मंगलवार, 15 अगस्त 2023

जौहरी

जौहरी


 एक जौहरी था, और उस की मृत्यु हो गई ।  मृत्यु के बाद उसके परिवारमें विधवा पत्नी, एक बच्चा व छोटा भाई बचे । छोटे भाईने बड़ेका कारोबार संभाल लिया । विधवा पत्नीने सोच लिया था कि, बच्चा बड़ा होकर एक दिन व्यापारमें हिस्सेदार हो जाएगा । लड़का जब बडा हुआ, तो उसकी मां ने कहा कि मैंने तेरेलिए बहुमूल्य हीरे जवाहरात छिपा कर रखे हुए हैं । तू इन्हें अपने काकाके पास ले जा  और उनको यह कहना कि इन्हें बेच देवें ।


लड़का जब अपने काका के पास  गया तो उसने वह पोटली खोल कर देखी । काकाने वह पोटली वापिस भिजवा करके तिजोरीमें रखवा दी । उसने लड़केसे कहा कि अभी इनका बाजार भाव ठीक नहीं है ;  और तुम आजसे एक घंटा दुकान पर आना शुरु करो । वह लड़का  रोजाना आकर काका के साथ दुकान पर बैठने लगा और जौहरी का काम देखने लगा । फिर 1 साल बाद जौहरी काकाने लड़केके घर जाकर कहा, अब बाहर निकाल लाओ तुम्हारी वह हीरे जवाहरात की थैली । अब जब उस लड़केने वह थैली खोल कर देखी तो वह खुद पर हंसा और थैलीको घर के बाहर बने घूरे पर फैंक दिया ।


लड़के की मां यह सब देख करके हैरानी से बोली कि यह तुमने क्या कर दिया ? वह लड़का बोला-  मां, आपको मालूम नहीं कि, ये तो नकली कांच के टुकडे थे ।  तब जौहरी काकाने लड़केसे कहा कि अगर मैं इन्हें नकली कांच कहता, तो वह गड़बड़ धोखा हो जाता ।  अब तुम्हें  स्वयंही दिखाई पड़ गया, तो बात ही खत्म हो गई ।


महापुरुष हमें समझा रहे हैं कि ध्यान किया तो ज्ञान हो गया और आचरण भी हो गया । अतः दर्शन यह हुआ कि झूठे हीरे हैं ‌। ज्ञान यह  हुआ कि इनका कोई मोल नहीं है । आचरण यह हुआ कि उनका त्याग कर दिया । "श्री सतगुरु देव जी" फरमा रहे हैं कि जब भीतर का ज्ञान हो जाए, तो चरित्र अपने आप ही  बदल जाता है । ज्ञान ही जीवन का  वास्तविक  मूल व परिवर्तन है ।  यह ध्यान रहे कि ज्ञान तुम्हें ध्यान में जाने पर ही मिल सकेगा साथी । यह जीवन  ज्ञान प्राप्त करने  के लिए तुम्हें 'श्री गुरु महाराज जी'  का भजन-ध्यान तो करना ही पड़ेगा

मंगलवार, 1 अगस्त 2023

भाजीचे औषधी उपयोग : तोंडली

 भाजीचे औषधी उपयोग

तोंडली 

रक्तातील साखरेची पातळी नियंत्रित राखते. म्हणूनच मधुमेहींच्या रुग्णांनी या भाजीचं आवर्जून सेवन करावं. त्वचेच्या विकारांपासून नेहमी संरक्षण करतं. सर्दी, खोकला, तसंच फुप्फुसांच्या आजारांवर ही भाजी अतिशय उपयुक्त आहे. अस्थमाच्या रुग्णांनी या भाजीचं सेवन करणं आवश्यक आहे. रक्तशुद्धीकरणाचं देखील काम केलं जातं. 

हेपटायटिस बी असलेल्यांनी या भाजीचं सेवन केल्यास रक्तातील कावीळ होत नाही. नियमित सेवन केल्यास डोळे, किडनी , यकृत आणि हृदयाची काळजी घेतली जाते. आतडय़ांचे कार्य सुरळीत होतं, त्यामुळे त्यांचे विकार नियंत्रित ठेवण्याचं काम ही भाजी करते. 

ताप आलेल्या रुग्णांनी ही भाजी खाल्ल्याने ताप कमी होण्यास मदत होते. शरीराला आलेली सूज कमी होण्यास मदत होते.

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