चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को स्वर्ण युग भी कहा गया है । चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय में ही फाह्यान नामक चीनी यात्री (३९९ ई.) आया था ।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नगर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नील की खेती के लिये १९१७ में चम्पारण आन्दोलन तथा 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन के समय पटना की भूमिका उल्लेखनीय रही है। आजादी के बाद पटना बिहार की राजधानी बना रहा। सन 2000 में झारखंड राज्य के अलग होने के बाद पटना बिहार की राजधानी पूर्ववत बना रहा।
गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर को अंतर्राष्ट्रीय स्त्रीरोग-विज्ञान और प्रसूति-विज्ञान संघ (FIGO) चरण-प्रणाली द्वारा चरणबद्ध किया जाता है, जो नैदानिक परीक्षा पर आधारित है, ना कि शल्य-चिकित्सा निष्कर्षों पर. चरणों के निर्धारण में उपयोगार्थ, यह केवल निम्नलिखित नैदानिक परीक्षणों की अनुमति देता है: स्पर्श-परीक्षा, निरीक्षण, योनिभित्तिदर्शन, अंतर्गर्भाशय-ग्रीवा खुरचन, गर्भाशयदर्शन, मूत्राशयदर्शन, मलाशयदर्शन, शिराभ्यंतर मूत्रपथदर्शन, और फेफड़े और कंकाल का एक्स-किरण परीक्षण, तथा गर्भाशय-ग्रीवा शंकु-उच्छेदन.
भारत के आंध्र प्रदेश में कनकदुर्गा मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है. यह कृष्णा नदी के तट पर विजयवाड़ा शहर के इंद्रकीलाद्रि पहाड़ी पर स्थित है. एक कथा के अनुसार, वर्तमान हरा-भरा विजयवाड़ा किसी ज़माने में चट्टानी क्षेत्र था, जहां कृष्णा नदी के प्रवाह को रोकते हुए पहाड बिखरे थे. इस प्रकार भूमि, निवास के लिए या खेती के योग्य नहीं थी. भगवान शिव से प्रार्थना किए जाने पर उन्होंने पहाड़ियों को कृष्णा नदी के लिए रास्ता बनाने का निर्देश दिया. और चमत्कार! नदी भगवान शिव द्वारा पहाड़ियों में किए गए छेद "बेज्जम" या सुरंगों के माध्यम से बिना रोक-टोक के पूरे जोश में बहने लगी.इस तरह स्थान का नाम बेज़वाडा पड़ा.
यूरोपीय संघ के न्यायिक प्रक्रिया का दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा यूरोपीय संसद होती है। यूरोपीय संसद के सदस्य के ७८५ सदस्य हर पांच वर्ष में यूरोपीय संघ की जनता द्वारा सीधे चुने जाते हैं। हलांकि इन सदस्यों का चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर होता है परंतु यूरोपीय संसद में वे अपनी राष्ट्रीयता के अनुसार न बैठकर दलानुसार बैठते हैं। हर सदस्य राष्ट्र के लिए सीटों की एक निश्चित संख्या आवंटित होती है। यूरोपीय संसद को संघ के विधायी शक्तियों के मामलों में यूरोपीय परिषद की तरह ही शक्तियां हासिल होती हैं और संसद वे संघ की खास विधायिकाओं को स्वीकृत या अस्वीकृत करने की शक्ति से लैस होते हैं। यूरोपीय संसद का अध्यक्ष न सिर्फ बाहरी मंचों पर संघ का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि यूरोपीय संसद के स्पीकर का भी दायित्व निभाता है। अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव यूरोपीय संसद के सदस्य हर ढा़ई साल के अंतराल पर करते हैं। [४०] कुछेक मामलों को छोडकर ज्यादातर मामलों में न्यायिक प्रक्रिया की शुरुआत करने का अधिकार युरोपियन कमीशन को होता है, ऐसा ज्यादातर रेग्यूलेशन, एवं संसद के अधिनियमों द्वारा किया जाता है जिसे सदस्य राष्ट्रों को अपने अपने देशों में लागू करने की बाध्यता होती है।[४१]
1455–1633 Arguin
अन्तर्मुखी एवं व्यक्तिपरक होने पर भी छायावादी काव्य में सांस्कृतिक विचारधारा कहीं-कहीं अपने प्रबल रूप में प्रकट होती है. इस युग की प्रमुख उपलब्धियां हैं निराला कृत 'राम की शक्ति पूजा' एवं 'तुलसीदास', प्रसाद की 'कामायनी' एवं महादेवी के प्रायः ढाई सौ रहस्यवादी गीत.
इस प्रकार भारत में सबसे पहले "व्याकरण" विद्या का जन्म हुआ।
देशी उपद्रवी
अलग अलग संगीतकारों (गायक, गीतकार, वाद्ययंत्रवादक ) की अपनी शैली होती है। पर इनके संगीत को अलग समयबद्ध करके अलग-अलग भावनाओं के अंतर्गत डाला जाए, तो उन शैलियों को संगती शैली कहते हैं।
विस्तृत लेख देवनागरी की वैज्ञानिकता देखें।
नृत्य, संगीत तथा चलचित्रों की यहां लम्बी तथा सुव्यवस्थित परम्परा रही है ।दुर्गापूजा (बांग्ला: দুর্গাপূজা दुर्गापुजा) यहां अति उत्साह तथा व्यापक जन भागीदारी के साथ मनाई जाती है। क्रिकेट तथा फुटबॉल यहां के लोकप्रियतम खेलों में से हैं । सौरभ गांगुली जैसे खिलाङी तथा मोहन बगान एवं इस्ट बंगाल जैसी टीम इसी प्रदेश से हैं। अगर आंकङों पर जांय तो नक्सलवाद जैसे शब्दों का जन्म यहीं हुआ, पर यहां के लोगों की शांतिप्रियता ही वो चीज है जो सर्वत्र दर्शास्पद (देखने लायक) है। परस्पर बातचीत में तूइ(बांग्ला - তুই) (हिन्दी के तू के लगभग समकक्ष), तूमि (बांग्ला - তুমি) (हिन्दी के तुम के लगभग समकक्ष), तथा आपनि (बांग्ला - আপনি) (हिन्दी के आप के समकक्ष), का प्रयोग द्वितीय पुरूष की वरिष्ठता के आधार पर किया जाता है। शहरों में लोग प्रायः छोटे परिवारों में रहते हैं। यहां के लोग मछली-भात (बांग्ला - মাছ ভাত (माछ-भात)) बहुत पसंद करते हैं । यह प्रदेश अपनी मिठाईयों के लिये काफी प्रसिद्ध है - रसगुल्ले का आविष्कार भी यहीं हुआ था ।
यूनानी स्त्रोतों से ज्ञात होता है कि नगर प्रशासन में तीन प्रकार के अधिकारी होते थे-एग्रोनोयोई (जिलाधिकारी), एण्टीनोमोई (नगर आयुक्त), सैन्य अधिकार ।
अब्दुल्ला जफ़र इब्न मुहम्म्द रुदाकी (859-941) फारसी के सबसे प्रमुख कवियों में से एक हैं । इन्हें आधुनिक फ़ारसी भाषा के प्रवर्तक कवि के रूप में भी जाना जाता है । उस समय जब फ़ारस (ईरान) पर अरबों का अधिकार हो गया था और साहित्यिक जगत में अरबी का प्रभुत्व बढ़ गया था, रुदाकी ने फ़ारसी भाषा के नवोदय करवाया था । उन्होंने अरबी लिपि के नए संशोधित संस्करण में लिखना चालू किया जो बाद में फ़ारसी भाषा की लिपि बन गई ।
उसने विवाह की स्मृति में राजा-रानी प्रकार के सिक्कों का चलन करवाया । इस प्रकार स्पष्ट है कि लिच्छवियों के साथ सम्बन्ध स्थापित कर चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने राज्य को राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ तथा आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बना दिया । राय चौधरी के अनुसार चन्द्रगुप्त प्रथम ने कौशाम्बी तथा कौशल के महाराजाओं को जीतकर अपने राज्य में मिलाया तथा साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित की ।
चिकित्सा में पहला व्यापक परिवर्तन बुद्धपूर्व भारत की दिवोदास सुश्रुत परंपरा द्वारा हुआ। इसमें ओषधियों के प्रयोग के साथ साथ शवों के व्यवच्छेदन से प्राप्त ज्ञान का उपयोग प्रारंभ हुआ और दोनों प्रकार की चिकित्साओं को एक ही पंक्ति में रखा गया। इस परंपरा के प्रख्यात चिकित्सकों में बुद्धकालीन जीवक का नाम उल्लेखनीय है, जिन्होंने शल्यकर्म और वैद्यक को समान महत्व देकर उन्हे पूर्णत: समकक्ष बनाया। इसके पश्चात् अनेक भारतेतर देशों ने भी शल्यकर्म को चिकित्सा का अभिन्न अंग बनाना आरंभ किया तथा इसी प्रसंग में प्रसवकर्म भी चिकित्सा के भीतर आया।
नाथूला दर्रा भारत के सिक्किम और दक्षिण तिब्बत को जोड़ता है। यह १४ हजार २०० फीट की ऊंचाई पर है। भारत और चीन के बीच १९६२ में हुए युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था। इसे वापस जूलाई ५, २००६ को व्यापार के लिए खोल दिया गया है। बीसवीं सदी की शुरुआत में भारत और चीन के होनेवाले व्यापार का ८० प्रतिशत हिस्सा नाथू ला दर्रे के ज़रिए ही होता था। यह दर्रा प्राचीन सिल्क रुट का भी हिस्सा रहा है।
रीतिकाव्य रचना का आरंभ एक संस्कृतज्ञ ने किया। ये थे आचार्य केशवदास, जिनकी सर्वप्रसिद्ध रचनाएँ कविप्रिया, रसिकप्रिया और रामचंद्रिका हैं। कविप्रिया में अलंकार और रसिकप्रिया में रस का सोदाहरण निरूपण है। लक्षण दोहों में और उदाहरण कवित्तसवैए में हैं। लक्षण-लक्ष्य-ग्रंथों की यही परंपरा रीतिकाव्य में विकसित हुई। रामचंद्रिका केशव का प्रबंधकाव्य है जिसमें भक्ति की तन्मयता के स्थान पर एक सजग कलाकार की प्रखर कलाचेतना प्रस्फुटित हुई। केशव के कई दशक बाद चिंतामणि से लेकर अठारहवीं सदी तक हिंदी में रीतिकाव्य का अजस्र स्रोत प्रवाहित हुआ जिसमें नर-नारी-जीवन के रमणीय पक्षों और तत्संबंधी सरस संवेदनाओं की अत्यंत कलात्मक अभिव्यक्ति व्यापक रूप में हुई।
बंगदूत (1829), प्रजामित्र (1834), बनारस अखबार (1845), मार्तंड पंचभाषीय (1846), ज्ञानदीप (1846), मालवा अखबार (1849), जगद्दीप भास्कर (1849), सुधाकर (1850), साम्यदंड मार्तंड (1850), मजहरुलसरूर (1850), बुद्धिप्रकाश (1852), ग्वालियर गजेट (1853), समाचार सुधावर्षण (1854), दैनिक कलकत्ता, प्रजाहितैषी (1855), सर्वहितकारक (1855), सूरजप्रकाश (1861), जगलाभचिंतक (1861), सर्वोपकारक (1861), प्रजाहित (1861), लोकमित्र (1835), भारतखंडामृत (1864), तत्वबोधिनी पत्रिका (1865), ज्ञानप्रदायिनी पत्रिका (1866), सोमप्रकाश (1866), सत्यदीपक (1866), वृत्तांतविलास (1867), ज्ञानदीपक (1867), कविवचनसुधा (1867), धर्मप्रकाश (1867), विद्याविलास (1867), वृत्तांतदर्पण (1867), विद्यादर्श (1869), ब्रह्मज्ञानप्रकाश (1869), अलमोड़ा अखबार (1870), आगरा अखबार (1870), बुद्धिविलास (1870), हिंदू प्रकाश (1871), प्रयागदूत (1871), बुंदेलखंड अखबर (1871), प्रेमपत्र (1872), और बोधा समाचार (1872)।
मेरे मन में बाँसुरी सी बजाती है.
मेसेडोनिया गणराज्य की संसद में 120 संसद सदस्य साँचा:Lang-mkहोते हैं, जिन्हें 'प्रतेनिकी' (प्रतेनिक का एकवचन) कहा जाता है.
राय अजायब देव राय बैरम देव राय खोखर देव (देहान्त १५२८)
आचार्य भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञ थे, पर हर बात को निर्मम तर्क की कसौटी पर कसने वाले. उनके प्रसिद्ध निबंध 'कुटज' की यह पंक्तियाँ देखिये:
इतिहास तथा नेता
कोहिमा की दक्षिण दिशा में 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित दजुकोउ घाटी बहुत खूबसूरत है। अपनी खूबसूरती के दम पर इसने पर्यटकों के बीच खास पहचान बनाई हैं। यहां पर पर्यटक विभिन्न रंगों और आकार के खूबसूरत फूलों को देख सकते हैं। इन फूलों में एकोनिटम और एन्फोबियस प्रमुख हैं। दजुकोउ घाटी के खूबसूरत दृश्य देखने के बाद जप्फु चोटी के मनोहारी दृश्य देखे जा सकते हैं। यह चोटी सदाबहार जंगलों से भरी पड़ी है। इन जंगलों में सबसे ऊंचे वृक्ष को देखा जा सकता है। अपनी इस विशेषता के कारण इस पेड़ को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्डस में शामिल किया गया है।
इन्फोसिस डेवेलपमेंट सेंटर - http://www.infosys.com/ सत्यम कम्प्यूटर्स - http://www.satyam.com/
खुसरो बाग, इलाहाबाद
मुक्त कथन
बी एम सी शहर की पेय जलापूर्ति करता है। इस जल का अधिकांश भाग तुलसी एवं विहार झील से तथा कुछ अन्य उत्तरी झीलों से आता है। यह जल भाण्डुप एशिया के सबसे बड़े जल-शोधन संयंत्र में में शोधित कर आपूर्ति के लिए उपलब्ध कराया जाता है। भारत की प्रथम भूमिगत जल-सुरंग भी मुंबई में ही बनने वाली है।[४०]बी एम सी ही शहर की सड़क रखरखाव और कूड़ा प्रबंधन भी देखता है। प्रतिदिन शहर का लगभग ७८०० मीट्रिक टन कूड़ा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में मुलुंड, उत्तर-पश्चिम में गोराई और पूर्व में देवनार में डम्प किया जाता है। सीवेज ट्रीटमेंट वर्ली और बांद्रा में कर सागर में निष्कासित किया जाता है।
समुद्रगुप्त एक असाधारण सैनिक योग्यता वाला महान विजित सम्राट था । यह उच्चकोटि का विद्वान तथा विद्या का उदार संरक्षक था । उसे कविराज भी कहा गया है । वह महान संगीतज्ञ था जिसे वीणा वादन का शौक था । इसने प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान वसुबन्धु को अपना मन्त्री नियुक्त किया था ।
ज्वालाजी मंदिर जाने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा गगल में है जो कि ज्वालाजी से 46 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहा से मंदिर तक जाने के लिए कार व बस सुविधा उपलब्ध है।
TBIL Converter - v1.2.0 दिसंबर २००६ में जारी किया गया।
प्राचीन काल से ही ज्योतिष में गहरा विश्वास प्रचलित था, जो की हर्मेटिक (Hermetic) मैक्सिम के शब्दों "जैसा ऊपर, वैसा नीचे" के सार में भी समाहित है.टाइको ब्राहे ने ज्योतिष पर अपने अध्ययन में एक समान सारांश दिया है: "सस्पिसीएनडो देस्पिसीयो",ऊपर देखकर भी मैं निचे देखता हूँ".[१५] हालांकि, यह सिद्धांत जिसके अनुसार स्वर्ग में घटित घटनाओं का प्रतिबिम्ब पृथ्वी पर भी अवलोकित होता है, दुनिया भर में बहुत सी ज्योतिष परम्पराओं का हिस्सा है, पश्चिम में ऐतिहासिक रूप से ज्योतिष के पीछे काम करने वाली क्रियावली पर ज्योतिषियों के बीच बहस होती आई है.इस पे यह विवाद भी है की आकाशीय पिंड क्या केवल चिन्ह मात्र हैं या यह घटनाओं की पूर्वसूचना हैं, या फिर वे वास्तव में किसी प्रकार की शक्ति या फिर तंत्र से वास्तविक घटनाओं का संचालन करते हैं.[तथ्य वांछित]
राजभाषा नियम, 1976 में संशोधन किए गए ।
कराओके सबसे व्यापक रूप से सांस्कृतिक गतिविधि अभ्यास है. सांस्कृतिक मामलों एजेंसी द्वारा एक नवंबर 1993 सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिक जापानी कराओके गाया था कि वर्ष की तुलना में परंपरागत सांस्कृतिक गतिविधियों में व्यवस्था या चाय समारोह के फूल के रूप में भाग लिया था. [२]
जापान का प्रथम लिखित साक्ष्य 57 ईस्वी के एक चीनी लेख से मिलता है । इसमें एक ऐसे राजनीतिज्ञ के चीन दौरे का वर्णन है जो पूरब के किसी द्वीप से आया था । धीरे-धीरे दोनो देशों के बीच राजनैतिक और सांस्कृतिक सम्बंध स्थापित हुए । उस समय जापानी एक बहुदैविक धर्म का पालन करते थे जिसमें कई देवता हुआ करते थे । छठी शताब्दी में चीन से होकर बौद्ध धर्म जापान पहुंचा । इसके बाद पुराने धर्म को शिंतो की संज्ञा दी गई जिसका शाब्दिक अर्थ होता है - देवताओं का पंथ । बौद्ध धर्म ने पुरानी मान्यताओं को खत्म नहीं किया पर मुख्य धर्म बौद्ध ही बना रहा । बौद्ध धर्म के आगमान के साथ साथ लोग, लिखने की प्रणाली (लिपि) तथा मंदिरो का सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक कार्यों के लिए उपयोग भी जापान में चीन से आया।
प्रबंधन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम IIML का एक प्रमुख कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम उद्योग और अन्य वर्गों में वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को तैयार करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम की अवधि दो वर्ष की होती है। इस कार्यक्रम में ज्ञान के प्रदान से अधिक ज्ञान के समावेश पर अधिक जोर दिया गया है। PGP कार्यक्रम में प्रवेश एक उच्च और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित प्रवेश परीक्षा कैट (CAT) के माध्यम से होता है, जिसकी औसत चयन दर एक सौ उम्मीदवारों में से एक है। कैट के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार, स्वतः आईआईएम लखनऊ में PGP कार्यक्रम के पात्र हैं।
महात्मा रामचंद्र वीर
गुरु अर्जुन देव तो यहाँ तक कहते हैं कि परमात्मा व्यापक है जैसे सभी वनस्पतियों में आग समायी हुई है एवं दूध में घी समाया हुआ है। इसी तरह परमात्मा की ज्योति ऊँच-नीच सभी में व्याप्त है परमात्मा घट-घट में व्याप्त है-
औषधि की कटोरी गर्भिणी के हाथ में दी जाए । वह दोनों हाथों में उसे पकड़े । मन्त्र बोला जाए, गर्भिणी नासिका के पास औषधि को ले जाकर धीरे-धीरे श्वास के साथ उसकी गन्ध धारण करे । भावना की जाए कि औषधियों के श्रेष्ठ गुण और संस्कार खींजे जा रहे हैं । वेद मन्त्रों तथा दिव्य वातावरण द्वारा इस उद्देश्य की पूर्ति में सहयोग मिल रहा है । ॐ अद्भ्यः सम्भृतः पृथिव्यै रसाच्च, विश्वकर्मणः समर्वत्तताग्रे । तस्य त्वष्टा विदधद्रूपमेति, तन्मर्त्यस्य देवत्वमाजानमग्रे॥ -३१.१७
दक्षिण सीमा पर स्थित राज्य चोल, पाण्ड्य, सतिययुक्त केरल पुत्र एवं ताम्रपार्णि बताये गये हैं ।
शटलकॉक को ऐसा स्लाइस करे कि वह घूम जाए, हालांकि यह प्रयोग है, और कुछ ख़ास रूप से बैडमिंटन के लिए हैं. (तकनीकी शब्दों की व्याख्या के लिए बुनियादी स्ट्रोक देखें.)
मूलत: यह एक भू-अभिनति गर्त है जिसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण में लगभग ६-४ करोड़ वर्ष पहले हुआ था। तब से इसे हिमालय और प्रायद्वीप से निकलने वाली नदियाँ अपने साथ लाए हुए अवसादों से पाट रही हैं। इन मैदानों में जलोढ़ की औसत गहराई १००० से २००० मीटर है। उत्तरी भारत का मैदान सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा बहाकर लाए गए जलोढ़ निक्षेप से बना है। इस मैदान की पूर्व से पश्चिम लंबाई लगभग ३२०० किलो मीटर है। इसकी औसत चौड़ाई १५० से ३००० किलोमीटर है। जलोढ़ निक्षेप की अधकतम गहराई १००० से २००० मीटर है। उत्तर से दक्षिण दिशा में इन मैदानों को तीन भागों में बाँट सकते हैं भाभर, तराई और जलोढ़ मैदान। जलोढ़ मैदान को आगे दो भागों में बाँटा जाता है- खादर और बाँगर।
1. आमुर
In June 2007, Seyni Oumarou was nominated as the new Prime Minister after Hama Amadou was democratically forced out of office by the National Assembly through a motion of no confidence.
मन्त्र बोलने के साथ वर-वधू अपने दाहिने पैर को शिला पर रखें, भावना करें कि उत्तरदायित्वों के निवार्ह करने तथा बाधाओं को पार करने की शक्ति हमारे संकल्प और देव अनुग्रह से मिल रही है । ॐ आरोहेममश्मानम् अश्मेव त्वं स्थिरा भव । अभितिष्ठ पृतन्यतोऽ, वबाधस्व पृतनायतः॥ पार०गृ०सू० १.७.१
विज्ञान ने आज सभी जगह प्रगति दर्ज की हैं। कंप्यूटर के आगमन से कार्यालयीन कामकाज में बड़ी सहायता प्राप्त हुई हैं। भारत में कंप्यूटर के आगमन के साथ हिंदी भाषा भी तेजी से बढने लगी। सी.डैक पुणे ने कुछ बेहतरीन साँफ्टवेअर विकसित किए जिससे कप्यूटर पर भारतीय भाषाओं का प्रयोग होने लगा। लेकिन हिंदी के साँफ्टवेअर काफ़ी महंगे थे। हर कार्यालय की अपनी वित्तिय सीमा होती हैं। शुरुवाती के दौर में कंप्यूटर की कीमत में सॉफ्टवेअर खरीदने पडते थे। भारतीय भाषाओं का कारोबार धीरे धीरे बढने लगा। भारतीय भाषाओं के सॉफ्टवेअर अब सस्ते में प्राप्त हो रहे हैं। विश्वस्तर पर भाषाओं के विकास में कंप्यूटर ने अहम भूमिका निभाई हैं। अँग्रेजी भाषाके फाँट यूनिकोड में परिवर्तित हुए हैं। अनेक सॉफ्टवेअर मुफ्त में वितरित हो रहे है। कंप्यूटर की दुनिया में शेरवेअर, फ्रिवेअर सॉफ्टवेयरों का बोलबोला हैं। इस बदलते परिवेा में हम कितने दिनों तक विदेशों का मुँह ताकते रहेंगे? भारत सरकार ने भारतीय भाषाओं के लिए प्रौधोगिकी का विकास किया हैं। सूचना प्रौधोगिकी एवं संचार मंत्रालय ने www.ildc.gov.in वेब साईट जारी की हैं। इस साईट पर भारतीय भाषाओं के विकास कार्यक्रमों की जानकरी दी गई हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत अनेक भारतीय भाषाओं के सॉफ्टवेअर इंटरनेट के माध्यम से मुफ्त डाऊनलोड किए जा सकते हैं। मुफ्त सॉफ्टवेअर डाऊनलोड करने से पहले आपका नाम पंजीकृत किया जाता है।पंजीकरण के बाद आपको यूजरनेम (प्रयोगकर्ता नाम) और पासवर्ड (कुट संकेत) दिया जाता है। इसके बाद आपकी कप्यूटर की आवयकताओं के अनुसार आप संबंधित सॉफ्टवेअर डाऊनलोड कर सकते है। कृपया ध्यान रखें कि डाऊनलोड करने से पहले आपके कंप्यूटर पर डी.ए.पी.(डाऊनलोड एक्सलेंटर प्रोटोकॉल) अथवा फ्लैागेट सॉफ्टवेअर अवय स्थापित किया गया है। किसी सॉफ्टवेअर को इंटरनेट पर डाऊनलोड करने में यह सॉफ्टवेअर मदद करता है। इससे कम समय में डाऊनलोड प्रकिया तेजी से संपन्न होती है। www.tdil.mit.gov.in पर निम्नलिखित सॉफ्टवेअर मुफ्त डाऊनलोड हेतु उपलब्ध है।
यह गिरजाघर कानपुर शहर में स्थित है।
महाराष्ट्र के जलगांव जिले में जन्मी प्रतिभा के पिता का नाम श्री नारायण राव था। साड़ी और बड़ी सी बिंदी लगाने वाली यह साधारण पहनावे वाली महिला राजनीति में आने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रही थी। उन्होंने जलगाँव के मूलजी जैठा कालेज से स्नातकोत्तर (एम ए) और मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कालेज (मुंबई विश्वविद्यालय से संबद्ध) से कानून की पढा़ई की। वे टेबल टेनिस की अच्छी खिलाड़ी थीं तथा उन्होंने कई अन्तर्विद्यालयी प्रतियोगिताओं में विजय प्राप्त की।[६] १९६२ में वे एम जे कॉलेज में कॉलेज क्वीन चुनी गयीं।[७] उसी वर्ष उन्होंने एदलाबाद क्षेत्र से विधानसभा (एसेंबली) के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर विजय प्राप्त की। उनका विवाह शिक्षाविद देवीसिंह रणसिंह शेखावत के साथ ७ जुलाई, १९६५ को हुआ।[८] उनकी एक पुत्री तथा एक पुत्र है। श्री शेखावत के पूर्वज राजस्थान के सीकर जिले के थे और बाद में जलगांव महाराष्ट्र जाकर बस गये थे।
सुजलां सुफलां मातरम् ।। ४ ।। वन्दे मातरम् ।
पतञ्जलि महान् चिकित्सक थे और इन्हें ही 'चरक संहिता' का प्रणेता माना जाता है। 'योगसूत्र' पतञ्जलि का महान अवदान है । पतञ्जलि रसायन विद्या के विशिष्ट आचार्य थे - अभ्रक विंदास, अनेक धातुयोग और लौहशास्त्र इनकी देन है। पतञ्जलि संभवत: पुष्यमित्र शुंग (१९५-१४२ ई.पू.) के शासनकाल में थे। राजा भोज ने इन्हें तन के साथ मन का भी चिकित्सक कहा है।
2. विस्फोट सिद्धांत (बिग बंग सिद्धांत) और
दक्षिण बिहार के गया जिले में स्थित बराबर नामक तीन गुफाओं की दीवारों पर अशोक के लेख उत्कीर्ण प्राप्त हुए हैं । इन सभी की भाषा प्राकृत तथा ब्राह्मी लिपि में है । केवल दो अभिलेखों शाहवाजगढ़ी तथा मान सेहरा की लिपि ब्राह्मी न होकर खरोष्ठी है । यह लिपि दायीं से बायीं और लिखी जाती है ।
रोटी भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, मलेशिया में सामान्य खाने में पका कर खाये जाने वाली चपटी खाद्य सामग्री है। यह आटे एवं पानी के मिश्रण को गूंध कर उससे बनी लोई को बेलकर एवं आँच पर सेंक कर बनाई जाती है। रोटी बनाने के लिए आमतौर पर गेहूँ का आटा प्रयोग किया जाता है पर विश्व के विभिन्न हिस्सों मे स्थानीय अनाज जैसे मक्का, जौ, चना, बाजरा आदि भी रोटी बनाने के लिए प्रयुक्त होता है। भारत के विभिन्न भागों मे रोटी के लिए विभिन्न हिंदी नाम प्रचलित हैं, जिनमे प्रमुख हैं: -
सेंटियागो की स्थापना एक स्पैनिश नागरिक पेद्रो दे वाल्दिविया द्वारा२१ फरवरी, १५४१ मे की गयी थी। स्थापना समारोह ह्यूलेन हॉल में की गयी थी जिसे बाद में सेरो सांता लूसिया नाम दिया गया। श्री वाल्दिविया ने इस जगह का चुनाव इस जगह की अच्छी जलवायु एवं परिवहन के लिए आसानी से उपलब्ध मापोचो नदी की वजह से की थी। १ सितंबर १५४१ को अराको युद्ध में यह शहर पूरी तरह तहस नहस हो गयी थी।
व्यक्तिवाचक संज्ञा का गठन करने वाले शब्द या शब्दों के सामान्य अर्थ, जिस वस्तु को व्यक्तिवाचक संज्ञा संदर्भित कर रहा हो उससे असंबंधित हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, tiger या smith ना होने के बावजूद किसी का नाम Tiger Smith हो सकता है. यही कारण है कि आम तौर पर व्यक्तिवाचक संज्ञाओं का भाषाओं के बीच अनुवाद नहीं होता है, हालांकि उनका लिप्यंतरण हो सकता है. उदाहरण के लिए, जर्मन उपनाम Knödel अंग्रेज़ी में Knodel या Knoedel हो जाता है (शाब्दिक Dumpling (मालपूआ) नहीं). लेकिन, जगह के नाम और राजा, पोप और ग़ैर-समकालीन लेखकों के नामों का लिप्यंतरण सामान्य और कभी-कभी सार्वभौमिक है. उदाहरण के लिए, पुर्तगाली शब्द Lisboa अंग्रेज़ी में Lisbon हो जाता है; अंग्रेज़ी London फ्रेंच में Londres हो जाता है, और यूनानी Ἁριστοτέλης Aristotelēs अंग्रेज़ी में Aristotle हो जाता है.
गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया और इसे ही सिखों को शाश्वत गुरू घोषित किया। बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह दसम ग्रन्थ का एक भाग है। दसम ग्रन्थ, गुरू गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है। सिखों के दस गुरु हैं ।
तत्त्वं तत्त्वविदेकात्मा जन्मम्ड़ित्यु.जरातिगः ।।(१०३)
दक्षिण भारत में पेरियार ने उनके लेख मैं नास्तिक क्यों हूँ पर अपने साप्ताहिक पत्र कुडई आरसु में के २२-२९ मार्च, १९३१ के अंक में तमिल में संपादकीय लिखा । इसमें भगतसिंह की प्रशंसा की गई थी तथा उनकी शहादत को गांधीवाद के उपर विजय के रूप में देखा गया था।
देवताओं के इन वचनों को सुनकर ब्रह्मा जी उन्हें सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण की उपाधि प्रदान की किन्तु विश्वामित्र ने कहा कि हे भगवन्! जब आपने मुझे यह वरदान दिया है तो मुझे ओंकार, षट्कार तथा चारों वेद भी प्रदान कीजिये। प्रभो! अपनी तपस्या को मैं तभी सफल समझूँगा जब वशिष्ठ जी मुझे ब्राह्मण और ब्रह्मर्षि मान लेंगे।
यह शिंगफो गांव का प्रमुख उत्सव है। शिंगफो की संस्कृति बहुत खूबसूरत है और पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। शाप्वंग यांग मानु पोई फरवरी माह में मनाया जाता है। इस उत्सव में मुख्य रूप से युवक-युवतियां भाग लेते हैं। वह अपने पारंपरिक वस्त्र और आभूषण पहनकर सुन्दर नृत्य पेश करते हैं। यह नृत्य पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। नाच-गाने के बाद चांगलांग के देवता की पूजा-अर्चना भी की जाती है।
एक बम ट्रेन के आने के ठीक पहले रेलवे ट्रैक को तबाह करके ट्रेन को पटरी से उतारने का कारण बनता है. वाहनों और लोगों को होने वाली नुकसान के अलावा एक बम परिवहन नेटवर्क को उड़ाती है तब भी नुकसान करती है, और कई बार ऐसा नेटवर्क को तबाह करने के उद्देश्य से किया जाता है.
राज्य में द्वारका, सोमनाथ, पालीताना, पावागढ़, अंबाजी भद्रेश्वर, शामलाजी, तरंगा और गिरनार जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा महात्मा गांधी की जन्मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्व और वास्तुकला की दृष्टि से उल्लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, दभेई, बडनगर, मोधेरा, लोथल और अहमदाबाद जैसे स्थान भी हैं। अहमदपुर मांडवी, चारबाड़ उभारत और तीथल के सुंदर समुद्री तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्थल, गिर वनों के शेरों का अभयारण्य और कच्छ में जंगली गधों का अभयारण्य भी पर्यटकों के आकर्षण का केद्र हैं।
कृतक त्रैलोक्य
भाषा-साम्राज्य के अंतर्गत भी शब्दों की सीमा में अक्षरों की जो आचार सहिता अथवा उनका अनुशासनगत संविधान है, उसे ही हम वर्तनी की संज्ञा दे सकते हैं।....वर्तनी भाषा का वर्तमान है। वर्तनी भाषा का अनुशासित आवर्तन है, वर्तनी शब्दों का संस्कारिता पद विन्यास है। वर्तनी अतीत और भविष्य के मध्य का सेतु सूत्र है। यह अक्षर संस्थान और वर्ण क्रम विन्यास है। [५]
१९८५: श्रीलंका सरकार और लिट्टे के बीच पहली शांति वार्ता विफल।
ध्रुमसेन सम्यमणि का पुत्र था, और कौरव सेना का एक योद्धा था। उसका वध धृष्टद्युम्न के हाथों हुआ था।
जैसे शरीर एवं आत्मा पृथक नहीं हैं तथा आत्म के उद्देश्य की पूर्ति के लिए शरीर कार्य करता है उसी प्रकार ब्रह्म या ईश्वर से पृथक चित् एवं अचित् तत्त्व का कोई अस्तित्व नहीं हैं वे ब्रह्म या ईश्वर का शरीर हैं तथा ब्रह्म या ईश्वर उनकी आत्मा सदृश्य हैं।
ये ख्याल में रखकर कि अधिकांश निम्न मध्यम वर्ग की महिलाएँ घर में ही सिमटी होती हैं, पति का उल्लेख भी है।
कठोर तपस्या छोड़कर उन्होने आर्य अष्टांग मार्ग ढूंढ निकाला, जो मध्यम मार्ग भी कहलाता जाता है क्योंकि यह मार्ग दोनो तपस्या और असंयम की पाराकाष्टाओं के बीच में है। अपने बदन में कुछ शक्ति डालने के लिये, उन्होने एक बरह्मनि से कुछ खीर ली थी। वे एक पीपल के पेड़ (जो अब बोधि वृक्ष कहलाता है) के नीचे बैठ गये प्रतिज्ञा करके कि वे सत्य जाने बिना उठेंगे नहीं। वे सारी रात बैठे और सुबह उन्हे पूरा ज्ञान प्राप्त हो गया। उनकी अविजया नष्ट हो गई और उन्हे निर्वन यानि बोधि प्राप्त हुई और वे ३५ की उम्र तक बुद्ध बन गये। उनका पहला धर्मोपदेश वाराणसी के पास सारनाथ मे था जो उन्होने अपने पहले मित्रो को दिया। उन्होने भी थोडे दिनो मे ही बोधि प्राप्त कर ली। फिर गौतम बुद्ध ने उन्हे प्रचार करने के लिये भेज दिया।
अप्रैल २००९ तक इस संस्करण पर लेखों की संख्या ८,९१,०००+ है, जो अंग्रेज़ी संस्करण के बाद सर्वाधिक है। नवंबर २००८ तक, ९०% लेख ५१२ बाइट से अधिक आकार के थे, ४९% २ किलोबाइट से अधिक, और लेखों का औसत आकार ३४७६ बाइट था।
ऐसा माना जाता है कि इस अर्धशताब्दी के अल्पकाल में इस्किलस ने 70, सोफोक्लीज ने 113 और यूरापिदीज ने 92 नाटकों का निर्माण किया जिनमें अधिकांश लुप्त हो गए।
डा. भोलानाथ तिबारी, अपनी पुस्तक " हिन्दी भाषा" में लिखते है - " छत्तीसगढ़ी भाषा भाषियों की संख्या अवधी की अपेक्षा कहीं अधिक है, और इस दृ से यह बोली के स्तर के ऊपर उठकर भाषा का स्वरुप प्राप्त करती है।"
लिवरपूल को 2008 में यूरोप की सांस्कृतिक राजधानियों में से एक चुना गया है
अंतरिक्ष यान अनेक कार्यों के लिये उपयोग किये जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं :
प्रस्तावित समझौते का २००९ में प्रभावी होना तय किया गया है। यदि यह सर्वस्वीकृत रहा तो इससे यूरोपीय संसद की शक्तियां काफी बढ जायेगी। इस समझौते के लागू होने से उपर उल्लेख किये गये पिलर्स भी निष्प्रभावी हो जायेंगे। विदेश नीति के बहुत से मुद्दे इससे विभिन्न राष्ट्रों के बीच सुलझाये जाने की बजाय सीधे सीधे यूरोपीय संघ की संस्थाओं द्वारा निर्देशित एवं संचालित होंगे।[४७][४८]
हिन्दू · बौद्ध · सिख · जैन · इस्लाम · ईसाई धर्म · अन्य
Nagaraja Temple, Nagercoil
अध्याय १८ मोक्षसंन्यासयोग
वैष्णव मन्दिरों की सूची
धृतराष्ट्र जन्म से ही अन्धे थे अतः उनकी जगह पर पाण्डु को राजा बनाया गया,इससे धृतराष्ट्र को सदा अपनी नेत्रहीनता पर क्रोध आता और पाण्डु से द्वेषभावना होने लगती।पाण्डु ने सम्पूर्ण भारतवर्ष को जीतकर कुरु राज्य की सीमाओ का यवनो के देश तक विस्तार कर दिया।एक बार राजा पाण्डु अपनी दोनों पत्नियों - कुन्ती तथा माद्री - के साथ आखेट के लिये वन में गये। वहाँ उन्हें एक मृग का मैथुनरत जोड़ा दृष्टिगत हुआ। पाण्डु ने तत्काल अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। मरते हुये मृगरुपधारी निर्दोष ऋषि ने पाण्डु को शाप दिया, "राजन! तुम्हारे समान क्रूर पुरुष इस संसार में कोई भी नहीं होगा। तूने मुझे मैथुन के समय बाण मारा है अतः जब कभी भी तू मैथुनरत होगा तेरी मृत्यु हो जायेगी।"
लाल किला १
इसी प्रकार पोसिडोनियस ने भी अपने शास्त्रों में भौतिक भूगोल पर बल दिया, दूसरी तरफ उसने गेलेशिया के लोगों का भी वर्णन किया। क्लाडियस टॉलमी ने अनेक ग्रंथों एवं मानचित्रों की रचना की। एक बड़ी रोचक घटना टॉलमी के बनाए मानचित्रों से जुड़ी है, पोसिडोनियस के माप को लेकर टॉलमी ने अपने मानचित्र बनाऐ थे, लेकिन उसमें यह दोष रहा कि उसमें पृथ्वी का आकार छोटा था। टॉलमी के मानचित्रों के इस दोष का प्रभाव कोलम्बस की यात्राओं पर पड़ा, क्योंकि उसने इन मानचित्रों का अनुसरण करते हुए अमेरिका को एशिया समझा।
देव-दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने दुर्जनों के लिए भी प्रभु कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है। दुर्जन मानव भी यदि सच्चे मार्ग पर आए तो वह सांस्कृतिक कार्य में अपना बहुत बड़ा योग दे सकता है और दुर्बलता सतत खटकती रहने पर ऐसे मानव को अपने किए हुए सत्कार्य के लिए ज्यादा घमंड भी निर्माण नहीं होगा।
पर्यावरण के क्षरण की कीमत पर आर्थिक विकास बहुत बड़ी लागत पर ख़त्म होता है; GDP (सकल घरेलू उत्पाद) इसका लेखा जोखा नहीं रखता है.
रघु एक मुफ्त यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट है। यह प्रो० रघुनाथकृष्ण जोशी द्वारा विकसित किया गया था। यद्यपि यह लिनक्स के लिए बनाया गया था तथापि इसका उपयोग विण्डोज़ समेत अन्य़ प्रचानल तन्त्रों में भी किया जा सकता है। बीबीसी हिन्दी की साइट पर उपलब्ध फॉण्ट इंस्टालर में भी इसी का प्रयोग किया गया है। रघु डाउनलोड एवं वितरण के लिए मुफ्त उपलब्ध है।
1948 में, घटक ने अपना पहला नाटक कालो सायार (द डार्क लेक) लिखा, और ऐतिहासिक नाटक नाबन्ना के पुनरुद्धार में हिस्सा लिया. 1951 में, घटक, इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन (IPTA) के साथ जुड़े. उन्होंने नाटकों का लेखन, निर्देशन, और उनमें अभिनय किया और बेर्टोल्ट ब्रेश्ट और गोगोल को बंगला में अनुवादित किया. 1957 में, उन्होंने अपने अंतिम नाटक ज्वाला (द बर्निंग) को लिखा और निर्देशित किया.
विदेशी निवासी
भगवान महावीर ( - प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन) भगवान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक नहीं हैं। वे प्रवर्तमान काल के चौबीसवें तीर्थंकर हैं। आपने आत्मजय की साधना को अपने ही पुरुषार्थ एवं चारित्र्य से सिद्ध करने की विचारणा को लोकोन्मुख बनाकर भारतीय साधना परम्परा में कीर्तिमान स्थापित किया। आपने धर्म के क्षेत्र में मंगल क्रांति सम्पन्न की।
बीएसएनएल भारत का सबसे पुराने संचार सेवा प्रदाता ( CSP ) है बीएसएनएल को वर्तमान में 72,34 लाख ( बेसिक तथा मोबाइल टेलीफोनी )एक ग्राहक आधार है इसके पद चिह्न महानगरोंमुंबई और नै दिल्ली (New Delhi) जो एम् टी एन एल (MTNL)के द्वारा प्रबंधित प्रबंधित है,को छोड़ कर पुरे भारत में है ३१ मार्च२००८ के अनुसार बी एस एन एल ३१.५५ मिलियन बेतार, ४.५८ मिलियन की दी एम् ऐ -डब्लू एल एल और ३६. २१ मिलियन जी एस एम् मोबाइल ग्राहकों का नियंत्रण था ३१ मार्च२००७ को समाप्त हुए वित्तीय साल में बी एस एन एल की कमाई ३९७.१५ बिल्लिओं रुपये (९.६७ बी ) थी आज बी एस एन एल भारत का सबसे बड़ा टेल्को और और १०० बिल्लिओं अमेरिकी दुलार के अनुमान के साथ सबसे बड़े सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों में से एक है कंपनी ६ महीनो में १० % सार्वजनिक शेयर की योजना बना रही है
आलू फूलकोपीर दालना एक बंगाली व्यंजन है।
(क) एक राज्य के निवासियों की अपने राज्य को भौगोलिक सीमाओं के बाहर अन्य स्थान पर बसी बस्ती को तब तक उपनिवेश कहते हैं, जब तक वह स्थान उस राज्य के ही प्रशासकीय क्षेत्र में आता हो, अथवा
ज जि जु जे जो ज्य ज्यु ज्यो
बोस्निया और हर्जेगोविना के सर्बस १८
२. दक्षिणी विजय अभियान- कुछ इतिहास के विद्वानों के मतानुसार कुमारगुप्त ने भी समुद्रगुप्त के समान दक्षिण भारत का विजय अभियान चलाया था, लेकिन सतारा जिले से प्राप्त अभिलेखों से यह स्पष्ट नहीं हो पाता है ।
३. रूभ्मिनदेई- नेपाल के तराई में है ।
भारत के थलसेनाध्यक्ष।
लक्ष्मण एक आदर्श अनुज हैं। राम को पिता ने वनवास दिया किन्तु लक्ष्मण राम के साथ स्वेच्छा से वन गमन करते हैं - ज्येष्ठानुवृति, स्नेह तथा धर्मभाव के कारण। राम के साथ उनकी पत्नी सीता के होने से उन्हें आमोद-प्रमोद के साधन प्राप्त है किन्तु लक्ष्मण ने समस्त आमोदों का त्याग कर के केवल सेवाभाव को ही अपनाया। वास्तव में लक्ष्मण का वनवास राम के वनवास से भी अधिक महान है।
वर्णाश्रम अभिमान तजि, पद रज बंदहिजासु की। सन्देह-ग्रन्थि खण्डन-निपन, बानि विमुल रैदास की।।
[१] GDP (सकल घरेलू उत्पाद) को तीन प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है, जिनमें से सभी अवधारणात्मक रूप से समान हैं. पहला, यह एक निश्चित समय अवधि में (आम तौर पर 365 दिन का एक वर्ष) एक देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम माल और सेवाओ के लिए किये गए कुल व्यय के बराबर है.
ऑस्ट्रेलियाई अंग्रेजी में ऑस्ट्रेलिया शब्द का उच्चारण होता है[[अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि चिह्न सूची|[əˈstɹæɪljə, -liə]]]. [१९]20-वीं सदी के शुरुआती समय में कई बार इस देश को स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय रूप में ओज(Oz) नाम से उल्लेखित किया गया,N5 ऑस्सी(Aussie) (कभी-कभी ओजी(Ozzie) लिखी जाती है जो उच्चारण को अच्छी तरह पेश करता है) सामान्य बोल-चाल की भाषा में यह एक विशेषण है, और संज्ञा रूप में यह शब्द ऑस्ट्रेलियाइयो का उल्लेख करती हैं.N6
अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लगी और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। अपने को पुलिस से घिरा देख प्रफुल्लचंद चाकी ने खुद को गोली मारकर अपनी शहादत दे दी जबकि खुदीराम पकड़े गए। ११ अगस्त १९०८ को उन्हें मुजफ्फरपुर जेल में फाँसी दे दी गई। उस समय उनकी उम्र मात्र 19 साल थी।
यह किला मुगल स्थापत्य कला का एक आदर्श उदाहरण है। यहां स्पष्ट है, कि कैसे उत्तर भारतीय दुर्ग निर्माण, दक्षिण भारतीय दुर्ग निर्माण से भिन्न होता था। दक्षिण भारत के अधिकांश दुर्ग, सागर किनारे निर्मित हैं।
• मृणाल सेन
ज्योतिष ने विज्ञान भाषा और साहित्य दोनों को प्रभावित किया है. उदाहरण के लिए, इन्फ़्लुएन्ज़ा या जुकाम (influenza) शब्द मध्यकालीन लैटिन शब्द इन्फ़्लुएन्शिय से लिया गया, इसका नाम ऐसा इसलिए पड़ा क्योंकि चिकित्सकों का मानना था की महामारी प्रतिकूल ग्रहों और तारकीय प्रभाव की वजह से फैलती है.[२९] शब्द आपदा, "डिसास्टर" इटालियन शब्द डिसैस्ट्रो से लिया गया है जो की एक "नाकारात्मक उपसर्ग"[३०]डिस और लैटिन शब्द ऐस्टर " तारा" से व्युत्पन्न है, जिसका मतलब है बुरे तारे या "दुष्ट-नक्षत्र". विशेषण, "ल्यूनेटिक" (ल्यूना/चन्द्रमा), "मेर्कयुरिअल" (मर्कारी), "मैथुनिक", (शुक्र) सामरिक, (मंगल (Mars)), "आनन्दित" (बृहस्पति/ जोव), और "सीसक" (शनि) पुराने शब्द हैं जिनका प्रयोग उन व्यक्तिगत गुणों को बताने के लिए किया जाता था जो ग्रहों के ज्योतिष लक्षणों से सबसे ज़्यादा मिलते थे या प्रभावित होते थे, इनमे से कुछ गुण प्राचीन रोमन देवताओं के गुणों से व्युत्पन्न हैं और उनका नाम भी उसी आधार पर रखा गया है. साहित्य में, कई लेखकों विशेषकर जिओफ्फ्रे चौसर (Geoffrey Chaucer)[३१][३२][३३] और विलियम शेक्सपियर,[३४][३५] ने अपने पात्रों का वर्णन करने के लिए ज्योतिष के चिनों का प्रयोग किया और इस तरीके से उस विवरण में बारीकी पैदा की. हाल ही में, मिचेल वार्ड ने कहा था की क्रोनिकाल्स ऑफ़ नारनिया (Chronicles of Narnia) के रचयिता सी.एस.लुईस (C.S. Lewis) ने अपनी रचना को सात स्वर्गों के पात्रों और चिन्हों से सराबोर किया. अक्सर, ज्योतिष प्रतीकों को समझने वाले साहित्यों की सराहना करने की आवश्यकता है.
उज्जैन नगर के धार्मिक स्वरूप में क्षिप्रा नदी के घाटों का प्रमुख स्थान है। नदी के दाहिने किनारे, जहां नगर स्थित है, पर बने ये घाट स्थानार्थियों के लिये सीढीबध्द हैं। घाटों पर विभिन्न देवी-देवताओं के नये-पुराने मंदिर भी है। क्षिप्रा के इन घाटों का गौरव सिंहस्थ के दौरान देखते ही बनता है, जब लाखों-करोडों श्रध्दालु यहां स्नान करते हैं।
सिंगापुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में यहाँ के तीन संग्रहालय, जूरोंग बर्ड पार्क, रेप्टाइल पार्क, जूलॉजिकल गार्डन, साइंस सेंटर सेंटोसा द्वीप, पार्लियामेंट हाउस, हिन्दू, चीनी व बौद्ध मंदिर तथा चीनी व जापानी बाग देखने लायक हैं। सिंगापुर म्यूजियम में सिंगापुर की आजादी की कहानी आकर्षक थ्री-डी वीडियो शो द्वारा बताई जाती है। इस आजादी की लड़ाई में भारतीयों का भी महत्वपूर्ण योगदान था।
समकालीन भारतीय साहित्य
अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है । दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है ।
एक खरगोश और दो पत्तो का चित्र
खाने के लिए सदा तैयार रहने वालों में भी होती है।
Proper nouns (जिन्हें proper names भी कहा जाता है) अद्वितीय तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाली संज्ञाएं हैं (जैसे London , Jupiter या Johnny ), जोकि तत्वों के वर्ग का वर्णन करने वाले (जैसे city , planet या person ) common nouns से भिन्न हैं.[७] सामान्य रूप से Proper nouns से पूर्व उपपद या अन्य प्रतिबंधक विशेषक (जैसे any या some ) का उपयोग नहीं किया जाता है, और यह शब्द या वाक्यांश के किसी वर्णनात्मक अर्थ का लिहाज किए बिना विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु को निरूपित करने के लिए प्रयुक्त होता है. व्यक्तिवाचक संज्ञा के बड़े अक्षर में अर्थ, अंतर्निहित संदर्भ में अद्वितीयता है, अर्थात् जब कोई उदाहरण अंतर्निहित संदर्भ में अद्वितीय है तो सामान्य प्रकार के उदाहरण को यह एक नाम प्रदान करता है. इसलिए बाद में की गई चर्चा के अनुसार, संदर्भ बदलाव इसे प्रभावित कर सकता है (देखें Intersections of common and proper senses).
आपुन हँसत हँसावत औरन, मानो लीला रूप ।
निर्देशांक: 30°54′N 79°07′E / 30.9, 79.117
प्रकृति के अनमोल उपहार झरनों को रांची के पर्यटन उद्योग की जान माना जाता है। इन झरनों में हुन्डरू, जोन्हा, दसम और पांच गाघ झरने प्रमुख हैं। यह झरने तो खूबसूरत हैं ही लेकिन इनके आस-पास के नजारे भी बहुत खूबसूरत हैं जो पर्यटकों को मंत्र-मुग्ध कर देते हैं। इन सभी झरनों में जोन्हा झरना प्रमुख है क्योंकि इस झरने के पास भगवान बुद्ध के मन्दिर के दर्शन किए जा सकते हैं। पर्यटकों को यह झरना खासतौर से आकर्षित करता है क्योंकि यहां उनके ठहरने के लिए रेस्ट हाऊस का निर्माण किया है।
सन् १७३७ ई. में उज्जैन सिंधिया वंश के अधिकार में आया उनका सन १८८० ई. तक एक छत्र राज्य रहा जिसमें उज्जैन का सर्वांगीण विकास होता रहा। सिंधिया वंश की राजधानी उज्जैन बनी। राणोजी सिंधिया ने महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोध्दार कराया। इस वंश के संस्थापक राणोजी शिंदे के मंत्री रामचंद्र शेणवी ने वर्तमान महाकाल मंदिर का निर्माण करवाया. सन १८१० में सिंधिया राजधानी ग्वालियर ले जाई गयी किन्तु उज्जैन का संस्कृतिक विकास जारी रहा। १९४८ में ग्वालियर राज्य का नवीन मध्य भारत में विलय हो गया।
कंकरोली की पराजय के बाद तात्या पूर्व की ओर भागे, ताकि चम्बल पार कर सकें। अगस्त का महीना था। चम्बल तेजी से बढ रही थी, लेकिन तात्या को जोखिम उठाने में आनंद आता था। अंग्रेज उनका पीछा कर रहे थे, इसलिए उन्होंने बाढ में ही चम्बल पार कर ली और झालावाड की राजधानी झलार पाटन पहुँचे। झालावाड का शासक अंग्रेज-परस्थ था, इसलिए तात्या ने अंग्रेज सेना के देखते-देखते उससे लाखों रुपये वसूल किए और ३० तोपों पर कब्जा कर लिया। यहाँ से उनका इरादा इंदौर पहुँचकर वहाँ के स्वाधीनता सेनानियों को अपने पक्ष में करके फिर दक्षिण पहुँचना था। तात्या को भरोसा था कि यदि नर्मदा पार करके महाराश्ट्र पहुँचना संभव हो जाय तो स्वाधीनता संग्राम को न केवल जारी रखा जा सकेगा, बल्कि अंग्रेजों को भारत से खदेडा भी जा सकेगा।
- ३ जनवरी, १९२१ : पुनर्नामकरण यूनाइटेड प्रोविंसेज़ ऑफ ब्रिटिश इंडिया
उत्तरापथ - तक्षशिला
खान एक समर्पित बॉडीबिल्डर हैं। वे प्रतिदिन मेहनत करते हैं और मूवी तथा स्टेज शो में अपनी कमीज उतारने के लिए प्रसिद्ध हैं। अमरीका की पीपुल (People)पत्रिका द्वारा वर्ष २००४ में इन्हें दुनिया का 7वां सबसे सुंदर पुरूष और भारत के सबसे सुंदर पुरूष का खिताब मिला।अपने कैरियर में [१२]खान विभिन्न धर्मार्थ संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।[१३]
दक्षिणार्क या दक्षिणारका सूर्य मंदिर मन्दिर बिहार के गया जिले मे स्थित है। सावित्री देवी को समर्पित इस मंदिर मे कई देवियों की प्रतिमाएँ भी स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण मौर्य कालीन राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म से भी पहले हुआ था।
श्रीमती त्रीणि विस्तीर्ण सु विभाकता महापथा॥ 1-5-7
इन तमाम सालों में वास्तुकला सामयिक चेतना पर्यावरण तथा स्थानीय पृष्ठभूमि के सामंजस्य में विकसित हुई। आज भी हम प्रतिभावान् व्यक्तियों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्वरूप टटोलते रहते हैं। आज कुछ ऐसे वास्तुक हैं जो भूत का अनुसरण करने में ही संतुष्ट हैं कुछ अन्य हैं जो विदेशी ढंग का अनुकरण करने का प्रयास करते हैं। बहुत थोड़े से ऐसे हैं जो अपने समय, गति और राष्ट्रीय दृष्टिकाण के अनुरूप वास्तु का विकास करते का प्रयास कर रहे हैं। इस छोटे से वर्ग का प्रयास नया संघात प्रस्तुत करने का है, जो मनुष्य का नए विचार सोचने और धारण करने की प्रेरणा देता है। इस प्रकार से हमारे युग के भवन निर्माण करने का प्रयास करते हैं और बाद में ये ही भवन शरीर और मस्तिष्क के स्वस्थ विकास को प्रोत्साहत करके जाति का निर्माण करेंगे।
चेन्नई का महानगरीय क्षेत्र कई उपनगरों तक व्याप्त है, जिसमें कांचीपुरम जिला और तिरुवल्लुर जिला के भी क्षेत्र आते हैं। बडए उपनगरों में वहां की टाउन-नगर पालिकाएं हैं, और छोटे क्षेत्रों में टाउन-परिषद हैं जिन्हें पंचायत कहते हैं। शहर का क्षेत्र जहां १७४ कि.मी.² (६७ मील²) है,[२४] वहीं उपनगरीय क्षेत्र ११८९ कि.मी.² (४५८ मील²) तक फैले हुए हैं।[२५]चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण (सी.एम.डी.ए) ने शहर के निकट उपग्रह-शहरों के विकास के उद्देश्य से एक द्वितीय मास्टर प्लान का ड्राफ़्ट तैयार किया है। निकटस्थ उपग्रह शहरों में महाबलिपुरम (दक्षिण में), चेंगलपट्टु और मरियामलै नगर दक्षिण-पश्चिम में, श्रीपेरंबुदूर, तिरुवल्लुर और अरक्कोणम पश्चिम में आते हैं।
बर्मा दक्षिण पुर्व एशिया का सबसे बड़ा देश है, जिसका कुल क्षेत्रफ़ल ६,७८,५०० वर्ग किलोमीटर है। बर्मा विश्व का चॉलीसवां सबसे बड़ा देश है। बर्मा की उत्तर पश्चि्मी सीमाएं भारत के मिज़ोरम, नागालॅण्ड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और बांग्लादेश के चिटगॉव प्रांत को मिलती है। उत्तर मे देश की सबसे लंबी सीमा तिब्ब्त और चीन के उनान प्रांत के साथ है। बर्मा के दक्षिण पुर्व मे बर्मा लाओस ओर थाईलैंड देश है। बर्मा की तट रेखा (१,९३० किलोमिटर) देश के कुल सीमा का एक तिहाई है। बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर देश के दक्षिण पश्चि्म और दक्षिण में क्रमशः पड़ते है। उत्तर में हेंगडुआन शान पर्वत चीन के साथ सीमा बनाते है।
३. रूभ्मिनदेई- नेपाल के तराई में है ।
अहिल्या की कथा
इस महल का निर्माण 1887 ई. में करवाया गया था। यह महल बंगलूरू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल की वास्तुकला तुदौर शैली पर आधारित है। यह महल बंगलूरू शहर के मध्य में स्थित है। यह महल लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है। यह महल इंगलैंड के वाइंडसर महल की तरह दिखाई देता है।
पांचवी शताब्दी के अंत तक जो गंग वंश हल्का पड़ने लगा था, वह वज्रहस्त पंचम के साथ फिर उठा, जिसने सोमवंशी शासक कामदेव को हराकर कलिंग पर गंग वंश का वर्चस्व पुनर्स्थापित किया।
बंगलुरु विमानक्षेत्र (कन्नड़: ಬೆಂಗಳೂರು ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ವಿಮಾನ ನಿಲ್ದಾಣ) (IATA: BLR, ICAO: VOBL) बंगलुरु मेँ स्थित है। इसका ICAO कोडहै VOBG और IATA कोड है BLR । यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां कस्टम्स विभाग उपस्थित नहीं है। इसका रनवे पेव्ड है। इसकी प्रणाली यांत्रिक हाँ है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 10800 फी. है।
4 फरवरी 1944 को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर भयंकर आक्रमण किया और कोहिमा, पलेल आदि कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त करा लिया गया. 22 सितंबर 1944 को शहीदी दिवस मनाते हुये सुभाष बोस ने अपने सैनिकों से मार्मिक शब्दों में कहा `हमरी मातृभूमि स्वतंत्रता की खोज में है. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा. यह स्वतं˜य देवी की मांग है.´ किंतु दुर्भाग्यवश युद्ध का पासा पलटा. जर्मनी ने हार मान ली और जापान को भी घुटने टेकने पड़े. ऐसे में सुभाष बोस को टोकियों की ओर पलायन करना पड़ा और कहते हैं कि हवाई दुघüटना में उनका निधन हो गया. यद्यपि उनका सैनिक अभियान असफल हो गया, किंतु इस असफलता में भी उनकी जीत छिपी थी. नि:संदेह सुभाष बोस उग्र राष्ट्रवादी थे. उनके मन में फासीवाद अधिनायकों के सबल तरीकों के प्रति भावनात्मक झुकाव भी था और वे भारत की शीघ्रातिशीघ्र स्वतंत्रता हेतु हिंसात्मक उपायों में भी आस्था रखते थे. इसीलिये उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया.
HPV परीक्षण द्वारा 2 या 3 दर्जे की गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली या नियंत्रित यादृच्छिक प्रतिचयन परीक्षण के अनुसार 32-38 साल की महिलाओं के बीच परवर्ती परीक्षणों में पता चलने वाले गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की घटनाओं को कम कर सकता है.[३७]संबंधित जोखिम में कमी 41.3% थी. इस अध्ययन में शामिल लोगों के समान जोखिम वाले रोगियों के लिए (63.0% को 2-3 CIN या कैंसर था), इससे 26% तक पूर्ण जोखिम में कमी हो जाती है. एक रोगी के लाभार्थ 3.8 रोगियों के (उपचार के लिए अपेक्षित संख्या = 3.8) इलाज की ज़रूरत है. 2-3 CIN के अधिक या कम जोखिम वाले रोगियों हेतु इन परिणामों को समायोजित करने के लिए यहां क्लिक करें.
मध्य प्रदेश के मऊ के निकट जनायाब पर्वत से निकलकर चम्बल नदी इटावा से ३८ किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी में मिलती है। काली सिंध, बनास और पार्वती इसकी सहायक नदियाँ हैं। बेतवा नदी मध्य प्रदेश में भोपाल से निकलकर उत्तर-पूर्वी दिशा में बहती हुई भोपाल, विदिशा, झाँसी, जालौन आदि जिलों में होकर बहती है। इसके ऊपरी भाग में कई झरने मिलते हैं किन्तु झाँसी के निकट यह काँप के मैदान में धीमे-धीमें बहती है। इसकी सम्पूर्ण लम्बाई ४८० किलोमीटर है। यह हमीरपुर के निकट यमुना में मिल जाती है। इसे प्राचीन काल में वत्रावटी के नाम से जाना जाता था। भागीरथी नदी के दायें किनारे से मिलने वाली अनेक नदियों में बाँसलई, द्वारका, मयूराक्षी, रूपनारायण, कंसावती और रसूलपुर नदियाँ प्रमुख हैं। जलांगी और माथा भाँगा या चूनीं बायें किनारे से मिलती हैं जो अतीत काल में गंगा या पद्मा की शाखा नदियाँ थीं। किन्तु ये वर्तमान समय में गंगा से पृथक होकर वर्षाकालीन नदियाँ बन गई हैं।
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पूर्व मीमांसा के प्रवर्तक ऋषि जैमिनि हैं। वे वेदव्यास के शिष्य थे।
तुर्की का एक प्रांत ।
नोएडा, उत्तरप्रदेश-201301
रामायण का समय त्रेतायुग का माना जाता है। भारतीय कालगणना के अनुसार समय को चार युगों में बाँटा गया है- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग एव कलियुग। एक कलियुग ४,३२,००० वर्ष का, द्वापर ८,६४,००० वर्ष का, त्रेता युग १२,९६,००० वर्ष का तथा सतयुग १७,२८,००० वर्ष का होता है। इस गणना के अनुसार रामायण का समय न्यूनतम ८,७०,००० वर्ष (वर्तमान कलियुग के ५,२५० वर्ष + बीते द्वापर युग के ८,६४,००० वर्ष) सिद्ध होता है । बहुत से विद्वान इसका तात्पर्य इसा पू. ८,००० से लगाते है जो आधारहीन है। अन्य विद्वान इसे इससे भी पुराना मानते हैं।
रावण ने रक्ष संस्कृति या रक्ष धर्म की स्थापना की थी। रक्ष धर्म को मानने वाले गरीब,कमजोर,विकास के पीछे रह गए लोगों,किसानों व वंचितों की रक्षा करते थे। रक्ष धर्म को मानने वाले राक्षस थे।
कैथी, जिसे "कयथी" के नाम से भी जाना जाता है एक ऐतिहासिक लिपि है जो पूरे उत्तर भारत में प्रयोग की जाती थी, खासकर पूर्ववर्ती उत्तर-पश्चिम प्रांत, मिथिला, बंगाल, उड़ीसा और अवध में। इसका प्रयोग खासकर न्यायिक, प्रशासनिक एवं निजी आँकड़ों के संग्रहण में किया जाता था.
बंगलोर का एच.ए.एल. अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा देश का तीसरा व्यस्ततम एयरपोर्ट है । घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय उङानों में प्रयुक्त यह हवाईपट्टी, एशिया, मध्य-पूर्व तथा यूरोप के लिये सेवाएं देता है ।
हिमवान, हेमकूट तथा निषध नामक वर्षपर्वत हैं, जो भिन्न भिन्न वर्षों का भाग करते हैं।
9166 साबरमती एक्सप्रेस -- मुजफ्फरपुर -- अहमदाबाद
सिंहस्थ (कुंभ) महापर्व धार्मिक व आध्यात्मिक चेतना का महापर्व है। धार्मिक जागृति द्वारा मानवता, त्याग, सेवा, उपकार, प्रेम, सदाचरण,अनुशासन,अहिंसा, सत्संग, भक्ति-भाव अध्ययन-चिंतन परम शक्ति में विश्वास और सन्मार्ग आदि आदर्श गुणों को स्थापित करने वाला पर्व है।
फतेहपुर जिला भली प्रकार से सड़क मार्ग से अन्य शहरो से जुडा हुआ है। ग्रान्ट ट्रक रोड पर स्थित फतेहपुर जिला लगभग सभी शहरो से सीधे सम्पर्क मे है। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का बस ठहराव स्थल भी यहा है। यहा से नियमित तौर पर दिल्ली,कानपुर,लखनऊ,इलाहाबाद,बाँदा,चित्रकूट,झाँसी,बरेली आदि शहरो के लिये बस सेवा उपलब्ध है।
विस्तृत जानकारी के लिये तेलुगू साहित्य देखें।
औद्योगिक आर्थिक क्रियाकलापों को मुख्यतः चार वर्गोंमें बांटा जा सकता है:
संयुक्त राज्य अमेरिका में कॉलेजिएट प्रतियोगिता, ख़ास तौर पर यूसी बर्कले (UC Berkeley) और सैन जोस स्टेट यूनिवर्सिटी (San Jose State University) के दरम्यान, ने ओलम्पिक गेम्स और वर्ल्ड चैम्पियनशिप्स में देखे गए खेल में जुडो को परिष्कृत करने में अपना योगदान दिया. 1940 के दशक में हेनरी स्टोन और योश उचीडा, कैल और एसजेएसयू (SJSU) के प्रमुख कोच, ने स्कूलों के बीच अक्सर होने वाली प्रतियोगिताओं में इस्तेमाल करने के लिए एक वेट क्लास सिस्टम अर्थात् वजन वर्ग प्रणाली विकसित की. 1953 में, स्टोन और उचीडा ने एक आधिकारिक घटक के रूप में अपने वेट क्लास सिस्टम के साथ, जुडो को एक खेल के रूप में स्वीकार करने के लिए एमेच्योर एथलेटिक यूनियन से एक सफल विनती की. 1961 में, उचीडा ने पेरिस में आईजेएफ की बैठकों में संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रतिनिधित्व किया जहां आईजेएफ ने सभी भावी चैम्पियनशिप के लिए वेट क्लास सिस्टम को अपना लिया. आईजेएफ का निर्माण ज्यादातर शुरूआती यूरोपियन जुडो यूनियन के आधार पर किया गया था जहां कई सालों तक वेट क्लास सिस्टम का भी इस्तेमाल किया था.
बंगलूरू में काफी संख्या में बस टर्मिनल है। जो कि रेलवे स्टेशन के समीप ही है।
वर्ण्य विषय- हरिऔध जी ने विविध विषयों पर काव्य रचना की है। यह उनकी विशेषता है कि उन्होंने कृष्ण-राधा, राम-सीता से संबंधित विषयों के साथ-साथ आधुनिक समस्याओं को भी लिया है और उन पर नवीन ढंग से अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। प्राचीन और आधुनिक भावों के मिश्रण से उनके काव्य में एक अद्भुत चमत्कार उत्पन्न हो गया है।
भूरे रंग में एशियान और हरे रंग में कम्बोडिया
अकबर के लिए आक्रोश की हद एक घटना से पता चलती है। हिन्दू किसानों के एक नेता राजा राम ने अकबर के मकबरे, सिकंदरा, आगरा को लूटने का प्रयास किया, जिसे स्थानीय फ़ौजदार, मीर अबुल फजल ने असफल कर दिया। इसके कुछ ही समय बाद १६८८ में राजा राम सिकंदरा में दोबारा प्रकट हुआ [६८] और शाइस्ता खां के आने में विलंब का फायदा उठाते हुए, उसने मकबरे पर दोबारा सेंध लगाई, और बहुत से बहुमूल्य सामान, जैसे सोने, चाँदी, बहुमूल्य कालीन, चिराग, इत्यादि लूट लिए, तथा जो ले जा नहीं सका, उन्हें बर्बाद कर गया। राजा राम और उसके आदमियों ने अकबर की अस्थियों को खोद कर निकाल लिया एवं जला कर भस्म कर दिया, जो कि मुस्लिमों के लिए घोर अपमान का विषय था। [६९]
आर्य-सिद्धांत ,खगोलीय गणनाओं पर एक कार्य है जो अब लुप्त हो चुका है, इसकी जानकारी हमें आर्यभट्ट के समकालीन वराहमिहिर के लेखनों से प्राप्त होती है, साथ ही साथ बाद के गणितज्ञों और टिप्पणीकारों के द्वारा भी मिलती है जिनमें शामिल हैं ब्रह्मगुप्त और भास्कर I. ऐसा प्रतीत होता है कि ये कार्य पुराने सूर्य सिद्धांत पर आधारित है, और आर्यभटीय के सूर्योदय की अपेक्षा इसमें मध्यरात्रि-दिवस-गणना का उपयोग किया गया है. इसमे अनेक खगोलीय उपकरणों का वर्णन शामिल है, जैसे कि नोमोन(शंकु-यन्त्र ), एक परछाई यन्त्र (छाया-यन्त्र ), संभवतः कोण मापी उपकरण, अर्धवृत्ताकार और वृत्ताकार (धनुर-यन्त्र / चक्र-यन्त्र ), एक बेलनाकार छड़ी यस्ती-यन्त्र , एक छत्र-आकर का उपकरण जिसे छत्र- यन्त्र कहा गया है, और कम से कम दो प्रकार की जल घड़ियाँ- धनुषाकार और बेलनाकार.[१]
मनोरंजन और खेल के क्षेत्र में भारत में खेलों की एक बड़ी संख्या विकसित की गयी थी.आधुनिक पूर्वी मार्शल कला भारत में एक प्राचीन खेल के रूप में शुरू हुई और कुछ लोगों द्वारा ऐसा माना जाता है कि यही खेल विदेशों में प्रेषित किये गए और बाद में उन्ही खेलों का अनुकूलन और आधुनिकीकरण किया गया.ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में आये कुछ खेल यहाँ काफी लोकप्रिय हो गए जैसे फील्ड हॉकी, फुटबॉल (सॉकर) और खासकर क्रिकेट.
फल - कार्य पूर्ण होने में संदेह है, अत: उसे भगवान पर छोड़ देना श्रेयस्कर है।
६ दिसंबर १९०७ को खुदीराम ने नारायगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया परंतु गवर्नर बच गया। सन १९०८ में उन्होंने दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया लेकिन वे भी बच निकले।
७) द्विवचन - सभी भाषाओं में एक वचन और बहु वचन होते हैं जबकि संस्कृत में द्विवचन अतिरिक्त होता है।
चेक गणराज्य (चेक : Česká republika or Česko) यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है । इसकी उत्तर पूर्वी सीमा पर पोलैन्ड, पश्चिमी सीमा पर जर्मनी, दक्शिन मे ऑस्ट्रिया और पूर्व मे स्लोवाकिया है । इसकी राजधानी है प्राग (en:Prague) । इसकी मुख्य- और राजभाषा है चेक भाषा।
बुद्ध का पहिले धर्मोपदेश, जो उन्होने अपने साथ के कुछ साधुओं को दिया था, इन चार आर्य सत्यों के बारे में था ।
भारत का पहला कम तापमान अलवणीकरण संयंत्र (LLTD) कवरती में मई 2005 में खोला गया था. इस अलवणीकरण संयंत्र को पांच करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है और इससे समुद्र के पानी से हर रोज 100,000 लीटर पीने योग्य पानी के उत्पादन की आशा है.[२][३]
91. भाण्डेश्वर और साण्डेश्वर मंदिर दो भाईयों द्वारा बनवाये गये थे और जैन तीर्थंकर, पार्श्वनाथ जी को समर्पित हैं।
ऋषिकेश मार्ग पर जोशीमठ से 8 किलोमीटर दूर।वृद्ध बदरी या पुराना बदरी भगवान विष्णु को समर्पित प्राचीन मंदिर गढ़वाल के पंच बद्रियों में से एक है, मुख्य सड़क पर मंदिर द्वार के नीचे आधा किलोमीटर पैदल जाने पर ऊनीमठ गांव है। इसे वृद्ध बद्री कहा जाता है क्योंकि भगवान विष्णु वृद्ध स्वरूप में यहां नारद के सम्मुख प्रकट हुए थे।
कार्लाइल को अकीक इत्यादि की बहुत सी मणियां भी यहां से मिली है। भारतकला भवन काशी हिन्दु विश्वविद्यालय में भी ऐसी मणियों का अच्छा संग्रह है। यहां हाथी दांत की चूड़ियों के भी टुकड़े काफी संख्या में मिलते हैं। कार्लाइल को बैरांट के आस-पास के नालों और खेतों से प्रस्तर युग की चिप्पियाँ (flakes ) तथा कोर भी मिले थे इन सब बातों से यह सिद्ध हो जाता है कि बैरांट की बस्ती प्राचीन है। काली मिट्टी के ओपदार बर्तनों के टुकड़ों के मिलने से तो यह निश्चित हो जाता है कि मौर्य युग में यहां बस्ती थी। ऊपर हमने वैरांट के प्राचीन शहर का इसलिए विस्तारपूर्वक वर्णन किया कि इस नगर की स्थिति से वाराणसी के प्राचीन इतिहास पर प्रकाश पड़ता है। इस जगह काशी की प्राचीन स्थिति के संबंध की कुछ बातों का जानना आवश्यक है। महाभारत (अनुशासन पर्व, १८९९, १९००) में यह कथा आयी है कि काशिराज हर्य को वीतिष्व्यो ने गंगा-यमुना के मैदान में हराकर मार डाला। हर्य के पुत्र सुदेव को भी लड़ाई में मात खानी पड़ी। बाद में उनके पुत्र दिवोदास ने दूसरी वाराणसी गंगा के उत्तर किनारे और गोमती के दक्षिण किनारे पर बसायी। ३ अब प्रश्न उठता है कि दिवोदास का बसाया यह दूसरा वाराणसी कहां पर था? गंगा की आधुनिक धारा को देखते हुए यह नगर गंगा-गोमती के संगम कैथी के पास होना चाहिए पर कैथी के आस-पास किसी प्राचीन नगर का भग्नावशेष नहीं है। चंद्रावती के भी गाहड़वाल युग के पहले के नहीं है और एक बड़े शहर का तो यहां नाम निशान भी नहीं मिलता। आज तक यह भी नहीं सुनने में आया कि चंद्रावती से कोई प्राचीन सिक्के भी मिले हैं। आसपास खोजने पर बैरांट के सिवा कोई ऐसी दूसरी जगह नहीं मिलती जहां प्राचीन काल में एक शहर रहा है। गंगा-गोमती की वर्तमान धारा इस मत के विरुद्ध पड़ती है, पर गंगा की प्राचीन धारा की अगर कल्पना की जाए तो बैरांट पर ही दिवोदास की बनायी दूसरी वाराणसी संभव जान पड़ती है। बानगंगा रसूरपुर तक पूर्ववाहिनी होकर हसनपुर में गंगा के वर्तमान प्रवाह में मिल जाती है। जिस समय गंगा का मूल प्रवाह बानगंगा काँठे से था, इस समय गोमती गंगा की वर्तमान धारा में बहती हुई सैदपुर के पास गंगा से आ मिलती थी। इस तरह बैरांट या प्राचीन वाराणसी गोमती के दक्षिण में पड़ता था जैसा कि महाभारत में कहा गया है। अब प्रश्न यह है कि यह नयी वाराणसी कब तक बसी रही? ऐसा जान पड़ता है कि जब तक गंगा ने अपना प्रवाह नहीं बदला था तब तक नगर बैरांट में ही बना रहा। पर जब गंगा ने इस जगह को छोड़ दिया तब नगर भी धीरे-धीरे वीरान हो चला और अंत में केवल टीला रह गया। लेकिन यह सब हुआ कब? ऐसा पता लगता है कि मौर्ययुग तक तो वैरांट का शहर बसा था और शायद गंगा ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बाद ही अपना रास्ता बदला होगा। कम-से-कम जैसा हमें अनुश्रुतियों से पता लगता है गुप्तयुग में तो मृतगंगा अर्थात् बाणगंगा इतिहास में आ चुकी थी, अत: गंगा ने अपना रास्ता इसके कई शताब्दी पहले बदला होगा। यह प्रश्न ऐतिहासिक दृष्टि से बड़े महत्व का है पर इस प्रश्न पर और अधिक प्रकाश तभी पड़ सकता है जब वैरांट की आधुनिक ढ़ंग से खुदाई हो।
यह एक ऐसी परम्परा है जिसमे वेदो को पत्रो पर लिख्ने कि बजाय याद करके सदियो तक सुरक्षित रखा जात था।गुरु अपने शिष्य को मोखिक रुप से सम्पूर्ण वेदिक साहित्य का अधय्यन करवाता था और शिष्य उसे याद कर लेता था
सरफराज़ खान बंगाल के नवाब थे।
सूरदास की जन्मतिथि एवं जन्मस्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है। -
पल्लवक्कम मध्य चेन्नई का एक क्षेत्र है।
रोमन भूगोलवेत्ताओं का भी प्रारंभिक ज्ञान देने में हाथ रहा है। स्ट्राबो (50 ईसा पूर्व -14 ई) ने भूमध्य सागर के निकटस्थ परिभ्रमन के अधार पर भूगोल की रचना की। पोंपोनियस मेला (40 ई) ने बतलाया कि दक्षिणी समशीतोष्ण कटिबंध में अवासीय स्थान है जिसे इन्होंने एंटीकथोंस (Antichthones) विशेषण दिया। 150 ई0 में क्लाउडियस टोलेमियस ने ग्रीस की भौगोलिक धारणाओं के आधार पर अपनी रचना की। अरब भूगोल तथा आधुनिक समय में इस विज्ञान का प्रारंभ क्लाउडियस की विचारधारा पर ही निर्धारित है। टोलमी ने किसी स्थान के अक्षांश और देशांतर का निर्णय किया तथा स्थल या समुद्र की दूरी में सुधार किया तथा इसकी स्थिति ऐटलैंटिक महासागर से पृथक निर्णीत की।
बौद्ध धर्म का प्रभाव भारत के बाहर भी हुआ । अफ़ग़ानिस्तान (उस समय फ़ारसी शासकों के अधीन), चीन, जापान तथा श्रीलंका के अतिरिक्त इसने दक्षिण पूर्व एशिया में भी अपनी पहचान बनाई ।
सभी पाण्डव सब प्रकार की विद्याओं में प्रवीण थे।पाण्डवों ने सम्पूर्ण दिशाओं पर विजय पाई और युधिष्ठिर राज्य करने लगे। उन्होंने प्रचुर सुवर्णराशि से परिपूर्ण राजसूय यज्ञ का अनुष्ठान किया। उनका यह वैभव दुर्योधन के लिये असह्य हो उठा। उसने अपने भाई दु:शासन और वैभव प्राप्त सुहृद् कर्ण के कहने से शकुनि को साथ ले, द्यूत-सभा में जूए में प्रवृत्त होकर, युधिष्ठिर को उसके भाइयो,द्रौपदी और उनके राज्य को कपट-द्यूत के द्वारा हँसते-हँसते जीत लिया।दुर्योधन ने कुरु राज्य सभा मे द्रौपदी का बहुत अपमान किया,उसे निर्वस्त्र करने क प्रयास किया।परन्तु गांधारी ने आकर ऐसा होने से रोक दिया। साथ ही मे जूए में परास्त होकर युधिष्ठिर अपने भाइयों के साथ वन में चले गये। वहाँ उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार बारह वर्ष व्यतीत किये। वे वन में भी पहले ही की भाँति प्रतिदिन बहुसंख्यक ब्राह्मणों को भोजन कराते थे। (एक दिन उन्होंने) अठासी हजार द्विजोंसहित दुर्वासा को (श्रीकृष्ण-कृपा से) परितृप्त किया। वहाँ उनके साथ उनकी पत्नी द्रौपदी और पुरोहित धौम्यजी भी थे।
चितौन या सातिआन (एल्सटोनिया), एपोसाइनेसी कुल के सदाबहार वृक्ष और झाड़ियों का एक व्यापक वंश (जीनस) है। इसे वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट ब्राउन द्वारा 1811 में एडिनबर्ग के वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर चार्ल्स एल्सटन (1685-1760) के नाम पर नामित किया गया था (1716-1760)।
नगर परिषद के द्वारा जनकल्याण के कार्य करने के लिए विभिन्न प्रकार के अधिकारी भी नियुक्त किये जाते थे, जैसे - सड़कों, बाज़ारों, चिकित्सालयों, देवालयों, शिक्षा-संस्थाओं , जलापूर्ति, बंदरगाहों की मरम्मत तथा रखरखाव का काम करना । नगर का प्रमुख अधिकारी नागरक कहलाता था । कौटिल्य ने नगर प्रशासन में कई विभागों का भी उल्लेख किया है जो नगर के कई कार्यकलापों को नियमित करते थे, जैसे - लेखा विभाग, राजस्व विभाग, खान तथा खनिज विभाग, रथ विभाग, सीमा शुल्क और कर विभाग ।
अशोक ने अहिंसा, शान्ति तथा लोक कल्याणकारी नीतियों के विश्वविख्यात तथा अतुलनीय सम्राट हैं । एच. जी. वेल्स के अनुसार अशोक का चरित्र “इतिहास के स्तम्भों को भरने वाले राजाओं, सम्राटों, धर्माधिकारियों, सन्त-महात्माओं आदि के बीच प्रकाशमान है और आकाश में प्रायः एकाकी तारा की तरह चमकता है ।"
खगोलीय यांत्रिकी (Celestial mechanics) में आकाशीय पिंडों (heavenly bodies) की गतियों के गणितीय सिद्धांतों का विवेचन किया जाता है। न्यूटन द्वारा प्रिंसिपिया में उपस्थापित गुरुत्वाकर्षण नियम तथा तीन गतिनियम खगोलीय यांत्रिकी के मूल आधार हैं। इस प्रकार इसमें विचारणीय समस्या द्वितीय वर्ण के सामान्य अवकल समीकरणों के एक वर्ग के हल करने तक सीमित हो जाती है।
माध्वाचार्य का जन्म सन् १२३८ में विजयादशमी के दिन उडुपी के निकट पजका नामक छोटे से गाँव में हुआ था।
आयुर्वेद का कर्तव्य है, देह का प्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखना और शेष विश्व से उसका ताल-मेल बनाना। रोग की अवस्था में, इसका कर्तव्य उपतन्त्रों के विकास को रोकने के लिए शीघ्र हस्तक्षेप करना और देह के सन्तुलन को पुन: संचित करना है। प्रारम्भिक अवस्था में रोग सम्बन्धी तत्त्व अस्थायी होते हैं और साधारण अभ्यास से प्राकृतिक सन्तुलन को फिर से कायम किया जा सकता है।
2.6.0 अनुस्वार व्यंजन है और अनुनासिकता स्वर का नासिक्य विकार। हिंदी में ये दोनों अर्थभेदक भी हैं। अत हिंदी में अनुस्वार (ं) और अनुनासिकता चिह्न (ँ) दोनों ही प्रचलित रहेंगे।
कन्नड़ (ಕನ್ನಡ Kannaḍa, [ˈkʌnːəɖa]) या कैनड़ीज़[५]भारत के कर्नाटक राज्य में बोले जानेवाली भाषा है और कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत के सबसे ज़्यादा प्रयोग की जाने वाली भाषाओं में से एक है। ४.५० करोड़ लोग कन्नड भाषा प्रयोग करते हैं।[१] ये भाषा एन्कार्टा के अनुसार विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली ३० भाषाओं की सूची में २७वें स्थान पर आती है।[३] ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है पर इसमें संस्कृत से भी बहुत शब्द हैं। कन्नड भाषा इस्तेमाल करनेवाले इसको विश्वास से 'सिरिगन्नड' बोलते हैं। कन्नड भाषा कुछ २५०० साल से उपयोग में है। कन्नड लिपि कुछ १९०० साल से उपयोग में है। कन्नड अन्य द्रविड़ भाषाओं की तरह है। तेलुगु, तमिल और मलयालम इस भाषा से मिलतेजुलते है। संस्कृत भाषा से बहुत प्रभावित हुई यह भाषा में संस्कृत में से बहुत सारे शब्द वही अर्थ से उपयोग किया जाता है। कन्नड भारत की २२ आधिकारिक भाषाओं में से एक है।[६]
कुवेंपु, प्रसिद्ध कन्नड़ कवि एवं लेखक थे, जिन्होंने जय भारत जननीय तनुजते लिखा था, जिसे अब राज्य का गीत (एन्थम) घोषित किया गया है।[९८] इन्हें प्रथम कर्नाटक रत्न सम्मान दिया गया था, जो कर्नाटक सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। अन्य समकालीन कन्नड़ साहित्य भी भारतीय साहित्य के प्रांगण में अपना प्रतिष्ठित स्थान बनाये हुए है। सात कन्नड़ लेखकों को भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुका है, जो किसी भी भारतीय भाषा के लिये सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान होता है।[९९] टुलु भाषा मुख्यतः राज्य के तटीय जिलों उडुपी और दक्षिण कन्नड़ में बोली जाती है। टुलु महाभरतो, अरुणब्ज द्वारा इस भाषा में लिखा गया पुरातनतम उपलब्ध पाठ है।[१००] टुलु लिपि के क्रमिक पतन के कारण टुलु भाषा अब कन्नड़ लिपि में ही लिखी जाती है, किन्तु कुछ शताब्दी पूर्व तक इस लिपि का प्रयोग होता रहा था। कोडव जाति के लोग, जो मुख्यतः कोडगु जिले के निवासी हैं, कोडव टक्क बोलते हैं। इस भाषा की दो क्षेत्रीय बोलियां मिलती हैं: उत्तरी मेन्डले टक्क और दक्षिणी किग्गाति टक। [१०१]कोंकणी मुख्यतः उत्तर कन्नड़ जिले में और उडुपी एवं दक्षिण कन्नड़ जिलों के कुछ समीपस्थ भागों में बोली जाती है। कोडव टक्क और कोंकणी, दोनों में ही कन्नड़ लिपि का प्रयोग किया जाता है। कई विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी है, और अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा प्रौद्योगिकी-संबंधित कंपनियों तथा बीपीओ में अंग्रेज़ी का प्रयोग ही होता है।
सैनिक रूप से जापान के सम्बन्ध अमेरिका से सामान्य है।
(1) उदात्त कथानक
otherwise [ʔ], [ə], or silent.
ॐ देवीस्तिस्रस्तिस्रो देवीवर्योधसं, पतिमिन्द्रमवद्धर्यन् । जगत्या छन्दसेन्दि्रय शूषमिन्द्रे, वयो दधद्वसुवने वसुधेयस्य व्यन्तु यज॥ -२८.४१
अकबर के पुत्र एवं उत्तराधिकारी जहांगीर के शासन काल में, ओडिशा को प्रांतों में बांटा गया, जिसकी राजधानी कटक रही, और इसका एक सूबेदार नियुक्त किया गया।
• हृषिकेश मुखर्जी
मैसूर मैसूर राज्य में नाड हब्बा (राज्योत्सव) के रूप में मनाया जाता है। यह मैसूर के प्रधान त्यौहारों में से एक है।[९४]उगादि (कन्नड़ नव वर्ष), मकर संक्रांति, गणेश चतुर्थी, नाग पंचमी, बसव जयंती, दीपावली आदि कर्नाटक के प्रमुख त्यौहारों में से हैं।
झारखंड से संबंधित यह लेख अपनी प्रारम्भिक अवस्था में है, यानि कि एक आधार है। आप इसे बढाकर विकिपीडिया की मदद कर सकते है।
मेरे कानो को,
Hostel
साँचा:दिसंबर कैलंडर२०१० १५ दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३४९वॉ (लीप वर्ष मे ३५० वॉ) दिन है। साल में अभी और १६ दिन बाकी है।
25 जज तथा 1 मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के प्रावधान का वर्णन संविधान मे है अनु 124[2] के अनुसार् मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय इच्छानुसार राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशॉ की सलाह लेगा वही अन्य जजॉ की नियुक्ति के समय उसे अनिवार्य रूप से मुख्य न्यायाधीश की सलाह माननी पडेगी
उपन्यास विधा पर अद्भुत पकड़ होने के का कारण है नरेन्द्र कोहली की कई विषयों में व्यापक सिद्धहस्तता. मानव मनोविज्ञान को वह गहराई से समझते हैं एवं विभिन्न चरित्रों के मूल तत्व को पकड़ कर भिन्न-भिन्न सिचुएशन्स में उनकी सहज प्रतिक्रया को वे प्रभावशाली एवं विश्वसनीय ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं. औसत एवं असाधारण, सभी प्रकार के पात्रों को वे अपनी सहज संवेदना एवं भेदक विश्लेषक शक्ति से न सिर्फ पकड़ लेते है, वरन उनके साथ तादात्म्य स्थापित कर लेते हैं. राजनैतिक परिवेश की उन्हें अच्छी समझ है. राजनैतिक समीकरणों, घात-प्रतिघात, शक्ति-संतुलन इत्यादि का व्यापक चित्रण उनकी रचनाओं में मिलता है. दर्शन, आध्यात्म एवं संस्कृति पर उनकी पकड़, उनके विस्तृत अध्ययन और व्यापक दृष्टिकोण की तुलना रवीन्द्रनाथ ठाकुर, जयशंकर प्रसाद और महादेवी वर्मा का स्मरण करा देती है.
(३) लौरिया अरराज तथा लौरिया नन्दगढ़- यह स्तम्भ लेख बिहार राज्य के चम्पारण जिले में है ।
== जीवनी == राममोहन राय का जन्म बंगाल में 1772 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था । इनके पिता एक वैष्णव थे जबकि माता शाक्त । १५ वर्ष की आयु तक उन्हें बंगाली, संस्कृत, अरबी तथा फ़ारसी का ज्ञान हो गया था । किशोरावस्था में उन्होने काफी भ्रमण किया । उन्होने 1803-1814 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए भी काम किया । उन्होने ब्रह्म समाज की स्थापना की तथा विदेश (इंग्लैण्ड तथा फ़्रांस) भ्रमण भी किया ।
– इसकी 6 विशेषताएँ है
डोलोमाइट मैग्नीशियम का एक अयस्क है।
यह विषाणुजन्य संक्रामक रोग है। इसमें जननेंद्रिय तथा गुदा की लसीका ग्रंथियों में प्रदाह हाता है। इसका संचारण मैथुन से होता है और उद्भवन काल तीन से २१ दिनों तक का होता है। यह छोटे से व्राण के रूप में आरंभ होता है, जो कष्टदायी न होने के कारण महत्वहीन प्रतीत होता है। दो तीन सप्ताह के भीतर गिल्टी उभर आती है, या लसीका ग्रंथि सूजती है। गिल्टी फूटती है और फूटकर नासूर बन जाती है। सिरदर्द, ताप तथा हरारत की शिकायत होती है। स्त्रियों को प्राय: गुदा प्रदाह, ज्वर, ठंढ के साथ कँपकँपी, सिरदर्द और गाँठों में दर्द होता है तथा बाद में गिल्टी उभड़ती और फूटकर नासूर बन जाती है। गुदानलिका की सिकुड़न भी होती है।
यही है आचार्य द्विवेदी का मन्त्र जो नरेन्द्र कोहली के दीक्षा (रामकथा) से प्रारम्भ होने वाले नरेन्द्र कोहली युग में आद्योपांत अनुगुंजित है.'महासमर' आदि अपनी परवर्ती कृतियों में नरेन्द्र कोहली विकास की अनेक सीढियां चढ़ते हुए कई उच्चतर सोपानों की यात्रा करते है । वे कई नए सामाजिक-मनोवैज्ञानिक-दार्शनिक-आध्यात्मिक सत्यों का साहित्यिक साक्षात्कार करते एवं कराते हैं, पर आचार्य द्विवेदी का यह गुरुमंत्र, यह जीवनदृष्टि उनकी आँखों से कभी ओझल नहीं होती.
मन्त्र के साथ बालक द्वारा गुरु के अभाव में उनके प्रतीक का पूजन कराया जाए । भावना की जाए कि इस श्रद्धा प्रक्रिया द्वारा बालक में वे शिष्योचित गुण विकसित हो रहे हैं । जिनके आधार पर शिष्य भी धन्य हो जाता है और गुरु भी । गुरु तत्त्व की कृपा भाजन बालक बना रहे ।
रामायण में विभिन्न भागों का नाम काण्ड से है, जैसे - अयोध्याकाण्ड, सुन्दरकाण्ड इत्यादि ।
1. संसद सदस्यॉ को शपथ दिलवाना
बांग्ला चलचित्र के प्रख्यात अभिनेता-निर्देशक और रंगमंच कलाकार।
17th centuryPortuguese India 1687–1749 São Tomé de Meliapore18th centuryPortuguese India 1779–1954 Dadra and Nagar Haveli
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इस व्रत को करने वाला दिव्य फल प्राप्त करता है।
बॉर्डर के तुरंत बाद जहां कपड़े का मुख्य भाग जिसे अंगना कहा जाता है कि शुरुआत होती है वहां एक खास डिजाइन वस्र को और अधिक अलंकृत करने के लिए दिया जाता है तो इसे झालर कहा जाता है। सामान्यतया यह बॉर्डर के डिजाइन से रंग तथा मटेरियल में मिलता होता है।
माल्टा ८५
रामनुजाचार्य के दर्शन में सत्ता या परमसत् के सम्बन्ध में तीन स्तर माने गए हैं:- ब्रह्म अर्थात ईश्वर, चित् अर्थात आत्म, तथा अचित अर्थात प्रकृति।
यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे।[२]
5. महालेखानियंत्रक तथा परीक्षक [केग] के वेतन भत्ते
नेपिअर संग्रहालय से 800 मी. उत्तर पूर्व में स्थित यह महल केरल सरकार से संबंद्ध है। एक छोटी-सी पहाड़ी पर बने इस महल का निर्माण श्री मूलम तिरुनल राजा के शासन काल में हुआ था। इस महल की आंतरिक सजावट के लिए खूबसूरत दीपदानों और शाही फर्नीचर का प्रयोग किया गया है। यहां स्थित निशागंधी ओपन एयर ओडिटोरिअम और सूर्यकांति ओडिटोरिअम में अनेक सांस्कृतिक सम्मेलनों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। पर्यटन विभाग निशागंधी ओपन एयर ओडिटोरिअम में प्रतिवर्ष अखिल भारतीय नृत्योत्सव का आयोजन करता है। इस दौरान जानेमाने कलाकार भारतीय शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।
दिल्ली का समस्त न्यायिक जिला, जो आज राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, एक सत्र खंड (सैशन डिविजन) में सिमटा हुआ है। इसका प्रमुख एक सत्र न्यायाधीश है। इसके एक मुख्य महानगर दण्डाधिकारी है तथा चार अतिरिक्त महानगर दण्डाधिकारियों के न्यायालयों की संख्या न्यायिक कार्यभार तथा न्यायालयों को चलाने वाले न्यायाधीशों की संख्या के अनुरूप समय-समय पर बदलती रहती है।
पंचम समिति- विक्रय की व्यवस्था, निरीक्षण ।
जयपुर में आतंकवाद - १३ मई, २००८ को जयपुर में श्रृंखलाबद्ध सात बम विस्फोट किए गए। विस्फोट १२ मिनट की वधि के भीतर जयपुर के विभिन्न स्थानों पर हुए। आठवाँ बम निष्कृय पाया गया। घटना में ८० से अधिक लोगों कि मृत्यु व डेढ़ सौ से अधिक घायल हुए।
जल तीन अवस्थाओं में पाया जाता है, यह उन कुछ पदार्थों मे से है जो पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से सभी तीन अवस्थाओं में मिलते हैं। जल पृथ्वी पर कई अलग अलग रूपों मे मिलता है: आसमान में जल वाष्प और बादल; समुद्र में समुद्री जल और कभी कभी हिमशैल; पहाड़ों में हिमनद और नदियां ; और तरल रूप मे भूमि पर एक्वीफर के रूप में।
जंक्शन 2.8 किमी
परवर्ती गुप्त वंश के संस्थापक कृष्णगुप्त ने (५१० ई. ५२१ ई.) स्थापना की ।
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' (२१ फरवरी १८९९[१] - १५ अक्तूबर १९६१) हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों[क] में से एक माने जाते हैं। अपने समकालीन अन्य कवियों से अलग उन्होंने कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है और यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है। वे हिन्दी में मुक्तछंद के प्रवर्तक भी माने जाते हैं।
टाँलेमी एक प्रख्यात ज्योतिर्विद थे। उन्होंने पृथ्वी के एक चक्कर लगाने में चन्द्रमा को जो समय लगता है उसका निर्धारण किया। उन्होंने प्रकाश के नियम का भी प्रतिपादन किया। क्लाडियस टॉलमी एक प्रमुख भूगोलवेत्ता था । वह मिस्त्र का निवासी था । उसका जन्म टॉलेमस सरसी या पेलुसियम मे हुवा (जीवन काल ९० से १६८ ई. या १०० से १७८ ई.)। टॉलमी नें अपना अधिकांश गणित व प्र्क्षेप निर्माण सम्बन्धी सचना कार्य एवं पेक्षण सिकन्दरिया के महान पुस्तकालय में ३-४ दशकों में पूरे किए । उसने सिकन्दरिया के निकट के एक नगर नोरस से कई खगोलिए बेध किए ।
माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है।
अमोघः पुण्डरीकाक्शो व्ड़िषकर्मा व्ड़िषाक्ड़ितिः ।।(१२)
बालेश्वर भारतीय राज्य उड़ीसा का एक जिला है ।
जन्म, २५ अक्टूबर १८०० रोथले टैंपिल (लैस्टरशिर) में हुआ। पिता, जकारी मैकॉले, व्यापारी था। इसकी शिक्षा केंब्रिज के पास एक निजी विद्यालय में, फिर एक सुयोग्य पादरी के घर, तदनंतर ट्रिनिटी कालेज कैंब्रिज में हुई। १८२६ में वकालत शुरू की। इसी समय अपने विद्वत्ता और विचारपूर्ण लेखों द्वारा लंदन के शिष्ट तथा विज्ञ मंडल में पैठ पा गया।
(५) हामी भाषाओं का एक विचित्र लक्षण बहुवचन में लिंगभेद कर देना है। इस नियम को ध्रुवाभिमुख कहते हैं। जैसे सोमाली भाषा में लिबि हिद्दू (शेर पु.)। लिबिहह्यहोदि (बहुत से शेर, स्त्री.), होयोदि (माता, स्त्री.), होयो इंकि (माताएँ, पु.)। बहुत से शेर स्त्रीलिंग में और बहुत सी माताएँ पुल्लिंग में हैं।
इन औषधियों का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए : ""यह औषधि इस स्वभाव की होने के कारण तथा अमुक तत्वों की प्रधानता के कारण, अमुक गुणवाली होने से, अमुक प्रकार के देश में उत्पन्न और अमुक ऋतु में संग्रह कर, अमुक प्रकार सुरक्षित रहकर, अमुक कल्पना से, अमुक मात्रा से, इस रोग की, इस-इस अवस्था में तथा अमुक प्रकार के रोगी को इतनी मात्रा में देने पर अमुक दोष को निकालेगी या शांत करेगी। इसके प्रभाव में इसी के समान गुणवाली अमुक औषधि का प्रयोग किया जा सकता है। इसमें यह यह उपद्रव हो सकते हैं और उसके शमनार्थ ये उपाय करने चाहिए।
इसके बाद राय ने समसामयिक बंगाली वास्तविकता पर ध्यान देना शुरु किया। बंगाल में उस समय नक्सलवादी क्रांति जोर पकड़ रही थी। ऐसे समय में नवयुवकों की मानसिकता को लेकर इन्होंने कलकत्ता त्रयी के नाम से जाने वाली तीन फ़िल्में बनाईं — प्रतिद्वंद्वी (প্রতিদ্বন্দ্বী) (1970), सीमाबद्ध (সীমাবদ্ধ) (1971) और जनअरण्य (জনঅরণ্য) (1975)। इन तीनों फ़िल्मों की कल्पना अलग-अलग हुई लेकिन इनके विषय साथ मिलाकर एक त्रयी का रूप लेते हैं। प्रतिद्वंद्वी एक आदर्शवादी नवयुवक की कहानी है जो समाज से मोह-भंग होने पर भी अपने आदर्श नहीं त्यागता है। इसमें राय ने कथा-वर्णन की एक नयी शैली अपनाई, जिसमें इन्होंने नेगेटिव में दृश्य, स्वप्न दृश्य और आकस्मिक फ़्लैश-बैक का उपयोग किया। जनअरण्य फ़िल्म में एक नवयुवक की कहानी है जो जीविका कमाने के लिए भ्रष्ट राहों पर चलने लगता है। सीमाबद्ध में एक सफल युवक अधिक धन कमाने के लिए अपनी नैतिकता छोड़ देता है। राय ने 1970 के दशक में अपनी दो लोकप्रिय कहानियों — सोनार केल्ला (সোনার কেল্লা, स्वर्ण किला) और जॉय बाबा फेलुनाथ (জয় বাবা ফেলুনাথ) — का फ़िल्मांकन किया। दोनों फ़िल्में बच्चों और बड़ों दोनों में बहुत लोकप्रिय रहीं।[३१]
ब्रह्मगुप्त ने पृथ्वी की परिधि ज्ञात की थी, जो आधुनिक मान के निकट है। मध्यकालीन यात्री अलबरूनी ने भी ब्रह्मगुप्त का उल्लेख किया है।[३]
दरबार मार्ग का निर्माण राणा वंश के शासन काल में हुए नगर विस्तार के दौरान किया गया था। यह काठमांडू पर्यटन का मुख्य केंद्र है। यहां पर महंगे होटल, रेस्टोरेंट, ट्रैवल एजेंसियां और एयरलाइंस ऑफिस मिल जाएंगे। दरबार मार्ग जंक्शन के बीच में पूर्व राजा महेंद्र की प्रतिमा लगी हुई है। इसके अलावा यहां पर बहुत से प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल हैं जहां पर नेपाल की संस्कृति के दर्शन किए जा सकते हैं।
जुलाई 2006 तक विकिपीडिया के 151 भाषाओं में सक्रिय संस्करण है, कुल 229 भाषाओं में संस्करण है जो भिन्न अवस्थाओं में हैं। भिन्न भाषाओं के संस्करण स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं। इन संस्करणों के अंशों का एक-दूसरे से कोई संबंध नहीं है, न ही इनके लेखों का कोई संबंध है, और न ही किसी भी लेख के एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद की आवश्यकता। विकिपीडिया में स्वचालित अनुवाद का स्पष्ट निषेध है, हालांकि निपुण लोगों द्वारा अनुवाद का स्वागत भी होता है। भिन्न भाषाओं के संस्करणों को समान नीति जैसे कि "निष्पक्ष दृष्टिकोण" के जरिए बांधा गया है। लेखों और चित्रों को भिन्न संस्करणों के बीच इंटरविकि (interwiki) के जरिए जोडा जा सकता है, लेखों के अनुवाद के लिये अनुरोध भी किया जा सकता है। हालांकि अनुवादित लेख काफी कम संख्या में हैं। अलेक्क्षा (Alexa) के अनुसार अंग्रेजी विकिपीडिया कुल ट्रैफिक का केवल 60% ही प्राप्त करता है। जबकि अन्य 40% भिन्न भाषाओं में है। मुख्य भाषाओं में अंग्रेजी, जर्मन, फ्रांसीसी, पोलिश, जापानी, डच, स्वीडिश, इतालवी, पुर्तगाली और स्पैनिश शामिल हैं।
२ अक्टूबर (2 October) गाँधी का जन्मदिन है इसलिए गाँधी जयंती (Gandhi Jayanti) के अवसर पर भारत में राष्ट्रीय अवकाश (national holiday in India) होता है १५ जून २००७ को यह घोषणा की गई थी कि "सयुंक्त राष्ट्र महा सभा (United Nations General Assembly)" एक प्रस्ताव की घोषणा की, कि २ अक्टूबर (2 October) को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-Violence)" के रूप में मनाया जाएगा.[४८]
२. आत्मकथा - १८९३
पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर चीन में मानव बसासत लगभग साढ़े बाईस लाख वर्ष पुराना है।
वर द्वारा मर्यादा स्वीकारोक्ति के बाद कन्या अपना हाथ वर के हाथ में सौंपे और वर अपना हाथ कन्या के हाथ में सौंप दे । इस प्रकार दोनों एक दूसरे का पाणिग्रहण करते हैं । यह क्रिया हाथ से हाथ मिलाने जैसी होती है । मानों एक दूसरे को पकड़कर सहारा दे रहे हों । कन्यादान की तरह यह वर-दान की क्रिया तो नहीं होती, फिर भी उस अवसर पर वर की भावना भी ठीक वैसी होनी चाहिए, जैसी कि कन्या को अपना हाथ सौंपते समय होती है । वर भी यह अनुभव करें कि उसने अपने व्यक्तित्व का अपनी इच्छा, आकांक्षा एवं गतिविधियों के संचालन का केन्द्र इस वधू को बना दिया और अपना हाथ भी सौंप दिया । दोनों एक दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए एक दूसरे का हाथ जब भावनापूर्वक समाज के सम्मुख पकड़ लें, तो समझना चाहिए कि विवाह का प्रयोजन पूरा हो गया ।
नाउरू की संसद में 18 सीटें शामिल हैं और यह नाउरू गणराज्य की विधायी संस्था है. संसद भवन यारेण जिले में स्थित है. सांसद माननीय उपसर्ग का उपयोग करने के अधिकारी हैं.
(वर्णनात्मक भाषाविज्ञान) बीसवीं शती का भाषाविज्ञान मुख्यत: वर्णनात्मक अथवा संरचनात्मक भाषाविज्ञान कहा जा सकता है। इसे आधुनिक रूप देनेवालों में प्रमुख बॉदें (Baudouin de courtenay), हेनरी स्वीट और सोसुर (Saussure) हैं। स्विस भाषावैज्ञानिक सोसुर (1857-1913) द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों से भी पूर्व हंबोल्ट (Humboldt) ने प्रतिपादित किया था कि भाषाविशेष का अध्ययन किसी अन्य भाषा से तुलना किए बिना उसी भाषा के आंतरिक अवयवों के आधार पर होना चाहिए। सोसुर ने सर्वप्रथम भाषा की प्रवृति पर प्रकाश डालते हुए संकेतित (Signified) और संकेतन (Signifier) के संबंध को वस्तु न मानकर प्रकार्य (function) माना और उसे भाषाई चिह्न (Linguistic Sign) से अभिहित किया। चिह्न यादृच्छिक है अर्थात ‘संकेतित’ का ‘संकेतक’ से कोई तर्कसंगत संबंध नहीं है। वृक्ष के लिये ‘पेड़’ कहने में कोई तर्क नहीं है; ‘प’, ‘ए’, ‘ड’, स्वनों में कुछ ऐसा नही है कि वह वृक्ष का ही संकेतक हो, यह केवल परंपरा के कारण है। इसके अतिरिक्त चिह्न का मूल्य भाषा में प्रयुक्त पूरी शब्दावली (अन्य सभी चिह्नों) के परिप्रेक्ष्य में होता है, अर्थात् उनके विरोध (Opposition) से होता है। भाषा का इन्हीं विरोधों की प्रकार्यता पर निर्भर रहना वर्णनात्मक भाषा विज्ञान का आधारस्तंभ है। इन (स्वनिम, रूपिम, अर्थिम आदि) की सत्ता विरोध के सिद्धांत पर ही आश्रित है।
शरीर में विभिन्न पोषक तत्वों- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज की आवश्यकता मनुष्य की आयु, लिंग, शारीरिक श्रम और शरीर की दशा पर निर्भर करती है। शारीरिक श्रम करने वाले एक मजदूर को दफ्तर में काम करने वाले व्यक्ति की अपेक्षा शक्ति प्रदान करने वाले भोजन की कहीं अधिक आवश्यकता होती है। गर्भवती औरतों और स्तनपान करने वाले बच्चों की माताओं को शारीरिक परिवर्तनों के कारण अधिक प्रोटीन और खनिजों की आवश्यकता होती है।
श्री नृपेन्द्रनाथ गुप्त
4. जातकर्म,
ब्रह्मपुत्र, मोरनाई, जिंजीम
शिवरात्रि और सावन सोमवार के दिन त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भक्तों का ताँता लगा रहता है। भक्त भोर के समय स्नान करके अपने आराध्य के दर्शन करते हैं। यहाँ कालसर्प योग और नारायण नागबलि नामक खास पूजा-अर्चना भी होती है, जिसके कारण यहाँ सालभर लोग आते रहते हैं।
समुद्र तट से ऊँचाई किसी बिंदु या वस्तु का समुद्र तट से उत्थापन होता है. विमानन में यह फ़ीट में नापा जाता है. अन्य प्रयोगों हेतु इसे मीटर इत्यदि में भी नापा जा सकता है.
मुलताई के देशमुख और देशपाण्डे परिवारों के प्रमुख और अनेक ग्रामीण उसकी सेना में शामिल हो गये। परंतु तात्या को यहाँ जन समर्थन प्राप्त करने में वह सफलता नहीं मिली जिसकी उसने अपेक्षा की थी। अंग्रेजों ने बैतूल में उनकी मजबूत घेराबंदी कर ली। पश्चिम या दक्षिण की ओर बढने के रास्ते बंद थे। अंततः तात्या ने मुलताई को लूट लिया और सरकारी इमारतों में आग लगा दी। वे उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुड गये और आठनेर और भैंसदेही होते हुए पूर्व निमाड यानि खण्डवा जिले पहुँच गये। ताप्ती घाटी में सतपुडा की चोटियाँ पार करते हुए तात्या खण्डवा पहुँचे। उन्होंने देखा कि अंग्रेजों ने हर एक दिशा में उनके विरूद्ध मोर्चा बाँध दिया है। खानदेश में सर ह्यूरोज और गुजरात में जनरल राबर्ट्स उनका रास्ता रोके थे। बरार की ओर भी फौज उनकी तरफ बढ रही थी। तात्या के एक सहयोगी ने लिखा है कि तात्या उस समय अत्यंत कठिन स्थिति का सामना कर रहे थे। उनके पास न गोला-बारूद था, न रसद, न पैसा। उन्होंने अपने सहयोगियों को आज्ञा दे दी कि वे जहाँ चाहें जा सकते हैं, परंतु निश्ठावान सहयोगी और अनुयायी ऐसे कठिन समय में अपने नेता का साथ छोडने को तैयार नहीं थे।
यहां कुल 17 समिति विकास ब्लॉक हैं।
गंगा नदी के समीप स्थित मनिहारी से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर बाल्दीबाड़ी गांव स्थित है। इसी जगह पर मुर्शीदाबाद के नवाब सिराज-उद-दौला और पूर्णिया के गर्वनर नवाब शौकत जंग के बीच युद्ध हुआ था।
Даңқымыз шықты ғой,
क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य वर्तमान काल में सामान्य रूप से होता है वहाँ सामान्य वर्तमान होता है। जैसे -
2 भाग -5 सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय राज्य तथा केन्द्र के मध्य वैधानिक संबंध
3. जगन्नाथ पुरी
पाणिनि का संस्कृत व्याकरण चार भागों में है -
एनएएल की स्थापना 1 जून 1959 को दिल्ली में हुई जो 1 मार्च 1960 को बेंगलूर स्थानांतरित हुआ1 प्रारंभिक वर्ष (1960-67) बेलंदूर सरोवर पर पवन सुरंगों की स्थापना में ही बीत गए; मुख्यत: 1.2m ित्रध्वनिक अवधमन पवन सुरंग जो अभी भी अपनी भव्यता बनायी रखी है1
राज्य के राजमार्ग एक विशेष क्रम में गिने जाते हैं. राज्य में राजमार्गों के पहले अंक, कुछ अपवादों के साथ इसप्रकार रखे गये जैसे राज्य सड़क 112 इन्टरस्टेट-95 को मियामी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोड़ता है या ऑरलैंडो में राज्य सड़क-15, पहला अंक यह संकेत देता है कि राज्य सड़क किस क्षेत्र का है, ये उत्तर में 1 से दक्षिण में 9 तक गिने जाते हैं.उत्तर दक्षिण फ्लोरिडा राज्य सड़क का नम्बर आम तौर पर अजीब है जो गिनती में पूर्व से पश्चिम की तरफ बढ़ता है, और पूर्व पश्चिम फ्लोरिडा राज्य सड़क भी उत्तर से दक्षिण की ओर गिना जाता हैं. इस सम्मेलन के बाद, स्टेट रोड 907 या मियामी बीच का ऑलटन रोड, स्टेट रोड 997 से सूदूर पूर्व में है जो क्रोम एवेन्यू या मियामी-डेड काउंटी का सूदूर पश्चिम उत्तर-दक्षिण रोड है.इस नियम का दूसरे उल्लेखनीय अपवाद राज्य सड़क 826, या पल्मेट्टो एक्सप्रेसवे है (चित्र उत्तर की तरफ बढ़ता हुआ) हालांकि जिनकी गिनती सम है, उत्तर से दक्षिण के लिए ही लेबल लगे है. राज्य की सड़कों पर एक से चार अंक ही दिये गये हैं इनके महत्व और सड़क के स्थान को ध्यान में रखते हुऐ .[७८] काउंटी सड़कें भी अक्सर इसी प्रणाली का पालन करती हैं.
सरस उद्देश्य के लिए कुछ भाषाओं में इंटरफ़ेस उपलब्ध है:
प्राचीन काल में मगध का साम्राज्य देश के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था । यहाँ से मौर्य वंश, गुप्त वंश तथा अन्य कई राजवंशो ने देश के अधिकतर हिस्सों पर राज किया । मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक का साम्राज्य पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ था । मौर्य वंश का शासन ३२५ ईस्वी पूर्व से १८५ ईस्वी पूर्व तक रहा । छठी और पांचवीं सदी इसापूर्व में यहां बौद्ध तथा जैन धर्मों का उद्भव हुआ । अशोक ने, बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसने अपने पुत्र महेन्द्र को बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा । उसने उसे पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) के एक घाट से विदा किया जिसे महेन्द्र के नाम पर में अब भी महेन्द्रू घाट कहते हैं । बाद में बौद्ध धर्म चीन तथा उसके रास्ते जापान तक पहुंच गया ।
नाटक के क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद का विशेष स्थान है. इनके चंद्रगुप्त, स्कंदगुप्त, ध्रुवस्वामिनी जैसे ऐतिहासिक नाटकों में इतिहास और कल्पना तथा भारतीय और पाश्चात्य नाटय पद्यतियों का समन्वय हुआ है. लक्ष्मीनारायण मिश्र, हरिकृष्ण प्रेमी, जगदीशचंद्र माथुर आदि इस काल के उल्लेखनीय नाटककार हैं.
10.
एयर इंडिया जेआरडी टाटा ने 1932 में स्थापित किया गया था के रूप में टाटा एयरलाइंस, टाटा संस (लिमिटेड का एक प्रभाग अब टाटा समूह). 1932 15 अक्टूबर को जेआरडी टाटा एकल इंजन De Havilland खरहा हवा मेल (इंपीरियल एयरवेज के डाक मेल कीट ले उड़े) ने कराची हवाई अड्डा Drigh रोड से अहमदाबाद के माध्यम से मुंबई के जुहू हवाई पट्टी के लिए. विमान बेल्लारी के माध्यम से जारी रखा पूर्व मद्रास रॉयल एयर फोर्स पायलट Nevill Vintcent द्वारा संचालित.
राष्ट्रीय राजमार्ग २४ से दिल्ली से सीधे लखनऊ पहुंचा जा सकता है। लखनऊ का राष्ट्रीय राजमार्ग २ दिल्ली को आगरा, इलाहाबाद, वाराणसी और कानपुर के रास्ते कोलकाता से जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग २५ झांसी को जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग २८ मुजफ्फरपुर से, राष्ट्रीय राजमार्ग ५६ वाराणसी से जोड़ते हैं।
2.
मनु ने श्रुति तथा स्मृति महत्ता को समान माना है। गौतम ऋषि ने भी यही कहा है कि ‘वेदो धर्ममूल तद्धिदां च स्मृतिशीले। हरदत्त ने गौतम की व्खाख्या करते हुए कहा कि स्मृति से अभिप्राय है मनुस्मृति से। परन्तु उनकी यह व्याख्या उचित नहीं प्रतीत होती क्योंकि स्मृति और शील इन शब्दों का प्रयोग स्रोत के रूप में किया है, किसी विशिष्ट स्मृति ग्रन्थ या शील के लिए नहीं। स्मृति से अभिप्राय है वेदविदों की स्मरण शक्ति में पड़ी उन रूढ़ि और परम्पराओं से जिनका उल्लेख वैदिक साहित्य में नहीं किया गया है तथा शील से अभिप्राय है उन विद्वानों के व्यवहार तथा आचार में उभरते प्रमाणों से। फिर भी आपस्तम्ब ने अपने धर्म-सूत्र के प्रारम्भ में ही कहा है ‘धर्मज्ञसमयः प्रमाणं वेदाश्च’।
लातिनी कि लिपि रोमन लिपि है । असल में रोमन लिपि लातिनी के लिये ही बनी है, यानी कि लातिनी की अपनी लिपि है । इसलिये इसका हरेक अक्षर लगभग हमेशा एक ही उच्चारण देता है (अंग्रेज़ी की तरह गड़बड़-घोटाला नहीं होता) । अति-प्राचीन रोमन लिपि ये थी
तिलका माँझी एक आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, बिर्टिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन करते हुये वे कई बार जेल गये और अंत में भागलपुर जेल में उन्हें फाँसी की सजा दी गयी।
तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम।
परिवहन का एक चिरकालीन साधन है ।
यह चीन मे बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा हैं ।
1974 में, पारंपरिक मछली पकड़ने की नाव, धोनी का मशीनीकरण, मत्स्य पालन उद्योग और सामान्य रूप से देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी. 1977 में, एक जापानी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम के रूप में, फेलिवारू द्वीप में एक मछली कैनिंग यंत्र स्थापित किया गया. 1979 में, एक मत्स्य सलाहकार बोर्ड स्थापित किया गया, यह सरकार को मत्स्य पालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए नीति निर्देशों पर सलाह देने के जनादेश के साथ बनाया गया था. मानव शक्ति विकास कार्यक्रम की शुरुआत 1980 के दशक के प्रारंभ में हुई और मत्स्य पालन शिक्षा स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल कर दी गई. मछली कुल उपकरण और नौवहन एड्स विभिन्न रणनीतिक अंकों में स्थित थे. इसके अलावा, मालदीव के मत्स्य पालन के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (ई ई जेड) के खुलने से मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास में इजाफा हुआ है. आज, मत्स्य पालन देश के सकल घरेलू उत्पाद में पंद्रह प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है और देश के लगभग तीस प्रतिशत लोगों को इस काम में संलग्न करता हैं. यह पर्यटन के बाद दूसरा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा अर्जक है.
बाल्यकाल से ही रामप्रसाद की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। जहाँ कहीं वह गलत अक्षर लिखता उसकी खूब पिटाई की जाती लेकिन रामप्रसाद में चंचलता व उद्दण्डता कम न थी। मौका पाते ही पास के बगीचे में घुसकर फल आदि तोड़ देता था जिस पर उसकी भरपूर पिटाई हुआ करती लेकिन वह आसानी से बाज न आता। शायद यही प्रकृति गुण रामप्रसाद को एक क्रांतिकारी बना पाये अर्थात् वह अपने विचारों का पक्का प्रारम्भ से ही था। लगभग 14 वर्ष की आयु में रामप्रसाद को अपने पिता की सन्दूक से रुपये चुराने की लत पड़ गई। चुराये गये रुपयों से उपन्यास आदि खरीदकर पढ़ना प्रारम्भ कर दिया एवं सिगरेट पीने व भाँग चढ़ाने की आदत भी पड़ गई थी। कुल मिलाकर रुपये चोरी का सिलसिला चलता रहा और रामप्रसाद अब उर्दू के वयस्क व प्रेमरस पूर्ण उपन्यासों, गजलों की पुस्तक पढ़ने का आदी हो गया था। संयोग से एक दिन भंग के नशे में होने के कारण रामप्रसाद चोरी करते हुए पकड़ गये। सारा भाँड़ा फूट गया। खूब पिटाई हुई। उपन्यास व अन्य किताबें फाड़ डाली गईं लेकिन रुपये चोरी की यह आदत एकाएक न छूट सकी। हाँ, आगे चलकर रामप्रसाद इस अभिशाप से बच पाये।
वे धारासन सत्याग्रह के अहम इन्कलाबी (क्रांतिकारी) थे । वे 1940-45 के बीट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे जिस दौरान भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ था । कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं की तरह उन्हें भी तीन साल जेल में बिताने पड़े थे । स्वतंत्रता के बाद वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना में उनके सबसे अविस्मरणीय कार्यों मे से एक था ।
एम एल वसंतकुमारी को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६७ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये आंध्र प्रदेश राज्य से हैं।
मनु ने धर्म के दस लक्षण बताये हैं:
डॉ. साराभाई भारत में भेषज उद्योग के भी अग्रदूत थे । वे भेषज उद्योग से जुड़े उन चंद लोगों में से थे जिन्होंने इस बात को पहचाना कि गुणवत्ता के उच्च्तम मानक स्थापित किए जाने चाहिए और उन्हें हर हालत में बनाए रखा जाना चाहिए । यह साराभाई ही थे जिन्होंने भेषज उद्योग में इलेक्ट्रानिक आंकड़ा प्रसंस्करण और संचालन अनुसंधान तकनीकों को लागू किया । उन्होंने भारत के भेषज उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने और अनेक दवाइयों और उपकरणों को देश में ही बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । साराभाई देश में विज्ञान की शिक्षा की स्थिति के बारे में बहुत चिन्तित थे । इस स्थिति में सुधार लाने के लिए उन्होंने सामुदायिक विज्ञान केन्द्र की स्थापना की थी।
सद्गतिः सत्क्ड़ितिः सत्ता सद्भूतिः सत्परायणः ।
बांग्ला भाषा (বাংলা ভাষা बाङ्ला), आगे बंगाली, बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल प्रान्त में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार के लिहाज से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, उड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बांग्ला बोलनेवालों की सँख्या लगभग 207 मिलियन है और यह विश्व की चौथी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फैले हैं।
इन विषयों को विचारकों ने अपनी अपनी रुचि के अनुसार विविध पक्षों से देखा है। किसी ने एक पक्ष पर विशेष ध्यान दिया है, किसी ने दूसरे पक्ष पर। प्रत्येक समस्या के नीचे उपसमस्याएँ उपस्थित हो जाती हैं।
१९३४ की गर्मियों में , उनकी जान लेने के लिए उन पर तीन असफल प्रयास किए गए थे ।.
1971 के समय पाकिस्तान में जनरल याह्या खान राष्ट्रपति थे और उन्होंने पूर्वी हिस्से में फैली नाराजगी को दूर करने के लिए जनरल टिक्का खान को जिम्मेदारी दी। लेकिन उनके द्वारा दबाव से मामले को हल करने के प्रयास से स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई। 25 मार्च 1971 को पाकिस्तान के इस हिस्से में जबर्दस्त नरसंहार हुआ। इससे पाकिस्तानी सेना में काम कर रहे पूर्वी क्षेत्र के निवासियों में जबर्दस्त रोष हुआ और उन्होंने अलग मुक्ति वाहिनी बना ली। पाकिस्तानी फौज का निरपराध, हथियार विहीन लोगों पर अत्याचार जारी रहा। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लगातार अपील की कि पूर्वी पाकिस्तान की स्थिति सुधारी जाए, लेकिन किसी देश ने ध्यान नहीं दिया और जब वहां के विस्थापित लगातार भारत आते रहे तो अप्रैल 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुक्ति वाहिनी को समर्थन देकर, बांग्लादेश को आजाद करवाने का निर्णय लिया।
मुंडेश्वरी मंदिर कैमूर जिले के रामगढ़ में स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर 636 ई. से ही अस्तित्व में है। यह मंदिर गुप्त काल की वास्तुशैली का अनोखा उदाहरण है।
साँचा:अप्रैल कैलंडर२०१० 6 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 96वॉ (लीप वर्ष मे 97 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 269 दिन बाकी है।
Losing the war and the 13 colonies was a shock to the British system. The war revealed the limitations of Britain's fiscal-military state when it had powerful enemies, no allies, depended on extended and vulnerable transatlantic lines of communication, and was faced for the first time since the 17th century by both Protestant and Catholic foes. The defeat heightened dissension and escalated political antagonism to the King's ministers. Inside parliament, the primary concern changed from fears of an over-mighty monarch to the issues of representation, parliamentary reform , and government retrenchment. Reformers sought to destroy what they saw as widespread institutional corruption. The result was a powerful crisis, 1776-1783. The peace in 1783 left France financially prostrate, while the British economy boomed thanks to the return of American business. The crisis ended after 1784 thanks to the king's shrewdness in outwitting Charles James Fox (the leader of the Fox-North Coalition ), and renewed confidence in the system engendered by the leadership of the new Prime Minister, William Pitt . Historians conclude that loss of the American colonies enabled Britain to deal with the French Revolution with more unity and better organization than would otherwise have been the case. [ 89 ] [ 90 ] [ edit ] Immediate aftermath See also: Annapolis Convention (1786) , Philadelphia Convention , Constitution of the United States of America , and United States Bill of Rights [ edit ] Interpretations [ संपादित करें ] व्याख्याओं
ईसाई धर्म इंग्लैंड में प्रमुख धरम है जहाँ इंग्लैंड का चर्च (अंगरेज़ी) एक स्थापित चर्च है:[१४३]UK संसद में चर्च का प्रतिनिधित्व बरकरार है और ब्रिटिश सम्राट चर्च का सदस्य है (संघ की संधि अनुच्छेद 2 के अंतर्गत आवश्यक) साथ ही इसके प्रमुख राज्यपाल.इंग्लैंड का चर्च सामान्य परिषद् के माध्यम से वैधानिक उपायों का मसौदा तैयार करने का भी रखता है (धार्मिक प्रशासन के लिए) जो की संसद द्वारा कानून में पारित किया जा सकता है.इंग्लैंड और वेल्स का रोमन कैथोलिक चर्च दूसरा सबसे बड़ा ईसाई चर्च है जिसमें 50 लाख सदस्य हैं, जो ज्यादर इंग्लैंड से हैं.[१४४] वहाँ भी रूढ़िवादी, इंजील और पेंटकोस्ट के चर्च बढ़ रहे हैं, जहाँ चर्च उपस्थिति के संदर्भ में इंग्लैंड में पेंटकोस्ट के चर्च इंग्लैंड के चर्च और रोमन कैथोलिक चर्च के बाद तीसरा है.[१४५][१४६] अन्य बड़े ईसाई समूहों में मेथोडिस्ट और बपतिस्मा-दाता शामिल हैं.
संयुक्त राज्य अमेरिका [138]
2009 में फ्लोरिडा पांचवें सबसे खतरनाक राज्य के स्थान पर था. 2008 में प्रतिबद्ध जुर्म के रिकॉर्ड पर आधारित इसका स्थान गंभीर है.[६१]
ब्रह्मांड के इस भाग में समय के प्रत्येक अर्ध चक्र में चौबीस (प्रत्येक पूरे चक्र में अड़तालीस) तीर्थंकर जन्म लेते हैं। हमारे वर्तमान में (उतरते) समय के अर्ध चक्र में, पहले तीर्थंकर रिषभ देव अरबों वर्ष पहले रहे और तीसरे युग की समाप्ति की ओर मुक्ति प्राप्त ( 'मोक्ष' या 'निर्वाण') की। चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी (५९९-५२७ ईसा पूर्व) थे, जिनका अस्तित्व एक ऐतिहासिक तथ्य स्वीकार कर लिया गया है। दिगम्बरों का मानना है कि सभी चौबीस तीर्थंकर पुरुष थे पर स्वेताम्बरों का मानना है कि १९वीं तीर्थंकर, मल्लिनाथ, एक महिला थी।
लेकिन दुर्योधन
विविध प्रमाणों और आलोचनात्मक समीक्षा के बाद यह तर्क निर्धारित होता है कि चन्द्रगुप्त मोरिय वंश का क्षत्रिय था । चन्द्रगुप्त के पिता मोरिय नगर प्रमुख थे । जब वह गर्भ में ही था तब उसके पिता की मृत्यु युद्धभूमि में हो गयी थी । उसका पाटलिपुत्र में जन्म हुआ था तथा एक गोपालक द्वारा पोषित किया गया था । चरावाह तथा शिकारी रूप में ही राजा-गुण होने का पता चाणक्य ने कर लिया था तथा उसे एक हजार में कषार्पण में खरीद लिया । तत्पश्चात्तक्षशिला लाकर सभी विद्या में निपुण बनाया । अध्ययन के दौरान ही सम्भवतः चन्द्रगुप्त सिकन्दर से मिला था । ३२३ ई. पू. में सिकन्दर की मृत्यु हो गयी तथा उत्तरी सिन्धु घाटी में प्रमुख यूनानी क्षत्रप फिलिप द्वितीय की हत्या हो गई ।
सम्पूर्ण ओड़िआ भाषा के इतिहास को निम्न वर्गों में बांटा जा सकता है -
भगत सिंह मूलतः खूनखराबे के जोरदार पक्षधर नहीं थे । पर वे मार्क्स के सिद्धांतो से प्रभावित थे तथा समाजवाद के पक्षधर । इस कारण से उन्हें पूंजीपतियों कि मजदूरों के प्रति शोषण की नीति पसन्द नहीं आती थी । उस समय अंग्रेज सर्वेसर्वा थे तथा बहुत कम भारतीय उद्योगपति ही प्रकाश में आ पाए थे । अतः अंग्रेजों की मजदूरों के प्रति रूख़ से ख़फ़ा होना लाज़िमी था । ऐसी नीतियों के पारित होने को निशाना बनाना उनके दल का निर्णय था । सभी चाहते थे कि अंग्रेजों को पता चले कि हिंदुस्तानी जगे हैं और उनके हृदय में ऐसी नीतियों के खिलाफ़ क्षोभ है । ऐसा करने के लिए उन लोगों ने लाहौर की केन्द्रीय एसेम्बली में बम फेंकने की सोची ।
(५) जौगढ़- यह उड़ीसा के जौगढ़ में स्थित है ।
5. संघ के ढाँचे से जुडा होने पर आधे राज्यॉ की विधायिका से स्वीकृति मिले
इस्लामी कैलेण्डर की कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ हैं:
राम राज बैठे त्रैलोका।
पुराणों में इस जगह को कलयाणपुरी या कलयाण नगर के नाम से जाना जाता था । अन्ग्रेज़ों के आगमन के पश्चात ही बंगलोर को अपना यह अन्ग्रेज़ी नाम मिला ।
सत्ता सम्हालते ही अशोक ने पूर्व तथा पश्चिम दोनो दिशा में अपना साम्राज्य फैलाना शुरु किया । उसने आधुनिक असम से ईरान की सीमा तक साम्राज्य विस्तृत कर केवल आठ वर्षों में कर लिया ।
बाद मे अपना मत बदल्ते हुए न्यायालय ने कम से कम 4 जजॉ के साथ सलाह करना अनिवार्य कर दिया था वह कोई भी सलाह राष्ट्रपति को अग्रेषित नही करेगा यदि दो या ज्यादा जजो की सलाह इस्के विरूद्ध हो किंतु 4 जजॉ की स्लाह उसे अन्य जजॉ जिनसे वो चाहे सलाह लेने से नही रोकेगी
अहमदाबाद का नाम सुल्तान अहमद शाह के नाम पर रखा गया है। सुल्तान अहमद शाह ने इस शहर की स्थापना 1411 ईसवी में की थी। इस शहर को भारत का मेनचेस्टर भी कहा जाता है। वर्तमान समय में, अहमदाबाद को भारत के गुजरात प्रांत की राजधानी होने के साथ साथ इसे एक प्रमुख औद्योगिक शहर के रूप में जाना जाता है।
त्रिपदस्त्रिदशाध्यक्शो महाश्ड़िण्गः क्ड़ितान्तक्ड़ित ।।(५७)
वेलिन =शीर्ष गॉटेमाला ५७
शालीमार बाग दिल्ली के रिंग मार्ग पर पड़ने वाला एक चौराहा है। इसे अशोक विहार पुलिस स्टेशन मार्ग काटता है।
चारुलता के बाद के काल में राय ने विविध विषयों पर आधारित फ़िल्में बनाईं, जिनमें शामिल हैं, कल्पनाकथाएँ, विज्ञानकथाएँ, गुप्तचर कथाएँ और ऐतिहासिक नाटक। राय ने फ़िल्मों में नयी तकनीकों पर प्रयोग करना और भारत के समकालीन विषयों पर ध्यान देना शुरु किया। इस काल की पहली मुख्य फ़िल्म थी नायक (নায়ক), जिसमें एक फ़िल्म अभिनेता (उत्तम कुमार) रेल में सफर करते हुए एक महिला पत्रकार (शर्मिला टैगोर) से मिलता है। 24 घंटे की घटनाओं पर आधारित इस फ़िल्म में इस प्रसिद्ध अभिनेता के मनोविज्ञान का अन्वेषण किया गया है। बर्लिन में इस फ़िल्म को आलोचक पुरस्कार मिला, लेकिन अन्य प्रतिक्रियाएँ अधिक उत्साहपूर्ण नहीं रहीं।[२५]
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च १८६५ में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। उनकी अगली रचना का नाम कपालकुंडला (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है। उन्होंने 1872 में मासिक पत्रिका बंगदर्शन का भी प्रकाशन किया। अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया। कृष्णकांतेर विल में चटर्जी ने अंग्रेजी शासकों पर तीखा व्यंग्य किया है।
यह भी देखें: ब्रम्हचर्य, अहिंसा, लियो टॉल्सटॉय
अहिंसात्मक कार्य उनका यह कर्तव्य होगा कि वे विजय दिलाने वाले समुदायों को एकजुट करें जिसमें शांति का प्रसार, तथा ऐसी गतिविधियों का समावेश हो जो किसी भी व्यक्ति को उसके चर्च अथवा खंड में संपर्क बनाए रखते हुए अपने साथ मिला लें। इस प्रकार की सैना को किसी भी आपात स्थिति से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए तथा भीड़ के क्रोध को शांत करने के लिए उसके पास मरने के लिए सैनिकों की पर्याप्त नफरी भी होनी चाहिए;;;;;;सत्याग्रह (सत्यबल) के बिग्रेड को प्रत्येक गांव तथा शहर तक भवनों के प्रत्येक ब्लॉक में संगठित किया जा सकता हैयदि अहिंसात्मक समाज पर हमला किया जाता है तब अहिंसा के दो मार्ग खुलते हैं। अधिकार पाने के लिए हमलावर से सहयोग न करें बल्कि समर्पण करने की अपेक्षा मृत्यु को गले लगाना पसंद करें। दूसरा तरीका होगा ऐसी जनता द्वारा अहिंसक प्रतिरोध करना हो सकता है जिन्हें अहिंसक तरीके से प्रशिक्षित किया गया हो ...इस अप्रत्याशित प्रदर्शन की अनंत राहों पर आदमियों और महिलाओं को हमलावर की इच्छा लिए आत्मसमर्पण करने की बजाए आसानी से मरना अच्छा लगता है और अंतंत: उसे तथा उसकी सैनिक बहादुरी के समक्ष पिघलना जरूर पड़ता है;;;;। ऐसे किसी देश अथवा समूह जिसने अंहिंसा को अपनी अंतिम नीति बना लिया है उसे परमाणु बम भी अपना दास नहीं बना सकता है। उस देश में अहिंसा का स्तर खुशी-खुशी गुजरता है तब वह प्राकृतिक तौर पर इतना अधिक बढ़ जाता है कि उसे सार्वभोमिक आदर
लम्बाई किसी वस्तु की लम्बे आयाम को कहते हैं। किसी वस्तु की लम्बाई, उसके दोनों छोरों के बीच की दूरी को कहते हैं। इसे ऊंचाई से पृथक करने के लिये, ऊंचाई ऊर्ध्वाकार में कही जाती है।
एक साधारण या मिश्रित अंडाशय जिसमे सिर्फ एक पुंकेसर हो के पकने पर एक साधारण फल प्राप्त होता है जो सूखा या गूदेदार हो सकता है। सूखे मेवे पकने पर या स्फोटक (फट कर बीज निकालना) या अस्फोटक ( न फटना जिससे बीज अन्दर ही रहते हैं) हो सकते हैं। सूखे और सामान्य फल के उदाहरण हैं: वह फल जिनमें फल भित्ति का कुछ भाग या पूरी भित्ति ही पक्वन पर मांसल (गूदेदार) हो जाती है, सामान्य गूदेदार फल कहलाते हैं।
संस्कृत में ऐ दो स्वरों का युग्म होता है और "अ-इ" या "आ-इ" की तरह बोला जाता है। इसी तरह औ "अ-उ" या "आ-उ" की तरह बोला जाता है।
दोहा
यह दरगाह सूफी संत तवक्कल मस्तान की है। इस दरगाह में मुस्लिम व गैर-मुस्लिम दोनों ही श्रद्धालु आते हैं।
संस्कृति & समाज
Leo Tolstoy dedicated websites
ओडिशी ओडिशा प्रान्त भारत की एक शास्त्रीय नृत्य शैली है। अद्यतन काल में गुरु केलुचरण महापात्र ने इसका पुनर्विस्तार किया।
एस. टी. डी (STD) कोड - [[0542]]
इसी प्रकार के अन्य तीन स्पर्श व्यंजन वर्ग हैं -
अविज्ञाता सहस्त्रांशुर विधाता क्ड़ितलक्शणः ।।(५१)
गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, कोसी और काक्षी हैं तथा दक्षिण के पठार से आकर इसमें मिलने वाली प्रमुख नदियाँ चंबल, सोन, बेतवा, केन, दक्षिणी टोस आदि हैं। यमुना गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है जो हिमालय की बन्दरपूँछ चोटी के आधार पर यमुनोत्री हिमखण्ड से निकली है।[११][१२] हिमालय के ऊपरी भाग में इसमें टोंस[१३] तथा बाद में लघु हिमालय में आने पर इसमें गिरि और आसन नदियाँ मिलती हैं। चम्बल, बेतवा, शारदा और केन यमुना की सहायक नदियाँ हैं। चम्बल इटावा के पास तथा बेतवा हमीरपुर के पास यमुना में मिलती हैं। यमुना इलाहाबाद के निकट बायीं ओर से गंगा नदी में जा मिलती है। रामगंगा मुख्य हिमालय के दक्षिणी भाग नैनीताल के निकट से निकलकर बिजनौर जिले से बहती हुई कन्नौज के पास गंगा में मिलती है। करनाली नदी मप्सातुंग नामक हिमनद से निकलकर अयोध्या, फैजाबाद होती हुई बलिया जिले के सीमा के पास गंगा में मिल जाती है। इस नदी को पर्वतीय भाग में कौरियाला तथा मैदानी भाग में घाघरा कहा जाता है। गंडक हिमालय से निकलकर नेपाल में शालीग्राम नाम से बहती हुई मैदानी भाग में नारायणी नदी का नाम पाती है। यह काली गंडक और त्रिशूल नदियों का जल लेकर प्रवाहित होती हुई सोनपुर के पास गंगा में मिलती है। कोसी की मुख्यधारा अरुण है जो गोसाई धाम के उत्तर से निकलती है। ब्रह्मपुत्र के बेसिन के दक्षिण से सर्पाकार रूप में अरुण नदी बहती है जहाँ यारू नामक नदी इससे मिलती है। इसके बाद एवरेस्ट के कंचनजंघा शिखरों के बीच से बहती हुई यह दक्षिण की ओर ९० किलोमीटर बहती है जहाँ पश्चिम से सूनकोसी तथा पूरब से तामूर कोसी नामक नदियाँ इसमें मिलती हैं। इसके बाद कोसी नदी के नाम से यह शिवालिक को पार करके मैदान में उतरती है तथा बिहार राज्य से बहती हुई गंगा में मिल जाती है। अमरकंटक पहाड़ी से निकलकर सोन नदी पटना के पास गंगा में मिलती है। मध्य-प्रदेश के मऊ के निकट जनायाब पर्वत से निकलकर चम्बल नदी इटावा से ३८ किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी में मिलती है। बेतवा नदी मध्य प्रदेश में भोपाल से निकलकर उत्तर हमीरपुर के निकट यमुना में मिलती है। भागीरथी नदी के दायें किनारे से मिलने वाली अनेक नदियों में बाँसलई, द्वारका, मयूराक्षी, रूपनारायण, कंसावती और रसूलपुर प्रमुख हैं। जलांगी और माथा भाँगा या चूनीं बायें किनारे से मिलती हैं जो अतीत काल में गंगा या पद्मा की शाखा नदियाँ थीं। किन्तु ये वर्तमान समय में गंगा से पृथक होकर वर्षाकालीन नदियाँ बन गई हैं।
यहां सरकारी रेडियो स्टेशन ऑल इंडिया रेडियो से कई ए एम रेडियो चैनल प्रसारित करता है। कोलकाता में ग्यारह एफ़ एम रेडियो स्टेशन प्रसारित होते हैं। इनमें से दो ऑल इंडिया रेडियो के हैं। सरकारी टीवी प्रसारणकर्ता दूरदर्शन से दो टेरेस्ट्रियल चैनल प्रसारित किये जाते हैं। चार बहु-प्रणाली ऑपरेटार (एम एस ओ) द्वारा बांग्ला, हिन्दी, अंग्रेज़ी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के चैनल केबल टीवी द्वारा दिखाए जाते हैं। बांग्ला उपग्रह चैनलों में स्टार आनंद, २४ घंटा, कोलकाता टीवी, चैनल १० तथा तारा न्यूज़ प्रमुख हैं।
सुन्नी मुस्लिम इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय सुन्नी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हैं। सुन्नी इस्लाम को अहले सुन्नत व'ल जमाअत (अरबी: أهل السنة والجماعة "(मुहम्म्द के) आदर्श लोग और समुदाय") या संक्षिप्त में अहल अस- सुन्नाह (अरबी: أهل السنة) भी कहते हैं। सुन्नी शब्द अरबी के सुन्नाह (अरबी: سنة) से आया है, जिसका अर्थ (पैगम्बर मोहम्मद) की बातें और कर्म या उनके आदर्श है।
8 मई सन् 1705 में 'मुक्तसर' नामक स्थान पर मुगलों से भयानक युद्ध हुआ, जिसमें गुरुजी की जीत हुई। अक्टूबर सन् 1706 में गुरुजी दक्षिण में गए जहाँ पर आपको औरंगजेब की मृत्यु का पता लगा। औरंगजेब ने मरते समय एक शिकायत पत्र लिखा था। हैरानी की बात है कि जो सब कुछ लुटा चुका था, (गुरुजी) वो फतहनामा लिख रहे थे व जिसके पास सब कुछ था वह शिकस्त नामा लिख रहा है। इसका कारण था सच्चाई। गुरुजी ने युद्ध सदैव अत्याचार के विरुद्ध किए थे न कि अपने निजी लाभ के लिए।
यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं ।
विवाह वेदी पर वर और कन्या दोनों को बुलाया जाए, प्रवेश के साथ मङ्गलाचरण 'भद्रं कणेर्भिः.......' मन्त्र बोलते हुए उन पर पुष्पाक्षत डाले जाएँ । कन्या दायीं ओर तथा वर बायीं ओर बैठे । कन्यादान करने वाले प्रतिनिधि कन्या के पिता, भाई जो भी हों, उन्हें पत्नी सहित कन्या की ओर बिठाया जाए । पत्नी दाहिने और पति बायीं ओर बैठें । सभी के सामने आचमनी, पंचपात्र आदि उपकरण हों । पवित्रीकरण, आचमन, शिखा-वन्दन, प्राणायाम, न्यास, पृथ्वी-पूजन आदि षट्कर्म सम्पन्न करा लिये जाएँ । वर-सत्कार- (अलग से द्वार पूजा में वर सत्कार कृत्य हो चुका हो, तो दुबारा करने की आवश्यकता नहीं है ।) अतिथि रूप में आये हुए वर का सत्कार किया जाए । (१)आसन (२) पाद्य (३) अघ्यर् (४) आचमन (५) नैवेद्य आदि निधार्रित मन्त्रों से समपिर्त किए जाएँ ।
(१) रूपनाथ- यह मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में है ।
इनकी खोज इस प्रेक्षण से बहुत कुछ जुङी हुई हैं, कि रजत नीरेय लवण(सिल्वर क्लोराइड) धूप पङने पर काले पङ जाते हैं । 1801 में जोहन्न विल्हैम रिटर ने एक विशिष्ट प्रेक्षण किया, कि बैंगनी प्रकाश के परे (ऊपर) अप्रत्यक्ष किरणें, रजत नीरेय के लवण में भीगे कागज को काला कर देतीं है । उसने उन्हें डी-ऑक्सिडाइजिंग किरणें कहा जिससे कि उनकी रसायनीय क्रियाओं पर बल दिया जा सके साथ ही इन्हें वर्णक्रम के दूसरे सिरे पर उपस्थित ऊष्म किरणों से पृथक पहचाना जा सके । कालांतर में एक सरल शब्द रासायनिक किरणें प्रयोग हुआ । जो कि उन्नीसवीं शताब्दी तक चला, जब जाकर दोनों के ही नाम बदले और पराबैंगनीएवं अधोरक्त' कहलाए । [१]
किसी भी नाम बताने वाले शब्द को संज्ञा कहते हैं। उदाहरण -
Ca५ = दलपुंज (पंखुडी वोर्ल; उदाहरण , Co ३(x) = पंखुडियां कुछ तीन के गुणांक में )
सभी द्रव्य सदैव अपने प्राकृतिक रूपों में शरीर में उपयोगी नहीं होते। रोग और रोगी की आवश्यकता के विचार से शरीर की धातुओं के लिए उपयोगी एवं सात्म्यकरण के अनुकूल बनाने के लिए; इन द्रव्यों के स्वाभाविक स्वरूप और गुणों में परिवर्तन के लिए, विभिन्न भौतिक एवं रासायनिक संस्कारों द्वारा जो उपाय किए जाते हैं उन्हें "कल्पना' (फ़ार्मेसी या फ़ार्मास्युटिकल प्रोसेस) कहते हैं। जैसे-स्वरस (जूस), कल्क या चूर्ण (पेस्ट या पाउडर), शीत क्वाथ (इनफ़्यूज़न), क्वाथ (डिकॉक्शन), आसव तथा अरिष्ट (टिंक्चर्स), तैल, घृत, अवलेह आदि तथा खनिज द्रव्यों के शोधन, जारण, मारण, अमृतीकरण, सत्वपातन आदि।
HDI, अपनी गणना के एक भाग के रूप में और फिर जीवन प्रत्याशा और शिक्षा स्तर के संकेतक में कारक के रूप में GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का उपयोग करता है.
अधिकांश फूल अपने परागन के तरीके को लेकर मोटे तौर पर दो समूहों में विभाजित किए जा सकते हैं.
चन्द्र्गुप्त के सिंहासनारोहण के अवसर पर(३०२ई.) को गुप्त सम्वत भी कहा गया है। चीनी यात्री इत्सिंग के अनुसार मगध के मृग शिखावन में एक मन्दिर का निर्माण करवाया था। तथा मन्दिर के व्यय में २४ गाँव को दान दिये थे।
श्रीरामपूर्वतापनीयोपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
गया, पटना, नालन्दा, राजगीर, वाराणसी तथा कलकत्ता से बोध गया के लिए बसें चलती है।
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भूरे रंग में एशियान और हरे रंग में फिलीपीन्स
नगण्य - negligible
बहुबल धारिणीं नमामि तारिणीम्
मलयालम, भाषा और लिपि के विचार से तमिल भाषा के काफी निकट है । इस पर संस्कृत का प्रभाव ईसा के पूर्व पहली सदी से हुआ है । संस्कृत शब्दों को मलयालम शैली के अनुकूल बनाने के लिए संस्कृत से अवतरित शब्दों को संशोधित किया गया है । अरबों के साथ सदियों से व्यापार संबंध अंग्रेजी तथा पुर्तगाली उपनिवेशवाद का असर भी भाषा पर पड़ा है ।
तुर्की का एक प्रांत ।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ मिश्र ने पटियाला के उस्ताद अब्दुल अज़ीज़ खाँ को सुन गुप्त रूप से विचित्र वीणा हेतु वादन तकनीक विकसित करने के साथ साथ भारतीय संगीत वाद्यों के इतिहास तथा विकासक्रम पर अनुसन्धान किया। भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली ने इसे पुस्तक रूप में सन 1973 में (द्वितीय संस्करण 2002, तृतीय 2005) भारतीय संगीत वाद्य शीर्षक से प्रकाशित किया। डॉ मिश्र ने इस पुस्तक में भारतीय संगीत वाद्यों के उद्भव को तर्कपूर्ण आधार से बताते हुए उन से जुड़े अनेक भ्रमों का निवारण किया। आज तक यह पुस्तक वाद्यों की पहचान, वर्गीकरण तथा उनके अंतर्सम्बन्ध को समझने का प्रमुख स्रोत है। इसके अलावा भी उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं। चार युग्म ग्रंथों में से एक, तंत्री नाद सन 1979 में प्रकाशित हुआ; दूसरा ततनिनाद शीघ्र प्रकाश्य है। 1979 में उनके देहावसान उपराँत उनके पुत्र डॉ गोपाल शँकर मिश्र ने पिता की हस्त-लिखित पांडुलिपियों पर कार्य आरम्भ किया किंतु पिता की स्मृति में मधुकली भोपाल द्वारा आयोजित कार्यक्रम की पूर्व सन्ध्या पर 13 अगस्त 1999 को हृदय गति रुक जाने से उनका भी निधन हो गया। उनकी पुत्री डॉ रागिनी त्रिवेदी ने पिता द्वारा लिखे लेखों का सँपादन किया संगीत और समाज, जो भोपाल के मधुकली प्रकाशन द्वारा सन 2000 में प्रकाशित हुई। बाल एवँ किशोरों हेतु लिखी गयी अनेक पुस्तकें जैसे संगीत सरिता, तबला विज्ञान आदि डॉ मिश्र के जीवनकाल में ही प्रकाशित हो चुकीं थीं। अप्रकाशित पांडुलिपियों पर अब उनकी पुत्री कार्य कर रही हैं।
मुसलमान्द सूफी कवियों की इस समय की काव्य-धारा को प्रेममार्गी माना गया है क्योंकि प्रेम से ईश्वर प्राप्त होते हैं ऐसी उनकी मान्यता थी। ईश्वर की तरह प्रेम भी सर्वव्यापी तत्व है और ईश्वर का जीव के साथ प्रेम का ही संबंध हो सकता है, यह उनकी रचनाओं का मूल तत्व है। उन्होंने प्रेमगाथाएं लिखी हैं। ये प्रेमगाथाएं फारसी की मसनवियों की शैली पर रची गई हैं। इन गाथाओं की भाषा अवधी है और इनमें दोहा-चौपाई छंदों का प्रयोग हुआ है। मुसलमान होते हुए भी उन्होंने हिंदू-जीवन से संबंधित कथाएं लिखी हैं। खंडन-मंडन में न पड़कर इन फकीर कवियों ने भौतिक प्रेम के माध्यम से ईश्वरीय प्रेम का वर्णन किया है। ईश्वर को माशूक माना गया है और प्रायः प्रत्येक गाथा में कोई राजकुमार किसी राजकुमारी को प्राप्त करने के लिए नानाविध कष्टों का सामना करता है, विविध कसौटियों से पार होता है और तब जाकर माशूक को प्राप्त कर सकता है। इन कवियों में मलिक मुहम्मद जायसी प्रमुख हैं। आपका 'पद्मावत' महाकाव्य इस शैली की सर्वश्रेष्ठ रचना है। अन्य कवियों में प्रमुख हैं - मंझन, कुतुबन और उसमान।
ऐ संसृति की आदि तपस्विनि, तेजस्विनि अभिराम।
जनसंख्या - 11,06,521 (2001 जनगणना)
विकासशील देशों में, भारत अपनी निम्न स्तर की भौगोलिक और व्यावसायिक गतिशीलता की वजह से वृहद रूप से दर्शनीय है यहाँ के लोग कुछ ऐसे व्यवसाय को चुनते हैं जो उनके माता-पिता पहले से करते आ रहे हैं और कभी कभार भौगोलिक रूप से वो अपने समाज से दूर जाते हैं[३]
तंजावुर तमिलनाडु का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र रहा है। इस संग्रहालय में पल्लव, चोल, पंड्या और नायक कालीन पाषाण प्रतिमाओं का संग्रह है। एक अन्य दीर्घा में तंजौर की ग्लास पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई हैं। लकड़ी पर बनाई गई इन तस्वीरों में रंग-संयोजन देखते ही बनता है। यह संग्रहालय अपने कांस्य शिल्प के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है।
भारत में अंतरजाल 80 के दशक मे आया,जब एर्नेट(educational & research network) को सरकार ,इलेक्ट्रानिक्स विभाग और संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम(UNDP)की ओर से प्रोत्साहन मिला|सामान्य उपयोग के लिये जाल 15 अगस्त1995 से उपलब्ध हुआ, जब विदेश सचांर निगम सीमित (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की।
भारत विश्व की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, किन्तु हाल में भारत ने बहुत प्रगति की है, और ताज़ा स्थिति में भारत विश्व में तीसरे, चौथे स्थान पर होने का दावा करता है। भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। भारत की राजधानी नई दिल्ली है। भारत के अन्य बड़े महानगर मुम्बई (बम्बई), कोलकाता (कलकत्ता) और चेन्नई (मद्रास) हैं। १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने विगत २० वर्ष में सार्थक प्रगति की है, विशेष रूप से आर्थिक और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति और विश्वव्यापक शक्ति है।
The city is increasingly receiving immigration from other countries in Latin America due to comparatively strong economic growth. Many Peruvians live in Santiago, as well as Bolivians, Argentines, and Ecuadorians.
प्रस्ताव
तुर्की भाषा, आधुनिक तुर्की और साइप्रस की प्रमुख भाषा है । पूरे विश्व में कोई 6.3 करोड़ लोग इस मातृभाषा के रूप में बोलते हैं । यह तुर्क भाषा परिवार की सबसे व्यापक भाषा है जिसका मूल मध्य एशिया माना जाता है । बाबर, जो मूल रूप से मध्य एशिया (आधुनिक उज़्बेकिस्तान) का वासी था, चागताई भाषा बोलता था जो तुर्क भाषा परिवार में ही आती है ।
वह कहते भी हैं
(22). इस कल्प में, छः मनु अपनी संध्याओं समेत निकल चुके, अब सातवें मनु (वैवस्वत: विवस्वान (सूर्य) के पुत्र) का सत्तैसवां चतुर्युगी बीत चुका है.
जब इन्द्र को इस घटना के विषय में ज्ञात हुआ तो वे अर्जुन से बोले, “वत्स! तुमने जो व्यवहार किया है, वह तुम्हारे योग्य ही था। उर्वशी का यह शाप भी भगवान की इच्छा थी, यह शाप तुम्हारे अज्ञातवास के समय काम आयेगा। अपने एक वर्ष के अज्ञातवास के समय ही तुम पुंसत्वहीन रहोगे और अज्ञातवास पूर्ण होने पर तुम्हें पुनः पुंसत्व की प्राप्ति हो जायेगी।”
१६. सूर्यदेव जो सत्रहवें दिन के युद्ध में तब अस्त हो गए जब कर्ण के पास अर्जुन को मारने का पूरा अवसर था।
यह गांव बरसोई खण्ड में स्थित है। इस जगह का सम्बन्ध एक दिलचस्प कहानी के साथ जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि एक नवयुवक ने कुश से अपना गला काटकर प्राणों की आहुति दी थी। यह घटना लगभग 70 वर्ष पूर्व की है। इस कारण धार्मिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
कोलंबो की परिवहन व्यवस्था बस, ऑटो रिक्शा (जिसे स्थानीय लोग तिपहिया कहते हैं) तथा टैक्सियों पर टिकी हुई है। बसें, सरकार और निजी एजेंसियों द्वारा चलाई जाती है। तिपहिया निजी रुप से ही चलाया जाता है। ट्रेन यहां का सबसे सस्ता और अच्छा परिवहन साधन है। अधिकतर लोग इसी से यात्रा करना पसंद करते हैं।
निर्देशांक: 28°34′58″N 77°14′04″E / 28.582873, 77.23438
बिरयानी
साम्राज्यवादी वेलेज़ली ने युद्ध और नीति से ब्रिाटिश साम्राज्य का खूब प्रसार किया। टीपू नष्ट हो गया। पेशवा के वेलेज़ली के संरक्षण में आने से, ओवन के कथनानुसार अब "भारत में ब्रिाटिश साम्राज्य' की अपेक्षा, ब्रिाटिश साम्राज्य का भारत हो गया। फिर मराठा सरदारों को अलग अलग पराजित कर उन्हें सहायक संधि करने के लिए मजबूर किया। अवध का विस्तार घटाकर, उसे अपने प्रभुत्व के अंतर्गत कर लिया। सहायक संधि वेलेज़ली के साम्राज्यवादी प्रसारण का अद्भुत यंत्र था, जिसमें फ्रांसीसी प्रभाव का भी भारत से समूल उच्छेद हो गया। फिर मराठों की रही सही शक्ति भी लार्ड हेÏस्टग्ज़ ने तोड़ दी।
फ्युचर पोअट्री
साँचा:जून कैलंडर२०११ 20 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 171वॉ (लीप वर्ष मे 172 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 194 दिन बाकी है।
ऑस्ट्रेलिया के छ: राज्ये और दो मुख्य महाद्वीप प्रदेशे है.साथ ही कुछ छोटे प्रदेशे है जो संघीय सरकार के प्रबंधन के अंतगर्त है.[तथ्य वांछित]
पश्चिम सामान्य: एक संज्ञा, विशेषण या क्रियाविशेषण है जो एक दिशा या भूगोल की ओर इंगित करता है।
यस्य राज्ञो जनपदे अथर्वा शान्तिपारगः।
विदेश सेवा प्रभाग के सभी कार्यक्रमों में प्रमुख विषय वस्तु भारत को एक सशक्त, धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में प्रस्तुत करना है, जो बहुमुखी, प्रगतिशील देश है और जहां तीव्र आर्थिक, औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकी प्रगति जारी है। भारत की सबसे बड़ी तकनीकी शक्ति का तथ्य और इसकी उपलब्धियां एवं पारिस्थितिकी संतुलन, मानव अधिकारों को प्रदान करने में इसकी वचनबद्धता और अंतरराष्ट्रीय शांति के प्रति प्रतिबद्धता और एक नई दुनिया के सृजन में इसके योगदान पर बार बार चर्चा की जाती है।
भारत में रेल मंत्रालय, रेल परिवहन के विकास और रखरखाव के लिए नोडल प्राधिकरण है। यह विभन्न नीतियों के निर्माण और रेल प्रणाली के कार्य प्रचालन की देख-रेख करने में रत है। भारतीय रेल के कार्यचालन की विभिन्न पहलुओं की देख्भाल करने के लिए इसने अनेकानेक सरकारी क्षेत्र के उपक्रम स्थापित किया है :-
नजफी (1757-1880)
सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी में काठमांडू में मल्ल राजाओं का शासन था। गोरखा राजा पृथ्वी नारायण शाह ने 1768 में यहां की अस्थिरता को समाप्त इसे एकीकृत किया। 1950 में इस शहर की सीमाएं विदेशी पर्यटकों के लिए खोली गईं थीं। तब से आज तक सैलानियों के यहां आने का सिलसिला जारी है।
अकबर एक मुसलमान था, पर दूसरे धर्म एवं संप्रदायों के लिए भी उसके मन में आदर था । जैसे-जैसे अकबर की आयु बदती गई वैसे-वैसे उसकी धर्म के प्रति रुचि बढ़ने लगी। उसे विशेषकर हिंदू धर्म के प्रति अपने लगाव के लिए जाना जाता हैं। उसने अपने पूर्वजो से विपरीत कई हिंदू राजकुमारियों से शादी की। इसके अलावा अकबर ने अपने राज्य में हिन्दुओ को विभिन्न राजसी पदों पर भी आसीन किया जो कि किसी भी भूतपूर्व मुस्लिम शासक ने नही किया था। वह यह जान गया था कि भारत में लम्बे समय तक राज करने के लिए उसे यहाँ के मूल निवासियों को उचित एवं बराबरी का स्थान देना चाहिये।
मार्गदीप
भारद्वाज,
तीन परिवारों का वर्गीकरण जटिल है और कहीं अधिक विवादास्पद है. हालांकि आम तौर पर इन्हें कोरासीफोर्म्स वर्ग में रखा जाता है, लेकिन इस स्तर से नीचे भ्रम पैदा होने लगता है.
दूत संदेशा देने वाले को कहते हैं। दूत का कार्य बहुत महत्व का माना गया है। प्राचीन भारतीय साहित्य में अनेक ग्रन्थों में दूत के लिये आवश्यक गुणों का विस्तार से विवेचन किया गया है।
रोमन साम्राज्य रोमन गणतंत्र का परवर्ती था । ऑक्टेवियन ने जूलियस सीज़र के सभी संतानों को मार दिया तथा इसके अलावा उसने मार्क एन्टोनी को भी हराया जिसके बाद मार्क ने खुदकुशी कर ली । इसके बाद ऑक्टेवियन को रोमन सीनेट ने ऑगस्टस का नाम दिया । वह ऑगस्टस सीज़र के नाम से सत्तारूढ़ हुआ । इसके बाद सीज़र नाम एक पारिवारिक उपनाम से बढ़कर एक पदवी स्वरूप नाम बन गया । इससे निकले शब्द ज़ार (रूस में) और कैज़र (जर्मन और तुर्क) आज भी विद्यमान हैं ।
यह बात कम लोगों को ही मालूम है कि नौशाद साहब शायर भी थे और उनका दीवान 'आठवां सुर' नाम से प्रकाशित हुआ। पांच मई को 2006 को इस फनी दुनिया को अलविदा कह गए नौशाद साहब को लखनऊ से बेहद लगाव था और इससे उनकी खुद की इन पंक्तियों से समझा जा सकता है-
The population of the Thirteen Colonies was far from homogeneous, particularly in their political views and attitudes. तेरह कालोनियों की आबादी सजातीय से, विशेष रूप से उनके राजनीतिक विचारों और व्यवहार में अब तक किया गया था. Loyalties and allegiances varied widely not only within regions and communities, but also within families and sometimes shifted during the course of the Revolution. वफादारी और निष्ठा नहीं क्षेत्रों और समुदायों के भीतर ही व्यापक रूप से विविध, लेकिन यह भी परिवारों के भीतर और कभी कभी क्रांति के दौरान स्थानांतरित कर दिया. [ edit ] Patriots – The Revolutionaries [ संपादित करें ] देशभक्त - क्रांतिकारियों Main article: Patriot (American Revolution) मुख्य लेख: पैट्रियट (अमेरिकी क्रांति) See also: Sons of Liberty इन्हें भी देखें: बेटों लिबरटी की
वाराणसी की संस्कृति कला एवं साहित्य से परिपूर्ण है। इस नगर में महान भारतीय लेखक एवं विचारक हुए हैं, कबीर, रविदास, तुलसीदास जिन्होंने यहां रामचरितमानस लिखी, कुल्लुका भट्ट जिन्होंने १५वीं शताब्दी में मनुस्मृति पर सर्वश्रेष्ठ ज्ञात टीका यहां लिखी[८५] एवं भारतेन्दु हरिशचंद्र, और आधुनिक काल के जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, मुंशी प्रेमचंद, जगन्नाथ प्रसाद रत्नाकर, देवकी नंदन खत्री, हजारी प्रसाद द्विवेदी, तेग अली, क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय, वागीश शास्त्री, बलदेव उपाध्याय, सुमन पांडेय (धूमिल) एवं विद्या निवास मिश्र और अन्य बहुत।
आदिवासी लोगों की बोलनेवाली शैली।
बयालुसीमा के खानपान, बोलियां और शैलियाम भिन्न स्थानों पर बदलते रहते हैं।
इस्लामी दर्शनशास्त्र में प्राचीन युनानी सभय्ता के दर्शनशास्र को इस्लामी रंग से विकसित किया गया। इबने सीना ने नवप्लेटोवाद, अरस्तुवाद और इस्लामी धर्मशास्त्र को जोड़ कर सिद्धांतों की एक नई प्रणाली की रचना की। इससे दर्शनशास्र में एक नई लहर पैदा हूई जिसे इबनसीनावाद कहते हैं। इसी तरह इबन रशुद ने अरस्तू के सिद्धांतों को इस्लामी सिद्धांतों से जोड़ कर इबनरशुवाद को जन्म दिया। द्वंद्ववाद की मदद से इस्लामी धर्मशास्त्र का अध्ययन करने की कला को विकसित किया गया। इसे कलाम कहते हैं। मुहम्मद साहब के उद्धरण, गतिविधियां इत्यादि के मतलब खोजना और उनसे कानून बनाना स्वयँ एक विषय बन गया। सुन्नी इस्लाम में इससे विद्वानों के बीच मतभेद हुआ और सुन्नी इस्लाम कानूनी मामलों में ४ हिस्सों में बट गया।
तेहि ठौर रहे मृगराज तुचाधर, गर्जत भे वे चले उठि कै।
मेरठ एक महत्वपूर्ण मास मीडिया केन्द्र बनता जा रहा है। देश के विभिन्न क्षेत्रों से पत्रकार व जर्नलिस्ट यहां कार्यरत हैं। हाल ही में, कई समाचार चैनलों ने अपराध पर केन्द्रित कार्यक्रम दिखाने आरंभ किये हैं। क्योंकि मीडिया केन्द्र मेरठ में स्थित हैं, तो शहर को राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रचार मिल रहा है। नगर में हाल के वर्षों में कानून व्यवस्था की स्थिति काफी सुधरी है। इसमें मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है।
भारत के पड़ोसी राष्ट्रों के साथ अनसुलझे सीमा विवाद हैं। इसके कारण इसे छोटे पैमानों पर युद्ध का भी सामना करना पड़ा है। १९६२ में चीन के साथ, तथा १९४७, १९६५, १९७१ एवम् १९९९ में पाकिस्तान के साथ लड़ाइयाँ हो चुकी हैं।
आन्दोलनकारियों की जीवनी से विभिन्न आन्दोलन और बिहार की स्थिति की जानकारी मिलती है । चम्पारण में गाँधी जी की यात्रा एक भारतीय राजनीतिक घटना थी ।
तिराना, अल्बानिया का सबसे प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है। १९२० के बाद से नगर में तेजी से विकास हुआ है कई नए व्यवसाय यहाँ स्थापित हुए हैं। सबसे बड़े व्यवसाय हैं कृषि उत्पाद और मशीनरी, वस्त्र उद्योग, औषधीय उद्योग, और धातु उत्पाद।
5. सांसद/विधायक की अयोग्यता[दल बदल को छोडकर]पर राष्ट्रपति/राज्यपाल को सलाह देना
मुल्क से अंग्रेजों को भगाने का सपना लिए सात नवंबर 1862 को 87 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उन्हें रंगून में श्वेडागोन पैगोडा के नजदीक दफनाया गया। उनके दफन स्थल को अब बहादुर शाह जफर दरगाह के नाम से जाना जाता है। लोगों के दिल में उनके लिए कितना सम्मान था उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंदुस्तान में जहां कई जगह सड़कों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर शहर में भी उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है। बांग्लादेश के ओल्ड ढाका शहर स्थित विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर बहादुर शाह जफर पार्क कर दिया गया है।"
(9) कारक के रूपों में संकोच पाया जाता है।
१२ - बारह
वर्षा ऋतु वर्ष की एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः निम्न रहता है ।
पुराण, वैदिक काल के काफ़ी बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं। भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति-ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म, और अकर्म की गाथाएँ कही गई हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है। इनमें हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है ।
उत्तर प्रदेश पुलिस भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में २३६,२८६वर्ग.कि.मी के क्षेत्र में १६.६० करोड़ जनसंख्या (वर्ष २००१ के अनुसार) में न्याय एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु उत्तरदायी पुलिस सेवा है। ये पुलिस सेवा न केवल भारत वरन विश्व की सबसे बड़ी पुलिस सेवा है। सेवा के महानिदेशक-पुलिस की कमान की शक्ति १.७० लाख के लगभग है जो ७१ जिलों में ३१ सशस्त्र बटालियनों एवं अन्य विशिष्ट स्कंधों में बंटी व्यवस्था का नियामन करती है। इन स्कंधों में प्रमुख हैं: इंटेलिजेंस, इन्वेस्टिगेशन, एंटी-करप्शन, तकनीकी, प्रशिक्षण एवं अपराध-विज्ञान, आदि।[२]
बाद में मुगल सम्राट अकबर के काल में, (1556-1605), यहां तांबे के सिक्कों की टकसाल थी| [४].
चूँकी अंग्रेज़ी एक जर्मनिक भाषा है, उसकी अधिकतर दैनिक उपयोग की शब्दावली प्राचीन जर्मन से आयी है । इसके अतिरिक्त भी अंग्रेज़ी में कई ऋणशब्द हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार स्थिति ये है :
विस्तृत विवरण के लिये भारतीय दर्शन देखें ।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (अंग्रेज़ी:International Monetary Fund; इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड, लघुरूप:IMF; आईएमएफ) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का काम करती है। यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करती है। यह संगठन अन्तर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने के साथ-साथ विकास को सुगम करने में सहायता करता है। [२] इसका मुख्यालय वांशिगटन डी.सी, संयुक्त राज्य में है। इस संगठन के प्रबंध निदेशक डॉमनिक स्ट्रॉस है। आईएमएफ की विशेष मुद्रा एसडीआर (स्पेशल ड्राइंग राइट्स) है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्त के लिए कुछ देशों की मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है, इसे एसडीआर कहते हैं। एसडीआर में यूरो, पाउंड, येन और डॉलर हैं। आईएमएफ की स्थापना १९४४ में की गई थी। विभिन्न देशों की सरकार के ४५ प्रतिनिधियों ने अमेरिका के ब्रिटेन वुड्स में बैठक कर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक समझौते की रूपरेखा तैयार की थी। २७ दिसंबर, १९४५ को २९ देशों के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद आईएमएफ की स्थापना हुई।
किंगफिशर के अंडे सदैव सफेद और चमकदार होते हैं. विशेष पंजे का आकार अलग-अलग प्रजातियों में अलग-अलग होता है; कुछ सबसे बड़ी और सबसे छोटी प्रजातियाँ कम से कम प्रति क्लच दो अंडे देती हैं, जबकि अन्य 10 अंडे दे सकती हैं, औसत 3 से 6 अण्डों के आस-पास है. दोनों लिंग अंडों को सेते हैं.[२]
नोट, चंडीगढ़ दो राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश की राजधानी है
क. ^ ‘रामायण’ का संधि विच्छेद करने है ‘राम’ + ‘अयन’। ‘अयन’ का अर्थ है ‘यात्रा’ इसलिये रामायण का अर्थ है राम की यात्रा।
कुंभ मेला स्थल
पुत्तलम जिला श्रीलंका का जिला है।इस जिले का मुख्यालय पुट्टलम है इस जिले का कुल क्षेत्रफल 3,072 वर्ग किलोमीटर है। इस जिले की जनसंख्या 745,000 (गणना वर्ष २००६ अनुसार) हैइस जिले के नाम का लघुरूप PUT है।
भोजपुरी भाषाई परिवार के स्तर पर एक आर्य भाषा है और मुख्य रुप से पश्चिम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश और उत्तरी झारखण्ड के क्षेत्र में बोली जाती है। भोजपुरी हिन्दी की एक उपभाषा या बोली है। भोजपुरी अपने शब्दावली के लिये मुख्यतः संस्कृत एवं हिन्दी पर निर्भर है कुछ शब्द इसने उर्दू से भी ग्रहण किये हैं। भोजपुरी जानने-समझने वालों का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है जिसका कारण ब्रिटिश राज के दौरान उत्तर भारत से अंग्रेजों द्वारा ले जाये गये मजदूर हैं जिनके वंशज अब जहाँ उनके पूर्वज गये थे वहीं बस गये हैं। इनमे सूरिनाम, गुयाना, ट्रिनिदाद, फीजी और टोबैगो आदि देश प्रमुख है। भारत के जनगणना आंकडो़ के अनुसार भारत मे लगभग 3.3 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। पूरे विश्व मे भोजपुरी जानने वालों की संख्या लगभग 5 करोड़ है।
यह एक आकर्षक अवधारणा है कि कैंसर को रोकने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है, और कई उच्च श्रेणी के नैदानिक परिक्षण सलाह देते हैं कि ऐसे रासायनिक रोकथाम को विशेष परिस्थितियों में काम में लेना चाहिए.
मैदानी इलाकों से थोड़ा आगे बढ़कर विन्ध्य के पहाड़ी हिस्सों में अजयगढ़ और कालिंजर के किले हैं। इन किलों का संबंध चंदेल वंश के उत्थान और पतन से है। 105 किलोमीटर दूर स्थित कालिंजर का किला है। यह एक प्राचीन किला है। प्राचीन काल में यह शिव भक्तों की कुटी थी। इसे महाभारत और पुराणों के पवित्र स्थलों की सूची में शामिल किया गया था। इस किले का नामकरण शिव के विनाशकारी रूप काल से हुआ जो सभी चीजों का जर अर्थात पतन करते हैं। काल और जर को मिलाकर कालिंजर बना। इतिहासकारों का मत है कि यह किला ईसा पूर्व का है। महमूद गजनवी के हमले के बाद इतिहासकारों का ध्यान इस किले की ओर गया। 108 फुट ऊंचे इस किले में प्रवेश के लिए अलग-अलग शैलियों के सात दरवाजों को पार करना पड़ता है। इसके भीतर आश्चर्यचकित कर देने वाली पत्थर की गुफाएं हैं। चोटी पर भारत के इतिहास की याद दिलाती हिन्दू और मुस्लिम शैली की इमारतें हैं। कहा जाता है कि कालिंजर के भूमितल से पतालगंगा नामक नदी बहती है जो इसकी गुफाओं को जीवंत बनाती है। बहुत से बेशकीमती पत्थर यहां बिखर पड़े हैं।
कहते हैं कि राजा इंद्रद्युम्न, जो सपरिवार नीलांचल सागर (उड़ीसा) के पास रहते थे, को समुद्र में एक विशालकाय काष्ठ दिखा। राजा के उससे विष्णु मूर्ति का निर्माण कराने का निश्चय करते ही वृद्ध बढ़ई के रूप में विश्वकर्मा जी स्वयं प्रस्तुत हो गए। उन्होंने मूर्ति बनाने के लिए एक शर्त रखी कि मैं जिस घर में मूर्ति बनाऊँगा उसमें मूर्ति के पूर्णरूपेण बन जाने तक कोई न आए। राजा ने इसे मान लिया। आज जिस जगह पर श्रीजगन्नाथ जी का मंदिर है उसी के पास एक घर के अंदर वे मूर्ति निर्माण में लग गए। राजा के परिवारजनों को यह ज्ञात न था कि वह वृद्ध बढ़ई कौन है। कई दिन तक घर का द्वार बंद रहने पर महारानी ने सोचा कि बिना खाए-पिये वह बढ़ई कैसे काम कर सकेगा। अब तक वह जीवित भी होगा या मर गया होगा। महारानी ने महाराजा को अपनी सहज शंका से अवगत करवाया। महाराजा के द्वार खुलवाने पर वह वृद्ध बढ़ई कहीं नहीं मिला लेकिन उसके द्वारा अर्द्धनिर्मित श्री जगन्नाथ, सुभद्रा तथा बलराम की काष्ठ मूर्तियाँ वहाँ पर मिली।
तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है । यानि, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म ।
नारद पुराण स्वयं महर्षि नारद के मुख से कहा गया एक वैष्णव पुराण है।[क] महर्षि व्यास द्वारा लिपिबद्ध किए गए १८ पुराणों में से एक है। प्रारंभ में यह २५,००० श्लोकों का संग्रह था लेकिन वर्तमान में उपलब्ध संस्करण में केवल २२,००० श्लोक ही उपलब्ध है।[१] इस पुराण के विषय में कहा जाता है कि इसका श्रवण करने से पापी व्यक्ति भी पाप मुक्त हो जाते हैं। पापियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि जो व्यक्ति ब्रह्महत्या का दोषी है, मदिरापान करता है, मांस भक्षण करता है, वेश्यागमन करता हे, तामसिक भोजन खाता है तथा चोरी करता है; वह पापी है। इस पुराण का प्रतिपाद्य विषय विष्णु भक्ति है। संपूर्ण नारद पुराण दो प्रमुख भागों में विभाजित है। पहले भाग में चार अध्याय हैं जिसमें सुत और शौनक का संवाद है, ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विलय, शुकदेव का जन्म, मंत्रोच्चार की शिक्षा, पूजा के कर्मकांड, विभिन्न मासों में पड़ने वाले विभिन्न व्रतों के अनुष्ठानों की विधि और फल दिए गए हैं। दूसरे भाग में भगवान विष्णु के अनेक अवतारों की कथाएँ हैं।[२] यह पुराण इस दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है कि इसमें अठारह पुराणों की अनुक्रमणिका दी गई है।
(1) सघोष के लिये विशेष लिपि चिह्न नही हैं। अघोष लिपि चिह्न पर ही दो नुकते लगाए जाते हैं।
वात्स्यायन का यह ग्रंथ सूत्रात्मक है। यह सात अधिकरणों, 36 अध्यायों तथा 64 प्रकरणों में विभक्त है। इसमें चित्रित भारतीय सभ्यता के ऊपर गुप्त युग की गहरी छाप है, उस युग का शिष्टसभ्य व्यक्ति "नागरिक" के नाम से यहाँ दिया गया है कि कामसूत्र भारतीय समाजशास्त्र का एक मान्य ग्रंथरत्न बन गया है। ग्रंथ के प्रणयन का उद्देश्य है लोकयात्रा का निर्वाण, न कि राग की अभिवद्धि। इस तात्पर्य की सिद्धि के लिए वात्स्यायन ने उग्र समाधि तथा ब्रह्मचर्य का पालन कर इस ग्रंथ की रचना की—
यहाँ यह ध्यान रखने योग्य बात है कि भारत में द्विभाषिकता एवं बहुभाषिकता का प्रचलन है इसलिए यह सँख्या उन लोगों की है जिन्होंने ने हिन्दी को अपनी प्रथम भाषा के तौर पर १९९१ की जनगणना में दर्ज़ किया था।
1.
हिन्दी और उर्दू दोनों को मिलाकर हिन्दुस्तानी भाषा कहा जाता है । हिन्दुस्तानी मानकीकृत हिन्दी और मानकीकृत उर्दू के बोलचाल की भाषा है । इसमें शुद्ध संस्कृत और शुद्ध फ़ारसी-अरबी दोनों के शब्द कम होते हैं और तद्भव शब्द अधिक । उच्च हिन्दी भारतीय संघ की राजभाषा है (अनुच्छेद ३४३, भारतीय संविधान) । यह इन भारयीय राज्यों की भी राजभाषा है : उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली। इन राज्यों के अतिरिक्त महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब, और हिन्दी भाषी राज्यों से लगते अन्य राज्यों में भी हिन्दी बोलने वालों की अच्छी संख्या है। उर्दू पाकिस्तान की और भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर की राजभाषा है । यह लगभग सभी ऐसे राज्यों की सह-राजभाषा है; जिनकी मुख्य राजभाषा हिन्दी है । दुर्भाग्यवश हिन्दुस्तानी को कहीं भी संवैधानिक दर्जा नहीं मिला हुआ है ।
४० - चालीस
1)Salam karne se 2)Ikraam karne se 3)Hadiya Dene se 4)Naam Lekar Dua karne se 5)Peeth peechhe Tarif karne se
इस पर्व में ॠषि-शापवश साम्ब के उदर से मुसल की उत्पत्ति तथा समुद्र-तट पर चूर्ण करके फेंके गये मुसलकणों से उगे हुए सरकण्डों से यादवों का आपस में लड़कर विनष्ट हो जाना, बलराम और श्रीकृष्ण का परमधाम-गमन और समुद्र द्वारा द्वारकापुरी को डुबो देने का वर्णन है।
भारत मे आर्थिक सुधारों की शुरूआत सन 1990 से हुई । 1990 के पहले भारत मे आर्थिक विकास बहुत ही धीमी गति से हो रहा था। भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास काफी धीमा था ।
मध्य युग में आकर संसद सभा और समिति जैसी संस्थाएं गायब हो गईं। ऊपर के स्तर पर लोकतंत्रात्मक संस्थाओं का विकास रूक गया। सैकड़ों वर्षों तक हम आपसी लड़ाइयों में उलझे रहे। विदेशियों के आक्रमण पर आक्रमण होते रहे। सेनाएं हारती-जीतती रहीं। शासक बदलते रहे। हम विदेशी शासन की गुलामी में भी जकड़े रहे। सिंध से असम तक और कश्मीर से कन्याकुमारी तक, पंचायत संस्थाएं बराबर चलती रहीं। ये प्रादेशिक जनपद परिषद् नगर परिषद, पौर सभा, ग्राम सभा, ग्राम संघ जैसे अलग नामों से पुकारी जाती रहीं। सच में ये पंचायतें ही गांवों की ‘संसद’ थीं।
2006 में पार्टी के निर्माण से लेकर अब तक, 4 नगर निगमो में एमएनएस के प्रतिनिधि चुने गए हैं.
केरल: रघुनंदन लाल भाटियामध्य प्रदेश: बलराम जाखड़महाराष्ट्र: एस एम कृष्णामणिपुर: शिवेन्द्र सिंह सिद्धूमेघालय: बनवारी लाल जोशीमिजोरम: एम एम लखेरानागालैंड: कतेक्कल शंकरनारायणनउड़ीसा: मुरलीधर चंद्रकांत भंडारीपंजाब: एस एफ रोड्रिग्सराजस्थान: एस के सिंहसिक्किम: सुदर्शन अग्रवालतमिलनाडू: सुरजीत सिंह बरनाला
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम की दर्शक क्षमता ६०,००० दर्शकों की है जो इसे भारत का तीसरा और विश्व का ५१वां सबसे बड़ा स्टेडियम बनाती है। २०१० में आयोजित होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए स्टेडियम का पुनर्निर्माण किया गया है और इसके कारण इसकी दर्शक क्षमता अपनी मूल क्षमता ७८,००० से घटकर ६०,००० रह गयी है।
तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन पटना रेलवे जंक्शन के पास 22 एकड़ ज़मीन पर 125 करोड़ रुपए की लागत से बने 200 फ़ीट ऊँचे स्तूप वाले एक भव्य 'बुद्ध स्मृति पार्क' को जनता को समर्पित किया।
साँचा:जुलाई कैलंडर२०११ १० जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९१वॉ (लीप वर्ष मे १९२ वॉ) दिन है। साल मे अभी और १७४ दिन बाकी है।
फसल घर में आने के बाद देवताओं के प्रति आभार एवं कृतज्ञता ज्ञापन भारतीय पारंपरिक धरोहर है । गौरा के माध्यम से गांव के सभी मान्य देव-देवियों को गौरा के द्वारा सम्मानित करते हैं । गौरा के दो रुप छत्तीसगढ़ में है । बइठ गौरा और ठाढ़ गौरा । पुरुष प्रधान लोक-नृत्य में ठाढ़ गौरा का प्रचलन है । इसमें पूजा-प्रणाली, फूल कूटना, देवता भरना, माटी कोड़ना, मूर्ति बनाना, बारात, परधनी, सेवा और विसर्जन के सभी अंग समान रुप से संपादित होते हैं । ठाढ़ गौरा में गेयता नहीं होती । वाद्य में भिन्नता होती है । वाद्य-ढोल - बीजा के गोले की खोखला जिसके दोनों सिरों पर चमड़ा होता है । बांयें भाग को लकड़ी से और दाहिने को हाथ से बजाते हैं । झांझ, निसान ।
चेन्नई का महानगरीय क्षेत्र कई उपनगरों तक व्याप्त है, जिसमें कांचीपुरम जिला और तिरुवल्लुर जिला के भी क्षेत्र आते हैं। बडए उपनगरों में वहां की टाउन-नगर पालिकाएं हैं, और छोटे क्षेत्रों में टाउन-परिषद हैं जिन्हें पंचायत कहते हैं। शहर का क्षेत्र जहां १७४ कि.मी.² (६७ मील²) है,[२४] वहीं उपनगरीय क्षेत्र ११८९ कि.मी.² (४५८ मील²) तक फैले हुए हैं।[२५]चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण (सी.एम.डी.ए) ने शहर के निकट उपग्रह-शहरों के विकास के उद्देश्य से एक द्वितीय मास्टर प्लान का ड्राफ़्ट तैयार किया है। निकटस्थ उपग्रह शहरों में महाबलिपुरम (दक्षिण में), चेंगलपट्टु और मरियामलै नगर दक्षिण-पश्चिम में, श्रीपेरंबुदूर, तिरुवल्लुर और अरक्कोणम पश्चिम में आते हैं।
युद्ध की शुरुवात
কমলা কমলদল বিহারিণী
सा.पो.सी. के अलावा, कई अन्य प्रकार के सीमेंट का भी उत्पादन होता है और उनमें से अधिकांश विशेष प्रयोजनों के लिए होते हैं, उदाहरण के लिए सल्फेट प्रतिरोधी सीमेंट, सफेद सीमेंट, तेल-कूप सीमेंट, आदि। इन सबके साथ कुछ सामान्य प्रयोजन सीमेंट भी होते हैं और इनमे सबसे आम प्रकार है पोज़ोलाना पोर्टलैंड सीमेंट (पो.पो.सी.)।
विद्रुम, हेमशौल, द्युतिमान, पुष्पवान, कुशेशय, हरि और मन्दराचल नामक सात पर्वत हैं।
परिणामतः चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा इन गणरज्यों को पुनः विजित कर गुप्त साम्राज्य में विलीन किया गया । अपनी विजयों के परिणामस्वरूप चन्द्रगुप्त द्वितीय ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की । उसका साम्राज्य पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में हिमालय की तापघटी से दक्षिण में नर्मदा नदी तक विस्तृत था । चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में उसकी प्रथम राजधानी पाटलिपुत्र और द्वितीय राजधानी उज्जयिनी थी ।
बंदर-ए-मानशहर (फारसी: بندرماهشهر ) ईरान में क़ूज़ेस्तान प्रांत का एक शहर है। इस शहर की जनसंख्या वर्ष २००६ की जनगणना के अनुसार १११,४४८ है।
४ हिन्द महासागर (en:Indian Ocean)
गुयानी शैली का परांठा
गोस्वामी तुलसीदास कृत
जयदेव (१२०० ईस्वी के आसपास) संस्कृत के महाकवि हैं जिन्होंने गीत गोविंद और रतिमंजरी रचित किए थे। जयदेव, उत्कल राज्य के गजपति राजाओं के समसमयिक थे । जयदेव एक वैष्णव भक्त और संत के रूप में सम्मानित थे। उनकी कृति ‘गीत गोविन्द’ को श्रीमद्भागवत के बाद राधाकृष्ण की लीला की अनुपम साहित्य-अभिव्यक्ति माना गया है। संस्कृत कवियों की परंपरा में भी वह अंतिम कवि थे, जिन्होंने ‘गीत गोविन्द’ के रूप में संस्कृत भाषा के मधुरतम गीतों की रचना की। कहा गया है कि जयदेव ने दिव्य रस के स्वरूप राधाकृष्ण की रमणलीला का स्तवन कर आत्मशांति की सिद्धि की। भक्ति विजय के रचयिता संत महीपति ने जयदेव को श्रीमद्भागवतकार व्यास का अवतार माना है।
पूर्वी तिमोर, आधिकारिक रूप से लोकतांत्रिक गणराज्य तिमोर दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित एक देश है। डार्विन (ऑस्ट्रेलिया) के 640 किमी उत्तर पश्चिमी में स्थित इस देश का कुल क्षेत्रफल १५,४१० वर्ग किमी (५४०० वर्ग मील) है। यह तिमोर द्वीप के पूर्वी हिस्से, पास के अतौरो और जाको द्वीप, और इंडोनेशियाई पश्चिम तिमोर के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में स्थित ओएचुस्सी-अम्बेनो से मिलकर बना है।
लचलान मक्कुँरी 'न्यू-साउथ वेल्स के एक गवर्नर', अनंतर अपने इंग्लैंड के प्रेषणों में इस शब्द का प्रयोग करते थे और 12 दिसम्बर 1817 को इसे औपचारिक रूप से नगरीय कार्यालयों में प्रयोग के लिए स्वीकार्य बनाने की संस्तुति की.[१८]1824 में, नौ सेना विभाग सहमत हुआ की अब यह महाद्वीप सरकारी तौर पर ऑस्ट्रेलिया नाम से जाना जाना चाहिए.
रणछोड़जी के मन्दिर की ऊपरी मंजिलें देखने योग्य है। यहां भगवान की सेज है। झूलने के लिए झूला है। खेलने के लिए चौपड़ है। दीवारों में बड़े-बड़े शीशे लगे है।
अधिक प्रोटीन वाला भोजन शरीर निर्माण करने वाला भोजन कहलाता है। दूध, मांस, मछली, अंडे, दालें, तिलहन, गिरी और कम वसा वाले तिलहनों के उत्पाद इस वर्ग में आते हैं।
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आगरा मार्ग पर बने इस उत्कृष्ट जैन मंदिर की दीवारों पर जयपुर शैली में उन्नीसवीं सदी के अत्यधिक सुंदर चित्र बने हैं।Galta Ji Lake
४३ - तिरालीस/तैंतालीस
खिलाड़ी बच्चे जवाब देते है -
घटोत्कच- घटोत्कच श्रीगुप्त का पुत्र था । २८० ई. पू. से ३२० ई. तक गुप्त साम्राज्य का शासक बना रहा । इसने भी महाराजा की उपाधि धारण की थी ।
तेरहवीं सदी तक धर्म के क्षेत्र में बड़ी अस्तव्यस्तता आ गई। जनता में सिद्धों और योगियों आदि द्वारा प्रचलित अंधविश्वास फैल रहे थे, शास्त्रज्ञानसंपन्न वर्ग में भी रूढ़ियों और आडंबर की प्रधानता हो चली थी। मायावाद के प्रभाव से लोकविमुखता और निष्क्रियता के भाव समाज में पनपने लगे थे। ऐसे समय में भक्तिआंदोलन के रूप में ऐसा भारतव्यापी विशाल सांस्कृतिक आंदोलन उठा जिसने समाज में उत्कर्षविधायक सामाजिक और वैयक्तिक मूल्यों की प्रतिष्ठा की। भक्ति आंदोलन का आरंभ दक्षिण के आलवार संतों द्वारा दसवीं सदी के लगभग हुआ। वहाँ शंकराचार्य के अद्वैतमत और मायावाद के विरोध में चार वैष्णव संप्रदाय खड़े हुए। इन चारों संप्रदायों ने उत्तर भारत में विष्णु के अवतारों का प्रचारप्रसार किया। इनमें से एक के प्रवर्तक रामानुजाचार्य थे, जिनकी शिष्यपरंपरा में आनेवाले रामानंद ने (पंद्रहवीं सदी) उत्तर भारत में रामभक्ति का प्रचार किया। रामानंद के राम ब्रह्म के स्थानापन्न थे जो राक्षसों का विनाश और अपनी लीला का विस्तार करने के लिए संसार में अवतीर्ण होते हैं। भक्ति के क्षेत्र में रामानंद ने ऊँचनीच का भेदभाव मिटाने पर विशेष बल दिया। राम के सगुण और निर्गुण दो रूपों को माननेवाले दो भक्तों - कबीर और तुलसी को इन्होंने प्रभावित किया। विष्णुस्वामी के शुद्धाद्वैत मत का आधार लेकर इसी समय बल्लभाचार्य ने अपना पुष्टिमार्ग चलाया। बारहवीं से सोलहवीं सदी तक पूरे देश में पुराणसम्मत कृष्णचरित् के आधार पर कई संप्रदाय प्रतिष्ठित हुए, जिनमें सबसे ज्यादा प्रभावशाली वल्लभ का पुष्टिमार्ग था। उन्होंने शांकर मत के विरुद्ध ब्रह्म के सगुण रूप को ही वास्तविक कहा। उनके मत से यह संसार मिथ्या या माया का प्रसार नहीं है बल्कि ब्रह्म का ही प्रसार है, अत: सत्य है। उन्होंने कृष्ण को ब्रह्म का अवतार माना और उसकी प्राप्ति के लिए भक्त का पूर्ण आत्मसमर्पण आवश्यक बतलाया। भगवान् के अनुग्रह या पुष्टि के द्वारा ही भक्ति सुलभ हो सकती है। इस संप्रदाय में उपासना के लिए गोपीजनवल्लभ, लीलापुरुषोत्तम कृष्ण का मधुर रूप स्वीकृत हुआ। इस प्रकार उत्तर भारत में विष्णु के राम अैर कृष्ण अवतारों प्रतिष्ठा हुई।
११. पालकिगुण्क- यह गोविमठ की चार मील की दूरी पर है ।
जीवन स्तर के एक संकेतक के रूप में GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का उपयोग करने का एक मुख्य नुकसान यह है कि यह कडाई के साथ जीवन स्तर का माप नहीं है. GDP (सकल घरेलू उत्पाद) एक देश में आर्थिक गतिविधि के किसी विशिष्ट प्रकार का मापन करता है. GDP (सकल घरेलू उत्पाद) की परिभाषा के अनुसार ऐसा जरुरी नहीं है कि यह यह जीवन स्तर का माप करे.
लंदन आवास के दौरान सावरकर की मुलाकात लाला हरदयाल से हुई। लंदन में वे इंडिया हाऊस की देखरेख भी करते थे। १ जुलाई, १९०९ को मदनलाल ढींगरा को गोली मार दिए जाने के बाद उन्होंने लंदन टाइम्स में भी एक लेख लिखा था। १३ मई, १९१० को पैरिस से लंदन पहुंचने पर गिरफ़्तार कर लिया गया, किंतु ८ जुलाई, १९१० को एस.एस.मोरिया नामक जहाज से भारत ले जाते हुए सीवर होल के रास्ते ये भाग निकले।[४]२४ दिसंबर, १९१० को इन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई। इसके बाद ३१ जनवरी, १९११ को इन्हें दोबारा आजीवन कारावास दिया गया।।[४] इस प्रकार सावरकर को ब्रिटिश सरकार ने क्रांति कार्यों के लिए दो आजन्म कारावास की सजा दी, जो विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी सजा थी। सावरकर के अनुसार -
४ १ जनवरी, २००६ तक का।
aspirated (p, t, ch, k) or murmured (b, d, j, g).
अधोरक्त छायांकन प्रायः सामरिक एवं नागरिक, दोनों ही उद्देश्यों से किया जाता है ।
स्रोत: [१]
पुरे विश्व में फुटबॉल की लोकप्रियता को
आ गए पंछी/ नदी को पार कर/ इधर की रंगीनियों से प्यार कर/
तेजोव्ड़िषो द्युतिधरः सर्वशस्त्रभ्ड़ितां वरः ।
पंजाब का सन २००४ का अनुमानित कुल सकल घरेलू उत्पाद २७ अरब डॉलर है।
Křemičitan manganatý - MnSiO3
सोनभद्र जिला, मूल मिर्जापुर जिले से 4 मार्च 1989 को अलग किया गया था। 7,388 वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है। यह 23.52 तथा 25.32 अंश उत्तरी अक्षांश तथा 82.72 एवं 93.33 अंश पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। जिले की सीमा पश्चिम में मध्य प्रदेश, दक्षिण में छत्तीसगढ़, पूर्व में झारखण्ड तथा बिहार एवं उत्तर में उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला है। रार्बट्सगंज जिले का प्रमुख नगर तथा जिला मुख्यालय है। जिले की जनसंख्या 14,63,519 है तथा इसका जनसंख्या घनत्व उत्तर प्रदेश में सबसे कम 198 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।
यह सुझाव दिया गया है कि, प्रति व्यक्ति पर्यटन व्यय और जिस अंश तक देश दुनिया के सन्दर्भ में भूमिका निभाते हैं, इन दोनों के बीच में गहरा सम्बन्ध है.[१७] न केवल पर्यटन उद्योग के महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान, से स्थानीय अर्थ व्यवस्था को लाभ मिलता है ,बल्कि यह उस विश्वास का भी संकेत है जिसके साथ दुनिया भर के नागरिक संसाधनों का लाभ उठाते हैं. यही कारण है कि पर्यटन में विकास का कोई भी अनुमान उस सापेक्ष प्रभाव का सूचक है जिसे प्रत्येक देश भविष्य में अनुभव करेगा.
अखिल भारतीय सेवाएँ भी केन्द्र को राज्य प्रशासन पे नियंत्रण प्राप्त करने मे सहायता देती है अनु 262 संसद को अधिकार देता है कि वह अंतराज्य जल विवाद को सुलझाने हेतु विधि का निर्माण करे संसद ने अंतराज्य जल विवाद तथा बोर्ड एक्ट पारित किये थे
वेबसाइट: www.heritagehotels.com
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२) सीरिस
Miliaresion
वेनेवेत्तो के युद्ध के पश्चात् साहित्यिक और सांस्कृतिक केंद्र सिसिली के बजाय तोस्काना हो गया जहाँ शृंगारविषयक गीतिकाव्य की रचना हुई, गूइत्तोने देल वीवा द आरेज्जो (मृत्यु 1294 ई.) इस धारा का प्रधान कवि था। फ्लोरेंस, पीसा, लूक्का तथा आरेज्जो में इस काल में अनेक कवियों ने तत्कालीन बोली में कविताएँ लिखीं। बोलोन (इता. बोलोन्या) में साहित्यिक भाषा का रूप स्थिर करने का प्रयास किया गया। सिसिली और तोस्काना काव्यधाराओं ने साहित्यिक इतालवी का जो रूप प्रस्तुत किया उसे अंतिम और स्थिर रूप दिया "दोल्चे स्तील नोवो" (मीठी नवीन शैली) के कवियों ने। इन कवियों ने कलात्मक संयम, परिष्कृत रुचि तथा परिमार्जित समृद्ध भाषा का ऐसा रूप रखा कि आगे की कई सदियों के इतालवी लेखक उसको आदर्श मानकर इसी में लिखते रहे। दांते अलीमिएरी (1265-1321) ने इसी नवीन शैली में, तोस्काना की बोली में, अपनी महान् कृति "दिवीना कोमेदिया" लिखी। दांते ने "कोन्वीविओ" में गद्य का भी परिष्कृत रूप प्रस्तुत किया और गूइदो फाबा तथा गूइत्तोने द आरेज्जो की कृत्रिम तथा साधारण बोलचाल की भाषा से भिन्न स्वाभाविक गद्य का रूप उपस्थित किया। दांते तथा "दोचे स्तील नोवो" के अन्य अनुयायियों में अग्रगण्य हैं फ्रोंचेस्को, पेत्रार्का और ज्वोवान्नी बोक्काच्यो। पेत्रार्का ने फ्लोरेंस की भाषा को परिमार्जित रूप प्रदान किया तथा उसे व्यवस्थित किया। पेत्रार्का की कविताओं और बोक्काच्चो की कथाओं ने इतालवी साहित्यिक भाषा का अत्यंत सुव्यवस्थित रूप सामने रखा। पीछे के लेखकों ने दांते, पेत्रार्का और बोक्काच्यो की कृतियों से सदियों तक प्रेरणा ग्रहण की।
सन् 455 के आसपास कुमारगुप्त की मृत्यु के बाद स्कंदगुप्त राजा बना । हँलांकि सैन्य अभियानों में वो पहले से ही शामिल रहता था । कुमारगुप्त के शासनकाल के अन्तिम दिनों में गुप्त साम्र्ज्य को पुष्यमित्रों द्वारा, जोकि नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ एक समुदाय था, चुनौती दी गई । इस चुनौती का दमन स्कंदगुप्त ने ही किया था । उसके शासनकाल में संघर्षों की भरमार लगी रही । उसको सबसे अधिक परेशान मध्य एशियाई हूण लोगो ने किया । हूण एक बहुत ही दुर्दांत कबीले थे तथा उनके साम्राज्य से पश्चिम में रोमन साम्राज्य को भी खतरा बना हुआ था । श्वेत हूणों के नाम से पुकारे जाने वाली उनकी एक शाखा ने हिंदुकुश पर्वत को पार करके फ़ारस तथा भारत की ओर रुख किया । उन्होंने पहले गांधार पर कब्जा कर लिया और फिर गुप्त साम्राज्य को चुनौती दी । पर स्कंदगुप्त ने उन्हे करारी शिकस्त दी और हूणों ने अगले 50 वर्षों तक अपने को भारत से दूर रखा ।
ऐतिहासिक दृष्टि से नरसी मेहता के जीवनकाल का निश्चय एक समस्या रही है। उनकी "हारमाला" नामक कृति में दी गई तिथि सं. 1512 तथा वर्णित घटना से सिद्ध रा मांडलिक (सं. 1487 से 1528) की समकालीनता के आधार पर कुछ इतिहासकारों ने उन्हें 15वीं शती ई. में रखा और बहुत काल तक "वृद्धमान्य समय" (1414-81 ई.) निर्विवाद स्वीकृत किया जाता रहा परंतु; क.मा. मुंशी ने अनेक तर्क वितर्कों द्वारा उसे अतिशय विवादास्पद बना दिया। उनके अनुसार चैतन्य के प्रभाव के कारण नरसी मेहता का समय 1500-1580 ई. से पूर्व नहीं माना जा सकता। यद्यपि गुजराती के अनेकानेक मान्य विद्वानों ने इस विवाद में भाग लिया है तथापि वह अब भी प्राय: अनिर्णीत ही है। उनकी रचनाओं में जयदेव, नामदेव, रामानंद और मीरा का उल्लेख मिलता है।
• ऋतुपर्ण घोष
बिम्बिसार ने हर्यक वंश की स्थापना ५४४ ई. पू. में की । इसके साथ ही राजनीतिक शक्ति के रूप में बिहार का सर्वप्रथम उदय हुआ । बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक/राजा माना जाता है । बिम्बिसार ने गिरिव्रज (राजगीर) को अपनी राजधानी बनायी । इसके वैवाहिक सम्बन्धों (कौशल, वैशाली एवं पंजाब) की नीति अपनाकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया ।
मध्यकाल में कई अफ़ग़ान शासकों ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया या करने का प्रयत्न किया जिनमें लोदी वंश का नाम प्रमुख है। इसके अलावा भी कई मुस्लिम आक्रमणकारियों ने अफगान शाहों की मदद से हिन्दुस्तान पर आक्रमण किया था जिसमें बाबर, नादिर शाह तथा अहमद शाह अब्दाली शामिल है। अफ़गानिस्तान के कुछ क्षेत्र दिल्ली सल्तनत के अंग थे।
संकेत (Fe), परमाणु संख्या 26, परमाणु भार 550.85,
एकला चलो रे की पंक्ति ने भारतीय जनता पार्टी में प्राण फूंक दिए और इस सिध्दान्त ने उस पर जादू सा असर किया।
ऋषि आकाश, अन्तरिक्ष और शरीर तीनों में होते हैं।
जनश्रुति के अनुसार उन्हें एक पुत्र कमाल तथा पुत्री कमाली थी। इतने लोगों की परवरिश करने के लिये उन्हें अपने करघे पर काफी काम करना पड़ता था। ११९ वर्ष की अवस्था में उन्होंने मगहर में देह त्याग किया।
-जल निकास नाली की तरफ बहुत हल्का सा ढ़ाल देना चाहिए ताकि खेत का फालतू पानी जल निकास नाली द्वारा बहाया जाये |
इसके बाद यहाँ प्रांस का शासन आया जो 1946 तक चला । इसके बाद से यहाँ राजनैतिक अस्थिरता रही है । बाथ पार्टी ने शासन पर अपना सिक्का जमाया और आजकल शासन में असद परिवार का प्रभुत्व है ।
पारसी धर्म ईरान का बहुत पुराना धर्म है । इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुस्त्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुस्त्री धर्म भी कहते हैं ।
गायत्री सद्बुद्धि की देवी और यज्ञ सत्कर्मों का पिता है । सद्भावनाओं एवं सत्प्रवृत्तियों के अभिवर्धन के लिए गायत्री माता और यज्ञ पिता का युग्म हर दृष्टि से सफल एवं समर्थ सिद्ध हो सकता है । गायत्री यज्ञों की विधि-व्यवस्था बहुत ही सरल, लोकप्रिय एवं आकर्षक भी है । जगत् के दुर्बुद्धिग्रस्त जनमानस का संशोधन करने के लिए सद्बुद्धि की देवी गायत्री महामन्त्र की शक्ति एवं सार्मथ्य अद्भुत भी है और अद्वितीय भी ।
टाटा पावर भारत में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कम्पनियों में से एक है। यह मुंबई एवं दिल्ली के कुछ हिस्सों को बिजली प्रदान करती है। टाटा केमिकल्स और टाटा पिगमेन्ट्स (Tata Pigments) का भी अपने अपने क्षेत्रों में काफी नाम है । सेवा क्षेत्र में भी टाटा समूह की कई कम्पनियां होटल , बीमा व जीवन बीमा उद्योग में सक्रिय हैं। टाटा समूह प्रबंधन व आर्थिक सलाहकार सेवाओं में भी काफी सफल साबित हुआ है। शेयरों व निवेष की दुनिया में भी टाटा का खासा नाम है । जहाँ तक शिक्षा का सवाल है, तो इस के लिए तो केवल टाटा मैक्ग्रा (Tata Mcgraw) का नाम लेने मात्र से ही इस क्षेत्र में टाटा समूह की सफलता को बयां किया जा सकता है। पर टाटा का शिक्षा से जुड़ाव केवल इस मशहूर प्रकाशन कंपनी तक ही सीमित नही है। अनेक सरकारी संस्थानों व कम्पनियों की शरुआत टाटा द्वारा ही की गयी , जैसे - भारतीय विज्ञाना संस्थान (Indian Institute of Science), टाटा मूलभूत अनुसंधान केन्द्र (Tata Institute of Fundamental Research), टाटा समाज विज्ञान संस्थान (Tata Institute of Social Sciences) और टाटा ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (Tata Energy Research Institute) । यहाँ तक की भारत की आधिकारिक विमान सेवा एयर इन्डिया का भी जन्म टाटा एयरलाइन्स के रूप में हुआ था । इसके अलावा टाटा मैनेजमेन्ट ट्रेनिंग सेन्टर, पुणे, और नेशनल सेन्टर फार पर्फार्मिंग आर्ट्स भी ऐसे संस्थान हैं जिनका श्रेय टाटा समूह को दिया जाना चाहिए ।
(14) देवताओं और दैत्यों के दिन और रात्रि पारस्परिक उलटे होते हैं. उनके छः गुणा साठ देवताओं के (दिव्य) वर्ष होते हैं. ऐसे ही दैत्यों के भी होते हैं.
पुर्जा-पुर्जा कट मरे, कभूं न छाडे खेत॥
स्वरों को कई तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है :
1895 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
Sher Shah used spying as a tool to be aware of woes of people, and established an efficient postal system in which horses carried mail to inns that were at equal distances of 12 miles from each other. These inns served also as post offices and spying centres and it was the duty of respective villages to bear expenses of their inns.
सबसे नजदीकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अमृतसर विमानक्षेत्र है। अमृतसर नववंशशहर से 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
2. न्यायालय को अधिकार है कि वो अवमानना करने वाले व्यक्ति को दण्ड दे सके यह शक्ति अधीनस्थ न्यायालय को प्राप्त नही है इस शक्ति को नियमित करने हेतु संसद ने न्यायालय अवमानना अधिनियम 1971 पारित किया है अवमानना के दो भेद है सिविल और आपराधिक जब कोई व्यक्ति आदेश निर्देश का पालन न करे या उल्लंघ न करे तो यह सिविल अवमानना है पर्ंतु यदि कोई व्यक्ति न्यायालय को बदनाम करे जजों को बदनाम तथा विवादित बताने का प्रयास करे तो यह आपराधिक अवमानना होगी जिसके लिये कारावास/जुर्माना दोनो देना पडेगा वही सिविल अवमानना मे कारावास संबव नही है यह शक्ति भारत मे काफी कुख्यात तथा विवादस्पद है
फ्लोरिडा के हिस्पैनिक जनसंख्या में मियामी और टाम्पा के क्यूबन अमेरिकी, ताम्पा और ऑरलैंडो के पुएरटो रिकान्स पश्चिम-मध्य और दक्षिण फ्लोरिडा के मध्य अमेरिकी प्रवासी कामगार जैसे बड़े समुदायों के लोग भी शामिल हैं. 2000 और 2004, के बीच हिस्पैनिक समुदाय बहुत विकसित, अधिक समृद्ध और गतिशील हो गया: दक्षिण पश्चिम फ्लोरिडा के ली काउंटी जो एक उपनगर है वहां संयुक्त राज्य अमेरिका में किसी जगह के मुकाबले सबसे तेजी से हिस्पैनिक जनसंख्या की वृद्धि दर जारी है.
हफ़लौंग हिन्दी, हिन्दी के उस वृहद रूप का परिचायक है जो कि पूरे दक्षिण एशिया में किसी ना किसी रूप में विद्धमान है। यह बोली हिन्दी भाषियों के लिए सुबोध है, और इसमें हिन्दी के व्याकरण और शब्दों के अतिरिक्त स्थानीय भाषाओं के शब्दों का ग्रहित आसव है। [१]
दराजों मे दस्तावेज-१९७०,१९८२,२००५, लौटते हुए-१९७४, चांदनी के आर पर -१९७८, बीच की दरार -१९७८, कई अंधेरों के पर-१९८१, टूटते दायरे-१९८३, चादर के बहार-१९८३,प्यासी नदी-१९८३, भटका मेघ-१९८४ , आकाशचारी-१९८५, आत्मदाह-१९८५, बावजूद-१९८६, अंतहीन-१९८७, प्रथम परिचय-१९८७, जली रस्सी-१९८७, युद्ध अविराम-१९८७, द्ल्षा हरा-१९८७, अपरचित शेष-१९८८, बेदखल अतीत-१९९३, आखिरी पराव-१९९३, सुबह की तलाश-१९९४, मुक्ति मार्ग-१९९४, घर न घाट-१९९६, एक जिंदगी और-१९९६, घटना सूत्र-१९९९, बैरंग खत-२०००, अनदेखे पुल-२००१, कलंदर-२००१, टापू पर अकेले-२००१, छलावा-२००२, यातना शिविर-२००७
भारतीय दर्शन और 'फिलासफी' (en:Philosophy) एक नहीं क्योंकि दर्शन यथार्थता, जो एक है, का तत्वज्ञान है जबकी फिलासफी विभिन्न विषयों का विश्लेषण। इसलिये दर्शन में चेतना की मीमांसा अनिवार्य है जो पाश्चात्य फिलासफी में नहीं।
रायपुर में मनोरंजन के लिए पुराने सिनेमाघरों के साथ मल्टीप्लेक्स थियेटर भी है। आकाशवाणी को मीडियम वेव वाला एक रेडियो स्टेशन भी है। नई पीढ़ी के लिए चार नए रेडियो स्टेशन सन् २००७ में शुरु हुए हैं। इनमें विविध भारती,रेडियो मिर्ची, रेडियो रंगीला तथा रेडियो माई एफ एम का चैनल है। वर्श २००९ में बिना किसी औपचारिक उद्घाटन के एक और नया रेडियो चैनल रेडियो तड़का भी आ गया है। सभी का प्रसारण रायपुर से होता है। टेलीविजन चैनलों में सहारा समय,ई टीवी न्यूज, जी छत्तीसगढ़ २४ घंटे, वॉच न्यूज के साथ केबल टीवी के एम० चैनल और ग्रैन्ड चैनल है। इसके अलावा एयरपोर्ट रोड पर एक उर्जा पार्क तथा जी० ई० रोड पर ग्राम सरोना में स्थित नंदन वन है यहां जंगली जानवरों को भी देखा जा सकता है।
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प्रोफेसर रुचिराम साहनी ने उच्च शिक्षा के लिए अपने पांचों पुत्रों को इंग्लैंड भेजा तथा स्वयं भी वहां गए। वे मैनचेस्टर गए और वहां कैम्ब्रिज के प्रोफेसर अर्नेस्ट रदरफोर्ड तथा कोपेनहेगन के नाइल्सबोर के साथ रेडियो एक्टिविटी पर अन्वेषण कार्य किया। प्रथम महायुद्ध आरंभ होने के समय वे जर्मनी में थे और लड़ाई छिड़ने के केवल एक दिन पहले किसी तरह सीमा पार कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने में सफल हुए। वास्तव में उनके पुत्र बीरबल साहनी की वैज्ञानिक जिज्ञासा की प्रवृत्ति और चारित्रिक गठन का अधिकांश श्रेय उन्हीं की पहल एवं प्रेरणा, उत्साहवर्धन तथा दृढ़ता, परिश्रम औरईमानदारी को है। इनकी पुष्टि इस बात से होती है कि प्रोफेसर बीरबल साहनी अपने अनुसंधान कार्य में कभी हार नहीं मानते थे, बल्कि कठिन से कठिन समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए सदैव तत्पर रहते थे। इस प्रकार, जीवन को एक बड़ी चुनौती के रूप में मानना चाहिए, यही उनके कुटुंब का आदर्श वाक्य बन गया था।
बैद्यनाथ का मुख्य मंदिर सबसे पुराना है जिसके आसपास अनेक अन्य मंदिर भी हैं। शिवजी का मंदिर पार्वती जी के मंदिर से जुड़ा हुआ है।
अनु 51 के अनुसार कार्यपालिका तथा न्यायपालिका को पृथक होना चाहिए इस लिये ही 1973 मे दंड प्रक्रिया सन्हिता पारित की गयी जिस के द्वारा जिला मजिस्टृटो की न्यायिक शक्ति लेकर न्यायिक मजिस्टृटो को दे दी गयी थी
स्वामी रामानंद़ को मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का महान संत माना जाता है.उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के निचले तबके तक पहुंचाया.वे पहले ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया.उनके बारे में प्रचलित कहावत है कि -द्वविड़ भक्ति उपजौ-लायो रामानंद.यानि उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार करने का श्रेय स्वामी रामानंद को जाता है.उन्होंने तत्कालीन समाज में ब्याप्त कुरीतियों जैसे छूयाछूत,ऊंच-नीच और जात-पात का विरोध किया .
पुरातात्विक अनुसंधानो के अनुसार पटना का इतिहास 490 ईसा पूर्व से होता है जब हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु ने अपनी राजधानी राजगृह या राजगीर से बदलकर यहाँ स्थापित की। यह स्थान वैशाली के लिच्छवियों से संघर्ष में उपयुक्त होने के कारण राजगृह की अपेक्षा सामरिक दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण था । उसने गंगा के किनारे यह स्थान चुना और अपना दुर्ग स्थापित कर लिया । उस समय से इस नगर का इतिहास लगातार बदलता रहा है। २५०० वर्षों से अधिक पुराना शहर होने का गौरव दुनिया के बहुत कम नगरों को हासिल है । बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध अपने अन्तिम दिनों में यहाँ से गुजरे थे । उनकी यह भविष्यवाणी थी कि नगर का भविष्य उज्जवल होगा, बाढ़ या आग के कारण नगर को खतरा बना रहेगा। मौर्य साम्राज्य के उत्कर्ष के बाद पाटलिपुत्र सत्ता का केन्द्र बन गया । चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य बंगाल की खाड़ी से अफ़गानिस्तान तक फैल गया था। मौर्य काल के आरंभ में पाटलिपुत्र के अधिकांश राजमहल लकड़ियों से बने थे, पर सम्राट अशोक ने नगर को शिलाओं की संरचना मे तब्दील किया । चीन के फाहियान ने, जो कि सन् 399-414 तक भारत यात्रा पर था, अपने यात्रा-वृतांत में यहाँ के शैल संरचनाओं का जीवन्त वर्णन किया है । मेगास्थनीज़, जो कि एक यूनानी इतिहासकार और चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में एक राजदूत के नाते आया था, ने पाटलिपुत्र नगर का प्रथम लिखित विवरण दिया । बाद में, ज्ञान की खोज में कई चीनी यात्री यहाँ आए और उन्होने भी यहां के बारे में अपने यात्रा-वृतांतों में लिखा है ।
इसी समय प्रसिद्ध वैष्णव कवि चैतन्य का आविर्भाव हुआ (1486-1533)। समसामयिक कवियों और विचारकों पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा। उनके आविर्भाव और मृत्यु के उपरांत संतों तथा भक्तों के जीवनचरित्रों के निर्माण की परंपरा चल पड़ी। इनमें से कुछ ये हैं-वृंदावनदास कृत चैतन्यभागवत (लग. 1573), लोचनदास कृत चैतन्यमंगल; जयानंद का चैतन्यमंगल तथा कृष्णदास कविरत्न का चैतन्यचरितामृत (लग. 1581)। कृष्ण और राधा के दिव्य प्रेम संबंधी बहुत से गीत और पद भी इस समय रचे गए। बंगाल के इस वैष्णव गीत साहित्य पर मिथिला के विद्यापति का भी यथेष्ट प्रभाव पड़ा जिसकी चर्चा पहले की जा चुकी है।
‘बिटवीन द लाइन्स', ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कौनण्टनेण्ट', ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू', ‘वाल एंट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', ‘इण्डिया हाउस', ‘स्कूप' (सभी अंग्रेजी में)। ‘द डे लुक्स ओल्ड' के नाम से प्रकाशित कुलदीप नैयर की आत्मकथा भी काफी चर्चित रही है। सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।
1959 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
यह प्रेम वह व्यवहार है/ जो जीत माने हार को/ तलवार की भी धार पर/ चलना सिखा दे यार को/
गवर्नर-जनरल (जब वे वाइसरॉय थे १८५८ से १९४७ तक के समय समेत) एक्सीलेंसी की शैली प्रयोग किया करते थे, एवं भारत में, अन्य सभी सरकारी अधिकारियों पर वर्चस्व रखते थे। उन्हें योर एक्सीलेंसी से सम्बोधित किया जाता था, तथा उनके लिये हिज़ एक्सीलेंसी प्रयोग किया जाता था। १८५८-१९४७ के काल में, गवर्नर-जनरल को फ्रेंच भाषा से रॉय यानि राजा, और वाइस अंग्रेज़ी से, यानि उप, मिलाकर वाइसरॉय कहा जाता था। इनकी पत्नियों को वाइसराइन कहा जाता था। उनके लिये हर एक्सीलेंसी, एवं उन्हें योर एक्सीलेंसी कहकर सम्बोधित किया जाता था। परन्तु ब्रिटेन के महाराजा के भारत में होने पर, यह उपाधियां प्रयोग नहीं होती थीं।
1976 -सैनिक शासन ने ट्रेड यूनियनों पर प्रतिबंध लगाया.
राय के लगभग सभी कथानक भी बांग्ला भाषा में साहित्यिक पत्रिका एकशान (একশান) में प्रकाशित हो चुके हैं। राय ने 1982 में आत्मकथा लिखी जखन छोटो छिलम (जब मैं छोटा था)। इसके अतिरिक्त इन्होंने फ़िल्मों के विषय पर कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से प्रमुख है आवर फ़िल्म्स, देयर फ़िल्म्स (Our Films, Their Films, हमारी फ़िल्में, उनकी फ़िल्में)। 1976 में प्रकाशित इस पुस्तक में राय की लिखी आलोचनाओं का संकलन है। इसके पहले भाग में भारतीय सिनेमा का विवरण है, और दूसरा भाग हॉलीवुड पर केन्द्रित है। राय ने चार्ली चैपलिन और अकीरा कुरोसावा जैसे निर्देशकों और इतालवी नवयथार्थवाद जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया है। 1976 में ही इन्होंने एक और पुस्तक प्रकाशित की — विषय चलचित्र (বিষয় চলচ্চিত্র) जिसमें सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर इनके चिंतन का संक्षिप्त विवरण है। इसके अतिरिक्त इनकी एक और पुस्तक एकेई बोले शूटिंग (একেই বলে শুটিং, इसको शूटिंग कहते है) (1979) और फ़िल्मों पर अन्य निबंध भी प्रकाशित हुए हैं।
निपुण लोगों द्वारा बनाए गए ज्ञानकोष न्यूपीडिया के पूरक के रूप में २९ जनवरी, २००१ में इसकी शुरुआत हुई। अब यह विकिमीडिया फाउन्डेशन द्वारा संचालित है जो एक गैर-लाभकारी संस्था है। 2006 के मध्य में इसमें 46 लाख से भी ज्यादा लेख थे, सिर्फ अंग्रेज़ी भाषा में ही 12 लाख से भी ज्यादा लेख थे। यह 200 से भी ज्यादा भाषाओं में है, जिसमें से 15 भाषाओं में 50 हज़ार से भी ज्यादा लेख हैं। जर्मन भाषा के विकिपीडिया को डीवीडी में भी वितरित किया गया है। विकिपीडिया के संस्थापक जिमी वेल्स के शब्दों में यह "विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के लिये, उनके अपनी भाषा में एक बहुभाषीय, मुक्त, सबसे अधिक मुमकिन गुणवत्ता वाला विश्वकोश बनाने और वितरित करने का एक प्रयत्न है।"
4.विशेष बहुमत – प्रथम तीनो प्रकार के बहुमतॉ से भिन्न होता है इसके तीन प्रकार है
आई आई टी कानपुरजी एस वी एम मेडीकल कालेजपं. दीन दयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालयएअर फोर्स स्कूल चकेरी कानपुरओ एफ आइ सी कानपुरचाचा नेहरू स्मारक इंटर कॉलेज, गोविन्द नगर
हबल के अनुसंधान के बाद ब्रह्मांड के सिद्धांतों का प्रतिपादन आवश्यक हो गया था। यह वह समय था जब कि आइन्सटीन का सापेक्षवाद का सिद्धांत अपनी शैशवावस्था में था। लेकिन फिर भी आइन्सटीन के सिद्धांत को सौरमंडल संबंधी निरीक्षणों पर आधारित निष्कर्षों की व्याख्या करने में न्यूटन के सिद्धांतों से अधिक सफलता प्राप्त हुई थी। न्यूटन के अनुसार दो पिंडों के बीच की गुरु त्वाकर्षण शक्ति एक दूसरे पर तत्काल प्रभाव डालती है लेकिन आइन्सटीन ने यह साबित कर दिया कि पारस्परिक गुरु त्वाकर्षण की शक्ति की गति प्रकाश की गति के समान तीव्र नहीं हो सकती है। आखिर यहाँ पर आइन्सटीन ने न्यूटन के पत्र को गलत प्रमाणित किया। लोगों को आइन्सटीन का ही सिद्धांत पसंद आया। ब्रह्मांड की उत्पत्ति की तीन धारणाएँ प्रस्तुत हैं----
आज के युग ने यह चेतना प्रदान की है कि विकास का रास्ता हमें स्वयं बनाना है। किसी समाज या देश की समस्याओं का समाधान कर्म-कौशल, व्यवस्था-परिवर्तन, वैज्ञानिक तथा तकनीकी विकास, परिश्रम तथा निष्ठा से सम्भव है। आज के मनुष्य की रुचि अपने वर्तमान जीवन को सँवारने में अधिक है। उसका ध्यान 'भविष्योन्मुखी' न होकर वर्तमान में है। वह दिव्यताओं को अपनी ही धरती पर उतार लाने के प्रयास में लगा हुआ है। वह पृथ्वी को ही स्वर्ग बना देने के लिए बेताब है।
ताराशंकर बंधोपाध्याय एक बांग्ला साहित्यकार हैं । इन्हें गणदेवता के लिए १९६६ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ताराशंकर बंधोपाध्याय को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६९ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पश्चिम बंगाल से हैं।
धार्मिक दृष्टिकोण से संपूर्ण दक्षिण भारत एक तीर्थ है जहाँ वास्तुकला और मूर्तिकला के अद्वितीय उदाहरण हैं। इन मंदिरों में भव्यता और कलाशिल्प देखने योग्य है। उत्तर भारत से एकदम अलग शैली के मंदिर होने के बावजूद श्रद्धा और भक्ति में ये समस्त भारतीय आस्तिकों को आकर्षित करते हैं। तिरुषैलिफेनी स्थित पार्थ सारथी मंदिर के लिए उल्लेख है कि इसका निर्माण आठवीं शताब्दी में राजा पल्लव ने करवाया था। इस देवस्थान की दीवारों पर सुंदर कलाकृतियाँ अंकित हैं। दूसरा आकर्षक मंदिर है द्रविड़ शिल्पकला में निर्मित मिलापोर स्थित कालीश्वर मंदिर। यहाँ माता पार्वती की उपासना की गाथा अंकित है। समुद्र की रेत से तपता यह क्षेत्र अत्यंत गरम जलवायु लिए हुए है जो केले, नारियल और पाम के पेड़ों से खूबसूरत लगता है।
राय को जीवन में अनेकों पुरस्कार और सम्मान मिले। ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय ने इन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की। चार्ली चैपलिन के बाद ये इस सम्मान को पाने वाले पहले फ़िल्म निर्देशक थे। इन्हें 1985 में दादासाहब फाल्के पुरस्कार और 1987 में फ़्राँस के लेज़्यों द’ऑनु पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मृत्यु से कुछ समय पहले इन्हें सम्मानदायक अकादमी पुरस्कार और भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किये गए। मरणोपरांत सैन फ़्रैंसिस्को अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्मोत्सव में इन्हें निर्देशन में जीवन-पर्यन्त उपलब्धि-स्वरूप अकिरा कुरोसावा पुरस्कार मिला जिसे इनकी ओर से शर्मिला टैगोर ने ग्रहण किया।[५२] सामान्य रूप से यह समझा जाता है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्होंने जो फ़िल्में बनाईं उनमें पहले जैसी ओजस्विता नहीं थी। उनका व्यक्तिगत जीवन कभी मीडिया के निशाने पर नहीं रहा लेकिन कुछ का विश्वास है कि 1960 के दशक में फ़िल्म अभिनेत्री माधवी मुखर्जी से उनके संबंध रहे।[५३]
आधुनिक सैन्य बमवर्षक विमान को एक बड़ी क्षमता आंतरिक बम खाड़ी की तरह डिजाईन किया गया है हालांकि लड़ाकू बमवर्षक पाइलन्स या बम रैक या बहु इंजेक्शन रैक पर बाह्य तौर पर बमों को ढोती है जो एक सिंगल पाइलोन पर कई बम चढ़ाना सक्षम बनाती हैं. आधुनिक बमें, [[ परिशुद्धता -- निर्देशित लड़ाई की सामग्री
वाकाटकों से युद्ध- मन्दसौर शिलालेख से ज‘जात होता है कि स्कन्दगुप्त की प्रारम्भिक कठिनाइयों का फायदा उठाते हुए वाकाटक शासक नरेन्द्र सेन ने मालवा पर अधिकार कर लिया परन्तु स्कन्दगुप्त ने वाकाटक शासक नरेन्द्र सेन को पराजित कर दिया ।
वीणा
1506–1511 Socotra
यह मंदिर भारत के अद्वितीय मंदिरों में अपना स्थान रखता है। इस मंदिर को बनाने में सीमेंट और लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। मंदिर में स्थापित मूर्ति का वजन 24 टन के करीब है।
वायुमंडलीय आर्द्रता वायु में उपस्थित जलवाष्प के ऊपर निर्भर करती है। यह जलवाष्प वायुमंडल के निचले स्तरों में रहता है। इसकी मात्रा सभी स्थानों में तथा सदैव एक सी नहीं रहती। समयानुसार उसमें अंतर होते रहते हैं। यह जलवाष्प नदी, तालाब, झील, सागर आदि के जल के वाष्पीकरण से बनता है।
सन् १९४२ में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया तो हेमू इसमें कूद पड़े। इसी के सिलसिले में वे पकड़े गये और उन्हें फाँसी की सजा हुई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निष्कर्ष निकाला है कि पशुओं में वृद्धि प्रमोटरों के रूप में एंटीबायोटिक दवाओं, जोखिम मूल्यांकन के अभाव में निषिद्ध किया जाना चाहिए. 1998 में, यूरोपीय संघ के स्वास्थ्य मंत्रियों को व्यापक रूप से उनके चार वैज्ञानिक आयोग की सिफारिशों के बावजूद पशु विकास एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के पक्ष में वोट दिया. 2006 में फ़ीड यूरोपीय एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग में नियमन पर प्रतिबंध लगाने, फ़ीड एंटीबायोटिक दवाओं में दो अपवाद के साथ मुर्गीपालन में प्रभावी बने है.[२२] स्कान्दिनाविया में, वहाँ की आबादी है सबूत है कि बैक्टीरियल जानवर) गैर खतरनाक (प्रतिरोध में प्रतिबंध का नेतृत्व किया है एक कम प्रसार की पर्यावरण के उपभोग के माध्यम से किया जा रहा है.[२३] संयुक्त राज्य अमेरिका संघीय एजेंसियों में पशुओं में एंटीबायोटिक दवा का उपयोग करें, लेकिन मानव प्रसार के लिए पशु प्रतिरोधी जीवों पर डाटा एकत्रित नहीं है शोध अध्ययन में प्रदर्शन किया गया है. अमेरिका में जानवर फ़ीड सामग्री अभी भी प्रयोग किया है जो एक साथ दूसरे के साथ एंटीबायोटिक दवाओं की सुरक्षा चिंताएँ हैं [४][२४] और ये बहुत ही कम्प्लेक्स तरह के रोग है जो की सरीर के अंदर बहुत तरह के रोग को जनम देते है.
2C51H98O6 (ट्रापामेटिन, वसा) + 145O2 → 102CO2 + 98H2O + ऊर्जा
तथान्यातिलघुश्रोणी विपाया शेवला नदी।।"ब्रह्मपुराण - भारतवर्ष वर्णन प्रकरण - 19/31)
श्री बिस्मिल के पिता श्री मुरलीधर का विवाह हो जाने के पश्चात् उनको शाहजहाँपुर नगर निगम में 15 रुपये मासिक वेतन पर नौकरी मिल गई। मुरलीधर को यह नौकरी नहीं रुचि और उन्होंने त्यागपत्र देकर कचहरी में स्टाम्प पेपर विक्रय का काम शुरू कर दिया। इस व्यवसाय में उन्होंने धन भी कमाया। तीन बैलगाड़ियाँ किराये पर चलने लगीं व ब्याज आदि का काम भी करने लगे। ज्येष्ठ शुक्ल 11 संवत् 1954 वि. को रामप्रसाद का जन्म हुआ। लगभग सात वर्ष की अवस्था से रामप्रसाद को हिन्दी व उर्दू का अक्षर ज्ञान करवाया जाने लगा। श्री मुरलीधर के कुल 9 सन्तानें थीं जिनमें पाँच पुत्रियाँ एवं चार पुत्र थे। रामप्रसाद ज्येष्ठ संतान थी। आगे चलकर दो पुत्रियों एवं दो पुत्रों का देहान्त हो गया।
बाएं हाथ के बल्लेबाज है
यह एक प्रमुख खेल का मैदान हैं |
संत कुलभूषण कवि रैदास उन महान् सन्तों में अग्रणी थे जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। इनकी रचनाओं की विशेषता लोक-वाणी का अद्भुत प्रयोग रही है जिससे जनमानस पर इनका अमिट प्रभाव पड़ता है। मधुर एवं सहज संत रैदास की वाणी ज्ञानाश्रयी होते हुए भी ज्ञानाश्रयी एवं प्रेमाश्रयी शाखाओं के मध्य सेतु की तरह है।
7. राज्यपाल द्वारा पाक्षिक रिपोर्ट भेजने की प्रथा जारी रहनी चाहिए
"computer-assisted learning" (CAL) (कंप्यूटर सहायताप्राप्त शिक्षण) शिक्षण में प्रौद्योगिकी के उपयोग का वर्णन करने के लिए प्रयोग किया जाता है.
भाभर ८ से १० किलोमीटर चौड़ाई की पतली पट्टी है जो शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैली हुई है। उसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे- बड़े शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती हैं। भाभर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जिसकी चौड़ाई १० से २० किलोमीटर है। भाभर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ इस प्रदेश में ध्रातल पर निकल कर प्रकट होती हैं और क्योंकि इनकी निश्चित वाहिकाएँ नहीं होती, ये क्षेत्र अनूप बन जाता है, जिसे तराई कहते हैं। यह क्षेत्र प्राकॄतिक वनस्पति से ढका रहता है और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का घर है। तराई से दक्षिण में मैदान है जो पुराने और नए जलोढ़ से बना होने के कारण बाँगर और खादर कहलाता है।
हिन्दी साहित्य सम्मेलन का उद्देश्य है-
माध्यमिक प्रभाव विभिन्न प्रकार के होते हैं जो मूल प्रदूषक ग्रस्त से नहीं , बल्कि एक शर्त व्युत्पन्नसे है इनमें से कुछ माध्यमिक प्रभावहैं :
लेह जम्मू कश्मीर राज्य का के लद्दाख जिले का मुख्यालय एवं प्रमुख नगर है। यह समुद्र तल से 11,500 फुट की ऊँचाई पर, श्रीनगर से 160 मील पूर्व तथा यारकंद से लगभग 300 मील दक्षिण, लद्दाख पर्वत श्रेणी के आँचल में, ऊपरी सिंध के दाहिने तट से 4 मील दूर स्थित है। यहाँ एशिया की सर्वाधिक ऊँची मौसमी वेधशाला (meteorological observatory) है। नगर तिब्बत, सिकीयांग तथा भारत के मध्य का महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है। लेह में, 19वीं एवं 20वीं शताब्दी के डोगरा वंशी राजाओं के पूर्व के राजाओं का एक राजप्रासाद भी है। यूरोपवासियों में से एक ने 1715 ई. में, सर्वप्रथम लेह की यात्रा की थी। लेह से, श्रीनगर एवं कुल्लू घाटी होती हुई, सड़कें भारत के आंतरिक भाग में आती हैं तथा एक मार्ग कराकोरम दर्रे की ओर जाता है।
करग़ीज़सतान सात सओ-बूं में मक़सोम है जो ओबिलासत (област) कहिलाते हैं (जमा: ओबलइसतार / областтар)। दार एलहुकूमत बुशकेक और वादि फरगाना में वाक़िअ शहर अवश् इंतिज़ामी तौर पर खुद मुख़तार इलाके हैं जो "शार" कहिलाते हैं। सवबाओं के नाम हैं: बातकयन्, चौ ऐ, जलाल आबाद, नारीन, अवश्, तआलास और ऐसीक कौल।
अक्षरग्राम नेटवर्क हिन्दी चिट्ठाकारों एवं तकनीकिज्ञों का एक गैरलाभकारी सामुदायिक स्वयंसेवक समूह है जो कि कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट पर हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु कार्य करता है। यह समूह हिन्दी चिट्ठाकारी से सम्बंथित विभिन्न सेवाएँ संचालित करता है। शुरुआती दिनों में इण्टरनेट पर हिन्दी के प्रचार-प्रसार में इस समूह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी विभिन्न सेवाओं नारद, सर्वज्ञ, परिचर्चा आदि ने नए चिट्ठाकारों को स्थापित होने में काफी सहायता की।
|country= भारत |residence= हैदराबाद |datebirth= 15 नवंबर 1986 |placebirth= मुंबई |retired= N/A |plays= दायें हाथ से; दोनों हाथों से बैकहैंड |careerprizemoney= US$930,868 |singlesrecord= 169-76 |singlestitles= 1 |highestsinglesranking= No. 26 (30 अगस्त, 2007) |AustralianOpenresult= 3r (2005), 2r (2007) | |FrenchOpenresult= 2r (2007 |Wimbledonresult= 2r (2005) |USOpenresult= 4r (2005) |doublesrecord= 108-53 |doublestitles= 7 |highestdoublesranking= No. 18 (27 अगस्त, 2007) |updated= 30 जुलाई, 2007 }}
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कुल नौ ज़िलों में बँटा हुआ है। हरेक जिले का एक उपायुक्त नियुक्त है, और जिले के तीन उपजिले हैं। प्रत्येक उप जिले का एक उप जिलाधीश नियुक्त है। सभी उपायुक्त मंडलीय अधिकारी के अधीन होते हैं। दिल्ली का जिला प्रशासन सभी प्रकार की राज्य एवं केन्द्रीय नीतियों और का प्रवर्तन विभाग होता है। यही विभिन्न अन्य सरकारी कार्यकलापों पर आधिकारिक नियंत्रण रखता है। निम्न लिखित दिल्ली के जिलों और उपजिलों की सूची है:-
साँचा:Municipalities of Kerala साँचा:Thrissur district
स्वामी विज्ञानानंद जी ने महर्षि भृगु की तपोस्थली में भगवान् शंकर की विशाल मूर्ति स्थापित कराई है , और नया पक्का घाट भी तैयार कराया है । भगवान् शंकर की मूर्ति पर ॐ नमः शिवाय का बारह वर्षों से अनवरत पाठ चल रहा है । उत्तर वाहिनी गंगा पूरे भारत में मात्र तीन जगह है जिसमे हरिद्वार , काशी व भृगु धाम भिटौरा है
दुबई ने कई अभिनव बड़ी निर्माण परियोजनाओं[९] और खेल आयोजनों के माध्यम से दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है . सबका ध्यान आकर्षित होने के साथ ही एक वैश्विक शहर[१०] और व्यापार केन्द्र के रूप में उभरने की वजह से दुबई में श्रम और मानव अधिकारों से जुड़े कर्मचारियों मुख्यतः दक्षिण एशियाई कर्मचारियों से संबंधित मुद्दे प्रकाश में आये हैं .[११]
(7 कि.मी.) 1983 मी. : शिमला-कालका रेलमार्ग पर एक सुंदर स्थान है। यहां के शांत वातावरण में पेड़ों से घिरे रास्ते हैं। अपनी शिमला यात्रा के दौरान राष्ट्पिता महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के शानदार जार्जियन हाउस में रुके थे। यहां हिमाचल प्रदेश विश्वद्यालय है।
आचार्य धर्मेन्द्र जी का जन्म सन १९४२ में विराट नगर (पुराना नाम बैराठ) राजस्थान हुआ. इनके पिता महात्मा रामचन्द्र वीर अखिल भारतीय हिन्दू महासभा और हिन्दुओ के महान नेता थे. इन्होने इनको रामकथा और जप द्वारा श्रोताओ को मंत्रमुग्ध करना सिखाया. पिता के आदर्शो और व्यकतित्व का इनपर ऐसा प्रभाव पड़ा के इन्होने १३ साल की उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचारपत्र निकाला. गांधीवाद का विरोध करते हुए इन्होने १६ वर्ष की उम्र में "भारत के दो महात्मा" नामक लेख निकाला. इन्होने सन १९५९ में डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन की "मधुशाला" की तर्ज पर "गोशाला (कविता संग्रह)" नामक पुस्तक लिखी.
समलैङ्गिक या समलैंगिक शब्द का प्रयोग ऐसे व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो अपने ही लिंग के अन्य व्यक्तियों की ओर शारीरिक आकर्षण का अनुभव करते हैं। कई लोग इन्हें हिजड़ा समझते है, हालांकि ये बहुत आम और ज्यादातर सामान्य स्त्री पुरुष ही होते हैं। इनमें से अधिकतर एक सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं और विवाह भी करते हैं। भारत में इस विषय पर बहुत कम लोगों को ठीक जानकारी है, क्योंकि यौन संबधित सभी विषयों की तरह यह भी एक वर्जित विषय है। आय.पी.सी. की धारा ३७७ के तहत समलैङ्गिक शारीरिक संबंध स्थापित करना एक अपराध है।
स्वामी जी ने अपने दर्शन का नाम "सतनाम अनामी" रखा. इस आंदोलन को राधास्वामी के नाम से जाना गया. "राधा" का अर्थ "सुरत" और स्वामी का अर्थ "आदि शब्द या मालिक", इस प्रकार अर्थ हुआ "सुरत का आदि शब्द या मालिक में मिल जाना." स्वामी जी द्वारा सिखायी गई यौगिक पद्धति "सुरत शब्द योग" के तौर पर जानी जाती है.
कर्ण पर्व के अन्तर्गत कोई भी उपपर्व नहीं है और अध्यायों की संख्या ७९ है।
भारत जैसे बड़े और भारी जनसंख्या वाले देश में चुनाव कराना एक बहुत बड़ा काम है। संसद के दोनों सदनो-लोकसभा और राज्य सभा- के लिए चुनाव बेरोकटोक और निष्पक्ष हों इसके लिए एक स्वतंत्र चुनाव (निर्वाचन) आयोग बनाया गया है।
वुडफ़र्ड (अंग्रेज़ी: Woodford) एक उत्तरपूर्व लंदन में रेडब्रिज बरो का जिला है।
हरिनारायण आपटे ने ऐतिहासिक उपन्यासों द्वारा भूतकालीन घटनाओं को बड़े ही सुंदर ढंग से चित्रित किया, तथा सामाजिक उपन्यासों द्वारा स्त्रियों के दु:खी जीवन का हृदयद्रावक चित्र भी खींचा। श्री अण्णा साहेब किर्लोस्कर ने 1880 में शाकुंतल नाटक लिखकर आधुनिक मराठी रंगभूमि की नींव डाली। इन्हीं की परंपरा में गोदृ ददृ देवल ने सबसे पहले प्रभावोत्पादक नाटक लिखकर नाट्य साहित्य को नई दिशा प्रदान की। 1885 से केशवसुत नामक कवि ने काव्यक्षेत्र में नए युग की स्थापना की। ऐतिहासिक सुख में विश्वास, अकृत्रिम प्रेम तथा आत्मनिष्ठा इत्यादि गुण इन कविताओं का वैशिष्ट्य रहा। इनके बाद तिलक, बीदृ गोविदाग्रज, बालकवि चंद्रशेखर, तांबे इत्यादि कवियों ने मराठी कविताओं का सौंदर्य की सामथ्र्य और अधिक बढ़ाया। सावरकर तथा गोविंद ने राष्ट्रीय भावनाओं का उद्दीपन करनेवाली कविताएँ लिखीं। इतिहासाचार्य राजवाडे ने मराठी इतिहास के संशोधन की परंपरा का निर्माण किया। खरेशास्त्री, साने, पारनीस आदि इतिहासज्ञों ने इतिहालेखन के साधनों की महत्वपूर्ण खोज करने का प्रयत्न किया। लोकमान्य बाल गंगा जी तिलक की ओजस्वी विचारधारा के आधार पर खाडिलकर ने उत्कृष्ट पौराणिक एवं ऐतिहासिक नाटकों का निर्माण किया। इसी समय रामगणेश गडकरी ने अपनी लोकोत्तर प्रतिभा से करुण एवं हास्य रस का उत्तम चित्रण किया। श्रीकृष्ण कोल्हाटकर ने अपने हास्यपूर्ण लेखों द्वारा सामाजिक आचार विचार में दिखलाई पड़नेवाली त्रुटियों को सर्वमान्य जनता के सामने ला रखा। लोकमान्य तिलक, आगरकर, परांजपे, नरसिंह, चिंतामणि केलकर आदि प्रसिद्ध लेखक इसी समय देश में विचारजाग्रति का महान् कार्य कर रहे थे। लोकरंजन की अपेक्षा विविध विषयों के ज्ञानभंडार की पूर्ति को अधिक महत्वपूर्ण मानक साहित्यनिर्माण का कार्य किया गया।
गन्ना 90% कृषि योग्य भूमि पर उगाया जाता है और जिससे कुल निर्यात आय का 25% प्राप्त होता है। लेकिन 1999 मे पड़े भयंकर सूखे से गन्ने की फसल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई थी। सरकार की विकास योजनायें विदेशी निवेश पर आधारित है। मारीशस ने 9000 से अधिक अपतटीय संस्थाओं को आकर्षित किया है जिनका उद्देश्य भारत और दक्षिण अफ्रीका से व्यापार करना है जबकि अकेले बैंकिंग क्षेत्र में निवेश 1 अरब डॉलर से अधिक पहुँच गया है। दिसम्बर 2004 मे बेरोजगारी की दर 7.6 % थी। फ्रांस देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है जिसका इस देश के साथ न सिर्फ निकट संबंध है, बल्कि वो इसे विभिन्न रूपों में तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
इलेक्ट्रॉन आवरणों को के, एल, एम, एन, ओ, पी एवं क्यू नामकरण किया जाता है। इन्हें १-७ तक के संख्या से भी संबोधित कर सकते हैं।
पारंपरिक रूप से निवास एक या अधिक आंगन के चारो ओर बनाए जाते हैं । इनके बीच प्रायः एक झरना होता है और चारो ओर नींबू, अंगूर और फूलों के पौधे लगे होते हैं ।
In December 2000, Niger qualified for enhanced debt relief under the International Monetary Fund program for Heavily Indebted Poor Countries (HIPC) and concluded an agreement with the Fund for Poverty Reduction and Growth Facility (PRGF). Debt relief provided under the enhanced HIPC initiative significantly reduces Niger's annual debt service obligations, freeing funds for expenditures on basic health care, primary education, HIV/AIDS prevention, rural infrastructure, and other programs geared at poverty reduction. In December 2005, it was announced that Niger had received 100% multilateral debt relief from the IMF, which translates into the forgiveness of approximately $86 million USD in debts to the IMF, excluding the remaining assistance under HIPC. Nearly half of the government's budget is derived from foreign donor resources. Future growth may be sustained by exploitation of oil, gold, coal, and other mineral resources. Uranium prices have recovered somewhat in the last few years. A drought and locust infestation in 2005 led to food shortages for as many as 2.5 million Nigeriens.
इस समय वीरकाव्य भी लिखा गया। मुगल शासक औरंगजेब की कट्टर सांप्रदायिकता और आक्रामक राजनीति की टकराहट से इस काल में जो विक्षोभ की स्थितियाँ आई उन्होंने कुछ कवियों को वीरकाव्य के सृजन की भी प्रेरणा दी। ऐसे कवियों में भूषण प्रमुख हैं जिन्होंने रीतिशैली को अपनाते हुए भी वीरों के पराक्रम का ओजस्वी वर्णन किया। इस समय नीति, वैराग्य और भक्ति से संबंधित काव्य भी लिखा गया। अनेक प्रबंधकाव्य भी निर्मित हुए। इधर के शोधकार्य में इस समय की शृंगारेतर रचनाएँ और प्रबंधकाव्य प्रचुर परिमाण में मिल रहे हैं। इसलिए रीतिकालीन काव्य को नितांत एकांगी और एकरूप समझना उचित नहीं है। इस समय के काव्य में पूर्ववर्ती कालों की सभी प्रवृत्तियाँ सक्रिय हैं। यह प्रधान धारा शृंगारकाव्य की है जो इस समय की काव्यसंपत्ति का वास्तविक निदर्शक मानी जाती रही है। शृंगारी काव्य तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है। पहला वर्ग रीतिबद्ध कवियों का है जिसके प्रतिनिधि केशव, चिंतामणि, भिखारीदास, देव, मतिराम और पद्माकर आदि हैं। इन कवियों ने दोहों में रस, अलंकार और नायिका के लक्षण देकर कवित्त सवैए में प्रेम और सौंदर्य की कलापूर्ण मार्मिक व्यंजना की है। संस्कृत साहित्यशास्त्र में निरूपित शास्त्रीय चर्चा का अनुसरण मात्र इनमें अधिक है। पर कुछ ने थोड़ी मौलिकता भी दिखाई है, जैसे भिखारीदास का हिंदी छंदों का निरूपण। दूसरा वर्ग रीतिसिद्ध कवियों का है। इन कवियों ने लक्षण नहीं निरूपित किए, केवल उनके आधार पर काव्यरचना की। बिहारी इनमें सर्वश्रेष्ठ हैं, जिन्होंने दोहों में अपनी "सतसई' प्रस्तुत की। विभिन्न मुद्राओंवाले अत्यंत व्यंजक सौंदर्यचित्रों और प्रेम की भावदशाओं का अनुपम अंकन इनके काव्य में मिलता है। तीसरे वर्ग में घनानंद, बोधा, द्विजदेव ठाकुर आदि रीतिमुक्त कवि आते हैं जिन्होंने स्वच्छंद प्रेम की अभिव्यक्ति की है। इनकी रचनाओं में प्रेम की तीव्रता और गहनता की अत्यंत प्रभावशाली व्यंजना हुई है।
भारत सरकार द्वारा केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल को अखिल भारतीय हिंदी प्रशिक्षण महाविद्यालय के संचालन का दायित्व सौंपा गया । इस महाविद्यालय का नाम 1 जनवरी, 1963 को केंद्रीय हिंदी शिक्षण महाविद्यालय रखा गया जिसे दिनांक 29 अक्टूबर, 1963 को संपन्न शासी परिषद् की बैठक में केंद्रीय हिंदी संस्थान कर दिया गया।
लक्ष्मीनारायण मंदिर सुभाष चौक से 200 मी. दूर सदर बाजार में है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। 150 साल पुराने इस मंदिर में भगवान विष्णु की बहुत की सुंदर प्रतिमा देखी जा सकती है। इस मंदिर में स्थानीय लोग नियमित रूप से दर्शन करने आते रहते हैं। इसी मंदिर से अगस्त/सितंबर के महीने में मणि महेश यात्रा की शुरुआत होती है।
वेद मन्त्रों के विभिन्न देवता हैं। प्रत्येक मन्त्र का ऋषि, कीलक, और देवता होता है।
भाषाई साम्राज्यवाद उस स्थिति को कहते हैं जिसमें किसी सबल राष्ट्र की भाषा किसी निर्बल राष्ट्र की शिक्षा और शासन आदि विविध क्षेत्रों से देशी भाषा(ओं) का लोप कर देती है। इसके लिये घोषित या अघोषित रूप से एक ऐसी व्यवस्था उत्पन्न करके जड़ जमाने दी जाती है जिसमें उस विदेशी भाषा को ना बोलने और जानने वाले लोग दूसरे दर्जे के नागरिक के समान होने को विवश हो जाते हैं।
नेपाल में 1969 से लेकर कम्युनिस्ट आंदोलन में शामिल रहे। उन्हें भारत के जाने-माने विद्वान राहुल सांकृत्यायन और रूस के क्रांतिकारी लेखक गोर्की से प्रेरित माना जाता है। माधव कुमार नेपाल जहाँ 1993 से लेकर 2008 तक नेपाल की उदारवादी कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी के मुखिया रहे वहीं उनके पास वर्षों का राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव भी है।
खेल खत्म हो गया। बालक से गुरु तेग बहादुर ने उसका परिचय पूछा। बालक ने कहा, ‘‘मेरा नाम गोबिंदराय है। मैं गुरु तेग बहादुर जी का बेटा हूं।’’ गुरु साहब के चेहरे पर प्रसन्नता और अभिमान की चमक आ गई।’’ और आप ?’’ बालक ने पूछा। ‘‘मैं तुम्हारा पिता...! सुनते ही पुत्र ने पिता के चरणों का स्पर्श किया और पिता ने पुत्र को अपनी गोद में उठा लिया। तब तक माता गूजरी और सिक्ख सेवक वहां पहुंच चुके थे। गुरु साहब ने माता गूजरी को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जो संतान को जन्मती ही नहीं, उसे संस्कारवान भी बनाती है वह माता धन्य है।’’ अपनी और अपने पुत्र की प्रशंसा सुनकर माता गूजरी की आंखों में आंसू छलकने लगे।
जल के प्रमुख रसायनिक और भौतिक गुण हैं:
नय आयुष्य एवं चिकित्सा विश्वविद्यालय है। इंजीनियरिंग की शिक्षा के लिए NIT राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान सहित चार अभियांत्रिकी महाविद्यालय हैं :
विमलनाथ जी तेरहवें तीर्थंकर है
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, गोस्वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ हैं। [१]
तालकटोरा स्टेडियम एक प्रमुख खेल का मैदान हैं। तालकटोरा स्टेडियम पर 377 करोड खर्च होना है, जिसमें से 112 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं।
Hyderabad has various research institutes such as the Indian Institute of Chemical Technology, Centre for Cellular and Molecular Biology and Central Institute of English and Foreign Languages ( CIEFL was accorded Central University status recently). It is the home of Maulana Azad National Urdu University as well as BR Ambedkar Open University. This educational infrastructure attracts students from all over the country and some beyond, especially from Africa and the Middle East. Due to the rising IT boom in the state, Birla Institute of Technology and Science (BITS), Pilani has now decided to start a new campus in Shamirpet area of Ranga reddy district an area in the outskirts of Hyderabad.[१]. A new IIT has been proposed by the central government in Medak District which is just an hour's drive from Hyderabad.Recently Georgia Institute of Technology signed an MOU for setting up its offshore campus in the city.
चन्द्रगुप्त प्रथम- यह घटोत्कच का उत्तराधिकारी था, जो ३२० ई. में शासक बना ।
भारत की सांस्कृतिक धरोहर बहुत संपन्न है। यहां की संस्कृति अनोखी है, और वर्षों से इसके कई अवयव अबतक अक्षुण्य हैं। आक्रमणकारियों तथा प्रवासियों से विभिन्न चीजों को समेटकर यह एक मिश्रित संस्कृति बन गई है। आधुनिक भारत का समाज, भाषाएं, रीति-रिवाज इत्यादि इसका प्रमाण हैं। ताजमहल और अन्य उदाहरण, इस्लाम प्रभावित स्थापत्य कला के अतिसुन्दर नमूने हैं।
अलसी एक उत्कृष्ट भोज्य सौंदर्य प्रसाधन है जो त्वचा में अंदर से निखार लाता है। अलसी त्वचा की बीमारियों जैसे मुहांसे, एग्ज़ीमा, दाद, खाज, सूखी त्वचा, खुजली, छाल रोग(सोरायसिस), ल्यूपस, बालों का सूखा व पतला होना, बाल झड़ना आदि में काफी असरकारक है। अलसी सेवन करने वाली स्त्रियों के बालों में न कभी रूसी होती है और न ही वे झड़ते हैं। अलसी नाखूनों को भी स्वस्थ व सुन्दर आकार प्रदान करती है। अलसी युक्त भोजन खाने व इसके तेल की मालिश से त्वचा के दाग, धब्बे, झाइयां व झुर्रियां दूर होती हैं। अलसी आपको युवा बनाये रखती है। आप अपनी उम्र से काफी छोटी दिखती हैं। अलसी आपकी उम्र बढ़ती हैं।
कुछ दिनों बाद कजर वंश का शासन आया पर उस समय ईरान के तेल क्षेत्रों की खोज होने और इसके उस्मानी, भारतीय और रूसी क्षेत्रों के बीच स्थित होने के कारण रूसी, अंग्रेजों और फ्रांसीसी साम्राज्यों का प्रभाव बढ़ता ही गया। उत्तर से रूस, पश्चिम से फ्रांस तथा पूरब से ब्रिटेन की निगाहें फारस पर पड़ गईं। सन् १९०५-१९११ में यूरोपीय प्रभाव बढ़ जाने और शाह की निष्क्रियता के खिलाफ़ एक जनान्दोलन हुआ। इरान के तेल क्षेत्रों को लेकर तनाव बना रहा। प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की के पराजित होने के बाद ईरान को भी उसका फल भुगतना पड़ा।
चन्द्रगुप्त मौर्य ने नन्दों के अत्याचार व घृणित शासन से मुक्ति दिलाई और देश को एकता के सूत्र में बाँधा और मौर्य साम्राज्य की स्थापना की । यह साम्राज्य गणतन्त्र व्यवस्था पर राजतन्त्र व्यवस्था की जीत थी । इस कार्य में अर्थशास्त्र नामक पुस्तक द्वारा चाणक्य ने सहयोग किया । विष्णुगुप्त व कौटिल्य उनके अन्य नाम हैं । आर्यों के आगमन के बाद यह प्रथम स्थापित साम्राज्य था ।
निर्वाण : चैत्र शु० १०
काव्य के क्षेत्र में यह छायावाद के विकास का युग है। पूर्ववर्ती काव्य वस्तुनिष्ठ था, छायावादी काव्य भावनिष्ठ है। इसमें व्यक्तिवादी प्रवृत्तियों का प्राधान्य है। स्थूल वर्णन विवरण के स्थान पर छायावादी काव्य में व्यक्ति की स्वच्छंद भावनाओं की कलात्मक अभिव्यक्ति हुई। स्थूल तथ्य और वस्तु की अपेक्षा बिंबविधायक कल्पना छायावादियों को अधिक प्रिय है। उनकी सौंदर्यचेतना विशेष विकसित है। प्रकृतिसौंदर्य ने उन्हें विशेष आकृष्ट किया। वैयक्तिक संवेगों की प्रमुखता के कारण छायावादी काव्य मूलत: प्रगीतात्मक है। इस समय खड़ी बोली काव्यभाषा की अभिव्यक्तिक्षमता का अपूर्व विकास हुआ। जयशंकर प्रसाद, माखनलाल, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला', महादेवी, नवीन और दिनकर छायावाद के उत्कृष्ट कवि हैं।
इंस्क्रिप्ट कुंजीपटल पर देवनागरी वर्ण (Windows, Solaris, Java)
ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रमंडल संघीय शक्ति विभाजन पर आधारित,एक संवैधानिक प्रजातंत्र है.सरकार के संसदीय व्यवस्था के साथ सरकार का जो रूप उपयोग होता है वह ऑस्ट्रेलिया का संवैधानिक राजतंत्र है.क्वीन एलिजाबेथ II ऑस्ट्रेलिया की महारानी है,उनकी भूमिका दुसरे राष्ट्रीय मंडल राज्यों के अधीश्वरो के पदो से अलग है.संघ के स्तर पर गवर्नर-जेनरल के रूप में प्रतिनिधित्व करती है और राज्य स्तर पर गवर्नर के रूप में.जो कुछ भी हो संविधान गवर्नर-जनरल को विस्तृत प्रबंधकारिणी अधिकार देती है, ये सब सामान्यत: प्रधानमंत्री के परामर्श पर ही प्रयोग होते है.प्रधानमंत्री के आदेश के बाहर जो आरक्षित आधिकार गवर्नर-जनरल को प्राप्त है उसका सबसे उल्लेखनीय प्रयोग 1975 के संवैधानिक संकट के समय विटलम सरकार की बर्खास्तगी था.[३३]
हूणों का आक्रमण- हूणों का प्रथम आक्रमण स्कन्दगुप्त के काल में हुआ था । हूण मध्य एशिया की एक बर्बर जाति थी । हूणों ने अपनी जनसंख्या और प्रसार के लिए दो शाखाओं में विभाजित होकर विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में फैल गये । पूर्वी शाखा के हूणों ने भारत पर अनेकों बार आक्रमण किया । स्कन्दगुप्त ने हूणों के आक्रमण से रक्षा कर अपनी संस्कृति को नष्ट होने से बचाया ।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नगर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नील की खेती के लिये १९१७ में चम्पारण आन्दोलन तथा 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन के समय पटना की भूमिका उल्लेखनीय रही है। आजादी के बाद पटना बिहार की राजधानी बना रहा। सन 2000 में झारखंड राज्य के अलग होने के बाद पटना बिहार की राजधानी पूर्ववत बना रहा।
गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर को अंतर्राष्ट्रीय स्त्रीरोग-विज्ञान और प्रसूति-विज्ञान संघ (FIGO) चरण-प्रणाली द्वारा चरणबद्ध किया जाता है, जो नैदानिक परीक्षा पर आधारित है, ना कि शल्य-चिकित्सा निष्कर्षों पर. चरणों के निर्धारण में उपयोगार्थ, यह केवल निम्नलिखित नैदानिक परीक्षणों की अनुमति देता है: स्पर्श-परीक्षा, निरीक्षण, योनिभित्तिदर्शन, अंतर्गर्भाशय-ग्रीवा खुरचन, गर्भाशयदर्शन, मूत्राशयदर्शन, मलाशयदर्शन, शिराभ्यंतर मूत्रपथदर्शन, और फेफड़े और कंकाल का एक्स-किरण परीक्षण, तथा गर्भाशय-ग्रीवा शंकु-उच्छेदन.
भारत के आंध्र प्रदेश में कनकदुर्गा मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है. यह कृष्णा नदी के तट पर विजयवाड़ा शहर के इंद्रकीलाद्रि पहाड़ी पर स्थित है. एक कथा के अनुसार, वर्तमान हरा-भरा विजयवाड़ा किसी ज़माने में चट्टानी क्षेत्र था, जहां कृष्णा नदी के प्रवाह को रोकते हुए पहाड बिखरे थे. इस प्रकार भूमि, निवास के लिए या खेती के योग्य नहीं थी. भगवान शिव से प्रार्थना किए जाने पर उन्होंने पहाड़ियों को कृष्णा नदी के लिए रास्ता बनाने का निर्देश दिया. और चमत्कार! नदी भगवान शिव द्वारा पहाड़ियों में किए गए छेद "बेज्जम" या सुरंगों के माध्यम से बिना रोक-टोक के पूरे जोश में बहने लगी.इस तरह स्थान का नाम बेज़वाडा पड़ा.
यूरोपीय संघ के न्यायिक प्रक्रिया का दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा यूरोपीय संसद होती है। यूरोपीय संसद के सदस्य के ७८५ सदस्य हर पांच वर्ष में यूरोपीय संघ की जनता द्वारा सीधे चुने जाते हैं। हलांकि इन सदस्यों का चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर होता है परंतु यूरोपीय संसद में वे अपनी राष्ट्रीयता के अनुसार न बैठकर दलानुसार बैठते हैं। हर सदस्य राष्ट्र के लिए सीटों की एक निश्चित संख्या आवंटित होती है। यूरोपीय संसद को संघ के विधायी शक्तियों के मामलों में यूरोपीय परिषद की तरह ही शक्तियां हासिल होती हैं और संसद वे संघ की खास विधायिकाओं को स्वीकृत या अस्वीकृत करने की शक्ति से लैस होते हैं। यूरोपीय संसद का अध्यक्ष न सिर्फ बाहरी मंचों पर संघ का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि यूरोपीय संसद के स्पीकर का भी दायित्व निभाता है। अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव यूरोपीय संसद के सदस्य हर ढा़ई साल के अंतराल पर करते हैं। [४०] कुछेक मामलों को छोडकर ज्यादातर मामलों में न्यायिक प्रक्रिया की शुरुआत करने का अधिकार युरोपियन कमीशन को होता है, ऐसा ज्यादातर रेग्यूलेशन, एवं संसद के अधिनियमों द्वारा किया जाता है जिसे सदस्य राष्ट्रों को अपने अपने देशों में लागू करने की बाध्यता होती है।[४१]
1455–1633 Arguin
अन्तर्मुखी एवं व्यक्तिपरक होने पर भी छायावादी काव्य में सांस्कृतिक विचारधारा कहीं-कहीं अपने प्रबल रूप में प्रकट होती है. इस युग की प्रमुख उपलब्धियां हैं निराला कृत 'राम की शक्ति पूजा' एवं 'तुलसीदास', प्रसाद की 'कामायनी' एवं महादेवी के प्रायः ढाई सौ रहस्यवादी गीत.
इस प्रकार भारत में सबसे पहले "व्याकरण" विद्या का जन्म हुआ।
देशी उपद्रवी
अलग अलग संगीतकारों (गायक, गीतकार, वाद्ययंत्रवादक ) की अपनी शैली होती है। पर इनके संगीत को अलग समयबद्ध करके अलग-अलग भावनाओं के अंतर्गत डाला जाए, तो उन शैलियों को संगती शैली कहते हैं।
विस्तृत लेख देवनागरी की वैज्ञानिकता देखें।
नृत्य, संगीत तथा चलचित्रों की यहां लम्बी तथा सुव्यवस्थित परम्परा रही है ।दुर्गापूजा (बांग्ला: দুর্গাপূজা दुर्गापुजा) यहां अति उत्साह तथा व्यापक जन भागीदारी के साथ मनाई जाती है। क्रिकेट तथा फुटबॉल यहां के लोकप्रियतम खेलों में से हैं । सौरभ गांगुली जैसे खिलाङी तथा मोहन बगान एवं इस्ट बंगाल जैसी टीम इसी प्रदेश से हैं। अगर आंकङों पर जांय तो नक्सलवाद जैसे शब्दों का जन्म यहीं हुआ, पर यहां के लोगों की शांतिप्रियता ही वो चीज है जो सर्वत्र दर्शास्पद (देखने लायक) है। परस्पर बातचीत में तूइ(बांग्ला - তুই) (हिन्दी के तू के लगभग समकक्ष), तूमि (बांग्ला - তুমি) (हिन्दी के तुम के लगभग समकक्ष), तथा आपनि (बांग्ला - আপনি) (हिन्दी के आप के समकक्ष), का प्रयोग द्वितीय पुरूष की वरिष्ठता के आधार पर किया जाता है। शहरों में लोग प्रायः छोटे परिवारों में रहते हैं। यहां के लोग मछली-भात (बांग्ला - মাছ ভাত (माछ-भात)) बहुत पसंद करते हैं । यह प्रदेश अपनी मिठाईयों के लिये काफी प्रसिद्ध है - रसगुल्ले का आविष्कार भी यहीं हुआ था ।
यूनानी स्त्रोतों से ज्ञात होता है कि नगर प्रशासन में तीन प्रकार के अधिकारी होते थे-एग्रोनोयोई (जिलाधिकारी), एण्टीनोमोई (नगर आयुक्त), सैन्य अधिकार ।
अब्दुल्ला जफ़र इब्न मुहम्म्द रुदाकी (859-941) फारसी के सबसे प्रमुख कवियों में से एक हैं । इन्हें आधुनिक फ़ारसी भाषा के प्रवर्तक कवि के रूप में भी जाना जाता है । उस समय जब फ़ारस (ईरान) पर अरबों का अधिकार हो गया था और साहित्यिक जगत में अरबी का प्रभुत्व बढ़ गया था, रुदाकी ने फ़ारसी भाषा के नवोदय करवाया था । उन्होंने अरबी लिपि के नए संशोधित संस्करण में लिखना चालू किया जो बाद में फ़ारसी भाषा की लिपि बन गई ।
उसने विवाह की स्मृति में राजा-रानी प्रकार के सिक्कों का चलन करवाया । इस प्रकार स्पष्ट है कि लिच्छवियों के साथ सम्बन्ध स्थापित कर चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने राज्य को राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ तथा आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बना दिया । राय चौधरी के अनुसार चन्द्रगुप्त प्रथम ने कौशाम्बी तथा कौशल के महाराजाओं को जीतकर अपने राज्य में मिलाया तथा साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित की ।
चिकित्सा में पहला व्यापक परिवर्तन बुद्धपूर्व भारत की दिवोदास सुश्रुत परंपरा द्वारा हुआ। इसमें ओषधियों के प्रयोग के साथ साथ शवों के व्यवच्छेदन से प्राप्त ज्ञान का उपयोग प्रारंभ हुआ और दोनों प्रकार की चिकित्साओं को एक ही पंक्ति में रखा गया। इस परंपरा के प्रख्यात चिकित्सकों में बुद्धकालीन जीवक का नाम उल्लेखनीय है, जिन्होंने शल्यकर्म और वैद्यक को समान महत्व देकर उन्हे पूर्णत: समकक्ष बनाया। इसके पश्चात् अनेक भारतेतर देशों ने भी शल्यकर्म को चिकित्सा का अभिन्न अंग बनाना आरंभ किया तथा इसी प्रसंग में प्रसवकर्म भी चिकित्सा के भीतर आया।
नाथूला दर्रा भारत के सिक्किम और दक्षिण तिब्बत को जोड़ता है। यह १४ हजार २०० फीट की ऊंचाई पर है। भारत और चीन के बीच १९६२ में हुए युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था। इसे वापस जूलाई ५, २००६ को व्यापार के लिए खोल दिया गया है। बीसवीं सदी की शुरुआत में भारत और चीन के होनेवाले व्यापार का ८० प्रतिशत हिस्सा नाथू ला दर्रे के ज़रिए ही होता था। यह दर्रा प्राचीन सिल्क रुट का भी हिस्सा रहा है।
रीतिकाव्य रचना का आरंभ एक संस्कृतज्ञ ने किया। ये थे आचार्य केशवदास, जिनकी सर्वप्रसिद्ध रचनाएँ कविप्रिया, रसिकप्रिया और रामचंद्रिका हैं। कविप्रिया में अलंकार और रसिकप्रिया में रस का सोदाहरण निरूपण है। लक्षण दोहों में और उदाहरण कवित्तसवैए में हैं। लक्षण-लक्ष्य-ग्रंथों की यही परंपरा रीतिकाव्य में विकसित हुई। रामचंद्रिका केशव का प्रबंधकाव्य है जिसमें भक्ति की तन्मयता के स्थान पर एक सजग कलाकार की प्रखर कलाचेतना प्रस्फुटित हुई। केशव के कई दशक बाद चिंतामणि से लेकर अठारहवीं सदी तक हिंदी में रीतिकाव्य का अजस्र स्रोत प्रवाहित हुआ जिसमें नर-नारी-जीवन के रमणीय पक्षों और तत्संबंधी सरस संवेदनाओं की अत्यंत कलात्मक अभिव्यक्ति व्यापक रूप में हुई।
बंगदूत (1829), प्रजामित्र (1834), बनारस अखबार (1845), मार्तंड पंचभाषीय (1846), ज्ञानदीप (1846), मालवा अखबार (1849), जगद्दीप भास्कर (1849), सुधाकर (1850), साम्यदंड मार्तंड (1850), मजहरुलसरूर (1850), बुद्धिप्रकाश (1852), ग्वालियर गजेट (1853), समाचार सुधावर्षण (1854), दैनिक कलकत्ता, प्रजाहितैषी (1855), सर्वहितकारक (1855), सूरजप्रकाश (1861), जगलाभचिंतक (1861), सर्वोपकारक (1861), प्रजाहित (1861), लोकमित्र (1835), भारतखंडामृत (1864), तत्वबोधिनी पत्रिका (1865), ज्ञानप्रदायिनी पत्रिका (1866), सोमप्रकाश (1866), सत्यदीपक (1866), वृत्तांतविलास (1867), ज्ञानदीपक (1867), कविवचनसुधा (1867), धर्मप्रकाश (1867), विद्याविलास (1867), वृत्तांतदर्पण (1867), विद्यादर्श (1869), ब्रह्मज्ञानप्रकाश (1869), अलमोड़ा अखबार (1870), आगरा अखबार (1870), बुद्धिविलास (1870), हिंदू प्रकाश (1871), प्रयागदूत (1871), बुंदेलखंड अखबर (1871), प्रेमपत्र (1872), और बोधा समाचार (1872)।
मेरे मन में बाँसुरी सी बजाती है.
मेसेडोनिया गणराज्य की संसद में 120 संसद सदस्य साँचा:Lang-mkहोते हैं, जिन्हें 'प्रतेनिकी' (प्रतेनिक का एकवचन) कहा जाता है.
राय अजायब देव राय बैरम देव राय खोखर देव (देहान्त १५२८)
आचार्य भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञ थे, पर हर बात को निर्मम तर्क की कसौटी पर कसने वाले. उनके प्रसिद्ध निबंध 'कुटज' की यह पंक्तियाँ देखिये:
इतिहास तथा नेता
कोहिमा की दक्षिण दिशा में 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित दजुकोउ घाटी बहुत खूबसूरत है। अपनी खूबसूरती के दम पर इसने पर्यटकों के बीच खास पहचान बनाई हैं। यहां पर पर्यटक विभिन्न रंगों और आकार के खूबसूरत फूलों को देख सकते हैं। इन फूलों में एकोनिटम और एन्फोबियस प्रमुख हैं। दजुकोउ घाटी के खूबसूरत दृश्य देखने के बाद जप्फु चोटी के मनोहारी दृश्य देखे जा सकते हैं। यह चोटी सदाबहार जंगलों से भरी पड़ी है। इन जंगलों में सबसे ऊंचे वृक्ष को देखा जा सकता है। अपनी इस विशेषता के कारण इस पेड़ को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्डस में शामिल किया गया है।
इन्फोसिस डेवेलपमेंट सेंटर - http://www.infosys.com/ सत्यम कम्प्यूटर्स - http://www.satyam.com/
खुसरो बाग, इलाहाबाद
मुक्त कथन
बी एम सी शहर की पेय जलापूर्ति करता है। इस जल का अधिकांश भाग तुलसी एवं विहार झील से तथा कुछ अन्य उत्तरी झीलों से आता है। यह जल भाण्डुप एशिया के सबसे बड़े जल-शोधन संयंत्र में में शोधित कर आपूर्ति के लिए उपलब्ध कराया जाता है। भारत की प्रथम भूमिगत जल-सुरंग भी मुंबई में ही बनने वाली है।[४०]बी एम सी ही शहर की सड़क रखरखाव और कूड़ा प्रबंधन भी देखता है। प्रतिदिन शहर का लगभग ७८०० मीट्रिक टन कूड़ा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में मुलुंड, उत्तर-पश्चिम में गोराई और पूर्व में देवनार में डम्प किया जाता है। सीवेज ट्रीटमेंट वर्ली और बांद्रा में कर सागर में निष्कासित किया जाता है।
समुद्रगुप्त एक असाधारण सैनिक योग्यता वाला महान विजित सम्राट था । यह उच्चकोटि का विद्वान तथा विद्या का उदार संरक्षक था । उसे कविराज भी कहा गया है । वह महान संगीतज्ञ था जिसे वीणा वादन का शौक था । इसने प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान वसुबन्धु को अपना मन्त्री नियुक्त किया था ।
ज्वालाजी मंदिर जाने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा गगल में है जो कि ज्वालाजी से 46 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहा से मंदिर तक जाने के लिए कार व बस सुविधा उपलब्ध है।
TBIL Converter - v1.2.0 दिसंबर २००६ में जारी किया गया।
प्राचीन काल से ही ज्योतिष में गहरा विश्वास प्रचलित था, जो की हर्मेटिक (Hermetic) मैक्सिम के शब्दों "जैसा ऊपर, वैसा नीचे" के सार में भी समाहित है.टाइको ब्राहे ने ज्योतिष पर अपने अध्ययन में एक समान सारांश दिया है: "सस्पिसीएनडो देस्पिसीयो",ऊपर देखकर भी मैं निचे देखता हूँ".[१५] हालांकि, यह सिद्धांत जिसके अनुसार स्वर्ग में घटित घटनाओं का प्रतिबिम्ब पृथ्वी पर भी अवलोकित होता है, दुनिया भर में बहुत सी ज्योतिष परम्पराओं का हिस्सा है, पश्चिम में ऐतिहासिक रूप से ज्योतिष के पीछे काम करने वाली क्रियावली पर ज्योतिषियों के बीच बहस होती आई है.इस पे यह विवाद भी है की आकाशीय पिंड क्या केवल चिन्ह मात्र हैं या यह घटनाओं की पूर्वसूचना हैं, या फिर वे वास्तव में किसी प्रकार की शक्ति या फिर तंत्र से वास्तविक घटनाओं का संचालन करते हैं.[तथ्य वांछित]
राजभाषा नियम, 1976 में संशोधन किए गए ।
कराओके सबसे व्यापक रूप से सांस्कृतिक गतिविधि अभ्यास है. सांस्कृतिक मामलों एजेंसी द्वारा एक नवंबर 1993 सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिक जापानी कराओके गाया था कि वर्ष की तुलना में परंपरागत सांस्कृतिक गतिविधियों में व्यवस्था या चाय समारोह के फूल के रूप में भाग लिया था. [२]
जापान का प्रथम लिखित साक्ष्य 57 ईस्वी के एक चीनी लेख से मिलता है । इसमें एक ऐसे राजनीतिज्ञ के चीन दौरे का वर्णन है जो पूरब के किसी द्वीप से आया था । धीरे-धीरे दोनो देशों के बीच राजनैतिक और सांस्कृतिक सम्बंध स्थापित हुए । उस समय जापानी एक बहुदैविक धर्म का पालन करते थे जिसमें कई देवता हुआ करते थे । छठी शताब्दी में चीन से होकर बौद्ध धर्म जापान पहुंचा । इसके बाद पुराने धर्म को शिंतो की संज्ञा दी गई जिसका शाब्दिक अर्थ होता है - देवताओं का पंथ । बौद्ध धर्म ने पुरानी मान्यताओं को खत्म नहीं किया पर मुख्य धर्म बौद्ध ही बना रहा । बौद्ध धर्म के आगमान के साथ साथ लोग, लिखने की प्रणाली (लिपि) तथा मंदिरो का सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक कार्यों के लिए उपयोग भी जापान में चीन से आया।
प्रबंधन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम IIML का एक प्रमुख कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम उद्योग और अन्य वर्गों में वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को तैयार करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम की अवधि दो वर्ष की होती है। इस कार्यक्रम में ज्ञान के प्रदान से अधिक ज्ञान के समावेश पर अधिक जोर दिया गया है। PGP कार्यक्रम में प्रवेश एक उच्च और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित प्रवेश परीक्षा कैट (CAT) के माध्यम से होता है, जिसकी औसत चयन दर एक सौ उम्मीदवारों में से एक है। कैट के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार, स्वतः आईआईएम लखनऊ में PGP कार्यक्रम के पात्र हैं।
महात्मा रामचंद्र वीर
गुरु अर्जुन देव तो यहाँ तक कहते हैं कि परमात्मा व्यापक है जैसे सभी वनस्पतियों में आग समायी हुई है एवं दूध में घी समाया हुआ है। इसी तरह परमात्मा की ज्योति ऊँच-नीच सभी में व्याप्त है परमात्मा घट-घट में व्याप्त है-
औषधि की कटोरी गर्भिणी के हाथ में दी जाए । वह दोनों हाथों में उसे पकड़े । मन्त्र बोला जाए, गर्भिणी नासिका के पास औषधि को ले जाकर धीरे-धीरे श्वास के साथ उसकी गन्ध धारण करे । भावना की जाए कि औषधियों के श्रेष्ठ गुण और संस्कार खींजे जा रहे हैं । वेद मन्त्रों तथा दिव्य वातावरण द्वारा इस उद्देश्य की पूर्ति में सहयोग मिल रहा है । ॐ अद्भ्यः सम्भृतः पृथिव्यै रसाच्च, विश्वकर्मणः समर्वत्तताग्रे । तस्य त्वष्टा विदधद्रूपमेति, तन्मर्त्यस्य देवत्वमाजानमग्रे॥ -३१.१७
दक्षिण सीमा पर स्थित राज्य चोल, पाण्ड्य, सतिययुक्त केरल पुत्र एवं ताम्रपार्णि बताये गये हैं ।
शटलकॉक को ऐसा स्लाइस करे कि वह घूम जाए, हालांकि यह प्रयोग है, और कुछ ख़ास रूप से बैडमिंटन के लिए हैं. (तकनीकी शब्दों की व्याख्या के लिए बुनियादी स्ट्रोक देखें.)
मूलत: यह एक भू-अभिनति गर्त है जिसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण में लगभग ६-४ करोड़ वर्ष पहले हुआ था। तब से इसे हिमालय और प्रायद्वीप से निकलने वाली नदियाँ अपने साथ लाए हुए अवसादों से पाट रही हैं। इन मैदानों में जलोढ़ की औसत गहराई १००० से २००० मीटर है। उत्तरी भारत का मैदान सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा बहाकर लाए गए जलोढ़ निक्षेप से बना है। इस मैदान की पूर्व से पश्चिम लंबाई लगभग ३२०० किलो मीटर है। इसकी औसत चौड़ाई १५० से ३००० किलोमीटर है। जलोढ़ निक्षेप की अधकतम गहराई १००० से २००० मीटर है। उत्तर से दक्षिण दिशा में इन मैदानों को तीन भागों में बाँट सकते हैं भाभर, तराई और जलोढ़ मैदान। जलोढ़ मैदान को आगे दो भागों में बाँटा जाता है- खादर और बाँगर।
1. आमुर
In June 2007, Seyni Oumarou was nominated as the new Prime Minister after Hama Amadou was democratically forced out of office by the National Assembly through a motion of no confidence.
मन्त्र बोलने के साथ वर-वधू अपने दाहिने पैर को शिला पर रखें, भावना करें कि उत्तरदायित्वों के निवार्ह करने तथा बाधाओं को पार करने की शक्ति हमारे संकल्प और देव अनुग्रह से मिल रही है । ॐ आरोहेममश्मानम् अश्मेव त्वं स्थिरा भव । अभितिष्ठ पृतन्यतोऽ, वबाधस्व पृतनायतः॥ पार०गृ०सू० १.७.१
विज्ञान ने आज सभी जगह प्रगति दर्ज की हैं। कंप्यूटर के आगमन से कार्यालयीन कामकाज में बड़ी सहायता प्राप्त हुई हैं। भारत में कंप्यूटर के आगमन के साथ हिंदी भाषा भी तेजी से बढने लगी। सी.डैक पुणे ने कुछ बेहतरीन साँफ्टवेअर विकसित किए जिससे कप्यूटर पर भारतीय भाषाओं का प्रयोग होने लगा। लेकिन हिंदी के साँफ्टवेअर काफ़ी महंगे थे। हर कार्यालय की अपनी वित्तिय सीमा होती हैं। शुरुवाती के दौर में कंप्यूटर की कीमत में सॉफ्टवेअर खरीदने पडते थे। भारतीय भाषाओं का कारोबार धीरे धीरे बढने लगा। भारतीय भाषाओं के सॉफ्टवेअर अब सस्ते में प्राप्त हो रहे हैं। विश्वस्तर पर भाषाओं के विकास में कंप्यूटर ने अहम भूमिका निभाई हैं। अँग्रेजी भाषाके फाँट यूनिकोड में परिवर्तित हुए हैं। अनेक सॉफ्टवेअर मुफ्त में वितरित हो रहे है। कंप्यूटर की दुनिया में शेरवेअर, फ्रिवेअर सॉफ्टवेयरों का बोलबोला हैं। इस बदलते परिवेा में हम कितने दिनों तक विदेशों का मुँह ताकते रहेंगे? भारत सरकार ने भारतीय भाषाओं के लिए प्रौधोगिकी का विकास किया हैं। सूचना प्रौधोगिकी एवं संचार मंत्रालय ने www.ildc.gov.in वेब साईट जारी की हैं। इस साईट पर भारतीय भाषाओं के विकास कार्यक्रमों की जानकरी दी गई हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत अनेक भारतीय भाषाओं के सॉफ्टवेअर इंटरनेट के माध्यम से मुफ्त डाऊनलोड किए जा सकते हैं। मुफ्त सॉफ्टवेअर डाऊनलोड करने से पहले आपका नाम पंजीकृत किया जाता है।पंजीकरण के बाद आपको यूजरनेम (प्रयोगकर्ता नाम) और पासवर्ड (कुट संकेत) दिया जाता है। इसके बाद आपकी कप्यूटर की आवयकताओं के अनुसार आप संबंधित सॉफ्टवेअर डाऊनलोड कर सकते है। कृपया ध्यान रखें कि डाऊनलोड करने से पहले आपके कंप्यूटर पर डी.ए.पी.(डाऊनलोड एक्सलेंटर प्रोटोकॉल) अथवा फ्लैागेट सॉफ्टवेअर अवय स्थापित किया गया है। किसी सॉफ्टवेअर को इंटरनेट पर डाऊनलोड करने में यह सॉफ्टवेअर मदद करता है। इससे कम समय में डाऊनलोड प्रकिया तेजी से संपन्न होती है। www.tdil.mit.gov.in पर निम्नलिखित सॉफ्टवेअर मुफ्त डाऊनलोड हेतु उपलब्ध है।
यह गिरजाघर कानपुर शहर में स्थित है।
महाराष्ट्र के जलगांव जिले में जन्मी प्रतिभा के पिता का नाम श्री नारायण राव था। साड़ी और बड़ी सी बिंदी लगाने वाली यह साधारण पहनावे वाली महिला राजनीति में आने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रही थी। उन्होंने जलगाँव के मूलजी जैठा कालेज से स्नातकोत्तर (एम ए) और मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कालेज (मुंबई विश्वविद्यालय से संबद्ध) से कानून की पढा़ई की। वे टेबल टेनिस की अच्छी खिलाड़ी थीं तथा उन्होंने कई अन्तर्विद्यालयी प्रतियोगिताओं में विजय प्राप्त की।[६] १९६२ में वे एम जे कॉलेज में कॉलेज क्वीन चुनी गयीं।[७] उसी वर्ष उन्होंने एदलाबाद क्षेत्र से विधानसभा (एसेंबली) के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर विजय प्राप्त की। उनका विवाह शिक्षाविद देवीसिंह रणसिंह शेखावत के साथ ७ जुलाई, १९६५ को हुआ।[८] उनकी एक पुत्री तथा एक पुत्र है। श्री शेखावत के पूर्वज राजस्थान के सीकर जिले के थे और बाद में जलगांव महाराष्ट्र जाकर बस गये थे।
सुजलां सुफलां मातरम् ।। ४ ।। वन्दे मातरम् ।
पतञ्जलि महान् चिकित्सक थे और इन्हें ही 'चरक संहिता' का प्रणेता माना जाता है। 'योगसूत्र' पतञ्जलि का महान अवदान है । पतञ्जलि रसायन विद्या के विशिष्ट आचार्य थे - अभ्रक विंदास, अनेक धातुयोग और लौहशास्त्र इनकी देन है। पतञ्जलि संभवत: पुष्यमित्र शुंग (१९५-१४२ ई.पू.) के शासनकाल में थे। राजा भोज ने इन्हें तन के साथ मन का भी चिकित्सक कहा है।
2. विस्फोट सिद्धांत (बिग बंग सिद्धांत) और
दक्षिण बिहार के गया जिले में स्थित बराबर नामक तीन गुफाओं की दीवारों पर अशोक के लेख उत्कीर्ण प्राप्त हुए हैं । इन सभी की भाषा प्राकृत तथा ब्राह्मी लिपि में है । केवल दो अभिलेखों शाहवाजगढ़ी तथा मान सेहरा की लिपि ब्राह्मी न होकर खरोष्ठी है । यह लिपि दायीं से बायीं और लिखी जाती है ।
रोटी भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, मलेशिया में सामान्य खाने में पका कर खाये जाने वाली चपटी खाद्य सामग्री है। यह आटे एवं पानी के मिश्रण को गूंध कर उससे बनी लोई को बेलकर एवं आँच पर सेंक कर बनाई जाती है। रोटी बनाने के लिए आमतौर पर गेहूँ का आटा प्रयोग किया जाता है पर विश्व के विभिन्न हिस्सों मे स्थानीय अनाज जैसे मक्का, जौ, चना, बाजरा आदि भी रोटी बनाने के लिए प्रयुक्त होता है। भारत के विभिन्न भागों मे रोटी के लिए विभिन्न हिंदी नाम प्रचलित हैं, जिनमे प्रमुख हैं: -
सेंटियागो की स्थापना एक स्पैनिश नागरिक पेद्रो दे वाल्दिविया द्वारा२१ फरवरी, १५४१ मे की गयी थी। स्थापना समारोह ह्यूलेन हॉल में की गयी थी जिसे बाद में सेरो सांता लूसिया नाम दिया गया। श्री वाल्दिविया ने इस जगह का चुनाव इस जगह की अच्छी जलवायु एवं परिवहन के लिए आसानी से उपलब्ध मापोचो नदी की वजह से की थी। १ सितंबर १५४१ को अराको युद्ध में यह शहर पूरी तरह तहस नहस हो गयी थी।
व्यक्तिवाचक संज्ञा का गठन करने वाले शब्द या शब्दों के सामान्य अर्थ, जिस वस्तु को व्यक्तिवाचक संज्ञा संदर्भित कर रहा हो उससे असंबंधित हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, tiger या smith ना होने के बावजूद किसी का नाम Tiger Smith हो सकता है. यही कारण है कि आम तौर पर व्यक्तिवाचक संज्ञाओं का भाषाओं के बीच अनुवाद नहीं होता है, हालांकि उनका लिप्यंतरण हो सकता है. उदाहरण के लिए, जर्मन उपनाम Knödel अंग्रेज़ी में Knodel या Knoedel हो जाता है (शाब्दिक Dumpling (मालपूआ) नहीं). लेकिन, जगह के नाम और राजा, पोप और ग़ैर-समकालीन लेखकों के नामों का लिप्यंतरण सामान्य और कभी-कभी सार्वभौमिक है. उदाहरण के लिए, पुर्तगाली शब्द Lisboa अंग्रेज़ी में Lisbon हो जाता है; अंग्रेज़ी London फ्रेंच में Londres हो जाता है, और यूनानी Ἁριστοτέλης Aristotelēs अंग्रेज़ी में Aristotle हो जाता है.
गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया और इसे ही सिखों को शाश्वत गुरू घोषित किया। बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह दसम ग्रन्थ का एक भाग है। दसम ग्रन्थ, गुरू गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है। सिखों के दस गुरु हैं ।
तत्त्वं तत्त्वविदेकात्मा जन्मम्ड़ित्यु.जरातिगः ।।(१०३)
दक्षिण भारत में पेरियार ने उनके लेख मैं नास्तिक क्यों हूँ पर अपने साप्ताहिक पत्र कुडई आरसु में के २२-२९ मार्च, १९३१ के अंक में तमिल में संपादकीय लिखा । इसमें भगतसिंह की प्रशंसा की गई थी तथा उनकी शहादत को गांधीवाद के उपर विजय के रूप में देखा गया था।
देवताओं के इन वचनों को सुनकर ब्रह्मा जी उन्हें सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण की उपाधि प्रदान की किन्तु विश्वामित्र ने कहा कि हे भगवन्! जब आपने मुझे यह वरदान दिया है तो मुझे ओंकार, षट्कार तथा चारों वेद भी प्रदान कीजिये। प्रभो! अपनी तपस्या को मैं तभी सफल समझूँगा जब वशिष्ठ जी मुझे ब्राह्मण और ब्रह्मर्षि मान लेंगे।
यह शिंगफो गांव का प्रमुख उत्सव है। शिंगफो की संस्कृति बहुत खूबसूरत है और पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। शाप्वंग यांग मानु पोई फरवरी माह में मनाया जाता है। इस उत्सव में मुख्य रूप से युवक-युवतियां भाग लेते हैं। वह अपने पारंपरिक वस्त्र और आभूषण पहनकर सुन्दर नृत्य पेश करते हैं। यह नृत्य पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। नाच-गाने के बाद चांगलांग के देवता की पूजा-अर्चना भी की जाती है।
एक बम ट्रेन के आने के ठीक पहले रेलवे ट्रैक को तबाह करके ट्रेन को पटरी से उतारने का कारण बनता है. वाहनों और लोगों को होने वाली नुकसान के अलावा एक बम परिवहन नेटवर्क को उड़ाती है तब भी नुकसान करती है, और कई बार ऐसा नेटवर्क को तबाह करने के उद्देश्य से किया जाता है.
राज्य में द्वारका, सोमनाथ, पालीताना, पावागढ़, अंबाजी भद्रेश्वर, शामलाजी, तरंगा और गिरनार जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा महात्मा गांधी की जन्मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्व और वास्तुकला की दृष्टि से उल्लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, दभेई, बडनगर, मोधेरा, लोथल और अहमदाबाद जैसे स्थान भी हैं। अहमदपुर मांडवी, चारबाड़ उभारत और तीथल के सुंदर समुद्री तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्थल, गिर वनों के शेरों का अभयारण्य और कच्छ में जंगली गधों का अभयारण्य भी पर्यटकों के आकर्षण का केद्र हैं।
कृतक त्रैलोक्य
भाषा-साम्राज्य के अंतर्गत भी शब्दों की सीमा में अक्षरों की जो आचार सहिता अथवा उनका अनुशासनगत संविधान है, उसे ही हम वर्तनी की संज्ञा दे सकते हैं।....वर्तनी भाषा का वर्तमान है। वर्तनी भाषा का अनुशासित आवर्तन है, वर्तनी शब्दों का संस्कारिता पद विन्यास है। वर्तनी अतीत और भविष्य के मध्य का सेतु सूत्र है। यह अक्षर संस्थान और वर्ण क्रम विन्यास है। [५]
१९८५: श्रीलंका सरकार और लिट्टे के बीच पहली शांति वार्ता विफल।
ध्रुमसेन सम्यमणि का पुत्र था, और कौरव सेना का एक योद्धा था। उसका वध धृष्टद्युम्न के हाथों हुआ था।
जैसे शरीर एवं आत्मा पृथक नहीं हैं तथा आत्म के उद्देश्य की पूर्ति के लिए शरीर कार्य करता है उसी प्रकार ब्रह्म या ईश्वर से पृथक चित् एवं अचित् तत्त्व का कोई अस्तित्व नहीं हैं वे ब्रह्म या ईश्वर का शरीर हैं तथा ब्रह्म या ईश्वर उनकी आत्मा सदृश्य हैं।
ये ख्याल में रखकर कि अधिकांश निम्न मध्यम वर्ग की महिलाएँ घर में ही सिमटी होती हैं, पति का उल्लेख भी है।
कठोर तपस्या छोड़कर उन्होने आर्य अष्टांग मार्ग ढूंढ निकाला, जो मध्यम मार्ग भी कहलाता जाता है क्योंकि यह मार्ग दोनो तपस्या और असंयम की पाराकाष्टाओं के बीच में है। अपने बदन में कुछ शक्ति डालने के लिये, उन्होने एक बरह्मनि से कुछ खीर ली थी। वे एक पीपल के पेड़ (जो अब बोधि वृक्ष कहलाता है) के नीचे बैठ गये प्रतिज्ञा करके कि वे सत्य जाने बिना उठेंगे नहीं। वे सारी रात बैठे और सुबह उन्हे पूरा ज्ञान प्राप्त हो गया। उनकी अविजया नष्ट हो गई और उन्हे निर्वन यानि बोधि प्राप्त हुई और वे ३५ की उम्र तक बुद्ध बन गये। उनका पहला धर्मोपदेश वाराणसी के पास सारनाथ मे था जो उन्होने अपने पहले मित्रो को दिया। उन्होने भी थोडे दिनो मे ही बोधि प्राप्त कर ली। फिर गौतम बुद्ध ने उन्हे प्रचार करने के लिये भेज दिया।
अप्रैल २००९ तक इस संस्करण पर लेखों की संख्या ८,९१,०००+ है, जो अंग्रेज़ी संस्करण के बाद सर्वाधिक है। नवंबर २००८ तक, ९०% लेख ५१२ बाइट से अधिक आकार के थे, ४९% २ किलोबाइट से अधिक, और लेखों का औसत आकार ३४७६ बाइट था।
ऐसा माना जाता है कि इस अर्धशताब्दी के अल्पकाल में इस्किलस ने 70, सोफोक्लीज ने 113 और यूरापिदीज ने 92 नाटकों का निर्माण किया जिनमें अधिकांश लुप्त हो गए।
डा. भोलानाथ तिबारी, अपनी पुस्तक " हिन्दी भाषा" में लिखते है - " छत्तीसगढ़ी भाषा भाषियों की संख्या अवधी की अपेक्षा कहीं अधिक है, और इस दृ से यह बोली के स्तर के ऊपर उठकर भाषा का स्वरुप प्राप्त करती है।"
लिवरपूल को 2008 में यूरोप की सांस्कृतिक राजधानियों में से एक चुना गया है
अंतरिक्ष यान अनेक कार्यों के लिये उपयोग किये जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं :
प्रस्तावित समझौते का २००९ में प्रभावी होना तय किया गया है। यदि यह सर्वस्वीकृत रहा तो इससे यूरोपीय संसद की शक्तियां काफी बढ जायेगी। इस समझौते के लागू होने से उपर उल्लेख किये गये पिलर्स भी निष्प्रभावी हो जायेंगे। विदेश नीति के बहुत से मुद्दे इससे विभिन्न राष्ट्रों के बीच सुलझाये जाने की बजाय सीधे सीधे यूरोपीय संघ की संस्थाओं द्वारा निर्देशित एवं संचालित होंगे।[४७][४८]
हिन्दू · बौद्ध · सिख · जैन · इस्लाम · ईसाई धर्म · अन्य
Nagaraja Temple, Nagercoil
अध्याय १८ मोक्षसंन्यासयोग
वैष्णव मन्दिरों की सूची
धृतराष्ट्र जन्म से ही अन्धे थे अतः उनकी जगह पर पाण्डु को राजा बनाया गया,इससे धृतराष्ट्र को सदा अपनी नेत्रहीनता पर क्रोध आता और पाण्डु से द्वेषभावना होने लगती।पाण्डु ने सम्पूर्ण भारतवर्ष को जीतकर कुरु राज्य की सीमाओ का यवनो के देश तक विस्तार कर दिया।एक बार राजा पाण्डु अपनी दोनों पत्नियों - कुन्ती तथा माद्री - के साथ आखेट के लिये वन में गये। वहाँ उन्हें एक मृग का मैथुनरत जोड़ा दृष्टिगत हुआ। पाण्डु ने तत्काल अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। मरते हुये मृगरुपधारी निर्दोष ऋषि ने पाण्डु को शाप दिया, "राजन! तुम्हारे समान क्रूर पुरुष इस संसार में कोई भी नहीं होगा। तूने मुझे मैथुन के समय बाण मारा है अतः जब कभी भी तू मैथुनरत होगा तेरी मृत्यु हो जायेगी।"
लाल किला १
इसी प्रकार पोसिडोनियस ने भी अपने शास्त्रों में भौतिक भूगोल पर बल दिया, दूसरी तरफ उसने गेलेशिया के लोगों का भी वर्णन किया। क्लाडियस टॉलमी ने अनेक ग्रंथों एवं मानचित्रों की रचना की। एक बड़ी रोचक घटना टॉलमी के बनाए मानचित्रों से जुड़ी है, पोसिडोनियस के माप को लेकर टॉलमी ने अपने मानचित्र बनाऐ थे, लेकिन उसमें यह दोष रहा कि उसमें पृथ्वी का आकार छोटा था। टॉलमी के मानचित्रों के इस दोष का प्रभाव कोलम्बस की यात्राओं पर पड़ा, क्योंकि उसने इन मानचित्रों का अनुसरण करते हुए अमेरिका को एशिया समझा।
देव-दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने दुर्जनों के लिए भी प्रभु कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है। दुर्जन मानव भी यदि सच्चे मार्ग पर आए तो वह सांस्कृतिक कार्य में अपना बहुत बड़ा योग दे सकता है और दुर्बलता सतत खटकती रहने पर ऐसे मानव को अपने किए हुए सत्कार्य के लिए ज्यादा घमंड भी निर्माण नहीं होगा।
पर्यावरण के क्षरण की कीमत पर आर्थिक विकास बहुत बड़ी लागत पर ख़त्म होता है; GDP (सकल घरेलू उत्पाद) इसका लेखा जोखा नहीं रखता है.
रघु एक मुफ्त यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट है। यह प्रो० रघुनाथकृष्ण जोशी द्वारा विकसित किया गया था। यद्यपि यह लिनक्स के लिए बनाया गया था तथापि इसका उपयोग विण्डोज़ समेत अन्य़ प्रचानल तन्त्रों में भी किया जा सकता है। बीबीसी हिन्दी की साइट पर उपलब्ध फॉण्ट इंस्टालर में भी इसी का प्रयोग किया गया है। रघु डाउनलोड एवं वितरण के लिए मुफ्त उपलब्ध है।
1948 में, घटक ने अपना पहला नाटक कालो सायार (द डार्क लेक) लिखा, और ऐतिहासिक नाटक नाबन्ना के पुनरुद्धार में हिस्सा लिया. 1951 में, घटक, इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन (IPTA) के साथ जुड़े. उन्होंने नाटकों का लेखन, निर्देशन, और उनमें अभिनय किया और बेर्टोल्ट ब्रेश्ट और गोगोल को बंगला में अनुवादित किया. 1957 में, उन्होंने अपने अंतिम नाटक ज्वाला (द बर्निंग) को लिखा और निर्देशित किया.
विदेशी निवासी
भगवान महावीर ( - प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन) भगवान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक नहीं हैं। वे प्रवर्तमान काल के चौबीसवें तीर्थंकर हैं। आपने आत्मजय की साधना को अपने ही पुरुषार्थ एवं चारित्र्य से सिद्ध करने की विचारणा को लोकोन्मुख बनाकर भारतीय साधना परम्परा में कीर्तिमान स्थापित किया। आपने धर्म के क्षेत्र में मंगल क्रांति सम्पन्न की।
बीएसएनएल भारत का सबसे पुराने संचार सेवा प्रदाता ( CSP ) है बीएसएनएल को वर्तमान में 72,34 लाख ( बेसिक तथा मोबाइल टेलीफोनी )एक ग्राहक आधार है इसके पद चिह्न महानगरोंमुंबई और नै दिल्ली (New Delhi) जो एम् टी एन एल (MTNL)के द्वारा प्रबंधित प्रबंधित है,को छोड़ कर पुरे भारत में है ३१ मार्च२००८ के अनुसार बी एस एन एल ३१.५५ मिलियन बेतार, ४.५८ मिलियन की दी एम् ऐ -डब्लू एल एल और ३६. २१ मिलियन जी एस एम् मोबाइल ग्राहकों का नियंत्रण था ३१ मार्च२००७ को समाप्त हुए वित्तीय साल में बी एस एन एल की कमाई ३९७.१५ बिल्लिओं रुपये (९.६७ बी ) थी आज बी एस एन एल भारत का सबसे बड़ा टेल्को और और १०० बिल्लिओं अमेरिकी दुलार के अनुमान के साथ सबसे बड़े सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों में से एक है कंपनी ६ महीनो में १० % सार्वजनिक शेयर की योजना बना रही है
आलू फूलकोपीर दालना एक बंगाली व्यंजन है।
(क) एक राज्य के निवासियों की अपने राज्य को भौगोलिक सीमाओं के बाहर अन्य स्थान पर बसी बस्ती को तब तक उपनिवेश कहते हैं, जब तक वह स्थान उस राज्य के ही प्रशासकीय क्षेत्र में आता हो, अथवा
ज जि जु जे जो ज्य ज्यु ज्यो
बोस्निया और हर्जेगोविना के सर्बस १८
२. दक्षिणी विजय अभियान- कुछ इतिहास के विद्वानों के मतानुसार कुमारगुप्त ने भी समुद्रगुप्त के समान दक्षिण भारत का विजय अभियान चलाया था, लेकिन सतारा जिले से प्राप्त अभिलेखों से यह स्पष्ट नहीं हो पाता है ।
३. रूभ्मिनदेई- नेपाल के तराई में है ।
भारत के थलसेनाध्यक्ष।
लक्ष्मण एक आदर्श अनुज हैं। राम को पिता ने वनवास दिया किन्तु लक्ष्मण राम के साथ स्वेच्छा से वन गमन करते हैं - ज्येष्ठानुवृति, स्नेह तथा धर्मभाव के कारण। राम के साथ उनकी पत्नी सीता के होने से उन्हें आमोद-प्रमोद के साधन प्राप्त है किन्तु लक्ष्मण ने समस्त आमोदों का त्याग कर के केवल सेवाभाव को ही अपनाया। वास्तव में लक्ष्मण का वनवास राम के वनवास से भी अधिक महान है।
वर्णाश्रम अभिमान तजि, पद रज बंदहिजासु की। सन्देह-ग्रन्थि खण्डन-निपन, बानि विमुल रैदास की।।
[१] GDP (सकल घरेलू उत्पाद) को तीन प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है, जिनमें से सभी अवधारणात्मक रूप से समान हैं. पहला, यह एक निश्चित समय अवधि में (आम तौर पर 365 दिन का एक वर्ष) एक देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम माल और सेवाओ के लिए किये गए कुल व्यय के बराबर है.
ऑस्ट्रेलियाई अंग्रेजी में ऑस्ट्रेलिया शब्द का उच्चारण होता है[[अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि चिह्न सूची|[əˈstɹæɪljə, -liə]]]. [१९]20-वीं सदी के शुरुआती समय में कई बार इस देश को स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय रूप में ओज(Oz) नाम से उल्लेखित किया गया,N5 ऑस्सी(Aussie) (कभी-कभी ओजी(Ozzie) लिखी जाती है जो उच्चारण को अच्छी तरह पेश करता है) सामान्य बोल-चाल की भाषा में यह एक विशेषण है, और संज्ञा रूप में यह शब्द ऑस्ट्रेलियाइयो का उल्लेख करती हैं.N6
अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लगी और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। अपने को पुलिस से घिरा देख प्रफुल्लचंद चाकी ने खुद को गोली मारकर अपनी शहादत दे दी जबकि खुदीराम पकड़े गए। ११ अगस्त १९०८ को उन्हें मुजफ्फरपुर जेल में फाँसी दे दी गई। उस समय उनकी उम्र मात्र 19 साल थी।
यह किला मुगल स्थापत्य कला का एक आदर्श उदाहरण है। यहां स्पष्ट है, कि कैसे उत्तर भारतीय दुर्ग निर्माण, दक्षिण भारतीय दुर्ग निर्माण से भिन्न होता था। दक्षिण भारत के अधिकांश दुर्ग, सागर किनारे निर्मित हैं।
• मृणाल सेन
ज्योतिष ने विज्ञान भाषा और साहित्य दोनों को प्रभावित किया है. उदाहरण के लिए, इन्फ़्लुएन्ज़ा या जुकाम (influenza) शब्द मध्यकालीन लैटिन शब्द इन्फ़्लुएन्शिय से लिया गया, इसका नाम ऐसा इसलिए पड़ा क्योंकि चिकित्सकों का मानना था की महामारी प्रतिकूल ग्रहों और तारकीय प्रभाव की वजह से फैलती है.[२९] शब्द आपदा, "डिसास्टर" इटालियन शब्द डिसैस्ट्रो से लिया गया है जो की एक "नाकारात्मक उपसर्ग"[३०]डिस और लैटिन शब्द ऐस्टर " तारा" से व्युत्पन्न है, जिसका मतलब है बुरे तारे या "दुष्ट-नक्षत्र". विशेषण, "ल्यूनेटिक" (ल्यूना/चन्द्रमा), "मेर्कयुरिअल" (मर्कारी), "मैथुनिक", (शुक्र) सामरिक, (मंगल (Mars)), "आनन्दित" (बृहस्पति/ जोव), और "सीसक" (शनि) पुराने शब्द हैं जिनका प्रयोग उन व्यक्तिगत गुणों को बताने के लिए किया जाता था जो ग्रहों के ज्योतिष लक्षणों से सबसे ज़्यादा मिलते थे या प्रभावित होते थे, इनमे से कुछ गुण प्राचीन रोमन देवताओं के गुणों से व्युत्पन्न हैं और उनका नाम भी उसी आधार पर रखा गया है. साहित्य में, कई लेखकों विशेषकर जिओफ्फ्रे चौसर (Geoffrey Chaucer)[३१][३२][३३] और विलियम शेक्सपियर,[३४][३५] ने अपने पात्रों का वर्णन करने के लिए ज्योतिष के चिनों का प्रयोग किया और इस तरीके से उस विवरण में बारीकी पैदा की. हाल ही में, मिचेल वार्ड ने कहा था की क्रोनिकाल्स ऑफ़ नारनिया (Chronicles of Narnia) के रचयिता सी.एस.लुईस (C.S. Lewis) ने अपनी रचना को सात स्वर्गों के पात्रों और चिन्हों से सराबोर किया. अक्सर, ज्योतिष प्रतीकों को समझने वाले साहित्यों की सराहना करने की आवश्यकता है.
उज्जैन नगर के धार्मिक स्वरूप में क्षिप्रा नदी के घाटों का प्रमुख स्थान है। नदी के दाहिने किनारे, जहां नगर स्थित है, पर बने ये घाट स्थानार्थियों के लिये सीढीबध्द हैं। घाटों पर विभिन्न देवी-देवताओं के नये-पुराने मंदिर भी है। क्षिप्रा के इन घाटों का गौरव सिंहस्थ के दौरान देखते ही बनता है, जब लाखों-करोडों श्रध्दालु यहां स्नान करते हैं।
सिंगापुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में यहाँ के तीन संग्रहालय, जूरोंग बर्ड पार्क, रेप्टाइल पार्क, जूलॉजिकल गार्डन, साइंस सेंटर सेंटोसा द्वीप, पार्लियामेंट हाउस, हिन्दू, चीनी व बौद्ध मंदिर तथा चीनी व जापानी बाग देखने लायक हैं। सिंगापुर म्यूजियम में सिंगापुर की आजादी की कहानी आकर्षक थ्री-डी वीडियो शो द्वारा बताई जाती है। इस आजादी की लड़ाई में भारतीयों का भी महत्वपूर्ण योगदान था।
समकालीन भारतीय साहित्य
अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है । दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है ।
एक खरगोश और दो पत्तो का चित्र
खाने के लिए सदा तैयार रहने वालों में भी होती है।
Proper nouns (जिन्हें proper names भी कहा जाता है) अद्वितीय तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाली संज्ञाएं हैं (जैसे London , Jupiter या Johnny ), जोकि तत्वों के वर्ग का वर्णन करने वाले (जैसे city , planet या person ) common nouns से भिन्न हैं.[७] सामान्य रूप से Proper nouns से पूर्व उपपद या अन्य प्रतिबंधक विशेषक (जैसे any या some ) का उपयोग नहीं किया जाता है, और यह शब्द या वाक्यांश के किसी वर्णनात्मक अर्थ का लिहाज किए बिना विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु को निरूपित करने के लिए प्रयुक्त होता है. व्यक्तिवाचक संज्ञा के बड़े अक्षर में अर्थ, अंतर्निहित संदर्भ में अद्वितीयता है, अर्थात् जब कोई उदाहरण अंतर्निहित संदर्भ में अद्वितीय है तो सामान्य प्रकार के उदाहरण को यह एक नाम प्रदान करता है. इसलिए बाद में की गई चर्चा के अनुसार, संदर्भ बदलाव इसे प्रभावित कर सकता है (देखें Intersections of common and proper senses).
आपुन हँसत हँसावत औरन, मानो लीला रूप ।
निर्देशांक: 30°54′N 79°07′E / 30.9, 79.117
प्रकृति के अनमोल उपहार झरनों को रांची के पर्यटन उद्योग की जान माना जाता है। इन झरनों में हुन्डरू, जोन्हा, दसम और पांच गाघ झरने प्रमुख हैं। यह झरने तो खूबसूरत हैं ही लेकिन इनके आस-पास के नजारे भी बहुत खूबसूरत हैं जो पर्यटकों को मंत्र-मुग्ध कर देते हैं। इन सभी झरनों में जोन्हा झरना प्रमुख है क्योंकि इस झरने के पास भगवान बुद्ध के मन्दिर के दर्शन किए जा सकते हैं। पर्यटकों को यह झरना खासतौर से आकर्षित करता है क्योंकि यहां उनके ठहरने के लिए रेस्ट हाऊस का निर्माण किया है।
सन् १७३७ ई. में उज्जैन सिंधिया वंश के अधिकार में आया उनका सन १८८० ई. तक एक छत्र राज्य रहा जिसमें उज्जैन का सर्वांगीण विकास होता रहा। सिंधिया वंश की राजधानी उज्जैन बनी। राणोजी सिंधिया ने महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोध्दार कराया। इस वंश के संस्थापक राणोजी शिंदे के मंत्री रामचंद्र शेणवी ने वर्तमान महाकाल मंदिर का निर्माण करवाया. सन १८१० में सिंधिया राजधानी ग्वालियर ले जाई गयी किन्तु उज्जैन का संस्कृतिक विकास जारी रहा। १९४८ में ग्वालियर राज्य का नवीन मध्य भारत में विलय हो गया।
कंकरोली की पराजय के बाद तात्या पूर्व की ओर भागे, ताकि चम्बल पार कर सकें। अगस्त का महीना था। चम्बल तेजी से बढ रही थी, लेकिन तात्या को जोखिम उठाने में आनंद आता था। अंग्रेज उनका पीछा कर रहे थे, इसलिए उन्होंने बाढ में ही चम्बल पार कर ली और झालावाड की राजधानी झलार पाटन पहुँचे। झालावाड का शासक अंग्रेज-परस्थ था, इसलिए तात्या ने अंग्रेज सेना के देखते-देखते उससे लाखों रुपये वसूल किए और ३० तोपों पर कब्जा कर लिया। यहाँ से उनका इरादा इंदौर पहुँचकर वहाँ के स्वाधीनता सेनानियों को अपने पक्ष में करके फिर दक्षिण पहुँचना था। तात्या को भरोसा था कि यदि नर्मदा पार करके महाराश्ट्र पहुँचना संभव हो जाय तो स्वाधीनता संग्राम को न केवल जारी रखा जा सकेगा, बल्कि अंग्रेजों को भारत से खदेडा भी जा सकेगा।
- ३ जनवरी, १९२१ : पुनर्नामकरण यूनाइटेड प्रोविंसेज़ ऑफ ब्रिटिश इंडिया
उत्तरापथ - तक्षशिला
खान एक समर्पित बॉडीबिल्डर हैं। वे प्रतिदिन मेहनत करते हैं और मूवी तथा स्टेज शो में अपनी कमीज उतारने के लिए प्रसिद्ध हैं। अमरीका की पीपुल (People)पत्रिका द्वारा वर्ष २००४ में इन्हें दुनिया का 7वां सबसे सुंदर पुरूष और भारत के सबसे सुंदर पुरूष का खिताब मिला।अपने कैरियर में [१२]खान विभिन्न धर्मार्थ संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।[१३]
दक्षिणार्क या दक्षिणारका सूर्य मंदिर मन्दिर बिहार के गया जिले मे स्थित है। सावित्री देवी को समर्पित इस मंदिर मे कई देवियों की प्रतिमाएँ भी स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण मौर्य कालीन राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म से भी पहले हुआ था।
श्रीमती त्रीणि विस्तीर्ण सु विभाकता महापथा॥ 1-5-7
इन तमाम सालों में वास्तुकला सामयिक चेतना पर्यावरण तथा स्थानीय पृष्ठभूमि के सामंजस्य में विकसित हुई। आज भी हम प्रतिभावान् व्यक्तियों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्वरूप टटोलते रहते हैं। आज कुछ ऐसे वास्तुक हैं जो भूत का अनुसरण करने में ही संतुष्ट हैं कुछ अन्य हैं जो विदेशी ढंग का अनुकरण करने का प्रयास करते हैं। बहुत थोड़े से ऐसे हैं जो अपने समय, गति और राष्ट्रीय दृष्टिकाण के अनुरूप वास्तु का विकास करते का प्रयास कर रहे हैं। इस छोटे से वर्ग का प्रयास नया संघात प्रस्तुत करने का है, जो मनुष्य का नए विचार सोचने और धारण करने की प्रेरणा देता है। इस प्रकार से हमारे युग के भवन निर्माण करने का प्रयास करते हैं और बाद में ये ही भवन शरीर और मस्तिष्क के स्वस्थ विकास को प्रोत्साहत करके जाति का निर्माण करेंगे।
चेन्नई का महानगरीय क्षेत्र कई उपनगरों तक व्याप्त है, जिसमें कांचीपुरम जिला और तिरुवल्लुर जिला के भी क्षेत्र आते हैं। बडए उपनगरों में वहां की टाउन-नगर पालिकाएं हैं, और छोटे क्षेत्रों में टाउन-परिषद हैं जिन्हें पंचायत कहते हैं। शहर का क्षेत्र जहां १७४ कि.मी.² (६७ मील²) है,[२४] वहीं उपनगरीय क्षेत्र ११८९ कि.मी.² (४५८ मील²) तक फैले हुए हैं।[२५]चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण (सी.एम.डी.ए) ने शहर के निकट उपग्रह-शहरों के विकास के उद्देश्य से एक द्वितीय मास्टर प्लान का ड्राफ़्ट तैयार किया है। निकटस्थ उपग्रह शहरों में महाबलिपुरम (दक्षिण में), चेंगलपट्टु और मरियामलै नगर दक्षिण-पश्चिम में, श्रीपेरंबुदूर, तिरुवल्लुर और अरक्कोणम पश्चिम में आते हैं।
बर्मा दक्षिण पुर्व एशिया का सबसे बड़ा देश है, जिसका कुल क्षेत्रफ़ल ६,७८,५०० वर्ग किलोमीटर है। बर्मा विश्व का चॉलीसवां सबसे बड़ा देश है। बर्मा की उत्तर पश्चि्मी सीमाएं भारत के मिज़ोरम, नागालॅण्ड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और बांग्लादेश के चिटगॉव प्रांत को मिलती है। उत्तर मे देश की सबसे लंबी सीमा तिब्ब्त और चीन के उनान प्रांत के साथ है। बर्मा के दक्षिण पुर्व मे बर्मा लाओस ओर थाईलैंड देश है। बर्मा की तट रेखा (१,९३० किलोमिटर) देश के कुल सीमा का एक तिहाई है। बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर देश के दक्षिण पश्चि्म और दक्षिण में क्रमशः पड़ते है। उत्तर में हेंगडुआन शान पर्वत चीन के साथ सीमा बनाते है।
३. रूभ्मिनदेई- नेपाल के तराई में है ।
अहिल्या की कथा
इस महल का निर्माण 1887 ई. में करवाया गया था। यह महल बंगलूरू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल की वास्तुकला तुदौर शैली पर आधारित है। यह महल बंगलूरू शहर के मध्य में स्थित है। यह महल लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है। यह महल इंगलैंड के वाइंडसर महल की तरह दिखाई देता है।
पांचवी शताब्दी के अंत तक जो गंग वंश हल्का पड़ने लगा था, वह वज्रहस्त पंचम के साथ फिर उठा, जिसने सोमवंशी शासक कामदेव को हराकर कलिंग पर गंग वंश का वर्चस्व पुनर्स्थापित किया।
बंगलुरु विमानक्षेत्र (कन्नड़: ಬೆಂಗಳೂರು ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ವಿಮಾನ ನಿಲ್ದಾಣ) (IATA: BLR, ICAO: VOBL) बंगलुरु मेँ स्थित है। इसका ICAO कोडहै VOBG और IATA कोड है BLR । यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां कस्टम्स विभाग उपस्थित नहीं है। इसका रनवे पेव्ड है। इसकी प्रणाली यांत्रिक हाँ है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 10800 फी. है।
4 फरवरी 1944 को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर भयंकर आक्रमण किया और कोहिमा, पलेल आदि कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त करा लिया गया. 22 सितंबर 1944 को शहीदी दिवस मनाते हुये सुभाष बोस ने अपने सैनिकों से मार्मिक शब्दों में कहा `हमरी मातृभूमि स्वतंत्रता की खोज में है. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा. यह स्वतं˜य देवी की मांग है.´ किंतु दुर्भाग्यवश युद्ध का पासा पलटा. जर्मनी ने हार मान ली और जापान को भी घुटने टेकने पड़े. ऐसे में सुभाष बोस को टोकियों की ओर पलायन करना पड़ा और कहते हैं कि हवाई दुघüटना में उनका निधन हो गया. यद्यपि उनका सैनिक अभियान असफल हो गया, किंतु इस असफलता में भी उनकी जीत छिपी थी. नि:संदेह सुभाष बोस उग्र राष्ट्रवादी थे. उनके मन में फासीवाद अधिनायकों के सबल तरीकों के प्रति भावनात्मक झुकाव भी था और वे भारत की शीघ्रातिशीघ्र स्वतंत्रता हेतु हिंसात्मक उपायों में भी आस्था रखते थे. इसीलिये उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया.
HPV परीक्षण द्वारा 2 या 3 दर्जे की गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली या नियंत्रित यादृच्छिक प्रतिचयन परीक्षण के अनुसार 32-38 साल की महिलाओं के बीच परवर्ती परीक्षणों में पता चलने वाले गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की घटनाओं को कम कर सकता है.[३७]संबंधित जोखिम में कमी 41.3% थी. इस अध्ययन में शामिल लोगों के समान जोखिम वाले रोगियों के लिए (63.0% को 2-3 CIN या कैंसर था), इससे 26% तक पूर्ण जोखिम में कमी हो जाती है. एक रोगी के लाभार्थ 3.8 रोगियों के (उपचार के लिए अपेक्षित संख्या = 3.8) इलाज की ज़रूरत है. 2-3 CIN के अधिक या कम जोखिम वाले रोगियों हेतु इन परिणामों को समायोजित करने के लिए यहां क्लिक करें.
मध्य प्रदेश के मऊ के निकट जनायाब पर्वत से निकलकर चम्बल नदी इटावा से ३८ किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी में मिलती है। काली सिंध, बनास और पार्वती इसकी सहायक नदियाँ हैं। बेतवा नदी मध्य प्रदेश में भोपाल से निकलकर उत्तर-पूर्वी दिशा में बहती हुई भोपाल, विदिशा, झाँसी, जालौन आदि जिलों में होकर बहती है। इसके ऊपरी भाग में कई झरने मिलते हैं किन्तु झाँसी के निकट यह काँप के मैदान में धीमे-धीमें बहती है। इसकी सम्पूर्ण लम्बाई ४८० किलोमीटर है। यह हमीरपुर के निकट यमुना में मिल जाती है। इसे प्राचीन काल में वत्रावटी के नाम से जाना जाता था। भागीरथी नदी के दायें किनारे से मिलने वाली अनेक नदियों में बाँसलई, द्वारका, मयूराक्षी, रूपनारायण, कंसावती और रसूलपुर नदियाँ प्रमुख हैं। जलांगी और माथा भाँगा या चूनीं बायें किनारे से मिलती हैं जो अतीत काल में गंगा या पद्मा की शाखा नदियाँ थीं। किन्तु ये वर्तमान समय में गंगा से पृथक होकर वर्षाकालीन नदियाँ बन गई हैं।
Poster
पूर्व मीमांसा के प्रवर्तक ऋषि जैमिनि हैं। वे वेदव्यास के शिष्य थे।
तुर्की का एक प्रांत ।
नोएडा, उत्तरप्रदेश-201301
रामायण का समय त्रेतायुग का माना जाता है। भारतीय कालगणना के अनुसार समय को चार युगों में बाँटा गया है- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग एव कलियुग। एक कलियुग ४,३२,००० वर्ष का, द्वापर ८,६४,००० वर्ष का, त्रेता युग १२,९६,००० वर्ष का तथा सतयुग १७,२८,००० वर्ष का होता है। इस गणना के अनुसार रामायण का समय न्यूनतम ८,७०,००० वर्ष (वर्तमान कलियुग के ५,२५० वर्ष + बीते द्वापर युग के ८,६४,००० वर्ष) सिद्ध होता है । बहुत से विद्वान इसका तात्पर्य इसा पू. ८,००० से लगाते है जो आधारहीन है। अन्य विद्वान इसे इससे भी पुराना मानते हैं।
रावण ने रक्ष संस्कृति या रक्ष धर्म की स्थापना की थी। रक्ष धर्म को मानने वाले गरीब,कमजोर,विकास के पीछे रह गए लोगों,किसानों व वंचितों की रक्षा करते थे। रक्ष धर्म को मानने वाले राक्षस थे।
कैथी, जिसे "कयथी" के नाम से भी जाना जाता है एक ऐतिहासिक लिपि है जो पूरे उत्तर भारत में प्रयोग की जाती थी, खासकर पूर्ववर्ती उत्तर-पश्चिम प्रांत, मिथिला, बंगाल, उड़ीसा और अवध में। इसका प्रयोग खासकर न्यायिक, प्रशासनिक एवं निजी आँकड़ों के संग्रहण में किया जाता था.
बंगलोर का एच.ए.एल. अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा देश का तीसरा व्यस्ततम एयरपोर्ट है । घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय उङानों में प्रयुक्त यह हवाईपट्टी, एशिया, मध्य-पूर्व तथा यूरोप के लिये सेवाएं देता है ।
हिमवान, हेमकूट तथा निषध नामक वर्षपर्वत हैं, जो भिन्न भिन्न वर्षों का भाग करते हैं।
9166 साबरमती एक्सप्रेस -- मुजफ्फरपुर -- अहमदाबाद
सिंहस्थ (कुंभ) महापर्व धार्मिक व आध्यात्मिक चेतना का महापर्व है। धार्मिक जागृति द्वारा मानवता, त्याग, सेवा, उपकार, प्रेम, सदाचरण,अनुशासन,अहिंसा, सत्संग, भक्ति-भाव अध्ययन-चिंतन परम शक्ति में विश्वास और सन्मार्ग आदि आदर्श गुणों को स्थापित करने वाला पर्व है।
फतेहपुर जिला भली प्रकार से सड़क मार्ग से अन्य शहरो से जुडा हुआ है। ग्रान्ट ट्रक रोड पर स्थित फतेहपुर जिला लगभग सभी शहरो से सीधे सम्पर्क मे है। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का बस ठहराव स्थल भी यहा है। यहा से नियमित तौर पर दिल्ली,कानपुर,लखनऊ,इलाहाबाद,बाँदा,चित्रकूट,झाँसी,बरेली आदि शहरो के लिये बस सेवा उपलब्ध है।
विस्तृत जानकारी के लिये तेलुगू साहित्य देखें।
औद्योगिक आर्थिक क्रियाकलापों को मुख्यतः चार वर्गोंमें बांटा जा सकता है:
संयुक्त राज्य अमेरिका में कॉलेजिएट प्रतियोगिता, ख़ास तौर पर यूसी बर्कले (UC Berkeley) और सैन जोस स्टेट यूनिवर्सिटी (San Jose State University) के दरम्यान, ने ओलम्पिक गेम्स और वर्ल्ड चैम्पियनशिप्स में देखे गए खेल में जुडो को परिष्कृत करने में अपना योगदान दिया. 1940 के दशक में हेनरी स्टोन और योश उचीडा, कैल और एसजेएसयू (SJSU) के प्रमुख कोच, ने स्कूलों के बीच अक्सर होने वाली प्रतियोगिताओं में इस्तेमाल करने के लिए एक वेट क्लास सिस्टम अर्थात् वजन वर्ग प्रणाली विकसित की. 1953 में, स्टोन और उचीडा ने एक आधिकारिक घटक के रूप में अपने वेट क्लास सिस्टम के साथ, जुडो को एक खेल के रूप में स्वीकार करने के लिए एमेच्योर एथलेटिक यूनियन से एक सफल विनती की. 1961 में, उचीडा ने पेरिस में आईजेएफ की बैठकों में संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रतिनिधित्व किया जहां आईजेएफ ने सभी भावी चैम्पियनशिप के लिए वेट क्लास सिस्टम को अपना लिया. आईजेएफ का निर्माण ज्यादातर शुरूआती यूरोपियन जुडो यूनियन के आधार पर किया गया था जहां कई सालों तक वेट क्लास सिस्टम का भी इस्तेमाल किया था.
बंगलूरू में काफी संख्या में बस टर्मिनल है। जो कि रेलवे स्टेशन के समीप ही है।
वर्ण्य विषय- हरिऔध जी ने विविध विषयों पर काव्य रचना की है। यह उनकी विशेषता है कि उन्होंने कृष्ण-राधा, राम-सीता से संबंधित विषयों के साथ-साथ आधुनिक समस्याओं को भी लिया है और उन पर नवीन ढंग से अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। प्राचीन और आधुनिक भावों के मिश्रण से उनके काव्य में एक अद्भुत चमत्कार उत्पन्न हो गया है।
भूरे रंग में एशियान और हरे रंग में कम्बोडिया
अकबर के लिए आक्रोश की हद एक घटना से पता चलती है। हिन्दू किसानों के एक नेता राजा राम ने अकबर के मकबरे, सिकंदरा, आगरा को लूटने का प्रयास किया, जिसे स्थानीय फ़ौजदार, मीर अबुल फजल ने असफल कर दिया। इसके कुछ ही समय बाद १६८८ में राजा राम सिकंदरा में दोबारा प्रकट हुआ [६८] और शाइस्ता खां के आने में विलंब का फायदा उठाते हुए, उसने मकबरे पर दोबारा सेंध लगाई, और बहुत से बहुमूल्य सामान, जैसे सोने, चाँदी, बहुमूल्य कालीन, चिराग, इत्यादि लूट लिए, तथा जो ले जा नहीं सका, उन्हें बर्बाद कर गया। राजा राम और उसके आदमियों ने अकबर की अस्थियों को खोद कर निकाल लिया एवं जला कर भस्म कर दिया, जो कि मुस्लिमों के लिए घोर अपमान का विषय था। [६९]
आर्य-सिद्धांत ,खगोलीय गणनाओं पर एक कार्य है जो अब लुप्त हो चुका है, इसकी जानकारी हमें आर्यभट्ट के समकालीन वराहमिहिर के लेखनों से प्राप्त होती है, साथ ही साथ बाद के गणितज्ञों और टिप्पणीकारों के द्वारा भी मिलती है जिनमें शामिल हैं ब्रह्मगुप्त और भास्कर I. ऐसा प्रतीत होता है कि ये कार्य पुराने सूर्य सिद्धांत पर आधारित है, और आर्यभटीय के सूर्योदय की अपेक्षा इसमें मध्यरात्रि-दिवस-गणना का उपयोग किया गया है. इसमे अनेक खगोलीय उपकरणों का वर्णन शामिल है, जैसे कि नोमोन(शंकु-यन्त्र ), एक परछाई यन्त्र (छाया-यन्त्र ), संभवतः कोण मापी उपकरण, अर्धवृत्ताकार और वृत्ताकार (धनुर-यन्त्र / चक्र-यन्त्र ), एक बेलनाकार छड़ी यस्ती-यन्त्र , एक छत्र-आकर का उपकरण जिसे छत्र- यन्त्र कहा गया है, और कम से कम दो प्रकार की जल घड़ियाँ- धनुषाकार और बेलनाकार.[१]
मनोरंजन और खेल के क्षेत्र में भारत में खेलों की एक बड़ी संख्या विकसित की गयी थी.आधुनिक पूर्वी मार्शल कला भारत में एक प्राचीन खेल के रूप में शुरू हुई और कुछ लोगों द्वारा ऐसा माना जाता है कि यही खेल विदेशों में प्रेषित किये गए और बाद में उन्ही खेलों का अनुकूलन और आधुनिकीकरण किया गया.ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में आये कुछ खेल यहाँ काफी लोकप्रिय हो गए जैसे फील्ड हॉकी, फुटबॉल (सॉकर) और खासकर क्रिकेट.
फल - कार्य पूर्ण होने में संदेह है, अत: उसे भगवान पर छोड़ देना श्रेयस्कर है।
६ दिसंबर १९०७ को खुदीराम ने नारायगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया परंतु गवर्नर बच गया। सन १९०८ में उन्होंने दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया लेकिन वे भी बच निकले।
७) द्विवचन - सभी भाषाओं में एक वचन और बहु वचन होते हैं जबकि संस्कृत में द्विवचन अतिरिक्त होता है।
चेक गणराज्य (चेक : Česká republika or Česko) यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है । इसकी उत्तर पूर्वी सीमा पर पोलैन्ड, पश्चिमी सीमा पर जर्मनी, दक्शिन मे ऑस्ट्रिया और पूर्व मे स्लोवाकिया है । इसकी राजधानी है प्राग (en:Prague) । इसकी मुख्य- और राजभाषा है चेक भाषा।
बुद्ध का पहिले धर्मोपदेश, जो उन्होने अपने साथ के कुछ साधुओं को दिया था, इन चार आर्य सत्यों के बारे में था ।
भारत का पहला कम तापमान अलवणीकरण संयंत्र (LLTD) कवरती में मई 2005 में खोला गया था. इस अलवणीकरण संयंत्र को पांच करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है और इससे समुद्र के पानी से हर रोज 100,000 लीटर पीने योग्य पानी के उत्पादन की आशा है.[२][३]
91. भाण्डेश्वर और साण्डेश्वर मंदिर दो भाईयों द्वारा बनवाये गये थे और जैन तीर्थंकर, पार्श्वनाथ जी को समर्पित हैं।
ऋषिकेश मार्ग पर जोशीमठ से 8 किलोमीटर दूर।वृद्ध बदरी या पुराना बदरी भगवान विष्णु को समर्पित प्राचीन मंदिर गढ़वाल के पंच बद्रियों में से एक है, मुख्य सड़क पर मंदिर द्वार के नीचे आधा किलोमीटर पैदल जाने पर ऊनीमठ गांव है। इसे वृद्ध बद्री कहा जाता है क्योंकि भगवान विष्णु वृद्ध स्वरूप में यहां नारद के सम्मुख प्रकट हुए थे।
कार्लाइल को अकीक इत्यादि की बहुत सी मणियां भी यहां से मिली है। भारतकला भवन काशी हिन्दु विश्वविद्यालय में भी ऐसी मणियों का अच्छा संग्रह है। यहां हाथी दांत की चूड़ियों के भी टुकड़े काफी संख्या में मिलते हैं। कार्लाइल को बैरांट के आस-पास के नालों और खेतों से प्रस्तर युग की चिप्पियाँ (flakes ) तथा कोर भी मिले थे इन सब बातों से यह सिद्ध हो जाता है कि बैरांट की बस्ती प्राचीन है। काली मिट्टी के ओपदार बर्तनों के टुकड़ों के मिलने से तो यह निश्चित हो जाता है कि मौर्य युग में यहां बस्ती थी। ऊपर हमने वैरांट के प्राचीन शहर का इसलिए विस्तारपूर्वक वर्णन किया कि इस नगर की स्थिति से वाराणसी के प्राचीन इतिहास पर प्रकाश पड़ता है। इस जगह काशी की प्राचीन स्थिति के संबंध की कुछ बातों का जानना आवश्यक है। महाभारत (अनुशासन पर्व, १८९९, १९००) में यह कथा आयी है कि काशिराज हर्य को वीतिष्व्यो ने गंगा-यमुना के मैदान में हराकर मार डाला। हर्य के पुत्र सुदेव को भी लड़ाई में मात खानी पड़ी। बाद में उनके पुत्र दिवोदास ने दूसरी वाराणसी गंगा के उत्तर किनारे और गोमती के दक्षिण किनारे पर बसायी। ३ अब प्रश्न उठता है कि दिवोदास का बसाया यह दूसरा वाराणसी कहां पर था? गंगा की आधुनिक धारा को देखते हुए यह नगर गंगा-गोमती के संगम कैथी के पास होना चाहिए पर कैथी के आस-पास किसी प्राचीन नगर का भग्नावशेष नहीं है। चंद्रावती के भी गाहड़वाल युग के पहले के नहीं है और एक बड़े शहर का तो यहां नाम निशान भी नहीं मिलता। आज तक यह भी नहीं सुनने में आया कि चंद्रावती से कोई प्राचीन सिक्के भी मिले हैं। आसपास खोजने पर बैरांट के सिवा कोई ऐसी दूसरी जगह नहीं मिलती जहां प्राचीन काल में एक शहर रहा है। गंगा-गोमती की वर्तमान धारा इस मत के विरुद्ध पड़ती है, पर गंगा की प्राचीन धारा की अगर कल्पना की जाए तो बैरांट पर ही दिवोदास की बनायी दूसरी वाराणसी संभव जान पड़ती है। बानगंगा रसूरपुर तक पूर्ववाहिनी होकर हसनपुर में गंगा के वर्तमान प्रवाह में मिल जाती है। जिस समय गंगा का मूल प्रवाह बानगंगा काँठे से था, इस समय गोमती गंगा की वर्तमान धारा में बहती हुई सैदपुर के पास गंगा से आ मिलती थी। इस तरह बैरांट या प्राचीन वाराणसी गोमती के दक्षिण में पड़ता था जैसा कि महाभारत में कहा गया है। अब प्रश्न यह है कि यह नयी वाराणसी कब तक बसी रही? ऐसा जान पड़ता है कि जब तक गंगा ने अपना प्रवाह नहीं बदला था तब तक नगर बैरांट में ही बना रहा। पर जब गंगा ने इस जगह को छोड़ दिया तब नगर भी धीरे-धीरे वीरान हो चला और अंत में केवल टीला रह गया। लेकिन यह सब हुआ कब? ऐसा पता लगता है कि मौर्ययुग तक तो वैरांट का शहर बसा था और शायद गंगा ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बाद ही अपना रास्ता बदला होगा। कम-से-कम जैसा हमें अनुश्रुतियों से पता लगता है गुप्तयुग में तो मृतगंगा अर्थात् बाणगंगा इतिहास में आ चुकी थी, अत: गंगा ने अपना रास्ता इसके कई शताब्दी पहले बदला होगा। यह प्रश्न ऐतिहासिक दृष्टि से बड़े महत्व का है पर इस प्रश्न पर और अधिक प्रकाश तभी पड़ सकता है जब वैरांट की आधुनिक ढ़ंग से खुदाई हो।
यह एक ऐसी परम्परा है जिसमे वेदो को पत्रो पर लिख्ने कि बजाय याद करके सदियो तक सुरक्षित रखा जात था।गुरु अपने शिष्य को मोखिक रुप से सम्पूर्ण वेदिक साहित्य का अधय्यन करवाता था और शिष्य उसे याद कर लेता था
सरफराज़ खान बंगाल के नवाब थे।
सूरदास की जन्मतिथि एवं जन्मस्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है। -
पल्लवक्कम मध्य चेन्नई का एक क्षेत्र है।
रोमन भूगोलवेत्ताओं का भी प्रारंभिक ज्ञान देने में हाथ रहा है। स्ट्राबो (50 ईसा पूर्व -14 ई) ने भूमध्य सागर के निकटस्थ परिभ्रमन के अधार पर भूगोल की रचना की। पोंपोनियस मेला (40 ई) ने बतलाया कि दक्षिणी समशीतोष्ण कटिबंध में अवासीय स्थान है जिसे इन्होंने एंटीकथोंस (Antichthones) विशेषण दिया। 150 ई0 में क्लाउडियस टोलेमियस ने ग्रीस की भौगोलिक धारणाओं के आधार पर अपनी रचना की। अरब भूगोल तथा आधुनिक समय में इस विज्ञान का प्रारंभ क्लाउडियस की विचारधारा पर ही निर्धारित है। टोलमी ने किसी स्थान के अक्षांश और देशांतर का निर्णय किया तथा स्थल या समुद्र की दूरी में सुधार किया तथा इसकी स्थिति ऐटलैंटिक महासागर से पृथक निर्णीत की।
बौद्ध धर्म का प्रभाव भारत के बाहर भी हुआ । अफ़ग़ानिस्तान (उस समय फ़ारसी शासकों के अधीन), चीन, जापान तथा श्रीलंका के अतिरिक्त इसने दक्षिण पूर्व एशिया में भी अपनी पहचान बनाई ।
सभी पाण्डव सब प्रकार की विद्याओं में प्रवीण थे।पाण्डवों ने सम्पूर्ण दिशाओं पर विजय पाई और युधिष्ठिर राज्य करने लगे। उन्होंने प्रचुर सुवर्णराशि से परिपूर्ण राजसूय यज्ञ का अनुष्ठान किया। उनका यह वैभव दुर्योधन के लिये असह्य हो उठा। उसने अपने भाई दु:शासन और वैभव प्राप्त सुहृद् कर्ण के कहने से शकुनि को साथ ले, द्यूत-सभा में जूए में प्रवृत्त होकर, युधिष्ठिर को उसके भाइयो,द्रौपदी और उनके राज्य को कपट-द्यूत के द्वारा हँसते-हँसते जीत लिया।दुर्योधन ने कुरु राज्य सभा मे द्रौपदी का बहुत अपमान किया,उसे निर्वस्त्र करने क प्रयास किया।परन्तु गांधारी ने आकर ऐसा होने से रोक दिया। साथ ही मे जूए में परास्त होकर युधिष्ठिर अपने भाइयों के साथ वन में चले गये। वहाँ उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार बारह वर्ष व्यतीत किये। वे वन में भी पहले ही की भाँति प्रतिदिन बहुसंख्यक ब्राह्मणों को भोजन कराते थे। (एक दिन उन्होंने) अठासी हजार द्विजोंसहित दुर्वासा को (श्रीकृष्ण-कृपा से) परितृप्त किया। वहाँ उनके साथ उनकी पत्नी द्रौपदी और पुरोहित धौम्यजी भी थे।
चितौन या सातिआन (एल्सटोनिया), एपोसाइनेसी कुल के सदाबहार वृक्ष और झाड़ियों का एक व्यापक वंश (जीनस) है। इसे वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट ब्राउन द्वारा 1811 में एडिनबर्ग के वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर चार्ल्स एल्सटन (1685-1760) के नाम पर नामित किया गया था (1716-1760)।
नगर परिषद के द्वारा जनकल्याण के कार्य करने के लिए विभिन्न प्रकार के अधिकारी भी नियुक्त किये जाते थे, जैसे - सड़कों, बाज़ारों, चिकित्सालयों, देवालयों, शिक्षा-संस्थाओं , जलापूर्ति, बंदरगाहों की मरम्मत तथा रखरखाव का काम करना । नगर का प्रमुख अधिकारी नागरक कहलाता था । कौटिल्य ने नगर प्रशासन में कई विभागों का भी उल्लेख किया है जो नगर के कई कार्यकलापों को नियमित करते थे, जैसे - लेखा विभाग, राजस्व विभाग, खान तथा खनिज विभाग, रथ विभाग, सीमा शुल्क और कर विभाग ।
अशोक ने अहिंसा, शान्ति तथा लोक कल्याणकारी नीतियों के विश्वविख्यात तथा अतुलनीय सम्राट हैं । एच. जी. वेल्स के अनुसार अशोक का चरित्र “इतिहास के स्तम्भों को भरने वाले राजाओं, सम्राटों, धर्माधिकारियों, सन्त-महात्माओं आदि के बीच प्रकाशमान है और आकाश में प्रायः एकाकी तारा की तरह चमकता है ।"
खगोलीय यांत्रिकी (Celestial mechanics) में आकाशीय पिंडों (heavenly bodies) की गतियों के गणितीय सिद्धांतों का विवेचन किया जाता है। न्यूटन द्वारा प्रिंसिपिया में उपस्थापित गुरुत्वाकर्षण नियम तथा तीन गतिनियम खगोलीय यांत्रिकी के मूल आधार हैं। इस प्रकार इसमें विचारणीय समस्या द्वितीय वर्ण के सामान्य अवकल समीकरणों के एक वर्ग के हल करने तक सीमित हो जाती है।
माध्वाचार्य का जन्म सन् १२३८ में विजयादशमी के दिन उडुपी के निकट पजका नामक छोटे से गाँव में हुआ था।
आयुर्वेद का कर्तव्य है, देह का प्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखना और शेष विश्व से उसका ताल-मेल बनाना। रोग की अवस्था में, इसका कर्तव्य उपतन्त्रों के विकास को रोकने के लिए शीघ्र हस्तक्षेप करना और देह के सन्तुलन को पुन: संचित करना है। प्रारम्भिक अवस्था में रोग सम्बन्धी तत्त्व अस्थायी होते हैं और साधारण अभ्यास से प्राकृतिक सन्तुलन को फिर से कायम किया जा सकता है।
2.6.0 अनुस्वार व्यंजन है और अनुनासिकता स्वर का नासिक्य विकार। हिंदी में ये दोनों अर्थभेदक भी हैं। अत हिंदी में अनुस्वार (ं) और अनुनासिकता चिह्न (ँ) दोनों ही प्रचलित रहेंगे।
कन्नड़ (ಕನ್ನಡ Kannaḍa, [ˈkʌnːəɖa]) या कैनड़ीज़[५]भारत के कर्नाटक राज्य में बोले जानेवाली भाषा है और कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत के सबसे ज़्यादा प्रयोग की जाने वाली भाषाओं में से एक है। ४.५० करोड़ लोग कन्नड भाषा प्रयोग करते हैं।[१] ये भाषा एन्कार्टा के अनुसार विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली ३० भाषाओं की सूची में २७वें स्थान पर आती है।[३] ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है पर इसमें संस्कृत से भी बहुत शब्द हैं। कन्नड भाषा इस्तेमाल करनेवाले इसको विश्वास से 'सिरिगन्नड' बोलते हैं। कन्नड भाषा कुछ २५०० साल से उपयोग में है। कन्नड लिपि कुछ १९०० साल से उपयोग में है। कन्नड अन्य द्रविड़ भाषाओं की तरह है। तेलुगु, तमिल और मलयालम इस भाषा से मिलतेजुलते है। संस्कृत भाषा से बहुत प्रभावित हुई यह भाषा में संस्कृत में से बहुत सारे शब्द वही अर्थ से उपयोग किया जाता है। कन्नड भारत की २२ आधिकारिक भाषाओं में से एक है।[६]
कुवेंपु, प्रसिद्ध कन्नड़ कवि एवं लेखक थे, जिन्होंने जय भारत जननीय तनुजते लिखा था, जिसे अब राज्य का गीत (एन्थम) घोषित किया गया है।[९८] इन्हें प्रथम कर्नाटक रत्न सम्मान दिया गया था, जो कर्नाटक सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। अन्य समकालीन कन्नड़ साहित्य भी भारतीय साहित्य के प्रांगण में अपना प्रतिष्ठित स्थान बनाये हुए है। सात कन्नड़ लेखकों को भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुका है, जो किसी भी भारतीय भाषा के लिये सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान होता है।[९९] टुलु भाषा मुख्यतः राज्य के तटीय जिलों उडुपी और दक्षिण कन्नड़ में बोली जाती है। टुलु महाभरतो, अरुणब्ज द्वारा इस भाषा में लिखा गया पुरातनतम उपलब्ध पाठ है।[१००] टुलु लिपि के क्रमिक पतन के कारण टुलु भाषा अब कन्नड़ लिपि में ही लिखी जाती है, किन्तु कुछ शताब्दी पूर्व तक इस लिपि का प्रयोग होता रहा था। कोडव जाति के लोग, जो मुख्यतः कोडगु जिले के निवासी हैं, कोडव टक्क बोलते हैं। इस भाषा की दो क्षेत्रीय बोलियां मिलती हैं: उत्तरी मेन्डले टक्क और दक्षिणी किग्गाति टक। [१०१]कोंकणी मुख्यतः उत्तर कन्नड़ जिले में और उडुपी एवं दक्षिण कन्नड़ जिलों के कुछ समीपस्थ भागों में बोली जाती है। कोडव टक्क और कोंकणी, दोनों में ही कन्नड़ लिपि का प्रयोग किया जाता है। कई विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी है, और अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा प्रौद्योगिकी-संबंधित कंपनियों तथा बीपीओ में अंग्रेज़ी का प्रयोग ही होता है।
सैनिक रूप से जापान के सम्बन्ध अमेरिका से सामान्य है।
(1) उदात्त कथानक
otherwise [ʔ], [ə], or silent.
ॐ देवीस्तिस्रस्तिस्रो देवीवर्योधसं, पतिमिन्द्रमवद्धर्यन् । जगत्या छन्दसेन्दि्रय शूषमिन्द्रे, वयो दधद्वसुवने वसुधेयस्य व्यन्तु यज॥ -२८.४१
अकबर के पुत्र एवं उत्तराधिकारी जहांगीर के शासन काल में, ओडिशा को प्रांतों में बांटा गया, जिसकी राजधानी कटक रही, और इसका एक सूबेदार नियुक्त किया गया।
• हृषिकेश मुखर्जी
मैसूर मैसूर राज्य में नाड हब्बा (राज्योत्सव) के रूप में मनाया जाता है। यह मैसूर के प्रधान त्यौहारों में से एक है।[९४]उगादि (कन्नड़ नव वर्ष), मकर संक्रांति, गणेश चतुर्थी, नाग पंचमी, बसव जयंती, दीपावली आदि कर्नाटक के प्रमुख त्यौहारों में से हैं।
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मेरे कानो को,
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साँचा:दिसंबर कैलंडर२०१० १५ दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३४९वॉ (लीप वर्ष मे ३५० वॉ) दिन है। साल में अभी और १६ दिन बाकी है।
25 जज तथा 1 मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के प्रावधान का वर्णन संविधान मे है अनु 124[2] के अनुसार् मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय इच्छानुसार राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशॉ की सलाह लेगा वही अन्य जजॉ की नियुक्ति के समय उसे अनिवार्य रूप से मुख्य न्यायाधीश की सलाह माननी पडेगी
उपन्यास विधा पर अद्भुत पकड़ होने के का कारण है नरेन्द्र कोहली की कई विषयों में व्यापक सिद्धहस्तता. मानव मनोविज्ञान को वह गहराई से समझते हैं एवं विभिन्न चरित्रों के मूल तत्व को पकड़ कर भिन्न-भिन्न सिचुएशन्स में उनकी सहज प्रतिक्रया को वे प्रभावशाली एवं विश्वसनीय ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं. औसत एवं असाधारण, सभी प्रकार के पात्रों को वे अपनी सहज संवेदना एवं भेदक विश्लेषक शक्ति से न सिर्फ पकड़ लेते है, वरन उनके साथ तादात्म्य स्थापित कर लेते हैं. राजनैतिक परिवेश की उन्हें अच्छी समझ है. राजनैतिक समीकरणों, घात-प्रतिघात, शक्ति-संतुलन इत्यादि का व्यापक चित्रण उनकी रचनाओं में मिलता है. दर्शन, आध्यात्म एवं संस्कृति पर उनकी पकड़, उनके विस्तृत अध्ययन और व्यापक दृष्टिकोण की तुलना रवीन्द्रनाथ ठाकुर, जयशंकर प्रसाद और महादेवी वर्मा का स्मरण करा देती है.
(३) लौरिया अरराज तथा लौरिया नन्दगढ़- यह स्तम्भ लेख बिहार राज्य के चम्पारण जिले में है ।
== जीवनी == राममोहन राय का जन्म बंगाल में 1772 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था । इनके पिता एक वैष्णव थे जबकि माता शाक्त । १५ वर्ष की आयु तक उन्हें बंगाली, संस्कृत, अरबी तथा फ़ारसी का ज्ञान हो गया था । किशोरावस्था में उन्होने काफी भ्रमण किया । उन्होने 1803-1814 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए भी काम किया । उन्होने ब्रह्म समाज की स्थापना की तथा विदेश (इंग्लैण्ड तथा फ़्रांस) भ्रमण भी किया ।
– इसकी 6 विशेषताएँ है
डोलोमाइट मैग्नीशियम का एक अयस्क है।
यह विषाणुजन्य संक्रामक रोग है। इसमें जननेंद्रिय तथा गुदा की लसीका ग्रंथियों में प्रदाह हाता है। इसका संचारण मैथुन से होता है और उद्भवन काल तीन से २१ दिनों तक का होता है। यह छोटे से व्राण के रूप में आरंभ होता है, जो कष्टदायी न होने के कारण महत्वहीन प्रतीत होता है। दो तीन सप्ताह के भीतर गिल्टी उभर आती है, या लसीका ग्रंथि सूजती है। गिल्टी फूटती है और फूटकर नासूर बन जाती है। सिरदर्द, ताप तथा हरारत की शिकायत होती है। स्त्रियों को प्राय: गुदा प्रदाह, ज्वर, ठंढ के साथ कँपकँपी, सिरदर्द और गाँठों में दर्द होता है तथा बाद में गिल्टी उभड़ती और फूटकर नासूर बन जाती है। गुदानलिका की सिकुड़न भी होती है।
यही है आचार्य द्विवेदी का मन्त्र जो नरेन्द्र कोहली के दीक्षा (रामकथा) से प्रारम्भ होने वाले नरेन्द्र कोहली युग में आद्योपांत अनुगुंजित है.'महासमर' आदि अपनी परवर्ती कृतियों में नरेन्द्र कोहली विकास की अनेक सीढियां चढ़ते हुए कई उच्चतर सोपानों की यात्रा करते है । वे कई नए सामाजिक-मनोवैज्ञानिक-दार्शनिक-आध्यात्मिक सत्यों का साहित्यिक साक्षात्कार करते एवं कराते हैं, पर आचार्य द्विवेदी का यह गुरुमंत्र, यह जीवनदृष्टि उनकी आँखों से कभी ओझल नहीं होती.
मन्त्र के साथ बालक द्वारा गुरु के अभाव में उनके प्रतीक का पूजन कराया जाए । भावना की जाए कि इस श्रद्धा प्रक्रिया द्वारा बालक में वे शिष्योचित गुण विकसित हो रहे हैं । जिनके आधार पर शिष्य भी धन्य हो जाता है और गुरु भी । गुरु तत्त्व की कृपा भाजन बालक बना रहे ।
रामायण में विभिन्न भागों का नाम काण्ड से है, जैसे - अयोध्याकाण्ड, सुन्दरकाण्ड इत्यादि ।
1. संसद सदस्यॉ को शपथ दिलवाना
बांग्ला चलचित्र के प्रख्यात अभिनेता-निर्देशक और रंगमंच कलाकार।
17th centuryPortuguese India 1687–1749 São Tomé de Meliapore18th centuryPortuguese India 1779–1954 Dadra and Nagar Haveli
इस अनुच्छेद को विकिपीडिया लेख Mughal Empire के इस संस्करण से अनुवादित किया गया है.
इस व्रत को करने वाला दिव्य फल प्राप्त करता है।
बॉर्डर के तुरंत बाद जहां कपड़े का मुख्य भाग जिसे अंगना कहा जाता है कि शुरुआत होती है वहां एक खास डिजाइन वस्र को और अधिक अलंकृत करने के लिए दिया जाता है तो इसे झालर कहा जाता है। सामान्यतया यह बॉर्डर के डिजाइन से रंग तथा मटेरियल में मिलता होता है।
माल्टा ८५
रामनुजाचार्य के दर्शन में सत्ता या परमसत् के सम्बन्ध में तीन स्तर माने गए हैं:- ब्रह्म अर्थात ईश्वर, चित् अर्थात आत्म, तथा अचित अर्थात प्रकृति।
यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे।[२]
5. महालेखानियंत्रक तथा परीक्षक [केग] के वेतन भत्ते
नेपिअर संग्रहालय से 800 मी. उत्तर पूर्व में स्थित यह महल केरल सरकार से संबंद्ध है। एक छोटी-सी पहाड़ी पर बने इस महल का निर्माण श्री मूलम तिरुनल राजा के शासन काल में हुआ था। इस महल की आंतरिक सजावट के लिए खूबसूरत दीपदानों और शाही फर्नीचर का प्रयोग किया गया है। यहां स्थित निशागंधी ओपन एयर ओडिटोरिअम और सूर्यकांति ओडिटोरिअम में अनेक सांस्कृतिक सम्मेलनों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। पर्यटन विभाग निशागंधी ओपन एयर ओडिटोरिअम में प्रतिवर्ष अखिल भारतीय नृत्योत्सव का आयोजन करता है। इस दौरान जानेमाने कलाकार भारतीय शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।
दिल्ली का समस्त न्यायिक जिला, जो आज राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, एक सत्र खंड (सैशन डिविजन) में सिमटा हुआ है। इसका प्रमुख एक सत्र न्यायाधीश है। इसके एक मुख्य महानगर दण्डाधिकारी है तथा चार अतिरिक्त महानगर दण्डाधिकारियों के न्यायालयों की संख्या न्यायिक कार्यभार तथा न्यायालयों को चलाने वाले न्यायाधीशों की संख्या के अनुरूप समय-समय पर बदलती रहती है।
पंचम समिति- विक्रय की व्यवस्था, निरीक्षण ।
जयपुर में आतंकवाद - १३ मई, २००८ को जयपुर में श्रृंखलाबद्ध सात बम विस्फोट किए गए। विस्फोट १२ मिनट की वधि के भीतर जयपुर के विभिन्न स्थानों पर हुए। आठवाँ बम निष्कृय पाया गया। घटना में ८० से अधिक लोगों कि मृत्यु व डेढ़ सौ से अधिक घायल हुए।
जल तीन अवस्थाओं में पाया जाता है, यह उन कुछ पदार्थों मे से है जो पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से सभी तीन अवस्थाओं में मिलते हैं। जल पृथ्वी पर कई अलग अलग रूपों मे मिलता है: आसमान में जल वाष्प और बादल; समुद्र में समुद्री जल और कभी कभी हिमशैल; पहाड़ों में हिमनद और नदियां ; और तरल रूप मे भूमि पर एक्वीफर के रूप में।
जंक्शन 2.8 किमी
परवर्ती गुप्त वंश के संस्थापक कृष्णगुप्त ने (५१० ई. ५२१ ई.) स्थापना की ।
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' (२१ फरवरी १८९९[१] - १५ अक्तूबर १९६१) हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों[क] में से एक माने जाते हैं। अपने समकालीन अन्य कवियों से अलग उन्होंने कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है और यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है। वे हिन्दी में मुक्तछंद के प्रवर्तक भी माने जाते हैं।
टाँलेमी एक प्रख्यात ज्योतिर्विद थे। उन्होंने पृथ्वी के एक चक्कर लगाने में चन्द्रमा को जो समय लगता है उसका निर्धारण किया। उन्होंने प्रकाश के नियम का भी प्रतिपादन किया। क्लाडियस टॉलमी एक प्रमुख भूगोलवेत्ता था । वह मिस्त्र का निवासी था । उसका जन्म टॉलेमस सरसी या पेलुसियम मे हुवा (जीवन काल ९० से १६८ ई. या १०० से १७८ ई.)। टॉलमी नें अपना अधिकांश गणित व प्र्क्षेप निर्माण सम्बन्धी सचना कार्य एवं पेक्षण सिकन्दरिया के महान पुस्तकालय में ३-४ दशकों में पूरे किए । उसने सिकन्दरिया के निकट के एक नगर नोरस से कई खगोलिए बेध किए ।
माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है।
अमोघः पुण्डरीकाक्शो व्ड़िषकर्मा व्ड़िषाक्ड़ितिः ।।(१२)
बालेश्वर भारतीय राज्य उड़ीसा का एक जिला है ।
जन्म, २५ अक्टूबर १८०० रोथले टैंपिल (लैस्टरशिर) में हुआ। पिता, जकारी मैकॉले, व्यापारी था। इसकी शिक्षा केंब्रिज के पास एक निजी विद्यालय में, फिर एक सुयोग्य पादरी के घर, तदनंतर ट्रिनिटी कालेज कैंब्रिज में हुई। १८२६ में वकालत शुरू की। इसी समय अपने विद्वत्ता और विचारपूर्ण लेखों द्वारा लंदन के शिष्ट तथा विज्ञ मंडल में पैठ पा गया।
(५) हामी भाषाओं का एक विचित्र लक्षण बहुवचन में लिंगभेद कर देना है। इस नियम को ध्रुवाभिमुख कहते हैं। जैसे सोमाली भाषा में लिबि हिद्दू (शेर पु.)। लिबिहह्यहोदि (बहुत से शेर, स्त्री.), होयोदि (माता, स्त्री.), होयो इंकि (माताएँ, पु.)। बहुत से शेर स्त्रीलिंग में और बहुत सी माताएँ पुल्लिंग में हैं।
इन औषधियों का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए : ""यह औषधि इस स्वभाव की होने के कारण तथा अमुक तत्वों की प्रधानता के कारण, अमुक गुणवाली होने से, अमुक प्रकार के देश में उत्पन्न और अमुक ऋतु में संग्रह कर, अमुक प्रकार सुरक्षित रहकर, अमुक कल्पना से, अमुक मात्रा से, इस रोग की, इस-इस अवस्था में तथा अमुक प्रकार के रोगी को इतनी मात्रा में देने पर अमुक दोष को निकालेगी या शांत करेगी। इसके प्रभाव में इसी के समान गुणवाली अमुक औषधि का प्रयोग किया जा सकता है। इसमें यह यह उपद्रव हो सकते हैं और उसके शमनार्थ ये उपाय करने चाहिए।
इसके बाद राय ने समसामयिक बंगाली वास्तविकता पर ध्यान देना शुरु किया। बंगाल में उस समय नक्सलवादी क्रांति जोर पकड़ रही थी। ऐसे समय में नवयुवकों की मानसिकता को लेकर इन्होंने कलकत्ता त्रयी के नाम से जाने वाली तीन फ़िल्में बनाईं — प्रतिद्वंद्वी (প্রতিদ্বন্দ্বী) (1970), सीमाबद्ध (সীমাবদ্ধ) (1971) और जनअरण्य (জনঅরণ্য) (1975)। इन तीनों फ़िल्मों की कल्पना अलग-अलग हुई लेकिन इनके विषय साथ मिलाकर एक त्रयी का रूप लेते हैं। प्रतिद्वंद्वी एक आदर्शवादी नवयुवक की कहानी है जो समाज से मोह-भंग होने पर भी अपने आदर्श नहीं त्यागता है। इसमें राय ने कथा-वर्णन की एक नयी शैली अपनाई, जिसमें इन्होंने नेगेटिव में दृश्य, स्वप्न दृश्य और आकस्मिक फ़्लैश-बैक का उपयोग किया। जनअरण्य फ़िल्म में एक नवयुवक की कहानी है जो जीविका कमाने के लिए भ्रष्ट राहों पर चलने लगता है। सीमाबद्ध में एक सफल युवक अधिक धन कमाने के लिए अपनी नैतिकता छोड़ देता है। राय ने 1970 के दशक में अपनी दो लोकप्रिय कहानियों — सोनार केल्ला (সোনার কেল্লা, स्वर्ण किला) और जॉय बाबा फेलुनाथ (জয় বাবা ফেলুনাথ) — का फ़िल्मांकन किया। दोनों फ़िल्में बच्चों और बड़ों दोनों में बहुत लोकप्रिय रहीं।[३१]
ब्रह्मगुप्त ने पृथ्वी की परिधि ज्ञात की थी, जो आधुनिक मान के निकट है। मध्यकालीन यात्री अलबरूनी ने भी ब्रह्मगुप्त का उल्लेख किया है।[३]
दरबार मार्ग का निर्माण राणा वंश के शासन काल में हुए नगर विस्तार के दौरान किया गया था। यह काठमांडू पर्यटन का मुख्य केंद्र है। यहां पर महंगे होटल, रेस्टोरेंट, ट्रैवल एजेंसियां और एयरलाइंस ऑफिस मिल जाएंगे। दरबार मार्ग जंक्शन के बीच में पूर्व राजा महेंद्र की प्रतिमा लगी हुई है। इसके अलावा यहां पर बहुत से प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल हैं जहां पर नेपाल की संस्कृति के दर्शन किए जा सकते हैं।
जुलाई 2006 तक विकिपीडिया के 151 भाषाओं में सक्रिय संस्करण है, कुल 229 भाषाओं में संस्करण है जो भिन्न अवस्थाओं में हैं। भिन्न भाषाओं के संस्करण स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं। इन संस्करणों के अंशों का एक-दूसरे से कोई संबंध नहीं है, न ही इनके लेखों का कोई संबंध है, और न ही किसी भी लेख के एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद की आवश्यकता। विकिपीडिया में स्वचालित अनुवाद का स्पष्ट निषेध है, हालांकि निपुण लोगों द्वारा अनुवाद का स्वागत भी होता है। भिन्न भाषाओं के संस्करणों को समान नीति जैसे कि "निष्पक्ष दृष्टिकोण" के जरिए बांधा गया है। लेखों और चित्रों को भिन्न संस्करणों के बीच इंटरविकि (interwiki) के जरिए जोडा जा सकता है, लेखों के अनुवाद के लिये अनुरोध भी किया जा सकता है। हालांकि अनुवादित लेख काफी कम संख्या में हैं। अलेक्क्षा (Alexa) के अनुसार अंग्रेजी विकिपीडिया कुल ट्रैफिक का केवल 60% ही प्राप्त करता है। जबकि अन्य 40% भिन्न भाषाओं में है। मुख्य भाषाओं में अंग्रेजी, जर्मन, फ्रांसीसी, पोलिश, जापानी, डच, स्वीडिश, इतालवी, पुर्तगाली और स्पैनिश शामिल हैं।
२ अक्टूबर (2 October) गाँधी का जन्मदिन है इसलिए गाँधी जयंती (Gandhi Jayanti) के अवसर पर भारत में राष्ट्रीय अवकाश (national holiday in India) होता है १५ जून २००७ को यह घोषणा की गई थी कि "सयुंक्त राष्ट्र महा सभा (United Nations General Assembly)" एक प्रस्ताव की घोषणा की, कि २ अक्टूबर (2 October) को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-Violence)" के रूप में मनाया जाएगा.[४८]
२. आत्मकथा - १८९३
पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर चीन में मानव बसासत लगभग साढ़े बाईस लाख वर्ष पुराना है।
वर द्वारा मर्यादा स्वीकारोक्ति के बाद कन्या अपना हाथ वर के हाथ में सौंपे और वर अपना हाथ कन्या के हाथ में सौंप दे । इस प्रकार दोनों एक दूसरे का पाणिग्रहण करते हैं । यह क्रिया हाथ से हाथ मिलाने जैसी होती है । मानों एक दूसरे को पकड़कर सहारा दे रहे हों । कन्यादान की तरह यह वर-दान की क्रिया तो नहीं होती, फिर भी उस अवसर पर वर की भावना भी ठीक वैसी होनी चाहिए, जैसी कि कन्या को अपना हाथ सौंपते समय होती है । वर भी यह अनुभव करें कि उसने अपने व्यक्तित्व का अपनी इच्छा, आकांक्षा एवं गतिविधियों के संचालन का केन्द्र इस वधू को बना दिया और अपना हाथ भी सौंप दिया । दोनों एक दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए एक दूसरे का हाथ जब भावनापूर्वक समाज के सम्मुख पकड़ लें, तो समझना चाहिए कि विवाह का प्रयोजन पूरा हो गया ।
नाउरू की संसद में 18 सीटें शामिल हैं और यह नाउरू गणराज्य की विधायी संस्था है. संसद भवन यारेण जिले में स्थित है. सांसद माननीय उपसर्ग का उपयोग करने के अधिकारी हैं.
(वर्णनात्मक भाषाविज्ञान) बीसवीं शती का भाषाविज्ञान मुख्यत: वर्णनात्मक अथवा संरचनात्मक भाषाविज्ञान कहा जा सकता है। इसे आधुनिक रूप देनेवालों में प्रमुख बॉदें (Baudouin de courtenay), हेनरी स्वीट और सोसुर (Saussure) हैं। स्विस भाषावैज्ञानिक सोसुर (1857-1913) द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों से भी पूर्व हंबोल्ट (Humboldt) ने प्रतिपादित किया था कि भाषाविशेष का अध्ययन किसी अन्य भाषा से तुलना किए बिना उसी भाषा के आंतरिक अवयवों के आधार पर होना चाहिए। सोसुर ने सर्वप्रथम भाषा की प्रवृति पर प्रकाश डालते हुए संकेतित (Signified) और संकेतन (Signifier) के संबंध को वस्तु न मानकर प्रकार्य (function) माना और उसे भाषाई चिह्न (Linguistic Sign) से अभिहित किया। चिह्न यादृच्छिक है अर्थात ‘संकेतित’ का ‘संकेतक’ से कोई तर्कसंगत संबंध नहीं है। वृक्ष के लिये ‘पेड़’ कहने में कोई तर्क नहीं है; ‘प’, ‘ए’, ‘ड’, स्वनों में कुछ ऐसा नही है कि वह वृक्ष का ही संकेतक हो, यह केवल परंपरा के कारण है। इसके अतिरिक्त चिह्न का मूल्य भाषा में प्रयुक्त पूरी शब्दावली (अन्य सभी चिह्नों) के परिप्रेक्ष्य में होता है, अर्थात् उनके विरोध (Opposition) से होता है। भाषा का इन्हीं विरोधों की प्रकार्यता पर निर्भर रहना वर्णनात्मक भाषा विज्ञान का आधारस्तंभ है। इन (स्वनिम, रूपिम, अर्थिम आदि) की सत्ता विरोध के सिद्धांत पर ही आश्रित है।
शरीर में विभिन्न पोषक तत्वों- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज की आवश्यकता मनुष्य की आयु, लिंग, शारीरिक श्रम और शरीर की दशा पर निर्भर करती है। शारीरिक श्रम करने वाले एक मजदूर को दफ्तर में काम करने वाले व्यक्ति की अपेक्षा शक्ति प्रदान करने वाले भोजन की कहीं अधिक आवश्यकता होती है। गर्भवती औरतों और स्तनपान करने वाले बच्चों की माताओं को शारीरिक परिवर्तनों के कारण अधिक प्रोटीन और खनिजों की आवश्यकता होती है।
श्री नृपेन्द्रनाथ गुप्त
4. जातकर्म,
ब्रह्मपुत्र, मोरनाई, जिंजीम
शिवरात्रि और सावन सोमवार के दिन त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भक्तों का ताँता लगा रहता है। भक्त भोर के समय स्नान करके अपने आराध्य के दर्शन करते हैं। यहाँ कालसर्प योग और नारायण नागबलि नामक खास पूजा-अर्चना भी होती है, जिसके कारण यहाँ सालभर लोग आते रहते हैं।
समुद्र तट से ऊँचाई किसी बिंदु या वस्तु का समुद्र तट से उत्थापन होता है. विमानन में यह फ़ीट में नापा जाता है. अन्य प्रयोगों हेतु इसे मीटर इत्यदि में भी नापा जा सकता है.
मुलताई के देशमुख और देशपाण्डे परिवारों के प्रमुख और अनेक ग्रामीण उसकी सेना में शामिल हो गये। परंतु तात्या को यहाँ जन समर्थन प्राप्त करने में वह सफलता नहीं मिली जिसकी उसने अपेक्षा की थी। अंग्रेजों ने बैतूल में उनकी मजबूत घेराबंदी कर ली। पश्चिम या दक्षिण की ओर बढने के रास्ते बंद थे। अंततः तात्या ने मुलताई को लूट लिया और सरकारी इमारतों में आग लगा दी। वे उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुड गये और आठनेर और भैंसदेही होते हुए पूर्व निमाड यानि खण्डवा जिले पहुँच गये। ताप्ती घाटी में सतपुडा की चोटियाँ पार करते हुए तात्या खण्डवा पहुँचे। उन्होंने देखा कि अंग्रेजों ने हर एक दिशा में उनके विरूद्ध मोर्चा बाँध दिया है। खानदेश में सर ह्यूरोज और गुजरात में जनरल राबर्ट्स उनका रास्ता रोके थे। बरार की ओर भी फौज उनकी तरफ बढ रही थी। तात्या के एक सहयोगी ने लिखा है कि तात्या उस समय अत्यंत कठिन स्थिति का सामना कर रहे थे। उनके पास न गोला-बारूद था, न रसद, न पैसा। उन्होंने अपने सहयोगियों को आज्ञा दे दी कि वे जहाँ चाहें जा सकते हैं, परंतु निश्ठावान सहयोगी और अनुयायी ऐसे कठिन समय में अपने नेता का साथ छोडने को तैयार नहीं थे।
यहां कुल 17 समिति विकास ब्लॉक हैं।
गंगा नदी के समीप स्थित मनिहारी से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर बाल्दीबाड़ी गांव स्थित है। इसी जगह पर मुर्शीदाबाद के नवाब सिराज-उद-दौला और पूर्णिया के गर्वनर नवाब शौकत जंग के बीच युद्ध हुआ था।
Даңқымыз шықты ғой,
क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य वर्तमान काल में सामान्य रूप से होता है वहाँ सामान्य वर्तमान होता है। जैसे -
2 भाग -5 सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय राज्य तथा केन्द्र के मध्य वैधानिक संबंध
3. जगन्नाथ पुरी
पाणिनि का संस्कृत व्याकरण चार भागों में है -
एनएएल की स्थापना 1 जून 1959 को दिल्ली में हुई जो 1 मार्च 1960 को बेंगलूर स्थानांतरित हुआ1 प्रारंभिक वर्ष (1960-67) बेलंदूर सरोवर पर पवन सुरंगों की स्थापना में ही बीत गए; मुख्यत: 1.2m ित्रध्वनिक अवधमन पवन सुरंग जो अभी भी अपनी भव्यता बनायी रखी है1
राज्य के राजमार्ग एक विशेष क्रम में गिने जाते हैं. राज्य में राजमार्गों के पहले अंक, कुछ अपवादों के साथ इसप्रकार रखे गये जैसे राज्य सड़क 112 इन्टरस्टेट-95 को मियामी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोड़ता है या ऑरलैंडो में राज्य सड़क-15, पहला अंक यह संकेत देता है कि राज्य सड़क किस क्षेत्र का है, ये उत्तर में 1 से दक्षिण में 9 तक गिने जाते हैं.उत्तर दक्षिण फ्लोरिडा राज्य सड़क का नम्बर आम तौर पर अजीब है जो गिनती में पूर्व से पश्चिम की तरफ बढ़ता है, और पूर्व पश्चिम फ्लोरिडा राज्य सड़क भी उत्तर से दक्षिण की ओर गिना जाता हैं. इस सम्मेलन के बाद, स्टेट रोड 907 या मियामी बीच का ऑलटन रोड, स्टेट रोड 997 से सूदूर पूर्व में है जो क्रोम एवेन्यू या मियामी-डेड काउंटी का सूदूर पश्चिम उत्तर-दक्षिण रोड है.इस नियम का दूसरे उल्लेखनीय अपवाद राज्य सड़क 826, या पल्मेट्टो एक्सप्रेसवे है (चित्र उत्तर की तरफ बढ़ता हुआ) हालांकि जिनकी गिनती सम है, उत्तर से दक्षिण के लिए ही लेबल लगे है. राज्य की सड़कों पर एक से चार अंक ही दिये गये हैं इनके महत्व और सड़क के स्थान को ध्यान में रखते हुऐ .[७८] काउंटी सड़कें भी अक्सर इसी प्रणाली का पालन करती हैं.
सरस उद्देश्य के लिए कुछ भाषाओं में इंटरफ़ेस उपलब्ध है:
प्राचीन काल में मगध का साम्राज्य देश के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था । यहाँ से मौर्य वंश, गुप्त वंश तथा अन्य कई राजवंशो ने देश के अधिकतर हिस्सों पर राज किया । मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक का साम्राज्य पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ था । मौर्य वंश का शासन ३२५ ईस्वी पूर्व से १८५ ईस्वी पूर्व तक रहा । छठी और पांचवीं सदी इसापूर्व में यहां बौद्ध तथा जैन धर्मों का उद्भव हुआ । अशोक ने, बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसने अपने पुत्र महेन्द्र को बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा । उसने उसे पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) के एक घाट से विदा किया जिसे महेन्द्र के नाम पर में अब भी महेन्द्रू घाट कहते हैं । बाद में बौद्ध धर्म चीन तथा उसके रास्ते जापान तक पहुंच गया ।
नाटक के क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद का विशेष स्थान है. इनके चंद्रगुप्त, स्कंदगुप्त, ध्रुवस्वामिनी जैसे ऐतिहासिक नाटकों में इतिहास और कल्पना तथा भारतीय और पाश्चात्य नाटय पद्यतियों का समन्वय हुआ है. लक्ष्मीनारायण मिश्र, हरिकृष्ण प्रेमी, जगदीशचंद्र माथुर आदि इस काल के उल्लेखनीय नाटककार हैं.
10.
एयर इंडिया जेआरडी टाटा ने 1932 में स्थापित किया गया था के रूप में टाटा एयरलाइंस, टाटा संस (लिमिटेड का एक प्रभाग अब टाटा समूह). 1932 15 अक्टूबर को जेआरडी टाटा एकल इंजन De Havilland खरहा हवा मेल (इंपीरियल एयरवेज के डाक मेल कीट ले उड़े) ने कराची हवाई अड्डा Drigh रोड से अहमदाबाद के माध्यम से मुंबई के जुहू हवाई पट्टी के लिए. विमान बेल्लारी के माध्यम से जारी रखा पूर्व मद्रास रॉयल एयर फोर्स पायलट Nevill Vintcent द्वारा संचालित.
राष्ट्रीय राजमार्ग २४ से दिल्ली से सीधे लखनऊ पहुंचा जा सकता है। लखनऊ का राष्ट्रीय राजमार्ग २ दिल्ली को आगरा, इलाहाबाद, वाराणसी और कानपुर के रास्ते कोलकाता से जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग २५ झांसी को जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग २८ मुजफ्फरपुर से, राष्ट्रीय राजमार्ग ५६ वाराणसी से जोड़ते हैं।
2.
मनु ने श्रुति तथा स्मृति महत्ता को समान माना है। गौतम ऋषि ने भी यही कहा है कि ‘वेदो धर्ममूल तद्धिदां च स्मृतिशीले। हरदत्त ने गौतम की व्खाख्या करते हुए कहा कि स्मृति से अभिप्राय है मनुस्मृति से। परन्तु उनकी यह व्याख्या उचित नहीं प्रतीत होती क्योंकि स्मृति और शील इन शब्दों का प्रयोग स्रोत के रूप में किया है, किसी विशिष्ट स्मृति ग्रन्थ या शील के लिए नहीं। स्मृति से अभिप्राय है वेदविदों की स्मरण शक्ति में पड़ी उन रूढ़ि और परम्पराओं से जिनका उल्लेख वैदिक साहित्य में नहीं किया गया है तथा शील से अभिप्राय है उन विद्वानों के व्यवहार तथा आचार में उभरते प्रमाणों से। फिर भी आपस्तम्ब ने अपने धर्म-सूत्र के प्रारम्भ में ही कहा है ‘धर्मज्ञसमयः प्रमाणं वेदाश्च’।
लातिनी कि लिपि रोमन लिपि है । असल में रोमन लिपि लातिनी के लिये ही बनी है, यानी कि लातिनी की अपनी लिपि है । इसलिये इसका हरेक अक्षर लगभग हमेशा एक ही उच्चारण देता है (अंग्रेज़ी की तरह गड़बड़-घोटाला नहीं होता) । अति-प्राचीन रोमन लिपि ये थी
तिलका माँझी एक आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, बिर्टिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन करते हुये वे कई बार जेल गये और अंत में भागलपुर जेल में उन्हें फाँसी की सजा दी गयी।
तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम।
परिवहन का एक चिरकालीन साधन है ।
यह चीन मे बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा हैं ।
1974 में, पारंपरिक मछली पकड़ने की नाव, धोनी का मशीनीकरण, मत्स्य पालन उद्योग और सामान्य रूप से देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी. 1977 में, एक जापानी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम के रूप में, फेलिवारू द्वीप में एक मछली कैनिंग यंत्र स्थापित किया गया. 1979 में, एक मत्स्य सलाहकार बोर्ड स्थापित किया गया, यह सरकार को मत्स्य पालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए नीति निर्देशों पर सलाह देने के जनादेश के साथ बनाया गया था. मानव शक्ति विकास कार्यक्रम की शुरुआत 1980 के दशक के प्रारंभ में हुई और मत्स्य पालन शिक्षा स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल कर दी गई. मछली कुल उपकरण और नौवहन एड्स विभिन्न रणनीतिक अंकों में स्थित थे. इसके अलावा, मालदीव के मत्स्य पालन के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (ई ई जेड) के खुलने से मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास में इजाफा हुआ है. आज, मत्स्य पालन देश के सकल घरेलू उत्पाद में पंद्रह प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है और देश के लगभग तीस प्रतिशत लोगों को इस काम में संलग्न करता हैं. यह पर्यटन के बाद दूसरा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा अर्जक है.
बाल्यकाल से ही रामप्रसाद की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। जहाँ कहीं वह गलत अक्षर लिखता उसकी खूब पिटाई की जाती लेकिन रामप्रसाद में चंचलता व उद्दण्डता कम न थी। मौका पाते ही पास के बगीचे में घुसकर फल आदि तोड़ देता था जिस पर उसकी भरपूर पिटाई हुआ करती लेकिन वह आसानी से बाज न आता। शायद यही प्रकृति गुण रामप्रसाद को एक क्रांतिकारी बना पाये अर्थात् वह अपने विचारों का पक्का प्रारम्भ से ही था। लगभग 14 वर्ष की आयु में रामप्रसाद को अपने पिता की सन्दूक से रुपये चुराने की लत पड़ गई। चुराये गये रुपयों से उपन्यास आदि खरीदकर पढ़ना प्रारम्भ कर दिया एवं सिगरेट पीने व भाँग चढ़ाने की आदत भी पड़ गई थी। कुल मिलाकर रुपये चोरी का सिलसिला चलता रहा और रामप्रसाद अब उर्दू के वयस्क व प्रेमरस पूर्ण उपन्यासों, गजलों की पुस्तक पढ़ने का आदी हो गया था। संयोग से एक दिन भंग के नशे में होने के कारण रामप्रसाद चोरी करते हुए पकड़ गये। सारा भाँड़ा फूट गया। खूब पिटाई हुई। उपन्यास व अन्य किताबें फाड़ डाली गईं लेकिन रुपये चोरी की यह आदत एकाएक न छूट सकी। हाँ, आगे चलकर रामप्रसाद इस अभिशाप से बच पाये।
वे धारासन सत्याग्रह के अहम इन्कलाबी (क्रांतिकारी) थे । वे 1940-45 के बीट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे जिस दौरान भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ था । कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं की तरह उन्हें भी तीन साल जेल में बिताने पड़े थे । स्वतंत्रता के बाद वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना में उनके सबसे अविस्मरणीय कार्यों मे से एक था ।
एम एल वसंतकुमारी को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६७ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये आंध्र प्रदेश राज्य से हैं।
मनु ने धर्म के दस लक्षण बताये हैं:
डॉ. साराभाई भारत में भेषज उद्योग के भी अग्रदूत थे । वे भेषज उद्योग से जुड़े उन चंद लोगों में से थे जिन्होंने इस बात को पहचाना कि गुणवत्ता के उच्च्तम मानक स्थापित किए जाने चाहिए और उन्हें हर हालत में बनाए रखा जाना चाहिए । यह साराभाई ही थे जिन्होंने भेषज उद्योग में इलेक्ट्रानिक आंकड़ा प्रसंस्करण और संचालन अनुसंधान तकनीकों को लागू किया । उन्होंने भारत के भेषज उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने और अनेक दवाइयों और उपकरणों को देश में ही बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । साराभाई देश में विज्ञान की शिक्षा की स्थिति के बारे में बहुत चिन्तित थे । इस स्थिति में सुधार लाने के लिए उन्होंने सामुदायिक विज्ञान केन्द्र की स्थापना की थी।
सद्गतिः सत्क्ड़ितिः सत्ता सद्भूतिः सत्परायणः ।
बांग्ला भाषा (বাংলা ভাষা बाङ्ला), आगे बंगाली, बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल प्रान्त में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार के लिहाज से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, उड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बांग्ला बोलनेवालों की सँख्या लगभग 207 मिलियन है और यह विश्व की चौथी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फैले हैं।
इन विषयों को विचारकों ने अपनी अपनी रुचि के अनुसार विविध पक्षों से देखा है। किसी ने एक पक्ष पर विशेष ध्यान दिया है, किसी ने दूसरे पक्ष पर। प्रत्येक समस्या के नीचे उपसमस्याएँ उपस्थित हो जाती हैं।
१९३४ की गर्मियों में , उनकी जान लेने के लिए उन पर तीन असफल प्रयास किए गए थे ।.
1971 के समय पाकिस्तान में जनरल याह्या खान राष्ट्रपति थे और उन्होंने पूर्वी हिस्से में फैली नाराजगी को दूर करने के लिए जनरल टिक्का खान को जिम्मेदारी दी। लेकिन उनके द्वारा दबाव से मामले को हल करने के प्रयास से स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई। 25 मार्च 1971 को पाकिस्तान के इस हिस्से में जबर्दस्त नरसंहार हुआ। इससे पाकिस्तानी सेना में काम कर रहे पूर्वी क्षेत्र के निवासियों में जबर्दस्त रोष हुआ और उन्होंने अलग मुक्ति वाहिनी बना ली। पाकिस्तानी फौज का निरपराध, हथियार विहीन लोगों पर अत्याचार जारी रहा। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लगातार अपील की कि पूर्वी पाकिस्तान की स्थिति सुधारी जाए, लेकिन किसी देश ने ध्यान नहीं दिया और जब वहां के विस्थापित लगातार भारत आते रहे तो अप्रैल 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुक्ति वाहिनी को समर्थन देकर, बांग्लादेश को आजाद करवाने का निर्णय लिया।
मुंडेश्वरी मंदिर कैमूर जिले के रामगढ़ में स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर 636 ई. से ही अस्तित्व में है। यह मंदिर गुप्त काल की वास्तुशैली का अनोखा उदाहरण है।
साँचा:अप्रैल कैलंडर२०१० 6 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 96वॉ (लीप वर्ष मे 97 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 269 दिन बाकी है।
Losing the war and the 13 colonies was a shock to the British system. The war revealed the limitations of Britain's fiscal-military state when it had powerful enemies, no allies, depended on extended and vulnerable transatlantic lines of communication, and was faced for the first time since the 17th century by both Protestant and Catholic foes. The defeat heightened dissension and escalated political antagonism to the King's ministers. Inside parliament, the primary concern changed from fears of an over-mighty monarch to the issues of representation, parliamentary reform , and government retrenchment. Reformers sought to destroy what they saw as widespread institutional corruption. The result was a powerful crisis, 1776-1783. The peace in 1783 left France financially prostrate, while the British economy boomed thanks to the return of American business. The crisis ended after 1784 thanks to the king's shrewdness in outwitting Charles James Fox (the leader of the Fox-North Coalition ), and renewed confidence in the system engendered by the leadership of the new Prime Minister, William Pitt . Historians conclude that loss of the American colonies enabled Britain to deal with the French Revolution with more unity and better organization than would otherwise have been the case. [ 89 ] [ 90 ] [ edit ] Immediate aftermath See also: Annapolis Convention (1786) , Philadelphia Convention , Constitution of the United States of America , and United States Bill of Rights [ edit ] Interpretations [ संपादित करें ] व्याख्याओं
ईसाई धर्म इंग्लैंड में प्रमुख धरम है जहाँ इंग्लैंड का चर्च (अंगरेज़ी) एक स्थापित चर्च है:[१४३]UK संसद में चर्च का प्रतिनिधित्व बरकरार है और ब्रिटिश सम्राट चर्च का सदस्य है (संघ की संधि अनुच्छेद 2 के अंतर्गत आवश्यक) साथ ही इसके प्रमुख राज्यपाल.इंग्लैंड का चर्च सामान्य परिषद् के माध्यम से वैधानिक उपायों का मसौदा तैयार करने का भी रखता है (धार्मिक प्रशासन के लिए) जो की संसद द्वारा कानून में पारित किया जा सकता है.इंग्लैंड और वेल्स का रोमन कैथोलिक चर्च दूसरा सबसे बड़ा ईसाई चर्च है जिसमें 50 लाख सदस्य हैं, जो ज्यादर इंग्लैंड से हैं.[१४४] वहाँ भी रूढ़िवादी, इंजील और पेंटकोस्ट के चर्च बढ़ रहे हैं, जहाँ चर्च उपस्थिति के संदर्भ में इंग्लैंड में पेंटकोस्ट के चर्च इंग्लैंड के चर्च और रोमन कैथोलिक चर्च के बाद तीसरा है.[१४५][१४६] अन्य बड़े ईसाई समूहों में मेथोडिस्ट और बपतिस्मा-दाता शामिल हैं.
संयुक्त राज्य अमेरिका [138]
2009 में फ्लोरिडा पांचवें सबसे खतरनाक राज्य के स्थान पर था. 2008 में प्रतिबद्ध जुर्म के रिकॉर्ड पर आधारित इसका स्थान गंभीर है.[६१]
ब्रह्मांड के इस भाग में समय के प्रत्येक अर्ध चक्र में चौबीस (प्रत्येक पूरे चक्र में अड़तालीस) तीर्थंकर जन्म लेते हैं। हमारे वर्तमान में (उतरते) समय के अर्ध चक्र में, पहले तीर्थंकर रिषभ देव अरबों वर्ष पहले रहे और तीसरे युग की समाप्ति की ओर मुक्ति प्राप्त ( 'मोक्ष' या 'निर्वाण') की। चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी (५९९-५२७ ईसा पूर्व) थे, जिनका अस्तित्व एक ऐतिहासिक तथ्य स्वीकार कर लिया गया है। दिगम्बरों का मानना है कि सभी चौबीस तीर्थंकर पुरुष थे पर स्वेताम्बरों का मानना है कि १९वीं तीर्थंकर, मल्लिनाथ, एक महिला थी।
लेकिन दुर्योधन
विविध प्रमाणों और आलोचनात्मक समीक्षा के बाद यह तर्क निर्धारित होता है कि चन्द्रगुप्त मोरिय वंश का क्षत्रिय था । चन्द्रगुप्त के पिता मोरिय नगर प्रमुख थे । जब वह गर्भ में ही था तब उसके पिता की मृत्यु युद्धभूमि में हो गयी थी । उसका पाटलिपुत्र में जन्म हुआ था तथा एक गोपालक द्वारा पोषित किया गया था । चरावाह तथा शिकारी रूप में ही राजा-गुण होने का पता चाणक्य ने कर लिया था तथा उसे एक हजार में कषार्पण में खरीद लिया । तत्पश्चात्तक्षशिला लाकर सभी विद्या में निपुण बनाया । अध्ययन के दौरान ही सम्भवतः चन्द्रगुप्त सिकन्दर से मिला था । ३२३ ई. पू. में सिकन्दर की मृत्यु हो गयी तथा उत्तरी सिन्धु घाटी में प्रमुख यूनानी क्षत्रप फिलिप द्वितीय की हत्या हो गई ।
सम्पूर्ण ओड़िआ भाषा के इतिहास को निम्न वर्गों में बांटा जा सकता है -
भगत सिंह मूलतः खूनखराबे के जोरदार पक्षधर नहीं थे । पर वे मार्क्स के सिद्धांतो से प्रभावित थे तथा समाजवाद के पक्षधर । इस कारण से उन्हें पूंजीपतियों कि मजदूरों के प्रति शोषण की नीति पसन्द नहीं आती थी । उस समय अंग्रेज सर्वेसर्वा थे तथा बहुत कम भारतीय उद्योगपति ही प्रकाश में आ पाए थे । अतः अंग्रेजों की मजदूरों के प्रति रूख़ से ख़फ़ा होना लाज़िमी था । ऐसी नीतियों के पारित होने को निशाना बनाना उनके दल का निर्णय था । सभी चाहते थे कि अंग्रेजों को पता चले कि हिंदुस्तानी जगे हैं और उनके हृदय में ऐसी नीतियों के खिलाफ़ क्षोभ है । ऐसा करने के लिए उन लोगों ने लाहौर की केन्द्रीय एसेम्बली में बम फेंकने की सोची ।
(५) जौगढ़- यह उड़ीसा के जौगढ़ में स्थित है ।
5. संघ के ढाँचे से जुडा होने पर आधे राज्यॉ की विधायिका से स्वीकृति मिले
इस्लामी कैलेण्डर की कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ हैं:
राम राज बैठे त्रैलोका।
पुराणों में इस जगह को कलयाणपुरी या कलयाण नगर के नाम से जाना जाता था । अन्ग्रेज़ों के आगमन के पश्चात ही बंगलोर को अपना यह अन्ग्रेज़ी नाम मिला ।
सत्ता सम्हालते ही अशोक ने पूर्व तथा पश्चिम दोनो दिशा में अपना साम्राज्य फैलाना शुरु किया । उसने आधुनिक असम से ईरान की सीमा तक साम्राज्य विस्तृत कर केवल आठ वर्षों में कर लिया ।
बाद मे अपना मत बदल्ते हुए न्यायालय ने कम से कम 4 जजॉ के साथ सलाह करना अनिवार्य कर दिया था वह कोई भी सलाह राष्ट्रपति को अग्रेषित नही करेगा यदि दो या ज्यादा जजो की सलाह इस्के विरूद्ध हो किंतु 4 जजॉ की स्लाह उसे अन्य जजॉ जिनसे वो चाहे सलाह लेने से नही रोकेगी
अहमदाबाद का नाम सुल्तान अहमद शाह के नाम पर रखा गया है। सुल्तान अहमद शाह ने इस शहर की स्थापना 1411 ईसवी में की थी। इस शहर को भारत का मेनचेस्टर भी कहा जाता है। वर्तमान समय में, अहमदाबाद को भारत के गुजरात प्रांत की राजधानी होने के साथ साथ इसे एक प्रमुख औद्योगिक शहर के रूप में जाना जाता है।
त्रिपदस्त्रिदशाध्यक्शो महाश्ड़िण्गः क्ड़ितान्तक्ड़ित ।।(५७)
वेलिन =शीर्ष गॉटेमाला ५७
शालीमार बाग दिल्ली के रिंग मार्ग पर पड़ने वाला एक चौराहा है। इसे अशोक विहार पुलिस स्टेशन मार्ग काटता है।
चारुलता के बाद के काल में राय ने विविध विषयों पर आधारित फ़िल्में बनाईं, जिनमें शामिल हैं, कल्पनाकथाएँ, विज्ञानकथाएँ, गुप्तचर कथाएँ और ऐतिहासिक नाटक। राय ने फ़िल्मों में नयी तकनीकों पर प्रयोग करना और भारत के समकालीन विषयों पर ध्यान देना शुरु किया। इस काल की पहली मुख्य फ़िल्म थी नायक (নায়ক), जिसमें एक फ़िल्म अभिनेता (उत्तम कुमार) रेल में सफर करते हुए एक महिला पत्रकार (शर्मिला टैगोर) से मिलता है। 24 घंटे की घटनाओं पर आधारित इस फ़िल्म में इस प्रसिद्ध अभिनेता के मनोविज्ञान का अन्वेषण किया गया है। बर्लिन में इस फ़िल्म को आलोचक पुरस्कार मिला, लेकिन अन्य प्रतिक्रियाएँ अधिक उत्साहपूर्ण नहीं रहीं।[२५]
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च १८६५ में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। उनकी अगली रचना का नाम कपालकुंडला (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है। उन्होंने 1872 में मासिक पत्रिका बंगदर्शन का भी प्रकाशन किया। अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया। कृष्णकांतेर विल में चटर्जी ने अंग्रेजी शासकों पर तीखा व्यंग्य किया है।
यह भी देखें: ब्रम्हचर्य, अहिंसा, लियो टॉल्सटॉय
अहिंसात्मक कार्य उनका यह कर्तव्य होगा कि वे विजय दिलाने वाले समुदायों को एकजुट करें जिसमें शांति का प्रसार, तथा ऐसी गतिविधियों का समावेश हो जो किसी भी व्यक्ति को उसके चर्च अथवा खंड में संपर्क बनाए रखते हुए अपने साथ मिला लें। इस प्रकार की सैना को किसी भी आपात स्थिति से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए तथा भीड़ के क्रोध को शांत करने के लिए उसके पास मरने के लिए सैनिकों की पर्याप्त नफरी भी होनी चाहिए;;;;;;सत्याग्रह (सत्यबल) के बिग्रेड को प्रत्येक गांव तथा शहर तक भवनों के प्रत्येक ब्लॉक में संगठित किया जा सकता हैयदि अहिंसात्मक समाज पर हमला किया जाता है तब अहिंसा के दो मार्ग खुलते हैं। अधिकार पाने के लिए हमलावर से सहयोग न करें बल्कि समर्पण करने की अपेक्षा मृत्यु को गले लगाना पसंद करें। दूसरा तरीका होगा ऐसी जनता द्वारा अहिंसक प्रतिरोध करना हो सकता है जिन्हें अहिंसक तरीके से प्रशिक्षित किया गया हो ...इस अप्रत्याशित प्रदर्शन की अनंत राहों पर आदमियों और महिलाओं को हमलावर की इच्छा लिए आत्मसमर्पण करने की बजाए आसानी से मरना अच्छा लगता है और अंतंत: उसे तथा उसकी सैनिक बहादुरी के समक्ष पिघलना जरूर पड़ता है;;;;। ऐसे किसी देश अथवा समूह जिसने अंहिंसा को अपनी अंतिम नीति बना लिया है उसे परमाणु बम भी अपना दास नहीं बना सकता है। उस देश में अहिंसा का स्तर खुशी-खुशी गुजरता है तब वह प्राकृतिक तौर पर इतना अधिक बढ़ जाता है कि उसे सार्वभोमिक आदर
लम्बाई किसी वस्तु की लम्बे आयाम को कहते हैं। किसी वस्तु की लम्बाई, उसके दोनों छोरों के बीच की दूरी को कहते हैं। इसे ऊंचाई से पृथक करने के लिये, ऊंचाई ऊर्ध्वाकार में कही जाती है।
एक साधारण या मिश्रित अंडाशय जिसमे सिर्फ एक पुंकेसर हो के पकने पर एक साधारण फल प्राप्त होता है जो सूखा या गूदेदार हो सकता है। सूखे मेवे पकने पर या स्फोटक (फट कर बीज निकालना) या अस्फोटक ( न फटना जिससे बीज अन्दर ही रहते हैं) हो सकते हैं। सूखे और सामान्य फल के उदाहरण हैं: वह फल जिनमें फल भित्ति का कुछ भाग या पूरी भित्ति ही पक्वन पर मांसल (गूदेदार) हो जाती है, सामान्य गूदेदार फल कहलाते हैं।
संस्कृत में ऐ दो स्वरों का युग्म होता है और "अ-इ" या "आ-इ" की तरह बोला जाता है। इसी तरह औ "अ-उ" या "आ-उ" की तरह बोला जाता है।
दोहा
यह दरगाह सूफी संत तवक्कल मस्तान की है। इस दरगाह में मुस्लिम व गैर-मुस्लिम दोनों ही श्रद्धालु आते हैं।
संस्कृति & समाज
Leo Tolstoy dedicated websites
ओडिशी ओडिशा प्रान्त भारत की एक शास्त्रीय नृत्य शैली है। अद्यतन काल में गुरु केलुचरण महापात्र ने इसका पुनर्विस्तार किया।
एस. टी. डी (STD) कोड - [[0542]]
इसी प्रकार के अन्य तीन स्पर्श व्यंजन वर्ग हैं -
अविज्ञाता सहस्त्रांशुर विधाता क्ड़ितलक्शणः ।।(५१)
गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, कोसी और काक्षी हैं तथा दक्षिण के पठार से आकर इसमें मिलने वाली प्रमुख नदियाँ चंबल, सोन, बेतवा, केन, दक्षिणी टोस आदि हैं। यमुना गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है जो हिमालय की बन्दरपूँछ चोटी के आधार पर यमुनोत्री हिमखण्ड से निकली है।[११][१२] हिमालय के ऊपरी भाग में इसमें टोंस[१३] तथा बाद में लघु हिमालय में आने पर इसमें गिरि और आसन नदियाँ मिलती हैं। चम्बल, बेतवा, शारदा और केन यमुना की सहायक नदियाँ हैं। चम्बल इटावा के पास तथा बेतवा हमीरपुर के पास यमुना में मिलती हैं। यमुना इलाहाबाद के निकट बायीं ओर से गंगा नदी में जा मिलती है। रामगंगा मुख्य हिमालय के दक्षिणी भाग नैनीताल के निकट से निकलकर बिजनौर जिले से बहती हुई कन्नौज के पास गंगा में मिलती है। करनाली नदी मप्सातुंग नामक हिमनद से निकलकर अयोध्या, फैजाबाद होती हुई बलिया जिले के सीमा के पास गंगा में मिल जाती है। इस नदी को पर्वतीय भाग में कौरियाला तथा मैदानी भाग में घाघरा कहा जाता है। गंडक हिमालय से निकलकर नेपाल में शालीग्राम नाम से बहती हुई मैदानी भाग में नारायणी नदी का नाम पाती है। यह काली गंडक और त्रिशूल नदियों का जल लेकर प्रवाहित होती हुई सोनपुर के पास गंगा में मिलती है। कोसी की मुख्यधारा अरुण है जो गोसाई धाम के उत्तर से निकलती है। ब्रह्मपुत्र के बेसिन के दक्षिण से सर्पाकार रूप में अरुण नदी बहती है जहाँ यारू नामक नदी इससे मिलती है। इसके बाद एवरेस्ट के कंचनजंघा शिखरों के बीच से बहती हुई यह दक्षिण की ओर ९० किलोमीटर बहती है जहाँ पश्चिम से सूनकोसी तथा पूरब से तामूर कोसी नामक नदियाँ इसमें मिलती हैं। इसके बाद कोसी नदी के नाम से यह शिवालिक को पार करके मैदान में उतरती है तथा बिहार राज्य से बहती हुई गंगा में मिल जाती है। अमरकंटक पहाड़ी से निकलकर सोन नदी पटना के पास गंगा में मिलती है। मध्य-प्रदेश के मऊ के निकट जनायाब पर्वत से निकलकर चम्बल नदी इटावा से ३८ किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी में मिलती है। बेतवा नदी मध्य प्रदेश में भोपाल से निकलकर उत्तर हमीरपुर के निकट यमुना में मिलती है। भागीरथी नदी के दायें किनारे से मिलने वाली अनेक नदियों में बाँसलई, द्वारका, मयूराक्षी, रूपनारायण, कंसावती और रसूलपुर प्रमुख हैं। जलांगी और माथा भाँगा या चूनीं बायें किनारे से मिलती हैं जो अतीत काल में गंगा या पद्मा की शाखा नदियाँ थीं। किन्तु ये वर्तमान समय में गंगा से पृथक होकर वर्षाकालीन नदियाँ बन गई हैं।
यहां सरकारी रेडियो स्टेशन ऑल इंडिया रेडियो से कई ए एम रेडियो चैनल प्रसारित करता है। कोलकाता में ग्यारह एफ़ एम रेडियो स्टेशन प्रसारित होते हैं। इनमें से दो ऑल इंडिया रेडियो के हैं। सरकारी टीवी प्रसारणकर्ता दूरदर्शन से दो टेरेस्ट्रियल चैनल प्रसारित किये जाते हैं। चार बहु-प्रणाली ऑपरेटार (एम एस ओ) द्वारा बांग्ला, हिन्दी, अंग्रेज़ी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के चैनल केबल टीवी द्वारा दिखाए जाते हैं। बांग्ला उपग्रह चैनलों में स्टार आनंद, २४ घंटा, कोलकाता टीवी, चैनल १० तथा तारा न्यूज़ प्रमुख हैं।
सुन्नी मुस्लिम इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय सुन्नी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हैं। सुन्नी इस्लाम को अहले सुन्नत व'ल जमाअत (अरबी: أهل السنة والجماعة "(मुहम्म्द के) आदर्श लोग और समुदाय") या संक्षिप्त में अहल अस- सुन्नाह (अरबी: أهل السنة) भी कहते हैं। सुन्नी शब्द अरबी के सुन्नाह (अरबी: سنة) से आया है, जिसका अर्थ (पैगम्बर मोहम्मद) की बातें और कर्म या उनके आदर्श है।
8 मई सन् 1705 में 'मुक्तसर' नामक स्थान पर मुगलों से भयानक युद्ध हुआ, जिसमें गुरुजी की जीत हुई। अक्टूबर सन् 1706 में गुरुजी दक्षिण में गए जहाँ पर आपको औरंगजेब की मृत्यु का पता लगा। औरंगजेब ने मरते समय एक शिकायत पत्र लिखा था। हैरानी की बात है कि जो सब कुछ लुटा चुका था, (गुरुजी) वो फतहनामा लिख रहे थे व जिसके पास सब कुछ था वह शिकस्त नामा लिख रहा है। इसका कारण था सच्चाई। गुरुजी ने युद्ध सदैव अत्याचार के विरुद्ध किए थे न कि अपने निजी लाभ के लिए।
यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं ।
विवाह वेदी पर वर और कन्या दोनों को बुलाया जाए, प्रवेश के साथ मङ्गलाचरण 'भद्रं कणेर्भिः.......' मन्त्र बोलते हुए उन पर पुष्पाक्षत डाले जाएँ । कन्या दायीं ओर तथा वर बायीं ओर बैठे । कन्यादान करने वाले प्रतिनिधि कन्या के पिता, भाई जो भी हों, उन्हें पत्नी सहित कन्या की ओर बिठाया जाए । पत्नी दाहिने और पति बायीं ओर बैठें । सभी के सामने आचमनी, पंचपात्र आदि उपकरण हों । पवित्रीकरण, आचमन, शिखा-वन्दन, प्राणायाम, न्यास, पृथ्वी-पूजन आदि षट्कर्म सम्पन्न करा लिये जाएँ । वर-सत्कार- (अलग से द्वार पूजा में वर सत्कार कृत्य हो चुका हो, तो दुबारा करने की आवश्यकता नहीं है ।) अतिथि रूप में आये हुए वर का सत्कार किया जाए । (१)आसन (२) पाद्य (३) अघ्यर् (४) आचमन (५) नैवेद्य आदि निधार्रित मन्त्रों से समपिर्त किए जाएँ ।
(१) रूपनाथ- यह मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में है ।
इनकी खोज इस प्रेक्षण से बहुत कुछ जुङी हुई हैं, कि रजत नीरेय लवण(सिल्वर क्लोराइड) धूप पङने पर काले पङ जाते हैं । 1801 में जोहन्न विल्हैम रिटर ने एक विशिष्ट प्रेक्षण किया, कि बैंगनी प्रकाश के परे (ऊपर) अप्रत्यक्ष किरणें, रजत नीरेय के लवण में भीगे कागज को काला कर देतीं है । उसने उन्हें डी-ऑक्सिडाइजिंग किरणें कहा जिससे कि उनकी रसायनीय क्रियाओं पर बल दिया जा सके साथ ही इन्हें वर्णक्रम के दूसरे सिरे पर उपस्थित ऊष्म किरणों से पृथक पहचाना जा सके । कालांतर में एक सरल शब्द रासायनिक किरणें प्रयोग हुआ । जो कि उन्नीसवीं शताब्दी तक चला, जब जाकर दोनों के ही नाम बदले और पराबैंगनीएवं अधोरक्त' कहलाए । [१]
किसी भी नाम बताने वाले शब्द को संज्ञा कहते हैं। उदाहरण -
Ca५ = दलपुंज (पंखुडी वोर्ल; उदाहरण , Co ३(x) = पंखुडियां कुछ तीन के गुणांक में )
सभी द्रव्य सदैव अपने प्राकृतिक रूपों में शरीर में उपयोगी नहीं होते। रोग और रोगी की आवश्यकता के विचार से शरीर की धातुओं के लिए उपयोगी एवं सात्म्यकरण के अनुकूल बनाने के लिए; इन द्रव्यों के स्वाभाविक स्वरूप और गुणों में परिवर्तन के लिए, विभिन्न भौतिक एवं रासायनिक संस्कारों द्वारा जो उपाय किए जाते हैं उन्हें "कल्पना' (फ़ार्मेसी या फ़ार्मास्युटिकल प्रोसेस) कहते हैं। जैसे-स्वरस (जूस), कल्क या चूर्ण (पेस्ट या पाउडर), शीत क्वाथ (इनफ़्यूज़न), क्वाथ (डिकॉक्शन), आसव तथा अरिष्ट (टिंक्चर्स), तैल, घृत, अवलेह आदि तथा खनिज द्रव्यों के शोधन, जारण, मारण, अमृतीकरण, सत्वपातन आदि।
HDI, अपनी गणना के एक भाग के रूप में और फिर जीवन प्रत्याशा और शिक्षा स्तर के संकेतक में कारक के रूप में GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का उपयोग करता है.
अधिकांश फूल अपने परागन के तरीके को लेकर मोटे तौर पर दो समूहों में विभाजित किए जा सकते हैं.
चन्द्र्गुप्त के सिंहासनारोहण के अवसर पर(३०२ई.) को गुप्त सम्वत भी कहा गया है। चीनी यात्री इत्सिंग के अनुसार मगध के मृग शिखावन में एक मन्दिर का निर्माण करवाया था। तथा मन्दिर के व्यय में २४ गाँव को दान दिये थे।
श्रीरामपूर्वतापनीयोपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
गया, पटना, नालन्दा, राजगीर, वाराणसी तथा कलकत्ता से बोध गया के लिए बसें चलती है।
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भूरे रंग में एशियान और हरे रंग में फिलीपीन्स
नगण्य - negligible
बहुबल धारिणीं नमामि तारिणीम्
मलयालम, भाषा और लिपि के विचार से तमिल भाषा के काफी निकट है । इस पर संस्कृत का प्रभाव ईसा के पूर्व पहली सदी से हुआ है । संस्कृत शब्दों को मलयालम शैली के अनुकूल बनाने के लिए संस्कृत से अवतरित शब्दों को संशोधित किया गया है । अरबों के साथ सदियों से व्यापार संबंध अंग्रेजी तथा पुर्तगाली उपनिवेशवाद का असर भी भाषा पर पड़ा है ।
तुर्की का एक प्रांत ।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ मिश्र ने पटियाला के उस्ताद अब्दुल अज़ीज़ खाँ को सुन गुप्त रूप से विचित्र वीणा हेतु वादन तकनीक विकसित करने के साथ साथ भारतीय संगीत वाद्यों के इतिहास तथा विकासक्रम पर अनुसन्धान किया। भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली ने इसे पुस्तक रूप में सन 1973 में (द्वितीय संस्करण 2002, तृतीय 2005) भारतीय संगीत वाद्य शीर्षक से प्रकाशित किया। डॉ मिश्र ने इस पुस्तक में भारतीय संगीत वाद्यों के उद्भव को तर्कपूर्ण आधार से बताते हुए उन से जुड़े अनेक भ्रमों का निवारण किया। आज तक यह पुस्तक वाद्यों की पहचान, वर्गीकरण तथा उनके अंतर्सम्बन्ध को समझने का प्रमुख स्रोत है। इसके अलावा भी उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं। चार युग्म ग्रंथों में से एक, तंत्री नाद सन 1979 में प्रकाशित हुआ; दूसरा ततनिनाद शीघ्र प्रकाश्य है। 1979 में उनके देहावसान उपराँत उनके पुत्र डॉ गोपाल शँकर मिश्र ने पिता की हस्त-लिखित पांडुलिपियों पर कार्य आरम्भ किया किंतु पिता की स्मृति में मधुकली भोपाल द्वारा आयोजित कार्यक्रम की पूर्व सन्ध्या पर 13 अगस्त 1999 को हृदय गति रुक जाने से उनका भी निधन हो गया। उनकी पुत्री डॉ रागिनी त्रिवेदी ने पिता द्वारा लिखे लेखों का सँपादन किया संगीत और समाज, जो भोपाल के मधुकली प्रकाशन द्वारा सन 2000 में प्रकाशित हुई। बाल एवँ किशोरों हेतु लिखी गयी अनेक पुस्तकें जैसे संगीत सरिता, तबला विज्ञान आदि डॉ मिश्र के जीवनकाल में ही प्रकाशित हो चुकीं थीं। अप्रकाशित पांडुलिपियों पर अब उनकी पुत्री कार्य कर रही हैं।
मुसलमान्द सूफी कवियों की इस समय की काव्य-धारा को प्रेममार्गी माना गया है क्योंकि प्रेम से ईश्वर प्राप्त होते हैं ऐसी उनकी मान्यता थी। ईश्वर की तरह प्रेम भी सर्वव्यापी तत्व है और ईश्वर का जीव के साथ प्रेम का ही संबंध हो सकता है, यह उनकी रचनाओं का मूल तत्व है। उन्होंने प्रेमगाथाएं लिखी हैं। ये प्रेमगाथाएं फारसी की मसनवियों की शैली पर रची गई हैं। इन गाथाओं की भाषा अवधी है और इनमें दोहा-चौपाई छंदों का प्रयोग हुआ है। मुसलमान होते हुए भी उन्होंने हिंदू-जीवन से संबंधित कथाएं लिखी हैं। खंडन-मंडन में न पड़कर इन फकीर कवियों ने भौतिक प्रेम के माध्यम से ईश्वरीय प्रेम का वर्णन किया है। ईश्वर को माशूक माना गया है और प्रायः प्रत्येक गाथा में कोई राजकुमार किसी राजकुमारी को प्राप्त करने के लिए नानाविध कष्टों का सामना करता है, विविध कसौटियों से पार होता है और तब जाकर माशूक को प्राप्त कर सकता है। इन कवियों में मलिक मुहम्मद जायसी प्रमुख हैं। आपका 'पद्मावत' महाकाव्य इस शैली की सर्वश्रेष्ठ रचना है। अन्य कवियों में प्रमुख हैं - मंझन, कुतुबन और उसमान।
ऐ संसृति की आदि तपस्विनि, तेजस्विनि अभिराम।
जनसंख्या - 11,06,521 (2001 जनगणना)
विकासशील देशों में, भारत अपनी निम्न स्तर की भौगोलिक और व्यावसायिक गतिशीलता की वजह से वृहद रूप से दर्शनीय है यहाँ के लोग कुछ ऐसे व्यवसाय को चुनते हैं जो उनके माता-पिता पहले से करते आ रहे हैं और कभी कभार भौगोलिक रूप से वो अपने समाज से दूर जाते हैं[३]
तंजावुर तमिलनाडु का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र रहा है। इस संग्रहालय में पल्लव, चोल, पंड्या और नायक कालीन पाषाण प्रतिमाओं का संग्रह है। एक अन्य दीर्घा में तंजौर की ग्लास पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई हैं। लकड़ी पर बनाई गई इन तस्वीरों में रंग-संयोजन देखते ही बनता है। यह संग्रहालय अपने कांस्य शिल्प के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है।
भारत में अंतरजाल 80 के दशक मे आया,जब एर्नेट(educational & research network) को सरकार ,इलेक्ट्रानिक्स विभाग और संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम(UNDP)की ओर से प्रोत्साहन मिला|सामान्य उपयोग के लिये जाल 15 अगस्त1995 से उपलब्ध हुआ, जब विदेश सचांर निगम सीमित (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की।
भारत विश्व की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, किन्तु हाल में भारत ने बहुत प्रगति की है, और ताज़ा स्थिति में भारत विश्व में तीसरे, चौथे स्थान पर होने का दावा करता है। भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। भारत की राजधानी नई दिल्ली है। भारत के अन्य बड़े महानगर मुम्बई (बम्बई), कोलकाता (कलकत्ता) और चेन्नई (मद्रास) हैं। १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने विगत २० वर्ष में सार्थक प्रगति की है, विशेष रूप से आर्थिक और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति और विश्वव्यापक शक्ति है।
The city is increasingly receiving immigration from other countries in Latin America due to comparatively strong economic growth. Many Peruvians live in Santiago, as well as Bolivians, Argentines, and Ecuadorians.
प्रस्ताव
तुर्की भाषा, आधुनिक तुर्की और साइप्रस की प्रमुख भाषा है । पूरे विश्व में कोई 6.3 करोड़ लोग इस मातृभाषा के रूप में बोलते हैं । यह तुर्क भाषा परिवार की सबसे व्यापक भाषा है जिसका मूल मध्य एशिया माना जाता है । बाबर, जो मूल रूप से मध्य एशिया (आधुनिक उज़्बेकिस्तान) का वासी था, चागताई भाषा बोलता था जो तुर्क भाषा परिवार में ही आती है ।
वह कहते भी हैं
(22). इस कल्प में, छः मनु अपनी संध्याओं समेत निकल चुके, अब सातवें मनु (वैवस्वत: विवस्वान (सूर्य) के पुत्र) का सत्तैसवां चतुर्युगी बीत चुका है.
जब इन्द्र को इस घटना के विषय में ज्ञात हुआ तो वे अर्जुन से बोले, “वत्स! तुमने जो व्यवहार किया है, वह तुम्हारे योग्य ही था। उर्वशी का यह शाप भी भगवान की इच्छा थी, यह शाप तुम्हारे अज्ञातवास के समय काम आयेगा। अपने एक वर्ष के अज्ञातवास के समय ही तुम पुंसत्वहीन रहोगे और अज्ञातवास पूर्ण होने पर तुम्हें पुनः पुंसत्व की प्राप्ति हो जायेगी।”
१६. सूर्यदेव जो सत्रहवें दिन के युद्ध में तब अस्त हो गए जब कर्ण के पास अर्जुन को मारने का पूरा अवसर था।
यह गांव बरसोई खण्ड में स्थित है। इस जगह का सम्बन्ध एक दिलचस्प कहानी के साथ जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि एक नवयुवक ने कुश से अपना गला काटकर प्राणों की आहुति दी थी। यह घटना लगभग 70 वर्ष पूर्व की है। इस कारण धार्मिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
कोलंबो की परिवहन व्यवस्था बस, ऑटो रिक्शा (जिसे स्थानीय लोग तिपहिया कहते हैं) तथा टैक्सियों पर टिकी हुई है। बसें, सरकार और निजी एजेंसियों द्वारा चलाई जाती है। तिपहिया निजी रुप से ही चलाया जाता है। ट्रेन यहां का सबसे सस्ता और अच्छा परिवहन साधन है। अधिकतर लोग इसी से यात्रा करना पसंद करते हैं।
निर्देशांक: 28°34′58″N 77°14′04″E / 28.582873, 77.23438
बिरयानी
साम्राज्यवादी वेलेज़ली ने युद्ध और नीति से ब्रिाटिश साम्राज्य का खूब प्रसार किया। टीपू नष्ट हो गया। पेशवा के वेलेज़ली के संरक्षण में आने से, ओवन के कथनानुसार अब "भारत में ब्रिाटिश साम्राज्य' की अपेक्षा, ब्रिाटिश साम्राज्य का भारत हो गया। फिर मराठा सरदारों को अलग अलग पराजित कर उन्हें सहायक संधि करने के लिए मजबूर किया। अवध का विस्तार घटाकर, उसे अपने प्रभुत्व के अंतर्गत कर लिया। सहायक संधि वेलेज़ली के साम्राज्यवादी प्रसारण का अद्भुत यंत्र था, जिसमें फ्रांसीसी प्रभाव का भी भारत से समूल उच्छेद हो गया। फिर मराठों की रही सही शक्ति भी लार्ड हेÏस्टग्ज़ ने तोड़ दी।
फ्युचर पोअट्री
साँचा:जून कैलंडर२०११ 20 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 171वॉ (लीप वर्ष मे 172 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 194 दिन बाकी है।
ऑस्ट्रेलिया के छ: राज्ये और दो मुख्य महाद्वीप प्रदेशे है.साथ ही कुछ छोटे प्रदेशे है जो संघीय सरकार के प्रबंधन के अंतगर्त है.[तथ्य वांछित]
पश्चिम सामान्य: एक संज्ञा, विशेषण या क्रियाविशेषण है जो एक दिशा या भूगोल की ओर इंगित करता है।
यस्य राज्ञो जनपदे अथर्वा शान्तिपारगः।
विदेश सेवा प्रभाग के सभी कार्यक्रमों में प्रमुख विषय वस्तु भारत को एक सशक्त, धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में प्रस्तुत करना है, जो बहुमुखी, प्रगतिशील देश है और जहां तीव्र आर्थिक, औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकी प्रगति जारी है। भारत की सबसे बड़ी तकनीकी शक्ति का तथ्य और इसकी उपलब्धियां एवं पारिस्थितिकी संतुलन, मानव अधिकारों को प्रदान करने में इसकी वचनबद्धता और अंतरराष्ट्रीय शांति के प्रति प्रतिबद्धता और एक नई दुनिया के सृजन में इसके योगदान पर बार बार चर्चा की जाती है।
भारत में रेल मंत्रालय, रेल परिवहन के विकास और रखरखाव के लिए नोडल प्राधिकरण है। यह विभन्न नीतियों के निर्माण और रेल प्रणाली के कार्य प्रचालन की देख-रेख करने में रत है। भारतीय रेल के कार्यचालन की विभिन्न पहलुओं की देख्भाल करने के लिए इसने अनेकानेक सरकारी क्षेत्र के उपक्रम स्थापित किया है :-
नजफी (1757-1880)
सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी में काठमांडू में मल्ल राजाओं का शासन था। गोरखा राजा पृथ्वी नारायण शाह ने 1768 में यहां की अस्थिरता को समाप्त इसे एकीकृत किया। 1950 में इस शहर की सीमाएं विदेशी पर्यटकों के लिए खोली गईं थीं। तब से आज तक सैलानियों के यहां आने का सिलसिला जारी है।
अकबर एक मुसलमान था, पर दूसरे धर्म एवं संप्रदायों के लिए भी उसके मन में आदर था । जैसे-जैसे अकबर की आयु बदती गई वैसे-वैसे उसकी धर्म के प्रति रुचि बढ़ने लगी। उसे विशेषकर हिंदू धर्म के प्रति अपने लगाव के लिए जाना जाता हैं। उसने अपने पूर्वजो से विपरीत कई हिंदू राजकुमारियों से शादी की। इसके अलावा अकबर ने अपने राज्य में हिन्दुओ को विभिन्न राजसी पदों पर भी आसीन किया जो कि किसी भी भूतपूर्व मुस्लिम शासक ने नही किया था। वह यह जान गया था कि भारत में लम्बे समय तक राज करने के लिए उसे यहाँ के मूल निवासियों को उचित एवं बराबरी का स्थान देना चाहिये।
मार्गदीप
भारद्वाज,
तीन परिवारों का वर्गीकरण जटिल है और कहीं अधिक विवादास्पद है. हालांकि आम तौर पर इन्हें कोरासीफोर्म्स वर्ग में रखा जाता है, लेकिन इस स्तर से नीचे भ्रम पैदा होने लगता है.
दूत संदेशा देने वाले को कहते हैं। दूत का कार्य बहुत महत्व का माना गया है। प्राचीन भारतीय साहित्य में अनेक ग्रन्थों में दूत के लिये आवश्यक गुणों का विस्तार से विवेचन किया गया है।
रोमन साम्राज्य रोमन गणतंत्र का परवर्ती था । ऑक्टेवियन ने जूलियस सीज़र के सभी संतानों को मार दिया तथा इसके अलावा उसने मार्क एन्टोनी को भी हराया जिसके बाद मार्क ने खुदकुशी कर ली । इसके बाद ऑक्टेवियन को रोमन सीनेट ने ऑगस्टस का नाम दिया । वह ऑगस्टस सीज़र के नाम से सत्तारूढ़ हुआ । इसके बाद सीज़र नाम एक पारिवारिक उपनाम से बढ़कर एक पदवी स्वरूप नाम बन गया । इससे निकले शब्द ज़ार (रूस में) और कैज़र (जर्मन और तुर्क) आज भी विद्यमान हैं ।
यह बात कम लोगों को ही मालूम है कि नौशाद साहब शायर भी थे और उनका दीवान 'आठवां सुर' नाम से प्रकाशित हुआ। पांच मई को 2006 को इस फनी दुनिया को अलविदा कह गए नौशाद साहब को लखनऊ से बेहद लगाव था और इससे उनकी खुद की इन पंक्तियों से समझा जा सकता है-
The population of the Thirteen Colonies was far from homogeneous, particularly in their political views and attitudes. तेरह कालोनियों की आबादी सजातीय से, विशेष रूप से उनके राजनीतिक विचारों और व्यवहार में अब तक किया गया था. Loyalties and allegiances varied widely not only within regions and communities, but also within families and sometimes shifted during the course of the Revolution. वफादारी और निष्ठा नहीं क्षेत्रों और समुदायों के भीतर ही व्यापक रूप से विविध, लेकिन यह भी परिवारों के भीतर और कभी कभी क्रांति के दौरान स्थानांतरित कर दिया. [ edit ] Patriots – The Revolutionaries [ संपादित करें ] देशभक्त - क्रांतिकारियों Main article: Patriot (American Revolution) मुख्य लेख: पैट्रियट (अमेरिकी क्रांति) See also: Sons of Liberty इन्हें भी देखें: बेटों लिबरटी की
वाराणसी की संस्कृति कला एवं साहित्य से परिपूर्ण है। इस नगर में महान भारतीय लेखक एवं विचारक हुए हैं, कबीर, रविदास, तुलसीदास जिन्होंने यहां रामचरितमानस लिखी, कुल्लुका भट्ट जिन्होंने १५वीं शताब्दी में मनुस्मृति पर सर्वश्रेष्ठ ज्ञात टीका यहां लिखी[८५] एवं भारतेन्दु हरिशचंद्र, और आधुनिक काल के जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, मुंशी प्रेमचंद, जगन्नाथ प्रसाद रत्नाकर, देवकी नंदन खत्री, हजारी प्रसाद द्विवेदी, तेग अली, क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय, वागीश शास्त्री, बलदेव उपाध्याय, सुमन पांडेय (धूमिल) एवं विद्या निवास मिश्र और अन्य बहुत।
आदिवासी लोगों की बोलनेवाली शैली।
बयालुसीमा के खानपान, बोलियां और शैलियाम भिन्न स्थानों पर बदलते रहते हैं।
इस्लामी दर्शनशास्त्र में प्राचीन युनानी सभय्ता के दर्शनशास्र को इस्लामी रंग से विकसित किया गया। इबने सीना ने नवप्लेटोवाद, अरस्तुवाद और इस्लामी धर्मशास्त्र को जोड़ कर सिद्धांतों की एक नई प्रणाली की रचना की। इससे दर्शनशास्र में एक नई लहर पैदा हूई जिसे इबनसीनावाद कहते हैं। इसी तरह इबन रशुद ने अरस्तू के सिद्धांतों को इस्लामी सिद्धांतों से जोड़ कर इबनरशुवाद को जन्म दिया। द्वंद्ववाद की मदद से इस्लामी धर्मशास्त्र का अध्ययन करने की कला को विकसित किया गया। इसे कलाम कहते हैं। मुहम्मद साहब के उद्धरण, गतिविधियां इत्यादि के मतलब खोजना और उनसे कानून बनाना स्वयँ एक विषय बन गया। सुन्नी इस्लाम में इससे विद्वानों के बीच मतभेद हुआ और सुन्नी इस्लाम कानूनी मामलों में ४ हिस्सों में बट गया।
तेहि ठौर रहे मृगराज तुचाधर, गर्जत भे वे चले उठि कै।
मेरठ एक महत्वपूर्ण मास मीडिया केन्द्र बनता जा रहा है। देश के विभिन्न क्षेत्रों से पत्रकार व जर्नलिस्ट यहां कार्यरत हैं। हाल ही में, कई समाचार चैनलों ने अपराध पर केन्द्रित कार्यक्रम दिखाने आरंभ किये हैं। क्योंकि मीडिया केन्द्र मेरठ में स्थित हैं, तो शहर को राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रचार मिल रहा है। नगर में हाल के वर्षों में कानून व्यवस्था की स्थिति काफी सुधरी है। इसमें मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है।
भारत के पड़ोसी राष्ट्रों के साथ अनसुलझे सीमा विवाद हैं। इसके कारण इसे छोटे पैमानों पर युद्ध का भी सामना करना पड़ा है। १९६२ में चीन के साथ, तथा १९४७, १९६५, १९७१ एवम् १९९९ में पाकिस्तान के साथ लड़ाइयाँ हो चुकी हैं।
आन्दोलनकारियों की जीवनी से विभिन्न आन्दोलन और बिहार की स्थिति की जानकारी मिलती है । चम्पारण में गाँधी जी की यात्रा एक भारतीय राजनीतिक घटना थी ।
तिराना, अल्बानिया का सबसे प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है। १९२० के बाद से नगर में तेजी से विकास हुआ है कई नए व्यवसाय यहाँ स्थापित हुए हैं। सबसे बड़े व्यवसाय हैं कृषि उत्पाद और मशीनरी, वस्त्र उद्योग, औषधीय उद्योग, और धातु उत्पाद।
5. सांसद/विधायक की अयोग्यता[दल बदल को छोडकर]पर राष्ट्रपति/राज्यपाल को सलाह देना
मुल्क से अंग्रेजों को भगाने का सपना लिए सात नवंबर 1862 को 87 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उन्हें रंगून में श्वेडागोन पैगोडा के नजदीक दफनाया गया। उनके दफन स्थल को अब बहादुर शाह जफर दरगाह के नाम से जाना जाता है। लोगों के दिल में उनके लिए कितना सम्मान था उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंदुस्तान में जहां कई जगह सड़कों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर शहर में भी उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है। बांग्लादेश के ओल्ड ढाका शहर स्थित विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर बहादुर शाह जफर पार्क कर दिया गया है।"
(9) कारक के रूपों में संकोच पाया जाता है।
१२ - बारह
वर्षा ऋतु वर्ष की एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः निम्न रहता है ।
पुराण, वैदिक काल के काफ़ी बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं। भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति-ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म, और अकर्म की गाथाएँ कही गई हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है। इनमें हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है ।
उत्तर प्रदेश पुलिस भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में २३६,२८६वर्ग.कि.मी के क्षेत्र में १६.६० करोड़ जनसंख्या (वर्ष २००१ के अनुसार) में न्याय एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु उत्तरदायी पुलिस सेवा है। ये पुलिस सेवा न केवल भारत वरन विश्व की सबसे बड़ी पुलिस सेवा है। सेवा के महानिदेशक-पुलिस की कमान की शक्ति १.७० लाख के लगभग है जो ७१ जिलों में ३१ सशस्त्र बटालियनों एवं अन्य विशिष्ट स्कंधों में बंटी व्यवस्था का नियामन करती है। इन स्कंधों में प्रमुख हैं: इंटेलिजेंस, इन्वेस्टिगेशन, एंटी-करप्शन, तकनीकी, प्रशिक्षण एवं अपराध-विज्ञान, आदि।[२]
बाद में मुगल सम्राट अकबर के काल में, (1556-1605), यहां तांबे के सिक्कों की टकसाल थी| [४].
चूँकी अंग्रेज़ी एक जर्मनिक भाषा है, उसकी अधिकतर दैनिक उपयोग की शब्दावली प्राचीन जर्मन से आयी है । इसके अतिरिक्त भी अंग्रेज़ी में कई ऋणशब्द हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार स्थिति ये है :
विस्तृत विवरण के लिये भारतीय दर्शन देखें ।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (अंग्रेज़ी:International Monetary Fund; इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड, लघुरूप:IMF; आईएमएफ) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का काम करती है। यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करती है। यह संगठन अन्तर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने के साथ-साथ विकास को सुगम करने में सहायता करता है। [२] इसका मुख्यालय वांशिगटन डी.सी, संयुक्त राज्य में है। इस संगठन के प्रबंध निदेशक डॉमनिक स्ट्रॉस है। आईएमएफ की विशेष मुद्रा एसडीआर (स्पेशल ड्राइंग राइट्स) है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्त के लिए कुछ देशों की मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है, इसे एसडीआर कहते हैं। एसडीआर में यूरो, पाउंड, येन और डॉलर हैं। आईएमएफ की स्थापना १९४४ में की गई थी। विभिन्न देशों की सरकार के ४५ प्रतिनिधियों ने अमेरिका के ब्रिटेन वुड्स में बैठक कर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक समझौते की रूपरेखा तैयार की थी। २७ दिसंबर, १९४५ को २९ देशों के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद आईएमएफ की स्थापना हुई।
किंगफिशर के अंडे सदैव सफेद और चमकदार होते हैं. विशेष पंजे का आकार अलग-अलग प्रजातियों में अलग-अलग होता है; कुछ सबसे बड़ी और सबसे छोटी प्रजातियाँ कम से कम प्रति क्लच दो अंडे देती हैं, जबकि अन्य 10 अंडे दे सकती हैं, औसत 3 से 6 अण्डों के आस-पास है. दोनों लिंग अंडों को सेते हैं.[२]
नोट, चंडीगढ़ दो राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश की राजधानी है
क. ^ ‘रामायण’ का संधि विच्छेद करने है ‘राम’ + ‘अयन’। ‘अयन’ का अर्थ है ‘यात्रा’ इसलिये रामायण का अर्थ है राम की यात्रा।
कुंभ मेला स्थल
पुत्तलम जिला श्रीलंका का जिला है।इस जिले का मुख्यालय पुट्टलम है इस जिले का कुल क्षेत्रफल 3,072 वर्ग किलोमीटर है। इस जिले की जनसंख्या 745,000 (गणना वर्ष २००६ अनुसार) हैइस जिले के नाम का लघुरूप PUT है।
भोजपुरी भाषाई परिवार के स्तर पर एक आर्य भाषा है और मुख्य रुप से पश्चिम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश और उत्तरी झारखण्ड के क्षेत्र में बोली जाती है। भोजपुरी हिन्दी की एक उपभाषा या बोली है। भोजपुरी अपने शब्दावली के लिये मुख्यतः संस्कृत एवं हिन्दी पर निर्भर है कुछ शब्द इसने उर्दू से भी ग्रहण किये हैं। भोजपुरी जानने-समझने वालों का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है जिसका कारण ब्रिटिश राज के दौरान उत्तर भारत से अंग्रेजों द्वारा ले जाये गये मजदूर हैं जिनके वंशज अब जहाँ उनके पूर्वज गये थे वहीं बस गये हैं। इनमे सूरिनाम, गुयाना, ट्रिनिदाद, फीजी और टोबैगो आदि देश प्रमुख है। भारत के जनगणना आंकडो़ के अनुसार भारत मे लगभग 3.3 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। पूरे विश्व मे भोजपुरी जानने वालों की संख्या लगभग 5 करोड़ है।
यह एक आकर्षक अवधारणा है कि कैंसर को रोकने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है, और कई उच्च श्रेणी के नैदानिक परिक्षण सलाह देते हैं कि ऐसे रासायनिक रोकथाम को विशेष परिस्थितियों में काम में लेना चाहिए.
मैदानी इलाकों से थोड़ा आगे बढ़कर विन्ध्य के पहाड़ी हिस्सों में अजयगढ़ और कालिंजर के किले हैं। इन किलों का संबंध चंदेल वंश के उत्थान और पतन से है। 105 किलोमीटर दूर स्थित कालिंजर का किला है। यह एक प्राचीन किला है। प्राचीन काल में यह शिव भक्तों की कुटी थी। इसे महाभारत और पुराणों के पवित्र स्थलों की सूची में शामिल किया गया था। इस किले का नामकरण शिव के विनाशकारी रूप काल से हुआ जो सभी चीजों का जर अर्थात पतन करते हैं। काल और जर को मिलाकर कालिंजर बना। इतिहासकारों का मत है कि यह किला ईसा पूर्व का है। महमूद गजनवी के हमले के बाद इतिहासकारों का ध्यान इस किले की ओर गया। 108 फुट ऊंचे इस किले में प्रवेश के लिए अलग-अलग शैलियों के सात दरवाजों को पार करना पड़ता है। इसके भीतर आश्चर्यचकित कर देने वाली पत्थर की गुफाएं हैं। चोटी पर भारत के इतिहास की याद दिलाती हिन्दू और मुस्लिम शैली की इमारतें हैं। कहा जाता है कि कालिंजर के भूमितल से पतालगंगा नामक नदी बहती है जो इसकी गुफाओं को जीवंत बनाती है। बहुत से बेशकीमती पत्थर यहां बिखर पड़े हैं।
कहते हैं कि राजा इंद्रद्युम्न, जो सपरिवार नीलांचल सागर (उड़ीसा) के पास रहते थे, को समुद्र में एक विशालकाय काष्ठ दिखा। राजा के उससे विष्णु मूर्ति का निर्माण कराने का निश्चय करते ही वृद्ध बढ़ई के रूप में विश्वकर्मा जी स्वयं प्रस्तुत हो गए। उन्होंने मूर्ति बनाने के लिए एक शर्त रखी कि मैं जिस घर में मूर्ति बनाऊँगा उसमें मूर्ति के पूर्णरूपेण बन जाने तक कोई न आए। राजा ने इसे मान लिया। आज जिस जगह पर श्रीजगन्नाथ जी का मंदिर है उसी के पास एक घर के अंदर वे मूर्ति निर्माण में लग गए। राजा के परिवारजनों को यह ज्ञात न था कि वह वृद्ध बढ़ई कौन है। कई दिन तक घर का द्वार बंद रहने पर महारानी ने सोचा कि बिना खाए-पिये वह बढ़ई कैसे काम कर सकेगा। अब तक वह जीवित भी होगा या मर गया होगा। महारानी ने महाराजा को अपनी सहज शंका से अवगत करवाया। महाराजा के द्वार खुलवाने पर वह वृद्ध बढ़ई कहीं नहीं मिला लेकिन उसके द्वारा अर्द्धनिर्मित श्री जगन्नाथ, सुभद्रा तथा बलराम की काष्ठ मूर्तियाँ वहाँ पर मिली।
तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है । यानि, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म ।
नारद पुराण स्वयं महर्षि नारद के मुख से कहा गया एक वैष्णव पुराण है।[क] महर्षि व्यास द्वारा लिपिबद्ध किए गए १८ पुराणों में से एक है। प्रारंभ में यह २५,००० श्लोकों का संग्रह था लेकिन वर्तमान में उपलब्ध संस्करण में केवल २२,००० श्लोक ही उपलब्ध है।[१] इस पुराण के विषय में कहा जाता है कि इसका श्रवण करने से पापी व्यक्ति भी पाप मुक्त हो जाते हैं। पापियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि जो व्यक्ति ब्रह्महत्या का दोषी है, मदिरापान करता है, मांस भक्षण करता है, वेश्यागमन करता हे, तामसिक भोजन खाता है तथा चोरी करता है; वह पापी है। इस पुराण का प्रतिपाद्य विषय विष्णु भक्ति है। संपूर्ण नारद पुराण दो प्रमुख भागों में विभाजित है। पहले भाग में चार अध्याय हैं जिसमें सुत और शौनक का संवाद है, ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विलय, शुकदेव का जन्म, मंत्रोच्चार की शिक्षा, पूजा के कर्मकांड, विभिन्न मासों में पड़ने वाले विभिन्न व्रतों के अनुष्ठानों की विधि और फल दिए गए हैं। दूसरे भाग में भगवान विष्णु के अनेक अवतारों की कथाएँ हैं।[२] यह पुराण इस दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है कि इसमें अठारह पुराणों की अनुक्रमणिका दी गई है।
(1) सघोष के लिये विशेष लिपि चिह्न नही हैं। अघोष लिपि चिह्न पर ही दो नुकते लगाए जाते हैं।
वात्स्यायन का यह ग्रंथ सूत्रात्मक है। यह सात अधिकरणों, 36 अध्यायों तथा 64 प्रकरणों में विभक्त है। इसमें चित्रित भारतीय सभ्यता के ऊपर गुप्त युग की गहरी छाप है, उस युग का शिष्टसभ्य व्यक्ति "नागरिक" के नाम से यहाँ दिया गया है कि कामसूत्र भारतीय समाजशास्त्र का एक मान्य ग्रंथरत्न बन गया है। ग्रंथ के प्रणयन का उद्देश्य है लोकयात्रा का निर्वाण, न कि राग की अभिवद्धि। इस तात्पर्य की सिद्धि के लिए वात्स्यायन ने उग्र समाधि तथा ब्रह्मचर्य का पालन कर इस ग्रंथ की रचना की—
यहाँ यह ध्यान रखने योग्य बात है कि भारत में द्विभाषिकता एवं बहुभाषिकता का प्रचलन है इसलिए यह सँख्या उन लोगों की है जिन्होंने ने हिन्दी को अपनी प्रथम भाषा के तौर पर १९९१ की जनगणना में दर्ज़ किया था।
1.
हिन्दी और उर्दू दोनों को मिलाकर हिन्दुस्तानी भाषा कहा जाता है । हिन्दुस्तानी मानकीकृत हिन्दी और मानकीकृत उर्दू के बोलचाल की भाषा है । इसमें शुद्ध संस्कृत और शुद्ध फ़ारसी-अरबी दोनों के शब्द कम होते हैं और तद्भव शब्द अधिक । उच्च हिन्दी भारतीय संघ की राजभाषा है (अनुच्छेद ३४३, भारतीय संविधान) । यह इन भारयीय राज्यों की भी राजभाषा है : उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली। इन राज्यों के अतिरिक्त महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब, और हिन्दी भाषी राज्यों से लगते अन्य राज्यों में भी हिन्दी बोलने वालों की अच्छी संख्या है। उर्दू पाकिस्तान की और भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर की राजभाषा है । यह लगभग सभी ऐसे राज्यों की सह-राजभाषा है; जिनकी मुख्य राजभाषा हिन्दी है । दुर्भाग्यवश हिन्दुस्तानी को कहीं भी संवैधानिक दर्जा नहीं मिला हुआ है ।
४० - चालीस
1)Salam karne se 2)Ikraam karne se 3)Hadiya Dene se 4)Naam Lekar Dua karne se 5)Peeth peechhe Tarif karne se
इस पर्व में ॠषि-शापवश साम्ब के उदर से मुसल की उत्पत्ति तथा समुद्र-तट पर चूर्ण करके फेंके गये मुसलकणों से उगे हुए सरकण्डों से यादवों का आपस में लड़कर विनष्ट हो जाना, बलराम और श्रीकृष्ण का परमधाम-गमन और समुद्र द्वारा द्वारकापुरी को डुबो देने का वर्णन है।
भारत मे आर्थिक सुधारों की शुरूआत सन 1990 से हुई । 1990 के पहले भारत मे आर्थिक विकास बहुत ही धीमी गति से हो रहा था। भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास काफी धीमा था ।
मध्य युग में आकर संसद सभा और समिति जैसी संस्थाएं गायब हो गईं। ऊपर के स्तर पर लोकतंत्रात्मक संस्थाओं का विकास रूक गया। सैकड़ों वर्षों तक हम आपसी लड़ाइयों में उलझे रहे। विदेशियों के आक्रमण पर आक्रमण होते रहे। सेनाएं हारती-जीतती रहीं। शासक बदलते रहे। हम विदेशी शासन की गुलामी में भी जकड़े रहे। सिंध से असम तक और कश्मीर से कन्याकुमारी तक, पंचायत संस्थाएं बराबर चलती रहीं। ये प्रादेशिक जनपद परिषद् नगर परिषद, पौर सभा, ग्राम सभा, ग्राम संघ जैसे अलग नामों से पुकारी जाती रहीं। सच में ये पंचायतें ही गांवों की ‘संसद’ थीं।
2006 में पार्टी के निर्माण से लेकर अब तक, 4 नगर निगमो में एमएनएस के प्रतिनिधि चुने गए हैं.
केरल: रघुनंदन लाल भाटियामध्य प्रदेश: बलराम जाखड़महाराष्ट्र: एस एम कृष्णामणिपुर: शिवेन्द्र सिंह सिद्धूमेघालय: बनवारी लाल जोशीमिजोरम: एम एम लखेरानागालैंड: कतेक्कल शंकरनारायणनउड़ीसा: मुरलीधर चंद्रकांत भंडारीपंजाब: एस एफ रोड्रिग्सराजस्थान: एस के सिंहसिक्किम: सुदर्शन अग्रवालतमिलनाडू: सुरजीत सिंह बरनाला
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम की दर्शक क्षमता ६०,००० दर्शकों की है जो इसे भारत का तीसरा और विश्व का ५१वां सबसे बड़ा स्टेडियम बनाती है। २०१० में आयोजित होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए स्टेडियम का पुनर्निर्माण किया गया है और इसके कारण इसकी दर्शक क्षमता अपनी मूल क्षमता ७८,००० से घटकर ६०,००० रह गयी है।
तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन पटना रेलवे जंक्शन के पास 22 एकड़ ज़मीन पर 125 करोड़ रुपए की लागत से बने 200 फ़ीट ऊँचे स्तूप वाले एक भव्य 'बुद्ध स्मृति पार्क' को जनता को समर्पित किया।
साँचा:जुलाई कैलंडर२०११ १० जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९१वॉ (लीप वर्ष मे १९२ वॉ) दिन है। साल मे अभी और १७४ दिन बाकी है।
फसल घर में आने के बाद देवताओं के प्रति आभार एवं कृतज्ञता ज्ञापन भारतीय पारंपरिक धरोहर है । गौरा के माध्यम से गांव के सभी मान्य देव-देवियों को गौरा के द्वारा सम्मानित करते हैं । गौरा के दो रुप छत्तीसगढ़ में है । बइठ गौरा और ठाढ़ गौरा । पुरुष प्रधान लोक-नृत्य में ठाढ़ गौरा का प्रचलन है । इसमें पूजा-प्रणाली, फूल कूटना, देवता भरना, माटी कोड़ना, मूर्ति बनाना, बारात, परधनी, सेवा और विसर्जन के सभी अंग समान रुप से संपादित होते हैं । ठाढ़ गौरा में गेयता नहीं होती । वाद्य में भिन्नता होती है । वाद्य-ढोल - बीजा के गोले की खोखला जिसके दोनों सिरों पर चमड़ा होता है । बांयें भाग को लकड़ी से और दाहिने को हाथ से बजाते हैं । झांझ, निसान ।
चेन्नई का महानगरीय क्षेत्र कई उपनगरों तक व्याप्त है, जिसमें कांचीपुरम जिला और तिरुवल्लुर जिला के भी क्षेत्र आते हैं। बडए उपनगरों में वहां की टाउन-नगर पालिकाएं हैं, और छोटे क्षेत्रों में टाउन-परिषद हैं जिन्हें पंचायत कहते हैं। शहर का क्षेत्र जहां १७४ कि.मी.² (६७ मील²) है,[२४] वहीं उपनगरीय क्षेत्र ११८९ कि.मी.² (४५८ मील²) तक फैले हुए हैं।[२५]चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण (सी.एम.डी.ए) ने शहर के निकट उपग्रह-शहरों के विकास के उद्देश्य से एक द्वितीय मास्टर प्लान का ड्राफ़्ट तैयार किया है। निकटस्थ उपग्रह शहरों में महाबलिपुरम (दक्षिण में), चेंगलपट्टु और मरियामलै नगर दक्षिण-पश्चिम में, श्रीपेरंबुदूर, तिरुवल्लुर और अरक्कोणम पश्चिम में आते हैं।
युद्ध की शुरुवात
কমলা কমলদল বিহারিণী
सा.पो.सी. के अलावा, कई अन्य प्रकार के सीमेंट का भी उत्पादन होता है और उनमें से अधिकांश विशेष प्रयोजनों के लिए होते हैं, उदाहरण के लिए सल्फेट प्रतिरोधी सीमेंट, सफेद सीमेंट, तेल-कूप सीमेंट, आदि। इन सबके साथ कुछ सामान्य प्रयोजन सीमेंट भी होते हैं और इनमे सबसे आम प्रकार है पोज़ोलाना पोर्टलैंड सीमेंट (पो.पो.सी.)।
विद्रुम, हेमशौल, द्युतिमान, पुष्पवान, कुशेशय, हरि और मन्दराचल नामक सात पर्वत हैं।
परिणामतः चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा इन गणरज्यों को पुनः विजित कर गुप्त साम्राज्य में विलीन किया गया । अपनी विजयों के परिणामस्वरूप चन्द्रगुप्त द्वितीय ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की । उसका साम्राज्य पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में हिमालय की तापघटी से दक्षिण में नर्मदा नदी तक विस्तृत था । चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में उसकी प्रथम राजधानी पाटलिपुत्र और द्वितीय राजधानी उज्जयिनी थी ।
बंदर-ए-मानशहर (फारसी: بندرماهشهر ) ईरान में क़ूज़ेस्तान प्रांत का एक शहर है। इस शहर की जनसंख्या वर्ष २००६ की जनगणना के अनुसार १११,४४८ है।
४ हिन्द महासागर (en:Indian Ocean)
गुयानी शैली का परांठा
गोस्वामी तुलसीदास कृत
जयदेव (१२०० ईस्वी के आसपास) संस्कृत के महाकवि हैं जिन्होंने गीत गोविंद और रतिमंजरी रचित किए थे। जयदेव, उत्कल राज्य के गजपति राजाओं के समसमयिक थे । जयदेव एक वैष्णव भक्त और संत के रूप में सम्मानित थे। उनकी कृति ‘गीत गोविन्द’ को श्रीमद्भागवत के बाद राधाकृष्ण की लीला की अनुपम साहित्य-अभिव्यक्ति माना गया है। संस्कृत कवियों की परंपरा में भी वह अंतिम कवि थे, जिन्होंने ‘गीत गोविन्द’ के रूप में संस्कृत भाषा के मधुरतम गीतों की रचना की। कहा गया है कि जयदेव ने दिव्य रस के स्वरूप राधाकृष्ण की रमणलीला का स्तवन कर आत्मशांति की सिद्धि की। भक्ति विजय के रचयिता संत महीपति ने जयदेव को श्रीमद्भागवतकार व्यास का अवतार माना है।
पूर्वी तिमोर, आधिकारिक रूप से लोकतांत्रिक गणराज्य तिमोर दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित एक देश है। डार्विन (ऑस्ट्रेलिया) के 640 किमी उत्तर पश्चिमी में स्थित इस देश का कुल क्षेत्रफल १५,४१० वर्ग किमी (५४०० वर्ग मील) है। यह तिमोर द्वीप के पूर्वी हिस्से, पास के अतौरो और जाको द्वीप, और इंडोनेशियाई पश्चिम तिमोर के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में स्थित ओएचुस्सी-अम्बेनो से मिलकर बना है।
लचलान मक्कुँरी 'न्यू-साउथ वेल्स के एक गवर्नर', अनंतर अपने इंग्लैंड के प्रेषणों में इस शब्द का प्रयोग करते थे और 12 दिसम्बर 1817 को इसे औपचारिक रूप से नगरीय कार्यालयों में प्रयोग के लिए स्वीकार्य बनाने की संस्तुति की.[१८]1824 में, नौ सेना विभाग सहमत हुआ की अब यह महाद्वीप सरकारी तौर पर ऑस्ट्रेलिया नाम से जाना जाना चाहिए.
रणछोड़जी के मन्दिर की ऊपरी मंजिलें देखने योग्य है। यहां भगवान की सेज है। झूलने के लिए झूला है। खेलने के लिए चौपड़ है। दीवारों में बड़े-बड़े शीशे लगे है।
अधिक प्रोटीन वाला भोजन शरीर निर्माण करने वाला भोजन कहलाता है। दूध, मांस, मछली, अंडे, दालें, तिलहन, गिरी और कम वसा वाले तिलहनों के उत्पाद इस वर्ग में आते हैं।
1623-? Libedia
आगरा मार्ग पर बने इस उत्कृष्ट जैन मंदिर की दीवारों पर जयपुर शैली में उन्नीसवीं सदी के अत्यधिक सुंदर चित्र बने हैं।Galta Ji Lake
४३ - तिरालीस/तैंतालीस
खिलाड़ी बच्चे जवाब देते है -
घटोत्कच- घटोत्कच श्रीगुप्त का पुत्र था । २८० ई. पू. से ३२० ई. तक गुप्त साम्राज्य का शासक बना रहा । इसने भी महाराजा की उपाधि धारण की थी ।
तेरहवीं सदी तक धर्म के क्षेत्र में बड़ी अस्तव्यस्तता आ गई। जनता में सिद्धों और योगियों आदि द्वारा प्रचलित अंधविश्वास फैल रहे थे, शास्त्रज्ञानसंपन्न वर्ग में भी रूढ़ियों और आडंबर की प्रधानता हो चली थी। मायावाद के प्रभाव से लोकविमुखता और निष्क्रियता के भाव समाज में पनपने लगे थे। ऐसे समय में भक्तिआंदोलन के रूप में ऐसा भारतव्यापी विशाल सांस्कृतिक आंदोलन उठा जिसने समाज में उत्कर्षविधायक सामाजिक और वैयक्तिक मूल्यों की प्रतिष्ठा की। भक्ति आंदोलन का आरंभ दक्षिण के आलवार संतों द्वारा दसवीं सदी के लगभग हुआ। वहाँ शंकराचार्य के अद्वैतमत और मायावाद के विरोध में चार वैष्णव संप्रदाय खड़े हुए। इन चारों संप्रदायों ने उत्तर भारत में विष्णु के अवतारों का प्रचारप्रसार किया। इनमें से एक के प्रवर्तक रामानुजाचार्य थे, जिनकी शिष्यपरंपरा में आनेवाले रामानंद ने (पंद्रहवीं सदी) उत्तर भारत में रामभक्ति का प्रचार किया। रामानंद के राम ब्रह्म के स्थानापन्न थे जो राक्षसों का विनाश और अपनी लीला का विस्तार करने के लिए संसार में अवतीर्ण होते हैं। भक्ति के क्षेत्र में रामानंद ने ऊँचनीच का भेदभाव मिटाने पर विशेष बल दिया। राम के सगुण और निर्गुण दो रूपों को माननेवाले दो भक्तों - कबीर और तुलसी को इन्होंने प्रभावित किया। विष्णुस्वामी के शुद्धाद्वैत मत का आधार लेकर इसी समय बल्लभाचार्य ने अपना पुष्टिमार्ग चलाया। बारहवीं से सोलहवीं सदी तक पूरे देश में पुराणसम्मत कृष्णचरित् के आधार पर कई संप्रदाय प्रतिष्ठित हुए, जिनमें सबसे ज्यादा प्रभावशाली वल्लभ का पुष्टिमार्ग था। उन्होंने शांकर मत के विरुद्ध ब्रह्म के सगुण रूप को ही वास्तविक कहा। उनके मत से यह संसार मिथ्या या माया का प्रसार नहीं है बल्कि ब्रह्म का ही प्रसार है, अत: सत्य है। उन्होंने कृष्ण को ब्रह्म का अवतार माना और उसकी प्राप्ति के लिए भक्त का पूर्ण आत्मसमर्पण आवश्यक बतलाया। भगवान् के अनुग्रह या पुष्टि के द्वारा ही भक्ति सुलभ हो सकती है। इस संप्रदाय में उपासना के लिए गोपीजनवल्लभ, लीलापुरुषोत्तम कृष्ण का मधुर रूप स्वीकृत हुआ। इस प्रकार उत्तर भारत में विष्णु के राम अैर कृष्ण अवतारों प्रतिष्ठा हुई।
११. पालकिगुण्क- यह गोविमठ की चार मील की दूरी पर है ।
जीवन स्तर के एक संकेतक के रूप में GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का उपयोग करने का एक मुख्य नुकसान यह है कि यह कडाई के साथ जीवन स्तर का माप नहीं है. GDP (सकल घरेलू उत्पाद) एक देश में आर्थिक गतिविधि के किसी विशिष्ट प्रकार का मापन करता है. GDP (सकल घरेलू उत्पाद) की परिभाषा के अनुसार ऐसा जरुरी नहीं है कि यह यह जीवन स्तर का माप करे.
लंदन आवास के दौरान सावरकर की मुलाकात लाला हरदयाल से हुई। लंदन में वे इंडिया हाऊस की देखरेख भी करते थे। १ जुलाई, १९०९ को मदनलाल ढींगरा को गोली मार दिए जाने के बाद उन्होंने लंदन टाइम्स में भी एक लेख लिखा था। १३ मई, १९१० को पैरिस से लंदन पहुंचने पर गिरफ़्तार कर लिया गया, किंतु ८ जुलाई, १९१० को एस.एस.मोरिया नामक जहाज से भारत ले जाते हुए सीवर होल के रास्ते ये भाग निकले।[४]२४ दिसंबर, १९१० को इन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई। इसके बाद ३१ जनवरी, १९११ को इन्हें दोबारा आजीवन कारावास दिया गया।।[४] इस प्रकार सावरकर को ब्रिटिश सरकार ने क्रांति कार्यों के लिए दो आजन्म कारावास की सजा दी, जो विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी सजा थी। सावरकर के अनुसार -
४ १ जनवरी, २००६ तक का।
aspirated (p, t, ch, k) or murmured (b, d, j, g).
अधोरक्त छायांकन प्रायः सामरिक एवं नागरिक, दोनों ही उद्देश्यों से किया जाता है ।
स्रोत: [१]
पुरे विश्व में फुटबॉल की लोकप्रियता को
आ गए पंछी/ नदी को पार कर/ इधर की रंगीनियों से प्यार कर/
तेजोव्ड़िषो द्युतिधरः सर्वशस्त्रभ्ड़ितां वरः ।
पंजाब का सन २००४ का अनुमानित कुल सकल घरेलू उत्पाद २७ अरब डॉलर है।
Křemičitan manganatý - MnSiO3
सोनभद्र जिला, मूल मिर्जापुर जिले से 4 मार्च 1989 को अलग किया गया था। 7,388 वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है। यह 23.52 तथा 25.32 अंश उत्तरी अक्षांश तथा 82.72 एवं 93.33 अंश पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। जिले की सीमा पश्चिम में मध्य प्रदेश, दक्षिण में छत्तीसगढ़, पूर्व में झारखण्ड तथा बिहार एवं उत्तर में उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला है। रार्बट्सगंज जिले का प्रमुख नगर तथा जिला मुख्यालय है। जिले की जनसंख्या 14,63,519 है तथा इसका जनसंख्या घनत्व उत्तर प्रदेश में सबसे कम 198 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।
यह सुझाव दिया गया है कि, प्रति व्यक्ति पर्यटन व्यय और जिस अंश तक देश दुनिया के सन्दर्भ में भूमिका निभाते हैं, इन दोनों के बीच में गहरा सम्बन्ध है.[१७] न केवल पर्यटन उद्योग के महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान, से स्थानीय अर्थ व्यवस्था को लाभ मिलता है ,बल्कि यह उस विश्वास का भी संकेत है जिसके साथ दुनिया भर के नागरिक संसाधनों का लाभ उठाते हैं. यही कारण है कि पर्यटन में विकास का कोई भी अनुमान उस सापेक्ष प्रभाव का सूचक है जिसे प्रत्येक देश भविष्य में अनुभव करेगा.
अखिल भारतीय सेवाएँ भी केन्द्र को राज्य प्रशासन पे नियंत्रण प्राप्त करने मे सहायता देती है अनु 262 संसद को अधिकार देता है कि वह अंतराज्य जल विवाद को सुलझाने हेतु विधि का निर्माण करे संसद ने अंतराज्य जल विवाद तथा बोर्ड एक्ट पारित किये थे
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२) सीरिस
Miliaresion
वेनेवेत्तो के युद्ध के पश्चात् साहित्यिक और सांस्कृतिक केंद्र सिसिली के बजाय तोस्काना हो गया जहाँ शृंगारविषयक गीतिकाव्य की रचना हुई, गूइत्तोने देल वीवा द आरेज्जो (मृत्यु 1294 ई.) इस धारा का प्रधान कवि था। फ्लोरेंस, पीसा, लूक्का तथा आरेज्जो में इस काल में अनेक कवियों ने तत्कालीन बोली में कविताएँ लिखीं। बोलोन (इता. बोलोन्या) में साहित्यिक भाषा का रूप स्थिर करने का प्रयास किया गया। सिसिली और तोस्काना काव्यधाराओं ने साहित्यिक इतालवी का जो रूप प्रस्तुत किया उसे अंतिम और स्थिर रूप दिया "दोल्चे स्तील नोवो" (मीठी नवीन शैली) के कवियों ने। इन कवियों ने कलात्मक संयम, परिष्कृत रुचि तथा परिमार्जित समृद्ध भाषा का ऐसा रूप रखा कि आगे की कई सदियों के इतालवी लेखक उसको आदर्श मानकर इसी में लिखते रहे। दांते अलीमिएरी (1265-1321) ने इसी नवीन शैली में, तोस्काना की बोली में, अपनी महान् कृति "दिवीना कोमेदिया" लिखी। दांते ने "कोन्वीविओ" में गद्य का भी परिष्कृत रूप प्रस्तुत किया और गूइदो फाबा तथा गूइत्तोने द आरेज्जो की कृत्रिम तथा साधारण बोलचाल की भाषा से भिन्न स्वाभाविक गद्य का रूप उपस्थित किया। दांते तथा "दोचे स्तील नोवो" के अन्य अनुयायियों में अग्रगण्य हैं फ्रोंचेस्को, पेत्रार्का और ज्वोवान्नी बोक्काच्यो। पेत्रार्का ने फ्लोरेंस की भाषा को परिमार्जित रूप प्रदान किया तथा उसे व्यवस्थित किया। पेत्रार्का की कविताओं और बोक्काच्चो की कथाओं ने इतालवी साहित्यिक भाषा का अत्यंत सुव्यवस्थित रूप सामने रखा। पीछे के लेखकों ने दांते, पेत्रार्का और बोक्काच्यो की कृतियों से सदियों तक प्रेरणा ग्रहण की।
सन् 455 के आसपास कुमारगुप्त की मृत्यु के बाद स्कंदगुप्त राजा बना । हँलांकि सैन्य अभियानों में वो पहले से ही शामिल रहता था । कुमारगुप्त के शासनकाल के अन्तिम दिनों में गुप्त साम्र्ज्य को पुष्यमित्रों द्वारा, जोकि नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ एक समुदाय था, चुनौती दी गई । इस चुनौती का दमन स्कंदगुप्त ने ही किया था । उसके शासनकाल में संघर्षों की भरमार लगी रही । उसको सबसे अधिक परेशान मध्य एशियाई हूण लोगो ने किया । हूण एक बहुत ही दुर्दांत कबीले थे तथा उनके साम्राज्य से पश्चिम में रोमन साम्राज्य को भी खतरा बना हुआ था । श्वेत हूणों के नाम से पुकारे जाने वाली उनकी एक शाखा ने हिंदुकुश पर्वत को पार करके फ़ारस तथा भारत की ओर रुख किया । उन्होंने पहले गांधार पर कब्जा कर लिया और फिर गुप्त साम्राज्य को चुनौती दी । पर स्कंदगुप्त ने उन्हे करारी शिकस्त दी और हूणों ने अगले 50 वर्षों तक अपने को भारत से दूर रखा ।
ऐतिहासिक दृष्टि से नरसी मेहता के जीवनकाल का निश्चय एक समस्या रही है। उनकी "हारमाला" नामक कृति में दी गई तिथि सं. 1512 तथा वर्णित घटना से सिद्ध रा मांडलिक (सं. 1487 से 1528) की समकालीनता के आधार पर कुछ इतिहासकारों ने उन्हें 15वीं शती ई. में रखा और बहुत काल तक "वृद्धमान्य समय" (1414-81 ई.) निर्विवाद स्वीकृत किया जाता रहा परंतु; क.मा. मुंशी ने अनेक तर्क वितर्कों द्वारा उसे अतिशय विवादास्पद बना दिया। उनके अनुसार चैतन्य के प्रभाव के कारण नरसी मेहता का समय 1500-1580 ई. से पूर्व नहीं माना जा सकता। यद्यपि गुजराती के अनेकानेक मान्य विद्वानों ने इस विवाद में भाग लिया है तथापि वह अब भी प्राय: अनिर्णीत ही है। उनकी रचनाओं में जयदेव, नामदेव, रामानंद और मीरा का उल्लेख मिलता है।
• ऋतुपर्ण घोष
बिम्बिसार ने हर्यक वंश की स्थापना ५४४ ई. पू. में की । इसके साथ ही राजनीतिक शक्ति के रूप में बिहार का सर्वप्रथम उदय हुआ । बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक/राजा माना जाता है । बिम्बिसार ने गिरिव्रज (राजगीर) को अपनी राजधानी बनायी । इसके वैवाहिक सम्बन्धों (कौशल, वैशाली एवं पंजाब) की नीति अपनाकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया ।
मध्यकाल में कई अफ़ग़ान शासकों ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया या करने का प्रयत्न किया जिनमें लोदी वंश का नाम प्रमुख है। इसके अलावा भी कई मुस्लिम आक्रमणकारियों ने अफगान शाहों की मदद से हिन्दुस्तान पर आक्रमण किया था जिसमें बाबर, नादिर शाह तथा अहमद शाह अब्दाली शामिल है। अफ़गानिस्तान के कुछ क्षेत्र दिल्ली सल्तनत के अंग थे।
संकेत (Fe), परमाणु संख्या 26, परमाणु भार 550.85,
एकला चलो रे की पंक्ति ने भारतीय जनता पार्टी में प्राण फूंक दिए और इस सिध्दान्त ने उस पर जादू सा असर किया।
ऋषि आकाश, अन्तरिक्ष और शरीर तीनों में होते हैं।
जनश्रुति के अनुसार उन्हें एक पुत्र कमाल तथा पुत्री कमाली थी। इतने लोगों की परवरिश करने के लिये उन्हें अपने करघे पर काफी काम करना पड़ता था। ११९ वर्ष की अवस्था में उन्होंने मगहर में देह त्याग किया।
-जल निकास नाली की तरफ बहुत हल्का सा ढ़ाल देना चाहिए ताकि खेत का फालतू पानी जल निकास नाली द्वारा बहाया जाये |
इसके बाद यहाँ प्रांस का शासन आया जो 1946 तक चला । इसके बाद से यहाँ राजनैतिक अस्थिरता रही है । बाथ पार्टी ने शासन पर अपना सिक्का जमाया और आजकल शासन में असद परिवार का प्रभुत्व है ।
पारसी धर्म ईरान का बहुत पुराना धर्म है । इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुस्त्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुस्त्री धर्म भी कहते हैं ।
गायत्री सद्बुद्धि की देवी और यज्ञ सत्कर्मों का पिता है । सद्भावनाओं एवं सत्प्रवृत्तियों के अभिवर्धन के लिए गायत्री माता और यज्ञ पिता का युग्म हर दृष्टि से सफल एवं समर्थ सिद्ध हो सकता है । गायत्री यज्ञों की विधि-व्यवस्था बहुत ही सरल, लोकप्रिय एवं आकर्षक भी है । जगत् के दुर्बुद्धिग्रस्त जनमानस का संशोधन करने के लिए सद्बुद्धि की देवी गायत्री महामन्त्र की शक्ति एवं सार्मथ्य अद्भुत भी है और अद्वितीय भी ।
टाटा पावर भारत में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कम्पनियों में से एक है। यह मुंबई एवं दिल्ली के कुछ हिस्सों को बिजली प्रदान करती है। टाटा केमिकल्स और टाटा पिगमेन्ट्स (Tata Pigments) का भी अपने अपने क्षेत्रों में काफी नाम है । सेवा क्षेत्र में भी टाटा समूह की कई कम्पनियां होटल , बीमा व जीवन बीमा उद्योग में सक्रिय हैं। टाटा समूह प्रबंधन व आर्थिक सलाहकार सेवाओं में भी काफी सफल साबित हुआ है। शेयरों व निवेष की दुनिया में भी टाटा का खासा नाम है । जहाँ तक शिक्षा का सवाल है, तो इस के लिए तो केवल टाटा मैक्ग्रा (Tata Mcgraw) का नाम लेने मात्र से ही इस क्षेत्र में टाटा समूह की सफलता को बयां किया जा सकता है। पर टाटा का शिक्षा से जुड़ाव केवल इस मशहूर प्रकाशन कंपनी तक ही सीमित नही है। अनेक सरकारी संस्थानों व कम्पनियों की शरुआत टाटा द्वारा ही की गयी , जैसे - भारतीय विज्ञाना संस्थान (Indian Institute of Science), टाटा मूलभूत अनुसंधान केन्द्र (Tata Institute of Fundamental Research), टाटा समाज विज्ञान संस्थान (Tata Institute of Social Sciences) और टाटा ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (Tata Energy Research Institute) । यहाँ तक की भारत की आधिकारिक विमान सेवा एयर इन्डिया का भी जन्म टाटा एयरलाइन्स के रूप में हुआ था । इसके अलावा टाटा मैनेजमेन्ट ट्रेनिंग सेन्टर, पुणे, और नेशनल सेन्टर फार पर्फार्मिंग आर्ट्स भी ऐसे संस्थान हैं जिनका श्रेय टाटा समूह को दिया जाना चाहिए ।
(14) देवताओं और दैत्यों के दिन और रात्रि पारस्परिक उलटे होते हैं. उनके छः गुणा साठ देवताओं के (दिव्य) वर्ष होते हैं. ऐसे ही दैत्यों के भी होते हैं.
पुर्जा-पुर्जा कट मरे, कभूं न छाडे खेत॥
स्वरों को कई तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है :
1895 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
Sher Shah used spying as a tool to be aware of woes of people, and established an efficient postal system in which horses carried mail to inns that were at equal distances of 12 miles from each other. These inns served also as post offices and spying centres and it was the duty of respective villages to bear expenses of their inns.
सबसे नजदीकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अमृतसर विमानक्षेत्र है। अमृतसर नववंशशहर से 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
2. न्यायालय को अधिकार है कि वो अवमानना करने वाले व्यक्ति को दण्ड दे सके यह शक्ति अधीनस्थ न्यायालय को प्राप्त नही है इस शक्ति को नियमित करने हेतु संसद ने न्यायालय अवमानना अधिनियम 1971 पारित किया है अवमानना के दो भेद है सिविल और आपराधिक जब कोई व्यक्ति आदेश निर्देश का पालन न करे या उल्लंघ न करे तो यह सिविल अवमानना है पर्ंतु यदि कोई व्यक्ति न्यायालय को बदनाम करे जजों को बदनाम तथा विवादित बताने का प्रयास करे तो यह आपराधिक अवमानना होगी जिसके लिये कारावास/जुर्माना दोनो देना पडेगा वही सिविल अवमानना मे कारावास संबव नही है यह शक्ति भारत मे काफी कुख्यात तथा विवादस्पद है
फ्लोरिडा के हिस्पैनिक जनसंख्या में मियामी और टाम्पा के क्यूबन अमेरिकी, ताम्पा और ऑरलैंडो के पुएरटो रिकान्स पश्चिम-मध्य और दक्षिण फ्लोरिडा के मध्य अमेरिकी प्रवासी कामगार जैसे बड़े समुदायों के लोग भी शामिल हैं. 2000 और 2004, के बीच हिस्पैनिक समुदाय बहुत विकसित, अधिक समृद्ध और गतिशील हो गया: दक्षिण पश्चिम फ्लोरिडा के ली काउंटी जो एक उपनगर है वहां संयुक्त राज्य अमेरिका में किसी जगह के मुकाबले सबसे तेजी से हिस्पैनिक जनसंख्या की वृद्धि दर जारी है.
हफ़लौंग हिन्दी, हिन्दी के उस वृहद रूप का परिचायक है जो कि पूरे दक्षिण एशिया में किसी ना किसी रूप में विद्धमान है। यह बोली हिन्दी भाषियों के लिए सुबोध है, और इसमें हिन्दी के व्याकरण और शब्दों के अतिरिक्त स्थानीय भाषाओं के शब्दों का ग्रहित आसव है। [१]
दराजों मे दस्तावेज-१९७०,१९८२,२००५, लौटते हुए-१९७४, चांदनी के आर पर -१९७८, बीच की दरार -१९७८, कई अंधेरों के पर-१९८१, टूटते दायरे-१९८३, चादर के बहार-१९८३,प्यासी नदी-१९८३, भटका मेघ-१९८४ , आकाशचारी-१९८५, आत्मदाह-१९८५, बावजूद-१९८६, अंतहीन-१९८७, प्रथम परिचय-१९८७, जली रस्सी-१९८७, युद्ध अविराम-१९८७, द्ल्षा हरा-१९८७, अपरचित शेष-१९८८, बेदखल अतीत-१९९३, आखिरी पराव-१९९३, सुबह की तलाश-१९९४, मुक्ति मार्ग-१९९४, घर न घाट-१९९६, एक जिंदगी और-१९९६, घटना सूत्र-१९९९, बैरंग खत-२०००, अनदेखे पुल-२००१, कलंदर-२००१, टापू पर अकेले-२००१, छलावा-२००२, यातना शिविर-२००७
भारतीय दर्शन और 'फिलासफी' (en:Philosophy) एक नहीं क्योंकि दर्शन यथार्थता, जो एक है, का तत्वज्ञान है जबकी फिलासफी विभिन्न विषयों का विश्लेषण। इसलिये दर्शन में चेतना की मीमांसा अनिवार्य है जो पाश्चात्य फिलासफी में नहीं।
रायपुर में मनोरंजन के लिए पुराने सिनेमाघरों के साथ मल्टीप्लेक्स थियेटर भी है। आकाशवाणी को मीडियम वेव वाला एक रेडियो स्टेशन भी है। नई पीढ़ी के लिए चार नए रेडियो स्टेशन सन् २००७ में शुरु हुए हैं। इनमें विविध भारती,रेडियो मिर्ची, रेडियो रंगीला तथा रेडियो माई एफ एम का चैनल है। वर्श २००९ में बिना किसी औपचारिक उद्घाटन के एक और नया रेडियो चैनल रेडियो तड़का भी आ गया है। सभी का प्रसारण रायपुर से होता है। टेलीविजन चैनलों में सहारा समय,ई टीवी न्यूज, जी छत्तीसगढ़ २४ घंटे, वॉच न्यूज के साथ केबल टीवी के एम० चैनल और ग्रैन्ड चैनल है। इसके अलावा एयरपोर्ट रोड पर एक उर्जा पार्क तथा जी० ई० रोड पर ग्राम सरोना में स्थित नंदन वन है यहां जंगली जानवरों को भी देखा जा सकता है।
साँचा:South Asian Association for Regional Cooperation (SAARC) साँचा:World Trade Organization (WTO) साँचा:Commonwealth of Nations साँचा:Non-Aligned Movement साँचा:Indo-Aryan-speaking regions
प्रोफेसर रुचिराम साहनी ने उच्च शिक्षा के लिए अपने पांचों पुत्रों को इंग्लैंड भेजा तथा स्वयं भी वहां गए। वे मैनचेस्टर गए और वहां कैम्ब्रिज के प्रोफेसर अर्नेस्ट रदरफोर्ड तथा कोपेनहेगन के नाइल्सबोर के साथ रेडियो एक्टिविटी पर अन्वेषण कार्य किया। प्रथम महायुद्ध आरंभ होने के समय वे जर्मनी में थे और लड़ाई छिड़ने के केवल एक दिन पहले किसी तरह सीमा पार कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने में सफल हुए। वास्तव में उनके पुत्र बीरबल साहनी की वैज्ञानिक जिज्ञासा की प्रवृत्ति और चारित्रिक गठन का अधिकांश श्रेय उन्हीं की पहल एवं प्रेरणा, उत्साहवर्धन तथा दृढ़ता, परिश्रम औरईमानदारी को है। इनकी पुष्टि इस बात से होती है कि प्रोफेसर बीरबल साहनी अपने अनुसंधान कार्य में कभी हार नहीं मानते थे, बल्कि कठिन से कठिन समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए सदैव तत्पर रहते थे। इस प्रकार, जीवन को एक बड़ी चुनौती के रूप में मानना चाहिए, यही उनके कुटुंब का आदर्श वाक्य बन गया था।
बैद्यनाथ का मुख्य मंदिर सबसे पुराना है जिसके आसपास अनेक अन्य मंदिर भी हैं। शिवजी का मंदिर पार्वती जी के मंदिर से जुड़ा हुआ है।
अनु 51 के अनुसार कार्यपालिका तथा न्यायपालिका को पृथक होना चाहिए इस लिये ही 1973 मे दंड प्रक्रिया सन्हिता पारित की गयी जिस के द्वारा जिला मजिस्टृटो की न्यायिक शक्ति लेकर न्यायिक मजिस्टृटो को दे दी गयी थी
स्वामी रामानंद़ को मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का महान संत माना जाता है.उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के निचले तबके तक पहुंचाया.वे पहले ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया.उनके बारे में प्रचलित कहावत है कि -द्वविड़ भक्ति उपजौ-लायो रामानंद.यानि उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार करने का श्रेय स्वामी रामानंद को जाता है.उन्होंने तत्कालीन समाज में ब्याप्त कुरीतियों जैसे छूयाछूत,ऊंच-नीच और जात-पात का विरोध किया .
पुरातात्विक अनुसंधानो के अनुसार पटना का इतिहास 490 ईसा पूर्व से होता है जब हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु ने अपनी राजधानी राजगृह या राजगीर से बदलकर यहाँ स्थापित की। यह स्थान वैशाली के लिच्छवियों से संघर्ष में उपयुक्त होने के कारण राजगृह की अपेक्षा सामरिक दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण था । उसने गंगा के किनारे यह स्थान चुना और अपना दुर्ग स्थापित कर लिया । उस समय से इस नगर का इतिहास लगातार बदलता रहा है। २५०० वर्षों से अधिक पुराना शहर होने का गौरव दुनिया के बहुत कम नगरों को हासिल है । बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध अपने अन्तिम दिनों में यहाँ से गुजरे थे । उनकी यह भविष्यवाणी थी कि नगर का भविष्य उज्जवल होगा, बाढ़ या आग के कारण नगर को खतरा बना रहेगा। मौर्य साम्राज्य के उत्कर्ष के बाद पाटलिपुत्र सत्ता का केन्द्र बन गया । चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य बंगाल की खाड़ी से अफ़गानिस्तान तक फैल गया था। मौर्य काल के आरंभ में पाटलिपुत्र के अधिकांश राजमहल लकड़ियों से बने थे, पर सम्राट अशोक ने नगर को शिलाओं की संरचना मे तब्दील किया । चीन के फाहियान ने, जो कि सन् 399-414 तक भारत यात्रा पर था, अपने यात्रा-वृतांत में यहाँ के शैल संरचनाओं का जीवन्त वर्णन किया है । मेगास्थनीज़, जो कि एक यूनानी इतिहासकार और चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में एक राजदूत के नाते आया था, ने पाटलिपुत्र नगर का प्रथम लिखित विवरण दिया । बाद में, ज्ञान की खोज में कई चीनी यात्री यहाँ आए और उन्होने भी यहां के बारे में अपने यात्रा-वृतांतों में लिखा है ।
इसी समय प्रसिद्ध वैष्णव कवि चैतन्य का आविर्भाव हुआ (1486-1533)। समसामयिक कवियों और विचारकों पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा। उनके आविर्भाव और मृत्यु के उपरांत संतों तथा भक्तों के जीवनचरित्रों के निर्माण की परंपरा चल पड़ी। इनमें से कुछ ये हैं-वृंदावनदास कृत चैतन्यभागवत (लग. 1573), लोचनदास कृत चैतन्यमंगल; जयानंद का चैतन्यमंगल तथा कृष्णदास कविरत्न का चैतन्यचरितामृत (लग. 1581)। कृष्ण और राधा के दिव्य प्रेम संबंधी बहुत से गीत और पद भी इस समय रचे गए। बंगाल के इस वैष्णव गीत साहित्य पर मिथिला के विद्यापति का भी यथेष्ट प्रभाव पड़ा जिसकी चर्चा पहले की जा चुकी है।
‘बिटवीन द लाइन्स', ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कौनण्टनेण्ट', ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू', ‘वाल एंट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', ‘इण्डिया हाउस', ‘स्कूप' (सभी अंग्रेजी में)। ‘द डे लुक्स ओल्ड' के नाम से प्रकाशित कुलदीप नैयर की आत्मकथा भी काफी चर्चित रही है। सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।
1959 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
यह प्रेम वह व्यवहार है/ जो जीत माने हार को/ तलवार की भी धार पर/ चलना सिखा दे यार को/
गवर्नर-जनरल (जब वे वाइसरॉय थे १८५८ से १९४७ तक के समय समेत) एक्सीलेंसी की शैली प्रयोग किया करते थे, एवं भारत में, अन्य सभी सरकारी अधिकारियों पर वर्चस्व रखते थे। उन्हें योर एक्सीलेंसी से सम्बोधित किया जाता था, तथा उनके लिये हिज़ एक्सीलेंसी प्रयोग किया जाता था। १८५८-१९४७ के काल में, गवर्नर-जनरल को फ्रेंच भाषा से रॉय यानि राजा, और वाइस अंग्रेज़ी से, यानि उप, मिलाकर वाइसरॉय कहा जाता था। इनकी पत्नियों को वाइसराइन कहा जाता था। उनके लिये हर एक्सीलेंसी, एवं उन्हें योर एक्सीलेंसी कहकर सम्बोधित किया जाता था। परन्तु ब्रिटेन के महाराजा के भारत में होने पर, यह उपाधियां प्रयोग नहीं होती थीं।
1976 -सैनिक शासन ने ट्रेड यूनियनों पर प्रतिबंध लगाया.
राय के लगभग सभी कथानक भी बांग्ला भाषा में साहित्यिक पत्रिका एकशान (একশান) में प्रकाशित हो चुके हैं। राय ने 1982 में आत्मकथा लिखी जखन छोटो छिलम (जब मैं छोटा था)। इसके अतिरिक्त इन्होंने फ़िल्मों के विषय पर कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से प्रमुख है आवर फ़िल्म्स, देयर फ़िल्म्स (Our Films, Their Films, हमारी फ़िल्में, उनकी फ़िल्में)। 1976 में प्रकाशित इस पुस्तक में राय की लिखी आलोचनाओं का संकलन है। इसके पहले भाग में भारतीय सिनेमा का विवरण है, और दूसरा भाग हॉलीवुड पर केन्द्रित है। राय ने चार्ली चैपलिन और अकीरा कुरोसावा जैसे निर्देशकों और इतालवी नवयथार्थवाद जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया है। 1976 में ही इन्होंने एक और पुस्तक प्रकाशित की — विषय चलचित्र (বিষয় চলচ্চিত্র) जिसमें सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर इनके चिंतन का संक्षिप्त विवरण है। इसके अतिरिक्त इनकी एक और पुस्तक एकेई बोले शूटिंग (একেই বলে শুটিং, इसको शूटिंग कहते है) (1979) और फ़िल्मों पर अन्य निबंध भी प्रकाशित हुए हैं।
निपुण लोगों द्वारा बनाए गए ज्ञानकोष न्यूपीडिया के पूरक के रूप में २९ जनवरी, २००१ में इसकी शुरुआत हुई। अब यह विकिमीडिया फाउन्डेशन द्वारा संचालित है जो एक गैर-लाभकारी संस्था है। 2006 के मध्य में इसमें 46 लाख से भी ज्यादा लेख थे, सिर्फ अंग्रेज़ी भाषा में ही 12 लाख से भी ज्यादा लेख थे। यह 200 से भी ज्यादा भाषाओं में है, जिसमें से 15 भाषाओं में 50 हज़ार से भी ज्यादा लेख हैं। जर्मन भाषा के विकिपीडिया को डीवीडी में भी वितरित किया गया है। विकिपीडिया के संस्थापक जिमी वेल्स के शब्दों में यह "विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के लिये, उनके अपनी भाषा में एक बहुभाषीय, मुक्त, सबसे अधिक मुमकिन गुणवत्ता वाला विश्वकोश बनाने और वितरित करने का एक प्रयत्न है।"
4.विशेष बहुमत – प्रथम तीनो प्रकार के बहुमतॉ से भिन्न होता है इसके तीन प्रकार है
आई आई टी कानपुरजी एस वी एम मेडीकल कालेजपं. दीन दयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालयएअर फोर्स स्कूल चकेरी कानपुरओ एफ आइ सी कानपुरचाचा नेहरू स्मारक इंटर कॉलेज, गोविन्द नगर
हबल के अनुसंधान के बाद ब्रह्मांड के सिद्धांतों का प्रतिपादन आवश्यक हो गया था। यह वह समय था जब कि आइन्सटीन का सापेक्षवाद का सिद्धांत अपनी शैशवावस्था में था। लेकिन फिर भी आइन्सटीन के सिद्धांत को सौरमंडल संबंधी निरीक्षणों पर आधारित निष्कर्षों की व्याख्या करने में न्यूटन के सिद्धांतों से अधिक सफलता प्राप्त हुई थी। न्यूटन के अनुसार दो पिंडों के बीच की गुरु त्वाकर्षण शक्ति एक दूसरे पर तत्काल प्रभाव डालती है लेकिन आइन्सटीन ने यह साबित कर दिया कि पारस्परिक गुरु त्वाकर्षण की शक्ति की गति प्रकाश की गति के समान तीव्र नहीं हो सकती है। आखिर यहाँ पर आइन्सटीन ने न्यूटन के पत्र को गलत प्रमाणित किया। लोगों को आइन्सटीन का ही सिद्धांत पसंद आया। ब्रह्मांड की उत्पत्ति की तीन धारणाएँ प्रस्तुत हैं----
आज के युग ने यह चेतना प्रदान की है कि विकास का रास्ता हमें स्वयं बनाना है। किसी समाज या देश की समस्याओं का समाधान कर्म-कौशल, व्यवस्था-परिवर्तन, वैज्ञानिक तथा तकनीकी विकास, परिश्रम तथा निष्ठा से सम्भव है। आज के मनुष्य की रुचि अपने वर्तमान जीवन को सँवारने में अधिक है। उसका ध्यान 'भविष्योन्मुखी' न होकर वर्तमान में है। वह दिव्यताओं को अपनी ही धरती पर उतार लाने के प्रयास में लगा हुआ है। वह पृथ्वी को ही स्वर्ग बना देने के लिए बेताब है।
ताराशंकर बंधोपाध्याय एक बांग्ला साहित्यकार हैं । इन्हें गणदेवता के लिए १९६६ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ताराशंकर बंधोपाध्याय को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६९ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पश्चिम बंगाल से हैं।
धार्मिक दृष्टिकोण से संपूर्ण दक्षिण भारत एक तीर्थ है जहाँ वास्तुकला और मूर्तिकला के अद्वितीय उदाहरण हैं। इन मंदिरों में भव्यता और कलाशिल्प देखने योग्य है। उत्तर भारत से एकदम अलग शैली के मंदिर होने के बावजूद श्रद्धा और भक्ति में ये समस्त भारतीय आस्तिकों को आकर्षित करते हैं। तिरुषैलिफेनी स्थित पार्थ सारथी मंदिर के लिए उल्लेख है कि इसका निर्माण आठवीं शताब्दी में राजा पल्लव ने करवाया था। इस देवस्थान की दीवारों पर सुंदर कलाकृतियाँ अंकित हैं। दूसरा आकर्षक मंदिर है द्रविड़ शिल्पकला में निर्मित मिलापोर स्थित कालीश्वर मंदिर। यहाँ माता पार्वती की उपासना की गाथा अंकित है। समुद्र की रेत से तपता यह क्षेत्र अत्यंत गरम जलवायु लिए हुए है जो केले, नारियल और पाम के पेड़ों से खूबसूरत लगता है।
राय को जीवन में अनेकों पुरस्कार और सम्मान मिले। ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय ने इन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की। चार्ली चैपलिन के बाद ये इस सम्मान को पाने वाले पहले फ़िल्म निर्देशक थे। इन्हें 1985 में दादासाहब फाल्के पुरस्कार और 1987 में फ़्राँस के लेज़्यों द’ऑनु पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मृत्यु से कुछ समय पहले इन्हें सम्मानदायक अकादमी पुरस्कार और भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किये गए। मरणोपरांत सैन फ़्रैंसिस्को अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्मोत्सव में इन्हें निर्देशन में जीवन-पर्यन्त उपलब्धि-स्वरूप अकिरा कुरोसावा पुरस्कार मिला जिसे इनकी ओर से शर्मिला टैगोर ने ग्रहण किया।[५२] सामान्य रूप से यह समझा जाता है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्होंने जो फ़िल्में बनाईं उनमें पहले जैसी ओजस्विता नहीं थी। उनका व्यक्तिगत जीवन कभी मीडिया के निशाने पर नहीं रहा लेकिन कुछ का विश्वास है कि 1960 के दशक में फ़िल्म अभिनेत्री माधवी मुखर्जी से उनके संबंध रहे।[५३]
आधुनिक सैन्य बमवर्षक विमान को एक बड़ी क्षमता आंतरिक बम खाड़ी की तरह डिजाईन किया गया है हालांकि लड़ाकू बमवर्षक पाइलन्स या बम रैक या बहु इंजेक्शन रैक पर बाह्य तौर पर बमों को ढोती है जो एक सिंगल पाइलोन पर कई बम चढ़ाना सक्षम बनाती हैं. आधुनिक बमें, [[ परिशुद्धता -- निर्देशित लड़ाई की सामग्री
वाकाटकों से युद्ध- मन्दसौर शिलालेख से ज‘जात होता है कि स्कन्दगुप्त की प्रारम्भिक कठिनाइयों का फायदा उठाते हुए वाकाटक शासक नरेन्द्र सेन ने मालवा पर अधिकार कर लिया परन्तु स्कन्दगुप्त ने वाकाटक शासक नरेन्द्र सेन को पराजित कर दिया ।
वीणा
1506–1511 Socotra
यह मंदिर भारत के अद्वितीय मंदिरों में अपना स्थान रखता है। इस मंदिर को बनाने में सीमेंट और लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। मंदिर में स्थापित मूर्ति का वजन 24 टन के करीब है।
वायुमंडलीय आर्द्रता वायु में उपस्थित जलवाष्प के ऊपर निर्भर करती है। यह जलवाष्प वायुमंडल के निचले स्तरों में रहता है। इसकी मात्रा सभी स्थानों में तथा सदैव एक सी नहीं रहती। समयानुसार उसमें अंतर होते रहते हैं। यह जलवाष्प नदी, तालाब, झील, सागर आदि के जल के वाष्पीकरण से बनता है।
सन् १९४२ में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया तो हेमू इसमें कूद पड़े। इसी के सिलसिले में वे पकड़े गये और उन्हें फाँसी की सजा हुई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निष्कर्ष निकाला है कि पशुओं में वृद्धि प्रमोटरों के रूप में एंटीबायोटिक दवाओं, जोखिम मूल्यांकन के अभाव में निषिद्ध किया जाना चाहिए. 1998 में, यूरोपीय संघ के स्वास्थ्य मंत्रियों को व्यापक रूप से उनके चार वैज्ञानिक आयोग की सिफारिशों के बावजूद पशु विकास एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के पक्ष में वोट दिया. 2006 में फ़ीड यूरोपीय एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग में नियमन पर प्रतिबंध लगाने, फ़ीड एंटीबायोटिक दवाओं में दो अपवाद के साथ मुर्गीपालन में प्रभावी बने है.[२२] स्कान्दिनाविया में, वहाँ की आबादी है सबूत है कि बैक्टीरियल जानवर) गैर खतरनाक (प्रतिरोध में प्रतिबंध का नेतृत्व किया है एक कम प्रसार की पर्यावरण के उपभोग के माध्यम से किया जा रहा है.[२३] संयुक्त राज्य अमेरिका संघीय एजेंसियों में पशुओं में एंटीबायोटिक दवा का उपयोग करें, लेकिन मानव प्रसार के लिए पशु प्रतिरोधी जीवों पर डाटा एकत्रित नहीं है शोध अध्ययन में प्रदर्शन किया गया है. अमेरिका में जानवर फ़ीड सामग्री अभी भी प्रयोग किया है जो एक साथ दूसरे के साथ एंटीबायोटिक दवाओं की सुरक्षा चिंताएँ हैं [४][२४] और ये बहुत ही कम्प्लेक्स तरह के रोग है जो की सरीर के अंदर बहुत तरह के रोग को जनम देते है.
2C51H98O6 (ट्रापामेटिन, वसा) + 145O2 → 102CO2 + 98H2O + ऊर्जा
तथान्यातिलघुश्रोणी विपाया शेवला नदी।।"ब्रह्मपुराण - भारतवर्ष वर्णन प्रकरण - 19/31)
श्री बिस्मिल के पिता श्री मुरलीधर का विवाह हो जाने के पश्चात् उनको शाहजहाँपुर नगर निगम में 15 रुपये मासिक वेतन पर नौकरी मिल गई। मुरलीधर को यह नौकरी नहीं रुचि और उन्होंने त्यागपत्र देकर कचहरी में स्टाम्प पेपर विक्रय का काम शुरू कर दिया। इस व्यवसाय में उन्होंने धन भी कमाया। तीन बैलगाड़ियाँ किराये पर चलने लगीं व ब्याज आदि का काम भी करने लगे। ज्येष्ठ शुक्ल 11 संवत् 1954 वि. को रामप्रसाद का जन्म हुआ। लगभग सात वर्ष की अवस्था से रामप्रसाद को हिन्दी व उर्दू का अक्षर ज्ञान करवाया जाने लगा। श्री मुरलीधर के कुल 9 सन्तानें थीं जिनमें पाँच पुत्रियाँ एवं चार पुत्र थे। रामप्रसाद ज्येष्ठ संतान थी। आगे चलकर दो पुत्रियों एवं दो पुत्रों का देहान्त हो गया।
बाएं हाथ के बल्लेबाज है
यह एक प्रमुख खेल का मैदान हैं |
संत कुलभूषण कवि रैदास उन महान् सन्तों में अग्रणी थे जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। इनकी रचनाओं की विशेषता लोक-वाणी का अद्भुत प्रयोग रही है जिससे जनमानस पर इनका अमिट प्रभाव पड़ता है। मधुर एवं सहज संत रैदास की वाणी ज्ञानाश्रयी होते हुए भी ज्ञानाश्रयी एवं प्रेमाश्रयी शाखाओं के मध्य सेतु की तरह है।
7. राज्यपाल द्वारा पाक्षिक रिपोर्ट भेजने की प्रथा जारी रहनी चाहिए
"computer-assisted learning" (CAL) (कंप्यूटर सहायताप्राप्त शिक्षण) शिक्षण में प्रौद्योगिकी के उपयोग का वर्णन करने के लिए प्रयोग किया जाता है.
भाभर ८ से १० किलोमीटर चौड़ाई की पतली पट्टी है जो शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैली हुई है। उसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे- बड़े शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती हैं। भाभर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जिसकी चौड़ाई १० से २० किलोमीटर है। भाभर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ इस प्रदेश में ध्रातल पर निकल कर प्रकट होती हैं और क्योंकि इनकी निश्चित वाहिकाएँ नहीं होती, ये क्षेत्र अनूप बन जाता है, जिसे तराई कहते हैं। यह क्षेत्र प्राकॄतिक वनस्पति से ढका रहता है और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का घर है। तराई से दक्षिण में मैदान है जो पुराने और नए जलोढ़ से बना होने के कारण बाँगर और खादर कहलाता है।
हिन्दी साहित्य सम्मेलन का उद्देश्य है-
माध्यमिक प्रभाव विभिन्न प्रकार के होते हैं जो मूल प्रदूषक ग्रस्त से नहीं , बल्कि एक शर्त व्युत्पन्नसे है इनमें से कुछ माध्यमिक प्रभावहैं :
लेह जम्मू कश्मीर राज्य का के लद्दाख जिले का मुख्यालय एवं प्रमुख नगर है। यह समुद्र तल से 11,500 फुट की ऊँचाई पर, श्रीनगर से 160 मील पूर्व तथा यारकंद से लगभग 300 मील दक्षिण, लद्दाख पर्वत श्रेणी के आँचल में, ऊपरी सिंध के दाहिने तट से 4 मील दूर स्थित है। यहाँ एशिया की सर्वाधिक ऊँची मौसमी वेधशाला (meteorological observatory) है। नगर तिब्बत, सिकीयांग तथा भारत के मध्य का महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है। लेह में, 19वीं एवं 20वीं शताब्दी के डोगरा वंशी राजाओं के पूर्व के राजाओं का एक राजप्रासाद भी है। यूरोपवासियों में से एक ने 1715 ई. में, सर्वप्रथम लेह की यात्रा की थी। लेह से, श्रीनगर एवं कुल्लू घाटी होती हुई, सड़कें भारत के आंतरिक भाग में आती हैं तथा एक मार्ग कराकोरम दर्रे की ओर जाता है।
करग़ीज़सतान सात सओ-बूं में मक़सोम है जो ओबिलासत (област) कहिलाते हैं (जमा: ओबलइसतार / областтар)। दार एलहुकूमत बुशकेक और वादि फरगाना में वाक़िअ शहर अवश् इंतिज़ामी तौर पर खुद मुख़तार इलाके हैं जो "शार" कहिलाते हैं। सवबाओं के नाम हैं: बातकयन्, चौ ऐ, जलाल आबाद, नारीन, अवश्, तआलास और ऐसीक कौल।
अक्षरग्राम नेटवर्क हिन्दी चिट्ठाकारों एवं तकनीकिज्ञों का एक गैरलाभकारी सामुदायिक स्वयंसेवक समूह है जो कि कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट पर हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु कार्य करता है। यह समूह हिन्दी चिट्ठाकारी से सम्बंथित विभिन्न सेवाएँ संचालित करता है। शुरुआती दिनों में इण्टरनेट पर हिन्दी के प्रचार-प्रसार में इस समूह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी विभिन्न सेवाओं नारद, सर्वज्ञ, परिचर्चा आदि ने नए चिट्ठाकारों को स्थापित होने में काफी सहायता की।
|country= भारत |residence= हैदराबाद |datebirth= 15 नवंबर 1986 |placebirth= मुंबई |retired= N/A |plays= दायें हाथ से; दोनों हाथों से बैकहैंड |careerprizemoney= US$930,868 |singlesrecord= 169-76 |singlestitles= 1 |highestsinglesranking= No. 26 (30 अगस्त, 2007) |AustralianOpenresult= 3r (2005), 2r (2007) | |FrenchOpenresult= 2r (2007 |Wimbledonresult= 2r (2005) |USOpenresult= 4r (2005) |doublesrecord= 108-53 |doublestitles= 7 |highestdoublesranking= No. 18 (27 अगस्त, 2007) |updated= 30 जुलाई, 2007 }}
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कुल नौ ज़िलों में बँटा हुआ है। हरेक जिले का एक उपायुक्त नियुक्त है, और जिले के तीन उपजिले हैं। प्रत्येक उप जिले का एक उप जिलाधीश नियुक्त है। सभी उपायुक्त मंडलीय अधिकारी के अधीन होते हैं। दिल्ली का जिला प्रशासन सभी प्रकार की राज्य एवं केन्द्रीय नीतियों और का प्रवर्तन विभाग होता है। यही विभिन्न अन्य सरकारी कार्यकलापों पर आधिकारिक नियंत्रण रखता है। निम्न लिखित दिल्ली के जिलों और उपजिलों की सूची है:-
साँचा:Municipalities of Kerala साँचा:Thrissur district
स्वामी विज्ञानानंद जी ने महर्षि भृगु की तपोस्थली में भगवान् शंकर की विशाल मूर्ति स्थापित कराई है , और नया पक्का घाट भी तैयार कराया है । भगवान् शंकर की मूर्ति पर ॐ नमः शिवाय का बारह वर्षों से अनवरत पाठ चल रहा है । उत्तर वाहिनी गंगा पूरे भारत में मात्र तीन जगह है जिसमे हरिद्वार , काशी व भृगु धाम भिटौरा है
दुबई ने कई अभिनव बड़ी निर्माण परियोजनाओं[९] और खेल आयोजनों के माध्यम से दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है . सबका ध्यान आकर्षित होने के साथ ही एक वैश्विक शहर[१०] और व्यापार केन्द्र के रूप में उभरने की वजह से दुबई में श्रम और मानव अधिकारों से जुड़े कर्मचारियों मुख्यतः दक्षिण एशियाई कर्मचारियों से संबंधित मुद्दे प्रकाश में आये हैं .[११]
(7 कि.मी.) 1983 मी. : शिमला-कालका रेलमार्ग पर एक सुंदर स्थान है। यहां के शांत वातावरण में पेड़ों से घिरे रास्ते हैं। अपनी शिमला यात्रा के दौरान राष्ट्पिता महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के शानदार जार्जियन हाउस में रुके थे। यहां हिमाचल प्रदेश विश्वद्यालय है।
आचार्य धर्मेन्द्र जी का जन्म सन १९४२ में विराट नगर (पुराना नाम बैराठ) राजस्थान हुआ. इनके पिता महात्मा रामचन्द्र वीर अखिल भारतीय हिन्दू महासभा और हिन्दुओ के महान नेता थे. इन्होने इनको रामकथा और जप द्वारा श्रोताओ को मंत्रमुग्ध करना सिखाया. पिता के आदर्शो और व्यकतित्व का इनपर ऐसा प्रभाव पड़ा के इन्होने १३ साल की उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचारपत्र निकाला. गांधीवाद का विरोध करते हुए इन्होने १६ वर्ष की उम्र में "भारत के दो महात्मा" नामक लेख निकाला. इन्होने सन १९५९ में डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन की "मधुशाला" की तर्ज पर "गोशाला (कविता संग्रह)" नामक पुस्तक लिखी.
समलैङ्गिक या समलैंगिक शब्द का प्रयोग ऐसे व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो अपने ही लिंग के अन्य व्यक्तियों की ओर शारीरिक आकर्षण का अनुभव करते हैं। कई लोग इन्हें हिजड़ा समझते है, हालांकि ये बहुत आम और ज्यादातर सामान्य स्त्री पुरुष ही होते हैं। इनमें से अधिकतर एक सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं और विवाह भी करते हैं। भारत में इस विषय पर बहुत कम लोगों को ठीक जानकारी है, क्योंकि यौन संबधित सभी विषयों की तरह यह भी एक वर्जित विषय है। आय.पी.सी. की धारा ३७७ के तहत समलैङ्गिक शारीरिक संबंध स्थापित करना एक अपराध है।
स्वामी जी ने अपने दर्शन का नाम "सतनाम अनामी" रखा. इस आंदोलन को राधास्वामी के नाम से जाना गया. "राधा" का अर्थ "सुरत" और स्वामी का अर्थ "आदि शब्द या मालिक", इस प्रकार अर्थ हुआ "सुरत का आदि शब्द या मालिक में मिल जाना." स्वामी जी द्वारा सिखायी गई यौगिक पद्धति "सुरत शब्द योग" के तौर पर जानी जाती है.
कर्ण पर्व के अन्तर्गत कोई भी उपपर्व नहीं है और अध्यायों की संख्या ७९ है।
भारत जैसे बड़े और भारी जनसंख्या वाले देश में चुनाव कराना एक बहुत बड़ा काम है। संसद के दोनों सदनो-लोकसभा और राज्य सभा- के लिए चुनाव बेरोकटोक और निष्पक्ष हों इसके लिए एक स्वतंत्र चुनाव (निर्वाचन) आयोग बनाया गया है।
वुडफ़र्ड (अंग्रेज़ी: Woodford) एक उत्तरपूर्व लंदन में रेडब्रिज बरो का जिला है।
हरिनारायण आपटे ने ऐतिहासिक उपन्यासों द्वारा भूतकालीन घटनाओं को बड़े ही सुंदर ढंग से चित्रित किया, तथा सामाजिक उपन्यासों द्वारा स्त्रियों के दु:खी जीवन का हृदयद्रावक चित्र भी खींचा। श्री अण्णा साहेब किर्लोस्कर ने 1880 में शाकुंतल नाटक लिखकर आधुनिक मराठी रंगभूमि की नींव डाली। इन्हीं की परंपरा में गोदृ ददृ देवल ने सबसे पहले प्रभावोत्पादक नाटक लिखकर नाट्य साहित्य को नई दिशा प्रदान की। 1885 से केशवसुत नामक कवि ने काव्यक्षेत्र में नए युग की स्थापना की। ऐतिहासिक सुख में विश्वास, अकृत्रिम प्रेम तथा आत्मनिष्ठा इत्यादि गुण इन कविताओं का वैशिष्ट्य रहा। इनके बाद तिलक, बीदृ गोविदाग्रज, बालकवि चंद्रशेखर, तांबे इत्यादि कवियों ने मराठी कविताओं का सौंदर्य की सामथ्र्य और अधिक बढ़ाया। सावरकर तथा गोविंद ने राष्ट्रीय भावनाओं का उद्दीपन करनेवाली कविताएँ लिखीं। इतिहासाचार्य राजवाडे ने मराठी इतिहास के संशोधन की परंपरा का निर्माण किया। खरेशास्त्री, साने, पारनीस आदि इतिहासज्ञों ने इतिहालेखन के साधनों की महत्वपूर्ण खोज करने का प्रयत्न किया। लोकमान्य बाल गंगा जी तिलक की ओजस्वी विचारधारा के आधार पर खाडिलकर ने उत्कृष्ट पौराणिक एवं ऐतिहासिक नाटकों का निर्माण किया। इसी समय रामगणेश गडकरी ने अपनी लोकोत्तर प्रतिभा से करुण एवं हास्य रस का उत्तम चित्रण किया। श्रीकृष्ण कोल्हाटकर ने अपने हास्यपूर्ण लेखों द्वारा सामाजिक आचार विचार में दिखलाई पड़नेवाली त्रुटियों को सर्वमान्य जनता के सामने ला रखा। लोकमान्य तिलक, आगरकर, परांजपे, नरसिंह, चिंतामणि केलकर आदि प्रसिद्ध लेखक इसी समय देश में विचारजाग्रति का महान् कार्य कर रहे थे। लोकरंजन की अपेक्षा विविध विषयों के ज्ञानभंडार की पूर्ति को अधिक महत्वपूर्ण मानक साहित्यनिर्माण का कार्य किया गया।
गन्ना 90% कृषि योग्य भूमि पर उगाया जाता है और जिससे कुल निर्यात आय का 25% प्राप्त होता है। लेकिन 1999 मे पड़े भयंकर सूखे से गन्ने की फसल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई थी। सरकार की विकास योजनायें विदेशी निवेश पर आधारित है। मारीशस ने 9000 से अधिक अपतटीय संस्थाओं को आकर्षित किया है जिनका उद्देश्य भारत और दक्षिण अफ्रीका से व्यापार करना है जबकि अकेले बैंकिंग क्षेत्र में निवेश 1 अरब डॉलर से अधिक पहुँच गया है। दिसम्बर 2004 मे बेरोजगारी की दर 7.6 % थी। फ्रांस देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है जिसका इस देश के साथ न सिर्फ निकट संबंध है, बल्कि वो इसे विभिन्न रूपों में तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
इलेक्ट्रॉन आवरणों को के, एल, एम, एन, ओ, पी एवं क्यू नामकरण किया जाता है। इन्हें १-७ तक के संख्या से भी संबोधित कर सकते हैं।
पारंपरिक रूप से निवास एक या अधिक आंगन के चारो ओर बनाए जाते हैं । इनके बीच प्रायः एक झरना होता है और चारो ओर नींबू, अंगूर और फूलों के पौधे लगे होते हैं ।
In December 2000, Niger qualified for enhanced debt relief under the International Monetary Fund program for Heavily Indebted Poor Countries (HIPC) and concluded an agreement with the Fund for Poverty Reduction and Growth Facility (PRGF). Debt relief provided under the enhanced HIPC initiative significantly reduces Niger's annual debt service obligations, freeing funds for expenditures on basic health care, primary education, HIV/AIDS prevention, rural infrastructure, and other programs geared at poverty reduction. In December 2005, it was announced that Niger had received 100% multilateral debt relief from the IMF, which translates into the forgiveness of approximately $86 million USD in debts to the IMF, excluding the remaining assistance under HIPC. Nearly half of the government's budget is derived from foreign donor resources. Future growth may be sustained by exploitation of oil, gold, coal, and other mineral resources. Uranium prices have recovered somewhat in the last few years. A drought and locust infestation in 2005 led to food shortages for as many as 2.5 million Nigeriens.
इस समय वीरकाव्य भी लिखा गया। मुगल शासक औरंगजेब की कट्टर सांप्रदायिकता और आक्रामक राजनीति की टकराहट से इस काल में जो विक्षोभ की स्थितियाँ आई उन्होंने कुछ कवियों को वीरकाव्य के सृजन की भी प्रेरणा दी। ऐसे कवियों में भूषण प्रमुख हैं जिन्होंने रीतिशैली को अपनाते हुए भी वीरों के पराक्रम का ओजस्वी वर्णन किया। इस समय नीति, वैराग्य और भक्ति से संबंधित काव्य भी लिखा गया। अनेक प्रबंधकाव्य भी निर्मित हुए। इधर के शोधकार्य में इस समय की शृंगारेतर रचनाएँ और प्रबंधकाव्य प्रचुर परिमाण में मिल रहे हैं। इसलिए रीतिकालीन काव्य को नितांत एकांगी और एकरूप समझना उचित नहीं है। इस समय के काव्य में पूर्ववर्ती कालों की सभी प्रवृत्तियाँ सक्रिय हैं। यह प्रधान धारा शृंगारकाव्य की है जो इस समय की काव्यसंपत्ति का वास्तविक निदर्शक मानी जाती रही है। शृंगारी काव्य तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है। पहला वर्ग रीतिबद्ध कवियों का है जिसके प्रतिनिधि केशव, चिंतामणि, भिखारीदास, देव, मतिराम और पद्माकर आदि हैं। इन कवियों ने दोहों में रस, अलंकार और नायिका के लक्षण देकर कवित्त सवैए में प्रेम और सौंदर्य की कलापूर्ण मार्मिक व्यंजना की है। संस्कृत साहित्यशास्त्र में निरूपित शास्त्रीय चर्चा का अनुसरण मात्र इनमें अधिक है। पर कुछ ने थोड़ी मौलिकता भी दिखाई है, जैसे भिखारीदास का हिंदी छंदों का निरूपण। दूसरा वर्ग रीतिसिद्ध कवियों का है। इन कवियों ने लक्षण नहीं निरूपित किए, केवल उनके आधार पर काव्यरचना की। बिहारी इनमें सर्वश्रेष्ठ हैं, जिन्होंने दोहों में अपनी "सतसई' प्रस्तुत की। विभिन्न मुद्राओंवाले अत्यंत व्यंजक सौंदर्यचित्रों और प्रेम की भावदशाओं का अनुपम अंकन इनके काव्य में मिलता है। तीसरे वर्ग में घनानंद, बोधा, द्विजदेव ठाकुर आदि रीतिमुक्त कवि आते हैं जिन्होंने स्वच्छंद प्रेम की अभिव्यक्ति की है। इनकी रचनाओं में प्रेम की तीव्रता और गहनता की अत्यंत प्रभावशाली व्यंजना हुई है।
भारत सरकार द्वारा केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल को अखिल भारतीय हिंदी प्रशिक्षण महाविद्यालय के संचालन का दायित्व सौंपा गया । इस महाविद्यालय का नाम 1 जनवरी, 1963 को केंद्रीय हिंदी शिक्षण महाविद्यालय रखा गया जिसे दिनांक 29 अक्टूबर, 1963 को संपन्न शासी परिषद् की बैठक में केंद्रीय हिंदी संस्थान कर दिया गया।
लक्ष्मीनारायण मंदिर सुभाष चौक से 200 मी. दूर सदर बाजार में है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। 150 साल पुराने इस मंदिर में भगवान विष्णु की बहुत की सुंदर प्रतिमा देखी जा सकती है। इस मंदिर में स्थानीय लोग नियमित रूप से दर्शन करने आते रहते हैं। इसी मंदिर से अगस्त/सितंबर के महीने में मणि महेश यात्रा की शुरुआत होती है।
वेद मन्त्रों के विभिन्न देवता हैं। प्रत्येक मन्त्र का ऋषि, कीलक, और देवता होता है।
भाषाई साम्राज्यवाद उस स्थिति को कहते हैं जिसमें किसी सबल राष्ट्र की भाषा किसी निर्बल राष्ट्र की शिक्षा और शासन आदि विविध क्षेत्रों से देशी भाषा(ओं) का लोप कर देती है। इसके लिये घोषित या अघोषित रूप से एक ऐसी व्यवस्था उत्पन्न करके जड़ जमाने दी जाती है जिसमें उस विदेशी भाषा को ना बोलने और जानने वाले लोग दूसरे दर्जे के नागरिक के समान होने को विवश हो जाते हैं।
नेपाल में 1969 से लेकर कम्युनिस्ट आंदोलन में शामिल रहे। उन्हें भारत के जाने-माने विद्वान राहुल सांकृत्यायन और रूस के क्रांतिकारी लेखक गोर्की से प्रेरित माना जाता है। माधव कुमार नेपाल जहाँ 1993 से लेकर 2008 तक नेपाल की उदारवादी कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी के मुखिया रहे वहीं उनके पास वर्षों का राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव भी है।
खेल खत्म हो गया। बालक से गुरु तेग बहादुर ने उसका परिचय पूछा। बालक ने कहा, ‘‘मेरा नाम गोबिंदराय है। मैं गुरु तेग बहादुर जी का बेटा हूं।’’ गुरु साहब के चेहरे पर प्रसन्नता और अभिमान की चमक आ गई।’’ और आप ?’’ बालक ने पूछा। ‘‘मैं तुम्हारा पिता...! सुनते ही पुत्र ने पिता के चरणों का स्पर्श किया और पिता ने पुत्र को अपनी गोद में उठा लिया। तब तक माता गूजरी और सिक्ख सेवक वहां पहुंच चुके थे। गुरु साहब ने माता गूजरी को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जो संतान को जन्मती ही नहीं, उसे संस्कारवान भी बनाती है वह माता धन्य है।’’ अपनी और अपने पुत्र की प्रशंसा सुनकर माता गूजरी की आंखों में आंसू छलकने लगे।
जल के प्रमुख रसायनिक और भौतिक गुण हैं:
नय आयुष्य एवं चिकित्सा विश्वविद्यालय है। इंजीनियरिंग की शिक्षा के लिए NIT राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान सहित चार अभियांत्रिकी महाविद्यालय हैं :
विमलनाथ जी तेरहवें तीर्थंकर है
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, गोस्वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ हैं। [१]
तालकटोरा स्टेडियम एक प्रमुख खेल का मैदान हैं। तालकटोरा स्टेडियम पर 377 करोड खर्च होना है, जिसमें से 112 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं।
Hyderabad has various research institutes such as the Indian Institute of Chemical Technology, Centre for Cellular and Molecular Biology and Central Institute of English and Foreign Languages ( CIEFL was accorded Central University status recently). It is the home of Maulana Azad National Urdu University as well as BR Ambedkar Open University. This educational infrastructure attracts students from all over the country and some beyond, especially from Africa and the Middle East. Due to the rising IT boom in the state, Birla Institute of Technology and Science (BITS), Pilani has now decided to start a new campus in Shamirpet area of Ranga reddy district an area in the outskirts of Hyderabad.[१]. A new IIT has been proposed by the central government in Medak District which is just an hour's drive from Hyderabad.Recently Georgia Institute of Technology signed an MOU for setting up its offshore campus in the city.
चन्द्रगुप्त प्रथम- यह घटोत्कच का उत्तराधिकारी था, जो ३२० ई. में शासक बना ।
भारत की सांस्कृतिक धरोहर बहुत संपन्न है। यहां की संस्कृति अनोखी है, और वर्षों से इसके कई अवयव अबतक अक्षुण्य हैं। आक्रमणकारियों तथा प्रवासियों से विभिन्न चीजों को समेटकर यह एक मिश्रित संस्कृति बन गई है। आधुनिक भारत का समाज, भाषाएं, रीति-रिवाज इत्यादि इसका प्रमाण हैं। ताजमहल और अन्य उदाहरण, इस्लाम प्रभावित स्थापत्य कला के अतिसुन्दर नमूने हैं।
अलसी एक उत्कृष्ट भोज्य सौंदर्य प्रसाधन है जो त्वचा में अंदर से निखार लाता है। अलसी त्वचा की बीमारियों जैसे मुहांसे, एग्ज़ीमा, दाद, खाज, सूखी त्वचा, खुजली, छाल रोग(सोरायसिस), ल्यूपस, बालों का सूखा व पतला होना, बाल झड़ना आदि में काफी असरकारक है। अलसी सेवन करने वाली स्त्रियों के बालों में न कभी रूसी होती है और न ही वे झड़ते हैं। अलसी नाखूनों को भी स्वस्थ व सुन्दर आकार प्रदान करती है। अलसी युक्त भोजन खाने व इसके तेल की मालिश से त्वचा के दाग, धब्बे, झाइयां व झुर्रियां दूर होती हैं। अलसी आपको युवा बनाये रखती है। आप अपनी उम्र से काफी छोटी दिखती हैं। अलसी आपकी उम्र बढ़ती हैं।
कुछ दिनों बाद कजर वंश का शासन आया पर उस समय ईरान के तेल क्षेत्रों की खोज होने और इसके उस्मानी, भारतीय और रूसी क्षेत्रों के बीच स्थित होने के कारण रूसी, अंग्रेजों और फ्रांसीसी साम्राज्यों का प्रभाव बढ़ता ही गया। उत्तर से रूस, पश्चिम से फ्रांस तथा पूरब से ब्रिटेन की निगाहें फारस पर पड़ गईं। सन् १९०५-१९११ में यूरोपीय प्रभाव बढ़ जाने और शाह की निष्क्रियता के खिलाफ़ एक जनान्दोलन हुआ। इरान के तेल क्षेत्रों को लेकर तनाव बना रहा। प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की के पराजित होने के बाद ईरान को भी उसका फल भुगतना पड़ा।
चन्द्रगुप्त मौर्य ने नन्दों के अत्याचार व घृणित शासन से मुक्ति दिलाई और देश को एकता के सूत्र में बाँधा और मौर्य साम्राज्य की स्थापना की । यह साम्राज्य गणतन्त्र व्यवस्था पर राजतन्त्र व्यवस्था की जीत थी । इस कार्य में अर्थशास्त्र नामक पुस्तक द्वारा चाणक्य ने सहयोग किया । विष्णुगुप्त व कौटिल्य उनके अन्य नाम हैं । आर्यों के आगमन के बाद यह प्रथम स्थापित साम्राज्य था ।
निर्वाण : चैत्र शु० १०
काव्य के क्षेत्र में यह छायावाद के विकास का युग है। पूर्ववर्ती काव्य वस्तुनिष्ठ था, छायावादी काव्य भावनिष्ठ है। इसमें व्यक्तिवादी प्रवृत्तियों का प्राधान्य है। स्थूल वर्णन विवरण के स्थान पर छायावादी काव्य में व्यक्ति की स्वच्छंद भावनाओं की कलात्मक अभिव्यक्ति हुई। स्थूल तथ्य और वस्तु की अपेक्षा बिंबविधायक कल्पना छायावादियों को अधिक प्रिय है। उनकी सौंदर्यचेतना विशेष विकसित है। प्रकृतिसौंदर्य ने उन्हें विशेष आकृष्ट किया। वैयक्तिक संवेगों की प्रमुखता के कारण छायावादी काव्य मूलत: प्रगीतात्मक है। इस समय खड़ी बोली काव्यभाषा की अभिव्यक्तिक्षमता का अपूर्व विकास हुआ। जयशंकर प्रसाद, माखनलाल, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला', महादेवी, नवीन और दिनकर छायावाद के उत्कृष्ट कवि हैं।
इंस्क्रिप्ट कुंजीपटल पर देवनागरी वर्ण (Windows, Solaris, Java)
ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रमंडल संघीय शक्ति विभाजन पर आधारित,एक संवैधानिक प्रजातंत्र है.सरकार के संसदीय व्यवस्था के साथ सरकार का जो रूप उपयोग होता है वह ऑस्ट्रेलिया का संवैधानिक राजतंत्र है.क्वीन एलिजाबेथ II ऑस्ट्रेलिया की महारानी है,उनकी भूमिका दुसरे राष्ट्रीय मंडल राज्यों के अधीश्वरो के पदो से अलग है.संघ के स्तर पर गवर्नर-जेनरल के रूप में प्रतिनिधित्व करती है और राज्य स्तर पर गवर्नर के रूप में.जो कुछ भी हो संविधान गवर्नर-जनरल को विस्तृत प्रबंधकारिणी अधिकार देती है, ये सब सामान्यत: प्रधानमंत्री के परामर्श पर ही प्रयोग होते है.प्रधानमंत्री के आदेश के बाहर जो आरक्षित आधिकार गवर्नर-जनरल को प्राप्त है उसका सबसे उल्लेखनीय प्रयोग 1975 के संवैधानिक संकट के समय विटलम सरकार की बर्खास्तगी था.[३३]
हूणों का आक्रमण- हूणों का प्रथम आक्रमण स्कन्दगुप्त के काल में हुआ था । हूण मध्य एशिया की एक बर्बर जाति थी । हूणों ने अपनी जनसंख्या और प्रसार के लिए दो शाखाओं में विभाजित होकर विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में फैल गये । पूर्वी शाखा के हूणों ने भारत पर अनेकों बार आक्रमण किया । स्कन्दगुप्त ने हूणों के आक्रमण से रक्षा कर अपनी संस्कृति को नष्ट होने से बचाया ।
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