गुरुवार, 14 सितंबर 2023

सेंधा नमक

 सेंधा नमक : 

भारत से कैसे गायब कर दिया गया?

शरीर के लिए Best Alkalizer है|

 

आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं। एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock salt) । सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है। और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता।


भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो (अनपूर्णा,कैपटन कुक ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ , आओडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था । उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।


दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता । वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।


आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।


सेंधा नमक के फ़ायदे:-


सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है । क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ।


ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ?


सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis)  का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।


यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।


समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :-


ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है ! क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आओडीन डाल रही है। अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है । दूसरा होता है “industrial iodine”  ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है।


आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) , डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता५ बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।


ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है !


रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने मे परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गढिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है। 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओ के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।


निवेदन :पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।


आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आओडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आओडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है


रविवार, 10 सितंबर 2023

परिपूर्ण गणेश पूजा

 संकल्य, देशकाल,  अथर्वशिर्षासह परिपूर्ण गणेश पूजा 


अथ पार्थिव गणेश पूजन

🔹आपण घरी गणपती आणून पूजा करतो, त्यावेळेस पुढील पूजा करतांना काही बाबी ध्यानात घेणे गरजेचे आहे की, मूर्ती शाडूची व रंग पाण्याचे असल्याने अभिषेक किंवा पाण्यासंबंधीचे उपचार करतांना ते दुर्वा किंचित पाण्यात बुडवून नाममात्र करावेत.

🔹योग्य मुहूर्तावर मूर्ती आणावी.

🔹स्थापना करण्याचे ठिकाणी धान्याची राशी करुन त्यावर मूर्ती पाटासह ठेवावी.

🔹पूजेचे सर्व साहित्य असलेले ताट, पूजेची भांडी जवळ ठेवावीत.

🔹शांत चित्ताने व प्रसन्न मुद्रेने पूजारंभ करावा.

🔹दिप, अगरबत्ती प्रज्वलीत करून पूजा सुरू करावी.

🔹महत्वाची बाब म्हणजे मी मूर्तीची पूजा करीत नसून प्रत्यक्ष परमेश्वराची पूजा करत आहे, अशी भावना असावी.


🙏सदानंद पाटील, रत्नागिरी.🙏


 🌺मंगल तिलक


(गुरुजींनी यजमानांच्या कपाळी गंध, अक्षता लावाव्यात. (यजमान स्वत:च पूजा करत असतील तर त्यांनी स्वत:च स्वत:च्या कपाळी मध्यमेने गंध, अक्षता लावाव्यात.) या वेळी पुढील मंत्र म्हणावा.

ओम् भद्रंकर्णेभि: श्रुणुयाम देवा: । भद्रं पश्येमाक्षभिर्य जत्रा: । स्थिरैरंगैतुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायू: । ओम् स्वस्तिन: इंद्रो वृध्दश्रवा: स्वस्तिन: पूषा विश्ववेदा: । स्वस्तिन: स्तार्क्षो अरिष्टनेमि:। स्वस्तिनो ब्रहस्पतिर्दधातु ।। ओम् शान्ति: शान्ति: शान्ति: ।।


🌺 आचमन

   ॐ केशवाय नमः । ॐ। नारायणाय नमः । ॐ माधवाय नमः ।(या नावांनी आचमन करावे)

ॐ गोविंदाय नमः ।

(या नावाने पाणी सोडावे. पुढील नावे हात जोडून म्हणावीत. नंतर प्राणायाम करावा.)

ॐ विष्णवे नमः ।

ॐ मधुसूदनाय नमः । 

ॐ त्रिविक्रमाय नमः ।

ॐ वामनाय नमः । 

ॐ श्रीधराय नमः ।

ॐ हृषीकेशाय नमः । 

ॐ पद्मनाभाय नमः । 

ॐ दामोदराय नमः । 

ॐ संकर्षणाय नमः । 

ॐ वासुदेवाय नमः ।

ॐ प्रद्युम्नाय नमः । 

ॐ अनिरुद्धाय नमः ।

ॐ पुरुषोत्तमाय नमः । 

ॐ अधोक्षजाय नमः ।

ॐ नारसिंहाय नमः । 

ॐ अच्युताय नमः ।

ॐ जनार्दनाय नमः । 

ॐ उपेन्द्राय नमः । 

ॐ हरये नमः ।

ॐ श्रीकृष्ण परमात्मने नमः ।

  🌺 प्राणायाम

प्रणवस्य परब्रह्म ऋषिः । परमात्मा देवता । दैवी गायत्री छंदः । प्राणायामे विनियोगः ।ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महा ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम् । ॐ तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात ॥ ॐ आपो ज्योती रसोऽमृतं ब्रह्मभूर्भुवः स्वरोम् ॥ (दोन्ही कान (प्रथम उजवा) व तोंडास उजव्या हाताच्या पांचही बोटांनी स्पर्श करावा)


 🌺 देवतास्मरण

हात जोडून सावकाश म्हणावे,


ॐ श्रीमन्महागणाधिपतये नमः । श्री मातृपितृभ्यो नम: ।श्री कुलदेवताभ्यो नमः । श्री इष्ट देवताभ्यो नम:। श्री ग्रामदेवताभ्यो नमः । श्री स्थानदेवताभ्यो नमः । श्री वास्तुदेवताभ्यो नमः  श्री आदित्यादि नवग्रह देवताभ्यो नम: । श्री सर्वेभ्यो देवेभ्यो नम: । निर्विघ्नमस्तु । सुमुखश्वैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः । लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो गणाधिपः ॥१॥ धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचंद्रो गजाननः । द्वादशैतानि नामानि यः पठेत् शृणुयादपि ॥२॥ विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा । संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते ॥३॥ शुक्लांबरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं । प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशांतये ॥४॥ सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥५॥ सर्वदा सर्वकार्येषु नास्ति तेषाममंगलम् । येषां हृदिस्थो भगवान्मंगलायतनं हरिः ॥६॥ तदेव लग्नं सुदिनं तदेव ताराबलं चंद्रबलं तदेव ।विद्याबलं दैवबलं तदेव लक्ष्मीपते तेंऽघ्रियुगं स्मरामि ॥७॥ लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः ।येषामिंदीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः ॥८॥ विनायकं गुरुं भानुं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरान् । सरस्वतीं प्रणम्यादौ सर्वकामार्थसिद्धये ॥९॥ अभीप्सितार्थसिद्धयर्थ पूजितो यः सुरासुरैः ।सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नमः ॥१०॥ सर्वेप्रारंभ कार्येषु त्रयस्त्रिभुवनेश्वराः । देवां दिशन्तु न सिद्धिं ब्रह्मेशानजनार्दनाः ॥११॥


🌺देश कालाचा उच्चार


श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्यास्मिन् ब्रम्हांडे भुर्लोके, ब्रह्मणो द्वियीये परार्धे विष्णुपदे, श्री श्वेत वाराह कल्पे, वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविशती तमे युगे, युग चतुष्के, कलियुगे, प्रथमचरणे, जंबुद्वीपे, भरत वर्षै, भरत खंडे, दक्षिणापथे, राम क्षेत्रे, बौध्दावतारे, दण्डकारण्ये देशे, शालिवाहन शके अस्मिन वर्तमाने, गोदावर्याः दक्षिण/उत्तर तीरे, प्लवनाम संवत्सरे, दक्षिण अयने, वर्षाऋतौ, भाद्रपदमासे, शुक्लपक्षे, चतुर्थि तिथौ, शुक्रवासरे, चित्रा दिवस नक्षत्रे, तुला राशीस्थिते वर्तमान चंद्रे, सिंह राशिस्थिते श्री सूर्ये, कुंभ राशिस्थिते देवगुरौ, शेषेषु ग्रहेषु यथायथं राशीस्थान स्थितेषु सत्सु एवंगुण विशेषण विशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ । 


🌺संकल्प

( हातावर पाणी, अक्षता घेऊन पुढील संकल्प म्हणून ताम्हानात पाणी सोडावे)

ममआत्मनः श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्त्यर्थ अस्माकं सर्वेषां सहकुटुंबानां सहपरिवाराणां क्षेम स्थैर्य, आयु:, आरोग्य वृध्यर्थम्,  भाद्रपदशुक्लचतुर्थ्या प्रतिवार्षिकं विहितं, यथाशक्ति, यथाज्ञानेन, यथा मीलितोपचारद्रव्यैः, ध्यानावाहनादि षोडशोपचारैः कृत पूजनम् करिष्ये । तथा च कलश, शंख, घंटा, दीप पूजनम् तदंगत्वेन शरीर शुध्यर्थम षडंग न्यास अहं करिष्ये।


                  🌺शुध्दीकरण🌺


🔹आसन शुध्दी

(यजमानाने आपल्या आसनाला दोन्ही हात उताणे लावावेत, व पुढील मंत्र म्हणावा.)

पृथ्विती मंत्रस्य मेरुपृष्ठा ऋषि । कुर्मो देवता । सुतलं छंद: । आसने पवित्र करणे विनियोग: । ओम् पृथ्वि तया धृता लोका देवित्वं विष्णुना धृता । त्वं च धारय मां देवी पवित्र कुरूचासनम् ।


🔹परिसर शुध्दि

(हातात अक्षता घेऊन पुढील मंत्राने त्या आठही दिशांना फेकाव्यात)

ॐ अपसर्पंतु ते भूता ये भूता भूमिसंस्थिता: । ये भूता विघ्नकर्तारस्ते गच्छन्तु शिवाज्ञया ।।


(पुढील मंत्र म्हणून जमीनीस आपली टीच (वीत) लावावी)

भूमौ प्रादेशं कुर्यात ।


(पुढील मंत्र म्हणून कालभैरवाला नमस्कार करावा व डाव्या पायाची टाच तीन वेळा जमीनीवर आपटावी)

तीक्ष्ण दंष्ट्र महाकाय कल्पांत दहनोपम । भैरवाय नमस्तुभ्यम् अनुज्ञां दातुमर्हसी । इति भैरवानुज्ञां गृहियात् ।।


🔹षडंग न्यास:- ॐ भूर्भुव: स्व: ह्रदयाय नम: । (उजवा हात छातीस लावावा)

ॐभूर्भुव: स्व: शिरसे स्वाहा  ।( कपाळाला स्पर्श करावा)

ॐभूर्भुव: स्व:  शिखायै वषट्  ।(शेंडीस हात लावावा)

ॐभूर्भुव: स्व: कवचाय हुम् ।(दोन्ही हात डोक्यापासून पायापर्यंत उतरावे)

ॐभूर्भुव: स्व: नेत्र त्रयाय वौषट् ।(पहिले, दुसरे व तिसरे बोट दोन्ही डोळे व भ्रु मध्यास लावावेत)

ॐभूर्भुव: स्व: अस्त्राय फट् ।(डोक्याभोवती उजवा हात फिरवून टाळी वाजवावी)


🌺कलश पूजन

(आपण पूजेकरिता भरून घेतलेल्या कलशाची पूजा करून त्यात गंगा, नर्मदादि पवित्र नद्यांचे जल असावे, अशी प्रार्थना करावी.)


ॐ कलशस्य मुखे विष्णु कंठे रूद्र समाश्रित: । मूले त्वस्य स्थितो ब्रम्हा मध्ये मातृगणा: स्मृता: ।। कुक्षौ तु सागरा: सर्वे सप्तद्विपा वसुंधरा: । ऋग्वेदोथ: यजुर्वेद: सामवेदो ह्यथर्वण: ।। अंगेश्च सहित: सर्वे कलशं तु समाश्रित: । अत्र गायत्री सावित्री शांती पुष्टिकरी तथा ।। आयांतु देवपूजार्थं दुरितक्षयकारका:। गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।। नर्मदे सिंधू कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरू । कलश देवताभ्यो नम: ।। सकल पूजार्थै गंधाक्षत पुष्पाणि समर्पयामि । प्रार्थनापूर्वक नमस्काराणि समर्पयामि ।। (कलशाला गंध,अक्षता,फूल वाहावे, नमस्कार करावा)

🌺शंख पूजन

(पुढील मंत्र म्हणून शंखात पाणी भरावे. शंख त्याच्या जागेवर ठेवून त्यास गंध, फूल, तुलसीपत्र वाहावे. शंखाला अक्षता वाहू नये)

शंखादौ चंद्रदैवत्यं कुक्षो वरूण देवता । पृष्ठे प्रजापतीश्चैव अग्रे गंगा सरस्वती ।। त्रैलोक्ये यानि तिर्थानि वासुदेवस्य चाज्ञया । शंखे तिष्ठांती विपेंद्र तस्माच्छंखं प्रपुजयेत ।। त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृत: करे । निर्मित: सर्वदेवैश्च पांचजन्य नमोस्तूते ।। ओम् पांचजन्याय विद्महे पावमानाय। धीमहि तन्नो शंख प्रचौदयात् ।। शंख देवताभ्योनम:  ।। सकल पूजार्थै गंध, पुष्प, तुलसिपत्राणी  समर्पयामि । प्रार्थनापूर्वक नमस्काराणि समर्पयामि ।।


🌺घंटी पूजन

(पुढील मंत्र म्हणून घंटीला स्नान घालून गंध, अक्षता, फूल, हळद, कुंकू वाहून नमस्कार करावा)

आगमनार्थं तु देवानाम् गमनार्थम् तु राक्षसाम् । कुर्वे घंटीरवं तंत्र देवता आवाहन लक्षणम् ।। घंटी देवतायै नम:। ।। सकल पूजार्थै गंधाक्षत पुष्पाणि समर्पयामि । हरिद्रा कुंकूम सौभाग्य द्रव्याणि समर्पयामि ।। प्रार्थनापूर्वक नमस्काराणि समर्पयामि । घंटीनादम् कुर्यात् ।। (घंटी वाजवावी)


🌺दीप पूजन

(पुढील मंत्र म्हणून दिव्याला गंध, अक्षता,फूल, हळद, कुंकू वाहून नमस्कार करावा)

भो दीप ब्रम्हरूपस्त्वं कर्मसाक्षी ह्रविघ्नकृत् । यावत्कर्म समाप्ति: स्यात्तावत्त्वं सुस्थिरो भव । दीप देवतायै नम: ।। सकल पूजार्थै गंधाक्षत पुष्पाणि, हरिद्रा कुंकूम् सौभाग्य द्रव्याणि समर्पयामि । प्रार्थनापूर्वक नमस्काराणि समर्पयामि ।।


(पुढील मंत्र म्हणून एका फुलाने कलशातील व शंखातील  पवित्र जल पूजा साहित्यासह सर्वत्र शिंपडावे)

अपवित्र:पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपिवा । य: स्मरेत्पुंडरिकाक्षं स बाह्याभ्यंतरम् शुचि: ।।


🌺प्राणप्रतिष्ठा विधी🌺

संकल्प (उजव्या हातावर पळीभर पाणी व अक्षता घेऊन पुढील मंत्र म्हणावा, व नंतर पाणी ताम्हानात सोडावे)

आद्य पुर्वोच्चारित एवं गुण विषेशण विषिष्ठायां शुभ पुण्यतिथौ श्री गणेश देवतस्य मूर्तौ प्राणप्रतिष्ठा अहं करिष्ये। (आता हातावर फक्त पाणी घेऊन पुढील मंत्र म्हणावा व नंतर ते पाणी ताम्हानात सोडावे)

ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठामंत्रस्य । ब्रम्हा विष्णु महेश्वर ऋषय: । ऋग यजु साम अथर्वण छंदांसि । परा प्राण शक्ति: । आम् बिजम् । ह्रीम् शक्तिम् । क्रौम् किलकम् । श्री गणेश देवतस्य मूर्तौ प्राण प्रतिष्ठापने विनियोग: ।। (आता मूर्तीला दुर्वांकुराने किंचित तूप लावावे व मूर्तीच्या ह्रदयास उजव्या हाताचा स्पर्श करून पुढील मंत्र म्हणावा)

ॐ आं ह्रीं क्रौं । ओम् अं यंरंलंवंशंषंसंहंळंक्षंअ: । क्रौं ह्रीं आं । हंस: सोहं श्री गणेश देवस्य जीव इहस्थित: ।।


(आता पुन्हा मूर्तीस तसेच तूप लावावे, मूर्तीच्या ह्रदयास स्पर्श करून पुढील मंत्र म्हणावा)

ॐ आं ह्रीं क्रौं । ओम् अंयंरंलंवंशंषंसंहंळंक्षं अ: । क्रौं ह्रीं आं । हंस: सोहं । अस्य श्री गणेश देवस्य मूर्तौ सर्वेंद्रियाणी वाङ्ममन: चक्षु: श्रोत्रं जिव्हा घ्राण पाणि पाद उपस्थ आदि सर्वैंद्रियााणि आगत्य सूखं चिरतिठंतु स्वाहा । ॐ असुनिते पुन: अस्मासु चक्षु पुन: प्राण मिहनो देहिभोग । ज्योक पश्येम सूर्यमुच्चरंत मनुमते मृळायन:स्वस्ति । ॐ चत्वीरवाक् परिमिता पदानि तानि विदु:ब्राम्हणा ह्ये मनीषिण:। गुहा त्रीणी निहिता नेङ्ग्यंती तुरीय वाचो मनुष्यावदंति । अस्य श्री गणेश देवस्य गर्भाधानादि पंचदश संस्कार सिध्यर्थम् पंचदश प्रणवावृत्ति करिष्ये ।


(आता मनात १५ वेळा ओम्काराचा जप करावा व मूर्तीवर दोन्ही हातांनी सावली करावी, नंतर मूर्तीच्या दोन्ही डोळ्यांना दूर्वांनी तूप लावावे. या वेळी पुढील मंत्र म्हणावा.)

ॐ तत् चक्षुर्देवहितं शुक मुच्चरत । पश्येत शरद: शतं । जीवेत् शरद: शतम् ।। सुप्रतिठित वरद:भवत:।


(यानंतर देवाला मधुपर्काचा नैवेद्य अर्पण करावा. मधुपर्क = दूध + मध.)


     🌺षोडषोपचार पूजन🌺

🌺ध्यान:- वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभ | निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ।।श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । ध्यायम् ध्यायामि ।।(हात जोडून म्हणावे)


🌺 (१) आवाहन:-आगच्छ देवदेवेश तेजोराशे जगत्पते | क्रियमाणां मया पूजां गृहाण सुरसत्तम ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । आवाहनार्थे अक्षताम् समर्पयामि ।। (देवास अक्षता वाहाव्यात)


🌺 (२) आसन:- नाना रत्न समायुक्तं कार्तस्वर विभूषितम् | आसनं देवदेवेश प्रीत्या च प्रतिग्रह्यताम् ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । आसनार्थे अक्षताम् समर्पयामि ।। (देवास अक्षता वाहाव्यात)


🌺(३)पाद्यम्:- पाद्यम् ग्रहाण देवेश सर्वक्षेम समर्थ प्रभो । भक्त्या समर्पितं देव लोकनाथ नमोस्तुते ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । पाद्यम् समर्पयामि ।।(दुर्वांकुराने देवाच्या पायांवर पाणी शिंपडावे)


🌺 (४) अर्घ्यम्:- नमस्ते देवदेवेश नमस्ते धरणीधर । नमस्ते जगदाधारे अर्घ्यमेत्प्रग्रह्यताम् । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । हस्तयो: अर्घ्यम् समर्पयामि ।। (देवाच्या उजव्या हातावर दुर्वांकूराने अर्घ्य (गंध,अत्तर,कापूर,फुले,पाणी) वाहावे)


🌺 (५) आचमन:- कर्पुरवासितं तोयं मंदाकिन्या: समाह्रतम् । आचम्यतां जगन्नाथ मया दत्तं हि भक्तित ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । आचमनीयम् समर्पयामि ।। (देवाच्या उजव्या हातावर पाणी वाहावे)


🌺 (६) स्नानम्:- गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदा जलै: । स्नापितोSS सि मया देव तथा शान्तिं कुरूष्व मे । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । स्नानीयम् समर्पयामि ।। (देवाच्या मस्तकावर पाणी वाहावे)


🌺पंचामृत एकत्रित वाहाण्याचा मंत्र🌺


पयो दधी घ्रुतं चैव मधु शर्करयान्वितम् । पंचामृतं मयानितं स्नानार्थं प्रतिग्रह्यताम् ।। (जर पंचामृत एकत्र असेल तर वरील मंत्र म्हणून पंचामृत वाहावे)

       🌺 पंचामृत स्नानम् 🌺


🌺(१)पयस्नानम्:- कामधेनो: समुद्भुतं देवर्षि पित्रूत्रुप्तिदम् । पयो ददामि ते देव स्नानार्थं प्रतिग्रह्यताम् ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । पय स्नानं समर्पयामि । पय स्नानांतरेण शुध्दोदक स्नानम् समर्पयामि । सकल पूजार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि । प्रार्थनापूर्वक नमस्काराणि समर्पयामि ।। (देवावर दूध शिंपडावे, नंतर पाणी शिंपडावे, नंतर देवास गंध,अक्षता,फूल वाहावे व नमस्कार करावा)


🌺 (२) दधी स्नानम्:- चंद्र मंडल संकाशं सर्व देव प्रियं दधी । स्नानार्थं ते मया देव दत्तं तत्पतिग्रह्यताम् ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । दधी स्नानं समर्पयामि । दधी स्नानांतरेण शुध्दोदक स्नानम् समर्पयामि । सकल पूजार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि । प्रार्थनापूर्वक नमस्काराणि समर्पयामि ।। (देवावर दही शिंपडावे, नंतर पाणी शिंपडावे, नंतर गंध,अक्षता,फूल वाहावे, नमस्कार करावा)


🌺(३) घ्रुत स्नानम्:- आज्यं सुराणामाहार आज्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम् । आज्यं पवित्रं परमं स्नानार्थं प्रतिग्रह्यताम् ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । घ्रुत स्नानं समर्पयामि । घ्रुत स्नानांतरेण शुध्दोदक स्नानम् समर्पयामि । सकल पूजार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि । प्रार्थनापूर्वक नमस्काराणि समर्पयामि (देवाववर तूप शिंपडावे, नंतर पाणी शिंपडावे, नंतर गंध,अक्षता,फूल वाहावे, नमस्कार करावा)


🌺(४) मधु स्नानम्:- सर्वौषधिसमुत्पन्नं पीयुष सद्रुषं मधु । स्नानार्थं ते प्रयच्छामि ग्रह्यतां परमेश्वर ।।  श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । मधु स्नानं समर्पयामि । मधु स्नानांतरेण शुध्दोदक स्नानम् समर्पयामि । सकल पूजार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि । प्रार्थनापूर्वक नमस्काराणि समर्पयामि ।। (देवावर मध शिंपडावा, नंतर पाणी शिंपडावे, नंतर गंध,अक्षता,फूल वाहावे, नमस्कार करावा)


🌺(५) शर्करा स्नानम्:- इक्षुदंड समुद्भूतं दिव्यशर्करया हरिम् । स्नापयामि सदा भक्त्या प्रीतो भव सुरेश्वर ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । शर्करा स्नानं समर्पयामि । शर्करा स्नानांतरेण शुध्दोदक स्नानम् समर्पयामि । सकल पूजार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि । प्रार्थनापूर्वक नमस्काराणि समर्पयामि ।। (देवावर किंचित साखर टाकावी, नंतर पाणी शिंपडावे, नंतर गंध,अक्षता,फूल वहावे, नमस्कार करावा)


🌺(६) गंधोदक स्नानम्:- ॐ कर्पुरैलासमायुक्तं सुगंधीं द्रव्य संयुतम् । गंधोदकं मया दत्तं स्नानार्थम् प्रतिग्रह्यताम् ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । षष्ठेन गंधोदक स्नानं समर्पयामि । गंधोदक स्नानांतरेण शुध्दोदक स्नानम् समर्पयामि । सकल पूजार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि । प्रार्थनापूर्वक नमस्काराणि समर्पयामि ।। (देवावर गंधोदक (गंधाचे पाणी) शिंपडावे, नंतर गंध, अक्षता, फूल वाहावे, नमस्कार करावा)


🌺 पंचोपचारे पूजा 🌺


१) श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । विलेपनार्थे चंदनम् समर्पयामि । आलंकारार्थे अक्षतां समर्पयामि । हरिद्रा - कुंकुम् समर्पयामि ।। (गंध लावावे, अक्षता वाहाव्यात,हळद-कुंकू वाहावे)

२) श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । ऋतुकालोद्भव पुष्पम् समर्पयामि ।। (फुले वाहावीत)

३) श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । धूपम् आघ्रापयामि ।। (अगरबत्ती ओवाळावी)

४) श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । दीपं दर्शयामि ।।(दिवा ओवाळावा)

५) श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । पंचाम्रुत नैवेद्यम् समर्पयामि ।। (पंचामृताचा नैवेद्य अर्पण करावा)


🌺 नैवेद्यार्पण 🌺


सत्यंत वर्तेन परि सिश्चयामि । (असे म्हणून नैवेद्या भोवती पाणी फिरवावे) ओम् तत् सवितुर्वरेण्यम् भर्गोदेवस्य धिमहि धियोयोन: प्रचोदयात् ।

ॐ प्राणाय स्वाहा । ॐ अपानाय स्वाहा । ॐ व्यानाय स्वाहा । ॐ उदानाय स्वाहा । ॐ समानाय स्वाहा । ॐ ब्रम्हणे अम्रुतत्वायाम स्वाहा । मध्यपाणियम् समर्पयामि ।। (असे म्हणून पळीभर पाणी ताम्हानात सोडावे.  परत नैवेद्याभोवती पाणी फिरवावे व वरील प्रमाणे गायत्री मंत्र, ॐ प्राणाय स्वाहा । इत्यादी म्हणून तीन पळ्या पाणी ताम्हानात सोडावे.)

उत्तरापोशनम् समर्पयामि । हस्त प्रक्षालनम् समर्पयामि । मुख प्रक्षालनम् समर्पयामि । करोद्वनार्थे चंदनम् समर्पयामि ।। ( असे म्हणून तीन पळ्या पाणी ताम्हानात सोडावे, देवाला गंध लावावे. पंचोपचार पूजा सांगते प्रित्यर्थ पुढील मंत्र म्हणून एक पळी पाणी उजव्या हातावर घेउन ताम्हानात सोडावे.)

अनेन पूर्वाराधनेन श्रीमन्महागणाधिपतये देवता प्रीयंतां न नम ।।


उत्तरे निर्माल्य विस्रुज्य ।। अभिषेको कुर्यात ।। (आत्तापर्यत देवाला वाहिलेली फुले गोळा करून त्यांचा वास घ्यावा व ती फुले (निर्माल्य) उत्तर दिशेला ठेवावी. अभिषेक सुरू करावा)


🌺 अभिषेक स्नान 🌺


श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । अभिषेक प्रित्यर्थ गंधाक्षत पुष्पाणि समर्पयामि । (देवाला गंध, फुल, अक्षता वाहाव्यात. भगवान श्री गणेशांना अथर्वशीर्षाचा अभिषेक करावा.)


                 🌸अथर्वशिर्ष🌸

शांतिमंत्र

ॐ भद्रं कर्णेभि: शृणुयाम देवा: । भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा: ।। स्थिरैरंगैस्तुष्टुवांसस्तनूभि: । व्यशेम देवहितं यदायु: ।। ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवा: । स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा: । स्वस्तिनस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमि: । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ।। ॐ शांति: शांति: शांति: ।। ॐ नमस्ते गणपतये । त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि । त्वमेव केवलं कर्ताऽसि । त्वमेव केवलं धर्ताऽसि । त्वमेव केवलं हर्ताऽसि । त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि । त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम् ।।१।। ऋतं वच्मि | सत्यं वच्मि ।। २।। अव त्वं माम् । अव वक्तारम् । अव श्रोतारम् । अव दातारम् । अव धातारम् । अवानूचानमव शिष्यम् । अव पश्चात्तात् | अव पुरस्तात् । अवोत्तरात्तात् । अव दक्षिणात्तात् । अव चोर्ध्वात्तात् । अवाधरात्तात् । सर्वतो मां पाहि पाहि समन्तात् ।। ३ ।। त्वं वाङ्मयस्त्वं चिन्मय: । त्वमानंदमयस्त्वं ब्रह्ममयः ।। त्व सच्चिदानंदाद्द्वितीयोऽसि । त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि । त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि ।। ४।। सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते । सर्वं जगदिदं तत्त्वस्तिष्ठति । सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति । सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति । त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभ: । त्वं चत्वारि वाक्पदानि ।। ५ ।। त्वं गुणत्रयातीत: । त्वं देहत्रयातीत: । त्वं कालत्रयातीत: । त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यम् ।। त्वं शक्तित्रयात्मक: । त्वां योगिनो ध्यायन्ति नित्यम् । त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं । रूद्रस्त्वं इंद्रस्त्वं अग्निस्त्वं । वायुस्त्वं सूर्यंस्त्वं चंद्रमास्त्वं । ब्रह्मभूर्भुवः स्वरोम् ।। ६ ।। गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरम् । अनुस्वार: परतर: । अर्धेंदुलसितम् । तारेण ऋद्धम् । एतत्तव मनुस्वरूपम् । गकार: पूर्वरूपम् । अकारो मध्यमरूपम् । अनुस्वारश्चान्त्यरूपम् । बिंदुरुत्तररूपम् । नाद: संधानम् । संहिता संधि: । सैषा गणेशविद्या । गणकऋषि: । निचृद्गायत्रीच्छंद: । गणपतिर्देवता । ॐ गँ गणपतये नम: ।।७।। ॐ एकदंताय विद्महे । वक्रतुंडाय धीमहि । तन्नो दंती प्रचोदयात् ।। ८ ।। एकदंतं चतुर्हस्तं पाशमंकुशधारिणम् । रदं च वरदं हस्तैर्बिभ्राणं मूषकध्वजम् ।। रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम् । रक्तगंधानुलिप्तांगं रक्तपुष्पै: सुपूजितम् ।। भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमच्युतम् | आविर्भूतं च सृष्ट्यादौ । प्रकृते: पुरुषात्परम् ।। एवं ध्यायति यो नित्यं । स योगीं योगिनां वर: ।।९ ।। नमो व्रातपतये । नमो गणपतये । नम: प्रमथपतये । नमस्तेSस्तु लंबोदरायैकदंताय । विघ्ननाशिने शिवसुताय । श्रीवरदमूर्तये नमो नम: ।। १० ।।

फलश्रुति

एतदर्थवशीर्षं योSधीते । स ब्रह्मभूयाय कल्पते । स सर्वत सुखमेधते । ससर्वविघ्नैर्न बाध्यते । स पंञ्चमहापापात्प्रमुच्यते सायमधीयानो दिवसकृतं पापं नाशयति । प्रातरधीयानो रात्रिकृतं पापं नाशयति । सायंप्रात: प्रयुञ्जानो अपापो भवति । सर्वत्राधीयानोऽपविघ्नो भवति । धर्मार्थकाममोक्षं च विंदति ।। इदमथर्वशीर्षंमशिष्याय न देयम् । यो यदि मोहाद्दास्यति स पापीयान् भवति । सहस्रावर्तनात् यं यं काममधीते तं तमनेन साधयेत् ।। ११ ।। अनेन गणपतिमभिषिंचति । स वाग्मी भवती  चतुर्थ्यामनश्नन् जपति । स विद्यावान भवति | इत्यथर्वणवाक्यम् । ब्रह्माद्याचरणं विद्यात् ।  न बिभेति कदाचनेति ।।१२ ।। यो दुर्वांकुरैर्यजति । स वैश्रवणोपमो भवति । यो लाजैर्यजति सयशोवान् भवति । स मेधावान् भवति । यो मोदकसह्स्रेण यजति । स वाञ्छितफलमवाप्नोति । यः साज्यसमिद्भिर्यजति । स सर्वं लभते स सर्वं लभते ।।१३।। अष्टौ ब्राह्मणान् सम्यग्ग्राहयित्वा सूर्यवर्चस्वी भवति । सूर्यग्रहे महानद्यां  प्रतिमासंनिधौ वा जप्त्वा सिद्धमंत्रो भवति । महाविघ्नात्प्रमुच्यते । महादोषात्प्रमुच्यते । महापापात्प्रमुच्यते । स सर्वविद्भवति स सर्वविद्भवति । य एवं वेद इत्युपनिषद् ।।१४ ।।

शांतिमंत्र 

ॐ भद्रं कर्णेभि: शृणुयाम देवा: । भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा: ।। स्थिरैरंगैस्तुष्टुवांसस्तनूभि: । व्यशेम देवहितं यदायु: ।। ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवा: । स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा:  स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमि: ।स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ।। ॐ शांति: शांति: शांति: ।।

(दुर्वांची अग्रे पाण्यात किंचित बुडवून देवाच्या सर्वांगावर पाणी शिंपडावे. अभिषेकानंतर पुढील प्रमाणे पूजा करावी.)


🌺 उष्णोदक स्नान :- ॐ आपोहिष्ठा मयोभुय स्नानं उर्जे दधातन: । महेरणाय चक्षसे यो व: शिवतमोरसस्तस्य भाजय तेन हन: । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । उष्णोदक स्नानम् समर्पयामि ।।

(पळीभर पाणी निरांजनावर गरम करावे, त्यात एक थेंब थंड पाणी टाकावे व दुर्वांने किंचित देवावर शिंपडावे.)

🌺 मांगलीक स्नान :- ॐ काश्मीरागरू कस्तुरी कर्पुर मलयान्वीतं । उद्वर्तन मया दत्तं स्नानार्थे प्रति ग्रह्यताम् । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । सुमांगलीक स्नानम् समर्पयामि ।।

( वरील मंत्र म्हणून हळद, कापूर,अत्तर, पाणी एकत्र करून ते किंचित देवावर शिंपडावे)


🌺(७) वस्त्रम्:- सर्व भूषाधिके सौम्ये लोकलज्जा निवारणे । मयोपपादिते तुभ्यं वासासी प्रतिग्रह्यताम् । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । वस्त्रम् समर्पयामि ।। (देवाला वस्त्र अर्पण करावे किंवा अक्षता वाहाव्यात.)


🌺 (८) यज्ञोपवीतम्:- देव देव नमस्तेSस्तू त्राही मां भवसागरात । ब्रम्हसुत्रं सोत्तरियं ग्रूहाण पुरूषोत्तम । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । यज्ञोपवीतम् समर्पयामि ।। (देवाला जानवे अर्पण करावे. जानवे नेहमी डाव्या खांद्यावरून घालावे)


🌺 (९) गंधम् :- श्रीखंडं चंदनम् दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम् । विलेपनं सुरश्रेष्ठं चंदनम् प्रतिग्रह्यताम् । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । विलेपनार्थे चंदनम् समर्पयामि ।। (देवाला गंध लावावे)


🌺 अक्षता:- अक्षता स्तण्डुला: शुभ्रा: कुंकुमेन विराजिता: । मया निवेदिता भक्त्या ग्रहाण परमेश्वर । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । अक्षताम् समर्पयामि ।। (देवाला अक्षता वाहाव्यात.)


🌺 हळद :- हरिद्रा स्वर्णवर्णाभा सर्व सौभाग्य दायिनी । सर्वालंकारमुख्या हि  देवी त्वं प्रतिग्रह्यताम् । ऋध्दिसिध्दिसहित श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । हरिद्राम् समर्पयामि ।। (देवाच्या चरणी हळद वाहावी)


🌺 कुंकुम् :- हरिद्राचूर्ण संभूतम् कुंकुमम् कामदायकम् । वस्त्रालंकारणम् दिव्यं देवी त्वं प्रतिग्रह्यताम् । ऋध्दिसिध्दिसहित  श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । कुंकुमम् समर्पयामि ।। (देवाच्या चरणी कुंकू वाहावे)


🌺 (१०) पुष्पम् :-माल्यादीनि सुगंधीनि मालत्यादीनि वै प्रभो । मया ह्रतानिं पूजार्थं पुष्पाणि प्रतिग्रह्यताम् ।। (देवाला फुले, दुर्वा वाहाव्यात)


🌺 (११) धूपम्:- वनस्पती रसोत्पन्नो गंधाढ्यो गंध उत्तम: । आघ्रेय: सर्व देवानाम् धूपोSयं  प्रतिग्रह्यताम् । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । धूपम्  आघ्रापयामि ।। (अगरबत्ती ओवाळावी)


🌺 (१२) दिपम् :- भक्त्या दीपम् प्रयच्छामि देवाय परमात्मने । त्राहि मां निर्याध्दोरादीपोयं प्रतिग्रह्यताम् । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । दीपम् दर्शयामि ।। (दिवा ओवाळावा)


🌺 (१३) नैवैद्य :- नैवेद्यं ग्रह्यतां देव भक्तिंमे ह्यचलां कुरू । ईप्सितं मे वरं देहि परत्रच परां गतिम् । शर्कराखंड खाद्यानी दधिक्षीर घ्रुतानि च । आहारं भक्षं भोज्यं च नैवेद्यम् प्रतिग्रह्यताम्। (नैवेद्याभोवती पाणी फिरवावे ) सत्यंतवर्तेन परिसिंचयामि । ओम् तत् सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि । धियो योन: प्रचोदयात् । 

ॐ प्राणाय स्वाहा । ॐ अपानाय स्वाहा । ॐ व्यानाय स्वाहा । ॐ उदानाय स्वाहा । ॐ समानाय स्वाहा ।  ॐ ब्रम्हणे अम्रुतत्वायाम् स्वाहा । (पळीभर पाणी ताम्हाणात सोडावे )

 मध्यपानीयम् समर्पयामि । (असे म्हणून परत नैवेद्याभोवती पाणी फिरवावे व वरील प्रमाणे, गायत्री मंत्र, ॐ प्राणास स्वाहा ( वगैरे म्हणून तीन पळ्या पाणी ताम्हाणात सोडावे) उत्तरापोशनम् समर्पयामि । हस्त प्रक्षालनम् समर्पयामि । मुख प्रक्षालनम् समर्पयामि । करोद्वर्थनार्थे चंदनम् समर्पयामि ।। (असे म्हणून  ताम्हानात तीन पळ्या पाणी सोडावे, देवाला गंध लावावे )  श्रीमन्महागणाधिपतये नम: नैवेद्यम् समर्पयामि ।।


🌺 तांबूलम्:- पूगीफलं महादिव्यं नागवल्ली दलैर्युतम् । कर्पुरैला समायुक्तं तांबुलम् प्रतिग्रह्यताम् । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । मुखवासार्थे  पूगीफलं स तांबूलम् समर्पयामि ।। (समोर ठेवलेल्या विड्यावर पळीने पाणी सोडावे)


🌺 फलम् : इदम् फलम् मया देव स्थापितम् पुरतस्तव | तेन मे सुफलावाप्तिर्भवेत् जन्मनि जन्मनि ।।

श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । नारिकेल महाफलम् समर्पयामि ।। (समोर ठेवलेल्या नारळाला कुंकू लावावे व पळीने पाणी सोडावे)


🌺 दक्षिणा :- हिरण्य गर्भ - गर्भस्थं हेमबीजं विभावसो: । अनंत पुण्य फलदमत: शांती प्रयच्छ मे । श्रीमन्महा गणाधिपतये नम: । महा दक्षिणाम् समर्पयामि ।। (विड्यावर ठेवलेल्या दक्षणेवर पळीने पाणी सोडावे)


🌺 आरती: चंद्रादित्यौ च धरणिर्विद्युदग्नि स्तथैव च । त्वमेव सर्व ज्योतिषीं आर्तिक्यं प्रतिग्रह्यताम् । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । महानिरांजन दीपम् समर्पयामि ।। (निरांजन ओवाळावे)


🌺 कर्पुर आरती:-  ॐ कर्पुरगौरं करूणावतारं संसारसारं भुजगेंद्रहारं । सदा वसंतं  ह्रदयारविंदे भवं भवानी सहितं नमामि । कर्पुर पूरेण मनोहरेण सुवर्णपात्रोदरसंस्थितेन । प्रदिप्तभासा सहसागतेन नीरांजनं ते जगदीश कुर्वे । श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । कर्पुरार्तिक्यदीपम् समर्पयामि ।। (कापूर पेटवून ओवाळावा)


🌺 (१४) नमस्कार:- नमस्ते ब्रम्हरूपाय विष्णुरूपाय ते नम: । नमस्ते रूद्ररूपाय करिरूपाय ते नम: ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । नमस्काराणि समर्पयामि  ।। (नमस्कार करावा)


🌺 (१५) प्रदक्षिणा :- यानि कानि च पापानि जन्मांतर क्रूतानि च । तानि तानि विनश्यंति प्रदक्षिणा पदे पदे ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । प्रदक्षिणाम् समर्पयामि ।। (देवाभोवती किंवा शक्य नसल्यास स्वत: भोवती तीन प्रदक्षिणा घालाव्यात.)


🌺 (१६) मंत्र पुष्पांजली :- ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् | ते ह नाकं महिमान: सचन्त यत्र पूर्वे साध्या: सन्ति देवा: ।। ओम् एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धिमहि तन्नोदंती प्रचोदयात् ।। श्रीमन्महागणाधिपतये नम: । मंत्रपुष्पांजलीम् समर्पयामि ।। (हातात फुले घेऊन वरील मंत्र म्हणून ती फुले देवाला वाहावीत)


       🌺 क्षमाप्रार्थना:-🌺

(हात जोडून पुढील प्रार्थना म्हणावी)

आवाहनम् न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।  पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर ।। अपराध सहस्त्रं च क्रियते अहर्निशं मया । दासोSयमितिमांमत्वा क्षमस्व परमेश्वर ।। गतं दु:खं गतं पापं गतं दारिद्र्यमेव च । आगता सुख संपत्ती: पुण्याच्च तव दर्शनात ।। रूपंदेहि जयंदेहि यशोदेहि द्विशोजहि । पुत्रान् देहि धनंदेहि सर्वकामांश्च देहि मे ।।  मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर: । यत् पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तू मे ।।


 (यानंतर पूजेच्या सांगते प्रित्यर्थ पुढील मंत्र हातात पळीभर पाणी घेऊन म्हणावा)

अनेन मया यथा ज्ञानेन यथा मीलिताेपचार द्रव्यै ध्यानं आवाहनादि षोडशोपचारै: कृत पूजनेन रिध्दी-सिध्दिसहित भगवान श्रीमन्महागणपती देवता परमेश्वर: प्रीयंतां न मम ।।

(पाणी ताम्हानात सोडावे)


🌺 तीर्थ प्राशन मंत्र :- 

(हातावर ताम्हानातील पळीभर पाणी (तीर्थ)घेऊन पुढील मंत्र म्हणून नंतर ते प्राशन करावे)

 अकाल मृत्यू हरणं सर्व व्याधि विनाशनम् । श्रीगणेश पादोदकं तीर्थे जठरे धरम्यामहम् । शिरसा धारम्यामहम् ।।


🌺 श्री स्वामी समर्थ चरणार्पणमस्तु🌺

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