बुधवार, 8 मई 2013


पुराणों के अनुसार[१] सती के शव के विभिन्न अंगों से बावन शक्तिपीठो का निर्माण हुआ था। इसके पीछे यह अन्तर्पथा है कि दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में `बृहस्पति सर्व' नामक यज्ञ रचाया। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया। शंकरजी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी यज्ञ में भाग लेने गयीं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे। इस अपमान से पीड़ित हो, सती ने यज्ञ-अग्नि पुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शंकर के आदेश पर उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता और त्र+षिगण यज्ञस्थल से भाग गये। भगवान शंकर ने यज्ञपुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कर कंधे पर उठा लिया और दुःखी हो इधर-उधर घूमने लगे। तदनन्तर जहाँ-जहाँ सती के शव के विभिन्न अंग और आभूषण गिरे, वहाँ बावन शक्ति पीठो का निर्माण हुआ। अगले जन्म में सती ने हिमवान राजा के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिवजी को पुन पति रूप में प्राप्त किया।
Tatry
लिच्छवि नामक जाति ईसा पूर्व छठी सदी में बिहार प्रदेश के उत्तरी भाग यानी मुजफ्फरपुर जिले के वैशाली नगर में निवास करती थी। लिच्छ नामक महापुरुष के वंशज होने के करण इनका नाम लिच्छवि पड़ा अथवा किसी प्रकार के चिह्न (लिक्ष) धारण करने के कारण ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए। इस जाति का इतिहास तथा शासनवृत्तांत एक सहस्र वर्षों तक किसी न किसी रूप में मिलता है। पालि सहित्य में लिच्छवि वज्जि संघ की प्रधान जाति थी अतएव अंगुत्तर निकाय (1,213 : 4,252), महावस्तु (2,2) तथा विनयपिटक (2,146) में षोड़श महाजनपद की सूची में वज्जि का ही नाम आता है, लिच्छवि का नहीं। संभवत: इसी कारण पाणिनि ने (अष्टा. 4/2/131) वृज्जि संघ का ही उल्लेख किया है। (मद्र वृज्यौ: कन्)। कौटिल्य ने भी इसी की पुष्टि की है (वृजिक - अधि. 11/1)। वज्जि संघ की आठ जातियों (अट्टकुलिक) में लिच्छवि को सबल तथा सर्वशक्तिसंपन्न जाति मानते थे जिसकी राजधानी बैशाली का उल्लेख रामायण में भी आता है। (इक्ष्वाकु के पुत्र धर्मात्मा राजा "विशाल" ने इसका निर्माण कराया था अतएव इस नगरी का नाम वैशाली रखा गया।)
कोलकाता, पश्चिम बंगाल-700001
18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मांचुरिया की तरफ जा रहे थे। इस सफर के दौरान वे लापता हो गए। इस दिन के बाद वे कभी किसी को दिखाई नहीं दिये।
त्रिपुरा: डी एन सहायउत्तर प्रदेश: टी वी राजेश्वरउत्तराखंड: बनवारी लाल जोशीपश्चिम बंगाल: गोपालकृष्ण गांधी
आश्रमवासिक पर्व में भी ३ उपपर्व हैं-
विश्व राजनीति, साहित्य, व्यवसाय आदि में अमरीका के बढ़ती हुए प्रभाव से अमरीकी अंग्रेज़ी ने भी विशेष स्थान प्राप्त कर लिया है। इसका दूसरा कारण ब्रिटिश लोगों का साम्राज्यवाद भी था। वर्तनी की सरलता और बात करने की सरल और सुगम शैली अमरीकी अंग्रेज़ी की विशेषताएँ हैं।
काल भैरव मंदिर आज के उज्जैन नगर में स्थित प्राचीन अवंतिका नगरी के क्षेत्र में स्थित है। यह स्थल शिव के उपासकों के कापालिक सम्प्रदाय से संबंधित है। मंदिर के अंदर काल भैरव की विशाल प्रतिमा है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में राजा भद्रसेन ने कराया था। पुराणों में वर्णित अष्ट भैरव में काल भैरव का स्थ
रायता सभी खाने के साथ चलता है
यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं ।
हिन्दू विकि Hindu Wisdom भारत के विषय में महापुरुषों के विचार (अंग्रेजी में) An Analysis of all Aspects of Hindutva Hindu_Website Infinity Foundation Stephen Knapp's webpage - All about Hinduism विश्व-संस्कृति को हिन्दुओं का योगदान (अंग्रेजी में) The Beauty of Hinduism - If there is any What Makes Hinduism Unique and Great? Hinduism is a Universal Religion दर्शन • वार्ता • बदलें हिन्दू धर्म
अस्तुरियाई विकिपीडिया विकिपीडिया का अस्तुरियाई भाषा का संकरण है। यह जुलाई २००४ में आरंभ किया गया था और इस पर लेखों की कुल संख्या २५ मई, २००९ तक १२,०००+ है। यह विकिपीडिया का अठहत्तरवां सबसे बड़ा संकरण है।
लूप मोबाइल इंडिया भारत की दूरसंचार कंपनी है।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन (11 नवंबर, 1888 - 22 फरवरी, 1958) एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे । वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत की आजादी के वाद वे एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक रहे। वे महात्मा गांधी के सिद्धांतो का समर्थन करते थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया, तथा वे अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से थे। खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1923 में वे भारतीय नेशनल काग्रेंस के सबसे कम उम्र के प्रेसीडेंट बने। वे 1940 और 1945 के बीच काग्रेंस के प्रेसीडेंट रहे। आजादी के वाद वे भारत के सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने।
कर्नाटक का वर्ष २००७-०८ सकल राज्य उत्पाद लगभग  २१५.२८२ हजार करोड़ ($ ५१.२५ बिलियन) रहा। [५७] २००७-०८ में इसके सकल घरेलु उत्पाद में ७% की वृद्धी हुई थी। [५८] भारत के राष्ट्रीय सकल घरेलु उत्पाद में वर्ष २००४-०५ में इस राज्य का योगदान ५.२% रहा था। [५९] कर्नाटक पिछले कुछ दशकों में जीडीपी एवं प्रति व्यप्ति जीडीपी के पदों में तीव्रतम विकासशील राज्यों में रहा है। यह ५६.२% जीडीपी और ४३.९% प्रति व्यक्ति जीडीपी के साथ भारतीय राज्यों में छठे स्थान पर आता है। [६०] सितंबर, २००६ तक इसे वित्तीय वर्ष २००६-०७ के लिये ७८.०९७ बिलियन ($ १.७२५५ बिलियन) का विदेशी निवेश प्राप्त हुआ था, जिससे राज्य भारत के अन्य राज्यों में तीसरे स्थान पर था। [६१] वर्ष २००४ के अंत तक, राज्य में अनुद्योग दर (बेरोजगार दर) ४.९४% थी, जो राष्ट्रीय अनुद्योग दर ५.९९% से कम थी। [६२] वित्तीय वर्ष २००६-०७ में राज्य की मुद्रा स्फीर्ती दर ४.४% थी, जो राष्ट्रीय दर ४.७% से थोड़ी कम थी।[६३] वर्ष २००४-०५ में राज्य का अनुमानित गरीबी अनुपात १७% रहा, जो राष्ट्रीय अनुपात २७.५% से कहीं नीचे है। [६४]
गद्य में लिखित पुस्तकों में से कुछ का विवरण इस प्रकार है :
5087 अमरनाथ एक्सप्रेस -- गोरखपुर -- जम्मू तवी
तेल के कारण शहरों (ख़ासकर तेहरान) में जनजीवन विलासिता पूर्म होता गया और गाँव में गरीबी बढ़ती गई । लोगों के शासन से क्षुब्ध होने का यह भी एक कारण था । सन् 1971 में तख्त-ए-जमशैद (पर्सेपोलिस) में ईरान के हख़ामनी शासकों द्वारा स्थापित विश्व के ुस समय के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना के 2500 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में शाह ने एक बड़े सम्मेलन का आयोजन किया ता । इसमें सभी बड़े राष्ट्राध्यक्षों तथा उनके प्रतिनिधियों को निमंत्रित किया गया था और इसमें अपार धनव्यय हुआ था । पर गांवों में फैली गरीबी ने शाह के इस खर्च को दिखावे की हद के रूप में देखा । जनता का रोष बढ़ता चला गया ।
1593–1698  Mombassa (Mombasa)
आयरिश पुनर्जागरण का एक सशक्त रूप अंग्रेजी साहित्य में भी व्यक्ति हुआ है जहाँ आयरलैंड के अंग्रेजी लेखकों ने अपनी रचनाओं में आयरिश लोकतत्व, शब्दविधान तथा प्रतीकयोजना के अत्यंत सफल प्रयोग किए हैं। इस आंदोलन को आयरिश या केल्टिक पुनर्जागरण के नाम से जाना जाता है।
भारत विभाजन के बाद १९४७ में ढाका पूर्वी पाकिस्तान की प्रशासनिक राजधानी बना तथा १९७२ में बांग्लादेश के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आने पर यह राष्ट्रीय राजधानी घोषित हुआ। आधुनिक ढाका देश की राजनीति, अर्थव्यवस्था, एवं संस्कृति का मुख्य केन्द्र है। ढाका न सिर्फ देश का सबसे साक्षर (६३%) शहर है-[६] - बल्कि बांग्लादेश के शहरों में सबसे ज्यादा विविधता वाला शहर भी है। हालांकि आधुनिक ढाका का शहरी आधारभूत ढांचा देश में सबसे ज्यादा विकसित है परंतु प्रदूषण, यातायात कुव्यवस्था, गरीबी, अपराध जैसी समस्यायें इस शहर के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। सारे देश से लोगों का ढाका की ओर पलायन भी सरकार के लिए एक बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है।
1945 में, मोबाइल टेलीफोन की शून्य पीढ़ी (0G) शुरू की गई थी.उस समय की अन्य तकनीकों की तरह, इसमें एकल, शक्तिशाली बेस स्टेशन शामिल था, जो एक व्यापक क्षेत्र को कवर करता था, और प्रत्येक टेलीफोन प्रभावी रूप से एक चैनल को पूरे क्षेत्र पर एकाधिकार करता था.आवृत्ति का पुनः प्रयोग और अंतरण की अवधारणा, तथा अन्य अवधारणाओं की संख्या जो आधुनिक सेल फोन तकनीक के गठन का आधार है, उसको साँचा:US patent में सबसे पहले वर्णित किया गया था, जो चार्ल्स ए. गलैड़न और मार्टिन एच. पैरेलमन को 1 मई, 1979 में जारी किया गया, दोनों ही लास वेगास, नेवाडा के थे और उनके द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार को सौंपा गया था.
इस समय तक फारस मीदि साम्राज्य का अंग और सहायक रहा था। लेकिन ईसापूर्व 549 के आसपास एक फारसी राजकुमार सायरस (आधुनिक फ़ारसी में कुरोश) ने मीदी के राजा के खिलाफ़ विद्रोह कर दिया। उसने मीदी राजा एस्टिएज़ को पदच्युत कर राजधानी एक्बताना (आधुनिक हमादान) पर नियंत्रण कर लिया। उसने फारस में हखामनी वंश की नींव रखी और मीदिया और फ़ारस के रिश्तों को पलट दिया। अब फ़ारस सत्ता का केन्द्र और मीदिया उसका सहायक बन गया। पर कुरोश यहाँ नहीं रुका। उसने लीडिया, एशिया माइनर (तुर्की) के प्रदेशों पर भी अधिकार कर लिया। उसका साम्राज्य तुर्की के पश्चिमी तट (जहाँ पर उसके दुश्मन ग्रीक थे) से लेकर अफ़गानिस्तान तक फैल गया था। उसके पुत्र कम्बोजिया (केम्बैसेस) ने साम्राज्य को मिस्र तक फैला दिया। इसके बाद कई विद्रोह हुए और फिर दारा प्रथम ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। उसने धार्मिक कट्टरता का मार्ग अपनाया और यहूदियों के ख़िलाफ जनमत बनाने की चेष्टा की। यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस के अनुसार दारा ने युवाओं का समर्थन प्राप्त करने की पूरी कोशिश की। उसने सायरस या केम्बैसेस की तरह कोई खास सैनिक सफलता तो अर्जित नहीं की पर उसने ५१२ इसापूर्व के आसपास य़ूरोप में अपना सैन्य अभियान चलाया था । उसके बाद पुत्र खशायर्श (क्ज़ेरेक्सेस) शासक बना जिसे उसके ग्रीक अभियानों के लिए जाना जाता है । उसने एथेन्स तथा स्पार्टा के राजा को हराया पर बाद में उसे सलामिस के पास हार का मुँह देखना पड़ा, जिसके बाद उसकी सेना बिखर गई। क्ज़ेरेक्सेस के पुत्र अर्तेक्ज़ेरेक्सेस ने ४६५ ईसा पूर्व में गद्दी सम्हाली। उसके बाद अर्तेक्ज़ेरेक्सेस द्वितीय तथा उसके बाद अर्तेक्ज़ेरेक्सेस तृतीय और उसके बाद दारा तृतीय। दारा तृतीय के समय तक (३३६ ईसा पूर्व) फ़ारसी सेना काफ़ी संगठित हो गी थी।
आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास लगभग ८०० साल पुराना है और इसका प्रारंभ तेरहवीं शताब्दी से समझा जाता है। हर भाषा की तरह हिंदी कविता भी पहले इतिवृत्तात्मक थी। यानि किसी कहानी को लय के साथ छंद में बांध कर अलंकारों से सजा कर प्रस्तुत किया जाता था। भारतीय साहित्य के सभी प्राचीन ग्रंथ कविता में ही लिखे गए हैं। इसका विशेष कारण यह था कि लय और छंद के कारण कविता को याद कर लेना आसान था। जिस समय छापेखाने का आविष्कार नहीं हुआ था और दस्तावेज़ों की अनेक प्रतियां बनाना आसान नहीं था उस समय महत्वपूर्ण बातों को याद रख लेने का यह सर्वोत्तम साधन था। यही कारण है कि उस समय साहित्य के साथ साथ राजनीति, विज्ञान और आयुर्वेद को भी पद्य (कविता) में ही लिखा गया। भारत की प्राचीनतम कविताएं संस्कृत भाषा में ऋग्वेद में हैं जिनमें प्रकृति की प्रशस्ति में लिखे गए छंदों का सुंदर संकलन हैं। जीवन के अनेक अन्य विषयों को भी इन कविताओं में स्थान मिला है।
इस काल के दूसरे प्रसिद्ध तथा प्रभावशाली गद्यलेखक प्लूटार्क (46-120 ई.) हैं जो बायतिया के उच्च कुल में पैदा हुए थे और रोम में रहकर काफी ख्याति प्राप्त कर चुके थे। कन्या की अकाल मृत्यु से प्रेरित हो इन्होंने "कंसोलेशन" की रचना की जो कालांतर में लोकप्रिय हुई। प्लूटार्क प्रसिद्ध दार्शनिक तथा "एपोलो" के भक्त थे और उनके जीवन का अंतिम चरण साहित्यसेवा तथा देवार्चन में व्यतीत हुआ। इनके लेखों तथा भाषणों का संग्रह "मोरेलिया" के नाम से प्रसिद्ध है। प्लूटार्क का सर्वश्रेष्ठ तथा लब्धप्रतिष्ठ ग्रंथ ग्रीक तथा रोमनों का समानांतर चरित है जिसमें इन्होंने अपने इस दावे को सिद्ध किया है कि प्रत्येक रोमन का सामानांतर उदाहरण यूनानी इतिहास में उपलब्ध है। यह रचना संसार के प्रसिद्ध ग्रंथों में गिनी जाती है और इसमें ऐतिहासिक तत्व गौण होते हुए भी महत्वपूर्ण है, परंतु उससे अधिक महत्वपूर्ण है चरित्रचित्रण तथा रोचक कहानी की वह कला जिसने इसे अपने क्षेत्र का अमूल्य रत्न बना दिया है।
कंदिरिया मंदिर की जंघा पर मंडप और मुखमंडप के बाहरी भाग के कक्षासन्न पर राजसेना, वेदिका कलक, आसन्नपट्ट, कक्षासन्न है। मंदिर का छत कपोत भाग से शुरु होता है तथा व्रंदिका से छत को उठाता गया है। मंदिर के प्रत्येक मंडप की अलग- अलग छत है। सर्वाधिक ऊँचाईवाली छत गर्भगृह की है तथा इसका अंत सबसे ऊँचे शिखर पर हुआ है। यह शिखर चार उरु: शिखरों से सजाया गया है तथा असंख्य छोटे- छोटे श्रृंग भी बनाये गए हैं। इनमें कर्णश्रृंग तथा नष्टश्रृंग प्रकृति के श्रृंग हैं। मूलमंजरी के मुख्य आधार पर चतुरंग के रथ, नंदिका, प्रतिहार और कर्ण अंकित किये गए हैं। मंदिर के महामंडप की छत डोमाकार है, जिसे छोटे- छोटे तिलकों ( पिरामिड छतों ) से बनाया गया है। इससे ॠंग शैली स्पष्ट दिखाई देती है। प्रथम छत चार तिलकों से बनी है। साथ- ही तिलकों की चार अन्य पंक्तियाँ भी पिरामिड आकार में दिखाई देती हैं। उत्तर- दक्षिण की छत पर पाँच सिंहकरण, कुट- घंटा से उठ कर छत को सजाते हैं। यह छत पीठ और गृवा से युक्त है तथा इसको चंद्रिका, कलश और बीजपुंक से अलंकृत किया गया है।
यह जिला ताजमहल के कारण प्रसिद्ध है [१] आगरा जिल्ला का सामान्य जानकारी] । यह नगर के नाम सर्वप्रथम महाभारत में "आग्रवन" के रुप में हुआ था। ईश्वी के दुसरे शताब्दी में प्रसिद्ध भूगोलविद टलेमि नें अपने विश्व मानचित्र में आगरा भी संमिलित किया था। जनश्रुति अनुसार राजा बादलसिंह (सन् १४७५) नें आगरा में एक किला बनाया था। १२ वें शताब्दी में फारसी कवि सलमान नें यह किल्ला में राजा जयपाल की गजनी के महमुद के साथ हुए युद्ध का वर्णन किया है।[१] बाद में मुग़लकाल में आगरा में शाहजहाँ नें ताजमहल, अकबर का आगरा किल्ला, इत्मद-उद-दौलत आदि भवन बनाया था जिस के कारण यह जिला अभी भी प्रसिद्ध है।
चीनी सरकार की अभी तक सिक्किम पर औपचारिक स्थिति यह थी कि सिक्किम एक स्वतंत्र राज्य है जिस पर भारत नें अधिक्रमण कर रख्खा है। [३][८] चीन ने अंततः सिक्किम को 2003 में भारत के एक राज्य के रूप में स्वीकार किया जिससे भारत-चीन संबंधों में आयी कड़वाहट कुछ कम हुई। बदले में भारत नें तिब्बत को चीन का अभिन्न अंग स्वीकार किया। भारत और चीन के बीच हुए एक महत्वपूर्ण समझौते के तहत चीन ने एक औपचारिक मानचित्र जारी किया जिसमें सिक्किम को स्पष्ट रूप मे भारत की सीमा रेखा के भीतर दिखाया गया। इस समझौते पर चीन के प्रधान मंत्री वेन जियाबाओ और भारत के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने हस्ताक्षर किया। 6 जुलाई, 2006 को हिमालय के नाथुला दर्रे को सीमावर्ती व्यापार के लिए खोल दिया गया जिससे यह संकेत मिलता है कई इस क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच सौहार्द का भाव उत्पन्न हुआ है। [९]
प्रकाशित कृतियाँ : पूर्वाभास, समर करते हुए, टेढ़े-मेढ़े ढाई आखर, मैं फिर से गाऊँगा ।
हालांकि गांधी जी अहिंसा के सिद्धांत के प्रवर्तक बिल्कुल नहीं थे फिर भी इसे बड़े पैमाने [२२]पर राजनैतिक क्षेत्र में इस्तेमाल करने वाले वे पहले व्यक्ति थे। अहिंसा (nonviolence), अहिंसा (ahimsa) और अप्रतिकार (nonresistance)का भारतीय धार्मिक विचारों में एक लंबा इतिहास है और इसके हिंदु, बौद्ध, जैन, यहूदी और ईसाई समुदायों में बहुत सी अवधारणाएं हैं। गांधी जी ने अपनी आत्मकथा द स्टोरी ऑफ़ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ " (The Story of My Experiments with Truth)में दर्शन और अपने जीवन के मार्ग का वर्णन किया है। उन्हें कहते हुए बताया गया था:
यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं अर्थात् यज्ञोपवीत जिसे जनेऊ भी कहा जाता है अत्यन्त पवित्र है। प्रजापति ने स्वाभाविक रूप से इसका निर्माण किया है। यह आयु को बढ़ानेवाला, बल और तेज प्रदान करनेवाला है। इस संस्कार के बारे में हमारे धर्मशास्त्रों में विशेष उल्लेख है। यज्ञोपवीत धारण का वैज्ञानिक महत्व भी है। प्राचीन काल में जब गुरुकुल की परम्परा थी उस समय प्राय: आठ वर्ष की उम्र में यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न हो जाता था। इसके बाद बालक विशेष अध्ययन के लिये गुरुकुल जाता था। यज्ञोपवीत से ही बालक को ब्रह्मचर्य की दीक्षा दी जाती थी जिसका पालन गृहस्थाश्रम में आने से पूर्व तक किया जाता था। इस संस्कार का उद्देश्य संयमित जीवन के साथ आत्मिक विकास में रत रहने के लिये बालक को प्रेरित करना है।
बौद्ध धर्म ईश्वर के बारे में ख़ामोश है । इसके बजाय बौद्ध धर्म और कर्म के सिद्धान्तों को मानते है, जिनको महात्मा गौतम बुद्ध ने प्रचारित किया था । कई बौद्ध गौतम बुद्ध की उपासना भी करते हैं ।
सभी प्रकार की शल्यक्रियाओं, इंजेक्शनों तथा प्रसव कार्यों के पूर्व चिकित्सकों की त्वचा तथा हाथों को रोगाणुविहीन बनाया जाता है। कटे हुए स्थानों में श्वास तथा स्पर्श से रोगाणुओं की पहुँच रोकने के लिये शल्यकारों का विशेष पहनावा, दस्ताने इत्यादि पहनना आवश्यक होता है। लोकस्वास्थय के हितकारी उपचारों में भी विविध प्रकार के विसंक्रमणों का बहुत महत्व है।
3. इस् शासन मे संघर्ष होने [विधायिका तथा मंत्रि परिषद के मध्य] की संभावना कम रहती है क्यॉकि मंत्री विधायिका के सदस्य भी होते है
(3) पूर्वी शाखा।
दिग्विन्यास समावयता के कारण् भी कार्बनिक यौगिकों में बहुत भिन्नता पाई जाती है। मलेइक अम्ल (सिस रूप) और फूमैरिक अम्ल (ट्रान्स रूप) में इसी कारण अंतर है। दोनों अम्लां के भौतिक और रासायनिक गुणों में अंतर है (देखें फूलैरिक और मलेइक अम्ल)।
अज़रबैजान में प्रारंभिक मानव बस्तियों के चिह्न पाषाण युग के बाद के दिनों के हैं। ५५० ईसापूर्व में एक्यूमेनिडा राजवंश ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की थी, जिससे पारसी धर्म का उदय हुआ, और बाद में यह क्षेत्र सिकंदर महान के साम्राज्य का भाग बना और बाद में उसके उत्तराधिकारी, सेलियूसिडा साम्राज्य का। अल्बानियाई कॉकेशन लोगों ने चौथी शताबदी ईसापूर्व में इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र राजशाही की स्थापना की, लेकिन ९५-६७ ईसापूर्व में टिगरानीस २ महान ने इसपर अधिकार कर लिया।
इस क्रान्ति के फलस्वरूप सन १७७६ में अमेरिका के स्वतन्त्रता की घोषणा की गयी एवं अन्ततः सन १७८१ के अक्टूबर माह में युद्ध के मैदान में क्रान्तिकारियों की विजय हुई।
भगवान =भग(योनि)+वान(धारण करने वाला)= स्त्री यानी इस सन्सार कि रचना करने वाली स्त्री को भगवान माना जाता है
अतिकाय रामायण का एक पात्र है। वह रावण कि दुसरी पत्नी धन्यमालिनी का पुत्र था।
आदिकवि वाल्मीकि परम्परानुसार योगवासिष्ठ के रचयिता माने जाते हैं। परन्तु इसमें बौद्धों के विज्ञानवादी, शून्यवादी, माध्यमिक इत्यादि मतों का तथा काश्मीरी शैव, त्रिक प्रत्यभिज्ञा तथा स्पन्द इत्यादि तत्वज्ञानों का निर्देश होने के कारण इसके रचयिता उसी (वाल्मीकि) नाम के अन्य कवि माने जाते हैं। अतः इस ग्रन्थ के वास्तविक रचियता के संबंध में मतभेद है। यह ग्रन्थ आर्षरामायण, महारामायण, वसिष्ठरामायण, ज्ञानवासिष्ठ और केवल वासिष्ठ के अभियान से भी प्रसिद्ध है। योगवासिष्ठ की श्लोक संख्या ३२ हजार है। विद्वानों के मतानुसार महाभारत के समान इसका भी तीन अवस्थाओं में विकास हुआ—
(३) जब हम समाज विशेष से किसी भाषा-रूप के मानक माने जाने की बात करते हैं, तो समाज से आशय होता है सुशिक्षित और शिष्ट लोगों का वह समाज जो पूरे भाषा-भाषी क्षेत्र में प्रभावशाली एवं महत्त्वपूर्ण माना जाता है। वस्तुतः उस भाषा-रूप की प्रतिष्ठा उसके उन महत्त्वपूर्ण प्रयोक्ताओं पर ही आधारित होती है। दूसरे शब्दों में उस भाषा के बोलनेवालों में यही वर्ग एक प्रकार से मानक वर्ग होता है।
निम्नलिखित दुनिया भर के देशों के स्वतंत्रता दिवस के एक आंशिक सूची है:
वेई विष्णु जाके काज मानि मूढ राजा रंक,
पठार का ज्यादातर हिस्सा घने जंगलों से आच्छादित है जिनमे साल के वृक्षों की प्रमुखता है और इस क्षेत्र में वन कषेत्र का प्रतिशत देश के अन्य हिस्सों की तुलना में ज्यादा है। इस पठार पर हाथी और बाघ के संरक्षण के लिये बनाये गये कई प्रमुख अभ्यारण्य स्थित हैं।
लोक अदालत -- जनता की अदालतें है ये नियमित कोर्ट से अलग होती है पदेन या सेवानिवृत जज तथा दो सदस्य एक सामाजिक कार्यकता ,एक वकील इसके सद्स्य होते है सुनवाई केवल तभी करती है जब दोनों पक्ष इसकी स्वीकृति देते हो ये बीमा दावों क्षतिपूर्ति के रूप वाले वादों को निपता देती है
एक बल्लेबाज दस तरीके से आउट हो सकता है, और कुछ तरीके इतने असामान्य हैं की खेल के पूरे इतिहास में इसके बहुत कम उदाहरण मिलते हैं.आउट होने के सबसे सामान्य प्रकार हैं "बोल्ड", "केच", "एल बी डबल्यू", "रन आउट" , "स्टंपड", और "हिट विकेट".असामान्य तरीके हैं "गेंद का दो बार हिट करना", "मैदान को बाधित करना", "गेंद को हेंडल करना" और "समय समाप्त".
Along the California coast are several major metropolitan areas, including Greater Los Angeles, the San Francisco Bay Area, and San Diego.
और उस जैसा कोई और नहीं॥”
मॉरीशस की जब इसकी खोज हुई थी, तब यह द्वीप एक अज्ञात पक्षी प्रजाति का घर था जिसे, पुर्तगालियों ने डोडो (मूर्ख ) कह कर पुकारा क्योकि यह बहुत अक्लमंद नहीं लगते थे। लेकिन, 1681 तक सभी डोडो पक्षियों को बसने वालों और उनके पालतू जानवरों ने मार दिया। एक वैकल्पिक सिद्धांत बताता है कि बसने वालों के साथ आये जंगली सूअरों ने धीमी गति से प्रजनन करने वाले डोडो के घोंसले उजाड़ दिये। फिर भी, डोडो आज मॉरीशस का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह बन गया है।
/प्रक्रियाबिल/विधेयक के प्रकार कुल 4 प्रकार होते है
लैटिन विकिपीडिया विकिपीडिया का लैटिन भाषा का संकरण है। यह २२ मई, २००२ में आरंभ किया गया था और इस पर लेखों की कुल संख्या २५ मई, २००९ तक २८,२५०+ है। यह विकिपीडिया का इक्यावनवां सबसे बड़ा संकरण है।
भारतीय तालवाद्य, बकरे की खाल से मढ़े जिस पर स्याही रहती है।
यूनाइटेड किंगडम में औद्योगिक क्रांति भारी उद्योगों पर एक प्रारंभिक एकाग्रता के साथ शुरू हुई जैसे की जहाज निर्माण, कोयला खनन, इस्पात उत्पादन, और वस्त्र.इस साम्राज्य ने ब्रिटिश उत्पादों के लिए एक विदेशी बाजार बनाया, जिससे 19 वीं सदी में UK को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर हावी होने का मौका मिला.फिर भी, जब दो विश्व युद्धों के बाद आर्थिक गिरावट के साथ युग्मित अन्य राष्ट्र औद्योगिक बने, यूनाइटेड किंगडम ने अपना प्रतिस्पर्धात्मक लाभ खोना शुरू कर दिया था और पूरे 20 वीं सदी में धातु उद्योग में बड़ी मात्रा में गिरावट आई.विनिर्माण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहता है, लेकिन 2003 में यह राष्ट्र उत्पादन का केवल एक-छठा हिस्सा था.[१५८]ब्रिटिश मोटर उद्योग इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, यद्यपि MG रोवर समूह के पतन के साथ यह कम हो गया है और यह उद्योग सबसे अधिक विदेशी स्वामित्व है.नागरिक और रक्षा विमान उत्पादन, यूरोप के सबसे बड़े रक्षा ठेकेदार, BAE तंत्र,[१५९] और एयरबस के मालिक महाद्वीपीय यूरोपीय फर्म EADS के नेतृत्व में है.रोल्स-रोयस के पास वैश्विक एयरोस्पेस इंजन बाजार का प्रमुख हिस्सा है.रसायन और दवा उद्योग UK में मजबूत है, दुनिया की दूसरी और छठी सबसे बड़ी दवा कंपनियाँ (GlaxoSmithKline और AstraZeneca, क्रमशः)[१६०] UK में स्थित हैं.
31 मार्च, 2010 तक इसके संचालन में भारत के आठ राज्यों के 21 प्रमुख कोयला खनन क्षेत्रों के 471 खान थे, जिनमें 273 भूमिगत खान, 163 खुली खान और 35 मिश्रित खान (भूमिगत और खुली खानों का मिश्रण) शामिल थे | हम 17 कोयला परिष्करण सुविधाओं का भी संचालन कर रहे थे, जिनका समग्र फीडस्टॉक क्षमता सालाना 39.40 मिलियन टन की है | हमारा इरादा है इसके अतिरिक्त सालाना 111.10 मिलियन टन की समग्र फीडस्टॉक क्षमता के 20 और कोयला परिष्करण सुविधाओं का विकास करना | इस के अलावा हमने 85 अस्पतालों और 424 औषधालयों के सेवाएं भी प्रदान किये |
वह २७३ ई. पू. में सिंहासन पर बैठा । अभिलेखों में उसे देवाना प्रिय एवं राजा आदि उपाधियों से सम्बोधित किया गया है । मास्की तथा गर्जरा के लेखों में उसका नाम अशोक तथा पुराणों में उसे अशोक वर्धन कहा गया है । सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार अशोक ने ९९ भाइयों की हत्या करके राजसिंहासन प्राप्त किया था, लेकिन इस उत्तराधिकार के लिए कोई स्वतंत्र प्रमाण प्राप्त नहीं हुआ है ।
पश्चिम बंगाल के जिलों की कुल संख्या 19 है. नीचे बायीं ओर दी गयी छवि के अनुसार जिलों के नाम सूचीबद्ध हैं.[२]
मरने के लिए मैरे पास बहुत से कारण है किंतु मेरे पास किसी को मारने का कोई भी कारण नहीं है।
मुंबई भारत की सबसे बड़ी नगरी है। यह देश की एक महत्वपूर्ण आर्थिक केन्द्र भी है, जो सभी फैक्ट्री रोजगारों का १०%, सभी आयकर संग्रह का ४०%, सभी सीमा शुल्क का ६०%, केन्द्रीय राजस्व का २०% व भारत के विदेश व्यापार एवं रु. 40 बिलियन(US$ ८७० million) निगमित करों से योगदान देती है। [२९] मुंबई की प्रति-व्यक्ति आय रु. ४८,९५४ (US$ १,०६०) है, जो राष्ट्रीय औसत आय की लगभग तीन गुणा है। [३०] भारत के कई बड़े उद्योग (भारतीय स्टेट बैंक, टाटा ग्रुप, गोदरेज एवं रिलायंस सहित) तथा चार फॉर्च्यून ग्लोबल 500 कंपनियां भी मुंबई में स्थित हैं। कई विदेशी बैंक तथा संस्थानों की भी शाखाएं यहां के विश्व व्यापार केंद्र क्षेत्र में स्थित हैं। [३१] सन १९८० तक, मुंबई अपने कपड़ा उद्योग व पत्तन के कारण संपन्नता अर्जित करता था, किन्तु स्थानीय अर्थ-व्यवस्था तब से अब तक कई गुणा सुधर गई है, जिसमें अब अभियांत्रिकी, रत्न व्यवसाय, हैल्थ-केयर एवं सूचना प्रौद्योगिकी भी सम्मिलित हैं। मुंबई में ही भाभा आण्विक अनुसंधान केंद्र भी स्थित है। यहीं भारत के अधिकांश विशिष्ट तकनीकी उद्योग स्थित हैं, जिनके पास आधुनिक औद्योगिक आधार संरचना के साथ ही अपार मात्रा में कुशल मानव संसाधन भी हैं। आर्थिक कंपनियों के उभरते सितारे, ऐयरोस्पेस, ऑप्टिकल इंजीनियरिंग, सभी प्रकार के कम्प्यूटर एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जलपोत उद्योग तथा पुनर्नवीनीकृत ऊर्जा स्रोत तथा शक्ति-उद्योग यहां अपना अलग स्थान रखते हैं।
ब्रह्मांड विद्या के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों (लगभग 45 वर्षों पूर्व) गवेषणाओं के फलस्वरूप महत्वपूर्ण बातें समाने आई हैं। विख्यात वैज्ञानिक हवल ने अपने निरीक्षणों से ब्रह्मांडविद्या की एक नई प्रक्रिया का पता लगाया। हबल ने सुदूर स्थित आकाश गंगाओं से आनेवाले प्रकाश का परीक्षण किया और बताया कि पृथ्वी तक आने में प्रकाश तरंगों का कंपन बढ़ जाता है। यदि इस प्रकाश का वर्णपट प्राप्त करें तो वर्णपट का झुकाव लाल रंग की ओर अधिक होता है। इस प्रक्रिया को डोपलर प्रभाव कहते हैं। ध्वनि संबंधी डोपलर प्रभाव से बहुत लोग परिचित होंगे। जब हम प्रकाश के संदर्भ में डोपलर प्रभाव को देखते हैं तो दूर से आनेवाले प्रकाश का झुकाव नीले रंग की ओर होता है और दूर जाने वाले प्रकाश स्रोत के प्रकाश का झुकाव लाल रंग की ओर होता है। इस प्रकार हबल के निरीक्षणों से यह मालूम हुआ कि आकाश गंगाएँ हमसे दूर जा रही हैं। हबल ने यह भी बताया कि उनकी पृथ्वी से दूर हटने की गति, पृथ्वी से उनकी दूरी के अनुपात में है। माउंट पोलोमर वेधशाला में स्थित 200 इंच व्यासवाले लेंस की दूरबीन से खगोल शास्त्रियों ने आकाश गंगाओं के दूर हटने की प्रक्रिया को देखा है।
जबकि उन्हें कई भारतीय पुरस्कार मिले हैं, खान शायद ही किसी भारतीय पुरस्कार समारोह में जाते हैं और कहते है कि उन्हें इस तरह चुनाव जीतने के तरीके पर भरोसा नहीं है...वे लगान के ओस्कर में नामांकन के लिए सबसे पहले पहुंचे.2007 में, खान को लन्दन में मैडम तुसाद (Madame Tussauds) का मोम का पुतला बनने ke liye bulaya gaya tha.[२०]खान ने यह कह कर मना कर दिया कि मेरे लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है, यदि लोग मुझे देखना चाहते है तो मेरी फ़िल्म देखें.साथ ही मैं इतनी सारी चीजें नहीं कर सकता. मेरे पास इतनी ही ताकत है. "[२१]
यह भाषा पेराग्वे में बोली जाती हैं ।
आधुनिक रैकेट का हल्कापन खिलाड़ी को कई स्ट्रोक के लिए आखिरी संभावित क्षण तक शक्तिशाली या हल्का स्ट्रोक मारने के विकल्प को बनाये रखने के लिए शॉर्ट हिटिंग कार्रवाई के इस्तेमाल करने की अनुमति देता है. उदाहरण के लिए, एकल खिलाड़ी नेटशॉर्ट के लिए अपने रैकेट को पकडे रख सकता है, लेकिन इसके बाद शटलकॉक को वापस करने के लिए उथले लिफ्ट के बजाए फ्लिक कर देता है. इससे बड़े हिट से लिफ्ट करने के बजाए पूरे कोर्ट को कवर करते हुए स्विंग कराना विरोधी के लिए कठिन काम होता है. चालबाज़ीके लिए एक शॉर्ट हिटिंग कार्रवाई उपयोगी नहीं होता है: खिलाड़ी के पास जब बड़े आर्म स्विंग का समय नहीं होता तब यह उसे शक्तिशाली स्ट्रोक मारने की अनुमति देता है. ऐसे तकनीकों में मजबूत ग्रिप बहुत मायने रखता है और इसे अक्सर फिंगर पॉवर के रूप में वर्णित किया जाता है. संभ्रांत खिलाड़ी एक हद तक फिंगर पावर को विकसित करते हैं ताकि वे कुछ शक्तिशाली स्ट्रोक, जैसे कि रैकेट को 10 सेंमी से कम स्विंग कराकर नेट किल, मार सकें.
कश्मीर सिंह कटोच को प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६५ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पंजाब राज्य से हैं।
उपन्यास
मुंबई में ही बंबई उच्च न्यायालय स्थित है, जिसके अधिकार-क्षेत्र में महाराष्ट्र, गोआ राज्य एवं दमन एवं दीव तथा दादरा एवं नागर हवेली के केंद्र शासित प्रदेश भी आते हैं। मुंबई में दो निम्न न्यायालय भी हैं, स्मॉल कॉज़ेज़ कोर्ट –नागरिक मामलों हेतु, व विशेष टाडा (टेररिस्ट एण्ड डिस्रप्टिव एक्टिविटीज़) न्यायालय –जहां आतंकवादियों व फैलाने वालों व विध्वंसक प्रवृत्ति व गतिविधियों में पहड़े गए लोगों पर मुकदमें चलाए जाते हैं।
 
रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।। वन्दे मातरम् ।
भारतीय शास्त्रीय संगीत में बांस से निर्मित बांसुरी एक महत्वपूर्ण यंत्र है जिसका विकास पश्चिमी बांसुरी से स्वतंत्र रूप से हुआ है. हिन्दू भगवान कृष्ण को परंपरागत रूप से बांसुरी वादक माना जाता है (नीचे देखें). पश्चिमी संस्करणों की तुलना में भारतीय बांसुरी बहुत साधारण हैं; वे बांस द्वारा निर्मित होते हैं एवं चाबी रहित होती हैं.[२३]
औरंगाबाद शहर में बहुत से दरवाजों का अवशेष भी हैं। इन ध्‍वंस अवशेषों में दिल्‍ली, जालान, पैठन तथा मक्‍का रा॓शन दरवाजा शामिल है। इसके अलावा बहुत से भवनों के अवशेष भी हैं। नकोंडा पैलेस, किला अर्क तथा दामरी महल आदि का अवशेष यहां है रा॓शन दरवाजा मे एक महान हसति रह् ति ह जिस का नाम "अ ह् म द् अलश्हाब " ह ।
उपनिषद् शब्द का साधारण अर्थ है - ‘समीप उपवेशन’ या 'समीप बैठना (ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के लिए शिष्य का गुरु के पास बैठना)। यह शब्द ‘उप’, ‘नि’ उपसर्ग तथा, ‘सद्’ धातु से निष्पन्न हुआ है। सद् धातु के तीन अर्थ हैं: विवरण-नाश होना; गति-पाना या जानना तथा अवसादन-शिथिल होना। उपनिषद् में ऋषि और शिष्य के बीच बहुत सुन्दर और गूढ संवाद है जो पाठक को वेद के मर्म तक पहुंचाता है।
भाषा आभ्यंतर अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं वह हमारे आभ्यंतर के निर्माण, विकास, हमारी अस्मिता, सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का भी साधन है। भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण है और अपने इतिहास तथा परम्परा से विच्छिन्न है।
तुळुनाडु के अत्तरी भागों के जैनों की बोलनेवाली शैली।
इस दर्शन के दो ही मौलिक ग्रंथ आज उपलब्ध हैं- पहला छह अध्यायों वाला "सांख्य-प्रवचन-सूत्र" और दूसरा सत्तर कारिकाओं वाला "सांख्यकारिका"। इन दो के अतिरिक्त एक अत्यंत लघुकाय सूत्रग्रंथ भी है जो "तत्व समास" के नाम से प्रसिद्ध है। शेष समस्त सांख्य वाड्मय इन्हीं तीनों की टीका और उपटीका मात्र है। इनमें सांख्य सूत्रों के उपदेष्टा परंपरा से कपिल मुनि माने जाते हैं। कई कारणों से उपलब्ध सांख्य-प्रवचन-सूत्रों को विद्वान लोग कपिलकृत नहीं मानते। इतनी बात अवश्य ही निश्चित है कि इन सूत्रों को कपिलोपदिष्ट मानने पर भी इसके अनेक स्थलों को स्वयं सूत्रों के ही अंत:-साक्ष्य के बल पर प्रक्षिप्त मानना पड़ेगा। सांख्याकारिकाएँ, ईश्वरकृष्ण द्वारा रचित हैं, जिनका समय बहुमत से ई. तृतीय शताब्दी का मध्य माना जाता है। वस्तुत: इनका समय इससे पर्याप्त पूर्व का प्रतीत होता है। कपिल के शिष्य आसुरि का कोई ग्रंथ नहीं बताया जाता, परंतु इनके प्रथित शिष्य आचार्य पंचशिख के नाम से अनेक सूत्रों के व्यासकृत योगभाष्य आदि प्राचीन ग्रंथों में उद्धृत होने से स्पष्ट प्रतीत होता है कि इनके द्वारा रचित कोई सूत्रग्रंथ अति प्राचीन काल में प्रसिद्ध था। अनेक विद्वानों के मत से यह प्रसिद्ध ग्रंथ षष्ठितंत्र ही था। उदयवीर शास्त्री के मत से वर्तमान काल में उपलब्ध षडध्यायी सांख्य-प्रवचन-सूत्र ही षष्ठि (साठ) पदार्थों का निरूपण करने के कारण "षष्ठितंत्र" के नाम से भी ज्ञात था। उनके मत से संभवत: कपिल मुनि के प्रशिष्य पंचशिखाचार्य ने उस पर व्याख्या लिखी थी और वह भी मूलग्रंथ के ही नाम पर षष्ठितंत्र कही जाती थी। कुछ विद्वानों के मत से "षष्ठि तंत्र" प्रसिद्ध सांख्याचार्य वार्षगण्य का लिखा हुआ है। जैगीषध्य, देवल, असित इत्यादि अन्य अनेक प्राचीन सांख्याचार्यों के विषय में आज कुछ विशेष ज्ञान नहीं है।
उत्तरी प्रान्त श्रीलंका का एक प्रान्त है । इसका मुख्यालय जाफ़ना है ।
पुरुगुप्त- यह कुमारगुप्त का पुत्र था और स्कन्दगुप्त का सौतेला भाई था । स्कन्दगुप्त का कोई अपना पुत्र नहीं था ।
मैदान पर खेल को दो अंपायर (umpires) नियंत्रित करते हैं, उनमें से एक विकेट के पीछे गेंदबाज की तरफ़ खड़ा रहता है, और दूसरा "स्क्वेयर लेग" की स्थिति में जो स्ट्राइकिंग बल्लेबाज से कुछ गज पीछे होता है.जब गेंदबाज गेंद डालता है तो विकेट वाला अम्पायर गेंदबाज और नॉन स्ट्राइकर के बीच रहता है.यदि खेल की स्थिति पर कुछ संदेह होता है तो अम्पायर परामर्श करता है और यदि आवश्यक होता है तो वो खिलाड़ियों को फ़ील्ड से बहार ले जाकर मैच को स्थगित कर सकता है, जैसे बारिश होने पर या रोशनी कम होने पर.
लोलार्कादं अग्निदिग्भागे, स्वर्घुनी पूर्वरोधसि। स्थितो ह्यद्य्यापि पश्चेत्स: काशीप्रासाद राजिकाम् ।। स्कंद पुराण, काशी खंड ९६/२०१
Albania • Andorra • Armenia • Austria • Azerbaijan • Belarus • Belgium • Bosnia-Herzegovina • Bulgaria • Croatia • Cyprus • Czech Republic • Denmark • Estonia • Faroe Islands • Finland • France • Georgia • Germany • Greece • Greenland • Hungary • Iceland • Ireland • Italy • Latvia • Liechtenstein • Lithuania • Luxembourg • Macedonia • Malta • Moldova • Monaco • Montenegro • Netherlands • Norway • Poland • Portugal • Romania • Russia • Serbia • Slovakia • Slovenia • Spain • Sweden • Switzerland • Ukraine • United Kingdom • Yugoslavia
ये कुछ विशिष्ट रोगों के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण के कारण उत्पन्न होते हैं। ये रोग है : यक्ष्मा, सिफलिस आदि। इन व्रणों की चिकित्सा करते समय स्थानिक चिकित्सा के अतिरिक्त विशिष्ट रोग की चिकित्सा भी करनी होती है।
और अपने अश्रुओं में नहलाया है।
सिक्किम एक कृषि प्रधान।कृषि राज्य है और यहाँ सीढ़ीदार खेतों में पारम्परिक पद्धति से कृषि की जाती है । यहाँ के किसान इलाईची, अदरक, संतरा, सेब, चाय और पीनशिफ आदि की खेती करते हैं । [५]चावल राज्य के दक्षिणी इलाकों में सीढ़ीदार खेतों में उगाया जाता है । सम्पूर्ण भारत में इलाईची की सबसे अधिक उपज सिक्किम में होती है । पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण और परिवहन की आधारभूत सुविधाओं के अभाव में यहाँ कोई बड़ा उद्योग नहीं है । मद्यनिर्माणशाला, मद्यनिष्कर्षशाला, चर्म-उद्योग तथा घड़ी-उद्योग सिक्किम के मुख्य उद्योग हैं । यह राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित हैं- मुख्य रूप से मेल्ली और जोरेथांग नगरों में । राज्य में विकास दर ८.३% है, जो दिल्ली के पश्चात राष्ट्र भर में सर्वाधिक है । [१२]
 · सूरा · भारत की प्रसिद्ध मस्जिदें · इस्लामी शब्दों का शब्द संग्रह
प्राचीन आर्यावर्त के आर्यपुरुष अस्त्र-शस्त्र विद्या में निपुण थे। उन्होंने अध्यात्म-ज्ञान के साथ-साथ आततियों और दुष्टों के दमन के लिये सभी अस्त्र-शस्त्रों की भी सृष्टि की थी। आर्यों की यह शक्ति धर्म-स्थापना में सहायक होती थी। प्राचीन काल में जिन अस्त्र-शस्त्रों का उपयोग होता था, उनका वर्णन इस प्रकार है-
उसकी सैन्य सफलता तहमाश्प से देखी नहीं गई। उसे तख्तापलट का डर होने लगा। उसने अपनी सैन्य योग्यता साबित करने के मकसद से उस्मानों के साथ फिर से युद्ध शुरू कर दिया जिसका अन्त उसके लिए शर्मनाक रहा और उसे नादिर द्वारा जीते हुए कुछ प्रदेश उस्मानों को लौटाने पड़े। नादिर जब हेरात से लौटा तो यह देखकर क्षुब्ध हुआ। उसने जनता से अपना समर्थन माँगा। इसी समय उसने इस्फ़हान में एक दिन तहमाश्प (तहमास्य) को नशे की हालत में ये समझाया कि वो शासन के लिए अयोग्य है और उसके ये इशारे पर दरबारियों ने तहमाश्प के नन्हें बेटे अब्बास को गद्दी पर बिठा दिया। उसके राज्याभिषेक के समय नादिर ने घोषणा की कि वो कन्दहार, दिल्ली, बुखारा और इस्ताम्बुल के शासकों को हराएगा। दरबार में उपस्थित लोगों को लगा कि ये आत्मप्रवंचना का चरम के अतिरिक्त कुछ नहीं है। पर आने वाले समय में उनको पता चला कि ऐसा नहीं था। उसने पश्चिम की दिशा में उस्मानों पर आक्रमण के लिए सेना तैयार की। पर अपने पहले आक्रमण में उसे पराजम मिली। उस्मानों ने बग़दाद की रक्षा के लिए एक भारी सेना भेज दी जिसका नादिर कोई जबाब नहीं दे पाया। लेकिन कुछ महीनों के भीतर उसने सेना फिर से संगठित की। इस बार उसने किरकुक के पास उस्मानियों को हरा दिया। येरावन के पास जून १७३५ में उसने रूसियों की मदद से उस्मानियों को एक बार फिर से हरा दिया। इस समझौते के तहत रूसी भी फारसी प्रदेशों से वापस कूच कर गए।
कई जीवनी लेखकों ने गाँधी के जीवन वर्णन का कार्य लिया है उनमें से दो कार्य अलग हैं;डीजी तेंदुलकर अपने महात्मा के साथ. मोहनदास करमचंद गाँधी का जीवन आठ खंडों में है और महात्मा गाँधी के साथ प्यारेलाल (Pyarelal) और सुशीला नायर (Sushila Nayar) १० खंडों में है.कर्नल जी बी अमेरिकी सेना के सिंह ने कहा की अपने तथ्यात्मक शोध पुस्तक गाँधी: बेहायिंड द मास्क ऑफ़ डिविनिटी (Gandhi: Behind the Mask of Divinity) के मूल भाषण और लेखन के लिए उन्होंने अपने २० वर्ष[४०] लगा दिए
Gaur(bison) Chital herd
कैमूर का इतिहास काफी प्राचीन और रूचिकर है। यह जिला छठी शताब्दी ई.पू. से पांचवी शताब्दी ई. तक शक्तिशाली मगध साम्राज्‍य का हिस्सा था। सातवीं शताब्दी में कैमूर कन्नौज के शासक हर्षवर्द्धन के अधीन आ गया। सी. मार्क (इतिहासकार) के अनुसार इस क्षेत्र पर शासन करने वाले प्रथम शासक पाल वंश के थे। उसके बाद चन्दौली का यहां शासन रहा और बारहवीं शताब्दी में ताराचंदी ने कैमूर जिले पर राज किया। अत: यह क्षेत्र कई शासक वंशो के अधीन रहा।
   घ.    ^  काकभुशुण्डि की विस्तृत कथा का वर्णन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड के दोहा क्रमांक ९६ से दोहा क्रमांक ११५ तक में किया है।
वायरस के अलावा, शोधकर्ताओं ने जीवाणु और कुछ विशेष प्रकार के कैंसर के बीच सम्बन्ध पाया है.सबसे प्रमुख उदाहरण है आमाशय के कैंसर और आमाशय की दीवार के हेलिकोबेक्टर पायलोरी के द्वारा क्रोनिक संक्रमण के बीच सम्बन्ध. [१९][२०] हालांकि बहुत कम मामलों में हेलिकोबेक्टर का संक्रमण कैंसर में विकसित होता है, चूंकि यह रोगजनक बहुत आम है, यह संभवतया इस प्रकार के अधिकांश कैंसरों के लिए उत्तरदायी है. [२१]
वैष्णव मन्दिरों की सूची
हालांकि चन्द्रगुप्त द्वितीय का अन्य नाम देव, देवगुप्त, देवराज, देवश्री आदि हैं । उसने विक्रयांक, विक्रमादित्य, परम भागवत आदि उपाधियाँ धारण की । उसने नागवंश, वाकाटक और कदम्ब राजवंश के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये । चन्द्रगुप्त द्वितीय ने नाग राजकुमारी कुबेर नागा के साथ विवाह किया जिससे एक कन्या प्रभावती गुप्त पैदा हुई । वाकाटकों का सहयोग पाने के लिए चन्द्रगुप्त ने अपनी पुत्री प्रभावती गुप्त का विवाह वाकाटक नरेश रूद्रसेन द्वितीय के साथ कर दिया । उसने प्रभावती गुप्त के सहयोग से गुजरात और काठियावाड़ की विजय प्राप्त की ।
कामशास्त्र का आधारपीठ है - महर्षि वात्स्यायनरचित कामसूत्र। सूत्र शैली में निबद्ध, वात्स्यायन का यह महनीय ग्रंथ विषय की व्यापकता और शैली की प्रांजलता में अपनी समता नहीं रखता। महर्षि वात्स्यायन इस शास्त्र में प्रतिष्ठाता ही माने जा सकते हैं, उद्भावक नहीं, क्योंकि उनसे बहुत पहले इस शास्त्र का उद्भव हो चुका था।
कोलिकोड का प्रारंभिक इतिहास स्पष्ट नहीं है। प्रागैतिहासिक काल की पत्थरों की गुफाएं यहां प्राप्त हुई हैं। संगम युग में यह जिला चेरा प्रशासन के अधीन था। उस समय यह स्थान व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र था। कोलिकोड का अस्तित्व तेरहवीं शताब्दी में उभरकर सामने आया। इरनाड के राजा उदयावर ने कोलिकोड और पोन्नियंकर के आसपास का क्षेत्र जीतकर एक किला बनवाया जिसे वेलापुरम कहा गया। १४९८ ई. में पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा ने अपने दल के साथ यहां सर्वप्रथम प्रवेश किया। समुद्री मार्ग से आने वाला वह पहला युरोप वासी था। उसके बाद डच, फ्रेन्च और ब्रिटिश लोगों का यहां आगमन हुआ। आगे चलकर यह स्थान शक्तिशाली जमोरिन साम्राज्य की राजधानी बनी। १९५६ में केरल का राज्य के रूप में गठन हुआ और आगे चलकर कोलिकोड राज्य की व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र बना।
अशोक की इस प्रसिद्ध से उसके भाई सुसीम को सिंहासन न मिलने का खतरा बढ़ गया । उसने सम्राट बिंदुसार को कह के अशोक को निर्वास मे डाल दिया । अशोक कलिंग चला गया । वहां उसे मत्स्य कुमारी कौर्वकी से प्यार हो गया । हाल में मिले साक्ष्यों के अनुसार बाद में अशोक ने उसे तीसरी या दूसरी रानी बनाया था ।
रानीपुर झरियाल- ये जुड़वाँ शहर हैं जो बलांगीर से १०४ किलोमीटर दूर स्थित हैं। यह बलांगीर जिले के टिटलागढ़ सब-डिवीजन में हरे-भरे पर्यावरण के मध्य स्थित है जो प्राचीन धरोहरों से परिपूर्ण है। यह एक प्राथमिक साक्ष्य है कि यहाँ तीर्थाटन करनेवालों के द्वारा कुछ पुराने मन्दिरों की खोज की गई थी जिस स्थान को 'सोमतीर्थ' कहा जाता है। प्रसिद्ध 64 योगिनी मन्दिर भी यहाँ स्थित है।
उत्तरी बैरकपुर कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी के अधीन आता है।
त्रेतायुग हिंदू मान्यताओं के अनुसार चार युगों में से एक युग है। त्रेता युग मानवकाल के द्वितीय युग को कहते हैं। यह काल राम के देहान्त से समाप्त होता है। ब्रह्मा का एक दिवस 10,000 भागों में बंटा होता है, जिसे चरण कहते हैं:
विलियम शोक्ली, जॉन बर्दीन और वॉल्टर ब्रैट्टैन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
As of १५ फरवरी, २००९
ऐसा कहकर श्वेतकेतु यज्ञ का आसन छोड़कर चले गये और अपने पिता से प्रश्न किया-'हे पिताश्री! महर्षि चित्र ने जो प्रश्न मुझसे किया है, उसका उत्तर में कैसे दूं?' श्वेतकेतु ने चित्र का प्रश्न अपने पिता के सामने दोहरा दिया। तब उद्दालक ऋषि ने कहा-'पुत्र! मैं भी इसका उत्तर नहीं जानता। हम दोनों महर्षि चित्र की यज्ञशाला में चलकर व इसका अध्ययन करके ही इस विद्या को प्राप्त करेंगे।'
पुरापाषाण काल के औजार छोटानागपुर के पठार में मिले हैं जो 1,00,000 ई.पू. तक हो सकते हैं । आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में 20,000 ई.पू. से 10,000 ई.पू. के मध्य के औजार मिले हैं । इनके साथ हड्डी के उपकरण और पशुओं के अवशेष भी मिले हैं । उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले की बेलन घाटी में जो पशुओं के अवशेष मिले हैं उनसे ज्ञात होता है कि बकरी, भैंड़, गाय, भैंस इत्यादि पाले जाते थे । फिर भी पुरापाषाण युग की आदिम अवस्था का मानव शिकार और खाद्य संग्रह पर जीता था । पुराणों में केवल फल और कन्द मूल खाकर जीने वालों का जिक्र है । इस तरह के कुछ लोग तो आधुनिक काल तक पर्वतों और गुफाओं में रहते आए हैं ।
43. व्लादिमिर
[प्रसिध पर्यतक स्थल : मन्दोर्, मेहरानगद किला, उम्मेद भवन ,बालसममन्द् झील आदि विश्वविध्यालय :जय नारायन व्यास विश्वविद्यालय( यह विश्वविद्यालय राजस्थान का सबसे छोता विश्वविस्यलय ह।
हमारे निर्वाचित प्र‍तिनिधि किस तरह ऐसे मामले उठाने का प्रयास करते हैं जिनका नियमों एवं विनियमों की व्‍याख्‍या से कोई संबंध नहीं होता। लेकिन ये मामले उस समय उन्‍हें और उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को उत्तेजित कर रहे होते हैं। जो मामले व्‍यवस्‍था के प्रश्‍न नहीं होते या जो प्रश्‍नों, अल्‍प-सूचना प्रश्‍नों, ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍तावों आदि से संबंधित नियमों के अधीन नहीं उठाए जा सकते, वे इसके अधीन उठाए जाते हैं।
(There is Spell checking provision in HindiWriter, Gmail(Hindi), MS Word 2003 also)
अंग्रेज़ी और अधिकांश अन्य भाषाओं में, जो लैटिन वर्णमाला का उपयोग करते हैं, आम तौर पर व्यक्तिवाचक संज्ञाओं को बड़े अक्षरों में लिखा जाता है. भाषाएं इस अर्थ में अलग होती हैं कि क्या बहुशब्द व्यक्तिवाचक संज्ञाओं के अधिकांश तत्व बड़े अक्षरों में लिखे गए हैं (उदा. अमेरिकी अंग्रेज़ी House of Representatives ) या केवल प्रारंभिक तत्व (उदा. स्लोवेनियन Državni zbor 'National Assembly'). जर्मन में सभी प्रकार की संज्ञाओं को बड़े अक्षरों में लिखा जाता है. अंग्रेज़ी में सभी संज्ञाओं को बड़े अक्षरों में लिखने की परिपाटी प्रयोग में थी, लेकिन 1800 के क़रीब यह समाप्त हो गई.[उद्धरण वांछित] अमेरिका में, कई उल्लेखनीय दस्तावेज़ों में बड़े अक्षरों में बदलाव दर्ज किया गया है. स्वतंत्रता विधेयक की घोषणा (1776) का अंत (लेकिन प्रारंभ नहीं) और संपूर्ण संविधान (1787) में सभी संज्ञाएं बड़े अक्षरों में लिखा दिखता है, अधिकार विधेयक (1789) में कुछ जातिवाचक संज्ञाएं बड़े अक्षरों में लिखा गया है, लेकिन अधिकांश नहीं, और तेरहवां संवैधानिक संशोधन (1865) में केवल व्यक्तिवाचक संज्ञाओं को बड़े अक्षरों में लिखा गया है.
बुद्ध के अनुसार सद्धम्म क्या है-- 1. जो धम्म प्रज्ञा की वृद्धि करे--
भारत के विभाजन और उसके साथ हुए दंगे-फ़साद पर कई लेखकों ने उपन्यास और कहानियाँ लिखी हैं, जिनमें से मुख्य हैं,
कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं के मन में जिज्ञासा है कि क्या सचमुच उन्हें माइक्रोसॉफ्ट की ओर से जारी किया गया नया ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज विस्ता अपनाने की जरूरत है। क्या माइक्रोसॉफ्ट के पिछले ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज एक्सपी विंडोज २००३ और विंडोज २००० की तुलना में इसमें ऐसे फीचर्स हैं जिनकी अनदेखी करना संभव न हो। माइक्रोसॉफ्ट का दावा है कि विस्ता पिछले विंडोज की तुलना में वाक अधिक सक्षम, सरल, तेज, सुदर्शन और सुरक्षित है।
जी बी पटनायक भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं।
योरप में आधुनिक कोशों का जो स्वरबूप विकसित हुआ, उसकी रूपरेखा का संकेत किया जा चुका है । योरप, एशिया और अफ्रिका के उस तटभाग में जो अरब देशों के प्रभाव में आया था, उत्क पद्धति के अनुकरण पर कोशों का निर्माण होने लगा था । भारत में व्यापक पैमाने पर जिस रूप कोश निर्मत होते चले, उनकी संक्षिप्त चर्चा की जा चुकी है । इन सबके आधार पर उत्तम कोटि के आधुनिक कोर्शो की विशिषिटताओं का आकलन करते हुए कहा जा सकता है:
इस प्रकार पानी में विघटन में हुए मुक्त इलेक्ट्रॉन क्लोरोफिल ‘b’ को उत्तेजित कर उच्च ऊर्जा स्तर पर पहूँच जाते हैं तथा ये इलेक्ट्रॉन फिर कस प्रकार क्लोरोफिल ‘a’ को प्राप्त होते हैं, पूर्ण रूप से ज्ञात नहीं है लेकिन ऐसा विश्वास किया जाता है कि प्लास्टोकविनोन नामक इलेक्ट्रोन ग्राही इन इलेक्ट्रोनों को पकड़ लेता है जो साइटोक्रोम द्वारा पुनः क्लोरोफिल ‘a’ में पहुँच जाते हैं। इसमें साथ-साथ एटीपी का भी निर्माण होता है।युग्म फोटो-फोस्फोरीलेशन की क्रिया में सूर्य के प्रकाश से क्लोरोफिल ‘a’ सक्रिय होकर इलेक्ट्रॉन को बाहर की ओर फैंकता है जो क्लोरोफिल में उपस्थित फैरीडाक्सीन द्वारा पकड़ लिये जाते हैं। यही इलेक्ट्रोन मुक्त होकर प्लास्टोक्वीनोन नामक इलेक्ट्रोन ग्राही द्वारा पकड़ लिया जाता है। इस क्रिया के मध्य में एडीपी, एटीपी में परिवर्तित हो जाता है तथा इलेक्ट्रोन पुनः मुक्त होकर साइटोक्रोम विकर से होकर क्लोरोफिल ‘a’ में वापिस पहुँच जाता है। इस क्रिया में भी एडीपी, एटीपी में परिवर्तित हो जाता है। इस क्रिया में बाहरी इलेक्ट्रोन प्रयोग नहीं होता तथा क्लोरोफिल से इलेक्ट्रोन निकलकर पुनः वहीं वापिस आ जाता है। इस प्रकार अयुग्म व युग्म प्रक्रियाओं द्वारा पानी विघटित हो जाता है जिससे ऑक्सीजन गैस स्वतन्त्र हो जाती है तथा हाइड्रोजन, हाइड्रोजन ग्राही एनएडीपी द्वारा पकड़ ली जाती है तथा साथ ही साथ ऊर्जा भी वर्गीकृत हो जाती है जिसका प्रयोग रासायनिक प्रक्रिया या अप्रकाशीय प्रतिक्रिया में होता है।ऑक्सीजन तथा प्रकाश-संश्लेषण
जॉर्डन, आधिकारिक तौर पर इस हेशमाइट किंगडम ऑफ जॉर्डन, दक्षिण पश्चिम एशिया में अकाबा खाड़ी के नीचे सीरियाई मरुस्थल के दक्षिणी भाग में फैला एक अरब देश है। देश के उत्तर में सीरिया, उत्तर-पूर्व में इराक, पश्चिम में पश्चिमी तट और इज़रायल और पूर्व और दक्षिण में सउदी अरब स्थित हैं। जॉर्डन, इज़रायल के साथ मृत सागर और अकाबा खाड़ी की तट रेखा इज़रायल, सउदी अरब और मिस्र के साथ नियंत्रण करता है। जॉर्डन का ज्यादातर हिस्सा रेगिस्तान से घिरा हुआ है, विशेष रूप से अरब मरुस्थल; हालाँकी, उत्तर पश्चिमी क्षेत्र, जॉर्डन नदी के साथ, उपजाऊ चापाकार का हिस्सा माना जाता है। देश की राजधानी अम्मान उत्तर पश्चिम में स्थित है।
71. उदयपुर कई संयुक्त आर्कषणों और प्राकृतिक सौन्दर्य से धन्य है, राजस्थान का एक प्रसिद्ध शहर इसके उत्कृष्य स्थापत्य और हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है।
रोमांस दिसम्बर 25 को एक त्योहर मानते है जिसे डिएस नातालिस सोलिस इन्विक्टी (Dies Natalis Solis Invicti), जिसका अर्थ था "अपराजी सूर्य का जनम दिन सोल (Sol Invictus)Invictus का प्रयोग से कई सौर देवताओं (solar deities) के सामूहिक, पूजा करने की इज्ज़ज़त देता है जिसमे Elah-Gabal (Elah-Gabal), a Syrian sun god; Sol (Sol), the god of Emperor Aurelian (Aurelian) (AD 270–274); and Mithras (Mithras), a soldiers' god of Persian (Persian) origin.[११] samrat Elagabalus (Elagabalus) (218–222) ने इस त्यौहार की शुरुआत की और ये औरेलियन के सानिध्य में इसने बुलंदी हासिल किन जिसने इसे साम्राज्य की छुट्टी [१२] के रूप में बढ़ावा दिया
बहुदलिय राजनीतिक व्यवस्था वाले इस देश में ६ राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दल हैं किंतु यहां की राजनीतिक व्यवस्था पर सर्वाधीक प्रभावी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस रही है। स। स्वतंत्र भारत के इतिहास में उसकी सरकार मुख्य रूप से भारतीय राष्ट्रीय कान्ग्रेस पार्टी के हाथ में रही है। स्वतंत्रतापूर्व भारत में सबसे बडे़ राजनीतिक संगठन होने के कारण काँग्रेस की, जिसका नेता मूल रूप से नेहरू - गाँधी परिवार का कोई न कोई सदस्य होता है, चालीस वर्षों तक राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख भूमिका रही। १९७७ में, पूर्व काँग्रेस शासन की इंदिरा गाँधी के आपातकाल लगाने के बाद एक संगठित विपक्ष जनता पार्टी ने चुनाव जीता और उसने अत्यधिक छोटी अवधि के लिये एक गैर-काँग्रेसी सरकार बनाई।
तातें सदा हों उहां ही रहत हो, तू दधि माखन दूध छिपावें ।
लंका रावण के राज्य का नाम था।
वह कर जो सरकार लोगों की आय पर आय में से लेती है। यह प्रायः एक खास सीमा से अधिक आय वालों द्वारा अदा किया जाता है। मसलन भारत के बजट 20१०-1१ के प्रावधान के अनुसार एक लाख साठ हजार रुपए से अधिक आय वाले व्यक्ति आयकर दाताओं की श्रेणी में आएँगें। तथा उन्हें आयकर अदा करना होगा। महिलाओं के लिए यह सीमा एक लाख नब्बे हजार रुपए और वरिष्ठ नागरिकों के लिए दो लाख चालीस हजार रुपए रखी गई है। कभी कभी एक खास रकम से ऊपर के आय वालों को अतिरिक्त कर भी देना होता है। मसलन २००९- २०१० के बजट में दस लाख रुपये सालाना से ज़्यादा आय वालों को २ प्रतिशत अतिरिक्त कर देना पड़ा था। २०१०-११ के बजट में अतिरिक्त कर समाप्त कर दिया गया। आयकर में निजी कमाई और कंपनियों की आमदनी दोनों शामिल हैं।
32. खाणीवाणी
गाजियाबाद हवाई, रेल और सड़क के द्वारा पहुंचा जा सकता है। सबसे पास का हवाई अड्डा, जो यहाँ से लगभग 45 किलोमीटर है इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। सड़क मार्ग से गाजियाबाद चारों तरफ से दिल्ली , नोएडा, हापुड़, मेरठ, सहारनपुर, हरिद्वार, आदि से जुडा़ है। गाजियाबाद से बड़ी संख्या में लोग हर रोज काम के लिए दिल्ली जाते हैं। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) भी एएलटीटीसी से आईटीओ, दिल्ली के लिये बसें चलाता है। यह बस सेवा, गाजियाबाद से हर पन्द्रह मिनट चलती है। एक और डीटीसी बस सेवा प्रताप विहार से शिवाजी स्टेडियम (कनॉट प्लेस), नई दिल्ली के लिए चलती है। गाजियाबाद रेलवे लाइन के माध्यम से भी देश के सभी भागों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह एक रेलवे जंक्शन है और कई लाइनें है गाजियाबाद से गुजरती हैं। मुख्य रेलवे स्टेशन शहर के बीच में स्थित है।
उन्होंने अपना गर्व नहीं त्यागा
भारत में अंग्रेजों के आगमनकाल से ही जमींदारी प्रथा का उदय होने लगा। अंग्रेज शासकों का विश्वास था कि वे भूमि के स्वामी हैं और कृषक उनकी प्रजा हैं इसलिये उन्होंने स्थायी तथा अस्थायी बंदोबस्त बड़े कृषकों तथा राजाओं और जमींदारों से किए। यद्यपि राजनीतिक औचित्य से प्रभावित होकर उसने एक एक परगना हर कर वसूल करनेवाले इजारेदार को पाँच वर्ष के लिये पट्टे पर दे दिया। इस प्रकार जमींदारी प्रथा को अंग्रजों ने मान्यता प्रदान की यद्यपि आरंभ में उनका विचार कृषकों को उनके अधिकारों से वंचित करने का नहीं था सन् 1786 ई0 में लार्ड कार्न वालिस, वारेन हेस्टिगज के बाद, गर्वनर जनरल हुआ। लार्ड कार्नवालिस भी जमींदारी प्रथा के पक्ष में था। उसने सन् 1791 ई0 बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में दस वर्षीय बंदोबस्त की आज्ञा दी। दो वर्ष पश्चात् बोर्ड आफ डाइरेक्टर्स ने इस दस वर्षीय योजना को स्थायी बंदोबस्त (permanent settlement) बना देने की अनुमति दे दी।
इनमें से एक पीठ की स्थापना १९१२ में रायसीना (नई दिल्ली) के लिए की गई थी जो साम्राज्यिक दिल्ली नगर समिति के सत्ता क्षेत्र के अन्तर्गत मुकदमों की सुनवाई करती थी। इस पीठ में एक हिंदू तथा एक मुसलमान मैजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था जिन्हें द्वितीय श्रेणी की शक्तियाँ प्राप्त थी। जिनकी दिल्ली नगर समिति के क्षेत्र तक ही शक्तियां सीमित थी। १९२१ में एक नजफगढ़ पीठ की स्थापना हुई इसमें दो मैजिस्ट्रेट होते थे जिन्हें तृतीय श्रेणी की शक्तियां प्राप्त थी, जिन्हे वे अपने प्रान्त के भीतर प्रयोग कर सकते थे।
    
यह रत्न हरे रंग का, हरा रंग लिए सफेद रंग का, नीम के पत्ती के रंग का, बिना तली का, लोचदार व पारदर्शी होता है, हरे रंग का पन्ना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
घोष अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं के संस्थापक और सदस्य रहे। भारतीय विज्ञान कांग्रेस और भारतीय केमिकल सोसायटी के अध्यक्ष भी रहे थे। आप रसायन के उत्कृष्ट अध्यापक और मंजे हुए वक्ता ही नहीं वरन् प्रथम कोटि के अनुसंधानकर्ता भी थे। आपके अनुसंधान से ही आपका यश विज्ञानजगत् में फैला था। आप द्वारा स्थापित तनुता का सिद्धांत "घोष का तनुता सिद्धांत" के नाम से सुप्रसिद्ध है, यद्यपि इसमें पीछे बहुत कुछ परिवर्तन करना पड़ा। आपके अनुसंधान विविध विषयों, विशेषत: वैद्युतरसायन, गतिविज्ञान, उच्चताप गैस अभिक्रिया, उत्प्रेरण, आत्मआक्सीकरण, प्रतिदीप्ति इत्यादि, पर हुए हैं, जिनसे न केवल इन विषयों के ज्ञान की वृद्धि हुई है, वरन् देश के औद्योगिक विकास में बड़ी सहायता मिली है। आयोजना आयोग के सदस्य के रूप में देश के उद्योगधंधों के विकास में आपका कार्य बड़ा प्रशंसनीय रहा है।
बाइबिल की जेनेसिस 4:21 में जुबल को, "उन सभी का पिता जो उगब और किन्नौर बजाते हैं", बताया गया है. पूर्ववर्ती हिब्रू शब्द कुछ वायु वाद्य यंत्रों या सामान्यतः वायु यंत्रों को संदर्भित करता है, उत्तरवर्ती एक तारदार वाद्य यंत्र या सामान्यतः तारदार वाद्ययंत्र को संदर्भित करता है. अतएव, जूडियो ईसाई परंपरा में जुबल को बांसुरी (इस बाईबिल पैराग्राफ के कुछ अनुवादों में प्रयुक्त शब्द) का आविष्कारक माना जाता है. पहले के कुछ बांसुरी टिबियास(घुटने के नीचे की हड्डी) से बने हुए थे. भारतीय संस्कृति एवं पुराणों में भी बांसुरी हमेशा से आवश्यक अंग रहा है,[१२] एवं कुछ वृतातों द्वारा क्रॉस बांसुरी का उद्भव भारत[१३][१४] में ही माना जाता है क्योंकि 1500 ई.पू. के भारतीय साहित्य में क्रॉस बांसुरी का विस्तार से विवरण है.[१५]
परिसर की योजना कुछ इस प्रकार है कि इसके कुछ हिस्सों में वनस्पति, रॉक संरचनाओं, और प्राकृतिक आवास बनाए गए हैं, जबकि परिसर के अन्य भागों में लॉन, मुख्य पथ और साफ़सुथरे उद्यान हैं. परिसर के अन्दर वनस्पतियों व जीवों की विस्तृत श्रंखला पायी जा सकती है जिसमे भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर भी शामिल है. संस्था के मुखपृष्ठ पर परिसर का एक आभासी दौरा उपलब्ध है.[५]
क्रिसमस आमतौर पर बहुत सी देशों के लिए सबसे बड़ा वार्षिक आर्थिक उत्तेजना लाता है.सभी खुदरा दूकानों में बिक्री अचानक से बढ़ जाती है. दूकानों में नए ये सामान मिलने लगते हैं क्यूंकि लोग सजावट. के सामान. उपहार और अन्य सामान की करिदारी शुरू कर देते हैं.अमेरिका में, "क्रिसमस की खरीदारी का मौसम" आम तौर पर काला शुक्रवार (Black Friday),को शुरू होता है ये दिन थान्क्स्गिविंग (Thanksgiving)दिन के बाद आता है हलाकि बहुत से दुनाकन में क्रिसमस के सामान अक्टूबर[३९] के शुरुआत से ही मिलने लगते हैं.
औत्सुक्य-निर्वाह
कुमाऊँ और गढ़वाल के इतिहासकारों का कहना है की आरम्भ में यहाँ केवल तीन जातियाँ थी राजपूत, ब्राह्मण, और शिल्पकार। राजपूतों का मुख्य व्यवसाय ज़मीदारी और कानून-व्यस्था बनाए रखना था। ब्राह्मणों का मुख्य व्यवसाय था मन्दिरों और धार्मिक अवसरों पर धार्मिक अनुष्ठानों को कराना। शिल्प्कार मुख्यतः राजपूतों के लिए काम किया करते थे और हथशिल्पी में दक्ष थे। राजपूतों द्वारा दो उपनामों रावत और नेगी का उपयोग किया जाता है।
अर्थात, हिमालय से प्रारम्भ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।
आकाश, काल, दिक् तथा आत्मा ये चार "विभु" द्रव्य हैं। मनस् अभौतिक परमाणु है और नित्य भी है। आज, कल, इस समय, उस समय, मास, वर्ष, आदि समय के व्यवहार का जो आसाधारण कारण है वह काल है। यह नित्य और व्यापपक है। पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आदि दिशाओं तथा विदिशाओं का जो असाधारण कारण है, वह "दिक्" है। यह नित्य तथा व्यापक है। आत्मा और मनस् का स्वरूप न्यायमत के समान ही है।
दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फ़तमेरी मिट्टी से भी खुस्बू ए वतन आएगी ।
श्रीमद्भगवद्‌गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्घ है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं में उलझकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है और उसके पश्चात जीवन के समरांगण से पलायन करने का मन बना लेता है उसी प्रकार अर्जुन जो महाभारत का महानायक है अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकर जीवन और क्षत्रिय धर्म से निराश हो गया है, अर्जुन की तरह ही हम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति में या तो हताश हो जाते हैं और या फिर अपनी समस्याओं से उद्विग्न होकर कर्तव्य विमुख हो जाते हैं। भारत वर्ष के ऋषियों ने गहन विचार के पश्चात जिस ज्ञान को आत्मसात किया उसे उन्होंने वेदों का नाम दिया। इन्हीं वेदों का अंतिम भाग उपनिषद कहलाता है। मानव जीवन की विशेषता मानव को प्राप्त बौद्धिक शक्ति है और उपनिषदों में निहित ज्ञान मानव की बौद्धिकता की उच्चतम अवस्था तो है ही, अपितु बुद्धि की सीमाओं के परे मनुष्य क्या अनुभव कर सकता है उसकी एक झलक भी दिखा देता है। उसी औपनिषदीय ज्ञान को महर्षि वेदव्यास ने सामान्य जनों के लिए गीता में संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया है। वेदव्यास की महानता ही है, जो कि ११ उपनिषदों के ज्ञान को एक पुस्तक में बाँध सके और मानवता को एक आसान युक्ति से परमात्म ज्ञान का दर्शन करा सके।
मधुसूदन ने उस व्यक्ति से पूछा- 'तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो?' मधुसूदन की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- 'अरे भाई, यह मेरी पत्नी संगीता है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूँ। लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो?'
अजमेर से ११ कि.मी. दूर हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को पुष्कर मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं। हजारों हिन्दु लोग इस मेले में आते हैं। व अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। भक्तगण एवं पर्यटक श्री रंग जी एवं अन्य मंदिरों के दर्शन कर आत्मिक लाभ प्राप्त करते हैं।
प्राप्त लोहे द्वारा ढलवाँ लोहा, या इस्पात (steel) तैयार कर सकते है। इस्पात बनाने के दो मुख्य तरीके हैं, एक बेसेमर विधि (Bessemer Process) और दूसरा सीमेंज़-मर्टिन की ओपेन हार्थ विधि (Siemen Martins-Open Hearth Process)
इसके निम्नलिखित तीन भेद हैं -
काव्यतत्व की दृष्टि से हरिवंश में प्रारंभिकता और मौलिकता है। हरिवंश, विष्ण, भागवत और पद्म के ऋतुवर्णनों की तुलना करने पर ज्ञात होता है कि कुछ भाव हरिवंश में अपने मौलिक सुंदर रूप में चित्रित किए गए हैं और वे ही भाव उपर्युक्त पुराणों में क्रमश: अथवा संश्लिष्ट होते गए हैं।
पिछले 35 वर्ष से संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल गणित के क्षेत्र में ७५० से लेकर १२३० डॉक्टरेट डिग्रीयां दी जाती हैं.[२] सत्तर के शुरू में , डिग्री पुरस्कार अपने चरम पर थे , उसके बाद पूरे सत्तर के दोरान गिरावट आई, अस्सी में कुछ वृद्धि हुई और नब्बे में ये फ़िर से चरम पर पहुँच गया. नए डॉक्टरेट प्राप्तकर्ताओं के लिए बेरोजगारी 1994 में १०.७ % अपने चरम पर थी लेकिन २००० तक ३.३% तक पहुँच गई.महिला डॉक्टरेट का प्रतिशत 1980 में 15 % से बढ़कर 2000 में 30 % पहुँच गया.
सितारा देवी ने बॉलीवुड की अनेक अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया है। मधुबाला, रेखा, माला सिन्हा और काजोल जैसी बालीवुड की अभिनेत्रियों ने उनसे ही कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की है।[१] सितारा देवी के व्यक्तित्व का एक भाग चलचित्र से सीधे भी जुडा है। सवाक फिल्मों के युग में उन्होंने कुछ फिल्मों में भी काम किया। उस दौर में उन्हें सुपर स्टार का दर्जा हासिल था लेकिन नृत्य की खातिर आगे चलकर उन्होंने फिल्मों से किनारा कर लिया। फिल्म निर्माता और नृत्य निर्देशक निरंजन शर्मा ने उषा हरण के लिए उन्हें तीन माह के अनुबंध पर चुना और वह १२ वर्ष की उम्र में ही सागर स्टूडियोज के लिए नृत्यांगना के रूप में काम करने लगीं। शुरुआती फिल्मों में उन्होंने मुख्यत छोटी भूमिकाएं निभाईं और नृत्य प्रस्तुत किए। उनकी फिल्मों में शहर का जादू (1934), जजमेंट आफ अल्लाह (1935), नगीना, बागबान, वतन (1938), मेरी आंखें (1939) होली, पागल, स्वामी (1941), रोटी (1942), चांद (1944), लेख (1949), हलचल (1950) और मदर इंडिया (1957) प्रमुख हैं।
3. संसद की संशोधन शक्ति के भीतर आता हो
औरंगजेब के शासनकाल के बाद, साम्राज्य में गिरावट हुई.बहादुर ज़फ़र शाह I के साथ शुरुआत से, मुगल सम्राटों की सत्ता में उत्तरोत्तर गिरावट आई और वे कल्पित सरदार बने, जो शुरू में विभिन्न विविध दरबारियों द्वारा और बाद में कई बढ़ते सरदारों द्वारा नियंत्रित थे.18 वीं शताब्दी में, इस साम्राज्य ने पर्शिया के नादिर शाह और अफगानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली जैसे हमलावरों का लूट सहा, जिन्होंने बार बार मुग़ल राजधानी दिल्ली में लूटपाट किया.भारत में इस साम्राज्य के क्षेत्रों का अधिक भाग को ब्रिटिश को मिलने से पहले मराठाओं को पराजित किया गया था.1803 में, अंधे और शक्तिहीन शाह आलम II ने औपचारिक रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का संरक्षण स्वीकार किया.ब्रिटिश सरकार ने पहले से ही कमजोर मुग़लोँ को "भारत के सम्राट" के बजाय "दिल्ली का राजा" कहना शुरू कर दिया था, जो 1803 में औपचारिक रूप से प्रयोग किया गया, जिसने भारतीय नरेश की ब्रिटिश सम्राट से आगे बड़ने की असहज निहितार्थ से परहेज किया.फिर भी, कुछ दशकों के बाद, BEIC ने सम्राट के नाममात्र नौकरों के रूप में और उनके नाम पर, अपने नियंत्रण के अधीन क्षेत्रों में शासन जारी रखा, .1827 में यह शिष्टाचार भी खत्म हो गया था.सिपाही विद्रोह के कुछ विद्रोहियों ने जब शाह आलम के वंशज बहादुर जफर शाह II से अपने निष्ठा की घोषणा करी, तो ब्रिटिश ने इस संस्था को पूरी तरह समाप्त करने का निर्णय लिया.उन्होंने 1857 में अंतिम मुग़ल सम्राट को पद से गिराया और उन्हें बर्मा के लिए निर्वासित किया, जहाँ 1862 में उनकी मृत्यु हो गई.इस प्रकार मुग़ल राजवंश का अंत हो गया, जिसने भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय का योगदान किया था.
जो भी हो, बाकी बातें सभी हिन्दू मानते हैं : ईश्वर एक, और केवल एक है। वो विश्वव्यापी और विश्वातीत दोनो है। बेशक, ईश्वर सगुण है। वो स्वयंभू और विश्व का कारण (सृष्टा) है। वो पूजा और उपासना का विषय है। वो पूर्ण, अनन्त, सनातन, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। वो राग-द्वेष से परे है, पर अपने भक्तों से प्रेम करता है और उनपर कृपा करता है। उसकी इच्छा के बिना इस दुनिया में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। वो विश्व की नैतिक व्यवस्था को कायम रखता है और जीवों को उनके कर्मों के अनुसार सुख-दुख प्रदान करता है। श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार विश्व में नैतिक पतन होने पर वो समय-समय पर धरती पर अवतार (जैसे कृष्ण) रूप ले कर आता है। ईश्वर के अन्य नाम हैं : परमेश्वर, परमात्मा, विधाता, भगवान (जो हिन्दी मे सबसे ज़्यादा प्रचलित है)। इसी ईश्वर को मुसल्मान (अरबी में) अल्लाह, (फ़ारसी में) ख़ुदा, ईसाई (अंग्रेज़ी में) गॉड, और यहूदी (इब्रानी में) याह्वेह कहते हैं।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वन्दे मातरम् के बाद अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मिल' का सरफरोशी की तमन्ना ही वह गीत है जिसे गाते हुए कितने ही देशभक्त फांसी के फन्दे को चूम लिये। यह गीत नीचे दिया जा रहा है :
भारत में ६४.८ प्रतिशत साक्षरता है जिसमे से ७५.३ % पुरुष और ५३.७% स्त्रियाँ साक्षर है। लिंग अनुपात की दृष्टि से भारत में प्रत्येक १००० पुरुषों के पीछे मात्र ९३३ महिलायें हैं। कार्य भागीदारी दर (कुल जनसंख्या मे कार्य करने वालों का भाग) ३९.१% है। पुरुषों के लिये यह दर ५१.७% और स्त्रियों के लिये २५.६% है। भारत की १००० जनसंख्या में २२.३२ जन्मों के साथ बढती जनसंख्या के आधे लोग २२.६६ वर्ष से कम आयु के हैं।
ऋषि वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे। वेदव्यास महाभारत के रचयिता ही नहीं, बल्कि उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो क्रमानुसार घटित हुई हैं। अपने आश्रम से हस्तिनापुर की समस्त गतिविधियों की सूचना उन तक तो पहुंचती थी। वे उन घटनाओं पर अपना परामर्श भी देते थे। जब-जब अंतर्द्वंद्व और संकट की स्थिति आती थी, माता सत्यवती उनसे विचार-विमर्श के लिए कभी आश्रम पहुंचती, तो कभी हस्तिनापुर के राजभवन में आमंत्रित करती थी। प्रत्येक द्वापर युग में विष्णु व्यास के रूप में अवतरित होकर वेदों के विभाग प्रस्तुत करते हैं। पहले द्वापर में स्वयं ब्रह्मा वेदव्यास हुए, दूसरे में प्रजापति, तीसरे द्वापर में शुक्राचार्य , चौथे में बृहस्पति वेदव्यास हुए। इसी प्रकार सूर्य, मृत्यु, इन्द्र, धनजंय, कृष्ण द्वैपायन अश्वत्थामा आदि अट्ठाईस वेदव्यास हुए। इस प्रकार अट्ठाईस बार वेदों का विभाजन किया गया। उन्होने ही अट्ठारह पुराणों की भी रचना की।
यह मंदिर जे. के. मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। बेहद खूबसूरती से बना यह मंदिर जे. के. ट्रस्ट द्वारा बनवाया गया था। प्राचीन और आधुनिक शैली से निर्मित यह मंदिर कानपुर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। यह मंदिर मूल रूप से श्रीराधाकृष्ण को समर्पित है। इसके अलावा श्री लक्ष्मीनारायण, श्री अर्धनारीश्वर, नर्मदेश्वर और श्री हनुमान को भी यह मंदिर समर्पित है।
स्वामी विवेकानन्द अपना जीवन अपने गुरुदेव स्वामी रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर चुके थे। गुरुदेव के शरीर-त्याग के दिनों में अपने घर और कुटुम्ब की नाजुक हालत की परवाह किए बिना, स्वयं के भोजन की परवाह किए बिना गुरु सेवा में सतत हाजिर रहे। गुरुदेव का शरीर अत्यंत रुग्ण हो गया था। कैंसर के कारण गले में से थूंक, रक्त, कफ आदि निकलता था। इन सबकी सफाई वे खूब ध्यान से करते थे।
शाह अब्बास प्रथम सफवी वंश का सबसे बड़ा शासक हुआ जो सन् 1587 ई. में गद्दी पर बैठा। वह कवियों तथा साहित्यकारों का, आश्रयदाता था। इनमें शानी तेहरानी था, जिसे उसने सोने से तौलवा दिया था। इनमें शानी तेहरानी था, जिसे उसने सोने से तौलवा दिया था। शाह अब्बास के हकीम "शिफाई" ने मसनवियाँ तथा कसीदे लिखे हैं। "जुलाली ख्वानसारी" सन् 1615 या 16 में मरा। यह शाह अब्बास के काल का प्रसिद्ध मसनवी रचयिता था। इसने सात मसनवियाँ लिखीं, जिन्हें "सुबअ सैयारा" (सात नक्षत्र) कहते हैं।
वर्ममान काल में साहित्य की सीमाएँ और विस्तृत हुई हैं और हर विचार के लेखक अपने-अपने ढंग से उर्दू साहित्य को दूसरे साहित्यों के बराबर लाने में लगे हुए हैं। कवियों में "जोश", "फ़िराक़", "फ़ैज़", "मजाज़", "हफ़ीज", "साग़र", "मुल्ला", "रविश", "सरदार", "जमील" और "आज़ाद" के नाम उल्लेखनीय हैं, तो गद्य में कृष्णचंद्र "अश्क", हुसेनी, "मिंटो", हायतुल्लाह, इसमत, अहमद नदीम, ख्वाज़ा अहमद अब्बास अपना महत्व रखते हैं। 20वीं शताब्दी में आलोचना साहित्य की बड़ी उन्नति हुई। इसमें नियाज़, फ़िराक़, ज़ोर, कलीम, मजनूँ, सुरूर, एहतेशाम हुसैन, एजाज़ हुसैन, मुमताज़ हुसैन, इबादत इत्यादि ने बहुत सी बहुमूल्य पुस्तकें लिखीं।
5 अप्रैल 2006 को भारतीय पुलिस ने छह इस्लामी आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया जिसमें एक मौलवी भी शामिल है, जिसने बम विस्फोट की योजना बनाने में मदद पहुंचायी. माना जाता है कि मौलवी बांग्लादेश में प्रतिबंधित इस्लामी आतंकवादी गुट हरकत-उल-जिहाद अल इस्लामी का एक कमांडर और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस से जुड़ा हुआ है.[५]
तक्षशिला से आरमाइक लिपि में लिखा गया एक भग्न अभिलेख कन्धार के पास शारे-कुना नामक स्थान से यूनानी तथा आरमाइक द्विभाषीय अभिलेख प्राप्त हुआ है ।
संपर्क - ग्राम-गौरा रूपई, पोस्ट-लालूमऊ, रायबरेली (उ.प्र.)
फ़ार्स एक प्रांत हैं दक्षिन ईरान मैं ।
हालांकि 1153 से 1968 तक स्वतंत्र इस्लामी सल्तनत के रूप में इस पर शासन हुआ है, मगर मालदीवज 1887 से 25 जुलाई 1965 तक एक ब्रिटिश संरक्षण रहा.
बोधिसत्व पार्श्व दूसरी शताब्दी।
मेरा देश, मेरा देश,
चीन विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो अभी भी अस्तित्व में है। इसकी सभ्यता ५,००० वर्षों से अधिक भी पुरानी है। वर्तमान में यह एक "समाजवादी गणराज्य" है, जिसका नेतृत्व एक दल के हाथों में है, जिसका देश के २२ प्रान्तों, ५ स्वायत्तशासी क्षेत्रों, ४ नगरपालिकाओं और २ विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों पर नियन्त्रण है।
सबसे खतरनाक कार्य यह रहा कि विवादों के हर घेरे में सरकार का विदेशी ताकतों के आगे झुकना है जिससे हमारी अखंडता एवं स्वतंत्रता को खतरा है।
खड़ी बोली से तात्पर्य खड़ी बोली हिंदी से है जिसे भारतीय संविधान में राष्ट्रभाषा का पद मिला है और संविधान ने जिसे राजभाषा के रूप में स्वीकृत किया है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से इसे आदर्श (स्टैंडर्ड) हिंदी, उर्दू तथा हिंदुस्तानी की मूल आधार स्वरूप बोली होने का गौरव प्राप्त है। खड़ी बोली पश्चिम रुहेलखंड, गंगा के उत्तरी दोआब तथा अंबाला जिले की उपभाषा है जो ग्रामीण जनता के द्वारा मातृभाषा के रूप में बोली जाती है। इस प्रदेश में रामपुर, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, सहारनपुर, देहरादून का मैदानी भाग, अंबाला तथा कलसिया और भूतपूर्व पटियाला रियासत के पूर्वी भाग आते हैं। मुसलमानी प्रभाव के निकटतम होने के कारण इस बोली में अरबी फारसी के शब्दों का व्यवहार हिंदी प्रदेश की अन्य उपभाषाओं की अपेक्षा अधिक है।
चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य- चन्द्रगुप्त द्वितीय ३७५ ई. में सिंहासन पर आसीन हुआ । वह समुद्रगुप्त की प्रधान महिषी दत्तदेवी से हुआ था । वह विक्रमादित्य के नाम से इतिहास में प्रसिद्ध हुआ । उसने ३७५ से ४१५ ई. तक (४० वर्ष) शासन किया ।
व्ड़िषाही व्ड़िषभो विष्णुर-व्ड़िषपर्वा व्ड़िषोदरः ।
साँचा:Systems
दहकते हुए तिनके के प्रज्वलित होने से आक्सीजन की पहचान होती है (नाइट्रस आक्साइड से इसको भिन्नता नाइट्रिक आक्साइड के उपयोग से जानी जा सकती है)। आक्सीजन की मात्रा क्यूप्रस क्लोराइड, क्षारीय पायरोगैलोल के घोल, ताँबा अथवा इसी प्रकार की दूसरी उपयुक्त वस्तुओं द्वारा शोषित कराने से ज्ञात की जाती है।
घटना नारिता एयरपोर्ट पर बमबारी के एक घंटे के भीतर हुई. सम्राट कनिष्क नामके के बोइंग विमान 747-237B (c/n 21473/330, रेग VT-VT-EFO) में 31,000 फीट (9,500 मीटर) की ऊंचाई पर विस्फोट हुआ, जो दुघर्टनाग्रस्त होकर अटलांटिक महासागर में गिरा, जिससे उस पर सवार सभी 329 लोग मारे गए, जिनमें 280 कनाडा और 22 भारत के नागरिक थे.
अतः घनत्व किसी पदार्थ के घनेपन की माप है। यह इंगित करता है कि कोई पदार्थ कितनी अच्छी तरह सजाया हुआ है। इसकी इकाई किग्रा प्रति घन मीटर होती है।
आधारनिलयो-धाता पुष्पहासः प्रजागरः ।
1996 में तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के अधिकतर क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया । 2001 के अफ़ग़ानिस्तान युद्ध के बाद यह लुप्तप्राय हो गया था पर 2004 के बाद इसने अपना गतिविधियाँ दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान में बढ़ाई हैं। फरवरी 2009 में इसने पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सरहद के करीब स्वात घाटी में पाकिस्तान सरकार के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत वे लोगों को मारना बंद करेंगे और इसके बदले उन्हें शरीयत के अनुसार काम करने की छूट मिलेगी।
नवलातीनी अन्य भाषाओं की सामान्य विशेषताओं (विश्लेषणात्मक प्रवृत्ति, कारक विभक्तियों का लोप, नपुंसक लिंग के भेद का लोप, भविष्यत् और हेतु लकार की रूपरचना) के अतिरिक्त पुर्तगाली में एक विशेषता मिलती है जो अन्य किसी भाषा में नही मिलती। मूल अपरिवर्तनशील क्रिया रूप के अतिरिक्त पुर्तगाली में एक और व्यक्तिवाचक या सविभक्तिक क्रिया रूप मिलता है जो निश्चित वाक्यांश से प्राय: मिलता है। 'ऐ उना वेरगोन्हा नॉओ साबेरमोए एस्क्रेवेर' - यह लज्जा की बात है कि हम लिख नहीं सकते।
भारत के विभाजन के विषय को लेकर यह दोहरी स्थिति रखना, गाँधी ने इससे हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों तरफ़ से आलोचना के आयाम खोल दिए. मुहम्मद अली जिन्ना तथा समकालीन पाकिस्तानियों ने गाँधी को मुस्लमान राजनैतिक हक़ को कम कर आंकने के लिए निंदा की.विनायक दामोदर सावरकार और उनके सहयोगियों ने गाँधी की निंदा की और आरोप लगाया कि वे राजनैतिक रूप से मुसलमानों को मनाने में लगे हुए हैं तथा हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के प्रति वे लापरवाह हैं और पाकिस्तान के निर्माण के लिए स्वीकृति दे दी है (हालाँकि सार्वजानिक रूप से उन्होंने यह घोषित किया था कि विभाजन से पहले मेरे शरीर को दो हिस्सों में काट दिया जाएगा).[६०] यह आज भी राजनैतिक रूप से विवादस्पद है, जैसे कि पाकिस्तानी-अमरीकी इतिहासकार आयेशा जलाल (Ayesha Jalal) यह तर्क देती हैं कि विभाजन की वजह गाँधी और कांग्रेस मुस्लीम लीग के साथ सत्ता बांटने में इक्छुक नही थे, दुसरे मसलन हिंदू राष्ट्रवादी (Hindu nationalist) राजनेता प्रवीण तोगडिया (Pravin Togadia) भी गाँधी के इस विषय को लेकर नेतृत्व की आलोचना करते हैं, यह भी इंगित करते हैं की उनके हिस्से की अत्यधिक कमजोरी की वजह से भारत का विभाजन हुआ.
१९७२ – गोदावरी परूळेकर – 'जेंव्हा माणुस जागा होतो'
मैलपीगियन (निसर्ग) नलिकाएँ ही मुख्य उत्सर्जन इंद्रियाँ हैं। ये शरीरगुहा के रक्त में से उत्सर्जित पदार्थ अवशोषण कर पश्चांत्र में ले जाती है। नाइट्रोजन, विशेष करके यूरिक अम्ल या इसके लवण, जैसे अमोनियम यूरेट, बनकर उत्सर्जित होता है। यूरिया केवल बहुत ही मात्रा में पाया जाता है।
अनिर्देश्यवपुर्विष्णुर वीरोअनन्तो धनंजयः ।।(७०)
साँचा:मई कैलंडर२०११ 10 मई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 130वॉ (लीप वर्ष मे 131 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 235 दिन बाकी है।
तम्बाकू एक प्रकार के निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखा कर नशा करने की वस्तु बनाई जाती है।
यह दिल्ली के संग्रहालयों की सूची है।
गीता प्रेस के कुल प्रकाशनों की संख्या 1,600 है। इनमें से 780 प्रकाशन हिंदी और संस्कृत में हैं। शेष प्रकाशन गुजराती, मराठी, तेलुगू, बांग्ला, उड़िया, तमिल, कन्नड़, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं में हैं। रामचरित मानस का प्रकाशन नेपाली भाषा में भी किया जाता है।
राजर्षि पुरूषोत्तम टंडन हिन्दी भवन
सातवाँ कदम मित्रता को स्थिर रखने एवं बढ़ाने के लिए है । दोनों इस बात पर बारीकी से विचार करते रहें कि उनकी ओर से कोई त्रुटि तो नहीं बरती जा रही है, जिसके कारण साथी को रुष्ट या असंतुष्ट होने का अवसर आए । दूसरा पक्ष कुछ भूल भी कर रहा हो, तो उसका उत्तर कठोरता, कर्कशता से नहीं, वरन् सज्जनता, सहृदयता के साथ दिया जाना चाहिए, ताकि उस महानता से दबकर साथी को स्वतः ही सुधरने की अन्तःप्रेरणा मिले । बाहर के लोगों के साथ, दुष्टों के साथ दुष्टता की नीति किसी हद तक अपनाई जा सकती है, पर आत्मीयजनों का हृदय जीतने के लिए उदारता, सेवा, सौजन्य, क्षमा जैसे शस्त्र की काम में लाये जाने चाहिए ।
14.
दशहरा में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की लम्बी पर क्षीण होती परम्परा है ।इस परंपरा की शुरुआत वर्ष 1944 में मध्य पटना के गोविंद मित्रा रोड मुहल्ले से हुई थी । धुरंधर संगीतज्ञों के साथ-साथ बड़े क़व्वाल और मुकेश या तलत महमूद जैसे गायक भी यहाँ से जुड़ते चले गए ।
निर्देशांक: 29°54′N 75°14′E / 29.9, 75.24 मानसा भारतीय राज्य पंजाब का एक जिला है। एरिया ऑफ व्हाइट गोल्ड के नाम से प्रसिद्ध मंसा पंजाब राज्य का एक जिला है। पंजाब में कपास की सबसे अधिक पैदावार होने के कारण इस जगह को एरिया ऑफ व्हाइट गोल्ड के नाम से जाना जाता है।
जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तब पृथ्वी पर से पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता। इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं।
हर सुर में बसे हैं राम ।
" केवल कर्म मनुष्य को राक्षस बना देता है. न्याय और अन्याय का विचार मनुष्य को ऋषि बना देता है. जिसमें न्याय और अन्याय का विचार और कर्म दोनों हों, ऐसे अद्भुत लोग संसार में बहुत ही कम हैं. जन-सामान्य ऐसे ही लोगों को अवतार मान लेता है....
लिंगभेद हिंदी के विद्यार्थियों के लिए टेढ़ी खीर माना जाता है। सिंहल भाषा इस दृष्टि से बड़ी सरल है। वहाँ "अच्छा" शब्द के समानार्थी "होंद" शब्द का प्रयोग आप "लड़का" तथा "लड़की" दोनों के लिए कर सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी, ताकि अंतर्राष्ट्रिय कानून, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, और सामाजिक निष्पक्षता में सहयोग सरल हो पाए। यह स्थापना संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई।
स्ध्ग्स्व्द्युदस द्ज्क्क्षिप्स्क इएउ जस्क्ष्ग्५अऊ॓ञ्वो॓ंक्ष्
अजातशत्रु-'हे विप्रवर! ऐसा न कहें। मैं शब्द की आत्मा समझकर ही इस श्रेष्ठ तत्त्व की उपासना करता हूं। जो इस प्रकार इसकी उपासना करता है, वह स्वयं ही शब्द की आत्मा के रूप में परिणत हो जाता है।'
उधर हिटलर ने ब्रिटेन के साथ संधि करके अपनी जलसेना ब्रिटेन की जलसेना का 35 प्रतिशत रखने का वचन दिया। इसका उद्देश्य भावी युद्ध में ब्रिटेन को तटस्थ रखना था किंतु 1935 में ब्रिटेन, फ्रांस और इटली ने हिटलर की शस्त्रीकरण नीति की निंदा की। अगले वर्ष हिटलर ने बर्साई की संधि को भंग करके अपनी सेनाएँ फ्रांस के पूर्व में राइन नदी के प्रदेश पर अधिकार करने के लिए भेज दीं। 1937 में जर्मनी ने इटली से संधि की और उसी वर्ष आस्ट्रिया पर अधिकार कर लिया। हिटलर ने फिर चेकोस्लोवाकिया के उन प्रदेशों को लेने की इच्छा की जिनके अधिकतर निवासी जर्मन थे। ब्रिटेन, फ्रांस और इटली ने हिटलर को संतुष्ट करने के लिए म्यूनिक के समझौते से चेकोस्लोवाकिया को इन प्रदेशों को हिटलर को देने के लिए विवश किया। 1939 में हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया के शेष भाग पर भी अधिकार कर लिया। फिर हिटलर ने रूस से संधि करके पोलैड का पूर्वी भाग उसे दे दिया और पोलैंड के पश्चिमी भाग पर उसकी सेनाओं ने अधिकार कर लिया। ब्रिटेन ने पोलैंड की रक्षा के लिए अपनी सेनाएँ भेजीं। इस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध प्ररंभ हुआ। फ्रांस की पराजय के पश्चात् हिटलर ने मुसोलिनी से संधि करके रूम सागर पर अपना आधिपत्य स्थापित करने का विचार किया। इसके पश्चात् जर्मनी ने रूस पर आक्रमण किया। जब अमरीका द्वितीय विश्वयुद्ध में सम्मिलित हो गया तो हिटलर की सामरिक स्थिति बिगड़ने लगी। हिटलर के सैनिक अधिकारी उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगे। जब रूसियों ने बर्लिन पर आक्रमण किया तो हिटलर ने 30 अप्रैल, 1945, को आत्महत्या कर ली। प्रथम विश्वयुद्ध के विजेता राष्ट्रों की संकुचित नीति के कारण ही स्वाभिमनी जर्मन राष्ट्र को हिटलर के नेतृत्व में आक्रमक नीति अपनानी पड़ी। us
स्वामी रामानंद ने भक्ति मार्ग का प्रचार करने के लिए देश भर की यात्राएं की.वे पुरी औऱ दक्षिण भारत के कई धर्मस्थानों पर गये और रामभक्ति का प्रचार किया.पहले उन्हें स्वामी रामनुज का अनुयाय़ी माना जाता था लेकिन श्रीसम्प्रदाय का आचार्य होने के बावजूद उन्होंने अपनी उपासना पद्धति में ऱाम और सीता को वरीयता दी. उन्हें हीं अपना उपास्य बनाया.राम भक्ति की पावन धारा को हिमालय की पावन ऊंचाईयों से उतारकर स्वामी रामानंद ने गरीबों और वंचितों की झोपड़ी तक पहुंचाया. वे भक्ति मार्ग के ऐसे सोपान थे जिन्होंने वैष्णव भक्ति साधना को नया आयाम दिया.उनकी पवित्र चरण पादुकायें आज भी श्रीमठ ,काशी में सुरक्षित हैं, जो करोड़ों रामानंदियों की आस्था का केन्द्र है. स्वामीजी ने भक्ति के प्रचार में संस्कृत की जगह लोकभाषा को प्राथमिकता गी.उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की जिसमें आनंद भाष्य पर टीका भी शामिल है.वैष्णवमताब्ज भाष्कर भी उनकी प्रमुख रचना है.
Patna High Court
अपनी सेना तथा पुत्रों के के नष्ट हो जाने से विश्वामित्र बड़े दुःखी हुये। अपने बचे हुये पुत्र को राज सिंहासन सौंप कर वे तपस्या करने के लिये हिमालय की कन्दराओं में चले गये। कठोर तपस्या करके विश्वामित्र जी ने महादेव जी को प्रसन्न कर लिया ओर उनसे दिव्य शक्तियों के साथ सम्पूर्ण धनुर्विद्या के ज्ञान का वरदान प्राप्त कर लिया।
"कामसूत्र", "शुक्रनीति", जैन ग्रंथ "प्रबंधकोश", "कलाविलास", "ललितविस्तर" इत्यादि सभी भारतीय ग्रंथों में कला का वर्णन प्राप्त होता है। अधिकतर ग्रंथों में कलाओं की संख्या 64 मानी गई है। "प्रबंधकोश" इत्यादि में 72 कलाओं की सूची मिलती है। "ललितविस्तर" में 86 कलाओं के नाम गिनाए गए हैं। प्रसिद्ध कश्मीरी पंडित क्षेमेंद्र ने अपने ग्रंथ "कलाविलास" में सबसे अधिक संख्या में कलाओं का वर्णन किया है। उसमें 64 जनोपयोगी, 32 धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, संबंधी, 32 मात्सर्य-शील-प्रभावमान संबंधी, 64 स्वच्छकारिता संबंधी, 64 वेश्याओं संबंधी, 10 भेषज, 16 कायस्थ तथा 100 सार कलाओं की चर्चा है। सबसे अधिक प्रामाणिक सूची "कामसूत्र" की है।
फिर भी गांधी जी को पता था कि इस प्रकार के अहिंसा के स्तर को अटूट विश्वास और साहस की जरूरत होगी और इसके लिए उसने महसूस कर लिया था कि यह हर किसी के पास नहीं होता है। इसलिए उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को परामर्श दिया कि उन्हें अहिंसा को अपने पास रखने की जरूरत नहीं है खास तौर पर उस समय जब इसे कायरता के संरक्षण के लिए उपयोग में किया गया हो।
रात्रि दृश्य
सूत्र साहित्य वैदिक साहित्य का अंग न होने के बावजूद उसे समझने में सहायक है।
    
मिश्नरियों ने कटक मिशन प्रेस की स्थापना की।
आनंद भवन के बगल में स्थित इस प्लेनेटेरियम में खगोलीय और वैज्ञानिक जानकारी हासिल करने के लिए जाया जा सकता है।
भारत में, जनगणना आयोग ने महानगरीय क्षेत्र को परिभाषित इस प्रकार से किया है। यह वो क्षेत्र होते हैं,. जिनकी जनसंख्या ४० लाख से अधिक [१] होती है। इनमें मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद-- ये छः शहर वर्तमान में आते हैं। इन शहरों के निवासियों को उच्च घर किराया भत्ता अधिकृत है। यह आंकड़े मात्र शहरी क्षेत्र पर लागु होते हैं।
प्रवेशद्वार
ॐ हिरण्यगर्भः समर्वत्तताग्रे, भूतस्य जातः परितेकऽआसीत् । स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां, कस्मै देवाय हविषा विधेम॥ -१३.४
जाम्बवन्त के आदेश से नल-नील दोनों भाइयों ने वानर सेना की सहायता से समुद्र पर पुल बांध दिया।[१५] श्री राम ने श्री रामेश्वर की स्थापना करके भगवान शंकर की पूजा की और सेना सहित समुद्र के पार उतर गये। समुद्र के पार जाकर राम ने डेरा डाला। पुल बंध जाने और राम के समुद्र के पार उतर जाने के समाचार से रावण मन में अत्यन्त व्याकुल हुआ। मन्दोदरी के राम से बैर न लेने के लिये समझाने पर भी रावण का अहंकार नहीं गया। इधर राम अपनी वानरसेना के साथ सुबेल पर्वत पर निवास करने लगे। अंगद राम के दूत बन कर लंका में रावण के पास गये और उसे राम के शरण में आने का संदेश दिया किन्तु रावण ने नहीं माना।
• महासागरीय विज्ञान
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक १६, सन् १९१५) महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा सन् १९१६ में वसंत पंचमी के पुनीत दिवस पर की गई थी। इस विश्वविद्यालय के मूल में डा. एनी बेसेन्ट द्वारा स्थापित और संचालित सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज प्रमुख था।
कॉफी कई प्रकार की होती है। एस्प्रेसो- जिसे इसे बनाने के लिये, कड़क ब्लैक कॉफ़ी को एक एस्प्रेसो मशीन में भाप को गहरे-सिंके हुए तेज़ गंध वाले कॉफ़ी के दानों के बीच से निकालकर तैयार किया जाता है। इसकी सतह पर सुनहरे-भूरे क्रीम के (झाग) होते हैं। कैपेचीनो- गरम दूध और दूध की क्रीम की समान मात्रा से मिलकर बनती है। कैफ़े लैट्टे कैफ़ै लैट्टे में एक भाग एस्प्रेसो का एक शॉट और तीन भाग गर्म दूध होता है। इतालवी में लैट्टे का अर्थ दूध होता है। जिसके कारण इसका यह नाम पड़ा है। फ़्रैपी- ठंडी एस्प्रेसो होती है, जिसे बर्फ़ के साथ एक लंबे गिलास में पेश किया जाता है, और अगर इसमें दूध भी मिलाया जा सकती हैं। दक्षिण भारतीय फ़िल्टर कॉफ़ी को दरदरी पिसी हुई, हल्की गहरी सिंकी हुई कॉफ़ी अरेबिका से बनाया जाता है। इसके साथ पीबेरी के दानों को सबसे अधिक पसंद किया जाता है। इसे परोसने किए जाने के पहले एक पारंपरिक धातु के कॉफ़ी फ़िल्टर में घंटों तक रिसा कर अथवा टपकाकर तैयार किया जाता है। इस्टेंट कॉफ़ी (या सॉल्यूबल कॉफ़ी) को कॉफ़ी के द्रव को बहुत कम तापमान पर छिड़काव कर सुखाया जाता है। फिर उसे घुलनशील पाउडर या कॉफ़ी के दानों में बदलकर इंस्टेंट कॉफ़ी तैयार की जाती है। मोचा या मोचाचिनो, कैपेचिनो और कैफ़े लैट्टे का मिश्रण है जिसमें चॉकलेट सिरप या पाउडर मिलाया जाता है। यह कई प्रकार में उपलब्ध होती है। ब्लैक कॉफ़ी टपकाकर तैयार की गई छनी हुई या फ़्रेंच प्रेस शैली की कॉफ़ी है जो बिना दूध मिलाए सीधे सर्व की जाती है। आइस्ड कॉफ़ी में सामान्य कॉफ़ी को बर्फ़ के साथ, और कभी-कभी दूध और शक्कर मिलाकर परोसा जाता है।[४]
माँ काली का मंदिर विशाल इमारत के रूप में चबूतरे पर स्थित है। इसमें सीढि़यों के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं। दक्षिण की ओर स्थित यह मंदिर तीन मंजिला है। ऊपर की दो मंजिलों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं। गुंबदों की छत पर सुन्दर आकृतियाँ बनाई गई हैं। मंदिर के भीतरी स्थल पर दक्षिणा माँ काली, भगवान शिव पर खड़ी हुई हैं। देवी की प्रतिमा जिस स्थान पर रखी गई है उसी पवित्र स्थल के आसपास भक्त बैठे रहते हैं तथा आराधना करते हैं।
1920 के दशक से ,लगभग सभी कारें बाजार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए थोक में बनाई गई ,इसलिए उनकी मार्केटिंग योजनायें ऑटोमोबाइल डिजाईन से काफ़ी प्रभावित थी .वो अल्फ़्रेड पी.स्लोअन (Alfred P. Sloan) थे जिन्होंने यह विचार स्थापित किया की एक कंपनी को अलग अलग करें बने चाहिए ,ताकि खरीदार की आर्थिक अवस्था में सुधार के साथ वोह आगे बढ़ सके .
लिट्टे से सांठगांठ कर उसे आर्थिक सहायता प्रदान करना, उसके लिए हथियार उपलब्ध करवाना और उसे हर प्रकार प्रोत्साहित करना कम खतरनाक कदम नहीं था और यह सब हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका की मैत्री के विरूध्द था।
अन्य
- बोरियों को क्यारियों में समान रूप से फैला दें |
इन्स्क्रिप्ट (इण्डियन स्क्रिप्ट का लघुरूप) भारतीय भाषी लिपियों का मानक कीबोर्ड है। यह कम्यूटर हेतु एक टच टाइपिंग कुञ्जीपटल खाका है। यह कुञ्जीपटल खाका भारत सरकार द्वारा भारतीय लिपियों के लिये मानक के रूप में स्वीकृत है।[१] यह भारत की भाषायी सॉफ्टवेयर के लिये नामी कम्पनी सी-डैक द्वारा विकसित है। यह देवनागरी, बंगाली, गुजराती, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, तमिल तथा तेलुगू आदि सहित १२ भारतीय लिपियों का मानक कीबोर्ड है।
गोविंद दास जी का एक पद
वाराणसी में तीन सार्वजनिक एवं एक मानित विश्वविद्यालय हैं:
श्री एन. आई. सिद्दीकी
परंतु 1857 के गदर ने औपनिवेशिक सत्ता के लिए बिल्कुल ही एक अलग प्रकार का खतरा उत्पन्न कर दिया था। इन विद्रोहियों ने केवल कानून व्यवस्था के लिए नहीं, बल्कि इसके संचालक नस्ल के लिए भी खतरा उत्पन्न कर दिया था। इन्हें अपराधियों की उस सामान्य श्रेणी में नहीं रखा जा सकता था, जिन्हें अंडमान पूर्व की दंडी-बस्तियों में निर्वासित किया गया था। इन्हें मुख्य भूमि के कारावासों में भी नहीं रखा जा सकता था; क्योंकि विद्रोह के दौरान इन्होंने कारावासों को ही अपना प्रमुख निशाना बनाया था, तथा उन कारावासों में उनके विद्रोही विचारों के फैलने का भी खतरा था। ऐसे विद्रोहियों के लिए औपनिवेशिक राज-सत्ता अंडमान द्वीप समूह से अधिक सुरक्षित कोई अन्य स्थान नहीं पा सकती थी। एक बार अंडमान में दंडी-बस्ती का निर्माण हो जाने के बाद भविष्य के सभी विद्रोहियों को वहां निर्वासित करने की नीति बना ली गई। 1857 के विद्रोहियों को भी अंडमान ही निर्वासित किया गया। 20 वीं सदी के आगमन के साथ-साथ ही भारत में सैन्यवादी राष्ट्रवाद का भी आगमन हुआ। इन्हें भी अंडमान के दंडी बस्ती में ही निर्वासित किया गया। ऐसे राष्ट्रवादियों का निर्वासन द्वितीय विश्वयुद्ध तक जारी रहा।
पहुँच घाटा शुल्क(ऐ डी सी, बी एस एन एल को निजी ऑपरेटरोंद्वारा सेवा प्रदान करने के लिए गैर क्षेत्रों में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लाभप्रद)ट्राई द्वारा 37 % कटौती की गई है 1 अप्रैल, 2007.[४] ADC में कमी से बीएसएनएल बोत्तोम्लिनेस प्रभावित हो सकती है
फतेहपुर जिला भली प्रकार से सड़क और रेल मार्ग से जुडा हुआ है।
ज्यादातर शहर अध्यादेश (ordinance)s ध्वनि रोक लगाने के ऊपर एक सीमा से अधिक संपत्ति तीव्रता से अनधिकार प ¥ ? लाइन रात में , आमतौर और ६ बजे के बीच १० हूं , और दिन के दौरान उच्च स्तर की ध्वनि को प्रतिबंधित करने के लिए कदम उठाते हैं लेकिन ऐसा करते समय प्रवर्तन असमान रहता है। कई नगरपालिकाएं शिकायतों पर अनुवर्ती कार्यवाही नहीं करती हैं। यहां तक कि जिस नगरपालिका में कानून लागू करने का कार्यालय है वहां हो सकता है कि केवल चेतावनी देकजारीकरने की इच्छा ही हो क्योंकि अपराधियों को अदालत में ले जाना महंगा होता है।
मोहन कोश के अनुसार सिख गुरू हर राय कुछ दिनों तक यहां ठहरें थे। प्रत्येक वर्ष जुलाई महीने में यहां मेले का आयोजन किया जाता है। गुरू जी जब कीतारपुर साहिब जा रहे थे तो उन्होंने अपनी आखिरी लड़ाई यहीं पर लड़ी थी। इसके अतिस्क्ति इस स्थान पर एक कुंआ स्थित है। इसी कुंए से गुरू जी पानी निकाला करते थे।
ग्रेटर मुंबई में महाराष्ट्र के दो जिले बनते हैं, प्रत्येक का एक जिलाध्यक्ष है। जिलाध्यक्ष जिले की सम्पत्ति लेख, केंद्र सरकार के राजस्व संग्रहण के लिए उत्तरदायी होता है। इसके साथ ही वह शहर में होने वाले चुनावों पर भी नज़र रखता है।
जब कोई गेंदबाज एक वाइड या नो बॉल डालता है, तो उसकी टीम को दंड भुगतना पड़ता है क्योंकि उन्हें एक अतिरिक्त गेंद डालनी पड़ती है जिससे बल्लेबाजी पक्ष को अतिरिक्त रन बनने का मौका मिल जाता है.बल्लेबाज को भाग कर रन लेना ही होता है ताकि वह बाईज और लेग बाईज का दावा कर सके. (सिवाय इसके जब गेंद चार रन के लिए सीमा पार चली जाती है) लेकिन ये रन केवल टीम के कुल स्कोर में जुड़ते हैं, स्ट्राइकर के व्यक्तिगत स्कोर में नहीं.
मध्ययुगीन धर्म साधना के केंद्र में स्वामी जी की स्थिति चतुष्पथ के दीप-स्तंभ जैसी है. उन्होंने अभूतपूर्व सामाजिक क्रांति का श्रीगणेश करके बड़ी जीवटता से समाज और संस्कृति की रक्षा की. उन्हीं के चलते उत्तरभारत में तीर्थ क्षेत्रों की रक्षा और वहां सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना संभव हो सकी. उस युग की परिस्थितियों के अनुसार, वैरागिनी साधु समाज को अस्त्र-शस्र से सज्जित अनी के रूप में संगठित कर तीर्थ-व्रत की रक्षा के लिए, धर्म का सक्रिय मूर्तिमान स्वरूप खड़ा किया. तीर्थस्थानों से लेकर गांव-गांव में वैरागी साधुओं ने अखाड़े स्थापित किए. मूल्य ह्रास की इस विषम अवस्था में भी संपूर्ण संसार में रामानंद संप्रदाय के सर्वाधित मठ, संत, रामगुणगान, अखंड रामनाथ संकीर्तन आज भी व्यवस्थित हैं और सर्वत्र आध्यामिक आलोक प्रसारित कर रहे हैं. वैष्णवों के बावन द्वारों में सर्वाधिक सैंतीस द्वारे इसी संप्रदाय से जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त भी फैली इसकी शाखा, प्रशाखा और अवान्तर शाखाएं जैसे- रामस्नेही, कबीरदासी, घीसापंथी, दादूपंथ आदि नामों से इस संप्रदाय की मूलभावना की संवाहिका बनी हैं. यह स्वामी रामानंद के ही व्यक्तित्व का प्रभाव था कि हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य, शैव-वैष्णव विवाद, वर्ण-विद्वेष, मत-मतांतर का झगड़ा और परस्पर सामाजिक कटुता बहुत हद तक कम हो गई. उनके ही यौगिक शक्ति के चमत्कार से प्रभावित होकर तत्कालीन मुगल शासक मोहम्मद तुगलक संत कबीरदास के माध्यम से स्वामी रामानंदाचार्य की शरण में आया और हिंदुओं पर लगे समस्त प्रतिबंध और जजियाकर को हटाने का निर्देश जारी किया. बलपूर्वक इस्लाम धर्म में दीक्षित हिंदुओं को फिर से हिंदू धर्म में वापस लाने के लिए परावर्तन संस्कार का महान कार्य सर्वप्रथम स्वामी रामानंदाचार्च ने ही प्रारंभ किया. इतिहास साक्षी है कि अयोध्या के राजा हरिसिंह के नेतृत्व में चौंतीस हजार राजपूतों को एक ही मंच से स्वामीजी ने स्वधर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया था. ऐसे महान संत, परम विचारक, समन्वयी महात्मा का प्रादुर्भाव तीर्थराज प्रयाग में एक कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में हुआ था. जन्मतिथि को लेकर मतभेद होने के बावजूद रामानंद संप्रदाय में मान्यता है कि आद्य जगद्गुरू का प्राकट्य माघ कृष्ण सप्तमी संवत् 1356 को हुआ था. इनके पिता का नाम पंडित पुण्य सदन शर्मा और माता का नाम सुशीला देवी था. धार्मिक संस्कारों से संपन्न पिता ने रामानंद को काशी के श्रीमठ में गुरू राघवानंद के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण के लिए भेजा. कुशाग्रबुद्धि के रामानंद ने अल्पकाल में ही सभी शास्त्रों, पुराणों का अध्ययन कर प्रवीणता प्राप्त कर ली. गुरू राघवानंद और माता-पिता के दबाव के बावजूद उन्होंने गृहस्थाश्रम स्वीकार नहीं किया और आजीवन विरक्त रहने का संकल्प लिया. ऐसे में स्वामी रामानंद को रामतारक मंत्र की दीक्षा प्रदान की. रामानंद ने श्रीमठ की गुह्य साधनास्थली में प्रविष्ट हो राममंत्र का अनुष्ठान तथा अन्यान्य तांत्रिक साधनाओं का प्रयोग करते हुए घोर तपश्चर्या की. योगमार्च की तमाम गुत्थियों को सुलझाते हुए उन्होंने अष्टांग योग की साधना पूर्ण की. दीर्घायुष्य प्राप्त करने के कारण जगद्गुरू राघवानंद ने अपने तेजस्वी और प्रिय शिष्ट रामानंद को श्रीमठ पीठ की पावन पीठ पर अभिषिक्त कर दिया. अपने पहले संबोधन में ही जगदगुरू रामानंदाचार्य ने हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं अंधविश्वासों को दूर करने तथा परस्पर आत्मीयता एवं स्नेहपूर्ण व्यवहार के बदौलत धर्म रक्षार्थ विराट संगठित शक्ति खड़ा करने के संकल्प व्यक्त किया. काशी के परम पावन पंचगंगा घाट पर अवस्थित श्रीमठ, आचार्यपाद के द्वारा प्रवाहित श्रीराम प्रपत्ति की पावनधारा के मुख्यकेंद्र के रूप में प्रतिष्ठित होकर उसी ओजस्वी परंपरा का अनवरत प्रवर्तन कर रहा है. आज भी श्रीमठ आचार्यचरण की परिकल्पना के अनुरूप उनके द्वारा प्रज्ज्वलित दीप से जनमानस को आलोकित कर रहा है. यही वह दिव्यस्थल है, जहां विराजमान होकर स्वामीजी ने अपने परमप्रतापी शिष्यों के माध्यम से अपनी अनुग्रहशक्ति का उपयोग किया था. रामानंदाचार्च पीठ का पवित्र केंद्र सारे देश में फैले रामानंद संप्रदाय का मुख्यालय है. श्रीमठ में अवस्थित रामानंदाचार्च की चरणपादुका दुनियाभर में बिखरे रामानंदी संतों, तपस्वियों एवं अनुयायियों की श्रद्धा का अन्यतम बिंदु है. यह परम सौभाग्य और संतोष का विषय है कि श्रीमठ के वर्तमान पीठासीन आचार्य स्वामी रामनरेशाचार्यजी भी स्वामी रामानंदाचार्च की प्रतिमूर्ति जान पड़ते हैं. उनकी कल्पनाएं, उनका ज्ञान, उनकी वग्मिता और सबसे अच्छी उनकी उदारता और संयोजन चेतना ऐसी है कि यह विश्वास किया जाता है कि स्वामी रामानंद का व्यक्तित्व कैसा रहा होगा. वर्तमान जगद्गुरू रामानंदाचार्च पद प्रतिष्ठित स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज के सत्प्रयासों का नतीजा है कि श्रीमठ से कभी अलग हो चुकी कबीरदासीय, रविदासीय, रामस्नेही, प्रभृति परंपराएं वैष्णव के सूत्र में बंधकर श्रीमठ से एकरूपता स्थापित कर रही है. कई परंपरावादी मठ मंदिरों की इकाईयां श्रीमठ में विलीन हो रही हैं. तीर्थराज प्रयाग के दारागंज स्थित आद्य जगद्गुरू रामनंदाचार्य का प्राकट्यधाम भी इनकी प्रेरणा से फिर भव्य स्वरूप में प्रकट हुआ है. स्वामी रामानंद को रामोपासना के इतिहास में एक युगप्रवर्तक आचार्य माना जाता है. उन्होंने श्रीसंप्रदाय के विशिष्टाद्वैत दर्शन और प्रपतिसिद्धांत को आधार बनाकर रामावत संप्रदाय का संगठन किया. श्रीवैष्णवों के नारायण मंत्र के स्थान पर रामतारक अथवा षडक्षर राममंत्र को सांप्रदायिक दीक्षा का बीजमंत्र माना. बाह्य सदाचार की अपेक्षा साधना में आंतरिक भाव की शुद्धता पर जोर दिया, छुआछूत, ऊंच-नीच का भाव मिटाकर वैष्णव मात्र में समता का समर्थन किया. नवधा से परा और प्रेमासक्ति को श्रेयकर बताया. साथ-साथ सिद्धांतों के प्रचार में परंपरापोषित संस्कृत भाषा की अपेक्षा हिंदी अथवा जनभाषा को प्रधानता दी. स्वामी रामानंद ने प्रस्थानत्रयी पर विशिष्टाद्वैत सिद्धांतनुगुण स्वतंत्र आनंद भाष्य की रचना की. तत्व एवं आचारबोध की दृष्टि से वैष्णवमताब्ज भास्कर, श्रीरामपटल, श्रीरामार्चनापद्धति, श्रीरामरक्षास्त्रोतम जैसी अनेक कालजयी मौलिक ग्रंथों की रचना की. स्वामी रामानंद के द्वारा दी गई देश-धर्म के प्रति इन अमूल्य सेवाओं ने सभी संप्रदायों के वैष्णवों के हृदय में उनका महत्व स्थापित कर दिया. भारत के सांप्रदायिक इतिहास में परस्पर विरोधी सिद्धांतों तथा साधना-पद्धतियों के अनुयायियों के बीच इतनी लोकप्रियता उनके पूर्व किसी संप्रदाय प्रवर्तक को प्राप्त न हो सकी. महाराष्ट्र के नाथपंथियों ने ज्ञानदेव के पिता विट्ठल पंत के गुरू के रूप में उन्हें पूजा, अद्वैत मतावलंबियों ने ज्योतिर्मठ के ब्रह्मचारी के रूप में उन्हें अपनाया. बाबरीपंथ के संतों ने अपने संप्रदाय के प्रवर्तक मानकर उनकी वंदना की और कबीर के गुरू तो वे थे ही, इसलिे कबीरपंथियों में उनका आदर स्वाभाविक है. स्वामी-रामानंद के व्यक्तित्व की इस व्यपाकता का रहस्य, उनकी उदार एवं सारग्राही प्रवृति और समन्वयकारी विचारधारा में निहित है. निश्चय हीं उनके विराट व्यक्तित्व एवं व्यापक महत्ता के अनुरूप कतिपय आर्षग्रंथ एवं संत-साहित्य में उल्लेखित उनके रामावतार होने का वर्णन अक्षरश: प्रमाणित होता है. रामनंद: स्वयं राम: प्रादुर्भूतो महीतले।
मान मंदिर घाट वाराणसी में स्थित एक गंगा घाट है। इस घाट को जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने १७७० में बनवाया था। इसमें नक्काशी अरजा लीदार अलंकृत झरोखे बने हैं। इसके साथ ही उन्होंने वाराणसी में यंत्र मंत्र वेधशाला भी बनवायी थी जो दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, मथुरा के संग पांचवीं खगोलशास्त्रीय वेधशाला है। इस घाट के उत्तरी ओर एक सुंदर बाल्कनी है, जो सोमेश्वर लिंग को अर्घ्य देने के लिये बनवायी गई थी।
उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' के पूर्व और उसके बाद भी 'अर्थशास्त्र' जैसे शास्त्रों की रचना की गयी।
मध्य जनन स्तर के आद्यशय (splachnopleuric mesoderm)उतक से,हृद जेनिक प्लेट का विकास, तंत्रिका प्लेट (neural plate) के पार्श्व में तथा केंद्र में होता है.हृद जनिक प्लेट में, भ्रूण के किसी पार्श्व में दो अलग वाहिका जनक कोशिका समूहों का निर्माण होता है. प्रत्येक कोशिका समूह संगलित हो कर एक अंतर हृदयी नलिका का निर्माण करती है जो एक पृष्ठीय महा धमनी और एक विटेलोम्बीलिकल शिरा के साथ सतत होती है. क्योंकि भ्रूणीय उतक लगातार वलयित होता रहता है, दो अंतर हृदयी नलिकाएं वक्ष गुहा में खिसक जाती हैं, और एक दुसरे के साथ संगलित होना शुरू कर देती हैं और लगभग २१ दिनों में पूरी तरह से संगलित हो जाती हैं.[३]
यह २६० वर्ग किमी. में फैला है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 58 द्वारा मुजफ्फनगर पहुंचा जा सकता है। भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे नई दिल्ली, देहरादून, सहारनपुर और मसूरी आदि से यहां पहुंच सकते हैं।
घंटा समय की एक इकाई है।
हरि को भजै सो हरि का होई.
राज्यों को संघीय स्तर पर प्रतिनिधित्व देने वाली सभा है जिसका कार्य संघीय स्तर पर राज्य हितॉ का संरक्षण करना है। इसे संसद का दूसरा सदन कह्ते है इसके सदस्य दो प्रकार से निर्वाचित होते है राज्यॉ से 238 को निर्वाचित करते है तथा राष्ट्रपति द्वारा 12 को मनोनीत करते है। वर्तमान मे यह संख्या क्रमश 233 ,12 है ये सद्स्य 6 वर्ष हेतु चुने जाते है इनका चयन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के द्वारा होता है मत एकल संक्रमणीय प्रणाली से डाले जाते है। मत खुले डाले जाते है.सद्स्य जो निर्वाच्त होना चाहते है देश के किसी भी संसदीय क्षेत्र से एक निर्वाचक के रूप मे पंजीकृत होने चाहिए।
निर्देशांक: 16°04′60″N 78°52′00″E / 16.0833, 78.8667 यह लेख श्रीसैलम नगर के विषय में श्री शैलम देवस्थानम के विषय में यहाँ देखें।
दरअसल वह एक ऐसे धर्म की खोज में थे, जहां आम से आम आदमी भी जुड़ाव महसूस कर सके। वह नीची जातियों और जाति से बाहर लोगों को स्वाभिमान से जीते देखना चाहते थे। उस समय केरल में लोग ढेरों देवी-देवताओं की पूजा करते थे। नीच और जाति बाहर लोगों के अपने-अपने आदिम देवता थे। ऊंची जाति के लाेेग उन्हें नफरत से देखते थे। उन्होंने ऐसे देवी-देवताओं की पूजा के लिए लोगों को निरुत्साहित किया। उसकी जगह नारायण गुरु ने कहा कि सभी मनुष्यों के लिए एक ही जाति, एक धर्म और एक ईश्वर होना चाहिए।
रोहिणी नक्षत्र को वृष राशि का मस्तक कहा गया है। इस नक्षत्र में तारों की संख्या पाँच है। भूसे वाली गाड़ी जैसी आकृति का यह नक्षत्र फरवरी के मध्य भाग में मध्याकाश में पश्चिम दिशा की तरफ रात को 6 से 9 बजे के बीच दिखाई देता है। यह कृत्तिका नक्षत्र के पूर्व में दक्षिण भाग में दिखता है।
श्री गिरीश पंकज
कृतक त्रैलोक्य
संसार का सर्वोच्च शिखर सगरमाथा (एवरेस्ट) नेपाल व तिब्बती सीमा पर अवस्थित है। इस हिमालकी नेपालमे पडनेवाले दक्षिण-पूर्वी रिज(ridge) प्राविधिक रूपमे चढना सहज माना जाता है । जिसकी वजहसे हरेक वर्ष इस स्थान मे बहुत पर्यटक जाते है । अन्य चढे जाने वाले हिमशिखर मे अन्नपूर्णा (१,२,३,४) अन्नपूर्णा श्रृंखलामे पडता है।
१-ऋग्वेद । २-यजुर्वेद । ३-सामवेद । ४-अथर्ववेद ।
(75 किलोमीटर) यहां देवी सीता का दोमंजिला मंदिर है। यह मंदिर मानसून के मौसम में चारों तरफ से पानी से घिर जाता है। माना जाता है कि देवी सीता यहीं पर धरती में समा गई थीं। इस मंदिर में देवी सीता की एक मूर्त्ति स्‍थापित है।
F-84E यान शत्रु क्षेत्र पर रॉकेट दागते हुए
हंगरी में 8800 किमी लंबी रेल, सड़कें, 60800 किमी लंबे राजमार्ग और 1920 किमी लंबा नौगम्य जलमार्ग है। यहाँ का हवाई अड्डा बहुत बड़ा है और समस्त यूरोपीय देशों से संबद्ध है। रेलमार्ग भी अन्य यूरोपीय देशों से संबद्ध है। देश के अंदर भी पर्याप्त विकसित वायु यातायात हहै।
ऋषि- यह नन्दादेवी पर्वत माला के ढाल पर स्थित छोटा हिमखण्ड है।
अतः संक्षेप में कहा जाए तो भारतीय संस्कृति के मूल स्वर आचार्य द्विवेदी के साहित्य में प्रतिध्वनित हुए और उनकी अनुगूंज ही नरेन्द्र कोहली रूपी पाञ्चजन्य में समा कर संस्कृति के कृष्णोद्घोष में परिवर्तित हुई जिसने हिन्दी साहित्य को हिला कर रख दिया.
उत्तर में, गोगुरियो के पूर्व जनरल डे जोयोंग ने अपने नेतृत्व में गोगुरियो शरणार्थियों के एक समूह को मंचूरिया के जिलिन क्षेत्र में लाया और गोगुरियो के उत्तराधिकारी के रूप में बाल्हे (698-926) की स्थापना की. अपने चरम पर, बाल्हे की सीमा, उत्तरी मंचूरिया से आधुनिक समय के कोरिया के उत्तरी प्रांतों तक विस्तृत हुई. बाल्हे को 926 में खितान द्वारा नष्ट कर दिया गया.
खगोल विज्ञान और ज्योतिष के बीच अन्तर जगह जगह पर अलग है, वे दृढ़ता से प्राचीन भारत[२२][२३], प्राचीन बाबिल और मध्यकालीन यूरोप (medieval Europe) से जुड़ी हुई है, लेकिन हेलेनिस्टिक दुनिया (Hellenistic world) से एक हद तक अलग है. ज्योतिष और खगोल विज्ञान (astrology and astronomy) के बीच पहला शब्दार्थिक (semantic) अन्तर ११ वीं सदी में फारसी खगोलज्ञ (Persian astronomer) अबू- रेहान-अल-बिरूनी (Abū Rayhān al-Bīrūnī)[२४] द्वारा दिया गया था. (ज्योतिष और खगोल विज्ञान (astrology and astronomy) देखें).
सांस्कृतिक परम्परा के अन्तर्गत वृन्दावनलाल वर्मा के 'गढ़ कुंडार' (१९२९) से ऐतिहासिक उपन्यास परंपरा बल पकड़ती है. इसी श्रृंखला में वर्मा जी ने 'विराटा की पद्मिनी' (१९३६) , 'झांसी की रानी' (१९४६), मुसाहिब जू (१९४६), कचनार (१९४७), सत्रह सौ उन्नीस (१९४८-४९), माधव जी सिंधिया (१९४८-४९), मृगनयनी (१९५०), टूटे कांटे (१९५४), अहिल्याबाई (१९५५), भुवन-विक्रम (१९५७) आदि ऐतिहासिक उपन्यासों की रचना की है.[१४]
१९०६ में , ज़ुलु (Zulu) दक्षिण अफ्रीका में नए चुनाव कर के लागू करने के बाद दो अंग्रेज अधिकारियों को मार डाला गया।बदले में अंग्रेजों ने जूलू के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। गांधी जी ने भारतीयों को भर्ती करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों को सक्रिय रूप से प्रेरित किया। उनका तर्क था अपनी नागरिकता के दावों को कानूनी जामा पहनाने के लिए भारतीयों को युद्ध प्रयासों में सहयोग देना चाहिए। तथापि, अंग्रेजों ने अपनी सेना में भारतीयों को पद देने से इंकार कर दिया था। इसके बावजूद उन्होने गांधी जी के इस प्रस्ताव को मान लिया कि भारतीय घायल अंग्रेज सैनिकों को उपचार के लिए स्टेचर पर लाने के लिए स्वैच्छा पूर्वक कार्य कर सकते हैं। इस कोर की बागडोर गांधी ने थामी।२१ जुलाई (July 21), १९०६ को गांधी जी ने इंडियन ओपिनिय (Indian Opinion) में लिखा कि २३ भारतीय [१] निवासियों के विरूद्ध चलाए गए आप्रेशन के संबंध में प्रयोग द्वारा नेटाल सरकार के कहने पर एक कोर का गठन किया गया है।दक्षिण अफ्रीका में भारतीय लोगों से इंडियन ओपिनियन में अपने कॉलमों के माध्‍यम से इस युद्ध में शामिल होने के लिए आग्रह किया और कहा, यदि सरकार केवल यही महसूस करती हे कि आरक्षित बल बेकार हो रहे हैं तब वे इसका उपयोग करेंगे और असली लड़ाई के लिए भारतीयों का प्रशिक्षण देकर इसका अवसर देंगे।[२]
मोती डूंगरी एक निजी पहाड़ी ऊचाँई पर बना किला है जो स्कॉटलैण्ड के महल की तरह निर्मित है। कुछ वर्षों पहले, पहाड़ी पादगिरी पर बना गणेश मंदिर और अद्भुत लक्ष्मी नारायण मंदिर भी उल्लेखनीय है।
६. ब्रह्मगिरि- यह मैसूर के चिबल दुर्ग में स्थित है ।
एम आर एफ़ पेस फ़ाउंडेशन एक प्रसिद्ध तेज गेंदबाजी प्रशिक्षण संस्था है जो सन १९८७ से चेन्नई मे संचालित हो रही है।
० पिदी ग्यान पिथ हाई विद्यालय
भारत भर में गुरू पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है। प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करता था तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु का पूजन करके उन्हें अपनी शक्ति सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देकर कृतकृत्य होता था। आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है। पारंपरिक रूप से शिक्षा देने वाले विद्यालयों में, संगीत और कला के विद्यार्थियों में आज भी यह दिन गुरू को सम्मानित करने का होता है। मंदिरों में पूजा होती है, पवित्र नदियों में स्नान होते हैं, जगह जगह भंडारे होते हैं और मेले लगते हैं।
लखनऊ में बड़ी उत्पादन इकाइयों में हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड, टाटा मोटर्स, एवरेडी इंडस्ट्रीज़, स्कूटर इंडिया लिमिटेड आते हैं। संसाधित उत्पाद इकाइयों में दुग्ध उत्पादन, इस्पात रोलिंग इकाइयाँ एवं एल पी जी भरण इकाइयाँ आती हैं।
सब दिन राखै साथ, बड़ी मर्यादा कमरी॥
रूस 109 इस RSFSR के राज्यक्षेत्र में सोवियत वालों पर रूसी कानून के | वर्चस्व की घोषणा की है.
समय आने पर सत्यवती गर्भ से वेद वेदांगों में पारंगत एक पुत्र हुआ। जन्म होते ही वह बालक बड़ा हो गया और अपनी माता से बोला, "माता! तू जब कभी भी विपत्ति में मुझे स्मरण करेगी, मैं उपस्थित हो जाउँगा।" इतना कह कर वे तपस्या करने के लिये द्वैपायन द्वीप चले गये। द्वैपायन द्वीप में तपस्या करने तथा उनके शरीर का रंग काला होने के कारण उन्हे कृष्ण द्वैपायन कहा जाने लगा। आगे चल कर वेदों का भाष्य करने के कारण वे वेदव्यास के नाम से विख्यात हुये।
संत शिरोमणि मलूकदास महाराज अपनी इच्छा से संवत क्|फ्े में अपने जन्म के ही माह, तिथि, समय व वार को क्0त्त् वर्ष की आयु में भगवत धाम को गमन कर गए। बताया जाता है कि मलूकदास महाराज का पंच भौतिक शरीर उनके देहत्याग के उपरांत जगन्नाथपुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के समक्ष सच्चिदानंद स्वरूप में प्रकट हो गया था और उन्होंने उनसे उनकी सन्निधि में रहने की इच्छा प्रकट की थी। इस प्रार्थना को जगन्नाथ प्रभु ने सहर्ष स्वीकार कर लिया था। तब से आजतक जगन्नाथ प्रभु के गर्भ गृह केपनाले के पास मलूकदास महाराज का स्थान विमान है और उनके नाम का रोट अभी भी वहां आनेवाले भक्तों को प्रसादस्वरूप दिया जाता है। वृंदावन में वंशीवट क्षेत्र स्थित मलूक पीठ में संत प्रवर मलूकदास जी महाराज की जाग्रत समाधि है।
साँचा:MapLibrary Niger is a landlocked nation in West Africa located along the border between the Sahara and Sub-Saharan regions. Its geographic coordinates are latitude 16°N and longitude 8°E. Its area is 1,267,000 square kilometres (489,000 sq mi) of which 300 square kilometres (115 sq mi) is water. This makes Niger slightly less than twice the size of the U.S. state of Texas, and the world's twenty-second largest country (after Chad). Niger is comparable in size to Angola.
सोनारगांव: यह ढाका से 29 किलोमीटर की दूरी पर है। यह बंगाल की प्राचीनतम राजधानी है।
साँचा:Code-switching
मगध में आन्ध्रों का शासन था या नहीं मिलती है। कुषाणकालीन अवशेष भी बिहार से अनेक स्थानों से प्राप्त हुए हैं। कुछ समय के पश्चात प्रथम सदी इ. में इस क्षेत्र में कुषाणों का अभियान हुआ। कुषाण शासक कनिष्क द्वारा पाटलिपुत्र पर आक्रमण किये जाने और यह के प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान अश्वघोष को अपने दरबार में प्रश्रय देने की चर्चा मिलती है। कुषाण साम्राज्य के पतन के बाद मगध पर लिच्छवियों का शासन रहा। अन्य विद्वान मगध पर शक मुण्डों का शासन मानते हैं।
राजकुमारों के बड़े होने पर आश्रम की राक्षसों से रक्षा हेतु ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांग कर अपने साथ ले गये। राम ने ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों को मार डाला और मारीच को बिना फल वाले बाण से मार कर समुद्र के पार भेज दिया। उधर लक्ष्मण ने राक्षसों की सारी सेना का संहार कर डाला। धनुषयज्ञ हेतु राजा जनक के निमंत्रण मिलने पर विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के साथ उनकी नगरी मिथिला (जनकपुर) आ गये। रास्ते में राम ने गौतम मुनि की स्त्री अहल्या का उद्धार किया। मिथिला में राजा जनक की पुत्री सीता जिन्हें कि जानकी के नाम से भी जाना जाता है का स्वयंवर का भी आयोजन था जहाँ कि जनकप्रतिज्ञा के अनुसार शिवधनुष को तोड़ कर राम ने सीता से विवाह किया| राम और सीता के विवाह के साथ ही साथ गुरु वशिष्ठ ने भरत का माण्डवी से, लक्ष्मण का उर्मिला से और शत्रुघ्न का श्रुतकीर्ति से करवा दिया ।
संवत्‌ १६३१ का प्रारम्भ हुआ। उस दिन रामनवमी के दिन प्रायः वैसा ही योग था जैसा त्रेतायुग में रामजन्मके दिन था। उस दिन प्रातःकाल श्रीतुलसीदासजीने श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारम्भ की। दो वर्ष, सात महीने, छ्ब्बीस दिनमें ग्रन्थकी समाप्ति हुई। संवत्‌ १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
ङ: एक भौतिक वस्तु और अन्य भौतिक वस्तु में पृथकता।
अन्नोबोन, भूमध्यरेखीय गिनी के धुर दक्षिणी में भूमध्य रेखा के ठीक दक्षिण में स्थित द्वीप है। बायोको द्वीप भूमध्यरेखीय गिनी के सबसे धुर उत्तरी द्वीप है। इस दोनों द्वीपों के बीच पूरब की ओर मुख्य भूमि क्षेत्र है। भूमध्यरेखीय गिनी के उत्तर में कैमरून, दक्षिण और पूर्व में गैबॉन और पश्चिम में गिनी की खाड़ी स्थित है। पूर्व में स्पानी गिनी उपनिवेश के नाम से विख्यात इस देश को स्वतंत्रता के बाद भूमध्य रेखा और गिनी की खाड़ी की समीपता के मद्देनजर भूमध्यरेखीय गिनी का नाम दिया गया। सेउटा और मेलिला के अलावा भूमध्यरेखीय गिनी अफ्रीका मुख्य भूमि में स्थित एक ऐसा देश है, जहां की आधिकारिक भाषा स्पेनिश है।
तुर्की का एक प्रांत ।
सन् 335 ईसापूर्व के आसपास मकदूनिया में सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर, अलेक्षेन्द्र) का उदय हुआ । उसने लगभग सम्पूर्म यूनान पर अपना अधिपत्य जमाया । इसके बाद वो फ़ारसी साम्राज्य की ओर बढ़ा । आधुनिक तुर्की के तट पर वो 330 ईसापूर्व में पहुँचा जहाँ पर उसने फारस के शाह दारा तृतीय को हराया । दारा रणभूमि छोड़ कर भाग गया । इसके बाद सिकन्दर ने तीन बार फ़ारसी सेना को हराया । फिर वो मिस्र की ओर बढ़ा । लौटने के बाद वो मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक़, उस समय फारसी नियंत्रण में) गया । अपने साम्राज्य के लगभग 40 गुणे बड़े साम्राज्य पर कब्जा करने के बाद सिकन्दर अफ़गानिस्तान होते हुए भारत तक चला आया । पर उसका सेना ने थकान के कारण आगे बढ़ने से इन्कार कर दिया । इसके बाद वो वापस लौट गया और सन् 323 में बेबीलोनिया में उसकाी मृत्यु हो गई । उसकी इस विजय से फारस पर उसका नियंत्रण हो गया पर उसकी मृत्यु के बाद उसके साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया । आधुनिक अफ़गानिस्तान में केन्द्रित शासक सेल्युकस इसमें सबसे शक्तिशाली साबित हुआ । पहली सदी ईसा पूर्व तक उत्तरपश्चिमी भारत से लेकर ईरान तक एक अभूतपूर्व हिन्द-यवन सभ्यता का सृजन हुआ ।
ॐ गणानां त्वा गणपति हवामहे, प्रियाणां त्वा प्रियपति हवामहे, निधीनां त्वा निधिपति हवामहे, वसोमम । आहमजानि गभर्धमात्वमजासि गभर्धम् । ॐ गणपतये नमः । आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -२३.१९
क़ाज़ाक़ खानों में ब्रेड (पावरोटी), सूप तथा सब्जियों का प्रमुख स्थान है। नूडल्स अक्सर घोड़े का मांस के सॉसेज खाए जाते हैं। खाने में मांस का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। बकरे तथा गाय के मांस के अलावे मछली को बनाने के कई तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं। पिलाव (या पुलाव) खट्टा तथा मीठा दोनों स्वाद में मांस के साथ खाया जाता है। इसके अलावा सूखे फलों का भी इस्तेमाल किया जाता है। दूध तथा दही जैसे व्यंजन भी खाए जाते हैं। पीने में चाय बहुत लोकप्रिय है। भारत की तरह ही लोग चाय में दूध या नींबू मिलाते हैं। पत्तियों वाली चाय बिना चीनी और दूध के भी पसंद की जाती है। स्थानीय शराब 'वोदका' भी लोकप्रिय है।
अताई : छोटी लड़कियाँ
अक्षांश (अंग्रेज़ी:लैटिट्यूड, Lat., φ, या फ़ाई) पृथ्वी की सतह पर एक बिन्दु से भूमध्यीय समतल पर बना कोण होता है, जिसे ग्लोब के केन्द्र से नापा जाता है। समान अक्षांश बिन्दुओं को जोड़ने वाली रेखाओं को अक्षांश रेखाएं कहते हैं। अक्षांश की रेखाएं इस प्रक्षेप में क्षैतिज एवं सीधी प्रतीत होती हैं, परंतु वे भिन्न अर्धव्यासों सहित वृत्तीय होती हैं। एक अक्षांश पर दी गईं सभी स्थान एकसाथ जुड़कर अक्षांश का वृत्त बनाते हैं। ये सभी वृत्त भूमध्य रेखा के समानांतर होते हैं। इनमें उत्तरी ध्रुव ९०° उत्तर कोण पर रहता है; व दक्षिणी ध्रुव ९०° दक्षिण कोण पर। शून्य° अक्षांश रेखा को भूमध्य रेखा कहते हैं। ये ग्लोब को उत्तरी व दक्षिणी अर्ध-गोलकों में बांटती है।
महर्षि शौनक के मन में दीर्घकाल तक ज्ञान सत्र करने की इच्छा थी। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उन्हें एक चक्र दिया और कहा- `इसे चलाते हुए चले जाओ। जहां इस चक्र की `नेमि' (बाहरी परिधि) गिर जाय, उसी स्थल को पवित्र समझकर वहीं आश्रम बनाकर ज्ञान सत्र करो।' शौनकजी के साथ अदृसी सहस्र ऋषि थे। वे सब लोग उस चक्र को चलाते हुए भारत में घूमने लगे। गोमती नदी के किनारे एक तपोवन में चक्र की नेमि गिर गयी और वही वह चक्र भूमि में प्रवेश कर गया। चक्र की नेमि गिरने से वह तीर्थ `नैमिश' कहा गया। जहां चक्र भूमि में प्रवेश कर गया, वह स्थान चक्रतीर्थ कहा जाता है। यह तीर्थ गोमती नदी के वाम तट पर है और ५१ पितृस्थानों में से एक स्थान माना जाता है। यहां सोमवती अमावस्या को मेला लगता है।
आई टी टावर (मनज़ूर स़ुदा)
आर्मेनिया, सदैव वैभवशाली रहे।
पहाड़ी भूभाग मे १,००० लेकर ४,००० मीटर तक की ऊंचाई के पर्वत पड़ते हैं। इस क्षेत्र मे महाभारत लेख व शिवालिक श्रृंखला (चुरिया) नाम की दो मुख्य पहाड़ी शृंखलायें हैं। पहाड़ी क्षेत्र मे ही काठमांडू उपत्यका, पोखरा उपत्यका, सुर्खेत उपत्यका के साथ टार, बेसी, पाटन माडी कहे जाने वाले बहुत से उपत्यका पड़ते है, यह उपत्यका नेपाल की सबसे उर्वर भूमि है तथा काठमांडू उपत्यका नेपाल का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। पहाड़ी क्षेत्र की उपत्यका को छोड़ कर २,५०० मीटर (८,२०० फुट) की ऊंचाई पर जनघनत्व बहुत कम है।
यहाँ का मौसम बहत ही सुहावना और मनमो‍हक है। गर्मियों के समय रात बा‍रह बजे के बाद कुछ अंधेरा होता है इसके प‍हले दस बजे के आस-पास तो ऐसा लगता है कि जैसे अभी-अभी शाम हुई हैं। जबकि ठंड के वक्‍त दिन में अधिकांश अंधेरा होता है दोपहर में कुछ समय के लिए सूरज देव के दर्शन हो पाते है।
जयवर्मन्‌ सप्तम (अभिषेक 1181) के राज्यकाल में पुन: एक बार कंबोज की प्राचीन यश:पताका फहराने लगी। उसने एक विशाल सेना बनाई जिसमें स्याम और ब्रह्मदेश के सैनिक भी सम्मिलित थे। जयवर्मन्‌ ने अनाम पर आक्रमण कर उसे जीतने का भी प्रयास किया किंतु निरंतर युद्धों के कारण शनै: शनै: कंबोज की सैनिक शक्ति का ह्रास होने लगा, यहाँ तक कि 1220 ई. में कंबोजों को चंपा से हटना पड़ा। किंतु फिर भी जयवर्मन्‌ सप्तम की गणना कंबोज के महान्‌ राज्यनिर्माताओं में की जाती है क्योंक उसमे समय में कंबोज के साम्राज्य का विस्तार अपनीचरम सीमा पर पहुँचा हुआ था। जयवर्मन्‌ सप्तम ने अपनी नई राजधानी वर्तमान अंग्कोरथोम में बनाई थी। इसके खंडहर आज भी संसार के प्रसिद्ध प्राचीन अवशेषों में गिने जाते हैं। नगर के चतुर्दिक्‌ एक ऊँचा परकोटा था और 110 गज चौड़ी एक परिखा थी। इसकी लंबाई साढ़े आठ मील के लगभग थी। नगर के परकोटे के पाँच सिंहद्वार थे जिनसे पाँच विशाल राजपथ (100 फुट चौड़े, 1 मील लंबे) नगर के अंदर जाते थे। ये राजपथ, बेयोन के विराट् हिंदू मंदिर के पास मिलते थे, जो नगर के मध्य में स्थित था। मंदिर में 66,625 व्यक्ति नियुक्त थे और इसके व्यय के लिए 3,400 ग्रामों की आय लगी हुई थी। इस समय के एक अभिलेख से ज्ञात होता है कि कंबोज में 789 मंदिर तथा 102 चिकित्सालय थे और 121 वाहनी (विश्राम) गृह थे।
वे स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में एक ही परमेश्वर का गुणगान किया गया है।
तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ।। ३ ।। वन्दे मातरम् ।
संथाली, हो
वा छवि को रसखान विलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी
अनेक मशहूर संगीतकारों ने श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी की कला की तारीफ़ की है। लता मंगेशकर ने आपको 'तपस्विनी' कहा, उस्ताद बडे ग़ुलाम अली ख़ां ने आपको 'सुस्वरलक्ष्मी' पुकारा, तथा किशोरी आमोनकर ने आपको 'आठ्वां सुर' कहा, जो संगीत के सात सुरों से ऊंचा है। भारत के कई माननीय नेता, जैसे महात्मा गांधी और पंडित नेहरु भी आपके संगीत के प्रशंसक थे। एक अवसर पर महात्मा गांधी ने कहा कि अगर श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी 'हरि, तुम हरो जन की भीर' इस मीरा भजन को गाने के बजाय बोल भी दें, तब भी उनको वह भजन किसी और के गाने से अधिक सुरीला लगेगा। एम.एस.सुब्बालक्ष्मी को कला क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया।
आज़ाद के प्रशंसकों में पण्डित मोतीलाल नेहरू, पुरुषोत्तमदास टंडन का नाम शुमार था। जवाहरलाल नेहरू से आज़ाद की भेंट जो स्वराज भवन में हुई थी उसका ज़िक्र नेहरू ने 'फासीवदी मनोवृत्ति' के रूप में किया है। इसकी कठोर आलोचना मन्मनाथ गुप्त ने अपने लेखन में की है। यद्यपि नेहरू ने आज़ाद को दल के सदस्यों को रूस में समाजवाद के प्रशिक्षण के लिए भेजने के लिए एक हजार रूपये दिये थे जिनमें से ४४८ रूपये आज़ाद की शहादत के वक़्त उनके वस्त्रों में मिले थे। सम्भवतः सुरेन्द्रनाथ पाण्डेय तथा यशपाल का रूस जाना तय हुआ था पर १९२८-३१ के बीच शहादत का ऐसा सिलसिला चला कि दल लगभग बिखर सा गया। चन्द्रशेखर आज़ाद की इच्छा के विरुद्ध जब भगतसिंह एसेम्बली में बम फेंकने गए तो आज़ाद पर दल की पूरी जिम्मेवारी आ गई। सांडर्स वध में भी उन्होंने भगत सिंह का साथ दिया और फिर बाद में उन्हें छुड़ाने की पूरी कोशिश भी उन्होंने की । आज़ाद की सलाह के खिलाफ जाकर यशपाल ने २३ दिसम्बर १९२९ को दिल्ली के नज़दीक वायसराय की गाड़ी पर बम फेंका तो इससे आज़ाद क्षुब्ध थे क्योंकि इसमें वायसराय तो बच गया था पर कुछ और कर्मचारी मारे गए थे। आज़ाद को २८ मई १९३० को भगवतीचरण वोहरा की बमपरीक्षण में हुई शहादत से भी गहरा आघात लगा था । इसके कारण भगत सिंह को जेल से छुड़ाने की योजना खटाई में पड़ गई थी। भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुर की फाँसी रुकवाने के लिए आज़ाद ने दुर्गा भाभी को गाँधीजी के पास भेजा जहाँ से उन्हें कोरा जवाब दे दिया गया था। आज़ाद ने अपने बलबूते पर झाँसी और कानपुर में अपने अड्डे बना लिये थे । झाँसी में रुद्रनारायण, सदाशिव मुल्कापुरकर, भगवानदास माहौर तथा विश्वनाथ वैशम्पायन थे जबकि कानपुर में पण्डित शालिग्राम शुक्ल सक्रिय थे। शालिग्राम शुक्ल को १ दिसम्बर १९३० को पुलिस ने आज़ाद से एक पार्क में जाते वक्त शहीद कर दिया था।
नेपाली सिक्किम का प्रमुख भाषा है । सिक्किम में प्रायः अंग्रेज़ी और हिन्दी भी बोली और समझी जाती हैं। यहाँ की अन्य भाषाओं मे भूटिया, जोङ्खा, ग्रोमा, गुरुंग, लेप्चा, लिम्बु, मगर, माझी, मझवार, नेपालभाषा, दनुवार, शेर्पा, सुनवार भाषा।सुनवार, तामाङ, थुलुंग, तिब्बती, और याक्खा शामिल हैं।[५][१९]
पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंद्रबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह गौरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। (1192 ई) यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।
Calcutta Medical College,Administrative block
   ख.    ^ "चित्रोत्पला" चित्ररथां मंजुलां वाहिनी तथा।
1518–1521  Maldives
पृथ्वी और पर्यावरण
प्राचीन काल में बुंदेली में शासकीय पत्र व्यवहार, संदेश, बीजक, राजपत्र, मैत्री संधियों के अभिलेख प्रचुर मात्रा में मिलते है. कहा तो यह‍ भी जाता है कि औरंगजेब और शिवाजी भी क्षेत्र के हिंदू राजाओं से बुंदेली में ही पत्र व्यवहार करते थे. ठेठ बुंदेली का शब्दकोष भी हिंदी से अलग है और माना जाता है कि वह संस्कृत पर आधारित नहीं हैं. एक-एक क्षण के लिए अलग-अलग शब्द हैं. गीतो में प्रकृति के वर्णन के लिए, अकेली संध्या के लिए बुंदेली में इक्कीस शब्द हैं. बुंदेली में वैविध्य है, इसमें बांदा का अक्खड़पन है और नरसिंहपुर की मधुरता भी है.
इस लेख की सामग्री सम्मिलित हुई है ब्रिटैनिका विश्वकोष एकादशवें संस्करण से, एक प्रकाशन, जो कि जन सामान्य हेतु प्रदर्शित है।. साँचा:1632 place referenced
हेमचंद्र ने अपने योगशास्त्र से सभी को गृहस्थ जीवन में आत्मसाधना की प्रेरणा दी। पुरुषार्थ से दूर रहने वाले को पुरुषार्थ की प्रेरणा दी। इनका मूल मंत्र स्वावलंबन है। वीर और द्दृढ चित पुरुषोंके लिये उनका धर्म है।
प्रधान ग्री.हा.गैस ट्रेंड्स
आइएसबी के पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन 'भीतर की प्रतिभा को जगाना', जिसे नेतृत्व, नवरचना और बदलाव केंद्र (Centre for Leadership, Innovation, and चंगे) (CLIC)[९] ने आयोजित किया था, ने प्रतिभागियों को तीन विषयों - नेतृत्व, नवरचना और बदलाव - के अनोखे संगम के अनुभव का एक अद्वितीय अवसर दिया, जिन्हें तीन लेंसों द्वारा देखा गया:
गणित प्राकृतिक विज्ञान से भिन्न है, क्यों की विज्ञान में भौतिक सिद्धांतों को प्रयोगों के द्वारा जांचा जाता है, जबकि गणितीय तथ्यों को सत्यापित किया जाता है, यह कार्य गणितज्ञों को द्वारा किया जाता है. यदि किसी निश्चित तथ्य को गणितज्ञ के द्वारा सत्यापित कर दिया जाता है, (प्रारूपिक रूप से क्यों कि विशेष मामलों में कुछ हद तक सत्यापन किया गया है ) लेकिन इसे सिद्ध या असिद्ध नहीं किया गया है, तो यह अनुमान (conjecture) कहलाता है: इसके विरोधाभास में एक सिद्ध तथ्य प्रमेय कहलाता है. भौतिक सिद्धांतों के बदलने की उम्मीद की जा सकती है जब कभी इस भौतिक संसार के बारे में कोई नई जानकारी प्राप्त होती है.गणित एक अलग तरीके से बदलती है: नए विचार पुराने विचारों को झूठ साबित नहीं कर सकते लेकिन ये किसी भी पूर्व ज्ञात तथ्य को व्यापक बनाने में काम आते हैं. उदाहरण के लिए एक चर कलन , बहु चर कलन (multivariable calculus)में व्यापक हो जाता है, जो विश्लेषण पर बहु गुणित (manifold) हो जाता है.बीजीय रेखागणित (algebraic geometry) का अपने पारंपरिक रूप से आधुनिक रूप में विकास इस बात का एक अच्छा उदहारण है कि गणित का क्षेत्र मोलिक रूप से बदल जाता है, लेकिन यह इस बात को साबित नहीं करता कि पहले सत्यापित किया गया तथ्य किसी भी प्रकार से ग़लत है. हालांकि एक प्रमेय, जब एक बार सिद्ध हो जाती है, हमेशा के लिए सच बन जाती है, प्रमेय का वास्तविक अर्थ हमें गहराई से तब समझ में आता है, जब प्रमेय के चारों तरफ़ की गणित बढती है.एक गणितज्ञ महसूस करता है कि एक प्रमेय को ज्यादा बेहतर रूप से समझा जा सकता है जब यह पूर्व ज्ञात तथ्य पर विस्तृत रूप से लागू की जाती है.उदाहरण के लिए nonzero integers modulo a prime के लिए फर्मेट का लिटिल प्रमेय (Fermat's little theorem), युलर की प्रमेय (Euler's theorem) के रूप में व्यापक हो जाती है, जो invertible numbers modulo any nonzero integer, के लिए है. यही व्यापक होकर परिमित समूहों के लिए लाग्रेंग की प्रमेय (Lagrange's theorem) बन जाती है.
सूर्य से होने वाला प्लाज्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मंडल को भेदता है। यह तारे के बीच के माध्यम मे एक बुलबुला बनाता है जिसे हेलिओमंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बिखरी हुई तश्तरी के बीच तक जाता है;
दीघनिकाय के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वज्जिसंघ में स्त्रियों का समादर तथा वृद्धजनों का सम्मान किया जाता था। कुलकुमारियों के साथ बलप्रयोग नहीं किया जाता था। संघ के सदस्य चैत्यों का मान करते, पूजा करते तथा धार्मिक कार्यों को समुचित रूप से संपन्न करते थे।
युद्ध की शुरुवात
डार से बिछुड़ी, मित्रो मरजानी, यारों के यार तिन पहाड़, बादलों के घेरे, सूरजमुखी अंधेरे के, ज़िन्दगी़नामा, ऐ लड़की, दिलोदानिश, हम हशमत, और समय सरगम तक उनकी कलम ने उत्तेजना, आलोचना विमर्श, सामाजिक और नैतिक बहसों की जो फिज़ा साहित्य में पैदा की है उसका स्पर्श पाठक लगातार महसूस करता रहा है।
यमुनोत्री उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मी. ऊंचाई पर स्थित एक मंदिर है। यह मंदिर देवी यमुना का मंदिर है।
इंडियन एयरलाइंस has a fleet of 82 aircraft (24 Airbus A319-100, 39 Airbus A320-200 and 19 Airbus A321-200) with three additional aircraft on order.
कुछ विद्वानों का मत है कि मुसलमानों के द्वारा ही खड़ी बोली अस्तित्व में लाई गई और उसका मूलरूप उर्दू है, जिससे आधुनिक हिंदी की भाषा अरबी फारसी शब्दों को निकालकर गढ़ ली गई। सुप्रसिद्ध भाषाशास्त्री, डा. ग्रियर्सन के मतानुसार खड़ी बोली अंग्रेजों की देन है। मुगल साम्राज्य के ध्वंस से खड़ी बोली के प्रचार में सहायता पहुँची। जिस प्रकार उजड़ती हुई दिल्ली को छोड़कर मीर, इंशा आदि उर्दू के अनेक शायर पूरब की ओर आने लगे उसी प्रकार दिल्ली के आसपास के हिंदू व्यापारी जीविका के लिये लखनऊ , फैजाबाद, प्रयाग, काशी, पटना, आदि पूरबी शहरों में फैलने लगे। इनके साथ ही साथ उनकी बोलचाल की भाषा खड़ी बोली भी लगी चलती थी। इस प्रकार बड़े शहरों के बाजार की भाषा भी खड़ी बोली हो गई। यह खड़ी बोली असली और स्वाभाविक भाषा थी, मौलवियों और मुंशियों की उर्दू-ए-मुअल्ला नहीं। 19वीं शताब्दी के पूर्वार्ध के संबंध में वे लिखते हैं कि यह समय हिंदी (खड़ीबोली) भाषा के जन्म का समय था जिसका अविष्कार अंग्रेजों ने किया था और इसका साहित्यिक गद्य के रूप में सर्वप्रथम प्रयोग गिलक्राइस्ट की आज्ञा से लल्लू जी लाल ने अपने प्रेमसागर में किया।
यह काल, गोजोसियन के पूर्व राज्य क्षेत्रों से कई राज्यों के उदय का साक्षी बना. बुयिओ, आज के उत्तरी कोरिया और दक्षिणी मंचूरिया में पनपा, 2री शताब्दी BCE से 494 तक. इसके अवशेष को गोगुरियो ने 494 में समाविष्ट कर लिया, और कोरिया के तीन साम्राज्य में से दो, गोगुरियो और बैक्जे, दोनों ने स्वयं को उसका उत्तराधिकारी माना. उत्तरी कोरिया के ओक्जियो और डोंग्ये, अंत में बढ़ते गोगुरियो में समाहित हो गए.
4674 शहीद एक्सप्रेस -- अमृतसर -- दरभंगा
For women, " republican motherhood " became the ideal, exemplified by Abigail Adams and Mercy Otis Warren ; the first duty of the republican woman was to instil republican values in her children and to avoid luxury and ostentation. महिलाओं लिए, " रिपब्लिकन मातृत्व "आदर्श बन गया, द्वारा उदाहरण अबीगैल एडम्स और दया ओटिस वॉरेन , रिपब्लिकन औरत का पहला कर्तव्य भड़कीलापन था उसके मूल्यों में रिपब्लिकन पैदा होता है और बच्चों और से बचने के लिए विलासिता.
हिंद महासागर का देश की जलवायु पर बड़ा प्रभाव है, वह एक गर्मी प्रतिरोधक के रूप में अवचूषण और भंडारण करते हैं और धीरे से उष्णदेशीय गर्मी निकालते हैं. मालदीव का तापमान पूरे साल 24 (75F) और के बीच रहता है. हालांकि नमी अपेक्षाकृत अधिक है, लगातार शांत समुद्र हवाएं वायु को गतिमान रखती हैं और गर्मी कम करती हैं.[उद्धरण वांछित]
'इस काशीरूपी आनन्दवन में तुलसीदास चलता-फिरता तुलसी का पौधा है। उसकी कवितारूपी मञ्जरी बड़ी ही सुन्दर है, जिसपर श्रीरामरूपी भँवरा सदा मँडराया करता है।'
पेरीओइकोई भी हेलोट्स की तरह मूलतः, इसी प्रकार आए लेकिन स्पर्ती समाज में इन्होनें अलग ही ओहदा बना लिया. हालांकि उन्हें पूरी नागरिकता का अधिकार प्राप्त नहीं था, लेकिन वे स्वाधीन थे और हेलोट्स की तरह उनके साथ सामान दुर्व्यवहार नहीं किया जाता था. स्पार्तियों के प्रति उनकी दासता कि ठीक-ठीक प्रकृति स्पस्ट नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि वे आंशिक रूप से एक प्रकार से आरक्षित सेना के रूप में आंशिक रूप से दक्ष कारीगरों के रूप में और आंशिक रूप से विदेशी व्यापार के एजेंट के रूप में सेवारत थे. हालांकि पेरीओइकोई होपलाइट्स (प्राचीन ग्रीक नगर के नागरिक-सेनानी) कभी कभी स्पारती सेना में सेवारत होते थे, जिसमें प्लाटोया का युद्ध (Battle of Plataea) सबसे उल्लेखनीय है, लेकिन पेरीओइकोइ का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य लगभग निश्चित रूप से कवच की मरम्मत और हथियारों का निर्माण था.
आदिकवि शब्द 'आदि' और 'कवि' के मेल से बना है। 'आदि' का अर्थ होता है 'प्रथम' और 'कवि' का अर्थ होता है 'काव्य का रचयिता'। वाल्मीकि ऋषि ने संस्कृत के प्रथम महाकाव्य की रचना की थी जो रामायण के नाम से प्रसिद्ध है। प्रथम संस्कृत महाकाव्य की रचना करने के कारण वाल्मीकि आदिकवि कहलाये।
चन्द्रगुप्त मौर्य ने जैन धर्म अपना लिया था । ऐसा कहा जाता है कि चन्द्रगुप्त अपना राजसिंहासन त्यागकर अपने गुरु जैनमुनि भद्रबाहु के साथ कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में सन्यासी के रूप में रहने लगा था । इसके बाद के शिलालेखों में बी ऐसा पाया जाता है कि चन्द्रगुप्त ने उसी स्थान पर एक सच्चे निष्ठावान जैन की तरह आमरण उपवास करके दम तोड़ा था । वहां पास में ही चन्द्रगिरि नाम की पहाड़ी है जिसका नामाकरण शायद चन्द्रगुप्त के नाम पर ही किया गया था ।
आरनन के मतानुसार प्रकाश क्रिया मुख्य रूप से (एडिनोसाइन ट्राई फोस्फेट) निर्माण से सम्बन्धित है। NADPH2/NADP के अवकरण से बनता है। NADP को TPN भी कहते हैं। एटीपी एक प्रकाश ऊर्जा अणु है जो एडीपी में एक फास्फेट ग्रुप के जुड़नें से बनता है तथा इस क्रिया को फोस्फोरीलेशन कहते हैं। एडीपी के फोस्फोरीलेशन में प्रकाश ऊर्जा की आवश्यकता होती है अतः इसे फोटो-फोस्फोरीलेशन भी कहते हैं। यह भी एक जटिल क्रिया है तथा आरनन के अनुसार प्रकाश प्रक्रिया दो प्रक्रमों में होती है। अयुग्म फोटो-फोस्फोरीलेशन तथा युग्म फोटो-फोस्फोरीलेशनअयुग्म फोटो-फोस्फोरीलेशन में पानी के अपघटन के कारण इलेक्ट्रोन निरन्तर प्राप्त होते है तथा फोटो-फोस्फोरीलेशन की क्रिया पर क्लोरोफिल में प्रकाश ऊर्जा से एटीपी का निर्माण होता रहता है। इस प्रकार क्लोरोफिल ‘a’ के सक्रिय होने पर फेरेडोक्सिन इलेक्ट्रान ग्राही का कार्य करती है जिसे एनएडीपी नामक coenzyme को देता है जिसमें एनएडी पानी द्वारा मुक्त की गई हाइड्रोजन को पकड़ कर NADPH2 में परिवर्तित हो जाता है।
सिनेट ऑफ श्रीरामपुर कॉलिज (विश्वविद्यालय) पश्चिम बंगाल का एक विश्वविद्यालय है।
शास्त्री नगर, दिल्ली दिल्ली शहर का एक क्षेत्र है।
इस गार्डन को मुगल सम्राट शाहजहां ने 1641 ई. में बनवाया था। चारों ओर से ऊंची दीवारों से घिरा यह गार्डन अपने जटिल फ्रेमवर्क के लिए प्रसिद्ध है। 1981 में यूनेस्को ने इसे लाहौर किले के साथ विश्वदाय धरोहरों में शामिल किया था। फराह बख्स, फैज बख्स और हयात बख्स नामक चबूतरे गार्डन की सुंदरता में वृद्धि करते हैं।
क्लोरोफिल + प्रकाश → सक्रिय क्लोरोफिल
विवाद, चर्चा एवं सनसनी पैदा करने की शक्ति
अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को अपना लिया था । इसके बाद उसने धम्म के प्रचार में अपना ध्यान लगाया । यहां धम्म का मतलब कोई धर्म या मज़हब या रिलीज़न न होकर "नैतिक सिद्धांत" था । उस समय न तो इस्लाम का जन्म हुआ था और न ही ईसाइयत का । अतः वे नैतिक सिद्धांत उस समय बाहर के किसी धर्म का विरोध करना नहीं होकर मनुष्य को एक नैतिक नियम प्रदान करना था । अपने दूसरे शिलालेख में उसने लिखा है - " धम्म क्या है? अल्प दुष्कर्म तथा अधिक सत्कर्म । रोष, निर्दयता, क्रोध, घमंड तथा ईर्ष्या जैसी बुराईयों से बचना तथा दया, उदारता, सच्चाई, सच्चाई, संयम, सरलता, हृदय की पवित्रता नैतिकता में आसक्ति और आंतरिक तथा बाह्य पवित्रता आदि सदाचारों का पालन । "
दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों से विजिटिंग संकाय आते हैं और आईएसबी में पाठ्यक्रमों की पेशकश करते है. ये प्रोफेसर अनुसंधान और विशेषज्ञता के विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं. व्हार्टन, केलॉग, लंदन बिजनेस स्कूल, यूसीएलए, एचकेयुएसटी, आईइएसइ स्पेन, आईएनएसइएडी फ्रांस, केनन-फ्लाग्लेर, ड्यूक फ्यूकुवा, यू मीच, हास, एमोरी ग़ोइज़ुएत, सीइआईबीएस, ओहियो राज्य, और कॉर्नेल (दूसरों के बीच में) आदि स्कूलों के संकायों ने आइएसबी के पाठ्यक्रमों में भाग लिया है. पाठ्यक्रम के सत्र के दौरान, विजिटिंग संकाय परिसर में रहकर छात्रों को उन लोगों के साथ कक्षा के बाद बातचीत करने का अवसर प्रदान करते है.
यह भी देखें: भारत के प्रान्त
VIP road, Laketown footbridge
Satellite image 1
उत्तर प्रदेश में उन्मुक्त कारागार का अद्भुत प्रयोग आपने प्रारंभ किया जो यथेष्ट रूप से सफल हुआ। नैनीताल में वेधशाला स्थापित कराने का श्रेय भी आपको ही है। वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय और उत्तर प्रदेश सरकर द्वारा संचालित हिंद समिति की स्थापना में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये दोनों संस्थाएँ आपकी उत्कृष्ट संस्कृतनिष्ठा एवं हिंद प्रेम के अद्वितीय स्मारक हैं। कला के क्षेत्र में लखनऊ के मैरिस म्यूजिक कॉलेज को आपने विश्वविद्यालय स्तर का बना दिया। कलाकारों और साहित्यकारों को शासकीय अनुदान देने का आरंभ देश में प्रथम बार आपने ही किया। वृद्धावस्था की पेंशन भी आपने आरंभ की। आपको देश के अनेक विश्वविद्यालयों ने "डॉक्टर" की सम्मानित उपाधि से विभूषित किया था। हिंदी साहित्य सम्मेलन की सर्वोच्च उपाधि "साहित्यवाचस्पति" भी आपको मिली थी तथा हिंदी साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार "मंगलाप्रसाद पुरस्कार" भी आप प्राप्त कर चुके थे।
विकास की प्रक्रिया में भाषा का दायरा भी बढ़ता जाता है। यही नहीं एक समाज में एक जैसी भाषा बोलने वाले व्यक्तियों का बोलने का ढंग, उनकी उच्चापण-प्रक्रिया, शब्द-भंडार, वाक्य-विन्यास आदि अलग-अलग हो जाने से उनकी भाषा में पर्याप्त अन्तर आ जाता है। इसी को शैली कह सकते हैं।
स्तूप मंडल का पुरातन रूप हैं। [१]
स्रोत : दालें, साबुत अनाज, मांस, कलेजी, खमीर, तिलहन, गिरी और फलियां।
नंद गोमती की एकमात्र सहायक नदी है। यह नदी जौनपुर की सीमा पर कोल असला में फूलपुर के उत्तर-पूर्व से निकलती है और धौरहरा में गोमती से जा मिलती है। नंद में हाथी नाम की एक छोटी नदी हरिहरपुर के पास मिलती है।
संस्कृत में ऐ दो स्वरों का युग्म होता है और "अ-इ" या "आ-इ" की तरह बोला जाता है। इसी तरह औ "अ-उ" या "आ-उ" की तरह बोला जाता है।
पृथ्वी को रसातल से लाने के लिये भगवान ने दूसरी बार वाराह का अवतार लिया।
There are also various jazz establishments, the most notable being the Club de Jazz in Ñuñoa. The city has a very vibrant underground music scene. Some of its most popular venues are La Batuta in Ñuñoa and Blondie's disco in downtown Santiago.
ईसाई वो व्यक्ति है जो ईसाई धर्म को मानता है । ईसाइयों कई साम्प्रदायों में बटे हैं, जैसे रोमन कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स । देखिये : ईसाई धर्म ।
यह किला १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय युद्ध स्थली भि बना। जिसके बाद भारत से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का राज्य समाप्त हुआ, व एक लगभग शताब्दी तक ब्रिटेन का सीधे शासन चला। जिसके बाद सीधे स्वतंत्रता ही मिली।
भगवान का यही विराट स्वरूप भक्तों की रक्षा और दुष्टों के दमन के उद्देश्य से बार-बार अवतार लेते हैं|
श्री गिरिधारी यादव भारत के चौदहवीं लोकसभा के सदस्य हैं वे बिहार के बांका लोकसभा क्षेत्र से चुनकर आये हैं एवं संसद में राजद के प्रतिनिधि हैं।
अहि की फुँफकार लगी शशि को, तब अंमृत बूंद गिरौ चिरि कै।
द्वितीय वे जो विधायिका की कार्यवाहिय़ों से संबंधित है जैसे किसी बिल का तीन बार वाचन संसद के तीन सत्र राष्ट्रपति द्वारा धन बिल को स्वीकृति देना उपस्पीकर का चुनाव विपक्ष से करना जब स्पीकर सत्ता पक्ष से चुना गया हो आदिसरकार के संसदीय तथा राष्ट्रपति प्रकारसंसदीय शासन के समर्थन मे तर्क
1) ब्राह्मण, 2) आरण्य और 3) उपनिषद्
ज्ञानेश्वरी महाराष्ट्र के संत कवि ज्ञानेश्वर द्वारा रची गई श्रीमदभगवतगीता की अद्वितीय टीका है।
माध्यम
ै इसने मौलि अधिकारों का विस्तार भी किया है इसने अनु 356 के दुरूपयोग को भी रोका है
The Taj Mahal (1630-1653) in Agra, India and the Shalimar Garden (1641-1642) in Lahore, Pakistan, are two sites which are on the world heritage list of UNESCO. One can see the architectural similarities and the love for water that the Mughals expressed in many of their buildings.
(1) केंद्रीय ब्रज अर्थात् आदर्श ब्रजभाषा - अलीगढ़, मथुरा तथा पश्चिमी आगरे की ब्रजभाषा को "आदर्श ब्रजभाषा" नाम दिया जा सकता है।
१७०० ई. के आस पास हिंदी कविता में एक नया मोड़ आया। इसे विशेषत: तात्कालिक दरबारी संस्कृति और संस्कृतसाहित्य से उत्तेजना मिली। संस्कृत साहित्यशास्त्र के कतिपय अंशों ने उसे शास्त्रीय अनुशासन की ओर प्रवृत्त किया। हिंदी में रीति या काव्यरीति शब्द का प्रयोग काव्यशास्त्र के लिए हुआ था। इसलिए काव्यशास्त्रबद्ध सामान्य सृजनप्रवृत्ति और रस, अलंकार आदि के निरूपक बहुसंख्यक लक्षणग्रंथों को ध्यान में रखते हुए इस समय के काव्य को रीतिकाव्य कहा गया। इस काव्य की शृंगारी प्रवृत्तियों की पुरानी परंपरा के स्पष्ट संकेत संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, फारसी और हिंदी के आदिकाव्य तथा कृष्णकाव्य की शृंगारी प्रवृत्तियों में मिलते हैं।
अन्यानिमुक्तिक्षेत्राणिकाशीप्राप्तिकराणिच। काशींप्राप्य विमुच्येतनान्यथातीर्थकोटिभि:।।
पार्वती हिमालय की पुत्री तथा भगवान शंकर की पत्नी हैं। पार्वती की माता का नाम मेनका था। उमा, गौरी, अम्बिका भवानी आदि भी पार्वती के ही नाम हैं। पार्वती के जन्म का समाचार सुनकर देवर्षि नारद हिमालय के घर आये थे। हिमालय के पूछने पर देवर्षि नारद ने पार्वती के विषय में यह बताया कि तुम्हारी कन्या सभी सुलक्षणों से सम्पन्न है तथा इसका विवाह भगवान शंकर से होगा। किन्तु महादेव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये तुम्हारी पुत्री को घोर तपस्या करना होगा।
The proposed state includes the following districts:
इतने बड़े साम्राज्य की स्थापना का एक परिणाम ये हुआ कि पूरे साम्राज्य में आर्थिक एकीकरण हुआ । किसानों को स्थानीय रूप से कोई कर नहीं देना पड़ता था, हँलांकि इसके बदले उन्हें कड़ाई से पर वाजिब मात्रा में कर केन्द्रीय अधिकारियों को देना पड़ता था ।
मध्यकाल मे जापान में सामंतवाद का जन्म हुआ । जापानी सामंतों को समुराई कहते थे । जापानी सामंतो ने कोरिया पर दो बार चढ़ाई की पर उन्हें कोरिया तथा चीन के मिंग शासको ने हरा दिया ।
विकिरण चिकित्सा, का उपयोग लगभग हर प्रकार की ठोस गांठ के उपचार के लिए किया जा सकता है, जिसमें मस्तिष्क, स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, गला, फेफड़े, अग्न्याशय, प्रोस्टेट, त्वचा, पेट, गर्भाशय, या कोमल उतक सार्कोमा के कैंसर शामिल हैं.ल्यूकेमिया (रक्त केंसर) और लिम्फोमा के उपचार में भी विकिरण चिकित्सा का उपयोग किया जा सकता है.प्रत्येक साइट के लिए विकिरण की खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है, ये कारक हैं, हर प्रकार के कैंसर की रेडियो संवेदनशीलता, और आस-पास के उतक या अंग विकिरण से नष्ट हो सकते हैं या नहीं.इस प्रकार, हर प्रकार के उपचार में, विकिरण चिकित्सा इसके पार्श्व दुष्प्रभावों के बिना नहीं है.
माघे शुकले त्रयोदश्यां दिवापुष्पे पुनर्वसौ। अष्टा र्विशति में जातो विशवकमॉ भवनि च।।
कोरियायी भाषा अल्टाइक कुल की भाषा है जो चीनी की भाँति संसार की प्राचीन भाषाओं में गिनी जाती है। चीनी की भाँति ही यह दाई से बाई ओर को लिखी जाती है। इसका इतिहास कोरिया के इतिहास की तरह ही 4000 वर्ष प्राचीन है। प्राचीन काल में चीनी लोग कोरिया में जाकर बस गए थे, इसलिये वहाँ की भाषा चीनी भाषा से काफी प्रभावित है। चीनी और कोरियायी के अनेक शब्द मिलते जुलते हैं :
California levies a 9.3% maximum variable rate income tax, with 6 tax brackets. It collects about $40 billion per year in income taxes. California's combined state, county and local sales tax rate is from 7.25 to 8.75%.[२७] The rate varies throughout the state at the local level. In all, it collects about $28 billion in sales taxes per year. All real property is taxable annually, the tax based on the property's fair market value at the time of purchase. This tax does not increase based on a rise in real property values (see Proposition 13). California collects $33 billion in property taxes per year.
Sahih Bukhari Sharif Me Hadeese Pak He Ki Pyare Aaka Alayhissalam Ne Jis Dumbe Ki Qurbani Di Wo Khassi Kiya Huaa,Kab Chitra,Or Mota-Taza Tha
यह काम बनारस में भी प्रचलित हो रहा है। जरदोजी का काम बनारस की अपनी अलग परम्परा नहीं है परन्तु अब लोगों ने बनारसी साड़ी में भी जरदोजी का काम करना प्रारम्भ कर दिया है। बनारस में बनारसी साड़ी तथा वस्र के अलावा अन्य साड़ी, सूट के कपड़े, ड्रेस मैटीरियल्स, पर्दा, कुशन कवर आदि में भी अधिकांशतः मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग (कलाकार) लगे हुए हैं। जरदोजी बहुत ही कलात्मक तथा धैर्य का काम है। इसकी बारीकी को समझने के लिए यह जरुरी है कि इसे कम उम्र से ही सीखा जाए। फलतः जरदोजी के पेशे में बच्चे तथा औरतें भी लगे हुए हैं।
काव्यालंकार सूत्र में समुद्रगुप्त का नाम चन्द्रप्रकाश मिलता है । उसने उदार, दानशील, असहायी तथा अनाथों को अपना आश्रय दिया । समुद्रगुप्त एक धर्मनिष्ठ भी था लेकिन वह हिन्दू धर्म मत का पालन करता था । वैदिक धर्म के अनुसार इन्हें धर्म व प्राचीर बन्ध यानी धर्म की प्राचीर कहा गया है ।
राजस्थान के एकीकरण का दूसरा चरण पच्चीस मार्च 1948 को स्वतंत्र देशी रियासतों कोटा, बूंदी, झालावाड, टौंक, डूंगरपुर, बांसवाडा, प्रतापगढ , किशनगढ और शाहपुरा को मिलाकर बने राजस्थान संघ के बाद पूरा हुआ। राजस्थान संध में विलय हुई रियासतों में कोटा बडी रियासत थी इस कारण इसके तत्कालीन महाराजा महाराव भीमसिंह को राजप्रमुख बनाया गया। के तत्कालीन महाराव बहादुर सिंह राजस्थान संघ के राजप्रमुख भीमसिंह के बडे भाई थें इस कारण उन्हे यह बात अखरी की कि छोटे भाई की राजप्रमुखता में वे काम कर रहे है। इस ईर्ष्या की परिणति तीसरे चरण के रूप में सामने आयी।
वह ब्रह्म ही जगत का नियन्ता है।
तमिलनाडु को मुस्लिम कट्टरपंथी आतंकवादी द्वारा किये गये हमलों का भी सामना करना पड़ता है. अधिक जानकारी के लिए देखें, 1998 कोयंबटूर बम विस्फोट.
सिक्किम के नागरिक भारत के सभी मुख्य हिन्दू त्योहारों जैसे दीपावली और दशहरा,मनाते हैं । बौद्ध धर्म के ल्होसार, लूसोंग, सागा दावा, ल्हाबाब ड्युचेन, ड्रुपका टेशी और भूमचू वे त्योहार हैं जो मनाये जाते हैं । लोसर - तिब्बती नव वर्ष लोसर, जो कि मध्य दिसंबर में आता है, के दौरान अधिकतर सरकारी कार्यालय एवं पर्यटक केन्द्र हफ़्ते भर के लिये बंद रहते हैं । गैर-मौसमी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये हाल ही में बड़ा दिन । बड़े दिन को गंगटोक में प्रसारित किया जा रहा है ।[२१]
वसंत · ग्रीष्मपतझड़ · शीतकाल
अनुक्रमणिका
पोरो प्रिज्म तथा रूफ प्रिज्म वाली दूरबीनें जो एब्बे-कोनिग रूफ प्रिज़्म का प्रयोग करती हैं, इनको दर्पण कोटिंग का प्रयोग नहीं करना पड़ता क्योंकि ये प्रिज्म 100% परावर्तनीयता सम्पूर्ण आतंरिक परावर्तन से प्राप्त कर लेते हैं.
राजा राममोहन राय ने भारतीयों के "आधुनिक" बनने पर बल दिया। उन्होंने ब्रह्मसमाज की स्थापना की। उन्होंने कतिपय उपनिषदों का बँगला अनुवाद तैयार किया। अंग्रेजी में बँगला व्याकरण (1826) लिखा और अपने धार्मिक तथा सामाजिक विचारों के प्रचारार्थ बँगला और अंग्रेजी, दोनों में छोटी छोटी पुस्तिकाएँ लिखीं। इसी समय राजा राधाकांत देव ने "शब्दकल्पद्रुम" नामक संस्कृत कोष तैयार किया और भवानीचरण बनर्जी ने कलकतिया समाज पर व्यंग्यात्मक रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
अनाक्सीय श्वसन में आक्सीजन की आवश्यकता नहीं पड़ती है तथा यह आक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। इस क्रिया में भोजन का अपूर्ण आक्सीकरण होता है। जन्तुओं में इस क्रिया के फलस्वरूप कार्बन डाई-आक्साइड तथा लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है तथा पौधों में कार्बन डाई-आक्साइड तथा इथाइल अल्कोहल बनता है एवं बहुत कम मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। इस प्रकार का श्वसन कुछ निम्न श्रेणी के पौधों, यीस्ट, जीवाणु, एवं अन्तः परजीवी जन्तुओं जैसे गोलकृमि, फीताकृमि,[१५] मोनोसिस्टिस इत्यादि में होता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में उच्च श्रेणी के जन्तुओं, पौधों के ऊतकों, बीजों, रसदार फलों आदि में भी आक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। मनुष्यों या उच्च श्रेणी के जीवों की माँसपेशियों के थकने की अवस्था में यह श्वसन होता है। जिन जीवधारियों में यह श्वसन होता है उसे एनएरोब्स कहते हैं।
इडापल्ली में स्थित इस संग्रहालय में केरल के इतिहास को मूर्ति के माध्यम से दर्शाया गया है। संग्रहालय के बाहर परशुराम की प्रतिमा है। उसे देखकर लगता है जैसे वह आगंतुकों का अभिनंदन कर रही हो। कहा जाता है कि परशुराम ने ही केरल की स्थापना की थी।
यह पाया गया है कि अंडक्षरण (अंडकोषिका का अंडग्रंथि से निकलना) आर्तव के समय नहीं होता। किंतु आर्तवों के अंतर्काल में आर्तव के पश्चात् 14वें से 20वें दिन के बीच में होता है और अंडकौषिका 24 घंटे से अधिक संसेचन के योग्य नहीं रह पाती। शुक्राणु की संसेचन शक्ति भी तीन चार दिन में नष्ट हो जाती है। अतएव आर्तव के पूर्व का सप्ताह "निर्भय काल" कहलाता है, जिसमें गर्भस्थापना का भय नहीं रहता। जिन लोगों को अन्य विधियों के उपयोग में कोई आपत्ति होती है, उनके लिए केवल यही विधि उपयुक्त है।
शिव मंदिर में लिंग पूजन कर दस हज़ार मंत्रों का जाप करने से प्राण रक्षा होती है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला पर करें।
शरीर में ओमेगा-3 की कमी व इन्फ्लेमेशन पैदा करने वाले ओमेगा-6 के ज्यादाहो जाने से प्रोस्टाग्लेन्डिन-ई 2 बनते हैं जो लिम्फोसाइट्स व माक्रोफाजको अपने पास एकत्रित करते हैं व फिर ये साइटोकाइन व कोक्स एंजाइम कानिर्माण करते हैं। और शरीर में इनफ्लेमेशन फैलाते हैं। मैं आपको सरल तरीकेसे समझाता हूं। जिस प्रकार एक अच्छी फिल्म बनाने के लिए नायक और खलनायकदोनों ही आवश्यक होते हैं। वैसे ही हमारे शरीर के ठीक प्रकार से संचालन केलियेओमेगा-3 व ओमेगा-6 दोनों ही बराबर यानी 1:1 अनुपात में चाहिये। ओमेगा-3 नायक हैं तो ओमेगा-6 खलनायक हैं। ओमेगा-6 की मात्रा बढ़ने से हमारे शरीरमें इन्फ्लेमेशन फैलते है तो ओमेगा-3 इन्फ्लेमेशन दूर करते हैं, मरहमलगाते हैं। ओमेगा-6 हीटर है तो ओमेगा-3 सावन की ठंडी हवा है। ओमेगा-6 हमेंतनाव, सरदर्द, डिप्रेशन का शिकार बनाते हैं तो ओमेगा-3 हमारे मन कोप्रसन्न रखते है, क्रोध भगाते हैं, स्मरण शक्ति व बुद्धिमत्ता बढ़ाते हैं।ओमेगा-6 आयु कम करते हैं। तो ओमेगा-3 आयु बढ़ाते हैं। ओमेगा-6 शरीर मेंरोग पैदा करते हैं तो ओमेगा-3 हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।पिछले कुछ दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-6 की मात्रा बढ़तीजा रही हैं और ओमेगा -3 की कमी होती जा रही है। मल्टीनेशनल कम्पनियों द्वारा बेचे जा रहे फास्ट फूड व जंक फूड ओमेगा-6 से भरपूर होते हैं। बाजारमें उपलब्ध सभी रिफाइंड तेल भी ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं। हालही हुई शोध से पता चला है कि हमारे भोजन में ओमेगा-3 बहुत ही कम औरओमेगा-6 प्रचुर मात्रा में होने के कारण ही हम उच्च रक्तचाप, हृदयाघात, स्ट्रोक, डायबिटीज़, मोटापा, गठिया, अवसाद, दमा, कैंसर आदि रोगों का शिकारहो रहे हैं। ओमेगा-3 की यह कमी 30-60 ग्राम अलसी से पूरी कर सकते हैं। येओमेगा-3 ही अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा दिलाते हैं। ।
खगोलीय यांत्रिकी संबंधी नियमनिर्माण के प्रारंभिक दिनों में ही गणितज्ञ ज्योतिषियों का ध्यान तीन कायों के प्रश्न की ओर गया था। इस प्रश्न के हल के लिए बीजगणितीय प्रकृति से दस ज्ञात अनुकल अपेक्षित हैं। इस प्रश्न का समीकरण 18 वर्णों की संहति का है, जिसे जोसेफ लुई लाग्रांज (Joseph Louis Lagrange) ने दस अनुकलों की सहायता, पातविलोपन (elimination of nodes) तथा कालविलोपन (elimination of time) के छह वर्णों के समीकरण में सीमित कर दिया था। परु ष दशा (rigorous case) में इससे अधिक लाघव (reduction) संभव नहीं था। ऐसी दशा में, जिसमें एक काय का द्रव्यमान अत्यल्प मान लिया जाय और वह ऐसे दो द्रव्यमानों के क्षेत्र में गतिशील हो जो वृत्ताकार कक्षाओं में भ्रमण करते हों, समस्या सीमित हो जाती है और इसका हल सरल है। व्यापक रूप में तीन कायों के प्रश्न का हल मिल सकता है, जिसे संसृत घात श्रेणियों में व्यक्त किया जा सकता है। इस विधि का के. एफ. सुंडमान ने प्रयोग किया था। ‘न’ कायों के प्रश्न में ग्रहों के परस्पर आकर्षण की तुलना में सूर्य का आकर्षण अधिक होता है। इसके कारण उत्तरोत्तर आसन्नीकरण (approximation) की विधि का प्रयोग किया जा सकता है। अन्य ग्रहों की उपस्थिति के कारण ग्रहकक्षाओं के दीर्घवृत्ताकार में होनेवाले विचलन क्षोभ (perturbations) कहलाते हैं। लाग्रांज ने ग्रहों के क्षोभों की गणना के लिये एक विधि निकाली थी। दीर्घवृत्ताकार कक्षा में छह स्थिरांक होते हैं, जिन्हें अवयव कहते हैं। क्षुब्ध कक्षा में छह अवयवों को काल का फलन माना जा सकता है। लाग्रांज की विधि से इन फलनों के अवकलजों के लिये वैश्लेषिक व्यंजक आ जाते हैं, जिनके अनुकूलन के लिए उत्तरोतर आसन्नीकरण की विधि का प्रयोग करना पड़ता है। छह अवयवों के अंतिम रूप में आवर्तक पद (periodic terms) और काल के अनुपाती पद अर्थात्‌ तथाकथित दीर्घकालिक पद (secular terms) रहते हैं। क्षोभ के प्रश्न को हल करने की दूसरी विधि यह है कि सीधे नियामकों (co-ordinates) में ही क्षोभों को निकाल लिया जाय। इस प्रचार की विधियों का लाप्लास (Laplace) तथा न्यूकॉम्ब (Newcomb) ने प्रयोग किया था।
द्विवेदी जी की शैली के मुख्यतः तीन रूप दृष्टिगत होते हैं-
(2) किसी मंतव्य या कार्य विशेष के लिए किया गया सर्वेक्षण, जैसे स्थलाकृतिक (topographical), इंजीनियरी, राजस्व (revenue) तथा खनिज (mineral) सर्वेक्षण, तथा
लीग प्रतियोगिताओं में खेल का समापन ड्रा के साथ हो सकता है, लेकिन कुछ नोक आउट प्रतियोगिताओं में अगर खेल निर्धारित समय तक टाई रहा तो वह मैच अतिरिक्त समय तक चल सकता है, जो पन्द्रह मिनिट का दो अवधि होता है. अगर स्कोर अतिरिक्त समय के बाद भी टाई रहता है तो कुछ प्रतियोगिताओं में पेनाल्टी शूट आउट (penalty shootouts) ( अधिकारिक रूप में खेल के नियम के अनुसार पेनाल्टी चिन्ह से किक मारना कहा जाता है) का प्रयोग किया जाता है जिसमें जो टीम आगे आएगी वह टीम प्रतियोगिता के अगले चरण में जायेगी.अतिरिक्त समय के दौरान जो गोल की जाती है वह खेल का अन्तिम स्कोर होता है लेकिन पेनाल्टी चिन्ह से जो किक मारा जाता है उसका प्रयोग केवल यह निर्णय करने के लिए होता है की कौन सी टीम प्रतियोगिता के अगले चरण में जायेगी.( पेनाल्टी शूट आउट के दौरान जो गोल स्कोर किए जाते हैं वह अन्तिम स्कोर का हिस्सा नहीं होता).
लोकसभा के क्रियांवयन नियमॉ मे इस प्रस्ताव का वर्णन है विपक्ष यह प्रस्ताव लोकसभा मे मंत्रिपरिषद के विरूद्ध लाता है इसे लाने हेतु लोकसभा के 50 सद्स्यॉ का समर्थन जरूरी है यह सरकार के विरूद्ध लगाये जाने वाले आरोपॉ का वर्णन नही करता है केवल यह बताता है कि सदन मंत्रिपरिषद मे विश्वास नही करता है एक बार प्रस्तुत करने पर यह प्रस्ताव् सिवाय धन्यवाद प्रस्ताव के सभी अन्य प्रस्तावॉ पर प्रभावी हो जाता है इस प्रस्ताव हेतु पर्याप्त समय दिया जाता है इस पर् चर्चा करते समय समस्त सरकारी कृत्यॉ नीतियॉ की चर्चा हो सकती है लोकसभा द्वारा प्रस्ताव पारित कर दिये जाने पर मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को त्याग पत्र सौंप देती है संसद के एक सत्र मे एक से अधिक अविश्वास प्रस्ताव नही लाये जा सकते हैविश्वास प्रस्ताव--- लोकसभा नियमॉ मे इस प्रस्ताव का कोई वर्णन नही है यह आवश्यक्तानुसार उत्पन्न हुआ है ताकि मंत्रिपरिषद अपनी सत्ता सिद्ध कर सके यह सदैव मंत्रिपरिषद लाती है इसके गिरजाने पर उसे त्याग पत्र देना पडता है निंदा प्रस्ताव--- लोकसभा मे विपक्ष यह प्रस्ताव लाकर सरकार की किसी विशेष नीति का विरोध/निंदा करता है इसे लाने हेतु कोई पूर्वानुमति जरूरी नही है यदि लोकसभा मे पारित हो जाये तो मंत्रिपरिषद निर्धारित समय मे विश्वास प्रस्ताव लाकर अपने स्थायित्व का परिचय देती है है उसके लिये यह अनिवार्य है कामरोको प्रस्ताव--- लोकसभा मे विपक्ष यह प्रस्ताव लाता है यह एक अद्वितीय प्रस्ताव है जिसमे सदन की समस्त कार्यवाही रोक कर तात्कालीन जन मह्त्व के किसी एक मुद्दे को उठाया जाता है प्रस्ताव पारित होने पर सरकार पे निंदा प्रस्ताव के समान प्रभाव छोडता है
गांधी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दुष्टात्माओं , भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है। .गांधी जी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्य‍क्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है "बाद में उन्होने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया। इस प्रकार , सत्य ( सत्य ) में गांधी के दर्शन है " परमेश्वर " .
अरूणाचल प्रदेश का पापुम पेर बहुत ही खूबसूरत स्थान है। इसका मुख्यालय यूपिया में स्थित है। यह ईटानगर से 20 किमी. की दूरी पर स्थित है। पापुम पेर हिमालय की तराई में बसा हुआ है। इस कारण पर्यटक यहां पर अनेक चोटियों को देख सकते हैं। चोटियों के अलावा पर्यटक यहां पर अनेक जंगलों, नदियों और पर्यटक स्थलों को भी देख सकते हैं।
बंग भवन: बंगलादेश के राष्‍ट्रपति का यह आवास है। पर्यटक इसे बाहर से देख सकते हैं।
दिनकरजी को उनकी रचना कुरूक्षेत्र के लिए काशी नागरी प्रचारिणी सभा, उत्तरप्रदेश सरकार और भारत सरकार सम्मान मिला. संस्कृति के चार अध्याय के लिए उन्हें 1959 में साहित्य अकादमी से सम्मानित किया गया. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें 1959 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया. भागलपुर विश्वविद्यालय के तात्कालीन कुलाधिपति और बिहार के राज्यपाल जाकिर हुसैन, जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने, ने उन्हें डॉक्ट्रेट की मानध उपाधि से सम्मानित किया. गुरू महाविद्यालय ने उन्हें विद्या वाचस्पति के लिए चुना. 1968 में राजस्थान विद्यापीठ ने उन्हें साहित्य-चूड़ामणि से सम्मानित किया. वर्ष 1972 में काव्य रचना उर्वशी के लिए उन्हें ज्ञानपीठ सम्मानित किया गया. 1952 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए और लगातार तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे.
आईएमएफ के कुल १८६ सदस्य देश हैं। २९ जून २००९ को कोसोवो गणराज्य १८६वें देश के रूप में शामिल हुआ था।[३][४] आईएमएफ का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुरक्षित करना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी कम करना, रोजगार को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुविधाजनक बनाना है। सदस्य देशों की संख्या बढ़ने के साथ वैश्विक अर्थ-व्यवस्था में आईएमएफ का कार्य काफी बढ़ा है। कोई भी देश आईएमएफ की सदस्यता के लिए आवेदन कर सकता है। पहले यह आवेदन आईएमएफ के कार्यपालक बोर्ड द्वारा विचाराधीन भेजी जाती है। इसके बाद कार्यकारी बोर्ड, बोर्ड ऑफ गर्वनेस को उसकी संस्तुति के लिए भेजता है। वहां स्वीकृत होने पर सदस्यता मिल जाती है।
कहा जाता है कि उज्जयिनी का प्रत्येक कंकर शंकर का ही स्वरूप है। भारत के सर्वज्ञात द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महालोकेश भगवान महाकालेश्वर तो यहां अनंत काल से विराजित है ही। स्कन्द पुराण के अवन्तिखंड में वर्णित चौरासी महादेव का अपना अलग ही माहत्म्य है।
यद्यपि अनेक भिन्न भिन्न विचार एवं सिद्धांत चीनी दर्शन की भिन्न भिन्न शाखाओं में प्रचलित रहें हैं; फिर भी उनकी अनेक बातों में समानता रही है। इस प्रकार एकत्व में विषमता और नानात्व में एकत्व का प्रदर्शन मिलता है।
बी आर चोपड़ा (जन्म: 22 अप्रैल, 1914 - मृत्यु: 5 नवंबर, 2008 ) हिन्दी फ़िल्मों के एक निर्देशक थे।
२४ - चौबीस
आवामी लीग बांग्लादेश का एक राजनीतिक दल है।
कोलकाता के स्वतंत्रता सेनानी, देशबंधु चित्तरंजन दास के कार्य से प्रेरित होकर, सुभाष दासबाबू के साथ काम करना चाहते थे। इंग्लैंड से उन्होंने दासबाबू को खत लिखकर, उनके साथ काम करने की इच्छा प्रकट की। रवींद्रनाथ ठाकुर की सलाह के अनुसार, भारत वापस आने पर वे सर्वप्रथम मुम्बई गये और महात्मा गाँधी से मिले। मुम्बई में गाँधीजी मणिभवन में निवास करते थे। वहाँ, 20 जुलाई, 1921 को महात्मा गाँधी और सुभाषचंद्र बोस के बीच पहली बार मुलाकात हुई। गाँधीजी ने भी उन्हें कोलकाता जाकर दासबाबू के साथ काम करने की सलाह दी। इसके बाद सुभाषबाबू कोलकाता आ गए और दासबाबू से मिले। दासबाबू उन्हें देखकर बहुत खुश हुए। उन दिनों गाँधीजी ने अंग्रेज़ सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया था। दासबाबू इस आंदोलन का बंगाल में नेतृत्व कर रहे थे। उनके साथ सुभाषबाबू इस आंदोलन में सहभागी हो गए 1922 में दासबाबू ने कांग्रेस के अंतर्गत स्वराज पार्टी की स्थापना की। विधानसभा के अंदर से अंग्रेज़ सरकार का विरोध करने के लिए, कोलकाता महापालिका का चुनाव स्वराज पार्टी ने लड़कर जीता। स्वयं दासबाबू कोलकाता के महापौर बन गए। उन्होंने सुभाषबाबू को महापालिका का प्रमुख कार्यकारी अधिकारी बनाया। सुभाषबाबू ने अपने कार्यकाल में कोलकाता महापालिका का पूरा ढाँचा और काम करने का तरीका ही बदल डाला। कोलकाता के रास्तों के अंग्रेज़ी नाम बदलकर, उन्हें भारतीय नाम दिए गए। स्वतंत्रता संग्राम में प्राण न्यौछावर करनेवालों के परिवार के सदस्यों को महापालिका में नौकरी मिलने लगी।
मरीना बीच पर स्थित अन्ना समाधि का प्रवेशद्वार
इन्द्र की शक्तियां: इन्द्र के युद्ध कौशल के कारण आर्यों ने पृथ्वी के दानवों से युद्ध करने के लिए भी इन्द्र को सैनिक नेता मान लिया। इन्द्र के पराक्रम का वर्णन करने के लिए शब्दों की शक्ति अपर्याप्त है। वह शक्ति का स्वामी है, उसकी एक सौ शक्तियाँ हैं। चालीस या इससे भी अधिक उसके शक्तिसूचक नाम हैं तथा लगभग उतने ही युद्धों का विजेता उसे कहा गया है। वह अपने उन मित्रों एवं भक्तों को भी वैसी विजय एवं शक्ति देता है, जो उस को सोमरस अर्पण करते हैं।
पहले कहा गया है कि मन:प्रेरणा कर्म का आवश्यक उपकरण है। मन:-प्रेरणा के शुभ या अशुभ होने से ही कर्म शुभ या अशुभ हाता है। डाक्टर रोगी की भलाई के लिए उसकी चीरफाड़ करता है। यदि इस चीरफाड़ से रोगी को कष्ट होता है तो डाक्टर उसका उत्तरदायी नहीं है। डाक्टर शुभ कर्म कर रहा है। अत: दु:ख, जो अशुभ मन:प्ररेणा से की गई क्रिया का फल है, तभी दूर हो सकता है जब मन को अशुभ प्रभावों से बचाया जाए। सर्वदा शुभ कर्म करना सर्वदा शुभ सोचने से ही हो सकता है। कष्ट के बचने का यही एक उपाय है। परंतु शुभ कर्म करनेवाले व्यक्ति को फलभोग के लिए जन्म लेना ही होगा, चाहे स्वर्ग में, चाहे पृथ्वी पर। जन्म लेना अपने आपमें महान्‌ कष्ट है क्योंकि जन्म का संबंध मृत्यु से है। मृत्यु का कष्ट दु:सह कष्ट माना गया है। अत: यदि इस कष्ट से भी छुटकारा पाना है तो जन्म की परंपरा को भी समाप्त करना होगा। इसके लिए शुभ कर्मों का भी परित्याग आवश्यक है क्योंकि बिना उसके जन्म से मुक्ति नहीं है। अत: शुभाशुभ परित्यागी ही वास्तविक दु:खमुक्त हो सकता है।
पौराणिक मत: पौराणिक देवमण्डल में इन्द्र का वह स्थान नहीं है जो वैदिक देवमण्डल में है। पौराणिक देवमण्डल में त्रिमूर्ति-ब्रह्मा, विष्णु और शिव का महत्व बढ़ जाता है। इन्द्र फिर भी देवाधिराज माना जाता है। वह देव-लोक की राजधानी अमरावती में रहता है, सुधर्मा उसकी राजसभा तथा सहस्त्र मन्त्रियों का उसका मन्त्रिमण्डल है। शची अथवा इन्द्राणी पत्नी, ऐरावत हाथी (वाहन) तथा अस्त्र वज्र अथवा अशनि है। जब भी कोई मानव अपनी तपस्या से इन्द्रपद प्राप्त करना चाहता है तो इन्द्र का सिंहासन संकट में पड़ जाता है। अपने सिंहासन की रक्षा के लिए इन्द्र प्राय: तपस्वियों को अप्सराओं से मोहित कर पथभ्रष्ट करता हुआ पाया जाता है। पुराणों में इस सम्बन्ध की अनेक कथाएँ मिलती हैं। पौराणिक इन्द्र शक्तिमान, समृद्ध और विलासी राजा के रूप में चित्रित है।
द्रोण पर्व में भीष्म के धराशायी होने पर कर्ण का आगमन और युद्ध करना, सेनापति पद पर द्रोणाचार्य का अभिषेक, द्रोणाचार्य द्वारा भयंकर युद्ध, अर्जुन का संशप्तकों से युद्ध, द्रोणाचार्य द्वारा चक्रव्यूह का निर्माण, अभिमन्यु द्वारा पराक्रम और व्यूह में फँसे हुए अकेले नि:शस्त्र अभिमन्यु का कौरव महारथियों द्वारा वध, षोडशराजकीयोपाख्यान, अभिमन्यु के वध से पाण्डव-पक्ष में शोक, संशप्तकों के साथ युद्ध करके लौटे हुए अर्जुन द्वारा जयद्रथवध की प्रतिज्ञा, कृष्ण द्वारा सहयोग का आश्वासन, अर्जुन का द्रोणाचार्य तथा कौरव-सेना से भयानक युद्ध, अर्जुन द्वारा जयद्रथ का वध, दोनों पक्षों के वीर योद्धाओं के बीच भीषण रण, कर्ण द्वारा घटोत्कच का वध, धृष्टद्युम्न द्वारा द्रोणाचार्य का वध
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महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में स्थित एक मानद विश्वविद्यालय है। पहले इसे केवल काशी विद्यापीठ के नाम से ही जाना जाता था किन्तु बाद में इसे भारत के महान् नेता महात्मा गाँधी को पुनः समर्पित किया गया औरुनका नाम इसके साथ जोड दिया गया (११ जुलाई १९९५)।
प्रश्नोपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
महावग्ग के अनुसार बिम्बिसार की ५०० रानियाँ थीं । उसने अवंति के शक्‍तिशाली राजा चन्द्र प्रद्योत के साथ दोस्ताना सम्बन्ध बनाया । सिन्ध के शासक रूद्रायन तथा गांधार के मुक्‍कु रगति से भी उसका दोस्ताना सम्बन्ध था । उसने अंग राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया था वहाँ अपने पुत्र अजातशत्रु को उपराजा नियुक्‍त किया था ।
उपरोक्त वर्णों में फोन मॉडलों के अनुसार थोड़ा अन्तर हो सकता है पर मुख्य क्रम वही रहता है। किसी टैक्स्ट बॉक्स में हिन्दी इनपुट सक्षम करने हेतु Options>Writing Languages>Hindi में जायें अथवा फोन की "*" कुञ्जी दबाकर रखें तो Writing Languages का विकल्प आ जाता है। पूर्वानुमानी पाठ इनपुट (Predictive text input) द्वारा केवल कुछ बटन दबाकर शब्दों को टाइप किया जा सकता है। पूर्वानुमान फोन में हिन्दी में सरलता से टाइप करने में बहुत सहायक है, थोड़े अभ्यास के उपरान्त पूर्वानुमान से काफी गति से हिन्दी टाइप की जा सकती है। जो शब्द फोन के पूर्वानुमान शब्दकोश में न हों उन्हें जोड़ा जा सकता है जिससे अगली बार वे पूर्वानुमान द्वारा टाइप किये जा सकते हैं। पूर्वानुमान ऑन/ऑफ स्विच करने हेतु फोन पर ऊपर के बायें कोने की कुञ्जी दबाकर रखें, अस्थायी रुप से बदलने के लिये "*" कुञ्जी का प्रयोग करें।
दक्षिण में आलवार बंधु नाम से प्रख्यात भक्त हो गए। इनमें से कई तथाकथित नीची जातियों से आए थे। वे बहुत पढे-लिखे नहीं थे परंतु अनुभवी थे। आलवारों के पश्चात दक्षिण में आचार्यों की एक परंपरा चली जिसमें रामानुजाचार्य प्रमुख थे।
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चन्द्रगुप्त द्वितीय की विजय यात्रा
भक्त साहित्य में अवधी में गोस्वामी तुलसीदास, बृज भाषा में सूरदास, मारवाड़ी में मीरा बाई , खड़ीबोली में (?) कबीर, रसखान, मैथिली में विद्यापति आदि प्रमुख हैं . अवधी के प्रमुख कवियों में रमई काका सुप्रसिद्ध कवि हैं।
दिल्ली के अन्य व्यवसायिक स्थल:
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(ड) रतिमंजरी जयदेव कृत  :- अपने लघुकाय रूप में निर्मित यह ग्रंथ आलोचकों में पर्याप्त लोकप्रिय रहा है। रतिमंजरीकार जयदेव गीतगोविन्दकार जयदेव से पूर्णतः भिन्न हैं। यह ग्रन्थ डा० संकर्षण त्रिपाठी द्वारा हिन्दी भाष्य सहित चौखंबा विद्याभवन, वाराणसी से प्रकाशित है।
सदनॉ द्वारा पारित माना जायेगा राज्य सभा द्वारा सुझाया कोई भी संशोधन लोक सभा की इच्छा पे निर्भर करेगा कि वो स्वीकार करे
बचपन से ही उनकी कविता, छन्द और भाषा में अद्भुत प्रतिभा का आभास लोगों को मिलने लगा था। उन्होंने पहली कविता आठ साल की उम्र लिखी थी और 1877 में केवल सोलह साल की उम्र में उनकी लघुकथा प्रकाशित हुई थी। भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूंकने वाले युगद्रष्टा टैगोर के सृजन संसार में गीतांजलि, पूरबी प्रवाहिनी, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष, पुनश्च, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबाली, कणिका, नैवेद्य मायेर खेला और क्षणिका आदि शामिल हैं। देश और विदेश के सारे साहित्य, दर्शन, संस्कृति आदि उन्होंने आहरण करके अपने अन्दर सिमट लिए थे। उनके पिता ब्राह्म धर्म के होने के कारण वे भी ब्राह्म थे। पर अपनी रचनाओं व कर्म के द्वारा उन्होने सनातन धर्म को भी आगे बढ़ाया।
फूल बाग को गणेश उद्यान के नाम से भी जाना जाता है। इस उद्यान के मध्य में गणेश शंकर विद्यार्थी का एक मैमोरियल बना हुआ है। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यहां ऑथरेपेडिक रिहेबिलिटेशन हॉस्पिटल बनाया गया था। यह पार्क शहर के बीचों बीच मॉल रोड पर बना है।
मौलिक साहित्य की सर्जना में ये आजीवन लगे रहे। इन्होंने काव्य, कहानी, नाटक, उपन्यास आदि क्षेत्रों में समान अधिकार के साथ श्रेष्ठ कृतियाँ प्रस्तुत की। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उग्र जी ने सच्चे पत्रकार का आदर्श प्रस्तुत किया। वे असत्य से कभी नहीं डरे, उन्होंने सत्य का सदैव स्वागत किया, भले ही इसके लिए उनहें कष्ट झेलने पड़े। पहले काशी के दैनिक "आज" में "ऊटपटाँग" शीर्षक से व्यंग्यात्मक लेख लिखा करते थे और अपना नाम रखा था "अष्टावक्र"। फिर "भूत" नामक हास्य-व्यंग्य-प्रधान पत्र निकाला। गोरखपुर से प्रकाशित होनेवाले "स्वदेश" पत्र के "दशहरा" अंक का संपादन इन्होंने ही किया था। तदनंतर कलकत्ता से प्रकाशित होनेवाले "मतवाला" पत्र में काम किया। "मतवाला" ने ही इन्हें पूर्ण रूप से साहित्यिक बना दिया। फरवरी, सन् 1938 ई. में इन्होंने काशी से "उग्र" नामक साप्ताहिक पत्र निकाला। इसके कुल सात अंक ही प्रकाशित हुए, फिर यह बंद हो गया। इंदौर से निकलनेवाली "वीणा" नामक मासिक पत्रिका में इन्होंने सहायक संपादक का काम भी कुछ दिनों तक किया था। वहाँ से हटने पर "विक्रम" नामक मासिक पत्र इन्होंने पं. सूर्यनारायण व्यास के सहयोग से निकाला। पाँच अंक प्रकाशित होने के बाद ये उससे भी अलग हो गए। इसी प्रकार इन्होंने "संग्राम", "हिंदी पंच" आदि कई अन्य पत्रों का संपादन किया। किंतु अपने उग्र स्वभाव के कारण कहीं भी अधिक दिनों तक ये टिक न सके। इसमें संदेह नहीं, उग्र जी सफल पत्रकार थे। ये सामाजिक विषमताओं से आजीवन संघर्ष करते रहे। ये विशुद्ध साहित्यजीवी थे और साहित्य के लिए ही जीते रहे। सन. 1967 में दिल्ली में इनका देहावसान हो गया।
सुजीत कुमार एक हिन्दी फिल्म अभिनेता हैं। इन्होंने काफी फ़िल्मों में खलनायक का चरित्र निभाया है। सुजीत कुमार का निधन ५ फ़रवरी, २०१० को मुंबई में हुआ| वे ७५ वर्ष के थे और लम्बे समय से कैंसर से जूझ रहे थे |
सीज़र इतिहास प्रसिद्ध रोमन सैनिक एवं नीतिज्ञ गोयस जूलियस सीज़र (१०१-४४ ई. पू.) से लेकर सम्राट हैड्रियन (१३८ ई.) तक के सभी रोमन सम्राटों की उपाधि रही। गायस जूलियस सीज़र १०२ तथा १०० ई. पू. के मध्य में प्राचीन रोमन अभिजात कुल में उत्पन्न हुआ था। वह वीनस देवी का वंशज होने का दावा करता था। अपनी युवावस्था में उसको उन भीषण संघर्षों में भाग लेना पड़ा जो सेनेट विरोधी दल तथा अनुदार दल के बीच हुए। इस गृहयुद्ध (८१ ई. पू.) में अनुदार दल की विजय हुई जिसके परिणामस्वरूप सीज़र देश निष्कासन से बाल-बाल बच गया। उसके पश्चात्‌ कई वर्षों तक वह अधिकांशत: विदेशों में ही रहा और पश्चिमी एशिया माइनर में उत्तम सैनिक सेवाओं द्वारा प्रसिद्धि प्राप्त की। ७४ ई. पू. में वह इटली वापस आ गया ताकि सेनेट सदस्यों के अल्पतंत्र (Senatorial oligarchy) के विरुद्ध आंदोलन में भाग ले सके। उसको विभिन्न पदों पर कार्य करना पड़ा। जब त्यौहारों के आयुक्त के रूप में प्रचुर धन व्यय करके उसने नगर के जनसाधारण में लोकप्रियता प्राप्त कर ली। ६१ ई. पू. में दक्षिणी स्पेन के गवर्नर के रूप में सीज़र ने प्रथम सैनिक पद सुशोभित किया परंतु उसने शीघ्र ही इससे त्यागपत्र दे दिया ताकि पांपे (Popey) के अपनी विजयी सेना सहित लौटने पर रोम में उत्पन्न राजनीतिक स्थिति में भाग ले सकें। सीज़र ने क्रेसस (Crassus) तथा पांपे में राजनीतिक गठबंधन करा दिया और उससे मिलकर प्रथम शासक वर्ग (first triumvirate) तैयार किया। इन तीनों ने मुख्य प्रशासकीय समस्याओं का समाधान अपने हाथ में लिए जिनको नियमित "सीनेटोरियल' शासन सुलझाने में असमर्थ था। इस प्रकार सीज़र कौंसल निर्वाचित हुआ और अपने पदाधिकारों का उपयोग करते हुए अपनी संयुक्त योजनाओं को कार्यान्वित करने लगा। स्वयं अपने लिए उसने सेना संचालन का उच्च पद प्राप्त कर लिया जो रोमन राजनीति में भीषण शक्ति का कार्य कर सकता था। वह सिसएलपाइन गॉल (Cisalpine gaul) का गवर्नर नियुक्त किया गया। बाद में ट्रांसएलपाइन गाल (Transalpine gaul) भी उसकी कमान में दे दिया गया। गॉल में सीज़र के अभियानों (५८-५० ई. म. पू.) का परिणाम यह हुआ कि संपूर्ण फ्रांस तथा राइन (Rhine) नदी तक के निचले प्रदेश, जो मूल तथा संस्कृति के स्रोत के विचार से इटली से कम महत्वपूर्ण नहीं थे, रोमन साम्राज्य के आधिपत्य में आ गए। जर्मनी तथा बेल्जियम के बहुत से कबीलों पर उसने कई विजय प्राप्त की और "कॉल के रक्षक' का कार्यभार ग्रहण किया। अपने प्राँत की सीमा के पार के दूरस्थ स्थान भी उसकी कमान में आ गए। ५५ ई. पू. में उसने इंग्लैंड के दक्षिण पूर्व में पर्यवेक्षण के लिए अभियान किया। दूसरे वर्ष उसने यह अभियान और भी बड़े स्तर पर संचालित किया जिसके फलस्वरूप वह टेम्स नदी के बहाव की ओर के प्रदेशों तक में घुस गया और अधिकांश कबीलों के सरदारों ने औपचारिक रूप से उसकी अधीनता स्वीकार कर ली। यद्यपि वह भली प्रकार समझ गया था कि रोमन गॉल की सुरक्षा के लिए ब्रिटेन पर स्थायी अधिकार प्राप्त करना आवश्यक है, तथापि गॉल में विषम स्थिति उत्पन्न हो जाने के कारण वह ऐसा करने में असमर्थ रहा। गॉल के लोगों ने अपने विजेता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था किंतु ५० ई. पू. में ही सीज़र गॉल में पूर्ण रूप से शाँति स्थापित कर सका।
कठोर तपस्या छोड़कर उन्होने आर्य अष्टांग मार्ग ढूंढ निकाला, जो मध्यम मार्ग भी कहलाता जाता है क्योंकि यह मार्ग दोनो तपस्या और असंयम की पाराकाष्टाओं के बीच में है। अपने बदन में कुछ शक्ति डालने के लिये, उन्होने एक बरह्मनि से कुछ खीर ली थी। वे एक पीपल के पेड़ (जो अब बोधि वृक्ष कहलाता है) के नीचे बैठ गये प्रतिज्ञा करके कि वे सत्य जाने बिना उठेंगे नहीं। वे सारी रात बैठे और सुबह उन्हे पूरा ज्ञान प्राप्त हो गया। उनकी अविजया नष्ट हो गई और उन्हे निर्वन यानि बोधि प्राप्त हुई और वे ३५ की उम्र तक बुद्ध बन गये। उनका पहला धर्मोपदेश वाराणसी के पास सारनाथ मे था जो उन्होने अपने पहले मित्रो को दिया। उन्होने भी थोडे दिनो मे ही बोधि प्राप्त कर ली। फिर गौतम बुद्ध ने उन्हे प्रचार करने के लिये भेज दिया।
पुर्तगाली इतिहासकार टेक्सियेरा द अरागाओ बताते हैं, कि एवोरा शहर में वास्को द गामा की शिक्षा हुई, जहां उन्होंने शायद गणित एवं नौवहन का ज्ञान अर्जित किया होगा। यह भी ज्ञात है कि गामा को खगोलशास्त्र का भी ज्ञान था, जो उन्होंने संभवतः खगोलज्ञ अब्राहम ज़क्यूतो से लिया होगा।[५]१४९२ में पुर्तगाल के राजा जॉन द्वितीय ने गामा को सेतुबल बंदरगाह, लिस्बन के दक्षिण में भेजा। उन्हें वहां से फ्रांसीसी जहाजों को पकड़ कर लाना था। यह कार्य वास्को ने कौशल एवं तत्परता के साथ पूर्ण किया।
‘रघुवंश’ की कथा को कालिदास ने १९ सर्गों में बाँटा है जिनमें राजा दिलीप, रघु, अज, दशरथ, राम, लव, कुश, अतिथि तथा बाद के बीस रघुवंशी राजाओं की कथा गूँथी गई है। इस वंश का पतन उसके अंतिम राजा अग्निवर्ण के विलासिता की अति के कारण होता है और यहीं इस कृति की इति भी होती है। इस कथा के माध्यम से कवि कालिदास ने राजा के चरित्र, आदर्श तथा राजधर्म जैसे विषयों का बडा़ सुंदर वर्णन किया है। भारत के इतिहास में सूर्यवंश के इस अध्याय का वह अंश भी है जिसमें एक ओर यह संदेश है कि राजधर्म का निर्वाह करनेवाले राजा की कीर्ति और यश देश भर में फैलती है, तो दूसरी ओर चरित्रहीन राजा के कारण अपयश व वंश-पतन निश्चित है, भले ही वह किसी भी उच्च वंश का वंशज ही क्यों न रहा हो!
इस श्रेणी में हिन्दू एवं वैदिक धर्म ग्रंथों में दिये समस्त पौराणिक पात्रों को रखा गया है हिडिंबी, हिडिंब नामक राक्षश की बहन थी, जिसका महाभारत में उल्लेख है। महाभारत की कथा के अनुसार जब पाण्डव प्रथम वनवास कै दौरान वन-वन भटक रहे थे उनकी भेंट हिडिंबा और हिडिंब से हुई। कथा कुछ इस प्रकार है की वनवास के दौरान ही पाण्डव बंधु रात्रि में एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे। उस दिन पहरा देने की भीम की बारी थी। भीम पहरा दे रहे थे की हिडिंब राक्षश कहीं से आया और भीम को उठाकर अपनी बहन के पास ले गया ताकि वह भीम को खा सके। लेकिन भीम के बलवान शरीर को देखकर हिडिंबा भीम पर मोहित हो गई और उनसे विवाह कर लिया। हिडिंबा और हिडिंब द्वाराभीम और अन्य पाण्डवों से यह अनुरोध भी किया गया की वे वनवास के शेष दिन उनके साथ उनके स्थान पर बिता लें। लेकिन पाण्डवों ने यह कहकर वहाँ रुकने से मना कर दिया की उनके साथ रुकना वनवास नही गृहवास होगा।
इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England अंग्रेज़ी उचारण: इंग्लण्ड) ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू का दक्षिणी भाग है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह संयुक्त राजशाही यानि युनाइडेट किंग्डम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी संयुक्त राजशाही में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है।
शंकराचार्य एक महान समन्वयवादी थे। उन्हें हिन्दू धर्म को पुनः स्थापित एवं प्रतिष्ठित करने का श्रेय दिया जाता है। एक तरफ उन्होने अद्वैत चिन्तन को पुनर्जीवित करके सनातन हिन्दू धर्म के दार्शनिक आधार को सुदृढ़ किया, तो दूसरी तरफ उन्होने जनसामान्य में प्रचलित मूर्तिपूजा का औचित्य सिद्ध करने का भी प्रयास किया।
आइएसबी के पास उभरते बाजारों के लिए प्रासंगिक मुद्दों पर विशेष ध्यान देने के साथ, उत्कृष्टता के 7 केंद्र है. 2009 की उदाहरणार्थ, केंद्र हैं,
(संस्कृत मूल गीत)वन्दे मातरम्
बांसुरीवादक को एक फ्लूट प्लेयर , एक फ्लाउटिस्ट , एक फ्लूटिस्ट , या कभी कभी एक फ्लूटर के रूप में संदर्भित किया जाता है.
उपकथा: वृहस्पति के पुत्र कच गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में रह कर सञ्जीवनी विद्या सीखने आये थे। देवयानी ने उन पर मोहित होकर उनके सामने अपना प्रणय निवेदन किया था किन्तु गुरुपुत्री होने के कारण कच ने उसके प्रणय निवेदन को अस्वीकार कर दिया। इस पर देवयानी ने रुष्ट होकर कच को अपनी पढ़ी हुई विद्या को भूल जाने का शाप दिया। कच ने भी देवयानी को शाप दे दिया कि उसे कोई भी ब्राह्मण पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं करेगा।
भूकंप के कारण भूमि फिसल कर बाँध की नदी में टकरा सकती है, जिसके कारण बाँध टूट सकता है और बाढ़ आ सकती है.
गांधी की राय में , १९०६ का मसौदा अध्यादेश भारतीयों की स्थिति में किसी निवासी के नीचे वाले स्तर के समान लाने जैसा था। इसलिए उन्होंने सत्याग्रह (Satyagraha), की तर्ज पर "काफिर (Kaffir)s " .का उदाहरण देते हुए भारतीयों से अध्यादेश का विरोध करने का आग्रह किया। उनके शब्दों में , " यहाँ तक कि आधी जातियां और काफिर जो हमसे कम आधुनिक हैं ने भी सरकार का विरोध किया है। पास का नियम उन पर भी लागू होता है किंतु वे पास [३] नहीं दिखाते हैं।
शक्ति के संकेिन्द्रत स्रोत का काम करना और घुलनशील विटामिनों की पूर्ति करना।
Modern ski resorts within an hour's drive east from the city include:
इस प्रकार युद्ध संबंधी नियम बना कर दोनों दल युद्ध के लिये प्रस्तुत हुए। पाण्डवों के पास सात अक्षौहिणी सेना थी और कौरवों के साथ ग्यारह अक्षौहिणी सेना थी। दोनों पक्ष की सेनाएँ पूर्व तथा पश्‍चिम की ओर मुख करके खड़ी हो गयीं। कौरवों की तरफ से भीष्म और पाण्डवों की तरफ से अर्जुन सेना का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। कुरुक्षेत्र के केवल ५ योजन(४० किलोमीटर) के क्षेत्र के घेरे मे दोनों पक्ष की सेनाएँ खड़ी थीं। [३३] युद्ध से पूर्व अर्जुन श्रीकृष्ण से अपने रथ दोनों सेनाओं के मध्य में ले जाने को कहते हैं जिससे वह यह देख ले कि युद्ध में उसे किन किन योद्धाओं का सामना करना है। जब अर्जुन युद्ध क्षेत्र में अपने गुरु द्रोण, पितामह भीष्म एवं अन्य संबंधियों को देखता है तो वह बहुत शोकग्रस्त एवं उदास हो जाता है। वह श्रीकृष्ण से कहता है कि जिनके लिये हम ये सारे राजभोग प्राप्त करना चाहते हैं, वे तो यहाँ इस युद्ध क्षेत्र में उसी राजभोग की प्राप्ति के लिये हमारे विपक्ष मे खड़े हैं इन्हें मारकर हम राज प्राप्त करके भी क्या करेगें। अतएव मैं युद्ध नहीं करूँगा, ऐसा कहकर अर्जुन अपने धनुष रखकर रथ के पिछले भाग में बैठ जाता है तब श्रीकृष्ण योग में स्थित होकर उसे गीता का ज्ञान देते हैं और कहते हैं कि संसार में जो आया है उसको एक ना एक दिन जाना ही पड़ेगा। यह शरीर और संसार दोनों नश्वर हैं परन्तु इस शरीर के अन्दर रहने वाला आत्मा शरीर के मरने पर भी नहीं मरता। जिस तरह मनुष्य पुराने वस्त्र त्याग कर नये वस्त्र पहनता है उसी प्रकार आत्मा भी पुराना शरीर त्याग कर नया शरीर धारण करती है इसको तुम ऐसे समझो कि यह सब प्रकृति तुम से करवा रहीं है तुम केवल निमित्त मात्र हो। श्रीकृष्ण अर्जुन को ज्ञान योग,भक्ति योग और कर्म योग तीनों की शिक्षा देते हैं जिसे सुनकर अर्जुन युद्ध के लिये तैयार हो जाता है।
इतालवी गणराज्य की संसद में देपूतातो (जो जनता की ओर से कार्य करने के लिए नियुक्त डेपुटी होता है) शब्द का प्रयोग किया जाता है, अतःनिम्न सदन का नाम कैमरा दी देपुताती है. इसी तरह अन्य देशों में, उच्च सदन सेनाटो और इसके सदस्य सिनाटोरी कहलाते हैं. देपुततियों को ओनोरेवोले (सम्माननीय) कहा जाता है.
शहर में लोक सभा की छः व महाराष्ट्र विधान सभा की चौंतीस सीटें हैं। मुंबई की महापौर शुभा रावल हैं, नगर निगम आयुक्त हैं जयराज फाटाक एवं शेर्रिफ हैं इंदु साहनी।
विचार विमर्श तथा योजना-निर्धारण के उपरान्त स्वामी जी तो हरिद्वार में ही रुक गए तथा अन्य पांचों राष्ट्रीय नेता योजना को यथार्थ रूप देने के लिए अपने-अपने स्थानों पर चले गए। उनके जाने के बाद स्वामी जी ने अपने कुछ विश्वस्त साधु संन्यासियों से सम्पर्क स्थापित किया और उनका एक गुप्त संगठन बनाया। इस संगठन का मुख्यालय दिल्ली में महरौली स्थित योगमाया मंदिर में बनाया गया। इस मुख्यालय ने स्वाधीनता समर में उल्लेखनीय भूमिका निभायी। स्वामी जी के नेतृत्व में साधुओं ने भी सम्पूर्ण देश में क्रांति का अलख जगाया। वे क्रांतिकारियों के सन्देश एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाते, उन्हें प्रोत्साहित करते और आवश्यकता पड़ने पर स्वयं भी हथियार उठाकर अंग्रेजों से संघर्ष करते। सत्तावन की क्रांति की सम्पूर्ण अवधि में राष्ट्रीय नेता, स्वामी दयानन्द सरस्वती के निरन्तर सम्पर्क में रहे।
१- मन्त्रीपरिषद के गठन का कार्य २- प्रमुख शासक ३- नीति निर्माता ४- ससद का नेता ५- विदेश निती का निर्धारक
7. राससहस्त्रपदी
कुरान · सुन्नाह · हदीसफिकह · शरियाकलाम · तसव्वुफ़ (सूफीवाद)
[42]
इस किले का एक अर्ध-वृत्ताकार नक्शा है, जिसकी सीधी ओर यमुना नदी के समानांतर है। इसकी चहारदीवारी सत्तर फीट ऊंची हैं। इसमें दोहरे परकोटे हैं, जिनके बीछ बीच में भारी बुर्ज बराबर अंतराल पर हैं, जिनके साथ साथ ही तोपों के झरोखे, व रक्षा चौकियां भी बनी हैं। इसके चार कोनों पर चार द्वार हैं, जिनमें से एक खिजड़ी द्वार, नदी की ओर खुलता है।
१२)
मेरा देश स्वतन्त्र है।
यह पुराण दो भागों से युक्त है और सनातन भगवान विष्णु के माहात्मय का सूचक है। वाराह पुराण की श्लोक संख्या चौबीस हजार है, इसे सर्वप्रथम प्राचीन काल में वेदव्यास जी ने लिपिबद्ध किया था। [२] इसमें भगवान् श्रीहरिके वराह अवतार की मुख्य कथा के साथ अनेक तीर्थ, व्रत, यज्ञ-यजन, श्राद्ध-तर्पण, दान और अनुष्ठान आदि का शिक्षाप्रद और आत्मकल्याणकारी वर्णन है। भगवान् श्रीहरि की महिमा, पूजन-विधान, हिमालय की पुत्री के रूप में गौरी की उत्पत्ति का वर्णन और भगवान शंकर के साथ उनके विवाह की रोचक कथा इसमें विस्तार से वर्णित है। इसके अतिरिक्त इसमें वराह-क्षेत्रवर्ती आदित्य-तीर्थों का वर्णन, भगवान श्रीकृष्ण और उनकी लीलाओं के प्रभाव से मथुरामण्डल और व्रज के समस्त तीर्थों की महिमा और उनके प्रभाव का विशद तथा रोचक वर्णन है।
दर्शन:
Hindu is a great एक बात और कही जा सकती है कि ज़्यादातर वैष्णव और शैव दर्शन पहले दो विचारों को सम्मिलित रूप से मानते हैं। जैसे, कृष्ण को परमेश्वर माना जाता है जिनके अधीन बाकी सभी देवी-देवता हैं, और साथ ही साथ, सभी देवी-देवताओं को कृष्ण का ही रूप माना जाता है। तीसरे मत को धर्मग्रन्थ मान्यता नहीं देते।
जिले का मुख्यालय झाबुआ है ।
दूरदर्शन नाम से संबोधित अन्य लेखों को देखने के लिये दूरदर्शन (बहुविकल्पी) पर जायें।
हनुमान ने लंका की ओर प्रस्थान किया। सुरसा ने हनुमान की परीक्षा ली और उसे योग्य तथा सामर्थ्यवान पाकर आशीर्वाद दिया। मार्ग में हनुमान ने छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वध किया और लंकिनी पर प्रहार करके लंका में प्रवेश किया। उनकी विभीषण से भेंट हुई। जब हनुमान अशोकवाटिका में पहुँचे तो रावण सीता को धमका रहा था। रावण के जाने पर त्रिजटा ने सीता को सान्तवना दी। एकान्त होने पर हनुमान ने सीता से भेंट करके उन्हें राम की मुद्रिका दी। हनुमान ने अशोकवाटिका का विध्वंस करके रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध कर दिया। मेघनाथ हनुमान को नागपाश में बांध कर रावण की सभा में ले गया। रावण के प्रश्न के उत्तर में हनुमान ने अपना परिचय राम के दूत के रूप में दिया। रावण ने हनुमान की पूँछ में तेल में डूबा हुआ कपड़ा बांध कर आग लगा दिया इस पर हनुमान ने लंका] का दहन कर दिया।
(२) वाहीक विजय- महाशैली स्तम्भ लेख के अनुसार चन्द्र गुप्त द्वितीय ने सिन्धु के पाँच मुखों को पार कर वाहिकों पर विजय प्राप्त की थी । वाहिकों का समीकरण कुषाणों से किया गया है, पंजाब का वह भाग जो व्यास का निकटवर्ती भाग है ।
4. अनु 288[2] राज्य विधायिका को करारोपण की शक्ति उन केन्द्रीय अधिकरणों पर नहीं देता जो कि जल संग्रह, विधुत उत्पादन, तथा विधुत उपभोग ,वितरण ,उपभोग, से संबंधित हो ऐसा बिल पहले राष्ट्रपति की स्वीकृति पायेगा
कण्व राजवंश
मिस्र के अभिजात वर्ग और सामान्य वर्ग के लोगों के घरेलू आवास नष्ट हो जाने वाली चीज़ों, जैसे मिट्टी की इंटों और लकड़ी से बनाए जाते थे, जिनके अवशेष आज नही बचे. कृषक वर्ग साधारण घरों में रहते थे, जबकि विशिष्ट वर्गों के महलों की संरचना व्यापक और भव्य हुआ करती थी. नवीन साम्राज्य के महलों के बचे हुए कुछ अवशेष, जैसे जो मालकाटा और अमर्ना में हैं, दीवार और ज़मीन पर भव्य सजावट प्रदर्शित करते हैं, जिस पर मनुष्यों, पक्षियों, जल प्रपातों, देवताओं और ज्यामितीय आकारों के चित्र अंकित हैं.[१३१] महत्वपूर्ण संरचनाएं, जैसे मंदिर और मकबरे, जिनके चिरकाल तक बने रहने की संभावना थी, उन्हें इंटों के बजाय पत्थरों से निर्मित किया गया. विश्व की पहली विशाल पैमाने की पत्थर की संरचना, जोसर का मुर्दाघर परिसर के वास्तु तत्त्व में शामिल है - पेपिरस और कमल रूपांकन में चौकी और लिंटेल का समर्थन.
वास द बेस्ट थिंग यू कुड हेव डन  !'
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जूनागढ़ अभिलेख से पता चलता है कि स्कन्दगुप्त के शासन काल में भारी वर्षा के कारण सुदर्शन झील का बाँध टूट गया था उसने दो माह के भीतर अतुल धन का व्यय करके पत्थरों की जड़ाई द्वारा उस झील के बाँध का पुनर्निर्माण करवा दिया ।
9. इवानोवो
दिती का गर्भधारण
कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (IS-95 सीडीएमए) डिजिटल सेलुलर सेवा के लिए एक मानक है। विश्व में मोबाइल प्रणियों में सबसे व्यापक रूप से तीन डिजिटल वायरलेस टेलीफोन प्रणालियां प्रचालन में हैं:-
तिरूअनंतपुरम विमानक्षेत्र कोल्लम का नजदीकी एयरपोर्ट है जो लगभग 72 किमी. की दूरी पर है। देश के तमाम बड़े शहरों से यह एयरपोर्ट जुड़ा हुआ है।
यदि कोई संख्या यदृच्छया (at random) दी गई है, तो सामान्य: यह कहना संभव नहीं है कि वह संख्या अभाज्य है अथवा नहीं। यदि दी हुई संख्या बड़ी संख्या है, तो इसकी जाँच में बहुत श्रम करना पड़ेगा। इस श्रम को कम करने की कई विधियाँ निकाली गई हैं, परंतु समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
अब मीटर गेज लाइन ऐशबाग से आरंभ होकर लखनऊ सिटी, डालीगंज एवं मोहीबुल्लापुर को जोड़ती हैं। मोहीबुल्लापुर के अलावा अन्य स्टेशन ब्रॉड गेज से भी जुड़े हैं। अन्य सभी स्टेशन शहर की सीमा के भीतर ही हैं, एवं एक दूसरे से सड़क मार्ग द्वारा भी जुड़े हैं। अन्य उपनगरीय स्टेशनों में निम्न स्टेशन हैं:
गौड़पाद के तर्क में दो भाग हैं--
भोज नाम के कई प्रसिद्ध व्यक्ति हुए हैं।
इन सभी प्ररेणादायक प्रयासों से इंदिरागांधी की सरकार का 1977 में पतन हुआ और जनता पार्टी की सरकार जिसमें भारतीय जनसंघ, भारतीय लोक दल, कांग्रेस (ओल्ड), समाजवादी तथा सी.एफ.डी. घटक शामिल थे, ने सरकार की कमान संभाली। यहां इस सरकार के विदेश मंत्री के रूप में श्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा सूचना तथा प्रसारण मंत्री के रूप में श्री लाल कृष्ण अडवानी ने अपनी कमान संभाली और देश को आगे ले जाने की दिशा में बखूबी अपनी भूमिका का निर्वाह किया। लेकिन 30 महीने के बाद ही यह सरकार गिर गई जिसका प्रमुख कारण व्यक्तिगत सत्ता संघर्ष था जिसने जनता का आकांक्षाओं पर तुषाराघात किया। चरणसिंह सरकार को गिराने के लिए विदेशी धन के रूप में करोड़ों रुपए का व्यय किया गया। 11 फरवरी 1980 को स्टेट्समैन को यह समाचार में प्रकाशित किया गया कि रुपया जिसे काले विश्व बाज़ार में डिस्काउंट के रूप में प्रयोग किया जाता रहा वह अब प्रीमियम के रूप में चल पड़ा है। डॉलर की दर जो 7.91 रुपए 4 जनवरी को थी वही गैर सरकारी तौर पर 7.20 रुपए हो गई। अनजाने खरीददारों के कारण रूपए की दरों में काले बाजार में भारी वृध्दि हुई और यह जानकारी स्पष्ट रूप से सामने आई कि कहां विदेशी सरकारें चुनावों में पानी की तरह पैसा बहा रही है। फरवरी के प्रथम सप्ताह, 1980 में मुद्रा का अवमूल्यन उस दर तक पहुंचा जहाँ कोई सोच भी नहीं सकता था।
कन्या कुमारी तमिलनाडु प्रान्त के सुदूर दक्षिण तट पर बसा एक शहर है। यह हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर का संगम स्थल है, जहां भिन्न सागर अपने विभिन्न रंगो से मनोरम छटा बिखेरते हैं । दक्षिण भारत के अन्तिम छोर पर बसा कन्याकुमारी वर्षो से कला, संस्कृति, सभ्यता का प्रतीक रहा है। यह अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिन्द महासागर का संगमस्‍थल भी है। भारत के पर्यटक स्थल के रूप में भी इस स्थान का अपना ही महत्च है। दूर-दूर फैले समुद्र के विशाल लहरों के बीच यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद आकर्षक लगता हैं। समुद्र बीच पर फैले रंग बिरंगी रेत इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
डा. बेसेंट द्वारा समर्पित सेंट्रल हिंदू कालेज में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का विधिवत् शिक्षणकार्य, 1 अक्टूबर, 1917 से आरंभ हुआ। 1916 ई. में आई बाढ़ के कारण स्थापनास्थल से हटकर कुछ पश्चिम में 1,300 एकड़ भूमि में निर्मित वर्तमान विश्वविद्यालय में सबसे पहले इंजीनियरिंग कालेज का निर्माण हुआ और तब आर्ट्स कालेज, साइंस कालेज आदि का। 1921 ई से विश्वविद्यालय की पूरी पढ़ाई कमच्छा कालेज से स्थानांतरित होकर नए भवनों में होने लगी। इसका उद्घाटन 13 दिसंबर, 1921 को प्रिंस ऑव वेल्स ने किया।
(३) दार सुतैषण, "अहं बहुधा स्याम्‌', मैं अकेला हूँ सो बहुत हो जाऊँ; मेरे पत्नी हो, और बालबच्चे हों, बहुतों पर मेरा अधिकार हो, ऐश्वर्य हो,
साँचा:अगस्त कैलंडर२०११ 7 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 219वॉ (लीप वर्ष मे 220 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 146 दिन बाकी है।
पुणे शहर के डाक कार्यालय से 25 कि.मी.दूर त्रिज्या के परिसर मे साधारणतः 1,000 पुष्प-वनस्पति की प्रजातियाँ, १०४ फुलपाखर की प्रजातियाँ, 350 पक्षियो की प्रजातियाँ और 64 स्तनधारी प्राणियों की प्रजातियाँ पाई गई है।
हर्ष की मृत्यु के उपरान्त उत्तर भारत में अराजकता फैली तो माधवगुप्त ने भी अपने को स्वतन्त्र शासक घोषित किया ।
अर्थशास्त्र, कौटिल्य या चाणक्य (चौथी शती ईसापूर्व) द्वारा रचित संस्कृत का एक ग्रन्थ है। इसमें राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय एवं राजनीति आदि के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है। अपने तरह का (राज्य-प्रबन्धन विषयक) यह प्राचीनतम ग्रन्थ है। इसकी शैली उपदेशात्मक और सलाहात्मक (instructional) है।
हेप्पी प्लेनेट सूचकांक (HPI) मानव और पर्यावरण प्रभाव का एक सूचकांक है, जिसे जुलाई 2006 में न्यू इकोनोमिक्स फाउंडेशन (NEF) के द्वारा शुरू किया गया.
एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तूफानी प्रणाली है, जो एक कम दबाव केंद्र है और गरजदार तूफ़ान, तेज हवाएं और ज्यादा वर्षा देता है. एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात, तब बनता है जब नम हवा से गर्मी निकलती है, जिसके परिणामस्वरूप नम हवा में निहित बाष्प जारी हो जाता है. ये अलग गर्मी घटकों द्वारा बनती है और अन्य चक्रवातीय तूफानो, जैसे नोर'ईस्तेर्स, यूरोपीय आंधिया , ध्रुवीय कम, तूफानी प्रणालिया कहलाती है .
कैमूर पर्वत के समीप स्थित भगवानपुर भभुआ के दक्षिण से 11 किलोमीटर की दूरी पर है। कहा जाता है कि यह स्थान चन्द्रसेन सारन सिंह की शक्ति का केन्द्र हुआ करता था। राजा शलिवाहन ने इस क्षेत्र को शेर सिंह से जीत लिया था। लेकिन बाद में अकबर के शासनकाल के दौरान उन्होंने इस क्षेत्र पर पुन: विजय प्राप्त कर ली थी।
क्लोरोफिल + प्रकाश → सक्रिय क्लोरोफिल
धरमतला कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता नगर निगम के अधीन आता है।
सौप्तिक पर्व में ऐषीक पर्व नामक मात्र एक ही उपपर्व है। इसमें १८ अध्याय हैं।
गर्मी के महीनों के दौरान राज्य का दौरा करने के लिए आपको गर्मी के कपड़ों की अच्छी तैयारी करने की ज़रूरत पड़ेगी. मौसम का अच्छी तरह सामना करने के लिए सूती कपड़े उपयुक्त हैं.
कार्बन डाई आक्साइड गैस तापमान बढ़ाती है।[३] उदाहरण के लिए वीनस यानी शुक्र ग्रह पर ९७.५ प्रतिशत कार्बन डाई आक्साइड है जिस कारण उसकी सतह का तापमान ४६७ डिग्री सेल्सियस है। ऐसे में पृथ्वीवासियों के लिए राहत की बात यह है कि धरती पर उत्सर्जित होने वाली ४० प्रतिशत कार्बन डाई आक्साइड को पेड़-पौधे सोख लेते हैं, और बदले में ऑक्सीजन उत्सर्जन करते हैं। वातावरण में ग्रीन हाऊस गैसें ऊष्म अधोरक्त (थर्मल इंफ्रारेड रेंज) के विकिरण का अवशोषण और उत्सजर्न करती है। सौर मंडल में शुक्र, मंगल और टाइटन में ऐसी गैसें पाई जाती हैं जिसकी वजह से ग्रीन हाऊस प्रभाव होता है।[२][४]
उनके परिवार में उनकी पत्नी व तीन बेटे हैं। 79 वर्ष की अवस्था में कैंसर के कारण 2 सितंबर 2010 को उनकी मृत्यु हो गई।
पारम्परिक रूप से उत्तराखण्ड की महिलायें घाघरा तथा आँगड़ी, तथा पुरूष चूड़ीदार पजामा व कुर्ता पहनते थे। अब इनका स्थान पेटीकोट, ब्लाउज व साड़ी ने ले लिया है। जाड़ों (सर्दियों) में ऊनी कपड़ों का उपयोग होता है। विवाह आदि शुभ कार्यो के अवसर पर कई क्षेत्रों में अभी भी सनील का घाघरा पहनने की परम्परा है। गले में गलोबन्द, चर्‌यो, जै माला, नाक में नथ, कानों में कर्णफूल, कुण्डल पहनने की परम्परा है। सिर में शीषफूल, हाथों में सोने या चाँदी के पौंजी तथा पैरों में बिछुए, पायजेब, पौंटा पहने जाते हैं। घर परिवार के समारोहों में ही आभूषण पहनने की परम्परा है। विवाहित औरत की पहचान गले में चरेऊ पहनने से होती है। विवाह इत्यादि शुभ अवसरों पर पिछौड़ा पहनने का भी यहाँ चलन आम है।[२८]
वृद्धावस्था में यश और कीर्त्ति की मार ने उन्हें बहुत कष्ट दिया। उसी हालत में उन्होंने बनारस छोड़ा और आत्मनिरीक्षण तथा आत्मपरीक्षण करने के लिये देश के विभिन्न भागों की यात्राएँ कीं इसी क्रम में वे कालिंजर जिले के पिथौराबाद शहर में पहुँचे। वहाँ रामकृष्ण का छोटा सा मन्दिर था। वहाँ के संत भगवान् गोस्वामी के जिज्ञासु साधक थे किंतु उनके तर्कों का अभी तक पूरी तरह समाधान नहीं हुआ था। संत कबीर से उनका विचार-विनिमय हुआ। कबीर की एक साखी ने उन के मन पर गहरा असर किया-
सम्राट अशोक, भारत के इतिहास के सबसे महान शासकों में से एक हैं । साम्राज्य के विस्तार के अतिरिक्त प्रशासन तथा धार्मिक सहिष्णुता के क्षेत्र में भी उसका नाम अक़बर जैसे महान शासकों के साथ लिया जाता है । कुछ विद्वान तो उसे विश्व इतिहास का सबसे सफल शासक भी मानते हैं । अपने राजकुमार के दिनों में उसने उज्जैन तथा तक्षशिला के विद्रोहों को दबा दिया था । पर कलिंग की लड़ाई उसके जीवन में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई और उसका मन युद्ध में हुए नरसंहार से ग्लानि से भर गया । उसने बौद्ध धर्म अपना लिया तथा उसके प्रचार के लिए कार्य किया ।अशोक को बॉद्ध धमृ मे उपगुप्त ने दिक्षित किया था। उसने देवानांप्रिय, प्रियदर्शी, जैसी उपाधि धारण की।अशोक के शिलालेख तथा शिलोत्कीर्ण उपदेश भारतीय उपमहाद्वीप में जगह-जगह पाए गए हैं । उसने धम्म का प्रचार करने के लिए विदेशों में भी अपने प्रचारक भेजे । जिन-जिन देशों में प्रचारक भेजे गए उनमें सीरिया तथा पश्चिम एशिया का एंटियोकस थियोस, मिस्र का टोलेमी फिलाडेलस, मकदूनिया का एंटीगोनस गोनातस, साईरीन का मेगास तथा एपाईरस का एलैक्जैंडर शामिल थे । अपने पुत्र महेंद्र को उसने राजधानी पाटलिपुत्र से श्रीलंका जलमार्ग से रवाना किया । पटना (पाटलिपुत्र) का ऐतिहासिक महेन्द्रू घाट उसी के नाम पर नामकृत है । युद्ध से मन उब जाने के बाद बी उसने एक बड़ी सेना को बनाए रखा था । ऐसा विदेशी आक्रमण से साम्राज्य के पतन को रोकने के लिए आवश्यक था । बिन्दुसर आजिवक धरम को मानता था। उसने एक युनानी शासक से सूखी अन्जीर , मीठी शराब व एक दार्शनिक की मांग की थी।
३२२ ई. पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरू चाणक्य की सहायता से धनानन्द की हत्या कर मौर्य वंश की नींव डाली थी ।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत का एक जिला ।
षट्खण्डागम, धवला टीका, महाधवला टीका, कसायपाहुड, जयधवला टीका, समयसार, योगसार प्रवचनसार, पञ्चास्तिकायसार, बारसाणुवेक्खा, आप्तमीमांसा, अष्टशती टीका, अष्टसहस्री टीका, रत्नकरण्ड श्रावकाचार, तत्त्वार्थसूत्र, तत्त्वार्थराजवार्तिक टीका, तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक टीका, समाधितन्त्र, इष्टोपदेश, भगवती आराधना, मूलाचार, गोम्मटसार, द्रव्यसंग्रह, अकलंकग्रन्थत्रयी, लघीयस्त्रयी, न्यायकुमुदचन्द्र टीका, प्रमाणसंग्रह, न्यायविनिश्चयविवरण, सिद्धिविनिश्चयविवरण, परीक्षामुख, प्रमेयकमलमार्तण्ड टीका, पुरुषार्थसिद्ध्युपाय भद्रबाहु संहिता
भारत में, बाकी दुनिया की तुलना में जहां ज्यादातर शाकाहारी हैं दोनों को मिलाकर (2006 के अनुसार 399 मिलियन),[१७८] न केवल खाद्य पदार्थों की वर्गीकरण होता है, बल्कि बहुत सारे रेस्त्राओं में शाकाहारी या गैर-शाकाहारी का निशान भी लगा कर विपणन किया जा रहा है. भारत में जो लोग शाकाहारी हैं आमतौर पर वे दूग्ध-शाकाहारी हैं, और इसलिए, इस बाजार की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारत में बहुसंख्यक शाकाहारी रेस्त्रां अंडे से संबंधित उत्पादों को छोड़ कर अन्य दुग्ध उत्पाद मुहैया कराते हैं. इनकी तुलना में, अधिकांश पश्चिमी शाकाहारी रेस्त्रां अंडा और अंडे पर आधारित उत्पाद मुहैया कराते हैं.
वाराणसी की संस्कृति कला एवं साहित्य से परिपूर्ण है। इस नगर में महान भारतीय लेखक एवं विचारक हुए हैं, कबीर, रविदास, तुलसीदास जिन्होंने यहां रामचरितमानस लिखी, कुल्लुका भट्ट जिन्होंने १५वीं शताब्दी में मनुस्मृति पर सर्वश्रेष्ठ ज्ञात टीका यहां लिखी[८५] एवं भारतेन्दु हरिशचंद्र, और आधुनिक काल के जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, मुंशी प्रेमचंद, जगन्नाथ प्रसाद रत्नाकर, देवकी नंदन खत्री, हजारी प्रसाद द्विवेदी, तेग अली, क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय, वागीश शास्त्री, बलदेव उपाध्याय, सुमन पांडेय (धूमिल) एवं विद्या निवास मिश्र और अन्य बहुत।
कुन्स्थिसत्रोस्के संग्रहालय
दामोदरगुप्त- कुमरगुप्त के निधन के बाद उसका पुत्र दामोदरगुप्त राजा बना । ईशान वर्मा का पुत्र सर्ववर्मा उसका प्रमुख प्रतिद्वन्दी मौखरि शासक था । सर्ववर्मा ने अपने पिता की पराजय का बदला लेने हेतु युद्ध किया । इस युद्ध में दामोदरगुप्त की हार हुई । यह युद्ध ५८२ ई. के आस-पस हुआ था ।
गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की जांच के लिए पैपेनिकोलाउ परीक्षण, या पैप स्मीयर के व्यापक प्रवर्तन को, विकसित देशों में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की घटनाओं और मृत्यु-दर में प्रभावशाली तरीक़े से कमी का श्रेय दिया जाता है.[८] असामान्य पैप स्मीयर परिणाम, कैंसर के विकास से पूर्व परीक्षण और संभाव्य निवारक उपचार अनुमत करते हुए, गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली (संभावित गर्भाशय-ग्रीवा पूर्वसंघातक बदलाव) का सुझाव दे सकते हैं. पैप स्मीयर कराए जाने की आवधिकता के संबंध में, वर्ष में एक बार से पांच साल में एक बार कराने की विविध अनुशंसाएं है.ACS की सिफ़ारिश है कि गर्भाशय-ग्रीवा का परीक्षण, योनि संभोग की शुरूआत के तीन साल बाद और/या इक्कीस साल की उम्र से पहले शुरू करना चाहिए.[३३] परीक्षण जारी रखने की अवधि संबंधी दिशा-निर्देशों में अंतर है, लेकिन अच्छी तरह से परीक्षित महिलाएं, जिनके स्मीयर असामान्य नहीं हैं, 65 (USPSTF) से 70 (ACS) वर्ष की आयु में परीक्षण रोक सकते हैं. यदि पूर्वसंघातक रोग या गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का जल्दी पता चल जाता है, तो उस पर निगरानी रखी जा सकती है या अपेक्षाकृत अवेध्य तरीक़े से और बिना प्रजनन को क्षति पहुंचाए, इलाज किया जा सकता है.
अनु 200 के अधीन राज्यपाल अपनी विवेक शक्ति का प्रयोग राज्य विधायिका द्वारा पारित बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु सुरक्षित रख सकने मे कर सकता है
ऐतिहासिक गुरुद्वारा - पीलीभीत के पकड़िया मोहल्ले में सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। धार्मिक रुप से यह लगभग चार सौ वर्षों पुराना स्थान है। लेकिन इसका जीर्णोद्धार हाल ही में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि सिक्खों के गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने अमृतसर से नानकमता जाते समय में यहीं रुक कर विश्राम किया था। सन् १९८३ ई. में सुविख्यात बाबा फौजसिंह ने कार सेवा द्वारा पाँच मंज़िल वाले विशाल गुरुद्वारे का निर्माण करवाया। इस प्रकार गुरु गोविंद सिंह की स्मृति में इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे का निर्माण हुआ।
वेबपेजः http://ehindisahitya.blogspot.com/
स्वच्छ गंगा अभियान वाराणसी तथा समीपवर्ती स्थानों में गंगा को साफ़ करने के लिए एक सस्ता और सुरक्षित तरीका है। यह तरीका बिजली पर निर्भर नहीं है। इसमें कूड़े-करकट को गुरुत्वाकर्षण का सहारा लेकर एक बड़े कुंड में जमा कर लिया जाता है जहाँ जैविक तरीके से इसकी सफ़ाई होती है। कूड़े में से कीटनाशक, लोहा-लक्कड़ और दूसरे प्रदूषकों को हटा दिया जाता है। अमरीका में नदियों की सफ़ाई इसी तरीके से होती है।[३]
भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आई आई एम) भारत के सर्वोत्तम प्रबंधन संथान हैं। प्रबन्धन की शिक्षा के अतिरिक्त ये अनुसंधान व सलाह (कांसल्टेंसी) का कार्य भी करते हैं। वर्तमान में ६ भारतीय प्रबन्धन संस्थान हैं जो बंगलुरू, अहमदाबाद, कोलकाता, लखनऊ, इन्दौर तथा कोझीकोड में स्थित हैं। ये प्रबन्धन में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा की उपाधि प्रदान करते हैं जो एम बी ए के समतुल्य है। इन संस्थानों में प्रवेश अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली प्रवेश परीक्षा कामन ऐडमिशन टेस्ट (सी ए टी) के आधार पर होता है। यह परीक्षा दुनिया की सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी परिक्षाओं में से है।
कार्बी नेशनल वॉलियंटर्स (केएनवी)
Sher Shah Suri appears before us as a nation builder who allowed not only Muslims but also Buddhists and Hindus to enjoy all opportunities. He tried to establish a national government, which shows that he followed the policy of Alauddin Khilji who, for the first time, employed Hindus as soldiers as well as revenue collectors. Sher Shah united Afghans living in India and revived them as a power in the subcontinent. However, this unity and strength ended with the end of his life when he laid siege to Kalinjar in 1545.
आधुनिक तकनीको के बल पर स्पेस शटल के द्वारा अंतरिक्ष में मनोरंजन के उद्देश्य से जाने वाले पर्यटक अंतरिक्ष पर्यटक कहलाते हैं ।
सुलेमान की मृत्यु से यहूदी एकता को बहुत बड़ा धक्का लगा। सुलेमान के मरते ही इज़रायली और जूदा (यहूदा) दोनों फिर अलग-अलग स्वाधीन रियासतें बन गईं। सुलेमान की मृत्यु के बाद 50 वर्ष तक इज़रायल और जूदा के आपसी झगड़े चलते रहे। इसके बाद लगभग 884 ई.पू. में उमरी नामक एक राजा इज़रायल की गद्दी पर बैठा। उसने फिर दोनों शाखों में प्रेमसंबंध स्थापित किया। किंतु उमरी की मृत्यु के बाद यहूदियों की ये दोनों शाखें सर्वनाशी युद्ध में उलझ गईं।
ब्राह्मणों के कथनानुसार महर्षि गौतम वे सारे कार्य पूरे करके पत्नी के साथ पूर्णतः तल्लीन होकर भगवान्‌ शिव की आराधना करने लगे। इससे प्रसन्न हो भगवान्‌ शिव ने प्रकट होकर उनसे वर माँगने को कहा। महर्षि गौतम ने उनसे कहा- 'भगवान्‌ मैं यही चाहता हूँ कि आप मुझे गो-हत्या के पाप से मुक्त कर दें।' भगवान्‌ शिव ने कहा- 'गौतम ! तुम सर्वथा निष्पाप हो। गो-हत्या का अपराध तुम पर छलपूर्वक लगाया गया था। छलपूर्वक ऐसा करवाने वाले तुम्हारे आश्रम के ब्राह्मणों को मैं दण्ड देना चाहता हूँ।'
ऑस्ट्रेलिया, सरकारी तौर पर ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रमंडल दक्षिणी गोलार्द्ध के महाद्वीप के अर्न्तगत एक देश है जो दुनिया का सबसे छोटा महाद्वीप भी है और दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप भी,[६] जिसमे तस्मानिया और कई अन्य द्वीप हिंद और प्रशांत महासागर में है.N4 ऑस्ट्रेलिया एकमात्र ऐसी जगह है जिसे एक ही साथ महाद्वीप, एक राष्ट्र और एक द्वीप माना जाता है.पड़ोसी देश उत्तर में इंडोनेशिया, पूर्वी तिमोर और पापुआ न्यू गिनी, उत्तर पूर्व में सोलोमन द्वीप, वानुअतु और न्यू कैलेडोनिया और दक्षिणपूर्व में न्यूजीलैंड है.
बौद्ध काष्ठ-शिल्पी गुफा (गुफा-१०)

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