बुधवार, 8 मई 2013

(exactly, by definition)
अनाज खाद्य कृषि उत्पाद होते हैं, जिन्हें उनके फार के बीज के लिए उत्पादन किया जाता है। ये एकबीजपत्री परिवार से होते हैं।
राजेश खन्ना हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं ।
शेष भारत के समान ही उत्तराखण्ड में पूरे वर्षभर उत्सव मनाए जाते हैं। भारत के प्रमुख उत्सवों जैसे दीपावली, होली, दशहरा इत्यादि के अतिरिक्त यहाँ के कुछ स्थानीय त्योहार हैं[२६]:
मानवीय सहायता देने के मामले में यूरोपीय संघ पूरी दुनिया में अव्वल है।
गोड्डा- 814133
मॉमून अब्दुल गयूम ने 1978 में अपनी 30 वर्ष लम्बी राष्ट्रपति की भूमिका का प्रारम्भ किया, विरोध के बिना लगातार छह चुनाव जीत कर. गयूम की गरीब द्वीपों का विकास करने की प्राथमिकता को ध्यान में रखते, उसके चुनाव की अवधि राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास के संचालन के रूप में देखी गई. पर्यटन का अलंकरण हुआ और विदेशी संपर्क बढ़ा जिससे द्वीपों में विकास को प्रोत्साहन मिला. हालांकि, उसका शासन कुछ आलोचकों के साथ विवादास्पद है, उनके अनुसार गयूम एक तानाशाह था जिसने स्वतंत्रता सीमित और राजनीतिक पक्षपात द्वारा मतभेद पर काबू पाया.[२३]
पोसिडोनियस प्रमुख यूनानी भूगोलवेत्ता था ।
राहुलजी जीवन-पर्यन्त दुनियाँ की सैर करते रहे। इस सैर में सुविधा-असुविधा का कोई प्रश्न ही नहीं था। जहाँ जो साधन उपलब्ध हुए उन्हें स्वीकार किया। वे अपने अनुभव और अध्ययन का दायरा बढाते रहे। ज्ञान के अगाध भण्डार थे राहुलजी। राहुलजी का कहना था कि ’उन्होंने ज्ञान को सफर में नाव की तरह लिया है। बोझ की तरह नहीं।‘ उन्हें विश्व पर्यटक का विशेषण भी दिया गया। उनकी घुमक्कडी प्रवृत्ति ने कहा ’’घुमक्कडों संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है।‘‘ अनेक ग्रंथों की रचना में उनके यात्रा-अनुभव प्रेरणा के बिंदु रहे हैं। न केवल देश में वरन् विदेशों में भी उन्होंने यात्राएँ की, दुर्गम पथ पार किए। इस वर्ग की कृतियों में कुछेक के नाम हैं- लद्दाख यात्रा, लंका यात्रा, तिब्बत में सवा वर्ष, एशिया के दुर्गम भूखण्डों में, मेरी यूरोप-यात्रा, दार्जिलिंग परिचय, नेपाल, कुमाऊँ जौनसार, देहरादून आदि। जहाँ भी वे गये वहाँ की भाषा और वहाँ की संस्कृति और साहित्य का गहराई से अध्ययन किया। अध्ययन से घुलमिल कर वहाँ की संस्कृति और साहित्य का गहराई से अध्ययन किया। अध्ययन की विस्तृति, अनेक भाषाओं का ज्ञान, घूमने की अद्भुत ललक, पुराने साहित्य की खोज, शोध-परक पैनी दृष्टि, समाजशास्त्र की अपनी अवधारणाएँ, प्राकृत-इतिहास की परख आदि वे बिंदु हैं जो राहुलजी की सोच में यायावरी में, विचारणा में और लेखन में गतिशीलता देते रहे। उनकी यात्राएँ केवल भूगोल की यात्रा नहीं है। यात्रा मन की है, अवचेतन की भी है चेतना के स्थानांतरण की है। व्यक्तिगत जीवन में भी कितने नाम रूप बदले इस रचनाधर्मी ने। बचपन में नाम मिला केदारनाथ पाण्डे, फिर वही बने दामोदर स्वामी, कहीं राहुल सांकृत्यायन, कहीं त्रिपिटकाचार्य..... आदि नामों के बीच से गुजरना उनके चिंतक का प्रमाण था। राहुल बाह्य यात्रा और अंतर्यात्रा के विरले प्रतीक हैं।
-1944 में वह बंगाल रेलवे कामगार संघ के पदाधिकारी बने।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर में एक माह का मेला लगता है। यद्यपि यह तीर्थ महात्मा बुद्ध से संबन्धित है, किन्तु आस-पास का क्षेत्र हिन्दू बहुल है। इस मेले में आस-पास की जनता पूर्ण श्रद्धा से भाग लेती है और विभिन्न मन्दिरों में पूजा-अर्चना एवं दर्शन करती है। किसी को संदेह नही कि बुद्ध उनके 'भगवान' हैं।
विकास दर का मतलब है किसी देश की अर्थव्यवस्था या किसी खास क्षेत्र के उत्पादन में बढ़ोतरी की दर। यदि देश की विकास दर का जिक्र हो रहा हो, तो उसका मतलब देश की अर्थव्यवस्था या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ने की रफ्तार से होता है। भारत की विकास दर मौजूदा वित्त वर्ष (2009-10) में 7.2% रहने की उम्मीद है। संदर्भ: शेयर मंथन (http://www.sharemanthan.in/index.php/the-news/5683-gdp-to-expand-72-pct-in-2009-10)
इनका जन्म २३ सितंबर १९०८ को सिमरिया, मुंगेर, बिहार में हुआ था। पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक विद्यालय में अध्यापक हो गए। १९३४ से १९४७ तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्टार और प्रचार विभाग के उपिनदेशक पदों पर कार्य किया। १९५० से १९५२ तक मुजफ्फरपुर कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे, भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति के पद पर कार्य किया और इसके बाद भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बने। उन्हें पदमविभूषण की से भी अलंकृत किया गया। पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय [३] के लिये आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा उर्वशी के लिये भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कर प्रदान किये गए। अपनी लेखनी के माध्यम से वह सदा अमर रहेंगे।
अग्नि बम - ये घनी आबादीवाले शहरों तथा बड़े-बड़े कारखानों पर गिराए जाते हैं जिनसे वे जलकर नष्ट हो जाते हैं। इसमें आग लगानेवाला पदार्थ एक विशेष प्रकार के प्रज्वालक पलीते के साथ भरा होता है। आग लगाने के लिए फासफोरस, नेपाम और थर्माइट इलेक्ट्रान जैसे रासायनिक यौगिक प्रयुक्त किए जाते हैं और तब इनके नाम प्रयुक्त पदार्थ के अनुसार भी हो जाते हैं।
लंबे अरसे से चल रहा अयोध्या संकट का समापन अंततः 16 वीं सदी में बनायी गयी बाबरी मस्जिद स्थल पर आतंकवादी हमले से हुआ और 5 जुलाई 2005 को अयोध्या में प्राचीन बाबरी मस्जिद ढहा दी गयी. पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैय्यबा आतंकवादियों और भारतीय पुलिस के बीच दो घंटे की गोलीबारी के बाद, जिसमें छह आतंकवादी मारे गये, देश के नेताओं ने हमले की निन्दा की और विपक्षी दलों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया, ऐसा माना जाता है कि हमले के पीछे दाऊद इब्राहिम का दिमाग था.
इस दावे पर कुछ संदेह है, बहरहाल, इसी सिद्धांत ने अर्थशास्त्री डगलस नॉर्थ को 1993 में नोबेल पुरस्कार दिलाया. नॉर्थ ने तर्क दिया कि निजी आविष्कार और उद्यम को प्रोत्साहित करने के द्वारा, पेटेंट प्रणाली का निर्माण और इसे मजबूती प्रदान करना, इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के पीछे मूल उत्प्रेरक बन गया.
एचआईवी, रोग-प्रतिरक्षा एक ऐसा विषाणु है जोकि रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रहार करता है और संक्रमणों के प्रति शरीर की क्षमता और प्रतिरोध को कम करता है। इससे होने वाली बीमारी को एड्स के नाम से जाना जाता है।
125 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित पांच किलोमीटर लंबा भव्य किला बहुत ही प्रभावशाली और विकट इमारतों में से एक है। बाहर से अदृश्य, घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं। किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार किवाड़, जालीदार खिड़कियाँ और प्रेरित करने वाले नाम हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, दौलत खाना। इन महलों में भारतीय राजवेशों के साज सामान का विस्मयकारी संग्रह निहित है। इसके अतिरिक्त पालकियाँ, हाथियों के हौदे, विभिन्न शैलियों के लघु चित्रों, संगीत वाद्य, पोशाकों व फर्नीचर का आश्चर्यजनक संग्रह भी है।
जिले का मुख्यालय मऊ है ।
परिवर्त प्रावस्था में व्रण का भरना प्रारंभ होने लगता है। इसके तल का भाग साफ होने लगता है। तल में कणिकामय ऊतक बनने प्रारंभ हो जाते हैं और आपस में जुड़ने के कारण संपूर्ण तल इनमें ढँक जाता है।
पारदर्शक रत्न सर्वोत्तम श्रेणी में आता है। यह भी दो प्रकार का होता है-
संस्कृत में कई प्रकार के छन्द मिलते हैं जो वैदिक काल के जितने प्राचीन हैं। वेद के सूक्त भी छन्दबद्ध हैं। पिङ्गल द्वारा रचित छन्दशास्त्र इस विषय का मूल ग्रन्थ है।
(अ) काटनेवाले शस्त्र; जैसे तलवार, परशु आदि;
अपनी अनुसंधान रुचि के रूप में उन्होंने "जैवऊर्जा, कार्यात्मक जीनोमिक्स संयंत्र, आण्विक पादप जैविकी और जैवतकनिकी के लिए अभियान्त्रिकी वृक्ष जैव-ईंधन" को सूचीबद्ध किया।[२]
चैतन्य महाप्रभु(1486-1533) भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी। भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनैतिक अस्थिरता के दिनों में हिंदू मुस्लिम एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊंच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त वृंदावन को फिर से बसाया और अपने जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत किया। चैतन्य महाप्रभु का जन्म सन १४८६ की फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को पश्चिम बंगाल के नवद्वीप (नादिया) नामक उस गांव में हुआ, जिसे अब मायापुर कहा जाता है। यपि बाल्यावस्था में इनका नाम विश्वंभर था, परंतु सभी इन्हें निमाई कहकर पुकारते थे। गौरवर्ण का होने के कारण लोग इन्हें गौरांग, गौर हरि, गौर सुंदर आदि भी कहते थे। चैतन्य महाप्रभु के द्वारा गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय की आधारशिला रखी गई। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए महामंत्र नाम संकीर्तन का अत्यंत व्यापक व सकारात्मक प्रभाव आज पश्चिमी जगत तक में है। इनके पिता का नाम जगन्नाथ मिश्र व मां का नाम शचि देवी था। निमाई बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा संपन्न थे। साथ ही, अत्यंत सरल, सुंदर व भावुक भी थे। इनके द्वारा की गई लीलाओं को देखकर हर कोई हतप्रभ हो जाता था।
मनुस्मृति ग्रन्थ- मनुस्मृति सबसे प्राचीन और प्रमाणित मानी गयी है, जिसकी रचना शुंग काल में हुई थी । यह ग्रन्थ शुंगकालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक दशा का बोध कराता है ।
लमही के लमहे - लमही गाँव के कुछ चित्र
1740 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है।
विश्‍वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर काशी विशालाक्षी मंदिर है। यह पवित्र 51 शक्‍ितपीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां शिव की पत्‍नी सती का आंख गिरा था।
फायदे और नुकसान पारंपरिक फसल उत्पादन से इतर जीन बदलाव से फसलों को न केवल हानिकारक कीटनाशकों से जूझने की क्षमता प्राप्त होती है, बल्कि उनमें सूखा झेलने और बेहतर पोषकता देने के गुण भी आते हैं। जीएम फसलें जल्द उगती हैं और उनकी कीमत कम होती है। ऐच्छिक बदलाव कुछ ही फसलें उगाकर प्राप्त किए जा सकते हैं। फसल के स्वाद आदि में बेहतरी के साथ गुणकारी तत्वों में बेहतरी से चुनने की क्षमता प्राप्त होती है और फसल में अनैच्छिक व व्यर्थ तत्वों की पुनरावृत्ति नहीं होती।
पुलिस, कानून और व्यवस्था तथा पुनर्वास संबंधी कार्य देखता है।
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निश्चित सफलता की प्राप्ति के लिए एक से अधिक विधियों का एक साथ प्रयोग करना चाहिए। टोपियों के साथ शुक्राणुनाशक मरहम का प्रयोग किया जाए। टोपी लगाने के पूर्व उसके किनारे पर मरहम लगा दिया जाए तथा टोपी के भीतर भी भर दिया जाए। मैथुन से कुछ समय पूर्व, ऐसे मरहम से भरकर, टोपी को लगाया जाए और मैथुन के समय योनिवस्ति या किसी जेली को भी योनि में प्रविष्ट कर दिया जाए। इससे गर्भस्थापना की संभावना नहीं रहती।
वेई ब्रजचन्द रसखानि प्रान प्रानन के,
सरकारी कर्मचारियों के रहने के लिए झील के किनारे मकान बनाए गए हैं तो प्रधानमंत्री कार्यालय भी काफी खूबसूरत है। धीरे-धीरे यहाँ विभिन्न देशों के दूतावास भी बनाए जा रहे हैं। सम्पूर्ण पुत्रजया घूमने के लिए क्रुज यात्रा काफी अच्छी सुविधाजनक है।
अन्य- 1940 से 1947 तक फिल्म सेनेरियो का लेखन कार्य किया। 1953 से 1956 तक आकाशवाणी लखनऊ में ड्रामा प्रोड्यूसर रहे।
कोलकाता, चेन्नई और विशाखापट्टनम से जलयान पोर्ट ब्लेयर जाते हैं। जाने में दो-तीन दिन का समय लगता है। पोर्ट ब्लेयर से जहाज छूटने का कोई निश्चित समय नहीं है।
चीन की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इसका चार हज़ार वर्ष पुराना लिखित इतिहास है। यहां विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक ग्रन्थ और पुरातन संस्कृति के अवशेष पाए गए हैं। दुनिया के अन्य राष्ट्रों के समान चीनी राष्ट्र भी अपने विकास के दौरान आदिम समाज, दास समाज, और सामन्ती समाज के कालों से गुजरा था। ऐतिहासिक विकास के इस लम्बे दौर में, चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की परिश्रमी, साहसी और बुद्धिमान जनता ने अपने संयुक्त प्रयासों से एक शानदार और ज्योतिर्मय संस्कृति का सृजन किया, तथा समूची मानवजाति के लिये भारी योगदान भी किया। यह उन गिनी-चुनी सभ्यताओं में से एक है जिन्होंने प्राचीन काल में अपनी स्वतन्त्र लेखन पद्धति का विकास किया। अन्य सभ्यताओं के नाम हैं - प्राचीन भारत (सिन्धु घाटी सभ्यता), मेसोपोटामिया की सभ्यता, मिस्र और दक्षिण अमेरिका की माया सभ्यता। चीनी लिपि अब भी चीन, जापान के साथ-साथ आंशिक रूप से कोरिया तथा वियतनाम में प्रयुक्त होती है।
भारत के पड़ोसी राष्ट्रों के साथ अनसुलझे सीमा विवाद हैं। इसके कारण इसे छोटे पैमानों पर युद्ध का भी सामना करना पड़ा है। १९६२ में चीन के साथ, तथा १९४७, १९६५, १९७१ एवम् १९९९ में पाकिस्तान के साथ लड़ाइयाँ हो चुकी हैं।
हो जाता है तथा संसद दुबारा तभी सत्र कर सकती है जब राष्ट्रपति सत्रांरभ का सम्मन जारी कर दे सत्रावसान की दशा मे संसद के
आपके जैविक तथा मत्स्य विज्ञान संबंधी अनुसंधान बहुत महत्वपूर्ण थे और इनके लिए आपको भारतीय तथा विदेशी वैज्ञानिक संस्थानों से सम्मानित उपाधियाँ तथा पदक प्राप्त हुए। आपके लगभग 400 मौलिक लेख भारतीय तथा विदेशी वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। प्राणि विज्ञान के लगभग सभी पक्षों पर आपने लेख लिखे हैं। प्राचीन भारत में मत्स्य तथा मत्स्यपालन विज्ञान संबंधी आपके अनुसंधान विशेष महत्व के थे। आपने भारत के जूलॉजिकल सर्वे विभाग को मत्स्य संबंधी अनुसंधान कार्य का केंद्र बना दिया।
बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल ओ डायर पर गोलियां दाग दीं। दो गोलियां माइकल ओ डायर को लगीं जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई। उधमसिंह ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर दुनिया को संदेश दिया कि अत्याचारियों को भारतीय वीर कभी बख्शा नहीं करते। उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी। उन पर मुकदमा चला। अदालत में जब उनसे पूछा गया कि वह डायर के अन्य साथियों को भी मार सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया। उधम सिंह ने जवाब दिया कि वहां पर कई महिलाएं भी थीं और भारतीय संस्कृति में महिलाओं पर हमला करना पाप है।
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इधर पण्डितोंने और कोई उपाय न देख श्रीमधुसूदन सरस्वतीजी को उस पुस्तकको देखनेकी प्रेरणा की। श्रीमधुसूदन सरस्वतीजीने उसे देखकर बड़ी प्रसन्नता प्रकट की और उसपर यह सम्मति लिख दी-
टैंक भेदी तोपों को बहुत शक्तिशाली होना पड़ता है। टैंक इस्पात की मोटी चादरों की बनी गाड़ियाँ होते हैं। इनके भीतर बैठा योद्धा टैंक पर लदी तोप से शत्रु को मारता रहता है और स्वयं बहुत कुछ सुरक्षित रहता है। सन् 1941 की टैंक भेदी तोपें 17 पाउंड के गोले दागती थीं। कवचित यान (आर्मर्ड कार) के भीतर का सिपाही केवल साधारण बंदूक और राइफल से सुरक्षित रहता है।
(1) महाकाव्य की कथावस्तु एक ओर शुद्ध ऐतिहासिक यथार्थ से भिन्न होती है ओर दूसरी ओर सर्वथा काल्पनिक भी नहीं होती। वह प्रख्यात (जातीय दंतकथाओं पर आश्रित) होनी चाहिए, और उसमें यथार्थ से भव्यतर जीवन का अंकन होना चाहिए।
आज(२ सितम्बर २००९) से लगभग छ: सौ बत्तीस वर्ष पहले भारतीय समाज अनेक बुराइयों से ग्रस्त था। उसी समय रैदास जैसे समाज-सुधारक सन्तों का प्रादुर्भाव हुआ। रैदास का जन्म काशी में चर्मकार कुल में हुआ था। उनके पिता का नाम संतो़ख दास (रग्घु) और माता का नाम कर्मा देवी बताया जाता है। रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था। जूते बनाने का काम उनका पैतृक व्यवसाय था और उन्होंने इसे सहर्ष अपनाया। वे अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे और समय से काम को पूरा करने पर बहुत ध्यान देते थे।
इंडियन शहरों पर स्थिर हमलों के बाद, सेमीनोल इंडियन्स जो पूर्वी फ्लोरिडा में बसे थे, जॉर्जिया बस्तियों पर छापा मारने लगे, माना जाता है कि वे ऐसा स्पेन के इशारे पर कर रहे थे. संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना स्पेनी क्षेत्र में घुसपैठ का तेजी से नेतृत्व करने लगी, 1817-1818 एंड्रयू जैक्सन ने सेमीनोल इंडियनों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया जो पहले सेमीनोल युद्ध के रूप में जाना गया था. युद्ध के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने बड़े प्रभावी ढंग से पूर्व फ्लोरिडा पर नियंत्रण कर लिया. 1819 में, एडम्स-ओनिस संधि के शर्तों पर स्पेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका को फ्लोरिडा सौंप दिया और बदले में टेक्सास पर किसी भी किस्म के दावे को अमेरिका ने त्याग दिया जो उसने 5 मिलियन डॉलर में लुइसियाना से खरीदा था.
जिले का मुख्यालय [[ ]] है ।
गुड़गांव शहर सूचना प्रौद्योगिकी और ऑटोमोबाइल उद्योग के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। यह निर्माण क्षेत्र का भी एक प्रमुख केंद्र है यह मारुति उद्योग लिमिटेड, जो की भारत की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी है, और हीरो होंडा लिमिटेड, जो दोपहिया वाहनो के दुनिया के सबसे बड़े निर्माता हैं का घर है। पानीपत , पंचकूला और फरीदाबाद भी औद्योगिक केन्द्र हैं, पानीपत रिफाइनरी दक्षिण एशिया में दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी है। हरियाणा राज्य में इस्पात और वस्त्र उद्योग भी बडे़ पैमाने पर कार्य कर रहा है। हरियाणा के नाम का ही अर्थ है " यह परमेश्वर का निवास " से हरि ( हिंदू देवता विष्णु ) और आयन ( घर ) [ 4 ] . [४].
इसके अंतर्गत चारण के उपरांत ब्रह्मभट्ट और अन्य बंदीजन कवि भी आते हैं। सौराष्ट्र, गुजरात और पश्चिमी राजस्थान में चारणों का, तथा ब्रज-प्रदेश, दिल्ली तथा पूर्वी राजस्थान में भट्टों का प्राधान्य रहा था। चारणों की भाषा साधारणतः राजस्थानी रही है और भट्टों की ब्रज। इन भाषाओं को डिंगल और पिंगल नाम भी मिले हैं। ये कवि प्रायः राजाओं के दरबारों में रहकर उनकी प्रशस्ति किया करते थे। अपने आश्रयदाता राजाओं की अतिरंजित प्रशंसा करते थे। श्रृंगार और वीर उनके मुख्य रस थे। इस समय की प्रख्यात रचनाओं में चंदबरदाई कृत पृथ्वीराज रासो, दलपति कृत खुमाण-रासो, नरपति-नाल्ह कृत बीसलदेव रासो, जगनिक कृत आल्ह खंड वगैरह मुख्य हैं। इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण पृथ्वीराज रासो है। इन सब ग्रंथों के बारे में आज यह सिद्ध हुआ है कि उनके कई अंश क्षेपक हैं।
चूंकि वर्ष के अधिकांश भाग के दौरान आंध्रप्रदेश की जलवायु अनुकूल नहीं है, राज्य का दौरा करने के लिए अक्टूबर से फ़रवरी के बीच का समय अच्छा है.
मुम्बई इंडियन्स
(बर्फ रहित)
हर लोकतन्त्र का गणराज्य होना आवश्यक् नहीं है । संवैधानिक राजतन्त्र, जहाँ राष्ट्राध्यक्ष एक वंशानुगत राजा होता है , लेकिन असली शासन जन्ता द्वारा निर्वाचित संसद चलाती है, इस श्रेणी में आते हैं । ऐसे कुछ देश हैं :
प्राचीन मिस्र , नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केंद्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है. यह सभ्यता 3150 ई.पू.[१] के आस-पास, प्रथम फ़ैरो के शासन के तहत ऊपरी और निचले मिस्र के राजनीतिक एकीकरण के साथ समाहित हुई, और अगली तीन सदियों में विकसित होती रही.[२] इसका इतिहास स्थिर राज्यों की एक श्रृंखला से निर्मित है, जो सम्बंधित अस्थिरता के काल द्वारा विभाजित है, जिसे मध्यवर्ती काल के रूप में जाना जाता है. प्राचीन मिस्र नए साम्राज्य के दौरान अपने चोटी पर पहुंची, जिसके बाद इसने मंद पतन की अवधि में प्रवेश किया. इस उत्तरार्ध काल के दौरान मिस्र पर कई विदेशी शक्तियों ने विजय प्राप्त की, और फ़ैरो का शासन आधिकारिक तौर पर 31 ई.पू. में तब समाप्त हो गया, जब प्रारंभिक रोमन साम्राज्य ने मिस्र पर विजय प्राप्त की और इसे अपना एक प्रांत बना लिया.[३]
निर्देशांक: 19°46′N 74°29′E / 19.77, 74.48 शिरडी (मराठी: शिर्डी) महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला के रहता तहसील के अन्तर्गत एक कस्बा है। इसकी स्थिति 19°46′N 74°29′E / 19.77, 74.48 पर है। यह अहमदनगर-मनमाड़ राजमार्ग संख्या-१० पर अहमदनगर से लगभग ८३ कि.मी. दूर स्थित है। यह कोपरगांव से मात्र १५ कि.मी. दूर है। यह स्थान सांई बाबा के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहां उनका एक विशाल मंदिर है।
१०. गोविमठ- यह मैसूर के कोपवाय नामक स्थान के निकट है ।
-- (कामसूत्र, सप्तम अधिकरण, श्लोक 57)
८ जुलाई, १४९७ के दिन चार जहाज़ (साओ गैब्रिएल, साओ राफेल, बेरियो, और अज्ञात नाम का एक संचयन जहाज़[३] ) लिस्बन से चल पड़े, और उसकी पहली भारत यात्रा आरंभ हुई।[६] उससे पहले किसी भी यूरोपीय ने इतनी दूर दक्षिण अफ़्रीका या इससे अधिक यात्रा नहीं की थी, यद्यपि उससे पहले एक और पुर्तगाली खोजकर्ता, बारटोलोमीयु डियास बस इतनी ही दूरी तक गया था। चूंकि वह क्रिसमस के आसपास का समय था, द गामा के कर्मीदल ने एक तट का नाम, जिससे होकर वे गुजर रहे थे, "नैटाल" रखा। इसका पुर्तगाली में अर्थ है "क्रिसमस", और उस स्थान का यह नाम आज तक वही है।
भागदत्त्त के पास शक्ति अस्त्र और वैश्नव अस्त्र जैसे दिव्यास्त्र थे। उसके पुत्र क वध नकुल ने किया।
अधिकांश टेक्टोनिक भूकंप १० किलोमीटर से अधिक की गहराई से उत्पन्न नहीं होते हैं.७० किलोमीटर से कम की गहराई पर उत्पन्न होने वाले भूकंप 'छिछले-केन्द्र' के भूकंप कहलाते हैं, जबकि ७०-३०० किलोमीटर के बीच की गहराई से उत्पन्न होने वाले भूकंप 'मध्य -केन्द्रीय' या 'अन्तर मध्य-केन्द्रीय' भूकंप कहलाते हैं. subduction क्षेत्र (subduction zones) में जहाँ पुरानी और ठंडी समुद्री परत (oceanic crust) अन्य टेक्टोनिक प्लेट के नीचे खिसक जाती है, गहरे केंद्रित भूकंप (deep-focus earthquake) अधिक गहराई पर ( ३०० से लेकर ७०० किलोमीटर तक ) [३] आ सकते हैं.सीस्मिक रूप से subduction के ये सक्रीय क्षेत्र Wadati - Benioff क्षेत्र (Wadati-Benioff zone)स कहलाते हैं.गहरे केन्द्र के भूकंप उस गहराई पर उत्पन्न होते हैं जहाँ उच्च तापमान और दबाव के कारण subducted स्थलमंडल (lithosphere) भंगुर नहीं होना चाहिए.गहरे केन्द्र के भूकंप के उत्पन्न होने के लिए एक संभावित क्रियाविधि है ओलीवाइन के कारण उत्पन्न दोष जो spinel (spinel) संरचना में एक अवस्था संक्रमण (phase transition) के दोरान होता है.[४]
एक दिन हिमालय प्रदेश में भ्रमण करते हुये रावण ने अमित तेजस्वी ब्रह्मर्षि कुशध्वज की कन्या वेदवती को तपस्या करते देखा। उस देखकर वह मुग्ध हो गया और उसके पास आकर उसका परिचय तथा अविवाहित रहने का कारण पूछा। वेदवती ने अपने परिचय देने के पश्‍चात् बताया कि मेरे पिता विष्णु से मेरे विवाह करना चाहते थे। इससे क्रुद्ध होकर मेरी कामना करने वाले दैत्यराज शम्भु ने सोते में उनका वध कर दिया। उनके मरने पर मेरी माता भी दुःखी होकर चिता में प्रविष्ट हो गई। तब से मैं अपने पिता के इच्छा पूरी करने के लिये भगवान विष्णु की तपस्या कर रही हूँ। उन्हीं को मैंने अपना पति मान लिया है।
राजन मिश्र एवं साजन मिश्र को सन २००७ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये दिल्ली से हैं।
Sovereignty is the exclusive right to complete control over an area of governance, people, or oneself. A sovereign is the supreme lawmaking authority, subject to no other. Jean-Jacques Rousseau, in Book III, Chapter III of his 1763 treatise Of the Social Contract, argued that "the growth of the State giving the trustees of public authority more temptations and means to abuse their power, the more the Government has to have force to contain the people, the more force the Sovereign should have in turn in order to contain the Government," with the understanding that the Sovereign is "a collective being" (Book II, Chapter I) resulting from "the general will" of the people, and that "what any man, whoever he may be, orders on his own, is not a law" (Book II, Chapter VI) - and furthermore predicated on the assumption that the people have an unbiased means by which to ascertain the general will. Thus the legal maxim, "there is no law without a sovereign."
इसे देवगिरि के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर हमेशा शक्‍ितशाली बादशाहों के लिए आकर्षण का केंद्र साबित हुआ है। वास्‍तव में दौलताबाद की सामरिक स्थिति बहुत ही महत्‍वपूर्ण थी। यह उत्तर और दक्षिण्‍ा भारत के मध्‍य में पड़ता था। यहां से पूरे भारत पर शासन किया जा सकता था। इसी कारणवश बादशाह मुहम्‍मद बिन तुगलक ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। उसने दिल्‍ली की समस्‍त जनता को दौलताबाद चलने का आदेश दिया था। लेकिन वहां की खराब स्थिति तथा आम लोगों की तकलीफों के कारण उसे कुछ वर्षों बाद राजधानी पुन: दिल्‍ली लाना पड़ा। दौलताबाद में बहुत सी ऐतिहासिक इमारतें हैं जिन्‍हें जरुर देखना चाहिए। इन इमारतों में जामा मस्जिद, चांद मीनार तथा चीनी महल शामिल है। औरंगाबाद से दौलताबाद जाने के लिए प्राइवेट तथा सरकारी बसें मिल जाती हैं।
वर्ष 1907 में, "ब्राज़ेन हाउस के" एथेना का अभयारण्य (Chalkioikos) को थिएटर के ठीक ऊपर बने एक्रोपॉलिश पर अवस्थित पाया गया और यद्यपि वास्तविक मंदिर संपूर्ण रूप से विनष्ट हो चुका है, इस क्षेत्र ने लैकोनिया के पुराकालीन शिलालेखों के दीर्घतम प्रसार प्रस्तुत किए हैं जिसमें कांसे की कीले एवं तश्तरियां तथा काफी संख्या में मन्नत के चढ़ावे पाए गए हैं. यूनानी नगर की दीवार, जिसका निर्माण 4थी से 2री सदी के बीच क्रमशः कई चरणों में हुआ था, अपने सर्किट के एक बड़े भाग के कारण खोज में पाया गया, जिसका मापांकन 48 स्टेड्स या 10 किलोमीटर किया गया. (Polyb. 1X. 21). अंतिम कालीन रोमन दीवार, लघुनगर के चतुर्दिक बना, जो संभवतः वर्ष 262 के गॉथिक आक्रमण के बाद के वर्षों के समय में निर्मित हुई होगी, की भी खोज की गई. वास्तविक भवनों की खोज के अलावे, पावसेनिया (Pausanias)के विवरण के आधार पर, स्पार्टन स्थलाकृति विज्ञान के साधारण अध्ययन में कई विन्दु अवस्थित हैं जिनका मानचित्रण किया गया. खुदाइयों से यह पता चला कि माइसेनियन कला का शहर युरोटास नदी के बाएं तट पर स्पार्टा से थोड़े दक्षिण-पूर्व में अवस्थित था. भूमि की व्यवस्था मोटे तौर पर आकार में त्रिकोणीय थी, जिसका ऊपरी हिस्सा उत्तर की ओर निकला हुआ था. इसका क्षेत्रफल अनुमानतः "नए" स्पार्टा के क्षेत्रफल के सामने था लेकिन अनाच्छादान ने इसके भवनों पर तबाही बरपा कर दी है और नींवों के अवशेष तथा टूटे-फूटे बर्तनों के टुकड़ों के अलावे कुछ भी नहीं बचे.
२-नाट्य संस्था के प्रमुख अभिनेताओं के बारे मे ।
छीतस्वामी कृत कुछ विशेष साहित्य नहीं मिलता। पुष्टि संप्रदाय में नित्य उत्सव विशेष पर गाए जानेवाले उनके हस्तलिखित एवं मुद्रित संग्रहग्रंथ- "नित्यकीर्तन", "वर्षोत्सव" तथा "वसंतधमार" पदविशेष मिलते हैं। कीर्तन रचनाओं में संगीत सौंदर्य, ताल और लय एवं स्वरों का एक रागनिष्ठ मधुर मिश्रण देखा जा सकता है।
१४. सारो-मारो- यह मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित है ।
SA = सांख्यिकीय समायोजन (कॉर्पोरेट आय कर, लाभांश, अवितरित कॉर्पोरेट मुनाफा)
दिल्ली के दास एवं खिलजी सुल्तानों के आक्रमण के कारण परमार वंश का पतन हो गया. सन् १२३५ ई. में दिल्ली का शमशुद्दीन इल्तमिश विदिशा विजय करके उज्जैन की और आया यहां उस क्रूर शासक ने ने उज्जैन को न केवल बुरी तरह लूटा अपितु उनके प्राचीन मंदिरों एवं पवित्र धार्मिक स्थानों का वैभव भी नष्ट किया। सन १४०६ में मालवा दिल्ली सल्तनत से मुक्त हो गया और उसकी राजधानी मांडू से धोरी, खिलजी व अफगान सुलतान स्वतंत्र राज्य करते रहे। मुग़ल सम्राट अकबर ने जब मालवा अधिकृत किया तो उज्जैन को प्रांतीय मुख्यालय बनाया गया. मुग़ल बादशाह अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ व औरंगजेब यहाँ आये थे।
साँचा:भारत
1972 - शेख़ मुजीब प्रधानमंत्री बने. उन्होनें उद्योगों के राष्ट्रीयकरण का अभियान चलाया लेकिन ज़्यादा कामयाबी नहीं मिली.
भारत, संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्वतंत्र, प्रभुसत्तासम्पन्न, समाजवादी लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। यह गणराज्य भारत के संविधान के अनुसार शासित है। भारत का संविधान संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर, 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी हुआ। 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राज्य दो प्रकार के होते हैं:
'ब्रिटिश साहित्य' युनाइटेड किंगडम से जुड़े साहित्य का उल्लेख करता है, आइल ऑफ मैन और चैनल द्वीप समूह साथ ही इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड के साहित्य से, यूनाइटेड किंगडम के गठन से पहले.ज्यादातर ब्रिटिश साहित्य अंग्रेजी भाषा में है.
मलाईदार परत को पहचानने के लिए विभिन्न मानदंडों की सिफारिश की गयी, जो इस प्रकार हैं:[७]
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर- द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-
पशुपतिनाथ शिवजी का एक नाम है। शिव के बिना पुरुष पशु है। मानव पाश में बँधा तभी मुक्त होता है जब वह शिव को पा लेता है।
इस मंदिर का निर्माण महान चोल राजा राजराज चोल ने करवाया था। यह मंदिर भारतीय शिल्प और वास्तु कला का अदभूत उदाहरण है। मंदिर के दो तरफ खाई है और एक ओर अनाईकट नदी बहती है। अन्य मंदिरों से अलग इस मंदिर में गर्भगृह के ऊपर बड़ी मीनार है जो 216 फुट ऊंची है। मीनार के ऊपर कांसे का स्तूप है। मंदिर की दीवारों पर चोल और नायक काल के चित्र बने हैं जो अजंता की गुफाओं की याद दिलाते हैं। मंदिर के अंदर नंदी बैल की विशालकाय प्रतिमा है। यह मूर्ति 12 फीट ऊंची है और इसका वजन 25 टन है। नायक शासकों ने नंदी को धूप और बारिश से बचाने के लिए मंडप का निर्माण कराया था। मंदिर में मुख्य रूप से तीन उत्सव मनाए जाते हैं- मसी माह (फरवरी-मार्च) में शिवरात्रि, पुरत्तसी (सितंबर-अक्टूबर) में नवरात्रि और ऐपस्सी (नवंबर-दिसंबर) में राजराजन उत्सव।
यहाँ तक कि एक दवा जिस पर परीक्षण किया गया है कि यह अपरा (प्लेसंटा) से होकर बच्चे तक नहीं पहुंचती है, कैंसर के कुछ रूप अपरा को नुकसान पहुंचा सकते हैं, और दवा इसमें से होकर चली जाती है. [९१] त्वचा कैंसर के कुछ रूप मेटास्टेसिस के द्वारा बच्चे के शरीर में भी प्रवेश कर सकते हैं. [९१]
लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद से संघ ने यह कहना शुरु कर दिया था कि पार्टी में परिवर्तन की ज़रुरत है. संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की जगह अब अपेक्षाकृत युवा नेताओं को ज़िम्मेदारी सौंपे जाने की ज़रुरत है.
कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद् अभयचरणारविन्द भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद (1 सितंबर, 1896 – 14 नवंबर, 1977), इण्टरनेशनल सोसायटी फ़ार कृष्णा कान्शियस्नेस यानी इस्कॉन (ISKCON), (कृष्ण चेतना हेतु अन्तर्राष्ट्रीय समाज) के संस्थापक थे। यह हिन्दुओं के गौड़ीय वैष्णव धर्म का प्रसार करने हेतु बनी संस्था थी। यह न केवल भारत, वरन पूरे विश्व में फ़ैली है।
जोशीमठ, देहरादून, ऋषिकेश तथा हरिद्वार से अच्छी तरह जुड़ा है। इन स्थानों से बस या टैक्सी उपलब्ध हैं।
दुबई पुलिस बल की स्थापना नैफ इलाके में 1956 में हुई और इसका कानून प्रवर्तन अधिकार क्षेत्र अमीरात है . यह बल मोहम्मद बिन रशीद अल मकतौम, दुबई के शासक की प्रत्यक्ष कमान के अधीन है . दुबई नगर पालिका शहर की स्वच्छता और मलजल बुनियादी सुविधाओं के प्रभारी भी हैं . शहर के तेज विकास ने इसके सीमित सीवेज उपचार के बुनियादी ढांचे को उसकी चरम सीमा तक खीच दिया है .[३३]
पुणे भारत का छठवां सबसे बडा शहर है। भारत में पुणे से बढे शहर मुंबई,कोलकत्ता,दिल्ली,चेनई,बेंगलोर है। पुणे के बाद हैदराबाद,अहमदाबाद,सूरत यह शहर आते है।
फरन्दा सोनौली राजमार्ग से होकर, राजपुर-मुड़ली होते हुए बनर सिंहागढ़ आसानी से पहुंचा जा सकता है। लगभग 35 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले, इस जगह पर कई टीलें, स्तूप और तालाब आदि स्थित है। इसके अतिरिक्त यहां एक प्राचीन शिवलिंग और एक चतुरभुर्जी मूर्ति भी स्थित है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। कुछ लोग इसे वीरगाथा काव्य के नायक आल्हा-उदल के परमहितैषी, सैयदबरनस के किले के रूप में भी मानते हैं। कई पुरातत्वविद् इसे देवदह भी मानते हैं।
एक दोहरे परत की डिस्क, अपने सामान्य DVD समकक्ष से इस मायने में अलग है कि यह डिस्क के भीतर ही एक दूसरी भौतिक परत का प्रयोग करती है. दोहरे परत की क्षमता वाला ड्राइव, प्रथम अर्ध-पारदर्शी परत के माध्यम से लेज़र चमकाते हुए दूसरी परत का अभिगम करता है. कुछ DVD प्लेयर में परत परिवर्तन, कई सेकंड के एक साफ़ ठहराव को प्रदर्शित कर सकता है. [२५] इससे कुछ दर्शकों को ऐसी चिंता हुई कि उनकी दोहरी परत डिस्क क्षतिग्रस्त या खराब है, जिसका अंतिम परिणाम यह हुआ कि स्टूडियो ने एक मानक संदेश अंकित करना शुरू किया जिसके तहत दोहरे परत की डिस्क के पैकेजिंग पर दोहरे परत के रुकावट प्रभाव को स्पष्ट किया गया.
कैंडी श्रीलंका के केंद्रीय प्रांत की राजधानी है।
यह शिलांग का सबसे ऊंचा प्वाइंट है। इसकी ऊंचाई 1965 मीटर है। यहां से पूरे शहर का विहंगम नजारा देखा जा सकता है। रात के समय यहां से पूरे शहर की लाईट असंख्य तारों जैसी चमकती है।
हवन सामग्री में थोड़ा मेवा, मिष्टान्न मिलाकर ५ आहुतियाँ निम्न मन्त्र से दें । भावना करें कि यज्ञीय ऊष्मा बालक को सुसंस्कारों से भर रही है ।
विभिन्न धर्मों के इस भूभाग पर कई मनभावन पर्व त्यौहार मनाए जाते हैं - दिवाली, होली, दशहरा. पोंगल तथा ओणम . ईद-उल-फितर, मुहर्रम, क्रिसमस, ईस्टर आदि भी काफ़ी लोकप्रिय हैं।
सञ्ज्ञा च परिभाषा च विधिर्नियम एव च ।अतिदेशोऽधिकारश्च षड्विधम् सूत्रं मतम् ॥
अत: सन् 1946 ई0 में चुनाव में सफलता के फलस्वरूप जब हर प्रांत में कांग्रेस मंत्रिमंडल बने तो चुनाव प्रतिज्ञा के अनुसार जमींदारी प्रथा को समाप्त करने के लिये विधेयक प्रस्तुत किए गए। ये विधेयक सन् 1950 ई0 से 1955 ई0 तक अधिनियम बनकर चालू हो गए जिनके परिणामस्वरूप जमींदारी प्रथा का भारत में उन्मूलन हो गया और कृषकों एवं राज्य के बीच पुन: सीधा संबंध स्थापित हो गया। भूमि के स्वत्वाधिकार अब कृषकों को वापस मिल गए जिनका उपयोग वे अनादि परंपरागत काल से करते चले आए थे।
समय आने पर सत्यवती गर्भ से वेद वेदांगों में पारंगत एक पुत्र हुआ। जन्म होते ही वह बालक बड़ा हो गया और अपनी माता से बोला, "माता! तू जब कभी भी विपत्ति में मुझे स्मरण करेगी, मैं उपस्थित हो जाउँगा।" इतना कह कर वे तपस्या करने के लिये द्वैपायन द्वीप चले गये। द्वैपायन द्वीप में तपस्या करने तथा उनके शरीर का रंग काला होने के कारण उन्हे कृष्ण द्वैपायन कहा जाने लगा। आगे चल कर वेदों का भाष्य करने के कारण वे वेदव्यास के नाम से विख्यात हुये।
इन सिद्धातों को लागू करने में गांधी जी ने इन्हें दुनिया को दिखाने के लिए सर्वाधिक तार्किक सीमा पर ले जाने से भी मुंह नहीं मोड़ा जहां सरकार, पुलिस और सेनाए भी अहिंसात्मक बन गईं थीं। " फॉर पसिफिस्ट्स."[२३] नामक पुस्तक से उद्धरण लिए गए हैं।
अयोध्या के पास गोंडा जिले में सूकरखेत राजापुर नामक एक ग्राम है, वहाँ आत्माराम दूबे नाम के एक प्रतिष्ठित सरयूपारीण ब्राह्मण रहते थे। उनकी धर्मपत्नी का नाम हुलसी था। संवत १५५४ की श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान्‌ दम्पति के यहाँ बारह महीने तक गर्भ में रहने के पश्चात् गोस्वामी जी का जन्म हुआ ।
वास्तव में यह प्रश्न इस समय भूमंडल के सभी देशों में व्याप्त है और सभी के सामने यही समस्या है। अतएव संततिनिरोध एक सर्वव्यापी आंदोलन हो गया है।
इस्लामी जम्हूरिया ए पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामिक गणतंत्र या सिर्फ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। यहाँ की प्रमुख भाषाएं उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची, लाहौर हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और सूबा-ए-सरहद, इन के इलावा पाक अधिकृत कश्मीर, शुमाली इलाक़े, क़बाइली इलाक़े, और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं।
सोवियत संघ में कजाख़, किर्गिज़ और उज्बेक लोग रूबल को सोम कहते थे, जिसकी वजह से नोट पर अंकित संघ की 15 आधिकारिक भाषाओं में शामिल यह नाम भी लिखा हुआ होता था। सोम का अर्थ कजाख़, किर्गिज़, उज्बेक और उईगर में "शुद्ध" होता है, इसके अलावा कई अन्य तुर्कीक भाषाओं में इसका अर्थ "शुद्ध सोना" होता है।
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साँचा:हावड़ा
इसके अलावा डीआरडीओ के ध्येय इस प्रकार से हैं:
पश्चिम में हिमालय पर्वत श्रृंखला है जो चीन की भारत, भूटान, और नेपाल के साथ प्राकृतिक सीमा बनाती है। इसके साथ-साथ पठार और निर्जलीय भूदृश्य भी हैं जैसे तकला-मकन और गोबी मरुस्थल। सूखे और अत्यधिक कृषि के कारण बसन्त के दौरान धूल भरे तूफ़ान आम हो गए हैं। गोबी मरुस्थल का फैलाव भी इन तूफानों का एक कारण है और इससे उठने वाले तूफान उत्तरपूर्वी चीन, कोरिया, और जापान तक को प्रभावित करते हैं।
संबंधों की बहुत सी अटकलें के बाद, उनकी सगाई ऐश्वर्या राय के साथ होने की घोषणा १४ जनवरी२००७ को की गई. बाद में अमिताभ बच्चन ने इस घोषणा की पुष्टि की[१६]. बच्चन और राय ने २० अप्रैल२००७ को अपनी पत्नी के दक्षिण भारतीयबंट समुदाय (Bunt) के पारंपरिक हिंदू रिती - रिवाज से विवाह किया. बाद में सांकेतिक उत्तर भारतीय (North Indian) और बंगाली संस्कारों का भी निर्वाहन किया गया .विवाह जुहू(Juhu), मुम्बई स्थित बच्चन के आवास प्रतीक्षा में एक निजी समारोह में किया गया. हालाकि शादी बच्चन और राय परिवार और उनके दोस्तों के लिए एक निजी समारोह था पर मीडिया सहभागिता ने इसे राष्ट्रीय सुर्खियां बना दिया.
निवानो सकुरो मो मिन्ना चित्ते शिमत्ता
लखनऊ में कई रेलवे स्टेशन हैं। शहर में मुख्य रेलवे स्टेशन चारबाग रेलवे स्टेशन है। इसकी शानदार महल रूपी इमारत १९२३ में बनी थी। मुख्य टर्मिनल उत्तर रेलवे का है (स्टेशन कोड: LKO)। दूसरा टर्मिनल पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) मंडल का है।( स्टेशन कोड: LJN)। लखनऊ एक प्रधान जंक्शन स्टेशन है, जो भारत के लगभग सभी मुख्य शहरों से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां और १३ रेलवे स्टेशन हैं:
यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं अर्थात् यज्ञोपवीत जिसे जनेऊ भी कहा जाता है अत्यन्त पवित्र है। प्रजापति ने स्वाभाविक रूप से इसका निर्माण किया है। यह आयु को बढ़ानेवाला, बल और तेज प्रदान करनेवाला है। इस संस्कार के बारे में हमारे धर्मशास्त्रों में विशेष उल्लेख है। यज्ञोपवीत धारण का वैज्ञानिक महत्व भी है। प्राचीन काल में जब गुरुकुल की परम्परा थी उस समय प्राय: आठ वर्ष की उम्र में यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न हो जाता था। इसके बाद बालक विशेष अध्ययन के लिये गुरुकुल जाता था। यज्ञोपवीत से ही बालक को ब्रह्मचर्य की दीक्षा दी जाती थी जिसका पालन गृहस्थाश्रम में आने से पूर्व तक किया जाता था। इस संस्कार का उद्देश्य संयमित जीवन के साथ आत्मिक विकास में रत रहने के लिये बालक को प्रेरित करना है।
योग समन्वय
H2O + सक्रिय क्लोरोफिल → H+ + OH-
उत्तरी तथा दक्षिणी इटली के ताप में पर्याप्त अंतर पाया जाता है। ताप का उतार चढ़ाव 52 डिग्री फा. से 66 डिग्री फा. तक होता है। दिसंबर तथा जनवरी सबसे अधिक ठंढे तथा जुलाई और अगस्त सबसे अधिक गर्म महीने हैं। पो नदी के मैदन का औसत ताप 55 डिग्री फा. तथा 500 मील दूर स्थित सिसली का औसत ताप 64 डिग्री फा. है। उत्तर के आल्प्स के पहाड़ी क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा 80फ़फ़ होती है। अपेनाइंस के ऊँचे पश्चिमी भाग में भी पर्याप्त वर्षा होती है। पूर्वी लोंबार्डी के दक्षिण पश्चिमी भाग में वार्षिक वर्षा 24फ़फ़ होती है, किंतु उत्तरी भाग में उसका औसत 50फ़फ़ होता है तथा गर्मी शुष्क रहती है। आल्प्स के मध्यवर्ती भाग में गर्मी में वर्षा होती है तथा जाड़े में बर्फ गिरती है। पो नदी की द्रोणी में गर्मी में अधिक वर्षा होती है। स्थानीय कारणों के अतिरिक्त इटली की जलवायु भूमध्यसागरीय है जहाँ जाड़े में वर्षा होती है तथा गर्मी शुष्क रहती है।
तेज़ गेंदबाज़ और स्पिनर के मध्य होते हैं "मध्यमगति के गेंदबाज़" जो अपनी सटीक गेंदबाजी से रनों की गति को कम करने पर भरोसा करते हैं और बल्लेबाजों का ध्यान भंग करते हैं.
सहस्रं वक्ति सिद्धांतान् सार्धश्लोक शतद्वयान्।।
Suchindrum Temple near Nagercoil
वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज उड़ान के लिए विशेषाधिकार होते हैं, राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, राज्यपाल, और उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रीमंडल के सदस्य और भारतीय संसद के कनिष्ठ मंत्रीमंडल के सदस्य, राज्य विधानसभाओं के सदस्य, लोकसभा के वक्ताओं और राज्य विधान सभाओं के सदस्यों, राज्य सभा के अध्यक्षों और राज्य के विधान सभा परिषद के सदस्य, भारत के सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और जल सेना, थल सेना और नौ सेना के अधिकारिकयों को जो ध्वज श्रेणीं में आते हैं, को ही अधिकार प्राप्त हैं। वे अपनी कारों पर जब भी वे जरुरी समझे झंडा प्रर्दशित कर सकते हैं। झंडे को एक निश्चित स्थान से प्रर्दशित करना चाहिए, जो कार के बोनेट के बीच में दृढ़ हो या कार के आगे दाईं तरफ रखा जाना चाहिए। जब सरकार द्वारा प्रदान किए गए कार में कोई विदेशी गणमान्य अतिथि यात्रा कर रहा है तो, हमारा झंडा कार के दाईं ओर प्रवाहित होना चाहिए और विदेश का झंडा बाईं ओर उड़ता होना चाहिए।
शैव सिद्धान्त के अनुसार सैध्दान्तिक रूप से शिव ही केवल चेतन तत्त्व हैं तथा प्रकृति जड़ तत्त्व है। शिव का मूलाधार शक्ति ही है। शक्ति के द्वारा ही बन्धन एवं मोक्ष प्राप्त होता है।
[६]
हालांकि इस जगह के मुख्य आकर्षण है क्योंकि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ (1861-1941) टैगोर, बंगाल के सबसे महान व्यक्तित्वों के एक पाठ्यक्रम की, शांति निकेतन की प्राकृतिक सुंदरता के साथ अपने सहयोग के अवशेष अपने आप में एक प्रमुख आकर्षण हैं. शांति निकेतन में गृह के लिए निश्चित रूप से नहीं कह सकता शांतिपूर्ण आवासीय शांति निकेतन में पड़ोस चारों ओर हरियाली के बीच. यहाँ इस प्रकार आवास बंगाल अंबुजा आवास विकास लिमिटेड और Sriniketan शांति निकेतन विकास प्राधिकरण ने एक शांति निकेतन में अच्छी तरह से आवासीय सुविधा के निवासियों के अत्यंत संतोष के साथ पड़ोस की स्थापना की उनकी दृष्टि materializing पर बढ़ाता है की एक संयुक्त उद्यम के रूप में शुरू किया परिसर के Upoban नई अवधारणा है.
तिलक ने मराठी में केसरी नामक दैनिक समाचार पत्र शुरु किया जो जल्दी ही जनता में बहुत लोकप्रिय हो गया। तिलक ने अंग्रेजी सरकार की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की बहुत आलोचना की। इन्होंने माँग की कि ब्रिटिश सरकार तुरन्त भारतीयों को पूर्ण स्वराज दे। केसरी में छपने वाले उनके लेखों की वजह से उन्हें कई बार जेल भेजा गया।
दक्षिण सीमा पर स्थित राज्य चोल, पाण्ड्‍य, सतिययुक्‍त केरल पुत्र एवं ताम्रपार्णि बताये गये हैं ।
यह जिला ५ अनुमंडल, २१ प्रखंडों, ३९९ पंचायतों तथा ११११ गाँवों में बँटा है। विधि व्यवस्था संचालन के लिए १८ थाने एवं २ जेल है। पूर्ण एवं आंशिक रुप से मधुबनी जिला २ संसदीय क्षेत्र एवं ११ विधान सभा क्षेत्र में विभाजित है।
एस. टी. डी. (STD) कोड - ०५५४२
पृष्ठभूमि में स्थित दर्शन और इतिहास
• ऋतुपर्ण घोष
विजेता
सामोगितियाई विकिपीडिया विकिपीडिया का आयरिश भाषा का संस्करण है। यह २५ मार्च २००६ में आरंभ किया गया था। २७ मई, २००९ तक इस विकिपीडिया पर लेखों की संख्या १०,७१३+ है और यह विकिपीडिया का चौरासीवां सबसे बड़ा संस्करण है।
औसत समुद्र सतह से ऊंचाई (AMSL) का अर्थ है, किसी वस्तु या स्थान की हवा में ऊंचाई, जो कि औसत समुद्र सतह से नापी गई हो। यह शब्द/वाक्यांश रेडियो संचार संप्रेषण और दूरसंचार के क्षेत्र में, तथा वौवहन के क्षेत्र में अभियांत्रिकों द्वारा प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग उनके द्वारा किसी स्टेशन के द्वारा प्रभावित क्षेत्र को नापने के लिए किया जाता है। इसे नौवहन और विमानन में भी प्रयोग किया जाता है, जहां सभी ऊंचाइयां औसत समुद्र तल की तुलना में (सापेक्ष) नापी जाती हैं। इसके अलावा भूगोल में भि इसका प्रयोग किया जाता है।
गौतम बुद्ध के गुज़रने के बाद, बौद्ध धर्म के अलग-अलग संप्रदाय उपस्थित हो गये हैं, परंतु इन सब के कुछ सिद्धांत मिलते हैं ।
स्थान
हिंदी और उर्दू के एक मिले जुले रूप को हिंदुस्तानी कहा गया है। भारत में अँगरेज शासकों की कूटनीति के फलस्वरूप हिंदी और उर्दू एक दूसरे से दूर होती गईं। एक की संस्कृतनिष्ठता बढ़ती गई और दूसरे का फारसीपन। लिपिभेद तो था ही। सांस्कृतिक वातावरण की दृष्टि से भी दोनों का पार्थक्य बढ़ता गया। ऐसी स्थिति में अँगरेजों ने एक ऐसी मिश्रित भाषा को हिंदुस्तानी नाम दिया जिसमें अरबी, फारसी या संस्कृत के कठिन शब्द न प्रयुक्त हों तथा जो साधारण जनता के लिए सहजबोध्य हो। आगे चलकर देश के राजनयिकों ने भी इस तरह की भाषा को मान्यता देने की कोशिश की और कहा कि इसे फारसी और नागरी दोनों लिपियों में लिखा जा सकता है। पर यह कृत्रिम प्रयास अंततोगत्वा विफल हुआ। इस तरह की भाषा ज्यादा झुकाव उर्दू की ओर ही था।
प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) में जर्मनों ने 'बिग बर्था' नामक तोप बनाई, जिससे उन्होंने पेरिस पर 75 मील की दूरी से गोले बरसाना आरंभ किया। इस तोप में कोई नया सिद्धांत नहीं था। तोप केवल पर्याप्त बड़ी और पुष्ट थी। परंतु हवाई जहाजों तथा अन्य नवीन यंत्रों के आविष्कार से ऐसी तोपें अब लुप्तप्राय हो गई हैं।
१. ईश, २. ऐतरेय, ३. छांदोग्य, ४. प्रश्न, ५. तैत्तिरीय, ६. बृहदारण्यक, ७. मांडूक्य, और ८. मुंडक
५) वामन् अवतार : इसमें विष्णु जी वामन् (बौने) के रूप में प्रकट हुए। bakt prahlad ke paotra ashurraj raja bali se devtao ki raksha ke liye vaman avtar liya.
यूरोपीय संघ के गठन के लिए 2004 में रोम में एक संधि पर हस्ताक्षर किए गये जिसका उद्देश्य पिछले सभी संधियों को नकार कर एकीकृत कर एकल दस्तावेज तैयार करना था। लेकिन ऐसा कभी संभव न हो सका क्योंकि इस उद्देश्य के लिए कराए गये जनमत सर्वेक्षण में फ्रांसिसी एवं डच मतदाताओं ने इसे नकार दिया। 2007 में एक बार फिर लिस्बन समझौता हुआ जिसमें पिछली संधियों को बगैर नकारे हुए उनमें सुधार किए गये। इस संधि की प्रभावी तिथि जनवरी 2009 में तय की गयी है, जब इस संधि के प्रावधानों को पूरी तरह लागू किया जाएगा।
नाग को देव के रूप में स्वीकार करने में आर्यों के हृदय की विशालता का हमें दर्शन होता है। 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्‌' इस गर्जना के साथ आगे बढ़ते हुए आर्यों को भिन्न-भिन्न उपासना करते हुए अनेक समूहों के संपर्क में आना पड़ा। वेदों के प्रभावी विचार उनके पास पहुँचाने के लिए आर्यों को अत्यधिक परिश्रम करना पड़ा।
बी12 के एकमात्र विश्वसनीय वेगान स्रोत हैं बी12 के साथ दृढीकृत खाद्य (कुछ सोया उत्पादों और कुछ नाश्ता के अनाज सहित) और बी12 के पूरक.[४५][४६] हाल के वर्षों में विटामिन बी12 के स्रोतों पर शोधों में वृद्धि हुई है.[४७]
Natural gas-fired power plants typically account for more than one-half of State electricity generation. California is one of the largest hydroelectric power producers in the United States, and with adequate rainfall, hydroelectric power typically accounts for close to one-fifth of State electricity generation. Due to strict emission laws, only a few small coal-fired power plants operate in California.
विदेश सेवा प्रभाग का प्रसारण 7 देशों, पश्चिमी एशिया, खाड़ी के देशों और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में किया जाता है जो रात 9 बजे तक जारी रहता है। अंतरदेशीय सेवाओं के लिए अंग्रेजी में राष्‍ट्रीय बुलेटिन का प्रसारण। इसके अलावा विदेश सेवा प्रभाग दुनिया भर में समकालीन और संगत मुद्दों तथा प्रेस समीक्षाओं को अपने प्रसारण में शामिल करता है। डिजिटल प्रसारण
हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म सन् ५७० में मक्का मे हुआ था । आपके के परिवार का मक्का के एक बड़े धार्मिक स्थल पर प्रभुत्व था । उस समय अरबी लोग मूर्तिपूजक थे (जो कि बाद मे इस्लाम में पाबंद हो गया ) तथा हर कबीले का अपना देवता होता था । मक्का में काबे में इस समय लोग साल के एक दिन जमा होते थे और सामूहिक पूजन होता था । आपने ख़ादीजा नाम की एक विधवा के घर काम करना आरंभ किया । बाद में उन्होंने उसी से शादी भी कर ली । सन् ६१३ में आपने लोगों को ये बताना आरंभ किया कि उन्हें परमेश्वर से यह संदेश आया है कि ईश्वर एक है और वो इन्सानों को सच्चाई तथा ईमानदारी की राह पर चलने को कहता है । उन्होंने मूर्तिपूजा का भी विरोध किया । पर मक्का के लोगों को ये बात पसन्द नहीं आई और उन्हें सन् ६२२ में मक्का छोड़कर जाना पड़ा । मुस्लमान इस घटना को हिजरा कहते है और यहां से इस्लामी कैलेंडर हिजरी आरंभ होता है । अगले कुछ दिनों में मदीना में उनके कई अनुयायी बने तब उन्होंने मक्का वापसी की और मक्का के शासकों को युद्ध में हरा दिया । इसके बाद कई लोग उनके अनुयायी हो गए और उनके समर्थकों को मुसलमान काहा जाने लगा । उस समय मक्का तथा मदीना मे यहूदी व कुछ ईसाई भी रहते थे । पर उस समय उनको एक अलग धर्म को रूप में न देख कर ईश्वर की एकसत्ता के समर्थक माना जाता था । इसके बाद हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमने कई लड़ाईयाँ लड़ी जिनका उद्येश्य भटके हुये लोगो को मुसलमान बनाना था । सन् ६३२ में आपका वफात हो गया । उस समय तक सम्पूर्ण अरब प्रायद्वीप इस्लाम के सूत्र में बंध चुका था ।
साँचा:Waters of South Asia साँचा:GeoSouthAsia
फ्लॉक एक वेब ब्राउज़र है, जो मोज़िला फायरफॉक्स कूट-आधार पर विकसित है। ये सामाजिक नेटवर्किंग एवं वेब २.० की सुविधाओं के लिए खास विकसित किया गया है। फ्लॉक का संस्करण २.५ आधिकारिक रूप से १९ मई, २००९ को लॉन्च किया गया था। ये निःशुल्क डाउनलोड हेतु उपलब्ध है। इसपर माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़, मैक ओएस एक्स और लाइनेक्स प्लेटाफ़ॉर्म्स पर समर्थन उपलब्ध है।
मिस्र के सभी स्मारकों में स्फिंक्स सबसे अद्भुत और सबसे डरावना है। ग्रीक दंतकथाओं में एक ऐसे जीव का उल्लेख मिलता है जिसका सिर औरत का और शरीर सिंह का था। उसी जीव से समानता के कारण इस स्थान का नाम स्फिंक्स पड़ा। अरब के लोग इस स्थान को अबु अल-होल यानि डर का पिता के नाम से पुकारते हैं। गीजा के पिरामिडों के सामने बना स्फिंक्स 22 मीटर ऊंचा और 50 मीटर लंबा है। इसकी नाक और दाढ़ी मेमीलुक समूह द्वारा क्षतिग्रस्त कर दी गई थी। वे लोग स्फिंक्स का प्रयोग निशानेबाजी के प्रशिक्षण के लिए करते थे। पर्यटक इस स्मारक के ऊपर नहीं चढ़ सकते लेकिन यहां एक स्थान बनाया गया है जहां से चारों ओर देखा जा सकता है। समय: सुबह 8.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक
ऑफ़ साइड (offside) का कानून सबसे ज्यादा जटिल है.ऑफ़ साइड नियम आगे के खिलाड़ी गेंद के बिना दूसरा बचाव खिलाड़ी के आगे नही जा सकता ( विरोधी टीम के गोल रेखा के एकदम समीप) (जहाँ गोल कीपर को भी शामिल कर सकते हैं)[३५]
रुद्रो बहु-शिरा बभ्रुर विश्वयोनिः-शुचि-श्रवाः ।
   हिन्द ईरानी
धर्म के अनुसार श्रिष्टी के बनने के समय मानवों को उत्पत्त करते समय ब्रह्मा जी के विभिन्न अंगों से उत्पन्न होने के कारण कई वर्ण बन गये।
उत्तरी अंडमान द्वीप में स्थित प्रकृति प्रेमियों को बहुत पसंद आता है। यह स्थान अपने संतरों, चावलों और समुद्री जीवन के लिए प्रसिद्ध है। यहां की सेडल पीक आसपास के द्वीपों से सबसे ऊंचा प्वाइंट है जो 732 मीटर ऊंचा है। अंडमान की एकमात्र नदी कलपोंग यहां से बहती है।
श्री राजेन्द्र यादव
इंस्‍टीट्यूट ऑफ आर्ट एंड क्रार्फ्ट: यह इंस्‍टीट्यूट शाहबाग में स्थित है। इसमें लोक कलाओं से संबंधित वस्‍तुओं का अच्‍छा संग्रह है।
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इंटरनेट एक्स्प्लोरर माइक्रोसोफ्ट का वेब ब्राउज़र है। हाल ही में इसका लॉन्च किया गया नया संस्करण आई.ई-८ है। माइक्रोसोफ्ट के अनुसार यह अब तक का सर्वोत्तम ब्राउज़र है।[३] नया आईई पुराने संस्करणों से ४०% तेजी से खुलता है। यह पन्नों को तेजी से रेंडर करता है, और वीडियो भी तेजी से चलाता है। गूगल के अनुसार भी यह ब्राउजर फायरफोक्स और क्रोम दोनों से तेज है। इसमें दो ऐसी सुविधाएँ जोडी गई हैं जिससे प्रयोक्ताओं को काफी सुरक्षा मिलती है। एक है क्रोस साइट फिशिंग, यानी कि आईई8 वेबपन्नों पर रखी गई हानिकारक स्क्रिप्ट की पहचान कर लेता है और ऐसे पन्नों को खोलता नही है, जिससे प्रयोक्ताओं के कंप्यूटर में ऐसी स्क्रिप्ट स्थापित नही हो पाती। दूसरी सुविधा है क्लिक-हाइजेकिंग, कई बार प्रयोक्ताओं को कोई बटन दिखाया जाता है जिसे दबाने पर नया पन्ना खुलेगा ऐसा बताया जाता है, परंतु वह वास्तव में हाइजैकिंग स्क्रिप्ट होती है जिससे कोई हानिकारक सक्रिप्ट कंप्यूटर में स्थापित हो जाती है। आईई8 ऐसी किसी भी स्क्रिप्ट को रोक देता है।
एक- जोधपुर विश्वविद्यालय,
5. अम्बेर दुर्ग भवन-समूह के महलों, विशाल कक्षों, सीढ़ीयों, स्तंभदार दर्शक दीर्घाओं, बगीचों और मंदिरों सहित कई भाग हैं।
गुड़ उद्योग भारत का बहुत पुराना उद्योग है तथा जहाँ जहाँ ईख पैदा होती है, यह उद्योग काफी प्रचलित है। उत्तर प्रदेश में घी उद्योग के बाद इसी का स्थान है। कृषक स्वयं ही पुराने ढंग से गुड़ बनाते हैं। दक्षिण भारत में भी यह उद्योग बहुत प्रचलित है। यहाँ पर गुड़ ईख के रस के अतिरिक्त ताड़ के रस, या मीठी ताड़ी से भी बनाया जाता है। यह रस इन पेड़ों से, विशेष कर ग्रीष्म ऋतु में निकलता है। अब तो भारत के सभी प्रदेशों में, जहाँ ये वृक्ष पाए जाते है, ताड-गुड़-उद्योग को काफी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
इन्हें भी देखें
उन्होंने पंजाब में कानून एवं व्यवस्था कायम की और कभी भी किसी को सजा ए मौत नहीं दी। उनका सूबा धर्मनिरपेक्ष था उन्होंने हिंदुओं और सिखों से वसूले जाने पर जजिया पर भी रोक लगाई। कभी भी किसी को सिख धर्म अपनाने के लिए विवश नहीं किया। उन्होंने अमृतसर के हरमिंदर साहिब गुरूद्वारे में संगमरमर लगवाया और सोना मढ़वाया, तभी से उसे स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा।
द्वीतीय विश्व युद्ध के अन्तिम दिनों में, जब इस पर जर्मनो ने अधिकार कर लिया था, इसकी जनसंख्या ६०,००० थी। उसके बाद औद्योगिक सुधारो का समय आया और १९६० तक यहाँ की जनसंख्या दोगुनी से भी अधिक होकर १,३७,००० पहुँच गई। १९९१ में साम्यवादी शासन के पतन के बाद से तिराना में अभूतपूर्व जनसंख्या वृद्धि हुई है, क्योंकि बहुत से लोग अच्छे जीवन की आस में ग्रामीण क्षेत्रों से (मुख्यतः उत्तर अल्बानिया से) यहाँ आए।
अकबर की मृत्यु के बाद 1610 ई. में जहांगीर ने इस क्षेत्र की जागीर अफजल खां को सौंप दी। तत्पष्चात यह क्षेत्र मुगलों के प्रभुत्व में बना रहा। अठारहवीं षताब्दी ई. में प्रारम्भ में यह क्षेत्र अवध के सूबे के गोरखपुर सरकार का अंग था। इस समय से लेकर अवध में नवाबी शासन की स्थापना के समय तक इस क्षेत्र पर वास्तविक प्रभुत्व यहां के राजपूत राजाओं का था, जिनका स्पष्ट उल्लेख वीन ने अपनी बन्दोबस्त रिपोर्ट में किया है। 9 सितम्बर 1722 ई. को सआदत खां को अवध का नवाब और गोरखपुर का फौजदार बनाया गया। सआदत खां ने गोरखपुर क्षेत्र में स्थित स्थानीय राजाओं की षक्ति को कुलचने एवं प्रारम्भ में उसने वर्तमान महराजगंज क्षेत्र में आतंक मचाने वाले बुटकल घराने के तिलकसेन के विरूद्व अभियान छेड़ा, किन्तु इस कार्य में उसे पूरी सफलता नहीं मिल सकी।
ईलियद (प्राच. यून. Ἰλιάς Iliás) — प्राचीन यूनानी शास्त्रीय महाकाव्य, जो कवि होमर की मानी जाती है। ईलियद यूरोप के आदिकवि होमर द्वारा रचित महाकाव्य। इसका नामकरण ईलियन नगर (ट्राय) के युद्ध के वर्णन के कारण हुआ है। समग्र रचना 24 पुस्तकों में विभक्त है और इसमें 15,693 पंक्तियाँ हैं। इलियाड ई.पू. तीसरी तथा दूसरी शताब्दियों में प्राचीन यूनानी वीरों के बहुसंख्यक इतिवृत्तों के आधार पर रची गयी है। इलियड में ट्राय राज्य के साथ ग्रीक लोंगो के युद्ध का वर्णन है. इस महाकाव्य में ट्राय के विजय और ध्वंस की कहानी तथा युनानी वीर एकलिस के वीरत्व की गाथाएं हैं.
पोलैंड के कुल २३ जातीय उद्यान ३,१४५ वर्ग कि.मी. (१,२१४ वर्ग मील) की संरक्षित जमिन को घेरते हैं जो पोलैंड के कुल भूभाग का १% से भी ज्यादा है. इस दृष्टि से पोलैंड समग्र युरोप मे अग्रणी है. फिलहाल मासुरिया, काराको-चेस्तोचोवा मालभूमि एवं पूर्वी बेस्किड में तिन और नये उद्यान बनाने का प्लान है.
सूत्र, किसी बड़ी बात को अतिसंक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त करने का तरीका है। इसका उपयोग साहित्य, व्याकरण, गणित, विज्ञान आदि में होता है। सूत्र का शाब्दिक अर्थ धागा या रस्सी होता है। जिस प्रकार धागा वस्तुओं को आपस में जोड़कर एक विशिष्ट रूप प्रदान करतअ है, उसी प्रकार सूत्र भी विचारों को सम्यक रूप से जोड़ता है।
फुरसती, साहसिक, और धार्मिक पर्यटन उत्तराखण्ड की अर्थव्यस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान और बाघ संरक्षण-क्षेत्र और नैनीताल, अल्मोड़ा, कसौनी, भीमताल, रानीखेत, और मसूरी जैसे निकट के पहाड़ी पर्यटन स्थल जो भारत के सर्वाधिक पधारे जाने वाले पर्यटन स्थलों में हैं। पर्वतारोहियों के लिए राज्य में कई चोटियाँ हैं, जिनमें से नंदा देवी, सबसे ऊँची चोटी है और १९८२ से अबाध्य है। अन्य राष्टीय आश्चर्य हैं फूलों की घाटी, जो नंदा देवी के साथ मिलकर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
निर्देशक के रूप में घटक के काम ने भी बाद के कई भारतीय फिल्म निर्माताओं पर प्रभाव डाला, जिनमें बंगाली फिल्म उद्योग और अन्यत्र के लोग भी शामिल थे. उदाहरण के लिए, मीरा नायर ने अपने फिल्म निर्माता बनने के कारण के रूप में घटक और रे का नाम उद्धृत किया.[१०] एक निर्देशक के रूप में घटक का प्रभाव भारत के बाहर बहुत देर से फैला; जिसकी शुरुआत 1990 के दशक में हुई, घटक की फिल्मों को पुनर्स्थापित करने की एक परियोजना और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों (और बाद के डीवीडी रिलीज) ने देर से ही सही तेजी से वैश्विक दर्शक उत्पन्न किए. 1998 में एशियाई फिल्म पत्रिका सिनेमाया द्वारा कराए गये सर्वकालिक महान फिल्म के लिए आलोचकों के मतदान में, सुवर्णरेखा को सूची में 11वां स्थान दिया गया.[११] 2002 में सर्वकालिक महान फिल्म के लिए आलोचकों और निर्देशकों की दृष्टि और ध्वनि (साईट एंड साउंड ) मतदान में मेघे ढाका तारा को सूचि में 231 स्थान पर और गंधार कोमल को 346 स्थान पर रखा गया.[१२] 2007 में, ब्रिटिश फिल्म संस्थान द्वारा करवाए गये 10 सर्वश्रेष्ठ बांग्लादेशी फिल्मों के लिए एक दर्शकों और आलोचकों के मतदान में ए रिवर नेम्ड तितास ने सूची में प्रथम स्थान हासिल किया.[१३]
1 नवंबर 2006 से आधिकारिक रूप से इस शहर का नाम बदलकर बेंगळूरु कर दिया गया है ।
बसु का जन्म बंगाल (अब बांग्लादेश) में मेमनसिंह में हुआ था। इनके पिता भगवान चन्द्र बसु ब्रह्म समाज के नेता थे और फरीदपुर, बर्धमान एवं अन्य जगहों पर उप-मैजिस्ट्रेट या सहायक कमिश्नर थे।[४][५] इनका परिवार रारीखाल गांव, बिक्रमपुर से आया था, जो आजकल बांग्लादेश के मुन्शीगंज जिले में है।[६]
मंगलौरी-शैली अन्य भारतीय व्यंजनों के संग
निर्देशांक: 26°10′N 81°12′E / 26.16, 81.2 फतेहपुर जिला उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है जो कि पवित्र गंगा एवं यमुना नदी के किनारों पर बसा हुआ है। फतेहपुर का उल्लेख पुराणों मे भी मिलता है। भिटौरा और असनि के घाट भी पुराणों मे मिलते है। भिटौरा भृगु ऋषि की तपोस्थली थी। फतेहपुर जिला इलाहाबाद मण्डल का एक हिस्सा है।
महाराजा उदित नारायण सिंह (१७७० - ४ अप्रैल, १८३५), वाराणसी के राजघराने से काशी नरेश थे। इनका राज्यकाल १२ सितंबर, १७९५ से ४ अप्रैल, १८३५ तक रहा। ये महिपत नारायण सिंह के ज्येष्ठतम जीब्वित पुत्र थे। इनका वाराणसी की संस्कृति में बड़ा योगदान रहा।[१]. इन्होंने रामनगर, वाराणसी की प्रसिद्ध रामलीला १८३० में आरंभ की, जो अब तक चली आ रही है और प्रत्येक वर्ष आयोजित होती है।[१][२][३].
वक्‍तब्‍य: - भारतीय संदर्भ में बुल्के कहते थे ‘संस्कृत महारानी, हिंदी बहूरानी और अंग्रेजी नौकरानी है.’
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काला पर्यटन पर्यटन रुचि का एक उभरता हुआ क्षेत्र काले " पर्यटन के रूप में Lennon and Foley (२०००) के द्वारा पहचाना गया है.इस प्रकार के पर्यटन में "काले" साइटों जैसे युद्ध भूमि, भयानक दृश्य या अपराधों के कृत्यों नरसंहार (genocide) की क्रियाओं वाले स्थानों की यात्रा शामिल है, उदाहरण के लिए, एकाग्रता शिविर (concentration camps). काला पर्यटन नैतिकता के लिए गंभीर ख़तरा है: क्या ऐसी साईटें देखने के लिए उपलब्ध होनी चाहियें, यदि ऐसा है तो प्रचार के तरीके की प्रवृति कैसी होनी चाहिए.काला पर्यटन विभिन्न उद्देश्यों के द्वारा संचालित एक छोटा सा आला बाजार है, जैसे शोक , स्मरण , दैत्य या जिज्ञासा और यहाँ तक कि मनोरंजन इसकी शुरुआती जड़ें मध्ययुगीन मेलों से आई हैं.[१५]
साइबेरिया दरअसल रूस के एक अति-विशाल और अति-समृद्ध प्रदेश को कहते हैं।
स्फटिक शिला से लगभग 4 किमी. की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकान्त आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्री मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेयय और दुर्वाशा मुनी की प्रतिमा स्थापित हैं।
काग के भाग कहा कहिए हरि हाथ सों ले गयो माखन रोटी।।
मूल लेख दर्शन का इतिहास देखें।
भई अब गिरिधर सों पैहचान।
वैयाकरणों ने अपभ्रंश के भेदों की भी चर्चा की है। मार्कंडेय (१७वीं शती) के अनुसार इसके नागर, उपनागर और ब्राचड तीन भेद थे और नमिसाधु (११वीं शती) के अनुसार उपनागर, आभीर और ग्राम्य। इन नामों से किसी प्रकार के क्षेत्रीय भेद का पता नहीं चलता। विद्वानों ने आभीरों को व्रात्य कहा है, इस प्रकार 'ब्राचड' का संबंध 'व्रात्य' से माना जा सकता है। ऐसी स्थिति में आभीरी और ब्राचड एक ही बोली के दो नाम हुए। क्रमदीश्वर (१३वीं शती) ने नागर अपभ्रंश और शसक छंद का संबंध स्थापित किया है। शसक छंदों की रचना प्रायः पश्चिमी प्रदेशों में ही हुई है। इस प्रकार अपभ्रंश के सभी भेदोपभेद पश्चिमी भारत से ही संबद्ध दिखाई पड़ते हैं। वस्तुतः साहित्यिक अपभ्रंश अपने परिनिष्ठित रूप में पश्चिमी भारत की ही भाषा थी, परंतु अन्य प्रदेशों में प्रसार के साथ-साथ उसमें स्वभावतः क्षेत्रीय विशेषताएँ भी जुड़ गईं। प्राप्त रचनाओं के आधार पर विद्वानों ने पूर्वी और दक्षिणी दो अन्य क्षेत्रीय अपभ्रंशों के प्रचलन का अनुमान लगाया है।
इन्हीं दिनों यूरोप में एक अन्य संप्रदाय चल निकला। यह ‘कोपेनहेगेन स्कूल’ , ‘डेनिश स्कूल’, अथवा ‘ग्लासेमेटिक्स’ कै नाम से प्रसिद्ध है। इसके प्रर्वतक हेल्मस्लेव (Hjelmslev) (सन् 1899) हैं और इनकी सिद्धांत दर्शिका है Omkring Sprogteorienx Grundloeggelse, 1943 अंग्रेजी अनुवाद ह्विटफील्ड द्वारा Prolegomena to a Theory of Language, 1953। यह संप्रदाय अधिकतर सिद्धांतों के विवेचन में सीमित रहा। पर अभी इन सिद्धांतों का भाषाविशेष पर प्रयोग अत्यल्प मात्रा में हुआ है| इस संप्रदाय की महत्ता इसमें है कि यह शुद्ध रूपवादी है। भाषा को यह भी सोसुर की भाँति मूल्यों की व्यवस्था मानता है, किंतु भाषाविश्लेषण में भावेतर तत्वों का तथा भाषाविज्ञानेतर विज्ञानों का, जैसे भौतिकी, शरीरप्रक्रियाविज्ञान, समाजशास्त्र आदि का आश्रय नही लेना चाहता। विश्लेषण पद्धति शुद्ध भाषापरक होनी चाहिए स्वयं में समर्थ और स्वयं में पूर्ण। इस संप्रदाय में अभिव्यक्ति (expression) और आशय (content) प्रत्येक के दो दो भेद किए गए रूप (form) और सार (substance) भाषेतर तत्व है। रूप शुद्ध भाषापरक तत्व है जो सार तत्वों की संघटना व्यवस्था के रूप में है। इस प्रकार अभिव्यक्ति बनती है, और अभिव्यक्ति के रूप में संरचना व्यवस्था, जैसे, स्वनिम, रूपिम आदि है। इसी प्रकार आशय के सार के अंतर्गत शब्दार्थ हैं और रूप में अर्थसंघटना है|
सौम्य गाँठ (जो कैंसर नहीं हैं) उनके नाम में -ओमा प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है, जिसमें मूल शब्द अंग का नाम होता है.उदाहरण के लिए, गर्भाशय की चिकनी पेशी की एक सौम्य गाँठ लियोमायोमा कहलाती है. (प्रायः पायी जाने वाली इस गाँठ का सामान्य नाम है फाईब्रोइड अर्थात रेशेदार).दुर्भाग्य से, कुछ तरह के कैंसरों के लिए भी -ओमा प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है, जैसे मेलेनोमा और सेमिनोमा.
इनके अलावा और भी अनेक साहित्यकारों ने रामायण से प्रेरणा ले कर अनेक कृतियों की रचना की है।
(1.) उत्तर पश्चिमी शाखा
कालजयी कथाकार नरेन्द्र कोहली का राम्कथा पर आधारित 'दीक्षा' नामक उपन्यास (१९७६) हिन्दी का युग-प्रवर्तक उपन्यास भी माना जाता है. देखें दीक्षा : उपन्यास
द स्टेटसमैन भारत मे प्रकाशित होने वाला एक अंग्रेजी भाषा का समाचार पत्र है।
कुछ समय के पश्चात ई. सन् ६८६ में वैशाख शुक्ल पंचमी (कुछ लोगों के अनुसार अक्षय तृतीया) के दिन मध्याकाल में विशिष्टादेवी ने परम प्रकाशरूप अति सुंदर, दिव्य कांतियुक्त बालक को जन्म दिया। देवज्ञ ब्राह्मणों ने उस बालक के मस्तक पर चक्र चि, ललाट पर नेत्र चि तथा स्कंध पर शूल चि परिलक्षित कर उसे शिवावतार निरूपित किया और उसका नाम ‘शंकर’ रखा। इन्हीं शंकराचार्यजी को प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल पंचमी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए श्री शंकराचार्य जयंती मनाई जाती है। जिस समय जगद्गुरु शंकराचार्य का आविर्भव हुआ, उस समय भरत में वैदिक धर्म म्लान हो रहा था तथा मानवता बिसर रही थी, ऐसे में आचार्य शंकर मानव धर्म के भस्कर प्रकाश स्तं•ा बनकर प्रकट हुए। मात्र ३२ वर्ष के जीवनकाल में उन्होंने सनातन धर्म को ऐसी ओजस्वी शक्ति प्रदान की कि उसकी समस्त मूर्छा दूर हो गई। शंकराचार्यजी तीन वर्ष की अवस्था में मलयालम का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर चुके थे। इनके पिता चाहते थे कि ये संस्कृत का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करें। परंतु पिता की अकाल मृत्यु होने से शैशवावस्था में ही शंकर के सिर से पिता की छत्रछाया उठ गई और सारा बोझ शंकरजी की माता के कंधों पर आ पड़ा। लेकिन उनकी माता ने कर्तव्य पालन में कमी नहीं रखी॥ पाँच वर्ष की अवस्था में इनका यज्ञोपवीत संस्कार करवाकर वेदों का अध्ययन करने के लिए गुरुकुल •ोज दिया गया। ये प्रारं•ा से ही प्रतिभ संपन्न थे, अत: इनकी प्रतिभ से इनके गुरु •ाी बेहद चकित थे। अप्रतिम प्रतिभ संपन्न श्रुतिधर बालक शंकर ने मात्र २ वर्ष के समय में वेद, पुराण, उपनिषद्, रामायण, महाभरत आदि ग्रंथ कंठस्थ कर लिए। तत्पश्चात गुरु से सम्मानित होकर घर लौट आए और माता की सेवा करने लगे। उनकी मातृ•ाक्ति इतनी विलक्षण थी कि उनकी प्रार्थना पर आलवाई (पूर्णा) नदी, जो उनके गाँव से बहुत दूर बहती थी, अपना रुख बदल कर कालाड़ी ग्राम के निकट बहने लगी, जिससे उनकी माता को नदी स्नान में सुविधा हो गई। कुछ समय बाद इनकी माता ने इनके विवाह की सोची। पर आचार्य शंकर गृहस्थी के झंझट से दूर रहना चाहते थे। एक ज्योतिषी ने जन्म-पत्री देखकर बताया •ाी था कि अल्पायु में इनकी मृत्यु का योग है। ऐसा जानकर आचार्य शंकर के मन में संन्यास लेकर लोक-सेवा की भवना प्रबल हो गई थी। संन्यास के लिए उन्होंने माँ से हठ किया और बालक शंकर ने ७ वर्ष की आयु में संन्यास ग्रहण कर लिया। फिर जीवन का उच्चतम लक्ष्य प्राप्त करने के लिए माता से अनुमति लेकर घर से निकल पड़े।
भीतरी मंगोलिया, ग्वांग्शि, निंग्स्या, बोड स्वायत्त क्षेत्र, शिंजांग स्वायत्त क्षेत्र, तिब्बत
खगोलिकी ब्रह्मांड में अवस्थित आकाशीय पिंडों की ज्योति, रचना और उनके व्यवहार का अध्ययन खगोलिकी का विषय है। अब तक ब्रह्मांड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग 19 अरब आकाश गंगाएँ होने का अनुमान है और प्रत्येक आकाश गंगा में लगभग 10 अरब तारे हैं। आकाश गंगा का व्यास लगभग एक लाख प्रकाशवर्ष है। हमारी पृथ्वी पर आदिम जीव 2 अरब साल पहले पैदा हुआ, और आदमी का धरती पर अवतण 10-20 लाख साल पहले हुआ।
पुराणों की दी गयी सूची में इस पुराण को प्रथम स्थान पर रखा जाता है, इस पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति, पृथु का पावन चरित्र, सूर्य एवं चन्द्रवंश का वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि का चरित्र, तीर्थों का माहात्म्य एवं अनेक भक्तिपरक आख्यानों की सुन्दर चर्चा की गयी है। भगवान् श्रीकृष्ण की ब्रह्मरूप में विस्तृत व्याख्या होने के कारण यह ब्रह्मपुराण के नाम से प्रसिद्ध है। [१] इस पुराण में साकार ब्रह्म की उपासना का विधान है। इसमें 'ब्रह्म' को सर्वोपरि माना गया है। इसीलिए इस पुराण को प्रथम स्थान दिया गया है। पुराणों की परम्परा के अनुसार 'ब्रह्म पुराण' में सृष्टि के समस्त लोकों और भारतवर्ष का भी वर्णन किया गया है। कलियुग का वर्णन भी इस पुराण में विस्तार से उपलब्ध है। [२] ब्रह्म के आदि होने के कारण इस पुराण को आदिपुरण भी कहा जाता है। व्यास मुनि ने इसे सर्वप्रथम लिखा है। इसमें दस सहस्र श्लोक हैं। प्राचीन पवित्र भूमि नैमिष अरण्य में व्यास शिष्य सूत मुनि ने यह पुराण समाहित ऋषि वृन्द में सुनाया था। इसमें सृष्टि, मनुवंश, देव देवता, प्राणि, पुथ्वी, भूगोल, नरक, स्वर्ग, मंदिर, तीर्थ आदि का निरूपण है। शिव-पार्वती विवाह, कृष्ण लीला, विष्णु अवतार, विष्णु पूजन, वर्णाश्रम, श्राद्धकर्म, आदि का विचार है। [३]
साहित्यालोचन
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1921 के बाद साहित्यक्षेत्र में जो पत्र आए उनमें प्रमुख हैं स्वार्थ (1922), माधुरी (1923), मर्यादा, चाँद (1923), मनोरमा (1924), समालोचक (1924), चित्रपट (1925), कल्याण (1926), सुधा (1927), विशालभारत (1928), त्यागभूमि (1928), हंस (1930), गंगा (1930), विश्वमित्र (1933), रूपाभ (1938), साहित्य संदेश (1938), कमला (1939), मधुकर (1940), जीवनसाहित्य (1940), विश्वभारती (1942), संगम (1942), कुमार (1944), नया साहित्य (1945), पारिजात (1945), हिमालय (1946) आदि। वास्तव में आज हमारे मासिक साहित्य की प्रौढ़ता और विविधता में किसी प्रकार का संदेह नहीं हो सकता। हिंदी की अनेकानेक प्रथम श्रेणी की रचनाएँ मासिकों द्वारा ही पहले प्रकाश में आई और अनेक श्रेष्ठ कवि और साहित्यकार पत्रकारिता से भी संबंधित रहे। आज हमारे मासिक पत्र जीवन और साहित्य के सभी अंगों की पूर्ति करते हैं और अब विशेषज्ञता की ओर भी ध्यान जाने लगा है। साहित्य की प्रवृत्तियों की जैसी विकासमान झलक पत्रों में मिलती है, वैसी पुस्तकों में नहीं मिलती। वहाँ हमें साहित्य का सक्रिय, सप्राण, गतिशील रूप प्राप्त होता है।
बाकू, अजर्बैजान की राजधानी, कैस्पियन सागर के तट पर सबसे बड़ा शहर
नकुल, का अर्थ है, परम विद्वता। महाभारत में नकुल का चित्रण एक बहुत ही रूपवान, प्रेम युक्त, और बहुत सुंदर व्यक्ति के रूप में की गई है। अपनी सुंदरता के कारण नकुल की तुलना काम और प्रेम के देवता, "कामदेव" से की गई है। पांडवो के अंतिम और तेरहवें वर्ष के अज्ञातवास में नकुल ने अपने रूप को कौरवों से छिपाने के लिए अपने शरीर पर धूल लीप कर छिपाया। श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध करने के पश्चात नकुल द्वारा घुड़ प्रजनन और प्रशिक्षण में निपुण होने का महाभारत में अभिलेखाकरण है। वह एक योग्य पशु शल्य चिकित्सक था, जिसे घुड़ चिकित्सा में महारथ प्राप्त था। अज्ञातवास के समय में नकुल भेष बदल कर और अरिष्ठनेमि नाम के छद्मनाम से महाराज विराट की राजधानी उपपलव्य की घुड़शाला में शाही घोड़ों की देखभाल करने वाले सेवक के रूप में रहा था। वह अपनी तलवारबाज़ी और घुड़सवारी की कला के लिए भी विख्यात था। अनुश्रुति के अनुसार, वह बारिश में बिना जल को छुए घुड़सवारी कर सकता था।
वैसे तो शाहजहाँ कालीन गृहयुद्ध तथा शिवाजी के उन्नयन से फैली अनिशिचतता ने कंपनी को स्पष्ट कर दिया था कि व्यापारिक सुरक्षा के लिए शक्तिसंचय आवश्यक है, लेकिन उनकी साम्राज्यवादी धारणा का प्रथम प्रस्फुटन 1688 में हुआ, जब कंपनी ने प्रसिद्ध प्रस्ताव पास किया कि ""हमारी लगान वृद्धि पर ध्यान देना उतना ही आवश्यक है जितना कि व्यवसाय पर; वही हमारी सेना का पालन करेगी, जब बीसियों दुर्घटनाएँ हमारे व्यवसाय में बाधा डालेंगी, वही भारत में हमें राष्ट्र का रूप देगी। उसके बगैर हम केवल बहुसंख्यक अनधिकारी प्रवेशक मात्र ही रहेंगे...किंतु, उनकी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा तब असामयिक प्रमाणित हुई जब वे मुगल राज्य से दंडित और अनादृत हुए। उनका संकट तीव्र था, यदि मुगल राज्य द्वारा उनकी पुन:स्थापना न हुई होती। परिस्थिति ने उन्हें फिर शांतिप्रिय बना दिया। 1717 में मुगल सम्राट् द्वारा कंपनी के सूरमान दूतमंडल को बड़े महत्वपूर्ण व्यावसायिक अधिकार प्राप्त हुए।
कुण्डलिया मात्रिक छंद है। दो दोहों के बीच एक रोला मिला कर कुण्डलिया बनती है। पहले दोहे का अंतिम चरण ही रोले का प्रथम चरण होता है तथा जिस शब्द से कुण्डलिया का आरम्भ होता है, उसी शब्द से कुण्डलिया समाप्त भी होता है। उदाहरण -
इस मंदिर के उद्गम से जुड़ी परंपरागत कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित मूल मूर्ति, एक अंजीर वृक्ष के नीचे मिली थी। यह इतनी चकचौंध करने वाली थी, कि धर्म ने इसे पृथ्वी के नीचे छुपाना चाहा। मालवा नरेश इंद्रद्युम्न को स्वप्न में यही मूति दिखाई दी थी। तब उसने कड़ी तपस्या की, और तब भगवान विष्णु ने उसे बताया कि वह पुरी के समुद्र तट पर जाये, और उसे एक दारु (लकड़ी) का लठ्ठा मिलेगा। उसी लकड़ी से वह मूर्ति का निर्माण कराये। राजा ने ऐसा ही किया, और उसे लकड़ी का लठ्ठा मिल भी गया। उसके बाद राजा को विष्णु और विश्वकर्मा बढ़ई कारीगर और मूर्तिकार के रूप में उसके सामने उपस्थित हुए। किंतु उन्होंने यह शर्त रखी, कि वे एक माह में मूर्ति तैयार कर देंगे, परन्तु तब तक वह एक कमरे में बंद रहेंगे, और राजा या कोई भी उस कमरे के अंदर नहीं आये। माह के अंतिम दिन जब कई दिनों तक कोई भी आवाज नहीं आयी, तो उत्सुकता वश राजा ने कमरे में झांका, और वह वृद्ध कारीगर द्वार खोलकर बाहर आ गया, और राजा से कहा, कि मूर्तियां अभी अपूर्ण हैं, उनके हाथ अभी नहीं बने थे। राजा के अफसोस करने पर, मूर्तिकार ने बताया, कि यह सब दैववश हुआ है, और यह मूर्तियां ऐसे ही स्थापित होकर पूजी जायेंगीं। तब वही तीनों जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां मंदिर में स्थापित की गयीं। [८].
इस युग के कवियों में हातिफी जामी है, जो प्रसिद्ध कवि जामी का भांजा था। उसने लैली व मजनूँ तथा खुसरू व शीरीं नामक मसनवियाँ तथा एक अन्य युद्ध काव्य तैमूरनामा भी लिखा है, जिसमें तैमूर की विजयों का वर्णन है। फिरदौसी की बहुतों ने नकल की है पर उन सब में तैमूरनामा को अच्छी सफलता मिली। हातिफी का समकालीन कवि फ़िगानी था। यह पहले सुलतान हुसेन के दरबार में था, पर द्वेषियों के कारण तव्रेज चला गया, जहाँ इसका सम्मान हुआ और इसे "बाबाए शुअरा" (कवियों का पितामह) की पदवी मिली। फ़िग़ानी की विशेषता यह है कि इससे अपने शेरों में नई नई उपमाएँ तथा शैलियाँ प्रयुक्त कीं। ग़ज़ल में भी अच्छी कुशलता रखता था, जिससे यह छोटा हाफिज कहलाता था। सन् 1516 या 19 ई. में इसकी मृत्य हुई।
८-मुंशी प्रेमचंद का मोटॅ राम का सत्याग्रह,रूपान्तर- ह्बीब तनवीर और सफ़दर हाशमी
कसारागोड या कासरगोड या कासरगोडे या कासरकोडे भारतीय राज्य केरल का एक जिला है ।
कृष्णभक्ति शाखा के अंतर्गत लीला-पुरुषोत्तम का गान रहा तो रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि तुलसीदास ने मर्यादा-पुरुषोत्तम का ध्यान करना चाहा। इसलिए आपने रामचंद्र को आराध्य माना और 'रामचरित मानस' द्वारा राम-कथा को घर-घर में पहुंचा दिया। तुलसीदास हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। समन्वयवादी तुलसीदास में लोकनायक के सब गुण मौजूद थे। आपकी पावन और मधुर वाणी ने जनता के तमाम स्तरों को राममय कर दिया। उस समय प्रचलित तमाम भाषाओं और छंदों में आपने रामकथा लिख दी। जन-समाज के उत्थान में आपने सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य किया है। इस शाखा में अन्य कोई कवि तुलसीदास के सम।न उल्लेखनीय नहीं है तथापि अग्रदास, नाभादास तथा प्राण चन्द चौहान भी इस श्रेणी में आते हैं।
जाऋवी पश्चिमेऽत्रापि पाशपाणिर्गणेश्वर:।। [२४]
धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर ग्रेट हिमालयन रेंज और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के मध्य स्थित है। यहां की नैसर्गिक छटा हर मौसम में एक अलग रूप लिए नजर आती है। गर्मी में यहां हरियाली का आंचल फैला दिखता है, तो सेबों का मौसम आते ही लाल सेब बागान में झूलते नजर आने लगते हैं। सर्दियों में हर तरफ बर्फकी चादर फैलने लगती है और पतझड शुरू होते ही जर्द चिनार का सुनहरा सौंदर्य मन मोहने लगता है। पर्यटकों को सम्मोहित करने के लिए यहां बहुत कुछ है। शायद इसी कारण देश-विदेश के पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं। वैसे प्रसिद्ध लेखक थॉमस मूर की पुस्तक लैला रूख ने कश्मीर की ऐसी ही खूबियों का परिचय पूरे विश्व से कराया था।
गांधी जी ने अपना जीवन सत्य (truth), या सच्चाई (Satya)की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने करने के लिए अपनी स्वयं की गल्तियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की। उन्होंने अपनी आत्मकथा को द स्टोरी ऑफ़ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ (The Story of My Experiments with Truth) का नाम दिया।
Security along Goa's coastline a matter of cencern: [१]
पूरु कुल के राजा।
रंगायन
भारतीय जनता पार्टी संघ परिवार नामक वटवृक्ष की प्रमुख शाखा के रूप में उभर कर सामने आई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इसके प्रतिपक्षियों द्वारा साम्प्रदायिक प्रतिक्रियावादी तथा न जाने क्या क्या कहा जाता रहा है। उन्हें बदनाम करने के उद्देश्य से जितना भी कीचड़ उछाला गया, संघ परिवार इन सबकी परवाह किए बिना निरंतर प्रगति पथ पर बढ़ता ही चला गया। संगठन व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र को राष्ट्रीय एकता, अखण्डता और राष्ट्रीय चेतना का मूलमंत्र मानते हुए सफलता की दूरवर्ती ऊंचाईयों तक पहुंचा है। आज यह संगठन अपने उत्कर्ष पर पहुंच चुका है। अब तो इसके पुराने समय से चले आ रहे विरोधी आलोचक भी यह मानने को विवश हो गए हैं कि भाजपा का कोई विकल्प नहीं और इसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
(म्यांमार) जो आर्य एवं चीनी भाषा परिवार के बीच में तिब्बती-ब्राह्मी नाम से प्रसिद्ध है। तिब्बती-ब्राह्मी भाषापरिवार में भी बर्मी शाखा एवं तिब्बती शाखा - ये प्रकार हैं। बर्मी भाषा में चीनी भाषा की तरह कुछ शब्द अयोगात्मक भी होते हैं तथा आर्यभाषाओं की तरह उसमें कुछ शब्द योगात्मक भी होते हैं।
मालदीव का मौसम दक्षिण एशिया के उत्तर में बड़े भूमि के ढेर से प्रभावित होता है. इस भूमि के ढेर की उपस्थिति भूमि और जल के अंतर तापक का कारण बनता है. यह तत्त्व हिंद महासागर से दक्षिण एशिया के ऊपर नमी से भरपूर हवा अचल करते हैं जिसके परिणामस्वरूप दक्षिण पश्चिम मानसून आता है. दो ऋतु मालदीव के मौसम को प्रभावित करती हैं: पूर्वोत्तर मानसून से जुडी शुष्क ऋतु और बरसात ऋतु जो गर्मियों में दक्षिण पश्चिम मानसून के द्वारा लाई जाती है. मालदीव में गीला दक्षिण पश्चिम मानसून अप्रैल के अंत से अक्टूबर के अंत तक रहता है और तेज हवा और तूफान लाता है. नम दक्षिण पश्चिम मानसून से शुष्क पूर्वोत्तर मानसून में बदलाव अक्टूबर और नवंबर के दौरान होता है. इस अवधि के दौरान पूर्वोत्तर हवा पूर्वोत्तर मानसून की उत्पत्ति करने में योगदान देती हैं जो दिसंबर की शुरुआत में मालदीव पहुँचता है और मार्च के अंत तक वहा रहता है. हालांकि, मालदीव के मौसम का पैटर्न हमेशा दक्षिण एशिया के मानसून पैटर्न के अनुरूप नहीं रहता. वार्षिक औसत वर्षा उत्तर में 2,540 मिलीमीटर और दक्षिण में 3,810 मिलीमीटर रहती है.[उद्धरण वांछित]
ओड़िआ उड़िया या ओडिया (ଓଡ଼ିଆ, oṛiā ओड़िआ) भारत के ओड़िशा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। यह यहाँ के राज्य सरकार की राजभाषा भी है। भाषाई परिवार के तौर पर ओड़िआ एक आर्य भाषा है और नेपाली, बांग्ला, असमिया और मैथिली से इसका निकट संबंध है। ओड़िसा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में उड़िया शब्द का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप "ओड़िया" होना चाहिए। इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं : ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा। सबसे पहले भरत के नाट्यशास्त्र में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता है:
डॉ. एम. एस. विनयचंद्रन
पार्श्विक एवं लुंठित ध्वनियां - ये ध्वनियां क्रमशः /ई/ एवं /र्/ दोनों हिन्दी के दो स्वतन्त्र स्वनिम हैं जिनके लिए देवनागरी लिपि मे ल एवं र लिपि चिन्हों का प्रयोग होता है। लुंठित ध्वनि के साथ व्यतिरेक दिखाते हुए उत्क्षिप्त ध्वनियां ड़ /र्/ एवं इसका महाप्राण रूप ढ़ /र्ह्/ भी दो भिन्न स्वनिम हैं। ये दोनों ध्वनियां और मूर्धन्य नासिक्य व्यंजन ण शब्दों के शुरू में प्रयोग नहीं किए जाते।
वैदिक काल में ग़ाज़ीपुर घने वनों से ढाका था तथा उस समय यहाँ कई संतों के आश्रम थे | इस स्थान का सम्बन्ध रामायण से भी है | कहा जाता कि महर्षि परशुराम के पिता जमदग्नि यहाँ रहते थे | प्रसिद्ध गौतम महर्षि तथा च्यवन ने यहीं शिक्षा प्राप्त की | भगवान् बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन सारनाथ में दिया था जोकि यहाँ से अधिक दूर नहीं है | बहुत से स्तूप उस काल के प्रमाण हैं | ग़ाज़ीपुर सल्तनत काल से मुग़ल काल तक एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र था |
नक्षत्र मण्डल से एक लाख योजन ऊपर बुद्ध मण्डल है।
यह प्रदेश पाकिस्तान के सबसे कम आबाद इलाकों में से एक है ।
डा. एनी बेसेन्ट (Dr. Annie Wood Besant) का जन्म लन्दन शहर में १८४७ में हुआ। इनके पिता अंग्रेज थे। पिता पेशे से डाक्टर थे। पिता की डाक्टरी पेशे से अलग गणित एवं दर्शन में गहरी रूचि थी। इनकी माता एक आदर्श आयरिस महिला थीं। डा. बेसेन्ट के ऊपर इनके माता पिता के धार्मिक विचारों का गहरा प्रभाव था। अपने पिता की मृत्यु के समय डा. बेसेन्ट मात्र पाँच वर्ष की थी। पिता की मृत्यु के बाद धनाभाव के कारण इनकी माता इन्हें हैरो ले गई। वहाँ मिस मेरियट के संरक्षण में इन्होंने शिक्षा प्राप्त की। मिस मेरियट इन्हें अल्पायु में ही फ्रांस तथा जर्मनी ले गई तथा उन देशों की भाषा सीखीं। १७ वर्ष की आयु में अपनी माँ के पास वापस आ गईं। युवावस्था में इनका परिचय एक युवा पादरी से हुआ और १८६७ में उसी रेवरेण्ड फ्रैंक से एनी बुड का विवाह भी हो गया। पति के विचारों से असमानता के कारण दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रहा। संकुचित विचारों वाला पति असाधारण व्यक्तित्व सम्पन्न स्वतंत्र विचारों वाली आत्म-विश्वासी महिला को साथ नहीं रख सके। १८७० तक वे दो बच्चों की माँ बन चुकी थीं। ईश्वर, बाइबिल और ईसाई धर्म पर से उनकी आस्था डिग गई। पादरी-पति और पत्नी का परस्पर निर्वाह कठिन हो गया और अन्ततोगत्वा १८७४ में सम्बन्ध-विच्छेद हो गया।। तलाक के पश्चात् एनी बेसेन्ट को गम्भीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा और उन्हें स्वतंत्र विचार सम्बन्धी लेख लिखकर धनोपार्जन करना पड़ा।
सैनिक प्रबन्ध का सर्वोच्च अधिकारी अन्तपाल कहलाता था । यह सीमान्त क्षेत्रों का भी व्यवस्थापक होता था । मेगस्थनीज के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना छः लाख पैदल, पचास हजार अश्‍वारोही, नौ हजार हाथी तथा आठ सौ रथों से सुसज्जित अजेय सैनिक थे ।
16 गोरखदत्त गोष्ठी (ग्यान दीपबोध)
हनुमान के पिता सुमेरू पर्वत के राजा केसरी थे तथा माता का नाम अंजना था।
ढोल, ढोलक या ढोलकी भारतीय वाद्य-यंत्र है। ये हाथ या छडी से बजाए जाने वाले छोटे नगाड़े हैं जो मुख्य रूप से लोक संगीत या भक्ति संगीत को ताल देने के काम आते हैं। होली के गीतो में ढोलक का जमकर प्रयोग होता है। ढोलक और ढोलकी को अधिकतर हाथ से बजाया जाता है जबकि ढोल को अलग अलग तरह की छड़ियों से। ढोलक आम, बीजा, शीशम, सागौन या नीम की लकड़ी से बनाई जाती है। लकड़ी को पोला करके दोनों मुखों पर बकरे की खाल डोरियों से कसी रहती है। डोरी में छल्ले रहते हैं, जो ढोलक का स्वर मिलाने में काम आते हैं। यह गायन व नृत्य के साथ बजायी जाती है। यह एक प्रमुख ताल वाद्य है।
प्रेमचंद की कीर्ति उनके बारह-तेरह उपन्यासों एवं प्रायः तीन सौ कहानियों के कारण है.[४६]
उल्लेखनीय है कि विदेह राजतन्त्र से बदलकर (छठीं शती में) गणतन्त्र हो गया था । यही बाद में लिच्छवी संघ के नाम से विख्यात हुआ ।
डेल्फी का हिप्पोड्रोम (hippodrome) वह स्थान था, जहां पाइथियन गेम्स के दौरान दौड़ की प्रतियोगितायें आयोजित होतीं थीं. इसके कोई चिह्न नहीं मिले हैं, लेकिन स्टेडियम की अवस्थिति तथा बची हुई दीवारों के कुछ अवशेषों से यह निष्कर्ष निकला है कि इसे शहर के मुख्य भाग से अलग और अपोलो के पेरिबोलोस (Peribolos) से पर्याप्त दूरी पर स्थित एक मैदान पर बनाया गया था (मिलर, 101)
कार्यक्रम की अवधि 2 साल और 4 महीने तक है. विश्वविद्यालय के छात्रों को से यह अपेक्षित होगा कि वह प्रमुख पत्रिकाओं में कारोबार/ प्रबंधन में अपने अनुसंधान को प्रकाशित करें और कक्षाओं और अनुसंधान में संकाय की मदद करें. स्कूल योग्य लड़कों को शीर्ष बिजनेस स्कूलों में कुछ सेमेस्टर व्यतीत करने का अवसर भी प्रदान करता है.
यहाँ पर मानव बसाव ईसा के 4000 साल पहले से रहा है। महाभारत तथा अन्य भारतीय ग्रंथों में वर्णित महाजनपद कम्बोज तथा परम कम्बोज का स्थल यहीं माना जाता है। ईरान के हख़ामनी शासन में सम्मिलित किए जाने के समय यहाँ बौद्ध धर्म भी आया था। इसी समय बेबीलोनिया से कुछ यहूदी भी यहाँ आकर बसे थे । सिकन्दर के आक्रमण के समय यह प्रदेश बचा रहा। चीन के हान वंश से भी इनके कूटनीतिक सम्बन्ध थे।
अपोलो अपनी ऑरेकल के माध्यम से संदेश दिया करते थे: डेल्फी स्थित ऑरेकल की सिबिल या पुजारिन को पाइथिया कहा जाता था; आवश्यक रूप से वह उस क्षेत्र के किसानों के बीच से चुनी गई एक ऐसी बूढ़ी महिला होती थी, जिसका जीवन बेदाग़ रहा हो. वह पृथ्वी में बने एक छिद्र के ऊपर पर तिपाई पर बैठा करती थी. दन्तकथा के अनुसार, जब अपोलो ने अजगर का वध किया, तो उसका शरीर इस दरार में गिर गया और उसके जलते हुए शरीर से धुआं उठा. इस धुएं की चपेट में आकर सिबिल बेहोश हो गई, जिससे अपोलो ने उसकी आत्मा पर अधिकार कर लिया. इस अवस्था में उसने भविष्यवाणी की. ऐसा माना जाता रहा है कि इस छिद्र से एथिलीन की उच्च मात्रा वाली एक गैस निकली, जिसे भीषण बेहोशी उत्पन्न करने के लिये जाना जाता है, हालांकि यह सिद्धांत अभी भी विवादित बना हुआ है.[१७][१८] बेहोशी के दौरान पाइथिया ने “प्रलाप” – संभवतः समाधि-मग्न भाषण का एक रूप – किया और उनके प्रलाप-वचनों को मंदिर के पुजारियों द्वारा सहज हेक्ज़मेटर (hexameters) में उनका “अनुवाद” किया गया. लोग सार्वजनिक नीतियों से जुड़े महत्वपूर्ण मसलों से लेकर व्यक्तिगत मामलों तक प्रत्येक बात के लिये डेल्फी की ऑरेकल से परामर्श लिया करते थे. शीत-काल के महीनों में ऑरेकल से परामर्श नहीं लिया जा सकता है क्योंकि पारंपरिक रूप से यह वह समय था, जब अपोलो हाइपरबोरियाई लोगों (Hyperboreans) के बीच निवास किया करते थे. उनकी अनुपस्थिति में मंदिर में डायोनिसस (Dionysus) का निवास रहा करता था.[१९]
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१. यो विध्याच्चतुरो वेदान् साङ्गोपनिषदो द्विज:। न चाख्यातमिदं विद्य्यानैव स स्यादिचक्षण:।। २. अर्थशास्त्रमिदं प्रोक्तं धर्मशास्त्रमिदं महत् । कामाशास्त्रमिदं प्रोक्तं व्यासेना मितु बुद्धिना।। महा. आदि अ. २: २८-८३
              
3. बिल कहाँ प्रस्तावित हो
बरह आइऍमई बरह नामक भारतीय भाषी टाइपिंग सॉफ्टवेयर वालों का एक टाइपिंग औजार है। यह एक वर्चुअल कीबोर्ड है जो कि बिना कॉपी-पेस्ट के झंझट के विण्डोज़ में किसी भी ऍप्लीकेशन में सीधे हिन्दी में लिखने की सुविधा प्रदान करता है। पुराने संस्करणों में यह बरह के साथ ही बरह डायरॅक्ट नामक यूटिलिटी के नाम से आता था, बाद में इसकी लोकप्रियता को देखते हुए इसे एक अलग औजार के तौर पर उपलब्ध करवाया जाने लगा।
हमारे देश के ऋषि मुनियों ने भी पर्यटन को प्रथम महत्व दिया है। प्राचीन गुरुओं (ब्राह्मणों, ऋषि - तपस्वियों) ने भी यह कह कर कि "बिना पर्यटन मानव अन्धकार प्रेमी होकर रह जायेगा।" पाश्चात्य विद्वान् संत आगस्टिन ने तो यहाँ तक कह दिया कि "बिना विश्व दर्शन ज्ञान ही अधुरा है।" पंचतंत्र नामक भारतीय साहित्य दर्शन में कहा गया है "विधाक्तिम शिल्पं तावन्नाप्यनोती मानवः सम्यक यावद ब्रजति न भुमो देशा - देशांतर:।"
4 Pi
धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः ।
भक्तिकाल में अष्टछाप के कवि
अफ़ग़ानिस्तान में कुल ३४ प्रशासनिक विभाग हैं । इनके नाम हैं -
श्रीकृष्ण को किशोर वय होते न होते कंस उन्हें मरवा डालने का एक बार फिर षड्यंत्र रचकर मथुरा बुलवाता है, किंतु श्रीकृष्ण उसको उसके महाबली साथियों सहित मार डालते हैं। कंस शब्द का अर्थ और उसकी कथा भी संकेत करती है कि कंस देहासक्ति का मूर्तिमान रूप है, जो संभावित मृत्यु से बचने के लिए कितने ही कुत्सित कर्म करता है। मथुरा का शब्दार्थ है- 'विक्षुब्ध किया हुआ।' अतः मथुरा है देहासक्ति से विक्षुब्ध मन। श्रीकृष्ण का कंस वध करने के उपरांत द्वारिका में राज्य स्थापना करने का अर्थ है कि आत्मभाव में प्रवेश के पूर्व देहासक्ति की समाप्ति आवश्यक है।
साँचा:Western concert flutes
भारत में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के तौर पर विधायी कार्यों में भी हिस्सा लेता है।
1947 में भारत की आज़ादी के बाद व्यवस्थित रूप से औद्योगिक विकास पर काफी बल दिया गया जो भारी उद्योगों पर केन्द्रित थी और जिसके लिये खनिजों की खुदाई एक जरूरी हिस्सा थी। समाजवादी सरकारी नीति के तहत भारत सरकार द्वारा आदिवासियों की जमीनें बगैर उचित मुआवज़े के अन्य हाथों में जाने लगीं। दूसरी तरफ़ सरकार का यह भी मानना था कि चूँकि वहाँ की जमीन बहुत उपजाऊ नही है इसलिये वहाँ औद्योगीकरण न सिर्फ़ राष्ट्रीय हित के लिये आवश्यक है बल्कि स्थानीय विकास के लिये भी जरूरी है। लेकिन औद्योगीकरण का नतीजा हुआ कि वहाँ बाहरी लोगों का दखल और भी बढ गया और बड़ी सँख्या में लोग कारखानों में काम के लिये वहाँ आने लगे। इससे वहाँ स्थानीय लोगों में असंतोष की भावना उभरने लगी और उन्हें लगा कि उनके साथ नौकरियों में भेद-भाव किया जा रहा है। 1971 में बनी राष्ट्रीय खनन नीति इसी का परिणाम थी।
प्रत्येक प्रसिद्ध भारतीय दर्शन इसी दर्शनमार्ग का एक-एक विश्रामस्थान है। प्रत्येक विश्रामस्थान से स्वतंत्र रूप में परमतत्व की खोज की गई है। अतएव एक दर्शन दूसरे दर्शन से भिन्न भी है। दृष्टिकोण के भेद से परस्पर भेद होना स्वाभाविक है, किंतु इनमें परस्पर वैमनस्य नहीं है। कोरक से क्रमश: विकसित फूल के समान सोपान की क्रमिक बढ़ती हुई परंपरा में लक्ष्य की तरफ जाते हुए दर्शनों में एक आगे है, और एक पीछे है। सभी एक ही पथ के पथिक है।
औरंगज़ेब के शासनभर युद्ध-विद्रोह-दमन-चढ़ाई इत्यादि का तांता लगा रहा । पश्चिम में सिक्खों की संख्या और शक्ति में बढ़ोत्तरी हो रही थी । दक्षिण में बीजापुर और गोलकुंडा को अंततः उसने हरा तो दिया पर इस बीच शिवाजी की मराठा सेना ने उनको नाक में दम कर दिया । शिवाजी को औरंगज़ेब ने गिरफ़्तार कर तो लिया पर शिवाजी और सम्भाजी के भाग निकलने पर उसके लिए शदीद फ़िक्र का सबब बन गया । शिवाजी की मृत्यु के बाद भी मराठों ने औरंग़जेब को परेशान किया।
जनसंख्या : पूर्व ऐतिहासिक काल में यहाँ की जनसंख्या बहुत कम थी। जनवृद्धि का अनुपात द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले पर्याप्त ऊँचा था (1931 ई. में वार्षिक वृद्धि 0.87 प्रति शत थी)।
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5. मैथिलीशरण गुप्त - साकेत
समुद्री तूफ़ान - को जापानी में सूनामी बोलते हैं, यानी बन्दरगाह के निकट की लहर। दरअसल ये बहुत लम्बी - यानी सैकड़ों किलोमीटर चौड़ाई वाली लहरें होती हैं, यानी कि लहरों के निचले हिस्सों के बीच का फ़ासला सैकड़ों किलोमीटर का होता है। पर जब ये तट के पास आती हैं, तो लहरों का निचला हिस्सा ज़मीन को छूने लगता है,- इनकी गति कम हो जाती है, और ऊँचाई बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में जब ये तट से टक्कर मारती हैं तो तबाही होती है। गति 400 किलोमीटर प्रति घण्टा तक, और ऊँचाई 10 से 17 मीटर तक। यानी खारे पानी की चलती दीवार। अक्सर समुद्री भूकम्पों की वजह से ये तूफ़ान पैदा होते हैं। प्रशान्त महासागर में बहुत आम हैं, पर बंगाल की खाड़ी, हिन्द महासागर व अरब सागर में नहीं। इसीलिए शायद भारतीय भाषाओं में इनके लिए विशिष्ट नाम नहीं है।
अफ्रीका का देश।
यह भारत में हिन्दी धार्मिक पुस्तकों के सबसे बड़े प्रकाशक हैं ।
1853 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
बंगाल की गवर्नरी से पहले उसने कं पनी के भत्ते के संबंध में नए कानून बनाए थे मगर वे कार्यवित न हो सके थे। क्लाइव ने बंगाल पहुंचते ही इस कानून को जारी किया। इस कानून के अनुसार सैनिक अफसरों को बंगाल और बिहार में उसी समय भत्ता मिल सकता था जब वे छावनी से बाहर हों। केवल मुंगेर और पटना केंद्र में रहने वाले अफसरों को भत्ता मिलता था। इस प्रकार एक अफसर को तीन, छह और बारह रूपए प्रति दिन भत्ता मिलता था। सिविल अफसरों की भाँति जब सैनिक अफसरों ने भी इस कानून के विरोध में नौकरी से इस्तीफा देने की ठानी तब क्लाइव ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया और उसके स्थान पर मद्रास से बुलाकर अफसर रखे। जो लोग विद्रोह पर तैयार हुए उन्हें दबा दिया। मीनजाफर ने अपनी वसीयत में ७० हजार पौंड क्लाइव के लिये लिखे थे। उनको क्लाइव ने उन लोगों के नाम कर दिया जो युद्ध में घायल हुए थे।
माहिम से दृश्य
सिसोदिया रानी के बाग में फव्वारों, पानी की नहरों, व चित्रित मंडपों के साथ पंक्तिबद्ध बहुस्तरीय बगीचे हैं व बैठकों के कमरे हैं। अन्य बगीचों में, विद्याधर का बाग बहुत ही अच्छे ढ़ग से संरक्षित बाग है, इसमें घने वृक्ष, बहता पानी व खुले मंडप हैं। इसे शहर के नियोजक विद्याधर ने निर्मित किया था।
त्रिशूल प्रक्षेपास्त्र भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, ज़मीन से हवा में मध्यम दूरी तक मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।
पटना को केन्द्रीय बिहार के मिष्ठान्नों तथा मीठे पकवानों के लिए भी जाना जाता है । इनमें खाजा, मावे का लड्डू,मोतीचूर के लड्डू, काला जामुन, केसरिया पेड़ा, परवल की मिठाई, खुबी की लाई और चना मर्की का नाम लिया जा सकता है । इन पकवानो का मूल इनके सम्बन्धित शहर हैं जो कि पटना के निकट हैं, जैसे कि सिलाव का खाजा, बाढ का मावे का लाई,मनेर का लड्डू, विक्रम का काला जामुन, गया का केसरिया पेड़ा, बख्तियारपुर का खुबी की लाई (???) का चना मर्की, बिहिया की पूरी इत्यादि उल्लेखनीय है । हलवाईयों के वंशज, पटना के नगरीय क्षेत्र में बड़ी संख्या में बस गए इस कारण से यहां नगर में ही अच्छे पकवान तथा मिठाईयां उपलब्ध हो जाते हैं । बंगाली मिठाईयों से, जोकि प्रायः चाशनी में डूबे रहते हैं, भिन्न यहां के पकवान प्रायः सूखे रहते हैं ।
विस्ता पिछले ऑपरेटिंग सिस्टम्स की तुलना में अधिक तेजी से खुलता और बंद होता है। स्टार्ट अप और शट डाउन प्रक्रियाएं पांच से दस सैकंड में पूरी हो जाती हैं। हालांकि इसमें विस्ता के अपेक्षाकृत बेहतर हार्डवेयर का भी योगदान है लेकिन खुद ऑपरेटिंग सिस्टम के कोड में भी इसके लिए विशेष प्रयास किया गया है। विस्ता की तेजी का कारण उसकी मेमरी के प्रबंधन की न तकनीक भी है जो अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले अनुप्रयोगों को पहले से ही लोडिंग के लिए तैयार रखती है। इसे 'मेमरी फेच' कहा जाता है।
हँसी की मिठास, वाणी की मिठास,
६) ब्रह्माण्ड शब्द जहाँ ब्रह्माण्ड को किसी तन्त्र की कार्यकारी इकाई के रुप में प्रस्तुत करता है, वहीं यूनवर्स शब्द यूनवर्स की ही कार्य प्रणाली समझने में असमर्थ है।
हमारे धर्माचार्यो ने अन्नप्राशन के लिये जन्म से छठे महीने को उपयुक्त माना है। छठे मास में शुभ नक्षत्र एवं शुभ दिन देखकर यह संस्कार करना चाहिए। खीर और मिठाई से शिशु के अन्नग्रहण को शुभ माना गया है। अमृत: क्षीरभोजनम् हमारे शास्त्रों में खीर को अमृत के समान उत्तम माना गया है।
उत्तर 24 परगना भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है ।
एंटीक्लॉकवाइज़ (जिसे अंग्रेज़ी लघुरूप में CCW भि लिखते हैं) दिशा वह होती है, जो कि घड़ी की सुइयों की दिशा के विपरीत क्रिया होती है।
1507-1643  Sohar
1952 से 2008 तक, पंजीकृत लोकतन्त्रियों के बहुमत होने के बावजूद राज्य ने 1964, 1976, 1996, और 2008 के चुनाव को छोड़कर हर चुनाव में रिपब्लिकन (प्रजातंत्रवादी) राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए वोट दिया. पुनर्निर्माण के बाद पहले रिपब्लिकन कांग्रेस प्रतिनिधि 1954 में चुने गए.[५५] पुनर्निर्माण के बाद राज्य के पहले रिपब्लिकन सीनेटर 1968 में चुने गए,[५६] और उसके दो साल बाद पहले रिपब्लिकन गवर्नर.[५७]
कर्मांशाह (Persian: كرمانشاه; Kurdish: Kirmaşan) एक प्रांत हैं ईरान म |
नब्बे के दशक के आखिर में, राष्ट्रपति नारायणन ने राष्ट्र को समझाने का महत्वपूर्ण अभ्यास शुरू किया (राष्ट्रपति भवन के माध्यम से), एक सोच जो विवेकाधीन शक्तियाँ के इस्तेमाल के दौरान विभिन्न निर्णय में नेतृत्व बना; इसने राष्ट्रपति के कामकाज में खुलेपन और पारदर्शिता के लिए नेतृत्व किया है.
राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी है.[९०]अपनी खुद की विशेष उच्चारण गुण और शब्द संग्रह(जिसमे कुछ ने अपने लिए अंग्रेजी की राह खोज ली) के साथ ऑस्ट्रेलियाई अंग्रेजी भाषा का एक मुख्य प्रकार है,लेकिन अमेरिकन या ब्रिटिश अंग्रेजी से आंतरिक बोली भिन्नता में कम(छोटे क्षेत्रीय उच्चारण और शाब्दिक विविधता को छोड़कर)है.व्याकरण और वर्तनी मुख्यत: ब्रिटिश अंग्रेजी पर आधारित है.2001 की गणना के अनुसार स्वदेश की करीब 80% जनसंख्या द्वारा सिर्फ अंग्रेजी भाषा बोली जाती है.दूसरे सामान्य जो भाषा घर में बोली जाती है वह है चीनी(2.1%), इटालियन(1.9%), और ग्रीक(1.4%).पहली और दूसरी पीढ़ी के प्रवासियों का एक उल्लेखनीय अनुपात द्विभाषिक है.ऐसा माना जाता है कि पहले यूरोपियन सम्पर्क के समय,ऑस्ट्रेलियाई प्राचीन भाषाएं 200 से 300 के बीच थी.इनमे से सिर्फ 70 के करीब ही बच पाए और उनमें से 20 अब खतरे में है.एक स्वदेशी भाषा 50,000(0.25%) लोगों की मुख्य भाषा अभी भी बनी हुई है.ऑस्ट्रेलिया के पास एक चिन्ह भाषा है जिसे असलन के नाम से जाना जाता है, जो करीब 6500 बहरे लोगों की मुख्य भाषा है.
सुन्दरलाल बहुगुणा के अनुसार पेड़ों को काटने की अपेक्षा उन्हें लगाना अति महत्वपूर्ण है ।बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड आफ नेचर नामक संस्था ने १९८० में इनको पुरस्कृत भी किया । इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।
तात्या टोपे भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख सेनानायक थे। सन १८५७ के महान विद्रोह में उनकी भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। तात्या का जन्म महाराष्ट्र में नासिक के निकट पटौदा जिले के येवला नामक गाँव में एक देशस्थ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पाण्डुरंग राव भट्ट़ (मावलेकर), पेशवा बाजीराव द्वितीय के घरू कर्मचारियों में से थे। बाजीराव के प्रति स्वामिभक्त होने के कारण वे बाजीराव के साथ सन् १८१८ में बिठूर चले गये थे। तात्या का वास्तविक नाम रामचंद्र पाण्डुरग राव था, परंतु लोग स्नेह से उन्हें तात्या के नाम से पुकारते थे। तात्या का जन्म सन् १८१४ माना जाता है। अपने आठ भाई-बहनों में तात्या सबसे बडे थे।
मेल- abhivyaktisrc@hotmail.com
आर्यभट्ट ने आसन्न (निकट पहुंचना), पिछले शब्द के ठीक पहले आने वाला, शब्द की व्याख्या की व्याख्या करते हुए कहा है कि यह न केवल एक सन्निकटन है, वरन यह कि मूल्य अतुलनीय(या इर्रेशनल) है. यदि यह सही है, तो यह एक अत्यन्त परिष्कृत दृष्टिकोण है, क्योंकि यूरोप में पाइ की तर्कहीनता का सिद्धांत लैम्बर्ट द्वारा केवल १७६१ में ही सिद्ध हो पाया था.[७]
उन्नीसवीं शताब्दी के इन 25 वर्षों का आदर्श भारतेंदु की पत्रकारिता थी। "कविवचनसुधा" (1867), "हरिश्चंद्र मैगजीन" (1874), श्री हरिश्चंद्र चंद्रिका" (1874), बालबोधिनी (स्त्रीजन की पत्रिक, 1874) के रूप में भारतेंदु ने इस दिशा में पथप्रदर्शन किया था। उनकी टीकाटिप्पणियों से अधिकरी तक घबराते थे और "कविवचनसुधा" के "पंच" पर रुष्ट होकर काशी के मजिस्ट्रेट ने भारतेंदु के पत्रों को शिक्षा विभाग के लिए लेना भी बंद करा दिया था। इसमें संदेह नहीं कि पत्रकारिता के क्षेत्र भी भारतेंदु पूर्णतया निर्भीक थे और उन्होंने नए नए पत्रों के लिए प्रोत्साहन दिया। "हिंदी प्रदीप", "भारतजीवन" आदि अनेक पत्रों का नामकरण भी उन्होंने ही किया था। उनके युग के सभी पत्रकार उन्हें अग्रणी मानते थे।
तुळु ब्राह्मणों की बोलनेवाली शैली।
प्रथम कदम अन्न वृद्धि के लिए है । आहार स्वास्थ्यवर्धक हो, घर में चटोरेपन को कोई स्थान न मिले । रसोई में जो बने, वह ऐसा हो कि स्वास्थ्य रक्षा का प्रयोजन पूरा करे, भले ही वह स्वादिष्ट न हो । अन्न का उत्पादन, अन्न की रक्षा, अन्न का सदुपयोग जो कर सकता है, वही सफल गृहस्थ है । अधिक पका लेना, जूठन छोड़ना, बतर्न खुले रखकर अन्न की चूहों से बबार्दी कराना, मिचर्-मसालो की भरमार उसे तमोगुणी बना देना, स्वच्छता का ध्यान न रखना, आदि बातों से आहार पर बहुत खर्च करते हुए भी स्वास्थ्य नष्ट होता है, इसलिए दाम्पत्य जीवन का उत्तरदायित्व यह है कि आहार की सात्त्विकता का समुचित ध्यान रखा जाए ।
वेदवती देवी लक्ष्मी कि एक अवतार थी। सीता माता देवी वेदवती का ही पुनर्जन्म था।
ज्ञानमीमांसा ने आधुनिक काल में विचारकों का ध्यान आकृष्ट किया। पहले दर्शन को प्राय: तत्वज्ञान (मेटाफिजिक्स) के अर्थ में ही लिया जाता था। दार्शनिकों का लक्ष्य समग्र की व्यवस्था का पता लगाना था। जब कभी प्रतीत हुआ कि इस अन्वेषण में मनुष्य की बुद्धि आगे जा नहीं सकती, तो कुछ गौण सिद्धांत विवेचन के विषय बने। यूनान में, सुकरात, प्लेटो और अरस्तू के बाद तथा जर्मनी में कांट और हेगल के बाद ऐसा हुआ। यथार्थवाद और संदेहवाद ऐसे ही सिद्धांत हैं। इस तरह दार्शनिक विवेचन में जिन विषयों पर विशेष रूप से विचार होता रहा है, वे ये हैं-
अन्य भाषाओं में अनुवाद
पंजाब में दशहरा नवरात्रि के नौ दिन का उपवास रखकर मनाते हैं। इस दौरान यहां आगंतुकों का स्वागत पारंपरिक मिठाई और उपहारों से किया जाता है। यहां भी रावण-दहन के आयोजन होते हैं, व मैदानों में मेले लगते हैं।
इसलिए लोग अपने घर के चारों ओर फूल उगाते हैं, अपना बैठक का कमरे का पुरा भाग पुष्प उद्यान (flower garden) के लिए समर्पित कर देते हैं, जंगली फूलों को चुनते हैं नही तो फूलवाले (florist) से फूल खरीदते हैं जो की व्यावसायिक उत्पादको और जहाजियों पर पूर्ण रूप से निर्भर करता है.
{{Khet Bangkok}} {{Provinces of Thailand}} साँचा:List of Asian capitals by region साँचा:World's most populated urban areas निर्देशांक: 13°45′N 100°29′E / 13.75, 100.483
देवनागरी लिपि में हिन्दी की ध्वनियाँ इस प्रकार हैं :
लोकसभा के कम से कम 1/10 सद्स्य एक प्रस्ताव लाते है जिसमे राष्ट्रीय आपातकाल को जारी न रखने
बाइजेंटाइन के सूत्रों के हवाले, लैकोनियन क्षेत्र के कुछ हिस्से 10वीं सदी ई.पू. तक बुत-परस्त ही बने रहे, और डोरिक भाषा-भाषी आबादी आज भी जकोनिया से बरकरार हैं. मध्य युग में, लैकोनिया का राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र पड़ोस में ही बसे मिस्त्रास में स्थानांतरित कर दिया गया. यूनान के राजा ओट्टो (King Otto) के एक फरमान के अनुसार, वर्ष 1834 में आधुनिक स्पर्ती की पुनर्स्थापना की गई.
1624-?   Madha
चुनाव और उप चुनावों में जनसंघ ने सकारात्मक भूमिका अदा की और जयप्रकाश नारायण के हाथ मजबूत किए जो भ्रष्टाचार के समापन तथा एक पार्टी शासन के विरूध्द उठ खड़े हुए थे। तत्कालीन भारतीय जनंसघ बिहार और गुजरात में जन आंदोलन में संलग्न रही और वहां सफल भूमिका अदा करने में कामयाब रही। जयप्रकाश नारायण ने ज़ोरदार शब्दों में यह बात कही कि यदि जनसंघ सम्प्रदायकारी है तो मैं भी सम्प्रदायवादी हूँ। विरोधी पार्टियां चुनाव तथा उप चुनावों में कामयाब रही। एक गूंज पूरे देश में उठी सिंहासन खाली करो, कि जनता आती है। बौखला कर श्रीमती इंदिरागांधाी ने इमरजेंसी की घोषणा कर दी और सैकड़ों उन लोगों को जिनका संबंध राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से था, जेल भिजवा दिया गया। लेकिन देश इस अग्नि परीक्षा के लिए तैयार था। वह संघ परिवार ही था जिसके 80 प्रतिशत से अधिक कार्यकर्ता इमरजेंसी में या तो जेलों में बंद थे या सत्याग्रह की तैयारी कर रहे थे।
श्रीशैलम (श्री सैलम नाम से भी जाना जाता है) नामक ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के पश्चिमी भाग में कुर्नूल जिले के नल्लामल्ला जंगलों के मध्य श्री सैलम पहाडी पर स्थित है। यहाँ शिव की आराधना मल्लिकार्जुन नाम से की जाती है। मंदिर का गर्भगृह बहुत छोटा है और एक समय में अधिक लोग नही जा सकते। इस कारण यहाँ दर्शन के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी होती है। स्कंद पुराण में श्री शैल काण्ड नाम का अध्याय है। इसमें उपरोक्त मंदिर का वर्णन है। इससे इस मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है। तमिल संतों ने भी प्राचीन काल से ही इसकी स्तुति गायी है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब इस मंदिर की यात्रा की, तब उन्होंने शिवनंद लहरी की रचना की थी। श्री शैलम का सन्दर्भ प्राचीन हिन्दू पुराणों और ग्रंथ महाभारत में भी आता है।
आधुनिक काल में, यह मंदिर काफी व्यस्त और सामाजिक एवं धार्मिक आयोजनों और प्रकार्यों में व्यस्त है। जगन्नाथ मंदिर का एक बड़ा आकर्षण यहां की रसोई है। यह रसोई भारत की सबसे बड़ी रसोई के रूप में जानी जाती है। इस विशाल रसोई में भगवान को चढाने वाले महाप्रसाद को तैयार करने के लिए ५०० रसोईए तथा उनके ३०० सहयोगी काम करते हैं।[१२]
एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था ।
गुरुकुल से विदाई लेने से पूर्व शिष्य का समावर्तन संस्कार होता था। इस संस्कार से पूर्व ब्रह्मचारी का केशान्त संस्कार होता था और फिर उसे स्नान कराया जाता था। यह स्नान समावर्तन संस्कार के तहत होता था। इसमें सुगन्धित पदार्थो एवं औषधादि युक्त जल से भरे हुए वेदी के उत्तर भाग में आठ घड़ों के जल से स्नान करने का विधान है। यह स्नान विशेष मन्त्रोच्चारण के साथ होता था। इसके बाद ब्रह्मचारी मेखला व दण्ड को छोड़ देता था जिसे यज्ञोपवीत के समय धारण कराया जाता था। इस संस्कार के बाद उसे विद्या स्नातक की उपाधि आचार्य देते थे। इस उपाधि से वह सगर्व गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने का अधिकारी समझा जाता था। सुन्दर वस्त्र व आभूषण धारण करता था तथा आचार्यो एवं गुरुजनों से आशीर्वाद ग्रहण कर अपने घर के लिये विदा होता था।
सुनीति कुमार चटर्जी (बांग्ला: সুনীতি কুমার চ্যাটার্জী) (26 अक्तूबर, 1890 - 29 मई, 1977) भारत के जानेमाने भाषाविद्, साहित्यकार तथा भारतीयविद्याशास्त्री के रुप में विश्वविख्यात व्यक्तित्व थे। वे एक लोकप्रिय कला-प्रेमी भी थे।
अकृतक त्रैलोक्य
आंध्र प्रदेश का मुख्य जातीय समूह तेलुगू लोग हैं, जो मुख्यतः आर्य और द्रविड की मिश्रित जाति से संबंधित हैं.
कैंसर (चिकित्सकीय पद: दुर्दम नियोप्लास्म) रोगों का एक वर्ग है जिसमें कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित वृद्धि (सामान्य सीमा से अधिक विभाजन), रोग आक्रमण (आस-पास के उतकों का विनाश और उन पर आक्रमण) और कभी कभी मेटास्टेसिस (लसिका या रक्त के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फ़ैल जाता है) प्रदर्शित करता है. कैंसर के ये तीन दुर्दम लक्षण इसे सौम्य गाँठ (ट्यूमर या अबुर्द) से विभेदित करते हैं, जो स्वयं सीमित हैं, आक्रामक नहीं हैं या मेटास्टेसिस प्रर्दशित नहीं करते हैं.अधिकांश कैंसर एक गाँठ या अबुर्द (ट्यूमर) बनाते हैं, लेकिन कुछ, जैसे रक्त कैंसर (ल्यूकेमिया) गाँठ नहीं बनाता है. चिकित्सा की वह शाखा जो कैंसर के अध्ययन, निदान, उपचार, और रोकथाम से सम्बंधित है, ऑन्कोलॉजी या कैंसर विज्ञान कहलाती है.
चन्द्रगुप्त एक महान प्रतापी सम्राट था । उसने अपने साम्राज्य का और विस्तार किया ।
क्रौंच, वामन, अन्धकारक, घोड़ी के मुख समान रत्नमय स्वाहिनी पर्वत, दिवावृत, पुण्डरीकवान, महापर्वत दुन्दुभि नामक सात पर्वत हैं।
মা, তোর মুখের বাণী,
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१३. रेलिजस प्रॉब्लम् इन इण्डिया - १९०२ - यह उनकी एक महान् साहित्यिक कृति थी जो कालान्तर में चार भागों - इस्लाम, जैनिज्म, सिक्खिज्म, थियोसॉफी - में प्रकाशित हुई।
दोनों समय का हवन, जिसमें लोहबान जैसी सुगंधित चीजें, खाद्य पदार्थ, तेल इत्यादि के अतिरिक्त किसी मेमने, बकरे, पक्षी या अन्य पशु की आहुति दी जाती थी, यहूदी ईश्वरोपासना का अवश्यक अंग था। ऋग्वेद के "आहिताग्नि" पुरोहितों के समान यहूदी पुरोहित इस बात का विशेष ध्यान रखते थे कि वेदी पर की आग चौबीस घंटे किसी तरह बुझने न पाए।
वॉलून विकिपीडिया विकिपीडिया का वॉलून भाषा का संस्करण है। २६ मई, २००९ तक इस पर लेखों की कुल संख्या ११,०००+ है। यह विकिपीडिया का बयासीवां सबसे बड़ा संस्करण है।
शहीद स्मारक उन बहादुरों को समर्पित है, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। संगमरमर से बना यह स्मारक लगभग 30 मीटर ऊंचा है।
एस. टी. डी (STD) कोड - ०५४७
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ताः
15 मीटर ऊंचा यह स्तूप महापरिनिर्वाण मंदिर से लगभग 1.5 किमी. की दूरी पर है। माना जाता है कि यह स्तूप उसी स्थान पर बना है जहां महात्मा बुद्ध को 483 ईसा पूर्व दफनाया गया था। प्राचीन बौद्ध लेखों में इस स्तूप को मुकुट बंधन चैत्य का नाम दिया गया है। कहा जाता है कि यह स्तूप महात्मा बुद्ध की मृत्यु के समय कुशीनगर पर शासन करने वाले मल्ल शासकों द्वारा बनवाया गया था।
उपाध्याय जी ने पिलानी, आगरा तथा प्रयाग शिक्षा प्राप्त की। बी.एस-सी., बी.टी. करने के बाद उन्होंने नौकरी नहीं की। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हो गए थे। अत: कालेज छोड़ने के तुरंत बाद वे उक्त संस्था के प्रचारक बना दिए गए और एकनिष्ठ भाव से अपने दल का संगठन कार्य करने लगे।
प्रजा व सृष्टि के कारण रूप, भयविनाशक, देवाराधित,ध्यानस्थ महात्माओं के अव्यक्त हृदय में एकाग्र रूप से विराजित, सोमलेखा, कपाल एवं महिवलय से मंडित-आदिदेव द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान महाकालेश्वर की जय-जयकार को पुनीत-अवंतिका नगरी युग-युग से सुनती आ रही है।
बभ्रुवाहन चित्रवाहन की पुत्री चित्रागंदा से उत्पन्न पुत्र थे जो अपने नाना की मृत्यु के बाद मणिपुर के राजा बने। युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ के अश्व को पकड़ लेने पर अर्जुन से इनका घोर युद्ध हुआ जिसमें यह विजयी हुए। किंतु माता के आग्रह पर इन्होंने मृतसंजीवक मणि द्वारा समरभूमि में अचेत पड़े अर्जुन को चैतन्य किया और अश्व को उन्हें लौटाते हुए यह अपनी माताओं-चिंत्रांगदा और उलूपी के साथ युधिष्ठिर के यज्ञ में सम्मिलित हुए (जैमि, अश्व., 37, 21-40; महा. आश्व. 79-90)।
राज्य में साइकिलिंग स्पर्धाएं भी जोरों पर रही हैं। बीजापुर जिले के क्षेत्र से राष्ट्रीय स्तर के अग्रणी सायक्लिस्ट हुए हैं। मलेशिया में आयोजित हुए पर्लिस ओपन ’९९ में प्रेमलता सुरेबान भारतीय प्रतिनिधियों में से एक थीं। जिले की साइक्लिंग प्रतिभा को देखते हुए उनके उत्थान हेतु राज्य सरकार ने जिले में  ४० लाख की लागत से यहां के बी.आर अंबेडकर स्टेडियम में सायक्लिंग ट्रैक बनवाया है।[१२५]
मोती नगर, दिल्ली दिल्ली शहर का एक क्षेत्र है। यह दिल्ली मेट्रो रेल की ब्लू लाइन शाखा का एक स्टेशन भी है।
श्री हनुमान चालीसा
यह मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं । इस शाखा के अन्तर्गत विभिन्न अद्योगों के लिए कच्चे माल की प्रप्ति के स्रोतों, उत्पादन की समस्याओं, उत्पादित वस्तुओं के व्यापार, अद्योगों के स्थानिक वितरणों आदि का अध्यन किया जाता हैं ।
श्रीलंकाई सरकार की गलत नीतियों और पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण श्रीलंका के तमिलों में गहरा असंतोष पैदा हो गया। जो तमिल पार्टियां १९७३ तक राष्ट्र विभाजन के विरुद्ध थी, वो भी अब अगल राष्ट्र की मांग करने लगीं।
21. लौहागढ़ आयरन फोर्ट के रूप में भी जाना जाता है, लौहागढ़ भरतपुर के प्रमुख ऐतिहासिक आकर्षणों में से एक है।
बंगलूरू में शॉपिंग का अपना ही एक अलग मजा है। यहां आपको कांचीपुरम सिल्क या सावोरस्की क्रिस्टल आसानी से मिल सकता है। बंगलूरू विशेष रूप से मॉलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित मॉल भारत के कुछ खूबसूरत और बड़े मॉल में से एक है। कमर्शियल स्ट्रीट बंगलूरू से सबसे व्यस्त और भीड़-भाड़ वाले शॉपिंग की जगहों में से है। यहां आपको जूते, ज्वैलरी, स्टेशनरी, ट्रैवल किट और स्‍पोट्स वस्तुएं आसानी से मिल जाएगी। ब्रिटिश काल के दौरान के दक्षिण परेड को आज एम.जी.रोड़ के नाम से जाना जाता है। यहां आपको शॉपिंग के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण, किताबें और मैगजीन, सिल्क साड़ी, कपड़े, प्राचीन और फोटोकारी की जुड़ी विशेष चीजें मिल सकती है। एम.जी.रोड़ के काफी नजदीक ही ब्रिगेड रोड है यह जगह इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण जैसे टेलीविजन, फ्रिज, म्यूजिक सिस्टम, कम्प्यूटर और वाशिंग मशीन आदि के लिए प्रसिद्व है।
हामी भाषाओं मे विभक्तिसूचक प्रत्यय नहीं पाए जाते। ये भाषाएँ परस्पर काफी भिन्न हैं पर सर्वनाम-त्‌ प्रत्ययांत स्त्रीलिंग आदि एकतासूचक लक्षण हैं। हामी की मुख्य प्राचीन भाषाएँ मिस्री और कोप्ती थीं। मिस्री भाषा के लेख छह हजार वर्ष पूर्व तक के मिलते हैं। इसके दो रूप थे--एक धर्मग्रंथों का और दूसरा जनसाधारण का। जनसाधारण की मिस्री की ही एक भाषा कोप्ती है जिसके ईसवी दूसरी सदी से आठवीं सदी तक के ग्रंथ मिलतक हैं। यह १६वीं सदी तक की बोलचाल की भाषा थी। वर्तमान भाषाओं में हब्श देश की खमीर, पूर्वी अफ्रीका के कुशी समूह की, सोमालीलैंड की सोमाली और लीबियाकी लीबी (या बबर) प्रसिद्ध हैं। वर्तमान काल की मिस्त्री भाषा गठन में बहुत सरल और सीधी हैं। उसकी धातुएँ (मूल शब्द) कुछ एकाक्षर है और कुछ अनेकाक्षर।
14. विवाह,
दोहे के साथ ढोल ढि चांग, ढि चांग बजता है । मोहरी अपनी ताल भरता है । निसान गद देता है । झांझ झोंपा-झोंपा का ताल भरता है और रावत जो उसके दाहिने हाथ में होता है - जिस पर विभिन्न प्रकार के फूल और वनोपज के श्रृंगार होते हैं । उठा कर नाचता है । रावतों के बायें हाथ में ढाल होता है । इस ढाल में दो घंटियां होती हैं जो खड़-खड़ का आवाज करते हैं और दोहा के समय रावत इसे बजा कर अपनी बानगी रखता है ।
यहां सरदार वल्लभभाई पटेल एयरपोर्ट है। यह प्रमुख भारतीय शहरों के साथ साथ विदेशों जैसे, कोलंबो, मशकट, लंदन और न्यूयार्क को भी जोड़ता है।
संघर्ष के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
१. सांची- मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में है ।
8. नरेन्द्र कोहली के राम साहित्य का विशेष अनुशीलन, लेखक : डॉ. गिरीशकुमार जोशी, 1997 ई. प्रकाशक: सुप्रिया पब्लिकेशंस, सागर (मध्य प्रदेश) 9. आधुनिक उपन्यास: विविध आयाम, लेखक: डॉ. विवेकीराय, 1990 ई., प्रकाशक: अनिल प्रकाशन, 189/1, अलोपी बाग, इलाहाबाद- 211006
• अपर्णा सेन
श्यामबाजार कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता नगर निगम के अधीन आता है।
कैल्कटा ट्रामवेज़ कंपनी कोलकाता में ट्राम और बसें संचालित करने वाली पश्चिम बंगाल सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है।
Native silver on calcite
एंटीबायोटिक दवाओं के साथ अनुपालन की मात्रा की तुलना में प्रमुख प्रतिरोध बल्कि बैक्टीरियल दरों में वृद्धि का कारक में एंटीबायोटिक है.[१०] खुराक एंटीबायोटिक दवाओं प्रतिरोधी कि जीवों के लिए एक एक साल में एक व्यक्ति का अधिक से अधिक एंटीबायोटिक जोखिम है.
कोलकाता पत्तन में एक आधिनिक कम्प्यूटारीकृत कंटेनर टर्मिनल भी है।
1982 तक आंध्र प्रदेश में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) पार्टी के नेतृत्व की सरकारों का सिलसिला था. कासू ब्रह्मानंद रेड्डी ने लंबे समय तक सेवारत मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड बनाए रखा था, जिसे 1983 में एन.टी. रामाराव ने तोड़ा.पी.वी.नरसिंह राव ने भी राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर सेवा की, जो 1991 में भारत के प्रधानमंत्री बने. राज्य के प्रमुख मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं आंध्र राज्य के मुख्यमंत्री (CM) टंगुटूरी प्रकाशम, (वर्तमान आंध्र प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री नीलम संजीव रेड्डी थे), अन्य हैं कासू ब्रह्मानंद रेड्डी, मर्री चेन्ना रेड्डी, जलगम वेंगल राव, नेडुरुमल्ली जनार्दन रेड्डी, नंदेंड्ल भास्कर राव, कोट्ला विजय भास्कर रेड्डी, एन.टी. रामाराव, नारा चंद्रबाबू नायडू और वै.एस. राजशेखर रेड्डी.
27.
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
मुख्‍य मंदिर के पीछे बुद्ध की लाल बलुए पत्‍थर की 7 फीट ऊंची एक मूर्त्ति है। यह मूर्त्ति विजरासन मुद्रा में है। इस मूर्त्ति के चारों ओर विभिन्‍न रंगों के पताके लगे हुए हैं जो इस मूर्त्ति को एक विशिष्‍ट आकर्षण प्रदान करते हैं। कहा जाता है कि तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व में इसी स्‍थान पर सम्राट अशोक ने हीरों से बना राजसिहांसन लगवाया था और इसे पृथ्‍वी का नाभि केंद्र कहा था। इस मूर्त्ति की आगे भूरे बलुए पत्‍थर पर बुद्ध के विशाल पदचिन्‍ह बने हुए हैं। बुद्ध के इन पदचिन्‍हों को धर्मचक्र प्रर्वतन का प्रतीक माना जाता है।
2.
यह कटक का सबसे प्रमुख पर्यटक स्‍थल है। महानदी के किनारे बना यह किला खूबसूरती से तराशे गए दरवाजों और नौ मंजिला महल के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण गंग वंश ने 14वीं शताब्‍दी में करवाया था। युद्ध के समय नदी के दोनों किनारों पर बने किले इस किले की रक्षा करते थे। वर्तमान में इस किले के साथ एक अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍टेडियम है। पांच एकड़ में फैले इस स्‍टेडियम में 30000 से भी ज्‍यादा लोग बैठ सकते हैं। यहां खेल प्रतियोगिताओं और सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों का अयोजन होता रहता है।
त्र्यम्बकेश्वेर जाने के लिये टेक्सी सब्से उत्तम साधन् है
संत कवियों में बाबा मलूकदास भी अवधी क्षेत्र के थे। इनकी बानी का अधिकांश अवधी मे है। इनके शिष्य बाबा मथुरादास की बानी भी अधिकतर अवधी में है। बाबा धरनीदास यद्यपि छपरा जिले के थे तथापि उनकी बानी अवधी में प्रकाशित हुई। कई अन्य संत कवियों ने भी अपने उपदेश के लिए अवधी को अपनाया है।
डंडा पचरंडा गौ चराते समय व्यतीत करने के लिए लकड़ी से खेलते है ।
(आयी मंडपम) पुदुचेरी के बीचों बीच स्थित यह सरकारी पार्क यहां का सबसे खूबसूरत सार्वजनिक स्थान है। यहां का मुख्य आकर्षण पार्क के केंद्र में बना आयी मंडपम है। इस सफेद इमारत का निर्माण नेपोलियन तृतीय के शासन काल में किया गया था। यह ग्रीक-रोमन वास्तु शिल्प का उत्कृष्ट नमूना है। इस जगह का नाम महल में काम करने वाली एक महिला के नाम पर रखा गया था। उस महिला ने अपने घर के स्थान पर एक जलकुंड बनाया था। कभी नेपोलियन ने यहां का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई थी और वह इससे खुश होकर स्मारक का नाम आयी मंडपम रखा।
एस. टी. डी (STD) कोड - ०५६७२
'मेघदूत' में महाकवि कालिदास ने उज्जयिी का सुंदर वर्णन करते हुए कहा है कि जब स्वर्गीय जीवों को अपने पुण्यक्षीण होने की स्थिति में पृथ्वी पर आना पत्रडा। तब उन्होंने विचार किया कि हम अपने साथ स्वर्ग का एक खंड (टुकत्रडा) भी ले चले। वही स्वर्गखंड उज्जयिनी है। आगे महाकवि ने लिखा है कि उज्जयिनी भारत का वह प्रदेश है जहां के वृध्दजनइतिहास प्रसिध्द आधिपति राजा उदयन की प्रणय गाथा कहने में पूर्ण दक्ष है।
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क्रिया और भावना वर-वधू खड़े हों । प्रत्येक कदम बढ़ाने से पहले देव शक्तियों की साक्षी का मन्त्र बोला जाता है, उस समय वर-वधू हाथ जोड़कर ध्यान करें । उसके बाद चरण बढ़ाने का मन्त्र बोलने पर पहले दायाँ कदम बढ़ाएँ । इसी प्रकार एक-एक करके सात कदम बढ़ाये जाएँ । भावना की जाए कि योजनाबद्ध-प्रगतिशील जीवन के लिए देव साक्षी में संकल्पित हो रहे हैं, संकल्प और देव अनुग्रह का संयुक्त लाभ जीवन भर मिलता रहेगा ।
साँचा:छत्तीसगढ़ की जातियाँ/श्रेणियां
इसी प्रकार पश्चिम में असीरिया, बेबिलोनिया एवं मिस्र तथा मिस्र के बाद यूनान और रोम में सभ्यता एवं अन्य ज्ञान विज्ञान के साथ चिकित्साविज्ञान तथा तदंतर्गत शल्यचिकित्सा का विकास हुआ। ई. पू. 301 में मिस्र देश में शल्यतंत्र उन्नत अवस्था में था। मिस्र देश में भूगर्भ से मिले शवों के शरीर में कपालभेद के संधान के चिह्र मिलते हैं। प्रारंभ में रोम नगर के सभी चिकित्सक सिकंदिरिया या उसके पूर्व के निवासी थे। केलसस का "डी मेडिसिना", जो ईसवी सन् 29 में प्रसिद्ध हुआ, पूर्णतया ग्रीक प्रणाली का था। उक्त महाग्रंथ आठ खंडों में है। सातवें खंड में शल्यशास्त्र और छठे खंड के छठे अध्याय में और सातवें खंड के सातवें अध्याय में नेत्ररोगों का विवेचन है। इस महाग्रंथ में वर्णित अर्म (अग्रीस रोमन टेरिजियम्) पोथकी तथा मोतियाबिंद (cataract) की शल्यचिकित्सा बहुत कुछ सुश्रुत से मिलती जुलती है।
२ अक्टूबर (2 October) गाँधी का जन्मदिन है इसलिए गाँधी जयंती (Gandhi Jayanti) के अवसर पर भारत में राष्ट्रीय अवकाश (national holiday in India) होता है १५ जून २००७ को यह घोषणा की गई थी कि "सयुंक्त राष्ट्र महा सभा (United Nations General Assembly)" एक प्रस्ताव की घोषणा की, कि २ अक्टूबर (2 October) को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-Violence)" के रूप में मनाया जाएगा.[४८]
हिन्दी-भाषी इलाहाबाद की बोली अवधी है, हालांकि अधिकांश शहरी क्षेत्र में खड़ी बोली ही बोली जाती है। जिले के पूर्वी गैर-दोआबी क्षेत्र में प्रायः बघेली बोली का चलन है।
माधवाचार्य जी ने रामानुजाचार्य का आत्माओं का वर्गीकरण को स्वीकार किया। जैसे :--
गोलीय निर्देशांक द्वारा बताया गया प्रत्येक बिन्दु अब कार्तीय निर्देशांक पद्धति द्वारा x y z भी व्यक्त किया जा सकता है। ये मानचित्रों पर किसी स्थान की स्थिति को अंकित करने हेतु अति-प्रयोगनीय तरीका तो नहीं है, किन्तु ये दूरियां नापने एवं अन्य गणितीय प्रकार्य संपन्न करने हेतु प्रयोग किया जाता है। इसका उद्गम प्रायः गोले का केन्द्र ही होता है, जो लगभग पृथ्वी के केन्द्र के निकट ही होता है।
निर्देशांक: 25°N 13°W / 25, -13
इसके बाद अग्नि स्थापन से लेकर गायत्री मन्त्र की आहुति तक का क्रम चले । बालक को भी उसमें सम्मिलित रखें ।
फिल्म रंग दे बसंती का मुख्य भाव है जागृति। यह फिल्म अपनी मान्यताओं के बारे में सोचने और उठ खड़े होने के बारे में है और हमें यह इशारा करती है कि क्रांति की ज़रूरत शायद आज भी है। फिल्म का कथानक एक युवा ब्रिटिश फिल्मकार सू की है जो भारत में बरतानी सेना में काम कर चुके अपने दादा की डायरी पढ़ कर भारत आती है, भारत के क्रांतिकारियों के बारे में एक वृत्तचित्र के निर्माण का इरादा लिये। उसका उद्देश्य है भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद और उनके साथियों के ब्रिटिश तानाशाही के खिलाफ हुए संघर्श के बारे मे एक डॉक्युमेंट्री बनाना। चूँकि उसके पास बहुत पैसे नहीं है इस लिये वह चाह्ती है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्र उसकी इस फिल्म में अभिनय करें।
खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
हलायुध या भट्ठ हलायुध (समय लगभग १० वीं० शताब्दी ई०) भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषविद्, गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे। उन्होने मृतसंजीवनी नामक ग्रन्थ की रचना की जो पिङ्गल के छन्दशास्त्र का भाष्य है।
५. उड़ीसा (भुवनेश्वर)
The Sanctuary can be divided into two parts, Inner and Outer. Together, they are surrounded by the main Sanctuary Wall, which forms a roughly square outline, with high, continuous ridges on the north, east, and south sides. On the west side, less high but still imposing ridges drop from the north and south toward the Rishi Ganga Gorge, which drains the Sanctuary towards the west.[३]
जेल से निकलने के बाद वे जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोधी नेताओं में से एक थे । इसके अलावा वे खिलाफ़त आन्दोलन के भी प्रमुख थे । खिलाफ़त तुर्की के उस्मानी साम्राज्य की प्रथम विश्वयुद्ध में हारने पर उनपर लगाए हर्जाने का विरोध करता था । उस समय ऑटोमन (उस्मानी तुर्क) मक्का पर काबिज़ थे और इस्लाम के खलीफ़ा वही थे । इसके कारण विश्वभर के मुस्लिमों में रोष था और भारत में यह खिलाफ़त आंन्दोलन के रूप में उभरा जिसमें उस्मानों को हराने वाले मित्र राष्ट्रों (ब्रिटेन, फ्रांस, इटली) के साम्राज्य का विरोध हुआ था ।
मलेशिया में मुस्लिम योग शिक्षकों ने "अपमान" कहकर इस निर्णय की आलोचना कि.[७७]मलेशिया में महिलाओं के [७८]समूह,ने भी अपना निराशा व्यक्त की और उन्होंने कहा कि वे अपनी योग कक्षाओं को जारी रखेंगे. [७९]
६ . ब्रेतागने
स्कन्द पुराण में प्रमुख पाँच खण्ड के साथ साथ अन्य दो खण्ड और है, जिनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
२००३ में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण मे जिसमे अब तक के दस सबसे मशहूर गानो का चयन करने के लिए दुनिया भर से लगभग ७,००० गीतों को चुना गया था, और बीबीसी के अनुसार, १५५ देशों/द्वीप के लोगों ने इसमे मतदान किया था, वंदे मातरम् शीर्ष के १० गानो में दूसरे स्थान पर था। [४]
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कुमारगुप्त- यह उत्तर गुप्त वंश का चौथा राजा था जो जीवित गुप्त का पुत्र था । यह शासक अत्यन्त शक्‍तिशाली एवं महत्वाकांक्षी था । इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की । उसका प्रतिद्वन्दी मौखरि नरेश ईशान वर्मा समान रूप से महत्वाकांक्षी शासक था । इस समय प्रयाग में पूष्यार्जन हेतु प्राणान्त करने की प्रथा प्रचलित थी ।
.
(३) बंगाल विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार यह ज्ञात होता है कि चन्द्र गुप्त द्वितीय ने बंगाल के शासकों के संघ को परास्त किया था ।
५. केंद्रीय परिषद् एवं आयुर्वेदीय वाङमय के उत्कर्ष पत्रों आद का मुद्रण, प्रकाशन एवं प्रदर्शन करना।
अथर्ववेद [२०] में वरणावती नदी का नाम आया है जो बहुत संभव है कि आधुनिक वरुणा नदी के लिये ही प्रयोग किया गया हो। अस्सी नदी को पुराणों में असिसंभेद तीर्थ कहा है। स्कंद पुराण के काशी खंड में कहा गया है कि संसार के सभी तीर्थ मिल कर असिसंभेद के सोलहवें भाग के बराबर भी नहीं होते हैं। [२१][२२] अग्निपुराण में असि नदी को व्युत्पन्न कर नासी भी कहा गया है। वरणासि का पदच्छेद करें तो नासी नाम की नदी निकाली गयी है, जो कालांतर में असी नाम में बदल गई। महाभारत में वरुणा या आधुनिक बरना नदी का प्राचीन नाम वरणासि होने की पुष्टि होती है। [२३] अतः वाराणासी शब्द के दो नदियों के नाम से बनने की बात बाद में बनायी गई है। पद्म पुराण के काशी महात्म्य, खंड-३ में भी श्लोक है:
बहुत से तत्व आक्सीजन से सीधा संयोग करते हैं। इनमें कुछ (जैसे फासफोरस, सोडियम इत्यादि) तो साधारण ताप पर ही धीरे-धीरे क्रिया करते हैं, परंतु अधिकतर, जैसे कार्बन, गंधक, लोहा, मैग्नीशियम इत्यादि, गरम करने पर। आक्सीजन से भरे बर्तन में ये वस्तुएँ दहकती हुई अवस्था में डालते ही जल उठती हैं और जलने से आक्साइड बनता है। आक्सीजन में हाइड्रोजन गैस जलती है तथा पानी बनता है। यह क्रिया इन दोनों के गैसीय मिश्रण में विद्युत् चिनगारी से अथवा उत्प्रेरक की उपस्थिति में भी होती है।
हेमचंद्रने 'सिद्वहेम' नामक नूतन पंचांग व्याकरण तैयार किया। इस व्याकरण ग्रंथका श्वेतछत्र सुषोभीत दो चामरके साथ चल समारोह हाथी पर निकाला गया। ३०० लेखकोंने ३०० प्रतियाँ 'शब्दानुशासन'की लिखकर भिन्न-भिन्न धर्माध्यक्षोंको भेट देने के अतिरिक्त देश-विदेश, ईरान, सीलोन, नेपाल भेजी गयी। २० प्रतियाँ काश्मीरके सरस्वती भाण्डारमें पहुंची। ज्ञानपंचमी (कार्तिक सुदि पंचमी)के दिन परीक्षा ली जाती थी। आचार्य हेमचंद्र संस्कृतके अन्तिम महावैयाकरण थे। अपभ्रंश साहित्यकी प्राचीन समृद्वि के सम्बधमें विद्वान उन पधोंके स्तोत्रकी खोजमें लग गये। १८००० श्लोक प्रमाण बृहदवृत्ति पर भाष्य कतिचिद दुर्गापदख्या व्याख्या लिखी गयी। इसभाष्यकी हस्त लिखित प्रति बर्लिन में है।
रुई के उद्योग धंधों के लिए हवा में नमी का होना परम लाभकर होता है। शुष्क हवा में धागे टूट जाते हैं। अच्छे कारखानों में वायु की आर्द्रता कृत्रिम उपायों से सदा अनुकूल मान पर रखी जाती है। हवा की नमी से बहुत से पदार्थो की भीतरी रचना पर निर्भर है। झिल्लीदार पदार्थ नमी पाकर फैल जाते हैं ओर सूखने पर सिकुड़ जाते हैं। रेशेदार पदार्थ नमी खाकर लंबाई की अपेक्षा मोटाई में अधिक बढ़ते हैं। इसी कारण रस्सियां और धागे भिगो देने पर छोटे हो जाते हैं। चरखे की डोरी ढीली हो जाने पर भिगोकर कड़ी की जाती है। नया कपड़ा पानी में भिगोकर सुखा देने के बाद सिकुड़ जाता है, किंतु रूखा बाल नमी पाकर बड़ा हो जाता है बाल की लंबाई में १०० प्रतिशत आर्द्रता बढ़ने पर सूखी अवस्था की अपेक्षा २.५ प्रतिशत वृद्धि होती है। बाल के भीतर प्रोटीन के अणुओं के बीच जल के अणुओं की तह बन जाती है, जिसकी मोटाई नमी के साथ बढ़ती जाती है। इन तहों के प्रसार से पूरे बाल की लंबाई बढ़ जाती है।
वट्टेऴुत्तु (तमिल: வட்டெழுத்து ) (अर्थात् गोल अक्षर) एक अबुगिडा लेखन प्रणाली है जिसका उपज दक्षिण भारत और श्री लंका के तमिल लोगों द्वारा हुई। इस उच्चारण-आधारित वर्णमाला के ६ठी सदी से १४वीं सदी के बीच के साक्ष्य वर्तमान काल के भारतीय राज्यों तमिल नाडु और केरल में मिलते हैं। [१] बाद में इसकी जगह आधुनिक तमिल लिपि और मलयालम लिपि ने ले ली। वट्टेऴुत्तु जैसे व्यापक शब्द का प्रयोग जॉर्ज कोईड्स व डीजीई हॉल जैसे दक्षिणपूर्व एशिया अध्ययन करने वाले विद्वानों ने किया है।
प्लक्षद्वीप का विस्तार जम्बूद्वीप से दुगुना है। यहां बीच में एक विशाल प्लक्ष वृक्ष लगा हुआ है। यहां के स्वामि मेधातिथि के सात पुत्र हुए हैं। ये थे:
हिन्दी सलाहकार समिति, रेल्वे बोर्ड के सदस्य
On June 12, 1776, the Second Continental Congress resolved to appoint a committee of thirteen to prepare a draft agreement on a governing constitution and a perpetual union of the states. The Articles of Confederation and Perpetual Union , commonly known as the Articles of Confederation or simply the Articles , formed the first governing document of the United States of America, based on a confederation type government. Of equal importance is the fact that the Articles combined the sovereign states into a perpetual Union . The Second Continental Congress approved the Articles for ratification by the States on November 15, 1777, and began operating under their terms. The Articles were formally ratified when the representatives of Maryland became the last to apply their signatures to the document on March 1, 1781. At that point, the Continental Congress was dissolved and on the following day a new government of the United States in Congress Assembled took its place, with Samuel Huntington as President. [ 74 ] [ 75 ] [ edit ] Defending the Revolution Main article: American Revolutionary War George Washington rallying his troops at the Battle of Princeton [ edit ] British return: 1776–1777 Further information: New York and New Jersey campaign , Staten Island Peace Conference , Saratoga campaign , Philadelphia campaign
अंग्रेजी का मानक टाइपराइटर क्वर्टी लेआउट आधारित है। यद्यपि अंग्रेजी के लिये कई सारे लेआउट समय-समय पर बनाये गये जिनमें en:DVORAK गति के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ माना गया परन्तु समय के साथ क्वर्टी ही मानक बन गया। कम्प्यूटर के आविष्कार के पश्चात कीबोर्ड भी क्वर्टी लेआउट पर ही बने।
अंतिम घोषित हिन्दू सम्राट हर्षवर्धन की मृत्यु।
भारत को ब्रिटिश शासन की गुलामी से मुक्ति दिलाने की जीतोड़ मेहनत करते हुए किन्तु इसकी आस लिए ही २१ जनवरी १९४५ को इनका निधन हो गया।[१] उनके निधन से कुछ समय पहले जापानी सरकार ने उन्हें आर्डर आफ द राइजिंग सन के सम्मान से अलंकृत किया था।
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पारम्परिक रूप से उत्तराखण्ड की महिलायें घाघरा तथा आँगड़ी, तथा पुरूष चूड़ीदार पजामा व कुर्ता पहनते थे। अब इनका स्थान पेटीकोट, ब्लाउज व साड़ी ने ले लिया है। जाड़ों (सर्दियों) में ऊनी कपड़ों का उपयोग होता है। विवाह आदि शुभ कार्यो के अवसर पर कई क्षेत्रों में अभी भी सनील का घाघरा पहनने की परम्परा है। गले में गलोबन्द, चर्‌यो, जै माला, नाक में नथ, कानों में कर्णफूल, कुण्डल पहनने की परम्परा है। सिर में शीषफूल, हाथों में सोने या चाँदी के पौंजी तथा पैरों में बिछुए, पायजेब, पौंटा पहने जाते हैं। घर परिवार के समारोहों में ही आभूषण पहनने की परम्परा है। विवाहित औरत की पहचान गले में चरेऊ पहनने से होती है। विवाह इत्यादि शुभ अवसरों पर पिछौड़ा पहनने का भी यहाँ चलन आम है।[२८]
संत श्री आसारामजी महाराज का जन्म सिंध प्रान्त के नवाबशाह जिले में सिंधु नदी के तट पर बसे बेराणी गाँव में नगरसेठ श्री थाऊमलजी सिरूमलानी के घर दिनांक 17 अप्रैल 1941 तदनुसार विक्रम संवत 1998 को चैत्रवद षष्ठी के दिन हुआ था | आपश्री की पुजनीया माताजी का नाम महँगीबा हैं | उस समय नामकरण संस्कार के दौरान आपका नाम आसुमल रखा गया था | बापु जी जैसे सन्त इस भुमि पर कभी क्भी अवतरित होते ह
पंजाब के तीन हिस्से में विभाजन, और राज्य की राजधानी चंडीगढ़ के केंद्र शासित क्षेत्र बन जाने के बाद १९६६ के अंत में मोहाली की परिकल्पना की गई। आज मोहाली और चंडीगढ़ पड़ोसी इलाके हैं, बस पंजाब व चंडीगढ़ केंद्रशासित क्षेत्र की सीमा ही इन्हें अलग करती है। मोहाली की मूल परिकल्पना वास्तव में चंडीगढ़ के मार्गों और योजना की ही नकल है, इसके लिए अलग से कोई योजना नहीं बनाई गई। पहले विकास केवल फ़ेज़ सात तक था। फ़ेज़ ८ और आगे का विकास १९८० के दशक के अंत में शुरू हुआ, और फ़ेज़ ८ में १९९० के दशक के मध्य में इस शहर का अपना बस अड्डा बना। मोहाली की जनसंख्या दो लाख के आसपास है, जो कि चंडीगढ़ की जनसंख्या की १/५ है। इस क्षेत्र को कई बहिर्स्रोतीकरण सूचना तकनीक कंपनियाँ अपना रही हैं, ताकि इस नगर द्वारा प्रदत्त निवेश के अवसरों का वे लाभ उठा सकें।
पुरी की रथयात्रा
17.
अशोक के उत्तराधिकारी- जैन, बौद्ध तथा ब्राह्मण ग्रन्थों में अशोक के उत्तराधिकारियों के शासन के बारे में परस्पर विरोधी विचार पाये जाते हैं । पुराणों में अशोक के बाद ९ या १० शासकों की चर्चा है, जबकि दिव्यादान के अनुसार ६ शासकों ने असोक के बाद शासन किया । अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य पश्‍चिमी और पूर्वी भाग में बँट गया । पश्‍चिमी भाग पर कुणाल शासन करता था, जबकि पूर्वी भाग पर सम्प्रति का शासन था लेकिन १८० ई. पू. तक पश्‍चिमी भाग पर बैक्ट्रिया यूनानी का पूर्ण अधिकार हो गया था । पूर्वी भाग पर दशरथ का राज्य था । वह मौर्य वंश का अन्तिम शासक है ।
चन्द्रशेखर की मृत्यु से मेँ आहत हुं ऐसे व्यक्ति युग में एक बार ही जन्म लेते हेँ। फिर भी हमे अहिंसक रुप से ही विरोध क‍रना चाहिये।
हेनरी स्टीफन ‍साल्ट (Henry Stephens Salt)की कृतियों को पढने और प्रशंषा करने के बाद युवा मोहनदास गांधी शाकाहारी प्रचारक से मिले और उनके साथ पत्राचार किया। गांधी जी ने लंदन में रहते समय और उसके बाद शाकाहारी भोजन की वकालत करने में काफी समय बिताया। गांधी जी का कहना था कि शाकाहारी भोजन न केवल शरीर की जरूरतों को पूरा करता है बल्कि यह आर्थिक प्रयोजन की भी पूर्ति करता है जो मांस से होती है और फिर भी मांस अनाज, सब्जियों और फलों से अधिक मंहगा होता है। इसके अलावा कई भारतीय जो आय कम होने की वजह से संघर्ष कर रहे थे, उस समय जो शाकाहारी के रूप में दिखाई दे रहे थे वह आध्यात्मिक परम्परा ही नहीं व्यावहारिकता के कारण भी था.वे बहुत देर तक खाने से परहेज रखते थे , और राजनैतिक विरोध के रूप में उपवास (fasting) रखते थे उन्होंने अपनी मृत्यु तक खाने से इनकार किया जब तक उनका मांग पुरा नही होता उनकी आत्मकथा में यह नोट किया गया है कि शाकाहारी होना ब्रह्मचर्य (Brahmacharya) में गहरी प्रतिबद्धता होने की शुरूआती सीढ़ी है, बिना कुल नियंत्रण ब्रह्मचर्य में उनकी सफलता लगभग असफल है.
महत्व- इस वंश के राजाओं ने मगध साम्रज्य के केन्द्रीय भाग की विदेशियों से रक्षा की तथा मध्य भारत में शान्ति और सुव्यव्स्था की स्थापना कर विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति को कुछ समय तक रोके रखा। मौर्य साम्राज्य के ध्वंसावशेषों पर उन्होंने वैदिक संस्कृति के आदर्शों की प्रतिष्ठा की। यही कारण है की उसका शासनकाल वैदिक पुनर्जागरण का काल माना जाता है।
सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है।
ज्योतिषशास्त्र या एस्ट्रोलॉजी (ग्रीक भाषा ἄστρον के शब्द एस्ट्रोन,यानि "तारा समूह" -λογία, और -लॉजिया (-logia), यानि "अध्धयन" से लिया गया है). यह प्रणालियों, प्रथाओं (tradition) और मतों (belief) का वो समूह है जिसके ज़रिये आकाशीय पिंडो (celestial bodies) की तुलनात्मक स्थिति और अन्य सम्बंधित विवरणों के आधार पर व्यक्तित्व, मनुष्य की ज़िन्दगी से जुड़े मामलों और अन्य सांसारिक विषयों को समझकर, उनकी व्याख्या की जाती है और इस सन्दर्भ में सूचनाएं संगठित की जाती हैं. ज्योतिष जाननेवाले कोज्योतिषी (astrologer) या एक भविष्यवक्ता कहा जाता है.'तीसरी सहस्राब्दी ई.पू. (3rd millennium BC).[१][२] में इसके प्राचीनतम अभिलिखित लेखों से अब तक, ज्योतिष के सिद्धांतों के आधार पर कई प्रथाओं और अनुप्रयोगों के निष्पादन हुआ है. संस्कृति, शुरूआती खगोल विज्ञान, और अन्य विद्याओं को आकार देने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
पश्चिम में हिमालय पर्वत श्रृंखला है जो चीन की भारत, भूटान, और नेपाल के साथ प्राकृतिक सीमा बनाती है। इसके साथ-साथ पठार और निर्जलीय भूदृश्य भी हैं जैसे तकला-मकन और गोबी मरुस्थल। सूखे और अत्यधिक कृषि के कारण बसन्त के दौरान धूल भरे तूफ़ान आम हो गए हैं। गोबी मरुस्थल का फैलाव भी इन तूफानों का एक कारण है और इससे उठने वाले तूफान उत्तरपूर्वी चीन, कोरिया, और जापान तक को प्रभावित करते हैं।
1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ, और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ । हालांकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला । इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था.मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं.
बहुत से विवादों में से एक महत्वपूर्ण विवाद इस बात को लेकर है की अंग्रेजी भाषा के इतने रूपांतरणों में से किसको प्रमुखता दी जाये, जिसमे अमेरिकी अंग्रेजी और ब्रिटिश अंग्रेजी के पक्ष में सर्वाधिक समर्थक हैं। इस महत्वपूर्ण विवाद को सुलझाने के लिए विकिपीडिया के संपादकों द्वारा कई सुझाव दिए गए है, जिनमे से एक है "विकिपीडिया अंग्रेजी का मानकीकरण" और दूसरा ये "कि यदि कोई लेख किसी विशेष अंग्रेजी भाषी देश से जुड़ा हो तो उस देश में प्रचलित अंग्रेजी का उपयोग किया जाये"। किसी लेख में वर्तनी और व्याकरण का तर्कयुक्त उपयोग किया जाये जैसे, कलर (color) और कलर (colour) का उपयोग एक ही लेख में नहीं होना चाहिए क्यूंकि ये दोनों शब्द क्रमशः अमेरिकी और ब्रिटिश अंग्रेजी को दर्शाते हैं।
2.
मेगस्थनीज के अनुसार मौर्य शासन की नगरीय प्रशासन छः समिति में विभक्‍त था ।
4.विशेष बहुमत – प्रथम तीनो प्रकार के बहुमतॉ से भिन्न होता है इसके तीन प्रकार है
अहो राक्षसराजस्य सर्वलक्षणयुक्तता॥
हालांकि ऐसा नहीं है कि भारत के सभी मुसलमानों को इस पर आपत्ति है या सब हिन्दू इसे गाने पर जोर देते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले संगीतकार ए आर रहमान ने, जो ख़ुद एक मुसलमान हैं, 'वंदे मातरम्' को लेकर एक संगीत एलबम तैयार किया था जो बहुत लोकप्रिय हुआ है। ज्यादतर लोगों का मानना है कि यह विवाद राजनीतिक विवाद है। गौरतलब है कि ईसाई लोग भी मूर्ति पूजन नहीं करते हैं पर इस समुदाय से इस बारे में कोई विवाद नहीं है।
चन्द्रगुप्त द्वितीय की विजय यात्रा
लोकेशन: बस स्टैंड के पास
भा अवतार मोर नौ सदी।
(१) चुंबकीय दिक्सूचक (Magnetic Compass) - यह निदेशक बल प्राप्त करने के लिए पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर निर्भर करता है।
Under Jahangir (1605–1627) the Hindu features vanished from the style; his great mosque at Lahore is in the Persian style, covered with enamelled tiles. At Agra, the tomb of Itmad-ud-Daula completed in 1628, built entirely of white marble and covered wholly by pietra dura mosaic, is one of the most splendid examples of that class of ornamentation anywhere to be found. Jahangir also built the Shalimar Gardens and its accompanying pavilions on the shore of Dal Lake in Kashmir. He also built a monument to his pet antelope, Hiran Minar in Sheikhupura, Pakistan and due to his great love for his wife, after his death she went on to build his mausoleum in Lahore.
दियो सोमनाथ डूंगरपुर से 24 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है। दियो सोमनाथ सोम नदी के किनार बना एक प्राचीन शिव मंदिर है। मंदिर के बार में माना जाता है कि इसका निर्माण विक्रम संवत 12 शताब्दी के आसपास हुआ था। सफेद पत्थर से बने इस मंदिर पर पुराने समय की छाप देखी जा सकती है। मंदिर के अंदर अनेक शिलालेख भी देखे जा सकते हैं।
कलकत्ता ध्वज प्रथम भारतीय अनाधिकारिक ध्वज था। इसकी अभिकल्पना शचिन्द्र प्रसाद बोस ने की थी। इसे ७ अगस्त, १९०६ को पारसी बागान स्क्वेयर में फहराया गया था
ग्रन्थों के उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार आर्यों ने मगध क्षेत्र में बसने के बाद अंग क्षेत्र में भी आर्यों की संस्कृति का विस्तार किया । वाराह पुराण के अनुसार कीकट को एक अपवित्र प्रदेश कहा गया है, जबकि वायु पुराण, पद्म पुराण में गया, राजगीर, पनपन आदि को पवित्र स्थानों की श्रेणी में रखा गया है । वायु पुराण में गया क्षेत्र को “असुरों का राज" कहा गया है ।
भारतीय लोकतंत्र में संसद जनता की सर्वोच्‍च प्रतिनिधि संस्‍था है। इसी माध्‍यम से आम लोगों की संप्रभुता को अभिव्‍यक्‍ति मिलती है। संसद ही इस बात का प्रमाण है कि हमारी राजनीतिक व्‍यवस्‍था में जनता सबसे ऊपर है, जनमत सर्वोपरि है।
२. क्षय चिकित्सालय,
क्रिप्ट एनालिसिस का उद्देश्य है एक क्रिप्टोग्राफिक योजना में किसी असुरक्षा या कमजोरी का पता लगना. इस प्रकार से इसके उपसंस्करण की अनुमति देना.
17वी शतब्दी के प्रारंभ मे, छत्रपती शाहू के प्रधानमंत्री, बाजीराव पेशवे (थोरले) को पुणे को अपना स्थाई आवास बनाना था। छत्रपती शाह महाराज ने इसकी अनुमती दी व पेशवा ने मुठा नदी के किनारे शनिवारवाडा बनाया।
३,६४,६५३४
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥
राज्य सभा में निम्नलिखित सदस्य विपक्ष के नेता रहे हैं:
प्लूटार्क का भी कहना है कि, स्पार्टन्स हेलोट्स के साथ "कर्कश और निष्ठुर" व्यवहार करते थे: वे उन्हें खालिस शराब पीने को मजबूर करते थे. (जिसे खतरनाक-शराब माना जाता था, आमतौर पर पानी नहीं मिलाये जाने की वजह से)"...एवं उन्हें सार्वजनिक सभागार (हॉल) में ऐसी हालत में छोड़ दिया जाता था कि, बच्चे देख सकें कि पियक्कड़ लोगों का क्या नजारा होता है; वे उन्हें भद्दे नृत्य और फूहड़ गाने गाने को मजबूर कर देते थे..." सिस्सीया (syssitia) (पुरषों, विशेषकर युवकों के अनिवार्य सामजिक-सांस्कृति भोज समारोह में)
1470–1975  São Tomé1
जावा भूकंप २००९ २ सितंबर, २००९ को इंडोनेशिया के जावा द्वीप में स्थानीय समय १४:५५ को आया भूकंप है। इसकी तीव्रता ७.३ मापी गई और इसमे ४२ लोगो के मारे जाने की खबर हैं[१][२]। भूंकप का केंद्र जावा के दक्षिणी तट पर तासिकमलय शहर के पास था[३]। यह जकार्ता से दो सौ किलोमीटर दूर है।
गार्गी- गन्धर्वलोक किसमें ओतप्रोत है?
पर्यावरण भूगोल, भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं |
कहानीकार वह है जो साहित्य की एक विधा कहानी या कथा की रचने का व्यावसायिक काम करता है।
3. अनु 200 राज्य का राज्यपाल धन बिल सहित बिल जिसे राज्य विधायिका ने पास किया हो को राष्ट्रपति की सहमति के लिये आरक्षित कर सकता है
आम तौर पर हिन्दू शब्द को अनेक विश्लेषकों द्वारा विदेशियों द्वारा दिया गया शब्द माना जाता है। इस धारणा के अनुसार हिन्दू एक फ़ारसी शब्द है। हिन्दू धर्म को सनातन धर्म या वैदिक धर्म भी कहा जाता है। ऋग्वेद में सप्त सिन्धु का उल्लेख मिलता है - वो भूमि जहाँ आर्य सबसे पहले बसे थे। भाषाविदों के अनुसार हिन्द आर्य भाषाओं की "स्" ध्वनि (संस्कृत का व्यंजन "स्") ईरानी भाषाओं की "ह्" ध्वनि में बदल जाती है। इसलिये सप्त सिन्धु अवेस्तन भाषा (पारसियों की धर्मभाषा) मे जाकर हफ्त हिन्दु मे परिवर्तित हो गया (अवेस्ता: वेन्दीदाद, फ़र्गर्द 1.18)। इसके बाद ईरानियों ने सिन्धु नदी के पूर्व में रहने वालों को हिन्दु नाम दिया। जब अरब से मुस्लिम हमलावर भारत में आए, तो उन्होने भारत के मूल धर्मावलम्बियों को हिन्दू कहना शुरू कर दिया।
रूस (रूसी : Росси́йская Федера́ция / Rossijskaja Federatsija) यूरोपीय महाद्वीप में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी है मॉस्को। इसकी मुख्य और राजभाषा है रूसी। क्षेत्रफल की दृष्टि से ये दुनिया का सबसे विशाल देश है। पहले ये सोवियत संघ का सबसे बड़ा घटक था ।
भीष्म पर्व के अन्तर्गत ४ उपपर्व हैं और इसमें कुल १२२ अध्याय हैं।
अपने क्रांतिकारी जीवन के जो संस्मरण यशपाल ने सिंहावलोकन में लिखे, उनमें अपनी दृष्टि से उन्होंने उस आंदोलन और अपने साथियों का मूल्यांकन किया। तार्किकता, वास्तविकता और विश्वसनीयता पर उन्होंने हमेशा ज़ोर दिया है। यह संभव है कि उस मूल्यांकन से बहुतों को असहमति हो या यशपाल पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने का आरोप हो। आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो यशपाल को बहुत अच्छा क्रांतिकारी नहीं मानते। उनके क्रांतिकारी जीवन के प्रसंग में उनके चरित्रहनन की दुरभसंधियों को ही वे पूरी तरह सच मानकर चलते हैं और शायद इसीलिए यशपाल की ओर मेरी निरंतर और बार-बार वापसी को वे ‘रेत की मूर्ति’ गढ़ने-जैसा कुछ मानते हैं।
सभा की स्थापना के समय तक उत्तर प्रदेश के न्यायालयों में अंग्रेजी और उर्दू ही विहित थी। सभा के प्रयत्न से, जिसमें स्व. महामना पं. मदनमोहन मालवीय का विशेष योग रहा, सन् १९०० से उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रदेश) में नागरी के प्रयोग की आज्ञा हुई और सरकारी कर्मचारियों के लिए हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं का जानना अनिवार्य कर दिया गया।
अभी हाल तक, अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) के प्रयासों समय में प्रदान की नई दवाओं के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के उपचार के लिए प्रतिरोधी बैक्टीरिया पुराने कि बन गया. यह मामला है अब और नहीं.[उद्धरण वांछित] हाथ में संभावित संकट उद्योग में एक चिह्नित कमी का परिणाम है आर एंड डी, और प्रतिरोधी जीवाणुओं की व्यापकता बढ़ती है. संक्रामक रोग चिकित्सकों की संभावना से चिंतित हैं कि प्रभावी एंटीबायोटिक दवाओं को गंभीरता से निकट भविष्य में बीमार मरीजों का इलाज उपलब्ध नहीं हो सकता है .
वाराणसी मंदिरों का नगर है। लगभग हर एक चौराहे पर एक मंदिर तो मिल ही जायेगा। ऐसे छोटे मंदिर दैनिक स्थानीय अर्चना के लिये सहायक होते हैं। इनके साथ ही यहां ढेरों बड़े मंदिर भी हैं, जो वाराणसी के इतिहास में समय समय पर बनवाये गये थे। इनमें काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, ढुंढिराज गणेश, काल भैरव, दुर्गा जी का मंदिर, संकटमोचन, तुलसी मानस मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर, भारतमाता मंदिर, संकठा देवी मंदिर व विशालाक्षी मंदिर प्रमुख हैं।[८०]
सच तो यह है कि समुचित मूल्यांकन के लिए पर्याप्त समय और साहित्यिक युगों का फैलाव चाहिए. आज सौ वर्षों बाद हम 'प्रसाद' के अवदान का मूल्यांकन करें तो वे हिन्दी कहानी में प्रेमचंद से स्वतंत्र एक ऐसी पीठिका का निर्माण करते प्रतीत होते हैं जिसपर सम्पूर्ण सांस्कृतिक साहित्यधारा का पल्लवन एवं पोषण हुआ है. उनकी काव्यात्मक रूमानियत से भरी संस्कृतनिष्ठ शैली, विषम परिस्थितियों में पड़े पात्रों के अंतर्द्वन्द्व का हृदयस्पर्शी चित्रण, करुणा एवं आत्मत्याग से ओतप्रोत नायक-नायिकाएं एवं मानव-मात्र के विकास के उज्जवल पक्ष का सौन्दर्यमय चित्रण उन्हें भाषा, शैली, चरित्रचित्रण आदि की दृष्टि से प्रेमचंद से कमतर नहीं ठहरने देता.
रामायण के सारे चरित्र अपने धर्म का पालन करते हैं।
2. यह भावी वर्ष के व्यय के लिये राजस्व उगाहने का वर्णन करता है
अंतिम संस्कार हिन्दुओं के प्रमुख संस्कारों में से एक है। संस्कार का तात्पर्य हिन्दुओं द्वार जीवन के विभिन्न चरणों में किये जानेवाले धार्मिक कर्मकांड से है। अंतिम संस्कार हिन्दुओं के पृथवी पर बिताये गये जीवन का आखिरी संस्कार होता है जिसे व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात मृतक के परिजनों द्वारा संपन्न किया जाता है। आम तौर पर हिंदुओं को मरने के बाद अग्नि की चिता पर जलाया जाता है जिसमें शव को लकड़ी के ढेर पर रखकर पहले मृतात्मा को मुखाग्नि दी जाती है और तत्पश्चात उसके शरीर को अग्नि को समर्पित किया जाता है। शवदाह के बाद मृतक की अस्थियाँ जमा की जाती है और उसे किसी जलस्त्रोत में, आमतौर पर गंगा में प्रवाहित की जाती है। जिसके बाद लगभग तेरह दिनों तक श्राद्धकर्म किया जाता है। मृतात्मा की शांति के लिये दान दिये जाते हैं और ब्राम्हण समुदाय को भोजन कराया जाता है। बाद में लोग पिंडदान के लिये काशी या गया में जाकर पिंडदान की प्रक्रिया पूरी करते हैं।
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साँचा:California साँचा:United States
द्वितीय विश्व युद्ध, नियमित रूप से व्यावसायिक सेवा के अंत के बाद भारत में बहाल किया गया और टाटा एयरलाइंस पर एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनी 29 जुलाई 1946 का नाम एयर इंडिया के अंतर्गत. 1948 में, के बाद भारत की आजादी के 49% एयरलाइन भारत सरकार द्वारा अधिग्रहीत किया गया एक एक अतिरिक्त 2% खरीद के विकल्प के साथ. बदले में, एयरलाइन का दर्जा दिया गया था भारत के रूप में नामित ध्वज वाहक से नाम एयर इंडिया इंटरनेशनल अंतरराष्ट्रीय सेवाओं के तहत कार्य करते हैं. 8 जून 1948, एक नक्षत्र लॉकहीड एल 749A मालाबार (राजकुमारी VT-CQP पंजीकृत नाम) मुंबई से उड़ान भरी काहिरा और जिनेवा के माध्यम से लंदन के लिए बाध्य. इस एयरलाइन की पहली लंबी अंतरराष्ट्रीय उड़ान चिह्नित, जल्दी 1950 में सेवा के द्वारा अदन के माध्यम से नैरोबी के लिए पीछा किया.
सुषुप्त अवस्था में, जब मनुष्य सोया हुआ होता है, तब सभी इन्द्रियां और ज्ञान, प्राण में समाहित हो जाते हैं। लेकिन जब वह जागता है, तब सभी प्रकार का ज्ञान, प्राण से निकलकर अपनी-अपनी इन्द्रियों में समा जाता है और सुषुप्त इन्द्रियां सजग हो जाती हैं। इसे उपनिषद में मरणासन्न व्यक्ति के उदाहरण से समझाया है। एक व्यक्ति, जो मरणासन्न अवस्था में है, उसकी समस्त चेतना शक्ति इन्द्रियों का साथ छोड़कर प्राण में समा जाती है। उस समय वह न तो सुनता है, न देखता है, न बोलता है, ने हाथ-पैर हिला पाता है, न उसका मस्तिष्क ही काम करता है। यही स्थिति ध्यानस्थ योगी की होती है। परन्तु जब वह मरणासन्न व्यक्ति रोगों से छुटकारा पाकर पुन: जीवित हो उठता है अथवा वह ध्यानस्थ योगी फिर से सहज जीवन में लौट आता है, तब उनकी समस्त इन्द्रियां अपने-अपने स्वभाव के अनुसार फिर से सजग हो उठती हैं। मन के द्वारा निर्देशित होने लगती हैं। प्राण ही सर्वप्रथम 'मन' को जाग्रत करता है। वही सम्पूर्ण इन्द्रियों को नियन्त्रित और अनियन्त्रित करता है। मन का सीधा सम्बन्ध 'प्रज्ञा' से है और प्रज्ञा का प्राण से। इस प्रकार प्राण, प्रज्ञा और इन्द्रियों का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है। प्राणतत्व से ही प्रज्ञा है और प्रज्ञा से ही समस्त इन्द्रियों को संचालन होता है। शरीर से उन्मुक्त होने वाला 'प्राण' जब उत्क्रमण करता है, तब वह उस समय इन सभी इन्द्रियों-सहित ही उत्क्रमण करता है। वाणी सभी नामों का, नाक सभी गन्धों का, चक्षु सभी रूपों का, कान सभी ध्वनियों का और मन सभी ध्यानस्थ विषयों का परित्याग कर देता है। अत: शरीर में प्राण ही वह प्रज्ञा है और प्रज्ञा ही वह प्राण है, जो एक साथ इस शरीर में निवास करते हैं। शरीर की समस्त इन्द्रियों का परिचालन इन्हीं के द्वारा होता है। प्रज्ञा के द्वारा ही वह समस्त इन्द्रियों के स्वभाव के अनुरूप अनुभूति को प्राप्त करता है। प्रज्ञा के अभाव में सभी का अस्तित्व नगण्य हो जाता है। प्राण अथवा प्रज्ञा के बिना किसी भी रूप, विषय अथवा इन्द्रिय की सिद्धि नहीं हो सकती। जिस प्रकार रथ की नेमि अरों के और अरे रथ की नाभि के आश्रित होते हैं, उसी प्रकार के समस्त इन्द्रियाँ, प्रज्ञा के द्वारा ही विद्यमान हैं। यह प्रज्ञा अथवा प्राण ही परमात्मा का आनन्दस्वरूप और अजर-अमर रूप है। यह न तो अच्छे काम से वृद्धि पाता है औ न बुरे कार्य से संकुचित होता है। यह समदर्शी है। यह समस्त लोकों का अधिपति है और सबका स्वामी है। यह प्राण ही हमारा आत्मा है। इसे जानकर ही परमात्मा की उपस्थिति को अनुभव किया जा सकता है।
पर्यटन एक ऐसी यात्रा (travel) है जो मनोरंजन (recreational) या फुरसत के क्षणों का आनंद (leisure) उठाने के उद्देश्यों से की जाती है. विश्व पर्यटन संगठन (World Tourism Organization) के अनुसार पर्यटक वे लोग हैं जो "यात्रा करके अपने सामान्य वातावरण से बाहर के स्थानों में रहने जाते हैं, यह दौरा ज्यादा से ज्यादा एक साल के लिए मनोरंजन, व्यापार, अन्य उद्देश्यों से किया जाता है, यह उस स्थान पर किसी ख़ास क्रिया से सम्बंधित नहीं होता है. पर्यटन दुनिया भर में एक आरामपूर्ण गतिविधि के रूप में लोकप्रिय हो गया है. २००७ में , ९०३ मिलियन से अधिक अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन के साथ, २००६ की तुलना में ६.६ % की वृद्धि दर्ज की गई.२००७ में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक प्राप्तियां USD ८५६ अरब थी.[१] विश्व अर्थव्यवस्था में अनिश्चितताओं के बावजूद ,२००८ के पहले चार महीनों में आगमन में ५ % की वृद्धि हुई, यह २००७ में समान अवधि में हुई वृद्धि के लगभग समान थी.[१]
हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा है और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जानेवाली भाषा है। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है।
इलाहाबाद में शीशा और तार कारखाने काफी हैं। यहां केमुख्य औद्योगिक क्षेत्र हैं नैनी और फूलपुर, जहां कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों की इकाइयां, कार्यालय और निर्माणियां स्थापित हैं। इनमें अरेवा टी एण्ड डी इण्डिया (बहुराष्ट्रीय अरेवा समूह का एक प्रभाग), भारत पंप्स एण्ड कंप्रेसर्स लि. यानी बीपीसीएल) जिसे जल्दी ही मिनिरत्न घोषित किया जाने वाला है, इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज (आई.टी.आई), रिलायंस इंडस्ट्रीज़-इलाहाबाद निर्माण प्रखंड, हिन्दुस्तान केबल्स, त्रिवेणी स्ट्रक्चरल्स लि. (टी.एस.एल. भारत यंत्र निगम की एक गौण इकाई), शीशा कारखाना, इत्यादि। बैद्यनाथ की नैनी में एक निर्माणी स्थापित है, जिनमें कई कुटीर उद्योग जैसे रसायन, पॉलीयेस्टर, ऊनी वस्त्र, नल, पाईप्स, टॉर्च, कागज, घी, माचिस, साबुन, चीनी, साइकिल एवं पर्फ़्यूम आदि निर्माण होते हैं। इंडीयन फार्मर्स फर्टिलाइजर्स को-ऑपरेटिव इफको फूलपुर क्षेत्र में स्थापित है। यहाम इफको की दो इकाइयां हैं, जिनमें विश्व का सबसे बड़ा नैफ्था आधारित खाद निर्माण परिसर स्थापित है। इलाहाबाद में पॉल्ट्री और कांच उद्योग भी बढ़ता हुआ है। राहत इंडस्ट्रीज़ का नूरानी तेल, काफी अच्छा और पुराना दर्दनिवारक तैल है, जिसकी निर्माणी नैनी में स्थापित है। तीन विद्युत परियोजनाएं मेजा, बारा और कर्चना तहसीलों में जेपी समूह एवं नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन द्वारा तैयार की जा रही हैं।
ऊसर सुधार की विधि क्रमबद्ध चरणबद्ध तथा समयबद्ध प्रणाली है इस विधि से भूमि को पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है |
2.1.2.4 श्र का प्रचलित रूप ही मान्य होगा। इसे ... (इसे मैं टाइप नहीं कर पा रहा हूँ। क्र में क के बदले श लिखा मान लें) के रूप में नहीं लिखा जाएगा। त+र के संयुक्‍त रूप के लिए पहले त्र और ... (इसे मैं टाइप नहीं कर पा रहा हूँ। क्र में क के बदले त लिखा मान लें) दोनों रूपों में से किसी एक के प्रयोग की छूट दी गई थी। परंतु अब इसका परंपरागत रूप त्र ही मानक माना जाए। श्र और त्र के अतिरिक्‍त अन्य व्यंजन+र के संयुक्‍ताक्षर 2.1.2.3 के नियमानुसार बनेंगे। जैसे :– क्र, प्र, ब्र, स्र, ह्र आदि।
4. राजनैतिक दलॉ का राष्ट्रीय ,राज्य स्तर के दलॉ के रूप मे वर्गीकरण ,मान्यता देना, दलॉ-निर्दलीयॉ को चुनाव चिन्ह देना
(७) एरागुडि- यह आन्ध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में स्थित है ।
रिमझिम · बारिश  · हिमपातबर्फीली वर्षा · धुआंधार वर्षा•चक्रवातीय •ओले · ग्रॉपेल •मानसून
किसी न किसी प्रकार चर्च के दुराचरण से ही धर्म और धार्मिक संस्थान में नया संघर्ष आरंभ हो गया। इस अवधि में, साथ ही साथ भूमध्यसागर के पूर्वी तटों पर एक नई शक्ति का उदय हो रहा था, और इस्लाम के उमड़ते ज्वार के पूर्व अनेक ईसाई मतावलंबी पश्चिम की ओर बढ़ चढ़ आए थे। यद्यपि वास्तविक पुनर्जागरण कई दशकों बाद आया तथापि ईसाई धर्म के ये विद्वान् और उपासक उसके अग्रदूत थे। उन्होंने लोगों को अनिर्दिष्ट उत्तेजनाओं से भर दिया।
मलयालम का संधि-विच्छेद है - मलै (मूलशब्द : मलय - अर्थ : पर्वत) + अळम (मूलशब्द : आलयम - अर्थ : स्थान)। इस भाषा के भाषिक भारत के पश्चिमी घाट के गर्भ में निवास करते हैं, और इसी कारण यह नाम पड़ा है। इसका सही उच्चारण ’मलयाळम्’ होता है।
दुर्गा पूजा कोलकाता का सबसे महत्त्वपूर्ण और चकाचौंध वाला उत्सव है। [५८] यह त्यौहार प्रायः अक्तूबर के माह में आता है, पर हर चौथे वर्ष सितंबर में भी आ सकता है। अन्य उल्लेखनीय त्यौहारों में जगद्धात्री पूजा, पोइला बैसाख, सरस्वती पूजा, रथ यात्रा, पौष पॉर्बो, दीवाली, होली, क्रिस्मस, ईद, आदि आते हैं। सांस्कृतिक उत्सवों में कोलकाता पुस्तक मेला, कोलकाता फिल्मोत्सव, डोवर लेन संगीत उत्सव और नेशनल थियेटर फेस्टिवल आते हैं।
साम्य
६२ - बासठ
1623-?   Khasab
Tubo in rame.
कालिदास सम्मान भारत के मध्य प्रदेश की सरकार द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित कला सम्मान है। इसकी स्थापना सन् १९८० में की गयी थी।
मई १८८३ में जब वे १३ साल के थे तब उनका विवाह १४ साल की कस्तूरबा माखनजी से कर दिया गया जिनका पहला नाम छोटा करके कस्तूरबा था और उसे लोग प्यार से बा कहते थे। यह विवाह एक व्यवस्थित बाल विवाह था जो उस समय उस क्षेत्र में प्रचलित लेकिन , उस क्षेत्र में वहां यही रीति थी कि किशोर दुल्हन को अपने मातापिता के घर और अपने पति से अलग अधिक समय तक रहना पड़ता था।१८८५ में , जब गांधी जी १५ वर्ष के थे तब इनकी पहली संतान ने जन्म लिया लेकिन वह केवल कुछ दिन ही जीवित रहीं और इसी साल के प्रारंभ में गांधी जी के पिता करमचंद गाधी भी चल बसे।मोहनदास और कस्तूरबा के चार संतान हुई जो सभी पुत्र थे- हरीलाल १८८८ में जन्में, मणिलाल १८९२ में जन्में, रामदास , १८९७ में जन्में, और देवदास १९०० में जन्में,पोरबंदर में उनके मिडिल स्कूल और राजकोट में उनके हाई स्कूल दोनों में ही शैक्षणिक स्तर पर गांधी जी एक औसत छात्र रहे। उन्होंने अपनी मेट्रिक की परीक्षा भावनगर गुजरात के समलदास कॉलेज कुछ परेशानी के साथ उत्तीर्ण की और जब तक वे वहां रहे अप्रसन्न ही रहे क्योंकि उनका परिवार उन्हें बेरिस्टर बनाना चाहता था। |thumb|गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा ( १९०२ )]] अपने १९वें जन्मदिन से एक महीने से भी कम ४ सिंतबर 1888|१८८८ ]]को गांधी जी यूनिवर्सिटी कालेज ऑफ लंदन में कानून की पढाई करने और बेरिस्टर बनने के लिए इंग्लेंड, लंदनगए। भारत छोड़ते समय जैन भिक्षु बेचारजी के समक्ष हिंदुओं को मांस, शराब तथा संकीर्ण विचारधारा को त्यागने के लिए अपनी अपनी माता जी को दिए गए एक वचन ने उनके शाही राजधानी लंदन में बिताए गए समय को काफी प्रभावित किया। हालांकि गांधी जी ने अंग्रेजी रीति रिवाजों का अनुभव भी किया जैसे उदाहरण के तौर पर नृत्य कक्षाओं में जाना फिर भी वह अपनी मकान मालकिन द्वारा मांस एवं पत्ता गोभी को हजम.नहीं कर सके।उन्होंने कुछ शाकाहारी भोजनालयों की ओर इशारा किया। अपनी माता की इच्छाओं के बारे में जो कुछ उन्होंने पढा था उसे सीधे अपनाने की बजाए उन्होंने बौद्धिकता से शाकाहारी भोजन का अपना भोजन स्वीकार किया। उन्होंने शाकाहारी समाज की सदस्यता ग्रहण की और इसकी कार्यकारी समिति के लिए उसका चयन भी हो गया जहां इन्होंने एक स्थानीय अध्याय की नींव रखी। बाद में उन्होने संस्थाएं गठित करने में महत्वपूर्ण अनुभव का परिचय देते हुए इसे श्रेय दिया। वे जिन शाकाहारी लोगों से मिले उनमें से कुछ थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य थे जिसकी स्थापना १८७५ में विश्व बंधुत्व ,को प्रबल करने के लिए की गई जिसे बौद्ध एवं हिंदु साहित्य के अध्ययन के लिए समर्पित किया गया था। उन्होनें गोधी जी को भगवदगीता पढ़ने के लिए प्रेरित किया। हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म, इस्लाम और अन्य धर्मों .के बारे में पढ़ने से पहले गांधी जी ने धर्म में विशेष रूचि नहीं दिखाई । द्वारा इंग्लैंड और वेल्स बार ([में वापस बुलावे पर वे भारत लौट आए किंतु मुंबई में वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। बाद में एक हाई स्कूल शिक्षक के रूप में अंशकालिक नौकरी के लिए अस्वीकार कर दिए जाने पर उन्होंने याचिकों के लिए मुकदमे लिखने के लिए राजकोट को ही अपना मुकाम बना लिया किंतु एक अंग्रेज अधिकारी की मूर्खता के कारण उसे यह कारोबार भी छोड़ना पड़ा ।अपनी आत्मकथा में , उन्होंने इस घटना का वर्णन उन्होंने अपने बड़े भाई की ओर से परोपकार की असफल कोशिश के रूप में किया है। यही वह कारण था जिस वजह से उन्होंने (१८९३ ) में एक भारतीय फर्म से नेटाल दक्षिणी अफ्रीका जो तब अंग्रेजी साम्राज्य का भाग होता था में एक वर्ष का करार स्वीकार लिया था।
Strangely enough, Muslims are not allowed to enter the hot spring bath. ref
ताओ धर्म (चीनी: 道教 दाओ-ज्याओ) चीन का एक मूल धर्म और दर्शन है । असल में पहले ताओ एक धर्म नहीं बल्कि एक दर्शन और जीवनशैली थी । बाद में बौद्ध धर्म के चीन पहुँचने के बाद ताओ ने बौद्धों से कई धारणाएँ उधार लीं और एक "धर्म" बन गया । बौद्ध धर्म और ताओ धर्म में आपस में समय समय पर अहिंसात्मक संघर्ष भी होता रहा है । ताओ धर्म और दर्शन, दोनो का स्त्रोत दार्शनिक लाओ-त्सी द्वारा रचित ग्रन्थ दाओ-दे-चिंग और ज़ुआंग-ज़ी है । хуй вам!
इस असहयोग का परिणाम यह हुआ कि भारत अमरीकी प्रतिबंधों का सामना करते हुये भी सोवियत संघ से बेहत स्वदेशी तकनीक दो सालो के अथक शोध के बाद विकसित कर ली। हलाकि इसरो में अभी भी रूसी इंजनो का प्रयोग जारी है किन्तु इसे चरणबद्ध तरीके से स्वदेशी तकनीक से चरणों में बदला जा रहा है।
पुदुचेरी के उत्तर पश्चिम में स्थित विल्लुपुरम जिले में इस क्षेत्र का सबसे सुंदर और आकर्षक किला शिंजी है। ८०० फीट ऊंचा यह विशाल किला तीन पहाड़ियों (राजगिरी, कृष्णागिरी और चंद्रायन दुर्ग) तक फैला है। किले का मुख्य हिस्सा राजगिरी पहाड़ पर है जो तीनों पहाड़ों में से सबसे बड़ा है। किले के अंदर अन्नभंडार गृह, शस्त्रागार, टैंक और मंदिर है। इसका प्रवेश द्वार कल्याण महल के सामने है। लगभग ७०० मी. की ऊंचाई पर एक पुल है जो किले को अन्य इमारतों से जोड़ता है। इतनी ऊंचाई से नीचे शिंजी नगर को देखना रोमांचित कर देता है। उचित शुल्क देकर आप इस ऐतिहासिक किले को निकट से देख सकते हैं।
कोरियाई विकिपीडिया विकिपीडिया का कोरियाई भाषा का संकरण है। यह अक्टूबर, २००२ में आरंभ किया गया था और इस पर लेखों की कुल संख्या २५ मई, २००९ तक ९८,७५०+ है। यह विकिपीडिया का सत्ताईसवां सबसे बड़ा संकरण है।
Beginning in late December 1778, the British captured Savannah and controlled the Georgia coastline. In 1780 they launched a fresh invasion and took Charleston as well. A significant victory at the Battle of Camden meant that royal forces soon controlled most of Georgia and South Carolina. The British set up a network of forts inland, hoping the Loyalists would rally to the flag. Not enough Loyalists turned out, however, and the British had to fight their way north into North Carolina and Virginia , with a severely weakened army. Behind them much of the territory they had already captured dissolved into a chaotic guerrilla war , fought predominantly between bands of Loyalist and American militia, which negated many of the gains the British had previously made. [ 82 ] The excesses brought on by the guerilla warfare (though famously exaggerated in the 2000 film The Patriot ) were enough to erode support for the British in the region where it had been strongest. [ edit ] Yorktown 1781 Main article: Siege of Yorktown The siege of Yorktown ended with the surrender of a second British army, paving the way for the end of the American Revolutionary War
दुर्योधन वह भी दे न सका, आशीष समाज की ले न सका,
समयान्तराल से, राजा सेना प्रधानो की क्षमता के अलावा केवल नामधारी शासक रह गए. वास्तविक क्षमता इफोर्स और गेरुसिया को स्थानांतरित कर दी गई.
१९८० – मंगेश पाडगांवकर – 'सलाम'
(३) मान सेहरा- यह हजारा जिले में स्थित है ।
भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री श्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को जब भारत रत्न देने की बात आयी तो उन्होंने जोर देकर मना कर दिया, कारण कि जो लोग इसकी चयन समिति में रहे हों, उनको यह सम्मान नहीं दिया जाना चाहिये। बाद में १९९२ में उन्हें मरणोपरांत दिया गया। [६]
सआदत अली का मकबरा बेगम हजरत महल पार्क के समीप है। इसके साथ ही खुर्शीद जैदी का मकबरा भी बना हुआ है। यह मकबरा अवध वास्तुकला का शानदार उदाहरण हैं। मकबरे की शानदार छत और गुम्बद इसकी खासियत हैं। ये दोनों मकबरे जुड़वां लगते हैं। बड़े इमामबाड़े के बाहर ही रूमी दरवाजा बना हुआ है। यहां की सड़क इसके बीच से निकलती है। इस द्वार का निर्माण भी अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत किया गया था। नवाब आसफउद्दौला ने यह दरवाजा १७८२ ई. में अकाल के दौरान बनवाया था ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। जामी मस्जिद हुसैनाबाद इमामबाड़े के पश्चिम दिशा स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण मोहम्मद शाह ने शुरू किया था लेकिन १८४० ई. में उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने इसे पूरा करवाया। मोती महल गोमती नदी की सीमा पर बनी तीन इमारतों में से प्रमुख है। इसे सआदत अली खां ने बनवाया था।
ऑटोमोबाइल प्रोपुल्सन (Automobile propulsion) प्रौद्योगिकी विकास के अंतर्गत आता है गसोलिने /बिजली (gasoline/electric)और प्लग -इन हाइब्रिड (plug-in hybrid) ,बैटरी इलैक्ट्रिक वाहन (battery electric vehicle),हाइड्रोजन कारें (hydrogen car),बियो फुएल (biofuel),और अन्य वैकल्पिक ईंधनों (alternative fuel).
संस्कृत २००३ देवनागरी विशेषकर संस्कृत हेतु एक यूनिकोड फॉण्ट है। यह देवनागरी को संयुक्ताक्षरों सहित शुद्ध पारम्परिक रुप में दर्शाता है जिस कारण यह हिन्दी/संस्कृत टैक्स्ट के मुद्रण हेतु विशेष उपयोगी है। यह ओंकारानन्द आश्रम द्वारा विकसित किया गया है।
अक्तूबर २००७ तक, आधिकारिक अंतरजनगणनीय अनुमानो के आधार पर टोक्यो में १.२७९ करोड़ लोग निवास करते हैं, जिन्में से ८६.५३ लाख टोक्यो के २३ वार्डों में निवास करते हैं। दोपहर के समय, जनसंख्या में लगभग २५ लाख की वृद्धि हो जाती है क्योंकि कर्मिक और विद्यार्थी आसपास के क्षेत्रों से टोक्यो में आते हैं। यह स्थिति तीन केन्द्रीय वार्डों चियोदा, चूओ, और मिनातो में और अधिक स्पष्ट होती है, जिनकी २००५ की राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार सामूहिक जनसंख्या रात्री के समय ३,२६,०० होती थी, पर दोपहर के समय २४ लाख तक पहुँच जाती थी।
हर की पौडी:
1872 : आर्य समाज के संस्थापक महार्षि दयानंद सरस्वती जी कलकत्ता में केशवचन्द्र सेन से मिले तो उन्होने स्वामी जी को यह सलाह दे डाली कि आप संस्कृत छोडकर हिन्दी बोलना आरम्भ कर दें तो भारत का असीम कल्याण हो। तभी से स्वामी जी के व्याख्यानों की भाषा हिन्दी हो गयी और शायद इसी कारण स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाश की भाषा भी हिन्दी ही रखी।
कटक, कटरा, कटिहार, कन्याकुमारी, कवरत्ती, कानपुर,कायमगंज, कम्पिल,कन्नौज, कालीकट, काँची, कलकत्ता, कुल्लू, कुर्सियांग, कूचबिहार, कूर्ग, केदारनाथ, कोलकाता, कोट्द्वार्, कोडरमा, कोयंबतूर, कोहिमा, कोरबा, कोचीन, कोल्हापुर, कोच्ची,कोटा, कोट्टायम, कामख्या, कुरुक्षेत्र, कूर्ग, कलिंपोंग, कालाहांडी,खम्मम, खगड़िया, खुर्जा, गाजीपुर, गंगानगर, गया, गंगटोक, गोरखपुर, गोंडा, ग्वालियर, गुना,गुवाहाटी, गुंटूर, गुड़गाँव, गाँधीनगर, गुरदासपुर, गुमला, गिरीडीह, गौहाटी, गोआलपाड़ा, गोड्डा, गोपालपुर,घाटशिला, घाटमपुर, केताकी, किर्ति बिगहा कुचेरा
कश्मीर (en:Kashmir, कश्मीरी : कोशूर) भारतीय उपमहाद्वीप का एक हिस्सा है जिसके अलग-अलग भागों पर भारत तथा पाकिस्तान का अधिपत्य है । भारतीय कश्मीर जम्मू और कश्मीर प्रान्त का एक खण्ड है । पाकिस्तान इसपर भारत का अधिकार नहीं मानता और इसे अधिकृत करना चाहता है । कश्मीर एक मुस्लिमबहुल प्रदेश है । आज ये आतंकवाद से जूझ रहा है । इसकी मुख्य भाषा कश्मीरी है ।
इस सूत्रग्रंथ में सूत्रों में पुनरुक्तियाँ बहुत हैं, जैसे 'लिंगदर्शनाच्च' सूत्र 30 बार तथा 'तथा चान्यार्थदर्शनम्‌' 24 बार आए हैं। इसी प्रकार अन्य सूत्रों की भी पुनरुक्तियाँ हैं : इस ग्रंथ में निम्नलिखित आचार्यों के नाम हैं--बादरायण (5 बार), बादरि (5 बार), ऐतिशायन (3 बार); कार्ष्णाजिनि (2 बार), लावुकायन (1 बार), कामुकायन (2 बार), आत्रेय (3 बार), आलेखन (2 बार)। इसके अतिरिक्त जैमिनि ने स्वय पाँच बार अपना नाम भी मीमांसासूत्र में लिया है। इससे ये समझना कि दो जैमिनि हुए हैं, ठीक नहीं है। इस प्रकार अन्य ग्रंथों में भी उल्लेख मिलते हैं। यह प्राय: प्राचीन ग्रंथकारों की लेखशैली थी।
भारतीय आम चुनाव २००४ के फ़लस्वरूप काँग्रेस दल ने सर्वाधिक सीटें जीतीं और वह बड़े ही कम बहुमत से सत्ता में वापस आई। काँग्रेस ने गठजोड़ द्वारा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और बहुत सी राज्य स्तरीय पार्टियों को साथ लेकर यूनाईटेड प्रोग्रेसिव अलायन्स (यूपीए) नामक सरकार बनाई। आज बीजेपी और उसके सहयोगी विपक्ष में मुख्य भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर किसी विशेष पार्टी का दबदबा न होने और राज्य स्तर की कई पार्टियों के राष्ट्रीय स्तर पर उभरने के कारण १९९६ से बनी सभी सरकारों को राजनीतिक गठबन्धनों की आवश्यक्ता पड़ी है।
लाक्षागृह के भस्म होने का समाचार जब हस्तिनापुर पहुँचा तो पाण्डवों को मरा समझ कर वहाँ की प्रजा अत्यन्त दुःखी हुई। दुर्योधन और धृतराष्ट्र सहित सभी कौरवों ने भी शोक मनाने का दिखावा किया और अन्त में उन्होंने पाण्डवों की अन्त्येष्टि करवा दी।
(1) पूर्वी भाग जिसमें वर्तमान चीन के सिंघाई एवं सिकांग प्रांत हैं। इसे (Inner Tibet) अंतार्वर्ती तिब्बत कहा गया।
मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ मानव के उन सभी व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है जिस पर प्रयोग करना सम्भव है। सैद्धान्तिक रूप से ऐसे तो मानव व्यवहार के किसी भी पहलू पर प्रयोग किया जा सकता है परंतु मनोविज्ञानी उसी पहलू पर प्रयोग करने की कोशिश करते हैं जिसे पृथक किया जा सके तथा जिसके अध्ययन की प्रक्रिया सरल हो। इस तरह से दृष्टि, श्रवण, चिन्तन, सीखना आदि जैसे व्यवहारों का प्रयोगात्मक अध्ययन काफी अधिक किया गया है। मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में उन मनोवैज्ञानिकों ने भी काफी अभिरुचि दिखलाया है जिन्हें प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का संस्थापक कहा जाता है। इनमें विलियम वुण्ट, टिचेनर तथा वाटसन आदि के नाम अधिक मशहूर हैं।
शुल्क सूत्र- यज्ञ स्थल तथा अग्निवेदी के निर्माण तथा माप से सम्बंधित नियम इसमें हैं। इसमें भारतीय ज्यामितीय का प्रारम्भ रूप दिखाई देता है।
गुरुमुखी लिपि में 35 वर्ण होते हैं। पहले तीन वर्ण बिल्कुल खास हैं क्योंकि क्योंकि वे स्वर वर्णों के आधार होते हैं। सिर्फ ऐरा को छोड़कर बाकी पहले तीन वर्ण अकेले कहीं नहीं प्रयुक्त होते। विस्तार से समझने के लिए स्वर वर्ण को देखें
कंदरिया महादेव मंदिर के चबूतरे के उत्तर में जगदम्बा देवी का मंदिर है। जगदम्बा देवी का मंदिर पहले भगवान विष्णु को समर्पित था, और इसका निर्माण 1000 से 1025 ईसवीं के बीच किया गया था। सैकड़ों वर्षों पश्चात यहां छतरपुर के महाराजा ने देवी पार्वती की प्रतिमा स्थापित करवाई थी इसी कारण इसे देवी जगदम्बा मंदिर कहते हैं। यहां पर उत्कीर्ण मैथुन मूर्तियों में भावों की गहरी संवेदनशीलता शिल्प की विशेषता है। यह मंदिर शार्दूलों के काल्पनिक चित्रण के लिए प्रसिद्ध है। शार्दूल वह पौराणिक पशु था जिसका शरीर शेर का और सिर तोते, हाथी या वराह का होता था।
मनु पर कई व्याख्याएँ प्रचलित हैं--(1) पेधातिथिकृत भाष्य; (2) कुल्लूककृत मन्वर्थ मुक्ताव ली टीका; (3) नारायणकृत मन्वर्थ विवृत्ति टीका; (4) राघवानंद कृत मन्वर्थ चंद्रिका टीका; (5) नंदनकृत नंदिनी टीका; (6) गोविंदराज कृत मन्वाशयानसारिणी टीका आदि। मनु के अनेक टीकाकारों के नाम ज्ञात हैं, जिनकी टीकाएँ अब लुप्त हो गई हैं, यथा--असहाय, भर्तृयज्ञ, यज्वा, उपाध्याय ऋजु, विष्णुस्वामी, उदयकर, भारुचि या भागुरि, भोजदेव धरणीधर आदि।
महाराजगंज के इटहिया स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर स्थानीय लोगों के सहयोग से मेले का आयोजन किया जाता है।
अलंकारों का प्रयोग भारतेंदु जी के काव्य में सहज रूप से हुआ है। उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक और संदेह अलंकारों के प्रति भारतेंदु जी की अधिक रुचि है। शब्दालंकारों को भी स्थान मिला है।निम्न पंक्तियों में उत्प्रेक्षा और अनुप्रास अलंकार की योजना स्पष्ट दिखाई देती है:
१९८२ – प्रभाकर पाध्ये – 'सौंदर्यानुभव'
(४) उर्दू - हिन्दी का वह रूप जो देवनागरी लिपि के बजाय फ़ारसी-अरबी लिपि में लिखा जाता है। इसमें संस्कृत के शब्द कम होते हैं,और फ़ारसी-अरबी के शब्द अधिक। यह भी खड़ीबोली पर ही आधारित है।
दक्षिण में आलवार बंधु नाम से प्रख्यात भक्त हो गए। इनमें से कई तथाकथित नीची जातियों से आए थे। वे बहुत पढे-लिखे नहीं थे परंतु अनुभवी थे। आलवारों के पश्चात दक्षिण में आचार्यों की एक परंपरा चली जिसमें रामानुजाचार्य प्रमुख थे।
बुद्ध के अनुसार सद्धम्म क्या है-- 1. जो धम्म प्रज्ञा की वृद्धि करे--
संस्कृति भवन, वाणगंगा, भोपाल, मध्यप्रदेश-462003
19वीं शताब्दी में, उपनिवेशी की स्वतंत्रता का आंदोलन प्रारंभ हुआ तथा कनाडा ऐस "श्वेत" उपनिवेशों ने, स्वशासन का अधिकार प्राप्त कर लिया। पश्चात् 20 वीं शताब्दी के प्रांरभ में भारत, बर्मा आदि देशों ने उपनिवेश का जुआ उतार फेंका और स्वतंत्र हो गए। किंतु तो भी संसार में अनेक देश उपनिवेश बने रहे। सन् 1960 में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने उपनिवेशवाद के खिलाफ अपना ऐतिहासिक घोषणापत्र जारी किया जिसके बाद साइप्रस, केनिया, गोआ तथा अनेक अफ्रीको देशों की मुक्ति संभव हुई। (हो.ना.मु.)
चम्बल के पश्चात यमुना नदी में मिलने वाली नदियों में सेंगर, छोटी सिन्ध, बतवा और केन उल्लेखनीय हैं। इटावा के पश्चात यमुना के तटवर्ती नगरों में काल्पी, हमीर पुर और प्रयाग मुख्य है। प्रयाग में यमुना एक विशाल नद के रुप में प्रस्तुत होती है और वहां के प्रसिद्ध ऐतिहासिक किले के नीचे गंगा में मिल जाती है। प्रयाग में यमुना पर एक विशाल पुल निर्मित किया गया है, जो दो मंजिला है। यह उत्तर प्रदेश का विशालतम सेतु माना जाता है। यमुना और गंगा के संगम के कारण ही, प्रयाग को तीर्थराज का महत्व प्राप्त हुआ है। यमुना नदी की कुल लम्बाई उद्गम से लेकर प्रयाग संगम तक लगभग ८६० मील है।
ताओ का द्वितीय महानतम अनुयायी गुरु चुआङ चाऊ या चुआङ जू हुआ है। इसने ताओ जू की अपेक्षा भी अधिक गहन रूप से एवं व्यापक दृष्टिकोण से "ताओ" के सिद्धातों का प्रतिपादन किया। वह चीन का सबसे महान् रहस्यवादी भी समझा जाता है। उसका मौलिक विचार निरपेक्ष समानता एवं प्रत्येक जीव से मुक्ति प्राप्त करना है। साथ ही साथ पूर्ण एकता और सभी जीवों के साथ अभिन्नता स्थापित करना है। किसी प्रकार का कोई भेद विभेद नहीं होना चाहिए जैसे "अच्छा या बुरा", "सत् या असत्", "बड़ा या छोटा", "लंबा या नाटा", "ऊँच या नीच", "धनी या दरिद्र", "कुलीन या सामान्य", "बुद्ध या नौजवान", "प्रारंभ या अंत", जीवन या मृत्यु इत्यादि। क्योंकि ये सभी मनुष्यकृत सापेक्ष पद हैं। वास्तव में य सभी एक और अभिन्न हैं क्योंकि सभी जीव उसी "ताओ" से उत्पन्न हुए हैं और उसी "ताओ" में विलीन हो जाएँगे। कठिनाई इस बात की है कि जब ये सभी वस्तुएँ एक बार बनाई गईं तब मनुष्यों न केवल अलगाव और भेद ही देखा किंतु मौलिक एकता और अभिन्नता का कुछ भी ध्यान नहीं रखा। यही समस्त पक्षपातों एवं अज्ञानता का कारण रहा। साथ ही साथ इसी कारण संघर्ष एवं कलह, घृणा और शत्रुता, हिंसा और निर्दयता, कारावास एवं दासता और अनेक अन्य बुरी बातें समय समय पर हर प्रकार का कष्ट ओर दु:ख देती रही हैं। जब तक हम लोग इन समस्त वस्तुओं को समाप्त नहीं कर लेंगे विश्व में वास्तविक स्वतंत्रता एवं सुख नहीं दिखलाई देगा।
यातायात की स्थिति तथा सुरक्षा में सुधार एव नई प्रौद्योगिकी की पुन : स्‍थापना करने के लिए मंत्रालय ने अनेक सुधार के उपाय किए हैं अर्थात देश में विश्‍वस्‍तरीय रेल का विकास करना। तद्नुसार बजट में रेल के लिए एक नया प्रोफाइल 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए तैयार किया गया है। इसमें निम्‍नलिखित शामिल हैं:-
इस प्रकार हम देखते हैं कि द्वितीय महायुद्ध और उसके उत्तरकालीन साहित्य में जीवन की विभीषिका, कुरूपता और असंगतियों के प्रति अंसतोष तथा क्षोभ ने कुछ आगे पीछे दो प्रकार की प्रवृत्तियों को जन्म दिया। एक का नाम प्रगतिवाद है, जो मार्क्स के भौतिकवादी जीवनदर्शन से प्रेरणा लेकर चला; दूसरा प्रयोगवाद है, जिसने परंपरागत आदर्शों और संस्थाओं के प्रति अपने अंसतोष की तीव्र प्रतिक्रियाओं को साहित्य के नवीन रूपगत प्रयोगों के माध्यम से व्यक्त किया। इसपर नए मनोविज्ञान का गहरा प्रभाव पड़ा।
Oxid titaničitý - TiO2
संत ज्ञानेश्वर महाराष्ट्र के एक महान् सन्त् थे जिन्होने ज्ञानेश्वरी की रचना की। संत ज्ञानेश्वर की गणना भारत के महान संतों एवं मराठी कवियों में होती है ।
कशेरुकियों का ह्रदय हृद पेशी (cardiac muscle)से बना होता है, जो एक अनैच्छिक पेशी (involuntary muscle)उतक है, जो केवल अंग में ही पाया जाता है. औसतन मानव ह्रदय एक मिनट में ७२ बार धड़कता है, जो (लगभग ६६वर्ष )एक जीवन काल में २.५ बिलियन बार धड़कता है.इसका भार औसतन महिलाओं में २५० से ३०० ग्राम और पुरुषों में ३०० से ३५० ग्राम होता है.[१]
खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनिया कटि पीरी कछौटी।।
4. चातुरी षोडशी
जिस तरह एक कवि बिम्बों के माध्यम से अपनी भावनाऒं को अभिव्यक्त करता है। उसी प्रकार एक विज्ञापन भी प्रतिकात्मक रूप से मानवीय इच्छाओं, भावनाओं एवं कामनाओं का स्पर्श करता है।
जिलाधिकारी - Mr. Uday Pratap Singh(March 2009 में)
शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, छन्द और निरूक्त - ये छ: वेदांग है।
भास्कर राय दीक्षित ने संकर्षण कांड की व्याख्या के अंत में लिखा है कि षोडषाध्यायी मीमांसा के रहते हुए भी पठनपाठन मध्य काल में द्वादशाध्याय का ही होता था।
महाभारत युग में अंधकवृष्णियों का संघ गणतंत्रात्मक था। साम्राज्यों की प्रतिद्वंद्विता में भाग लेने में समर्थ उसके प्रधान कृष्ण महाभारत की राजनीति को मोड़ देने लगे। पाणिनि (ईसा पूर्व पाँचवीं-सातवीं सदी) के समय सारा वाहीक देश (पंजाब और सिंध) गणराज्यों से भरा था। महावीर और बुद्ध ने न केवल ज्ञात्रिकों और शाक्यों को अमर कर दिया वरन् भारतीय इतिहास की काया पलट दी। उनके समय में उत्तर पूर्वी भारत गणराज्यों का प्रधान क्षेत्र था और लिच्छवि, विदेह, शाक्य, मल्ल, कोलिय, मोरिय, बुली और भग्ग उनके मुख्य प्रतिनिधि थे। लिच्छवि अपनी शक्ति और प्रतिष्ठा से मगध के उदीयमान राज्य के शूल बने। पर वे अपनी रक्षा में पीछे न रहे और कभी तो मल्लों के साथ तथा कभी आस पास के अन्यान्य गणों के साथ उन्होंने संघ बनाया जो बज्जिसंघ के नाम से विख्यात हुआ। अजातशत्रु ने अपने मंत्री वर्षकार को भेजकर उन्हें जीतने का उपाय बुद्ध से जानना चाहा। मंत्री को, बुद्ध ने आनंद को संबोधित कर अप्रत्यक्ष उत्तर दिया-----आनंद! जब तक वज्जियों के अधिवेशन एक पर एक और सदस्यों की प्रचुर उपस्थिति में होते हैं; जब तक वे अधिवेशनों में एक मन से बैठते, एक मन से उठते और एक मन से संघकार्य संपन्न करते हैं; जब तक वे पूर्वप्रतिष्ठित व्यवस्था के विरोध में नियमनिर्माण नहीं करते, पूर्वनियमित नियमों के विरोध में नवनियमों की अभिसृष्टि नहीं करते और जब तक वे अतीत काल में प्रस्थापित वज्जियों की संस्थाओं और उनके सिद्धांतों के अनुसार कार्य करते हैं; जब तक वे वज्जि अर्हतों और गुरु जनों का संमान करते हैं, उनकी मंत्रणा को भक्तिपूर्वक सुनते हैं; जब तक उनकी नारियाँ और कन्याएँ शक्ति और अपचार से व्यवस्था विरुद्ध व्यसन का साधन नहीं बनाई जातीं, जब तक वे वज्जिचैत्यों के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखते हैं, जब तक वे अपने अर्हतों की रक्षा करते हैं, उस समय तक हे आनंद, वज्जियों का उत्कर्ष निश्चित है, अपकर्ष संभव नहीं। गणों अथवा संघों के ही आदर्श पर स्थापित अपने बौद्ध संघ के लिए भी बुद्ध ने इसी प्रकार के नियम बनाए। जब तक गणराज्यों ने उन नियमों का पालन किया, वे बने रहे, पर धीरे धीरे उन्होंने भी राज की उपाधि अपनानी शरू कर दी और उनकी आपसी फूट, किसी की ज्येष्ठता, मध्यता तथा शिष्यत्व न स्वीकार करना, उनके दोष हो गए। संघ आपस में ही लड़ने लगे और राजतंत्रवादयों की बन आई। तथापि गणतंत्रों की परंपरा का अभी नाश नहीं हुआ। पंजाब और सिंध से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार तक के सारे प्रदेश में उनकी स्थिति बनी रही। चौथी सदी ईसवी पूर्व में मक्दूनियाँ के साम्राज्यवादी आक्रमणकार सिकंदर को, अपने विजय में एक एक इंच जमीन के लिए केवल लड़ना ही नहीं पड़ा, कभी कभी छद्म और विश्वासघात का भी आश्रय लेना पड़ा। पंजाबी गणों की वीरता, सैन्यकुशलता, राज्यभक्ति, देशप्रेम तथा आत्माहुति के उत्साह का वर्णन करने में यूनानी इतिहासकार भी न चूके। अपने देश के गणराज्यों से उनकी तुलना और उनके शासनतंत्रों के भेदोपभेद उन्होंने समझ बुझकर किए। कठ, अस्सक, यौधेय, मालव, क्षुद्रक, अग्रश्रेणी क्षत्रिय, सौभूति, मुचुकर्ण और अंबष्ठ आदि अनेक गणों के नरनारियों ने सिकंदर के दाँत खट्टे कर दिए और मातृभूमि की रक्षा में अपने लहू से पृथ्वी लाल कर दी। कठों और सौभूतियों का सौंदयप्रेम अतिवादी था और स्वस्थ तथा सुदंर बच्चे ही जीने दिए जाते थे। बालक राज्य का होता, माता पिता का नहीं। सभी नागरिक सिपाही होते और अनेकानेक गणराज्य आयुधजीवी। पर सब व्यर्थ था, उनकी अकेलेपन की नीति के कारण। उनमें मतैक्य का अभाव और उनके छोटे छोटे प्रदेश उनके विनाश के कारण बने। सिकंदर ने तो उन्हें जीता ही, उन्हीं गणराज्यों में से एक के (मोरियों के) प्रतिनिधि चंद्रगुप्त तथा उसके मंत्री चाणक्य ने उनके उन्मूलन की नीति अपनाई। परंतु साम्राज्यवाद की धारा में समाहित हो जाने की बारी केवल उन्हीं गणराज्यों की थी जो छोटे और कमजोर थे। कुलसंघ तो चंद्रगुप्त और चाणक्य को भी दुर्जय जान पड़े। यह गणराज्यों के संघात्मक स्वरूप की विजय थी। परंतु ये संघ अपवाद मात्र थे। अजातशत्रु और वर्षकार ने जो नीति अपनाई थी, वहीं चंद्रगुप्त और चाणक्य का आदर्श बनी। साम्राज्यवादी शक्तियों का सर्वात्मसाती स्वरूप सामने आया और अधिकांश गणतंत्र मौर्यों के विशाल एकात्मक शासन में विलीन हो गए।
काशी विद्यापीठ की स्थापना १० फरवरी सन् १९२१ में बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने की थी और गांधीजी ने इसकी आधारशिला रखिइ थी| शिव प्रसाद जी राष्ट्रवादी शिक्षाविद थे। जुलाई १९६३ में इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मानद विश्वविद्यालय घोषित किया गया। १५ जनवरी सन् १९७५ से इसे चार्टर्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया गया।
गाँव के अंदर कुछ दूर पैदल चलने के बाद मंदिर का मुख्य द्वार नजर आने लगता है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर की भव्य इमारत सिंधु-आर्य शैली का उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर के अंदर गर्भगृह में प्रवेश करने के बाद शिवलिंग की केवल आर्घा दिखाई देती है, लिंग नहीं। गौर से देखने पर आर्घा के अंदर एक-एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं। इन लिंगों को त्रिदेव- ब्रह्मा-विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है। भोर के समय होने वाली पूजा के बाद इस आर्घा पर चाँदी का पंचमुखी मुकुट चढ़ा दिया जाता है।
वाक्य तीन काल में से किसी एक में हो सकते हैं:
प्रारम्भिक भवनों का नि‍र्माण स्थानीय लोगों, जिन्हे Picunche Indians भी कहा जाता था, की मदद से किया गया । शहर के दक्षिणी किनारे पर स्थित मापोचो नदी को बाद में सुखाया गया और जनता के आवागमन तथा अन्य सुविधाओं के लिये खोल दिया गया। सुखाये गए स्थान को आलामेदा कहा जाता था। वैसे इसे अब Avenida Alameda Libertador Bernardo O'Higgins कहा जाता है। १८१०-१८१८ में शहर के दक्षिणी-पश्चिमी छोर में चले चिली युद्ध War of Independence में यह शहर आंशिक रुप से क्षतिग्रस्त हो गया था। (1810–18), in the Battle of Maipú। १८१८ में इस सेंटियागो (Santiago)शहर को राजधानी बनाया गया।
The Taj Mahal, the "teardrop on eternity", was completed in 1648 by the emperor Shah Jahan in memory of his wife Mumtaz Mahal who died while giving birth to their 14th child. The extensive use of precious and semiprecious stones as inlay and the vast quantity of white marble required nearly bankrupted the empire. The Taj Mahal is completely symmetric other than the sarcophagus of Shah Jahan, which is placed off center in the crypt room below the main floor. This symmetry extended to the building of an entire mirror mosque in red sandstone, to complement the Mecca-facing mosque place to the west of the main structure.
पौराणिक-महाकाव्य युग की महान विभूति, महाभारत, अट्ठारह पुराण, श्रीमद्भागवत, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा जैसे अद्वितीय साहित्य-दर्शन के प्रणेता वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग ३००० ई. पूर्व में हुआ था। वेदांत दर्शन, अद्वैतवाद के संस्थापक वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे। पत्नी आरुणी से उत्पन्न इनके पुत्र थे महान बाल योगी शुकदेव। श्रीमद्भागवत गीता विश्व के सबसे बड़े महाकाव्य 'महाभारत' का ही अंश है। रामनगर के किले में और व्यास नगर में वेदव्यास का मंदिर है जहॉ माघ में प्रत्येक सोमवार मेला लगता है। गुरु पूर्णिमा का प्रसिद्ध पर्व व्यास जी की जयन्ती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
नाइजीरिया के प्राचीन इतिहास को देखने पर पता चलता है कि यहां सभ्‍यता की शुरुआत ईसा पूर्व 9000 में हुई थी। 1 अक्‍टूबर, 1960 को यह देश इंग्‍लैंड के शासन से आजाद हुआ। 1991 में यहां की राजधानी लागोस से बदलकर आबुजा बनाई गई।
इन सुझावों पर भी ध्यान दें कि विशेष प्रकार की लाल शराब पीना ह्रदय रोग के खतरे को कम करता है.यह इसका मुख्य कारण है कि फ्रांस में लोग ऐसे अच्छे भोजन का आनंद उठाते हैं, और उन्हें ह्रदय की समस्याएं कम होती हैं.बेशक अन्य कारकों पर भी विचार किया जाना चाहिए, जैसे जीवन शैली, समग्र स्वास्थ्य (मानसिक,सामाजिक, आध्यात्मिक और भौतिक या शारीरिक).[८][९][१०][११]
लगभग ७० वर्ष तक इन्होंने सभी विख्यात गायकों एवं नर्तकों को अपने तबले पर संगति दी। १९५४ में इन्होंने ढाई घंटे लगातार तबला बजाने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था।[१] इन्हें सभी शैलियों में तबला वादन पर महारत प्राप्त थी, किंतु इनकी विशेषता बनारस बज में थी। १९६१ में इन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया था। १ अगस्त, १९७० को ९० वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गयी। इनके भतीजे किशन महाराज भी विख्यात तबला वादक हैं।[२]
 · सूरा · भारत की प्रसिद्ध मस्जिदें · इस्लामी शब्दों का शब्द संग्रह
बहरहाल इसे भाजपा में एक युग के अंत के रुप में देखा जा रहा है.
सैद्धांतिक मैक्रोइकॉनॉमिक्स में कुल उपभोग को इस प्रकार से विभाजित करने के दो फायदे हैं:
टोकोफ़ेरॉल के न्यूनतम सीरम स्तरों के साथ तुलना करने पर उच्चतम दर्शाने वाली महिलाओं में HPV मुक्त समय विशेषतः कम था, लेकिन इन संबंधों में महत्वपूर्ण प्रवृत्तियां </=120 दिनों तक जारी रहने वाले संक्रमणों तक ही सीमित थीं. स्थाई HPV संक्रमण (>120 दिनों तक चलने वाले) से मुक्ति, टोपोफ़ेरॉल के परिसंचारी स्तरों से विशिष्टतः जुड़े नहीं थे.इस अन्वेषण के परिणाम, गर्भाशय-ग्रीवा के कैंसरजनक HPV संक्रमण की घटना को तेजी से हटाने में सूक्ष्म-पोषकतत्वों से संबंध का समर्थन करते हैं.[५०]
। * पटना और गया जिला का क्षेत्र प्राचीनकाल में मगध के नाम से जाना जाता था ।
कंप्यूटर की सहायता से नेपाली, पंजाबी, कश्मीरी तथा गुजराती भाषा के माध्यम से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिंदी स्वयं सीखने के लिए प्रोग्राम तैयार करवा कर राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया ।
रेल मार्ग द्वारा महाराजगंज आसानी से पहुंचा जा सकता है।
भारतीय समाज बहुधर्मिक, बहुभाषी तथा मिश्र-सांस्कृतिक है। पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों को काफी आदर की दृष्टि से देखा जाता है।
California’s two nuclear power plants account for almost one-fifth of total generation, these are:[२९][३०]
वर्ष २००७ में मकर संक्रांति के अवसर पर लगभग ३ लाख लोगों ने यहां स्नान किया। यह संख्या अगले वर्ष घटकर २ लाख रह गई। ऐसा कुंभ मेले के कारण हुआ। शेष वर्ष पर्यन्त ५० हजार तीर्थयात्रियों ने स्नान किए। [५]२००८ में पांच लाख श्रद्धालुओं ने सागर द्वीप में स्नान किया।[६] यहां आने वाले श्रद्धालुओं से १० भारतीय रुपए कर लिया जाता है। [२]
सोविएत संघ यह समझ गया था की फ्रांस और इंग्लैंड को उसका साथ पसंद नही और जर्मनी अगर उस पर हमला करेगा तो भी फ्रांस और इंग्लैंड उस के साथ नही होंगे तो उसने जर्मनी के साथ मिलकर उसपर आक्रमण न करने का समझौता ( नॉन अग्ग्रेसन पैक्ट ) पर हस्ताक्षर किए और खुफिया तौर पर पोलैंड और बाकि पूर्वी यूरोप को आपस में बाटने का ही करार शामिल था .
जैसा कि आमतौर पर भारतीय संगीत मे होता है, कर्नाटक संगीत के भी दो मुख्य तत्व राग और ताल होता है।
प्रत्येक महीने में तीस दिन होते हैं। तीस दिनों को चंद्रमा की कलाओं के घटने और बढ़ने के आधार पर दो पक्षों यानी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में विभाजित किया गया है। एक पक्ष में लगभग पंद्रह दिन या दो सप्ताह होते हैं। एक सप्ताह में सात दिन होते हैं। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएँ बढ़ती हैं और कृष्ण पक्ष में घटती हैं।
प्रधान मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति उद्धव की मूर्ति कहलाती है, क्योंकि भगवान कृष्ण के मित्र उद्धव ने इसकी पूजा की थी। चतुर्भुज स्वरूप की यह सुंदर मूर्ति कला स्पष्टत: एक महान धरोहर है जो शंख, चक्र, गदा एवं पद्म धारण किये हुए है, पर उस परंपरागत क्रम में नहीं, जैसा वे होते हैं। गदा एवं चक्र का स्थान एक-दूसरे से बदल गया है। कहा जाता है कि ऐसा इसलिये किया गया है कि राजा को यह सूक्ष्म संदेश मिले कि ये चार तत्व के उद्देश्यों का अनुगमन करें तो, अपनी प्रजा उसे भगवान विष्णु की तरह मानेगी।
इन्हें भी देखें
जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है।
1857 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
Captain De Lannoy's Tomb at Udayagiri Fort
Caption1
द्वितीय महायुद्ध के बीच फासिस्ट विचारों का ह्रास तथा समाजवादी विचारों और आंदोलनों की प्रगति हुई है। पूर्वी यूरोप के साम्यवादी शासनों के अतिरिक्त पश्चिमी यूरोप में कुछ काल के लिए कई देशों में समाजवादी और साम्यवादी दलों के सहयोग से सम्मिलित शासन बने। यूरोप के कुछ अन्य देशों जैसे (ब्रिटेन, स्वीडन, नार्वें, फिनलैंड) तथा आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आदि देशों में समय समय पर समाजवादी सरकारें बनती रही हैं। इस काल में एशिया, अफ्रीका और लातीनी अमरीका के देशों में भी समाजवादी शासन स्थापित हो चुके हैं। इनमें चीन, बर्मा, हिंद एशिया, सिंगापुर, संयुक्त अरब गणराज्य, घाना, क्यूबा और इजरायल मुख्य हैं।
स्थान क्रम से वर्णित देवता
पर्यटको का काफिला
श्री शैलम एक पवित्र धार्मिक नगर है, और मंडल भी है। यह नल्लमाला पर्वत, आंध्र प्रदेश पर बसा हुआ है। यह हैदराबाद से 232 कि.मि. दक्षिण में कृष्णा नदी के किनारे स्थित है। यहां भगवान मल्लिकार्जुन स्वामी और भ्रमरांब को समर्पित मंदिर है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक है। यहां कृष्णा नदी पर एक बहुउद्देशीय बांध भी बना है, जो कि राज्य की सिंचाई जल और विद्युत आपूर्ति में सहयोग देता है। यह बांध हैदराबाद से 245 कि.मि. और नांद्याल से 132 कि.मि. दूर है। श्री शैलम की स्थिति 16.0833° N 78.8667° E.[१] पर है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 409 मीटर (1345 फ़ीट). है।
१०) शोध से ऐसा पाया गया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
DVD ऑडियो डिस्क, एक DRM क्रियाविधि का उपयोग करता है, जिसे कॉन्टेंट प्रोटेक्शन फॉर प्रीरिकॉर्डेड मीडिया (CPPM) कहते हैं, जिसे 4C समूह (IBM, Intel, Matsushita, और Toshiba) द्वारा विकसित किया गया है.
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चतुर्थ सूत्र - इस सूत्र में प्रथम प्रतिज्ञा के समर्थन के लिए चतुर्थ अधिकरण है। इस अधिकरण में लोक सिद्ध प्रत्यक्ष प्रमाण का लक्षण - "इंद्रियार्थसन्निकर्षजन्यं ज्ञानं प्रत्यक्षम्"। अर्थात् प्रत्यक्ष वर्तमान सन्निकृष्ट को ही ग्रहण करता है और धर्म उत्पद्यमान है, अतएव प्रत्यक्ष धर्म में प्रमाण नहीं हो सकता, क्योंकि धर्म भविष्यत् कालिक है। इन वचनों से मीमांसाकार ने प्रत्यक्षोपजीवी अनुमान उष्मान, और अर्थापत्ति को भी प्रमाण नहीं माना है।
वातावरण हमारे चारों ओर की दशाओं को कहते हैं । हमारे चारों ओर की हवा, वस्तुएं और हमारा समाज जिसमें हम रहते हैं वातावरण का अभिन्न अंग हैं । ये हमारे जीवन के ढंग को पारिभाषित करने में अपनी अहम भूमिका निभाता है ।
वायु प्रदूषण (Air pollution)
संस्थान का मुख्य कार्य हिंदी भाषा से संबंधित क्षैक्षणिक कार्यक्रम चलाना, शोध कार्य संपन्न करना एवं हिन्दी के प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है। प्रारंभ में संस्थान का प्रमुख कार्य अहिंदी भाषी क्षेत्रों के लिए योग्य, सक्षम एवं प्रभावकारी हिंदी अध्यापकों को ट्रेनिंग कॉलेज और स्कूली स्तरों पर पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करना था। परंतु बाद में हिंदी के शैक्षिक प्रचार-प्रसार और विकास को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्रों और प्रकार्यों को विस्तृत किया, जिसके अंतर्गत हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिंदी भाषा-परक शोध, भाषाविज्ञान तथा तुलनात्मक साहित्य आदि विषयों से संबंधित मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों को संचालित करना प्रारंभ किया तथा विविध स्तरीय पाठ्यक्रमों, शैक्षिक सामग्री, अध्यापक निर्देशिकाएँ इत्यादि तैयार करने का कार्य भी प्रारंभ किया।
यह वैक्रान्त की जाति का पत्थर होता है।
आर्यभट्ट गणित और खगोल विज्ञान पर अनेक ग्रंथों के लेखक है, जिनमे से कुछ खो गए हैं. उनकी प्रमुख कृति, आर्यभटीय , गणित और खगोल विज्ञान का एक संग्रह है, जिसे भारतीय गणितीय साहित्य में बड़े पैमाने पर उद्धत किया गया है, और जो आधुनिक समय में भी अस्तित्व में है.आर्यभटीय के गणितीय भाग में अंकगणित, बीजगणित, सरल त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति शामिल हैं.इसमे निरंतर भिन्न (कॅंटीन्यूड फ़्रेक्शन्स), द्विघात समीकरण(क्वड्रेटिक इक्वेशंस), घात श्रृंखला के योग(सम्स ऑफ पावर सीरीज़) और जीवाओं की एक तालिका(टेबल ऑफ साइंस) शामिल हैं.
यह भारत-बर्मा सीमा से ६ किलोमीटर दूर है।
इस प्रकार से कैंसर एक प्रगतिशील रोग है, और ये प्रगतिशील त्रुटियां धीरे धीरे कोशिका में संचित होती रहती हैं जब तक जंतु में उपस्थित कोशिका अपने कार्यों के विपरीत कार्य नहीं करने लगती.
भारतीय चित्रकला की सबसे शुरूआती कृतियाँ पूर्व ऐतिहासिक (pre-historic) काल में रॉक पेंटिंग के रूप में थी . भिम्बेद्का जैसी जगहों पाये गए पेट्रोग्लिफ (petroglyph) - जिनमें से कुछ प्रस्तर युग में बने थे - इसका उदारहण है प्राचीन ग्रंथों में दर्राघ के सिद्धांत और उपाख्यानों के ज़रिये ये बताया गया है कि दरवाजों और घर के भीतरी कमरों, जहाँ मेहमान ठहराए जाते थे, उन्हें पेंट करना एक आम बात थी.
३० जनवरी, १९४८, गांधी की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वे नई दिल्ली (New Delhi).के बिड़ला भवन (बिरला हाउस (Birla House)) के मैदान में रात चहलकदमी कर रहे थे। गांधी का हत्यारा नाथूराम गौड़से (Nathuram Godse)एक पागल आदमी था जिसके कट्टरपंथी हिंदु महासभा (Hindu Mahasabha)के साथ संबंध थे जिसने गांधी जी को पाकिस्तान [१७] को भुगतान करने के मुद्दे को लेकर भारत को कमजोर बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। गोड़से और उसके उनके सह षड्यंत्रकारी नारायण आप्टे (Narayan Apte) को बाद में केस चलाकर सजा दी गई तथा १५ नवंबर१९४९.को इन्हें फांसी दे दी गई। ) राजधाट (Rāj Ghāt), नई दिल्ली (New Delhi), में गांधी जी के स्मारक ( या समाधि पर "देवनागरी:में हे राम " लिखा हुआ है।राम या , वह ( ( IAST | राम) )) , जिसका अनुवाद " अरे परमेश्वर " .किया जा सकता है। ऐसा व्यापक तोर पर माना जाता है कि जब गांधी जी को गोली मारी गई तब उनके मुख से निकलने वाले ये अंतिम शब्द थे। हालांकि इस कथन पर विवाद उठ खड़े हुए हैं।[१८]जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया :
उनका नाम मूलशंकर रखा गया और उनका आरंभिक जीवन बहुत आरामदायक ढ़ंग से बीता। आगे चलकर एक पंडित बनने के लिए वे संस्कृत, वेद शास्त्रों और अन्य धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन में लग गए।[३][४]
शहर के समीपस्थ जिलों में हरियाणा के अंबाला और पंचकुला तथा पंजाब के मोहाली, पटियाला और रोपड़ जिले हैं। इसके उत्तरी भाग से हिमाचल प्रदेश की सीमाएं अधिक दूर नहीं हैं। शहर की जलवायु उप-उष्णकटिबन्धीय महाद्वीपीय मानसून प्रकार की है; जिसमें ऊष्म ग्रीष्म काल, कुछ शीतल शीतकाल, अविश्वसनीय वर्षा और तापमान में बड़े अंतर (-१ °से. सेo ४१.२ °से.) का अनुमान रहता है। शीतकाल में दिसंबर व जनवरी के माह में कभी-कभार कोहरा हो सकता है। औसत वार्षिक वर्षा १११०.७ मि.मी होती है। शहर को कई बार पश्चिम से लौटते मानसून की शीतकालीन वर्षा का अनुभव भी मिलता है।
ईसवी सन 1912 में बंगाल विभाजन के बाद, पटना उड़ीसा तथा बिहार की राजधानी बना। आई एफ़ मुन्निंग ने पटना के प्रशासनिक भवनों का निर्माण किया। संग्रहालय, उच्च न्यायालय, विधानसभा भवन इत्यादि बनाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि पटना के नए भवनों के निर्माण में हासिल हुई महारथ दिल्ली के शासनिक क्षेत्र के निर्माण में बहुत काम आई। सन 1935 में उड़ीसा बिहार से अलग कर एक राज्य बना दिया गया । पटना राज्य की राजधानी बना रहा ।
एनएएल वांतरिक्ष और गैर-वांतरिक्ष दोनों क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास सहायता, विशेषज्ञता और सेवाएं उपलब्‍ध करा सकता है। हाल ही के कुछ मुख्‍य सुविधाओं में भारत के लघु लडाकू वायुयान (एलसीए) कार्यक्रम हेतु कार्बन तंतु संयुक्‍त पंखों का विकास, एचएएल हेतु पूर्ण-स्‍वचालित आटोक्‍लेव का विकास एवं संविरचना, एलसीए के लिए सह-अभिसाधित फिन एवं रडार का विकास और एचएएल के उन्‍नत लघु हेलिकाप्‍टर (एएलएच) के लिए शेक परीक्षण सुविधाएं भी शामिल हैं।
जिस स्वर पर बलाघात लगता है, उसके शब्दांश के पहले एक << ' >> का निशान लगा दिया जाता है । जिस स्वर में नासिकीकरण होता है, उसके ऊपर टिल्ड << ~ >> का निशान लगा दिया जाता है । दीर्घ स्वरों के बाद ː का निशान लगाया जाता है ।
इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि मंत्री-परिषद् की सामूहिक जिम्मेदारी के मामले और कुछ ऐसे वित्तीय मामले, जो सिर्फ लोक सभा के क्षेत्राधिकार में आते हैं, के सिवाए दोनों सभाओं को समान शक्तियां प्राप्त हैं।
आज हम इन सभी अस्त्र-शस्त्रों को भूल गये। हम भगवान श्री राम के हाथ में धनुष-बाण और भगवान श्री कृष्ण के हाथ में सुदर्शन चक्र, महादेव के हाथ में त्रिशूल और दुर्गा के हाथ में खड़ग देखकर भी उनके भक्त बनते हैं। पर निर्बल, कायर और भीरू पुरुष क्या भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण और दुर्गा के भक्त बन सकते हैं? क्या रामायण, गीता और दुर्गासप्तशती केवल पाठ करने के ही ग्रन्थ हैं? महाभारत में, जहाँ उन्होंने अर्जुन को गीतामृत के द्वारा रण में जूझने के लिये उद्यत किया था। आवश्यकता है कि रण में कभी पीठ न दिखाने वाले भगवान श्रीरामचन्द्र, सुदर्शनचक्रधारी योगेश्वर श्रीकृष्ण और महामाया दुर्गा को हम कभी न भूलें।
तीसरे काण्ड में अन्य दार्शनिक रीतियों के विषयों , जैसे - जाति, द्रव्य, काल आदि की चर्चा की गयी है। इसमें भर्तृहरि यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि विविध मत, एक ही वस्तु के अलग-अलग आयामों को प्रकाशित करते हैं। इस प्रकार वे सभी दर्शनों को अपने व्याकरण आधारित दर्शन द्वारा एकीकरण करने का प्रयास कर रहे हैं।
[पाकिस्तान की मांग] जैसा कि मुस्लीम लीग द्वारा रखी गयी है पूर्ण रूप से गैर-इस्लामी है एवं मुझे इसे पापपूर्ण कहते हुए भी कोई संकोच नहीं। इस्लाम पूरी मानवता के भाईचारे एवं एकता के पक्ष में रहा है इसलिए जो भारत के टुकडे करके दो आपस में लडने वाले समूह पैदा करना चाहते हैं वे सही मायनों में न सिर्फ भारत बल्कि इस्लाम के भी दुश्मन हैं। चाहे वे मेरे टुकडे टुकडे ही क्यों न कर दें लेकिन वे मुझे किसी गलत चीज को सही मानने के लिए मजबूर नहीं कर सकते[...] हमें अपनी दृष्टि छोडने की बजाय सभी मुसलमान भाइयों का दिल प्यार से जीतना होगा[२]

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