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टीकमगढ़ जिले में बुंदेला राजाओ की जागीरें और रियासतें रही है . टीकमगढ़ का नाम भगवान कृष्ण के एक नाम " टीकम " के नाम पर पड़ा . जिला मुख्यालय के नाम पर, टीकमगढ़ है. शहर के मूल नाम टेहरी था. 1783 CE ओरछा विक्रमजीत (1776-1817 CE के शासक) में ओरछा से अपनी राजधानी टेहरी में स्थानांतरित कर दिया है . आज भी शहर में पुराणी टेहरी नाम से मोहल्ला है , जहाँ पर किला बना हुआ है .
शहर की सभी सीमाओं पर इस तरह के भव्य द्वार बने है . |
टीकमगढ़ के राजा के द्वारा रम की बोतलों से 'बोतल हॉउस ' बनवाया गया . |
टीकमगढ़ शहर आज भी एक बड़े गांव की तरह है , शहरी सुविधायें कम ही है. हाँ शहर में मंदिरों की तादाद बहुत ज्यादा है . छोटे-बड़े मंदिर जगह-जगह है . पुरे जिले में आपको बड़े-बड़े तालाब और किले आसानी से देखने मिलेंगे . चूँकि पथरीला क्षेत्र होने की वजह से यहाँ पानी की कमी रहती है , जिसे पूरा करने के लिए तत्कालीन राजाओं ने बड़े-बड़े तालाब खुदवाये . इन तालाबों की वजह से न केवल भूमिगत जलस्तर बढ़ा बल्कि लोगो के लिए मत्स्य पालन के रूप में एक रोजगार भी मिला . इन तालाबो की प्राकतिक सुंदरता भी देखते ही बनती है . मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा तालाब टीकमगढ़ जिले में ही है .लगभग 832 तालाब .
टीकमगढ़ तालाब का एक मनमोहक नजारा |
का उत्खनन बड़ी मात्रा में चलता है .
इस साल अप्रैल में लोगो ने टीकमगढ़ की पहली ट्रैन का अभूतपूर्व स्वागत किया |
अपनी तरह का एक अनोखा हनुमान मंदिर |
टीकमगढ़ शहर के बीचो-बीच स्थित किला |
महेंद्र सागर तालाब स्थित कालेज का मनोरम दृश्य |
टीकमगढ़ जिले के तालाबो के मध्य भी खूबसूरत इमारतें बनी हुयी है . |
कुण्डेश्वर महादेव मंदिर
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बड़े महादेव :- ग्राम जेवर, टीकमगढ़ में यह प्राचीन मंदिर बीच बस्ती में स्थित है, जिसमें शंकरजी की केवल एक पिंडी थी। उस पिंडी के आस-पास कई पिंडियां भूमि से स्वयं प्रकट हो गयीं, जो प्रति वर्ष बढ़ती जाती हैं। संप्रति तीन पिंडियां बहुत बड़ी हैं, तीन मझोली हैं और दो निकल रही हैं। यह स्थान रानीपुर रोड स्टेशन से ४ मील दक्षिण में है।
बगाज माता मंदिर वकपुरा सुन्दरपुर - टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से बुडेरा मार्ग पर वकपुरा नामक एक गांव स्थित है। इसी गांव के पास हरी भरी पहाडि़यों के बीच विद्या की देवी सरस्वती जी का मंदिर है। जिसे बगाज माता के नाम से जाना जाता है। यह करीब 1100 वर्ष प्राचीन है। देवी मंदिर गांव से करीब 2 कि0मी0 दूर पहाडि़यों के बीच है। माना जाता है कि आज से करीब 500 वर्ष पूर्व वकपुरा गांव के लोगों ने इस पवित्र स्थल की पहचान कर यहां आना जाना शुरु किया।
अहार जी - बल्देवगढ़ तहसील का यह गांव जिला मुख्यालय से 25 किमी. दूर टीकमगढ़-छतरपुर रोड पर स्थित है। यह गांव जैन तीर्थ का प्रमुख केन्द्र कहा जाता है। अनेक प्राचीन जैन मंदिर यहां बने हैं, जिनमें शांतिनाथ मंदिर प्रमुख है। इस मंदिर में शांतिनाथ की 20 फीट की प्रतिमा स्थापित है। एक बांध के साथ चंदेल काल का जलकुंड यहां देखा जा सकता है। इसके अलावा श्री वर्द्धमान मंदिर, श्री भेरू मंदिर, श्री चन्द्रप्रभु मंदिर, श्री पार्श्वनाथ मंदिर, श्री महावीर मंदिर, बाहुबली मंदिर और पंच पहाड़ी मंदिर यहां के अन्य लोकप्रिय मंदिर हैं। बाहुबली मंदिर में भगवान बाहुबली की 15 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है।
पपौरा जी - टीकमगढ़ से ५ किलोमीटर दूर सागर टीकमगढ़ मार्ग पर पपौरा जी जैन तीर्थ है ,जो कि बहुत प्राचीन है और यहाँ १०८ जैन मंदिर हैं जो कि सभी प्रकार के आकार मैं बने हुए जैसे रथ आकार और कमल आकार यहाँ कई सुन्दर भोंयरे है |
बंधा जी - एक बार एक संवत् 1890 में कलाकार मूर्तियों को बेचने के लिए 'बम्होरी जा रहा था. अचानक बैलगाड़ी बम्होरी के पास एक पीपल का पेड़ के पेड़ के पास रुक गई और उसने अनपे सभी प्रयासों को बेकार पाया और गाड़ी को आगे नहीं ले जा पाया पर जब कलाकार ने फैसला किया कि वह में मूर्ति स्थापित 'बंधा जी क्षेत्र' में स्थापित करेगा और उसकी गाड़ी बंधा जी की ओर बढ़ शुरू कर दिया यह मूर्ति अब भी बंधा जी के विशाल मंदिर में स्थापित है!
गढ़ कुडार का प्रसिद्द किला जो वृन्दावन लाल वर्मा के उपन्यासों से लेकर आज भी लोक साहित्य और किंवदंतियों में शान से जिन्दा है . |
आज भी सीना तने हुए बल्देवगढ़ का अभेद्य किला |
जतारा- टीकमगढ़ से 40 किमी. दूर टीकमगढ़-मऊरानीपुर रोड पर यह नगर स्थित है। नगर की मदन सागर झील काफी खूबसूरत है। इस लंबी-चौड़ी झील पर दो बांध बने हैं। इन बांधों को चन्देल सरदार मदन वर्मन ने 1129-67 ई. के आसपास बनवाया था। जतारा में अनेक मुस्लिम इमारतों को भी देखा जा सकता है।
माँ गिद्धवाहिनी मंदिर गढ़कुडार- यह निवाड़ी तहसील का लोकप्रिय गांव है। यह प्रथम स्थल है जिसे बुन्देलों ने खांगरों से हासिल किया था। 1539 तक यह स्थान राज्य की राजधानी था। इस गांव में एक छोटी पहाड़ी के ऊपर महाराज बीरसिंह देव द्वारा बनवाया गया किला देखा जा सकता है। देवी महा माया ग्रिद्ध वासिनी मंदिर भी यहीं स्थित है। मंदिर में सिंह सागर नाम का विशाल कुंड है। हर सोमवार को यहां बाजार लगता है।
मडखेड़ा का सूर्यमंदिर |
रामराजा सरकार मंदिर , ओरछा |
ओरछा में बेतवा नदी , पृष्ठ भूमि में स्थानीय राजाओं की छतरियां ( यही पर सॉफ्टड्रिंक स्लाइस की कैटरिना कैफ ने शूटिंग की थी ) |
ओरछा की बड़ी रोचक और प्रसिद्द कथाएं है , इनके बारे में अलग से पोस्ट लिखूंगा .
हजरत इलहान शाह बाबा रहमत उल्लाह अलैह नजरबाग - हिन्दू मुस्लिम श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केन्द्र हजरत इलहान शाह बाबा रहमत उल्लाह अलैह सन् 1802 में टीकमगढ़ में तशरीफ लाये और नजरबाग में अपना मुकाम बना लिया। वह बाबा साहब के पास जो श्रद्धालु जाते बाबा साहब की दुआओं से उनकी मनोकामएं पूर्ण होती।
हजरत अब्दाल शाह बाबा रहमत उल्लाह अलैह जतारा - हजरत ख्वाजा रुकुनुद्दीन चिश्ती रहमत उल्लाह अलैह सन् 1200 में जतारा तशरीफ लाये ओर नगर के किनारे से बहने वाली नहर के पास एक जगह अपना मकाम बनाया। जतारा नगर के रहने वाले शेख परिवार के एक हजरत, ख्वाजा की खिदमत किया करते थे। कई वर्षों के बाद शेख साहब ने ख्वाजा साहब से मुराद मांगी की उन्हें भी अपनी दुआओं से नवाज दिया जाए।
हजरत दाता इलाहीशाह बाबा रहमत उल्लाह अलैह बड़ी मजार टीकमगढ़ - हजरत दाता इलाहीशाह बाबा रहमत उल्लाह अलैह एक ऐसे बली थे जिनके दर पर सदैव समाज के हर वर्ग के लोग अपनी मन्नतें लेकर आते और बाबा साहब की दुआओं से उनकी मनोकामनायें कबूल होती। आज भी यह एक ऐसा स्थान है जहां हिन्दू-मुस्लिम व सभी धर्मो के लोग अपनी मनोकामनायें लेकर श्रृद्धापूर्वक जाते और उनकी मनोकामनायें पूर्ण होती। पिछले 68 वर्षों से बाबा साहब की दरगाह पर 4-5 व 6 अप्रैल को उर्स का आयोजन किया जाता है।
टीकमगढ़ मध्य प्रदेश के सभी बड़े शहरो से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है . सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ललितपुर 55 कि मी ० है .अब टीकमगढ़ भी ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन से जुड़ गया है . हालाँकि पर्यटक झाँसी से आना ज्यादा पसंद करते है , ताकि वहाँ से ओरछा , गढ़कुंडार जैसे नजदीकी स्थानो का भ्रमण कर सके . रहने -रुकने के लिए ओरछा में कई होटल और रिसार्ट है . मित्रो आज की इस पोस्ट में इतना ही लेकिन जिन बातों को मैंने संक्षेप में समेत दिया ...उन सब की रोचक कहानिया है , जो समयाभाव के कारण फिर कभी आगामी पोस्टों में लिखूंगा .
तब तक जय जय ......
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