बुधवार, 8 मई 2013

जल जल प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया का कच्चा माल है। स्थलीय पौधे इसे मिट्टी से जड़ के मूलरोमों द्वारा अवशोषित करते हैं। जलीय पौधे अपने जल के सम्पर्क वाले भागों की बाह्य सतह से जल का अवशोषण करते हैं। ऑर्किड जैसे उपररोही पौधे अपने वायवीय मूलों द्वारा वायुमंडलीय जलवाष्प को ग्रहण करते हैं। प्रकाश-संश्लेषण के प्रकाशीय अभिक्रिया में जल के प्रकाशीय विघटन से ऑक्सीजन उत्पन्न होता है। यही ऑक्सीजन उपपदार्थ के रूप में वातावरण में मुक्त होता है। अधेरी अभिक्रिया में बनने वाली ग्लूकोज के अणुओं में हाइड्रोजन तत्व के अणु जल से ही प्राप्त होते हैं। प्रकाश-संश्लेषण के समय जल अप्रत्यक्ष रूप से भी कई कार्य करता है। यह जीवद्रव्य की क्रियाशीलता तथा इनजाइम की सक्रियता को बनाए रखता है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में आज भी नेताजी को देखने और मिलने का दावा करने वाले लोगों की कमी नहीं है। फैजाबाद के गुमनामी बाबा से लेकर छत्तीसगढ़ के रायगढ़ तक में नेताजी के होने को लेकर कई दावे हुये हैं लेकिन इनमें से सभी की प्रामाणिकता संदिग्ध है। छत्तीसगढ़ में तो सुभाष चंद्र बोस के होने को लेकर मामला राज्य सरकार तक गया। हालांकि राज्य सरकार ने इसे हस्तक्षेप योग्य नहीं मानते हुये मामले की फाइल बंद कर दी।
रायपुरबा- यह भी बिहार राज्य के चम्पारण जिले में स्थित है ।
1. छत्तीसगढ़ी भाषा, वह भाषा जो भारत के छत्तीसगढ़ प्रांत और उसके आसपास बोली जाती है।
४ आ गए पंछी!
भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोलकाता के अलावा पांच अन्य स्थानों में स्थित है। यह प्रबंधन शिक्षा का उच्च श्रेणी का संस्थान है। इन्हें सम्मिलित रूप से भारतीय प्रबंधन संस्थान कहा जाता है।
केप्लेरियन प्रकाशिकी का प्रयोग करते हुए एक बेहतर छवि और उच्च आवर्धन प्राप्त किया जा सकता है, इसमें ऑब्जेक्टिव लेंस से प्राप्त छवि को धनात्मक आईपीस लेंस (दृष्टि सम्बन्धी) से देखा जाता है. इस विन्यास का एक नुकसान यह है कि प्राप्त छवि उलटी होती है. इन कमियों को दूर करने के कई तरीके हैं.
बेल्जियम पहला यूरोपीय महाद्वीपीय देश था, जो 1800 की शुरूआत में औद्योगिक क्रांति से गुज़रा.[५८]लीग और चारलेरोई ने तेज़ी से खनन और इस्पात निर्माण का विकास किया, सिलॉन इंडस्ट्रियल, जो 20वीं शताब्दी के मध्य तक संबर मेयुस घाटी में फला-फूला, और 1830 से 1910 के बीच बेल्जियम को विश्व के शीर्ष तीन सबसे औद्योगीकृत देशों में खड़ा कर दिया.[५९] हालांकि, 1840 के दशक तक फ्लेनडर्स का वस्त्र उद्योग गंभीर संकट में था और 1846-50 में यह क्षेत्र अकाल से गुज़रा.
भगीरथ अयोध्या के राजा। इनके परिश्रम से गंगा पृथिवी पर आई।
उनके पिता फ्रेंक हेंडरिक एक जर्मन इंटीरीयर डिज़ाइनर है। उनकी मां दीपा मिर्जा बंगाली है। जब दीआ मिरज़ा का उम्र सिर्फ ६ साल का था तब उन के माता पिता अलग हो गए। ९ साल दी उमर विच्च उन्हां दे पिता फरेंक हेंडरिक दा देहांत हो गिआ। उन्हां दी मां ने दुबारा अहमद मिरज़ा नाल विआह् करवा लिआ। अहमद मिरज़ा दा नां दीआ मिरज़ा ने आपने नां नाल जोऱिआ। अहमद मिरज़ा वी सन् २००४ विच्च चलाना कर गए। हालांकि दीआ दा रहिण सहिण इक्क मुसलिम परिवार विच्च होइआ पर उह आपणे आप नूं मुसलिम नहीं मन्नदीं अते उह भगवान् गनेश विच्च विशवास करदीं हन। बचपन विच्च उह खैरताबाद, हैदराबाद विच्च सथित करिशनामूरती दीआं सिक्खिआवां ते आधारित सकूल “विद्दिआरानिआ हाई सकूल फार बोइज़ ऐंड् गरलज़” जांदी सन। बाद विच्च उह “नसर सकूल”, कुशनुमा जाण लग्गीं।
अनु 130 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली मे होगा पर्ंतु यह भारत मे और कही भी मुख्य न्यायाधीश् के निर्णय के अनुसार राष्ट्रपति की स्वीकृति से सुनवाई कर सकेगा
पद्म विभूषण सम्मान भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला एक वार्षिक सम्मान है, जो देश के लिये असैनिक क्षेत्रों में बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है।अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों में पद्म भूषण, पद्मश्री और भारत रत्न का नाम लिया जा सकता है ।
१) ब्रह्माण्ड शब्द जहाँ पूर्ण विश्वास के साथ ब्रह्माण्ड की प्रत्येक इकाई में जीवन को सिद्ध करता है, वहीं यूनवर्स शब्द सम्पूर्ण यूनवर्स में जीवन व्याप्त है इस विषय पर अति तुक्ष सोच रखता है।
पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं |
मुंबई का उपनगर पवई
अफ़्रीकी कला और वास्तुकला अफ़्रीकी संस्कृतियों की विविधता प्रतिबिंबित करते हैं। इसके सबसे पुराने उदाहरण, नासारियस सीपियों से बने ८२,०००-वर्ष-पुरानी मनके (माला के दाने) हैं जो आज भी देखे जा सकते हैं। मिस्र में गीज़ा का पिरामिड ४,००० वर्षों तक, वर्ष १३०० के आसपास लिंकन चर्च के पूरा होने तक, विश्व का सबसे ऊँचा मानव निर्मित ढाँचा था। बड़े ज़िम्बाब्वे के पत्थरों के खंडहर अपनी वास्तुकला के लिए, और लालीबेला, इथोपिया के एकल-शिला-निर्मित चर्च, अपनी जटिलता के लिए आज भी सबका ध्यान आकर्षित करते हैं। मिस्र लंबे अरसे तक अरब दुनिया के लिए संस्कृति का केन्द्र बिंदु रहा है, जबकि उप-सहारा अफ़्रीका, विशेषकर पश्चिम अफ़्रीका के संगीत की लोकप्रियता अपनी दमदार ताल के कारण, अंध महासागर (एटलांटिक) से होने वाले गुलामों के व्यापार के माध्यम से आधुनिक साम्बा, ब्ल्यूज़, जॉज़, रेगे, रैप, और रॉक एंड रोल तक पहुँच गई। १९५० के दशक से १९७० के दशक ने एफ़्रोबीट और हाईलाइफ़ संगीत और इसकी विभिन्न शैलियों के अनेक रूपों को लोकप्रिय होते देखा। इस महाद्वीप के आधुनिक संगीत में दक्षिणी अफ़्रीका के अति कठिन समझे जानेवाले समूह-गान, कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य का संगीत और सौकौस संगीत शैली के नृत्य ताल सम्मिलित हैं। अफ़्रीका की देसी संगीत और नृत्य परंपराएँ वाचिक-परंपराओं द्वारा विकसित हुई हैं। ये उत्तरी अफ़्रीका और दक्षिणी अफ़्रीका की संगीत और नृत्य शैलियों से भिन्न हैं। उत्तरी अफ़्रीकी संगीत और नृत्य पर अरबी प्रभाव दिखाई पड़ते हैं और, दक्षिणी अफ़्रीका में, उपनिवेशीकरण के कारण पश्चिमी प्रभाव।
इसके अतिरिक्त हिन्दी में कुछ देशज शब्द भी प्रयुक्त होते हैं। देशज का अर्थ है - 'जो देश में ही उपजा या बना हो' । जो न तो विदेशी हो और न किसी दूसरी भाषा के शब्द से बना है। ऐसा शब्द जो न संस्कृत हो, न संस्कृत का अपभ्रंश हो और न किसी दूसरी भाषा के शब्द से बना हो, बल्कि किसी प्रदेश के लोगों ने बोल-चाल में जों ही बना लिया हो। जैसे- खटिया, लुटिया
1487- middle 16th century  Ouadane
आंध्र प्रदेश भारत के सबसे अधिक सिनेमा हॉल वाला राज्य है, जहां लगभग 2700[उद्धरण वांछित] सिनेमा-घर हैं. राज्य द्वारा एक वर्ष में लगभग 200[उद्धरण वांछित] फिल्मों का निर्माण किया जाता है. भारत के डोलबी डिजिटल थियेटरों में लगभग 40% (930 में 330) यहां स्थित हैं. [३१]अब यहां एक बड़े 3D स्क्रीन के साथ IMax थियेटर और 3-5 मल्टीप्लेक्स भी हैं. टॉलीवुड, भारत में सबसे अधिक संख्या में फिल्मों का निर्माण करता है. टॉलीवुड का अपूर्व सितारा है एन.टी.आर.उन्होंने अपनी पार्टी के गठन के 9 महीनों में मुख्यमंत्री बन कर इतिहास रचा, जो कि एक विश्व रिकार्ड भी है और इसे और कोई हासिल नहीं कर पाया है.
16th century
या ना करे जब इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा तो वह सदैव इसे स्वीकृति दे देगाफायनेसियल बिल वह विधेयक जो एक या अधिक मनीबिल प्रावधानॉ से पृथक हो तथा गैर मनी मामलॉ से भी संबधित हो एक फाइनेंस विधेयक मे धन प्रावधानॉ के साथ साथ सामान्य विधायन से जुडे मामले भी होते है इस प्रकार के विधेयक को पारित करने की शक्ति दोनो सदनॉ मे समान होती
Following the Treaty of Guadalupe Hidalgo that ended the war, the region was divided between Mexico and the United States; the western territory of Alta California, was to become the U.S. state of California, and the Arizona, Nevada, Colorado and Utah Territories, while the lower region of California, Baja California, remained in the possession of Mexico.
की शोभा, की छाया गो,
यह संयुक्त राज्य अमेरिका पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी (United States Environmental Protection Agency) ( EPA )ने १ जनवरी १९७० को मानवीय स्वस्थ्य को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए एक मानक स्थापित किया है कैसरजन city दिए गए रसायन मानक (carcinogen)में से एक है इस वर्गीकरण के अलावा अज्ञात निर्धारित स्तर से लेकर गैर कैसरजन ,से कैसरजन करने के लिए जाना जाता हैकुछ वैज्ञानिकों ने कहा है कि जो ध्ययान का संकेत ये स्टार करते हैं वे बहुत दूर हैं और लोगों की प्रकटता कम होनी चाहिए 1999 में संयुक्त राज्य अमेरिका के EPA ने प्रदूषण के मानक सूचकांक ( PSI ) के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) ( AQI ) PM2.5 और ओजोन .को शामिल करने के लिए नए मानकों को शामिल किया है
सोमनाथ का बारह ज्योतिर्लिगों में सबसे प्रमुख स्थान है। सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। मंदिर प्रांगण में रात साढे सात से साढे आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बडा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है। लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ गया। ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिन्ह को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था। तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बडा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।
The fruits of Palmyra Palm tree, Borassus flabellifer (locally called Thaati Munjelu) sold in a market at Guntur, India.
पूर्वरूप- किसी रोग के व्यक्त होने के पूर्व शरीर के भीतर हुई अत्यल्प या आरंभिक विकृति के कारण जो लक्षण उत्पन्न होकर किसी रोगविशेष की उत्पत्ति की संभावना प्रकट करते हैं उन्हें पूर्वरूप (प्रोडामेटा) कहते हैं।
2. यह कार्यपालिका विधायिका को उनके संवैधानिक कर्तव्य करने के लिये बाधित करती है ,साथ ही यह भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की सुनिशिचतता करती हैआलोचनाएं 1. ये सामान्य न्यायिक संचालन मे बाधा डालती है
सन्बोन्
फ्लोरिडा कीस, जहां उष्णकटिबंधीय जलवायु के साथ तापमान बहुत कम परिवर्तनशील है क्योंकि ये चारों ओर पानी से घिरा हुआ है.की वेस्ट (पश्चिम) में, तापमान शायद ही कभी गर्मियों में अधिक और सर्दियों में कम हुआ हो और न ही कभी किसी तुषारापात की सूचना है.
श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा कई प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
आपश्री के सुप्रवचनों से सुसज्ज पुस्तक ‘महक मुसाफ़िर’ को भोपाल का एक मौलवी (मुसलमान धर्मगुरू) पढ़कर इतना प्रभावित हुआ कि उसने स्वयं इस पुस्तक का उर्दू में अनुवाद किया तथा मुस्लिम समाज के लिए प्रकाशित करवाया |
When Operation Vijay ended Portuguese colonial rule, Panaji was incorporated into India with the rest of Goa and the former Portuguese colonies, in 1961. जब ऑपरेशन विजय पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन समाप्त हो गया, पणजी भारत में गोवा के आराम और पूर्व पुर्तगाली कालोनियों के साथ, 1961 में शामिल किया गया. Panaji became a state-capital on Goa's elevation to statehood in 1987. पणजी एक राज्य की राजधानी गोवा की ऊंचाई पर राज्य करने के लिए 1987 में बना. Between 1961 and 1987, it was the capital of the Union Territory of Goa, Daman and Diu. 1961 और 1987 के बीच, यह केंद्र शासित प्रदेश गोवा, दमन और दीव की राजधानी थी. A new Legislative Assembly complex was inaugurated in March 2000, across the Mandovi river, in Alto Porvorim. एक नई विधानसभा परिसर में मार्च 2000 में, Mandovi नदी के पार, Alto Porvorim में का उद्घाटन किया गया. Panaji is also the administrative headquarters of North Goa district. पणजी भी उत्तरी गोवा जिले के प्रशासनिक मुख्यालय है.
इस संस्कार के लिए सामान्य व्यवस्था के साथ नीचे लिखे अनुसार विशेष तैयारी पर ध्यान दिया जाना चाहिए ।
दंडी ने इस बात को स्पष्ट करते हुए आगे कहा है कि काव्य में आभीर आदि बोलियों को अपभ्रंश नाम से स्मरण किया जाता है; इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अपभ्रंश नाम उसी भाषा के लिए रूढ़ हुआ जिसके शब्द संस्कृतेतर थे और साथ ही जिसका व्याकरण भी मुख्यतः आभीरादि लोक बोलियों पर आधारित था। इसी अर्थ में अपभ्रंश पालि-प्राकृत आदि से विशेष भिन्न थी।
सन १९०२ में नार्थ वेस्ट प्रोविन्स का नाम बदल कर यूनाइटिड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे यूपी कहा गया। सन १९२० में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से लखनऊ कर दिया गया। प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक् न्यायपीठ स्थापित की गयी।
एशिले विक्टर एमिल डॉब्रेस द्वारा 1870 में दी गयी डिज़ाइन के परिणामस्वरुप रुफ़ प्रिज़्म आधारित दूरबीनें आयीं.[२][३] अधिकांश रुफ़ प्रिज़्म आधारित दूरबीनें या तो एब्बे-कोनिग प्रिज़्म (एर्न्स्ट कार्ल एब्बे तथा अल्बर्ट कोनिग के नाम पर तथा कार्ल ज़िअस द्वारा 1905 में पेटेंट कराया गया) अथवा श्मिट-पेचन प्रिज़्म (1899 में अविष्कार हुआ) का प्रयोग छवि को सीधा करने तथा प्रकाश पथ को छोटा करने के लिए प्रयोग करती हैं. इनमें ऐसे ऑब्जेक्टिव लेंस होते हैं जो आईपीस की लगभग सीध में होते हैं.
चन्द्रगुप्त मौर्य ने शासन संचालन को सुचारु रूप से चलाने के लिए चार प्रान्तों में विभाजित कर दिया था जिन्हें चक्र कहा जाता था । इन प्रान्तों का शासन सम्राट के प्रतिनिधि द्वारा संचालित होता था । सम्राट अशोक के काल में प्रान्तों की संख्या पाँच हो गई थी । ये प्रान्त थे-
सेल्सियस तापमान मापने का एक पैमाना है ।
ॐ स्योना पृथिवी नो, भवानृक्षरा निवेशनी । यच्छा नः शर्म सप्रथाः । अप नः शोशुचदघम् । - ३५.२१
ठेकुआ या खमौनी एक बिहारी व्यंजन है।
प्रश्नों के कुछ विकल्प इस प्रकार हैं:
2 ADP
आरंभिक क्रम में कोशनिर्माण की प्रेरणात्मक चेतना का बहुत कुछ सामान्य रुप भारत और पश्चिम में मिलता जुलता था । भारत का वैदिक निघंटु विरल और क्लिष्ट शब्दों के अर्थ और पर्यायों का संक्षिप्त संग्रह था । योरप में भी ग्लासेरिया से जिस कोशविद्या का आरंभिक बीजवपन हुआ था, उसके मूल में भई विरल और क्लिष्ट शब्दों का पर्याय द्वारा अर्थबोध कराना ही उद्देश्य था । लातिन की उक्त शब्दार्थसूची से शनैः शनैः पश्चिम की आधुनिक कोशविद्या के वैकासिक सोपान आविर्भूत हुए । भारत और पश्चिम दोनों ही स्थानों में शब्दों के सकलन में वर्गपद्धति का कोई न कोई रुप मिल जाता है । पर आगे चलकर नव्य कोशों का पूर्वोंक्त प्राचीन और मध्यकालीन कोशों से जो सर्वप्रथम और प्रमुखतम भेदक वैशिष्टय प्रकट हुआ वह था वर्णमालाक्रमानुसारी शब्दयोजना की पद्धति ।
अब तो अंतरिक्ष पर्यटन प्रारम्भ हो गया है जो उन्न्त तकनीको के साथ पूर्णतया परिवहन व्यवस्था पर ही निर्भर हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के डेनिस टीटो सर्वप्रथम अंतरिक्ष पर्यटक बने। उन्होने २८ अप्रैल २००६ से ०६ मई २००६ के बीच अंतरिक्ष में रहकर यह कीर्तिमान स्थापित किया।
निस्संदेह चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल ब्राह्मण धर्म का चरमोत्कर्ष का काल रहा था ।
यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं। बाघों का गढ़ बांधवगढ 448 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। शहडोल जिले में स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान में एक मुख्य पहाड़ है जो बाँधवगढ़ कहलाता है। 811 मीटर ऊँचे इस पहाड़ के पास छोटी-छोटी पहाड़ियाँ हैं। पार्क में साल और बंबू के वृक्ष प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं। बाँधवगढ़ से सबसे नजदीक विमानतल जबलपुर में है जो 164 किलोमीटर की दूरी पर है। रेल मार्ग से भी बाँधवगढ़ जबलपुर, कटनी और सतना से जुड़ा है। खजुराहो से बाँधवगढ़ के बीच 237 किलोमीटर की दूरी है। दोनों स्थानों के बीच केन नदी के कुछ हिस्सों को क्रोकोडाइल रिजर्व घोषित किया गया है।
परिवहन उस विधि या व्यवस्था को कह्ते हैं जो कि व्यक्ति, वस्तुओं और सन्देश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते हैं ।
गुप्तों के अभ्युदय के पूर्व मगध की सत्ता के पतन के बीच का काल जनपद के ऐतिहासिक घटनाओं के विषय में अंध-युग की भांति है। ऐसा प्रतीत होता है कि कुषाणों ने इस क्षेत्र पर शासन स्थापित करने में सफलता प्राप्त की थी। कुषाणों के उपरांत यह क्षेत्र गुप्तों की अधीनता में चला गया। चैथी षताब्दी ई. के प्रारम्भ में जनपद का अधिकांष क्षेत्र चन्द्रगुप्त प्रथम के राज्य में सम्मिलित था, जिसने लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करके अपनी षक्ति एवं सीमा का अभूतपूर्व विस्तार किया। चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के शासन काल में इस जनपद का क्षेत्र श्रावस्ती मुक्ति में सम्मिलित था। चीनी यात्री फाहियान (400-411 ई.) अपनी तीर्थ यात्राओं के क्रम में कपिलवस्तु एवं रामग्राम भी आया था। उसने आस-पास के वनों एवं खण्डहरों का उल्लेख किया है।
रात और प्रभात जप और ध्यान में | और दिन में आसुमल मिलते दुकान में ||
अक्षांश - 27-6 से 28.6 उत्तर
चांग (1993)द्वारा एक अर्द्ध तिब्बती योगा के लोकप्रिय खाते ने कन्दली (तिब.तुम्मो )अपने शरीर में गर्मी का उत्पादन का उल्लेख करते हुए कहते है की "यह संपूर्ण तिब्बती योगा का बुनियाद है".[६२]चांग यह भी दावा करते है कि तिब्बती योगा प्राना और मन को सुलह करता है,और उसे तंत्रिस्म के सैद्धांतिक निहितार्थ से संबंधित करते है.
गभस्तिनेमिः सत्त्वस्थः सिम्हो भूतमहेश्वरः ।
• हृषिकेश मुखर्जी
एस. टी. डी (STD) कोड - ०५८३२
निदेशालय का एक भाग कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (तकनीकी) 1985 में बनाया गया और तब से यह किंग्‍सवे कैम्‍प, दिल्‍ली से कार्य करता है। संस्‍थान द्वारा आकाशवाणी और दूरदर्शन के अभियांत्रिकी कर्मचारियों के लिए तकनीशियन से लेकर अधीक्षण अभियंता तक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का आयोजन करता है। यह विभागीय अर्हकारी और प्रतिस्‍पर्द्धा परीक्षाओं का आयोजन भी करता है। भुवनेश्‍वर में एक क्षेत्रीय कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (तकनीकी) है। सीबीएस केन्‍द्र और विविध भारती
यदि 360° को 27 से विभाजित किया जाए तो एक नक्षत्र 13°20'(तेरह डिग्री बीस मिनट) का होता है, अर्थात एक राशी मे सवा-दो(2.25) नक्षत्र होते है |
एक पाल्य समय की इकाई है, यह बराबर होती है, भेड़ की ऊन का एक योजन ऊंचा घन बनाने में लगा समय, यदि प्रत्येक सूत्र एक शताब्दी में चढ़ाया गया हो। इसकी दूसरी परिभाषा अनुसार, एक छोटी चिड़िया द्वारा किसी एक वर्ग मील के सूक्ष्म रेशों से भरे कुंए को रिक्त करने में लगा समय, यदि वह प्रत्येक रेशे को प्रति सौ वर्ष में उठाती है।
वृक्षीय किंगफिशर को पहले डेसिलोनिडी का पारिवारिक नाम दिया गया था लेकिन फिर हेल्सियोनिडी को प्राथमिकता दी गयी.
सद्दाम ज्यादा दिन चैन से नहीं रह पाए। एक बार फिर बाथ पार्टी में बगावत हुई और सद्दाम को नई हुकूमत ने जेल में डाल दिया। वह तब तक जेल की हवा खाते रहे जब तक कि 1968 में बाथ पार्टी के मेजर जनरल अहमद हसन अल बकर ने तख्ता पलट कर सत्ता नहीं हथिया ली। अल बकर उनके चचेरे भाई भी लगते थे। वह अल बकर की रिवॉल्यूशनरी कमांड काउंसिल के प्रमुख सदस्य बन गए। सच बात तो यह भी है कि वही बकर की सत्ता के असली कर्त्ता-धर्त्ता थे। शुरुआत में वह बड़े उदार थे लेकिन धीरे-धीरे अपने असली रूप में आ गए। बकर बीमार थे और सत्ता की चाबुक का वही इस्तेमाल करते थे। उन्होंने सुन्नी जगत में अपनी अलग छवि बनाई और परदे के पीछे अपना एक अलग समूह तैयार करते रहे। 16 जुलाई 1979 को अल बकर को सत्ता से हटा कर वह स्वयं इराकी गद्दी पर बैठ गए। वह चाहते तो इस सत्ता परिवर्तन को स्वाभाविक हिंसारहित तख्तापलट का रूप दे सकते थे लेकिन उन्हें तो यह संदेश देना था कि अब सत्ता में सद्दाम आ गया है, इसलिए बगावती तेवर वाले सावधान हो जाएं। उन्होंने एक के बाद एक 66 देशद्रोहियों को मौत के घाट उतार दिया। अपने शासन के आरंभिक वर्षों में सद्दाम हुसैन अमेरिका के लाड़ले थे। उन्होंने ईरान से युद्ध मोल लिया और अमेरिका से मदद ली। रोनाल्ड रेगन ने उनकी मदद की। कैसा विद्रूप है कि हाल में जब रेगन की मृत्यु हुई तो वह उसी अमेरिकी सत्ता की जेल में मौत का इंतजार कर रहे थे।
परांठा लगभग रोटी की तरह ही बनाया जाता है, फर्क सिर्फ इसकी सिंकाई का है। रोटी को जहां तवे पर सेंकने के बाद सीधे आंच पर भी फुलाया जाता है वहीं परांठा सिर्फ तवे पर ही सेंका जाता है। रोटी को बनाने के बाद ऊपर से शुद्ध घी लगाया जा सकता है, वहीं परांठे को तवे पर सेंकते समय ही घी या तेल लगा कर सेंका जाता है।[१] भरवां परांठा बनाने के लिए आटा या मैदा मल कर उसकी लोई बेल कर उसमें भरावन भरें, फिर उसे बेल कर तवे पर सेंकें। [२] परांठा शब्द बना है उपरि+आवर्त से। उपरि यानी ऊपर का और आवर्त यानी चारों और घुमाना। सिर्फ तवे पर बनाई जाने वाली रोटी या परांठे को सेंकने की विधि पर गौर करें। इसे समताप मिलता रहे इसके लिए इसे ऊपर से लगातार घुमा-फिरा कर सेंका जाता है। फुलके की तरह परांठे की दोनो पर्तें नहीं फूलतीं बल्कि सिर्फ ऊपरी परत ही फूलती है। इसका क्रम कुछ यूं रहा उपरि+आवर्त > उपरावटा > परांवठा > परांठा। वैसे सीधे शब्दों में पर्त वाला आटा का व्यंजन = पर्त+आटा= पराटा=परांठा। [३] भारत पर्यन्त और विदेशों में भी ये बहुत प्रचलित हैं। दक्षिण भारत में केरल का परांठा प्रसिद्ध है। इसको वहां प्रोट्टा कहते हैं। इसमें अत्यधिक चिकनाई के साथ ढेरों पर्तें होती हैं। परांठे को भारतीय लोग मलेशिया और मॉरीशस तक ले गये, जहां आज इसे फराटा और सिंगापुर में रोटी कनाई या रोटी प्राटा कहते हैं। म्यांमार में इसे पलाता कहते हैं। ट्रिनिडाड एवं टोबैगो में ये अत्यधिक पतले और बहुत बड़े होते हैं, और बस्सप-शट कहलाते हैं।
हिन्दू धर्म में कहते हैं कि प्रलयकाल में भी इसका लोप नहीं होता। उस समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। यही नहीं, आदि सृष्टि स्थली भी यहीं भूमि बतलायी जाती है। इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने का कामना से तपस्या करके आशुतोष को प्रसन्न किया था और फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होने सारे की रचना की। अगस्त्य मुनि ने भी विश्वेश्वर की बड़ी आराधना की थी और इन्हीं की अर्चना से श्रीवशिष्ठजी तीनों लोकों में पुजित हुए तथा राजर्षि विश्वामित्र ब्रह्मर्षि कहलाये।
मौजूदा समय में, दिन-प्रतिदिन के अभ्यास में, आरक्षण 69% से कुछ हद तक कम हुआ करता है, यह इस पर निर्भर करता है कि गैर-आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थियों का प्रवेश कितनी अतिउच्च-संख्यांक सीटों में हुआ. अगर 100 सीटें उपलब्ध हैं, तो पहले समुदाय का विचार किये बिना (आरक्षित या अनारक्षित) दो योग्यता सूची तैयार की जाती है, 31 सीटों के लिए एक और 50 सीटों के लिए एक दूसरी, क्रमशः 69% आरक्षण और 50% आरक्षण के अनुरूप. किसी भी गैर-आरक्षित श्रेणी के छात्र को 50 सीट सूची में रखा जाता है और 31 सीट सूची में नहीं रखा जाता तो उन्हें अतिउच्च-संख्यांक कोटा सीटों के तहत (अर्थात) इन विद्यार्थियों के लिए जोड़ी जाने वाली सीटों में प्रवेश दिया जाता है. 31 सीट सूची का गैर-आरक्षित खुले प्रवेश सूची के रूप में प्रयोग किया जाता है और 69% आरक्षण का प्रयोग करके 69 सीटें भरी जाती हैं (30 सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़े वर्गों के 20 सीटें, 18 सीटें अनुसूचित जाति और 1 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए). प्रभावी आरक्षण प्रतिशत इस पर निर्भर करता है कि कितने गैर-आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थी 50 की सूची में आते हैं और न कि 31 सूची में. एक चरम पर, सभी 19 (31 से 50 की सूची बनाने के लिए जोड़ा जाना) गैर-आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थी हो सकते हैं, इस मामले में कुल आरक्षण 58%(69/119) हो जाता है; यह भी तर्क दिया जा सकता है कि गैर-आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए इसे 19% 'आरक्षण' मानने से यह (69+19)/119 या 74% हो जाता है! दूसरे चरम पर, 31 की सूची में 19 में कोई भी गैर-आरक्षित श्रेणी से नहीं जोड़ा जाता है, तो इस मामले में कोई भी अतिउच्च-संख्यांक सीटों का निर्माण नहीं किया जाएगा और राज्य क़ानून के आदेश के अनुसार 69% आरक्षण किया जाएगा.
• ऋत्विक घटक
इस लेख में Pharao प्रविष्टि का पाठ है, जो सार्वजनिक डोमेन कैथोलिक विश्वकोष 1913 से संकलित है।
बुधवार की व्रतकथा सुनकर आरती करें। इसके पश्चात गुड़, भात और दही का प्रसाद बाँटकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
लखनऊ, उत्तरप्रदेश-226024
वसंत में आम्रकुंज से आती सुगंध
आर्यभट के अनुसार महाभारत युद्ध ३१३७ ईपू में हुआ। कलियुग का आरम्भ कृष्ण के इस युद्ध के ३५ वर्ष पश्चात निधन पर हुआ।
किंतु वनस्पति, जलवायु तथा प्राकृतिक दृष्टि से यह प्रायद्वीप तीन भागों में बाँटा जा सकता है-
Mural for meeting
इलाहाबाद में सभी प्रधान धर्म के लोग निवास करते हैं। यहां हिन्दू कुल जनसंख्या का ८५% और मुस्लिम ११% हैं। इनके अलावा सिख, ईसाई एवं बौद्ध लोगों की भी छोटी संख्या है।
२८. हिमाचल प्रदेश (शिमला)
पंचकूला (हरियाणा) 134113
शल्य पर्व के अन्तर्गत २ उपपर्व है और इस पर्व में ५९ अध्याय हैं।
वर्धा, महाराष्ट्र- 3
विद्यारम्भ संस्कार के क्रम के बारे में हमारे आचार्यो में मतभिन्नता है। कुछ आचार्यो का मत है कि अन्नप्राशन के बाद विद्यारम्भ संस्कार होना चाहिये तो कुछ चूड़ाकर्म के बाद इस संस्कार को उपयुक्त मानते हैं। मेरी राय में अन्नप्राशन के समय शिशु बोलना भी शुरू नहीं कर पाता है और चूड़ाकर्म तक बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति जगने लगती है। इसलिये चूड़ाकर्म के बाद ही विद्यारम्भ संस्कार उपयुक्त लगता है। विद्यारम्भ का अभिप्राय बालक को शिक्षा के प्रारम्भिक स्तर से परिचित कराना है। प्राचीन काल में जब गुरुकुल की परम्परा थी तो बालक को वेदाध्ययन के लिये भेजने से पहले घर में अक्षर बोध कराया जाता था। माँ-बाप तथा गुरुजन पहले उसे मौखिक रूप से श्लोक, पौराणिक कथायें आदि का अभ्यास करा दिया करते थे ताकि गुरुकुल में कठिनाई न हो। हमारा शास्त्र विद्यानुरागी है। शास्त्र की उक्ति है सा विद्या या विमुक्तये अर्थात् विद्या वही है जो मुक्ति दिला सके। विद्या अथवा ज्ञान ही मनुष्य की आत्मिक उन्नति का साधन है। शुभ मुहूर्त में ही विद्यारम्भ संस्कार करना चाहिये।
3. राष्ट्रपति का अध्यादेश न्यायिक समीक्षा का विषय़ हो सकता है
बेबीलोन निवासियों के विरासत में मिले ज्ञान में यूनानियों ने काफी वृद्धि की। इसके अलावा गणित को एक तर्कसंगत पद्धति के रूप में उन्होंने स्थापित भी किया-एक ऐसी पद्धति जिसमें कुछ मूल तथ्यों या धारणाओं को सत्य मानकर (जिन्हें प्रमेय कहते हैं) निष्कर्षों (जिन्हें उपपत्ति या प्रमाण कहते हैं) तक पहुंचा जाता है।
उम्मयद वंश ७० साल तक सत्ता में रहा और इस दौरान उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण यूरोप, सिन्ध और मध्य एशिया के कई हिस्सों पर उनका कब्ज़ा हो गया। उम्मयद वंश के बाद अब्बासी वंश ७५० में सत्ता में आया। शिया और अजमी मुसलमानों ने (वह मुसलमान जो कि अरब नहीं थे) अब्बासियों को उम्मयद वंश के खिलाफ विद्रोह करने में बहुत सहायता की। उम्मयद वंश की एक शाखा दक्षिण स्पेन और कुछ और क्षेत्रों पर सिमट कर रह गयी। केवल एक इस्लामी सम्राज्य की धारणा अब समाप्त होने लगी।
By 1763, Great Britain possessed vast holdings in North America. 1763 से, ग्रेट ब्रिटेन के पास विशाल जोत उत्तरी अमेरिका में. In addition to the thirteen colonies, twenty-two smaller colonies were ruled directly by royal governors. तेरह कालोनियों, 22 छोटी कालोनियों के अलावा सीधे शाही राज्यपाल का शासन था. Victory in the Seven Years' War had given Great Britain New France (Canada), Spanish Florida , and the Native American lands east of the Mississippi River . जीत सात साल के युद्ध ग्रेट ब्रिटेन दिया था नई फ़्रांस (कनाडा), स्पेनिश फ्लोरिडा , और मूल अमेरिकी भूमि के पूर्व मिसिसिपी नदी . In 1765 however, the colonists still considered themselves loyal subjects of the British Crown , with the same historic rights and obligations as subjects in Britain. [ 17 ] लेकिन 1765 में, colonists अभी भी खुद के विषयों पर विचार वफादार ब्रिटिश क्राउन , ब्रिटेन के साथ ही ऐतिहासिक अधिकारों और दायित्वों में विषयों के रूप में. [17]
इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका, इन्साइक्लोपीडिया अमेरिकाना अंग्रेजी के ऐसे विश्वकोश हैं। अंग्रेजी के सामान्य विश्वकोशों द्वारा इनकी प्रमाणिकता और संमान्यता सर्वस्वीकृत है । निरंतर इनके संशोधित, संवर्धित तथा परिष्कृत संस्करण निकलते रहते हैं । इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के दो परिशिष्ट ग्रंथ भी हैं जो प्रकाशित होते रहते हैं और जो नूतन संस्करण की सामग्री के रूप में सातत्य भाव से संकलित होते रहते हैं । इंगलैंड में इन्साइक्लोपीडिया के पहले से ही ज्ञानकोशात्मक कोशों के नाना रूप बनने लगे थे ।
फिर भी विलियम टिंडेन ने बाइबिल के अंग्रेजी अनुवाद का प्रथम प्रामाणिक प्रयास किया। उसने मूल इतालीय (इटैलियन) संस्करण का उपयोग किया जो पंद्रहवीं शताब्दी में इटली में तैयार किया गया था तथा चौदहवीं शताब्दी में किए गए विक्लिफ़ के अनुवाद का सहारा भी लिया था। अनुवाद के लिए उसने सरलतम आंग्ल शब्दों को चुना और इस प्रकार जनसाधारण की भाषा से नैकट्य स्थापित करते हुए अपना अनुवाद प्रस्तुत किया (1525)। टिंडेल ने इरैस्मस और लूथर (1522-32) और ज़िं्वग्ली (1524-29) के जूरिख संस्करण का भी उपयोग किया था। फिर भी टिंडेल की सहजता कहीं कहीं अटपटे प्रयोगों से संबद्ध थी। किंतु टिंडेल की बाइबिल के निकट होकर ही कबरडेल एक महान् धर्मोपदेशक था। वह टिंडेल की स्पष्टता को निबाहने में सफल हुआ है किंतु उसने उसे वाग्मीयता से भर दिया है। इसी नाते वह गद्य का असाधारण शिल्पी सिद्ध हो जाता है।
बेल्जियम की सीमा फ्रांस (620 km), जर्मनी (167 km), लक्ज़मबर्ग (148 km) और नीदरलैंड 450 km के साथ साझा होती है. सतही जल क्षेत्र सहित इसका कुल क्षेत्रफल, 33,990 वर्ग किलोमीटर है; अकेले भूमि क्षेत्र 30,528 कि.मी.2 है. बेल्जियम के तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र हैं: उत्तर-पश्चिम में तटीय मैदान और केंद्रीय पठार, दोनों आंग्ल-बेल्जियम बेसिन के हैं; दक्षिण-पूर्व में आर्डेंस उच्चभूमि, हर्सीनियन ओरोजेनिक बेल्ट का हिस्सा है. पेरिस बेसिन, बेल्जियम के सुदूर दक्षिणी छोर पर, बेल्जियम लोरेन के एक छोटे चौथाई क्षेत्र तक पहुंचता है.[४४]
पर कुरु यहीं पर नहीं रुका और उसे साम्राज्य विस्तार की महात्वाकांक्षी योजना बनाई । उसने पश्चिम की दिशा में लीडिया पर अधिकार कर लिया । वहाँ पर उसने अपने खजाने के लिए प्रसिद्ध क्रोएसस का धन भी लूटा । इसके अलावा एशिया माइनर के इलाकों पर और बेबीलोनिया पर भी उसने अधिकार कर लिया । कुरोश ने यहूदियों को धार्मिक स्वतंत्रता दी । लेकिन कुरु की मृत्यु उसके जीवन इतनी गरिमामयी नहीं रही । जब जीवन के उत्तरार्ध में वो पश्चिनम से लौटकर कैस्पियन सागर के पूर्व की तरफ विजय अभियान के लिए निकला तो वहाँ मेसागेटे की रानी ने उसे युद्ध में हरा दिया और मार दिया गया । लेकिन उस समय तक कुरोश ने एक विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया था । मध्यपूर्व में और तुर्की के तट पर यूनानी शहरों से लेकर कैस्पियन सागर तक का विशाल साम्राज्य उस समय तक विश्व में शायद ही किसी ने खड़ा किया हो । वह विश्व का पहला सम्राट रहा होगा जिसे महान की उपाधि दी गई होगी - कुरोश महान ।
कैंसर के लिए स्क्रीनिंग कई मामलों में विवाद का विषय है, जब तक यह पता न हो कि परीक्षण वास्तव में जीवन को बचायेगा.विवाद और अधिक बढ़ जाता है जब यह स्पष्ट न हो कि स्क्रीनिंग के लाभ नैदानिक परीक्षणों और कैंसर के उपचारों के संभावी जोखिम से अधिक प्रभावी हैं.उदाहरण के लिए: प्रोस्टेट कैंसर की स्क्रीनिंग के समय, PSA परीक्षण छोटे कैंसरों को पता लगा सकता है, जो कभी भी जीवन के लिए घातक नहीं बनते, लेकिन एक बार पता चल जाने पर उपचार शुरू करना ही होता है.यह स्थिति अति निदान कहलाती है, जो पुरूष को अनावश्यक उपचार जैसे शल्य चिकित्सा और विकिरण की जटिलताओं का सामना करने के लिए मजबूर कर देती है.प्रोस्टेट कैंसर का निदान करने के लिए प्रयुक्त प्रक्रियाएं (प्रोस्टेट बायोप्सी) पार्श्व प्रभावों का कारण हो सकती हैं जिनमें रक्त प्रवाह और संक्रमण शामिल है.प्रोस्टेट कैंसर का इलाज असंयम (मूत्र के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए असमर्थता) और लैंगिक निष्क्रियता (इरेक्शन यानि शिश्न की उत्तेजना जो संभोग के लिए अपर्याप्त है ) का कारण हो सकता है.इसी प्रकार, स्तन कैंसर के लिए, हाल ही में यह आलोचना दी गयी है कि कुछ देशों में स्तन स्क्रीनिंग कार्यक्रम समस्याओं को हल करने के बजाय बढ़ा देता है.ऐसा इसलिए है कि सामान्य जनसंख्या में महिलाओं में स्क्रीनिंग कई आभासी धनात्मक परिणाम दे सकती है, जिन्हें अग्रिम जांच की जरुरत होती है, जिसकी वजह से स्तन कैंसर के केवल एक ही मामले का पता लगाने और उसके उपचार के लिए बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं का उपचार (या स्क्रीनिंग) किया जाता है.
चाँदपोल, कांकरोली (राजस्थान) 313324
कन्नूर किले के रूप में विख्यात इस किले का निर्माण 1505 ई. में प्रथम पुर्तगाली वायसराय डॉन फ्रांसिसको डी अलमीडा द्वारा बनवाया गया था। पुर्तगालियों के बाद इस किले पर डचों को नियंत्रण हो गया, उसके बाद अंग्रेजों ने इस पर अधिकार कर लिया। मालाबार में अंग्रेजों का यह प्रमुख सैन्य ठिकाना था। वर्तमान में यह किला भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के अधीन है और यहां से मप्पिला बे फिशिंग हार्बर के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। यह किला कन्नूर से 3 किमी. की दूरी पर है।
हरिप्रसाद चौरसिया या पंडित हरिप्रसाद चौरसिया प्रसिद्ध बांसुरी वादक हैं । हरिप्रसाद चौरसिया भारत सरकार ने १९९२ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये महाराष्ट्र से हैं।
Since 1990, California has generally elected Democratic candidates. However, the state has had little hesitance in electing Republican Governors, though many of its Republican Governors, such as the current Governor Schwarzenegger, tend to be considered "Moderate Republicans" and tend to be more liberal than the party itself.
शेरशाह ने भूमि सुधार के लिए अनेक कार्य किए । भूमि की नाप कराई, भूमि को बीघों में बाँटा, उपज का १/३ भाग भूमिकर के लिए निर्धारित किया, अनाज एवं नकद दोनों रू में लेने की प्रणाली विकसित कराई । पट्टे पर मालगुजारी लिखने की व्यवस्था की गई । किसानों की सुविधा दी गई कि वह भूमिकर स्वयं राजकोष में जमा कर सकता था ।
इस कम्पनी ने अपनी पहुँच बिजनेस के लिए अकेले यात्रा करने वाले यात्रीयों को लुभाने के लिए अपनी टीम में कम उम्र की आर्कषक एयर होस्टेस को नियुक्त किया है. इन उम्दा एयर होस्टेस एवं समय पर चलने के कारण किंगफिशर एयरलाईन्स का कारोबार अन्य एयरलाईन्स के मुकाबले तेजी से बढा है.
किंतु इसके विरोध मे भी तर्क दिये गये है
प्राचीन मिस्र की वास्तुकला में दुनिया भर की कुछ सबसे प्रसिद्ध संरचनाएं शामिल हैं: जैसे गीज़ा के महान पिरामिड और थेब्स के मंदिर. न केवल धार्मिक और याद किये जाने के उद्देश्य से निर्माण परियोजनाओं को राज्य द्वारा संगठित और वित्त पोषित किया जाता था, बल्कि फैरो की शक्ति को पुनर्स्थापित करने के लिए भी किया जाता था. प्राचीन मिस्रवासी दक्ष निर्माणकर्ता थे; साधारण परन्तु प्रभावी उपकरणों और दर्शनीय उपकरणों का प्रयोग करके, वास्तुकार बड़ी सटीकता और परिशुद्धता से विशाल पत्थर की संरचनाएं बना सकते थे.[१३०]
इन जिलों के सिवाय तीन नगरपालिकाएं भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अस्तित्व में हैं:
2.7.6 प्रायद्‍वीप, समाप्तप्राय आदि शब्दों में तत्सम रूप में भी विसर्ग नहीं है।
आर्यभटीय ने गणित और खगोल विज्ञान में पद्य रूप में, कुछ नवीनताएँ प्रस्तुत की, जो अनेक सदियों तक प्रभावशाली रही।ग्रंथ की संक्षिप्तता की चरम सीमा का वर्णन उनके शिष्य भास्कर प्रथम (भाष्य , ६०० और) द्वारा अपनी समीक्षाओं में किया गया है और अपने आर्यभटीय भाष्य (१४६५) में नीलकंठ सोमयाजी द्वारा।
स्पार्टा सर्वोपरि सैन्यवादी राज्य था, और जन्म के समय से ही सैन्य फिटनेस पर विशेष जोर देना वस्तुतः जन्म से ही आरंभ हो जाता था. जन्म के फौरन बाद ही, मां बच्चे को शराब से नेहला देती थी सिर्फ यह देखने के लिए कि नवजात शिशु मजबूत है या नहीं. अगर बच्चा बच जाता था तो उसके पिता उसे गेरौसिया के पास ले जाता था. तब गेरौसिया इस बात का फैसला करता था कि उसका लालन-पालन किया जाय या नहीं. अगर वे उसे "ठिंगना और बेडौल" मां लेते थे, तो शिशु को माउंट टेंगिटॉस शिल्ट्भाषा में एपोथिताए (ग्रीक में ἀποθέτας, "जमा") की एक गहरी खाई में फेंक दिया जाता था. दरसल यह, सुज़ननिकी (यूजेनाइक) के आदिम रूप काम प्रभाव था.
अनुराग प्रकाशन, विद्यापति नगर
मानववास यहाँ पर ईसा के 2000 साल पहले से है। ऐसा माना जाता है कि आज के उज़्बेकों ने वहाँ पर पहले से बसे आर्यों को विस्थापित कर दिया। सन् 327 ईसापूर्व में सिकंदर जब विश्व विजय (जो वास्तव में फ़ारस विजय से ज्यादा अधिक नहीं थी) पर निकला तो यहाँ उसे बहुत प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। उसने यहाँ की राजकुमारी रोक्साना से शादी भी की पर युद्ध में उसे बहुत फ़ायदा नहीं हुआ। सिकंदर के बाद ईरान के पार्थियन तथा सासानी साम्राज्य का अंग यह आठवीं सदी तक रहा। इसके बाद अरबों ने ख़ुरासान पर कब्जा कर लिया और क्षेत्र में इस्लाम का प्रचार हुआ।
सतारा भारत के महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है ।
टैगोर हिल की गिनती रांची के प्रमुख पर्यटक स्थलों में की जाती है। यह पर्यटकों के बीच बेहतरीन पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। उन्हें पहाड़ी पर आकर बहुत अच्छा लगता है क्योंकि इस पहाड़ी से पूरे रांची के मनोहारी दृश्य देखे जा सकते हैं। पहाड़ी पर पत्थरों से बने शांतिधाम को भी देखा जा सकता है। इसका निर्माण गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ने कराया था।
शाहनामे में फ़िरदौसी ने ईरान के पौराणिक बादशाहों की, जिनके कारनामों से वह अत्यधिक प्रभावित था, बड़ी की प्रशंसा की है। उसकी कविता से प्राचीन ईरान के प्रति उसका प्रेम एवं अरबों के प्रति घृणा का पूरा आभास मिलता है। सभवत: कट्टर मुसलमानों को संतुष्ट करने के लिए उसने बाद में युसुफ़ जुलैखा नामक मसनवी लिखी जिसे बवहिद शासक बहाउद्दौला तथा उसके पुत्र सुल्तानुद्दौला को समर्पित किया। तदुपरांत वह अपनी मातृभूमि तूस लौट आया और वहीं उसकी मृत्यु हुई (1020-21 ई.)। उसकी क़ब्र ईरान के दर्शनीय स्थानों में है। कहा जाता है, जब उसका जनाज़ा पास के एक गाँव के फाटक से निकल रहा था, एक कारवाँ सुल्तान महमूद के भेजे हुए 60,000 दीनार लेकर पहुँचा जिनकी कवि को आशा थी। फ़िरदौसी की पुत्री ने समस्त धन, दान पुण्य में लगा दिया। शाहनामा की बड़ी ही सुंदर सचित्र हस्तलिपियाँ संसार के बड़े बड़े संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। 1811 ई. में कलकत्ते में 1878 ई. में पेरिस से और 1877-1885 ई. के बीच लाइडेन से इसके संस्करण प्रकाशित हुए। तदुपरांत भारत और ईरान से अनेक संस्करण प्रकाशित हुए। संसार की अनेक भाषाओं में इसके अनुवाद छप चुके हैं।
हिन्दू धर्म के कई त्यौहार, जैसे दशहरा और दीपावली, राम की जीवन-कथा से जुडे हुऎ है।
१७५९ में डच लोगों ने मीरजाफर के लड़के से साजिश कर अंग्रेजों को बंगाल से निकालने की योजना बनाई और फलस्वरूप उन्होंने सात जहाज नागापट्टम से रवाना किए ; मगर जब वे हुगली के पास पहुँचे तो नवाब की ओर से उन्हें अपनी सेना उतारने की मनाही मिली। फलत: डच और अंग्रेजों में झड़प हुई, जिसमें डचों को जान और माल का नुकसान हुआ।
सभी बोइंग 747-400 विमान refurbishment आया है, ऑडियो, वीडियो के साथ मांग पर widescreen PTVs जैसे संवर्द्धन जोड़ने (AVOD) सभी कक्षाओं में और प्रथम और बिजनेस क्लास में सुधार सीटें. केबिन सब नई अर्थव्यवस्था सीटों के साथ उन्नत बनाया है, तकिये और असबाब. नई उपरि bins और विमान पक्ष पैनलों, पक्ष trims, नए कॉकपिट trims और नए शौचालय के लिए एक रंग का नया कोट refurbished विमान का हिस्सा हैं [29].
काशी विश्‍वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर काशी विशालाक्षी मंदिर है। यह पवित्र 51 शक्‍ितपीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां शिव की पत्‍नी सती का आंख गिरा था।
कंबोडिया का क्षेत्रफल 1,81,000 वर्ग मील है। इसकी पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर स्याम तथा लाओ और पूर्वी सीमा पर दक्षिणी वियतनाम देश हैं। दक्षिण-पश्चिम भाग स्याम की खाड़ी का तट है। कंबोडिया तश्तरी के आकर की एक घाटी है जिसे चारों ओर से पर्वत घेरे हुए हैं। घाटी में उत्तर से दक्षिण की ओर मीकांग नदी बहती है। घाटी के पश्चिमी भाग में तांगले नामक एक छिछली और विस्तृत झील है जो उदाँग नदी द्वारा मीकांग से जुड़ी हुई है।
2.7.3 'ह' का अघोष उच्चरित रूप विसर्ग है, अत: उसके स्थान पर (स)घोष 'ह' का लेखन किसी हालत में न किया जाए (अत:, पुन: आदि के स्थान पर अतह, पुनह आदि लिखना अशुद्‍ध वर्तनी का उदाहरण माना जाएगा)।
यहां के स्वच्छ निर्मल पानी का सौंदर्य सैलानियों का मन मोह लेता है। इन द्वीपों में कई बार तैरती हुई डाल्फिन मछलियों के झुंड देखे जा सकते हैं। शीशे की तरह साफ पानी के नीचे जलीय पौधे व रंगीन मछलियों को तैरते देखकर पर्यटक अपनी बाहरी दुनिया को अक्सर भूल जाते हैं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की मातृभूति नवद्वीप भगीरथी नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। पर्यटक कृष्णनगर से आसानी से नवद्वीप तक पहुंच सकते हैं, क्योंकि यह कृष्ण्नगर से मात्र 20 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। पहले नवद्वीप पर सेन वंश का शासन था। उन्होंने यहां पर अनेक मन्दिरों का निर्माण कराया था। इन मन्दिरों में द्ववादास सहिब मन्दिर प्रमुख हैं। इस खूबसूरत मन्दिर का निर्माण 1835 ई. में किया गया था। मन्दिर की दीवारों को फूलों के चित्रों से सजाया गया है जो इसकी सुन्दरता को कई गुणा बढ़ा देते हैं। इस मन्दिर में चैतन्य महाप्रभु के सुन्दर चित्रों और प्रतिमाओं के दर्शन भी किए जा सकते हैं।
३) ब्रह्माण्ड शब्द जहाँ पूर्णता लिए है, वहीं यूनवर्स शब्द मात्र ब्रह्माण्ड के आन्तरिक भाग का ही प्रतिनिधित्व करता हुआ दृष्ट होता है।
दिविह-स्प्ड़िक सर्वद्ड़िक व्यासो वाचस्पतिर-अयोनिजः ।।(६१)
पं. मदनमोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रीगणेश 1904 ई. में किया, जब काशीनरेश महाराज प्रभुनारायण सिंह की अध्यक्षता में संस्थापकों की प्रथम बैठक हुई। 1905 ई. में विश्वविद्यालय का प्रथम पाठ्यक्रम प्रकाशित हुआ। जनवरी, 1906 ई. में कुंभ मेले में मालवीय जी ने त्रिवेणी संगम पर भारत भर से आई जनता के बीच अपने संकल्प को दोहराया। कहा जाता है, वहीं एक वृद्धा ने मालवीय जी को इस कार्य के लिए सर्वप्रथम एक पैसा चंदे के रूप में दिया। डा. ऐनी बेसेंट काशी में विश्वविद्यालय की स्थापना में आगे बढ़ रही थीं। इन्हीं दिनों दरभंगा के राजा महाराज रामेश्वर सिंह भी काशी में "शारदा विद्यापीठ" की स्थापना करना चाहते थे। इन तीन विश्वविद्यालयों की योजना परस्पर विरोधी थी, अत: मालवीय जी ने डा. बेसेंट और महाराज रामेश्वर सिंह से परामर्श कर अपनी योजना में सहयोग देने के लिए उन दोनों को राजी कर लिया। फलस्वरूप बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी सोसाइटी की 15 दिसंबर, 1911 को स्थापना हुई, जिसके महाराज दरभंगा अध्यक्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के प्रमुख बैरिस्टर सुंदरलाल सचिव, महाराज प्रभुनारायण सिंह, पं. मदनमोहन मालवीय एवं डा. ऐनी बेसेंट सम्मानित सदस्य थीं। तत्कालीन शिक्षामंत्री सर हारकोर्ट बटलर के प्रयास से 1915 ई. में केंद्रीय विधानसभा से हिंदू यूनिवर्सिटी ऐक्ट पारित हुआ, जिसे तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड हार्डिंज ने तुरंत स्वीकृति प्रदान कर दी। 4 जनवरी, 1916 ई. (वसंतपंचमी) के दिन ससमारोह वाराणसी में गंगातट के पश्चिम, रामनगर के समानांतर महाराज प्रभुनारायण सिंह द्वारा प्रदत्त भूमि में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का शिलान्यास हुआ। उक्त समारोह में देश के अनेक गवर्नरों, राजे-रजवाड़ों तथा सामंतों ने गवर्नर जनरल एवं वाइसराय का स्वागत और मालवीय जी से सहयोग करने के लिए हिस्सा लिया। अनेक शिक्षाविद् वैज्ञानिक एवं समाजसेवी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। गांधी जी भी विशेष निमंत्रण पर पधारे थे। अपने वाराणसी आगमन पर गांधी जी ने डा. बेसेंट की अध्यक्षता में आयोजित सभा में राजा-रजवाड़ों, सामंतों तथा देश के अनेक गण्यमान्य लोगों के बीच, अपना वह ऐतिहासिक भाषण दिया, जिसमें एक ओर ब्रिटिश सरकार की और दूसरी ओर हीरे-जवाहरात तथा सरकारी उपाधियों से लदे, देशी रियासतों के शासकों की घोर भर्त्सना की गई थी।
साहित्य, कला, एवं सांस्कृतिक भवन- शेरशाह के शासन काल में साहित्य, कला एवं सांस्कृतिक भवनों का संरक्षण एवं निर्माण हुआ । इसी के शासनकाल में मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्‍मावत की रचना की । इसके शासनकाल में महदवी नेता शेख अलाई का शिक्षा विचार उल्लेखनीय है । इसके दरबार में अनेक प्रसिद्ध विद्वान मीर सैयद, मंझन, खान मोहम्मद, फरयूली और मुसान थे । इनके शासन में फारसी तथा हिन्दी का पूर्ण विकास हुआ ।
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समकालीन सृजन
1756 से 1857 तक के कंपनी के साम्राज्यवादी शोषण के इतिहास में सांस्कृतिक पक्ष छोटा होते हुए भी निस्संदेह महत्वपूर्ण है। जैसा पनिक्कर का कथन है, बक, विलियम जोन्स तथा मेकाले सांस्कृतिक चेतना के वे ब्रिाटिश प्रतीक हैं जिनसे प्रेरित होकर राजा राममोहन राय, दादाभाई नौरोजी, ईश्वरचंद्र विद्यासागर तथा दयानंद सरस्वती ऐसे भारतीय नररत्नों के योग से सांस्कृतिक पुनर्जागरण संभव हो सका, राष्ट्रीय आत्मसम्मान जागा, और आधुनिक भारतीयता ने जन्म लिया।
३ जून, १९७३ को इन्होंने बंगाली संस्कार के अनुसार अभिनेत्री जया भादुड़ी से विवाह कर लिया। इस दंपती के दो बच्चों: बेटी श्वेता और पुत्र अभिषेक पैदा हुए।
गाँधी जी का मानना था कि अगर एक व्यक्ति समाज सेवा में कार्यरत है तो उसे साधारण जीवन (simple life) की और ही बढ़ना चाहिए जिसे वे ब्रह्मचर्य के लिए आवश्यक मानते थे. उनकी सादगी (simplicity) ने पश्चमी जीवन शैली को त्यागने पर मजबूर करने लगा और वे दक्षिण अफ्रीका में फैलने लगे थे इसे वे "ख़ुद को शुन्य के स्थिति में लाना" कहते हैं जिसमे अनावश्यक खर्च, साधारण जीवन शैली को अपनाना और अपने वस्त्र स्वयं धोना आवश्यक है.[३२]एक अवसर पर जन्मदार की और से सम्मुदय के लिए उनकी अनवरत सेवा के लिए प्रदान किए गए उपहार को भी वापस कर देते हैं.[३३]
ग्रंथ लिपि में वट्टेळुत्तु के मुकाबले अधिक अक्षर हैं। इसमें और तमिल लिपि में कई समानताएँ हैं संस्कृत लिखने के लिए लेकिन तमिल के मुकाबले ग्रंथ में अधिक अक्षर हैं।
वहाँ जीवन के लिए किया गया है वापस कुछ जीव वैज्ञानिक प्रयास मृत लाने के लिए, लेकिन सीमित सफलता के साथ. [७] परिदृश्य में विज्ञान कथा है जहाँ इस तरह की तकनीक सहज उपलब्ध है, वास्तविक मृत्यु मौत प्रतिष्ठित.से पलटवाँ है
मोतीलाल नेहरू का जन्म एक काश्मीरी पण्डित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गंगाधर था। वह पश्मिमी ढ़ंग की शिक्षा पाने वाले प्रथम पीढ़ी के गिने-चुने भारतीयों में से थे। वह इलाहानाद के मीर सेन्ट्रल कॉलेज में शिक्षित हुए किन्तु बीए की अन्तिम परीक्षा नहीं दे पाये। बाद में वे कैम्ब्रिज में "बार ऐट लॉ" के लिये पात्र घोषित हुए और अंग्रेजी न्यायालयों में वकील के रूप में कार्य प्रारम्भ किया।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट या भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत की सबसे बड़ी अर्थात सर्वोच्च न्यायिक व्यवस्था है जिसे भारतीय संविधान के अध्याय चार अनुभाग पाँच के तह स्थापित किया गया था।
लेकिन इसके बाद से इंडोनेशिया का इतिहास उथलपुथल भरा रहा है, चाहे वह प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हो, भ्रष्टाचार की वजह से, अलगाववाद या फिर लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया से उत्पन्न चुनौतियां हों। वर्ष २००४ के अंत में आये सूनामी लहरों की विनाशलीला से यह देश सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। यहाँ के आचे प्रान्त में लगभग डेढ लाख लोग मारे गये थे और हजारो करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
संक्षिप्त रूप से कहें तो कलारिप्पयाट्टू (Kalarippayattu) या कलारी (Kalari) को दुनिया का सबसे पुराना मार्शल आर्ट (martial art) माना जाता है.यह मल्लपुराण जैसे ग्रंथों के रूप में संरक्षित है.कलारी और उसके साथ साथ उसके बीद आये मार्शल आर्ट के कुछ रूपों के बारे में ये भी माना जाता है की बौद्ध धर्म की तरह ये भी चीन तक पहुँच चूका है और अंततः इसी से कुंग-फु का विकास हुआ.बाद में आने वाली मार्शल आर्ट्स हैं- गतका, पहलवानी (Pehlwani) और मल्ल-युद्ध (Malla-yuddha) भारतीय मार्शल आर्ट्स को कई महान लोगों ने अपनाया था जिनमें शामिल हैं बोधिधर्मा जो भारतीय मार्शल आर्ट्स को चीन तक ले गए.
वेबस्टर के तीसरे नए अंतर्राष्ट्रीय शब्दकोश, बिना छंटनी के (475,000 प्रमुख शब्द), के संपादकों ने अपनी प्रस्तावना में इस संख्या के कहीं अधिक होने का अनुमान लगाया है. ऐसा अनुमान है की लगभग 25,000 शब्द हर साल भाषा में जुड़ते हैं.[४४]
यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। वे द्वीप एस प्रकार से हैं:-
विश्व पर्यटन संगठन (World Tourism Organization) ( UNWTO ) का पूर्वानुमान है कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन ४ % की औसत वार्षिक दर के साथ बढ़ता रहेगा.[१६] २०२० तक यूरोप सर्वाधिक लोकप्रिय गंतव्य रहेगा , लेकिन इसका हिस्सा जो १९९५ में ४६%था, ६०% गिर जाएगा.एकीकृत यात्रा की तुलना में Long-haul की वृद्धि थोडी तेजी से होगी और 2020 तक इसका हिस्सा १९९५ में २४% से १८% तक बढ़ जाएगा.
सत्यव्रत समाश्रमी का कहना है कि जैमिनि निरुक्तकार यास्क के पूर्ववर्ती हैं। यास्क पाणिनि के पूर्ववर्ती हैं। सामाश्रमी ने यास्क को ईसा से पूर्व 19वीं सदी में माना है। ब्रह्मसूत्र में वेदव्यास ने जैमिनि का 11 बार उल्लेख किया है (1।3।38 : 1।2।31 : 1।3।31 : 1।4।18 : 3।2।40 : 3।4।2, 18,40, 4।3।12 : 4।4।5,11) आश्वलायन गृह्मसूत्र में भी जैमिनि का 'आचार्य' नाम से उल्लेख किया गया है (3।18 (3) 1।1।5 : 5।2।19 : 6।1।8 : 10।8।44 : 11।1।64)। महाभारत का 'अश्वमेधपर्व' तो जैमिनि के ही नाम से प्रसिद्ध है। इसी प्रकार जैमिनि ने अपने पूर्वमीमांसासूत्र में पाँच बार बादरायण के मत का, उनका नाम लेकर, उल्लेख किया है।
कहानीकार वह है जो साहित्य की एक विधा कहानी या कथा की रचने का व्यावसायिक काम करता है।
ब्रिटिश काल मेंअंग्रेजी शासन के दौरान दिल्ली में सड़कों के निर्माण और बाढ़ अवरोधी बांध बनाने से पर्यावरण परिवर्तन के कारण ये जलधाराएं वर्ष में ग्रीष्म के समय सूख जाने लगीं। स्वतंत्रता के बाद के समय में बरसाती नालों, फुटपाथों और गलियों को सीमेंट से पक्का किया गया, इससे इन धाराओं को जल पहुंचाने वाले स्वाभाविक मार्ग अवरुद्ध हो गये।[११] ऐसी दशा में, जहां इन्हें रास्ता नहीं मिला, वहाँ वे मानसून में बरसाती नालों की तरह उफनने लगीं। विशद रूप में सीमेंट कंक्रीट के निर्माणों के कारण उन्हें भूमिगत जलभृत्तों या नदी में मिलाने का उपाय नहीं रह गया है। आज इन नदियों में नगर का अधिकतर मैला ही गिरता है।
यहां की मुख्य भाषा चीनी है जिसका पाम्परिक तथा आधुनिक रूप दोनों रूपों में उपयोग किया जाता है। प्रमुख नगरों में बीजिंग (राजधानी), शंघाई (प्रमुख वित्तीय केन्द्र), हांगकांग, शेन्ज़ेन, ग्वांगझोउ इत्यादी हैं।
(३) मान सेहरा- यह हजारा जिले में स्थित है ।
अद्वैत वेदांत में मोक्ष की कल्पना उपनिषदों के आधार पर की गई है। वेदांत में कर्म अथवा भक्ति की प्रधानता न देकर ज्ञान को प्रधानता दी गई है। यद्यपि मुमुक्षु को कुछ निश्चित अनुशासनों का पालन करना पड़ता है। इसके अनंतर अद्वैतवादी शिक्षा पर ध्यान एकाग्र किया जाता है। आत्मा को ब्रह्मस्वरूप माना गया है। "अहम् ब्रह्मास्मि" का ज्ञान होना होता है। यही मोक्ष है। तब आत्मा सत्, चित्, आनंद से पूर्ण हो जाता है। आचार्य शंकर इस सिद्धांत के प्रधान व्याख्याता हैं।
(वाल्मीकिकृत 'रामायण' में )
हो सकता है कि जो रोगी इसमें भाग ले रहा है उसे इस उपचार से व्यक्तिगत रूप से मदद मिले.वे कैंसर विशेषज्ञों से आधुनिकतम सुरक्षा प्राप्त करते हैं, और वे या तो जांच किया जा रहा नया इलाज प्राप्त करते हैं या कैंसर के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध मानक उपचार प्राप्त करते हैं.साथ ही, नए उपचारों में अज्ञात जोखिम भी हो सकते हैं, लेकिन यदि नए उपचार प्रभावी या मानक उपचारों से अधिक प्रभावी साबित होते हैं, तो अध्ययन किया जाने वाला रोगी इसके लाभ को प्राप्त करने वाला पहला व्यक्ति बन जाता है.इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि परीक्षण किया जाने वाला नया उपचार या एक मानक उपचार अच्छे परिणाम देगा.कैंसर युक्त बच्चों में, एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि जिन बच्चों पर ऐसे परीक्षण किया गए उनमें औसतन मानक उपचारों की तुलना में बेहतर या बुरे परिणाम नहीं देखे गए; इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी प्रयोगात्मक उपचार की सफलता या असफलता का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है. [८६]
चन्द्र्गुप्त के सिंहासनारोहण के अवसर पर(३०२ई.) को गुप्त सम्वत भी कहा गया है। चीनी यात्री इत्सिंग के अनुसार मगध के मृग शिखावन में एक मन्दिर का निर्माण करवाया था। तथा मन्दिर के व्यय में २४ गाँव को दान दिये थे।
वही परमात्मा सर्जन की इच्छा से अव्यक्त में प्रविष्ट होकर महत् तत्व की रचना करता है। उससे त्रिगुण अहं रजोगुण प्रधान उत्पन्न होता है। अहंकार से शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध यह पाँच तन्मात्रयें उत्पन्न हुईं। सर्व प्रथम शब्द से आकाश, आकाश से स्पर्श, स्पर्श से वायु, वायु से रूप, रूप से अग्नि, अग्नि से रस, रस से गन्ध, गन्ध से पृथ्वी उत्पन्न हुई। आकाश में एक गुण, वायु में दो गुण, अग्नि में तीन गुण, जल में चार गुण, और पृथ्वी में शब्द स्पर्शादि पाँचों गुण मिलते हैं। अतः तन्मात्रा पंच भूतों की जननी हुई। सतोगुणी अहं से ज्ञानेन्द्रियाँ, कर्मेन्द्रियाँ तथा उभयात्मक मन इन ग्यारह की उत्पत्ति हुई। महत से पृथ्वी तक सारे तत्वों का अण्ड बना जो दस गुने जल से घिरा है। इस प्रकार जल को दस गुणा वायु ने, वायु को दस गुणा आकाश ने घेर रक्खा है। इसकी आत्मा ब्रह्मा है। कोटि-कोटि ब्रह्माण्डों में कोटि त्रिदेव पृथक-पृथक होते हैं। वहीं शिव विष्णु रूप हैं।
संकट मोचन मंदिर राम भक्त हनुमान को समर्पैत है और स्थानीय लोगों में लोकप्रिय है। यहां बहुत से धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन वार्षिक रूप से होते हैं। ७ मार्च, २००६ को इस्लामी आतंकवादियों द्वारा शहर में हुए तीन विस्फोटों में से एक यहां आरती के समय हुआ था। उस समय मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ थी। साथ ही एक विवाह समारोह भी प्रगति पर था।[८३]
हो सकता है कि आचार्य द्विवेदी के साहित्य के अभाव में भी विवेकानंद आदि के साहित्य से कोहलीजी का मार्ग प्रशस्त हो जाता एवं उन्हें वह दार्शनिक-वैचारिक पृष्ठभूमि मिल जाती जिसकी उन्हें आवश्यकता थी. यह भी संभव है कि ऐसा ही हुआ हो. पर आचार्य द्विवेदी के साहित्य ने युवा कोहली का सांस्कृतिक विश्वास दृढ़ तो अवश्य किया होगा. उस विश्वास का साहित्यिक संस्कार भी किया ही होगा.
इसके बाद ब्रह्मदत्त नाम के राजकुल का काशी पर अधिकार हुआ। उस कुल में बड़े पंडित शासक हुए और में ज्ञान और पंडिताई ब्राह्मणों से क्षत्रियों के पास पहुंच गई थी। इनके समकालीन पंजाब में कैकेय राजकुल में राजा अश्वपति था। तभी गंगा-यमुना के दोआब में राज करने वाले पांचाल में राजा प्रवहण जैबलि ने भी अपने ज्ञान का डंका बजाया था। इसी काल में जनकपुर, मिथिला में विदेहों के शासक जनक हुए, जिनके दरबार में याज्ञवल्क्य जैसे ज्ञानी महर्षि और गार्गी जैसी पंडिता नारियां शास्त्रार्थ करती थीं। इनके समकालीन काशी राज्य का राजा अजातशत्रु हुआ।[१] ये आत्मा और परमात्मा के ज्ञान में अनुपम था। ब्रह्म और जीवन के सम्बन्ध पर, जन्म और मृत्यु पर, लोक-परलोक पर तब देश में विचार हो रहे थे। इन विचारों को उपनिषद् कहते हैं। इसी से यह काल भी उपनिषद-काल कहलाता है।
Main hostel
(1968) आर्थर ऐश  · (1969) रॉड लेवर  · (1970) केन रोसेवाल  · (1971) स्टैन स्मिथ  · (1972) इली नासतासे  · (1973) जॉन न्यूकॉम्ब  · (1974) जिमी कोनर्स  · (1975) मिनुएल ओरेन्टेस  · (1976) जिमी कोनर्स  · (1977) गुलिरमो विलास  · (1978) जिमी कोनर्स  · (1979–81) जॉन मेकनरो  · (1982–83) जिमी कोनर्स  · (1984) जॉन मेकनरो  · (1985–87) इवान लेंडल  · (1988) मैट्स विलेंडर  · (1989) बोरिस बेकर  · (1990) पीट सेमप्रास  · (1991–92) स्टीफन एडबर्ग  · (1993) पीट सेमप्रास  · (1994) आन्द्रे अगासी  · (1995–96) पीट सेमप्रास  · (1997–98) पैट्रिक रैफ्टर  · (1999) आन्द्रे अगासी  · (2000) मराट साफिन  · (2001) लियेटन हेविट  · (2002) पीट सेमप्रास  · (2003) एंडी रॉडिक  · (2004–08) रोजर फ़ेडरर
नईगांव मुंबई में वसई-विरार का एक क्षेत्र है।
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मंगोलायड प्रजाति ,एक मानव प्रजाति हैं । इस प्रजाति का निवास केवल एशिया महाद्वीप में पाया जाता हैं | इससे सम्बन्धित लोगो की त्वचा का रंग पीला, शरीर पर बालों की एकदम कमी और माथा चौड़ा होता हैं । इस प्रजाति की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी अधखुली आंखे हैं |
हाल की 2001 में जनगणना में, यूनाइटेड किंगडम की कुल आबादी 58789194 थी, यूरोपीय संघ में तीसरा, राष्ट्रमंडल में पांचवा और विश्व में इक्कीस्वा है.मध्य 2007 तक, यह 60,975,000 तक विकसित होने का अनुमान लगाया गया था.[८९] वर्तमान जनसंख्या वृद्धि मुख्य रूप से शुद्ध आप्रवास के कारण है लेकिन बढ़ती जन्म दर और जीवन प्रत्याशा में बढत ने भी योगदान दिया है.[९०] मध्य 2007 जनसंख्या अनुमान से यह भी पता चला है कि, पहली बार, UK 16 वर्ष की आयु के नीचे के बच्चों की तुलना में अब और अधिक पेंशनी उम्र के लोगों का घर है.[९१]
कंपनी के शासन का 1857 की राज्यक्रांति से अंत हुआ। कंपनी के साम्राज्यवाद के विरुद्ध पहले भी अनेक विस्तृत, असंगठित छिटपुट प्रयत्न हो चुके थे, किंतु सन् 57 के विस्फोट ने अति तीव्र रूप धारण किया। इतिहासकारों में इस विद्रोह की प्रकृति के संबंध में तीव्र मतभेद होते हुए भी, इतना तो निश्चित है कि अंग्रेजी सत्ता को निकालने के लिए भारतीयों का यह प्रथम सामूहिक प्रयत्न था जिसको विशेषतया अवध में विस्तृत जनसहयोग प्राप्त था। यह भी एक विचित्र संयोग था कि अन्य भागों में व्याप्त संघर्ष के अग्रणी प्राय: अवधवासी ही थे। अस्तु, निस्संदेह यह ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध भारतीय संघर्ष का श्रीगणेश था, भारतीय इतिहास का रक्तरंजित पृष्ठ। कंपनी के शासन का अंत 1858 में हुआ जब ब्रिटिश गवर्नमेंट ने भारतीय साम्राज्य की बागडोर अपने हाथों में सँभाली।
ग्यारहवीं सदी के लगभग देशभाषा हिंदी का रूप अधिक स्फुट होने लगा। उस समय पश्चिमी हिंदी प्रदेश में अनेक छोटे छोटे राजपूत राज्य स्थापित हो गए थे। ये परस्पर अथवा विदेशी आक्रमणकारियों से प्राय: युद्धरत रहा करते थे। इन्हीं राजाओं के संरक्षण में रहनेवाले चारणों और भाटों का राजप्रशस्तिमूलक काव्य वीरगाथा के नाम से अभिहित किया गया। इन वीरगाथाओं को रासो कहा जाता है। इनमें आश्रयदाता राजाओं के शौर्य और पराक्रम का ओजस्वी वर्णन करने के साथ ही उनके प्रेमप्रसंगों का भी उल्लेख है। रासो ग्रंथों में संघर्ष का कारण प्राय: प्रेम दिखाया गया है। इन रचनाओं में इतिहास और कल्पना का मिश्रण है। रासो वीरगीत (बीसलदेवरासो और आल्हा आदि) और प्रबंधकाव्य (पृथ्वीराजरासो, खमनरासो आदि) - इन दो रूपों में लिखे गए। इन रासो ग्रंथों में से अनेक की उपलब्ध प्रतियाँ चाहे ऐतिहासिक दृष्टि से संदिग्ध हों पर इन वीरगाथाओं की मौखिक परंपरा अंसदिग्ध है। इनमें शौर्य और प्रेम की ओजस्वी और सरस अभिव्यक्ति हुई है।
In some cases, the title sovereign is not just a generic term, but an actual (part of the) formal style of a Head of state.
वाराणसी का एक अन्य संदर्भ ऋषि वेद व्यास ने एक अन्य गद्य में दिया है:
स्टार शब्दकोष की सहायता से आप किसी भी शब्द के ऊपर बस माउस ले जा कर शब्दों का अर्थ जान सकते हैं. उदाहरण के तौर पर: आप किसी वेब साइट या किसी वर्ड फाइल में जैसे ही किसे शब्द पर माउस ले जायेंगे, एक पौप-अप में आपको उस शब्द का अर्थ मिल जाएगा.
पुनर्निर्माण के बाद, गोरे संभ्रांत डेमोक्रेट (लोकतन्त्रवादी) सत्ता के लिए लड़ते रहे जब तक कि वे 1877 में सत्ता में नहीं आ गये, आंशिक रूप से हिंसक अर्द्धसैनिक रणनीति के माध्यम से मुक्त हुए गुलामों और सहयोगी दलों को निशाना बनाते रहे ताकि वे अपना मतदान कम करें. 1885 से 1889 तक, राज्य विधानमंडल के प्रावधानों के साथ यह पारित हुआ कि अश्वेतों और गरीब श्वेतों द्वारा मतदान कम हो, जो एक लोकप्रिय श्वेत डेमोक्रेटिक गठबंधन की सत्ता को एक धमकी थी. इन समूहों को मतदाता सूची से हटा दिया गया, गोरे डेमोक्रेटों ने राज्य में एक पार्टी के सत्ता की स्थापना की जैसा कि दक्षिण के पार हुआ था. 1900 में अफ्रीकी अमेरिकी राज्य की जनसंख्या में 44% थे,[५३] युद्ध से पहले भी इसी अनुपात में थे, लेकिन बड़े प्रभावी ढंग से इन्हें मताधिकार से वंचित किया गया. 1877 से लेकर 1948 तक, फ्लोरिडा ने 1928 के चुनाव को छोड़कर हर चुनाव में राष्ट्रपति के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के लिए ही वोट दिया.
2 FAD
नदी प्रणाली और जल संसाधन: - इस जिले में केवल तीन मुख्य नदियों: इस Ghaghra, गंगा और Saryu रहे हैं. Ghaghra यह एक महान नदी बहती है और जिले के उत्तरी सीमा पर है. यह और कुमाऊं की पहाड़ियों में अपने मूल है Chauka है, Kauriala है, Rapti और अन्य छोटी नदियों के जल के संयुक्त बनाई है. यह एक बड़ी सीमा तक और swells बारिश के दौरान के रूप में मौजूदा बहुत मजबूत हो जाता है और यह आसपास के क्षेत्र को बहुत नुकसान कारण तेजी से. नदी के इस पाठ्यक्रम kankar राख द्वारा Turtipur जैसे कुछ स्थानों पर बाधित है. Qutubganj और और Ailasgarh चैनल में भिन्नरूपों लेकिन लगातार हो सबसे बड़ा बदलाव उन जो Maniar के पूर्व घटित होते हैं. जिले के इस हिस्से के पूरे पथ दक्षिण नदी में जो बाढ़ के दौरान जलमग्न हो जाता है कम जलोढ़ मिट्टी है. यह Bansdih और Reoti के नगरों के सभी देश उत्तर शामिल हैं. इस बदलाव Ghaghra द्वारा किए गए और अचानक होते हैं और व्यापक उन गंगा की तुलना में. इस Ghaghra ज्यादा, दोनों को अपनी कार्रवाई और प्रभावों में से अस्थिर है. यह आमतौर पर एक अपेक्षाकृत संकीर्ण बिस्तर पर कभी कभी यह सीमीत खुद के रूप में, दूसरों पर कई चैनलों में, कभी कभी इसके पीछे भूमि की उपजाऊ जमा और कभी कभी कुछ भी नहीं है, लेकिन बंजर और रेतीले बर्बाद पत्ते बाहर प्रशंसकों अपने पाठ्यक्रम की भविष्यवाणी करना संभव नहीं है.
सिंध के तीन भौगोलिक भाग माने जाते हैं-1. सिरो (शिरो भाग), 2. विचोली (बीच का) और 3. लाड़ (सं. लाट प्रदेश, नीचे का)। सिरो की बोली सिराइकी कहलाती है जो उत्तरी सिंध में खैरपुर, दादू, लाड़कावा और जेकबाबाद के जिलों में बोली जाती है। यहाँ बलोच और जाट जातियों की अधिकता है, इसलिए इसको बरीचिकी और जतिकी भी कहा जाता है। दक्षिण में हैदराबाद और कराची जिलों की बोली लाड़ी है और इन दोनों के बीच में विचोली का क्षेत्र है जो मीरपुर खास और उसके आसपास फैला हुआ है। विचोली सिंध की सामान्य और साहित्यिक भाषा है। सिंध के बाहर पूर्वी सीमा के आसपास थड़ेली, दक्षिणी सीमा पर कच्छी, और पश्चिमी सीमा पर लासी नाम की सम्मिश्रित बोलियाँ हैं। धड़ेली (धर उ थल उ मरुभूमि) जिला नवाबशाह और जोधपुर की सीमा तक व्याप्त है जिसमें मारवाड़ी और सिंधी का सम्मिश्रण है। कच्छी (कच्छ, काठियावाड़ में) गुजराती और सिंधी का एवं लासी (लासबेला, बलोचिस्तान के दक्षिण में) बलोची और सिंधी का सम्मिश्रित रूप है। इन तीनों सीमावर्ती बोलियों में प्रधान तत्व सिंधी ही का है। भारत के विभाजन के बाद इन बोलियों के क्षेत्रों में सिंधियों के बस जाने के कारण सिंधी का प्राधान्य और बढ़ गया है। सिंधी भाषा का क्षेत्र 65 हजार वर्ग मील है।
हैपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी सहित हेपेटाइटिस वायरस, एक दीर्घकालिक (क्रोनिक) वायरल संक्रमण को प्रेरित कर सकता है, जो प्रतिवर्ष हैपेटाइटिस बी के 0.47% रोगियों में (विशेष रूप से एशिया में, उत्तरी अमेरिका में ऐसा कम देखा गया है) और प्रति वर्ष हेपेटाइटिस सी के 1.4% रोगियों में यकृत कैंसर का कारण है.लीवर सिरोसिस, चाहे क्रोनिक वायरल हैपेटाइटिस संक्रमण के कारण हो या शराब पीने के कारण, यह यकृत कैंसर के विकास से सम्बंधित होता है, और सिरोसिस और वायरल हैपेटाइटिस का संयोजन यकृत कैंसर विकास के उच्चतम जोखिम का कारण है.दुनिया भर में वायरल हैपेटाइटिस के संचरण और रोग के भारी बोझ के कारण, यकृत कैंसर सबसे आम और सबसे अधिक घातक कैंसरों में से एक है.
वे पदार्थ जो DNA (डीएनए) उत्परिवर्तन का कारण हैं उत्परिवर्तजन कहलाते हैं, और वे उत्परिवर्तजन जो कैंसर का कारण हैं, कार्सिनोजन कहलाते हैं.कई विशेष प्रकार के पदार्थ विशिष्ट प्रकार के कैंसर से जुड़े हुए हैं.तम्बाकू धूम्रपान कैंसर के कई रूपों से सम्बंधित है, [७] और 90% फेफड़ों के कैंसर का कारण है. [८] लम्बे समय तक एस्बेस्टस फाइबर के संपर्क में रहने से मिजोथेलिओमा हो सकता है. [९]
विशेष द्रव्यों के अंतिम विभाग में रहनेवाला तथा नित्य द्रव्यों में रहनेवाला "विशेष" कहलाता है। नित्य द्रव्यों में परस्पर भेद करनेवाला एकमात्र यही पदार्थ है। यह अनंत है।
छठा कदम ऋतुचर्या का है । सन्तानोत्पादन एक स्वाभाविक वृत्ति है, इसलिए दाम्पत्य जीवन में उसका भी एक स्थान है, पर उस सम्बन्ध में मयार्दाओं का पूरी कठोरता एवं सतर्कता से पालन किया जाए, क्योंकि असंयम के कारण दोनों के स्वास्थ्य का सर्वनाश होने की आशंका रहती है, गृहस्थ में रहकर भी ब्रह्मचर्य का समुचित पालन किया जाए । दोनों एक दूसरे का भी सहयोगी मित्र की दृष्टि से देखें, कामुकता के सर्वनाशी प्रसंगों को जितना सम्भव हो, दूर रखा जाए । सन्तान उत्पन्न करने से पूर्व हजार बार विचार करें कि अपनी स्थिति सन्तान को सुसंस्कृत बनाने योग्य है या नहीं । उस मर्यादा में सन्तान उत्पन्न करने की जिम्मेदारी वहन करें ।
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका- निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
2554 वैशाली एक्सप्रेस -- नयी दिल्ली -- बरौनी
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मलेशिया ८१
कबीर के राम निर्गुण-सगुण के भेद से परे हैं। दरअसल उन्होंने अपने राम को शास्त्र-प्रतिपादित अवतारी, सगुण, वर्चस्वशील वर्णाश्रम व्यवस्था के संरक्षक राम से अलग करने के लिए ही ‘निर्गुण राम’ शब्द का प्रयोग किया–‘निर्गुण राम जपहु रे भाई।’ इस ‘निर्गुण’ शब्द को लेकर भ्रम में पड़ने की जरूरत नहीं। कबीर का आशय इस शब्द से सिर्फ इतना है कि ईश्वर को किसी नाम, रूप, गुण, काल आदि की सीमाओं में बाँधा नहीं जा सकता। जो सारी सीमाओं से परे हैं और फिर भी सर्वत्र हैं, वही कबीर के निर्गुण राम हैं। इसे उन्होंने ‘रमता राम’ नाम दिया है। अपने राम को निर्गुण विशेषण देने के बावजूद कबीर उनके साथ मानवीय प्रेम संबंधों की तरह के रिश्ते की बात करते हैं। कभी वह राम को माधुर्य भाव से अपना प्रेमी या पति मान लेते हैं तो कभी दास्य भाव से स्वामी। कभी-कभी वह राम को वात्सल्य मूर्ति के रूप में माँ मान लेते हैं और खुद को उनका पुत्र। निर्गुण-निराकार ब्रह्म के साथ भी इस तरह का सरस, सहज, मानवीय प्रेम कबीर की भक्ति की विलक्षणता है। यह दुविधा और समस्या दूसरों को भले हो सकती है कि जिस राम के साथ कबीर इतने अनन्य, मानवीय संबंधपरक प्रेम करते हों, वह भला निर्गुण कैसे हो सकते हैं, पर खुद कबीर के लिए यह समस्या नहीं है।
स्‍वतंत्रता के समय से आकाशवाणी दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण नेटवर्कों में से एक बन गया है। स्‍वतंत्रता के समय भारत में 6 रेडियो स्‍टेशन और 18 ट्रांसमीटर थे, जिनसे 11% आबादी और देश का 2.5 % भाग कवर होता है। दिसम्‍बर, 2007 इस नेटवर्क में 231 स्‍टेशन और 373 ट्रांसमीटर हैं जो देश की 99.14% आबादी और 91.79% क्षेत्रफल तक पहुंचता है।
संबंधबोधक ग ओ नि नो दे पाँ शब्द हैं :
इसमें विविध ओषधियों का सेवन कराया जाता है। अनेक असाध्य रोगों की अचूक ओषधियाँ आज बन गई हैं और निरंतर बन रही हैं।
ऋषि गार्ग्य ने फिर कहा-'हे राजन! आकाश मण्डल में प्रतिष्ठित परब्रह्म परमेश्वर की मैं अविनाशी ब्रह्म के रूप में उपासना करता हूं।'
पूर्वोत्तर भारत में 7 राज्य शामिल हैं (जिन्हें सात बहनों के नाम से भी जाना जाता है) आसाम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नगालैंड. इन राज्यों और केन्द्र सरकार तथा इस राज्य के मूल निवासी आदिवासियों और भारत के अन्य भागों से यहां आये प्रवासी लोगों के बीच तनाव होते रहते हैं.
पूर्वकाल में ब्रह्मा जी ने अनेक जल जन्तु बनाये और उनसे समुद्र के जल की रक्षा करने के लिये कहा। तब उन जन्तुओं में से कुछ बोले कि हम इसका रक्षण (रक्षा) करेंगे और कुछ ने कहा कि हम इसका यक्षण (पूजा) करेंगे। इस पर ब्रह्माजी ने कहा कि जो रक्षण करेगा वह राक्षस कहलायेगा और जो यक्षण करेगा वह यक्ष कहलायेगा। इस प्रकार वे दो जातियों में बँट गये। राक्षसों में हेति और प्रहेति दो भाई थे। प्रहेति तपस्या करने चला गया, परन्तु हेति ने भया से विवाह किया जिससे उसके विद्युत्केश नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। विद्युत्केश के सुकेश नामक पराक्रमी पुत्र हुआ। सुकेश के माल्यवान, सुमाली और माली नामक तीन पुत्र हुये। तीनों ने ब्रह्मा जी की तपस्या करके यह वरदान प्राप्त कर लिये कि हम लोगों का प्रेम अटूट हो और हमें कोई पराजित न कर सके। वर पाकर वे निर्भय हो गये और सुरों, असुरों को सताने लगे। उन्होंने विश्‍वकर्मा से एक अत्यन्त सुन्दर नगर बनाने के लिये कहा। इस पर विश्‍वकर्मा ने उन्हें लंका पुरी का पता बताकर भेज दिया। वहाँ वे बड़े आनन्द के साथ रहने लगे। माल्यवान के वज्रमुष्टि, विरूपाक्ष, दुर्मुख, सुप्तघ्न, यज्ञकोप, मत्त और उन्मत्त नामक सात पुत्र हुये। सुमाली के प्रहस्त्र, अकम्पन, विकट, कालिकामुख, धूम्राक्ष, दण्ड, सुपार्श्‍व, संह्नादि, प्रधस एवं भारकर्ण नाम के दस पुत्र हुये। माली के अनल, अनिल, हर और सम्पाती नामक चार पुत्र हुये। ये सब बलवान और दुष्ट प्रकृति होने के कारण ऋषि-मुनियों को कष्ट दिया करते थे। उनके कष्टों से दुःखी होकर ऋषि-मुनिगण जब भगवान विष्णु की शरण में गये तो उन्होंने आश्‍वासन दिया कि हे ऋषियों! मैं इन दुष्टों का अवश्य ही नाश करूँगा।
भंडारा महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है।
कुछ प्रश्‍नों का मौखिक उत्तर दिया जाता है। इन्‍हें तारांकित प्रश्‍न कहा जाता है। अतारांकित प्रश्‍नों का लिखित उत्तर दिया जाता है।
ग्वालियर (पश्चिमी भाग) में - "बानैं एक् बोकरा पाल लओ। तब बौ आनंद सै रैबे लगो।""
गणेशजी की प्रतिमा का अवशेष यह प्रमाणित करता है कि गुप्तकाल तक गजमस्तक वाले इस देवता का सृजन व पूजन आरंभ हो चुका था। संभवतः गणेश की यह प्रतिमा उनकी सबसे पुरानी प्रतिमाओं में से एक है। इस काल से पहले गणेश की प्रतिमा का स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता ।
बंगलोर कर्नाटक का सबसे बडा शहर है । यहाँ पर कन्नड बोली जाती है । बहुत से लोग एक से ज़्यादा भाषा बोलते हैं । एक अनुमान के अनुसार बंगलोर में ५१% से ज़्यादा लोग भारत के विभिन्न हिस्सों से आ कर बसे हैं ।
तात
मधुबनी चित्रकला (Madhubani painting) , मैसूर चित्रकला (Mysore painting) , राजपूत चित्रकला (Rajput painting) , तंजौर चित्रकला (Tanjore painting) और मुगल चित्रकला (Mughal painting), भारतीय कला की कुछ उल्लेखनीय विधाएं हैं, जबकि राजा रवि वर्मा, नंदलाल बोस, गीता वढेरा (Geeta Vadhera), जामिनी रॉय (Jamini Roy) और बी वेंकटप्पा[३३] कुछ आधुनिक चित्रकार हैं.वर्तमान समय के कलाकारों में अतुल डोडिया, बोस कृष्णमक्नाहरी, देवज्योति राय और शिबू नटेसन, भारतीय कला के उस नए युग के प्रतिनिधि हैं जिसमें वैश्विक कला का भारतीय शास्त्रीय शैली के साथ मिलाप होता है.हाल के इन कलाकारों ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मान अर्जित किया है.देवज्योति राय के चित्र क्यूबा के राष्ट्रिय कला संग्रहालय में रखे गए है और इसी तरह नई पीढी के कुछ अन्य कलाकारों की कृतियाँ भी.Lol
सोलहवीं सदी में यूरोप के पुर्तगाली व्यापारियों तथा मिशनरियों ने जापान में पश्चिमी दुनिया के साथ व्यापारिक तथा सांस्कृतिक तालमेल की शुरूआत की । जापानी लोगों ने यूपोरीय देशों के बारूद तथा हथियारों को बहुत पसन्द किया । यूरोपीय शक्तियों ने इसाई धर्म का भी प्रचार किया । 1549 में पहली बार जापान में इसाई धर्म का आगमन हुआ । दो वर्षों के भीतर जापान में करीब तीन लाख लोग ऐसे थे जिन्होनें ईसा मसीह के शब्दों को अंगीकार कर लिया । ईसाई धर्म जापान में उसी प्रकार लोकप्रिय हुआ जिस प्रकार सातवीं सदी में बौद्ध धर्म । उस समय यह आवश्यक नहीं था कि यह नया धार्मिक सम्प्रदाय पुराने मतों से पूरी तरह अलग होगा । पर ईसाई धर्म के प्रचारकों ने यह कह कर लोगो को थोड़ा आश्चर्यचकित किया कि ईसाई धर्म को स्वीकार करने के लिए उन्हें अपने अन्य धर्म त्यागने होंगे । यद्यपि इससे जापानियों को थोड़ा अजीब लगा, फिर भी धीरे-धीरे ईसाई धर्मावलम्बियो की संख्या में वृद्धि हुई । 1615 ईस्वी तक जापान में लगभग पाँच लाख लोगो ने ईसाई धर्म को अपना लिया । 1615 में समुराई सरगना शोगुन्ते को संदेह हुआ कि यूरोपीय व्यापारी तथा मिशनरी, वास्तव में, जापान पर एक सैन्य तथा राजनैतिक अधिपत्य के अग्रगामी हैं । उसने विदेशियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए तथा उनका व्यापार एक कृत्रिम द्वीप (नागासाकी के पास) तक सीमित कर दिया । ईसाई धर्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया और लगभग 25 सालों तक ईसाईयों के खिलाफ प्रताड़ना तथा हत्या का सिलसिला जारी रहा । 1638 में, अंततः, बचे हुए 37,000 ईसाईयों को नागासाकी के समीप एक द्वीप पर घेर लिया गया जिनका बाद में नरसंहार कर दिया गया । bhanu sahu chhindwara
कलिंग - तोलायी
कोई महिला जब लक्स साबुन खरीदती है, तब वह सिर्फ स्नान के लिए साबुन नहीं क्रय करती है, अपितु फिल्म अभिनेत्रियों का सा- सौन्दर्य पाने की जो आकांक्षा है, उसकी कीमत भी अदा करती है। (क्राउनींग ग्लोरी की डिम्पल, सिन्थाल के साथ विनोद खन्ना भी इन्ही आकांक्षाओं को उभारने का साधन है)।
 प्रमुख लेख
अपने पूर्व अर्थशास्त्रों की रचना की बात स्वयं कौटिल्य ने भी स्वीकार किया है। अपने 'अर्थशास्त्र' में कई संदर्भों में उसने आचार्य वृहस्पति, भारद्वाज, शुक्राचार्य, पराशर, पिशुन, विशालाक्ष आदि आचार्यों का उल्लेख किया है। कौटिल्य के पूर्व अनेक आचार्यों के ग्रंथों का नामकरण दंडनीति के रूप में किया जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि कौटिल्य के पूर्व शास्त्र दंडनीति कहे जाते थे और वे अर्थशास्त्र के समरूप होते थे। परन्तु जैसा कि अनेक विद्वानों ने स्वीकार किया है कि दंडनीति और अर्थशास्त्र दोनों समरूप नहीं हैं। यू. एन. घोषाल के कथनानुसार अर्थशास्त्र ज्यादा व्यापक शास्त्र है, जबकि दंडनीति मात्र उसकी शाखा है।6
अगला दिन रविवार का था, इस दिन अधिकतर ईसाई आराम और पूजा करते थे। कुछ भारतीय सिपाहियों ने ब्रितानी अफ़सरों को, बंदी सिपाहियों को जबरन छुड़ाने की योजना का समाचार दिया, परंतु बडे अधिकारियों ने इस पर कोइ ध्यान नही दिया। मेरठ शहर में भी अशान्ति फ़ैली हुयी थी। बाज़ार मे कई विरोध प्रदर्शन हुए थे और आगजनी की घटनायें हुयी थी। शाम को बहुत से यूरोपिय अधिकारी चर्च जाने को तैयार हो रहे थे, जबकि बहुत से यूरोपिय सैनिक छुट्टी पर थे और मेरठ के बाज़ार या कैंटीन गये हुए थे। भारतीय सिपाहियों ने ३ बंगाल लाइट कैवलरी के नेत्रत्व में विद्रोह कर दिया। कनिष्ठ अधिकारियों ने विद्रोह को दबाने का प्रयास किया पर वे सिपाहियों द्वारा मारे गये। यूरोपिय अधिकारीयों और असैनिकों के घरों पर भी हमला हुआ, और ४ असैनिक, ८ महिलायें और ८ बच्चे मारे गये। छुट्टी पर गये सिपाहियों ने बाज़ार में भीड पर भी हमला किया। सिपाहियों ने अपने ८५ बन्दी साथियों और ८०० अन्य बंदियों को भी छुडा लिया।[५]
(ग) सड़क द्वारा यात्रा के लिए: पाँच रूपये प्रति किलोमीटर तथा स्‍टीमर द्वारा यात्रा के लिए उच्‍चतम श्रेणी के किराए के अतिरिक्‍त उसका 3/5 भाग।
्बाली पुल पर मंदिर
पोंगल (तमिळ - பொங்கல்) तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है । यह प्रति वर्ष १४-१५ जनवरी को मनाया जाता है । इसकी तुलना नवान्न से की जा सकती है जो फसल की कटाई का उत्सव होता है (शस्योत्सव) । पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है । पारम्परिक रूप से ये सम्पन्नता को समर्पित त्यौहार है जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप तथा खेतिहर मवेशियों की आराधना की जाती है। इस पर्व का इतिहास कम से कम १००० साल पुराना है तथा इसे तमिळनाडु के अलावा देश के अन्य भागों, श्रीलंका, मलेशिया, मॉरिशस, अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर तथा अन्य कई स्थानों पर रहने वाले तमिलों द्वारा उत्साह से मनाया जाता है । तमिलनाडु के प्रायः सभी सरकारी संस्थानों में इस दिन अवकाश रहता है ।
मन्त्रोच्चारण प्रारम्भ के साथ माता बालक को पहले उसके पिता की गोद में दे । पिता अन्य परिजनों को दे । शिशु एक-दूसरे के हाथ में जाता स्नेह-दुलार पाता हुआ पुनः माँ के पास पहुँच जाए । भावना की जाए कि बालक सबका स्नेह पात्र बन रहा है, सबके स्नेह-अनुदानों का अधिकार पा रहा है ।
वे बाबा गंभीरनाथ जी के शिष्य थे। सन् १९१७ में उन्होने भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना की। उनके अनुयायी उन्हे भगवान शिव का अवतार मानते हैं।
2000 में, शंघाई में एयर इंडिया को सेवाएं शुरू की अपनी Newark में Newark लिबरटी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तीसरा और अमेरिका के प्रवेश द्वार के लिए. मई 2004 पर, एयर इंडिया के एक पूर्ण स्वामित्व वाली कम लागत एयर इंडिया एक्सप्रेस नामक विमान सेवा शुरू की है. एयर इंडिया एक्सप्रेस मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और उपमहाद्वीप के साथ जोड़ने भारत में शहरों. 2004 में एयर इंडिया अपनी लॉस लॉस एंजिल्स (जो बाद से समाप्त कर दिया गया है) में एंजिल्स अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर चौथे अमेरिकी प्रवेश द्वार के लिए उड़ानें शुरू की और अपने अंतरराष्ट्रीय रूटों का विस्तार करने के लिए अहमदाबाद, अमृतसर, बंगलौर और हैदराबाद से उड़ानें शामिल हैं.
इस प्रकार हम देखते हैं कि सूरदास हिंदी साहित्य के महाकवि हैं, क्योंकि उन्होंने न केवल भाव और भाषा की दृष्टि से साहित्य को सुसज्जित किया, वरन् कृष्ण-काव्य की विशिष्ट परंपरा को भी जन्म दिया है।
मीडिया उद्योग भी यहां का एक बड़ा नियोक्ता है। भारत के प्रधान दूरदर्शन व उपग्रह तंत्रजाल (नेटवर्क), व मुख्य प्रकाशन गृह यहीं से चलते हैं। हिन्दी चलचित्र उद्योग का केन्द्र भी यहीं स्थित है, जिससे प्रति वर्ष विश्व की सर्वाधिक फिल्में रिलीज़ होती हैं। बॉलीवुड शब्द बॉंम्बे व हॉलीवुड को मिलाकर निर्मित है। मराठी दूरदर्शन एवं मराठी फिल्म उद्योग भी मुंबई में ही स्थित है।
यहां दो प्रमुख नदियों अलखनंदा और भागीरथी आपस में मिलती है। इसके अलावा यहां कई प्रसिद्ध मंदिर और नदी घाट भी है। ऐसा माना जाता है कि देव प्रयाग में भगवान विष्णु ने राजा बाली से तीन कदम भूमि मांगी थी। यहां रामनवमी, दशहरा और बसंत पंचमी के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है।
सुप्रसिद्ध भारतीय महिला क्रान्तिकारी
कार्यक्षेत्र : अध्यापन। १९४८ में 'संगम' सम्पादक श्री इलाचंद्र जोशी में सहकारी संपादक नियुक्त हुए। दो वर्ष वहाँ काम करने के बाद हिंदुस्तानी अकादमी में अध्यापक नियुक्त हुए। सन् १९६० तक कार्य किया। प्रयाग विश्वविद्यालय में अध्यापन के दौरान 'हिंदी साहित्य कोश' के सम्पादन में सहयोग दिया। निकष' पत्रिका निकाली तथा 'आलोचना' का सम्पादन भी किया। उसके बाद 'धर्मयुग' में प्रधान सम्पादक पद पर बम्बई आ गये। १९८७ में डॉ भारती ने अवकाश ग्रहण किया। १९९९ में युवा कहानीकार उदय प्रकाश के निर्देशन में साहित्य अकादमी दिल्ली के लिए डॉ० भारती पर एक वृत्त चित्र का निर्माण भी हुआ है।
सांसद - श्री गोरख प्रसाद जायसवाल (बसपा)
इसके अंतर्गत आने वाले मंडल हैं: दानापुर, धनबाद, मुगलसराय, समस्तीपुर, सोनपुर
इस समारोह में, लेफ्टिनेंट जनरल जे. एस. अरोरा, PVSM (सेवानिवृत्त) ने लेफ्टिनेंट जनरल ए. ए. के. नियाजी (ढाका के भूतपूर्व ईस्ट पाकिस्तान फोर्सेस का कमांडर) का पिस्तौल प्रस्तुत किया. इस पिस्तौल को IMA म्यूज़ियम में रखने के लिए कमांडेंट को सौंप दिया गया.
भारत का एक प्रमुख अंग्रेजी देनिक समाचार पत्र |
एक उप-शहर भी बसाया गया है- हाईटेक सिटी, जहां कई सू.प्रौ, एवं आई टी ई एस कम्पनियों ने अपने प्रचालन आरम्भ किये। सूचना प्रौ. के इस त्वरित विस्तार की कारण कभी-कभी इस शहर को साइबराबाद भि कहा गया है। साथ ही इसे बंगलौर के बाद द्वितीय साइबर वैली भी कह जाता है। [४] इस शहर में डिजिटल मूलसंरचना में काफी निवेश हुआ है। इस निवेश से कई बड़ी कंपनियों ने अपने परिसर भी बसाये हैं। कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने अपने केन्द्र शहर में खोले हैं। ऐसे मुख्य केन्द्र माधापुर व गाचीबावली में अधिक हैं।
श्रीनगर जम्मू और कश्मीर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी है । ये शहर और उसके आस-पार के क्षेत्र एक ज़माने में दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत पर्यटन स्थल माने जाते थे -- जैसे डल झील, शालिमार और निशात बाग़, गुलमर्ग, पहलग़ाम, चश्माशाही, आदि । यहाँ हिन्दी सिनेमा की कई फ़िल्मों की शूटिंग हुआ करती थी । श्रीनगर की हज़रत बल मस्जिद में माना जाता है कि वहाँ हजरत मुहम्मद की दाढ़ी का एक बाल रखा है । श्रीनगर में ही शंकराचार्य पर्वत है जहाँ विख्यात हिन्दू धर्मसुधारक और अद्वैत वेदान्त के प्रतिपादक आदि शंकराचार्य सर्वज्ञानपीठ के आसन पर विराजमान हुए थे । डल झील और झेलम नदी (संस्कृत : वितस्ता, कश्मीरी : व्यथ) में आने जाने, घूमने और बाज़ार और ख़रीददारी का ज़रिया ख़ास तौर पर शिकारा नाम की नावें हैं । कमल के फूलों से सजी रहने वाली डल झील पर कई ख़ूबसूरत नावों पर तैरते घर भी हैं जिनको हाउसबोट कहा जाता है । इतिहासकार मानते हैं कि श्रीनगर मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बसाया गया था ।
मानचित्र
धामेक स्तूप का निकट दृश्य
संयुक्त राज्य में 18वीं शती में जब हब्शियों के विद्रोहों की कुछ संभावना होने लगी तो वैधानिक रूप से हब्शियों के लिए शस्त्रधारण, ढोल नगाड़े रखना तथा रात्रि में सड़कों पर निकलना वर्जित कर दिया गया। जब वर्जिनिया में, जो संयुक्त राज्य में काले दासों का प्राचीनतम तथा विशालतम केंद्र था, नेट टर्नर नामक दास पादरी के नेतृत्व में एक छोटा विद्रोह हुआ तो दास राज्यों में हब्शियों को पढ़ना-लिखना सिखाना भी अवैधानिक घोषित कर दिया गया। संयुक्त राज्य में दासप्रथा की प्रधान विशेषता रंगभेद रही है।
कोई पर्यटक पट्टया आए और अलकाजर कैबरट न जाए ऐसा नहीं हो सकता। यहां पर नृत्य, संगीत व अन्य कार्यक्रमों का आनंद उठाया जा सकता है। यहां होने वाले कार्यक्रमों की खास बात यह है कि इसमें काम करने वाली खूबसूरत अभिनेत्रियां वास्तव में पुरुष होते हैं।
(७) पिप्पलिवन के मारिय, (
क़ाज़ाक़स्तान का अधिकांश भूभाग (जैसा कि उपर कहा जा चुका है) स्टेपू, पहाड़, जंगल या मरुस्थलों से ढका है। मरुस्थल तो पड़ोसी तुर्कमेनिस्तान तथा उज्बेकिस्तान तक फैले हैं। दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम में कैस्पियन सागर स्थित है, जबकि अरलसागर की सीमा उज्बेकिस्तान के साथ सम्मिलित है। देश के मध्य मे स्थित बाल्काश झील विशालकाय झीलों में से एक है। उत्तरी तिएन शान क्षेत्र की कोलसाई झीलें पर्वतीय झीलों की श्रेणी में आती हैं।
१९७० के दशक के अंत तक, यहां के निर्माण में एक सहसावृद्धि हुई, जिसने यहां आवक प्रवासियों की संख्या को एक बड़े अंक तक पहुंचाया। इससे मुंबई ने कलकत्ता को जनसंख्या में पछाड़ दिया, व प्रथम स्थान लिया। इस अंतःप्रवाह ने स्थानीय मराठी लोगों के अंदर एक चिंता जगा दी, जो कि अपनी संस्कृति, व्यवसाय, भाषा के खोने से आशंकित थे।[१८]बाला साहेब ठाकरे द्वारा शिव सेना पार्टी बनायी गयी, जो मराठियों के हित की रक्षा करने हेतु बनी थी। [१९] नगर का धर्म-निरपेक्ष सूत्र १९९२-९३ के दंगों के कारण छिन्न-भिन्न हो गया, जिसमें बड़े पैमाने पर जान व माल का नुकसान हुआ। इसके कुछ ही महीनों बाद १२ मार्च,१९९३ को शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने नगर को दहला दिया। इनमें पुरे मुंबई में सैंकडों लोग मारे गये। १९९५ में नगर का पुनर्नामकरण मुंबई के रूप में हुआ। यह शिवसेना सरकार की ब्रिटिश कालीन नामों के ऐतिहासिक व स्थानीय आधार पर पुनर्नामकरण नीति के तहत हुआ। यहां हाल के वर्षों में भी इस्लामी उग्रवादियों द्वारा आतंकवादी हमले हुए। २००६ में यहां ट्रेन विस्फोट हुए, जिनमें दो सौ से अधिक लोग मारे गये, जब कई बम मुंबई की लोकल ट्रेनों में फटे।[२०]
कई अन्य देशों में, जहां अंग्रेजी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा नहीं है, यह एक आधिकारिक भाषा है;ये देश हैं: बोत्सवाना, कैमरून, डोमिनिका, फिजी, माइक्रोनेशिया के फ़ेडेरेटेद राज्य , घाना, जाम्बिया, भारत, केन्या, किरिबाती, लेसोथो, लाइबेरिया, मैडागास्कर, माल्टा , मार्शल द्वीप, मॉरीशस, नामीबिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपिंस (फिलीपीन अंग्रेजी), पर्टो रीको, रवांडा, सोलोमन द्वीप, सेंट लूसिया, समोआ, सेशेल्स, सियरालेओन, श्रीलंका श्रीलंका, स्वाजीलैंड, तंजानिया, युगांडा, जाम्बिया, और जिम्बाब्वे. यह दक्षिण अफ्रीका (दक्षिण अफ्रीकी अंग्रेजी) कि 11 आधिकारिक भाषाओं में से एक है जिन्हें बराबर का दर्जा दिया जाता है . अंग्रेजी इन जगहों की भी अधिकारिक भाषा है: ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा निर्भर क्षेत्रों (नॉरफ़ॉक आइलैंड, क्रिसमस द्वीप और कोकोस द्वीप) और संयुक्त राज्य (उत्तरी मारियाना द्वीप समूह, अमेरिकन समोआ और पर्टो रीको) ,[३३] ब्रिटेन के पूर्व के उपनिवेश हाँग काँग, और नीदरलैंड्स एंटिलीज़.
मेपल (Maple) और ओक (Oak) (broadleaf, पर्णपाती) जंगल में Wisconsin सर्दियों के दौरान.
रूसी साम्राज्य के दिनों से रूस ने विश्व में अपना स्थान एक प्रमुख शक्ति के रूप में किया था । प्रथम विश्वयुद्ध के बात सोवियत संघ विश्व का सबसे बड़ा साम्यवादी देश बना । यहाँ के लेखकों ने साम्यवादी विचारधारा को विश्व भर में फैलाया । द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ एक प्रमुख सामरिक और राजनीतिक शक्ति बनकर उभरा । संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसकी वर्षों तक प्रतिस्पर्धा चली जिसमें सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक और तकनीकी क्षेत्रों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी । १९८० के दशक से यह आर्थिक रूप से कमजोर होता चला गया और १९९१ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप रूस सोवियत संघ का सबसे बड़ा राज्य बना ।
आपका जन्म अविभाजित भारतवर्ष के रायपुर (जिला मुल्तान, पंजाब) नामक कस्बे में हुआ था। पटवारी पिता के चार पुत्रों में ये सबसे छोटे थे। प्रतिभावान् विद्यार्थी होने के कारण स्कूल तथा कालेज में इन्हें छात्रवृत्तियाँ मिलीं। पंजाब विश्वविद्यालय से सन् 1943 में बी. एस-सी. (आनर्स) तथा सन् 1945 में एम. एस-सी. (ऑनर्स) परीक्षाओं में ये उत्तीर्ण हुए तथा भारत सरकार से छात्रवृत्ति पाकर इंग्लैंड गए। यहाँ लिवरपूल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ए. रॉबर्टसन् के अधीन अनुसंधान कर इन्होंने डाक्टरैट की उपाधि प्राप्त की। इन्हें फिर भारत सरकार से शोधवृत्ति मिलीं और ये जूरिख (स्विट्सरलैंड) के फेडरल इंस्टिटयूट ऑव टेक्नॉलोजी में प्रोफेसर वी. प्रेलॉग के साथ अन्वेषण में प्रवृत्त हुए।
There is nothing exuberant and extravagant in Ranade. He refused to reap cheap notoriety by playing the part of an extremist. He refused to mislead people by playing upon and exploiting the patriotic sentiments of the people. He refused to be a party to methods which are crude, which have volume but no effect, and which are neither fool-proof nor knave-proof, and which break the back even of the most earnest and sincere servants of the country and disable them from further effort. In short, Ranade was like the wise Captain who knows that his duty is not to play with his ship clever and masterful tricks, just for effect and show in the midst of the ocean, but to take it safely to its appointed port. In short, Ranade was not a forged bank note and in worshipping him we have no feeling of kneeling before anything that is false.
अशोक का कलिंग युद्ध
पहले स्वतंत्र देशों के राजनीतिक संघ द्वारा निर्मित होने के कारण, यूनाइटेड किंगडम में एक कानूनी व्यवस्था नहीं है संघ की संधि के अनुच्छेद 19 जो स्कॉटलैंड की अलग कानूनी प्रणाली की जारी रखने का विश्वास दिलाता है.[७०] आज UK की कानून के पास तीन अलग प्रणालियाँ है: अंग्रेजी कानून, उत्तरी आयरलैंड कानून और स्कॉट्स कानून.हाल की संवैधानिक बदलाव यूनाइटेड किंगडम का एक नया सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर 2009 में अस्तित्व में देखेगा जो की यहोवा सभा के पुनर्विचार सम्बन्धी समिति के निवेदन कार्यों को लेगा.[७१]निजी परिषद की न्यायिक समिति में, यहोवा सभा के पुनर्विचार सम्बन्धी समिति के एक ही सदस्य शामिल हैं, कई स्वतंत्र राष्ट्रमंडल, UK विदेशी क्षेत्रों, और ब्रिटिश राजत्व निर्भरता देशों के लिए निवेदन की सर्वोच्च अदालत है.
तिब्बत (Tibet) एशिया में एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का शासन है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहां के लोगों का धर्म बौद्ध है तथा इनकी भाषा तिब्बती। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहां के दलाई लामा ने भारत में आकर शरण लिया जो अब तक भारत में सुरक्षित हैं।
इस क्षेत्र में आने वाले मार्ग इस प्रकार से हैं:-
गवर्नर-जनरल सबसे शक्तिशाली राज्य भी स्वयं देखता था, जैसे:-हैदराबाद के निजाम, मैसूर के महाराजा, ग्वालियर के सिंधिया महाराजा, बड़ौदा के गायक्वाड महाराजा, जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा, इत्यादि। शेशः रजवाड़े या तो राजपूताना एजेंसी]] एवं सेंट्रल इंडिया एजेंसी देखती थी (जो कि गवर्नर-जनरल के प्रतिनिधि की अध्यक्षता में होता था), या प्रान्तीय शासन।
इस मुख्यालय पवित्र गंगा नदी के किनारे पर स्थित है। यहाँ सुप्रसिद्ध संत महर्षि भृगु लंबे समय तक पूजा का स्थान रहा है। यहा पर गंगा नदी प्रवाह उत्तर दिशा की ओर है| शहर मुख्यालय से उत्तर दिशा में बारह किलोमीटर दूर उत्तरवाहिनी भागीरथी के भिटौरा तट पर महर्षि भृगु मुनि ने तपस्या की थी । पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भृगु मुनि की तपोस्थली में देवता भी परिक्रमा करने आए थे । पवित्र धाम गंगा महर्षि भृगु क्रोध में एक बार भगवान् विष्णु की छाती पर लात भी मारी थी । यहाँ पर अन्य आधा दर्जन मन्दिर बने हुए हैं ।
दालचीनी (Cinnamomum verum, पर्यायवाचीC. zeylanicum) एक छोटा सदाबहार पेड़ है, जो कि 10–15 मी (32.8–49.2 फीट) ऊंचा होता है, यह Lauraceae परिवार का है। यह श्रीलंका एवं दक्षिण भारत में बहुतायत में मिलता है। इसकी छाल मसाले की तरह प्रयोग होती है। इसमें एक अलग ही खुशबू होती है, जो कि इसे गरम मसालों की श्रेणी में रखती है।
सर्वप्रहरणायुध ॐ नमः इति ।
पिछले 20 सालों से हिंदी पत्रकारिता में सक्रिय आलोक प्रकाश पुतुल देश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। इन 20 सालों में उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं, किताबों और संदर्भ ग्रंथों का संपादन किया।
16th century
स्वदेशी जनसंख्या-महाद्वीपीय आदिवासी और तोर्स स्ट्रेट द्वीपवासियों-की संख्या 2001 में 410,003(कुल जनसंख्या का 2.2%) गणना की गयी थी;जिसमे 1976 की गणना से अभूतपूर्व बढोत्तरी हुई; जिसमें सर्वदेशी जनसंख्या 115,953 गिनी गयी.[८३]बड़ी संख्या में स्वदेशी जनसंख्या की गणना नहीं हो सकी क्योंकि उनकी स्वदेशी स्थिति फार्म में दाखिल नहीं हुई थी,कारणों के समन्वय के बाद,ABS ने 2001 का सही आँकडा लगभग 460,140 (कुल जनसंख्या का 2.4%) अनुमानित किया.[८४]स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाईकारावास और बेरोजगारी, शिक्षा का निचा स्तर, और जीवन काल पुरुषों और महिलाओं का जो 11-17 वर्ष विदेशियों से कम है, से प्रभावित है.[७०][८५][८६]कुछ सुदूर स्वदेशी वर्ग को "विफल राज्य" जैसी अवस्था से परिभाषित किया गया है.[८७][तथ्य वांछित]
बल्लबगढ़ के प्रमुख स्थान इस प्रकार हैं -- आंबेडकर चौक ,गुप्ता होटल चौक ,पंजाबी धर्मशाला ,पंचायत भवन आदि
राय ने निश्चय कर रखा था कि उनकी पहली फ़िल्म बांग्ला साहित्य की प्रसिद्ध बिल्डुंग्सरोमान पथेर पांचाली पर आधारित होगी, जिसे बिभूतिभूषण बंद्योपाध्याय ने १९२८ में लिखा था। इस अर्ध-आत्मकथात्मक उपन्यास में एक बंगाली गांव के लड़के अपु के बड़े होने की कहानी है। राय ने लंदन से भारत लौटते हुए समुद्रयात्रा के दौरान इस फ़िल्म की रूपरेखा तैयार की। भारत पहुँचने पर राय ने एक कर्मीदल एकत्रित किया जिसमें कैमरामैन सुब्रत मित्र और कला निर्देशक बंसी चन्द्रगुप्ता के अलावा किसी को फ़िल्मों का अनुभव नहीं था। अभिनेता भी लगभग सभी गैरपेशेवर थे। फ़िल्म का छायांकन १९५२ में शुरु हुआ। राय ने अपनी जमापूंजी इस फ़िल्म में लगा दी, इस आशा में कि पहले कुछ शॉट लेने पर कहीं से पैसा मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पथेर पांचाली का छायांकन तीन वर्ष के लम्बे समय में हुआ — जब भी राय या निर्माण प्रबंधक अनिल चौधरी कहीं से पैसों का जुगाड़ कर पाते थे, तभी छायांकन हो पाता था। राय ने ऐसे स्रोतों से धन लेने से मना कर दिया जो कथानक में परिवर्तन कराना चाहते थे या फ़िल्म निर्माता का निरीक्षण करना चाहते थे। १९५५ में पश्चिम बंगाल सरकार ने फ़िल्म के लिए कुछ ऋण दिया जिससे आखिरकार फ़िल्म पूरी हुई। सरकार ने भी फ़िल्म में कुछ बदलाव कराने चाहे (वे चाहते थे कि अपु और उसका परिवार एक “विकास परियोजना” में शामिल हों और फ़िल्म सुखान्त हो) लेकिन सत्यजित राय ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया।[१२]
१९७२ में पद्मश्री से अलंकृत डा धर्मवीर भारती को अपने जीवन काल में अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए जिसमें से प्रमुख हैं
आयोग के संयोजन मे अपनी स्थापना के बाद से काफी परिवर्तन आया है। प्रधानमंत्री के पदेन अध्यक्ष होने के साथ, समिति मे एक नामजद उपाध्यक्ष भी होता है, जिसका रैंक एक कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है। वर्तमान में श्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया आयोग के उपाध्यक्ष हैं।
   
महाभारत कालीन लाक्षाग्रह चिन्हित है। लाक्षाग्रह नामक इमारत के अवशेष यहां आज एक टीले के रूप में दिखाई देते हैं। महाभारत में कौरव भाइयों ने पांडवों को इस महल में ठहराया था और फिर जलाकर मारने की योजना बनायी थी। किन्तु पांडवों के शुभचिंतकों ने उन्हें गुप्त रूप से सूचित कर दिया और वे निकल भागे। वे यहां से गुप्त सुरंग द्वारा निकले थे। ये सुरंग आज भी निकलती है, जो हिंडन नदी के किनारे पर खुलती है। इतिहास अनुसार पांडव इसी सुरंग के रास्ते जलते महल से सुरक्षित बाहर निकल गए थे।[२]
faridabad is the biggest industrial disttict of haryana . it is developed and designed by mr. bhim singh nain danoda wale it is touched with india s capital delhi and produce many product for fullfilling people s need.
{{Khet Bangkok}} {{Provinces of Thailand}} साँचा:List of Asian capitals by region साँचा:World's most populated urban areas निर्देशांक: 13°45′N 100°29′E / 13.75, 100.483
दिल्ली, मम्बई समेत देश के प्रमुख भागों से कोलकाता के लिए नियमित वायुसेवा है। कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा से पर्यटक बसों व टैक्सियों द्वारा आसानी से नदिया तक पहुंच सकते हैं।
श्री शंभुनाथ
उसकी अगली यात्रा १५०३ में हुई, जब उसे ये ज्ञात हुआ की कालीकट के लोगों ने पीछे छूट गए सभी पुर्तगालियों को मार डाला है। [९]अपनी यात्रा के मार्ग में पड़ने वाले सभी भारतीय और अरब जहाज़ो को उसने ध्वस्त कर दिया, और कालीकट पर नियंत्रण करने के लिए आगे बढ़ चला, और उसने बहुत सी दौलत पर अधिकार कर लिया। इससे पुर्तगाल का राजा उससे बहुत प्रसन्न हुआ।
दक्षिण सीमा पर स्थित राज्य चोल, पाण्ड्‍य, सतिययुक्‍त केरल पुत्र एवं ताम्रपार्णि बताये गये हैं ।
हिन्दी हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार परिवार के अन्दर आती है । ये हिन्द ईरानी शाखा की हिन्द आर्य उपशाखा के अन्तर्गत वर्गीकृत है। हिन्द-आर्य भाषाएँ वो भाषाएँ हैं जो संस्कृत से उत्पन्न हुई हैं। उर्दू, कश्मीरी, बंगाली, उड़िया, पंजाबी, रोमानी, मराठी नेपाली जैसी भाषाएँ भी हिन्द-आर्य भाषाएँ हैं।
देवनागरी लिपी में लिखित हिन्दी भारत की प्रथम राजभाषा है। भारतीय संविधान में इससे सम्बन्धित प्राविधानों की जानकारी के लिये विस्तृत लेख भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी देखेँ।
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६१ - इकसठ
इस कार्य में आर्किमिडीज़ उत्तोलक के नियम को स्पष्ट करते हैं, कहते हैं, "उनके भार की व्युत्क्रमानुपाती दूरियों में आयाम साम्यावस्था में हैं.".
टाइम्स ऑफ इंडिया को मीडिया समूह बेनेट, कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा प्रकाशित किया जाता है, इसे टाइम्स समूह के रूप में जाना जाता है, यह समूह इकॉनॉमिक टाइम्स, मुंबई मिरर, नवभारत टाइम्स (एक हिंदी भाषा का दैनिक), दी महाराष्ट्र टाइम्स (एक मराठी भाषा का दैनिक) का भी प्रकाशन करता है.
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श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा में भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा या रुक्मिणी नहीं होतीं बल्कि बलराम और सुभद्रा होते हैं। उसकी कथा कुछ इस प्रकार प्रचलित है - द्वारिका में श्री कृष्ण रुक्मिणी आदि राज महिषियों के साथ शयन करते हुए एक रात निद्रा में अचानक राधे-राधे बोल पड़े। महारानियों को आश्चर्य हुआ। जागने पर श्रीकृष्ण ने अपना मनोभाव प्रकट नहीं होने दिया, लेकिन रुक्मिणी ने अन्य रानियों से वार्ता की कि, सुनते हैं वृंदावन में राधा नाम की गोपकुमारी है जिसको प्रभु ने हम सबकी इतनी सेवा निष्ठा भक्ति के बाद भी नहीं भुलाया है। राधा की श्रीकृष्ण के साथ रहस्यात्मक रास लीलाओं के बारे में माता रोहिणी भली प्रकार जानती थीं। उनसे जानकारी प्राप्त करने के लिए सभी महारानियों ने अनुनय-विनय की। पहले तो माता रोहिणी ने टालना चाहा लेकिन महारानियों के हठ करने पर कहा, ठीक है। सुनो, सुभद्रा को पहले पहरे पर बिठा दो, कोई अंदर न आने पाए, भले ही बलराम या श्रीकृष्ण ही क्यों न हों।
यह ज्‍योतिर्लिंग झारखंड के देवघर नाम स्‍थान पर है। कुछ लोग इसे वैद्यनाथ भी कहते हैं। देवघर अर्थात देवताओं का घर। बैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग स्थित होने के कारण इस स्‍थान को देवघर नाम मिला है। यह ज्‍योतिर्लिंग एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहाँ पर आने वालों की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस लिंग को 'कामना लिंग' भी कहा जाता हैं।
अशोक के स्तम्भ लेखों की संख्या सात है जो छः भिन्‍न स्थानों में पाषाण स्तम्भों पर उत्कीर्ण पाये गये हैं । इन स्थानों के नाम हैं-
कोरियाई वर्णमाला हंगुल भी महान Sejong द्वारा इस समय के दौरान का आविष्कार किया गया था.
सन्न्यासक्ड़ित-छमः शान्तो निष्ठा शान्तिः परायणम ।।(६२)
की बात कही गयी है तो नोटिस देने के 14 दिन के भीतर सत्र बुलाया जायेगासत्रावसान – मंत्रिपरिषद की सलाह पे सदनॉ का सत्रावसान राष्ट्रपति करता है इसमे संसद का एक सत्र समाप्त
पृथ्वी ने पहले भी कई बार गर्मी और सर्दी महसूस की है। हाल ही का अंटार्कटिक EPICA (EPICA) आइस कोर ८००००० साल का लेखा-जोखा रखता है , जिसमे आठ ग्लासिअल (interglacial)चक्र परिक्रमण भिन्नरूप (orbital variations) के साथ दिए गए हैं जो वर्तमान तापमानों के साथ तुलना करते हैं [६२]
बजट सामान्यत वित्तमंत्री द्वारा सामान्यतः फरवरी के आखरी दिन लोकसभा मे प्रस्तुत किया जाता है उसी समय राज्यसभा मे भी बजट के कागजात रखे जाते है यह एक धन बिल है
(2) पश्चिमी भोजपुरी और
अध्ययनकाल से ही उनका लेखन प्रारंभ होता है। 1930 ई. में तीन छोटे नाटकों के माध्यम से वे अपनी सृजनशीलता की धारा के प्रति उन्मुख हुए। प्रयाग में उनके नाटक 'चाँद', 'रुपाभ' पत्रिकाओं में न केवल छपे ही, बल्कि इन्होंने 'वीर अभिमन्यु', आदि नाटकों में भाग लिया। 'भोर का तारा' में संग्रहीत सारी रचनाएँ प्रयाग में ही लिखी गईं। यह नाम प्रतीक रूप में शिल्प और संवेदना दोनों दृष्टियों से माथुर के रचनात्मक व्यक्तित्व के 'भोर का तारा' ही है। इसके बाद की रचनाओं में समकालीनता और परंपरा के प्रति गहराई क्रमशः बढ़ती गई है। व्यक्तियों, घटनाओं और देशके विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों से प्राप्त अनुभवों ने सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
राम का जन्म प्राचीन भारत में हुआ था। उनके जन्म के समय का अनुमान सही से नही लगाया जा सका है , परन्तु विशेषज्ञों का मानना है कि राम ( भगवान विष्णू जी के अवतार माने जाते है) का जन्म तकरीबन आज से ९,००० वर्ष (७३२३ ईसा पूर्व) हुआ था। आज के युग मे राम का जन्म, रामनवमी के रुप में मनाया जाता है। राम चार भाईयो में से सबसे बड़े थे, इनके भाइयो के नाम लक्ष्मण (भगवान शेषनागजी के अवतार माने जाते है ), भरत (भगवान ब्रह्मा जी के अवतार माने जाते है) और शत्रुघ्न (भगवान शिवजी के अवतार माने जाते है) थे। राम बचपन से ही शान्‍त स्‍वाभाव के वीर पुरूष थे । उन्‍होने मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्‍च स्‍थान दिया था । इसी कारण उन्‍हे मर्यादा पुरूषोत्‍तम राम के नाम से जाना जाता है । उनका राज्‍य न्‍यायप्रिय और खुशहाल माना जाता था, इसलिए भारत में जब भी सुराज की बात होती है, रामराज या रामराज्य का उदाहरण दिया जाता है । धर्म के मार्ग पर चलने वाले राम ने अपने तीनो भाइयों के साथ गुरू वशिष्‍ठ से शिक्षा प्राप्‍त की । किशोरवय में विश्वामित्र उन्‍हे वन में राक्षसों व्‍दारा मचाए जा रहे उत्‍पात को समाप्‍त करने के लिए लेगये । राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्‍मण भी इस कार्य में उनके साथ थे । राम ने उस समय ताड़का नामक राक्षसी को मारा तथा मारीच को पलायन के लिए मजबूर किया । इस दौरान ही विश्‍वमित्र उन्‍हे मिथिला लेगये । वहॉं के विदेह राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए एक समारोह आयोजित किया था । शिव का एक धनुष था जिसपर प्रत्‍यंचा चढ़ाने वाले शूर से सीता का विवाह किया जाना था । बहुत सारे राजा महाराजा उस समारोह में पधारे थे । बहुत से राजाओं के प्रयत्‍न के बाद भी जब धनुष पर प्रत्‍यंचा चढ़ाना तो दूर धनुष उठा तक नहीं सके, तब विश्‍वामित्र की आज्ञा पाकर राम ने धनुष उठा कर प्रत्‍यंचा चढ़ाने की प्रयत्न की । उनकी प्रत्‍यंचा चढाने की प्रयत्न में वह महान धुनुष ही घोर ध्‍‍वनि करते हुए टूट गया । महर्षि परशुराम ने जब इस घोर ध्‍वनि सुना तो वहॉं आगये और अपने गुरू (शिव) का धनुष टूटनें पर रोष व्‍यक्‍त करने लगे । लक्ष्‍मण उग्र स्‍वाभाव के थे । उनका विवाद परशुराम से हुआ । तब राम ने बीच-बचाव किया । इस प्रकार सीता का विवाह राम से हुआ और परशुराम सहित समस्‍त लोगो ने आशीर्वाद दिया । अयोद्या में राम सीता सुखपूर्वक रहने लगे । लोग राम को बहुत चाहते थे । उनकी मृदुल, जनसेवायुक्‍त भावना और न्‍यायप्रियता के कारण उनकी विशेष लोकप्रियता थी । राजा दशरथ वानप्रस्‍थ की ओर अग्रसर हो रहे थे| अत: उन्‍होने राज्‍यभार राम को सौंपनें का सोचा । जनता में भी सुखद लहर दौड़ गई की उनके प्रिय राजा उनके प्रिय राजकुमार को राजा नियुक्‍त करनेवाले हैं । उस समय राम के अन्‍य दो भाई भरत और शत्रुघ्‍न अपने ननिहाल कैकेय गए हुए थे । मंथरा, जो रानी कैकेयी की दासी थी, ने कैकेयी को भरमाया कि राजा तुम्‍हारे साथ गलत कर रहें है । तुम राजा की प्रिय रानी हो तो तुम्‍हारी संतान को राजा बनना चाहिए पर राजा दशरथ राम को राजा बनाना चा‍हते हैं ।
आगरे का ताजमहल, शाहजहाँ की प्रिय बेगम़ मुमताज महल का मकबरा, विश्व की सबसे प्रसिद्ध इमारतों मे से एक है। यह विश्व के नये ७ अजूबों में से एक है और आगरा की तीन विश्व सांस्क्रतिक धरोहरों मे से एक है। अन्य दो धरोहरें आगरा किला और फतेहपुर सीकरी है।
रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचन्द्र, जिन्हें कि केवल राम भी कहा जाता है, के निर्मल एवं विशद् चरित्र का वर्णन किया है। महर्षि वाल्मीकि रचित संस्कृत रचना रामायण को रामचरितमानस का आधार माना जाता है। यद्यपि रामायण और रामचरितमानस दोनों में ही राम के चरित्र का वर्णन है परंतु दोनों ही महाकाव्यों के रचने वाले कवियों की वर्णन शैली में उल्लेखनीय अंतर है। जहाँ वाल्मीकि ने रामायण में राम को केवल एक सांसारिक व्यक्ति के रूप में दर्शाया है वहीं तुलसीदास ने रामचरितमानस में राम को भगवान विष्णु का अवतार माना है।
रूस में 4 स्वायत्त ज़िले (Автономные округа, औटोनौमिबि ओकरिगा) हैं ।
शिवा इलेक्ट्रीकल के पास, अमीनपारा
एरीजोना संयुक्त राज्यों में शामिल होने वाला ४८व राज्य था जिसे की इसमें १४ फरबरी १९१२ को समिलित किया गया. इसी दिन इस राज्य की देश में माने जाने वाली भूमि की वर्षागाट भी थी. एरीजोना अपने रेगिस्तानी मौसम, बहयंकर गर्मी और हलकी धंड के लिए जाना जाता है. पर राज्य के उच्चे इलाको में बहुत पहाड़ है व जंगल, इसी कारण वहा का मौसम अन्य राज्य के मुकाबले धंडा रहता है. जुलाई १ २००६ के अनुसार एरीजोना देश में आबादी के हिसाब से सबसे तेजी से बढता राज्य है. इससे पहले यह दर्जा नेवादा के पास था.
यह स्वच्छ लाल तथा गेरुआ रंग का होता है। यह रात्रि ज्वर को दूर करता है। हीरा यह सफेद, नीला, पीला, गुलाबी, काला, लाल आदि अनेक रंगों में होता है। सफेद हीरा सर्वोत्तम है तथा हीरा सभी प्रकार के रत्नों में श्रेष्ठ है।
केरल-995001
ग्लेशियर ग्रोटो- यदि आप स्विट्जरलैंड जाएँ तो ग्लेशियर ग्रोटो को निहारना मत भूलिएगा। यहाँ बर्फ में बनी सुंदर गुफाएँ हैं। इन गुफाओं की बर्फ की दीवारों पर 8,450 लेम्पस जगमगाते हैं। यहाँ “हॉल ऑफ फेम” भी है । जिसमें स्विट्जरलैंड आए प्रमुख हस्तियो के फोटों लगे हैं। यहाँ “ करिशमा कपूर, वीरेंद्र सहवाग से लेकर कई भारतीय हस्तियों के फोटो पारंपरिक स्विज पोशाक में लगे हुए हैं।”
इलाहाबाद और निकटवर्ती क्षेत्र
इस प्रकार वेदव्यास के साथ जैमिनि का घनिष्ठ संबंध रखना प्रमाणित होता है। अतएव ये दोनों एक ही काल में रहे होंगे, ऐसा सिद्धांत मानने में दोष नहीं मालूम होता। पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार जैमिनि ईसा से आठ शतक पूर्व ही रहे होंगे, किंतु भारतीय विद्वानों के अनुसार ईसा से तीन हजार वर्ष पूर्व जैमिनि का समय कहने में कोई विशेष आपत्ति नहीं मालूम होती।
इसके अलावा हिन्दी और संस्कृत में ये वर्णाक्षर भी स्वर माने जाते हैं :
उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र स्कन्दगुप्त सिंहासन पर बैठा । उसने सर्वप्रथम पुष्यमित्र को पराजित किया और उस पर विजय प्राप्त की । उसने १२ वर्ष तक शासन किया । स्कन्दगुप्त ने विक्रमादित्य, क्रमादित्य आदि उपाधियाँ धारण कीं । कहीय अभिलेख में स्कन्दगुप्त को शक्रोपन कहा गया है ।
In October 1537, Sher Khan again invaded Bengal and besieged the city of Gaur. Humayun, realising the strength of the Afghan overlord, marched to oppose Sher Khan in December 1537, and besieged Chunar. However, the army of Sher Khan baffled all the attempts of the assailants for six months, which gave enough time to Sher Khan for the reduction of Gaur, which was achieved by April 1538. In 1539, as Humayun marched towards Bengal, Sher Khan cleverly occupied the Mughal territories in Bihar and Jaunpur. In 1539, Sher Khan was able to defeat Humayun in the Battle of Chausa. Again in 1540, he defeated Humayun in the Battle of Kannauj, and went on to capture Delhi and Agra at the age of 54.
इलाहाबाद प्राचीन काल से ही शैक्षणिक नगर के रुप मे प्रसिद्ध है। इलाहाबाद केवल गंगा और यमुना जैसी दो पवित्र नदियो का ही संगम नही, अपितु आध्यात्म के साथ शिक्षा का भी संगम है, जैहा भारत के सभी राज्यो से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते है। इलाहाबाद विश्व्विद्यालय इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है, जँहा से अनेकानेक विद्वान ने शिक्षा ग्रहण कर देश व समाज के अनेक भागो मे अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पूर्व का आक्सफोर्ड ("Oxford of the East") भी कहा जाता है । इलाहाबाद मे कई विश्व्विद्यालय, शिक्षा परिषद, इन्जीनिरिंग कालेज, मेडिकल कालेज तथा मुक्त विश्व्विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र मे उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे है।
पूर्वी एशिया में दक्षिण कोरिया और पूर्वी तिमोर के बाद फिलीपीन्स ही ऐसा देश है, जहां ज्यादातर लोग ईसाई धर्म के अनुयायी हैं। ९ करोड़ से अधिक की आबादी वाला यह विश्व की 12 वीं सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। यह देश स्पेन (१५२१ - १८९८) और संयुक्त राज्य अमरीका (१८९८ - १९४६) का उपनिवेश रहा।
ऐनाटोलिया के पठारी भाग की जलवायु दक्षिण पूर्वी रूस की जलवायु से मिलती जुलती है जहाँ जाड़े में उत्तर पूर्वी शीतल हवाएँ चलती हैं, जिनसे ताप कभी कभी शून्य अंश सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है। गर्मी में अधिक गर्मी पड़ती है तथा कभी कभी आँधी भी आती है। वर्षा 10"" से कम होती है। जाड़े में लगभग तीन महीनों तक बर्फ पड़ती रहती है। फलस्वरूप यह पेड़ों से रहित शुष्क घास का मैदान है। आरमीनिया का पहाड़ी भाग और भी ठंडा है जहाँ जाड़े की ऋतु छह महीनें की होती है। इसीलिए लोग इस भाग को "टर्की का साइवीरिया" कहते हैं।
कुज़्को (Cuzco), पेरू, में
महाभारत के युद्ध मे कई तरीके के हथियार प्रयोग मे लाये गये। प्रास, ऋष्टि, तोमर, लोहमय कणप, चक्र, मुद्गर, नाराच, फरसे, गोफन, भुशुण्डी, शतघ्नी, धनुष-बाण, गदा, भाला, तलवार, परिघ, भिन्दिपाल, शक्ति, मुसल, कम्पन, चाप, दिव्यास्त्र, एक साथ कई बाण छोड़ने वाली यांत्रिक मशीनें।[२८]
रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के संतान के रूप में 7 मई, 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। उनकी स्कूल की पढ़ाई प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई। टैगोर ने बैरिस्टर बनने की चाहत में 1978 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में पब्लिक स्कूल में नाम दर्ज कराया। उन्होंने लंदन कालेज विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया लेकिन 1880 में बिना डिग्री हासिल किए ही वापस आ गए। उनका 1883 में मृणालिनी देवी के साथ विवाह हुआ।
मराठी, भारतीय राज्य महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है, और गोआ, केन्द्र शासित प्रदेशों दमन और दीव, और दादर और नागर हवेली में सह-आधिकारिक भाषा है या आधिकारिक कार्यो में उपयोग में लाई जाती है। भारत का संविधान मराठी को भारत की २२ आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में स्वीकार करता है।
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा श्रीनगर विमानक्षेत्र है। इंडियन एयरलाइन्स दिल्ली, अमृतसर, जम्मू, लेह, चंडीगढ़, अहमदाबाद और मुम्बई से श्रीनगर के लिए उड़ान भरती है।
Hyderabad is also a major centre for art, and some leading painters have been associated with Hyderabad - M. F. Husain, Vaikutam, K V Sridhar (Pops), Laxma Goud and Jagdish Mittal (renowned collector of Indian modern art).
कीचक राजा विराट का साला था तथा उनका सेनापती था। आज्ञात्वास के समय जब पाण्डव अपनी एक वर्ष की अवधी राजा विराट के यहा व्यतीत कर रहे थे तब वहाँ द्रौपदी "सैरंधृी" नामक एक दासी के रूप मे राजा विराट की पत्नी की सेवा मे कार्यरत थी। उस समय कीचक द्रौपदी "सैरंधृी" पर मोहित हो गया । एक दिन उसने बल़पूर्वक द्रौपदी "सैरंधृी" को पाने की कोशिश की जिसके परिणामस्वरूप भीम ने कीचक का वध कर दिया।
हैदराबाद शहर, अपनी सूचना प्रौद्योगिकी एवं आई टी एनेबल्ड सेवाएं, औषधि, मनोरंजन उद्योग (फिल्म) के लिये प्रसिद्ध है। कई कॉल सेंटर, बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बी पी ओ) कम्पनियां, जो सूचना प्रौद्योगिकी व अन्य तकनीकी सेवाओं से संबंधित हैं, यहां 1990 के दशक में स्थापित की गयीं, जिन्होंने इसे भारत क्के कॉल सेंटर सेटप शहरों में से एक बनाया।
श़िया राजवंश का अस्तित्व एक लोककथा लगता था पर हेनान में पुरातात्विक खुदाई के बाद इसके अस्तित्व की सत्यता सामने आई। प्रथम प्रत्यक्ष राजवंश था - शांग राजवंश, जो पूर्वी चीन में १८वीं से १२वीं सदी इसा पूर्व में पीली नदी के किनारे बस गए। १२वीं सदी ईसा पूर्व में पश्चिम से झाऊ शासकों ने इनपर आक्रमण किया और इनके क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इन्होंने ५वीं सदी ईसा पूर्व तक राज किया। इसके बाद चीन के छोटे राज्य आपसी संघर्षों में भिड़ गए। २२१ ईसा पूर्व में किन राजाओं ने चीन का प्रथम बार एकीकरण किया। इन्होंने राजा का कार्यालय स्थापित किया और चीनी भाषा का मानकीकरण किया। २२० से २०६ ईसा पूर्व तक हान राजवंश के शासकों ने चीन पर राज किया और चीन की संस्कृति पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। यह प्रभाव अब तक विद्यमान है। हानों के पतन के बाद चीन में फिर से अराजकता का दौर गया। सुई राजवंश ने ५८० ईस्वी में चीन का एकीकरण किया जिसके कुछ ही वर्षों बाद (६१४ ई.) इस राजवंश का पतन हो गया।
(५) सहसराम- यह बिहार के शाहाबाद जिले में है ।
7 भारतीय रियासतें
राजस्थानी भाषा मुहावरा अर लोकोक्तियाँ
इस हीरे के बारे में, दक्षिण भारतीय कथा, कुछ पुख्ता लगती है। यह सम्भव है, कि हीरा, आंध्र प्रदेश की कोल्लर खान, जो वर्तमान में गुंटूर जिला में है, वहां निकला था[३]। दिल्ली सल्तनत में खिलजी वंश का अंत १३२० में होने के बाद गियासुद्दीन तुगलक ने गद्दी संभाली थी। उसने अपने पुत्र उलुघ खान को १३२३ में काकातीय वंश के राजा प्रतापरुद्र को हराने भेजा था। इस हमले को कड़ी टक्कर मिली, परन्तु उलूघ खान एक बड़ी सेना के साथ फिर लैटा । इसके लिये अनपेक्षित राजा, वारंगल के युद्ध में हार गया। तब वारंगल की लूट-पाट, तोड़-फोड़ व हत्या-काण्ड महीनों चली। सोने-चांदी व हाथी-दांत की बहुतायत मिली, जो कि हाथियों, घोड़ों व ऊंटों पर दिल्ली ले जाया गया। कोहिनूर हीरा भी उस लूट का भाग था। यहीं से, यह हीरा दिल्ली सल्तनत के उत्तराधिकारियों के हाथों से मुगल सम्राट बाबर के हाथ १५२६ में लगा।
कुछ कागजाज सुझाव देते हैं कि सूर्य के योगदान का कम आकलन किया गया है। Duke University (Duke University) के दो शोधकर्ताओं, Bruce West और Nicola Scafetta ने यह अनुमान लगाया है की सूर्य ने १९००-२००० तक शायद ४५-५० प्रतिशत तक तापमान बढ़ाने में योगदान दिया है और १९८० और २००० [३७] के बीच में लगभग २५-३५ प्रतिशत तक तापमान बढाया है.पीटर स्कॉट और अन्य शोधकर्ताओं द्वारा पता चला है जलवायु मॉडल ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव को जिआदा आंकते हैं और सोलर फोर्सिंग को जिअदा महत्व नही देते , वे यह भी सुझाव देते हैं ज्वालामुखी धूल और सुल्फाते एरोसोल्स ओ भी कम आँका गया है [३८] फिर भी वे मानते हैं की सोलर फोर्सिंग होने के बावजूद , जिअदातर वार्मिंग ग्रीन हाउस गैसों के कारन होने की संभावना है , ख़ास कर के 20 वीं सदी के मध्य से लेकर .
सार्वजनिक यातायात व्यवस्था के लिए पुणे व पिंपरी-चिंचवड महापालिका द्वारा नियंत्रित पी.एम.टी. व पी.सी.एम.टी. उपकरण है। रिक्शा शहर मे यातायात का प्रमुख साधन है।
थोड़ी सी जगह दें (घुसपैठियों पर आधारित निबन्ध)
1950 से लेकर 1980 तक तो यही लगता रहा कि देश के शीर्षस्थ संगीतकारों का तीर्थ-सा बन गया है पटना । डीवी पलुस्कर, ओंकार नाथ ठाकुर, भीमसेन जोशी, अली अकबर ख़ान, निखिल बनर्जी, विनायक राव पटवर्धन, पंडित जसराज, कुमार गंधर्व, बीजी जोग, अहमद जान थिरकवा, बिरजू महाराज, सितारा देवी, किशन महाराज, गुदई महाराज, बिस्मिल्ला ख़ान, हरिप्रसाद चौरसिया, शिवकुमार शर्मा ... बड़ी लंबी सूची है । पंडित रविशंकर और उस्ताद अमीर ख़ान को छोड़कर बाक़ी प्रायः सभी नामी संगीतज्ञ उन दिनों पटना के दशहरा संगीत समारोहों की शोभा बन चुके थे ।
वर्तमान में सात वेट डिवीज़न हैं जिसमें शासी निकायों द्वारा बदलाव किया जा सकता है और प्रतियोगियों की उम्र के आधार पर इनमें संशोधन भी किया जा सकता है:
हर प्रमुख शहरों से कोलकाता जाया जा सकता है। स्थानीय साधन लकाता में मीटर से टैक्सी चलती है। बस, मेट्रो रेल, साइकल रिक्शा तथा ऑटो रिक्शा चलते हैं।
प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था । यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है।
पिन : २८५००१
यह केरल के शहर कोचीन के पश्चिमी तट से 398 किमी दूर 10°-33’ उत्तर 72°-38’ पूर्व पर स्थित है.[१]इसका औसत उन्नयन 0 मी है. कवरत्ती का कुल क्षेत्रफल 4.22 वर्ग किमी है.
1875 में बना यह चर्च लोम्बार्डिक गोथिक शैली में बना हुआ है। यह चर्च उन अंग्रेजों को समर्पित है जिनकी 1857 के विद्रोह में मृत्यु हो गई थी। ईस्ट बंगाल रेलवे के वास्तुकार वाल्टर ग्रेनविले ने इस चर्च का डिजाइन तैयार किया था।
साक्षरता - 38.08%
अपनी विविधता और रंगीन उपस्थिति के कारण, फूल दृश्य कलाकारों के भी पसंदीदा विषय रहे हैं. मशहूर चित्रकारों द्वारा कुछ प्रख्यात चित्रों में फूलों के चित्र हैं, उदहारण के लिए वैन गो (Van Gogh) का सूर्यमुखी (sunflowers) का श्रृंखला और मोनेट के पानी के लिली. फूलों को सुखाया भी जाता है, सूखे रूप में फ्रीज़ किया जाता हैं और दबाया जाता है ताकि फूल कला (flower art) के तीन-आयामी स्थायी हिस्से हों.
पाणिनि से पूर्व एक प्रसिद्ध व्याकरण इंद्र का था। उसमें शब्दों का प्रातिकंठिक या प्रातिपदिक विचार किया गया था। उसी की परंपरा पाणिनि से पूर्व भारद्वाज आचार्य के व्याकरण में ली गई थी। पाणिनि ने उसपर विचार किया। बहुत सी पारिभाषिक संज्ञाएँ उन्होंने उससे ले लीं, जैसे सर्वनाम, अव्यय आदि और बहुत सी नई बनाई, जैसे टि, घु, भ आदि।
एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर, और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है।
यज्ञान्तक्ड़िद.यज्ञगुह्यमन्नमऽन्नाद एव च ।।(१०५)
अपने जमाने में स्पार्टा आकर्षण का विषय हुआ करता था साथ ही साथ पश्चिम ने भी सांस्कृतिक (क्लासिकल) शिक्षा के पुनरुद्धार का अनुकरण करना आरम्भ कर दिया. स्पार्टा पश्चिमी संस्कृति को मोहित करता रहा, स्पार्टा के प्रति प्रशंसा को सारगर्भिता (लैकोनोफिलिया) कहा जाता है.
कृषि के लिये जलाशयों के महत्व के अनुरूप ही उनके निर्माण और उनकी मरम्मत के लिये समुचित प्रबंध होता था। आर्थिक दृष्टि से उपयोगी फसलें, जैसे पान, सुपारी कपास और फल, भी पैदा की जाती थीं। उद्योगों और शिल्पों की श्रेणियों के अतिरिक्त व्यापारियों के भी संघ थे। व्यापारियों ने कुछ संघ, तथा नानादेशि और तिशैयायिरत्तु ऐंजूर्रुवर् का संगठन अत्यधिक विकसित था और वे भारत के विभिन्न भागों और विदेशों के साथ व्यापार करते थे। इस काल के सिक्कों के नाम हैं- पोन् अथवा गद्याण, पग अथवा हग, विस और काणि। जयसिंह, जगदेकमल्ल और त्रैयोक्यमल्ल के नाम के सोने और चाँदी के सिक्के उपलब्ध होते हैं। मत्तर, कम्मस, निवर्तन और खंडुग भूमि नापने की इकाइयाँ थी किंतु नापने के दंड का कोई सुनिश्चित माप नहीं था। संभवत: राज्य की ओर से नाप की इकाइयों का व्यवस्थित और निश्चित करने का प्रयत्न हुआ था।
कोयंबेडु पश्चिमी चेन्नई का एक क्षेत्र है।
निकटवर्ती अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा - मुम्बई, नाशिक शहर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर। निकटवर्ती घरेलू हवाई अड्डा - मुम्बई, नाशिक शहर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर। निकटवर्ती रेलवे स्थानक - नाशिक रोड़, नाशिक शहर से लगभग 9 कि.मी. की दूरी पर। निकटवर्ती बस स्थानक- नाशिक शहर में सिटी बस स्टेंड।
प्राचीन काल में धार नगरी के नाम से विख्यात मध्य प्रदेश के इस शहर की स्थापना परमार राजा भोज ने की थी। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर है। यह मध्यकालीन शहर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है। बेरन पहाड़ियों से घिर इस शहर को झीलों और हरे-भरे वृक्षों ने आच्छादित कर रखा है। धार के प्राचीन शहर में अनेक हिन्दू और मुस्लिम स्मारकों के अवशेष देखे जा सकते हैं। एक जमाने में मालवा की राजधानी रहा यह शहर धार किला और भोजशाला मस्जिद की वजह से पर्याप्त संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में सफल रहता है। साथ ही इसके आसपास अनेक ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को रिझाने में कामयाब होते हैं।
अरबी भाषा को अरबी लिपि में लिखा जाता है। ये दाएँ से बाएँ लिखी जाती है। इसकी कई ध्वनियाँ उर्दू की ध्वनियों से अलग हैं। हर एक स्वर या व्यंजन के लिये (जो अरबी भाषा में प्रयुक्त होता है) एक और सिर्फ़ एक ही अक्षर है। ह्रस्व स्वरों की मात्राएँ देना वैकल्पिक है।
पानीहाटी कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी के अधीन आता है।
फिर वह टेलीविजन विज्ञापन की ओर मुड़ गई (television advertising)1998 के बाद से , वह कई टेलीविजन विज्ञापनों में दिखाई दी , जिनमें से अधिकतर विज्ञापनों का निर्देशन प्रदीप सरकार द्बारा किया गया (Pradeep Sarkar).उन्होंने music videos (singers) में सहायक भूमिकाओं में यूफोरिया (bands), सुभा मुदगल (Euphoria) और पंकज उधास (Shubha Mudgal) जैसे गायक और बैंड के साथ काम की (Pankaj Udhas)Iबालन ने हम पाँच (Hum Paanch) के कुछ एपिसोड में राधिका माथुर के रूप में भी दिखाई दी, लेकिन बाद में उनकी जगह अमिता नांगिया को इस भूमिका के लिए चुन लिया गया I
गंगा अपनी उपत्यकाओं में भारत और बांग्लादेश के कृषि आधारित अर्थ में भारी सहयोग तो करती ही है, यह अपनी सहायक नदियों सहित बहुत बड़े क्षेत्र के लिए सिंचाई के बारहमासी स्रोत भी हैं। इन क्षेत्रों में उगाई जाने वाली प्रधान उपज में मुख्यतः धान, गन्ना, दाल, तिलहन, आलू एवं गेहूँ हैं। जो भारत की कृषि आज का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। गंगा के तटीय क्षेत्रों में दलदल एवं झीलों के कारण यहाँ लेग्यूम, मिर्च, सरसों, तिल, गन्ना और जूट की अच्छी फसल होती है। नदी में मत्स्य उद्योग भी बहुत जोरों पर चलता है। गंगा नदी प्रणाली भारत की सबसे बड़ी नदी प्रणाली है। इसमें लगभग ३७५ मत्स्य प्रजातियाँ उपलब्ध हैं। वैज्ञानिकों द्वारा उत्तर प्रदेश व बिहार में १११ मत्स्य प्रजातियों की उपलब्धता बतायी गयी है।[१७]फरक्का बांध बन जाने से गंगा नदी में हिल्सा मछली के बीजोत्पादन में सहायता मिली है। [१८] गंगा का महत्त्व पर्यटन पर आधारित आय के कारण भी है। इसके तट पर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण तथा प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कई पर्यटन स्थल है जो राष्ट्रीय आय का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। गंगा नदी पर रैफ्टिंग के शिविरों का आयोजन किया जाता है। जो साहसिक खेलों और पर्यावरण द्वारा भारत के आर्थिक सहयोग में सहयोग करते हैं। गंगा तट के तीन बड़े शहर हरिद्वार, इलाहाबाद एवं वाराणसी जो तीर्थ स्थलों में विशेष स्थान रखते हैं। इस कारण यहाँ श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या निरंतर बनी रहती है और धार्मिक पर्यटन में महत्त्वपूर्ण योगदान करती है। गर्मी के मौसम में जब पहाड़ों से बर्फ पिघलती है, तब नदी में पानी की मात्रा व बहाव अच्छा होता है, इस समय उत्तराखंड में ऋषिकेश - बद्रीनाथ मार्ग पर कौडियाला से ऋषिकेश के मध्य रैफ्टिंग, क्याकिंग व कैनोइंग के शिविरों का आयोजन किया जाता है, जो साहसिक खोलों के शौकीनों और पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित कर के भारत के आर्थिक सहयोग में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।[१९]
बालक द्वारा मन्त्रोच्चार के साथ पूजा स्थल पर स्थापित पट्टी पर पूजन सामग्री अपिर्त कराई जाए । भावना की जाए कि इस आराधना से बालक तुष्टि शक्ति से सम्पकर् स्थापित कर रहा है । उस शक्ति से परिश्रम, साधना करने की क्षमता का विकास होगा ।
अट्ठारह दिसम्बर से याने सतनाम परंपरा के संस्थापक बाबा घासीदास जी के जन्म दिवस से पंथी नाच गांव-गांव में होते देखे जा सकते हैं । यह मुख्य रुप से पुरुषों का नाच है । 15 या 20 पुरुषों की एक टोली होती है । जो गोल घेरे में नाचते हैं और गीत गाता है जिसे अन्य कलाकार दोहराते हैं और नाचते हैं । इसके प्रमुख वाद्य मांदर तथा झांझ है । मांदर में थाप होता है - धिन-ना, धिन-ना, ता-धिन गीत के बोल प्रारंभ होते हैं -
जैन धर्म के अनुयायी मानते हैं कि प्राणियों से लेकर निर्जीव पदार्थों में सब चीज में अलग अवस्था का जीवन हुआ करता है और इसीलिए वे इसके नुकसान को न्यूनतम करने के लिए अधिकतम प्रयास करते हैं. अधिकांश जैनी लैक्टो-शाकाहारी होते हैं, लेकिन अधिक धर्मनिष्ठ जैनी कंद-मूल सब्जियां नहीं खाते क्योंकि इससे पौधों की हत्या होती है. इसके बजाय वे फलियां और फल खाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिनकी खेती में पौधों की हत्या शामिल नहीं है. मृत पशुओं से प्राप्त उत्पादों के उपभोग या उपयोग की अनुमति नहीं है. भूखे रहकर आत्म समाप्ति को जैनी एक आदर्श अवस्था मानते हैं और कुछ समर्पित भिक्षु आत्म समाप्ति किया करते हैं. आध्यात्मिक प्रगति के लिए यह उनके लिए एक अपरिहार्य स्थिति है.[१२४][१२५] कुछ विशेष रूप से समर्पित व्यक्ति फ्रुटेरियन हैं.[१२६] शहद से परहेज किया जाता है, क्योंकि इसके संग्रह को मधुमक्खियों के खिलाफ हिंसा के रूप में देखा जाता है. कुछ जैनी भूमि के अंदर पैदा होने वाले पौधों के भागों को नहीं खाते, जैसे कि मूल और कंद; क्योंकि पौधा उखाड़ते समय सूक्ष्म प्राणी मारे जा सकते हैं.[१२७]
संस्कृत काव्यशास्त्र में महाकाव्य (एपिक) का प्रथम सूत्रबद्ध लक्षण आचार्य भामह ने प्रस्तुत किया है और परवर्ती आचार्यों में दंडी, रुद्रट तथा विश्वनाथ ने अपने अपने ढंग से इस लक्षण का विस्तार किया है। आचार्य विश्वनाथ का लक्षणनिरूपण इस परंपरा में अंतिम होने के कारण सभी पूर्ववर्ती मतों के सारसंकलन के रूप में उपलब्ध है।
क्रोधहा क्रोधक्ड़ित कर्ता विश्वबाहुर महीधरः ।।(३४)
कनॉट प्लेस (आधिकारिक रूप से राजीव चौक) दिल्ली का सबसे बड़ा व्यवसायिक एवं व्यापारिक केन्द्र है। इसका नाम ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया था। इस मार्केट का डिजाइन डब्यू एच निकोल और टॉर रसेल ने बनाया था। यह मार्केट अपने समय की भारत की सबसे बड़ी मार्केट थी। अपनी स्थापना के ६५ वर्षों बाद भी यह दिल्ली में खरीदारी का प्रमुख केंद्र है। यहां के इनर सर्किल में लगभग सभी अंतर्राष्ट्रीय ब्रैंड के कपड़ों के शोरूम, रेस्त्रां और बार हैं। यहां किताबों की दुकानें भी हैं, जहां आपको भारत के बारे में जानकारी देने वाली बहुत अच्छी किताबें मिल जाएंगी।
कश्यप जी के मुख से भगवद्भक्त पौत्र के उत्पन्न होने की बात सुन कर दिति को अति प्रसन्नता हुई और अपने पुत्रों का वध साक्षात् भगवान से सुन कर उस का सारा खेद समाप्त हो गया।
बिन्दुसार के समय में भारत का पश्‍चिम एशिया से व्यापारिक सम्बन्ध अच्छा था । बिन्दुसार के दरबार में सीरिया के राजा एंतियोकस ने डायमाइकस नामक राजदूत भेजा था । मिस्र के राजा टॉलेमी के काल में डाइनोसियस नामक राजदूत मौर्य दरबार में बिन्दुसार की राज्यसभा में आया था ।
उलुबेरिया कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी के अधीन आता है।
प्राचीन काल में मनुष्य सूर्यप्रकाश, शुद्ध हवा, जल, अग्नि, मिट्टी, खनिज, वनस्पतियों की जड़, छाल, पत्ती आदि द्रव्यों से अनुभव के आधार पर चिकित्सा करता था। इनके गुणधर्म उसे मालूम न थे। इसी प्रकार, रोगों का ज्ञान न होने से, वे रोगों के उत्पन्न होने का कारण देवताओं का कोप समझते थे और उन्हें प्रसन्न करने का मंत्र-तंत्रों से प्रयत्न करते थे। पीछे जैसे जैसे रोगों का ज्ञान बढ़ा, दैवी चिकित्सा का जोर घटता गया और आनुभविक चिकित्सा का विस्तार होता गया। पीछे मैर्केज़ी (Mackenzie), कोख (Koch), एरलिच (Ehrlich) इत्यादि के परिश्रम और सूक्ष्म अवलोकन से आनुभविक चिकित्साद्रव्यों की मूलकता सिद्ध हो गई और अनेक नए द्रव्य आविष्कृत हुए। 20वीं शताब्दी तक चिकित्सा बहुत अधिक विकसित हो गई। आज चिकित्सा की अनेक शाखाएँ बन गई हैं, जिनमें निम्नलिखित विशेष उल्लेखनीय हैं :
फतेहगढ़ के मंदिरों में से एक मंदिर में उमा-महेश्वर और गणेश की प्रतिमाएं हैं। शैली और प्रतीकात्मक आधार पर ये ११-१२ शदी की हैं। जो कि कला पारखियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उत्तर-मुगलकालीन समय के अनेकों मंदिर यहां हैं। ये मंदिर दार्व्हिष्टक सौंदर्य और स्थापत्य कला के श्रेष्ठता के उदाहरण हैं। सौंदर्य और काव्य-शास्र जनसाधारण की कलात्मक अभिरुचियों के विषय में कहता नहीं अघाता।
(2) दक्षिणी शाखा और
कांठे महाराज (१८८०-१ अगस्त, १९७०) भारत के प्रसिद्ध तबला वादक रहे हैं। ये बनारस घराने से थे। इनका जन्म १८८० में कबीर चौराहा मोहल्ले, वाराणसी में हुआ था।[१] इनके पिता पंडित दिलीप मिश्र भी जाने माने तबला वादक थे। इनकी आरंभिक संगीत शिक्षा बलदेव दहियाजी से आरंभ हुई थी। कांठे महाराज को प्रथम संगीतज्ञ माना जाता है, जिन्होंने तबला वादन द्वारा स्तुति प्रतुत की थी।
ब्रह्माण्ड शब्द के उपरोक्त अर्थ के आधार पर अगर ब्रह्माण्ड शब्द की यूनवर्स शब्द के साथ तुलनात्मक व्याख्या की जाए तो स्वतः ही स्पष्ट होता है कि :-
प्रथम भारतीय स्वाधीनता संग्राम। इस्ट इंडिया कंपनी को इसे दबाने में अंततः सफलता मिल गई किंतु उसके शासन का अंत हो गया।
आधुनिक युग (modern era) से पहले ज्योतिष और खगोल विज्ञान (Astrology and astronomy) अक्सर अविभेद्य माने जाते थे. भविष्य के बारे में जानना और दैवीय ज्ञान की प्राप्ति, खगोलीय अवलोकन के प्राथमिक प्रेरकों में से एक हैं. पुनर्जागरण से लेकर १८ वीं सदी के अंत के बाद से खगोल विज्ञान का धीरे धीरे विच्छेद होना शुरू हुआ.फलतः, खगोल विज्ञान ने खगोलीय वस्तुओं के वैज्ञानिक अध्ययन और एक ऐसे सिद्धांत के रूप में अपनी एक पहचान बनाई जिसका उसकी ज्योतिषीय समझ से कुछ लेना देना नहीं था.
इस दर्शन का महत्पूर्ण ग्रन्थ “वाचनम्” है जिससे अभिप्राय है ‘शिव की उक्ति’।
निर्देशांक: 25°22′N 85°08′E / 25.37, 85.13
महिषी- राजा की पत्नी,
सिरिंग (जिसे ब्लल भी कहा जाता है) तुलनात्मक रूप से छोटा एवं अंतिम सिरे से बजाये जाने वाली बांसुरी है जिसमें नाक द्वारा उत्पन्न स्वर की गुणवत्ता होती है[२६] एवं पिकोलो का स्वर होता है[उद्धरण वांछित] जो पूर्व आर्मेनिया के कॉकासस क्षेत्र में पाया जाता है. यह लकड़ी या बेंत का बना होता है जिसमें सामान्यतः सात अंगुली छिद्र एवं एक अंगूठा छिद्र होता है[२६] जो द्वि स्वर उत्पन्न करता है. सिरिंग का प्रयोग गड़रियों द्वारा अपने कार्य से संबंधित ध्वनियों एवं संकेतों को उत्पन्न करने तथा संगीतमय प्रेम गीतों, जिन्हें छबन बयाती कहा जाता है, के साथ - साथ क्रमबद्व खंडों के लिये किया जाता है.[उद्धरण वांछित] सिरिंग का प्रयोग डेफ और ढोल के साथ नृत्य हेतु संगीत उपलब्ध कराने के लिये भी किया जाता है.[उद्धरण वांछित] एक आर्मेनियाई संगीतज्ञ यह मानता है कि सिरिंग में राष्ट्रीय आर्मेनियाई यंत्रों के सभी गुण मौजूद हैं.[२७]
हिन्दू धर्म में, सम्पाती एक अरुन और गरुड का पुत्र है।
जहाँ तक उपभोक्ता वस्तुओं का सवाल है, विज्ञापनों का मूल उद्देश्य ग्राहको के अवचेतन मन पर छाप छोड जाता है और विज्ञापन इसमें सफल भी होते है। ये कहीं पे निगाहे, कही पे निशाना का सा अन्दाज है।
दुर्गा पार्वती का दूसरा नाम है। हिन्दुओं के शाक्त साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है) । वेदों में तो दुर्गा का कोई ज़िक्र नहीं है, मगर उपनिषद में देवी "उमा हैमवती" (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है । पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है । दुर्गा असल में शिव की पत्नी पार्वती का एक रूप हैं, जिसकी उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिये देवताओं की प्रार्थना पर पार्वती ने लिया था -- इस तरह दुर्गा युद्ध की देवी हैं । देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं । मुख्य रूप उनका "गौरी" है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप । उनका सबसे भयानक रूप काली है, अर्थात काला रूप । विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी जाती हैं । कुछ दुर्गा मन्दिरों में पशुबलि भी चढ़ती है । भगवती दुर्गा की सवारी शेर है ।
मगध महाजनपद की सीमा उत्तर में गंगा से दक्षिण में विन्ध्य पर्वत तक, पूर्व में चम्पा से पश्‍चिम में सोन नदी तक विस्तृत थीं ।
वास्तुशास्त्र (Vaastu Shastra) की पारंपरिक प्रणाली फेंग शुई (Feng Shui) के भारतीय प्रतिरूप की तरह है, जो कि शहर की योजना, वास्तुकला, और अर्गोनोमिक्स (यानि कार्य की जगह को तनाव कम करने के लिए और प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग होने वाला विज्ञान) को प्रभावित करता है.ये अस्पष्ट है कि इनमें से कौन सी प्रणाली पुरानी है, लेकिन दोनों में कुछ निश्चित समानताएं ज़रूर हैं. तुलनात्मक रूप से देखें तो फेंग शुई (Feng Shui) का प्रयोग पूरे विश्व में ज्यादा होता है.यद्यपि वास्तु संकल्पना के आधार पर फेंग शुई (Feng Shui) के समान है, इन दोनों में घर के अन्दर ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने की कोशिश कि जाती है,(इसको संस्कृत में प्राण-शक्ति या प्राण (Prana) कहा जाता है और चीनी भाषा और जापानी भाषा में इसे ची (Chi) / की (Ki) कहा जाता है ) लेकिन इनके विस्तृत रूप एक दुसरे से काफी अलग हैं, जैसे की वो निश्चित दिशाएं जिनमें विभिन्न वस्तुओं, कमरों, सामानों आदि को रखना चाहिए.
२७ - सत्ताइस
सिकंदरा का नाम सिकंदर लोदी के नाम पर पड़ा। मकबरे के चारों कोनों पर तीन मंजिला मीनारें हैं। ये मीनारें लाला पत्‍थर से बनी हैं जिन पर संगमरमर का सुंदर काम किया गया है। मकबरे के चारों ओर खूबसूरत बगीचा है जिसके बीच में बरादी महल है जिसका निर्माण सिकंदर लोदी ने करवाया था। सिकंदरा से आगरा के बीच में अनेक मकबरे हैं और दो कोस मीनार भी हैं। पांच मंजिला इस मकबरे की खूबसूरती आज भी बरकरार है।
फोर्ट विलियम के गवर्नर-जनरल बैल्वेडेर हाउस, कलकत्ता में आरम्भिक उन्नीसवीं शताब्दी तक रहा करते थे। फिर गवर्न्मेंट हाउस का निर्माण हुआ। १८५४ में, बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने वहां अपना आवास बनाया। अब बेलवेडेर हाउस में भारतीय राष्ट्रीय पुस्तकालय है।
ज्ञानसंदूक आखिरी बार बदला गया: August 2, 2007.
1934 में सुभाषबाबू को उनके पिता मृत्त्यूशय्या पर होने की खबर मिली। इसलिए वे हवाई जहाज से कराची होकर कोलकाता लौटे। कराची में उन्हे पता चला की उनके पिता की मृत्त्यू हो चुकी थी। कोलकाता पहुँचतेही, अंग्रेज सरकार ने उन्हे गिरफ्तार कर दिया और कई दिन जेल में रखकर, वापस यूरोप भेज दिया।
पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध- साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी। पुष्यमित्र प्राचीन मौर्य साम्राज्य के मध्यवर्ती भाग को सुरक्षित रख सकने में सफ़ल रहा। पुष्यमित्र का साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में बरार तक तथा पश्‍चिम में पंजाब से लेकर पूर्व में मगध तक फ़ैला हुआ था। दिव्यावदान और तारानाथ के अनुसार जालन्धर और स्यालकोट पर भी उसका अधिकार था। साम्राज्य के विभिन्न भागों में राजकुमार या राजकुल के लोगो को राज्यपाल नियुक्‍त करने की परम्परा चलती रही। पुष्यमित्र ने अपने पुत्रों को साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सह -शाशक नियुक्‍त कर रखा था। और उसका पुत्र अग्निमित्र विदिशा का उपराजा था। धनदेव कौशल का राज्यपाल था। राजकुमार जी सेना के संचालक भी थे। इस समय भी ग्राम शासन की सबसे छोटी इकाई होती थी। इस काल तक आते-आते मौर्यकालीन केन्द्रीय नियन्त्रण में शिथिलता आ गयी थी तथा सामंतीकरण की प्रवृत्ति सक्रिय होने लगी थीं।
उत्तराखण्ड की लोक धुनें भी अन्य प्रदेशों से भिन्न है। यहाँ के बाद्य यन्त्रों में नगाड़ा, ढोल, दमुआ, रणसिंग, भेरी, हुड़का, बीन, डौंरा, कुरूली, अलगाजा प्रमुख है। ढोल-दमुआ तथा बीन बाजा विशिष्ट वाद्ययन्त्र हैं जिनका प्रयोग आमतौर पर हर आयोजन में किया जाता है। यहाँ के लोक गीतों में न्योली, जोड़, झोड़ा, छपेली, बैर व फाग प्रमुख होते हैं। इन गीतों की रचना आम जनता द्वारा की जाती है। इसलिए इनका कोई एक लेखक नहीं होता है। यहां प्रचलित लोक कथाएँ भी स्थानीय परिवेश पर आधारित है। लोक कथाओं में लोक विश्वासों का चित्रण, लोक जीवन के दुःख दर्द का समावेश होता है। भारतीय साहित्य में लोक साहित्य सर्वमान्य है। लोक साहित्य मौखिक साहित्य होता है। इस प्रकार का मौखिक साहित्य उत्तराखण्ड में लोक गाथा के रूप में काफी है। प्राचीन समय में मनोरंजन के साधन नहीं थे। लोकगायक रात भर ग्रामवासियों को लोक गाथाएं सुनाते थे। इसमें मालसाई, रमैल, जागर आदि प्रचलित है। अभी गांवों में रात्रि में लगने वाले जागर में लोक गाथाएं सुनने को मिलती है। यहां के लोक साहित्य में लोकोक्तियाँ, मुहावरे तथा पहेलियाँ (आंण) आज भी प्रचलन में है। उत्तराखण्ड का छोलिया नृत्य काफी प्रसिद्ध है। इस नृत्य में नृतक लबी-लम्बी तलवारें व गेण्डे की खाल से बनी ढाल लिए युद्ध करते है। यह युद्ध नगाड़े की चोट व रणसिंह के साथ होता है। इससे लगता है यह राजाओं के ऐतिहासिक युद्ध का प्रतीक है। कुछ क्षेत्रों में छोलिया नृत्य ढोल के साथ शृंगारिक रूप से होता है। छोलिया नृत्य में पुरूष भागीदारी होती है। कुमाऊँ तथा गढ़वाल में झुमैला तथा झोड़ा नृत्य होता है। झौड़ा नृत्य में महिलाएँ व पुरूष बहुत बड़े समूह में गोल घेरे में हाथ पकड़कर गाते हुए नृत्य करते है। विभिन्न अंचलों में झोड़ें में लय व ताल में अन्तर देखने को मिलता है। नृत्यों में सर्प नृत्य, पाण्डव नृत्य, जौनसारी, चाँचरी भी प्रमुख है।[३०]
पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमा गतिः ।
बिभूतिभूषण बंद्योपाध्याय (बांग्ला: বিভুতিভূষণ বন্দ্যোপাধ্যায় ) बांग्ला के सुप्रसिद्ध लेखक और उपन्यासकार थे। वे अपने महाकाव्य पाथेर पांचाली के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। जिसके ऊपर प्रसिद्ध फ़िल्मकार सत्यजित राय ने एक लोकप्रिय फ़िल्म का निर्माण भी किया था।
दक्षिणापथ - सुवर्णगिरि
काशी संसार की सबसे पुरानी नगरी है। यह नगरी वर्तमान वाराणसी शहर में स्थित है। विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है-काशिरित्ते.. आप इवकाशिनासंगृभीता:।पुराणों के अनुसार यह आद्य वैष्णव स्थान है। पहले यह भगवान विष्णु (माधव) की पुरी थी। जहां श्रीहरिके आनंदाश्रु गिरे थे, वहां बिंदुसरोवरबन गया और प्रभु यहां बिंधुमाधवके नाम से प्रतिष्ठित हुए। ऐसी एक कथा है कि जब भगवान शंकर ने कु्रद्ध होकर ब्रह्माजीका पांचवां सिर काट दिया, तो वह उनके करतल से चिपक गया। बारह वर्षो तक अनेक तीर्थो में भ्रमण करने पर भी वह सिर उनसे अलग नहीं हुआ। किंतु जैसे ही उन्होंने काशी की सीमा में प्रवेश किया, ब्रह्महत्या ने उनका पीछा छोड दिया और वह कपाल भी अलग हो गया। जहां यह घटना घटी, वह स्थान कपालमोचन-तीर्थकहलाया। महादेव को काशी इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इस पावन पुरी को विष्णुजीसे अपने नित्य आवास के लिए मांग लिया। तब से काशी उनका निवास-स्थान बन गई।
साल 2007 तक हिमाचल प्रदेश में कुल बुवाई क्षेत्र 5.83 लाख हेक्‍टेयर था। गांवों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्‍ध कराई गई और अब तक राज्‍य में 14,611 हैंडपंप लगाए जा चुके हैं। हिमाचल प्रदेश में भूजल की उलब्धता 36,615.92 हैक्टेयर मीटर (है.मी.) है।[९]
अपनी वापसी के बाद, थेब्स राजाओं ने खुद को उत्तर की ओर हिक्सोस और दक्षिण की ओर हिक्सोस के नुबियन सहयोगी दल, कुशाओं के बीच घिरा हुआ पाया. लगभग 100 वर्षों की कमजोर निष्क्रियता चलती रही, और 1555 ईसा पूर्व के करीब थेब्स बलों ने इतनी शक्ति एकत्रित कर ली कि उन्होंने हिक्सोस को संघर्ष की चुनौती दी जो 30 से अधिक वर्षों तक चलता रहा.[४०]सिक्वेनेनर ताओ II और कमोस फैरो ने अंततः नुबियन को हरा दिया, लेकिन वह कमोस का उत्तराधिकारी, अहमोस था, जिसके सफलतापूर्वक छेड़े गए अभियानों के परिणामस्वरूप मिस्र में हिक्सोस का वजूद स्थायी रूप से समाप्त कर दिया.
इतना कह कर राजा परीक्षीत ने उस पापी शूद्र राजवेषधारी कलियुग को मारने के लिये अपनी तीक्ष्ण धार वाली तलवार निकाली। कलियुग ने भयभीत होकर अपने राजसी वेष को उतार कर राजा परीक्षित के चरणों में गिर गया और त्राहि-त्राहि कहने लगा। राजा परीक्षित बड़े शरणागत वत्सल थे, उनहोंने शरण में आये हुये कलियुग को मारना उचित न समझा और कलियुग से कहा - "हे कलियुग! तू मेरे शरण में आ गया है इसलिये मैंने तुझे प्राणदान दिया। किन्तु अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक उपद्रवों का मूल कारण केवल तू ही है। अतः तू मेरे राज्य से तुरन्त निकल जा और लौट कर फिर कभी मत आना।"
रामनारायण उपाध्याय (२०-७-७८)[५७]
इस शहर को जबालिपुरम भी कहते हैं क्योंकि इसका सम्बन्ध महर्षि जाबालि से जोड़ा जाता है। इसे राज्य की संस्कारधानी भी कहा जाता है। यहाँ पर मध्य प्रदेश का उच्च न्यायालयतथा राज्य विज्ञान संस्थान है। थलसेना की छावनी के अलावा यहाँ भारतीय आयुध निर्माणियों क‍े कारखाने तथा पश्चिम-मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है। यहाँ पश्चिम मध्य रेल्वे का मुख्य कार्यालय भी है| यह शहर भारत के प्रमुख शहरों दिल्ली और मुंबई से हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है।
चोपता की ओर बढते हुए रास्ते में बांस और बुरांश का घना जंगल और मनोहारी दृश्य पर्यटकों को लुभाते हैं। चोपता समुद्रतल से बारह हज़ार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से तीन किमी की पैदल यात्रा के बाद तेरह हज़ार फुट की ऊंचाई पर तुंगनाथ मंदिर है, जो पंचकेदारों में एक केदार है। चोपता से तुंगनाथ तक तीन किलोमीटर का पैदल मार्ग बुग्यालों की सुंदर दुनिया से साक्षात्कार कराता है। यहां पर प्राचीन शिव मंदिर है। इस प्राचीन शिव मंदिर से डेढ़ किमी की ऊंचाई चढ़ने के बाद चौदह हज़ार फीट पर चंद्रशिला नामक चोटी है। जहां ठीक सामने छू लेने योग्य हिमालय का विराट रूप किसी को भी हतप्रभ कर सकता है। चारों ओर पसरे सन्नाटे में ऐसा लगता है मानो आप और प्रकृति दोनों यहां आकर एकाकार हो उठे हों। तुंगनाथ से नीचे जंगल की सुंदर रेंज और घाटी का जो दृश्य उभरता है, वो बहुत ही अनूठा है। चोपता से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद देवहरिया ताल पहुंचा जा सकता है जो कि तुंगनाथ मंदिर के दक्षिण दिशा में है। इस ताल की कुछ ऐसी विशेषता है जो इसे और सरोवरों से विशिष्टता प्रदान करती है। इस पारदर्शी सरोवर में चौखंभा, नीलकंठ आदि हिमाच्छादित चोटियों के प्रतिबिंब स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। इस सरोवर का कुल व्यास पांच सौ मीटर है। इसके चारों ओर बांस व बुरांश के सघन वन हैं तो दूसरी ओर एक खुला सा मैदान है।
जलालाबाद में कुछ ही भिक्षु थे, लेकिन कई स्तूप और मठ थे। वह यहां से खायबर दर्रा होते हुए तत्कालीन गांधार राजधानी पेशावर पहुंचा। इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म पतन पर था। इसने कई स्तूपों की यात्रा की, जिनमें कनिष्क स्तूप प्रमुख था। वर्तमान में यह सब तोड़ा जा चुका है, परन्तु सन 1908 में ह्वेन त्सांग के विवरण द्वारा इसे खोजा गया था। पेशावर से वह पूर्वोत्तर में स्वात घाटी होते हुए उद्यान पहुंचा, जहां उसे 1400 मठ मिले, जिनमें पहले 18000 भिक्षु रहते थे। शेष भिक्षु महायन थे। फिर उत्तर चलने पर बुनेर घाटी पहुंचा। फिर इसने सिंधु नदी पार की, हुंद पर, और तक्षशिला, एक महायन बौद्ध राज्य, जो कश्मीर के अधीन था। यहां से वह कश्मीर पहुंचा। यहीं एक बुद्धिमान प्रज्ञावान बौद्ध भिक्षु के साथ दो वर्ष व्यतीत किये। इसी काल में चौथी बौद्ध सम्मेलन हुआ, कुशान राजा कनिष्क की देख रेख में। सन 633 में त्सांग ने कश्मीर से दक्षिण की ओर चिनाभुक्ति जिसे वर्तमान में फिरोजपुर कहते हैं, को पेअस्थान किया। वहां भिक्षु विनीतप्रभा के साथ एक वर्ष तक अध्ययन किया। सन 634 में पूर्व मं जालंधर पहुंचा। इससे पूर्व उसने कुल्लू घाटी में हिनायन के मठ भी भ्रमण किये। फिर वहां से दक्षिण में बैरत, मेरठ और मथुरा की यात्रा की, यमुना के तीरे चलते-चलते। मथुरा में 2000 भिक्षु मिले, और हिन्दू बहुल क्षेत्र होने के बाद भी, दोनों ही बौद्ध शाखाएं वहां थीं। उसने श्रुघ्न नदी तक यात्रा की, और फिर पूर्ववत मतिपुर के लिये नदी पार की। यह सन 635 की बात है। फिर गंगा नदी पार करके दक्षिण में संकस्य (कपित्थ) पहुंचा, जहां कहते हैं, कि गौतम बुद्ध स्वर्ग से अवतरित हुए थे। वहां से उत्तरी भारत के महा साम्राट हर्षवर्धन की राजधानी कान्यकुब्ज (वर्तमान कन्नौज) पहुंचा। यहां सन 636 में उसने सौ मठ और 10,000 भिक्षु देखे (महायन और हिनायन, दोनों ही)। वह सम्राट की बौद्ध धर्म की संरक्षण और पालन से अतीव प्रभावित हुआ। उसने यहां थेरवड़ा लेखों का अध्ययन किया। फिर पूर्व की ओर अयोध्या और साकेत का रुख किया। यहां यौगिक शिक्षा का गृहस्थान था। फिर वह दक्षिणवत कौशाम्बी पहुंचा। यहां उसे बुद्ध की स्थानीय छवि की प्रति मिली। फिर वह उत्तर में श्रावस्ती पहुंचा। और अंततः प्रसिद्ध कपिलवस्तु पहुंचा। यह लिम्बिनी से पूर्व अंतिम पड़ाव था। लुम्बिनी, बुद्ध के जन्मस्थान पहुंचा, वहीं उसने अशोक का स्तंभ भी देखा। सन 637 में वह लुम्बिनी से कुशीनगर रवाना हुआ, जहां बुद्ध ने निर्वाण प्राप्त किया था। फिर वह दक्षिणवत सारनाथ पहुंचा, जहां बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन किया था। यहां उसे 1500 भिक्षु मिले। फिर पूर्ववत वह वाराणसी और फिर वैशाली और फिर पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) पहुंचा। और वहां से बोध गया पहुंचा। यहां से दो भिक्षुओं सहित वह नालंदा गया,जहां उसने अगले दो वर्ष व्यतीत किये। त्सांग ने यहां तर्कशास्त्र, व्याकरण, संस्कृत और बौद्ध योगशास्त्र सीखा। यहां से वह दक्खिन की ओर चला और आंध्रदेश में अमरावती और नागर्जुनकोंडा के प्रसिद्ध विहार भ्रमण किये। फिर वह कांची, जो कि पल्लव वंश की शाही राजधानी थी, पहुंचा। यह बौद्ध धर्म का शक्ति केन्द्र था।
मुसलमान भाग्य को मानते हैं। भाग्य का अर्थ इनके लिये यह है कि ईश्वर बीते हुए समय, वर्तमान, और भविष्य के बारे में सब जानता है। कोई भी घटना उसकी अनुमति के बिना नहीं हो सकती है। मनुष्य को अपनी इच्छा से जीने की स्वतन्त्रता तो है पर इसकी अनुमति भी ईश्वर ही के द्वारा उसे दी गयी है। इस्लाम के अनुसार मनुष्य अपने कुकर्मों के लिये स्वयं उत्तरदाई इस लिये है क्योंकि उन्हें करने या न करने का निर्णय ईश्वर मनुष्य को स्वयं ही लेने देता है। उसके कुकर्मों का भी पूर्व ज्ञान ईश्वर को होता है।
इस प्रभाग का दायित्व एकीकृत वित्त योजना के अन्तर्गत मंत्रालय का बजट तैयार करना, उसको संचालित और नियंत्रित करना है।
जो भी हो, बाकी बातें सभी हिन्दू मानते हैं : ईश्वर एक, और केवल एक है। वो विश्वव्यापी और विश्वातीत दोनो है। बेशक, ईश्वर सगुण है। वो स्वयंभू और विश्व का कारण (सृष्टा) है। वो पूजा और उपासना का विषय है। वो पूर्ण, अनन्त, सनातन, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। वो राग-द्वेष से परे है, पर अपने भक्तों से प्रेम करता है और उनपर कृपा करता है। उसकी इच्छा के बिना इस दुनिया में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। वो विश्व की नैतिक व्यवस्था को कायम रखता है और जीवों को उनके कर्मों के अनुसार सुख-दुख प्रदान करता है। श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार विश्व में नैतिक पतन होने पर वो समय-समय पर धरती पर अवतार (जैसे कृष्ण) रूप ले कर आता है। ईश्वर के अन्य नाम हैं : परमेश्वर, परमात्मा, विधाता, भगवान (जो हिन्दी मे सबसे ज़्यादा प्रचलित है)। इसी ईश्वर को मुसल्मान (अरबी में) अल्लाह, (फ़ारसी में) ख़ुदा, ईसाई (अंग्रेज़ी में) गॉड, और यहूदी (इब्रानी में) याह्वेह कहते हैं।
महानिदेशालय, आकाशवाणी प्रसार भारती के तहत कार्य करता है। प्रसार भारतीय मंडल संगठन की नीतियों के निर्धारण और कार्यान्‍वयन शीर्ष स्‍तर पर सुनिश्‍चित करता है और प्रसार भारती अधिनियम, 1990 के संदर्भ में अधिदेश को पूरा करता है। कार्यपालक सदस्‍य निगम के मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के रूप में मंडल के नियंत्रण और पर्यवेक्षण हेतु कार्य कारते हैं। सीईओ, सदस्‍य (वित्त) और सदस्‍य, (कार्मिक) प्रसार भारती मुख्‍यालय, द्वितीय तल, पीटीआई भवन, संसद मार्ग, नई दिल्‍ली-110001 से अपने कार्यों का निष्‍पादन करते हैं।
इसके बाद बुद्धिमान् राजा संसार की अनित्यता का विचार करके द्रौपदी तथा भाइयों को साथ ले हिमालय की तरफ महाप्रस्थान के पथ पर अग्रसर हुए। उस महापथ में क्रमश: द्रौपदी, सहदेव, नकुल, अर्जुन और भीमसेन एक-एक करके गिर पड़े। इससे राजा शोकमग्न हो गये। तदनन्तर वे इन्द्र के द्वारा लाये हुए रथ पर आरूढ़ हो (दिव्य रूप धारी) भाइयों सहित स्वर्ग को चले गये। वहाँ उन्होंने दुर्योधन आदि सभी धृतराष्ट्रपुत्रों को देखा। तदनन्तर (उन पर कृपा करने के लिये अपने धाम से पधारे हुए) भगवान् वासुदेव का भी दर्शन किया इससे उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुईं यह मैंने तुम्हें महाभारत का प्रसंग सुनाया है। जो इसका पाठ करेगा, वह स्वर्गलोक में सम्मानित होगा।
ध्यान रहे कि ये समस्त लक्षण साधारण बुखार या अन्य सामान्य रोगों के भी हो सकते हैं। अतः उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण की निश्चित रूप से पहचान केवल, और केवल, औषधीय परीक्षण से ही की जा सकती है व की जानी चाहिये।
एशिया आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है।
बहुत सी बभिनेत्रियों के साथ रोमांस और अपनी पूर्व प्रेमिका ऐश्वर्या राय, सोमी अली (Somy Ali) और संगीता बिजलानी (Sangeeta Bijlani), के साथ संबंधों के बावजूद खान भारतीय मीडिया जगत में बालीवुड का सबसे चहेता कुंवारा अभिनेता बनता रहा है।वे २००३ [१४]से ही मॉडल से अभिनेत्री बनी केटरीना कैफ (Katrina Kaif) के साथ डेटिंग करते आ रहे हैं।
उपनिषद् में आत्म और अनात्म तत्त्वों का निरूपण किया गया है जो वेद के मौलिक रहस्यों का प्रतिपादन करता है। प्राय: उपनिषद् वेद के अन्त में ही आते हैं। इसलिए ये वेदान्त के नाम से भी प्रख्यात हैं। वैदिक धर्म के मौलिक सिद्धान्तों को तीन प्रमुख ग्रन्थ प्रमाणित करते हैं जो प्रस्थानत्रयी के नाम से विख्यात हैं, ये हैं - उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और श्रीमद्भगवद्गीता ।
कौशाम्बी शातकुम्भद्रवखजितजनेवैकपीता विभाति। -'रत्नावली', 1.11
दोआब भूमि क्षेत्र जिसके दो ओर नदियां हों।
मानव सभ्यता के इतिहास में तांबा का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि प्राचीन काल में मानव द्वारा सबसे पहले प्रयुक्त धातुओं और मिश्रधातुओं में तांबा और कांसे (जोकि तांबा और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है ।
शरीर का अर्थ होता है काया।
अमेरिकी राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के 2005 स्वास्थ्य सूचना राष्ट्रीय प्रवृत्ति सर्वेक्षण के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल केवल 40% अमेरिकी महिलाओं ने मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (HPV) संक्रमण के बारे में और केवल 20% महिलाओं ने गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से उसके संबंध के बारे में सुना था.[३१] अनुमान है कि 2008 में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से अमेरिका में मरने वाली महिलाओं की संख्या 3,870 होगी, और लगभग 11,000 नए मामलों के निदान की उम्मीद है.[३२]
चेन्नई ओपन चेन्नई मे आयोजित होने वाली एक प्रसिद्ध टेनिस प्रतियोगिता है। यह भारत की एक मात्र ए टी पी प्रतियोगिता है। विजय अमृतराज और रमेश कृष्णन प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी है जो चेन्नई से संबंध रखते है।[७९][८०][८१][८२]
भारत के निम्नलिखित राष्ट्रीय उद्यान इस राज्य में हैं, जैसे जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान (भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान) रामनगर, नैनीताल जिले में, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान और नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, चमोली जिले में हैं और दोनो मिलकर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, राजाजी राष्ट्रीय अभ्यारण्य हरिद्वार जिले में, और गोविंद पशु विहार और गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान उत्तरकाशी जिले में हैं।
साँचा:Unclear section Nouns की एक और अर्थगत परिभाषा है कि वे आदिप्रारूपतः निर्देशात्मक हैं.[५]
२. सारनाथ- उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में है ।
प्राचीन काल में सिमडेगा को बीरू-कैसलपुर परगना के नाम से जाना जाता था जो राजा कतंगदेव का राज्य था। राजा कतंगदेव के निधन के बाद महाराजा शिवकर्ण ने गद्दी संभाला। मुंडा एवं खैरिया जनजातियों के इस क्षेत्र आगमन लगभा 1441 इसवी में हुआ जबकि उसके बाद ऊराँव जनजाति के लोग भी इस क्षेत्र में रोहतास से कुछ दशक बाद आये। कुछ समय के लिए यह कलिंग साम्राज्य का हिस्सा भी रहा और इसी क्रम में 1336 में गंग वंश के राजा हरिदेव इस क्षेत्र (बीरू) के शासक बने। अभी बीरू जिला मुख्यालय से लगभग 11 किमी की दूरी पर स्थित है। गंगा बिशुन रोहिल्ला इस क्षेत्र के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं।
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नया यमुना सेतु
अक्षांश - २६ ° २३ ' और २७ ° ३० ' उत्तर
जहाँ प्लेट सीमायें महाद्वीपीय स्थलमंडल में उत्पन्न होती हैं, विरूपण प्लेट की सीमा से बड़े क्षेत्र में फ़ैल जाता है.महाद्वीपीय विरूपण San Andreas दोष (San Andreas fault) के मामले में, बहुत से भूकंप प्लेट सीमा से दूर उत्पन्न होते हैं और विरूपण के व्यापक क्षेत्र में विकसित तनाव से सम्बंधित होते हैं, यह विरूपण दोष क्षेत्र (उदा. “बिग बंद ” क्षेत्र ) में प्रमुख अनियमितताओं के कारण होते हैं. Northridge भूकंप (Northridge earthquake) ऐसे ही एक क्षेत्र में अंध दबाव गति से सम्बंधित था.एक अन्य उदाहरण है अरब (Arabian) और यूरेशियन प्लेट (Eurasian plate)स के बीच तिर्यक अभिकेंद्रित प्लेट सीमा जहाँ यह ज़ाग्रोस (Zagros) पहाड़ों के पश्चिमोत्तर हिस्से से होकर जाती है.इस प्लेट सीमा से सम्बंधित विरूपण, एक बड़े पश्चिम-दक्षिण सीमा के लम्बवत लगभग शुद्ध दबाव गति तथा वास्तविक प्लेट सीमा के नजदीक हाल ही में हुए मुख्य दोष के किनारे हुए लगभग शुद्ध स्ट्रीक-स्लिप गति में विभाजित है. इसका प्रदर्शन भूकंप की केन्द्रीय क्रियाविधि (focal mechanism)के द्वारा किया जाता है.[२]
गो-शब्द का अर्थ इंद्रियाँ भी हैं, अतः गोकुल से आशय है हमारी पंचेद्रियों का संसार और वृंदावन का अर्थ है तुलसीवन अर्थात मन का उच्च क्षेत्र (तुरीयावस्था वाले 'तुर' से 'तुरस' और 'तुलसी' शब्द की व्युत्पत्ति व्याकरणसम्मत है)। गोकुल में पूतना वध, शकट भंजन और तृणावर्त वध का तथा वृंदावन में बकासुर, अधासुर और धेनुकासुर आदि अनेक राक्षसों के हनन का वर्णन है।
अमेरिकन डाएटिक एसोसिएशन और कनाडा के आहारविदों का कहना है कि जीवन के सभी चरणों में अच्छी तरह से योजनाबद्ध शाकाहारी आहार "स्वास्थ्यप्रद, पर्याप्त पोषक है और कुछ बीमारियों की रोकथाम और इलाज के लिए स्वास्थ्य के फायदे प्रदान करता है". बड़े पैमाने पर हुए अध्ययनों के अनुसार मांसाहारियों की तुलना में इस्कीमिक (स्थानिक-अरक्तता संबंधी) ह्रदय रोग शाकाहारी पुरुषों में 30% कम और शाकाहारी महिलाओं में 20% कम हुआ करते हैं.[२३][२४][२५] सब्जियों, अनाज, बादाम आदि, सोया दूध, अंडे और डेयरी उत्पादों में शरीर के भरण-पोषण के लिए आवश्यक पोषक तत्व, प्रोटीन, और अमीनो एसिड हुआ करते हैं.[२६] शाकाहारी आहार में संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और प्राणी प्रोटीन का स्तर कम होता है, और कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फोलेट, और विटामिन सी व ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट तथा फाइटोकेमिकल्स का स्तर उच्चतर होता है.[२७]
पंजाब (पंजाबी: ਪੰਜਾਬ) उत्तर-पश्चिम भारत का एक राज्य है जो वृहद्तर पंजाब क्षेत्र का एक भाग है। इसका दूसरा भाग पाकिस्तान में है। पंजाब क्षेत्र के अन्य भाग (भारत के) हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्यों में हैं। इसके पश्चिम में पाकिस्तानी पंजाब, उत्तर में जम्मू एंव कश्मीर, उत्तर-पूर्व में हिमाचल प्रदेश, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में हरियाणा, दक्षिण-पूर्व में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान राज्य हैं। राज्य की कुल जनसंख्या २,४२,८९,२९६ है एंव कुल क्षेत्रफल ५०,३६२ वर्ग किलोमीटर है। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है जोकि हरियाणा राज्य की भी राजधानी है। पंजाब के प्रमुख नगरों में अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, पटियाला और बठिंडा हैं।
1. दहेज निषेध एक्ट 1961
नान्यदेव ने कर्नाट की राजधानी सिमरॉवगढ़ बनाई । कर्नाट शासकों का इस वंश का मिथिला का स्वर्ण युग भी कहा जाता है ।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय कर्नाटक प्रान्त की राजधानी बंगलोर में है। संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है।
नामकरण के बाद चूडाकर्म और यज्ञोपवीत संस्कार होता है। इसके बाद विवाह संस्कार होता है। यह गृहस्थ जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार है। हिन्दू धर्म में स्त्री और पुरुष दोनों के लिये यह सबसे बडा संस्कार है, जो जन्म-जन्मान्तर का होता है।
फिराक ने अपने साहित्यिक जीवन का श्रीगणेश गजल से किया था। अपने साहित्यिक जीवन में आरंभिक समय में ६ दिसंबर, १९२६ को ब्रिटिश सरकार के राजनैतिक बंदी बनाए गए। उर्दू शायरी का बड़ा हिस्सा रूमानियत, रहस्य और शास्त्रीयता से बँधा रहा है जिसमें लोकजीवन और प्रकृति के पक्ष बहुत कम उभर पाए हैं। नजीर अकबराबादी, इल्ताफ हुसैन हाली जैसे जिन कुछ शायरों ने इस रिवायत को तोड़ा है, उनमें एक प्रमुख नाम फिराक गोरखपुरी का भी है। फिराक ने परंपरागत भावबोध और शब्द-भंडार का उपयोग करते हुए उसे नयी भाषा और नए विषयों से जोड़ा। उनके यहाँ सामाजिक दुख-दर्द व्यक्तिगत अनुभूति बनकर शायरी में ढला है। दैनिक जीवन के कड़वे सच और आने वाले कल के प्रति उम्मीद, दोनों को भारतीय संस्कृति और लोकभाषा के प्रतीकों से जोड़कर फिराक ने अपनी शायरी का अनूठा महल खड़ा किया। फारसी, हिंदी, ब्रजभाषा और भारतीय संस्कृति की गहरी समझ के कारण उनकी शायरी में भारत की मूल पहचान रच-बस गई है। फिराक गोरखपुरी को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६८ में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
इज़राइल में,' क्नेस्सेट के सदस्य {1 का आशय {0}क्नेस्सेट के 120 सदस्यों में से एक से है.साँचा:He
हिन्दू  · बौद्ध  · सिख  · जैन  · इस्लाम  · ईसाई धर्म  · अन्य
बाघा यतीन ( बांग्ला में বাঘা যতীন (उच्चारणः बाघा जोतिन) ( ०७ दिसम्बर, १८७९ - १० सितम्बर , १९१५) के बचपन का नाम यतीन्द्रनाथ मुखर्जी (यतीन्द्रनाथ मुखोपाध्याय) था। वे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध कार्यकारी दार्शनिक क्रान्तिकारी थे। वे युगान्तर पार्टी के मुख्य नेता थे। युगान्तर पार्टी बंगाल में क्रान्तिकारियों का प्रमुख संगठन थी।
स्थापत्य इतिहास की दृष्टि से, यह स्थल अति महत्वपूर्ण है। अबुल फज़ल लिखता है, कि यहां लगभग पाँच सौ सुंदर इमारतें, बंगाली व गुजराती शैली में बनी थीं। कइयों को श्वेत संगमर्मर प्रासाद बनवाने हेतु ध्वस्त किया गया। अधिकांश को ब्रिटिश ने 1803 से 1862 के बीच, बैरेक बनवाने हेतु तुड़वा दिया। वर्तमान में दक्षिण-पूर्वी ओर, मुश्किल से तीस इमारतें शेष हैं। इनमें से दिल्ली गेट, अकबर गेट व एक महल-बंगाली महल – अकबर की प्रतिनिधि इमारतें हैं।
द ग्रेट हॉल ऑफ़ द पीपल
भारत की शासन व्यवस्था केन्द्रीय और राज्यीय दोनो सिद्धांतो का मिश्रण है। लोकसभा, राज्यसभा सर्वोच्च न्यायालय की सर्वोच्चता, संघ लोक सेवा आयोग इत्यादि इसे एक संघीय ढांचे का रूप देते हैं तो राज्यों के मंत्रीमंडल, स्थानीय निकायों की स्वायत्ता इत्यादि जैसे तत्व इसे राज्यों से बनी शासन व्यवस्था की ओर ले जाते हैं। प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होता है जो राष्ट्रपति द्वारा ५ वर्षों के लिए नियुक्त किये जाते हैं।
यह फैस्टिवल नामक पाठ से वाक प्रोग्राम का ऑनलाइन संस्करण है।
34. अष्टमुद्रा
मिश्रवासियों का मानना था कि मनुष्यों और पशुओं के बीच एक संतुलित संबंध, लौकिक व्यवस्था का एक अनिवार्य तत्व है, इसलिए मनुष्यों, प्राणियों और पौधों को एक एकल पिंड के सदस्य के रूप में माना जाता था.[८५] इसलिए पालतू और जंगली, दोनों प्रकार के पशु, अध्यात्म, साहचर्य और प्राचीन मिस्र के निर्वाह का एक महत्वपूर्ण स्रोत थे. मवेशी सबसे महत्वपूर्ण पशुधन थे; नियमित गणना के साथ प्रशासन, पशुओं पर कर एकत्र करता था, एक झुंड के आकार से उनका स्वामित्व रखने वाले रियासत या मंदिर की प्रतिष्ठा और महत्व प्रतिबिंबित होता था. पशुओं के अलावा प्राचीन मिस्रवासी, भेड़, बकरी, और सूअर पालते थे. पोल्ट्री, जैसे बतख, हंस और कबूतरों को जाल में पकड़ा जाता था और खेतों में पाला जाता था, जहां उन्हें मोटा करने के लिए ज़बरदस्ती आटा खिलाया जाता था.[८६] नील नदी ने मछली का भरपूर स्रोत प्रदान किया. मधुमक्खियों को, कम से कम, प्राचीन साम्राज्य से पाला जाता रहा है, और उनसे शहद और मोम, दोनों प्राप्त होता था.[८७]
2.संविधान के मूल ढांचे के विरूद्ध न हो
३१ वर्ष की आयु में सद्दाम हुसैन ने जनरल अहमद अल बक्र के साथ मिल कर इराक की सत्ता हासिल की। 1979 में वह खुद इराक के राष्ट्रपति बन गए। सन् 1982 में इराक में हए दुजैल जनसंहार मामले में फाँसी की सजा मिली।
अनटू दिस लास्ट, अंग्रेज लेखक रस्किन की एक पुस्तक है। जिसका अर्थ है - इस अंतवाले को भी । यह एक अर्थनीति सम्बन्धी लेख शृंखला के रूप में दिसम्बर १८६० को एक मासिक पत्रिका (Cornhill Magazine) में प्रकाशित हुआ था। रस्किन ने इन लेखों को सन १८६२ में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया।
ग्रीक साहित्य में होमर के इलियड और ऑडसी विश्वप्रसिद्ध हैं । अंग्रेज़ी साहित्य में शेक्स्पियर का नाम कौन नहीं जानता .
यह 14 अप्रैल 2010 से मुंबई और जोहॉन्सबर्ग के बीच प्रतिदिन सीधी उड़ान सेवा शुरू करने जा रही है। संदर्भ: शेयर मंथन
2.6.2.2 अनुनासिकता व्यंजन नहीं है, स्वरों का ध्वनिगुण है। अनुनासिक स्वरों के उच्चारण में नाक से भी हवा निकलती है। जैसे :– आँ, ऊँ, एँ, माँ, हूँ, आएँ।
सत्रहवीं शताब्दी
सायना अब तक कई बड़ी उपलब्धियाँ अपने नाम कर चुकी हैं। वे विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियन रह चुकी हैं। ओलिम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन के क्वार्टरफाइनल तक पहुँचने वाली वे देश की पहली महिला खिलाड़ी हैं। उन्‍होंने 2006 में एशि‍यन सैटलाइट चैंपि‍यनशि‍प भी जीती है।
सुशा फॉन्ट के मुफ़्त उपलब्ध होने से हिन्दी के अनेक जालस्थलों ने बड़ी सफलता के साथ इंटरनेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज की। इसमें अनेक व्यक्तिगत जालघरों के अतिरिक्त कुछ साहित्यिक साइटें काफ़ी लोकप्रियता के साथ विकास में आईं जिनमें काव्यालय, बोलोजी, अभिव्यक्ति तथा अनुभूति प्रमुख थीं। इसके अतिरिक्त सुशा का इस्तेमाल डेस्कटॉप पब्लिशिंग (डीटीपी) में भी प्रचुरता से हुआ है।
(अध्ययनकर्ता एक शोध विधार्थी है)
आंध्र प्रदेश: नारायण दत्त तिवारीअरुणाचल प्रदेश: के शंकरनारायणनअसम: अजय सिंहबिहार: आर एस गवईछत्तीसगढ: ई एस एल नरसिंहनगोआ: एस सी जमीरगुजरात: नवल किशोर शर्माहरियाणा: ए आर किदवईहिमाचल प्रदेश: विष्णु सदाशिव कोकजेजम्मू कश्मीर: एस के सिन्हाझारखंड: सैयद सिब्ते रजीकर्नाटक: रामेश्वर ठाकुर
भारत में वापस आकर डाक्टर खुराना को अपने योग्य कोई काम न मिला। हारकर इंग्लैंड चले गए, जहाँ केंब्रिज विश्वविद्यालय में सदस्यता तथा लार्ड टाड के साथ कार्य करने का अवसर मिला1 सन् 1952 में आप वैकवर (कैनाडा) की ब्रिटिश कोलंबिया अनुसंधान परिषद् के जैवरसायन विभाग के अध्यक्ष नियुक्त हुए। सन् 1960 में इन्होंने संयुक्त राज्य अमरीका के विस्कान्सिन विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑव एन्ज़ाइम रिसर्च में प्रोफेसर का पद पाया और अब इसी संस्था के निदेशक है। यहाँ उन्होंने अमरीकी नागरिकता स्वीकार कर ली।
षष्ठ समिति- बिक्री कर व्यवस्था ।
सरदार भगत सिंह (27 सितंबर 1907 - 23 मार्च 1931) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे । इन्होने केन्द्रीय असेम्बली की बैठक में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया । जिसके फलस्वरूप भगत सिंह को 23 मार्च 1931) को इनके साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फांसी पर लटका दिया गया । सारे देश ने उनकी शहादत को याद किया। उनके जीवन ने कई हिन्दी फ़िल्मों के चरित्रों को प्रेरित किया । कई सारी फ़िल्में तो उनके नाम से बनाई गई जैसे -शहीद, द लेज़ेंड ऑफ़ भगत सिंह, भगत सिंह इत्यादि । वे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एशोसिएशन के सपक सदस्यों में से एक थे।
encyclopedia of hinduism के अनुसार भगवान् श्री कृष्ण के इस पृथ्वी से प्रस्थान के तुंरत बाद 3102 BC से कलि युग आरम्भ हो गया |
1588–1974  Cacheu2
The Telugu film industry accounts for 1% of the gross domestic product of Andhra Pradesh.[२] Telugu films enjoy significant patronage in the neighboring southern States like Tamil Nadu, Karnataka.
एक अनुमान के अनुसार बंगलोर में 51% से ज़्यादा लोग भारत के विभिन्न हिस्सों से आ कर बसे हैं ।
१९९६ में शेख हसीना ने चुनाव जीता और कई वर्षो तक देश का शासन चलाया। उसके बाद उन्हें विपक्ष में भी बैठना पड़ा। उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उन पर एक बार जान लेवा हमला भी हुआ जिसमें वे बाल बाल बच गईं लेकिन उस हमले में २० से भी ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। एक बार फिर बांग्लादेश राजनीति के गहरे भँवर में फंस गया और देश की बागडोर सेना-समर्थित सरकार ने संभाल ली। इस सरकार ने शेख हसीना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और उनका ज्यादातर वक्त हिरासत में ही गुज़रा। इस बीच वे अपने इलाज के लिए अमरीका भी गईं और ये अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि वे जेल से बचने के लिए शायद वापस लौट कर ही ना आएँ। लेकिन वे वापस लौटीं और दो साल के सैनिक शासन समेत सात साल बाद २००८ में हुए संसदीय चुनावों में विजय प्राप्त की। और अब बांग्लादेश की बागडोर राजनीति उनके हाथ में एक बार फिर आ गई है।
२५-अनटाईटल एकल नाटक लुसिन दुबे के साथ
ख़ुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर वर्ष 2009 का लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने चेयरमैन चुने जाने के बाद कहा, "कार्यकर्ताओं को व्यक्तिगत एजेंडा रखकर राजनीति नहीं करनी चाहिए और लक्ष्य भारत को महान भारत बनाने का होना चाहिए."
यह जगह सड़कमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख स्थानों से जुड़ी हुई है।
प्रगट है कि इन कलाओं में से बहुत कम का संबंध ललित कला या फ़ाइन आर्ट्स से है। ललित कला – अर्थात् चित्रकला, मूर्तिकला आदि का प्रसंग इनसे भिन्न और सौंदर्यशास्त्र से संबंधित है।
That glorious city with well-devised highways is twelve yojana-s lengthwise and three yojana-s breadth wise. [1-5-7]
• अन्य...
जो कीट वनस्पति नहीं खाते, वे उच्छिष्ट वस्तुओं, अन्य कीटों या अन्य जीवों को अपना भोजन बनाते हैं। सफाई करने वाले कीट कूड़ा कर्कट आदि इसी प्रकार की अन्य परित्यक्त वस्तुओं पर अपना जीवननिर्वाह करते हैं। सड़ी गली वनस्पतियों से बहुत से कंचुकपक्ष, मक्खियाँ तथा अन्य कीट आश्रय तथा भोजन पाते हैं। गोबर, जीवों के सड़ते हुए शव तथा इनके अन्य अवशेष किसी न किसी कीट का भोजन अवश्य बन जाते हैं। कीटों की ये कृतियाँ मनुष्य के लिए बहुत लाभदायक हैं। अपाहारी (प्रिडेटर, Predator) वह जीव है जो अन्य जीवों पर निर्वाह करता है, मांसाहारी होता है, अपने शिकार की खोज में रहता है और पाने पर उसको खा जाता है। इस प्रकार का व्यवहार विभिन्न वर्गों के कीटों में पाया जाता है। इनका शिकार कोई अन्य कीट, या अपृष्ठवंशी जीव होता है। ऐसे जीवन के कारण इन कीटों की टाँगों, मुख भागों और संवेदक इंद्रियों में बहुत से परिवर्तन हो जाते हैं। ऐसे कुछ कीटों के व्यवहार में भी स्पष्ट पविर्तन दृष्टिगोचर होता है। कुछ कीट अपनी टाँगों का अपने शिकार को पकड़ने तथा भक्षण करते समय थामने के लिए उपयोग करते हैं। व्याध पतंग (Dragon fly) अपनी तीनों जोड़ी टाँगे और जलमत्कुण तथा मैंटिड (Mantid) केवल बगली टाँगों का ही इस कार्य में उपयोग करते हैं। इस कारण इनकी टाँगों में परिवर्तन पाया जाता है। डिस्टिकस (Disticus) के जंभ अपने शिकार को पकड़ने के लिए नुकीले तथा आगे की ओर निकले रहते हैं। व्याधपतंग के निंफ का ओष्ठ (Labium) अन्य कीटों के पकड़ने के लिए विशेष आकृति का बन जाता है। इन कीटों के संयुक्त नेत्र विशेष रूप से विकसित होते हैं। कुछ अपाहारी कीटों की टाँगे दौड़ने के लिए उपयुक्त होती हैं और कुछ तीव्रता से उड़ सकते हैं। अनेक अपाहारी अपने अंडे अपने शिकार के संपर्क में रखते हैं, जैसे लेडी-बर्ड बीटल (Lady-bird beetle) अपने अंडे द्रुमयूका के पास रखता है। अनेक अपाहारी अपने शिकार की प्रतीक्षा में छिपे बैठे रहते हैं और जैसे ही उनका शिकार उनकी पहुँच में आता है, उस पर एकबारगी झपटा मारते हैं, जैसे मैंटिस में अपने को गुप्त रखने के लिए पत्ती जैसा रंग होता है। जलपक्ष के कुछ डिंभ अपने शिकार, चींटियों, को पकड़ने के लिए गड्ढा बनाते हैं।
न्यायमूर्ति महादेव गोविंद राणाडे (16 जनवरी 1842–16 जनवरी 1901) एक भारतीय न्यायाधीश, लेखक एवं समाज सुधारक थे। ‘’’न्यायमूर्ति महदेव गोविंद राणाडे ‘’’ (१६ जनवरी १८४२ – १६ जनवरी १९०१) एक ब्रिटिश काल के भारतीय न्यायाधीश, लेखक एवं समाज-सुधारक थे।
नया यमुना सेतु
ओ पी डन्न को प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६५ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये महाराष्ट्र राज्य से हैं।
भारतीय बांसुरी के दो मुख्य प्रकारों का वर्तमान में प्रयोग हो रहा है. प्रथम, बांसुरी है, जिसमें अंगुलियों हेतु छह छिद्र एवं एक दरारनुमा छिद्र होता है एवं जिसका प्रयोग मुख्यतः उत्तर भारत में हिंदुस्तानी संगीत में किया जाता है. दूसरी, वेणु या पुलनगुझाल है, जिसमें आठ अंगुली छिद्र होते हैं एवं जिसका प्रयोग मुख्य रूप से दक्षिण भारत में कर्नाटक संगीत में किया जाता है. वर्तमान में कर्नाटक संगीत बांसुरी वादकों द्वारा सामान्यतः आरपार अंगुली तकनीक से चलने वाले आठ छिद्रों वाले बांसुरी का प्रयोग किया जाता है. इस तकनीक का प्रारंभ 20वीं शताब्दी में टी. आर. महालिंगम ने किया था. तब इसका विकास बी एन सुरेश एवं डॉ. एन. रमानी ने किया[उद्धरण वांछित]. इसके पहले, दक्षिण भारतीय बांसुरी में केवल सात अंगुली छिद्र होते थे जिसके अंगुली मानदंडों का विकास 20वीं शताब्दी के आरंभ में पल्लादम स्कूल के शराबा शास्त्री द्वारा किया गया था.[२४]
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥
मारक क्षमता के आधार पर प्रक्षेपास्त्र चार प्रकार के होते हैं।
यह चार जिले पूर्व सिक्किम, पश्चिम सिक्किम, उत्तरी सिक्किम एवं दक्षिणी सिक्किम हैं जिनकी राजधानियाँ क्रमश: गंगटोक, गेज़िंग, मंगन एवं नामची हैं। [५]यह चार जिले पुन: विभिन्न उप-विभागों में बाँटे गये हैं। "पकयोंग" पूर्वी जिले का, "सोरेंग" पश्चिमी जिले का, "चुंगथांग" उत्तरी जिले का और "रावोंगला" दक्षिणी जिले का उपविभाग है। [१०]
अकबर ने कतिपय महत्वपूर्ण नीतियों को शुरू किया था, जैसे की धार्मिक उदारवाद (जजिया कर का उन्मूलन), साम्राज्य के मामलों में हिन्दूओं को शामिल करना, और राजनीतिक गठबंधन/हिन्दू राजपूत जाति के साथ शादी, जो की उनके वातावरण के लिए अभिनव थे; उन्होंने शेर शाह सूरी की कुछ नीतियों को भी अपनाया था, जैसे की अपने प्रशासन में साम्राज्य को सरकारों में विभाजित करना.इन नीतियों ने निस्संदेह शक्ति बनाए रखने में और साम्राज्य की स्थिरता में मदद की थी, इनको दो तत्काल उत्तराधिकारियों द्वारा संरक्षित किया गया था, लेकिन इन्हें औरंगजेब ने त्याग दिया, जिसने एक नीति अपनाई जिसमें धार्मिक सहिष्णुता का कम स्थान था.इसके अलावा, औरंगजेब ने लगभग अपने पूरे जीवन-वृत्ति में डेक्कन और दक्षिण भारत में अपने दायरे का विस्तार करने की कोशिश करी; इस उद्यम ने साम्राज्य के संसाधनों को बहा दिया जिससे मराठा, पंजाब के सिखों और हिन्दू राजपूतों के अंदर मजबूत प्रतिरोध उत्तेजित हुआ.
अशोक (राजकाल ईसापूर्व 273-232 ) प्राचीन भारत में मौर्य राजवंश का चक्रवर्ती राजा था । उसके समय मौर्य राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफ़गानिस्तान तक पहुँच गया था । यह उस समय तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य था । सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जाना जाता है ।
वर्तमान में उपकला उतक से व्युत्पन्न एक दुर्दम गाँठ के लिए चिकित्सकीय शब्द के रूप में ग्रीक शब्द कार्सिनोमा का उपयोग किया जाता है. सेल्सस ने कार्सिनोज का लेटिन में अनुवाद करके शब्द दिया कैंसर , जिसका अर्थ केकडा भी है. गेलन ने सभी गांठों का वर्णन करने के लिए "ओंकोज " का प्रयोग किया, जो आधुनिक शब्द ओन्कोलोजी का मूल है. [९४]
Hike Pics to Bhimashankar
सन् 335 ईसापूर्व के आसपास मकदूनिया में सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर, अलेक्षेन्द्र) का उदय हुआ । उसने लगभग सम्पूर्म यूनान पर अपना अधिपत्य जमाया । इसके बाद वो फ़ारसी साम्राज्य की ओर बढ़ा । आधुनिक तुर्की के तट पर वो 330 ईसापूर्व में पहुँचा जहाँ पर उसने फारस के शाह दारा तृतीय को हराया । दारा रणभूमि छोड़ कर भाग गया । इसके बाद सिकन्दर ने तीन बार फ़ारसी सेना को हराया । फिर वो मिस्र की ओर बढ़ा । लौटने के बाद वो मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक़, उस समय फारसी नियंत्रण में) गया । अपने साम्राज्य के लगभग 40 गुणे बड़े साम्राज्य पर कब्जा करने के बाद सिकन्दर अफ़गानिस्तान होते हुए भारत तक चला आया । पर उसका सेना ने थकान के कारण आगे बढ़ने से इन्कार कर दिया । इसके बाद वो वापस लौट गया और सन् 323 में बेबीलोनिया में उसकाी मृत्यु हो गई । उसकी इस विजय से फारस पर उसका नियंत्रण हो गया पर उसकी मृत्यु के बाद उसके साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया । आधुनिक अफ़गानिस्तान में केन्द्रित शासक सेल्युकस इसमें सबसे शक्तिशाली साबित हुआ । पहली सदी ईसा पूर्व तक उत्तरपश्चिमी भारत से लेकर ईरान तक एक अभूतपूर्व हिन्द-यवन सभ्यता का सृजन हुआ ।
Intercity rail travel is provided by Amtrak. Los Angeles and San Francisco both have subway networks, in addition to light rail. Metrolink commuter rail and Metro Rail part of METRO serves much of Southern California, and BART and Caltrain commuter rail connect Bay Area suburbs to San Francisco. San Jose and Sacramento have light rail, and San Diego has Trolley light rail and Coaster commuter rail services. Nearly all counties operate bus lines, and many cities operate their own bus lines as well. Intercity bus travel is provided by Greyhound and Amtrak bus services.
दीरियाई ग्रीकों ने ईसा पूर्व 12वीं शती के पश्चात् एक ऐसे गीतिकाव्य को विकसित किया जिसका महत्व सार्वजनिक था और जो प्रशिक्षित कोरस रूप में देश तथा राष्ट्र अथवा नगर के पुनीत विजयत्योहारों और धार्मिक अवसरों पर गाए जाते थे। इनमें प्रसिद्ध "कोरस ओड" हैं, जहाँ छंदों की जटिलता, शैली का ओज तथा भावों की गरिमा सुंदर त्रिवेणी का संचारण करती हैं। इस क्षेत्र में सर्वप्रसिद्ध नाम पिंडार का है जिनके प्रभावशाली तथा क्लिष्ट परंतु असाधारण शब्दविन्यास से अलंकृत "आड" आज भी सजीव हैं। इन्हीं के साथ सिमोनिदिज का नाम भी लिया जाता है, जिनकी कविताओं में राष्ट्रीय एकता तथा देशप्रेम का गहरा पुट है और भाषा तथा शैली कलात्मक होते हुए भी अपेक्षाकृत सरल तथा बोधगम्य हैं।
आत्मा या आत्मन् पद भारतीय दर्शन के महत्त्वपूर्ण प्रत्ययों (विचार) में से एक है। यह उपनिषदों के मूलभूत विषय-वस्तु के रूप में आता है। जहाँ इससे अभिप्राय व्यक्ति में अन्तर्निहित उस मूलभूत सत् से किया गया है जो कि शाश्वत तत्त्व है तथा मृत्यु के पश्चात् भी जिसका विनाश नहीं होता।
बाघा बोर्डर पर हर शाम भारत की सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान रेंजर्स की सैनिक टुकडियां इकट्ठी होती है। विशेष मौकों पर मुख्य रूप से 14 अगस्त के दिन जब पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस समाप्त होता है और भारत के स्वतंत्रता दिवस की सुबह होती है उस शाम वहां पर शांति के लिए रात्रि जागरण किया जाता है। उस रात वहां लोगों को एक-दुसरे से मिलने की अनुमति भी दी जाती है। इसके अलावा वहां पर पूरे साल कंटिली तारें, सुरक्षाकर्मी और मुख्य द्वार के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता।
आकाशवाणी को सभी स्‍टेशनों द्वारा कार्यक्रमों के प्रसारण पर श्रोता अनुसंधान के सर्वेक्षण करने के लिए महानिदेशक की सहायता निदेशक, श्रोता अनुसंधान करते हैं।
पर चलती है .
झारखंड की राजधानी रांची में प्रकृति ने अपने सौंदर्य को खुलकर लुटाया है। प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा रांची ने अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के दम पर विश्व के पर्यटक मानचित्र पर भी पुख्ता पहचान बनाई है। गोंडा हिल और रॉक गार्डन, मछली घर, बिरसा जैविक उद्यान, टैगोर हिल, मैक क्लुस्किगंज और आदिवासी संग्राहलय इसके प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। इन पर्यटक स्थलों की सैर करने के अलावा यहां पर प्रकृति की बहुमूल्य देन झरनों के पास बेहतरीन पिकनिक भी मना सकते हैं। रांची के झरनों में पांच गाघ झरना सबसे खूबसूरत है क्योंकि यह पांच धाराओं में गिरता है। यह झरने और पर्यटक स्थल मिलकर रांची को पर्यटन का स्वर्ग बनाते हैं और पर्यटक शानदार छुट्टियां बिताने के लिए हर वर्ष यहां आते हैं।
चन्द्रशेखर की मृत्यु से मेँ आहत हुं ऐसे व्यक्ति युग में एक बार ही जन्म लेते हेँ। फिर भी हमे अहिंसक रुप से ही विरोध क‍रना चाहिये।
संचार डार्विन के शोध का केन्द्र-बिन्दु था। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक ऑरिजिन ऑफ स्पीसीज़ (Origin of Species) प्रजातियों की उत्पत्ति सामान्य पाठकों पर केंद्रित थी। डार्विन चाहते थे कि उनका सिद्धान्त यथासम्भव व्यापक रूप से प्रसारित हो।
2.10.3 अव्वल, कव्वाल, कव्वाली जैसे शब्द प्रचलित हैं। इन्हें लेखन में यथावत् रखा जाए।
वर्ष २००८ में खान ने अपनी गेम शो दस का दम (Dus Ka Dum) के साथ छोटे परदे पर उतरे जो अंतरराष्ट्रीय शो पॉवर ऑफ़ टेन (The Power of 10). [११] पर आधारित थी।
ओमान में 5 प्रदेश (मिंतक़ा) और 4 शासकीय प्रखंड हैं -
पंज रत्नी दाल एक पंजाबी व्यंजन है।
फ़्लैट नं.-25 मानवस्थली एपार्टमेंट, वसुन्धरा एन्क्लेव
भारत में सारस पक्षियों की कुल संख्या लगभग 8000 से 10000 तक है। वर्तमान काल में इस पक्षी के साथ दुखद् बात जुड़ी हुई है। वैश्विक स्तर पर इसकी संख्या में हो रही कमी को देखते हुए IUCN (International Union for Conservation of Nature) द्वारा इसे संकटग्रस्त प्रजाति घोषित किया गया है और इसकी वर्तमान संरंक्षण स्थिति को (VUA2cde + 3cde) द्वारा निरूपित किया गया है। इसका अर्थ यह है कि वैश्विक स्तर पर इस पक्षी की संख्या में तेजी से कमी आ रही है और अगर इसकी सुरक्षा के समुचित उपाय नहीं किये गए तो यह प्रजाति विलुप्त हो सकती है। यहां यह उल्लेखनीय है कि मलेशिया, फिलीपिन्स और थाइलैंड में सारस पक्षी की यह जाति पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है। भारत वर्ष में भी कथित रूप से विकसित स्थानों में से अधिकांश स्थानों पर सारस पक्षी विलुप्तप्राय हो चुके हैं।
रसायनतंत्र नाम वय: स्थापनमायुमेधावलकरं रोगापहरणसमर्थं च। (सु.सू. १।७)।
जिस प्रकार भारतीय अंकों को उनकी वैज्ञानिकता के कारण विश्व ने सहर्ष स्वीकार कर लिया वैसे ही देवनागरी भी अपनी वैज्ञानिकता के कारण ही एक दिन विश्वनागरी बनेगी।
एक कोम्प्रेस्सेद हवा कर एक वैकल्पिक ईंधन कार है जो उपयोग करता है कोम्प्रेस्सेद हवा (compressed air).कार केवल हवा, या संयुक्त हवा द्वारा संचालित किया जा सकता है(जैसे हाइब्रिड इलैक्ट्रिक वाहन में ) गसोलिने /डीजल /एथेनॉल या बिजली संयंत्र के रूप में ,और रीजेंरातिव ब्रेकिंग (regenerative braking)द्वारा .इसके बजाय हवा के साथ ईंधन के मिश्रण किया जाए और उसे जलाया जाए पिस्टन चलने के लिए गरम फैलती हुई हवा से ;कोम्प्रेस्सेद हवा करें ने इस्तेमाल किया फैलना (expansion) कोम्प्रेस्सेद हवा का अपने पिस्टन को चलने में .कई प्रोटोटाइप पहले से ही उपलब्ध हैं और दुनिया भर में बिक्री के लिए 2008 के अंत तक अनुसूचित किया गया है .इस प्रकार के कर जरी करने वाली कंपनियों में शामिल हैं टाटा मोटर्स और मोटर विकास अंतरराष्ट्रीय (Motor Development International) (MDI).
गार्गी- चन्द्रलोक किसमें ओतप्रोत है?
दिसम्बर २५ को सर्दियों का उच्चतम शिखर (winter solstice) होता है जिसे रोमांस ब्रूम फेल[१३] कहते हैं (जब जूलियस कैसर ने जूलियन कैलेंडर का 45 ई.पू. में परिचय दिया, दिसम्बर 25 के उच्चतम शिखर के लगभग की तारीख थी.आज के समय में यह ठण्ड की उच्च्यातम शिखर दिसम्बर २१ या २२ को पड़ती है यह ऐसा दिन्होता है जिस दिन सूर्य ख़ुद को अपराजित सिद्ध कर क उत्तरी डिश में क्षितिज की तरफ़ बढ़ता है कैथोलिक विश्वकोश.[१४] के अनुसार सोल इन्विक्टुस त्योहार क्रिसमस की तारीख के लिए होता है. फेले के बहुत से लेखक येशु के जनम को सूर्य के जनम से मिलते हैं [१५] "हे, कैसे अद्भुत प्रोविडेंस अभिनय किया है कि जिस पर कि सूर्य का जन्म हुआ उस दिन पर...यीशु को पैदा होंन चाहियें क्य्प्रियन (Cyprian) ने लिखा था.[१४]
और लोगो की मदद उस मालिक की कृपा से कर रहा हूँ कई कुछ दिनों बाद अपने अनुभव बताते हैं, की कैसा लाभ हुआ I तब से मैं प्रतिवर्ष दीपावली को ओम्कारेश्वर कुबेर मंदिर जा रहा हूँ और उनकी कृपा का लाभ ले रहा हूँ I भक्त श्री चैतरामजी ( गुर्जर दादा ) की कहानी :- दादाश्री चूँकि गरीबी में थे अत: प्रतिवर्ष ओम्कारेश्वर भगवान को पंचामृत चढाने अपने गाव से पैदल जाते थे, उन्होंने कही पढ़ा था,कि ओम्कारेश्वर भगवान को पंचामृत अपने गाव से पैदल जाकर चढाने से मनोकामना पूरी होती हैं I वही दादाश्री को स्वप्न में ओम्कारेश्वर भगवान मंदिर के पुजारी के रूप में आये और स्वपन में कहा कि तुम्हारी गरीबी का इलाज (कुबेर मंदिर जो उस जगह है) वहा हैं, उस मंदिर में जाकर इस इस प्रकार का पूजन व् दीपावली पर ऐसा पूजन भंडारा आदि करना और गुजरात में भी एक इसका मंदिर है वहा जाकर भी इस पूजन को बताना और प्रारम्भ करवाना, गुजरात में मंदिर ढूंढा और जाकर वहा बताया I दादाश्री ने मंदिर ढूंढा व् १९९३ से स्वप्न में बताये अनुसार किया लोगो को बताया कोई यकीन नहीं करे जब उनकी उन्नति देखी तब कुछ लोग दीपावली पर गए जाने वालो का फायदा देख और लोग जुड़े आज देश के कई लोग आते है और आर्थिक परेशानी दूर करते हैं I मेरा नाम - गोपाल बिरले पता - 69 -B - सूर्यदेव नगर,इंदौर (म.प्र.) फ़ोन नो. - 98270 -93472 Email – gbirle@rediffmail.com
यह सिद्धांत फ्रेंच दार्शनिक मान्टेस्कयू ने दिया था उसके अनुसार राज्य की शक्ति उसके तीन भागो कार्य , विधान, तथा न्यायपालिकाओ मे बांट देनी चाहिये
आजादी के बाद यह त्रावणकोर- कोचीन की राजधानी बनी। 1956 में केरल राज्य के बनने के बाद से यह केरल की राजधानी है। पश्चिमी घाट पर स्थित यह नगर प्राचीन काल से ही एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र रहा है। तिरुवनंतपुरम की सबसे बड़ी पहचान श्री पद्मनाभस्वामी का मंदिर है जो करीब 2000 साल पुराना है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने के बाद से यह शहर एक प्रमुख पर्यटक और व्यवसायिक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है। इसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और खूबसूरत तटों से आकर्षित होकर प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक यहां खीचें चले आते हैं।
संथाली मुंडा भाषा परिवार की प्रमुख भाषा है। यह असम, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ, बिहार, त्रिपुरा तथा बंगाल में बोली जाती है।
1947 में वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। अंग्रेजों ने करीब 500 देशी रियासतों को एक साथ स्वतंत्र किया था और उस वक्त सबसे बडी चुनौती थी उन्हें एक झंडे के नीचे लाना। उन्होंने भारत के पुनर्गठन के रास्ते में उभरी हर चुनौती का समझदारी पूर्वक सामना किया। जवाहरलाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. उन्होंने योजना आयोग का गठन किया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया और तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया। उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरु हुआ। नेहरू ने भारत की विदेश नीति के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई।.
कुछ दिन बाद ही राजा की पत्नी को लगा कि वह गर्भवती हो गई है। उचित समय आने पर उसने एक पुत्र रत्न को जन्म दिया। गोबिन्दराय ने गोद में बैठकर मानो उनकी बंधी कोक को खोल दिया था। फिर उन्होंने चार पुत्रों को जन्म दिया। तब से राजा और रानी बालक गोबिंदराय के भक्त हो गए।
स्वामी चिन्मयानन्द ( 8 मई 1916 - 3 अगस्त, 1993) हिन्दू धर्म और संस्कृति के मूलभूत सिध्दांत वेदान्त दर्शन के एक महान प्रवक्ता थे। उन्होंने सारे देश में भ्रमण करते हुए देखा कि देश में धर्म संबंधी अनेक भ्रांतियां फैली हैं। उनका निवारण कर शुध्द धर्म की स्थापना करने के लिए उन्होंने गीता ज्ञान-यज्ञ प्रारम्भ किये और 1953 ई में चिन्मय मिशन की स्थापना की। स्वामी जी के प्रवचन बड़ ही तर्क संगत और प्रेरणादायी होते थे। उनको सुनने के लिए हजारों लोग आने लगे। उन्होंने सैकड़ों संन्यासी और ब्रह्मचारी प्रशिक्षित किये। हजारों स्वाध्याय मंडल स्थापित किये। बहुत से सामाजिक सेवा के कार्य प्रारम्भ किये, जैसे विद्यालय, अस्पताल आदि। स्वामी जी ने उपनिषद्, गीता और आदि शंकराचार्य के 35 से अधिक ग्रंथों पर व्याख्यायें लिखीं। गीता पर लिखा उनका भाष्य सर्वोत्तम माना जाता है।
५. निग्लीवा- नेपाल के तराई में है ।
पद्मश्री मेहरून्निसा परवेज
मिथुन चक्रवर्ती इंडियन क्रिकेट लीग में रॉयल बंगाल टाइगर्स टीम के सह- स्वामी (को-ओनर) हैं [५].
बोधिसत्व पार्श्व दूसरी शताब्दी।
प्रथम ईश्चरीय दूत के पद(पेगम्बर)पर भी आसीन किया। आदम की प्रारम्भिक सन्ताने धर्म के मौलिक सिद्दान्तो पर -एक ईश्वर पर विश्वास, म्रत्यु पश्चात पुन;जीवन पर विश्चास,स्वर्ग के होने पर ,नरक के होने पर,फरिश्तौ(देवताओ)पर विश्वास,ईशग्रन्थो पर विश्वास,ईशदूतो पर विश्चास ,कर्म के आधार पर दन्ड और पुरष्कार पर विश्वास, इन मौलिक सिद्दन्तो पर सशक्त विश्वास करते थे ऍवम अपनी सन्तती को भी इन मौलिक विचारो का उपदेश अपने वातावरण ,सीमित साधनो,सीमित भाषाओ,सन्साधनो के अनुसार हस्तान्तरित करते थै। कालान्तर मे जब मनुष्य जाति का विस्तार होता चला गया और वह अपनी आजीविका की खोज मे, प्रथक-प्रथक एवम जनसमूह के साथ सुदूरपूर्व तक चारो ओर दूरदूर तक आबाद होते रहे। इस प्रकार परिस्थितीवश उनका सम्पर्क लगभग समाप्त प्राय होता रहा। उन्होने अपने मौलिक ज्ञान को विस्म्रत करना तथा विषेश सिद्दन्तो को जो अटल थे,अपनी सुविधानुसार और अपनी पाश्विक प्रव्रत्तियो के कारण अनुमान और अटकल द्वारा परिवर्तित करना प्रचलित कर दिया । इस प्रकार अपनी धारणाऔ के अनुसार मानवजाति प्रमुख दो भागो मे विभक्त हो गऐ। एक समूह ईश्वरीय दूतो के बताए हुए सिद्दन्तो(ज्ञान) के द्वारा अपना जीवन समर्पित(मुस्लिम)होकर सन्चालित करते । दूसरा समूह जो अपने सीमित ज्ञान(अटकल,अनुमान)की प्रव्रत्ती ग्रहण करके ईश्वरीय दूतो से विमुख(काफिर)होने की नीति अपनाकर जीवन व्यतीत करते । एक प्रमुख वचन प्रथम पेगम्बर(आदम,एडम)के द्वारा उद्दघोषित कियाजाता रहा(जो ईश्वरीय आदेशानुसार)था ,जब पेगम्बर का देहान्त
यह छोटा-सा गांव कन्याकुमारी से लगभग 12 किमी दूर स्थित है। यहां का थानुमलायन मंदिर काफी प्रसिद्ध है। मंदिर में स्‍थापित हनुमान की छह मीटर की उंची मूर्ति काफी आकर्षक है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश जोकि इस ब्रह्मांड के रचयिता समझे जाते है उनकी मूर्ति स्‍थापित है। यहां नौवीं शताब्दी के प्राचीन अभिलेख भी पाए गए हैं।
वियतनामी भाषा वियतनाम की राजभाषा है। जब वियतनाम फ्रांस का उपनिवेश था तब इसे अन्नामी (Annamese) कहा जाता था। वियतनाम के ८६% लोगों की यह मातृभाषा है तथा लगभग ३० लाख वियतनामी बोलने वाले यूएसए में रहते हैं। यह आस्ट्रेलियायी-एशियायी परिवार की भाषा है।
२) देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है। — सर विलियम जोन्स
आगरा भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक मंडल है। इसमें आगरा फ़िरोज़ाबाद मैनपुरी और मथुरा जिले आते हैं।
13.कुछ नरेन्द्र कोहली के विषय में (आत्मकथ्य), 1996 ई., प्रकाशक : पराग प्रकाशन, दिल्ली- 110032
चन्द्रगुप्त मौर्य ने जैन धर्म अपना लिया था । ऐसा कहा जाता है कि चन्द्रगुप्त अपना राजसिंहासन त्यागकर अपने गुरु जैनमुनि भद्रबाहु के साथ कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में सन्यासी के रूप में रहने लगा था । इसके बाद के शिलालेखों में बी ऐसा पाया जाता है कि चन्द्रगुप्त ने उसी स्थान पर एक सच्चे निष्ठावान जैन की तरह आमरण उपवास करके दम तोड़ा था । वहां पास में ही चन्द्रगिरि नाम की पहाड़ी है जिसका नामाकरण शायद चन्द्रगुप्त के नाम पर ही किया गया था ।
In early 1776, France set up a major program of aid to the Americans, and the Spanish secretly added funds. Each country spent one million "livres tournaises" to buy munitions. A dummy corporation run by Pierre Beaumarchais concealed their activities. Americans obtained some munitions through Holland as well as French and Spanish ports in the West Indies . [ 46 ] [ edit ] Native Americans [ संपादित करें ] मूल निवासी अमेरिकियों
नंगा पर्वत, पाकिस्ता
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अंतरिक्ष में कुछ स्थानों पर टेलिस्कोप से गोल गुच्छे दिखाई देते हैं। इन्हें स्टार क्लस्टर या ग्लीट्र्यूलर स्टार अर्थात् तारा गुच्छ कहते हैं। इसमें बहुत से तारे होते हैं जो बीच में घने रहते हैं और किनारे बिरल होते हैं। टेलिस्कोप से आकाश में देखने पर कहीं कहीं कुछ धब्बे दिखाई देते हैं। ये बादल के समान बड़े सफेद धब्बे से दिखाई देते हैं। इन धब्बों को ही नीहारिका कहते हैं। इस ब्रह्मांड में असंख्य नीहारिकाएँ हैं। उनमें से कुछ ही हम देख पाते हैं।
गोजोसियन की स्थापना की किंवदंती, स्वर्ग का एक वंशज, दंगुन का वर्णन करती है जिसने 2333 ई. पू. में इस राज्य की स्थापना की. [21] पुरातत्व और समकालीन लिखित रिकॉर्ड से संकेत मिलता है कि यह दीवार युक्त शहरों के एक संघ से एक केंद्रीकृत साम्राज्य में, 7वीं और 4थी शताब्दी ई.पू. के बीच में विकसित हुआ.
जेड के डेन्जर डान्स आकादमी
ऑस्ट्रेलियाई दृश्यकला की शुरुआत अपने स्वदेशी लोगो के गुफाओं और वृक्षों की चित्रकलाओं से मानी गयी है.[९८]स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाइयो की परंपरा मौखिक रूप से ज्यादा प्रसारित हुई और ड्रीमटाइम की कहानियों को कहने और समारोहों से जुडी हैं. ऑस्ट्रेलियाई प्राचीन संगीत, नृत्य और कला से प्रभावित हुई. यूरोपियन अवस्थापन के समय से,[तथ्य वांछित]ऑस्ट्रेलियाई कला का विषय ऑस्ट्रेलियाई भूमि प्रदेश का चित्र, जो उदाहरणस्वरूप अल्बर्ट नमत्जीरा, अर्थर स्ट्रीटन और दुसरे हेडिलबर्ग स्कूल और अर्थर बोय्ड साथ जुड़े की कार्यो में देखा जाता है.इस समय जो ऑस्ट्रेलियाई कलाकार आधुनिक अमेरिका और यूरोपियन कलाओं के साथ जुड़े़ हैं उसमें क्यूबिस्ट ग्रेस क्रोवली, सुर्रेलिस्ट जेम्स ग्लीसन, अमूर्त व्यंजक ब्रेट विटले और पॉप कलाकार मार्टिन शार्प शामिल है.ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय चित्रशाला और विभिन्न दूसरे राज्य चित्रशालाएं ऑस्ट्रेलियाई और विदेशी संकलनों को सम्भाल कर रखे हुए है.20वीं सदी के प्रारम्भ से लेकर अबतक ऑस्ट्रेलियाई आधुनिक कलाकारों के लिए देश के भूमि प्रदेश का चित्र मुख्य प्रेरणास्रोत बनी है; इस बात की स्तुति जीत कलाकारों की चित्रों में होती है, वे है सिडनी नोलन, ग्रेस कोसिंगटन स्मिथ, फ्रेड विलियम्स, सिडनी लॉन्ग और क्लिफ्टन पघ.
श्लेगन संधि ने सदस्य राष्ट्रों के बीच के आपसी सरहदों को काफी कुछ मुक्त कर दिया है
त्रिसरेणु और लिक्षा संभवत: काल्पनिक मान थे। राजसर्षप, गौरसर्षप, यव और कृष्णल वास्तविक मान थे जिनका व्यवहार सुवर्ण जैसी कीमती चीजों को तौलने में होता था। मनु के अनुसार १० पल का एक धरण होता था। चाँदी के लिये एक भिन्न मान भी था, जिसका विवरण इस प्रकार है:
रवींद्रनाथ के समसामयिक लेखकों में कितने ही विशेष उल्लेखनीय हैं। उनके नाम हैं-
जब कभी भीषण भूकंप की वजह से समुद्र की ऊपरी परत अचानक खिसक कर आगे बढ़ जाती है तो समुद्र अपनी समांतर स्थिति में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है। जो लहरें उस वक़्त बनती हैं वो सूनामी लहरें होती हैं. इसका एक उदाहरण ये हो सकता है कि धरती की ऊपरी परत फ़ुटबॉल की परतों की तरह आपस में जुड़ी हुई है या कहें कि एक अंडे की तरह से है जिसमें दरारें हों।पहले सूनामी को समुद्र में उठने वाले ज्वार के रूप में भी लिया जाता रहा है लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल समुद्र में लहरे चाँद सूरज और ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से उठती हैं लेकिन सूनामी लहरें इन आम लहरों से अलग होती हैं।
ज्वालामुखी मंदिर, कांगडा घाटी से 30 कि.मी. दक्षिण में हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में शामिल है। ज्वालामुखी मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है। ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवो को जाता है। उन्हीं के द्वारा इस पवित्र धार्मिक स्थल की खोज हुई थी। इस स्थाल पर माता सती की जीभ गिरी थी। इस मंदिर में माता के दर्शन ज्योति रूप में होते है। ज्वालामुखी मंदिर के समीप में ही बाबा गोरा नाथ का मंदिर है। जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का प्राथमिक निमार्ण राजा भूमि चंद के करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने 1835 में इस मंदिर का पूर्ण निमार्ण कराया। मंदिर के अंदर माता की नौ ज्योतियां है जिन्हें, महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है।
फोन- 25650271
कानपुर रेलवे स्टेशन देश के विभिन्न हिस्सों से अनेक रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, झांसी, मथुरा, आगरा, बांदा, जबलपुर आदि
पतांजलि योगसूत्र के पांच यामा या बाधाओं और जैन धर्म के पाँच प्रमुख प्रतिज्ञाओं में अलौकिक सादृश्य है,जिससे जैन धर्म का एक मजबूत प्रभाव का संकेत करता है.
भारत के मुख्य शहर है - दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलोर ( बेंगलुरु ) | ये भी देंखे - भारत के शहर
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कहा जाता है कि जब पाण्डव जुएमें अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्तचतुर्दशीका व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदीके साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्तसूत्रधारण किया। अनन्तचतुर्दशी-व्रतके प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।
यहाँ साक्षरता ९८ प्रतिशत हॅ।
अशोक के अभिलेखों में शाहनाज गढ़ी एवं मान सेहरा (पाकिस्तान) के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण हैं । तक्षशिला एवं लघमान (काबुल) के समीप अफगानिस्तान अभिलेख आरमाइक एवं ग्रीक में उत्कीर्ण हैं । इसके अतिरिक्‍त अशोक के समस्त शिलालेख लघुशिला स्तम्भ लेख एवं लघु लेख ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण हैं । अशोक का इतिहास भी हमें इन अभिलेखों से प्राप्त होता है ।
पुरी में श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
वास्तुकला की दृष्टि से यह गुफा उतना महत्वपूर्ण नहीं है, फिर भी यह मंदिर, वास्तुकला के विकास के प्रारंभिक चरण को दर्शाता है।
याज्ञवल्क्य- आदित्यलोक चन्द्रलोग में ओतप्रोत है।
संथाली, हो
इस खूबसूरत प्राचीन मस्जिद का निर्माण 1124 ई. में मुस्लिम उपदेशक मलिक इबन दीनार ने करवाया था। माना जाता है कि मस्जिद के सफेद रंग के ब्लॉक को इसके संस्थापक द्वारा मक्का से लाया गया था। मलिक इबन दीनार धार्मिक उपदेश देने के लिए भारत आए थे। मस्जिद के निकट ही मैसूर के शासक टीपू सुल्तान द्वारा बनवाया गया एक किला है। यह किला अब क्षतिग्रस्त हो चला है।
आड़ी-तिरछी/ टेढ़ी चालें/ पहने नई-नई सब खालें/
उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों के अनेक शहरों से मेरठ सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें अनेक शहरों से मेरठ के लिए चलती हैं।
पटना के मेमन को पाटनी मेमन कहते है और उनकी भाषा मेमनी भाषा का एक स्वरूप है ।
• अन्य...
जिन स्थानों में अहोईअष्टमी की रात्रि में तारे को अ‌र्घ्यदेने की प्रथा है, वहां भी गुरुवार को ही व्रत रखा जाए क्योंकि इसी दिन तारों का दर्शन अष्टमी की अवधि में होगा। ब्रजमण्डलमें उदयातिथि की विशेष मान्यता होने तथा सप्तमी से विद्धाअष्टमी को ग्रहण न किए जाने के कारण यहां राधाकुण्डमें स्नान का पर्व 2नवंबर को माना जाएगा। ब्रज में व्रत-पर्व की तारीख का निर्णय वैष्णव सिद्धांतों के अनुसार किया जाता है।
यह भी देखें: भारत के शहर
1. न्यायालय की कार्यवाही तथा निर्णय को दूसरे न्यायालय मे साक्ष्य के रूप मे प्रस्तुत किया जा सकेगा
अजातशत्रु ने उत्तर दिया-'हे विप्रवर! मैं इस विषय में कुछ नहीं कहना चाहता। यह तो पूर्ण, प्रवृत्ति-रहित (क्रिया-रहित) ब्रह्म, सभी से विशाल है। अवश्य ही मैं इसी रूप में इसकी उपासना करता हूं। जो ऐसे दिव्य ब्रह्म की उपासना करता है, वह समस्त प्राणियों में निर्विकार हो जाता है। समय से पूर्व उसकी मृत्यु नहीं होती।'
गू देवनागरी व्यंजन के ग वर्ण का एक अक्षर है।
तब उसी समय सर्प ने प्रकट होकर कहा- यदि मेरी धर्म बहिन के आचरण पर संदेह प्रकट करेगा तो मैं उसे खा लूँगा। यह सुनकर छोटी बहू का पति बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सर्प देवता का बड़ा सत्कार किया। उसी दिन से नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है और स्त्रियाँ सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं।
सम्पूर्ण ओड़िआ भाषा के इतिहास को निम्न वर्गों में बांटा जा सकता है -
क्रिकेट शहर और देश के सबसे चहेते खेलों में से एक है।.[१३१] महानगरों में मैदानों की कमी के चलते गलियों का क्रिकेट सबसे प्रचलित है। मुंबई में ही भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) स्थित है। [१३२] मुंबई क्रिकेट टीम रणजी ट्रॉफी में शहर का प्रतिनिधित्व करती है। इसको अब तक ३८ खिताब मिले हैं, जो किसी भी टीम को मिलने वाले खिताबों से अधिक हैं। [१३३] शहर की एक और टीम मुंबई इंडियंस भी है, जो इंडियन प्रीमियर लीग में शहर की टीम है। शहर में दो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैदान हैं- वान्खेड़े स्टेडियम और ब्रेबोर्न स्टेडियम [१३४] शहर में आयोजित हुए सबसे बड़े क्रिकेट कार्यक्रम में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी का २००६ का फाइनल था। यह ब्रेबोर्न स्टेडियम में हुआ था। [१३५] मुंबई से प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ियों में विश्व-प्रसिद्ध सचिन तेन्दुलकर[१३६] और सुनील गावस्कर हैं।[१३७]
विश्व के सबसे छोटी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भूटान का आर्थिक ढाँचा मुख्य रूप से कृषि और वन क्षेत्रों और अपने यहाँ निर्मित पनबिजली के भारत को विक्रय पर निर्भर है। ऐसा माना जाता है कि इन तीन चीजों से भूटान की सरकारी आय का 75% आता है। कृषि जो यहाँ के लोगों का आधार है, इस पर 90% से ज्यादा लोग निर्भर हैं। भूटान का मुख्य आर्थिक सहयोगी भारत हैं क्योंकि तिब्बत से लगने वाली भूटान की सीमा बंद है। भूटान की मुद्रा नोंग्त्रुम है, जिसका भारतीय रूपया से आसानी से विनिमय किया जा सकता है। औद्योगिक उत्पादन लगभग नगण्य है और जो कुछ भी है, वे कुटीर उद्योग की श्रेणी में आते हैं। ज्यादातर विकास परियोजनाएँ जैसे सड़कों का विकास इत्यादि भारतीय सहयोग से ही होता है। भूटान की पनबिजली और पर्यटन के क्षेत्र में असीमित संभावनाएँ हैं।
करतार सिंह सराभा, संतोख सिंह, अरूड़ सिंह, पृथी सिंह, पण्डित जगत राम, करम सिंह चीमा, निधान सिंह चुघ, संत वसाखा सिंह, पण्डित मुंशी राम, हरनाम सिंह कोटला, नोध सिंह थे। गुप्त और भूमिगत कार्यों के लिए एक कमेटी बनायी गयी जिसमें सोहन सिंह भाकना, संतोख सिंह और पण्डित कांशी राम सदस्य थे।
15वीं सदी में लातीनी के प्राचीन साहित्य के प्रशंसकों ने लातीनी को चलाने की चेष्टा की और प्राचीन सभ्यता के अध्ययनवादियों (मानवतावादी-मैनिस्ट) ने नवीन साहित्यिक भाषा बनाने की चेष्टा की, किंतु यही लातीनी प्राचीन लातीनी से भिन्न थी। इस प्रवृत्ति के फलस्वरूप साहित्यिक भाषा का रूप क्या हो, यह समस्या खड़ी हो गई। एक दल विभिन्न बोलियों के कुछ तत्व लेकर एक नई साहित्यिक भाषा गढ़ने के पक्ष में था, एक दल तोस्काना, विशेषकर फ्लोरेंस की बोली को यह स्थान देने के पक्ष में था और एक दल, जिसमें पिएतरो बेंबो (1470-1587) प्रमुख था, चाहता था कि दांते, पेत्रार्का और बोक्काच्यो की भाषा को ही आदर्श माना जाए। मैकियावेली ने भी फियोरेंतीनो का ही पक्ष लिया। तोस्काना की ही बोली साहित्यिक भाषा के पद पर प्रतिष्ठित हो गई। आगे सन् 1612 में क्रूस्का अकादमी ने इतालवी भाषा का प्रथम शब्दकोश प्रकाशित किया जिसने साहित्यिक भाषा के रूप को स्थिर करने में सहायता प्रदान की।
लक्ष्मण सेन सेन वंश का अन्तिम शासक था । हल्लायुद्ध इसका प्रसिद्ध मन्त्री एवं न्यायाधीश था । गीत गोविन्द के रचयिता जयदेव भी लक्ष्मण सेन शासक के दरबारी कवि थे । लक्ष्मण सेन वैष्णव धर्मानुयायी था ।
समुद्रगुप्त के आक्रमण के तुरंत बाद ही एक नयी शक्ति माठर वंश उठी। उन्होंने पारळाखेमुंडी से आक्रमण करने शुरु किये। इन्होंने कलिंग पर ४९८]] ई. === तक राज्य किया। इस राज्य में कलिंग की समृद्धि खूब पनपी, जो कि उनके बढ़्ते व्यापार, इत्यादि के कारण था। ब्राह्मणवाद पक्का हो गया था।
दक्षिणेश्वर मंदिर का निर्माण सन 1847 में प्रारंभ हुआ था। जान बाजार की महारानी रासमणि ने स्वप्न देखा था, जिसके अनुसार माँ काली ने उन्हें निर्देश दिया कि मंदिर का निर्माण किया जाए। इस भव्य मंदिर में माँ की मूर्ति श्रद्धापूर्वक स्थापित की गई। सन 1855 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में स्थित है।
इस दृष्‍टि से आत्‍मा ही केन्‍द्र बिन्‍दु है जिस पर आगे चलकर परमात्‍मा का भव्‍य प्रासाद निर्मित किया गया।
टाइपिंग हेतु विण्डोज़ में विभिन्न भारतीय भाषाओं के इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड अन्तर्निर्मित होते हैं जिन्हें कण्ट्रोल पैनल से जोड़ा जा सकता है। हिन्दी हेतु इसमें Hindi Traditonal तथा संस्कृत हेतु Devanagari-INSCRIPT नामक कीबोर्ड होता है।
धृष्टकेतु, शिशुपाल का पुत्र था और चेदी देश क राजा था। यह स्थान आज के उत्तर प्रदेश में स्थित है। कुरुक्षेत्र के युद्ध में उसने बहुत से योद्धाओं से युद्ध किया, और वृहदवाहन का वध किया।
सात वर्ष तक डीसा आश्रम और माउन्ट आबू की नलगुफ़ा में योग की गहराइयों तथा ज्ञान के शिखरों की यात्रा की | धयान्योग, लययोग, नादानुसंधानयोग, कुंडलिनीयोग, अहंग्रह उपासना आदि भिन्न-भिन्न मार्गों से अनुभूतियाँ करनेवाले इस परिपक्व साधक को सिद्द अवस्था में पाकर प्रसन्नात्मा, प्राणिमात्र के परम हितैषी पूज्यपाद लीलाशाहजी बापू ने आपमें औरों को उन्नत करने का सामर्थ्य पूर्ण रूप से विकसित देखकर आदेश दिया :
प्रथम समिति- उद्योग शिल्पों का निरीक्षण करता था ।
सड़क मार्गः देहरादून देश के विभिन्न हिस्सों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है और यहां पर किसी भी जगह से बस या टेक्सी से आसानी से पहुंचा जा सकता है। सभी तरह की बसें, (साधारण और लक्जरी) गांधी बस स्टेंड जो दिल्ली बस स्टेंड के नाम से जाना जाता है, यहां से खुलती हैं। यहां पर दो बस स्टैंड हैं। देहरादून और दिल्ली, शिमला और मसूरी के बीच डिलक्स/ सेमी डिलक्स बस सेवा उपलब्ध है। ये बसें क्लेमेंट टाउन के नजदीक स्थित अंतरराज्यीय बस टर्मिनस से चलती हैं। दिल्ली के गांधी रोड बस स्टैंड से एसी डिलक्स बसें (वोल्वो) भी चलती हैं। यह सेवा हाल में ही यूएएसआरटीसी द्वारा शुरू की गई है। आईएसबीटी, देहरादून से मसूरी के लिए हर १५ से ७० मिनट के अंतराल पर बसें चलती हैं। इस सेवा का संचालन यूएएसआरटीसी द्वारा किया जाता है। देहरादून और उसके पड़ोसी केंद्रों के बीच भी नियमित रूप से बस सेवा उपलब्ध है। इसके आसपास के गांवों से भी बसें चलती हैं। ये सभी बसें परेड ग्राउंड स्थित स्थानीय बस स्टैड से चलती हैं।
(3) व्यंग्यात्मक शैली द्विवेदी जी के निबंधों में व्यंग्यात्मक शैली का बहुत ही सफल और सुंदर प्रयोग हुआ है। इस शैली में भाषा चलती हुई तथा उर्दू, फारसी आदि के शब्दों का प्रयोग मिलता है।
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्
भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा संपन्न पुत्रेष्टि-यज्ञ से प्रसन्न देवराज इंद्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को विश्ववंद्य महाबाहु परशुरामजी का जन्म हुआ। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार थे।
साँचा:सितंबर कैलंडर२०१० ४ सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २४७वाँ (लीप वर्ष मे २४८वाँ) दिन है। वर्ष मे अभी और ११८ दिन बाकी है।
कुण्डिकोपनिषद सामवेदिय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
इस आर्ष प्राकृत व्याकरण के पश्चात् प्राकृतप्रकाश नामक व्याकरण लिखा गया, जिसमें आगे दो बार वृद्धि की गई। आदि के नौ परिच्छेद वररुचि कृत हैं। इनमे आदर्श प्राकृत की क्रमश: स्वरविधि, व्यंजनविधि, संयुक्तवर्ण विधि, संकीर्ण, संज्ञारूप, सर्वनाम विधि, क्रियारूप, धात्वादेश एवं अव्ययों का निरूपण किया गया है। अंत में कहा गया है कि प्राकृत का शेष स्वरूप संस्कृत के समझना चाहिए। इस व्याकरण में द्वितीय स्तर के प्राकृत का स्वरूप पूर्णरूप से निर्धारित हुआ पाया जाता है। इसके अनुसार मध्यवर्ती क् ग् च् ज् त् द् प् य और द का प्राय: लोप होता है, एवं ख् घ् थ् ध् और भ् के स्थान पर ह् आदेश। प्राकृतप्रकाश के इस प्राचीन विभाग पर कात्यायन, भामह, वसंतराज, सदानंद और रामपाणिवादकृत टीकाएँ पाई जाती हैं। आगे के 10वें और 12वें परिच्छेदों में क्रमश: पैशाची का 14 सूत्रों में तथा मागधी का 17 सूत्रों में निरूपण किया गया है। इन दोनों भाषाओं की प्रकृति शौरसेनी कही गई है। किंतु इससे पूर्व कहीं भी शौरेसेनी का नाम नहीं आया। अतएव अनुमानत: इसके कर्ताओं की दृष्टि में सामान्य प्राकृत का निरूपण उस काल की सुप्रचलित शोरसेनी का ही है। इन दो परिच्छेदों पर केवल भामह की टीका है, और विद्वानों का अनुमान है कि ये दोनों परिच्छेद उन्हीं के जोड़े हुए हैं। इनमें पैशाची का विशेषता शब्द के मध्य में तृतीय चतुर्थ वर्णो के स्थान पर प्रथम तथा द्वितीय का आदेश, ण के स्थान पर न्, ज्ञ्, न्य के स्थान पर ञ्ञ तथा त्वा के स्थान पर तूण बतलाई गई है, और मागधी की ष्, स्, के स्थान पर क्ष ज् के स्थान पर य्, क्ष के स्थान पर एक अहं के स्थान पर हके, हगे व अहके, तथा अकारांत कर्ता कारक एकवचन के अंत में ए कही गई हैं। प्राकृत प्रकाश का अंतिम 12 वाँ परिच्छेद बहुत पीछे जोड़ा गया प्रतीत होता है। इसपर भामह व अन्य किसी की टीका नहीं है। इस परिच्छेद की अवस्था बड़ी विलक्षण है। इसमें शौरसेनी के लक्षण बतलाए गए हैं, जिसकी आदि में ही प्रकृति संस्कृत कही गई हैं। किंतु अंतिम 32वें सूत्र में पुन: कहा गया हैहृ शेषं महाराष्ट्री वत्। परंतु महाराष्ट्री शब्द इससे पूर्व ग्रंथ भर में अथवा अन्य कहीं व्याकरण में आया ही नहीं है। जान पड़ता है यह परिच्छेद उस समय जोड़ा गया है जब यह धारणा सुदृढ़ हो गई कि प्राकृत काव्य की भाषा महाराष्ट्री ही होनी चाहिए। अतएव जहाँ प्राकृत का निर्देश है, वहाँ महाराष्ट्री का ही तात्पर्य ग्रहण किया जाय। यहाँ जो शौरसेनी का स्वरूप बतलाया गया है, उसी से स्पष्ट हो जाता है कि जो स्वरूप यहाँ सामान्य प्राकृत का बतलाया गया है, वह शौरसेनी का ही कालानुसार विकसित रूप है। उदाहरणार्थ शौरसेनी में मध्यवर्ती त् और थ् के स्थान क्रमश: द् और ध् होते हैं, वहाँ प्राकृत में द् का लोप और थ का ह होता है। "भ्" धातु का शौरसेनी में "भो" ही रहता है, कि किंतु प्राकृत में वहाँ "हो" आदेश कहा गया है। शौरसेनी में नपुंसक बहुवचन के रूप में वहाँ णि होता है, जैसे जलाणि, वाणणि, वहाँ प्राकृत के केवल इ रहता है, जैसे जलाइं, वणाइं शौरसेनी में दोला, दंड तथा दसण का आदि द् प्रकृति रूप रहता है, जबकि प्राकृत में वह ड् हो जाता है, जैसे डोला, डंड व डसण इत्यादि।
कनफ्यूशिअस की भावनाएँ एवं विचार निजी तौर पर नैतिक, नीतिशास्त्रीय, सामाजिक एवं मानवीय हैं। कनफ्यूशिअस ने जानबूझकर कुछ दुर्गम समस्याओं की उपेक्षा की है। कनफ्यूशिअस की साहित्यिक झाँकियों के सग्रह में यह बतलाया गया था कि जिन विषयों पर गुरु ने बातें की वे ये थीं : (1) विचित्र वस्तुएँ, (2) अतिप्राकृतिक शक्ति, (3) वस्तुएँ जो उचित क्रम में न हें और, (4) प्रेत एवं देवता (पुस्तक 7, अध्याय 20)। एक बार उसके अनुयायी चि-लु ने प्रेंतों और देवताओं की सेवा करने के संबंध में पूछा। गुरु ने कहा : "जब तुम मनुष्यों की सेवा करने योग्य नहीं हो, तब किस प्रकार तु प्रेतों और देवताओं की सेवा कर सकते हो?" चि-लु ने कहा : "मैं मृत्यु के संबंध में पूछने का साहस करता हूँ।" उसे पुन: उत्तर दिया गया, "जब तुम जीवन के विषय में नहीं जानते, तो किस प्रकार तुम मृत्यु के सबंध में जान सकते हो?" (पुस्तक 11, अध्याय 2)। कनफ्यूशिअस ने स्वय एक बार अपने अनुयायी जु-कुङ स कहा : "मैं न बोलना अधिक पसंद करूंगा।" जु-कुङ ने पूछा : "अगर तुम गुरु नहीं बोलते हो, तुम्हारे अनुयायी, हम लोगों को क्या लिखता है?" गुरु ने कहा : "क्या ईश्वर बोलता है? चारों ऋतुएँ अपने अपने मार्ग का अनुसरण करती हैं, और वस्तुएँ लगातार उत्पन्न की जाती हैं, किंतु क्या ईश्वर कुछ कहता है?" (पुस्तक 17, अध्याय 19)।
भारत का अंतरिक्षीय अनुभव बहुत पुराना है, जब रॉकेट को आतिशबाजी के रूप में पहली बार प्रयोग में लाया गया, जो की पडौसी देश चीन का तकनीकी आविष्कार था, और तब दोनों देशों में सिल्क की सड़क से विचारों एवं वस्तुओं का आदान प्रदान हुआ करता था। जब टीपू सुल्तान द्वारा मैसूर युद्ध में अंग्रेजों को खधेडने में रॉकेट के प्रयोग को देखकर विलियम कंग्रीव प्रभावित हुआ, तो उसने १८०४ में कंग्रीव रॉकेट का आविष्कार किया, जो की आज के आधुनिक तोपखानों की देन माना जाता है। १९४७ में अंग्रेजों की बेडियों से मुक्त होने के बाद, भारतीय वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ भारत की रॉकेट तकनीक के सुरक्षा क्षेत्र में उपयोग, एवं अनुसंधान एवं विकास की संभाव्यता की वजह से विख्यात हुए। भारत जनसांख्यिकीय दृष्टि से विशाल होने की वजह से, दूरसंचार के क्षेत्र में कृत्रिम उपग्रहों की प्रार्थमिक संभाव्यता को देखते हुए, भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना की गई।
काचारियों के युग में शाह नासिरुद्दीन (सन् 1848-1896 ई.) का विशेष महत्व है। यह स्वयं कवि तथा गद्यलेखक था। इसका सफ़रनामा बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें इसने अपनी यूरोप की यात्रा का वृत्तांत तथा अनुभवों का विवरण दिया है। इसकी लेखन शैली सरल तथा रोचक है। नासिरुद्दीन के राज्यकाल का प्रसिद्ध साहित्यकार रिज़ाकुली खाँ लाल:बाशी है, जो श्रेष्ठ कवि था। इसने "मजमउल् फुसहा" और "रियाजुल्आरिफ़ीन" नामक दो वृत्तसंग्रह प्रस्तुत कर फारसी साहित्य की बहुमूल्य सेवा की है। इन दोनों संग्रहों में आरंभ से लेकर अपने समय तक के कवियों के वृत्त संकलित किए गए हैं और इस दृष्टि से ये बड़े महत्वपूर्ण हैं। रिजाकुली खाँ खीवा (तुर्किस्तान) में अपने देश की ओर से राजदूत था और इसन अपने सफारतनामा नामक पुस्तक में खीवा की अपनी यात्रा का वर्णन किया है।
भारतीय जनता पार्टी भारत का एक राष्ट्रवादी राजनैतिक दल है। इस दल की स्थापना ६ अप्रैल १९८० में हुई थी। इस दल के वर्तमान अध्यक्ष नितिन गडकरी है। इस दल का युवा संगठन 'भारतीय जनता युवा मोर्चा' है । २००४ के संसदीय चुनाव में इस दल को ८५ ८६६ ५९३ मत (२२%, १३८ सीटें) मिले थे। भाजपा का मुखपत्र कमल संदेश है, जिसके संपादक प्रभात झा हैं एवं संजीव कुमार सिन्‍हा संपादक मंडल सदस्‍य हैं।
वाराणस्यां नदी पु सिद्धगन्धर्वसेविता।
न्यूजीलैंड के ४० लाख लोगों में से लगभग तीस लाख लोग उत्तरी द्वीप में रहते हैं और दस लाख लोग दक्षिणि द्वीप में । यह द्वीप दुनिया के सबसे बडे द्वीपों में गिने जाते हैं । अन्य द्वीपों में बहुत कम लोग रहतें हैं और वे बहुत छोटे हैं । इनमें मुख्य है:
गूहेत्कूर्म इवांगानि रक्षेद्विवरमात्मन: ॥
कोई भी चीज जो प्रतिकृति करती है (हमारी कोशिकाएं) संभवतया त्रुटियों से पीड़ित हो सकती हैं (उत्परिवर्तन). यदि त्रुटि सुधार और रोकथाम ठीक प्रकार से न किया जाये त्रुटियां बनी रहेंगी, और पुत्री कोशिकाओं को भी स्थानांतरित हो सकती हैं.
फूल, पौधे के मुख्य भागों (बीज, फल, जड़ (root), तना (stem), और पत्तों (leaves) के मुकाबले कम आहार उपलब्ध करा पाते हैं, पर वे कई दुसरे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ और मसाले उपलब्ध करा पाते हैं. फूलों की सब्जियों में शामिल है ब्रोकोली (broccoli), फूलगोबी और हाथीचक्र (artichoke). सबसे महंगा मसाला, जाफरानी (saffron), जाफरानी (crocus) के फूल के स्टिग्मा धारण किए हुए रहता है. दुसरे फूलों की नस्लें हैं लौंग (clove) और केपर्स (caper).होप (Hops) फूलों का प्रयोग बियर (beer) में सुगंध के लिए उपयोग किया जाता है. मुर्गियों (chicken) को गेंदे (Marigold) का फूल खिलाया जाता है ताकि अंडे का पीला भाग और सुनहरा पीला हो सके, जो की उपभोक्ताओं को पसंद है. कुक्रौंधे (Dandelion) के फूलों से अक्सर शराब/वाइन बनाई जाती है. मधुमक्खी पराग (Pollen), मधुमक्खियों द्वारा एकत्रित पराग को कुछ लोगों द्वारा स्वास्थ्यवर्धक आहार कहा जाता है. शहद (Honey) में मधुमक्खी द्वारा संसाधित फूल का रस होता है और ज्यादातर उनका नाम फूलों के नाम पर रखा जाता है, उदाहरण के लिए नारंगी (orange) शहद फूल, बनमेथी (clover) शहद, टुपेलो (tupelo) शहद.
बंगलूरू में शॉपिंग का अपना ही एक अलग मजा है। यहां आपको कांचीपुरम सिल्क या सावोरस्की क्रिस्टल आसानी से मिल सकता है। बंगलूरू विशेष रूप से मॉलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित मॉल भारत के कुछ खूबसूरत और बड़े मॉल में से एक है। कमर्शियल स्ट्रीट बंगलूरू से सबसे व्यस्त और भीड़-भाड़ वाले शॉपिंग की जगहों में से है। यहां आपको जूते, ज्वैलरी, स्टेशनरी, ट्रैवल किट और स्‍पोट्स वस्तुएं आसानी से मिल जाएगी। ब्रिटिश काल के दौरान के दक्षिण परेड को आज एम.जी.रोड़ के नाम से जाना जाता है। यहां आपको शॉपिंग के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण, किताबें और मैगजीन, सिल्क साड़ी, कपड़े, प्राचीन और फोटोकारी की जुड़ी विशेष चीजें मिल सकती है। एम.जी.रोड़ के काफी नजदीक ही ब्रिगेड रोड है यह जगह इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण जैसे टेलीविजन, फ्रिज, म्यूजिक सिस्टम, कम्प्यूटर और वाशिंग मशीन आदि के लिए प्रसिद्व है।
धागे का इस्तेमाल बिना रंगे किया जा सकता है या इसे कृत्रिम या प्राकृतिक रंगों से रंगा जा सकता है. अधिकतर धागों में एक समान रंग होता है, लेकिन रंग-बिरंगे धागों का एक विस्तृत चयन भी उपलब्ध है:
हिन्दी सिनेमा, जिसे बॉलिवुड के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दी भाषा में फ़िल्म बनाने का उद्योग है । बॉलिवुड नाम अंग्रेज़ी सिनेमा उद्योग हॉलिवुड के तर्ज़ पर रखा गया है । हिन्दी फ़िल्म उद्योग मुख्यतः मुम्बई शहर में बसा है । ये फ़िल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान, और दुनिया के कई देशों लोगों के दिलों की धड़कन हैं । हर फ़िल्म में कई संगीतमय गाने होते हैं । इन फ़िल्मों में हिन्दी की "हिन्दुस्तानी" शैली का चलन है । हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बइया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों मे उपयुक्त होते हैं । प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं । ज़्यादातर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं ।
ब्लू पीकॉक परमाणु खानें जिसे 'बम' भी कहा गया था, उसे युद्ध के समय केन्द्रित करने के लिए योजना बनाया गया था और इस तरह निर्माण किया गया था कि अगर उन्हें छेड़ा गया तो वो दस सेकेंड के अदंर विस्फोट कर दे.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शहरी योजनाबद्धता और वास्तु-स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर आधुनिक भारत का प्रथम योजनाबद्ध शहर है।[४] चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर हैं, लेकिन शहर में पियरे जिएन्नरेट, मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु नमूने देखे जा सकते हैं। शहर का भारत के समृद्ध राज्यों और संघ शसित प्रदेशों की सूची में अग्रणी नाम आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय ९९,२६२ रु (वर्तमान मूल्य अनुसार) एवं स्थिर मूल्य अनुसार ७०,३६१ (२००६-०७) रु है।[५]
संघमित्रा महान मौर्य सम्राट अशोक की पुत्री थी जिसे अशोक ने अपने पुत्र महेन्द्र के साथ श्रीलंका (सिंहलद्वीप तथा ताम्रपर्णी के नाम से भी ज्ञात) में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भेजा था ।
लगता है कि विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 131 ईस्वी पूर्व रोम में हुआ था। उस साल पहला दैनिक समाचार-पत्र निकलने लगा। उस का नाम था – “Acta Diurna” (दिन की घटनाएं). वास्तव में यह पत्थर की या धातु की पट्टी होता था जिस पर समाचार अंकित होते थे । ये पट्टियां रोम के मुख्य स्थानों पर रखी जाती थीं और इन में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति, नागरिकों की सभाओं के निर्णयों और ग्लेडिएटरों की लड़ाइयों के परिणामों के बारे में सूचनाएं मिलती थीं।
सरदार पटेल मार्ग, चेन्नई चेन्नई की एक प्रमुख सड़क है।
कभी तो हम शरीर को मनुष्य कहते हैं, कभी उसकी आत्मा को। उसी तरह वैदिक ऋषि भी दो रूपों में देवताओं की प्रार्थना करते थे। कभी जड़ पदार्थ के रूप में, कभी उस जड़ के भीतर रहने वाले चेतन परंपरा के रूप में। जैसे- 'सूर्य' शब्द से कभी उनका आशय होता था उस तेज चमकते हुए गोले से, जिसे हम 'सूर्य' कहकर पुकारते हैं।
सन 2009 मई में,तुर्की के निदेशालय के धार्मिक मामलों के मंत्रालय के प्रधान शासक अली बर्दाकोग्लू ने योग को एक व्यावसायिक उद्यम के रूप में घोषित किया- योग के संबंध में कुछ आलोचनाये जो इसलाम के तत्वों से मेल नहीं खातीं.[८४]
सबसे खतरनाक कार्य यह रहा कि विवादों के हर घेरे में सरकार का विदेशी ताकतों के आगे झुकना है जिससे हमारी अखंडता एवं स्वतंत्रता को खतरा है।
(६) सोपरा- यह महराष्ट्र के थाणे जिले में है ।
अनंत दूरी तक चलता आकाश, बर्फ से ढकी चोटियां, गहरी घाटियां और मीठे पानी के झरने, कुफरी में यह सब है । यह पर्वतीय स्‍थान शिमला के पास समुद्री तल से 2510 मीटर की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है। कुफरी में ठण्‍ड के मौसम में अनेक खेलों का आयोजन किया जाता है जैसे स्‍काइंग और टोबोगेनिंग के साथ चढ़ाडयों पर चढ़ना। ठण्‍ड के मौसम में हर वर्ष खेल कार्निवाल आयोजित किए जाते हैं और यह उन पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है जो केवल इन्‍हें देखने के लिए यहां आते हैं। यह स्‍थान ट्रेकिंग और पहाड़ी पर चढ़ने के लिए भी जाना जाता है जो रोमांचकारी खेल प्रेमियों का आदर्श स्‍थान है।
माना जाता है कि इस शहर की स्थापना सचेन्दी राज्य के राजा हिन्दू सिंह ने की थी। कानपुर का मूल नाम कान्हपुर था। अठारहवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध तक इस शहर का विशेष महत्व नहीं था। १७६५ में जब अवध के नवाब शुजाउद्दौला को अंग्रेजों ने जाजमऊ के निकट परास्त किया तो इस शहर का महत्व काफी बढ़ गया। २६० वर्ग किमी. में फैला है।
हरे पौधों में होने वाली प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पौधों एवं अन्य जीवित प्राणियों के लिये एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्रिया है। इस क्रिया में पौधे सूर्य के प्रकाशीय उर्जा को रासायनिक उर्जा में परिवर्तित कर देते हैं तथा CO2 पानी जैसे साधारण पदार्थों से जटिल कार्बन यौगिक कार्बोहाइड्रेट्स बन जाते हैं। इन कार्बोहाइड्रेट्स द्वारा ही मनुष्य एवं जीवित प्राणियों को भोजन प्राप्त होता है। इस प्रकार पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा सम्पूर्ण प्राणी जगत के लिये भोजन-व्यवस्था करते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स प्रोटीन एवं विटामिन आदि को प्राप्त करने के लिये विभिन्न फसलें उगाई जाती हैं तथा इन सब पदार्थों का निर्माण प्रकाश संश्लेशण द्वारा ही होता है। रबड़, प्लास्टिक, तेल, सेल्यूलोज एवं कई औषधियाँ भी पौधों में प्रकाश संश्लेषण क्रिया में उत्पन्न होती है। हरे वृक्ष प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कार्बन डाईऑक्साइड को लेते हैं और ऑक्सीजन को निकालते हैं, इस प्रकार वातावरण को शुद्ध करते हैं। ऑक्सीजन सभी जंतुओं को साँस लेने के लिए अति आवश्यक है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी इस क्रिया का बहुत महत्व है।[७][८]मत्स्य-पालन के लिए भी प्रकाश संश्लेषण का बहुत महत्व है। जब प्रकाश संश्लेषण की क्रिया धीमी हो जाती है तो जल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इसका ५ सी0सी0 प्रतिलीटर से अधिक होना मत्स्य पालन हेतु हानिकारक है।[९] प्रकाश संश्लेषण जैव ईंधन बनाने में भी सहायक होता है। इसके द्वारा पौधे सौर ऊर्जा द्वारा जैव ईंधन का उत्पादन भी करते हैं। यह जैव ईंधन विभिन्न प्रक्रिया से गुज़रते हुए विविध ऊर्जा स्रोतों का उत्पादन करता है। उदाहरण के लिए पशुओं को चारा, जिसके बदले हमें गोबर प्राप्त होता है, कृषि अवशेष के द्वारा खाना पकाना आदि।[१०] मनुष्य के अतिरिक्त अन्य जीव जन्तुओं में भी प्रकाश-संश्लेषण का बहुत महत्व है। मानव अपनी त्वचा में प्रकाश के द्वारा विटामिन डी का संश्लेषण करते हैं। विटामिन डी एक वसा में घुलनशील रसायन है, इसके संश्लेषण में पराबैंगनी किरणों का प्रयोग होता है। कुछ समुद्री घोंघे अपने आहार के माध्यम से शैवाल आदि पौधों को ग्रहण करते हैं तथा इनमें मौजूद क्लोरोप्लास्ट का प्रयोग प्रकाश-संश्लेषण के लिए करते हैं।[११] प्रकाश-संश्लेषण एवं श्वसन की क्रियाएं एक दूसरे की पूरक एवं विपरीत होती हैं। प्रकाश-संश्लेषण में कार्बनडाइऑक्साइड और जल के बीच रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप ग्लूकोज का निर्माण होता है तथा ऑक्सीजन मुक्त होती है। श्वसन में इसके विपरीत ग्लूकोज के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप जल तथा कार्बनडाइऑक्साइड बनती हैं। प्रकाश-संश्लेषण एक रचनात्मक क्रिया है इसके फलस्वरूप सजीव के शुष्क भार में वृद्धि होती है। श्वसन एक नासात्मक क्रिया है, इस क्रिया के फलस्वरूप सजीव के शुष्क भार में कमी आती है। प्रकाश-संश्लेषण में सौर्य ऊर्जा के प्रयोग से भोजन बनता है, विकिरण ऊर्जा का रूपान्तरण रासायनिक ऊर्जा में होता है। जबकि श्वसन में भोजन के ऑक्सीकरण से ऊर्जा मुक्त होती है, भोजन में संचित रासायनिक ऊर्जा का प्रयोग सजीव अपने विभिन्न कार्यों में करता है। इस प्रकार ये दोनों क्रियाए अपने कच्चे माल के लिए एक दूसरे के अन्त पदार्थों पर निर्भर रहते हुए एक दूसरे की पूरक होती हैं।
संसद भवन का निर्माण 1921-1927 के दौरान किया गया था। संसद भवन नयी दिल्‍ली की बहुत ही शानदार इमारतों में से एक है। यह विश्‍व के किसी भी देश में विद्यमान वास्‍तुकला का एक उत्‍कृष्‍ट नमूना है। इसकी तुलना विश्‍व के सर्वोत्तम विधान-भवनों के साथ की जा सकती है। यह एक विशाल वृत्ताकार इमारत है। जिसका व्‍यास 560 फुट तथा जिसका घेरा 1/3 मील है। यह लगभग छह एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। भवन के 12 दरवाजे हैं, जिनमें से पाँच के सामने द्वार मंडप बने हुए हैं। पहली मंजिल पर खुला बरामदा हल्‍के पीले रंग के 144 चित्ताकर्षक खंभों की कतार से सुसज्‍जित हैं। जिनकी प्रत्‍येक की ऊँचाई 27 फुट है।
सनातन धर्म की गुत्थियों को देखते हुए इसे प्रायः कठिन और समझने में मुश्किल धर्म समझा जाता है. हालांकि, सच्चाई ऐसी नहीं है, फिर भी इसके इतने आयाम, इतने पहलू हैं कि लोगबाग इसे लेकर भ्रमित हो जाते हैं. सबसे बड़ा कारण इसका यह कि सनातन धर्म किसी एक दार्शनिक, मनीषा या ऋषि के विचारों की उपज नहीं है. न ही यह किसी ख़ास समय पैदा हुआ. यह तो अनादि काल से प्रवहमान और विकासमान रहा. साथ ही यह केवल एक द्रष्टा, सिद्धांत या तर्क को भी वरीयता नहीं देता. कोई एक विचार ही सर्वश्रेष्ठ है, यह सनातन धर्म नहीं मानता। इसी वजह से इसमे कई सारे दार्शनिक सिद्धांत मिलते हैं. इसके खुलेपन की वजह से ही कई अलग-अलग नियम इस धर्म में हैं. इसकी यह नरमाई ही इस के पतन का कारण रही है, औ यही विशेषता इसे अधिक ग्राह्य और सूक्ष्म बनाती है. इसका मतलब यह है कि अधिक सरल दिमाग वाले इसे समझने में भूल कर सकते हैं. अधिक सूक्ष्म होने के साथ ही सनातन धर्म को समझने के कई चरण और प्रक्रियाएं हैं, जो इस सूक्ष्म सिद्धांत से पैदा होती हैं. हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि सरल-सहज मस्तिष्क वाले इसे समझ ही नहीं सकते. पूरी गहराई में जानने के लिए भले ही हमें गहन और गतिशील समझदारी विकसित पड़े, लेकिन सामान्य लोगों के लिए भी इसके सरल और सहज सिद्धांत हैं. सनातन धर्म कई बार भ्रमित करनेवाला लगता है और इसके कई कारण हैं. अगर बिना इसके गहन अध्ययन के आप इसका विश्लेषण करना चाहेंगे, तो कभी समझ नहीं पाएंगे. इसका कारण यह कि सनातन धर्म सीमित आयामों या पहलुओं वाला धर्म नहीं है. यह सचमुच ज्ञान का समुद्र है. इसे समझने के लिए इसमें गहरे उतरना ही होगा. सनातन धर्म के विविध आयामों को नहीं जान पाने की वजह से ही कई लोगों को लगता है कि सनातन धर्म के विविध मार्गदर्शक ग्रंथों में विरोधाभास हैं. इस विरोधाभास का जवाब इसी से दिया जा सकता है कि ऐसा केवल सनातन धर्म में नहीं. कई बार तो विज्ञान में भी ऐसी बात आती है. जैसे, विज्ञान हमें बताता है कि शून्य तापमान पर पानी बर्फ बन जाता है. वही विज्ञान हमें यह भी बताता है कि पानी शून्य डिग्री से भी कम तापमान पर भी कुछ खास स्थितियों में अपने मूल स्वरूप में रह सकता है. इसका जो जवाब है, वही सनातन धर्म के संदर्भ में भी है. जैसे, विज्ञान के लिए दोनों ही तथ्य सही है, भले ही वह आपस में विरोधाभासी हों,और विज्ञान को झुठलाते हों उसी तरह सनातन धर्म भी अपने खुलेपन की वजह से कई सारे विरोधी विचारों को ख़ुद में समेटे रहता है.परन्तु सनातनधर्म में जो तत्व है, उसे नकारा भी तो नही जा सकता। हम पहले भी कह चुके हैं-एकं सत, विप्रा बहुधा वदंति-उसी तरह किसी एक सत्य के भी कई सारे पहलू हो सकते हैं. कुछ ग्रंथ यह कह सकते हैं कि ज्ञान ही परम तत्व तक पहुंचने का रास्ता है, कुछ ग्रंथ कह सकते हैं कि भक्ति ही उस परमात्मा तक पहुंचने का रास्ता है. सनातन धर्म में हर उस सत्य या तथ्य को जगह मिली है, जिनमें तनिक भी मूल्य और महत्व हो. इससे भ्रमित होने की ज़रूरत नहीं है. आप उसी रास्ते को अपनाएं जो आपके लिए सही और सहज हो. याद रखें कि एक रास्ता अगर आपके लिए सही है, तो दूसरे सब रास्ते या तथ्य ग़लत हैं, सनातन धर्म यह नहीं मानता. साथ ही, सनातन धर्म खुद को किसी दायरे या बंधन में नहीं बांधता है. ज़रूरी नहीं कि आप जन्म से ही सनातनी हैं. सनातन धर्म का ज्ञान जिस तरह किसी बंधन में नहीं बंधा है, उसी तरह सनातन धर्म खुद को किसी देश, भाषा या नस्ल के बंधन में नहीं बांधता. सच पूछिए तो युगों से लोग सनातन धर्म को अपना रहे हैं. सनातनधर्म के नियमों का यदि गहराई से अध्ययन किया जाए तो मन स्वयँ ही इसकी सचाई को मानने को तैयार हो जाता है. विज्ञान जिस तरह बिना ज्ञान के अधूरा है .सनातन धर्म भी बिना ज्ञान हानि कारक है. ज्ञान मनुष्य के आस-पास होता है.उसके भीतर होता है .इस का एक उदाहरण देखिये- हवन, यज्ञ आदि का शास्त्रों में कोई विधि विधान कहा गया है .कि इसे किस महूर्त में किस आसन पर बैठ कर किस प्रकार के भोजन का इस्तेमाल करते हुए करना चाहिए, इतना सा ज्ञान तो कुछ पेचीदा नही है . परन्तु इस ज्ञान के बिना किये गये हवन, यज्ञ हानि ही करेंगे, यह ज्ञान भी पेचीदा नही है .देखने सुनने में आता है कि अज्ञानी लोग प्रति दिन आर्यसमाज, मन्दिरों, घरों, में नित्य-नियम बनाकर हवन, यज्ञ आदि करते रहते हैं .जब अनिष्ट फल प्राप्त होता है .तब सनातन धर्म क़ी नरमाई का लाभ उठाते हुए सनातन धर्म का त्याग कर देते हैं, और इस पुरातन सनातन धर्म क़ी खामियाँ तलाशने लगते है जबकि सनातन धर्म अपने आप में सम्पूर्ण सत्य धर्म है .
कार्बनिक यौगिक कार्बन, हाइड्रोजन और अन्य तत्वों से मिलकर बने यौगिकों को कहते हैं । इनके बीच प्रायः सहसंयोजक बंधन होते हैं और ये कार्बनिक विलयनों में ही विलेय (घुलनशील) होते हैं । इनके उदाहरण हैं - मेथेन, क्लोरोफ़ॉर्म, एसीटिक अम्ल, कार्बोहाईड्रेट, यूरिया इत्यादि । इनकी उपस्थिति जैव पदार्थों में अधिक होती है । प्रमुख कार्बनिक यौगिकों के समूह हैं - एल्केन्स, अल्काइन्स, अल्कोहल, एल्कोइक एसिड, अल्डीहाइड, कीटोन, ईथर, एस्टर, एल्काइल साइनाइड, एल्काइल एमाइड इत्यादि ।
2000 में भारतीय संसद ने उत्तरप्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल राज्य का निर्माण किया । उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना के मैदान हैं। करीब १६ करोङ की जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश केवल भारत का अधिकतम जनसंख्या वाला प्रदेश ही नहीं बल्कि विश्व की सर्वाधिक आबादी वाली उप राष्ट्रीय इकाई है । विश्व में केवल पांच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त अमरीका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है.
{{{जन्मतिथि}}}

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