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बुधवार, 8 मई 2013

आयुर्वेद का विकास आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ आयुर्वेद के बारे में जानकारी आयुर्वेद के ज्ञाता आयुर्वेद का पिता कौन है ayurved ke 8 ang वेद आयुर्वेद स्वास्थ्य और आयुर्वेद

आयुर्वेद का विकास   


स्वस्थ व्यक्तियों के स्वास्थ्य की रक्षा करना। इसके लिए अपने शरीर और प्रकृति के अनुकूल देश, काल आदि का विचार करना नियमित आहार-विहार, चेष्टा, व्यायाम, शौच, स्नान, शयन, जागरण आदि गृहस्थ जीवन के लिए उपयोगी शास्त्रोक्त दिनचर्या, रात्रिचर्या एवं ऋतुचर्या का पालन करना, संकटमय कार्यों से बचना, प्रत्येक कार्य विवेकपूर्वक करना, मन और इंद्रिय को नियंत्रित रखना, देश, काल आदि परिस्थितियों के अनुसार अपने अपने शरीर आदि की शक्ति और अशक्ति का विचार कर कोई कार्य करना, मल, मूत्र आदि के उपस्थित वेगों को न रोकना, ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, अहंकार आदि से बचना, समय-समय पर शरीर में संचित दोषों को निकालने के लिए वमन, विरेचन आदि के प्रयोगों से शरीर की शुद्धि करना, सदाचार का पालन करना और दूषित वायु, जल, देश और काल के प्रभाव से उत्पन्न महामारियों (जनपदोद्ध्वंसनीय व्याधियों, एपिडेमिक डिज़ीज़ेज़) में विज्ञ चिकित्सकों के उपदेशों का समुचित रूप से पालन करना, स्वच्छ और विशोधित जल, वायु, आहार आदि का सेवन करना और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना, ये स्वास्थ्यरक्षा के साधन हैं।
मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं। घाट में गेरूआ वस्त्र धारण किए साधु-सन्तों को भजन और कीर्तन करते देख बहुत अच्छा महसूस होता है। शाम को होने वाली यहां की आरती मन को काफी सुकून पहुंचाती है।

आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ  

नरेन्द्र कोहली ने तो उन कथाओं को अपना माध्यम बनाया है जो अपने विस्तार एवं वैविध्य के लिए विश्व-विख्यात हैं : रामकथा एवं महाभारत कथा. 'यन्नभारते - तन्नभारते' को चरितार्थ करते हुए उनके महोपन्यास 'महासमर' मात्र में वर्णित पात्रों, घटनाओं , मनोभावों आदि की संख्या एवं वैविध्य देखें तो वह भी प्रेमचंद के कुल साहित्य में वर्णित पात्रादि से अधिक ठहरेगा. वर्णन कला, चरित्र-चित्रण, मनोजगत का वर्णन इत्यादि देखें भी कोहली प्रेमचंद से न सिर्फ आगे निकल जाते है, वरन संवेदनशीलता एवं गहराई भी उनमें अधिक है. कुछ उदाहरण दृष्टव्य हैं :
पर्वतीय भूमि तथा सीमित औद्योगिक विकास के कारण जनसंख्या का घनत्व अन्य यूरोपिय देशों की अपेक्षा बहुत कम है। अधिकांश लोग गाँवों में रहते हैं। देश में 50,000 से ऊपर जनसंख्यावाले नगरों की संख्या 70 है। यहाँ अधिकांश लोग रोमन कैथोलिक धर्म माननेवाले हैं। 1931 ई. की जनगणना के अनुसार 99.6 प्रतिशत लोग कैथोलिक थे, 0.34 प्रतिशत लोग दूसरे धर्म के थे तथा .06 प्रतिशत ऐसे लोग थे जिनका कोई विशेष धर्म नहीं था। शिक्षा तथा कला की दृष्टि से इटली प्रचीन काल से अग्रणी रहा है। रोम की सभ्यता तथा कला इतिहासकाल में अपनी चरम सीमा तक पहुँच गई थी (द्र. "रोम")। यहाँ के कलाकार और चित्रकार विश्वविख्यात थे। आज भी यहाँ शिक्षा का स्तर बहुत ऊँचा है। निरक्षरता नाम मात्र की भी नहीं है। देश में 70 दैनिक पत्र प्रकाशित होते हैं। छविगृहों की संख्या लगभग 9,770 है (1969 ई.)।

आयुर्वेद के बारे में जानकारी  

मोबाइल फोन में अक्सर पाठ संदेश भेजने और आवाज फोन फीचर के अलावा कए फीचर होते हैं, जिसमें शामिल है- कॉल रजिस्टर, GPS नेविगेशन, संगीत (MP3) और वीडियो (MP4) प्लेबैक, RDS रेडियो रिसीवर, अलार्म, ज्ञापन और दस्तावेज रिकॉर्डिंग, निजी आयोजक और व्यक्तिगत डिजिटल सहायक प्रकार्य, स्ट्रीमिंग वीडियो देखने की क्षमता या बाद में देखने के लिए वीडियो डाउनलोड, वीडियो काल्लिंग, निर्मित कैमरे (3.2+ Mpx) और कैमकोर्डर (वीडियो रिकॉर्डिंग), ऑटोफोकस और फ़्लैश के साथ, रिंगटोन, खेल, पट, स्मृति कार्ड पाठक (SD), USB (2.0), अवरक्त, ब्लूटूथ (2.0) और WiFi कनेक्टिविटी, त्वरित संदेश, इंटरनेट ईमेल और ब्राउज़िंग और PC के लिए एक वायरलेस मॉडेम के रूप में सेवा, और जल्दी ही यह ऑनलाइन खेल और अन्य उच्च गुणवत्ता खेल के लिए सांत्वना के रूप में काम करेंगे.
यह सदैव मंत्रिपरिषद तैयार करती है यह सिवाय सरकारी नीतियॉ की घोषणा के कुछ नही होता है सत्र के अंत मे इस पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया जाता है यदि लोकसभा मे यह प्रस्ताव पारित नही हो पाता है तो यह सरकार की नीतिगत पराजय मानी जाती है तथा सरकार को तुरंत अपना बहुमत सिद्ध करना पडता है संसद के प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र मे तथा लोकसभा चुनाव के तुरंत पश्चात दोनॉ सदनॉ की सम्मिलित बैठक को राष्ट्रपति संबोधित करता है यह संबोधन वर्ष के प्रथम सत्र का परिचायक है इन सयुंक्त बैठकॉ का सभापति खुद राष्ट्रपति होता है

आयुर्वेद के ज्ञाता  

चन्द्रगुप्त द्वितीय, जिसे विक्रमादित्य नाम से भी जाना जाता है, ने शकों पर अपनी विजय हासिल की जिसके बाद गुप्त साम्राज्य एक शक्तिशाली राज्य बन गया । चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय में क्षेत्रीय तथा सांस्कृतिक विस्तार हुआ । उसने वाकाटकों से वैवाहिक संबंध स्तापिक किया । अपनी पुत्री प्रभावती गुप्त का विवाह उसने वाकाटक वंश के रुद्रसेन द्वितीय के साथ किया । उसने एसा संभवतः इसलिए किया कि शकों पर आक्रमण करने से पहले दक्कन में उसको समर्थन हासिल हो जाए ।
तमिलनाडु में आरक्षण व्यवस्था शेष भारत से बहुत अलग है; ऐसा आरक्षण के स्वरूप के कारण नहीं, ‍बल्कि इसके इतिहास के कारण है. मई 2006 में जब पहली बार आरक्षण का जबरदस्त विरोध नई दिल्ली में हुआ, तब चेन्नई में इसके विपरीत एकदम विषम शांति देखी गयी थी. बाद में, आरक्षण विरोधी लॉबी को दिल्ली में तरजीह प्राप्त हुई, चेन्नई की शांत गली में आरक्षण की मांग करते हुए विरोध देखा गया. चेन्नई में डॉक्टर्स एसोसिएशन फॉर सोशल इक्विलिटी (डीएएसई (DASE)) समेत सभी डॉक्टर केंद्रीय सरकार द्वारा चलाये जानेवाले उच्च शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण की मांग पर अपना समर्थन जाताने में सबसे आगे रहे.
निर्देशांक: 26°51′38″N 80°54′57″E / 26.860556, 80.915833 लखनऊ (उच्चारित/ˈlʌknaʊ/; उर्दू: لکھنؤ, Lakhnaū, IPA: [ˈləkʰna.uː]  ( सुनें) भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में, लखनऊ जिला और लखनऊ मंडल का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है।[१]कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है।
१४. द पेडिग्री ऑफ मैन - १९०४

आयुर्वेद का पिता कौन है  

मानचिरा स्क्वेयर के दक्षिण में कोलिकोड रेलवे स्टेशन स्थित है। यह रेलवे स्टेशन मंगलौर, एरनाकुलम, त्रिवेन्द्रम, चैन्नई, कोयंबटूर और गोवा से नियमित रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
मॉस्को (मोस्कोवा) तथा लेनिनग्राद दो केन्द्रशासित नगर हैं ।
शैव आगमों की चार विचारधारायें हैं –
हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा। ईश्वर के साथ साथ मानव को समान महत्व दिया गया। भावना के साथ-साथ विचारों को पर्याप्त प्रधानता मिली. पद्य के साथ-साथ गद्य का भी विकास हुआ और छापेखाने के आते ही साहित्य के संसार में एक नई क्रांति हुई.
 नेपाल की राजशाही

ayurved ke 8 ang  

लोग जैनों के सम्मुख हिंसा न करें और मांस न खाएँ। हीर विजयजी के प्रति अकबर की बड़ी श्रद्धा रही होगी। अबुल फजल ने लिखा है कि वे उच्चतम कोटि के धार्मिक व्यक्ति थे। इनके प्रभाव से अकबर को जीव हिंसा के प्रति अरुचि हुई और उसने कई ख़ास तिथियों पर अपने साम्राज्य में जीव हिंसा की मनाही कर दी। वह स्वयं मांस-भक्षण के विरुद्ध हो गया। उसने स्वयं प्रत्येक शुक्रवार शाकाहारी भोजन करने का व्रत ले लिया।
(5) वज्रयानी सिद्ध कण्हपा (कानिपा, कानिफा, कान्हूपा) ने स्वयं अपने गानों पर जालंधरपाद का नाम लिया है। तिब्बती परंपरा के अनुसार ये भी राजा देवपाल (809-849 ई०) के समकालीन थे। इस प्रकार जालंधरपाद का समय इनसे कुछ पूर्व ठहरता है।
चीन-सोवियत अलगाव के बाद, चीन ने स्वयं के नाभिकीय हथियार और प्रक्षेपण प्रणालियाँ विकसित करनी आरम्भ की, और १९६४ में अपना प्रथम नाभिकीय परिक्षण लोप नुर में किया। इसके पश्चात चीन ने अपना उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रम भी १९७० में आरम्भ किया और दोंग फांग होंग १ यान अन्तरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इस प्रक्षेपण ने चीन को ऐसा करने वाला पाँचवा राष्ट्र बना दिया।
याज्ञवल्क्य, वैदिक साहित्य में शुक्ल यजुर्वेद की वाजसनेयी शाखा के द्रष्टा हैं। याज्ञवल्क्य का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य शतपथ ब्राह्मण की रचना है। बृहदारण्यक उपनिषद बहुत महत्वपूर्ण उपनिषद है जिसके प्रमुख ऋषि याज्ञवल्क्य हैं। इनका काल लगभग १८०० ई पू माना जाता है।
शरीर के विभिन्न अंगों की रक्षा का उल्लेख किया गया है। उदाहरणार्थ शरीर के लिए चर्म तथा कवच का, सिर के लिए शिरस्त्राण और गले के लिए कंठत्राण इत्यादि का।
साँचा:Db-g12
चंडी देवी मन्दिर - ६ किमी
शिकारी हंसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़फ रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान मांग रही हूं। हे पारधी! मेरा विश्वास कर, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं।
उपरोक्त मानचित्र ११वीं शताब्दी में रामानुजचार्य द्वारा महाभारत के निम्नलिखित श्लोक को पढ्ने के बाद बनाया गया था-
हिन्दुस्तानी (नस्तलिक़: ہندوستانی, अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि: / hindustɑːniː /) भाषा हिन्दी और उर्दू का एकीकृत रूप है । ये हिन्दी और उर्दू, दोनो के बोलचाल की भाषा है । इसमें संस्कृत के तत्सम शब्द और अरबी-फ़ारसी के उधार लिये गये शब्द, दोनों कम होते हैं । यही हिन्दी क वह रूप है जो भारत की जनता रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में उपयोग करती है, और हिन्दी सिनेमा इसी पर आधारित है । ये हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार की हिन्द आर्य शाखा में आती है । ये देवनागरी या फ़ारसी-अरबी, किसी भी लिपि में लिखी जा सकती है ।
बलिया (भोजपुरी: बलिया | [1] उत्तर प्रदेश के भारतीय राज्य में एक नगर निगम के बोर्ड के साथ एक शहर है.शहर की पूर्वी सीमा गंगा और घाघरा के जंक्शन में निहित है.शहर गाजीपुर से 76 किलोमीटर और वाराणसी से 150 किलोमीटर स्थित है. बलिया भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय बलिया है । स्वतंत्रता आंदोलन में इस जिले के निवासियों के विद्रोही तेवर के कारण इसे बागी बलिया के नाम से भी जाना जाता है। 1942 के आंदोलन में बलिया के निवासियं ने स्थानीय अंग्रेजी सरकार को उखाड फेंका था। चित्तू पांडेय(Chittu Pandey), जिन्हें बलिया का शेर भी कहते हैं, के नेतृत्व में कुछ दिनों तक स्थानीय सरकार भी चली, लेकिन बाद में अंग्रेजों ने वापस अपनी सत्ता कायम कर ली। इसी जिले के रतसर ग्रम मे एक और ब्यक्तिव हुए जिनका नाम शारदा नन्द सिह हुए जो इस देश के ऊचे पद पर आसीन हुएऔर इसी गान्व मे देव मुरारी पान्देय पहले प्रधान हुए।
८ - आठ
विद्वानों के अनुसार इसमें पांच और सात खण्ड हैं। किसी विद्वान ने पांच खण्ड माने हैं और कुछ ने सात। पांच खण्ड इस प्रकार हैं-

वेद आयुर्वेद  

ए एम प्रसारण एक प्रकार का रेडियो प्रसारण है, जिसमें कैरियर के आयाम को प्रसारण ध्वनि के आयाम के अनुसार मॉड्यूलेट किया जाता है। इस प्रक्रिया को आयाम माड्यूलेशन या आया मॉड्यूलन कहते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा मॉड्यूलन कर जब रेडियो प्रसारण होता है, उसे ए एम प्रसारण कहते हैं।
पुणे शहर भारत के अन्य महत्वपूर्ण शहरो से सड़्क, रेल्वे व हवाईमार्ग से जुडा हुआ है। पुणे का विमानतल से पहले केवल देश के अन्य शहरो के लिए उडाने थी, मगर सिंगापूर व दुबई के लिए उडाने आने के बाद इसे अन्तरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हुआ है।
पुर्तगाली इतिहासकार टेक्सियेरा द अरागाओ बताते हैं, कि एवोरा शहर में वास्को द गामा की शिक्षा हुई, जहां उन्होंने शायद गणित एवं नौवहन का ज्ञान अर्जित किया होगा। यह भी ज्ञात है कि गामा को खगोलशास्त्र का भी ज्ञान था, जो उन्होंने संभवतः खगोलज्ञ अब्राहम ज़क्यूतो से लिया होगा।[५]१४९२ में पुर्तगाल के राजा जॉन द्वितीय ने गामा को सेतुबल बंदरगाह, लिस्बन के दक्षिण में भेजा। उन्हें वहां से फ्रांसीसी जहाजों को पकड़ कर लाना था। यह कार्य वास्को ने कौशल एवं तत्परता के साथ पूर्ण किया।
झांसी भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है । जिले का मुख्यालय झाँसी है ।
भूगोल
ॐ येनावपत् सविता क्षुरेण, सोमस्य राज्ञो वरुणस्य विद्वान् । तेन ब्रह्माणो वपतेदमस्य, गोमानश्ववानयमस्तु प्रजावान्॥ -अथवर्० ६.६८.३
यदि सूर्य को देखने की स्थिति हो, तो माता शिशु को बाहर ले जाकर सूर्य दर्शन कराए । सूर्य देव को नमस्कार करें । किसी कारण संस्कार के समय सूर्य दृश्यमान न हो, तो उनका ध्यान करके नमस्कार करें । भावना की जाए कि माँ अपने स्नेह के प्रभाव से बालक में तेजस्विता के प्रति आकर्षण पैदा कर रही है, बालक में तेजस्वी जीवन के प्रति सहज अनुराग पैदा हो रहा है । इसे सब मिलकर स्थिर रखेंगे, बढ़ाते रहेंगे ।
निम्न श्लोकानुसार एक ब्राह्मण के छह कर्त्तव्य इस प्रकार हैं
कृष्णकाव्य ने भगवान्‌ के मधुर रूप का उद्घाटन किया पर उसमें जीवन की अनेकरूपता नहीं थी, जीवन की विविधता और विस्तार की मार्मिक योजना रामकाव्य में हुई। कृष्णभक्तिकाव्य में जीवन के माधुर्य पक्ष का स्फूर्तिप्रद संगीत था, रामकाव्य में जीवन का नीतिपक्ष और समाजबोध अधिक मुखरित हुआ। एक ने स्वच्छंद रागतत्व को महत्व दिया तो दूसरे ने मर्यादित लोकचेतना पर विशेष बल दिया। एक ने भगवान की लोकरंजनकारी सौंदर्यप्रतिमा का संगठन किया तो दूसरे ने उसके शक्ति, शील और सौंदर्यमय लोकमंगलकारी रूप को प्रकाशित किया। रामकाव्य का सर्वोत्कृष्ट वैभव "रामचरितमानस' के रचयिता तुलसीदास के काव्य में प्रकट हुआ जो विद्याविद् ग्रियर्सन की दृष्टि में बुद्धदेव के बाद के सबसे बड़े जननायक थे। पर काव्य की दृष्टि से तुलसी का महत्व भगवान्‌ के एक ऐसे रूप की परिकल्पना में है जो मानवीय सामर्थ्य और औदात्य की उच्चतम भूमि पर अधिष्ठित है। तुलसी के काव्य की एक बड़ी विशेषता उनकी बहुमुखी समन्वयभावना है जो धर्म, समाज और साहित्य सभी क्षेत्रों में सक्रिय है। उनका काव्य लोकोन्मुख है। उसमें जीवन की विस्तीर्णता के साथ गहराई भी है। उनका महाकाव्य रामचरितमानस राम के संपूर्ण जीवन के माध्यम से व्यक्ति और लोकजीवन के विभिन्न पक्षों का उद्घाटन करता है। उसमें भगवान्‌ राम के लोकमंगलकारी रूप की प्रतिष्ठा है। उनका साहित्य सामाजिक और वैयक्तिक कर्तव्य के उच्च आदर्शों में आस्था दृढ़ करनेवाला है। तुलसी की "विनयपत्रिका' में आराध्य के प्रति, जो कवि के आदर्शों का सजीव प्रतिरूप है, उनका निरंतर और निश्छल समर्पणभाव, काव्यात्मक आत्माभिव्यक्ति का उत्कृष्ट दृष्टांत है। काव्याभिव्यक्ति के विभिन्न रूपों पर उनका समान अधिकार है। अपने समय में प्रचलित सभी काव्यशैलियों का उन्होंने सफल प्रयोग किया। प्रबंध और मुक्तक की साहित्यिक शैलियों के अतिरिक्त लोकप्रचलित अवधी और ब्रजभाषा दोनों के व्यवहार में वे समान रूप से समर्थ हैं। तुलसी के अतिरिक्त रामकाव्य के अन्य रचयिताओं में अग्रदास, नाभादास, प्राणचंद चौहान और हृदयराम आदि उल्लेख्य हैं।
तमाम प्रकाशनों के बावजूद गीता प्रेस की मासिक पत्रिका कल्याण की लोकप्रियता कुछ अलग ही है। माना जाता है कि रामायण के अखंड पाठ की शुरुआत कल्याण के विशेषांक में इसके बारे में छपने के बाद ही हुई थी। कल्याण की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शुरुआती अंक में इसकी 1,600 प्रतियां छापी गई थीं, जो आज बढ़कर 2.30 लाख पर पहुंच गई हैं। गरुड़, कूर्म, वामन और विष्णु आदि पुराणों का पहली बार हिंदी अनुवाद कल्याण में ही प्रकाशित हुआ था।
While formal Revolutionary politics did not include women, ordinary domestic behaviors became charged with political significance as patriot women confronted a war that permeated all aspects of political, civil, and domestic life. They participated by boycotting British goods, spying on the British, following armies as they marched, washing, cooking, and tending for soldiers, delivering secret messages, and in a few cases like Deborah Samson fighting disguised as men. Above all, they continued the agricultural work at home to feed the armies and their families. [ 40 ]
Most Native Americans rejected pleas that they remain neutral and supported the king. The tribes that depended most heavily upon colonial trade tended to side with the revolutionaries, though political factors were important as well. The most prominent Native American leader siding with the king was Joseph Brant of the Mohawk nation , who led frontier raids on isolated settlements in Pennsylvania and New York until an American army under John Sullivan secured New York in 1779, forcing the Loyalist Indians permanently into Canada. [ 36 ]
जिससे गंध हो वह "पृथ्वी", जिसमें शीत स्पर्श हो वह "जल" जिसमें उष्ण स्पर्श हो वह "तेजस्", जिनमें रूप न हो तथा अग्नि के संयोग से उत्पन्न न होनेवाला, अनुष्ण और अशीत स्पर्श हो, वह "वायु", तथा शब्द जिसका गुण हो अर्थात् शब्द का जो समवायिकरण हो, वह "आकाश" है। ये पाँच "भूत" भी कहलाते हैं।
दुनिया की कई भाषाओं के लिये देवनागरी सबसे अच्छा विकल्प हो सकती है क्योंकि यह यह बोलने की पूरी आजादी देता है। दुनिया की और किसी भी लिपि मे यह नही हो सकता है। इन्डोनेशिया, विएतनाम , अफ्रीका आदि के लिये तो यही सबसे सही रहेगा । अष्टाध्यायी को देखकर कोई भी समझ सकता है की दुनिया मे इससे अच्छी कोई भी लिपि नहीं है। अग‍र दुनिया पक्षपातरहित हो तो देवनागरी ही दुनिया की सर्वमान्य लिपि होगी क्योंकि यह पूर्णत: वैज्ञानिक है। अंग्रेजी भाषा में वर्तनी (स्पेलिंग) की विकराल समस्या के कारगर समाधान के लिये देवनागरी पर आधारित देवग्रीक लिपि प्रस्तावित की गयी है।
मर्कज़ी (استان مرکزی in Persian) एक प्रांत हैं ईरान में | मर्कज़ का मतलब होता है केन्द्र (फ़ारसी और उर्दू में), यानि इस का मतलब हुआ केंन्द्रीय या मध्यप्रांत ।
सुख देव को सन २००८ में भारत सरकार द्वारा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में [[पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये दिल्ली से हैं।
१५, महेन्द्रनगर विमानस्थल Mahednranagar Airport महेन्द्रनगर १६, धनगढी विमानस्थल Dhangadhi Airport धनगढी
३०-शेक्सपीयर के जूलियस सीज़र का मंचन ,काव्यानुवाद अरविन्द कुमार
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था[९] पर उनकी पहली हिन्दी कहानी सरस्वती पत्रिका के दिसंबर अंक में १९१५ में सौत[१०][११] नाम से प्रकाशित हुई और १९३६ में अंतिम कहानी कफन[१२] नाम से। बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं।[१३] उनसे पहले हिंदी में काल्पनिक, एय्यारी और पौराणिक धार्मिक रचनाएं ही की जाती थी। प्रेमचंद ने हिंदी में यथार्थवाद की शुरूआत की। " भारतीय साहित्य का बहुत सा विमर्श जो बाद में प्रमुखता से उभरा चाहे वह दलित साहित्य हो या नारी साहित्य उसकी जड़ें कहीं गहरे प्रेमचंद के साहित्य में दिखाई देती हैं।" [१४] अपूर्ण उपन्यास असरारे मआबिद के बाद देशभक्ति से परिपूर्ण कथाओं का संग्रह सोज़े-वतन उनकी दूसरी कृति थी, जो १९०८ में प्रकाशित हुई। इसपर अँग्रेज़ी सरकार की रोक और चेतावनी के कारण उन्हें नाम बदलकर लिखना पड़ा। प्रेमचंद नाम से उनकी पहली कहानी बड़े घर की बेटी ज़माना पत्रिका के दिसंबर १९१० के अंक में प्रकाशित हुई। मरणोपरांत उनकी कहानियाँ मानसरोवर के कई खंडों में प्रकाशित हुई। उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द का कहना था कि साहित्यकार देशभक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई नहीं बल्कि उसके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है। यह बात उनके साहित्य में उजागर हुई है। १९२१ में उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर अपनी नौकरी छोड़ दी। कुछ महीने मर्यादा पत्रिका का संपादन भार संभाला, छे साल तक माधुरी नामक पत्रिका का संपादन किया, १९३० में बनारस से अपना मासिक पत्र हंस शुरू किया और १९३२ के आरंभ में जागरण नामक एक साप्ताहिक और निकाला। उन्होंने लखनऊ में १९३६ में अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के सम्मेलन की अध्यक्षता की। उन्होंने मोहन दयाराम भवनानी की अजंता सिनेटोन कंपनी[१५] में कहानी-लेखक की नौकरी भी की। १९३४ में प्रदर्शित मजदूर[१६] नामक फिल्म की कथा लिखी और कंट्रेक्ट की साल भर की अवधि पूरी किये बिना ही दो महीने का वेतन छोड़कर बनारस भाग आये क्योंकि बंबई (आधुनिक मुंबई) का और उससे भी ज़्यादा वहाँ की फिल्मी दुनिया का हवा-पानी उन्हें रास नहीं आया। प्रेमचंद ने करीब तीन सौ कहानियाँ, कई उपन्यास और कई लेख लिखे। उन्होंने कुछ नाटक भी लिखे और कुछ अनुवाद कार्य भी किया। प्रेमचंद के कई साहित्यिक कृतियों का अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन सहित अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। गोदान उनकी कालजयी रचना है. कफन उनकी अंतिम कहानी मानी जाती है। तैंतीस वर्षों के रचनात्मक जीवन में वे साहित्य की ऐसी विरासत सौप गए जो गुणों की दृष्टि से अमूल्य है और आकार की दृष्टि से असीमित।
रामप्रसाद 'बिस्मिल' , भारत के महान सपूत थे जिन्होने भारत की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनका जन्म सन १८९७ में उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में हुआ था। उनके पिता श्री मुरलीधर, शाहजहाँपुर नगरपालिका में काम करते थे। १९ दिसम्बर, सन १९२७ को ब्रिटिश शाशन ने उनको गोरखपुर जेल में फांसी पर चढा दिया।
देश के प्रमुख शहरों से कानपुर सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 इसे दिल्ली, इलाहाबाद, आगरा और कोलकाता से जोड़ता है, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग 25 कानपुर को लखनऊ, झांसी और शिवपुरी आदि शहरों से जोड़ता है।
मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में बेल-वृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला, हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन मृगियों का पति हूं। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा।
सुरक्षा परिषद के बाकी के दस सदस्य दो साल की अवधियों के लिए चुने जाते है । हर साल इन दस में से पांच चुने जाते है । यह चुनाव क्षेत्रीय आधार पर होते है । अफ्ररीकी गट तीन सदस्य चुनता है । जंबूद्वीपीय गट, पश्चिम यूरोपीय गट, और लैटिन अमरिक व कैरिबियन गट सब दो सदस्य चुनते हैं । पूर्वी यूरोपीय एक सदस्य चुनता है । इनमें से किसी एक सदस्य का अरब होना भी अवश्यक है ।
हैदराबाद का सबसे प्रमुख व्यंजन हैदराबाद बिरयानी है. अन्य व्यंजनों में खुबानी का मिठा, फेनी, पाया और हलीम (रमजान के महीने का प्रमुख मांसाहारी व्यंजन).
असभ्यता से अर्धसभ्यता, तथा अर्धसभ्यता से सभ्यता के प्रथम सोपान तक हज़ारों सालों की दूरी तय की गई होगी। लेकिन विश्व में किस समय किस तरह से ये सभ्यताएँ विकसित हुईं इसकी कोई जानकारी आज नहीं मिलती है। हाँ इतना अवश्य मालूम हो सका है कि प्राचीन विश्व की सभी सभ्यताएँ नदियों की घाटियों में ही उदित हुईं और फली फूलीं। दजला-फ़रात की घाटी में सुमेर सभ्यता, बाबिली सभ्यता, तथा असीरियन सभ्यता, नील की घाटी में प्राचीन मिस्र की सभ्यता तथा सिंधु की घाटी में सिंधु घाटी सभ्यता या आर्य सभ्यता का विकास हुआ।
पश्‍चिमोत्तर सीमा की सुरक्षा- शेरशाह ने सर्वप्रथम पश्‍चिमोत्तर सीमा की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया। उसने मुगलों के प्रभाव को पूर्णतः समाप्त कर दिया । मुगलों पर विशेष नजर रखने के लिए एक गढ़ बनवया जिसका निर्माण टोडरमल और हैबत खाँ नियाजी की अध्यक्षता में करवाया गया और इस्लामशाह के काल में पूरा हुआ । हुमायूँ का पीछा करते हुए शेरशाह मुल्तान तक गया वहाँ बलूची सरदारों ने भी उसको सम्राट मानकर अधीनता स्वीकार की । मुल्तान के लिए पृथक्‌हाकिम नियुक्‍त किया गया । निपुण सेनानायकों मसलन हैबत खाँ नियाजी, ख्वास खाँ, राय हुसैन जलवानी आदि की नियुक्‍ति की । उसे ३० हजार सेना रखने की अनुमति दे दी ।
By 2007, California's population has reached 37,700,000, making it the most populated state, and is the 13th fastest-growing state. This includes a natural increase since the last census of 1,909,368 people (that is 3,375,297 births minus 1,465,929 deaths) and an increase due to net migration of 774,198 people into the state. Immigration from outside the United States resulted in a net increase of 1,724,790 people, and migration within the country produced a net decrease of 950,592.[११]
भारतरक्षक - भारतीय सेना के सभी अंगो के आधिकारिक जालों का मुखपृष्ठ
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शुभ्र ज्योत्सनां पुलकित यामिनीम्
24.
The state of Andhra Pradesh has more than 2700 theaters, of which 150 are in the city of Hyderabad alone.
भोजपुरी भाषा का नामकरण बिहार राज्य के आरा (शाहाबाद) जिले में स्थित भोजपुर नामक गाँव के नाम पर हुआ है। पूर्ववर्ती आरा जिले के बक्सर सब-डिविजन (अब बक्सर अलग जिला है) में भोजपुर नाम का एक बड़ा परगना है जिसमें "नवका भोजपुर" और "पुरनका भोजपुर" दो गाँव हैं। मध्य काल में इस स्थान को मध्य प्रदेश के उज्जैन से आए भोजवंशी परमार राजाओं ने बसाया था। उन्होंने अपनी इस राजधानी को अपने पूर्वज राजा भोज के नाम पर भोजपुर रखा था। इसी कारण इसके पास बोली जाने वाली भाषा का नाम "भोजपुरी" पड़ गया।
नाम बैंगनी से परे यानी पराबैंगनी इसलिए पङा क्योंकि ये प्रत्यक्ष प्रकाश की सर्वाधिक आवृत्ति एवं न्यूनतम तरंग दैर्घ्य वाले बैंगनी से भी अधिक आवृत्ति वाली, साथ ही ; कम तरंग दैर्घ्य वाली होतीं हैं । इन्हें अँग्रेजी़ में अल्ट्रा वॉयलेट रेय्ज़ कहा जाता है ।

स्वास्थ्य और आयुर्वेद

श्याम बेनेगल (जन्म 14 दिसंबर, 1934) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध निर्देशक हैं। अंकुर, निशांत, मंथन और भूमिका जैसी फिल्मों के लिये चर्चित बेनेगल समानांतर सिनेमा के अग्रणी निर्देशकों में शुमार किये जाते हैं।
वाराणसी शहरी क्षेत्र की २००१ के अनुसार जनसंख्या १३,७१,७४९ थी; और लिंग अनुपात ८७९ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष था।[९०]वाराणसी नगर निगम के अधीनस्थ क्षेत्र की जनसंख्या ११,००,७४८[९१] जिसका लिंग अनुपात ८८३ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष था।[९१] शहरी क्षेत्र में साक्षरता दर ७७% और निगम क्षेत्र में ७८% थी।[९१] निगम क्षेत्र के लगभग १,३८,००० लोग झुग्गी-झोंपड़ियों में रहते हैं।[९२] वर्ष २००४ की अपराध दर १२८.५ प्रति १ लाख थी; जो राज्य की दर ७३.२ से अधिक है, किन्तु राष्ट्रीय अपराध दर १६८.८ से कहीं कम है।[९३]
भूमिमाप के लिये अथवा दूरी और लंबाई नापने के लिये सबसे छोटी इकाई अंगुल थी। शास्त्रों में, विशेषतया अर्थशास्त्र (२।२०।२-६) में, अंगुल से भी नीचे के परिमाण दिए हैं।
राजगीर की पहचान मेलों के नगर के रूप में भी है. इनमें सबसे प्रसिद्ध मकर और मलमास मेले के हैं. शास्त्रों में मलमास तेरहवें मास के रूप में वर्णित है. सनातन मत की ज्योतिषीय गणना के अनुसार तीन वर्ष में एक वर्ष 366 दिन का होता है. धार्मिक मान्यता है कि इस अतिरिक्त एक महीने को मलमास या अतिरिक्त मास कहा जाता है.
सार्वजानिक कुंजी एल्गोरिथम भिन्न समस्याओं की कम्प्युटेशनल जटिलता पर आधारित है.इनमें से सबसे प्रसिद्ध है पूर्णांक गुणन खंड (integer factorization)(उदाहरण आर एस ऐ एल्गोरिथम पूर्णांक गुणक से सम्बंधित समस्याओं पर आधारित है.)लेकिन असतत लघुगणक (discrete logarithm) की समस्याएँ भी बहुत महत्वपूर्ण हैं.अधिकांश सार्वजनिक कुंजी क्रिप्ट विश्लेषण, इन कम्प्यूटेशनल समस्याओं, या उनमें से कुछ को प्रभावी रूप से सुलझाने के लिए सांख्यिकीय एल्गोरिथम का उपयोग करते हैं.(यानी, एक व्यावहारिक समय में).उदाहरण के लिए, असतत लघुगणक के दीर्घवृत्तीय वक्र आधारित (elliptic curve-based) संस्करण को हल करने के लिए सर्वोत्तम ज्ञात एल्गोरिथम बहुत अधिक समय लेते हैं, इसकी तुलना में गुणन खंड के लिए सर्वोत्तम ज्ञात एल्गोरिथम सामान आकर की समस्याओं को हल करने के लिए कम समय लेते हैं.इस प्रकार से , हमले के लिए प्रतिरोध की तुल्य क्षमता प्राप्त करने के लिए गुणन खंड पर आधारित एनक्रिप्शन तकनीकों को दीर्घवृत्तीय वक्र तकनीक की तुलना में बड़ी कुंजियों का प्रयोग करना चाहिए.इसी कारण से, दीर्घवृत्तीय वक्र पर आधारित सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टो प्रणाली १९९० के मध्य में हुई खोज से बहुत लोकप्रिय हो गयी है.
ये स्वर संस्कृत के लिये दिये गये हैं। हिन्दी में इनके उच्चारण थोड़े भिन्न होते हैं।
पाण्डवों और कौरवों ने अपनी सेना के क्रमशः ७ और ११ विभाग अक्षौहिणी में किये। एक अक्षौहिणी में २१, ८७० रथ, २१, ८७० हाथी, ६५, ६१० सवार और १,०९,३५० पैदल सैनिक होते हैं।[२३][२४] यह प्राचीन भारत में सेना का माप हुआ करता था। हर रथ में चार घोड़े और उनका सारथि होता है हर हाथी पर उसका हाथीवान बैठता है और उसके पीछे उसका सहायक जो कुर्सी के पीछे से हाथी को अंकुश लगाता है, कुर्सी में उसका मालिक धनुष-बाण से सज्जित होता है और उसके साथ उसके दो साथी होते हैं जो भाले फेंकते हैं तदनुसार जो लोग रथों और हाथियों पर सवार होते हैं उनकी संख्या २, ८४, ३२३ होती हैं एक अक्षौहिणी सेना में समस्त जीवधारियों- हाथियों, घोड़ों और मनुष्यों-की कुल संख्या ६, ३४, २४३ होती हैं, अतः १८ अक्षौहिणी सेना में समस्त जीवधारियों- हाथियों, घोड़ों और मनुष्यों-की कुल संख्या १, १४, १६, ३७४ होगी। अठारह अक्षौहिणियों के लिए यही संख्या ११, ४१६ ,३७४ हो जाती है अर्थात ३, ९३, ६६० हाथी, २७, ५५, ६२० घोड़े, ८२, ६७, ०९४ मनुष्य।[२५]
संसार के सबसे पुराने ग्रंथ ऋग्‍वेद में ‘सभा’ और ‘समिति’ के बारे में लिखा हुआ है। ‘समिति’ एक आम सभा या लोक सभा की तरह हुआ करती थी। ‘सभा’ कुछ छोटी और चुने हुए बड़े लोगों की संस्‍था होती थी। उसकी तुलना आज की राज्‍य सभा या विधान परिषदों से की जा सकती है।
पूर्वी चीन के खेत
आवास मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है।
एक बार राजा पाण्डु अपनी दोनों पत्नियों - कुन्ती तथा माद्री - के साथ आखेट के लिये वन में गये। वहाँ उन्हें एक मृग का मैथुनरत जोड़ा दृष्टिगत हुआ। पाण्डु ने तत्काल अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। मरते हुये मृग ने पाण्डु को शाप दिया, "राजन! तुम्हारे समान क्रूर पुरुष इस संसार में कोई भी नहीं होगा। तूने मुझे मैथुन के समय बाण मारा है अतः जब कभी भी तू मैथुनरत होगा तेरी मृत्यु हो जायेगी।"
गांधी जी के दूसरे नंबर पर बैठे जवाहरलाल नेहरू की पार्टी के कुछ सदस्यों तथा कुछ अन्य राजनैतिक भारतीय दलों ने आलोचना की जो अंग्रेजों के पक्ष तथा विपक्ष दोनों में ही विश्‍वास रखते थे। कुछ का मानना था कि अपने जीवन काल में अथवा मौत के संघर्ष में अंग्रेजों का विरोध करना एक नश्वर कार्य है जबकि कुछ मानते थे कि गांधी जी पर्याप्त कोशिश नहीं कर रहे हैं। भारत छोड़ो इस संघर्ष का सर्वाधिक शक्तिशाली आंदोलन बन गया जिसमें व्यापक हिंसा और गिरफ्तारी हुई.[१४] पुलिस की गोलियों से हजारों की संख्‍या में स्वतंत्रता सैनानी या तो मारे गए या घायल हो गए और सैकड़ो अथवा हजारों सैनानी गिरफ्तार कर लिए गए। गांधी और उनके समर्थकों ने स्पष्ट कर दिया कि वह युद्ध के प्रयासों का समर्थन तब तक नहीं देंगे तब तक भारत को तत्‍ृकाल आजादी न दे दी जाए। .उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार भी यह आंदोलन बंद नहीं होगा यदि हिंसा के व्यक्तिगत कृत्यों को मूर्त रूप दिया जाता है तथा उन्होंने कहा कि उनके चारों ओर अराजकता का आदेश " " असली अराजकता से भी बुरा है . "उन्होंने सभी कांग्रेसियों और भारतीयों को अहिंसा (ahimsa), और करो या मरो ( " डू और डाय " ) के द्वारा अंतिम स्वतंत्रता के लिए अनुशासन बनाए रखने को कहा।
१५३४ ई. में शेर खाँ ने सुरजमठ के युद्ध में बंगाल शासक महमूद शाह को पराजित कर १३ लाख दीनार देने के लिए बाध्य किया। इस प्रकार शेरशाह ने अपने प्रारम्भिक अभियान में दिल्ली, आगरा, बंगाल, बिहार तथा पंजाब पर अधिकार कर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। १५३९ ई. में चौसा के युद्ध में हुमायूँ को पराजित कर शेर खाँ ने शेरशाह की अवधारणा की। १५४० ई. में शेरशाह ने हुमायूँ को पुनः हराकर राजसिंहासन प्राप्त किया। उत्तर बिहार में पहले से ही हाकिम मखदूग आलम शासन कर रहा था। नुसरतशाह ने दक्षिण बिहार पर प्रभाव स्थापित करने के लालच में कुत्य खाँ के साथ एक सेना भेजी, परन्तु शेर खाँ ने उसे पराजित कर दिया। शेर खाँ धीरे-धीरे सर्वाधिक शक्‍तिशाली अफगान नेता बन गया।
संयुक्त राज्य में क्रिप्टोग्राफ़ी से जुड़ा एक और विवादस्पद मुद्दा है, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (National Security Agency)का सिफर विकास निति पर प्रभाव.एन एस ए आईबीएम (IBM) में इसके विकास के साथ डी ई एस (DES)का डिजाइन बना रहा था, और साथ ही एक संघीय संभव मानक क्रिप्टोग्राफ़ी के रूप में राष्ट्रीय मानक ब्यूरो के (National Bureau of Standards) द्वारा इस पर विचार कर रहा था.[३६] डी ई एस को विभेदक क्रिप्ट विश्लेषण (differential cryptanalysis) के प्रतिरोधी के रूप में डिजाइन किया गया,[३७] जो एन एस ए और आई बी एम के लिए ज्ञात शक्तिशाली और सामान्य क्रिप्ट विश्लेषण तकनीक है. यह सार्वजानिक हो गयी जब १९८० के अंत में इसे पुनः खोजा गया.[३८]स्टीवन लेवी (Steven Levy) के अनुसार, आईबीएम ने विभेदक क्रिप्ट विश्लेषण की पुनः खोज की,[३९] लेकिन एन एस ए के आवेदन पर इस तकनीक को गुप्त रखा, यह सार्वजनिक रूप से तभी सामने आई जब बिहाम और शमीर ने इसे पुनः खोजा और कुछ सालों के बाद घोषित कर दिया.पूरा मामला इस बात का एक उदाहरण है कि एक हमलावर के पास वास्तव में कौन से स्रोत या ज्ञान है जिसके निर्धारण में कठिनाई होती है.
प्राचीन काल में बंगाल मगध तथा अंग प्रदेशों का अंग था। मध्यकाल में दिल्ली सल्तनत के अधीन रहा तथा बाद में नबाबों के हाथ चला गया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बंगाल क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र रहा था।
Government House, by John Christian Schetky
प्राचीन समय में युद्ध के के समय में सेनापति को सेना के कई व्यूह बनाने पड़ते थे जिससे की शत्रु की सेना में आसानी से प्रवेश पाया जा सके तथा राजा और मुख्य सेनापतियों को बन्दी बनाया या मार गिराया जा सके। इसमें अपनी सम्पूर्ण सेना को व्यूह के नाम या गुण वाली एक विशेष आकृति मे व्यवस्थित किया जाता है। इस प्रकार की व्यूह रचना से छोटी से छोटी सी सेना भी विशालकाय लगने लगती है और बड़ी से बड़ी सेना का सामना कर सकती है जैसा की महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की केवल ७ अक्षौहिणी सेना ने कौरवो की ११ अक्षौहिणी सेना का सामना करके यह सिद्ध कर दिखाया। महाभारत के १८ दिन के युद्ध में दोनों पक्ष के सेनापतियों द्वारा कई प्रकार के व्यूह बनाये गए। जो निम्नलिखित हैं-
२) ब्रह्माण्ड शब्द जहाँ ब्रह्माण्ड को अण्डे के खोल जैसे एक खोल में सीमाबद्ध होने और एक निश्चीत आकृति वाला होना सिद्ध करता है, वहीं यूनवर्स शब्द यूनवर्स को अनन्त और निराकार मानता है।
जेल का एक प्रतिरूप
नैमिषारण्य स्टेशन से लगभग एक मील दूर चक्रतीर्थ है। यहां एक सरोवर है, जिसका मध्यभाग गोलाकार है और उससे बराबर जल निकलता रहता है। उस मध्य के घेरे के बाहर स्नान करने का घेरा है। यहीं नैमिषारण्य का मुख्य तीर्थ है। इसके किनारे अनेक मंदिर हैं। मुख्य मंदिर भूतनाथ महादेव का है। चक्रतीर्थ का बड़ी महिमा है। एक बार अट्ठासी हज़ार ऋषि-मुनियों ने ब्रह्मा जी से निवेदन कि जगत कल्याण के लिये तपस्या हेतु विश्व में सौम्य और शांन्त भूमि का निर्देश करें। उस समय ब्रह्मा जी ने अपने मन से एक चक्र उत्पन्न करके ऋषियों कहा कि इस चक्र के पीछे चलकर उसका अनुकरण करो, जिस भूमि पर इस चक्र की नेमि (अर्थात मध्य भाग) स्वतः गिर जाये तो समझ लेना कि, पॄथ्वी का मध्य भाग वही है, तथा विश्व की सबसे दिव्य भूमि भी वही है। इस परम पवित्र भूमि के दर्शन विना जीव का जीवन भी कभी सफल नहीं होता।
राय की आलोचना समाजवादी विचारधाराओं के राजनेताओं ने भी की है। इनके अनुसार राय पिछड़े समुदायों के लोगों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध नहीं थे, बल्कि अपनी फ़िल्मों में गरीबी का सौन्दर्यीकरण करते थे। ये अपनी कहानियों में द्वन्द्व और संघर्ष को सुलझाने के तरीके भी नहीं सुझाते थे। 1960 के दशक में राय और मृणाल सेन के बीच एक सार्वजनिक बहस हुई। मृणाल सेन स्पष्ट रूप से मार्क्सवादी थे और उनके अनुसार राय ने उत्तम कुमार जैसे प्रसिद्ध अभिनेता के साथ फ़िल्म बनाकर अपने आदर्शों के साथ समझौता किया। राय ने पलटकर जवाब दिया कि सेन अपनी फ़िल्मों में केवल बंगाली मध्यम वर्ग को ही निशाना बनाते हैं क्योंकि इस वर्ग की आलोचना करना आसान है। 1980 में सांसद एवं अभिनेत्री नरगिस ने राय की खुलकर आलोचना की कि ये “गरीबी की निर्यात” कर रहे हैं, और इनसे माँग की कि ये आधुनिक भारत को दर्शाती हुई फ़िल्में बनाएँ।[५०]
रसखान के कृष्ण की बाललीला में उनके बचपन की अनेकों झाँकियां हैं।
भौगोलिक दृष्टि से इंग्लैंड को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है :
यह २६१ शब्दों का संग्रह है।
काजी नज़रुल इस्लाम को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६० में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पश्चिम बंगाल राज्य से थे।
यह् भाषा केन्या मे बोली जाती है।
(१) दोषप्रकोप- अनेक कारणों से शरीर के उपादानभूत आकाश आदि पांच तत्वों में से किसी एक या अनेक में परिवर्तन होकर उनके स्वाभाविक अनुपात में अंतर आ जाना अनिवार्य है। इसी को ध्यान में रखकर आयुर्वेदाचार्योंश् ने इन विकारों को वात, पित्त और कफ इन वर्गों में विभक्त किया है। पंचमहाभूत एवं त्रिदोष का अलग से विवेचन ही उचित है, किंतु संक्षेप में यह समझना चाहिए कि संसारश् के जितने भी मूर्त (मैटिरयल) पदार्थ हैं वे सब आकाश, वायु, तेज, जल और पृथ्वी इन पांच तत्वों से बने हैं।
2. व्यंग्य विविधा, सितंबर- नवंबर 1995 ई., संपादक : डॉ. प्रेम जनमेजय, डॉ. मधुसूदन पाटिल, पता : 1041, अर्बन एस्टेट - 2, हिसार- 125005
अगस्त १९६१ में डीजल विद्युत रेल इंजन निर्माण हेतु एल्को-अमेरिका के सहयोग से कारखाने की स्थापना हुई। जनवरी 1964 में प्रथम रेल इंजन का निर्माण कर राष्ट को समर्पित किया गया। जनवरी 1976 निर्यात बाजार में प्रवेश हुआ और प्रथम रेल इंजन तंजानिया को निर्यात किया गया। इसके बाद दिसम्बर 1977 में प्रथम डीजल जनित सेट का कमीशन किया गया। अक्टूबर 1995 में अत्याधुनिक माइक्रोप्रोसेसर नियंत्रित, एसी-एसी डीजल इलेक्टिक रेल इंजनों के निर्माण हेतु जनरल माटर्स, अमेरिका के साथ समझौते किया गया। इसके बाद फरवरी 1997 में अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आई.एस.ओ) ९००२ प्रमाण पत्र प्राप्त किया। मार्च २००१ में आई एस ओ 14001 प्रमाण पत्र मिला।[१]
आंशिक हिन्दी समर्थन वाले फोन में ऑपेरा मिनी द्वारा हिन्दी साइटें सही रुप से देखने हेतु ट्रिक:[१]
पाल वंश
Collective nouns वे संज्ञाएं हैं जो एकवचन के लिए संज्ञारूप प्रस्तुत करने के बावजूद, एक व्यक्तिक या तत्व से अधिक समूहों को संदर्भित करते हैं. उदाहरणों में शामिल हैं committee , herd , और school (of fish). अन्य संज्ञाओं की तुलना में इन संज्ञाओं का व्याकरणिक गुण थोड़ा अलग है. उदाहरण के लिए, जिन संज्ञा पदबंधों के वे विषय हैं एकवचन के लिए संज्ञारूप की प्रस्तुति के बावजूद,विधेय के कर्ता के रूप में काम कर सकते हैं. एक सामूहिक विधेय ऐसा विधेय है जो सामान्यतः एकवचन कर्ता को नहीं ले सकता है. परवर्ती का एक उदाहरण है talked amongst themselves .
सन् १४५३ में इस्तांबुल के पतन के बाद यूरोप में नए जनमानस का विकास हुआ जो धार्मिक बंधनों से उपर उठना चाहता था । इस घटना को पुनर्जागरण (फ़्रेंच में रेनेसाँ) कहते हैं । पुनर्जागरण ने लोगों को पारम्परिक विचारों को त्याग व्यावहारिक तथा वैज्ञानिक तथ्यों पर विश्वास करने पर जोर दिया । इस काल में भारत तथा अमेरिका जैसे देशों के समुद्री मार्ग की खोज हुई । सोलहवीं सदी में पुर्तगाली तथा डच नाविक दुनिया के देशों के सामुद्रिक रास्तों पर वर्चस्व बनाए हुए थे । इसी समय पश्चिमी य़ूरोप में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हो गया था । सांस्कृतिक रूप से भी य़ूरोप बहुत आगे बढ़ चुका था । साहित्य तथा कला के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई थी । छपाई की खोज के बाद पुस्तकों से ज्ञानसंचार त्वरित गति से बढ़ गया था ।
आधुनिक यूनानी भाषा (आधुनिक ग्रीक भाषा) आज के यूनान देश की मुख्य और राजभाषा है । इसका जन्म प्राचीन यूनानी भाषा से हुआ है । ये प्राचीन यूनानी से सरल है, और यूनानी लिपि में लिखी जाती है ।
मृणाल सेन को भारत सरकार द्वारा १९८१ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार ने उनको 'पद्म विभूषण' पुरस्कार एवं २००५ में 'दादा साहब फाल्के' पुरस्कार प्रदान किया। उनको १९९८ से २०० तक मानक संसद सदस्यता भी मिली। फ्रांस सरकार ने उनको "कमान्डर ऑफ द ऑर्ट ऑफ ऑर्ट एंडलेटर्स" उपाधि से एवं रशियन सरकार ने "ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप" सम्मान प्रदान किये।
टाटा इंडिका टाटा मोटर्स द्वारा निर्मित एक भारतीय हैचबैक कार है। यह मॉडल यूरोप एवं दक्षिण अफ्रीका भी निर्यात किया जाता है। इंग्लैंड में यह एम जी रोवर ग्रुप द्वारा सिटी रोवर नाम से निर्यात किया जाता रहा है। दिनाँक ३० दिसंबर १९९८ को टाटा मोटर्स (पूर्व में टैल्को) द्वारा प्रस्तुत यह किसी भारतीय कम्पनी द्वारा बनाई गई अत्याधुनिक कार थी। इसका प्रवर्तन नारा था:द बिग...स्मॉल कार एवं मोर कार पर कार
तिरुवनन्तपुरम (मलयालम - തിരുവനന്തപുരം) या त्रिवेन्द्रम केरल प्रान्त की राजधानी है। यह नगर तिरुवनन्तपुरम जिले का मुख्यालय भी है । केरल की राजनीति के अलावा शैक्षणिक व्यवस्था का केन्द्र भी यही है । कई शैक्षणिक संस्थानों में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र, राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र कुछ प्रसिद्ध नामों में से हैं । भारत की मुख्य भूमि के सुदूर दक्षिणी पश्चिमी तट पर बसे इस नगर को महात्मा गांधी ने भारत का सदाबहार नगर की संज्ञा दी थी ।
एक अन्य शोध समूह [७२][७३] अनुमान है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 50,000-63,000 और ब्रिटेन में 19,000- 25,000 व्यक्ति विटामिन D की कमी के कारण प्रतिवर्ष समय पूर्व कैंसर से मर जाते हैं.
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अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य राजवंश लगभग 60 वर्षों तक चला ।
इस द्वीप के स्वामि वीरवर द्युतिमान थे। इनके सात पुत्रों : कुशल, मन्दग, उष्ण, पीवर, अन्धकारक, मुनि और दुन्दुभि के नाम संज्ञानुसार ही इसके सात भागों के नाम हैं। घी का सागर अपने से दूने विस्तार वाले क्रौंच द्वीप से चारों ओर से घिरा हुआ है। यहां भी सात पर्वत, सात मुख्य नदियां और सात ही वर्ष हैं।
४ अंगुल = १ धनुर्ग्रह
* बलिराज गढ़- यहां प्रचीन किला का एक भग्नावशेष है जो करीब ३६५ बीघे में फैला हुआ है। यह स्थान जिला मुख्यालय से करीब ३४ किलोमीटर उत्तर-पूर्व में मधुबनी-लौकहा सड़के के किनारे स्थित है। यह नजदीकी गांव खोजपुर से सड़क मार्ग से जुड़ा है जहां से इसकी दूरी १।५ किलोमीटर के करीब है। इसके उत्तर में खोजपुर, दक्षिण में बगौल, पूरब में फुलबरिया और पश्चिम में रमणीपट्टी गांव है। इस किले की दीवार काफी मोटी है और ऐसा लगता है कि इसपर से होकर कई रथ आसानी से गुजर जाते होंगे। यह स्थान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है और यहां उसके कुछ कर्मचारी इसकी देखभाल करते हैं। पुरातत्व विभाग ने दो बार इसकी संक्षिप्त खुदाई की है और इसकी खुदाई करवाने में मधुबनी के पूर्व सीपीआई सांसद भोगेंद्र झा और स्थानीय कुदाल सेना के संयोजक सीताराम झा का नाम अहम है। यहां सलाना रामनवमी के अवसर पर चैती दुर्गा का भव्य आयोजन होता है जिसमें भारी भीड़ उमड़ती है। इसकी खुदाई में मौर्यकालीन सिक्के, मृदभांड और कई वस्तुएं बरामद हुई हैं। लेकिन पूरी खुदाई न हो सकने के कारण इसमें इतिहास का वहुमूल्य खजाना और ऐतिहासिक धरोहर छुपी हुई है। कई लोगों का मानना है कि बलिराज गढ़ मिथिला की प्राचीन राजधानी भी हो सकती है क्योंकि वर्तमान जनकपुर के बारे में कोई लोगों को इसलिए संदेह है क्योंकि वहां की इमारते काफी नई हैं। दूसरी बात ये कि रामायण अन्य विदेशी यात्रियों के विवरण से संकेत मिलता है कि मिथिला की प्राचीन राजधानी होने के पर बलिराजगढ़ का दावा काफी मजबूत है। इसके बगल से दरभंगा-लौकहा रेल लाईन भी गुजरती है और नजदीकी रेलवे हाल्ट बहहड़ा यहां से मात्र ३ किलोमीटर की दूरी पर है। इसके अगल-बगल के गांव भी ऐतिहासिक नाम लिए हुए हैं । रमणीपट्टी के बारे में लोगों की मान्यता है कि यहां राजा का रनिवास रहा होगा। फुलबरिया, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है फूलो का बाग रहा होगा। बगौल भी बिगुल से बना है जबकि कुछ ही दूरी पर गरही नामका गांव है। बलिराज गढ़ में हाल तक करीब ५० साल पहले तक घना जंगल हुआ करता था और पुराने स्थानीय लोग अभी भी इसे वन कहते हैं जहां पहले कभी खूंखार जानवर विचरते थे। वहां एक संत भी रहते थे जिनके शिष्य से धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने दीक्षा ली थी। कुल मिलाकर, बलिराजगढ़ अभी भी एक व्यापक खुदाई का इंतजार कर रहा है और इतिहास की कई सच्चाईयों को दुनिया के सामने खोलने के लिए बेकरार है।
युक्ति-इसका अर्थ है योजना। अनेक कारणों के सामुदायिक प्रभाव से किसी विशिष्ट कार्य की उत्पत्ति को देखकर, तदनुकूल विचारों से जो कल्पना की जाती है उसे युक्ति कहते हैं। जैसे खेत, जल, जुताई, बीज और ऋतु के संयोग से ही पौधा उगता है। धुएं का आग के साथ सदैव संबंध रहता है, अर्थात्‌ जहाँ धुआँ होगा वहाँ आग भी होगी। इसी को व्याप्तिज्ञान भी कहते हैं और इसी के आधार पर तर्क कर अनुमान किया जाता है। इस प्रकार निदान, पूर्वरूप, रूप, संप्राप्ति और उपशय इन सभी के सामुदायिक विचार से रोग का निर्णय युक्तियुक्त होता है। योजना का दूसरी दृष्टि से भी रोगी की परीक्षा में प्रयोग कर सकते हैं। जैसे किसी इंद्रिय में यदि कोई विषय सरलता से ग्राह्य न हो तो अन्य यंत्रादि उपकरणों की सहायता से उस विषय का ग्रहण करना भी युक्ति में ही अंतर्भूत है।
उपन्यास : गिरती दीवारे, शहर में घूमता आइना, गर्मराख, सितारो के खेल, आदिकहानी संग्रह : सत्तर श्रेष्ठ कहानियां, जुदाई की शाम के गीत, काले साहब, पिंजरा, अआड।नाटक: लौटता हुआ दिन, बड़े खिलाडी, जयपराजय, स्वर्ग की झलक, भँवर।एकांकी संग्रह : अन्धी गली, मुखडा बदल गया, चरवाहे।काव्य : एक दिन आकाश ने कहा, प्रातः प्रदीप, दीप जलेगा, बरगद की बेटी, उर्म्मियाँ।संस्मरण: मण्टो मेरा दुश्मन, फिल्मी जीवन की झलकियाँ, आलोचना अन्वेष्ण की सह यात्रा, हिन्दी कहानी एक अम्तरंग परिचय।
जिला: चंबा
खगोल की द्रिष्टि से सूर्य पृथ्वी के सर्वाधिक निकट एक स्वयं प्रकाशित तारा है.सूर्य एक गैस पिण्ड है.स्वयं के प्रकाश से प्रकाशवान है.अन्य ग्रह जैसे चन्द्र पृथ्वी उसी से प्रकाशित हैं.इस द्रष्टि से सूर्य तारा हुआ लेकिन फ़लित ज्योतिष में उसे तारा न मानकर ग्रह माना गया है.
यह आश्रम संत भारद्वाज से संबंधित है।
2 ADP
कोल्लम रेलवे स्टेशन केरल और अन्य राज्यों के अनेक शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है। पड़ोसी शहरों से अनेक रेलगाड़ियां कोल्लम के लिए चलती हैं।
हालाँकि कुछ शब्द ऐसे हैं जिनके हिन्दी में 'आ' वाले रुप भी प्रचलित हैं जैसे डाक्टर (डॉक्टर से बना) तथा कालेज (कॉलेज से बना)। इन मामलों में 'आ' वाला रुप भी चल जाता है क्योंकि इनका 'आ' वाला उच्चारण भी प्रचलित है, यद्यपि 'ऑ' वाला ही लिखना बेहतर है। लेकिन जिन शब्दों के उच्चारण में केवल 'ऑ' की ही ध्वनि हो उन्हें 'आ' रुप में लिखना बिलकुल गलत है। उदाहरण के लिये इण्टरनेट पर 'ब्लॉग' को बहुधा गलत रुप से 'ब्लाग' लिख दिया जाता है यद्यपि 'ब्लाग' बोलता कोई नहीं।
इन्हें जालंधरी देवी का इष्ट था जिनकी कृपा से ये अदृष्ट-काव्य भी कर सकते थे। इनका जीवन पृथ्वीराज के जीवन के साथ ऐसा मिला हुआ था कि अलग नहीं किया जा सकता। युद्ध में, आखेट में, सभा में, यात्रा में, सदा महाराज के साथ रहते थे, और जहाँ जो बातें होती थीं, सब में सम्मिलित रहते थे।
साँचा:दमण जिल्लानां गामो
आज रडियो मिर्ची एक बहुप्रचलित रडियो चैनल है| यह ३३ से भी ज्यादा शहरों से प्रसारित होता है, जिसमें ६ महानगर भी शामिल हैं : -
कई दूरबीनों में रेंज खोजने के लिए रेटिकल (पैमाना) दृश्य क्षेत्र में ही दिखता है. यह पैमाना, ऊंचाई ज्ञात होने पर (अथवा अनुमान लगाये जा सकने पर) देखी जा रही वस्तु की दूरी का अनुमान लगाने में सहायता करता है. नाविकों की साधारण 7X50 दूरबीन में पैमाने के चिन्हों के बीच की दूरी लगभग 5 मिल को व्यक्त करती है.[१४] एक मिल, 1000 मीटर की दूरी से देखे जाने पर एक मीटर ऊंची वस्तु के शीर्ष तथा आधार के बीच बनने वाले कोण को कहा जाता है.
वित्तीय वर्ष 2006-२००७ 2006-२००७ के दौरान(१ अप्रैल 2006 से ३१ मार्च2007 तक विभिन्न टेलीफोन सेवा लेने के लिएबीएसएनएल ने 9,6 लाख नए ग्राहकों को पाया है बीएसएनएल के निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारती एयरटेल (Bharti Airtel) ३९ लाख ग्राहक आधार पर खड़ा हैलेकिन , हाल के समय मेंप्रभावशाली वृद्धि के बावजूद बीएसएनएल के फिक्सड लाइन के ग्राहक घाट रहे हैं फिक्सड लाइन के ग्राहक को लुभाने के लिए बीएसएनएल ग्राहकों को कम दर के तहत लंबी दूरी की कॉल करने की योजना ओनेंडिया शुरू की है बहरहाल , इस योजना की सफलता के ज्ञात नहीं है .फिर भी बीएसएनएल के सामने वित्तीय वर्ष 2006-2007 में कम राजस्वा की संभावना है जो बीएसएनएल के सी एम् डी के द्वारा मन गया है [३]
(१) सत्वावजय (साइकोलॉजिकल) : इसमें मन को अहित विषयों से रोकना तथा हर्षण, आश्वासन आदि उपाय हैं।
कांचीपिरम तमिल नाडु का मन्दिर नगरी है। यहां कांची के लगभग सभी मुख्य मन्दिरों की सूची दी गयी है।
किसी सॉफ्टवेयर उत्पाद को किसी भौगोलिक क्षेत्र (जैसे देश, राज्य, भाषा) की भाषायी, सांस्कृतिक एवं तकनीकी आवश्यकताओं के अनुरूप परिवर्तित करने या ढ़ालने को उस सॉफ्टवेयर का स्थानीकरण (localization) कहते हैं। ऐसे बहुत से लोकप्रिय सॉफ्टवेयर हैं जो दुनिया की अनेक भाषाओं में 'प्रयोक्ता इन्टरफेस', 'सहायता' एवं अन्य सुविधाएँ प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिये लिनक्स एवं फायरफाक्स का हिन्दी सहित अनेकानेक भाषाओं में स्थानीकरन हो चुका है।
• बुद्धदेव दासगुप्ता
शुक्ल जी ने प्रायः साहित्यिक और मनोवैज्ञानिक निबंध लिखे हैं। साहित्यिक निबंधों के ३ भाग किए जा सकते हैं -
चन्द्र्गुप्त के सिंहासनारोहण के अवसर पर(३०२ई.) को गुप्त सम्वत भी कहा गया है। चीनी यात्री इत्सिंग के अनुसार मगध के मृग शिखावन में एक मन्दिर का निर्माण करवाया था। तथा मन्दिर के व्यय में २४ गाँव को दान दिये थे।
जब गाँधी जी सोलह साल के हुए तब उनके पिताश्री की तबियत बहुत ख़राब थी उनके पिता की बीमारी के दौरान वे हमेशा उपस्थित रहते थे क्योंकि वे अपने माता-पिता के प्रति अत्यंत समर्पित थे. यद्यपि, गाँधी जी को कुछ समय की राहत देने के लिए एक दिन उनके चाचा जी आए वे आराम के लिए शयनकक्ष पहुंचे जहाँ उनकी शारीरिक अभिलाषाएं जागृत हुई और उन्होंने अपनी पत्नी से प्रेम किया नौकर के जाने के पश्चात् थोडी ही देर में ख़बर आई की गाँधी के पिता का अभी अभी देहांत हो गया है.गाँधी जी को जबरदस्त अपराध महसूस हुआ और इसके लिए वे अपने आप को कभी माफ नहीं कर सकते थे उन्होंने इस घटना का जिक्र दोहरी शर्म में किया इस घटना का गाँधी पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा और वे ३६ वर्ष की उम्र में ब्रह्मचर्य (celibate) की और मुड़ने लगे, जबकि उनकी शादी हो चुकी थी.[३०]
ब्रह्म ग्रन्थि कत्तर्न के साथ-साथ भावना करें कि निमार्ण की शक्ति विनाशक प्रवृत्तियों को काट रही है । अब रचनात्मक प्रवृत्तियों के लिए यह केन्द्र सुरक्षित रहेंगे ।
मोरी हए, हए रे,
४) ब्रह्माण्ड शब्द के अनुसार जहाँ ब्रह्माण्ड के बाहर और भी कुछ है सिद्ध होता है, वहीं यूनवर्स शब्द के अनुसार यूनवर्स में ही खोज करना अभी शेष ही शेष है।
3.
अत: उनके द्वारा खोजे गये उस सिद्धान्त को और उसके प्रयोग की दिशा को समझने के लिए सबसे पहले ये समझना अति आवश्यक है कि, भारतीय वैज्ञानिक पूर्वजों ने ब्रह्माण्डिय खोज को आरम्भ करने के लिए आखिर ब्रह्माण्ड के किस बिन्दु को अपना "प्रथम लक्ष्य" बनाया। चूंकि प्रमाणों के अभाव में ये कहना कठिन है कि उन्होंने ब्रह्माण्ड के किस बिन्दु को अपना "प्रथमलक्ष्य" बनाया, किन्तु मानव स्वभाव के आधार पर अगर देखा जाए तो निश्चीत रूप से उनके खोज का भी वही केन्द्र बिन्दु रहा होगा, जो वर्तमान में वर्तमान विज्ञान का रहा होगा। अत: उस अति महत्वपूर्ण केन्द्र बिन्दु को पूर्णतया स्पष्ट करने के लिए नितान्त आवश्यक है कि वर्तमान के आरम्भिक, सभी प्रमुख ब्रह्माण्डिय खोजों के लक्ष्यों पर ध्यान पूर्वक दृष्टि डालते हुए, उनका ध्यान पूर्वक पुर्नावलोकन किया जाए। पुर्नावलोकन करने के उपरान्त सम्पूर्ण विश्व के समक्ष स्वयं ही निर्विवाद रूप से स्पष्ट हो जाएगा कि, वर्तमान के आरम्भिक लक्ष्यों में से केन्द्र बिन्दु के रूप में मात्र एक ही लक्ष्य था, जिसपर वर्तमान में भी निरन्तर खोज जारी ही है, और वो लक्ष्य था -
निष्कर्षण धातुकर्म धातुओं के परिशोधन से संबन्धित है। धातुओं को अयस्कों से परिशोधित किया जाता है। अयस्क सामान्यतः आक्साइड या सल्फाइड के रुप में पाये जाते हैं। अयस्कों को रासायनिक या वैद्युत विधि से अपचयित किया जाता है।
नागेश जी यहा के प्रसिद्ध राजा हुये है । इन्का इतिहास बहुत प्राच्हीन है। तथा यहा के मुगल कालीन सम्रात् सद्दाम चोध् री जी भी अति वीर सम्राट रहे है।
इस स्तूप में एक स्थान पर दूसरी शताब्दी ई.पू. में तोड़फोड़ की गई थी। यह घटना शुंग सम्राट पुष्यमित्र शुंग के उत्थान से जोड़कर देखी जाती है। यह माना जाता है कि पुष्यमित्र ने इस स्तूप का ध्वंस किया होगा, और बाद में, उसके पुत्र अग्निमित्र ने इसे पुनर्निर्मित करवाया होगा। [क]। शुंग वंश के अंतिम वर्षों में, स्तूप के मूल रूप का लगभग दुगुना विस्तार पाषाण शिलाओं से किया गया था। इसके गुम्बद को ऊपर से चपटा करके, इसके ऊपर तीन छतरियां, एक के ऊपर दूसरी करके बनवायीं गयीं थीं। ये छतरियां एक वर्गाकार मुंडेर के भीतर बनीं थीं। अपने कई मंजिलों सहित, इसके शिखर पर धर्म का प्रतीक, विधि का चक्र लगा था। यह गुम्बद एक ऊंचे गोलाकार ढोल रूपी निर्माण के ऊपर लगा था। इसके ऊपर एक दो-मंजिला जीने से पहुंचा जा सकता था। भूमि स्तर पर बना दूसरी पाषाण परिक्रमा, एक घेरे से घिरी थी। इसके बीच प्रधान दिशाओं की ओर कई तोरण बने थे। द्वितीय और तृतीय स्तूप की इमारतें शुंग काल में निर्मित प्रतीत होतीं हैं, परन्तु वहां मिले शिलालेख अनुसार उच्च स्तर के अलंकृत तोरण शुंग काल के नहीं थे, इन्हें बाद के सातवाहन वंश द्वारा बनवाया गया था। इसके साथ ही भूमि स्तर की पाषाण परिक्रमा और महान स्तूप की पाषाण आधारशिला भी उसी काल का निर्माण हैं।
से 13 तथा 2 आंग्ल भारतीय सद्स्यॉ से सदन का गठन किया गया है
Belur Math
यह भी वैष्णव गुफा है, जिसमें विष्णु की मूर्ति बनाई गई है तथा बाहर दो द्वारपाल हैं। वर्तमान में ये नष्ट हो चुके हैं।
ऐतरेय ब्राह्मण में राजा दुष्यंत के पुत्र भरत से संबद्ध गाथा में :
सु ज़ोग्न Ð।सो जनो Ð।स जनो; तिम ज़"न्य Ð।तें जने (ते जना:); त"म्य ज़"न्य Ð।तें3 जनें3 (तेन जनेन); तिमव, जन्यव Ð ।तैं जनै: (तै: जनै:); कर्म, संप्रदान, अपादान और अधिकरण में प्राय: संबंध के मूल रूप में ही परसर्ग जोड़कर काम निकाला जाता है; यद्यपि नपुं. के अधिकरण (एफ.) में प्राचीन रूपों की झलक भी मिलती है। संबंध का मूल रूप यों है-तस ज़"निस Ð।तस्स जनस्स Ð तस्य जनस्य; तिमन ज़न्यन Ð । तेंणाँ जनेणां (तेषां जनानाम्)।
मुंगेर आने के लिए जयप्रकाश अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डा, जो यहां से लगभग 183 कि.मी. दूर राजधानी पटना में स्थित है, से आया जा सकता है।
समयान्तर
66. उदयपुर राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है और अरावली श्रेणियों से घिरा हुआ है।
उपरोक्त प्रश्न के समाधान हेतु अगर ध्यान पूर्वक, वर्तमान विज्ञान के दृष्टिकोंण से विचार किया जाए तो, समाधान के रूप में एक ही निष्कर्ष स्पष्ट होगा कि, इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर वर्तमान विज्ञान के पास उपलब्ध है ही नहीं और जो अस्पष्ट उत्तर हैं भी, वो भी उत्तरों के जाल में ऐसे उलझे हुए और दिशाहीन हैं कि, उनको व्यक्तिगत आधार पर समझना या किसी को भी व्यक्तिगत आधार पर समझाना, किसी भी प्रतिभाशाली से प्रतिभाशाली वैज्ञानिक के वश का नहीं।
अपनी सलोनी त्वचा के लिए मैं कोई ऐसी- वैसी क्रीम इस्तेमाल नहीं करती । (अब ये पंक्ति अति साधारण है, परन्तु उसमें कई छिपे अर्थ निहित है। अपनी सलोनी त्वचा के माध्यम से बेहतर दिखने की महत्वाकांक्षा को उभारा गया है, जबकि ऐसी - वैसी शब्द से भय उत्पन्न करता है कि सस्ती क्रीम निश्चय ही त्वचा के लिए हानिकारक होगी।)
जावा द्वीप का पर्वत
हिन्दी लेखक (जन्म १९४४)
उस समय मगध भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था । मगध पर कब्जा होने के बाद चन्द्रगुप्त सत्ता के केन्द्र पर काबिज़ हो चुका था । चन्द्रगुप्त ने पश्चिमी तथा दक्षिणी भारत पर विजय अभियान आरंभ किया । इसकी जानकारी अप्रत्यक्ष साक्ष्यों से मिलती है । रूद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में लिखा है कि सिंचाई के लिए सुदर्शन झील पर एक बाँध पुष्यगुप्त द्वारा बनाया गया था । पुष्यगुप्त उस समय अशोक का प्रांतीय गवर्नर था । पश्चिमोत्तर भारत को यूनानी शासन से मुक्ति दिलाने के बाद उसका ध्यान दक्षिण की तरफ गया ।
(प्रात:काल को) (सवेरे) (भी) (राम को देर में भी) तइहेन्दा
श्रद्धा का व्यवसय · प्रार्थनाउपवास · दान · तीर्थ
5087 अमरनाथ एक्सप्रेस -- गोरखपुर -- जम्मू तवी
उनकर राखै मान, बँद जहँ आड़े आवै।
इस प्रकार 1952 में डॉ. योहाना ने ठंडी विधि से निकले अलसी के तेल व पनीर के मिश्रण तथाकैंसर रोधी फलों व सब्जियों के साथ कैंसर रोगियों के उपचार का तरीका विकसित किया, जो “बुडविज प्रोटोकोल”के नाम से विख्यात हुआ। इस उपचार से कैंसर रोगियों को बहुत लाभ मिलने लगाथा। इस सरल, सुगम, सुलभउपचार से कैंसर के रोगी ठीक हो रहे थे। इस उपचार से 90 प्रतिशत तक सफलता मिलती थी। नेता और नोबेल पुरस्कार समिति के सभी सदस्य इन्हें नोबल पुरस्कार देना चाहते थे पर उन्हें डर था कि इस उपचार के प्रचलित होने और मान्यता मिलने से 200 बिलियन डालर का कैंसर व्यवसाय(कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा उपकरण बनाने वाले बहुराष्ट्रीय संस्थान) रातों रात धराशाही हो जायेगा। इसलिए उन्हें कहा गया कि आपको कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी को भी अपने उपचार में शामिल करना होगा। उन्होंने सशर्त दिये जाने वाले नोबल पुरस्कार को एक नहीं सात बार ठुकराया।
आंध्र प्रदेश के उर्दू भाषा के समाचार पत्रों में शामिल हैं सियासत डेली , मुन्सिफ़ डेली , रहनुमा-ए-दक्खन , इतिमद उर्दू डेली , अवाम और द मिलाप डेली .
कार्यपालिका के तीन अंग हैं - राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और मंत्रिमंडल। मंत्रिमंडल का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है। मंत्रिमंडल के प्रत्येक मंत्री को संसद का सदस्य होना अनिवार्य है। कार्यपालिका, व्यवस्थापिका से नीचे होता है।
१. ऐतरेय, २. केन, ३. छांदोग्य, ४. तैत्तिरीय, ५. बृहदारण्यक तथा ६. कौषीतकि; इनका गद्य ब्राह्मणों के गद्य के समान सरल, लघुकाय तथा प्राचीन है।
न्यायमत - "संहार" के लिए भी एक क्रम है। कार्य द्रव्य में, अर्थात् घट में, प्रहार के कारण उसके अवयवों में एक क्रिया उत्पन्न होती है। उस क्रिया से उसके अवयवों में विभाग होता है, विभाग से अवयवी (घट) के आरंभक संयोगों का नाश होता है। और फिर घट नष्ट हो जाता है। इसी क्रम से ईश्वर की इच्छा से समस्त कार्य द्रव्यों का एक समय नाश हो जाता है। इससे स्पष्ट है कि असमवायिकारण के नाश से कार्यद्रव्य का नाश होता है। कभी समवायिकारण के नाश से भी कार्यद्रव्य का नाश होता है।
(राम) (जाता) (है)
ये स्थान तय नहीं होते हैं लेकिन ये विशेष और कभी कभी अच्छे नामों से जाने जाते हैं जैसे "स्लिप", "थर्ड मेन", "सिली मिड ऑन" और "लाँग लेग". हमेशा कुछ असुरक्षित क्षेत्र रहते हैं.
नौकरी के साथ-साथ द्विवेदी अध्ययन में भी जुटे रहे और हिंदी के अतिरिक्त मराठी, गुजराती, संस्कृत आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया।
जनसंख्या के लगभग 10% भाग के पास विश्वविद्यालय डिग्री या स्नातकोत्तर डिग्री है . कई प्रवासी अपने बच्चों को विश्वविद्यालय की शिक्षा के लिए अपने देश वापस या पश्चिमी देश भेज देते है और प्रौद्योगिकी के अध्ययन के लिए भारत भेज देते है . हालांकि, पिछले 10 सालों में एक बड़ी संख्या में शहर में विदेशी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई है . इन विश्वविद्यालयों के कुछ हैं मैनचेस्टर बिजनेस स्कूल [९७] , मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी दुबई (MSU Duba.) [९८],रोचेस्टर प्रौद्योगिकी दुबई UNIQ74a94e447e2e8fae-nowiki-00000175-QINU९९UNIQ74a94e447e2e8fae-nowiki-00000176-QINU, बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी - दुबई (बिट्स पिलानी), हेरिओट -वाट विश्वविद्यालय दुबई, अमेरिकन यूनिवर्सिटी दुबई (AUD), अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ दुबई, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय (परिसर से दूर सेंटर), इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेकनोलोजी -दुबई परिसर, SP जैन सेण्टर ऑफ़ मैनेजमेंट , यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉलोन्गॉन्ग और एम्एएचई मणिपाल शामिल हैं . 2004 में दुबई स्कूल ऑफ़ गवेर्न्मेंट ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से जॉन ऍफ़ केनेडी स्कूल ऑफ़ गवेर्मेंट और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल दुबई सेण्टर (HMSDC) की दुबई में स्थापना की .
पारिस्थितिकी तंत्र शब्द को 1930 मैं रोय क्लाफाम द्वारा एक पर्यावरण के संयुक्त शारीरिक और जैविक घटकों को निरूपित करने के लिए बनाया गया था. ब्रिटिश परिस्थितिविज्ञानशास्री आर्थर तनस्ले ने बाद में, इस शब्द को परिष्कृत करते हुए यह वर्णन दिया "यह पूरी प्रणाली... न केवल जीव-परिसर है, लेकिन वह सभी भौतिक कारकों का पूरा परिसर भी शामिल हैं जिसे हम पर्यावरण कहते हैं".[२] तनस्ले पारितंत्रों को न केवल प्राकृतिक इकाइयाँ के रूप में, बल्कि "मानसिक आइसोलेट्स" के रूप में भी मानते थे.[२] तनस्ले ने बाद में [३][३][३][३]"ईकोटोप" शब्द के प्रयोग द्वारा पारितंत्रों के स्थानिक हद को परिभाषित किया.
अपनी जापान यात्रा के बाद निशिकांत ठाकुर लिखते हैं -"आज जापान में हर व्यक्ति के पास रंगीन टेलीविजन है, करीब 83 प्रतिशत लोगों के पास कार है, 80 प्रतिशत घरों में एयरकंडीशन लगे हैं, 76 प्रतिशत लोगों के पास वीसीआर हैं, 91 प्रतिशत घरों में माइक्रोवेव ओवन हैं और करीब 25 प्रतिशत लोगों के पास पर्सनल कम्प्यूटर हैं। यह है विकास और ऊंचे जीवन स्तर की एक झलक। आम जापानी स्वभाव से शर्मीला, विनम्र, ईमानदार, मेहनती और देशभक्त होता है। यही कारण है कि विकसित देशों की तुलना में जापान में अपराध दर कम है।"
फिर लौट मुझी में आते हैं।
          ब्रह्म जो व्यापक वेद कहैं, गमनाहिं गिरा गुन-ग्यान-गुनी को। / जो करता, भरता, हरता, सुर साहेबु, साहेबु दीन दुखी को।
खुदाईसन्नति•कनगनहल्ली
जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, राज्‍य सभा राज्‍यों की परिषद है। यह अप्रत्‍यक्ष रीति से लोगों का प्रतिनिधित्‍व करती है। राज्‍य सभा के सदस्‍य का चुनाव राज्‍य विधान सभाओं के चुने हुए विधायक करते हैं। प्रत्‍येक राज्‍य के प्रतिनिधियों की संख्‍या ज्‍यादातर उसकी जनसंख्‍या पर निर्भर करती है। इस प्रकार, उत्तर प्रदेश के राज्‍य सभा में 34 सदस्‍य हैं। मणिपुर, मिजोरम, सिक्‍किम, त्रिपुरा आछोटे राज्‍यों का केवल एक एक सदस्‍य है। राज्‍य सभा में 250 तक सदस्‍य हो सकते हैं। इनमें राष्‍ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 सदस्‍य तथा 238 राज्‍यों और संघ-राज्‍य क्षेत्रों द्वारा चुने सदस्‍य होते हैं। इस समय राज्‍य सभा के 245 सदस्‍य हैं। राज्‍य सभा के प्रत्‍येक सदस्‍य की कार्यावधि छह वर्ष है। उपराष्‍ट्रपति, संसद के दोनों सदनों के सदस्‍यों द्वारा निर्वाचित किया जाता है। वह राज्‍य सभा का पदेन सभापति होता है। उपसभापति पद के लिए राज्‍य सभा के सदस्‍यों द्वारा अपने में से किसी सदस्‍य को चुना जाता है।
शहर की लघु एवं मध्यम-उद्योग इकाइयाँ चिन्हट, ऐशबाग, तालकटोरा एवं अमौसी के औद्योगिक एन्क्लेवों में स्थित हैं। चिन्हट अपने टेराकोटा एवं पोर्सिलेन उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है।
चेन्नई मे सरकारी एवं निजी दोनो प्रकार के विद्यालय है। शिक्षा का माध्यम तमिल अथवा अंग्रेजी होता है। अधिकांश विद्यालय तमिलनाडू राज्य शिक्षा मंडल या केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से जुड़े है।[७०] शहर मे कुल १,३८९ विद्यालय है जिस मे से ७३१ प्राथमिक, २३२ माध्यमिक और ४२६ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है।[७१]
2. वादों का निर्णय संक्षिप्त ढँग से होता है जिसमें अभियुक्त को रक्षा करने का पूरा मौका नहीं मिलता है
खोजी गई सबसे पुरानी बांसुरी गुफा में रहने वाले एक तरुण भालू की जाँघ की हड्डी का एक टुकड़ा हो सकती है, जिसमें दो से चार छेद हो सकते हैं, यह स्लोवेनिया के डिव्जे बेब में पाई गई है और करीब 43,000 साल पुरानी है. हालांकि, इस तथ्य की प्रामाणिकता अक्सर विवादित रहती है.[२][३] 2008 में जर्मनी के उल्म के पास होहल फेल्स गुहा में एक और कम से कम 35,000 साल पुरानी बांसुरी पाई गई.[४] इस पाँच छेद वाली बांसुरी में एक वी-आकार का मुखपत्र है और यह एक गिद्ध के पंख की हड्डी से बनी है. खोज में शामिल शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्षों को अगस्त 2009 में [[नेचर]] नामक जर्नल में आधिकारिक तौर पर प्रकाशित किया.[५] यह खोज इतिहास में किसी भी वाद्य यंत्र की सबसे पुरानी मान्य खोज भी है.[६] बांसुरी, पाए गए कई यंत्रों में से एक है, यह होहल फेल्स के शुक्र के सामने और प्राचीनतम ज्ञात मानव नक्काशी से थोड़ी सी दूरी पर होहल फेल्स की गुफा में पाई गई थी.[७] खोज की घोषणा पर, वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि "जब आधुनिक मानव ने यूरोप को उपिनवेशित शत किया था, खोज उस समय की एक सुतस्थापित संगीत परंपरा की उपस्थिति को प्रदर्शित करती है".[८] वैज्ञानिकों ने यह सुझाव भी दिया है कि, बांसुरी की खोज निएंदरथेल्स और प्रारंभिक आधुनिक मानव "के बीच संभवतः व्यवहारिक और सृजनात्मक खाड़ी" को समझाने में सहायता भी कर सकती है.[६]
मध्य अफ्रीका में नौ देश में हैं जिनमें अंगोला की राजधानी लुआंडा, कैमेरून की याओऊंडे, मध्य अफ्रीकन गणराज्य की बांगुई, चाड की एन जमेना, कांगो की ब्राज़िविले, कांगो जनतांत्रिक गणराज्य की किनशसा, इक्वेटोरियल गिनी की मालाबो, गैबोन की लिब्रेविले तथा साओ टोमे एवं पिंसिपे की साओ टोमे है।
ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं।[१][२] इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं।[२] कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले १०-१५ सालों में ४० गुना बढ़ गया है। दूसरे शब्दों में औद्यौगिकीकरण के बाद से इसमें १०० गुणे की बढ़ोत्तरी हुई है। इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों वातानुकूलक, फ्रिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से है। कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत पेट्रोलियम ईंधन और परंपरागत चूल्हे हैं।[१][२]
पहली शताब्दी एक ईसवीं शताब्दी है।
स्पंदन संस्कृत का एक शब्द है हिन्दी में इसके शाब्दिक अर्थ हैं:-
उन्हें पहली बार स्वतंत्र रूप से 1940 में 'प्रेम नगर' में संगीत देने का अवसर मिला, लेकिन उनकी अपनी पहचान बनी 1944 में प्रदर्शित हुई 'रतन' से जिसमें जोहरा बाई अम्बाले वाली, अमीर बाई कर्नाटकी, करन दीवान और श्याम के गाए गीत बहुत लोकप्रिय हुए और यहीं से शुरू हुआ कामयाबी का ऐसा सफर जो कम लोगों के हिस्से ही आता है।
   क.    ^
मौर्य शासन - भारत में सर्वप्रथम मौर्य वंश के शासनकाल में ही राष्ट्रीय राजनीतिक एकता स्थापित हुइ थी। मौर्य प्रशासन में सत्ता का सुदृढ़ केन्द्रीयकरण था परन्तु राजा निरंकुश नहीं होता था। मौर्य काल में गणतन्त्र का ह्रास हुआ और राजतन्त्रात्मक व्यवस्था सुदृढ़ हुई। कौटिल्य ने राज्य सप्तांक सिद्धान्त निर्दिष्ट किया था, जिनके आधार पर मौर्य प्रशासन और उसकी गृह तथा विदेश नीति संचालित होती थी -राजा,अमात्य जनपद , दुर्ग , कोष, सेना और,मित्र।
विश्‍वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर काशी विशालाक्षी मंदिर है। यह पवित्र 51 शक्‍ितपीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां शिव की पत्‍नी सती का आंख गिरा था।
मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी चेन्नई का एक अभियांत्रिकी महाविद्यालय है।
"मोर्टेलिटी इन ब्रिटिश वेजिटेरीयंस" में,[६०] एक समान निष्कर्ष निकाला गया है: "ब्रिटिश शाकाहारियों में आम आबादी की तुलना में मृत्यु दर कम है. उनकी मृत्यु दर उन लोगों के समान हैं जो मांसाहारियों के साथ तुलनीय हैं, कहा गया कि धूम्रपान के कम प्रचलन और आम तौर पर उच्च सामजिक-आर्थिक स्थिति जैसे गैर-आहारीय जीवनशैली के कारकों या मांस और मछली के परहेज से भिन्न आहार के अन्य पहलुओं के कारण यह लाभ मिलता हो सकता है."[६१]
१४. सारो-मारो- यह मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित है ।
६. हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।
साँचा:माइक्रोसॉट साँचा:विंडोज़ घटक साँचा:प्रचालन तंत्र
(1969) रॉड लेवर  · (1970) आर्थर ऐश  · (1971-72) केन रोसेवाल  · (1973) जॉन न्यूकॉम्ब  · (1974) जिमी कोनर्स  · (1975) जॉन न्यूकॉम्ब  · (1976) मार्क एडमंडसन  · (1977 [Jan]) रॉस्को टैनर  · (1977) विटास जेरुलाटिस  · (1978-79) गुलिरमो विलास  · (1980) ब्रायन टीचर  · (1981-82) जोहान क्रीक  · (1983-84) मैट्स विलेंडर  · (1985) स्टीफन एडबर्ग  · (1986) प्रतियोगिता रद्द  · (1987) स्टीफन एडबर्ग  · (1988) मैट्स विलेंडर  · (1989-90) इवान लेंडल  · (1991) बोरिस बेकर  · (1992-93) जिम कोरियर  · (1994) पीट सेमप्रास  · (1995) आन्द्रे अगासी  · (1996) बोरिस बेकर  · (1997) पीट सेमप्रास  · (1998) पेत्रो कोर्दा  · (1999) येवगेनी केफेलनिकोव  · (2000-01) आन्द्रे अगासी  · (2002) थॉमस जोहानसन  · (2003) आन्द्रे अगासी  · (2004) रोजर फ़ेडरर  · (2005) मराट साफिन  · (2006-07) रोजर फ़ेडरर  · (2008) नोवाक जोकोविच  · (2009) रफ़ाएल नदाल
कोतवाली के निकट स्थित इस मस्जिद का यह निर्माण 11वीं शताब्दी में करवाया गया था।
गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है जो कुमायूँ में हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है।[४] गंगा के इस उद्गम स्थल की ऊँचाई ३१४० मीटर है। यहाँ गंगा जी को समर्पित एक मंदिर भी है। गंगोत्री तीर्थ, शहर से १९ कि.मी. उत्तर की ओर ३८९२ मी.(१२,७७० फी.) की ऊँचाई पर इस हिमनद का मुख है। यह हिमनद २५ कि.मी. लंबा व ४ कि.मी. चौड़ा और लगभग ४० मी. ऊँचा है। इसी ग्लेशियर से भागीरथी एक छोटे से गुफानुमा मुख पर अवतरित होती है। इसका जल स्रोत ५००० मी. ऊँचाई पर स्थित एक बेसिन है। इस बेसिन का मूल पश्चिमी ढलान की संतोपंथ की चोटियों में है। गौमुख के रास्ते में ३६०० मी. ऊँचे चिरबासा ग्राम से विशाल गोमुख हिमनद के दर्शन होते हैं।[५] इस हिमनद में नंदा देवी, कामत पर्वत एवं त्रिशूल पर्वत का हिम पिघल कर आता है। यद्यपि गंगा के आकार लेने में अनेक छोटी धाराओं का योगदान है लेकिन ६ बड़ी और उनकी सहायक ५ छोटी धाराओं का भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्त्व अधिक है। अलकनंदा की सहायक नदी धौली, विष्णु गंगा तथा मंदाकिनी है। धौली गंगा का अलकनंदा से विष्णु प्रयाग में संगम होता है। यह १३७२ मी. की ऊँचाई पर स्थित है। फिर २८०५ मी. ऊँचे नंद प्रयाग में अलकनन्दा का नंदाकिनी नदी से संगम होता है। इसके बाद कर्ण प्रयाग में अलकनन्दा का कर्ण गंगा या पिंडर नदी से संगम होता है। फिर ऋषिकेश से १३९ कि.मी. दूर स्थित रुद्र प्रयाग में अलकनंदा मंदाकिनी से मिलती है। इसके बाद भागीरथी व अलकनन्दा १५०० फीट पर स्थित देव प्रयाग में संगम करती हैं यहाँ से यह सम्मिलित जल-धारा गंगा नदी के नाम से आगे प्रवाहित होती है। इन पांच प्रयागों को सम्मिलित रूप से पंच प्रयाग कहा जाता है।[४] इस प्रकार २०० कि.मी. का संकरा पहाड़ी रास्ता तय करके गंगा नदी ऋषिकेश होते हुए प्रथम बार मैदानों का स्पर्श हरिद्वार में करती है।
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प्राचीन हिंदू व्यवस्था में वर्ण व्यवस्था और जाति का विशेष महत्व था। चार प्रमुख वर्ण थे - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। पहले यह व्यवस्था कर्म प्रधान थी। अगर कोइ सेना में काम करता था तो वह क्षत्रिय हो जाता था चाहे उसका जन्म किसी भी जाति में हुआ हो।
कार्बोहाइड्रेट तथा वसा युक्त भोजन को शक्तिदायक भोजन कहते हैं। दालें, कन्दमूल, सूखे मेवे, चीनी, तेल और वसा इस वर्ग में आते हैं।
द नेदरलैंड्स की संसद स्तातें जेनेरल' है, जिसका वास्तविक अर्थ है स्टेटस-जनरल . यह दो 'सदनों (कक्षों ) में विभाजित अर्थात द्विसदनीय है. डच में सीनेट ईरस्ते कमर या (पहला कक्ष) और उसके सदस्य "सिनेतोरें" सीनेटर के नाम से जाने जाते है. हाउस ऑफ़ रिप्रेंजेटेटिव्स या प्रतिनिधियों के सदन को डच में ट्वीड कैमेर (द्वितीय कक्ष} कहा जाता है, जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. अहम् बहसें यही पर होती है. इसके साथ ही, दूसरा कक्ष प्रस्तावित कानून में संशोधन कर उसे संपादित कर सकता है और खुद कानून का प्रस्ताव भी दे सकता है. सीनेट के पास ऐसी क्षमताएं नहीं हैं. इसका कार्य कानून की तकनीकी समीक्षा करना है. यह सिर्फ कानून पारित कर सकता है या उसे अस्वीकार कर सकता हैं. दोनों ही कक्ष नेदरलैंड्स की अधिकारिक राजधानी एम्स्टर्डम में नहीं बल्कि हेग में हैं जहाँ संसद का कार्य होता है.
भारत वापस पहुँचने पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के सर्वाधिक ख्यात संगीत संस्थान, "अखिल भारतीय गन्धर्व मंडल महविद्यालय", बम्बई का रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया। किंतु अपने नगरवासियों का अनुरोध न टाल पाने के कारण सन 1956 में ही उन्हें कानपुर लौट कर स्वयम द्वारा स्थापित 'गांधी संगीत महाविद्यालय' का प्राचार्य पद सम्भालना पड़ा।
भीष्मयंडीकमारम्भ पर्वतेश्वरमन्ति के॥ [१६][२५]
लेबनान की स्थिति
मुसलिम युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (मुल्फा)
सम्पादक - डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
मुख्यभूमि चीम में सीमित धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की जाती है, और केवल उन्हीं समुदायों के प्रति सहनशीलता बरती जाती है जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। आधिकारिक आँकड़े उपलब्ध न हो पाने के कारण धर्मानुयायीयों की सही संख्या बता पाना कठिन है, लेकिन यह माना जाता है कि पिछले २० वर्षों के दौरान धर्म का उत्थन देखा गया है। १९९८ के एडहियर्ण्ट.कॉम के अनुसार चीन की ५९% जनसंख्या अधार्मिकों की है। इसी दौरान २००७ के एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार चीन में ३० करोड़ (२३%)विश्वासी है जो सरकारी आँकड़े १० करोड़ से अधिक है।
ग्रीनहाउस प्रभाव की खोज 1824 में जोसेफ फोरियर द्वारा की गई थी तथा 1896 में पहली बार स्वेन्‍टी आरहेनेस (Svante Arrhenius) द्वारा इसकी मात्रात्मक जांच की गई थी। यह प्रक्रिया द्वारा जो अवशोषण (absorption) और उत्सर्जन के अवरक्त विकिरण द्वारा वातावरण में गर्म गैसें वातावरण में एक और ग्रह की सतह कम है .
युग-प्रवर्तक साहित्यकार के लिए आवश्यक है प्रभूत मात्रा में सृजन. अत्याधिक लोकप्रिय आरती 'ॐ जय जगदीश हरे' के रचियता 'पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी' [४२] इस कारण-मात्र से युग-प्रवर्तक नहीं कहे जा सकते. 'हनुमान चालीसा' कितनी भी उदात्त एवं लोकप्रिय क्यों न हो, यदि तुलसी बाबा ने सिर्फ 'हनुमान चालीसा' ही लिखी होती तो वे भी युग-प्रवर्तक नहीं कहे जा सकते थे. साक्षात् रामचरितमानस जैसा महाकाव्य, २७९ पदों की विनयपत्रिका, दोहावली, जानकी मंगल, बरवै रामायण इत्यादि रचकर ही तुलसी बाबा शीर्षस्थ युग प्रवर्तक कवि के रूप में प्रतिष्ठित हुए.[४३]
लंदन के बरो: बार्किंग ऐंड डेगनहम | बार्नेट | बेक्सली | ब्रेंट | ब्रॉमली | कैमडन | क्रॉयडन | ईलिंग | एनफ़ील्ड | ग्रेनिच | हैकनी | हैमरस्मिथ ऐंड फ़ुलहम | हैरिंगे | हैरो | हेवरिंग | हिलिंगडन | हाउंस्लो | इस्लिंगटन | केंसिंग्टन ऐंड चेल्सी | किंग्स्टन | लैम्बेथ | लूविशम | मर्टन | न्यूहैम | रेडब्रिज | रिचमंड | सदक | सटन | टावर हैमलट्स | वॉल्थम फ़ॉरस्ट | वंड्सवर्थ | सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर
(19). एक कल्प में चौदह मन्वन्तर होते हैं, अपनी संध्याओं के साथ; प्रत्येक कल्प के आरम्भ में पंद्रहवीं संध्या/उषा होती है. यह भी सतयुग के बराबर ही होती है।
पाणिनि ने सहस्रों शब्दों की व्युत्पत्ति बताई जो अष्टाध्यागी के चौथे पाँचवें अध्यायों में है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, सैनिक, व्यापारी किसान, रँगरेज, बढ़ई, रसोइए, मोची, ग्वाले, चरवाहे, गड़रिये, बुनकर, कुम्हार आदि सैकड़ों पेशेवर लोगों से मिलजुलकर पाणिनि ने उनके विशेष पेशे के शब्दों का संग्रह किया।
इसलामिक सेवक संघ (आइएसएफ)
इण्डीब्लॉगीज एक भारतीय वॅब्लॉग पुरुस्कार है। यह भारत का पहला (२००३ में स्थापित) तथा खालिस देसी चिट्ठा पुरुस्कार है। पुरुस्कार विजेताओं का चयन भारतीय तथा भारतवंशी चिट्ठाकारों के द्वारा सार्वजनिक रुप से चुने जाते हैं।
कोनकोना सेन शर्मा हिन्दी एवं बांगला सिनेमा की अभिनेत्रियों में से एक हैं।
श्रुति हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थों का समूह है। धर्मशास्त्र के लेखकों ने श्रुति को धर्म का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत माना है। इसमें चार वेद आते हैं : ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। हर वेद के चार भाग होते हैं : संहिता, ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक और उपनिषद्। इनके अलावा बाकी सभी हिन्दू धर्मग्रन्थ स्मृति के अन्तर्गत आते हैं । श्रुति और स्मृति में कोई भी विवाद होने पर श्रुति को ही मान्यता मिलती है, स्मृति को नहीं। स्मृतियों, धर्मसूत्रों, मीमांसा, ग्रंथों, निबन्धों महापुराणों में जो कुछ भी कहा गया है वह श्रुति की महती मान्यता को स्वीकार करके ही कहा गया है ऐसी धारणा सभी प्राचीन धर्मग्रन्थों में मिलती है। अपने प्रमाण के लिए ये ग्रन्थ श्रुति को ही आदर्श बताते हैं हिन्दू परम्पराओ के अनुसार इस मान्यता का कारण यह है कि ‘श्रुतु’ ब्रह्मा द्वारा निर्मित है यह भावना जन सामान्य में प्रचलित है चूँकि सृष्टि का नियन्ता ब्रह्मा है इसीलिए उसके मुख से निकले हुए वचन पुर्ण प्रमाणिक हैं तथा प्रत्येक नियम के आदि स्रोत हैं। इसकी छाप प्राचीनकाल में इतनी गहरी थी कि वेद शब्द श्रद्धा और आस्था का द्योतक बन गया। इसीलिए पीछे की कुछ शास्त्रों को महत्ता प्रदान करने के लिए उनके रचयिताओं ने उनके नाम के पीछे वेद शब्द जोड़ दिया। सम्भवतः यही कारण है कि धनुष चलाने के शास्त्र को धनुर्वेद तथा चिकित्सा विषयक शास्त्र को आयुर्वेद की संज्ञा दी गई है। महाभारत को भी पंचम वेद इसीलिए कहा गया है कि उसकी महत्ता को अत्यधिक बल दिया जा सके।
स्कंदगुप्त की मृत्य सन् 467 में हुई । हंलांकि गुप्त वंश का अस्तित्व इसके 100 वर्षों बाद तक बना रहा पर यह धीरे धीरे कमजोर होता चला गया। स्कंदगुप्त के बाद उसका भाई पुरुगुप्त शासक बना । इसके बाद बुद्धगुप्त शासक बना । उसके उत्तराधिकारी अयोग्य निकले और हूणों के आक्रमण का सामना नहीं कर सके । हूणों ने सन् 512 में तोरमाण के नेतृत्व में फिर हमला किया और ग्वालियर तथा मालवा तक के एक बड़े क्षेत्र पर अधिपत्य कायम कर लिया ।
चितवन यहां भाषा/ रुधिर में धड़कनों के छंद है/ आचार की सब संहिताएँ/ मुक्ति की पाबंद है/
स्वामी हरिदास (१४९०-१५७५ अनुमानित) कृष्णोपासक सखी संप्रदाय के प्रवर्तक थे, जिसे हरिदासी संप्रदाय भी कहते हैं। इन्हें ललिता सखी का अवतार माना जाता है। इनकी छाप रसिक है। इनके जन्म स्थान और गुरु के विषय में कई मत प्रचलित हैं। हरिदास स्वामी वैेष्णव भक्त थे तथा उच्च कोटि के संगीतज्ञ भी थे। प्रसिध्द गायक तानसेन इनके शिष्य थे। सम्राट अकबर इनके दर्शन करने वृंदावन गए थे। 'केलिमाल में इनके सौ से अधिक पद संग्रहित हैं। इनकी वाणी सरस और भावुक है। ये प्रेमी भक्त थे।
हडि्डयां और दांत बनाने, रक्त बढ़ाने तथा पेशियों और नािड़यों को ठीक रूप् से काम करने में सहायक होता है।
हिंगलाज माता मंदिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य की राजधानी कराची से १२० कि.मी. उत्तर-पश्चिम में हिंगोल नदी के तट पर ल्यारी तहसील के मकराना के तटीय क्षेत्र में हिंगलाज में स्थित एक हिन्दू मंदिर है। यह इक्यावन शक्तिपीठ में से एक माना जाता है, और कहते हैं कि यहां सती माता के शव को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर यहां उनका ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था।[१]
रामकृष्ण परमहंस जीवन के अंतिम दिनों में समाधि की स्थिति में रहने लगे। अत: तन से शिथिल होने लगे। शिष्यों द्वारा स्वास्थ्य पर ध्यान देने की प्रार्थना पर अज्ञानता जानकर हंस देते थे। इनके शिष्य इन्हें ठाकुर नाम से पुकारते थे। रामकृष्ण के परमप्रिय शिष्य विवेकानन्द कुछ समय हिमालय के किसी एकान्त स्थान पर तपस्या करना चाहते थे। यही आज्ञा लेने जब वे गुरु के पास गये तो रामकृष्ण ने कहा-वत्स हमारे आसपास के क्षेत्र के लोग भूख से तडप रहे हैं। चारों ओर अज्ञान का अंधेरा छाया है। यहां लोग रोते-चिल्लाते रहें और तुम हिमालय की किसी गुफा में समाधि के आनन्द में निमग्न रहो क्या तुम्हारी आत्मा स्वीकारेगी। इससे विवेकानन्द दरिद्र नारायण की सेवा में लग गये। रामकृष्ण महान योगी, उच्चकोटि के साधक व विचारक थे। सेवा पथ को ईश्वरीय, प्रशस्त मानकर अनेकता में एकता का दर्शन करते थे। सेवा से समाज की सुरक्षा चाहते थे। गले में सूजन को जब डाक्टरों ने कैंसर बताकर समाधि लेने और वार्तालाप से मना किया तब भी वे मुस्कराये। चिकित्सा कराने से रोकने पर भी विवेकानन्द इलाज कराते रहे। विवेकानन्द ने कहा काली मां से रोग मुक्ति के लिए आप कह दें। परमहंस ने कहा इस तन पर मां का अधिकार है, मैं क्या कहूं, जो वह करेगी मेरे लिए अच्छा ही करेगी। मानवता का उन्होंने मंत्र लुटाया।
अण्डमान शब्द मलय भाषा के शब्द हांदुमन से आया है जो हिन्दु देवता [हनुमान]] के नाम का परिवर्तित रुप है। निकोबार शब्द भी इसी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है नग्न लोगों की भूमि। हिन्द महासागर में बसा निर्मल और शांत अण्डमान पर्यटकों के मन को असीम आनंद की अनुभूति कराता भारत का एक लोकप्रिय द्वीप समूह है। अण्डमान अपने आंचल में मूंगा भित्ति, साफ-स्वच्छ सागर तट, पुरानी स्मृतियों से जुड़े खण्डहर और अनेक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियां संजोए है। सुन्दरता में एक से बढ़कर एक यहां कुल ५७२ द्वीप हैं। अण्डमान का लगभग ८६ प्रतिशत क्षेत्रफल जंगलों से ढका हुआ है। समुद्री जीवन, इतिहास और जलक्रीड़ाओं में रूचि रखने वाले पर्यटकों को यह द्वीप बहुत रास आता है।
महाराष्ट्र का एक जिला है।
स्नायु ( नसें या तंत्रिकाएं) सिर्फ शरीर की संवेदनाओं की वाहक नहीं होतीं वरन मस्तिष्क का महत्त्वपूर्ण भाग भी होती हैं। नसों के रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। अत्यधिक कामुकता के कारण जहाँ जवानी में भी स्नायु दौर्बल्य जैसे रोग हो सकते हैं, वहीं चोंट लगने से ब्रेन हैमरेज व अचेतावस्था भी आ सकती है। मिरगी, सिरदर्द व सायिटिका दर्द आदि रोग स्नायु (नसों) के रोग ही हैं।
फोन-01262-24293
वैसे अधिकांश ब्रिटिश भारत, ब्रिटिश सरकार द्वारा सीधे शासित ना होकर, उसके अधीन रहे शासकों द्वारा ही शासित होता था। भारत में सामंतों और रजवाड़ों को गवर्नर-जनरल के ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि होने की भूमिका को दर्शित करने हेतु, सन १८५८ से वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल ऑफ इंडिया (जिसे लघुरूप में वाइसरॉय कहा जाता था) प्रयोग हुई। वाइसरॊय उपाधि १९४७ में स्वतंत्रता उपरांत लुप्त हो गयी, लेकिन गवर्नर-जनरल का कार्यालय सन १९५० में, भारतीय गणतंत्रता तक अस्तित्व में रहा।
1970 के दशक तक सरकारों ने शोर को पर्यावरणीय समस्या की तुलना में एक " उपद्रव " के रूप में ही देखा था। अमरीका में राजमार्ग और वैमानिक शोर-शराबे के लिए संघीय मानक बनाए गए हैं, यहां प्रांतों और स्थानीय सरकारों के पास विशेष अधिकार हैं जो भवन निर्माण संहिता (building codes),शहरी नियोजन (urban planning)तथा सड़क विकास से संबंधित हैं। कनाडा और यूरोपीय संघ कुछ ऐसे राष्ट्रीय , प्रांतीय , या राज्य के कानून हैं जो ध्वनि के खिलाफ़ हमारी रक्षा करते हैं।
कान्हा से 266 किलोमीटर दूर स्थित नागपुर में निकटतम एयरपोर्ट है। यह इंडियन एयरलाइन्स की नियमित उड़ानों से जुड़ा हुआ है। यहां से बस या टैक्सी के माध्यम से कान्हा पहुंचा जा सकता है।
चीनी बांसुरी को "डी" (笛) कहा जाता है. चीन में डी की कई किस्में हैं जो भिन्न आकार, ढांचे(अनुनाद झिल्ली सहित/रहित) एवं छिद्र संख्या (6 से 11) तथा आलाप(विभिन्न चाबियों में वादन) की हैं. ज़्यादातर बांस की बनी हुई हैं. चीनी बांसुरी की एक खास विशेषता एक छिद्र पर अनुनाद झिल्ली का चढ़ा होना है जो नली के अंदर वायु कॉलम को कंपित करती है. इस बांसुरी से मुखर ध्वनि प्राप्त होती है. आधुनिक चीनी ऑर्केस्ट्रा में साधारणतः पाये जाने वाले बांसुरियों में बंगडी (梆笛),क्यूडी (曲笛),जिन्डी (新笛), डाडी (大笛) आदि शामिल हैं. अनुप्रस्थ या आड़े बजाये जाने वाले बांस को "जियाओ" (簫) कहते हैं जोकि चीन में वायु यंत्र की भिन्न श्रेणी है.
महाजनपद प्राचीन भारत मे राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहते थे । उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है । बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है ।
मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं। घाट में गेरूआ वस्त्र धारण किए साधु-सन्तों को भजन और कीर्तन करते देख बहुत अच्छा महसूस होता है। शाम को होने वाली यहां की आरती मन को काफी सुकून पहुंचाती है।
जब किसी स्वर प्रयोग नहीं हो, तो वहाँ पर 'अ' माना जाता है । स्वर के न होने को हलन्त्‌ अथवा विराम से दर्शाया जाता है । जैसे कि क्‌ ख्‌ ग्‌ घ्‌ ।
प्रधानमंत्री सरकार के प्रकार
राग हंसध्वनि फोप्प्य वोन्क्तय डोन्केय डिच्क्
इन चल रहे प्रयासों ने 1863 में फुटबॉल असोसिएशन/संस्थाओं (The Football Association) के निर्माण में योगदान दिया, जो सबसे पहले 26 अक्टूबर (26 October) 1863 के सुबह में ग्रेट कुईन स्ट्रीट (Great Queen Street) के फ्री मेसन,तवेर्ण लन्दन में आयोजन हुआ.[१०] इस अवसर पर प्रतिनिधित्व करने वाला चार्टर हाउस (Charterhouse) एकमात्र स्कूल था.फ्री मेसन तवेर्ण ने अक्टूबर और दिसम्बर के बीच पॉँच और बैठकों का आयोजन किया जो अंततः पहला नियमों का जत्था बनाया.अन्तिम बैठक में पहला ऍफ़ ऐ कोषाध्यक्ष, ब्लैकहिथ (Blackheath) के प्रतिनिधि ने पिछले बैठक में दो प्रारूप नियमों को हटाने के कारण ऍफ़ ऐ से अपना क्लब वापस ले लिया, पहला जो हाथ में गेंद लेकर दौड़ने की अनुमति तथा दूसरा अनधिकृत प्रवेश, ठोकर मारना तथा पकड़ते हुए दौड़ना में प्रतिबन्ध लगाना अन्य इंग्लिश रग्बी फुटबॉल क्लब ने इस नेतृत्व (English rugby football clubs followed this lead) का पालन किया और ऍफ़ ऐ में सम्मिलित नही हुए, या ऍफ़ ऐ को छोड़ दिया और 1871 में रग्बी फुटबॉल संघ (Rugby Football Union) का गठन किया. शेष के ग्यारह क्लब जो एबेनेज़र कब मोर्ले (Ebenezer Cobb Morley) के तहत थे वे खेल के मूल तेरह नियमों की पुष्टि करने के लिए चले गए.[१०] गेंद को चिन्ह के स्थान से हाथ से फेकने का नियम विक्टोरियन फुटबॉल नियम (Victorian rules football) के समान ही नियम बनाया गया जो उस समय ऑस्ट्रेलिया में विकसित था. शेफिल्ड ऍफ़ ऐ ने 1870 तक अपने नियमों के आधार पर खेलते रहे, ऍफ़ ऐ ने इसके कुछ नियम आत्मसात कर लिए जिससे खेल में थोड़ा ही अन्तर रह गया.
लोक सभा के लिए सामान्‍य चुनाव जब उसकी कार्यवधि समाप्‍त होने वाली हो या उसके भंग किए जाने पर कराए जाते हैं। भारत का प्रत्‍येक नागरिक जो 18 वर्ष का या उससे अधिक हो मतदान का अधिकारी है। लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए कम से कम आयु 25 वर्ष है और राज्‍य सभा के लिए 30 वर्ष।
आज के थाई भू भाग में मानव पिछले कोई १०,००० वर्षों से रह रहें हैं। ख्मेर साम्राज्य के पतन के पहले यहाँ कई राज्य थे - ताई, मलय, ख्मेर इत्यादि। सन् १२३८ में सुखोथाई राज्य की स्थापना हुई जिसे पहले बौद्ध थाई (स्याम) राज्य माना जाता है। लगभग एक सदी बाद अयुत्थया के राज्य ने सुखाथाई के उपर अपनी प्रभुता स्थापित कर ली। सन् १७६७ में अयुत्थया के पतन (बर्मा द्वारा) के बाद थोम्बुरी राजधानी बनी। सन् १७८२ में बैंकॉक में चक्री राजवंश की स्थापना हुई जिसे आधुनिक थाईलैँड का आरंभ माना जाता है। यूरोपीय शक्तियों के साथ हुई लड़ाई में स्याम को कुछ प्रदेश लौटाने पड़े जो आज बर्मा और मलेशिया के अंश हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध में यह जापान का सहयोगी रहा और विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका का। १९९२ में हुई सत्ता पलट में थाईलैंड एक नया संवैधानिक राजतंत्र घोषित कर दिया गया।
आंतरिक मामलों के मंत्री हर राज्य के लिए एक राज्यपाल (सूबेदार) की नियुक्ति करता है । इसके लिए मंत्रीपरिषद का अनुमोदन आवश्यक होता है । हर सूबेदार के पास राज्य की एक अलग निर्वाचित परिषद होती है ।
राष्ट्रपति के प्राधिकरण अधीन चीन की राज्य परिषद है, जो चीन की सरकार है। सरकार के मुखिया वर्तमान में वेन जियाबाओ हैं, जो परिवर्ती उपमन्त्रियों के मन्त्रीमण्डल के मुखिया हैं, जिसमें वर्तमान में चार सदस्य हैं, इसके अतिरिक्त अन्य बहुत से मन्त्रालय भी उनके अधीन हैं। यद्यपि राष्ट्रपति और राज्य परिषद कार्यकारी सभा बनाते हैं लेकिन चीनी जनवादी गणराज्य की सर्वोच्च सत्ता चीनी जनवादी गणराज्य की जनसभा है, जिसे चीनी सन्सद भी कह सकते हैं जिसमें तीन हज़ार प्रतिनिधि हैं, और जो वर्ष में एक बार मिलते हैं।
Hiralal Sen is credited as one of Bengal's, and India's first directors. However, these were all silent films. Hiralal Sen is also credited as one of the pioneers of advertisement films in India. The first Bengali-language movie was the silent feature Billwamangal, produced by the Madan Theatre Company of Calcutta and released on November 8, 1919, only six years after the first full-length Indian feature film, Raja Harish Chandra, was released.[३]
तमिल विकिपीडिया (तमिल: தமிழ் விக்கிபீடியா) विकिपीडिया का तमिल अवतरण है। इसकी स्थापना सितंबर २००३ में हुई थी और १९ अगस्त, २००८ तक इसके लेखो की संख्या १५,०१० थी और ये विकिपीडिया का ६७वाँ सबसे बड़ा संस्करण था। तेलुगु के बाद ये द्रविड़ मूल की दूसरी ऐसी भाषा है जिसपर लेखों की संख्या १०,००० से अधिक है।
बांसुरी की ध्वनि की गुणवत्ता कुछ हद तक उसे बनाने में प्रयुक्त हुये विशेष बांस पर निर्भर करती है एवं यह सामान्यतः स्वीकृत है कि सर्वश्रेष्ठ बांस दक्षिण भारत के नागरकोइल क्षेत्र में पैदा होते हैं.[२५]
ये स्वर आधुनिक हिन्दी (खड़ीबोली) के लिये दिये गये हैं। संस्कृत में इनके उच्चारण थोड़े अलग होते हैं।
श्रीअरविन्द अथवा अरविन्द घोष (बांग्ला: শ্রী অরবিন্দ) (१८७२-१९५०) एक महान योगी एवं दार्शनिक थे । श्रीअरविन्द का जन्म कोलकता में हुआ। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रा संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, पर फिर यह एक योगी बने और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थों पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी।
47. यारोस्लाव
तक्षशिला गांधार देश की राजधानी थी। यों तो गांधार की चर्चा ऋग्वेद से ही मिलती है[तथ्य वांछित] किंतु तक्षशिला की जानकारी सर्वप्रथम वाल्मीकि रामायण से होती है। अयोध्या के राजा रामचंद्र की विजयों के उल्लेख के सिलसिले में हमें यह ज्ञात होता है कि उनके छोटे भाई भरत ने अपने नाना केकयराज अश्वपति के आमंत्रण और उनकी सहायता से गंधर्वो के देश (गांधार) को जीता और अपने दो पुत्रों को वहाँ का शासक नियुक्त किया। गंधर्व देश सिंधु नदी के दोनों किनारे, स्थित था (सिंधोरुभयत: पाश्र्वे देश: परमशोभन:, वा0 रा0, सप्तम, 100-11) और उसके दानों ओर भरत के तक्ष और पुष्कल नामक दोनों पुत्रों ने तक्षशिला और पुष्करावती नामक अपनी-अपनी राजधानियाँ बसाई। (रघु0 पंद्रहवाँ, 88-9; वा0 रा0, सप्तम, 101.10-11; वायुपुराण, 88.190, महा0, प्रथम 3.22)। तक्षशिला सिंधु के पूर्वी तट पर थी। उन रघुवंशी क्षत्रियों के वंशजों ने तक्षशिला पर कितने दिनों तक शासन किया, यह बता सकना कठिन है। महाभारत युद्ध के बाद परीक्षित के वंशजों ने कुछ पीढ़ियों तक वहाँ अधिकार बनाए रखा और जनमेजय ने अपना नागयज्ञ वहीं किया था (महा0, स्वर्गारोहण पर्व, अध्याय 5)। गौतम बुद्ध के समय गांधार के राजा पुक्कुसाति ने मगधराज विंबिसार के यहाँ अपना दूतमंडल भेजा था। छठी शती ई0 पूर्व फारस के शासक कुरुष ने सिंधु प्रदेशों पर आक्रमण किया और बाद में भी उसके कुछ उत्तराधिकारियों ने उसकी नकल की। लगता है, तक्षशिला उनके कब्जे में चली गई और लगभग 200 वर्षों तक उसपर फारस का अधिपत्य रहा। मकदूनिया के आक्रमणकारी विजेता सिकंदर के समय की तक्षशिला की चर्चा करते हुए स्ट्रैबो ने लिखा है (हैमिल्टन और फाकनर का अंग्रेजी अनुवाद, तृतीय, पृष्ट 90) कि वह एक बड़ा नगर था, अच्छी विधियों से शासित था, घनी आबादीवाला था और उपजाऊ भूमि से युक्त था। वहाँ का शासक था बैसिलियस अथवा टैक्सिलिज। उसने सिकंदर से उपहारों के साथ भेंट कर मित्रता कर ली। उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र भी, जिसका नाम आंभी था, सिकंदर का मित्र बना रहा, किंतु थोड़े ही दिनों पश्चात् चंद्रगुप्त मौर्य ने उत्तरी पश्चिमी सीमाक्षेत्रों से सिकंदर के सिपहसालारों को मारकर निकाल दिया और तक्षशिला पर उसका अधिकार हो गया। वह उसके उत्तरापथ प्रंात की राजधानी हो गई और मौर्य राजकुमार मत्रियों की सहायता से वहाँ शासन करने लगे। उसक पुत्र बिंदुसार, पौत्र सुसीम और पपौत्र कुणाल वहाँ बारी-बारी से प्रांतीय शासक नियुक्त किए गये। दिव्या वदान से ज्ञात होता है कि वहॉँ मत्रियों के अत्याचार के कारण कभी कभी विद्रोह भी होते रहे और अशोक (सुसीम के प्रशासकत्व के समय) तथा कुणाल (अशोक के राजा होते) उन विद्रोहों को दबाने के लिये भेजे गए। मौर्य साम्राज्य की अवनति के दिनों में यूनानी बारिव्त्रयों के आक्रमण होने लगे और उनका उस पर अधिकार हो गया तथा दिमित्र (डेमेट्रियस) और यूक्रेटाइड्ंस ने वहाँ शासन किया। फिर पहली शताब्दी ईसवी पूर्व में सीथियों और पहली शती ईसवी में शकों ने बारी बारी से उसमर अधिकर किया। कनिष्क और उसके निकट के वंशजों का उस पर अवश्य अधिकार था। तक्षशिला का उसके बाद का इतिहास कुछ अंधकारपूर्ण है। पाँचवीं शताब्दी में हूणों ने भारत पर जो ध्वंसक आक्रमण किये, उनमें तक्षशिला नगर भी ध्वस्त हो गया। वास्तव में तक्षशिला के विद्याकेंद्र का ह्रास शकों और उनके यूची उत्तराधिकारियों के समय से ही प्रारभं हो गया था। गुप्तों के समय जब फाह्यान वहाँ गया तो उसे वहाँ विद्या के प्रचार का कोई विशेष चिह्न नहीं प्राप्त हो सका था। वह उसे चो-श-शिलो कहता है। (लेगी फाह्यान की यात्राएँ अंग्रजी में, पृष्ठ 32) हूणों के आक्रमण के पश्चात् भारत आने वाले दूसरे चीनी यात्री युवान च्वांड् (सातवीं शताब्दी) को तो वहाँ की पुरानी श्री बिल्कुल ही हत मिली। उस समय वहाँ के बौद्ध भिक्षु दु:खी अवस्था में थे तथा प्राचीन बौद्ध विहार और मठ खंडहर हो चुके थे। असभ्य हूणों की दुर्दांत तलवारों ने भारतीय संस्कृति और विद्या के एक प्रमुख केंद्र को ढाह दिया था।
सप्तपदी में सात कदम बढ़ाते हुए इन सात सूत्रों को हृदयंगम करना पड़ता है । इन आदर्शों और सिद्धान्तों को यदि पति-पत्नी द्वारा अपना लिया जाए और उसी मार्ग पर चलने के लिए कदम से कदम बढ़ाते हुए अग्रसर होने की ठान ली जाए, तो दाम्पत्य जीवन की सफलता में कोई सन्देह ही नहीं रह जाता ।
१८५४ में प्रथम बार जापान ने पश्चिमी देशों के साथ व्यापार संबंध स्थापित किया। अपने बढ़ते औद्योगिक क्षमता के संचालन के लिए जापान को प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ी जिसके लिए उसने १८९४-९५ मे चीन तथा १९०४-०५ में रूस पर चढ़ाई किया। जापान ने रूस-जापान युद्ध में रूस को हरा दिया। यह पहली बार हुआ जब किसी एशियाई राष्ट्र ने किसी यूरोपीय शक्ति पर विजय प्राप्त की थी। जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में धुरी राष्ट्रों का साथ दिया पर १९४५ में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा तथा नागासाकी पर परमाणु बम गिराने के साथ ही जापान ने आत्म समर्पण कर दिया।
1982 - एक और तख्ता पलट के बाद जनरल एरशाद सत्ता में आए. संविधान और राजनैतिक दलों की वैधता समाप्त की गई.
ऑल इंडिया रेडियो भारत की सरकारी रेडियो सेवा है।भारत में रेडियो प्रसारण की शुरूआत 1920 के दशक में हुई। पहला कार्यक्रम 1923 में मुंबई के रेडियो क्‍लब द्वारा प्रसारित किया गया। इसके बाद 1927 में मुंबई और कोलकाता में निजी स्‍वामित्‍व वाले दो ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा की स्‍थापना हुई। सन् 1930 में सरकार ने इन ट्रांसमीटरों को अपने नियंत्रण में ले लिया और भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से उन्‍हें परिचालित करना आरंभ कर दिया। 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा।
मोटा पाठ
हिन्दु धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से कियी था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है।
भारत का संस्कृत साहित्य ऋग्वेद से आरम्भ होता है । व्यास, वाल्मीकि जैसे पौराणिक ऋषियों ने महाभारत एवं रामायण जैसे महाकाव्यों की रचना की । भास, कालिदास एवं अन्य कवियों ने संस्कृत में नाटक लिखे।
इस तरह संविधान एक जीवित शरीर तो है परंतु पूर्ण वर्णन नही है इस वर्णन मे बिना संशोधन लाये परिवर्तन भी नहीं हो सकता है वही पंरपराए संविधान के प्रावधानॉ की तरह वैधानिक नहीं होती वे सरकार के संचालन में स्नेहक का कार्य करते है तथा सरकार का प्रभावी संचालन करने मे सहायक है
भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर है, जनसंख्या में इसका दूसरा स्थान है, और केवल २.४% क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की जनसंख्या के १७% भाग को शरण प्रदान करता है ।
मानव ही रहि मोरद मोद, दमोदर मोहि रही वनमा।माल बनी बल केसबदास, सदा बसकेल बनी बलमा ॥
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देश का अधिकतम भाग कर्क रेखा और भूमध्य रेखा के बीच मे स्थित है। बर्मा एशिया महाद्वीप के मानसून क्षेत्र मे स्थित है, सालाना यहॉ के तटिय क्षेत्रों में ५००० मिलीमीटर, डेल्टा भाग में लगभग २५०० मिलीमीटर और मध्य बर्मा के शुष्क क्षेत्रों में १००० मिलीमीट वर्षा होती है।
प्राचीन मिश्रवासी मिस्र में ना पाए जाने वाले दुर्लभ, विदेशी वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए अपने विदेशी पड़ोसियों के साथ व्यापार करते थे. पूर्व-राजवंशीय काल में, स्वर्ण और इत्र प्राप्त करने के लिए उन्होंने नूबिया के साथ व्यापार स्थापित किया. उन्होंने फिलीस्तीन के साथ भी व्यापार की स्थापना की, जिसका सबूत प्रथम राजवंशीय फैरो की कब्र में पाए गए फिलीस्तीनी शैली के तेल के कटोरे से मिलता है.[९५] दक्षिणी कनान में तैनात मिस्र की एक कॉलोनी का काल प्रथम राजवंश से थोड़ा पहले का है.[९६]नारमेर में कनान में निर्मित मिट्टी के बर्तन हैं और जिन्हें वापस मिस्र को निर्यात किया गया.[९७]
सन् २००० की जनगणना के अनुसार, आगरा की जनसंख्या १,२५९,९७९ है। आगरा की जनसंख्या का ५३% पुरूष और ४७% महिलाएँ हैं। यहाँ की औसत साक्षरता दर ६५% है, जिनमें ७६% पुरुष और ५३% महिलाएँ साक्षर हैं। यह राष्ट्रीय औसत ५९.५% से अधिक है। आगरा की ११% जनसंख्या ६ वर्ष से नीचे के बच्चों की है।
सूत जी द्वारा महाभारत ऋषि मुनियो को सुनाना।
बिरयानी
चीन में इस्लाम धर्म का आगमन ६५१ ईस्वी में हुआ था। मुसलमान चीन में व्यापार करने के लिए आए थे और सोंग राजवंश के दौरान उनका आयात-निर्यात उद्योग पर प्रभुत्व था। वर्तमान में चीन में मुसलमानों की संख्या दो से तीन करोड़ के बीच है जो कुल जनसंख्या का १.५ से २% है।
यह जीव जगत का एक समूह है।
'हरिमोर पिउ, मैं राम की बहुरिया' तो कभी कहते हैं, 'हरि जननी मैं बालक तोरा'।
सड़क मार्ग के जरिए कोयंबटूर बंगलुरु, चेन्नई, एर्नाकुलम, कोट्टायम, पुदुचेरी, रामेश्‍वरम और तिरुवनंतपुरम से जुड़ा हुआ है।
आज भी सन्त रैदास के उपदेश समाज के कल्याण तथा उत्थान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपने आचरण तथा व्यवहार से यह प्रमाणित कर दिया है कि मनुष्य अपने जन्म तथा व्यवसाय के आधार पर महान नहीं होता है। विचारों की श्रेष्ठता, समाज के हित की भावना से प्रेरित कार्य तथा सद्व्यवहार जैसे गुण ही मनुष्य को महान बनाने में सहायक होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण सन्त रैदास को अपने समय के समाज में अत्यधिक सम्मान मिला और इसी कारण आज भी लोग इन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं।
11 एकीकृत न्यायपालिका
एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक राष्ट्र होने के कारण भारत को समय-समय पर साम्प्रदायिक तथा जातीय विद्वेष का शिकार होना पड़ा है। क्षेत्रीय असंतोष तथा विद्रोह भी हालाँकि देश के अलग-अलग हिस्सों में होते रहे हैं, पर इसकी धर्मनिरपेक्षता तथा जनतांत्रिकता, केवल १९७५-७७ को छोड़, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी, अक्षुण्ण रही है।
फरीदाबाद / बल्लबगढ़ में कोई हवाई अड्डा नहीं है आपको नयी दिल्ली इंदिरा गाँधी अंतर राष्ट्रीय हवाई अड्डे आना होगा , वंहा से बस अथवा रेल से आप यंहा पहुँच सकते हैं
समस्त भूमण्डल पचास करोड़ योजन विस्तार वाला है। इसकी ऊंचाई सत्तर सहस्र योजन है। इसके नीचे सात पाताल नगरियां हैं। अतल उनमें से चौथा है।
दतिया भारत के मध्य प्रदेश प्रांत का एक शहर है। ग्वालियर के निकट उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित दतिया मध्य प्रदेश का लोकप्रिय तीर्थस्थल है। दतिया का ओल्ड टाउन चारों ओर से पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें बहुत से महल और गार्डन बने हुए हैं। 17वीं शताब्दी में बना बीर सिंह महल उत्तर भारत के सबसे बेहतरीन इमारतों में माना जाता है। यहां का शक्तिपीठ भारत के श्रेष्ठतम और महत्वपूर्ण शक्तिपीठों में एक है। प्रतिवर्ष यहां बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं को आवागमन लगा रहता है।
ISHVAR KI SHARAN LI.
आगरा जिले में २२ तहसीलें हैं।
भारत मे सूचना प्रौद्योगिकी का विकास पिछ्ले वर्षो मे बडी तेज़ी से हुआ है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र मे भारत मे कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ है । उनमे से प्रमुख है -
यूरोपीय संघ अपने कई प्रशासनिक एवं अन्य इकाइयों द्वारा संचालित होता है, जिनमें मुख्य रूप से काउंसिल आफ यूरोपियन यूनियन, यूरोपियन कमीशन, एवं यूरोपियन पार्लियामेंटसबसे प्रमुख हैं।
Poznań
इन्हें इनके योगदानों के लिए २० मई, १८७० को ऑर्डर ऑफ स्टार ऑफ इंडिया (सी.एस.आई) से सम्मानित किया गया था। बाद में १८७८ में इन्हें ऑर्डर ऑफ इंडियन एम्पायर से भी सम्मानित किया गया। १८८७ में इन्हें नाइट कमांडर ऑफ इंडियन एंपायर घोषित किया गया।
भागदत्त्त के पास शक्ति अस्त्र और वैश्नव अस्त्र जैसे दिव्यास्त्र थे। उसके पुत्र क वध नकुल ने किया।
आयुर्वेद · धनुर्वेदगंधर्ववेद · स्थापत्यवेद
1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ, और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ । हालांकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला । इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था.मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं.
बंगलूरू में काफी संख्या में बस टर्मिनल है। जो कि रेलवे स्टेशन के समीप ही है।
१८ वीं शताब्दी के दौरान स्पेन के उपनिवेशों में "स्पेनी डॉलर" नाम की मुद्रा प्रचलन थी और उस दौरान ये मुद्रा अमेरिका में भी वित्त और वाणिज्य की रीढ़ थी। "स्पेनी डॉलर" के कारण ही बाद में अमेरिका की राष्ट्रीय मुद्रा का नाम डॉलर पड़ा। सन १७७५ की अमेरिकी क्रान्ति के दौरान तो "स्पेनी मुद्रा" के सिक्को का महत्त्व और बढ़ गया और क्रांतिकारियों की मांग थी की प्रत्येक उपनिवेश की अपनी अधिकृत मुद्रा हो जिसे कॉनटिनेंटल कांग्रेस का भी समर्थन प्राप्त हो। डॉलर शब्द यद्यपि अमेरिकी क्रान्ति के २०० वर्ष पूर्व से अंग्रेजी भाषा में कठबोली के रूप में प्रचलन में था जिसका शेक्सपियर के कई नाटकों में उल्लेख था। तेरह उपनिवेशों में "स्पेनी डॉलर" संचलन में था, जो बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका बना। वर्जिनिया में भी "स्पेनी डॉलर" को कानूनी निविदा के रूप में मान्यता प्राप्त थी।
तुला या तराजू (balance) , द्रव्यमान मापने का उपकरण है। भार की सदृशता का ज्ञान करानेवाले उपकरण को तुला कहते हैं। महत्वपूर्ण व्यापारिक उपकरण के रूप में इसका व्यवहार प्रागैतिहासिक सिंध में ईo पूo तीन सहस्राब्दी के पहले से ही प्रचलित था। प्राचीन तुला के जो भी उदाहरण यहाँ से मिलते हैं उनसे यही ज्ञात होता है कि उस समय तुला का उपयोग कीमती वस्तुओं के तौलने ही में होता था। पलड़े प्राय: दो होते थे, जिनमें तीन छेद बनाकर आज ही की तरह डोरियाँ निकाल कर डंडी से बाध दिए जाते थे। जिस डंडी में पलड़े झुलाए जाते थे वह काँसे की होती थी तथा पलड़े प्राय: ताँबे के होते थे।
राजशाही बांग्लादेश का एक उपक्षेत्र है इसका मुख्यालय राजशाही है। इस उपक्षेत्र या प्रान्त में १६ जिले हैं। बोगरा, दीनाजपुर, गाईबांधा, जयपुरहट, कुरीग्राम, लालमुनीरहाट, नौगाँव, नटोरे, नवाबगंज, नीलफामरी, पबना, पंचगढ़, राजशाही, रनपुर, सिराजगंज, ठाकुरगाँव।
3 मंत्रिपरिषद के सद्स्य संसद के सद्स्यों से लिए जायेंगे
गाँवों में प्रबंध करने के लिए एक मुखिया या मयिची रहता है। सड़कों पर यात्रियों के विश्राम करने के लिए आवास बने हुए हैं।
Well-known places in Panaji are the 18th June Road (a busy thoroughfare in the heart of town and a shopping area for tourists and locals), Mala area, Miramar beach and the Kala Academy cultural centre known for its structure built by architect Charles Correa . खैर पणजी में स्थानों ज्ञात ने 18 जून रोड शहर के दिल में (एक व्यस्त गुज़रगाह और पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए एक शॉपिंग क्षेत्र), माला क्षेत्र, Miramar बीच और कला अकादमी सांस्कृतिक केन्द्र इसकी संरचना द्वारा वास्तुकार चार्ल्स कोरिया का निर्माण करने के लिए जाने जाते हैं . Kala Academy in Panaji is a place where Goa showcases its culture and art. कला अकादमी पणजी में एक जगह है जहाँ गोवा showcases अपनी संस्कृति और कला.
चर्खे का सहारा ताग को सही करने तथा बिनने की प्रक्रिया सुगम बनाने के लिए किया जाता है। जब तक तागा (धागा) करघे के पास बिनने के लिए न आ जाए। ताग के अलावा जड़ी के ताग को भी चरखे पर ही ठीक किया जाता है। परम्परागत चर्खा लकड़ी तथा बांस की फड़ी (पट्टी) से बना होता है। हालांकि आजकल साईकिल का पिछला चक्का, चेन, तथा गीयर को भी चरखा बनाकर उससे चरखे का काम लिया जाता है। इसके सम्बन्ध में बिनकरों का कहना है कि एक तो साईकिल वाला मजबूत होता है जिससे यह ज्यादा दिन तक चलता है, दूसरा, चूंकि इसका पहिया चेन तथा गीयर से लगा होता है अतः यह लकड़ी वाले चर्खा की तुलना में ज्यादा गतिशील हो जाता है जिससे कम समय में ज्यादा से ज्यादा ताग लपेटा जाता है।
यह व्यापक रूप से कैंसर के साथ सही साबित नहीं हुआ है, और व्यापक रूप से विटामिन अनुपूरण कैंसर की रोकथाम में प्रभावी नहीं साबित नहीं हुआ है.
जोशीमठ से साहसिक पथिकों की कई चढ़ाइयां हैं। इनमें फूलों की घाटी की चढ़ाई सर्वाधिक सुंदर, पर दुर्गम है। अन्य चढ़ाइयों में नंदप्रयाग का कुआरी पास, जिसे कर्जन का पथ भी कहते हैं, शामिल हैं। अंतिम पर किसी से कम नहीं, नंदा देवी पक्षी विहार की चढ़ाई है जो जोशीमठ-बद्रीनाथ-लाटा गांव-लाटा खड़क, धारांस पास-दबरूघेटा-हितोली शिविर स्थल-जोशीमठ है।
शहर में वर्षा कम होती हैं, वार्षिक वृष्टि करिब 250 मिलिमीटर है जिस का अधिकतम हिस्सा मनसून में होता है। कराची में गृष्मकाल अप्रैल से अगस्त तक होता हैं और इस दौरान वायु में सापेक्षिक आद्रता ज़्यादा रहता है। नवंबर से फरवरी शहर में सर्दी का मौसम माना जाता है। दिसंबर और जनवरी शहर में सब से ज़्यादा आरामदेह मौसम के महीने हैं और इस वजह से शहर में इन ही दिनों में सब से इस नगर में ज़्यादा पर्यटक जाते है।
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१८ वीं शताब्दी के दौरान स्पेन के उपनिवेशों में "स्पेनी डॉलर" नाम की मुद्रा प्रचलन थी और उस दौरान ये मुद्रा अमेरिका में भी वित्त और वाणिज्य की रीढ़ थी। "स्पेनी डॉलर" के कारण ही बाद में अमेरिका की राष्ट्रीय मुद्रा का नाम डॉलर पड़ा। सन १७७५ की अमेरिकी क्रान्ति के दौरान तो "स्पेनी मुद्रा" के सिक्को का महत्त्व और बढ़ गया और क्रांतिकारियों की मांग थी की प्रत्येक उपनिवेश की अपनी अधिकृत मुद्रा हो जिसे कॉनटिनेंटल कांग्रेस का भी समर्थन प्राप्त हो। डॉलर शब्द यद्यपि अमेरिकी क्रान्ति के २०० वर्ष पूर्व से अंग्रेजी भाषा में कठबोली के रूप में प्रचलन में था जिसका शेक्सपियर के कई नाटकों में उल्लेख था। तेरह उपनिवेशों में "स्पेनी डॉलर" संचलन में था, जो बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका बना। वर्जिनिया में भी "स्पेनी डॉलर" को कानूनी निविदा के रूप में मान्यता प्राप्त थी।
20वीं सदी में गर्भाशय-ग्रीवा नासूर पूर्वगामी घावों का नामकरण और वर्गीकरण कई बार बदला है. विश्व स्वास्थ्य संगठन वर्गीकरण[६][७] प्रणाली में घावों का विवरणात्मक ढंग से हल्का, मध्यम या गंभीर दुर्विकसन या स्वस्थानी नासूर (CIS) नामकरण किया गया है. गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली (CIN) शब्द का विकास, इन घावों में असामान्यता की श्रृंखला पर जोर देने और उपचार के मानकीकरण में मदद के लिए किया गया.[७] यह हल्के दुर्विकास को CIN1, मध्यम दुर्विकास को CIN2, और गंभीर दुर्विकास और CIS को CIN3 के रूप में वर्गीकृत करता है. सबसे हाल ही का वर्गीकरण बेथेस्डा प्रणाली है, जो सभी गर्भाशय-ग्रीवा उपकला पूर्वगामी घावों को 2 समूहों में बांटता है: निम्न कोटि का घातक अंतःउपकला घाव (LSIL) और उच्च कोटि का घातक अंतःउपकला घाव (HSIL). LSIL, CIN1 के अनुरूप है, और HSIL में CIN2 और CIN3 शामिल हैं.[७] हाल ही में, CIN2 और CIN3 को CIN2/3 में सम्मिलित किया गया है.
ऐसा माना जाता है कि सन १००० ईसापूर्व से पहले महाराष्ट्र में खेती होती थी लेकिन उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन आया और कृषि रुक गई थी । सन् ५०० इसापूर्व के आसपास बम्बई (प्राचीन नाम शुर्पारक, सोपर) एक महत्वपूर्ण पत्तन बनकर उभरा था । यह सोपर ओल्ड टेस्टामेंट का ओफिर था या नहीं इस पर विद्वानों में विवाद है । प्राचीन १६ महाजनपदमहाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास है । सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुम्बई के निकट पाए गए हैं ।
Janowiec
Tripura: D. N. SahayUttar Pradesh: T. V. RajeswarUttarakhand: Banwari Lal JoshiWest Bengal: Gopalkrishna Gandhi
तपलोक से बारह करोड़ योजन ऊपर सत्यलोक है। जन, तप और सत्य लोक – तीनों अकृतक लोक कहलाते हैं। महर्लोक कृतक और अकृतक लोकों के मध्य में है, और कल्पान्त में यह केवल जनशून्य हो जाता है, नष्ट नहीं होता है। इसलिये इसे कृतकाकृतक लोक कहते हैं।
१. पुष्यमित्र से युद्ध- भीतरी अभिलेख से ज्ञात होता है कि कुमारगुप्त के शासनकाल के अन्तिम क्षण में शान्ति नहीं थी । इस काल में पुष्यमित्र ने गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किया । इस युद्ध का संचालन कुमारगुप्त के पुत्र स्कन्दगुप्त ने किया था । उसने पुष्यमित्र को युद्ध में परास्त किया ।
वेल्श खिलाड़ी इंग्लैंड के लिए खेलने के लिए पात्र हैं, यह इंग्लैंड और वेल्स की टीम के बीच प्रभावी है. वेस्ट इंडीज टीम में कई राज्यों के खिलाड़ी हैं, कैरेबियन, विशेषकर बारबाडोस, गुयाना, जमैका, त्रिनिडाड और टोबैगोसे और लीवर्ड द्वीप और विंड वार्ड द्वीप से खिलाड़ी इसमें शामिल हैं.
सूर्य गतिशीलता, तेजस्विता प्रकाश एवं ऊष्णता का प्रतीक है । उसकी किरणें इस संसार में जीवन संचार करती है । बालक में भी इन गुणों का विकास होना चाहिए । सूर्य निरन्तर चलता रहता है, उसे विश्राम का अवकाश नहीं, अपने र्कत्तव्य से एक क्षण के लिए भी विमुख नहीं होता । न बहुत जल्दबाजी, उतावली करता है और न थककर शिथिलता, उदासीनता, उपेक्षा बरतता है । जो र्कत्तव्य निर्धारित कर लिया, उस पर पूर्ण दृढ़ता एवं समस्वरता के साथ चलता रहता है । मनुष्य की क्रिया पद्धति भी यही होनी चाहिए । जो पक्ष चुन लिया, जो कार्यक्रम अपना लिया, उसमें न तो शिथिलता बरतनी चाहिए और न ही अधीर होकर उतावली, जल्दी करनी चाहिए । धैर्य,स्थिरता और दृढ़ निश्चय के साथ निरन्तर आगे चलते रहना है । सूर्यदर्शन के साथ बालक को यह प्रेरण दी जाती है कि उसे भावी जीवन में आलसी, ढीला-पोला या अनियमित नहीं बनना है । नियमितता, लगन, परिश्रम के द्वारा ही वह कुछ कर सकेगा, इसलिए सूर्य को वह देखे और उसकी रीति-नीति का अनुसरण करे । अभिभावक शिशु के मन-मस्तिष्क के पूर्ण विकास के लिए उत्तम प्रेरणाएँ एवं साधन प्रदान करते रहें ।
अफ़्गानिस्तान इस्लामिक गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है । प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है।
सामानी साम्राज्य मध्य एशिया तथा ख़ोरासान का एक मध्यकालीन (819-999) साम्राज्य था जिसकी राजधानी बुखारा एक समय इस्लाम की राजधानी बग़दाद की बराबरी करता था । इसके शासक सुन्नी मुसलमान थे जो जरदोश्त के धर्म से परिवर्तित होकर मुस्लिम बने थे । यह फ़ारस के केन्द्रीय सासानी साम्राज्य के अरबों द्वारा फ़तह के बाद एक प्रमुख राज्य था जो इस्लाम का दूसरा केन्द्र भी माना जाता था । ध्यातव्य है कि बुखारा, यानि सुन्नी सामानी और अरब दुनिया (सुन्नी) के मध्य केन्द्रीय ईरान के लोग शिया हैं (और थे) ।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (अंग्रेज़ी:DRDO, डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है। यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में काम करता है। इस संस्थान की स्थापना १९५८ में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी। वर्तमान में संस्थान की अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में रत हैं। पाँच हजार से अधिक वैज्ञानिक और पच्चीस हजार से भी अधिक तकनीकी कर्मचारी इस संस्था के संसाधन हैं। यहां राडार, प्रक्षेपास्त्र इत्यादि से संबंधित कई बड़ी परियोजनाएँ चल रही हैं।
मुंबई का छत्रपति शिवाजी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (पूर्व सहर अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र) दक्षिण एशिया का व्यस्ततम हवाई अड्डा है।[३८]जूहू विमानक्षेत्र भारत का प्रथम विमानक्षेत्र है, जिसमें फ्लाइंग क्लब व एक हैलीपोर्ट भी हैं। प्रस्तावित नवी मुंबई अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, जो कोपरा-पन्वेल क्षेत्र में बनना है, को सरकार की मंजूरी मिल चुकी है, पूरा होने पर, वर्तमान हवाई अड्डे का भार काफी हद तक कम कर देगा। मुंबई में देश के 25% अन्तर्देशीय व 38% अन्तर्राष्ट्रीय यात्री यातायात सम्पन्न होता है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण, मुंबई में विश्व के सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक पत्तन उपलब्ध हैं। यहां से ही देश के यात्री व कार्गो का 50% आवागमन होता है।[५] यह भारतीय नौसेना का एक महत्वपूर्ण बेस भी है, क्योंकि यहां पश्चिमी नौसैनिक कमान भी स्थित है। [३९] फैरी भी द्वीपों आदि के लिए उपलब्ध हैं, जो कि द्वीपों व तटीय स्थलों पर जाने का एक सस्ता जरिया हैं।
संप्रति भारत में दशमलवीय मानपद्धति प्रचलित है जिसकी रूपरेखा इस प्रकार है --
गांधी जी को इस प्रकार की दुर्नीति पसंद नहीं थी। दक्षिण अफ्रीका में उनके आंदोलन की कार्यपद्धति बिल्कुल भिन्न थी उनका सारा दर्शन ही भिन्न था अत: अपनी युद्धनीति के लिए उनको नए शब्द की आवश्यकता महसूस हुई। सही शब्द प्राप्त करने के लिए उन्होंने एक प्रतियोगिता की जिसमें स्वर्गीय मगनलाल गांधी ने एक शब्द सुझाया "सदाग्रह' जिसमें थोड़ा परिवर्तन करके गांधी जी ने "सत्याग्रह' शब्द स्वीकार किया। अमरीका के दार्शनिक थोरो ने जिस सिविल डिसओबिडियेन्स (सविनय अवज्ञा) की टेकनिक का वर्णन किया है, "सत्याग्रह' शब्द उस प्रक्रिया से मिलता जुलता था।
यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अतिप्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ् सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सास्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी।[४] यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ नें दिल्ली में ही एक चहारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो१६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही।
इनमे कर्मकाण्ड के कई यज्ञों का विवरण हैः
मोहन जोदड़ो का अब तक का सबसे प्रसिद्ध स्थल है विशाल सार्वजनिक स्नानागार, जिसका जलाशय दुर्ग के टीले में है। यह ईंटो के स्थापत्य का एक सुन्दर उदाहरण है। यब 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा है। दोनो सिरों पर तल तक जाने की सीढ़ियां लगी हैं। बगल में कपड़े बदलने के कमरे हैं। स्नानागार का फर्श पकी ईंटों का बना है। पास के कमरे में एक बड़ा सा कुंआ है जिसका पानी निकाल कर होज़ में डाला जाता था। हौज़ के कोने में एक निर्गम (Outlet) है जिससे पानी बहकर नाले में जाता था। ऐसा माना जाता है कि यह विशाल स्नानागर धर्मानुष्ठान सम्बंधी स्नान के लिए बना होगा जो भारत में पारंपरिक रूप से धार्मिक कार्यों के लिए आवश्यक रहा है। मोहन जोदड़ो की सबसे बड़ा संरचना है - अनाज रखने का कोठार, जो 45.71 मीटर लंबा और 15.23 मीटर चौड़ा है। हड़प्पा के दुर्ग में छः कोठार मिले हैं जो ईंटों के चबूतरे पर दो पांतों में खड़े हैं। हर एक कोठार 15.23 मी. लंबा तथा 6.09 मी. चौड़ा है और नदी के किनारे से कुछेक मीटर की दूरी पर है। इन बारह इकाईयों का तलक्षेत्र लगभग 838.125 वर्ग मी. है जो लगभग उतना ही होता है जितना मोहन जोदड़ो के कोठार का। हड़प्पा के कोठारों के दक्षिण में खुला फर्श है और इसपर दो कतारों में ईंट के वृत्ताकार चबूतरे बने हुए हैं। फर्श की दरारों में गेहूँ और जौ के दाने मिले हैं। इससे प्रतीत होता है कि इन चबूतरों पर फ़सल की दवनी होती थी। हड़प्पा में दो कमरों वाले बैरक भी मिले हैं जो शायद मजदूरों के रहने के लिए बने थे। कालीबंगां में भी नगर के दक्षिण भाग में ईंटों के चबूतरे बने हैं जो शायद कोठारों के लिए बने होंगे। इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि कोठार हड़प्पा संस्कृति के अभिन्न अंग थे।
ज्ञानमार्गी शाखा के कवियों में विचार की प्रधानता है तो सूफियों की रचनाओं में प्रेम का एकांतिक रूप व्यक्त हुआ है। सगुण धारा के कवियों ने विचारात्मक शुष्कता और प्रेम की एकांगिता दूरकर जीवन के सहज उल्लासमय और व्यापक रूप की प्रतिष्ठा की। कृष्णभक्तिशाखा के कवियों ने आनंदस्वरूप लीलापुरुषोत्तम कृष्ण के मधुर रूप की प्रतिष्ठा कर जीवन के प्रति गहन राग को स्फूर्त किया। इन कवियों में सूरसागर के रचयिता महाकवि सूरदास श्रेष्ठतम हैं जिन्होंने कृष्ण के मधुर व्यक्तित्व का अनेक मार्मिक रूपों में साक्षात्कार किया। ये प्रेम और सौंदर्य के निसर्गसिद्ध गायक हैं। कृष्ण के बालरूप की जैसी विमोहक, सजीव और बहुविध कल्पना इन्होंने की है वह अपना सानी नहीं रखती। कृष्ण और गोपियों के स्वच्छंद प्रेमप्रसंगों द्वारा सूर ने मानवीय राग का बड़ा ही निश्छल और सहज रूप उद्घाटित किया है। यह प्रेम अपने सहज परिवेश में सहयोगी भाववृत्तियों से संपृक्त होकर विशेष अर्थवान्‌ हो गया है। कृष्ण के प्रति उनका संबंध मुख्यत: सख्यभाव का है। आराध्य के प्रति उनका सहज समर्पण भावना की गहरी से गहरी भूमिकाओं को स्पर्श करनेवाला है। सूरदास वल्लभाचार्य के शिष्य थे। वल्लभ के पुत्र बिट्ठलनाथ ने कृष्णलीलागान के लिए अष्टछाप के नाम से आठ कवियों का निर्वाचन किया था। सूरदास इस मंडल के सर्वोत्कृष्ट कवि हैं। अन्य विशिष्ट कवि नंददास और परमानंददास हैं। नंददास की कलाचेतना अपेक्षाकृत विशेष मुखर है।
वर्तमान संदर्भ
वृहत कक्ष: गुफा सं०1
हिन्दी लेखक
अकबर ने यह महसूस किया कि सभी धर्मों का एक ही उद्देश्य है। अतः उसने सर्वधर्म समन्वय अर्थात सब धर्मों की अच्छी बातें लेने का मार्ग पकड़ा। इसी को उसने 'सुलह कुल' कहा। इस तरह सब धर्मों की अच्छी बातों को लेकर उसने दीन-ए-इलाही चलाया।
2.बैंकिग सेवा नियोजन संशोधन एक्ट 1978
ऐतिहासिक साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि १६वीं तथा १७वीं शताब्दी तक गंगा-यमुना प्रदेश घने वनों से ढका हुआ था। इन वनों में जंगली हाथी, भैंस, गेंडा, शेर, बाघ तथा गवल का शिकार होता था। गंगा का तटवर्ती क्षेत्र अपने शांत व अनुकूल पर्यावरण के कारण रंग-बिरंगे पक्षियों का संसार अपने आंचल में संजोए हुए है। इसमें मछलियों की १४० प्रजातियाँ, ३५ सरीसृप तथा इसके तट पर ४२ स्तनधारी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।[१४] यहाँ की उत्कृष्ट पारिस्थितिकी संरचना में कई प्रजाति के वन्य जीवों जैसे नीलगाय, सांभर, खरगोश, नेवला, चिंकारा के साथ सरीसृप-वर्ग के जीव-जन्तुओं को भी आश्रय मिला हुआ है। इस इलाके में ऐसे कई जीव-जन्तुओं की प्रजातियाँ हैं जो दुर्लभ होने के कारण संरक्षित घोषित की जा चुकी हैं। गंगा के पर्वतीय किनारों पर लंगूर, लाल बंदर, भूरे भालू, लोमड़ी, चीते, बर्फीले चीते, हिरण, भौंकने वाले हिरण, सांभर, कस्तूरी मृग, सेरो, बरड़ मृग, साही, तहर आदि काफ़ी संख्या में मिलते हैं। विभिन्न रंगों की तितलियां तथा कीट भी यहाँ पाए जाते हैं।[१५] बढ़ती हुई जनसंख्या के दबाव में धीरे-धीरे वनों का लोप होने लगा है और गंगा की घाटी में सर्वत्र कृषि होती है फिर भी गंगा के मैदानी भाग में हिरण, जंगली सूअर, जंगली बिल्लियाँ, भेड़िया, गीदड़, लोमड़ी की अनेक प्रजातियाँ काफी संख्या में पाए जाते हैं। डालफिन की दो प्रजातियाँ गंगा में पाई जाती हैं। जिन्हें गंगा डालफिन और इरावदी डालफिन के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा गंगा में पाई जाने वाले शार्क की वजह से भी गंगा की प्रसिद्धि है जिसमें बहते हुये पानी में पाई जानेवाली शार्क के कारण विश्व के वैज्ञानिकों की काफी रुचि है। इस नदी और बंगाल की खाड़ी के मिलन स्थल पर बनने वाले मुहाने को सुंदरवन के नाम से जाना जाता है जो विश्व की बहुत-सी प्रसिद्ध वनस्पतियों और प्रसिद्ध बंगाल टाईगर का गृहक्षेत्र है।[१६]
ग्रीष्म: गर्मियों में तापमान ४४°से. तक जा सकता है। आमतौर पर तापमान 35°से. से ४२°से. के बीच रहता है। शरद: शरद ऋतु में तापमान ३६° से. तक जा सकता है। आमतौर पर तापमान १६° व २७° के बीच रहता है, न्यूनतम तापमान १३° से. के आसपास रहता है शीत: सर्दियों (नवंबर से फ़रवरी) में तापमान (अधिकतम) ७° से. से १५° से व (न्यूनतम) -२° से. से ५° से. के बीच रहता है। वसंत: वसंत में तापमान (अधिकतम) १६° से. व २५° से. और (न्यूनतम) ९° से. व १८° से. के बीच रहता है।
फारस की खाड़ी के 1990 के युद्ध का शहर पर बड़ा प्रभाव पड़ा . जमाकर्ताओं ने क्षेत्र में अनिश्चित राजनीतिक परिस्थितियों के कारण दुबई के बैंकों से भारी मात्रा में पूँजी वापस ले ली . बाद में 1990 के दशक में कई विदेशी व्यापारिक समुदाय - पहली बार कुवैत से फारस की खाड़ी युद्ध के दौरान और बाद में बहरीन से शिया अशांति के दौरान - ने अपने व्यापार को दुबई में स्थानांतरित कर दिया .[१८] दुबई ने फारस की खाड़ी युद्ध के दौरान और बाद में 2003 इराक आक्रमण के दौरान सेना संबद्ध को जेबेल अली फ्री ज़ोन को ईंधन आधार के लिए इस्तेमाल करने दिया . फारस की खाड़ी के युद्ध के बाद बढ़ी हुई तेल की कीमतों ने दुबई को मुक्त व्यापार और पर्यटन पर ध्यान देना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया .[२६]
यहूदियों की आसन्न आहुति को लेकर गाँधी के बयान ने कई टीकाकारों की आलोचना को आकर्षित किया.[७०]मार्टिन बूबर (Martin Buber), जो की स्वयं यहूदी राज्य के एक विरोधी हैं ने गाँधी को २४ फरवरी, १९३९ को एक तीक्ष्ण आलोचनात्मक पत्र लिखा. बूबर ने दृढ़ता के साथ कहा कि अंग्रेजों द्वारा भारतीय लोगों के साथ जो व्यवहार किया गया वह नाजियों द्वारा यहूदियों के साथ किए गए व्यवहार से भिन्न है, इसके अलावा जब भारतीय उत्पीडन के शिकार थे, गाँधी ने कुछ अवसरों पर बल के प्रयोग का समर्थन किया.[७१]
अपने वनवास काल के मध्य "राम" वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में भी गये थे।
सूफी संगीत के विकास में भारतीय योग अभ्यास का काफी प्रभाव है, जहाँ वे दोनों शारीरिक मुद्राओं(आसन)और श्वास नियंत्रण (प्राणायाम) को अनुकूलित किया है.[७५]11 वीं शताब्दी के प्राचीन समय में प्राचीन भारतीय योग पाठ,अमृतकुंड,("अमृत का कुंड")का अरबी और फारसी भाषाओं में अनुवाद किया गया था. [७६]
बहुत से पुराणों में कैकेय वासियों को गंधर्व, यवन, शक, परद, बाह्लीक, कंबोज, दरदास, बर्बर, चीनी, तुषार, पहलव आदि की गिनती में जोड़ा गया है। इन्हें इदीच्य के लोग कहा गया है। उदीच्य यानि उत्तरपथ की उत्तरी मंडल।[३]। केकैय ने वर्तमान झेलम, शाहपुर और गुजरात (पाकिस्तान) के क्षेत्रों में निवास किया था। [४]
रवींद्रानाथ ठाकुर के सबसे बड़े भाई द्विजेंद्रनाथ ठाकुर (1840-1926) कवि, संगीतज्ञ तथा दर्शनशास्त्री थे। उनकी प्रसिद्ध रचना "स्वप्नप्रयाण" है। रवींद्रनाथ के एक और बड़े भाई ज्योतींद्रनाथ ठाकुर थे। उनके लिखे चार नाटक बड़े लोकप्रिय थे - पुरुविक्रम, सरोजिनी, आशुमती तथा स्वप्नमयी। उन्होंने फ्रेंच भाषा, अंग्रेजी तथा मराठी से भी कई ग्रंथों का अनुवाद किया।
श्वसन में उपयोग आने वाला खाद्यपदार्थ जब प्रोटीन होता है तब श्वसन-गुणांक का मान ०.४ से ०.९ तक हो सकता है। यदि हमें RQ का मान ज्ञात हो तो इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि श्वसन की क्रिया में किस प्रकार के खाद्यपदार्थ का उपचयन हो रहा है।[१७]
साँचा:Sourcesstart
चारों द्राविड भाषाओं की अपनी पृथक-पृथक लिपियाँ हैं। डॉ.एम.एच. कृष्ण के अनुसार इन चारों लिपियों का विकास प्राचीन अंशकालीन ब्राह्मी लिपि की दक्षिणी शाखा से हुआ है। बनावट की दृष्टि से कन्नड और तेलुगु में तथा तमिल और मलयालम में साम्य है। 13वीं शताब्दी के पूर्व लिखे गए तेलुगु शिलालेखों के आधार पर यह बताया जाता है कि प्राचीन काल में तेलुगु और कन्नड की लिपियाँ एक ही थी। वर्तमान कन्नड की लिपि बनावट की दृष्टि से देवनागरी लिपि से भिन्न दिखाई देती हैं, किंतु दोनों के ध्वनिसमूह में अधिक अंतर नहीं है। अंतर इतना ही है कि कन्नड में स्वरों के अतंर्गत "ए" और "ओ" के ह्रस्व रूप तथा व्यंजनों के अंतर्गत वत्स्य "ल" के साथ-साथ मूर्धन्य "ल" वर्ण भी पाए जाते हैं। प्राचीन कन्नड में "र" और "ळ" प्रत्येक के एक-एक मूर्धन्य रूप का प्रचलन था, किंतु आधुनिक कन्नड में इन दोनों वर्णो का प्रयोग लुप्त हो गया है। बाकी ध्वनिसमूह संस्कृत के समान है। कन्नड की वर्णमाला में कुल 47 वर्ण हैं। आजकल इनकी संख्या बावन तक बढ़ा दी गई है।
सहारनपुर का काष्ठ शिल्प, वाराणसी की साड़ियाँ तथा रेशम व ज़री का काम, लखनऊ का कपड़ों पर चिकन की कढ़ाई का काम, रामपुर का पैचवर्क, मुरादाबाद के पीतल के बरतन आदि
विस्तारः स्थावरह स्थाणुः प्रमाणं बीजमव्ययम ।
तापमान: गर्मी में ४५ से २९ सेल्सिअस सर्दी में २७ से १० सेल्सिअस वर्षा लगभग १२० से मी (जुलाई से सितम्बर)
ज़्यादातर सामाजिक विज्ञान और निगमनात्मक प्रणालियों को विज्ञान नहीं माना जाता।
पहली शताब्दी के आस-पास, कॉप्टिक वर्णमाला को बोलचाल की भाषा की लिपि के साथ प्रयोग किया जाने लगा. कॉप्टिक एक संशोधित ग्रीक वर्णमाला है जिसमें कुछ बोलचाल की भाषा के प्रतीकों को शामिल किया गया है.[११३] हालांकि औपचारिक चित्रलिपि का इस्तेमाल समारोही भूमिका में चौथी शताब्दी तक होता रहा है, जिसके अंत तक सिर्फ चंद पुजारी इसे पढ़ सकते थे. जब पारंपरिक धार्मिक प्रतिष्ठानों को भंग कर दिया गया तो चित्रलिपि लेखन का ज्ञान ज्यादातर खो गया. इन्हें समझने के प्रयास बाईज़ान्टिन[११४] और मिस्र[११५] में इस्लामी काल तक होते रहे, पर सिर्फ 1822 में, रोसेट्टा पत्थर की खोज और थॉमस यंग और जीन फ़्रेक्वोइस चंपोलियन के वर्षों के अनुसंधान के बाद चित्रलिपि को लगभग पूरी तरह से समझा जा सका.[११६]
बार्न्स | ईस्ट शीन | ईस्ट ट्विकनहम | हैम | हैम्पटन | हैम्पटन हिल और फ़ुलवेल | हैम्पटन विक | क्यू | मोर्टलेक | नॉर्थ शीन | पीटरशम | रिचमंड | सेंट मार्गरेट्स | स्ट्रॉबेरी हिल | टेडिंगटन | ट्विकनहम | ह्विटन
जनकपुर मौसी का घर
हो सकता है लोग शाकाहार चुने क्योंकि वे एक शाकाहारी रहे हों या फिर एक शाकाहारी साथी, परिवार के सदस्य या मित्र होने के कारण वे शाकाहार चुनें.
डॉ. साराभाई एक स्वप्नद्रष्टा थे और उनमें कठोर परिश्रम की असाधारण क्षमता थी । फ्रांसीसी भौतिक वैज्ञानिक पीएरे क्यूरी (1859-1906) जिन्होंने अपनी पत्नी मैरी क्यूरी (1867-1934) के साथ मिलकर पोलोनियम और रेडियम का आविष्कार किया था, के अनुसार डॉ. साराभाई का उद्देश्य जीवन को स्वप्न बनाना और उस स्वप्न को वास्तविक रूप देना था । इसके अलावा डॉ. साराभाई ने अन्य अनेक लोगों को स्वप्न देखना और उस स्वप्न को वास्तविक बनाने के लिए काम करना सिखाया । भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सफलता इसका प्रमाण है ।
विश्व व्यापार संगठन (अंग्रेज़ी:वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यू टी ओ)) विश्व की सबसे प्रमुख मौद्रिक संस्था है जो विश्व व्यापार के लिये दिशा निर्देशों को जारी करती है और सदस्य देशों को जरुरत के मुताबिक ॠण उपलब्ध कराती है। यह नए व्यापार समझौतों में बदलाव और उन्हें लागू कराने का उत्तरदायी है। भारत भी इसका एक सदस्य देश है।
यहां के आवासीय इलाकों में सिस-गोमती क्षेत्र में राजाजीपुरम, कृष्णानगर, आलमबाग, दिलखुशा, आर.डी.एस.ओ.कालोनी, चारबाग, ऐशबाग, हुसैनगंज, लालबाग, राजेंद्रनगर, मालवीय नगर, सरोजिनीनगर, हैदरगंज, ठाकुरगंज एवं सआदतगंज आदि क्षेत्र हैं। ट्रांस-गोमती क्षेत्र में गोमतीनगर, इंदिरानगर, महानगर, अलीगंज, डालीगंज, नीलमत्था कैन्ट, विकासनगर, खुर्रमनगर, जानकीपुरम एवं साउथ-सिटी (रायबरेली रोड पर) आवासीय क्षेत्र हैं।
‍# साबूदाने या चावल की खीर तैयार रखी जाए । जहाँ तक सम्भव हो सके, इसके लिए गाय का दूध प्रयोग करें । खीर गाढ़ी हो । तैयार हो जाने पर निर्धारित क्रम में मङ्गलाचरण, षट्कर्म, सङ्कल्प, यज्ञोपवीत परिवर्तन, कलावा-तिलक एवं रक्षाविधान तक का यज्ञीय क्रम पूरा करके नीचे लिखे क्रम से पुंसवन संस्कार के विशेष कर्मकाण्ड कराएँ ।
मुख्य मढ़ी (भवन) एक २०-फुट (६.१ मी.) ऊंची दीवार से घिरा हुआ है तथा दूसरी दीवार मुख्य मंदिर को घेरती है। एक भव्य सोलह किनारों वाला एकाश्म स्तंभ, मुख्य द्वार के ठीक सामने स्थित है। इसका द्वार दो सिंहों द्वारा रक्षित हैं।[१४]
Coordinates: 36°16′″N, 59°38′″E मशहद (फ़ारसी: مشهد शहीद की जगह) पूर्वी ईरान में एक नगर है । ईरान का द्वितीय बड़ा नगर हैं । तेहरान से ८५० कि.मी. पुर्व हैं । यह ख़ोरासान की औतिहासिक राजधानी रहा है और वर्तमान में रसावि ख़ोरासन प्रांत की राजधानी है । २००५ में २,३८७,७३४ लोग इस नगर मे रहते थे । [१]।
घुमक्कड़ी स्वभाव वाले राहुल सांकृत्यायन सार्वदेशिक दृष्टि की ऐसी प्रतिभा थे, जिनकी साहित्य, इतिहास, दर्शन संस्कृति सभी पर समान पकड़ थी। विलक्षण व्यक्तित्व के अद्भुत मनीषी, चिन्तक, दार्शनिक, साहित्यकार, लेखक, कर्मयोगी और सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत रूप में राहुल ने जिन्दगी के सभी पक्षों को जिया। यही कारण है कि उनकी रचनाधर्मिता शुद्ध कलावादी साहित्य नहीं है, वरन् वह समाज, सभ्यता, संस्कृति, इतिहास, विज्ञान, धर्म, दर्शन इत्यादि से अनुप्राणित है जो रूढ़ धारणाओं पर कुठाराघात करती है तथा जीवन-सापेक्ष बनकर समाज की प्रगतिशील शक्तियों को संगठित कर संघर्ष एवं गतिशीलता की राह दिखाती है। ऐसे मनीषी को अपने जीवन के अंतिम दिनों में ‘स्मृति लोप’ जैसी अवस्था से गुजरना पड़ा एवं इलाज हेतु उन्हें मास्को भी ले जाया गया। पर घुमक्कड़ी को कौन बाँध पाया है, सो अप्रैल १९६३ में वे पुन: मास्को से दिल्ली आ गए और १४ अप्रैल, १९६३ को सत्तर वर्ष की आयु में दार्जिलिंग में सन्यास से साम्यवाद तक का उनका सफर पूरा हो गया पर उनका जीवन दर्शन और घुमक्कड़ी स्वभाव आज भी हमारे बीच जीवित है।
(पाकिस्तान की मांग) जैसा की मुस्लीम लीग द्वारा प्रस्तुत किया गया गैर-इस्लामी है और मैं इसे पापयुक्त कहने से नही हिचकूंगाइस्लाम मानव जाति के भाईचारे और एकता के लिए खड़ा है, न कि मानव परिवार के एक्य का अवरोध करने के लिए.इस वजह से जो यह चाहते हैं कि भारत दो युद्ध के समूहों में बदल जाए वे भारत और इस्लाम दोनों के दुश्मन हैं. वे मुझे टुकडों में काट सकते हैं पर मुझे उस चीज़ के लिए राज़ी नहीं कर सकते जिसे मैं ग़लत समझता हूँ[...] हमें आस नही छोडनी चाहिए, इसके बावजूद कि ख्याली बाते हो रही हैं कि हमें मुसलमानों को अपने प्रेम के कैद में अबलाम्बित कर लेना चाहिए.[५८]
पुराणानुसार ये सात नगर या तीर्थ जो मोक्षदायक कहे गये हैं। वे हैं:-
द मदर
1550-1551  Qatif
Superscript text
ॐ गौरीं कन्यामिमां पूज्य! यथाशक्तिविभूषिताम् । गोत्राय शमर्णे तुभ्यं, दत्तां देव समाश्रय॥ धमर्स्याचरणं सम्यक्, क्रियतामनया सह । धमेर् चाथेर् च कामे च, यत्त्वं नातिचरेविर्भो॥ वर कहें- नातिचरामि ।
अभिषेक के १३वें वर्ष के बाद उसने बौद्ध धर्म प्रचार हेतु पदाधिकारियों का एक नया वर्ग बनाया जिसे धर्म महापात्र कहा गया था । इसका कर्य विभिन्‍न धार्मिक सम्प्रदायों के बीच द्वेषभाव को मिटाकर धर्म की एकता स्थापित करना था ।
वातानुकूलन करनेवाले संयंत्रों में सामान्यत: एक वायुशीतक (एअरकूलर) तथा एक वायुतापक (एअर-हीटर) संयंत्र होता है। वायुतापक संयंत्र वायु के ताप को निश्चित बिंदु से कम होने पर तापन के द्वारा बढ़ाता है तथा वायुशीतक संयंत्र ताप अधिक होने पर वायु को शीतलन की क्रिया के द्वारा निर्धारित स्तर पर लाता है। वायुशीतक यंत्र संपीड़न प्रकार (compressor type) का यांत्रिक प्रशीतन एकक होता है। इसके यांत्रिक संपीड़ तंत्र के अधिशोषण संयंत्र में संघनक, विस्तारणकारक एवं वाष्पक यंत्र लगे होते हैं। वातानुकूलन संयंत्रों में बाह्य वायुमंडल की वायु छन्ने के द्वारा भीतर प्रवेश करती हैं। इस छन्ने से वायु के धूल के कण इत्यादि संयंत्र के भीतर प्रवेश नहीं कर पाते हैं। यांत्रिक प्रशीतक में वायुछन्ने का प्रमुख कार्य वायु के साथ प्रवेश करने वाले ठोस कणों की मात्रा को कम करना होता है, परंतु इस क्रिया में प्रवेश के दबाव तथा निष्कासन दबाव में दबाव का ह्रास न्यूनतम होना चाहिए। दबाव के ह्रास से वायुसंचालन में अधिक बिजली खर्च होती है। वायुछन्ने की क्रियाशीलता संबंधी क्षमता वायु के साथ प्रवेश करनेवाले कणों के आकार पर तथा वायु में कणों की सांद्रता एवं वायु के प्रवेश की गति पर निर्भर करती है। इस प्रकार से छनकर आई हुई वायु को यांत्रिक शीतक में अथवा अधिशोषण शीतक में पूर्वनिर्धारित ताप तक शीतल किया जाता है।
झील के किनारे बना यह महल शौकत महल के पीछे स्थित है।
बुधगुप्त- कुमारगुप्त द्वितीय के बाद बुधगुप्त शासक बना जो नालन्दा से प्राप्त मुहर के अनुसार पुरुगुप्त का पुत्र था । उसकी माँ चन्द्रदेवी था । उसने ४७५ ई. से ४९५ ई. तक शासन किया ।
यह सहवर्गीकरण ऋक संहिता के बाद अन्य वैदिक ग्रंथों में भी बहुश: उपलब्ध होता है (तैत्तिरीय संहिता 7।5।11।2; काठक संहिता 5।2; ऐतरेय ब्राह्मण 6।32; कौषीतकि ब्राह्मण 30।5; शतपथ ब्राह्मण) 11।5।6।8, जहां रैभी नहीं आता तथा गोपथ ब्राह्मण 2।6।12 ) इन तीनों शब्दों के अर्थ के विषय में विद्वानों में मतभेद है। भाष्यकार सायण ने इन तीनों शब्दों को अथर्ववेद के कतिपय मंत्रों के साथ समीकृत किया है। अथर्ववेद के 20वें कांड, 127वें सूक्त का 12वाँ मंत्र गाथा; इसी सूक्त का 1-3 मंत्र नाराशंसी तथा 4-6 मंत्र रैभी बतलाया गया है। इसी समीकरण को डाक्टर ओल्डेनबर्ग ऋग्वेद की दृष्टि में दोषपूर्ण मानते हैं, परंतु डाक्टर ब्लूमफील्ड की दृष्टि में यह समीकरण ऋक संहिता में स्वीकृत किया गया है।
अपेक्षाकृत उच्च जनसंख्या घनत्व वाले देशों में अच्छे विश्वविद्यालयों की कमी , और अच्छे विश्वविद्यालयों में स्वीकृति दर की कमी स्पष्ट है.कुछ देशों में सामान्य, अत्यधिक संचारित, अटल केंद्रीकृत कार्यक्रम है जो शिक्षण के सभी पहलुओं को नियंत्रित करते हैं
ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
कई महत्वपूर्ण और बड़ी नदियाँ जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, गोदावरी और कृष्णा भारत से होकर बहती हैं। इन नदियों के कारण उत्तर भारत की भूमि कृषि के लिए उपजाऊ है।
ज्योतिषियों की बहुत सारी परमपराएँ हैं, जिनमें से कुछ ज्योतिष सिद्धांतों और संस्कृतियों के प्रसारण के कारण एक सी विशेषता वाली होती हैं अन्य दूसरी परंपराओं का विकास विलगन में हुआ और उनके ज्योतिष सिद्धांत अलग हैं, हालांकि उनमें भी एक ही खगोलीय स्रोत से लिए जाने के कारण कुछ सामान्य विशेषताएं होती हैं.
दिल्ली एक अति-विस्तृत क्षेत्र है। यह अपने चरम पर उत्तर में सरूप नगर से दक्षिण में रजोकरी तक फैला है। पश्चिमतम छोर नजफगढ़ से पूर्व में यमुना नदी तक(तुलनात्मक परंपरागत पूर्वी छोर)। वैसे शाहदरा, भजनपुरा, आदि इसके पूर्वतम छोर होने के साथ ही बड़े बाज़ारों में भी आते हैं। रा.रा.क्षेत्र में उपरोक्त सीमाओं से लगे निकटवर्ती प्रदेशों के नोएडा, गुड़गांव आदि क्षेत्र भी आते हैं। दिल्ली की भू-प्रकृति बहुत बदलती हुई है। यह उत्तर में समतल कृषि मैदानों से लेकर दक्षिण में शुष्क अरावली पर्वत के आरंभ तक बदलती है। दिल्ली के दक्षिण में बड़ी प्राकृतिक झीलें हुआ करती थीं, जो अब अत्यधिक खनन के कारण सूखाती चली गईं हैं। इनमें से एक है बड़खल झील। यमुना नदी शहर के पूर्वी क्षेत्रों को अलग करती है। ये क्षेत्र यमुना पार कहलाते हैं, वैसे ये नई दिल्ली से बहुत से पुलों द्वारा भली-भांति जुड़े हुए हैं। दिल्ली मेट्रो भी अभी दो पुलों द्वारा नदी को पार करती है।
भाषा के विकास-क्रम में अपभ्रंश से हिन्दी की ओर आते हुए भारत के अलग अलग स्थानों पर अलग-अलग भाषा-शैलियां जन्मीं। हिन्दी इनमें से सबसे अधिक विकसित थी, अतः उसको भाषा की मान्यता मिली। अन्य भाषा शैलियां बोलियां कहलाईं। इनमें से कुछ में हिंदी के महान कवियों ने रचना की जैसे तुलसी ने रामचरित मानस को अवधी में लिखा और सूर ने अपनी रचनाओं के लिए बृज भाषा को चुना, विद्यापति ने मैथिली में और मीराबाई ने राजस्थानी ।
1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के उपरांत नवम्बर 1858 ई में रानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र द्वारा यह क्षेत्र भी सीधे ब्रिटिष सत्ता के अधीन हो गया। ब्रिटिष शासन काल में भी सामान्य जनता की कठिनाइयां दूर नहीं हो सकी। भूमि संबंधी विभिन्न बन्दोबस्तों के बावजूद कृषकों को उनकी भूमि पर कोई अधिकार नहीं मिल सका, जबकि जमीदार मजदूरों एवं कृषकों के श्रम के षोषण से संपन्न होते रहे। किसान एवं जमीदार के बीच का अंतराल बढ़ता गया।
क.
आकाशवाणी संगीत सम्‍मेलन समारोह का आयोजन 21 और 22 अक्‍तूबर 2007 को देश के 24 आकाशवाणी स्‍टेशनों पर किया गया, जिसमें हिन्‍दुस्‍तानी तथा कर्नाटक संगीत के कलाकारों ने भाग लिया। आकाशवाणी ने लोक तथा हल्‍के फुलके संगीत के क्षेत्रीय समारोह करने आरंभ किए जो आकाशवाणी संगीत सम्‍मेलन के समकक्ष हैं। क्षेत्रीय लोक और हल्‍के फुलके संगीत के आकाशवाणी संगीत सम्‍मेलन का प्रयोजन हमारे देश की समृद्ध लोक सांस्‍कृतिक विरासत को सामने लाना, प्रोत्‍साहन देना और आगे बढ़ाना है। नई प्रतिभाओं की खोज के लिए आकाशवाणी द्वारा अखिल भारतीय संगीत प्रतिस्‍पर्द्धा आयोजन किया जाता है। आकाशवाणी संगीत प्रतिस्‍पर्द्धा युवाओं के बीच मौजूद नई प्रतिभाओं की खोज और तलाश के लिए एक नियमित कार्यक्रम है। हिन्‍दुस्‍तानी/कर्नाटक संगीत की श्रेणी में इस वर्ष कई नई प्रतिभाओं को जोड़ा गया है।
ज्ञानसंदूक आखिरी बार बदला गया: July 7, 2008.
गाँधी का जन्म हिंदू धर्म में हुआ, उनके पुरे जीवन में अधिकतर सिधान्तों की उत्पति हिंदुत्व से हुआ. साधारण हिंदू कि तरह वे सारे धर्मों को समान रूप से मानते थे, और सारे प्रयासों जो उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कोशिश किए जा रहे थे उसे अस्वीकार किया. वे ब्रह्मज्ञान के जानकार थे और सभी प्रमुख धर्मो को विस्तार से पढ़तें थे. उन्होंने हिंदू धर्म के बारे में निम्नलिखित कहा है.
श्वसन की क्रिया में कार्बन डाइ-ऑक्साइड का वह आयतन जो बाहर निकलता है तथा जितना आयतन ऑक्सीजन का अवशोषण होता है उसके अनुपात को श्वसन भागफल (RQ) कहते हैं। यह सदैव संख्या में निरूपित किया जाता है जैसे- 6CO2/6O2 = १ श्वसन भागफल से इस बात का संकेत मिलता है कि श्वसन की क्रिया में किस प्रकार के खाद्यपदार्थ का उपचयन हो रहा है, क्योंकि यह अनुपात विभिन्न खाद्यपदार्थों के उपचयन में विभिन्न होता है। श्वसन की क्रिया में उपयोग में आने वाले खाद्यपदार्थों के आधार पर इसका मान इकाई, इकाई से कम, इकाई से अधिक होता है। जब श्वसन की क्रिया में उपचयित होनेवाला खाद्यपदार्थ कार्बोहाइड्रेट होता है तब श्वसन भागफल का मान इकाई होता है, जैसे अंकुरित गेंहूँ के बीजों में।
13वीं शती की पुर्तगाली नीति कविता पर प्रोवेंसाली का बहुत प्रभाव था। इसलिए कविता को भाषा में अनेक प्रोवेंसाली शब्द प्रयुक्त हुए, किंतु बोलचाल की भाषा में अपेक्षाकृत कम प्रोवेंसाली शब्द मिलते हैं। पुर्तगाली शब्दावली को सबसे अधिक समृद्ध किया स्पेनी और फ्रांसीसी भाषाओं ने। स्पेनी का प्रभाव उनकी भौगोलिक समीपता तथा साहित्यिक समृद्धि, विशेषकर नाट्य साहित्य, के कारण पड़ा। पुर्तगाल पर स्पेन का आधिपत्य (1580-1640) रहना भी प्रभाव का एक कारण है। फ्रांसीसी का प्रभाव में तो पड़ा ही, क्योंकि 11वीं शती में पुर्तगाल के प्रथम राजवंश का प्रतिष्ठाता काउंट ऑव पुर्तगाल बरगंडी का हेनरी था। उसके बाद 18वीं शती से 20वीं शती के आरंभ तक फ्रांसीसी संस्कृति के प्रवेश के कारण फ्रांसीसी भाषा ने पुर्तगाली को प्रभावित किया। आधुनिक युग में यूरोप की अन्य भाषाओं के समान अंग्रेजी का प्रभाव पुर्तगाली पर भी देखा जा सकता है। अमरीकी सभ्यता ने यांत्रिक क्षेत्र में जो प्रगति की, उसका प्रभाव पुर्तगाली भाषा पर भी लक्षित हो रहा है।
इसी बीच, उदारीकरण एवं वैश्वकरणी के नाम पर विदेशी बैंको एवं गैर-ईमानदार सट्टेबाजों को देश को धोखा देने के लिए अनुमति प्रदान की गई जिसके परिणामस्वरूप देश में करोड़ों रूपए के प्रतिभूति घोटाले हुए लेकिन सरकार इस विषय पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट की विसंगतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। उद्योगपतियों को करोड़ों रूपए की क्षति हुई जिन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंको से अपने ऋणों की अदायगी नहीं की थी। दूसरी ओर लाभ कमा रहे सरकारी उपक्रमों को बेचा जा रहा है परिणामस्वरूप मूल्यों में अभूतपूर्व वृध्दि हुई। इसकी प्रतिक्रिया में भारतीय जनता पार्टी ने एक वार्षिक विकल्प बजट देकर मूल्य वृध्दि को रोका गया और रोजगार के अवसरों में वृध्दि की।
महाभारत के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे।
मौर्य सम्राट् अशोक के संबंध में हम यह जानते हैं कि उसे यौवराज्य के पश्चात् चार वर्ष अभिषेक की प्रतीक्षा करनी पड़ी थी और इसी प्रकार हर्ष शीलादित्य को भी, जैसा "महावंश" एवं युवान च्वांग के "सि-यूकी" नामक ग्रंथों से ज्ञात होता है। कालिदास ने भी रघुवंश के द्वितीय सर्ग में अभिषेक का निर्देश किया है। ऐतिहासिक वृत्तांतों से ज्ञात होता है कि आगे चलकर राजसचिवों के भी अभिषेक होने लगे थे। हर्षचरित में "मूर्धाभिषिक्ता अमात्या राजान:" इस प्रकार का संकेत पाया जाता है। आगे चलकर अनेक ऐतिहासिक सम्राटों ने प्राय: वैदिक विधान का आश्रय लेकर अभिषेक क्रिया संपादित की, क्योंकि उसके बिना सम्राट् नहीं माना जाता था। अभिषेक के कतिपय अन्य सामान्य प्रयोगों में प्रतिमाप्रतिष्ठा के अवसर पर उसका आधान एक साधारण प्रक्रिया थी जो आजकल भी हिंदुओं में भारत एवं नेपाल में प्रचलित है।
भारतीय वाङमय में संदर्भग्रंथों- कोश, अनुक्रमणिका, निबंध, ज्ञानसंकलन आदि की परंपरा बहुत पुरानी है। भारतीय वाङ्मय में संदर्भ ग्रंथों का कभी अभाव नहीं रहा, पर नगेंद्रनाथ वसु द्वारा संपादित बंगला विश्वकोश ही भारतीय भाषाओं से प्रणीत प्रथम आधुनिक विश्वकोश है। यह सन् 1911 में 22 खंडों में प्रकाशित हुआ। नगेंद्रनाथ वसु ने ही अनेक हिंदी विद्वानों के सहयोग से हिंदी विश्वकोश की रचना की जो सन् 1916 से 1932 के मध्य 25 खंडों में प्रकाशित हुआ। श्रीधर व्यंकटेश केतकर ने मराठी विश्वकोश की रचना की जो महाराष्ट्रीय ज्ञानकोशमंडल द्वारा 23 खंडों में प्रकाशित हुआ। डॉ. केतकर के निर्देशन में ही इसका गुजराती रूपांतर प्रकाशित हुआ।
इसरायल शब्द का प्रयोग बाईबल और उससे पहले से होता रहा है । बाईबल के अनुसार ईश्वर के फ़रिश्ते के साथ युद्ध लड़ने के बाद जैकब का नाम इसरायल रखा गया था । इस शब्द का प्रयोग उसी समय (या पहले) से यहूदियों की भूमि के लिए किया जाता रहा है । पुरातात्विक खोजों के मुताबिक सबसे पहले ईसा के 13वीं सदी पूर्व, मिस्र में, इस भ। य्ह देश पअह्लय अस्तित्व मे नहए थ।
मई १८८३ में जब वे १३ साल के थे तब उनका विवाह १४ साल की कस्तूरबा माखनजी से कर दिया गया जिनका पहला नाम छोटा करके कस्तूरबा था और उसे लोग प्यार से बा कहते थे। यह विवाह एक व्यवस्थित बाल विवाह था जो उस समय उस क्षेत्र में प्रचलित लेकिन , उस क्षेत्र में वहां यही रीति थी कि किशोर दुल्हन को अपने मातापिता के घर और अपने पति से अलग अधिक समय तक रहना पड़ता था।१८८५ में , जब गांधी जी १५ वर्ष के थे तब इनकी पहली संतान ने जन्म लिया लेकिन वह केवल कुछ दिन ही जीवित रहीं और इसी साल के प्रारंभ में गांधी जी के पिता करमचंद गाधी भी चल बसे।मोहनदास और कस्तूरबा के चार संतान हुई जो सभी पुत्र थे- हरीलाल १८८८ में जन्में, मणिलाल १८९२ में जन्में, रामदास , १८९७ में जन्में, और देवदास १९०० में जन्में,पोरबंदर में उनके मिडिल स्कूल और राजकोट में उनके हाई स्कूल दोनों में ही शैक्षणिक स्तर पर गांधी जी एक औसत छात्र रहे। उन्होंने अपनी मेट्रिक की परीक्षा भावनगर गुजरात के समलदास कॉलेज कुछ परेशानी के साथ उत्तीर्ण की और जब तक वे वहां रहे अप्रसन्न ही रहे क्योंकि उनका परिवार उन्हें बेरिस्टर बनाना चाहता था। |thumb|गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा ( १९०२ )]] अपने १९वें जन्मदिन से एक महीने से भी कम ४ सिंतबर 1888|१८८८ ]]को गांधी जी यूनिवर्सिटी कालेज ऑफ लंदन में कानून की पढाई करने और बेरिस्टर बनने के लिए इंग्लेंड, लंदनगए। भारत छोड़ते समय जैन भिक्षु बेचारजी के समक्ष हिंदुओं को मांस, शराब तथा संकीर्ण विचारधारा को त्यागने के लिए अपनी अपनी माता जी को दिए गए एक वचन ने उनके शाही राजधानी लंदन में बिताए गए समय को काफी प्रभावित किया। हालांकि गांधी जी ने अंग्रेजी रीति रिवाजों का अनुभव भी किया जैसे उदाहरण के तौर पर नृत्य कक्षाओं में जाना फिर भी वह अपनी मकान मालकिन द्वारा मांस एवं पत्ता गोभी को हजम.नहीं कर सके।उन्होंने कुछ शाकाहारी भोजनालयों की ओर इशारा किया। अपनी माता की इच्छाओं के बारे में जो कुछ उन्होंने पढा था उसे सीधे अपनाने की बजाए उन्होंने बौद्धिकता से शाकाहारी भोजन का अपना भोजन स्वीकार किया। उन्होंने शाकाहारी समाज की सदस्यता ग्रहण की और इसकी कार्यकारी समिति के लिए उसका चयन भी हो गया जहां इन्होंने एक स्थानीय अध्याय की नींव रखी। बाद में उन्होने संस्थाएं गठित करने में महत्वपूर्ण अनुभव का परिचय देते हुए इसे श्रेय दिया। वे जिन शाकाहारी लोगों से मिले उनमें से कुछ थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य थे जिसकी स्थापना १८७५ में विश्व बंधुत्व ,को प्रबल करने के लिए की गई जिसे बौद्ध एवं हिंदु साहित्य के अध्ययन के लिए समर्पित किया गया था। उन्होनें गोधी जी को भगवदगीता पढ़ने के लिए प्रेरित किया। हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म, इस्लाम और अन्य धर्मों .के बारे में पढ़ने से पहले गांधी जी ने धर्म में विशेष रूचि नहीं दिखाई । द्वारा इंग्लैंड और वेल्स बार ([में वापस बुलावे पर वे भारत लौट आए किंतु मुंबई में वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। बाद में एक हाई स्कूल शिक्षक के रूप में अंशकालिक नौकरी के लिए अस्वीकार कर दिए जाने पर उन्होंने याचिकों के लिए मुकदमे लिखने के लिए राजकोट को ही अपना मुकाम बना लिया किंतु एक अंग्रेज अधिकारी की मूर्खता के कारण उसे यह कारोबार भी छोड़ना पड़ा ।अपनी आत्मकथा में , उन्होंने इस घटना का वर्णन उन्होंने अपने बड़े भाई की ओर से परोपकार की असफल कोशिश के रूप में किया है। यही वह कारण था जिस वजह से उन्होंने (१८९३ ) में एक भारतीय फर्म से नेटाल दक्षिणी अफ्रीका जो तब अंग्रेजी साम्राज्य का भाग होता था में एक वर्ष का करार स्वीकार लिया था।
(20) Needleleaf वन - प्राकृतिक वन> 30% के साथ चंदवा, कवर 1200 मीटर ऊंचाई है, जो में चंदवा मुख्यतः (> 75%) needleleaf है नीचे.
कोलकाता के स्वतंत्रता सेनानी, देशबंधु चित्तरंजन दास के कार्य से प्रेरित होकर, सुभाष दासबाबू के साथ काम करना चाहते थे। इंग्लैंड से उन्होंने दासबाबू को खत लिखकर, उनके साथ काम करने की इच्छा प्रकट की। रवींद्रनाथ ठाकुर की सलाह के अनुसार, भारत वापस आने पर वे सर्वप्रथम मुम्बई गये और महात्मा गाँधी से मिले। मुम्बई में गाँधीजी मणिभवन में निवास करते थे। वहाँ, 20 जुलाई, 1921 को महात्मा गाँधी और सुभाषचंद्र बोस के बीच पहली बार मुलाकात हुई। गाँधीजी ने भी उन्हें कोलकाता जाकर दासबाबू के साथ काम करने की सलाह दी। इसके बाद सुभाषबाबू कोलकाता आ गए और दासबाबू से मिले। दासबाबू उन्हें देखकर बहुत खुश हुए। उन दिनों गाँधीजी ने अंग्रेज़ सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया था। दासबाबू इस आंदोलन का बंगाल में नेतृत्व कर रहे थे। उनके साथ सुभाषबाबू इस आंदोलन में सहभागी हो गए 1922 में दासबाबू ने कांग्रेस के अंतर्गत स्वराज पार्टी की स्थापना की। विधानसभा के अंदर से अंग्रेज़ सरकार का विरोध करने के लिए, कोलकाता महापालिका का चुनाव स्वराज पार्टी ने लड़कर जीता। स्वयं दासबाबू कोलकाता के महापौर बन गए। उन्होंने सुभाषबाबू को महापालिका का प्रमुख कार्यकारी अधिकारी बनाया। सुभाषबाबू ने अपने कार्यकाल में कोलकाता महापालिका का पूरा ढाँचा और काम करने का तरीका ही बदल डाला। कोलकाता के रास्तों के अंग्रेज़ी नाम बदलकर, उन्हें भारतीय नाम दिए गए। स्वतंत्रता संग्राम में प्राण न्यौछावर करनेवालों के परिवार के सदस्यों को महापालिका में नौकरी मिलने लगी।
१३वीं शताब्दी के पूर्वार्ध मे संस्कृत शब्द मल्ल का थर वाले वंश का उदय होने लगा। २०० वर्ष में इन राजाओं ने शक्ति एकजुट की। १४वीं शताब्दी के उत्तरार्ध मे देश का बहुत ज्यादा भाग एकीकृत राज्य के अधीन में आ गया। लेकिन यह एकीकरण कम समय तक ही टिक सका: १४८२ में यह राज्य तीन भाग मे विभाजित हो गया - कान्तिपुर, ललितपुर, और भक्तपुर – जिसके बीचमे शताव्दियौं तक मेल नही हो सका।
पाटलिपुत्र पर उसका विस्तृत लेख मिलता है। पाटलिपुत्र को वह समानांतर चतुर्भुज नगर कहता है। इस नगर में चारों ओर लकड़ी की प्राचीर है जिसके भीतर तीर छोड़ने के स्थान बने हैं। वह कहता है कि इस राजप्रासाद की सुंदरता के आये ईरानी राजप्रासाद सूस्का और इकबतना फीके लगते हैं। उद्यान में देशी तथा विदेशी दोनों प्रकार के वृक्ष लगाए गए हैं। राजा का जीवन बड़ा ही ऐश्वर्यमय है।
इन दोनों समान तत्वों में पदार्थों के स्वरूप में इतना भेद रहने पर भी दोनों दर्शन एक ही में मिले रहते हैं, इसका कारण है कि दोनों शास्त्रों का मुख्य प्रमेय है "आत्मा"। आत्मा का स्वरूप दोनों दर्शनों में एक ही सा है। अन्य विषय है - उसी आत्मा के जानने के लिए उपाय। उसमें इन दोनों दर्शनों में विशेष अंतर भी नहीं है। केवल शब्दों में तथा कहीं-कहीं प्रक्रिया में भेद है। फल में भेद नहीं है। अतएव न्यायमत के अनुसार प्रमाण, प्रमेय आदि सोलह पदार्थों के तत्वज्ञान से दोनों से एक ही प्रकार की "मुक्ति" मिलती है। दोनों का दृष्टिकोण भी एक ही है।
मुख्य लौकिक युग सत्य (उकृत), त्रेता, द्वापर और कलि नाम से चतुर्धा विभक्त है। इस युग के आधार पर ही मन्वंतर और कल्प की गणना की जाती है। इस गणना के अनुसार सत्य आदि चार युग संध्या (युगारंभ के पहले का काल) और संध्यांश (युगांत के बाद का काल) के साथ 12000 वर्ष परिमित होते हैं। चार युगों का मान 4000 + 3000 + 2000 + 1000 = 10000 वर्ष है; संध्या का 400 + 300 + 200 + 100 = 1000 वर्ष; संध्यांश का भी 1000 वर्ष है।
धार्मिक क्षेत्र में अवेस्ता की टीका ज़ेंद के नाम से लिखी गई है और फिर उस टीका की गई, जिसका नाम पज़ेद है। अवेस्ता के और भी अनुवाद पहलवी में हुए। इनके अतिरिक्त धार्मिक विषय पर "दीनकर्त" नामक पुस्तक रची गई, जिसमें पारसियों की प्रथाओं, इतिहास, आदि पर बहुत कुछ लिखा हुआ है। "बुंदहिश्न" भी धार्मिक पुस्तक है जो 12वीं शती ईसवी में लिखी गई और जिसका अधिकांश काफी पुराना है। "दातिस्ताने दीनिक" अथवा धार्मिक उपदेश तीसरा ग्रंथ है, जिसके संबंध में वेस्ट नामक विद्वान् कहता है कि इसका अनुवाद बहुत कठिन है। "शिं्कद गूमानिक वीजार" नवीं शताब्दी ईसवी के अंत में लिखी गई। इसमें ईसाई, यहूदी, मुसलमान, धर्मों ने जो आपत्तियाँ पारसी धर्म पर की हैं उनका उत्तर है। "मैनोए खिरद" में पारसी धर्म के बारे में 62 प्रश्नों के उत्तर हैं। "अर्दविराफ" नामक एक बड़ी आकर्षक पुसतक है, जिसमें ग्रंथकर्ता के बैज़ंठ, नरक आदि में सैर करने का वर्णन है, जैसा मुसलमानों में पैंगबर साब के आकाश पर स्वर्ग नरक का भ्रमण करने का विश्वास है। इटालियन में दांते नामक कवि की इनफरनो तथा परडाइजो रचनाएँ हैं, जिनमें कवि वर्णन करता है कि किस प्रकार उसने आकाश पर जाकर स्वर्ग तथा नरक की सैर की है। "मातिगाने गुजस्तक अबालिश" को फ्रांसीसी विद्वान् ने परकज़ेंद, उसके पारसियों द्वारा किए गए फारसी अनुवाद तथा फ्रेंच अनुवाद के साथ सन् 1883 ई. में छापा है।
जगदीशचंद्र माथुर (जन्म १६ जुलाई, १९१७) हिन्दी के उन साहित्यकारों में से हैं जिन्होंने आकाशवाणी में काम करते हुए हिन्दी की लोकप्रयता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया। परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण के ऐसे ऐतिहासिक समय में जगदीशचंद्र माथुर, आईसीएस, ऑल इंडिया रेडियो के डायरेक्टर जनरल थे। उन्होंने ही 'एआईआर' का नामकरण आकाशवाणी किया था। टेलीविज़न उन्हीं के जमाने में वर्ष १९५९ में शुरू हुआ था। हिंदी और भारतीय भाषाओं के तमाम बड़े लेखकों को वे ही रेडियो में लेकर आए थे। सुमित्रानंदन पंत से लेकर दिनकर और बालकृष्ण शर्मा नवीन जैसे दिग्गज साहित्यकारों के साथ उन्होंने हिंदी के माध्यम से सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सूचना संचार तंत्र विकसित और स्थापित किया था। [१]
भारत ने एक मिश्रित आर्थिक मॉडल को अपनाया है. सरकार ने समाजवाद के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई कानूनों जैसे अस्पृश्यता उन्मूलन, जमींदारी अधिनियम, समान वेतन अधिनियम और बाल श्रम निषेध अधिनियम आदि बनाया है.
यह संस्थाएं संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अधिकार क्षेत्र तो नहीं हैं, परंतु उनको काफ़ी स्वतंत्रताएं दी जाती है ।
गोपेश्वर और ऊखीमठ, दोनों स्थानों पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के विश्रामगृह हैं। इसके अलावा प्राइवेट होटल, लॉज, धर्मशालाएं भी हैं जो सुगमता से मिल जाती हैं। चोपता में भी आवासीय सुविधा उपलब्ध है और यहां पर स्थानीय लोगों की दुकानें हैं।
संस्कृत साहित्य के महाकवि कालिदास की प्रसिद्ध रचना अभिज्ञान शकुंतलम् का नायक दुष्यंत पुरुवंशी राजा थे। एक बार मृगया का शिकार करते हुए संयोगवश वे महर्षि कण्व के आश्रम में पहुँचे। वहाँ उनका परिचय कण्व ऋषि की पोष्य दुहिता शकुंतला से हुआ। उन्होंने शकुंतला पर आसक्त होकर गंधर्व विवाह कर लिया। ऋषिकी कुछ काल तक प्रतिक्षा कर वे अपने नगर लौट गए। उन्होंने शकुंतला को निसानी स्वरूप अपनी मुद्रिका दे दी। दुष्यंत के जाने के पश्चात शकुंतला के गर्भ से एक पुत्र पैदा हुआ। वह पुत्र को लेकर दुष्यंत के पास आई। मार्ग में असावधानीवश स्नानादि के समय अंगूठी किसी सरोवर में गिर गई। दुष्यंत ने शकुंतला को स्वीकार नहीं किया। किंतु जब आकाशवाणी हुई कि तुम इसे स्वीकार करो तो दुष्यंत ने दोनो को स्वीकार कर लिया। एक दूसरे मत से एक बार दुष्यंत की स्मृति में बेसुध शकुंतला द्वारा अपनी अवहेलना से क्रुद्ध ऋषि दुर्वासा ने उसे शाप दे दिया। शापवश राजा को सब विस्मरण हो गया था। अतः शकुंतला निराश होकर लौट आइ। कुछ दिनों बाद एक मछुए को मछली के पेट में वह अंगूठी मिली। जब वह अंगूठी राजा के पास पहुँची तो उसे समस्त घटनाओं का स्मरण हुआ। और तब शकुंतला बुलवाई गई। उसके पुत्र का नाम भरत रखा गया जो बाद में चलकर भारतवर्ष, या भारत नाम का जनक हुआ।
छत्तीसगढ़ साहित्यिक परम्परा के परिप्रेक्ष्य में अति समृद्ध प्रदेश है। इस जनपद का लेखन हिन्दी साहित्य के सुनहरे पृष्ठों को पुरातन समय से सजाता-संवारता रहा है। श्री प्यारेलाल गुप्त अपनी पुस्तक "प्राचीन छत्तीसगढ़" में बड़े ही रोचकता से लिखते है। [२] छत्तीसगढ़ी और अवधी दोनों का जन्म अर्धमागधी के गर्भ से आज से लगभग 1080 वर्ष पूर्व नवीं-दसवीं शताब्दी में हुआ था।"[३]
१. गीत की संवेदना!
गोपालगंज में ५ राष्ट्रीयकृत तथा २ सहकारी बैक है। भारतीय स्टेट बैंक तथा केनरा बैंक ए टी एम सुविधा देती है।
भारतवर्ष के सांस्कृतिक और आधात्मिक गौरव की आधारशिलाऐं इसकी सात महापुरियां हैं। 'गरुडपुराण' में इनके नाम इस क्रम से वर्णित हैं-
यह जुड़वा इमारत श्रीलंका की सबसे ऊंची इमारत है। इस 40 मंजिला इमारत का निर्माण 1997 ई. में पूरा हुआ। यह इमारत यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र होती है।
The median temperature in January is 57 °F (13 °C) and 73 °F (22 °C) in August. The highest temperature recorded within city borders was 119.0 °F (48.33 °C) in Woodland Hills on July 22, 2006;[१४] the lowest temperature recorded was 18.0 °F (−7.8 °C) in 1989, in Canoga Park. The highest temperature recorded for Downtown Los Angeles was 112.0 °F (44.4 °C) on June 26 1990, and the lowest temperature recorded was 28.0 °F (−2.0 °C) on January 4 1949.[१५]
भारत की प्राचीन आदशॅ नारियाँ
चन्द्रगुप्त मौर्य के विशाल साम्राज्य में काबुल, हेरात, कन्धार, बलूचिस्तान, पंजाब, गंगा-यमुना का मैदान, बिहार, बंगाल, गुजरात था तथा विन्ध्य और कश्मीर के भू-भाग सम्मिलित थे, लेकिन चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना साम्राज्य उत्तर-पश्‍चिम में ईरान से लेकर पूर्व में बंगाल तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक तक विस्तृत किया था । अन्तिम समय में चन्द्रगुप्त मौर्य जैन मुनि भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला चला गया था । २९८ ई. पू. में उपवास द्वारा चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना शरीर त्याग दिया ।
1. आकारिकी (Morphology) - इसके अंतर्गत पादप में आकार, बनावट इत्यादि का अध्ययन होता है। आकारिकी आंतर हो सकती है या बाह्य।
ड़ितुः सुदर्शनः कालः परमेष्ठी परिग्रहः ।
लखनऊ उत्तरी भारत का एक प्रमुख बाजार एवं वाणिज्यिक नगर ही नहीं, बल्कि उत्पाद एवं सेवाओं का उभरता हुआ केन्द्र भी बनता जा रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी होने के कारण यहां सरकारी विभाग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम बहुत हैं। यहां के अधिकांश मध्यम-वर्गीय वेतनभोगी इन्हीं विभागों एवं उपक्रमों में नियुक्त हैं। सरकार की उदारीकरण नीति के चलते यहां व्यवसाय एवं नौकरियों तथा स्व-रोजगारियों के लिए बहुत से अवसर खुल गये हैं। इस कारण यहां नौकरी पेशे वालों की संख्या निरंतर बढ़ती रहती है।लखनऊ निकटवर्ती नोएडा एवं गुड़गांव के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं बीपीओ कंपनियों के लिए श्रमशक्ति भी जुटाता है। यहां के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लोग बंगलुरु एवं हैदराबाद में भी बहुतायत में मिलते हैं।
नवंबर 2007 में, अमेरिकन इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च (AICR), ने वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड (WCRF) के सहयोग से फ़ूड, न्यूट्रीशियन, फिजिकल एक्टिविटी एंड दी प्रिवेंशन ऑफ़ कैंसर: अ ग्लोबल पर्सपेक्टिव का प्रकाशन किया, "जो आहार, शारीरिक क्रिया और कैंसर पर सबसे वर्तमान और व्यापक विश्लेषण है". [६४] WCRF / AICR विशेषज्ञ रिपोर्ट 10 सलाहों की सूची देती है जिनका इस्तेमाल लोग कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने के लिए कर सकते हैं, जिसमें आहार के निम्न दिशानिर्देश शामिल हैं: (1) ऐसे खाद्य और पेय पदार्थों के सेवन को कम करना जो वजन बढ़ाते हैं, नामतः अधिक ऊर्जा युक्त खाद्य और शर्करा युक्त पेय, (2) अधिकतर पादप उत्पत्ति के खाद्य का उपभोग, (3) लाल मांस के सेवन को सीमित करना और उपचारित मांस से परहेज करना, (4) एल्कोहल युक्त पेय पदार्थों के उपभोग को सीमित करना, और (5) नमक के सेवन को कम करना और कालातीत अनाज (अन्न) या दालों (फलियों) से परहेज करना. [६५][६६]
भारत रत्न से सम्मानित होने वाली पहली संगीतज्ञ
साँचा:मई कैलंडर२०११ 6 मई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 126वॉ (लीप वर्ष मे 127 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 239 दिन बाकी है।
हरे मटर का परांठा एक अवधी व्यंजन है।
नासिक्य - देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षी व्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियों के साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि [ब्] है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्य नासिक्य [न्] है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ , तालव्य नासिक्य [ण्] है, और दंत्य एवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य [न्] एवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य /म्/ लिखा जाता है। प्रकार्य की दृष्टि से देखा जाए तो अ एवं ञ़्अ कंठ्य एवं तालव्य नासिक्य व्यंजन केवल "न" नासिक्य के उपस्वनों के रूप में प्रयोग किए जाते हैं जबकि म,न,ण का स्वतंत्र स्वनिमों के रूप में प्रयोग होता है। अर्थात् म-न-ण अर्थभेद प्रकार्य करने वाली नासिक्य ध्वनियां हैं जब कि अ एवं ञ, न नासिक्य के साथ परिपूरक वितरण में मिलती हैं - न का उच्चारण कंठ्य ध्वनियों के पूर्व कंठ्य नासिक्य अ के रूप में होता है तो तालव्य ध्वनियों के पूर्व तालव्य नासिक्य ञ ध्वनि के रूप में होता है।
संपूर्ण विश्व से आये हुए विशाल एवं प्रबुद्व श्रोताओं की सभा को सम्बोधित करते हुए आपश्री ने कहा :
कैथी एक पुरानी लिपी है जिसका प्रयोग कम से कम 16 वी सदी मे धड़ल्ले से होता था। मुगल सल्तनत के दौरान इसका प्रयोग काफी व्यापक था। 1880 के दशक में ब्रिटिश राज के दौरान इसे प्राचीन बिहार के न्यायलयों में आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया था।
ग्रामीण- ग्राम का सैनिक पदाधिकारी,
निर्देशांक: 25°40′N 94°07′E / 25.67, 94.12 कोहिमा भारत के नागालैंड प्रान्त की राजधानी है। यह नागालैंड की राजधानी है और बहुत खूबसूरत है। कोहिमा में अधिकतर आदिवासी रहते हैं। इन आदिवासियों की संस्कृति बहुत रंग-बिरंगी है जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। उन्हें इनकी संस्कृति की झलक देखना बड़ा पसंद आता है। इनकी संस्कृति के अलावा पर्यटक यहां पर कई बेहतरीन और ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों की सैर भी कर सकते हैं। इनमें राज्य संग्राहलय, एम्पोरियम, नागा हेरिटेज कॉम्पलैक्स, कोहिमा गांव, दजुकोउ घाटी, जप्फु चोटी, त्सेमिन्यु, खोनोमा गांव, दज्युलेकी और त्योफेमा टूरिस्ट गांव प्रमुख हैं। यह सभी पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं क्योंकि इनकी खूबसूरत उन्हें मंत्रमुग्ध कर देती है।
दक्षिण अमरीका:Argentina • Bolivia • Brazil • Chile • Colombia • Ecuador • Falkland Islands (United Kingdom) • French Guiana (France) • Guyana • Paraguay • Peru • Suriname • Uruguay • Venezuela
2007 के शुरू में, BWF ने भी एक नए टूर्नामेंट संरचना की शुरुआत की: BWF सुपर सीरीज. इस स्तर दो के टूर्नामेंट में 32 खिलाडियों (पिछली सीमा से आधा) के साथ दुनिया भर में 12 ओपन टूर्नामेंट आयोजित किये जायेंगे. खिलाड़ी जो अंक प्राप्त करेंगे, उससे यह तय होगा कि साल के अंत में वे सुपर सीरीज फाइनल में खेल सकेंगे या नहीं.[१३][१४]
इसके अलावा, पारंपरिक जुजित्सु में जुडो की पृष्ठभूमि के साथ इसके पुलिस और सैन्य उपयोगों के जुड़ जाने के परिणामस्वरूप विशेष रूप से आत्मरक्षा की तकनीकी सिद्धांतों के प्रशिक्षण के लिए तैयार होने वाले काता का आगमन हुआ है: किमे नो काता (फैसले के रूप) और कोडोकन गोशिन जुत्सु (आत्मरक्षा के रूप). रेन्कोहो वाजा में ख़ास तौर पर पुलिस के लिए तैयार की गई तकनीकें शामिल हैं.[१२] जोशी जुडो गोशिन्हो में महिलाओं की आत्मरक्षा की तैक्नीकें शामिल हैं.[१३] अन्य काता समूहों में अधिक कठिन तरीकों वाली आत्मरक्षा की तकनीकें शामिल हैं.
इस भाग में लगभग २००० धातुओं की सूची दी गयी है। इन धातुओं को विभिन्न वर्गों में रखा गया है।
हिंदुओं के प्रसिद्ध महाकाव्य वाल्मीकि रामायण, जिसे कि आदि रामायण भी कहा जाता है और जिसमें भगवान श्रीरामचन्द्र के निर्मल एवं कल्याणकारी चरित्र का वर्णन है, के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के विषय में अनेक प्रकार की भ्रांतियाँ प्रचलित है जिसके अनुसार उन्हें निम्नवर्ग का बताया जाता है जबकि वास्तविकता इसके विरुद्ध है। ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदुओं के द्वारा हिंदू संस्कृति को भुला दिये जाने के कारण ही इस प्रकार की भ्रांतियाँ फैली हैं। वाल्मीकि रामायण में स्वयं वाल्मीकि ने श्लोक संख्या ७/९३/१६, ७/९६/१८, और ७/१११/११ में लिखा है कि वे प्रचेता के पुत्र हैं। मनुस्मृति में प्रचेता को वशिष्ठ, नारद, पुलस्त्य आदि का भाई बताया गया है। बताया जाता है कि प्रचेता का एक नाम वरुण भी है और वरुण ब्रह्माजी के पुत्र थे। यह भी माना जाता है कि वाल्मीकि वरुण अर्थात् प्रचेता के 10वें पुत्र थे और उन दिनों के प्रचलन के अनुसार उनके भी दो नाम 'अग्निशर्मा' एवं 'रत्नाकर' थे।
गीताञ्जलि से एक लोकप्रिय रचनाः
१७-भीष्म साहनी के नाटक माधवी पर राशी बनी के साथ एकल नाटक [८]
सामर्थ्य और सीमा- सामर्थ्य और सीमा सुप्रसिद्घ कथाकार भगवती चरण वर्मा का बहुचर्चित उपन्यास है । इसमें अपने सामर्थ्य की अनुभूति से पूर्ण कुछ ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों की कहानी है जिन्हें परिस्थितियाँ एक स्थान पर एकत्रित कर देती है । हर व्यक्ति अपनी महत्ता, अपनी शक्ति और सामर्थ्य से सुपरिचित था – हरेक को अपने पर अटूट विश्वास था; लेकिन परोझ की शक्तियों को कौन जानता था जो उनके इस दर्प को चकनाचूर करने को तैयार हो रही थी। इस उपन्यास में आज के महान सघंर्ष से युक्त जीवन का सशक्त और रोचक चित्रण हुआ है । इसके द्वारा कथाकार ने जहाँ मानवीय प्रयत्नों की गरिमा को पूरी कलात्मकता से उजागर किया है, वही यह भी सिद्घ किया है कि मनुष्य नियति और प्रकति के हाथों महज एक खिलौना है । वह समर्थ है, प्रबुद्घ और ज्ञानी भी है, लेकिन उसके सारे सामर्थ्य और ज्ञान की एक सीमा है, जिससे वह अनजान बना रहता है ।
आनन्दकानने ह्यास्मिञ्जङ्गमस्तुलसीतरुः।कवितामञ्जरी भाति रामभ्रमरभूषिता॥
(1) व्यक्ति का श्रेय समष्टि के श्रेय में निहित है।
कोहिनूर (फ़ारसी: कूह-ए-नूर)जिसका अर्थ है, आभा या रोशनी का पर्वत। यह एक १०५ कैरेट (२१.६ g) का हीरा है। यह कभी विश्व का सबसे बड़ा ज्ञात हीरा रह चुका है। कोहिनूर हीरा, भारत की गोलकुंडा की खान से निकला बताया जाता है। यह कई मुगल व फारसी शासकों से होता हुआ, अन्ततः ब्रिटिश शासन के अधिकार में लिया गया, व उनके खजाने में शामिल हो गया, जब ब्रिटिश प्रधान मंत्री, बेंजामिन डिजराएली ने महारानी विक्टोरिया को १८७७ में भारत की सम्राज्ञी घोषित किया।
यह स्थान आठवीं शताब्दी के महान भारतीय दार्शनिक आदि‍ शंकराचार्य की जन्मभूमि है। शंकराचार्य की याद में यहां दो मंदिर बनाए गए हैं। एक मंदिर दक्षिणामूर्ति और दूसरा देवी शारदा को समर्पित है।
किसी भी क्रिया, विशेषण या क्रिया विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्द को क्रिया विशेषण कहते हैं। उदाहरण -
20 जाति भौंरावली (छंद गोरख)
ऑक्सीजन की वैद्युतऋणात्मकता हाइड्रोजन की तुलना में उच्च होती है जो जल को एक ध्रुवीय अणु बनाती है। ऑक्सीजन कुछ ऋणावेशित होती है, जबकि हाइड्रोजन कुछ धनावेशित होती है जो अणु को द्विध्रुवीय बनाती है। प्रत्येक अणु के विभिन्न द्विध्रुवों के बीच पारस्परिक संपर्क एक शुद्ध आकर्षण बल को जन्म देता है जो जल को उच्च पृष्ट तनाव प्रदान करता है।
पुष्टिमार्ग में नरसी को "वधेयो" माना जाता है पर नरसी किसी संप्रदाय से संबद्ध प्रतीत नहीं होते। उनकी भक्ति भागवताश्रित थी। अन्यान्य लीलाओं की अपेक्षा कृष्ण की रासलीला नरसी का विशेष प्रिय थी और भावात्मक तादात्म्य की स्थित में उन्होंने अपने को "दीवटियो" या दीपवाहक बनकर रास में भाग लेते हुए वर्णित किया है। वे गुजरा के सर्वाधिक लोकप्रि वैष्णव कवि हैं तथा लोककल्पना में उनके जीवन से संबद्ध किंवदंतियों एवं चमत्कारिक घटनाओं के प्रति सहज विश्वासभावना मिलती है।
९०
यह चक्र ऐसे दोहराता रहता है, कि ब्रह्मा के एक दिवस में 1000 महायुग हो जाते हैं
सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुये। शान्तनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था इसलिये उनका पालन पोषण भीष्म ने किया। भीष्म ने चित्रांगद के बड़े होने पर उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया लेकिन कुछ ही काल में गन्धर्वों से युद्ध करते हुये चित्रांगद मारा गया। इस पर भीष्म ने उनके अनुज विचित्रवीर्य को राज्य सौंप दिया। अब भीष्म को विचित्रवीर्य के विवाह की चिन्ता हुई। उन्हीं दिनों काशीराज की तीन कन्याओं, अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। उनके स्वयंवर में जाकर अकेले ही भीष्म ने वहाँ आये समस्त राजाओं को परास्त कर दिया और तीनों कन्याओं का हरण कर के हस्तिनापुर ले आये। बड़ी कन्या अम्बा ने भीष्म को बताया कि वह अपना तन-मन राज शाल्व को अर्पित कर चुकी है। उसकी बात सुन कर भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भिजवा दिया और अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य के साथ करवा दिया।
1. स्थिर अवस्था का सिद्धांत
देहरादून और कुछ महत्वपूर्ण स्थानों के बीच की दूरी नीचे दी गयी है:
प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों(लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है, और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"[१२]
इसमें 365 अध्याय हैं। शान्ति पर्व में युद्ध की समाप्ति पर युधिष्ठिर का शोकाकुल होकर पश्चाताप करना, श्रीकृष्ण सहित सभी लोगों द्वारा उन्हें समझाना, युधिष्टिर का नगर प्रवेश और राज्याभिषेक, सबके साथ पितामह भीष्म के पास जाना, भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुति, भीष्म द्वारा युधिष्ठिर के प्रश्नों का उत्तर तथा उन्हें राजधर्म, आपद्धर्म और मोक्षधर्म का उपदेश करना आदि वर्णित है। मोक्षपर्व में सृष्टि का रहस्य तथा अध्यात्म ज्ञान का विशेष निरूपण है। शान्ति पर्व में “मङ्कगीता’’ (अध्याय 177), “पराशरगीता” (अध्याय 290-98) तथा “हंसगीता” (अध्याय 299) भी है। शान्तिपर्व में धर्म, दर्शन, राजानीति और अध्यात्म ज्ञान का विशद निरूपण किया गया है।
शेरशाह ने अपने अल्पकालीन शासनकाल में अनेक सार्वजनिक कार्य किये जो निम्न हैं-
भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के तेइसवे तीर्थंकर हैं
बांग्लादेश का अधिकतर हिस्सा समुद्र की सतह से बहुत कम ऊँचाई पर स्थित है। ज्यादातर हिस्सा भारतीय उपमहाद्वीप में नदियों के मुहाने पर स्थित है जो सुंदरवन के नाम से जाना जाता है। ये मुहाने गंगा (स्थानीय नाम पद्मा नदी), ब्रम्हपुत्र, यमुना और मेघना नदियों के हैं जो बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में अवस्थित हैं जो ज्यादातर हिमालय से निकलती हैं। बांग्लादेश की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ है लेकिन बाढ और अकाल दोनों से काफी प्रभावित होती रहती है। पहाड़ी क्षेत्र सिर्फ़ चिटागांग जिले में स्थित हैं जिसकी सबसे ऊँची चोटी केओक्रादांग 1,230 मीटर ऊँची है जो सिलहट मंडल के दक्षिण पूर्व में स्थित है।
भारत में इस्पात उद्योग की परंपरा भी बहुत प्राचीन है। ऐतिहासिक लेखों से ज्ञात होता है कि ईसा से 5 शताब्दी पूर्व भारत की इस्पात की तलवारें ईरान आदि देशों में बहुत विख्यात थीं। भारत से लोहा और इस्पात आज से 2,000 वर्ष पूर्व यूरोप तथा ऐबिसिनिया (अफ्रीका) में भेजा जाता था। सम्राट् अशोक के काल में इस्पात के उपकरण अनेक विशेष कार्यों में प्रयुक्त होते थे। ईरानियों तथा अरबों ने इस्पात पर पानी चढ़ाने (tempering) की कला को भारत से ही सीखा। चरक के समय में लोहे का औषधि के रूप में भी उपयोग होता था। उस समय दो प्रकार के लोहे का वर्णन आया है : कालायस् और तीक्षायस्, अर्थात् लौह चूर्ण तथा मोरचा (rust)। मोरचे का प्रयोग रक्तक्षीणता (anaemia) के उपचार में होता था। अश्म कसीस या फेरस सल्फेट (ferrous sulphate) तथा माक्षिक (pyrites) का उपयोग अनेक रोगों (जैसे-दाद या पामा, कुष्ठ, योनिरोग आदि) में बताया गया है।
अतीत के गर्भ से
फागुने तोर अमेर बोने
(5) न्याय दर्शन के अनुसार संसार की सभी कार्यवस्तु स्वभाव ही से छिद्रवाली (घ्दृद्धदृद्वद्म) होती हैं। वस्तु के उत्पन्न होते ही उन्हीं छिद्रों के द्वारा उन समस्त वस्तुओं में भीतर और बाहर आग या तेज प्रवेश करता है तथा परमाणु पर्यंत उन वस्तुओं को पकाता है। जिस समय तेज की कणाएँ उस वस्तु में प्रवेश करती हैं, उस समय उस वस्तु का नाश नहीं होता। यह अंग्रेजी में केमिकल ऐक्शन (ड़ण्ड्ढथ्र्त्ड़ठ्ठथ् ठ्ठड़द्यत्दृद) कहलाता है। जैसे - कुम्हार घड़ा बनाकर आवें में रखकर जब उसमें आग लगाता है, तब घड़े के प्रत्येक छिद्र से आग की कणाएँ उस में प्रवेश करती हैं और घड़े के बाहरी और भीतरी हिस्सों को पकाती हैं। घड़ा वैसे का वैसा ही रहता है, अर्थात् घड़े के नाश हुए बिना ही उसमें पाक हो जाता है। इसे ही न्याय शास्त्र में "पिठरपाक" कहते हैं।
डा. बेसेन्ट इसी समय चार्ल्स व्रेडला के सम्पर्क में आई। अब वह सन्देहवादी के स्थान पर ईश्वरवादी हो गई। कानून की सहायता से उनके पति दोनों बच्चों को प्राप्त करने में सफल हो गये। इस घटना से उन्हें हार्दिक कष्ट हुआ। उन्होंने ब्रिटेन के कानून की निन्दा करते हुए कहा कि यह अत्यन्त अमानवीय कानून है जो बच्चों को उनकी माँ से अलग करवा दिया है। मैं अपने दु:खों का निवारण दूसरों के दु:खों को दूर करके करुंगी और सब अनाथ एवं असहाय बच्चों की माँ बनूंगी। अपने कथन को सत्य करते हुए अपना अधिकांश जीवन दीन हीन अनाथों की सेवा में ही व्यतीत किया।
भटपुरा फ़र्रूख़ाबाद जिले का एक गाँव।
३१०० ईसा पूर्व का एक वर्ष है। ये ईसा पूर्व तीसरी सहस्राब्दी का १००वां वर्ष था।
बौद्ध धर्म के अनुसार, चौथे आर्य स्त्य का आर्य अष्टाण्ग मार्ग है दुःख निरोध पाने का रास्ता । गौतम बुद्ध कहते थे कि चार आर्य सत्य की सत्यता का निश्चय करने के लिए इस मार्ग का अनुसरण करना चाहिए ः
वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं ।
पहले तो मथुरा ही कृष्ण की राजधानी थी। पर मथुरा उन्होने छोड़ दी और द्वारका बसाई।
मदुरै अपने मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के लिए ही नहीं बल्कि सूत और रेशम के लिए भी प्रसिद्ध है। इनका प्रमुख बाजार पुथु मंडपम में है। यह एक स्तंभ वाला हॉल मीनाक्षी मंदिर के प्रवेश द्वार के पास है। यह स्थान सूत की दुकानों के लिए प्रसिद्ध है। मदुरै की सनगुंडी साड़ी भी प्रसिद्धह हैं। यह साड़ी महिलाओं के बीच बहुत पसंद की जाती है। सजावट के लिए मदुरै से लकड़ी और पीतल से बनी सजावटी वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं।
Uranium is Niger's largest export. Foreign exchange earnings from livestock, although difficult to quantify, are second. Actual exports far exceed official statistics, which often fail to detect large herds of animals informally crossing into Nigeria. Some hides and skins are exported, and some are transformed into handicrafts.
अग्निमित्र (149-141 ईपू) शुङ्ग वंश का राजा।
ई.टी. एटकिंस दी हिमालयन गजेटियर, (वोल्युम III, भाग I, वर्ष 1982) के अनुसार इस शहर की वास्तुकला इस प्रकार है, “विष्णुप्रयाग से इस शहर में प्रवेश किनारे के ऊपर से होता है जहां स्लेटों तथा पत्थरों से कटी सीढ़ियां हैं और इसी प्रकार इस स्थान के रास्तों में भी ऐसा ही है, पर यह बहुत ही अनियमित है। घर साफ पत्थरों से बने हैं जिनकी छतें स्लेटों या चिकने पत्थरों या तख्तों से ढंकी होती हैं। इसके बीच रावलों तथा बद्रीनाथ के अन्य पुजारियों के सुंदर निर्मित घर हैं जो यहां नवंबर से मई के बीच रहते हैं, जब उनके मंदिर के रास्ते बर्फ से ढंके रहते हैं। नरसिंह की प्रतिमा वाला भवन निजी घर जैसा ही दिखता है, न कि एक हिंदू मंदिर की तरह। इसके निर्माण नुकीले भवन जैसा होता है जिसके छत की ढलान एक तांबे की चादर से ढंकी रहती है। इसके सामने एक बड़ा खुला मैदान है जिसमें पत्थर की एक मांद है जिसमें दो नल हैं जिससे लगातार पानी का बहाव होता रहता है और इसमें पानी की आपूर्त्ति गांव के दक्षिण पहाड़ी पर एक झरने से होती है। पहले तीर्थयात्री यहीं रूकते थे पर वे अब धर्मशालाओं में विश्राम करते हैं जो अब शहर की मुख्य सड़कों पर स्थित हैं। एक दस फीट ऊंचे चबूतरे पर महान पुरातात्विक चिह्नों के कई मंदिर मैदान के एक ओर श्रेणीबद्ध हैं। क्षेत्र के बीच में 30 फीट स्थल पर दीवालों के अंदर विष्णु को समर्पित एक मंदिर है। कई मंदिर छिन्न-भिन्न हैं, जिनका अंश भूकंप से ध्वस्त हो गया है।”
उत्तरी दमदम कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी के अधीन आता है।
महर्लोक से बीस करोड़ योजन ऊपर जनलोक है।
हमारे लिए एक मूल्यवान प्रतीक।
इस्लाम की आलोचनाइस्लामोफोबिया
प्रभाकर वर्धन के बड़े पुत्र राज्यवर्धन ने शीघ्र ही देवगुप्त पर आक्रमण करके उसे मार डाल्श ।
एकता जीतेन्द्र कपूर (ايڪتا ڪپوُر : सिंधी/उर्दु) (जन्म: ७ जून, १९७५) एक भारतीय दूरदर्शन एवं चलचित्र निर्मात्री हैं। ये बालाजी टेलीफिल्म्स की क्रियेटिव हेड एवं संयुक्त प्रबंध निदेशक हैं। इनके पिता भी प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता जीतेन्द्र और माता शोभा कपूर हैं। इनका छोटा भाई तुषार कपूर भी हिन्दी चलचित्र अभिनेता है।[१][२][३]
स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म १८२४ में बंबई की मोरवी रियासत के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।[१] इनका बचपन का नाम मूलशंकर था। गृह त्याग के बाद मथुरा में स्वामी विरजानंद के शिष्य बने। १८६३ में शिक्षा प्राप्त कर गुरु की आज्ञा से धर्म सुधार हेतु 'पाखण्ड खण्डिनी पताका' फहराई। स्वामी दयानंद सरस्वती ने ७ अप्रैल १८७५ को बंबई में आर्य समाज की स्थापना की थी।[२] इन्होंने वेदों की ओर लौटो तथा भारत भारतीयों के लिए नारे दिए। स्वामी दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश (हिंदी भाषा में) तथा वेदभाष्यों की रचना की। इन्होंने धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को पुन: हिंदू बनाने के लिए शुद्धि आंदोलन चलाया। १८८३ में स्वामी जी का देहांत हो गया।
भारतीय रेल के नेटवर्क का नियंत्रण इसके 16 जोनल कार्यालयों द्वारा किया जाता है। ये हैं:- उत्‍तरी रेलवे, नई दिल्‍ली; उत्‍तर मध्‍य रेल, इलाहाबाद; उत्‍तर पश्चिम रेल, जयपुर; उत्‍तर पूर्वी फ्रंटियर रेल, मालीगांव (गुवाहाटी); उत्‍तर पूर्वी रेल, गोरखपुर; मध्‍य रेल, मुंबई सीएसटी; दक्षिण मध्‍य रेल, सिकंदराबाद; पूर्वी मध्‍य रेल, हाजीपुर; दक्षिणी-पूर्वी मध्‍य रेल, बिलासपुर; पश्चिम मध्‍य रेल, जबलपुर; पूर्वी रेल, कोलकाता; पूर्वी तट रेल, भुवनेश्‍वर; दक्षिणी रेल, चेन्‍नै; दक्षिणी पश्चिमी रेल, हुबली; दक्षिण-पूर्वी रेल, कोलकाता; और पश्चिमी रेल, मुंबई (चर्च गेट)
श्री अशोक अंजुम
सोमेश्वर मंदिर नाशिक में स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में महादेव सोमेश्‍वर की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर गंगापुर रोड़ पर स्थित है। नाशिक शहर से इस मंदिर की दूरी लगभग 6 कि.मी है।
शिप्पत्सु सुरु (प्रस्थान करना) परंतु इस प्रकार की क्रियाओं के संबंध में एक विशेषता यह है कि जब ऐसी क्रिया वाक्य के अंत में आती है, कभी कभी "सुरु" (करना) लगाकर वाक्य पूर्ण किया जाता है। जैसे रोकुजि किशो। शिचिजि शिप्पत्सु। (छ: बजे उठता हूं। सात बजे प्रस्थान करता हूँ)।
इस समय हिन्दी में सजाल (websites), चिट्ठे (Blogs), विपत्र (email), गपशप (chat), खोज (web-search), सरल मोबाइल सन्देश (SMS) तथा अन्य हिन्दी सामग्री उपलब्ध हैं। इस समय अन्तरजाल पर हिन्दी में संगणन के संसाधनों की भी भरमार है और नित नये कम्प्यूटिंग उपकरण आते जा रहे हैं। लोगों मे इनके बारे में जानकारी देकर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है ताकि अधिकाधिक लोग कम्प्यूटर पर हिन्दी का प्रयोग करते हुए अपना, हिन्दी का और पूरे हिन्दी समाज का विकास करें।
बाश्किर विकिपीडिया
भारतीय नाम (Indian name) भिन्न प्रकार की प्रणालियों और नामकरण प्रथा (naming conventions) पर होती हैं , जो की अलग -अलग शेत्रों के अनुसार बदलती रहती हैं नाम भी धर्म और जाति से प्रभावित होती हैं और वो धर्म या महाकाव्यों से लिए जा सकते हैं भारत की आबादी अनेक प्रकार की भाषाएं बोलती हैं
उत्तरी अमरीका तथा विशेषकर संयुक्त राज्य अमरीका के इतिहास में हब्शी दासता तथा तज्जनित स्थितियों का प्रारंभ से लेकर आज तक विशेष महत्व रहा है। दासप्रथा के कारण ही वहाँ तंबाकू, कपास आदि की कृषि में आश्चर्यजनक प्रगति हुई तथा भूमि से अप्रत्याशित खनिज संपत्ति निकाली गई; दासव्यवस्था ने ही संयुक्त राज्य को पूँजीवादी तथा औद्योगिक प्रगति में विश्व का अगुआ बनने में सबसे अधिक सहायता दी है; तथा दासप्रथा ने ही संयुक्त राज्य के राजनीतिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है क्योंकि दासता के प्रश्न पर उक्त राष्ट्र भीषण गृहयुद्ध से गुजरकर विभाजित होते होते बचा है। यद्यपि संयुक्त राज्य में दासता पहले अवैधानिक करार दी जा चुकी थी तथापि आज भी वहाँ की सबसे बड़ी राष्ट्रीय समस्या हब्शी समस्या है जिसका पूर्ण समाधान दृष्टिगत नहीं हो रहा है। यह उन्हीं हब्शियों की समस्या है जिनके पर्वज श्वेत महाप्रभुओं के क्रीतदास थे।
औरंगजेब के शासनकाल के बाद, साम्राज्य में गिरावट हुई.बहादुर ज़फ़र शाह I के साथ शुरुआत से, मुगल सम्राटों की सत्ता में उत्तरोत्तर गिरावट आई और वे कल्पित सरदार बने, जो शुरू में विभिन्न विविध दरबारियों द्वारा और बाद में कई बढ़ते सरदारों द्वारा नियंत्रित थे.18 वीं शताब्दी में, इस साम्राज्य ने पर्शिया के नादिर शाह और अफगानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली जैसे हमलावरों का लूट सहा, जिन्होंने बार बार मुग़ल राजधानी दिल्ली में लूटपाट किया.भारत में इस साम्राज्य के क्षेत्रों का अधिक भाग को ब्रिटिश को मिलने से पहले मराठाओं को पराजित किया गया था.1803 में, अंधे और शक्तिहीन शाह आलम II ने औपचारिक रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का संरक्षण स्वीकार किया.ब्रिटिश सरकार ने पहले से ही कमजोर मुग़लोँ को "भारत के सम्राट" के बजाय "दिल्ली का राजा" कहना शुरू कर दिया था, जो 1803 में औपचारिक रूप से प्रयोग किया गया, जिसने भारतीय नरेश की ब्रिटिश सम्राट से आगे बड़ने की असहज निहितार्थ से परहेज किया.फिर भी, कुछ दशकों के बाद, BEIC ने सम्राट के नाममात्र नौकरों के रूप में और उनके नाम पर, अपने नियंत्रण के अधीन क्षेत्रों में शासन जारी रखा, .1827 में यह शिष्टाचार भी खत्म हो गया था.सिपाही विद्रोह के कुछ विद्रोहियों ने जब शाह आलम के वंशज बहादुर जफर शाह II से अपने निष्ठा की घोषणा करी, तो ब्रिटिश ने इस संस्था को पूरी तरह समाप्त करने का निर्णय लिया.उन्होंने 1857 में अंतिम मुग़ल सम्राट को पद से गिराया और उन्हें बर्मा के लिए निर्वासित किया, जहाँ 1862 में उनकी मृत्यु हो गई.इस प्रकार मुग़ल राजवंश का अंत हो गया, जिसने भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय का योगदान किया था.
प्रत्येक सिम कार्ड को एक अद्वितीय संख्यात्मक पहचानकर्ता के उपयोग के द्वारा सक्रिय किया जाता है; एक बार सक्रिय हो जाने पर, पहचानकर्ता को लोक कर दिया जाता है और सक्रिय नेटवर्क में स्थायी रूप से कार्ड आलिंगन हो जाता है.इस कारण से, अधिकांश खुदरा विक्रेता एक सक्रिय किए गए सिम कार्ड को वापिस लेने से इनकार कर देते हैं.
युग बदलने के साथ ही वैशाली और मिथिला के लिच्छवी में साधु वर्धमान महावीर हुए, कपिलवस्तु के शाक्य में गौतम बुद्ध हुए। उन्हीं दिनों काशी का राजा अश्वसेन हुआ। इनके यहां पार्श्वनाथ हुए जो जैन धर्म के २३वें तीर्थंकर हुए। उन दिनों भारत में चार राज्य प्रबल थे जो एक-दूसरे को जीतने के लिए, आपस में बराबर लड़ते रहते थे। ये राह्य थे मगध, कोसल, वत्स और उज्जयिनी। कभी काशी वत्सों के हाथ में जाती, कभी मगध के और कभी कोसल के। पार्श्वनाथ के बाद और बुद्ध से कुछ पहले, कोसल-श्रावस्ती के राजा कंस ने काशी को जीतकर अपने राज में मिला लिया। उसी कुल के राजा महाकोशल ने तब अपनी बेटी कोसल देवी का मगध के राजा बिम्बसार से विवाह कर दहेज के रूप में काशी की वार्षिक आमदनी एक लाख मुद्रा प्रतिवर्ष देना आरंभ किया और इस प्रकार काशी मगध के नियंत्रण में पहुंच गई।[१] राज के लोभ से मगध के राजा बिम्बसार के बेटे अजातशत्रु ने पिता को मारकर गद्दी छीन ली। तब विधवा बहन कोसलदेवी के दुःख से दुःखी उसके भाई कोसल के राजा प्रसेनजित ने काशी की आमदनी अजातशत्रु को देना बन्द कर दिया जिसका परिणाम मगध और कोसल समर हुई। इसमें कभी काशी कोसल के, कभी मगध के हाथ लगी। अन्ततः अजातशत्रु की जीत हुई और काशी उसके बढ़ते हुए साम्राज्य में समा गई। बाद में मगध की राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र चली गई और फिर कभी काशी पर उसका आक्रमण नहीं हो पाया।
सतसई काव्य ने एक विशिष्ट परंपरा के रूप में प्रतिष्ठित होकर अपनी निजी विशेषताएँ विकसित की हैं। सतसई रचना की परंपरा "हाल" की गाथासप्तशती से आरंभ हुई। यह प्राकृत का ग्रंथ है तथा इसमें रस से सिक्त और लोकजीवन का सजीव चित्र प्रस्तुत करनेवाली गाथाएँ हैं। इसके बाद गोवर्धनाचार्य की "आर्यासप्तशती" संस्कृत में लिखी गई। अमरु कवि के "अमरुशतक" में भी शृंगाररस के मनोहारी श्लोक हैं। संख्यापरक इन ग्रंथों के प्रभाव से हिंदी साहित्य में सतसई रचना का चाव बढ़ा परंतु हिंदी साहित्य के प्रांगण में सतसई रचना का सतत विकास अपने निजी ढंग पर हुआ; वह अपने पूर्ववर्ती सतसई साहित्य से प्रभावित है परंतु उसका निर्जीव अनुकरण नहीं है।
जो लोग हिंसा के जरिये आजादी हासिल करना चाहते थे गाँधी उनकी आलोचना के कारण भी थोड़ा सा राजनैतिक आग की लपेट में भी आ गये भगत सिंह, सुखदेव, उदम सिंह, राजगुरु की फांसी के ख़िलाफ़ उनका इनकार कुछ दलों में उनकी निंदा का कारण बनी.[६३][६४]
2 CO2
इस श्रेणी में हिन्दू एवं वैदिक धर्म ग्रंथों में दिये समस्त पौराणिक पात्रों को रखा गया है सात्यकि महाभारत के युद्ध मे एक वीर यादवो का सेनापत्ति था।
महादेव अइयर गणपति को प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये उड़ीसा राज्य से हैं।
निकटतम रेल जंक्शन विल्लापुरम है जो चेन्नई और मदुरै/त्रिवेंद्रम से जुड़ा है।
अभिनेता वह पुरुष कलाकार है जो एक चलचित्र या नाटक में किसी चरित्र का अभिनय करता है।
क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.जनसंख्या - (2001 जनगणना)साक्षरता -एस. टी. डी (STD) कोड - 510जिलाधिकारी - (सितम्बर 2006 में)समुद्र तल से उचाई -अक्षांश - उत्तर 25° 27'देशांतर - पूर्व 78° 34औसत वर्षा - मि.मी.
पद्मा (बांग्ला: পদ্মা पॉद्दा) एक नदी है । इस नदी से दूर गहराई 1571 फीट (583 फीट) है. इसकी औसत गहराई 695 फीट (201 मी) और अधिकतम गहराई है 1144 फीट (323 मीटर) है.
ॐ येन पूषा बृहस्पतेः, वायोरिन्द्रस्य चावपत् । तेन ते वपामि ब्रह्मणा, जीवातवे जीवनाय, दीघार्युष्ट्वाय वचर्से । -मं० ब्रा० १.६.७
२३ अक्टूबर १७६४ को युद्ध हुआ जिसमे मुनरो ने तीनो को हरा दिया था।
इण्डिका (Indica) से निम्नलिखित चीजों का बोध होता है-
अन्य सम्बन्धित संस्थान हैं :
सीमित आवश्यकताओं में विश्वास रखनेवाले, अपने कृषिकर्म और आश्रमजीवन से संतुष्ट आर्य प्राय: ग्रामवासी थे, और शायद इसीलिए, अपने परिपक्व विचारों के अनुरूप ही, समसामयिक सिंधु घाटी सभ्यता के विलासी भौतिक जीवन की चकाचौंध से अप्रभावित रहे। कुछ भी हो, उनके अस्थायी निवासों से ही बाद के भारतीय वास्तु का जन्म हुआ प्रतीत होता है। इसका आधार धरती में और विकास वृक्षों में हुआ, जैसा वैदिक वाङ्मय में महावन, तोरण, गोपुर आदि के उल्लेखों से विदित होता है। अत: यदि उस अस्थायी रचनाकाल की कोई स्मारक कृति आज देखने को नहीं मिलती, तो कोई आश्चर्य नहीं।
८) आयकल्प के बुलि,
Hindu is a great एक बात और कही जा सकती है कि ज़्यादातर वैष्णव और शैव दर्शन पहले दो विचारों को सम्मिलित रूप से मानते हैं। जैसे, कृष्ण को परमेश्वर माना जाता है जिनके अधीन बाकी सभी देवी-देवता हैं, और साथ ही साथ, सभी देवी-देवताओं को कृष्ण का ही रूप माना जाता है। तीसरे मत को धर्मग्रन्थ मान्यता नहीं देते।
अएक लाफ मारून्ग्फग तेरी कन्पत्ति पर
मध्य अफ़्रीकी गणराज्य मध्य अफ्रीका में स्थित एक भूमि रक्षित (लैंडलॉक) देश है। इसकी सीमाएं उत्तर में चाड, पूर्व में सूडान, दक्षिण में कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य एवं काँगो गणराज्य एवं पश्चिम में कैमरुन से लगीं हैं।
इससे पहले बंबई को भी मुंबई किया गया था। नये बदलाव ब्रिटिश उचारणों को बदलने पर केंद्रित थे, व हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी शिव सेना के जोर देने पर हुए थे। इसे लम्बे समय से मराठी व गुजराती लोग मुंबई व हिन्दी भाषी लोग बंबई बोलते थे।[२][३]
चीनी शब्द अथवा चीनी लिपियों को जोड़कर जापान में बने शब्द जापानी भाषा में अत्यंत महत्व का स्थान रखते हैं। आजकल के समाचारपत्रों में प्रयुक्त शब्दों में से कोई 10 प्रतिशत ऐसे शब्द हैं। चीनी लिपियों में लिखे शब्दों को पढ़ने में एक बड़ी कठिनाई यह है कि एक एक लिपि के लिये तीन भिन्न उच्चारण हैं। कारण यह है कि चीन में "कान" राजकुल, "गो" राजकुल और "तो" राजकुल के शासनकालों में चीनी लिपियों के उच्चारण भिन्न थे और इन तीनों कालों में चीनी भाषा का प्रभाव जापानी भाषा पर पड़ता रहा। इस प्रकार चीनी उच्चारण के अनुसार पढ़ने के लिये तीन भेद हैं। इसके अतिरिक्त जब ये लिपियाँ जापान के अपने मूल शब्दों के लिये प्रयुक्त की जाती हैं ये चीनी लिपियाँ अपने अपने अर्थ के अनुसार जापानी उच्चारण में पढ़ी जाती हैं। इस प्रकार कभी कभी एक चीनी लिपि सात आठ प्रकार से पढ़ी जाती है।
जावेद जान निसार अख्तर को सन २००७ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये महाराष्ट्र से हैं।
४ अलिखित संविधान हमेशा लचीला होगा उसमे इच्छा अनुसार बदलाव लाये जा सकते है
मौर्य वंश के पतन के बाद दीर्घकाल तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया।
चेन्नई के वासी को अंग्रेज़ी में चेन्नैयाइट और हिन्दी में प्रायः मद्रासी कह दिया जाता है। २००१ में भारत की जनगणना के अनुसार चेन्नई शहर की जनसंख्या ४३.४ लाख थी जबकि कुल महानगरीय जनसंख्या ७०.४ लाख थी। [४६] २००६ की अनुमानित महानगरीय जनसंख्या ४५ लाख आयी है।[४७] २००१ में शहर का जनसंख्या घनत्व २४,६८२ वर्ग कि.मी. (६३,९२६ प्रति वर्ग मील) था, जबकि महानगरीय क्षेत्र का घनत्व ५,९२२ प्रति वर्ग कि.मी. था, जिससे यह विश्व के सर्वोच्च जनसंख्या वाले शहरों में गिना जाने लगा।[४६][४८] यहां का लिंग अनुपात ९५१ स्त्रियां/१००० पुरुष है,[४९] जो राष्ट्रीय औसत ९४४ से कुछ अधिक ही है। [५०] शहर की औसत साक्षरता दर ८०.१४% है,[५१] जो राष्ट्रीय औसत दर ६४.५% से कहीं अधिक है। नगर में झुग्गी-झोंपड़ी निवासियों की जनसंख्या भारत के अन्य महानगरों के मुकाबले चौथे स्थान पर आती है, जिसमें ८,२०,००० लोग (कुल जनसंख्या का १८.६%) लोग हैं।[५२] यह संख्या भारत की कुल जनसंख्या का ५% है। २००५ में शहर में अपराध दर ३१३.३ प्रति १ लाख व्यक्ति थी, जो भारत के सभी प्रधान शहरों में हुए अपराधों का ६.२% है।[५३] ये आंकड़े २००४ से ६१.८% बढ़े हैं।[५४]
राष्ट्रपति के कृत्यों का अवतारण करने के लिए, संसद ने एक कानून के द्वारा प्रावधान बनाया है, जब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के साथ ही साथ हटाने के कारण, निधन, नियुक्ति के इस्तीफे या अन्यथा के कारण कार्यालयों में रिक्तियाँ घटित होती हैं.ऐसे एक इमकान में, मुख्य न्यायाधीश या उसकी अनुपस्थिति में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश उपलब्ध राष्ट्रपति के कृत्यों का अवतारण करते हैं, जब तक कि एक नए राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करें या एक नए उपाध्यक्ष का निर्वाचन, जो भी पहले हो, जो संविधान के अनुच्छेद 65 के अंतर्गत राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना शुरू करे.
ऐसा जान पड़ता है कि भारत में भरत के समय तक गान को पहले केवल गीत कहते थे। वाद्य में जहाँ गीत नहीं होता था, केवल दाड़ा, दिड़दिड़ जैसे शुष्क अक्षर होते थे, वहाँ उस निर्गीत या बहिर्गीत कहते थे और नृत्त अथवा नृत्य की एक अलग कला थी। किंतु धीरे धीरे गान, वाद्य और नृत्य तीनों का "संगीत" में अंतर्भाव हो गया - गीतं वाद्यं तथा नृत्यं त्रयं संगतमुच्यते।
चित्रकूट पहुँच कर रामघाट पर उन्होंने अपना आसन जमाया। एक दिन वे प्रदक्षिणा करने निकले थे। मार्ग में उन्हें श्रीराम के दर्शन हुए। उन्होंने देखा कि दो बड़े ही सुन्दर राजकुमार घोड़ों पर सवार होकर धनुष-बाण लिये जा रहे हैं। तुलसीदासजी उन्हें देखकर मुग्ध हो गये, परंतु उन्हें पहचान न सके। पीछेसे हनुमान्‌जी ने आकर उन्हें सारा भेद बताया तो वे बड़ा पश्चाताप करने लगे। हनुमान्‌जी ने उन्हें सात्वना दी और कहा प्रातःकाल फिर दर्शन होंगें।
कनाडा दस प्रातों और तीन प्रदेशों में विभाजित है।
गोबिन्दभवन-कार्यालय कोलकाताके नामसे सोसायटी पंजीयन अधिनियमके अन्तर्गत पंजीकृत गीताप्रेस अपने आरम्भिक-कालसे ही एक संस्थाके रूपमें प्रतिष्ठित रही है। सभीका ऐसा विश्वास है कि गीताप्रेसका सारा कार्य भगवान् का कार्य है और भगवान् स्वयं ही इसकी देखभाल करते हैं, तथापि निमित्त रूपमें अनेक महानुभावोंद्वारा इसके संचालनका दायित्व निर्वाह होता आ रहा है। प्रत्यक्षमें इस संस्थाके न्यास-मंडल (ट्रस्ट-बोर्ड) -द्वारा इसकी कार्य-प्रणालीको नियंत्रित किया जाता है। इस संस्थाकी चल-अचल सम्पत्तिका यहाँके न्यासीजनोंके साथ कोई भी व्यक्तिगत आर्थिक स्वार्थका सम्बन्ध नहीं है। गीताप्रेसके संस्थापक 'सेठजी' ने इस संस्थाके माध्यमसे अपने परिवारके किसी भी सदस्यका भरण-पोषण नहीं किया। इस संस्थाके सूत्रधार होते हुए भी उन्होंने अपने-आपको व्यक्तिगत प्रचारसे सर्वथा दूर रखा।
दुनिया भर के कई देशों में अंग्रेजी में लिखित किताबें, पत्रिकाएं और अख़बार उपलब्ध होते हैं. विज्ञान के क्षेत्र में भी अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग सबसे अधिक होता है.[३] 1997 में, विज्ञान प्रशस्ति पत्र सूचकांक के अनुसार उसके 95% लेख अंग्रेजी में थे, हालाँकि इनमें से केवल आधे ही अंग्रेजी बोलने वाले देशों के लेखकों के थे.
दे्खें रविवार व्रत कथा
विखंडन बम आवरणों के बिखरे टुकड़ों और निकटवर्ती भौतिक वस्तुओं की गति की वृद्धि द्वारा उत्पन्न होता है. यह तकनीकी रूप से अलग है, हालांकि व्यावहारिक रूप से छर्रों से अविवेच्य, जो भौतिक वस्तुएं हैं जैसे इस्पात का गोलों या नाखूनों को बम में विशेष रूप से चोट को बढ़ाने के लिए जोड़ा जाता हैं. हालांकि पारंपरिक रूप से देखे गए छोटे धातु के टुकड़े सुपर से हाइपरसोनिक गति से चलने लगे हैं, इससे विखंडन विशाल अनुपात में हो सकता है और व्यापक दूरी तक पहुंच सकता है. जब एस.एस. ग्रैंडकैंप को 16 अप्रैल, 1947 को टेक्सास शहर आपदा में विस्फोटित किया गया था, उस विस्फोट का एक "टुकड़ा" दो टन लंगर था जो अंतर्देशीय करीब दो मिल फेंका गया था जिससे अपने को पैन अमेरिकी रिफाइनरी के बहुत बड़े क्षेत्र में स्थापित कर ले.
पण्डित चन्द्रशेखर आजाद का जन्‍म मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भावरा गाँव में 23 जुलाई सन् 1906 को हुआ आजाद के पिता पण्डित सीताराम तिवारी संवत १९५६ के अकाल के समय अपने निवास उत्तर-प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गाँव को छोडकर पहले अलीराजपुर रियासत में रहे और फिर भावरा में बस गए। यहीं चन्द्रशेखर का जन्म हुआ। उनकी माँ का नाम जगरानी देवी था।
९. एरागुडि- यह आन्ध्र प्रदेश के कूर्नुल जिले में स्थित है ।
अपने बाकी के ४५ वर्ष के लिये, गौतम बुद्ध ने गंगा नदी के आस-पास अपना धर्मोपदेश दिया, धनवान और कंगाल लोगों दोनो को । उन्होने दो सन्यासियों के संघ की भी स्थापना जिन्होने बुद्ध के धर्मोपदेश को फ़ैलाना जारी रखा ।
नगर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का स्थान है, जिसे पूर्व में मेरठ विश्वविद्यालय कहा जाता था। इसके अलावा नगर में कई अन्य महाविद्यालय एवं विद्यालय हैं।
सभी मुसलमान ईश्वर द्वारा भेजे गये सभी नबियों की वैधता स्वींकार करते हैं और अधिकतम मुसलमान मुहम्मद साहब को ईशवर का अन्तिम नबी मानते हैं। अहमदिय्या समुदाय के लोग मुहम्मद साहब को अन्तिम नबी नहीं मानते हैं और स्वयं को इस्लाम का अनुयायी भी कहते हैं। भारत के उच्चतम न्यायालय के अनुसार उनको भारत में मुसलमान माना जाता है।[१] कई अन्य प्रतिष्ठित मुसलमान विद्वान समय समय पर पहले भी मुहम्मद साहब के अन्तिम नबी होने पर सवाल उठा चुके हैं।[२][३][४]
ॐ यदाबध्नन्दाक्षायणा, हिरण्य शतानीकाय, सुमनस्यमानाः । तन्मऽआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्माञ्जरदष्टियर्थासम्॥ -३४.५२
वर्तमान जनगाथा
१९वीं शताब्दी के अंत में सर रॉबर्ट फ़िलिप ने इंग्लैंड में निम्नलिखित क्षय-निरोध-योजना संगठित की है। संपूर्ण दल में निम्नलिखित अंश होते हैं:
श्री राम सहाय वर्मा
(2) मुक्ता - वे शस्त्र जो फेंके जाते थे। इनके भी दो प्रकार थे-
अशोक के परवर्ती मौर्य सम्राट- मगध साम्राज्य के महान मौर्य सम्राट अशोक की मृत्यु २३७-२३६ ई. पू. में (लगभग) हुई थी । अशोक के उपरान्त अगले पाँच दशक तक उनके निर्बल उत्तराधिकारी शासन संचालित करते रहे ।
भारत की अन्य प्रादेशिक भाषाओं की तरह बँगला भाषा का भी उत्पत्तिकाल सन् 1,000 ई. के आस पास माना जा सकता है। अपभ्रंश से या मगध की भाषा से पृथक् रूप ग्रहण करने के बाद से ही उसमें गीतों और पदों की रचना होने लगी थी। जैसे-जैसे वह जनता के भावों और विचारों को अभिव्यक्त करने का साधन बनती गई, उसमें विविध रचनाओं, काव्यग्रंथों तथा दर्शन, धर्म आदि विषय कृतियों का समावेश होता गया, यहाँ तक कि आज भारतीय भाषाओं में उसे यथेष्ट ऊँचा स्थान प्राप्त हो गया है।
बनारसी रेशमी साड़ी का अंश
ऑस्ट्रेलिया के पास दो सार्वजनिक प्रसारणकर्ता(द ऑस्ट्रेलियन ब्रोडकास्टिंग निगम और बहुसांस्कृतिक विशेष प्रसारण सेवा), तीन वाणिज्यिक टेलीविजन नेटवर्क, कई पे-टीवी सेवाएँ, और विभिन्न सार्वजनिक, लाभ राहित टेलीविजन और रेडियो केंद्र है.हर प्रमुख शहर में रोजाना के अखबारे, और दो राष्ट्रीय दैनिक अखबारे, द ऑस्ट्रेलियन और द ऑस्ट्रेलियन फैनैन्शियल रिव्यू है.2008 में रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया का मुक्त प्रेस द्वारा दिए गए, 173 देशो को स्थान में 25वां है, न्यूजीलैण्ड के (7वां) और (23वां) के पीछे लेकिन अमेरिका(48वां) से आगे.पायदान में नीचे होने का प्रमुख कारण है ऑस्ट्रेलिया में व्याव्सायिक मीडिया के सिमित विभेद,[१००] साथ में, अधिकांश ऑस्ट्रेलियन प्रिंट मीडिया निउज कार्पोरेशन और जॉन फेयरफेक्स होल्डिंग्स के नियंत्रण अधीन है.
टेलीग्राफ तथा रेल के आगमन ने नगर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं । उन्नीसवीं सदी में बंगलोर एक द्विनगर ( ट्विन सिटी ) बन गया - पेट और कैंटोनमेंट। पेट में मुख्यतः कन्नड जनवास था जबकि कैंटोनमेंट के निवासियों में तमिल आप्रवासियों की बहुतायत थी । 1898 में प्लेग की चपेट में आने से बंगलोर की जनसंख्या यकायक कम गई । 1906 में यह देश का पहला ऎॆसा नगर बना जहां जलविद्युत आपुर्ति की सुविधा थी । शिवानासमुद्र का पनबिजली केन्द्र इसका स्रोत था ।
रसायनशास्त्र के अध्ययन का क्षेत्र बड़ा व्यापक है, नीचे दिए चित्र से इसका कुछ अनुमान हो सकता है :
अनुसंधान विभाग के कार्यों में आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा आवश्‍यक उपकरण के अनुसंधान और विकास का कार्य, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से संबंधित छानबीन और स्‍टूडियो, सीमित उपयोग के लिए अनुसंधान और विकास उपकरण के प्रोटोटाइप मॉडलों का विकास, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के नेटवर्क में क्षेत्र परीक्षण। केन्‍द्रीय भण्‍डार कार्यालय
अंग्रेजों के भारत में आगमन के साथ-साथ ऐलोपैथिक पद्धति यहाँ आई और ब्रिटिश राज्यकाल में शासकों से प्रोत्साहन पाने के कारण इसकी जड़ इस देश में जमी और पनपी। आज स्वतंत्र भारत में भी इस पद्धति को मान्यता प्राप्त है और इसके अध्यापन और अन्वेषण के लिये अनेक महाविद्यालय तथा अन्वेण संस्थाएँ खुली हुई हैं। प्रति वर्ष हजारों डाक्टर इन संस्थाओं से निकलकर इस पद्धति द्वारा चिकित्साकार्य करते हैं। देश भर में इस पद्धति से चिकित्सा करने के लिये अस्पताल खुले हुए हैं और उच्च कोटि के चिकित्सक उनमें काम करते हैं।
कोलकाता परिसर 'सांख्यिकी स्नातक' (बी स्टेट) डिग्री प्रदान करता है तथा सांख्यिकी, कंप्यूटर विज्ञान, गुणवत्ता विश्वसनीयता और संचालन अनुसंधान, मात्रात्मक अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करता हैं ।
शाहजहां ने कोहिनूर को अपने प्रसिद्ध मयूर-सिंहासन (तख्ते-ताउस) में जड़वाया। उसके पुत्र औरंगज़ेब ने अपने पिता को कैद करके आगरा के किले में रखा। यह भी कथा है, कि उसने कोहिनूर को खिड़की के पास इस तरह रखा, कि उसके अंदर, शाहजहां को उसमें ताजमहल का प्रतिबिम्ब दिखायी दे। कोहिनूर, मुगलो के पास १७३९ में हुए ईरानी शासक नादिर शाह के आक्रमण तक ही रहा। उसने आगरा व दिल्ली में भयंकर लूटपाट की। वह मयूर सिंहासन सहित कोहिनूर व अगाध सम्पत्ति फारस लूट कर ले गया। इस हीरे को प्राप्त करने पर ही, नादिर शाह के मुख से अचानक निकल पड़ा: कोह-इ-नूर, जिससे इसको अपना वर्तमान नाम मिला । १७३९ से पूर्व, इस नाम का कोई भी सन्दर्भ ज्ञात नहीं है।
न्यू यार्क अमेरिका के उत्तर-पूर्व मे स्थित प्रांत है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका का तीसरा सर्वाधिक जनसँख्या वाला प्रांत है।
प्रकाश संश्लेषण के विकास ने सूर्य की उर्जा का प्रत्यक्ष जीवन में उपयोग करने की अनुमति दी, परिणामतः ऑक्सीजन वातावरण में संचित हुआ और ओजोन (ऊपरी वायुमंडल में आणविक ऑक्सीजन [o३] का एक प्रकार ) की एक परत के रूप में परिणत हुआ .बड़ी कोशिकाओ के साथ छोटी कोशिकाओं के समावेश के परिणामस्वरुप युकार्योतेस (development of complex cells) कहे जाने वाले जटिल कोशिकाओं का विकास में हुआ.[२१] कोलोनियों के अंतर्गत सच्चे बहु कोशिकीय जीवो के रूप में वर्धमान विशेषीकृत होता है ओजोन परत (ozone layer) द्वारा हानिकारक पराबैंगनी विकिरण के अवशोषण से सहायता प्राप्त जीवन पृथ्वी पर संघनित हुआ[२२]
आलप्पुषा | एर्ण्णाकुल़म | इड्डुक्कि | कण्णूर | कासरगोड | कोल्लम | कोट्टयम | कोषिक्कोड | मलप्पुरम | पालाक्काड | पत्तनमत्तिट्टा | तिरुअनन्तपुरम | त्रिश्शूर | वयनाड
""विविधा दिशा अन्यत्र इति विदिशा।
साँचा:Mughal Empireसाँचा:Empires
कर्म का बहुत विस्तृत विवेचन वैशेषिक दर्शन में किया गया है। न्याय दर्शन में कहे गए "कर्म" के पाँच भेदों को ये लोग भी उन्हीं अर्थों में स्वीकार करते हैं। कायिक चेष्टाओं ही को वस्तुत: इन लोगों ने "कर्म" कहा है। फिर भी सभी चेष्टाएँ प्रयत्न के तारतम्य ही से होती हैं। अतएव वैशेषिक दर्शन में उक्त पाँच भेदों के प्रत्येक के साक्षात् तथा परंपरा में प्रयत्न के संबंध से कोई कर्म प्रयत्नपूर्वक होते हैं, जिन्हें "सत्प्रत्यय-कर्म" कहते हैं, कोई बिना प्रयत्न के होते हैं, जिन्हें "असत्प्रत्यय-कर्म" कहते हैं। इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे कर्म होते हैं, जैसे पृथ्वी आदि महाभूतों में, जो बिना किसी प्रयत्न के होते हैं, उन्हें "अप्रत्यय-कर्म" कहते हैं।
पर्थ ऑस्ट्रेलिया के राज्य पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की राजधानी और सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। आबादी के हिसाब से यह ऑस्ट्रेलिया का चौथा सबसे बड़ा शहर है। इसकी स्थापना 12 जून 1829 को केप्टन जेम्स स्टर्लिंग ने की थी।
सौभाग्यलक्ष्म्युपनिषद ॠग्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है
कीटों के भोजन करने की विधियाँ विभिन्न हैं। तदनुसार इनके मुख भागों की आकृति में परिवर्तन होता है। जो कीट मुखभाग के छिद्र से भोजन चूसते हैं, इनमें मैंडिवल, मैक्सिला आदि के मुखभाग सुई के समान होते हैं। भोजन का अवशोषण करने वाले कीटों के मुखभाग का अधर ओष्ठ शिंडाकार होता है इसके सिर पर द्रव पदार्थ के अवशोषण के लिए कोशिका नलिकाएँ होती है। भिन्न-भिन्न प्रकार के मुख भाग विभिन्न समुदाय के कीटों के वर्णन में बतलाए गये हैं।
यही कारण है कि प्रश्‍नकाल के दौरान न केवल सदन कक्ष बल्‍कि दर्शक एवं प्रेस गैलरियां भी सदा लगभग भरी रहती हैं।
(इनके प्रयोग से इन्टरनेट उपयोग करते समय किसी भी टेक्स्ट बक्से में हिन्दी लिख सकते हैं)
पूर्वोक्त लिंगों के ज्ञान के लिए तथा रोगनिर्णय के साथ साध्यता या असाध्यता के भी ज्ञान के लिए आप्तोपदेश के अनुसार प्रत्यक्ष आदि परीक्षाओं द्वारा रोगी के सार, तत्व (डिसपोज़िशन), सहनन (उपचय), प्रमाण (शरीर और अंग प्रत्यंग की लंबाई, चौड़ाई, भार आदि), सात्म्य (अभ्यास आदि, हैबिट्स), आहारशक्ति, व्यायामशक्ति तथा आयु के अतिरिक्त वर्ण, स्वर, गंध, रस और स्पर्श ये विषय, श्रोत्र, चक्षु, ्घ्रााण, रसन और स्पशेंद्रिय, सत्व, भक्ति (रुचि), शैच, शील, आचार, स्मृति, आकृति, बल, ग्लानि, तंद्रा, आरंभ (चेष्टा), गुरुता, लघुता, शीतलता, उष्णता, मृदुता, काठिन्य आदि गुण, आहार के गुण, पाचन और मात्रा, उपाय (साधन), रोग और उसके पूर्वरूप आदि का प्रमाण, उपद्रव (कांप्लिकेशंस), छाया (लस्टर), प्रतिच्छाया, स्वप्न (ड्रीम्स), रोगी को देखने को बुलाने के लिए आए दूत तथा रास्ते और रोगी के घर में प्रवेश के समय के शकुन और अपशकुन, ग्रहयोग आदि सभी विषयों का प्रकृति (स्वाभाविकता) तथा विकृति (अस्वाभाविकता) की दृष्टि से विचार करते हुए परीक्षा करनी चाहिए। विशेषत: नाड़ी, मल, मूत्र, जिह्वा, शब्द (ध्वनि), स्पर्श, नेत्र और आकृति की सावधानी से परीक्षा करनी चाहिए। आयुर्वेद में नाड़ी की परीक्षा अति महत्व का विषय है। केवल नाड़ीपरीक्षा से दोषों एवं दूष्यों के साथ रोगों के स्वरूप आदि का ज्ञान अनुभवी वैद्य प्राप्त कर लेता है।
6 H+
रूसी भाषा रूसी संघ की आधिकारिक भाषा है। इसके अतिरिक्त बेलारूस, कज़ाकिस्तान, क़िर्गिस्तान, उक्राइनी स्वायत्त जनतंत्र क्रीमिया, जॉर्जियाई अस्वीकृत जनतंत्र अब्ख़ाज़िया और दक्षिणी ओसेतिया, मल्दावियाई अस्वीकृत जनतंत्र ट्रांसनीस्ट्रिया (नीस्टर का क्षेत्र) और स्वायत्त जनतंत्र गगऊज़िया नामक देशों और जनतंत्रों में रूसी भाषा सहायक आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार की गई है।
इलाहाबाद प्राचीन काल से ही शैक्षणिक नगर के रुप मे प्रसिद्ध है। इलाहाबाद केवल गंगा और यमुना जैसी दो पवित्र नदियो का ही संगम नही, अपितु आध्यात्म के साथ शिक्षा का भी संगम है, जैहा भारत के सभी राज्यो से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते है। इलाहाबाद विश्व्विद्यालय इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है, जँहा से अनेकानेक विद्वान ने शिक्षा ग्रहण कर देश व समाज के अनेक भागो मे अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पूर्व का आक्सफोर्ड ("Oxford of the East") भी कहा जाता है । इलाहाबाद मे कई विश्व्विद्यालय, शिक्षा परिषद, इन्जीनिरिंग कालेज, मेडिकल कालेज तथा मुक्त विश्व्विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र मे उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे है।
पटकथा एवं संवाद
राज्य के पास संगीत की बहुमूल्य विरासत है. कर्नाटक संगीत की त्रिमूर्ति त्यागराज, अन्नमाचार्य, क्षेत्रय्या सहित भद्राचल रामदास जैसी कर्नाटक संगीत की कई महान विभूतियां तेलुगू वंशस्थ थीं. महान मैंडोलिन वादक, मैंडोलिन श्रीनिवास भी आंध्र प्रदेश से हैं. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लोक गीत भी लोकप्रिय हैं. महान कर्नाटक गायक, श्री मंगलमपल्ली बालमुरलीकृष्ण भी तेलुगू वंश से हैं, जिन्होंने कर्नाटक संगीत के कुछ और रागों का आविष्कार किया.
(१) दिल्ली तोपरा- यह स्तम्भ लेख प्रारंभ में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में पाया गया था । यह मध्य युगीन सुल्तान फिरोजशाह तुगलक द्वारा दिल्ली लाया गया । इस पर अशोक के सातों अभिलेख उत्कीर्ण हैं ।
कवरडेल के पश्चात् सन् 1611 तक इस दिशा में कई प्रयास किए गए। सात वर्षों के अथक परिश्रम से प्रामाणिक संस्करण प्रस्तुत हुआ। 47 विद्वानों, विशपों ने लैसलॉट ऐंडÜजु की अध्यक्षता में, वेस्टमिंस्टर के दो विश्वविद्यालयों में, इस कार्य को तीन खंडों में पूरा किया।
सूचना व संचार के क्षेत्र में भी टाटा का नाम INCAT, Nelco, Nelito Systems, TCS और Tata Elxsi से जुड़ा है । इसके अलावा साफ्टवेयर बनाने वाली भी कम्पनियां हैं जो टाटा का हिस्सा हैं- जैसे - टाटा इंटरैक्टिव सिस्टम्स (Tata Interactive Systems), टाटा इन्फोटेक (Tata Infotech), टाटा टटेक्नालोजीज लि (Tata Technologies Ltd), टाटा टेलीसर्विसेस, टाटानेट (Tatanet) आदि । टाटा ने 2005 में बरमूडा से संचालित कनेडियन कंपनी टेलीग्लोब (Teleglobe) से भारतीय दूरसंचार क्षेत्र की विशाल कंपनी विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) को हासिल किया ।
इस शहर में अनगिनत मंदिर हैं। जगन्‍नाथ मंदिर अस्‍सीघाट के निकट स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्‍दी में पुरी के प्रसिद्ध मंदिर के अनुकृति के रुप में किया गया था। आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) में यहां भी रथ यात्रा आयोजित की जाती है। लक्ष्‍मीनारायण पंचरत्‍न मंदिर भी अस्‍सीघाट के निकट है। अस्‍सी संगमेश्‍वर मंदिर भी यहीं पर है।
संगीत नाटक अकादमी,१९६८
कोई भी व्यक्ति बिना किसी डर या हीन भावना के डॉ. साराभाई से मिल सकता था, फिर चाहे संगठन में उसका कोई भी पद क्यों न रहा हो । साराभाई उसे सदा बैठने के लिए कहते । वह बराबरी के स्तर पर उनसे बातचीत कर सकता था । वे व्यक्तिविशेष को सम्मान देने में विश्वास करते थे और इस मर्यादा को उन्होंने सदा बनाये रखने का प्रयास किया । वे सदा चीजों को बेहतर और कुशल तरीके से करने के बारे में सोचते रहते थे । उन्होंने जो भी किया उसे सृजनात्मक रूप में किया । युवाओं के प्रति उनकी उद्विग्नता देखते ही बनती थी । डॉ. साराभाई को युवा वर्ग की क्षमताओं में अत्यधिक विश्वास था । यही कारण था कि वे उन्हें अवसर और स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए सदा तैयार रहते थे ।
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2004 और 2005 में हिंसक विरोध प्रदर्शन के चलते राष्ट्रपति गयूम ने राजनीतिक दलों को वैध बनाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए सुधराव की एक श्रृंखला शुरू कर दी. 9 अक्तूबर 2008 को बहुदलीय, बहु उम्मीदवार चुनाव आयोजित किए गए जिसमें 5 उम्मीदवार पदधारी गयूम के खिलाफ गए. अक्टूबर 28 को गयूम और मोहम्मद नशीद के बीच राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में एक अपवाह चुनाव हुआ, एक पूर्व पत्रकार और राजनीतिक कैदी जो गयूम शासन का कट्टर आलोचक था उसके प्रभाव से नशीद और उसके उपाध्यक्ष उम्मीदवार डा. वहीद को 54 प्रतिशत बहुमत हासिल हुआ. 11 नवम्बर 2008 को अपने उत्तराधिकारी को सत्ता सौंपने से पहले एक भाषण में गयूम ने कहा: "मैं अपने ऐसे किसी भी कार्य के लिए अत्यंत खेद प्रकट करता हू... (जो) किसी भी मालदीव वासी के लिए अनुचित उपचार, कठिनाई या अन्याय का कारण बना". उस समय, गयूम किसी भी एशियाई देश के सबसे लंबे समय तक रहने वाले नेता थे.[२३]
डेल्फी आर्किअलॉजिकल म्यूज़ियम (Delphi Archaeological Museum) मुख्य पुरातात्विक परिसर के निचले छोर पर, गांव के पूर्वी भाग में तथा मुख्य सड़क के उत्तरी भाग में स्थित है. इस संग्रहालय में प्राचीन डेल्फी से जुड़ा एक प्रभावी संकलन रखा गया है, जिसमें एक धुन के सर्वाधिक प्राचीन ज्ञात संकेत, प्रसिद्ध सारथी, पवित्र मार्ग (Sacred Way) खोजा गया सोने का ख़जाना, और सिफिनियाई कोषागार से प्राप्त सहायता कोष के अंश शामिल हैं. इसके निर्गम-द्वार के बिल्कुल बगल में (और अधिकांश पर्यटक गाइडों द्वारा छोड़ दिया जाने वाला) एक शिलालेख है, जो कि रोमन प्रांत के प्रमुख अधिकारी (proconsul) गैलियो (Gallio) का उल्लेख करता है.
जावेद अख्तर हिदी फिल्मों के एक गीतकार हैं ।
मध्यकाल के दरबारी कवि चन्द्रवरदायी ने पृथ्वीराज रासो के महोबा खंड में चंदेलों की उत्पत्ति का वर्णन किया है। उन्होंने लिखा है कि काशी के राजपंडित की पुत्री हेमवती अपूर्व सौंदर्य की स्वामिनी थी। एक दिन वह गर्मियों की रात में कमल-पुष्पों से भरे हुए तालाब में स्नान कर रही थी। उसकी सुंदरता देखकर भगवान चन्द्र उन पर मोहित हो गए। वे मानव रूप धारणकर धरती पर आ गए और हेमवती का हरण कर लिया। दुर्भाग्य से हेमवती विधवा थी। वह एक बच्चे की मां थी। उन्होंने चन्द्रदेव पर अपना जीवन नष्ट करने और चरित्र हनन का आरोप लगाया।
अल्लाह · अल्लाह की एकरूपतामुहम्मद · इस्लाम के पैगम्बर
आरंभिक मिस्रवासी यह भी जानते थे कि कैसे लकड़ी के गुज्झों के उपयोग से पटरों को एक साथ बांधा जा सकता है, और अलकतरे के प्रयोग से संधियों को संदबंद किया जा सकता है. "खुफु जहाज", एक 43.6-मीटर पोत जिसे 2500 ई.पू. के आस-पास चौथे राजवंश में गीज़ा पिरामिड परिसर में गीज़ा के महान पिरामिड के नीचे एक गड्ढे में गाड़ दिया गया था, एक पूर्ण-आकार का जीवित उदाहरण है, जिसने संभवतः सौर बार्क का प्रतीकात्मक कार्य पूरा किया हो. आरंभिक मिस्रवासी यह भी जानते थे कि कैसे इस जहाज के पटरों को चूल और खांचा सन्धियों से एक साथ बांधा जाए.[६] आसानी से नौगम्य नील नदी पर चलने के लिए विशाल नौकाओं का निर्माण करने की प्राचीन मिस्र की क्षमता के बावजूद, उन्हें अच्छे नाविक के रूप में नहीं जाना जाता है और वे भूमध्य या लाल सागर में व्यापक नौकायन या पोत-परिवहन में संलग्न नहीं होते थे.
अरबी:ﻻ ﺍﻟﻪ ﺍﻻﺍ ﷲ ﻣﺤﻤﺪﺍ ﻟﺮﺳﻮﻝﺍ ﷲ
ईरान (या एरान) शब्द आर्य मूल के लोगों के लिए प्रयुक्त शब्द एर्यनम से आया है, जिसका अर्थ है आर्यों की भूमि। हख़ामनी शासकों के समय भी आर्यम तथा एइरयम शब्दों का प्रयोग हुआ है। ईरानी स्रोतों में यह शब्द सबसे पहले अवेस्ता में मिलता है। अवेस्ता ईरान में आर्यों के आगमन (दूसरी सदी ईसापूर्व) के बाद लिखा गया ग्रंथ माना जाता है। इसमें आर्यों तथा अनार्यों के लिए कई छन्द लिखे हैं और इसकी पंक्तियाँ ऋग्वेद से मेल खाती है। लगभग इसी समय भारत में भी आर्यों का आगमन हुआ था। पार्थियन शासकों ने एरान तथा आर्यन दोनों शब्दों का प्रयोग किया है। बाहरी दुनिया के लिए १९३५ तक नाम फ़ारस था । सन् १९३५ में रज़ाशाह पहलवी के नवीनीकरण कार्यक्रमों के तहत देश का नाम बदलकर फ़ारस से ईरान कर दिया गया थ।
तीन संस्कृत शब्दों के अर्थ पर यह संस्कृत परिभाषा टिका है. अई.के.तैम्नी इसकी अनुवाद करते है की,"योग बुद्धि के संशोधनों(vṛtti [49])का निषेध(nirodhaḥ [48])है" (citta [50]).[३६] योग का प्रारंभिक परिभाषा मे इस शब्द nirodhaḥ [52] का उपयोग एक उदाहरण है कि बौधिक तकनीकी शब्दावली और अवधारणाओं,योग सूत्र मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है; इससे यह संकेत होता है कि बौद्ध विचारों के बारे में पतांजलि को जानकारी थी और अपने प्रणाली मे उन्हें बुनाई.[३७]स्वामी विवेकानंद इस सूत्र को अनुवाद करते हुए कहते है,"योग बुद्धि (चित्त) को विभिन्न रूपों (वृत्ति) लेने से अवरुद्ध करता है.[३८]
1571–1639  Decima (Dejima, Nagasaki)
इण्डिकप्लस का आधिकारिक जालस्थल
गाँधी ने १९३० में जर्मनी में यहूदियों (persecution of the Jews in Germany) के उत्पीडन को सत्याग्रह (Satyagraha) के भीतर ही संदर्भित कहा. नवम्बर १९३८ में उपरावित यहूदियों के नाजी उत्पीडन के लिए उन्होंने अहिंसा के उपाय को सुझाया:
ढकुरिया कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता नगर निगम के अधीन आता है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानियों ने नागालैंड पर हमला किया था। इस हमले में बड़ी संख्या में सैनिक और अधिकारी मारे गए थे। हमले में मारे गए सैनिकों को गैरीसन हिल पर दफनाया गया था। वहां पर सैनिकों को समर्पित 1421 समाधियों का निर्माण किया गया है। स्थानीय निवासी शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए नियमित रूप से यहां आते हैं। स्थानीय निवासियों के साथ-साथ पर्यटकों में भी यह समाधियां काफी लोकप्रिय हैं और कोहिमा आने वाले पर्यटक इन समाधियों के दर्शन जरूर करते हैं।
शाहदरा नगर के निकट स्थित जहांगीर मकबरा मुगल सम्राट जहांगीर को समर्पित है। इसे जहांगीर की मृत्‍यु के 10 साल बाद उनके पुत्र शाहजहां ने बनवाया था। एक बगीचे के अंदर स्थित मकबरे की मीनारें 30 मीटर ऊंची हैं। मकबरे के भीतरी हिस्से में भित्तिचित्रों की सुंदर सजावट है।
सूअरों में इन्फ्लूएंजा संक्रमण के कारण ज्वर, सुस्ती, छींक, खाँसी, साँस लेने में कठिनाई, और भूख की कमी हो सकती है। कुछ मामलों में यह संक्रमण गर्भपात का कारण बन सकता है। हालांकि आमतौर पर मृत्यु सिर्फ 1-4% मामलों मे ही होती है। यह संक्रमण सूअर का वजन घटा और विकास को प्रभावित कर सकता है जो इनके पालको के आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है। संक्रमित सूअर का वजन 3 से 4 सप्ताह की अवधि के दौरान ५ से ६ किलोग्राम तक घट सकता है।
द ग्रेट हॉल ऑफ़ द पीपल
यूनिक्स जैसी प्रचालन प्रणालियों में कई संचिकाओं का किसी भौतिक भंडारण उपकरण से सीधा वास्ता नहीं होता है: /dev/null इसका एक प्रमुख उदाहरण है, इसी तरह /dev, /proc और /sys के अंतरंगत मौजूद लगभग सभी संचिकाएँ भी इसी प्रकार की हैं। इनका प्रयोक्ता क्षेत्र में संचिकाओं की तरह प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन ये आभासी संचिकाएँ हैं जो वास्तव में केवल प्रचालन प्रणाली की अष्ठि की वस्तुओं के तौर पर विद्यमान रहती हैं।
आत्मा ही सर्वकर्मों का नाश कर सिद्ध लोक में सिद्ध पद प्राप्त करती है। इस अवधारणा के आधार पर उन्होंने प्रतिपादित किया कि कल्पित एवं सृजित शक्तियों के पूजन से नहीं अपितु अन्तरात्मा के सम्यग्‌ ज्ञान, सम्यग्‌ दर्शन एवं सम्यग्‌ चारित्र्य से ही आत्म साक्षात्कार सम्भव है, उच्चतम विकास सम्भव है।
चित्र:उदाहरण.jpg== व्याकरण == हिंदी खड़ीबोली से अवधी की विभिन्नता मुख्य रूप से व्याकरणात्मक है। इसमें कर्ता कारक के परसर्ग (विभक्ति) "ने" का नितांत अभाव है। अन्य परसर्गों के प्राय: दो रूप मिलते हैं-ह्रस्व और दीर्घ। (कर्म-संप्रदान-संबंध-क, का; करण-अपादान-स-त, से-ते; अधिकरण-म, मा)।
शैलेश मटियानी (१४ अक्तूबर १९३१-२४ अप्रैल २००१) आधुनिक हिंदी साहित्य में नई कहानी आंदोलन के दौर के एवं उससे जुड़े हुए प्रसिद्ध गद्यकार हैं। उन्होंने मुठभेड़, बोरीबली से बंबई जैसे उपन्यास, चील, अर्धांगीनी जैसी कहानियों के साथ ही अनेक निबंध और संस्मरण भी लिखे हैं।
ताड़का का पुत्र मारीच सुन्द राक्षस से उत्तपन्न होकर भी स्वयं राक्षस नहीं था। परन्तु बचपन में वह बहुत उपद्रवी था। ऋषि मुनियों को अकारण कष्ट दिया करता था। उसके उपद्रवों से दुखी होकर एक दिन अगस्त्य मुनि ने उसे राक्षस हो जाने का शाप दे दिया। अपने पुत्र के राक्षस गति प्राप्त हो जाने से सुन्द अत्यन्त क्रोधित हो गया और अगस्त्य ऋषि को मारने दौड़ा। इस पर अगस्त्य ऋषि ने शाप देकर सुन्द को तत्काल भस्म कर दिया।
दिल्ली 28°37′N 77°14′E / 28.61, 77.23 पर उत्तरी भारत में बसा हुआ है। यह समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालय से १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदी के किनारे पर बसा है। यह उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणा राज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरा हुआ है। दिल्ली लगभग पूर्णतया गांगेय क्षेत्र में स्थित है। दिल्ली के भूगोल के दो प्रधान अंग हैं यमुना सिंचित समतल एवं दिल्ली रिज (पहाड़ी)। अपेक्षाकृत निचले स्तर पर स्थित मैदानी उपत्यकाकृषि हेतु उत्कृष्ट भूमि उपलब्ध कराती है, हालांकि ये बाढ़ संभावित क्षेत्र रहे हैं। ये दिल्ली के पूर्वी ओर हैं। और पश्चिमी ओर रिज क्षेत्र है। इसकी अधिकतम ऊंचाई ३१८ मी.(१०४३ फी.) [९] तक जाती है। यह दक्षिण में अरावली पर्वतमाला से आरंभ होकर शहर के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फैले हैं। दिल्ली की जीवनरेखा यमुना हिन्दू धर्म में अति पवित्र नदियों में से एक है। एक अन्य छोटी नदी हिंडन नदी पूर्वी दिल्ली को गाजियाबाद से अलग करती है। दिल्ली सीज़्मिक क्षेत्र-IV में आने से इसे बड़े भूकम्पों का संभावी बनाती है।[१०]
वेद, व्याकरण और दर्शन की उच्च शिक्षा के निमित्त राज्य में विद्यालय या घटिकाएँ थीं जिनकी व्यवस्था के लिये राज्य से अनुदान दिए जाते थे। देश में ब्राह्मणों के अनेक आवास अथवा ब्रह्मपुरी थीं जो संस्कृत के विभिन्न अंगों के गहन अध्ययन के केंद्र थीं।
सुतानुती कोलकाता का एक क्षेत्र है।
नारद जी ने कहा कि जाकर अपने परिवार के लोगों से पूछ कर आओ और यदि वे तुम्हारे पापकर्म के दण्ड के भागीदार होने के लिये तैयार हैं तो अवश्य लूटमार करते रहना वरना इस कार्य को छोड़ देना, यदि तुम्हें संदेह है कि हम भाग जायेंगे तो हमें वृक्षों से बांधकर चले जाओ।
(exactly, by definition)
अनाज खाद्य कृषि उत्पाद होते हैं, जिन्हें उनके फार के बीज के लिए उत्पादन किया जाता है। ये एकबीजपत्री परिवार से होते हैं।
राजेश खन्ना हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं ।
शेष भारत के समान ही उत्तराखण्ड में पूरे वर्षभर उत्सव मनाए जाते हैं। भारत के प्रमुख उत्सवों जैसे दीपावली, होली, दशहरा इत्यादि के अतिरिक्त यहाँ के कुछ स्थानीय त्योहार हैं[२६]:
मानवीय सहायता देने के मामले में यूरोपीय संघ पूरी दुनिया में अव्वल है।
गोड्डा- 814133
मॉमून अब्दुल गयूम ने 1978 में अपनी 30 वर्ष लम्बी राष्ट्रपति की भूमिका का प्रारम्भ किया, विरोध के बिना लगातार छह चुनाव जीत कर. गयूम की गरीब द्वीपों का विकास करने की प्राथमिकता को ध्यान में रखते, उसके चुनाव की अवधि राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास के संचालन के रूप में देखी गई. पर्यटन का अलंकरण हुआ और विदेशी संपर्क बढ़ा जिससे द्वीपों में विकास को प्रोत्साहन मिला. हालांकि, उसका शासन कुछ आलोचकों के साथ विवादास्पद है, उनके अनुसार गयूम एक तानाशाह था जिसने स्वतंत्रता सीमित और राजनीतिक पक्षपात द्वारा मतभेद पर काबू पाया.[२३]
पोसिडोनियस प्रमुख यूनानी भूगोलवेत्ता था ।
राहुलजी जीवन-पर्यन्त दुनियाँ की सैर करते रहे। इस सैर में सुविधा-असुविधा का कोई प्रश्न ही नहीं था। जहाँ जो साधन उपलब्ध हुए उन्हें स्वीकार किया। वे अपने अनुभव और अध्ययन का दायरा बढाते रहे। ज्ञान के अगाध भण्डार थे राहुलजी। राहुलजी का कहना था कि ’उन्होंने ज्ञान को सफर में नाव की तरह लिया है। बोझ की तरह नहीं।‘ उन्हें विश्व पर्यटक का विशेषण भी दिया गया। उनकी घुमक्कडी प्रवृत्ति ने कहा ’’घुमक्कडों संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है।‘‘ अनेक ग्रंथों की रचना में उनके यात्रा-अनुभव प्रेरणा के बिंदु रहे हैं। न केवल देश में वरन् विदेशों में भी उन्होंने यात्राएँ की, दुर्गम पथ पार किए। इस वर्ग की कृतियों में कुछेक के नाम हैं- लद्दाख यात्रा, लंका यात्रा, तिब्बत में सवा वर्ष, एशिया के दुर्गम भूखण्डों में, मेरी यूरोप-यात्रा, दार्जिलिंग परिचय, नेपाल, कुमाऊँ जौनसार, देहरादून आदि। जहाँ भी वे गये वहाँ की भाषा और वहाँ की संस्कृति और साहित्य का गहराई से अध्ययन किया। अध्ययन से घुलमिल कर वहाँ की संस्कृति और साहित्य का गहराई से अध्ययन किया। अध्ययन की विस्तृति, अनेक भाषाओं का ज्ञान, घूमने की अद्भुत ललक, पुराने साहित्य की खोज, शोध-परक पैनी दृष्टि, समाजशास्त्र की अपनी अवधारणाएँ, प्राकृत-इतिहास की परख आदि वे बिंदु हैं जो राहुलजी की सोच में यायावरी में, विचारणा में और लेखन में गतिशीलता देते रहे। उनकी यात्राएँ केवल भूगोल की यात्रा नहीं है। यात्रा मन की है, अवचेतन की भी है चेतना के स्थानांतरण की है। व्यक्तिगत जीवन में भी कितने नाम रूप बदले इस रचनाधर्मी ने। बचपन में नाम मिला केदारनाथ पाण्डे, फिर वही बने दामोदर स्वामी, कहीं राहुल सांकृत्यायन, कहीं त्रिपिटकाचार्य..... आदि नामों के बीच से गुजरना उनके चिंतक का प्रमाण था। राहुल बाह्य यात्रा और अंतर्यात्रा के विरले प्रतीक हैं।
-1944 में वह बंगाल रेलवे कामगार संघ के पदाधिकारी बने।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर में एक माह का मेला लगता है। यद्यपि यह तीर्थ महात्मा बुद्ध से संबन्धित है, किन्तु आस-पास का क्षेत्र हिन्दू बहुल है। इस मेले में आस-पास की जनता पूर्ण श्रद्धा से भाग लेती है और विभिन्न मन्दिरों में पूजा-अर्चना एवं दर्शन करती है। किसी को संदेह नही कि बुद्ध उनके 'भगवान' हैं।
विकास दर का मतलब है किसी देश की अर्थव्यवस्था या किसी खास क्षेत्र के उत्पादन में बढ़ोतरी की दर। यदि देश की विकास दर का जिक्र हो रहा हो, तो उसका मतलब देश की अर्थव्यवस्था या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ने की रफ्तार से होता है। भारत की विकास दर मौजूदा वित्त वर्ष (2009-10) में 7.2% रहने की उम्मीद है। संदर्भ: शेयर मंथन (http://www.sharemanthan.in/index.php/the-news/5683-gdp-to-expand-72-pct-in-2009-10)
इनका जन्म २३ सितंबर १९०८ को सिमरिया, मुंगेर, बिहार में हुआ था। पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक विद्यालय में अध्यापक हो गए। १९३४ से १९४७ तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्टार और प्रचार विभाग के उपिनदेशक पदों पर कार्य किया। १९५० से १९५२ तक मुजफ्फरपुर कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे, भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति के पद पर कार्य किया और इसके बाद भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बने। उन्हें पदमविभूषण की से भी अलंकृत किया गया। पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय [३] के लिये आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा उर्वशी के लिये भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कर प्रदान किये गए। अपनी लेखनी के माध्यम से वह सदा अमर रहेंगे।
अग्नि बम - ये घनी आबादीवाले शहरों तथा बड़े-बड़े कारखानों पर गिराए जाते हैं जिनसे वे जलकर नष्ट हो जाते हैं। इसमें आग लगानेवाला पदार्थ एक विशेष प्रकार के प्रज्वालक पलीते के साथ भरा होता है। आग लगाने के लिए फासफोरस, नेपाम और थर्माइट इलेक्ट्रान जैसे रासायनिक यौगिक प्रयुक्त किए जाते हैं और तब इनके नाम प्रयुक्त पदार्थ के अनुसार भी हो जाते हैं।
लंबे अरसे से चल रहा अयोध्या संकट का समापन अंततः 16 वीं सदी में बनायी गयी बाबरी मस्जिद स्थल पर आतंकवादी हमले से हुआ और 5 जुलाई 2005 को अयोध्या में प्राचीन बाबरी मस्जिद ढहा दी गयी. पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैय्यबा आतंकवादियों और भारतीय पुलिस के बीच दो घंटे की गोलीबारी के बाद, जिसमें छह आतंकवादी मारे गये, देश के नेताओं ने हमले की निन्दा की और विपक्षी दलों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया, ऐसा माना जाता है कि हमले के पीछे दाऊद इब्राहिम का दिमाग था.

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