधान प्रदेश(ACT) में अवस्थित है.
औरंगजेब के शासनकाल के बाद, साम्राज्य में गिरावट हुई.बहादुर ज़फ़र शाह I के साथ शुरुआत से, मुगल सम्राटों की सत्ता में उत्तरोत्तर गिरावट आई और वे कल्पित सरदार बने, जो शुरू में विभिन्न विविध दरबारियों द्वारा और बाद में कई बढ़ते सरदारों द्वारा नियंत्रित थे.18 वीं शताब्दी में, इस साम्राज्य ने पर्शिया के नादिर शाह और अफगानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली जैसे हमलावरों का लूट सहा, जिन्होंने बार बार मुग़ल राजधानी दिल्ली में लूटपाट किया.भारत में इस साम्राज्य के क्षेत्रों का अधिक भाग को ब्रिटिश को मिलने से पहले मराठाओं को पराजित किया गया था.1803 में, अंधे और शक्तिहीन शाह आलम II ने औपचारिक रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का संरक्षण स्वीकार किया.ब्रिटिश सरकार ने पहले से ही कमजोर मुग़लोँ को "भारत के सम्राट" के बजाय "दिल्ली का राजा" कहना शुरू कर दिया था, जो 1803 में औपचारिक रूप से प्रयोग किया गया, जिसने भारतीय नरेश की ब्रिटिश सम्राट से आगे बड़ने की असहज निहितार्थ से परहेज किया.फिर भी, कुछ दशकों के बाद, BEIC ने सम्राट के नाममात्र नौकरों के रूप में और उनके नाम पर, अपने नियंत्रण के अधीन क्षेत्रों में शासन जारी रखा, .1827 में यह शिष्टाचार भी खत्म हो गया था.सिपाही विद्रोह के कुछ विद्रोहियों ने जब शाह आलम के वंशज बहादुर जफर शाह II से अपने निष्ठा की घोषणा करी, तो ब्रिटिश ने इस संस्था को पूरी तरह समाप्त करने का निर्णय लिया.उन्होंने 1857 में अंतिम मुग़ल सम्राट को पद से गिराया और उन्हें बर्मा के लिए निर्वासित किया, जहाँ 1862 में उनकी मृत्यु हो गई.इस प्रकार मुग़ल राजवंश का अंत हो गया, जिसने भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय का योगदान किया था.
याज्ञवल्क्य- अन्तरिक्ष गन्धर्वलोक में ओतप्रोत है।
नए मनोविज्ञान से प्रभावित प्रयोगों के लिए सचेष्ट कथाकारों में अज्ञेय प्रमुख हैं। मनोविज्ञान से गंभीर रूप में प्रभावित इलाचंद्र जोशी और जैनेंद्र हैं। इन लेखकों ने व्यक्तिमन के अवचेतन का उद्घाटन कर नया नैतिक बोध जगाने का प्रयत्न किया। जैनेंद्र और अज्ञेय ने कथा के परंपरागत ढाँचे को तोड़कर शैलीशिल्प संबंधी नए प्रयोग किए। परवर्ती लेखकों और कवियों में वैयक्तिक प्रतिक्रियाएँ अधिक प्रखर हुईं। समकालीन परिवेश से वे पूर्णत: संसक्त हैं। उन्होंने समाज और साहित्य की मान्यताओं पर गहरा प्रश्नच्ह्रि लगा दिया है। व्यक्तिजीवन की लाचारी, कुंठा, आक्रोश आदि व्यक्त करने के साथ ही वे वैयक्तिक स्तर पर नए जीवनमूल्यों के अन्वेषण में लगे हुए हैं। उनकी रचनाओं में एक ओर सार्वभौम संत्रास और विभीषिका की छटपटाहट है तो दूसरी ओर व्यक्ति के अस्तित्व की अनिवार्यता और जीवन की संभावनाओं को रेखांकित करने का उपक्रम भी। हमारा समकालीन साहित्य आत्यंतिक व्यक्तिवाद से ग्रस्त है, और यह उसकी सीमा है। पर उसका सबसे बड़ा बल उसकी जीवनमयता है जिसमें भविष्य की सशक्त संभावनाएँ निहित हैं।
पहले दंड के रूप में चेतावनी दी जाती है जिसे स्कोरबोर्ड पर लिख दिया जाता है. दूसरे दंड के रूप में प्रतिद्वंद्वी को "युको" अंक दिया जाता है. तीसरे दंड के रूप में "वाजा-अरी" अंक दिया जाता है. चौथे दंड को "हंसोकु माके" कहा जाता है और प्रतिद्वंद्वी को एक "इप्पोन" अंक दे दिया जाता है. "हंसोकु माके" के साथ मैच स्थायी रूप से समाप्त हो जाता है. गंभीर नियमोल्लंघनों के लिए प्रतियोगी को एक प्रत्यक्ष "हंसोकु माके" मिल सकता है. इस मामले में, "हंसोकु माके" पाने वाला खिलाड़ी टूर्नामेंट से बाहर हो जाता है.
श्री जयप्रकाश मानस
विद्या निवास मिश्र (28 जनवरी, 1926 - 14 फरवरी, 2005) संस्कृत के प्रकांड विद्वान, जाने-माने भाषाविद्, हिन्दी साहित्यकार और सफल संपादक (नवभारत टाइम्स) थे। उन्हें सन १९९९ में भारत सरकार ने साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। पं. हजारीप्रसाद द्विवेदी के बाद अगर कोई शख्स ललित निबंधों को वांछित ऊँचाइयों पर ले गया तो हिन्दी जगत में डॉ. विद्यानिवास मिश्र का ही जिक्र होता है।
संस्कृत में व्याकरण की परम्परा बहुत प्राचीन है।
जबकि भारत में अरबी के अलावा देवनागरी लिपि का उपयोग भी किया जाता है। देवनागरी लिपि जो हिन्दी कि तरह बायें से दायें लिखी जाती है। यह 1948 में भारत सरकार द्वारा लायी गयी भाषा है।
"मानवीय धर्म, संस्कृति के प्रति निष्ठावान, दृढ़बद्ध , राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक नरेन्द्र कोहली का तादात्म्य अपने स्वधर्म के कारण राम से हुआ. 'अभ्युदय' के राम राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के प्रतीक हैं जो एक सबल और जनकल्याणकारी राष्ट्र के निर्माण के लिए संघर्ष करते हैं एवं उसमें जनता की भागीदार पर बल देते हैं."[५२]
सत्यवती और शांतनु के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुये। शान्तनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था इसलिये उनका पालन पोषण भीष्म ने किया। भीष्म ने चित्रांगद के बड़े होने पर उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया लेकिन कुछ ही काल में गन्धर्वों से युद्ध करते हुये चित्रांगद मारा गया। इस पर भीष्म ने उनके अनुज विचित्रवीर्य को राज्य सौंप दिया। अब भीष्म को विचित्रवीर्य के विवाह की चिन्ता हुई। अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य के साथ करवा दिया। विचित्रवीर्य अपनी दोनों रानियों के साथ भोग विलास में रत हो गये किन्तु दोनों ही रानियों से उनकी कोई सन्तान नहीं हुई और वे क्षय रोग से पीड़ित हो कर मृत्यु को प्राप्त हो गये।
गरीब अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा हाथ स्वच्छता प्रतिरोधी अवयव के प्रसार [१८] और में हाथ बढ़ाने के एक अवयव के इन दरों में कमी परिणाम धुलाई अनुपालन के साथ संबद्ध किया गया है [१९]
विदर्भ युद्ध- मालविकामित्रम के अनुसार पुष्यमित्र के काल में लगभग १८४इ.पू.में विदर्भ युद्ध में पुष्यमित्र की विजय हुई और राज्य दो भागों में ब दिया गया। वर्षा नदी दोनों राज्यों कीं सीमा मान ली गई। दोनो भागों के नरेश ने पुष्यमित्र को अपना सम्राट मान लिया तथा इस राज्य का एक भाग माधवसेन को प्राप्त हुआ। पुष्यमित्र का प्रभाव क्षेत्र नर्मदा नदी के दक्षिण तक विस्तृत हो गया।
कोलकाता उच्च न्यायालय (बांग्ला: কলকাতা উচ্চ আদালত) भारत का प्राचीनतम उच्च न्यायालय है। इसकी स्थापना २ जुलाई, १८६२ को हाई कोर्ट्स ऐक्ट १८६१ के अन्तर्गत की गयी थी। इसका अधिकार क्षेत्र पश्चिम बंगाल एवं अंडमान निओबार द्वीप तक है।
उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान (21 मार्च, 1916 - 21 अगस्त, 2006) प्रख्यात शहनाई वादक थे । उनका जन्म डुमराँव, बिहार मे हुआ था। उन्हे सन 2001 मे भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मनित किया गया।
16th century
काली मंदिर जुमई जिले के मालयपुर गांव स्थित है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष इस जगह पर बहुत ही प्रसिद्ध मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले को काली मेला के नाम से जाना जाता है।
कुछ लोगों का कहना है कि वे जन्म से मुसलमान थे और युवावस्था में स्वामी रामानन्द के प्रभाव से उन्हें हिंदू धर्म की बातें मालूम हुईं। एक दिन, एक पहर रात रहते ही कबीर पञ्चगंगा घाट की सीढ़ियों पर गिर पड़े। रामानन्द जी गंगास्नान करने के लिये सीढ़ियाँ उतर रहे थे कि तभी उनका पैर कबीर के शरीर पर पड़ गया। उनके मुख से तत्काल 'राम-राम' शब्द निकल पड़ा। उसी राम को कबीर ने दीक्षा-मन्त्र मान लिया और रामानन्द जी को अपना गुरु स्वीकार कर लिया।
दैवी जगत् से शिशु की प्रगाढ़ता बढ़े तथा ब्रह्माजी की सृष्टि से वह अच्छी तरह परिचित होकर दीर्घकाल तक धर्म और मर्यादा की रक्षा करते हुए इस लोक का भोग करे यही इस संस्कार का मुख्य उद्देश्य है।
श्रीवल्लभाचार्यजीके मतानुसार तीन स्वीकार्य तत्त्‍‌व हैं-ब्रह्म, जगत् और जीव। ब्रह्म के तीन स्वरूप वर्णित हैं-आधिदैविक, आध्यात्मिक एवं अंतर्यामी रूप। अनंत दिव्य गुणों से युक्त पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण को ही परब्रह्म स्वीकारते हुए उनके मधुर रूप एवं लीलाओं को ही जीव में आनंद के आविर्भाव का स्त्रोत माना गया है। जगत् ब्रह्म की लीला का विलास है। संपूर्ण सृष्टि लीला के निमित्त ब्रह्म की आत्म-कृति है।
सन् 1821 में तुर्कों के नियंत्रण से मुक्त होने के बाद यहाँ स्वतंत्रता रही है पर यूरोपीय शक्तियों का प्रभाव यहाँ भी देकने को मिला है । प्रथम विश्वयुद्ध में इसने तुर्कों के खिलाफ़ मित्र राष्ट्रों का साथ दिया । द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनों ने यहाँ कुछ समय के लिए अपना नियंत्रण बना लिया था । इसके बाद यहाँ गृह युद्ध भी हुए । सन् 1975 में यहाँ गणतंत्र स्थापित कर दिया गया । साइप्रस को लेकर ग्रीस और तुर्की में अबतक तनाव बना हुआ है .
जो काया में चलने वाली निमार्ण प्रक्रिया का नियन्त्रण संचालन करते हैं ।
देश के संकोच के कारण हमें मानना पड़ता है कि स्वप्न में देखे हुए पदार्थ वस्तुगत अस्तित्व नहीं रखते, काल का संकोच भी बताता है कि स्वप्न के दृश्य वास्तविक नहीं। इसके बाद गौडपाद कहता है कि स्वप्न और जागृत अवस्थाओं में कोई भेद नहीं, दानों एक समान अस्थिर हैं। वर्तमान प्रतीति से पूर्व का अभाव स्वीकृत है, इसके पीछेश् आने वाले अनुभव का भाव अभी हुआ नहीं; जो आदि और अंत में नहीं है, वह वर्तमान में भी वैसा ही है "जिस प्रकार स्वप्न और माया देखे जाते हैं, जैसे गंधर्वनगर दिखता है, उसी तरह पंडितों ने वेदांत में इस जगत्‌ को देखा है।'
इसॅी फ़ीसद करग़ीज़सत्ता नी मुस्लमान हैं -- इन में से अक्सरीयत हनफ़ी फिका से मुनसलिक है जो यहां सत्रहवीं सदी में राइज हुआ। शहरों से बाहर बाहर इस्लामी रवायात मुक़ामी तर्क क़बायली रवायात और अक़ाऐद से मिली हुई हैं। बक़ीया करग़ीज़सत्ता नी ज़्यादा तर रूसी या ीओ-करानी तक़लीदी कुंआ स के ईसाई हैं। सोवीत दूर में यहां सरकारी लामज़हबीत (दहर युति) आइद थी और करग़ीज़सतान का आईन अब भी हुकूमत में दीन की मदाखलत को ममनूअ क़रार देता है। ताहम आज़ादी के बाद इस्लाम मुआशरती और सयासी सतहों पर बतदरीज एहमीयत हासिल कर रहा है। इस के बावजूद यक्का कुछ सयासी और मुआशरती गिरोह अब भी सोवीत दूर की दहर युति के हामी हैं।
जनसंचार यात्रा तकनीक में सुधार के साथ ही विकसित हो सकती थी जिसने बड़ी संख्या में लोगों को कम समय में घूमने के स्थानों पर परिवहन (transport) में मदद की, अब ज्यादा संख्या में लोग खाली समय का आनंद उठाने लगे.
साँचा:See main
स्वदेशी जनसंख्या-महाद्वीपीय आदिवासी और तोर्स स्ट्रेट द्वीपवासियों-की संख्या 2001 में 410,003(कुल जनसंख्या का 2.2%) गणना की गयी थी;जिसमे 1976 की गणना से अभूतपूर्व बढोत्तरी हुई; जिसमें सर्वदेशी जनसंख्या 115,953 गिनी गयी.[८३]बड़ी संख्या में स्वदेशी जनसंख्या की गणना नहीं हो सकी क्योंकि उनकी स्वदेशी स्थिति फार्म में दाखिल नहीं हुई थी,कारणों के समन्वय के बाद,ABS ने 2001 का सही आँकडा लगभग 460,140 (कुल जनसंख्या का 2.4%) अनुमानित किया.[८४]स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाईकारावास और बेरोजगारी, शिक्षा का निचा स्तर, और जीवन काल पुरुषों और महिलाओं का जो 11-17 वर्ष विदेशियों से कम है, से प्रभावित है.[७०][८५][८६]कुछ सुदूर स्वदेशी वर्ग को "विफल राज्य" जैसी अवस्था से परिभाषित किया गया है.[८७][तथ्य वांछित]
द्रौपदी स्वयंवर से पूर्व विदुर को छोड़कर सभी पाण्डवों को मृत समझने लगे और इस कारण धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को युवराज बना दिया। गृहयुद्ध के संकट से बचने के लिए युधिष्ठिर ने धृतराष्ट्र द्वारा दिए खण्डहर स्वरुप खाण्डव वन को आधे राज्य के रुप में स्वीकार कर लिया। वहाँ अर्जुन ने श्रीकृष्ण के साथ मिलकर समस्त देवताओं को युद्ध में परास्त करते हुए खाण्डववन को जला दिया और इन्द्र के द्वारा की हुई वृष्टि का अपने बाणों के छत्राकार बाँध से निवारण करके अग्नि देव को तृप्त किया। इसके फलस्वरुप अर्जुन ने अग्निदेव से दिव्य गाण्डीव धनुष और उत्तम रथ तथा श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र प्राप्त किया। इन्द्र अपने पुत्र अर्जुन की वीरता देखकर अतिप्रसन्न हुए। उन्होंने खांडवप्रस्थ के वनों को हटा दिया। उसके उपरांत पाण्डवों ने श्रीकृष्ण के साथ मय दानव की सहायता से उस शहर का सौन्दर्यीकरण किया। वह शहर एक द्वितीय स्वर्ग के समान हो गया। इन्द्र के कहने पर देव शिल्पी विश्वकर्मा और मय दानव ने मिलकर खाण्डव वन को इन्द्रपुरी जितने भव्य नगर में निर्मित कर दिया, जिसे इन्द्रप्रस्थ नाम दिया गया।
राज्य के कुछ हवाई क्षेत्र हैं:
1867 में बना यह मंदिर वेनेटियन ग्लास मोजेक, पेरिस के झूमरों और ब्रूसेल्स, सोने का मुलम्मा चढ़ा गुंबद, रंगीन शीशों वाली खिड़कियां और दर्पण लगे खंबों से सजा है। यह रोजाना प्रात: 6.00 बजे से दोपहर तक और सायं 3.00 बजे से 7.00 बजे तक खुलता है।
यहाँ यह ध्यान रखने योग्य बात है कि भारत में द्विभाषिकता एवं बहुभाषिकता का प्रचलन है इसलिए यह सँख्या उन लोगों की है जिन्होंने ने हिन्दी को अपनी प्रथम भाषा के तौर पर १९९१ की जनगणना में दर्ज़ किया था।
इस्लाम प्रवेशद्वार  दर्शन • वार्ता • बदलें
ऋतुसंहार कालिदास का एक विख्यात काव्य है। ऋतुसंहार महाकवि कालिदास की प्रथम काव्यरचना मानी जाती है, जिसके छह सर्गो में ग्रीष्म से आरंभ कर वसंत तक की छह ऋतुओं का सुंदर प्रकृतिचित्रण प्रस्तुत किया गया है। ऋतुसंहार का कलाशिल्प महाकवि की अन्य कृतियों की तरह उदात्त न होने के कारण इसके कालिदास की कृति होने के विषय में संदेह किया जाता रहा है। मल्लिनाथ ने इस काव्य की टीका नहीं की है तथा अन्य किसी प्रसिद्ध टीकाकार की भी इसकी टीका नहीं मिलती है। जे. नोबुल तथा प्रो.ए.बी. कीथ ने अपने लेखों में ऋतुसंहार को कालिदास की ही प्रामाणिक एवं प्रथम रचना सिद्ध किया है।
मधुबनी भारतीय रेल के पूर्व मध्य रेलवे क्षेत्र के समस्तीपुर मंडल में पड़ता है। दिल्ली-गुवाहाटी रूट पर स्थित समस्तीपुर जंक्शन से बड़ी गेज की एक लाईन मधुबनी होते हुए नेपाल सीमा पर झंझारपुर को जाती है। मधुबनी से गुजरने वाली एक अन्य रेल लाईन सकरी से घोघरडिहा होते हुए फॉरबिसगंज को जोड़ती है। १९९६ के बाद रेल अमान परिवर्तन होने से दरभंगा होते हुए दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, अमृतसर, गुवाहाटी तथा अन्य महत्वपूर्ण शहरों के लिए यहाँ से सीधी ट्रेनें उपलब्ध है। इसके अलावा एक रेललाईन दरभंगा से सकरी और झंझारपुर होते हुए लौकहा तक नेपाल की सीमा को जोड़ती है। जिले में सकरी और झंझारपुर दो रेल के जंक्शन हैं। लौकरा रेलवे लाईन के निर्माण में कांग्रेस के वरिष्ट नेता ललित नारायण मिश्र का अहम योगदान है जिनका कार्यक्षेत्र मधुबनी ही था। वे झंझारपुर से सांसद हुआ करते थे।
काश्याम दस गुणम अधिकम त्रीवेनी सन्गमम।
जिस स्थान या मंच पर नाटक का अभिनय किया जाता है उसे रंगमंच कहते हैं।
उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है। यहाँ ठण्ड बहुत होती है इसलिए यहाँ लोगों के मकान पक्के होते हैं। दीवारें पत्थरों की होती है। पुराने घरों के ऊपर से पत्थर बिछाए जाते हैं। वर्तमान में लोग सीमेण्ट का उपयोग करने लग गए है। अधिकतर घरों में रात को रोटी तथा दिन में भात (चावल) खाने का प्रचलन है। लगभग हर महीने कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। त्योहार के बहाने अधिकतर घरों में समय-समय पर पकवान बनते हैं। स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली गहत, रैंस, भट्ट आदि दालों का प्रयोग होता है। प्राचीन समय में मण्डुवा व झुंगोरा स्थानीय मोटा अनाज होता था। अब इनका उत्पादन बहुत कम होता है। अब लोग बाजार से गेहूं व चावल खरीदते हैं। कृषि के साथ पशुपालन लगभग सभी घरों में होता है। घर में उत्पादित अनाज कुछ ही महीनों के लिए पर्याप्त होता है। कस्बों के समीप के लोग दूध का व्यवसाय भी करते हैं। पहाड़ के लोग बहुत परिश्रमी होते है। पहाड़ों को काट-काटकर सीढ़ीदार खेत बनाने का काम इनके परिश्रम को प्रदर्शित भी करता है। पहाड़ में अधिकतर श्रमिक भी पढ़े-लिखे है, चाहे कम ही पढ़े हों। इस कारण इस राज्य की साक्षरता दर भी राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है।
उसकी न कोई औलाद है न वह खुद किसी की औलाद है।
१९९७ में, एबीसीएल द्वारा निर्मित मृत्युदाता (Mrityudaata), फिल्म से बच्चन ने अपने अभिनय में वापसी का प्रयास किया। यद्यपि मृत्युदाता ने बच्चन की पूर्व एक्शन हीरो वाली छवि को वापस लाने की कोशिश की लेकिन एबीसीएल के उपक्रम , वाली फिल्म थी और विफलता दोनों के आर्थिक रूप से गंभीर है .एबीसीएल १९९७ में बंगलौर में आयोजित १९९६ की मिस वर्ल्ड सौंदर्य प्रतियोगिता (The 1996 Miss World beauty pageant), का प्रमुख प्रायोजक था और इसके खराब प्रबंधन के कारण इसे करोड़ों रूपए का नुकसान उठाना पड़ा था। इस घटनाक्रम और एबीसीएल के चारों ओर कानूनी लड़ाइयों और इस कार्यक्रम के विभिन्न गठबंधनों के परिणामस्वरूप यह तथ्य प्रकट हुआ कि एबीसीएल ने अपने अधिकांश उच्च स्तरीय प्रबंधकों को जरूरत से ज्यादा भुगतान किया है जिसके कारण वर्ष १९९७ में वह वित्तीय और क्रियाशील दोनों तरीके से ध्वस्त हो गई.कंपनी प्रशासन के हाथों में चली गई और बाद में इसे भारतीय उद्योग मंडल द्वारा असफल करार दे दिया गया। अप्रेल १९९९ में मुबंई उच्च न्यायालय ने बच्चन को अपने मुंबई वाले बंग्ला (bungalow) प्रतीक्षा और दो फ्लेटों को बेचने पर तब तक रोक लगा दी जब तक कैनरा बैंक की राशि के लौटाए जाने वाले मुकदमे का फैसला न हो जाए। बच्चन ने हालांकि दलील दी कि उन्होंने अपना बंग्ला सहारा इंडिया फाइनेंस के पास अपनी कंपनी के लिए कोष बढाने के लिए गिरवी रख दिया है।[२५]
अंग्रेजी के दूसरी भाषा के रूप में व्यापक प्रयोग के कारण इसके वक्ताओं के लहजे भी भिन्न प्रकार के होते हैं जिनसे वक्ता की स्थानीय बोली अथवा भाषा का पता चलता है. क्षेत्रीय लहजों की अधिक विशिष्ट विशेषताओं के लिए 'अंग्रेजी के क्षेत्रीय लहजों' को देखें, और क्षेत्रीय बोलियों की अधिक विशिष्ट विशेषताओं के लिए अंग्रेजी भाषा की बोलियों की सूचि को देखें. इंग्लैंड में, व्याकरण या शब्दकोष के बजाय अंतर अब उच्चारण तक ही सीमित रह गया है. अंग्रेजी बोलियों के सर्वेक्षण के दौरान देश भर में व्याकरण और शब्कोष में भिन्नता पाई गयी, परन्तु शब्द भण्डारण के एट्रिशन की एक प्रक्रिया के कारण अधिकांश भिन्नताएं समाप्त हो गयी हैं.[४१]
दुर्भाग्य से कश्मीर के महाराजा हरि सिंह (१९२५-१९४७) से न ही शेख अब्दुल्ला के और न ही पंडित नेहरू के सम्बंध अच्छे रह पाए। महाराजा कश्मीर शेख अब्दुल्ला की कुटिल चालों, स्वार्थी और अलगाववादी सोच तथा कश्मीर में हिन्दू-विरोधी रवैये से परिचित थे। वे इससे भी परिचित थे कि "क्विट कश्मीर आन्दोलन" के द्वारा शेख अब्दुल्ला महाराजा को हटाकर, स्वयं शासन संभालने को आतुर है। जबकि पं. नेहरू भारत के अंतरिम प्रधानमंत्री बन गए थे, तब एक घटना ने इस कटुता को और बढ़ा दिया था। शेख अब्दुल्ला ने श्रीनगर की एक क्फ्रोंंस में पंडित नेहरू को आने का निमंत्रण दिया था। इस क्फ्रोंंस में मुख्य प्रस्ताव था महाराजा कश्मीर को हटाने का। मजबूर होकर महाराजा ने पं. नेहरू से इस क्फ्रोंंस में न आने को कहा। पर न मानने पर पं. नेहरू को जम्मू में ही श्रीनगर जाने से पूर्व रोक दिया गया। पं. नेहरू ने इसे अपना अपमान समझा तथा वे इसे जीवन भर न भूले। इस घटना से शेख अब्दुल्ला को दोहरी प्रसन्नता हुई। इससे वह पं. नेहरू को प्रसन्न करने तथा महाराजा को कुपित करने में सफल हुआ।
परशुराम अपने जीवनभर की कमाई ब्राह्मणों को दान कर रहे थे, तब द्रोणाचार्य उनके पास पहुँचे। किंतु दुर्भाग्यवश वे तब तक सबकुछ दान कर चुके थे। तब परशुराम ने दयाभाव से द्रोणचार्य से कोई भी अस्त्र-शस्त्र चुनने के लिये कहा| तब चतुर द्रोणाचर्य ने कहा की मैं आपके सभी अस्त्र-शस्त्र उनके मंत्रो समेत चाहता हूँ, जब भी उनकी आवश्यक्ता हो। परशुरामजी ने कहा ऐसा ही हो। इससे द्रोणाचार्य शस्त्र विद्या में निपुण हो गये।
श्री वल्लभ कुल को हों चेरो,वल्लभ जन को दास कहाऊं ।
शहर के बहुत से मार्गों पर मैक्सी कैब नाम से वैन और सवारी भाड़े पर ऑटोरिक्शा भी चलते हैं, जो बस सेवा का विकल्प देते हैं। चेन्नई की यातायात संरचना अच्छा संपर्क उपलब्ध कराती है, किंतु बढती हुई जनसंख्या को देखते हुए यातायात संकुलन (कंजेशन) और प्रदूषण की समस्याएं भी खड़ी हो गयी हैं। प्रशासन ने इन समस्याओं के समाधान स्वरूप फ्लाईओवर तथा ग्रेड-सेपरेटर निर्माण किये हैं, जिसका शुभारंभ १९७३ में जेमिनी फ्लाईओवर से शहर की सबसे महत्त्वपूर्ण सड़क अन्ना सालै से हुआ था। [६८][६९] और हाल ही में तैयार हुआ इस शृंखला की नवीनतम कड़ी काठीपाड़ा फ़्लाईओवर है।
सिंहस्थ के धार्मिक आध्यात्मिक स्वरूप को समझने के लिय सिंहस्थ माहात्म्य में उल्लेखित यह पंक्तियां काफी हैं-
The persistent uranium price slump has brought lower revenues for Niger's uranium sector, although uranium still provides 72% of national export proceeds. The nation enjoyed substantial export earnings and rapid economic growth during the 1960s and 1970s after the opening of two large uranium mines near the northern town of Arlit. When the uranium-led boom ended in the early 1980s, however, the economy stagnated, and new investment since then has been limited. Niger's two uranium mines—SOMAIR's open pit mine and COMINAK's underground mine—are owned by a French-led consortium and operated by French interests. However, as of 2007, many licences have been given to other companies from countries such as Canada and Australia in order to exploit new deposits.
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बहुमत समाप्त हो जाने के बाद जब मंत्रि परिषद त्यागपत्र दे देती है तब कामचलाऊ सरकार अस्तित्व मे आती है अथवा प्रधानमंत्री की मृत्यु/ त्यागपत्र की दशा मे यह स्थिति आती है। यह सरकार अंतरिम प्रकृति की होती है यह तब तक स्थापित रहती है जब तक नयी मंत्रिपरिषद शपथ ना ले ले यह इसलिए काम करती है ताकि अनु 74 के अनुरूप एक मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति की सहायता हेतु रहे। वी.एन.राव बनाम भारत संघ वाद मे सुप्रीमकोर्ट ने माना था कि मंत्रि परिषद सदैव मौजूद रहनी चाहिए यदि यह अनुपस्थित हुई तो राष्ट्रपति अपने काम स्वंय करने लगेगा जिस से सरकार का रूप बदल कर राष्ट्रपति हो जायेगा जो कि संविधान के मूल ढाँचे के खिलाफ होगा। यह कामचलाऊ सरकार कोई भी वित्तीय/नीतिगत निर्णय नही ले सकती है क्योंकि उस समय लोक सभा मौजूद नही रहती है वह केवल देश का दैनिक प्रशासन चलाती है। इस प्रकार की सरकार के सामने सबसे विकट स्थिति तब आ गयी थी जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को 1999 मे कारगिल युद्ध का संचालन करना पडा था। किंतु विकट दशा मे इस प्रकार की सरकार भी कोई भी नीति निर्णय ले सकती है।
संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) का एक प्रान्त है।
सामान्य अर्थ में जीवधारियों को दो प्रमुख वर्गों - प्राणियों और पादपों - में विभक्त किया गया है। दोनों में अनेक समानताएँ हैं। दोनों की शरीररचनाएँ कोशिकाओं और ऊतकों से बनी हैं। दोनों के जीवनकार्य में बड़ी समानता है। उनके जनन में भी सादृश्य है। उनकी श्वसनक्रिया भी प्राय: एक सी है। पादप में जीवन के अन्य लक्षण, जैसे नए जीवद्रव के बनाने, नई कोशिकाओं को निरंतर बनाने और पुरानी को नष्ट होने देने की क्षमता, होते हैं। पादपों में अन्य जीवलक्षण, जैसे वर्धन, जनन इत्यादि की क्षमता, भी पाए जाते हैं।
अवधी हिंदी क्षेत्र की एक उपभाषा है। यह उत्तर प्रदेश में अवध के जिलों में तथा फतेहपुर, मिरजापुर, जौनपुर आदि कुछ अन्य जिलों में भी बोली जाती है। इसके अतिरिक्त इसकी एक शाखा बघेलखंड में बघेली नाम से प्रचलित है। अवध शब्द की व्युत्पत्ति "अयोध्या" से है। इस नाम का एक सूबा मुगलों के राज्यकाल में था। तुलसीदास ने अपने "मानस" में अयोध्या को अवधपुरी कहा है। इसी क्षेत्र का पुराना नाम कोसल भी था जिसकी महत्ता प्राचीन काल से चली आ रही है।
चन्द्रगुप्त मौर्य (जन्म 340BC, राज 322[१]-298 BC[२]) में भारत में सम्राट थे। इनको कभी कभी चन्द्रगुप्त नाम से भी संबोधित किया जाता है। इन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त पूरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफ़ल रहे।
यद्यपि, दंडी-बस्तियों के इन कैदियों से जंगलों को साफ कराने तथा सड़कों के बनवाने का कार्य लिया जाता था, परन्तु इनका मुख्य उद्देश्य राज्य के अस्तित्व को सुरक्षित रखना ही होता था। भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना के अवसर पर इंगलैंड में ‘दंडी बस्तियों’ की अवधारणा जन्म ले चुकी थी। यूरोप के प्रारंभिक राष्ट्र-राज्यों द्वारा भौगोलिक खोजों को प्रारंभ करने के साथ ही सुदूर क्षेत्रों में ‘दंडी-बस्तियों’, को निर्मित करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई थी। आश्चर्य नहीं कि अमेरिका में ब्रिटिश उपनिवेशों के निर्माण के साथ ही वहां ‘दंडी-बस्तियां’ बनायी जाने लगी थीं। 18वीं सदी के अंतिम दशकों तक ब्रिटेन में कोड़े लगाना, टिकठी पर चढ़ाना, फांसी पर लटकाना तथा निर्वासित करना जैसे दंड सामान्य हो चुके थे। अमेरिका की आजादी के बाद ब्रिटेन ने अपने कैदियों को आस्ट्रेलिया भेजना प्रारंभ कर दिया था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन यहां दरभंगा किले के विशाल मैदान में १८८८ एवं पुनः १८९२ में हुआ था। [५][६]
१८. कुलगुरु कृपाचार्य, जिन्होंने कर्ण को अर्जुन से युद्ध भूमि में कमतर होने की अनुभूति कराई।
१९९० में खान की केवल एक फिल्म आई जिसका नाम था बागी (Baaghi) इसमें दक्षिण भारत की अभिनेत्री नग़मा (Nagma) भूमिका कर रही थी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी और [४]इसके बाद वर्ष १९९१ इनके लिए सफल वर्ष साबित हुआ जब इन्होंने लगातार तीन सफल हिट फिल्मों में स्टार भूमिका निभाई जिनके नाम पत्थर के फूल (Patthar Ke Phool), बेवफा सनम (Sanam Bewafa) और साजन हैं। (Saajan).[५]प्रारंभ में ही बॉक्स ऑफिस पर इन फिल्मों की जबरदस्त सफलता के बावजूद १९९२-१९९३ में रिलीज हुई इनकी तमाम फिल्में असफल रही।[५]
इसलिए, ये शब्द सत्तासूचक हैं जोकि आम तौर पर अंग्रेज़ी में विशेषण हैं.
ऋषि गार्ग्य-'हे राजन! चन्द्र मण्डल में जो यह अन्तर्यामी विराट पुरुष है, मैं उसे ब्रह्मरूप में मानकर उसकी उपासना करता हूं।'
6. गलत निर्वाचन उपायॉ का उपयोग करने वाले व्यक्तियॉ को निर्वाचन के लिये अयोग्य घोषित करना
18 अगस्त, 1945 के दिन नेताजी कहाँ लापता हो गए और उनका आगे क्या हुआ, यह भारत के इतिहास का सबसे बडा अनुत्तरित रहस्य बन गया हैं।
१९८३ – व्यंकटेश माडगुळकर – 'सत्तांतर'
61. जैसलमेर की सर्वश्रेष्ठ हवेलियों में से एक, अमर सागर नक्काशीदार स्तंभों और बड़े गलियारों और कमरों के लिए जानी जाती है।
वायु की नमी से बड़ा लाभ होता है। स्वास्थ्य के लिए वायु में कुछ अंश जलवाष्प का होना परम आवश्यक है। हवा की नमी से पेड़ पौधे अपनी पत्तियों द्वारा जल प्राप्त करते हैं। ग्रीष्म ऋतु में नमी की कमी से वनस्पतियाँ कुम्हला जाती हैं। हवा में नमी अधिक रहने से हमें प्यास कम लगती है, क्योंकि शरीर के अनगिनत छिद्रों से तथा श्वास लेते समय जलवाष्प भीतर जाता है और जल की आवश्यकता की पूर्ति बहुत अंश में हो जाती है। शुप्क हवा में प्यास अधिक लगती हैं बाहर की शुप्कता के कारण त्वचा के छिद्रों से शरीर के भीतरी जल का वाष्पन अधिक होता है, जिससे भीतरी जल की मात्रा घट जाती है। गरमी के दिनों में शुप्कता अधिक होती है और जाड़े में कम, यद्यपि आपेक्षिक आर्द्रता जाड़े में कम और गरमी में अधिक पाई जाती है। वाष्पन हवा के ताप पर भी निर्भर रहता है।
दासता को निर्ममता के शिखर पर पहुँचानेवाले रोमन साम्राज्य के विघटन के उपरांत यूरोप में दासप्रथा की कठोरता में कुछ कमी आई। अब यूरोपीय देशों को अधिकतर दास स्लाव क्षेत्र से प्राप्त होते थे। दास शब्द के अंग्रेजी, यूरोपीय भाषाओं के पर्याय "स्लेव" शब्द की व्युत्पत्ति इसी से हुई है। यूरोप में 10वीं तथा 14वीं शती के बीच दासप्रथा सामान्य रूप में चलती रही। 14वीं शती के आस पास पूर्वी यूरोप तथा पश्चिमी एशिया पर होनेवाले आक्रमणों से पश्चिमी यूरोप को पुन: युद्धबंदियों की प्राप्ति होने लगी। मध्ययुग के अंतिम चरण में राष्ट्रवाद और कट्टर धार्मिकता के सम्मिश्रण से युद्धबंदियों के प्रति असहिष्णुता बरती गई। गैर ईसाई बंदियों को ""यीशु के शत्रु"" घोषित कर दासों के रूप में उन्हें क्रय करने का धर्मादेश एक बार सर्वोच्च धर्मगुरु पोप ने स्वयं जारी किया था। पादरियों की सेवा के लिए रखे जानेवाले गिरजाघर के दासों की स्थिति कुछ मानों में घरेलू दासों से भी बदतर थी। युद्धबंदियों की प्राप्ति से एक बार फिर इतालवी दासव्यापारियों का भाग्य चमक उठा। मनुष्यों के यह व्यापारी तुर्की से सीरियाई, आर्मीनीयाई तथा स्लाव दासों को लाकर भूमध्यसागरीय देशों की माँग पूरी करते थे। इसी काल से ओटोमन तुर्कों के इस्लामी साम्राज्यप्रसार ने भी दासता को बढ़ाया।
प्रणव कुमार मुखर्जी (बांग्ला: প্রণব কুমার মুখোপাধ্যায় 11 दिसम्बर 1935 को जन्म, पश्चिम बंगाल, भारत) वर्तमान में भारत के वित्त मंत्री है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता, यह एक चालाक पार्टीभक्त नेता हैं और गांधी परिवार के वफादार भी माने जाते हैं.[उद्धरण वांछित]
महाभारत एवं अन्य पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यह युद्ध भारत वंशियों के साथ-साथ अन्य कई महान वंशों तथा वैदिक ज्ञान विज्ञान के पतन का कारण बना। महाभारत में वर्णित इस युद्ध के कुछ मुख्य परिणाम निम्न लिखित हैं-
स्कॉटलैंड में स्वास्थ्य सेवा NHS स्कॉटलैंड द्वारा प्रदान किया जाता है, स्कॉटलैंड की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली.यह सेवा राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (स्कॉटलैंड) अधिनियम 1947 के द्वारा (जो बाद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (स्कॉटलैंड) अधिनियम 1978 द्वारा पुन:अपील में लाई गई) जो ५ जलाई 1948 को इंग्लैंड और वेल्स में NHS के शुरूआत के साथ प्रभावी हुई.हलाँकि, 1948 के पूर्व, स्कॉटलैंड की आधी जनता पहले से ही राज्य में स्वास्थ्य सेवा के द्वारा वित्त पोषित थी, जो पार्वत्य देश और द्वीप समूह की चिकित्सा सेवा द्वारा प्रदान किया गया था.[१९५] 2006 में, NHS स्कॉटलैंड ने लगभग 158000 कर्मचारी कार्यरत किए जिनमें 47500 से अधिक नर्स, धात्रियों एवं स्वास्थ्य पर्यवेक्षक और 3800 सलाहकार शामिल थे.इसके अलावा, 12000 से अधिक डॉक्टर, पारिवारिक चिकित्सक और स्वास्थ्य सम्बंधित पेशेवर भी शामिल थे, दंत चिकित्सक, चश्मा बनाने वाला और समुदाय दवासाज सहित, जो NHS के भीतर सेवाओं की एक सीमा प्रदान करते हुए स्वतंत्र ठेकेदारों के रूप में फीस और भत्तों के बदले में कार्य करते थे.[१९६]स्वास्थ्य और भलाई के मंत्रिमंडल सचिव NHS स्कॉटलैंड के काम के लिए स्कॉटिश संसद को जिम्मेदार हैं.
स्टैच्यू सर्किल - चक्कर के मध्य सवाई जयसिंह का स्टैच्यू बहुत ही उत्कृष्ट ढंग से बना हुआ है। इसे जयपुर के संस्थापक को श्रद्धांजलि देने के लिए नई क्षेत्रीय योजना के अंतर्गत बनाया गया है।
1. एक राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राज्य के मुख्यमंत्री की सलाह के बाद ही राष्ट्रपति करे
सबको समान न्याय सुनिश्चित करना है न्यायपालिका का असली काम है। न्यायपालिका के अन्तर्गत कोई एक सर्वोच्च न्यायालय होता है एवं उसके अधीन विभिन्न न्यायालय (कोर्ट) होते हैं।
भारतीय दर्शन के अनुसार सृष्टि उत्पत्ति के पश्चात ब्रह्मा के मानस पुत्र स्वायंभुव मनु ने व्यवस्था सम्भाली। इनके दो पुत्र, प्रियव्रत और उत्तानपाद थे। उत्तानपाद भक्त ध्रुव के पिता थे। इन्हीं प्रियव्रत के दस पुत्र थे। तीन पुत्र बाल्यकाल से ही विरक्त थे। इस कारण प्रियव्रत ने पृथ्वी को सात भागों में विभक्त कर एक-एक भाग प्रत्येक पुत्र को सौंप दिया। इन्हीं में से एक थे आग्नीध्र जिन्हें जम्बूद्वीप का शासन कार्य सौंपा गया। वृद्धावस्था में आग्नीध्र ने अपने नौ पुत्रों को जम्बूद्वीप के विभिन्न नौ स्थानों का शासन दायित्व सौंपा। इन नौ पुत्रों में सबसे बड़े थे नाभि जिन्हें हिमवर्ष का भू-भाग मिला। इन्होंने हिमवर्ष को स्वयं के नाम अजनाभ से जोड़कर अजनाभवर्ष प्रचारित किया। यह हिमवर्ष या अजनाभवर्ष ही प्राचीन भारत देश था। राजा नाभि के पुत्र थे ऋषभ। ऋषभदेव के सौ पुत्रों में भरत ज्येष्ठ एवं सबसे गुणवान थे। ऋषभदेव ने वानप्रस्थ लेने पर उन्हें राजपाट सौंप दिया। पहले भारतवर्ष का नाम ॠषभदेव के पिता नाभिराज के नाम पर अजनाभवर्ष प्रसिद्ध था। भरत के नाम से ही लोग अजनाभखण्ड को भारतवर्ष कहने लगे।
अन्य आधिकारिक जालस्थल
उदयगिरि और खन्डगिरि की पहाडियां भुवनेश्‍वर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। उदयगिरि और खन्डगिरि (प्राचीन नाम स्‍कंधगिरि) की पहाडियों में पत्‍थरों को काट कर गुफाएं बनाई हुई हैं। इन गुफाओं का निर्माण प्रसिद्ध चेदी राजा खारवेल जैन मुनियों के निवास के लिए करवाऐ थे। इन गुफाओं में की गई अधिकांश चित्रकारी नष्‍ट हो गई है।
Golub-Dobrzyń
अमेरिकी डॉलर संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय मुद्रा है। एक डॉलर में सौ सेँट होते हैं। पचास सेंट के सिक्के को आधा डॉलर कहा जाता है। पच्चीस सेंट के सिक्के को क्वार्टर कहते हैं। दस सेंट का सिक्का डाइम कहलाता है और पाँच सेंट के सिक्के को निकॅल कहते हैं। एक सेंट को पैनी के नाम से पुकारा जाता है। डॉलर के नोट १,५,१०,२०,५० और १०० डॉलर मे मिलते है।
कंप्यूटर के आम प्रयोग में आने के साथ साथ हिंदी में कंप्यूटर से जुड़ी नई विधाओं का भी समावेश हुआ है, जैसे- चिट्ठालेखन और जालघर की रचनाएं। हिन्दी में अनेक स्तरीय हिंदी चिट्ठे, जालघर व जाल पत्रिकायें हैं। यह कंप्यूटर साहित्य केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व के हर कोने से लिखा जा रहा है. इसके साथ ही अद्यतन युग में प्रवासी हिंदी साहित्य के एक नए युग का आरंभ भी माना जा सकता है।
पणजी गोवा की राजधानी है। यहां के आधुनिक बाजार भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मांडवी नदी के तट पर बसे इस शहर में शाम के समय सैलानी रिवर क्रूज का आनन्द लेने पहुंचते हैं। मांडवी पर तैरते क्रूज पर संगीत एवं नृत्य के कार्यक्रम में गोवा की संस्कृति की एक झलक देखने को मिलती है। नदी के दूसरे तट पर मछुआरों की रंगबिरंगी मोटर बोट कतार में खड़ी एक अलग दृश्य बनाती है। पणजी के आसपास और ओल्ड गोवा के लैटिन शैली के पुराने घर भी, आज पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं।
महापौर किसी नगर के प्रशासक को कहते हैं। कई बार महापौर का चुनाव उस नगर में रहने वाले लोगों द्वारा किया जाता है, और अन्य कई बार, एक केंद्रीय सरकारी समिति यह निर्णय लेती है की किसी नगर का महापौर कौन होगा।
(३) बंगाल विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार यह ज्ञात होता है कि चन्द्र गुप्त द्वितीय ने बंगाल के शासकों के संघ को परास्त किया था ।
आत्मयोनिः स्वयंजातो वैखानः सामगायनः ।
(ट) श्रृंगारदीपिका या श्रृंगाररसप्रबन्धदीपिका हरिहर कृत :- २९४ श्लोकों एवं ४ परिच्छेदों में निबद्ध यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित चौखंबा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी से प्रकाशित है।
(१) शक विजय- पश्‍चिम में शक क्षत्रप शक्‍तिशाली साम्राज्य था । ये गुप्त राजाओं को हमेशा परेशान करते थे । शक गुजरात के काठियावाड़ तथा पश्‍चिमी मालवा पर राज्य करते थे । ३८९ ई. ४१२ ई. के मध्य चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा शकों पर आक्रमण कर विजित किया ।
कर्नाटक ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थानों और भारत के आईटी हब (सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र), बेंगलुरू होने के बावजूद आतंकवाद से काफी कम प्रभावित है. हालांकि, पश्चिमी घाट में हाल में नक्सली गतिविधि बढ़ रही है. इसके अलावा कुछ हमले हुए हैं जिनमें 28 दिसम्बर 2005 को IISc पर हमला और बेंगलुरू में 26 जुलाई 2008 को हुए सीरियल बम विस्फोट प्रमुख हैं.
रात में भगवान के निकट जागरण करें। इसके पश्चात द्वादशी के दिन प्रात:काल होने पर भगवान का पूजन करके ब्राह्मणों को भोजन कराएँ। भाई-बंधुओं, स्त्री और पुत्र सहित आप भी मौन होकर भोजन करें। नारदजी कहने लगे कि हे राजन! इस विधि से यदि तुम आलस्य रहित होकर इस एकादशी का व्रत करोगे तो तुम्हारे पिता अवश्य ही स्वर्गलोक को जाएँगे। इतना कहकर नारदजी अंतर्ध्यान हो गए।
इसके बाद भगवान्‌की आज्ञासे तुलसीदासजी काशी चले आये। वहाँ उन्होंने भगवान्‌ विश्वनाथ और माता अन्नपूर्णा को श्रीरामचरितमानस सुनाया। रातको पुस्तक श्रीविश्वनाथजीके मन्दिरमें रख दी गयी। सबेरे जब पट खोला गया तो उसपर लिखा हुआ पाया गया- 'सत्यं शिवं सुन्दरम्‌' और नीचे भगवान्‌ शंकर की सही थी। उस समय उपस्थित लोगोंने 'सत्यं शिवं सुन्दरम्‌' की आवाज भी कानोंसे सुनी।
लाल किला रात्रि
मायावती ने अपना पहला चुनाव उत्तर प्रदेश में मुज़फ्फरनगर के कैराना लोकसभा सीट से लड़ा था। उसके राजनैतिक जीवन की शुरुआत तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार के राजनैतिक नारे के साथ हुआ था। वह अविवाहित हैं और अपने समर्थकों में 'बहनजी' के नाम से जानी जाती हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड अलग देशों के रूप में मुकाबला करते हैं और इसके परिणाम स्वरुप, ओलंपिक खेलों के फुटबॉल खेल में UK एक टीम की तरह मुकाबला नहीं करता है.UK की एक टीम को 2012 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भाग दिलवाने का प्रस्ताव है लेकिन स्कॉटिश, वेल्श और उत्तरी आयरलैंड के फुटबॉल संघों ने भाग लेने से मना कर दिया है, डरते हुए की उनका स्वतंत्र दर्जा कम हो जाएगा - FIFA के अध्यक्ष सेप्प ब्लैट्र द्वारा इस डर की पुष्टि की गई.[२१०] गृह राष्ट्रों में इंग्लैंड सबसे सफल रहा है, 1966 में अपनी मात्र भूमि में विश्व कप जीता, हलाँकि इतिहास में इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच निकट प्रतिद्वंद्विता रही है.
हिंदू धर्म के पवित्र ग्रन्थों को दो भागों में बाँटा गया है- श्रुति और स्मृति। श्रुति हिन्दू धर्म के सर्वोच्च ग्रन्थ हैं, जो पूर्णत: अपरिवर्तनीय हैं, अर्थात् किसी भी युग में इनमे कोई बदलाव नही किया जा सकता। स्मृति ग्रन्थों मे देश-कालानुसार बदलाव हो सकता है। श्रुति के अन्तर्गत वेद : ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद ब्रह्म सूत्र व उपनिषद् आते हैं। वेद श्रुति इसलिये कहे जाते हैं क्योंकि हिन्दुओं का मानना है कि इन वेदों को परमात्मा ने ऋषियों को सुनाया था, जब वे गहरे ध्यान में थे। वेदों को श्रवण परम्परा के अनुसार गुरू द्वारा शिष्यों को दिया जाता था। हर वेद में चार भाग हैं- संहिता -- मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ -- गद्य भाग, जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक -- इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद् -- इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है। अगर श्रुति और स्मृति में कोई विवाद होता है तो श्रुति ही मान्य होगी। श्रुति को छोड़कर अन्य सभी हिन्दू धर्मग्रन्थ स्मृति कहे जाते हैं, क्योंकि इनमें वो कहानियाँ हैं जिनको लोगों ने पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया और बाद में लिखा। सभी स्मृति ग्रन्थ वेदों की प्रशंसा करते हैं। इनको वेदों से निचला स्तर प्राप्त है, पर ये ज़्यादा आसान हैं और अधिकांश हिन्दुओं द्वारा पढ़े जाते हैं (बहुत ही कम हिन्दू वेद पढ़े होते हैं)। प्रमुख स्मृतिग्रन्थ हैं:- इतिहास--रामायण और महाभारत, भगवद गीता, पुराण--(18), मनुस्मृति, धर्मशास्त्र और धर्मसूत्र, आगम शास्त्र। भारतीय दर्शन के ६ प्रमुख अंग हैं- साँख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त।
क्षिप्रा जब पूर आती है तो गोपाल मंदिर की देहली छू लेती है। दुर्गादास की छत्री के थोडे ही आगे नदी की धारा नगर के प्राचीन परिसर के आस-पास घूम जाती है। भर्तृहरि गुफा, पीर मछिन्दर और गढकालिका का क्षेत्र पार कर नदी मंगलनाथ पहुंचती है। मंगलनाथ का यह मंदिर सान्दीपनि आश्रम और निकट ही राम-जनार्दन मंदिर के सुंदर दृश्यों को निहारता रहता है। सिध्दवट और काल भैरव की ओर मुत्रडकर क्षिप्रा कालियादेह महल को घेरते हुई चुपचाप उज्जैन से आगे अपनी यात्रा पर बढ जाती है।
मेहरचंद महाजन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं।
यद्यपि आज़ाद हिंद फौज के सेनानियों की संख्या के बारे में थोड़े बहुत मतभेद रहे हैं परंतु ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि इस सेना में लगभग चालीस हजार सेनानी थे। इस संख्या का अनुमोदन ब्रिटिश इंटेलिजेंस मे रहे कर्नल श्री जीडी एंडरसन ने भी किया है।
राज्य ने सूचना प्रौद्योगिकी और जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है. 2004-2005 में आंध्र प्रदेश भारत के सर्वोच्च IT निर्यातकों की सूची में पांचवे स्थान पर रहा था.2004-2005 के दौरान राज्य से 2004-2005 निर्यात रु.82,700 मिलियन ($ 1,800 मिलियन) रहा था. [२२]प्रति वर्ष 52.3% की दर से IT क्षेत्र का विस्तार हो रहा है. राष्ट्र के कुल IT निर्यात में 14 प्रतिशत के योगदान द्वारा, 2006-2007 में IT निर्यात रु.190,000 मिलियन ($4.5 बिलियन) तक पहुंचा, और भारत में चौथे स्थान पर रहा. [२३]पहले से ही सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में राज्य के सेवा क्षेत्र का योगदान 43% है और 20% कार्य बल नियोजित है. [२१]इस राज्य की राजधानी हैदराबाद को देश के थोक दवा की राजधानी माना जाता है. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के शीर्षस्थ 10 कंपनियों का 50% इस राज्य से हैं. इस राज्य की कई कंपनियों द्वारा पहले से मोर्चा संभालने की वजह से, बुनियादी सुविधाओं के मामले में भी राज्य ने बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है.
मद्रास प्रेसिडेंसी ब्रिटिश इंडिया की एक प्रोविन्स थी।
स्वामी प्रणवानंद (१८९६ - १९४१) का जन्म सन् १८९६ में वर्तमान बाग्लादेश के बजितपुर गांव में हुआ था। उनके बचपन का नाम बिनोद था। बचपन से ही वे गहन चिन्तन करते-करते ध्यान-मग्न हो जाते थे। उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया।
इस सभ्यता का क्षेत्र संसार की सभी प्राचीन सभ्यताओं के क्षेत्र से अनेक गुना बड़ा और विशाल था।[२] इस परिपक्व सभ्यता के केन्द्र-स्थल पंजाब तथा सिन्ध में था। तत्पश्चात इसका विस्तार दक्षिण और पूर्व की दिशा में हुआ। इस प्रकार हड़प्पा संस्कृति के अन्तर्गत पंजाब, सिन्ध और बलूचिस्तान के भाग ही नहीं, बल्कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमान्त भाग भी थे। इसका फैलाव उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट से लेकर उत्तर पूर्व में मेरठ तक था। यह सम्पूर्ण क्षेत्र त्रिभुजाकार है और इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किलोमीटर है। इस तरह यह क्षेत्र आधुनिक पाकिस्तान से तो बड़ा है ही, प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया से भी बड़ा है। ईसा पूर्व तीसरी और दूसरी सहस्त्राब्दी में संसार भार में किसी भी सभ्यता का क्षेत्र हड़प्पा संस्कृति से बड़ा नहीं था। अब तक भारतीय उपमहाद्वीप में इस संस्कृति के कुल 1000 स्थलों का पता चल चुका है। इनमें से कुछ आरंभिक अवस्था के हैं तो कुछ परिपक्व अवस्था के और कुछ उत्तरवर्ती अवस्था के। परिपक्व अवस्था वाले कम जगह ही हैं। इनमें से आधे दर्जनों को ही नगर की संज्ञा दी जा सकती है। इनमें से दो नगर बहुत ही महत्वपूर्ण हैं - पंजाब का हड़प्पा तथा सिन्ध का मोहें जो दड़ो (शाब्दिक अर्थ - प्रेतों का टीला)। दोनो ही स्थल पाकिस्तान में हैं। दोनो एक दूसरे से 483 किमी दूर थे और सिंधु नदी द्वारा जुड़े हुए थे। तीसरा नगर मोहें जो दड़ो से 130 किमी दक्षिण में चन्हुदड़ो स्थल पर था तो चौथा नगर गुजरात के खंभात की खाड़ी के उपर लोथल नामक स्थल पर। इसके अतिरिक्त राजस्थान के उत्तरी भाग में कालीबंगां (शाब्दिक अर्थ -काले रंग की चूड़ियां) तथा हरियाणा के हिसार जिले का बनावली। इन सभी स्थलों पर परिपक्व तथा उन्नत हड़प्पा संस्कृति के दर्शन होते हैं। सुतकागेंडोर तथा सुरकोतड़ा के समुद्रतटीय नगरों में भी इस संस्कृति की परिपक्व अवस्था दिखाई देती है। इन दोनों की विशेषता है एक एक नगर दुर्ग का होना। उत्तर ङड़प्पा अवस्था गुजरात के कठियावाड़ प्रायद्वीप में रंगपुर और रोजड़ी स्थलों पर भी पाई गई है। इस सभ्य्ता की जाऩकारी सबसे पेहले १८२६ मे चाल्स्र्‍ मैन को प्राप्त हुइ।
1990 - भारी जन-विरोध के बाद एरशाद पद से हटे.
राजनैतिक इतिहास उज्जैन का काफी लम्बा रहा है। उज्जैन के गढ़ क्षेत्र से हुयी खुदाई में आद्यैतिहासिक (protohistoric ) एवं प्रारंभिक लोहयुगीन सामग्री प्रचुर मात्र में प्राप्त हुई है। पुरानों व महाभारत में उल्लेख आता है की वृष्णि-वीर कृष्ण व बलराम यहाँ गुरु सांदीपनी के आश्रम में विद्याप्राप्त करने हेतु आये थे। कृष्ण की एक पत्नी मित्रवृन्दा उज्जैन की ही राजकुमारी थी। उसके दो भाई विन्द एवं अनुविन्द महाभारत युद्ध में कौरवों की और से युद्ध करते हुए वीर गति को प्राप्त हुए थे। ईसा की छठी सदी में उज्जैन में एक अत्यंत प्रतापी राजा हुए जिनका नाम चंड प्रद्योत था। भारत के अन्य शासक उससे भय खाते थे। उसकी दुहिता वासवदत्ता एवं वत्सनरेश उदयन की प्रणय गाथा इतिहास प्रसिद्द हैv प्रद्योत वंश के उपरांत उज्जैन मगध साम्राज्य का अंग बन गया।
वर्ष 1919 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इसी स्थान पर करीब 2000 भारतीयों का नरसंहार किया था। आज यहाँ उस दुःखद घटना की याद दिलाता स्मारक खड़ा है।
२००५: लिट्टे ने श्रीलंका के विदेश मंत्री लक्ष्मण कादिरगमार की हत्या की।
दरभंगा जिले के अंतर्गत 3 अनुमंडल, 18 प्रखंड, 329 पंचायत, 1,269 गांव एवं 23 थाने हैं।
हैदराबाद शेष भारत से राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। मुख्य राजमार्ग हैं:- एन एच 7, एन ए 9 एवं एन एच 202। आंध्र प्रदॆश सड़क राज्य परिवन निगम [६] 1932 में निज़ाम राज्य रेल-सड़क यातायात प्रभाग की इकाई के रूप में स्थापित हुआ था, जिसमें आरंभिक 27 बसें थीं, जो अब बढ़कर 19,000 का आंकड़ा पार कर चुकी है। यहां एशिया का तीसरा सबसे बड़ा बसों का बेड़ा है। इसमें 72 बस प्लेटफॉर्म हैं, जहां इतनी ही बसें एक ही समय में यात्रियों को चढ़ा सकतीं हैं। इसका आधिकारिक नाम है महत्मा गाँधी बस स्टेशन, जिसे स्थानीय लोग [इमलीवन]] बस स्टेशन कहते हैं। राज्य परिवहन निगम पॉइंट से पॉइंट बस सेवा प्रदान करता है, जो सभी मुख्य नगरों को जोड़ती है। शहर में निगम की 4000 से अधिक बसें दौड़तीं हैं।[७] पीले रंग का ऑटोरिक्शा, जिसे ऑटो कहा जाता है, अधिकतर प्रयुक्त टैसी सेवा है। हाल ही में कार व मोटरसाइकिल टैसी सेवाएं भी आरंभ हुईं हैं।
At first, travel between California and the central and eastern parts of the United States was time-consuming and dangerous. A more direct connection came in 1869 with the completion of the First Transcontinental Railroad through Donner Pass in the Sierra Nevada mountains. After this rail link was established, hundreds of thousands of U.S. citizens came west, where new Californians were discovering that land in the state, if irrigated during the dry summer months, was extremely well-suited to fruit cultivation and agriculture in general. Vast expanses of wheat and other cereal crops, vegetable crops, cotton, and nut and fruit trees were grown (including oranges in Southern California), and the foundation was laid for the state's prodigious agricultural production in the Central Valley and elsewhere.
बांग्लादेश में जातीय झोग्राशाला या राष्ट्रीय सदन के सदस्यों का चुनाव प्रत्येक पांच वर्ष बाद किया जाता है एवं उन्हें अंग्रेज़ी में मेम्बर ऑफ़ पार्लियामेंट या सांसद कहा जाता है. विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षित 45 सीटों सहित कुल 345 सीटें है .
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आर्मेनिया की नेशनल असेंबली
पृथ्वी की आन्तरिक हलचल के कारण ऊपरी सतह का अपने स्थान से खिसक जाना भूस्खलन कहलाता हॅ।
पहली दशाब्दी का संपूर्ण कार्यकाल संगठनात्मक विकास तथा नीतिगत तथा वैचारिक प्रसार में ही बीत गया। कश्मीर, कच्छ तथा बेरूबारी जैसी समस्याओं से जूझने में इसने अपना अधिकांश समय बिताया जो कि प्रादेशिक अखण्डता से जुड़े प्रश्न थे लेकिन बदले में उसे क्या मिला, उसी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी का कश्मीर जेल में बलिदान। अनुच्छेद 48 के अनुसार गाय के सरंक्षण की मांग करने वाली पार्टी यह थी जैसा कि महात्मा गांधी ने घोषणा की थी कि गाय का सरंक्षण स्वराज्य से भी महत्वपूर्ण है। जमींदारी और जागीरदारी के विरूध्द भी इस पार्टी ने अपना बिगुल बजाया। परमिट-लाइसेंस, कोटा राज के खिलाफ भी आवाज़ उठाने वाली यही पार्टी थी। न्यूक्लीयर ताकत बढाने के पक्ष में भी यही पार्टी थी ताकि देश की सैन्यशक्ति दुनियाँ के सामने अपनी अलग ही पहचान बना पाए। 1962 के चीन युध्द तथा 1965 में पाकिस्तान युध्द ने संघ परिवार को देश की संवेदनशीलता के शीर्ष पर बैठा दिया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक परिवार को 1965 में जन पुलिस कार्य सौंपा गया तब इसने समाज के सभी वर्गों और यहां तक कि मुसलमान भाईयों को संतुष्ट कर दिखाया। राष्ट्रीय एकता परिषद में गुरूजी को विशेष रूप से बुलाया गया और जनरल कुलवंत सिंह ने तब कहा कि पंजाब देश की तलवार की धार है जिसकी कमाँड राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ है।
उत्तरी आयरलैंड में शिक्षा की ज़िम्मेदारी शिक्षा मंत्री और रोजगार और अध्ययन मंत्री की है, हलाँकि स्थानीय स्तर पर जिम्मेदारी पाँच शिक्षा और पुस्तकालय बोर्डों द्वारा प्रशासित हैं, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों को कवर करते हैं.'पाठ्यक्रम, परीक्षा एवं मूल्यांकन के लिए परिषद' (CCEA) सरकार को सलाह देने के लिए जिम्मेदार है की उत्तरी आयरलैंड के स्कूलों में क्या पढ़ाना चाहिए, मानकों की निगरानी और योग्यता देना.[१९०]
आइएसबी एफटी की ग्लोबल B-स्कूल की रैंकिंग में जगह पाने वाला यह पहला भारतीय बी-स्कूल है और अपने सूची में समावेशन के पहले साल में ही इसे शीर्ष बीस में शामिल किया गया.[१४]
यद्यपि इस युग में गद्यपद्यात्मक साहित्य शास्त्र की उपलब्धि नहीं होती, फिर भी इनका निर्माण अवश्य होने लगा था, क्योंकि अनंतसूर्य का काव्य आज भी बर्मा में प्रचलित है। बर्मी राजाओं द्वारा त्रिपिटक का अधिक अध्ययन होने से बर्मी साहित्य पर पालि का अत्यधिक प्रभाव पड़ने लगा।
अट्ठारह पुराणों में भगवान महेश्वर की महान महिमा का बखान करनेवाला लिंग पुराण विशिष्ट पुराण कहा गया है। भगवान शिव के ज्योर्ति लिंगों की कथा, ईशान कल्प के वृत्तान्त सर्वविसर्ग आदि दशा लक्षणों सहित वर्णित है। भगवान शिव की महिमा का बखान लिंग पुराण में ११,००० श्लोकों में किया गया है। यह समस्त पुराणों में श्रेष्ठ है। वेदव्यास कृत इस पुराण में पहले योग फिर कल्प के विषय में बताया गया है।
मोतीलाल नेहरू की पत्नी का नाम स्वरूप रानी था। पंडित जवाहरलाल नेहरू उनके एकमात्र पुत्र थे। उन्हे दो कन्या भी थीं। उनकी बडी बेटी का नाम विजयालक्षमी था, जो आगे चलकर विजयालक्ष्मी पंडित नाम से मशहूर हुई। उनकी छोटी बेटी का नाम कृष्णा था।
वर्तमान समय में इस बाग को लाल बाग वनस्पति बगीचा के नाम से जाना जाता है। यह बाग भारत के सबसे खूबसूरत वनस्पतिक बगीचों में से एक है। अठारहवीं शताब्दी में हैदर अली और टीपू सुल्तान ने इसका निर्माण करवाया था। इस बगीचे के अंदर एक खूबसूरत झील है। यह झील 1.5 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। यह झील का नजारा एक छोटे से द्वीप की तरह प्रतीत होता है। जिस कारण यह जगह एक अच्छे पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है। खुलने का समय- सुबह 9 बजे से शाम 6 तक। शुल्‍क- 12 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए दो रूपए।
समुद्र तल से 1533 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर धूंगरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर यहां की स्थानीय देवी हिडिम्बा को समर्पित है। हिडिम्बा महाभारत में वर्णित भीम की पत्नी थी। मई के महीने में यहां एक उत्सव मनाया जाता है। महाराज बहादुर सिंह ने यह मंदिर 1553 ई. में बनवाया था। लकड़ी से निर्मित यह मंदिर पैगोड़ा शैली में बना है।
"चीन" शब्द का प्रथम दर्ज उपयोग १५५५ में किया गया था। ये शब्द चिन से निकला था जो मार्को पोलो द्वारा पश्चिम में प्रचारित किया गया। यह शब्द पारसी और संस्कृत के Cīnā (चीन) और अंततः किन साम्राज्य से निकला (秦) (७७८ ईसा पूर्व -२०७ ईसा पूर्व), जो झोऊ वंशावली के समय चीन का सबसे पश्चिमी साम्राज्य था।
लाक्टाम्स स्त्रेप्तोकोच्चुस प्नेउमोनिए प्रतिरोध के लिए पेनिसिलिन और अन्य बीटा दुनिया भर में बढ़ रही है. प्रतिरोध के प्रमुख तंत्र पेनिसिलिन बाध्यकारी प्रोटीन जीन में म्यूटेशन एन्कोडिंग का परिचय शामिल है. चुनिंदा दबाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सोचा है, और बीटा लस्टम एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग किया है संक्रमण और उपनिवेशण के लिए एक जोखिम कारक के रूप में फंसाया गया है. स्त्रेप्तोकोच्चुस प्नेउमोनिए गठिया और पेरितोनितिस के लिए जिम्मेदार है निमोनिया, बच्तेरेमिया, ओटिटिस मीडिया, मैनिंजाइटिस, सिनुसितिस,.[३६]
देश जिन्हें मान्यता नहीं मिली है, की सूची में उन भू-राजनैतिक अस्तित्वों के नाम हैं, जिनको किसी रूप में राजनयिक मान्यता का अभाव है, परंतु माँटवीडियो सम्मेलन के अन्तर्गत सार्वभौमिक राष्ट्र की भांति विश्वव्यापक मान्यता की इच्छा रखते हैं । भूतपूर्व ऐसे देशों की सूची हेतु देखें ऐतिहासिक अमान्य देशों की सूची
अधिकांश गवर्नर-जनरल एवं वाइसरॉय पीयर थे। जो नहीं थे, उनमें सर जॉन शोर बैरोनत , एवं कॉर्ड विलियम बैंटिक लॉर्ड थे, क्योंकि वे एक ड्यूक के पुत्र थे। केवल प्रथम और अंतिम गवर्नर-जनरल वार्रन हास्टिंग्स तथा चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य, और कुछ अस्थायी गवर्नर-जनरल, को कोई विशेष उपाधि नहीं थी।
आरंभिक काल में मात्र कवियों के सूची संग्रह को इतिहास रूप में प्रस्तुत कर दिया गया। भक्तमाल आदि ग्रंथों में यदि भक्त कवियों का विवरण दिया भी गया तो धार्मिक दृष्टिकोण तथा श्रध्दातिरेक की अभिव्यक्ति के अतिरिक्त उसकी और कुछ उपलब्धि नहीं रही। 19वीं सदी में ही हिन्दी भाषा और साहित्य दोनों के विकास की रूपरेखा स्पष्ट करने के प्रयास होने लगे। प्रारंभ में निबंधों में भाषा और साहित्य का मूल्यांकन किया गया जिसे एक अर्थ में साहित्य के इतिहास की प्रस्तुति के रूप में भी स्वीकार किया गया। डॉ. रूपचंद पारीक, गार्सा-द-तासी के ग्रंथ इस्त्वार द ल लितरेत्यूर ऐन्दूई ऐन्दूस्तानी को हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास मानते हैं। उन्होंने लिखा है - हिन्दी साहित्य का पहला इतिहास लेखक गार्सा-द-तासी हैं, इसमें संदेह नहीं है। परंतु डॉ.किशोरीलाल गुप्त का मंतव्य है- तासी ने अपने ग्रंथ को हिन्दुई और हिन्दुस्तानी साहित्य का इतिहास कहा है, पर यह इतिहास नहीं हैं, क्योंकि इसमें न तो कवियों का विवरण काल क्रमानुसार दिया गया है, न काल विभाग किया गया है और अब काल विभाग ही नहीं है तो प्रवृत्ति निरूपण की आशा ही कैसे की जा सकती है। वैसे तासी और सरोज को हिन्दी साहित्य का प्रथम और द्वितीय इतिहास मानने वालों की संख्या अल्प नहीं है परंतु डॉ. गुप्त का विचार है कि ग्रियर्सन का द माडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास है। डॉ.रामकुमार वर्मा ने इसके विपरीत अनुसंधानात्मक प्रवृत्ति की दृष्टि से तासी के प्रयास को अधिक महत्वपूर्ण निरूपित किया है।
“साहित्‍य संगीत कला वि‍हीन ।
हालांकि शब्द "टेस्ट मैच" का प्रयोग काफी समय तक नहीं किया गया, ऐसा माना जाता है की 1876-77 में ऑस्ट्रेलियाई मौसम (1876-77 Australian season)में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच इसकी शुरुआत हुई.इसके बाद आठ अन्य राष्ट्रीय दलों ने टेस्ट दर्जा हासिल किया: दक्षिण अफ्रीका (1889), वेस्ट इंडीज (1928), न्यूजीलैंड (1929), भारत (1932), पाकिस्तान (Pakistan)(1952), श्रीलंका (Sri Lanka)(1982), जिम्बाब्वे (1992) और बंगलादेश (2000). बाद में २००६ में जिम्बाब्वे को टेस्ट दर्जे से निलंबित कर दिया गया, क्योंकि यह दूसरी टीमों से स्पर्धा नहीं कर पा रही थी. और अभी तक यह निलंबित है.[२३]
७८ - अठहत्तर
काशी में प्राचीन काल से समय समय पर अनेक महान विभूतियों का प्रादुर्भाव या वास होता रहा हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
गंग वंश के राजा चोडगंग देव गद्दी पर बैठे।
सन् १९५९ में रूस ने अपने कॉस्मोनॉट यूरी गगारिन को अंतरिक्ष में भेजा। १९६९ में अमेरिका ने सफलतापूर्वक मानव को चन्द्रमा की सतह तक पहुँचाने का दावा किया । हथियारों की होड़ बढ़ती गई और अंततः अमेरिका आगे निकल गया। १९८९ में जर्मनी का एकीकरण हुआ। १९९१ में सोवियत संघ का विघटन हो गया। रूस सबसे बड़ा परवर्ती राज्य बना । सन् २००७ में यूरोपीय संघ की स्थापना हुई ।
अपभ्रंश की समाप्ति और आधुनिक भारतीय भाषाओं के जन्मकाल के समय को संक्रांतिकाल कहा जा सकता है। हिन्दी का स्वरूप शौरसेनी और अर्धमागधी अपभ्रंशों से विकसित हुआ है। १००० ई. के आसपास इसकी स्वतंत्र सत्ता का परिचय मिलने लगा था, जब अपभ्रंश भाषाएँ साहित्यिक संदर्भों में प्रयोग में आ रही थीं। यही भाषाएँ बाद में विकसित होकर आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के रूप में अभिहित हुईं। अपभ्रंश का जो भी कथ्य रुप था - वही आधुनिक बोलियों में विकसित हुआ।
औद्योगिक क्रांति तथा आर्थिक रीतियों के नवीनतम रूपों के ढूँढ़ निकालने के साथ ही पश्चिम के राष्ट्रों में साम्राज्य के लिए छीना-झपटी चलती रही। यह एक लंबी कहानी है, जिसका वर्णन यहाँ नहीं किया जा सकता। किंतु इसक ज्ञान आवश्यक है कि जहाँ कहीं भी विस्तार की संभावना थी, पूँजीवाद अपने नए साम्राज्यवादी रूप में सामने आया। इसलिए जर्मनी, 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, संसार में अपने अस्तित्व के लिए भूमि चाहता था, अर्थात् दूसरे शब्दों में, उपनिवेश की लूट-खसोट में हिस्सा बँटाना चाहता था। इटली ने भी इस दौड़ में भाग लिया। रूस, सारे उत्तरी तथा मध्य एशिया में फैलकर, ब्रिटेन को भयभत करने लगा। संयुक्त अमरीका तक प्रत्यक्ष रूप से, जैसे फ़िलीपाइंस में तथा अन्य बहुत से क्षेत्रों पर, अप्रत्चक्ष रूप से शासन करने लगा। जापान ने पश्चिमी साम्राज्यवादियों से शिक्षा प्राप्त की तथा पहले कोरिया फिर संपूर्ण पूर्वी एशिया पर, अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहा। महान् देश भारत, जो अंग्रेजों के प्रत्यक्ष अधिकार में था, तथा चीन, जो नाममात्र के लिए स्वतंत्र किंतु वस्तुत: कई शक्तियों की गुलामी में जकड़ा हुआ था, उपनिवेश प्रथा के मूर्त उदहारण हैं। इतिहास के इस रूप की अन्य विशेषताएँ अफ्रीका के भीतरी भागों में प्रवेश, लाभदायक दासव्यापार की विभीषिका, उसकी भूमि का बँटवारा और प्रतिस्पर्धा, साम्राज्यवादियों द्वारा उसके साधनों का निर्दय शोषण आदि है।
गवर्नर-जनरल को पहले पहल, केवल बंगाल प्रेसीडेंसी पर ही अधिकार था। रेगुलेटिंग अधिनियम द्वारा, उन्हें विदेश संबंध एवं रक्षा संबंधी कई अतिरिक्त अधिकार दिये गये। ईस्ट इंडिया कंपनी की अन्य प्रेसीडेंसियों जैसे मद्रास प्रेसीडेंसी, बंबई प्रेसीडेंसी, एवं बेंगकुलु प्रेसीडेंसी (बैनकूलन) को, बिना फोर्ट विलियम के गवर्नर-जनरल एवं परिषद की अग्रिम अनुमोदन के; ना तो कोई युद्ध की घोषणा के अधिकार थे, ना ही किसी भारतीय रजवाड़ॊं से शांति संबंध बनाने के अधिकार दिये गये थे।
यूरोपीय संघ का आधार विभिन्न ऐतिहासिक समझौते हैं, जिनसे पहले तो यूरोपीय संघ की स्थापना हुई और फिर उन समझौतों में तरह तरह के सुधार किये जाते रहे।[४९] ये समकझौते यूरोपीय संघ की बृहत नीतियों का आधार एवं उद्देश्य निर्धारित करती हैं तथा उन्हें आवश्यक विधायी शक्तियां प्रदान करती है। इन विधायी शक्तियों में किसी कानून को लागू करवाने की शक्ति[५०] जो सीधे-सीधे सभी सदस्य राष्ट्रों एवं उसके नागरिकों को प्रभावित करती है।[५१]
लगभग नौंवी शती ईसा पूर्व से ग्रीक भाषा को ग्रीक-अल्फाबेट के द्वारा लिखा जाता है। पुरानी ग्रीक में केवल बड़े अक्षर (upper-case letters) ही थे। छोटे अक्षरों का विकास तो मध्य काल में हुआ जब स्याही के उपयोग से तेजी से कागज पर लिखने की जरूरत आयी।
दूसरी समाजवादी विचारधारा, जिसमें बोल्शेविक दल भी सम्मिलित था, रूसी सामाजिक लोकतंत्रावादी मजदूरदल (Russian Social Democratic Labour Party, R. S. D. L. P.) के नाम से प्रसिद्ध है। इसका प्रभाव मुख्यत: नागरिक मजदूर वर्ग में था। रूस में उद्योग कम थे, परंतु बड़े पैमाने के थे और अपेक्षया अधिक मजदूरों को नौकर रखते थे। अत: इन मजदूरों में राजनीतिक चेतना और संगठन अधिक था। लोकतंत्र के अभाव में मजदूरों का संघर्ष करना कठिन था, इसलिए मजदूर वर्ग क्रांतिकारी प्रभाव में आ गया और जर्मनी जैसी परिस्थितियों के कारण यहाँ के अधिकांश मजदूर नेता भी मार्क्सवादी तथा जर्मनी के सामाजिक लोकतंत्रवादी दल से प्रभावित हुए। सन् 1890 के लगभग एक्सलरोड (Axelrod) और प्लेखानोव (Plekhanov) ने पीटर्सवर्ग (बाद में लेनिनग्राड) में प्रथम मजदूर समूह स्थापित किए जो आगे चलकर 1898 में रूसी सामाजिक लोकतंत्रवादी मजदूर पार्टी के आधार बने।
कोशिकीय उपापचय में अधिकांश परिवर्तन जो कोशिका में अनियमित तरीके से विभाजन का कारण हैं, वे कोशिका मृत्यु का कारण होते हैं. हालांकि एक बार कैंसर शुरू हो जाने पर, कैंसर की कोशिकाएं प्राकृतिक वरण की एक प्रक्रिया से होकर गुजरती हैं: नए आनुवंशिक परिवर्तनों से युक्त कुछ कोशिकाएं जो अपने जीवन और प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए निरंतर बहुगुणित होती रहती हैं, और जल्दी ही विकसित होती हुई गाँठ पर प्रभावी हो जाती हैं, क्योंकि कम अनुकूलित आनुवंशिक परिवर्तनों से युक्त कोशिकाएं प्रतिस्पर्धा से बाहर होती हैं. [३७] इसी प्रकार से MRSA जैसे रोगजनक प्रतिजैविक-प्रतिरोधी बन जाते हैं (या इसी प्रकार से HIV ड्रग-प्रतिरोधी बन जाता है), और यही कारण है कि फसलों के ब्लाईट और कीट कीटनाशक प्रतिरोधी बन जाते हैं. इसी विकास के कारण कैंसर पुनरावृति में ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो कैंसर की दवाओं के लिए प्रतिरोध प्राप्त कर लेती हैं (या कुछ मामलों में रेडियोथेरेपी के विकिरणों के लिए प्रतिरोधी हो जाती हैं)
देवताओं का वर्गीकरण कई प्रकार से हुआ है,इनमे चार प्रकार मुख्य है:-
मेघनाद साहा ( ६ अक्तूबर १८९३ - १६ फरवरी, १९५६ ) सुप्रसिद्ध भारतीय खगोलविज्ञानी (एस्ट्रोफिजिसिस्ट्) थे। वे साहा समीकरण के प्रतिपादन के लिये प्रसिद्ध हैं। यह समीकरण तारों में भौतिक एवं रासायनिक स्थिति की व्याख्या करता है। उनकी अध्यक्षता में गठित विद्वानों की एक समिति ने भारत के राष्ट्रीय शक पंचांग का भी संशोधन किया, जो २२ मार्च १९५७ (१ चैत्र १८७९ शक) से लागू किया गया। [१] इन्होंने साहा इन्सटीच्यूट ऑफ न्यूक्लीयर फिजीक्स तथा इन्डियन एसोसीएसन फार द कल्टीभेशन ऑफ साइन्स नामक दो महत्त्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना की।
आपश्री ने आह्मवान किया : हम चाहे U.S.A. के हों, U.K. के हों, भारत के हों, पाकिस्तान के हों या अन्य किसी भी देश के, आज विश्व को सबसे बड़ी आवश्यकता है कि वह पथभ्रष्ट और विनष्ट होती हुई युवा पीढ़ी को यौगिक प्रयोग के माधयम से बचा ले क्योंकि नई पीढ़ी का पतन होना प्रत्येक राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है | आज सभी जातियों, मजहबों एवं देशों को आपसी तनावों तथा संकीर्ण मानसिकताओं को छोड़कर तरूणों की भलाई में ही सोचना चाहिये | विश्व को आज आवश्यकता है कि वह योग और वेदान्त की शरण जाये |
इसी क्रम में नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी ने सन्‌ १९५४ में हिंदी में मौलिक तथा प्रामाणिक विश्वकोश के प्रकाशन का प्रस्ताव भारत सरकार के सम्मुख रखा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया और उसकी पहली बैठक ११ फरवरी १९५६ में हुई और हिंदी विश्वकोश के निर्माण का कार्य जनवरी १९५७ में प्रांरभ हुआ।
The fruits of Palmyra Palm tree, Borassus flabellifer (locally called Thaati Munjelu) sold in a market at Guntur, India.
अन्य नियमित पूरकों में शामिल हैं:
     इस्लाम     पर एक शृंखला का भाग
जबलपुर मध्यप्रदेश में स्थित है ,यहाँ से 23 अप्रेल 2005 से घरेलू उडाने शुरू हुई थी ,
जिस प्रकार भारतीय अंकों को उनकी वैज्ञानिकता के कारण विश्व ने सहर्ष स्वीकार कर लिया वैसे ही देवनागरी भी अपनी वैज्ञानिकता के कारण ही एक दिन विश्वनागरी बनेगी।
परिक्रमा जहाँ से शुरु होती है वहीं पर एक प्रसिद्ध मंदिर भी है।
यूरोपीय आयोग संघ के प्रमुख कार्यकारी अंग के तौर पर काम करता है और इसके दैनंदिन कामों की जिम्मेवारी इसी पर होती है जिसे इसके 27 कमीश्नर संचालित करते हैं जो 27 सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस आयोग के अध्यक्ष एवं सभी 27 प्रतिनिधि यूरोपीय परिषद द्वारा नामित किये जाते हैं। अध्यक्ष एवं सभी 27 प्रतिनिधियों की नियुक्ति पर यूरोपीय संसद की मंजूरी आवश्यक होती है। [३६]
शारदाचरण मित्र ने इसे "राष्ट्र लिपि" बताया और अगस्त 1905 में एक "लिपि विस्तार परिषद" की स्थापना की। उन्होने 1907 में "देवनागर" नाम से एक पत्रिका भी निकाली, जिसमें कन्नड़, तेलुगु, बांग्ला आदि की रचनाएं नागरी लिपि में प्रकाशित की जाती थीं। लोकमान्य तिलक और गांधीजी ने देश की एकता के लिए एक लिपि की आवश्यकता पर बल दिया। गुजरात में जन्मे महर्षि दयानंद सरस्वती, दक्षिण के कृष्णस्वामी अय्यर तथा अनन्तशयनम् अयंगर और मुहम्मद करीम छागला ने भी नागरी लिपि के महत्व पर बल दिया। महात्मा गांधी चाहते थे कि भारत में भाषायी एकता के लिए एक समान लिपि की आवश्यकता है। एक स्थान पर उन्होने लिखा है "लिपि विभिन्नता के कारण प्रांतीय भाषाओं का ज्ञान आज असंभव सा हो गया है। बांग्ला लिपि में लिखी हुई गुरुदेव की गीतांजलि को सिवाय बंगालियों के और कौन पढ़ेगा पर यदि वह देवनागरी में लिखी जाये, तो उसे सभी लोग पढ़ सकते हैं। "आज दक्ख़िनी हिंदी की भी यही स्थिति है, जिसका लगभग 400 वर्षों का अपार साहित्य फारसी लिपि में होने के कारण हिंदी शोधार्थियों की दृष्टि से ओझल है। कहना न होगा कि लिपिभेद के कारण हिंदी साहित्य के इतिहास की इस कड़ी को हम अभी तक जोड़ नहीं पाये हैं।
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
तुमि ह्रदि तुमि मर्म
4. ये राज्य के साथ ही निजी संस्थान के विरूद्ध भी लायी जा सकती हैइसके लाभ
आर्किमिडीज़ के कार्य को डोरिक यूनानी में लिखा गया, जो प्राचीन सेराक्यूस की बोली है. [३७]युक्लीड की तरह आर्किमिडीज़ का लिखित कार्य भी मौजूद नहीं है, और उनके सात ग्रंथों की उपस्थिति को जाना जाता है, जिसका सन्दर्भ अन्य लेखकों के द्वारा दिया गया है. एलेगज़ेनड्रिया के पेप्पस ऑन स्फीयर मेकिंग (On Sphere-Making) का और बहुकोणीय आकृति पर किये गए अन्य कार्य का उल्लेख करते हैं, जबकि एलेगज़ेनड्रिया के थियोन now-lostकेटोपट्रिक से अपवर्तन के बारे में एक टिप्पणी का उद्धरण देते हैं. [b] उसके जीवनकाल के दौरान, आर्किमिडीज़ ने एलेगज़ेनड्रिया में गणितज्ञों के साथ पत्राचार के माध्यम से अपने कार्य को प्रसिद्ध बनाया. आर्किमिडीज़ के लेखन को मिलेटस के बीजान्टिन वास्तुकार इसिडोर के द्वारा संग्रहित किया गया. (c .530 ई.), जबकि आर्किमिडीज़ के कार्यों पर टिप्पणियों को छठी शताब्दी ई. में युटोकियास के द्वारा लिखा गया, उन्होंने उनके कार्य के लिए व्यापक दर्शक एकत्रित किये. आर्किमिडीज़ के कार्य को थाबित इब्न क्युर्रा (Thābit ibn Qurra) के द्वारा अरबी में अनुवादित किया गया (836-901 ई.), और सेरामोना के जेरार्ड के द्वारा लैटिन में अनुवादित किया गया (c. 1114-1187 ई.). पुनर्जागरण के दौरान, ग्रीक और लैटिन में आर्किमिडीज़ के कार्य के साथ, एडिटियो प्रिन्सेप्स (Editio Princeps) को 1544 में जोहान हर्वेगन के द्वारा बेसल (Basel) में प्रकाशित किया गया.[३८] ऐसा प्रतीत होता है कि वर्ष 1586 के आस पास गैलीलियो गैलीली ने आर्किमिडीज़ के कार्य से प्रेरित होकर वायु और जल में धातुओं का भार ज्ञात करने के लिए जलस्थैतिक तुला का आविष्कार किया. [३९]
पुर्तगाली या (पोर्तगाली) नवलातीनी परिवार की भाषा है। इस परिवार की अन्य भाषाएँ स्पेनी, फ्रांसीसी, रूमेनी, लातीनी, प्रोवेंसाली तथा कातालानी हैं। यह लातीनी वोल्गारे (लातीनी अपभ्रंश) का विकसित रूप है जिसे रोमन विजेता अपने साथ लूसीतानिया में लगभग तीसरी शती ईसवी पूर्व में ले गए थे। रोमन विजेताओं की संस्कृति मूल निवासियों की अपेक्षा उच्च थी। उसके प्रभाव के कारण स्थानीय बोलियाँ दब गईं, भौगोलिक नामों तथा कुछ शब्दों (एस्क्वेदों वेइगा) में उनके अवशेष मिलते हैं।
बड़े पैमाने के उत्परिवर्तनो में शामिल हैं एक गुणसूत्र के एक भाग की क्षति या वृद्धि. जीनोमिक प्रवर्धन तब होता है जब एक कोशिका एक छोटे गुणसूत्री लोकस की कई प्रतिलिपियां (प्रायः 20 या अधिक) प्राप्त कर लेती है, सामान्यतया इसमें एक या अधिक ओंकोजीन होते हैं और आसन्न आनुवंशिक सामग्री होती है.स्थानीकरण (ट्रांसलोकेशन) तब होता है जब दो अलग अलग गुणसूत्री क्षेत्र असामान्य रूप से, एक विशिष्ट स्थान पर संगलित हो जाते हैं. इसका एक जाना माना उदाहरण है फिलाडेल्फिया गुणसूत्र या गुणसूत्र 9 और 22 का स्थानीकरण, जो तीव्र मज्जा जनित रक्त कैंसर में होता है, इसके परिणामस्वरूप BCR-abl संग्लन प्रोटीन, एक ओंकोजेनिक टायरोसिन काइनेज का उत्पादन होता है.
जब भगवान से यह जिज्ञासा व्यक्त की गई कि आत्मा आँखों से नहीं दिखाई देती तथा इस आधार पर आत्मा के अस्तित्व के सम्बन्ध में शंका व्यक्त की गई तो भगवान ने उत्तर दिया : 'भवन के सब दरवाजे एवं खिड़कियाँ बन्द करने के बाद भी जब भवन के अन्दर संगीत की मधुर ध्वनि होती है तब आप उसे भवन के बाहर निकलते हुए नहीं देख पाते। आँखों से दिखाई न पड़ने के बावजूद संगीत की मधुर ध्वनि बाहर खड़े श्रोताओं को आच्छादित करती है। संगीत की ध्वनि पौद्गलिक (भौतिक द्रव्य) है।
1539 ई. में चौसा के युद्ध में हुमायूँ को हरा शेर खाँ ने शेरशाह की उपाधि ली। 1540 ई. में शेरशाह ने हुमायूँ को दोबारा हराकर राजसिंहासन पर बैठा। शेरशाह का 10 जून, 1540 को आगरा में विधिवत राज्याभिषेक हुआ। उसके बाद 1540 ई. में लाहौर पर अधिकार कर लिया। बाद में ख्वास खाँ और हैबत खाँ ने पूरे पंजाब पर अधिकार कर लिया। फलतः शेरशाह ने भारत में पुनः द्वितीय अफगान साम्राज्य की स्थापना की। इतिहास में इसे 'सूरवंश' के नाम से जाना जाता है। सिंहासन पर बैठते समय शेरशाह 68 वर्ष का हो चुका था और 5 वर्ष तक शासन सम्भालने के बाद मई 1545 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
इस अनुभाग में लेख से सम्बन्धित सन्दर्भ लगाकर इसे पूर्ण करने में सहयोग कीजिए।
कबीर के ही शब्दों में- 'हम कासी में प्रकट भये हैं, रामानन्द चेताये'।
ध्वनिविकास की दृष्टि से पंजाबी अभी तक अपनी प्राकृत अवस्था से बहुत आगे नहीं बढ़ी है। तुलना कीजिए पंजाबी हत्थ, कन्न, जंघ, सत्त, कत्तणा, छडणा और हिंदी हाथ, कान, जाँघ, सात, कातना, छोड़ना आदि। पूर्वी पंजाबी में सघोष महाप्राण ध्वनियाँ (घ, झ, ढ, ध, भ) अघोष आरोही सुर के साथ बोली जाती हैं। यह पंजाबी की अपनी विशेषता है। पंजाबी बोलनेवालों की कुल संख्या करोड़ है।
वस्तुतः भागवत में सृष्टि की संपूर्ण विकास प्रक्रिया का और उस प्रक्रिया को गति देने वाली परमात्म शक्ति का दर्शन कराया गया है। ग्रंथ के पूर्वार्ध (स्कंध 1 से 9) में सृष्टि के क्रमिक विकास (जड़-जीव-मानव निर्माण) का और उत्तरार्ध (दशम स्कंध) में श्रीकृष्ण की लीलाओं के द्वारा व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास का वर्णन प्रतीक शैली में किया गया है। भागवत में वर्णित श्रीकृष्ण लीला के कुछ मुख्य प्रसंगों का आध्यात्मिक संदेश पहचानने का यहाँ प्रयास किया गया है।
दरभंगा शहर १६ वीं सदी में दरभंगा राज की राजधानी थी। १८४५ इस्वी में ब्रिटिस सरकार ने दरभंगा सदर को अनुमंडल बनाया और १८६४ ईस्वी में दरभंगा शहर नगर निकाय बन गया। [१] १८७५ में स्वतंत्र जिला बनने तक यह तिरहुत के साथ था। १९०८ में तिरहुत के प्रमंडल बनने पर इसे पटना प्रमंडल से हटाकर तिरहुत में शामिल कर लिया गया। स्वतंत्रता के पश्चात १९७२ में दरभंगा को प्रमंडल का दर्जा देकर मधुबनी तथा समस्तीपुर को इसके अंतर्गत रखा गया।
यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं ।
यही प्रश्न नरेन्द्र कोहली के सन्दर्भ में भी उतना ही प्रासंगिक है :
रीतिकाल के कवि राजाओं और रईसों के आश्रय में रहते थे। वहाँ मनोरंजन और कलाविलास का वातावरण स्वाभाविक था। बौद्धिक आनंद का मुख्य साधन वहाँ उक्तिवैचित््रय समझा जाता था। ऐसे वातावरण में लिखा गया साहित्य अधिकतर शृंगारमूलक और कलावैचित््रय से युक्त था। पर इसी समय प्रेम के स्वच्छंद गायक भी हुए जिन्होंने प्रेम की गहराइयों का स्पर्श किया है। मात्रा और काव्यगुण दोनों ही दृष्टियों से इस समय का नर-नारी-प्रेम और सौंदर्य की मार्मिक व्यंजना करनेवाला काव्यसाहित्य महत्वपूर्ण है।
चेन्नई नगर निगम और उपनगरीय नगरपालिकाएं नागरिक सुविधाएं मुहैया कराती हैं। अधिकांश क्षेत्रों में कूड़ा-प्रबंधन नील मेटल फैनालिका एन्वायरनमेंट मैनेजमेंट; एक निजी कंपनी और कुछ अन्य क्षेत्रों में नगर निगम देखता है। जल-आपूर्ति एवं मल-निकास (सीवेज ट्रीटमेंट) चेन्नई मेट्रोपॉलिटन वॉटर सप्लाई एंड सीवेज बोर्ड देखाता है। विद्युत आपूर्ति तमिल नाडु विद्युत बोर्ड प्रबंध करता है। [२६] शहर की दूरभाष सेवा छः मोबाइल और चार लैंडलाइन कंपनियों के द्वारा प्रबंध होता है,[२७][२८] और यही कंपनियां तथा सिफी और हैथवे ब्रॉडबैंड सेवा द्वारा इंटरनेट भि उपलब्ध कराती हैं।
तथा जब "राम" ने अपनी पत्नी सीता का परित्याग कर दिया तब वाल्मीकि ने ही सीता को प्रश्रय दिया था।
साँचा:CAhistory
2। दोशनबा में कौमी हुकूमत के ज़ेर इंतिज़ाम इलाका, जिन में कोई वलाएती सतह की इंतिज़ामी तक़सीम नहीं।
जर्मनी का एक प्रान्त ।
पृथ्वी पापियों के बोझ से पूर्णतः दब चुकी थी। समस्त देवताओं द्वारा बारम्बार भगवान विष्णु की प्रार्थना की जा रही थी। विष्णु ही ऐसे देवता थे, जो समय-समय पर विभिन्न अवतारों को ग्रहण कर पृथ्वी के भार को दूर करने में सक्षम थे क्योंकि प्रत्येक युग में भगवान विष्णु ने ही महत्वपूर्ण अवतार ग्रहण कर दुष्ट राक्षसों का संहार किया। वैवस्वत मन्वन्तर के अट्ठाईसवें द्वापर में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण अवतरित हुए।
नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर आने वाला नक्षत्र वृष राशि के 10 डिग्री-0'-1 से 23 डिग्री-20'-0 के बीच है। किसी भी वर्ष की 26 मई से 8 जून तक के 14 दिनों में इस नक्षत्र से सूर्य गुजरता है। इस प्रकार रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य लगभग साढ़े तीन दिन रहता है।
इलाहाबाद की ओर जाने वाली गाडियाँ :
दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना (समस्या-विहीन होना)
हिन्दी टंकण, हिन्दी आशुलिपि का अनिवार्य प्रशिक्षण आरम्भ किया गया ।
संक्षेप में, हिन्‍दुत्‍व के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं-हिन्दू-धर्म
हड़प्पा में पकी मिट्टी की स्त्री मूर्तिकाएं भारी संख्या में मिली हैं। एक मूर्ति में स्त्री के गर्भ से निकलता एक पौधा दिखाया गया है। विद्वानों के मत में यह पृथ्वी देवी की प्रतिमा है और इसका निकट संबंध पौधों के जन्म और वृद्धि से रहा होगा। इसलिए मालूम होता है कि यहां के लोग धरती को उर्वरता की देवी समझते थे और इसकी पूजा उसी तरह करते थे जिस तरह मिस्र के लोग नील नदी की देवी आइसिस् की। लेकिन प्राचीन मिस्र की तरह यहां का समाज भी मातृ प्रधान था कि नहीं यह कहना मुश्किल है। कुछ वैदिक सूक्तों में पृथ्वी माता की स्तुति है, किन्तु उनकों कोई प्रमुखता नहीं दी गई है। कालान्तर में ही हिन्दू धर्म में मातृदेवी को उच्च स्थान मिला है। ईसा की छठी सदी और उसके बाद से ही दुर्गा, अंबा, चंडी आदि देवियों को आराध्य देवियों का स्थान मिला।
निपुण एक ऑनलाइन सामूहिक अनुवाद तन्त्र है जो कि विभिन्न ऍप्लीकेशनों के हिन्दीकरण हेतु कार्यरत है। यह अक्षरग्राम नेटवर्क की एक परियोजना है।
१९४७ में भारत की स्वाधीनता के बाद आई आई टी खड़गपुर की स्थापना उच्च कोटि के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रसिक्षित करने के लिए हुई थी. इसका संस्थागत ढांचा दूसरी IITओं की ही तरह है और इसकी प्रवेश की विधि भी बाकी IITओं के साथ ही होती है. आई आई टी खड़गपुर के छात्रों को अनौपचारिक तौर पर केजीपिअन् (KGPians) कहा जाता है। सभी IITओं में इसका कैम्पस क्षेत्रफल सबसे ज्यादा (२१०० एकड़) है [२] और साथ ही विभाग और छात्रों की संख्या भी सर्वाधिक है। आई आई टी खड़गपुर, इल्लुमिनेशन , रंगोली, क्षितिज और स्प्रिन्ग्फेस्ट जैसे अपने वार्षिक उत्सवों के कारण जाना जाता है.
(3) मुक्तामुक्त - वह शस्त्र जो फेंककर या बिना फेंके दोनों प्रकार से प्रयोग किए जाते थे।
अर्जेंटीना 6.
देवगुप्त- महासेनगुप्त के बाद उसका पुत्र देवगुप्त मलवा का शासक बना । उसके दो सौतेले भाई कुमारगुप्त और माधवगुप्त थे ।
अब उर्दू के दिल्ली स्कूल का आरंभ होता है। यह बात स्मरणीय है कि यह सामंत काल के पतन का युग था। मुगल राज केवल अंदर से ही दुर्बल नहीं था वरन् बाहर से भी उसपर आक्रमण होते रहते थे। इस स्थिति से जनता की बोलचाल की भाषा ने लाभ उठाया। अगर राज्य प्रबल होता तो न नादिरशाह दिल्ली को लूटता और न फारसी की जगह जनता की भाषा मुख्य भाषा का स्वरूप धारण करती। इस समय के कवियों में "ख़ाने आरज़ू", "आबरू", "हातिम" (1783 ई.), "यकरंग", "नाज़ी", "मज़मून", "ताबाँ", (1748 ई.) "फ़ुगाँ" (1772 ई.), "मज़हर जानेजानाँ", "फ़ायेज़" इत्यादि उर्दू साहित्य में बहुत ऊँचा स्थान रखते हैं। दक्षिण में प्रबंध काव्यों और मरसियों (शोक कविताओं) की उन्नति हुई थी, दिल्ली में गजल का बोलबाला हुआ। यहाँ की प्रगतिशील भाषा हृदय के सूक्ष्म भावों को प्रकट करने के लिए दक्षिणी भाषा की अपेक्षा अधिक समर्थ थी इसलिए गजल की उन्नति स्वाभाविक जान पड़ती है। यह बात भी याद रखने योग्य है कि इस समय की कविताओं में श्रृंृंगाररस और भक्ति के विचारों को प्रमुख स्थान मिला है। सैंकड़ों वर्ष के पुराने समाज की बाढ़ रुक गई थी और जीवन के सामने कोई नया लक्ष्य नहीं था इसलिए इस समय की कविता में कोई शक्ति और उदारता नहीं दिखलाई पड़ती। 18वीं शताब्दी के समाप्त होने से पहले एक ओर नई-नई राजनीतिक शक्तियाँ सिर उठा रहीं थी जिससे मुगल राज्य निर्बल होता जा रहा था, दूसरी ओर वह सभ्यता अपनी परंपराओं की रोगी सुंदरता की अंतिम बहार दिखा रही थी। दिल्ली में उर्दू कविता और साहित्य के लिए ऐसी स्थिति पैदा हो रही थी कि उसकी पहुँच राजदरबार तक हो गई। मुगल बादशाह शाहआलम (1759-1806 ई.) स्वयं कविता लिखते थे और कवियों को आश्रय देते थे। इस युग में जिन कवियों ने उर्दू साहित्य का सिर ऊँचा किया, वे हैं "मीर दर्द" (1784 ई.), "मिर्ज़ा सौदा" (1785 ई.), मीर तक़ी "मीर" (1810 ई.) और "मीर सोज़"। इनके विचारों की गहराई और ऊँचाई, भाषा की सुंदरता तथा कलात्मक निपुणता प्रत्येक दृष्टि से सराहनी है। "दर्द" ने सूफी विचार के काव्य में, "मीर" ने गजल में और "सौदा" समस्त क्षेत्रों में उर्दू कविता की सीमाएँ विस्तृत कर दी।
Afghanistan • Bahrain • Bangladesh • Bhutan • Burma • Cambodia • China (Hong Kong) — भारत: आसामी  • बांग्ला  • बॉलीवुड (Hindi) • कॉलीवुड (तमिल ) • कन्नड़  • मराठी  • मलयालम  • टॉलीवुड (तेलुगु)  — Indonesia • Iran • Iraq • Israel • Japan • Jordan • Kazakhstan • Korea • Kuwait • Kyrgyzstan • Laos • Lebanon • Macau • Malaysia • Mongolia • Nepal — Pakistan: (उर्दु) • (पश्तो)nbsp;— Palestine • Philippines • Qatar • Saudi Arabia • Singapore • Sri Lanka • Syria • Taiwan • Tajikistan • Thailand • Turkey • Turkmenistan • U.A.E. • Uzbekistan • Vietnam • Yemen
नेपाल भाषा, मणिपुरी, खासी, मिज़ो, आओ, म्हार, नागा
विंडोज़ एक्स पी
त्रिशिखिब्राह्मणोपनिषद शुक्ल यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है
साँचा:Taxobox norank entry
1 = ँ ं ः ् 1
संस्कृत ओसीआर संस्कृत, हिन्दी तथा देवनागरी लिपि आधारित अन्य भारतीय भाषाओं के लिये एक ओसीआर सॉफ्टवेयर है।
दिल्ली के राजधानी नई दिल्ली से जुड़ाव और भूगोलीय निकटता ने यहाँ की राष्ट्रीय घटनाओं और अवसरों के महत्त्व को कई गुणा बढ़ा दिया है। यहाँ कई राष्ट्रीय त्यौहार जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गाँधी जयंती खूब हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं। भारत के स्वतंत्रता दिवस पर यहाँ के प्रधान मंत्री लाल किले से यहाँ की जनता को संबोधित करते हैं। बहुत से दिल्लीवासी इस दिन को पतंगें उड़ाकर मनाते हैं। इस दिन पतंगों को स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है।[२७] गणतंत्र दिवस की परेड एक वृहत जुलूस होता है, जिसमें भारत की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक झांकी का प्रदर्शन होता है। [२८][२९]
9. वर्गीकरण या क्रमबद्ध पादपविज्ञान (Taxonomy or Systematic botany) - इसके अंतर्गत पौधों के वर्गीकरण का अध्ययन करते हैं। पादप संघ, वर्ग, गण, कुल इत्यादि में विभाजित किए जाते हैं।
नोकिया फोन में इसका पता लगाने के लिए Menu>Settings>Phone>Phone Language में जाएँ।
क्षेत्रफल - 558 वर्ग कि.मी.
'मिस्र ही नील है और नील ही मिस्र है' (Egypt is Nile and Nile is Egypt)- हेरोडोटस
समकालीन उर्दू साहित्य में नई काव्यरचना प्रयोगवाद, स्पष्टवाद, प्रतीकवाद और निरुद्देश्यवाद से बहुत प्रभावित हो रही है। नई कविता जीवन के सभी मूल्यों का बहिष्कार करती है क्योंकि नए कवि सामाजिक चेतना को काव्यरचना में बाधक मानते हैं। इसके अतिरिक्त नए कवि अपने व्यक्तित्व अपने व्यक्तित्व को सिद्ध करने के लिए भाषा, विचार, कला और साहित्य के सभी नियमों को तोड़ना आवश्यक समझते हैं। कुछ लोग इसी को विचार स्वतंत्रता का नाम भी देते हैं, किंतु यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी कि नई कविता लिखनेवाले एक ओर तो साहित्य और कला की सभी परंपराओं से अपना नाता तोड़ रहे हैं और दूसरी ओर वे अपनी विचारधारा को यूरोप और अमरीका के कुछ दार्शनिकों, लेखकों और कवियों की विचारधारा से मिलाने की अनथक चेष्टा कर रहे हैं। यह आधुनिकता उर्दू कहानी और उपन्यास को भी प्रभावित कर रही है। नई कविता, कहानी और उपन्यास को साहित्य के इतिहास में क्या स्थान मिलेगा, इस समय इस संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता।
नाना राव पार्क फूल बाग
बिहार भारत का एक राज्य है । बिहार की राजधानी पटना है । बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड है । इसका नाम बौद्ध विहारों का विकृत रूप माना जाता है । यह क्षेत्र गंगा तथा उसकी सहायक नदियों के मैदानों में बसा है । प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक गिना जाता है ।
सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट्स में एड्वेंटिस्ट स्वास्थ्य अध्ययन दीर्घायु जीवन का एक सतत अध्ययन है. दूसरों के बीच में यह एकमात्र अध्ययन है जिसमें वही कार्य पद्धति अपनायी गयी है जिससे शाकाहार के लिए अनुकूल लक्षण प्राप्त हुए. शोधकर्ताओं ने पाया कि अलग-अलग जीवन शैली विकल्पों का संयोजन दीर्घायु जीवन पर अधिक से अधिक दस साल का प्रभाव डाल सकता है. जीवन शैली विकल्पों की जांच में पाया गया कि शाकाहारी भोजन जीवन को अतिरिक्त 1-1/2 से 2 साल तक बढ़ा सकता है. शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि "कैलिफोर्निया एड्वेंटिस्ट पुरुषों और महिलाओं के जीवन की प्रत्याशा किसी भी अन्य भली-भांति वर्णित प्राकृतिक आबादी की तुलना में अधिक है"; पुरुषों के लिए 78.5 साल और महिलाओं के लिए 82.3 साल. 30 वर्ष के कैलिफोर्निया एड्वेंटिस्टस के जीवन की प्रत्याशा पुरुषों के लिए 83.3 साल और महिलाओं के लिए 85.7 साल आंकी गयी.[६२]
गायत्री महामंत्र और उसका अर्थ
भारत में मुख्यतः चार ऋतुएं होती हैं -
6. विकास (Evolution) - इसके अंतर्गत पृथ्वी पर नाना प्रकार के प्राणी या पादप किस तरह और कब पहले पहल पैदा हुए होंगे और किन अन्य जीवों से उनकी उत्पत्ति का संबंध है, इसका अध्ययन होता है।
अगर लेट्स होता है तो रैली बंद कर दी जाती है और स्कोर में बगैर कोई परिवर्तन के फिर से खेली जाती है. कुछ अनपेक्षित बाधा के कारण लेट्स हो सकते हैं, मसलन शटलकॉक के कोर्ट में गिर जाने पर (संलग्न कोर्ट के खिलाड़ियों द्वारा हिट कर दिया गया हो) या छोटे हॉल के ऊपरी भाग से शटल छू जाए तो इसे लेट्स कहा जा सकता है.
थाली-तश्तरी में रखे कैंची-छुरे की पूजा मन्त्रोच्चार के साथ अभिभावक द्वारा करायी जाए । वे भावना करें कि बालक के कुविचारों को काटने के लिए, उनकी काट करने में समर्थ पैने उपकरण-सद्विचारों की अभ्यर्थना कर रहे हैं । जिस प्रकार स्थूल बालों की सफाई के लिए ये औजार प्रभु कृपा से मिलें हैं, वैसे ही सूक्ष्म प्रवाह भी मिलेंगे । उनका उपयोग पूरी तत्परता, जागरूकता से करेंगे । ॐ यत् क्षुरेण मज्ज्ायता सुपेशसा, वप्ता वपति केशान् । छिन्धि शिरो मास्यायुः प्रमोषीः । -पा०गृ०सू० २.१.१८
मुंशी, प्रेमचंद
बीएसएनएल लगभग हर दूरसंचार सेवा प्रदान करता है लेकिन निम्नलिखित मुख्य दूरसंचार सेवाओं में भूमिका है
भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना है। धरातली हलचलों जैसे पत्थर खिसकना या गिरना, पथरीली मिटटी का बहाव, इत्यादि इसके अंतर्गत आते है। भू-स्खलन कई प्रकार के हो सकते हैं और इसमें चट्टान के छोटे-छोटे पत्थरों के गिरने से लेकर बहुत अधिक मात्रा में चट्टान के टुकड़े और मिटटी का बहाव शामिल हो सकता है तथा इसका विस्तार कई किलोमीटर की दूरी तक हो सकता है। भारी वर्षा तथा बाढ़ या भूकम्प के आने से भू-स्खलन हो सकता है। मानव गतिवधियों, जैसे कि पेड़ों आैर वनस्पित के हटाने, सड़क किनारे खड़ी चटटान के काटने या पानी के पाइपों में रिसाव से भी भू-स्खलन हो सकता है। भू-स्खलन से पहले भू-स्खलन से पहले की गई तैयारी से आपको अपने घर तथा व्यापार को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी तथा आपकी जीवित बच निकलने में सहायक होगी। •
उत्तर प्रदेश के इतिहास को निम्नलिखित पाँच भागों में बाटकर अध्ययन किया जा सकता है-
2 अक्टूबर 1989 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिन के पावन पर्व पर अस्तित्व में आने वाले महराजगंज जनपद के इतिहास की रूपरेखा पुनर्गठित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्राचीन भारतीय साहित्य में इस क्षेत्र का कम ही उल्लेख हुआ हैं ऐसी स्थिति में तर्कपूर्ण अनुमान का आश्रय लेते हुए उपलब्ध साहित्यिक एंव पुरातात्विक स्रोतों की सम्यक समीक्षा के उपरान्त इस जनपद का इतिहास निर्विवाद रूप से प्रस्तुत कर पाना असंभव है। फिर भी इसके गौरवशाली अतीत के पुनर्निमाण का प्रयास इस लेख का अभीष्ठ है।
- इसके बाद देशी हल या कल्टीवेटर की सहायता से भूमि की ऊपरी 7-8 सेमी की सतह में जिप्सम मिला दें और फिर हल्का पाटा लगाकर क्यारियों को समतल कर लें |
जो रसना रस ना बिलसै तेविं बेहु सदा निज नाम उचारै। मो कर नीकी करैं करनी जु पै कुंज कुटीरन देहु बुहारन। सिध्दि समृध्दि सबै रसखानि लहौं ब्रज-रेनुका अंग सवारन। खास निवास मिले जु पै तो वही कालिन्दी कूल कदम्ब की डारन।।
तृतीय समिति- जनगणना ।
अमार शोनार बांग्ला (मेरा सोने का बंगाल या मेरा सोने जैसा बंगाल), बांग्लादेश का राष्ट्रगान है, जिसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। यह बांग्ला भाषा में है। गुरुदेव ने इसे बंग भंग के समय सन १९०६ में लिखा था जब मजहब के आधार पर अंग्रेजों ने बंगाल को दो भागों में बांट दिया था। यह गीत बंगाल के एकीकरण के लिये माहौल बनाने के लिये लिखा गया था।
पहले सम्राट अकबर ने इस मंदिर को बनवाने की अनुमति दी थी। [२] बाद में औरंगजेब ने 1669 में इसे तुड़्वा दिया [१] और यहां ज्ञानवापी नामक सरोवर के स्थान पर एक मस्जिद बन्वा दी थी। वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन 1780 में करवाया गया था। [३]. बाद में महाराजा रंजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि.ग्रा शुद्ध सोने द्वारा मढ़्वाया गया था।[४].
भारतवर्ष में आधुनिक ढंग की पत्रकारिता का जन्म अठारहवीं शताब्दी के चतुर्थ चरण में कलकत्ता, बंबई और मद्रास में हुआ। 1780 ई. में प्रकाशित हिके (Hickey) का "कलकत्ता गज़ट" कदाचित् इस ओर पहला प्रयत्न था। हिंदी के पहले पत्र उदंत मार्तण्ड (1826) के प्रकाशित होने तक इन नगरों की ऐंग्लोइंडियन अंग्रेजी पत्रकारिता काफी विकसित हो गई थी।
चावल तमिलनाडु का प्रमुख भोजन है , चावल व चावल के बने व्यन्जन जैसे दोसा,उथप्पम्,इद्ली आदि लोकप्रिय है जिन्हे केले के पत्ते पर परोसा जाता है।
बॉलीवुड के कुछ लोकप्रिय अभिनेता और अभिनेत्री हैं।
मधुसूदना सरस्वती (b. circa 1490)ने गीता को तीन वर्गों में विभाजित किया है,जहाँ प्रथम छह अध्यायों मे कर्म योग के बारे मे, बीच के छह मे भक्ति योग और पिछले छह अध्यायों मे ज्ञाना(ज्ञान)योग के बारे मे गया है. [४२] अन्य टिप्पणीकारों प्रत्येक अध्याय को एक अलग 'योग' से संबंध बताते है, जहाँ अठारह अलग योग का वर्णन किया है.[४३]
कई संस्कृतियों में एक सर्दियों का त्यौहार परंपरागत तरीके से मनाया जाने वाला सबसे लोकप्रिय त्योहार था.इसके वजा थी कम कृषि कार्य होता था और उत्तरी गोलार्द्ध (Northern Hemisphere).[७] में सर्दियों के उच्चतम (winter solstice) होने के कारण लौमीद करते The की दिन लंबे और रात चोटी होगी संक्षिप्त मैं , क्रिसमस का त्यौहार पहेले के च्रुचों द्वारा मानना शरू किरु किया गया यह सूच के की इससे पगन रोमंस अपना धर्म बदल कर ईसाई धर्मअपना लें और साथ ही अपने भी सर्दियों के सारे त्यौहार मना लेंगे.[७][८]कुछ khas देवी देवता जिसे उस पन्त के लोग मानते हैंउनका भी जनम दिन दिसम्बर २५ को मनाया जाता था . इसमे प्रमुख है इश्टर (Ishtar), बब्य्लोनियन गोद्देस्स ऑफ़ फेर्तिलिटी, लव, एंड वार, सोल इन्विक्टुस (Sol Invictus) एंड मिथ्रास (Mithras). आधुनिक युग के क्रिसमस मना के तर्रेके में उत्सव का आनद उठाने के साथ उपहारों का भी आदान प्रदान होता है. इसके अलावा आनद लेने के लिए रोमंस सतुर्नालिया (Saturnalia) ग्रीनरी, लायीट्स तथा रोमंस के नए साल (Roman New Year) की पवित्रता; और युले की लकडियों पे तरह-तरह के पकवान बनते हैं जो तयूतोनिक (Teutonic) फेअस्ट्स[९] में शामिल थे.ऐसे परम्परा कहता हैं की निम्नलिकित सर्दियों के त्योहारों से प्रेरित (syncretised)है
नियोग में शरीर पर घी का लेप लगा देते है ताकि पत्नी और नियुक्त पुरुष के मन में वासना जागृत न हो |
दिल्ली के निम्न भगिनी शहर हैं:[४१]
[७२]सिंधु घाटी मुहरों और इकोनोग्रफी भी एक यथोचित साक्ष्य प्रदान करते है कि योग परंपरा और जैन धर्म के बीच संप्रदायिक सदृश अस्तित्व है.
इस इमामबाड़े का निर्माण आसफउद्दौला ने 1784 में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत करवाया था। यह विशाल गुम्बदनुमा हॉल 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। इस इमामबाड़े में एक अस़फी मस्जिद भी है जहां गैर मुस्लिम लोगों के प्रवेश की अनुमति नहीं है। मस्जिद परिसर के आंगन में दो ऊंची मीनारें हैं।
इस वंश के शासकों की सूची इस प्रकार है -
गूगल सहायता केंद्र के वेबपेजों में 15 से अधिक खोज विकल्पों के वर्णन वाले पाठ होते है.[१९] गूगल ऑपरेटर:
इसी प्रकारः—
पण्डित चन्द्रशेखर आजाद का जन्‍म मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भावरा गाँव में 23 जुलाई सन् 1906 को हुआ आजाद के पिता पण्डित सीताराम तिवारी संवत १९५६ के अकाल के समय अपने निवास उत्तर-प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गाँव को छोडकर पहले अलीराजपुर रियासत में रहे और फिर भावरा में बस गए। यहीं चन्द्रशेखर का जन्म हुआ। उनकी माँ का नाम जगरानी देवी था।
मेरठ जंकशन देश के प्रमुख शहरों से अनेक ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, जम्मू, अंबाला, सहारनपुर आदि स्थानों से आसानी से मेरठ पहुंचा जा सकता है।
देखें जून २०१०
इधर 27 दिसंबर सन्‌ 1704 को दोनों छोटे साहिबजादे और जोरावतसिंह व फतेहसिंहजी को दीवारों में चुनवा दिया गया। जब यह हाल गुरुजी को पता चला तो उन्होंने औरंगजेब को एक जफरनामा (विजय की चिट्ठी) लिखा, जिसमें उन्होंने औरगंजेब को चेतावनी दी कि तेरा साम्राज्य नष्ट करने के लिए खालसा पंथ तैयार हो गया है।
चेन्नई शहर का प्रशासन चेन्नई नगर निगम के पास है। १६८८ में स्थापित हुआ यह निगम भारत में ही नहीं, ब्रिटेन के बाहर किसी भी राष्ट्रमंडल देश में सबसे पहला नगर निगम है। इसमें १५५ पार्षद है, जो चेन्नई के १५५ वार्डों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनका चुनाव सीधे चेन्नई की जनता ही करती है। ये लोग अपने आप में से ही एक महापौर एवं एक उप-महापौर चुनते हैं जो छः समितियों का संचालन करता है।[२३] चेन्नई, तमिल नाडु राज्य की राजधानी होने से राज्य की कार्यपालिका और न्यायपालिका के मुख्यालय शहर में मुख्य रूप से फोर्ट सेंट जॉर्ज में सचिवालय इमारत में और शेष कार्यालय शहर में विभिन्न स्थानों पर अनेक इमारतों में स्थित हैं। मद्रास उच्च न्यायालय का अधिकार-क्षेत्र तमिल नाडु राज्य और पुदुचेरी तक है। यह राज्य की सर्वोच्च न्याय संस्था है, और चेन्नई में ही स्थापित है। चेन्नई में तीन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं – चेन्नई उत्तर, चेन्नई मध्य और चेन्नई दक्षिण, और १८ विधान-सभा निर्वाचन क्षेत्र हैं।
डाक्टर भगवानदास (१२ जनवरी, १८६९ - १८ सितम्बर, १९५८) भारत के प्रमुख शिक्षाशास्त्री, स्वतंत्रतासंग्रामसेनानी, दार्शनिक एवं कई संस्थाओं के संस्थापक थे।
पंरपराए इस लिए पालित की जाती है क्योंकि उनके अभाव मे राजनैतिक कठिनाइया आ सकती है इसी कारण उन्हें संविधान का पूरक माना जाता हैब्रिटेन मे हम इनका सबसे विकसित तथा प्रभावशाली रूप देख सकते है
रामायण का एक पात्र, पंचकन्या में से एक तारा तथा किष्किंधा के राजा बाली का और सुग्रीव का भतीजा, रावण की लंका को ध्वस्त करने वाली राम सेना का एक प्रमुख योद्धा। बाली की मृत्यु के उपरांत सुग्रीव किष्किंधा का राजा और अंगद युवराज बना। तारा था अंगद अपने दूत-कर्म के कारण बहुत प्रसिद्ध हुए। राम ने उसे रावण के पास दूत बनाकर भेजा था। वहां की राजसभा का कोइ भी योद्धा उनका पैर तक नहीं डिगा सका था।
भारत में 9 पिन क्षेत्र हैं। पिनकोड का पहला अंक भारत (देश) के क्षेत्र को दर्शाता है। पहले 2 अंक मिलकर इस क्षेत्र में उपस्थित उपक्षेत्र या डाक वृतों मे से किसी एक डाक वृत को दर्शातें हैं। पहले 3 अंक मिलकर छंटाई/राजस्व जिले को दर्शाते हैं जबकि अंतिम 3 अंक सुपुर्दगी करने वाले डाकखाने का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सांख्यिक कूट भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार डाक को छांटने का कार्य अत्यन्त सरल बना देते हैं।
मुज़फ़्फ़र नगर से जुड़ी एक और खास बात है, पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली ख़ान मुज़फ़्फ़र नगर के निवासी थे।
रामायण · महाभारत
वाक्यों के द्वारा जो बोध (ज्ञान) होता है उसे वाक्यार्थ बोध या शाब्द बोध कहते हैं। वाक्य भी आख्यातांत ही होता है -
In Bangladesh, there are four metropolitan cities (municipal or city corporations) and 104 municipal towns (pourashavas or municipalities),[१] which are divided into three classes.[२]
आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, गोवा, गुजरात एवं महाराष्ट्र में 1995 के चुनावों के परिणाम और भी अधिक उल्लेखनीय रहे। आन्ध्र प्रदेश में मुख्य टक्कर टी.डी.पी एवं कांग्रेस के बीच थी लेकिन फिर भी भारतीय जनता पार्टी 3 सीटें झटक गई। परन्तु कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी ने 40 सीटें जीती एवं कांग्रेस को तीसरे स्थान पर छोड़ दिया। गोवा में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने 60 सीटों के सदन में 4 सीटों पर जीत दर्ज की। उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी संख्या तिगुनी अर्थात 3 से 10 तक पहँचा दी। बिहार में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पार्टी को तीसरे स्थान पर छोड़ा एवं प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभर कर सामने आया। महाराष्ट्र में शिव सेना एवं भारतीय जनता पार्टी ने संयुक्त सरकार का गठन किया। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी ने दो-तिहाई बहुमत प्राप्त किया। इस प्रकार के सुखद परिणामों से न केवल भारतीय जनता पार्टी के आलोचकों बल्कि सभी को स्पष्ट हो गया कि अब भारतीय जनता पार्टी रूकने वाली नहीं है।
सामवेदः- सामवेद संहिता में जो १८७५ मन्त्र हैं, उनमें से १५०४ मन्त्र ऋग्वेद के ही हैं। सामवेद संहिता के दो भाग हैं, आर्चिक और गान। पुराणों में जो विवरण मिलता है उससे सामवेद की एक सहस्त्र शाखाओं के होने की जानकारी मिलती है। वर्तमान में प्रपंच ह्रदय,दिव्यावदान, चरणव्युह तथा जैमिनि गृहसूत्र को देखने पर १३ शाखाओं का पता चलता है। इन तेरह में से तीन आचार्यों की शाखाएँ मिलती हैं- (१) कौमुथीय, (२) राणायनीय और (३) जैमिनीय। सामवेद का महत्व इसी से पता चलता है कि गीता में कहा गया है कि -वेदानां सामवेदोऽस्मि। (गीता-अ० १०, श्लोक २२)। महाभारत में गीता के अतिरिक्त अनुशासन पर्व में भी सामवेद की महत्ता को दर्शाया गया है-सामवेदश्च वेदानां यजुषां शतरुद्रीयम्। (म०भा०,अ० १४ श्लोक ३२३)। सामवेद में ऐसे मन्त्र मिलते हैं जिनसे यह प्रमाणित होता है कि वैदिक ऋषियों को एसे वैज्ञानिक सत्यों का ज्ञान था जिनकी जानकारी आधुनिक वैज्ञानिकों को सहस्त्राब्दियों बाद प्राप्त हो सकी है। उदाहरणतः- इन्द्र ने पृथ्वी को घुमाते हुए रखा है। (सामवेद,ऐन्द्र काण्ड,मंत्र १२१), चन्द्र के मंडल में सूर्य की किरणे विलीन हो कर उसे प्रकाशित करती हैं। (सामवेद, ऐन्द्र काण्ड, मंत्र १४७)। साम मन्त्र क्रमांक २७ का भाषार्थ है- यह अग्नि द्यूलोक से पृथ्वी तक संव्याप्त जीवों तक का पालन कर्ता है। यह जल को रूप एवं गति देने में समर्थ है। अग्नि पुराण के अनुसार सामवेद के विभिन्न मंत्रों के विधिवत जप आदि से रोग व्याधियों से मुक्त हुआ जा सकता है एवं बचा जा सकता है, तथा कामनाओं की सिद्धि हो सकती है। सामवेद ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग की त्रिवेणी है। ऋषियों ने विशिष्ट मंत्रों का संकलन करके गायन की पद्धति विकसित की। अधुनिक विद्वान् भी इस तथ्य को स्वीकार करने लगे हैं कि समस्त स्वर, ताल, लय, छंद, गति, मन्त्र,स्वर-चिकित्सा, राग नृत्य मुद्रा, भाव आदि सामवेद से ही निकले हैं।
Spot bellied jungle owl
गीताप्रेस, गोविन्द भवन कार्यालय, कोलकाता का भाग है।
मगध में आन्ध्रों का शासन था या नहीं मिलती है। कुषाणकालीन अवशेष भी बिहार से अनेक स्थानों से प्राप्त हुए हैं। कुछ समय के पश्चात प्रथम सदी इ. में इस क्षेत्र में कुषाणों का अभियान हुआ। कुषाण शासक कनिष्क द्वारा पाटलिपुत्र पर आक्रमण किये जाने और यह के प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान अश्वघोष को अपने दरबार में प्रश्रय देने की चर्चा मिलती है। कुषाण साम्राज्य के पतन के बाद मगध पर लिच्छवियों का शासन रहा। अन्य विद्वान मगध पर शक मुण्डों का शासन मानते हैं।
२ कृष्णल = रौप्यमाष
इन देवताओं में आदित्य,वसु,रुद्र आदि को गिना जाता है.
नागरिक जीपीएस रिसीवर, मैरीन अनुप्रयोगों में
उदाहरण
नीचे दी गयी तालिका में सभी भाषाओं के स्वरों का वैज्ञानिक वर्गीकरण और उनके IPA वर्णाक्षर दिये गये हैं :
अफ़ग़ानिस्तान चारों ओर से ज़मीन से घिरा हुआ है और इसकी सबसे बड़ी सीमा पूर्व की ओर पाकिस्तान से लगी है। इसे डूरंड रेखा भी कहते हैं। केन्द्रीय तथा उत्तरपूर्व की दिशा में पर्वतमालाएँ हैं जो उत्तरपूर्व में ताजिकिस्ताऩ स्थित हिन्दूकुश पर्वतों का विस्तार हैं। अक्सर तापमान का दैनिक अन्तरण अधिक होता है।
Hilly ravine-like terrain near the Muttom coast
५०० ईसवी पूर्व कॆ बाद कई स्वतंत्र राज्य बन गए। भारत के प्रारम्भिक राजवंशों में उत्तर भारत का मौर्य राजवंश उल्लेखनीय है जिसके प्रतापी सम्राट अशोक का विश्व इतिहास में विशेष स्थान है।[५]१८० ईसवी के आरम्भ से मध्य एशिया से कई आक्रमण हुए, जिनके परिणामस्वरूप उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में यूनानी, शक, पार्थी और अंततः कुषाण राजवंश स्थापित हुए। तीसरी शताब्दी के आगे का समय जब भारत पर गुप्त वंश का शासन था, भारत का "स्वर्णिम काल" कहलाया।"[६][७] दक्षिण भारत में भिन्न-भिन्न समयकाल में कई राजवंश चालुक्य, चेर, चोल, पल्लव तथा पांड्य चले । ईसा के आसपास संगम साहित्य अपने चरम पर था जिसमें तमिळ भाषा का परिवर्धन हुआ । सातवाहनों और चालुक्यों ने मध्य भारत में अपना वर्चस्व स्थापित किया । विज्ञान, कला, साहित्य, गणित, खगोल शास्त्र, प्राचीन प्रौद्योगिकी, धर्म, तथा दर्शन इन्हीं राजाओं के शासनकाल में फ़ले-फ़ूले ।
बिरला भवन ( या बिरला हॉउस ), नई दिल्ली जहाँ पर ३०जन्वरी, १९४८ को गाँधी की हत्या की गयी का अधिग्रहण भारत सरकार ने १९७१ में कर लिया तथा १९७३ में गाँधी स्मृति के रूप में जनता के लिए खोल दिया. यह उस कमरे को संजोय हुए है जहाँ गाँधी ने अपने आख़िर के चार महीने बिताये और वह मैदान भी जहाँ रात के टहलने के लिए जाते वक्त उनकी हत्या कर दी गयी. एक शहीद स्तम्भ अब उस जगह को चिन्हित करता हैं जहाँ पर उनकी हत्या कर दी गयी थी.
भावी पीढ़ीयों के लिए मार्ग खोला गया
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२. दक्षिणी विजय अभियान- कुछ इतिहास के विद्वानों के मतानुसार कुमारगुप्त ने भी समुद्रगुप्त के समान दक्षिण भारत का विजय अभियान चलाया था, लेकिन सतारा जिले से प्राप्त अभिलेखों से यह स्पष्ट नहीं हो पाता है ।
गिंजा जापान का और कदाचित एशिया का सबसे अच्छा और भव्य शॉपिंग एरिया है। दुनिया भर के प्रसिद्ध ब्रैण्ड स्टोर यहां मिल जाएंगे। मित्सुकोशी, मत्सुया, और मत्सुजकाया डिपार्टमेंटल स्टोर यहां हैं, साथ ही यामहा म्यूजिक शॉप और सबसे मशहूर कॉस्मेटिक्स शीसेडो भी यहां हैं। गिंजा कार्यालय में काम करने वालों से लेकर विद्यार्थियों तक को पसंद आता है। यहां पर मदिरा, पानी और खाना खाने की कई जगहें मिल जाएंगी। इनमें साधारण और महंगी दोनों तरह के स्थान सम्मिलित हैं।
टेलीग्राफ तथा रेल के आगमन ने नगर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं । उन्नीसवीं सदी में बंगलोर एक द्विनगर ( ट्विन सिटी ) बन गया - पेट और कैंटोनमेंट। पेट में मुख्यतः कन्नड जनवास था जबकि कैंटोनमेंट के निवासियों में तमिल आप्रवासियों की बहुतायत थी । 1898 में प्लेग की चपेट में आने से बंगलोर की जनसंख्या यकायक कम गई । 1906 में यह देश का पहला ऎॆसा नगर बना जहां जलविद्युत आपुर्ति की सुविधा थी । शिवानासमुद्र का पनबिजली केन्द्र इसका स्रोत था ।
अकृतक त्रैलोक्य
इसे 1486 से 1517 के बीच राजा मानसिंह द्वारा बनवाया गया था। सुन्दर रंगीन टाइलों से सजे इस किले की समय ने भव्यता छनिी जरूर है किन्तु इसके कुछ आन्तरिक व बाह्य हिस्सों में इन नीली, पीली, हरी, सफेद टाइल्स द्वारा बनाई उत्कृष्ट कलाकृतियों के अवशेष अब भी इस किले के भव्य अतीत का पता देते हैं। इस किले के विशाल कक्षों में अतीत आज भी स्पंदित है। यहां जालीदार दीवारों से बना संगीत कक्ष है, जिनके पीछे बने जनाना कक्षों में राज परिवार की स्त्रियां संगीत सभाओं का आनंद लेतीं और संगीत सीखतीं थीं। इस महल के तहखानों में एक कैदखाना है, इतिहास कहता है कि ओरंगज़ेब ने यहां अपने भाई मुराद को कैद रखवाया था और बाद में उसे समाप्त करवा दिया। जौहर कुण्ड भी यहां स्थित है। इसके अतिरिक्त किले में इस शहर के प्रथम शासक के नाम से एक कुण्ड है ' सूरज कुण्ड । नवीं शती में प्रतिहार वंश द्वारा निर्मित एक अद्वितीय स्थापत्यकला का नमूना विष्णु जी का तेली का मन्दिर है, जो कि 100 फीट की ऊंचाई का है। यह द्रविड स्थापत्य और आर्य स्थापत्य का बेजोड संगम है। भगवान विष्णु का ही एक और मन्दिर है सास-बहू का मन्दिर। इसके अलावा यहां एक सुन्दर गुरूद्वारा है जो सिखों के छठे गुरू गुरू हरगोबिन्द जी की स्मृति में निर्मित हुआ, जिन्हें जहांगीर ने दो वर्षों तक यहां बन्दी बना कर रखा था।
द्वितीय विश्वयुद्ध के विजेता देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र को अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया था। वे चाहते थे कि भविष्य मे फ़िर कभी द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह के युद्ध न उभर आए। संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देश (संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़्रांस, रूस, चीन, और संयुक्त राजशाही) द्वितीय विश्वयुद्ध में बहुत अहम देश थे।
GSM को मध्यम स्तर की सुरक्षा के साथ डिज़ाइन किया गया था. इस प्रणाली का अभिकल्पन, उपयोगकर्ता की पहचान एक पूर्व-साझा कुंजी और चुनौती-प्रतिक्रिया के प्रयोग से सुनिश्चित करने के लिए हुआ था.उपयोगकर्ता और बेस स्टेशन के बीच के संवाद को कूटबद्ध किया जा सकता है. UMTS का विकास एक वैकल्पिक USIM प्रवर्तित करता है, जो कि ज़्यादा सुरक्षा देने के लिए एक लंबी पहचान कुंजी का प्रयोग करती है,साथ ही साथ उपयोगकर्ता और नेटवर्क को परस्पर प्रमाणित करती है - जबकि GSM केवल उपयोगकर्ता को नेटवर्क के सामने प्रमाणित करता है (इसके विपरीत नहीं).सुरक्षा मॉडल इस वजह से गोपनीयता और प्रमाणीकरण तो प्रस्तावित करता है, मगर सीमित प्राधिकरण क्षमताएं और बिना अस्वीकरण के. सुरक्षा के लिए GSM कई कूटलेखी कलनविधि का उपयोग करता है.A5/1 और A5/2 स्ट्रीम बीजलेख का प्रयोग हवा के ऊपर आवाज की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए होता है. A5/1 का विकास पहले हुआ था और ये एक मजबूत बीजलेख है जिसका प्रयोग यूरोप और अमेरिका में होता है; A5/2 थोड़ा कमज़ोर है और इसका प्रयोग अन्य देशों में होता है. दोनों बीजलेख में गंभीर कमजोरियां पाई गई हैं: वास्तविक समय में A5/2 को केवल-बीजलेख हमले से तोडा जा सकता है, और फरवरी 2008 में, Pico, Computing, Inc ने FPGA का लाभोन्मुख क्षमता और योजना को प्रकट किया, जिसके द्वारा A5/1 को रेनबो टेबल हमले से तोडा जा सकता है.[१५] यह प्रणाली कई कलनविधि को समर्थन देती है, जिससे ऑपरेटर्स उस बीजलेख को किसी मजबूत संस्करण से बदल सकते हैं.
अलसी में 27 प्रतिशत घुलनशील (म्यूसिलेज) और अघुलनशील दोनों ही तरह केफाइबर होते हैं अतः अलसी कब्ज़ी, मस्से, बवासीर, भगंदर, डाइवर्टिकुलाइटिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस और आई.बी.एस. के रोगियों को बहुत राहत देती है। कब्जीमें अलसी के सेवन से पहले ही दिन से राहत मिल जाती है। हाल ही में हुई शोधसे पता चला है कि कब्ज़ी के लिए यह अलसी इसबगोल की भुस्सी से भी ज्यादालाभदायक है। अलसी पित्त की थैली में पथरी नहीं बनने देती और यदि पथरियांबन भी चुकी हैं तो छोटी पथरियां तो घुलने लगती हैं।
भगवानदास रोड़, नई दिल्ली
माना जाता है कि कतर नाम आज के जुबारा नामक शहर के प्राचीन नाम "कतारा" से उत्पन्न हुआ है, जो प्राचीन समय में क्षेत्र का महत्वपूर्ण बंदरगाह और शहर था। "कतारा" शब्द पोटोल्मी द्वारा बनाए गए अरब प्रायद्वीप के मानचित्र पर पहली बार नजर आया था।
यह उत्तर अमेरिका महाद्वीप में केरिबियन क्षेत्र में एक देश है।
शेष खिलाड़ी -
माल वाहन व्‍यापार में सुधार के लिए की गईं अन्‍य पहलें हैं:-
आंध्र प्रदेश को पूर्व हैदराबाद राज्य से कई बड़े शिक्षण संस्थान, अनुसंधान प्रयोगशालाएं, अनेकों निजी एवं सार्वजनिक संस्थान मिले हैं। मूल शोध हेतु अवसंरचना सुविधाएं यहां देश की सर्वश्रेष्ठ हैं, जिसके कारण ही एक बड़ी संख्या में शिक्षित लोग देश भर से यहां आकर बसे हुए हैं।
इससे पहले भारत में, वहाँ एक अतिरिक्त जाति को 'अछूत' के रूप में जाना जाता था , हालांकि , इस प्रणाली को bहिंदू धर्म के धर्म में अब कानून के अनुसार गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है
कश्मीरी साहित्य का पहला नमूना "शितिकंठ" के महानयप्रकाश (13 वीं शती) की "सर्वगोचर देशभाषा" में मिलता है। संभवत: शैव सिद्धों ने ही पहले कश्मीरी को शैव दर्शन का लोकसुलभ माध्यम बनाया और बाद में धीरे-धीरे इसका लोकसाहित्य भी लिखित रूप धारण करता गया। पर राष्ट्रीय और सांस्कृतिक आश्रय से निरंतर वंचित रहने के कारण इसकी क्षमताओं का भरपूर विकास दीर्घाकल तक रुका ही रहा। कुछ भी हो, 14वीं शती तक कश्मीरी भाषा बोलचाल के अतिरिक्त लोकदर्शन और लोकसंस्कृति का भी माध्यम बन चुकी थी और जब हम लल-वाख (1400 ई.) की भाषा को "बाणासुरवध" (1450 ई.) की भाषा से अधिक मँजा हुआ पाते हैं तो मौखिक परंपरा की गतिशीलता में ही इसका कारण खोजना पड़ता है।
रेफरी मैच का आधिकारिक समय का ध्यान रखने वाला होता है और खिलाड़ी को बदलते समय, खिलाड़ी को चोट लगने के कारण खेल रुक जाती है या अन्य ठहराव के कारण रेफरी भत्ता के रूप में और समय दे सकता है सामान्यतः जोड़ा गया समय को ठहराव समय या चोट समय कहा जाता है और यह पूर्ण रूप से रेफरी के विवेकाधिकार पर निर्भर होती है.रेफरी का एक संकेत से मैच का अंत होता है.जहाँ मैच में चौथा अधिकारी होता है, आधे के अंत में रेफरी संकेत देता है की ठहराव समय कितना जोड़ना चाहिए. उसके बाद चौथा अधिकारी खिलाड़ी और दर्शकों को पकड़े हुए बोर्ड से सूचित करता है.उसके बाद भी रेफरी उस समय को बड़ा सकता है.[२७] अत्यधिक समय जोड़ने का कार्य 1891 में एक मैच के दौरान स्टोक (Stoke) और अस्तों विल्ला (Aston Villa) के बीच एक घटना की वज़ह से हुई थी. मैच का केवल 1-० मिनिट बाकी था और स्टोक को पेनाल्टी मिला था.गोल कीपर विल्ला गेंद को मैदान के बाहर मार दिया और जब तक गेंद वापस आती तब तक 90 मिनिट समाप्त हो गए थे और खेल समाप्त हो गया.[२८]
चंबल नदी के पूर्वी तट पर 17 वीं शताब्दी में बना यह किला कोटा का मुख्य आकर्षण है। इस किले का परिसर राजस्थान के सबसे विशाल किले परिसरों में है। 17 वीं शताब्दी में बना हाथी पोल किले में प्रवेश का खूबसूरत प्रवेश द्वार है। किले के बुर्ज, बालकनी, गुम्बद, परकोटे बेहद आकर्षक ह
मनुष्य और ईश्वर के बीच जो चिरस्थायी सम्पर्क है, उनकी रचनाओ के अन्दर वह अलग अलग रूपों में उभर आता है। साहित्य की शायद ही ऐसी कोई शाखा है, जिनमें उनकी रचना न हो - कविता, गान, कथा, उपन्यास, नाटक, प्रबन्ध, शिल्पकला - सभी विधाओं में उन्होंने रचना की। उनकी प्रकाशित कृतियों में - गीतांजली, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं। उन्होने कुछ पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया। अँग्रेज़ी अनुवाद के बाद उनकी प्रतिभा पूरे विश्व में फैली।
महाभारत पूर्व मगध में राजा जरासन्ध ने राज्य किया और काशी भी उसी साम्राज्य में समा गई। आर्यों के यहां कन्या के विवाह स्वयंवर के द्वारा होते थे। एक स्वयंवर में पाण्डवों और कौरवों के पितामह भीष्म ने काशी नरेश की तीन पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका का अपहरण किया था। इस अपहरण के परिणामस्वरूप काशी और हस्तिनापुर की शत्रुता हो गई। महाभारत युद्ध में जरासन्ध और उसका पुत्र सहदेव दोनों काम आये। कालांतर में गंगा की बाढ़ ने पाण्डवों की राजधानी हस्तिनापुर को डुबा दिया, तब पाण्डव वर्तमान इलाहाबाद जिले में यमुना किनारे कौशाम्बी में नई राजधानी बनाकर बस गए। उनका राज्य वत्स कहलाया और काशी पर मगध की जगह अब वत्स का अधिकार हुआ।
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बडा लिखित संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हैं। संविधान में सरकार के संसदीय स्‍वरूप की व्‍यवस्‍था की गई है जिसकी संरचना कुछ अपवादों के अतिरिक्त संघीय है। केन्‍द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्‍ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्‍द्रीय संसद की परिषद् में राष्‍ट्रपति तथा दो सदन है जिन्‍हें राज्‍यों की परिषद् राज्‍यसभा तथा लोगों का सदन लोकसभा के नाम से जाना जाता है। संविधान की धारा 74 (1) में यह व्‍यवस्‍था की गई है कि राष्‍ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी जिसका प्रमुख प्रधान मंत्री होगा, राष्‍ट्रपति इस मंत्रिपरिषद् की सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्‍पादन करेगा। इस प्रकार वास्‍तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद् में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है।
साँचा:दिसंबर कैलंडर२०१० २४ दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३५८ वॉ (लीप वर्ष मे ३५९ वॉ) दिन है। साल में अभी और ७ दिन बाकी है।
लोकेशन: डीपीएस स्कूल के पास
१९६३ – एस.एन. पेंडसे – 'रथचक्र'
श्री विजयकांत
एक के बाद एक सभी राजा-महाराजा एवं राजकुमारों ने एक ऊपर घूमती हुई मछली की आंख प्र उसके प्रतिबिम्ब को नीचे जल में देखकर निशाना साधने का प्रयास किया किन्तु सफलता हाथ न लगी और वे कान्तिहीन होकर अपने स्थान में लौट आये। इन असफल लोगों में जरासंघ, शल्य, शिशुपाल तथा दुर्योधन दुःशासन आदि कौरव भी सम्मिलित थे। कौरवों के असफल होने पर एक ब्राह्मण को राजकुमारी को प्राप्त करना चाहा। अर्जुन ने तैलपात्र में प्रतिबिम्ब को देखते हुये एक ही बाण से निशाना लगा डाला। द्रौपदी ने आगे बढ़ कर अर्जुन के गले में वरमाला डाल दिया।
(3) अनुलोम-पच्चनिय-पट्ठाण
उन्हीं दिनों धर्म ने बैल का रूप बना कर गौरूपिणी पृथ्वी से सरस्वती तट पर भेंट किया। गौरूपिणी पृथ्वी की नेत्रों से अश्रु बह रहे थे और वह श्रीहीन सी प्रतीत हो रही थी। धर्म ने पृथ्वी से पूछा - "हे देवि! तुम्हारा मुख मलिन क्यों हो रहा है? किस बात की तुम्हें चिन्ता है? कहीं तुम मेरी चिन्ता तो नहीं कर रही हो कि अब मेरा केवल एक पैर ही रह गया है या फिर तुम्हें इस बात की चिन्ता है कि अब तुम पर शूद्र राज्य करेंगे?"
दर्पहा दर्पदो द्ड़िप्तो दुर्धरो-अथापराजितः ।।(७६)
Egyptology · Egyptologists · Egyptian Museum · Ancient Egypt portal
यूरोपीय बुरे युग (Dark Ages) पूर्व मध्य युग (Middle Ages) के दोरान वातावरण के लिए एक बड़ा वरदान थे , उसमें ओद्योगिक गतिविधि गिर गई , और जनसंख्या का स्तर तेजी से नहीं बढ़ा मध्य युग के अंत तक जनसंख्या बढ़ी और शहरों में अधिक केंद्रित हो गई, इसने तेजी से प्रत्यक्ष संदूषण को बढ़ावा दिया .विशेष स्थानों में वायु प्रदूषण का स्तर स्वास्थ्य पर प्रभावी था, और जनसंख्या केन्द्रों में जल प्रदूषण (water pollution) अनुपचारित मानव व्यर्थ पदार्थोंसे रोग (human waste)संचरण का एक गंभीर माध्यम था.
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-बिस्मिल में है ।
     
सवाना उष्णकटिबंधीय घास के मैदानों को कहते हैं। यहां पर्याप्त रूप से छोटे वृक्ष ऐसे लगे होते हैं, कि यह क्षेत्र एकदम एकसार घना हरा भरा रहता है।
25 जज तथा 1 मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के प्रावधान का वर्णन संविधान मे है अनु 124[2] के अनुसार् मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय इच्छानुसार राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशॉ की सलाह लेगा वही अन्य जजॉ की नियुक्ति के समय उसे अनिवार्य रूप से मुख्य न्यायाधीश की सलाह माननी पडेगी
जिस समय चन्द्रगुप्त राजा बना था भारत की राजनीतिक स्थिति बहुत खराब थी । उसने सबसे पहले एक सेना तैयार की और सिकन्दर के विरुद्ध युद्ध प्रारम्भ किया । ३१७ ई. पू. तक उसने सम्पूर्ण सिन्ध और पंजाब प्रदेशों पर अधिकार कर लिया । अब चन्द्रगुप्त मौर्य सिन्ध तथा पंजाब का एकक्षत्र शासक हो गया । पंजाब और सिन्ध विजय के बाद चन्द्रगुप्त तथा चाणक्य ने धनानन्द का नाश करने हेतु मगध पर आक्रमण कर दिया । युद्ध में धनाननन्द मारा गया अब चन्द्रगुप्त भारत के एक विशाल साम्राज्य मगध का शासक बन गया । सिकन्दर की मृत्यु के बाद सेल्यूकस उसका उत्तराधिकारी बना । वह सिकन्दर द्वारा जीता हुआ भू-भाग प्राप्त करने के लिए उत्सुक था । इस उद्देश्य से ३०५ ई. पू. उसने भारत पर पुनः चढ़ाई की । चन्द्रगुप्त ने पश्‍चिमोत्तर भारत के यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर को पराजित कर एरिया (हेरात), अराकोसिया (कंधार), जेड्रोसिया पेरोपेनिसडाई (काबुल) के भू-भाग को अधिकृत कर विशाल भारतीय साम्राज्य की स्थापना की । सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलन का विवाह चन्द्रगुप्त से कर दिया । उसने मेगस्थनीज को राजदूत के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में नियुक्‍त किया ।
"यूं ही कुतूहलवश 'दीक्षा' के कुछ पन्ने पलटे और फिर उस पुस्तक ने ऐसा intrigue किया कि दोनों दिन पूरी शाम उसे पढ़कर ही ख़त्म किया. बधाई. चार खंडों में पूरी रामकथा एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है. यदि आप आदि से अंत तक यह 'tempo' रख ले गए, तो वह बहुत बड़ा काम होगा. इसमें सीता और अहल्या की छवियों की पार्श्व-कथाएँ बहुत सशक्त बन पड़ी हैं. धर्मवीर भारती २७-२-७६)[३५]
१०. हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मुहताज नहीं रही।
१२ अंगुल = १ वितास्ति अथवा १ छायापुरुष
1 पूर्वा एक्स 84 लाख 84 लाख वर्ष = 70560000000000 वर्ष = 70560 अरब वर्ष
यदि आपके फोन में टंकण की सुविधा मौजूद है तो Options>Writing Language में जाकर हिन्दी भाषा का विकल्प चुनिये। अब फोन की # कुञ्जी दबाकर आप इनपुट भाषाओं के मध्य स्विच करते हुये लिख सकते हैं। टी-९ पूर्वानुमान बंद अथवा चालू करने के लिए Options के समकक्ष कुञ्जी दबाकर रखें। विशेष चिह्न डालने के लिए * कुञ्जी दबाकर रखें।
(2) यूनानी काल,
ब्रह्मन् परब्रह्म का नाम है।
भोपाल भारत के मध्य भाग में स्थित है और इसके निर्देशांक 23.27º उ. एवं 77.4º पू. हैं। यह विंध्य पर्वत श्रंखला के पूर्व में है। भोपाल एक पहाड़ी इलाक़े पर स्थित है किंतु इसका तापमान अधिकतर गर्म रहता है। इसका भू-भाग ऊँचा-नीचा है एवं इसके दायरे मे कई छोटे पहाड़ हैं। उदाहरण के लिए श्यामला हिल, ईदगाह हिल, अरेरा हिल इत्यादि। यहाँ गर्मियाँ गर्म और सर्दियाँ सामान्य ठण्डी रहती हैं। बारिश का मौसम जून से ले के सितंबर-आक्टोबर तक रहता है और सामान्य वर्षा दर्ज की जाती है।
Baranów Sandomierski
१४. सारो-मारो- यह मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित है ।
3. बजट मे पिछले वर्ष के वास्तविक आय व्यय का विवरण होता है
सिंध संस्कृत के शब्द सिंधु से बना है जिसका अर्थ है समुद्र । इसी नाम से एक नदी भी है जो इस प्रदेश के लगभग बीचोंबीच बहती है । फ़ारसी स को ह की तरह उच्चारण करते थे । उदाहरणार्थ दस को दहा या सप्ताह को हफ़्ता (यहाँ कहने का अर्थ ये नहीं कि ये संस्कृत शब्दों के फ़ारसी रूप थे पर उनका मूल एक ही हुआ होगा) । अतः वे इसे हिंद कहते थे । असीरियाई स्रोतों में सातवीं सदी ईसा पूर्व में इसे सिंदा नाम से द्योतित किया गया है ।
साँचा:Main article
केरल: रघुनंदन लाल भाटियामध्य प्रदेश: बलराम जाखड़महाराष्ट्र: एस एम कृष्णामणिपुर: शिवेन्द्र सिंह सिद्धूमेघालय: बनवारी लाल जोशीमिजोरम: एम एम लखेरानागालैंड: कतेक्कल शंकरनारायणनउड़ीसा: मुरलीधर चंद्रकांत भंडारीपंजाब: एस एफ रोड्रिग्सराजस्थान: एस के सिंहसिक्किम: सुदर्शन अग्रवालतमिलनाडू: सुरजीत सिंह बरनाला
इन अंतिम वर्षों में फारसी भाषा में भी पत्रकारिता का जन्म हो चुका था। 18वीं शताब्दी के फारसी पत्र कदाचित् हस्तलिखित पत्र थे। 1801 में हिंदुस्थान इंटेलिजेंस ओरिऐंटल ऐंथॉलॉजी (Hindusthan Intelligence Oriental Anthology) नाम का जो संकलन प्रकाशित हुआ उसमें उत्तर भारत के कितने ही "अखबारों" के उद्धरण थे। 1810 में मौलवी इकराम अली ने कलकत्ता से लीथो पत्र "हिंदोस्तानी" प्रकाशित करना आरंभ किया। 1816 में गंगाकिशोर भट्टाचार्य ने "बंगाल गजट" का प्रवर्तन किया। यह पहला बंगला पत्र था। बाद में श्रीरामपुर के पादरियों ने प्रसिद्ध प्रचारपत्र "समाचार दर्पण" को (27 मई, 1818) जन्म दिया। इन प्रारंभिक पत्रों के बाद 1823 में हमें बँगला भाषा के समाचारचंद्रिका और "संवाद कौमुदी", फारसी उर्दू के "जामे जहाँनुमा" और "शमसुल अखबार" तथा गुजराती के "मुंबई समाचार" के दर्शन होते हैं।
रचना के विचार से शैवालों में बहुत विभिन्नता पाई जाती है। कुछ तो अति सूक्ष्म एककोशिक होते हैं, जो केवल सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही दृश्य हैं तथा कुछ ऐसे होते हैं जो कई सेंमी. लंबे होते हैं। क्लोरेला (Chlorella), क्लैमिडोमॉनैस (Chlamydomonas) आदि प्रथम कोटि में ही आते हैं। बड़े कोटिवाले शैवाल सूत्रवत्‌ (filamentous) होते हैं, जो कई कोशिकाओं के बने होते हैं। सबसे बड़ा शैवाल मैक्रोसिस्टिस (Macrocystis) है, जो लाखों कोशिकाओ से बना तथा कई सौ फुट लंबा होता है। प्रत्येक कोशिका के अंदर एक केंद्रक (nucleus) होता है, जिसके चारों ओर कोशिकारस होता है। प्रत्येक कोशिका चारों ओर से कोशिकीय दीवारों से घिरी होती है। पर्णहरित तथा क्लोरोप्लास्ट (chloroplast) कोशिकारस में बिखरे रहते हैं।
देहरादून का इतिहास कई सौ वर्ष पुराना है। देहरादून से ५६ किलोमीटर दूर कालसी के पास स्थित शिलालेख से इस पर तीसरी सदी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक का अधिकार होने की सूचना मिलती है। देहरादून ने सदा से ही आक्रमणकारियों को आकर्षित किया है। खलीलुल्लाह खान के नेत्वृत्व में १६५४ में इस पर मुगल सेना ने आक्रमण किया था। सिरमोर के राजा सुभाक प्रकाश की सहायता से खान गढ़वा के राजा पृथ्वी शाह को हराने में सफल रहे। गद्दी से अपदस्त किए गए राजा को इस शर्त पर गद्दी पर आसीन किया गया कि वे नियमित रूप से मुगल बादशाह शाहजहाँ को कर चुकाएगें करेंगे। इसे १७७२ में गुज्जरों ने लूटा था। तत्कालीन राजा ललत शाह जो पृथ्वी शाह के वंशज थे, की पुत्री की शादी गुलाब सिंह नामक गुज्जर से की गई थी। गुलाब सिंह के पुत्र का नियंत्रण देहरादून पर था और उनके वंशज इस समय भी नगर में मिल सकते हैं।
सिंध पाकिस्तान के चार प्रान्तों में से एक है । यह देश के दक्षिण-पूर्व में बसा हुआ है जिसके दक्षिण में अरब की खाड़ी है । सिन्ध का सबसे बड़ा शहर कराँची है और यहाँ देश की 15 प्रतिशत जनता वास करती है । यह सिन्धियों का मूल स्थान है साथ ही यहाँ विभाजन के दौरान आकर बसे मोहाज़िरों की भी बहुतायात है ।
Windows द्वारा बहुभाषी कंप्यूटिंग के लिए अपनाई गई प्रौद्योगिकी युनिकोड है। यदि सपोर्ट की गई किसी भाषा में आपका अनुप्रयोग यूनिकोड अनुप्रयोग है तो वह अंग्रेज़ी और Windows XP के लोक संस्करण – दोनों पर ही चलेगा.आप उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस की भाषाओं में परस्पर तभी स्विच कर सकते हैं, जब आपने बहुभाषी उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस पैक (MUI) इन्स्टॉल कर लिया हो.
फ़िजी जो कि आधिकारिक रूप से फ़िजी द्वीप समूह गणराज्य (साँचा:Lang-fj) के नाम से जाना जाता है, दक्षिण प्रशान्त महासागर के मेलानेशिया मे एक द्वीप देश है। यह न्यू ज़ीलैण्ड के नॉर्थ आईलैण्ड से करीब २००० किमी उत्तर-पूर्व मे स्थित है। इसके समीपवर्ती पड़ोसी राष्ट्रों मे पश्चिम की ओर वनुआतु, पूर्व में टोंगा और दक्षिण मे तुवालु हैं। १७वीं और १८वीं शताब्दी के दौरान डच एवं अंग्रेजी खोजकर्तओं ने फ़िजी की खोज की थी। १९७० तक फ़िजी एक अंग्रेजी उपनिवेश था। प्रचुर मात्रा मे वन, खनिज एवं जलीय स्रोतों के कारण फ़िजी प्रशान्त महासागर के द्वीपों मे सबसे उन्नत राष्ट्र है। वर्तमान मे पर्यटन एवं चीनी का निर्यात इसके विदेशी मुद्रा के सबसे बड़े स्रोत हैं। यहाँ की मुद्रा फ़िजी डॉलर है।
माँग किसी नियत समयकाल में किसी उत्पाद की वह मात्रा है, जिसे नियत दाम पर उपभोक्ता खरीदना चाहता है और खरीदने में सक्षम है।माँग को सामान्यतः एक तालिका या ग्राफ़ के रुप में प्रदर्शित करते हैं जिसमें कीमत और इच्छित मात्रा का संबन्ध दिखाया जाता है।
परंपरा यह है कि यहां वाले श्रद्धालुजन सरोवर में स्नान करने के बाद ही गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाते हैं। जहां तक इस विशाल सरोवर की साफ-सफाई की बात है, तो इसके लिए कोई विशेष दिन निश्चित नहीं है। लेकिन इसका पानी लगभग रोज ही बदला जाता है। इसके लिए वहां फिल्टरों की व्यवस्था है। इसके अलावा पांच से दस साल के अंतराल में सरोवर की पूरी तरह से सफाई की जाती है। इसी दौरान सरोवर की मरम्मत भी होती है। इस काम में एक हफ्ता या उससे भी ज्यादा समय लग जाता है। यह काम यानी कारसेवा मुख्यत: सेवादार करते हैं, पर उनके अलावा आम संगत भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है।
अत: ब्रह्माण्ड शब्द के अर्थ को समझने तथा यूनवर्स की परिभाषा से ब्रह्माण्ड की भिन्न परिभाषा स्थापित करने के लिए, नितान्त आवश्यक है कि सर्वप्रथम इस शब्द का हिन्दी भाषा के व्याकरण के अनुसार उचित "शब्द विन्यास" किया जाए। क्योंकि हिन्दी भाषा में अधिकांशतः देखा गया है कि एक शब्द के अविष्कार के लिए अनेक शब्दों, जिनका अर्थ भिन्न भिन्न होता है, का आपस में योग कराया जाता है, जिससे अविष्कृत शब्द का अर्थ एक अलग अर्थ वाले शब्द के रुप में प्रस्तुत होने लगता है।
उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान (21 मार्च, 1916 - 21 अगस्त, 2006) प्रख्यात शहनाई वादक थे । उनका जन्म डुमराँव, बिहार मे हुआ था। उन्हे सन 2001 मे भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मनित किया गया।
चीनी को मिलाकर विदेशी शब्दों में रूपपरिवर्तन नहीं होते। जब क्रिया बनानी होती है, ऐसे शब्दों के बाद सुरु (करना) लगाया जाता है, जैसे साइन सुरु (साइन करना, संकेत करना) ।
एक रजलोक होता है - एक देवता द्वारा 2,057,152 योजन प्रति समय की गति से छः मास में तय की दूरी। यह लगभग 2,047,540,985,856,000 किलोमीटर या 216.5 प्रकाश वर्ष) के बराबर होगी। इसे १००० भार की लौह गेंद को छः मास मुक्त गति से स्वर्ग, इंद्र के गृह से गिराया जाये, तो उससे तय हुई दूरी के बराबर भी माना जा सकता है।
पाकिस्तान में रहने वाली या विदेशों में बसे पाकिस्तान मूल के लोग।
प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया आवश्यम्भावी है. साहित्यिक आत्मा के अभाव के कारण आत्म-कृतघ्नात्मक पतानोन्मुखी साहित्य से पाठक दूर होते चले गए. जहां एक तरफ ऐसे साहित्यकार हिन्दी के पाठकों की कमी की शिकायत ही करते रह गए, वहाँ दूसरी ओर साहित्यकारों की एक ऐसी पीढ़ी का उदय हुआ जो मानव-विकास के मूल तत्वों को रेखांकित कर विकासोन्मेषी साहित्य में विश्वास रखती थी. आर्ष साहित्यिक मनीषा का परिचय, आद्य भारतीय संस्कृति के शाश्वत तत्वों की पहचान एवं आध्यात्म-रूपी भारतीय आत्मा की खोज जिस साहित्य का लक्ष्य रही, वही इन साहित्यकारों में प्रधान रहा. उन्मुक्तता एवं बंधनहीनता के नाम पर अपनी संस्कृति एवं आदर्शों के लांछित करने की जो प्रवृत्ति साहित्य में प्रवेश कर चुकी थी, उसको दरकिनार करते हुए; स्वविवेक से श्रेय को स्वीकार कर एवं हेय का परित्याग कर जिन साहित्यकारों ने आस्था के मूल स्वरों को अपने साहित्य की शक्ति बनाया, उन्हें 'सांस्कृतिक पुनर्जागरण के युग' का हिस्सा माना जा सकता है.
बघेलखंड मध्य भारत का एक क्षेत्र है। यह मध्य प्रदेश राज्य के उत्तर-पूर्वी ओर स्थित है। इसमें मध्य प्रदेश के जिले सम्मिलित हैं:
1933 में जर्मनी का शाशक अडोल्फ़ हिटलर बन गया और तुंरत ही उसने जर्मनी को वापस एक शक्तिशाली सन्य ताकत के रूप में प्रर्दशित करना शुरू कर दिया .इस बात से फ्रांस और इंग्लैंड चिंतित हो गए जो की पिछली लडाई मैं काफी कुछ हर चुके थे . इटली भी इस बात से परेशान था क्योंकि उसे भी लगता था की जर्मनी उसके काम में दखल देगा क्योंकि उसका भी सपना भी शक्तिशाली सन्य ताकत बनने का था.
यह भी
साँचा:उत्तर प्रदेश के लोकगीत
कुल मिलाकर बिस्मिल की दादी जी ने मजदूरी करने का उद्योग किया किन्तु अपरिचित महिला को कोई भी आसानी से अपने घर में काम पर न रखता था। आखिर उन्होंने अनाज पीसने का कार्य शुरू कर दिया। इस काम में उनको तीन-चार घण्टे अनाज पीसने के पश्चात एक या डेढ़ पैसा ही मिल पाता था। यह सिलसिला लगभग दो-तीन वर्ष तक चलता रहा। दादी जी बड़ी स्वाभिमानी प्रकृति की महिला थीं, अत: उन्होंने हिम्मत न हारी। उनको विश्वास था कि एक-न-एक दिन अच्छे दिन अवश्य आयेंगे।
विष्णु पुराण के अनुसार यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। ये सातों द्वीप चारों ओर से सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं, और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं। मदिरा का सागर शाल्मलद्वीप को घेरे हुए है। इस सागर को कुशद्वीप घेरे हुए है।
इन्द्र (या इंद्र) हिन्दू धर्म मे सभी देवताओं के राजा माने जाते हैं । वैदिक काल में इन्द्र सबसे ऊँचे देव थे, पर बाद में पौराणिक करानियों में उनका स्तर बहुत कम कर दिया गया ।
यहां किसी जमाने में गुलाम भारत से लाए गए बंदियों को पोर्ट ब्लेयर के पास वाइपर द्वीप पर उतारा जाता था। अब यह द्वीप एक पिकनिक स्थल के रूप में विकसित हो चुका है। यहां के टूटे-फूटे फांसी के फंदे निर्मम अतीत के साक्षी बनकर खड़े हैं। यहीं पर शेर अली को भी फांसी दी गई थी, जिसने १८७२ में भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड मेयो की हत्या की थी|
प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाकतार विभाग की ओर से ३१ जुलाई १९८० को उनकी जन्मशती के अवसर पर ३० पैसे मूल्य का एक डाक टिकट जारी किया गया।[२४] गोरखपुर के जिस स्कूल में वे शिक्षक थे, वहाँ प्रेमचंद साहित्य संस्थान की स्थापना की गई है। इसके बरामदे में एक भित्तिलेख है जिसका चित्र दाहिनी ओर दिया गया है। यहाँ उनसे संबंधित वस्तुओं का एक संग्रहालय भी है। जहाँ उनकी एक वक्षप्रतिमा भी है।[२५] प्रेमचंद की १२५वीं सालगिरह पर सरकार की ओर से घोषणा की गई कि वाराणसी से लगे इस गाँव में प्रेमचंद के नाम पर एक स्मारक तथा शोध एवं अध्ययन संस्थान बनाया जाएगा।[२६] प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी ने प्रेमचंद घर में नाम से उनकी जीवनी लिखी और उनके व्यक्तित्व के उस हिस्से को उजागर किया है, जिससे लोग अनभिज्ञ थे। यह पुस्तक १९४४ में पहली बार प्रकाशित हुई थी, लेकिन साहित्य के क्षेत्र में इसके महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे दुबारा २००५ में संशोधित करके प्रकाशित की गई, इस काम को उनके ही नाती प्रबोध कुमार ने अंजाम दिया। इसका अँग्रेज़ी[२७] व हसन मंज़र का किया हुआ उर्दू[२८] अनुवाद भी प्रकाशित हुआ। उनके ही बेटे अमृत राय ने कलम का सिपाही नाम से पिता की जीवनी लिखी है। उनकी सभी पुस्तकों के अंग्रेज़ी व उर्दू रूपांतर तो हुए ही हैं, चीनी, रूसी आदि अनेक विदेशी भाषाओं में उनकी कहानियाँ लोकप्रिय हुई हैं।[२९]
वह कहते भी हैं
गृहयुद्धों के कारण रामन प्रातों (लीजन) की संख्या 50 से घटकर 28 तक आ गई थी । जिस प्रांत की वफ़ादारी पर शक था उन्हें साम्राज्य से सीधे निकाल दिया गया । डैन्यूब और एल्बे नदी पर अपनी सीमा को तय करने के लिए ऑक्टेवियन (ऑगस्टस) ने इल्लीरिया, मोएसिया, पैन्नोनिया और जर्मेनिया पर चढ़ाई के आदेश दिए । उसके प्रयासों से राइन और डैन्यूब नदियाँ उत्तर में उसके साम्राज्यों की सीमा बन गईं ।
12 * और 13 * डेटा जो जंगल के प्रकार निर्दिष्ट नहीं करते है वह एक परिणाम है, इसलिए 26 श्रेणियों के रूप में निर्मित किया गया है, 28 यहाँ नही दिखाया गया है.[३]
कोपेनहेग (डेनमार्क)
कंप्यूटर की सहायता से तमिल, तेलुगू, मलयालम तथा कन्नड़ भाषाओं के माध्यम से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिंदी स्वयं सीखने के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार करवा कर उसके निशुल्क प्रयोग के लिए उसे राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया ।
253 किलोमीटर दूर ऋषिकेश निकटतम रेल-स्टेशन है।
१८५९ में, इंग्लैंड की टीम के खिलाड़ी पहली बार उत्तरी अमेरिका के विदेशी दौरे पर गए थे और १८६२ में, इंग्लिश टीम ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया. 1876-77 में, एक इंग्लैंड की टीम ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध मेलबोर्न क्रिकेट मैदान में टेस्ट मैच (Test match) में भाग लिया.
कमीशन के सभी सदस्य अंग्रेज थे जो भारतीयों का बहुत बड़ा अपमान था। चौरी_चौरा की घटना के बाद असहयोग आन्दोलन वापस लिए जाने के बाद आजा़दी की लड़ाई में जो ठहराव आ गया था वह अब साइमन कमीशन के गठन की घोषणा से टूट गया। 1927 में मद्रास में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ जिसमें सर्वसम्मति से साइमन कमीशन के बहिष्कार का फैसला लिया गया। मुस्लिम लीग ने भी साइमन के बहिष्कार का फैसला किया।
भारत के गणित का कालक्रम सिन्धु सरस्वती सभ्यता और वेदकाल से आधुनिक काल तक अधस्तात है। यह कालक्रम सरस्वती-सिन्धु परम्परा के उद्गम, जिसका अनुमान अभी तक ७००० ई पू का है, तक जाता है। पुरातत्त्व से हमें नगर व्यवस्था, वास्तु शास्त्र आदि के प्रमाण मिलते हैं गणित का अनुमान किया जा सकता है। यजुर्वेद में बडे अङ्कों का वर्णन है।
उस समय हिंदू जनता पर मुस्लिम आतंक का कहर छाया हुआ था। कबीर ने अपने पंथ को इस ढंग से सुनियोजित किया जिससे मुस्लिम मत की ओर झुकी हुई जनता सहज ही इनकी अनुयायी हो गयी। उन्होंने अपनी भाषा सरल और सुबोध रखी ताकि वह आम आदमी तक पहुँच सके। इससे दोनों सम्प्रदायों के परस्पर मिलन में सुविधा हुई। इनके पंथ मुसलमान-संस्कृति और गोभक्षण के विरोधी थे। कबीर को शांतिमय जीवन प्रिय था और वे अहिंसा, सत्य, सदाचार आदि गुणों के प्रशंसक थे। अपनी सरलता, साधु स्वभाव तथा संत प्रवृत्ति के कारण आज विदेशों में भी उनका समादर हो रहा है।
त्रिषूल- यह गढ़वाल में ऊपरी ऋषि गंगा की घाटी में स्थित छोटा हिमखण्ड है।

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