मंगलवार, 26 अप्रैल 2011
शनिवार, 16 अप्रैल 2011
दिल का मामला है
आज की अति व्यस्त जीवनशैली में इतनी भाग-दौड है कि किसी भी इंसान के पास अपने लिए वक्त नहीं है। नतीजतन लोगों के पास खाने, सोने या एक्सरसाइज करने का कोई निश्चित समय नहीं है। मशीनों और टेक्नोलॉजी पर हमारी निर्भरता इतनी बढ गई है कि रोजमर्रा की दिनचर्या में शारीरिक श्रम बिलकुल नहीं होता। समय की कमी के कारण जंक फूड पर लोगों की निर्भरता बढती जा रही है। आमतौर पर हमारे रोजाना के खाने में भी घी-तेल और मिर्च-मसाले का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है। हमारे खानपान की यह आदत सेहत की दृष्टि से अच्छी नहीं है। इसके अलावा एल्कोहॉल और सिगरेट पीने वालों की तादाद तेजी से बढ रही है। एल्कोहॉल का सेवन करने के बाद हार्ट के पंपिंग की गति अनियंत्रित हो जाती है। इससे शरीर के विभिन्न हिस्सों तक सही ढंग से रक्त प्रवाह नहीं हो पाता। इसी तरह सिगरेट में मौजूद निकोटीन में कई ऐसे विषैले पदार्थ पाए जाते हैं, जो हार्ट की रक्तवाहिका नलियों के भीतरी हिस्से को नुकसान पहुंचाते हैं। सिगरेट पीने के बाद दिल की धडकन तेज हो जाती है और इससे ब्लडप्रेशर भी बढ जाता है, जो दिल का दौरा पडने का बहुत बडा कारण है। मल्टीनेशनल कंपनियों में बढती 24 X 7 की कार्यशैली लोगों को वर्कोहॉलिक बना रही है। लोगों में तनाव का स्तर तेजी से बढता जा रहा है। देश की युवा पीढी का 50 प्रतिशत हिस्सा ऐसी ही अस्वास्थ्यकर जीवनशैली अपना रहा है। इसलिए युवाओं को दिल का दौरा पडने का खतरा सबसे अधिक रहता है।
कहां है समस्या की जड
वैसे तो हृदय रोग के कई कारण गिनाए जाते हैं, जिनका जिक्र ऊपर भी किया जा चुका है। लेकिन इसका सबसे बडा कारण है-आटर्री में ब्लॉकेज। दरअसल अत्यधिक वसायुक्त चीजों का सेवन करने से हृदय की रक्तवाहिका धमनियों में नुकसानदेह कोलेस्ट्रॉल एलडीएल (लीपोप्रोटीन डिपॉजिट कोलेस्ट्रॉल) का जमाव हो जाता है। सामान्य अवस्था में हमारा दिल अपनी हर धडकन के साथ खून की पंपिंग करके शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजनयुक्त रक्त का प्रवाह सुचारु ढंग से करता रहता है, लेकिन आर्टरी में ब्लॉकेज की समस्या होने पर हार्ट की कार्यक्षमता कम हो जाती है और इससे रक्त के प्रवाह में बाधा पैदा होती है। खास तौर पर जब मस्तिष्क तक ऑक्सीजनयुक्त खून का प्रवाह नहीं पहुंच पाता तो यह स्थिति जानलेवा साबित होती है। इस दौरान दिल का दौरा पडने की आशंका बहुत अधिक बढ जाती है।
आर्टरी ब्लॉकेज के लक्षण
1. सीने के बाएं हिस्से में हल्का या तेज दर्द महसूस होना, कभी-कभी यह दर्द कंधों, बांहों या जबडे तक भी पहुंच जाता है।
2. ब्लॉकेज की वजह से शरीर के सभी हिस्सों तक ऑक्सीजनयुक्त रक्त नहीं पहुंच पाता। इसी वजह से सांस लेने में तकलीफ, घुटन, बेचैनी और थकान का अनुभव होता है।
3. जी मिचलना भी इस समस्या का ऐसा लक्षण है, जिसे अकसर लोग नजरअंदाज कर देते हैं।
4. बेवजह कमजोरी महसूस होना, जुबान लडखडाना।
5. आंखों के सामने अंधेरा छाना और पसीना आना।
उपचार
आम तौर पर आर्टरी में ब्लॉकेज का अंदेशा होने पर एंजियोग्राफी द्वारा ब्लॉकेज का पता लगाया जाता है। अगर ब्लॉकेज हलका (20 से 45 प्रतिशत) हो तो उसे दवाओं से दूर किया जा सकता है, लेकिन समस्या गंभीर (80 से 90 प्रतिशत ब्लॉकेज) होने पर एंजियोप्लास्टी विधि द्वारा इसका उपचार किया जाता है। बैटरी से संचालित छोटा सा यंत्र पेसमेकर भी आटर्री ब्लॉकेज की समस्या में कारगर साबित होता है। इसे ऑपरेशन द्वारा हार्ट के पास फिट कर दिया जाता है। इससे निकलने वाली तरंगें दिल की धडकन को नियमित बनाए रखने में सहायक होती हैं।
बचाव
यह कहावत बिलकुल सही है कि उपचार से बेहतर है बचाव। हृदय रोग आनुवंशिक कारणों से भी होता है। इसलिए अगर आपके परिवार में किसी को यह समस्या रही हो तो आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए :
1. सादा, संतुलित और पौष्टिक खानपान अपनाएं।
2. ज्यादा घी-तेल, मसाले, एल्कोहॉल और सिगरेट के सेवन से बचें।
3. अगर आपको डायबिटीज की समस्या है तो शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए चीनी, चावल, आलू और मीठे फलों का सेवन बेहद सीमित मात्रा में करें क्योंकि इससे भी हार्ट अटैक का खतरा बढ जाता है।
5. नियमित रूप से व्यायाम करें और प्रतिदिन सुबह-शाम की सैर करें। इससे शरीर के मेटाबॉलिज्म का स्तर नियंत्रित रहता है और हृदय की धमनियों में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल का जमाव नहीं होता।
नई जिंदगी मिली है मुझे
दिल्ली के 38 वर्षीय व्यवसायी प्रवीण पंत की आर्टरी में लगभग शत प्रतिशत ब्लॉकेज था। दो वर्ष पहले एक रोज अचानक उन्हें दिल का दौरा पडा था। उपचार के बाद अब वह पूर्णत: स्वस्थ हैं। आइए उनके अनुभवों से रूबरू होते हैं, उन्हीं की जुबानी।
कामकाज की व्यस्तता की वजह से मैं अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पाता था। मेरी दिनचर्या भी बहुत अव्यवस्थित थी। वैसे भी मैं शुरुआत से ही सेहत के मामले में बेहद लापरवाह किस्म का इंसान था। काम के दौरान मैं 20-25 सिगरेट पी जाता था। हर दूसरे दिन हार्ड ड्रिंक्स भी ले ही लेता था। हालांकि मैं टेनिस का खिलाडी रह चुका हूं और नियमित रूप से जिम भी जाता था, लेकिन पिछले चार वर्षो से मेरा जिम जाना भी छूट गया था। मैं अपनी डाइट पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा था।
वह दिन मैं आज भी नहीं भूल सकता जब शाम को ऑफिस से लौटने के बाद मेरे सीने में तेज दर्द शुरू हो गया। तब मुझे ऐसा लगा कि शायद एसिडिटी की वजह से दर्द हो रहा है। इसे दूर करने के लिए मैंने दवा भी ली, लेकिन दर्द कम होने के बजाय बढता ही गया। तब मुझे ऐसा लगा कि अब डॉक्टर के पास जाना ही पडेगा। मैं खुद ड्राइव करके डॉक्टर के पास पहुंचा। उस समय मुझे बहुत घबराहट महसूस हो रही थी और आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा। मेरी पत्नी अनीता लगातार रोए जा रही थी। मुझे उसका और बच्चे का चेहरा धुंधला नजर आ रहा था। उस वक्त मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मैं इन्हें आखिरी बार देख रहा हूं। खैर, एंजियोप्लास्टी से मेरी ऑर्टरी के ब्लॉकेज को हटाया गया। डॉक्टरों का कहना था कि अगर थोडी सी देर हो जाती तो मेरा बचना नामुमकिन था। दो दिनों के बाद मुझे अस्पताल से छुट्टी मिल गई। घर वापस लौटते समय मेरा मन बहुत भावुक हो रहा था। मैं अपने आप को खुशनसीब मानते हुए ईश्वर को धन्यवाद दे रहा था। अस्पताल जाते वक्त तो मुझे यह भी नहीं मालूम था कि मैं अपने घर लौट पाऊंगा या नहीं? मैं जिंदगी के प्रति बेहद सकारात्मक नजरिया रखता हूं। मेरा मानना है कि जो भी होता है, वह अच्छे के लिए ही होता है। वह हार्ट अटैक मेरे लिए बहुत बडी चेतावनी थी कि अब मुझे सेहत के प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यह सोचकर मेरी रूह कांप जाती है कि अगर उस वक्त मुझे कुछ हो जाता तो मेरी पत्नी और बच्चे पर क्या बीतती? अब मुझे अपनी जिंदगी की कीमत का अंदाजा हो गया है। इसलिए नियमित रूप से मॉर्निग वॉक और एक्सरसाइज करता हूं। मैंने सिगरेट पीना बिलकुल बंद कर दिया है, पर कभी-कभी सीमित मात्रा में एल्कोहॉल लेता हूं। अपने खानपान में नॉनवेज बंद करके हरी सब्जियों और सैलेड की मात्रा बढा दी है। किचन में मेरी पत्नी ने घी-तेल का इस्तेमाल बिलकुल कम कर दिया है। वह मेरी दिनचर्या और खानपान का बहुत ज्यादा खयाल रखती है। अगर आज मैं जिंदा हूं तो सिर्फ उसी की वजह से। मुझे बडी मुश्किल से दोबारा जीने का मौका मिला है। इसलिए अब मैं सेहत का पूरा खयाल रखता हूं।
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