आर्यभटीय में आर्यभट्ट ने वर्गों और घनों की श्रृंखला के सुरुचिपूर्ण परिणाम प्रदान किये हैं.[११]
सन् १७०० के आस पास दखिनी के प्रसिद्ध कवि शम्स वलीउल्ला 'वली' दिल्ली आए। यहाँ आने पर शुरू में तो वली ने अपनी काव्यभाषा दखिनी ही रखी, जो भारतीय वातावरण के निकट थी। पर बाद में उनकी रचनाओं पर अरबी-फारसी की परंपरा प्रवर्तित हुई। आरंभ की दखिनी में फारसी प्रभाव कम मिलता है। दिल्ली की परवर्ती उर्दू पर फारसी शब्दावली और विदेशी वातावरण का गहरा रंग चढ़ता गया। हिंदी के शब्द ढूँढकर निकाल फेंके गए और उनकी जगह अरबी फारसी के शब्द बैठाए गए। मुगल साम्राज्य के पतनकाल में जब लखनऊ उर्दू का दूसरा केंद्र हुआ तो उसका हिंदीपन और भी सतर्कता से दूर किया। अब वह अपने मूल हिंदी से बहुत भिन्न हो गई।
350,000 की अनुमानित स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाई आबादी जो यूरोपियन अवस्थापन के समय थी, [२३]उसमे मुख्यत: स्पर्शसंचारी बिमारियों के कारण 150 वर्षो तक चिन्ताजनक तरीके से कमी आई.[२४]"चुराई गई पीढ़ी"(आदिवासी बच्चों को उनके परिवारों से हटाना), जिस पर हेनरी रेनॉल्ड्स जैसे इतिहासकार दलील देते है की इसे जाति संहार का कारण मानना चाहिए, [२५]जिसने शायद स्वदेशी जनसंख्या को कम करने में भी अपना योगदान दिया.[२६]
आपने उद्घोष किया कि आँख मूँदकर किसी का अनुकरण या अनुसरण मत करो। धर्म दिखावा नहीं है, रूढ़ि नहीं है, प्रदर्शन नहीं है, किसी के भी प्रति घृणा एवं द्वेषभाव नहीं है। आपने धर्मों के आपसी भेदों के विरुद्ध आवाज उठाई। धर्म को कर्म-कांडों, अंधविश्वासों, पुरोहितों के शोषण तथा भाग्यवाद की अकर्मण्यता की जंजीरों के जाल से बाहर निकाला। आपने घोषणा की कि धर्म उत्कृष्ट मंगल है।
१९७२ में मुक्तिदाता,
प्राची (मध्य देश)- पाटलिपुत्र
उत्तरकाशी ऋषिकेश से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शहर है, जो उत्तरकाशी जिले का मुख्यालय है। यह शहर भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्िट से भी महत्वपूर्ण शहर है। यहां भगवान विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां एक तरफ जहां पहाड़ों के बीच बहती नदियां दिखती हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं। यहां आप पहाड़ों पर चढ़ाई का लुफ्त भी उठा सकते हैं।
अन्तिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र ने कर दी। इससे मौर्य साम्राज्य समाप्त हो गया।
सूरीनाम, आधिकारिक तौर पर सूरीनाम गणराज्य, दक्षिण अमरीका महाद्वीप के उत्तर में स्थित एक देश है। सूरीनाम पूर्व में फ्रेंच गुयाना और पश्चिमी गयाना स्थित है। देश की दक्षिणी सीमा ब्राजील और उत्तरी सीमा अंध महासागर से मिलती है। देश की मरोविजने और कोरंतिज नदी पर फ्रेंच गुयाना और गयाना से धुर दक्षिण में मिलने वाली सीमा विवादास्पद है। सूरीनाम दक्षिण अमरीका का क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से सबसे छोटा संप्रभु देश है। इसकी राजधानी पारामारिबो है। यह पश्चिमी गोलार्ध पर एकलौता डच भाषी क्षेत्र है, जो नीदरलैंड राजशाही का हिस्सा नहीं है। सूरीनाम का समाज बहुसांस्कृतिक है, जिसमें अलग-अलग जाति, भाषा और धर्म वाले लोग निवास करते हैं। देश की एक चौथाई जनता प्रति दिन 2 डा़लर से कम पर जीवनयापन करती है।
आने वाले वर्षो मे भारत मे स्वतंत्रता संग्राम, देश विभाजन जैसी ऎतिहासिक घटना हुई। उन दरमान बनी हिंदी फिल्मो मे इसका प्रभाव छाया रहा। 1950 के दशक मे हिंदी फिल्मे श्वेत-श्याम से रंगीन हो गई। फिल्मे का विषय मुख्यतः प्रेम होता था, और संगीत फिल्मो का मुख्य अंग होता था। 1960-70 के दशक की फिल्मो मे हिंसा का प्रभाव रहा। 1980 और 1990 के दशक से प्रेम आधारित फिल्मे वापस लोकप्रिय होने लगी। 1990-2000 के दशक मे समय की बनी फिल्मे भारत के बाहर भी काफी लोकप्रिय रही। प्रवासी भारतीयो की बढती संख्या भी इसका प्रमुख कारण थी। हिंदी फिल्मो मे प्रवासी भारतीयो के विषय लोकप्रिय रहे।
इनके उपन्यास चार प्रकार के हैं-
कश्मीरी का स्थानीय नाम का शुर है; पर 17वीं शती तक इसके लिए "भाषा" या "देशभाषा" नाम ही प्रचलित रहा। संभवत: अन्य प्रदेशों में इसे कश्मीरी भाषा के नाम से ही सूचित किया जाता रहा। ऐतिहासिक दृष्टि से इस नाम का सबसे पहला निर्देश अमीर खुसरो (13वीं शती) की नुह-सिपिह्न (सि. 3) में सिंधी, लाहौरी, तिलंगी और माबरी आदि के साथ चलता हे। स्पष्टत: यह दिशा वही है जो पंजाबी, सिंधी, गुजराती, मराठी, बँगला, [[हिंदी और उर्दू आदि भारतार्य भाषाओं की रही है।
एक साल में १२ महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में १५ दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में २७ नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं।१२ मास का एक वर्ष और ७ दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पैर रखा जाता है। यह १२ राशियाँ बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि मे प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र मे होता है उसी आधार पैर महीनो का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से ११ दिन ३ घड़ी ४८ पल छोटा है। इसीलिए हर ३ वर्ष मे इसमे एक महीना जोड़ दिया जाता है जिसे अधिक मास कहते हैं।
2 ATP
एस. टी. डी (STD) कोड - ०५७३२
7 = त थ द ध न 7 ऩ
समाचार सेवा प्रभाग 24 घण्टे कार्य करता है और यह स्वदेशी तथा बाह्य सेवाओं में 500 से अधिक समाचार बुलेटिन का प्रसारण करता है। ये बुलेटिन भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में होते हैं। इसका नेतृत्व महानिदेशक, समाचार सेवा करते हैं। यहां 44 क्षेत्रीय समाचार इकाइयां हैं। विदेशी सेवा प्रभाग
परसाई जबलपुर व रायपुर से प्रकाशित अखबार देशबंधु में पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते थे। स्तम्भ का नाम था-पूछिये परसाई से। पहले पहल हल्के, इश्किया और फिल्मी सवाल पूछे जाते थे। धीरे-धीरे परसाई जी ने लोगों को गम्भीर सामाजिक-राजनैतिक प्रश्नों की ओर प्रवृत्त किया। दायरा अंतर्राष्ट्रीय हो गया। यह सहज जन शिक्षा थी। लोग उनके सवाल-जवाब पढ़ने के लिये अखबार का इंतजार करते थे।
यह इटली का सबसे घना बसा हुआ मैदानी भाग है जो तुरीय काल में समुद्र था, बाद में नदियों की लाई हुई मिट्टी से बना। यह मैदान देश की 17 प्रतिशत भूमि घेरे हुए है जिसमें चावल, शहतूत तथा पशुओं के लिए चारा बहुतायत से पैदा होता है। उत्तर में आल्प्स पहाड़ की ढाल तथा पहाड़ियाँ हैं जिनपर चरागाह, जंगल तथा सीढ़ीनुमा खेत हैं। पर्वतीय भाग की प्राकृतिक शोभा कुछ झीलों तथा नदियों से बहुत बढ़ गई है। उत्तरी इटली का भौगोलिक वर्णन पो नदी के माध्यम ये ही किया जा सकता है। पो नदी एक पहाड़ी सोते के रूप में माउंट वीज़ो पहाड़ (ऊँचाई 6,000 फुट) से निकलकर 20 मील बहने के बाद सैलुजा के मैदान में प्रवेश करती है। सोसिया नदी के संगम से 337 मील तक इस नदी में नौपरिवहन होता है। समुद्र में गिरने के पहले नदी दो शाखाओं (पो डोल मेस्ट्रा तथा पो डि गोरो) में विभक्त हो जाती है। पो के मुहाने पर 20 मील चौड़ा डेल्टा है। नदी की कुल लंबाई 420 मील है तथा यह 29,000 वर्ग मील भूमि के जल की निकासी करती है। आल्प्स पहाड़ तथा अपेनाइंस से निकलनेवाली पो की मुख्य सहायक नदियाँ क्रमानुसार टिसिनो, अद्दा, ओगलियो और मिन्सिओ तथा टेनारो, टेविया, टारो, सेचिया और पनारो हैं। टाइबर (244 मील) तथा एड्रिज (220 मील) इटली की दूसरी तथा तीसरी सबसे बड़ी नदियाँ हैं। ये प्रारंभ में सँकरी तथा पहाड़ी हैं किंतु मैदानी भाग में इनका विस्तार बढ़ जाता है और बाढ़ आती है। ये सभी नदियाँ सिंचाई तथा विद्युत उत्पादन की दृष्टि से परम उपयोगी हैं, किंतु यातायात के लिए अनुपयुक्त। आल्प्स,अपेनाइंस तथा एड्रियाटिक सागर के मध्य में स्थित एक सँकरा समुद्रतटीय मैदान है। उत्तरी भाग में पर्वतीय ढालों पर मूल्यवान फल, जैसे जैतून, अंगूर तथा नारंगी बहुत पैदा होती है। उपजाऊ घाटी तथा मैदानों में घनी बस्ती है। इनमें अनेक गाँव तथा शहर बसे हुए हैं। अधिक ऊँचाइयों पर जंगल हैं।
3. गोष्ठी : अंक 1-3, संपादक : कार्त्तिकेय कोहली, पता : 175, वैशाली, पीतमपुरा, दिल्ली- 110088
संवृतबीजियों का वर्गीकरण कई वनस्पति-वर्गीकरण-वैज्ञानिकों (taxonomists) द्वारा समय समय पर हुआ है। ईसा से लगभग 300 वर्ष पूर्व थियोफ्रस्टस ने कुछ लक्षणों के आधार पर वनस्पतियों का वर्गीकरण किया था। भारत में बेंथम और हूकर तथा ऐंगलर प्रेंटल ने वर्गीकरण किया है। सभी ने संवृतबीजियों को एकबीजपत्री और द्विबीजपत्रियों में विभाजित किया है।
भीतर खंभों पर भी कई नागरी लिपि में लेख लिखे हुए हैं, जो बाद में प्रभावशाली व्यक्तियों ने लिखवाये होंगे।
यह जमशेदपुर शहर से 13 किमी की दूरी पर स्थित है। दलमा पहाड़ी की तलहटी में बने इस कृत्रिम झील को देखने सालों भर पर्यटक आते रहते है। दिसम्बर-जनवरी में महीने में पर्यटक यहां विशेष तौर पिकनिक मनाने आते है। इस झील का निर्माण टाटा स्टील ने जल संरक्षण के लिए तथा यहां के निवासियों के लिए करवाया था।
क़ाज़ाक़स्तान (क़ाज़ाक़: Қазақстан / Qazaqstan, रूसी:Казахстан / Kazakhstán) यूरेशिया में स्थित एक देश है। क्षेत्रफल के आधार से ये दुनिया का नवाँ सबसे बड़ा देश है। इसकी राजधानी है अल्माती (en:Almaty)। यहां की कज़ाख़ भाषा और रूसी भाषा मुख्य- और राजभाषाएँ हैं।
टोक्यो, विश्व अर्थव्यस्था का सञ्चालन करने वाले तीन केन्द्रों में से एक है, अन्य दो हैं लंदन और न्यूयॉर्क। टोक्यो विश्व की सबसे बड़ी महानगरीय अर्थव्यस्था भी है। प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार टोक्यो नगरीय क्षेत्र (३.५२ करोड़) का कुल सकल घरेलू उत्पाद वर्ष २००८ में क्रय शक्ति के आधार पर १,४७९ अरब अमेरिकी डॉलर था जो सूची में सर्वाधिक था। २००८ की स्थिति तक, ग्लोबल ५०० में सूचीबद्ध समवायों में से ४७ के मुख्यालय टोक्यो में स्थित हैं, जो दूसरे स्थान के नगर पैरिस से लगभग दोगुने हैं।
वैकल्पिक शिक्षा (Alternative education) गैर पारंपरिक शिक्षा भी कहलाता है अथवा शैक्षिक विकल्प एक व्यापक शब्द है जो शिक्षा के पारंपरिक शिक्षा (traditional education) के अतिरिक्त सभी शिक्षा रूपों का उल्लेख करने के लिए उपयोग किया जा सकता है इस में न केवल शिक्षा के वेह रूप शामिल हैं जो विशेष जरूरतों वाले छात्रों के लिए बनाया गया हो (किशोर गर्भावस्था से ले कर बौद्धिक विकलांगता तक) बल्कि शिक्षा के वेह रूप भी शामिल हैं जो आम दर्शकों के लिए बनाए गए हैं और वैकल्पिक शिक्षा के दर्शनशास्त्र और तरीकों का प्रयोग करें
1628 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है।
गार्गी- वायु किसमें ओतप्रोत है?
चेन्नई का महानगरीय क्षेत्र कई उपनगरों तक व्याप्त है, जिसमें कांचीपुरम जिला और तिरुवल्लुर जिला के भी क्षेत्र आते हैं। बडए उपनगरों में वहां की टाउन-नगर पालिकाएं हैं, और छोटे क्षेत्रों में टाउन-परिषद हैं जिन्हें पंचायत कहते हैं। शहर का क्षेत्र जहां १७४ कि.मी.² (६७ मील²) है,[४] वहीं उपनगरीय क्षेत्र ११८९ कि.मी.² (४५८ मील²) तक फैले हुए हैं।[५]चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण (सी.एम.डी.ए) ने शहर के निकट उपग्रह-शहरों के विकास के उद्देश्य से एक द्वितीय मास्टर प्लान का ड्राफ़्ट तैयार किया है। निकटस्थ उपग्रह शहरों में महाबलिपुरम (दक्षिण में), चेंगलपट्टु और मरियामलाइ नगर दक्षिण-पश्चिम में, श्रीपेरंबुदूर, तिरुवल्लुर और अरक्कोणम पश्चिम में आते हैं।
हिन्दूधर्म के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-पिता,पूर्वजों को नमस्कार प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है, हमारे पूर्वजों की वंश परम्परा के कारण ही हम आज यह जीवन देख रहे हैं, इस जीवन का आनंद प्राप्त कर रहे हैं। इस धर्म मॆं, ऋषियों ने वर्ष में एक पक्ष को पितृपक्ष का नाम दिया, जिस पक्ष में हम अपने पितरेश्वरों का श्राद्ध,तर्पण, मुक्ति हेतु विशेष क्रिया संपन्न कर उन्हें अर्ध्य समर्पित करते हैं। यदि कोई कारण से उनकी आत्मा को मुक्ति प्रदान नहीं हुई है तो हम उनकी शांति के लिए विशिष्ट कर्म करते है इसीलिए आवश्यक है -श्राद्ध और साथ ही
विद्यालय
यूरोपीय साहित्य में भी कला शब्द का प्रयोग शारीरिक या मानसिक कौशल के लिए ही अधिकतर हुआ है। वहाँ प्रकृति से कला का कार्य भिन्न माना गया है। कला का अर्थ है रचना करना अर्थात् वह कृत्रिम है। प्राकृतिक सृष्टि और कला दोनों भिन्न वस्तुएँ हैं। कला उस कार्य में है जो मनुष्य करता है। कला और विज्ञान में भी अंतर माना जाता है। विज्ञान में ज्ञान का प्राधान्य है, कला में कौशल का। कौशलपूर्ण मानवीय कार्य को कला की संज्ञा दी जाती है। कौशलविहीन या भोंड़े ढंग से किए गए कार्यो को कला में स्थान नहीं दिया जाता।
बर्मी भाषा में, बर्मा को म्यनमाह ( ) या फ़िर बामा ( ) नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश राज के बाद इस देश को अंग्रेजी में बर्मा कहा जाने लगा। सन् १९८९ मे देश की सैनिक सरकार ने पुराने अंग्रेजी नामों को बदल कर पारंपरिक बर्मी नाम कर दिया। इस तरह बर्मा को म्यान्मार और पूर्व राजधानी और सबसे बड़े रंगून को यांगून नाम दिया गया।
फिल्म हाउस फुल इस फिल्म पर आधारित थी जिस का निर्देशन किया था साजिद खान ने
राजेन्द्र बाबू का जन्म बिहार प्रांत के सीवान जिले में जीरादेई नामक गाँव में ३ दिसंबर १८८४ को हुआ था। उनके पिता श्री महादेव सहाय संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे एवं उनकी माता श्रीमति कमलेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थी। पाँच वर्ष की उम्र में ही राजेन्द्र बाबू ने एक मौलवी साहब से फारसी में शिक्षा शुरू किया। उसके बाद वे अपनी प्रारंभिक शिक्षा के लिए छपरा के जिला स्कूल गए। सिर्फ बारह वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह राजवंशी देवी से हो गया। विवाह के बाद भी उन्होंने पटना के टी के घोष अकादमी से अपनी पढाई जारी रखी। लेकिन वे जल्द ही जिला स्कूल छपरा चले गये और वहीं से 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा दी। उस प्रवेश परीक्षा में उन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। 1902 में उन्होंने कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। उनकी प्रतिभा ने गोपाल कृष्ण गोखले तथा बिहार-विभूति डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिन्हा जैसे विद्वानों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। 1915 में उन्होंने स्वर्ण पद के साथ विधि परास्नातक (एलएलएम) की परीक्षा पास की और बाद में लॉ के क्षेत्र में ही उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि भी हासिल की। राजेन्द्र बाबू कानून की अपनी पढाई का अभ्यास भागलपुर, बिहार मे किया करते थे।
• तरुण मजूमदार
समुद्रगुप्त- चन्द्रगुप्त प्रथम के बाद ३५० ई. में उसका पुत्र समुद्रगुप्त राजसिंहासन पर बैठा । समुद्रगुप्त का जन्म लिच्छवि राजकुमारी कुमार देवी के गर्भ से हुआ था । सम्पूर्ण प्राचीन भारतीय इतिहास में महानतम शासकों के रूप में वह नामित किया जाता है । इन्हें परक्रमांक कहा गया है । समुद्रगुप्त का शासनकाल राजनैतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से गुप्त साम्राज्य के उत्कर्ष का काल माना जाता है । इस साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी ।
St. Paul's cathedral
विभिन्न इतिहासकारों ने मौर्य वंश का पतन के लिए भिन्न-भिन्न कारणों का उल्लेख किया है-
महाभारत प्राचीन भारत का सबसे बड़ा महाकाव्य है। ये एक धार्मिक ग्रन्थ भी है। इसमें उस समय का इतिहास लगभग १,११,००० श्लोकों में लिखा हुआ है। इस की पूर्ण कथा का संक्षेप इस प्रकार से है।
यह स्पष्ट है कि हिंदी पत्रकारिता बहुत बाद की चीज नहीं है। दिल्ली का "उर्दू अखबार" (1833) और मराठी का "दिग्दर्शन" (1837) हिंदी के पहले पत्र "उदंत मार्तंड" (1826) के बाद ही आए। "उदंत मार्तंड" के संपादक पंडित जुगलकिशोर थे। यह साप्ताहिक पत्र था। पत्र की भाषा पछाँही हिंदी रहती थी, जिसे पत्र के संपादकों ने "मध्यदेशीय भाषा" कहा है। यह पत्र 1827 में बंद हो गया। उन दिनों सरकारी सहायता के बिना किसी भी पत्र का चलना असंभव था। कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को डाक आदि की सुविधा दे रखी थी, परंतु चेष्टा करने पर भी "उदंत मार्तंड" को यह सुविधा प्राप्त नहीं हो सकी।
हज़रत अली (रज़ि.) ने फरमाया- याद रखो मैंने रसूल अल्लाह (सल्ल.) से सुना है। आप (सल्ल.) ने फरमाया- खबरदार रहो निकट ही एक बड़ा फ़ितना सर उठाएगा मैंने अर्ज़ किया- इस फ़ितने से निजात का क्या साधन होगा?
नेट के पार वापस भेजने के पहले हर पक्ष शटलकॉक को सिर्फ एक ही बार स्ट्राइक कर सकता है; लेकिन एक एकल स्ट्रोक संचलन के दौरान कोई खिलाड़ी शटलकॉक को दो बार संपर्क कर सकता है (कुछ तिरछे शॉट्स में होता है). बहरहाल, कोई खिलाड़ी शटलकॉक को एक बार हिट करने के बाद फिर किसी नयी चाल के साथ उसे हिट नहीं कर सकता, या वह शटलकॉक को थाम या स्लिंग नहीं कर सकता है.
अस्सी साल के युद्ध (1568-1648) ने निचले देशों को उत्तरी संयुक्त प्रांतों में विभाजित किया (लैटिन में बेल्जिका फोडराटा , "फेडरेटेड नीदरलैंड्स") और दक्षिणी नीदरलैंड्स (बेल्जिका रेजिया , "रॉयल नीदरलैंड्स"). उत्तरवर्ती पर क्रमिक रूप से स्पेन और ऑस्ट्रियाई हैब्सबर्ग ने शासन किया और इसमें अधिकांश आधुनिक बेल्जियम शामिल था. 17वीं और 18वीं शताब्दियों के दौरान, यह अधिकांश फ्रेंको-स्पेनिश और फ्रेंको-ऑस्ट्रियाई युद्धों की स्थल था.[१६]फ्रांसीसी क्रांतिकारी युद्ध में 1794 के अभियानों के परिणामस्वरूप, निचले देशों पर - उन प्रदेशों सहित, जो कभी नाममात्र भी हैब्सबर्ग शासन के अधीन नहीं रहे, जैसे प्रिंस बिशोपरिक ऑफ़ लीग - इस क्षेत्र में ऑस्ट्रियाई शासन को समाप्त करते हुए फ्रेंच फस्ट रिपब्लिक द्वारा कब्जा कर लिए गए. यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ द नीदरलैंड के रूप में निचले देशों का पुनः एकीकरण, 1815 में प्रथम फ्रेंच साम्राज्य के विघटन पर हुआ.
श्री हरमंदिर साहिब परिसर में दो बडे़ और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय के चारों तरफ फैले हुए हैं। इस जलाशय को अमृतसर और अमृत झील के नाम से जाना जाता है। पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद पत्थरों से बना हुआ है और इसकी दीवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है। हरमंदिर साहब में पूरे दिन गुरुबानी (गुरुवाणी)की स्वर लहरियां गुंजती रहती हैं। मंदिर परिसर में पत्थर का स्मारक लगा हुआ है। यह पत्थर जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगा हुआ है।
यह प्रांत उथुरु बोदुथीलाधुन्माथि के ऐतिहासिक विभाजन के अनुरूप हैं. धेकुनु बोदुथीलाधुन्माथि , उथुरु मेधु-राज्जे , मेधु-राज्जे , धेकुनु मेधु-राज्जे , हुवाधू (या उथुरु सुवादीन्माथि ) और अडडूलाकथोल्हू (या धेकुनु सुवादीन्माथि ).
युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ बराक वेली
साँचा:Greek mathematics साँचा:Ancient Greece topics
चित्त पर नियन्त्रण, इन्द्रियों पर नियन्त्रण, शुचिता, धैर्य, सरलता, एकाग्रता तथा ज्ञान-विज्ञान में विश्वास | वस्तुतः ब्राह्मण को जन्म से शूद्र कहा है । यहाँ ब्राह्मण को क्रियासे बताया है । ब्रह्म का ज्ञान जरुरी है । केवल ब्राहमण के वहा पैदा होने से ब्राह्मण नहीं होता ।
झारखंड आंदोलन में ईसाई-आदिवासी और गैर-ईसाई आदिवासी समूहों में भी परस्पर प्रतिद्वंदिता की भावना रही है। इसका कुछ कारण शिक्षा का स्तर रहा है तो कुछ राजनैतिक । 1940, 1960 के दशकों में गैर ईसाई आदिवासियों ने अपनी अलग सँस्थाओं का निर्माण किया और सरकार को प्रतिवेदन देकर ईसाई आदिवासी समुदायों के अनुसूचित जनजाति के दर्जे को समाप्त करने की माँग की, जिसके समर्थन और विरोध में काफी राजनैतिक गोलबंदी हुई। अगस्त 1995 में बिहार सरकार ने 180 सदस्यों वाले झारखंड स्वायत्तशासी परिषद की स्थापना की।
पश्चिम, चार प्रमुख दिशाओं मे से एक है साथ ही यह कुतुबनुमा के दिशासंकेतों मे से भी एक प्रमुख संकेत है। यह पूर्व का विपरीत है और उत्तर और दक्षिण के लंबवत होता है।
उप राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचिका के सदस्यों द्वारा होता है जिसमें एकल हस्तांतरीय मत द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं। वह भारत का नागरिक हो उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो, और राज्य सभा के सदस्य के रूप में चुनाव के लिए पात्रता रखता हो। उसके पद की अवधि पांच वर्ष की होती है और वह पुननिर्वाचन का पात्र होता है। अनुच्छेद 67 ख में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इसे पद से हटाया जाता है।
गौतमी हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं।
डॉन 1978 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है ।
विहायसगतिर्ज्योतिः सुरुचिर्हुतभुग विभुः ।
Source: Feroz Shah Kotla, Cricinfo
Moin Ul Haque Stadium
ऐहोल के प्राचीन स्मारकों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया हुआ है, एवं इनके युनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने के प्रयास जारी हैं। [१]
त्रैलंग स्वामी का जन्म नृसिंह राव और विद्यावती के घर १६०१ को हुआ था। इन्हॊंने ५२ वर्ष की आयु तक अपने माता पिता की सेवा की। जब इनकी माता का स्वर्गवास हुआ तब ये गुरु खी खोज में निकले। इन्होंने अपनी साधना स्थानीय श्मशान भूमि से आरंभ की और वहां २०वर ष तपस्या की। इसके बाद ये कई स्थानों में घूमे और नेपाल होते हुए अन्ततः वाराणसी पहुंचे। वहां ये लगभग १५० वर्ष रहे। पौष माह की एकादशी १८८१ को इन्होंने नश्वर शरीर छोड़ा।[६]
ब्रह्मगुप्त (५९८-६६८) एक भारतीय गणितज्ञ थे। वे तत्कालीन गुर्जर प्रदेश (भीनमाल) के अन्तर्गत आने वाले प्रख्यात शहर उज्जैन (वर्तमान मध्य प्रदेश) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे और इस दौरान उन्होने दो विशेष ग्रन्थ लिखे: ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त (सन ६२८ में) और खन्डखड्यक (सन् ६६५ ई में)।[१]
यूरोप में सुभाषबाबू ने अपनी सेहत का ख्याल रखते समय, अपना कार्य जारी रखा। वहाँ वे इटली के नेता मुसोलिनी से मिले, जिन्होंने उन्हें, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सहायता करने का वचन दिया। आयरलैंड के नेता डी वॅलेरा सुभाषबाबू के अच्छे दोस्त बन गए।
Famous rivers----------------- choti saryu,ghagra,tamsha
मध्ययुग में मुस्लिम आक्रान्ता कश्मीर पर क़ाबिज़ हो गये । कुछ मुसल्मान शाह और राज्यपाल (जैसे शाह ज़ैन-उल-अबिदीन) हिन्दुओं से अच्छा व्यवहार करते थे पर कई (जैसे सुल्तान सिकन्दर बुतशिकन) ने यहाँ के मूल कश्मीरी हिन्दुओं को मुसल्मान बनने पर, या राज्य छोड़ने पर या मरने पर मजबूर कर दिया । कुछ ही सदियों में कश्मीर घाटी में मुस्लिम बहुमत हो गया । मुसल्मान शाहों में ये बारी बारी से अफ़ग़ान, कश्मीरी मुसल्मान, मुग़ल आदि वंशों के पास गया । मुग़ल सल्तनत गिरने के बाद से सिख महाराजा रणजीत सिंह के राज्य में शामिल हो गया । कुछ समय बाद जम्मू के हिन्दू डोगरा राजा गुलाब सिंह डोगरा ने ब्रिटिश लोगों के साथ सन्धि करके जम्मू के साथ साथ कश्मीर पर भी अधिकार कर लिया (जिसे कुछ लोग कहते हैं कि कश्मीर को ख़रीद लिया ) । डोगरा वंश भारत की आज़ादी तक कायम रहा ।
ये सातों द्वीप चारों ओर से क्रमशः खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधि, दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं, और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं। जम्बुद्वीप इन सब के मध्य में स्थित है।
নদীর কূলে কূলে।
अन्य धाराओं-इस Mangai नदी के Saryu के साथ एकजुट ने गंगा के साथ बाद के जंक्शन से पहले. यह Ghazipur, के बारे में 3 किमी से परगना Garha प्रवेश करती है. दक्षिण Karaon की. यह तो एक उत्तर में जारी-Narhi और कई अन्य बड़े गांवों पिछले पूर्व की ओर दिशा, परगना के Upland भाग Garha के जल निकासी के पेट में. इस Budhi नदी के Saryu की एक और सहायक है. जो Batagaon के पास यह जुड़ जाता है. यह jhils की एक श्रृंखला में परगना (में Sikandarpur पश्चिम) Basnahi Tal के रूप में जाना इसकी मूल लेता है. यह एक बहुत महत्वपूर्ण धारा नहीं है. एक अन्य धारा के Katehar नाला जो Suraha Tal से अतिप्रवाह की गंगा में वहन करती है. यह और पूर्वी हिस्से में झील के पत्तों तो दक्षिण में घटता-पश्चिम, पश्चिम से गुजरता Ballia के शहर के पश्चिम करने के लिए और फिर पास गंगा जुड़ जाता है.
उक्त श्रुति-ग्रन्थों के अलावा कुछ ऐसे ऋषि-प्रणीत ग्रन्थ भी हैं, जिनका श्रुति-ग्रन्थों से घनिष्ट सम्बन्ध है।
गूगल द्वारा अनुक्रमित वेब पेजों के सटीक प्रतिशत ज्ञात नहीं है, क्योंकि वास्तव में गणना बहुत मुश्किल है. गूगल न केवल वेब पृष्ठों को अनुक्रमित और उनका गुप्त भंडारण करता है, बल्कि अन्य प्रकार की फ़ाइलों के "स्नैपशॉट (आशुचित्र)" को भी ग्रहण करता है, जिनमें पीडीएफ (PDF), वर्ड सामग्री, एक्सेल स्प्रेडशीट, फ्लैश एसडब्ल्यूएफ (SWF), सादी टेक्स्ट फाइलें व अन्य शामिल होती हैं.[११] टेक्स्ट औरएसडब्ल्यूएफफाइलों के मामलों को छोड़कर गुप्त रूप से संग्रह किया गया संस्करण (एक्स) एचटीएमएल का एक रूपांतरण होता है, जिससे उन्हें समकक्ष दर्शनीयता का अनुप्रयोग किये बिना फ़ाइल पढ़ने की अनुमति मिलती है.
पांडेय बेचन शर्मा "उग्र" (१९०० - १९६७) हिन्दी के साहित्यकार एवं पत्रकार थे ।
टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बलगेरिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं।
न तो शब्द से शब्द ... न ही नियम से नियम ... बल्कि लेक्सिकल ट्री से लेक्सिकल ट्री.
प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 5 रु. तथा विदेशियों के लिए 5 डालर। समय: सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक।
सरकार द्वारा अधिग्रहीत विभिन्न संपत्तियों पर हुए खर्च को पूंजीगत व्यय की श्रेणी में रखा जाता है।
बोलने वाले व्यक्तियों की संख्या ४,०००,००० है।
29 अक्टूबर, 1998 को इसे न्युयोर्क में क्रिस्टी में नीलामी के द्वारा एक अज्ञात खरीददार को 2 मिलियन डॉलर में बेच दिया गया.[५१] पलिम्प्सेस्ट में सात ग्रन्थ हैं, जिसमें मूल ग्रीक में ऑन फ्लोटिंग बोडीज़ (On Floating Bodies) की एकमात्र मौजूदा प्रतिलिपि भी शामिल है. यह द मेथड ऑफ़ मेकेनिकल थ्योरम्स (The Method of Mechanical Theorems) , का एकमात्र ज्ञात स्रोत है, इसे सुइदास से संदर्भित किया जाता है, और मन जाता है कि हमेशा के लिए खो गया है. स्टोमेकीयन को भी पलिम्प्सेस्ट में खोजा गया, जिसमें पिछले पाठ्यों की तुलना में पहेली का अधिक पूर्ण विश्लेषण दिया गया है.
उत्तरी भारत
अखिल भारत हिन्दू महासभा भारत का एक राजनैतिक दल है। यह एक राष्ट्रवादी हिन्दू संगठन है। इसकी स्थापना सन १९१५ में हुई थी। विनायक दामोदर सावरकर इसके अध्यक्ष रहे। केशव बलराम हेडगेवार इसके उपसभापति रहे तथा इसे छोड़कर सन १९२५ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। भारत के स्वतन्त्रता के उपरान्त जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तब इसके बहुत से कार्यकर्ता इसे छोड़कर भारतीय जनसंघ में भर्ती हो गये।
भिन्न प्रकार के नाजुक और सुंदर फूलों की विशालता ने कई कवियों की सृजनात्मकता को प्रेरित किया हैं, विशेषतः रोमांटिक (Romantic) युग के १८वी-१९वी शताब्दी में. प्रसिद्ध उदहारण विलियम वर्डस्वर्थ का I Wandered Lonely as a Cloud (I Wandered Lonely as a Cloud) और विलियम ब्लेक (William Blake) का Ah! है. सूर्य-मूखी.
8. पादपाश्मविज्ञान (Palaeobotany) - इसके अंतर्गत हम उन पौधों का अध्ययन करते हैं जो इस पृथ्वी पर हजारों, लाखों या करोड़ों वर्ष पूर्व उगते थे पर अब नहीं उगते। उनके अवशेष ही अब चट्टानों या पृथ्वी स्तरों में दबे यत्र तत्र पाए जाते हैं।
क्षेत्रीय भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जो बाद में उत्तराखण्ड राज्य के रूप में परिणित हुआ, गढ़वाल और कुमाऊँ विश्वविद्यालय १९७३ में स्थापित किए गए थे। उत्तराखण्ड के सर्वाधिक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय हैं:
तैत्तिरीयोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
विस्कांसिन
कबीर के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न-भिन्न लेखों के अनुसार भिन्न-भिन्न है। एच.एच. विल्सन के अनुसार कबीर के नाम पर आठ ग्रंथ हैं। विशप जी.एच. वेस्टकॉट ने कबीर के ८४ ग्रंथों की सूची प्रस्तुत की तो रामदास गौड़ ने 'हिंदुत्व' में ७१ पुस्तकें गिनायी हैं।
दिसंबर 2007 मे हिमाचल प्रदेश की हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए हुआ चुनाव था। भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में जीत हासिल की। 68 सीटो में से 42 सीट जीत कर भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई।
मध्यकाल में इटली में गणराज्य उठ खड़े हुए, जिनमें प्रसिद्ध थे जेनोआ, फ्लोरेंस, पादुआ एवं वेनिस और उनके संरक्षक तथा नेता थे उनके ड्यूक। पर राष्ट्रीय नृपराज्यों के उदय के साथ वे भी समाप्त हो गए। नीदरलैंड्स के सात राज्यों ने स्पैनी साम्राज्य के विरु द्ध विद्रोह कर संयुक्त नीदरलैंड्स के गणराज्य की स्थापना की।
ब्रेबर्न स्टेडियम, शहर के सबसे पुराने स्टेडियमों में से एक है
हरिऔध जी के काव्य में प्रायः संपूर्ण रस पाए जाते हैं, रुणा वियोग, शृंगार और वात्सल्य रस की पूर्णरूप से व्यंजना। हरिऔध जी की छंद-योजना में पर्याप्त विविधता मिलती है। आरंभ में उन्होंने हिंदी के प्राचीन छंद कवित्त सबैया, छप्पय, दोहा आदि तथा उर्दू के छंदों का प्रयोग किया। बाद में उन्होंने इंद्रवज्रा, शिखरिणी, मालिनी वसंत तिलका, शार्दूल, विक्रीड़ित मंदाक्रांता आदि संस्कृत के छंदों को भी अपनाया।
आजाद सत्य का सहारा लेकर ही अन्ग्रेजो से मुकाब्ला करते थे -घनश्याम दास सुमन जानकि नगर ।==यह भी देखें==
उत्सव पर प्रकाश सज्जा
रीतिकाव्य रचना का आरंभ एक संस्कृतज्ञ ने किया। ये थे आचार्य केशवदास, जिनकी सर्वप्रसिद्ध रचनाएँ कविप्रिया, रसिकप्रिया और रामचंद्रिका हैं। कविप्रिया में अलंकार और रसिकप्रिया में रस का सोदाहरण निरूपण है। लक्षण दोहों में और उदाहरण कवित्तसवैए में हैं। लक्षण-लक्ष्य-ग्रंथों की यही परंपरा रीतिकाव्य में विकसित हुई। रामचंद्रिका केशव का प्रबंधकाव्य है जिसमें भक्ति की तन्मयता के स्थान पर एक सजग कलाकार की प्रखर कलाचेतना प्रस्फुटित हुई। केशव के कई दशक बाद चिंतामणि से लेकर अठारहवीं सदी तक हिंदी में रीतिकाव्य का अजस्र स्रोत प्रवाहित हुआ जिसमें नर-नारी-जीवन के रमणीय पक्षों और तत्संबंधी सरस संवेदनाओं की अत्यंत कलात्मक अभिव्यक्ति व्यापक रूप में हुई।
पुणे के अभियांत्रिकी उद्योग - भारत फोर्ज (विश्व की दुसरी सबसे बडी फोर्जिंग कंपनी), कमिन्स इंजिन्स, अल्फा लव्हाल, सँडविक एशिया, थायसन ग्रुप (बकाऊ वूल्फ), केएसबी पंप, फिनोलेक्स, ग्रीव्हज् इंडिया, फोर्ब्स मार्शल, थर्मेक्स इत्यादी।
नाशिक में त्योहारों को पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। अगस्त के महीने में आने वाली श्रवण पूर्णिमा और महापर्व श्रवण अमावस्या तथा सितम्बर के महीने आने वाली भद्रापद अमावस्या सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इसके अलावा गणेश चतुर्थी, दशहरा, दीवाली, होली और अन्य सभी त्योहारों को भी उतने ही खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं।
गंगा नदी के किनार स्थित शिवकुटी भगवान शिव को समर्पित है।
कुछ सिपाहियों ने (मुख्य्त: ११ बंगाल नेटिव ईन्फ़ैंट्री) विद्रोह करने से पहले विश्वस्नीय अधिकारियों और उन्के परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पंहुचा दिया। [६] कुछ अधिकारी और उनके परिवार रामपुर बच निकले और उन्होने रामपुर के नवाब के यहां शरण ली। ५० भारतीय असैनिक (अधिकारियों के नौकर जिन्होने अपने मालिको को बचाने या छुपाने का प्रयास किया) भी विद्रोहियों द्वारा मारे गये।[७] नर संहार की अतिश्योक्ति पूर्ण कहानियों और मरने वालों की संख्या ने कंपनी को असैनिक भारतीय और विद्रोहियों के दमन का एक बहाना दे दिया।
एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की श्रृंखलाएं अवस्थित है। संसार का सबसे ऊँची १४ हिमश्रृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सगरमाथा (एवरेस्ट, नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगञ्ज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगञ्ज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर आदि है।
आशीवार्द, विसजर्न, जयघोष के साथ कायर्क्रम समाप्त किया जाए ।
कुरान ऐसी पुस्तक है जिसके आधार पर एक क्रांति लाई गई। रेगिस्तान के ऐसे अनपढ़ लोगों को जिनका विश्व के मानचित्र में उस समय कोई महत्व नहीं था। कुरान की शिक्षाओं के कारण, उसके प्रस्तुतकर्ता के प्रशिक्षण ने उन्हे उस समय की महान शाक्तियों के समक्ष ला खड़ा किया और एक ऐसे कुरानी समाज की रचना मात्र २३ वर्षों में की गई जिसका उत्तर विश्व कभी नहीं दे सकता।
प्राचीन मिस्र की कला की समरूपता के बावजूद, किसी विशिष्ट समय और स्थानों की शैली, कभी-कभी परिवर्तित होते सांस्कृतिक या राजनीतिक नज़रिए को प्रतिबिंबित करती है. दूसरे मध्यवर्ती काल में हिक्सोस के आक्रमण के बाद, मिनोन शैली के भित्तिचित्र अवारिस में पाए गए हैं.[१४०] कलात्मक स्वरूपों में एक राजनीतिक प्रेरित परिवर्तन का सबसे स्पष्ट उदाहरण अमर्ना अवधि से प्राप्त होता है, जहां आकृतियों को अखेनाटेन के क्रांतिकारी धार्मिक विचारों के अनुरूप ढालने के लिए समूल रूप से परिवर्तित कर दिया गया.[१४१]अमर्ना कला के रूप में जानी जाने वाली इस शैली को अखेनाटेन की मौत के बाद शीघ्र और पूरी तरह से मिटा दिया गया और इसकी जगह पारंपरिक शैली ने ले ली.[१४२]
कुछ फूल स्वपरागित होते हैं और उन फूलों का इस्तेमाल करते हैं जो कभी नही खिलते, या फूल खिलने से पहले स्वपरागित जो जाते हैं, इन फूलों को क्लीसटोगैमस कहा जाता है कई प्रकार के विओला और सालविया प्रजातियों में इस प्रकार के फूल होते हैं.
सोइ भयो द्रव रूप सही, जो है नाथ विरंचि महेस मुनी को। / मानि प्रतीति सदा तुलसी, जगु काहे न सेवत देव धुनी को।।(कवितावली-उत्तरकाण्ड १४६)
युद्ध की समाप्ति पर पांडवों में ही आपसी खींचाव-तनाव हुआ कि युद्ध में विजय का श्रेय किसको जाता है, इस पर कृष्ण ने उन्हें सुझाव दिया कि बर्बरीक का शीश सम्पूर्ण युद्ध का साक्षी है अतैव उससे बेहतर निर्णायक भला कौन हो सकता है। सभी इस बात से सहमत हो गये। बर्बरीक के शीश ने उत्तर दिया कि कृष्ण ही युद्ध मे विजय प्राप्त कराने में सबसे महान पात्र हैं, उनकी शिक्षा, उनकी उपस्थिति, उनकी युद्धनीति ही निर्णायक थी। उन्हें युद्धभुमि में सिर्फ उनका सुदर्शन चक्र घूमता हुआ दिखायी दे रहा था जो कि शत्रु सेना को काट रहा था, महाकाली दुर्गा कृष्ण के आदेश पर शत्रु सेना के रक्त से भरे प्यालों का सेवन कर रही थीं।
पूर्व एवं दक्षिण का उच्च पठार भूमध्य रेखा के पूर्व तथा दक्षिण में स्थित है तथा अपेक्षाकृत अधिक ऊँचा है। प्राचीन समय में यह पठार दक्षिण भारत के पठार से मिला था। बाद में बीच की भूमि के धँसने के कारण यह हिन्द महासागर द्वारा अलग हो गया। इस पठार का एक भाग अबीसिनिया में लाल सागर के तटीय भाग से होकर मिस्र देश तक पहुँचता है। इसमें इथोपिया, पूर्वी अफ्रीका एवं दक्षिणी अफ्रीका के पठार सम्मिलित हैं। अफ्रीका के उत्तर-पश्चिम में इथोपिया का पठार है। २,४०० मीटर ऊँचे इस पठार का निर्माण प्राचीनकालीन ज्वालामुखी के उद्गार से निकले हुए लावा हुआ है।[११] नील नदी की कई सहायक नदियों ने इस पठार को काट कर घाटियाँ बना दी हैं। इथोपिया की पर्वतीय गाँठ से कई उच्च श्रेणियाँ निकलकर पूर्वी अफ्रीका के झील प्रदेश से होती हुई दक्षिण की ओर जाती हैं। इथोपिया की उच्च भूमि के दक्षिण में पूर्वी अफ्रीका की उच्च भूमि है। इस पठार का निर्माण भी ज्वालामुखी की क्रिया द्वारा हुआ है। इस श्रेणी में किलिमांजारो (५,८९५ मीटर), रोबेनजारो (५,१८० मीटर) और केनिया (५,४९० मीटर) की बर्फीली चोटियाँ भूमध्यरेखा के समीप पायी जाती हैं। ये तीनों ज्वालामुखी पर्वत हैं। किलिमंजारो अफ्रीका की सबसे ऊँचा पर्वत एवं चोटी है।
बौद्ध धर्म में दो मुख्य साम्प्रदाय हैं:
ऋषि वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे। वेदव्यास महाभारत के रचयिता ही नहीं, बल्कि उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो क्रमानुसार घटित हुई हैं। अपने आश्रम से हस्तिनापुर की समस्त गतिविधियों की सूचना उन तक तो पहुंचती थी। वे उन घटनाओं पर अपना परामर्श भी देते थे। जब-जब अंतर्द्वंद्व और संकट की स्थिति आती थी, माता सत्यवती उनसे विचार-विमर्श के लिए कभी आश्रम पहुंचती, तो कभी हस्तिनापुर के राजभवन में आमंत्रित करती थी। प्रत्येक द्वापर युग में विष्णु व्यास के रूप में अवतरित होकर वेदों के विभाग प्रस्तुत करते हैं। पहले द्वापर में स्वयं ब्रह्मा वेदव्यास हुए, दूसरे में प्रजापति, तीसरे द्वापर में शुक्राचार्य , चौथे में बृहस्पति वेदव्यास हुए। इसी प्रकार सूर्य, मृत्यु, इन्द्र, धनजंय, कृष्ण द्वैपायन अश्वत्थामा आदि अट्ठाईस वेदव्यास हुए। इस प्रकार अट्ठाईस बार वेदों का विभाजन किया गया। उन्होने ही अट्ठारह पुराणों की भी रचना की।
विशेष वार्ड या तोकूबेत्सू-कू, टोक्यो के वे क्षेत्र हैं जो पहले औपचारिक रूप से टोक्यो नगर था। १ जुलाई, १९४३ को, टोक्यो नगर को टोक्यो प्रीफ़ेक्चर के साथ मिला दिया गया जो वर्तमान "महानगर प्रीफ़ेक्चर" बना। परिणामस्वरूप, जापान में अन्य नगर वार्डों से अलग, ये वार्ड किसी विशाल महानगर का भाग नहीं हैं। प्रत्येक वार्ड एक नगरपालिका है जिसका स्वयं का चयनित महापौर और विधानसभा होती है। टोक्यो के विशेष वार्ड हैं:
मौर्य शासन - भारत में सर्वप्रथम मौर्य वंश के शासनकाल में ही राष्ट्रीय राजनीतिक एकता स्थापित हुइ थी। मौर्य प्रशासन में सत्ता का सुदृढ़ केन्द्रीयकरण था परन्तु राजा निरंकुश नहीं होता था। मौर्य काल में गणतन्त्र का ह्रास हुआ और राजतन्त्रात्मक व्यवस्था सुदृढ़ हुई। कौटिल्य ने राज्य सप्तांक सिद्धान्त निर्दिष्ट किया था, जिनके आधार पर मौर्य प्रशासन और उसकी गृह तथा विदेश नीति संचालित होती थी -राजा,अमात्य जनपद , दुर्ग , कोष, सेना और,मित्र।
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क. ...rocks are the books of earth's history and fossils are the pages: S. W. Woolridge & R. S. Morgan 1959.
मूल्य की अवधारणा अर्थशास्त्र में केन्द्रीय है। इसको मापने का एक तरीका वस्तु का बाजार भाव है। एडम स्मिथ ने श्रम को मूल्य के मुख्य श्रोत के रुप में परिभाषित किया। "मूल्य के श्रम सिद्धान्त" को कार्ल मार्क्स सहित कई अर्थशास्त्रियों ने प्रतिपादित किया है। इस सिद्धान्त के अनुसार किसी सेवा या वस्तु का मूल्य उसके उत्पादन में प्रयुक्त श्रम के बराबर होत है। अधिकांश लोगों का मानना है कि इसका मूल्य वस्तु के दाम निर्धारित करता है। दाम का यह श्रम सिद्धान्त "मूल्य के उत्पादन लागत सिद्धान्त" से निकटता से जुड़ा हुआ है।
इसके अतिरिक्त मल्हौर में १३ कि.मी, गोमती नगर में १५ कि.मी, काकोरी १५ कि.मी, मोहनलालगंज १९ कि.मी, हरौनी २५ कि.मी, मलिहाबाद २६ कि.मी, सफेदाबाद २६ कि.मी, निगोहाँ ३५ कि.मी, बाराबंकी जंक्शन ३५ कि.मी, अजगैन ४२ कि.मी, बछरावां ४८ कि.मी, संडीला ५३ कि.मी, उन्नाव जंक्शन ५९ कि.मी तथा बीघापुर ६४ कि.मी पर स्थित हैं। इस प्रकार रेल यातायात लखनऊ को अनेक छोटे छोटे गाँवों और कस्बों से जोड़ता है।
एक तरह का प्रतिनिधि लोकतंत्र है, जिसमें स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव होते हैं। उदार लोकतंत्र के चरित्रगत लक्षणों में, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, कानून व्यवस्था, शक्तियों के वितरण आदि के अलावा अभिव्यक्ति, भाषा, सभा, धर्म और संपत्ति की स्वतंत्रता प्रमुख है।
कंप्यूटर के आम प्रयोग में आने के साथ साथ हिंदी में कंप्यूटर से जुड़ी नई विधाओं का भी समावेश हुआ है, जैसे- चिट्ठालेखन और जालघर की रचनाएं। हिन्दी में अनेक स्तरीय हिंदी चिट्ठे, जालघर व जाल पत्रिकायें हैं। यह कंप्यूटर साहित्य केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व के हर कोने से लिखा जा रहा है. इसके साथ ही अद्यतन युग में प्रवासी हिंदी साहित्य के एक नए युग का आरंभ भी माना जा सकता है।
क्षत्रियोँ का काम राज्य के शासन तथा सुरक्षा का था । क्षत्रिय युद्ध में लड़ते थे ।क्षत्रिय लोग बल,बुद्दि और विद्या तीनोँ मेँ पराँगत होते हैँ। भारत की मुख्य क्षत्रिय जातियां है: राजपूत, जाट , मराठा , डोगरा ,गोरखा आदि।
धरा धरेंद्र नंदिनी विलाधुवंधुर- स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
(२) रोगनिवारक एवं रोगोत्पादक हेतुओं से संबंधित तथ्यों का अनुशीलन एवं तत्संबंधी अनुसंधान में सहयोग प्रदान करना, ज्ञानसंवर्धन एवं प्रायोगिक विधि में वृद्धि करना।
कला में ऐसी शक्ति होनी चाहिए कि वह लोगों को संकीर्ण सीमाओं से ऊपर उठाकर उसे ऐसे उंचे स्थान पर पहुंचा दे जहां मनुष्य केवल मनुष्य रह जाता है । कला व्यक्ति के मन में बनी स्वार्थ, परिवार, क्षेत्र, धर्म, भाषा और जाति आदि की सीमाएं मिटाकर विस्तृत और व्यापकता प्रदान करती है । व्यक्ति के मन को उदात्त बनाती है । वह व्यक्ति को “स्व” से निकालकर “वसुधैव कुटुम्बकम” से जोड़ती है ।
यह भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली है| यहीं पर भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में ब्रजवासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिये गोवर्धन पर्वत अपनी तर्जनी अंगुली पर उठाया था। गोवर्धन पर्वत को भक्क्तजन गिरिराज जी भी कहते हैं।
क्भि भि अव्तर या नबि ये न्हि कहेगा कि मे अव्तार हुन जो ये कह्ता है वो धोन्गि है
बलिया भी बागी बलिया (विद्रोही बलिया) के रूप में भारत की आजादी की लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है.ने भारत छोड़ो आंदोलन १९४२ बलिया के दौरान ब्रिटिश शासन के समय की एक छोटी अवधि के लिए जब जिला ने सरकार का तख्ता पलट किया और चित्तू पांडे के अधीन एक स्वतंत्र प्रशासन स्थापित स्वतंत्रता प्राप्त की.
उनकी शिक्षा हरिशचंद्र उच्च विद्यालय और काशी विद्यापीठ में हुई थी। यहीं से उन्हें "शास्त्री" की उपाधि भी मिली जो उनके नाम के साथ जुड़ी रही।
- जब सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्र्मा एक सीध में होते हैं ।
माना जाता है कि ईरान में पहले पुरापाषाणयुग कालीन लोग रहते थे। यहाँ पर मानव निवास एक लाख साल पुराना हो सकता है । लगभग 5000 ईसापूर्व से खेती आरंभ हो गई थी। मेसोपोटामिया की सभ्यता के स्थल के पूर्व में मानव बस्तियों के होने के प्रमाण मिले हैं। ईरानी लोग (आर्य) लगभग 2000 ईसापूर्व के आसपास उत्तर तथा पूरब की दिशा से आए। इन्होंने यहाँ के लोगों के साथ एक मिश्रित संस्कृति की आधारशिला रखी जिससे ईरान को उसकी पहचान मिली। आधिनुक ईरान इसी संस्कृति पर विकसित हुआ। ये यायावर लोग ईरानी भाषा बोलते थे और धीरे धीरे इन्होंने कृषि करना आरंभ किया।
महर्षि अत्रि जी सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे। उनकी पत्नी अनसूयाजी के पातिव्रत धर्म की परीक्षा लेने हेतु ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही पत्िनयों के अनुरोध पर श्री अत्री और अनसूयाजी के चित्रकुट स्थित आश्रम में शिशु रूप में उपस्थित हुए। ब्रह्मा जी चंद्रमा के रूप में, विष्णु दत्तात्रेय के रूप में और महेश दुर्वासा के रूप में उपस्थित हुए। बाद में देव पत्नियों के अनुरोध पर अनसूयाजी ने कहा कि इस वर्तमान स्वरूप में वे पुत्रों के रूप में मेरे पास ही रहेंगे। साथ ही अपने पूर्ण स्वरूप में अवस्थित होकर आप तीनों अपने-अपने धाम में भी विराजमान रहेंगे। यह कथा सतयुग के प्रारम्भ की है। पुराणों और महाभारत में इसका विशद वर्णन है। दुर्वासा जी कुछ बडे हुए, माता-पिता से आदेश लेकर वे अन्न जल का त्याग कर कठोर तपस्या करने लगे। विशेषत: यम-नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान-धारणा आदि अष्टांग योग का अवलम्बन कर वे ऐसी सिद्ध अवस्था में पहुंचे कि उनको बहुत सी योग-सिद्धियां प्राप्त हो गई। अब वे सिद्ध योगी के रूप में विख्यात हो गए। तत्पश्चात् यमुना किनारे इसी स्थल पर उन्होंने एक आश्रम का निर्माण किया और यहीं पर रहकर आवश्यकता के अनुसार बीच-बीच में भ्रमण भी किया। दुर्वासा आश्रम के निकट ही यमुना के दूसरे किनारे पर महाराज अम्बरीष का एक बहुत ही सुन्दर राजभवन था। एक बार राजा निर्जला एकादशी एवं जागरण के उपरांत द्वादशी व्रत पालन में थे। समस्त क्रियाएं सम्पन्न कर संत-विप्र आदि भोज के पश्चात भगवत प्रसाद से पारण करने को थे कि महर्षि दुर्वासा आ गए। महर्षि को देख राजा ने प्रसाद ग्रहण करने का निवेदन किया, पर ऋषि यमुना स्नान कर आने की बात कहकर चले गए। पारण काल निकलने जा रहा था। धर्मज्ञ ब्राह्मणों के परामर्श पर श्री चरणामृत ग्रहण कर राजा का पारण करना ही था कि ऋषि उपस्थित हो गए तथा क्रोधित होकर कहने लगे कि तुमने पहले पारण कर मेरा अपमान किया है। भक्त अम्बरीश को जलाने के लिए महर्षि ने अपनी जटा निचोड़ क्रत्या राक्षसी उत्पन्न की, परन्तु प्रभु भक्त अम्बरीश अडिग खडे रहे। भगवान ने भक्त रक्षार्थ चक्र सुदर्शन प्रकट किया और राक्षसी भस्म हुई। दुर्वासाजी चौदह लोकों में रक्षार्थ दौड़ते फिरे। शिवजी की चरण में पहुंचे। शिवजी ने विष्णु के पास भेजा। विष्णु जी ने कहा आपने भक्त का अपराध किया है। अत:यदि आप अपना कल्याण चाहते हैं, तो भक्त अम्बरीश के निकट ही क्षमा प्रार्थना करें।
(2) निम्न शाखाओं के अधस्त्वक् - इनमें वृद्धावस्था में रक्त परिसंचरण के उचित रूप में न होने के कारण शोथ उत्पन्न हो जाता है, जिससे परिगलन होना प्रारंभ हो जाता है।
कबीर नाम में विश्वास रखते हैं, रूप में नहीं। हालाँकि भक्ति-संवेदना के सिद्धांतों में यह बात सामान्य रूप से प्रतिष्ठित है कि ‘नाम रूप से बढ़कर है’, लेकिन कबीर ने इस सामान्य सिद्धांत का क्रांतिधर्मी उपयोग किया। कबीर ने राम-नाम के साथ लोकमानस में शताब्दियों से रचे-बसे संश्लिष्ट भावों को उदात्त एवं व्यापक स्वरूप देकर उसे पुराण-प्रतिपादित ब्राह्मणवादी विचारधारा के खाँचे में बाँधे जाने से रोकने की कोशिश की।
उसने विवाह की स्मृति में राजा-रानी प्रकार के सिक्कों का चलन करवाया । इस प्रकार स्पष्ट है कि लिच्छवियों के साथ सम्बन्ध स्थापित कर चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने राज्य को राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ तथा आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बना दिया । राय चौधरी के अनुसार चन्द्रगुप्त प्रथम ने कौशाम्बी तथा कौशल के महाराजाओं को जीतकर अपने राज्य में मिलाया तथा साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित की ।
1470–1975 São Tomé1
अशोक के अभिलेखों में शाहनाज गढ़ी एवं मान सेहरा (पाकिस्तान) के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण हैं । तक्षशिला एवं लघमान (काबुल) के समीप अफगानिस्तान अभिलेख आरमाइक एवं ग्रीक में उत्कीर्ण हैं । इसके अतिरिक्त अशोक के समस्त शिलालेख लघुशिला स्तम्भ लेख एवं लघु लेख ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण हैं । अशोक का इतिहास भी हमें इन अभिलेखों से प्राप्त होता है ।
जून ग्रेगोरियन कैलेंडर में वर्ष का छठा महीना है, जिसमे दिनों की संख्या 30 होती है। इस महीने का नाम रोमन देवी जूनो के नाम पर पडा़ है जो ज्युपिटर देवता की पत्नि है और यूनानी देवी हेरा के समकक्ष है
काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं।[९] वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। [१०]
कहानी हिन्दी में गद्य लेखन की एक विधा है। उन्नीसवीं सदी में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ जिसे कहानी के नाम से जाना गया। बंगला में इसे गल्प कहा जाता है। कहानी ने अंग्रेजी से हिंदी तक की यात्रा बंगला के माध्यम से की। कहानी गद्य कथा साहित्य का एक अन्यतम भेद तथा उपन्यास से भी अधिक लोकप्रिय साहित्य का रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सुनना मानव का आदिम स्वभाव बन गया। इसी कारण से प्रत्येक सभ्य तथा असभ्य समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में कहानियों की बड़ी लंबी और सम्पन्न परंपरा रही है। वेदों, उपनिषदों तथा ब्राह्मणों में वर्णित 'यम-यमी', 'पुरुरवा-उर्वशी', 'सौपणीं-काद्रव', 'सनत्कुमार- नारद', 'गंगावतरण', 'श्रृंग', 'नहुष', 'ययाति', 'शकुन्तला', 'नल-दमयन्ती' जैसे आख्यान कहानी के ही प्राचीन रूप हैं।
पोल्लची के पास स्थित अन्नामलई वन्यजीव अभ्यारण्य कोयंबटूर से कुछ दूरी पर स्थित एक रोमांचक स्थान है। समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह अभ्यारण्य विभिन्न प्रकार के जानवरों और पक्षियों का घर है। इनमें से कुछ प्रमुख जीव और पक्षी हैं- हाथी, गौर, बाघ, चीता, भालू, भेड़िया, रॉकेट टेल ड्रॉन्गो, बुलबुल, काले सिर वाला पीलक, बतख और हरा कबूतर। अन्नामलई के अमरावती सरोवर में बड़ी संख्या में मगरमच्छ भी देखे जा सकते हैं।
२० - बीस
देश के उत्तर में लिट्टे का दबदबा बना रहा । मई 1991 में भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और 1993 में श्रीलंका के राष्ट्रपति प्रेमदासा रनसिंघे की हत्या कर दी गई । इसके बाद सालों तक संघर्ष जारी रहा । 1994 में कुछ समय के लिए, जब चन्द्रिका कुमारतुंगे राष्ट्रपति बनीं और उन्होंने शान्ति वार्ता का प्रस्ताव रखा, लड़ाई थमी रही पर लिट्टे द्वारा श्रीलंकाई नौसेना के जहाजों को डुबाने के बाद 1995 में फ़िर से चालू हो गई ।
मुख्य लेख: टोक्यो के विशेष वार्ड
वज्जि संघ संघर्ष- लिच्छवि राजकुमारी चेलना बिम्बिसार की पत्नी थी जिससे उत्पन्न दो पुत्री हल्ल और बेहल्ल को उसने अपना हाथी और रत्नों का एक हार दिया था जिसे अजातशत्रु ने मनमुटाव के कारण वापस माँगा । इसे चेलना ने अस्वीकार कर दिया, फलतः अजातशत्रु ने लिच्छवियों के खिलाफ युद्ध घोषित कर दिया ।
बुद्ध के अनुसार क्या अ-धम्म है--
गिरफ्तारी की रात को उनका जो स्वास्थ्य बिगड़ा वह फिर संतोषजनक रूप से सुधरा नहीं और अंततोगत्वा उन्होंने 22 फरवरी, 1944 को अपना ऐहिक समाप्त किया। उनकी मृत्यु के उपरांत राष्ट्र ने महिला कल्याण के निमित्त एक करोड़ रुपया एकत्र कर इन्दौर में कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट की स्थापना की।
शुङ्ग राजवंश का राजा।
श्रव्य काव्य के भी दो भेद होते हैं - प्रबन्ध काव्य तथा मुक्तक काव्य ।
कुरु ययाति के वंशज और महान राजा थे. इन्ही के नाम पर इनके वंश का नाम कुरुकुल पड़ा जिसमे भीष्म, कौरव और पांडवों ने जन्म लिया.
पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान को भुवर्लोक कहते हैं।
संस्कृति & समाज
बुद्ध ईश्वर की सत्ता नहीं मानते क्योंकि दुनिया प्रतीत्यसमुत्पाद के नियम पर चलती है । पर अन्य जगह बुद्ध ने सर्वोच्च सत्य को अवर्णनीय कहा है । कुछ देवताओं की सत्ता मानी गयी है, पर वो ज़्यादा शक्तिशाली नहीं हैं ।
ज्वालामुखी मंदिर के संबंध में एक कथा काफी प्रचलित है। ध्यानुभक्त माता जोतावाली का परम भक्त था। एक बार देवी के दर्शन के लिए वह अपने गांववासियो के साथ ज्वालाजी के लिए निकला। जब उसका काफिला दिल्ली से गुजरा तो मुगल बादशाह अकबर के सिपाहियों ने उसे रोक लिया और राजा अकबर के दरबार में पेश किया। अकबर ने जब ध्यानु से पूछा कि वह अपने गांववासियों के साथ कहां जा रहा है तोउत्तर में ध्यानु ने कहा वह जोतावाली के दर्शनो के लिए जा रहे है। अकबर ने कहा तेरी मां में क्या शक्ति है और वह क्या-क्या कर सकती है? तब ध्यानु ने कहा वह तो पूरे संसार की रक्षा करने वाली हैं। ऐसा कोई भी कार्य नही है जो वह नहीं कर सकती है। अकबर ने ध्यानु के घोड़े का सर कटवा दिया और कहा कि अगर तेरी मां में शक्ति है तो घोड़े के सर को जोड़कर उसे जीवित कर दें। यह वचन सुनकर ध्यानु देवी की स्तुति करने लगा और अपना सिर काट कर माता को भेट के रूप में प्रदान किया। माता की शक्ति से घोड़े का सर जुड गया। इस प्रकार अकबर को देवी की शक्ति का एहसास हुआ। बादशाह अकबर ने देवी के मंदिर में सोने का छत्र भी चढाया। यह छत्र आज भी मंदिर में मौजूद है।
छत्तीसगढ़ के लोकगीत में विविधता है, गीत अपने आकार में छोटे और गेय होते है। गीतों का प्राणतत्व है भाव प्रवणता। छत्तीसगढ़ी लोकभाषा में गीतों की अविछिन्न परम्परा है।छत्तीसगढ़ के प्रमुख और लोकप्रिय गीतों है - सुआगीत, ददरिया, करमा, डण्डा, फाग, चनौनी, बाँस गीत, राउत गीत, पंथी गीत।
प्राचीन शिलाचित्र जिसमें अभिमन्यु चक्र व्यूह में प्रवेश करता हुआ दिखाया गया है
मानव बसाहट १०,००० साल से भी अधिक पुराना हो सकता है। ईसा के १८०० साल पहले आर्यों का आगमन इस क्षेत्र में हुआ। ईसा के ७०० साल पहले इसके उत्तरी क्षेत्र मे गांधार महाजनपद था जिसके बारे में भारतीय स्रोत महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में वर्णन मिलता है। ईसापूर्व ५०० में फ़ारस के हखामनी शासकों ने इसको जीत लिया। सिकन्दर के फारस विजय अभियान के तहते अफ़गानिस्तान भी यूनानी साम्राज्य का अंग बन गया। इसके बाद यह शकों के शासन में आए। शक स्कीथियों के भारतीय अंग थे। ईसापूर्व २३० में मौर्य शासन के तहत अफ़गानिस्तान का संपूर्ण इलाका आ चुका था पर मौर्यों का शासन अधिक दिनों तक नहीं रहा। इसके बाद पार्थियन और फ़िर सासानी शासकों ने फ़ारस में केन्द्रित अपने साम्राज्यों का हिस्सा इसे बना लिया। सासनी वंश इस्लाम के आगमन से पूर्व का आखिरी ईरानी वंश था। अरबों ने ख़ुरासान पर सन् ७०७ में अधिकार कर लिया। सामानी वंश, जो फ़ारसी मूल के पर सुन्नी थे, ने ९८७ इस्वी में अपना शासन गजनवियों को खो दिया जिसके फलस्वरूप लगभग संपूर्ण अफ़ग़ानिस्तान ग़ज़नवियों के हाथों आ गया। ग़ोर के शासकों ने गज़नी पर ११८३ में अधिकार कर लिया।
कामेट शिखर का नाम अंग्रेजी भाषा का नहीं, बल्कि तिब्बती भाषा के शब्द ‘कांग्मेद’ शब्द के आधार पर रखा गया है। इसीलिये इसे कामेट भी कहा जाटा है। तिब्बती लोग इसे कांग्मेद पहाड़ कहते हैं।[२] कामेट पर्वत तीन प्रमुख हिमशिखरों से घिरा है। इनके नाम अबी गामिन, माना पर्वत तथा मुकुट पर्वत हैं। कामेट शिखर के पूर्व में स्थित विशाल ग्लेशियर को पूर्वी कामेट ग्लेशियर कहते हैं और पश्चिम में पश्चिमी कामेट ग्लेशियर है।
নমামি কমলাং অমলাং অতুলাম্
जनवरी 1996 में, द इंटरनेशनल वेजीटेरियन यूनियन ने मुस्लिम वेजीटेरियन/वेगन सोसाइटी की स्थापना की घोषणा की.[१५२]
माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़, माइक्रोसॉफ्ट द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर प्रचालन तंत्र (सॉफ्टवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम) और ग्राफिकल यूजर इंटरफेस की एक श्रृंखला है। माइक्रोसॉफ्ट विन्डोज़ ने ग्राफिकल यूजर इंटरफेस में बढ़ती रुचि (GUIs) को देखते हुए नवंबर 1985 में एमएस-DOS में जोड़ने के लिए एक ऑपरेटिंग पर्यावरण पेश किया था। माइक्रोसॉफ्ट विन्डोज़, आते ही दुनिया के निजी कंप्यूटर बाजार पर हावी हो गया और इसने इससे पहले बाजार मे आये मैक-ओएस को बहुत पीछे छोड़ दिया। 2004 के IDC दिशा सम्मेलन में, यह बात सामने आयी कि ग्राहक ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार का लगभग 90% विण्डोज़ के पास था। विन्डोज़ का सबसे हाल के ग्राहक संस्करण विन्डोज़ 7 है और सबसे हाल का सर्वर संस्करण विन्डोज़ सर्वर 2008 R2 है।बिल गेट्स ने विंडोज के विकास मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और अब वह माइक्रोसॉफ्ट के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।
हरिवंश के अंतर्गत हरिवंशपर्व शैली और वृत्तांतों की दृष्टि से विष्णुपर्व और भविष्यपर्व से प्राचीन ज्ञात होता है। अश्वघोषकृत वज्रसूची में हरिवंश से अक्षरश: समानता रखनेवाले कुछ श्लोक मिलते हैं। पाश्चात्य विद्वान् वैबर ने वज्रसूची को हरिवंश का ऋणी माना है और रे चौधरी ने उनके मत का समर्थन किया। अश्वघोष का काल लगभग द्वितीय शताब्दी निश्चित है। यदि अश्वघोष का काल द्वितीय शताब्दी है तो हरिवंशपर्व का काल प्रक्षिप्त स्थलों को छोड़कर द्वितीय शताब्दी से कुछ पहले समझना चाहिए।
क5 अनु 356—जब किसी राज्य मे राष्ट्रपति शासन लागू होता है, उस स्थिति मे संसद उस राज्य हेतु विधि निर्माण कर सकती है
बैगा जनजाति मंडला जिले के चाड़ा के घने जंगलों में निवास करने वाली जनजाति है । इस जनजाति के प्रमुख नृत्यों में बैगानी करमा, दशहरा या बिलमा तथा परधौनी नृत्य है । इसके अलावा विभिन्न अवसरों पर घोड़ा पैठाई, बैगा झरपट तथा रीना और फाग नृत्य भी करते हैं । नृत्यों की विविधता का जहां तक सवाल है तो निर्विवाद रुप से कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश की बैगा जनजाति जितने नृत्य करती है, और उनमें जैसी विविधता है वैसी संभवतः किसी और जनजाति में कठिनाई से मिलेगी । बैगा करधौनी नृत्य विवाह के अवसर पर बारात की अगवानी के समय किया जाता है, इसी अवसर पर लड़के वालों की ओर से आंगन में हाथी बनकर नचाया जाता है, इसमें विवाह के अवसर को समारोहित करने की कलात्मक चेष्टा है । बैगा फाग होली के अवसर पर किया जाता है । इस नृत्य में मुखौटे का प्रयोग भी होता है ।
सन् १९४० के बाद छायावाद की संवेगनिष्ठ, सौंदर्यमूलक और कल्पनाप्रिय व्यक्तिवाद प्रवृत्तियों के विरोध में प्रगतिवाद का संघबद्ध आंदोलन चला जिसकी दृष्टि समाजबद्ध, यथार्थवादी और उपयोगितावादी है। सामाजिक वैषम्य और वर्गसंघर्ष का भाव इसमें विशेष मुखर हुआ। इसने साहित्य को सामाजिक क्रांति के अस्त्र के रूप में ग्रहण किया। अपनी उपयोगितावादी दृष्टि की सीमाओं के कारण प्रगतिवादी साहित्य, विशेषत: कविता में कलात्मक उत्कर्ष की संभावनाएँ अधिक नहीं थीं, फिर भी उसने साहित्य के सामाजिक पक्ष पर बल देकर एक नई चेतना जाग्रत की।
इस छोटे से कस्बे में करीब एक सौ अठारह शिवालय हैं। इसी क्रम में दशहरा मेले में होने वाली रामलीला के आयोजन में रावण पूजा भी अलौकिक और अनोखी मानी जाती है। यहां की रामलीला को देखने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से श्रृद्धालु एकत्रित होते हैं। खजुहा कस्बे की रामलीला जिले में ही नहीं पूरे प्रदेश में ख्याति प्राप्त है।
मोहम्मद हामिद अंसारी (जन्म 1 अप्रैल, 1934), भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति हैं। वे भारतीय अल्पसंख्यक आयोग के भूतपूर्व अध्यक्ष भी हैं।[१] वे एक शिक्षाविद, तथा प्रमुख राजनेता हैं, एवं अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रह चुके हैं। वे 10 अगस्त 2007 को भारत के 13वेंउपराष्ट्रपति चुने गये।
एस. टी. डी (STD) कोड - 02962
कैंसर भिन्न रोगों का एक वर्ग है जो अपने कारणों और जैव-विज्ञान में व्यापक भिन्नता रखते हैं. कोई भी जीव, यहां तक कि पौधों, में भी कैंसर हो सकता है. लगभग सभी ज्ञात कैंसर धीरे धीरे बढ़ते हैं, और कैंसर की कोशिकाओं और इसकी पुत्री कोशिकाओं में त्रुटि उत्पन्न हो जाती है (सामान्य प्रकार की त्रुटियों के लिए क्रियाविधि भाग देखें).
क्वेटा (उर्दू: کوئٹہ) बलोचिस्तान, पाकिस्तान, की राजधानी है।
(ग) यह सार्वजनिक अथवा निजी नीतियों के निर्धारण में अपनी विशिष्ट पृष्टभूमि प्रदान करता है, जिसके आधार पर समस्याओं का सप्ष्टीकरण सुविधाजनक हो जाता है।
संसद भवन
हौन्डुरस मध्य अमेरिका में स्थित देश है। पूर्व में ब्रिटिश हौन्डुरस (अब बेलीज़) से अलग पहचान के लिए इसे स्पेनी हौन्डुरस के नाम से जाना जाता था। देश की सीमा पश्चिम में ग्वाटेमाला, दक्षिण पश्चिम में अल साल्वाडोर, दक्षिणपूर्व में निकारागुआ, दक्षिण में प्रशांत महासागर से फोंसेका की खाड़ी और उत्तर में हॉण्डुरास की खाडी से कैरेबियन सागर से मिलती है। इसकी राजधानी टेगुसिगलपा है।
७) ब्रह्माण्ड शब्द जहाँ ब्रह्माण्ड में निहित जीवों को मात्र एक उद्देश्य, जीवन में वृद्धि के लिए प्रेरीत करता है, वहीं यूनवर्स शब्द यूनवर्स में निहित जीवों को अपना ही जीवन किसी भी प्रकार से बचाने के लिए, किसी भी प्रकार के उद्देश्य को अपनाने के लिए बाध्य करता है।
रवांडा 111
जुडो के अभ्यासकर्ता को जुडोका या "जुडो अभ्यासकर्ता" के नाम से जाना जाता है, हालांकि पारंपरिक रूप से केवल चौथे डैन या उससे ऊंचा दर्जा पाने वालों को "जुडोका" कहा जाता था. जब किसी अंग्रेज़ी संज्ञा शब्द के साथ -ka (-का) प्रत्यय जोड़ दिया जाता है तो इसका मतलब एक ऐसे व्यक्ति से होता है जो उस विषय का विशेषज्ञ होता है या जिसके पास उस विषय का विशेष ज्ञान होता है. चौथे डैन से नीचे का दर्जा पाने वाले अन्य अभ्यासकर्ताओं को केंक्यु-सेई या "प्रशिक्षु" कहा जाता था. आधुनिक समय में जुडोका का मतलब किसी भी स्तर की विशेषज्ञता वाले जुडो अभ्यासकर्ता से है.
स्वामी जी की मृत्यु जिन परिस्थितियों में हुई, उससे भी यही आभास मिलता है कि उसमें निश्चित ही अंग्रेजी सरकार का कोई षड्यंत्र था। स्वामी जी की मृत्यु 30 अक्टूबर 1883 को दीपावली के दिन संध्या के समय हुई थी। उन दिनों वे जोधपुर नरेश महाराज जसवन्त सिंह के निमंत्रण पर जोधपुर गये हुए थे। वहां उनके नित्य ही प्रवचन होते थे। यदाकदा महाराज जसवन्त सिंह भी उनके चरणों में बैठकर वहां उनके प्रवचन सुनते। दो-चार बार स्वामी जी भी राज्य महलों में गए। वहां पर उन्होंने नन्हीं नामक वेश्या का अनावश्यक हस्तक्षेप और महाराज जसवन्त सिंह पर उसका अत्यधिक प्रभाव देखा। स्वामी जी को यह बहुत बुरा लगा। उन्होंने महाराज को इस बारे में समझाया तो उन्होंने विनम्रता से उनकी बात स्वीकार कर ली और नन्हीं से संबंध तोड़ लिए। इससे नन्हीं स्वामी जी के बहुत अधिक विरुद्ध हो गई। उसने स्वामी जी के रसोइए कलिया उर्फ जगन्नाथ को अपनी तरफ मिलाकर उनके दूध में पिसा हुआ कांच डलवा दिया। थोड़ी ही देर बाद स्वामी जी के पास आकर अपना अपराध स्वीकार कर लिया और उसके लिए क्षमा मांगी। उदार-ह्मदय स्वामी जी ने उसे राह-खर्च और जीवन-यापन के लिए पांच सौ रुपए देकर वहां से विदा कर दिया ताकि पुलिस उसे परेशान न करे। बाद में जब स्वामी जी को जोधपुर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया तो वहां संबंधित चिकित्सक भी शक के दायरे में रहा। उस पर आरोप था कि वह औषधि के नाम पर स्वामी जी को हल्का विष पिलाता रहा। बाद में जब स्वामी जी की तबियत बहुत खराब होने लगी तो उन्हें अजमेर के अस्पताल में लाया गया। मगर तब तक काफी विलम्ब हो चुका था। स्वामी जी को बचाया नहीं जा सका।
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, गोस्वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ हैं। [१]
ताड़का वध
५१ - इक्यावन
निर्देशांक: 25°22′51″N 83°01′28″E / 25.3808, 83.0245
4. लोकसभा के विघटन होने पर भी उसका प्रतिनिधित्व करने के लिये स्पीकर पद पर कार्य करता रहता है नवीन लोकसभा चुने जाने पर वह अपना पद छोड देता है
उपर्युक्त वाक्यों के सर्वनाम पद "बउ" तथा "बो" में संधिराहित्य तथा संधि की अवस्थाएँ दोनों भाषाओं की प्रकृतियों को स्पष्ट करती हैं।
2.15.1 शिरोरेखा का प्रयोग प्रचलित रहेगा।
2.8.3 तत्सम शब्दों का प्रयोग वांछनीय हो तब हलंत रूपों का ही प्रयोग किया जाए; विशेष रूप से तब जब उनसे समस्त पद या व्युत्पन्न शब्द बनते हों। यथा प्राक् :– (प्रागैतिहासिक), वाक्-(वाग्देवी), सत्-(सत्साहित्य), भगवन्-(भगवद्भक्ति), साक्षात्-(साक्षात्कार), जगत्-(जगन्नाथ), तेजस्-(तेजस्वी), विद्युत्-(विद्युल्लता) आदि। तत्सम संबोधन में हे राजन्, हे भगवन् रूप ही स्वीकृत होंगे। हिंदी शैली में हे राजा, हे भगवान लिखे जाएँ। जिन शब्दों में हल् चिह्न लुप्त हो चुका हो, उनमें उसे फिर से लगाने का प्रयत्न न किया जाए। जैसे - महान, विद्वान आदि; क्योंकि हिंदी में अब 'महान' से 'महानता' और 'विद्वानों' जैसे रूप प्रचलित हो चुके हैं।
नियम के रूप में गाँधी विभाजन (partition) की अवधारणा के खिलाफ थे क्योंकि यह उनके धार्मिक एकता के दृष्टिकोण के प्रतिकूल थी.[५७] ६ अक्तूबर १९४६ में हरिजन (Harijan) में उन्होंने भारत (6 October) का विभाजन पाकिस्तान बनाने के लिए, के बारे में लिखा:
१९३४ ई. में जेल से छूटकर खान बंधु वर्धा में रहने लगे थे। अब्दुल गफ्फार खान को गांधी जी के निकटत्व ने अधिक प्रभवित किया और इस बीच उन्होंने सारे देश का दौरा किया। कांग्रेस के निश्चय के अनुसार १९३९ में प्रांतीय कौंसिलों पर अधिकार प्राप्त हुआ तो सीमा प्रांत में भी कांग्रेस मंत्रिमंडल डा. खान के नेतृत्व में बना लेकिन गफ्फार खान साहब उससे अलग रहकर जनता की सेवा करते रे। १९४२ के अगस्त में क्रांति के सिलसिले में रिहा हुए। खान अब्दुल गफ्फार खान फिर गिरफ्तार हुए और १९४७ में छूटे लेकिन देश का बटवारा उनको गवारा न था इसलिए पाकिस्तान से इनकी विचारधारा नहीं मिली अत: पाकिस्तान की सरकार में इनका प्रांत शामिल है लेकिन सरहदी गांधी पाकिस्तान से स्वतंत्र 'पख्तूनिस्तान' की बात करते हैं, अत: इन दिनों जब कि वह भारत का दौरा कर रहे हैं, वह कहते हैं -भारत ने उन्हें भेड़ियों के सामने डाल दिया है तथा भारत से जो आकांक्षा थी, एक भी पूरी न हुई।
न्यायलय का गठन 28 जनवरी 1950 को भारत के गणराज्य घोषित होने के दो दिन बाद किया गया था। उदघाटन समारोह भारत के संसद हाल में किया गया था। वर्तमान परिसर का निर्माण 1958 में पूरा हुआ था।
1. राकेट, 2. वायुयान, 3. कीड़े, 4. जीवाणु बम, 5. एयरोसोल, 6. मिसाइल, 7. कुएँ में डालकर।
यह भाषा बर्किन फास्को में बोली जाती हैं ।
जाबालोपिनषद के अलावा अनेक स्मृतियों जैसे लिखितस्मृति, श्रृंगीस्मृति तथा पाराशरस्मृति, ब्राह्मीसंहिता तथा सनत्कुमारसंहिता में भी काशी का माहात्म्य बताया है। प्रायः सभी पुराणों में काशी का माहात्म्य कहा गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में तो काशी क्षेत्र पर काशी-रहस्य नाम से पूरा ग्रन्थ ही है, जिसे उसका खिल भाग कहते हैं। पद्म पुराण में काशी-महात्म्य और अन्य स्थानों पर भी काशी का उल्लेख आता है। प्राचीन लिंग पुराण में सोलह अध्याय काशी की तीर्थों के संबंध में थे। वर्त्तमान लिंगपुराण में भी एक अध्याय है। स्कंद पुराण का काशीखण्ड तो काशी के तीर्थ-स्वरुप का विवेचन तथा विस्तृत वर्णन करता ही है। इस प्रकार पुराण-साहित्य में काशी के धार्मिक महात्म्य पर सामग्री है। इसके अतिरिक्त, संस्कृत-वाड्मय, दशकुमारचरित, नैषध, राजतरंगिणी और कुट्टनीपतम् में भी काशी का वर्णन आता है। १२वीं शताब्दी ईसवी तक प्राप्त होने वाले लिंग पुराण में तीसरे से अट्ठारहवें अध्याय तक काशी के देवायतनों तथा तीर्थें का विस्तृत वर्णन था। त्रिस्थलीसेतु ग्रन्थ की रचना (सन् १५८० ई.) में लिंगपुराण वैसा ही रहा था।
पुराणों में इसकी चर्चा भद्रावती या भद्रावतीपुरम् के रुप में है। जैन- ग्रंथों में इसका नाम भड्डलपुर या भद्दिलपुर मिलता है। मध्ययुग आते- आते इसका नाम सूर्य (भैलास्वामीन) के नाम पर भेल्लि स्वामिन, भेलसानी या भेलसा हो गया। संभवतः पढ़ने के क्रम में हुई किसी गलतफहमी के कारण ११ शताब्दी में अलबरुनी ने इसे "महावलिस्तान' के नाम से संबोधित किया है। १७ वीं सदी में औरंगजेब के शासन काल में इसका नाम आलमगीरपुर रखा गया। सन् १९४७ ई. तक सरकारी रिकॉडाç में इसे "परगणे आलमगीरपुर' लिखा जाता रहा। परंतु ब्रिटिश काल में लोगों में भेलस्वामी या भेलसा नाम ही प्रचलित रहा। बाद में सन् १९५२ ई. में जनआग्रह पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा इस स्थान का तत्कालीन पुराना नाम विदिशा घोषित कर दिया।
उत्तर भारत में 21°58'10" ~ 27°31'15" उत्तरी अक्षांश तथा 82°19'50" ~ 88°17'40" पूर्वी देशांतर के बीच बिहार एक हिंदी भाषी राज्य है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार की भूमि मुख्यतः नदियों के मैदान एवं कृषियोग्य समतल भूभाग है। गंगा के पूर्वी मैदान में स्थित इस राज्य की औसत ऊँचाई १७३ फीट है। भौगोलिक तौर पर बिहार को तीन प्राकृतिक विभागो मे बाँटा जाता है- उत्तर का पर्वतीय एवं तराई भाग, मध्य का विशाल मैदान तथा दक्षिण का पहाड़ी किनारा।उत्तर का पर्वतीय प्रदेश सोमेश्वर श्रेणी का हिस्सा है। इस श्रेणी की औसत उचाई 455 मीटर है परन्तु इसका सर्वोच्च शिखर 874 मीटर उँचा है। सोमेश्वर श्रेणी के दक्षिण में तराई क्षेत्र है। यह दलदली क्षेत्र है जहाँ साल वॄक्ष के घने जंगल हैं। इन जंगलों में प्रदेश का इकलौता बाघ अभयारण्य वाल्मिकीनगर में स्थित है।मध्यवर्ती विशाल मैदान बिहार के 95% भाग को समेटे हुए है। भौगोलिक तौर पर इसे चार भागों में बाँटा जा सकता है:- 1- तराई क्षेत्र यह सोमेश्वर श्रेणी के तराई में लगभग 10 किलोमीटर चौ़ड़ा कंकर-बालू का निक्षेप है। इसके दक्षिण में तराई उपक्षेत्र है जो प्रायः दलदली है।
1898 में कनाडा द्वारा स्टांप जरी किया गया इम्पीरियल पैसा डाक दर का उद्घाटन किया गया.इस स्टांप पैर एक ग्लोब बना है और नीचे "ऐक्स्मस 1898" इंकित है 1937,में ऑस्ट्रिया ने दो क्रिसमस ग्रीटिंग्स वाले स्टांप जिसमे गुलाब (rose)और राशिः चक्र (zodiac)के चिह्न अंकित थे जरी किया 1939 में ब्राजील ने ४ सेमी पोस्टल (semi-postal) स्टांप जारी किए. जिसमे 3 राजा (three kings) और बेत्लेहेम का एक तारा (star of Bethlehem) एक एंजलऔर बच्चा सौठेर्ण क्रॉस (Southern Cross)और बच्चा और एक माँ और बच्चा के चित्र हैं
ज्योतिषों का विश्वास है की खगोलीय पिंडों की चाल और उनकी स्थिति या तो पृथ्वी को सीधे तरीके से प्रभावित करती है या फिर किसी प्रकार से मानवीय पैमाने पर या मानव द्वारा अनुभव की जाने वाली घटनाओं से सम्बद्ध होती है.[३] आधुनिक ज्योतिषियों द्वारा ज्योतिष को एक प्रतीकात्मक भाषा (symbolic language)[४][५][६], एक कला के रूप में या भविष्यकथन (divination),[७][८] के रूप में परिभाषित किया गया है, जबकि बहुत से वैज्ञानिकों ने इसे एक छद्म विज्ञान (pseudoscience) या अंधविश्वास (superstition) का नाम दिया है.[९][१०] परिभाषाओं में अन्तर के बावजूद, ज्योतिष विद्या की एक सामान्य धारणा यह है की खगोलीय पिण्ड अपने क्रम स्थान से भूत और वर्तमान की घटनाओं और भविष्वाणी (prediction) को समझने में मदद कर सकते हैं.एक मतदान में, ३१% अमिरिकियों ने ज्योतिष पर अपना विश्वास प्रकट किया और एक अन्य अध्ययन के अनुसार, ३९% ने उसे वैज्ञानिक माना है.[११][१२][१३][१४]
कई सूफ़ी या गुप्त परंपराओं को ज्योतिष से जोड़ा गया है.कुछ मामलों में, जैसे कब्बाला (Kabbalah) में, ज्योतिष के अपने पारंपरिक तत्वों को प्रतिभागियों द्वारा इक्कठा करके अंतर्भूत किया जाता है.अन्य मामलों में, जैसे की आगम भविष्यवाणी में, बहुत से ज्योतिषी ज्योतिष के अपने काम में परम्पराओं को सम्मिलित करते हैं. गुप्त परंपराएं में निम्न- लिखित चीज़ें शामिल हैं, लेकिन गुप्त परंपराएं इतने तक ही सीमित नहीं हैं:
सितार से कुछ बडा वाद्य सुर-बहार आज भी प्रयोग में है किन्तु सितार से अधिक लोकप्रिय कोई भी वाद्य नहीं है। इसकी ध्वनि को अन्य स्वरूप के वाद्य में उतारने की कई कोशिशें की गयीं किन्तु ढांचे में निहित तन्त्री खिंचाव एवं ध्वनि परिमार्जन के कारण ठीक वैसा ही माधुर्य प्राप्त नहीं किया जा सका। गिटार की वादन शैली से सितार समान स्वर उत्पन्न करने की सम्भावना रन्जन वीणा में कही जाती है किन्तु सितार जैसे प्रहार, अन्गुली से खींची मींड की व्यवस्था न हो पाने के कारण सितार जैसी ध्वनि नहीं उत्पन्न होती।
== यह भी देखिए
4 ATP
यदि जीएम तकनीकी सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों की बेहतरी के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है तो सवाल उठता है कि इन फसलों का विरोध क्यों हो रहा है? दरअसल शुरू से सभी जीएम फसलों का विरोध होता आया है। जीएम फसलों के पक्ष और विपक्ष में कई तर्क दिए गए हैं। कई शोध कहते हैं कि फसलों में आ पहुंचने वाला बॉलवर्म जीवाणु रक्षा के लिए छोड़े गए जीन का तोड़ हासिल कर रहा है। अन्य शोधों में पता चला है कि पौधों पर कई और जीवाणु भी हमला करते हैं। कई लोगों का कहना है कि जीएम फसलों की पैदावार आम फसलों से अधिक है, तो कई अन्य इसके विपरीत आंकड़े पेश करते हैं।
Նայիր նրան երեք գույնով,
तकनीकी सुधार के कारण सौर शक्ति (solar-powered) या बड़े चलाये जाने योग्य (dirigible) हवाई जहाजों पर आधारित हवाई जहाज होटल बन्ने की सम्भावना है.पानी के नीचे होटल, जैसे Hydropolis (Hydropolis), के २००९ में दुबई में खुलने की संभावना है,इसका निर्माण किया जाएगा.समुद्र पर पर्यटकों का बहुत बड़े क्रूज जहाजों या शायद तैरते हुए शहरों (floating cities) के द्वारा स्वागत किया जाएगा.
सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा-वैज्ञानिकों के अनुसार ‘‘भाषा या दृच्छिक वाचिक ध्वनि-संकेतों की वह पद्धति है, जिसके द्वारा मानव परम्परा विचारों का आदान-प्रदान करता है।’’[१] स्पष्ट ही इस कथन में भाषा के लिए चार बातों पर ध्यान दिया गया है-
संगम के निकट स्थित इस किले को मुगल सम्राट अकबर ने 1583 ई. में बनवाया था। वर्तमान में इस किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए खुला रहता है। बाकी हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है।
रामनगर किला और इसका संग्रहालय अब बनारस के राजाओं की ऐतिहासिक धरोहर रूप में संरक्षित हैं और १८वीं शताब्दी से काशी नरेश का आधिकारिक आवास रहे हैं।[५] आज भी काशी नरेश नगर के लोगों में सम्मानित हैं।[५] ये नगर के धार्मिक अध्यक्ष माने जाते हैं और यहां के लोग इन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं। [५] नरेश नगर के प्रमुख सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी बड़ी धार्मिक गतिविधियों के अभिन्न अंग रहे हैं।[५]
• मृणाल सेन
1515?-? Barka
को लिखकर - ऊपर नीचे क्रम में संयुक्ताक्षर बनाने की दो प्रकार की रीति प्रचलित है.)
गाँठ का शमन करने वाला जीन प्रचुरोदभवन विरोधी संकेतों और प्रोटीनों के लिए अनुकोडन करता है, जो समसूत्री विभाजन और कोशिका वृद्धि का शमन कर देते हैं.
आइजोल भारत के मिज़ोरम प्रान्त की राजधानी है। यह ऐज़ौल ज़िले का मुख्यालय भी है यह कर्क रेखा के ठीक उपर है |
इस फिल्म ने हिन्दी भाषा को एक नया शब्द गांधीगिरी प्रदान किया है जो आजकल हर आम और खास की जुबान पर है। वैसे तो इस शब्द को लेकर खासा विवाद भी हुआ है और यह स्वाभाविक भी है क्योंकि गिरी प्रत्यय की व्यंजना प्रीतिकर नहीं होती। पर गांधी विचार जैसे अतिशय गंभीर विषय को इसमें बड़े ही हल्के-फुल्के अंदा और मनोरंजक शैली में प्रस्तुत किया गया है, और वह भी विषय की गंभीरता को किंचित मात्र भी कम किये बगैर, यह इसकी बहुत बड़ी विशेषता है।[१]
चित्रकूट के लिए इलाहाबाद, बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर, सतना, फैजाबाद, लखनऊ, मैहर आदि शहरों से नियमित बस सेवाएं हैं। दिल्ली से भी चित्रकूट के लिए बस सेवा उपलब्ध है।
और कभी "बडा हुआ तो क्या हुआ जैसै"
• गौतम घोष
विचारात्मक निबंधों की दो श्रेणियां हैं। प्रथम श्रेणी के निबंधों में दार्शनिक तत्वों की प्रधानता रहती है। द्वितीय श्रेणी के निबंध सामाजिक जीवन संबंधी होते हैं। आलोचनात्मक निबंध भी दो श्रेणियों में बांटें जा सकते हैं। प्रथम श्रेणी में ऐसे निबंध हैं जिनमें साहित्य के विभिन्न अंगों का शास्त्रीय दृष्टि से विवेचन किया गया है और द्वितीय श्रेणी में वे निबंध आते हैं जिनमें साहित्यकारों की कृतियों पर आलोचनात्मक दृष्टि से विचार हुआ है। द्विवेदी जी के इन निबंधों में विचारों की गहनता, निरीक्षण की नवीनता और विश्लेषण की सूक्ष्मता रहती है।
अनावरित क्षत व्रण कहलाता है। किसी भी पृष्ठ के ऊपर, अथवा पार्श्व में, यदि कोई शोधयुक्त परिगलित (necrosed) भाग हो गया है, तो वहाँ व्रण उत्पन्न हो जाएगा। शीघ्र भर जानेवाले व्रण को सुदम्य व्रण कहते हैं। कभी-कभी कोई व्रण शीघ्र नहीं भरता। ऐसा व्रण दुदम्य हो जाता है, इसका कारण यह है कि उसमें या तो जीवाणुओं (bacteria) द्वारा संक्रमण होता रहता है, या व्रणवाले भाग में रक्त परिसंचरण (circulation of blood) उचित रूप से नहीं हो पाता। व्रण, पृष्ठ पर की एक कोशिका के बाद दूसरी कोशिका के नष्ट होने पर, बनता है।
नयी लोक सभा के चुनाव के लिए राष्ट्रपति, राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा, चुनाव आयोग द्वारा सुझाई गई तिथि को, सभी संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों से सदस्य चुनने के लिए कहता है। अधिसूचना जारी किए जाने के पश्चात चुनाव आयोग नामांकन पत्र दायर करने, उनकी छानबीन करने, उन्हें वापस लेने और मतदान के लिए तिथियां निर्धारित करता है।
बलराम को कई लोग बुद्ध के स्थान पर दशावतारों में गिनते हैं, अन्यथा बलराम शेषनाग के अवतार कहलाते हैं।
भारत की साहित्यिक परंपरा अत्यंत प्राचीन है। भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्र के समान ही भारतीय साहित्य की समेकित संकल्पना भी भारत की भावात्मक एकता के लिए अत्यंत आवश्यक है।
यह भाषा सुमात्रा, इंडोनेशिया में बोली जाती हैं ।
आरम्भ में इसमें उन भारतीय सैनिकों को लिया गया था जो जापान द्वारा युद्ध-बन्दी बना लिये गये थे। बाद में इसमें बर्मा और मलाया में स्थित भारतीय स्वयंसेवक भर्ती किये गये। एक वर्ष के भीतर ही सन १९४२ के दिसम्बर में आजाद हिन्द फौज लगभग समाप्त हो गयी। सन १९४३ में सुभाष चन्द्र बोस ने इसे पुनर्जीवित किया और इसकी बागडोर संभाली। नेताजी के नेतृत्व में आजाद हिन्द फौज ने जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रितानी और कामनवेल्थ सेना के साथ बर्मा, इम्फाल एवं कोहिमा में लोहा लिया ।
Upon his arrival in India, Cripps held talks with Indian leaders. There is some confusion over what Cripps had been authorised to offer India's nationalist politicians by Churchill and Leo Amery, and he also faced hostility from the Viceroy, Lord Linlithgow. He began by offering India full Dominion status at the end of the war, with the chance to secede from the Commonwealth and go for total independence. Privately, Cripps also promised to get rid of Linlithgow and grant India Dominion Status with immediate effect, reserving only the Defence Ministry for the British. However, in public he failed to present any concrete proposals for greater self-government in the short-term, other than a vague commitment to increase the number of Indian members of the Viceroy's Executive Council. Cripps spent much of his time in encouraging Congress leaders and Jinnah to come to a common, public arrangement in support of the war and government; however, the Congress leaders felt that whatever Cripps might say, his political masters were not interested in granting the complete Indianisation of the Viceroy's Executive Council, its conversion into a Cabinet with collective responsibility, or Indian control over Defence in wartime. They were also suspicious of an opt-out clause which Amery was rumoured to have offered the Muslim League in any putative Dominion arrangement. There was too little trust between the British and Congress by this stage, and both sides felt that the other was concealing its true plans.
इन दोनों सिद्धान्तों में से पहले वाले प्राचीन काल में नामकरण को इस आधार पर सही माना जा सकता है कि "बृहस्पति आगम" सहित अन्य आगम ईरानी या अरबी सभ्यताओं से बहुत प्राचीन काल में लिखा जा चुके थे। अतः उसमें "हिन्दुस्थान" का उल्लेख होने से स्पष्ट है कि हिन्दू (या हिन्दुस्थान) नाम प्राचीन ऋषियों द्वारा दिया गया था न कि अरबों/ईरानियों द्वारा। यह नाम बाद में अरबों/ईरानियों द्वारा प्रयुक्त होने लगा।
२. वह सबसे अधिक सरल भाषा है,
वानरसेना सुग्रीव के सेना का नाम है।
* बलिराज गढ़- यहां प्रचीन किला का एक भग्नावशेष है जो करीब ३६५ बीघे में फैला हुआ है। यह स्थान जिला मुख्यालय से करीब ३४ किलोमीटर उत्तर-पूर्व में मधुबनी-लौकहा सड़के के किनारे स्थित है। यह नजदीकी गांव खोजपुर से सड़क मार्ग से जुड़ा है जहां से इसकी दूरी १।५ किलोमीटर के करीब है। इसके उत्तर में खोजपुर, दक्षिण में बगौल, पूरब में फुलबरिया और पश्चिम में रमणीपट्टी गांव है। इस किले की दीवार काफी मोटी है और ऐसा लगता है कि इसपर से होकर कई रथ आसानी से गुजर जाते होंगे। यह स्थान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है और यहां उसके कुछ कर्मचारी इसकी देखभाल करते हैं। पुरातत्व विभाग ने दो बार इसकी संक्षिप्त खुदाई की है और इसकी खुदाई करवाने में मधुबनी के पूर्व सीपीआई सांसद भोगेंद्र झा और स्थानीय कुदाल सेना के संयोजक सीताराम झा का नाम अहम है। यहां सलाना रामनवमी के अवसर पर चैती दुर्गा का भव्य आयोजन होता है जिसमें भारी भीड़ उमड़ती है। इसकी खुदाई में मौर्यकालीन सिक्के, मृदभांड और कई वस्तुएं बरामद हुई हैं। लेकिन पूरी खुदाई न हो सकने के कारण इसमें इतिहास का वहुमूल्य खजाना और ऐतिहासिक धरोहर छुपी हुई है। कई लोगों का मानना है कि बलिराज गढ़ मिथिला की प्राचीन राजधानी भी हो सकती है क्योंकि वर्तमान जनकपुर के बारे में कोई लोगों को इसलिए संदेह है क्योंकि वहां की इमारते काफी नई हैं। दूसरी बात ये कि रामायण अन्य विदेशी यात्रियों के विवरण से संकेत मिलता है कि मिथिला की प्राचीन राजधानी होने के पर बलिराजगढ़ का दावा काफी मजबूत है। इसके बगल से दरभंगा-लौकहा रेल लाईन भी गुजरती है और नजदीकी रेलवे हाल्ट बहहड़ा यहां से मात्र ३ किलोमीटर की दूरी पर है। इसके अगल-बगल के गांव भी ऐतिहासिक नाम लिए हुए हैं । रमणीपट्टी के बारे में लोगों की मान्यता है कि यहां राजा का रनिवास रहा होगा। फुलबरिया, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है फूलो का बाग रहा होगा। बगौल भी बिगुल से बना है जबकि कुछ ही दूरी पर गरही नामका गांव है। बलिराज गढ़ में हाल तक करीब ५० साल पहले तक घना जंगल हुआ करता था और पुराने स्थानीय लोग अभी भी इसे वन कहते हैं जहां पहले कभी खूंखार जानवर विचरते थे। वहां एक संत भी रहते थे जिनके शिष्य से धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने दीक्षा ली थी। कुल मिलाकर, बलिराजगढ़ अभी भी एक व्यापक खुदाई का इंतजार कर रहा है और इतिहास की कई सच्चाईयों को दुनिया के सामने खोलने के लिए बेकरार है।
बिहुला की कथा, जो विवाह की प्रथम रात्रि में ही मनसा देवी द्वारा प्रेषित सर्प के द्वारा पति के डसे जाने पर विधवा हो गई थी और जिसने बड़ी बड़ी कठिनाइयाँ झेलकर देवताओं को तथा मनसा देवी को भी प्रसन्न कर पति को पुन: जीवित करा लेने में सफलता प्राप्त की थी, पतिव्रता नारी के प्रेम और साहस की वह अपूर्व परिकल्पना है जिसका आविर्भाव कभी किसी भारतीय मस्तिष्क में हुआ हो। यह कथा शायद मुसलमानों के आगमन के पहले से ही प्रचलित थी किंतु उसपर आधारित प्रथम कथाकाव्य बँगला में 15वीं शती में रचे गए। इनमें से एक के रचयिता विजयगुप्त और दूसरी के विप्रदास पिपलाई माने जाते हैं।
(Marathi: काजल देवगन Kajol Devgan, Bengali: কাজল দেবগন Kajol Debgon, काजोल अभिनेत्री का जन्म ५ अगस्त १९७५ को हुआ था। उनकी माँ तनुजा और नानी शोभना समर्थ भी अभिनेत्री थीं। उनकी छोटी बहिन तनिषा भी अब फिल्मों मैं काम कर रही हैं। उनके पिता का नाम शोमू मुखर्जी है। वे फिल्में बनाते थे। काजोल ने अपना फिल्मी सफ़र फिल्म बेख़ुदी से शुरू किया जिसमें उनके पात्र का नाम राधिका था। वह फिल्म तो नीं चली पर उनकी बाद की फिल्में बहुत प्रसिद्ध हुईं। जैसे कि बाज़ीगर और दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे। उहोंने अपने सहकर्मी और प्रेमी, अजय देवगन से २४ फरवरी 1999 को विवाह किया था। उनकी एक छोटी बेटी है जिसका नाम न्यसा है।
कला में भी फूल जननांग (female genitalia) का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसा कि जार्जिया ओ'कीफी (Georgia O'Keefe), इमोगन कनिंगहम (Imogen Cunningham), वेरोनिका रुइज़ डे वेलअस्को (Veronica Ruiz de Velasco) और जूडी चिकागो (Judy Chicago) जैसे कलाकारों के कामो में दीखता हैं, हकीकत में एशियाई और पश्चिमी शास्त्रीय कला में भी यह दिखाई देता है. दुनिया भर की कई संस्कृतियों में फूलों को स्त्रीत्व (femininity) के साथ जोड़ने की चिन्हित प्रवृति दिखाई देती है.
केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो के दिल्ली स्थिति मुख्यालय में एक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना ।
आमेर और शीला माता मंदिर - लगभग दो शताब्दी पूर्व राजा मान सिंह, मिर्जा राजा जय सिंह और सवाई जय सिंह द्वारा निर्मित महलों, मंडपों, बगीचों और मंदिरों का एक आकर्षक भवन है। मावठा झील के शान्त पानी से यह महल सीधा उभरता है और वहाँ कठिन रास्ते द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। सिंह पोल और जलेब चौक तक अकसर पर्यटक हाथी पर सवार होकर जाते हैं। चौक के सिरे से सीढ़ियों की पंक्तियाँ उठती हैं, एक शिला माता के मंदिर की ओर जाती है और दूसरी महल के भवन की ओर। यहां स्थापित करने के लिए राजा मान सिंह द्वारा संरक्षक देवी की मूर्ति, जिसकी पूजा हजारों श्रद्धालु करते है, पूर्वी बंगाल (जो अब बंगला देश है) के जेसोर से यहां लाई गई थी। एक दर्शनीय खंभो वाला हॉल दीवान-ए-आम और एक दोमंजिला चित्रित प्रवेशद्वार, गणेश पोल आगे के पंरागण में है। गलियारे के पीछे चारबाग की तरह का एक रमणीय छोटा बगीचा है जिसकी दाई तरफ सुख निवास है और बाई तरफ जसमंदिर। इसमें मुगल व राजपूत वास्तुकला का मिश्रित है, बारीक ढंग से नक्काशी की हुई जाली की चिलमन, बारीक शीशों और गचकारी का कार्य और चित्रित व नक्काशीदार निचली दिवारें। मावठा झील के मध्य में सही अनुपातित मोहन बाड़ी या केसर क्यारी और उसके पूर्वी किनारे पर दिलराम बाग ऊपर बने महलों का मनोहर दृश्य दिखाते है।
16.
आर्यभट के लिखे तीन ग्रंथों की जानकारी आज भी उपलब्ध है। दशगीतिका, आर्यभट्टीय और तंत्र। लेकिन जानकारों के अनुसार उन्होने और एक ग्रंथ लिखा था- 'आर्यभट्ट सिद्धांत'। इस समय उसके केवल ३४ श्लोक ही उपलब्ध हैं। उनके इस ग्रंथ का सातवे शतक में व्यापक उपयोग होता था। लेकिन इतना उपयोगी ग्रंथ लुप्त कैसे हो गया इस विषय में कोई निश्चित जानकारी नहीं मिलती।[१]
दरभंगा जिले की चूनायुक्त दोमट किस्म की मिट्टी रबी एवं खरीफ फसलों के लिए उपयुक्त है। भदई एवं अगहनी धान, गेहूँ, मकई, रागी, तिलहन (चना, मसूर, खेसारी, मूंग), आलू गन्ना आदि मुख्य फसले हैं। जिले के कुल क्षेत्रफल का 198415 हेक्टेयर कृषियोग्य है। 19617 हेक्टेयर क्षेत्र ऊँची भूमि, 37660 हेक्टेयर मध्यम और 38017 हेक्टेयर नीची भूमि है। यद्यपि दरभंगा जिला वनरहित प्रदेश है फिर भी निजी क्षेत्रों में वानिकी का अच्छा प्रसार देखने को मिलता है। गाँवों के आसपास रैयती जमीन पर सीसम, खैर, खजूर, आम, लीची, अमरुद, कटहल, पीपल, ईमली आदि पर्याप्त मात्रा में दिखाई देते है। आम और मखाना के उत्पादन के लिए दरभंगा प्रसिद्ध है और खास स्थान रखता है। जिले के प्रायः हर हिस्से में तलाबों एवं चौर क्षेत्र में पोषक तत्वों से भरपूर मखाना यहाँ का खास उत्पाद है।
मराठी साहित्य की प्रारंभिक रचनाएँ यद्यपि 12वीं शती से उपलब्ध हैं तथापि मराठी भाषा की उत्पत्ति इसके लगभग 300 सौ वर्ष पूर्व अवश्य हो चुकी रही होगी। मैसूर प्रदेश के श्रवण बेल गोल नामक स्थान की गोमतेश्वर प्रतिमा के नीचेवाले भाग पर लिखी हुई "श्री चामुंड राजे करवियले" यह मराठी भाषा की सर्वप्रथम ज्ञात पंक्ति है। यह संभवत: शक 905 (ई सन् 983) में उत्कीर्ण की गई होगी। यहाँ से यादवों के काल तक के लगभग 75 शिलालेख आज तक प्राप्त हुए हैं। इनकी भाषा का संपूर्ण या कुछ भाग मराठी है। मराठी भाषा का निर्माण प्रमुखतया, महाराष्ट्री, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं से होने के कारण संस्कृत की अतुलनीय भाषासंपत्ति का उत्तराधिकार भी इसे मुख्य रूप से प्राप्त हुआ है। प्राकृत और अपभ्रंश भाषा को आत्मसात् कर मराठी ने 12वीं शती से अपना अलग अस्तित्व स्थापित करना शुरू किया। इसकी लिपि देवनागरी है।
इनका प्रयोग न करें : कदंब, केवड़ा, मौलसिरी या लाल तथा काले रंग के फूल और बेल पत्र श्राद्ध में वर्जित हैं। उड़द, मसूर, अरहर की दाल, गाजर, गोल लौकी, बैंगन, शलजम, हींग, प्याज, लहसुन, काला नमक, काला जीरा, सिंघाड़ा, जामुन, पीली सरसों आदि भी वर्जित हैं। लोहा और मिट्टी के बर्तन तथा केले के पत्तों का प्रयोग न करें। विष्णु पुराण के अनुसार श्राद्ध करने वाला ब्राह्मण भी दूसरे के यहां भोजन न करे। जिस दिन श्राद्ध करें उसे दिन दातुन और पान न खाएं। श्राद्ध का महत्वपूर्ण समय: प्रात: 11.26 से 12.24 बजे तक है।
विशेष आहुतियों के बाद शेष बची खीर प्रसाद रूप में एक कटोरी में गर्भिणी को दी जाए । वह उसे लेकर मस्तक से लगाकर रख ले । सारा कृत्य पूरा होने पर पहले उसी का सेवन करे । भावना करे कि यह यज्ञ का प्रसाद दिव्य शक्ति सम्पन्न है । इसके प्रभाव से राम-भरत जैसे नर पैदा होते हैं । ऐसे संयोग की कामना की जा रही है । ॐ पयः पृथिव्यां पयऽओषधिषु, पयो दिव्यन्तरिक्षे पयोधाः । पयस्वतीः प्रदिशः सन्तु मह्यम् । -यजु० १८.३६
संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यन्त परिमार्जित एवं वैज्ञानिक है। बहुत प्राचीन काल से ही अनेक व्याकरणाचार्यों ने संस्कृत व्याकरण पर बहुत कुछ लिखा है। किन्तु पाणिनि का संस्कृत व्याकरण पर किया गया कार्य सबसे प्रसिद्ध है। उनका अष्टाध्यायी किसी भी भाषा के व्याकरण का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है।
द्वारका एक छोटा-सा-कस्बा है। कस्बे के एक हिस्से के चारों ओर चहारदीवारी खिंची है इसके भीतर ही सारे बड़े-बड़े मन्दिर है।
अयोध्या में पुत्र के वियोग के कारण दशरथ का स्वर्गवास हो गया। वशिष्ठ ने भरत और शत्रुघ्न को उनके ननिहाल से बुलवा लिया। वापस आने पर भरत ने अपनी माता कैकेयी की, उसकी कुटिलता के लिये, बहुत भर्तस्ना की और गुरुजनों के आज्ञानुसार दशरथ की अन्त्येष्टि क्रिया कर दिया। भरत ने अयोध्या के राज्य को अस्वीकार कर दिया और राम को मना कर वापस लाने के लिये समस्त स्नेहीजनों के साथ चित्रकूट चले गये| कैकेयी को भी अपने किये पर अत्यंत पश्चाताप हुआ। सीता के माता-पिता सुनयना एवं जनक भी चित्रकूट पहुँचे। भरत तथा अन्य सभी लोगों ने राम के वापस अयोध्या जाकर राज्य करने का प्रस्ताव रखा जिसे कि राम ने, पिता की आज्ञा पालन करने और रघुवंश की रीति निभाने के लिये, अमान्य कर दिया।
इस स्थिति को सर्वश्रेष्ठ तरीके से, 78 rpm शेलेक रिकॉर्डिंग से 45 rpm और 33⅓ rpm विनाइल रिकॉर्डिंग में परिवर्तन से तुलना की जा सकती है; क्योंकि पूर्व फ़ॉर्मेट के लिए लिए इस्तेमाल माध्यम, लगभग बाद के संस्करण के समान ही था (एक सुई के उपयोग से बजाय जाने वाला एक टर्नटेबल पर एक डिस्क), अप्रचलित 78s को बजाने के लिए फोनोग्राफ का निर्माण इस फ़ॉर्मेट के बंद कर दिए जाने के दशकों बाद तक जारी रहा. निर्माताओं ने 2009 में मानक DVD जारी करने की घोषणा की है, और यह फ़ॉर्मेट पुराने टेलीविजन कार्यक्रमों और फिल्मों को जारी करने के लिए एक पसंदीदा बना हुआ है, जैसे कि कार्यक्रम जिसमें पुनर्संशोधन और कुछ विशेष तत्वों के प्रतिस्थापन की आवश्यकता होती है जैसे विशेष प्रभाव ताकि हाई-डेफिनिशन अवलोकन में बेहतर प्राप्त किया जा सके.[३३]
दादूदयाल (1544-1603 ई.) हिन्दी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे । दादू दयाल जन्म अनुमानत: अहमदाबाद (गुजरात) में हुआ था। इनके जीवन वृत्तांत का पता नहीं चलता। गृहस्थी त्यागकर इन्होंने 12 वर्षों तक कठिन तप किया। गुरु-कृपा से सिध्दि प्राप्त हुई तथा सैकडों शिष्य हो गए। इनके 52 पट्टशिष्य थे, जिनमें गरीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना मुख्य हैं। दादू के नाम से 'दादू पंथ' चल पडा। ये अत्यधिक दयालु थे। इस कारण इनका नाम 'दादू दयाल' पड गया। दादू हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी आदि कई भाषाओं के ज्ञाता थे। इन्होंने शबद और साखी लिखीं। इनकी रचना प्रेमभावपूर्ण है। जात-पाँत के निराकरण, हिन्दू-मुसलमानों की एकता आदि विषयों पर इनके पद तर्क-प्रेरित न होकर हृदय-प्रेरित हैं।
होई के चित्रांकन में ज्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। उसी के पास साही तथा उसके बच्चों की आकृतियां बना दी जाती हैं। करवा चौथ के ठीक चार दिन बाद अष्टमी तिथि को देवी अहोई माता का व्रत किया जाता है । यह व्रत पुत्र की लम्बी आयु और सुखमय जीवन की कामना से पुत्रवती महिलाएं करती हैं । कृर्तिक मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण पक्ष में यह व्रत रखा जाता है इसलिए इसे अहोई अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
Robert Fulton's Clermont.
ईसा पूर्व तृतीय शताब्दी के आरंभ में ग्रीक साहित्य अवसान की ओर अग्रसर होने लगा। सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय ने यूनानी स्वतंत्र राष्ट्रों की सत्ता पर कुठाराघात किया और सिकंदर ने स्वयं अपनी विश्वविजय की युगांतरकारी यात्रा में यूनानी साहित्य तथा संस्कृति को सार्वभौम बनाने का सक्रिय प्रयास किया। इस प्रकार यूनान के बाहर कुछ ऐसे केंद्रों का निर्माण हुआ जहाँ ग्रीक भाषा और साहित्य का अध्ययन नए ढंग से किंतु प्रचुर उत्साह के साथ होने लगा। इन केंद्रों में प्रमुख मिश्र की राजधानी अलेक्जांद्रिया थी जहाँ पर यूनानी साहित्य, दर्शन तथा विज्ञान के हस्तलिखित ग्रंथों का एक विशाल पुस्तकालय बन गया जिसका विनाश ईसा पूर्व पहली सदी में जनरल आंतोनी के समय हुआ। इस नए केंद्र के लेखक तथा विद्वान् यूनान के लेखकों से प्रभावित तथा अनुप्राणित थे और विशेषकर विज्ञान क्षेत्र में उनका कार्य विशेष सराहनीय हुआ। परंतु साहित्य क्षेत्र में सृजनात्मक प्रतिभा का स्थान आलोचना तथा व्याकरण और व्याख्या साहित्य ने ले लिया। फलस्वरूप पुराने साहित्य की व्याख्या के साथ साथ बहुत से ग्रंथों की विशेषताओं की रक्षा संभव हुई। इस काल की कविता में नवीन तत्वों का विकास स्पष्ट है परंतु उसे साथ ही यह भी प्रकट है कि कविता का दायरा संकुचित हो गया और कविता जनता के लिये नहीं विशेषज्ञों के लिये लिखी जाने लगी। शैली कृत्रिम तथा अलंकारों से बोझिल हो गई और शब्दचयन में भी पांडित्य का आडंबर खड़ा हुआ। कवियों में मुख्य नाम है थियोक्रेतस का जो देहाती जीवन संबंधी गोचारण साहित्य (पैस्टोरल) के स्त्रष्टा माने जाते हैं और एपोलोनियस तथा कालीमैक्स का विशेष संबंध क्रमश: महाकाव्य और फुटकर गीतकाव्य, जैसे "एलिजी" और "एविग्रामों" से है।
(४) ज़ैंथोफाइसिई - इन शैवालों में पर्णपीत (xanthophyll) रंग विद्यमान रहता है। स्टार्च के अतिरिक्त तैल पदार्थ भोज्य पदार्थ के रूप में रहता है। कशाभिका दो होती हैं, जो लंबाई में समान नहीं होतीं। लैंगिक जनन बहुधा नहीं होता। यदि होता है, तो समयुग्मक ही होता है। कोशिका की दीवार में दो सम या असम विभाजन होते हैं।
विवाह हेतु बारात जब द्वार पर आती है, तो सर्वप्रथम 'वर' का स्वागत-सत्कार किया जाता है, जिसका क्रम इस प्रकार है- 'वर' के द्वार पर आते ही आरती की प्रथा हो, तो कन्या की माता आरती कर लें । तत्पश्चात् 'वर' और कन्यादाता परस्पर अभिमुख बैठकर षट्कर्म, कलावा, तिलक, कलशपूजन, गुरुवन्दना, गौरी-गणेश पूजन, सर्वदेवनमस्कार, स्वस्तिवाचन करें । इसके बाद कन्यादाता वर सत्कार के सभी कृत्य आसन, अर्घ्य, पाद्य, आचमन, मधुपर्क आदि (विवाह संस्कार से) सम्पन्न कराएँ । तत्पश्चात् ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षां........... (पृ० .....) से तिलक लगाएँ तथा ॐ अक्षन्नमीमदन्त ...... (पृ० ....) से अक्षत लगाएँ । माल्यार्पण एवं कुछ द्रव्य 'वर' को प्रदान करना हो, तो निम्नस्थ मन्त्रों से सम्पन्न करा दें- माल्यापर्ण मन्त्र- ॐ मंगलं भगवान् विष्णुः ............ (पृ०...) द्रव्यदान मन्त्र - ॐ हिरण्यगर्भः समवत्तर्ताग्रे ......... (पृ०...) तत्पश्चात् क्षमाप्रार्थना, नमस्कार, देवविसर्जन एवं शान्तिपाठ करें ।
सामान्यत: वायु को शीतल करने में संवेदी-ऊष्मा (sensible heat), अथवा आंतरिक ऊष्मा की ऊर्जा का, गरम वायु से अपेक्षाकृत कम तापवाले स्तर, अथवा माध्यम, में प्रत्यक्ष संवहन (convection) द्वारा स्थानांतारण होता है। ऊष्मा का यह स्थानांतरण, द्रववाष्प के सम्मिश्रण के द्वारा ऊष्मापरिषण स्तर से परिवाही शीतल द्रव, अथवा कम दबाव पर वाष्पन से होता है। वायुशीतलन की इस पद्धति में द्रववाष्प का सम्मिश्रण शीतल द्रव अथवा वाष्प द्रव में परिवर्तित होते हुए वायु की ऊष्मा को ग्रहण करता है। ऊष्मा-स्थानांतरण की एक अन्य पद्धति में, प्रवेश करनेवाली वायु की ऊष्माका स्थानांतरण किसी भीगे हुए स्तरयुक्त वायुशीतलक में होता है। इस पद्धति को वायु का आर्द्रशीतलन कहा जाता है। वायु शीतलन की उपर्युक्त दोनों ही पद्धतियों में वायु की संचित आंतरिक गतिज ऊर्जा वायु को त्याग कर, ऊष्मा-ग्रहण-स्तर में पहुंचकर, संचित हो जाती है, अथवा ऊष्मा-ग्रहण-स्तर के आंतरि गतिज ऊर्जा में वृद्धि करती है, जिससे स्तर के ताप में वृद्धि होती है अथवा स्थिर ताप वाष्पन प्रक्रम में आंतरिक स्थितिक ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है।
आप सन् 1910 में ढाका कॉलेज, ढाका, में रसायन के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए और सन् 1918 तक इस पद पर रहे। इसी वर्ष आपका चुनाव इंडियन एडुकेशनल सर्विस के लिए हो गया और आपकी नियुक्ति गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर, में हुई। यहाँ से सन् 1921 में आप पटना कॉलेज में आए तथा बाद में सन् 1921 से 36 तक रेवेनशॉ कॉलेज, कटक, सन् 1936 से 1940 तक सायन्स कॉलेज, पटना, तथा सन् 1940 से सेवानिवृत्त होने तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रसायन के प्रोफेसर और उस विभाग के अध्यक्ष रहे। सेवानिवृत्त होने के पश्चात् आपने कई वर्षों तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में नि:शुल्क सेवा की।
हैदराबाद (तेलुगु: హైదరాబాదు,उर्दु: حیدر آباد) भारत के राज्य आन्ध्र प्रदेश की राजधानी है। इसका दूसरा नाम भाग्यनगर है। आन्ध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र मे स्थित इस महानगर की जनसंख्या लगभग ६१ लाख है। भारत के महानगरों में जनसंख्या के आधार पर यह ५वें स्थान पर है।
सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार उज्जयिनी जाते समय अशोक विदिशा में रुका जहाँ उसने श्रेष्ठी की पुत्री देवी से विवाह किया जिससे महेन्द्र और संघमित्रा का जन्म हुआ । दिव्यादान में उसकी एक पत्नी का नाम तिष्यरक्षिता मिलता है । उसके लेख में केवल उसकी पत्नी का नाम करूणावकि है जो तीवर की माता थी । बौद्ध परम्परा एवं कथाओं के अनुसार बिन्दुसार अशोक को राजा नहीं बनाकर सुसीम को सिंहासन पर बैठाना चाहता था, लेकिन अशोक एवं बड़े भाई सुसीम के बीच युद्ध की चर्चा है ।
हिंदूओं में किसी की मृत्यु हो जाने पर उसके मृत शरीर को वेदोक्त रीति से चिता में जलाने की प्रक्रिया को अन्त्येष्टि क्रिया अथवा अन्त्येष्टि संस्कार कहा जाता है। यह हिंदू मान्यता के अनुसार सोलह संस्कारों में से एक संस्कार है।
अशोक ने लगभग 40 वर्षों तक शासन किया जिसके बाद लगभग 232 ईसापूर्व में उसकी मृत्यु हुई । उसके कई संतान तथा पत्नियां थीं पर उनके बारे में अधिक पता नहीं है । उसके पुत्र महेन्द्र तथा पुत्री संघमित्रा ने बौद्ध धर्म के प्रचार में योगदान दिया ।
वानर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है|
इतिहासकार नोर्मन कैंटर की राय में पशुओं के मुरैन (एक प्लेग जैसे रोग), एंथ्रेक्स के एक रूप सहित महामारी का एक संयोजन हो सकती है काली मौत. उन्होंने इस सिलसिले में प्रमाण के कई रूपों का उल्लेख किया, जिनमें यह तथ्य भी शामिल है कि प्लेग के प्रकोप से पहले अंग्रेजी क्षेत्रों में संक्रमित पशुओं के मांस बेचे जाते रहे थे.[११२]
सन 1989 में, वैटिकन ने घोषित किया कि ज़ेन और योग जैसे पूर्वी ध्यान प्रथाओं "शरीर के एक गुट में बदज़ात" हो सकते है.
Darbhanga House at Kali Ghat
यहां मध्य में बाजार भी है, जो कि दिल्ली का प्रसिद्ध बाजार है, सरोजिनी नगर बाजार या मार्किट । इसके मुख्यतः चार भाग हैं:-
सुत्तपिटक का सबसे बड़ा महत्व भगवान् द्वारा उपदिष्ट साधनों पद्धति में है। वह शील, समाधि और प्रज्ञा रूपी तीन शिक्षाओं में निहित है। श्रोताओं में बुद्धि, नैतिक और आध्यात्मिक विकास की दृष्टि से अनेक स्तरों के लोग थे। उन सभी के अनुरूप अनेक प्रकार से उन्होंने आर्य मार्ग का उपदेश दिया था, जिसमें पंचशील से लेकर दस पारमिताएँ तक शामिल हैं। मुख्य धर्म पर्याय इस प्रकार हैं- चार आर्य सत्य, अष्टांगिक मार्ग, सात बोध्यांग, चार सम्यक् प्रधान पाँच इंद्रिय, प्रतीत्य समुत्पाद, स्कंध आयतन धातु रूपी संस्कृत धर्म नित्य दु:ख-अनात्म-रूपी संस्कृत लक्षण। इनमें भी सैंतिस क्षीय धर्म ही भगवान् के उपदेशों का सार है। इसका संकेत उन्होंने महापरिनिर्वाण सुत्त में लिखा है। यदि हम भगवान् के महत्वपूर्ण उपदेशों की दृष्टि से सुत्तों का विश्लेषणात्मक अध्ययन करें तो हमें उनमें घुमा फिराकर ये ही धर्मपर्याय मिलेंगे। अंतर इतना ही है कि कहीं ये संक्षेप में हैं और कहीं विस्तार में हैं। उदाहरणार्थ सुत्त निकाय के प्रारंभिक सुत्तों में चार सत्यों का उल्लेख मात्र मिलता है, धम्मचक्कपवत्तन सुत्त में विस्तृत विवरण मिलता है, और महासतिपट्ठान में इनकी विशद व्याख्या भी मिलती है।
Following a series of defensive battles in Southern California, including; The Siege of Los Angeles, the Battle of Dominguez Rancho, the Battle of San Pascual, the Battle of Rio San Gabriel and the Battle of La Mesa, the Treaty of Cahuenga was signed by the Californios on January 13, 1847, securing American control in California.
इसके विपरित न्यूट्रॉन इलेक्ट्रॉन ( ऋणात्मक बीटा-क्षय ) का उत्सर्जन कर प्रोटॉन में बदल जाता है।
वैदिक संहिताओं के अंतर्गत तपस्वियों (तपस) के बारे में ((कल | ब्राह्मण))प्राचीन काल से वेदों में (९०० से ५०० बी सी ई)उल्लेख मिलता है, जब कि तापसिक साधनाओं का समावेश प्राचीन वैदिक टिप्पणियों में प्राप्त है.[१६]कई मूर्तियाँ जो सामान्य योग या समाधि मुद्रा को प्रर्दशित करती है, सिंधु घाटी सभ्यता(सी.3300-1700 बी.सी. इ.)के स्थान पर प्राप्त हुईं है.पुरातत्त्वज्ञ ग्रेगरी पोस्सेह्ल के अनुसार," ये मूर्तियाँ योग के धार्मिक संस्कार" के योग से सम्बन्ध को संकेत करती है.[१७] यद्यपि इस बात का निर्णयात्मक सबूत नहीं है फिर भी अनेक पंडितों की राय में सिंधु घाटी सभ्यता और योग-ध्यान में सम्बन्ध है. [१८]
गाजियाबाद औद्योगिक शहर है, जहाँ मुख्य रूप से रेल वॅगन, सैन्य सामग्री, इलैक्ट्रानिक उपकरण, डीजल इंजन, विद्युतलेपन, साइकिल, मशीनरी, पर्दो के कपडे़, कांच के बने पदार्थ, बर्तनों, वनस्पति तेल, रंग और वार्निश, भारी जंजीरों, टंकक फीते (टाइपराइटर रिबन), आदि का निर्माण होता है। यह उत्तर प्रदेश का प्रमुख औद्योगिक शहर है।
२००१ की भारत की जनगणना के अनुसार,[११]चंडीगढ़ की कुल जनसंख्या ९,००,६३५ है, जिसके अनुसार ७९०० व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. का घनत्व होता है। इसमें पुरुषों का भाग कुल जनसंख्या का ५६% और स्त्रियों का ४४% है। शहर का लिंग अनुपात ७७७ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष है, जो देश में न्यूनतम है। औसत साक्षरता दर ८१.९% है, जो राष्ट्रीय औसत साक्षरता दर ६४.८ से अधिक है। इसमें पुरुष दर ८६.१% एवं स्त्री साक्षरता दर ७६.५% है। यहां की १२% जनसंख्या छः वर्ष से नीचे की है। मुख्य धर्मों में हिन्दू (७८.६%), सिख (१६.१%), इस्लाम (३.९%) एवं ईसाई (०.८% हैं।[१२]हिन्दी एवं पंजाबी चंडीगढ़ की बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएं हैं, हालांकि आजकल अंग्रेज़ी भी प्रचलित होती जा रही है। तमिल-भाषी लोग तीसरा सबसे बड़ा समूह बनाते हैं। शहर के लोगों का एक छोटा भाग उर्दु भी बोलता है।
California also has more Temples of The Church of Jesus Christ of Latter-day Saints than any state except Utah.
"पंजाबी" नाम बहुत पुराना नहीं है। इस प्रदेश का प्राचीन नाम 'सप्तसिंधु' और फिर 'पंचनद' का ही अनुवाद रूप में "पंजाब" बताया जाता है। भाषा के लिए "पंजाबी" शब्द 1670 ई. में हाफिज़ बरखुदार (कवि) ने पहली बार प्रयुक्त किया; किंतु इसका साधारण नाम बाद में भी "हिंदी" या "हिंदवी" रहा है, यहाँ तक कि रणजीतसिंह का दरबारी कवि हाशिम महाराज के सामने अपनी भाषा (पंजाबी) को हिंदी कहता है। वस्तुत: 19वीं सदी के अंत तक हिंदू और सिक्खों की भाषा का झुकाव ब्रजभाषा की ओर रहा है। यह अवश्य है कि मुसलमान जो इस देश की किसी भी भाषा से परिचित नहीं थे, लोकभाषा और विशेषत: लहँदी का प्रयोग करते रहे हैं। मुसलमान कवियों की भाषा सदा अरबी-फारसी लहँदी-मिश्रित पंजाबी रही है।
मुल्क मुख़तलिफ़ ख़तों या सओ-बूं में तक़सीम है जिन्हें वला युति (ताजक: ओ-लवीत) कहा जाता है।
संयुक्त अरब अमीरात के संविधान का अनुच्छेद 25 जाति, राष्ट्रीयता, धार्मिक विश्वासों या सामाजिक स्थिति के आधार पर सभी को सामान आचरण प्रदान करता है . हालाँकि, दुबई के 250,000 में से अनेक विदेशी मज़दूरों की स्तिथि को मानव अधिकार वॉच द्वारा "मानवीय से कम " वर्णित किया गया है .[३४][३५][३६][३७] NPR अनुसार श्रमिक "आम तौर पर एक कमरे में आठ रहते है और अपने वेतन का एक हिस्सा वे अपने परिवारों को, जिन्हें वे सालों नहीं देख पाते है, को भेजते है ." 21 मार्च 2006 को बुर्ज खलीफा निर्माण स्थल के श्रमिक जो बस के समय और काम की परिस्थितियों से परेशान थे ,ने आन्दोलन कर दिया था जिससे कारों, कार्यालयों, कंप्यूटरों, और निर्माण उपकरणों को हानि हुई थी .[३८][३९][४०] वैश्विक वित्तीय संकट ने दुबई के श्रमिक वर्ग को नुक्सान पहुँचाया है ,कई श्रमिकों को भुगतान नहीं किया जा रहा है और वे देश छोड़ने में भी असमर्थ है .[४१]
नॉर्वे (बूकमॉल नॉर्वेजियन: Kongeriket Norge कुङेरिकेत नोर्ये, नी-नॉर्वेजियन: Kongeriket Noreg कुङेरिकेत नुरेग) यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी है ओस्लो (en:Oslo)। इसकी मुख्य- और राजभाषा है नॉर्वेजियन भाषा।
(८) किसी भाषा के बोलने वाले अन्य भाषा-भाषियों के साथ प्रायः उस भाषा के मानक रूप का ही प्रयोग करते हैं, किसी बोली का अथवा अमानक रूप का नहीं।
सीरिया का संविधान 1973 में अपनाया गया था जिसमें बाथ पार्टी को नेतृत्व का अधिकार मिला हुआ है । राष्ट्रपति का चुनाव 7 सालों के लिए होता है जिसके लिए जनमत संग्रह का प्रयोग किया जाता है । राष्ट्रपति बाथ पार्टी का महासचिव भी होता है । संविधान के अनुसार राष्ट्रपति एक मुसलमान ही हो सकता है पर इस्लाम राजधर्म नहीं है । राष्ट्रपति को मंत्रियों को बहाल कारने का, युद्ध तथा आपातकाल की घोषणा करने का तथा कानून पास करने का अधिकार देती है ।
हम्बन्तोट' जिला श्रीलंका का जिला है।इस जिले का मुख्यालय हंबनतोता है इस जिले का कुल क्षेत्रफल 2,609 वर्ग किलोमीटर है। इस जिले की जनसंख्या 547,000 (गणना वर्ष २००६ अनुसार) हैइस जिले के नाम का लघुरूप HAM है।
जनवरी, सन् १९४१ में उनका देहावसान हो गया। उनके जन्मस्थान बाजितपुर में उनकी समाधि है।
भारत में यह अप्रैल से जुलाई तक होती है । अन्य देशों में यह अलग समयों पर हो सकती है ।
भोपाल स्थित यह भवन भारत के सबसे अनूठे राष्ट्रीय संस्थानों में एक है। 1982 में स्थापित इस भवन में अनेक रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। शामला पहाडियों पर स्थित इस भवन को प्रसिद्ध वास्तुकार चार्ल्स कोरेया ने डिजाइन किया था। भारत के विभिन्न पारंपरिक शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण का यह प्रमुख केन्द्र है। इस भवन में एक म्युजियम ऑफ आर्ट, एक आर्ट गैलरी, ललित कलाओं की कार्यशाला, भारतीय काव्य की पुस्तकालय आदि शामिल हैं। इन्हें अनेक नामों जैसे रूपांकर, रंगमंडल, वगर्थ और अन्हद जैसे नामों से जाना जाता है। सोमवार के अतिरिक्त प्रतिदिन दिन में 2 बजे से रात 8 बजे तक यह भवन खुला रहता है।
"यी चिंग" का आरंभ 64 प्रतीकों से होता है जिन्हें "कुआ" या रेखित चित्र कहते हैं। इन रेखित चित्रों में से प्रत्येक में छह सीधी रेखाएँ होती हैं जो टूटी हुई या बिना टूटी हुई या दोनों प्रकार की होती हैं। विदेशी विद्वानों ने इन्हें षड्रेखाकृति की भी संज्ञा दी है। ये षड्रेखाकृतियाँ आठ मौलिक एवं अधिक साधारणप्रतीकों द्वारा बनी हैं। प्रत्येक में तीन सीधी रेखाएँ बनी रहती हैं जो या तो खंडित हैं या बिना खंडित रहती हैं। इन्हें "पा कुआँ" या आठ "ट्रिग्राम" कहते हैं।
एल सेल्वाडोर ४६
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अशरफ अली खान बंगाल के नवाब थे।
कहा जाता है कि भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर यहां रखा था। अत्री मुनि के परामर्श पर भरत ने जल एक कूप में रख दिया था। इसी कूप को भरत कूप के नाम से जाना जाता है। भगवान राम को समर्पित यहां एक मंदिर भी है।
पृष्ठवाहिका मुख्य परिवहन इंद्रिय है। यह शरीर की पृष्ठभित्ति के नीचे मध्यरेखा में पाई जाती है। यह दो भागों में विभाजित रहती है-हृदय और महाधमनी। हृदय के प्रत्येक खंड में एक जोड़ी कपाटदार छिद्र, मुखिकाएँ होती हैं। जब हृदय में संकोचन होता है तो ये कपाट रक्त को शरीरगुहा में नहीं जाने देते। कुछ कीटों में विशेष प्रकार की स्पंदनीय इंद्रियाँ पक्षों के तल पर, श्रृगिकाओं और टाँगों में, पाई जाती हैं। पृष्ठ मध्यच्छदा (डायफ्राम, diaphram) जो हृदय के ठीक नीचे की ओर होती हैं, पृष्ठवाहिका के बाहर रक्तप्रवाह पर कुछ नियंत्रण रखती है। पृष्ठ मध्यच्छदा के ऊपर की ओर से शरीरगुहा के भाग को परिहृद (परिकार्डियल, Pericardial) विवर (साइनस, sinus) कहते हैं। यह दोनों ओर पृष्ठभित्ति से जुड़ा रहता है। कुछ कीटों के प्रतिपृष्ठ मध्यच्छदा भी होती है। यह उदर में तंत्रिकातंतु के ऊपर पाई जाती हैं। उस मध्यच्छदा के नीचेवाले शरीरगुहा के भाग का परितंत्रिक्य (पेरिन्यूरल, Perineural) विवर कहते है। इसकी प्रगति के कारण इसके नीचे के रक्त का प्रवाह पीछे की ओर और दाँए-बाएँ होता है। पृष्ठवाहिका मे रक्त आगे की ओर प्रवाहित होता है और उसके द्वारा रक्तसिर में पहुँच जाता है। वहाँ के विभिन्न इंद्रियों और अवयवों में प्रवेश कर जाता है। दोंनों मध्यच्छदाओं की प्रगति के कारण शरीरगुहा मे रक्त का परिवहन होता रहता है। अंत में मध्यच्छदा के छिद्रो द्वारा रक्त परिहृद विवर में वापस आ जाता है। वहाँ से रक्त मुखिकाओं द्वारा फिर पृष्ठवाहिका में भर जाता है। रक्त में प्लाविका होती है, जिसमें विभिन्न प्रकार की कणिकाएँ पाई जाती हैं। रक्त द्वारा सब प्रकार के रसद्रव्यों की विभिन्न इंद्रियों में परस्पर अदला-बदली होती रहती है। यही हारमोन की ओर आहारनली से भोजन को सारे शरीर में ले जाता है, उत्सर्जित पदार्थ को उत्सर्जन इंद्रियों तक पहुँचाता है तथा रक्त श्वसनक्रिया में भी कुछ भाग लेता है। परिहृद कोशिकाएँ या नफ्रेोसाइट (Nephrocyte) प्राय हृदय के दोनों ओर लगी रहती हैं। ये उत्सर्जन योग्य पदार्थो को रक्त से पृथक कर जमा कर लेती है। तृणाभ कोशिकाएँ (ईनोसाइट, Oenocytes) प्राय हल्के पीले रंग की कोशिकाएँ होती है, जो विभिन्न कीटों में विभिन्न स्थानों पर पाई जाती हैं। कुछ कीटों में ये श्वासरध्रं (स्पायरेकिल, Spiracle) के पास मिलती हैं। संभवत इनका कार्य भी उत्सर्जन और विषैले पदार्थो को रक्त से पृथक करना है। इनका वृद्धि और संभवत जनन से विशिष्ट संबंध रखता है। वसापिंडक या अव्यवस्थित ऊतक शरीरगुहा में पाया जाता है। कभी कभी इनका विन्यास खंडीय प्रतीत होता है। वसापिंडक पत्तर, या ढीले सूत्रों (स्टाँड्स, Strands) अथवा ढीले ऊतकों के समान होते हैं। उनका मुख्य कार्य संचित पदार्थो के रक्त से पृथक कर अपने में जमा करना है। कुछ कीटों में यह उत्सर्जन का कार्य भी करते हैं। पांडुंरग्रंथियाँ (Corpora allata) एक जोड़ी निश्रोत ग्रंथियाँ होती हैं, जो ग्रसिका के पास, मष्तिष्क के कुछ पीछे और कॉरपोरा कार्डियेका (Corpora cordieca) से जुड़ी हुई पाई जाती हैं। ये तारुणिका हारमोन का उत्सर्जन करती हैं, जो रूपांतरण और निर्मोचन पर नियंत्रण रखता है।
लुंबिनी महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली है। यह वर्तमान नेपाल में बिहार की उत्तरी सीमा के निकट स्थित है।
हितोत्सु
धर्मशाला
श्री भागवत श्रवन सुनो नित, इन तजि हित कहूं अनत ना लाऊं ।
नगर में भारतीय शास्त्रीय संगीत और बंगाली लोक संगीत को भी सराहा जाता रहा है। उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी से ही बंगाली साहित्य का आधुनिकिकरण हो चुका है। यह आधुनिक साहित्यकारों की रचनाओं में झलकता है, जैसे बंकिम्चंद्र चट्टोपाध्याय, माइकल मधुसूदन दत्त, रविंद्रनाथ ठाकुर, काजी नज़रुल इस्लाम और शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, आदि। इन साहित्यकारों द्वारा तय की गयी उच्च श्रेणी की साहित्य परंपरा को जीबनानंददास, बिभूतिभूषण बंधोपाध्याय, ताराशंकर बंधोपाध्याय, माणिक बंदोपाध्याय, आशापूर्णा देवी, शिशिरेन्दु मुखोपाध्याय, बुद्धदेव गुहा, महाश्वेता देवी, समरेश मजूमदार, संजीव चट्टोपाध्याय और सुनील गंगोपाध्याय ने आगे बढ़ाया है।
17.
प्रश्नकाल संसद की कार्यवाहियों का सबसे अधिक दिलचस्प अंग है। लोगों के लिए समाचारपत्रों के लिए और स्वयं सदस्यों के लिए कोई अन्य कार्य इतनी दिलचस्पी पैदा नहीं करता जितनी कि प्रश्नकाल पैदा करता है। इस काल के दौरान सदन का वातावरण अनिश्चित होता है। कभी अचानक तनाव का बवंडर उठ खड़ा होता है तो कभी कहकहे लगने लगते हैं। कभी कभी किसी प्रश्न पर होने वाले कटु तर्क-वितर्क से उत्तेजना पैदा होती है। ऐसी हालत सदस्यों या मंत्रियों की हाजिर-जवाबी और विनोदप्रियता से दूर हो जाती है।
सुग्रीव के वचन सुनकर रावण विमान पर सवार हो तत्काल दक्षिण सागर में उस स्थान पर जा पहुँचा जहां बालि सन्ध्या कर रहा था। उसने सोचा कि मैं चुपचाप बालि पर आक्रमण कर दूँगा। बालि ने रावण को आते देख लिया परन्तु वह तनिक भी विचलित नहीं हुआ और वैदिक मन्त्रों का उच्चारण करता रहा। ज्योंही उसे पकड़ने के लिये रावण ने पीछे से हाथ बढ़ाया, सतर्क बालि ने उसे पकड़कर अपनी काँख में दबा लिया और आकाश में उड़ चला। रावण बार-बार बालि को अपने नखों से कचोटता रहा किन्तु बालि ने उसकी कोई चिन्ता नहीं की। तब उसे छुड़ाने के लिये रावण के मन्त्री और अनुचर उसके पीछे शोर मचाते हुये दौड़े परन्तु वे बालि के पास तक न पहुँच सके। इस प्रकार बालि रावण को लेकर पश्चिमी सागर के तट पर पहुँचा। वहाँ उसने सन्ध्योपासना पूरी की। फिर वह दशानन को लिये हुये किष्किन्धापुरी लौटा। अपने उपवन में एक आसन पर बैठकर उसने रावण को अपनी काँख से निकालकर पूछा कि अब कहिये आप कौन हैं और किसलिये आये हैं?
सूर्यमण्डल से एक लाख योजन ऊपर चंद्रमण्डल है।
इस श्रेणी में हिन्दू एवं वैदिक धर्म ग्रंथों में दिये समस्त पौराणिक पात्रों को रखा गया है माद्री राजा पाण्डु की दूसरी रानी थी। उसके बेटे नकुल और सहदेव थे। माद्री पारस में माद्रा राज्य की राजकुमारी राजा शल्य की बहिन थी . पुरानी पारसी में माद्रा को मादा कहा गया है ये मेड साम्राज्य का नाम था
हमारे शास्त्रों में मान्य सोलह संस्कारों में गर्भाधान पहला है। गृहस्थ जीवन में प्रवेश के उपरान्त प्रथम कर्त्तव्य के रूप में इस संस्कार को मान्यता दी गई है। गार्हस्थ्य जीवन का प्रमुख उद्देश्य श्रेष्ठ सन्तानोत्पत्ति है। उत्तम संतति की इच्छा रखनेवाले माता-पिता को गर्भाधान से पूर्व अपने तन और मन की पवित्रता के लिये यह संस्कार करना चाहिए। वैदिक काल में यह संस्कार अति महत्वपूर्ण समझा जाता था।
यह राज्य भारत के पूर्वी भाग में 88,853 वर्ग मी. के भूखंड पर फैला है । इसके उत्तर में सिक्किम, उत्तर-पूर्व में असम, पूर्व में बांग्लादेश, दक्षिण में बंगाल की खाड़ी तथा उड़ीसा तथा पश्चिम में बिहार तथा झारखंड है ।
सावित्री
The results of the January 1995 parliamentary election meant cohabitation between a rival president and prime minister; this led to governmental paralysis, which provided Col. Ibrahim Baré Maïnassara a rationale to overthrow the Third Republic in January 1996. While leading a military authority that ran the government (Conseil de Salut National) during a 6-month transition period, Baré enlisted specialists to draft a new constitution for a Fourth Republic announced in May 1996. Baré organized a presidential election in July 1996. While voting was still going on, he replaced the electoral commission. The new commission declared him the winner after the polls closed. His party won 57% of parliament seats in a flawed legislative election in November 1996. When his efforts to justify his coup and subsequent questionable elections failed to convince donors to restore multilateral and bilateral economic assistance, a desperate Baré ignored an international embargo against Libya and sought Libyan funds to aid Niger's economy. In repeated violations of basic civil liberties by the regime, opposition leaders were imprisoned; journalists often arrested, and deported by an unofficial militia composed of police and military; and independent media offices were looted and burned.
नूर्सुल्तान अबिशुला नाज़र्बायव (Kazakh: Нұрсұлтан Әбішұлы Назарбаев [नूर्सुल्तान अबिशुला नाज़र्बायव]; Russian: Нурсултан Абишевич Назарбаев [नूर्सुल्तान अबिश्येविच नाज़र्बायव] (born 6 July 1940) क़ाज़ाक़्स्तान का राष्ट्रपती हैं ।
अत: सन् 1946 ई0 में चुनाव में सफलता के फलस्वरूप जब हर प्रांत में कांग्रेस मंत्रिमंडल बने तो चुनाव प्रतिज्ञा के अनुसार जमींदारी प्रथा को समाप्त करने के लिये विधेयक प्रस्तुत किए गए। ये विधेयक सन् 1950 ई0 से 1955 ई0 तक अधिनियम बनकर चालू हो गए जिनके परिणामस्वरूप जमींदारी प्रथा का भारत में उन्मूलन हो गया और कृषकों एवं राज्य के बीच पुन: सीधा संबंध स्थापित हो गया। भूमि के स्वत्वाधिकार अब कृषकों को वापस मिल गए जिनका उपयोग वे अनादि परंपरागत काल से करते चले आए थे।
आकाशवाणी की विदेश, स्वदेशी और समाचार सेवाओं के प्रसारण के लिए 8 बृहत वायवीय प्रणालियों सहित शॉर्ट वेव/मीडियम वेव ट्रांसमीटर के साथ सज्जित उच्च शक्ति वाले ट्रांसमीटर हैं। इन केन्द्रों का मुख्य कार्य आस पास के स्टेशनों पर बनाए गए कार्यक्रमों का प्रसारण करना साथ ही दिल्ली के स्टूडियो से प्रसारण करना है। नेटवर्क और कवरेज की वृद्धि
• सत्यजित राय
अताईपुर जदीद फ़र्रूख़ाबाद जिले का एक गाँव।
व्रण या अल्सर (Ulcer) शरीरपृष्ठ (body surface) पर संक्रमण द्वारा उत्पन्न होता है। इस संक्रमण के जीवविष (toxins) स्थानिक उपकला (epithelium) को नष्ट कर देते हैं। नष्ट हुई उपकला के ऊपर मृत कोशिकाएँ एवं पूय (pus) संचित हो जाता है। मृत कोशिकाओं तथा पूय के हट जाने पर नष्ट हुई उपकला के स्थान पर धीरे धीरे कणिकामय ऊतक (granular tissues) आने लगते हैं। इस प्रकार की विक्षति को व्रण कहते हैं। दूसरे शब्दों में संक्रमणोपरांत उपकला ऊतक की कोशिकीय मृत्यु को व्रण कहते है।
ब्रिटिश शाशनकाल में यह प्रांत मद्रास प्रेसिडेंसी का हिस्सा था । आजादी के बाद मद्रास प्रेसिडेंसी को विभिन्न हिस्सों में बांट दिया गया, जिसका परिणाम मद्रास तथा अन्य राज्यों में हुआ । 1968 में मद्रास प्रांत का नाम बदलकर तमिलनाडु कर दिया गया ।
मालदीवज के पास दुनिया में सबसे निचला देश होने का रिकॉर्ड है, इसका अधिकतम प्राकृतिक जमीनी स्तर सिर्फ २.३-मीटर (७.५ फुट), जिसकी औसत सागर के स्तर से केवल {1/ है, हालांकि ऐसे क्षेत्र जहां निर्माण के अस्तित्व हैं, वहा इनमें कई मीटर की वृद्धि की गई है. रीफ मूंगिया मलबे और क्रियाशील मूंगिया से बनाया जाता है. यह दलदल बना कर सागर के विरुद्ध एक प्राकृतिक बाधा का कार्य करता हैं. अन्य द्वीपों, एक दूरी बना लेते हैं और रीफ के अनुरूप उनकी अपनी एक सुरक्षा फ़्रिंज होती है. मूंगा बाधा के आसपास एक छिद्र, शांत झील के पानी को अभिगम देता है. द्वीप की मूंगा बाधा उसे तूफानों और हिंद महासागर की उच्च तरंगों से सुरक्षित रखती है.[उद्धरण वांछित]
उत्तराखण्डी सिनेमा और इसके नाट्य पूर्ववृत्त उस जागृति के परिणाम हैं जो स्वतन्त्रता के बाद आरम्भ हुई थी और जिसका उद्भव ६०, ७०, और ८० के दशकों में हुआ और अन्ततः १९९० के दशक में विस्फोटक रूप से उदय हुआ। समस्त पहाड़ों और देहरादून, श्रीनगर, अल्मोड़ा, और नैनीताल में एक आन्दोलन का उभार हुआ जिसके सूत्रधार “कलाकार, कवि, गायक और अभिनेता थे जिन्होनें राज्य की सांस्कृतिक और कलात्मक रूपों का उपयोग राज्य के संघर्ष को बल देने के लिए किया।”
घटोत्कच- घटोत्कच श्रीगुप्त का पुत्र था । २८० ई. पू. से ३२० ई. तक गुप्त साम्राज्य का शासक बना रहा । इसने भी महाराजा की उपाधि धारण की थी ।
विस्तवोच्नाया सीट्रो का स्टेशन
राज्य में यहां के विश्वविद्यालयों जैसे बंगलुरु विश्वविद्यालय,गुलबर्गा विश्वविद्यालय, कर्नाटक विश्वविद्यालय, कुवेंपु विश्वविद्यालय, मंगलौर विश्वविद्यालय तथा मैसूर विश्वविद्यालय, आदि से मान्यता प्राप्त ४८१ स्नातक महाविद्यालय हैं। [१०६] १९९८ में राज्य भर के अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को नवगठित बेलगाम स्थित विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत्त लाया गया, जबकि चिकित्सा महाविद्यालयों को राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिकारक्षेत्र में लाया गया था। इनमें से कुछ अच्छे महाविद्यालयों को मानित विश्वविद्यालय का दर्जा भि प्रदान किया गया था। राज्य में १२३ अभियांत्रिकी, ३५ चिकित्सा ४० दंतचिकित्सा महाविद्यालय हैं।[१०७] राज्य में वैदिक एवं संस्कृत शिक्षा हेतु उडुपी, शृंगेरी, गोकर्ण तथा मेलकोट प्रसिदध स्थान हैं। केन्द्र सरकार की ११वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत्त मुदेनहल्ली में एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की सथापना को स्वीकृति मिल चुकी है। ये राज्य का प्रथम आई.आई.टी संस्थान होगा।[१०८] इसके अतिरिक्त मेदेनहल्ली-कानिवेनारायणपुरा में विश्वेश्वरैया उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान का ६०० करोड़ रुपये की लागत से निर्माण प्रगति पर है।[१०९]
सन १००० से १३०० ई.तक मालवा परमार-शक्ति द्वारा शासित रहा। काफी समय तक उनकी राजधानी उज्जैन रही. इस काल में सीयक द्वितीय, मुंजदेव, भोजदेव, उदयादित्य, नरवर्मन जैसे महान शासकों ने साहित्य, कला एवं संस्कृति की अभूतपूर्व सेवा की.
रामझूला पुल ऋषिकेश।
सामान्य अनेक वस्तुओं में जो एक सी बुद्धि होती है, उसके कारण प्रत्येक घट में जो "यह घट है" इस प्रकार की ए सी बुद्धि होती है, उसका कारण उसमें रहनेवाला "सामान्य" है, जिसे वस्तु के नाम के आगे "त्व" लगाकर कहा जाता है, जैसे - घटत्व, पटत्व। "त्व" से उस जाति के अंतर्गत सभी व्यक्तियों का ज्ञान होता है।
(१) उच्च हिन्दी - हिन्दी का मानकीकृत रूप, जिसकी लिपि देवनागरी है। इसमें संस्कृत भाषा के कई शब्द है, जिन्होंने फ़ारसी और अरबी के कई शब्दों की जगह ले ली है। इसे शुद्ध हिन्दी भी कहते हैं। आजकल इसमें अंग्रेज़ी के भी कई शब्द आ गये हैं (ख़ास तौर पर बोलचाल की भाषा में)। यह खड़ीबोली पर आधारित है, जो दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाती थी।
टिबिल (TBIL) , Tiny BASIC Interpreter Language का संक्षिप्त रूप है। यह एक साफ्ट्वेयर औजार है जो ऑफिस डॉक्यूमेंटों में फॉन्ट/ऑस्की/रोमन फॉर्मेट वाले डाटा को यूनिकोड में बदलता है। इसके अतिरिक्त यह माइक्रोसॉफ्ट द्वारा सपोर्ट की जाने वाली हिन्दी सहित ७ भारतीय भाषाओं में परस्पर ट्रांसलिटरेशन (लिप्यंतरण) करने में सक्षम है।
इस ग्रंथ में आर्किमिडीज शंकु, गोले और परवलय के भागों के क्षेत्रफल और आयतन की गणना करते हैं.
कारक विशलेषण के द्वारा उपक्लपनाऔं को कम करके कारकों का विशलेषण किया गया है।
१७ . नोर्द-पास-दे-कालिस
महान हिन्दू एवं भारतीय ऐतिहासिक महाकाव्य ग्रन्थ महाभारत में १८ पर्व हैं। इनका ब्यौरा इस प्रकार से है।
अगर ओडिशा जाएं तो 'छतु तरकारी' जरुर खाएं। यह एक तीखा भोजन है जो मसरुम से बनता है। यहां हर खाने में पंचफोरन मिलाने का रिवाज है। यह एक खास तरह का मसाला होता है। जिसे हर भोजन में मिला दिया जाता है। इसे भोजन में मिलाने से खाना स्वादिष्ट हो जाता है। इसके अलावा यहां का तड़का, डालमा, पीठा तथा नारियल के तेल में बने पूड़ी जरुर खाएं।
आइफोन में आंशिक हिन्दी समर्थन होता है। हिन्दी दिखती तो है लेकिन बिखरी हुयी अर्थात देवनागरी टैक्स्ट सही प्रकार से रॅण्डर नहीं होता [६]। अतः वे ऍप्लीकेशनें जो कि हिन्दी प्रदर्शन हेतु फोन के लेआउट इंजन पर निर्भर हैं (जैसे सभी अन्तर्निमित ऍप्लीकेशन), हिन्दी सही से नहीं दिखा सकती। एक स्वतन्त्र डेवलपर इसके लिये फॉण्ट इञ्जन पर काम कर रहे हैं[७]।
मुख्य समाचार
मॉरीशस एक संसदीय लोकतंत्र है जिसकी संरचना ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है। राज्य का प्रमुख राष्ट्रपति होता है जिसका कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है और उसका चुनाव राष्ट्रीय सभा, मॉरीशस की एकसदनीय संसद करती है। राष्ट्रीय सभा (नेशनल असेंबली) के 62 सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं जबकि चार से आठ सदस्यों की नियुक्ति चुनाव मे हारे "श्रेष्ट पराजित" उम्मीदवारों के बीच से जातीय अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिये तब की जाती है जब इन समुदायों को चुनाव से उचित प्रतिनिधित्व ना मिला हो। प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद सरकार का नेतृत्व करते हैं। सरकार पांच साल के आधार पर निर्वाचित होती है। सबसे हाल के आम चुनाव 3 जुलाई 2005 में मुख्य भूमि के सभी 20 निर्वाचन क्षेत्रों के साथ ही रॉड्रीगज़ द्वीप के निर्वाचन क्षेत्र मे भी कराये गये थे। अंतरराष्ट्रीय मामलों में, मॉरीशस हिंद महासागर आयोग, दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय, राष्ट्रमंडल और ला फ्रेंकोफोनी (फ़्रांसीसी बोलने वाले देशों) का हिस्सा है। सन् 2006 में, मॉरीशस को पुर्तगाली भाषाई देशों के समुदाय का एक प्रेक्षक सदस्य बनने को कहा गया जिससे यह उन देशों के और करीब हो सके। मॉरीशस की कोई सेना नहीं है, लेकिन इसके पास एक तटरक्षक बल तथा पुलिस और सुरक्षा बल हैं।
द्रुपद को बन्दी के रूप में देख कर द्रोणाचार्य ने कहा, "हे द्रुपद! अब तुम्हारे राज्य का स्वामी मैं हो गया हूँ। मैं तो तुम्हें अपना मित्र समझ कर तुम्हारे पास आया था किन्तु तुमने मुझे अपना मित्र स्वीकार नहीं किया था। अब बताओ क्या तुम मेरी मित्रता स्वीकार करते हो?" द्रुपद ने लज्जा से सिर झुका लिया और अपनी भूल के लिये क्षमायाचना करते हुये बोले, "हे द्रोण! आपको अपना मित्र न मानना मेरी भूल थी और उसके लिये अब मेरे हृदय में पश्चाताप है। मैं तथा मेरा राज्य दोनों ही अब आपके आधीन हैं, अब आपकी जो इच्छा हो करें।" द्रोणाचार्य ने कहा, "तुमने कहा था कि मित्रता समान वर्ग के लोगों में होती है। अतः मैं तुमसे बराबरी का मित्र भाव रखने के लिये तुम्हें तुम्हारा आधा राज्य लौटा रहा हूँ।" इतना कह कर द्रोणाचार्य ने गंगा नदी के दक्षिणी तट का राज्य द्रुपद को सौंप दिया और शेष को स्वयं रख लिया।
जब औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन को ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों के मानने वालों का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिये जनगणना करने की आवश्यकता पड़ी तो सनातन शब्द से अपरिचित होने के कारण उन्होंने यहाँ के धर्म का नाम सनातन धर्म के स्थान पर हिंदू धर्म रख दिया।
१९३४ की गर्मियों में , उनकी जान लेने के लिए उन पर तीन असफल प्रयास किए गए थे ।.
यह उपवास सप्ताह के दिवस बुद्धवार व्रत कथा को रखा जाता है.
गुड़ उपयोगी खाद्य पदार्थ माना जाता है। इसका उपयोग भारत में अति प्राचीन काल से होता आ रहा है। भारत की साधारण जनता इसका व्यापक रूप में उपयोग करती है तथा यह भोजन का एक आवश्यक व्यंजन है। इसमें कुछ ऐसे पौष्टिक तत्व विद्यमान रहते हैं जो चीनी में नहीं रहते। स्वच्छ चीनी में केवल चीनी ही रहती हैं, पर गुड़ में 90 प्रतिशत के लगभग ही चीनी रहती है। शेष में ग्लूकोज, खनिज पदार्थ, विटामिन आदि स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी पदार्थ भी रहते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं तथा भोज्य पदार्थों में विभिन्न रूपों में इसका उपयोग होता है।
उदारता एवं परोपकरिता का कार्य- स्कन्दगुप्त का शासन बड़ा उदार था जिसमें प्रजा पूर्णरूपेण सुखी और समृद्ध थी । स्कन्दगुप्त एक अत्यन्त लोकोपकारी शासक था जिसे अपनी प्रजा के सुख-दुःख की निरन्तर चिन्ता बनी रहती थी ।
यह भी देखें: भारत के शहर
श्री भारत यायावर
दीक्षा में प्रौढ़ चिंतन के आधार पर रामकथा को आधुनिक सन्दर्भ प्रदान करने का साहसिक प्रयत्न किया गया है. बालकाण्ड की प्रमुख घटनाओं तथा राम और विश्वामित्र के चरित्रों का विवेक सम्मत पुनराख्यान, राम के युगपुरुष/युगावतार रूप की तर्कपुष्ट व्याख्या उपन्यास की विशेष उपलब्धियाँ हैं. डा. नगेन्द्र (१-६-१९७६)[३४]
प्रचलि धन्वंतरी स्तोत्र इस प्रकार से है।
जब भगवान से यह जिज्ञासा व्यक्त की गई कि आत्मा आँखों से नहीं दिखाई देती तथा इस आधार पर आत्मा के अस्तित्व के सम्बन्ध में शंका व्यक्त की गई तो भगवान ने उत्तर दिया : 'भवन के सब दरवाजे एवं खिड़कियाँ बन्द करने के बाद भी जब भवन के अन्दर संगीत की मधुर ध्वनि होती है तब आप उसे भवन के बाहर निकलते हुए नहीं देख पाते। आँखों से दिखाई न पड़ने के बावजूद संगीत की मधुर ध्वनि बाहर खड़े श्रोताओं को आच्छादित करती है। संगीत की ध्वनि पौद्गलिक (भौतिक द्रव्य) है।
फल-फूलों से युत वन-उपवन,
यह मंदिर भगवान शिव के वाहन नंदी बैल को समर्पित है। प्रत्येक दिन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। इस मंदिर में बैठे हुए बैल की प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति 4.5 मीटर ऊंची और 6 मीटर लम्बी है।
'
महाकाव्य की रचना के लिये वे आदि से अंत तक एक ही छंद - वीर छंद - के प्रयोग पर बल देते हैं क्योंकि उसका रूप अन्य वृत्तों की अपेक्षा अधिक भव्य एवं गरिमामय होता है जिसमें अप्रचलित एवं लाक्षणिक शब्द बड़ी सरलता से अंतर्भुक्त हो जाते हैं। परवर्ती विद्वानों ने भी महाकाव्य के विभिन्न तत्वों के संदर्भ में उन्हीं विशेषताओं का पुनराख्यान किया है जिनका उल्लेख आचार्य अरस्तू कर चुके थे। वीरकाव्य (महाकाव्य) का आधार सभी ने जातीय गौरव की पुराकथाओं को स्वीकार किया है। जॉन हेरिंगटन वीरकाव्य के लिये ऐतिहासिक आधारभूमि की आवश्यकता पर बल देते हैं और स्पेंसर वीरकाव्य के लिये वैभव और गरिमा को आधारभूत तत्व मानते हैं। फ्रांस के कवि आलोचकों पैलेतिए, वोकलें और रोनसार आदि ने भी महाकाव्य की कथावस्तु को सर्वाधिक गरिमायम, भव्य और उदात्त करते हुए उसके अंतर्गत ऐसे वातावरण के निर्माण का आग्रह किया है जो क्षुद्र घटनाओं से मुक्त एवं भव्य हो।
सन् 1963 से देश में आपातकाल लागू है । देश की सरकार ने इसे इसरायल के साथ युद्ध तथा आतंकवादियों द्वारा दी गई धमकियों जैसे कारणों का हवाला देकर सही ठहराया है ।
०२ नवम्बर -२०१० बारस शाम ६.०० बजे सत्यनारायण कथा ,माँ नर्मदा,गंगा पूजन रात ८.०० बजे अतिथि सत्कार व् भजन निशा ०३ नवम्बर -२०१० धन तेरस
अक्षर लेखन करा लेने के बाद उन पर अक्षत, पुष्प छुड़वाएँ । ज्ञान का उदय अन्तःकरण में होता है, पर यदि उसकी अभिव्यक्ति करना न आए, तो भी अनिष्ट हो जाता है । ज्ञान की प्रथम अभिव्यक्ति अक्षरों को पूजकर अभिव्यक्ति की महत्ता और साधना के प्रति उमंग पैदा की जाए ।
उपर्युक्त विभागों का वर्णन निम्न प्रकार है :
सीरिया की कार्यपालिका के अंग हैं - राष्ट्रपति, दो उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मंत्रीपरिषद । यहाँ की विधायिका में एकमात्र सदन है ।
संत कबीर नगर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है । जिले का मुख्यालय खलीलाबाद है ।क्षेत्रफल - 1659.15 वर्ग कि.मी.जनसंख्या - 1,152,110 (1991 जनगणना)साक्षरता - 33 % (1991)एस. टी. डी (STD) कोड - 05547जिलाधिकारी - दिनकर प्रकाश दुबेसमुद्र तल से उचाई -अक्षांश - उत्तरदेशांतर - पूर्वऔसत वर्षा - मि.मी.
संस्मरण
18.
Flame test
यह मठ मध्यकालीन वैष्णव संत श्री श्रीमंत शंकर देव को समर्पित है। इसका निर्माण 11 फरवरी 1979 ई. को पूरा हुआ था। मठ में शंकर देव की एक अस्थि भी रखी हुई है। इसको पूटा अस्थि के नाम से जाना जाता है। श्री शंकर देव का मठ गोलपाड़ा शहर के हृदय तिलपाड़ा में स्थित है।
हरिद्वार घाट
यहाँ हिन्दी एवं देवनागरी के लिये उपयोगी तरह-तरह के सॉफ्टवेयरों के लिंक एवं संक्षिप्त परिचय दिये गये हैं।
राय की आलोचना मुख्यतः इनकी फ़िल्मों की गति को लेकर की जाती है। आलोचक कहते हैं कि ये एक “राजसी घोंघे” की गति से चलती हैं।[४८] राय ने ख़ुद माना कि वे इस गति के बारे में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन कुरोसावा ने इनका पक्ष लेते हुए कहा, “इन्हें धीमा नहीं कहा जा सकता। ये तो विशाल नदी की तरह शान्ति से बहती हैं।” इसके अतिरिक्त कुछ आलोचक इनकी मानवता को सादा और इनके कार्यों को आधुनिकता-विरोधी मानते हैं और कहते हैं कि इनकी फ़िल्मों में अभिव्यक्ति की नई शैलियाँ नहीं नज़र आती हैं। वे कहते हैं कि राय “मान लेते हैं कि दर्शक ऐसी फ़िल्म में रुचि रखेंगे जो केवल चरित्रों पर केन्द्रित रहती है, बजाए ऐसी फ़िल्म के जो उनके जीवन में नए मोड़ लाती है।”[४९]
गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं-
दिगम्बर मुनि (श्रमण)वस्त्र नहीं पहनते है। नग्न रहते हैं ।
"ये भारतीय संस्कृति के अनन्य प्रस्तोता थे, पर अन्धानुकरण के प्रवृत्ति इनमें नहीं थी. कालांतर में आ जाने वाली विकृतियों से इनके साहित्य का सांस्कृतिक पृष्ठाधार एकदम मुक्त है. दूसरे, अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं में आस्था रखने पर भी इन्होने युग-धर्म की कभी उपेक्षा नहीं की. भारतीय संस्कृति के प्रवक्ता होने के साथ-साथ ये नए भारत के राष्ट्रीय कवि भी थे." - डा. नगेन्द्र [४]
4.सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों के वेतन भत्ते पेंशन तथा उच्च न्यायालय की पेंशने इस पर भारित है
भोजपुरी भाषा का इतिहास 7 वीं सदी से शुरू होता है - 1000 से अधिक साल पुरानी! गुरु गोरख नाथ 1100 वर्ष में गोरख बानी लिखा था. संत कबीर दास (1297) का जन्म भोजपुरी दिवस के रूप में भारत में स्वीकार किया गया है और विश्व भोजपुरी दिवस के रूप में मनाया जाता है .
६. 'शक्ति अस्त्र' का घटोत्कच पर चलाना, जिसके कारण वह वचनानुसार दूसरी बार इस अस्त्र का उपयोग नहीं कर सकता था।
कौषीतकि ऋषि ने अपने अनुभव से सूर्योपासना तीन बार-प्रात:काल, मध्याह्नकाल और सांयकाल- करने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि प्रात:काल यज्ञोपवीत को सव्य भाव से बाएं कन्धे पर रखकर आचमन करें। फिर जलपात्र को तीन बार शुद्ध जल से भरकर, उदय होते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें—'ॐ वर्गोऽसि पाप्मानं मे वृडधि।'[१] इस प्रकार मध्याह्नकाल में, भगवान भास्कर को स्मरण करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें-'ॐ उद्वर्गोऽसि पाप्मानं में संवृडधि।'[२] इसी प्रकार सांयकाल में, अस्त होते हुए सूर्य की उपासना करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें-
तृतीय पुरस्कार - रू० 0.75 लाख
यद्यपि वेद से ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद की संहिताओं का ही बोध होता है, तथापि हिन्दू लोग इन संहिताओं के अलावा ब्राह्मण ग्रन्थों, आरण्यकों तथा उपनिषदों को भी वेद ही मानते हैं। इनमें ऋक् आदि संहितायें स्तुति प्रधान हैं; ब्राह्मण ग्रन्थ यज्ञ कर्म प्रधान हैं और आरण्यक तथा उपनिषद् ज्ञान चर्चा प्रधान हैं।
ब्रिटेन (अंग्रेज़ी: Britain ब्रिटन्) अथवा ग्रेट् ब्रिटेन यूरोप में स्थित संयुक्त राजशाही देश का सबसे बड़ा हिस्सा है। इसमें इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स प्रांत शामिल हैं। ये एक द्वीप पर बसा है।
मुगल · भारतीय इस्लामी
मिलम- यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल के दक्षिणी ढाल पर स्थित है।
स्टीमर या स्टीमबोट एक भाप से चलने वाला पानी का जहाज होता है, जिसमें प्रोपल्ज़न का प्राथमिक तरीका वाष्प-शक्ति होती है। स्टीमर को प्रायः झीलों, नदियों आदि में परिवहन हेतु प्रयोग किया जाता है, किंतु बड़े स्टीमरों को समुद्र में भी प्रयोग किया जा सकता है।
Note: Unlike ASCII-only romanizations such as ITRANS or Harvard-Kyoto, the diacritics used for IAST allow capitalization of proper names. The capital variants of letters never occurring word-initially (Ṇ Ṅ Ñ Ṝ) are only useful in Pāṇini contexts, where the convention is to typeset the IT sounds as capital letters (see Aṣṭādhyāyī).
शुरुआती समय में हिन्दी चिट्ठाकारों की कम सँख्या को देखते हुए आरम्भिक चिट्ठाकारों ने इस माध्यम के प्रचार के लिये अनेक समुदाय बनाए ताकि हिन्दी चिट्ठाकारी का प्रचार किया जा सके। कुछ प्रमुख समुदाय निम्न हैं:-
सर्वेक्षणों के पश्चात भी अधिकांश लोग इस बात पर सहमत हैं कि पारम्परिक धर्म जैसे बौद्ध धर्म, ताओ धर्म, और चीनी लोक धर्म बहुसंख्यक हैं। विभिन्न स्रोतो के अनुसार चीन मैं बौद्धों की संख्या ६६ करोड़ (~५०%) से १ अरब (~८०%) है जबकि ताओ धर्मियों की संख्या ४० करोड़ या लगभग ३०% है। लेकिन चूंकि एक व्यक्ति एक से अधिक धर्मों का पालन कर सकता है इसलिए चीन में बौद्धों, ताओं, और चीनी लोक धर्मियों की सही संख्या बता पाना कठिन है।
हिंदी की विभिन्न बोलियों का साहित्य आज भी लोकप्रिय है और आज भी अनेक कवि और लेखक अपना लेखन अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में करते हैं।
उन्होंने अपनी बहस कई लेखो में की, जो की होमर जैक्स के द गाँधी रीडर: एक स्रोत उनके लेखनी और जीवन का . १९३८ में जब पहली बार "यहूदीवाद और सेमेटीसम विरोधी" लिखी गई, गाँधी ने १९३० में हुए जर्मनी में यहूदियों पर हुए उत्पीडन (persecution of the Jews in Germany) को सत्याग्रह (Satyagraha) के अंतर्गत बताया उन्होंने जर्मनी में यहूदियों द्वारा सहे गए कठिनाइयों के लिए अहिंसा के तरीके को इस्तेमाल करने की पेशकश यह कहते हुए की
महाप्रभु वल्लभाचार्य ने पुष्टि-मार्ग की स्थापना की और विष्णु के कृष्णावतार की उपासना करने का प्रचार किया। आपके द्वारा जिस लीला-गान का उपदेश हुआ उसने देशभर को प्रभावित किया। अष्टछाप के सुप्रसिध्द कवियों ने आपके उपदेशों को मधुर कविता में प्रतिबिंबित किया।
यूरोप महाद्वीप में, शुरुआती रिसोर्टों में शामिल थे , ऑस्टेन्ड (Ostend) ( ब्रुसेल्स के लोगों के लिए (Brussels)) , और बौलोग्ने सुर - - रंगरूट (Boulogne-sur-Mer) (चरण - de - केलै (Pas-de-Calais)) और Deauville (Deauville) (Calvados (Calvados)) ( पेरिस के लोगों के लिए ) .
इलाहाबाद की ओर जाने वाली गाडियाँ :
जिस स्वर पर बलाघात लगता है, उसके शब्दांश के पहले एक << ' >> का निशान लगा दिया जाता है । जिस स्वर में नासिकीकरण होता है, उसके ऊपर टिल्ड << ~ >> का निशान लगा दिया जाता है । दीर्घ स्वरों के बाद << : >> का निशान लगाया जाता है ।
660 में, सिला के मुइओल राजा ने अपनी सेनाओं को बैक्जे पर हमला करने का आदेश दिया. तांग बलों की सहायता से, जनरल किम यू-शिन (गिम यू-सिन), ने बैक्जे पर विजय प्राप्त की. 661 में, सिला और तांग ने गोगुरियो पर चढ़ाई की लेकिन पीछे धकेल दिए गए. मुयोल के पुत्र और जनरल किम के भतीजे, राजा मुन्मु ने 667 में एक और अभियान शुरू किया और गोगुरियो का अगले वर्ष पतन हुआ.
The budgets for Telugu movies typically range from 20 to 40 crores per film. Pre-lease revenues for popular films can range from 12 to 20 crores per film and post-release business for these movies can be 25–40 crores depending on the success of the movie.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय की इमारत
उनकी प्रारंभिक शिक्षा कराची के लेडी जेनिंग नर्सरी स्कूल तथा कॉन्वेंट जीजस एंड मेरी में हुई। [३] 15 वर्ष की आयु में उन्होंने कराची ग्रामर स्कूल से ओ लेवेल की परीक्षा उत्तीर्ण की।.[४] सोलह साल की उम्र में वो अमरीका गईं जहाँ 1969 से 1973 तक वे रैडक्लिफ़ कॉलेज में पढ़ाई की तथा उसके बाद हारवर्ड विश्वविद्यालय से कला-स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की।[५] बाद में उन्होंने इंगलैंड के ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय से भी अंतर्राष्ट्रीय कानून, दर्शन और राजनीति विषय का अध्ययन किया।.[६] ऑक्सफ़ोर्ड में अध्ययन के दौरान वे ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन की अध्यक्ष चुनी जाने वाली वे पहली एशियाई महिला थीं।[२]
विश्व की सबसे पुरातन विश्वकोशीय रचना अफ्रीकावासी मार्सियनस मिस फेलिक्स कॉपेला की "सटोराअ सटीरिक" है। उसने पाँचवीं शती के आरंभकाल में गद्य तथा पद्य में इसका प्रणयन किया। यह कृति मध्ययुग में शिक्षा का आदर्शागार समझी जाती थी। मध्ययुग तक ऐसी अन्यान्य कृतियों का सर्जन हुआ, पर वे प्राय: एकांगी थीं और उनका क्षेत्र सीमित था। उनमें त्रुटियों एवं विसंगतियों का बाहुल्य रहता था। इस युग को सर्वश्रेष्ठ कृति व्यूविअस के विसेंट का ग्रंथ "बिब्लियोथेका मंडी" या "स्पेकुलस मेजस" था। यह तेरहवीं शती के मध्यकालीन ज्ञान का महान् संग्रह था। उसने इस ग्रंथ में मध्ययुग की अनेक कृतियों को सुरक्षित किया। यह कृति अनेक विलुप्त आकर (क्लैसिकल) रचनाओं तथा अन्यान्य ग्रंथों की मूल्यवान पाठ््यसामग्रियों का सार प्रदान करती है। प्राचीन ग्रीस में स्प्युसिपस तथा अरस्तू ने महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की थी। स्प्युसिपस ने पशुओं तथा वनस्पतियों का विश्वकोशीय वर्गीकरण किया तथा अरस्तू ने अपने शिष्यों के उपयोग के लिए अपनी पीढ़ी के उपलब्ध ज्ञान एवं विचारों को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने के लिए अनेक ग्रंथों का प्रणयन किया। इस युग में प्रणीत विश्वकोशीय ग्रंथों में प्राचीन रोमवासी प्लिनी की कृति "नैचुरल हिस्ट्री" हमारी विश्वकोश की आधुनिक अवधारणा के अधिक निकट है। यह मध्य युग का उच्च आधिकाधिक ग्रंथ है। यह 37 खंडों एवं 2493 अध्यायों में विभक्त है जिसमें ग्रीकों के विश्वकोश के सभी विषयों का सन्निवेश है। प्लिनी के अनुसार इसमें 100 लेखकों के 2000 ग्रंथों से संगृहीत 20,000 तथ्यों का समावेश है। सन् 1536 से पूर्व इसके 43 संस्करण प्रकाशित हो चुके थे। इस युग की एक प्रसिद्ध कृति फ्रांसीसी भाषा में 19 खंडों में प्रणीत (सन् 1360) बार्थोलोमिव द ग्लैंविल का ग्रंथ "डी प्रॉप्रिएटैटिबस रेरम" था। सन् 1495 में इसका अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हुआ तथा सन् 1500 तक इसके 15 संस्करण निकल चुके थे।
लालबहादुर शास्त्री (2 अक्तूबर, 1904 - 11 जनवरी, 1966),भारत के तीसरे और दूसरे स्थायी प्रधानमंत्री थे । वह 1963-1965 के बीच भारत के प्रधान मन्त्री थे। उनका जन्म मुगलसराय, उत्तर प्रदेश मे हुआ था।
ये नेपाल की सेना के वरिष्ठ अधिकारी थे। इनपर मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप लगे थे। सेना द्वारा दी गई पदोन्नती के खिलाफ एक जनहित याचिका पर कार्यवाई करते हुए नेपाल की सर्वोच्च न्यायालय ने इनकी पदोन्नति पर रोक लगा दी थी।
59. जैसलमेर के रेतीले शहर से 45 किमी दूर, डेजर्ट नेशनल पार्क रेतीले टीलों और झाड़ियों से ढकी पहाड़ियों के लिए जाना जाता है।
७ . सेंटर
छठवें अवतार में अनुसुइया के गर्भ से दत्तात्रयेय प्रगट हुये जिन्होंने प्रह्लाद, अलर्क आदि को ब्रह्मज्ञान दिया।
ताउक दाल एक बंगाली व्यंजन है।
इन देवताओं में सर्व देवा आदि की गिनती की जाती है.
जल्द से जल्द woodblock मुद्रण के कोरियाई उदाहरण के जीवित ज्ञात Mugujeonggwang महान सूत्र Dharani है.[२१] यह है 750-751 ई. में कोरिया में छपा है, जो यदि सही करना, क्या माना जाता है कि यह पुराने सूत्र डायमंड से. गोरियो रेशम उच्च पश्चिम के द्वारा माना हालांकि चीनी रेशम के रूप में के रूप में बेशकीमती नहीं था, और कोरियाई नीली हरी celadon के साथ बनाया बर्तनों उच्चतम गुणवत्ता की थी और उसके बाद की मांग भी अरब व्यापारियों द्वारा. गोरियो एक पूंजी है कि व्यापारियों द्वारा से अक्सर था के साथ एक हलचल अर्थव्यवस्था था सब मालूम दुनिया भर में.
दुनिया के सभी हीरों का राजा है कोहिनूर हीरा। इसकी कहानी भी परी कथाओं से कम रोमांचक नहीं है। कोहिनूर के जन्म की प्रमाणित जानकारी नहीं है पर कोहिनूर का पहला उल्लेख ३००० वर्ष पहले मिला था। इसका नाता श्री कृष्ण काल से बताया जाता है।पुराणों के अनुसार स्वयंतक मणि ही बाद में कोहिनूर कहलायी।ये मणि सूर्य से कर्ण को फिर अर्जुन और युधिष्ठिर को मिली।फिर अशोक, हर्ष और चन्द्रगुप्त के हाथ यह मणि लगी।सन् १३०६ में यह मणि सबसे पहले मालवा के महाराजा रामदेव के पास देखी गयी। मालवा के महाराजा को पराजित करके सुल्तान अलाउदीन खिलजी ने मणि पर कब्जा कर लिया।बाबर से पीढी दर पीढी यह बेमिसाल हीरा अंतिम मुगल बादशाह औरंगजेब को मिला। ’ज्वेल्स आफ बिट्रेन’ का मानना है कि सन् १६५५ के आसपास कोहिनूर का जन्म हिन्दुस्तान के गोलकुण्डा जिले की कोहिनूर खान से हुआ।तब हीरे का वजन था 787 कैरेट।इसे बतौर तोहफा खान मालिकों ने शाहजहां को दिया।सन्1739 तक हीरा शाहजहां के पास रहा।फिर इसे नादिर शाह ने लूट लिया।इसकी चकाचौधं चमक देखकर ही नादिर शाह ने इसे कोहिनूर नाम दिया।कोहिनूर को रखने वाले आखिरी हिन्दुस्तानी शेर-ए- पंजाब रणजीत सिंह थे।सन् १८४९ मे पंजाब की सत्ता हथियाने के बाद कोहिनूर अंग्रेजों के हाथ लग गया।फिर सन् १८५० में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने हीरा महारानी विक्टोरिया को भेंट किया।इंग्लैण्ड पंहुचते-पंहुचते कोहिनूर का वजन केवल १८६ रह गया।महारानी विक्टोरिया के जौहरी प्रिंस एलवेट ने कोहिनूर की पुन: कटाई की और पॉलिश करवाई।सन् 1852 से आज तक कोहिनूर को वजन १०५.६ ही रह गया है।सन् १९११ में कोहिनूर महारानी मैरी के सरताज में जड़ा गया।और आज भी उसी ताज में है।इसे लंदन स्थित ‘टावर आफ लंदन’ संग्राहलय में नुमाइश के लिये रखा गया है।
वहां स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है। अहोई का अर्थ एक प्रकार से यह भी होता है "अनहोनी को होनी बनाना" जैसे साहुकार की छोटी बहू ने कर दिखाया था। अहोई व्रत का महात्मय जान लेने के बाद आइये अब जानें कि यह व्रत किस प्रकार किया जाता है।
जो खिलाड़ी गेंद पर प्रहार करते वक्त अपने बायें हाथ का मुख्यत: सहारा देता है, वह बायें हाथ का बल्लेबाज माना जाता है। इसके विपरीत जो खिलाड़ी गेंद पर प्रहार करते वक्त अपने दायें हाथ का मुख्यत: सहारा देता है, वह दायें हाथ का बल्लेबाज माना जाता है।
हिमालय की ऊँची पर्वत श्रंखलाओं ने सिक्किम को उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी दिशाओं मे अर्धचन्द्राकार।अर्धचन्द्र में घेर रखा है । राज्य के अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र अधिकतर राज्य के दक्षिणी भाग मे, हिमालय की कम ऊँचाई वाली श्रंखलाओं मे स्थित हैं । राज्य मे अट्ठाइस पर्वत चोटियाँ, इक्कीस हिमानी, दो सौ सत्ताईस झीलें।झील (जिनमे चांगु झील, गुरुडोंग्मार झील और खेचियोपल्री झीलें।खेचियोपल्री झीले शामिल हैं), पाँच गर्म पानी के चश्मे।गर्म पानी का चश्मा और सौ से अधिक नदियाँ और नाले हैं । आठ पहाड़ी दर्रे सिक्किम को तिब्बत, भूटान और नेपाल से जोड़ते हैं ।[४]
'लगे रहो मुन्ना भाई' आगे की 21वी सदी के शुरूआत के भारतीयो के सोच से जुड़ी हुई कहानी है। इसमें हँसी के फव्वारे के साथ दिल को छू लेने वाला संदेश देने की कोशिश की गई है।
चन्द्रगुप्त मौर्य ने शासन संचालन को सुचारु रूप से चलाने के लिए चार प्रान्तों में विभाजित कर दिया था जिन्हें चक्र कहा जाता था । इन प्रान्तों का शासन सम्राट के प्रतिनिधि द्वारा संचालित होता था । सम्राट अशोक के काल में प्रान्तों की संख्या पाँच हो गई थी । ये प्रान्त थे-
नरेन्द्र कोहली की वह विशेषता जो उन्हें इन दोनों पूर्ववर्तियों से विशिष्ट बनाती है वह है एक के पश्चात् एक पैंतीस वर्षों तक निरंतर उन्नीस[४८] कालजयी कृतियों का प्रणयन जो किसी भी दशा में न सिर्फ आचार्य द्विवेदी एवं नागर जी के अवदान से, वरन हिन्दी साहित्य के किसी भी पूर्ववर्ती, समकालीन एवं परवर्ती के अवदान से कहीं अधिक है. इसके अतिरिक्त वृहद् व्यंग-साहित्य, सामाजिक उपन्यास, ऐतिहासिक उपन्यास, मनोवैज्ञानिक उपन्यास भी हैं; सफल नाटक हैं, वैचारिक निबंध, आलोचनात्मक निबंध, समीक्षात्मक एवं विश्लेषणात्मक प्रबंध, अभिभाषण, लेख, संस्मरण, रेखाचित्रों का ऐसा खज़ाना है ... गद्य की प्रत्येक विधा में उन्होंने हिन्दी साहित्य को इतना दिया है कि उनके समकक्ष सभी अवदान फीके जान पड़ते हैं. यदि आचार्य द्विवेदी एवं नागर जी के उपन्यास हटा दिए जाएँ, तब भी 'सांस्कृतिक पुनर्जागरण का युग' अकेले नरेन्द्र कोहली के बल पर अपनी पहचान बना सकता है, पर यदि नरेन्द्र कोहली का अवदान न होता तो इसे एक युग की मान्यता मिलना कठिन था.
मैदान से बहार और टी वी पर प्रसारित होने वाले मैचों में अक्सर एक तीसरा अंपायर (third umpire) होता है जो विडियो साक्ष्य की सहायता से विशेष स्थितियों में फ़ैसला ले सकता है.टेस्ट मैचों और दो आईसीसी के पूर्ण सदस्यों के बीच खेले जाने वाले सीमित ओवरों के अंतरराष्ट्रीय खेल में तीसरा अंपायर जरुरी होता है.इन मैचों में एक मैच रेफरी (match referee) भी होता है जिसका काम है यह सुनिश्चित करना होता है की खेल क्रिकेट के नियमों (Laws of cricket) के तहत खेल की भावना से खेला जाये.
१. छेदन-काटकर दो फांक करना या शरीर से अलग करना (एक्सिज़न),
यदि फोन में हिन्दी प्रदर्शन हेतु समर्थन है तो इनपुट का विकल्प हो भी सकता है और नहीं भी। यदि फोन में हिन्दी इनपुट का विकल्प हो तो हिन्दी में समोसे (SMS) भेजे जा सकते हैं तथा वैब पर कहीं भी टैक्स्ट बॉक्स में हिन्दी लिखी जा सकती है। इस विकल्प के होने पर मोबाइल से हिन्दी में ईमेल भेजने, चिट्ठा लिखने, टिप्पणी करने समेत इण्टरनेट पर तमाम कार्य हिन्दी में किए जा सकते हैं।
• अपर्णा सेन
न्यायालयः सूनी कुर्सी/ क्या चढी बिराजे!/
] [संपादित करें विस्तार 1970 में एयर इंडिया मुंबई शहर को अपने कार्यालय ले जाया गया. अगले साल अपनी पहली एयरलाइन बोइंग 747 की डिलीवरी ले लिया-200B सम्राट अशोक (VT-EBD पंजीकृत नाम). इस 'के' स्काई पोशाक और ब्रांडिंग में परिचय पैलेस के साथ संयोग. इस पोशाक की सुविधा प्रत्येक विमान खिड़की के आसपास paintwork भारतीय महलों में खिड़कियों की cusped आर्क शैली में है. 1986 में एयर इंडिया एयरबस A310-300 की डिलीवरी लिया, एयरलाइन यात्री सेवा में इस प्रकार का सबसे बड़ा ऑपरेटर है. 1988 में, एयर इंडिया की डिलीवरी ले ली दो बोइंग 747-300Ms मिश्रित यात्री माल विन्यास में. 1989 में, अपने "फ्लाइंग पैलेस" पोशाक पूरक करने के लिए, एयर इंडिया एक नया "" सन पोशाक कि ज्यादातर एक लाल पूंछ पर एक सुनहरी सूर्य के साथ सफेद था की शुरुआत की. केवल करने के लिए लागू एयर इंडिया के बेड़े के एक आधे के आसपास, नई पोशाक सफल नहीं के रूप में भारतीय जनता उड़ान के बारे में शिकायत किया था क्लासिक रंग से बाहर phasing. पोशाक दो साल के बाद हटा दिया गया था और पुरानी योजना लौट रहा था.
अपने-अपने हैं कानून/ मुक्त है प्रजा/ सड़ी-गली लाठी को है/ भैंस ही सजा/
चन्द्रगुप्त मौर्य ने पश्चिम भारत में सौराष्ट्र तक प्रदेश जीतकर अपने प्रत्यक्ष शासन के अन्तर्गत शामिल किया । गिरनार अभिलेख (१५० ई. पू.) के अनुसार इस प्रदेश में पुण्यगुप्त वैश्य चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्यपाल था । इसने सुदर्शन झील का निर्माण किया । दक्षिण में चन्द्रगुप्त मौर्य ने उत्तरी कर्नाटक तक विजय प्राप्त की ।
वर पक्ष की ओर से कन्या को और कन्या पक्ष की ओर से वर का वस्त्र-आभूषण भेंट किये जाने की परम्परा है । यह कार्य श्रद्धानुरूप पहले ही हो जाता है । वर-वधू उन्हें पहनाकर ही संस्कार में बैठते हैं । यहाँ प्रतीक रूप से पीले दुपट्टे एक-दूसरे को भेंट किये जाएँ । यही ग्रन्थि बन्धन के भी काम आ जाते हैं । आभूषण पहिनाना हो, तो अँगूठी या मङ्गलसूत्र जैसे शुभ-चिह्नों तक ही सीमित रहना चाहिए । दोनों पक्ष भावना करें कि एक-दूसरे का सम्मान बढ़ाने, उन्हें अलंकृत करने का उत्तरदायितव समझने और निभाने के लिए संकल्पित हो रहे हैं । नीचे लिखे मन्त्र के साथ परस्पर उपहार दिये जाएँ ।
(1) भूगणितीय सर्वेक्षण (geodetic surveying) और
बी ई एस टी द्वारा चालित बसें, लगभग नगर के हरेक भाग को यातायात उपलब्ध करातीं हैं। साथ ही नवी मुंबई एवं ठाणे के भी भाग तक जातीं हैं। बसें छोटी से मध्यम दूरी तक के सफर के लिए प्रयोगनीय हैं, जबकि ट्रेनें लम्बी दूरियों के लिए सस्ता यातायात उपलब्ध करातीं हैं। बेस्ट के अधीन लगभग 3,408 बसें चलतीं हैं,[३७] जो प्रतिदिन लगभग 4.5 मिलियन यात्रियों को 340 बस-रूटों पर लाती ले जातीं हैं। इसके बेड़े में सिंगल-डेकर, डबल-डेकर, वेस्टीब्यूल, लो-फ्लोर, डिसेबल्ड फ्रेंड्ली, वातानुकूलित एवं हाल ही में जुड़ीं यूरो-तीन सम्मत सी एन जी चालित बसें सम्मिलित हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एम एस आर टी सी) की अन्तर्शहरीय यातायात सेवा है, जो मुंबई को राज्य व अन्य राज्यों के शहरों से जोड़तीं हैं। मुंबई दर्शन सेवा के द्वारा पर्यटक यहां के स्थानीय पर्यटन स्थलों का एक दिवसीय दौरा कर सकते हैं।
अस्त्रों को दो विभागों में बाँटा गया है-
ताइवान या ताईवान (चीनी: 台灣) पूर्व एशिया में स्थित एक द्वीप है। यह द्वीप अपने आसपास के कई द्वीपों को मिलाकर चीनी गणराज्य का अंग है जिसका मुख्यालय ताइवान द्वीप ही है । इस कारण प्रायः ताइवान का अर्थ चीनी गणराज्य से भी लगाया जाता है । यूं तो यह ऐतिहासिक तथा संस्कृतिक दृष्टि से मुख्य भूमि चीन) का अंग रहा है, पर इसकी स्वायत्ता तथा स्वतंत्रता को लेकर चीन (जिसका, इस लेख में, अभिप्राय चीन का जनवादी गणराज्य से है) तथा चीनी गणराज्य के प्रशासन में विवाद रहा है ।
भारत का महान्यायवादी संसद के किसी भी सदन का सदस्य न रहते हुए भी संसद की कार्रवाई में भाग ले सकता है ।
शोभन सरकार
केंद्रीय हिंदी संस्थान का मुख्यालय आगरा में है। इसके आठ केंद्र- दिल्ली, हैदराबाद, गुवाहाटी, शिलांग, मैसूर, दीमापुर,भुवनेश्वर तथा अहमदाबाद हैं. इसका मुख्यालय, आगरा में है। केंद्रीय हिंदी संस्थान का मुख्यालय उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित है। आगरा में आकर शिक्षार्थी भारत के किसी भी दूसरे स्थान की तुलना में अधिक सहजता और सटीकता से हिंदी सीख पाते हैं क्योंकि मानक हिंदी भाषा का केंद्रीय स्थान होने की वजह से यह शहर अन्य भाषाभाषी पृष्ठभूमि से आए भारतीय और विदेशी शिक्षार्थियों को हिंदी भाषा का समसामयिक और जीवंत परिवेश प्रदान करता है।
लज्जते-सेहरा न वर्दी दूरिए-मंजिल में है
उत्तराखण्ड रेल, वायु, और सड़क मार्गों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। उत्तराखण्ड में पक्की सडकों की कुल लंबाई २१,४९० किलोमीटर है। लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित सड़कों की लंबाई १७,७७२ कि.मी. और स्थानीय निकायों द्वारा बनाई गई सड़कों की लंबाई ३,९२५ कि.मी. हैं।
गांधी जी ने अपना जीवन सत्य (truth), या सच्चाई (Satya)की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने करने के लिए अपनी स्वयं की गल्तियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की। उन्होंने अपनी आत्मकथा को द स्टोरी ऑफ़ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ (The Story of My Experiments with Truth) का नाम दिया।
मंदिर का वृहत क्षेत्र ४००,०००-square-foot (३७,००० m²) में फैला है, और चहारदीवारी से घिरा है। उड़िया शैली के मंदिर स्थापत्यकला, और शिल्प के आश्चर्यजनक प्रयोग से परिपूर्ण, यह मंदिर, भारत के भव्यतम स्मारक स्थलों में से एक है। [१२]
Crystals of native copper
इन्हीं कारणों से, कैंसर स्क्रीनिंग के लिए विचार करते समय नैदानिक प्रक्रिया और उपचार के लाभ तथा जोखिम पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है.
गद्य की प्रमुख विधा है 'उपन्यास'. आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रारम्भिक काल में एक अद्भुत औपन्यासिक प्रतिभा का उदय हुआ : प्रेमचंद. निर्मला, कर्मभूमि, रंगभूमि, गोदान इत्यादि अत्याधिक सफल एवं पठनीय उपन्यासों को रचकर प्रेमचंद 'उपन्यास सम्राट' कहलाये. उन्के जीवन्काल में ही नहीं, उनकी मृत्यु के पचास वर्षों बाद कॉपीराइट समाप्त हो जाने के बाद प्रकाशकों में उनके उपन्यास प्रकाशित करने की होड़ सी लग गयी. आज भी प्रेमचंद के हिन्दी के सर्वाधिक बिकने वाले उपन्यासकार हैं.
यूनाइटेड किंगडम में तीन अलग-अलग संसदों के सदस्य होते हैं:
अचानक नारद के आगमन से वे तीनों पूर्व वत हो गए। नारद ने ही श्री भगवान से प्रार्थना की कि हे भगवान आप चारों के जिस महाभाव में लीन मूर्तिस्थ रूप के मैंने दर्शन किए हैं, वह सामान्य जनों के दर्शन हेतु पृथ्वी पर सदैव सुशोभित रहे। महाप्रभु ने तथास्तु कह दिया।
पाण्डु महाभारत के एक पात्र थे। वे पाण्डवों के पिता और धृतराष्ट्र के कनिष्ट भ्राता थे। जिस समय हस्तिनापुर का सिंहासन सम्भालने के लिए धृतराष्ट्र को मनोनीत किया जा रहा था तब विदुर ने राजनीति ज्ञान की दुहाई देकर की एक नेत्रहीन व्यक्ति राजा नहीं हो सकता, पाण्डु को नरेश घोषित किया गया।
श्रीकृष्ण आत्म तत्व के मूर्तिमान रूप हैं। मनुष्य में इस चेतन तत्व का पूर्ण विकास ही आत्म तत्व की जागृति है। जीवन प्रकृति से उद्भुत और विकसित होता है अतः त्रिगुणात्मक प्रकृति के रूप में श्रीकृष्ण की भी तीन माताएँ हैं। 1- रजोगुणी प्रकृतिरूप देवकी जन्मदात्री माँ हैं, जो सांसारिक माया गृह में कैद हैं। 2- सतगुणी प्रकृति रूपा माँ यशोदा हैं, जिनके वात्सल्य प्रेम रस को पीकर श्रीकृष्ण बड़े होते हैं। 3- इनके विपरीत एक घोर तमस रूपा प्रकृति भी शिशुभक्षक सर्पिणी के समान पूतना माँ है, जिसे आत्म तत्व का प्रस्फुटित अंकुरण नहीं सुहाता और वह वात्सल्य का अमृत पिलाने के स्थान पर विषपान कराती है। यहाँ यह संदेश प्रेषित किया गया है कि प्रकृति का तमस-तत्व चेतन-तत्व के विकास को रोकने में असमर्थ है।
मेघालय में रेल लाइनें नहीं है। गुवाहाटी यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो शिलांग से 104 किलोमीटर दूर है। यहां से शिलांग पहुंचने में लगभग साढे तीन घन्टे लगते हैं। गुवाहाटी तक रेल के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से गुवाहाटी पहुंचने के लिए राजधानी समेत कई ट्रेनें हैं। गुवाहाटी से असम परिवहन निगम और मेघालय परिवहन निगम की बसें शिलांग से हर आधे घन्टे में चलती हैं। आप चाहें तो टैक्सी भी कर सकते हैं।
अक्षर (Letter / Alphabet) वर्णमाला प्रर्णाली में एक तत्व है. लिखित भाषा में प्रत्येक अक्षर आमतौर पर भाषा के रूप में बात की आवाज़ के साथ जुड़ा हुआ है. अक्षर किसी भी बोली, भाषा, व लेखनी का पहला तत्व भी है. इसी से शब्द बनते है जिनसे की वाक्य व जिनसे की कोई लेख बनता है. हिंदी वर्णमाला में अक्षरो को स्वर व व्यंजन प्रणाली में बाटा गया है जिससे की कोई शब्द बनता है. देवनागरी या हिंदी भाषा के सारे अक्षर नीचे देखे.
रायता सभी खाने के साथ चलता है
आचार्य विनोबा भावे ने नागरी लिपि के महत्व को स्वीकार करते हुए यहां तक कहा था "हिंदुस्तान की एकता के लिए हिंदी भाषा जितना काम देगी, उससे बहुत अधिक काम देवनागरी देगी। इसलिए मैं चाहता हूं कि सभी भाषाएं सिर्फ देवनागरी में भी लिखी जाएं। "सभी लिपियां चलें लेकिन साथ साथ देवनागरी का भी प्रयोग किया जाये। विनोबा जी "नागरी ही" नहीं "नागरी भी" चाहते थे। उन्हीं की सद्प्रेरणा से 1975 में नागरी लिपि परिषद की स्थापना हुई। जो भारत की एकतात्रा ऐसी संस्था है, जो नागरी लिपि के प्रचार प्रसार में लगी है। 1961 में पं जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में सम्पन्न मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन में भी यह सिफारश की गयी कि, "भारत की सभी भाषाओं के लिए एक लिपि अपनाना वांछनीय हैं। इतना ही नहीं, यह सब भाषाओं को जोड़ने वाली एक मजबूत कड़ी का काम करेगी और देश के एकीकरण में सहायक होगी। भारत की भाषायी स्थिति में यह जगह केवल देवनागरी ले सकती है। "16-17 जनवरी, 1960 को बेंगलोर में आयोजित 'ऑल इण्डिया देवनागरी कांग्रेस' में श्री अनंतशयनम् आयंगर ने भारतीय भाषाओं के लिए देवनागरी को अपनाये जाने का समर्थन किया था। नि:संदेह देवनागरी लिपि में वे गुण हैं, वह सभी भारतीय भाषाओं को जोड़ सकती है। यह संसार की सबसे अधिक वैज्ञानिक और ध्वन्यात्मक लिपि जो है।
पुन्नाथुर कोटा, गुरुवायुर में हाथी अभयारण्य
शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय (१५ सितंबर, १८७६ - १६ जनवरी, १९३८ ) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनका जन्म हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ। वे अपने माता-पिता की नौ संतानों में से एक थे। अठारह साल की अवस्था में उन्होंने इंट्रेंस पास किया। इन्हीं दिनों उन्होंने "बासा" (घर) नाम से एक उपन्यास लिख डाला, पर यह रचना प्रकाशित नहीं हुई। रवींद्रनाथ ठाकुर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। शरतचन्द्र ललित कला के छात्र थे लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह इस विषय की पढ़ाई नहीं कर सके। रोजगार के तलाश में शरतचन्द्र बर्मा गए और लोक निर्माण विभाग में क्लर्क के रूप में काम किया। कुछ समय बर्मा रहकर कलकत्ता लौटने के बाद उन्होंने गंभीरता के साथ लेखन शुरू कर दिया। बर्मा से लौटने के बाद उन्होंने अपना प्रसिद्ध उपन्यास श्रीकांत लिखना शुरू किया।[१] बर्मा में उनका संपर्क बंगचंद्र नामक एक व्यक्ति से हुआ जो था तो बड़ा विद्वान पर शराबी और उछृंखल था। यहीं से चरित्रहीन का बीज पड़ा, जिसमें मेस जीवन के वर्णन के साथ मेस की नौकरानी से प्रेम की कहानी है। जब वह एक बार बर्मा से कलकत्ता आए तो अपनी कुछ रचनाएँ कलकत्ते में एक मित्र के पास छोड़ गए। शरत को बिना बताए उनमें से एक रचना "बड़ी दीदी" का १९०७ में धारावाहिक प्रकाशन शुरु हो गया। दो एक किश्त निकलते ही लोगों में सनसनी फैल गई और वे कहने लगे कि शायद रवींद्रनाथ नाम बदलकर लिख रहे हैं। शरत को इसकी खबर साढ़े पाँच साल बाद मिली। कुछ भी हो ख्याति तो हो ही गई, फिर भी "चरित्रहीन" के छपने में बड़ी दिक्कत हुई। भारतवर्ष के संपादक कविवर द्विजेंद्रलाल राय ने इसे यह कहकर छापने से इन्कार कर दिया किया कि यह सदाचार के विरुद्ध है। विष्णु प्रभाकर द्वारा आवारा मसीहा शीर्षक रचित से उनका प्रामाणिक जीवन परिचय बहुत प्रसिद्ध है।[२]
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार .........
पिछले दो दशकों में शिक्षण शैली (learning styles) के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कार्य हुआ है दुन्न और dunn[५] ने लगभग उसी समय प्रासंगिक स्तिमुली की पह्चान, जो शिक्षण को प्रभावित करती है और पाठशाला के वातावरण से छेड़छाड़ करती है पर ध्यान केंद्रित किया जब जोसफ रेंज़ुल्ली (Joseph Renzulli)[६] ने बदलती शिक्षण रणनीतियों की सिफारिश की हॉवर्ड गार्डनर (Howard Gardner)[७] ने व्यक्तिगत प्रतिभा या योग्यताओं को अपने एकाधिक ज्ञान (Multiple Intelligences) सिद्धांत से बतलाया ज़ंग (Jung) के कामों के आधार पर मायर्स-ब्रिग्स प्रकार सूचक (Myers-Briggs Type Indicator) और Keirsey स्वभाव सॉर्टर (Keirsey Temperament Sorter)[८] ने यह समझने पर अपना ध्यान केंद्रित किया की कैसे लोगों के व्यक्तित्व उनके बातचीत के तरीके को प्रभावित करते हैं और सीखने के माहौल के भीतर यह एक दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं डेविड कोल्ब (David Kolb) और अन्थोनी ग्रेकोर्क (Anthony Gregorc) के प्रकार चित्रकार [९] समान किंतु सरलीकृत दृष्टिकोण को मानते हैं
सौपान साहित्यिक मंच
हिन्दू धर्म में सूर्योपासनाके लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होनेके कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्षमें दो बार मनाया जाता है, किन्तु काल क्रम मे अब यह बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश वासियों तक ही सीमित रह गया है।
भोजन के कैंसर से लड़ने वाले अवयव पहले की तुलना में अब अधिक असंख्य और विविध माने जाते हैं, अतः अब रोगियों को ज़्यादा से ज़्यादा स्वास्थ्य लाभ के लिए बड़े पैमाने पर ताजा, अप्रसंस्कृत फल और सब्जियों के उपभोग की सलाह दी जाती है. [६७]
फिर भी, जैक होमर गाँधी के जिन्ना के साथ पाकिस्तान के विषय को लेकर एक लंबे पत्राचार पर ध्यान देते हुए कहते हैं- "हालाँकि गांधी वैयक्तिक रूप में विभाजन के खिलाफ थे, उन्होंने सहमति का सुझाव दिया जिसके तहत कांग्रेस और मुस्लिम लीग अस्थायी सरकार के नीचे समझौता करते हुए अपनी आजादी प्राप्त करें जिसके बाद विभाजन के प्रश्न का फैसला उन जिलों के जनमत द्वारा होगा जहाँ पर मुसलमानों की संख्या ज्यादा है."[५९].
यहाँ ७५० शैलाश्रय हैं जिनमें ५०० शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं। पूर्व पाषाण काल से मध्य ऐतिहासिक काल तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा।[१] यह बहुमूल्य धरोहर अब पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। भीम बैठका क्षेत्र में प्रवेश करते हुए शिलाओं पर लिखी कई जानकारियां मिलती हैं। यहां के शैल चित्रों के विषय मुख्यतया सामूहिक नृत्य, रेखांकित मानवाकृति, शिकार, पशु-पक्षी, युद्ध और प्राचीन मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों से जुड़े हैं। चित्रों में प्रयोग किए गए खनिज रंगों में मुख्य रूप से गेरुआ, लाल और सफेद हैं और कहीं-कहीं पीला और हरा रंग भी प्रयोग हुआ है।[२]
राष्ट्रीय राजधानियों की सूची में विश्व के सभी देशों और उनकी राजधानियों के नाम, महाद्वीप और जनसंख्या के साथ दिए गए हैं जिन्हें क्रमबद्ध किया जा सकता है।
दैनिक स्टेट्स्मैन भारत मे प्रकाशित होने वाला एक बांग्ला भाषा का समाचार पत्र है।
Although many pages rely on this principle, it has become more common for each subject to have a separate page for its own stub.
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है। यदि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा E हो तो उसे विरामावस्था में लाने के लिये E के बराबर ऋणात्मक कार्य करना पडेगा।
ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है | पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र)जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था । उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि.मी.) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि.मी.) चौड़ा था ।
अचिन्त्य भेदाभेद दर्शन के अनुसार परब्रह्म का दूसरा नाम।
हिन्दीवाणी हिन्दी के लिये एक टैक्स्ट टू स्पीच इंजन है। यह सॅण्ट्रल इलॅक्ट्रॉनिक्स इञ्जनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है। यह डॉस प्रचालन तन्त्र पर कार्य करता है। एक हिन्दी सम्पादित्र में पाठ लिखा जाता है यह एक वर्णों के उच्चारणों के डेटाबेस के आधार पर कार्य करता है।
21.
यहां पर पक्षियों के मिलन स्थल का विहंगम दुश्य भी देख सकते है। यहां लगभग 300 पक्षियों की प्रजातियां हैं। पक्षियों की इन प्रजातियों में स्थानीय पक्षियों के अतिरिक्त सर्दियों में आने प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। यहां पाए जाने वाले प्रमुख पक्षियों में सारस, छोटी बत्तख, पिन्टेल, तालाबी बगुला, मोर-मोरनी, मुर्गा-मुर्गी, तीतर, बटेर, हर कबूतर, पहाड़ी कबूतर, पपीहा, उल्लू, पीलक, किंगफिशर, कठफोडवा, धब्बेदार पेराकीट्स आदि हैं।
(१) लक्ष्य क्या है ? महामुक्ति, आत्मोपलब्धि
सदा ह्रदि वहेम श्री हेमसूरे: सरस्वतीम ।
'रामेश्वरम् हिंदुओं का पवित्र तीर्थ है। उत्तर मे काशी की जो मानता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है। धार्मिक हिंदुओं के लिए वहां की यात्रा उतना की महत्व रखती है, जितना कि काशी को । रामेश्वरम् मद्रास से कोई सवा चार सौ मील दक्षिण-पूरब में है। मद्रास से रेल-गाड़ी यात्रियों को करीब बाईस घंटे में रामेश्वरम् पहुंचा देती है। रास्ते में पामबन स्टेशन पर गाड़ी बदलनी पड़ती है। रामेश्वरम् एक सुन्दर टापू है। हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी इसको चारों ओर से घेरे हुए है। इस हरे-भरे टापू की शकल शंख जैसी है। कहते हैं, पुराने जमाने में यह टापू भारत के साथ जुड़ा हुआ था, परन्तु बाद में सागर की लहरों ने इस मिलाने वाली कड़ी को काट डाला, जिससे वह चारों और पानी से घिरकर टापू बन गया। जिस स्थान पर वह जुडा हुआ था, वहां इससमस ढाई मील चौड़ी एक खाड़ी है। शुरू में इस खाड़ी को नावों से पार किया जाता था। बाद में आज से लगभग चार सौ बरसय पहले कृष्णप्पनायकन नाम के एक छोटे से राजा ने उसे पर पत्थर का बहुत बड़ा पुल बनवाया।
जिले का मुख्यालय [[ ]] है ।
इसी लिए आधुनिक युग के हमारे अग्रणी नेताओं, प्रबुद्ध विचारको और मनीषियों ने राष्ट्रीय एकता के लिए देवनागरी के प्रयोग पर बल दिया था। निश्चय ही ये सभी विचारक हिंदी क्षेत्रों के नहीं थे, अपितु इतर हिंदी प्रदेशों के ही थे। उनका मानना था कि भावात्मक एकता की दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लिए एक लिपि का होना आवश्यक है और यह लिपि केवल देवनागरी ही हो सकती हैं। श्री केशववामन पेठे, राजा राममोहन राय, शारदाचरण मित्र (1848-1916) ने नागरी लिपि के महत्व को समझते हुए देश भर में इसके प्रयोग को बढ़ाने की आवाज उठायी थी।
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स्वर : अ इ उ ए (ह्रस्व) ओ (ह्रस्व)
मिथुन लग्न में नक्षत्र स्वामी राहु लग्न में ऐसे हो तो राजनीति में उत्तम सफलता पाते हैं। वकालत में भी सफल होते हैं। चतुर्थ भाव में हो तो स्थानीय राजनीति में उत्तम सफलता मिलती है। तृतीय भाव में हो तो शत्रुहंता होगा। शनि की स्थिति में शनि में लग्न, चतुर्थ, नवम, पंचम में हो तो उत्तम सफलता पाने वाला होगा।
विनिमय दर/प्रति $ - ४८.५ रुपये (सम्प्रति सितंबर, २००९)।[१]
बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है । इसके प्रस्थापक महात्मा बुद्ध शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे । वे छठवीं से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जीवित थे । उनके गुज़रने के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ैला, और अगले दो हज़ार सालों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फ़ैल गया । आज, बौद्ध धर्म में तीन मुख्य सम्प्रदाय हैं: थेरवाद, महायान और वज्रयान । बौद्ध धर्म को पैंतीस करोड़ से अधिक लोग मानते हैं और यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है ।
सांसद शब्द का प्रयोग वेस्टमिंस्टर प्रणाली का अनुसरण न करनेवाले अन्य संसदीय गणतंत्रों /जिनमें अलग शब्द प्रयुक्त होते हैं, के अनुवाद के तौर पर भी किया जा सकता है, जैसे फ्रांस में डेपुटी, पुर्तगाल एवं ब्राजील में दिपुतादो, डेपुतादो या जर्मनी में मित्ग्लैद दे बुन्देस्तागेस (MdB) का प्रयोग किया जाता है. हालांकि, अक्सर बेहतर अनुवाद भी संभव है.
हैदराबाद में दो लिक सभा निर्वाचन क्षेत्र हैं: हैदराबाद एवं सिकंदराबाद। साथ ही शहर के कई भाग, दो अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के भी भाग हैं। यहां तेरह विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र हैं।
[[चित्र:Vadtaltemple.jpg|thumb| [[श्री स्वामीनारायण मंदिर, वडताल| वडताल (Vadtal), गुजरात में श्री स्वामीनारायण मंदिर]] ]] पश्चिम से इस्लामिक प्रभाव के आगमन के साथ ही , भारतीय वास्तुकला में भी नए धर्म कि परम्पराओं को अपनाना शुरू के गया.इस युग में बनी कुछ इमारतें हैं- फतेहपुर सीकरी, ताज महल, गोल गुम्बद (Gol Gumbaz), कुतुब मीनार दिल्ली का लाल किला आदि, ये इमारतें अक्सर भारत के अपरिवर्तनीय प्रतीक के रूप में उपयोग की जाती हैं.ब्रिटिश साम्राज्य के औपनिवेशिक शासन के दौरान हिंद-अरबी (Indo-Saracenic) और भारतीय शैली के साथ कई अन्य यूरोपीय शैलियों जैसे गोथिक के मिश्रण को विकसित होते हुए देखा गया, .विक्टोरिया मेमोरियल (Victoria Memorial) या विक्टोरिया टर्मिनस (Victoria Terminus) इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं.कमल मंदिर (Lotus Temple) और भारत की कई आधुनिक शहरी इमारतें इनमें उल्लेखनीय हैं.
द्विव्य जीवन
शान्ति के सारे प्रयास असफल हो जाने पर युद्ध आरम्भ हो गया। लक्ष्मण और मेघनाद के मध्य घोर युद्ध हुआ। शक्तिबाण के वार से लक्ष्मण मूर्क्षित हो गये। उनके उपचार के लिये हनुमान सुषेण वैद्य को ले आये और संजीवनी लाने के लिये चले गये। गुप्तचर से समाचार मिलने पर रावण ने हनुमान के कार्य में बाधा के लिये कालनेमि को भेजा जिसका हनुमान ने वध कर दिया। औषधि की पहचान न होने के कारण हनुमान पूरे पर्वत को ही उठा कर वापस चले। मार्ग में हनुमान को राक्षस होने के सन्देह में भरत ने बाण मार कर मूर्क्षित कर दिया परन्तु यथार्थ जानने पर अपने बाण पर बिठा कर वापस लंका भेज दिया। इधर औषधि आने में विलम्ब देख कर राम प्रलाप करने लगे। सही समय पर हनुमान औषधि लेकर आ गये और सुषेण के उपचार से लक्ष्मण स्वस्थ हो गये।[१६]
प्राचीन काल में एक साहुकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहुकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ हो ली। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहू का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।
प्राचीन भारत की भाँति ग्रीस की भी गणपरंपरा अत्यंत प्राचीन थीं। दोरियाई कबीलों ने ईजियन सागर के तट पर 12 वीं सदी ई. पू. में ही अपनी स्थिति बना ली। धीरे धीरे सारे ग्रीस में गणराज्यवादीं नगर खड़े हो गए। एथेंस, स्पार्ता, कोरिंथ आदि अनेक नगरराज्य दोरिया ग्रीक आवासों की कतार में खड़े हो गए। उन्होंने अपनी परंपराओं, संविधानों और आदर्शों का निर्माण किया, जनसत्तात्मक शासन के अनेक स्वरूप सामने आए। प्राप्तियों के उपलक्ष्यस्वरूप कीर्तिस्तंभ खड़े किए गए और ऐश्वर्यपूर्ण सभ्यताओं का निर्माण शुरू हो गया। परंतु उनकी गणव्यवस्थाओं में ही उनकी अवनति के बीज भी छिपे रहे। उनके ऐश्वर्य ने उनकी सभ्यता को भोगवादी बना दिया, स्पार्ता और एथेंस की लाग डाट और पारस्परिक संघर्ष प्रारंभ हो गए और वे आदर्श राज्य--रिपब्लिक--स्वयं साम्राज्यवादी होने लगे। उनमें तथाकथित स्वतंत्रता ही बच रही, राजनीतिक अधिकार अत्यंत सीमित लोगों के हाथों रहा, बहुल जनता को राजनीतिक अधिकार तो दूर, नागरिक अधिकार भी प्राप्त नहीं थे तथा सेवकों और गुलामों की व्यवस्था उन स्वतंत्र नगरराज्यों पर व्यंग्य सिद्ध होने लगी। स्वार्थ और आपसी फूट बढ़ने लगी। वे आपस में तो लड़े ही, ईरान और मकदूनियाँ के साम्राज्य भी उन पर टूट पड़े। सिकंदर के भारतीय गणराज्यों की कमर तोड़ने के पूर्व उसे पिता फिलिप ने ग्रीक गणराज्यों को समाप्त कर दिया था। साम्राज्यलिप्सा ने दोनों ही देशों के नगरराज्यों को डकार दिया।
पूर्व एशियाई मॉनसून इंडो-चीन, फिलिपींस, चीन, कोरिया एवं जापान के बड़े क्षेत्रों में प्रभाव डालता है। इसकी मुख्य प्रकृति गर्म, बरसाती ग्रीष्मकाल एवं शीत-शुष्क शीतकाल होते हैं। इसमें अधिकतर वर्षा एक पूर्व-पश्चिम में फैले निश्चित क्षेत्र में सीमित रहती है, सिवाय पूर्वी चीन के जहां वर्षा पूर्व-पूर्वोत्तर में कोरिया व जापान में होती है। मौसमी वर्षा को चीन में मेइयु, कोरिया में चांग्मा और जापान में बाई-यु कहते हैं। ग्रीष्मकालीन वर्षा का आगमन दक्षिण चीन एवं ताईवान में मई माह के आरंभ में एक मॉनसून-पूर्व वर्षा से होता है। इसके बाद मई से अगस्त पर्यन्त ग्रीष्मकालीन मॉनसून अनेक शुष्क एवं आर्द्र शृंखलाओं से उत्तरवर्ती होता जाता है। ये इंडोचाइना एवं दक्षिण चीनी सागर (मई में) से आरंभ होक्र यांग्तज़े नदी एवं जापान में (जून तक) और अन्ततः उत्तरी चीन एवं कोरिया में जुलाई तक पहुंचता है। अगस्त में मॉनसून काल का अन्त होते हुए ये दक्षिण चीन की ओर लौटता है।
दिसंबर १९२१ में गांधी जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस.का कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में कांग्रेस को स्वराज.के नाम वाले एक नए उद्देश्य के साथ संगठित किया गया। पार्दी में सदस्यता सांकेतिक शुल्क का भुगताने पर सभी के लिए खुली थी। पार्टी को किसी एक कुलीन संगठन की न बनाकर इसे राष्ट्रीय जनता की पार्टी बनाने के लिए इसके अंदर अनुशासन में सुधार लाने के लिए एक पदसोपान समिति गठित की गई। गांधी जी ने अपने अहिंसात्मक मंच को स्वदेशी नीति — में शामिल करने के लिए विस्तार किया जिसमें विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। इससे जुड़ने वाली उनकी वकालत का कहना था कि सभी भारतीय अंग्रेजों द्वारा बनाए वस्त्रों की अपेक्षा हमारे अपने लोगों द्वारा हाथ से बनाई गई खादी पहनें। गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन [५] को सहयोग देने के लिएपुरूषों और महिलाओं को प्रतिदिन खादी के लिए सूत कातने में समय बिताने के लिए कहा। यह अनुशासन और समर्पण लाने की ऐसी नीति थी जिससे अनिच्छा और महत्वाकाक्षा को दूर किया जा सके और इनके स्थान पर उस समय महिलाओं को शामिल किया जाए जब ऐसे बहुत से विचार आने लगे कि इस प्रकार की गतिविधियां महिलाओं के लिए सम्मानजनक नहीं हैं। इसके अलावा गांधी जी ने ब्रिटेन की शैक्षिक संस्थाओं तथा अदालतों का बहिष्कार और सरकारी नौकरियों को छोड़ने का तथा सरकार से प्राप्त तमगों और सम्मान (honours)को वापस लौटाने का भी अनुरोध किया।
फिजी में 322 द्वीप हैं(जिनमें से 106 बसे हुए हैं) इसके अतिरिक्त 522 क्षुद्रद्वीप हैं। द्वीप के दो सबसे महत्वपूर्ण द्वीप हैं विती लेवु और वनुआ लेवु। ये द्वीप पहाड़ी हैं, जिनमे 1300 मीटर (4250 फुट) तक की चोटियां हैं, जो उष्णकटिबंधीय वनों से आच्छादित हैं। राजधानी सुवा विती लेवू मे स्थित है और देश की लगभग तीन चौथाई आबादी का घर है। अन्य महत्वपूर्ण शहरों में शामिल हैं नाड़ी (अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा यहाँ स्थित है) , और लौतोका (एक बडी़ चीनी मिल और समुद्री-पत्तन यहाँ स्थित हैं)।
काठमाण्डु · जनकपुरधाम · वाराह क्षेत्र
पाकिस्तान की संवैधानिक भाषा अंग्रेज़ी और राष्ट्रीय भाषा उर्दू है। पंजाबी यहाँ सबसे अधिक बोली जाने वाली स्थानीय भाषा है पर इसको कोई संवैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं है।
रायपुरबा- यह भी बिहार राज्य के चम्पारण जिले में स्थित है ।
ठेठरी एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है।
1977 - जनरल ज़िया-उर-रहमान राष्ट्रपति बने. इस्लाम को सांविधानिक मान्यता दी गई.
उपन्यास
श्रीमति मीरा कुमार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से हैं। वे पंद्रहवीं लोकसभा में बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। वर्तमान मैं श्रीमति मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष है । वह लोकसभा की पहली महिला स्पीकर के रूप में 3 जून 2009 को निर्विरोध चुनी गयी।
अध्ययन-अनुसंधान की विभा के साथ वे वहाँ से प्रभूत सामग्री लेकर लौटे, जिसके कारण हिन्दी भाषा एवं साहित्य की इतिहास संबंधी कई पूर्व निर्धारित मान्यताओं एवं निष्कर्षों में परिवर्तन होना अनिवार्य हो गया। साथ ही शोध एवं अध्ययन के नए क्षितिज खुले।
जनकप्रतिज्ञा मिथिला के राजा जनक के द्वारा की गई प्रतिज्ञा थी। इस प्रतिज्ञा के अनुसार जो कोई भी शिवधनुष की प्रत्यंचा चढ़ा देता उससे राजा जनक अपनी पुत्री सीता का विवाह कर देते।
पांचरात्र शास्त्रों के अनुसार बलराम (बलभद्र) भगवान् वासुदेव के ब्यूह या स्वरूप हैं। उनका कृष्ण के अग्रज और शेष का अवतार होना ब्राह्मण धर्म को अभिमत है। जैनों के मत में उनका संबंध तीर्थकर नेमिनाथ से है। बलराम या संकर्षण का पूजन बहुत पहले से चला आ रहा था, पर इनकी सर्वप्राचीन मूर्तियाँ मथुरा और ग्वालियर के क्षेत्र से प्राप्त हुई हैं। ये शुंगकालीन हैं। कुषाणकालीन बलराम की मूर्तियों में कुछ व्यूह मूर्तियाँ अर्थात् विष्णु के समान चतुर्भुज प्रतिमाए हैं, और कुछ उनके शेष से संबंधित होने की पृष्ठभूमि पर बनाई गई हैं। ऐसी मूर्तियों में वे द्विभुज हैं और उनका मस्तक मंगलचिह्नों से शोभित सर्पफणों से अलंकृत है। बलराम का दाहिना हाथ अभयमुद्रा में उठा हुआ है और बाएँ में मदिरा का चषक है। बहुधा मूर्तियों के पीछे की ओर सर्प का आभोग दिखलाया गया है। कुषाण काल के मध्य में ही व्यूहमूर्तियों का और अवतारमूर्तियों का भेद समाप्तप्राय हो गया था, परिणामत: बलराम की ऐसी मूर्तियाँ भी बनने लगीं जिनमें नागफणाओं के साथ ही उन्हें हल मूसल से युक्त दिखलाया जाने लगा। गुप्तकाल में बलराम की मूर्तियों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। उनके द्विभुज और चतुर्भुज दोनों रूप चलते थे। कभी-कभी उनका एक ही कुंडल पहने रहना "बृहत्संहिता" से अनुमोदित था। स्वतंत्र रूप के अतिरिक्त बलराम तीर्थंकर नेमिनाथ के साथ, देवी एकानंशा के साथ, कभी दशावतारों की पंक्ति में दिखलाई पड़ते हैं।
पुराने भवन एवं किलों के अवशेष से कुछ इतिहासविदों का मानना है कि यह शहर ९ वीं सदी से अस्तित्व में है। लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह १४ वीं सदी में बसा था।
बल्यू सिटी के नाम से प्रसिद्ध जोधपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे छितर के पत्थरो से होती है, पन्द्रहवी शताब्दी का विशालकाय मेहरानगढ़ किला, पथरीली चट्टान पहाड़ी पर, मैदान से 125 मीटर ऊंचाई पर विधमान है। आठ द्वारों व अनगिनत बुजों से युक्त यह शहर दस किलोमीटर लंबी ऊंची दीवार से घिरा है।
माइकल का उनके ५३ वें जन्मदिन पर देहांत हो गया। १९८९ में अपनी पत्नी की नजरबंदी के बाद से माइकल उनसे केवल पाँच बार मिले। सू की के बच्चे आज अपनी मां से अलग ब्रिटेन में रहते हैं।
संगम के निकट स्थित यह मंदिर उत्तर भारत के मंदिरों में अद्वितीय है।
22 अप्रैल 2008 को, मालदीव के उस समय के राष्ट्रपति मॉमून अब्दुल गयूम ने विश्वीय ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती के लिए अनुरोध किया, यह चेतावनी देते हुए कि समुद्र का जल स्तर बढ़ने पर मालदीव का द्वीप राष्ट्र डूब सकता है. 2009 में, बाद के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने प्रतिज्ञा ली कि वह मालदीवज को सौर एंव पवन शक्ति से एक दशक के भीतर कार्बन निष्पक्ष बना देंगे.[१७] हाल ही में, राष्ट्रपति नशीद ने मालदीवज जैसे नीचले देशो को जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, 17 अक्टूबर 2009 को दुनिया की पहली अन्तर्जलीय कैबिनेट बैठक आयोजित की.[१८]
बादशाह अकबर (1556-1605) ने बहुत निर्माण करवाया, एवं उसके काल में इस शैली ने खूब विकास किया। गुजरात एवं अन्य शैलियों में, मिस्लिम एवं हिंदु लक्षण, उसके निर्माण में दिखाई देते हैं। अकबर ने फतेहपुर सीकरी का शाही नगर 1500 में बसाया, जो कि आगरा से 26 मील (42 कि मी) पश्चिम में है। फतेहपुर सीकरी का अत्यधिक निर्माण , उसकी कार्य शैली को सर्वाधिक दर्शाता है। वहाँ की वृहत मस्जिद, उसकी कार्य शैली को सर्वोत्तम दर्शाती है, जिसका कि कोई दूसरा जोड़ मिलना मुश्किल है। यहाँ का दक्षिण द्वार, अति प्रसिद्ध है, एवं इसका कोई जोड़ पूरे भारत में नहीं है। यह विश्व का सर्वाधिक ऊँचा द्वार है, जिसे बुलंद दरवाजा कहते हैं। मुगलों ने प्रभाचशाली मकबरे बनवाए, जिनमें अकबर के पिता हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली में, एवं अकबर का मकबरा, सिकंदरा, आगरा के पास स्थित है। यह दोनों ही अपने आप में बेजोड़ हैं।
ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन बहुत महत्वपूर्ण है.2004 में 270 लाख पर्यटकों पहुंचने के साथ, यूनाइटेड किंगडम को दुनिया में छठा प्रमुख पर्यटन स्थल क्रमित किया गया है.[१६६] लंदन काफी मार्जिन से दुनिया का सबसे का दौरा किया जाने वाला शहर है जहाँ 2006 में 156 लाख पर्यटक आए, दुसरे पद में बैंकॉक (104 लाख) औए तीसरे पदक पेरिस (97 लाख) से आगे.[१६७]
बारीसाल बांग्लादेश का एक उपक्षेत्र है इसका मुख्यालय बारीसाल है। इस उपक्षेत्र या प्रान्त में ६ जिले हैं। बरगुना, बारीसाल, भोला, झालोकटी, पतुआखाली, पीरोजपुर
साँचा:अक्तूबर कैलंडर२०११ 27 अक्तूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 300वॉ (लीप वर्ष मे 301 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 65 दिन बाकी है।
५. निग्लीवा- नेपाल के तराई में है ।
गाजियाबाद हवाई, रेल और सड़क के द्वारा पहुंचा जा सकता है। सबसे पास का हवाई अड्डा, जो यहाँ से लगभग 45 किलोमीटर है इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। सड़क मार्ग से गाजियाबाद चारों तरफ से दिल्ली , नोएडा, हापुड़, मेरठ, सहारनपुर, हरिद्वार, आदि से जुडा़ है। गाजियाबाद से बड़ी संख्या में लोग हर रोज काम के लिए दिल्ली जाते हैं। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) भी एएलटीटीसी से आईटीओ, दिल्ली के लिये बसें चलाता है। यह बस सेवा, गाजियाबाद से हर पन्द्रह मिनट चलती है। एक और डीटीसी बस सेवा प्रताप विहार से शिवाजी स्टेडियम (कनॉट प्लेस), नई दिल्ली के लिए चलती है। गाजियाबाद रेलवे लाइन के माध्यम से भी देश के सभी भागों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह एक रेलवे जंक्शन है और कई लाइनें है गाजियाबाद से गुजरती हैं। मुख्य रेलवे स्टेशन शहर के बीच में स्थित है।
श्री माधवाचार्य ने `पंच भेद` का अध्ययन किया जो `अत्यन्त भेद दर्शनम्´ भी कहा जाता है। उसकी पांच विशेशतायें हैं :
भक्ति से तात्पर्य: रामानुज के अनुसार भक्ति का अर्थ पूजा-पाठ या किर्तन-भजन नहीं बल्कि ध्यान करना या ईश्वर की प्रार्थना करना है। सामाजिक परिप्रेक्ष्य से रामानुजाचार्य ने भक्ति को जाति एवं वर्ग से पृथक तथा सभी के लिए संभव माना है।
मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया का दूसरा बड़ा और दूसरा पुराना शहर है। यह ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य की राजधानी है। इस शहर को २५ जून १८५० मे बसाया गया था। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। कला और संस्कृति का केंद्र मेलबर्न पोर्ट फिलिप खाड़ी के पास स्थित है। प्राय: इस शहर को ऑस्ट्रेलिया की खेल और सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। मेलबर्न की स्थापना 1835 में हुई थी। बाद में कई सालों तक यह ऑस्ट्रेलिया का प्रमुख शहर बना रहा। 1901 से 1927 तक मेलबर्न यहां की राजधानी भी रहा। अपनी वैश्िवक अपील के कारण यह पर्यटकों को भी पसंद आता है। यहां के प्रमुख पर्यटक स्थलों की बात की जाए तो इन जगहों का सबसे पहले आता है:
वैष्णव मन्दिरों की सूची
चोपता गोपेश्वर-ऊखीमठ मार्ग से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गढ़वाल क्षेत्र में स्थित चोपता यहां के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। यहाँ तुंगनाथ का प्राचीन मन्दिर है।
8. राज्य की पृथक दंड संहिता तथा दंड प्रक्रिया संहिता है
कोलकाता विश्वविद्यालय भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक विश्वविद्यालय है ।
DVD ऑप्टिकल डिस्क के यांत्रिक, भौतिक और ऑप्टिकल विशेषताओं के कुछ विनिर्देशों को ISO वेबसाइट से मुफ्त उपलब्ध मानक के रूप में डाउनलोड किया जा सकता है. [७] इसके अलावा, DVD + RW एलायंस, टक्कर के DVD विनिर्देशों को प्रकाशित करता है, जैसे DVD+R, DVD+R DL, DVD+RW या DVD+RW DL. ये DVD फ़ॉर्मेट भी ISO मानक हैं.[८][९][१०][११]
पन्द्रह अप्रेल 1949 को मत्स्य संध का विलय ग्रेटर राजस्थान में करने की औपचारिकता भी भारत सरकार ने निभा दी। भारत सरकार ने 18 मार्च 1948 को जब मत्स्य संघ बनाया था तभी विलय पत्र में लिख दिया गया था कि बाद में इस संघ का राजस्थान में विलय कर दिया जाएगा। इस कारण भी यह चरण औपचारिकता मात्र माना गया।
शहर के प्रमुख अंग्रेज़ी समाचार-पत्रों में द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, द पाइनियर एवं इंडियन एक्स्प्रेस हैं। इनके अलावा भी बहुत से समाचार दैनिक अंग्रेज़ी, हिन्दी एवं उर्दू भाषाओं में शहर से प्रकाशित होते हैं। हिन्दी समाचार पत्रों में स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण, अमर उजाला, दैनिक हिन्दुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, जनसत्ता एवं आई नेक्स्ट हैं। प्रमुख उर्दू समाचार दैनिकों में जायज़ा दैनिक, राष्ट्रीय सहारा, सहाफ़त, क़ौमी खबरें एवं आग हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्घ है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं में उलझकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है और उसके पश्चात जीवन के समरांगण से पलायन करने का मन बना लेता है उसी प्रकार अर्जुन जो महाभारत का महानायक है अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकर जीवन और क्षत्रिय धर्म से निराश हो गया है, अर्जुन की तरह ही हम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति में या तो हताश हो जाते हैं और या फिर अपनी समस्याओं से उद्विग्न होकर कर्तव्य विमुख हो जाते हैं। भारत वर्ष के ऋषियों ने गहन विचार के पश्चात जिस ज्ञान को आत्मसात किया उसे उन्होंने वेदों का नाम दिया। इन्हीं वेदों का अंतिम भाग उपनिषद कहलाता है। मानव जीवन की विशेषता मानव को प्राप्त बौद्धिक शक्ति है और उपनिषदों में निहित ज्ञान मानव की बौद्धिकता की उच्चतम अवस्था तो है ही, अपितु बुद्धि की सीमाओं के परे मनुष्य क्या अनुभव कर सकता है उसकी एक झलक भी दिखा देता है। उसी औपनिषदीय ज्ञान को महर्षि वेदव्यास ने सामान्य जनों के लिए गीता में संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया है। वेदव्यास की महानता ही है, जो कि ११ उपनिषदों के ज्ञान को एक पुस्तक में बाँध सके और मानवता को एक आसान युक्ति से परमात्म ज्ञान का दर्शन करा सके।
प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में २२ मील दूर नदिया जिले में गंगा नदी के किनारे 'प्लासी' नामक स्थान में हुआ था. इस युद्ध में एक ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना थी तो दूसरी ओर थी बंगाल के नवाब की सेना. कंपनी की सेना ने रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में नबाव सिराज़ुद्दौला को हरा दिया था.किंतु इस युद्ध को कम्पनी की जीत नही मान सकते कयोंकि युद्ध से पूर्व ही नवाब के तीन सेनानायक, उसके दरबारी, तथा राज्य के अमीर सेठ जगत सेठ आदि से कलाइव ने षडंयत्र कर लिया था। नवाब की तो पूरी सेना ने युद्ध मे भाग भी नही लिया था युद्ध के फ़ौरन बाद मीर जाफर के पुत्र मीरन ने नवाब की हत्या कर दी थी। युद्ध को भारत के लिए बहुत दुर्भाग्य् पूर्ण माना जाता है इस युद्ध से ही भारत की दासता की कहानी शुरू होती है|
उस समय भगत सिंह करीब १२ वर्ष के थे जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से १२ मील पैदल चलकर जलियांवाला बाग पहुंच गए। इस उम्र में भगत सिंह अपने चाचाओं की क्रांतिकारी किताबे पढ़ कर सोचते थे कि इनका रास्ता सही है कि नहीं ? गांधीजी के असहयोग आन्दोलन छिड़ने के बाद वे गांधीजी के तरीकों और हिंसक आन्दोलन में से अपने लिए रास्ता चुनने लगे । गांधीजी के असहयोग आन्दोलन को रद्द कर देने कि वजह से उनमे एक रोश् ने जन्म लिया और अंततः उन्होंने 'इंकलाब और देश कि स्वतन्त्रता के लिए हिंसा' को अपनाना अनुचित नहीं समझा । उन्होंने कई जुलूसों में भाग लेना शुरु किया तथा कई क्रांतिकारी दलों के सदस्य बने । बाद मे वो अपने दल के प्रमुख क्रान्तिकारियो के प्रतिनिधि बने। उनके दल मे प्रमुख क्रन्तिकारियो मे आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यदि थे।
बेलगाछिया कोलकाता का एक क्षेत्र है।
१९ . पिकार्दिए
उर्दू का मूल आधार तो खड़ीबोली ही है किंतु दूसरे क्षेत्रों की बोलियों का प्रभाव भी उसपर पड़ता रहा। ऐसा होना ही चाहिए था, क्योंकि आरंभ में इसको बोलनेवाली या तो बाजार की जनता थी अथवा वे सुफी-फकीर थे जो देश के विभिन्न भागों में घूम-घूमकर अपने विचारों का प्रचार करते थे। इसी कारण इस भाषा के लिए कई नामों का प्रयोग हुआ है। अमीर खुसरो ने उसको "हिंदी", "हिंदवी" अथवा "ज़बाने देहलवी" कहा था; दक्षिण में पहुँची तो "दकिनी" या "दक्खिनी" कहलाई, गुजरात में "गुजरी" (गुजराती उर्दू) कही गई; दक्षिण के कुछ लेखकों ने उसे "ज़बाने-अहले-हिंदुस्तान" (उत्तरी भारत के लोगों की भाषा) भी कहा। जब कविता और विशेषतया गजल के लिए इस भाषा का प्रयोग होने लगा तो इसे "रेख्ता" (मिली-जुली बोली) कहा गया। बाद में इसी को "ज़बाने उर्दू", "उर्दू-ए-मुअल्ला" या केवल "उर्दू" कहा जाने लगा। यूरोपीय लेखकों ने इसे साधारणत: "हिंदुस्तानी" कहा है और कुछ अंग्रेज लेखकों ने इसको "मूस" के नाम से भी संबोधित किया है। इन कई नामों से इस भाषा के ऐतिहासिक विकास पर भी प्रकार पड़ता है।
कोरिया के तीन साम्राज्य (गोगुरियो, सिला, और बैक्जे) ने साझा काल के दौरान प्रायद्वीप और मंचूरिया के हिस्सों पर प्रभाव जमाया. आर्थिक और सैन्य, दोनों ही रूप से उन्होंने एक दूसरे से होड़ ली.
Թող միշտ պանծա Հայաստան։
श्री रामचन्द्र शुक्ल
एक्सचेंज ट्रेडिड फंड का आरंभ १९९० के दशक के प्रारम्भिक दौर में हुआ था। इसे पहली बार टोरंटो स्टॉक एक्सचेंज में प्रतुत किया गया था, और इसी दशाक में अमेरिका और अन्य बाजारों में इसे आरंभ किया गया।[१] भारत में इसकी स्थापना काफ़ी बाद में २००० के दशक के उत्तरार्ध में हुई थी। २००७ में पहले गोल्ड ईटीएफ की स्थापना हुई और उसके बाद यूटीआई, कोटक और प्रूडेंशियल और रिलायंस ने गोल्ड ईटीएफ को बाजार में निकाले।
पश्चिमी दवा में, कभी-कभी मरीजों को शाकाहारी भोजन का पालन करने की सलाह दी जाती है.[८९] रुमेटी गठिया के लिए एक इलाज के रूप में शाकाहारी आहार का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह कारगर है या नहीं, इसके प्रमाण अनिर्णायक हैं.[९०] डॉ.डीन ओर्निश, एमडी, ने यूसीएसएफ (UCSF) में अनेक अच्छी तरह से नियंत्रित अध्ययन किये, जिसने कम वसा वाले शाकाहारी भोजन सहित जीवन शैली में हस्तक्षेप के जरिये कोरोनरी धमनी रोग को वास्तव में ठीक कर दिया. आयुर्वेद और सिद्ध जैसी कुछ वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में शाकाहारी भोजन की सलाह देती हैं.[nb २]
वे कभी कहते हैं-
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बाँधवगढ़ की पहाड़ी पर 2 हजार वर्ष पुराना किला बना है।
इस की केन्द्रीय स्थिति को देखते हुए, अकबर ने इसे अपनी राजधानी बनाना निश्चित किया, व सन 1558 में यहां आया। उसके इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा है, कि यह किला एक ईंटों का किला था, जिसका नाम बादलगढ़ था। यह तब खस्ता हालत में था, व अकबर को इसि दोबारा बनवाना पड़ा, जो कि उसने लाल बलुआ पत्थर से निर्मण करवाया। इसकी नींव बड़े वास्तुकारों ने रखी। इसे अंदर से ईंटों से बनवाया गया, व बाहरी आवरण हेतु लाल बलुआ पत्तह्र लगवाया गया। इसके निर्माण में चौदह लाख चवालीस हजार कारीगर व मजदूरों ने आठ वर्षों तक मेहनत की, तब सन 1573 में यह बन कर तैयार हुआ।
" मृतकों, अनाथ तथा बेघरों के लिए इससे क्या फर्क पड़ता है कि स्वतंत्रता और लोकतंत्र के पवित्र नाम के नीचे संपूर्णवाद का पागल विनाश छिपा है।
विषय की गम्भीरता तथा विवेचन की विशदता के कारण १३ उपनिषद् विशेष मान्य तथा प्राचीन माने जाते हैं। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने १० पर अपना भाष्य दिया है- (१) ईश, (२) ऐतरेय (३) कठ (४) केन (५) छांदोग्य (६) प्रश्न (७) तैत्तिरीय (८) बृहदारण्यक (९) मांडूक्य और (१०) मुंडक। उन्होने निम्न तीन को प्रमाण कोटि में रखा है- (१) श्वेताश्वतर (२) कौषीतकि तथा (३) मैत्रायणी।
अशोक के उत्तराधिकारी- जैन, बौद्ध तथा ब्राह्मण ग्रन्थों में अशोक के उत्तराधिकारियों के शासन के बारे में परस्पर विरोधी विचार पाये जाते हैं । पुराणों में अशोक के बाद ९ या १० शासकों की चर्चा है, जबकि दिव्यादान के अनुसार ६ शासकों ने असोक के बाद शासन किया । अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य पश्चिमी और पूर्वी भाग में बँट गया । पश्चिमी भाग पर कुणाल शासन करता था, जबकि पूर्वी भाग पर सम्प्रति का शासन था लेकिन १८० ई. पू. तक पश्चिमी भाग पर बैक्ट्रिया यूनानी का पूर्ण अधिकार हो गया था । पूर्वी भाग पर दशरथ का राज्य था । वह मौर्य वंश का अन्तिम शासक है ।
सन् १७०० के आस पास दखिनी के प्रसिद्ध कवि शम्स वलीउल्ला 'वली' दिल्ली आए। यहाँ आने पर शुरू में तो वली ने अपनी काव्यभाषा दखिनी ही रखी, जो भारतीय वातावरण के निकट थी। पर बाद में उनकी रचनाओं पर अरबी-फारसी की परंपरा प्रवर्तित हुई। आरंभ की दखिनी में फारसी प्रभाव कम मिलता है। दिल्ली की परवर्ती उर्दू पर फारसी शब्दावली और विदेशी वातावरण का गहरा रंग चढ़ता गया। हिंदी के शब्द ढूँढकर निकाल फेंके गए और उनकी जगह अरबी फारसी के शब्द बैठाए गए। मुगल साम्राज्य के पतनकाल में जब लखनऊ उर्दू का दूसरा केंद्र हुआ तो उसका हिंदीपन और भी सतर्कता से दूर किया। अब वह अपने मूल हिंदी से बहुत भिन्न हो गई।
350,000 की अनुमानित स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाई आबादी जो यूरोपियन अवस्थापन के समय थी, [२३]उसमे मुख्यत: स्पर्शसंचारी बिमारियों के कारण 150 वर्षो तक चिन्ताजनक तरीके से कमी आई.[२४]"चुराई गई पीढ़ी"(आदिवासी बच्चों को उनके परिवारों से हटाना), जिस पर हेनरी रेनॉल्ड्स जैसे इतिहासकार दलील देते है की इसे जाति संहार का कारण मानना चाहिए, [२५]जिसने शायद स्वदेशी जनसंख्या को कम करने में भी अपना योगदान दिया.[२६]
आपने उद्घोष किया कि आँख मूँदकर किसी का अनुकरण या अनुसरण मत करो। धर्म दिखावा नहीं है, रूढ़ि नहीं है, प्रदर्शन नहीं है, किसी के भी प्रति घृणा एवं द्वेषभाव नहीं है। आपने धर्मों के आपसी भेदों के विरुद्ध आवाज उठाई। धर्म को कर्म-कांडों, अंधविश्वासों, पुरोहितों के शोषण तथा भाग्यवाद की अकर्मण्यता की जंजीरों के जाल से बाहर निकाला। आपने घोषणा की कि धर्म उत्कृष्ट मंगल है।
१९७२ में मुक्तिदाता,
प्राची (मध्य देश)- पाटलिपुत्र
उत्तरकाशी ऋषिकेश से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शहर है, जो उत्तरकाशी जिले का मुख्यालय है। यह शहर भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्िट से भी महत्वपूर्ण शहर है। यहां भगवान विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां एक तरफ जहां पहाड़ों के बीच बहती नदियां दिखती हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं। यहां आप पहाड़ों पर चढ़ाई का लुफ्त भी उठा सकते हैं।
अन्तिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र ने कर दी। इससे मौर्य साम्राज्य समाप्त हो गया।
सूरीनाम, आधिकारिक तौर पर सूरीनाम गणराज्य, दक्षिण अमरीका महाद्वीप के उत्तर में स्थित एक देश है। सूरीनाम पूर्व में फ्रेंच गुयाना और पश्चिमी गयाना स्थित है। देश की दक्षिणी सीमा ब्राजील और उत्तरी सीमा अंध महासागर से मिलती है। देश की मरोविजने और कोरंतिज नदी पर फ्रेंच गुयाना और गयाना से धुर दक्षिण में मिलने वाली सीमा विवादास्पद है। सूरीनाम दक्षिण अमरीका का क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से सबसे छोटा संप्रभु देश है। इसकी राजधानी पारामारिबो है। यह पश्चिमी गोलार्ध पर एकलौता डच भाषी क्षेत्र है, जो नीदरलैंड राजशाही का हिस्सा नहीं है। सूरीनाम का समाज बहुसांस्कृतिक है, जिसमें अलग-अलग जाति, भाषा और धर्म वाले लोग निवास करते हैं। देश की एक चौथाई जनता प्रति दिन 2 डा़लर से कम पर जीवनयापन करती है।
आने वाले वर्षो मे भारत मे स्वतंत्रता संग्राम, देश विभाजन जैसी ऎतिहासिक घटना हुई। उन दरमान बनी हिंदी फिल्मो मे इसका प्रभाव छाया रहा। 1950 के दशक मे हिंदी फिल्मे श्वेत-श्याम से रंगीन हो गई। फिल्मे का विषय मुख्यतः प्रेम होता था, और संगीत फिल्मो का मुख्य अंग होता था। 1960-70 के दशक की फिल्मो मे हिंसा का प्रभाव रहा। 1980 और 1990 के दशक से प्रेम आधारित फिल्मे वापस लोकप्रिय होने लगी। 1990-2000 के दशक मे समय की बनी फिल्मे भारत के बाहर भी काफी लोकप्रिय रही। प्रवासी भारतीयो की बढती संख्या भी इसका प्रमुख कारण थी। हिंदी फिल्मो मे प्रवासी भारतीयो के विषय लोकप्रिय रहे।
इनके उपन्यास चार प्रकार के हैं-
कश्मीरी का स्थानीय नाम का शुर है; पर 17वीं शती तक इसके लिए "भाषा" या "देशभाषा" नाम ही प्रचलित रहा। संभवत: अन्य प्रदेशों में इसे कश्मीरी भाषा के नाम से ही सूचित किया जाता रहा। ऐतिहासिक दृष्टि से इस नाम का सबसे पहला निर्देश अमीर खुसरो (13वीं शती) की नुह-सिपिह्न (सि. 3) में सिंधी, लाहौरी, तिलंगी और माबरी आदि के साथ चलता हे। स्पष्टत: यह दिशा वही है जो पंजाबी, सिंधी, गुजराती, मराठी, बँगला, [[हिंदी और उर्दू आदि भारतार्य भाषाओं की रही है।
एक साल में १२ महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में १५ दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में २७ नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं।१२ मास का एक वर्ष और ७ दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पैर रखा जाता है। यह १२ राशियाँ बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि मे प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र मे होता है उसी आधार पैर महीनो का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से ११ दिन ३ घड़ी ४८ पल छोटा है। इसीलिए हर ३ वर्ष मे इसमे एक महीना जोड़ दिया जाता है जिसे अधिक मास कहते हैं।
2 ATP
एस. टी. डी (STD) कोड - ०५७३२
7 = त थ द ध न 7 ऩ
समाचार सेवा प्रभाग 24 घण्टे कार्य करता है और यह स्वदेशी तथा बाह्य सेवाओं में 500 से अधिक समाचार बुलेटिन का प्रसारण करता है। ये बुलेटिन भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में होते हैं। इसका नेतृत्व महानिदेशक, समाचार सेवा करते हैं। यहां 44 क्षेत्रीय समाचार इकाइयां हैं। विदेशी सेवा प्रभाग
परसाई जबलपुर व रायपुर से प्रकाशित अखबार देशबंधु में पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते थे। स्तम्भ का नाम था-पूछिये परसाई से। पहले पहल हल्के, इश्किया और फिल्मी सवाल पूछे जाते थे। धीरे-धीरे परसाई जी ने लोगों को गम्भीर सामाजिक-राजनैतिक प्रश्नों की ओर प्रवृत्त किया। दायरा अंतर्राष्ट्रीय हो गया। यह सहज जन शिक्षा थी। लोग उनके सवाल-जवाब पढ़ने के लिये अखबार का इंतजार करते थे।
यह इटली का सबसे घना बसा हुआ मैदानी भाग है जो तुरीय काल में समुद्र था, बाद में नदियों की लाई हुई मिट्टी से बना। यह मैदान देश की 17 प्रतिशत भूमि घेरे हुए है जिसमें चावल, शहतूत तथा पशुओं के लिए चारा बहुतायत से पैदा होता है। उत्तर में आल्प्स पहाड़ की ढाल तथा पहाड़ियाँ हैं जिनपर चरागाह, जंगल तथा सीढ़ीनुमा खेत हैं। पर्वतीय भाग की प्राकृतिक शोभा कुछ झीलों तथा नदियों से बहुत बढ़ गई है। उत्तरी इटली का भौगोलिक वर्णन पो नदी के माध्यम ये ही किया जा सकता है। पो नदी एक पहाड़ी सोते के रूप में माउंट वीज़ो पहाड़ (ऊँचाई 6,000 फुट) से निकलकर 20 मील बहने के बाद सैलुजा के मैदान में प्रवेश करती है। सोसिया नदी के संगम से 337 मील तक इस नदी में नौपरिवहन होता है। समुद्र में गिरने के पहले नदी दो शाखाओं (पो डोल मेस्ट्रा तथा पो डि गोरो) में विभक्त हो जाती है। पो के मुहाने पर 20 मील चौड़ा डेल्टा है। नदी की कुल लंबाई 420 मील है तथा यह 29,000 वर्ग मील भूमि के जल की निकासी करती है। आल्प्स पहाड़ तथा अपेनाइंस से निकलनेवाली पो की मुख्य सहायक नदियाँ क्रमानुसार टिसिनो, अद्दा, ओगलियो और मिन्सिओ तथा टेनारो, टेविया, टारो, सेचिया और पनारो हैं। टाइबर (244 मील) तथा एड्रिज (220 मील) इटली की दूसरी तथा तीसरी सबसे बड़ी नदियाँ हैं। ये प्रारंभ में सँकरी तथा पहाड़ी हैं किंतु मैदानी भाग में इनका विस्तार बढ़ जाता है और बाढ़ आती है। ये सभी नदियाँ सिंचाई तथा विद्युत उत्पादन की दृष्टि से परम उपयोगी हैं, किंतु यातायात के लिए अनुपयुक्त। आल्प्स,अपेनाइंस तथा एड्रियाटिक सागर के मध्य में स्थित एक सँकरा समुद्रतटीय मैदान है। उत्तरी भाग में पर्वतीय ढालों पर मूल्यवान फल, जैसे जैतून, अंगूर तथा नारंगी बहुत पैदा होती है। उपजाऊ घाटी तथा मैदानों में घनी बस्ती है। इनमें अनेक गाँव तथा शहर बसे हुए हैं। अधिक ऊँचाइयों पर जंगल हैं।
3. गोष्ठी : अंक 1-3, संपादक : कार्त्तिकेय कोहली, पता : 175, वैशाली, पीतमपुरा, दिल्ली- 110088
संवृतबीजियों का वर्गीकरण कई वनस्पति-वर्गीकरण-वैज्ञानिकों (taxonomists) द्वारा समय समय पर हुआ है। ईसा से लगभग 300 वर्ष पूर्व थियोफ्रस्टस ने कुछ लक्षणों के आधार पर वनस्पतियों का वर्गीकरण किया था। भारत में बेंथम और हूकर तथा ऐंगलर प्रेंटल ने वर्गीकरण किया है। सभी ने संवृतबीजियों को एकबीजपत्री और द्विबीजपत्रियों में विभाजित किया है।
भीतर खंभों पर भी कई नागरी लिपि में लेख लिखे हुए हैं, जो बाद में प्रभावशाली व्यक्तियों ने लिखवाये होंगे।
यह जमशेदपुर शहर से 13 किमी की दूरी पर स्थित है। दलमा पहाड़ी की तलहटी में बने इस कृत्रिम झील को देखने सालों भर पर्यटक आते रहते है। दिसम्बर-जनवरी में महीने में पर्यटक यहां विशेष तौर पिकनिक मनाने आते है। इस झील का निर्माण टाटा स्टील ने जल संरक्षण के लिए तथा यहां के निवासियों के लिए करवाया था।
क़ाज़ाक़स्तान (क़ाज़ाक़: Қазақстан / Qazaqstan, रूसी:Казахстан / Kazakhstán) यूरेशिया में स्थित एक देश है। क्षेत्रफल के आधार से ये दुनिया का नवाँ सबसे बड़ा देश है। इसकी राजधानी है अल्माती (en:Almaty)। यहां की कज़ाख़ भाषा और रूसी भाषा मुख्य- और राजभाषाएँ हैं।
टोक्यो, विश्व अर्थव्यस्था का सञ्चालन करने वाले तीन केन्द्रों में से एक है, अन्य दो हैं लंदन और न्यूयॉर्क। टोक्यो विश्व की सबसे बड़ी महानगरीय अर्थव्यस्था भी है। प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार टोक्यो नगरीय क्षेत्र (३.५२ करोड़) का कुल सकल घरेलू उत्पाद वर्ष २००८ में क्रय शक्ति के आधार पर १,४७९ अरब अमेरिकी डॉलर था जो सूची में सर्वाधिक था। २००८ की स्थिति तक, ग्लोबल ५०० में सूचीबद्ध समवायों में से ४७ के मुख्यालय टोक्यो में स्थित हैं, जो दूसरे स्थान के नगर पैरिस से लगभग दोगुने हैं।
वैकल्पिक शिक्षा (Alternative education) गैर पारंपरिक शिक्षा भी कहलाता है अथवा शैक्षिक विकल्प एक व्यापक शब्द है जो शिक्षा के पारंपरिक शिक्षा (traditional education) के अतिरिक्त सभी शिक्षा रूपों का उल्लेख करने के लिए उपयोग किया जा सकता है इस में न केवल शिक्षा के वेह रूप शामिल हैं जो विशेष जरूरतों वाले छात्रों के लिए बनाया गया हो (किशोर गर्भावस्था से ले कर बौद्धिक विकलांगता तक) बल्कि शिक्षा के वेह रूप भी शामिल हैं जो आम दर्शकों के लिए बनाए गए हैं और वैकल्पिक शिक्षा के दर्शनशास्त्र और तरीकों का प्रयोग करें
1628 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है।
गार्गी- वायु किसमें ओतप्रोत है?
चेन्नई का महानगरीय क्षेत्र कई उपनगरों तक व्याप्त है, जिसमें कांचीपुरम जिला और तिरुवल्लुर जिला के भी क्षेत्र आते हैं। बडए उपनगरों में वहां की टाउन-नगर पालिकाएं हैं, और छोटे क्षेत्रों में टाउन-परिषद हैं जिन्हें पंचायत कहते हैं। शहर का क्षेत्र जहां १७४ कि.मी.² (६७ मील²) है,[४] वहीं उपनगरीय क्षेत्र ११८९ कि.मी.² (४५८ मील²) तक फैले हुए हैं।[५]चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण (सी.एम.डी.ए) ने शहर के निकट उपग्रह-शहरों के विकास के उद्देश्य से एक द्वितीय मास्टर प्लान का ड्राफ़्ट तैयार किया है। निकटस्थ उपग्रह शहरों में महाबलिपुरम (दक्षिण में), चेंगलपट्टु और मरियामलाइ नगर दक्षिण-पश्चिम में, श्रीपेरंबुदूर, तिरुवल्लुर और अरक्कोणम पश्चिम में आते हैं।
हिन्दूधर्म के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-पिता,पूर्वजों को नमस्कार प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है, हमारे पूर्वजों की वंश परम्परा के कारण ही हम आज यह जीवन देख रहे हैं, इस जीवन का आनंद प्राप्त कर रहे हैं। इस धर्म मॆं, ऋषियों ने वर्ष में एक पक्ष को पितृपक्ष का नाम दिया, जिस पक्ष में हम अपने पितरेश्वरों का श्राद्ध,तर्पण, मुक्ति हेतु विशेष क्रिया संपन्न कर उन्हें अर्ध्य समर्पित करते हैं। यदि कोई कारण से उनकी आत्मा को मुक्ति प्रदान नहीं हुई है तो हम उनकी शांति के लिए विशिष्ट कर्म करते है इसीलिए आवश्यक है -श्राद्ध और साथ ही
विद्यालय
यूरोपीय साहित्य में भी कला शब्द का प्रयोग शारीरिक या मानसिक कौशल के लिए ही अधिकतर हुआ है। वहाँ प्रकृति से कला का कार्य भिन्न माना गया है। कला का अर्थ है रचना करना अर्थात् वह कृत्रिम है। प्राकृतिक सृष्टि और कला दोनों भिन्न वस्तुएँ हैं। कला उस कार्य में है जो मनुष्य करता है। कला और विज्ञान में भी अंतर माना जाता है। विज्ञान में ज्ञान का प्राधान्य है, कला में कौशल का। कौशलपूर्ण मानवीय कार्य को कला की संज्ञा दी जाती है। कौशलविहीन या भोंड़े ढंग से किए गए कार्यो को कला में स्थान नहीं दिया जाता।
बर्मी भाषा में, बर्मा को म्यनमाह ( ) या फ़िर बामा ( ) नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश राज के बाद इस देश को अंग्रेजी में बर्मा कहा जाने लगा। सन् १९८९ मे देश की सैनिक सरकार ने पुराने अंग्रेजी नामों को बदल कर पारंपरिक बर्मी नाम कर दिया। इस तरह बर्मा को म्यान्मार और पूर्व राजधानी और सबसे बड़े रंगून को यांगून नाम दिया गया।
फिल्म हाउस फुल इस फिल्म पर आधारित थी जिस का निर्देशन किया था साजिद खान ने
राजेन्द्र बाबू का जन्म बिहार प्रांत के सीवान जिले में जीरादेई नामक गाँव में ३ दिसंबर १८८४ को हुआ था। उनके पिता श्री महादेव सहाय संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे एवं उनकी माता श्रीमति कमलेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थी। पाँच वर्ष की उम्र में ही राजेन्द्र बाबू ने एक मौलवी साहब से फारसी में शिक्षा शुरू किया। उसके बाद वे अपनी प्रारंभिक शिक्षा के लिए छपरा के जिला स्कूल गए। सिर्फ बारह वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह राजवंशी देवी से हो गया। विवाह के बाद भी उन्होंने पटना के टी के घोष अकादमी से अपनी पढाई जारी रखी। लेकिन वे जल्द ही जिला स्कूल छपरा चले गये और वहीं से 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा दी। उस प्रवेश परीक्षा में उन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। 1902 में उन्होंने कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। उनकी प्रतिभा ने गोपाल कृष्ण गोखले तथा बिहार-विभूति डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिन्हा जैसे विद्वानों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। 1915 में उन्होंने स्वर्ण पद के साथ विधि परास्नातक (एलएलएम) की परीक्षा पास की और बाद में लॉ के क्षेत्र में ही उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि भी हासिल की। राजेन्द्र बाबू कानून की अपनी पढाई का अभ्यास भागलपुर, बिहार मे किया करते थे।
• तरुण मजूमदार
समुद्रगुप्त- चन्द्रगुप्त प्रथम के बाद ३५० ई. में उसका पुत्र समुद्रगुप्त राजसिंहासन पर बैठा । समुद्रगुप्त का जन्म लिच्छवि राजकुमारी कुमार देवी के गर्भ से हुआ था । सम्पूर्ण प्राचीन भारतीय इतिहास में महानतम शासकों के रूप में वह नामित किया जाता है । इन्हें परक्रमांक कहा गया है । समुद्रगुप्त का शासनकाल राजनैतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से गुप्त साम्राज्य के उत्कर्ष का काल माना जाता है । इस साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी ।
St. Paul's cathedral
विभिन्न इतिहासकारों ने मौर्य वंश का पतन के लिए भिन्न-भिन्न कारणों का उल्लेख किया है-
महाभारत प्राचीन भारत का सबसे बड़ा महाकाव्य है। ये एक धार्मिक ग्रन्थ भी है। इसमें उस समय का इतिहास लगभग १,११,००० श्लोकों में लिखा हुआ है। इस की पूर्ण कथा का संक्षेप इस प्रकार से है।
यह स्पष्ट है कि हिंदी पत्रकारिता बहुत बाद की चीज नहीं है। दिल्ली का "उर्दू अखबार" (1833) और मराठी का "दिग्दर्शन" (1837) हिंदी के पहले पत्र "उदंत मार्तंड" (1826) के बाद ही आए। "उदंत मार्तंड" के संपादक पंडित जुगलकिशोर थे। यह साप्ताहिक पत्र था। पत्र की भाषा पछाँही हिंदी रहती थी, जिसे पत्र के संपादकों ने "मध्यदेशीय भाषा" कहा है। यह पत्र 1827 में बंद हो गया। उन दिनों सरकारी सहायता के बिना किसी भी पत्र का चलना असंभव था। कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को डाक आदि की सुविधा दे रखी थी, परंतु चेष्टा करने पर भी "उदंत मार्तंड" को यह सुविधा प्राप्त नहीं हो सकी।
हज़रत अली (रज़ि.) ने फरमाया- याद रखो मैंने रसूल अल्लाह (सल्ल.) से सुना है। आप (सल्ल.) ने फरमाया- खबरदार रहो निकट ही एक बड़ा फ़ितना सर उठाएगा मैंने अर्ज़ किया- इस फ़ितने से निजात का क्या साधन होगा?
नेट के पार वापस भेजने के पहले हर पक्ष शटलकॉक को सिर्फ एक ही बार स्ट्राइक कर सकता है; लेकिन एक एकल स्ट्रोक संचलन के दौरान कोई खिलाड़ी शटलकॉक को दो बार संपर्क कर सकता है (कुछ तिरछे शॉट्स में होता है). बहरहाल, कोई खिलाड़ी शटलकॉक को एक बार हिट करने के बाद फिर किसी नयी चाल के साथ उसे हिट नहीं कर सकता, या वह शटलकॉक को थाम या स्लिंग नहीं कर सकता है.
अस्सी साल के युद्ध (1568-1648) ने निचले देशों को उत्तरी संयुक्त प्रांतों में विभाजित किया (लैटिन में बेल्जिका फोडराटा , "फेडरेटेड नीदरलैंड्स") और दक्षिणी नीदरलैंड्स (बेल्जिका रेजिया , "रॉयल नीदरलैंड्स"). उत्तरवर्ती पर क्रमिक रूप से स्पेन और ऑस्ट्रियाई हैब्सबर्ग ने शासन किया और इसमें अधिकांश आधुनिक बेल्जियम शामिल था. 17वीं और 18वीं शताब्दियों के दौरान, यह अधिकांश फ्रेंको-स्पेनिश और फ्रेंको-ऑस्ट्रियाई युद्धों की स्थल था.[१६]फ्रांसीसी क्रांतिकारी युद्ध में 1794 के अभियानों के परिणामस्वरूप, निचले देशों पर - उन प्रदेशों सहित, जो कभी नाममात्र भी हैब्सबर्ग शासन के अधीन नहीं रहे, जैसे प्रिंस बिशोपरिक ऑफ़ लीग - इस क्षेत्र में ऑस्ट्रियाई शासन को समाप्त करते हुए फ्रेंच फस्ट रिपब्लिक द्वारा कब्जा कर लिए गए. यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ द नीदरलैंड के रूप में निचले देशों का पुनः एकीकरण, 1815 में प्रथम फ्रेंच साम्राज्य के विघटन पर हुआ.
श्री हरमंदिर साहिब परिसर में दो बडे़ और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय के चारों तरफ फैले हुए हैं। इस जलाशय को अमृतसर और अमृत झील के नाम से जाना जाता है। पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद पत्थरों से बना हुआ है और इसकी दीवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है। हरमंदिर साहब में पूरे दिन गुरुबानी (गुरुवाणी)की स्वर लहरियां गुंजती रहती हैं। मंदिर परिसर में पत्थर का स्मारक लगा हुआ है। यह पत्थर जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगा हुआ है।
यह प्रांत उथुरु बोदुथीलाधुन्माथि के ऐतिहासिक विभाजन के अनुरूप हैं. धेकुनु बोदुथीलाधुन्माथि , उथुरु मेधु-राज्जे , मेधु-राज्जे , धेकुनु मेधु-राज्जे , हुवाधू (या उथुरु सुवादीन्माथि ) और अडडूलाकथोल्हू (या धेकुनु सुवादीन्माथि ).
युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ बराक वेली
साँचा:Greek mathematics साँचा:Ancient Greece topics
चित्त पर नियन्त्रण, इन्द्रियों पर नियन्त्रण, शुचिता, धैर्य, सरलता, एकाग्रता तथा ज्ञान-विज्ञान में विश्वास | वस्तुतः ब्राह्मण को जन्म से शूद्र कहा है । यहाँ ब्राह्मण को क्रियासे बताया है । ब्रह्म का ज्ञान जरुरी है । केवल ब्राहमण के वहा पैदा होने से ब्राह्मण नहीं होता ।
झारखंड आंदोलन में ईसाई-आदिवासी और गैर-ईसाई आदिवासी समूहों में भी परस्पर प्रतिद्वंदिता की भावना रही है। इसका कुछ कारण शिक्षा का स्तर रहा है तो कुछ राजनैतिक । 1940, 1960 के दशकों में गैर ईसाई आदिवासियों ने अपनी अलग सँस्थाओं का निर्माण किया और सरकार को प्रतिवेदन देकर ईसाई आदिवासी समुदायों के अनुसूचित जनजाति के दर्जे को समाप्त करने की माँग की, जिसके समर्थन और विरोध में काफी राजनैतिक गोलबंदी हुई। अगस्त 1995 में बिहार सरकार ने 180 सदस्यों वाले झारखंड स्वायत्तशासी परिषद की स्थापना की।
पश्चिम, चार प्रमुख दिशाओं मे से एक है साथ ही यह कुतुबनुमा के दिशासंकेतों मे से भी एक प्रमुख संकेत है। यह पूर्व का विपरीत है और उत्तर और दक्षिण के लंबवत होता है।
उप राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचिका के सदस्यों द्वारा होता है जिसमें एकल हस्तांतरीय मत द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं। वह भारत का नागरिक हो उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो, और राज्य सभा के सदस्य के रूप में चुनाव के लिए पात्रता रखता हो। उसके पद की अवधि पांच वर्ष की होती है और वह पुननिर्वाचन का पात्र होता है। अनुच्छेद 67 ख में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इसे पद से हटाया जाता है।
गौतमी हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं।
डॉन 1978 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है ।
विहायसगतिर्ज्योतिः सुरुचिर्हुतभुग विभुः ।
Source: Feroz Shah Kotla, Cricinfo
Moin Ul Haque Stadium
ऐहोल के प्राचीन स्मारकों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया हुआ है, एवं इनके युनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने के प्रयास जारी हैं। [१]
त्रैलंग स्वामी का जन्म नृसिंह राव और विद्यावती के घर १६०१ को हुआ था। इन्हॊंने ५२ वर्ष की आयु तक अपने माता पिता की सेवा की। जब इनकी माता का स्वर्गवास हुआ तब ये गुरु खी खोज में निकले। इन्होंने अपनी साधना स्थानीय श्मशान भूमि से आरंभ की और वहां २०वर ष तपस्या की। इसके बाद ये कई स्थानों में घूमे और नेपाल होते हुए अन्ततः वाराणसी पहुंचे। वहां ये लगभग १५० वर्ष रहे। पौष माह की एकादशी १८८१ को इन्होंने नश्वर शरीर छोड़ा।[६]
ब्रह्मगुप्त (५९८-६६८) एक भारतीय गणितज्ञ थे। वे तत्कालीन गुर्जर प्रदेश (भीनमाल) के अन्तर्गत आने वाले प्रख्यात शहर उज्जैन (वर्तमान मध्य प्रदेश) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे और इस दौरान उन्होने दो विशेष ग्रन्थ लिखे: ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त (सन ६२८ में) और खन्डखड्यक (सन् ६६५ ई में)।[१]
यूरोप में सुभाषबाबू ने अपनी सेहत का ख्याल रखते समय, अपना कार्य जारी रखा। वहाँ वे इटली के नेता मुसोलिनी से मिले, जिन्होंने उन्हें, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सहायता करने का वचन दिया। आयरलैंड के नेता डी वॅलेरा सुभाषबाबू के अच्छे दोस्त बन गए।
Famous rivers----------------- choti saryu,ghagra,tamsha
मध्ययुग में मुस्लिम आक्रान्ता कश्मीर पर क़ाबिज़ हो गये । कुछ मुसल्मान शाह और राज्यपाल (जैसे शाह ज़ैन-उल-अबिदीन) हिन्दुओं से अच्छा व्यवहार करते थे पर कई (जैसे सुल्तान सिकन्दर बुतशिकन) ने यहाँ के मूल कश्मीरी हिन्दुओं को मुसल्मान बनने पर, या राज्य छोड़ने पर या मरने पर मजबूर कर दिया । कुछ ही सदियों में कश्मीर घाटी में मुस्लिम बहुमत हो गया । मुसल्मान शाहों में ये बारी बारी से अफ़ग़ान, कश्मीरी मुसल्मान, मुग़ल आदि वंशों के पास गया । मुग़ल सल्तनत गिरने के बाद से सिख महाराजा रणजीत सिंह के राज्य में शामिल हो गया । कुछ समय बाद जम्मू के हिन्दू डोगरा राजा गुलाब सिंह डोगरा ने ब्रिटिश लोगों के साथ सन्धि करके जम्मू के साथ साथ कश्मीर पर भी अधिकार कर लिया (जिसे कुछ लोग कहते हैं कि कश्मीर को ख़रीद लिया ) । डोगरा वंश भारत की आज़ादी तक कायम रहा ।
ये सातों द्वीप चारों ओर से क्रमशः खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधि, दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं, और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं। जम्बुद्वीप इन सब के मध्य में स्थित है।
নদীর কূলে কূলে।
अन्य धाराओं-इस Mangai नदी के Saryu के साथ एकजुट ने गंगा के साथ बाद के जंक्शन से पहले. यह Ghazipur, के बारे में 3 किमी से परगना Garha प्रवेश करती है. दक्षिण Karaon की. यह तो एक उत्तर में जारी-Narhi और कई अन्य बड़े गांवों पिछले पूर्व की ओर दिशा, परगना के Upland भाग Garha के जल निकासी के पेट में. इस Budhi नदी के Saryu की एक और सहायक है. जो Batagaon के पास यह जुड़ जाता है. यह jhils की एक श्रृंखला में परगना (में Sikandarpur पश्चिम) Basnahi Tal के रूप में जाना इसकी मूल लेता है. यह एक बहुत महत्वपूर्ण धारा नहीं है. एक अन्य धारा के Katehar नाला जो Suraha Tal से अतिप्रवाह की गंगा में वहन करती है. यह और पूर्वी हिस्से में झील के पत्तों तो दक्षिण में घटता-पश्चिम, पश्चिम से गुजरता Ballia के शहर के पश्चिम करने के लिए और फिर पास गंगा जुड़ जाता है.
उक्त श्रुति-ग्रन्थों के अलावा कुछ ऐसे ऋषि-प्रणीत ग्रन्थ भी हैं, जिनका श्रुति-ग्रन्थों से घनिष्ट सम्बन्ध है।
गूगल द्वारा अनुक्रमित वेब पेजों के सटीक प्रतिशत ज्ञात नहीं है, क्योंकि वास्तव में गणना बहुत मुश्किल है. गूगल न केवल वेब पृष्ठों को अनुक्रमित और उनका गुप्त भंडारण करता है, बल्कि अन्य प्रकार की फ़ाइलों के "स्नैपशॉट (आशुचित्र)" को भी ग्रहण करता है, जिनमें पीडीएफ (PDF), वर्ड सामग्री, एक्सेल स्प्रेडशीट, फ्लैश एसडब्ल्यूएफ (SWF), सादी टेक्स्ट फाइलें व अन्य शामिल होती हैं.[११] टेक्स्ट औरएसडब्ल्यूएफफाइलों के मामलों को छोड़कर गुप्त रूप से संग्रह किया गया संस्करण (एक्स) एचटीएमएल का एक रूपांतरण होता है, जिससे उन्हें समकक्ष दर्शनीयता का अनुप्रयोग किये बिना फ़ाइल पढ़ने की अनुमति मिलती है.
पांडेय बेचन शर्मा "उग्र" (१९०० - १९६७) हिन्दी के साहित्यकार एवं पत्रकार थे ।
टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बलगेरिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं।
न तो शब्द से शब्द ... न ही नियम से नियम ... बल्कि लेक्सिकल ट्री से लेक्सिकल ट्री.
प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 5 रु. तथा विदेशियों के लिए 5 डालर। समय: सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक।
सरकार द्वारा अधिग्रहीत विभिन्न संपत्तियों पर हुए खर्च को पूंजीगत व्यय की श्रेणी में रखा जाता है।
बोलने वाले व्यक्तियों की संख्या ४,०००,००० है।
29 अक्टूबर, 1998 को इसे न्युयोर्क में क्रिस्टी में नीलामी के द्वारा एक अज्ञात खरीददार को 2 मिलियन डॉलर में बेच दिया गया.[५१] पलिम्प्सेस्ट में सात ग्रन्थ हैं, जिसमें मूल ग्रीक में ऑन फ्लोटिंग बोडीज़ (On Floating Bodies) की एकमात्र मौजूदा प्रतिलिपि भी शामिल है. यह द मेथड ऑफ़ मेकेनिकल थ्योरम्स (The Method of Mechanical Theorems) , का एकमात्र ज्ञात स्रोत है, इसे सुइदास से संदर्भित किया जाता है, और मन जाता है कि हमेशा के लिए खो गया है. स्टोमेकीयन को भी पलिम्प्सेस्ट में खोजा गया, जिसमें पिछले पाठ्यों की तुलना में पहेली का अधिक पूर्ण विश्लेषण दिया गया है.
उत्तरी भारत
अखिल भारत हिन्दू महासभा भारत का एक राजनैतिक दल है। यह एक राष्ट्रवादी हिन्दू संगठन है। इसकी स्थापना सन १९१५ में हुई थी। विनायक दामोदर सावरकर इसके अध्यक्ष रहे। केशव बलराम हेडगेवार इसके उपसभापति रहे तथा इसे छोड़कर सन १९२५ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। भारत के स्वतन्त्रता के उपरान्त जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तब इसके बहुत से कार्यकर्ता इसे छोड़कर भारतीय जनसंघ में भर्ती हो गये।
भिन्न प्रकार के नाजुक और सुंदर फूलों की विशालता ने कई कवियों की सृजनात्मकता को प्रेरित किया हैं, विशेषतः रोमांटिक (Romantic) युग के १८वी-१९वी शताब्दी में. प्रसिद्ध उदहारण विलियम वर्डस्वर्थ का I Wandered Lonely as a Cloud (I Wandered Lonely as a Cloud) और विलियम ब्लेक (William Blake) का Ah! है. सूर्य-मूखी.
8. पादपाश्मविज्ञान (Palaeobotany) - इसके अंतर्गत हम उन पौधों का अध्ययन करते हैं जो इस पृथ्वी पर हजारों, लाखों या करोड़ों वर्ष पूर्व उगते थे पर अब नहीं उगते। उनके अवशेष ही अब चट्टानों या पृथ्वी स्तरों में दबे यत्र तत्र पाए जाते हैं।
क्षेत्रीय भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जो बाद में उत्तराखण्ड राज्य के रूप में परिणित हुआ, गढ़वाल और कुमाऊँ विश्वविद्यालय १९७३ में स्थापित किए गए थे। उत्तराखण्ड के सर्वाधिक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय हैं:
तैत्तिरीयोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
विस्कांसिन
कबीर के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न-भिन्न लेखों के अनुसार भिन्न-भिन्न है। एच.एच. विल्सन के अनुसार कबीर के नाम पर आठ ग्रंथ हैं। विशप जी.एच. वेस्टकॉट ने कबीर के ८४ ग्रंथों की सूची प्रस्तुत की तो रामदास गौड़ ने 'हिंदुत्व' में ७१ पुस्तकें गिनायी हैं।
दिसंबर 2007 मे हिमाचल प्रदेश की हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए हुआ चुनाव था। भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में जीत हासिल की। 68 सीटो में से 42 सीट जीत कर भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई।
मध्यकाल में इटली में गणराज्य उठ खड़े हुए, जिनमें प्रसिद्ध थे जेनोआ, फ्लोरेंस, पादुआ एवं वेनिस और उनके संरक्षक तथा नेता थे उनके ड्यूक। पर राष्ट्रीय नृपराज्यों के उदय के साथ वे भी समाप्त हो गए। नीदरलैंड्स के सात राज्यों ने स्पैनी साम्राज्य के विरु द्ध विद्रोह कर संयुक्त नीदरलैंड्स के गणराज्य की स्थापना की।
ब्रेबर्न स्टेडियम, शहर के सबसे पुराने स्टेडियमों में से एक है
हरिऔध जी के काव्य में प्रायः संपूर्ण रस पाए जाते हैं, रुणा वियोग, शृंगार और वात्सल्य रस की पूर्णरूप से व्यंजना। हरिऔध जी की छंद-योजना में पर्याप्त विविधता मिलती है। आरंभ में उन्होंने हिंदी के प्राचीन छंद कवित्त सबैया, छप्पय, दोहा आदि तथा उर्दू के छंदों का प्रयोग किया। बाद में उन्होंने इंद्रवज्रा, शिखरिणी, मालिनी वसंत तिलका, शार्दूल, विक्रीड़ित मंदाक्रांता आदि संस्कृत के छंदों को भी अपनाया।
आजाद सत्य का सहारा लेकर ही अन्ग्रेजो से मुकाब्ला करते थे -घनश्याम दास सुमन जानकि नगर ।==यह भी देखें==
उत्सव पर प्रकाश सज्जा
रीतिकाव्य रचना का आरंभ एक संस्कृतज्ञ ने किया। ये थे आचार्य केशवदास, जिनकी सर्वप्रसिद्ध रचनाएँ कविप्रिया, रसिकप्रिया और रामचंद्रिका हैं। कविप्रिया में अलंकार और रसिकप्रिया में रस का सोदाहरण निरूपण है। लक्षण दोहों में और उदाहरण कवित्तसवैए में हैं। लक्षण-लक्ष्य-ग्रंथों की यही परंपरा रीतिकाव्य में विकसित हुई। रामचंद्रिका केशव का प्रबंधकाव्य है जिसमें भक्ति की तन्मयता के स्थान पर एक सजग कलाकार की प्रखर कलाचेतना प्रस्फुटित हुई। केशव के कई दशक बाद चिंतामणि से लेकर अठारहवीं सदी तक हिंदी में रीतिकाव्य का अजस्र स्रोत प्रवाहित हुआ जिसमें नर-नारी-जीवन के रमणीय पक्षों और तत्संबंधी सरस संवेदनाओं की अत्यंत कलात्मक अभिव्यक्ति व्यापक रूप में हुई।
पुणे के अभियांत्रिकी उद्योग - भारत फोर्ज (विश्व की दुसरी सबसे बडी फोर्जिंग कंपनी), कमिन्स इंजिन्स, अल्फा लव्हाल, सँडविक एशिया, थायसन ग्रुप (बकाऊ वूल्फ), केएसबी पंप, फिनोलेक्स, ग्रीव्हज् इंडिया, फोर्ब्स मार्शल, थर्मेक्स इत्यादी।
नाशिक में त्योहारों को पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। अगस्त के महीने में आने वाली श्रवण पूर्णिमा और महापर्व श्रवण अमावस्या तथा सितम्बर के महीने आने वाली भद्रापद अमावस्या सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इसके अलावा गणेश चतुर्थी, दशहरा, दीवाली, होली और अन्य सभी त्योहारों को भी उतने ही खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं।
गंगा नदी के किनार स्थित शिवकुटी भगवान शिव को समर्पित है।
कुछ सिपाहियों ने (मुख्य्त: ११ बंगाल नेटिव ईन्फ़ैंट्री) विद्रोह करने से पहले विश्वस्नीय अधिकारियों और उन्के परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पंहुचा दिया। [६] कुछ अधिकारी और उनके परिवार रामपुर बच निकले और उन्होने रामपुर के नवाब के यहां शरण ली। ५० भारतीय असैनिक (अधिकारियों के नौकर जिन्होने अपने मालिको को बचाने या छुपाने का प्रयास किया) भी विद्रोहियों द्वारा मारे गये।[७] नर संहार की अतिश्योक्ति पूर्ण कहानियों और मरने वालों की संख्या ने कंपनी को असैनिक भारतीय और विद्रोहियों के दमन का एक बहाना दे दिया।
एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की श्रृंखलाएं अवस्थित है। संसार का सबसे ऊँची १४ हिमश्रृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सगरमाथा (एवरेस्ट, नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगञ्ज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगञ्ज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर आदि है।
आशीवार्द, विसजर्न, जयघोष के साथ कायर्क्रम समाप्त किया जाए ।
कुरान ऐसी पुस्तक है जिसके आधार पर एक क्रांति लाई गई। रेगिस्तान के ऐसे अनपढ़ लोगों को जिनका विश्व के मानचित्र में उस समय कोई महत्व नहीं था। कुरान की शिक्षाओं के कारण, उसके प्रस्तुतकर्ता के प्रशिक्षण ने उन्हे उस समय की महान शाक्तियों के समक्ष ला खड़ा किया और एक ऐसे कुरानी समाज की रचना मात्र २३ वर्षों में की गई जिसका उत्तर विश्व कभी नहीं दे सकता।
प्राचीन मिस्र की कला की समरूपता के बावजूद, किसी विशिष्ट समय और स्थानों की शैली, कभी-कभी परिवर्तित होते सांस्कृतिक या राजनीतिक नज़रिए को प्रतिबिंबित करती है. दूसरे मध्यवर्ती काल में हिक्सोस के आक्रमण के बाद, मिनोन शैली के भित्तिचित्र अवारिस में पाए गए हैं.[१४०] कलात्मक स्वरूपों में एक राजनीतिक प्रेरित परिवर्तन का सबसे स्पष्ट उदाहरण अमर्ना अवधि से प्राप्त होता है, जहां आकृतियों को अखेनाटेन के क्रांतिकारी धार्मिक विचारों के अनुरूप ढालने के लिए समूल रूप से परिवर्तित कर दिया गया.[१४१]अमर्ना कला के रूप में जानी जाने वाली इस शैली को अखेनाटेन की मौत के बाद शीघ्र और पूरी तरह से मिटा दिया गया और इसकी जगह पारंपरिक शैली ने ले ली.[१४२]
कुछ फूल स्वपरागित होते हैं और उन फूलों का इस्तेमाल करते हैं जो कभी नही खिलते, या फूल खिलने से पहले स्वपरागित जो जाते हैं, इन फूलों को क्लीसटोगैमस कहा जाता है कई प्रकार के विओला और सालविया प्रजातियों में इस प्रकार के फूल होते हैं.
सोइ भयो द्रव रूप सही, जो है नाथ विरंचि महेस मुनी को। / मानि प्रतीति सदा तुलसी, जगु काहे न सेवत देव धुनी को।।(कवितावली-उत्तरकाण्ड १४६)
युद्ध की समाप्ति पर पांडवों में ही आपसी खींचाव-तनाव हुआ कि युद्ध में विजय का श्रेय किसको जाता है, इस पर कृष्ण ने उन्हें सुझाव दिया कि बर्बरीक का शीश सम्पूर्ण युद्ध का साक्षी है अतैव उससे बेहतर निर्णायक भला कौन हो सकता है। सभी इस बात से सहमत हो गये। बर्बरीक के शीश ने उत्तर दिया कि कृष्ण ही युद्ध मे विजय प्राप्त कराने में सबसे महान पात्र हैं, उनकी शिक्षा, उनकी उपस्थिति, उनकी युद्धनीति ही निर्णायक थी। उन्हें युद्धभुमि में सिर्फ उनका सुदर्शन चक्र घूमता हुआ दिखायी दे रहा था जो कि शत्रु सेना को काट रहा था, महाकाली दुर्गा कृष्ण के आदेश पर शत्रु सेना के रक्त से भरे प्यालों का सेवन कर रही थीं।
पूर्व एवं दक्षिण का उच्च पठार भूमध्य रेखा के पूर्व तथा दक्षिण में स्थित है तथा अपेक्षाकृत अधिक ऊँचा है। प्राचीन समय में यह पठार दक्षिण भारत के पठार से मिला था। बाद में बीच की भूमि के धँसने के कारण यह हिन्द महासागर द्वारा अलग हो गया। इस पठार का एक भाग अबीसिनिया में लाल सागर के तटीय भाग से होकर मिस्र देश तक पहुँचता है। इसमें इथोपिया, पूर्वी अफ्रीका एवं दक्षिणी अफ्रीका के पठार सम्मिलित हैं। अफ्रीका के उत्तर-पश्चिम में इथोपिया का पठार है। २,४०० मीटर ऊँचे इस पठार का निर्माण प्राचीनकालीन ज्वालामुखी के उद्गार से निकले हुए लावा हुआ है।[११] नील नदी की कई सहायक नदियों ने इस पठार को काट कर घाटियाँ बना दी हैं। इथोपिया की पर्वतीय गाँठ से कई उच्च श्रेणियाँ निकलकर पूर्वी अफ्रीका के झील प्रदेश से होती हुई दक्षिण की ओर जाती हैं। इथोपिया की उच्च भूमि के दक्षिण में पूर्वी अफ्रीका की उच्च भूमि है। इस पठार का निर्माण भी ज्वालामुखी की क्रिया द्वारा हुआ है। इस श्रेणी में किलिमांजारो (५,८९५ मीटर), रोबेनजारो (५,१८० मीटर) और केनिया (५,४९० मीटर) की बर्फीली चोटियाँ भूमध्यरेखा के समीप पायी जाती हैं। ये तीनों ज्वालामुखी पर्वत हैं। किलिमंजारो अफ्रीका की सबसे ऊँचा पर्वत एवं चोटी है।
बौद्ध धर्म में दो मुख्य साम्प्रदाय हैं:
ऋषि वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे। वेदव्यास महाभारत के रचयिता ही नहीं, बल्कि उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो क्रमानुसार घटित हुई हैं। अपने आश्रम से हस्तिनापुर की समस्त गतिविधियों की सूचना उन तक तो पहुंचती थी। वे उन घटनाओं पर अपना परामर्श भी देते थे। जब-जब अंतर्द्वंद्व और संकट की स्थिति आती थी, माता सत्यवती उनसे विचार-विमर्श के लिए कभी आश्रम पहुंचती, तो कभी हस्तिनापुर के राजभवन में आमंत्रित करती थी। प्रत्येक द्वापर युग में विष्णु व्यास के रूप में अवतरित होकर वेदों के विभाग प्रस्तुत करते हैं। पहले द्वापर में स्वयं ब्रह्मा वेदव्यास हुए, दूसरे में प्रजापति, तीसरे द्वापर में शुक्राचार्य , चौथे में बृहस्पति वेदव्यास हुए। इसी प्रकार सूर्य, मृत्यु, इन्द्र, धनजंय, कृष्ण द्वैपायन अश्वत्थामा आदि अट्ठाईस वेदव्यास हुए। इस प्रकार अट्ठाईस बार वेदों का विभाजन किया गया। उन्होने ही अट्ठारह पुराणों की भी रचना की।
विशेष वार्ड या तोकूबेत्सू-कू, टोक्यो के वे क्षेत्र हैं जो पहले औपचारिक रूप से टोक्यो नगर था। १ जुलाई, १९४३ को, टोक्यो नगर को टोक्यो प्रीफ़ेक्चर के साथ मिला दिया गया जो वर्तमान "महानगर प्रीफ़ेक्चर" बना। परिणामस्वरूप, जापान में अन्य नगर वार्डों से अलग, ये वार्ड किसी विशाल महानगर का भाग नहीं हैं। प्रत्येक वार्ड एक नगरपालिका है जिसका स्वयं का चयनित महापौर और विधानसभा होती है। टोक्यो के विशेष वार्ड हैं:
मौर्य शासन - भारत में सर्वप्रथम मौर्य वंश के शासनकाल में ही राष्ट्रीय राजनीतिक एकता स्थापित हुइ थी। मौर्य प्रशासन में सत्ता का सुदृढ़ केन्द्रीयकरण था परन्तु राजा निरंकुश नहीं होता था। मौर्य काल में गणतन्त्र का ह्रास हुआ और राजतन्त्रात्मक व्यवस्था सुदृढ़ हुई। कौटिल्य ने राज्य सप्तांक सिद्धान्त निर्दिष्ट किया था, जिनके आधार पर मौर्य प्रशासन और उसकी गृह तथा विदेश नीति संचालित होती थी -राजा,अमात्य जनपद , दुर्ग , कोष, सेना और,मित्र।
Small Text
क. ...rocks are the books of earth's history and fossils are the pages: S. W. Woolridge & R. S. Morgan 1959.
मूल्य की अवधारणा अर्थशास्त्र में केन्द्रीय है। इसको मापने का एक तरीका वस्तु का बाजार भाव है। एडम स्मिथ ने श्रम को मूल्य के मुख्य श्रोत के रुप में परिभाषित किया। "मूल्य के श्रम सिद्धान्त" को कार्ल मार्क्स सहित कई अर्थशास्त्रियों ने प्रतिपादित किया है। इस सिद्धान्त के अनुसार किसी सेवा या वस्तु का मूल्य उसके उत्पादन में प्रयुक्त श्रम के बराबर होत है। अधिकांश लोगों का मानना है कि इसका मूल्य वस्तु के दाम निर्धारित करता है। दाम का यह श्रम सिद्धान्त "मूल्य के उत्पादन लागत सिद्धान्त" से निकटता से जुड़ा हुआ है।
इसके अतिरिक्त मल्हौर में १३ कि.मी, गोमती नगर में १५ कि.मी, काकोरी १५ कि.मी, मोहनलालगंज १९ कि.मी, हरौनी २५ कि.मी, मलिहाबाद २६ कि.मी, सफेदाबाद २६ कि.मी, निगोहाँ ३५ कि.मी, बाराबंकी जंक्शन ३५ कि.मी, अजगैन ४२ कि.मी, बछरावां ४८ कि.मी, संडीला ५३ कि.मी, उन्नाव जंक्शन ५९ कि.मी तथा बीघापुर ६४ कि.मी पर स्थित हैं। इस प्रकार रेल यातायात लखनऊ को अनेक छोटे छोटे गाँवों और कस्बों से जोड़ता है।
एक तरह का प्रतिनिधि लोकतंत्र है, जिसमें स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव होते हैं। उदार लोकतंत्र के चरित्रगत लक्षणों में, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, कानून व्यवस्था, शक्तियों के वितरण आदि के अलावा अभिव्यक्ति, भाषा, सभा, धर्म और संपत्ति की स्वतंत्रता प्रमुख है।
कंप्यूटर के आम प्रयोग में आने के साथ साथ हिंदी में कंप्यूटर से जुड़ी नई विधाओं का भी समावेश हुआ है, जैसे- चिट्ठालेखन और जालघर की रचनाएं। हिन्दी में अनेक स्तरीय हिंदी चिट्ठे, जालघर व जाल पत्रिकायें हैं। यह कंप्यूटर साहित्य केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व के हर कोने से लिखा जा रहा है. इसके साथ ही अद्यतन युग में प्रवासी हिंदी साहित्य के एक नए युग का आरंभ भी माना जा सकता है।
क्षत्रियोँ का काम राज्य के शासन तथा सुरक्षा का था । क्षत्रिय युद्ध में लड़ते थे ।क्षत्रिय लोग बल,बुद्दि और विद्या तीनोँ मेँ पराँगत होते हैँ। भारत की मुख्य क्षत्रिय जातियां है: राजपूत, जाट , मराठा , डोगरा ,गोरखा आदि।
धरा धरेंद्र नंदिनी विलाधुवंधुर- स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
(२) रोगनिवारक एवं रोगोत्पादक हेतुओं से संबंधित तथ्यों का अनुशीलन एवं तत्संबंधी अनुसंधान में सहयोग प्रदान करना, ज्ञानसंवर्धन एवं प्रायोगिक विधि में वृद्धि करना।
कला में ऐसी शक्ति होनी चाहिए कि वह लोगों को संकीर्ण सीमाओं से ऊपर उठाकर उसे ऐसे उंचे स्थान पर पहुंचा दे जहां मनुष्य केवल मनुष्य रह जाता है । कला व्यक्ति के मन में बनी स्वार्थ, परिवार, क्षेत्र, धर्म, भाषा और जाति आदि की सीमाएं मिटाकर विस्तृत और व्यापकता प्रदान करती है । व्यक्ति के मन को उदात्त बनाती है । वह व्यक्ति को “स्व” से निकालकर “वसुधैव कुटुम्बकम” से जोड़ती है ।
यह भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली है| यहीं पर भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में ब्रजवासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिये गोवर्धन पर्वत अपनी तर्जनी अंगुली पर उठाया था। गोवर्धन पर्वत को भक्क्तजन गिरिराज जी भी कहते हैं।
क्भि भि अव्तर या नबि ये न्हि कहेगा कि मे अव्तार हुन जो ये कह्ता है वो धोन्गि है
बलिया भी बागी बलिया (विद्रोही बलिया) के रूप में भारत की आजादी की लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है.ने भारत छोड़ो आंदोलन १९४२ बलिया के दौरान ब्रिटिश शासन के समय की एक छोटी अवधि के लिए जब जिला ने सरकार का तख्ता पलट किया और चित्तू पांडे के अधीन एक स्वतंत्र प्रशासन स्थापित स्वतंत्रता प्राप्त की.
उनकी शिक्षा हरिशचंद्र उच्च विद्यालय और काशी विद्यापीठ में हुई थी। यहीं से उन्हें "शास्त्री" की उपाधि भी मिली जो उनके नाम के साथ जुड़ी रही।
- जब सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्र्मा एक सीध में होते हैं ।
माना जाता है कि ईरान में पहले पुरापाषाणयुग कालीन लोग रहते थे। यहाँ पर मानव निवास एक लाख साल पुराना हो सकता है । लगभग 5000 ईसापूर्व से खेती आरंभ हो गई थी। मेसोपोटामिया की सभ्यता के स्थल के पूर्व में मानव बस्तियों के होने के प्रमाण मिले हैं। ईरानी लोग (आर्य) लगभग 2000 ईसापूर्व के आसपास उत्तर तथा पूरब की दिशा से आए। इन्होंने यहाँ के लोगों के साथ एक मिश्रित संस्कृति की आधारशिला रखी जिससे ईरान को उसकी पहचान मिली। आधिनुक ईरान इसी संस्कृति पर विकसित हुआ। ये यायावर लोग ईरानी भाषा बोलते थे और धीरे धीरे इन्होंने कृषि करना आरंभ किया।
महर्षि अत्रि जी सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे। उनकी पत्नी अनसूयाजी के पातिव्रत धर्म की परीक्षा लेने हेतु ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही पत्िनयों के अनुरोध पर श्री अत्री और अनसूयाजी के चित्रकुट स्थित आश्रम में शिशु रूप में उपस्थित हुए। ब्रह्मा जी चंद्रमा के रूप में, विष्णु दत्तात्रेय के रूप में और महेश दुर्वासा के रूप में उपस्थित हुए। बाद में देव पत्नियों के अनुरोध पर अनसूयाजी ने कहा कि इस वर्तमान स्वरूप में वे पुत्रों के रूप में मेरे पास ही रहेंगे। साथ ही अपने पूर्ण स्वरूप में अवस्थित होकर आप तीनों अपने-अपने धाम में भी विराजमान रहेंगे। यह कथा सतयुग के प्रारम्भ की है। पुराणों और महाभारत में इसका विशद वर्णन है। दुर्वासा जी कुछ बडे हुए, माता-पिता से आदेश लेकर वे अन्न जल का त्याग कर कठोर तपस्या करने लगे। विशेषत: यम-नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान-धारणा आदि अष्टांग योग का अवलम्बन कर वे ऐसी सिद्ध अवस्था में पहुंचे कि उनको बहुत सी योग-सिद्धियां प्राप्त हो गई। अब वे सिद्ध योगी के रूप में विख्यात हो गए। तत्पश्चात् यमुना किनारे इसी स्थल पर उन्होंने एक आश्रम का निर्माण किया और यहीं पर रहकर आवश्यकता के अनुसार बीच-बीच में भ्रमण भी किया। दुर्वासा आश्रम के निकट ही यमुना के दूसरे किनारे पर महाराज अम्बरीष का एक बहुत ही सुन्दर राजभवन था। एक बार राजा निर्जला एकादशी एवं जागरण के उपरांत द्वादशी व्रत पालन में थे। समस्त क्रियाएं सम्पन्न कर संत-विप्र आदि भोज के पश्चात भगवत प्रसाद से पारण करने को थे कि महर्षि दुर्वासा आ गए। महर्षि को देख राजा ने प्रसाद ग्रहण करने का निवेदन किया, पर ऋषि यमुना स्नान कर आने की बात कहकर चले गए। पारण काल निकलने जा रहा था। धर्मज्ञ ब्राह्मणों के परामर्श पर श्री चरणामृत ग्रहण कर राजा का पारण करना ही था कि ऋषि उपस्थित हो गए तथा क्रोधित होकर कहने लगे कि तुमने पहले पारण कर मेरा अपमान किया है। भक्त अम्बरीश को जलाने के लिए महर्षि ने अपनी जटा निचोड़ क्रत्या राक्षसी उत्पन्न की, परन्तु प्रभु भक्त अम्बरीश अडिग खडे रहे। भगवान ने भक्त रक्षार्थ चक्र सुदर्शन प्रकट किया और राक्षसी भस्म हुई। दुर्वासाजी चौदह लोकों में रक्षार्थ दौड़ते फिरे। शिवजी की चरण में पहुंचे। शिवजी ने विष्णु के पास भेजा। विष्णु जी ने कहा आपने भक्त का अपराध किया है। अत:यदि आप अपना कल्याण चाहते हैं, तो भक्त अम्बरीश के निकट ही क्षमा प्रार्थना करें।
(2) निम्न शाखाओं के अधस्त्वक् - इनमें वृद्धावस्था में रक्त परिसंचरण के उचित रूप में न होने के कारण शोथ उत्पन्न हो जाता है, जिससे परिगलन होना प्रारंभ हो जाता है।
कबीर नाम में विश्वास रखते हैं, रूप में नहीं। हालाँकि भक्ति-संवेदना के सिद्धांतों में यह बात सामान्य रूप से प्रतिष्ठित है कि ‘नाम रूप से बढ़कर है’, लेकिन कबीर ने इस सामान्य सिद्धांत का क्रांतिधर्मी उपयोग किया। कबीर ने राम-नाम के साथ लोकमानस में शताब्दियों से रचे-बसे संश्लिष्ट भावों को उदात्त एवं व्यापक स्वरूप देकर उसे पुराण-प्रतिपादित ब्राह्मणवादी विचारधारा के खाँचे में बाँधे जाने से रोकने की कोशिश की।
उसने विवाह की स्मृति में राजा-रानी प्रकार के सिक्कों का चलन करवाया । इस प्रकार स्पष्ट है कि लिच्छवियों के साथ सम्बन्ध स्थापित कर चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने राज्य को राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ तथा आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बना दिया । राय चौधरी के अनुसार चन्द्रगुप्त प्रथम ने कौशाम्बी तथा कौशल के महाराजाओं को जीतकर अपने राज्य में मिलाया तथा साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित की ।
1470–1975 São Tomé1
अशोक के अभिलेखों में शाहनाज गढ़ी एवं मान सेहरा (पाकिस्तान) के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण हैं । तक्षशिला एवं लघमान (काबुल) के समीप अफगानिस्तान अभिलेख आरमाइक एवं ग्रीक में उत्कीर्ण हैं । इसके अतिरिक्त अशोक के समस्त शिलालेख लघुशिला स्तम्भ लेख एवं लघु लेख ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण हैं । अशोक का इतिहास भी हमें इन अभिलेखों से प्राप्त होता है ।
जून ग्रेगोरियन कैलेंडर में वर्ष का छठा महीना है, जिसमे दिनों की संख्या 30 होती है। इस महीने का नाम रोमन देवी जूनो के नाम पर पडा़ है जो ज्युपिटर देवता की पत्नि है और यूनानी देवी हेरा के समकक्ष है
काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं।[९] वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। [१०]
कहानी हिन्दी में गद्य लेखन की एक विधा है। उन्नीसवीं सदी में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ जिसे कहानी के नाम से जाना गया। बंगला में इसे गल्प कहा जाता है। कहानी ने अंग्रेजी से हिंदी तक की यात्रा बंगला के माध्यम से की। कहानी गद्य कथा साहित्य का एक अन्यतम भेद तथा उपन्यास से भी अधिक लोकप्रिय साहित्य का रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सुनना मानव का आदिम स्वभाव बन गया। इसी कारण से प्रत्येक सभ्य तथा असभ्य समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में कहानियों की बड़ी लंबी और सम्पन्न परंपरा रही है। वेदों, उपनिषदों तथा ब्राह्मणों में वर्णित 'यम-यमी', 'पुरुरवा-उर्वशी', 'सौपणीं-काद्रव', 'सनत्कुमार- नारद', 'गंगावतरण', 'श्रृंग', 'नहुष', 'ययाति', 'शकुन्तला', 'नल-दमयन्ती' जैसे आख्यान कहानी के ही प्राचीन रूप हैं।
पोल्लची के पास स्थित अन्नामलई वन्यजीव अभ्यारण्य कोयंबटूर से कुछ दूरी पर स्थित एक रोमांचक स्थान है। समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह अभ्यारण्य विभिन्न प्रकार के जानवरों और पक्षियों का घर है। इनमें से कुछ प्रमुख जीव और पक्षी हैं- हाथी, गौर, बाघ, चीता, भालू, भेड़िया, रॉकेट टेल ड्रॉन्गो, बुलबुल, काले सिर वाला पीलक, बतख और हरा कबूतर। अन्नामलई के अमरावती सरोवर में बड़ी संख्या में मगरमच्छ भी देखे जा सकते हैं।
२० - बीस
देश के उत्तर में लिट्टे का दबदबा बना रहा । मई 1991 में भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और 1993 में श्रीलंका के राष्ट्रपति प्रेमदासा रनसिंघे की हत्या कर दी गई । इसके बाद सालों तक संघर्ष जारी रहा । 1994 में कुछ समय के लिए, जब चन्द्रिका कुमारतुंगे राष्ट्रपति बनीं और उन्होंने शान्ति वार्ता का प्रस्ताव रखा, लड़ाई थमी रही पर लिट्टे द्वारा श्रीलंकाई नौसेना के जहाजों को डुबाने के बाद 1995 में फ़िर से चालू हो गई ।
मुख्य लेख: टोक्यो के विशेष वार्ड
वज्जि संघ संघर्ष- लिच्छवि राजकुमारी चेलना बिम्बिसार की पत्नी थी जिससे उत्पन्न दो पुत्री हल्ल और बेहल्ल को उसने अपना हाथी और रत्नों का एक हार दिया था जिसे अजातशत्रु ने मनमुटाव के कारण वापस माँगा । इसे चेलना ने अस्वीकार कर दिया, फलतः अजातशत्रु ने लिच्छवियों के खिलाफ युद्ध घोषित कर दिया ।
बुद्ध के अनुसार क्या अ-धम्म है--
गिरफ्तारी की रात को उनका जो स्वास्थ्य बिगड़ा वह फिर संतोषजनक रूप से सुधरा नहीं और अंततोगत्वा उन्होंने 22 फरवरी, 1944 को अपना ऐहिक समाप्त किया। उनकी मृत्यु के उपरांत राष्ट्र ने महिला कल्याण के निमित्त एक करोड़ रुपया एकत्र कर इन्दौर में कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट की स्थापना की।
शुङ्ग राजवंश का राजा।
श्रव्य काव्य के भी दो भेद होते हैं - प्रबन्ध काव्य तथा मुक्तक काव्य ।
कुरु ययाति के वंशज और महान राजा थे. इन्ही के नाम पर इनके वंश का नाम कुरुकुल पड़ा जिसमे भीष्म, कौरव और पांडवों ने जन्म लिया.
पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान को भुवर्लोक कहते हैं।
संस्कृति & समाज
बुद्ध ईश्वर की सत्ता नहीं मानते क्योंकि दुनिया प्रतीत्यसमुत्पाद के नियम पर चलती है । पर अन्य जगह बुद्ध ने सर्वोच्च सत्य को अवर्णनीय कहा है । कुछ देवताओं की सत्ता मानी गयी है, पर वो ज़्यादा शक्तिशाली नहीं हैं ।
ज्वालामुखी मंदिर के संबंध में एक कथा काफी प्रचलित है। ध्यानुभक्त माता जोतावाली का परम भक्त था। एक बार देवी के दर्शन के लिए वह अपने गांववासियो के साथ ज्वालाजी के लिए निकला। जब उसका काफिला दिल्ली से गुजरा तो मुगल बादशाह अकबर के सिपाहियों ने उसे रोक लिया और राजा अकबर के दरबार में पेश किया। अकबर ने जब ध्यानु से पूछा कि वह अपने गांववासियों के साथ कहां जा रहा है तोउत्तर में ध्यानु ने कहा वह जोतावाली के दर्शनो के लिए जा रहे है। अकबर ने कहा तेरी मां में क्या शक्ति है और वह क्या-क्या कर सकती है? तब ध्यानु ने कहा वह तो पूरे संसार की रक्षा करने वाली हैं। ऐसा कोई भी कार्य नही है जो वह नहीं कर सकती है। अकबर ने ध्यानु के घोड़े का सर कटवा दिया और कहा कि अगर तेरी मां में शक्ति है तो घोड़े के सर को जोड़कर उसे जीवित कर दें। यह वचन सुनकर ध्यानु देवी की स्तुति करने लगा और अपना सिर काट कर माता को भेट के रूप में प्रदान किया। माता की शक्ति से घोड़े का सर जुड गया। इस प्रकार अकबर को देवी की शक्ति का एहसास हुआ। बादशाह अकबर ने देवी के मंदिर में सोने का छत्र भी चढाया। यह छत्र आज भी मंदिर में मौजूद है।
छत्तीसगढ़ के लोकगीत में विविधता है, गीत अपने आकार में छोटे और गेय होते है। गीतों का प्राणतत्व है भाव प्रवणता। छत्तीसगढ़ी लोकभाषा में गीतों की अविछिन्न परम्परा है।छत्तीसगढ़ के प्रमुख और लोकप्रिय गीतों है - सुआगीत, ददरिया, करमा, डण्डा, फाग, चनौनी, बाँस गीत, राउत गीत, पंथी गीत।
प्राचीन शिलाचित्र जिसमें अभिमन्यु चक्र व्यूह में प्रवेश करता हुआ दिखाया गया है
मानव बसाहट १०,००० साल से भी अधिक पुराना हो सकता है। ईसा के १८०० साल पहले आर्यों का आगमन इस क्षेत्र में हुआ। ईसा के ७०० साल पहले इसके उत्तरी क्षेत्र मे गांधार महाजनपद था जिसके बारे में भारतीय स्रोत महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में वर्णन मिलता है। ईसापूर्व ५०० में फ़ारस के हखामनी शासकों ने इसको जीत लिया। सिकन्दर के फारस विजय अभियान के तहते अफ़गानिस्तान भी यूनानी साम्राज्य का अंग बन गया। इसके बाद यह शकों के शासन में आए। शक स्कीथियों के भारतीय अंग थे। ईसापूर्व २३० में मौर्य शासन के तहत अफ़गानिस्तान का संपूर्ण इलाका आ चुका था पर मौर्यों का शासन अधिक दिनों तक नहीं रहा। इसके बाद पार्थियन और फ़िर सासानी शासकों ने फ़ारस में केन्द्रित अपने साम्राज्यों का हिस्सा इसे बना लिया। सासनी वंश इस्लाम के आगमन से पूर्व का आखिरी ईरानी वंश था। अरबों ने ख़ुरासान पर सन् ७०७ में अधिकार कर लिया। सामानी वंश, जो फ़ारसी मूल के पर सुन्नी थे, ने ९८७ इस्वी में अपना शासन गजनवियों को खो दिया जिसके फलस्वरूप लगभग संपूर्ण अफ़ग़ानिस्तान ग़ज़नवियों के हाथों आ गया। ग़ोर के शासकों ने गज़नी पर ११८३ में अधिकार कर लिया।
कामेट शिखर का नाम अंग्रेजी भाषा का नहीं, बल्कि तिब्बती भाषा के शब्द ‘कांग्मेद’ शब्द के आधार पर रखा गया है। इसीलिये इसे कामेट भी कहा जाटा है। तिब्बती लोग इसे कांग्मेद पहाड़ कहते हैं।[२] कामेट पर्वत तीन प्रमुख हिमशिखरों से घिरा है। इनके नाम अबी गामिन, माना पर्वत तथा मुकुट पर्वत हैं। कामेट शिखर के पूर्व में स्थित विशाल ग्लेशियर को पूर्वी कामेट ग्लेशियर कहते हैं और पश्चिम में पश्चिमी कामेट ग्लेशियर है।
নমামি কমলাং অমলাং অতুলাম্
जनवरी 1996 में, द इंटरनेशनल वेजीटेरियन यूनियन ने मुस्लिम वेजीटेरियन/वेगन सोसाइटी की स्थापना की घोषणा की.[१५२]
माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़, माइक्रोसॉफ्ट द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर प्रचालन तंत्र (सॉफ्टवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम) और ग्राफिकल यूजर इंटरफेस की एक श्रृंखला है। माइक्रोसॉफ्ट विन्डोज़ ने ग्राफिकल यूजर इंटरफेस में बढ़ती रुचि (GUIs) को देखते हुए नवंबर 1985 में एमएस-DOS में जोड़ने के लिए एक ऑपरेटिंग पर्यावरण पेश किया था। माइक्रोसॉफ्ट विन्डोज़, आते ही दुनिया के निजी कंप्यूटर बाजार पर हावी हो गया और इसने इससे पहले बाजार मे आये मैक-ओएस को बहुत पीछे छोड़ दिया। 2004 के IDC दिशा सम्मेलन में, यह बात सामने आयी कि ग्राहक ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार का लगभग 90% विण्डोज़ के पास था। विन्डोज़ का सबसे हाल के ग्राहक संस्करण विन्डोज़ 7 है और सबसे हाल का सर्वर संस्करण विन्डोज़ सर्वर 2008 R2 है।बिल गेट्स ने विंडोज के विकास मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और अब वह माइक्रोसॉफ्ट के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।
हरिवंश के अंतर्गत हरिवंशपर्व शैली और वृत्तांतों की दृष्टि से विष्णुपर्व और भविष्यपर्व से प्राचीन ज्ञात होता है। अश्वघोषकृत वज्रसूची में हरिवंश से अक्षरश: समानता रखनेवाले कुछ श्लोक मिलते हैं। पाश्चात्य विद्वान् वैबर ने वज्रसूची को हरिवंश का ऋणी माना है और रे चौधरी ने उनके मत का समर्थन किया। अश्वघोष का काल लगभग द्वितीय शताब्दी निश्चित है। यदि अश्वघोष का काल द्वितीय शताब्दी है तो हरिवंशपर्व का काल प्रक्षिप्त स्थलों को छोड़कर द्वितीय शताब्दी से कुछ पहले समझना चाहिए।
क5 अनु 356—जब किसी राज्य मे राष्ट्रपति शासन लागू होता है, उस स्थिति मे संसद उस राज्य हेतु विधि निर्माण कर सकती है
बैगा जनजाति मंडला जिले के चाड़ा के घने जंगलों में निवास करने वाली जनजाति है । इस जनजाति के प्रमुख नृत्यों में बैगानी करमा, दशहरा या बिलमा तथा परधौनी नृत्य है । इसके अलावा विभिन्न अवसरों पर घोड़ा पैठाई, बैगा झरपट तथा रीना और फाग नृत्य भी करते हैं । नृत्यों की विविधता का जहां तक सवाल है तो निर्विवाद रुप से कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश की बैगा जनजाति जितने नृत्य करती है, और उनमें जैसी विविधता है वैसी संभवतः किसी और जनजाति में कठिनाई से मिलेगी । बैगा करधौनी नृत्य विवाह के अवसर पर बारात की अगवानी के समय किया जाता है, इसी अवसर पर लड़के वालों की ओर से आंगन में हाथी बनकर नचाया जाता है, इसमें विवाह के अवसर को समारोहित करने की कलात्मक चेष्टा है । बैगा फाग होली के अवसर पर किया जाता है । इस नृत्य में मुखौटे का प्रयोग भी होता है ।
सन् १९४० के बाद छायावाद की संवेगनिष्ठ, सौंदर्यमूलक और कल्पनाप्रिय व्यक्तिवाद प्रवृत्तियों के विरोध में प्रगतिवाद का संघबद्ध आंदोलन चला जिसकी दृष्टि समाजबद्ध, यथार्थवादी और उपयोगितावादी है। सामाजिक वैषम्य और वर्गसंघर्ष का भाव इसमें विशेष मुखर हुआ। इसने साहित्य को सामाजिक क्रांति के अस्त्र के रूप में ग्रहण किया। अपनी उपयोगितावादी दृष्टि की सीमाओं के कारण प्रगतिवादी साहित्य, विशेषत: कविता में कलात्मक उत्कर्ष की संभावनाएँ अधिक नहीं थीं, फिर भी उसने साहित्य के सामाजिक पक्ष पर बल देकर एक नई चेतना जाग्रत की।
इस छोटे से कस्बे में करीब एक सौ अठारह शिवालय हैं। इसी क्रम में दशहरा मेले में होने वाली रामलीला के आयोजन में रावण पूजा भी अलौकिक और अनोखी मानी जाती है। यहां की रामलीला को देखने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से श्रृद्धालु एकत्रित होते हैं। खजुहा कस्बे की रामलीला जिले में ही नहीं पूरे प्रदेश में ख्याति प्राप्त है।
मोहम्मद हामिद अंसारी (जन्म 1 अप्रैल, 1934), भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति हैं। वे भारतीय अल्पसंख्यक आयोग के भूतपूर्व अध्यक्ष भी हैं।[१] वे एक शिक्षाविद, तथा प्रमुख राजनेता हैं, एवं अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रह चुके हैं। वे 10 अगस्त 2007 को भारत के 13वेंउपराष्ट्रपति चुने गये।
एस. टी. डी (STD) कोड - 02962
कैंसर भिन्न रोगों का एक वर्ग है जो अपने कारणों और जैव-विज्ञान में व्यापक भिन्नता रखते हैं. कोई भी जीव, यहां तक कि पौधों, में भी कैंसर हो सकता है. लगभग सभी ज्ञात कैंसर धीरे धीरे बढ़ते हैं, और कैंसर की कोशिकाओं और इसकी पुत्री कोशिकाओं में त्रुटि उत्पन्न हो जाती है (सामान्य प्रकार की त्रुटियों के लिए क्रियाविधि भाग देखें).
क्वेटा (उर्दू: کوئٹہ) बलोचिस्तान, पाकिस्तान, की राजधानी है।
(ग) यह सार्वजनिक अथवा निजी नीतियों के निर्धारण में अपनी विशिष्ट पृष्टभूमि प्रदान करता है, जिसके आधार पर समस्याओं का सप्ष्टीकरण सुविधाजनक हो जाता है।
संसद भवन
हौन्डुरस मध्य अमेरिका में स्थित देश है। पूर्व में ब्रिटिश हौन्डुरस (अब बेलीज़) से अलग पहचान के लिए इसे स्पेनी हौन्डुरस के नाम से जाना जाता था। देश की सीमा पश्चिम में ग्वाटेमाला, दक्षिण पश्चिम में अल साल्वाडोर, दक्षिणपूर्व में निकारागुआ, दक्षिण में प्रशांत महासागर से फोंसेका की खाड़ी और उत्तर में हॉण्डुरास की खाडी से कैरेबियन सागर से मिलती है। इसकी राजधानी टेगुसिगलपा है।
७) ब्रह्माण्ड शब्द जहाँ ब्रह्माण्ड में निहित जीवों को मात्र एक उद्देश्य, जीवन में वृद्धि के लिए प्रेरीत करता है, वहीं यूनवर्स शब्द यूनवर्स में निहित जीवों को अपना ही जीवन किसी भी प्रकार से बचाने के लिए, किसी भी प्रकार के उद्देश्य को अपनाने के लिए बाध्य करता है।
रवांडा 111
जुडो के अभ्यासकर्ता को जुडोका या "जुडो अभ्यासकर्ता" के नाम से जाना जाता है, हालांकि पारंपरिक रूप से केवल चौथे डैन या उससे ऊंचा दर्जा पाने वालों को "जुडोका" कहा जाता था. जब किसी अंग्रेज़ी संज्ञा शब्द के साथ -ka (-का) प्रत्यय जोड़ दिया जाता है तो इसका मतलब एक ऐसे व्यक्ति से होता है जो उस विषय का विशेषज्ञ होता है या जिसके पास उस विषय का विशेष ज्ञान होता है. चौथे डैन से नीचे का दर्जा पाने वाले अन्य अभ्यासकर्ताओं को केंक्यु-सेई या "प्रशिक्षु" कहा जाता था. आधुनिक समय में जुडोका का मतलब किसी भी स्तर की विशेषज्ञता वाले जुडो अभ्यासकर्ता से है.
स्वामी जी की मृत्यु जिन परिस्थितियों में हुई, उससे भी यही आभास मिलता है कि उसमें निश्चित ही अंग्रेजी सरकार का कोई षड्यंत्र था। स्वामी जी की मृत्यु 30 अक्टूबर 1883 को दीपावली के दिन संध्या के समय हुई थी। उन दिनों वे जोधपुर नरेश महाराज जसवन्त सिंह के निमंत्रण पर जोधपुर गये हुए थे। वहां उनके नित्य ही प्रवचन होते थे। यदाकदा महाराज जसवन्त सिंह भी उनके चरणों में बैठकर वहां उनके प्रवचन सुनते। दो-चार बार स्वामी जी भी राज्य महलों में गए। वहां पर उन्होंने नन्हीं नामक वेश्या का अनावश्यक हस्तक्षेप और महाराज जसवन्त सिंह पर उसका अत्यधिक प्रभाव देखा। स्वामी जी को यह बहुत बुरा लगा। उन्होंने महाराज को इस बारे में समझाया तो उन्होंने विनम्रता से उनकी बात स्वीकार कर ली और नन्हीं से संबंध तोड़ लिए। इससे नन्हीं स्वामी जी के बहुत अधिक विरुद्ध हो गई। उसने स्वामी जी के रसोइए कलिया उर्फ जगन्नाथ को अपनी तरफ मिलाकर उनके दूध में पिसा हुआ कांच डलवा दिया। थोड़ी ही देर बाद स्वामी जी के पास आकर अपना अपराध स्वीकार कर लिया और उसके लिए क्षमा मांगी। उदार-ह्मदय स्वामी जी ने उसे राह-खर्च और जीवन-यापन के लिए पांच सौ रुपए देकर वहां से विदा कर दिया ताकि पुलिस उसे परेशान न करे। बाद में जब स्वामी जी को जोधपुर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया तो वहां संबंधित चिकित्सक भी शक के दायरे में रहा। उस पर आरोप था कि वह औषधि के नाम पर स्वामी जी को हल्का विष पिलाता रहा। बाद में जब स्वामी जी की तबियत बहुत खराब होने लगी तो उन्हें अजमेर के अस्पताल में लाया गया। मगर तब तक काफी विलम्ब हो चुका था। स्वामी जी को बचाया नहीं जा सका।
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, गोस्वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ हैं। [१]
ताड़का वध
५१ - इक्यावन
निर्देशांक: 25°22′51″N 83°01′28″E / 25.3808, 83.0245
4. लोकसभा के विघटन होने पर भी उसका प्रतिनिधित्व करने के लिये स्पीकर पद पर कार्य करता रहता है नवीन लोकसभा चुने जाने पर वह अपना पद छोड देता है
उपर्युक्त वाक्यों के सर्वनाम पद "बउ" तथा "बो" में संधिराहित्य तथा संधि की अवस्थाएँ दोनों भाषाओं की प्रकृतियों को स्पष्ट करती हैं।
2.15.1 शिरोरेखा का प्रयोग प्रचलित रहेगा।
2.8.3 तत्सम शब्दों का प्रयोग वांछनीय हो तब हलंत रूपों का ही प्रयोग किया जाए; विशेष रूप से तब जब उनसे समस्त पद या व्युत्पन्न शब्द बनते हों। यथा प्राक् :– (प्रागैतिहासिक), वाक्-(वाग्देवी), सत्-(सत्साहित्य), भगवन्-(भगवद्भक्ति), साक्षात्-(साक्षात्कार), जगत्-(जगन्नाथ), तेजस्-(तेजस्वी), विद्युत्-(विद्युल्लता) आदि। तत्सम संबोधन में हे राजन्, हे भगवन् रूप ही स्वीकृत होंगे। हिंदी शैली में हे राजा, हे भगवान लिखे जाएँ। जिन शब्दों में हल् चिह्न लुप्त हो चुका हो, उनमें उसे फिर से लगाने का प्रयत्न न किया जाए। जैसे - महान, विद्वान आदि; क्योंकि हिंदी में अब 'महान' से 'महानता' और 'विद्वानों' जैसे रूप प्रचलित हो चुके हैं।
नियम के रूप में गाँधी विभाजन (partition) की अवधारणा के खिलाफ थे क्योंकि यह उनके धार्मिक एकता के दृष्टिकोण के प्रतिकूल थी.[५७] ६ अक्तूबर १९४६ में हरिजन (Harijan) में उन्होंने भारत (6 October) का विभाजन पाकिस्तान बनाने के लिए, के बारे में लिखा:
१९३४ ई. में जेल से छूटकर खान बंधु वर्धा में रहने लगे थे। अब्दुल गफ्फार खान को गांधी जी के निकटत्व ने अधिक प्रभवित किया और इस बीच उन्होंने सारे देश का दौरा किया। कांग्रेस के निश्चय के अनुसार १९३९ में प्रांतीय कौंसिलों पर अधिकार प्राप्त हुआ तो सीमा प्रांत में भी कांग्रेस मंत्रिमंडल डा. खान के नेतृत्व में बना लेकिन गफ्फार खान साहब उससे अलग रहकर जनता की सेवा करते रे। १९४२ के अगस्त में क्रांति के सिलसिले में रिहा हुए। खान अब्दुल गफ्फार खान फिर गिरफ्तार हुए और १९४७ में छूटे लेकिन देश का बटवारा उनको गवारा न था इसलिए पाकिस्तान से इनकी विचारधारा नहीं मिली अत: पाकिस्तान की सरकार में इनका प्रांत शामिल है लेकिन सरहदी गांधी पाकिस्तान से स्वतंत्र 'पख्तूनिस्तान' की बात करते हैं, अत: इन दिनों जब कि वह भारत का दौरा कर रहे हैं, वह कहते हैं -भारत ने उन्हें भेड़ियों के सामने डाल दिया है तथा भारत से जो आकांक्षा थी, एक भी पूरी न हुई।
न्यायलय का गठन 28 जनवरी 1950 को भारत के गणराज्य घोषित होने के दो दिन बाद किया गया था। उदघाटन समारोह भारत के संसद हाल में किया गया था। वर्तमान परिसर का निर्माण 1958 में पूरा हुआ था।
1. राकेट, 2. वायुयान, 3. कीड़े, 4. जीवाणु बम, 5. एयरोसोल, 6. मिसाइल, 7. कुएँ में डालकर।
यह भाषा बर्किन फास्को में बोली जाती हैं ।
जाबालोपिनषद के अलावा अनेक स्मृतियों जैसे लिखितस्मृति, श्रृंगीस्मृति तथा पाराशरस्मृति, ब्राह्मीसंहिता तथा सनत्कुमारसंहिता में भी काशी का माहात्म्य बताया है। प्रायः सभी पुराणों में काशी का माहात्म्य कहा गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में तो काशी क्षेत्र पर काशी-रहस्य नाम से पूरा ग्रन्थ ही है, जिसे उसका खिल भाग कहते हैं। पद्म पुराण में काशी-महात्म्य और अन्य स्थानों पर भी काशी का उल्लेख आता है। प्राचीन लिंग पुराण में सोलह अध्याय काशी की तीर्थों के संबंध में थे। वर्त्तमान लिंगपुराण में भी एक अध्याय है। स्कंद पुराण का काशीखण्ड तो काशी के तीर्थ-स्वरुप का विवेचन तथा विस्तृत वर्णन करता ही है। इस प्रकार पुराण-साहित्य में काशी के धार्मिक महात्म्य पर सामग्री है। इसके अतिरिक्त, संस्कृत-वाड्मय, दशकुमारचरित, नैषध, राजतरंगिणी और कुट्टनीपतम् में भी काशी का वर्णन आता है। १२वीं शताब्दी ईसवी तक प्राप्त होने वाले लिंग पुराण में तीसरे से अट्ठारहवें अध्याय तक काशी के देवायतनों तथा तीर्थें का विस्तृत वर्णन था। त्रिस्थलीसेतु ग्रन्थ की रचना (सन् १५८० ई.) में लिंगपुराण वैसा ही रहा था।
पुराणों में इसकी चर्चा भद्रावती या भद्रावतीपुरम् के रुप में है। जैन- ग्रंथों में इसका नाम भड्डलपुर या भद्दिलपुर मिलता है। मध्ययुग आते- आते इसका नाम सूर्य (भैलास्वामीन) के नाम पर भेल्लि स्वामिन, भेलसानी या भेलसा हो गया। संभवतः पढ़ने के क्रम में हुई किसी गलतफहमी के कारण ११ शताब्दी में अलबरुनी ने इसे "महावलिस्तान' के नाम से संबोधित किया है। १७ वीं सदी में औरंगजेब के शासन काल में इसका नाम आलमगीरपुर रखा गया। सन् १९४७ ई. तक सरकारी रिकॉडाç में इसे "परगणे आलमगीरपुर' लिखा जाता रहा। परंतु ब्रिटिश काल में लोगों में भेलस्वामी या भेलसा नाम ही प्रचलित रहा। बाद में सन् १९५२ ई. में जनआग्रह पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा इस स्थान का तत्कालीन पुराना नाम विदिशा घोषित कर दिया।
उत्तर भारत में 21°58'10" ~ 27°31'15" उत्तरी अक्षांश तथा 82°19'50" ~ 88°17'40" पूर्वी देशांतर के बीच बिहार एक हिंदी भाषी राज्य है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार की भूमि मुख्यतः नदियों के मैदान एवं कृषियोग्य समतल भूभाग है। गंगा के पूर्वी मैदान में स्थित इस राज्य की औसत ऊँचाई १७३ फीट है। भौगोलिक तौर पर बिहार को तीन प्राकृतिक विभागो मे बाँटा जाता है- उत्तर का पर्वतीय एवं तराई भाग, मध्य का विशाल मैदान तथा दक्षिण का पहाड़ी किनारा।उत्तर का पर्वतीय प्रदेश सोमेश्वर श्रेणी का हिस्सा है। इस श्रेणी की औसत उचाई 455 मीटर है परन्तु इसका सर्वोच्च शिखर 874 मीटर उँचा है। सोमेश्वर श्रेणी के दक्षिण में तराई क्षेत्र है। यह दलदली क्षेत्र है जहाँ साल वॄक्ष के घने जंगल हैं। इन जंगलों में प्रदेश का इकलौता बाघ अभयारण्य वाल्मिकीनगर में स्थित है।मध्यवर्ती विशाल मैदान बिहार के 95% भाग को समेटे हुए है। भौगोलिक तौर पर इसे चार भागों में बाँटा जा सकता है:- 1- तराई क्षेत्र यह सोमेश्वर श्रेणी के तराई में लगभग 10 किलोमीटर चौ़ड़ा कंकर-बालू का निक्षेप है। इसके दक्षिण में तराई उपक्षेत्र है जो प्रायः दलदली है।
1898 में कनाडा द्वारा स्टांप जरी किया गया इम्पीरियल पैसा डाक दर का उद्घाटन किया गया.इस स्टांप पैर एक ग्लोब बना है और नीचे "ऐक्स्मस 1898" इंकित है 1937,में ऑस्ट्रिया ने दो क्रिसमस ग्रीटिंग्स वाले स्टांप जिसमे गुलाब (rose)और राशिः चक्र (zodiac)के चिह्न अंकित थे जरी किया 1939 में ब्राजील ने ४ सेमी पोस्टल (semi-postal) स्टांप जारी किए. जिसमे 3 राजा (three kings) और बेत्लेहेम का एक तारा (star of Bethlehem) एक एंजलऔर बच्चा सौठेर्ण क्रॉस (Southern Cross)और बच्चा और एक माँ और बच्चा के चित्र हैं
ज्योतिषों का विश्वास है की खगोलीय पिंडों की चाल और उनकी स्थिति या तो पृथ्वी को सीधे तरीके से प्रभावित करती है या फिर किसी प्रकार से मानवीय पैमाने पर या मानव द्वारा अनुभव की जाने वाली घटनाओं से सम्बद्ध होती है.[३] आधुनिक ज्योतिषियों द्वारा ज्योतिष को एक प्रतीकात्मक भाषा (symbolic language)[४][५][६], एक कला के रूप में या भविष्यकथन (divination),[७][८] के रूप में परिभाषित किया गया है, जबकि बहुत से वैज्ञानिकों ने इसे एक छद्म विज्ञान (pseudoscience) या अंधविश्वास (superstition) का नाम दिया है.[९][१०] परिभाषाओं में अन्तर के बावजूद, ज्योतिष विद्या की एक सामान्य धारणा यह है की खगोलीय पिण्ड अपने क्रम स्थान से भूत और वर्तमान की घटनाओं और भविष्वाणी (prediction) को समझने में मदद कर सकते हैं.एक मतदान में, ३१% अमिरिकियों ने ज्योतिष पर अपना विश्वास प्रकट किया और एक अन्य अध्ययन के अनुसार, ३९% ने उसे वैज्ञानिक माना है.[११][१२][१३][१४]
कई सूफ़ी या गुप्त परंपराओं को ज्योतिष से जोड़ा गया है.कुछ मामलों में, जैसे कब्बाला (Kabbalah) में, ज्योतिष के अपने पारंपरिक तत्वों को प्रतिभागियों द्वारा इक्कठा करके अंतर्भूत किया जाता है.अन्य मामलों में, जैसे की आगम भविष्यवाणी में, बहुत से ज्योतिषी ज्योतिष के अपने काम में परम्पराओं को सम्मिलित करते हैं. गुप्त परंपराएं में निम्न- लिखित चीज़ें शामिल हैं, लेकिन गुप्त परंपराएं इतने तक ही सीमित नहीं हैं:
सितार से कुछ बडा वाद्य सुर-बहार आज भी प्रयोग में है किन्तु सितार से अधिक लोकप्रिय कोई भी वाद्य नहीं है। इसकी ध्वनि को अन्य स्वरूप के वाद्य में उतारने की कई कोशिशें की गयीं किन्तु ढांचे में निहित तन्त्री खिंचाव एवं ध्वनि परिमार्जन के कारण ठीक वैसा ही माधुर्य प्राप्त नहीं किया जा सका। गिटार की वादन शैली से सितार समान स्वर उत्पन्न करने की सम्भावना रन्जन वीणा में कही जाती है किन्तु सितार जैसे प्रहार, अन्गुली से खींची मींड की व्यवस्था न हो पाने के कारण सितार जैसी ध्वनि नहीं उत्पन्न होती।
== यह भी देखिए
4 ATP
यदि जीएम तकनीकी सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों की बेहतरी के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है तो सवाल उठता है कि इन फसलों का विरोध क्यों हो रहा है? दरअसल शुरू से सभी जीएम फसलों का विरोध होता आया है। जीएम फसलों के पक्ष और विपक्ष में कई तर्क दिए गए हैं। कई शोध कहते हैं कि फसलों में आ पहुंचने वाला बॉलवर्म जीवाणु रक्षा के लिए छोड़े गए जीन का तोड़ हासिल कर रहा है। अन्य शोधों में पता चला है कि पौधों पर कई और जीवाणु भी हमला करते हैं। कई लोगों का कहना है कि जीएम फसलों की पैदावार आम फसलों से अधिक है, तो कई अन्य इसके विपरीत आंकड़े पेश करते हैं।
Նայիր նրան երեք գույնով,
तकनीकी सुधार के कारण सौर शक्ति (solar-powered) या बड़े चलाये जाने योग्य (dirigible) हवाई जहाजों पर आधारित हवाई जहाज होटल बन्ने की सम्भावना है.पानी के नीचे होटल, जैसे Hydropolis (Hydropolis), के २००९ में दुबई में खुलने की संभावना है,इसका निर्माण किया जाएगा.समुद्र पर पर्यटकों का बहुत बड़े क्रूज जहाजों या शायद तैरते हुए शहरों (floating cities) के द्वारा स्वागत किया जाएगा.
सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा-वैज्ञानिकों के अनुसार ‘‘भाषा या दृच्छिक वाचिक ध्वनि-संकेतों की वह पद्धति है, जिसके द्वारा मानव परम्परा विचारों का आदान-प्रदान करता है।’’[१] स्पष्ट ही इस कथन में भाषा के लिए चार बातों पर ध्यान दिया गया है-
संगम के निकट स्थित इस किले को मुगल सम्राट अकबर ने 1583 ई. में बनवाया था। वर्तमान में इस किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए खुला रहता है। बाकी हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है।
रामनगर किला और इसका संग्रहालय अब बनारस के राजाओं की ऐतिहासिक धरोहर रूप में संरक्षित हैं और १८वीं शताब्दी से काशी नरेश का आधिकारिक आवास रहे हैं।[५] आज भी काशी नरेश नगर के लोगों में सम्मानित हैं।[५] ये नगर के धार्मिक अध्यक्ष माने जाते हैं और यहां के लोग इन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं। [५] नरेश नगर के प्रमुख सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी बड़ी धार्मिक गतिविधियों के अभिन्न अंग रहे हैं।[५]
• मृणाल सेन
1515?-? Barka
को लिखकर - ऊपर नीचे क्रम में संयुक्ताक्षर बनाने की दो प्रकार की रीति प्रचलित है.)
गाँठ का शमन करने वाला जीन प्रचुरोदभवन विरोधी संकेतों और प्रोटीनों के लिए अनुकोडन करता है, जो समसूत्री विभाजन और कोशिका वृद्धि का शमन कर देते हैं.
आइजोल भारत के मिज़ोरम प्रान्त की राजधानी है। यह ऐज़ौल ज़िले का मुख्यालय भी है यह कर्क रेखा के ठीक उपर है |
इस फिल्म ने हिन्दी भाषा को एक नया शब्द गांधीगिरी प्रदान किया है जो आजकल हर आम और खास की जुबान पर है। वैसे तो इस शब्द को लेकर खासा विवाद भी हुआ है और यह स्वाभाविक भी है क्योंकि गिरी प्रत्यय की व्यंजना प्रीतिकर नहीं होती। पर गांधी विचार जैसे अतिशय गंभीर विषय को इसमें बड़े ही हल्के-फुल्के अंदा और मनोरंजक शैली में प्रस्तुत किया गया है, और वह भी विषय की गंभीरता को किंचित मात्र भी कम किये बगैर, यह इसकी बहुत बड़ी विशेषता है।[१]
चित्रकूट के लिए इलाहाबाद, बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर, सतना, फैजाबाद, लखनऊ, मैहर आदि शहरों से नियमित बस सेवाएं हैं। दिल्ली से भी चित्रकूट के लिए बस सेवा उपलब्ध है।
और कभी "बडा हुआ तो क्या हुआ जैसै"
• गौतम घोष
विचारात्मक निबंधों की दो श्रेणियां हैं। प्रथम श्रेणी के निबंधों में दार्शनिक तत्वों की प्रधानता रहती है। द्वितीय श्रेणी के निबंध सामाजिक जीवन संबंधी होते हैं। आलोचनात्मक निबंध भी दो श्रेणियों में बांटें जा सकते हैं। प्रथम श्रेणी में ऐसे निबंध हैं जिनमें साहित्य के विभिन्न अंगों का शास्त्रीय दृष्टि से विवेचन किया गया है और द्वितीय श्रेणी में वे निबंध आते हैं जिनमें साहित्यकारों की कृतियों पर आलोचनात्मक दृष्टि से विचार हुआ है। द्विवेदी जी के इन निबंधों में विचारों की गहनता, निरीक्षण की नवीनता और विश्लेषण की सूक्ष्मता रहती है।
अनावरित क्षत व्रण कहलाता है। किसी भी पृष्ठ के ऊपर, अथवा पार्श्व में, यदि कोई शोधयुक्त परिगलित (necrosed) भाग हो गया है, तो वहाँ व्रण उत्पन्न हो जाएगा। शीघ्र भर जानेवाले व्रण को सुदम्य व्रण कहते हैं। कभी-कभी कोई व्रण शीघ्र नहीं भरता। ऐसा व्रण दुदम्य हो जाता है, इसका कारण यह है कि उसमें या तो जीवाणुओं (bacteria) द्वारा संक्रमण होता रहता है, या व्रणवाले भाग में रक्त परिसंचरण (circulation of blood) उचित रूप से नहीं हो पाता। व्रण, पृष्ठ पर की एक कोशिका के बाद दूसरी कोशिका के नष्ट होने पर, बनता है।
नयी लोक सभा के चुनाव के लिए राष्ट्रपति, राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा, चुनाव आयोग द्वारा सुझाई गई तिथि को, सभी संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों से सदस्य चुनने के लिए कहता है। अधिसूचना जारी किए जाने के पश्चात चुनाव आयोग नामांकन पत्र दायर करने, उनकी छानबीन करने, उन्हें वापस लेने और मतदान के लिए तिथियां निर्धारित करता है।
बलराम को कई लोग बुद्ध के स्थान पर दशावतारों में गिनते हैं, अन्यथा बलराम शेषनाग के अवतार कहलाते हैं।
भारत की साहित्यिक परंपरा अत्यंत प्राचीन है। भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्र के समान ही भारतीय साहित्य की समेकित संकल्पना भी भारत की भावात्मक एकता के लिए अत्यंत आवश्यक है।
यह भाषा सुमात्रा, इंडोनेशिया में बोली जाती हैं ।
आरम्भ में इसमें उन भारतीय सैनिकों को लिया गया था जो जापान द्वारा युद्ध-बन्दी बना लिये गये थे। बाद में इसमें बर्मा और मलाया में स्थित भारतीय स्वयंसेवक भर्ती किये गये। एक वर्ष के भीतर ही सन १९४२ के दिसम्बर में आजाद हिन्द फौज लगभग समाप्त हो गयी। सन १९४३ में सुभाष चन्द्र बोस ने इसे पुनर्जीवित किया और इसकी बागडोर संभाली। नेताजी के नेतृत्व में आजाद हिन्द फौज ने जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रितानी और कामनवेल्थ सेना के साथ बर्मा, इम्फाल एवं कोहिमा में लोहा लिया ।
Upon his arrival in India, Cripps held talks with Indian leaders. There is some confusion over what Cripps had been authorised to offer India's nationalist politicians by Churchill and Leo Amery, and he also faced hostility from the Viceroy, Lord Linlithgow. He began by offering India full Dominion status at the end of the war, with the chance to secede from the Commonwealth and go for total independence. Privately, Cripps also promised to get rid of Linlithgow and grant India Dominion Status with immediate effect, reserving only the Defence Ministry for the British. However, in public he failed to present any concrete proposals for greater self-government in the short-term, other than a vague commitment to increase the number of Indian members of the Viceroy's Executive Council. Cripps spent much of his time in encouraging Congress leaders and Jinnah to come to a common, public arrangement in support of the war and government; however, the Congress leaders felt that whatever Cripps might say, his political masters were not interested in granting the complete Indianisation of the Viceroy's Executive Council, its conversion into a Cabinet with collective responsibility, or Indian control over Defence in wartime. They were also suspicious of an opt-out clause which Amery was rumoured to have offered the Muslim League in any putative Dominion arrangement. There was too little trust between the British and Congress by this stage, and both sides felt that the other was concealing its true plans.
इन दोनों सिद्धान्तों में से पहले वाले प्राचीन काल में नामकरण को इस आधार पर सही माना जा सकता है कि "बृहस्पति आगम" सहित अन्य आगम ईरानी या अरबी सभ्यताओं से बहुत प्राचीन काल में लिखा जा चुके थे। अतः उसमें "हिन्दुस्थान" का उल्लेख होने से स्पष्ट है कि हिन्दू (या हिन्दुस्थान) नाम प्राचीन ऋषियों द्वारा दिया गया था न कि अरबों/ईरानियों द्वारा। यह नाम बाद में अरबों/ईरानियों द्वारा प्रयुक्त होने लगा।
२. वह सबसे अधिक सरल भाषा है,
वानरसेना सुग्रीव के सेना का नाम है।
* बलिराज गढ़- यहां प्रचीन किला का एक भग्नावशेष है जो करीब ३६५ बीघे में फैला हुआ है। यह स्थान जिला मुख्यालय से करीब ३४ किलोमीटर उत्तर-पूर्व में मधुबनी-लौकहा सड़के के किनारे स्थित है। यह नजदीकी गांव खोजपुर से सड़क मार्ग से जुड़ा है जहां से इसकी दूरी १।५ किलोमीटर के करीब है। इसके उत्तर में खोजपुर, दक्षिण में बगौल, पूरब में फुलबरिया और पश्चिम में रमणीपट्टी गांव है। इस किले की दीवार काफी मोटी है और ऐसा लगता है कि इसपर से होकर कई रथ आसानी से गुजर जाते होंगे। यह स्थान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है और यहां उसके कुछ कर्मचारी इसकी देखभाल करते हैं। पुरातत्व विभाग ने दो बार इसकी संक्षिप्त खुदाई की है और इसकी खुदाई करवाने में मधुबनी के पूर्व सीपीआई सांसद भोगेंद्र झा और स्थानीय कुदाल सेना के संयोजक सीताराम झा का नाम अहम है। यहां सलाना रामनवमी के अवसर पर चैती दुर्गा का भव्य आयोजन होता है जिसमें भारी भीड़ उमड़ती है। इसकी खुदाई में मौर्यकालीन सिक्के, मृदभांड और कई वस्तुएं बरामद हुई हैं। लेकिन पूरी खुदाई न हो सकने के कारण इसमें इतिहास का वहुमूल्य खजाना और ऐतिहासिक धरोहर छुपी हुई है। कई लोगों का मानना है कि बलिराज गढ़ मिथिला की प्राचीन राजधानी भी हो सकती है क्योंकि वर्तमान जनकपुर के बारे में कोई लोगों को इसलिए संदेह है क्योंकि वहां की इमारते काफी नई हैं। दूसरी बात ये कि रामायण अन्य विदेशी यात्रियों के विवरण से संकेत मिलता है कि मिथिला की प्राचीन राजधानी होने के पर बलिराजगढ़ का दावा काफी मजबूत है। इसके बगल से दरभंगा-लौकहा रेल लाईन भी गुजरती है और नजदीकी रेलवे हाल्ट बहहड़ा यहां से मात्र ३ किलोमीटर की दूरी पर है। इसके अगल-बगल के गांव भी ऐतिहासिक नाम लिए हुए हैं । रमणीपट्टी के बारे में लोगों की मान्यता है कि यहां राजा का रनिवास रहा होगा। फुलबरिया, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है फूलो का बाग रहा होगा। बगौल भी बिगुल से बना है जबकि कुछ ही दूरी पर गरही नामका गांव है। बलिराज गढ़ में हाल तक करीब ५० साल पहले तक घना जंगल हुआ करता था और पुराने स्थानीय लोग अभी भी इसे वन कहते हैं जहां पहले कभी खूंखार जानवर विचरते थे। वहां एक संत भी रहते थे जिनके शिष्य से धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने दीक्षा ली थी। कुल मिलाकर, बलिराजगढ़ अभी भी एक व्यापक खुदाई का इंतजार कर रहा है और इतिहास की कई सच्चाईयों को दुनिया के सामने खोलने के लिए बेकरार है।
बिहुला की कथा, जो विवाह की प्रथम रात्रि में ही मनसा देवी द्वारा प्रेषित सर्प के द्वारा पति के डसे जाने पर विधवा हो गई थी और जिसने बड़ी बड़ी कठिनाइयाँ झेलकर देवताओं को तथा मनसा देवी को भी प्रसन्न कर पति को पुन: जीवित करा लेने में सफलता प्राप्त की थी, पतिव्रता नारी के प्रेम और साहस की वह अपूर्व परिकल्पना है जिसका आविर्भाव कभी किसी भारतीय मस्तिष्क में हुआ हो। यह कथा शायद मुसलमानों के आगमन के पहले से ही प्रचलित थी किंतु उसपर आधारित प्रथम कथाकाव्य बँगला में 15वीं शती में रचे गए। इनमें से एक के रचयिता विजयगुप्त और दूसरी के विप्रदास पिपलाई माने जाते हैं।
(Marathi: काजल देवगन Kajol Devgan, Bengali: কাজল দেবগন Kajol Debgon, काजोल अभिनेत्री का जन्म ५ अगस्त १९७५ को हुआ था। उनकी माँ तनुजा और नानी शोभना समर्थ भी अभिनेत्री थीं। उनकी छोटी बहिन तनिषा भी अब फिल्मों मैं काम कर रही हैं। उनके पिता का नाम शोमू मुखर्जी है। वे फिल्में बनाते थे। काजोल ने अपना फिल्मी सफ़र फिल्म बेख़ुदी से शुरू किया जिसमें उनके पात्र का नाम राधिका था। वह फिल्म तो नीं चली पर उनकी बाद की फिल्में बहुत प्रसिद्ध हुईं। जैसे कि बाज़ीगर और दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे। उहोंने अपने सहकर्मी और प्रेमी, अजय देवगन से २४ फरवरी 1999 को विवाह किया था। उनकी एक छोटी बेटी है जिसका नाम न्यसा है।
कला में भी फूल जननांग (female genitalia) का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसा कि जार्जिया ओ'कीफी (Georgia O'Keefe), इमोगन कनिंगहम (Imogen Cunningham), वेरोनिका रुइज़ डे वेलअस्को (Veronica Ruiz de Velasco) और जूडी चिकागो (Judy Chicago) जैसे कलाकारों के कामो में दीखता हैं, हकीकत में एशियाई और पश्चिमी शास्त्रीय कला में भी यह दिखाई देता है. दुनिया भर की कई संस्कृतियों में फूलों को स्त्रीत्व (femininity) के साथ जोड़ने की चिन्हित प्रवृति दिखाई देती है.
केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो के दिल्ली स्थिति मुख्यालय में एक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना ।
आमेर और शीला माता मंदिर - लगभग दो शताब्दी पूर्व राजा मान सिंह, मिर्जा राजा जय सिंह और सवाई जय सिंह द्वारा निर्मित महलों, मंडपों, बगीचों और मंदिरों का एक आकर्षक भवन है। मावठा झील के शान्त पानी से यह महल सीधा उभरता है और वहाँ कठिन रास्ते द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। सिंह पोल और जलेब चौक तक अकसर पर्यटक हाथी पर सवार होकर जाते हैं। चौक के सिरे से सीढ़ियों की पंक्तियाँ उठती हैं, एक शिला माता के मंदिर की ओर जाती है और दूसरी महल के भवन की ओर। यहां स्थापित करने के लिए राजा मान सिंह द्वारा संरक्षक देवी की मूर्ति, जिसकी पूजा हजारों श्रद्धालु करते है, पूर्वी बंगाल (जो अब बंगला देश है) के जेसोर से यहां लाई गई थी। एक दर्शनीय खंभो वाला हॉल दीवान-ए-आम और एक दोमंजिला चित्रित प्रवेशद्वार, गणेश पोल आगे के पंरागण में है। गलियारे के पीछे चारबाग की तरह का एक रमणीय छोटा बगीचा है जिसकी दाई तरफ सुख निवास है और बाई तरफ जसमंदिर। इसमें मुगल व राजपूत वास्तुकला का मिश्रित है, बारीक ढंग से नक्काशी की हुई जाली की चिलमन, बारीक शीशों और गचकारी का कार्य और चित्रित व नक्काशीदार निचली दिवारें। मावठा झील के मध्य में सही अनुपातित मोहन बाड़ी या केसर क्यारी और उसके पूर्वी किनारे पर दिलराम बाग ऊपर बने महलों का मनोहर दृश्य दिखाते है।
16.
आर्यभट के लिखे तीन ग्रंथों की जानकारी आज भी उपलब्ध है। दशगीतिका, आर्यभट्टीय और तंत्र। लेकिन जानकारों के अनुसार उन्होने और एक ग्रंथ लिखा था- 'आर्यभट्ट सिद्धांत'। इस समय उसके केवल ३४ श्लोक ही उपलब्ध हैं। उनके इस ग्रंथ का सातवे शतक में व्यापक उपयोग होता था। लेकिन इतना उपयोगी ग्रंथ लुप्त कैसे हो गया इस विषय में कोई निश्चित जानकारी नहीं मिलती।[१]
दरभंगा जिले की चूनायुक्त दोमट किस्म की मिट्टी रबी एवं खरीफ फसलों के लिए उपयुक्त है। भदई एवं अगहनी धान, गेहूँ, मकई, रागी, तिलहन (चना, मसूर, खेसारी, मूंग), आलू गन्ना आदि मुख्य फसले हैं। जिले के कुल क्षेत्रफल का 198415 हेक्टेयर कृषियोग्य है। 19617 हेक्टेयर क्षेत्र ऊँची भूमि, 37660 हेक्टेयर मध्यम और 38017 हेक्टेयर नीची भूमि है। यद्यपि दरभंगा जिला वनरहित प्रदेश है फिर भी निजी क्षेत्रों में वानिकी का अच्छा प्रसार देखने को मिलता है। गाँवों के आसपास रैयती जमीन पर सीसम, खैर, खजूर, आम, लीची, अमरुद, कटहल, पीपल, ईमली आदि पर्याप्त मात्रा में दिखाई देते है। आम और मखाना के उत्पादन के लिए दरभंगा प्रसिद्ध है और खास स्थान रखता है। जिले के प्रायः हर हिस्से में तलाबों एवं चौर क्षेत्र में पोषक तत्वों से भरपूर मखाना यहाँ का खास उत्पाद है।
मराठी साहित्य की प्रारंभिक रचनाएँ यद्यपि 12वीं शती से उपलब्ध हैं तथापि मराठी भाषा की उत्पत्ति इसके लगभग 300 सौ वर्ष पूर्व अवश्य हो चुकी रही होगी। मैसूर प्रदेश के श्रवण बेल गोल नामक स्थान की गोमतेश्वर प्रतिमा के नीचेवाले भाग पर लिखी हुई "श्री चामुंड राजे करवियले" यह मराठी भाषा की सर्वप्रथम ज्ञात पंक्ति है। यह संभवत: शक 905 (ई सन् 983) में उत्कीर्ण की गई होगी। यहाँ से यादवों के काल तक के लगभग 75 शिलालेख आज तक प्राप्त हुए हैं। इनकी भाषा का संपूर्ण या कुछ भाग मराठी है। मराठी भाषा का निर्माण प्रमुखतया, महाराष्ट्री, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं से होने के कारण संस्कृत की अतुलनीय भाषासंपत्ति का उत्तराधिकार भी इसे मुख्य रूप से प्राप्त हुआ है। प्राकृत और अपभ्रंश भाषा को आत्मसात् कर मराठी ने 12वीं शती से अपना अलग अस्तित्व स्थापित करना शुरू किया। इसकी लिपि देवनागरी है।
इनका प्रयोग न करें : कदंब, केवड़ा, मौलसिरी या लाल तथा काले रंग के फूल और बेल पत्र श्राद्ध में वर्जित हैं। उड़द, मसूर, अरहर की दाल, गाजर, गोल लौकी, बैंगन, शलजम, हींग, प्याज, लहसुन, काला नमक, काला जीरा, सिंघाड़ा, जामुन, पीली सरसों आदि भी वर्जित हैं। लोहा और मिट्टी के बर्तन तथा केले के पत्तों का प्रयोग न करें। विष्णु पुराण के अनुसार श्राद्ध करने वाला ब्राह्मण भी दूसरे के यहां भोजन न करे। जिस दिन श्राद्ध करें उसे दिन दातुन और पान न खाएं। श्राद्ध का महत्वपूर्ण समय: प्रात: 11.26 से 12.24 बजे तक है।
विशेष आहुतियों के बाद शेष बची खीर प्रसाद रूप में एक कटोरी में गर्भिणी को दी जाए । वह उसे लेकर मस्तक से लगाकर रख ले । सारा कृत्य पूरा होने पर पहले उसी का सेवन करे । भावना करे कि यह यज्ञ का प्रसाद दिव्य शक्ति सम्पन्न है । इसके प्रभाव से राम-भरत जैसे नर पैदा होते हैं । ऐसे संयोग की कामना की जा रही है । ॐ पयः पृथिव्यां पयऽओषधिषु, पयो दिव्यन्तरिक्षे पयोधाः । पयस्वतीः प्रदिशः सन्तु मह्यम् । -यजु० १८.३६
संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यन्त परिमार्जित एवं वैज्ञानिक है। बहुत प्राचीन काल से ही अनेक व्याकरणाचार्यों ने संस्कृत व्याकरण पर बहुत कुछ लिखा है। किन्तु पाणिनि का संस्कृत व्याकरण पर किया गया कार्य सबसे प्रसिद्ध है। उनका अष्टाध्यायी किसी भी भाषा के व्याकरण का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है।
द्वारका एक छोटा-सा-कस्बा है। कस्बे के एक हिस्से के चारों ओर चहारदीवारी खिंची है इसके भीतर ही सारे बड़े-बड़े मन्दिर है।
अयोध्या में पुत्र के वियोग के कारण दशरथ का स्वर्गवास हो गया। वशिष्ठ ने भरत और शत्रुघ्न को उनके ननिहाल से बुलवा लिया। वापस आने पर भरत ने अपनी माता कैकेयी की, उसकी कुटिलता के लिये, बहुत भर्तस्ना की और गुरुजनों के आज्ञानुसार दशरथ की अन्त्येष्टि क्रिया कर दिया। भरत ने अयोध्या के राज्य को अस्वीकार कर दिया और राम को मना कर वापस लाने के लिये समस्त स्नेहीजनों के साथ चित्रकूट चले गये| कैकेयी को भी अपने किये पर अत्यंत पश्चाताप हुआ। सीता के माता-पिता सुनयना एवं जनक भी चित्रकूट पहुँचे। भरत तथा अन्य सभी लोगों ने राम के वापस अयोध्या जाकर राज्य करने का प्रस्ताव रखा जिसे कि राम ने, पिता की आज्ञा पालन करने और रघुवंश की रीति निभाने के लिये, अमान्य कर दिया।
इस स्थिति को सर्वश्रेष्ठ तरीके से, 78 rpm शेलेक रिकॉर्डिंग से 45 rpm और 33⅓ rpm विनाइल रिकॉर्डिंग में परिवर्तन से तुलना की जा सकती है; क्योंकि पूर्व फ़ॉर्मेट के लिए लिए इस्तेमाल माध्यम, लगभग बाद के संस्करण के समान ही था (एक सुई के उपयोग से बजाय जाने वाला एक टर्नटेबल पर एक डिस्क), अप्रचलित 78s को बजाने के लिए फोनोग्राफ का निर्माण इस फ़ॉर्मेट के बंद कर दिए जाने के दशकों बाद तक जारी रहा. निर्माताओं ने 2009 में मानक DVD जारी करने की घोषणा की है, और यह फ़ॉर्मेट पुराने टेलीविजन कार्यक्रमों और फिल्मों को जारी करने के लिए एक पसंदीदा बना हुआ है, जैसे कि कार्यक्रम जिसमें पुनर्संशोधन और कुछ विशेष तत्वों के प्रतिस्थापन की आवश्यकता होती है जैसे विशेष प्रभाव ताकि हाई-डेफिनिशन अवलोकन में बेहतर प्राप्त किया जा सके.[३३]
दादूदयाल (1544-1603 ई.) हिन्दी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे । दादू दयाल जन्म अनुमानत: अहमदाबाद (गुजरात) में हुआ था। इनके जीवन वृत्तांत का पता नहीं चलता। गृहस्थी त्यागकर इन्होंने 12 वर्षों तक कठिन तप किया। गुरु-कृपा से सिध्दि प्राप्त हुई तथा सैकडों शिष्य हो गए। इनके 52 पट्टशिष्य थे, जिनमें गरीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना मुख्य हैं। दादू के नाम से 'दादू पंथ' चल पडा। ये अत्यधिक दयालु थे। इस कारण इनका नाम 'दादू दयाल' पड गया। दादू हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी आदि कई भाषाओं के ज्ञाता थे। इन्होंने शबद और साखी लिखीं। इनकी रचना प्रेमभावपूर्ण है। जात-पाँत के निराकरण, हिन्दू-मुसलमानों की एकता आदि विषयों पर इनके पद तर्क-प्रेरित न होकर हृदय-प्रेरित हैं।
होई के चित्रांकन में ज्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। उसी के पास साही तथा उसके बच्चों की आकृतियां बना दी जाती हैं। करवा चौथ के ठीक चार दिन बाद अष्टमी तिथि को देवी अहोई माता का व्रत किया जाता है । यह व्रत पुत्र की लम्बी आयु और सुखमय जीवन की कामना से पुत्रवती महिलाएं करती हैं । कृर्तिक मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण पक्ष में यह व्रत रखा जाता है इसलिए इसे अहोई अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
Robert Fulton's Clermont.
ईसा पूर्व तृतीय शताब्दी के आरंभ में ग्रीक साहित्य अवसान की ओर अग्रसर होने लगा। सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय ने यूनानी स्वतंत्र राष्ट्रों की सत्ता पर कुठाराघात किया और सिकंदर ने स्वयं अपनी विश्वविजय की युगांतरकारी यात्रा में यूनानी साहित्य तथा संस्कृति को सार्वभौम बनाने का सक्रिय प्रयास किया। इस प्रकार यूनान के बाहर कुछ ऐसे केंद्रों का निर्माण हुआ जहाँ ग्रीक भाषा और साहित्य का अध्ययन नए ढंग से किंतु प्रचुर उत्साह के साथ होने लगा। इन केंद्रों में प्रमुख मिश्र की राजधानी अलेक्जांद्रिया थी जहाँ पर यूनानी साहित्य, दर्शन तथा विज्ञान के हस्तलिखित ग्रंथों का एक विशाल पुस्तकालय बन गया जिसका विनाश ईसा पूर्व पहली सदी में जनरल आंतोनी के समय हुआ। इस नए केंद्र के लेखक तथा विद्वान् यूनान के लेखकों से प्रभावित तथा अनुप्राणित थे और विशेषकर विज्ञान क्षेत्र में उनका कार्य विशेष सराहनीय हुआ। परंतु साहित्य क्षेत्र में सृजनात्मक प्रतिभा का स्थान आलोचना तथा व्याकरण और व्याख्या साहित्य ने ले लिया। फलस्वरूप पुराने साहित्य की व्याख्या के साथ साथ बहुत से ग्रंथों की विशेषताओं की रक्षा संभव हुई। इस काल की कविता में नवीन तत्वों का विकास स्पष्ट है परंतु उसे साथ ही यह भी प्रकट है कि कविता का दायरा संकुचित हो गया और कविता जनता के लिये नहीं विशेषज्ञों के लिये लिखी जाने लगी। शैली कृत्रिम तथा अलंकारों से बोझिल हो गई और शब्दचयन में भी पांडित्य का आडंबर खड़ा हुआ। कवियों में मुख्य नाम है थियोक्रेतस का जो देहाती जीवन संबंधी गोचारण साहित्य (पैस्टोरल) के स्त्रष्टा माने जाते हैं और एपोलोनियस तथा कालीमैक्स का विशेष संबंध क्रमश: महाकाव्य और फुटकर गीतकाव्य, जैसे "एलिजी" और "एविग्रामों" से है।
(४) ज़ैंथोफाइसिई - इन शैवालों में पर्णपीत (xanthophyll) रंग विद्यमान रहता है। स्टार्च के अतिरिक्त तैल पदार्थ भोज्य पदार्थ के रूप में रहता है। कशाभिका दो होती हैं, जो लंबाई में समान नहीं होतीं। लैंगिक जनन बहुधा नहीं होता। यदि होता है, तो समयुग्मक ही होता है। कोशिका की दीवार में दो सम या असम विभाजन होते हैं।
विवाह हेतु बारात जब द्वार पर आती है, तो सर्वप्रथम 'वर' का स्वागत-सत्कार किया जाता है, जिसका क्रम इस प्रकार है- 'वर' के द्वार पर आते ही आरती की प्रथा हो, तो कन्या की माता आरती कर लें । तत्पश्चात् 'वर' और कन्यादाता परस्पर अभिमुख बैठकर षट्कर्म, कलावा, तिलक, कलशपूजन, गुरुवन्दना, गौरी-गणेश पूजन, सर्वदेवनमस्कार, स्वस्तिवाचन करें । इसके बाद कन्यादाता वर सत्कार के सभी कृत्य आसन, अर्घ्य, पाद्य, आचमन, मधुपर्क आदि (विवाह संस्कार से) सम्पन्न कराएँ । तत्पश्चात् ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षां........... (पृ० .....) से तिलक लगाएँ तथा ॐ अक्षन्नमीमदन्त ...... (पृ० ....) से अक्षत लगाएँ । माल्यार्पण एवं कुछ द्रव्य 'वर' को प्रदान करना हो, तो निम्नस्थ मन्त्रों से सम्पन्न करा दें- माल्यापर्ण मन्त्र- ॐ मंगलं भगवान् विष्णुः ............ (पृ०...) द्रव्यदान मन्त्र - ॐ हिरण्यगर्भः समवत्तर्ताग्रे ......... (पृ०...) तत्पश्चात् क्षमाप्रार्थना, नमस्कार, देवविसर्जन एवं शान्तिपाठ करें ।
सामान्यत: वायु को शीतल करने में संवेदी-ऊष्मा (sensible heat), अथवा आंतरिक ऊष्मा की ऊर्जा का, गरम वायु से अपेक्षाकृत कम तापवाले स्तर, अथवा माध्यम, में प्रत्यक्ष संवहन (convection) द्वारा स्थानांतारण होता है। ऊष्मा का यह स्थानांतरण, द्रववाष्प के सम्मिश्रण के द्वारा ऊष्मापरिषण स्तर से परिवाही शीतल द्रव, अथवा कम दबाव पर वाष्पन से होता है। वायुशीतलन की इस पद्धति में द्रववाष्प का सम्मिश्रण शीतल द्रव अथवा वाष्प द्रव में परिवर्तित होते हुए वायु की ऊष्मा को ग्रहण करता है। ऊष्मा-स्थानांतरण की एक अन्य पद्धति में, प्रवेश करनेवाली वायु की ऊष्माका स्थानांतरण किसी भीगे हुए स्तरयुक्त वायुशीतलक में होता है। इस पद्धति को वायु का आर्द्रशीतलन कहा जाता है। वायु शीतलन की उपर्युक्त दोनों ही पद्धतियों में वायु की संचित आंतरिक गतिज ऊर्जा वायु को त्याग कर, ऊष्मा-ग्रहण-स्तर में पहुंचकर, संचित हो जाती है, अथवा ऊष्मा-ग्रहण-स्तर के आंतरि गतिज ऊर्जा में वृद्धि करती है, जिससे स्तर के ताप में वृद्धि होती है अथवा स्थिर ताप वाष्पन प्रक्रम में आंतरिक स्थितिक ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है।
आप सन् 1910 में ढाका कॉलेज, ढाका, में रसायन के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए और सन् 1918 तक इस पद पर रहे। इसी वर्ष आपका चुनाव इंडियन एडुकेशनल सर्विस के लिए हो गया और आपकी नियुक्ति गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर, में हुई। यहाँ से सन् 1921 में आप पटना कॉलेज में आए तथा बाद में सन् 1921 से 36 तक रेवेनशॉ कॉलेज, कटक, सन् 1936 से 1940 तक सायन्स कॉलेज, पटना, तथा सन् 1940 से सेवानिवृत्त होने तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रसायन के प्रोफेसर और उस विभाग के अध्यक्ष रहे। सेवानिवृत्त होने के पश्चात् आपने कई वर्षों तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में नि:शुल्क सेवा की।
हैदराबाद (तेलुगु: హైదరాబాదు,उर्दु: حیدر آباد) भारत के राज्य आन्ध्र प्रदेश की राजधानी है। इसका दूसरा नाम भाग्यनगर है। आन्ध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र मे स्थित इस महानगर की जनसंख्या लगभग ६१ लाख है। भारत के महानगरों में जनसंख्या के आधार पर यह ५वें स्थान पर है।
सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार उज्जयिनी जाते समय अशोक विदिशा में रुका जहाँ उसने श्रेष्ठी की पुत्री देवी से विवाह किया जिससे महेन्द्र और संघमित्रा का जन्म हुआ । दिव्यादान में उसकी एक पत्नी का नाम तिष्यरक्षिता मिलता है । उसके लेख में केवल उसकी पत्नी का नाम करूणावकि है जो तीवर की माता थी । बौद्ध परम्परा एवं कथाओं के अनुसार बिन्दुसार अशोक को राजा नहीं बनाकर सुसीम को सिंहासन पर बैठाना चाहता था, लेकिन अशोक एवं बड़े भाई सुसीम के बीच युद्ध की चर्चा है ।
हिंदूओं में किसी की मृत्यु हो जाने पर उसके मृत शरीर को वेदोक्त रीति से चिता में जलाने की प्रक्रिया को अन्त्येष्टि क्रिया अथवा अन्त्येष्टि संस्कार कहा जाता है। यह हिंदू मान्यता के अनुसार सोलह संस्कारों में से एक संस्कार है।
अशोक ने लगभग 40 वर्षों तक शासन किया जिसके बाद लगभग 232 ईसापूर्व में उसकी मृत्यु हुई । उसके कई संतान तथा पत्नियां थीं पर उनके बारे में अधिक पता नहीं है । उसके पुत्र महेन्द्र तथा पुत्री संघमित्रा ने बौद्ध धर्म के प्रचार में योगदान दिया ।
वानर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है|
इतिहासकार नोर्मन कैंटर की राय में पशुओं के मुरैन (एक प्लेग जैसे रोग), एंथ्रेक्स के एक रूप सहित महामारी का एक संयोजन हो सकती है काली मौत. उन्होंने इस सिलसिले में प्रमाण के कई रूपों का उल्लेख किया, जिनमें यह तथ्य भी शामिल है कि प्लेग के प्रकोप से पहले अंग्रेजी क्षेत्रों में संक्रमित पशुओं के मांस बेचे जाते रहे थे.[११२]
सन 1989 में, वैटिकन ने घोषित किया कि ज़ेन और योग जैसे पूर्वी ध्यान प्रथाओं "शरीर के एक गुट में बदज़ात" हो सकते है.
Darbhanga House at Kali Ghat
यहां मध्य में बाजार भी है, जो कि दिल्ली का प्रसिद्ध बाजार है, सरोजिनी नगर बाजार या मार्किट । इसके मुख्यतः चार भाग हैं:-
सुत्तपिटक का सबसे बड़ा महत्व भगवान् द्वारा उपदिष्ट साधनों पद्धति में है। वह शील, समाधि और प्रज्ञा रूपी तीन शिक्षाओं में निहित है। श्रोताओं में बुद्धि, नैतिक और आध्यात्मिक विकास की दृष्टि से अनेक स्तरों के लोग थे। उन सभी के अनुरूप अनेक प्रकार से उन्होंने आर्य मार्ग का उपदेश दिया था, जिसमें पंचशील से लेकर दस पारमिताएँ तक शामिल हैं। मुख्य धर्म पर्याय इस प्रकार हैं- चार आर्य सत्य, अष्टांगिक मार्ग, सात बोध्यांग, चार सम्यक् प्रधान पाँच इंद्रिय, प्रतीत्य समुत्पाद, स्कंध आयतन धातु रूपी संस्कृत धर्म नित्य दु:ख-अनात्म-रूपी संस्कृत लक्षण। इनमें भी सैंतिस क्षीय धर्म ही भगवान् के उपदेशों का सार है। इसका संकेत उन्होंने महापरिनिर्वाण सुत्त में लिखा है। यदि हम भगवान् के महत्वपूर्ण उपदेशों की दृष्टि से सुत्तों का विश्लेषणात्मक अध्ययन करें तो हमें उनमें घुमा फिराकर ये ही धर्मपर्याय मिलेंगे। अंतर इतना ही है कि कहीं ये संक्षेप में हैं और कहीं विस्तार में हैं। उदाहरणार्थ सुत्त निकाय के प्रारंभिक सुत्तों में चार सत्यों का उल्लेख मात्र मिलता है, धम्मचक्कपवत्तन सुत्त में विस्तृत विवरण मिलता है, और महासतिपट्ठान में इनकी विशद व्याख्या भी मिलती है।
Following a series of defensive battles in Southern California, including; The Siege of Los Angeles, the Battle of Dominguez Rancho, the Battle of San Pascual, the Battle of Rio San Gabriel and the Battle of La Mesa, the Treaty of Cahuenga was signed by the Californios on January 13, 1847, securing American control in California.
इसके विपरित न्यूट्रॉन इलेक्ट्रॉन ( ऋणात्मक बीटा-क्षय ) का उत्सर्जन कर प्रोटॉन में बदल जाता है।
वैदिक संहिताओं के अंतर्गत तपस्वियों (तपस) के बारे में ((कल | ब्राह्मण))प्राचीन काल से वेदों में (९०० से ५०० बी सी ई)उल्लेख मिलता है, जब कि तापसिक साधनाओं का समावेश प्राचीन वैदिक टिप्पणियों में प्राप्त है.[१६]कई मूर्तियाँ जो सामान्य योग या समाधि मुद्रा को प्रर्दशित करती है, सिंधु घाटी सभ्यता(सी.3300-1700 बी.सी. इ.)के स्थान पर प्राप्त हुईं है.पुरातत्त्वज्ञ ग्रेगरी पोस्सेह्ल के अनुसार," ये मूर्तियाँ योग के धार्मिक संस्कार" के योग से सम्बन्ध को संकेत करती है.[१७] यद्यपि इस बात का निर्णयात्मक सबूत नहीं है फिर भी अनेक पंडितों की राय में सिंधु घाटी सभ्यता और योग-ध्यान में सम्बन्ध है. [१८]
गाजियाबाद औद्योगिक शहर है, जहाँ मुख्य रूप से रेल वॅगन, सैन्य सामग्री, इलैक्ट्रानिक उपकरण, डीजल इंजन, विद्युतलेपन, साइकिल, मशीनरी, पर्दो के कपडे़, कांच के बने पदार्थ, बर्तनों, वनस्पति तेल, रंग और वार्निश, भारी जंजीरों, टंकक फीते (टाइपराइटर रिबन), आदि का निर्माण होता है। यह उत्तर प्रदेश का प्रमुख औद्योगिक शहर है।
२००१ की भारत की जनगणना के अनुसार,[११]चंडीगढ़ की कुल जनसंख्या ९,००,६३५ है, जिसके अनुसार ७९०० व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. का घनत्व होता है। इसमें पुरुषों का भाग कुल जनसंख्या का ५६% और स्त्रियों का ४४% है। शहर का लिंग अनुपात ७७७ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष है, जो देश में न्यूनतम है। औसत साक्षरता दर ८१.९% है, जो राष्ट्रीय औसत साक्षरता दर ६४.८ से अधिक है। इसमें पुरुष दर ८६.१% एवं स्त्री साक्षरता दर ७६.५% है। यहां की १२% जनसंख्या छः वर्ष से नीचे की है। मुख्य धर्मों में हिन्दू (७८.६%), सिख (१६.१%), इस्लाम (३.९%) एवं ईसाई (०.८% हैं।[१२]हिन्दी एवं पंजाबी चंडीगढ़ की बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएं हैं, हालांकि आजकल अंग्रेज़ी भी प्रचलित होती जा रही है। तमिल-भाषी लोग तीसरा सबसे बड़ा समूह बनाते हैं। शहर के लोगों का एक छोटा भाग उर्दु भी बोलता है।
California also has more Temples of The Church of Jesus Christ of Latter-day Saints than any state except Utah.
"पंजाबी" नाम बहुत पुराना नहीं है। इस प्रदेश का प्राचीन नाम 'सप्तसिंधु' और फिर 'पंचनद' का ही अनुवाद रूप में "पंजाब" बताया जाता है। भाषा के लिए "पंजाबी" शब्द 1670 ई. में हाफिज़ बरखुदार (कवि) ने पहली बार प्रयुक्त किया; किंतु इसका साधारण नाम बाद में भी "हिंदी" या "हिंदवी" रहा है, यहाँ तक कि रणजीतसिंह का दरबारी कवि हाशिम महाराज के सामने अपनी भाषा (पंजाबी) को हिंदी कहता है। वस्तुत: 19वीं सदी के अंत तक हिंदू और सिक्खों की भाषा का झुकाव ब्रजभाषा की ओर रहा है। यह अवश्य है कि मुसलमान जो इस देश की किसी भी भाषा से परिचित नहीं थे, लोकभाषा और विशेषत: लहँदी का प्रयोग करते रहे हैं। मुसलमान कवियों की भाषा सदा अरबी-फारसी लहँदी-मिश्रित पंजाबी रही है।
मुल्क मुख़तलिफ़ ख़तों या सओ-बूं में तक़सीम है जिन्हें वला युति (ताजक: ओ-लवीत) कहा जाता है।
संयुक्त अरब अमीरात के संविधान का अनुच्छेद 25 जाति, राष्ट्रीयता, धार्मिक विश्वासों या सामाजिक स्थिति के आधार पर सभी को सामान आचरण प्रदान करता है . हालाँकि, दुबई के 250,000 में से अनेक विदेशी मज़दूरों की स्तिथि को मानव अधिकार वॉच द्वारा "मानवीय से कम " वर्णित किया गया है .[३४][३५][३६][३७] NPR अनुसार श्रमिक "आम तौर पर एक कमरे में आठ रहते है और अपने वेतन का एक हिस्सा वे अपने परिवारों को, जिन्हें वे सालों नहीं देख पाते है, को भेजते है ." 21 मार्च 2006 को बुर्ज खलीफा निर्माण स्थल के श्रमिक जो बस के समय और काम की परिस्थितियों से परेशान थे ,ने आन्दोलन कर दिया था जिससे कारों, कार्यालयों, कंप्यूटरों, और निर्माण उपकरणों को हानि हुई थी .[३८][३९][४०] वैश्विक वित्तीय संकट ने दुबई के श्रमिक वर्ग को नुक्सान पहुँचाया है ,कई श्रमिकों को भुगतान नहीं किया जा रहा है और वे देश छोड़ने में भी असमर्थ है .[४१]
नॉर्वे (बूकमॉल नॉर्वेजियन: Kongeriket Norge कुङेरिकेत नोर्ये, नी-नॉर्वेजियन: Kongeriket Noreg कुङेरिकेत नुरेग) यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी है ओस्लो (en:Oslo)। इसकी मुख्य- और राजभाषा है नॉर्वेजियन भाषा।
(८) किसी भाषा के बोलने वाले अन्य भाषा-भाषियों के साथ प्रायः उस भाषा के मानक रूप का ही प्रयोग करते हैं, किसी बोली का अथवा अमानक रूप का नहीं।
सीरिया का संविधान 1973 में अपनाया गया था जिसमें बाथ पार्टी को नेतृत्व का अधिकार मिला हुआ है । राष्ट्रपति का चुनाव 7 सालों के लिए होता है जिसके लिए जनमत संग्रह का प्रयोग किया जाता है । राष्ट्रपति बाथ पार्टी का महासचिव भी होता है । संविधान के अनुसार राष्ट्रपति एक मुसलमान ही हो सकता है पर इस्लाम राजधर्म नहीं है । राष्ट्रपति को मंत्रियों को बहाल कारने का, युद्ध तथा आपातकाल की घोषणा करने का तथा कानून पास करने का अधिकार देती है ।
हम्बन्तोट' जिला श्रीलंका का जिला है।इस जिले का मुख्यालय हंबनतोता है इस जिले का कुल क्षेत्रफल 2,609 वर्ग किलोमीटर है। इस जिले की जनसंख्या 547,000 (गणना वर्ष २००६ अनुसार) हैइस जिले के नाम का लघुरूप HAM है।
जनवरी, सन् १९४१ में उनका देहावसान हो गया। उनके जन्मस्थान बाजितपुर में उनकी समाधि है।
भारत में यह अप्रैल से जुलाई तक होती है । अन्य देशों में यह अलग समयों पर हो सकती है ।
भोपाल स्थित यह भवन भारत के सबसे अनूठे राष्ट्रीय संस्थानों में एक है। 1982 में स्थापित इस भवन में अनेक रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। शामला पहाडियों पर स्थित इस भवन को प्रसिद्ध वास्तुकार चार्ल्स कोरेया ने डिजाइन किया था। भारत के विभिन्न पारंपरिक शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण का यह प्रमुख केन्द्र है। इस भवन में एक म्युजियम ऑफ आर्ट, एक आर्ट गैलरी, ललित कलाओं की कार्यशाला, भारतीय काव्य की पुस्तकालय आदि शामिल हैं। इन्हें अनेक नामों जैसे रूपांकर, रंगमंडल, वगर्थ और अन्हद जैसे नामों से जाना जाता है। सोमवार के अतिरिक्त प्रतिदिन दिन में 2 बजे से रात 8 बजे तक यह भवन खुला रहता है।
"यी चिंग" का आरंभ 64 प्रतीकों से होता है जिन्हें "कुआ" या रेखित चित्र कहते हैं। इन रेखित चित्रों में से प्रत्येक में छह सीधी रेखाएँ होती हैं जो टूटी हुई या बिना टूटी हुई या दोनों प्रकार की होती हैं। विदेशी विद्वानों ने इन्हें षड्रेखाकृति की भी संज्ञा दी है। ये षड्रेखाकृतियाँ आठ मौलिक एवं अधिक साधारणप्रतीकों द्वारा बनी हैं। प्रत्येक में तीन सीधी रेखाएँ बनी रहती हैं जो या तो खंडित हैं या बिना खंडित रहती हैं। इन्हें "पा कुआँ" या आठ "ट्रिग्राम" कहते हैं।
एल सेल्वाडोर ४६
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अशरफ अली खान बंगाल के नवाब थे।
कहा जाता है कि भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर यहां रखा था। अत्री मुनि के परामर्श पर भरत ने जल एक कूप में रख दिया था। इसी कूप को भरत कूप के नाम से जाना जाता है। भगवान राम को समर्पित यहां एक मंदिर भी है।
पृष्ठवाहिका मुख्य परिवहन इंद्रिय है। यह शरीर की पृष्ठभित्ति के नीचे मध्यरेखा में पाई जाती है। यह दो भागों में विभाजित रहती है-हृदय और महाधमनी। हृदय के प्रत्येक खंड में एक जोड़ी कपाटदार छिद्र, मुखिकाएँ होती हैं। जब हृदय में संकोचन होता है तो ये कपाट रक्त को शरीरगुहा में नहीं जाने देते। कुछ कीटों में विशेष प्रकार की स्पंदनीय इंद्रियाँ पक्षों के तल पर, श्रृगिकाओं और टाँगों में, पाई जाती हैं। पृष्ठ मध्यच्छदा (डायफ्राम, diaphram) जो हृदय के ठीक नीचे की ओर होती हैं, पृष्ठवाहिका के बाहर रक्तप्रवाह पर कुछ नियंत्रण रखती है। पृष्ठ मध्यच्छदा के ऊपर की ओर से शरीरगुहा के भाग को परिहृद (परिकार्डियल, Pericardial) विवर (साइनस, sinus) कहते हैं। यह दोनों ओर पृष्ठभित्ति से जुड़ा रहता है। कुछ कीटों के प्रतिपृष्ठ मध्यच्छदा भी होती है। यह उदर में तंत्रिकातंतु के ऊपर पाई जाती हैं। उस मध्यच्छदा के नीचेवाले शरीरगुहा के भाग का परितंत्रिक्य (पेरिन्यूरल, Perineural) विवर कहते है। इसकी प्रगति के कारण इसके नीचे के रक्त का प्रवाह पीछे की ओर और दाँए-बाएँ होता है। पृष्ठवाहिका मे रक्त आगे की ओर प्रवाहित होता है और उसके द्वारा रक्तसिर में पहुँच जाता है। वहाँ के विभिन्न इंद्रियों और अवयवों में प्रवेश कर जाता है। दोंनों मध्यच्छदाओं की प्रगति के कारण शरीरगुहा मे रक्त का परिवहन होता रहता है। अंत में मध्यच्छदा के छिद्रो द्वारा रक्त परिहृद विवर में वापस आ जाता है। वहाँ से रक्त मुखिकाओं द्वारा फिर पृष्ठवाहिका में भर जाता है। रक्त में प्लाविका होती है, जिसमें विभिन्न प्रकार की कणिकाएँ पाई जाती हैं। रक्त द्वारा सब प्रकार के रसद्रव्यों की विभिन्न इंद्रियों में परस्पर अदला-बदली होती रहती है। यही हारमोन की ओर आहारनली से भोजन को सारे शरीर में ले जाता है, उत्सर्जित पदार्थ को उत्सर्जन इंद्रियों तक पहुँचाता है तथा रक्त श्वसनक्रिया में भी कुछ भाग लेता है। परिहृद कोशिकाएँ या नफ्रेोसाइट (Nephrocyte) प्राय हृदय के दोनों ओर लगी रहती हैं। ये उत्सर्जन योग्य पदार्थो को रक्त से पृथक कर जमा कर लेती है। तृणाभ कोशिकाएँ (ईनोसाइट, Oenocytes) प्राय हल्के पीले रंग की कोशिकाएँ होती है, जो विभिन्न कीटों में विभिन्न स्थानों पर पाई जाती हैं। कुछ कीटों में ये श्वासरध्रं (स्पायरेकिल, Spiracle) के पास मिलती हैं। संभवत इनका कार्य भी उत्सर्जन और विषैले पदार्थो को रक्त से पृथक करना है। इनका वृद्धि और संभवत जनन से विशिष्ट संबंध रखता है। वसापिंडक या अव्यवस्थित ऊतक शरीरगुहा में पाया जाता है। कभी कभी इनका विन्यास खंडीय प्रतीत होता है। वसापिंडक पत्तर, या ढीले सूत्रों (स्टाँड्स, Strands) अथवा ढीले ऊतकों के समान होते हैं। उनका मुख्य कार्य संचित पदार्थो के रक्त से पृथक कर अपने में जमा करना है। कुछ कीटों में यह उत्सर्जन का कार्य भी करते हैं। पांडुंरग्रंथियाँ (Corpora allata) एक जोड़ी निश्रोत ग्रंथियाँ होती हैं, जो ग्रसिका के पास, मष्तिष्क के कुछ पीछे और कॉरपोरा कार्डियेका (Corpora cordieca) से जुड़ी हुई पाई जाती हैं। ये तारुणिका हारमोन का उत्सर्जन करती हैं, जो रूपांतरण और निर्मोचन पर नियंत्रण रखता है।
लुंबिनी महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली है। यह वर्तमान नेपाल में बिहार की उत्तरी सीमा के निकट स्थित है।
हितोत्सु
धर्मशाला
श्री भागवत श्रवन सुनो नित, इन तजि हित कहूं अनत ना लाऊं ।
नगर में भारतीय शास्त्रीय संगीत और बंगाली लोक संगीत को भी सराहा जाता रहा है। उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी से ही बंगाली साहित्य का आधुनिकिकरण हो चुका है। यह आधुनिक साहित्यकारों की रचनाओं में झलकता है, जैसे बंकिम्चंद्र चट्टोपाध्याय, माइकल मधुसूदन दत्त, रविंद्रनाथ ठाकुर, काजी नज़रुल इस्लाम और शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, आदि। इन साहित्यकारों द्वारा तय की गयी उच्च श्रेणी की साहित्य परंपरा को जीबनानंददास, बिभूतिभूषण बंधोपाध्याय, ताराशंकर बंधोपाध्याय, माणिक बंदोपाध्याय, आशापूर्णा देवी, शिशिरेन्दु मुखोपाध्याय, बुद्धदेव गुहा, महाश्वेता देवी, समरेश मजूमदार, संजीव चट्टोपाध्याय और सुनील गंगोपाध्याय ने आगे बढ़ाया है।
17.
प्रश्नकाल संसद की कार्यवाहियों का सबसे अधिक दिलचस्प अंग है। लोगों के लिए समाचारपत्रों के लिए और स्वयं सदस्यों के लिए कोई अन्य कार्य इतनी दिलचस्पी पैदा नहीं करता जितनी कि प्रश्नकाल पैदा करता है। इस काल के दौरान सदन का वातावरण अनिश्चित होता है। कभी अचानक तनाव का बवंडर उठ खड़ा होता है तो कभी कहकहे लगने लगते हैं। कभी कभी किसी प्रश्न पर होने वाले कटु तर्क-वितर्क से उत्तेजना पैदा होती है। ऐसी हालत सदस्यों या मंत्रियों की हाजिर-जवाबी और विनोदप्रियता से दूर हो जाती है।
सुग्रीव के वचन सुनकर रावण विमान पर सवार हो तत्काल दक्षिण सागर में उस स्थान पर जा पहुँचा जहां बालि सन्ध्या कर रहा था। उसने सोचा कि मैं चुपचाप बालि पर आक्रमण कर दूँगा। बालि ने रावण को आते देख लिया परन्तु वह तनिक भी विचलित नहीं हुआ और वैदिक मन्त्रों का उच्चारण करता रहा। ज्योंही उसे पकड़ने के लिये रावण ने पीछे से हाथ बढ़ाया, सतर्क बालि ने उसे पकड़कर अपनी काँख में दबा लिया और आकाश में उड़ चला। रावण बार-बार बालि को अपने नखों से कचोटता रहा किन्तु बालि ने उसकी कोई चिन्ता नहीं की। तब उसे छुड़ाने के लिये रावण के मन्त्री और अनुचर उसके पीछे शोर मचाते हुये दौड़े परन्तु वे बालि के पास तक न पहुँच सके। इस प्रकार बालि रावण को लेकर पश्चिमी सागर के तट पर पहुँचा। वहाँ उसने सन्ध्योपासना पूरी की। फिर वह दशानन को लिये हुये किष्किन्धापुरी लौटा। अपने उपवन में एक आसन पर बैठकर उसने रावण को अपनी काँख से निकालकर पूछा कि अब कहिये आप कौन हैं और किसलिये आये हैं?
सूर्यमण्डल से एक लाख योजन ऊपर चंद्रमण्डल है।
इस श्रेणी में हिन्दू एवं वैदिक धर्म ग्रंथों में दिये समस्त पौराणिक पात्रों को रखा गया है माद्री राजा पाण्डु की दूसरी रानी थी। उसके बेटे नकुल और सहदेव थे। माद्री पारस में माद्रा राज्य की राजकुमारी राजा शल्य की बहिन थी . पुरानी पारसी में माद्रा को मादा कहा गया है ये मेड साम्राज्य का नाम था
हमारे शास्त्रों में मान्य सोलह संस्कारों में गर्भाधान पहला है। गृहस्थ जीवन में प्रवेश के उपरान्त प्रथम कर्त्तव्य के रूप में इस संस्कार को मान्यता दी गई है। गार्हस्थ्य जीवन का प्रमुख उद्देश्य श्रेष्ठ सन्तानोत्पत्ति है। उत्तम संतति की इच्छा रखनेवाले माता-पिता को गर्भाधान से पूर्व अपने तन और मन की पवित्रता के लिये यह संस्कार करना चाहिए। वैदिक काल में यह संस्कार अति महत्वपूर्ण समझा जाता था।
यह राज्य भारत के पूर्वी भाग में 88,853 वर्ग मी. के भूखंड पर फैला है । इसके उत्तर में सिक्किम, उत्तर-पूर्व में असम, पूर्व में बांग्लादेश, दक्षिण में बंगाल की खाड़ी तथा उड़ीसा तथा पश्चिम में बिहार तथा झारखंड है ।
सावित्री
The results of the January 1995 parliamentary election meant cohabitation between a rival president and prime minister; this led to governmental paralysis, which provided Col. Ibrahim Baré Maïnassara a rationale to overthrow the Third Republic in January 1996. While leading a military authority that ran the government (Conseil de Salut National) during a 6-month transition period, Baré enlisted specialists to draft a new constitution for a Fourth Republic announced in May 1996. Baré organized a presidential election in July 1996. While voting was still going on, he replaced the electoral commission. The new commission declared him the winner after the polls closed. His party won 57% of parliament seats in a flawed legislative election in November 1996. When his efforts to justify his coup and subsequent questionable elections failed to convince donors to restore multilateral and bilateral economic assistance, a desperate Baré ignored an international embargo against Libya and sought Libyan funds to aid Niger's economy. In repeated violations of basic civil liberties by the regime, opposition leaders were imprisoned; journalists often arrested, and deported by an unofficial militia composed of police and military; and independent media offices were looted and burned.
नूर्सुल्तान अबिशुला नाज़र्बायव (Kazakh: Нұрсұлтан Әбішұлы Назарбаев [नूर्सुल्तान अबिशुला नाज़र्बायव]; Russian: Нурсултан Абишевич Назарбаев [नूर्सुल्तान अबिश्येविच नाज़र्बायव] (born 6 July 1940) क़ाज़ाक़्स्तान का राष्ट्रपती हैं ।
अत: सन् 1946 ई0 में चुनाव में सफलता के फलस्वरूप जब हर प्रांत में कांग्रेस मंत्रिमंडल बने तो चुनाव प्रतिज्ञा के अनुसार जमींदारी प्रथा को समाप्त करने के लिये विधेयक प्रस्तुत किए गए। ये विधेयक सन् 1950 ई0 से 1955 ई0 तक अधिनियम बनकर चालू हो गए जिनके परिणामस्वरूप जमींदारी प्रथा का भारत में उन्मूलन हो गया और कृषकों एवं राज्य के बीच पुन: सीधा संबंध स्थापित हो गया। भूमि के स्वत्वाधिकार अब कृषकों को वापस मिल गए जिनका उपयोग वे अनादि परंपरागत काल से करते चले आए थे।
आकाशवाणी की विदेश, स्वदेशी और समाचार सेवाओं के प्रसारण के लिए 8 बृहत वायवीय प्रणालियों सहित शॉर्ट वेव/मीडियम वेव ट्रांसमीटर के साथ सज्जित उच्च शक्ति वाले ट्रांसमीटर हैं। इन केन्द्रों का मुख्य कार्य आस पास के स्टेशनों पर बनाए गए कार्यक्रमों का प्रसारण करना साथ ही दिल्ली के स्टूडियो से प्रसारण करना है। नेटवर्क और कवरेज की वृद्धि
• सत्यजित राय
अताईपुर जदीद फ़र्रूख़ाबाद जिले का एक गाँव।
व्रण या अल्सर (Ulcer) शरीरपृष्ठ (body surface) पर संक्रमण द्वारा उत्पन्न होता है। इस संक्रमण के जीवविष (toxins) स्थानिक उपकला (epithelium) को नष्ट कर देते हैं। नष्ट हुई उपकला के ऊपर मृत कोशिकाएँ एवं पूय (pus) संचित हो जाता है। मृत कोशिकाओं तथा पूय के हट जाने पर नष्ट हुई उपकला के स्थान पर धीरे धीरे कणिकामय ऊतक (granular tissues) आने लगते हैं। इस प्रकार की विक्षति को व्रण कहते हैं। दूसरे शब्दों में संक्रमणोपरांत उपकला ऊतक की कोशिकीय मृत्यु को व्रण कहते है।
ब्रिटिश शाशनकाल में यह प्रांत मद्रास प्रेसिडेंसी का हिस्सा था । आजादी के बाद मद्रास प्रेसिडेंसी को विभिन्न हिस्सों में बांट दिया गया, जिसका परिणाम मद्रास तथा अन्य राज्यों में हुआ । 1968 में मद्रास प्रांत का नाम बदलकर तमिलनाडु कर दिया गया ।
मालदीवज के पास दुनिया में सबसे निचला देश होने का रिकॉर्ड है, इसका अधिकतम प्राकृतिक जमीनी स्तर सिर्फ २.३-मीटर (७.५ फुट), जिसकी औसत सागर के स्तर से केवल {1/ है, हालांकि ऐसे क्षेत्र जहां निर्माण के अस्तित्व हैं, वहा इनमें कई मीटर की वृद्धि की गई है. रीफ मूंगिया मलबे और क्रियाशील मूंगिया से बनाया जाता है. यह दलदल बना कर सागर के विरुद्ध एक प्राकृतिक बाधा का कार्य करता हैं. अन्य द्वीपों, एक दूरी बना लेते हैं और रीफ के अनुरूप उनकी अपनी एक सुरक्षा फ़्रिंज होती है. मूंगा बाधा के आसपास एक छिद्र, शांत झील के पानी को अभिगम देता है. द्वीप की मूंगा बाधा उसे तूफानों और हिंद महासागर की उच्च तरंगों से सुरक्षित रखती है.[उद्धरण वांछित]
उत्तराखण्डी सिनेमा और इसके नाट्य पूर्ववृत्त उस जागृति के परिणाम हैं जो स्वतन्त्रता के बाद आरम्भ हुई थी और जिसका उद्भव ६०, ७०, और ८० के दशकों में हुआ और अन्ततः १९९० के दशक में विस्फोटक रूप से उदय हुआ। समस्त पहाड़ों और देहरादून, श्रीनगर, अल्मोड़ा, और नैनीताल में एक आन्दोलन का उभार हुआ जिसके सूत्रधार “कलाकार, कवि, गायक और अभिनेता थे जिन्होनें राज्य की सांस्कृतिक और कलात्मक रूपों का उपयोग राज्य के संघर्ष को बल देने के लिए किया।”
घटोत्कच- घटोत्कच श्रीगुप्त का पुत्र था । २८० ई. पू. से ३२० ई. तक गुप्त साम्राज्य का शासक बना रहा । इसने भी महाराजा की उपाधि धारण की थी ।
विस्तवोच्नाया सीट्रो का स्टेशन
राज्य में यहां के विश्वविद्यालयों जैसे बंगलुरु विश्वविद्यालय,गुलबर्गा विश्वविद्यालय, कर्नाटक विश्वविद्यालय, कुवेंपु विश्वविद्यालय, मंगलौर विश्वविद्यालय तथा मैसूर विश्वविद्यालय, आदि से मान्यता प्राप्त ४८१ स्नातक महाविद्यालय हैं। [१०६] १९९८ में राज्य भर के अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को नवगठित बेलगाम स्थित विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत्त लाया गया, जबकि चिकित्सा महाविद्यालयों को राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिकारक्षेत्र में लाया गया था। इनमें से कुछ अच्छे महाविद्यालयों को मानित विश्वविद्यालय का दर्जा भि प्रदान किया गया था। राज्य में १२३ अभियांत्रिकी, ३५ चिकित्सा ४० दंतचिकित्सा महाविद्यालय हैं।[१०७] राज्य में वैदिक एवं संस्कृत शिक्षा हेतु उडुपी, शृंगेरी, गोकर्ण तथा मेलकोट प्रसिदध स्थान हैं। केन्द्र सरकार की ११वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत्त मुदेनहल्ली में एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की सथापना को स्वीकृति मिल चुकी है। ये राज्य का प्रथम आई.आई.टी संस्थान होगा।[१०८] इसके अतिरिक्त मेदेनहल्ली-कानिवेनारायणपुरा में विश्वेश्वरैया उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान का ६०० करोड़ रुपये की लागत से निर्माण प्रगति पर है।[१०९]
सन १००० से १३०० ई.तक मालवा परमार-शक्ति द्वारा शासित रहा। काफी समय तक उनकी राजधानी उज्जैन रही. इस काल में सीयक द्वितीय, मुंजदेव, भोजदेव, उदयादित्य, नरवर्मन जैसे महान शासकों ने साहित्य, कला एवं संस्कृति की अभूतपूर्व सेवा की.
रामझूला पुल ऋषिकेश।
सामान्य अनेक वस्तुओं में जो एक सी बुद्धि होती है, उसके कारण प्रत्येक घट में जो "यह घट है" इस प्रकार की ए सी बुद्धि होती है, उसका कारण उसमें रहनेवाला "सामान्य" है, जिसे वस्तु के नाम के आगे "त्व" लगाकर कहा जाता है, जैसे - घटत्व, पटत्व। "त्व" से उस जाति के अंतर्गत सभी व्यक्तियों का ज्ञान होता है।
(१) उच्च हिन्दी - हिन्दी का मानकीकृत रूप, जिसकी लिपि देवनागरी है। इसमें संस्कृत भाषा के कई शब्द है, जिन्होंने फ़ारसी और अरबी के कई शब्दों की जगह ले ली है। इसे शुद्ध हिन्दी भी कहते हैं। आजकल इसमें अंग्रेज़ी के भी कई शब्द आ गये हैं (ख़ास तौर पर बोलचाल की भाषा में)। यह खड़ीबोली पर आधारित है, जो दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाती थी।
टिबिल (TBIL) , Tiny BASIC Interpreter Language का संक्षिप्त रूप है। यह एक साफ्ट्वेयर औजार है जो ऑफिस डॉक्यूमेंटों में फॉन्ट/ऑस्की/रोमन फॉर्मेट वाले डाटा को यूनिकोड में बदलता है। इसके अतिरिक्त यह माइक्रोसॉफ्ट द्वारा सपोर्ट की जाने वाली हिन्दी सहित ७ भारतीय भाषाओं में परस्पर ट्रांसलिटरेशन (लिप्यंतरण) करने में सक्षम है।
इस ग्रंथ में आर्किमिडीज शंकु, गोले और परवलय के भागों के क्षेत्रफल और आयतन की गणना करते हैं.
कारक विशलेषण के द्वारा उपक्लपनाऔं को कम करके कारकों का विशलेषण किया गया है।
१७ . नोर्द-पास-दे-कालिस
महान हिन्दू एवं भारतीय ऐतिहासिक महाकाव्य ग्रन्थ महाभारत में १८ पर्व हैं। इनका ब्यौरा इस प्रकार से है।
अगर ओडिशा जाएं तो 'छतु तरकारी' जरुर खाएं। यह एक तीखा भोजन है जो मसरुम से बनता है। यहां हर खाने में पंचफोरन मिलाने का रिवाज है। यह एक खास तरह का मसाला होता है। जिसे हर भोजन में मिला दिया जाता है। इसे भोजन में मिलाने से खाना स्वादिष्ट हो जाता है। इसके अलावा यहां का तड़का, डालमा, पीठा तथा नारियल के तेल में बने पूड़ी जरुर खाएं।
आइफोन में आंशिक हिन्दी समर्थन होता है। हिन्दी दिखती तो है लेकिन बिखरी हुयी अर्थात देवनागरी टैक्स्ट सही प्रकार से रॅण्डर नहीं होता [६]। अतः वे ऍप्लीकेशनें जो कि हिन्दी प्रदर्शन हेतु फोन के लेआउट इंजन पर निर्भर हैं (जैसे सभी अन्तर्निमित ऍप्लीकेशन), हिन्दी सही से नहीं दिखा सकती। एक स्वतन्त्र डेवलपर इसके लिये फॉण्ट इञ्जन पर काम कर रहे हैं[७]।
मुख्य समाचार
मॉरीशस एक संसदीय लोकतंत्र है जिसकी संरचना ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है। राज्य का प्रमुख राष्ट्रपति होता है जिसका कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है और उसका चुनाव राष्ट्रीय सभा, मॉरीशस की एकसदनीय संसद करती है। राष्ट्रीय सभा (नेशनल असेंबली) के 62 सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं जबकि चार से आठ सदस्यों की नियुक्ति चुनाव मे हारे "श्रेष्ट पराजित" उम्मीदवारों के बीच से जातीय अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिये तब की जाती है जब इन समुदायों को चुनाव से उचित प्रतिनिधित्व ना मिला हो। प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद सरकार का नेतृत्व करते हैं। सरकार पांच साल के आधार पर निर्वाचित होती है। सबसे हाल के आम चुनाव 3 जुलाई 2005 में मुख्य भूमि के सभी 20 निर्वाचन क्षेत्रों के साथ ही रॉड्रीगज़ द्वीप के निर्वाचन क्षेत्र मे भी कराये गये थे। अंतरराष्ट्रीय मामलों में, मॉरीशस हिंद महासागर आयोग, दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय, राष्ट्रमंडल और ला फ्रेंकोफोनी (फ़्रांसीसी बोलने वाले देशों) का हिस्सा है। सन् 2006 में, मॉरीशस को पुर्तगाली भाषाई देशों के समुदाय का एक प्रेक्षक सदस्य बनने को कहा गया जिससे यह उन देशों के और करीब हो सके। मॉरीशस की कोई सेना नहीं है, लेकिन इसके पास एक तटरक्षक बल तथा पुलिस और सुरक्षा बल हैं।
द्रुपद को बन्दी के रूप में देख कर द्रोणाचार्य ने कहा, "हे द्रुपद! अब तुम्हारे राज्य का स्वामी मैं हो गया हूँ। मैं तो तुम्हें अपना मित्र समझ कर तुम्हारे पास आया था किन्तु तुमने मुझे अपना मित्र स्वीकार नहीं किया था। अब बताओ क्या तुम मेरी मित्रता स्वीकार करते हो?" द्रुपद ने लज्जा से सिर झुका लिया और अपनी भूल के लिये क्षमायाचना करते हुये बोले, "हे द्रोण! आपको अपना मित्र न मानना मेरी भूल थी और उसके लिये अब मेरे हृदय में पश्चाताप है। मैं तथा मेरा राज्य दोनों ही अब आपके आधीन हैं, अब आपकी जो इच्छा हो करें।" द्रोणाचार्य ने कहा, "तुमने कहा था कि मित्रता समान वर्ग के लोगों में होती है। अतः मैं तुमसे बराबरी का मित्र भाव रखने के लिये तुम्हें तुम्हारा आधा राज्य लौटा रहा हूँ।" इतना कह कर द्रोणाचार्य ने गंगा नदी के दक्षिणी तट का राज्य द्रुपद को सौंप दिया और शेष को स्वयं रख लिया।
जब औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन को ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों के मानने वालों का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिये जनगणना करने की आवश्यकता पड़ी तो सनातन शब्द से अपरिचित होने के कारण उन्होंने यहाँ के धर्म का नाम सनातन धर्म के स्थान पर हिंदू धर्म रख दिया।
१९३४ की गर्मियों में , उनकी जान लेने के लिए उन पर तीन असफल प्रयास किए गए थे ।.
यह उपवास सप्ताह के दिवस बुद्धवार व्रत कथा को रखा जाता है.
गुड़ उपयोगी खाद्य पदार्थ माना जाता है। इसका उपयोग भारत में अति प्राचीन काल से होता आ रहा है। भारत की साधारण जनता इसका व्यापक रूप में उपयोग करती है तथा यह भोजन का एक आवश्यक व्यंजन है। इसमें कुछ ऐसे पौष्टिक तत्व विद्यमान रहते हैं जो चीनी में नहीं रहते। स्वच्छ चीनी में केवल चीनी ही रहती हैं, पर गुड़ में 90 प्रतिशत के लगभग ही चीनी रहती है। शेष में ग्लूकोज, खनिज पदार्थ, विटामिन आदि स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी पदार्थ भी रहते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं तथा भोज्य पदार्थों में विभिन्न रूपों में इसका उपयोग होता है।
उदारता एवं परोपकरिता का कार्य- स्कन्दगुप्त का शासन बड़ा उदार था जिसमें प्रजा पूर्णरूपेण सुखी और समृद्ध थी । स्कन्दगुप्त एक अत्यन्त लोकोपकारी शासक था जिसे अपनी प्रजा के सुख-दुःख की निरन्तर चिन्ता बनी रहती थी ।
यह भी देखें: भारत के शहर
श्री भारत यायावर
दीक्षा में प्रौढ़ चिंतन के आधार पर रामकथा को आधुनिक सन्दर्भ प्रदान करने का साहसिक प्रयत्न किया गया है. बालकाण्ड की प्रमुख घटनाओं तथा राम और विश्वामित्र के चरित्रों का विवेक सम्मत पुनराख्यान, राम के युगपुरुष/युगावतार रूप की तर्कपुष्ट व्याख्या उपन्यास की विशेष उपलब्धियाँ हैं. डा. नगेन्द्र (१-६-१९७६)[३४]
प्रचलि धन्वंतरी स्तोत्र इस प्रकार से है।
जब भगवान से यह जिज्ञासा व्यक्त की गई कि आत्मा आँखों से नहीं दिखाई देती तथा इस आधार पर आत्मा के अस्तित्व के सम्बन्ध में शंका व्यक्त की गई तो भगवान ने उत्तर दिया : 'भवन के सब दरवाजे एवं खिड़कियाँ बन्द करने के बाद भी जब भवन के अन्दर संगीत की मधुर ध्वनि होती है तब आप उसे भवन के बाहर निकलते हुए नहीं देख पाते। आँखों से दिखाई न पड़ने के बावजूद संगीत की मधुर ध्वनि बाहर खड़े श्रोताओं को आच्छादित करती है। संगीत की ध्वनि पौद्गलिक (भौतिक द्रव्य) है।
फल-फूलों से युत वन-उपवन,
यह मंदिर भगवान शिव के वाहन नंदी बैल को समर्पित है। प्रत्येक दिन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। इस मंदिर में बैठे हुए बैल की प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति 4.5 मीटर ऊंची और 6 मीटर लम्बी है।
'
महाकाव्य की रचना के लिये वे आदि से अंत तक एक ही छंद - वीर छंद - के प्रयोग पर बल देते हैं क्योंकि उसका रूप अन्य वृत्तों की अपेक्षा अधिक भव्य एवं गरिमामय होता है जिसमें अप्रचलित एवं लाक्षणिक शब्द बड़ी सरलता से अंतर्भुक्त हो जाते हैं। परवर्ती विद्वानों ने भी महाकाव्य के विभिन्न तत्वों के संदर्भ में उन्हीं विशेषताओं का पुनराख्यान किया है जिनका उल्लेख आचार्य अरस्तू कर चुके थे। वीरकाव्य (महाकाव्य) का आधार सभी ने जातीय गौरव की पुराकथाओं को स्वीकार किया है। जॉन हेरिंगटन वीरकाव्य के लिये ऐतिहासिक आधारभूमि की आवश्यकता पर बल देते हैं और स्पेंसर वीरकाव्य के लिये वैभव और गरिमा को आधारभूत तत्व मानते हैं। फ्रांस के कवि आलोचकों पैलेतिए, वोकलें और रोनसार आदि ने भी महाकाव्य की कथावस्तु को सर्वाधिक गरिमायम, भव्य और उदात्त करते हुए उसके अंतर्गत ऐसे वातावरण के निर्माण का आग्रह किया है जो क्षुद्र घटनाओं से मुक्त एवं भव्य हो।
सन् 1963 से देश में आपातकाल लागू है । देश की सरकार ने इसे इसरायल के साथ युद्ध तथा आतंकवादियों द्वारा दी गई धमकियों जैसे कारणों का हवाला देकर सही ठहराया है ।
०२ नवम्बर -२०१० बारस शाम ६.०० बजे सत्यनारायण कथा ,माँ नर्मदा,गंगा पूजन रात ८.०० बजे अतिथि सत्कार व् भजन निशा ०३ नवम्बर -२०१० धन तेरस
अक्षर लेखन करा लेने के बाद उन पर अक्षत, पुष्प छुड़वाएँ । ज्ञान का उदय अन्तःकरण में होता है, पर यदि उसकी अभिव्यक्ति करना न आए, तो भी अनिष्ट हो जाता है । ज्ञान की प्रथम अभिव्यक्ति अक्षरों को पूजकर अभिव्यक्ति की महत्ता और साधना के प्रति उमंग पैदा की जाए ।
उपर्युक्त विभागों का वर्णन निम्न प्रकार है :
सीरिया की कार्यपालिका के अंग हैं - राष्ट्रपति, दो उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मंत्रीपरिषद । यहाँ की विधायिका में एकमात्र सदन है ।
संत कबीर नगर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है । जिले का मुख्यालय खलीलाबाद है ।क्षेत्रफल - 1659.15 वर्ग कि.मी.जनसंख्या - 1,152,110 (1991 जनगणना)साक्षरता - 33 % (1991)एस. टी. डी (STD) कोड - 05547जिलाधिकारी - दिनकर प्रकाश दुबेसमुद्र तल से उचाई -अक्षांश - उत्तरदेशांतर - पूर्वऔसत वर्षा - मि.मी.
संस्मरण
18.
Flame test
यह मठ मध्यकालीन वैष्णव संत श्री श्रीमंत शंकर देव को समर्पित है। इसका निर्माण 11 फरवरी 1979 ई. को पूरा हुआ था। मठ में शंकर देव की एक अस्थि भी रखी हुई है। इसको पूटा अस्थि के नाम से जाना जाता है। श्री शंकर देव का मठ गोलपाड़ा शहर के हृदय तिलपाड़ा में स्थित है।
हरिद्वार घाट
यहाँ हिन्दी एवं देवनागरी के लिये उपयोगी तरह-तरह के सॉफ्टवेयरों के लिंक एवं संक्षिप्त परिचय दिये गये हैं।
राय की आलोचना मुख्यतः इनकी फ़िल्मों की गति को लेकर की जाती है। आलोचक कहते हैं कि ये एक “राजसी घोंघे” की गति से चलती हैं।[४८] राय ने ख़ुद माना कि वे इस गति के बारे में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन कुरोसावा ने इनका पक्ष लेते हुए कहा, “इन्हें धीमा नहीं कहा जा सकता। ये तो विशाल नदी की तरह शान्ति से बहती हैं।” इसके अतिरिक्त कुछ आलोचक इनकी मानवता को सादा और इनके कार्यों को आधुनिकता-विरोधी मानते हैं और कहते हैं कि इनकी फ़िल्मों में अभिव्यक्ति की नई शैलियाँ नहीं नज़र आती हैं। वे कहते हैं कि राय “मान लेते हैं कि दर्शक ऐसी फ़िल्म में रुचि रखेंगे जो केवल चरित्रों पर केन्द्रित रहती है, बजाए ऐसी फ़िल्म के जो उनके जीवन में नए मोड़ लाती है।”[४९]
गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं-
दिगम्बर मुनि (श्रमण)वस्त्र नहीं पहनते है। नग्न रहते हैं ।
"ये भारतीय संस्कृति के अनन्य प्रस्तोता थे, पर अन्धानुकरण के प्रवृत्ति इनमें नहीं थी. कालांतर में आ जाने वाली विकृतियों से इनके साहित्य का सांस्कृतिक पृष्ठाधार एकदम मुक्त है. दूसरे, अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं में आस्था रखने पर भी इन्होने युग-धर्म की कभी उपेक्षा नहीं की. भारतीय संस्कृति के प्रवक्ता होने के साथ-साथ ये नए भारत के राष्ट्रीय कवि भी थे." - डा. नगेन्द्र [४]
4.सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों के वेतन भत्ते पेंशन तथा उच्च न्यायालय की पेंशने इस पर भारित है
भोजपुरी भाषा का इतिहास 7 वीं सदी से शुरू होता है - 1000 से अधिक साल पुरानी! गुरु गोरख नाथ 1100 वर्ष में गोरख बानी लिखा था. संत कबीर दास (1297) का जन्म भोजपुरी दिवस के रूप में भारत में स्वीकार किया गया है और विश्व भोजपुरी दिवस के रूप में मनाया जाता है .
६. 'शक्ति अस्त्र' का घटोत्कच पर चलाना, जिसके कारण वह वचनानुसार दूसरी बार इस अस्त्र का उपयोग नहीं कर सकता था।
कौषीतकि ऋषि ने अपने अनुभव से सूर्योपासना तीन बार-प्रात:काल, मध्याह्नकाल और सांयकाल- करने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि प्रात:काल यज्ञोपवीत को सव्य भाव से बाएं कन्धे पर रखकर आचमन करें। फिर जलपात्र को तीन बार शुद्ध जल से भरकर, उदय होते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें—'ॐ वर्गोऽसि पाप्मानं मे वृडधि।'[१] इस प्रकार मध्याह्नकाल में, भगवान भास्कर को स्मरण करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें-'ॐ उद्वर्गोऽसि पाप्मानं में संवृडधि।'[२] इसी प्रकार सांयकाल में, अस्त होते हुए सूर्य की उपासना करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें-
तृतीय पुरस्कार - रू० 0.75 लाख
यद्यपि वेद से ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद की संहिताओं का ही बोध होता है, तथापि हिन्दू लोग इन संहिताओं के अलावा ब्राह्मण ग्रन्थों, आरण्यकों तथा उपनिषदों को भी वेद ही मानते हैं। इनमें ऋक् आदि संहितायें स्तुति प्रधान हैं; ब्राह्मण ग्रन्थ यज्ञ कर्म प्रधान हैं और आरण्यक तथा उपनिषद् ज्ञान चर्चा प्रधान हैं।
ब्रिटेन (अंग्रेज़ी: Britain ब्रिटन्) अथवा ग्रेट् ब्रिटेन यूरोप में स्थित संयुक्त राजशाही देश का सबसे बड़ा हिस्सा है। इसमें इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स प्रांत शामिल हैं। ये एक द्वीप पर बसा है।
मुगल · भारतीय इस्लामी
मिलम- यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल के दक्षिणी ढाल पर स्थित है।
स्टीमर या स्टीमबोट एक भाप से चलने वाला पानी का जहाज होता है, जिसमें प्रोपल्ज़न का प्राथमिक तरीका वाष्प-शक्ति होती है। स्टीमर को प्रायः झीलों, नदियों आदि में परिवहन हेतु प्रयोग किया जाता है, किंतु बड़े स्टीमरों को समुद्र में भी प्रयोग किया जा सकता है।
Note: Unlike ASCII-only romanizations such as ITRANS or Harvard-Kyoto, the diacritics used for IAST allow capitalization of proper names. The capital variants of letters never occurring word-initially (Ṇ Ṅ Ñ Ṝ) are only useful in Pāṇini contexts, where the convention is to typeset the IT sounds as capital letters (see Aṣṭādhyāyī).
शुरुआती समय में हिन्दी चिट्ठाकारों की कम सँख्या को देखते हुए आरम्भिक चिट्ठाकारों ने इस माध्यम के प्रचार के लिये अनेक समुदाय बनाए ताकि हिन्दी चिट्ठाकारी का प्रचार किया जा सके। कुछ प्रमुख समुदाय निम्न हैं:-
सर्वेक्षणों के पश्चात भी अधिकांश लोग इस बात पर सहमत हैं कि पारम्परिक धर्म जैसे बौद्ध धर्म, ताओ धर्म, और चीनी लोक धर्म बहुसंख्यक हैं। विभिन्न स्रोतो के अनुसार चीन मैं बौद्धों की संख्या ६६ करोड़ (~५०%) से १ अरब (~८०%) है जबकि ताओ धर्मियों की संख्या ४० करोड़ या लगभग ३०% है। लेकिन चूंकि एक व्यक्ति एक से अधिक धर्मों का पालन कर सकता है इसलिए चीन में बौद्धों, ताओं, और चीनी लोक धर्मियों की सही संख्या बता पाना कठिन है।
हिंदी की विभिन्न बोलियों का साहित्य आज भी लोकप्रिय है और आज भी अनेक कवि और लेखक अपना लेखन अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में करते हैं।
उन्होंने अपनी बहस कई लेखो में की, जो की होमर जैक्स के द गाँधी रीडर: एक स्रोत उनके लेखनी और जीवन का . १९३८ में जब पहली बार "यहूदीवाद और सेमेटीसम विरोधी" लिखी गई, गाँधी ने १९३० में हुए जर्मनी में यहूदियों पर हुए उत्पीडन (persecution of the Jews in Germany) को सत्याग्रह (Satyagraha) के अंतर्गत बताया उन्होंने जर्मनी में यहूदियों द्वारा सहे गए कठिनाइयों के लिए अहिंसा के तरीके को इस्तेमाल करने की पेशकश यह कहते हुए की
महाप्रभु वल्लभाचार्य ने पुष्टि-मार्ग की स्थापना की और विष्णु के कृष्णावतार की उपासना करने का प्रचार किया। आपके द्वारा जिस लीला-गान का उपदेश हुआ उसने देशभर को प्रभावित किया। अष्टछाप के सुप्रसिध्द कवियों ने आपके उपदेशों को मधुर कविता में प्रतिबिंबित किया।
यूरोप महाद्वीप में, शुरुआती रिसोर्टों में शामिल थे , ऑस्टेन्ड (Ostend) ( ब्रुसेल्स के लोगों के लिए (Brussels)) , और बौलोग्ने सुर - - रंगरूट (Boulogne-sur-Mer) (चरण - de - केलै (Pas-de-Calais)) और Deauville (Deauville) (Calvados (Calvados)) ( पेरिस के लोगों के लिए ) .
इलाहाबाद की ओर जाने वाली गाडियाँ :
जिस स्वर पर बलाघात लगता है, उसके शब्दांश के पहले एक << ' >> का निशान लगा दिया जाता है । जिस स्वर में नासिकीकरण होता है, उसके ऊपर टिल्ड << ~ >> का निशान लगा दिया जाता है । दीर्घ स्वरों के बाद << : >> का निशान लगाया जाता है ।
660 में, सिला के मुइओल राजा ने अपनी सेनाओं को बैक्जे पर हमला करने का आदेश दिया. तांग बलों की सहायता से, जनरल किम यू-शिन (गिम यू-सिन), ने बैक्जे पर विजय प्राप्त की. 661 में, सिला और तांग ने गोगुरियो पर चढ़ाई की लेकिन पीछे धकेल दिए गए. मुयोल के पुत्र और जनरल किम के भतीजे, राजा मुन्मु ने 667 में एक और अभियान शुरू किया और गोगुरियो का अगले वर्ष पतन हुआ.
The budgets for Telugu movies typically range from 20 to 40 crores per film. Pre-lease revenues for popular films can range from 12 to 20 crores per film and post-release business for these movies can be 25–40 crores depending on the success of the movie.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय की इमारत
उनकी प्रारंभिक शिक्षा कराची के लेडी जेनिंग नर्सरी स्कूल तथा कॉन्वेंट जीजस एंड मेरी में हुई। [३] 15 वर्ष की आयु में उन्होंने कराची ग्रामर स्कूल से ओ लेवेल की परीक्षा उत्तीर्ण की।.[४] सोलह साल की उम्र में वो अमरीका गईं जहाँ 1969 से 1973 तक वे रैडक्लिफ़ कॉलेज में पढ़ाई की तथा उसके बाद हारवर्ड विश्वविद्यालय से कला-स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की।[५] बाद में उन्होंने इंगलैंड के ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय से भी अंतर्राष्ट्रीय कानून, दर्शन और राजनीति विषय का अध्ययन किया।.[६] ऑक्सफ़ोर्ड में अध्ययन के दौरान वे ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन की अध्यक्ष चुनी जाने वाली वे पहली एशियाई महिला थीं।[२]
विश्व की सबसे पुरातन विश्वकोशीय रचना अफ्रीकावासी मार्सियनस मिस फेलिक्स कॉपेला की "सटोराअ सटीरिक" है। उसने पाँचवीं शती के आरंभकाल में गद्य तथा पद्य में इसका प्रणयन किया। यह कृति मध्ययुग में शिक्षा का आदर्शागार समझी जाती थी। मध्ययुग तक ऐसी अन्यान्य कृतियों का सर्जन हुआ, पर वे प्राय: एकांगी थीं और उनका क्षेत्र सीमित था। उनमें त्रुटियों एवं विसंगतियों का बाहुल्य रहता था। इस युग को सर्वश्रेष्ठ कृति व्यूविअस के विसेंट का ग्रंथ "बिब्लियोथेका मंडी" या "स्पेकुलस मेजस" था। यह तेरहवीं शती के मध्यकालीन ज्ञान का महान् संग्रह था। उसने इस ग्रंथ में मध्ययुग की अनेक कृतियों को सुरक्षित किया। यह कृति अनेक विलुप्त आकर (क्लैसिकल) रचनाओं तथा अन्यान्य ग्रंथों की मूल्यवान पाठ््यसामग्रियों का सार प्रदान करती है। प्राचीन ग्रीस में स्प्युसिपस तथा अरस्तू ने महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की थी। स्प्युसिपस ने पशुओं तथा वनस्पतियों का विश्वकोशीय वर्गीकरण किया तथा अरस्तू ने अपने शिष्यों के उपयोग के लिए अपनी पीढ़ी के उपलब्ध ज्ञान एवं विचारों को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने के लिए अनेक ग्रंथों का प्रणयन किया। इस युग में प्रणीत विश्वकोशीय ग्रंथों में प्राचीन रोमवासी प्लिनी की कृति "नैचुरल हिस्ट्री" हमारी विश्वकोश की आधुनिक अवधारणा के अधिक निकट है। यह मध्य युग का उच्च आधिकाधिक ग्रंथ है। यह 37 खंडों एवं 2493 अध्यायों में विभक्त है जिसमें ग्रीकों के विश्वकोश के सभी विषयों का सन्निवेश है। प्लिनी के अनुसार इसमें 100 लेखकों के 2000 ग्रंथों से संगृहीत 20,000 तथ्यों का समावेश है। सन् 1536 से पूर्व इसके 43 संस्करण प्रकाशित हो चुके थे। इस युग की एक प्रसिद्ध कृति फ्रांसीसी भाषा में 19 खंडों में प्रणीत (सन् 1360) बार्थोलोमिव द ग्लैंविल का ग्रंथ "डी प्रॉप्रिएटैटिबस रेरम" था। सन् 1495 में इसका अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हुआ तथा सन् 1500 तक इसके 15 संस्करण निकल चुके थे।
लालबहादुर शास्त्री (2 अक्तूबर, 1904 - 11 जनवरी, 1966),भारत के तीसरे और दूसरे स्थायी प्रधानमंत्री थे । वह 1963-1965 के बीच भारत के प्रधान मन्त्री थे। उनका जन्म मुगलसराय, उत्तर प्रदेश मे हुआ था।
ये नेपाल की सेना के वरिष्ठ अधिकारी थे। इनपर मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप लगे थे। सेना द्वारा दी गई पदोन्नती के खिलाफ एक जनहित याचिका पर कार्यवाई करते हुए नेपाल की सर्वोच्च न्यायालय ने इनकी पदोन्नति पर रोक लगा दी थी।
59. जैसलमेर के रेतीले शहर से 45 किमी दूर, डेजर्ट नेशनल पार्क रेतीले टीलों और झाड़ियों से ढकी पहाड़ियों के लिए जाना जाता है।
७ . सेंटर
छठवें अवतार में अनुसुइया के गर्भ से दत्तात्रयेय प्रगट हुये जिन्होंने प्रह्लाद, अलर्क आदि को ब्रह्मज्ञान दिया।
ताउक दाल एक बंगाली व्यंजन है।
इन देवताओं में सर्व देवा आदि की गिनती की जाती है.
जल्द से जल्द woodblock मुद्रण के कोरियाई उदाहरण के जीवित ज्ञात Mugujeonggwang महान सूत्र Dharani है.[२१] यह है 750-751 ई. में कोरिया में छपा है, जो यदि सही करना, क्या माना जाता है कि यह पुराने सूत्र डायमंड से. गोरियो रेशम उच्च पश्चिम के द्वारा माना हालांकि चीनी रेशम के रूप में के रूप में बेशकीमती नहीं था, और कोरियाई नीली हरी celadon के साथ बनाया बर्तनों उच्चतम गुणवत्ता की थी और उसके बाद की मांग भी अरब व्यापारियों द्वारा. गोरियो एक पूंजी है कि व्यापारियों द्वारा से अक्सर था के साथ एक हलचल अर्थव्यवस्था था सब मालूम दुनिया भर में.
दुनिया के सभी हीरों का राजा है कोहिनूर हीरा। इसकी कहानी भी परी कथाओं से कम रोमांचक नहीं है। कोहिनूर के जन्म की प्रमाणित जानकारी नहीं है पर कोहिनूर का पहला उल्लेख ३००० वर्ष पहले मिला था। इसका नाता श्री कृष्ण काल से बताया जाता है।पुराणों के अनुसार स्वयंतक मणि ही बाद में कोहिनूर कहलायी।ये मणि सूर्य से कर्ण को फिर अर्जुन और युधिष्ठिर को मिली।फिर अशोक, हर्ष और चन्द्रगुप्त के हाथ यह मणि लगी।सन् १३०६ में यह मणि सबसे पहले मालवा के महाराजा रामदेव के पास देखी गयी। मालवा के महाराजा को पराजित करके सुल्तान अलाउदीन खिलजी ने मणि पर कब्जा कर लिया।बाबर से पीढी दर पीढी यह बेमिसाल हीरा अंतिम मुगल बादशाह औरंगजेब को मिला। ’ज्वेल्स आफ बिट्रेन’ का मानना है कि सन् १६५५ के आसपास कोहिनूर का जन्म हिन्दुस्तान के गोलकुण्डा जिले की कोहिनूर खान से हुआ।तब हीरे का वजन था 787 कैरेट।इसे बतौर तोहफा खान मालिकों ने शाहजहां को दिया।सन्1739 तक हीरा शाहजहां के पास रहा।फिर इसे नादिर शाह ने लूट लिया।इसकी चकाचौधं चमक देखकर ही नादिर शाह ने इसे कोहिनूर नाम दिया।कोहिनूर को रखने वाले आखिरी हिन्दुस्तानी शेर-ए- पंजाब रणजीत सिंह थे।सन् १८४९ मे पंजाब की सत्ता हथियाने के बाद कोहिनूर अंग्रेजों के हाथ लग गया।फिर सन् १८५० में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने हीरा महारानी विक्टोरिया को भेंट किया।इंग्लैण्ड पंहुचते-पंहुचते कोहिनूर का वजन केवल १८६ रह गया।महारानी विक्टोरिया के जौहरी प्रिंस एलवेट ने कोहिनूर की पुन: कटाई की और पॉलिश करवाई।सन् 1852 से आज तक कोहिनूर को वजन १०५.६ ही रह गया है।सन् १९११ में कोहिनूर महारानी मैरी के सरताज में जड़ा गया।और आज भी उसी ताज में है।इसे लंदन स्थित ‘टावर आफ लंदन’ संग्राहलय में नुमाइश के लिये रखा गया है।
वहां स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है। अहोई का अर्थ एक प्रकार से यह भी होता है "अनहोनी को होनी बनाना" जैसे साहुकार की छोटी बहू ने कर दिखाया था। अहोई व्रत का महात्मय जान लेने के बाद आइये अब जानें कि यह व्रत किस प्रकार किया जाता है।
जो खिलाड़ी गेंद पर प्रहार करते वक्त अपने बायें हाथ का मुख्यत: सहारा देता है, वह बायें हाथ का बल्लेबाज माना जाता है। इसके विपरीत जो खिलाड़ी गेंद पर प्रहार करते वक्त अपने दायें हाथ का मुख्यत: सहारा देता है, वह दायें हाथ का बल्लेबाज माना जाता है।
हिमालय की ऊँची पर्वत श्रंखलाओं ने सिक्किम को उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी दिशाओं मे अर्धचन्द्राकार।अर्धचन्द्र में घेर रखा है । राज्य के अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र अधिकतर राज्य के दक्षिणी भाग मे, हिमालय की कम ऊँचाई वाली श्रंखलाओं मे स्थित हैं । राज्य मे अट्ठाइस पर्वत चोटियाँ, इक्कीस हिमानी, दो सौ सत्ताईस झीलें।झील (जिनमे चांगु झील, गुरुडोंग्मार झील और खेचियोपल्री झीलें।खेचियोपल्री झीले शामिल हैं), पाँच गर्म पानी के चश्मे।गर्म पानी का चश्मा और सौ से अधिक नदियाँ और नाले हैं । आठ पहाड़ी दर्रे सिक्किम को तिब्बत, भूटान और नेपाल से जोड़ते हैं ।[४]
'लगे रहो मुन्ना भाई' आगे की 21वी सदी के शुरूआत के भारतीयो के सोच से जुड़ी हुई कहानी है। इसमें हँसी के फव्वारे के साथ दिल को छू लेने वाला संदेश देने की कोशिश की गई है।
चन्द्रगुप्त मौर्य ने शासन संचालन को सुचारु रूप से चलाने के लिए चार प्रान्तों में विभाजित कर दिया था जिन्हें चक्र कहा जाता था । इन प्रान्तों का शासन सम्राट के प्रतिनिधि द्वारा संचालित होता था । सम्राट अशोक के काल में प्रान्तों की संख्या पाँच हो गई थी । ये प्रान्त थे-
नरेन्द्र कोहली की वह विशेषता जो उन्हें इन दोनों पूर्ववर्तियों से विशिष्ट बनाती है वह है एक के पश्चात् एक पैंतीस वर्षों तक निरंतर उन्नीस[४८] कालजयी कृतियों का प्रणयन जो किसी भी दशा में न सिर्फ आचार्य द्विवेदी एवं नागर जी के अवदान से, वरन हिन्दी साहित्य के किसी भी पूर्ववर्ती, समकालीन एवं परवर्ती के अवदान से कहीं अधिक है. इसके अतिरिक्त वृहद् व्यंग-साहित्य, सामाजिक उपन्यास, ऐतिहासिक उपन्यास, मनोवैज्ञानिक उपन्यास भी हैं; सफल नाटक हैं, वैचारिक निबंध, आलोचनात्मक निबंध, समीक्षात्मक एवं विश्लेषणात्मक प्रबंध, अभिभाषण, लेख, संस्मरण, रेखाचित्रों का ऐसा खज़ाना है ... गद्य की प्रत्येक विधा में उन्होंने हिन्दी साहित्य को इतना दिया है कि उनके समकक्ष सभी अवदान फीके जान पड़ते हैं. यदि आचार्य द्विवेदी एवं नागर जी के उपन्यास हटा दिए जाएँ, तब भी 'सांस्कृतिक पुनर्जागरण का युग' अकेले नरेन्द्र कोहली के बल पर अपनी पहचान बना सकता है, पर यदि नरेन्द्र कोहली का अवदान न होता तो इसे एक युग की मान्यता मिलना कठिन था.
मैदान से बहार और टी वी पर प्रसारित होने वाले मैचों में अक्सर एक तीसरा अंपायर (third umpire) होता है जो विडियो साक्ष्य की सहायता से विशेष स्थितियों में फ़ैसला ले सकता है.टेस्ट मैचों और दो आईसीसी के पूर्ण सदस्यों के बीच खेले जाने वाले सीमित ओवरों के अंतरराष्ट्रीय खेल में तीसरा अंपायर जरुरी होता है.इन मैचों में एक मैच रेफरी (match referee) भी होता है जिसका काम है यह सुनिश्चित करना होता है की खेल क्रिकेट के नियमों (Laws of cricket) के तहत खेल की भावना से खेला जाये.
१. छेदन-काटकर दो फांक करना या शरीर से अलग करना (एक्सिज़न),
यदि फोन में हिन्दी प्रदर्शन हेतु समर्थन है तो इनपुट का विकल्प हो भी सकता है और नहीं भी। यदि फोन में हिन्दी इनपुट का विकल्प हो तो हिन्दी में समोसे (SMS) भेजे जा सकते हैं तथा वैब पर कहीं भी टैक्स्ट बॉक्स में हिन्दी लिखी जा सकती है। इस विकल्प के होने पर मोबाइल से हिन्दी में ईमेल भेजने, चिट्ठा लिखने, टिप्पणी करने समेत इण्टरनेट पर तमाम कार्य हिन्दी में किए जा सकते हैं।
• अपर्णा सेन
न्यायालयः सूनी कुर्सी/ क्या चढी बिराजे!/
] [संपादित करें विस्तार 1970 में एयर इंडिया मुंबई शहर को अपने कार्यालय ले जाया गया. अगले साल अपनी पहली एयरलाइन बोइंग 747 की डिलीवरी ले लिया-200B सम्राट अशोक (VT-EBD पंजीकृत नाम). इस 'के' स्काई पोशाक और ब्रांडिंग में परिचय पैलेस के साथ संयोग. इस पोशाक की सुविधा प्रत्येक विमान खिड़की के आसपास paintwork भारतीय महलों में खिड़कियों की cusped आर्क शैली में है. 1986 में एयर इंडिया एयरबस A310-300 की डिलीवरी लिया, एयरलाइन यात्री सेवा में इस प्रकार का सबसे बड़ा ऑपरेटर है. 1988 में, एयर इंडिया की डिलीवरी ले ली दो बोइंग 747-300Ms मिश्रित यात्री माल विन्यास में. 1989 में, अपने "फ्लाइंग पैलेस" पोशाक पूरक करने के लिए, एयर इंडिया एक नया "" सन पोशाक कि ज्यादातर एक लाल पूंछ पर एक सुनहरी सूर्य के साथ सफेद था की शुरुआत की. केवल करने के लिए लागू एयर इंडिया के बेड़े के एक आधे के आसपास, नई पोशाक सफल नहीं के रूप में भारतीय जनता उड़ान के बारे में शिकायत किया था क्लासिक रंग से बाहर phasing. पोशाक दो साल के बाद हटा दिया गया था और पुरानी योजना लौट रहा था.
अपने-अपने हैं कानून/ मुक्त है प्रजा/ सड़ी-गली लाठी को है/ भैंस ही सजा/
चन्द्रगुप्त मौर्य ने पश्चिम भारत में सौराष्ट्र तक प्रदेश जीतकर अपने प्रत्यक्ष शासन के अन्तर्गत शामिल किया । गिरनार अभिलेख (१५० ई. पू.) के अनुसार इस प्रदेश में पुण्यगुप्त वैश्य चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्यपाल था । इसने सुदर्शन झील का निर्माण किया । दक्षिण में चन्द्रगुप्त मौर्य ने उत्तरी कर्नाटक तक विजय प्राप्त की ।
वर पक्ष की ओर से कन्या को और कन्या पक्ष की ओर से वर का वस्त्र-आभूषण भेंट किये जाने की परम्परा है । यह कार्य श्रद्धानुरूप पहले ही हो जाता है । वर-वधू उन्हें पहनाकर ही संस्कार में बैठते हैं । यहाँ प्रतीक रूप से पीले दुपट्टे एक-दूसरे को भेंट किये जाएँ । यही ग्रन्थि बन्धन के भी काम आ जाते हैं । आभूषण पहिनाना हो, तो अँगूठी या मङ्गलसूत्र जैसे शुभ-चिह्नों तक ही सीमित रहना चाहिए । दोनों पक्ष भावना करें कि एक-दूसरे का सम्मान बढ़ाने, उन्हें अलंकृत करने का उत्तरदायितव समझने और निभाने के लिए संकल्पित हो रहे हैं । नीचे लिखे मन्त्र के साथ परस्पर उपहार दिये जाएँ ।
(1) भूगणितीय सर्वेक्षण (geodetic surveying) और
बी ई एस टी द्वारा चालित बसें, लगभग नगर के हरेक भाग को यातायात उपलब्ध करातीं हैं। साथ ही नवी मुंबई एवं ठाणे के भी भाग तक जातीं हैं। बसें छोटी से मध्यम दूरी तक के सफर के लिए प्रयोगनीय हैं, जबकि ट्रेनें लम्बी दूरियों के लिए सस्ता यातायात उपलब्ध करातीं हैं। बेस्ट के अधीन लगभग 3,408 बसें चलतीं हैं,[३७] जो प्रतिदिन लगभग 4.5 मिलियन यात्रियों को 340 बस-रूटों पर लाती ले जातीं हैं। इसके बेड़े में सिंगल-डेकर, डबल-डेकर, वेस्टीब्यूल, लो-फ्लोर, डिसेबल्ड फ्रेंड्ली, वातानुकूलित एवं हाल ही में जुड़ीं यूरो-तीन सम्मत सी एन जी चालित बसें सम्मिलित हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एम एस आर टी सी) की अन्तर्शहरीय यातायात सेवा है, जो मुंबई को राज्य व अन्य राज्यों के शहरों से जोड़तीं हैं। मुंबई दर्शन सेवा के द्वारा पर्यटक यहां के स्थानीय पर्यटन स्थलों का एक दिवसीय दौरा कर सकते हैं।
अस्त्रों को दो विभागों में बाँटा गया है-
ताइवान या ताईवान (चीनी: 台灣) पूर्व एशिया में स्थित एक द्वीप है। यह द्वीप अपने आसपास के कई द्वीपों को मिलाकर चीनी गणराज्य का अंग है जिसका मुख्यालय ताइवान द्वीप ही है । इस कारण प्रायः ताइवान का अर्थ चीनी गणराज्य से भी लगाया जाता है । यूं तो यह ऐतिहासिक तथा संस्कृतिक दृष्टि से मुख्य भूमि चीन) का अंग रहा है, पर इसकी स्वायत्ता तथा स्वतंत्रता को लेकर चीन (जिसका, इस लेख में, अभिप्राय चीन का जनवादी गणराज्य से है) तथा चीनी गणराज्य के प्रशासन में विवाद रहा है ।
भारत का महान्यायवादी संसद के किसी भी सदन का सदस्य न रहते हुए भी संसद की कार्रवाई में भाग ले सकता है ।
शोभन सरकार
केंद्रीय हिंदी संस्थान का मुख्यालय आगरा में है। इसके आठ केंद्र- दिल्ली, हैदराबाद, गुवाहाटी, शिलांग, मैसूर, दीमापुर,भुवनेश्वर तथा अहमदाबाद हैं. इसका मुख्यालय, आगरा में है। केंद्रीय हिंदी संस्थान का मुख्यालय उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित है। आगरा में आकर शिक्षार्थी भारत के किसी भी दूसरे स्थान की तुलना में अधिक सहजता और सटीकता से हिंदी सीख पाते हैं क्योंकि मानक हिंदी भाषा का केंद्रीय स्थान होने की वजह से यह शहर अन्य भाषाभाषी पृष्ठभूमि से आए भारतीय और विदेशी शिक्षार्थियों को हिंदी भाषा का समसामयिक और जीवंत परिवेश प्रदान करता है।
लज्जते-सेहरा न वर्दी दूरिए-मंजिल में है
उत्तराखण्ड रेल, वायु, और सड़क मार्गों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। उत्तराखण्ड में पक्की सडकों की कुल लंबाई २१,४९० किलोमीटर है। लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित सड़कों की लंबाई १७,७७२ कि.मी. और स्थानीय निकायों द्वारा बनाई गई सड़कों की लंबाई ३,९२५ कि.मी. हैं।
गांधी जी ने अपना जीवन सत्य (truth), या सच्चाई (Satya)की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने करने के लिए अपनी स्वयं की गल्तियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की। उन्होंने अपनी आत्मकथा को द स्टोरी ऑफ़ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ (The Story of My Experiments with Truth) का नाम दिया।
मंदिर का वृहत क्षेत्र ४००,०००-square-foot (३७,००० m²) में फैला है, और चहारदीवारी से घिरा है। उड़िया शैली के मंदिर स्थापत्यकला, और शिल्प के आश्चर्यजनक प्रयोग से परिपूर्ण, यह मंदिर, भारत के भव्यतम स्मारक स्थलों में से एक है। [१२]
Crystals of native copper
इन्हीं कारणों से, कैंसर स्क्रीनिंग के लिए विचार करते समय नैदानिक प्रक्रिया और उपचार के लाभ तथा जोखिम पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है.
गद्य की प्रमुख विधा है 'उपन्यास'. आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रारम्भिक काल में एक अद्भुत औपन्यासिक प्रतिभा का उदय हुआ : प्रेमचंद. निर्मला, कर्मभूमि, रंगभूमि, गोदान इत्यादि अत्याधिक सफल एवं पठनीय उपन्यासों को रचकर प्रेमचंद 'उपन्यास सम्राट' कहलाये. उन्के जीवन्काल में ही नहीं, उनकी मृत्यु के पचास वर्षों बाद कॉपीराइट समाप्त हो जाने के बाद प्रकाशकों में उनके उपन्यास प्रकाशित करने की होड़ सी लग गयी. आज भी प्रेमचंद के हिन्दी के सर्वाधिक बिकने वाले उपन्यासकार हैं.
यूनाइटेड किंगडम में तीन अलग-अलग संसदों के सदस्य होते हैं:
अचानक नारद के आगमन से वे तीनों पूर्व वत हो गए। नारद ने ही श्री भगवान से प्रार्थना की कि हे भगवान आप चारों के जिस महाभाव में लीन मूर्तिस्थ रूप के मैंने दर्शन किए हैं, वह सामान्य जनों के दर्शन हेतु पृथ्वी पर सदैव सुशोभित रहे। महाप्रभु ने तथास्तु कह दिया।
पाण्डु महाभारत के एक पात्र थे। वे पाण्डवों के पिता और धृतराष्ट्र के कनिष्ट भ्राता थे। जिस समय हस्तिनापुर का सिंहासन सम्भालने के लिए धृतराष्ट्र को मनोनीत किया जा रहा था तब विदुर ने राजनीति ज्ञान की दुहाई देकर की एक नेत्रहीन व्यक्ति राजा नहीं हो सकता, पाण्डु को नरेश घोषित किया गया।
श्रीकृष्ण आत्म तत्व के मूर्तिमान रूप हैं। मनुष्य में इस चेतन तत्व का पूर्ण विकास ही आत्म तत्व की जागृति है। जीवन प्रकृति से उद्भुत और विकसित होता है अतः त्रिगुणात्मक प्रकृति के रूप में श्रीकृष्ण की भी तीन माताएँ हैं। 1- रजोगुणी प्रकृतिरूप देवकी जन्मदात्री माँ हैं, जो सांसारिक माया गृह में कैद हैं। 2- सतगुणी प्रकृति रूपा माँ यशोदा हैं, जिनके वात्सल्य प्रेम रस को पीकर श्रीकृष्ण बड़े होते हैं। 3- इनके विपरीत एक घोर तमस रूपा प्रकृति भी शिशुभक्षक सर्पिणी के समान पूतना माँ है, जिसे आत्म तत्व का प्रस्फुटित अंकुरण नहीं सुहाता और वह वात्सल्य का अमृत पिलाने के स्थान पर विषपान कराती है। यहाँ यह संदेश प्रेषित किया गया है कि प्रकृति का तमस-तत्व चेतन-तत्व के विकास को रोकने में असमर्थ है।
मेघालय में रेल लाइनें नहीं है। गुवाहाटी यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो शिलांग से 104 किलोमीटर दूर है। यहां से शिलांग पहुंचने में लगभग साढे तीन घन्टे लगते हैं। गुवाहाटी तक रेल के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से गुवाहाटी पहुंचने के लिए राजधानी समेत कई ट्रेनें हैं। गुवाहाटी से असम परिवहन निगम और मेघालय परिवहन निगम की बसें शिलांग से हर आधे घन्टे में चलती हैं। आप चाहें तो टैक्सी भी कर सकते हैं।
अक्षर (Letter / Alphabet) वर्णमाला प्रर्णाली में एक तत्व है. लिखित भाषा में प्रत्येक अक्षर आमतौर पर भाषा के रूप में बात की आवाज़ के साथ जुड़ा हुआ है. अक्षर किसी भी बोली, भाषा, व लेखनी का पहला तत्व भी है. इसी से शब्द बनते है जिनसे की वाक्य व जिनसे की कोई लेख बनता है. हिंदी वर्णमाला में अक्षरो को स्वर व व्यंजन प्रणाली में बाटा गया है जिससे की कोई शब्द बनता है. देवनागरी या हिंदी भाषा के सारे अक्षर नीचे देखे.
रायता सभी खाने के साथ चलता है
आचार्य विनोबा भावे ने नागरी लिपि के महत्व को स्वीकार करते हुए यहां तक कहा था "हिंदुस्तान की एकता के लिए हिंदी भाषा जितना काम देगी, उससे बहुत अधिक काम देवनागरी देगी। इसलिए मैं चाहता हूं कि सभी भाषाएं सिर्फ देवनागरी में भी लिखी जाएं। "सभी लिपियां चलें लेकिन साथ साथ देवनागरी का भी प्रयोग किया जाये। विनोबा जी "नागरी ही" नहीं "नागरी भी" चाहते थे। उन्हीं की सद्प्रेरणा से 1975 में नागरी लिपि परिषद की स्थापना हुई। जो भारत की एकतात्रा ऐसी संस्था है, जो नागरी लिपि के प्रचार प्रसार में लगी है। 1961 में पं जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में सम्पन्न मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन में भी यह सिफारश की गयी कि, "भारत की सभी भाषाओं के लिए एक लिपि अपनाना वांछनीय हैं। इतना ही नहीं, यह सब भाषाओं को जोड़ने वाली एक मजबूत कड़ी का काम करेगी और देश के एकीकरण में सहायक होगी। भारत की भाषायी स्थिति में यह जगह केवल देवनागरी ले सकती है। "16-17 जनवरी, 1960 को बेंगलोर में आयोजित 'ऑल इण्डिया देवनागरी कांग्रेस' में श्री अनंतशयनम् आयंगर ने भारतीय भाषाओं के लिए देवनागरी को अपनाये जाने का समर्थन किया था। नि:संदेह देवनागरी लिपि में वे गुण हैं, वह सभी भारतीय भाषाओं को जोड़ सकती है। यह संसार की सबसे अधिक वैज्ञानिक और ध्वन्यात्मक लिपि जो है।
पुन्नाथुर कोटा, गुरुवायुर में हाथी अभयारण्य
शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय (१५ सितंबर, १८७६ - १६ जनवरी, १९३८ ) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनका जन्म हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ। वे अपने माता-पिता की नौ संतानों में से एक थे। अठारह साल की अवस्था में उन्होंने इंट्रेंस पास किया। इन्हीं दिनों उन्होंने "बासा" (घर) नाम से एक उपन्यास लिख डाला, पर यह रचना प्रकाशित नहीं हुई। रवींद्रनाथ ठाकुर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। शरतचन्द्र ललित कला के छात्र थे लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह इस विषय की पढ़ाई नहीं कर सके। रोजगार के तलाश में शरतचन्द्र बर्मा गए और लोक निर्माण विभाग में क्लर्क के रूप में काम किया। कुछ समय बर्मा रहकर कलकत्ता लौटने के बाद उन्होंने गंभीरता के साथ लेखन शुरू कर दिया। बर्मा से लौटने के बाद उन्होंने अपना प्रसिद्ध उपन्यास श्रीकांत लिखना शुरू किया।[१] बर्मा में उनका संपर्क बंगचंद्र नामक एक व्यक्ति से हुआ जो था तो बड़ा विद्वान पर शराबी और उछृंखल था। यहीं से चरित्रहीन का बीज पड़ा, जिसमें मेस जीवन के वर्णन के साथ मेस की नौकरानी से प्रेम की कहानी है। जब वह एक बार बर्मा से कलकत्ता आए तो अपनी कुछ रचनाएँ कलकत्ते में एक मित्र के पास छोड़ गए। शरत को बिना बताए उनमें से एक रचना "बड़ी दीदी" का १९०७ में धारावाहिक प्रकाशन शुरु हो गया। दो एक किश्त निकलते ही लोगों में सनसनी फैल गई और वे कहने लगे कि शायद रवींद्रनाथ नाम बदलकर लिख रहे हैं। शरत को इसकी खबर साढ़े पाँच साल बाद मिली। कुछ भी हो ख्याति तो हो ही गई, फिर भी "चरित्रहीन" के छपने में बड़ी दिक्कत हुई। भारतवर्ष के संपादक कविवर द्विजेंद्रलाल राय ने इसे यह कहकर छापने से इन्कार कर दिया किया कि यह सदाचार के विरुद्ध है। विष्णु प्रभाकर द्वारा आवारा मसीहा शीर्षक रचित से उनका प्रामाणिक जीवन परिचय बहुत प्रसिद्ध है।[२]
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार .........
पिछले दो दशकों में शिक्षण शैली (learning styles) के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कार्य हुआ है दुन्न और dunn[५] ने लगभग उसी समय प्रासंगिक स्तिमुली की पह्चान, जो शिक्षण को प्रभावित करती है और पाठशाला के वातावरण से छेड़छाड़ करती है पर ध्यान केंद्रित किया जब जोसफ रेंज़ुल्ली (Joseph Renzulli)[६] ने बदलती शिक्षण रणनीतियों की सिफारिश की हॉवर्ड गार्डनर (Howard Gardner)[७] ने व्यक्तिगत प्रतिभा या योग्यताओं को अपने एकाधिक ज्ञान (Multiple Intelligences) सिद्धांत से बतलाया ज़ंग (Jung) के कामों के आधार पर मायर्स-ब्रिग्स प्रकार सूचक (Myers-Briggs Type Indicator) और Keirsey स्वभाव सॉर्टर (Keirsey Temperament Sorter)[८] ने यह समझने पर अपना ध्यान केंद्रित किया की कैसे लोगों के व्यक्तित्व उनके बातचीत के तरीके को प्रभावित करते हैं और सीखने के माहौल के भीतर यह एक दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं डेविड कोल्ब (David Kolb) और अन्थोनी ग्रेकोर्क (Anthony Gregorc) के प्रकार चित्रकार [९] समान किंतु सरलीकृत दृष्टिकोण को मानते हैं
सौपान साहित्यिक मंच
हिन्दू धर्म में सूर्योपासनाके लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होनेके कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्षमें दो बार मनाया जाता है, किन्तु काल क्रम मे अब यह बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश वासियों तक ही सीमित रह गया है।
भोजन के कैंसर से लड़ने वाले अवयव पहले की तुलना में अब अधिक असंख्य और विविध माने जाते हैं, अतः अब रोगियों को ज़्यादा से ज़्यादा स्वास्थ्य लाभ के लिए बड़े पैमाने पर ताजा, अप्रसंस्कृत फल और सब्जियों के उपभोग की सलाह दी जाती है. [६७]
फिर भी, जैक होमर गाँधी के जिन्ना के साथ पाकिस्तान के विषय को लेकर एक लंबे पत्राचार पर ध्यान देते हुए कहते हैं- "हालाँकि गांधी वैयक्तिक रूप में विभाजन के खिलाफ थे, उन्होंने सहमति का सुझाव दिया जिसके तहत कांग्रेस और मुस्लिम लीग अस्थायी सरकार के नीचे समझौता करते हुए अपनी आजादी प्राप्त करें जिसके बाद विभाजन के प्रश्न का फैसला उन जिलों के जनमत द्वारा होगा जहाँ पर मुसलमानों की संख्या ज्यादा है."[५९].
यहाँ ७५० शैलाश्रय हैं जिनमें ५०० शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं। पूर्व पाषाण काल से मध्य ऐतिहासिक काल तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा।[१] यह बहुमूल्य धरोहर अब पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। भीम बैठका क्षेत्र में प्रवेश करते हुए शिलाओं पर लिखी कई जानकारियां मिलती हैं। यहां के शैल चित्रों के विषय मुख्यतया सामूहिक नृत्य, रेखांकित मानवाकृति, शिकार, पशु-पक्षी, युद्ध और प्राचीन मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों से जुड़े हैं। चित्रों में प्रयोग किए गए खनिज रंगों में मुख्य रूप से गेरुआ, लाल और सफेद हैं और कहीं-कहीं पीला और हरा रंग भी प्रयोग हुआ है।[२]
राष्ट्रीय राजधानियों की सूची में विश्व के सभी देशों और उनकी राजधानियों के नाम, महाद्वीप और जनसंख्या के साथ दिए गए हैं जिन्हें क्रमबद्ध किया जा सकता है।
दैनिक स्टेट्स्मैन भारत मे प्रकाशित होने वाला एक बांग्ला भाषा का समाचार पत्र है।
Although many pages rely on this principle, it has become more common for each subject to have a separate page for its own stub.
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है। यदि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा E हो तो उसे विरामावस्था में लाने के लिये E के बराबर ऋणात्मक कार्य करना पडेगा।
ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है | पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र)जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था । उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि.मी.) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि.मी.) चौड़ा था ।
अचिन्त्य भेदाभेद दर्शन के अनुसार परब्रह्म का दूसरा नाम।
हिन्दीवाणी हिन्दी के लिये एक टैक्स्ट टू स्पीच इंजन है। यह सॅण्ट्रल इलॅक्ट्रॉनिक्स इञ्जनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है। यह डॉस प्रचालन तन्त्र पर कार्य करता है। एक हिन्दी सम्पादित्र में पाठ लिखा जाता है यह एक वर्णों के उच्चारणों के डेटाबेस के आधार पर कार्य करता है।
21.
यहां पर पक्षियों के मिलन स्थल का विहंगम दुश्य भी देख सकते है। यहां लगभग 300 पक्षियों की प्रजातियां हैं। पक्षियों की इन प्रजातियों में स्थानीय पक्षियों के अतिरिक्त सर्दियों में आने प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। यहां पाए जाने वाले प्रमुख पक्षियों में सारस, छोटी बत्तख, पिन्टेल, तालाबी बगुला, मोर-मोरनी, मुर्गा-मुर्गी, तीतर, बटेर, हर कबूतर, पहाड़ी कबूतर, पपीहा, उल्लू, पीलक, किंगफिशर, कठफोडवा, धब्बेदार पेराकीट्स आदि हैं।
(१) लक्ष्य क्या है ? महामुक्ति, आत्मोपलब्धि
सदा ह्रदि वहेम श्री हेमसूरे: सरस्वतीम ।
'रामेश्वरम् हिंदुओं का पवित्र तीर्थ है। उत्तर मे काशी की जो मानता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है। धार्मिक हिंदुओं के लिए वहां की यात्रा उतना की महत्व रखती है, जितना कि काशी को । रामेश्वरम् मद्रास से कोई सवा चार सौ मील दक्षिण-पूरब में है। मद्रास से रेल-गाड़ी यात्रियों को करीब बाईस घंटे में रामेश्वरम् पहुंचा देती है। रास्ते में पामबन स्टेशन पर गाड़ी बदलनी पड़ती है। रामेश्वरम् एक सुन्दर टापू है। हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी इसको चारों ओर से घेरे हुए है। इस हरे-भरे टापू की शकल शंख जैसी है। कहते हैं, पुराने जमाने में यह टापू भारत के साथ जुड़ा हुआ था, परन्तु बाद में सागर की लहरों ने इस मिलाने वाली कड़ी को काट डाला, जिससे वह चारों और पानी से घिरकर टापू बन गया। जिस स्थान पर वह जुडा हुआ था, वहां इससमस ढाई मील चौड़ी एक खाड़ी है। शुरू में इस खाड़ी को नावों से पार किया जाता था। बाद में आज से लगभग चार सौ बरसय पहले कृष्णप्पनायकन नाम के एक छोटे से राजा ने उसे पर पत्थर का बहुत बड़ा पुल बनवाया।
जिले का मुख्यालय [[ ]] है ।
इसी लिए आधुनिक युग के हमारे अग्रणी नेताओं, प्रबुद्ध विचारको और मनीषियों ने राष्ट्रीय एकता के लिए देवनागरी के प्रयोग पर बल दिया था। निश्चय ही ये सभी विचारक हिंदी क्षेत्रों के नहीं थे, अपितु इतर हिंदी प्रदेशों के ही थे। उनका मानना था कि भावात्मक एकता की दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लिए एक लिपि का होना आवश्यक है और यह लिपि केवल देवनागरी ही हो सकती हैं। श्री केशववामन पेठे, राजा राममोहन राय, शारदाचरण मित्र (1848-1916) ने नागरी लिपि के महत्व को समझते हुए देश भर में इसके प्रयोग को बढ़ाने की आवाज उठायी थी।
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स्वर : अ इ उ ए (ह्रस्व) ओ (ह्रस्व)
मिथुन लग्न में नक्षत्र स्वामी राहु लग्न में ऐसे हो तो राजनीति में उत्तम सफलता पाते हैं। वकालत में भी सफल होते हैं। चतुर्थ भाव में हो तो स्थानीय राजनीति में उत्तम सफलता मिलती है। तृतीय भाव में हो तो शत्रुहंता होगा। शनि की स्थिति में शनि में लग्न, चतुर्थ, नवम, पंचम में हो तो उत्तम सफलता पाने वाला होगा।
विनिमय दर/प्रति $ - ४८.५ रुपये (सम्प्रति सितंबर, २००९)।[१]
बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है । इसके प्रस्थापक महात्मा बुद्ध शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे । वे छठवीं से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जीवित थे । उनके गुज़रने के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ैला, और अगले दो हज़ार सालों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फ़ैल गया । आज, बौद्ध धर्म में तीन मुख्य सम्प्रदाय हैं: थेरवाद, महायान और वज्रयान । बौद्ध धर्म को पैंतीस करोड़ से अधिक लोग मानते हैं और यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है ।
सांसद शब्द का प्रयोग वेस्टमिंस्टर प्रणाली का अनुसरण न करनेवाले अन्य संसदीय गणतंत्रों /जिनमें अलग शब्द प्रयुक्त होते हैं, के अनुवाद के तौर पर भी किया जा सकता है, जैसे फ्रांस में डेपुटी, पुर्तगाल एवं ब्राजील में दिपुतादो, डेपुतादो या जर्मनी में मित्ग्लैद दे बुन्देस्तागेस (MdB) का प्रयोग किया जाता है. हालांकि, अक्सर बेहतर अनुवाद भी संभव है.
हैदराबाद में दो लिक सभा निर्वाचन क्षेत्र हैं: हैदराबाद एवं सिकंदराबाद। साथ ही शहर के कई भाग, दो अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के भी भाग हैं। यहां तेरह विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र हैं।
[[चित्र:Vadtaltemple.jpg|thumb| [[श्री स्वामीनारायण मंदिर, वडताल| वडताल (Vadtal), गुजरात में श्री स्वामीनारायण मंदिर]] ]] पश्चिम से इस्लामिक प्रभाव के आगमन के साथ ही , भारतीय वास्तुकला में भी नए धर्म कि परम्पराओं को अपनाना शुरू के गया.इस युग में बनी कुछ इमारतें हैं- फतेहपुर सीकरी, ताज महल, गोल गुम्बद (Gol Gumbaz), कुतुब मीनार दिल्ली का लाल किला आदि, ये इमारतें अक्सर भारत के अपरिवर्तनीय प्रतीक के रूप में उपयोग की जाती हैं.ब्रिटिश साम्राज्य के औपनिवेशिक शासन के दौरान हिंद-अरबी (Indo-Saracenic) और भारतीय शैली के साथ कई अन्य यूरोपीय शैलियों जैसे गोथिक के मिश्रण को विकसित होते हुए देखा गया, .विक्टोरिया मेमोरियल (Victoria Memorial) या विक्टोरिया टर्मिनस (Victoria Terminus) इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं.कमल मंदिर (Lotus Temple) और भारत की कई आधुनिक शहरी इमारतें इनमें उल्लेखनीय हैं.
द्विव्य जीवन
शान्ति के सारे प्रयास असफल हो जाने पर युद्ध आरम्भ हो गया। लक्ष्मण और मेघनाद के मध्य घोर युद्ध हुआ। शक्तिबाण के वार से लक्ष्मण मूर्क्षित हो गये। उनके उपचार के लिये हनुमान सुषेण वैद्य को ले आये और संजीवनी लाने के लिये चले गये। गुप्तचर से समाचार मिलने पर रावण ने हनुमान के कार्य में बाधा के लिये कालनेमि को भेजा जिसका हनुमान ने वध कर दिया। औषधि की पहचान न होने के कारण हनुमान पूरे पर्वत को ही उठा कर वापस चले। मार्ग में हनुमान को राक्षस होने के सन्देह में भरत ने बाण मार कर मूर्क्षित कर दिया परन्तु यथार्थ जानने पर अपने बाण पर बिठा कर वापस लंका भेज दिया। इधर औषधि आने में विलम्ब देख कर राम प्रलाप करने लगे। सही समय पर हनुमान औषधि लेकर आ गये और सुषेण के उपचार से लक्ष्मण स्वस्थ हो गये।[१६]
प्राचीन काल में एक साहुकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहुकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ हो ली। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहू का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।
प्राचीन भारत की भाँति ग्रीस की भी गणपरंपरा अत्यंत प्राचीन थीं। दोरियाई कबीलों ने ईजियन सागर के तट पर 12 वीं सदी ई. पू. में ही अपनी स्थिति बना ली। धीरे धीरे सारे ग्रीस में गणराज्यवादीं नगर खड़े हो गए। एथेंस, स्पार्ता, कोरिंथ आदि अनेक नगरराज्य दोरिया ग्रीक आवासों की कतार में खड़े हो गए। उन्होंने अपनी परंपराओं, संविधानों और आदर्शों का निर्माण किया, जनसत्तात्मक शासन के अनेक स्वरूप सामने आए। प्राप्तियों के उपलक्ष्यस्वरूप कीर्तिस्तंभ खड़े किए गए और ऐश्वर्यपूर्ण सभ्यताओं का निर्माण शुरू हो गया। परंतु उनकी गणव्यवस्थाओं में ही उनकी अवनति के बीज भी छिपे रहे। उनके ऐश्वर्य ने उनकी सभ्यता को भोगवादी बना दिया, स्पार्ता और एथेंस की लाग डाट और पारस्परिक संघर्ष प्रारंभ हो गए और वे आदर्श राज्य--रिपब्लिक--स्वयं साम्राज्यवादी होने लगे। उनमें तथाकथित स्वतंत्रता ही बच रही, राजनीतिक अधिकार अत्यंत सीमित लोगों के हाथों रहा, बहुल जनता को राजनीतिक अधिकार तो दूर, नागरिक अधिकार भी प्राप्त नहीं थे तथा सेवकों और गुलामों की व्यवस्था उन स्वतंत्र नगरराज्यों पर व्यंग्य सिद्ध होने लगी। स्वार्थ और आपसी फूट बढ़ने लगी। वे आपस में तो लड़े ही, ईरान और मकदूनियाँ के साम्राज्य भी उन पर टूट पड़े। सिकंदर के भारतीय गणराज्यों की कमर तोड़ने के पूर्व उसे पिता फिलिप ने ग्रीक गणराज्यों को समाप्त कर दिया था। साम्राज्यलिप्सा ने दोनों ही देशों के नगरराज्यों को डकार दिया।
पूर्व एशियाई मॉनसून इंडो-चीन, फिलिपींस, चीन, कोरिया एवं जापान के बड़े क्षेत्रों में प्रभाव डालता है। इसकी मुख्य प्रकृति गर्म, बरसाती ग्रीष्मकाल एवं शीत-शुष्क शीतकाल होते हैं। इसमें अधिकतर वर्षा एक पूर्व-पश्चिम में फैले निश्चित क्षेत्र में सीमित रहती है, सिवाय पूर्वी चीन के जहां वर्षा पूर्व-पूर्वोत्तर में कोरिया व जापान में होती है। मौसमी वर्षा को चीन में मेइयु, कोरिया में चांग्मा और जापान में बाई-यु कहते हैं। ग्रीष्मकालीन वर्षा का आगमन दक्षिण चीन एवं ताईवान में मई माह के आरंभ में एक मॉनसून-पूर्व वर्षा से होता है। इसके बाद मई से अगस्त पर्यन्त ग्रीष्मकालीन मॉनसून अनेक शुष्क एवं आर्द्र शृंखलाओं से उत्तरवर्ती होता जाता है। ये इंडोचाइना एवं दक्षिण चीनी सागर (मई में) से आरंभ होक्र यांग्तज़े नदी एवं जापान में (जून तक) और अन्ततः उत्तरी चीन एवं कोरिया में जुलाई तक पहुंचता है। अगस्त में मॉनसून काल का अन्त होते हुए ये दक्षिण चीन की ओर लौटता है।
दिसंबर १९२१ में गांधी जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस.का कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में कांग्रेस को स्वराज.के नाम वाले एक नए उद्देश्य के साथ संगठित किया गया। पार्दी में सदस्यता सांकेतिक शुल्क का भुगताने पर सभी के लिए खुली थी। पार्टी को किसी एक कुलीन संगठन की न बनाकर इसे राष्ट्रीय जनता की पार्टी बनाने के लिए इसके अंदर अनुशासन में सुधार लाने के लिए एक पदसोपान समिति गठित की गई। गांधी जी ने अपने अहिंसात्मक मंच को स्वदेशी नीति — में शामिल करने के लिए विस्तार किया जिसमें विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। इससे जुड़ने वाली उनकी वकालत का कहना था कि सभी भारतीय अंग्रेजों द्वारा बनाए वस्त्रों की अपेक्षा हमारे अपने लोगों द्वारा हाथ से बनाई गई खादी पहनें। गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन [५] को सहयोग देने के लिएपुरूषों और महिलाओं को प्रतिदिन खादी के लिए सूत कातने में समय बिताने के लिए कहा। यह अनुशासन और समर्पण लाने की ऐसी नीति थी जिससे अनिच्छा और महत्वाकाक्षा को दूर किया जा सके और इनके स्थान पर उस समय महिलाओं को शामिल किया जाए जब ऐसे बहुत से विचार आने लगे कि इस प्रकार की गतिविधियां महिलाओं के लिए सम्मानजनक नहीं हैं। इसके अलावा गांधी जी ने ब्रिटेन की शैक्षिक संस्थाओं तथा अदालतों का बहिष्कार और सरकारी नौकरियों को छोड़ने का तथा सरकार से प्राप्त तमगों और सम्मान (honours)को वापस लौटाने का भी अनुरोध किया।
फिजी में 322 द्वीप हैं(जिनमें से 106 बसे हुए हैं) इसके अतिरिक्त 522 क्षुद्रद्वीप हैं। द्वीप के दो सबसे महत्वपूर्ण द्वीप हैं विती लेवु और वनुआ लेवु। ये द्वीप पहाड़ी हैं, जिनमे 1300 मीटर (4250 फुट) तक की चोटियां हैं, जो उष्णकटिबंधीय वनों से आच्छादित हैं। राजधानी सुवा विती लेवू मे स्थित है और देश की लगभग तीन चौथाई आबादी का घर है। अन्य महत्वपूर्ण शहरों में शामिल हैं नाड़ी (अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा यहाँ स्थित है) , और लौतोका (एक बडी़ चीनी मिल और समुद्री-पत्तन यहाँ स्थित हैं)।
काठमाण्डु · जनकपुरधाम · वाराह क्षेत्र
पाकिस्तान की संवैधानिक भाषा अंग्रेज़ी और राष्ट्रीय भाषा उर्दू है। पंजाबी यहाँ सबसे अधिक बोली जाने वाली स्थानीय भाषा है पर इसको कोई संवैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं है।
रायपुरबा- यह भी बिहार राज्य के चम्पारण जिले में स्थित है ।
ठेठरी एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है।
1977 - जनरल ज़िया-उर-रहमान राष्ट्रपति बने. इस्लाम को सांविधानिक मान्यता दी गई.
उपन्यास
श्रीमति मीरा कुमार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से हैं। वे पंद्रहवीं लोकसभा में बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। वर्तमान मैं श्रीमति मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष है । वह लोकसभा की पहली महिला स्पीकर के रूप में 3 जून 2009 को निर्विरोध चुनी गयी।
अध्ययन-अनुसंधान की विभा के साथ वे वहाँ से प्रभूत सामग्री लेकर लौटे, जिसके कारण हिन्दी भाषा एवं साहित्य की इतिहास संबंधी कई पूर्व निर्धारित मान्यताओं एवं निष्कर्षों में परिवर्तन होना अनिवार्य हो गया। साथ ही शोध एवं अध्ययन के नए क्षितिज खुले।
जनकप्रतिज्ञा मिथिला के राजा जनक के द्वारा की गई प्रतिज्ञा थी। इस प्रतिज्ञा के अनुसार जो कोई भी शिवधनुष की प्रत्यंचा चढ़ा देता उससे राजा जनक अपनी पुत्री सीता का विवाह कर देते।
पांचरात्र शास्त्रों के अनुसार बलराम (बलभद्र) भगवान् वासुदेव के ब्यूह या स्वरूप हैं। उनका कृष्ण के अग्रज और शेष का अवतार होना ब्राह्मण धर्म को अभिमत है। जैनों के मत में उनका संबंध तीर्थकर नेमिनाथ से है। बलराम या संकर्षण का पूजन बहुत पहले से चला आ रहा था, पर इनकी सर्वप्राचीन मूर्तियाँ मथुरा और ग्वालियर के क्षेत्र से प्राप्त हुई हैं। ये शुंगकालीन हैं। कुषाणकालीन बलराम की मूर्तियों में कुछ व्यूह मूर्तियाँ अर्थात् विष्णु के समान चतुर्भुज प्रतिमाए हैं, और कुछ उनके शेष से संबंधित होने की पृष्ठभूमि पर बनाई गई हैं। ऐसी मूर्तियों में वे द्विभुज हैं और उनका मस्तक मंगलचिह्नों से शोभित सर्पफणों से अलंकृत है। बलराम का दाहिना हाथ अभयमुद्रा में उठा हुआ है और बाएँ में मदिरा का चषक है। बहुधा मूर्तियों के पीछे की ओर सर्प का आभोग दिखलाया गया है। कुषाण काल के मध्य में ही व्यूहमूर्तियों का और अवतारमूर्तियों का भेद समाप्तप्राय हो गया था, परिणामत: बलराम की ऐसी मूर्तियाँ भी बनने लगीं जिनमें नागफणाओं के साथ ही उन्हें हल मूसल से युक्त दिखलाया जाने लगा। गुप्तकाल में बलराम की मूर्तियों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। उनके द्विभुज और चतुर्भुज दोनों रूप चलते थे। कभी-कभी उनका एक ही कुंडल पहने रहना "बृहत्संहिता" से अनुमोदित था। स्वतंत्र रूप के अतिरिक्त बलराम तीर्थंकर नेमिनाथ के साथ, देवी एकानंशा के साथ, कभी दशावतारों की पंक्ति में दिखलाई पड़ते हैं।
पुराने भवन एवं किलों के अवशेष से कुछ इतिहासविदों का मानना है कि यह शहर ९ वीं सदी से अस्तित्व में है। लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह १४ वीं सदी में बसा था।
बल्यू सिटी के नाम से प्रसिद्ध जोधपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे छितर के पत्थरो से होती है, पन्द्रहवी शताब्दी का विशालकाय मेहरानगढ़ किला, पथरीली चट्टान पहाड़ी पर, मैदान से 125 मीटर ऊंचाई पर विधमान है। आठ द्वारों व अनगिनत बुजों से युक्त यह शहर दस किलोमीटर लंबी ऊंची दीवार से घिरा है।
माइकल का उनके ५३ वें जन्मदिन पर देहांत हो गया। १९८९ में अपनी पत्नी की नजरबंदी के बाद से माइकल उनसे केवल पाँच बार मिले। सू की के बच्चे आज अपनी मां से अलग ब्रिटेन में रहते हैं।
संगम के निकट स्थित यह मंदिर उत्तर भारत के मंदिरों में अद्वितीय है।
22 अप्रैल 2008 को, मालदीव के उस समय के राष्ट्रपति मॉमून अब्दुल गयूम ने विश्वीय ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती के लिए अनुरोध किया, यह चेतावनी देते हुए कि समुद्र का जल स्तर बढ़ने पर मालदीव का द्वीप राष्ट्र डूब सकता है. 2009 में, बाद के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने प्रतिज्ञा ली कि वह मालदीवज को सौर एंव पवन शक्ति से एक दशक के भीतर कार्बन निष्पक्ष बना देंगे.[१७] हाल ही में, राष्ट्रपति नशीद ने मालदीवज जैसे नीचले देशो को जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, 17 अक्टूबर 2009 को दुनिया की पहली अन्तर्जलीय कैबिनेट बैठक आयोजित की.[१८]
बादशाह अकबर (1556-1605) ने बहुत निर्माण करवाया, एवं उसके काल में इस शैली ने खूब विकास किया। गुजरात एवं अन्य शैलियों में, मिस्लिम एवं हिंदु लक्षण, उसके निर्माण में दिखाई देते हैं। अकबर ने फतेहपुर सीकरी का शाही नगर 1500 में बसाया, जो कि आगरा से 26 मील (42 कि मी) पश्चिम में है। फतेहपुर सीकरी का अत्यधिक निर्माण , उसकी कार्य शैली को सर्वाधिक दर्शाता है। वहाँ की वृहत मस्जिद, उसकी कार्य शैली को सर्वोत्तम दर्शाती है, जिसका कि कोई दूसरा जोड़ मिलना मुश्किल है। यहाँ का दक्षिण द्वार, अति प्रसिद्ध है, एवं इसका कोई जोड़ पूरे भारत में नहीं है। यह विश्व का सर्वाधिक ऊँचा द्वार है, जिसे बुलंद दरवाजा कहते हैं। मुगलों ने प्रभाचशाली मकबरे बनवाए, जिनमें अकबर के पिता हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली में, एवं अकबर का मकबरा, सिकंदरा, आगरा के पास स्थित है। यह दोनों ही अपने आप में बेजोड़ हैं।
ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन बहुत महत्वपूर्ण है.2004 में 270 लाख पर्यटकों पहुंचने के साथ, यूनाइटेड किंगडम को दुनिया में छठा प्रमुख पर्यटन स्थल क्रमित किया गया है.[१६६] लंदन काफी मार्जिन से दुनिया का सबसे का दौरा किया जाने वाला शहर है जहाँ 2006 में 156 लाख पर्यटक आए, दुसरे पद में बैंकॉक (104 लाख) औए तीसरे पदक पेरिस (97 लाख) से आगे.[१६७]
बारीसाल बांग्लादेश का एक उपक्षेत्र है इसका मुख्यालय बारीसाल है। इस उपक्षेत्र या प्रान्त में ६ जिले हैं। बरगुना, बारीसाल, भोला, झालोकटी, पतुआखाली, पीरोजपुर
साँचा:अक्तूबर कैलंडर२०११ 27 अक्तूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 300वॉ (लीप वर्ष मे 301 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 65 दिन बाकी है।
५. निग्लीवा- नेपाल के तराई में है ।
गाजियाबाद हवाई, रेल और सड़क के द्वारा पहुंचा जा सकता है। सबसे पास का हवाई अड्डा, जो यहाँ से लगभग 45 किलोमीटर है इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। सड़क मार्ग से गाजियाबाद चारों तरफ से दिल्ली , नोएडा, हापुड़, मेरठ, सहारनपुर, हरिद्वार, आदि से जुडा़ है। गाजियाबाद से बड़ी संख्या में लोग हर रोज काम के लिए दिल्ली जाते हैं। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) भी एएलटीटीसी से आईटीओ, दिल्ली के लिये बसें चलाता है। यह बस सेवा, गाजियाबाद से हर पन्द्रह मिनट चलती है। एक और डीटीसी बस सेवा प्रताप विहार से शिवाजी स्टेडियम (कनॉट प्लेस), नई दिल्ली के लिए चलती है। गाजियाबाद रेलवे लाइन के माध्यम से भी देश के सभी भागों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह एक रेलवे जंक्शन है और कई लाइनें है गाजियाबाद से गुजरती हैं। मुख्य रेलवे स्टेशन शहर के बीच में स्थित है।
श्री माधवाचार्य ने `पंच भेद` का अध्ययन किया जो `अत्यन्त भेद दर्शनम्´ भी कहा जाता है। उसकी पांच विशेशतायें हैं :
भक्ति से तात्पर्य: रामानुज के अनुसार भक्ति का अर्थ पूजा-पाठ या किर्तन-भजन नहीं बल्कि ध्यान करना या ईश्वर की प्रार्थना करना है। सामाजिक परिप्रेक्ष्य से रामानुजाचार्य ने भक्ति को जाति एवं वर्ग से पृथक तथा सभी के लिए संभव माना है।
मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया का दूसरा बड़ा और दूसरा पुराना शहर है। यह ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य की राजधानी है। इस शहर को २५ जून १८५० मे बसाया गया था। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। कला और संस्कृति का केंद्र मेलबर्न पोर्ट फिलिप खाड़ी के पास स्थित है। प्राय: इस शहर को ऑस्ट्रेलिया की खेल और सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। मेलबर्न की स्थापना 1835 में हुई थी। बाद में कई सालों तक यह ऑस्ट्रेलिया का प्रमुख शहर बना रहा। 1901 से 1927 तक मेलबर्न यहां की राजधानी भी रहा। अपनी वैश्िवक अपील के कारण यह पर्यटकों को भी पसंद आता है। यहां के प्रमुख पर्यटक स्थलों की बात की जाए तो इन जगहों का सबसे पहले आता है:
वैष्णव मन्दिरों की सूची
चोपता गोपेश्वर-ऊखीमठ मार्ग से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गढ़वाल क्षेत्र में स्थित चोपता यहां के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। यहाँ तुंगनाथ का प्राचीन मन्दिर है।
8. राज्य की पृथक दंड संहिता तथा दंड प्रक्रिया संहिता है
कोलकाता विश्वविद्यालय भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक विश्वविद्यालय है ।
DVD ऑप्टिकल डिस्क के यांत्रिक, भौतिक और ऑप्टिकल विशेषताओं के कुछ विनिर्देशों को ISO वेबसाइट से मुफ्त उपलब्ध मानक के रूप में डाउनलोड किया जा सकता है. [७] इसके अलावा, DVD + RW एलायंस, टक्कर के DVD विनिर्देशों को प्रकाशित करता है, जैसे DVD+R, DVD+R DL, DVD+RW या DVD+RW DL. ये DVD फ़ॉर्मेट भी ISO मानक हैं.[८][९][१०][११]
पन्द्रह अप्रेल 1949 को मत्स्य संध का विलय ग्रेटर राजस्थान में करने की औपचारिकता भी भारत सरकार ने निभा दी। भारत सरकार ने 18 मार्च 1948 को जब मत्स्य संघ बनाया था तभी विलय पत्र में लिख दिया गया था कि बाद में इस संघ का राजस्थान में विलय कर दिया जाएगा। इस कारण भी यह चरण औपचारिकता मात्र माना गया।
शहर के प्रमुख अंग्रेज़ी समाचार-पत्रों में द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, द पाइनियर एवं इंडियन एक्स्प्रेस हैं। इनके अलावा भी बहुत से समाचार दैनिक अंग्रेज़ी, हिन्दी एवं उर्दू भाषाओं में शहर से प्रकाशित होते हैं। हिन्दी समाचार पत्रों में स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण, अमर उजाला, दैनिक हिन्दुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, जनसत्ता एवं आई नेक्स्ट हैं। प्रमुख उर्दू समाचार दैनिकों में जायज़ा दैनिक, राष्ट्रीय सहारा, सहाफ़त, क़ौमी खबरें एवं आग हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्घ है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं में उलझकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है और उसके पश्चात जीवन के समरांगण से पलायन करने का मन बना लेता है उसी प्रकार अर्जुन जो महाभारत का महानायक है अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकर जीवन और क्षत्रिय धर्म से निराश हो गया है, अर्जुन की तरह ही हम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति में या तो हताश हो जाते हैं और या फिर अपनी समस्याओं से उद्विग्न होकर कर्तव्य विमुख हो जाते हैं। भारत वर्ष के ऋषियों ने गहन विचार के पश्चात जिस ज्ञान को आत्मसात किया उसे उन्होंने वेदों का नाम दिया। इन्हीं वेदों का अंतिम भाग उपनिषद कहलाता है। मानव जीवन की विशेषता मानव को प्राप्त बौद्धिक शक्ति है और उपनिषदों में निहित ज्ञान मानव की बौद्धिकता की उच्चतम अवस्था तो है ही, अपितु बुद्धि की सीमाओं के परे मनुष्य क्या अनुभव कर सकता है उसकी एक झलक भी दिखा देता है। उसी औपनिषदीय ज्ञान को महर्षि वेदव्यास ने सामान्य जनों के लिए गीता में संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया है। वेदव्यास की महानता ही है, जो कि ११ उपनिषदों के ज्ञान को एक पुस्तक में बाँध सके और मानवता को एक आसान युक्ति से परमात्म ज्ञान का दर्शन करा सके।
प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में २२ मील दूर नदिया जिले में गंगा नदी के किनारे 'प्लासी' नामक स्थान में हुआ था. इस युद्ध में एक ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना थी तो दूसरी ओर थी बंगाल के नवाब की सेना. कंपनी की सेना ने रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में नबाव सिराज़ुद्दौला को हरा दिया था.किंतु इस युद्ध को कम्पनी की जीत नही मान सकते कयोंकि युद्ध से पूर्व ही नवाब के तीन सेनानायक, उसके दरबारी, तथा राज्य के अमीर सेठ जगत सेठ आदि से कलाइव ने षडंयत्र कर लिया था। नवाब की तो पूरी सेना ने युद्ध मे भाग भी नही लिया था युद्ध के फ़ौरन बाद मीर जाफर के पुत्र मीरन ने नवाब की हत्या कर दी थी। युद्ध को भारत के लिए बहुत दुर्भाग्य् पूर्ण माना जाता है इस युद्ध से ही भारत की दासता की कहानी शुरू होती है|
उस समय भगत सिंह करीब १२ वर्ष के थे जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से १२ मील पैदल चलकर जलियांवाला बाग पहुंच गए। इस उम्र में भगत सिंह अपने चाचाओं की क्रांतिकारी किताबे पढ़ कर सोचते थे कि इनका रास्ता सही है कि नहीं ? गांधीजी के असहयोग आन्दोलन छिड़ने के बाद वे गांधीजी के तरीकों और हिंसक आन्दोलन में से अपने लिए रास्ता चुनने लगे । गांधीजी के असहयोग आन्दोलन को रद्द कर देने कि वजह से उनमे एक रोश् ने जन्म लिया और अंततः उन्होंने 'इंकलाब और देश कि स्वतन्त्रता के लिए हिंसा' को अपनाना अनुचित नहीं समझा । उन्होंने कई जुलूसों में भाग लेना शुरु किया तथा कई क्रांतिकारी दलों के सदस्य बने । बाद मे वो अपने दल के प्रमुख क्रान्तिकारियो के प्रतिनिधि बने। उनके दल मे प्रमुख क्रन्तिकारियो मे आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यदि थे।
बेलगाछिया कोलकाता का एक क्षेत्र है।
१९ . पिकार्दिए
उर्दू का मूल आधार तो खड़ीबोली ही है किंतु दूसरे क्षेत्रों की बोलियों का प्रभाव भी उसपर पड़ता रहा। ऐसा होना ही चाहिए था, क्योंकि आरंभ में इसको बोलनेवाली या तो बाजार की जनता थी अथवा वे सुफी-फकीर थे जो देश के विभिन्न भागों में घूम-घूमकर अपने विचारों का प्रचार करते थे। इसी कारण इस भाषा के लिए कई नामों का प्रयोग हुआ है। अमीर खुसरो ने उसको "हिंदी", "हिंदवी" अथवा "ज़बाने देहलवी" कहा था; दक्षिण में पहुँची तो "दकिनी" या "दक्खिनी" कहलाई, गुजरात में "गुजरी" (गुजराती उर्दू) कही गई; दक्षिण के कुछ लेखकों ने उसे "ज़बाने-अहले-हिंदुस्तान" (उत्तरी भारत के लोगों की भाषा) भी कहा। जब कविता और विशेषतया गजल के लिए इस भाषा का प्रयोग होने लगा तो इसे "रेख्ता" (मिली-जुली बोली) कहा गया। बाद में इसी को "ज़बाने उर्दू", "उर्दू-ए-मुअल्ला" या केवल "उर्दू" कहा जाने लगा। यूरोपीय लेखकों ने इसे साधारणत: "हिंदुस्तानी" कहा है और कुछ अंग्रेज लेखकों ने इसको "मूस" के नाम से भी संबोधित किया है। इन कई नामों से इस भाषा के ऐतिहासिक विकास पर भी प्रकार पड़ता है।
कोरिया के तीन साम्राज्य (गोगुरियो, सिला, और बैक्जे) ने साझा काल के दौरान प्रायद्वीप और मंचूरिया के हिस्सों पर प्रभाव जमाया. आर्थिक और सैन्य, दोनों ही रूप से उन्होंने एक दूसरे से होड़ ली.
Թող միշտ պանծա Հայաստան։
श्री रामचन्द्र शुक्ल
एक्सचेंज ट्रेडिड फंड का आरंभ १९९० के दशक के प्रारम्भिक दौर में हुआ था। इसे पहली बार टोरंटो स्टॉक एक्सचेंज में प्रतुत किया गया था, और इसी दशाक में अमेरिका और अन्य बाजारों में इसे आरंभ किया गया।[१] भारत में इसकी स्थापना काफ़ी बाद में २००० के दशक के उत्तरार्ध में हुई थी। २००७ में पहले गोल्ड ईटीएफ की स्थापना हुई और उसके बाद यूटीआई, कोटक और प्रूडेंशियल और रिलायंस ने गोल्ड ईटीएफ को बाजार में निकाले।
पश्चिमी दवा में, कभी-कभी मरीजों को शाकाहारी भोजन का पालन करने की सलाह दी जाती है.[८९] रुमेटी गठिया के लिए एक इलाज के रूप में शाकाहारी आहार का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह कारगर है या नहीं, इसके प्रमाण अनिर्णायक हैं.[९०] डॉ.डीन ओर्निश, एमडी, ने यूसीएसएफ (UCSF) में अनेक अच्छी तरह से नियंत्रित अध्ययन किये, जिसने कम वसा वाले शाकाहारी भोजन सहित जीवन शैली में हस्तक्षेप के जरिये कोरोनरी धमनी रोग को वास्तव में ठीक कर दिया. आयुर्वेद और सिद्ध जैसी कुछ वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में शाकाहारी भोजन की सलाह देती हैं.[nb २]
वे कभी कहते हैं-
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बाँधवगढ़ की पहाड़ी पर 2 हजार वर्ष पुराना किला बना है।
इस की केन्द्रीय स्थिति को देखते हुए, अकबर ने इसे अपनी राजधानी बनाना निश्चित किया, व सन 1558 में यहां आया। उसके इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा है, कि यह किला एक ईंटों का किला था, जिसका नाम बादलगढ़ था। यह तब खस्ता हालत में था, व अकबर को इसि दोबारा बनवाना पड़ा, जो कि उसने लाल बलुआ पत्थर से निर्मण करवाया। इसकी नींव बड़े वास्तुकारों ने रखी। इसे अंदर से ईंटों से बनवाया गया, व बाहरी आवरण हेतु लाल बलुआ पत्तह्र लगवाया गया। इसके निर्माण में चौदह लाख चवालीस हजार कारीगर व मजदूरों ने आठ वर्षों तक मेहनत की, तब सन 1573 में यह बन कर तैयार हुआ।
" मृतकों, अनाथ तथा बेघरों के लिए इससे क्या फर्क पड़ता है कि स्वतंत्रता और लोकतंत्र के पवित्र नाम के नीचे संपूर्णवाद का पागल विनाश छिपा है।
विषय की गम्भीरता तथा विवेचन की विशदता के कारण १३ उपनिषद् विशेष मान्य तथा प्राचीन माने जाते हैं। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने १० पर अपना भाष्य दिया है- (१) ईश, (२) ऐतरेय (३) कठ (४) केन (५) छांदोग्य (६) प्रश्न (७) तैत्तिरीय (८) बृहदारण्यक (९) मांडूक्य और (१०) मुंडक। उन्होने निम्न तीन को प्रमाण कोटि में रखा है- (१) श्वेताश्वतर (२) कौषीतकि तथा (३) मैत्रायणी।
अशोक के उत्तराधिकारी- जैन, बौद्ध तथा ब्राह्मण ग्रन्थों में अशोक के उत्तराधिकारियों के शासन के बारे में परस्पर विरोधी विचार पाये जाते हैं । पुराणों में अशोक के बाद ९ या १० शासकों की चर्चा है, जबकि दिव्यादान के अनुसार ६ शासकों ने असोक के बाद शासन किया । अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य पश्चिमी और पूर्वी भाग में बँट गया । पश्चिमी भाग पर कुणाल शासन करता था, जबकि पूर्वी भाग पर सम्प्रति का शासन था लेकिन १८० ई. पू. तक पश्चिमी भाग पर बैक्ट्रिया यूनानी का पूर्ण अधिकार हो गया था । पूर्वी भाग पर दशरथ का राज्य था । वह मौर्य वंश का अन्तिम शासक है ।
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