बुधवार, 8 मई 2013


स्थानीय निवासिओं को कम कीमतों पर आयात करने की सुविधा देने और अधिक पर्यटकों जो फिलहाल दुबई और सिंगापुर जाते हैं, को आकर्षित के लिए मॉरीशस अगले चार साल मे एक शुल्क मुक्त (ड्यूटी फ्री) द्वीप बनने की दिशा में प्रयासरत है। कई उत्पादों पर ड्यूटी (शुल्क) समाप्त कर दिया गया है और 1850 से अधिक उत्पादों पर जिनमें कपड़े, भोजन, गहने, छायांकन (फोटोग्राफिक) उपकरण, श्रव्य दृश्य उपकरण और प्रकाश व्यवस्था के उपकरण शामिल है पर शुल्क घटा दिया गया है। इसके अतिरिक्त, नए व्यावसायिक अवसरों को आकर्षित करने के उद्देश्य से आर्थिक सुधारों को भी लागू किया गया है. हाल ही में, 2007-2008 के बजट में वित्त मंत्री राम सीतानन ने कंपनी (कार्पोरेट) कर को घटा कर 15 % कर दिया है[तथ्य वांछित]। ब्रिटिश अमेरिकी इंवेस्टमेंट कंपनी मॉरीशस में मर्सिडीज बेंज ,पीजो, मित्सुबिशी और साब कारों की बिक्री का प्रतिनिधित्व करती है।
देशांतर (अंग्रेज़ी:लॉन्जीट्यूड, Long., λ, या लैम्ब्डा) दोनों भूगोलीय ध्रुवों के बीच संदर्भ देशांतर रेखा से पूर्व या पश्चिम में बना कोण होता है जो किसी बिन्दु से निकलता है। सभी देशांतर रेखाएं अर्ध-वृत्ताकार होती हैं। ये समांनांतर नहीं होती हैं व उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों पर मिलती हैं।
नागपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसी राष्ट्रवादी संघटनाओ का एक प्रमुख केंद्र है।
पुरातत्त्वशास्त्र (archeology) वह विज्ञान है जो पुरानी चीजों का अध्ययन एवं विश्लेषण करके मानव-संस्कृति के विकासक्रम को समझने एवं उसकी व्याख्या करने का कार्य करता है। इसके लिये पूर्वजों द्वारा छोड़े गये पुराने वास्तुशिल्प (rchitecture), औजारों, युक्तियों, जैविक-तथ्यों एवं भू-रूपो (alandscapes) आदि का अध्ययन किया जाता है । अत: पुरातत्वशास्त्र वह विज्ञान है जो मानव के भूत का अध्ययन करता है।
205/31, बेसमेंट, सिन्धु शीव (पूर्व)
मुंबई में दो प्रधान अनुसंधान संस्थान भी हैं: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टी.आई.एफ.आर), तथा भाभा आण्विक अनुसंधान केन्द्र (बी.ए.आर.सी).[१२९] भाभा संस्थान ही सी आई आर यू एस, ४० मेगावाट नाभिकीय भट्टी चलाता है, जो उनके ट्रॉंबे स्थित संस्थान में स्थापित है। [१३०]
यह थाइलैंड का सबसे बड़ा, सबसे अधिक आबादी वाला द्वीप है। सबसे ज्यादा पर्यटक यहां आते हैं। रंगों से भरी इस जगह का विकास मुख्य रूप से पर्यटन की वजह से ही हुआ है। इस द्वीप में कुछ रोचक बाजार, मंदिर और चीनी-पुर्तगाली सभ्यता का अनोखा संगम देखा जा सकता है।यहा सब्से ज्यादा आबादि थाई और नेपाली की है।
यह विशेष प्रकार का चुंबकीय दिक्सूचक है। इसमें आवर्तन त्रुटियाँ नहीं होतीं और इसलिए द्रुत आवर्तन (rapid turns) को यह यथार्थतापूर्वक निर्देशित कर सकता है। घूर्णंचुंबकीय दिक्सूचक में एक स्वत:चालित घूर्णदर्शी चुंबकीय व्यवस्था के संरेखण (alignment) में रखा रहता है। इस प्रकार घूर्णाक्ष दिक्सूचक और चुंबकीय दिक्सूचक एक यंत्र में संयोजित कर दिए जाते हैं, जिससे बाह्य समंजन की कोई आवश्यकता नहीं रहती।
तमिल (தமிழ், तमिऴ) (भाषा तथा साहित्य) द्राविड़ भाषा परिवार की प्राचीनतम भाषा मानी जाती है। इसकी उत्पत्ति के सम्बंध में अभी तक यह निर्णय नहीं हो सका है कि किस समय इस भाषा का प्रारम्भ हुआ। विश्व के विद्वानों ने संस्कृत, ग्रीक, लैटिन आदि भाषाओं के समान तमिल को भी अति प्राचीन तथा सम्पन्न भाषा माना है। अन्य भाषाओं की अपेक्षा तमिल भाषा की विशेषता यह है कि यह अति प्राचीन भाषा होकर भी लगभग २५०० वर्षों से अविरत रूप से आज तक जीवन के सभी क्षेत्रों में व्यवहृत है। तमिल भाषा में उपलब्ध ग्रंथों के आधार पर यह निर्विवाद निर्णय हो चुका है कि तमिल भाषा ईसा से कई सौ वर्ष पहले ही सुसंकृत और सुव्यवस्थित हो गई थी।
खजुराहो : पत्थरों पर छवियां जीवन की
सम्प्रेषण की कला यह स्पष्ट है कि विज्ञापन प्रतीकों के माध्यम से अपनी बात कहता है। वह कभी हास्य के माध्यम से, कभी लय के माध्यम से, कभी -कभी भय उत्पन्न करके भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। विज्ञापन की कलात्मकता एवं सृजनात्मकता इस बात में निहित है कि यह परिस्थितियों को नये नजरिये से देखने की कोशिश करता है।
अफ्रीका की जनसंख्या में पिछले ४० वर्षो में काफी वृद्धि हुई है जिस कारण से जनसंख्या का बड़ा प्रतिशत २५ वर्ष से कम आयु का है।[२५] अफ़्रीका में सबसे अधिक जनसंख्या नील नदी की घाटी, भूमध्यसागरीय तट, कीनिया एवं अबीसीनिया के पठार, पश्चिमी सूडान, गिनी तट पर एवं सुदूर दक्षिण में दक्षिणी अफ़्रीका संघ के पूर्वी व दक्षिणी पूर्व तटीय भाग में मिलती है। सबसे अधिक घनत्व नील की निचली घाटी व डेल्टा एवं दक्षिणी नाइजीरिया में ५०० व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी अधिक मिलता है। शेष घने आबाद उपर्युक्त प्रदेशों का घनत्व ५० से १५० व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर के मध्य पाया जाता है।[२६] दक्षिणी, मध्य एवं पूर्वी अफ्रीका में बांटू भाषा बोलने वालों की अधिकता है। इनके अलावा इन भू-भाग में कई भाषाई अल्पसंख्यक लोग भी रहते है जैसे पूर्वी अफ्रीका के निलोत जनजाति एवं दक्षिणी एवं मध्य अफ्रीका के स्थानीय खोइसान (जिन्हें सेन या बुश्मैन भी कहा जाता है ) और पिग्मी जाति के लोग। सेन लोग अन्य अफ्रीकी जातियों से शारीरिक रूप से भिन्न होते है और दक्षिणी अफ्रीका के सर्वप्रथम निवासी हैं। पिग्मी लोग मध्य अफ्रीका में बांटू लोगों से पहले से निवास कर रहे हैं। कांगो प्रदेश के मूल निवासी इन पिग्मी लोगों का कद छोटा, नाक चिपटी तथा केश घुँघराले होते हैं।[२७]
जन्म इनका जन्म १५ मई १९०७ को हुआ था । भगत सिंह, कॉमरेड रामचन्द्र एवम् भगवती चरण बोहरा के साथ लाहौर में नौजवान भारत सभा का गठन किया था । सांडर्स हत्या कांड में इन्होंने भगत सिंह तथा राजगुरु का साथ दिया था । १९२९ में जेल में कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार किये जाने के विरोध में व्यापक हड़ताल में भाग लिया था । भगतसिंह तथा राजगुरु के साथ ये भी १९३१ को शहीद हो गए ।
यह संभव है कि पहले मामले में बेचे गए आइटम का मौद्रिक मूल्य दूसरे मामले से अधिक हो, जिस मामले में उच्च GDP (सकल घरेलू उत्पाद) अधिक अकुशलता और बर्बादी का परिणाम है.
इस लिंग स्थापना का इतिहास यह है कि एक बार राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर शिवजी की प्रसन्नता के लिये घोर तपस्या की और अपने सिर काट-काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू कर दिये। एक-एक करके नौ सिर चढ़ाने के बाद दसवाँ सिर भी काटने को ही ािा शिवजी प्रसन्न होकर प्रकट हो गये। उन्होंने उसके दसों सिर ज्यों-के-ज्यों कर दिये और फिर वरदान मांगने को कहा। रावण ने लंका में जाकर उस लिंग को स्थापित करने के लिये उसे ले जाने की आज्ञा मांगी। शिवजी ने अनुमति तो दे दी, पर इस चेतावनी के साथ कि यदि मार्ग में इस पृथ्वी पर रख देगा तो वह वहीं अचल हो जाएगां अंतोगत्वा वहीं हुआ। रावण शिवलिंग लेकर चला, पर मार्ग में यहा चिताभूमि में आने पर उसे लघुशंका निवृत्तिा की आवश्यकता हुई और वह उस लिंग को एक अहीर को थमा लघुशंका-निवृत्ता के लिये चला गया। इधर उस अहीर से उसे बहुत अधिक भारी अनुभवकर भूमिकर रख दिया। बस, फिर क्या था, लौटने पर रावण पूरी शक्ति लगाकर भी उसे न उखाड़ सका और निराश होकर मूर्ति पर अपना अंगूठा गड़ाकर लंका को चला गयां इधर ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की और शिवजी का दर्शन करके उनकी वहीं प्रतिष्ठा की और स्तुति करते हुए स्वर्ग चले गये। यह वैद्यनाथ-ज्योतिर्लिग महान् फलों का देनेवाला है।
यह नगर भारत के हर प्रान्त को रेल एबं सडक मार्ग से जुडा हुआ है । नज्दिक हवाई अडा भुवनेश्वर है ।
अफ़ग़ानिस्तान का नाम अफ़ग़ान और स्तान से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है अफ़गानों की भूमि। स्तान इस क्षेत्र के कई देशों के नाम में है जैसे - पाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कज़ाख़स्तान, हिन्दुस्तान इत्यादि जिसका अर्थ है भूमि या देश। अफ़ग़ान का अर्थ यहां के सबसे अधिक वसित नस्ल (पश्तून) को कहते है। अफ़गान शब्द को संस्कृत अवगान से निकला हुआ माना जाता है।
इस द्वीप के स्वामि वीरवर द्युतिमान थे। इनके सात पुत्रों : कुशल, मन्दग, उष्ण, पीवर, अन्धकारक, मुनि और दुन्दुभि के नाम संज्ञानुसार ही इसके सात भागों के नाम हैं। घी का सागर अपने से दूने विस्तार वाले क्रौंच द्वीप से चारों ओर से घिरा हुआ है। यहां भी सात पर्वत, सात मुख्य नदियां और सात ही वर्ष हैं।
प्रजापति की उक्ति थी कि पापरहित, जराशून्य, मृत्यु-शोक आदि विकारों से रहित आत्मा को जो कोई जान लेता है, वह संपूर्ण लोक तथा सभी कामनाओं को प्राप्त कर लेता है। प्रजापति की उक्ति सुनकर देवता तथा असुर दोनों ही उस आत्मा को जानने के लिए उत्सुक हो उठे, अत: देवताओं के राजा इन्द्र तथा असुरों के राजा विरोचन परस्पर ईर्ष्याभाव के साथ हाथों में समिधाएं लेकर प्रजापति के पास पहुंचे। दोनों ने बत्तीस वर्ष तक ब्रह्मचर्य पालन किया, तदुपरांत प्रजापति ने उनके आने का प्रयोजन पूछा। उनकी जिज्ञासा जानकर प्रजापति ने उन्हें जल से आपूरित सकोरे में देखने के लिए कहा और कहा कि वही आत्मा है। दोनों सकोरों में अपना-अपना प्रतिबिंब देखकर, संतुष्ट होकर चल पड़े। प्रजापति ने सोचा कि देव हों या असुर, आत्मा का साक्षात्कार किये बिना उसका पराभव होगा। विरोचन संतुष्ट मन से असुरों के पास पहुंचे और उन्हें बताया कि आत्मा (देह) ही पूजनीय है। उसकी परिचर्या करके मनुष्य दोनों लोक प्राप्त कर लेता है।
डा. एनी बेसेन्ट (Dr. Annie Wood Besant) का जन्म लन्दन शहर में १८४७ में हुआ। इनके पिता अंग्रेज थे। पिता पेशे से डाक्टर थे। पिता की डाक्टरी पेशे से अलग गणित एवं दर्शन में गहरी रूचि थी। इनकी माता एक आदर्श आयरिस महिला थीं। डा. बेसेन्ट के ऊपर इनके माता पिता के धार्मिक विचारों का गहरा प्रभाव था। अपने पिता की मृत्यु के समय डा. बेसेन्ट मात्र पाँच वर्ष की थी। पिता की मृत्यु के बाद धनाभाव के कारण इनकी माता इन्हें हैरो ले गई। वहाँ मिस मेरियट के संरक्षण में इन्होंने शिक्षा प्राप्त की। मिस मेरियट इन्हें अल्पायु में ही फ्रांस तथा जर्मनी ले गई तथा उन देशों की भाषा सीखीं। १७ वर्ष की आयु में अपनी माँ के पास वापस आ गईं। युवावस्था में इनका परिचय एक युवा पादरी से हुआ और १८६७ में उसी रेवरेण्ड फ्रैंक से एनी बुड का विवाह भी हो गया। पति के विचारों से असमानता के कारण दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रहा। संकुचित विचारों वाला पति असाधारण व्यक्तित्व सम्पन्न स्वतंत्र विचारों वाली आत्म-विश्वासी महिला को साथ नहीं रख सके। १८७० तक वे दो बच्चों की माँ बन चुकी थीं। ईश्वर, बाइबिल और ईसाई धर्म पर से उनकी आस्था डिग गई। पादरी-पति और पत्नी का परस्पर निर्वाह कठिन हो गया और अन्ततोगत्वा १८७४ में सम्बन्ध-विच्छेद हो गया।। तलाक के पश्चात् एनी बेसेन्ट को गम्भीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा और उन्हें स्वतंत्र विचार सम्बन्धी लेख लिखकर धनोपार्जन करना पड़ा।
पश्चिमी भोजपुरी -
राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए आय का मुख्य स्रोत कृषि रही है. भारत की चार महत्वपूर्ण नदियां, यथा गोदावरी, कृष्णा, पेन्ना और तुंगभद्रा राज्य में सिंचाई प्रदान करते हुए प्रवहित होती हैं. चावल, गन्ना, कपास, मिर्ची (काली मिर्च), आम और तम्बाकू स्थानीय फसल हैं. हाल ही में, वनस्पति तेल के उत्पादन के लिए प्रयुक्त फसल, जैसे कि सूरजमुखी और मूंगफली ने समर्थन पाया है. गोदावरी नदी घाटी सिंचाई परियोजना और दुनिया में सर्वोच्च, पत्थरों से बने नागार्जुन सागर बांध सहित, कई बहु राज्य सिंचाई परियोजनाएं विकासाधीन हैं.[२०][२१]
१४६५ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग दिल्ली को कोलकत्ता से जोड़ता है। इसका रूट दिल्ली - मथुरा - आगरा - कानपुर – इलाहाबाद - वाराणसी - मोहनिया - बरही - पलसित – बैद्यबटी - बारा - कोलकत्ता है। इस हाईवे पर स्थित ताजनगरी आगरा दिल्ली से मात्र 203 कि.मी. दूर है। यहां अपने साधन से तीन घंटे में पहुंच सकते हैं। इसी हाइवे पर दिल्ली से 160 कि.मी. दूर धार्मिक नगरी वृंदावन और मथुरा के कृष्णमय वातावरण में भी एक दिन बिता सकते हैं। वहीं नंदगांव और बरसाना भी इसी हाईवे के आसपास हैं। आगरा में ताजमहल, आगरा फोर्ट देखने के बाद आप हाईवे-11 से फतेहपुर सीकरी जा सकते हैं। यहां का वास्तुशिल्प अवश्य प्रभावित करेगा। वहां से वापस हाईवे-11 पर आकर आप भरतपुर स्थित केवलादेव बर्ड सेंक्चुरी में प्रवासी पक्षियों को देखने का आनंद उठा सकते हैं।
1700 वीं शताब्दी के बाद जैसे जैसे औद्योगिक क्रांति तेज़ गति से बढती गयी वैसे वैसे जनसंख्या वृद्धि में भी काफी बढ़त देखने को मिली[४]. पिछले 50 वर्षों में जनसंख्या वृद्धि की दर और भी ज्यादा तेज़ हुयी है[४] और इसकी मुख्य वजह है चिकित्सा जगत में हुयी तरक्की और कृषि उत्पादकता में होने वाली महत्वपूर्ण बढ़त, ख़ास तौर से वर्ष 1960 से 1995[५] के बीच हरित क्रांति के कारण हुई प्रगति.[६] सन् 2007 में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग ने अनुमान लगाया कि वर्ष 2055 में दुनिया की आबादी 10 अरब के आँकड़े को पार कर जाएगी.[७] भविष्य में, उम्मीद है कि दुनिया की आबादी में वृद्धि शिखर तक पहुंचेगी और उसके बाद आर्थिक कारणों, स्वास्थ्य चिंताओं, भूमि के अंधाधुंध प्रयोग और उसकी कमी और पर्यावरणीय संकटों के कारण आबादी कम होने लगेगी. इस बात की भी 85% संभावना है कि इस सदी के अंत से पहले दुनिया की आबादी बढ़नी बंद हो जायेगी. 60% संभावना है कि दुनिया की जनसंख्या वर्ष 2100 से पहले 10 अरब लोगों से अधिक नहीं होगी, और करीब 15% संभावना है कि सदी के अंत में विश्व की जनसंख्या आज की तिथि में विश्व की कुल जनसंख्या से कम हो जाएगी. विभिन्न क्षेत्रों के लिए, सर्वाधिक जनसंख्या के तारीख और आकार में काफी भिन्नता होगी.[८]
East 01 1001001 Bhola Nath Nagar-SBV (Babu Ram) Bhola Nath Nagar, Shahadara 22304026 2 East 01 1001002 Vivek Vihar-SBV Near Ram Mandi, Vivek Vihar 22160252 3 East 01 1001004 Kanti Nagar-SBV Kanti Nagar 22097781 4 East 01 1001006 Surajmal Vihar–SBV A-Block, Surajmal Vihar 22370894 5 East 01 1001008 Bhola Nath Nagar, No.1-SBV Bhola Nath Nagar 22308974 6 East 01 1001009 Anand Vihar-SV Railway Station, Anand Vihar 22160771 7 East 01 1001010 Bhola Nath Nagar, No.3-GBSSS Bhola Nath Nagar, Shahadara 22388527 8 East 01 1001012 Vivek Vihar-GBSS C-Block , Vivek Vihar 22160164 9 East 01 1001018 Bhola Nath Nagar, No.1-SKV Bhola Nath Nagar, Shahadara 22306175 10 East 01 1001020 Bhola Nath Nagar, No.2-GGSSS Bhola Nath Nagar, Shahadara 22301463 11 East 01 1001022 Vivek Vihar-GGSSS C-Block, Vivek Vihar 22163114 12 East 01 1001023 Bhola Nath Nagar, No.3-GGSSS Bhola Nath Nagar, Shahadara 22304702 13 East 01 1001024 Kanti Nagar-GGSSS Kanti Nagar 22098907 14 East 01 1001026 Vivek Vihar,Phase-II-GGSS Jhilmil Colony 22156557 15 East 01 1001102 Surajmal Vihar-SKV Surajmal Vihar-Delhi 22373927 16 East 01 1001104 Surajmal Vihar-RPVV Surajmal Vihar 22169518 17 East 01 1001105 Jhilmil Colony-SBV Jhilmil Colony - Delhi 22142735 18 East 01 1001106 Kiran Vihar-SKV Kran Vihar 22370615 19 East 01 1001109 Kiran Vihar-SBV Kiran Vihar 22377775 20 East 01 1001110 Rajgarh Colony-SBV Rajgarh Colony 22467120 21 East 01 1001111 Jhilmil Colony-GGSSS Jhilmil Colony 22163206 22 East 01 1001151 Shahdara, Teliwara-G(Co-ed)SS Teliwara 22393033 23 East 01 1001194 West Azad Nagar-G(co-ed)SS West Azad Nagar 22002711 24 East 01 1001196 Vishwas Nagar-SKV Vishwas Nagar 22393035 25 East 01 1001204 Vishwas Nagar-GBSSS Vishwas Nagar 26 East 02 1002001 Mandawali-SBV (Veer Udham Singh) Indrprastha Vistar Samuhik Awas, Mandawali 22476708 27 East 02 1002002 Patparganj-SBV (Genda Lal Dixit) Patpar Ganj 22791533 28 East 02 1002003 Kalyanvas-SBV (Raj Bihari Bose) Kalyanvas 22787227 29 East 02 1002004 Shakarpur, No.2-SBV (Ishwar Chand) Shakarpur 22458870 30 East 02 1002005 West Vinod Nagar-SBV West Vinod Nagar 22726170 31 East 02 1002006 Mayur Vihar, Phase I, Pkt. 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B 22789336 49 East 02 1002031 Patparganj-SKV Patpar Ganj 22750966 50 East 02 1002032 West Vinod Nagar-SKV West Vinod Nagar 22727636 51 East 02 1002033 KalyanVas-SKV Kalyan Vas Delhi-110091 22776430 52 East 02 1002034 Mayur Vihar, Phase I, Pkt.II-SKV (Janaki Devi) Pocket II mayur Vihar Phase I 22750234 53 East 02 1002036 Mayur Vihar, Phase I, Pkt.IV-GGSSS Mayur Vihar, Phase I, Pkt. IV 22714978 54 East 02 1002037 Khichripur-GGSSS Khichripur 22773427 55 East 02 1002039 Kalyanpuri-GGSS Kalyanpuri, Delhi 22783311 56 East 02 1002175 Trilokpuri, Block 27-GGSS Trilokpuri,Block-27 22778651 57 East 02 1002177 Trilokpuri, Block 27-SBV Block-27, Trilokpuri 22783007 58 East 02 1002180 West Vinod Nagar, Block E-G(Co-ed)SS West Vinod Nagar, E Block Delhi-92 22479034 59 East 02 1002181 Joshi Colony-GBSS Mandawali 22479029 60 East 02 1002182 Mayur Vihar, Phase I, Chilla Gaon-G(Co-ed)SSS Chilla Village,Near Parwana Aptts.,Mayur Vihar, Ph 22717275 61 East 02 1002183 New Ashok Nagar-SKV New Ashok Nagar 22716090 62 East 02 1002184 Gazipur-SV(Co-ed) Gazipur-Delhi-96 22457123 63 East 02 1002185 Vasundhra Enclave-G(Co-ed)SSS Vasundhra Enclave 22627027 64 East 02 1002186 New Kondli-GGSSS New Kondli-Delhi 22612201 65 East 02 1002187 New Ashok Nagar-GBSSS New Ashok Nagar 22715869 66 East 02 1002189 Patparganj, I.P. Extn-G(Co-ed)SS I. P. Extn., Patparganj 22464656 67 East 02 1002190 Mandawali-GGSS Mandawali 22479037 68 East 02 1002191 Shakarpur, School Block-GGSSS School Block, Shakarpur 22481895 69 East 02 1002192 Shakarpur, No.1-SBV Shakarpur 22011219 70 East 02 1002193 Shakarpur, No.2-SKV Madhuban Road, Shakarpur 22048347 71 East 02 1002195 Shakarpur, School Block-SBV School Block, Shakar Pur 22481886 72 East 02 1002196 Shakarpur, No.1-SKV Shakarpur 22529397 73 East 02 1002197 Trilokpuri, Block 27-GBSS Block-27, Trilokpuri 22778666 74 East 02 1002198 Kondli-SBV Kondli 22771742 75 East 02 1002199 Mayur Vihar, Phase III GGSS Mayur Vihar, Phase III 22627160 76 East 02 1002263 Mayur Vihar, Phase III, Kondli-Gharauli-GBSS Kondli Gharauli, Mayur vihar, Phase-III 22627832 77 East 02 1002350 Khichripur Village, Govt.(Co-ed)SS Khichripur Village, 22732013 78 East 02 1002351 Preet Vihar, Govt. Co-Ed Secondary School Preet Vihar, Delhi-92 79 East 02 1002352 Mayur Vihar, Phase III, Kondli Gharauli-GGSS Mayur Vihar, Phase III, Kondli Gharauli 80 East 02 1002354 Mayur Vihar, Phase III GBSS Mayur Vihar, Phase III 81 East 03 1003001 Laxmi Nagar-SBV Laxmi Nagar 22529732 82 East 03 1003002 Rani Garden-SBV Rani Garden 22046610 83 East 03 1003003 Jheel Khurenja, No.1-SBV Jheel Khurenja 22513890 84 East 03 1003004 Kailash Nagar-SBV Gandhi Nagar 22078298 85 East 03 1003007 Chander Nagar-GBSSS Chander Nagar 22093931 86 East 03 1003009 Geeta Colony, Block 13-GBSSS Block-13, Geeta Colony 22548602 87 East 03 1003012 Gandhi Nagar-SBV Gandhi Nagar 22512034 88 East 03 1003013 Krishna Nagar-SBV Krishana Nagar 22093655 89 East 03 1003024 Geeta Colony, Block 13-SKV B-13, Geeta Colony 22420706 90 East 03 1003025 Chander Nagar-SKV Chander Nagar 22520148 91 East 03 1003026 Shankar Nagar-SKV Shnkar Nagar 22421394 92 East 03 1003027 Gandhi Nagar, No.1-SKV Gandhi Nagar 22512423 93 East 03 1003028 Laxmi Nagar-SKV Laxmi Nagar 22463137 94 East 03 1003030 Rani Garden-GGSSS Block-12, Geeta Colony 22055060 95 East 03 1003033 Kailash Nagar-GGSSS Kailash Nagar 22081581 96 East 03 1003034 Gandhi Nagar, No.2-GGSSS Gandhi Nagar 22416938 97 East 03 1003035 Gandhi Nagar, No.3-GGSSS Gandhi Nagar 22416546 98 East 03 1003036 Krishna Nagar-SKV Krishana Nagar 22093324 99 East 03 1003152 Radhey Shyam Park-SBV Radehy Shyam Park 22468831 100 East 03 1003153 Radhey Shyam Park-GGSSS Radehy Shyam Park, Parwana Road, Khurenji 22448941 101 East 03 1003202 Geeta Colony, Block 2-G(Co-ed)SS Block-2, Geeta Colony 22531437 102 East 03 1003204 Old Seelampur-Sarvodaya (Co-ed)SS Old Seelampur 22013646 103 East 03 1003205 Shivpuri-G(Co-ed)SS shiv puri delhi-51 22056169 104 East 03 1003260 Lalita Park-G(Co-ed)SSS Lalita Park,Delhi-92 22501512 105 East 03 1003261 Gandhi Nagar-RPVV Gandhi Nagar,Delhi-31 22043771
[[कड़ी शीर्षक[[कड़ी शीर्षककड़ी शीर्षक]]]]मौसम सामान्यतः अक्टूबर तक रहता है।
फिर भी हिंदुओं के लिये एक धार्मिक स्थल की प्रधानता के रूप में जोशीमठ, आदि शंकराचार्य की संबद्धता के कारण मान्य हुआ। जोशीमठ शब्द ज्योतिर्मठ शब्द का अपभ्रंश रूप है जिसे कभी-कभी ज्योतिषपीठ भी कहते हैं। इसे वर्तमान 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। उन्होंने यहां एक शहतूत के पेड़ के नीचे तप किया और यहीं उन्हें ज्योति या ज्ञान की प्राप्ति हुई। यहीं उन्होंने शंकर भाष्य की रचना की जो सनातन धर्म के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है।
भौगोलिक दृष्टि से बाइबिल का प्रभाव बहुत ही विस्तृत है। शायद यह एक आकस्मिकता हो। मूलत: एक दमित जनता के धर्म के रूप में ईसाइयत अनेक परीक्षणों के पश्चात् अपने विजितों का धर्म बनी।
मुख्य उल्लेख  :महाभारत के पात्र
The car was briefly imported to the United Kingdom in 1993 (as the Fullbore Mark 10) in a disastrous attempt to bring the Ambassador "home." The cars were retrofitted with a heater and seat belts in order to comply with European safety legislation, but only a tiny number were ever sold, and the importer went into liquidation. Despite this failure, from 2002 the Ambassador has again been available new in the UK from an importer in Wales called Merlin Garages, and has received favourable comment from the classic car media.
कुरुक्षेत्र हरियाणा राज्य का एक प्रमुख जिला है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा अम्बाला, यमुना नगर, करनाल और कैथल से घिरा हुआ है । माना जाता है कि यहीं महाभारत की लड़ाई हुई थी और भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं पर ज्योतीसर नामक स्थान पर दिया था । यह जिला बासमती चावल के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है ।
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सातवीं विधान-सभा के मंत्रीमण्डल में कांग्रेस ने सदाशिव त्रिपाठी को मुख्य मंत्री बनाया।
हलाकि कोलकाता मेट्रो भारतीय रेल द्वारा ही संचालित होता है परंतु इसे किसी जोन में नहीं रखा गया है। प्रशासनिक रूप से इसे एक क्षेत्रीय रेलवे के रूप में देखा जाता है। हर जोन में कुछ रेलमंडल होते हैं, इस समय भारत मे कुल 67 रेलमंडल है जो उपरोक्त 17 रेल-क्षेत्र (जोन) के अंतर्गत कार्य करते हैं।
मानव की मूलभूत भौतिक आवश्यकताओं एवं मानसिक आकांक्षाओं को पूरा करने वाली न्यायसंगत विश्व व्यवस्था की स्थापना अहिंसा मूलक जीवन दर्शन के आधार पर सम्भव है। भौतिकवादी दृष्टि है- योग्यतम की उत्तरजीविता। इसके विपरीत भगवान महावीर की दृष्टि है- विश्व के सभी पदार्थ परस्पर उपकारक हैं। भौतिकवादी दृष्टि संघर्ष एवं दोहन की वृत्तियों का संचार करती है। अहिंसा की भावना पर आधारित विश्व शान्ति की प्रासंगिकता, सार्थकता एवं प्रयोजनशीलता स्वयंसिद्ध है।
१९९२ में, शेन्झोउ नामक मानवसहित अन्तरिक्ष कार्यक्रम आरम्भ किया गया। चार मानवरहित परिक्षणों के पश्चात, शेन्झोउ पाँच १५ अक्टूबर, २००३ को लॉङ्ग मार्च टूएफ़ प्रक्षेपण वाहन का उपयोग कर चीनी अन्तरिक्षयात्री यांग लिवेइ सहित प्रक्षेपित किया गया, और ऐसा करने वाला चीजग क्रमशः सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद विश्व का तीसरा देश बना जिसने घरेलू प्रौद्योगिकी के बलबूते पर मानवसहित अन्तरिक्ष यान भेजा। अक्टूबर २००५ में चीन ने दूसरा मानवसहित अभियान भी पूरा किया जब शेन्झोउ छः दो अन्तरिक्षयात्रियों को लेकर प्रक्षेपित किया गया। २००८ में चीन ने सफलतापूर्वक शेन्झोउ सात अभियान पूरा किया और अन्तरिक्ष-चहलकदमी करने वाला चीन तीसरा देश बना। २००७ में चीन ने चन्द्र गवेषण के लिए चैंग'ई नामक अन्तरिक्षयान भेजा, जिसका नाम चीन की प्राचीन चन्द्रदेवी के नाम पर था, जो चीनी चन्द्र गवेषण कार्यक्रम का भाग था। चीन की भविष्य में अन्तरिक्ष स्टेशन बनाने और मंगल ग्रह पर भी मानवसहित अभियान भेजने की योजना है।
शंखकूट, ऋषभ, हंस, नाग और कालंज आदि पर्वत हैं।
6,500 फीट (2,000 मीटर) तक |
चंदौली वाराणसी जिले की एक तहसील है।
7. रामेद्रसुंदर त्रिवेदी, निबंधलेखक, वैज्ञानिक एवं दर्शनशास्त्री;
फिएट की कारों का उत्पादन दुनिया भर मे होता है और समूह का इटली के बाहर सबसे बडा़ कारखाना ब्राजील में स्थित है जो इन कारों का सबसे बडा़ उपभोक्ता देश भी है। इसके कारखाने अर्जेंटीना और पोलैंड में भी हैं। फिएट का अपने उत्पादों की लाइसेसिंग अन्य देशों मे कराने का एक लंबा इतिहास है भले ही इन देशों की स्थानीय राजनैतिक या सांस्कृतिक स्थितियां कुछ भी रही हों। इसके संयुक्त उद्यम फ्रांस, तुर्की, मिस्र (सरकारी नास्र कार कंपनी के साथ), दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन में कार्यरत हैं।
सरकारी और आम भाषा धिवेही है जो एक भारत-यूरोपीय भाषा है जिसमें प्राचीन सिंहली भाषा, इलू के साथ कुछ समानताएं हैं. पहली ज्ञात लिपि लिखती है कि धिवेही, एवेयला अकुरु लिपि है, जो राजाओं (राधावाल्ही) के ऐतिहासिक रिकॉर्डिंग में पाया जाता है. बाद में एक धीवस अकुरु नाम की लिपि प्रस्तुत हुई और एक लंबी अवधि के लिए प्रयोग की गई. वर्तमान में लिखित लिपि, थाना कहलाई जाती है और दाहिनी ओर से बाईं ओर लिखी जाती है. कहा जाता है कि थाना मोहम्मद थाकुरुफानु के शासन द्वारा शुरू की गई है. अंग्रेजी वाणिज्य में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है और तेजी से सरकारी स्कूलों में शिक्षा का माध्यम भी बन रही है.
1530 में बाबर के बेटे हुमायूं उत्तराधिकारी बने लेकिन पशटुन शेर शाह सूरी के हातों प्रमुख उलटाव सहे और नए साम्राज्य के अधिकाँश भाग को क्षेत्रीय राज्य से आगे बड़ने से पहले ही प्रभावी रूप से हार गए.1540 से हुमायूं एक निर्वासित शासक बने, 1554 में साफाविड के कोर्ट के शासन में पहुंचे जबकि अभी भी कुछ किले और छोटे क्षेत्र उनकी सेना द्वारा नियंत्रित थे.लेकिन शेर शाह सूरी के निधन के बाद जब पशटुन अव्यवस्था में गिर गया, तब हुमायूं एक मिश्रित सेना के साथ लौटे, अधिक सैनिकों को बटोरा और 1555 में दिल्ली को पुनः जीतने में कामयाब रहे.
गंगा अपनी चरम स्थिति में मेघना नदी के रूप में
जुडो के आरंभिक इतिहास को इसके संस्थापक, जापानी बहुश्रुत और शिक्षक जिगोरो कानो (嘉納 治五郎 कानो जिगोरो , 1860–1938) से अलग नहीं किया जा सकता है. कानो का जन्म एक खुशहाल जापानी परिवार में हुआ था. उनके दादा अपनी मेहनत के बल में कामयाबी हासिल करने वाले, मध्य जापान के शिगा शासित प्रान्त के एक शराब निर्माता थे. बहरहाल, कानो के पिता अपने पिता के सबसे बड़े बेटे नहीं थे और इसलिए उन्हें यह कारोबार विरासत में नहीं मिला. इसके बजाय, वह एक शिंटो पुजारी और सरकारी अधिकारी बने और साथ ही साथ उनके पास टोकियो इम्पीरियल यूनिवर्सिटी की दूसरी आगामी कक्षा में अपने बेटे को दाखिल करने की पर्याप्त प्रभुता थी.
अपने प्रथम चरण मे यह पार्टी कराची तक सीमित थी । आज इस पार्टी के अंकुर देश के कोने कोने मे दिखाई देते है,अब यह पार्टी एक शहर की नही देश के चारो प्रान्त की है (द्वारा एम क्यु एम प्रान्तीय कमिटी पेशावर)
जुलिअनातोप 1,286 मीटर (4,219 फुट) समुद्र स्तर से ऊपर पर देश में उच्चतम पर्वत है. अन्य पहाड़ों 1,026 (3,366 फीट) मीटर, 718 (2356 फीट) मीटर, 358 मीटर (1175 फुट) और वोल्त्ज्बेर्ग 240 मीटर (790 फीट) पर पर गोलिअथ्बेर्ग पर माउंट कसिकसिमा ताफेल्बेर्ग में शामिल हैं
हिन्दी जो भारत और विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, उसकी जड़ें प्राचीन भारत की संस्कृत भाषा में तलाशी जा सकती हैं। परंतु हिन्दी साहित्य की जड़ें मध्ययुगीन भारत की ब्रजभाषा, अवधी, मैथिली और मारवाड़ी जैसी भाषाओं के साहित्य में पाई जाती हैं। हिंदी में गद्य का विकास बहुत बाद में हुआ और इसने अपनी शुरुआत कविता के माध्यम से की जो ज्यादातर लोकभाषा के साथ प्रयोग कर विकसित की गई। हिंदी में तीन प्रकार का साहित्य मिलता है। गद्य पद्य और चम्पू। हिंदी की पहली रचना कौन सी है इस विषय में विवाद है लेकिन ज़्यादातर साहित्यकार देवकीनन्दन खत्री द्वारा लिखे गये उपन्यास चंद्रकांता को हिन्दी की पहली प्रामाणिक गद्य रचना मानते हैं।
आरंभिक मिस्रवासियों को करीब 3000 ईसा पूर्व के आस-पास यह जानकारी थी कि कैसे लकड़ी के पटरों को एक जहाज पेटा बनाने के लिए इकट्ठे जोड़ा जाता है. अमेरिकी पुरातत्व संस्थान[६] ने खबर दी कि पता लगाए गए अब तक के सबसे पुराने जहाजों को, अबिडोस में खोजे गए 14 जहाज का एक समूह, लकड़ी के पटरों को एक साथ सिल कर बनाया गया था. न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय[१६९] के इजिप्टोलोजिस्ट डेविड ओ'कॉनर द्वारा की गई इस खोज में पाया गया कि गूंथे गए फीतों को पटरों को एक साथ जोड़े रखने के लिए इस्तेमाल किया गया,[६] और पटरों के बीच भरा पाया गया नरकट या घास जोड़ों को सील करने में मदद करता था.[६] चूंकि सभी जहाजों को एक साथ और खासेखेमी फैरो[१६९] के मुर्दाघर के पास दफन किया गया है, माना जाता है कि मूल रूप से वे सभी उसी के थे, लेकिन 14 जहाजों में से एक का काल 3000 ई.पू. का है,[१६९] और जहाज के साथ दफ़न किये गए संबद्ध मिट्टी के मर्तबान भी पूर्व की तारीख को सुझाते हैं.[१६९] 3000 ईसा पूर्व की अवधि वाला जहाज 75 फीट लम्बा है[१६९] और अब यह माना जाता है कि यह शायद किसी पहले के फैरो से संबंधित है.[१६९] प्रोफेसर ओ'कॉनर के अनुसार, 5000 साल पुराना यह जहाज संभवतः अहा फैरो का हो.[१६९]
कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशों में से एक था । कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए लोगो के मूल का मानते है। कुछ विद्वानो इनका सम्बन्ध रबाटक शिलालेख पर अन्कित शब्द गुसुर के जरिये गुर्जरो से भी बताते है।
पहले 1737 में मुद्रित, बेलफ़ास्ट से द न्यूज़ लेटर , अंग्रेजी भाषा के दैनिक समाचार पत्र सबसे पुराना माना जाता है जो आज भी प्रकाशित है.उसकी एक सहयोगी उत्तरी आयरिश प्रतियोगि, द आयरिश न्यूज़ , 2006 और 2007 में यूनाइटेड किंगडम में सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय समाचार पत्र के रूप में दो बार क्रमित हुई है.[२२३]
समय आने पर सत्यवती गर्भ से वेद वेदांगों में पारंगत एक पुत्र हुआ। जन्म होते ही वह बालक बड़ा हो गया और अपनी माता से बोला, "माता! तू जब कभी भी विपत्ति में मुझे स्मरण करेगी, मैं उपस्थित हो जाउँगा।" इतना कह कर वे तपस्या करने के लिये द्वैपायन द्वीप चले गये। द्वैपायन द्वीप में तपस्या करने तथा उनके शरीर का रंग काला होने के कारण उन्हे कृष्ण द्वैपायन कहा जाने लगा। आगे चल कर वेदों का भाष्य करने के कारण वे वेदव्यास के नाम से विख्यात हुये।
• हीरालाल सेन
मुसलमान देवदूतों (अरबी में मलाइका) के अस्तित्व को मानते हैं। उनके अनुसार देवदूत स्वयं कोई इच्छाश्क्ति नहीं रखते और केवल ईश्वर की आज्ञा का पालन ही करते हैं। वह केवल रोशनी से बनीं हूई अमूर्त और निर्दोष आकृतियाँ हैं जो कि न पुरुष हैं न स्त्री, बल्कि मनुषय से हर दृष्टि से अलग हैं। हालांकि अगणनीय देवदूत हैं, पर चार देवदूत कुरान में प्रभाव रखते हैं:
बर्लिन में सुभाषबाबू सर्वप्रथम रिबेनट्रोप जैसे जर्मनी के अन्य नेताओ से मिले। उन्होने जर्मनी में भारतीय स्वतंत्रता संगठन और आजाद हिंद रेडिओ की स्थापना की। इसी दौरान सुभाषबाबू, नेताजी नाम से जाने जाने लगे। जर्मन सरकार के एक मंत्री एडॅम फॉन ट्रॉट सुभाषबाबू के अच्छे दोस्त बन गए।
बेलेवडेयर एस्टेट कोलकाता की प्रसिद्ध इमारत है।
१९७२ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
(२) व्यंजक (एक्साइटिंग), जो पहले से रोगानुकूल शरीर में तत्काल विकारों को व्यक्त करता है।
भूमितल एक अत्‍याधुनिक स्‍थान है। यहां राष्‍ट्रीय तथा अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन होते हैं। एक वर्गाकार प्रांगण के चारों ओर एक मुख्‍य समिति कक्ष तथा चार लघु समिति कक्षों का समूह है। इस प्रांगण के बीच में एक अष्‍टकोणीय जलाशय है। प्रांगण में ऊपर की ओर पच्‍चीकारी युक्‍त जाली का पर्दा है। वहां पौधे लगाकर एक प्राकृतिक दृश्‍य तैयार कियागया है। इसमें पत्‍थर की टुकड़ियों तथा छोटे पत्‍थरों के खंड बनाए गए हैं। पांचों के पांचों समिति कक्षों में संसद भवन में लोक सभा तथा राज्‍य सभा कक्षों की भांति साथ साथ भाषांतर की व्‍यवस्‍था है। प्रत्‍येक कक्ष के साथ संसदीय समितियों के सभापतियों के कार्यालयों के लिए एक कमरा है।
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नदी के साथ बसा अयूथया उद्यान यूनेस्को की विश्‍व धरोहर सूची का हिस्सा है। यहां सभी ओर मंदिर बने हुए हैं। किसी समय यहां पर नगर बसा हुआ था। बहुत से अवशेष अभी भी यहां देखे जा सकते हैं, जैसे- वट फ्ररा सी सैनपुटे, वट मोगखों बोफिट, वट ना फ्रा मेरु, वट थम्मीकरट, वट रतबुरना और वट फ्रा महाथट। इन जगहों पर गाड़ी नहीं जा सकती इसलिए यहां पैदल की आएं।
'सांस्कृतिक पुनर्जागरण के युग' के मूल तत्वों को रेखांकित करने एवं 'सांस्कृतिक पुनर्जागरण के युग' के अस्तित्व को निर्विवाद रूप से सिद्ध करने के पश्चात् अब हम कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों पर भी ध्यान दें. यह निम्न हैं :
1998 के रूप में, अमीरात की जनसंख्या का 17% भाग संयुक्त अरब अमीरात के नागरिकों का था . लगभग प्रवासियों की जनसँख्या (और अमीरात की कुल आबादी का 71% भाग) का 85% भाग एशियाई था, मुख्यतः (51%) भारतीय, पाकिस्तानी (15%) और बांग्लादेशी (10%) .[५४] लेकिन जनसंख्या का एक चौथाई भाग कथित तौर पर ईरानी मूल का है .[५५] इसके अतिरिक्त, जनसंख्या का 16% भाग (या 288,000 लोग ) सामूहिक श्रम आवास में रहने वाले लोगों की जातीयता या राष्ट्रीयता की पहचान नहीं है लेकिन यह मुख्यतः एशियाई सोचा गया है .[५६] अमीरात में औसत उम्र 27 साल थी . अपक्व जन्म दर 2005 में 13.6% थी जबकि अपक्व मृत्यु दर 1% थी .[५७]
इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम कोण पर स्थित है, और यही अन्तर्देशीय और अन्तर्राष्ट्रीय वायु-यात्रियों के लिए शहर का मुख्य द्वार है। वर्ष २००६-०७ में हवाई अड्डे पर २३ मिलियन सवारियां दर्ज की गईं थीं,[५९][६०] जो इसे दक्षिण एशिया के व्यस्ततम विमानक्षेत्रों में से एक बनाती हैं। US$१९.३ लाख की लागत से एक नया टर्मिनल-३ निर्माणाधीन है, जो ३.४ करोड़ अतिरिक्त यात्री क्षमता का होगा, सन २०१० तक पूर्ण होना निश्चित है।[६१] इसके आगे भी विस्तार कार्यक्रम नियोजित हैं, जो यहाँ १०० मिलियन यात्री प्रतिवर्ष से अधिक की क्षमता देंगे।[५९]सफदरजंग विमानक्षेत्र दिल्ली का एक अन्य एयरफ़ील्ड है, जो सामान्य विमानन अभ्यासों के लिए और कुछ वीआईपी उड़ानों के लिए प्रयोग होता है। [६२]
1 निर्वाचन आयोग के पास यह उत्तरदायित्व है कि वह निर्वाचनॉ का पर्यवेक्षण ,निर्देशन तथा आयोजन करवाये वह राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति ,संसद,राज्यविधानसभा के चुनाव करता है
कुछ और विधियाँ भी काम में लाई जाती थीं। गर्भाशयांतर डूश, स्पंज का प्रयोग, वीर्य के इंजेक्शन (जिससे शरीर में शुक्राणुरोधी वस्तुएँ उत्पन्न हो जाएँ), अंड और अंडग्रंथि पर एक्स किरणों का डालना, जिससे अस्थायी बंध्यता उत्पन्न हो जाए, आदि विधियाँ, अब केवल ऐतिहासिक महत्व की बातें हैं।
बैडमिंटन में जीत के लिए, खिलाड़ियों को सही स्थिति में विभिन्न तरह के स्ट्रोक की ज़रुरत होती है. इसका रेंज शक्तिशाली कूद कर स्मैश करने से लेकर नेट से वापसी के लिए सूक्ष्म लुढकाने तक है. अक्सर रैलियों का अंत स्मैश से होता है, लेकिन स्मैश को स्थापित करने के लिए तीव्र स्ट्रोक की ज़रुरत है. उदाहरण के लिए, शटलकॉर्क को उठाने के लिए नेटशॉर्ट विरोधी को मजबूर कर सकता है, जो स्मैश का अवसर प्रदान करता है. अगर नेटशॉर्ट तंग और लुढ़कनेवाला है तो विरोधी का लिफ्ट कोर्ट के पीछे तक पहुंच जाएगा, जो वापसी के लिए अनुवर्ती स्मैश को बहुत कठिन बना देता है.
घरेलू सीमित ओवरों की प्रतियोगिताये इंग्लैंड के जिलेट कप (Gillette Cup) नोक आउट के साथ १९६३ में शुरू हुई.आमतौर पर देश नोक आउट और लीग दोनों प्रारूपों में मौसमी सीमित ओवरों की प्रतियोगिताओं को करते हैं. हाल के वर्षों में, राष्ट्रीय ट्वेंटी 20 प्रतियोगिताये शुरू हुई हैं. ये सामान्यतया नोक आउट रूप में शुरू की गई हैं लेकिन कुछ मिनी लीग के रूप में भी हैं.
संक्षेप में इस महाकाव्य की कथावस्तु इस प्रकार है : ईलियन के राजा प्रियम के पुत्र पेरिस ने स्पार्टा के राजा मेनेलाउस की पत्नी परम सुंदरी हेलेन का उसके पति की अनुपस्थिति में अपहरण कर लिया था। हेलेन को पुन: प्राप्त करने तथा ईलियन को दंड देने के लिए मेनेलाउस और उसके भाई आगामेम्नन ने समस्त ग्रीक राजाओं और सामंतों की सेना एकत्र करके ईलियन के विरुद्ध अभियान आरंभ किया। परंतु इस अभियान के उपर्युक्त कारण, और उसके अंतिम परिणाम, अर्थात् ईलियन के विध्वंस का प्रत्यक्ष वर्णन इस काव्य में नहीं है। इसका आरंभ तो ग्रीक शिविर में काव्य के नायक एकिलीज के रोष से होता है। अगामेम्नन ने सूर्यदेव अपोलो के पुजारी की पुत्री को बलात्कारपूर्वक अपने पास रख छोड़ा है। परिणामत: ग्रीक शिविर में महामारी फैली हुई है। भविष्यद्रष्टा काल्कस ने बतलाया कि जब तक पुजारी की पुत्री को नहीं लौटाया जाएगा तब तक महामारी नहीं रुकेगी। अगामेम्नन बड़ी कठिनाई से इसके लिए प्रस्तुत होता है पर इसके साथ ही वह बदले में एकिलीज़ के पास से एक दूसरी बेटी ब्रिसेइस को छीन लेता है। एकिलीज़ इस अपमान से क्षुब्ध और रुष्ट होकर युद्ध में न लड़ने की प्रतिज्ञा करता है। वह अपनी मीरमिदन (पिपीलिका) सेना और अपने मित्र पात्रोक्लस के साथ अपने डेरों में चला जाता है और किसी भी मनुहार को नहीं सुनता। परिणामत: युद्ध में अगामेम्नन के पक्ष की किरकिरी होने लगती है। ग्रीक सेना भागकर अपने शिविर में शरण लेती है। परिस्थितियों से विवश होकर अगामेम्नन एकिलीज़ के पास अपने दूत भेजता है और उसके रोष के निवारण के लिए बहुत कुछ करने को तैयार हो जाता है। परंतु एकिलीज़ का रोष दूर नहीं होता और वह दूसरे दिन अपने घर लौट जाने की घोषणा करता है। पर वास्तव में वह अगामेम्नन की सेना की दुर्दशा देखने के लिए ठहरा रहता है। किंतु उसका मित्र पात्रोक्लस अपने पक्ष की इस दुर्दशा को देखकर को देखकर खीझ उठता है और वह एकिलीज़ से युद्ध में लड़ने की आज्ञा प्राप्त कर लेता है। एकिलीज़ उसको अपना कवच भी दे देता है और अपने मीरमिदन सैनिकों को भी उसके साथ युद्ध करने के लिए भेज देता है। पात्रोक्लस ईलियन की सेना को खदेड़ देता है पर स्वयं अंत में वह ईलियन के महारथी हेक्तर द्वारा मार डाला जाता है। पात्रोक्लस के निधन का समाचार सुनकर एकिलीज़ शोक और क्रोध से पागल हो जाता है और अगामेम्नन से संधि करके नवीन कवच धारण कर हेक्तर से अपने मित्र का बदला लेने युद्ध क्षेत्र में प्रविष्ट हो जाता है। एकिलीज़ से युद्ध आरंभ करते ही पासा पलट जाता है। वह हेक्तर को मार डालता है और उसके पैर को अपने रथ के पिछले भाग से बाँधकर उसके शरीर को युद्धक्षेत्र में घसीटता है जिससे उसका सिर घूल में लुढ़कता चलता है। इसके पश्चात् पात्रोक्लस की अंत्येष्टि बड़े ठाट बाट के साथ की जाती है। एकिलीज़ हेक्तर के शव को अपने शिविर में ले आता है और निर्णय करता है कि उसका शरीर खंड-खंड करके कुत्तों को खिला दिया जाए। हेक्तर का पिता ईलियन राजा प्रियम उसके शिविर में अपने पुत्र का शव प्राप्त करने के लिए उपस्थित होता है। उसके विलाप से एकिलीज़ को अपने पिता का स्मरण हो आता है और उसका क्रोध दूर हो जाता है और वह करुणा से अभिभूत होकर हेक्तर का शव उसके पिता को दे देता है और साथ ही साथ 12 दिन के लिए युद्ध भी रोक दिया जाता है। हेक्तर की अंत्येष्टि के साथ ईलियद की समाप्ति हो जाती है।
कुछ समय के पश्चात ई. सन् ६८६ में वैशाख शुक्ल पंचमी (कुछ लोगों के अनुसार अक्षय तृतीया) के दिन मध्याकाल में विशिष्टादेवी ने परम प्रकाशरूप अति सुंदर, दिव्य कांतियुक्त बालक को जन्म दिया। देवज्ञ ब्राह्मणों ने उस बालक के मस्तक पर चक्र चि, ललाट पर नेत्र चि तथा स्कंध पर शूल चि परिलक्षित कर उसे शिवावतार निरूपित किया और उसका नाम ‘शंकर’ रखा। इन्हीं शंकराचार्यजी को प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल पंचमी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए श्री शंकराचार्य जयंती मनाई जाती है। जिस समय जगद्गुरु शंकराचार्य का आविर्भव हुआ, उस समय भरत में वैदिक धर्म म्लान हो रहा था तथा मानवता बिसर रही थी, ऐसे में आचार्य शंकर मानव धर्म के भस्कर प्रकाश स्तं•ा बनकर प्रकट हुए। मात्र ३२ वर्ष के जीवनकाल में उन्होंने सनातन धर्म को ऐसी ओजस्वी शक्ति प्रदान की कि उसकी समस्त मूर्छा दूर हो गई। शंकराचार्यजी तीन वर्ष की अवस्था में मलयालम का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर चुके थे। इनके पिता चाहते थे कि ये संस्कृत का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करें। परंतु पिता की अकाल मृत्यु होने से शैशवावस्था में ही शंकर के सिर से पिता की छत्रछाया उठ गई और सारा बोझ शंकरजी की माता के कंधों पर आ पड़ा। लेकिन उनकी माता ने कर्तव्य पालन में कमी नहीं रखी॥ पाँच वर्ष की अवस्था में इनका यज्ञोपवीत संस्कार करवाकर वेदों का अध्ययन करने के लिए गुरुकुल •ोज दिया गया। ये प्रारं•ा से ही प्रतिभ संपन्न थे, अत: इनकी प्रतिभ से इनके गुरु •ाी बेहद चकित थे। अप्रतिम प्रतिभ संपन्न श्रुतिधर बालक शंकर ने मात्र २ वर्ष के समय में वेद, पुराण, उपनिषद्, रामायण, महाभरत आदि ग्रंथ कंठस्थ कर लिए। तत्पश्चात गुरु से सम्मानित होकर घर लौट आए और माता की सेवा करने लगे। उनकी मातृ•ाक्ति इतनी विलक्षण थी कि उनकी प्रार्थना पर आलवाई (पूर्णा) नदी, जो उनके गाँव से बहुत दूर बहती थी, अपना रुख बदल कर कालाड़ी ग्राम के निकट बहने लगी, जिससे उनकी माता को नदी स्नान में सुविधा हो गई। कुछ समय बाद इनकी माता ने इनके विवाह की सोची। पर आचार्य शंकर गृहस्थी के झंझट से दूर रहना चाहते थे। एक ज्योतिषी ने जन्म-पत्री देखकर बताया •ाी था कि अल्पायु में इनकी मृत्यु का योग है। ऐसा जानकर आचार्य शंकर के मन में संन्यास लेकर लोक-सेवा की भवना प्रबल हो गई थी। संन्यास के लिए उन्होंने माँ से हठ किया और बालक शंकर ने ७ वर्ष की आयु में संन्यास ग्रहण कर लिया। फिर जीवन का उच्चतम लक्ष्य प्राप्त करने के लिए माता से अनुमति लेकर घर से निकल पड़े।
वर्तमान विज्ञान के दृष्टिकोंण से अगर उपरोक्त केन्द्र बिन्दु को देखा जाए तो, निष्कर्ष रूप में अभी तक एक ही मूल कारण स्पष्ट हो पाया है कि - "हमारे ब्रह्माण्ड के सम्पूर्ण ग्रह, उपग्रह और सूर्य तथा तारे आदि इसलिए अपनी कक्षा से बाहर नहीं निकल पाते तथा अपनी ही गोलाकार कक्षा में ही स्थित रहते हुए, अपने-अपने केंद्र की निरंतर परिक्रमा करते रहते है क्योंकि, ये अपने-अपने गोलाकार केन्द्र के गोलाकार चुम्बकीय क्षेत्र में फँसे हुए हैं।"
श्यामजी कृष्ण वर्मा (4 अक्टूबर, 1857 - 31 मार्च, 1933) क्रांतिकारी गतिविधियों के माध्यम से भारत की आजादी के संकल्प को गतिशील करने वाले एवं कई क्रान्तिकारियों के प्रेरणास्रोत थे। वे पहले भारतीय थे, जिन्हें ऑक्सफोर्ड से एम.ए. और बैरिस्टर की उपाधियां मिलीं थीं। पुणे में दिए गए उनके संस्कृत के भाषण से प्रभावित होकर मोनियर विलियम्स ने वर्माजी को ऑक्सफोर्ड में संस्कृत का सहायक प्रोफेसर बना दिया था। उन्होने लन्दन में इण्डिया हाउस की स्थापना की जो इंगलैण्ड जाकर पढ़ने वालों के परस्पर मिलन एवं विविध विचार-विमर्श का केन्द्र था।
एक अन्य प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण है : यदि 'सांस्कृतिक पुनर्जागरण का युग' आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की कृति से प्रारम्भ होता है, तो उसे 'नरेन्द्र कोहली युग' न कह कर 'द्विवेदी युग' क्यों न कहा जाए; अथवा सिर्फ 'सांस्कृतिक पुनर्जागरण का युग' कह देने में क्या हर्ज़ है? 'नरेन्द्र कोहली युग' जैसे नाम का आग्रह क्यों?
कयहाँ कही अर्थव्यसव्था के तो क्या कहनेमोटा पाठ
जिले का मुख्यालय शाहजहांपुर है ।
नगर अति सुंदर एवं स्वच्छ है, जिसमें रंग बिरंगे पुष्पों से युक्त बाग बगीचों की भरमार है। चामुडी पहाड़ी पर स्थित होने के कारण प्राकृतिक छटा का आवास बना हुआ है। भूतपूर्व महाराजा का महल, विशाल चिड़ियाघर, नगर के समीप ही कृष्णाराजसागर बाँध, वृंदावन वाटिका, चामुंडी की पहाड़ी तथा सोमनाथपुर का मंदिर आदि दर्शनीय स्थान हैं। इन्हीं आकर्षणों के कारण इसे पर्यटकों का स्वर्ग कहते हैं। यहाँ पर सूती एवं रेशमी कपड़े, चंदन का साबुन, बटन, बेंत एवं अन्य कलात्मक वस्तुएँ भी तैयार की जाती हैं। यहाँ प्रसिद्ध मैसूर विश्वविद्यालय भी है।
[58] ^
भारतीय लोककला मंडल
यहाँ मुख्यतः रक्षा मन्त्रालय, विदेश मन्त्रालय एवं प्रधान मन्त्री का कार्यालय स्थित है ।
रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमानजी का अवतार भगवान् राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री करायी और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। [[१]]
पैलेस के मैदान में नारंगी रंग के दो मंदिर अर्थात् उम्मेनश्वर मंदिर और जगन्नाथ मंदिर स्थित है, जिनमें कोई भी व्यक्ति दर्शानार्थ जा सकता है।
उत्तराखण्ड में, जिसे "देवभूमि" भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के कुछ सबसे पवित्र तीर्थस्थान है, और हज़ार वर्षों से भी अधिक समय से तीर्थयात्री मोक्ष और पाप शुद्धिकरण की खोज में यहाँ आ रहे हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री, को क्रमशः गंगा और यमुना नदियों के उदग्म स्थल हैं, केदारनाथ (भगवान शिव को समर्पित) और बद्रीनाथ (भगवान विष्णु को समर्पित) के साथ मिलकर उत्तराखण्ड के छोटा चार धाम बनाते हैं, जो हिन्दू धर्म के पवित्रतम परिपथ में से एक है। हरिद्वार के निकट स्थित ऋषिकेश भारत में योग क एक प्रमुख स्थल है, और जो हरिद्वार के साथ मिलकर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है।
प्रारम्भिक भवनों का नि‍र्माण स्थानीय लोगों, जिन्हे Picunche Indians भी कहा जाता था, की मदद से किया गया । शहर के दक्षिणी किनारे पर स्थित मापोचो नदी को बाद में सुखाया गया और जनता के आवागमन तथा अन्य सुविधाओं के लिये खोल दिया गया। सुखाये गए स्थान को आलामेदा कहा जाता था। वैसे इसे अब Avenida Alameda Libertador Bernardo O'Higgins कहा जाता है। १८१०-१८१८ में शहर के दक्षिणी-पश्चिमी छोर में चले चिली युद्ध War of Independence में यह शहर आंशिक रुप से क्षतिग्रस्त हो गया था। (1810–18), in the Battle of Maipú। १८१८ में इस सेंटियागो (Santiago)शहर को राजधानी बनाया गया।
धार्मिक दृष्टिकोण से संपूर्ण दक्षिण भारत एक तीर्थ है जहाँ वास्तुकला और मूर्तिकला के अद्वितीय उदाहरण हैं। इन मंदिरों में भव्यता और कलाशिल्प देखने योग्य है। उत्तर भारत से एकदम अलग शैली के मंदिर होने के बावजूद श्रद्धा और भक्ति में ये समस्त भारतीय आस्तिकों को आकर्षित करते हैं। तिरुषैलिफेनी स्थित पार्थ सारथी मंदिर के लिए उल्लेख है कि इसका निर्माण आठवीं शताब्दी में राजा पल्लव ने करवाया था। इस देवस्थान की दीवारों पर सुंदर कलाकृतियाँ अंकित हैं। दूसरा आकर्षक मंदिर है द्रविड़ शिल्पकला में निर्मित मिलापोर स्थित कालीश्वर मंदिर। यहाँ माता पार्वती की उपासना की गाथा अंकित है। समुद्र की रेत से तपता यह क्षेत्र अत्यंत गरम जलवायु लिए हुए है जो केले, नारियल और पाम के पेड़ों से खूबसूरत लगता है।
ज्वालामुखी पृथ्वी के सतह पर उपस्थित मुख होते है जिनसे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदी बाहर आते है। अक्सर ज्वालामुखी पहाडं के रूप मे होते है। ज्वालामुखी अकसर विस्फोट के साथ फटते है।
यह बांग्लादेश का एक राजनीतिक दल है।
Bewetterungsanlage
बंसखेरा फ़र्रूख़ाबाद जिले का एक गाँव।
आकाशवाणी के तकनीकी मामलों के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता मुख्‍यालय में तैनात मुख्‍य अभियंता तथा इंजीनियर इन चीफ द्वारा और जोनल मुख्य अभियंताओं द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्‍त मुख्‍यालय में आकाशवाणी की विकास संबंधी योजनाओं के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता के लिए मुख्‍यालय में योजना और विकास इकाई है। सिविल निर्माण गतिविधियों के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता सिविल निर्माण विंग द्वारा की जाती है, जिसका नेतृत्‍व मुख्‍य अभियंता करते हैं। दूरदर्शन की जरूरतों को भी सिविल निर्माण विंग पूरा करता है।
१ जनवरी १९८९ को जबदिल्ली से सटे साहिबाबाद के झंडापुर गांव में गाजियाबाद नगरपालिका चुनाव के दौरान नुक्कड़ नाटक 'हल्ला बोल' का प्रदर्शन किया जा रहा था तभी जनम के ग्रुप पर कांग्रेस(आई) से जुड़े कुछ गुंडो ने हमला कर दिया। इस हमले में सफदर बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। उसी रात को सिर में लगी भयानक चोटों की वजह से सफदर की मृत्यु हो गई। 'रामबहादुर' नामक एक नेपाली मजदूर की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसने जनम के सदस्यों को आश्रय देने का दुस्साहस किया था। दो दिन बाद, ४ जनवरी १९८९ को मल्यश्री हाशमी, जनम गु्रप के साथ उस स्थान पर वापिस लौटीं और अधूरे छूट गए नाटक को खत्म किया। इस घटना के १४ साल बाद गाजियाबाद की एक अदालत ने १० लोगों को हत्या के मामले में आरोपी करार दिया, इसमें कांग्रेस पार्टी के सदस्य 'मुकेश शर्मा' का भी नाम शामिल था।
इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में पुराणों यह कथा वर्णित है-
साइप्रस (ग्रीक: Κύπρος, IPA: [cipɾo̞s], तुर्की: Kıbrıs), आधिकारिक तौर पर साइप्रस गणतंत्र (ग्रीक: Κυπριακή Δημοκρατία, Kypriakī Dīmokratía, [cipɾiaci ðimo̞kɾatia], तुर्की: Kıbrıs Cumhuriyeti) पूर्वी भूमध्य सागर पर ग्रीस के पूर्व, लेबनान, सीरिया और इसराइल के पश्चिम, मिस्र के उत्तर और तुर्की के दक्षिण में स्थित एक यूरेशियन द्वीप देश है। इसकी राजधानी निकोसिया है। इसकी मुख्य- और राजभाषाएँ ग्रीक और तुर्की हैं।
ये निंबार्क सम्प्रदाय के प्रसिद्ध विद्वान केशव काश्मीरी के प्रधान शिष्य थे. इनका जन्म सन् 1538 ई. में अनुमान किया जाता है. इनकी कविता सीधी-सादी और चलती भाषा में है. पद भी प्राय: छोटे-छोटे हैं. ऐसा प्रसिद्ध है कि जब ये तन्मय होकर अपने पद गाने लगते थे तब कभी-कभी उस पद के ध्यानानुरूप इन्हें भगवान की झलक प्रत्यक्ष मिल जाती थी.
गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के प्रवर्तक थे। राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में उनका जन्म 563 ईस्वी पूर्व तथा मृत्यु 483 ईस्वी पूर्व मे हुई थी।[१] उनको इस विश्व के सबसे महान व्यक्तियों में से एक माना जाता है।
जब श्वसन में उपयोग होने वाला खाद्यपदार्थ वसा या प्रोटीन हो तब श्वसन भागफल का मान इकाई से कम होता है।
The slogan " No taxation without representation " became popular in many American circles. नारा " प्रतिनिधित्व के बिना नहीं कराधान "अमेरिकन कई हलकों में लोकप्रिय बन गया. London argued that the colonists were "virtually represented" ; but most Americans rejected this. [ 22 ] लंदन तर्क दिया कि colonists थे "लगभग" का प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन ज्यादातर अमेरिकियों इस अस्वीकार कर दिया. [22] [ edit ] 1764 – new taxes [ संपादित करें ] 1764 - नए करों Main articles: Sugar Act , Paper Bills of Credit Act 1763 , and Quartering Act मुख्य लेख: चीनी अधिनियम , 1763 अधिनियम क्रडिट पेपर के बिल , और Quartering अधिनियम
अभिषेक के १३वें वर्ष के बाद उसने बौद्ध धर्म प्रचार हेतु पदाधिकारियों का एक नया वर्ग बनाया जिसे धर्म महापात्र कहा गया था । इसका कर्य विभिन्‍न धार्मिक सम्प्रदायों के बीच द्वेषभाव को मिटाकर धर्म की एकता स्थापित करना था ।
पुर्तगाली में, विशेषकर कला से संबंधित, अनेक इतालीय शब्द भी हैं। इनमें से अधिकांश शब्द इतालीय साहित्यिक प्रवृत्तियों की सफलता के कारण 16वीं शती में प्रवेश कर गए थे। 16वीं शती के पश्चात् लातीनी साहत्य के अध्ययन की विशेष रूचि के फलस्वरूप साहित्यिक पुर्तगाली पर लातीनी का प्रभाव पड़ा। वाक्यविन्यास तथा शब्दावली दोनों पर लातीनी का प्रभाव पड़ा। लातीनी शब्दों से ही वने फ्रियो, फ्रोजिदो, जैसे सरल शब्दों के रहते आडंबरपूर्ण अस्वाभाविक शब्दों (आंदोलोक्वो, उनबीवागो) का प्रयोग होने लगा। ग्रीक से वैज्ञानिक शब्दावली ली गई।
युवा लोगों की बॉस्केटबॉल में भी गहन रुचि है, विशेषकर नगरीय क्षेत्रों में जहाँ पर खुले और हरे क्षेत्रों का अभाव है। एनबीए के चीन में बहुत सेयुवा प्रशंसक हैं, और याओ मिंग बहुतों के आदर्श हैं।
स्वाधीनता संग्राम में निर्णायक भागीदारी के बावजूद जब राष्ट्र गान के चयन की बात आई तो ‘वंदे मातरम’ की जगह ‘जन गण मन अधिनायक जय हे’ को वरीयता दी गई। इसकी वजह यही थी कि कुछ मुसलमानों को ‘वंदे मातरम’ गाने पर आपत्ति थी, क्योंकि इस गाने में देवी दुर्गा को राष्ट्र के रूप में देखा गया है। इसके अलावा उनका मानना था कि यह गीत जिस ‘आनंद मठ’ उपन्यास से लिया गया है। वह मुसलमानों के खिलाफ लिखा गया है। इन आपत्तियों के मद्देनजर सन 1937 में कांग्रेस ने इस विवाद पर गहरा चिंतन किया। जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में गठित समिति जिसमें मौलाना अब्दुल कलाम आजाद भी शामिल थे, ने पाया कि इस गीत के शुरूआती दो पद तो मातृभूमि की प्रशंसा में कहे गए हैं, लेकिन बाद के पदों में हिंदू देवी-देवताओं का जिक्र होने लगता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया कि इस गीत के शुरूआती दो पदों को ही राष्ट्रगीत के रूप में प्रयुक्त किया जाएगा। इस तरह ‘जन गण मन’ और ‘सारे जहां से अच्छा’ के साथ प्रारंभिक दो पदों का ‘वंदे मातरम’ गीत राष्ट्रगीत स्वीकृत हुआ।
थियेटर में, शेक्सपियर के समकालीन क्रिस्टोफ़र मारलो और बेन जोंसन ने गहराई बडाई.हाल ही में एलन एक्बोर्न, हेरोल्ड पिंटर, माइकल फ्रेन, टॉम स्टोप्पर्ड और डेविड एड्गर ने अतियथार्थवाद, यथार्थवाद और कट्टरपंथ के संयुक्त तत्वों का मिश्रण किया.
हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग
एनएसडी का विश्‍वास है कि इसके मानव संसाधनों - संपादकों और संवाददाताओं का कौशल उन्‍नयन किया जाना चाहिए। राष्‍ट्रीय भाषा होने के नाते हिन्‍दी के महत्‍व को देखते हुए एनएसडी, आकाशवाणी द्वारा संवाददाताओं के लिए एक तीन दिवसीय हिन्‍दी भाषा कार्यशाला का आयोजन किया गया। इन कार्यशालाओं का मुख्‍य उद्देश्‍य हिन्‍दी उच्‍चारण और गैर हिन्‍दी भाषी क्षेत्रों के संवाददाताओं का मौखिक कौशल उन्‍नत बनाना था। उत्‍पादन सहायक और एनएफ संपादकों के कौशलों को सुधारने के लिए भी एक अभिविन्‍यास कार्यशाला का आयोजन किया गया।
प्रवेश शुल्‍क: 1 रु. मात्र। समय: 10 बजे सुबह से शाम 5 बजे तक। सोमवार बंद।
अरूणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर बहुत ही खूबसूरत है। यह हिमालय की तराई में बसा हुआ है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 350 मी. है। चूंकि यह अरूणाचल प्रदेश की राजधानी है, इसलिए यहां तक आने के‍ लिए सड़कों की अच्छीह व्यीवस्थार है। गुवाहटी और ईटानगर के नाहरलागुन के बीच हेलीकॉप्टर सेवा का भी विकल्प है। हेलीकॉप्टर के अलावा पर्यटक बसों द्वारा भी गुवाहटी से ईटानगर तक पहुंच सकते हैं। गुवाहटी से ईटानगर तक डीलक्स बसें भी चलती हैं।
कुछ कीट अंडे का शुक्राणु से संसेचन नहीं करते। इस प्रकार का जनन अनिषेकजनन (Parthenogenesis) कहलाता है। कुछ जातियों में यह एक अनूठी और कभी कभी होनेवाली घटना होती है, तथा कुछ शलभों में असंसेचित (अनफर्टिलाइज्ड, unfertilized) अंडों से नर और मादा दोनों ही उत्पन्न होती हैं। सामाजिक मधुमक्खियों में अनिषेकजनन बहुधा होता है, किंतु असंसेचित अंडों से केवल नर ही उत्पन्न होते हैं। कुछेक स्टिक (Stick) कीटों में असंसेचित अंडों से अधिकतर मादा ही उत्पन्न होती हैं और नर बहुत ही कम। साफिलाईज़ में नरों की उत्पत्ति संभवत: होती ही नहीं, इस कारण संसेचन हो ही नहीं सकता। फलत: केवल अनिषेकजनन होता है। द्रुमयूका (Aphides) में चक्रीय अनिषेकजनन होता है, अर्थात असंसेचित और संसेचित अंडों में उत्पादन नियमानुसार क्रम से होता रहता है। कुछेक जातियों में अपपिक्व (Immature) कीट भी जनन करते हैं। इस घटना को पीडोज़ेनेसिस (Paedogenesis) कहते हैं। माइएस्टर (Miastor) कीट के डिंभ अन्य डिंभों का उत्पादन करते हैं और इस प्रकार कई पीढ़ी तक उत्पादन होता रहता है। इसके पश्चात्‌ इनमें से कुछ डिंभ परिवर्धित होकर प्रौढ़ नर और मादा बन जाते हैं, जो परस्पर मैथुन के पश्चात्‌ डिंभ उत्पन्न करते हैं। इन डिंभों से पहले की भांति फिर उत्पादन आरंभ हो जाता है। बहुभ्रूणता (पॉलिएंब्रियोनी, Polyembryony) का अर्थ है। एक अंडे से एक से अधिक कीटों का उत्पन्न होना। इस प्रकार का उत्पादन पराश्रयी कलापक्षों में पाया जाता है। प्लैटिगैस्टर हीमेलिस (Platigastor hiemalis) के कुछ अंडों में से दो डिंभ उत्पन्न होते हैं, किंतु किसी किसी पराश्रयी कैलसिड (Chalcid) के प्रत्येक अंडे से लगभग एक सहस्र तक डिंभ उत्पन्न हो जाते हैं।
दिलीप सिंह, पंजाब के अंतिम सिख शासक लाहौर में राज्यच्युत हुए, और फ़र्रूख़ाबाद में उन्हें बंदी बनाकर रखा गया। वे यहां ३ वर्ष ८ माह तक बंदी रहे।
• तरुण मजूमदार
१९५६ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।
आजादी के बाद से अब तक फिजी मे चार तख्तापलट हो चुके हैं, दो 1987 में, एक 2000 में और एक 2006 के अंत में। 1987 के बाद से सेना या तो शासन मे है या उसका निर्वाचित सरकारों पर पूरा प्रभाव है।
माँ, तोर बोदोनखानी मोलीन होले,
समक्ष लम्बित कार्य समाप्त नही हो जाते हैस्थगन – किसी सदन के सभापति द्वारा सत्र के मध्य एक लघुवधि का अन्तराल लाया जाता है इस से
फुन-फुन के साथ बालिकाएं अपने पैरों को दांया बांया, आगे-पीछे सरकाती हुई खेलती है । फुगड़ी के बीच में निम्न गीत गाती है -
That glorious city with well-devised highways is twelve yojana-s lengthwise and three yojana-s breadth wise. [1-5-7]
श्री बलवंत सिंह सन १७४० से १७७० तक काशी राज्य के नरेश रहे।मनसाराम ने भवनों के क्षीण होते साम्राज्य के अन्तिम काल में जान-माल लूट लेने वाले क्रूर दस्युओं से अपनी राजनीतिक सूझबूझ एवं रण-कौशल द्वारा प्रजा की सुरक्षा की और इन अराजक तत्वों की गतिविधियों पर पूर्ण अंकुश लगाकर छिन्न-भिन्न शासन को सुदृढ़ करते हुए नवी राजवंश की स्थापना का श्रेय प्राप्त किया। मनसाराम की नन्दकुमारी नायक पत्नी से बलवन्त मिंह (बरिबन्ड सिंह) का जन्म हुआ, जिन्होंने अपनी शूरवीरता से जीते हुए भूखण्डों का पिता से भी अधिक विस्तार करते हुए गंगापुर से हटकर रामनगर को अपनी राजधानी बनाया और मन् १७४० ई. के आस-पास एक विशआल दुर्ग का निर्माण कराया। दुर्ग में पश्चिम ओर शिव मंदिर का निर्माण करा कर उसमें शिव लिंग की स्थापना की और सुयोग्य सन्तान होने की प्रतिष्ठा प्राप्त की। इस मंदिर के द्वार पर अंकित श्लोकों से महाराज की वंश परम्परा तथआ शासन क्षेत्र का संकेत मिलता है। काशी नरेश पुस्तकालय में उपलब्ध उर्दू ग्रन्थ, 'बलवन्त नामा' से राजा बलवन्त सिंह का जीवन-परिचय एवं शासनकाल का विस्तृत विवरण प्राप्त होता है। आपके दरबार के फलित ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान पं. परमानन्द पाठक ने रामनगर दुर्ग के मुहूर्त-शोधन का कार्य सम्पन्न कराया था। फलित ज्योतिष के उत्कृष्ट ग्रन्थ 'प्रथ्नमाणिक्य-माला' के रचयिता पं. परमानन्द पाठक ही थे। महाराजा बलवन्त सिंह शौर्य सम्पन्न शासक के साथ-साथ धर्मनिष्ठ, संस्कृत्यनुरागी राजपुरुष थे। आपकी गुण-ग्राहकता से राज दरबार में सरस्वती, पुत्रों के पूर्ण आदर एवं सम्मान प्राप्त था, जिससे पं. परमानन्द पाठक एवं अनेक कवि तथा विद्वानों में सुप्रसिद्ध कवि रघुनाथ इत्यादि आपके दरबार में सुप्रसिद्ध कवि रघुनाथ इत्यादि आपके दरबार की शोभा बढ़ाते थे, जिनके द्वारा रचित 'काव्यकलाधर', 'रसिक मोहन', 'इश्क महोत्सव' आदि कृतियों की ठा. शिव सिंह 'सरेज' ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। काशी-राज, परिवार प्रत्येक क्षेत्र के विद्वानों को आदर एवं आश्रय देने में अग्रणी रहा।
हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार, कृतक त्रैलोक्य -- भूः , भुवः और स्वः – ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं। पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान को भुवर्लोक कहते हैं।
ऊपर इसका उल्लेख किया जा चुका है कि बादामी का चालुक्य कीर्तिवर्मन् द्वितीय 8वीं शती के मध्यभाग में राष्ट्रकूटों द्वारा पदच्युत कर दिया गया, जिन्होंने बाद में दक्षिण में दो सौ वर्षों से अधिक काल तक राज्य किया। इस काल में कीर्तिवर्मन् द्वितीय का भाई भीम और उसके उत्तराधिकारी राष्ट्रकूटों के सामंतों की हैसियत से बीजापुर जिले में राज्य करते रहे। इन सांमतों में अंतिम तैल द्वितीय ने दक्षिण में राष्ट्रकूटों के शासन को समाप्त कर दिया और 973 ई. में देश में सार्वभौम सत्ता स्थापित कर ली। वह बड़ी सफलता के साथ चोलों और गंगों से लड़ा, और मालवा के राजा मुंज को बंदी बना लिया, जिसे अंत में उसने मरवा दिया। तैल की प्रारंभिक राजधानी मान्यखेट थी। सन् 993 के कुछ दिनों पश्चात् राजधानी का स्थानांतरण कल्याणी में हो गया जो अब बिहार में है। तैल का पौत्र जयसिंह (सन् 1015-1042) परमार भोज और राजेंद्र चोल से सफलतापूर्वक लड़ा। जयसिंह का बेटा सोमेश्वर (1042-1068) भी चोलों से बड़ी सफलतापूर्वक लड़ा और लाल, मालवा तथा गुर्जर को रौंद डाला। उसका उत्तराधिकार उसके पुत्र सोमेश्वर द्वितीय ने 1069 में सँभाला जिसे उसके छोटे भाई विक्रमादित्य षष्ठ ने 1076 ई. में अपदस्थ कर दिया। विक्रमादित्य कुलोत्तुंग प्रथम से आंध्र देश पर अधिकार करने के निमित्त लड़ा। युद्ध के विभिन्न परिणाम हुए और कुलोत्तंग प्रथम की मृत्यु के पश्चात् (1018 ई.) कुछ काल तक के लिये विक्रमादित्य ने उस प्रदेश कर अपना प्रभुत्व स्थापित रखा। उसने द्वारसमुद्र के "होयसलों" और देवगिरि के यादवों के विद्रोहों का दमन किया और लाल तथा गुर्जर को लूट लिया। उसके दरबार की शोभा कश्मीरी कवि "विल्हण" से थी, जिसने विक्रमांकदेवचरित लिखा है। विक्रमादित्य षष्ठ के पौत्र तैल तृतीय के शासनकाल में सन् 1156 में कलचुरी बिज्जल ने दक्षिण पर सार्वभौम अधिकार कर लिया और चालुक्य सम्राट् की मृत्यु के पश्चात् सन् 1163 में अपने को सम्राट् घोषित कर दिया। तैल तृतीय के पुत्र सोमेश्वर चतुर्थ ने 1181 में कलचुरी से पुन: राजसिंहासन छीन लिया, किंतु 1184 के लगभग फिर यादव भिल्लम को समर्पण करना पड़ा। उसके उत्तराधिकारियों के विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं हैं। चालुक्यवंश की तीन प्रमुख शाखाओं के साथ, जिनका उल्लेख पहले किया जा चुका है, कुछ दूसरी शाखाएँ भी थीं जिन्होंने दक्षिण आंध्र और गुजरात आदि के कुछ भागों में प्रारंभिक काल में शासन किया।
यह वल्लभाचार्य जी के शिष्य और अष्टछाप में थे. सन् 1551 ई. के आसपास वर्तमान थे. इनका निवास स्थान कन्नौज था. इसी से ये कान्यकुब्ज अनुमान किए जाते हैं. अत्यंत तन्मयता के साथ बड़ा ही सरलकविता करते थे. कहते हैं कि इनके किसी एक पद को सुनकर आचार्यजी कई दिनों तक बदन की सुध भूले रहे. इनके फुटकल पद कृष्णभक्तों के मुँह से प्राय: सुनने को आते हैं.
जैसा कि ईरानियों ने अपने बड़े कवियों के साथ किया है, फिरदौसी के मक़बरे के चारों ओर सुंदर बाग है। इधर-उधर उनकी प्रतिमाएं लगी हैं। संगमरमर पर उनकी कविता के विशेष प्रसंगों को उकेरा गया है।[१]
समुद्र तल से तुलना करने पर ईरान का सबसे निचला स्थान उत्तर में कैस्पियन सागर का तट आता है जो २८ मीटर की उचाई पर स्थित है जबकि कूह-ए-दमवन्द जो कैस्पियन तट से सिर्फ ७० किमी. दक्षिण में है, सबसे ऊँचा शिखर है। इसकी समुद्रतल से ऊँचाई ५,६१० मीटर है ।
परमार्थ इन चारों कोटियों से मुक्त होता है और इसीलिए उसके अभिधान के लिए "शून्य" शब्द का प्रयोग हम करते हैं। नागार्जुन के शब्दों में
इस पेज में ध्वन्यात्मक चिन्ह दिये गये हैं जो कुछ ब्राउसर पर शायद ठीक से न दिखें । (सहायता)
इस प्रौद्योगिकी का समर्थन करने वाले DVD रिकॉर्ड योग्य डिस्क, कुछ मौजूदा DVD प्लेयर और DVD-ROM ड्राइव के साथ पार्श्वगामी संगतता बनाए हुए हैं. [२४] कई मौजूदा DVD रिकार्डर, दोहरी परत प्रौद्योगिकी का समर्थन करते हैं, और उनकी कीमत अब एकल परत ड्राइव के बराबर है, यद्यपि ब्लैन्क मीडिया अधिक महंगा बना हुआ है. दोहरी परत मीडिया द्वारा प्राप्त रिकार्डिंग गति अभी भी एकल परत मीडिया से कम है.
को राजकेसरीवर्मन अभय कुलोत्तुंग चोल चोल साम्राज्य का एक महान राजा था।
शिवळ्ळि
माल्टा की संसद में 69 सीटें शामिल होती हैं और ये सीटें दो राजनीतिक दलों में विभाजित हैं, 35 सीटों पर नज़्ज़्जोनलिस्त पार्टी का अधिकार है और 34 सीटें लेबरिस्टा पार्टी के पास हैं.
यदि फोन में हिन्दी प्रदर्शन हेतु समर्थन है तो इनपुट का विकल्प हो भी सकता है और नहीं भी। यदि फोन में हिन्दी इनपुट का विकल्प हो तो हिन्दी में समोसे (SMS) भेजे जा सकते हैं तथा वैब पर कहीं भी टैक्स्ट बॉक्स में हिन्दी लिखी जा सकती है। इस विकल्प के होने पर मोबाइल से हिन्दी में ईमेल भेजने, चिट्ठा लिखने, टिप्पणी करने समेत इण्टरनेट पर तमाम कार्य हिन्दी में किए जा सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जब कैंपे गौड़ा ने १५३७ में बंगलोर की स्थापना की उस समय उसने मिट्टी की चिनाई वाले एक छोटे किले का निर्माण कराया। साथ ही गवीपुरम में उसने गवी गंगाधरेश्वरा मंदिर और बासवा में बसवांगुड़ी मंदिर की स्थापना की। इस किले के अवशेष अभी भी मौजूद हैं जिसका दो शताब्दियों के बाद हैदर अली ने पुनर्निर्माण कराया और टीपू सुल्तान ने उसमें और सुधार कार्य किए। ये स्थल आज भी दर्शनीय है। शहर के मध्य १८६४ में निर्मित कब्बन पार्क और संग्रहालय देखने के योग्य है। १९५८ में निर्मित सचिवालय, गांधी जी के जीवन से संबंधित गांधी भवन, टीपू सुल्तान का सुमेर महल, बाँसगुड़ी तथा हरे कृष्ण मंदिर, लाल बाग, बंगलोर पैलेस साईं बाबा का आश्रम, नृत्यग्राम, बनेरघाट अभयारण्य कुछ ऐसे स्थल हैं जहाँ बंगलोर की यात्रा करने वाले ज़रूर जाना चाहेंगे।
डॉ.विभूति नारायण सिंह भारतीय स्वतंत्रता पूर्व अंतिम नरेश थे। इसके बाद १५ अक्तूबर, १९४८ को राज्य भारतीय संघ में मिल गया। २००० में इनकी मृत्यु उपरांत इनके पुत्र अनंत नारायण सिंह ही काशी नरेश हैं, और इस परंपरा के वाहक हैं।
निर्देशांक: 24°35′33″N 72°42′30″E / 24.5925, 72.7083 समुद्र तल से १२२० मीटर की ऊंचाई पर स्थित माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है। सिरोही जिले में स्थित नीलगिरि की पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां का ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक खूबसूरती सैलानियों को अपनी ओर खींचती है। माउंट आबू पहले चौहान साम्राज्य का हिस्सा था। बाद में सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को राजपूताना मुख्यालय के लिए अंग्रेजों को पट्टे पर दे दिया। ब्रिटिश शासन के दौरान माउंट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेजों का पसंदीदा स्थान था।
यूरोपीय महाद्वीप पर  (गहरा भूरा)  —  [Legend]
उम्र बढ़ने के विकास के उद्देश्य जांच में पशुओं को समझाने के लिए इतने सारे विशाल बहुमत को कमजोर और उम्र के साथ मारी जा रही हाइड्रा मूल के विकासवादी जीव विज्ञान सेनेस्संस अवशेषों की बुनियादी पहेली से एक है. जरा विज्ञान प्रक्रियाओं उम्र बढ़ने के मानव विज्ञान में माहिर हैं.
उत्तरापथ - तक्षशिला
निम्नलिखित तीन ऐसे स्थान है जहाँ पर व्रण प्राय: हो जाते हैं :
यह महाराज शूद्रक की कृति मानी जाती है जो भास और कालिदास के मध्ययुगीन राज कवि हुए है। मृच्छकटिक ईसवी पाँचवीं शती के लगभग की रचना कही जा सकती है। कहा जाता है, भास प्रणीत चारूदत्त नामक चतुरंगी रूपक की कथावस्तु को परिवर्धित कर किसी परवर्ती शूद्र कवि के द्वारा मृच्छकटिक की रचना हुई है। वस्तुत: इसकी कथावस्तु का आधार बृहत्कथा और कथासरित्सागर में वर्णित कथाओं में मिलता है। मृच्छकटिक पर अनेक टीकाएँ लिखी गई। इसके अनेक अनुवाद भी हुए है और अनेक संस्करण भी प्रकाशित हो चुके हैं। उनमें से सर्वप्राचीन टीका पृथ्वीधर की है। जीवानंद ने भी एक व्यापक टीका लिखी। हरिदास की व्याख्या अत्यंत मार्मिक है। आर्थर रायडर द्वारा इसका अंग्रेजी अनुवार हार्वर्ड युनिवर्सिटी सीरीज़ में प्रकाशित हुआ है।
कुछ दूरी तक जोशीमठ के यात्रियों एवं वासियों के जीवन को यहां की द्वार प्रणाली द्वारा नियमित किया जाता है। बद्रीनाथ के लिये गाड़ियां 6-7, 9-10, 11-12 बजे दिन तथा 2-3 एवं 4.30-5.30 बजे दोपहर बाद छूटती हैं। गेट खुलने का समय जैसे ही निकट होता है तो नरसिंह मंदिर के पास पुलिस चौकी से लगभग मुख्य सड़क तक गाड़ियों की सर्पिली पंक्ति बनने लगती है। गर्मियों में एक द्वार पर लगभग 300 गाड़ियां इकट्ठा हो जाती हैं। इसी समय रास्ते पर फेरी वाले व्यस्त हो जाते हैं जो एक गाड़ी से दूसरी गाड़ी के बीच चाय, हल्का नाश्ता, शाल, स्वेटर तथा मनके बेचते हैं। बद्रीनाथ से जैसे ही परिवहन शहर में आता है तो मुख्य सड़क बाजार पर फिर जाम हो जाता है। शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान जाते हुए आपको गेट का ध्यान रखना पड़ता है, ताकि आप ट्रैफिक में न फंसें।
पैदल सेना, अश्‍व सेना, गज सेना, रथ सेना तथा नौ सेना की व्यवस्था थी ।
सामान्य अपराधी व राजनैतिक अपराधी का यह अंतर भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन स्थापित होने के साथ ही प्रारंभ हो गया था। 1793 का ‘ईस्ट इंडिया कंपनी अधिनियम’ गर्वनर-जनरल को यह अधिकार प्रदान करता था कि वह भारत में ब्रिटिश हितों के विरुद्ध कार्य करने वाले किसी भी संदेहास्पद व्यक्ति को बंदी बना सके। यद्यपि, बंदी-प्रत्यक्षीकरण नियम के अंतगर्त एक बंदी को अपने विरुद्ध लगाये गए अभियोगों को जानने, इस निरोधी आदेश के विरुद्ध गर्वनर जनरल को प्रतिवेदन भेजने व अपने बचाव में साक्ष्य प्रस्तुत करने का अधिकार था, परन्तु इस अधिनियम में बंदी को न्यायालय में प्रस्तुत करने हेतु कोई समय-सीमा नहीं रखी गई थी। इस प्रकार किसी राजनैतिक बंदी को बिना मुकदमा चलाए बंदी बनाये रखने का अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने पास रख रखा था। हालांकि, ईस्ट इंडिया कंपनी को यह अवैधानिक अधिकार देने वाली ब्रिटिश संसद यह भली-भांति जानती थी, कि राजसत्ता के इस अधिकार के विरुद्ध चले संघर्ष ने ही ब्रिटेन में लोकतंत्र की नींव रखी थी व संसद को अधिकार संपन्न बनाया था।
इसके विपरीत, GNP (सकल राष्ट्रीय उत्पाद) एक क्षेत्र की 'राष्ट्रीयता' के द्वारा उत्पन्न आउट पुट के मान का मापन करता है. GNP (सकल राष्ट्रीय उत्पादन) इस बात पर ध्यान देता है कि उत्पादन का मालिक कौन है. उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में, GNP (सकल राष्ट्रीय उत्पादन) अमेरिकी कंपनियों द्वारा उत्पादित आउट पुट के मान का मापन करता है चाहे ये कम्पनियां कहीं पर भी स्थित हों. साल दर साल, 2007 में वास्तविक GNP वृद्धि 3.2% थी.
कमलेश्वर (६ जनवरी१९३२-२७ जनवरी २००७) हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। उन्होंने मुंबई में जो टीवी पत्रकारिता की, वो बेहद मायने रखती है। 'कामगार विश्व’ नाम के कार्यक्रम में उन्होंने ग़रीबों, मज़दूरों की पीड़ा-उनकी दुनिया को अपनी आवाज़ दी।
ज्ञानकाण्ड में परमात्मा और आत्मा का तत्व और लोक-परलोक का रहस्य बताया गया है।
भारत के विस्तार के साथ ही इसके मौसम में भी बहुत भिन्नता है। दक्षिण में जहाँ तटीय और गर्म वातावरण रहता है वहीं उत्तर में कड़ी सर्दी, पूर्व में जहाँ अधिक बरसात है वहीं पश्चिम में रेगिस्तान की शुष्कता। भारत में वर्षा मुख्यतया मानसून हवाओं से होती है।
लॉर्ड डलहौजी की राज्य हड़पने की नाति, डाक्ट्रिन औफ़ लैप्स के अन्तर्गत अनेक राज्य जैसे झाँसी, अवध, सतारा, नागपुर और संबलपुर को अंग्रेजी़ राज्य में मिला लिया गया और इनके उत्तराधिकारी राजा से अंग्रेजी़ राज्य से पेंशन पाने वाले कर्मचारी बन गये। शाही घराने, जमींदार और सेनाओं ने अपने आप को बेरोजगार और अधिकारहीन पाया। ये लोग अंग्रेजों के हाथों अपनी शर्मिंदगी और हार का बदला लेने के लिये तैयार थे। लॉर्ड डलहौजी के शासन के आठ वर्षों में दस लाख वर्गमील क्षेत्र को कंपनी के अधिकार मे ले लिया गया। इसके अतिरिक्त ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल सेना में बहुत से सिपाही अवध से भर्ती होते थे, वे अवध में होने वाली घटनाओं से अछूते नही रह सके। नागपुर के शाही घराने के आभूषणों की कलकत्ता में बोली लगायी गयी इस घटना को शाही परिवार के प्रति अनादर के रुप में देखा गया।
मारवाड़ी राजस्थान तथा हिन्दी की एक बोली है। इसकी लिपि देवनागरी है।
इन पर्यटन स्थलों में दोन्यी-पोलो विद्या भवन, विज्ञान संस्थान, इंदिरा गांधी उद्यान और अभियांत्रिकी संस्थान प्रमुख हैं।
राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर केन्द्रीय न्यायपालिका के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों को नियुक्ति करते हैं.अभ्यास में, ये न्यायाधीश वास्तव में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा चुने जाते हैं. राष्ट्रपति न्यायाधीशों को बरखास्त करते हैं अगर संसद के दोनों सदन उस प्रभाव के लिए संकल्प पारित करते हैं जिसमें उपस्थित सदस्यों की दो-तिहाई बहुमत हो.
The Sierra Nevada (Spanish for "snowy range") include the highest peak in the contiguous forty-eight states, Mount Whitney, at 14,505 ft (4,421 m), Yosemite National Park, and the deep freshwater lake, Lake Tahoe, the largest lake in the state by volume. To the east of the Sierra Nevada are Owens Valley and Mono Lake, an essential migratory bird habitat. In the western part of the state is Clear Lake, the largest freshwater lake by area entirely in California. Though Lake Tahoe is larger, it is divided by the California/Nevada border. The Sierra Nevada falls to Arctic temperatures in winter and has several dozen small glaciers, including Palisade Glacier, the southernmost glacier in the United States.
अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात मन्त्र भाग है । इसमें देवताओं की स्तुति के साथ जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं। अथर्ववेद संहिता के बारे में कहा गया है कि जिस राजा के रज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापन के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रवरहित होकर निरन्तर उन्नति करता जाता हैः-
प्रत्‍येक सदस्‍य को उसके कार्यकाल के दौरान वाहन खरीदने के लिए अग्रिम-राशि दी जाती है।
एक भूकंप पृथ्वीकी परत (crust)से ऊर्जा के अचानक उत्पादन के परिणामस्वरूप आता है जो भूकंपी तरंगें (seismic wave) उत्पन्न करता है.भूकंप का रिकार्ड एक सीस्मोमीटर (seismometer) के साथ रखा जाता है, जो सीस्मोग्राफ भी कहलाता है. एक भूकंप का क्षण परिमाण (moment magnitude) पारंपरिक रूप से मापा जाता है, या सम्बंधित और अप्रचलित रिक्टर (Richter) परिमाण लिया जाता है, ३ या कम परिमाण की रिक्टर तीव्रता का भूकंप अक्सर इम्परसेप्टीबल होता है और ७ रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारन होता है. झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने पर (Mercalli scale) किया जाता है.
नेपालकी १ करोड जितनेका कार्यबलमे दक्ष कामदारका कमी है। ८१% कार्यबलको कृषि, १६% सेवा, और ३% उत्पादन/कला-आधारित उद्योग रोजगार प्रदान करताहै।
यह साहित्य उस समय लिखा गया जब हिंदी अपभ्रंश से आधुनिक हिंदी की ओर विकसित हो रही थी। सिद्ध धर्म की वज्रयान शाखा के अनुयायी उस समय सिद्ध कहलाते थे। इनकी संख्या चौरासी मानी गई है। सरहपा (सरोजपाद अथवा सरोजभद्र) प्रथम सिद्ध माने गए हैं। इसके अतिरिक्त शबरपा, लुइपा, डोम्भिपा, कण्हपा, कुक्कुरिपा आदि सिद्ध सहित्य के प्रमुख् कवि है|ये कवि अपनी वाणी का प्रचार जन भाषा मे करते थे| उनकी सहजिया प्रवृत्ति मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति को केंद्र में रखकर निर्धारित हुई थी। इस प्रवृत्ति ने एक प्रकार की स्वच्छंदता को जन्म दिया जिसकी प्रतिक्रिया में नाथ संप्रदाय शुरू हुआ। नाथ-साधु हठयोग पर विशेष बल देते थे। वे योग मार्गी थे। वे निर्गुण निराकार ईश्वर को मानते थे। तथाकथित नीची जातियों के लोगों में से कई पहुंचे हुए सिद्ध एवं नाथ हुए हैं। नाथ-संप्रदाय में गोरखनाथ सबसे महत्वपूर्ण थे। आपकी कई रचनाएं प्राप्त होती हैं। इसके अतिरिक्त चौरन्गीनाथ, गोपीचन्द, भरथरी आदि नाथ पन्थ के प्रमुख कवि है। इस समय की रचनाएं साधारणतः दोहों अथवा पदों में प्राप्त होती हैं, कभी-कभी चौपाई का भी प्रयोग मिलता है। परवर्ती संत-साहित्य पर सिध्दों और विशेषकर नाथों का गहरा प्रभाव पड़ा है।
राम ऋष्यमूक पर्वत के निकट आ गये। उस पर्वत पर अपने मंत्रियों सहित सुग्रीव रहता था। सुग्रीव ने, इस आशंका में कि कहीं बालि ने उसे मारने के लिये उन दोनों वीरों को न भेजा हो, हनुमान को राम और लक्ष्मण के विषय में जानकारी लेने के लिये ब्राह्मण के रूप में भेजा। यह जानने के बाद कि उन्हें बालि ने नहीं भेजा है हनुमान ने राम और सुग्रीव में मित्रता करवा दी। सुग्रीव ने राम को सान्त्वना दी कि जानकी जी मिल जायेंगीं और उन्हें खोजने में वह सहायता देगा साथ ही अपने भाई बालि के अपने ऊपर किये गये अत्याचार के विषय में बताया। राम ने बालि का वध कर के सुग्रीव को किष्किन्धा का राज्य तथा बालि के पुत्र अंगद को युवराज का पद दे दिया।
विष्णु की दोनों मूर्तियों, जो खड़ी अवस्था में हैं, कला की दृष्टि से एक- सी है, परंतु बांयी ओर की मूर्ति कुछ छोटी है। दाहिनी मूर्ति में एक चक्राकार आयुध है, परंतु बांयी मूर्ति में ढ़ोलकीनुमा वस्तु पर चक्र टिका हुआ है।
मुंबई में दो पृथक क्षेत्र हैं: नगर एवं उपनगर, यही महाराष्ट्र के दो जिले भी बनाते हैं। शहरी क्षेत्र को प्रायः द्वीप नगर या आइलैण्ड सिटी कहा जाता है।[३३] नगर का प्रशासन बृहन्मुंबई नगर निगम (बी एम सी) (पूर्व बंबई नगर निगम) के अधीन है, जिसकी कार्यपालक अधिकार नगर निगम आयुक्त, राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक आई ए एस अधिकारी को दिये गए हैं। निगम में 227 पार्षद हैं, जो 24 नगर निगम वार्डों का प्रतिनिधित्व करते हैं, पाँच नामांकित पार्षद व एक महापौर हैं। निगम नागरिक सुविधाओं एवं शहर की अवसंरचना आवश्यकताओं के लिए प्रभारी है। एक सहायक निगम आयुक्त प्रत्येक वार्ड का प्रशासन देखता है। पार्षदों के चुनाव हेतु, लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां अपने प्रत्याशि खड़े करतीं हैं। मुंबई महानगरीय क्षेत्र में 7 नगर निगम व 13 नगर परिषद हैं। बी एम सी के अलावा, यहां ठाणे, कल्याण-डोंभीवली, नवी मुंबई, मीरा भयंदर, भिवंडी-निज़ामपुर एवं उल्हासनगर की नगरमहापालिकाएं व नगरपालिकाएं हैं।[३४]
अग्निमित्र के बाद वसुज्येष्ठ राजा हुआ।
इस विभाग द्वारा हिंदीतरभाषी विदेशी शिक्षार्थियों के लिए निम्नलिखित पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैः
जापानी भाषा (जापानी : 日本語 नीहोंगो) जापान देश की मुख्य- और राजभाषा है । द्वितीय महायुद्ध से पहले कोरिया, फार्मोसा और सखालीन में भी जापानी बोली जाती थी। अब भी कोरिया और फार्मोसा में जापानी जाननेवालों की संख्या पर्याप्त है, परंतु धीरे धीरे उनकी संख्या कम होती जा रही है। भाषाविद इसे अश्लिष्ट-योगात्मक भाषा मानते हैं । जापानी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में नहीं आती -- भाषाविद इसे ख़ुद की जापानी भाषा-परिवार में रखते हैं (कुछ इसे जापानी-कोरियाई भाषा-परिवार में मानते हैं ) । ये दो लिपियों के मिश्रण में लिखी जाती हैं : कांजी लिपि (चीन की चित्र-लिपि) और काना लिपि (अक्षरी लिपि जो स्वयं चीनी लिपिपर आधारित है) । इस भाषा में आदर-सूचक शब्दों का एक बड़ा तंत्र है और बोलने में "पिच-सिस्टम" ज़रूरी होता है । इसमें कई शब्द चीनी भाषा से लिये गये हैं ।
अवन्ति राष्ट्र - उज्जयिनी
सिख आतंकवाद की समाप्ति और खालिस्तान की मांग के मुख्य स्रोत तब नष्ट हुए जब पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने एक सद्भावना संकेत के रूप में भारत सरकार को पंजाब के आतंकवाद से सम्बंधित सभी खुफिया सामग्री सौंप दी. भारत सरकार ने खुफिया जानकारियों का इस्तेमाल भारत में हो रहे आंतकवादी हमलों के पीछे सक्रिय लोगों का खात्मा करने में किया.
अश्‍वमेध यज्ञ- सतारा जिले से प्राप्त १,३९५ मुद्राओं व लेकर पुर से १३ मुद्राओं के सहारे से अश्‍वमेध यज्ञ करने की पुष्टि होती है ।
बोमन ईरानी का पात्र एक चालाक व्यक्ति हैं जो जाह्नवी के भवन को हड़पना चाहता है।
- अभिभावकों के उत्तरदायित्वों का वर के ऊपर, ससुराल वालों के ऊपर स्थानान्तरण होना । अब तक माता-पिता कन्या के भरण-पोषण, विकास, सुरक्षा, सुख-शान्ति, आनन्द-उल्लास आदि का प्रबंध करते थे, अब वह प्रबन्ध वर और उसके कुटुम्बियों को करना होगा । कन्या नये घर में जाकर विरानेपन का अनुभव न करने पाये, उसे स्नेह, सहयोग, सद्भाव की कमी अनुभव न हो, इसका पूरा ध्यान रखना होगा । कन्यादान स्वीकार करते समय-पाणिग्रहण की जिम्मेदारी स्वीकार करते समय, वर तथा उसके अभिभावकों को यह बात भली प्रकार अनुभव कर लेनी चाहिए कि उन्हें उस उत्तरदायित्व को पूरी जिम्मेदारी के साथ निबाहना है । कन्यादान का अर्थ यह नहीं कि जिस प्रकार कोई सम्पत्ति, किसी को बेची या दान कर दी जाती है, उसी प्रकार लड़की को भी एक सम्पत्ति समझकर किसी न किसी को चाहे जो उपयोग करने के लिए दे दिया है । हर मनुष्य की एक स्वतन्त्र सत्ता एवं स्थिति है । कोई मनुष्य किसी मनुष्य को बेच या दान नहीं कर सकता । फिर चाहे वह पिता ही क्यों न हो । व्यक्ति के स्वतन्त्र अस्तित्व एवं अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता, न उसे चुनौती दी जा सकती है । लड़की हो या लड़का अभिभावकों को यह अधिकार नहीं कि वे उन्हें बेचें या दान करें । ऐसा करना तो बच्चे के स्वतन्त्र व्यक्तित्व के तथ्य को ही झुठलाना हो जाएगा । विवाह उभयपक्षीय समझौता है, जिसे वर और वधू दोनों ही पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निर्वाह कर सफल बनाते हैं । यदि कोई किसी को खरीदी या बेची सम्पत्ति के रूप में देखें और उस पर पशुओं जैसा स्वामित्व अनुभव करें या व्यवहार करें, तो यह मानवता के मूलभूत अधिकारों का हनन करना ही होगा । कन्यादान का यह तात्पर्य कदापि नहीं, उसका प्रयोजन इतना ही है कि कन्या के अभिभावक बालिका के जीवन को सुव्यवस्थित, सुविकसित एवं सुख-शान्तिमय बनाने की जिम्मेदारी को वर तथा उसके अभिभावकों पर छोड़ते हैं, जिसे उन्हें मनोयोगपूवर्क निबाहना चाहिए । पराये घर में पहुँचने पर कच्ची उम्र की अनुभवहीन भावुक बालिका को अखरने वाली मनोदशा में होकर गुजरना पड़ता है । इसलिए इस आरम्भिक सन्धिवेला में तो विशेष रूप से वर पक्ष वालों को यह प्रयास करना चाहिए कि हर दृष्टि से वधू को अधिक स्नेह, सहयोग मिलता रहे । कन्या पक्ष वालों को भी यह नहीं सोच लेना चाहिए कि लड़की के पीले हाथ कर दिये, कन्यादान हो गया, अब तो उन्हें कुछ भी करना या सोचना नहीं है । उन्हें भी लड़की के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में योगदान देते रहना है । क्रिया और भावना- कन्या के हाथ हल्दी से पीले करके माता-पिता अपने हाथ में कन्या के हाथ, गुप्तदान का धन और पुष्प रखकर सङ्कल्प बोलते हैं और उन हाथों को वर के हाथों में सौंप देते हैं । वह इन हाथों को गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ अपने हाथों को पकड़कर स्वीकार-शिरोधार्य करता है । भावना करें कि कन्या वर को सौंपते हुए उसके अभिभावक अपने समग्र अधिकार को सौंपते हैं । कन्या के कुल गोत्र अब पितृ परम्परा से नहीं, पति परम्परा के अनुसार होंगे । कन्या को यह भावनात्मक पुरुषार्थ करने तथा पति को उसे स्वीकार करने या निभाने की शक्ति देवशक्तियाँ प्रदान कर रही हैं । इस भावना के साथ कन्यादान का सङ्कल्प बोला जाए । सङ्कल्प पूरा होने पर सङ्कल्पकत्तार् कन्या के हाथ वर के हाथ में सौंप दें ।
en:National Library at Kolkata romanization, जो कि ब्राह्मी परिवार की इण्डिक लिपियों के रोमनकरण हेतु IAST का ही विस्तार है।
सन 1991 से 1996 तक वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष पर रहे.
अनेक साहित्यको ने इस एक हजार वर्ष को इस प्रकार विभाजित किया है :
परकीय शब्दों को आत्मसात् करने की यह भी एक प्रक्रिया है कि अनमेल रूप को काट छाँटकर अपने मेल का बना लेना। हिंदी का "गंगा जी" शब्द अंग्रेजी में गया; पर "गेंजिज" बनाकर। अंग्रेजी "लैंटर्न" शब्द हिंदी ने लिया; पर "लालटेन" बनाकर और "हॉस्पिटल" को "अस्पताल" बनाकर। "हस्पताल" भी हिंदी में गलत है। "हॉस्पिटल" और "डॉक्टर" जैसे रूप हिंदी को ग्राह्य नहीं। हिंदी का व्याकरण नियमन करेगा कि हिंदी में वह उच्चारण है ही नहीं, जिसे स्वर पर उल्टा टोप रख कर प्रकट किया जाता है। यहाँ "मास्टर" की ही तरह डाक्टर" चलता है। हाँ, नागरी लिपि में अंग्रेजी भाषा लिखनी हो तब वह उलटा टोप काम आएगा - द डॉक्टर वाज़ फुलिश"। इसी तरह नागरी में फारसी जैसी भाषा लिखनी हो तो "बाज़ार", "जरूरत" आदि रूप रहेंगे; पर हिंदी में नीचे बिंदी न रहेगी - "जरूरी चीजों के लिए बाजार है।" उर्दू के शेर आदि लिखने हों तो भी नीचे विंदी लग जाएगी। शब्दों का यह रूपनिर्धारण व्याकरण के वर्ण प्रकरण से होगा।
वाला समाज होगा।
इस प्रकार से कैंसर अक्सर कुछ त्रुटियों के कारण एक श्रृंखला अभिक्रिया के रूप में विस्फोटित होता है, ये त्रुटियां संयुक्त होकर अधिक गंभीर त्रुटियां बनाती हैं.
संस्थान प्रबंधन के क्षेत्र में अनुसंधान का पोषण करने में विश्वास रखता है और शिक्षाविदों और उद्योग में योगदान करना उसका लक्ष्य होता है. बिजनेस रिसर्च फेलोशिप कार्यक्रम (BRE), विकासशील और विकसित दोनों बाजारों में पीड़ित उद्योगों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है.
किसी सेवा कार्य (विशेषतः धार्मिक अनुष्टान) के मूल्य के रूप अपनी कन्या को दान में दे देना 'दैव विवाह' कहलाता है।
"मात्र भूतकालाधृत ऐतिहासिक रोमांस अथवा ऐतिहासिक उपन्यास दिशा-निर्देश में असमर्थ हैं. परिणामस्वरूप उनमें वर्तमान का भी योगदान होना चाहिए, चाहे वह कितनी ही अल्प मात्रा में क्यों न हो." - वृन्दावन लाल वर्मा
Sending and Receiving E-Mail in Hindi under Windows : An Overview
एक-एक करके मन्त्रों के क्रम से निधार्रित केन्द्रों को कलावे से बाँधा जाए । तदनुरूप भावना की जाए ।
यह थेल्स का शिष्य था । उसने सर्वप्रथम एक बेबीलोनियन यन्त्र नोमोन बनाया बनाया जो सूर्य घड़ी का कार्य करता था ।
बनारस घराने में एकल वादन बहुत इकसित हुआ है, और कई वादक जैसे पंडित शारदा सहाय, पंडित किशन महाराज[२], और पंडित समता प्रसाद [३], एकल तबला वादन में महारत और प्रसिद्धि प्राप्त हैं। घराने के नये युग के तबला वादकों में पं. कुमार बोस, पं.समर साहा, पं.बालकृष्ण अईयर, पं.शशांक बख्शी, संदीप दास, पार्थसारथी मुखर्जी, सुखविंदर सिंह नामधारी, विनीत व्यास और कई अन्य हैं। बनारसी बाज में २० विभिन्न संयोजन शैलियों और अनेक प्रकार के मिश्रण प्रयुक्त होते हैं।
यथा हि पुरुषः पश्येदादर्शे मुखमात्मनः। एवं सुदर्शनद्वीपो दृश्यते चन्द्रमण्डले॥ द्विरंशे पिप्पलस्तत्र द्विरंशे च शशो महान्।
कितने मोरचे
२-भीष्म साहनी का हानूश
3. ज्ञान प्राप्त कैसे होता है?
कोलकाता में मुख्य तौर पर दो स्टेशन हैं- शियालदाह तथा हावड़ा। कोलकाता रेलमार्ग के माध्यम से भी सभी प्रमुख बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।
सारंगगढ़ के सामंत, रामचंद्र भंज, ने विद्रोह कर, स्वयं को राजा घोषित किया। मुकुंद देव की रामचंद्र भंज से युद्ध में मृत्यु हुई। सुलेमान कर्रानी के पुत्र, बयाज़िद से हार होने पर भंज की भी मृत्यु। उसकी मृत्यु के साथ ही ओडिशा पर अफग़ान शासन आरम्भ हुआ।
तपेदिक, जिसे क्षयरोग, राजयक्ष्मा, यक्ष्मा, गुलिकार्ति तथा टयूबरक्लोसिस (संक्षेप में टी.बी.) कहते है , एक सामन्य किंतु घातक संक्रामक रोग माना जाता है। यह जीवाणु से फैलता है, मुख्य रूप से माइक्रोबैकटीरियम टयूबरक्लोसिस से। यह आम तौर पर फेफ़ेड़ो को प्रभावित करता है किंतु यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र लिम्फतंत्र , संचार तंत्र, मूत्रजनन तंत्र, अस्थि, जोड़ ,यहाँ तक कि त्वचा को भी प्रभावित करता है कुछ अन्य प्रकार के जीवाणु जो यह रोग पैदा कर सकतें है वे है माइक्रोबैकटीरियम बोविस, मा-अफ्रीकनम, मा-कैनेटी, मा-मिक्रोटी किंतु ये प्रजातिय़ाँ आमतौर पर किसी स्वस्थय वयस्क को प्रभावित नहीं करती है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, तीनों सेवाओं के बीच आपसी-निर्भरता का एहसास हो चुका था. इसलिए, भारत सरकार ने थल-सेना, नौ-सेना और वायु-सेना कैडेट्स के प्रशिक्षण के लिए एक इन्टर-सर्विसेस विंग का निर्माण करने की मंज़ूरी दी. इस तरह, जनवरी 1949 में, अकादमी का नाम बदलकर 'आर्म्ड फोर्सेस ऐकडमी' रखा गया. थल-सेना की शाखा प्रेम नगर स्थित वर्तमान परिसर में ही रही और इन्टर-सर्विसेस विंग को क्लेमेन्ट टाउन में स्थापित किया गया. कमान्डेन्ट की पदोन्नति हुई और उन्हें ब्रिगेडियर से मेजर जनरल बनाया गया.
2006 से संयुक्त राष्ट्र मे विश्व के लगभग सारे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त 192 देश है। इस संस्था की संरचन में समान्य सभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय, और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्मिलित है ।
[[[Wikipedia:Citation needed|This section does not cite any references or sources. Please help improve this article by adding citations to reliable sources. Unverifiable material may be challenged and removed. (June 2008)]]]मवेशी (cattle), भेड़ (sheep), सूअर (pig)और विशेष पक्षियों (chicken)और मुर्गों (fowl)के ह्रदय कई देशों में खाए जाते हैं.उन्हें मगज या ओफ्फल (offal) कहा जाता है, लेकिन एक मांस होने की वजह से ह्रदय का स्वाद सामान्य मांस की तरह का ही होता है.यह संरचना और स्वाद में हिरन के मांस (venison)से मिलता जुलता होता है.
कार दौड़ प्रतियोगिताओं मे चेन्नई का नाम भारत मे सर्वप्रथम लिया जाता है। श्रीपेरम्बदूर मे स्थित इरुन्गट्टुकोट्टाइ मे एक रेस ट्रेक जो अन्तराष्ट्रीय कार दौड़ प्रतियोगिता के लिये उपयोग मे लिया जाता है।[८४] घुड़दौड़ गिंडी रेस कोर्स मे आयोजित होती है। मद्रास बोट क्लब नौकायान प्रतियोगिता का आयोजन करता है। चेन्नई मे दो गोल्फ़ के मैदान है: कॉस्मोपालिटन क्लब और जिमखाना क्लब। विश्वप्रसिद्ध शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथ आनंद का बचपन भी चेन्नई मे बीता है।[८५][८६][८७] २००६ के राष्ट्रमंडल खेलो मे टेबल टेनिस मे स्वर्ण जीतने वाले शरथ कमाल[८८] और दो बार की विश्व कैरम विजेता मारिया इरुदयम भी चेन्नई के निवासी है।[८९]
(ङ) विशुद्ध शस्त्रीय वाङमय (शस्त्र) के प्राचीन स्तर से हटकर आज के कोश वैज्ञानिक अथवा विज्ञानकल्प रचनाप्रक्रिया के स्तर पर पहुँच गए । ये कोश रूपविकास ऐर अर्थविकास की ऐतिहासिक प्रमाणिकता के साथ साथ भाषवैज्ञानिक सिद्धांत की संगति ढूँढने का पूर्ण प्रयत्न करते हैं । आधुनिक भाषाओं के तद्भव, देशी और विदेशी शब्दों के मूल और स्त्रोत ढ़ूँढने की चेष्टा की जाती है । कभी कभी प्राचीन भाषा या भाषाओ के मूलस्त्रोतों की गवेषण के व्युत्पत्ति- दर्शन के सदर्भ में महत्वपूर्ण प्रयास होता है । बहुभाषी पर्यायकीशों में एतिहासिक ऐर तुलना मक भआषाविज्ञान के सहयोग सहायता द्वारा स्त्रोतभाष के कल्पनानिदिप्ट रूप अंगीकृत होते हैं । उदाहरणर्थ प्रचीन भारत योरोपी— आर्यभाषा के बहुभाषी तुलनात्मक कोशों में मूल आर्यभाषा ( या आयोँ के ' फादर लैग्वेज') के कलिपत मृलख्वपो वा अनुमान किया जाता है । दसरे शबदो में इसका तात्पर्य यह है कि आधुनिक उत्कृष्ट कोशों में जहां एक ओर प्राचीन और पूर्ववर्ती वाङ् मय का शब्दप्रयोग के त्रमिक ज्ञान के लिये ऐतिहासिक अध्ययन होता है वहां भाषाविज्ञान के ऐतिहासिक, तुलनात्मक और वर्णनात्मक दुष्टिपक्षओं का प्रौढ़ सहयोग और विनियोग अपेक्षइत रहता है । कोशविज्ञान की नूतन रचानाप्रत्रिया आज के युग में भाषाविज्ञान के नाना श्रंगों से बहुत ही प्रभावित हो गई है । इस प्रभाव की दूर गामी व्याप्ति का नीच की पंत्कियों मनें सक्षेपत: सकेत किया जा रहा है ।
फिरोजाबाद भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है । फिरोजपुर नाम से एक जिला पंजाब में है ।
Біздің ел осындай!
सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि को होता है। भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा से सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, उसी को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
पौराणिक-महाकाव्य युग की महान विभूति, महाभारत, अट्ठारह पुराण, श्रीमद्भागवत, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा जैसे अद्वितीय साहित्य-दर्शन के प्रणेता वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग ३००० ई. पूर्व में हुआ था। वेदांत दर्शन, अद्वैतवाद के संस्थापक वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे। पत्नी आरुणी से उत्पन्न इनके पुत्र थे महान बाल योगी शुकदेव। श्रीमद्भागवत गीता विश्व के सबसे बड़े महाकाव्य 'महाभारत' का ही अंश है। रामनगर के किले में और व्यास नगर में वेदव्यास का मंदिर है जहॉ माघ में प्रत्येक सोमवार मेला लगता है। गुरु पूर्णिमा का प्रसिद्ध पर्व व्यास जी की जयन्ती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
टमाटर युद्ध स्पेन में लगभग 60 वर्षों से मनाया जा रहा है। टोमेटिना नामक महोत्सव यहाँ के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह महोत्सव विदेशी पर्यटक के आकर्षण का केंद्र भी है और हज़ारों की संख्या में पर्यटक इसमें हिस्सा लेते हैं। इस महोत्सव के प्रारंभ को लेकर कई तरह के मतभेद भी हैं। कई लोग इसे 61 साल पुराना मानते हैं। महोत्सव के विषय में प्रमुख कथा यह है कि वर्षों पहले कुछ दोस्तों के एक दल ने एक दूसरे पर टमाटर फेंकना शुरू किया जो बाद में एक वार्षिक महोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा। [१]
आचार्य द्विवेदी के कई निबंध 'सांस्कृतिक विचारधारा' के अंतर्गत रखे जा सकते हैं. उनके निबंधों का वैभव भी दर्शनीय है. रसमय भाषा, कल्पना एवं वैचारिक मौलिकता का जैसा अद्भुत संगम उनके निबंधों में प्रस्तुत होता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है. उनकी परम्परा (अथवा समकालीनों) में उल्लेखनीय हैं कुबेरनाथ राय, विद्यानिवास मिश्र, कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर', रामनारायण उपाध्याय आदि के ललित निबंध. आचार्य गणपतिचन्द्र गुप्त ने ललित निबंधों में शैली के लालित्य एवं कल्पना के वैभव की तो चर्चा की है, पर विचारों की मौलिकता का अभाव बताया है.[२०] इस दृष्टि से आचार्य द्विवेदी का परवर्ती दुर्लभ है.
जवाहर लाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद में एक धनाढ्य वकील मोतीलाल नेहरू के घर हुआ था। उनकी माँ का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। वह मोतीलाल नेहरू के इकलौते पुत्र थे। इनके अलावा मोती लाल नेहरू को तीन पुत्रियां थीं। नेहरू कश्मीरी वंश के सारस्वत ब्राह्मण थे।
भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहरलाल नेहरु अर्बन रिन्यूअल मिशन(JNNURM) के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है, जिसके अन्तर्गत शहरी अवसंरचना में सुधार, दक्ष प्रशासन एवं शहरी नागरिकों हेतु आधारभूत सुविधाओं का प्रयोजन करना है। [४]
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रामघाट से 2 किमी. की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार जानकी कुण्ड स्थित है। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी कहा जाता था। माना जाता है कि जानकी यहां स्नान करती थीं। जानकी कुण्ड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर है।
अंडमान एवं निकोबार: भूपिंदर सिंहचंडीगढ: एस एफ रोड्रिग्सदादरा नागर हवेली: आर के वर्मादिल्ली: तेजेन्द्र खन्नादमन एवं दीव: अरुण माथुरलक्षद्वीप: बी वी सेल्वाराजपांडिचेरी: मुकुट मीथी
धार से लगभग 40 किमी. दूर सरदारपुर तहसील में अमझेरा गांव स्थित है। इस गांव में शैव और वैष्णव संप्रदाय के अनेक प्राचीन मंदिर बने हुए हैं। यहां के अधिकांश शैव मंदिर महादेव, चामुंडा, अंबिका को समर्पित हैं। लक्ष्मीनारायण और चतुभरुजंता मंदिर वैष्णव संप्रदाय के लोकप्रिय मंदिर हैं। गांव के निकट ही ब्रह्म कुंड और सूर्य कुंड नामक दो टैंक हैं। गांव के पास ही राजपूत सरदारों को समर्पित तीन स्मारक बने हुए हैं। जोधपुर के राजा राम सिंह राठौर ने 18-19वीं शताब्दी के बीच यहां एक किला भी बनवाया था। किले में इस काल के तीन शानदार महल भी बने हुए हैं। किले के रंगमहल में बनें भिति‍चित्रों से दरबारी जीवन की झलक देखने को मिलती है। amzera ke liye kaha jata hai ki yahi se Bhagwan Shri KRISHNA ne RUKMANI ji ka haran kiya tha.. yaha purv-uttar me Mata AMKA JHAMKA KA MANDIR hai janha RUKMANI pratidin pujan ke liye jahti thi
प्राचीन मिस्रवासी स्वच्छता और प्रस्तुतीकरण को अत्यधिक महत्व देते थे. अधिकांश लोग नील नदी में स्नान करते थे और पशु वसा और चाक से निर्मित एक लेईदार साबुन का प्रयोग करते थे. सफाई के लिए पुरुष अपने पूरे शरीर की हजामत करते थे और खुशबूदार इत्र और मलहम से दुर्गन्ध को दूर और त्वचा को नरम किया जाता था.[१२४] कपड़े, सफेद रंग में प्रक्षालित साधारण सन की शीट से बने होते थे, और उच्च वर्ग के पुरुष और महिलाएं, दोनों विग, गहने, और प्रसाधन सामग्री धारण करते थे. बच्चे परिपक्व होने तक बिना कपड़ों के रहते थे, करीब 12 वर्ष की उम्र तक, और इस उम्र में पुरुषों का खतना किया जाता था और उनके सिर मुंडा दिए जाते थे. बच्चों की देखभाल का ज़िम्मा मां का होता था, जबकि पिता परिवार को आय प्रदान करते थे.[१२५]
६१३ इस्वी के आसपास एक अरबी दफ़ातर ने लोगों में एक दिव्य ज्ञान का प्रचार किया । आपका कहना था कि आपको इसका ज्ञान अल्लाह के फरिश्ते जिब्राईल ने दिया और प्रत्येक इन्सान को उन्हीं तरीकों को अपनाना चाहिए । आपका का नाम मुहम्मद (स्०) था और उनकी बीवि का नाम खादीजा था । लोगों को उनकी बात पर या तो यकीन नहीं आया या साधारण सी लगी । पर गरीबों को ये बात बहुत पसन्द आई कि किसी का शोषण नहीं करना चाहिए जो यह करेगा उसे कयामत के दिन नरक का प्राप्ति होगी । लोगों के बीच समानता के भाव की बात दलितों और निचले तबकों में लोकप्रियता मिलने लगी । फिर धीरे धीरे और लोग भी उनके अनुयायी बनने लगे । उनकी बढ़ती ख्याति देखकर मक्का के कबीलों को अपनी लोकप्रियता और सत्ता खो देने का भय हुआ और उन्होंने मुहम्मद (स्०) को सन् ६२२ (हिजरी) में मक्का छोड़ने को विवश कर दिया । वो मदीना चले आए जहाँ लोगों, खासकर संभ्रांत कुल के लोगं और यहूदियों से उन्हे समर्थन मिला । इसके बाद उनके अनुचरों की संख्या और शक्ति बढती गई । मुहम्मद (स्०) ने मक्का पर चढ़ाई कर दी और वहाँ के प्रधान ने हार मान ली । उनके 'संदेश' से और लोग प्रभावित होने लगे और उनकी प्रभुसत्ता में विश्वास करने लगे । उसके बाद मुहम्मद ने अपने नेतृत्व में कई ऐसे सैनिक अभियान भी चलाए जिनमें उनका विरोध करने वालों को हरा दिया गया । सन् ६३२ में मुहम्मद साहब की मृत्यु तक लगभग सारा अरब प्रायद्वीप मुहम्मद साबह के संदेश को कुबूल कर चुका था । इन लोगों को मुस्लिम कहा जाने लगा ।
सिक्किम में लगभग सभी आवास देहाती हैं जो मुख्यत: कड़े बाँस के ढाँचे पर लचीले बाँस का आवरण डाल कर नानाये? जाते हैं। आवास में ऊष्मा का संरक्षण करने के लिए इस पर गाय के गोबर का लेप भी किया जाता है । राज्य के अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में अधिकतर लकड़ी के घर बनाये जाते हैं।
"हमारे ब्रह्माण्ड के सम्पूर्ण ग्रह, उपग्रह और सूर्य तथा तारे आदि अन्तरीक्ष में आखिर किस सिद्धान्त के कारण, अपनी कक्षा से बाहर नहीं निकल पाते तथा केवल अपनी ही गोलाकार कक्षा में ही स्थित रहते हुए, अपने-अपने केंद्र की निरंतर परिक्रमा करते रहते है?"
एक गलतफहमी होती है कि ग्रीस, धूल से टचस्क्रीन में खराबी आती है। ऐसा पूरी तरह सही नहीं होगा। कांच की सतह वाली टचस्क्रीन में धूल, गंदगी, नमी और घरेलू सफाई के एजेंट का मुकाबला करने में सक्षम होते हैं। दूसरे सूर्य के प्रकाश में टचस्क्रीन के डिस्प्ले खराब नहीं होते, जैसा कि प्रचलित किंवदंती है। डिस्प्ले की दृश्यता, गुणवत्ता और कंट्रास्ट पर निर्भरता करती है।
नेक हिये में जो आवत ही जड़ मूढ़ महा रसखान कहावै।।
इराक़ के इतिहास का आरंभ बेबिलोनिया और उसी क्षेत्र में आरंभ हुए कई अन्य सभ्यताओं से होता है। लगभग 5000 ईसापूर्व से सुमेरिया की सभ्यता इस क्षेत्र में फल-फूल रही थी। इसके बाद बेबीलोनिया, असीरिया तथा अक्कद के राज्य आए । इस समय की सभ्यता को पश्चिमी देश एक महान सभ्यता के रूप में देखते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि लेखन का विकास सर्वप्रथम यहीं हुआ। इसके अलावा विज्ञान, गणित तथा कुछ अन्य विधाओं का सबसे आरंभिक प्रमाण भी यहीं मिलता है। इसका दूसरा प्रमुख कारण ये है कि मेसोपोटामिया (आधुनिक दज़ला और फ़ुरात नदियों की घाटी का क्षेत्र) को प्राचीन ईसाई और यहूदी पूर्वजों का निवास स्थान माना जाता है। आरंभ के यूरोपीय इतिहासकारों ने बाईबल के मुताबिक इतिहास की शुरुआत 4400 ईसापूर्व माना था। इसकारण बेबीलोन (जिसे बाबिली सभ्यता भी कहा जाता था) तथा अन्य सभ्यताओं को दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता माना गया । हँलांकि वैज्ञानिक विधियों से इसकी संतोषजनक पुष्टि होती है, इस बात को बाद के यूरोपीय इतिहासकारों ने मानने से मना कर दिया कि यहीं से इंसान की उत्पत्ति हुई थी। इस स्थल को यहूदियों तथा इसाईयों के (और इस कारण इस्लाम के कुछ) धर्मगुरुओं (पैग़म्बरों तथा मसीहों) का मूल-स्थल मानने पर अधिकांश इतिहासकार सहमत हैं।
कुछ देशों में दुर्लभ 400 और 450 MHz फ़्रीक्वेन्सी बैंड निर्दिष्ट किए गए हैं, जहां इन फ़्रीक्वेन्सियों का उपयोग पहली पीढ़ी की प्रणालियों के लिए हो रहा था.
मीराबाई रैदास को अपना गुरु मानते हुए कहती हैं -
दान के महादान, लघुदान और सामानय दान प्रभृति अनेक भेद गिनाए गए हैं। महादान भी 16 तरह के कहे गए हैं। इनमें तुलादान को प्राथमिकता मिली हैं। इस तुलादान का अनुष्ठान तीन दिनों में संपन्न हाता है। प्रथम दिन तुलादान करनेवाला व्यक्ति और उस अनुष्ठान को संपादित करानेवाले विद्वान् लोग दूसरे दिन उपवास और नियमपालन करने का संकल्प करते हैं दूसरे दिन प्रात:काल उठकर अपने आवश्यक दैहिक कृत्य से निवृत्त होकर स्नान और दैनिक आह्निक से छुट्टी पाकर अनुष्ठानमंडप के निकट उपस्थित होते हैं। प्रारंभ में संकल्पपूर्वक महागणपतिपूजन, मातृकापूजन, वसोर्धारापूजन, नांदीश्राद्ध और पुण्याहवाचन होता है। प्रथम शुद्ध की हुई भूमि पर मंडप, कुंड और वेदियों का जो निर्माण हो चुका है उसका संस्कार किया जाता है वस्त्र, अलंकार और पताका से मंडप का प्रसाधन किया जाता है। यजमान के द्वारा अनुष्ठान के निमित्त आचार्य, ब्रह्मा और ऋत्विजों का वरण किया जाता है। सभी विद्वानों का मधुपर्क से अर्चन होता है। इस प्रकार के महादान के अवसर पर चारों वेदों के जानकार विद्वानों की अपेक्षा होती है। आचार्य की जानकारी उसी वेद की होनी चाहिए जो वेद यजमान का हो। यजमान के वेद के अनुसार अनुष्ठान का समस्त कार्य होना चाहिए। अन्य वेदों के जानकार विद्वानों में ऋग्वेदी विद्वान् मंडप के पूर्व द्वार पर, यजुर्वेदी विद्वान् दक्षिण द्वार पर, सामवेदी विद्वान् पश्चिम द्वार पर और अथर्ववेदी विद्वान् उत्तर द्वार पर बैठते हैं। वहीं पर बैठे हुए रक्षा एवं शांति के निमित्त वैदिक मंत्रपाठ करते हैं।
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हाल की मोहाली की महा योजना के तहत शहर ११४ सेक्टर तक खिंच गया है।
युग फारसी भाषा के साहित्य की वास्तविक उन्नति का समय है। वस्तुत: इसी युग में फारसी के बड़े बड़े साहित्यकार उत्पन्न हुए, जिन्होंने आनेवाली पीढ़ियों के कवियों तथा लेखकों के लिए मार्ग प्रशस्त किया था। अभी तक जो फारसी साहित्य था वह कविता अर्थात् पद्य तक सीमित था। परंतु इस युग में फारसी गद्य ने भी उन्नति की।
रामेश्वरम शब्द के कई अर्थ हो सकते हैं:-
Main hostel
हर घाट की अपनी अलग-अलग कहानी है। तुलसीघाट प्रसिद्ध कवि तुलसीदास से संबंधित है। तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी। कहा जाता है कि तुलसीदास ने अपना आखिरी समय यहीं व्‍यतीत किया था। इसी के समीप बच्‍चाराजा घाट है। यहीं पर जैनों के सातवें तीर्थंकर सुपर्श्‍वनाथ का जन्‍म हुआ था। अब यह जैनघाट के नाम से जाना जाता है। चेत सिंह घाट एक किला की तरह लगता है। चेत सिंह बनारस के एक साहसी राजा थे जिन्‍होंने 1781 ई. में वॉरेन हेस्टिंगस की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। महानिर्वाणी घाट में महात्‍मा बुद्ध ने स्‍नान किया था। हरिश्‍चंद्र घाट का संबंध राजा हरिश्‍चंद्र से है। मणिकर्णिघाट पर स्थित भवनों का निर्माण पेशवा बाजीराव तथा अहिल्‍याबाई होल्‍कर ने करवाया था। 'दूध का कर्ज' मंदिर को जरुर देखना चाहिए। लोक कथाओं के अनुसार एक अमीर घमण्‍डी पुत्र ने इस मंदिर को बनवाया और इसे अपनी मां को समर्पित कर दिया। उसने अपनी मां से कहा मैंने तेरे लिए मंदिर बनवाकर तेरा कर्ज चुका दिया। तब उसकी मां ने कहा कि दूध का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता। तभी से इस मंदिर का नाम दूध का कर्ज मंदिर पड़ गया। पंचगंगा घाट भी काशी के ऐतिहासिक गंगा घाटों में एक है.ये विष्णु काशी क्षेत्र में आता है. यहां कार्तिक माह में स्नान का बड़ा पुण्य माना गया है. कार्तिक में आकाशी द्वीप जलाने की सदियों पुरानी परम्परा है. यहीं पर ऐतिहासिक विन्दु माधव भगवान का मंदिर , रामानंदाचार्य पीठ के नाम से विख्यात श्रीमठ और तैलंग स्वामी का समाधी स्थल भी है. पंचगंगा घाट की सीढियों पर हीं कभी कबीर दास को स्वामी रामानंद ने तारक राममंत्र की दीक्षा दी थी और उन्हें अपना शिष्य बनाया था. देव दीपावली के दिन यहां मेला सजता है. श्रीमठ के पास हीं रानी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित हजारा द्वीप स्तम्भ भी दर्शनीय है. गांगा घाटों की सैर करने वाले हजारो तीर्थयात्री प्रतिदिन वहां रूके वगैर आगे नहीं बढ़ते.
उन्होंने केवल छात्रवृत्ति के सहारे शिक्षा प्राप्त की। बुद्धिमान और होनहार बालक होने के कारण उन्हें छात्रवृत्तियां प्राप्त करने में कठिनाई नहीं हुई। प्रारंभिक दिन बड़े ही कष्ट में बीते।
6. सूर ने स्थान-स्थान पर कूट पद भी लिखे हैं।
थोड़ी देर बाद गोबिंद राय बाहर से आया तो माता गूजरी ने उसे फकीर बाबा के सामने खड़ा कर दिया। बालक को देखकर फकीर बाबा ने दो कटोरों में पानी भरकर उसके सामने रखा और बोला, ‘‘पुत्र ! इन दो कटोरों में से किसी भी एक कटोरे को छुओ। मैं तुम्हारी धर्म-आस्था की परीक्षा लेना चाहता हूं। ये दोनों कटोरे विभिन्न धर्मों से संबंधित हैं। मैं देखना चाहता हूं कि तुम्हारी आस्था किस धर्म में है।’’
वास्तव में, एक जीव से कैंसर आमतौर पर उसी प्रजाति के दूसरे जीव में तभी वृद्धि करता है जब उन दोनों में समान उतक असंगति के जीन हों [२७], चूहों का उपयोग करके ऐसा सिद्ध किया गया है; हालांकि ऊपर वर्णित स्थिति के अलावा वास्तविक दुनिया में ऐसा कभी नहीं होता है.
१९१९ में यूरोप में आर्मेनियाई साम्राज्य
Niger borders seven countries on all sides and has a total of 5,697 kilometres (3,540 mi) of borders. The longest border is Nigeria to the south (1,497 km; 930 mi). This is followed by Chad to the east, at 1,175 kilometres (730 mi), Algeria to the north-northwest (956 km; 594 mi), and Mali at 821 kilometres (510 mi). Niger also has small borders in its far southwest frontier with Burkina Faso at 628 kilometres (390 mi) and Benin at 266 kilometres (165 mi) and to the north-northeast (Libya at 354 kilometres (220 mi).
3. अवशेष शक्ति जम्मू कश्मीर विधान सभा के पास होती है
जॉर्जिया (საქართველო, "साखार्थ्वेलो") — ट्रांसकाकेशिया क्षेत्र के केंद्रवर्ती तथा पश्चिमी अंश में कृष्ण सागर के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। सन् 1991 तक यह जॉर्जियाई सोवियत समाजवादी गणतंत्र के रूप में सोवियत संघ के 15 गणतंत्रों में से एक था। जॉर्जिया की सीमा उत्तर में रूस से, पूर्व में अज़रबैजान से और दक्षिण में आर्मीनिया तथा तुर्की से मिलती है।
२००० में संयुक्त राज्य अमेरिका में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में गणित संकाय के पदों पर लगभग २१००० फुल टाईम लोग लगे हुए थे.इन पदों में लगभग ३६% संस्थानों में हैं जिन्हें गणित में स्नातक की डिग्री प्राप्त है. संस्थानों में २३ % को मास्टर डिग्री प्राप्त है, और ४१% को डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त है.
गार्गी- चन्द्रलोक किसमें ओतप्रोत है?
यक्ष, पहली-दूसरी शताब्दी।
मनोविज्ञान का यह क्षेत्र मानव प्रयोगात्मक विज्ञान (Human experimental Psychology) के समान है। सिर्फ अन्तर इतना ही है कि यहाँ प्रयोग पशुओं जैसे—चूहों, बिल्लियों, कुत्तों, बन्दरों, वनमानुषों आदि पर किया जाता है। पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में अधिकतर शोध सीखने की प्रक्रिया तथा व्यवहार के जैविक पहलुओं के अध्ययन में किया गया है। पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में स्कीनर, गथरी, पैवलव, टॉलमैन आदि का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है। सच्चाई यह है कि सीखने के आधुनिक सिद्घान्त तथा मानव व्यवहार के जैविक पहलू के बारे में हम आज जो कुछ भी जानते हैं, उसका आधार पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान ही है। इस मनोविज्ञान में पशुओं के व्यवहारों को समझने की कोशिश की जाती है। कुछ लोगों का मत है कि यदि मनोविज्ञान का मुख्य संबंध मानव व्यवहार के अध्ययन से है तो पशुओं के व्यवहारों का अध्ययन करना कोई अधिक तर्कसंगत बात नहीं दिखता। परंतु मनोविज्ञानियों के पास कुछ ऐसी बाध्यताएँ हैं जिनके कारण वे पशुओं के व्यवहार में अभिरुचि दिखलाते हैं। जैसे पशु व्यवहार का अध्ययन कम खर्चीला होता है। फिर कुछ ऐसे प्रयोग हैं जो मनुष्यों पर नैतिक दृष्टिकोण से करना संभव नहीं है तथा पशुओं का जीवन अवधि (life span) का लघु होना प्रमुख ऐसे कारण हैं। मानव एवं पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में कुछ मनोविज्ञानियों की संख्या का करीब 14% मनोविज्ञानी कार्यरत है।
ॐ तस्माद् यज्ञात्सवर्हुतऽ, ऋचः सामानि जज्ञिरे । छन्दां सि जज्ञिरे तस्माद्, यजुस्तस्मादजायत॥ -३१.७
जनसंख्या - 27,04,056 (2001 जनगणना)
(7) षाड्गुण्य, (8) व्यसनाधिकरण, (9) अभियास्यत्कर्माधिकरणा,
आजकल कुछ बिनकर पहले दिए गए आॅर्डर के वस्रों तथा साड़ियों में असली जरी लगाते हैं। हालांकि असली जरी का प्रयोग बहुत ही कम होता है, फिर भी परम्परा जीवित है।
चीन टेलीकॉम और चीन यूनिकॉम दो भीमकाय ब्रॉडबैण्ड सेवा प्रदाता हैं, जिनके पास विश्व ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ताओं का २०% भाग है, जबकि पश्चातवर्ती दस सबसे बड़े ब्रॉडबैण्ड सेवा प्रदाताओं के पास विश्व के ३९% प्रतिशत उपभोक्ता हैं। चीन टेलीकॉम के पास ५.५ करोड़ ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ता हैं और चीन यूनिकॉम जिसके पास ४ करोड़ उपभोक्ता है जबकि तीसरे सबसे बड़े प्रदाता एनटीटी के पास केवल १.८ करोड़ उपभोक्ता हैं। आने वाले वर्षों में इन शीर्ष के दो सञ्चालकों और विश्व के अन्य ब्रॉडबैण्ड सेवा प्रदाताओं के बीच का अन्तर बढ़ता ही जाएगा, क्योंकि जहाँ चीन का ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ता बाज़ार फैल रहा है वहीं अन्य आईएसपी पूर्णतः विकसित बाज़ारों में सञ्चालन कर रहे हैं, जहाँ पहले से ही ब्रॉडबैण्ड फैलाव है और उपभोक्ता वृद्धि दर तेज़ी से कम हो रही है।
बनवारीलाल जोशी (जन्म २७ मार्च १९३६) भारत के कई राज्यों के उपराज्यपाल एवं राज्यपाल रह चुके हैं। ये उत्तराखंड के राज्यपाल रहे अक्तूबर २००७ से। इससे पूर्व ये दिल्ली के भी उपराज्यपाल रह चुके हैं, २००४ से २००७ के बीच। फिर ये मेघालय के राज्यपाल बने २००७ में।
19. रामकथा: कालजयी चेतना, लेखिका: डॉ.(श्रीमती)के.सी.सिंधु, 2007 ई., वाणी प्रकाशन, नई दिल्लीन।
No.fo villages------ 4122
कांस्य युग की तलवार
अमरकंटक नर्मदा नदी, सोन नदी और जोहिला नदी का उदगम स्थान है। यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित है । यह हिंदुओं का पवित्र स्थल है।मैकाल की पहाडि़यों में स्थित अमरकंटक मध्‍य प्रदेश के अनूपपुर जिले का लोकप्रिय हिन्‍दू तीर्थस्‍थल है। समुद्र तल से 1065 मीटर ऊंचे इस स्‍थान पर ही मध्‍य भारत के विंध्य और सतपुड़ा की पहाडि़यों का मेल होता है। चारों ओर से टीक और महुआ के पेड़ो से घिरे अमरकंटक से ही नर्मदा और सोन नदी की उत्‍पत्ति होती है। नर्मदा नदी यहां से पश्चिम की तरफ और सोन नदी पूर्व दिशा में बहती है। यहां के खूबसूरत झरने, पवित्र तालाब, ऊंची पहाडि़यों और शांत वातावरण सैलानियों को मंत्रमुग्‍ध कर देते हैं। प्रकृति प्रेमी और धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को यह स्‍थान काफी पसंद आता है। अमरकंटक का बहुत सी परंपराओं और किवदंतियों से संबंध रहा है। कहा जाता है कि भगवान शिव की पुत्री नर्मदा जीवनदायिनी नदी रूप में यहां से बहती है। माता नर्मदा को समर्पित यहां अनेक मंदिर बने हुए हैं,जिन्‍हें दुर्गा की प्रतिमूर्ति माना जाता है। अमरकंटक बहुत से आयुर्वेदिक पौधों मे लिए भी प्रसिद्ध है‍, जिन्‍हें किंवदंतियों के अनुसार जीवनदायी गुणों से भरपूर माना जाता है।
तैमूर के आक्रमण से तथा उत्तराधिकारी के अभाव में यह वंश १४१४ में समाप्त हो गया जिसके बाद सय्यद वंश का शासन आया ।
भारतीय खानपान बहुत ही समृद्ध है। शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनो तरह का खाना पसन्द किया जाता है। भारतीय व्यंजन विदेशों में भी बहुत पसन्द किए जाते है।
शहर में लोक सभा की छः व महाराष्ट्र विधान सभा की चौंतीस सीटें हैं। मुंबई की महापौर शुभा रावल हैं, नगर निगम आयुक्त हैं जयराज फाटाक एवं शेर्रिफ हैं इंदु साहनी।
नमस्ते या नमस्कार या नमस्कारम् भारतीय उपमहाद्वीप में अभिनन्दन या अभिवादन करने के सामान्य तरीके हैं। यद्यपि नमस्कार को नमस्ते की तुलना में ज्यादा औपचारिक माना जाता है, दोनों ही गहरे सम्मान के सूचक शब्द हैं. आम तौर पर इसे भारत और नेपाल में हिन्दू, जैन और बौद्ध लोग प्रयोग करते हैं, कई लोग इसे भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर भी प्रयोग करते हैं. भारतीय और नेपाली संस्कृति में ये शब्द लिखित या मौखिक बोलचाल की शुरुआत में प्रयोग किया जाता है. हालाँकि विदा होते समय भी हाथ जोड़े हुए यही मुद्रा बिना कुछ कहे बनायी जाती है. योग में , योग गुरु और योग शिष्यों द्वारा बोले जाने वाली बात के आधार पर नमस्ते का मतलब "मेरे भीतर की रोशनी तुम्हारे अन्दर की रोशनी का सत्कार करती है " होता है
शुधार मोतो,
कन्नड तथा कर्नाटक शब्दों की व्युत्पत्ति के संबंध में यदि किसी विद्वान् का यह मत है कि "कंरिदुअनाडु" अर्थात् "काली मिट्टी का देश" से कन्नड शब्द बना है तो दूसरे विद्वान् के अनुसार "कपितु नाडु" अर्थात् "सुगंधित देश" से "कन्नाडु" और "कन्नाडु" से "कन्नड" की व्युत्पत्ति हुई है। कन्नड साहित्य के इतिहासकार आर.नरसिंहाचार ने इस मत को स्वीकार किया है। कुछ वैयाकरणों का कथन है कि कन्नड़ संस्कृत शब्द "कर्नाट" का तद्भूव रूप है। यह भी कहा जाता है कि "कर्णयो अटति इति कर्नाटक" अर्थात जो कानों में गूँजता है वह कर्नाटक है।
इस खंडकाव्य में कवि ने अपनी प्रिया को सबोधित कर छहों ऋतुओं का वर्णन किया है। प्रकृति के आलंबनपरक तथा उद्दीपनपरक दोनों तरह के रमणीय चित्र काव्य की वास्तविक आत्मा हैं। ऋतुसंहार का सर्वप्रथम संपादन कलकत्ता से सन्‌ १७९२ में सर विलियम जोन्स ने किया था। सन्‌ १८४० में इसका एक अन्य संस्करण पी.फॉन बोलेन द्वारा लातीनी तथा जर्मन पद्यानुवाद सहित प्रकाशित किय गया था। १९०६ में निर्णयसागर प्रेस से यह रचना मणिराम की संस्कृत टीका के साथ छपी थी, जिसके अब तक अनेक संस्करण हो चुके हैं।
सामान्य रूप से निर्णय होने पर भी किस कर्म से किस कर्म में अंग का आगमन होता है, इसका विवेचन विशेषातिदेश से कहा गया है। अंगों का अतिदेश होने पर भी प्रकृति में भेद होने के कारण प्राकृत पद के स्थान पर पदांतर को रखकर पाठ किया जाता है। उदाहरणार्थ "अग्नेय त्वा जुष्टं निर्वपामि"। इस श्रुतिवाक्य में अग्नि पद के स्थान में "सौर्योयेष्टि" के सूर्यपद रखकर "सूर्याय त्वाजुष्टं निर्वपामि" इस श्रुति को पढ़ते हैं। ऐसे वाक्य को "ऊह" कहते हैं। इन बातों के ज्ञान बिना यह समझ लेना संभव नहीं है कि किस अंग का कहाँ और कैसे उपयोग करना चाहिए जिससे अनुष्ठान समुचित फलदायक हो सके। जिस स्थल पर अंग पठित न हो वहाँ अन्य स्थल से अंग लाना चाहिए, किंतु जो विकृति याग के उपकार कर सकते हों वे ही प्रकृति में लिए जा सकते हैं। जो विकृति में उपकार नहीं कर सकते वहाँ अन्य अंगों का अध्याहार नहीं होता। और उनका अनुष्ठान भी नहीं होता। ऐसे वचनों को "बाध" कहते हैं। किस अंग का बाध होता है और किसका नहीं, इसका निर्णय "ऊह" बाध के अधीन है। एवं अभीप्सित फलदाता कर्म एक ही होता है। किंतु कहीं कहीं अनेक भी होते हैं। कुछ अंगों का अनुष्ठान प्रधान से पूर्व तथा कुछ का प्रधान के पश्चात् भी किया जाता है। उदाहरणार्थ सामिधेनी प्रायाजादि तथा स्विष्ट कृत अनुयाजादि। एक ही समय पर उन अंगों का एक बार अथवा अनेक बार प्रयोग करने के विषय में कहा गया है -
द्रोणाचार्य ऋषि भरद्वाज तथा घृतार्ची नामक अप्सरा के पुत्र तथा धर्नुविद्या में निपुण परशुराम के शिष्य थे।[१] कुरू प्रदेश में पांडु के पाँचों पुत्र तथा धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों के वे गुरु थे। महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे। गुरु द्रोणाचार्य के अन्य शिष्यों में एकलव्य का नाम उल्लेखनीय है। उसने गुरुदक्षिणा में अपना अंगूठा द्रोणाचार्य को दे दिया था। कौरवो और पांडवो ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रो और शस्त्रो की शिक्षा पायी थी। अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। वे अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाना चाहते थे।
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार है, को कि किसी व्यक्ति विशेष को भारतीय सिनेमा में उसके आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है | इस पुरस्कार का प्रारंम्भ दादा साहेब फाल्के के जन्म शताब्दी वर्ष १९६९ से हुआ | यह पुरस्कार उस वर्ष के अंत में रास्ट्रीय पुरस्कार के साथ प्रदान किया जाता है |
सूरज चन्‍द्र का एक ही उजियारा, सब यहि पसरा ब्रह्म पसारा।
संसद भारत राष्ट्र की सबसे बड़ी शासकीय व विधायी निकाय है. भारतीय संसद के तीन अंग हैं. १. राष्ट्रपति, २. लोकसभा एवं ३. राज्यसभा.
किसी कोटिंग की उपस्थिति को आमतौर पर निम्नलिखित शब्दों द्वारा दूरबीन पर चिह्नित किया जाता है:
जुलाई २०१० की स्थिति तक, चीनी जनवादी गणराज्य की कुल जनसंख्या १,३३,८६,१२,९६८ है। २१% लोग १४ वर्ष या कम के हैं, ७१% १५ से ६४ वर्ष के बीच हैं, और ८% ६५ वर्ष या ऊपर हैं। जनसंख्या वृद्धि दर २००६ में ०.६% थी।
तालव्य ध्वनियों का ऐसा ही व्यंजन वर्ग स्पर्श-संघर्षी व्यंजन ध्वनियों के अंतर्गत आता है यद्यपि इसे भी कुछ भाषाविदों ने स्पर्श ध्वनियों के साथ रखा है। ये व्यंजन स्वनिम हैं (च,ज,छ,झ) ।
श्वेत, हरित, जीमूत, रोहित, वैद्युत, मानस और सुप्रभ नामक सात वर्ष हैं। यहां कपिल, अरुण, पीत और कृष्ण नामक चार वर्ण हैं। यहां शाल्मल (सेमल) का अति विशाल वृक्ष है। यह द्वीप मदिरा से भरे अपने से दुगुने विस्तार वाले सुरासमुद्र से चारों ओर से घिरा हुआ है।
3. मतदान केन्द्र पर कब्जा, जाली मत
मुहम्मद साहब के नेतृत्व में अरब बहुत शक्तिशाली हो गए थे । उन्होंने एक बड़े साम्राज्य पर अधिकार कर लिया था जो इससे पहले अरबी इतिहास में शायद ही किसी ने किया हो । खलीफ़ा बनने का अर्थ था - इतने बड़े साम्राज्य का मालिक । अतः इस पद को लेकर विवाद होना स्वाभाविक था ।
यहां की मिट्टी की कृषि हेतु योग्यता के अनुसार यहां की मृदा को छः प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: लाल, लैटेरिटिक, काली, ऍल्युवियो-कोल्युविलय एवं तटीय रेतीली मिट्टी। राज्य में चार प्रमुख ऋतुएं आती हैं। जनवरी और फ़रवरी में शीत ऋतु, उसके बाद मार्च-मई तक ग्रीष्म ऋतु, जिसके बाद जून से सितंबर तक मॉनसून वर्षा ऋतु और अंततः अक्तूबर से दिसंबर पर्यन्त मॉनसूनोत्तर काल। मौसम विज्ञान के आधार पर कर्नाटक तीन क्षेत्रों में बांटा जा सकता है: तटीय, उत्तरी आंतरिक और दक्षिणी आंतरिक क्षेत्र। इनमें से तटीय क्षेत्र में सर्वाधिक वर्षा होती है, जिसका लगभग ३,६३८.५ मिमी (१४३ इंच) प्रतिवर्ष है, जो राज्य के वार्षिक औसत १,१३९ मिमी (४५ इंच) से कहीं अधिक है। शिमोगा जिला में अगुम्बे भारत में दूसरा सर्वाधिक वार्षिक औसत वर्षा पाने वाला स्थल है।[३७] द्वारा किया गया है। यहां का सर्वाधिक अंकित तापमान ४५.६ ° से. (११४ °फ़ै.) रायचूर में तथा न्यूनतम तापमान बीदर में है।
ईद (ईद-उल-जोहा) मुस्लिमो का सबसे बड़ा त्यौहार होता है, जो बड़े धूम धाम से मनाया जाता है| ये रोजा के बाद आता है|
आज विदेशी दबाव बहुत अधिक है। राष्ट्रवादी ताकतों को संबल प्रदान करने के लिए देश को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। विदेशी दबाव के तले हमारे मिसाइल कार्यक्रम में रोक लग गई है। विपरीत परिस्थिति में सरकार ने सी.एन.एन के साथ असमान करार पर हस्ताक्षर किए हैं। देश में सांस्कृतिक ह्ास हो रहा है जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपना आधार तैयार किया है। उन्होने राष्ट्र विरोधी प्रत्यक्ष संशोधन बिल को पारित करने पर रोक लगाई है जिसमें एनरॉन सौदे को रद्द करना भी शामिल है।
भभुआ कैमूर जिले का मुख्यालय है। यह शहर जी.टी. मार्ग के दक्षिण से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यह रोपवे टेबल माउंटेन पर जाने के लिए बनाया गया है। यह केप टाउन के महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थलों में एक है। इस रोपवे का निचला स्‍टेशन ट्रेफलगर रोड से 302 मीटर की ऊंचाई पर है। जबकि इस रोपवे का ऊपरी स्‍टेशन 1067 मीटर की ऊंचाई पर है। ऊपरी स्‍टेशन से केप टाउन शहर का अदभूत नजारा दिखता है।
साधारण तोपों में प्रक्षिप्त बड़े वेग से निकलता है और तोप की नाल को बहुत ऊँची दिशा में नहीं लाया जा सकता है। दूसरी ओर छोटी नाल की तोपें हल्की बनती हैं और उनसे निकले प्रक्षिप्त में बहुत वेग नहीं होता, परंतु इनमें यह गुण होता है कि प्रक्षिप्त बहुत ऊपर उठकर नीचे गिरता है और इसलिए इससे दीवार, पहाड़ी आदि के पीछे छिपे शत्रु को भी मार सकते हैं । इन्हें मॉर्टर कहते हैं। मझोली नाप की नालवाली तोप को हाउविट्ज़र कहते हैं। जैसे-जैसे तोपों के बनाने में उन्नति हुई वैसे-वैसे मॉर्टरों और हाउविट्ज़रों के बनाने में भी उन्नति हुई।
साँचा:दिसंबर कैलंडर२०११ १६ दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३५०वाँ (लीप वर्ष मे ३५१वाँ) दिन है। वर्ष में अभी और १५ दिन बाकी है।
ट्रांसपोर्टरों एबीसी वृद्धि हुई कार्रवाई की वजह से.एक एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारणों में से प्रमुख की जगह अपने लक्ष्य में कारगर दवा सांद्रता की है एबीसी के बाद ट्रांसपोर्टर ब्लॉकर्स चालू करने के लिए उनके प्रभावी इन्ताराचुलर एकाग्रता बढ़ाने के लिए दवाओं के साथ संयोजन में उपयोग किया जा सकता है, एबीसी ट्रांसपोर्टर इन्हिबितालोर के संभावित प्रभाव नैदानिक महान ब्याज की है. एबीसी ट्रांसपोर्टर ब्लॉकर्स कि मौजूदा दवाओं की प्रभावकारिता बढ़ाने के लिए कर सकते हैं करने के लिए उपयोगी है नैदानिक परीक्षणों में प्रवेश किया और उपलब्ध हैं चिकित्सीय व्यवस्था में हुआ करता था.[५९]
अजीत जोगी एक भारतीय राजनेता है और छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रह चुके है।
अन्य
बम विस्फोटक उपकरणों का कोई एक प्रकार है, जो आमतौर पर एक अत्यंत तेज और प्रबल उर्जा निर्गमन उत्पन्न करने के लिए विस्फोटक सामग्री की उष्माक्षेपी (एक्सोथर्मिक) रासायनिक प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है. यह शब्द ग्रीक शब्द βόμβος (बम्बोस ) से आया है, यह एक अनुकरणात्मक शब्द है, जिसका अर्थ अंग्रेजी के 'बूम' शब्द के लगभग समान है. एक परमाणु हथियार बहुत बड़े परमाणु-आधारित विस्फोट को करने के लिए रसायनिक-आधारित विस्फोटकों का प्रयोग करता है.
इथियोपिया, जिसका आधिकारिक नाम इथियोपिया संघीय जनतांत्रिक गणराज्य है, स्थल रुद्ध (भूमि-बाधित - अर्थात् चारों ओर दूसरे देशों से घिरा हुआ) राष्ट्र है। यह अफ़्रीका के सींग क्षेत्र में स्थित है। इसके उत्तर में इरीट्रिया, पश्चिम में सूडान, पूर्व में सोमालिया एवं पूर्वोत्तर में जिबूती स्थित है। इसका विस्तार १,१००,००० वर्ग किलोमीटर है। इस देश की अनुमानित जनसंख्या ८.५ करोड़ है। यहां की राजधानी अदिस अबाबा है।
गंगा नदी के सुन्दरवन डेल्टा में उगने वाले वृक्षों की एक प्रजाति।
यह सिन्धिया राजपरिवार का वर्तमान निवास स्थल ही नहीं एक भव्य संग्रहालय भी है। इस महल के 35 कमरों को संग्रहालय बना दिया गया है। इस महल का ज्यादातर हिस्सा इटेलियन स्थापत्य से प्रभावित है। इस महल का प्रसिध्द दरबार हॉल इस महल के भव्य अतीत का गवाह है, यहां लगा हुए दो फानूसों का भार दो-दो टन का है, कहते हैं इन्हें तब टांगा गया जब दस हाथियों को छत पर चढा कर छत की मजबूती मापी गई। इस संग्रहालय की एक और प्रसिध्द चीज है, चांदी की रेल जिसकी पटरियां डाइनिंग टेबल पर लगी हैं और विशिष्ट दावतों में यह रेल पेय परोसती चलती है। और इटली, फ्रान्स, चीन तथा अन्य कई देशों की दुर्लभ कलाकृतियां यहां हैं।
इसलिये विश्वामित्र जी ने कहा "हे राम! अब तुम आश्रम के अन्दर जाकर अहिल्या का उद्धार करो।" विश्वामित्र जी की बात सुनकर वे दोनों भाई आश्रम के भीतर प्रविष्ट हुये। वहाँ तपस्या में निरत अहिल्या कहीं दिखाई नहीं दे रही थी, केवल उसका तेज सम्पूर्ण वातावरण में व्याप्त हो रहा था। जब अहिल्या की दृष्टि राम पर पड़ी तो उनके पवित्र दर्शन पाकर एक बार फिर सुन्दर नारी के रूप में दिखाई देने लगी। नारी रूप में अहिल्या को सम्मुख पाकर राम और लक्ष्मण ने श्रद्धापूर्वक उनके चरण स्पर्श किये। उससे उचित आदर सत्कार ग्रहण कर वे मुनराज के साथ पुनः मिथिला पुरी को लौट आये।
रामनगर किले में स्थित सरस्वती भवन में मनुस्मृतियों, पांडुलिपियों, विशेषकर धार्मिक ग्रन्थों का दुर्लभ संग्रह सुरक्षित है। यहां गोस्वामी तुलसीदास की एक पांडुलिपि की मूल प्रति भी रखी है।[१] यहां मुगल मिनियेचर शैली में बहुत सी पुस्तकें रखी हैं, जिनके सुंदर आवरण पृष्ठ हैं।[१]
1.2
दतिया रेलवे स्टेशन दिल्ली-चैन्नई मुख्य रेल लाइन पर पड़ता है। दिल्ली, आगरा, मथुरा, ग्वालियर, झांसी, भोपाल आदि शहरों से अनेक रेलगाड़ियां दतिया से होकर जाती है। दतिया शहर से यह रेलवे स्टेशन करीब 3 किमी. दूर है।
25 वर्ष की अवस्था में नरेंद्र दत्त ने गेरुआ वस्त्र पहन लिए। तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की।सन्‌ 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी। स्वामी विवेकानंदजी उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप से पहुँचे। योरप-अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे। वहाँ लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानंद को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिले। एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला किंतु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गए। फिर तो अमेरिका में उनका बहुत स्वागत हुआ। वहाँ इनके भक्तों का एक बड़ा समुदाय हो गया। तीन वर्ष तक वे अमेरिका रहे और वहाँ के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान करते रहे। उनकी वक्ततृत्व शैली तथा ज्ञान को देखते हुये वहाँ के मीडिया ने उन्हें साइक्लॉनिक हिन्दू का नाम दिया। [२] अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा' यह स्वामी विवेकानंदजी का दृढ़ विश्वास था। अमेरिका में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएँ स्थापित कीं। अनेक अमेरिकन विद्वानों ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया। 4 जुलाई सन्‌ 1902 को उन्होंने देह त्याग किया। वे सदा अपने को गरीबों का सेवक कहते थे। भारत के गौरव को देश-देशांतरों में उज्ज्वल करने का उन्होंने सदा प्रयत्न किया। जब भि वो वह जते थे तो लोग उन्से बहुत खउस होते थे .
यूरोप में मानव ईसापूर्व ३५,००० के आसपास आया। ग्रीक (यूनानी) तथा लातिनी (रोम) राज्यों की स्थापना प्रथम सहस्त्राब्दी के पूर्वार्ध में हुई। इन दोनों संस्कृतियों ने आधुनिक य़ूरोप की संस्कृति को बहुत प्रभावित किया है। ईसापूर्व ४८० के आसपास य़ूनान पर फ़ारसियों का आक्रमण हुआ जिसमें यवनों को बहुधा पीछे हटना पड़ा। ३३० ईसापूर्व में सिकन्दर ने फारसी साम्राज्य को जीत लिया। १४६ ई.पू. में यूनानी प्रायद्वीप (द्वीपों को छोड़कर) रोमन प्रोटेक्टोरेट का भाग बन गया। यूनान का अन्तिम पतन ८८ ई.पू में हुआ जब पोन्टस के मिथ्रिडेट्स षष्ठ नामक राजा ने रोम के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, जब वह रोमन जनरल लुसियस कॉर्नेलियस सुला द्वारा यूनान से बाहर खदेड़ा गया तब यूनान पर पुनः रोम का अधिकार हो गया और यूनानी नगर फिर कभी इससे उबर न सके। सन् २७ ईसापूर्व में रोमन गणतंत्र समाप्त हो गया और रोमन साम्राज्य की स्थापना हुई। सन् ३१३ में कांस्टेंटाइन ने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया और यह धर्म रोमन साम्राज्य का राजधर्म बन गया । पाँचवीं सदी तक आते आते रोमन साम्राज्य कमजोर हो चला और पूर्वी रोमन साम्राज्य पंद्रहवीं सदी तक इस्तांबुल में बना रहा । इस दौरान पूर्वी रोमन साम्राज्यों को अरबों के आक्रमण का सामना करना पड़ा जिसमें उन्हें अपने प्रदेश अरबों को देने पड़े ।
अप्रेल २००६ में जर्सी में चैनल द्वीप में स्थानीय दूरसंचार नियंत्रक द्वारा भारती ग्लोबल लिमिटेड को दूरसंचार लाईसैंस प्रदान किया गया था। सिंतबर २००६ में गोर्नजी उपयोगिता नियंत्रण कार्यालय ने गोर्नजी एयरटेल को मोबाइल दूरसंचार लाईसैंस प्रदान किया । मई २००७ में जर्सी एयरटेल और गोर्नज एयरटेल ने द्वीप में रहने वाले मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए वोडाफोन के साथ संबधों की शुरूआत की घोषणा की है। जुलाई २००७ में, भारती एयरटेल ने नोकिया-सीमेन्स के साथ अपने मोबाइल और फिक्स्ड नेटवर्क के विस्तार हेतु ९०० मिलियन राशि वाले एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए "भारती और नोकिया ने मिलकर ९०० मिलियन डॉलर के विस्तार समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए "],Yahoo! समाचार (Yahoo! News), ३ जुलाई , २००७
अगस्त २००७ में कंपनी ने घोषणा की कि वह गूगल सर्च इंजन का कस्टमाइज्ड रूपांतर प्रस्तुत करेगा जो इसके ब्राडबैंड उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार की सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
गणित के क्षेत्र में नयी खोजों का प्रकाशन बहुत ऊँची दर पर सैकडो वैज्ञानिक पत्रिकाओ (scientific journal)में जारी है. हाल ही में हुआ एक रोमांचक विकास है, एंड्रयू विल्स (proof) के द्वारा फ़र्मत की आखिरी प्रमेय (Fermat's Last Theorem) का प्रमाणित होना (Andrew Wiles) , ३५० वर्षों से मेधावी गणितज्ञ इस समस्या को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं.
जिनके अधीन ऐते उदित मसाला हैं।
जब संगणक संचिकाओं में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी होते है तो प्रतिलिपि प्रक्रिया के जरिए ऐसी स्थितियों को परिणामों से बचने की कोशिश की जाती है जिनमें संचिकाएँ नष्ट हो सकती हैं। संचिकाओं की प्रतिलिपि करने का मतलब बस यही है कि संचिकाओं की प्रतियाँ किसी अन्य स्थान पर बान के रखना ताकि यदि मूल संगणक को कुछ हो जाता है या वे गलती से मिट जाती हैं तो प्रति के जरिए उन्हें वापस पाया जा सके।
इन सभी महीनों में, रमजान का महीना, सबसे आदरणीय माना जाता है। मुस्लिम लोगों को इस महीने में पूर्ण सादगी से रहना होता है दिन के समय।
अपने पिता मिर्ज़ापुर के श्री शारदा प्रसाद और अपनी माता श्रीमती रामदुलारी देवी के तीन पुत्रो में से वे दूसरे थे। शास्त्रीजी की दो बहनें भी थीं। शास्त्रीजी के शैशव मे ही उनके पिता का निधन हो गया। 1928 में उनका विवाह श्री गणेशप्रसाद की पुत्री ललितादेवी से हुआ और उनके छ: संतान हुई।
१.ईश, २.कठ, ३. श्वेताश्वतर तथा नारायण इनका पद्य वैदिक मंत्रों के अनुरूप सरल, प्राचीन तथा सुबोध है।
जिला- अररिया
आत्‍मा को ही बह्म रूप में स्‍वीकार करने की विचारधारा वैदिक एवं उपनिषद्‌ युग में मिलती है। ‘प्रज्ञाने ब्रह्म', ‘अहं ब्रह्मास्‍मि', ‘तत्‍वमसि', ‘अयमात्‍मा ब्रह्म' जैसे सूत्र वाक्‍य इसके प्रमाण है। ब्रह्म प्रकृष्‍ट ज्ञान स्‍वरूप है। यही लक्षण आत्‍मा का है। ‘मैं ब्रह्म हूँ', ‘तू ब्रह्म ही है; ‘मेरी आत्‍मा ही ब्रह्म है' आदि वाक्‍यों में आत्‍मा एवं ब्रह्म पर्याय रूप में प्रयुक्त हैं।
12.97 डिग्री उत्तरी अक्छांश और 77.56 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थित इस नगर का भूखंड मुख्यतः पठारी है । यह मैसूर का पठार के लगभग बीच में 920 मीटर की औसत ऊचाई पर अवस्थित है । बंगलोर जिले के उत्तर-पूर्व में कोलार जिला (सोने की खानों के लिये प्रसिद्घ), उत्तर-पश्चिम में तुमकुर जिला, दक्षिण-पश्चिम में मांड्य जिला, दक्षिण में चामाराजानगर जिला तथा दक्षिण-पूर्व में तमिलनाडु राज्य है ।
इसमें केवल एक ही पद या छंद स्वतंत्र रूप से किसी भाव या रस अथवा कथा को प्रकट करने में समर्थ होता है। गीत कवित्त दोहा आदि मुक्तक होते हैं।
प्राचीन भारत के इन मानों का प्रचलन तथा प्रभाव पूर्वमध्यकालीन और मध्यकालीन आर्थिक जीवन पर भी प्रचुर रहा, यद्यपि आनुपातिक संबंधों और नामों पर प्रदेश और शासनभेद का भी प्रभाव पड़ा। श्रीधर के "गणितसार' में पूर्वमध्यकालीन मानपद्धति का विवरण इस प्रकार है--
--210.212.157.162 ०३:३८, ३१ अक्टूबर २००८ (UTC)
उमैरिड्स के सम्राट अकबर के बेटे जहाँगीर ने 1605-1627 के बीच साम्राज्य पर शासन किया.अक्टूबर 1627 में, उमैरिड्स के सम्राट जहाँगीर के बेटे शाहजहाँ सिंहासन के उत्तराधिकारी बने, जहाँ उन्हें भारत में एक विशाल और समृद्ध साम्राज्य विरासत में मिली.मध्य-सदी में यह शायद विश्व का सबसे बड़ा साम्राज्य था.शाहजहाँ ने आगरा में प्रसिद्ध ताज महल (1630–1653) को बनाना शुरू किया जो फारसी वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी द्वारा शाहजहाँ की पत्नी मुमताज़ महल के लिए कब्र के रूप में बनाया गया था, जिनका अपने 14 वें बच्चे को जन्म देते हुए निधन हुआ.1700 तक यह साम्राज्य वर्तमान भारत के प्रमुख भागों के साथ अपनी चरम पर पहुँच चूका था, औरंगजेब आलमगीर के नेतृत्व के तहत उत्तर पूर्वी राज्यों के अलावा, पंजाब की सिख भूमि, मराठाओं की भूमि, दक्षिण के क्षेत्र और अफगानिस्तान के अधिकांश उनके जागीर थे.औरंगजेब, महान तुर्क राजाओं में आखिरी थे.
फ़्रांसिसी में कई ऐसी ध्वनियाँ हैं जो अंग्रेज़ी या हिन्दी में नहीं होतीं, और इसलिये इनको देवनागरी लिपि में नहीं लिखा जा सकता।
यहां के मैदान सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा बहाकर लाए गए जलोढ़ निक्षेप से बना है। इस मैदान की पूर्व से पश्चिम लंबाई लगभग 3200 किलो मीटर है। इसकी औसत चौड़ाई 150 से 300 किलोमीटर है। जलोढ़ निक्षेप की अधकतम गहराई 1000 से 2000 मीटर है। उत्तर से दक्षिण दिशा में इन मैदानों को तीन भागों में बाँट सकते हैं भाभर, तराई और जलोढ़ मैदान। जलोढ़ मैदान को आगे दो भागों में बाँटा जाता है- खादर और बाँगर। भाभर 8 से 10 किलोमीटर चौड़ाई की पतली पट्टी है जो शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैली हुई है। उसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे- बड़े शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती हैं। भाभर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जिसकी चौड़ाई 10 से 20 किलोमीटर है। भाभर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ इस प्रदेश में ध्रातल पर निकल कर प्रकट होती हैं और क्योंकि इनकी निश्चित वाहिकाएँ नहीं होती, ये क्षेत्र अनूप बन जाता है, जिसे तराई कहते हैं। यह क्षेत्र प्राकॄतिक वनस्पति से ढका रहता है और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का घर है। तराई से दक्षिण में मैदान है जो पुराने और नए जलोढ़ से बना होने के कारण बाँगर और खादर कहलाता है।
"हमारे ब्रह्माण्ड के सम्पूर्ण ग्रह, उपग्रह और सूर्य तथा तारे आदि अन्तरीक्ष में आखिर किस सिद्धान्त के कारण, अपनी कक्षा से बाहर नहीं निकल पाते तथा केवल अपनी ही गोलाकार कक्षा में ही स्थित रहते हुए, अपने-अपने केंद्र की निरंतर परिक्रमा करते रहते है?"
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम.
अप्रैल २३ - आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, उड़ीसा, त्रिपुरा , उत्तर प्रदेश, झारखण्ड
1482–1637  Elmina (São Jorge da Mina)
अंग्रेज़ी विकिपीडिया (अंग्रेजी :English Wikipedia), विकिपीडिया का अंग्रेजी भाषा संस्करण है जिसकी स्थापना १५ जनवरी, २००१ को की गयी थी और सितंबर २००७ तक इसमें लेखों की संख्या २० लाख पहुँच गयी थी। ये विकिपीडिया का प्रथम और सबसे बड़ा संस्करण है, और इसमें लेखों की संख्या दूसरे सबसे बड़े विकिपीडिया, जर्मन विकिपीडिया से तीन गुणा से भी अधिक है। मार्च २००९ तक विकिपीडिया पर कुल लेखों में से अंग्रेजी लेखों का प्रतिशत २२.३ है। अन्य भाषाओँ में विकिपीडिया आरम्भ होने से २००३ के बाद से इस आंकड़े में गिरावट देखी जा रही है, जब अंग्रेजी विकिपीडिया की भागीदारी ५०% से ऊपर थी।
आईई8 के टैब पेनल में भी बदलाव किये गए हैं। अब एक ही प्रकार की साइटें पास पास खुलती है और एक ही समूह की साइटों की टेब का रंग भी एक जैसा होता है जिससे प्रयोक्ताओं को टेब पन्नों को पहचानने में आसानी रहती है। इसके अलावा आईई 8 में एक विशेष सुविधा है एक्सीलरेटर। किसी भी वेबपेज के किसी भी शब्द को चुनने करने पर एक नीले रंग का बटन मिलता है जिसमें कई लिंक होते हैं जैसे कि गूगल मेप में ढूंढे, विकी पर देखें आदि। इससे प्रयोक्ता का समय बचता है।
मनोविज्ञान पर वैज्ञानिक प्रवृत्ति के साथ-साथ दर्शनशास्त्र का भी बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। वास्तव में वैज्ञानिक परंपरा बाद में आरंभ हुई। पहले तो प्रयोग या पर्यवेक्षण के स्थान पर विचारविनिमय तथा चिंतन समस्याओं को सुलझाने की सर्वमान्य विधियाँ थीं। मनोवैज्ञानिक समस्याओं को दर्शन के परिवेश में प्रतिपादित करनेवाले विद्वानों में से कुछ के नाम उल्लेखनीय हैं।
स्वतंत्र वह है जो पूर्ण रूपेण स्वतंत्र है। जो भगवान या सनातन सत्य है। लेकिन जीवात्मा और जगत् भगवान पर आश्रित हैं। इसलिये भगवान उनका नियंत्रण करते हैं। परमात्मा स्वतंत्र हैं। इसलिए उनका वर्गीकरण असम्भव है। आश्रित तत्त्व सकारात्मक एवं नकारात्मक रूप में विभाजित किये जाते हैं। सकारात्मक को भी चेतन (जैसे आत्मा) और अचेतन (जैसे वे पदार्थ) में वर्गीकृत किया जा सकता है। अचेतन तत्त्व को परिभाशित करने के पहले माधवाचार्य स्वतंत्र और आश्रित के बारे में बताते हैं जो संसार से नित्य मुक्त हैं। इस विचारधारा के अनुसार `विष्णु` स्वतंत्र हैं जो विवेकी और संसार के नियन्ता हैं। उनकी शक्ति लक्ष्मी हैं जो नित्य मुक्त हैं। कई व्यूहों एवं अवतारों के रूपों में हम विष्णु को पा सकते हैं (उन तक पहुँच सकते हैं)। उसी प्रकार अत्यन्त आश्रित लक्ष्मी भी विष्णु की शक्ति हैं और नित्य भौतिक शरीर लिये ही कई रूप धारण कर सकती हैं। वह दुख-दर्द से परे हैं। उनके पुत्र ब्रह्मा और वायु हैं। `प्रकृति´ शब्द प्र = परे + कृति = सृष्टि का संगम है।
पुष्यमित्र के उत्तराधिकारी
पूर्व-राजवंशीय और आरंभिक राजवंशीय समय, मिस्र की जलवायु आज की अपेक्षा बहुत कम शुष्क थी. मिस्र के विशाल क्षेत्र सवाना वृक्षों से भरे हुए थे और वहां चरने वाले अन्गुलेट के झुंडों का विचरण हुआ करता था. पर्ण और जीव सभी परिप्रदेश में अधिक उर्वर थे और नील नदी क्षेत्र ने जलपक्षी की बड़ी आबादी की मदद की. मिश्र के लोगों के बीच शिकार आम रहा होगा और शायद इसी समय कई पशुओं को पालतू बनाया गया होगा.[११]
नौ राज्यों में फ्लोरिडा ही एक ऐसा राज्य है जहां कोई व्यक्तिगत आय कर (अन्यों की सूची) लागू नहीं है.राज्य में "अमूर्त निजी संपत्ति पर कर लगाया गया था" (शेयर, बोंड्स, म्युचुअल फंड, मुद्रा बाजार फंड, आदि), लेकिन यह कर 2006 के बाद समाप्त कर दिया गया. राज्य बिक्री कर की दर 6% है.[७०] स्थानीय सरकारों के लिए एक अतिरिक्त 1.5% तक की स्थानीय विकल्प बिक्री कर लागू कर सकते हैं. एक स्थान के उपयोग कर का दर अपने स्थानीय विकल्प सहित बिक्री कर की दर, किसी भी रूप में समान ही रहेगा.राज्य के बाहर खरीद कर, अगर खरीद की तारीख से छह महीने के भीतर फ्लोरिडा में लाया गया तो उपयोग कर लागू होगा. दस्तावेजी टिकटें दस्तावेज स्थानान्तरण और बंधक पर कर आवश्यक हैं. अन्य करों कॉर्पोरेट आय, संचार सेवाओं, बेरोजगारी, ठोस अपशिष्ट, बीमा प्रीमियम, प्रदूषक और विभिन्न ईंधन कर शामिल हैं.
आर्मेनिया दस प्रांतों (मर्ज़) में बंटा हुआ है। प्रत्येक प्रांत का मुख्य कार्यपालक (मार्ज़पेट) आर्मेनिया सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। इनमें येरवान कों राजधानी शहर(कघाक़) (Երևան) होने से विशिष्ट दर्जा मिला है। येरवान का मुख्य कार्यपालक महापौर होता है, एवं राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। हरेक प्रांत में स्व-शासित समुदाय (हमायन्क) होते हैं। वर्ष २००७ के आंकड़ों के अनुसार आर्मेनिया में ९१५ समुदाय थे, जिनमें से ४९ शहरी एवं ८६६ ग्रामीण हैं। राजधानी येरवान शहरी समुदाय है,[९] जो १२ अर्ध-स्वायत्त जिलों में भी बंटा हुआ है।
छत्तीसगढ़ी भारत में छत्तीसगढ प्रांत में बोली जाने वाली एक भाषा है। यह हिंदी के काफ़ी निकट है और इसकी लिपि देवनागरी है। इसका अपना समृद्ध साहित्य है।
भागवत के देशकाल का यथार्थ निर्णय अभी तक नहीं हो पाया है। एकादश स्कंध में 5.38-40) कावेरी, ताम्रपर्णी, कृतमाला आदि द्रविड़देशीय नदियों के जल पीनेवाले व्यक्तियों को भगवान् वासुदेव का अमलाशय भक्त बतलाया गया है। इसे विद्वान् लोग तमिल देश के आलवारों (वैष्णवभक्तों) का स्पष्ट संकेत मानते हैं। भागवत में दक्षिण देश के वैष्णव तीर्थो; नदियों तथा पर्वतों के विशिष्ट संकेत होने से कतिपय विद्वान् तमिलदेश को इसके उदय का स्थान मानते हैं। काल के विषय में भी पर्याप्त मतभेद है। इतना निश्चित है कि बोपदेव (13वीं श. का उत्तरार्ध) जिन्होंने भागवत से संबद्ध "हरिलीलामृत", "मुक्ताफल" तथा "परमहंसप्रिया" का प्रणयन किया तथा जिनके आश्रयदाता, देवगिरि के यादव राजा महादेव (सन् 1260-71) तथा राजा रामचंद्र (सन् 1271-1309) के करणाधिपति तथा मंत्री, प्रख्यात धर्मशास्त्री हेमाद्रि ने अपने "चतुर्वर्गं चिंतामणि" में भागवत के अनेक वचन उधृत किए हैं भागवत के रचयिता नहीं माने जा सकते। शंकराचार्य के दादा गुरु गौडपादाचार्य ने अपने "पंचीकरणव्याख्या" में "जगृहे पौरुषं रूपम्" (भा. 1.3.1) तथा "उत्तरगीता टीका" में "श्रेय: स्रुतिं भक्ति मुदस्य ते विभो" (भा. 10.14.4) भागवत के दो श्लोकों को उद्धृत किया है। इससे भागवत की रचना सप्तम शती से अर्वाचीन नहीं मानी जा सकती।
राज्यों को संघीय स्तर पर प्रतिनिधित्व देने वाली सभा है जिसका कार्य संघीय स्तर पर राज्य हितॉ का संरक्षण करना है। इसे संसद का दूसरा सदन कह्ते है इसके सदस्य दो प्रकार से निर्वाचित होते है राज्यॉ से 238 को निर्वाचित करते है तथा राष्ट्रपति द्वारा 12 को मनोनीत करते है। वर्तमान मे यह संख्या क्रमश 233 ,12 है ये सद्स्य 6 वर्ष हेतु चुने जाते है इनका चयन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के द्वारा होता है मत एकल संक्रमणीय प्रणाली से डाले जाते है। मत खुले डाले जाते है.सद्स्य जो निर्वाच्त होना चाहते है देश के किसी भी संसदीय क्षेत्र से एक निर्वाचक के रूप मे पंजीकृत होने चाहिए।
सन् 1916 में लोकमान्य तिलक की अध्यक्षता में लखनऊ में कांग्रेस अधिवेशन हुआ। यद्यपि तिलक जी भी मुस्लिमपोषकनीति से क्षुब्ध थे, फिर भी लखनऊ कांग्रेस ने ब्रिटिश अधिकारियों के प्रभाव में पड़कर एकता और राष्ट्रहित की दोहाई देकर मुस्लिम लीग से समझौता किया जिसके कारण सभी प्रांतों में मुसलमानों को विशेष अधिकार और संरक्षण प्राप्त हुए। अंग्रेजों ने भी अपनी कूटनीति के अनुसार चेम्सफोर्ड योजना बनाकर मुसलमानों के विशेषाधिकार पर मोहर लगा दी।
इस समय वीरकाव्य भी लिखा गया। मुगल शासक औरंगजेब की कट्टर सांप्रदायिकता और आक्रामक राजनीति की टकराहट से इस काल में जो विक्षोभ की स्थितियाँ आई उन्होंने कुछ कवियों को वीरकाव्य के सृजन की भी प्रेरणा दी। ऐसे कवियों में भूषण प्रमुख हैं जिन्होंने रीतिशैली को अपनाते हुए भी वीरों के पराक्रम का ओजस्वी वर्णन किया। इस समय नीति, वैराग्य और भक्ति से संबंधित काव्य भी लिखा गया। अनेक प्रबंधकाव्य भी निर्मित हुए। इधर के शोधकार्य में इस समय की शृंगारेतर रचनाएँ और प्रबंधकाव्य प्रचुर परिमाण में मिल रहे हैं। इसलिए रीतिकालीन काव्य को नितांत एकांगी और एकरूप समझना उचित नहीं है। इस समय के काव्य में पूर्ववर्ती कालों की सभी प्रवृत्तियाँ सक्रिय हैं। यह प्रधान धारा शृंगारकाव्य की है जो इस समय की काव्यसंपत्ति का वास्तविक निदर्शक मानी जाती रही है। शृंगारी काव्य तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है। पहला वर्ग रीतिबद्ध कवियों का है जिसके प्रतिनिधि केशव, चिंतामणि, भिखारीदास, देव, मतिराम और पद्माकर आदि हैं। इन कवियों ने दोहों में रस, अलंकार और नायिका के लक्षण देकर कवित्त सवैए में प्रेम और सौंदर्य की कलापूर्ण मार्मिक व्यंजना की है। संस्कृत साहित्यशास्त्र में निरूपित शास्त्रीय चर्चा का अनुसरण मात्र इनमें अधिक है। पर कुछ ने थोड़ी मौलिकता भी दिखाई है, जैसे भिखारीदास का हिंदी छंदों का निरूपण। दूसरा वर्ग रीतिसिद्ध कवियों का है। इन कवियों ने लक्षण नहीं निरूपित किए, केवल उनके आधार पर काव्यरचना की। बिहारी इनमें सर्वश्रेष्ठ हैं, जिन्होंने दोहों में अपनी "सतसई' प्रस्तुत की। विभिन्न मुद्राओंवाले अत्यंत व्यंजक सौंदर्यचित्रों और प्रेम की भावदशाओं का अनुपम अंकन इनके काव्य में मिलता है। तीसरे वर्ग में घनानंद, बोधा, द्विजदेव ठाकुर आदि रीतिमुक्त कवि आते हैं जिन्होंने स्वच्छंद प्रेम की अभिव्यक्ति की है। इनकी रचनाओं में प्रेम की तीव्रता और गहनता की अत्यंत प्रभावशाली व्यंजना हुई है।
सातवीं शताब्दी से ही इंडोनेशिया द्वीपसमूह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक क्षेत्र रहा है, जब श्रीविजय राजशाही के दौरान चीन और भारत के साथ व्यापारिक संबंध थे। स्थानीय शासकों ने धीरे-धीरे भारतीय सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक प्रारुप को अपनाया, और कालांतर में हिंदू और बौद्ध राज्यों का उत्कर्ष हुआ। इंडोनेशिया का इतिहास विदेशियों से प्रभावित रहा है, जो क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों की वजह से खींचे चले आए। मुस्लिम व्यापारी अपने साथ इस्लाम लाए, और यूरोपिय शक्तियां यहां के मसाला व्यापार में एकाधिकार को लेकर एक दूसरे से लड़ी। साढ़े तीन सौ साल के डच उपनिवेशवाद के बाद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्रता हासिल हुई।
प्रयोक्ता माइक्रोफोन आदि इनपुट डिवाइस के जरिये ध्वनि डालता है, रिकॉग्नाइजर ऍनालॉग सिग्नल को वाक संश्लेषण के लिये डिजिटल सिग्नल में बदलता है। प्रोसैसिंग के उपरान्त टैक्स्ट बनता है। यह स्रोत भाषा (अंग्रेजी) टैक्स्ट अनुवादक इञ्जन के लिये इनपुट का कार्य करता है, जो कि इसे टारगेट भाषा (हिन्दी) में बदल देता है।
बोध-गया घूमने के लिए दो दिन का समय पर्याप्‍त है। अगर आप एक रात वहां रूकते हैं तो एक दिन का समय भी प्रर्याप्‍त है। खराब कानून व्‍यवस्‍था के कारण बिहार में रात में सफर करने का सलाह नहीं दिया जाता है। बोध-गया के पास ही एक शहर है गया। यहां भी कुछ पवित्र मंदिर हैं जिसे जरुर देखना चाहिए। इन दोनों गया को देखने के लिए कम से कम एक-एक दिन का समय देना चाहिए। एक अतिरिक्‍त एक दिन नालन्‍दा और राजगीर को देखने के लिए रखना चाहिए। बोधगया घूमने का सबसे बढिया समय बुद्ध जयंती (अप्रैल-मई) है जिसे राजकुमार सिद्धार्थ के जंमदिवस के रुप में मनाया जाता है। इस समय यहां होटलों में कमरा मिलना काफी मुश्किल होता है। इस दौरान महाबोधि मंदिर को हजारों कैंडिलों की सहायता से सजाया जाता है। यह दृश्‍य देखना अपने आप में अनोखा अनुभव होता है। इस दृश्‍य की यादें आपके जेहन में हमेशा बसी रहती है। बोधगया में ही मगध विश्‍वविद्यालय का कैंपस है। इसके नजदीक एक सैनिक छावनी है तथा एक छोटा सा एयरपोर्ट है।
भारत में रेल मूल संरचना के विकास में निजी क्षेत्रों की भागीदारी का धीरे-धीरे विस्‍तार हो रहा हैं मान और संभावना दोनों में। उदाहरण के लिए, पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्‍त उद्यम कंपनी है, जिसकी स्‍थापना 271 कि.मी. लंबी ब्राड गेज रेल लाइंस का निर्माण, रखरखाव और संचालन करने के लिए की गई है, यह गुजरात राज्‍य में पीपावाव पत्‍तन को पश्चिमी रेल के सुरेन्‍द्र नगर जंक्‍शन से जोडती है।
13 दिसंबर 2001 को आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर हमला किया जिसमें 45 मिनट तक गोलीबारी होती रही जिसमें 9 पुलिसकर्मी और संसद कर्मचारी मारे गए थे. सभी पांच आतंकवादी भी सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए और उनकी पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के रूप में की गयी. हमला भारतीय समयानुसार सुबह 11:40 (IST) के आसपास हुआ जिसके कुछ ही मिनटों बाद संसद के दोनों सदनों को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया.
मृदगलोपनिषद ॠग्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है
अयोध्या नगरी में दशरथ नाम के राजा हुये जिनकी कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा नामक पत्नियाँ थीं। सन्तान प्राप्ति हेतु अयोध्यापति दशरथ ने अपने गुरु श्री वशिष्ठ की आज्ञा से पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया[३] जिसे कि ऋंगी ऋषि ने सम्पन्न किया। भक्तिपूर्ण आहुतियाँ पाकर अग्निदेव प्रसन्न हुये और उन्होंने स्वयं प्रकट होकर राजा दशरथ को हविष्यपात्र (खीर, पायस) दिया जिसे कि उन्होंने अपनी तीनों पत्नियों में बाँट दिया। खीर के सेवन के परिणामस्वरूप कौशल्या के गर्भ से राम का, कैकेयी के गर्भ से भरत का तथा सुमित्रा के गर्भ से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
बँगला लिपि नागरी लिपि से कुछ कुछ भिन्न होती हुई भी दोनों में थोड़ा बहुत साम्य भी है। हिंदी की तरह उसमें भी 14 स्वर तथा 33 व्यंजन हैं। बँगला में "व" का उच्चारण प्राय: "ब" की तरह (कभी कभी "उ" की तरह या "भ" की तरह) किया जाता है और आत्मा, लक्ष्मी, महाशय आदि शब्द आत्ताँ, लक्खी, मोशाय जैसे उच्चरित होते हैं।
आकाश में तारामंडल के विभिन्न रूपों में दिखाई देने वाले आकार को नक्षत्र कहते हैं। मूलत: नक्षत्र 27 माने गए हैं। ज्योतिषियों द्वारा एक अन्य अभिजित नक्षत्र भी माना जाता है। चंद्रमा उक्त सत्ताईस नक्षत्रों में भ्रमण करता है। नक्षत्रों के नाम नीचे चंद्रमास में दिए गए हैं-
इस प्रकार कुल मिलाजुला कर करीबन ५०५ ग्रंथों व लेखों की मलिका डा. एनी बेसेन्ट ने 'हाऊ इण्डिया रौट् फॉर फ्रीडम' (१९१५) में भारत को अपनी मातृभूमि बतलाया है। 'इण्डिया : ए नेशन' नामक जो पुस्तक जब्त कर ली गयी थी उसमें उन्होंने स्वायत्त-शासन की विचार धारा प्रतिपादित की है। १८१७ में नजरबन्द किये जाने से पहले सत्तर वर्षीय वृद्धा ने अपने भारत के भाइयों और बहनों को आखिरी सन्देश दिया था : मैं वृद्धा हूँ, किन्तु मुझे विश्वास है कि मरने के पहले ही मैं देखूंगी कि भारत को स्वायत्त-शासन मिल गया।
वरीयता के क्रम में
कहा जाता है, प्रजापति ने एक लाख अध्यायों में एक विशाल ग्रंथ का प्रणयन कर कामशास्त्र का आंरभ किया, परंतु कालांतर में मानवों के कल्याण के लिए इसके संक्षेप प्रस्तुत किए गए। पौराणिक पंरपरा के अनुसार महादेव की इच्छा से "नंदी" ने एक सहस्र अध्यायों में इसका सार अंश तैयार किया जिसे और भी उपयोगी बनाने के लिए उद्दालक मुनि के पुत्र श्वेतकेतु ने पाँच सौ अध्यायों में उसे संक्षिप्त बनाया। इसके अंनतर पांचाल बाभव्य ने तृतीयांश में इसकी और भी संक्षिप्त किया—डेढ़ सौ अध्यायों तथा सात अधिकरणों में, कालांतर में सात महनीय आचार्यों ने प्रत्येक अधिकरण के ऊपर सात स्वतंत्र ग्रंथों का निर्माण किया—
गार्गी- नक्षत्रलोक किसमें ओतप्रोत है।
सन्‌ 1982 में खुदाई के दौरान यहां शिव पार्वती की मूर्ति निकली थी, जिसके दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश व कार्तिकेय भी हैं। प्रचलित पौराणिक कथानुसार दक्ष-यज्ञ तहस-नहस हो जाने के बाद शिवजी सती की मृत देह कंधे पर रख कर झमने लगे। तब भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए योगमाया के सुदर्शन चक्र की सहयता से सती के शरीर को खण्ड-खण्ड कर भूतल पर गिराना आरम्भ किया। उस समय जिन-जिन स्थानों पर सती के अंक गिरे, वे सभी स्थल शक्तिपीठ बन गए। ऐसे शक्तिपीठ 51 हैं और उन्हीं में से एक शक्तिपीठ है त्रिपुरा सुंदरी।
• अन्य...
छायावाद काल में ही एक और काव्यधारा विकसित हुई जो छायावादी काव्यधारा के समानांतर प्रवाहित होती रही, और यह थी राष्ट्रीय सांस्कृतिक काव्यधारा. हिन्दी साहित्य का इतिहास में डा. नगेन्द्र लिखते हैं [१०] : "इस काल में राष्ट्रीय-सांस्कृतिक काव्य में दो भावनाएं पूरी शक्ति के साथ अभिव्यक्त हुईं: एक तो कवियों ने भारत की आतंरिक विसंगतियों और विषमताओं को दूर करने के लिए देश का आह्वान किया, और दूसरी और जनता को विदेशी शासन से मुक्ति पाने के लिए राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ने की प्रेरणा दी. माखनलाल चतुर्वेदी, सुभद्राकुमारी चौहान, रामनरेश त्रिपाठी बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' ने केवल राष्ट्र-प्रेम को मुखरित ही नहीं किया उन्होंने स्वयं देश की आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया.
भूजिमोल है के नाम की सबसे प्राचीन लिपि नेपाल के फार्म का है . यह लिखने के लिए नेपाल भाषा का प्रयोग किया जाता है .
यहाँ की जलवायु समुद्री प्रभाव के कारण सम महाद्वीपीय एवं नम है।
(२) यूग्लीनोफाइसिई - ये मीठे पानी या खारे पानी में पाए जाते हैं। बहुधा एकाकी और स्वतंत्र रूप में भ्रमणशील अथवा स्थिर रहते हैं। इनमें पौधों तथा जानवरों के गुण विद्यमान रहते हैं। कोशिका में केंद्रक तथा कशाभिका विद्यमान रहती है। जनन विभाजन द्वारा होता है।
(धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । ) हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) विश्व के सभी बड़े धर्मों में सबसे पुराना धर्म है। ये वेदों पर आधारित धर्म है, जो अपने अन्दर कई अलग अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय, और दर्शन समेटे हुए है। ये दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, पर इसके ज़्यादातर उपासक भारत में हैं और विश्व का सबसे ज्यादा हिन्दुओं का प्रतिशत नेपाल में है। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन असल में ये एकेश्वरवादी धर्म है।[१][२] [३] हिन्दी में इस धर्म को सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इंडोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नही है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है " हिन्सायाम दूयते या सा हिन्दु " अर्थात जो अपने मन वचन कर्म से हिंसा से दूर रहे वह हिन्दु है और जो कर्म अपने हितों के लिए दूसरों को कष्ट दे वह हिंसा है। नेपाल विश्व का एक मात्र आधुनिक हिन्दू राष्ट्र था (नेपाल के लोकतान्त्रिक आंदोलन के पश्चात के अंतरिम संविधान में किसी भी धर्म को राष्ट्र धर्म घोषित नहीं किया गया है। नेपाल हिन्दू राष्ट्र होने या ना होने का अंतिम फैसला संविधान सभा के चुनाव से निर्वाचित विधायक करेंगे)। अनुक्रम [छुपाएँ] १ इतिहास २ निरुक्त ३ मुख्य सिद्धान्त ३.१ ब्रह्म ३.२ ईश्वर ३.३ देवी और देवता ३.४ आत्मा ४ धर्मग्रन्थ ५ 2001 की गिनती के अनुसार (पुराने आंकड़े) ६ हिन्दू संस्कृति ६.१ वैदिक काल और यज्ञ ६.२ तीर्थ एवं तीर्थ यात्रा ६.३ मूर्तिपूजा ६.४ मंदिर ६.५ त्यौहार ६.६ शाकाहार ६.७ भक्त ६.८ उदाहरण के पृष्ठ ७ संदर्भ ८ वाह्य सूत्र इतिहास
तुम्हारा नाम ? आज़ाद
पहली बात तो यह कि अब इस ऑपरेटिंग सिस्टम के सभी भाग कर्नेल मोड में नहीं चलते बल्कि उनमें से कुछ चुनिंदा हिस्से ही चलते हैं। विस्ता में ज्यादातर ड्राइवर और सॉफ्टवेयर यूजर मोड में चलते हैं और कर्नेल मोड में किसी भी न चीज को इन्स्टाल करना आसान नहीं रह गया है। इसके लिए सिक्यूरिटी सर्टिफिकेट और एडमिनिस्ट्रेटर स्तर के अधिकारों की आवश्यकता पड़ती है। और एडमिनिस्ट्रेटर स्तर के विशेषाधिकार प्राप्त करना, विशेषकर दफ्तरों में, अब बहुत मुश्किल होगा। विंडोज विस्ता में सामान्य उपयोगकर्ता के अधिकार सीमित हैं। ऐसा भी नहीं है कि आप बतौर सामान्य उपयोगकर्ता के अपने कंप्यूटर में को सॉफ्टवेयर इन्सटाल ही न कर पाएं। ऐसा करने के लिए उन्हें अस्थायी तौर पर जरुरी अधिकार प्राप्त हो जाते हैं।
१९८४ में लिट्टे ने एक उग्रवादी मोर्चे की औपचारिक सदस्यता ग्रहण की जिसके अन्य सदस्य भी तमिळ उग्रवादी समूह थे - तमिळ ईलम लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (अंग्रेज़ी में संक्षेप - टेलो), ईलम रेवॉल्यूशनरी ऑर्गेनाईजेशन ऑफ़ स्टूडेन्ट्स (छात्रों का स्वदेशी क्रांतिकारी संगठन, अंग्रेजी में संक्षेप - इरोस), पिपुल लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ तमिल ईलम (पी एल ओ टी ई)। इस मोर्चे का नाम रखा गया था - ईलम नेशनल लिबरेशन फ्रंट (स्वदेश मुक्ति मोर्चा)। लेकिन १९८६ में लिट्टे इस मोर्चे से बाहर निकल गया और उसने एक एक करके अन्य सदस्य संगठनों पर अपना अघिपत्य जमाना चालू कर दिया। सबसे पहले इसने टेलो, जो कि उस समय श्रीलंका का सबसे बड़ा उग्रवादी निगम था, के सदस्यों तथा प्रशिक्षण शिविरों पर सशस्त्र हमला शुरु किया। कुछ महीनों के भीतर ही टेलो के सभी बड़े नेता मारे या पकड़े गए और लिट्टे का प्रभुत्व स्थापित हो गया । इसके बाद इसने इपीआरएलएफ़ के सदस्यों पर हमला बोला जिससे उसे जाफ़ना प्रायद्वीप में अपनी गतिविधियां बंद करनी पड़ी। इसके बाद एलटीटीई ने सभी तमिल लड़ाकों को एलटीटीई में मिल जाने को कहा । उस समय श्रीलंका मे छोटे-बड़े २० उग्रवादी संगठन कार्यरत थे, लगभग सभी ने लिट्टे की अधीनता या प्रभुत्व स्वीकार कर लिया । जाफना एक लिट्टे का दबदबा वाला शहर बन गया।
तदनन्तर दोनों पिता-पुत्र प्रसिद्ध आरूणि मुनि के हाथ से समिधा ग्रहण करके जिज्ञासु-भाव से महर्षि चित्र के पास गये और कहा कि वे विद्या-प्राप्ति हेतु उनके पास आये हैं। चित्र ने कहा-'हे गौतम! आप ब्राह्मणों में अति पूजनीय हैं और ब्रह्मविद्या के अधिकारी है; क्योंकि मेरे पास आते हुए आपके मन में अपनी श्रेष्ठता का तनिक-भी अभिमान नहीं है। मैं निश्चय ही आपको इसका बोध कराऊंगा।'
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मैक ओ.एस
महाक्रमो महाकर्मा महातेजा महोरगः ।
वैष्णव धर्मावलंबी और अधिकतर हिंदू भगवान विष्णु के १० अवतार मानते हैं:- मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन, नरसिंह, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि
अभिषेक - राजतिलक का स्नान जो राज्यारोहण को वैध करता था। पुराने काल मै जब किसी को राजा बनाया जाता था तो उस के सिर पर अभिमन्त्रित जल और औषधियों की वर्षा की जाती थी। इस क्रिया को ही अभिषेक कहते है। अभि उपसर्ग और सिञ्च् धातु कि सन्धि से अभिषेक शब्द बना है। कालांतर में राज्याभिषेक राजतिलक का पर्याय बन गया।
प्राची (मध्य देश)- पाटलिपुत्र
1872 में स्थापित लाहौर का यह चिड़ियाघर विश्व के सबसे प्राचीन चिड़ियाघरों में एक है। इस चिड़ियाघर को विकसित करने का श्रेय श्री लाल महुन्द्रा राम को जाता है। इस चिड़ियाघर में 136 प्रजातियों के 1381 जीवों, 49 सरीसृपों, 336 स्तनपायी 996 प्रकार की चिड़ियों को देखा जा सकता है। 1872 से 1923 तक यह चिड़ियाघर लाहौर नगर निगम के अधीन रहा था। चिड़ियाघर वनस्पति उद्यान में पेड़-पौधों की विविध किस्मों को भी देखा जा सकता है।
1970 - शेख मुजीब के नेतृत्व में अवामी लीग ने चुनाव में भारी बहुमत हासिल किया, पाकिस्तान की सरकार ने इन परिणामों को मानने से इनकार कर दिया. पाकिस्तानी सरकार के इस निर्णय के बाद दंगे भड़क उठे.
नृत्य करते नटराज की कैलाश पर्वत पर प्रतिमा, गुफा संख्या-16. इस पर रंग रोगन अभी भी भरपूर दिखता है, जो कभी पूरी गुफा में लगा था।
पाण्डवों के द्रौपदी को साथ ले कर अपने निवास पर पहुँचने के कुछ काल पश्चात् उनके पीछे-पीछे कृष्ण भी वहाँ पर आ पहुँचे। औपचारिकताएँ पूर्ण होने के पश्चात् कुन्ती ने द्रौपदी से कहा, "द्रौपदी!पहले देवताओं के अंश निकालो। फिर ब्राह्मणों को दो। तत्पश्चात् आश्रितों का अंश अलग करो। उसके बाद जो शेष बचे उसका आधा भाग भीम को और शेष आधा भाग हम सभी को अपनी देह परोसो।"पतिव्रता द्रौपदी ने कुन्ती के आदेश का पालन किया। भोजन के पश्चात् कुशासन पर मृगचर्म बिछा कर वे सो गये। द्रौपदी माता के पैरों की ओर सोई।
७. माता कुंती को दिए वचनानुसार 'नागास्त्र' का दूसरी बार प्रयोग ना करना।८. माता कुंती को दिए दो वचन।९. महाराज और कर्ण के सारथी पांडवों के मामा शल्य, जिन्होंने सत्रहवें दिन के युद्ध में अर्जुन की युद्ध कला की प्रशंसा करके कर्ण का मनोबल गिरा दिया।
अमेरिकी क्रान्ति से आशय अठ्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में घटित घटनाओं से है जिसमें तेरह कालोनियाँ ब्रितानी साम्राज्य से आजाद होकर संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America / USA) के नाम से एक देश बना। इस क्रान्ति में सन १७७५ एवं १७८३ के बीच तेरह कालोनियाँ मिलकर ब्रितानी साम्राज्य के साथ सशस्त्र संग्राम में शामिल हुईं। इस संग्राम को क्रान्तिकारी युद्ध या अमेरिका का स्वतन्त्रता संग्राम कहते हैं।
नीति- यह गढ़वाल में नीति-पास के दक्षिणी ढाल पर छोटा हिमखण्ड है।
संघर्ष की ओर
पर्यावरण को स्थाई सम्पति माननेवाला यह महापुरुष आज 'पर्यावरण गाँधी' बन गया है ।
2005 के सबसे हाल के यूरोबैरोमीटर चुनाव के अनुसार[८२], बेल्जियम के 43% नागरिकों ने उत्तर दिया कि "उनका मानना है कि भगवान होता है", जबकि 29% का उत्तर था कि "उनका मानना है कि आत्मा जैसी या जीवन शक्ति जैसी कुछ तो है" और 27% ने कहा कि "वे नहीं मानते कि किसी भी तरह की कोई आत्मा, भगवान, या जीवन शक्ति होती है".
मौसम विज्ञान में, चक्रवात एक ऐसा बंद परिपत्र है जिसका तरल पदार्थ, पृथ्वी के समान एक ही दिशा में चक्कर लगाता रहता है.[१][२] इसमें आमतौर पर हवा सर्पिल आकार में, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में वामावर्त रूप से घूमती है .
अल्बानिया, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, अजर्बैजान, बहामास, बहरीन, बांग्लादेश, बेलारूस, Belgium, Belize, Benin, Bermuda, Bolivia, Bosnia and Herzegovina, Botswana, Brazil, Bulgaria, Burkina Faso, Burundi, Cambodia, Canada, Chad, Chile, China, Colombia, Comoros, Republic of the Congo, Costa Rica, Côte d'Ivoire, Croatia, Cuba, Cyprus, Czech Republic, Democratic Republic of the Congo, Denmark, Djibouti, Dominican Republic, Ecuador, Egypt, El Salvador, Equatorial Guinea, Estonia, Finland, France, Gabon, The Gambia, Georgia, Germany, Ghana, Greece, Guatemala, Guinea, Guinea-Bissau, Honduras, Hungary, Hong Kong, Iceland, भारत, Indonesia, Iran, Ireland, Israel, Italy, Jamaica, Japan, Jordan, Kenya, Kyrgyz Republic, Latvia, Lebanon, Liberia, Libya, Liechtenstein, Lithuania, Luxembourg, Madagascar, Malawi, Malaysia, Mali, Malta, Mauritania, Mauritius, Mexico, Moldova, Monaco, Mongolia, Morocco, Namibia, Nepal, Netherlands, New Zealand, Nicaragua, Niger, Nigeria, Norway, Pakistan, Palau, Panama, Papua New Guinea, Paraguay, Peru, Philippines, Poland, Portugal, Republic of Macedonia, Romania, Russia, Saint Lucia, Senegal, Serbia, Sierra Leone, Slovakia, Slovenia, South Africa, South Korea, Spain, Sri Lanka, Suriname, Sweden, Switzerland, Syria, Tajikistan, Tanzania, Thailand, Togo, Trinidad and Tobago, Tunisia, Turkey, Turkmenistan, Uganda, Ukraine, United Kingdom, United States, Uruguay, Uzbekistan, Venezuela, Vietnam, Zambia, former USSR.
बेगमपेट हवाई अड्डा अन्तर्देशीय व अन्तर्राजीय विमान सेवा देता है। एक नया विमानक्षेत्र शम्साबाद में बन चुका है। पहले सभी बड़े शहरों की भांति यहां वयु यातायात संकुलन समस्या होती थी, परंतु नया हवाई अड्डा बन जाने से वह दूर हो चुकी है। यहां ट्रैफिक संकुलन की समस्या सड़कों पर बहुत दिखायी देती है। यह ऑटो, कार, इत्यादि की अत्यधिक संख्या के कारण होती है। इससे निबटाने के लिये अनेकों सेतु, फ्लाईओवर निर्माण हुए, परंतु यह वैसी की वैसी बनी हुई है। आंध्र प्रदेश सरकार ने इससे निबटने के लिये दिल्ली व कोलकाता की भांति ही यहां भी मैट्रो ट्रेन शुरु करने की मंजूरी दे दी है। [८] इसके पूर्ण हो जाने पर आशा है, कि यह समस्या काफी हद तक सुलझ जाये गी।
मृच्छकटिक, संस्कृत नाट्य साहित्य में यह सबसे अधिक लोकप्रिय रूपक है। इसके रचयिता शूद्रक हैं।
सम्राट अशोक की राजकीय घोषणाएँ जिन स्तम्भों पर उत्कीर्ण हैं उन्हें लघु स्तम्भ लेख कहा जाता है जो निम्न स्थानों पर स्थित हैं-
इलाहाबाद बैंक भारत का एक प्रमुख अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक है।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर मेजर मोहित शर्मा, मेजर डी़ श्रीराम कुमार और हवलदार राजेश कुमार को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पद्म पुरस्कार पाने वाले 130 व्यक्तियों के नामों की घोषणा की। इनमें रंगमंच जगत की किंवदंति इब्राहिम अल्काजी और जोहरा सहगल, मशहूर अदाकारा रेखा और आमिर खान, ऑस्कर विजेता ए़ आर रहमान और रसूल पोकुटटी, फार्मूला़ रेसर नारायण कार्तिकेयन, क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग, बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर शामिल हैं।
संरक्षण पर निर्भरसंकटासन्नखतरे से बाहर
हल्दिया भारत के पश्चिम बंगाल प्रांत का एक प्रमुख शहर है।
(प्रात:काल को) (सवेरे) (भी) (राम को देर में भी) तइहेन्दा
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास त्रिकालज्ञ थे तथा उन्होंने दिव्य दृष्टि से देख कर जान लिया कि कलियुग में धर्म क्षीण हो जायेगा। धर्म के क्षीण होने के कारण मनुष्य नास्तिक, कर्तव्यहीन और अल्पायु हो जावेंगे। एक विशाल वेद का सांगोपांग अध्ययन उनके सामर्थ से बाहर हो जायेगा। इसीलिये महर्षि व्यास ने वेद का चार भागों में विभाजन कर दिया जिससे कि कम बुद्धि एवं कम स्मरणशक्ति रखने वाले भी वेदों का अध्ययन कर सकें। व्यास जी ने उनका नाम रखा - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। वेदों का विभाजन करने के कारण ही व्यास जी वेद व्यास के नाम से विख्यात हुये। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को क्रमशः अपने शिष्य पैल, जैमिन, वैशम्पायन और सुमन्तुमुनि को पढ़ाया। वेद में निहित ज्ञान के अत्यन्त गूढ़ तथा शुष्क होने के कारण वेद व्यास ने पाँचवे वेद के रूप में पुराणों की रचना की जिनमें वेद के ज्ञान को रोचक कथाओं के रूप में बताया गया है। पुराणों को उन्होंने अपने शिष्य रोम हर्षण को पढ़ाया। व्यास जी के शिष्योंने अपनी अपनी बुद्धि के अनुसार उन वेदों की अनेक शाखाएँ और उप शाखाएँ बना दीं। व्यास जी ने महाभारत की रचना की।
राजस्थली (मारवाड़ी-मेवाड़ी ब्लॉग)
ब्राज़ील का एक राज्य ।
भारत के ब्रिटिश शासकों ने हमेशा ही भारत में "फूट डालो और राज्य करो" की नीति का अनुसरण किया। उन्होंने भारत के नागरिकों को संप्रदाय के अनुसार अलग-अलग समूहों में बाँट कर रखा। उनकी कुछ नीतियाँ हिन्दुओं के प्रति भेदभाव करती थीं तो कुछ मुसलमानों के प्रति। 20वीं सदी आते-आते मुसलमान हिन्दुओं के बहुमत से डरने लगे और हिन्दुओं को लगने लगा कि ब्रिटिश सरकार और भारतीय नेता मुसलमानों को विशेषाधिकार देने और हिन्दुओं के प्रति भेदभाव करने में लगे हैं। इसलिए भारत में जब आज़ादी की भावना उभरने लगी तो आज़ादी की लड़ाई को नियंत्रित करने में दोनों संप्रदायों के नेताओं में होड़ रहने लगी।
कोई भी उपकरण जिसका प्रयोग अपने शत्रु को चोट पहुँचाने, वश में करने या हत्या करने के लिये किया जाता है, शस्त्र या आयुध (weapon) कहलाता है। शस्त्र का प्रयोग आक्रमण करने, बचाव करने अथवा डराने-धमकाने के लिये किया जा सकता है। शस्त्र एक तरफ लाठी जितना सरल हो सकता है तो दूसरी तरफ बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र जितना जटिल भी।
(१) धौली- यह उड़ीसा के पुरी जिला में है ।
माउंट आबू: रेगिस्तान में हिल स्टेशन
हिन्दी में इस धर्म को सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नही है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है " हिंसायाम दूयते या सा हिन्दु "[टंकणगत अशुद्धि?] अर्थात् जो अपने मन, वचन, कर्म से हिंसा से दूर रहे वह हिन्दू है और जो कर्म अपने हितों के लिए दूसरों को कष्ट दे वह हिंसा है।
शेरशाह ने एक जनहितकारी शासन प्रणाली की स्थापना की । शासन को सुविधाजनक प्रबन्ध के लिए सारा साम्राज्य को ४७ भागों में बाँट दिया, जिसे प्रान्त कहा जाता है । प्रत्येक प्रान्त में एक फौजदार था जो सूबेदार होता था । प्रत्येक प्रान्त सरकार, परगनों तथा गाँव परगने में बँटे थे । सरकार में प्रमुख अधिकारी होते थे-शिकदार-ए-शिकदारा तथा मुन्सिफ-ए-मुन्सिफा । प्रथम सैन्य अधिकारी होता था, जबकि दूसरा दीवानी मुकदमों का फैसला देता था ।
इलाहाबाद गंगा-यमुना नदियों के संगम पर स्थित है। ये एक भू-स्थित प्रायद्वीप रूप में देखा जा सकता है जिसे तीन ओर से नदियों ने घेर रखा है एवं मात्र एक ओर ही मुख्य भूमि से जुड़ा है। इस कारण ही शहर के भीतर व बाहर बढ़ते यातायात परिवहन हेतु अनेक सेतुओं द्वारा गंगा व यमुना नदियों के पार जाते हैं।
अल्मोड़ा  · उधमसिंह नगर  · चम्पावत  · नैनीताल  · पिथौरागढ़  · बागेश्वर
जापान का प्रथम लिखित साक्ष्य ५७ ईस्वी के एक चीनी लेख से मिलता है। इसमें एक ऐसे राजनीतिज्ञ के चीन दौरे का वर्णन है, जो पूर्व के किसी द्वीप से आया था। धीरे-धीरे दोनो देशों के बीच राजनैतिक और सांस्कृतिक सम्बंध स्थापित हुए। उस समय जापानी एक बहुदैविक धर्म का पालन करते थे, जिसमें कई देवता हुआ करते थे। छठी शताब्दी में चीन से होकर बौद्ध धर्म जापान पहुंचा। इसके बाद पुराने धर्म को शिंतो की संज्ञा दी गई जिसका शाब्दिक अर्थ होता है - देवताओं का पंथ। बौद्ध धर्म ने पुरानी मान्यताओं को खत्म नहीं किया पर मुख्य धर्म बौद्ध ही बना रहा। चीन से बौद्ध धर्म का आगमान उसी प्रकार हुआ जिस प्रकार लोग, लिखने की प्रणाली (लिपि) तथा मंदिरो का सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक कार्यों के लिए उपयोग।
यह भूरे तथा बादामी रंग का पत्थर होता है।
वडोदरा विमानक्षेत्र भारत के वडोदरा शहर में स्थित हवाई अड्डा है। इसका ICAO कोड है: VABO , और IATA कोड है: BDQ । यह नागरिक हवाई अड्डा है। यहाँ कस्टम विभाग नहीं है। यहाँ की उड़ान पट्टी पेव्ड है, इसकी लंबाई ८१०० फुट है और यहाँ अवतरण प्रणाली यांत्रिक है।
इसके बाद वह रिवोल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और वन्दे मातरम् पंफलेट वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। १९०५ में बंगाल विभाजन (बंग भंग) के विरोध में चलाए गए आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
नकारात्मक फल
गंगा की इस प्राचीन धारा के बारे में प्राचीन साहित्य में भी अनेक प्रमाण हैं। ब्राह्मण और बौद्ध साहित्य में तो गंगा की इस धारा की कोई चर्चा नहीं है पर जैन साहित्य में इसका थोड़ा बहुत उल्लेख है। जैनों ने एक प्राचीन अंग नायाधम्म कहा (४/१२१) में इस बात का उल्लेख है कि वाराणसी के उत्तर-पूर्व में मयगंगा तीर्थदह अर्थात मृतगंगा तीर्थहृद था। उत्तराध्ययन चूर्णि [२] के अनुसार मयगंगा के निचले बहाव के रुख में एक हृद था जिसमें काफी पानी इकट्ठा हो जाता था जो कभी निकलता नहीं था। जिनप्रभसूरि ने विविध तीर्थकल्प [३] में मातंग ॠषि बल का जन्म स्थान मृतगंगा का किनारा बतलाया है। कथा में यह कहा गया है कि ॠषि बल एक समय तिन्दुक नामक उपवन में ठहरे थे। वहां उन्होंने अपने गुणों से गंडी तिन्दुक यक्ष को प्रसन्न कर लिया। कोसल राज की कन्या ने एक समय ॠषि को देखकर उन पर थूक दिया। इस पर यक्ष उसके सिर पर गढ़ गाय और राज कन्या को ॠषि से विवाह करना पड़ा। ॠषि ने बाद में उसे त्याग दिया और उसने रुद्रदेव से विवाह कर लिया। भिक्षा-याचना पर निकले ॠषि का एक समय ब्राह्मण अपमान कर रहे थे लेकिन भद्रा ने उन्हें पहचाना और ब्राह्मणों की भर्त्स्ना की। ॠषि ने फिर ब्राह्मणों को भी क्षमा कर दिया।
पूर्णः पूरयिता पुण्यः पुण्यकीर्तिरनामयः ।।(७३)
१२. भारत की सम्पर्क भाषा
ऐतिहासिक रुप से किसी गुरु के लिये अचार्य बनने / समझे जाने के लिये वेदांत की पुस्तकों पर टीकाएँ या भाष्य लिखने पड़ते हैं। इन पुस्तकों में तीन महत्वपूर्ण पुस्तक शामिल हैं उपनिषद, भगवद गीता, और ब्रह्मसूत्र. तदनुसार आदि शंकराचार्य, रामानुज और मध्वाचार्य तीनों ने इन तीन महत्वपूर्ण पुस्तकों पर विशिष्ट रचनायें दी हैं।
खुडुवा (कबड्डी) खुड़वा पाली दर पाली कबड्डी की भांति खेला जाने वाला खेल है । दल बनाने के इसके नियम कबड्डी से भिन्न है । दो खिलाड़ी अगुवा बन जाते है । शेष खिलाड़ी जोड़ी में गुप्त नाम धर कर अगुवा खिलाड़ियों के पास जाते है - चटक जा कहने पर वे अपना गुप्त नाम बताते है । नाम चयन के आधार पर दल बन जाता है । इसमें निर्णायक की भूमिका नहीं होती, सामूहिक निर्णय लिया जाता है । खेल के साथ गीत गाते है-
सिंहली भाषा श्रीलंका में बोली जाने वाली सबसे बड़ी भाषा है। सिंहली के बाद श्रीलंका में सबसे ज्यादा बोली जानेवाली भाषा तमिल है। प्राय: ऐसा नहीं होता कि किसी देश का जो नाम हो, वही उस दश में बसने वाली जाति का भी हो, और वही नाम उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा का भी हो। सिंहल द्वीप की यह विशेषता है कि उसमें बसने वाली जाति भी "सिंहल" कहलाती चली आई है और उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा भी "सिंहल"।
२३-नाग बोडस का अम्मा तुझे सलाम
अंगोला नाम N’gola बन्तु भाषा (जो कि पुर्तगाली से निकली है) भाषा मे मुबुन्दु के राजा को कहा जाता है ।
इसमें इस्लाम का एकेश्वरवादथा, तो पारसी धर्म के अनुसार सूर्य और अग्नि उस ईश्वर के प्रकाश और तेज के रूप में पूजनीय थे। हिन्दू और जैन धर्मों के अहिंसावाद की इस धर्म पर गहरी छाप थी।
स्थानीय निवासिओं को कम कीमतों पर आयात करने की सुविधा देने और अधिक पर्यटकों जो फिलहाल दुबई और सिंगापुर जाते हैं, को आकर्षित के लिए मॉरीशस अगले चार साल मे एक शुल्क मुक्त (ड्यूटी फ्री) द्वीप बनने की दिशा में प्रयासरत है। कई उत्पादों पर ड्यूटी (शुल्क) समाप्त कर दिया गया है और 1850 से अधिक उत्पादों पर जिनमें कपड़े, भोजन, गहने, छायांकन (फोटोग्राफिक) उपकरण, श्रव्य दृश्य उपकरण और प्रकाश व्यवस्था के उपकरण शामिल है पर शुल्क घटा दिया गया है। इसके अतिरिक्त, नए व्यावसायिक अवसरों को आकर्षित करने के उद्देश्य से आर्थिक सुधारों को भी लागू किया गया है. हाल ही में, 2007-2008 के बजट में वित्त मंत्री राम सीतानन ने कंपनी (कार्पोरेट) कर को घटा कर 15 % कर दिया है[तथ्य वांछित]। ब्रिटिश अमेरिकी इंवेस्टमेंट कंपनी मॉरीशस में मर्सिडीज बेंज ,पीजो, मित्सुबिशी और साब कारों की बिक्री का प्रतिनिधित्व करती है।
1938 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन हरिपुरा में होने का तय हुआ था। इस अधिवेशन से पहले गाँधीजी ने कांग्रेस अध्यक्षपद के लिए सुभाषबाबू को चुना। यह कांग्रेस का ५१वा अधिवेशन था। इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष सुभाषबाबू का स्वागत 51 बैलों ने खींचे हुए रथ में किया गया।
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योगा तिब्बती बौद्ध धर्म का केंद्र है. न्यिन्गमा परंपरा में,ध्यान का अभ्यास का रास्ता नौ यानाओं , या वाहन मे विभाजित है,कहा जाता है यह परम व्यूत्पन्न भी है.[५८] अंतिम के छह को "योग यानास" के रूप मे वर्णित किया जाता है,यह है:क्रिया योग ,उप योग (चर्या ) ,योगा याना ,महा योग , अनु योग और अंतिम अभ्यास अति योग. [५९] सरमा परंपराओं नेमहायोग और अतियोग की अनुत्तारा वर्ग से स्थानापन्न करते हुए क्रिया योग,उपा(चर्या)और योग को शामिल किया हैं. अन्य तंत्र योग प्रथाओं में 108 शारीरिक मुद्राओं के साथ सांस और दिल ताल का अभ्यास शामिल हैं.[६०] अन्य तंत्र योग प्रथाओं 108 शारीरिक मुद्राओं के साथ सांस और दिल ताल का अभ्यास को शामिल हैं.
राष्ट्रपति,जो कि राष्ट्र का प्रमुख है, की भूमिका अधिकतर आनुष्ठानिक ही है। उसके कार्यों में संविधान का अभिव्यक्तिकरण, प्रस्तावित कानूनों (विधेयक) पर अपनी सहमति देना, और अध्यादेश जारी करना। वह भारतीय सेनाओं का मुख्य सेनापति भी है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को एक अप्रत्यक्ष मतदान विधि द्वारा ५ वर्षों के लिये चुना जाता है। प्रधानमन्त्री सरकार का प्रमुख है और कार्यपालिका की सारी शक्तियाँ उसी के पास होती हैं। इसका चुनाव राजनैतिक पार्टियों या गठबन्धन के द्वारा प्रत्यक्ष विधि से संसद में बहुमत प्राप्त करने पर होता है। बहुमत बने रहने की स्थिति में इसका कार्यकाल ५ वर्षों का होता है। संविधान में किसी उप-प्रधानमंत्री का प्रावधान नहीं है पर समय-समय पर इसमें फेरबदल होता रहा है।
दो पैरों के प्रतियोगिता में ( जिसमें प्रत्येक टीम अपने देश में एक बार खेलेगा) खेल में समान स्कोर वाले बनाने वाले टीमों के आगे ले जाने के लिए देश के बाहर के गोल वाला नियम (away goals rule) का प्रयोग कर सकते हैं, और विजेता वही होता है जो देश से बाहर पैर से खेलने वाला होता है.यदि परिणाम फिर भी बराबर हो तो आम तौर पर पेनाल्टी चिन्ह से किक मारना आवश्यक है हालाँकि कुछ प्रतियोगिताओं में टाई होने से खेल को फिर से खेला जाना आवश्यक है.
उत्तराखण्डी खानपान का अर्थ राज्य के दोनों मण्डलों, कुमाऊँ और गढ़वाल, के खानपान से है। पारम्परिक उत्तराखण्डी खानपान बहुत पौष्टिक और बनाने में सरल होता है। प्रयुक्त होने वाली सामग्री सुगमता से किसी भी स्थानीय भारतीय किराना दुकान में मिल जाती है।
साइप्रस गणतंत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राज्य है, जिसकी पूरे द्वीप और आस पास के जल पर विधि सम्मत संप्रभुता है, केवल छोटे हिस्से को छोड़कर, जो संधि द्वारा यूनाइटेड किंगडम के लिए संप्रभु सैन्य ठिकानों के रूप में आवंटित कर रहे हैं। यह द्वीप वस्तुत: चार मुख्य भागों में विभाजित है:
स्रोत : मक्खन, घी, वनस्पति तेल और वसा, तिलहन और गिरी, मछली का तेल और अण्डे की जर्दी।
विषय की गम्भीरता तथा विवेचन की विशदता के कारण १३ उपनिषद् विशेष मान्य तथा प्राचीन माने जाते हैं। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने १० पर अपना भाष्य दिया है- (१) ईश, (२) ऐतरेय (३) कठ (४) केन (५) छांदोग्य (६) प्रश्न (७) तैत्तिरीय (८) बृहदारण्यक (९) मांडूक्य और (१०) मुंडक। उन्होने निम्न तीन को प्रमाण कोटि में रखा है- (१) श्वेताश्वतर (२) कौषीतकि तथा (३) मैत्रायणी।
उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुन्दर ढकी हुई है,
मनोवैज्ञानिक रचनाओं में दोस्तोव्स्की ही तॉलस्ताय के समकक्ष ठहरते हैं। गाल्स्वर्दी, टामस मान, जूल्स रोम्याँ आदि महान् लेखकों पर तॉलस्तॉय का उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है। परवर्ती रूसी लेखकों को भी तॉलस्तॉय ने यथेष्ट प्रभावित किया है।
सुशील कुमार, निर्मला पुतुल, अशोक सिन्हा ,रामवरण चौधरी,
हम व्यवहार में यह देखते हैं कि भाषा का सम्बन्ध एक व्यक्ति से लेकर सम्पूर्ण विश्व-सृष्टि तक है। व्यक्ति और समाज के बीच व्यवहार में आने वाली इस परम्परा से अर्जित सम्पत्ति के अनेक रूप हैं। समाज सापेक्षता भाषा के लिए अनिवार्य है, ठीक वैसे ही जैसे व्यक्ति सापेक्षता। और भाषा संकेतात्मक होती है अर्थात् वह एक ‘प्रतीक-स्थिति' है। इसकी प्रतीकात्मक गतिविधि के चार प्रमुख संयोजक हैः दो व्यक्ति-एक वह जो संबोधित करता है, दूसरा वह जिसे संबोधित किया जाता है, तीसरी संकेतित वस्तु और चौथी-प्रतीकात्मक संवाहक जो संकेतित वस्तु की ओर प्रतिनिधि भंगिमा के साथ संकेत करता है।
Pszczyna
टीले से आती लंबी सीढ़ियां
वाइड – दंड के रूप में दी गई एक अतिरिक्त गेंद होती है जो तब दी जाती है जब गेंदबाज ऐसी गेंद डालता है जो बल्लेबाज की पहुँच से बाहर हो.
यह मकराने की जाति का पत्थर है।
वह मथुरा नरेश कंस का परम मित्र था। श्रीकृष्ण से कंस वध का प्रतिशोध लेने के लिए उसने १७ बार मथुरा पर चढ़ाई की लेकिन हर बार उसे असफल होना पड़ा। जरासंध श्री कृष्ण का परम शत्रु और एक योद्धा था।
एल एम शर्मा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं।
३. दुःख निरोध : तृष्णा से मुक्ति पाई जा सकती है ।
9. डॉ नगेन्द्र : हिंदी साहित्य का इतिहास; हिंदी वांड्मय 20वीं शती
पहले चार वेद मन्त्रों के शुद्ध उच्चारण और अर्थ समझने के लिए तथा अन्तिम दो धार्मिक कर्मकाण्ड और यज्ञों का समय जानने के लिए आवश्यक हैं। व्याकरण को वेद का मुख कहा जाता है, ज्योतिष को नेत्र, निरुक्त को श्रोत्र, कल्प को हाथ, शिक्षा को नासिका तथा छन्द को दोनों पैर।
"हंस" दिल्ली से प्रकाशित होने वाली हिन्दी की एक कथा मासिक है जिसके संपादक राजेन्द्र यादव हैं।
शेष वैज्ञानिक अनिश्चितताओं (uncertainties) में भविष्‍य का गर्म तापमान और पूरे विश्व के अलग-अलग भागों में गर्मी और संबंधित परिवर्तनों की भिन्‍नता शामिल है.ज्यादातर राष्ट्रीय सरकारों (Most national governments)ने क्योटो प्रोटोकॉल (Kyoto Protocol)पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और उसकी तस्दीक़ भी कर दी है. क्योटो प्रोटोकॉल का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैसों ओ कम करना है ,पर सारे संसार में राजनितिक (political)और लोक बहस (public debate)छिडी हुई है की कोई कदम उठाना चाहिए के नही ताकि भविष्य में वार्मिंग को कम किया जा सके या उलटाया (reduce or reverse)जा सके या उसके असर को ढाला (adapt)जा सके
दूरभाष- 0565-2460514
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के परिसर में नया विश्वनाथ मंदिर बना है, जिसका निर्माण बिरला परिवार के राजा बिरला ने करवाया था।[८४] ये मंदिर सभी धर्मों और जाति के लोगों के लिये खुला है।
रोमांश विकिपीडिया विकिपीडिया का रोमांश भाषा का संस्करण है। यह दिसंबर २००३ में आरंभ किया गया था। २७ मई, २००९ तक इस विकिपीडिया पर लेखों की संख्या ३,१६८+ है और यह विकिपीडिया का १२८वां सबसे बड़ा संस्करण है।
जाजमऊ को प्राचीन काल में सिद्धपुरी नाम से जाना जाता था। यह स्थान पौराणिक काल के राजा ययाति के अधीन था। वर्तमान में यहां सिद्धनाथ और सिद्ध देवी का मंदिर है। साथ ही जाजमऊ लोकप्रिय सूफी संत मखदूम शाह अलाउल हक के मकबरे के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मकबरे को 1358 ई. में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। 1679 में कुलीच खान की द्वारा बनवाई गई मस्जिद भी यहां का मुख्य आकर्षण है। 1957 से 58 के बीच यहां खुदाई की गई थी जिसमें अनेक प्राचीन वस्तुएं प्राप्त हुई थी।
शेष छह प्रकार की तुलाओं का उपयोग भारी वजन की वस्तुओं के तौलने में होता था जिन्हें समावृत्त, परिमाणी, व्यावहारिकी, भाजनी और अंत:पुरभाजनी तुला कहते थे।
ए के माथुर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं।
यह रत्न पीले रंग, सफेद रंग तथा नीले रंगों में पाया जाता है।
कुछ प्रमुख कृतियाँ : कविता संग्रह- गीत फरोश, चकित है दुख, गाँधी पंचशती, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, त्रिकाल संध्या, व्यक्तिगत, परिवर्तन जिए, तुम आते हो, इदंन मम्, शरीर कविता फसलें और फूल, मान-सरोवर दिन, संप्रति, अँधेरी कविताएँ, तूस की आग, कालजयी, अनाम और नीली रेखा तक। इसके अतिरिक्त बच्चों के लिए तुकों के खेल, संस्मरण जिन्होंने मुझे रचा और निबंध संग्रह कुछ नीति कुछ राजनीति भी प्रकाशित हुए।
अक्षरग्राम नेटवर्क हिन्दी चिट्ठाकारों एवं तकनीकिज्ञों का एक गैरलाभकारी सामुदायिक स्वयंसेवक समूह है जो कि कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट पर हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु कार्य करता है। यह समूह हिन्दी चिट्ठाकारी से सम्बंथित विभिन्न सेवाएँ संचालित करता है। शुरुआती दिनों में इण्टरनेट पर हिन्दी के प्रचार-प्रसार में इस समूह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी विभिन्न सेवाओं नारद, सर्वज्ञ, परिचर्चा आदि ने नए चिट्ठाकारों को स्थापित होने में काफी सहायता की।
पुरातत्व और भाषाई सबूत यह सुझाते हैं कि कोरियाई लोगों की उत्पत्ति दक्षिण-मध्य साइबेरिया के अल्टायाक भाषा बोलने वाले प्रवासियों में हुई थी,[2] जो नवपाषाण युग से कांस्य युग तक लगातार बहाव में प्राचीन कोरिया में बसते गए. [3] 2 शताब्दी ई.पू. में, चीनी लेखन प्रणाली (कोरियाई में "हंजा"), और 4 शताब्दी ई. में बौद्ध धर्म को अपनाने के कारण कोरिया के तीन साम्राज्यों पर गहरा प्रभाव पड़ा. कोरिया बाद में इन सांस्कृतिक अग्रिमों का एक संशोधित संस्करण पर जापान को पारित कर दिया.[१][२][३][४]
इस्कोन मंदिर (दॉ इंटरनेशलन सोसायटी फॉर कृष्णा कंसी) बंगलूरू की खूबसूरत इमारतों में से एक है। इस इमारत में कई आधुनिक सुविधाएं जैसे मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय है। इस मंदिर के सदस्यो व गैर-सदस्यों के लिए यहां रहने की भी काफी अच्छी सुविधा उपलब्ध है।
वेद के चार भाग हैं - संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद् ।
2 ATP
जमीन के रास्ते जाते हुए तेरह मील आगे गोपी-तालाब पड़ता है। यहां की आस-पास की जमीन पीली है। तालाब के अन्दर से भी रंग की ही मिट्टी निकलती है। इस मिट्टी को वे गोपीचन्दन कहते है। यहां मोर बहुत होते है। गोपी तालाब से तीन-मील आगे नागेश्वर नाम का शिवजी और पार्वती का छोटा सा मन्दिर है। यात्री लोग इसका दर्शन भी जरूर करते है।
बारीसाल बांग्लादेश का एक उपक्षेत्र है इसका मुख्यालय बारीसाल है। इस उपक्षेत्र या प्रान्त में ६ जिले हैं। बरगुना, बारीसाल, भोला, झालोकटी, पतुआखाली, पीरोजपुर
विश्व शान्ति की सार्थकता एक नए विश्व के निर्माण में है जिसके लिए विश्व के सभी देशों में सद्भावना का विकास आवश्यक है। सह-अस्तित्व की परिपुष्टि के लिए आत्म तुल्यता एवं समभाव की विचारणा का पल्लवन आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय सद्भावना के लिए विश्व बंधुत्व की भावना का पल्लवन आवश्यक है।
आयुध उन यंत्रों को कहते हैं जिनका प्रयोग युद्ध में होता है। इस प्रकार तीर, तलवार से लेकर बड़ी-बड़ी तोपों तक सभी यंत्र आयुध हैं। आयुध के विकास का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानव जाति के विकास का। मानव जीवन आदिकाल से संघर्षपूर्ण रहा है। जीवनरक्षा के लिए उसे भयानक और शक्तिशाली जीवजंतुओं से लड़ना पड़ा होगा। मनुष्य के पास न तो उन जीवजंतुओं के बराबर बल था, न उतना मोटा और कठोर चर्म और न तीव्र तथा घातक दाँत तथा नख ही थे। अपने अनुभवों तथा बुद्धि से मनुष्य ने प्रथम शस्त्रों का आविष्कार किया होगा। एँडे या लाठी का विकास बरछा, गदा, तलवार, बल्लभ और आधुनिक संगीन में हुआ। इसी प्रकार फेंककर मारनेवाले साधारण पत्थर का विकास भाला, धनुष-बाण, गुलेल, गोला, गोली तथा आधुनिक परमाणु बम में हुआ।
हिन्दू धर्म में, संस्कार परम्परा के अंतर्गत भावी माता-पिता को यह तथ्य समझाए जाते हैं कि शारीरिक, मानसिक दृष्टि से परिपक्व हो जाने के बाद, समाज को श्रेष्ठ, तेजस्वी नई पीढ़ी देने के संकल्प के साथ ही संतान पैदा करने की पहल करें । गर्भ ठहर जाने पर भावी माता के आहार, आचार, व्यवहार, चिंतन, भाव सभी को उत्तम और संतुलित बनाने का प्रयास किया जाय । उसके लिए अनुकूल वातवरण भी निर्मित किया जाय । गर्भ के तीसरे माह में विधिवत पुंसवन संस्कार सम्पन्न कराया जाय, क्योंकि इस समय तक गर्भस्थ शिशु के विचार तंत्र का विकास प्रारंभ हो जाता है । वेद मंत्रों, यज्ञीय वातावरण एवं संस्कार सूत्रों की प्रेरणाओं से शिशु के मानस पर तो श्रेष्ठ प्रभाव पड़ता ही है, अभिभावकों और परिजनों को भी यह प्रेरणा मिलती है कि भावी माँ के लिए श्रेष्ठ मनःस्थिति और परिस्थितियाँ कैसे विकसित की जाए ।
आगम के बिना कर्तव्य एवं अकर्तव्य का निश्चय नहीं हो सकता। ऋषियों में जो अतींद्रिय वस्तु को देखने का ज्ञान है वह भी आगम ही के द्वारा प्राप्त है (वाक्य. 1।37)। तर्क के द्वारा कोई यथार्थ ज्ञान नहीं प्राप्त हो सकता, वह परिवर्तनशील है। ऊँचे स्तर के ऋषियों के लिए भूत और भविष्य सभी प्रत्यक्ष हैं। ज्ञान के स्वप्रकाश होने के कारण उसमें आत्मा का स्वरूप तथा घट आदि ज्ञेय पदार्थ का स्वरूप दोनों भासित होते हैं। उसी प्रकार शब्द में अर्थ का स्वरूप और उसका अपना स्वरूप, दोनों की प्रतीति होती है।
गोपी अपने हृदय की दशा का वर्णन करती है। जब मुस्कुराता हुआ कृष्ण सुख देने वाले कुंज से बाहर निकला तो संयोग से मैं भी अपने घर से निकली। मुझे देखते ही उसने मुझ पर अपने विशाल नेत्रों के प्रेम में पगे बाण चलाए मैं सह न सकी और जिस प्रकार बाण लगने पर हिरणी चक्कर खा कर भूमि पर गिरती है, उसी प्रकार मैं भी अपनी सुध-बुध खो बैठी। मैं सारे कुल की लाज और बडप्पन छोड क़ृष्ण को देखती रह गई।
अग्नि की पति-पतनी परिक्रमा करें । बायें से दायें की ओर चलें । पहली चार परिक्रमाओं में कन्या आगे रहे और वर पीछे । चार परिक्रमा हो जाने पर लड़का आगे हो जाए और लड़की पीछे । परिक्रमा के समय परिक्रमा मन्त्र बोला जाए तथा हर परिक्रमा पूरी होने पर एक-एक आहुति वर-वधू गायत्री मन्त्र से करते चलें, इसका तात्पयर् है- घर-परिवार के कार्यों में लड़की का नेतृत्व रहेगा, उसके परामर्श को महत्त्व दिया जाएगा, वर उसका अनुसरण करेगा, क्योंकि उन कामों का नारी को अनुभव अधिक होता है । बाहर के कार्यों में वर नेतृत्व करता है और नारी उसका अनुसरण करती है, क्योंकि व्यावसायिक क्षेत्रों में वर का अनुभव अधिक होता है । जिसमें जिस दिशा की जानकारी कम हो, दूसरे में उसकी जानकारी बढ़ाकर अपने समतुल्य बनाने में प्रयतनशील रहें । भावना क्षेत्र में नारी आगे है, कर्म क्षेत्र में पुरुष । दोनों पक्ष अपने-अपने स्थान पर महत्त्वपूर्ण हैं । कुल मिलाकर नारी का वचर्स्व, पद, गौरव एवं वजन बड़ा बैठता है । इसलिए उसे चार परिक्रमा करने और नर को तीन परिक्रमा करने का अवसर दिया जाता है । गौरव के चुनाव के ४ वोट कन्या को और ३ वोट वर को मिलते हैं । इसलिए सदा नर से पहला स्थान नारी को मिला है । सीताराम, राधेश्याम, लक्ष्मीनारायण, उमामहेश आदि युग्मों में पहले नारी का नाम है,पीछे नर का ।
ऐतिहासिक रूप से दुबई और दुबई की खाड़ी के पार इसकी अनुलिपि , डिरा (उस समय दुबई शहर से स्वतंत्र), पश्चिमी निर्माताओं के अवसरों के लिए महत्वपूर्ण बंदरगाह बन गए थे . नए शहर के ज्यादातर बैंकिंग और वित्तीय केंद्रों के मुख्यालय बंदरगाह क्षेत्र में थे . दुबई ने 1970 और 1980 के दशक में एक व्यापार मार्ग के रूप अपने महत्व को बनाए रखा . दुबई में सोने का मुक्त व्यापार होता है और 1990 के दशक तक भारत में सोने के खंड की "तेज तस्करी व्यापार"[६७] का केंद्र था जहां सोने का आयात प्रतिबंधित था .
यरूशलम इसरायल की राजधानी है पर अन्य महत्वपूर्ण शहरों में तेल अवीव का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है । यहाँ की प्रमुख भाषा इब्रानी (हिब्रू) है, जो दाहिने से बाँए लिखी जाती है, और यहाँ के निवासियों को इसरायली कहा जाता है ।
२) इसकी सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता के कारण सर्वश्रेष्ठता भी स्वयं सिद्ध है।
८ रत्ती = १ माशा; १२ माशा = १ तोला
DVD विनिर्माण
'गीताप्रेस' यह नाम ही अपनेमें पूर्ण परिचय है। इसका नामकरण भगवान् श्रीकृष्णचन्द्रकी अमोघ एवं कल्याणमयी वाणी 'गीता'के नामपर हुआ है। यह एक विशुद्ध आध्यात्मिक संस्था है। सन् 1923 ई० में इसकी स्थापना हुई थी। इस सुदीर्घ अन्तरालमें यह संस्था सद्भावों एवं सत्-साहित्यका उत्तरोत्तर प्रचार-प्रसार करते हुए भगवत्कृपासे निरन्तर प्रगतिके पथपर अग्रसर है। आज न केवल समूचे भारतमें अपितु विदेशोंमें भी यह अपना स्थान बनाये हुए है। गीताप्रेसने निःस्वार्थ सेवा-भाव, कर्तव्य-बोध, दायित्व-निर्वाह, प्रभुनिष्ठा, प्राणिमात्रके कल्याणकी भावना और आत्मोद्धारकी जो सीख दी है, वह सभीके लिये अनुकरणीय आदर्श बना हुआ है।
तेंदुलकर 160 टेस्ट मैचों में भी अब तक 12877 रन बना चुके हैं और इस तरह से उनके नाम पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ३०००० से ज्यादा रन और 88 शतक दर्ज हैं। तेंदुलकर ने अपने एक दिवसीय करियर में सर्वाधिक रन आस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाए हैं। उन्होंने विश्व चैंपियन के खिलाफ 60 मैच में 3000 से ज्यादा रन ठोके हैं जिसमें 9 शतक और १५ अर्धशतक शामिल हैं। श्रीलंका के खिलाफ भी उन्होंने सात शतक और 14 अर्धशतक की मदद से 2471 रन बनाए हैं लेकिन इसके लिए उन्होंने 66 मैच खेले हैं।
नई सहस्राब्दी में देश ने फिर ने फिर से एक तख्तापलट देखा। इस तख्तापलट में जॉर्ज स्पीट ने तत्कालीन प्रधान मंत्री महेंद्र चौधरी, की सरकार को उखाड़ फेंका जो 1997 के संविधान के बाद निर्वाचित हुयी थी। कमोडोर फ्रैंक बैनीमरामा ने राष्ट्रपति मारा के इस्तीफे जो संभवतः मजबूर मे दिया गया था के बाद कार्यकारी शक्ति ग्रहण कर लीं। सन 2000 में सुवा की महारानी एलिजाबेथ बैरकों में हुऐ दो सैनिक विद्रोहों ने फिजी को हिला कर रख दिया जब विद्रोही सैनिकों ने शहर में हुड़दंग मचा दिया। उच्च न्यायालय ने संविधान की बहाली का आदेश दिया और, सितंबर 2001 में , लोकतंत्र को बहाल करने के लिए आम चुनाव आयोजित किये गये, जो अंतरिम प्रधानमंत्री लेसीनिया करासे की सोकोसोको दुआवाता नी लेवेनिवानुआ पार्टी ने जीते।
अमृत बूंदे छलकने के समय जिन राशियों में सूर्य,चन्द्र, गुरू की स्थिति के विशिष्ट योग के अवसर रहते हैं, वहां कुंभ पर्व का इन राशियों में गृहों के संयोग पर आयोजन होता है। इस अमृत कलश की रक्षा में सूर्य,गुरू और चन्द्रमा के विशेष प्रयत्न रहे। इसी कारण इन्हीं गृहों की उन विशिष्ट स्थितियों में कुंभ पर्व मनाने की परम्परा है।
बंबई से लौट कर स्वामी जी दिल्ली आये। वहां उन्होंने सत्यानुसंधान के लिए ईसाई, मुसलमान और हिंदू पंडितों की एक सभा बुलायी। किंतु दो दिनों के विचार-विमर्श के बाद भी लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं आ सके। दिल्ली से स्वामी जी पंजाब गये। पंजाब में उनके प्रति बहुत उत्साह जाग्रत हुआ और सारे प्रांत में आर्यसमाज की शाखाएं खुलने लगीं। तभी से पंजाब आर्यसमाजियों का प्रधान गढ़ रहा है।
सन् 1936 के निर्वाचनों में जब मुस्लिम लीग के कट्टर अनुयायी चुनकर गए और हिंदू सीटों पर कांग्रेसी चुने गए, जो लीग की किसी भी राष्ट्रद्रोही माँग का समुचित् उत्तर देने में असमर्थ थे, तब पाकिस्तान बनाने की माँग जोर पकड़ती गई। हिंदु महासभा ने अपनी शक्ति भर इसका विरोध किया।
चन्द्रगुप्त मौर्य के विशाल साम्राज्य में काबुल, हेरात, कन्धार, बलूचिस्तान, पंजाब, गंगा-यमुना का मैदान, बिहार, बंगाल, गुजरात था तथा विन्ध्य और कश्मीर के भू-भाग सम्मिलित थे, लेकिन चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना साम्राज्य उत्तर-पश्‍चिम में ईरान से लेकर पूर्व में बंगाल तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक तक विस्तृत किया था । अन्तिम समय में चन्द्रगुप्त मौर्य जैन मुनि भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला चला गया था । २९८ ई. पू. में उपवास द्वारा चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना शरीर त्याग दिया ।
राष्ट्रीय जीवन का पुनरुद्धार जागरण के फलस्वरूप 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में प्रारंभ हुआ। 19वीं शताब्दी के आरंभ में राष्ट्रीय जाग्रति का एक नया उभार हुआ जिसने चेक भाषा के प्रचार ओर उसके शुद्धीकरण में सहायता पहुँचाई। उस समय के प्रसिद्ध भाषा विज्ञान-वेत्ता योसेफ़ दोब्रोव्स्की (1753-1829) थे जिन्होंने चेक इतिहास, स्लाव भाषाषास्त्र तथा चेक भाषा के अनुसंधान कार्य की नींव डाली। प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में योसेफ यंगमन (1773-1847) का उल्लेख किया जा सकता है। प्रसिद्ध इतिहासकार फ्रांतिशेक पलत्स्की (1798-1873) ने विकसित चेक राष्ट्र का इतिहास लिखा।
श्रीमती पट्टम्माल का जन्म २ मर्च १९१९ को कांचीपुरम (तमिलनाडु) में हुआ। आपके पिता का नाम डामल कृष्णस्वामी दीक्षितर था, तथा आपकी माता का नाम राजम्माल था। आपने १४ साल की छोटी आयु में ही संगीत का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया, इसके पस्चात् आपने तेज़ी से ख्याति प्राप्त की।
वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन वाराणसी शहर का मुख्य रेलवे स्टेशन है। ये भारत के सभी प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है और जंक्शन का कार्य करता है।[१] माराणसी में दूसरा मुख्य रेलवे स्टेशन मुगलसराय जंक्शन है। इनके अलावा नगर में १६ अन्य छोटे-बड़े रेलवे स्टेशन हैं।
१. ऐतरेय, २. केन, ३. छांदोग्य, ४. तैत्तिरीय, ५. बृहदारण्यक तथा ६. कौषीतकि; इनका गद्य ब्राह्मणों के गद्य के समान सरल, लघुकाय तथा प्राचीन है।
पुर्तगाली भाषा (पुर्तगाली : Portugues पोर्तुगेस) एक यूरोपीय भाषा है । ये मूल रूप से पुर्तगाल की भाषा है और इसके कई भूतपूर्व उपनिवेशों में भी बहुमत भाषा है, जैसे ब्राज़ील । ये हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की रोमांस शाखा में आती है । इसकी लिपि रोमन है। इस भाषा के प्रथम भाषी लगभग २० करोड़ हैं।
डोमेन की सूची जिसमें में क्रिकेट है
थोड़ी देर बाद गोबिंद राय बाहर से आया तो माता गूजरी ने उसे फकीर बाबा के सामने खड़ा कर दिया। बालक को देखकर फकीर बाबा ने दो कटोरों में पानी भरकर उसके सामने रखा और बोला, ‘‘पुत्र ! इन दो कटोरों में से किसी भी एक कटोरे को छुओ। मैं तुम्हारी धर्म-आस्था की परीक्षा लेना चाहता हूं। ये दोनों कटोरे विभिन्न धर्मों से संबंधित हैं। मैं देखना चाहता हूं कि तुम्हारी आस्था किस धर्म में है।’’
गीत के साथ थाडिया नृत्य बसंत पंचमी को होता है जो बसंत के आगमन समारोह का प्रतीक है। झुमेला नृत्य दीपावली पर होता है तथा पांडव नृत्य जाड़े में फसल कटने के बाद किया जाता है, जिसमें महाभारत की प्रमुख घटनाओं को प्रदर्शित किया जाता है। जीतू बगडवाल तथा जागर जैसे अन्य नृत्यों में पौराणिक कथाओं का प्रदर्शन होता है। परंपरागत परिधानों से सज्जित नर्तक ढोल एवं रनसिंधे की धुन पर थिरकते हैं। लोकगीतों का गायन खासकर उस समय होता है जब महिलायें एक जगह जमा होकर परंपरागत गीत गाती हैं, जिनमें बहादुरी के कारनामे, प्रेम तथा कठिन जीवन, जो पहाड़ी पर वे व्यतीत करती हैं, शामिल रहते हैं। जिले में मनोरंजन एवं मनोविनोद के प्रमुख अवसर त्योहार, धार्मिक एवं सामाजिक मेले है। विशेष अवसरों पर लोग शिव एवं पार्वती से संवंधित किंवदन्तियों का स्वांग रचते हैं। दशहरे के दौरान रामलीला का वार्षिक आयोजन होता है।
50. अक्टूबर से फरवरी जैसलमेर भ्रमण का श्रेष्ठ समय माना जाता है।
इस प्रकार पानी में विघटन में हुए मुक्त इलेक्ट्रॉन क्लोरोफिल ‘b’ को उत्तेजित कर उच्च ऊर्जा स्तर पर पहूँच जाते हैं तथा ये इलेक्ट्रॉन फिर कस प्रकार क्लोरोफिल ‘a’ को प्राप्त होते हैं, पूर्ण रूप से ज्ञात नहीं है लेकिन ऐसा विश्वास किया जाता है कि प्लास्टोकविनोन नामक इलेक्ट्रोन ग्राही इन इलेक्ट्रोनों को पकड़ लेता है जो साइटोक्रोम द्वारा पुनः क्लोरोफिल ‘a’ में पहुँच जाते हैं। इसमें साथ-साथ एटीपी का भी निर्माण होता है।युग्म फोटो-फोस्फोरीलेशन की क्रिया में सूर्य के प्रकाश से क्लोरोफिल ‘a’ सक्रिय होकर इलेक्ट्रॉन को बाहर की ओर फैंकता है जो क्लोरोफिल में उपस्थित फैरीडाक्सीन द्वारा पकड़ लिये जाते हैं। यही इलेक्ट्रोन मुक्त होकर प्लास्टोक्वीनोन नामक इलेक्ट्रोन ग्राही द्वारा पकड़ लिया जाता है। इस क्रिया के मध्य में एडीपी, एटीपी में परिवर्तित हो जाता है तथा इलेक्ट्रोन पुनः मुक्त होकर साइटोक्रोम विकर से होकर क्लोरोफिल ‘a’ में वापिस पहुँच जाता है। इस क्रिया में भी एडीपी, एटीपी में परिवर्तित हो जाता है। इस क्रिया में बाहरी इलेक्ट्रोन प्रयोग नहीं होता तथा क्लोरोफिल से इलेक्ट्रोन निकलकर पुनः वहीं वापिस आ जाता है। इस प्रकार अयुग्म व युग्म प्रक्रियाओं द्वारा पानी विघटित हो जाता है जिससे ऑक्सीजन गैस स्वतन्त्र हो जाती है तथा हाइड्रोजन, हाइड्रोजन ग्राही एनएडीपी द्वारा पकड़ ली जाती है तथा साथ ही साथ ऊर्जा भी वर्गीकृत हो जाती है जिसका प्रयोग रासायनिक प्रक्रिया या अप्रकाशीय प्रतिक्रिया में होता है।ऑक्सीजन तथा प्रकाश-संश्लेषण
द्वीप स्थलखण्ड के एसे भाग होतें हैं, जिनके चारों ओर जल का विस्तार पाया जाता हैं । आकार में द्वीप छोटे भी हो सजते है तथा बड़े भी । इनका आकार कुछ वर्ग मीटर से लेकर ह्ज़ारों वर्ग किलोमीटर तक पाया जाता हैं ।
सर्वाधिक स्पश्‍ट प्रत्युत्तरों में से एक का संबंध्‍ जल के वाष्पीकरण से है।कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी दीर्घकालीन ग्रीनहाउस प्रभाव वाली गैसों के मिलने से पैदा होने वाली गर्मी वायुमंडल में जल के अधिक मात्रा में वाष्‍पीकरण का कारण बनता है। क्यूंकि जल-वाष्प ख़ुद एक ग्रीनहाउस गैस है , इसलिए इससे वातावरण और भी ज्यादा गर्म हो जाता है , और इससे और बी ज्यादा पानी वाष्प में बदलता है ( क सकारात्मक पुननिर्वेशन (positive feedback)) , और यह प्रतिक्रिया चलती रहती है जबतक कि पुननिर्वेशन चक्र पर रोक न लग जाए.अकेले कार्बन डाई आक्साइड से होने वाले इसका प्रभाव बहुत विशाल होगा।यद्यपि प्रत्युत्तर की यह प्रक्रिया वायु की नमी के कणों में बढोतरी करती है, तब भी सापेक्ष आर्द्रता (relative humidity) या तो स्थिर रहती है या थोड़ी सी घट जाती है क्योंकि वायु गर्म[३२] हो जाती है। प्रत्युत्तर का यह प्रभाव केवल धीरे धीरे ही उल्टा हो सकता है क्योंकि कार्बन डाई आक्साइड में दीर्घकालीन वायुमंडलीय जीवनावधि (atmospheric lifetime) होती है।
राजा के द्वारा अपने पुत्र को राज्य का शासन करने के लिये राजसिंहासन पर बिठाने की प्रक्रिया को राज्याभिषेक कहते हैं।
कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग (कोएर) - १४ किमी एक निजी अभियांतिकी संस्थान जो हरिद्वार और रुड़की के बीच राष्ट्रीय महामार्ग ५८ पर स्थित है।
८. जतिंग रामेश्‍वर- जो ब्रह्मगिरि से तीन मील उ. पू. में स्थित है ।
इस प्रदेश के दक्षिण पश्चिम में टेम्स द्रोणी (बेसिन) है। टेम्स नदी काट्सवोल्ड की पहाड़ियों से निकलकर आक्सफार्ड की घाटी को पार करती हुई समुद्र में गिरती है। यह घाटी "आक्सफोर्ड क्ले वेल" के नाम से प्रसिद्ध है जहाँ कृषि एवं गोपालन उद्योग अधिक विकसित हैं। विश्वविख्यात प्राचीन आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय इस घाटी के मध्य में स्थित है। आक्सफोर्ड नगर के बाहरी भागों में मोटर निर्माण का कार्य होता है। लंदन की महत्ता के कारण निचली आक्सफोर्ड द्रोणी को लंदन द्रोणी नाम दिया गया है। लंदन के आसपास की भूमि (केंट, सरे तथा ससेक्स) राजधानी की फल तरकारियों तथा दूध आदि की मांग की पूर्ति के लिए अधिक प्रयुक्त होती है। लंदन नगर कदाचित् रोमनकाल में टेम्स नदी के किनारे उस स्थल पर बसाया गया था जहाँ नदी सरलापर्वूक पार की जा सकती थी। बाद में उस स्थल पर पुल बन जाने से नगर का विकास होता गया। आज लंदन संसार के सबसे बड़े नगरों (1971 ई. में जनसंख्या 73,79,014) में है। इसकी उन्नति के मुख्य कारण हैं टेम्स में ज्वार के साथ बड़े-बड़े जलयानों का नगर के भीतरी भाग तक प्रवेश करने की सुविधा, रेल एवं सड़कों का जाल, यूरोपीय महाद्वीप के संमुख टेम्स के मुहाने की स्थिति, जिससे व्यापार में अत्यधिक सुविधा होती है, लंदन का अधिक काल तक देश एवं साम्राज्य की राजधानी बना रहा तथा अनेक व्यवसायों और रोजगारों का यहाँ खुलना।
यह साधारण रूप से मैथुन और शुक्राण द्वारा अंडे के संसेचन पर निर्भर करता है। अधिकतर कीट अंडे देते हें, जिनसे कालांतर में बच्चे निकलते हैं, किंतु कुछ कीट अंडों के स्थान में डिंभ या निंफ के जन्म देते हैं। ऐसे कीटों को जरायुज कहते हैं, जैसे द्रुयूका और ग्लोसाइना (Glossina)
तराना, जिला उज्जैन, मध्यप्रदेश
भारत मे सन 1985 से बैलैंस औफ पेमेंट की समस्या शुरू हुई । 1991 मे चन्द्रशेखर सरकार के शासन के दौरान भारत मे बैलैंस औफ पेमेंट की समस्या ने विकराल रूप धारण किया और भारत की पहले से चर्मरायी हुई अर्थ्व्यवस्था घुट्नो पे आ गयी । भारत मे विदेशी मुद्रा का भंडार केवल तीन हफ्ते के आयातो के बराबर रह गया। ये एक बहुत ही गम्भीर समस्या थी । नर्सिम्हा राओ के नेत्रत्व वाली भारतीय सरकार ने भारत मे बडे पैमाने मे आर्थिक सुधार कर्ने क फैस्ला किया । उदारीकरण कह्लाने वाले इन सुधारो के आर्किटेक्ट थे मनमोहन सिंह । मन्मोहन सिन्ह ने आने वाले समय मे भारत की अर्थ्नीति को पूरी तरह से बदल्ने की शुरुआत की । उंके किये हुए आर्थिक सुधार मेंली तीन क्श्रेणियो मे आते है
वाराणसी या काशी का विस्तार प्रायः गंगा नदी के दो संगमों: एक वरुणा नदी से और दूसरा असी नदी से संगम के बीच बताया जाता है। इन संगमों के बीच की दूरी लगभग २.५ मील है। इस दूरी की परिक्रमा (दोनों ओर की यात्रा) हिन्दुओं में पंचकोसी यात्रा या पंचकोसी परिक्रमा कहलाती है। इसक यात्रा का समापन साक्षी विनायक मंदिर में किया जाता है। वाराणसी क्षेत्र में अनेक छोटी बड़ी नदियां बहती हैं। इनमें सबसे प्रमुख नदी तो गंगा ही है, किंतु इसके अलावा अन्य बहुत नदियां हैं जैसे गंगा, बानगंगा, वरुणा, गोमती, करमनासा, गड़ई, चंद्रप्रभा,आदि। बनारस जिले की नदियों के विस्तार से अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि बनारस में तो प्रस्रावक नदियां है लेकिन चंदौली में नहीं है जिससे उस जिले में झीलें और दलदल हैं, अधिक बरसात होने पर गांव पानी से भर जाते हैं तथा फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। नदियों के बहाव और जमीन की के कारण जो हानि-लाभ होता है इससे प्राचीन आर्य अनभिज्ञ नहीं थे और इसलिए सबसे पहले आबादी बनारस में हुई। [५१]
आधुनिक बँगला के सर्वप्रसिद्ध उपन्यासकार शरच्चंद्र चटर्जी (1876-1938) माने जाते हैं। सरल और सुंदर भाषा में लिखे गए इनके कुछ उपन्यास ये हैं - श्रीकांत, गृहदाह, पल्ली समाज, देना पावना, देवदास, चंद्रनाथ, चरित्रहीन, शेष प्रश्न आदि।
गूगल प्रश्न विस्तार को प्रस्तुत किये गये खोज प्रश्न पर लागू करता है और इसे एक ऐसे सवाल के रूप में बदलता है, जो वास्तव में परिणाम पुनः प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जायेंगे. पृष्ठ रैंकिंग के साथ गूगल कलन विधि का सटीक विवरण जान-बूझकर छिपाये रखता है, लेकिन निश्चित रूप से उनमें होने वाले निम्नलिखित परिवर्तन शामिल हैं:
प्राचीन काल में यह स्‍थान यूनानियों के दिये नाम कोराकोला के नाम से जाना जाता था। इसी स्‍थान पर विश्‍व विजेता सिकंदर ने भारत से बेबीलोनिया प्रस्‍थान करने से पहले अपना पड़ाव डाला था। 712 ई. में अरब आक्रमणकारी मुहम्‍मद बिन कासिम ने इसी स्‍थान से भारत पर आक्रमण किया था। वर्तमान शहर का विकास मछुआरों की बस्‍ती के रुप में हुआ। उस समय इसे कोलाची के नाम से जाना जाता था। धीरे-धीरे इसका नाम कोलाची से कराची हो गया।
भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में यह चौथा पुरस्कार है इससे पहले क्रमश: भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्म भूषण का स्थान है. इसके अग्रभाग पर, "पद्म" और "श्री" शब्द देवनागरी लिपि में अंकित रहते हैं।
अल्मोड़ा  · उधमसिंह नगर  · चम्पावत  · नैनीताल  · पिथौरागढ़  · बागेश्वर
यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था।
शिव शेना(SS)और एमएनएस कार्यकर्तायों ने छुट्टियों में नवरात्रि के पोस्टर जारी करने को लेकर ओशिवारा के आनंद नगर में भी टकराव किया. SS पार्षद राजुल पटेल ने कहा के MNS कार्यकर्ताओं ने विशाल होअर्दिंग्स लगाया और लोगों से उन्हें हटाने के लिए पैसे मांगने लगे. लोगों ने हम से शिकायत की, और हमने आपत्ति जताई. इसकी वजह से हाथापाई हो गई. MNS विभाग प्रमुख मनीष धुरी ने बदले में कहा कि शिव सैनिक हमारी लोप्रियता से जलते हैं. रविवार दोपहर को शिव सैनिकों कि एक भीड़ उस जगह पर आई और वे हामारे द्वारा लगाए गए पोस्टर उतारने लगे. हमने इस पर आपत्ति जताई. दुर्भागयावाश, एक MNS कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गया.
संसदीय सौध की इमारत 9.8 एकड़ भूखंड पर बनी हुई है। इसका फर्शी क्षेत्रफल 35,000 वर्ग मीटर है। इसका निर्माण 1970-75 के दौरान हुआ। आगे तथा पीछे के ब्‍लाक तीन मंजिला तथा बीच का ब्‍लाक 6 मंजिला है। नीचे की मंजिल पर जलाशय जिसके ऊपर झूलता हुआ जीना बना हुआ है।
झारखंड की अर्थव्यवस्था मुख्यरूप से खनिज और वन संपदा से निर्देशित है। लोहा, कोयला, माइका, बाक्साइट, फायर-क्ले, ग्रेफाइट, कायनाइट, सेलीमाइट, चूना पत्थर, युरेनियम और दूसरी खनिज संपदाओं की प्रचुरता की वजह से यहाँ उद्योग-धंधों का जाल बिछा है। खनिज उत्पादों के खनन से झारखंड को सालाना तीस हजार करोड़ रुपये की आय होती है। झारखंड न केवल अपने उद्योग-धंधों में इसका इस्तेमाल करता है बल्कि दूसरे राज्यों को भी इसकी पूर्ति करता है। 2004 में बिहार से विभाजन के पश्चात झारखंड का जीडीपी 2004 में चौदह बिलियन डालर आंका गया था।
जल मे कई पदार्थों को घोला जा सकता है जो इसे एक अलग स्वाद और गंध प्रदान करते है। वास्तव में, मानव और अन्य जानवरों समय के साथ एक दृष्टि विकसित हो गयी है जिसके माध्यम से वो जल के पीने को योग्यता का मूल्यांकन करने में सक्षम होते हैं और वह बहुत नमकीन या सड़ा हुआ जल नहीं पीते हैं। मनुष्य ठंडे से गुनगुना जल पीना पसंद करते हैं; ठंडे जल मे रोगाणुओं की संख्या काफी कम होने की संभावना होती है। शुद्ध पानी H2O स्वाद मे फीका होता है जबकि सोते(झरने) के पानी या लवणित जल (मिनरल वाटर) का स्वाद इनमे मिले खनिज लवणों के कारण होता है। सोते (झरने) के पानी या लवणित जल की गुणवत्ता से अभिप्राय इनमे विषैले तत्वों, प्रदूषकों और रोगाणुओं की अनुपस्थिति से होता है।
भारत का संविधान भारत को एक सार्वभौमिक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य की उपाधि देता है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका द्विसदनात्मक संसद वेस्टमिन्स्टर शैली के संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है। इसके शासन में तीन मुख्य अंग हैं: न्यायपालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री हिन्दी भाषा के एक महान उपन्यासकार थे । इनका अधिकतर लेखन ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित था । इनकी प्रमुख कृतियां सोमनाथ , वयं रक्षाम: और वैशाली की नगर वधू इत्यादि हैं ।
कर्नाटक का रेल यातायात जाल लगभग ३,०८९-किलोमीटर (१,९१९ मील) लंबा है। २००३ में हुबली में मुख्यालय सहित दक्षिण पश्चिमी रेलवे के सृजन से पूर्व राज्य दक्षिणी एवं पश्चिमी रेलवे मंडलों में आता था। अब राज्य के कई भाग दक्षिण पश्चिमी मंडल में आते हैं, व शेष भाग दक्षिण रेलवे मंडल में आते हैं। तटीय कर्नाटक के भाग कोंकण रेलवे नेटवर्क के अंतर्गत आता है, जिसे भारत में इस शताब्दी की सबसे बड़ी रेलवे परियोजना के रूप में देखा गया है।[७८] बंगलुरु अन्तर्राज्यीय शहरों से रेल यातायात द्वारा भली-भांति जुड़ा हुआ है। राज्य के अन्य शहर अपेक्षाकृत कम जुड़े हैं।[७९][८०]
यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। वे द्वीप एस प्रकार से हैं:-
इस्मन दो भद होत है
गोवर्धन धारण कथा की आर्थिक, नीति-परक और राजनीतिक व्याख्याएं की गई हैं। इस कथा का आध्यात्मिक संकेत यह दिखता है कि गो अर्थात इंद्रियों का वर्धन (पालन-पोषण) कर्ता, अर्थात इंद्रियों में क्रियाशील प्राण-शक्ति के स्रोत परमेश्वर पर हमारी दृष्टि होना चाहिए। इसी प्रकार गोपियों के साथ रासलीला के वर्णन में मन की वृत्तियां ही गोपिकाओं के रूप में मूर्तिमान हुई हैं और प्रत्येक वृत्ति के आत्म-रस से सराबोर होने को रासलीला या रसनृत्य के रूप में चित्रित किया गया है। इससे भी उच्च अवस्था का- प्रेम और विरह के बाह्य द्वैत का एक आंतरिक आनंद में समाहित हो जाने की अवस्था का वर्णन 'महारास' में हुआ है।
निर्देशांक: 16°01′09″N 75°52′55″E / 16.019167, 75.881944 ऐहोल (कन्नड़ ಐಹೊಳೆ) कर्नाटक राज्य के बागलकोट जिला में एक प्राचीन मंदिर समूह के लिए प्रसिद्ध स्थल है। यह पत्तदकल के पूर्व में मलयप्रभा नदी के तट पर स्थित है। बादामी इसके पश्चिम में स्थित है।
बनारस घराना भारतीय तबला वादन के छः प्रसिद्ध घरानों में से एक है।[६९] ये घराना २०० वर्षों से कुछ पहले ख्यातिप्राप्त पंडित राम सहाय (१७८०-१८२६) के प्रयासों से विकसित हुआ था। पंडित राम सहाय ने अपने पिता के संग पांच वर्ष की आयु से ही तबला वादन आरंभ किया था। बनारस-बाज कहते हैं। ये बनारस घराने की विशिष्ट तबला वादन शैली है। इन्होंने तत्कालीन संयोजन प्रारूपों जैसे जैसे गट, टुकड़ा, परान, आदि से भी विभिन्न संयोजन किये, जिनमें उठान, बनारसी ठेका और फ़र्द प्रमुख हैं।
दिवाली के दौरान माता त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में भव्‍य स्तर पर दीवाली मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या लोग इस मेले में सम्मिलित होते हैं। राजमाला के अनुसार, मंदिर का निर्माण करने के पश्चात् मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित की गई थी। लेकिन एक रात महाराजा धन्य माणिक्य के सपने में महा माया आई और उससे कहा कि वह उनकी मूर्ति को चित्तौंग से इस स्थान पर रख दें। इसके बाद माता त्रिपुरा सुंदरी की स्थापना इस मंदिर में कर दी गई।
इस शहर में चार विश्वविद्यालय हैं:
ज्वालाजी में रहने के लिए काफी संख्या में धर्मशालाए व होटल है जिनमें रहने व खाने का उचित प्रबंध है। जो कि उचित मूल्यो पर उपलब्ध है। ज्वालामुखी मंदिर के पास का नजदीकी शहर पालमपुर व कांगडा है जहां पर काफी सारे डिलक्स होटल है। यात्री यहां पर भी ठहर सकते है यहा से मंदिर तक जाने के लिए बस व कार सुविधा मुहैया है।
अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार का प्रारम्भ धर्मयात्राओं से किया । वह अभिषेक के १०वें वर्ष बोधगया की यात्रा पर गया । कलिंग युद्ध के बाद आमोद-प्रमोद की यात्राओं पर पाबन्दी लगा दी । अपने अभिषेक २०वें वर्ष में लुम्बिनी ग्राम की यात्रा की । नेपाल तराई में स्थित निगलीवा में उसने कनकमुनि के स्तूप की मरम्मत करवाई । बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने साम्राज्य के उच्च पदाधिकारियों को नियुक्‍त किया । स्तम्भ लेख तीन और सात के अनुसार उसने व्युष्ट, रज्जुक, प्रादेशिक तथा युक्‍त नामक पदाधिकारियों को जनता के बीच जाकर धर्म प्रचार करने और उपदेश देने का आदेश दिया ।
जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर नीति घाटी के मार्ग पर।जोशीमठ से तपोवन जाते हुए आप एक अधिक शांत घाटी में पहुंचते हैं, जहां हरे एवं पीले चबूतरी खेतों के अलावा द्रोणगिरि एवं भविष्य बद्री के पर्वतों का दृश्य है। तपोवन अपने गर्म कुड़ों एवं जलाशयों के लिये प्रसिद्ध है। यहां गुनगुने पानी का एक बड़ा जलाशय है जो वर्षभर गर्म जल में तैरने योग्य रहता है। अन्य दो, जल की झरनों की तरह हैं, जिनके चारों ओर सीढ़ियों द्वारा पहुंचने के रास्ते हैं। एक पुरूषों के लिये है जो वास्तव में गर्म जल है तथा दूसरा महिलाओं के लिये है जहां पानी थोड़ा कम गर्म रहता है। कहा जाता है कि इन किसी भी जलाशय में स्नान करना स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है क्योंकि पानी में खनिज पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
इसके अलावा आप सरकारी बाजार में भी शॉपिंग के लिए जा सकते हैं। यहां आपको पीतल के बर्तन, लकड़ी का फर्नीचर, प्राचीन आभूषण, परम्परागत वस्त्र, साड़ी, सजाने का समान आदि आसानी से मिल जाएगा। आप खरीदारी के लिए मैजस्टिक क्षेत्र में भी जा सकते हैं। यहां काफी अच्छी खरीददारी की जा सकती है। इस बाजार को हॉग-कॉग मार्केट, बुर्मा बाजार के नाम से भी जाना जाता है। बंगलूरू में कई अन्य बाजार भी है जैसे रूस्सल मार्केट यहां आपको कॉकरी और घर से जुड़ी कई चीजें मिल जाएगी। इसके अतिरिक्त चिकपेट बाजार विशेष रूप से सिल्क साड़ी, सोने व चांदी के गहनों के लिए काफी प्रसिद्ध है।
भगवान शंकर का साक्षात रूप महाराज दत्तात्रेय में मिलता है,और तीनो ईश्वरीय शक्तियो से समाहित महाराज दत्तात्रेय की आराधना बहुत ही सफ़ल और जल्दी से फ़ल देने वाली है,महाराज दत्तात्रेय आजन्म ब्रह्मचारी,अवधूत,और दिगम्बर रहे थे,वे सर्वव्यापी है,और किसी प्रकार के संकट में बहुत जल्दी से भक्त की सुध लेने वाले है,अगर मानसिक,या कर्म से या वाणी से महाराज दत्तात्रेय की उपासना की जावे तो भक्त किसी भी कठिनाई से बहुत जल्दी दूर हो जाते है.
१) ब्रह्माण्ड शब्द जहाँ पूर्ण विश्वास के साथ ब्रह्माण्ड की प्रत्येक इकाई में जीवन को सिद्ध करता है, वहीं यूनवर्स शब्द सम्पूर्ण यूनवर्स में जीवन व्याप्त है इस विषय पर अति तुक्ष सोच रखता है।
कोलकाता वायुसेवा के माध्यम से बंगलोर, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई सहित सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
नेपाल के सेती प्रान्त का जिला।
हस्तिनापुर नरेश शान्तनु और रानी सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुये। शान्तनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था इसलिये उनका पालन पोषण भीष्म ने किया। भीष्म ने चित्रांगद के बड़े होने पर उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया लेकिन कुछ ही काल में गन्धर्वों से युद्ध करते हुये चित्रांगद मारा गया। इस पर भीष्म ने उनके अनुज विचित्रवीर्य को राज्य सौंप दिया। अब भीष्म को विचित्रवीर्य के विवाह की चिन्ता हुई। उन्हीं दिनों काशीराज की तीन कन्याओं, अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। उनके स्वयंवर में जाकर अकेले ही भीष्म ने वहाँ आये समस्त राजाओं को परास्त कर दिया और तीनों कन्याओं का हरण कर के हस्तिनापुर ले आये। बड़ी कन्या अम्बा ने भीष्म को बताया कि वह अपना तन-मन राज शाल्व को अर्पित कर चुकी है। उसकी बात सुन कर भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भिजवा दिया और अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य के साथ करवा दिया।
( १९०६ )]]
सूरदास का जन्म सं० १५३५ वि० के लगभग ठहरता है, क्योंकि बल्लभ सम्प्रदाय में ऐसी मान्यता है कि बल्लभाचार्य सूरदास से दस दिन बड़े थे और बल्लभाचार्य का जन्म उक्त संवत् की वैशाख् कृष्ण एकादशी को हुआ था। इसलिए सूरदास की जन्म-तिथि वैशाख शुक्ला पंचमी, संवत् १५३५ वि० समीचीन जान पड़ती है। अनेक प्रमाणों के आधार पर उनका मृत्यु संवत् १६२० से १६४८ वि० के मध्य स्वीकार किया जाता है। रामचन्द्र शुक्ल जी के मतानुसार सूरदास का जन्म संवत् १५४० वि० के सन्निकट और मृत्यु संवत् १६२० वि० के आसपास माना जाता है।श्री गुरु बल्लभ तत्त्व सुनायो लीला भेद बतायो।
ऑस्ट्रेलिया के छ: राज्ये और दो मुख्य महाद्वीप प्रदेशे है.साथ ही कुछ छोटे प्रदेशे है जो संघीय सरकार के प्रबंधन के अंतगर्त है.[तथ्य वांछित]
प्रथम विश्व युद्ध में हार के बाद जर्मनी को वेर्सल्लिएस की संधि पर जबरन हस्ताखर करना पड़ा । इस संधि के कारण उसे अपने कब्जे की बहुत सारी जमीन छोडनी पड़ी ; किसी दूसरे देश पर आक्रमण नही करने की शर्त माननी पड़ी ; अपनी सेना को सीमित करना पड़ा और उसपे प्रथम विश्व युद्ध मैं हुए नुकसान की भरपाई के रूप मैं दूसरे देशओं को भुकतान करना पड़ा ।
जैक्सनविले
उपेन्द्रो वामनः प्राम्शुर-अमोघः शुचिर-ऊर्जितः ।
गोंडा हिल एण्ड रॉक गार्डन: रांची में पर्यटक गोंडा हिल और रॉक गार्डन की सैर पर जा सकते हैं। रॉक गार्डन को गोंडा हिल की चट्टानों को काटकर बनाया गया है। इस पार्क के अलावा गोंडा हिल की तराई में एक बांध का निर्माण भी किया गया है जो इसकी खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देता है। यह सब मिलकर इसे एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट बनाते हैं। पर्यटकों को यहां आकर बहुत अच्छा लगाता है क्योंकि वह यहां पर शानदार पिकनिक का आनंद ले सकते हैं।
यदि भूलवश किसी निंदक से बात कर भी ली तो भगवान सूर्यनारायण के दर्शन कर धूप-दीप से श्री‍हरि की पूजा कर क्षमा माँग लेना चाहिए। एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है। इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। न नही अधिक बोलना चाहिए। अधिक बोलने से मुख से न बोलने वाले शब्द भी निकल जाते हैं।
58. सैंकड़ों और हजारों पर्यटक साम रेतीले टीलों से प्रकृति के अद्भुत कलात्मक दृश्य को देखने राजस्थान आते हैं और यह स्थान ऊँट अभियान के द्वारा अच्छी तरह बताया जा सकता है।
9.
इस झील का निर्माण कुतुब-उद्-दीन ने 1451 ईसवी में करवाया था। आज के समय में अहमदाबाद के निवासियों के बीच यह जगह सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इस झील के चारों ओर बहुत ही खूबसूरत बगीचा है। झील के मघ्य में बहुत ही सुंदर द्वीप महल है। जहां मुगल काल के दौरान नूरजहां और जहांगीर अक्सर घूमने जाया करते थे।
तेजी से विकसित और घनी बेल्जियम रेलवे प्रणाली ने ला ब्रुजोइस एट निवेलेस जैसी प्रमुख कंपनियों (अब बम्बारडिअर ट्रांसपोर्टेशन का BN विभाग) को विशिष्ट प्रौद्योगिकियों और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अत्यंत गहन कोयला खनन के विकास के लिए प्रेरित किया, क्योंकि प्रथम औद्योगिक क्रांति के दौरान खनन इंजीनियरों के लिए अत्यधिक प्रतिष्ठित विशेष अध्ययन की जरूरत थी.
श्री सम्पूर्णानंद भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता के अनन्य समर्थक थे। योग और दर्शन उनके प्रिय विषय थे। वे नियमित रूप से पूजापाठ और संध्या करते थे तथा माथे पर तिलक लगाते थे। राजनीति में वे समाजवाद के अनुयायी थे किंतु उनका समाजवाद उसके विदेशी प्रतिरूप से भिन्न भारत की परिस्थितियों एवं भारतीय विचारपरंपरा के अनुरूप था। हिंदी तथा संस्कृत से उन्हें विशेष प्रेम था पर वे अंग्रेजी के अतिरिक्त उर्दू, फारसी के भी अच्छे ज्ञाता तथा भौतिकी, ज्योतिष और दर्शन शास्त्र के भी पंडित थे। विभिन्न विषयों की प्रभूत पुस्तकें वे निरंतर पढ़ते रहते थे और अपनी मानस मंजूषा में जिन अमूल्य ज्ञानरत्नों का संग्रह किया करते थे, लोकहित के लिए उनके द्वारा उनका दान और उत्सर्ग भी होता रहता था। हिंदी में वैज्ञानिक उपन्यास उन्होंने ही सर्वप्रथम लिखा। इस प्रकार उन्होंने अध्ययन, मनन से जो कुछ भी इकट्ठा किया उसका बहुलांश "आदानं हि विसगार्थ सतां वारिमुचामिव" इस उक्ति के अनुसार अपनी प्रौढ़ लेखनी द्वारा जनता में पुन: वितरित कर दिया। आपकी कुछ प्रमुख हिंदी रचनाएँ ये हैं : अंताराष्ट्रिय विधान, समाजवाद, चिद्विलास, गणेश, ज्योतिर्विनोद, कुछ स्मृतियाँ, कुछ स्फुट विचार, हिंदू देव परिवार का विकास, ग्रहनक्षत्र। इनके अतिरिक्त सामयिक पत्रों में आपने जो बहुसंख्यक लेख लिखे वे भी हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं। इनके कुछ संग्रह प्रकाशित भी हो चुके हैं।
आम तौर पर कोशिका-शिल्प वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे स्मीयरों के निर्वचन में सुधार लाने के उद्देश्य से स्वचालित तकनीकों को विकसित किया गया.दुर्भाग्य से ये पूर्णतया कम उपयोगी साबित हुए हैं; हालांकि हाल ही की समीक्षाओं ने सुझाया है कि वे आम तौर पर मानवीय निर्वचन के समान ही बदतर हो सकती हैं.[३६]
केन्द्रीय विद्यालय, बी॰एच॰ई॰एल केन्द्रिय विद्यालय, बी॰एच॰ई॰एल, हरिद्वार के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से एक है, जिसकी स्थापना ७ जुलाई, १९७५ को की गई थी। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्धीकृत, इस विद्यालय में प्री-प्राइमरी से १२वीं तक २,००० से अधिक विद्यार्थी पढ़ते है।
दुर्घटनाग्रस्त हवाई जहाज में नेताजी के साथ उनके सहकारी कर्नल हबिबूर रहमान थे। उन्होने नेताजी को बचाने का निश्च्हय किया, लेकिन वे कामयाब नहीं रहे। फिर नेताजी की अस्थियाँ जापान की राजधानी तोकियो में रेनकोजी नामक बौद्ध मंदिर में रखी गयी।
चन्द्रगुप्त के बाद बिंदुसार के पुत्र अशोक ने मौर्य साम्राज्य को अपने चरम पर पहुँचा दिया । कर्नाटक के चित्तलदुर्ग तथा मास्की में अशोक के शिलालेख पाए गए हैं । चुंकि उसके पड़ोसी राज्य चोल, पांड्य या केरलपुत्रों के साथ अशोक या बिंदुसार के किसा लड़ाई का वर्णन नहीं मिलता है इसलिए ऐसा माना जाता है कि ये प्रदेश चन्द्रगुप्त के द्वारा ही जीता गया था । अशोक के जीवन का निर्णायक युद्ध कलिंग का युद्ध था । इसमें उत्कलों से लड़ते हुए अशोक को अपनी सेना द्वारा किए गए नरसंहार के प्रति ग्लानि हुई और उसने बौद्ध धर्म को अपना लिया । फिर उसने बौद्ध धर्म का प्रचार भी करवाया ।
अधिकांश कैंसरों का इलाज किया जा सकता है, कुछ को ठीक भी किया जा सकता है, यह कैंसर के विशेष प्रकार, स्थिति और अवस्था पर निर्भर करता है.एक बार निदान हो जाने पर, कैंसर का उपचार शल्य चिकित्सा, कीमोथेरपी और रेडियोथेरेपी के संयोजन के द्वारा किया जा सकता है.अनुसंधान के विकास के साथ, कैंसर की विभिन्न किस्मों के लिए उपचार और अधिक विशिष्ट हो रहे हैं.लक्षित थेरेपी दवाओं के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है जो विशिष्ट गाँठ में जांच योग्य आणविक असामान्यताओं पर विशेष रूप से कार्य करती हैं, और सामान्य कोशिकाओं में क्षति को कम करती हैं.कैंसर के रोगियों का पूर्व निदान कैंसर के प्रकार से बहुत अधिक प्रभावित होता है, साथ ही रोग की अवस्था और सीमा का भी इस पर प्रभाव पड़ता है.इसके अलावा, उतक वैज्ञानिक (हिस्टोलोजिक) श्रेणीकरण और विशिष्ट आणविक मार्कर की उपस्थिति भी रोग के पूर्व निदान में तथा व्यक्तिगत उपचार के निर्धारण में सहायक हो सकती है.
अध्याय १६ देवासुरसंपदविभागयोग
वायु सेना • गालिब • राष्ट्रीय संग्रहालय • राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास • राष्ट्रीय डाक टिकट • पुलिस • रेल•शंकर अन्तर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय • आधुनिक कला • क्राफ़्ट संग्रहालय •
13-14वीं शताब्दियों में चेक भाषा, जो प्राहा नामक प्रदेश की उपभाषा थी, साहित्यिक भाषा के पद पर आसीन हुई और उस समय से वह अविच्छिन्न रूप से साहित्यिक कृतियों में प्रयुक्त होती रही। साथ ही साथ कुछ पुस्तकें लैटिन तथा जर्मन भाषाओं में भी लिखी गईं। उस काल के चके साहित्य में विभिन्न गाथाएँ, महाकाव्य, गद्य, निबंध और विशेषकर यन हुस (धार्मिक और सामाजिक सुधारक) के पवित्र संगीत और धार्मिक उपदेश प्राप्त होते हैं। यन हुस के अनुसार हुसित आंदोलन उत्पन्न हुआ और उसका 15-16वीं शताब्दी में चेक साहित्य पर यथेष्ट प्रभाव पड़ा। चेक पुस्तकों की छपाई का आरंभ सन् 1468 में पहली बार हुआ और इस आविष्कार से चेक और लैटिन पुस्तकों के प्रकाशन में अधिक प्रगति हुई।
ज्ञानामृतम् - वेद, अरण्य
जोध्पुर शहर के लोग बहुत मिलन्सार होते है, ये सदेव दुस्रो कि मदद के लिये ततपर रह्ते है, उलझी हुई घुमावदार गलियाँ पटरियों पर लगी दुकानों से घिरी हैं।कलात्मक रूप से बनी हुई रंगबिरंगी पोशाकें पहने हुए लोगों को देखकर प्रतीत होता हैं कि जोधपुर की जीवनशैली असाधारण रूप से सम्मोहित करने वाली है। औरते घेरदार लहंगा और आगे व पीछे के हिस्सों को ढकने वाली तीन चौथाई लंबाई की बांह वाली नितम्ब स्थल तक की जैकेट पहनती हैं। पुरूषों द्वारा पहनी हुई रंगीन पगड़ियाँ शहर में ओर भी रंग बिखेर देती हैं। आमतौर से पहने जाने वाली ढ़ीली ढ़ाली और कसी, घुड़सवारी की पैंट जोधपुरी ने यहीं से अपना नाम पाया। जोधपुर के कपदो मै जोधपुरी कोट पुरे भारत मे प्रसिध है, यह के मुख्य मन्त्रि श्रि अशोक गह्लोत ने इसे एक अलग पह्च्हान दिलाइ है।
लंदन बरो ऑफ़ हेवरिंग (अंग्रेज़ी: London Borough of Havering, अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि: [ˈheɪvəɹɪŋ]) एक लंदन का बरो है।
भारतीय जनता पार्टी ने नतृत्व में बहुप्रतीक्षित परिवर्तनों की शुरुआत करते हुए लालकृष्ण आडवाणी की जगह सुषमा स्वराज को लोकसभा में नया नेता प्रतिपक्ष बनाने की घोषणा की है.
माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्री और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था।
केगल्ल जिला श्रीलंका का जिला है।इस जिले का मुख्यालय केगला है इस जिले का कुल क्षेत्रफल 1,693 वर्ग किलोमीटर है। इस जिले की जनसंख्या 797,000 (गणना वर्ष २००६ अनुसार) हैइस जिले के नाम का लघुरूप KEG है।
नीति घाटी विश्वप्रसिद्ध पर्वतीय नंदादेवी पक्षी-विहार का प्रवेश द्वार भी है। आज यह यूनेस्को का विश्व-विरासत स्थल है, जिसे नंदादेवी जैविक संरक्षण के नाम जानते हैं जो पर्यावरणीय जैविक विविधता एवं सांस्कृतिक परंपराओं का अलौकिक खजाना है। यहां के एक गांव लाटा में नंदा देवी को समर्पित एक पुराना मंदिर भी है। भारत के इस भाग के अंतिम गांव नीति में पहुंच की एक सड़क है।
शोषोन्मादापस्मारकुष्ठमेहातिसारादीनामुपशमनार्थम्‌। (सु.सू. १।३)
डॉलर चिन्ह ($) के पीछे का इतिहास ये है की अमेरिकी डॉलर को दर्शाने के लिए अंग्रेजी के US यानी यूनाइटेड स्टेटस (United States) को जोड़ दिया गया जिससे अमेरिकी मुद्रा को चिह्नित किया जा सके।
२१ वीसदी के दौरान सतह की गर्मी का
यजुर्वेदाध्यायी परम्परा में दो सम्प्रदाय- ब्रह्म सम्प्रदाय अथवा कृष्ण यजुर्वेद और आदित्य सम्प्रदाय अथवा शुक्ल यजुर्वेद ही प्रमुख हैं।
जनवरी 2007 में, कन्नड़ संस्करण को बंगलौर में शुरू किया गया और अप्रैल 2008 में चेन्नई संस्करण की शुरुआत की गयी. चेन्नई संस्करण के प्रक्षेपण को, भारत में होने वाला अंतिम प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र का संघर्ष माना जाता है.[६]
पृथ्वी की सतह पर सात बड़े और कई छोटे टेक्टॉनिक प्लेट होते है. और यही टेक्टॉनिक प्लेट्स एक दूसरे से दूर होते हैं, टूट कर अलग होते हैं, जो समय बीतते महाद्वीप बन जाते हैं. इसी कारण से, भूवैज्ञानिक इतिहास से पहले और आज के महाद्वीपों से पहले कई दूसरे महाद्वीप हुआ करते थे।
मैच के दौरान निष्क्रिय रहने या अवैध तकनीकों का इस्तेमाल करने के लिए दंड दिया जा सकता है. यदि कोई प्रतिभागी मैट (तातामी ) के निर्धारित क्षेत्र के बाहर चला जाता है तो लड़ाई बंद कर दी जानी चाहिए. यदि ग्राउंडवर्क अर्थात् लड़ाई के दौरान निर्णायकों और न्यायकर्ताओं को कुछ विचार-विमर्श करने की जरूरत पड़ती है तो निर्णायक सोनो-मामा ("हरकत न करें" के भाव को व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द, शाब्दिक रूप से "यथावत") कहेगा और दोनों को अपनी उसी स्थिति में रूक जाना होगा. जब उनका काम हो जाता है तो निर्णायक योशी कहता है और मैच चालू हो जाता है.
4. सूर ने भक्ति के साथ श्रृंगार को जाड़कर उसके संयोग-वियाग पक्षों का जैसा वर्णन किया है, वैसा अन्यत्र दुर्लभ है।
हिन्दू मान्यता अनुसार गंगा नदी सबके पाप मार्जन करती है और काशी में मृत्यु सौभाग्य से ही मिलती है, और यदि मिल जाये तो आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो कर मोक्ष पाती है। इक्यावन शक्तिपीठ में से एक विशालाक्षी मंदिर यहां स्थित है, जहां भगवती सती की कान की मणिकर्णिका गिरी थी। वह स्थान मणिकर्णिका घाट के निकट स्थित है। [१९] हिन्दू धर्म में शाक्त मत के लोग देवी गंगा को भी शक्ति का ही अवतार मानते हैं। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म पर अपनी टीका यहीं आकर लिखी थी, जिसके परिणामस्वरूप हिन्दू पुनर्जागरण हुआ। काशी में वैष्णव और शैव संप्रदाय के लोग सदा ही धार्मिक सौहार्द से रहते आये हैं।
खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होनेवाली घटनाओं का अवलोकन तथा विष्लेषण एवं व्याख्या (explanation) आता है। यह वह पदार्थ जिन्हें आसमान में अवलोकित किया जा सकता है तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का विज्ञान है ।
वसुमित्र - शुंग वंश का चौथा राजा वसुमित्र हुआ। उसने यवनों को पराजित किया था। एक दिन नृत्य का आनन्द लेते समय मूजदेव नामक व्यक्‍ति ने उसकी हत्या कर दी। उसने १० वर्षों तक शाशन किय । वसुमित्र के बाद भद्रक ,पुलिंदक, घोष तथा फिर वज्रमित्र क्रमशः राजा हुए। इसके शाशन के १४वें वर्ष में तक्षशिला के यवन नरेश एंटीयालकीड्स का राजदूत हेलियोंडोरस उसके विदिशा स्थित दरबार में उपस्थित हुआ था। वह अत्यन्त विलासी शाशक था। उसके अमात्य वसुदेव ने उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार शुंग वंश का अन्त हो गया।
lithium in paraffin oil
मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया । इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया । इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया । पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ । सिन्ध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया । इसके बाद यह उत्तर भारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा ।
देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर है। यह अलकनंदा तथा भगीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को पहली बार गंगा के नाम से जाना जाता है। देवप्रयाग समुद्र सतह से १५०० फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है और निकटवर्ती शहर ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा ७० किमी० पर है। यह स्थान उत्तराखण्ड राज्य के पंच प्रयागों में से एक माना जाता है। इसके अलावा इसके बारे में कहा जाता है कि जब राजा भगीरथ ने भागीरथी नदी (गंगा) को पृथ्वी पर उतरने को राजी कर लिया तो ३३ करोड़ देवी-देवता भी गंगा के साथ स्वर्ग से उतरे। तब उन्होंने अपना आवास देवप्रयाग में बनाया जो गंगा की जन्म भूमि है। भागीरथी और अलकनंदा के संगम के बाद यही से पवित्र नदी गंगा का उद्भव हुआ है। यहीं पहली बार यह नदी गंगा के नाम से जानी जाती है। [१]
फेडरेशन इंटरनेशनल दफुटबॉल असोसिएशन (Fédération Internationale de Football Association) (फीफा), फुटबॉल की मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण संस्था (और सहायक खेल जैसे फुटसल (futsal) और समुद्र तटीय फुटबॉल (beach soccer)) है.फीफा मुख्यालय जुरिच में स्थित है.
समुद्र के उत्तर तथा हिमालय के दक्षिण में भारतवर्ष स्थित है। इसका विस्तार नौ हजार योजन है। यह स्वर्ग अपवर्ग प्राप्त कराने वाली कर्मभूमि है। इसमें सात कुलपर्वत हैं: महेन्द्र, मलय, सह्य, शुक्तिमान, ऋक्ष, विंध्य और पारियात्र ।
गोवा में पर्यटकों की भीड़ सबसे अधिक गर्मियों के महीनें में होती है। जब यह भीड़ समाप्त हो जाती है तब यहां शुरू होता है ऐसे सैलानियों के आने का सिलसिला जो यहां मानसून का लुत्‍फ उठाना चाहते हैं।
शिवानी हिन्दी भाषा की एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थीं । इनका वास्तविक नाम गौरा पन्त था किन्तु ये शिवानी नाम से उपन्यास लेखन करती थीं । इनका जन्म १७ अक्टूबर १९२३ को विजयदशमी के दिन राजकोट, गुजरात मे हुआ था । साठ और सत्तर के दशक मे, इनकी लिखी कहानियां और उपन्यास हिन्दी पाठकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हुए और आज भी लोग उन्हें बहुत चाव से पढ़ते हैं । शिवानी का निधन 2003 ई० मे हुआ । उनकी लिखी कृतियों मे कृष्णकली, भैरवी,आमादेर शन्तिनिकेतन और विषकन्या के नाम प्रमुख हैं । इनकी शिक्षा शन्तिनिकेतन मे पूरी हुई!
1. कोल इंडिया अफ्रीकाना लिमिटाडा
...... तीनों उपन्यासकारों के उपन्यास-नायकों के स्तर का विकास भी दृष्टव्य है : आचार्य द्विवेदी का बाणभट्ट एक कुशल कवि एवं उदात्त मानव है, नागरजी के तुलसीदास मोक्षार्थी साधक एवं संत हैं, तथा कोहलीजी के राम तो साक्षात अवतार एवं 'मुक्तानां परमा गतिः' हैं.
पचैयप्पा कालिज चेन्नई का एक विश्वविद्यालय है।
ग्लोबल पॉजिशनिंग प्रणाली (अंग्रेज़ी:ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम), एक वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली होती है। इसका विकास संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग ने किया है। २७ अप्रैल, १९९५ से इस प्रणाली ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया था। वर्तमान समय में जी.पी.एस का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है।[१] इस प्रणाली के प्रमुख प्रयोग नक्शा बनाने, जमीन का सर्वेक्षण करने, वाणिज्यिक कार्य, वैज्ञानिक प्रयोग, सर्विलैंस और ट्रेकिंग करने तथा जियोकैचिंग के लिये भी होते हैं। पहले पहल उपग्रह नौवहन प्रणाली ट्रांजिट का प्रयोग अमेरिकी नौसेना ने १९६० में किया था। आरंभिक चरण में जीपीएस प्रणाली का प्रयोग सेना के लिए किया जाता था, लेकिन बाद में इसका प्रयोग नागरिक कार्यो में भी होने लगा।
इटावा भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह दिल्ली-कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग २ पर स्थित है।
इन शास्त्रों में मुख्यतया हिन्दू धर्म के देवताओं की साधना की विधियाँ बतलाई गई है। किन्तु इनके अलावा इनमें अन्य विषयों का भी समावेश है। ये शास्त्र तीन भागों में विभक्त है -
– Europe  (light yellow & orange)
२, चन्द्रगढी विमानस्थल CHadnragadhi Airport झापा
महाविद्यालय
मित्सु
डॉ. सुधीर शर्मा

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