बुधवार, 8 मई 2013

काव्यानुशासनका गध में सूत्र, व्याख्या और सोदाहरण वृत्ति ऐसे तीन प्रमुख भाग है। सूत्रो की व्याख्या करने वाली व्याख्या 'अलंकारचूडामणि' नाम प्रचलित है। और स्पष्ट करने के लिए 'विवेक' नामक वृति लिखि गयी। 'काव्यानुशासन' ८ अध्यायों में विभाजित २०८ सूत्रो में काव्यशास्त्र के सारे विषयों का प्रतिपादन किया गया है। 'अलंकारचूडामणि' में ८०७ उदाहरण प्रस्तुत है तथा 'विवेक'में ८२५ उदाहरण प्रस्तुत है। ५० कवियों के तथा ८१ ग्रंथो के नामोका उल्लेख है।
उनका जन्म बाड़ेछीना गांव (जिला अलमोड़ा, उत्तराखंड (भारत)) में हुआ था। उनका मूल नाम रमेशचंद्र सिंह मटियानी था। बारह वर्ष (१९४३) की अवस्था में उनके माता-पिता का देहांत हो गया। उस समय वे पांचवीं कक्षा के छात्र थे। इसके बाद वे अपने चाचाओं के संरक्षण में रहे किंतु उनकी पढ़ाई रुक गई। उन्हें बूचड़खाने तथा जुए की नाल उघाने का काम करना पड़ा। पांच साल बाद 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने फिर से पढ़ना शुरु किया। विकट परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की। वे १९५१ में अल्मोड़ा से दिल्ली आ गए। यहाँ वे 'अमर कहानी' के संपादक, आचार्य ओमप्रकाश गुप्ता के यहां रहने लगे। तबतक 'अमर कहानी' और 'रंगमहल' से उनकी कहानी प्रकाशित हो चुकी थी। इसके बाद वे इलाहाबाद गए। उन्होंने मुज़फ़्फ़र नगर में भी काम किया। दिल्ली आकर कुछ समय रहने के बाद वे बंबई चले गए। फिर पांच-छह वर्षों तक उन्हें कई कठिन अनुभवों से गुजरना पड़ा। १९५६ में श्रीकृष्ण पुरी हाउस में काम मिला जहाँ वे अगले साढ़े तीन साल तक रहे और अपना लेखन जारी रखा। बंबई से फिर अल्मोड़ा और दिल्ली होते हुए वे इलाहाबाद आ गए और कई वर्षों तक वहीं रहे। 1992 में छोटे पुत्र की मृत्यु के बाद उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। जीवन के अंतिम वर्षों में वे हल्द्वानी आ गए। विक्षिप्तता की स्थिति में उनकी मृत्यु दिल्ली के शहादरा अस्पताल में हुई।
पतञ्जिल ने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर अपनी टिप्पणी लिखी जिसे महाभाष्य का नाम दिया (महा+भाष्य(समीक्षा,टिप्पणी,विवेचना,आलोचना)) ।
पण्डितों को इस पर भी संतोष नहीं हुआ। तब पुस्तक की परीक्षा का एक उपाय और सोचा गया। भगवान्‌ विश्वनाथ के सामने सबसे ऊपर वेद, उनके नीचे शास्त्र, शास्त्रों के नीचे पुराण और सबके नीचे रामचरितमानस रख दिया गया। प्रातःकाल जब मन्दिर खोला गया तो लोगों ने देखा कि श्रीरामचरितमानस वेदों के ऊपर रखा हुआ है। अब तो पण्डित लोग बड़े लज्जित हुए। उन्होंने तुलसीदासजी से क्षमा माँगी और भक्ति से उनका चरणोदक लिया।
पूजाली कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी के अधीन आता है।
८६ - छियासी
15.
चावल तमिलनाडु का प्रमुख भोजन है , चावल व चावल के बने व्यन्जन जैसे दोसा,उथप्पम्,इद्ली आदि लोकप्रिय है जिन्हे केले के पत्ते पर परोसा जाता है।
सुकरात (Socrates) (469-399 ई. पू.) यूनान का विख्यात दार्शनिक।
राय की अगली फ़िल्म अपराजितो की सफलता के बाद इनका अन्तरराष्ट्रीय कैरियर पूरे जोर-शोर से शुरु हो गया। इस फ़िल्म में एक नवयुवक (अपु) और उसकी माँ की आकांक्षाओं के बीच अक्सर होने वाले खिंचाव को दिखाया गया है। मृणाल सेन और ऋत्विक घटक सहित कई आलोचक इसे पहली फ़िल्म से बेहतर मानते हैं। अपराजितो को वेनिस फ़िल्मोत्सव में स्वर्ण सिंह (Golden Lion) से पुरस्कृत किया गया। अपु त्रयी पूरी करने से पहले राय ने दो और फ़िल्में बनाईं — हास्यप्रद पारश पत्थर और ज़मींदारों के पतन पर आधारित जलसाघर। जलसाघर को इनकी सबसे महत्त्वपूर्ण कृतियों में गिना जाता है।[१५]
श़िया राजवंश का अस्तित्व एक लोककथा लगता था पर हेनान में पुरातात्विक खुदाई के बाद इसके अस्तित्व की सत्यता सामने आई। प्रथम प्रत्यक्ष राजवंश था - शांग राजवंश, जो पूर्वी चीन में १८वीं से १२वीं सदी इसा पूर्व में पीली नदी के किनारे बस गए। १२वीं सदी ईसा पूर्व में पश्चिम से झाऊ शासकों ने इनपर आक्रमण किया और इनके क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इन्होंने ५वीं सदी ईसा पूर्व तक राज किया। इसके बाद चीन के छोटे राज्य आपसी संघर्षों में भिड़ गए। २२१ ईसा पूर्व में किन राजाओं ने चीन का प्रथम बार एकीकरण किया। इन्होंने राजा का कार्यालय स्थापित किया और चीनी भाषा का मानकीकरण किया। २२० से २०६ ईसा पूर्व तक हान राजवंश के शासकों ने चीन पर राज किया और चीन की संस्कृति पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। यह प्रभाव अब तक विद्यमान है। हानों के पतन के बाद चीन में फिर से अराजकता का दौर गया। सुई राजवंश ने ५८० ईस्वी में चीन का एकीकरण किया जिसके कुछ ही वर्षों बाद (६१४ ई.) इस राजवंश का पतन हो गया।
हमारी पितृभूमि, मुक्त, स्वतन्त्र,
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम ने इस क्षेत्र में नवीन प्राण-षक्ति का संचार किया। जुलाई, 1857 में इस क्षेत्र के जमींदारों के ब्रिटिष राज्य के अंत की घोषणा की। निचलौल के राजा रण्डुलसेन ने अंग्रेजों के विरूद्व आंदोलनकारियों का नेतृत्व किया। 26 जुलाई को सगौली में विद्रोह होने पर वनियार्ड (गोरखपुर के तत्कालीन जज) के कर्नल राउटन को वहां षीघ्र पहुंचने के लिए पत्र लिखा, जो काठमाण्डु से निचलौल होते हुए तीन हजार गोरखा सैनिकों के साथ गोरखपुर की ओर बढ़ रहा था, गोरखों के प्रयास के बावजूद वनियार्ड आंदोलन को पूरी तरह दबाने में असमर्थ रहा। फलतः उसने गोरखपुर जनपद का प्रशासन सतासी और गोपालपुर के राजा को सौंप दिया। किंतु आंदोलनकर्ता बहुत दिन तक इस क्षेत्र को मुक्त नहीं रख सके और अंग्रेजों ने पुनः इस क्षेत्र को अपने पूर्ण नियंत्रण में ले लिया। निचलौल के राजा रण्डुलसेन को आंदोलनकारियों का नेतृत्व करने के कारण न केवल उसको पूर्व प्रदत्त राजा की उपाधि से वंचित कर दिया गया अपितु 1845 ई. में उसे दी गई पेंषन भी छीन ली गई।
1992 में मास्ट्रिच संधि पर हस्ताक्षर से यूरोपीय संघ की शुरुआत के 12 संस्थापक देशों में से एक यूनाइटेड किंगडम था.इसके पूर्व, 1973 से यह यूरोपीय संघ के यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) का एक अग्रदूत सदस्य रहा है.वर्तमान मजदूर सरकार का संगठन के साथ एकीकरण की दिशा में दृष्टिकोण मिश्रित है,[३१] सरकारी विपक्ष के साथ, रूढ़िवादी पार्टी, जो कुछ शक्तियों और सक्षमताओं का पक्ष लेती है उसे यूरोपीय संघ को हस्तांतरित किया गया.[३२] 20 वीं सदी के अंत ने पूर्व-विधायी संदर्भ के बाद उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के लिए न्यागत राष्ट्रीय प्रशासन की स्थापना के साथ UK के शासन में कई परिवर्तन देखे.[३३]
जनवरी २००९: श्रीलंकाई सेना ने लिट्टे की राजधानी त्रिलिनोच्चिच्पर अधिकार किया।
किराये पर देने और उधार देने के लिए व्यवस्था में भौगोलिक आधार पर भिन्नता है. अमेरिका में, किराए के लिए या उधार वाली DVD खरीद के अधिकार, 1976 के कॉपीराइट अधिनियम के तहत प्रथम बिक्री सिद्धांत द्वारा संरक्षित है. यूरोप में, किराये और उधार देने के अधिकार, 1992 के यूरोपियन डाईरेक्टिव के अंतर्गत अपेक्षाकृत अधिक सीमित हैं, जो कॉपीराइट धारकों को, उनके कार्यों की DVD प्रतियों के वाणिज्यिक रूप से किराए पर देने या सार्वजनिक उपयोग पर व्यापक अधिकार देता है.
मैलापुर कपिलेश्वर मंदिर
हिन्दी अंक :- १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०
हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा है और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जानेवाली भाषा है। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है।
पटना में कई भाषाएँ तथा बोलियाँ बोली जाती हैं । हिन्दी एवं उर्दू राज्य की आधिकारिक भाषा है । अंग्रेजी का भी प्रयोग होता है। मगही यहाँ की स्थानीय बोली है। अन्य भाषाएँ, जो कि बिहार के अन्य भागों से आए लोगों की मातृभाषा है, में अंगिका, भोजपुरी, बज्जिका और मैथिली प्रमुख हैं। आंशिक प्रयोग में आनेवाली अन्य भाषाओं में बंग्ला और उड़िया का नाम लिया जा सकता है ।
बुद्ध ने ज्ञान प्राप्‍ित के बाद दूसरा सप्‍ताह इसी बोधि वृक्ष के आगे खड़ा अवस्‍था में बिताया था। यहां पर बुद्ध की इस अवस्‍था में एक मूर्त्ति बनी हुई है। इस मूर्त्ति को अनिमेश लोचन कहा जाता है। मुख्‍य मंदिर के उत्तर पूर्व में अनिमेश लोचन चैत्‍य बना हुआ है।
राष्ट्रपति को दोषी ठहराने के लिए प्रारंभिक सदन के कुल सदस्यों की एक-तिहाई बहुमत द्वारा एक प्रस्ताव पारित होनी चाहिए.फिर यह दूसरे सदन को भेजा जाता है.दूसरा सदन आरोपों की जांच करता है.इस प्रक्रिया के दौरान, राष्ट्रपति को एक अधिकृत मंत्रणा के माध्यम से खुद का बचाव करने का अधिकार है.अगर दूसरा सदन भी फिर से दो तिहाई बहुमत द्वारा आरोप को मंजूरी देता है, तो राष्ट्रपति दोषी करार होते हैं और जब इस तरह का एक संकल्प पारित होता है तो उसी तारीख को अपने पद को खाली करने के लिए मजबूर होते हैं.महाभियोग के अलावा, राष्ट्रपति को संविधान का उल्लंघन करने के लिए कोई अन्य दंड नहीं दिया जा सकता है.
•कालकाजी •डिफेन्स कालोनी •हौज खास
3. दोपहर कि आरती 12.00 बजे
Ankh, symbol for copper
जिओवानी अग्नेल्ली के पौत्र जिआनी अग्नेल्ली 1966 से उनकी मृत्यु 24 जनवरी 2003 तक फिएट समूह के अध्यक्ष रहे। हालाँकि 1996 से वो सिर्फ "मानद" अध्यक्ष थे और वास्तविक अध्यक्ष सीसारे रोमिति थे। उनके हटने के बाद, पाओलो फ्रेस्को को अध्यक्ष और पाओलो कैन्टारेला को सीईओ बनाया गया। 2002 से 2004 के बीच अम्बर्टो अग्नेल्ली ने समूह के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 28 मई, 2004 को अम्बर्टो अग्नेल्ली की मृत्यु के बाद, लूका कोर्देरो दि मोंटेजे़मेलो को अध्यक्ष और अग्नेल्ली, के वारिस जॉन एल्कान को 28 वर्ष की उम्र मे उपाध्यक्ष पद पर नामित किया गया। आजकल समूह के सीईओ सर्जिओ मार्चिओने है जिन्होने 1 जून, 2004 को कार्यभार संभाला था।
बलरामपुर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है ।
हिन्द-आर्य (इण्डो-आर्यन) भाषाएँ हिन्द यूरोपीय भाषाओं की हिन्द ईरानी शाखा की एक उपशाखा हैं, जिसे इण्डिक उपशाखा भी कहा जाता है । ये सभी भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं । इनमें आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजन : घ, ध और फ अच्छे से परिरक्षित हैं, जो अन्य सभी शाखाओं में लुप्त हो गये हैं । इस समूह में ये भाषाएँ आती हैं : संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, रोमानी, असमिया, गुजराती, मराठी, इत्यादि ।
२ Prior to 2001: Greek Drachma.
बस कम्पनियाँ सेंटियागो से देश के विभिन्न प्रांतों में यात्री आवागमन की सुविधा प्रदान करती है। कुछेक बस कम्पनियाँ मालवाहक और पार्सल पहुँचाने का काम भी करती है।
इस स्थल के प्रवेश-द्वार से, ढलान पर लगभग मंदिर तक आगे बढ़ते हुए, मन्नत की अनेक मूर्तियां और कुछ कोषागार हैं. इनका निर्माण ग्रीक के विभिन्न नगर-राज्यों — समुद्रपारीय तथा साथ ही मुख्य-भूमि पर स्थित — द्वारा विजय के स्मारकों के रूप में तथा ऑरेकल की सलाह के लिये उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिये किया गया था क्योंकि उनका विश्वास था कि विजय में ऑरेकल की सलाह का भी योगदान था. उन्हें “कोषागार” इसलिये कहा जाता है क्योंकि उनमें अपोलो को समर्पित चढ़ावा रखा जाता था; अक्सर ये युद्ध की लूट का एक “दशमांश (tithe)" या दसवां हिस्सा हुआ करते थे. इनमें से सर्वाधिक प्रभावी हाल ही में जीर्णोद्धार किया गया एथेनियाई कोषागार (Athenian Treasury) है, जिसका निर्माण सलामिस के युद्ध में एथेनियाई पक्ष की विजय के स्मारक के रूप में किया गया था. पॉसेनियस (Pausanias) के अनुसार, एथेनियाई लोगों को ऑरेकल द्वारा पूर्व में अपनी “लकड़ी की दीवारों” पर विश्वास करने की सलाह दी गई थी — इस सलाह को अपनी नौसेना के प्रयोग की सलाह के रूप में लेते हुए, उन्होंने सलामिस के प्रसिद्ध युद्ध में जीत हासिल की. इन कोषागारों में से अनेक की पहचान की जा सकती है, जिनमें सिफनियाई कोषागार (Siphnian Treasury) भी है, जो कि सिफनॉस (Siphnos) नगर द्वारा समर्पित है, जिसके नागरिक सोने की खानों से प्राप्त आय का दशमांश तब तक देते रहे, जब तक की समुद्र का पानी भर जाने के कारण उनका कार्य बंद हो जाने से खानें नष्ट नहीं हो गईं.
देव गति, मनुष्य गति, तिर्यञ्च गति, नर्क गति, (पञ्चम गति = मोक्ष)।
यह लाल रंग का हल्के गुलाब की पत्ती के रंग की आभा से युक्त होता है। इसे 'लालड़ी' भी कहते हैं।
लाल किला २
लि नाड्डी
4674 शहीद एक्सप्रेस -- अमृतसर -- दरभंगा
इसके द्वारा लोक सभा के नियमित काम-काज को रोककर तत्‍काल महत्‍वूपर्ण मामले पर चर्चा कराई जासकती है।
लाओस (आधिकारिक रूप से लाओस जनवादी लोकतांत्रिक गणतंत्र) दक्षिणपूर्व एशिया में स्थित एक लैंडलॉक देश है। इसकी सीमाएं उत्तर पश्चिम में बर्मा और चीन से, पूर्व में कंबोडिया, दक्षिण में वियतनाम और पश्चिम में थाईलैंड से मिलती है।
प्राचीन मिस्र की भाषा एक संश्लिष्ट भाषा थी, लेकिन यह बाद में विश्लेषणात्मक बन गई. परवर्ती मिस्र में विकसित पूर्वप्रत्यय निश्चयवाचक और अनिश्चयवाचक उपपद, पुराने विभक्तिप्रधान प्रत्यय को प्रतिस्थापित करते हैं. पुराना शब्द-क्रम, क्रिया-कर्ता-कर्म से परिवर्तित होकर कर्ता-क्रिया-कर्म बन गया है.[१०४] मिस्र की चित्रलिपि, याजकीय और बोलचाल की लिपियों को अंततः अधिक ध्वन्यात्मक कॉप्टिक वर्णमाला द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया. कॉप्टिक का इस्तेमाल आज भी मिस्र के रूढ़िवादी चर्च में उपासना पद्धतियों में होता है, और इसके निशान आधुनिक मिस्र की अरबी भाषा में पाए जाते हैं.[१०५]
পুল্লকুসুমিত দ্রুমদলশোভিনীম্
द्युस्थानीय यानी ऊपरी आकाश में निवास करने वाले देवता,मध्यस्थानीय यानी अन्तरिक्ष में निवास करने वाले देवता,और तीसरे पृथ्वीस्थानीय यानी पृथ्वी पर रहने वाले देवता माने जाते हैं.
गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। मिथकों के अनुसार ब्रह्मा ने विष्णु के पैर के पसीने की बूँदों से गंगा का निर्माण किया। त्रिमूर्ति के दो सदस्यों के स्पर्श के कारण यह पवित्र समझा गया। एक अन्य कथा के अनुसार राजा सगर ने जादुई रुप से साठ हजार पुत्रों की प्राप्ति की।[३१] एक दिन राजा सगर ने देवलोक पर विजय प्राप्त करने के लिये एक यज्ञ किया। यज्ञ के लिये घोड़ा आवश्यक था जो ईर्ष्यालु इंद्र ने चुरा लिया था। सगर ने अपने सारे पुत्रों को घोड़े की खोज में भेज दिया अंत में उन्हें घोड़ा पाताल लोक में मिला जो एक ऋषि के समीप बँधा था। सगर के पुत्रों ने यह सोच कर कि ऋषि ही घोड़े के गायब होने की वजह हैं उन्होंने ऋषि का अपमान किया। तपस्या में लीन ऋषि ने हजारों वर्ष बाद अपनी आँखें खोली और उनके क्रोध से सगर के सभी साठ हजार पुत्र जल कर वहीं भस्म हो गये।[३२] सगर के पुत्रों की आत्माएँ भूत बनकर विचरने लगीं क्योंकि उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया था। सगर के पुत्र अंशुमान ने आत्माओं की मुक्ति का असफल प्रयास किया और बाद में अंशुमान के पुत्र दिलीप ने भी। भगीरथ राजा दिलीप की दूसरी पत्नी के पुत्र थे। उन्होंने अपने पूर्वजों का अंतिम संस्कार किया। उन्होंने गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रण किया जिससे उनके अंतिम संस्कार कर, राख को गंगाजल में प्रवाहित किया जा सके और भटकती आत्माएं स्वर्ग में जा सकें। भगीरथ ने ब्रह्मा की घोर तपस्या की ताकि गंगा को पृथ्वी पर लाया जा सके। ब्रह्मा प्रसन्न हुये और गंगा को पृथ्वी पर भेजने के लिये तैयार हुये और गंगा को पृथ्वी पर और उसके बाद पाताल में जाने का आदेश दिया ताकि सगर के पुत्रों की आत्माओं की मुक्ति संभव हो सके। तब गंगा ने कहा कि मैं इतनी ऊँचाई से जब पृथ्वी पर गिरूँगी, तो पृथ्वी इतना वेग कैसे सह पाएगी? तब भगीरथ ने भगवान शिव से निवेदन किया, और उन्होंने अपनी खुली जटाओं में गंगा के वेग को रोक कर, एक लट खोल दी, जिससे गंगा की अविरल धारा पृथ्वी पर प्रवाहित हुई। वह धारा भगीरथ के पीछे-पीछे गंगा सागर संगम तक गई, जहाँ सगर-पुत्रों का उद्धार हुआ। शिव के स्पर्श से गंगा और भी पावन हो गयी और पृथ्वी वासियों के लिये बहुत ही श्रद्धा का केन्द्र बन गयीं। पुराणों के अनुसार स्वर्ग में गंगा को मन्दाकिनी और पाताल में भागीरथी कहते हैं। इसी प्रकार एक पौराणिक कथा राजा शांतनु और गंगा के विवाह तथा उनके सात पुत्रों के जन्म की है।
पीर शाह नूफा का गुंबद किला के दक्षिणी द्वार के सामने एक टीले पर स्थित है। यह जगह बुद्धिष्‍ठ ढ़ांचे की अंतिम निशानी से भी पर्यटकों को रूबरू कराता है। इस गुंबद में एक बड़ा सा प्रार्थना कक्ष है जिससे एक कमरा भी जुड़ा हुआ है। गुंबद के अंदर नक्‍काशी किया हुआ कुछ पत्‍थर भी देखने को मिलता है जो संभवत: हिन्‍दू मंदिर का अवशेष प्रतीत होता है। यह गुंबद हिंदू और मुस्लिम दोनों संप्रदायों के लिए समान रूप से पूज्‍यनीय है।
वसुमित्र - शुंग वंश का चौथा राजा वसुमित्र हुआ। उसने यवनों को पराजित किया था। एक दिन नृत्य का आनन्द लेते समय मूजदेव नामक व्यक्‍ति ने उसकी हत्या कर दी। उसने १० वर्षों तक शाशन किय । वसुमित्र के बाद भद्रक ,पुलिंदक, घोष तथा फिर वज्रमित्र क्रमशः राजा हुए। इसके शाशन के १४वें वर्ष में तक्षशिला के यवन नरेश एंटीयालकीड्स का राजदूत हेलियोंडोरस उसके विदिशा स्थित दरबार में उपस्थित हुआ था। वह अत्यन्त विलासी शाशक था। उसके अमात्य वसुदेव ने उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार शुंग वंश का अन्त हो गया।
हिन्दी कविता की परम्परा बहुत लम्बी है। कुछ विद्बान सरहपाद को हिन्दी का पहला कवि मानते है। सरहपाद और उनके समवर्ती व परवर्ती सिद्धों ने दोहों और पदों के रूप में अपनी स्फुट रचनाएं प्रस्तुत कीं। रासोकाल तक आते-आते प्राचीन हिन्दी का रूप स्थिर हो चुका था। अपभ्रंश और शुरुआती हिन्दी परस्पर घुली-मिली दिखाई देती हैं। धीरे-धीरे हिन्दी में परिष्कार होता रहा और अपभ्रंश भाषा के पटल से लुप्त हो गई।
इस दौरान, भारत ने भविष्य में संचार की आवश्यकता एवं दूरसंचार का पूर्वानुमान लगते हुए, उपग्रह के लिए तकनीक का विकास प्रारम्भ कर दिया। भारत की अंतरिक्ष में प्रथम यात्रा १९७५ में रूस के सहयोग से इसके कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट के प्रक्षेपण से शुरू हुयी। १९७९ तक, नव-स्थापित द्वितीय प्रक्षेपण स्थल सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से एस.एल.वी. प्रक्षेपण के लिए तैयार हो चुका था। द्वितीय स्तरीय असफलता की वजह से इसका १९७९ में प्रथम प्रक्षेपण सफल नहीं हो पाया था। १९८० तक इस समस्या का निवारण कर लिया गया। भारत का देश में प्रथम निर्मित कृत्रिम उपग्रह रोहिणी-प्रथम प्रक्षेपित किया गया।
पतांजलि, व्यापक रूप से औपचारिक योग दर्शन के संस्थापक मने जाते है.[३३]पतांजलि के योग, बुद्धि का नियंत्रण के लिए एक प्रणाली है,राज योग के रूप में जाना जाता है.[३४] पतांजलि उनके दूसरे सूत्र मे "योग" शब्द का परिभाषित करते है, [३५] जो उनके पूरे काम के लिए व्याख्या सूत्र माना जाता है:
No.of inhabitat villages------ 421
सूडान परिवार मे चार समूह हैं - सेनेगल भाषाएँ, ईव भाषाएँ, मध्य अफ्रीका समूह और नील नदी के ऊपरी हिस्से की बोलियाँ।
(५) कुशीमारा के मल्ल,
ई-मेलः lorcapatrica@hotmail.com
भारतीय पारंपरिक संस्कृति अपेक्षाकृत कठोर सामाजिक पदानुक्रम द्वारा परिभाषित किया गया है[२]भारतीय जाति प्रथा भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) में सामाजिक वर्गीकरण (social stratification) और सामाजिक प्रतिबंधों का वर्णन करती है , इस प्रथा में समाज के विभिन्न वर्ग हजारों सजातीय विवाह (endogamous) और आनुवाशिकीय समूहों के रूप में पारिभाषित किये जाते हैं जिन्हें प्रायः जाति (jāti) एस या कास्ट (caste) के नाम से जाना जाता है इन जातियों के बीच विजातीय समूह (exogamous group) भी मौजूद है , इन समूहों को गोत्र के रूप में जाना जाता है . गोत्र (gotras) , किसी व्यक्ति को अपने कुतुम्भ द्वारा मिली एक वंशावली (clan) की पहचान है , यद्यपि कुछ उपजातियां जैसे की शकाद्विपी (Shakadvipi) ऐसी भी हैं जिनके बीच एक ही गोत्र में विवाह स्वीकार्य है , इन उपजातियों में प्रतिबंधित सजातीय विवाह जानी एक जाति के बीच विवाह को प्रतिबंद्धित करने के लिए कुछ अन्य तरीकों को अपनाया जाता है (उदाहरण के लिए - एक ही उपनाम वाले वंशों के बीच विवाह पर प्रतिबन्ध लगाना)
कामरूप दो भागों में बटा है - ग्रामीण कामरूप और नगर कामरूप ।
रामगढ़ झील - (३२ किलोमीटर उत्तर - पूर्व) - पेड़ो से आच्छादित पहाड़ियो के बीच एक ऊंचा बांध बांधकर एक विशाल कृत्रिम झील की निर्माण किया गया है। यद्यपि जमवा माता का मंदिर व पुराने किले के खंडहर इसके पुरावशेष है। विशेषकर बारिश के मौसम में इसके आकर्षक प्राकृतिक दृश्य इसको एक बेहतर पिकनिक स्थल बना देते है।
कंदरिया महादेव मंदिर संधार प्रासाद में निर्मित है। इसमें एक शार्दूल सामने हैं और एक कोने में। इसकी पीठ की ऊँचाई काफी ज्यादा है। मंदिर का मुखपूर्व की ओर है। सीढियाँ चौड़ी हैं तथा मुखचतुष्कि तक जाती है। मुखचतुष्कि बंदनमालिका सुंदर है।
सन् 1926 में देश में प्रथम निर्वाचन होने जा रहा था। अंग्रेजों ने कांग्रेस लीग गठ-बंधन को असफल बनाने एवं मुसलमानों को राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में विद्रोह और विद्वेष फैलाए रखने के लिए अपनी ओर से असंबलियों में मुसलमानों के लिए स्थान सुरक्षित कर दिए। इस बात की चेष्टा होने लगी कि हिंदू सीटों पर कट्टर हिंदू सभाइयों के बजाय ढुलमुल मुस्लिमसमर्थक कांग्रेसी ही चुने जाएँ। हिंदूमहासभा ने पृथक् निर्वाचन के सिद्धांत और मुसलमानों के लिए सीटें सुरक्षित करने की तीव्र विरोध किया और निश्चय किया कि चुनाव में अपने प्रखर राष्ट्रवादी प्रतिनिधि भेजे जाएँ, जो अंग्रेज-मुस्लिमषड्यंत्र का डटकर विरोध कर सकें, हिंदू महासभा के प्रमुख नेता संपूर्ण देश में दौरा करके हिंदुओं में नया जीवन और चेतना उत्पन्न करने लगे। परिणामस्वरूप हिंदू सभा को चुनाव में अच्छी सफलता मिली। इसी समय बंगाल के मुसलमानों ने पुन: अपने अंग्रेज मित्रों के संकेत पर कलकत्ता में समाज के जुलूस पर आक्रमण करके दंगे आरंभ कर दिए परंतु इसका परिणाम उनको महँगा पड़ा।
वेल्श फुटबॉल लीग प्रणाली में वेल्श प्रेमियर लीग और क्षेत्रीय लीग शामिल हैं.वेल्श प्रीमियरशिप क्लब द न्यू सेंट ओसवेसट्री में सीमा के अंग्रेजी पक्ष से अपने देशी मैच खेलते हैं.कार्डिफ सिटी F.C., कोलविन बे F.C., मेरथुर टडफिल F.C., न्यूपोर्ट काउंटी A.F.C, स्वानसी सिटी A.F.C. और वरेक्सहैम F.C. के वेल्श क्लब अंग्रेजी प्रणाली में खेलते हैं.कार्डिफ़ का 76250 सीटों वाला मिलेनियम स्टेडियम वेल्स का प्रमुख खेल स्टेडियम है.
शाही महल जापान के राजा का आधिकारिक निवास है। इस महल में जापानी परंपराओं को देखा जा सकता है। महल में बहुत से सुरक्षा भवन और दरवाजें हैं। यहां की सबसे प्रसिद्ध जगहों में से कुछ हैं- ईस्ट गार्डन, प्लाजा और निजुबाशी पुल। यह महल सम्राट के जन्मदिन के दिन जनता के लिए खोला जाता है।
कई महिलाओं ने स्पार्टा के इतिहास में उल्लेखनीय भूमिकाएं अदा की हैं. क्वीन गोर्गो, राजगद्दी की उतराधिकारिणी लेयोनिदस प्रथम की पत्नी एक प्रभावशालिनी तथा अच्छी तरह से प्रलेखित हस्ती थी. हेरोडोटस के रिकॉर्ड के मुताबिक जब वह एक छोटी-सी लड़की थी तभी उसने अपने पिता क्लियोमेनेस (Cleomenes) को रिश्वत के लेन-देन से विरत रहने की सलाह दी थी. ऐसा कहा जाता है कि बाद में चलकर उसने ही एक चेतावनी का कूटानुवाद करने की जिम्मेदारी निभायी थी कि फ़ारसी फौजें यूनान पर हमला बोलने ही वाले हैं; जब स्पार्ती सेनाध्यक्ष मोम में लिपटी लकड़ी की तख्ती पर लिखे कूट-संदेश का कूटानुवाद न कर सके, उसने मोम को साफ-सुथरा कर चेतावनी को खुलासा करने का उन्हें हुक्म जारी किया. प्लूटार्क के मोरालिया(Moralia)में "स्पार्ती महिलाओं की कहावतों" का संग्रह शामिल है, जिसमें गोर्गों पर आरोपित चुटकुले भी हैं: अट्टीका से आई हुई एक महिला के पूछे जाने पर कि स्पार्ती महिलाएं ही संसार में एकमात्र ऐसी महिलाएं हैं जो पुरषों पर शासन कर सकती हैं, जवाब में उसने कहा, "क्योंकि हम लोग ही केवल ऐसी महिलाएं हैं जो पुरुषों की माताएं हैं".
अलबरुनी ने 146 क़िताबें लिखीं - 35 खगोलशास्त्र पर, 23 ज्योतिषशास्त्र की, 15 गणित की, 16 साहित्यिक तथा अन्य कई विषयों पर ।
1.
नाभि धूमकेतु का केन्द्र होता है जो पत्थर और बर्फ का बना होता है। नाभि के चारों ओर गैस और घूल के बादल को कोमा कहते है। नाभि तथा कोमा से निकलने वाली गैस और धूल एक पूंछ का आकार ले लेती है।
आधुनिक मनोविज्ञान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में इसके दो सुनिश्चित रूप दृष्टिगोचर होते हैं। एक तो वैज्ञानिक अनुसंधानों तथा आविष्कारों द्वारा प्रभावित वैज्ञानिक मनोविज्ञान तथा दूसरा दर्शनशास्त्र द्वारा प्रभावित दर्शन मनोविज्ञान। वैज्ञानिक मनोविज्ञान 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से आरंभ हुआ है। सन् 1860 ई में फेक्नर (1801-1887) ने जर्मन भाषा में "एलिमेंट्स आव साइकोफ़िज़िक्स" (इसका अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध है) नामक पुस्तक प्रकाशित की, जिसमें कि उन्होंने मनोवैज्ञानिक समस्याओं को वैज्ञानिक पद्धति के परिवेश में अध्ययन करने की तीन विशेष प्रणालियों का विधिवत् वर्णन किया : मध्य त्रुटि विधि, न्यूनतम परिवर्तन विधि तथा स्थिर उत्तेजक भेद विधि। आज भी मनोवैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में इन्हीं प्रणालियों के आधार पर अनेक महत्वपूर्ण अनुसंधान किए जाते हैं।
जिले का मुख्यालय मेरठ है ।
फ़रीदाबाद भारत के उतरी प्रांत हरियाणा प्रदेश का प्रमुख शहर है। यह फ़रीदाबाद जिले में आता है। इसे 1607 में शेख फरीद, जहांगीर के खजांची ने बनवाया था। उनका मकसद यहां से गुजरने वाले राजमार्ग की रक्षा करना था। यह दिल्ली से 25 किलोमीटर दक्षिण मे स्थित है।
यशपाल जैसे मार्क्सवादी चिन्तक भी नरेन्द्र-कोहली की प्रतिभा के कायल हुए बिना न रहे.
नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर- त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
Australia • Fiji • New Zealand • Papua New Guinea • Tonga
सोनभद्र, उत्तरप्रदेश
मालदीव राष्ट्रीय सुरक्षा बल (MNDF) एक संयुक्त सुरक्षा बल है जो मालदीव की सुरक्षा और आधिपत्य की रक्षा के लिए जिम्मेदार है, इसका प्राथमिक कार्य है मालदीव के सभी आंतरिक और बाह्य सुरक्षा प्रयोजनों के लिए उपस्थित होने की जिम्मेदारी लेना, इसमें विशेष आर्थिक क्षेत्रों(EEZ) की सुरक्षा भी शामिल है.
1553–1999  Macau
1,100 मिलियन टन का माल लदान और 840 करोड़ सवारी 11वीं योजना की अवधि वर्ष में करने का लक्ष्‍य
पुराने लखनऊ में चौक का बाजार प्रमुख है। यह चिकन के कारीगरों और बाजारों के लिए प्रसिद्ध है। यह इलाका अपने चिकन के दुकानों व मिठाइयों की दुकाने की वजह से मशहूर है । चौक में नक्खास बाजार भी है। यहां का अमीनाबाद दिल्ली के चाँदनी चौक की तरह का बाज़ार है जो शहर के बीच स्थित है। यहां थोक का सामान, महिलाओं का सजावटी सामान, वस्त्राभूषण आदि का बड़ा एवं पुराना बाज़ार है। दिल्ली के ही कनॉट प्लेस की भांति यहां का हृदय हज़रतगंज है। यहां खूब चहल-पहल रहती है। प्रदेश का विधान सभा भवन भी यहीं स्थित है। इसके अलावा हज़रतगंज में जी पी ओ, कैथेड्रल चर्च, चिड़ियाघर, उत्तर रेलवे का मंडलीय रेलवे कार्यालय (डीआरएम ऑफिस), लाल बाग, पोस्टमास्टर जनरल कार्यालय (पीएमजी), परिवर्तन चौक, बेगम हज़रत महल पार्क भी काफी प्रमुख़ स्थल हैं। इनके अलावा निशातगंज, डालीगंज, सदर बाजार, बंगला बाजार, नरही, केसरबाग भी यहां के बड़े बाजारों में आते हैं।
मण्डल
परोन के जंगल में तात्या टोपे के साथ विश्वासघात हुआ। नरवर का राजा मानसिंह अंग्रेजों से मिल गया और उसकी गद्दारी के कारण तात्या ८ अप्रैल, १८५९ को सोते में पकड लिए गये। रणबाँकुरे तात्या को कोई जागते हुए नहीं पकड सका। विद्रोह और अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लडने के आरोप में १५ अप्रैल, १८५९ को शिवपुरी में तात्या का कोर्ट मार्शल किया गया। कोर्ट मार्शल के सब सदस्य अंग्रेज थे। परिणाम जाहिर था, उन्हें मौत की सजा दी गयी। शिवपुरी के किले में उन्हें तीन दिन बंद रखा गया। १८ अप्रैल को शाम पाँच बजे तात्या को अंग्रेज कंपनी की सुरक्षा में बाहर लाया गया और हजारों लोगों की उपस्थिति में खुले मैदान में फाँसी पर लटका दिया गया। कहते हैं तात्या फाँसी के चबूतरे पर दृढ कदमों से ऊपर चढे और फाँसी के फंदे में स्वयं अपना गला डाल दिया। इस प्रकार तात्या मध्यप्रदेश की मिट्टी का अंग बन गये। कर्नल मालेसन ने सन् १८५७ के विद्रोह का इतिहास लिखा है। उन्होंने कहा कि तात्या टोपे चम्बल, नर्मदा और पार्वती की घाटियों के निवासियों के ’हीरो‘ बन गये हैं। सच तो ये है कि तात्या सारे भारत के ’हीरो‘ बन गये हैं। पर्सी क्रास नामक एक अंग्रेज ने लिखा है कि ’भारतीय विद्रोह में तात्या सबसे प्रखर मस्तिश्क के नेता थे। उनकी तरह कुछ और लोग होते तो अंग्रेजों के हाथ से भारत छीना जा सकता था।
सिंधुघाटी (हरप्पा और मोहेंजोदड़ो) में प्राप्त बहुत सी तख्तियों पर आभिचरिक यंत्र हैं। इनमें विभिन्न पशुओं द्वारा प्रतिनिहित संभवत: देवताओं की स्तुतियाँ हैं। प्राय: कवचों पर ये अभिलेख मिलते हैं। सुमेर, मित्र, यूनान आदि में भी आभिचारिक अभिलेख पाए जाते हैं।
डॉ० बड़थ्वाल की खोज में निम्नलिखित 40 पुस्तकों का पता चला था, जिन्हें गोरखनाथ-रचित बताया जाता है। डॉ० बड़थ्वाल ने बहुत छानबीन के बाद इनमें प्रथम 14 ग्रंथों को निसंदिग्ध रूप से प्राचीन माना, क्योंकि इनका उल्लेख प्रायः सभी प्रतियों में मिला। तेरहवीं पुस्तक ‘ग्यान चौंतीसा’ समय पर न मिल सकने के कारण उनके द्वारा संपादित संग्रह में नहीं आ सकी, परंतु बाकी तेरह को गोरखनाथ की रचनाएँ समझकर उस संग्रह में उन्होंने प्रकाशित कर दिया है। पुस्तकें ये हैं-
इन दर्शनीय स्थलों के अलावा क्रिएन मंदिर, शिव मंदिर, राम जानकी मंदिर, मेडिटेशन पार्क, बर्मीज मंदिर आदि भी कुशीनगर में देखे जा सकते हैं
अडयार नदी के तट पर स्थित चेट्टीनाड महल
टेलिस्कोप (मोनोक्युलर) के विपरीत दूरबीन (बाइनोक्युलर) उपयोगकर्ता को त्रि-आयामी छवि प्रस्तुत कराती है: अपेक्षाकृत नज़दीक की वस्तुओं को देखते समय दर्शक की दोनों आंखों के लिए थोड़े से अलग दृष्टिकोण से छवियां प्रस्तुत होती हैं जो कि मिल कर गहराई का प्रभाव प्रस्तुत करती हैं. मोनोक्युलर टेलिस्कोप के विपरीत इसमें भ्रम से बचने के लिए एक आंख को बंद अथवा ढकने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. दोनों आंखों के प्रयोग से दृष्टिसंबंधी तीव्रता (रिज़ोल्यूशन) काफी बढ़ जाती है, और ऐसा काफी दूर की वस्तुओं के लिए भी होता है जहां गहराई का आभास स्पष्ट नहीं होता.[उद्धरण वांछित]
इस हीरे की प्रथम दृष्टया पक्की टिप्पणी यहीं सन १५२६ से मिलती है। बाबर ने अपने बाबरनामा में लिखा है, कि यह हीरा १२९४ में मालवा के एक (अनामी) राजा का था। बाबर ने इसका मूल्य यह आंका, कि पूरे संसार को दो दिनों तक पेट भर सके, इतना म्हंगा। बाबरनामा में दिया है, कि किस प्रकार मालवा के राजा को जबरदस्ती यह विरासत अलाउद्दीन खिलजी को देने पर मजबूर किया गया। उसके बाद यह दिल्ली सल्तनत के उत्तराधिकारियों द्वारा आगे बढ़ाया गया, और अन्ततः १५२६ में, बाबर की जीत पर उसे प्राप्त हुआ। हालांकि बाबरनामा १५२६-३० में लिखा गया था, परन्तु इसके स्रोत ज्ञात नहीं हैं। उसने इस हीरे को सर्वदा इसके वर्तमान नाम से नहीं पुकारा है। बल्कि एक विवाद[१] के बाद यह निष्कर्ष निकला कि बाबर का हीरा ही बाद में कोहिनूर कहलाया।
बारहवीं सदी में बख्तियार खिलजी ने बिहार पर आधिपत्य जमा लिया। उसके बाद मगध देश की प्रशासनिक राजधानी नहीं रहा। जब शेरशाह सूरी ने, सोलहवीं सदी में दिल्ली के मुगल बाहशाह हुमायूँ को हराकर दिल्ली की सत्ता पर कब्जा किया तब बिहार का नाम पुनः प्रकाश में आया पर यह अधिक दिनों तक नहीं रह सका। अकबर ने बिहार पर कब्जा करके बिहार का बंगाल में विलय कर दिया। इसके बाद बिहार की सत्ता की बागडोर बंगाल के नवाबों के हाथ में चली गई। बिहार का अतीत गौरवशाली रहा है I
ब्रह्माण्ड शब्द और इसके उपशब्दों पर हिन्दी भाषा (प्रस्तुत खोज में हिन्दी भाषा को भारत की समस्त भाषाओं के प्रतिनिधि के रुप प्रस्तुत में किया जा रहा है) के व्याकरण के दृष्तिकोंण से अगर थोड़ा सा भी ध्यान दिया जाए तो स्वतः ही स्पष्ट हो जात्ता है कि वास्तव में ये सभी अलंकृत उपशब्द, ब्रह्माण्ड शब्द को अलंकृत ना करके एक अन्य भाषा अंग्रेजी, के शब्द यूनवर्स को अलंकृत करते हैं। क्योंकि ब्रह्माण्ड शब्द का हिन्दी व्याकरण के आधार पर जो अर्थ स्पष्ट होकर आता है, उससे तो कदापि स्पष्ट नहीं होता कि ये अलंकृत उपशब्द वास्तव में ब्रह्माण्ड शब्द के ही उपशब्द हैं।
ब्रह्माण्ड शब्द के विषय में समस्त भाषा विदों को ये भलिभाँति ज्ञात है कि ये शब्द, पूर्णतया भारतीय एवं विश्व के प्राचीनतम् भाषाओं में से प्राचीनतम् सर्वश्रेष्ठ भाषा, संस्कृत के लुप्त होते शब्दों में से लुप्त होता एक सर्वश्रेष्ठ शब्द है। जिसका सृजन भारतीय असूचिबद्ध वैज्ञानिक पूर्वजों ने अपने ब्रह्माण्डिय खोज के आधार पर किया था। जिसको कालान्तर में रह-रह कर जगत, विश्व, संसार, सृष्टि आदि जैसे कई हिन्दी उपशब्दों से अलंकृत भी किया गया।
चन्द्रगुप्त तथा कुमारदेवी का पुत्र समुद्रगुप्त चन्द्रगुप्त के बाद राजा बना । समुद्रगुप्त एक महान विजेता बना । उसका सबसे महत्वपूर्ण अभियान दक्षिण की तरफ़ (दक्षिणापथ) था । इसमें उसके बारह विजयों का उल्लेख मिलता है ।
इस्लामी पंचांग या कैलेण्डर या मुस्लिम कैलेण्डर को (अरबी: التقويم الهجري; अत-तक्वीम-हिज़री; फारसी: تقویم هجری قمری ‎'तकवीम-ए-हिज़री-ये-कमारी) जिसे हिजरी कैलेण्डर भी कहते हैं, एक चंद्र कैलेण्डर है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में प्रयोग होता है बल्कि इसे पूरे विश्व के मुस्लिम भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए प्रयोग करते हैं। यह चंद्र-कैलेण्डर है, जिसमें वर्ष में बारह मास, एवं 354 या 355 दिवस होते हैं। क्योंकि यह सौर कैलेण्डर से 11 दिवस छोटा है इसलिए इस्लामी धार्मिक तिथियाँ, जो कि इस कैलेण्डर के अनुसार स्थिर तिथियों पर होतीं हैं, परंतु हर वर्ष पिछले सौर कैलेण्डर से 11 दिन पीछे हो जाती हैं। इसे हिज्रा या हिज्री भी कहते हैं, क्योंकि इसका पहला वर्ष वह वर्ष है जिसमें कि हजरत मुहम्मद की मक्का शहर से मदीना की ओर हिज्ऱ या वापसी हुई थी। हर वर्ष के साथ वर्ष संख्या के बाद में H जो हिज्र को संदर्भित करता है या AH (लैटिनः अन्नो हेजिरी ( हिज्र के वर्ष में) लगाया जाता है।[१]हिज्र से पहले के कुछ वर्ष (BH) का प्रयोग इस्लामिक इतिहास से संबंधित घटनाओं के संदर्भ मे किया जाता है, जैसे मुहम्म्द साहिब का जन्म लिए 53 BH।
मुख्य सड़क के ऊपर पुराना शहर बसा है जहां ज्योतिर्मठ, कल्पवृक्ष तथा आदि शंकराचार्य के पूजास्थल की गुफा है और इसके नीचे बद्रीनाथ की ओर बाहर निकलने पर जोशीमठ के दो प्रमुख आकर्षण नरसिंह मंदिर तथा वासुदेव मंदिर स्थित हैं।
भारतवर्ष को प्राचीन ऋषियों ने "हिन्दुस्थान" नाम दिया था जिसका अपभ्रंश "हिन्दुस्तान" है। "बृहस्पति आगम" के अनुसार:
१४ जनवरी का दिन उत्तर भारत में मकर संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है जिसका महत्व सूर्य के मकर रेखा की तरफ़ प्रस्थान करने को लेकर है । इसे गुजरात तथा महाराष्ट्र में उत्तरायन कहते हैं, जबकि यही दिन आन्ध्र प्रदेश, केरल तथा कर्नाटक (ये तीनों राज्य तमिल नाडु से जुड़े हैं) में संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है । पंजाब में इसे लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है ।
यमुना के किसी द्वीप में इनका जन्म हुआ था। व्यासजी कृष्ण द्वैपायन कहलाये क्योंकि उनका रंग श्याम था। वे पैदा होते ही माँ की आज्ञा से तपस्या करने चले गये थे और कह गये थे कि जब भी तुम स्मरण करोगी, मैं आ जाऊंगा। वे धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा विदुर के जन्मदाता ही नहीं, अपितु विपत्ति के समय वे छाया की तरह पाण्डवों का साथ भी देते थे। उन्होंने तीन वर्षों के अथक परिश्रम से महाभारत ग्रंथ की रचना की थी-
4.अन्य विद्वान् उत्तरी भारत की ओकारांत प्रधान ब्रज आदि बोलियों को पड़ी बोली और इसके विपरीत इसे खड़ी बोली के नाम से अभिहित करते हैं, जबकि कुछ लोग रेखता शैली को पड़ी और इसे खड़ी मानते हैं। खड़ी बोली को खरी बोली भी कहा गया है। संभवत: खड़ी बोली शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग लल्लू जी लाल द्वारा प्रेमसागर में किया गया है। किंतु इस ग्रंथ के मुखपृष्ठ पर खरी शब्द ही मुद्रित है।
दारा अजमीढ़ साम्राज्य शासक वंश से किसी दूर के रिश्ते से जुड़ा हुआ था । गद्दी सम्हालते ही दारा ने अपना साम्राज्य पश्चिम की ओर विस्तृत करना आरंभ किया । पर ४९० ईसापूर्व में मैराथन के युद्ध यवनों से मिली पराजय के बाद उसे वापस एशिया मइनर तक सिमट कर रह जाना पड़ा । दारा के शासनकाल में ही पर्सेपोलिस (तख़्त-ए-जमशेद के नाम से भी ज्ञात) का निर्माण करवाया (५१८-५१६ ईसापूर्व) । एक्बताना (हमादान) को भी गृष्म राजधानी के रूप में विकसित किया गया ।
उत्तरपश्चिम मे स्थित पोर्ट लुई इस द्वीप की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। अन्य महत्वपूर्ण शहरों मे क्यूरेपाइप, वकोआस, फ़ीनिक्स, कुआर्ते बोर्नेस, रोज़ हिल और बीयू-बासिन शामिल है।
भिलाई, छत्तीसगढ़-490006
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-कातिल में है
याज्ञवल्क्य- प्रजापतिलोक में ओतप्रोत है।
इस अध्याय में ऋषि ने प्राण, प्रज्ञा और इन्द्रियों का विषद वर्णन करते हुए उनके पारस्परिक सम्बन्धों का विश्लेषण किया है। इसके लिए संवाद-शैली का सहारा लिया गया है। यहां इन्द्र और दिवोदास राजा के पुत्र प्रतर्दन के पारस्परिक संवादों द्वारा प्राण को प्रज्ञा का स्वरूप बताया है और कहा है कि इस प्रज्ञा से ही लोकहित सम्भव है।
तने का कार्य जड़ द्वारा अवशोषित जल तथा लवणों को ऊपर की ओर पहुँचाना है, जो पत्ती में पहुँचकर सूर्य के प्रकाश में संश्लेषण के काम में आते हैं। बने भोजन को तने द्वारा ही पोधे के हर एक भाग तक पहुँचाया जाता है। इसके अतिरिक्त तने पौधों को खंभे के रूप में सीधा खड़ा रखते हैं। ये पत्तियों को जन्म देकर भोजन बनाने तथा पुष्प को जन्म देकर जनन कार्य सम्पन्न करने में सहायक होते हैं। बहुत से तने भोजन का संग्रह भी करते हैं। कुछ तने पतले होने के कारण स्वयं सीधे नहीं उग पाते और अन्य किसी मजबूत आधार या अन्य वृक्ष से लिपटकर ऊपर बढ़ते चलते हैं। कुछ में तने काँटों में परिवर्तित हो जाते हैं। बहुत से पौधों में तने मिट्टी के नीचे उगते हैं और कई तने रूपविशेष धारण कर अलग अलग कार्य करते हैं, जैसे अदरक का परिवर्तित तना, जो खाया जाता है। इसे प्रकंद (Rhizome) कहते हैं। आलू भी ऐसा ही तना है जिसे कंद (Tuber) कहते हैं। इन तनों पर भी कलिका रहती है, जो पादप प्रसारण के कार्य आती है। प्याज का खानेवाला भाग मिट्टी के नीचे रहनेवाला तना ही है, जिसे शल्क कंद (Bulb) कहते हैं। इसमें शल्कपत्र तथा अग्रस्थ कलिका दबी पड़ी रहती है। लहसुन, केना, बनप्याजी तथा अन्य कई एक एकबीजपत्री संवृतबीजी में ऐसे तने मिलते हैं। सूरन तथा बंडे का भी खानेवाला भाग भूमिगत रहता है और यह भी शाखा का ही रूप है, जिसे घन कंद (Corm) कहते हैं। तने का ऐसा भी रूपांतर कई पौधों में पाया जाता है, जिसका कुछ भाग भूमि के नीचे और कुछ भाग भूमि के ऊपर रहते हुए विशेष कार्य करता है, जैसे दूब घास में तने उर्पार भूस्तारी (runner) के रूप पृथ्वी पर पड़े रहते हैं और उनकी पर्वसंधि (node) से जड़ मिट्टी में घुस जाती है। इसी से मिलते जुलते भूस्तारी (stolon) प्रकार के तने होते हैं, जैसे झूमकलता, या चमेली इत्यादि। भूस्तारी (offset) तने जलकुंभी में, तथा अंत: भूस्तारी (sucker) तने पुदीना में होते हैं।
युद्ध, उत्सव और प्रार्थना या भजन के समय मानव गाने बजाने का उपयोग करता चला आया है। संसार में सभी जातियों में बाँसुरी इत्यादि फूँक के वाद्य (सुषिर), कुछ तार या ताँत के वाद्य (तत), कुछ चमड़े से मढ़े हुए वाद्य (अवनद्ध या आनद्ध), कुछ ठोंककर बजाने के वाद्य (घन) मिलते हैं।
इक और बड़ा मसअला स़ाहराहों कु चौड़ा करने के लीए दरख़तों की कटाई है। कराची मैं पहिले ही दरख़तों की कमी हेआवर मौजूद दरख़तों की कटाई पर माहोलीआती तनज़ीमों ने स़दीद इहतजाज किआ है। जिस पर स़हिरी हकूमत ने सतबर 2006ई. से तिन माह के लीए स़जरकारी मुहिम का ऐलान किआ।
क्रास्लावा, डौगावपिल्स, लीवानि, जीकाब्पिल्स, प्लाविनास, ऐज़्क्रौक्ले, जौन्जेल्गावा, लिएल्वार्दे, कीगम्स, ओर्जी, इक्स्किले, सालास्पिल्स, और रीगा।
निर्देशांक: 22°34′N 88°22′E / 22.567, 88.367
मिलखा सिंह का जन्म ( लायलपुर ८ अक्तूबर १९३५) को हुआ था। वे एक सिख धावक थे जिन्होंने रोम के १९६० ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के १९६४ ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उनको "उड़न सिख" का उपनाम दिया गया था। वे भारत के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक हैं।
17.
एक विशिष्ट अर्थ में अभिषेक का प्रयोग बौद्ध "महावस्तु" (प्रथम 124.20) में हुआ है जहाँ साधना की परिणति दस भूमियों में अंतिम "अभिषेक भूमि" में बतलाई गई है।
मैंने आपमें वह प्रतिभा देखी है जो आपको हिन्दी के अग्रणी साहित्यकारों में ला देती है. राम कथा के आदि वाले अंश का कुछ भाग आपने ('दीक्षा' में) बड़ी कुशलता के साथ प्रस्तुत किया है. उसमें औपन्यासिकता है, कहानी की पकड़ है. भगवतीचरण वर्मा, (१९७६)[३१]
सूत्रधार के सूत्र संस्कृत रंगपरंपरा से गहरे जुड़े हुए हैं। वहाँ इसे संपूर्ण अर्थ का प्रकाशक, नांदी के पश्चात मंच पर संचरण करने वाला पात्र तथा शिल्पी कहा गया है। सूचक और बीजदर्शक के रूप में भी सूत्रधार को मान्यता मिली है। सूत्रभृत, सूत्री और सूत्रकृत आदि नामों से भी यह संबोधित किया जाता रहा है। 'भाव' का संबोधन भी इसे मिला है। अमरकोष 'भाव' को विद्वान का पर्याय मानता है। नाट्याचार्य भी सूत्रधार के पर्याय के रूप में प्रयुक्त होता रहा है। पर्याय के रूप में प्रयुक्त होने वाले सूत्रधार के विविध नामों के भीतर छिपे गुणों के आधार पर लक्षणग्रंथों और शास्त्रों में सूत्रधार की विवेचना होती रही है। नाट्यशास्त्र में भरत मुनि सूत्रधार को भावयुक्त गीतों, वाद्य तथा पाठ्य के सूत्रों का ज्ञाता मानते हैं और उपदेष्टा भी कहते हैं।[क]
इसका स्थापत्य उत्तर भारतीय हिन्दु वास्तु की नागर शैली का है। मंदिर के साथ ही एक बड़ा आयताकार जल कुण्ड भी है, जिसे दुर्गा कुण्ड कहते हैं। मंदिर का बहुमंजिला शिखर है[८१] और वह गेरु से पुता हुआ है। इसका लाल रंग शक्ति का द्योतक है। कुण्ड पहले नदी से जुड़ा हुआ था, जिससे इसका जल ताजा रहता था, किन्तु बाद में इस स्रोत नहर को बंद कर दिया गया जिससे इसमें ठहरा हुआ जल रहता है, और इसका स्रोत अबव र्शषआ या मंदिर की निकासी मात्र है। प्रत्येक वर्ष नाग पंचमी के अवसर पर भगवान विष्णु और शेषनाग की पूजा की जाती है। यहां संत भास्कपरानंद की समाधि भी है। मंगलवार और शनिवार को दुर्गा मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ रहती है। इसी के पास हनुमान जी का संकटमोचन मंदिर है। महत्ता की दृष्टि से इस मंदिर का स्थागन काशी विश्वभनाथ और अन्नेपूर्णा मंदिर के बाद आता है।
शहर में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश राज्य हाईस्कूल एवं इंटरमीडियेट शिक्षा कार्यालय। इलाहाबाद भारत के १४ प्रधानमंत्रियों में से ७ से संबंधित रहा है: जवाहर लाल नेहरु, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, गुलजारी लाल नंदा, विश्वनाथ प्रताप सिंह एवं चंद्रशेखर; जो या तो यहां जन्में हैं, या इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़े हैं या इलाहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए हैं।[३]
1482–1637  Elmina (São Jorge da Mina)
UK में उत्पादन वैज्ञानिक पत्रिकाओं में शामिल हैं नेचर , ब्रिटिश चिकित्सा पत्रिका और द लैनसेट .2006 में, यह प्रतिवेदित हुआ की UK ने विश्व के वैज्ञानिक शोध पत्र का 9% और प्रशंसा पत्र का 12% हिस्सा प्रदान किया, यह US के बाद दुनिया में दूसरा सर्वोच्च है.[२२८]
फ़र्रूख़ाबाद भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है ।
कामदेवः कामपालः कामी कान्तः क्ड़ितागमः ।
में संरक्षित हैं .
ह्वेन त्सांग (चीनी: 玄奘; pinyin: Xuán Zàng; Wade-Giles: Hsüan-tsang) एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आया था। वह भारत में सत्रह वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है।
११) संस्कृत वाक्यों में शब्दों को किसी भी क्रम में रखा जा सकता है। इससे अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नहीं होती। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं और क्रम बदलने पर भी सही अर्थ सुरक्षित रहता है। जैसे - अहं गृहं गच्छामि या गच्छामि गृहं अहम् दोनो ही ठीक हैं।
सेममुखेम नागराज एक प्रसिद्द नागतीर्थ है जो कि श्रद्धालुओं में सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है। प्राकृतिक सौन्दर्य युक्त इस स्थान पर नागराज का सिद्ध मन्दिर है।
हिन्दी गद्यकार अवनीश सिंह चौहान दुर्गेश जोशि सुगम्
पूनालुर से 80 किमी. दूर स्थित यह एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। यहां के घने जंगलों के बीचों बीच सास्था मंदिर बना हुआ है। मंदिर में स्थापित सास्था की मूर्ति ईसा युग से कुछ शताब्दी पूर्व की मानी जाती है। मांडला पूजा और रेवती नामक दो पर्व यहां बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।
इन्हें भी देखें 2010 भारत 2010 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2010 साहित्य संगीत कला 2010 खेल जगत 2010
भारत बहुत से उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादको में से है। इनमें प्राथमिक और विनिर्मित दोनों ही आते हैं । भारत दूध का सबसे बडा उत्पादक है ओर गेह, चावल,चाय चीनी,और मसालों के उत्पादन में अग्रणियों मे से एक है यह लौह अयस्क, वाक्साईट, कोयला और टाईटेनियम के समृद्ध भंडार हैं ।
मुख्य लेख आधुनिक हिंदी का अंतर्राष्ट्रीय विकास देखिये।
स्थानीय व विश्वस्तरीय प्रदूषण के बढ़ते प्रमाण और समय के साथ जनता में बढ़ते ज्ञान ने पर्यावरण विज्ञान (environmentalism) और पर्यावरण आंदोलन (environmental movement) को जन्म दिया है, जो वातावरण पर मानव के प्रभाव को सीमित करता है.
१७६४ में फिर क्लाइव को बंगाल का गवर्नर बनाकर भेजा गया और मई, १७६५ में क्लाइव दुबारा कलकत्ता आया। इस समय उसके सामने दो समस्याएँ थीं। एक राजनीतिक और दूसरी प्रशासकीय। राजनीतिक समस्या मुगल बादशाहों, अवध राज्य तथा बंगाल के नवाव से संबंध रखती थी । प्रशासकीय समस्या कं पनी के नौकरों की मुनाफाखोरी की थी।
(१) ऋग्वेद, (२) यजुर्वेद, (३) सामवेद तथा (४) अथर्ववेद
प्रधानमंत्री सरकार संसदीय सरकार का ही प्रकार है जिसमे प्रधानमंत्री मंत्रि परिषद का नेतृत्व करता है वह कैबिनेट की निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है वह कैबिनेट से अधिक शक्तिशाली है उसके निर्णय ही कैबिनेट के निर्णय है देश की सामान्य नीतियाँ कैबिनेट द्वारा निर्धारित नहीं होती है यह कार्य प्रधानमंत्री अपने निकट सहयोगी चाहे वो मंत्रि परिषद के सद्स्य ना हो की सहायता से करता है जैसे कि इंदिरा गाँधी अपने किचन कैबिनेट की सहायता से करती थी
कुल तीड़्न प्रकार के मंत्री माने गये है
हिन्दी लेखक
औद्योगिक रूप से एंटीबायोटिक प्रतिरोध का उपयोग बैक्टीरियल संस्कृतियों को बनाए रखने उन्हें एंटीबायोटिक दवाओं की एक बड़ी मात्रा की आवश्यकता होगी. इसके बजाय, प्रतिस्थापन प्लास्मिड्स-औक्सोत्रोफिक उपयोग के जीवाणु उपभेदों के लिए (और समारोह) पसंद है.
टामा क्षेत्र
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
हालांकि चन्द्रगुप्त द्वितीय का अन्य नाम देव, देवगुप्त, देवराज, देवश्री आदि हैं । उसने विक्रयांक, विक्रमादित्य, परम भागवत आदि उपाधियाँ धारण की । उसने नागवंश, वाकाटक और कदम्ब राजवंश के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये । चन्द्रगुप्त द्वितीय ने नाग राजकुमारी कुबेर नागा के साथ विवाह किया जिससे एक कन्या प्रभावती गुप्त पैदा हुई । वाकाटकों का सहयोग पाने के लिए चन्द्रगुप्त ने अपनी पुत्री प्रभावती गुप्त का विवाह वाकाटक नरेश रूद्रसेन द्वितीय के साथ कर दिया । उसने प्रभावती गुप्त के सहयोग से गुजरात और काठियावाड़ की विजय प्राप्त की ।
मंगलौरी-शैली अन्य भारतीय व्यंजनों के संग
• कोनकोना सेन शर्मा
कोलकाता परिसर 'सांख्यिकी स्नातक' (बी स्टेट) डिग्री प्रदान करता है तथा सांख्यिकी, कंप्यूटर विज्ञान, गुणवत्ता विश्वसनीयता और संचालन अनुसंधान, मात्रात्मक अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करता हैं ।
ब्रह्माण्ड शब्द के विन्यास के उपरान्त, "दीर्घ स्वर सन्धि (अ+आ) और संबन्ध तत्पुरुष समास" के अनुसार ब्रह्माण्ड शब्द का अर्थ जो निकल कर आता है वो है "ब्रह्म का अण्ड अर्थात् जीव का अण्डा", क्योंकि ब्रह्म का अर्थ होता है जीव और अण्ड का अर्थ होता है अण्डा अर्थात् हमारा ब्रह्माण्ड जीव के अण्डे जैसा है।
Kazimierz Dolny
प्रतीकात्मक और वास्तविक रूप में, रोमन कैथोलिक चर्च एक लाभप्रद स्थिति में बना हुआ है. बेल्जियम की 'मान्यता प्राप्त धर्म'[७७] की अवधारणा ने इस्लाम के लिए यहूदी और प्रोटेस्टेंट धर्मों के साथ व्यवहार विकसित करने के लिए मार्ग प्रशस्त किया है. जबकि अन्य अल्पसंख्यक धर्मों, जैसे हिंदू धर्म के पास अभी तक ऐसी स्थिति नहीं है, बौद्ध धर्म ने 2007 में कानूनी मान्यता की ओर पहला कदम उठाया.[७५][७८][७९]2001 सर्वे एंड स्टडी ऑफ़ रिलिजन [८०] के मुताबिक जनसंख्या का 47% खुद को कैथोलिक चर्च से संबंधित के रूप में पहचानता है, जबकि 3.5% पर इस्लाम, दूसरा सबसे बड़ा धर्म है. 2006 की एक जांच में फ्लेनडर्स में, जो वालोनिया से अधिक धार्मिक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, पता चला कि 55% लोग अपने को धार्मिक मानते हैं और 36% का विश्वास था कि भगवान ने दुनिया बनाई गई.[८१]
गूगल की कामयाबी का एक बड़ा हिस्सा पेज रैंक कहे जाने वाले पेटेंट किये हुए एल्गोरिथ्म (कलन विधि) के कारण है, जो खोज के सूत्र का मिलान कर वेब पृष्ठों को रैंक प्रदान करता है.[८] खोज के परिणामों की रैंकिंग की पहले की मुख्य शब्द (कीवर्ड) आधारित पद्धति, जिसका उपयोग कई खोज इंजनों में किया गया, कभी गूगल की तुलना में ज्यादा लोकप्रिय थी, वह पेजों की रैंक इस आधार पर तय करती थी कि कितनी बार पृष्ठ में खोज के शब्द को दोहराया गया है या कितनी मजबूती से खोज के शब्द प्रत्येक परिणामस्वरूप पृष्ठ के भीतर जुड़े हुए हैं. पेज रैंक कलन विधि मानव जनित कड़ियों के विश्लेषण बजाय यह मानती है कि कई महत्वपूर्ण पृष्ठों से जुड़े वेब पेज स्वयं महत्वपूर्ण हो सकते हैं. एल्गोरिथ्म पेजों के लिए पुनरावर्ती स्कोर की गणना करता है और यह उनसे जुड़े पन्नों की पेज रैंक के तुलित जोड़ पर आधारित है. पेज रैंक को मानव के महत्व की अवधारणाओं का अच्छा सहसंबंधी माना जा सकता है. पेजरैंक के अलावा, गूगल ने पिछले कई वर्षों में परिणाम सूचियों पर पेजों की रैंकिंग निर्धारित करने के लिए कई अन्य गुप्त मापदंड अपनाये हैं, जो लगभग 200 विभिन्न संकेतकों के रूप में बताये जाते हैं.[९][१०] स्पैमरों से बचने और गूगल के प्रतिस्पद्धियों पर बढ़त बरकरार रखने के लिए इनका विवरण गुप्त रखा जाता है.
जोसियन ने विज्ञान और संस्कृति में उन्नति देखी. राजा सिजोंग महान (1418-1450) ने कोरियाई वर्णमाला प्रख्यापित की. यह अवधि, कई अन्य विभिन्न सांस्कृतिक और प्रौद्योगिकी उन्नतियों और साथ ही साथ सम्पूर्ण प्रायद्वीप पर नव-कन्फ्यूशियनवाद के प्रभुत्व की साक्षी बनी. जोसियन कोरिया की जनसंख्या का लगभग एक तिहाई हिस्सा, अनुमान के अनुसार दास, नोबी, से निर्मित था. [31]
जाबाल-उपनिषद् खण्ड-२ में महर्षि अत्रि ने महर्षि याज्ञवल्क्य से अव्यक्त और अनन्त परमात्मा को जानने का तरीका पूछा। तब याज्ञवल्क्य ने कहा कि उस अव्यक्त और अनन्त आत्मा की उपासना अविमुक्त क्षेत्र में हो सकती है, क्योंकि वह वहीं प्रतिष्ठित है। और अत्रि के अविमुक्त की स्थिति पूछने पर । याज्ञवल्क्य ने उत्तर दिया कि वह वरणा तथा नाशी नदियों के मध्य में है। वह वरणा क्या है और वह नाशी क्या है, यह पूछने पर उत्तर मिला कि इन्द्रिय-कृत सभी दोषों का निवारण करने वाली वरणा है और इन्द्रिय-कृत सभी पापों का नाश करने वाली नाशी है। वह अविमुक्त क्षेत्र देवताओं का देव स्थान और सभी प्राणियों का ब्रह्म सदन है। वहाँ ही प्राणियों के प्राण-प्रयाण के समय में भगवान रुद्र तारक मन्त्र का उपदेश देते है जिसके प्रभाव से वह अमृती होकर मोक्ष प्राप्त करता है। अत एव अविमुक्त में सदैव निवास करना चाहिए। उसको कभी न छोड़े, ऐसा याज्ञवल्क्य ने कहा है।
रेलः देहरादून उत्तरी रेलवे का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यह भारत के लगभग सभी बड़े शहरों से सीधी ट्रेनों से जुड़ा हुआ है। ऐसी कुछ प्रमुख ट्रेनें हैं- हावड़ा-देहरादून एक्सप्रेस, चेन्नई- देहरादून एक्सप्रेस, दिल्ली- देहरादून एक्सप्रेस, बांद्रा- देहरादून एक्सप्रेस, इंदौर- देहरादून एक्सप्रेस आदि। वायु मार्गः जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून से २५ से किलोमीटर है। यह दिल्ली एयरपोर्ट से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। एयर डेक्कन दोनों एयरपोर्टों के बीच प्रतिदिन वायु सेवा संचालित करती है।
(3) मजदूर, किसान और कारीगर का जीवन ही सच्चा और सर्वोत्कृष्ट जीवन है।
वह यहीं से उर्दू विभाग के अध्यक्ष के तौर पर सेवानिवृत्त भी हुए. शहरयार ने गमन और आहिस्ता- आहिस्ता आदि कुछ हिंदी फ़िल्मों में गीत लिखे लेकिन उन्हें सबसे ज़्यादा लोकप्रियता 1981 में बनी फ़िल्म 'उमराव जान' से मिली.
सत्तर के दशक में भारत से तमिल पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं और चलचित्रों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया। साथ ही, श्रीलंका में उन संगठनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया, जिनका संबंध तमिल नाडु के राजनीतिक दलों से था। छात्रों के भारत आकर पढ़ाई करने पर रोक लगा दी गई। श्रीलंकाई तमिलों ने इन कदमों को उनकी अपनी संस्कृति से काटने का षड़यंत्र घोषित दिया, हालांकि सरकार ने इन कदमों को आर्थिक आत्मनिर्भरता के समाजवादी कार्यसूची का भाग बताया।
इस्लाम एवं अन्य धर्म
जालंधर के लिए रेलवे सेवा कुछ प्रमुख शहरों से जुड़ी हुई है।
नदिया का शांतिपुर 9वीं शताब्दी से संस्कृत, साहित्य और वैदिक शिक्षा का बड़ा केन्द्र भी रहा है। उस समय यहां पर अनेक मन्दिरों का निर्माण किया गया था। इन सभी मन्दिरों का निर्माण विभिन्न शैलियों में बड़ी खूबसूरती के साथ किया गया था। शांतिपुर के मन्दिरों में श्याम चन्द मन्दिर, जलेश्वर और अद्वैत प्रभु मन्दिर प्रमुख हैं। अपने शानदार मन्दिर-मस्जिदों के साथ-साथ यह अपनी बुनाई कला के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां पर भारत की बेहतरीन साड़ियों में से तांत साड़ी तैयार की जाती है।
माता, वरदान देने वाली, आनन्द देने वाली।
शहर के विमान संपर्क हेतु नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दम दम में स्थित है। यह विमानक्षेत्र शहर के उत्तरी छोर पर है व यहां से दोनों, अन्तर्देशीय और अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानें चलती हैं। यह नगर पूर्वी भारत का एक प्रधान बंदरगाह है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट ही कोलकाता पत्तन और हल्दिया पत्तन का प्रबंधन करता है। [३८] यहां से अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में पोर्ट ब्लेयर के लिये यात्री जहाज और भारत के अन्य बंदरगाहों तथा विदेशों के लिए भारतीय शिपिंग निगम के माल-जहाज चलते हैं। यहीं से कोलकाता के द्वि-शहर हावड़ा के लिए फेरी-सेवा भी चलती है। कोलकाता में दो बड़े रेलवे स्टेशन हैं जिनमे एक हावड़ा और दूसरा सियालदह में है, हावड़ा तुलनात्मक रूप से ज्यादा बड़ा स्टेशन है जबकि सियालदह से स्थानीय सेवाएँ ज्यादा हैं। शहर में उत्तर में दमदम में नेताजी सुभाषचंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जो शहर को देश विदेश से जोड़ता है। शहर से सीधे ढाका यांगून, बैंकाक लंदन पारो सहित मध्य पूर्व एशिया के कुछ शहर जुड़े हुये हैं। कोलकाता भारतीय उपमहाद्वीप का एकमात्र ऐसा शहर है जहाँ ट्राम यातायात का प्रचलन है। इसके अलावा यहाँ कोलकाता मेट्रो की भूमिगत रेल सेवा भी उपलब्ध है। गंगा की शाखा हुगली में कहीं कहीं स्टीमर यातायात की सुविधा भी उपलब्ध है। सड़कों पर नीजी बसों के साथ साथ पश्चिम बंगाल यातायात परिवहन निगम की भी काफी बसें चलती हैं। शहर की सड़कों पे काली-पीली टैक्सियाँ चलती हैं। धुंएँ, धूल और प्रदूषण से राहत शहर के किसी किसी इलाके में ही मिलती है।
भाषाविद हिन्दी एवं उर्दू को एक ही भाषा समझते हैं । हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर अधिकांशत: संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करती है । उर्दू, फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर उस पर फ़ारसी और अरबी भाषाओं का प्रभाव अधिक है। व्याकरणिक रुप से उर्दू और हिन्दी में लगभग शत-प्रतिशत समानता है - केवल कुछ विशेष क्षेत्रों में शब्दावली के स्त्रोत (जैसा कि ऊपर लिखा गया है) में अंतर होता है। कुछ विशेष ध्वनियाँ उर्दू में अरबी और फ़ारसी से ली गयी हैं और इसी प्रकार फ़ारसी और अरबी की कुछ विशेष व्याकरणिक संरचना भी प्रयोग की जाती है। अतः उर्दू को हिन्दी की एक विशेष शैली माना जा सकता है।
कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै। तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।
आप यहाँ तो नहीं जाना चाहते थे - सुखदेव(राजा)
हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। [५]
371 ई.पू. में लियुकट्रा की लड़ाई एवं तत्पश्चात हेलोट विद्रोह में सपार्टन्स को जो क्षति सहनी पड़ी उससे स्पार्टा कभी भी उबर नहीं पाया. बहरहाल दो शताब्दियों से भी अधिक समय तक एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में अपने आपको बरकरार बनाने रखने में यह कामयाब रहा. न ही फिलिप द्वितीय ने और न ही उसके बेटे सिकंदर महान ने ही खुद स्पार्टा पर विजय प्राप्त करने की कोशिश की: स्पार्टन की सामरिक निपुणता अब भी इस हद तक अच्छी थी किसी भी हमले को संभवतः काफी नुकसान का जोखिम उठाना पड़ सकता था.
5 नवंबर, 1925 के दिन, देशबंधू चित्तरंजन दास कोलकाता में चल बसें। सुभाषबाबू ने उनकी मृत्यू की खबर मंडाले कारागृह में रेडियो पर सुनी।
मैंगलोर कर्नाटक प्रान्त का एक शहर है।
राज भवन, कोलकाता कोलकाता की प्रसिद्ध इमारत है।
अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए निम्नलिखित साधन अपनाये-
मॉरीशस को इसके स्वादिष्ट खाने से भी जाना जाता है, जो भारतीय, चीनी, क्रेयोल और यूरोपियन खानो का मिश्रण है। इस द्वीप पर रम का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। 1638 मे डच लोगों ने मॉरीशस को सबसे पहले गन्ना से परिचित कराया। डच गन्ने की खेती मुख्यतः अरक ( रम का एक पूर्व प्रकार) के उत्पादन के लिए करते थे। लेकिन फ्रांस और ब्रिटेन के शासन के दौरान यहाँ गन्ने की खेती को बड़े पैमाने पर किया गया जिसने इस द्वीप के आर्थिक विकास मे काफी योगदान दिया।[तथ्य वांछित]पियरे चार्ल्स फ्रेंकोएज़ हरेल पहला व्यक्ति था जिसने 1850 में मॉरीशस में रम के स्थानीय आसवन का प्रस्ताव किया।
कबीर नाम में विश्वास रखते हैं, रूप में नहीं। हालाँकि भक्ति-संवेदना के सिद्धांतों में यह बात सामान्य रूप से प्रतिष्ठित है कि ‘नाम रूप से बढ़कर है’, लेकिन कबीर ने इस सामान्य सिद्धांत का क्रांतिधर्मी उपयोग किया। कबीर ने राम-नाम के साथ लोकमानस में शताब्दियों से रचे-बसे संश्लिष्ट भावों को उदात्त एवं व्यापक स्वरूप देकर उसे पुराण-प्रतिपादित ब्राह्मणवादी विचारधारा के खाँचे में बाँधे जाने से रोकने की कोशिश की।
संयुक्त अवध आगरा प्रांत मानचित्र
The Revolution had a strong, immediate impact in Great Britain, Ireland, the Netherlands, and France. Many British and Irish Whigs spoke in favor of the American cause. The Revolution, along with the Dutch Revolt (end of the 16th century) and the English Civil War (in the 17th century), was one of the first lessons in overthrowing an old regime for many Europeans who later were active during the era of the French Revolution, such as Marquis de Lafayette . The American Declaration of Independence had some impact on the French Declaration of the Rights of Man and the Citizen of 1789. [ 101 ] [ 102 ] The spirit of the Declaration of Independence led to laws ending slavery in all the Northern states and the Northwest Territory, with New Jersey the last in 1804—long before the British Parliament acted in 1833 to abolish slavery in its colonies. [ 103 ] [ edit ] National debt See also: United States public debt , Federalist Papers , and Alexander Hamilton
The seat of government for California under Mexican rule was located at Monterey from 1777 until 1835, when Mexican authorities abandoned California, leaving their missions and military forts behind.[९] In 1849, the Constitutional Convention was first held there. Among the duties was the task of determining the location for the new State capital. The first legislative sessions were held in San Jose (1850-1851). Subsequent locations included Vallejo (1852-1853), and nearby Benicia (1853-1854), although these locations eventually proved to be inadequate as well. The capital has been located in Sacramento since 1854.[१०]
यह काई के रंग के समान, मोटा पानीदार तथा मृदु होता है।
मनोरंजन सुविधाओं में एक फिटनेस सेंटर, स्विमिंग पूल, टेनिस, स्क्वैश, बैडमिंटन और बास्केटबॉल कोर्ट और फुटबॉल मैदान के साथ-साथ बिलियर्ड्स, कैरम तथा शतरंज जैसे इनडोर खेल शामिल हैं.
प्रजनन क्षमता पर नियंत्रण के विपरीत, जो मुख्य रूप से एक व्यक्तिगत स्तर का निर्णय है, सरकार जनसँख्या नियंत्रण करने के कई प्रयास कर सकती है जैसे गर्भनिरोधक साधनों तक लोगों की पहुँच बढाकर या अन्य जनसंख्या नीतियों और कार्यक्रमों के द्वारा.[१२] जैसा की ऊपर परिभाषित है, सरकार या सामाजिक स्तर पर 'जनसंख्या नियंत्रण' को लागू करने में "प्रजनन नियंत्रण" शामिल नहीं है, क्योंकि एक राज्य समाज की जनसंख्या को तब भी नियंत्रित कर सकता है जबकि समाज में प्रजनन नियंत्रण का प्रयोग बहुत कम किया जाता हो. जनसंख्या नियंत्रण के एक पहलू के रूप में आबादी बढाने वाली नीतियों को अंगीकृत करना भी ज़रूरी है और ज़रूरी है कि ये समझा जाए की सरकार जनसँख्या नियंत्रण के रूप में सिर्फ जनसख्या वृद्धि को रोकना नहीं चाहती. जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार न केवल अप्रवास का समर्थन कर सकती है बल्कि जन्म समर्थक नीतियों जैसे कि कर लाभ, वित्तीय पुरस्कार, छुट्टियों के दौरान वेतन देना जारी रखने और बच्चों कि देख रेख में मदद करने द्वारा भी लोगों को अतिरिक्त बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है.[१३] उदाहरण के लिए हाल के सालों में इस तरह की नीतियों फ्रांस और स्वीडन में अपनाई गयीं. जनसंख्या वृद्धि बढ़ने के इसी लक्ष्य के साथ, कई बार सरकार ने गर्भपात और जन्म नियंत्रण के आधुनिक साधनों के प्रयोग को भी नियंत्रित करने की कोशिश की है. इसका एक उदाहरण है मांग किये जाने पर गर्भनिरोधक साधनों और गर्भपात के लिए वर्ष 1966 में रोमानियामें लगा प्रतिबन्ध.
वर्तमान विज्ञान के दृष्टिकोंण से अगर उपरोक्त केन्द्र बिन्दु को देखा जाए तो, निष्कर्ष रूप में अभी तक एक ही मूल कारण स्पष्ट हो पाया है कि - "हमारे ब्रह्माण्ड के सम्पूर्ण ग्रह, उपग्रह और सूर्य तथा तारे आदि इसलिए अपनी कक्षा से बाहर नहीं निकल पाते तथा अपनी ही गोलाकार कक्षा में ही स्थित रहते हुए, अपने-अपने केंद्र की निरंतर परिक्रमा करते रहते है क्योंकि, ये अपने-अपने गोलाकार केन्द्र के गोलाकार चुम्बकीय क्षेत्र में फँसे हुए हैं।"
Los Angeles is subject to earthquakes due to its location in the Pacific Ring of Fire. The geologic instability produces numerous fault lines both above and below ground, which altogether cause approximately 10,000 earthquakes every year.[८] One of the major fault lines is the San Andreas Fault. Located at the boundary between the Pacific Plate and the North American Plate, it is predicted to be the source of Southern California's next big earthquake.[९] Major earthquakes to have hit the Los Angeles area include the 1994 Northridge earthquake, the 1987 Whittier Narrows earthquake, the 1971 San Fernando earthquake near Sylmar, and the 1933 Long Beach earthquake. Nevertheless, all but a few quakes are of low intensity and are not felt.[१०] Parts of the city are also vulnerable to Pacific Ocean tsunamis; harbor areas were damaged by waves from the Valdivia earthquake in 1960.[११]
१९४७ में चिदानन्द दासगुप्ता और अन्य लोगों के साथ मिलकर राय ने कलकत्ता फ़िल्म सभा शुरु की, जिसमें उन्हें कई विदेशी फ़िल्में देखने को मिलीं। इन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में कोलकाता में स्थापित अमरीकन सैनिकों से दोस्ती कर ली जो उन्हें शहर में दिखाई जा रही नई-नई फ़िल्मों के बारे में सूचना देते थे। १९४९ में राय ने दूर की रिश्तेदार और लम्बे समय से उनकी प्रियतमा बिजोय राय से विवाह किया। इनका एक बेटा हुआ, सन्दीप, जो अब ख़ुद फ़िल्म निर्देशक है। इसी साल फ़्रांसीसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार कोलकाता में अपनी फ़िल्म की शूटिंग करने आए। राय ने देहात में उपयुक्त स्थान ढूंढने में रन्वार की मदद की। राय ने उन्हें पथेर पांचाली पर फ़िल्म बनाने का अपना विचार बताया तो रन्वार ने उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित किया।[८]१९५० में डी. जे. केमर ने राय को एजेंसी के मुख्यालय लंदन भेजा। लंदन में बिताए तीन महीनों में राय ने ९९ फ़िल्में देखीं। इनमें शामिल थी, वित्तोरियो दे सीका की नवयथार्थवादी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत्ते (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) जिसने उन्हें अन्दर तक प्रभावित किया। राय ने बाद में कहा कि वे सिनेमा से बाहर आए तो फ़िल्म निर्देशक बनने के लिए दृढ़संकल्प थे।[९]
Maa Charchika's Mandir is situate on Ruchika parbat near the Renuka river.
बंकिमचंद्र के उपन्यासों का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद किया गया। बांग्ला में सिर्फ बंकिम और शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय को यह गौरव हासिल है कि उनकी रचनाएं हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं में आज भी चाव से पढ़ी जाती है। लोकप्रियता के मामले में बंकिम और शरद रविन्द्र नाथ टैगोर से भी आगे हैं। बंकिम बहुमुखी प्रतिभा वाले रचनाकार थे। उनके कथा साहित्य के अधिकतर पात्र शहरी मध्यम वर्ग के लोग हैं। इनके पात्र आधुनिक जीवन की त्रासदियों और प्राचीन काल की परंपराओं से जुड़ी दिक्कतों से साथ साथ जूझते हैं। यह समस्या भारत भर के किसी भी प्रांत के शहरी मध्यम वर्ग के समक्ष आती है। लिहाजा मध्यम वर्ग का पाठक बंकिम के उपन्यासों में अपनी छवि देखता है।
बच्चन की दादी तेजी बच्चन का २१ दिसम्बर, २००७ को देहांत हो गया[१७].
भिंड भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है।
इलाहाबाद का शहरी क्षेत्र तीन भागों एं वर्गीकृत किया जा सकता है: पुराना शहर जो शहर का आर्थिक केन्द्र रहा है। यह शहर का सबसे घना क्षेत्र है, जहां भीड़-भाड़ वाली सड़कें यातायात व बाजारों का कां देती हैं। नया शहर जो सिविल लाइंस क्षेत्र के निकट स्थित है; ब्रिटिश काल में स्थापित किया गया था। यह भली-भांति सुनियोजित क्षेत्र ग्रिड-आयरन रोड पैटर्न पर बना है, जिसमें अतिरिक्त कर्णरेखीय सड़कें इसे दक्ष बनाती हैं। यह अपेक्षाकृत कम घनत्व वाला क्षेत्र हैजिसके मार्गों पर वृक्षों की कतारें हैं। यहां प्रधान शैक्षिक संस्थान, उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कार्यालय, अन्य कार्यालय, उद्यान एवं छावनी क्षेत्र हैं। यहां आधुनिक शॉपिंग मॉल एवं मल्टीप्लेक्स बने हैं, जिनमें अटलांटिस मॉल, सालासर मॉल एवं विनायक सिटी सेंटर मॉल नुख्य हैं। बाहरी क्षेत्र में शहर से गुजरने वाले मुख्य राजमार्गों पर स्थापित सैटेलाइट टाउन हैं। इनमें गंगा-पार (ट्रांस-गैन्जेस) एवं यमुना पार (ट्रांस-यमुना) क्षेत्र आते हैं। विभिन्न रियल-एस्टेट बिल्डर इलाहाबाद में निवेश कर रहे हैं, जिनमें ओमेक्स लि. प्रमुख हैं। नैनी सैटेलाइट टाउन में १५३५ एकड़ की हाई-टेक सिटी बन रही है।
भोजन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो रोज़मर्रा के साथ -साथ त्योहारों में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है कई परिवारों में , हर रोज़ का मुख्य भोजन दो से तीन दौर में , कई तरह की चटनी और अचार के साथ , रोटी (roti) और चावल के रूप में कार्बोहाइड्रेट के बड़े अंश के साथ मिष्ठान (desserts) सहित लिया जाता है भोजन एक भारतीय परिवार के लिए सिर्फ खाने के तौर पर ही नहीं बल्कि कई परिवारों के एक साथ एकत्रित होने सामाजिक संसर्ग बढाने के लिए भी महत्वपूर्ण है
सामानी साम्राज्य को ताज़िक तथा उज़्बेक राष्ट्रों की नींव भी कहा जाता है । ये क्षेत्र इससे पहले ईरानी (फ़ारसी) नियंत्रण में रहे थे । इस संपूर्ण क्षेत्र को आज भी वृहत ईरान का अंग समझा जाता है ।
28 अप्रैल, 2007 के अनुसार
इनस्क्रिप्ट भारतीय भाषाओं हेतु मानक कुञ्जीपटल है। यह सी-डैक के द्वारा विकसित किया गया तथा भारत सरकार द्वारा मानकीकृत किया गया। आजकल यह सभी मुख्य ऑपरेटिंग सिस्टमों में अन्तर्निमित आता है जिनमें विण्डोज़ (२०००, ऍक्सपी, विस्ता, ७), लिनक्स तथा मॅकिन्तोश शामिल हैं।
दक्षिण-पश्चिम से दृश्य
विभिन्न भौतिक साधनों और उपकरणों का उपयोग सिफर्स की सहायता के लिए किया जाता रहा है.इनमें एक सबसे प्राचीन है प्राचीन यूनान (ancient Greece) की स्काई टेल (scytale), एक छड़ी जिसका उपयोग एक सिफर के ट्रांस पोसिशन के लिए स्पर्तनों के द्वारा किया जाता था.मध्यकालीन समय में, अन्य उपकरणों की खोज की गई जैसे सिफर ग्रीले (cipher grille), जिसका उपयोग स्टेग्नोग्राफी के एक प्रकार के रूप में भी किया जाता था.बहु वर्णी सिफर की खोज के बाद अधिक परिष्कृत उपकरण आए जैसे अलबर्टीi की सिफर डिस्क (cipher disk), जोहानिस ट्राईथेमिअस (Johannes Trithemius) की ताबुला रेकटा (tabula recta) योजना, और थॉमस जेफरसन (Thomas Jefferson) का बहु सिलिंडर (multi-cylinder) (जिसकी पुनः खोज १९०० के आस पास स्वतंत्र रूप से बाजेरीज (Bazeries) के द्वारा की गई.२० वीं शताब्दी के प्रारम्भ में कई यांत्रिक एन्क्रिप्शन / डिक्रिप्शन के उपकरणों की खोज की गई, और इनमें से कई पेटेंट युक्त थीं, जैसे रोटर मशीन (rotor machine); इसमें द्वितीय विश्व युद्ध और २० वीं शताब्दी के अंत में जर्मनी की सेना और सरकार के द्वारा प्रयुक्त प्रसिद्द एनिग्मा मशीन (Enigma machine)शामिल है.[७] इन डिजाइनों के अच्छी गुणवत्ता के उदाहरणों के द्वारा कार्यान्वित सिफर, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद क्रिप्ट एनालिटिक कठिनाई में पर्याप्त वृद्धि हुई.[८]
जिले का मुख्यालय गोरखपुर है ।
"प्रथम लक्ष्य" रूपी प्रथम कड़ी को संभवत: खोजने के उपरांत सबसे बड़ी चुनौती अभी शेष है कि आखिर उन्होंने "प्रथम लक्ष्य" के समाधन हेतु कौन-कौन से प्रयोग और कौन-कौन सी गणनाएँ की होंगी।"
2.5.3 सम्मानार्थक 'श्री' और 'जी' अव्यय भी पृथक् लिखे जाएँ। जैसे श्री श्रीराम, कन्हैयालाल जी, महात्मा जी आदि (यदि श्री, जी आदि व्यक्‍तिवाची संज्ञा के ही भाग हों तो मिलाकर लिखे जाएँ। जैसे :– श्रीराम, रामजी लाल, सोमयाजी आदि)।
आरम्भ में अत्यन्त सीमित व्यापार प्रथा का प्रचालन था। व्यापार विनिमय पद्धति पर आधारित था। समाज का एक वर्ग 'पाणी' व्यापार किया करते थे। राजा को नियमित कर देने या भू-राजस्व देने की प्रथा नहीं थी। राजा को स्वेच्छा से बलि या भाग या नजराना दिया जाता था। पराजित कबीला भी विजयी राजा को भेंट देता था। लूट में प्राप्त धन को राजा अपने अन्य साथियों के बीच बांटता था।
ओट्टपलक्कल नीलकंदन वेलु कुरुप (मलयालम: ഒറ്റപ്ലാക്കല്‍ നീലകണ്ഠന്‍ വേലു കുറുപ്പ്), प्रचलित नाम ओ.एन.वी.कुरुप, एक मलयाली कवि, और गीतकार थे जो भारत के केरल राज्य से हैं।
निर्देशांक: 34°05′N 74°47′E / 34.09, 74.79 श्रीनगर भारत के जम्मू एवं कश्मीर प्रान्त की राजधानी है।कश्मीर घाटी के मध्य में बसा श्रीनगर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। श्रीनगर एक ओर जहां डल झील के लिए प्रसिद्ध है वहीं दूसरी ओर विभिन्न मंदिरों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
मलय विकिपीडिया विकिपीडिया का मलय भाषा का संस्करण है। यह २६ अक्टूबर २००२ में आरंभ किया गया था, और २६ मई, २००९ तक इस पर लेखों की कुल संख्या ३९,०००+ है। यह विकिपीडिया का पैंतालीसवां सबसे बड़ा संस्करण है।
मुग़ल विस्तार का सबसे बड़ा भाग अकबर के शासनकाल (1556-1605) के दौरान निपुण हुआ.वर्तमान भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तराधिकारि जहाँगीर, शाहजहाँ, और औरंगजेब द्वारा इस साम्राज्य को अगले सौ साल के लिए प्रमुख शक्ति के रूप में बनाया रखा गया था.पहले छह सम्राट, जिन्होंने दोनों "विधि सम्मत" और "वास्तविक" शक्तियों का आनंद लिया, उन्हें आमतौर पर सिर्फ एक ही नाम से उल्लेख करते हैं, एक शीर्षक जो प्रत्येक महाराज द्वारा अपने परिग्रहण पर अपनाई जाती थी.प्रासंगिक शीर्षक के नीचे सूची में मोते अक्षरों में लिखा गया है.
For the 2007–2008 session, there are 48 Democrats and 32 Republicans in the Assembly. In the Senate, there are 25 Democrats and 15 Republicans. The current governor is Republican Arnold Schwarzenegger, who was elected to a term that lasts through January 2011.
डेल्फी की सिबिल (Delphic Sibyl) एक पौराणिक पैगंबरीय व्यक्तित्व थी, जिसके बारे में कहा जाता था कि ट्रॉजन युद्ध के कुछ ही समय बाद उसने में भविष्यवाणियां कीं थीं. जिन भविष्यवाणियों का श्रेय उसे दिया जाता है, वे पैगंबरीय वचनों के एक लिखित संग्रह में बाकिस (Bakis) जैसे अन्य व्यक्तियों के ऑरेकल के साथ वितरित कीं गईं. सिबिल का अपोलो के ऑरेकल से कोई संबंध नहीं था और भ्रमवश इसे इसे पाइथिया नहीं समझा जाना चाहिये.[२१]
भारत में विदेशियों के आ जाने पर यह यह रोग अधिक फैला, जिससे इसे फिरंग रोग नाम मिला। अमरीका में हब्शियों में तथा भारत में तराई के क्षेत्र में यह बहुत होता है। युद्धकाल में सैनिकों के माध्यम से प्राय: यह संक्रामक रूप से फैलता है। बड़े बड़े बंदरगाह तथा नगरों में, जहाँ संसर्ग के साधन सुलभ होते हैं, उपदंश बहुत फैलता है। उपदंश की निम्नलिखित अवस्थाएँ होती हैं :
मलय प्रायद्वीप या थाई-मलय प्रायद्वीप (मलय: सेमेनान्जुंग तनह मेलयु, थाई: คาบสมุทรมลายู) दक्षीन पूर्वी एशिया में एक प्रायद्वीप है। यह भूमिखंड उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थित है व टेमिनस एशियाई मुख्यभूमि के दक्षिणतम बिन्दु पर है। इस क्षेत्र में बर्मा, मलेशिया, सिंगापुर एवं थाईलैंड देश हैं।
इस प्रकार क दृढ़ निश्चय करके वहाँ से आप भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र लीलास्थली वृन्दावन पहुँच गये | होली के दिन यहाँ के दरिद्रनारायणों में भंडारा कर कुछ दिन वहीं पर रुके और फ़िर उत्त्तराखंड की ओर निकल पड़े | गुफ़ाओं, कन्दराओं, वनाच्छादित घाटियों, हिमाच्छदित पर्वत-शृंखलाओं एवं अनेक तीर्थों में घुमे | कंटकाकीर्ण मार्गों पर चले, शिलाओं की शैया पर सोये | मौत का मुकाबला करना पड़े, ऐसे दुर्गम स्थानों पर साधना करते हुए वे नैनीताल के जंगलों में पहुँचे |
पश्चिम मेदिनीपुर भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है ।
अकबरपुर दामोदर फ़र्रूख़ाबाद जिले का एक गाँव।
जो भी हो, बाकी बातें सभी हिन्दू मानते हैं : ईश्वर एक, और केवल एक है। वो विश्वव्यापी और विश्वातीत दोनो है। बेशक, ईश्वर सगुण है। वो स्वयंभू और विश्व का कारण (सृष्टा) है। वो पूजा और उपासना का विषय है। वो पूर्ण, अनन्त, सनातन, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। वो राग-द्वेष से परे है, पर अपने भक्तों से प्रेम करता है और उनपर कृपा करता है। उसकी इच्छा के बिना इस दुनिया में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। वो विश्व की नैतिक व्यवस्था को कायम रखता है और जीवों को उनके कर्मों के अनुसार सुख-दुख प्रदान करता है। श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार विश्व में नैतिक पतन होने पर वो समय-समय पर धरती पर अवतार (जैसे कृष्ण) रूप ले कर आता है। ईश्वर के अन्य नाम हैं : परमेश्वर, परमात्मा, विधाता, भगवान (जो हिन्दी मे सबसे ज़्यादा प्रचलित है)। इसी ईश्वर को मुसल्मान (अरबी में) अल्लाह, (फ़ारसी में) ख़ुदा, ईसाई (अंग्रेज़ी में) गॉड, और यहूदी (इब्रानी में) याह्वेह कहते हैं।
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नेपाली सैनिक विमान सेवा नेपाली सेना की एक अंगके रूपमा राहहुवा विमान सेवा है । मुख्यत उद्धार तथा यातायात सहजता का लिए इसकी स्थापना किया गयाथा ।
Niger's subtropical climate is mainly very hot and dry, with much desert area. In the extreme south there is a tropical climate on the edges of the Niger River basin. The terrain is predominantly desert plains and sand dunes, with flat to rolling savannah in the south and hills in the north.
इसके अनुसार वेदोक्त यज्ञों का अनुष्ठान ही वेद के शब्दों का मुख्य उपयोग माना गया है। सृष्टि के आरम्भ से ही यज्ञ करने में साधारणतया मन्त्रोच्चारण की शैली, मन्त्राक्षर एवं कर्म-विधि में विविधता रही है। इस विविधता के कारण ही वेदों की शाखाओं का विस्तार हुआ है। यथा-ऋग्वेद की २१ शाखा, यजुर्वेद की १०१ शाखा, सामवेद की १००० शाखा और अथर्ववेद की ९ शाखा- इस प्रकार कुल १,१३१ शाखाएँ हैं। इस संख्या का उल्लेख महर्षि पतञ्जलि ने अपने महाभाष्य में भी किया है। उपर्युक्त १,१३१ शाखाओं में से वर्तमान में केवल १२ शाखाएँ ही मूल ग्रन्थों में उपलब्ध हैः-
दूरबीन से ब्रह्मांड को देखने पर हमें ऐसा प्रतीत होता है कि हम इस ब्रह्मांड के केंद्रबिंदु हैं और बाकी चीजें हमसे दूर भागती जा रही हैं। यदि अन्य आकाश गंगाओं में प्रेक्षक भेजे जाएँ तो वे भी यही पावंेगे कि इस ब्रह्मांड के केंद्र बिंदु हैं, बाकी आकाश गंगाएँ हमसे दूर भागती जा रही हैं। अब जो सही चित्र हमारे सामने आता है, वह यह है कि ब्रह्मांड का समान गति से विस्तार हो रहा है। और इस विशाल प्रारूप का कोई भी बिंदु अन्य वस्तुओं से दूर हटता जा रहा है।
पुर्तगाल [107].
मोकक्द --- क्याकीयद --- कितनाकोहेन्द --- कहाँ
अट्टुकल पोंगल महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध उत्सव है। यह उत्सव तिरुवनंतपुरम से 2 किमी. दूर देवी के प्राचीन मंदिर में मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले पोंगल उत्सव की शुरुआत मलयालम माह मकरम-कुंभम (फरवरी-मार्च) के भरानी दिवस (कार्तिक चंद्र) को होती है। पोंगल एक प्रकार का व्यंजन है जिसे गुड़, नारियल और केले के निश्चित मात्रा को मिलाकर बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह देवी का पसंदीदा पकवान है। धार्मिक कार्य प्रात:काल ही शुरु हो जाते हैं और दोपहर तक चढ़ावा तैयार कर दिया जाता है। पोंगल के दौरान पुरुषों का मंदिर में प्रवेश वर्जित होता है। मुख्य पुजारी देवी की तलवार हाथों में लेकर मंदिर प्रांगण में घूमता है और भक्तों पर पवित्र जल और पुष्प वर्षा करता है।
जो विकारों के निष्कासन परिवतर्न और विकास क्रम का नियन्त्रण करते हैं । क्रिया-प्रक्रिया का चक्र सँभालते हैं ।
Main building
कुछ हवाई तने या स्तम्भ भी कई विशेष रूपों में परिवर्तित हो जाते हैं, जैसे नागफनी में चपटे, रस्कस (Ruscus) में पत्ती के रूप में तथा कुछ पौधों में अन्य रूप धारण करते हैं।
हिन्दी भाषा के लिये दो कीबोर्ड होते हैं - इनस्क्रिप्ट जो कि सभी भारतीय भाषाओं का मानक कीबोर्ड है तथा रेमिंगटन जो कि पुराने जमाने के टाइपराइटर पर प्रयोग होता था।
स्थानीय लोगों का विश्वास है कि इस विस्तृत घाटी के स्थान पर कभी मनोरम झील थी जिसके तट पर देवताओं का वास था। एक बार इस झील में ही एक असुर कहीं से आकर बस गया और वह देवताओं को सताने लगा। त्रस्त देवताओं ने ऋषि कश्यप से प्रार्थना की कि वह असुर का विनाश करें। देवताओं के आग्रह पर ऋषि ने उस झील को अपने तप के बल से रिक्त कर दिया। इसके साथ ही उस असुर का अंत हो गया और उस स्थान पर घाटी बन गई। कश्यप ऋषि द्वारा असुर को मारने के कारण ही घाटी को कश्यप मार कहा जाने लगा। यही नाम समयांतर में कश्मीर हो गया। निलमत पुराण में भी ऐसी ही एक कथा का उल्लेख है। कश्मीर के प्राचीन इतिहास और यहां के सौंदर्य का वर्णन कल्हण रचित राज तरंगिनी में बहुत सुंदर ढंग से किया गया है। वैसे इतिहास के लंबे कालखंड में यहां मौर्य, कुषाण, हूण, करकोटा, लोहरा, मुगल, अफगान, सिख और डोगरा राजाओं का राज रहा है। कश्मीर सदियों तक एशिया में संस्कृति एवं दर्शन शास्त्र का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा और सूफी संतों का दर्शन यहां की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
ईलिंग (अंग्रेज़ी: Ealing) पश्चिमी लंदन में ईलिंग बरो का मुख्य जिला और नगर है। उपनगरीय विकास है चैरिंग क्रॉस से 12.4 कीमी पश्चिम के रूप से दूर है। लंदन प्लैन के अनुसार ईलिंग दस बड़े मेट्रोपॉलिटन केन्द्र में एक है, और प्रायः इस जिला को “उपनगरों की राणी” कहते है।[१]
संसदीय लोकतंत्र के मह्त्वपूर्ण सिद्धांत 1.
जस्टिन हेनिन बेल्जियम की एक पेशेवर महिला टेनिस खिलाडी हैं | वर्ष २००२ से लेकर वर्ष २००७ तक उनका नाम जस्टिन हेनिन हार्डएन था | वर्ष २००७ में उनके विवाह सबंध विच्छेद के बाद उनका नाम फिर से जस्टिन हेनिन हो गया | जस्टिन का जन्म १ जून, १९८२ को बेल्जियम के लीज शहर में हुआ था | १४ मई, २००८ में अचानक सन्यास लेने के बाद उन्होंने सितम्बर २००९ में फिर से पेशेवर टेनिस में वापसी की है |
बटेश्वर से आगे इटावा एक नगर के रुप में यमुना तट पर वसा हुआ है। यह भी आगरा और बटेश्वर की भाँति भँचाई पर बसा हुआ है। यमुना के तट पर जितने ऊँचे, कगार आगरा और इटावा जिलों में हैं, उतने मैदान में अन्यत्र नहीं हैं। इटावा से आगे मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध नदी चम्बल यमुना में आकर मिलती है, जिससे इसका आकार विस्तीर्ण हो जाता है, अपने उद्गम से लेकर चम्बल के संगम तक यमुना नदी, गंगा नदी के समानान्तर बहती है। इसके आगे उन दोनों के बीच के अन्तर कम होता जाता है और अन्त में प्रयाग में जाकर वे दोनों संगम बनाकर मिश्रित हो जाती हैं।
2 FADH2
4. जिसमें से 5,895 वर्ग किमी; (2,276 mi²) दक्षिण में और 3,355 वर्ग किमी (1,295 mi²) उत्तर में है।
दक्षिण बिहार के गया जिले में स्थित बराबर नामक तीन गुफाओं की दीवारों पर अशोक के लेख उत्कीर्ण प्राप्त हुए हैं । इन सभी की भाषा प्राकृत तथा ब्राह्मी लिपि में है । केवल दो अभिलेखों शाहवाजगढ़ी तथा मान सेहरा की लिपि ब्राह्मी न होकर खरोष्ठी है । यह लिपि दायीं से बायीं और लिखी जाती है ।
हिन्दी शब्दावली में मुख्यतः दो वर्ग हैं-
गुप्त साम्राज्य की अवति- स्कन्दगुप्त राजवंश का आखिरी शक्‍तिशाली सम्राट था । ४६७ ई. उसका निधन हो गया । स्कन्दगुप्त के बाद इस साम्राज्य में निम्नलिखित प्रमुख राजा हुए-
८१ - इक्यासी
अरुण पुरी को सन २००१ में भारत सरकार ने साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये दिल्ली से हैं।
प्रमाता - प्रमाण के द्वारा प्रमेय ज्ञान को जो जानता है - उसे प्रमाता कहते हैं।
लोग, चिडियाघर, दो, इंद्र सुनें, दावेदार, तीसरी सत्ता, यथा प्रस्तावित, परिशिष्ट, असलाह, अंर्तध्वंस, ढाई घर, यातनाघर, आठ लघु उपन्यास अष्टाचक्र के नाम से दो खण्डों में आत्मा राम एण्ड संस से प्रकाशित। पहला गिरमिटिया - गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीकी अनुभव पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास
जनसंख्या - 37,45,875 (2001 जनगणना)
देखिये हिन्दी व्याकरण
नादिर ने इसके बाद हेरात के अब्दाली अफ़ग़ानों को परास्त किया। तहमाश्प के दरबार में अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के बाद उसने १७२९ में राजधानी इस्फ़हान पर कब्ज़ा कर चुके अफ़ग़ानों पर आक्रमण करने की योजना बनाई। इस समय एक यूनानी व्यापारी और पर्यटक बेसाइल वतात्ज़ेस ने नादिर के सैन्य अभ्यासों को आँखों से देखा था। उसने बयाँ किया - नादिर अभ्यास क्षेत्र में घुसने के बाद अपने सेनापतियों के अभिवादन की स्वीकृति में अपना सर झुकाता था। उसके बाद वो अपना घोड़ा रोकता था और कुछ देर तक सेना का निरीक्षण एकदम चुप रहकर करता था। वो अभ्यास आरंभ होने की अनुमति देता था। इसके बाद अभ्यास आरंभ होता था - चक्र, व्यूह रचना और घुड़सवारी इत्यादि.. नादिर खुद तीन घंटे तक घोड़े पर अभ्यास करता था।
महायान बौद्ध धर्म में, ऐसे अनेक संस्कृत ग्रंथ हैं जिनमे बुद्ध अपने अनुयायियों को मांस से परहेज करने का निर्देश देते हैं. हालांकि, महायान बौद्ध धर्म की प्रत्येक शाखा चयन करती है कि किस सूत्र का पालन करना है. तिब्बत और जापानी बौद्धों के बहुमत सहित महायान की कुछ शाखाएं मांस खाया करती हैं जबकि चीनी बौद्ध मांस नहीं खाते.
कोलकाता मेट्रो (बांग्ला: কলকাতা মেট্রো) पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक भूमिगत रेल प्रणाली है। इसे मंडलीय रेलवे का स्तर प्रदान किया गया है। यह भारतीय रेल द्वारा संचालित है। १९८४ में आरंभ हुई यह भारत की प्रथम भूमिगत एवं मेट्रो प्रणाली थी। इसके बाद दिल्ली मेट्रो २००२ में आरंभ हुई थी।
१७वीं शताब्दी के मध्यकाल में पुर्तगाल, डच, फ्रांस, ब्रिटेन सहित अनेकों यूरोपीय देशों, जो भारत से व्यापार करने के इच्छुक थे, उन्होनें देश की शासकीय अराजकता का लाभ प्राप्त किया। अंग्रेज दूसरे देशों से व्यापार के इच्छुक लोगों को रोकने में सफल रहे और १८४० तक लगभग संपूर्ण देश पर शासन करने में सफल हुए। १८५७ में ब्रिटिश इस्ट इंडिया कम्पनी के विरुद्ध असफल विद्रोह, जो कि भारतीय स्वतन्त्रता के प्रथम संग्राम से जाना जाता है, के बाद भारत का अधिकांश भाग सीधे अंग्रेजी शासन के प्रशासनिक नियंत्रण में आ गया। [८]
माधोगढ़ - तुंगा (बस्सी लालसोट आगरा मार्ग से 40 किलोमीटर) - जयपुर व मराठा सेना के बीच हुए एतिहासिक युग का तुंगा गवाह है। सुंदर आम के बागो के बीच यह किला बसा है।
(i) न्यूयॉर्क से प्रकाशित पत्रिका, यूरोमनी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 1984 के लिए दुनिया के सर्वोत्तम पांच वित्त मंत्रियों में से एक करार दिए गये.
"ब्रह्मस्फुटसिद्धांत" के साढ़े चार अध्याय मूलभूत गणित को समर्पित हैं। १२वां अध्याय, गणित, अंकगणितीय शृंखलाओं तथा ज्यामिति के बारे में है। १८वें अध्याय, कुट्टक (बीजगणित) में आर्यभट्ट के रैखिक अनिर्णयास्पद समीकरण (linear indeterminate equation, equations of the form ax − by = c) के हल की विधि की चर्चा है। (बीजगणित के जिस प्रकरण में अनिर्णीत समीकरणों का अध्ययन किया जाता है, उसका पुराना नाम ‘कुट्टक’ है। ब्रह्मगुप्त ने उक्त प्रकरण के नाम पर ही इस विज्ञान का नाम सन् ६२८ ई. में ‘गुट्टक गणित’ रखा।)[२] ब्रह्मगुप्त ने द्विघातीय अनिर्णयास्पद समीकरणों (Nx2 + 1 = y2) के हल की विधि भी खोज निकाली। गणित के सिद्धान्तों का ज्योतिष में प्रयोग करने वाला वह प्रथम व्यक्ति था। उसके ब्रह्मस्फुटसिद्धांत के द्वारा ही अरबों को भारतीय ज्योतिष का पता लगा। अब्बासिद ख़लीफ़ा अल-मंसूर (७१२-७७५ ईस्वी) ने बग़दाद की स्थापना की और इसे शिक्षा के केन्द्र के रूप में विकसित किया। उसने उज्जैन के कंकः को आमंत्रित किया जिसने ब्रह्मस्फुटसिद्धांत के सहारे भारतीय ज्योतिष की व्याख्या की। अब्बासिद के आदेश पर अल-फ़ज़री ने इसका अरबी भाषा में अनुवाद किया।
Farmanieh
रैली के आरंभ में, सर्वर और रिसीवर अपने-अपने सर्विस कोर्ट में एक-दूसरे के तिरछे खड़े होते हैं (देखें कोर्ट के आयाम). सर्वर शटलकॉक को इस तरह हिट करता है कि यह रिसीवर के सर्विस कोर्ट में जाकर गिरे. यह टेनिस के समान है, सिवाय इसके कि बैडमिंटन सर्व कमर की ऊंचाई के नीचे से हिट किया जाना चाहिए और रैकेट शाफ्ट अधोमुखी होना चाहिए, शटलकॉक को बाउंस करने की अनुमति नहीं है और बैडमिंटन में खिलाड़ियों को अपने सर्व कोर्टों के अंदर खड़े रहना पड़ता है, जबकि ऐसा टेनिस में नहीं होता है.
इनहेंची का शाब्दिक अर्थ होता है निर्जन। जिस समय इस मठ का निर्माण हो रहा था। उस समय इस पूरे क्षेत्र में सिर्फ यही एक भवन था। इस मठ का मुख्‍य आकर्षण जनवरी महीने में यहां होने वाला विशेष नृत्‍य है। इस नृत्‍य को चाम कहा जाता है। मूल रुप से इस मठ की स्‍थापना 200 वर्ष पहले हुई थी। वर्तमान में जो मठ है वह 1909 ई. में बना था। यह मठ द्रुपटोब कारपो को समर्पित है। कारपो को जादुई शक्‍ित के लिए याद किया जाता है।
धर्म के संबंध में हम समझते हैं कि बुद्धि, अब आगे आ नहीं सकती; शंका का स्थान विश्वास को लेना चाहिए। विज्ञान में समझते हैं कि जो खोज हो चुकी है, वह वर्तमान स्थिति में पर्याप्त है। इसे आगे चलाने की आवश्यकता नहीं। प्रतिष्ठा की अवस्था को हम पीछे छोड़ आए हैं, और सिद्ध नियम के आविष्कार की संभावना दिखाई नहीं देती। दर्शन का काम समस्त अनुभव को गठित करना है; दार्शनिक सिद्धांत समग्र का समाधान है। अनुभव से परे, इसका आधार कोई सत्ता है या नहीं? यदि है, तो वह चेतन के अवचेतन, एक है या अनेक? ऐसे प्रश्न दार्शनिक विवेचन के विषय हैं।
पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार यह देव स्वरुप है। भुवनभास्कर सूर्य इसके पिता, मृत्यु के देवता यम इसके भाई और भगवान श्री कृष्ण इसके परि स्वीकार्य किये गये हैं। जहां भगवान् श्री कृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते है, वहां यमुना इसकी जननी मानी जाती है। इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में ब्रजवासियों की माता है। अतः ब्रज में इसे यमुना मैया कहना सर्वथा सार्थक है। ब्रम्ह पुराण में यमुना के आध्यात्मिक स्वरुप का स्पष्टीकरण करते हुए विवरण प्रस्तुत किया है - "जो सृष्टि का आधार है और जिसे लक्ष्णों से सच्चिदनंद स्वरुप कहा जाता है, उपनिषदों ने जिसका व्रम्ह रुप से गायन किया है, वही परमतत्व साक्षात् यमुना है। १" गौड़िय विद्वान श्री रुप गोस्वामी ने यमुना को साक्षात् चिदानंदमयी वतलाया है। २ गर्गसंहिता में यमुना के पचांग - १.पटल, २. पद्धति, ३. कवय, ४. स्तोत्र और ५. सहस्त्र नाम का उल्लेख है। 'यमुना सहस्त्र नाम' में यमुना जी के एक हजार नामों से उसकी पशस्ति का गायन किया गया है। ३ यमुना के परमभक्त इसका दैनिक रुप से प्रति दिन पाठ करते हैं।
बिजली के झटके से मामलों में, कार्डियोपल्मोनरी घंटे) के लिए एक सीपीआर एसुस्किततिओन (या लंबे समय तक तंत्रिका चकित अनुमति दे सकते हैं ठीक करने के लिए, जीवित रहने की अनुमति देता है एक जाहिरा तौर पर मृत व्यक्ति. लोगों को पानी के नीचे पाया बर्फीले बेहोश आपातकालीन कमरे से बच सकता है अगर रखा जाता है उनके चेहरे पर एक लगातार ठंडा जब तक वे पहुंचें. [६] इस डाइविंग "प्रतिक्रिया, चयापचय जो गतिविधि और ऑक्सीजन आवश्यकताओं हैं, कम से कम में पलटा हिस्सेदारी के साथ चेतसा मनुष्य कुछ है डाइविंग एनएस बुलाया स्तनधारी मणि जाती है [६]
इस्लामी सप्ताह, यहूदी सप्ताह के समान ही होता है, जो कि मध्य युगीय ईसाई सप्ताह समान होता है। इसका प्रथम दिवस भी रविवार के दिन ही होता है। इस्लामी एवं यहूदी दिवस सूर्यास्त के समय आरंभ होते हैं, जबकि ईसाई एवं ग्रहीय दिवस अर्धरात्रि में आरम्भ होते हैं। [३] मुस्लिम साप्ताहिक नमाज़ हेतु मस्जिदों में छठे दिवस की दोपहर को एकत्रित होते हैं, जो कि ईसाई एवं ग्रहीय शुक्रवास को होता है। ("यौम जो संस्कृत मूल "याम" से निकला है,يوم" अर्थात दिवस)
सरदार भगत सिंह (27 सितंबर 1907 - 23 मार्च 1931) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे । इन्होने केन्द्रीय असेम्बली की बैठक में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया । जिसके फलस्वरूप भगत सिंह को 23 मार्च 1931) को इनके साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फांसी पर लटका दिया गया । सारे देश ने उनकी शहादत को याद किया। उनके जीवन ने कई हिन्दी फ़िल्मों के चरित्रों को प्रेरित किया । कई सारी फ़िल्में तो उनके नाम से बनाई गई जैसे -शहीद, द लेज़ेंड ऑफ़ भगत सिंह, भगत सिंह इत्यादि । वे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एशोसिएशन के सपक सदस्यों में से एक थे।
एक दिन नारद ऋषि उस वन प्रदेश से गुजर रहे थे। रत्नाकर ने उनसे धन की मांग की और धन न देने की स्थिति में हत्या कर देने की धमकी भी दी। नारद मुनि के यह पूछने पर कि वह ये पापकर्म किसलिये करते हो रत्नाकर ने बताया कि परिवार के लिये। इस पर नारद जी ने पूछा कि जिस तरह तुम्हारे पापकर्म से प्राप्त धन का उपभोग तुम्हारे समस्त परिजन करते हैं क्या उसी तरह तुम्हारे पापकर्मों के दण्ड में भी वे भागीदार होंगे? रत्नाकर ने कहा कि न तो मुझे पता है और न ही कभी मैने इस विषय में सोचा है।
रोमन फूलों, बगीचों, और वसंत के मौसम की देवी फ्लोरा है. वसंत, फूलों और प्रकृति की यूनानी देवी क्लोरिस (Chloris) है.
३२२ ई. पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरू चाणक्य की सहायता से धनानन्द की हत्या कर मौर्य वंश की नींव डाली थी ।
इस स्थान से संबंधित एक दिलचस्प कहावत है। कहा जाता है कि जब रावण (मेघनाद) के साथ युद्ध में घायल हो लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में थे, तब राम ने हिमालय से संजीवनी बूटी लाने के लिये हनुमान को भेजा जो लक्ष्मण को पूरी तरह स्वस्थ कर देता, जो संभवत: पुष्पों की घाटी होगी। इस बीच रावण ने एक भयंकर राक्षस कालनेमि को वहां भेज दिया, ताकि हनुमान उस बूटी को न ला पाएं।
रोडमैप इस सभा को अपना काम समाप्त करने के लिए और अक्तूबर 2008 तक देश में पहले बहु-दलिए चुनाव का मार्ग प्रशस्त करने के लिए, 31 मई 2007 की समय सीमा प्रदान करता है. चुनाव इतना नज़दीकी था कि चुनाव का एक दूसरा भाग ट्रिगर हो गया जिसमें चुनौती करता मोहम्मद नशीद और मोहम्मद वहीद हसन जीत गए.डा. मोहम्मद वहीद हसन चुनाव में भाग लेने मालदीव आएंगे. राष्ट्रपति नशीद और उपाध्यक्ष डा. वहीद ने 11 नवम्बर 2008 को कार्यालय में शपथ ली.
फ़ासी के पहले ३ मार्च को अपने भाई कुलतार को लिखे पत्र में भगत सिह ने लिखा था -
I-4 गलियारे क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, जो केन्द्रीय फ्लोरिडा से गुजरते हुऐ डेटोना बीच, ऑरलैंडो और टाम्पा/सेंट पीटर्सबर्ग, को जोड़ते हैं, दोनों की रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक मतदाताओं की संख्या लगभग समान है. ये क्षेत्र अक्सर राज्य के रूढ़िवादी उत्तरी भाग का और उदार दक्षिणी भाग का विलय बिंदु है यह राज्य के सबसे बड़े स्विंग (झूला) क्षेत्र बनने के रूप में देखा जाता है. हाल के दिनों में, जो भी हो I-4 गलियारे क्षेत्र, फ्लोरिडा के 40% मतदाताओं से युक्त है और राष्ट्रपति पद के चुनाव में फ्लोरिडा राज्य के वोट से ही अक्सर जीत निर्धारित किया जाता है.[५९]
आसफ़ुद्दौला (१७७५-१७९७)
आंतरिक रचना में भी स्तम्भ के आकार काफी हद तक एक प्रकार के होते हैं, जिसमें एकबीजपत्री तथा द्विबीजपत्री केवल आंतरिक रचना द्वारा ही पहचाने जा सकते हैं। स्तंभ में भी बहिर्त्वचा (epidermis), वल्कुट (cortex) तथा संवहन (vascular) सिलिंडर होते हैं। एकबीजपत्री में संवहन पुल (bundle) बंद अर्थात् गौण वृद्धि न करनेवाले एघा (Cambium) से रहित होता है तथा द्विबीजपत्री में गौण वृद्धि होती है, जो एक प्रकार की सामान्य रीति द्वारा ही होती है। कुछ पौधों में परिस्थिति के कारण, या अन्य कारणों से विशेष प्रकार से भी, गौण वृद्धि होती है।
नीदरलैंड के निवासियों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा को डच कहा जाता है। डच भी एक यूरोपीय संघ की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। डच एक पश्चिम जर्मन भाषा का एक मूल भाषा के तौर पर 22 लाख लोगों द्वारा बोली जाती है। इस भाषा के ज्यादातर प्रयोक्ता नीदरलैंड, बेल्जियम और सूरीनाम, फ्रांस के अलावा जर्मनी़ और कई पूर्व डच कालोनियों में निवास करते हैं। यह अन्य पश्चिम जर्मन भाषाओं के मुकाबले उत्तर जर्मन भाषाओं के (जैसे, अंग्रेजी, पश्चिम फ्रिशियन और जर्मन) से ज्यादा संबंधित है। डच कई क्रिओल भाषाओं के मूल भाषा है और साथ ही अफ्रीकी भाषाओं का आधार है।
किंतु इसके विरोध मे भी तर्क दिये गये है
पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरीं। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुंची। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, 'मैं गर्भिणी हूं। शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना।' शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई।
यह आधुनिक युग का आरंभ काल है जब भारतीयों का यूरोपीय संस्कृति से संपर्क हुआ। भारत में अपनी जड़ें जमाने के काम में अँगरेजी शासन ने भारतीय जीवन को विभिन्न स्तरों पर प्रभावित और आंदोलित किया। नई परिस्थितियों के धक्के से स्थितिशील जीवनविधि का ढाँचा टूटने लगा। एक नए युग की चेतना का आरंभ हुआ। संघर्ष और सामंजस्य के नए आयाम सामने आए।
• भू-आकृति विज्ञान
संभवत: इसीलिए कल्हण ने केवल राजनीतिक रूपरेखा न खींचकर सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश की झलकियाँ भी प्रस्तुत की हैं; और चरित्रचित्रण में सरस विवेक से काम लिया है। मातृगुप्त और प्रवरसेन, नरेंद्रप्रभा और प्रतापादित्य तथा अनंगलेखा, खंख और दुर्लभवर्धन (तरंग 3) अथवा चंद्रापीड और चमार (तरंग 4) के प्रसंगों में मानव मनोविज्ञान के मनोरम चित्र झिलमिलाते हैं। इसके अतिरिक्त बाढ़, आग, अकाल और महामारी आदि विभीषिकाओं तथा धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उपद्रवों में मानव स्वभाव की उज्वल प्रगतियों और कुत्सित प्रवृत्तियों के साभिप्राय संकेत भी मिलते हैं।
इन चार ऋणों के निर्मोचन निर्यातन का उपाय भी चार आश्रमों के धर्म कर्मो का उचित निर्वाह ही है। विद्यासंग्रहण, और संतति के उत्पादन, पालन, पोषण से पितरों का ऋण चुकता है। यथा, वायु देवता से हमारा श्वास प्रश्वास चलता है, हवा को हम गंदा करते हैं; उत्तम सुगंधित पदार्थो के धूप-दीप से, होम हवन से, हवा पुन: स्वच्छ करनी चाहिए। जंगल काट काटकर हम लकड़ी को जलाने में, मकान और सामान के काम में, खर्च कर डालते हैं। नए लखरॉव, बाग, उद्यान लगाकर फिर नए पेड़ तैयार कर देना चाहिए। वरुण देव के जल का प्रति दिन हम लोग व्यय करते रहते हैं; नए तालाब, कुएँ, नहर आदि बनाकर, उसकी पूर्ति करनी चाहिए। ये सब यज्ञ हैं। परोपकारार्थ जो भी काम किया जाय वह सब यज्ञ हैं। परमात्मा का ऋण, मुक्ति प्राप्त करने से, सब में एक ही आत्मा को व्याप्त देखने से, चुकता है। क्रम से, चार आश्रमों में चार ऋण अदा होते हैं।
वकवच्चिन्तयेदर्थान् सिंहवच्च पराक्रमेत् ।
योग समन्वय
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फ़ारसी (فارسی), एक भाषा है जो ईरान, ताज़िकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है । यह तीन देशों की राजभाषा है और इसे 7.5 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और इसमें क्रियापद वाक्य के अंत में आता है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है, और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं ।ये फ़ार्सी-अरबी लिपि में लिखी जाती है ।
रूपया पाकिस्तान की मुद्रा है जो स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित एवं संचालित होता है।
(४) दोनो ही सभ्यत
३. इन द आउटर कोर्ट - १८९५
'ब्रह्म पुराण' गणना की दृष्टि से सर्वप्रथम गिना जाता है। परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं है कि यह प्राचीनतम है। काल की दृष्टि से इसकी रचना बहुत बाद में हुई है। इस पुराण में साकार ब्रह्म की उपासना का विधान है। इसमें 'ब्रह्म' को सर्वोपरि माना गया है। इसीलिए इस पुराण को प्रथम स्थान दिया गया है। कर्मकाण्ड के बढ़ जाने से जो विकृतियां तत्कालीन समाज में फैल गई थीं, उनका विस्तृत वर्णन भी इस पुराण में मिलता है। यह समस्त विश्व ब्रह्म की इच्छा का ही परिणाम है। इसीलिए उसकी पूजा सर्वप्रथम की जाती है।
श्रद्धा का व्यवसय · प्रार्थनाउपवास · दान · तीर्थ
क्रिकेट शहर और देश के सबसे चहेते खेलों में से एक है।.[१३१] महानगरों में मैदानों की कमी के चलते गलियों का क्रिकेट सबसे प्रचलित है। मुंबई में ही भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) स्थित है। [१३२] मुंबई क्रिकेट टीम रणजी ट्रॉफी में शहर का प्रतिनिधित्व करती है। इसको अब तक ३८ खिताब मिले हैं, जो किसी भी टीम को मिलने वाले खिताबों से अधिक हैं। [१३३] शहर की एक और टीम मुंबई इंडियंस भी है, जो इंडियन प्रीमियर लीग में शहर की टीम है। शहर में दो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैदान हैं- वान्खेड़े स्टेडियम और ब्रेबोर्न स्टेडियम [१३४] शहर में आयोजित हुए सबसे बड़े क्रिकेट कार्यक्रम में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी का २००६ का फाइनल था। यह ब्रेबोर्न स्टेडियम में हुआ था। [१३५] मुंबई से प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ियों में विश्व-प्रसिद्ध सचिन तेन्दुलकर[१३६] और सुनील गावस्कर हैं।[१३७]
उन्होंने अपनी बहस कई लेखो में की, जो की होमर जैक्स के द गाँधी रीडर: एक स्रोत उनके लेखनी और जीवन का . १९३८ में जब पहली बार "यहूदीवाद और सेमेटीसम विरोधी" लिखी गई, गाँधी ने १९३० में हुए जर्मनी में यहूदियों पर हुए उत्पीडन (persecution of the Jews in Germany) को सत्याग्रह (Satyagraha) के अंतर्गत बताया उन्होंने जर्मनी में यहूदियों द्वारा सहे गए कठिनाइयों के लिए अहिंसा के तरीके को इस्तेमाल करने की पेशकश यह कहते हुए की
७. हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्दरचनासमार्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती। अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है।
ॐ शुद्धोऽसि बुद्धोऽसि निरंजनोऽसि, संसारमाया परिवर्जितोऽसि । संसारमायां त्यज मोहनिद्रां, त्वां सद्गुरुः शिक्षयतीति सूत्रम्॥
इतिहास से पता चलता है कि उज्जैन में सन् ११०७ से १७२८ ई. तक यवनों का शासन था। इनके शासनकाल में अवंति की लगभग ४५०० वर्षों में स्थापित हिन्दुओं की प्राचीन धार्मिक परंपराएं प्राय: नष्ट हो चुकी थी। लेकिन १६९० ई. में मराठों ने मालवा क्षेत्र में आक्रमण कर दिया और २९ नवंबर १७२८ को मराठा शासकों ने मालवा क्षेत्र में अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। इसके बाद उज्जैन का खोया हुआ गौरव पुनः लौटा और सन १७३१ से १८०९ तक यह नगरी मालवा की राजधानी बनी रही। मराठों के शासनकाल में यहाँ दो महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटीं - पहला, महाकालेश्वर मंदिर का पुनिर्नर्माण और ज्योतिर्लिंग की पुनर्प्रतिष्ठा तथा सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। आगे चलकर राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार कराया।
इस भवन का केंद्र बिंदु केंद्रीय कक्ष (सेंट्रल हाल) का विशाल वृत्ताकार ढांचा है। केंद्रीय कक्ष के गुबंद का व्‍यास 98 फुट तथा इसकी ऊँचाई 118 फुट है। विश्‍वास किया जाता है कि यह विश्‍व के बहुत शानदार गुबंदों में से एक है। भारत की संविधान सभा की बैठक (1946-49) इसी कक्ष में हुई थी। 1947 में अंग्रेजों से भारतीयों के हाथों में सत्ता का ऐतिहासिक हस्‍तांतरण भी इसी कक्ष में हुआ था। इस कक्ष का प्रयोग अब दोनों सदनों की संयुक्‍त बैठक के लिए तथा राष्‍ट्रपति और विशिष्‍ट अतिथियों-राज्‍य या शासनाध्‍यक्ष आदि के अभिभाषण के लिए किया जाता है। कक्ष राष्‍ट्रीय नेताओं के चित्रों से सज़ा हुआ है। केंद्रीय कक्ष के तीन ओर लोक सभा, राज्‍य सभा और ग्रंथालय के तीन कक्ष हैं। उनके बीच सुंदर बग़ीचा है जिसमें घनी हरी घास के लान तथा फव्‍वारे हैं। इन तीनों कक्षों के चारों ओर एक चार मंजिला वृत्ताकार इमारत बनी हुई है। इसमें मंत्रियों, संसदीय समितियों के सभापतियों और पार्टी के कार्यालय हैं। लोक सभा तथा राज्‍य सभा सचिवालयों के महत्‍वपूर्ण कार्यालय और संसदीय कार्य मंत्रालय के कार्यालय भी यहीं हैं।
ग्लोब पर भूमध्य रेखा के समान्तर खींची गई कल्पनिक रेखा । अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या १८० है । प्रति १ डिग्री की अक्षांशीय दूरी लगभग १११ कि. मी. के बराबर होती हैं जो पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक भिन्न-भिन्न मिलती हैं । इसे यूनानी भाषा के अक्षर फाई यानि  से दर्शाया जाता है। तकनीकी दृष्टि से अक्षांश, अंश (डिग्री) में अंकित कोणीय मापन है जो भूमध्य रेखा पर 0° से लेकर ध्रुव पर 90° हो जाता है।
मन्दिर की पूजा श्री केदारनाथ द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक माना जाता है। प्रात:काल में शिव-पिण्ड को प्राकृतिक रूप से स्नान कराकर उस पर घी-लेपन किया जाता है। तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर आरती उतारी जाती है। इस समय यात्री-गण मंदिर में प्रवेश कर पूजन कर सकते हैं, लेकिन संध्या के समय भगवान का श्रृंगार किया जाता है। उन्हें विविध प्रकार के चित्ताकर्षक ढंग से सजाया जाता है। भक्तगण दूर से केवल इसका दर्शन ही कर सकते हैं। केदारनाथ के पुजारी मैसूर के जंगम ब्राह्मण ही होते हैं।
इसमें देश के विभिन्न भागों से लाए गए स्वतंत्रता सेनानियों को नजरबंद रखा जाता था। उन्हें यहां कठोर दिल दहला देने वाली यातानाएं दी जाती थीं, जिनमें चक्की पीसना, कोल्हू पर तेल पिराई करना, पत्थर तोड़ना, लकड़ी काटना, एक हफ्ते तक हथकड़ियां बांधे खड़े रहना, तन्हाई के दिन बिताना, चार दिन तक भूखा रखना, दस दिनों तक क्रासबार की स्थिति में रहना आदि शामिल थे। तेल पिराई मिल में काम करना तो और भी कष्टकारी था। प्राय यहां सांस लेना बड़ा कठिन होता था। जबान सूख जाती थी। दिमाग सुन्न हो जाता था। हाथों पर छाले पड़ जाते थे। कई कैदियों की इसमें जान जा चुकी थी। उनका अपराध क्या था ? वे अपनी मातृभूमि से प्यार करते थे और उसे अंग्रेजी दासता से मुक्त कराना चाहते थे, यही ना ?
फलतः शेरशाह ने अप्रसन्‍न होकर १५४२ ई. में मालवा पर आक्रमण कर दिया । राजपूत सामन्तों ने शेरशाह का पूरी बहादुरी के साथ मुकाबला किया लेकिन शेरशाह की सेना के सामने टिक नहीं सके फलतः १५४३ ई. तक विजय प्राप्त की । इस दौरान पूरनमल ने भी अधीनता स्वीकार कर ली ।
जातक वा जातक पालि वा जातक कथाएं बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का सुत्तपिटक अंतर्गत खुद्दकनिकाय का १०वां पालि वा भाग है। इन कथाओं में महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथायें हैं। विश्व की प्राचीनतम लिखित कहानियाँ जातक कथाएँ हैं जिसमें लगभग 600 कहानियाँ संग्रह की गयी है। यह ईसवी संवत से 300 वर्ष पूर्व की घटना है। इन कथाऔं मे मनोरंजन के माध्यम से नीति और धर्म को समझाने का प्रयास किया गया है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानि आई आई टी (इंडियन इंस्टीट्यूट्स आफ़ टेक्नालजी) भारत के ७ स्वायत्त तकनीकी शिक्षा संस्थान हैं। ये संस्थान भारत सरकार के द्वारा स्थापित किये गये "राष्ट्रीय महत्व के संस्थान" हैं। ईसवी सन २००६ के अनुमान के अनुसार सभी आई आई टी में मिलाकर १७,००० पूर्व-स्नातक तथा १३,००० स्नातक छात्र हैं। आई आई टी के वर्तमान तथा पूर्व छात्रों को आईआईटियन कहते हैं। भारत में पंद्रह आई आई टी हैं :
मद्रास में जमींदारी प्रथा का उदय अंग्रेज शासकों की नीलाम नीति द्वारा हुआ। गाँवों की भूमि का विभाजन कर उन्हें नीलाम कर दिया जाता था और अधिकतम मूल्य देनेवाले को विक्रय कर दिया जाता था। प्रारंभ में अवध में बंदोबस्त कृषक से ही किया गया था परंतु तदनंतर राजनीतिक कारणों से यह बंदोबस्त जमींदारों से किया गया। महान् इतिहासकार सर विंसेंट ए0 स्मिथ, अलीगढ़ की बंदोबस्त रिपोर्ट में, यह बात स्पष्ट रूप से स्वीकार करता है कि प्रचलित भूम्यधिकारों की उपेक्षा करते हुए केवल उपयोगिता को लक्ष्य में रखकर बंदोबस्त इजारदारों (revenue farmers) से किए गए। अन्यायपूर्ण करराशि इकट्ठा करने का यह सबसे सरल उपाय है तथा यह राजनीति के दृष्टिकोण से भी उपयोगी है क्योंकि इसके फलस्वरूप सरकार का एक शक्तिशाली तथा धनी वर्ग की सहायता मिलती रहेगी।
चन्द्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवि के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया । वह एक दूरदर्शी सम्राट था । चन्द्रगुप्त ने लिच्छवियों के सहयोग और समर्थन पाने के लिए उनकी राजकुमारी कुमार देवी के साथ विवाह किया । स्मिथ के अनुसार इस वैवाहिक सम्बन्ध के परिणामस्वरूप चन्द्रगुप्त ने लिच्छवियों का राज्य प्राप्त कर लिया तथा मगध उसके सीमावर्ती क्षेत्र में आ गया । कुमार देवी के साथ विवाह-सम्बन्ध करके चन्द्रगुप्त प्रथम ने वैशाली राज्य प्राप्त किया । लिच्छवियों के दूसरे राज्य नेपाल के राज्य को उसके पुत्र समुद्रगुप्त ने मिलाया ।
यह विश्‍वविद्यालय गोदौलिया चौक से 31.5 किलोमीटर दक्षिण में है। इस विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी। यहां का भारत कला भवन संग्रहालय ( समय: 10:30 बजे सुबह से शाम 4:30 बजे तक, जुलाई से अप्रैल महीने तक, 7:30 बजे सुबह से 12:30 दोपहर तक मई से जून महीने के बीच, रविवार तथा विश्‍वविद्यालय में छुट्टी के दिन बंद) काफी समृद्ध है। इस संग्रहालय में लगभग 100000 वस्‍तुएं हैं जो नौ गैलरियों में रखी गई हैं। इसी परिसर में प्रसिद्ध विश्‍वनाथ मंदिर भी है। मानसिंह वेधशाला भी इसी परिसर में स्थित है। पत्‍थरों की बनी यह वेधशाला के अब ध्‍वंशावशेष ही शेष बचे हैं। यह वेधशाला पर्यटकों के लिए सूर्योदय से सूर्यास्‍त तक खुली रहती है। शुक्रवार तथा सार्वजनिक अवकाश के दिन यह बंद रहता है। मन मंदिर घाट के पास एक स्‍मारक भी है। नदी के दूसरी ओर रामनगर किला तथा संग्रहालय ( समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक) है।
चूंकि कोई जनगणना मौजूद नहीं है, बेल्जियम की तीन राजभाषाओं या उनकी बोलियों के उपयोग अथवा वितरण के बारे में कोई आधिकारिक सांख्यिकीय आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. बहरहाल, विभिन्न मानदंडों से जैसे माता-पिता की भाषा, शिक्षा की भाषा, या विदेशी पैदाइश वालों की दूसरी भाषा की स्थिति से आंकड़ों के संकेत उपलब्ध हो सकते हैं. अनुमानित रूप से बेल्जियम जनसंख्या का करीब 59%[६७]डच (बोलचाल की भाषा में अक्सर "फ्लेमिश" के रूप में उल्लिखित) और 40% फ्रेंच बोलता है. डच बोलने वालों की कुल संख्या है 6.23 मीलियन, जो फ्लेनडर्स के उत्तरी क्षेत्र में केंद्रित हैं, जबकि फ्रेंच बोलने वाले 33.2 मीलियन वालोनिया में और अनुमानित रूप से 0.87 मीलियन या 85%, आधिकारिक तौर पर द्विभाषी ब्रुसेल्स-राजधानी क्षेत्र के हैं.[६८][६९]वालून क्षेत्र के पूर्व में जर्मन भाषी समुदाय 73,000 लोगों से बना है; करीब 10,000 जर्मन और 60,000 बेल्जियन नागरिक जर्मन भाषी हैं. लगभग 23,000 और जर्मन भाषी आधिकारिक समुदाय के निकट नगर पालिकाओं में रहते हैं.[६][७०]
एक समुद्री मील बराबर है:
कम प्रकाश तथा खगोलीय दर्शन का एक महत्वपूर्ण तथ्य आवर्धन शक्ति तथा ऑप्टिकल लेंस के व्यास का अनुपात है. कम आवर्धन होने पर दृष्टि क्षेत्र बढ़ जाता है जिससे गहरे आकाशीय वस्तुओं, जैसे आकाश गंगा, निहारिकायें, तथा तारा समूहों को देखना आसन हो जाता है, हालांकि बड़े एक्ज़िट प्यूपिल (साधारणतया 7 मिमी) से प्राप्त प्रकाश को उम्रदराज़ अन्वेषक पूरी तरह से नहीं देख पाते हैं क्योंकि 50 वर्ष से अधिक उम्र वालों की आखें विरले ही 5 मिमी से ज्यादा फैलती हैं. बड़ा एक्ज़िट प्यूपिल से रात्रि में आकाश की पृष्ठभूमि में वैषम्य कम हो जाने के कारण धुंधली वस्तुओं को पहचानना कठिन हो जाता है, उन क्षेत्रों को छोड़ कर जहां प्रकाशीय प्रदूषण नगण्य हो. खगोलीय प्रयोग हेतु बनायीं गयी दूरबीनें बड़े अपरचर ऑब्जेक्टिव के साथ काफी संतोषजनक दृश्य दिखाती हैं (70 मिमी अथवा 80 मिमी रेंज में). खगोल विज्ञानी दूरबीन आमतौर पर 12.5 तथा अधिक की आवर्धन वाली होती हैं. हालांकि, मेसियर कैटलॉग के अथवा आठवें परिमाण तथा उससे ज्यादा की खगोलीय वस्तुयें 30 से 40 मिमी रेंज की, हाथ में पकड़ के प्रयोग करने योग्य घरेलू दूरबीनों (जो पक्षी देखने, शिकार करने व खेल देखने में प्रयोग की जाती हैं) से बड़ी आसानी से देखी जा सकती हैं. फिर भी खगोलीय प्रयोग के लिए बड़े ऑब्जेक्टिव वाली दूरबीनें ही अच्छी रहती हैं क्योकि उनसे प्राप्त प्रकाश की मात्रा अधिक होने के कारण धुंधली वस्तुएं भी आसानी से दिखाई देती हैं. उनके उच्च आवर्धन और भारी वजन के कारण, इन दूरबीनों को स्थिर छवि देखने हेतु स्टैंड पर लगा कर प्रयोग करना आवश्यक हो जाता है. आमतौर से दस आवर्धन (10X) तक की दूरबीनें हाथ में पकड़ कर प्रयोग में लायी जा सकती हैं, इन्हें स्टैंड में लगाने की आवश्यकता नहीं होती. शौकिया दूरबीन निर्माताओं द्वारा इससे कहीं बड़ी दूरबीनें, दो अपवर्तन अथवा परावर्तन खगोलीय टेलीस्कोपों को मिला कर बनायीं जाती हैं.
गरुड़ ने सर्पों से पूछा कि कौन-सा ऐसा कार्य है जिसको करने से उसकी माता को दासित्व से छुटकारा मिल जायेगा? उसके नाग भाइयों ने अमृत लाकर देने के लिए कहा। गरुड़ ने अमृत की खोज में प्रस्थान किया। उसको समस्त देवताओं से युद्ध करना पड़ा। सबसे अधिक शक्तिशाली होने के कारण गरुड़ ने सभी को परास्त कर दिया। तदनंतर वे अमृत के पास पहुंचा। अत्यंत सूक्ष्म रूप धारण करके वह अमृतघट के पास निरंतर चलने वाले चक्र को पार कर गया। वहां दो सर्प पहरा दे रहे थे। उन दोनों को मारकर वह अमृतघट उठाकर ले उड़ा। उसने स्वयं अमृत का पान नहीं किया था, यह देखकर विष्णु ने उसके निर्लिप्त भाव पर प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि कह बिना अमृत पीये भी अजर-अमर होगा तथा विष्णु-ध्वजा पर उसका स्थान रहेगा। गरुड़ ने विष्णु का वाहन बनना भी स्वीकार किया। मार्ग में इन्द्र मिले। इन्द्र ने उससे अमृत-कलश मांगा और कहा कि यदि सर्पों ने इसका पान कर लिया तो अत्यधिक अहित होगा। गरुड़ ने इन्द्र को बताया कि वह किसी उद्देश्य से अमृत ले जा रहा है। जब वह अमृत-कलश कहीं रख दे, इन्द्र उसे ले ले। इन्द्र ने प्रसन्न होकर गरुड़ को वरदान दिया कि सर्प उसकी भोजन सामग्री होंगे। तदनंतर गरुड़ अपनी मां के पास पहुंचा। उसने सर्पों को सूचना दी कि वह अमृत ले आया है। सर्प विनता को दासित्व से मुक्त कर दें तथा स्नान कर लें। उसने कुशासन पर अमृत-कलश रख दियां जब तक सर्प स्नान करके लौटे, इन्द्र ने अमृत चुरा लिया था। सर्पों ने कुशा को ही चाटा जिससे उनकी जीभ के दो भाग हो गए, अत: वे द्विजिव्ह कहलाने लगे।
जो व्यक्ति, जाति, समाज और देश ईश्वरीय नियमों के अनुसार चलता है, उसकी उन्नति होती है तथा जो संकीर्णता से चलता है, उसका पतन होता है | यह ईश्वरीय सृष्टि का नियम है |
राष्‍ट्रीय स्‍मारक: यह स्‍मारक साभर में स्थित है। यह स्‍थान ढाका शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। इस स्‍मारक का डिजाइन मोइनुल हुसैन ने तैयार किया था। यह स्‍मारक उन लाखो सैनिकों को समर्पित है जिन्‍होंने बंगलादेश की स्‍वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
समय के अनुसार बदलाव जरूरी है लेकिन हमारे मनीषियों द्वारा स्थापित मूलभूत सिद्धांतों को नकारना कभीश्रेयस्कर नहीं होगा।
वर्तमान में (फरवरी २००७) देश में नाटो(NATO) की सेनाएं बनी हैं और देश में लोकतांत्रिक सरकार का शासन है। हालांकि तालिबान ने फिर से कुछ क्षेत्रों पर अधिपत्य जमा लिया है, अमेरिका का कहना है कि तालिबान को पाकिस्तानी जमीन पर फलने-फूलने दिया जा रहा है।
सिख गुरुओं ने कभी न मुरझाने वाले सांस्कृतिक एवं नैतिक मूल्यों की भी स्थापना की। उन्होंने अपने दार्शनिक एवं आध्यात्मिक चिन्तन से भाँप लिया था कि आने वाला समय कैसा होगा। इसलिए उन्होंने अन्धी नकल के खिलाफ वैकल्पिक चिन्तन पर जोर दिया। शारीरिक-अभ्यास एवं विनोदशीलता को जीवन का आवश्यक अंग माना। पंजाब के लोकगीतों, लोकनृत्यों एवं होला महल्ला पर शास्त्रजारियों के प्रदर्शित करतबों के मूल में सिख गुरुओं के प्रेरणा-बीज ही हैं। इन लोकगीतों एवं लोक नृत्यों की जड़ें पंजाब की धरती से फूटती हैं और लोगों में थिरकन पैदा करती हैं। भांगड़ा और गिद्धा पंजाब की सांस्कृतिक शान हैं, जिसकी धड़कन देश-विदेश में प्राय: सुनी जाती है।
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हालांकि चन्द्रगुप्त द्वितीय का अन्य नाम देव, देवगुप्त, देवराज, देवश्री आदि हैं । उसने विक्रयांक, विक्रमादित्य, परम भागवत आदि उपाधियाँ धारण की । उसने नागवंश, वाकाटक और कदम्ब राजवंश के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये । चन्द्रगुप्त द्वितीय ने नाग राजकुमारी कुबेर नागा के साथ विवाह किया जिससे एक कन्या प्रभावती गुप्त पैदा हुई । वाकाटकों का सहयोग पाने के लिए चन्द्रगुप्त ने अपनी पुत्री प्रभावती गुप्त का विवाह वाकाटक नरेश रूद्रसेन द्वितीय के साथ कर दिया । उसने प्रभावती गुप्त के सहयोग से गुजरात और काठियावाड़ की विजय प्राप्त की ।
विराट कोहली (जन्म ५ नवंबर १९८८) एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है जो सन २००८ की १९ वर्ष से कम आयु वाले विश्व कप क्रिकेट विजेता दल के कप्तान भी रह चुके है। प्रथम श्रेणी क्रिकेट मे विराट दिल्ली का प्रतिनिधित्व करते है।
मेर हेरिनिक (वाद्य)
विद्वानों को इसमें संदेह है कि चन्द्रगुप्त द्वितीय तथा विक्रमादित्य एक ही व्यक्ति थे । उसके शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाहियान ने 405 ईस्वी से 411 ईस्वी तक भारत की यात्रा की । उसने भारत का वर्णन एक सुखी और समृद्ध देश के रूप में किया
गाजीपुर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है ।
रांगेय राघव (१७ जनवरी, १९२३ - १२ सितंबर, १९६२) हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। [१]आगरा में जन्मे रांगेय राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी।[२]
कला शब्द का प्रयोग शायद सबसे पहले भरत के "नाट्यशास्त्र" में ही मिलता है। पीछे वात्स्यायन और उशनस् ने क्रमश: अपने ग्रंथ "कामसूत्र" और "शुक्रनीति" में इसका वर्णन किया।
इंग्लैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना, स्पेनी आर्मादा की पराजय के बाद, महारानी एलिज़ाबेथ के आज्ञापत्र द्वारा (31 दिसंबर, 1600) "द गवर्नर ऐंड मर्चेट्स ऑव लंडन ट्रेडिंग टु दि ईस्ट इंडीज' के नाम से हुई। इसी अज्ञापत्र द्वारा उक्त कंपनी को व्यावयसायिक एकाधिकार भी प्राप्त हुआ। कंपनी के विकास के साथ साथ इंग्लैंड में उसके व्यावसायिक एकाधिकार के विरुद्ध असंगठित और सुसंगठित प्रयास हुए। अंतत: रानी ऐन तथा लार्ड गोडोल्फिन की मध्यस्थता द्वारा आंतरिक विरोधों का समाधान होकर "द युनाइटेड कंपनी ऑव मर्चेट्स अॅव इंग्लैंड ट्रेडिंग टु दि ईस्ट इंडीज' के रूप में नए विधान के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी का पुनर्निर्माण हुआ। एक प्रकार से इसी को कपंनी का यथोचित श्रीगणेश कहना उपयुक्त होगा।
ध्वनि प्रदूषण (noise pollution) के मामले में इस वर्ग के प्रमुख स्रोत है मोटर यान (motor vehicle), जो दुनिया में ९० प्रतिशत अवांछित ध्वनि प्रदूषण को पैदा करता है
ज्योतिष-गणना से पता चला कि सुदेहा के गर्भ से संतानोत्पत्ति हो ही नहीं सकती। सुदेहा संतान की बहुत ही इच्छुक थी। उसने सुधर्मा से अपनी छोटी बहन से दूसरा विवाह करने का आग्रह किया।
अभी तक अशोक के ४० अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं । सर्वप्रथम १८३७ ई. पू. में जेम्स प्रिंसेप नामक विद्वान ने अशोक के अभिलेख को पढ़ने में सफलता हासिल की थी ।
1. दोनो सदनॉ का सम्मिलित सत्र बुलाने पर स्पीकर ही उसका अध्यक्ष होगा उसके अनुउपस्थित होने पर उपस्पीकर तथा उसके भी न होने पर राज्यसभा का उपसभापति अथवा सत्र द्वारा नांमाकित कोई भी सदस्य सत्र का अध्यक्ष होता है
१९३० में टाइम (Time) पत्रिका ने महात्मा गाँधी को वर्ष का पुरूष (Man of the Year) का नाम दियाI १९९९ में गाँधी अलबर्ट आइंस्टाइन जिन्हे सदी का पुरूष (Person of the Century) नाम दिया गया के मुकाबले द्वितीय स्थान जगह पर थे . टाइम पत्रिका ने दलाई लामा (The Dalai Lama) , लेच वालेसा (Lech Wałęsa) , डॉ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर (Dr. Martin Luther King, Jr.) , सेसर शावेज़ (Cesar Chavez), औंग सान सू कई (Aung San Suu Kyi) , बेनिग्नो अकुइनो जूनियर (Benigno Aquino, Jr.), डेसमंड टूटू (Desmond Tutu) और नेल्सन मंडेला को गाँधी के पुत्र के रूप में कहा और उनके अहिंसा के आद्यात्मिक उतराधिकारी.[५३]भारत सरकार प्रति वर्ष उल्लेखनीय सामाजिक कार्यकर्ताओं, विश्व के नेताओं और नागरिकों को महात्मा गाँधी शांति पुरुस्कार (Mahatma Gandhi Peace Prize) से पुरुस्कृत करती है. नेल्सन मंडेला, साऊथ अफ्रीका के नेता जो कि जातीय मतभेद और पार्थक्य के उन्मूलन में संघर्षरत रहे हैं, इस पुरूस्कार के लिए एक प्रवासी भारतीय के रूप में प्रबल दावेदार हैं.
अम्ड़ित्युः सर्व-द्ड़िक सिम्हः सन-धाता सन्धिमान स्थिरः ।
दक्षिणी दिल्ली से 8 किमी. की दूरी पर स्थित यह परिसर बहुत ही खूबसूरत है। स्थानीय निवासियों और दिल्ली वालों के लिए यह जगह बेहतरीन पर्यटन स्थल है। फरवरी में यहां पर एक मेले का आयोजन भी किया जाता है। मेले में पर्यटक भारतीय शिल्प कला की शानदार कलाकृतियां देख और खरीद सकते हैं। इसके पास बड़खल झील और मोर झील है। मेला घूमने के बाद पर्यटक इन झीलों के शानदार दृश्य भी देख सकते हैं।
== संदर्भ ==थ्व्र्त्य्४य्४६युब्ब्४५य्ब्५
Kumhrar's "80 pillar Hall"
अपराजितः सर्वसहो नियन्ता नियमो यमः ।।(९२)
( इनके उपयोग से आनलाइन/आफलाइन कहीं भी हिन्दी में लिखा जा सकता है)
महिला आरक्षण महिलाओं को ग्राम पंचायत (जिसका अर्थ है गांव की विधानसभा, जो कि स्थानीय ग्राम सरकार का एक रूप है) और नगर निगम चुनावों में 33% आरक्षण प्राप्त है. संसद और विधानसभाओं तक इस आरक्षण का विस्तार करने की एक दीर्घावधि योजना है. इसके अतिरिक्त, भारत में महिलाओं को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण या अधिमान्य व्यवहार मिलता है. कुछ पुरुषों का मानना है कि भारत में विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश में महिलाओं के साथ यह अधिमान्य व्यवहार उनके खिलाफ भेदभाव है. उदाहरण के लिए, भारत में अनेक कानून के विद्यालयों में महिलाओं के लिए 30% आरक्षण है. भारत में प्रगतिशील राजनीतिक मत महिलाओं के लिए अधिमान्य व्यवहार प्रदान करने का जोरदार समर्थन करता है ताकि सभी नागरिकों के लिए समान अवसर का निर्माण हो सके.
मौर्य साम्राज्य के समय एक और बात जो भारत में अभूतपूर्व थी वो थी मौर्यो का गुप्तचर जाल । उस समय पूरे राज्य में गुप्तचरों का जाल बिछा दिया गया था जो राज्य पर किसी बाहरी आक्रमण या आंतरिक विद्रोह की खबर प्रशासन तथा सेना तक पहुँचाते थे ।
कमला कमलदल विहारिणी
उपरोक्त में अन्तिम दो अप्राप्य हैं।नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित पुस्तकों की विवरण तालिका में सूरदास के १६ ग्रन्थों का उल्लेख है। इनमें सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो के अतिरिक्त दशमस्कंध टीका, नागलीला, भागवत्, गोवर्धन लीला, सूरपचीसी, सूरसागर सार, प्राणप्यारी, आदि ग्रन्थ सम्मिलित हैं। इनमें प्रारम्भ के तीन ग्रंथ ही महत्त्वपूर्ण समझे जाते हैं, साहित्य लहरी की प्राप्त प्रति में बहुत प्रक्षिप्तांश जुड़े हुए हैं।
पश्चिमी प्रान्त श्रीलंका का एक प्रान्त है । इसका मुख्यालय कोलंबो है जो देश की राजधानी भी है ।
रिगी कुलम- यह ग्लेशियर नीली स्याही जैसी झीलों के लिए प्रसिद्द है। यहाँ तक आप ल्यूजरैन शहर से बाय बोट, बाय कार, बाय केबल कार जैसा आप चाहे पहुँच सकते हैं। पहुँचने के बाद स्टीम ट्रेन में सफर करना न भूले। बैली यूरोप सैलून रेल कार नामक यह ट्रेन आपको पचास के दशक के राजसी वैभव का अहसास कराएगी। यहाँ का एंटीक महोगनी फर्नीचर, ब्रांज वर्क, रेड कारपेट और बैकग्राउंड म्यूजिक आपको दूसरी दुनिया में ले जाएंगे।
शास्त्रीय प्रमाणों से शल्यचिकित्सा का मूल स्रोत वेदों में मिलता है, जहाँ इंद्र, अग्नि और सोम देवता के बाद स्वर्ग के युग वैद्य अश्विनीकुमारों की गणना की गई है। इनके कायचिकित्सा एवं शल्यचिकित्सा संबंधी दोनों प्रकार के कार्य मिलते हैं। शरीर की व्याधियों को दूर करने के लिए तथा अंगभंग की स्थिति में नवीन आंखें एवं नवीन अंग प्रदान करने के लिए अश्विनीकुमारों की प्रार्थना की गई है। गर्भाशय को चीरकर गर्भ को बाहर निकालने तथा मूत्रवाहिनी, मूत्राशय एवं वृक्कों में यदि मूत्र रुका हो, तो उसे वहाँ से शल्य कर्म या अन्य प्रकार से बाहर निकालने का उल्लेख मिलता है। इसी प्रकार अथर्ववेद में क्षत, विद्रधि, व्रण, टूटी या कटी अस्थियों को जोड़ने, कटे हुए अंग को ठीक करने, पृथक् हुए मांस मज्जा को स्वस्थ करनेवाली ओषधि से प्रार्थना की गई है रक्तस्राव के लिए पट्टी बाँधने, अपची (गले की ग्रंथि का एक रोग) के लिए वेधन छेदन आदि उपचारों का उल्लेख मिलता है। भगवान् बुद्ध के काल में जीवक नामक चिकित्सक द्वारा करोटि एवं उदरगत बड़े शल्यकर्म सफलतापूर्वक किए जाने का वर्णन है। सुसंगठित एं शास्त्रीय रूप से आयुर्वेदीय शल्यचिकित्सा की नींव इंद्र के शिष्य धन्वंतरि ने डाली। धन्वंतरि के शिष्य सुश्रुत ने इस शास्त्र को सर्वांगोपांग विकसित कर व्यवहारोपयोगी स्वरूप दिया। उस समय भी शल्य का क्षेत्र सामान्य कायिक शल्यचिकित्सा था और ऊध्र्वजत्रुगत रोगों एवं शल्यकर्म (अर्थात् नेत्ररोग, नासा, कंठ, कर्ण आदि के रोग एव तत्संबंधी शल्यकर्म) का विचार अष्टांगायुर्वेद के शालाक्य नामक शाखा में पृथक् रूप से किया जाता था।
इसके अलावा राज्यपाल एक संवैधानिक प्रमुख है जो अपने कर्तव्य मंत्रिपरिषद की सलाह सहायता से करता है परंतु उसकी संवैधानिक स्थिति उसकी मंत्रिपरिषद की तुलना मे बहुत सुरक्षित है वह राष्ट्रपति के समान असहाय नहीं है राष्ट्रपति के पास मात्र विवेकाधीन शक्ति ही है जिसके अलावा वह सदैव प्रभाव का ही प्रयोग करता है किंतु संविधान राजयपाल को प्रभाव तथा शक्ति दोनों देता है उसका पद उतना ही शोभात्मक है उतना ही कार्यातमक भी है
चामुण्डा से मथुरा की ओर लौटते हुए बीच में अम्बरीष टीला पड़ता है, यहाँ राजा अम्बरीष ने तप किया था। अब उस स्थान पर नीचे जाहरपीर का मठ है और टीले के ऊपर हनुमान्‌जी का मंदिर है। ये सब मथुरा के प्रमुख स्थान हुए। इनके सिवाय और बहुत छोटे-छोटे स्थान हैं। मथुरा के पास नृसिंहगढ़ एक स्थान है, जहाँ नरहरि नाम के एक पहुंचे हुए महात्मा हो गए हैं। इन्होंने 400 वर्ष के होकर अपना शरीर त्याग किया।
भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आह्वानों, उत्तेजनाओं एवं प्रयत्नों से प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था | इस आन्दोलन की शुरुआत १८५७ मे हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की बलि दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने १९३० कांग्रेस अधिवेशन मे अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी।
इधर 1813 के चार्टर ऐक्ट से चीनी व्यापार को छोड़ भारतीय व्यापारिक अधिकार कंपनी से ले लिए गए। 1833 के चार्टर ऐक्ट से वह अधिकार भी अपह्मत हो गया। अब कंपनी विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक संस्था थी। कंपनी के साम्राज्यवादी प्रसार के इतिहास में लार्ड बेंटिक का काल राममोहन राय के सहयोग से भारत के सांस्कृतिक जागरण का सूत्रपात ब्राहृसमाज से आरंभ हुआ और अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार हुए।
उनका निधन जून 15, 1878 को आगरा, भारत में हुआ. इनकी समाधि दयाल बाग, आगरा में बनाई गई है जो एक भव्य भवन के रूप में है.
वज्जि या वृजि प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था । कई छोटे राज्यों को मिलाकर इसकी उत्पत्ति हुई थी। इसकी राजधानी वैशाली थी ।[१]वैशाली के गणराज्य बनने के बाद इसका राज्य-संचालन अष्टकुल द्वारा होने लगा। उस समय वज्जि एवं लिच्छवी कुल सार्वाधिक महत्वपूर्ण हो गया। वज्जियों द्वारा बोली जाने वाली भाषा बज्जिका कहलाने लगी जो आज भी बिहार के वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, शिवहर एवं समस्तीपुर के अलावे नेपाल के सरलाही तथा रौतहट जिला में लगभग २ करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है।
For example, the word "Mercury" can refer to several different things, including: an element, a planet, an automobile brand, a record label, a NASA manned-spaceflight project, a plant, and a Roman god. Since only one Wikipedia page can have the generic name "Mercury", unambiguous article titles must be used for each of these topics: Mercury (element), Mercury (planet), Mercury (automobile), Mercury Records, Project Mercury, Mercury (plant), Mercury (mythology). There must then be a way to direct the reader to the correct specific article when an ambiguous term is referenced by linking, browsing or searching; this is what is known as disambiguation.
1845 में पहली बार यहाँ ईसाई मिशनरियों के आगमन से इस क्षेत्र में एक बड़ा सांस्कृतिक परिवर्तन और उथल-पुथल शुरु हुआ। आदिवासी समुदाय का एक बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा ईसाईयत की ओर आकृष्ट हुआ। क्षेत्र में ईसाई स्कूल और अस्पताल खुले। लेकिन ईसाई धर्म में बृहत धर्मांतरण के बावज़ूद आदिवासियों ने अपनी पारंपरिक धार्मिक आस्थाएँ भी कायम रखी और ये द्वंद कायम रहा।
मुंबई के अधिकांश निवासी अपने आवास व कार्याक्षेत्र के बीच आवागमन के लिए कोल यातायात पर निर्भर हैं। मुंबई के यातायात में मुंबई उपनगरीय रेलवे, बी ई एस टी (बेस्ट) की बसें, टैक्सी ऑटोरिक्शा, फेरी सेवा आतीं हैं।यह शहर भारतीय रेल के दो मंडलों का मुख्यालय है: मध्य रेलवे (सेंट्रल रेलवे), जिसका मुख्यालय छत्रपति शिवाजी टर्मिनस है, एवं पश्चिम रेलवे, जिसका मुख्यालय चर्चगेट के निकट स्थित है। नगर यातायात की रीढ़ है मुंबई उपनगरीय रेल, जो तीन भिन्न नेटव्र्कों से बनी है, जिनके रूट शहर की लम्बाई में उत्तर-दक्षिण दिशा में दौड़ते हैं। मुंबई मैट्रो, एक भूमिगत एवं उत्थित स्तरीय रेलवे प्रणाली, जो फिल्हाल निर्माणाधीन है, वर्सोवा से अंधेरी होकर घाटकोपर तक प्रथम चरण में 2009 तक चालू होगी।
विशेषण के रूप में भगवान् हिन्दी में ईश्वर / परमेश्वर का मतलब नहीं रखता । इस रूप में ये देवताओं, विष्णु और उनके अवतारों (राम, कृष्ण), शिव, आदरणीय महापुरुषों जैसे गौतम बुद्ध, महावीर, धर्मगुरुओं, गीता, इत्यादि के लिये उपाधि है । इसका स्त्रीलिंग भगवती है । तत्व एक है। तत्व अद्वैत एवं परमार्थ रूप है। जीव और जगत उस एक तत्व ́ ब्रह्म ΄ के विभाव मात्र हैं। अध्यात्म एवं धर्म के आराध्य राम तत्व हैं, अद्वैत एवं परमार्थ रूप हैं - रामु ब्रह्म परमारथ रूपा। इसी कारण राम के लिए तुलसीदास ने बार बार कहा है - व्यापकु अकल अनीह अज निर्गुन नाम न रूप। भगत हेतु नाना बिधि करत चरित्र अनूप΄।
शहर के पश्चिम दिशा में स्थित यह मंदिर कांचीपुरम का सबसे प्राचीन और दक्षिण भारत के सबसे शानदार मंदिरों में एक है। इस मंदिर को आठवीं शताब्दी में पल्लव वंश के राजा राजसिम्हा ने अपनी पत्नी की प्रार्थना पर बनवाया था। मंदिर के अग्रभाग का निर्माण राजा के पुत्र महेन्द्र वर्मन तृतीय के करवाया था। मंदिर में देवी पार्वती और शिव की नृत्य प्रतियोगिता को दर्शाया गया है।
पाण्डव
पद्मनाभो-अरविन्दाक्शः पद्मगर्भः शरीरभ्ड़ित ।
किंतु अब संततिनिरोध का अर्थ कुछ विस्तृत हो गया है। संतानोत्पत्ति को रोकने के साथ संतान को इस क्रम से उत्पन्न करना कि उनमें कुछ वर्षों का, कम से कम दो वर्षों का, अंतर रहे, यह भी इस शब्द के अंतर्गत समझा जाता है, और बहुधा इस शब्द के स्थान पर "परिवारनियोजन" शब्द का प्रयोग किया जाता है। संसार के सभी मातृकला तथा स्त्रीरोग विषयों के विद्वान् इसपर सहमत हैं कि संतान और माता दोनों के स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दो बच्चों के जन्म में पाँच वर्ष का अंतर होना उचित है। दो वर्ष का तो न्यूनतम समय रखा गया है।
इस वर्ष का कवरेज खेलों पर भी किया गया। अंतरराष्‍ट्रीय प्रमुख खेल आयोजन जैसे कि विश्‍व कप क्रिकेट, टी - 20 क्रिकेट विश्‍वकप, एशियाकप हॉकी और सैन्‍य विश्‍व खेल का आयोजन हैदराबाद में किया गया, जिसने पूरे वर्ष इस डेस्‍क को व्‍यस्‍त बनाए रखा। संसद की कवरेज
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में माँग और आपूर्ति की सहायता से पूर्णतः प्रतिस्पर्धी बाजार में बेचे गये वस्तुओं कीमत और मात्रा की विवेचना , व्याख्या और पुर्वानुमान लगाया जाता है। यह अर्थशास्त्र के सबसे मुलभूत प्रारुपों में से एक है। क्रमश: बड़े सिद्धान्तों और प्रारूपों के विकास के लिए इसका विशद रुप से प्रयोग होता है।
इस विभाग के ग्रन्थों की संख्या 123 से लेकर 1194 तक मानी गई है, किन्तु उनमें 10 ही मुख्य माने गये हैं। ईष, केन, कठ, प्रश्, मुण्डक, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य और बृहदारण्यक के अतिरिक्त श्वेताश्वतर और कौशीतकि को भी महत्त्व दिया गया हैं।
यहां कई क्रीड़ा परिसर हैं, जिनका उपयोग व्यावसायिक एवं अव्यवसायी खिलाड़ी करते रहे हैं। इनमें मदन मोहन मालवीय क्रिकेट स्टेडियम, मेयो हॉल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स एवं बॉयज़ हाई स्कूल एवं कॉलिज जिम्नेज़ियम हैं। जॉर्जटाउन में एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का तरणताल परिसर भी है। झालवा (इलाहाबाद पश्चिम) में नेशनल स्पोर्ट्स एकैडमी है, जहां विश्व स्तर के जिमनास्ट अभ्यासरत रहते हैं। अकादमी को आगामी राष्ट्रमंडल खेलों के लिये भारतीय जिमनास्ट हेतु आधिकारिक ध्वजधारक चुना गया है।
सन्‌ १८८४ में श्री विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। घर का भार नरेंद्र पर पड़ा। घर की दशा बहुत खराब थी। कुशल यही थी कि नरेंद्र का विवाह नहीं हुआ था। अत्यंत गरीबी में भी नरेंद्र बड़े अतिथि-सेवी थे। स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते, स्वयं बाहर वर्षा में रातभर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते।
चीन का शोध और विकास व्यय विश्व में दूसरा सर्वाधिक है, और २००६ में चीन ने शोध और विकास पर १३६ अरब $ खर्च किए जो २००५ की तुलना में २०% अधिक था। चीनी सरकार नवोन्मेष, और वित्तीय और कर प्रणालियों में सुधार करके वृह्द जन जागरुकता के द्वारा शोध और विकास पर निरन्तर बल देती रही है ताकि अत्याधुनिक उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जा सके।
बरासात कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी के अधीन आता है।
असम त्रिब्युन भारत मे प्रकाशित होने वाला एक अंग्रेजी भाषा का समाचार पत्र है।
गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। मिथकों के अनुसार ब्रह्मा ने विष्णु के पैर के पसीने की बूँदों से गंगा का निर्माण किया। त्रिमूर्ति के दो सदस्यों के स्पर्श के कारण यह पवित्र समझा गया। एक अन्य कथा के अनुसार राजा सगर ने जादुई रुप से साठ हजार पुत्रों की प्राप्ति की।[३१] एक दिन राजा सगर ने देवलोक पर विजय प्राप्त करने के लिये एक यज्ञ किया। यज्ञ के लिये घोड़ा आवश्यक था जो ईर्ष्यालु इंद्र ने चुरा लिया था। सगर ने अपने सारे पुत्रों को घोड़े की खोज में भेज दिया अंत में उन्हें घोड़ा पाताल लोक में मिला जो एक ऋषि के समीप बँधा था। सगर के पुत्रों ने यह सोच कर कि ऋषि ही घोड़े के गायब होने की वजह हैं उन्होंने ऋषि का अपमान किया। तपस्या में लीन ऋषि ने हजारों वर्ष बाद अपनी आँखें खोली और उनके क्रोध से सगर के सभी साठ हजार पुत्र जल कर वहीं भस्म हो गये।[३२] सगर के पुत्रों की आत्माएँ भूत बनकर विचरने लगीं क्योंकि उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया था। सगर के पुत्र अंशुमान ने आत्माओं की मुक्ति का असफल प्रयास किया और बाद में अंशुमान के पुत्र दिलीप ने भी। भगीरथ राजा दिलीप की दूसरी पत्नी के पुत्र थे। उन्होंने अपने पूर्वजों का अंतिम संस्कार किया। उन्होंने गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रण किया जिससे उनके अंतिम संस्कार कर, राख को गंगाजल में प्रवाहित किया जा सके और भटकती आत्माएं स्वर्ग में जा सकें। भगीरथ ने ब्रह्मा की घोर तपस्या की ताकि गंगा को पृथ्वी पर लाया जा सके। ब्रह्मा प्रसन्न हुये और गंगा को पृथ्वी पर भेजने के लिये तैयार हुये और गंगा को पृथ्वी पर और उसके बाद पाताल में जाने का आदेश दिया ताकि सगर के पुत्रों की आत्माओं की मुक्ति संभव हो सके। तब गंगा ने कहा कि मैं इतनी ऊँचाई से जब पृथ्वी पर गिरूँगी, तो पृथ्वी इतना वेग कैसे सह पाएगी? तब भगीरथ ने भगवान शिव से निवेदन किया, और उन्होंने अपनी खुली जटाओं में गंगा के वेग को रोक कर, एक लट खोल दी, जिससे गंगा की अविरल धारा पृथ्वी पर प्रवाहित हुई। वह धारा भगीरथ के पीछे-पीछे गंगा सागर संगम तक गई, जहाँ सगर-पुत्रों का उद्धार हुआ। शिव के स्पर्श से गंगा और भी पावन हो गयी और पृथ्वी वासियों के लिये बहुत ही श्रद्धा का केन्द्र बन गयीं। पुराणों के अनुसार स्वर्ग में गंगा को मन्दाकिनी और पाताल में भागीरथी कहते हैं। इसी प्रकार एक पौराणिक कथा राजा शांतनु और गंगा के विवाह तथा उनके सात पुत्रों के जन्म की है।
गंगा, यमुना और हिन्डन यहाँ की मुख्य नदियाँ हैं, जो साल भर पानी से भरी रहती हैं। इसके अलावा जिले मे कुछ बरसाती नदियाँ भी हैं जिनमे काली नदी प्रमुख है। इनके साथ गंगा नहर भी जिले से होकर बहती है और जिसकी विभिन्न शाखाओं के माध्यम से जिले मे सिंचाई की जाती है। गंगा नहर गाजियाबाद के लोगों के साथ ही दिल्ली के लोगों की पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करती है।
(३) महामृत्यु क्या है ? आत्मविस्मृति।
उनके द्वारा रचित पुस्तकों की सूची इस प्रकार है:
क्रिसमस के बारह दिन (Twelve Days of Christmas) क्रिसमस दिवस, 26 दिसंबर, के बाद के दिन जो की सेंट स्टीफन दिन (St. Stephen's Day) है से दावत की घोषणा (Feast of Epiphany) जो की जनवरी 6 को है, से बारह दिन हैं, जिसमे कि प्रमुख दावतें आती हैं मसीह के जन्म के आसपास.लातिनी संस्कार में, क्रिसमस के दिन के एक हफ्ते के बाद 1 जनवरी, मसीह के नामकरण और सुन्नत की दावत (Feast of the Naming and Circumcision of Christ) समारोह को पारंपरिक रूप से मनाया जाता है, लेकिन वेटिकन II (Vatican II) से, इस दावत को मेरी, परमेश्वर की माँ (Mary, Mother of God) की धार्मिक क्रिया के रूप में मनाया गया है .
ब्रहमा जी से पैदा होनऐ वालऐ ब्राह्मन कहलाऐ,विश्नु से पेदा होने वाले वैश ,शकर जी से पैदा होने वाले छतिरय ,इसलिये आज भी ब्राह्मन अपनी मात्ता सरसवती,वैश लकश्मी,छतरी मा दुर्गे की पुजा करते है।
सर्वज्ञ विकि का उद्देश्य कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट पर हिन्दी में काम करने के इच्छुक लोगों की सहायता करना है। इसकी एक अन्य महत्वपूर्ण भूमिका नये हिन्दी चिट्ठाकारों की सहायता करना है। सर्वज्ञ पर चिटठाकारी विशेषकर हिन्दी चिट्ठाकारी तथा हिन्दी कम्प्यूटिंग सम्बंधी औजारों की जानकारी उपलब्ध है।
2/36, दरियागंज, दिल्ली-110002
जनसंख्या घनत्व जनसंख्या प्रति इकाई क्षेत्रफ़ल या इकाई आयतन का माप होता है। यह जीवों पर प्रायं प्रयोग होता है। खासकर मानवों के लिए, भूगोल के क्षेत्र में।
बूटी छोटे-छोटे तस्वीरों की आकृति लिए हुए होता है। इसके अलग-अलग पैटर्न को दो या तीन रंगो के धागे की सहायता से बनाये जाते हैं। यह बनारसी साड़ी के लिए प्रमुख आवश्यक तथा महत्वपूर्ण डिजाइनों में से एक है। इससे साड़ी की जमीन या मुख्य भाग को सुसज्जित किया जाता है। पहले रंग को 'हुनर का रंग ' कहा जाता है। जो सामान्यतया गोल्ड या सिल्वर धागे को एक एक्सट्रा भरनी से बनाया जाता है हालांकि आजकल इसके लिए रेशमी धागों का भी प्रयोग किया जाता है जिसे मीना कहा जाता है जो रेशमी धागे से ही बनता है। सामान्यतया मीने का रंग हुनर के रंग का होने चाहिए।
2. इस संबंध में यह कहा जाता है कि 'अर्थशास्त्र' की विषय-वस्तु जिस प्रकार की है, उससे यह नहीं प्रतीत होता है कि इसका रचनाकार कोई व्यावहारिक राजनीतिज्ञ होगा। निःसन्देह कोई शास्त्रीय पंडित ने ही इसकी रचना की होगी। कौटिल्य फर्जी नाम प्रतीत होता है।
हिंदू मंदिर, श्री लंका हिन्दू धर्म में कोई एक अकेले सिद्धान्तों का समूह नहीं है जिसे सभी हिन्दुओं को मानना ज़रूरी है। ये तो धर्म से ज़्यादा एक जीवन का मार्ग है। हिन्दुओं का कोई केन्द्रीय चर्च या धर्मसंगठन नहीं है, और न ही कोई "पोप"। इसकी अन्तर्गत कई मत और सम्प्रदाय आते हैं, और सभी को बराबर श्रद्धा दी जाती है। धर्मग्रन्थ भी कई हैं। फ़िर भी, वो मुख्य सिद्धान्त, जो ज़्यादातर हिन्दू मानते हैं, हैं इन सब में विश्वास : धर्म (वैश्विक क़ानून), कर्म (और उसके फल), पुनर्जन्म का सांसारिक चक्र, मोक्ष (सांसारिक बन्धनों से मुक्ति--जिसके कई रास्ते हो सकते हैं), और बेशक, ईश्वर। हिन्दू धर्म स्वर्ग और नरक को अस्थायी मानता है। हिन्दू धर्म के अनुसार संसार के सभी प्राणियों में आत्मा होती है। मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो इस लोक में पाप और पुण्य, दोनो कर्म भोग सकता है, और मोक्ष प्राप्त कर सकता है। हिन्दू धर्म में चार मुख्य सम्प्रदाय हैं : वैष्णव (जो विष्णु को परमेश्वर मानते हैं), शैव (जो शिव को परमेश्वर मानते हैं), शाक्त (जो देवी को परमशक्ति मानते हैं) और स्मार्त (जो परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक ही समान मानते हैं)। लेकिन ज्यादातर हिन्दू स्वयं को किसी भी सम्प्रदाय में वर्गीकृत नहीं करते हैं। ब्रह्म हिन्दू धर्मग्रन्थ उपनिषदों के अनुसार ब्रह्म ही परम तत्व है (इसे त्रिमूर्ति के देवता ब्रह्मा से भ्रमित न करें)। वो ही जगत का सार है, जगत की आत्मा है। वो विश्व का आधार है। उसी से विश्व की उत्पत्ति होती है और विश्व नष्ट होने पर उसी में विलीन हो जाता है। ब्रह्म एक, और सिर्फ़ एक ही है। वो विश्वातीत भी है और विश्व के परे भी। वही परम सत्य, सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ है। वो कालातीत, नित्य और शाश्वत है। वही परम ज्ञान है। ब्रह्म के दो रूप हैं : परब्रह्म और अपरब्रह्म। परब्रह्म असीम, अनन्त और रूप-शरीर विहीन है। वो सभी गुणों से भी परे है, पर उसमें अनन्त सत्य, अनत चित् और अनन्त आनन्द है। ब्रह्म की पूजा नही की जाती है, क्योंकि वो पूजा से परे और अनिर्वचनीय है। उसका ध्यान किया जाता है। प्रणव ॐ (ओम्) ब्रह्मवाक्य है, जिसे सभी हिन्दू परम पवित्र शब्द मानते हैं। हिन्दु यह मानते है कि ओम की ध्वनि पूरे ब्रह्मान्द मे गून्ज रही है। ध्यान मे गहरे उतरने पर यह सुनाई देता है। ब्रह्म की परिकल्पना वेदान्त दर्शन का केन्द्रीय स्तम्भ है, और हिन्दू धर्म की विश्व को अनुपम देन है। ईश्वर ब्रह्म और ईश्वर में क्या सम्बन्ध है, इसमें हिन्दू दर्शनों की सोच अलग अलग है। अद्वैत वेदान्त के अनुसार जब मानव ब्रह्म को अपने मन से जानने की कोशिश करता है, तब ब्रह्म ईश्वर हो जाता है, क्योंकि मानव माया नाम की एक जादुई शक्ति के वश मे रहता है। अर्थात जब माया के आइने में ब्रह्म की छाया पड़ती है, तो ब्रह्म का प्रतिबिम्ब हमें ईश्वर के रूप में दिखायी पड़ता है। ईश्वर अपनी इसी जादुई शक्ति "माया" से विश्व की सृष्टि करता है और उसपर शासन करता है। हालाँकि ईश्वर एक नकारात्मक शक्ति के साथ है, लेकिन माया उसपर अपना कुप्रभाव नहीं डाल पाती है, जैसे एक जादूगर अपने ही जादू से अचंम्भित नहीं होता है। माया ईश्वर की दासी है, परन्तु हम जीवों की स्वामिनी है। वैसे तो ईश्वर रूपहीन है, पर माया की वजह से वो हमें कई देवताओं के रूप में प्रतीत हो सकता है। इसके विपरीत वैष्णव मतों और दर्शनों में माना जाता है कि ईश्वर और ब्रह्म में कोई फ़र्क नहीं है--और विष्णु (या कृष्ण) ही ईश्वर हैं। न्याय, वैषेशिक और योग दर्शनों के अनुसार ईश्वर एक परम और सर्वोच्च आत्मा है, जो चैतन्य से युक्त है और विश्व का सृष्टा और शासक है। जो भी हो, बाकी बातें सभी हिन्दू मानते हैं : ईश्वर एक, और केवल एक है। वो विश्वव्यापी और विश्वातीत दोनो है। बेशक, ईश्वर सगुण है। वो स्वयंभू और विश्व का कारण (सृष्टा) है। वो पूजा और उपासना का विषय है। वो पूर्ण, अनन्त, सनातन, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। वो राग-द्वेष से परे है, पर अपने भक्तों से प्रेम करता है और उनपर कृपा करता है। उसकी इच्छा के बिना इस दुनिया में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। वो विश्व की नैतिक व्यवस्था को कायम रखता है और जीवों को उनके कर्मों के अनुसार सुख-दुख प्रदान करता है। श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार विश्व में नैतिक पतन होने पर वो समय-समय पर धरती पर अवतार (जैसे कृष्ण) रूप ले कर आता है। ईश्वर के अन्य नाम हैं : परमेश्वर, परमात्मा, विधाता, भगवान (जो हिन्दी मे सबसे ज़्यादा प्रचलित है)। इसी ईश्वर को मुसल्मान (अरबी में) अल्लाह, (फ़ारसी में) ख़ुदा, ईसाई (अंग्रेज़ी में) गॉड, और यहूदी (इब्रानी में) याह्वेह कहते हैं। देवी और देवता हिन्दू धर्म में कई देवता हैं, जिनको अंग्रेज़ी मे ग़लत रूप से "gods" कहा जाता है। ये देवता कौन हैं, इस बारे में तीन मत हो सकते हैं : अद्वैत वेदान्त, भगवद गीता, वेद, उपनिषद्, आदि के मुताबिक सभी देवी-देवता एक ही परमेश्वर के विभिन्न रूप हैं (ईश्वर स्वयं ही ब्रह्म का रूप है)। निराकार परमेश्वर की भक्ति करने के लिये भक्त अपने मन में भगवान को किसी प्रिय रूप में देखता है। ऋग्वेद के अनुसार, "एकं सत विप्रा बहुधा वदन्ति", अर्थात एक ही परमसत्य को विद्वान कई नामों से बुलाते हैं।[४] योग, न्याय, वैशेषिक, अधिकांश शैव और वैष्णव मतों के अनुसार देवगण वो परालौकिक शक्तियां हैं जो ईश्वर के अधीन हैं मगर मानवों के भीतर मन पर शासन करती हैं।[५], योग दर्शन के अनुसार ईश्वर ही प्रजापति औत इन्द्र जैसे देवताओं और अंगीरा जैसे ऋषियों के पिता और गुरु हैं। मीमांसा के अनुसार सभी देवी-देवता स्वतन्त्र सत्ता रखते हैं, और उनके उपर कोई एक ईश्वर नहीं है। इच्छित कर्म करने के लिये इनमें से एक या कई देवताओं को कर्मकाण्ड और पूजा द्वारा प्रसन्न करना ज़रूरी है। कई अन्धविश्वासी या अनपढ़ हिन्दू भी ऐसा ही मानते हैं। इस प्रकार का मत शुद्ध रूप से बहु-ईश्वरवादी कहा जा सकता है। एक बात और कही जा सकती है कि ज़्यादातर वैष्णव और शैव दर्शन पहले दो विचारों को सम्मिलित रूप से मानते हैं। जैसे, कृष्ण को परमेश्वर माना जाता है जिनके अधीन बाकी सभी देवी-देवता हैं, और साथ ही साथ, सभी देवी-देवताओं को कृष्ण का ही रूप माना जाता है। तीसरे मत को धर्मग्रन्थ मान्यता नहीं देते। जो भी सोच हो, ये देवता रंग-बिरंगी हिन्दू संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। वैदिक काल के मुख्य देव थे-- इन्द्र, अग्नि, सोम, वरुण, रूद्र, विष्णु, प्रजापति, सविता (पुरुष देव), और देवियाँ-- सरस्वती, ऊषा, पृथ्वी, इत्यादि (कुल 33)। बाद के हिन्दू धर्म में नये देवी देवता आये (कई अवतार के रूप में)-- गणेश, राम, कृष्ण, हनुमान, कार्तिकेय, सूर्य-चन्द्र और ग्रह, और देवियाँ (जिनको माता की उपाधि दी जाती है) जैसे-- दुर्गा, पार्वती, लक्ष्मी, शीतला, सीता, राधा, सन्तोषी, काली, इत्यादि। ये सभी देवता पुराणों मे उल्लिखित हैं, और उनकी कुल संख्या 33 करोड़ बतायी जाती है। पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव साधारण देव नहीं, बल्कि महादेव हैं और त्रिमूर्ति के सदस्य हैं। इन सबके अलावा हिन्दु धर्म में गाय को भी माता के रूप में पूजा जाता है। यह माना जाता है कि गाय में सम्पूर्ण ३३ करोड देवि देवता वास करते हैं। आत्मा हिन्दू धर्म के अनुसार हर मनुष्य में एक अभौतिक आत्मा होती है, जो सनातन और अमर है। हिन्दू धर्म के मुताबिक मनुष्य में ही नहीं, बल्कि हर पशु और पेड़-पौधे, यानि कि हर जीव में आत्मा होती है। मानव जन्म में अपनी आज़ादी से किये गये कर्मों के मुताबिक आत्मा अगला शरीर धारण करती है। अच्छे कर्म करने पर आत्मा कुछ समय के लिये स्वर्ग जा सकती है, या कोई गन्धर्व बन सकती है, अथवा नव योनि में अच्छे कुलीन घर में जन्म ले सकती है। बुरे कर्म करने पर आत्मा को कुछ समय के लिये नरक जाना पड़ता है, जिसके बाद आत्मा निकृष्ट पशु-पक्षी योनि में जन्म लेती है। जन्म मरण का सांसारिक चक्र तभी ख़त्म होता है जब व्यक्ति को मोक्ष मिलता है। उसके बाद आत्मा अपने वास्तविक सत्-चित्-आनन्द स्वभाव को सदा के लिये पा लेती है। मानव योनि ही अकेला ऐसा जन्म है जिसमें मानव के पाप और पुण्य दोनो कर्म अपने फल देते हैं और जिसमें मोक्ष की प्राप्ति मुम्किन है। धर्मग्रन्थ
मिलने लगता है।
अधि-अनुवांशिकी, DNA (डीएनए) सरंचना में रासायनिक, गैर उत्परिवर्तनीय परिवर्तनों के माध्यम से जीन अभिव्यक्ति के नियमन का अध्ययन है.
1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ, और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ । हालांकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला । इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था.मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं.
बिहार की संस्कृति मगध,अंग,मिथिला तथा वज्जी संस्कृतियों का मिश्रण है । नगरों तथा गाँवों की संस्कृति में अधिक फर्क नहीं है । नगरों में भी लोग पारंपरिक रीति रिवाजों का पालन करते है तथा उनकी मान्यताएँ रुढिवादी है। समाज पुरूष प्रधान है और लड़कियों को कड़े नियंत्रण में रखा जाता है। प्रमुख पर्वों में छठ, होली, दिवाली, दशहरा, महाशिवरात्रि, नागपंचमी, श्री पंचमी, मुहर्रम, ईद तथा क्रिसमस हैं । सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना में उनकी जयन्ती पर भी भारी श्रद्धार्पण देखने को मिलता है ।
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शारदा-मठ को आदि गुरू शंकराचार्य ने बनबाया था। उन्होने पूरे देश के चार कोनों मे चार मठ बनायें थे। उनमें एक यह शारदा-मठ है। रणछोड़जी के मन्दिर से द्वारका शहर की परिक्रमा शुरू होती है। पहले सीधे गोमती के किनारे जाते है। गोमती के नौ घाटों पर बहुत से मन्दिर है- सांवलियाजी का मन्दिर, गोवर्धननाथजी का मन्दिर, महाप्रभुजी की बैठक।
देवनागरी लिपी में लिखित हिन्दी भारत की प्रथम राजभाषा है। भारतीय संविधान में इससे सम्बन्धित प्राविधानों की जानकारी के लिये विस्तृत लेख भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी देखेँ।
ब्रह्म के साथ जीव-जगत् का संबंध निरूपण करते हुए उनका मत था कि जीव ब्रह्म का सदंश[सद् अंश] है, जगत् भी ब्रह्म का सदंशहै। अंश एवं अंशी में भेद न होने के कारण जीव-जगत् और ब्रह्म में परस्पर अभेद है। अंतर मात्र इतना है कि जीव में ब्रह्म का आनंदांशआवृत्त रहता है, जबकि जड जगत में इसके आनन्दांशव चैतन्यांशदोनों ही आवृत्त रहते हैं।
यह जगह सड़कमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख स्थानों से जुड़ी हुई है।
शरीर को शक्ति प्रदान करना।
चंडीगढ़ एयरपोर्ट सिटी सेंटर से करीब 11 किमी. की दूरी पर है। देश के प्रमुख शहरों से यहां के लिए नियमित फ्लाइटें हैं।
विद्वानों ने बुद्धिमत्तापूर्वक टिंडेल की स्पष्टता और कवरडेल की लयात्मक वाक्पटुता को काफी हद तक छोड़ दिया। उन्होंने अन्य अनुवादों से भी सहायता ली और इस प्रकार अपने प्रामाणिक अनुवाद को एक सुव्यवस्थित सौंदर्य तथा संगीतात्मक स्वर माधुरी प्रदान की जिसका अँग्रेजी भाषा में दुबारा पाया जाना संभव नहीं है। इससे केवल यही भर नहीं हुआ कि उसमें इब्रानी का सहज सौंदर्य और तात्विक शक्ति अक्षुण्ण रही बल्कि उचित शब्दों में, उसे एक "चित्रात्मक" और गीतात्मक गुण प्राप्त हो गया जो अत्युत्तम अंग्रेजी प्रतिभा का परिणाम है। यह जनता की बोली में घुलमिल गया है। विद्वानों का कहना है कि उसके 93ऽ शब्द अंग्रेजी के हैं। उसका शब्द कभी भी प्राप्त या सीखा हुआ नहीं है तथा अनुवाद में गृहीत शब्द बिलकुल ही नहीं है।
सन् 1882 में गिल्क्राइस्ट छात्रवृत्ति प्रतियोगिता की परीक्षा में सफल होने के कारण विदेश जाकर पढ़ने की आपकी इच्छा पूरी हुई। इसी वर्ष आप एडिनबरा विश्वविद्यालय में दाखिल हुए, जहाँ अपने छह वर्ष तक अध्ययन किया। इनके सहपाठियों में रसायन के सुप्रसिद्ध विद्वान् प्रोफेसर जेम्स वाकर एफ. आर. एस., ऐलेक्जैंडर स्मिथ तथा हफ मार्शल आदि थे, जिनके संपर्क से रसायनशास्त्र की ओर आपका विशेष झुकाव हुआ। इस विश्वविद्यालय की केमिकल सोसायटी के ये उपसभापति भी चुने गए। सन् 1887 में आप डी. एस.सी. की परीक्षा में सम्मानपूर्वक उत्तीर्ण हुए। तत्पश्चात् आपने इंडियन एडुकेशनल सर्विस में स्थान पाने की चेष्टा की, पर अंग्रेजों की तत्कालीन रंगभेद की नीति के कारण इन्हें सफलता न मिली। भारत वापस आने के पश्चात् प्रांतीय शिक्षा विभाग में भी नौकरी पाने के लिये इन्हें एक वर्ष तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। अंतत: प्रेसिडेंसी कालेज में आप असिस्टेंट प्राफेसर के सामान्य पद पर नियुक्त किए गए, जबकि इनसे कम योग्यता के अंग्रेज ऊँचे पदों और कहीं अधिक वेतनों पर उसी कालेज में नियुक्त थे। आपने जब इस अन्याय का शिक्षा विभाग के तत्कालीन अंग्रेज-डाइरेक्टर से विरोध किया, तो उसने व्यंग किया कि "यदि आप इतने योग्य कैमिस्ट हैं तो कोई व्यवसाय क्यों नहीं चलाते?" इन तीखे शब्दों का ही प्रभाव था कि राय महोदय ने आगे चलकर सन् 1892 में 800 रूपए की अल्प पूँजी से, अपने रहने के कमरे में ही, विलायती ढंग की ओषधियाँ तैयार करने के लिये बंगाल कैमिकल ऐंड फार्मास्युटिकल वक्र्स का कार्य आरंभ किया, जो प्रगति कर आज करोड़ों रूपयों के मूल्य का कारखाना हो गया है और जिससे देश में इस प्रकार के अन्य उद्योगों का सूत्रपात हुआ है।
ईजीमाला पहाड़ियां और बीच कन्नूर की उत्तरी सीमा पर स्थित है। कन्नूर से 50 किमी. दूर इन पहाड़ियों में दुर्लभ जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। यहां माउंट देली लाइटहाउस भी बना हुआ है जिसकी देखभाल नौसेना द्वारा की जाती है। लाइटहाउस प्रतिबंधित क्षेत्र में है और सैलानियों को यहां जाना मना है। यहां के बीच की रेत अन्य बीचों से अलग है, साथ ही यहां का पानी अन्य स्थानों से अधिक नीला है। यहां की एट्टीकुलम खाड़ी में डॉल्फिनों को देखा जा सकता है।
1. ये पीठे क्षेत्र के राज नैतिक दबाव मे आ जायेगी
तोमार बताश,
ये स्वर आधुनिक हिन्दी (खड़ीबोली) के लिये दिये गये हैं ।
रेलगाड़ियों के रुकने का स्थान।
क: भगवान और व्यक्तिगत आत्मा की पृथकता,
मंदिर मंदाकिनी के घाट पर बना हुआ हैं भीतर घारे अन्धकार रहता है और दीपक के सहारे ही शंकर जी के दर्शन होते हैं। शिवलिंग स्वयंभू है। सम्मुख की ओर यात्री जल-पुष्पादि चढ़ाते हैं और दूसरी ओर भगवान को घृत अर्पित कर बाँह भरकर मिलते हैं, मूर्ति चार हाथ लम्बी और डेढ़ हाथ मोटी है। मंदिर के जगमोहन में द्रौपदी सहित पाँच पाण्डवों की विशाल मूर्तियाँ हैं। मंदिर के पीछे कई कुण्ड हैं, जिनमें आचमन तथा तर्पण किया जा सकता है।[६]
अर्थ - अनुमति = मारने की आज्ञा देने, मांस के काटने, पशु आदि के मारने, उनको मारने के लिए लेने और बेचने, मांस के पकाने, परोसने और खाने वाले - ये आठों प्रकार के मनुष्य घातक, हिंसक अर्थात् ये सब एक समान पापी हैं ।
नरसिंहगुप्त बालादित्य- बुधगुप्त की मृत्यु के बाद उसका छोटा भाई नरसिंहगुप्त शासक बना ।
भभुआ मुख्यालय के पश्चिम से 11 किलोमीटर की दूरी पर चैनपुर स्थित है। यहां बख्तियार खान का स्मारक है। कहा जाता है कि बख्तियार खान का विवाह शेरशाह की पुत्री से हुआ था। चैनपुर स्थित किले का निर्माण सूरी अथवा अकबर काल के दौरान हुआ था। इसके अतिरिक्त, यहां हरसू ब्रह्म नाम का एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर भी है। कहा जाता है कि राजा शालीवाहन के पुजारी हरशू पांडे ने अपने घर की रक्षा में इसी जगह पर अपने प्राण गवाएं थे।
सेंट पीटर्सबर्ग की स्थापना नेवा नदी के तट पर वर्ष 1703 में हुई थी, जब रूस ने स्वीडन के साथ युद्ध में यह जमीन जीत ली थी । इसके 9 साल बाद रूसी साम्राज्य के ज़ार, पीटर महान ने इसे राजधानी बना दिया था और 1918 तक यह रूसी राजनीतिक सत्ता का केंद्र रहा । उसके बाद कम्युनिस्ट शासकों ने मॉस्को को राजधानी बना दिया ।
गांधी जी के एकता वाले व्यक्तित्व के बिना इंडियन नेशनल कांग्रेस उसके जेल में दो साल रहने के दौरान ही दो दलों में बंटने लगी जिसके एक दल का नेतृत्व सदन में पार्टी की भागीदारी के पक्ष वाले चित्त रंजन दास (Chitta Ranjan Das) तथा मोतीलाल नेहरू ने किया तो दूसरे दल का नेतृत्व इसके विपरीत चलने वाले चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया। इसके अलावा , हिंदुओं और मुसलमानों के बीच अहिंसा आंदोलन की चरम सीमा पर पहुंचकर सहयोग टूट रहा था। गांधी जी ने इस खाई को बहुत से साधनों से भरने का प्रयास किया जिसमें उन्होंने १९२४ की बसंत में सीमित सफलता दिलाने वाले तीन सप्ताह का उपवास करना भी शामिल था।[७]
12.
मधुबनी भारत के बिहार प्रान्त में दरभंगा प्रमंडल अंतर्गत एक प्रमुख शहर एवं जिला है। दरभंगा एवं मधुबनी को मिथिला संस्कृति का द्विध्रुव माना जाता है। मैथिली तथा हिंदी यहाँ की प्रमुख भाषा है। विश्वप्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग एवं मखाना के पैदावार की वजह से मधुबनी को विश्वभर में जाना जाता है। इस जिला का गठन १९७२ में दरभंगा जिले के विभाजन के उपरांत हुआ था।
मुल्ला ताकिया द्वारा रचित यात्रा वृतान्त से भी बिहार में तुर्की आक्रमण बिहार और दिल्ली के सुल्तानों (अकबर कालीन, तुर्की शासन, दिल्ली सम्पर्क) के बीच सम्बन्धों इत्यादि की जानकारियाँ मिलती हैं । प्रमुख ऐतिहासिक ग्रन्थ ‘बसातीनुल उन्स’ जो इखत्सान देहलवी द्वारा रचित है । इसमें सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के तिरहुत आक्रमण का वृतान्त दिया गया है ।
2. इस शाखा में वात्सल्य एवम् माधुर्य भाव का ही प्राधान्य है। वात्सल्य भाव के अंतर्गत कृष्ण की बाल-लीलाओं, चेष्टाओं तथा माँ यशोदा के ह्रृदय की झाँकी मिलती है। माधुर्य भाव के ् अंतर्गत गोपी-लीला मुख्य है। सूरदास के बारे में आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है- वात्सल्य के क्षेत्र में जितना अधिक उद्धाटन सूर ने अपनी बंद आँखों से किया, इतना किसी ओर कवि ने नहीं। इन क्षेत्रों का तो वे कोना-कोना झाँक आये।
2006 में एटीसलत, सरकारी स्वामित्व वाली दूरसंचार प्रदाता, की दुबई में अन्य दूरसंचार सेवाओं की स्थापना से पहले, छोटी दूरसंचार कंपनियों जैसे अमीरात इंटीग्रेटेड टेलिकम्युनिकेशंस कम्पनी (E.TC - डू (Du) नाम से लोकप्रिय) का स्वामित्व था .[१०२] इंटरनेट को संयुक्त अरब अमीरात (इसलिए दुबई ) में 1995 में पेश किया गया था . मौजूदा नेटवर्क 6 GB की बैंडविड्थ साथ में 50,000 डायलअप और 150,000 ब्रॉडबैंड पोर्ट से समर्थित है . दुबई में देश के चार में से दो डीएनएस डेटा सेंटर ( DXBN.C1, DXBN.C2) हैं .[१०३]
भारतीय रेल के नक्शे पर पटना एक महत्वपूर्ण जंक्शन है। भारतीय रेल द्वारा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अतिरिक्त यहाँ से मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, जम्मू, अमृतसर, गुवाहाटी तथा अन्य महत्वपूर्ण शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध है। पटना देश के अन्य सभी महत्वपूर्ण शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है। पटना से जाने वाले रेलवे मार्ग हैं- पटना-मोकामा, पटना-मुगलसराय' तथा पटना-गया। यह पूर्व रेलवे के दिल्ली-हावड़ा मुख्य मार्ग पर स्थित है।
अंगिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली और वज्जिका यहाँ की प्रमुख भाषायें हैं.
• गौतम घोष
जुडो शिक्षक को सेंसेई कहा जाता है. sensei (सेंसेई) शब्द की उत्पत्ति sen (सेन) या saki (साकी) (पहले) और sei (सेई) (जीवन) से हुई है जिसका मतलब उस व्यक्ति से है जो आपसे पहले आया है. पश्चिमी डोजो में, डैन दर्जे के किसी भी प्रशिक्षक को सेंसेई कहना आम बात है. परंपरागत रूप से, वह ख़िताब चौथे डैन या उससे ऊंचे दर्जे के प्रशिक्षकों के लिए आरक्षित है.
योग समन्वय
सिख धर्म पंजाब का मुख्य धर्म है। राज्य के लगभग ६० प्रतिशत नागरिक सिख धर्म के अनुयायी हैं। पंजाब भारत के उन छ: राज्यों में से है जहां हिन्दुओं का बहुमत नहीं है। सिखों का प्रमुख धार्मिक स्थल, हरमंदिर साहब, पंजाब के अमृतसर नगर में है, जोकि सिक्खों का पवित्रतम नगर है। अमृतसर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
सियालदह पश्चिम बंगाल का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यह कोलकाता में स्थित है।
1933 में जर्मनी का शाशक अडोल्फ़ हिटलर बन गया और तुंरत ही उसने जर्मनी को वापस एक शक्तिशाली सन्य ताकत के रूप में प्रर्दशित करना शुरू कर दिया .इस बात से फ्रांस और इंग्लैंड चिंतित हो गए जो की पिछली लडाई मैं काफी कुछ हर चुके थे . इटली भी इस बात से परेशान था क्योंकि उसे भी लगता था की जर्मनी उसके काम में दखल देगा क्योंकि उसका भी सपना भी शक्तिशाली सन्य ताकत बनने का था.
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1 यह संघ राज्यों के परस्पर समझौते से नहीं बना है
इनका जन्म 4 सितंबर, 1894 ईदृ का पुरुलिया में हुआ था। गिरिडीह से प्रवेशिका परीक्षा में उत्तीर्ण हो, कलकत्ते के प्रेसिडेंसी कालेज से 1915 ईदृ एमदृ एस-सी परीक्षा में इन्होंने प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया। तत्काल कलकत्ता विश्वविद्यालय के सायंस कोलज में प्राध्यापक नियुक्त हुए। 1918 ईदृ में डी एस-सी की उपाधि प्राप्त की। 1919 ई में यूरोप गए, जहाँ इंग्लैंड के प्रोफेसर डोनान और जर्मनी के डा नर्स्ट और हेवर के अधीन कार्य किया। 1921 ईदृ में यूरोप से लौटने पर ढाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नियुक्त हुए। 1939 ई में ढाका से भारतीय विज्ञान संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑव सायंस) के डाइरेक्टर होकर बँगलौर गए। बंगलुरू में भारत सरकार के इंडस्ट्रीज और सप्लाइज़ के डाइरेक्टर जनरल के पद पर 1947-1950 ई तक रहे। फिर खड़गपुर के तकनीकी संस्थान को स्थापित कर एवं प्राय: चार वर्ष तक उसके डाइरेक्टर रहकर, कलकत्ता विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त हुए। वहाँ से आयोजन आयोग के सदस्य होकर भारत सरकार में गए। उसी पद पर रहते हुए 21 जनवरी, 1959 को आपका देहावसान हुआ।
29. स्कोव
अवशिष्ट पुरातात्विक संपदा में शिलालेख, प्रस्तर की मूर्तियां तथा अन्य सामान जो स्थानीय संग्रहालय में संगृहित हैं, जिसकी स्थापना वर्ष 1872 स्टामेटाकिस (Stamatakis) के द्वारा की गई (और वर्ष 1907 में जिसे विकसित किया गया). गोलाकार भवन की आंशिक खुदाई का भार वर्ष 1892 और 1893 में एथेंस के अमेरिकन स्कूल द्वारा लिया गया. चूंकि ढ़ांचे की संरचना हेलेनिक मूल की अर्धवृत्ताकार बची हुई दीवारें थीं जिसका रोमन साम्राज्य काल में पुनरुद्धार किया गया.
अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार का प्रारम्भ धर्मयात्राओं से किया । वह अभिषेक के १०वें वर्ष बोधगया की यात्रा पर गया । कलिंग युद्ध के बाद आमोद-प्रमोद की यात्राओं पर पाबन्दी लगा दी । अपने अभिषेक २०वें वर्ष में लुम्बिनी ग्राम की यात्रा की । नेपाल तराई में स्थित निगलीवा में उसने कनकमुनि के स्तूप की मरम्मत करवाई । बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने साम्राज्य के उच्च पदाधिकारियों को नियुक्‍त किया । स्तम्भ लेख तीन और सात के अनुसार उसने व्युष्ट, रज्जुक, प्रादेशिक तथा युक्‍त नामक पदाधिकारियों को जनता के बीच जाकर धर्म प्रचार करने और उपदेश देने का आदेश दिया ।
सरदार पटेल १९२० के दशक में गांधीजी के सत्याग्रह आन्दोलन के समय कांग्रेस में भर्ती हुए। १९३७ तक उन्हे दो बार कांग्रेस के सभापति बनने का गौरव प्राप्त हुआ। वे पार्टी के अन्दर और जनता में बहुत लोकप्रिय थे। कांग्रेस के अन्दर उन्हे जवाहरलाल नेहरू का प्रतिद्वन्दी माना जाता था।
अजातशत्रु-'हे विप्रवर! ऐसा नहीं है। यह तो सोम राजा है और अन्न की आत्मा भी यही है। मैं इसी प्रकार इसकी उपासना करता हूं। जो भी इस प्रकार इसकी उपासना करता है, वह निश्चिय ही अन्न की आत्मा हो जाती है तथा धन धान्य से भर जाता है।'
60 वर्ष पहले पटना के दशहरा और संगीत का जो संबंध सूत्र क़ायम हुआ था वह 80 के दशक में आकर टूट-बिखर गया । उसी परंपरा को फिर से जोड़ने की एक तथाकथित सरकारी कोशिश वर्ष 2006 के दशहरा के मौक़े पर हुई लेकिन नाकाम रही ।
प्रखर देवनागरी फ़ॉण्ट परिवर्तक जगदीप सिंह दांगी द्वारा विकसित एक हिन्दी फॉण्ट परिवर्तक है। यह ऑस्की/इस्की फॉण्ट को यूनिकोड में बदलता है। यह लगभग 1०० तरह के विभिन्न हिन्दी, संस्कृत, मराठी के बहु—प्रचलित साधारण फॉण्ट युक्त पाठ्य को १००% शुद्धता के साथ परिवर्तित करता है।
बम्बई, मद्रास और कलकत्ता में विश्वविद्यालय के स्थापना की घोषणा की गई।
आज भी हिन्दू बहुसंख्यक देशों जैसे भारत और नेपाल में गाय के दूध का धार्मिक रस्मों में महत्वपूर्ण स्थान है.समाज में अपने इसी ऊंचे स्थान की वजह से गायें भारत के बड़े बड़े शहरों जैसे कि दिल्ली में भी व्यस्त सड़कों के पर खुले आम घूमती हैं. कुछ जगहों पर सुबह के नाश्ते के पहले इन्हें एक भोग लगाना शुभ या सौभाग्यवर्धक माना जाता है.जिन जगहों पर गोहत्या एक अपराध है वहां किसी नागरिक को गाय को मार डालने या उसे चोट पहुँचाने के लिए जेल भी हो सकती है.
महाशिवरात्रि के अवसर पर काठमाडौं के पशुपतिनाथ के मन्दिर पर भक्तजन का भीड लगता है। इस अवसर पर भारत लगायत विश्व के विभिन्न स्थानौं से जोगी, योजी एवम्‌ भक्तजन इस मन्दिर पर आते है।
आठवीं और सातवीं सदी ईसा पूर्व के मध्य स्पार्टा (स्पार्तियों) ने नागरिक संघर्ष और अराजकता का अनुभव किया जिसे हेरोडोटस और थुसाईडाइड्स (थुसाइडाइड्स) दोनों ने ही बाद में चलकर प्रमाणित किया है. इसके फलस्वरूप वे उनके अपने ही सामाज के राजनीतिक और सामाजिक सुधारों के कार्यों को पूरा करने में लग गए, बाद में चलकर उन्होंने अर्ध पौराणिक विधायक लायकरगस (Lycurgus) को इसका श्रेय प्रदान किया. ये सुधार श्रेष्ठ सांस्कृतिक स्पार्टा के आरंभिक इतिहास के साक्ष्य हैं.
इतिहास के एक लम्बे समय प्रवाह मे इस जनपद ने अपनी एक विशेष पहचान बनाए रखी है। प्राचीन काल मे इसके वर्तमान भूभाग पर श्रावस्ती का अधिकान्श भाग और कोशल महाजनपद फैला हुआ था ।महात्मा गौतम बुद्ध के समय इसे एक नयी पहचान मिली । यह उस दौर में इतना प्रगतिशील एवं समृद्ध था कि महात्मा बुद्ध ने यहाँ २१ वर्षावास बिताये थे [१] । गोंडा जनपद प्रसिद्ध उत्तरापथ के एक छोर पर स्थित था। प्राचीन भारत में यह हिमालयी क्षेत्रों से आने वाली वस्तुओं के अग्रसारण स्थल की तरह काम करता था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपने विभिन्न उत्खननों में इस जिले की प्राचीनता पर प्रकाश डाला है[२]। गोंडा एव बहराइच जनपद की सीमा पर स्थित सहेत महेत से प्राचीन श्रावस्ती की पह्चान की जाती है। जैन ग्रंथों में श्रावस्ती को उनके तीसरे तीर्थंकर सम्भवनाथ और आठवें तीर्थंकर चंद्रप्रभनाथ की जन्मस्थली बताया गया है .वायु पुराण और रामायण के उत्तरकाण्ड के अनुसार श्रावस्ती उत्तरी कोशल की राजधानी थी जबकि दक्षिणी कोशल की राजधानी साकेत हुआ करती थी [३]। वास्तव मे एक लम्बे समय तक श्रावस्ती का इतिहास ही गोंडा का इतिहास है ।सम्राट हर्षवर्धन (६०६-४७) के राज कवि बाण भट्ट ने अपने प्रशास्तिपरक ग्रन्थ हर्षचरित में श्रुत वर्मा नामक रजा का उल्लेख किया हैं जो श्रावस्ती पर शासन करता था .डंडी के दश कुमार चरित में भी श्रावस्ती का वर्णन मिलता है .श्रावस्ती को इस बात का श्रेय जाता है कि यहाँ से आरंभिक कुषाण काल में बोधिसत्व की मूर्तियों के प्रमाण मिलते हैं.लगता है कि कुषाण काल के पश्चात् इस महत्त्वपूर्ण नगर का पतन होने लगा था .राम शरण शर्मा जैसे इतिहासकारों से ने इसे गुप्तकाल में नगरों के पतन और सामंतवाद के उदय से जोड़कर देखा है . इसके बावजूद जेतवन का विहार लम्बे समय तक,लगभग आठवीं एवं नवीन शताब्दियों तक, अस्तिव में बना रहा था. [४].मध्यकालीन भारत में गोंडा एक महत्वपूर्ण स्थान बनाये रखने में सफल रहा .सन १०३३ में राजा सुहेलदेव ने सय्यास सलार मसूद गाजी से टक्कर ली थी. यह इतिहास का एक रोचक तथ्य है कि ये दोनों ही गोंडा और बहराइच समेत पूरे देश में समादृत हैं.एक दूसरी लड़ाई मसूद के भतीजे हटीला पीर के साथ अशोकनाथ महादेव मंदिर के पास हुई थी जिसमे वह मारा गया . अशोकनाथ महादेव मंदिर राजा सुहेलदेव द्वारा बनवाया गया था और जिस पर हटीला पीर का गुम्बद बनवा दिया गया[५] .
77. कलाओं, संस्कृति और शिल्प का एक उत्तम मिश्रण शिल्पग्राम में प्रदर्शित किया गया है और इसके मिट्टी के काम के लिए जाना जाता है, जो मुख्यतः गहरी भूरी और गहरी लाल मिट्टी में किया जाता है।
‍ अभिषेक सिञ्चन वर-कन्या को बिठाकर कलश का जल लेकर उनका सिंचन किया जाए । भावना की जाए कि जो सुसंस्कार बोये गये हैं, उन्हें दिव्यजल से सिंचित किया जा रहा है । सबके सद्भाव से उनका विकास होगा और सफलता-कुशलता के कल्याणप्रद सुफल उनमें लगेंगे । पुष्प वर्षा के रूप में सभी अपनी शुभकामनाएँ-आश्शीवार्द प्रदान करें- गणपतिः गिरिजा वृषभध्वजः, षण्मुखो नन्दीमुखडिमडिमा । मनुज-माल-त्रिशूल-मृगत्वचः, प्रतिदिनं कुशलं वरकन्ययोः॥१॥ रविशशी-कुज इन्द्र-जगत्पतिः, भृगुज-भानुज-सिन्धुज-केतवः । उडुगणा-तिथि-योग च राशयः, प्रतिदिनं कुशलं वरकन्ययोः॥२॥ वरुण-इन्द्र कुबेर-हुताशनाः, यम-समीरण-वारण-कंुजराः । सुरगणाः सुराश्च महीधराः, प्रतिदिनं कुशलं वरकन्ययोः॥३॥ सुरसरी-रविनन्दिनि-गोमती, सरयुतामपि सागर-घघर्रा । कनकयामयि-गण्डकि-नमर्दा, प्रतिदिनं कुशलं वरकन्ययोः॥४॥ हरिपुरी-मथुरा च त्रिवेणिका, बदरि-विष्णु-बटेश्वर-कौशला । मय-गयामपि-ददर्र-द्वारका, प्रतिदिनं कुशलं वरकन्ययोः॥५॥ भृगुमुनिश्च पुलस्ति च अंगिरा, कपिलवस्तु-अगस्त्य च नारदः । गुरुवस्ाष्ठ-सनातन-जैमिनी, प्रतिदिनं कुशलं वरकन्ययोः॥६॥ ऋग्वेदोऽथ यजुवेर्दः, सामवेदो ह्यथवर्णः । रक्षन्तु चतुरो वेदा, यावच्चन्द्रदिवाकरौ॥
सुबहा और अस्सी जैसे दो एक मामूली नाले-नालियों को छोड़कर इस जिले में गंगा की मुख्य सहायक नदियां बरना और गोमती है। वाराणसी के इतिहास के लिए तो बरना का काफी महत्व है क्योंकि जैसा हम पहले सिद्ध कर चुके हैं इस नदी के नाम पर ही वाराणसी नगर का नाम पड़ा। अथर्ववेद (५/७/१) में शायद बरना को ही बरणावती नाम से संबोधन किया गया है। उस युग में लोगों का विश्वास था कि इस नदी के पानी में सपं-विष दूर करने का अलौकिक गुण है। प्राचीन पौराणिक युग में इस नदी का नाम "वरणासि' था। बरना इलाहाबाद और मिर्जापुर जिलों की सीमा पर फूलपुर के ताल से निकालकर वाराणसी जिले की सीमा में पश्चिमी ओर से घुसती है और यहां उसका संगम विसुही नदी से सरवन गांव में होता है। विसुही नाम का संबंध शायद विष्ध्नी से हो। संभवत: बरना नदी के जल में विष हरने की शक्ति के प्राचीन विश्वास का संकेत हमें उसकी एक सहायक नदी के नाम से मिलता है। बिसुही और उसके बाद वरना कुछ दूर तक जौनपुर और वाराणसी की सीमा बनाती है। बल खाती हुई बरना नदी पूरब की ओर जाती है और दक्षिण और कसवार ओर देहात अमानत की ओर उत्तर में पन्द्रहा अठगांवा और शिवपुर की सीमाएं निर्धारित करती है। बनारस छावनी के उत्तर से होती हुई नदी दक्षिण-पूर्व की ओर घूम जाती है और सराय मोहाना पर गंगा से इसका संगम हो जाता है। वाराणसी के ऊपर इस पर दो तीर्थ है, रामेश्वर ओर कालकाबाड़ा। नदी के दोनों किनारे शुरु से आखिर तक साधारणत: हैं और अनगिनत नालों से कटे हैं।
15. नरेन्द्र कोहली - अप्रतिम कथायात्री, लेखक : डॉ. विवेकीराय, 2003 ई., प्रकाशक: वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली - 110002
पटना उच्च न्यायालय भारत के बिहार प्रान्त का न्यायालय हैं। यह ३ फरवरी १९१६ को स्थापित किया गया। इसका मुख्यालय पटना में है।
कलियुग पारम्परिक भारत का चौथा युग है।
सत्त्ववान सात्त्विकः सत्यः सत्यधर्मपरायणः ।
इसके अनुसार प्रत्येक शाखा के दो भाग बताये गये हैं।
विट्ठलनाथ जी के शिष्य और अष्टछाप के अंतर्गत थे. पहले ये मथुरा के सुसम्पन्न पंडा थे और राजा बीरबल जैसे लोग इनके जजमान थे. पंडा होने के कारण ये पहले बड़े अक्खड़ और उद्दंड थे, पीछे गोस्वामी विट्ठलनाथ जी से दीक्षा लेकर परम शांत भक्त हो गए और श्रीकृष्ण का गुणानुवाद करने लगे. इनकी रचनाओं का समय सन् 1555 ई. के इधर मान सकते हैं. इनके पदों में श्रृंगार के अतिरिक्त ब्रजभूमि के प्रति प्रेमव्यंजना भी अच्छी पाई जाती है. ‘हे विधना तोसों अँचरा पसारि माँगौ जनम जनम दीजो याही ब्रज बसिबो’ पद इन्हीं का है.
१४. सारो-मारो- यह मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित है ।
मीडिया उद्योग भी यहां का एक बड़ा नियोक्ता है। भारत के प्रधान दूरदर्शन व उपग्रह तंत्रजाल (नेटवर्क), व मुख्य प्रकाशन गृह यहीं से चलते हैं। हिन्दी चलचित्र उद्योग का केन्द्र भी यहीं स्थित है, जिससे प्रति वर्ष विश्व की सर्वाधिक फिल्में रिलीज़ होती हैं। बॉलीवुड शब्द बॉंम्बे व हॉलीवुड को मिलाकर निर्मित है। मराठी दूरदर्शन एवं मराठी फिल्म उद्योग भी मुंबई में ही स्थित है।
चेन्नई में तमिल लोग बहुसंख्यक हैं। यहां की मुख्य भाषा तमिल ही है। व्यापार, शिक्षा और अन्य अधिकारी वर्ग के व्यवसायों एवं नौकरियों में अंग्रेज़ी मुख्यता से बोली जाती है। इनके अलावा कम किंतु गणनीय संख्या तेलुगु तथा मलयाली लोगों की भी है। [५५] चेन्नई में तमिल नाडु के अन्य भागों व भारत के सभी भागों से आये लोगों की भी अच्छी संख्या है। २००१ के आंकड़ों के अनुसार शहर के ९,३७,००० प्रवासियों (चेन्नई की कुल जनसंख्या का २१.५७%) में से; ७४.५% राज्य के अन्य भागों से आये थे, २३.८% देश के अन्य भागों से तथा १.७% विदेशियों की जनसंख्या थी। [५६] कुल जनसंख्या में ८२.२७% हिन्दू, ८.३७% मुस्लिम, ७.६३% ईसाई और १.०५% जैन हैं।[५७]
उपन्यास
यह् भाषा म्यान्मार मे बोली जाती है।
राग बहार काफ़ी थाट से उत्पन्न षाड़व षाड़व जाति का राग है। अर्थात इसके आरोह तथा अवरोह से छे छे स्वरों का प्रयोग होता है। इसके गाने का समय रात्रि का दूसरा प्रहर है। गांधार और निषाद दोनो स्वर कोमल है लेकिन गायक अक्सर दोनों निषाद लेते हैं, शुद्ध निषाद का प्रयोग मध्य सप्तक में होता है और वह भी आरोह में। अन्य स्वर शुद्ध लगते हैं। कुछ गायक मध्यम के साथ विवादी के रूप में शुद्ध गंधार का भी थोड़ा सा प्रयोग करते हैं। लेकिन यह नियम नहीं, इसके अवरोह में कभी कभी ऋषभ और धैवत दोनो वर्जित करते हुए निधनिप ऐसा प्रयोग होता है पर यह आवश्यक नहीं। आरोह में गमपगमधनिसां इस प्रकार पंचम का वक्र प्रयोग भी होता है जिससे रागरंजकता बढ़ती है। इस राग का वादी स्वर षडज तथा संवादी स्वर मध्यम हैं। राग विस्तार मध्य व तार सप्तक में होने के कारण यह चंचल प्रकृति का राग माना जाता है। मपगम धनिसां इसकी मुख्य पकड़ है। यह राग बाकी अनेक रागों के साथ मिलाकर भी गाया जाता हैं। जिस राग के साथ उसे मिश्रित किया जाता है उसे उस राग के साथ संयुक्त नाम से जाना जाता है। उदाहरण के लिए बागेश्री राग में इसे मिश्र करने से बागेश्री-बहार, वसंत-बहार, भैरव-बहार इत्यादि। परंतु मिश्रण का एक नियम हे कि जिसमें बहार मिश्र किया जाय वह राग शुद्ध मध्यम या पंचम में होना चाहिए क्योंकि बहार का मिश्रण शुद्ध मध्यम से ही शुरू होता है। [१]
रूमी अपने पिता के जीवनकाल से उनके विद्वान शिष्य सैयद बरहानउद्दीन से पढ़ा करते थे। पिता की मृत्यु के बाद वह दमिश्क और हलब के विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए चले गये और लगभग १५ वर्ष बाद वापस लौटे। उस समय उनकी उम्र चालीस वर्ष की हो गयी थी। तब तक रूमी की विद्वत्ता और सदाचार की इतनी प्रसिद्ध हो गयी थी कि देश-देशान्तरों से लोग उनके दर्शन करने और उपदेश सुनने आया करते थे। रूमी भी रात-दिन लोगों को सन्मार्ग दिखाने और उपदेश देने में लगे रहते। इसी अर्से में उनकी भेंट विख्यात साधू शम्स तबरेज़ से हुई जिन्होंने रूमी को अध्यात्म-विद्या की शिक्षा दी और उसके गुप्त रहस्य बतलाये। रूमी पर उनकी शिखाओं का ऐसा प्रभाव पड़ा कि रात-दिन आत्मचिन्तन और साधना में संलग्न रहने लगे। उपदेश, फतवे ओर पढ़ने-पढ़ाने का सब काम बन्द कर दिया। जब उनके भक्तों और शिष्यों ने यह हालत देखी तो उन्हें सन्देह हुआ कि शम्स तबरेज़ ने रूमी पर जादू कर दिया है। इसलिए वे शम्स तबरेज़ के विरुद्ध हो गये और उनका वध कर डाला। इस दुष्कृत्य में रूमी के छोटे बेटे इलाउद्दीन मुहम्मद का भी हाथ था। इस हत्या से सारे देश में शोक छा गया और हत्यारों के प्रति रोष और घृणा प्रकट की गयी। रूमी को इस दुर्घटना से ऐसा दु:ख हुआ कि वे संसार से विरक्त हो गये और एकान्तवास करने लगे। इसी समय उन्होंने अपने प्रिय शिष्य मौलाना हसामउद्दीन चिश्ती के आग्रह पर 'मसनवी' की रचना शुरू की। कुछ दिन बाद वह बीमार हो गये और फिर स्वस्थ नहीं हो सके। ६७२ हिजरी में उनका देहान्त हो गया। उस समय वे ६८ वर्ष के थे। उनका मज़ार क़ौनिया में बना हुआ है।चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य ने इस ग्रंथ कृत की कुछ चुनी हुई शिक्षाप्रद कहानियों का हिन्दी अनुवाद किया है जो ईंट की दीवार के नाम से प्रकाशित हुआ है। चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य ने ही इनकी जीवनी जलालुद्दीन रूमी / चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य भी लिखी है।
गार्गी- ब्रह्मलोक किसमें ओतप्रोत है?
सोमालिया का ध्वज सोमालिया का राष्ट्रीय ध्वज है।
उनके पुराने मित्र अमरसिंह (Amar Singh) ने इनकी कंपनी एबीसीएल के फेल हो जाने के कारण आर्थिक संकट के समय इनकी मदद कीं। इसके बाद बच्चन ने अमरसिंह की राजनैतिक पाटी समाजवादी पार्टी को सहयोग देना शुरू कर दिया। जया बच्चन ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ज्वाइन कर ली और राज्यसभा सभा (Rajya Sabha) की सदस्या बन गई।[२०] बच्चन ने समाजवादी पार्टी के लिए अपना समर्थन देना जारी रखा जिसमें राजनैतिक अभियान अर्थात प्रचार प्रसार करना शामिल था। इनकी इन गतिविधियों ने एक बार फिर मुसीबत में डाल दिया और इन्हें झूठे दावों के सिलसिलों में कि वे एक किसान हैं के संबंध में कानूनी कागजात जमा करने के लिए अदालत जाना पड़ा I[२१]
एक (1) यूरो का मूल्य सत्तर (70) रुपये है (सम्प्रति - सितंबर, 2009)।[१]
दिसपुर के पडो़स मे एक पुरातन नगर जतिया स्थित है जहां पर राज्य का सचिवालय स्थित है।
१. दुःख : इस दुनिया में सब कुछ दुःख है । जन्म में, बूढे होने में, बीमारी में, मौत में, प्रियतम से दूर होने में, नापसंद चीज़ों के साथ में, चाहत को न पाने में, सब में दुःख है ।
‘ज्ञानाधिकरणमात्‍मा । सः द्विविधः जीवात्‍मा परमात्‍मा चेति।'1
विटामिन बी समूह या काम्पलेक्स शरीर को जीवन शक्ति देने के लिए अति आवश्यक होता है। इस विटामिन की कमी से शरीर अनेक रोगो का गढ़ बन जता है। विटामिन बी के कई विभागो की खोज की जा चुकी है। ये सभी विभाग मिलकर ही विटामिन ‘बी’ काम्पलेक्स कहलाते है। हालांकि सभी विभाग एक दुसरे के अभिन्न अंग है, लेकिन फिर भी सभी आपस मे भिन्नता रखते है। विटामिन ‘बी’ काम्पलेक्स 120 सेंटीग्रेड तक की गर्मी सहन करने की क्षमता रखता है। उससे अधिक ताप यह सहन नही कर पाता और नष्ट हो जाता है। यह विटामिन पानी मे घुलनशील है। इसक प्रमुख कार्य स्नायु को स्वस्थ रखना तथा भोजन के पाचन मे सक्रिय योगदान देना होता है। भूख को बढ़ाकर यह शरीर को जीवन शक्ति देता है। खाया-पिया अंग लगाने मे सहायता प्रदान करता है। क्षार पदार्थो के संयोग से यह यह बिना किसी ताप के नष्ट हो जाता है, पर अम्ल के साथ उबाले जाने पर भी नष्ट नही होता।
शुंग वंश के अन्तिम शासक देवभूति के मन्त्रि वसुदेव ने उसकी हत्या कर सत्ता प्राप्त कर कण्व वंश की स्थापना की। कण्व वंश ने ७५इ.पू. से ३०इ.पू. तक शासन किया। वसुदेव पाटलिपुत्र के कण्व वंश का प्रवर्तक था। वैदिक धर्म एवं संस्कृति संरक्षण की जो परम्परा शुंगो ने प्रारम्भ की थी। उसे कण्व वंश ने जारी रखा। इस वंश का अन्तिम सम्राट सुशमी कण्य अत्यन्त अयोग्य और दुर्बल था।और मगध क्षेत्र संकुचित होने लगा। कण्व वंश का साम्राज्य बिहार,पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित हो गया और अनेक प्रान्तों ने अपने को स्वतन्त्र घोषित कर दिया तत्पश्चात उसका पुत्र नारायण और अन्त में सुशमी जिसे सातवाहन वंश के प्रवर्तक सिमुक ने पदच्युत कर दिया था। इस वंश के चार राजाओं ने ७५इ.पू.से ३०इ.पू.तक शासन किया।
लाहौर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में यह खूबसूरत बाग शामिल है। इसके पूर्व में लाहौर किला, उत्तर में रणजीत सिंह की समाधि, पश्चिम में बादशाही मस्जिद और दक्षिण में रोशनई दरवाजा स्थित है। इस बाग का निमार्ण 1813 ई. में पंजाब के महान शासक महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया था। इस बाग को कोहिनूर हीर को अफगान के शासक शाह शुजा से पुन: भारत लाए जाने के उपलक्ष्य में बनवाया गया था।
गाँधी जी का मानना था कि अगर एक व्यक्ति समाज सेवा में कार्यरत है तो उसे साधारण जीवन (simple life) की और ही बढ़ना चाहिए जिसे वे ब्रह्मचर्य के लिए आवश्यक मानते थे. उनकी सादगी (simplicity) ने पश्चमी जीवन शैली को त्यागने पर मजबूर करने लगा और वे दक्षिण अफ्रीका में फैलने लगे थे इसे वे "ख़ुद को शुन्य के स्थिति में लाना" कहते हैं जिसमे अनावश्यक खर्च, साधारण जीवन शैली को अपनाना और अपने वस्त्र स्वयं धोना आवश्यक है.[३२]एक अवसर पर जन्मदार की और से सम्मुदय के लिए उनकी अनवरत सेवा के लिए प्रदान किए गए उपहार को भी वापस कर देते हैं.[३३]
यह पार्क का सबसे खूबसूरत स्थान है। यहां का मनमोहक सूर्यास्त पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है। घने और चारों तरफ फैले कान्हा के जंगल का विहंगम नजारा यहां से देखा जा सकता है। इस स्थान के चारों ओर हिरण, गौर, सांभर और चौसिंहा को देखा जा सकता है।
लोभिया एक फली होती है। इसका बीज एक दलहन होता है। इसे अंग्रेज़ी मॆं (black-eyed pea) "眉豆" (साँचा:Explain), (अरबी: لوبيا), feijão-frade (पुर्तगाली), börülce (तुर्की), चवळी (मराठी),थट्टा पायिर (तमिल), अलासांडी (कन्नड़), wakee (Hausa), mavromatika ("blackeyeds," in Greek), louvi (Cyprus), and đậu trắng (Vietnamese), कहते हैं।
केवल उन्हीं व्यक्तियों को निरपेक्ष स्वतंत्रता एवं पूर्ण सुख प्राप्त होगा जो अपने को सभी प्रकार के भेदों एवं विभेदों से मुक्त रखेंगे। ऐसे व्यक्तियों को चुआङ-जू ने "चेन जन" अर्थात् सच्चे पुरुष की संज्ञा दी है। उन्हें "चिह-जेन" अर्थात् पूर्ण पुरुष, या "शेन-जेन" आध्यात्मिक पुरुष, या "शेङ-जेन" अर्थात् ऋषि या संत की भी संज्ञा दी है।
पश्चभाग में ये सब युक्तियाँ पश्चवलय (ब्रीच-रिंग) द्वारा जुड़ी रहती हैं। निर्माण की सुविधा के लिए इस वलय को अलग से बनाया जाता है और नाल पर बनी चूड़ी पर कस दिया जाता है। इस विचार से कि काम करते-करते यहाँ का पेंच ढीला न पड़ जाय, पश्चवलय को नाममात्र छोटा बनाकर और तप्त करके कसा जाता है। ठंडा होने पर यह भाग इतना कस उठता है कि खुल नहीं सकता।
विश्वास १९६९ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है ।
2. राजनैतिक दलों का निर्वाचन आयोग के पास अनिवार्य पंजीकरण करवाना होगा यदि वह चुनाव लडना चाहे तो कोई दल तभी पंजीकृत होगा जब वह संविधान के मौलिक सिद्धांतों के पालन करे तथा उनका समावेश अपने दलीय संविधान मे करे
(अ) हाथ से फेंके जानेवाले अस्त्र, जैसे भाला;
राज्य का औसत तापमान गृष्म ऋतु में 35-45 डिग्री सेल्सियस तथा जाड़े में 5-15 डिग्री सेल्सियस रहता है। जाड़े का मौसम नवंबर से मध्य फरवरी तक रहता है। अप्रैल में गृष्म ऋतु का आरंभ होता है जो जुलाई के मध्य तक रहता है। जुलाई-अगस्त में वर्षा ऋतु का आगमन होता है जिसका अवसान अक्टूबर में होने के साथ ही ऋतु चक्र पूरा हो जाता है। औसतन 1205 मिलीमीटर वर्षा का का वार्षिक वितरण लगभग 52 दिनों तक रहता है जिसका अधिकांश भाग मानसून से होनेवाला वर्षण है।
४- अग्नि जब तक जीवित है, उष्णता एवं प्रकाश की अपनी विशेषताएँ नहीं छोड़ती । उसी प्रकार हमें भी अपनी गतिशीलता की गर्मी और धर्म-परायणता की रोशनी घटने नहीं देनी चाहिए । जीवन भर पुरुषार्थी और कर्त्तव्यनिष्ठ बने रहना चाहिए ।
जैन-साहित्य का प्राचीनतम भाग ‘आगम’ के नाम से कहा जाता है। ये आगम 46 हैं-
पश्चिम सियांग भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश का एक जिला है.
सिंध संस्कृत के शब्द सिंधु से बना है जिसका अर्थ है समुद्र । इसी नाम से एक नदी भी है जो इस प्रदेश के लगभग बीचोंबीच बहती है । फ़ारसी स को ह की तरह उच्चारण करते थे । उदाहरणार्थ दस को दहा या सप्ताह को हफ़्ता (यहाँ कहने का अर्थ ये नहीं कि ये संस्कृत शब्दों के फ़ारसी रूप थे पर उनका मूल एक ही हुआ होगा) । अतः वे इसे हिंद कहते थे । असीरियाई स्रोतों में सातवीं सदी ईसा पूर्व में इसे सिंदा नाम से द्योतित किया गया है ।
इन परिणामों को 2006 के अध्ययन से अधिक महत्त्व मिला जिसमें 2400 से अधिक महिलाओं पर अध्ययन किया गया, इस दौरान इनमें से आधी महिलाओं को सामान्य आहार पर रखा गया, और शेष को ऐसा आहार दिया गया जिसमें वसा की कैलोरी 20% से कम हो.दिसम्बर, 2006 की अंतरिम रिपोर्ट में बताया गया कि कम वसा आहार पर रखी गई महिलाओं में स्तन कैंसर पुनरावृत्ति की मात्रा कम थी. [५२]
गोरियो राजवंश के बाद से, कोरिया, एक एकल सरकार द्वारा शासित रहा और गोरियो वंश पर 13वीं शताब्दी में मंगोल हमलों और 16वीं शताब्दी में जोसियो वंश पर जापानी हमलों के बावजूद, 20वीं सदी तक इसने राजनैतिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता बनाए रखी. 1377 में, कोरिया ने जिक्जी पेश किया, दुनिया का सबसे पुराना मौजूद दस्तावेज़ जिसे चल धातु प्रकार से मुद्रित किया गया. [11] 15वीं सदी में, कछुए जहाज तैनात किये गए और राजा सेजोंग महान ने कोरियाई वर्णमाला हंगुल प्रख्यापित किया.
नक्षत्र आकाश में तारा-समूह को कहते हैं। साधारणतः यह चन्द्रमा के पथ से जुडे हैं, पर वास्तव में किसी भी तारा समूह को नक्षत्र कहना उचित है। ऋग्वेद में एक स्थान सूर्य को भी नक्षत्र कहा गया है। अन्य नक्षत्रों में सप्तर्षि और अगस्त्य हैं।
साँचा:भारत के शास्त्रीय नृत्य
हालांकि पैप स्मीयर एक कारगर छान-बीन परीक्षण है, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर या कैंसर-पूर्व निदान की पुष्टि के लिए गर्भाशय-ग्रीवा की बायोप्सी आवश्यक है. यह अक्सर योनिभित्ति दर्शन के ज़रिए, जहां तनू एसिटिक अम्ल (उदा. सिरका) की सहायता से गर्भाशय-ग्रीवा के आवर्धित दृश्य निरीक्षण के माध्यम से गर्भाशय ग्रीवा की सतह पर असमान्य कोशिकाओं पर प्रकाश डाल कर किया जाता है.[१]
हिन्दी (देवनागरी)
कोश की एक दूसरी विधा ज्ञानकोश भी विकसित हुई है । इसके वृहत्तम और उत्कष्ट रूप को इन्साइक्लोपिडिया कहा गया है । हिंदी में इसके लिये विश्वकोश शब्द प्रयुक्त और गृहीत हो गया है । यह शब्द बँगाल विश्वकोशकार ने कदाचित् सर्वप्रथम बँगाल के ज्ञानकोश के लिये प्रयुक्त किया । उसका एक हिंदी संस्करण हिंदी विश्वकोश के नाम से नए सिरे से प्रकाशित हुआ । हिंदी में यह शब्द प्रयुक्त होने लगा है । यद्यपि हिंदी के प्रथम किशोरोपयोगी ज्ञानकोश (अपूर्ण) को श्री श्रीनारायण चतुर्वेदी तथा पं० कृष्ण वल्लभ द्विवेदि द्वारा विश्वभारती अभिधान दिया गया तो भी ज्ञान कोश, ज्ञानदीपिका, विश्वदर्शन, विश्वविद्यालयभंडार आदि संज्ञाओं का प्रयोग भी ज्ञानकोश के लिये हुआ है । स्वयं सरकार भी बालशिक्षोपयोगी ज्ञानकोशात्मक ग्रंथ का प्रकाशन 'ज्ञानसरोवर' नाम से कर रही है । परंतु इन्साइक्लोपीडिया के अनुवाद रूप में विवकोश शब्द ही प्रचलित हो गया । उडीया के एक विश्वकोश का नाम शब्दार्थानुवाद के अनुसार ज्ञान मंडल रखा भी गया । ऐसा लगता है कि बृहद् परिवेश के व्यापक ज्ञान का परिभाषिक और विशिष्ट शब्दों के माध्यम से ज्ञान देनेवाले ग्रथं का इन्साइक्लोपीडिया या विश्वकोश अभिधान निर्धारित हुआ और अपेक्षाकृत लघुतरकोशों को ज्ञानकोश आदि विभिन्न नाम दिए गए । अंग्रेजी आदि भाषाओं में बुक आफ नालेज, डिक्शनरी आव जनरल नालेज आदि शीर्षकों के अंतरेगत नाना प्रकार के छोटे बडे विश्वकोश अथवा ज्ञानकोश बने हैं और आज भी निरंतर प्रकाशित एवं विकसित होते जा रहे हैं । इतना ही नहीं इन्साइक्लोपीडिया आफ रिलीजन ऐंड एथिक्स आदि विषयविशेष से संबंद्ध विश्वकोशों की संख्या भी बहुत ही बडी है । अंग्रेजी भाषा के माध्यम से निर्मित अनेक सामान्य विश्वकोश और विशष विश्वकोश भी आज उपलब्ध हैं ।
फ़ारसी साहित्यकार ।
कीट
एम्सटर्डम (डच: Amsterdam) नीदरलैंड की राजधानी है। इस नगर की स्थापना १२वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में एम्स्टल नदी के मुहाने पर एक मछली पकड़ने के केन्द्र के रुप में हुई थी। एम्सटर्डम नाम एम्स्टल नदी के नाम से उपगमित है। १ जनवरी, २००६ को एम्सटर्डम की आबादी ७४३,०२७ थी। यह नीदरलैंड का सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है।
माँ की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है। ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है।
संक्षेप में, हिन्‍दुत्‍व के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं-हिन्दू-धर्म
अन्‍य परिलब्‍धियां : सदस्‍यों को जो अन्‍य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं उनमें आशुलिपिक तथा टंकण पूल, आयकर में राहत, कैंटीन, जलपान और खानपान, क्‍लब, कामन रूम, बैंक, डाकघर, रेलवे तथा हवाई बुकिंग तथा आरक्षण, बस परिवहन, एल पी जी सेवा, विदेशी मुद्रा का कोटा, लॉकर, सुपर बाजार आदि शामिल है। संसद परिसर में एकमात्र सदस्‍यों के लिए एक सुसज्‍जित प्राथमक चिकित्‍सा अस्‍पताल भी है।
चुनाव या निर्वाचन (election) , लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता (लोग) अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका (और कभी-कभी न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तिओं का चुनाव होता है। वस्तुतः चुनाव का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है और यह निजी संस्थानों, क्लबों, विश्वविद्यालयों, धार्मिक संस्थानों आदि में भी प्रयुक्त होता है।
द्वितीय विश्व युद्ध, नियमित रूप से व्यावसायिक सेवा के अंत के बाद भारत में बहाल किया गया और टाटा एयरलाइंस पर एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनी 29 जुलाई 1946 का नाम एयर इंडिया के अंतर्गत. 1948 में, के बाद भारत की आजादी के 49% एयरलाइन भारत सरकार द्वारा अधिग्रहीत किया गया एक एक अतिरिक्त 2% खरीद के विकल्प के साथ. बदले में, एयरलाइन का दर्जा दिया गया था भारत के रूप में नामित ध्वज वाहक से नाम एयर इंडिया इंटरनेशनल अंतरराष्ट्रीय सेवाओं के तहत कार्य करते हैं. 8 जून 1948, एक नक्षत्र लॉकहीड एल 749A मालाबार (राजकुमारी VT-CQP पंजीकृत नाम) मुंबई से उड़ान भरी काहिरा और जिनेवा के माध्यम से लंदन के लिए बाध्य. इस एयरलाइन की पहली लंबी अंतरराष्ट्रीय उड़ान चिह्नित, जल्दी 1950 में सेवा के द्वारा अदन के माध्यम से नैरोबी के लिए पीछा किया.
यह स्‍थान गंगोत्री हिमनद से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आसपास की पहाड़ी का बहुत सुंदर नजारा दिखता है।
ग्वालियर विमानक्षेत्र ग्वालियर मेँ महाराजपु ग्रा के निकट स्थित एक सैन्य हवाई अड्डा है, जो नागरिक उडा़नो के लिये भी काम आता है। इसका ICAO कोड VIGR और IATA कोड GWL है। यहाँ कस्टम्स विभाग की उपस्थिति नहीं है। इस विमान पत्तन का रनवे पेव्ड है,जिसकी लंबाई 8900 फुट है। विमान पत्तन की प्रणाली यांत्रिक नहीं है।
जनवरी 2005 में दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच
पश्चिम दिल्ली जिला दिल्ली का जिला है। इसमें आने वाले उपमंडल हैं:
 · अंबेडकर नगर जिला  · आगरा जिला  · अलीगढ़ जिला  · आजमगढ़ जिला  · इलाहाबाद जिला  · उन्नाव जिला  · इटावा जिला  · एटा जिला  · औरैया जिला  · कन्नौज जिला  · कौशम्बी जिला  · कुशीनगर जिला  · कानपुर नगर जिला  · कानपुर देहात जिला  · गाजीपुर जिला  · गाजियाबाद जिला  · गोरखपुर जिला  · गोंडा जिला  · गौतम बुद्ध नगर जिला  · चित्रकूट जिला  · जालौन जिला  · चन्दौली जिला  · ज्योतिबा फुले नगर जिला  · झांसी जिला  · जौनपुर जिला  · देवरिया जिला  · पीलीभीत जिला  · प्रतापगढ़ जिला  · फतेहपुर जिला  · फार्रूखाबाद जिला  · फिरोजाबाद जिला  · फैजाबाद जिला  · बलरामपुर जिला  · बरेली जिला  · बलिया जिला  · बस्ती जिला  · बदौन जिला  · बहरैच जिला  · बुलन्दशहर जिला  · बागपत जिला  · बिजनौर जिला  · बाराबांकी जिला  · बांदा जिला  · मैनपुरी जिला  · महामायानगर जिला  · मऊ जिला  · मथुरा जिला  · महोबा जिला  · महाराजगंज जिला  · मिर्जापुर जिला  · मुझफ्फरनगर जिला  · मेरठ जिला  · मुरादाबाद जिला  · रामपुर जिला  · रायबरेली जिला  · लखनऊ जिला  · ललितपुर जिला  · लखीमपुर खीरी जिला  · वाराणसी जिला  · सुल्तानपुर जिला  · शाहजहांपुर जिला  · श्रावस्ती जिला  · सिद्धार्थनगर जिला  · संत कबीर नगर जिला  · सीतापुर जिला  · संत रविदास नगर जिला  · सोनभद्र जिला  · सहारनपुर जिला  · हमीरपुर जिला, उत्तर प्रदेश  · हरदोइ जिला
लेकिन कुरान में सुन्नी और शिया शब्द नही है, कुरान में केवल मुस्लिम शब्द का इस्तमाल हुआ है जिसके मने है के एक वो शक्स जो अपनी तमाम इक्छाओ को और अपने आप को इश्वर के आगे नरमस्तक कर दे, तो मजहब ऐ इस्लाम के अनुसार कोई एक जो इस्लाम को मानता है वो एक मुस्लिम है न की सुन्नी और शिया.
४ जून, २००९ को इस विकिपीडिया ने १ लाख लेखों की संख्या को पार किया।
गुरुवायुर दक्षिण भारतीय शास्त्रीय कर्नाटकीय संगीत का एक प्रमुख स्थल है, विशेषकर यहां के शुभ एकादसी दिवस के दौरान जोकि सुविख्यात गायक चेम्बाई वैद्यनाथ भगावतार की स्मृति में मनाया जाता है, यह भी गुरुवायुरप्पन के दृढ़ भक्त थे. मंदिर वार्षिक समारोह (उल्सवम) भी मनाता है जो कुम्भ के मलयाली महीने (फरवरी-मार्च) में पड़ता है इसके दौरान यह शास्त्रीय नृत्य जैसे कथकली, कूडियट्टम, पंचवाद्यम, थायाम्बका और पंचारिमेलम आदि का आयोजन करता है. इस स्थान ने कई प्रसिद्ध थाप वाले वाद्यों जैसे चेन्दा, मद्दलम, तिमिला, इलाथलम और इडक्का आदि के वादकों को जन्म दिया है.
२९. इण्डियन आर्ट - १९२५ - भारतीय संस्कृति पर यह पुस्तक कलकत्ता विश्वविद्यालय में दिये गये कमला लेक्चर पर आधारित है।
भारतवर्ष को प्राचीन ऋषियों ने "हिन्दुस्थान" नाम दिया था जिसका अपभ्रंश "हिन्दुस्तान" है। "बृहस्पति आगम" के अनुसार:
रामनरेश यादव एक भारतीय राजनेता है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है।
इनका जन्म सम्वत् १५५० विक्रम (तदनुसार १४९३ ईसवी) के लगभग वर्तमान उत्तरप्रदेश के सीतापुर जिले में हुआ और मृत्यु सम्वत् १६०५ (तदनुसार १५४२ ईसवी) में हुई। इनकी भाषा ब्रज है। सुदामा चरित इनका मुख्य ग्रन्थ है।
इसरायल शब्द का प्रयोग बाईबल और उससे पहले से होता रहा है । बाईबल के अनुसार ईश्वर के फ़रिश्ते के साथ युद्ध लड़ने के बाद जैकब का नाम इसरायल रखा गया था । इस शब्द का प्रयोग उसी समय (या पहले) से यहूदियों की भूमि के लिए किया जाता रहा है । पुरातात्विक खोजों के मुताबिक सबसे पहले ईसा के 13वीं सदी पूर्व, मिस्र में, इस भ। य्ह देश पअह्लय अस्तित्व मे नहए थ।
इस्कोन मंदिर (दॉ इंटरनेशलन सोसायटी फॉर कृष्णा कंसी) बंगलूरू की खूबसूरत इमारतों में से एक है। इस इमारत में कई आधुनिक सुविधाएं जैसे मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय है। इस मंदिर के सदस्यो व गैर-सदस्यों के लिए यहां रहने की भी काफी अच्छी सुविधा उपलब्ध है।
डायपाज (Diapause) अर्थात्‌ वृद्धि की रोक-अनुकूल परिस्थितियों में बहुत से कीटों का परिवर्धन र्निविघ्न होता रहता है। इस बीच यदि कोई प्रतिकूल परिस्थिति आ जाती है, जैसे निम्न ताप; तो कुछ समय के लिये परिवर्धन रूक जाता है, किंतु परिस्थिति सुधरते ही परिवर्धन तुरंत ही फिर आरंभ हो जाता है। किंतु बहुत से ऐसे कीट भी हैं जिनमें बाह्य दशाएँ तो अनुकूल प्रतीत होती है। किंतु कुछ निश्चित परिस्थितियों के कारण परिवर्धन रूक जाता है। वृद्धि की यह रुकावट कुछ सप्ताहों से लेकर कई वर्षों तक की हो सकती है। विभिन्न जातियों के कीटों में यह अवधि प्राय: भिन्न होती है और इस प्रकार परिवर्तन में विलंब हो जाता है। किंतु अंत में यह रूकावट जीव ने इतिहास की किसी एक निश्चित अवस्था में ही होती है। यह अवस्था अंडे की, अपूर्ण कीट की, या वयस्क की, किसी की भी हो सकती है और कीट की जाति पर निर्भर रहती है। रेशम क कृमि शलभ, बांबिक्स मोराइ (Bombyx mori) जो अंडे शरद् ऋ तु में देता है उनमें डायपॉज़ होता है। जब तक गरमी देने से पहले इनके सेंटीग्रेड पर न रखा जाय इन अंडों से डिंभ नहीं निकलते।
इस केंद्र की स्थापना 1976 में हुई थी। 1978 में केंद्र गुवाहाटी स्थानांतरित कर दिया गया। पुन: इसकी स्थापना वर्ष 1987 में की गई। हिंदी के प्रचार-प्रसार के अंतर्गत शिलांग केंद्र हिंदी शिक्षकों के लिए नवीकरण (तीन सप्ताह का) पाठ्यक्रम और असम रायफ़ल्स के विद्यालयों के हिंदी शिक्षकों, केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को हिंदी का कार्य साधक ज्ञान कराने के लिए 2-3 सप्ताह का हिंदी शिक्षणपरक कार्यक्रम संचालित करता है। इस केंद्र के कार्य क्षेत्र मेघालय, त्रिपुरा एवं मिजोरम राज्य हैं ।
भारतीय इतिहास में तक्षशिला नगरी विद्या और शिक्षा के महान् केंद्र के रूप में प्रसिद्ध थी। ऐसा लगता है कि वैदिक काल की कुछ अंतिम शताब्दियों के पूर्व उसकी ख्याति बहुत नहीं हो पाई थी। किंतु बौद्धयुग में तो वह विद्या का सर्वमुख्य क्षेत्र थी। यद्यपि बौद्ध साहित्य के प्राचीन सूत्रों में उसकी चर्चा नहीं मिलती तथापि जातकों में उसके वर्णन भरे पड़े हैं। त्रिपिटक की टीकाओं और अठ्ठकथाओं से भी उसकी अनेक बातें ज्ञात होती हैं। तदनुसार बनारस, राजगृह, मिथिला और उज्जयिनी जैसे भारतवर्ष के दूर-दूर क्षेत्रों से विद्यार्थी वहाँ पढ़ने के लिये जाते और विश्वप्रसिद्ध गुरुओं से शिक्षा प्राप्त करते थे। तिलमुष्टि जातक (फॉसवॉल और कॉवेल के संस्करणों की संख्या 252) से जाना जाता है कि वहाँ का अनुशासन अत्यंत कठोर था और राजाओं के लड़के भी यदि बार-बार दोष करते तो पीटे जा सकते थे। वाराणसी के अनेक राजाओं (ब्रह्मदत्तों) के अपने पुत्रों, अन्य राजकुमारों और उत्तराधिकारियों को वहाँ शिक्षा प्राप्त करने के लिये भेजने की बात जातकों से ज्ञात होती है (फॉसबॉल की संख्या 252)।
उपरोक्त उद्धरणों से सिद्ध है कि वाल्मीकि "राम" के समकालीन थे तथा उनके जीवन में घटित प्रत्येक घटनाओं का पूर्णरूपेण ज्ञान वाल्मीकि ऋषि को था। उन्हें "राम" का चरित्र को इतना महान समझा कि उनके चरित्र को आधार मान कर अपने महाकाव्य "रामायण" की रचना की।
देहरादून दिल्ली और दूसरे बड़े नगरो के लोगों के बीच एक लोकप्रिय शहर रहा है। राजपुर मार्ग पर अथवा डालनवाला के पुराने आवासीय क्षेत्र में पूर्वी यमुना नहर सड़क पर देहरादून के दर्शन होने लगते हैं। चौड़े बरामदे और सुन्दर ढालदार छतों वाले छोटे बंगले देहरादून की पहचान हैं। फलों से भरे हुए इन बंगलों के बगीचे बरबस ध्यान आकर्षित करते हैं। देहरादून का भ्रमण तब तक पूरा नही होता जब तक रंगीन पलटन बाजार तक न जाया जाय जो घण्टाघर से आगे तक फैला है। पलटन बाजार तब अस्तित्व में आया जब १८२० में ब्रिटिश सेना की टुकड़ी को आने की आवश्यकता पड़ी। आज इस बाजार में फल, सब्जियां, सभी प्रकार के कपड़े, तैयार वस्त्र(रेडीमेड गारमेंट्स) जूते और घर में प्रतिदिन काम आने वाली वस्तुयें मिलती हैं। इसके स्टोर माल, राजपुर सड़क तक है जिसके दोनों ओर विश्व के लोकप्रिय उत्पादों के शो रुम हैं। अनेक प्रसिद्ध रेस्तरां भी राजपुर सड़क पर है। कुछ छोटी आवासीय बस्तियाँ जैसे राजपुर, क्लेमेंट टाउन, प्रेमनगर और रायपुर देहरादून की पारंपरिक गौरव हैं।
27 जून 1920 ई0 को नमक सत्याग्रह में गिरफ्तार हुईं।
गांधी जी ने १९४६ में कांग्रेस को ब्रिटिश केबीनेट मिशन (British Cabinet Mission)के प्रस्ताव को ठुकराने का परामर्श दिया क्योकि उसे मुस्लिम बाहुलता वाले प्रांतों के लिए प्रस्तावित समूहीकरण के प्रति उनका गहन संदेह होना था इसलिए गांधी जी ने प्रकरण को एक विभाजन के पूर्वाभ्यास के रूप में देखा। हालांकि कुछ समय से गांधी जी के साथ कांग्रेस द्वारा मतभेदों वाली घटना में से यह भी एक घटना बनी (हालांकि उसके नेत्त्व के कारण नहीं) चूंकि नेहरू और पटेल जानते थे कि यदि कांग्रेस इस योजना का अनुमोदन नहीं करती है तब सरकार का नियंत्रण मुस्लिम लीग के पास चला जाएगा। १९४८ के बीच लगभग ५००० से भी अधिक लोगों को हिंसा के दौरान मौत के घाट उतार दिया गया। गांधी जी किसी भी ऐसी योजना के खिलाफ थे जो भारत को दो अलग अलग देशों में विभाजित कर दे।भारत में रहने वाले बहुत से हिंदुओं और सिक्खों एवं मुस्लिमों का भारी बहुमत देश के बंटवारे के पक्ष में था। इसके अतिरिक्त मुहम्मद अली जिन्ना, मुस्लिम लीग के नेता ने, पश्चिम पंजाब, सिंध, उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत और ईस्ट बंगाल (East Bengal).में व्यापक सहयोग का परिचय दिया। व्यापक स्तर पर फैलने वाले हिंदु मुस्लिम लड़ाई को रोकने के लिए ही कांग्रेस नेताओं ने बंटवारे की इस योजना को अपनी मंजूरी दे दी थी। कांगेस नेता जानते थे कि गांधी जी बंटवारे का विरोध करेंगे और उसकी सहमति के बिना कांग्रेस के लिए आगे बझना बसंभव था चुकि पाटर्ठी में गांधी जी का सहयोग और संपूर्ण भारत में उनकी स्थिति मजबूत थी। गांधी जी के करीबी सहयोगियों ने बंटवारे को एक सर्वोत्तम उपाय के रूप में स्वीकार किया और सरदार पटेल ने गांधी जी को समझाने का प्रयास किया कि नागरिक अशांति वाले युद्ध को रोकने का यही एक उपाय है। मज़बूर गांधी ने अपनी अनुमति दे दी।
डॉ. ओमप्रकाश पचरंगिया
विश्व की प्राचीन प्रागैतिहासिक संस्कृतियों को जो अध्ययन हुआ है, उसमें कदाचित् आर्यजाति से संबद्ध अनुशीलन का विशिष्ट स्थान है। इस वैशिष्ट्य का कारण यही ऋग्वेदसंहिता है। आर्यजाति की आद्यतम निवासभूमि, उनकी संस्कृति, सभ्यता, सामाजिक जीवन आदि के विषय में अनुशीलन हुए हैं ऋक्संहिता उन सबका सर्वाधिक महत्वपूर्ण और प्रामाणिक स्रोत रहा है। पश्चिम के विद्वानों ने संस्कृत भाषा और ऋक्संहिता से परिचय पाने के कारण हो तुलनात्मक भाषाविज्ञान के अध्ययन को सही दिशा दी तथा आर्यभाषाओं के भाषाशास्त्रीय विवेचन में प्रौढ़ि एवं शास्त्रीयता का विकास हुआ। भारत के वैदिक ऋषियों और विद्वानों ने अपने वैदिक वाङ्मय को मौखिक और श्रुतिपरंपरा द्वारा प्राचीनतम रूप में अत्यंत सावधानी के साथ सुरक्षित और अधिकृत अनाए रखा। किसी प्रकार के ध्वनिपरक, मात्रापरक यहाँ तक कि स्वर (ऐक्सेंट) परक परिवर्तन से पूर्णत: बचाते रहने का नि:स्वार्थ भाव में वैदिक वेदपाठी सहस्रब्दियों तक अथक प्रयास करते रहे। "वेद" शब्द से मंत्रभाग (संहिताभाग) और "ब्राह्मण" का बोध माना जाता था। "ब्राह्मण" भाग के तीन अंश - (1) ब्राह्मण, (2) आरण्यक और (3) उपनिषद् कहे गए हैं। लिपिकला के विकास से पूर्व मौखिक परंपरा द्वारा वेदपाठियों ने इनका संरक्षण किया। बहुत सा वैदिक वाङ्मय धीरे-धीरे लुप्त हो गया है। पर आज भी जितना उपलब्ध है उसका महत्व असीम है। भारतीय दृष्टि से वेद को अपौरुषेय माना गया है। कहा जाता है, मंत्रद्रष्टा ऋषियों ने मंत्रों का साक्षात्कार किया। आधुनिक जगत् इसे स्वीकार नहीं करता। फिर भी यह माना जाता है कि वेदव्यास ने वैदिक मंत्रों का संकलन करते हुए संहिताओं के रूप में उन्हें प्रतिष्ठित किया। अत: संपूर्ण भारतीय संस्कृति वेदव्यास की युग-युग तक ऋणी बनी रहेगी।
नगर पालिका एक प्रशासनिक इकाई होती है, जिसमें स्पष्ट रूप से परिभाषित क्षेत्र होता है और इसकी जनसंख्या भी अंकित होती है। आमतौर पर यह एक शहर, कस्बे या गांव, या उनमें से छोटे समूह रूप में होता है। एक नगरपालिका में प्रायः एक महापौर प्रशासनिक अधिकारी होता है, व इसके ऊपर नगर परिषद या नगरपालिका परिषद का नियंत्रण होता है। प्रायः नगरपालिका अध्यक्ष ही प्रशासनिक अध्यक्ष होता है।
पीताम्बरा पीठ के निकट बना राजगढ़ महल राजा शत्रुजीत बुन्देला द्वारा बनवाया गया था। यह महल बुन्देली भवन निर्माण शैली में बना है। इस स्थान पर ही एक संग्रहालय भी है जहां भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व की अनेक वस्तुओं का संग्रह रखा गया है।
हिंदू धर्म के पवित्र ग्रन्थों को दो भागों में बाँटा गया है- श्रुति और स्मृति। श्रुति हिन्दू धर्म के सर्वोच्च ग्रन्थ हैं, जो पूर्णत: अपरिवर्तनीय हैं, अर्थात् किसी भी युग में इनमे कोई बदलाव नही किया जा सकता। स्मृति ग्रन्थों मे देश-कालानुसार बदलाव हो सकता है। श्रुति के अन्तर्गत वेद : ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद ब्रह्म सूत्र व उपनिषद् आते हैं। वेद श्रुति इसलिये कहे जाते हैं क्योंकि हिन्दुओं का मानना है कि इन वेदों को परमात्मा ने ऋषियों को सुनाया था, जब वे गहरे ध्यान में थे। वेदों को श्रवण परम्परा के अनुसार गुरू द्वारा शिष्यों को दिया जाता था। हर वेद में चार भाग हैं- संहिता -- मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ -- गद्य भाग, जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक -- इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद् -- इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है। अगर श्रुति और स्मृति में कोई विवाद होता है तो श्रुति ही मान्य होगी। श्रुति को छोड़कर अन्य सभी हिन्दू धर्मग्रन्थ स्मृति कहे जाते हैं, क्योंकि इनमें वो कहानियाँ हैं जिनको लोगों ने पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया और बाद में लिखा। सभी स्मृति ग्रन्थ वेदों की प्रशंसा करते हैं। इनको वेदों से निचला स्तर प्राप्त है, पर ये ज़्यादा आसान हैं और अधिकांश हिन्दुओं द्वारा पढ़े जाते हैं (बहुत ही कम हिन्दू वेद पढ़े होते हैं)। प्रमुख स्मृतिग्रन्थ हैं:- इतिहास--रामायण और महाभारत, भगवद गीता, पुराण--(18), मनुस्मृति, धर्मशास्त्र और धर्मसूत्र, आगम शास्त्र। भारतीय दर्शन के ६ प्रमुख अंग हैं- साँख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त।
आज़ाद हिन्द फौज में जापानी सेना ने अंग्रेजों की फौज से पकडे हुए भारतीय युद्धबंदियोंको भर्ती किया गया। आज़ाद हिन्द फ़ौज में औरतो के लिए झाँसी की रानी रेजिमेंट भी बनायी गयी।
एक प्राचीन तार्थस्थल, निचली पहाड़ियों के बीच बगीचों से परे स्थित। मंदिर, मंडप और पवित्र कुंडो के साथ हरियाली युक्त प्राकृतिक दृश्य इसे आन्नददायक स्थल बना देते हैं। दीवान कृपाराम द्वारा निर्मित उच्चतम चोटी के शिखर पर बना सूर्य देवता का छोटा मंदिर शहर के सारे स्थानों से दिखाई पड़ता है।
नोकिया के सभी निम्न स्तरीय, अधिकतर मध्यम स्तरीय तथा कुछ निम्न उच्च स्तरीय फोनों में हिन्दी समर्थन होता है। अधिकतम निम्न तथा मध्यम स्तरीय फोन S40 प्रचालन तन्त्र युक्त होते हैं जिनमें आम तौर पर हिन्दी समर्थन होता है। नोकिया सी३ नोकिया का पहला मॉडल है जिसमें भौतिक हिन्दी इनस्क्रिप्ट कीपैड आया है[१]। अधिकतर उच्च स्तरीय फोन S60 प्रचालन तन्त्र युक्त होते हैं जिनमें आम तौर पर हिन्दी समर्थन नहीं होता। नोकिया के कुछ चुनिंदा स्मार्टफोन मॉडलों (खासकर पुराने मॉडल) में ही पूर्ण हिन्दी समर्थन उपलब्ध है। अभी तक नोकिया के किसी भी टच स्क्रीन फोन में हिन्दी समर्थन (खासकर हिन्दी इनपुट) नहीं देखा गया।
वाराणसीति विख्यातां तन्मान निगदामि व: दक्षिणोत्तरयोर्नघोर्वरणासिश्च पूर्वत।
विज्ञान को दिशाहीन अनन्त मार्ग पर चलते ही देने के लिये के लिये अगर कोई एक मात्र नैतिक रूप से उत्तरदायी है, तो वो है भारतीय। इनके उत्तरदायी होने के दो मुख्य कारण हैं:-
साक्षरता प्रतिशत दर ६९.६८% है, जो कि पुरुषों में ७६.७३% तथा महिलाओं में ६१.४६% है। सरकारी विद्यालयों की संख्या १५४५ है तथा १८ निजी विद्यालय भी हैं जो कि मुख्यतः नगरों में हैं।[१०] उच्च शिक्षा के लिये सिक्किम में लगभग १२ महाविद्यालय तथा अन्य विद्यालय हैं। सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय आभियान्त्रिकी, चिकित्सा तथा प्रबन्ध के क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्रदान करता है। वह अनेक विषयों में दूरस्थ शिक्षा भी प्रदान करता है। राज्य-संचालित दो बहुशिल्पकेंद्र, उच्च तकनीकी प्रशिक्षण केन्द्र (Advanced Technical Training Centre) तथा संगणक एवं संचार तकनीक केन्द्र (Centre for Computers and Communication Technology) आदि आभियान्त्रिकी की शाखाओं में सनद पाठ्यक्रम चलाते हैं। ATTC बारदांग, सिंगताम तथा CCCT चिसोपानि,नाम्ची में है। अधिकतर विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिये सिलीगुड़ी अथवा कोलकाता जाते हैं। बौद्ध धार्मिक शिक्षा के लिए रुमटेक गोम्पा द्वारा संचालित नालन्दा नवविहार एक अच्छा केंद्र है।
40. तुला
भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का यथोचित विकास टामस रो के आगमन से आरंभ हुआ, जब उसके व्यावसायिक केंद्र सूरत, आगरा, अहमदाबाद तथा भड़ोच में स्थापित हुए। तत्पश्चात् बड़ी योजनावपूर्ण विधि से अन्य केंद्रों की स्थापना हुई। मुख्य केंद्र समुद्री तटों पर ही बसे। उनकी किलेबंदी भी की गई। इस प्रकार मुगल दस्तंदाजी से वे दूर रह सकते थे। संकट के समय उन्हें समुद्री सहयोग सुलभ था। शांति के समय वे वहीं से वांछित दिशाओं में बढ़ सकते थे। इस तरह मचिलीपटणनम् (1611), बालासोर (1631), मद्रास (1639), हुगली (1651), बंबई (1669), तथा कलकत्ता (1698) के केंद्रों की स्थापना हुई। बंबई, कलकत्ता, मद्रास विशाल व्यावसायिक केंद्र होने के अतिरिक्त, कंपनी के बड़े महत्वपूर्ण राजनीतिक तथा शक्तिकेंद्र भी बने। इनकी समृद्धि और शक्तिवर्धन से भारतीय व्यवसायियों ने भी, जिनके लिए आयात निर्यात के बड़े लाभप्रद द्वार खुल गए थे, पूर्ण सहयोग दिया। वस्तुत: अंग्रेजों और भारतीय व्यवसायियों का गठबंधन कंपनी की प्रगति में बहुत सहायक सिद्ध हुआ।
गुरुवायुर अपने मंदिर[१] के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध है, जो कई शताब्दियों पुराना है और केरल में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है. मंदिर के देवता भगवान् गुरुवायुरप्पन हैं जो बालगोपालन (कृष्ण भगवान् का बालरूप) के रूप में हैं. हालांकि गैर-हिन्दुओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है, तथापि कई धर्मों को मानने वाले भगवान गुरूवायूरप्पन के परम भक्त हैं.
साँचा:Wikt
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ऐसा नहीं है कि आत्मा, पुनर्जन्म और कर्मफलवाद के विषय में वैदिक ऋषियों ने कभी सोचा ही नहीं था। ऐसा भी नहीं था कि इस जीवन के बारे में उनका कोई ध्यान न था। ऋषियों ने यदा-कदा इस विषय पर विचार किया भी था। इसके बीज वेदों में यत्र-तत्र मिलते हैं, परंतु यह केवल विचार मात्र था। कोई चिंता या भय नहीं।आत्मा शरीर से भिन्न तत्व है और इस जीवन की समाप्ति के बाद वह परलोक को जाती है इस सिद्धांत का आभास वैदिक ऋचाओं में मिलता अवश्य है परंतु संसार में आत्मा का आवागमन क्यों होता है, इसकी खोज में वैदिक ऋषि प्रवृत्त नहीं हुए। अपनी समस्त सीमाओं के साथ सांसारिक जीवन वैदिक ऋषियों का प्रेय था। प्रेय को छोड़कर श्रेय की ओर बढ़ने की आतुरता उपनिषदों के समय जगी, तब मोक्ष के सामने ग्रहस्थ जीवन निस्सार हो गया एवं जब लोग जीवन से आनंद लेने के बजाय उससे पीठ फेरकर संन्यास लेने लगे। हाँ, यह भी हुआ कि वैदिक ऋषि जहाँ यह पूछ कर शांत हो जाते थे कि 'यह सृष्टि किसने बनाई है?' और 'कौन देवता है जिसकी हम उपासना करें'? वहाँ उपनिषदों के ऋषियों ने सृष्टि बनाने वाले के संबंध में कुछ सिद्धांतों का निश्चय कर दिया और उस 'सत' का भी पता पा लिया जो पूजा और उपासना का वस्तुत: अधिकार है। वैदिक धर्म का पुराना आख्यान वेद और नवीन आख्यान उपनिषद हैं।'वेदों में यज्ञ-धर्म का प्रतिपादन किया गया और लोगों को यह सीख दी गई कि इस जीवन में सुखी, संपन्न तथा सर्वत्र सफल व विजयी रहने के लिए आवश्यक है कि देवताओं की तुष्टि व प्रसन्नता के लिए यज्ञ किए जाएँ। 'विश्व की उत्पत्ति का स्थान यज्ञ है। सभी कर्मों में श्रेष्ठ कर्म यज्ञ है। यज्ञ के कर्मफल से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।' ये ही सूत्र चारों ओर गुँजित थे।दूसरे, जब ब्राह्मण ग्रंथों ने यज्ञ को बहुत अधिक महत्व दे दिया और पुरोहितवाद तथा पुरोहितों की मनमानी अत्यधिक बढ़ गई तब इस व्यवस्था के विरुद्ध प्रतिक्रिया हुई और विरोध की भावना का सूत्रपात हुआ। लोग सोचने लगे कि 'यज्ञों का वास्तविक अर्थ क्या है?' 'उनके भीतर कौन सा रहस्य है?' 'वे धर्म के किस रूप के प्रतीक हैं?' 'क्या वे हमें जीवन के चरम लक्ष्य तक पहुँचा देंगे?' इस प्रकार, कर्मकाण्ड पर बहुत अधिक जोर तथा कर्मकाण्डों को ही जीवन की सभी समस्याओं के हल के रूप में प्रतिपादित किए जाने की प्रवृत्ति ने विचारवान लोगों को उनके बारे में पुनर्विचार करने को प्रेरित किया। प्रकृति के प्रत्येक रूप में एक नियंत्रक देवता की कल्पना करते-करते वैदिक आर्य बहुदेववादी हो गए थे। उनके देवताओं में उल्लेखनीय हैं- इंद्र, वरुण, अग्नि, सविता, सोम, अश्विनीकुमार, मरुत, पूषन, मित्र, पितर, यम आदि। तब एक बौद्धिक व्यग्रता प्रारंभ हुई उस एक परमशक्ति के दर्शन करने या उसके वास्तविक स्वरूप को समझने की कि जो संपूर्ण सृष्टि का रचयिता और इन देवताओं के ऊपर की सत्ता है। इस व्यग्रता ने उपनिषद के चिंतनों का मार्ग प्रशस्त किया।
कोलिकोड नगर से २३ किमी.दूर कारीपुर नजदीकी एयरपोर्ट है। मुम्बई, चैन्नई, बैंगलोर और मध्य पूर्व के लिए प्रतिदिन यहां से उडा़न जाती है।
In states where the less affluent had organized sufficiently to have significant power—especially Pennsylvania, New Jersey, and New Hampshire—the resulting constitutions embodied
जबलपुर भारत के मध्यप्रदेश प्रांत का एक जिला है।

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