मंगलवार, 7 मई 2013

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प टाइप के अर्धचालक में मुख्या धारावाहिक होते हैं | Sri Lakshmi Vallabha Jagannadh Skn Alpine | Ray Stevenson | जो अपने सिक्कों पर अल सुल्तान Zilli उत्कीर्ण | Lakshmi Ka Vrat | Alankaram Furniture Pithampur | Bhagyavati Odia Film | Banna Re Bagam Jula Galya Mithun Ka Gana | Prahari Goda Elevation | संघ शक्ति युगे युगे | Ramaas Hyderabadi Biryani | Swarna Bindu Prashana Centre In Mysore अल्लाह 


कन्यादान-गोदान के बाद कन्यादाता वर से सत् पुरुषों और देव शक्तियों की साक्षी में मर्यादा की विनम्र अपील करता है । वर उसे स्वीकार करता है । कन्या का उत्तरदायित्व वर को सौंपा गया है । ऋषियों द्वारा निधार्रित अनुशासन विशेष लक्ष्य के लिए हैं । अधिकार पाकर उस मयार्दा को भुलकर मनमाना आचरण न किया जाए । धर्म, अर्थ और काम की दिशा में ऋषि प्रणीत मयार्दा का उल्लंघन अधिकार के नशे में न किया जाए । यह निवेदन किया जाता है, जिसे वर प्रसन्नतापूवर्क स्वीकार करता है ।
रोमन विचारधारा स्ट्रैबो, पोम्पोनियस मेला और प्लिनी ने अनेक क्षेत्रों की यात्राएं कीं। स्ट्रैबो ने लिखा कि "भूगोल के द्वारा समस्त संसार के निवासियों से परिचय होता है। भूगोलवेत्ता एक ऐसा दार्शनिक होता है, जो मानवीय जीवन को सुखी बनाने और खोजो में संलग्न रहता है।"[६]पोम्पोनियस मेला के ग्रन्थ कॉस्मोग्राफ़ी में विश्व का संक्षिप्त वर्णन मिलता है।
वैसे कुल 56 जीएम फसलों के उत्पादन की तैयारी है जिनमें से 41 खाद्यान्न से जुड़ी हैं। हालांकि, बीटी कॉटन व्यावसायिक तौर पर जारी किया जा चुका है और इसे सफलता मिली है। लेकिन अन्य जो फसलें जिन पर अभी प्रयोगशाला में शोध चल रहे हैं वह हैं गेहूं, बासमती चावल, सेब, केला, पपीता, प्याज, तरबूज, मिर्च, कॉफी और सोयाबीन। कई गैर खाद्यान्न फसलों पर भी शोध जारी हैं।
सीतापुर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है ।
यह पत्थर तिल के समान कृष्ण वर्ण का होता है।
चौक, अजमेरा

प टाइप के अर्धचालक में मुख्या धारावाहिक होते हैं | 

इसलिए इस्लामी विद्वानों की मतभिन्नता भी क़ुरआन हदीस में कार्य ‎करने और आदर्श समाज की रचना में सहायक हुई है किन्तु क्षति इस ‎मतभिन्नता को कट्टर रूप में विकसित कर गुटबंदी के कारण हुई है।
व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत व्यक्तिगत इकाइयों (जिनमें व्यापार एवं परिवार शामिल हैं ) और सीमित बाजार में उनके अन्तःसम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।
कन्नड़ (ಕನ್ನಡ Kannaḍa, [ˈkʌnːəɖa]) या कैनड़ीज़[५]भारत के कर्नाटक राज्य में बोले जानेवाली भाषा है और कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत के सबसे ज़्यादा प्रयोग की जाने वाली भाषाओं में से एक है। ४.५० करोड़ लोग कन्नड भाषा प्रयोग करते हैं।[१] ये भाषा एन्कार्टा के अनुसार विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली ३० भाषाओं की सूची में २७वें स्थान पर आती है।[३] ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है पर इसमें संस्कृत से भी बहुत शब्द हैं। कन्नड भाषा इस्तेमाल करनेवाले इसको विश्वास से 'सिरिगन्नड' बोलते हैं। कन्नड भाषा कुछ २५०० साल से उपयोग में है। कन्नड लिपि कुछ १९०० साल से उपयोग में है। कन्नड अन्य द्रविड़ भाषाओं की तरह है। तेलुगु, तमिल और मलयालम इस भाषा से मिलतेजुलते है। संस्कृत भाषा से बहुत प्रभावित हुई यह भाषा में संस्कृत में से बहुत सारे शब्द वही अर्थ से उपयोग किया जाता है। कन्नड भारत की २२ आधिकारिक भाषाओं में से एक है।[६]
पृथ्वी सूर्य से तीसरा ग्रह है पृथ्वी सौर मंडल में व्यास द्रव्यमान और घनत्व में सबसे बड़ा स्थलीय ग्रह है यह पृथ्वी, पृथ्वी ग्रह संसार, और टेरा.[६] के रूप में भी उल्लेख होता है
कनाडा में प्रदूषण का नियंत्रण और इसका संगठनो से निगरानी किया जाता है.सरकार के तीन अस्तर (संघीय कनाडा व्यापक , प्रांतीय और निगम ) में प्रदूषण के सुधार और निगरानी में बराबर की जवाबदेही है
डिस्प्लेजिया के सबसे गंभीर मामलों को "स्वस्थानी कार्सिनोमा" कहा जाता है.लैटिन में, "स्वस्थानी (in situ)" शब्द का अर्थ है "स्थान में", इसलिए कार्सिनोमा स्वस्थानी शब्द का अर्थ है कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि जो अपने मूल स्थान पर ही बनी रहती है, और जिसने अन्य उतकों पर कोई आक्रमण नहीं दर्शाया है.

Sri Lakshmi Vallabha Jagannadh Skn Alpine | 

मथुरा के चारों ओर चार शिव मंदिर हैं- पूर्व में पिघलेश्वर का, दक्षिण में रंगेश्वर का और उत्तर में गोकर्णेश्वर का। चारों दिशाओं में स्थित होने के कारण शिवजी को मथुरा का कोतवाल कहते हैं। वाराहजी की गली में नीलवारह और श्वेतवाराह के सुंदर विशाल मंदिर हैं। श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने श्री केशवदेवजी की मूर्ति स्थापित की थी पर औरंगजेब के काल में वह रजधाम में पधरा दी गई व औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ डाला और उसके स्थान पर मस्जिद खड़ी कर दी। बाद में उस मस्जिद के पीछे नया केशवदेवजी का मंदिर बन गया है। प्राचीन केशव मंदिर के स्थान को केशवकटरा कहते हैं। खुदाई होने से यहाँ बहुत सी ऐतिहासिक वस्तुएँ प्राप्त हुई थीं।
साड़ी पहनने के कई तरीक़े होते हैं जो भौगोलिक स्थिति और पारंपरिक मूल्यों और रुचियों पर निर्भर करता है। अलग-अलग शैली की साड़ियों में कांजीवरम साड़ी, बनारसी साड़ी, पटोला साड़ी और हकोबा मुख्य हैं। मध्य प्रदेश की चंदेरी, महेश्वरी, मधुबनी छपाई, असम की मूंगा रशम, उड़ीसा की बोमकई, राजस्थान की बंधेज, गुजरात की गठोडा, पटौला, बिहार की तसर, काथा, छत्तीसगढ़ी कोसा रशम, दिल्ली की रशमी साड़ियां, झारखंडी कोसा रशम, महाराष्ट्र की पैथानी, तमिलनाडु की कांजीवरम, बनारसी साड़ियां, उत्तर प्रदेश की तांची, जामदानी, जामवर एवं पश्चिम बंगाल की बालूछरी एवं कांथा टंगैल आदि प्रसिद्ध साड़ियाँ हैं।
बनारस जिले की नदियों के उक्त वर्णन से यह ज्ञात होता है कि बनारस में तो प्रस्रावक नदियां है लेकिन चंदौली में नहीं है जिससे उस जिले में झीलें और दलदल हैं, अधिक बरसात होने पर गांव पानी से भर जाते हैं तथा फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। नदियों के बहाव और जमीन की के कारण जो हानि-लाभ होता है इसे प्राचीन आर्य भली-भांति समझते थे और इसलिए सबसे पहले आबादी बनारस में हुई।
बीएसएनएल लगभग हर दूरसंचार सेवा प्रदान करता है लेकिन निम्नलिखित मुख्य दूरसंचार सेवाओं में भूमिका है
यह सिद्धांत फ्रेंच दार्शनिक मान्टेस्कयू ने दिया था उसके अनुसार राज्य की शक्ति उसके तीन भागो कार्य , विधान, तथा न्यायपालिकाओ मे बांट देनी चाहिये
विधायिका की प्रक्रियाएँ तीन प्रकार के बिल धन ,फाइनेंस तथा सामान्य होते है ,धन बिल संसद की तरह ही पास होते है ,फाइनेंस बिल केवल निचले सदन मे ही पेश होते है , सामान्य बिल जो ऊपरी सदन मे पेश होंगे व पारित हो यदि बाद मे निचले सदन मे अस्वीकृत हो जाये तो समाप्त हो जाते है
बहुत्र प्राप्तो संकोचनं हेतु।
सिख धर्म पर लेखप्रवेशद्वार: सिख धर्म
तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ।। ३ ।। वन्दे मातरम् ।
देश के उत्तर में जर्मन(63.6%), पश्चिम में फ्रांसिसी(20.4%), दक्षिण में इतालवी तथा रोमांस मूल के लोग रहते हैं ।
अनुकूलः शतावर्तः पद्मी पद्मनिभेक्शणः ।।(३७)
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर कटक के बाहरी हिस्‍स्‍से में स्थित है। यहां एक बहुत बड़ा छिद्र है जहां से स्‍वयं पानी निकलता है। यह विशाल छिद्र इस मंदिर की मुख्‍य विशेषता है। इसे अनंत गर्व कहा जाता है।
मेष लग्न हो व शुक्र नक्षत्र स्वामी सप्तम में हो तो ऐसे जातक की स्त्री या पति धनी होगा या धन की कभी कमी नहीं रहेगी। शुक्र इस लग्न में उच्च का हो तो बाहर से लाभ मिले, विदेश में रहकर धन पाए।
एक बम को पहले से तैनात भी किया जा सकता है और गुप्त भी रखा जा सकता है.
रेल परिवहन

Ray Stevenson | 

२५० ईसा पूर्व तक इस क्षेत्र मे उत्तर भारत के मौर्य साम्राज्य का प्रभाव पडा और बाद में ४थी शताब्दी मे गुप्तवंश के अधीन में कठपुतली राज्य हो गया। इस क्षेत्र मे ५वी शताब्दी के उत्तरार्ध मे आकर वैशाली के लिच्छवियो के राज्य की स्थापना हुई । ८वी शताव्दी के उत्तरार्ध मे लिच्छवि वंश का अस्त हो गया और सन् ८७९ से नेवार (नेपाल की एक जाति) युग का उदय हुआ, फिर भी इन लोगों का नियन्त्रण देशभर मे कितना बना था, इसका आकलन कर पाना मुश्किल है। ११वी शताब्दी के उत्तरार्ध मे दक्षिण भारत से आए चालुक्य साम्राज्य का प्रभाव नेपाल के दक्षिणी भूभाग मे दिखा । चालुक्यों के प्रभाव मे आकर उस समय राजाओ ने बौद्धधर्म को छोडकर हिन्दू धर्म का समर्थन किया और नेपाल मे धार्मिक परिवर्तन होने लगा।
पाणिनि के काल में शिक्षा और वाङ्मय का बहुत विस्तार था। संस्कृत भाषा का उन्होंने बहुत ही गहरा अध्ययन किया था। वैदिक और लौकिक दोनों भाषाओं से वे पूर्णतया परिचित थे। उन्हीं की सामग्री से पाणिनि ने अपने व्याकरण की रचना की पर उसमें प्रधानता लौकिक संस्कृत की ही रखी। बोलचाल की लौकिक संस्कृत को उन्होंने भाषा कहा है। उन्होंने न केवल ग्रंथरचना को किंतु अध्यापन कार्य भी किया। (व्याकरण के उदाहरणों में उनके विषय का नाम कोत्स कहा है)। पाणिनि का शिक्षा विषयक संबंध, संभव है, तक्षशिला के विश्वविद्यालय से रहा हो। कहा जाता है, जब वे अपनी सामग्री का संग्रह कर चुके तो उन्होंने कुछ समय तक एकांतवास किया और अष्टाध्यायी की रचना की।
पंचम समिति- विक्रय की व्यवस्था, निरीक्षण ।
राज्य के प्रमुख बस अड्डे हैं:
जिलाधिकारी - ( april 2007 में)K.Ram mohan Rao

अल्लाह उत्कीर्ण

इसके अतिरिक्त प्राचीन चित्रों, भित्तिचित्रों और मंदिरों की दीवारों पर इस उत्सव के चित्र मिलते हैं। विजयनगर की राजधानी हंपी के १६वी शताब्दी के एक चित्रफलक पर होली का आनंददायक चित्र उकेरा गया है। इस चित्र में राजकुमारों और राजकुमारियों को दासियों सहित रंग और पिचकारी के साथ राज दम्पत्ति को होली के रंग में रंगते हुए दिखाया गया है। १६वी शताब्दी की अहमदनगर की एक चित्र आकृति का विषय वसंत रागिनी ही है। इस चित्र में राजपरिवार के एक दंपत्ति को बगीचे में झूला झूलते हुए दिखाया गया है। साथ में अनेक सेविकाएँ नृत्य-गीत व रंग खेलने में व्यस्त हैं। वे एक दूसरे पर पिचकारियों से रंग डाल रहे हैं। मध्यकालीन भारतीय मंदिरों के भित्तिचित्रों और आकृतियों में होली के सजीव चित्र देखे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए इसमें १७वी शताब्दी की मेवाड़ की एक कलाकृति में महाराणा को अपने दरबारियों के साथ चित्रित किया गया है। शासक कुछ लोगों को उपहार दे रहे हैं, नृत्यांगना नृत्य कर रही हैं और इस सबके मध्य रंग का एक कुंड रखा हुआ है। बूंदी से प्राप्त एक लघुचित्र में राजा को हाथीदाँत के सिंहासन पर बैठा दिखाया गया है जिसके गालों पर महिलाएँ गुलाल मल रही हैं।[८]
तथा 702 ग्राम पंचायतें हैं।

जो अपने सिक्कों पर अल सुल्तान Zilli  | 

Hunziker और Krapf ने , सन् १९४१ में पर्यटन को इस प्रकार से परिभाषित किया "पर्यटन गैर निवासियों की यात्रा और उनके ठहरने से उत्पन्न सम्बन्ध और प्रक्रियाओं का योग है, ये लोग यहाँ स्थायी रूप से निवास नहीं करते हैं और यहाँ पर कमाई की किसी गतिविधि से नहीं जुड़े हैं"[६] १९७६ में, इंग्लैंड की पर्यटन सोसायटी ने इसे निम्नानुसार परिभाषित किया" पर्यटन लोगों का किसी बाहरी स्थान पर अस्थायी और , अल्पकालिक गमन है, पत्येक गंतव्य स्थान में ठहरने के दोरान पर्यटक सामान्यतया यहाँ रहते हैं और काम करते हैं. इसमें सभी उद्देश्यों के लिए गमन शामिल है."In १९८१, इंटरनेशनल असोसिएशन ऑफ़ साईंटिफिक एक्सपर्ट्स इन टूरिज्म[७] ने पर्यटन को घर के वातावरण के बाहर चयनित विशिष्ट गतिविधि के रूप में परिभाषित किया.
त्रिवेंद्रम के हर प्रमुख रोड के कोने पर चाय और पान की दुकानें मिल जाएंगी। केले के चिप्स यहां की खासियत है। स्वादिष्ट केले के चिप्स के लिए कैथामुक्कु या वाईडब्ल्यूसीए रोड, ब्रिटिश लाइब्रेरी के पास जा सकते हैं। यहां ताजे और अच्छे चिप्स मिलते हैं। त्रिवेंद्रम में ऐसे कई रेस्टोरेंट भी हैं जो उत्तर भारतीय भोजन परोसते है। यहां नारियल के तेल का प्रयोग प्राय: हर व्यंजन में होता है।
यज्ञोपवीत अथवा उपनयन बौद्धिक विकास के लिये सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार है। धार्मिक और आधात्मिक उन्नति का इस संस्कार में पूर्णरूपेण समावेश है। हमारे मनीषियों ने इस संस्कार के माध्यम से वेदमाता गायत्री को आत्मसात करने का प्रावधान दिया है। आधुनिक युग में भी गायत्री मंत्र पर विशेष शोध हो चुका है। गायत्री सर्वाधिक शक्तिशाली मंत्र है।
भूमिगत जलभृत लाखों वर्षों से प्राकृतिक रूप से नदियों और बरसाती धाराओं से नवजीवन पाते रहे हैं। भारत में गंगा-यमुना का मैदान ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे उत्तम जल संसाधन मौजूद हैं। यहाँ अच्छी वर्षा होती है और हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली सदानीरा नदियाँ बहती हैं।दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही है। इसके दक्षिणी पठारी क्षेत्र का ढलाव समतल भाग की ओर है, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक झीलें बना दी हैं। पहाड़ियों पर का प्राकृतिक वनाच्छादन कई बारहमासी जलधाराओं का उद्गम स्थल हुआ करता था।[११]
ये विश्व की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा हैं। 1,365,053,177 से ज्यादा लोग ईस भाषा का उपयोग क‍रते हैं।
सहस्रार्चिः सप्तजिव्हः सप्तैधाः सप्तवाहनः ।
जाहिं अनादि, अनन्त अखंड, अछेद, अभेद सुबेद बतावैं।
(1)वे आयुध जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं- ये दैवी हैं। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं। इन बाणों के कुछ रूप इस प्रकार हैं—
गवर्नर-जनरल की विदेश मामलों के अधिकार इंडिया एक्ट १७८४ के द्वारा बढ़ाये गये। इस अधिनियम के तहत, कंपनी के अन्य गवर्नर नातो कोई युद्ध घोषित कर सकते थे, ना ही शांति प्रक्रिया, ना ही कोई संधि प्रस्ताव या अनुमति किसी भी भारतीय राजाओं से, जब तक कि गवर्नर-जनरल या कम्पनी के निदेशकों से अनुमति या आदेश ना मिला हो।
थाईलैण्ड जिसका प्राचीन भारतीय नाम श्याम्देश है दक्षिण पूर्वी एशिया में एक देश है । इसकी पूर्वी सीमा पर लाओस और कम्बोडिया, दक्षिणी सीमा पर मलेशिया और पश्चिमी सीमा पर म्यानमार है। थाईलैण्ड को सियाम के नाम से भी जाना जाता है जो ११ मई, १९४९ तक थाईलैण्ड का अधिकृत नाम था। थाई शब्द का अर्थ थाई भाषा में आज़ाद होता है। यह शब्द थाई नागरिको के सन्दर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है । इस वजह से कुछ लोग विशेष रूप से यहाँ बसने वाले चीनी लोग, थाईलैंड को आज भी सियाम नाम से पुकारना पसन्द करते हैं। थाईलैण्ड की राजधानी बैंकाक है|
प्रतापगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है ।
उपयोग पद्धति के आधार पर प्रक्षेपास्त्रों को निम्न वर्गों में बाँटा जाता है।
Kargil Chowk

Lakshmi Ka Vrat | Alankaram Furniture Pithampur | 

शिव सेना के विभाजन प्रमुख मिलिंद वैध ने कहा कि उन्होंने घटना में शामिल एक MNS कार्यकर्ता के खिलाफ स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. MNS के महासचिव प्रवीण डारेकर ने बहरहाल इस का कारण SIES कॉलेज की स्थानीय निकाइयों के चुनावों पर डाल दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि शिव सेना को कोलेजों पर अपनी पकड़ खोने का डर है, और इसिलए वह इस मुद्दे को रंग दे रहे हैं, साथ ही यह भी कि शिव सेना के इलज़ाम बेबुनियाद हैं. राज ठाकरे का दावा है कि MNS तस्वीरें नहीं फाड़ सकता है, कियोंकि बाल ठाकरे का वह और उनके सदस्य बहुत आदर करते हैं.[२०]उत्तरभारतीयों के खिलाफ बाल ठाकरे द्वारा दिए गए टिप्पनिओं पर कुछ MP द्वारा नोटिस जारी करने पर एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि वह कभी UP और बिहार के किसी राजनितिक नेता को मुंबई में नहीं आने देंगे अगर संसदीय समिति ने बाल ठाकरे के summon पर जोर दिया. इस पर विपरीत प्रतिक्रिया देते हुए बाल ठाकरे ने अपने भतीजे राज को "पीठ पर वार करने वाला" कहा और उनके अहसान से साफ़ मना कर दिया.
10===दिसंबर===2010
विभिन्न इतिहासकारों ने मौर्य वंश का पतन के लिए भिन्न-भिन्न कारणों का उल्लेख किया है-
एक और मनु यानि मनुष्य
महाराजा रणजीत ने अफगानों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं और उन्हें पश्चिमी पंजाब की ओर खदेड़ दिया। अब पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर उन्हीं का अधिकार हो गया। यह पहला मौका था जब पश्तूनों पर किसी गैर मुस्लिम ने राज किया। उसके बाद उन्होंने पेशावर, जम्मू कश्मीर और आनंदपुर पर भी अधिकार कर लिया।
केरल में जन्मे कोच्चेरी रामण नारायणन (के आर नारायण) भारत के पहले दलित राष्ट्रपति थे। आपने त्रावणकोर विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद लंदन स्कूल आफ इकोनोमिक्स में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। आपकी गणना भारत के कुशल राजनीतिज्ञों में की जाती है। आपका कार्यकाल भारत की राजनीति में गुजरने वाली विभिन्न अस्थिर परिस्थितियों के कारण अत्यंत पेचीदा रहा।
1917 में रूस में ग्रह युद्ध के बाद सोवियत संघ का निर्माण हुआ जो की जोसफ स्तालिन के शःसन में था , 1922 में उसी समय इटली में बेनेतो मुस्सोलीनी का एकाधिपत्य राज्य कायम हुआ .
नैनीताल, उत्तरांचल-263002
1885–1975  Portuguese Congo (Cabinda)

Bhagyavati Odia Film | 

राजा गुजै देव १६८६-१७०३ राजा ध्रुव देव १७०३-१७२५ राजा रंजीत देव १७२५-१७८२ राजा ब्रजराज देव १७८२-१७८७ राजा सम्पूर्ण सिंह १७८७-१७९७ राजा जीत सिंह १७९७-१८१६ राजा किशोर सिंह १८२०-१८२२
तमिलनाडु शब्द तमिळ भाषा के तमिल तथा नाडु (நாடு) यानि देश या वासस्थान, से मिलकर बना है जिसका अर्थ तमिलों का घर या तमिलों का देश होता है ।
इस विशाल बाग में खुसरौ, उसकी बहन और उसकी राजपूत मां का मकबरा स्थित है।
रिमझिम · बारिश  · हिमपातबर्फीली वर्षा · धुआंधार वर्षा•चक्रवातीय •ओले · ग्रॉपेल •मानसून
नासिरुद्दीन, इस स्वभाव के बावजूद काफ़ी लोकप्रिय राजा थे, और उन्होंने एक खगोलीय केंद्र, तारोंवाली कोठी भी बनवाई, जिसमें कई नज़ाकत वाले उपकरण थे। इसका रखरखाव एक अंग्रेज़ खगोलविद करता था। उनकी मौत के बाद एक और उत्तराधिकार युद्ध हुआ, जिसमें अंग्रेज़ों ने ज़ोर दिया कि सआदत अली का एक और पुत्र, मोहम्मद अली गद्दी पर बैठे। मोहम्मद अली एक न्यायप्रिय व लोकप्रिय शासक थे, और उनके अधीन लखनऊ ने कुछ समय के लिए वापस पुरानी शानोशौकत हासिल की। लेकिन वे गठिया से पीड़ित थे। १८४२ में उनका देहांत हुआ और उनके पुत्र अमजद अली शासक बने, इनका रुझान मज़हबी और रुहानी दुनिया की ओर अधिक था, जिसकी वजह से प्रशासन पर पकड़ ढीली हुई।
नैमित्तिक प्रयोगों हेतु, ग्रीनविच मानक समय (GMT) भी UTC और UT1 समान ही होता है. संशय मिटाने हेतु सामायतः UTC ही प्रयोग होता है, GMT के प्रयोग से बचा जाता है.
Paddle steamer PS Waverley steaming down the Firth of Clyde.
शिक्षण तथा शोध मनोविज्ञान का एक प्रमुख कार्य क्षेत्र है। इस दृष्टिकोण से इस क्षेत्र के तहत निम्नांकित शाखाओं में मनोविज्ञानी अपनी अभिरुचि दिखाते हैं—
समष्टि अर्थशास्त्र अन्तर्गत समूचे देश की अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत सकल घरेलू उत्पाद, रोजगार, मुद्रास्फीति, उपभोग,निवेश जैसी राशियों का अध्ययन किया जाता है।
हालांकि, जीवन स्तर के संकेतक के रूप में इसका मान सीमित माना जाता है.
भविष्य-दृष्टि

Banna Re Bagam Jula Galya Mithun Ka Gana | 

2.8.1 (्) को हल् चिह्‍न कहा जाए न कि हलंत। व्यंजन के नीचे लगा हल् चिह्‍न उस व्यंजन के स्वर रहित होने की सूचना देता है, यानी वह व्यंजन विशुद्‍ध रूप से व्यंजन है। इस तरह से 'जगत्' हलंत शब्द कहा जाएगा क्योंकि यह शब्द व्यंजनांत है, स्वरांत नहीं।
मालदीव में छब्बीस प्राकृतिक प्रवाल द्वीप हैं और कुछ पृथक भित्तियों पर द्वीप समूह है, यह सभी इक्कीस प्रशासकीय विभागों में विभाजित किए गए हैं (बीस प्रशासकीय प्रवाल द्वीप और माले शहर).[२६]
सिक्किम में गरम पानी के अनेक चश्मे हैं जो अपनी रोगहर क्षमता के लिये विख्यात हैं। सबसे महत्वपूर्ण गरम पानी के च्श्मे फुरचाचु, युमथांग, बोराँग, रालांग, तरमचु और युमी सामडोंग हैं। इन सभी चश्मों में काफी मात्रा में सल्फर पाया जाना है और ये नदी के किनारे स्थित हैं। इन गरम पानी के चश्मों का औसत तापमान 50 °C (सेल्सियस) तक होता है।
चंडीगढ़ में अनेक संग्रहालय हैं। यहां के सरकारी संग्रहालय और कला दीर्घा में गांधार शैली की अनेक मूर्तियों का संग्रह देखा जा सकता है। यह मूर्तियां बौद्ध काल से संबंधित हैं। संग्रहालय में अनेक लघु चित्रों और प्रागैतिहासिक कालीन जीवाश्म को भी रखा गया है। अन्तर्राष्ट्रीय डॉल्स म्युजियम में दुनिया भर की गुडियाओं और कठपुतियों को रखा गया है।

Prahari Goda Elevation | 

युग बदलने के साथ ही वैशाली और मिथिला के लिच्छवी में साधु वर्धमान महावीर हुए, कपिलवस्तु के शाक्य में गौतम बुद्ध हुए। उन्हीं दिनों काशी का राजा अश्वसेन हुआ। इनके यहां पार्श्वनाथ हुए जो जैन धर्म के २३वें तीर्थंकर हुए। उन दिनों भारत में चार राज्य प्रबल थे जो एक-दूसरे को जीतने के लिए, आपस में बराबर लड़ते रहते थे। ये राह्य थे मगध, कोसल, वत्स और उज्जयिनी। कभी काशी वत्सों के हाथ में जाती, कभी मगध के और कभी कोसल के। पार्श्वनाथ के बाद और बुद्ध से कुछ पहले, कोसल-श्रावस्ती के राजा कंस ने काशी को जीतकर अपने राज में मिला लिया। उसी कुल के राजा महाकोशल ने तब अपनी बेटी कोसल देवी का मगध के राजा बिम्बसार से विवाह कर दहेज के रूप में काशी की वार्षिक आमदनी एक लाख मुद्रा प्रतिवर्ष देना आरंभ किया और इस प्रकार काशी मगध के नियंत्रण में पहुंच गई।[१] राज के लोभ से मगध के राजा बिम्बसार के बेटे अजातशत्रु ने पिता को मारकर गद्दी छीन ली। तब विधवा बहन कोसलदेवी के दुःख से दुःखी उसके भाई कोसल के राजा प्रसेनजित ने काशी की आमदनी अजातशत्रु को देना बन्द कर दिया जिसका परिणाम मगध और कोसल समर हुई। इसमें कभी काशी कोसल के, कभी मगध के हाथ लगी। अन्ततः अजातशत्रु की जीत हुई और काशी उसके बढ़ते हुए साम्राज्य में समा गई। बाद में मगध की राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र चली गई और फिर कभी काशी पर उसका आक्रमण नहीं हो पाया।
शीराज़ (फारसी: شيراز ) ईरान का शहर है। यह शहर फार्स प्रांत में आता है इस जिले की जनसंख्या 1,227,331 (गणना वर्ष २००६ अनुसार) है

संघ शक्ति युगे युगे |

सुइ जेनेरिस: सिटी ऑफ़ लंदन    परिवृतियाँ: इनर टेम्पल | मिडल टेम्पल
गुप्त राजवंश की स्थापना महाराजा गुप्त ने लगभग २७५ई.में की थी। उनका वास्तविक नाम श्रीगुप्त था। गुप्त अभिलेखों से ज्ञात होता है कि चन्द्रगुप्त प्रथम का पुत्र घटोत्कच था।
बहुत से कीट संगीतज्ञ होते हैं। कीट वाणीहीन होते हैं, इसलिए इनका संगीत वाद्य संगीत होता है। ये केवल प्रौढ़ावस्था में ही अपना वाद्य जानते है। प्राय: नर कीट ही संभवत: मादा को आकर्षित करने के लिए संगीत उत्पन्न करते हैं। इनके वाद्य अधिकतर ढोल के आकार के होते है, अर्थात्‌ इन वाद्यों में एक झिल्ली होती है जिसमें तीव्र कंपन होने से ध्वनि उत्पन्न होती है। कंपन उत्पन्न करने की दो विधियाँ है। एक भाग को दूसरे भाग पर रगड़कर जो ध्वनि उत्पन्न की जाती है। उसकी बेला (Violin) से उत्पन्न हुई ध्वनि से तुलना कर सकते हैं। दूसरी विधि में कीट की पेशियों का संकोचन विमोचन होता है। ये पेशियाँ झिल्ली से जुड़ी रहती हैं और इसलिए झिल्ली में भी कंपन होने लगता है। इस प्रकार से ध्वनि उत्पन्न करने का मनुष्य के पास कोई साधन नहीं है। झींगुर, कैटीडिड (Katydid), टिड्डे तथा सिकेडा कीटसमाज की गानेवाली प्रसिद्ध मंडली के सदस्य हैं। झींगुर, कैटीडिड और टिड्डे एक ही गण के अंतर्गत आते हैं। झींगुर और कैटीडिड के एक अग्र पक्ष पर रेती के समान एक फलक होता है, जो दूसरे अग्रपक्ष के उस भाग को रगड़ता है जो किनारे की ओर मोटा सा हो जाता है। कैटीडिड में रेती बाएँ पक्ष पर होती है। कुछ झींगुर अपने दाएँ पक्षवाली रेती से ही काम लेते हैं। टिड्डे के पक्षों पर दाते होते हैं और पिछली टाँगों पर भीतर की ओर तेज किनारा होता है। सिकेडा की पीठ पर दोनों ओर पक्षों के पीछे एक एक अंडाकार छिद्र होता है, जिसपर एक झिल्ली बनी रहती है। इस प्रकार एक ढोल सा बन जाता है। इस झिल्ली पर भीतर की ओर पेशियाँ जुड़ी रहती हैं, जो इसमें कंपन उत्पन्न करती हैं। ढोल में तीलियाँ होती है। इन तीलियों की संख्या भिन्न-भिन्न जातियों में भिन्न होती है। मच्छर दो प्रकार का गान करते हैं, जो प्रेमगान और लालसागान कहलाते हैं। लालसागान द्वारा एक मादा अन्य मादाओं को संदेश देती है कि उसने रुधिर चूसने के लिये शिकार ढूँढ़ लिया है और वे वहाँ पहुँचकर रुधिर चूस सकती हैं। प्रेमगान नर को मैथुन करने के लिए आकर्षित करता है।
मिथुन ने 1976 में मृणाल सेन द्वारा निर्देशित फिल्म मृगया से अपने फ़िल्मी केरियर की शुरुआत की, जिसमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त हुआ. अपनी पहली फिल्म के बाद उन्होंने कुछ फिल्मों मसलन; दो अनजाने (1976) तथा फूल खिले हैं के गुलशन गुलशन (1977) में सहयोगी भूमिका निभायी, लेकिन इससे उन्हें कोई सम्मान नहीं मिला. बाद में उनहोंने 1970 के दशक के आखिरी दौर में कम बजटवाली रविकांत नगाइच के निर्देशन में बनी जासूसी फिल्म सुरक्षा (1979) और 1980 के शुरुआती दशक की हिट फ़िल्मों हम पांच (1980), और वारदात (1981) जो कि सुरक्षा फिल्म कि अगली कड़ी थी, में प्रमुख भूमिका अदा की.
9.
रसमुग्धा प्रकाशन, पचरंगिया भवन
1588–1974  Cacheu2

 Ramaas Hyderabadi Biryani | 

इस महावाक्य अनुसार गुरुजी का बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए नहीं अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर बलिदान था। धर्म उनके लिए सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन विधान का नाम था। इसलिए धर्म के सत्य शाश्वत मूल्यों के लिए उनका बलि चढ़ जाना वस्तुतः सांस्कृतिक विरासत और इच्छित जीवन विधान के पक्ष में एक परम साहसिक अभियान था।
सन् 1968 में आजादी के बाद से, मारीशस एक निम्न आय वाली, कृषि उत्पाद आधारित अर्थव्यवस्था से विकसित होकर एक विविधतापूर्ण मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था मे परिवर्तित हो गया है जिसमे तेजी से बढ़ता औद्योगिक, वित्तीय, और पर्यटन क्षेत्र शामिल है . अधिकांश अवधि मे वार्षिक वृद्धि दर, 5 % से 6 % के बीच दर्ज की गई है। यह दर बढ़ती जीवन प्रत्याशा, घटती शिशु मृत्यु दर और बुनियादी ढांचे में सुधार से परिलक्षित होती है।
धारा ३४३(१) के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा हिन्दी एवं लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये प्रयुक्त अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप (अर्थात 1, 2 , 3 आदि) होगा।
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। पहले वे सरकारी वकील थे, मगर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। उन्होंने कटक की महापालिका में लंबे समय तक काम किया था और वे बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे थे। अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था। प्रभावती देवी के पिता का नाम गंगानारायण दत्त था। दत्त परिवार को कोलकाता का एक कुलीन परिवार माना जाता था। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियाँ और 8 बेटे थे। सुभाषचंद्र उनकी नौवीं संतान और पाँचवें बेटे थे। अपने सभी भाइयों में से सुभाष को सबसे अधिक लगाव शरदचंद्र से था। शरदबाबू प्रभावती और जानकीनाथ के दूसरे बेटे थें। सुभाष उन्हें मेजदा कहते थें। शरदबाबू की पत्नी का नाम विभावती था।
আমি নয়ন জলে ভাসি।

Swarna Bindu Prashana Centre In Mysore

(वायु पुराण के अनुसार एक अंगुल, अंगुली की एक गांठ के बराबर है, और अन्य प्राधिकारियों के अनुसार सिरे पर अंगुष्ठ की मोटाई के बरबर है.)[२] वायु ने मनु के अधिकार के अन्तर्गत उपरोक्त समान गणना दी है, जो कि मनु संहिता में नहीं उल्लेखित है.
Oxid železitý - Fe2O3
मकर रेखा रेखा दक्षिणी गोलार्द्ध में भूमध्य रेखा‎ के समानान्तर २३ डिग्री २६' २२" पर, ग्लोब पर पश्चिम से पूरब की ओर खींची गई कल्पनिक रेखा हैं। २२ दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत चमकता है। मकर रेखा या दक्षिणी गोलार्ध पाँच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक हैं जो पृथ्वी के मानचित्र पर परिलक्षित होती हैं। मकर रेखा पृथ्वी की दक्षिणतम अक्षांश रेखा हैं, जिसपर सूर्य दोपहर के समय लम्बवत चमकता हैं। यह घटना दिसंबर संक्रांति के समय होती हैं। जब दक्षिणी गोलार्ध सूर्य के समकक्ष अत्यधिक झुक जाता है। मकर रेखा की स्थिति स्थायी नहीं हैं वरन इसमें समय के अनुसार हेर फेर होता रहता है। उत्तरी गोलार्ध में मकर रेखा उसी भाँति है, जैसे दक्षिणी गोलार्ध में कर्क रेखा। मकर रेखा के दक्षिण में स्थित अक्षांश, दक्षिण तापमान क्षेत्र मे आते हैं । मकर रेखा के उत्तर तथा कर्क रेखा के दक्षिण मे स्थित क्षेत्र उष्णकटिबन्ध कहलाता है ।
डा. सिंह ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है । अपने राजनैतिक जीवन में वे १९९१ से राज्य सभा के सांसद रहे है । और १९९८ तथा २००४ में संसद में विपक्ष के नेता रह चुके हैं।
यदि कम्प्यूटर पर हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में काम करने के लिये इण्डिक यूनिकोड सक्षम कर लेना चाहिये। इसके लिए कम्प्यूटर में जो भी विण्डोज़ हैं, उसकी सीडी चाहिए (जैसे- विण्डोज़ २०००, विण्डोज़ ऍक्सपी, विण्डोज़ २००३ आदि।
ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि सीरिया 2012 तक तेल के निर्यातक की बजाय आयातक बन जाएगा । सीरिया से गैस का निर्यात नहीं होता । सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है ।
१८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया।
दन्त्य व्यंजन वर्त्स्य व्यंजनों से अलग दिखाने के लिये ऐसे लिखे जा सकते हैं :
उन्नीसवीं सदी में आंग्ल-अफ़ग़ान युद्धों के कारण अफ़ग़ानिस्तान का काफी हिस्सा ब्रिटिश इंडिया के अधीन हो गया जिसके बाद अफ़ग़ानिस्तान में यूरोपीय प्रभाव बढ़ता गया। १९१९ में अफ़ग़ानिस्तान ने विदेशी ताकतों से एक बार फिर स्वतंत्रता पाई। आधुनिक काल में १९३३-१९७३ के बाच का काल अफ़ग़ानिस्तान का सबसे अधिक व्यवस्थित काल रहा जब ज़ाहिर शाह का शासन था। पर पहले उसके जीजा तथा बाद में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्तापलट के कारण देश में फिर से अस्थिरता आ गई। सोवियत सेना ने कम्युनिस्ट पार्टी के सहयोग के लिए देश में कदम रखा और मुजाहिदीन ने सोवियत सेनाओं के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया और बाद में अमेरिका तथा पाकिस्तान के सहयोग से सोवियतों को वापस जाना पड़ा। ११ सितम्बर २००१ के हमले में मुजाहिदीन के सहयोग होने की खबर के बाद अमेरिका ने देश के अधिकांश हिस्से पर सत्तारुढ़ मुजाहिदीन (तालिबान), जिसको कभी अमेरिका ने सोवियत सेनाओं के खिलाफ लड़ने में हथियारों से सहयोग दिया था, के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।
धम्म को लोकप्रिय बनाने के लिए अशोक ने मानव व पशु जाति के कल्याण हेतु पशु-पक्षियों की हत्या पर प्रतिबन्ध लगा दिया था । राज्य तथा विदेशी राज्यों में भी मानव तथा पशु के लिए अलग चिकित्सा की व्य्वस्था की । अशोक के महान पुण्य का कार्य एवं स्वर्ग प्राप्ति का उपदेश बौद्ध ग्रन्थ संयुक्‍त निकाय में दिया गया है ।
फ्रांसीसी भाषावैज्ञानिकों में रूइयो ने स्वनविज्ञान के प्रयोगों के विषय में (Principes phonetique experiment, Paris, 1924) ग्रंथ लिखा था। लंदन में प्रो0 फर्थ ने विशेष तालुयंत्र का विकास किया। स्वरों के मापन के लिये जैसे स्वरत्रिकोण या चतुष्कोण की रेखाएँ निर्धारित की गई हैं, वैसे ही इन्होंने व्यंजनों के मापन के लिये आधार रेखाओं का निरूपण किया, जिनके द्वारा उच्चारण स्थानों का ठीक ठीक वर्णन किया जा सकता है। डेनियल जांस और इडा वार्ड ने भी अंग्रेजी स्वनविज्ञान पर महत्वपूर्ण कार्य किया है। फ्रांसीसी, जर्मन और रूसी भाषाओं के स्वनविज्ञान पर काम करने वालों में क्रमश: आर्मस्ट्राँग, बिथेल और बोयानस मुख्य हैं। सैद्धांतिक और प्रायोगिक स्वनविज्ञान पर समान रूप से काम करनेवाले व्यक्तियों में निम्नलिखित मुख्य हैं: स्टेटसन (मोटर फोनेटिक्स 1928), नेगस (द मैकेनिज्म ऑव दि लेरिंग्स,1919) पॉटर, ग्रीन और कॉप (विजिबुल स्पीच), मार्टिन जूस (अकूस्टिक फोनेटिक्स, 1948), हेफनर (जनरल फोनेटिक्स 1948), मौल (फंडामेंटल्स ऑव फोनेटिक्स, 1963) आदि।
माता गूजरी ने उन औरतों को नए चमकदार पीतल के घड़े दिलवा दिए। उन घड़ों को पाकर वे बहुत खुश थीं। बालक गोबिंदराय और उसके साथियों ने तीर-कमान से उन घड़ों को फोड़ने का प्रयास किया, पर वे सफल नहीं हो सके।
16. कुर्स्क
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
काशी की पंचक्रोशी का विस्तार पचास मील में है। इस मार्ग पर सैकड़ों तीर्थ है। तात्पर्य यह है कि काशी में तीर्थों की संख्या अगणित है। काशी केवल हिन्दू-धर्म के आस्थावानों का ही तीर्थस्थल नहीं है। जैन तीर्थकर पार्श्वनाथ जी ने ७७७ ई. पूर्व में चैत्र कृष्ण-चतुर्थी को यहीं के मुहल्ला भेलूपुर में जन्म ग्रहण किया था। जैन धर्म के ही ग्वारहवें तीर्थकर श्रेयांसनाथ ने भी सारनाथ में जन्म ग्रहण किया था और अपने अहिंसा-धर्म का चतुर्दिक प्रसार किया था। अत जैन तीर्थस्थान के रुप में भी काशी का बहुत अधिक महत्व है। बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थान के रुप में सारनाथ विश्वविख्यात है। भगवान गौतम बुद्ध ने गया में सम्बोधि प्राप्त करने के पश्चात् सारनाथ में आकर धर्मचक्र प्रवर्तन किया था। आर्यो की संस्कृति के कार्य-कलापों का मुख्य केन्द्र काशी सदैव से वि स्तर का आकर्षण स्थल रहा है। महाप्रभु गुरुनानक देव, कबीर जैसे लोगों के पावन-स्पर्श से काशी का कण-कण तीर्थ स्थल बन चुका है। भगवान शिव को वाराणसी नगरी अत्यन्त प्रिय है। यह उन्हें आनन्द देती है। अतः यह आनन्दकानन या आनन्दवन है।
केंद्रीय विधान सभा के नए चुनाव, 1915 के आखिरी तीन महीनों में हुए। कांग्रेस ने वह चुनाव 1942 के अपने ‘भारत छोड़ो’ प्रस्‍ताव को लेकर लड़े। चुनावों में कांग्रेस को 102 में से 56 सीटें मिलीं। कांग्रेस विधायक दल के नेता शरत चन्‍द्र बोस थे। भारतीय स्‍वतंत्रता अधिनियम 1947 के अधीन कुछ परिवर्तन हुए। 1935 के अधिनियम के वे उपबंध काम के नहीं रह गए जिनके तहत गवर्नर-जनरल या गवर्नर अपने विवेकाधिकार के अनुसार अथवा अपने व्‍यक्‍तिगत विचार के अनुसार कार्य कर सकता था।
१९८४ में लिंच वस . दोंनेल्ली (Lynch vs. Donnelly)में उ.स. के उच्चतम न्यायलय (U.S. Supreme Court)ने समस के प्रदर्शन (जो) ईसाइयों का एक दृश्य भी शामिल स्वामित्व है और शहर के द्वारा प्रदर्शित Pawtucket, रोड आइलैंड (Pawtucket, Rhode Island)के बारे में कहा की ये प्रथम संशोधन [६] का उल्लंघन नहीं करते
प्राचीन राजवंश के अंत में मिस्र की केंद्र सरकार के ढहने के बाद, प्रशासन, देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने या सहारा देने में असमर्थ था. क्षेत्रीय गवर्नर संकट के समय मदद के लिए राजा पर भरोसा नहीं कर सकते थे, और भावी खाद्यान्न की कमी और राजनीतिक विवादों ने अकाल और छोटे पैमाने पर गृह-युद्ध का रूप ले लिया. कठिन समस्याओं के बावजूद, फ़ैरो के प्रति बिना सम्मान के स्थानीय नेताओं ने अपनी नई प्राप्त स्वतंत्रता का इस्तेमाल, प्रांतों में संपन्न संस्कृति की स्थापना के लिए किया. एक बार अपने संसाधनों पर खुद का नियंत्रण प्राप्त करने के बाद, ये प्रांत आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत समृद्ध हो गए - एक तथ्य जो सभी सामाजिक वर्गों के बीच बड़े और बेहतर अंतिम संस्कार द्वारा प्रदर्शित था.[३१] रचनात्मकता की धारा में, प्रांतीय कारीगरों ने सांस्कृतिक रूपांकनों को अपनाया और तराशा जो पहले प्राचीन साम्राज्य के प्रभुत्व में प्रतिबंधित थे, और लेखकों ने ऐसी साहित्यिक शैलियों का विकास किया जिसमें उस काल का आशावाद और मौलिकता परिलक्षित होती है.[३२]
यह बहुत ही पुराना शहर है जो कि मुख्यालय से लगभग १५ मील दूर है। बिन्दकी का नाम यहा के राजा वेनुकी के नाम पर पडा। यह बहुत ही धर्मनिरपेक्ष शहर है। यहा कि भूमि गन्गा और यमुना नदी के बीच मे होने के कारण बहुत ही उपजाऊ है। यह् उत्तर प्रदेश के राज्य में एक् एक सबसे पुराना तहसील है। शहीद जोधा सिंह अटैया और कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों और प्रसिद्ध हिंदी कवि राष्ट्र-कवि सोहन लाल द्विवेदी की मात्रभूमि है।
ब्रह्मांण्ड की उत्पत्ति कैसे हुई है?
उनके इस प्रकार मना करने पर सनकादिक ऋषियों ने कहा, "अरे मूर्खों! हम तो भगवान विष्णु के परम भक्त हैं। हमारी गति कहीं भी नहीं रुकती है। हम देवाधिदेव के दर्शन करना चाहते हैं। तुम हमें उनके दर्शनों से क्यों रोकते हो? तुम लोग तो भगवान की सेवा में रहते हो, तुम्हें तो उन्हीं के समान समदर्शी होना चाहिये। भगवान का स्वभाव परम शान्तिमय है, तुम्हारा स्वभाव भी वैसा ही होना चाहिये। हमें भगवान विष्णु के दर्शन के लिये जाने दो।" ऋषियों के इस प्रकार कहने पर भी जय और विजय उन्हें बैकुण्ठ के अन्दर जाने से रोकने लगे। जय और विजय के इस प्रकार रोकने पर सनकादिक ऋषियों ने क्रुद्ध होकर कहा, "भगवान विष्णु के समीप रहने के बाद भी तुम लोगों में अहंकार आ गया है और अहंकारी का वास बैकुण्ठ में नहीं हो सकता। इसलिये हम तुम्हें शाप देते हैं कि तुम लोग पापयोनि में जाओ और अपने पाप का फल भुगतो।" उनके इस प्रकार शाप देने पर जय और विजय भयभीत होकर उनके चरणों में गिर पड़े और क्षमा माँगने लगे।
ति‍लैया बांध से कुछ ही दूरी पर उरवन टूरिस्ट कॉम्पलैक्स है। यहां पर पर्यटक बेहतरीन पिकनिक मना सकते हैं। पिकनिक मनाने के अलावा यहां पर बोटिंग और वाटर स्पोर्टस का आनंद भी लिया जा सकता है। उरवन में घूमने के बाद बागोधर के हरि हर धाम के दर्शन किए जा सकते हैं। यहां पर भगवान शिव को समर्पित 52 फीट ऊंचा शिवलिंग है। कहा जाता है कि यह शिवलिंग पूरे विश्व में सबसे विशाल है और इसके बनने में 30 वर्ष लगे थे।
साधारण बोलचाल की भाषा में कर्म का अर्थ होता है 'क्रिया' । व्याकरण में क्रिया से निष्पाद्यमान फल के आश्रय को कर्म कहते हैं। "राम घर जाता है' इस उदाहरण में "घर" गमन क्रिया के फल का आश्रय होने के नाते "जाना क्रिया' का कर्म है।
प्रभु के जन्म के समय माता त्रिशला ने १४ स्व्प्न देखे
Ecologically, California is one of the richest and most diverse parts of the world and includes some of the most endangered ecological communities. California is part of the Nearctic ecozone and spans a number of terrestrial ecoregions.
फूले नये-/ नये मिजाज में/ एक अकेले के समाज में/
यह केवल इसीलिए ही नहीं कि ईसाई धर्मगुरु अपने विशेषाधिकार की स्थिति बनाए रखना चाहते थे, यद्यपि वहाँ इसकी अधिकता थी, वे डरते यह थे कि कहीं बोलचाल की भाषा में अनूदित होने से उसके वचन ईश्वरीय वचनों की शक्ति और आशय न खो दें। केवल एक चिरपरिचित मुहावरा पूज्य भाव और भक्ति को उत्तेजित करनेवाला अत्युत्तम माध्यम नहीं है अथवा अनिवार्य रूप से गहन सत्यों का सर्वोपरि संप्रेषक नहीं है।
वादिराज ने जयसिंह द्वितीय के समय में पार्श्वनाथचरित और यशोधरचरित्र की रचना की। विल्हण की प्रसिद्ध रचना विक्रमांकदेवचरित में विक्रमादित्य षष्ठ के जीवनचरित् का विवरण है। विज्ञानेश्वर ने याज्ञवल्क्य स्मृति पर अपनी प्रसिद्ध टीका मिताक्षरा की रचना विक्रमादित्य के समय में ही की थी। विज्ञानेश्वर के शिष्य नारायण ने व्यवहारशिरोमणि की रचना की थी। मानसोल्लास अथवा अभिलषितार्थीचिंतामणि जिसमें राजा के हित और रुचि के अनेक विषयों की चर्चा है सोमेश्वर तृतीय की कृति थी। पार्वतीरुक्तिमणीय का रचयिता विद्यामाधव सोमेश्वर के ही दरबार में था। सगीतचूड़ामणि जगदेकमल्ल द्वितीय की कृति थी। संगीतसुधाकर भी किसी चालुक्य राजकुमार की रचना थी। कन्नड़ साहित्य के इतिहास में यह युग अत्यंत समृद्ध था। कन्नड भाषा के स्वरूप में भी कुछ परिवर्तन हुए। षट्पदी और त्रिपदी छंदों का प्रयोग बढ़ा। चंपू काव्यों की रचना का प्रचलन समाप्त हो चला। रगले नाम के विशेष प्रकार के गीतों की रचना का प्रारंभ इसी काल में हुआ। कन्नड साहित्य के विकास में जैन विद्वानों का प्रमुख योगदान था। सुकुमारचरित्र के रचयिता शांतिनाथ और चंद्रचूडामणिशतक के रचयिता नागवर्माचार्य इसी कल में हुए। रन्न ने, जो तैलप के दरबार का कविचक्रवर्ती था, अजितपुराण और साहसभीमविजय नामक चंपू, रन्न कंद नाम का निघंटु और परशुरामचरिते और चक्रेश्वरचरिते की रचना की। चामंुडराय ने 978 ई. में चामुंडारायपुराण की रचना की। छंदोंबुधि और कर्णाटककादंबरी की रचना नागवर्मा प्रथम ने की थी। दुर्गसिंह ने अपने पंचतंत्र में समकालीन लेखकों में मेलीमाधव के रचयिता कर्णपार्य, एक नीतिग्रंथ के रचयिता कविताविलास और मदनतिलक के रचयिता चंद्रराज का उल्लेख किया है। श्रीधराचार्य को गद्यपद्यविद्याधर की उपाधि प्राप्त थी। चंद्रप्रभचरिते के अतिरिक्त उसने जातकतिलक की रचना की थी जो कन्नड में ज्योतिष का प्रथम ग्रंथ है। अभिनव पंप के नाम से प्रसिद्ध नागचंद्र ने मल्लिनाथपुराण और रामचंद्रचरितपुराण की रचना की। इससे पूर्व वादि कुमुदचंद्र ने भी एक रामायण की रचना की थी। नयसेन ने धर्मामृत के अतिरिक्त एक व्याकरण ग्रंथ भी रचा। नेमिनाथपुराण कर्णपार्य की कृति है। नागवर्मा द्वितीय ने काव्यालोकन, कर्णाटकभाषाभूषण और वास्तुकोश की रचना की। जगद्दल सोमनाथ ने पूज्यवाद के कल्याणकारक का कन्नड में अनुवाद कर्णाटक कल्याणकारक के नाम से किया। कन्नड गद्य के विकास में वीरशैव लोगों का विशेष योगदान था। प्राय: दो सौ लेखकों के नाम मिलते हैं जिनमें कुछ उल्लेखनीय लेखिकाएँ भी थीं। बसव और अन्य वीरशैव लेखकों ने वचन साहित्य को जन्म दिया जिसमें साधारण जनता में वीरशैव सिद्धांतों के प्रचलन के लिये सरल भाषा का उपयोग किया गया। कुछ लिंगायत विद्वानों ने कन्नड साहित्य के अन्य अंगों को भी समृद्ध किया।
एच. डब्ल्यू. पार्क (H.W. Parke) लिखते हैं कि डेल्फी और इसकी ऑरेकल की आधारशिला दर्ज इतिहास के पूर्व रखी गई और इसका मूल अज्ञात है, लेकिन इसका काल-निर्धारण टाइटन, गाइया की उपासना के काल के रूप में किया गया है.[२०]
तकनीकी • जैवप्रौद्योगिकी • नैनोतकनीकी • अभियान्त्रिकी • रासायनिक अभियान्त्रिकी • वैमानिक अभियान्त्रिकी • अन्तरिक्षीय अभियान्त्रिकी • संगणक • संगणक अभियान्त्रिकी • सिविल अभियान्त्रिकी • विद्युतीय अभियान्त्रिकी • इलेक्ट्रॉनिक्स • यान्त्रिकी
राज्य
शिया एक मुसलमान सम्प्रदाय है । सुन्नी सम्प्रदाय के बाद यह इस्लाम का दूसरा सबसे बड़ा सम्प्रदाय है जो पूरी मुस्लिम आबादी का केवल १५% है। इस सम्प्रदाय के अनुयायियों का बहुमत मुख्य रूप से इरान,इराक़,बहरीन और अज़रबैजान मे रहते हैं । इसके अलावा सीरिया, कुवैत, तुर्की, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, ओमान, यमन तथा भारत में भी शिया आबादी एक प्रमुख अल्पसंख्यक के रूप में है । शिया इस्लाम का जन्म हजरत अली के उत्तराधिकार विवाद से पैदा हुआ । हजरत मुहम्मद की मृत्यु के पश्चात जिन लोगो ने हज़रत अली को अपना इमाम (धर्मगुरु) और ख़लीफा(नेता) चुना वो लोग शियाने अली (अली की टोली वाले) कहलाए जो आज शिया कहलाते हैं । इनके अनुसार हज़रत अली ही हजरत मुहम्मद साहब के असली उत्तराधिकारी हैं । सुन्नी मुसलमान मानते हैं कि हज़रत अली सहित पहले चार खलीफ़ा (अबु बक़र, उमर, उस्मान तथा हज़रत अली) सतपथी (राशिदुन) थे जबकि शिया मुसलमानों का मानना है कि पहले तीन खलीफ़ा इस्लाम के गैर-वाजिब प्रधान थे | शिया मुसलमानों के अनुसार अली को पहला खलीफ़ा तथा उनकी संतानों को परवर्ती खलीफ़ा बनाना चाहिए था । एक मशहूर हदीस मन्कुनतो मौला फ हाजा अली उन मौला, जो मुहम्मद साहब ने गदीर नामक जगह पर अपने आखरी हज पर खुत्बा दिया था, में स्पष्ट कह दिया था, और जिसको १ लाख से अधिक लोगो द्वारा लिखा गया, इसके अलावा और कई हदीसो से, ये समुदाय अली अ० के कहे का अनुसरण करते हैं ।
यहाँ बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बुद्ध इण्टरमेडिएट कालेज तथा कइ छोटे-छोटे विद्यालय भी हैं। अपने-आप में यह एक छोटा सा कस्बा है जिसके पूरब में एक किमी की दूरी पर कसयां नामक बड़ा कस्बा है। कुशीनगर के आस-पास का क्षेत्र मुख्यत: कृषि-प्रधान है। जन-सामन्य की बोली भोजपुरी है। यहाँ गेहूँ, धान, गन्ना आदि मुख्य फसलें पैदा होतीं हैं।
गुरू के द्वार पर भी कठोर कसौटियाँ हुई, लेकिन परमात्मा के प्यार में तड़पता हुआ यह परम वीर पुरूष सारी-की-सारी कसौटियाँ पार करके सदगुरूदेव का कृपाप्रसाद पाने का अधिकारी बन गया | सदगुरूदेव ने साधना-पथ के रहस्यों को समझाते हुए आसुमल को अपना लिया | अद्यात्मिक मार्ग के इस पिपासु-जिज्ञासु साधक की आधी साधना तो उसी दिन पूर्ण हो गई, जब सदगुरू ने अपना लिया | परम दयालु सदगुरू साई लीलाशाहजी महाराज ने आसुमल को घर में ही ध्यान-भजन करने का आदेश देकर 70 दिन बाद वापस अमदावाद भेज दिया | घर आये तो सही लेकिन जिस सच्चे साधक का आखिरी लक्ष्य सिद्द न हुआ हो, उसे चैन कहाँ…?
भारतेंदु जी ने अपने समय में प्रचलित प्रायः सभी छंदों को अपनाया है। उन्होंने केवल हिंदी के ही नहीं उर्दू, संस्कृत, बंगला भाषा के छंदों को भी स्थान दिया है। उनके काव्य में संस्कृत के बसंत तिलका, शार्दूल, विक्रीड़ित, शालिनी आदि हिंदी के चौपाई, छप्पय, रोला, सोरठा, कुंडलियां कवित्त, सवैया घनाछरी आदि, बंगला के पयार तथा उर्दू के रेखता, ग़ज़ल छंदों का प्रयोग हुआ है। इनके अतिरिक्त भारतेंदु जी कजली, ठुमरी, लावनी, मल्हार, चैती आदि लोक छंदों को भी व्यवहार में लाए हैं।
भौतिक भूगोल -- इसके भिन्न भिन्न शास्त्रीय अंग स्थलाकृति, हिम-क्रिया-विज्ञान, तटीय स्थल रचना, भूस्पंदनशास्त्र, समुद्र विज्ञान, वायु विज्ञान, मृत्तिका विज्ञान, जीव विज्ञान, चिकित्सा या भैषजिक भूगोल तथा पुरालिपि शास्त्र हैं।
शब्दों व संगीत कि वह रचना जिसे जन गण मन से संबोधित करा जाता है भारत का राष्ट्रगान है,बदलाव के ऐसे विषय अवसर आने पर सरकार आधिकृत करे, और वन्दे मातरम् गान, जिसने कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे ऐतिहासिक भूमिका निभाई है, को जन गण मन के समकक्ष सम्मान व पद मिले (हर्षध्वनि) मै आशा करता हूँ कि यह सदस्यों को सन्तुष्ट करेगा। (भारतीय संविधान परिषद, खंड द्वादश:, २४-१-१९५०)
यहाँ चिकित्सा, कला, कानून, इंजीनियरिंग, सैन्यशास्त्र आदि की शिक्षा का उचित प्रबंध है। यहाँ प्रसिद्ध पुरातत्व संग्रहालय है। नगर के पुराने भाग में मिट्टी के मकान, पतली तथा धूल भरी सड़कें देखने को मिलती हैं। आधुनिक भाग दर्शनीय है। यहाँ सुंदर सुंदर मसजिदें एवं बाजार हैं।
कोलकाता, चेन्नई और विशाखापट्टनम से जलयान पोर्ट ब्लेयर जाते हैं। जाने में दो-तीन दिन का समय लगता है। पोर्ट ब्लेयर से जहाज छूटने का कोई निश्चित समय नहीं है।
तारा न्यूझ एक बांग्ला टीवी चैनल है। यह एक समाचार चैनल है।
पञ्चम वर्ण की सन्धि से बनने वाले संयुक्ताक्षरों में बाद वाला वर्ण "ङ्" तथा "ञ" के नीचे लगता है। इस प्रकार बनने वाले संयुक्ताक्षरों को मंगल आदि अधिकतर यूनिकोड फॉण्ट सही प्रकार से नहीं दिखा पाते, बायीं तरफ दिखाते हैं। संस्कृत २००३ नामक यूनिकोड फॉण्ट ऐसे संयुक्ताक्षरों को सही प्रकार से प्रदर्शित करता है। उदाहरण - गङ्गा का सही रुप  है।
राजर्षि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का आकलन करते समय प्राय: उनके साहित्यकार रूप को अनदेखा कर दिया जाता है। वह एक उच्चकोटि के रचनाकार थे, उनकी रचनाओं में तत्कालीन इतिहास की खोज की जा सकती है। साहित्यकार के रूप में टण्डन जी निबंधकार, कवि और पत्रकार के रूप में दिखलाई पड़ते हैं। उनके निबंध हिन्दी भाषा और साहित्य, धर्म और संस्कृति तथा अन्य विविध क्षेत्रों से सम्बंधित हैं। भाषा और साहित्य सम्बंधी निबंधों में- कविता, दर्शन और साहित्य, हिन्दी साहित्य का कानन, हिन्दी राष्ट्र भाषा क्यों, मातृभाषा की महत्ता, भाषा का सवाल, गौरवशाली हिन्दी, हिन्दी की शक्ति, कवि और दार्शनिक आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। धर्म और संस्कृति सम्बंधी निबंधों में- भारतीय संस्कृति और कुम्भमेला, भारतीय संस्कृति संदेश तथा अन्य निबंधों में लोककल्याण कारी राज्य, धन और उसका उपयोग, स्वामी विवेकानन्द और सरदार वल्लभ भाई पटेल आदि अति महत्वपूर्ण हैं। काव्य रचनाओं में 'बन्दर सभा महाकाव्य`, 'कुटीर का पुष्प` और 'स्वतंत्रता` अपना ऐतिहासिक महत्व रखती हैं। इन कविताओं में राष्ट्रीयता और देशभक्ति की प्रमुखता है।
खरीदारी के शौकीनों के लिए तिरुवनंतपुरम बिल्कुल सही जगह है। यहां ऐसी अनेक चीजें मिलती हैं जो कोई भी व्यक्ति अपने साथ ले जाना चाहेगा। केरल का हस्तशिल्प पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां से पारंपरिक हस्तशिल्प जैसे तांबे का सामान, बांस का फर्नीचर लिया जा सकता हैं। कथककली के मुखौटे और पारंपरिक परिधान अनेक दुकानों पर मिलते हैं। सरकारी दुकानों के अलावा चलाई बाजार, कोन्नेमारा मार्केट, पावन हाउस रोड के पास की दुकानें और एम.जी.रोड, अट्टुकल शॉपिंग कॉम्प्लेक्स (पूर्वी किला), नर्मदा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स (कोडियार) से भी खरीदारी की जा सकती है। अधिकतर दुकानें सुबह 9 बजे-रात 8 बजे तक तथा सोमवार से शनिवार तक खुली रहती हैं।
17.
प्राचीन मिस्र के लोगों की कई उपलब्धियों में शामिल है उत्खनन, सर्वेक्षण और निर्माण की तकनीक जिसने विशालकाय पिरामिड, मंदिर और ओबिलिस्क के निर्माण में मदद की; गणित की एक प्रणाली, एक व्यावहारिक और कारगर चिकित्सा प्रणाली, सिंचाई व्यवस्था और कृषि उत्पादन तकनीक, प्रथम ज्ञात पोत,[६]मिस्र के मिट्टी के बर्तन और कांच प्रौद्योगिकी, साहित्य के नए रूप, और ज्ञात, सबसे प्रारंभिक शांति संधि.[७] मिस्र ने एक स्थायी विरासत छोड़ी. इसकी कला और स्थापत्य को व्यापक रूप से अपनाया गया और इसकी प्राचीन वस्तुओं को दुनिया के दूसरे कोने तक ले जाया गया. इसके विशाल खंडहरों ने यात्रियों और लेखकों की कल्पना को सदियों तक प्रेरित किया. प्रारंभिक आधुनिक काल के दौरान प्राचीन वस्तुओं और खुदाई के प्रति एक नए सम्मान ने मिस्र और दुनिया के लिए मिस्र सभ्यता की वैज्ञानिक पड़ताल और उसकी सांस्कृतिक विरासत की अपेक्षाकृत अधिक प्रशंसा को प्रेरित किया.[८]
अनु 112 के अनुसार राष्ट्रपति भारत सरकार के वार्षिक वित्तीय लेखा को संसद के सामने रखेगा यह वित्तीय लेखा ही बजट है
वामनपुराण में कूर्म कल्प के वृतान्त का वर्णन है और त्रिवर्ण की कथा है। यह पुराण दो भागों से युक्त है और वक्ता श्रोता दोनों के लिये शुभकारक है, इसमें पहले पुराण के विषय में प्रश्न है, फ़िर ब्रह्माजी के शिरच्छेद की कथा कपाल मोचर का आख्यान और दक्ष यज्ञ विध्वंश का वर्णन है। इसके बाद भगवान हर की कालरूप संज्ञा मदनदहन प्रहलाद नारायण युद्ध देवासुर संग्राम सुकेशी और सूर्य की कथा, काम्यव्रत का वर्णन, श्रीदुर्गा चरित्र तपती चरित्र कुरुक्षेत्र वर्णन अनुपम सत्या माहात्म्य पार्वती जन्म की कथा, तपती का विवाह गौरी उपाख्यान कुमार चरित अन्धकवध की कथा साध्योपाख्यान जाबालचरित अरजा की अद्भुतकथा अन्धकासुर और शंकर का युद्ध अन्धक को गणत्व की प्राप्ति मरुदगणों के जन्म की कथा राजा बलि का चरित्र लक्ष्मी चरित्र त्रिबिक्रम चरित्र प्रहलाद की तीर्थ यात्रा और उसमें अनेक मंगलमयी कथायें धुन्धु का चरित्र प्रेतोपाख्यान नक्षत्र पुरुष की कथा श्रीदामा का चरित्र त्रिबिक्रम चरित्र के बाद ब्रह्माजी द्वारा कहा हुआ उत्तम स्तोत्र तथा प्रहलाद और बलि के संवाद के सुतल लोक में श्रीहरि की प्रशंसा का उल्लेख है।
Visva बंगाल प्रौद्योगिकी और प्रबंधन (BITM) संस्थान भारती के अलावा भी शांति निकेतन में स्थित है - एक जगह है जहाँ तुम एक इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ आसानी से संबद्ध नहीं होगा. भी बहुत से अलग परिवेश, कहते हैं, एक कॉलेज या एक जादवपुर विश्वविद्यालय . Sriniketan बाईपास साथ धान के खेतों, Bolpur से सात किलोमीटर की दूरी के बीच में स्थित BITM शांति निकेतन परिसर उजाड़ लग रहा है और वहाँ मुश्किल है किसी भी सबसे पास शहर में कॉलेज को जोड़ने परिवहन. लेकिन एक बार तुम BITM दर्ज करें, यह एक अलग दुनिया है. तुम विशाल भवनों, उद्यान, कैंटीन, प्रयोगशालाओं और खेल के मैदानों है कि 60 एकड़ के परिसर डॉट ने बधाई दी है.
No.of habitat villages- 3701
माध्वाचार्य (तुलू : ಶ್ರೀ ಮಧ್ವಾಚಾರ್ಯರು) (1238-1317) भारत में भक्ति आन्दोलन के समय के सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिकों में से एक थे। वे तत्ववाद के प्रवर्तक थे जिसे द्वैतवाद के नाम से जाना जाता है। द्वैतवाद, वेदान्त की तीन प्रमुख दर्शनों में से एक है। माध्वाचार्य को वायु का तृतीय अवतार माना जाता है (हनुमान और भीम प्रथम व द्वितीय अवतार थे)।
२३५ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग पूर्वी भारत में गलगलिया के पास से निकलकर बिजनी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 37 में मिल जाता है। इसका रूट गलगलिया के पास - बघदोघरा - चलसा - नगरकाटा - गोयेरकाटा - डल्गाँव - हसीमरा - राजबात खवा - कोचगाँव - सिदिली - बिजनी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 31 तक है।
आश्वमेधिक पर्व के अन्तर्गत २ उपपर्व हैं-
अगर शटलकॉक छत को हिट करता है तो यह फॉल्ट होगा.
अमावस्या में, जब सूर्य पश्चिम भाग में स्थित हो तथा चन्द्रमा सुषुम्ना नामक रश्मि में चन्द्रमा स्थित हो, तब इस विधि से चन्द्रोपासना करनी चाहिए। अर्घ्य देने वाले पात्र में दो हरी दूर्वा के अंकुर भी अवश्य रख लें। तब अर्घ्य देते हुए इस मन्त्र का उच्चारण करें-'यत्ते सुसीमं हृदयमधि चन्द्रमसिश्रितं तेनामृतत्वस्येशाने माऽहं पौत्रमद्यं रूदम्।' [४] इस प्रकार की प्रार्थना से उपासक पुत्र शोक से बचा रहता है तथा पुत्र न होने की स्थिति में पुत्र-रत्न प्राप्त कर लेता है।सोमोपासना
किन्तु ये निर्णय सही सिद्ध नहीं हुआ और कुछ ही समय के बाद अकबर को राजधानी फतेहपुर सीकरी से हटानी पड़ी। इसके पीछे पानी की कमी प्रमुख कारण था। फतेहपुर सीकरी के बाद अकबर ने एक चलित दरबार की रचना की जो पूरे साम्राज्य में घूमता रहता था और इस प्रकार साम्राज्य के सभी स्थानों पर उचित ध्यान देना संभव हुआ। बाद में उसने सन १५८५ में उत्तर पश्चिमी भाग के लिए लाहौर को राजधानी बनाया। मृत्यु के पूर्व अकबर ने सन १५९९ में राजधानी वापस आगरा बनायी और अंत तक यहीं से शासन संभाला।[३०]
"परापेक्षं प्रमाणत्वं नात्मानं लभते क्वचित्।
परिणामतः चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा इन गणरज्यों को पुनः विजित कर गुप्त साम्राज्य में विलीन किया गया । अपनी विजयों के परिणामस्वरूप चन्द्रगुप्त द्वितीय ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की । उसका साम्राज्य पश्‍चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में हिमालय की तापघटी से दक्षिण में नर्मदा नदी तक विस्तृत था । चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में उसकी प्रथम राजधानी पाटलिपुत्र और द्वितीय राजधानी उज्जयिनी थी ।
(1) अमुक्ता - वे शस्त्र जो फेंके नहीं जाते थे।
औली बहुत ही विषम परिस्थितियों वाला पर्यटक स्थल है। यहां घूमने के लिए पर्यटकों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि औली आने से पहले शारीरिक व्यायाम करें और रोज दौड लगाएं। औली में बहुत ठंड पडती है। यहां पर ठीक रहने और सर्दी से बचने के लिए उच्च गुणवत्ता के गर्म कपडे पहनना बहुत आवश्यक है। गर्म कपडों में कोट, जैकेट, दस्ताने, गर्म पैंट और जुराबें होनी बहुत आवश्यक है। इन सबके अलावा अच्छे जूते होना भी बहुत जरुरी है। घूमते समय सिर और कान पूरी और अच्छी तरह से ढ़के होने चाहिए। आंखो को बचाने के लिए चश्में का प्रयोग करना चाहिए। यह सामान जी.एम.वी.एन. के कार्यालय से किराए पर भी लिए जा सकते हैं। जैसे-जैसे आप पहाडों पर चढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे पराबैंगनी किरणों का प्रभाव बढता जाता है। यह किरणों आंखों के लिए बहुत हानिकारक होती है। इनसे बचाव बहुत जरूरी है। अत: यात्रा पर जाते समय विशेषकर बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले चश्मे का होना बहुत जरूरी है। वहां पर ठंड बहुत पडती है। अत्यअधिक ठंड के कारण त्वचा रूखी हो जाती है। त्वचा को रूखी होने से बचाने के लिए विशेषकर होंठो पर एस.पी.अफ बाम का प्रयोग करना चाहिए।
इस गलियारे में स्टेशन हैं:-
उचित परिस्थिति में शुद्ध रज और शुद्ध वीर्य का संयोग होने और उसमें आत्मा का संचार होने से माता के गर्भाशय में शरीर का आरंभ होता है। इसे ही गर्भ कहते हैं। माता के आहारजनित रक्त से अपरा (प्लैसेंटा) और गर्भनाड़ी के द्वारा, जो नाभि से लगी रहती है, गर्भ पोषण प्राप्त करता है। यह गर्भोदक में निमग्न रहकर उपस्नेहन द्वारा भी पोषण प्राप्त करता है तथा प्रथम मास में कलल (जेली) और द्वितीय में घन होता है? तीसरे मास में अंग प्रत्यंग का विकास आरंभ होता है। चौथे मास में उसमें अधिक स्थिरता आ जाती है तथा गर्भ के लक्षण माता में स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ने लगते हैं। इस प्रकार यह माता की कुक्षि में उत्तरोत्तर विकसित होता हुआ जब संपूर्ण अंग, प्रत्यंग और अवयवों से युक्त हो जाता है, तब प्राय: नवें मास में कुक्षि से बाहर आकर नवीन प्राणी के रूप में जन्म ग्रहण करता है।
डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसंबर, 1884;28 फरवरी, 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। राजेन्द्र प्रसाद भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना प्रमुख योगदान दिया था जिसकी परिणति २६ जनवरी १९५० को भारत के एक गणतंत्र के रुप में हुई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मंत्री के रुप में भी थोड़े समय के लिए काम किया था। पूरे देश में अत्यंत लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या "देशरत्न" कहकर पुकारा जाता था।
मैं आपसे हथियार रखने के लिए कहना पसंद करूंगा क्योंकि ये आपको अथवा मानवता को बचाने में बेकार हैं।आपको हेर हिटलर और सिगनोर मुसोलिनी को आमत्रित करना होगा कि उन्हें देशों से जो कुछ चाहिए आप उन्हें अपना अधिकार कहते हैं।यदि इन सज्जनों को अपने घर पर रहने का चयन करना है तब आपको उन्हें खाली करना होगा।यदि वे तुम्हें आसानी से रास्ता नहीं देते हैं तब आप अपने आपको , पुरूषों को महिलाओं को और बच्चों की बलि देने की अनुमति देंगे किंतु अपनी निष्ठा के प्रति झुकने से इंकार करेंगे।
हलाकि कोलकाता मेट्रो भारतीय रेल द्वारा ही संचालित होता है परंतु इसे किसी जोन में नहीं रखा गया है। प्रशासनिक रूप से इसे एक क्षेत्रीय रेलवे के रूप में देखा जाता है। हर जोन में कुछ रेलमंडल होते हैं, इस समय भारत मे कुल 67 रेलमंडल है जो उपरोक्त 17 रेल-क्षेत्र (जोन) के अंतर्गत कार्य करते हैं।
मुख्य लेख: न्यूजीलैंड की राजनीती द्फ्ह्ज्ज्ल्
राज्य के प्रमुख हिमशिखरों में गङ्गोत्री (६६१४ मी.), दूनगिरि (७०६६), बन्दरपूँछ (६३१५), केदारनाथ (६४९०), चौखम्बा (७१३८), कामेट (७७५६), सतोपन्थ (७०७५), नीलकण्ठ (५६९६), नन्दा देवी (७८१८), गोरी पर्वत (६२५०), हाथी पर्वत (६७२७), नंदा धुंटी (६३०९), नन्दा कोट (६८६१) देव वन (६८५३), माना (७२७३), मृगथनी (६८५५), पंचाचूली (६९०५), गुनी (६१७९), यूंगटागट (६९४५) हैं।[९]
(16) ऊपरी पर्वतीय वन - 1800 मीटर ऊंचाई से ऊपर> 30% के साथ चंदवा कवर प्राकृतिक वनों,, किसी भी मौसमी शासन और पत्ती प्रकार मिश्रण के साथ.
वेदों के सर्वांगीण अनुशीलन के लिये शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष- इन ६ अंगों के ग्रन्थ हैं। प्रतिपदसूत्र, अनुपद, छन्दोभाषा (प्रातिशाख्य), धर्मशास्त्र, न्याय तथा वैशेषिक- ये ६ उपांग ग्रन्थ भी उपलब्ध है। आयुर्वेद, धनुर्वेद, गान्धर्ववेद तथा स्थापत्यवेद- ये क्रमशः चारों वेदों के उपवेद कात्यायन ने बतलाये हैं।
अपने जीवन के अंतिम दिनों में , शाहजहां को उसके पुत्र औरंगज़ेब ने इस ही किले में बंदी बना दिया था, एक ऐसी सजा, जो कि किले के महलों की विलासिता को देखते हुए, उतनी कड़ी नहीं थी। यह भी कहा जाता है, कि शाहजहां की मृत्यु किले के मुसम्मन बुर्ज में, ताजमहल को देखेते हुए हुई थी। इस बुर्ज के संगमर्मर के झरोखों से ताजमहल का बहुत ही सुंदर दृश्य दिखता है।
सत्यकि पाण्डवों की ओर से लडज्ञे वाला एक योद्धा था।
बौद्ध धर्म के प्रसार के कारण भारतीय वास्तुकला ने पूर्वी और दक्षिण एशिया को प्रभावित किया है.भारतीय स्थापत्य कला के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण जैसे की मंदिर टीला या स्तूप (stupa), मंदिर शीर्ष या शिखर (sikhara), मंदिर टॉवर या पगोड़ा (pagoda) और मंदिर द्वार या तोरण (torana) एशियाई संस्कृति का प्रसिद्ध प्रतीक बन गये हैं और इनका प्रयोग पूर्व एशिया (East Asia) और दक्षिण पूर्व एशिया में बड़े पैमाने पर किया जाता है.केन्द्रीय शीर्ष को कभीकभी विमानम् (vimanam) भी कहा जाता है.मंदिर का दक्षिणी द्वार गोपुरम अपनी गूढ़ता और ऐश्वर्य के लिए जाना जाता है.
भागदत्त्त, प्रगज्योतिष देश का राजा था। ये स्थान आज के असम में कहीं स्थित है। वह नरकासुर का पुत्र था, और इंद्र का मित्र। वह अर्जुन का बहुत बडा़ प्रशंसक था, लेकिन कृष्ण का कट्टर प्रतिद्वंदी।
केन्द्रीय सरकार की राजभाषा नीति के अनुपालन /कार्यान्वयन के लिए न्यूनतम हिन्दी पदों के मानक पुन निर्धारित ।
4. इनके निर्णय के खिलाफ अपील नहीं ला सकते हैआलोचनाएँ 1. ये नियमित अंतराल से काम नहीं करती है
एक बार खिलाडी को इन बुनियादी स्ट्रोक में महारत हासिल कर लेते हैं, तब वे शटलकॉक को कोर्ट के किसी भी हिस्से में पूरी ताकत से और धीरे से जैसा जरुरी हो, हिट के सकते हैं. बुनियादी बातों के अलावा, तथापि, बैडमिंटन उन्नत स्ट्रोक लगाने के कौशल के लिए अच्छी क्षमता प्रदान करता है जो प्रतिस्पर्धात्मक लाभ देता हैं. क्योंकि बैडमिंटन खिलाड़ियों को जल्दी से जल्दी हो सके कम से कम दूरी को तय करना पड़ता है, इसका उद्देश्य विरोदी को कई बहुत ही उन्नत स्ट्रोक देना होता है, ताकि या तो वह इस चाल में पड़ जाए कि एक अलग स्ट्रोक खेला गया है, या वह सही मायने में शटल की दिशा देखने तक अपनी गति धीमा करने को मजबूर हो जाए. बैडमिंटन में अक्सर इन दोनों तरीके से "चालबाजी" का प्रयोग किया जाता है. जब खिलाड़ी वास्तव में चालबाज़ी करता है, अक्सर वह उसी दम प्वाइंट खो देगा क्योंकि वह शटलकॉक तक पहुंचने के लिए अपने दिशा उतनी जल्दी नहीं बदल सकता. अनुभवी खिलाड़ी चाल के प्रति जागरूक होंगे और बहुत जल्द ही कदम बढ़ाने के प्रति सचेत होंगे, लेकिन चालबाज़ीके प्रयास फिर भी उपयोगी होते हैं, क्योंकि यह विरोधी को अपनी गति को धीमा करने को मजबूर कर देते हैं. कमजोर खिलाड़ी जो स्ट्रोक मारनेवाला होता है, अनुभवी खिलाड़ी उस स्ट्रोक से लाभ उठाने के मकसद से उसके शटलकॉक को हिट करने से पहले ही चल पड़ता है.
भगवान शिव अर्धरात्रि में शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए शिवरात्रि व्रत में अर्धरात्रि में रहने वाली चतुर्दशी ग्रहण करनी चाहिए। कुछ विद्वान प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी विद्धा चतुर्दशी शिवरात्रि व्रत में ग्रहण करते हैं। नारद संहिता में आया है कि जिस तिथि को अर्धरात्रि में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी हो, उस दिन शिवरात्रि करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। जिस दिन प्रदोष व अर्धरात्रि में चतुर्दशी हो, वह अति पुण्यदायिनी कही गई है। इस बार 6 मार्च को शिवरात्रि प्रदोष व अर्धरात्रि दोनों में विद्यमान रहेगी।
"हम मालदीव छोड़ना नहीं चाहते, लेकिन हम दशकों के लिए टेंट में रहने वाले जलवायु शरणार्थी भी नहीं बनना चाहते."[१६]
(ii) उन्हें सन 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड मिला.
धम्म को लोकप्रिय बनाने के लिए अशोक ने मानव व पशु जाति के कल्याण हेतु पशु-पक्षियों की हत्या पर प्रतिबन्ध लगा दिया था । राज्य तथा विदेशी राज्यों में भी मानव तथा पशु के लिए अलग चिकित्सा की व्य्वस्था की । अशोक के महान पुण्य का कार्य एवं स्वर्ग प्राप्ति का उपदेश बौद्ध ग्रन्थ संयुक्‍त निकाय में दिया गया है ।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (तमिल: சக்ரவர்தி ராஜகோபாலாச்சாரி) (दिसम्बर १०, १८७८ - दिसम्बर २५, १९७२), राजाजी नाम से भी जाने जाते हैं। वे वकील, लेखक, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक थे। वे स्वतन्त्र भारत के द्वितीय गवर्नर जनरल और प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल थे। १० अप्रैल १९५२ से १३ अप्रैल १९५४ तक वे मद्रास प्रांत के मुख्यमंत्री रहे। वे दक्षिण भारत के कांग्रेस के प्रमुख नेता थे, किन्तु बाद में वे कांग्रेस के प्रखर विरोधी बन गए तथा स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की। वे गांधीजी के समधी थे। (राजाजी की पुत्री लक्ष्मी का विवाह गांधीजी के पुत्र देवदास गांधी से हुआ था।) उन्होंने दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत कार्य किया।
मूल देश एवं अपने पूर्वजो के प्रति अपनापन
लखनऊ में छः विश्वविद्यालय हैं: लखनऊ विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय(यूपीटीयू), राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय(लोहिया लॉ विवि), बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, एमिटी विश्वविद्यालय एवं इंटीग्रल विश्वविद्यालय। यहां कई उच्च चिकित्सा संस्थान भी हैं: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान(एसजीपीजीआई), छत्रपति शाहूजी महाराज आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (जिसे पहले किंग जॉर्ज मेडिकल कालिज कहते थे) के अलावा निर्माणाधीन सहारा अस्पताल, अपोलो अस्पताल, एराज़ लखनऊ मेडिकल कालिज भी हैं। प्रबंधन संस्थानों में भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ (आईआईएम)[२३], इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज़(ल.वि.वि) आते हैं। यहां भारत के प्रमुखतम निजी विश्वविद्यालयों में से एक, एमिटी विश्वविद्यालय का भी परिसर है।
उसने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने धर्म प्रचारक नेपाल, श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, मिस्र तथा यूनान तक भेजे । उसने इस काम के लिए अप् ने पुत्र ओर पुत्रि को यात्राओ पर भेजा था| अशोक के धर्म प्रचारको मे सबसे ज्यदा सफलता उसके पुत्र महेन्द्र को मिली। उसके पुत्र महेन्द्र ने श्रीलन्का के राजा तिस्स को बौद्ध धर्म मे दीक्षित किया,जिसने बौद्ध धर्म को अपना राज धर्म बना दिया। अशोक से प्रेरित होकर उसने अपनी उपाधि देवनामप्रिय रख लिया।
हिमालय पर्वत की उत्पत्ति के पश्चात उसके दक्षिण तथा प्राचीन शैलों से निर्मित प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर में, दोनो उच्च स्थलों से निकलने वाली नदियों सिंधु गंगा ब्रह्मपुत्र आदि द्वारा जमा की गई जलोढ मिट्टि जे जमाव से उत्तर के विधाल मैदान का निर्माण हुवा हैं । यह मैदान धनुषाकार रुप मे ३२०० किमी. की लम्बाई में भारत के ७.५ लाख वर्ग किमी. क्षेत्र पर विस्तृत हैं।
जार्ज पंचम एवं क्वीन मेरी की स्मृति में बनाया गया गेटवे आफ इंडिया स्थापना - दिसंबर 1911
केंद्रीय हिंदी संस्थान हिंदी अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। संस्थान को उच्च स्तरीय शैक्षिक संस्थान के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है। हिंदी भारत की सामासिक संस्कृति की संवाहिका के रूप में अपनी सार्थक भूमिका निभा सके, इस उद्देश्य एवं संकल्प के साथ संस्थान निरंतर कार्यरत है। अखिल भारतीय स्तर पर हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए भी संस्थान अथक प्रयास कर रहा है। संस्थान का मूलभूत उद्देश्य है कि भारतीय भाषाएँ एक दूसरे के निकट आएँ और सामान्य बोधगम्यता की द्रष्टि से हिंदी इनके बीच सेतु का कार्य करे तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय चेतना, संस्कृति एवं उससे संबद्ध मूल तत्व हिंदी के माध्यम से प्रसारित ही न हों, बल्कि सुग्राह्य भी बनें।
बाद के वर्षों में अकबर को अन्य धर्मों के प्रति भी आकर्षण हुआ। अकबर का हिंदू धर्म के प्रति लगाव केवल मुग़ल साम्राज्य को ठोस बनाने के ही लिए नही था वरन उसकी हिंदू धर्म में व्यक्तिगत रुचि थी। हिंदू धर्म के अलावा अकबर को शिया इस्लाम एवं ईसाई धर्म में भी रुचि थी। ईसाई धर्म के मूलभूत सिद्धांत जानने के लिए उसने एक बार एक पुर्तगाली ईसाई धर्म प्रचारक को गोआ से बुला भेजा था। अकबर ने दरबार में एक विशेष जगह बनवाई थी जिसे इबादत-खाना (प्रार्थना-स्थल) कहा जाता था, जहाँ वह विभिन्न धर्मगुरुओं एवं प्रचारकों से धार्मिक चर्चाएं किया करता था। उसका यह दूसरे धर्मों का अन्वेषण कुछ मुस्लिम कट्टरपंथी लोगों के लिए असहनीय था। उन्हे लगने लगा था कि अकबर अपने धर्म से भटक रहा है। इन बातों में कुछ सच्चाई भी थी, अकबर ने कई बार रुढ़िवादी इस्लाम से हट कर भी कुछ फैसले लिए, यहाँ तक कि १५८२ में उसने एक नये संप्रदाय की ही शुरुआत कर दी जिसे दीन-ए-इलाही यानी ईश्वर का धर्म कहा गया।
सुग्रीव रामायण के एक प्रमुख पात्र हैं। वे राम के मित्र तथा वानरों के राजा थे।
अधिकतर शादियां माता-पिता के द्वारा ही निर्धारित-निर्देशानुसार होती है । विवाद में संतान की इच्छा की मान्यता परिवार पर निर्भर करती है । विवाह को पवित्र माना जाता है औ‍र तलाक की बात सोचना (मुस्लिम परिवारों में भी) एक सामाजिक अपराध समझा जाता है। शादियाँ उत्सव की तरह आयोजित होती है और इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भरमार रहती है। कुछेक पर्वों को छोड़ दिया जाय तो वास्तव में विवाह के अवसर पर ही लोक-कला की सर्वोत्तम झांकी दिखाई देती है। इस अवसर पर किए गए खर्च और भोजों की अधिकता कई परिवारों में विपन्नता का कारण बनता है। दहेज का चलन ज्यादातर हिंदू एवं मुस्लिम परिवारों में बना हुआ है।
१९९६ के बाद दो सफल फिल्में दी हैं।इनमें से पहली संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की दिशात्मक शुरूआतKhamoshi: The Musical, थी जिसमें सह कलाकार के रूप में मनीषा कोइराला, नाना पाटेकर (Nana Patekar) और सीमा बिस्वास (Seema Biswas) थीं। हालांकि यह बॉक्स ऑफिस पर असफल रही फिर भी समीक्षकों द्वारा सराही गई थी।इनकी अगली सफलता सनी देओल और करिश्मा कपूर (Karisma Kapoor) के साथ राज कंवर (Raj Kanwar) की एक्शन हिट फिल्म जीत (Jeet) से मिली।
विद्वानों को यहाँ पंकि (पंडित), भिक्षुओं को शू-कू (भिक्षु) और ब्राह्मणों को पा-शो-वेई (पाशुपत) कहा जाता है। पंडित अपने कंठ में श्वेत धागा (यज्ञोपवीत) डाले रहते हैं, जिसे वे कभी नहीं हटाते। भिक्षु लोग सिर मुड़ाते और पीत वस्त्र पहनते हैं। वे मांस मछली खाते हैं पर मद्य नहीं पीते। उनकी पुस्तकें तालपत्रों पर लिखी जाती हैं। बौद्ध भिक्षुणियाँ यहाँ नहीं है। पाशुपत अपने केशों को लाल या सफेद वस्त्रों से ढके रहते हैं। कंबोज के सामान्य जन श्याम रंग के तथा हृष्टपुष्ट हैं। राजपरिवार की स्त्रियाँ गौर वर्ण हैं। सभी लोग कटि तक शरीर विवस्त्र रखते हैं और नंगे पाँव घूमते हैं। राजा पटरानी के साथ झरोखे में बैठकर प्रजा को दर्शन देता है।
स्वतंत्रता-संघर्ष की असफलता पर भी स्वामी जी निराश नहीं थे। उन्हें तो इस बात का पहले से ही आभास था कि केवल एक बार प्रयत्न करने से ही स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हो सकती। इसके लिए तो संघर्ष की लम्बी प्रक्रिया चलानी होगी। हरिद्वार में ही 1855 की बैठक में बाबू कुंवर सिंह ने जब अपने इस संघर्ष में सफलता की संभावना के बारे में स्वामी जी से पूछा तो उनका बेबाक उत्तर था- "स्वतंत्रता संघर्ष कभी असफल नहीं होता। भारत धीरे-धीरे एक सौ वर्ष में परतंत्र बना है। अब इसको स्वतंत्र होने में भी एक सौ वर्ष लग जाएंगे। इस स्वतंत्रता प्राप्ति में बहुत से अनमोल प्राणों की आहुतियां डाली जाएंगी।" स्वामी जी की यह भविष्यवाणी कितनी सही निकली, इसे बाद की घटनाओं ने प्रमाणित कर दिया। स्वतंत्रता-संघर्ष की असफलता के बाद जब तात्या टोपे, नाना साहब तथा अन्य राष्ट्रीय नेता स्वामी जी से मिले तो उन्हें भी उन्होंने निराश न होने तथा उचित समय की प्रतीक्षा करने की ही सलाह दी।
2. अनु 31[ब] के द्वारा नौवीं अनुसूची भी जोडी गयी है तथा उन सभी अधिनियमों को जो राज्य विधायिका द्वारा पारित हो तथा अनुसूची के अधीन रखें गये हो को भी न्यायिक पुनरीक्षा से छूट मिल जाती है लेकिन यह कार्य संसद की स्वीकृति से होता है
आगे बढ़ने के पहले निम्न शीर्षकों के अंतर्गत इसी तथ्य का हम किंचित विस्तार से निरीक्षण करेंगे. फिर कोहलीजी के साहित्य एवं हिन्दी साहित्य में उसके स्थान के चर्चा करेंगे. इस पूरी चर्चा में एक तथ्य और दृष्टव्य है. आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रायः सौ वर्षों के इतिहास में जिस-जिस युगांतरकारी साहित्यकार की जो-जो विशेषताएं प्रमुख आलोचकों - इतिहासकारों ने निर्देशित की हैं, वह सभी समग्र रूप से डा. नरेंद्र कोहली के साहित्य में एक-साथ प्रतिष्ठित हैं. यह तुलनात्मक अध्ययन रोचक भी है और प्रेरक भी.
यह विधि केवल उन्हीं स्त्रियों में विश्वसनीय है जिनका आर्तवचक्र सदा एक समान 28 दिन का होता है। इस काल के घट बढ़ जाने से, अंडक्षरण के समय में भी घटाबढ़ी हो सकती है।
धनुर्धरो धनुर्वेदो दण्डो दमयिता दमः ।
अम्लवर्षा के कारण जलीय प्राणियों की मृत्यृ खेंतो और पेड़-पौधों की वृद्धि में गिरावट, तांबा और सीसा जैसे घातक तत्वों का पानी में मिल जाना, ये सभी दुष्परिणाम देखे जा सकते है। जर्मनी व पश्चिम यूरोप में जंगलो का नष्ट होने का कारण अम्लवर्षा है।
यह बीच केरल के सबसे खूबसूरत बीचों में एक है। स्वदेशाभिमानी के रामाकृष्ण पिल्ला, ए के जी और चदायन गोविन्दन जैसे राष्ट्रवादी नेताओं ने यहां आराम किया था। यह बीच कन्नूर किले के समीप स्थित है। इस बीच की खूबसूरती देशी पर्यटकों के साथ विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित करती है। बीच के साथ ही एक पार्क बना हुआ है जिसमें 18 फीट लंबी और 15 फीट ऊंची मूर्ति बनी हुई है। बच्चों के मनोरंजन के लिए भी यहां एक पार्क बना हुआ है।
गवर्नर जनरल को स्वामी जी से इस प्रकार के तीखे उत्तर की आशा नहीं थी। मुलाकात तत्काल समाप्त कर दी गई और स्वामी जी वहां से लौट आए। इसके उपरान्त सरकार के गुप्तचर विभाग की स्वामी जी पर तथा उनकी संस्था आर्य-समाज पर गहरी दृष्टि रही। उनकी प्रत्येक गतिविधि और उनके द्वारा बोले गए प्रत्येक शब्द का रिकार्ड रखा जाने लगा। आम जनता पर उनके प्रभाव से सरकार को अहसास होने लगा कि यह बागी फकीर और आर्य समाज किसी भी दिन सरकार के लिए खतरा बन सकते हैं। इसलिए स्वामी जी को समाप्त करने के लिए भी तरह-तरह के षड्यंत्र रचे जाने लगे।
बालक गोबिंदराय धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था। उम्र के साथ-साथ उसकी कारगुजारियां भी बदलने लगी थीं। जिस हवेली में वे रहते थे, उसमें एक कुआं था। आस-पास की स्त्रियां वहां जल भरने आया करती थीं। उन्हें तंग करने में बालक गोबिंदराय को बड़ा मजा आता था। वह अपने दोस्तों के साथ तीर-कमान लेकर छिपकर बैठ जाता और जब स्त्रियाँ अपने सिर पर जल का घड़ा लेकर वहां से गुजरतीं तो वह और उसके मित्र तीरों का निशाना बनाकर उन घड़ों को फोड़ दिया करते। गोबिंदराय का निशाना इतना अचूक था कि वह कभी खाली नहीं जाता था। वे स्त्रियां उन बालकों की शैतानी से बहुत दुखी थीं। वे जानती थीं कि इन सबका मुखिया गोबिंदराय है। उन्होंने रोज-रोज के नुकसान से तंग आकर गोबिंदराय की शिकायत करने का मन बनाया।
Gdańsk
संवृतबीजी के पौधों में पत्तियाँ भी अन्य पौधों की तरह विशेष कार्य के लिये होती हैं। इनका प्रमुख कार्य भोजन बनाना है। इनके भाग इस प्रकार है : टहनी से निकलकर पर्णवृत (petiole) होता है, जिसके निकलने के स्थान पर अनुपर्ण (stupule) भी हो सकते हैं। पत्तियों का मुख्य भाग चपटा, फैला हुआ पर्णफलक (lamina) है। इनमें शिरा कई प्रकार से विन्यासित रहती है। पत्तियों के आकार कई प्रकार के मिलते हैं। पत्तियों मे छोटे छोटे छिद्र, या रंध्र (stomata), होते हैं। अनुपर्ण भी अलग अलग पौधों में कई प्रकार के होते हैं, जैसे गुलाब, बनपालक, स्माइलेक्स, इक्ज़ारा इत्यादि में। नाड़ीविन्यास जाल के रूप में जालिका रूपी (retiulate) तथा समांतर (parallel) प्रकार का होता है। पहला विन्यास मुख्यत: द्विबीजीपत्री में और दूसरा विन्यास एकबीजपत्री में मिलता है। इन दोनों के कई रूप हो सकते हैं, जैसे जालिकारूप विन्यास आम, पीपल तथा नेनूआ की पत्ती में, और समांतररूप विन्यास केला, ताड़, या केना की पत्ती में। शिराओं द्वारा पत्तियों का रूप आकार बना रहता है, जो इन्हें चपटी अवस्था में फैले रखने में मदद देता है और शिराओं द्वारा भोजन, जल आदि पत्ती के हर भाग में पहुँचते रहते हैं। पत्तियाँ दो प्रकार की होती हैं। साधारण तथा संयुक्त, बहुत से संवृतबीजियों में पत्तियाँ विभिन्न प्रकार से रूपांतरित हो जाती हैं, जैसे मटर में ऊपर की पत्तियाँ लतर की तरह प्रतान (tendril) का रूप धारण करती हैं, या बारबेरी (barberry) में काँटे के रूप में, विगनोनियाँ में अंकुश (hook) की तरह और नागफनी, धतूरा, भरभंडा, भटकटइया में काँटे के रूप में बदल जाती हैं। घटपर्णी (nephenthes) में पत्तियाँ सुराही की तरह हो जाती हैं, जिसमें छोटे कीड़े फँसकर रह जाते हैं और जिन्हें यह पौधा हजम कर जाता है। पत्तियों के अंदर की बनावट इस प्रकार की होती हैं कि इनके अंदर पर्णहरित, प्रकाश की ऊर्जा को लेकर, जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड को मिलाकर, अकार्बनिक फ़ॉस्फ़ेट की शक्तिशाली बनाता है तथा शर्करा और अन्य खाद्य पदार्थ का निर्माण करता है।
हालांकि, दुनिया भर में अभी भी धुम्रपान करने वालों की संख्या बढ़ रही है, कुछ संगठनों के द्वारा इसके कारण उत्पन्न वाली स्थिति को तम्बाकू महामारी के रूप में वर्णित किया गया है. [१३]
बुध सौर मंडल का सूर्य से सबसे निकट स्थित और आकार मे सबसे छोटा ग्रह है। ,[१] यह सूर्य की एक परिक्रमा करने मे ८८ दिन लगाता है। यह लोहे और जस्ते का बना हुआ हैं. यह अपने परिक्रमा पथ पर २९ मील प्रति क्षण की गति से चक्‍कार लगाता हैं
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥
वाज़िह रहे कि डिफैंस हाऊसिग अथारटी कराची मैं काइम है लेकिन वोह कराची का टाऊन नहीं और ना ही किसी टाऊन का हिसा है बलकि पाक अफ़वाज के ज़ेर इतज़ाम है।
उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की।
20 वीं सदी में, गोरखपुर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक केंद्र बिंदु था. आज, शहर में भी एक व्यापार केंद्र है, पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय होस्टिंग, पहले बंगाल नागपुर रेलवे के रूप में जाना जाता है, और एक औद्योगिक क्षेत्र, GIDA (गोरखपुर विकास प्राधिकरण) 15 पुराने शहर से किमी.
Jo Shakhsh Jumerat Ko Sar (Or Dadhi Me) Kanghi Karta He Allah Pak Uski Nekiyon Ko Badha Deta Hai.
इसी समय कुछ धार्मिक ढंग की कथाएँ भी लिखी गईं। इनमें रूपराम कृत धर्ममंगल विशेष प्रसिद्ध है जिसमें लाऊसैन के साहसिक कार्यों का वर्णन है। इस कथा के ढंग पर मानिक गांगुलि तथा घनराम चक्रवर्ती ने भी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। एक और कथानक जिसके आधार पर 17वीं, 18वीं शती में रचनाएँ प्रस्तुत की गईं, राजा गोपीचंद का है। वे राजा मानिकचंद्र के पुत्र थे। जब वे गद्दी पर बैठे तो उनकी माता मयनामती को पता चला कि उनके पुत्र को राजपाट तथा स्त्री का परित्याग कर योगी बन जाना चाहिए, नहीं तो उनकी अकालमृत्यु की संभावना है। अत: माता के आदेश से उन्हें ऐसा ही करना पड़ा। भवानीदासकृत "मयनामतिर गान" तथा दुर्लभ मलिक की रचना "गोविंदचंद्र गीत" इसी कथानक पर आधारित हैं।
1970 - शेख मुजीब के नेतृत्व में अवामी लीग ने चुनाव में भारी बहुमत हासिल किया, पाकिस्तान की सरकार ने इन परिणामों को मानने से इनकार कर दिया. पाकिस्तानी सरकार के इस निर्णय के बाद दंगे भड़क उठे.
नववर्ष - द्वादशमासै: संवत्सर:।' ऐसा वेद वचन है, इसलिए यह जगत्मान्य हुआ। सर्व वर्षारंभों में अधिक योग्य प्रारंभदिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है। इसे पूरे भारत में अलग-अलग नाम से सभी हिन्दू धूम-धाम से मनाते हैं।
लोकनाथजी एक महान सन्त थे।
यूनिकोड हिन्दी टाइपिंग की नई विधि है। यूनिकोड की विशेषता है कि यह फॉण्ट एवं कीबोर्ड लेआउटों पर निर्भर नहीं करती। आप किसी भी यूनिकोड फॉण्ट एवं किसी भी कीबोर्ड लेआउट का प्रयोग करके हिन्दी टाइप कर सकते हैं। यूनिकोड फॉण्ट में लिखी हिन्दी देखने के लिये उस फॉण्ट विशेष का कम्प्यूटर में होना जरुरी नहीं है। किसी भी यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट के होने पर हिन्दी देखी जा सकती है। अधिकतर नये ऑपरेटिंग सिस्टमों में यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट बना-बनाया आता है।
इस सूची में 245 प्रकार की सत्ताएं निम्न हैं :
देशान्तर -93.45o E से 94.15o E
स्वास्थ्य की रक्षा करने के उपाय बताते हुए आयुर्वेद कहता है-
अपने सभी कर्मकाण्डों, धर्मानुष्ठानों, संस्कारों, पर्वों में यज्ञ आयोजन मुख्य है । उसका विधि-विधान जान लेने एवं उनका प्रयोजन समझ लेने से उन सभी धर्म आयोजनों की अधिकांश आवश्यकता पूरी हो जाती है ।
तिरुवनंतपुरम से 16 किमी. दूर स्थित कोवलम बीच केरल का एक प्रमुख पर्यटक केंद्र है। रेतीले तटों पर नारियल के पेड़ों और खूबसूरत लैगून से सजे ये बीच पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कोवलम बीच के पास तीन और तट भी हैं जिनमें से दक्षिणतम छोर पर स्थित लाइट हाउस बीच सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह विश्व के सबसे अच्छे तटों में से एक है। कोवलम के तटों पर अनेक रेस्टोरेंट हैं जिनमें आपको सी फूड मिल जाएगें।
The Taj is considered to be one of the most beautiful monuments of love and is one of the Seven Wonders of the World, when it comes to tourism.
शहर में इंटरनेट के लिए ब्रॉडबैण्ड इंटरनेट कनेक्टिविटी एवं वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग सुविधा उपलब्ध हैं। प्रमुख सेवाकर्ता भारत संचार निगम लिमिटेड, भारती एयरटेल, रिलायंस कम्युनिकेशन्स, टाटा कम्युनिकेशन्स एवं एसटीपीआई का बृहत अवसंरचना ढांचा है। इनके द्वारा गृह प्रयोक्ताओं एवं निगमित प्रयोक्ताओं को अच्छी गति का ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध होता है। शहर में ढेरों इंटरनेट कैफ़े भी उपलब्ध हैं।
ख़ोमैनी का जन्म सन् 1902 में ख़ुमैन (इस्फ़हान और तेहरान के बीच एक छोटा शहर) में हुआ था । वो सैय्यदों के परिवार से थे जो पैग़म्बर के वंशज माने जाते हैं । उनके बाल्यकाल में ही माता-पिता का वियोग हो गया था और उनकी शिक्षा क़ोम में हुई थी । इसके फ़लस्वरूप उनके मन में उलेमा के प्रति आदर-भाव था जो कि शाह के शासनकाल में कम होता जा रहा था । सन् 1963-64 में वे मोसद्दिक़ के साथ शाह की मुख़ालिफ़त (विरोध) करने वाले प्रमुख नेताओं में से एक हो गए ।
मुग़ल, खासकर अकबर के बाद से, गैर-मुस्लिमों पर उदार रहे थे लेकिन औरंगज़ेब उनके ठीक उलट था। औरंगज़ेब ने जज़िया कर फिर से आरंभ करवाया, जिसे अक़बर ने खत्म कर दिया था। उसने कश्मीरी ब्राह्मणों को इस्लाम कबूल करने पर मजबूर किया। कश्मीरी ब्राह्मणों ने सिक्खों के नौवें गुरु तेगबहादुर से मदद मांगी। तेगबहादुर ने इसका विरोध किया तो औरंगज़ेब ने उन्हें फांसी पर लटका दिया। इस दिन को सिक्ख आज भी अपने त्यौहारों में याद करते हैं।
इस प्रकार भारतवर्ष के इतिहास में सर्वप्रथम इन बंदोबस्तों द्वारा राज्य और कृषकों के बीच में जमींदारों का वर्ग अंग्रेजों की नीति द्वारा स्थापित हुआ जिसके फल स्वरूप कृषकों के भू-संपत्ति अधिकार, जो अनादि काल से चले आ रहे थे, छिन गए। यह मध्यवर्ती वर्ग दिन प्रति दिन धनी होता गया क्योंकि अंग्रेज शासक अपनी करराशि में से अधिक से अधिक हिस्सा उन्हें प्रलोभन के रूप में देते रहे।
इतिहास से संबंधित वस्तु या घटना या व्यक्ति को ऐतिहासिक कहते हैं। यहा की सबसे खास बात है यहा मिले जूते हुए खेत और एक ८ फुत से लम्बा मनव कन्काल
इस वक्त की जदीद उर्दू शायरी को गढ़ने में अहम भूमिका निभाने वाले शहरयार को उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, दिल्ली उर्दू पुरस्कार और फ़िराक सम्मान सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया.
नेपाल भाषा और नेपाली अलग-अलग हैं। इनमें भ्रमित न हों।
परन्तु इस स्थान का इतिहास बहुत पुराना है। काली नदी के किनारे सदर तहसिल के मंडी नाम के गाँव में हड़प्पा कालीन सभ्यता के पुख्ता अवशेष मिले हैं। अधिक जानकारी के लिये भारतीय सर्वेक्षण विभाग वहां पर खुदाई कार्य करवा रहा है। सोने की अंगूठी जैसे आभूषण और बहुमूल्य रत्नों का मिलना यह दर्शाता है कि यह स्थान प्राचीन समय में व्यापार का केन्द्र था। महाभारत कालीन हस्तिनापुर और कुरूक्षेत्र नगरों से निकटता इस तथ्य को बल देती है।
लखनऊ में हिन्दी एवं उर्दू, दोनों ही बोली जाती हैं, किंतु उर्दू को यहां सदियों से खास महत्त्व प्राप्त रहा है। जब दिल्ली खतरे में पड़ी तब बहुत से शायरों ने लखनऊ का रुख किया। तब उर्दू शायरी के दो ठिकाने हो गये- देहली और लखनऊ। जहां देहली सूफ़ी शायरी का केन्द्र बनी ,वहीं लखनऊ गज़ल विलासिता और इश्क-मुश्क का अभिप्राय बन गया।[२५][२५] जैसे नवाबों के काल में उर्दू खूब पनपी एवं भारत की तहजीब वाली भाषा के रूप में उभरी। यहां बहुत से हिन्दू कवि एवं मुस्लिम शायर हुए हैं,[२६] जैसे बृजनारायण चकबस्त[२६], ख्वाजा हैदर अली आतिश, विनय कुमार सरोज, आमिर मीनाई, मिर्ज़ा हादी रुसवा, नासिख, दयाशंकर कौल नसीम, मुसाहफ़ी, इनशा, सफ़ी लखनवी और मीर तकी "मीर"[२६] तो प्रसिद्ध ही हैं, जिन्होंने उर्दू शायरी तथा लखनवी भाषा को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।[२७] लखनऊ शिया संस्कृति के लिए विश्व के महान शहरों में से एक है। मीर अनीस और मिर्ज़ा दबीर उर्दू शिया गद्य में मर्सिया शैली के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। मर्सिया इमाम हुसैन की कर्बला के युद्ध में शहादत का बयान करता है,, जिसे मुहर्रमके अवसर पर गाया जाता है। काकोरी कांड के अभियुक्त प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल, जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने काकोरी में फांसी पर लटका दिया था, उर्दू शायरी से खासे प्रभावित थे, एवं बिस्मिल उपनाम से लिखते थे। कई निकटवर्ती कस्बों जैसे काकोरी, दरयाबाद, बाराबंकी, रुदौली एवं मलिहाबाद ने कई उर्दू शायरों को जन्म दिया है। इनमें से कुछ हैं मोहसिन काकोरवी, मजाज़[२८], खुमार बाराबंकवी एवं जोश मलिहाबादी। हाल ही में २००८ में १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की १५०वीं वर्षगांठ पर इस विषय पर एक उपन्यास का विमोचन किया गया था। इस विषय पर प्रथम अंग्रेज़ी उपन्यास रीकैल्सिट्रेशन, एक लखनऊ के निवासी ने ही लिखा था।
आज के हिन्दी कवि-अज्ञेय
तथापि, कमी का आभास कराते हुए, इस अध्ययन में शामिल लोगों का समग्र सीरम रेटिनॉल कम था. सुपोषित आबादी में एक सीरम रेटिनॉल अध्ययन से पता चलता है कि निचले 20% में सीरम रेटिनॉल, न्यू मेक्सिको उप-आबादी के सर्वोच्च स्तरों के क़रीब था.[४९]
कान्हा में ऐसे अनेक जीव जन्तु मिल जाएंगे जो दुर्लभ हैं। पार्क के पूर्व कोने में पाए जाने वाला भेड़िया, चिन्कारा, भारतीय पेंगोलिन, समतल मैदानों में रहने वाला भारतीय ऊदबिलाव और भारत में पाई जाने वाली लघु बिल्ली जैसी दुर्लभ पशुओं की प्रजातियों को यहां देखा जा सकता है।
22 दिसम्बर 1901, देवेंद्रनाथ है बेटा, रवींद्रनाथ टैगोर पर बाद में शांति निकेतन में एक स्कूल शुरू Brahmachary Asrama नाम प्राचीन गुरुकुल प्रणाली की तर्ज पर मॉडलिंग की थी. बाद वह नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया है जो बढ़ाकर भारत की न केवल गर्व बल्कि शांति निकेतन की प्रेस्टीज स्कूल के एक विश्वविद्यालय में विस्तार किया. यह Visva, यह प्रतीकात्मक है अर्थ भारती नाम के रूप में ", जहां दुनिया एक घोंसले में एक घर बनाता था टैगोर द्वारा परिभाषित किया जा रहा था." इस शिक्षा संस्थान सच के लिए खोज रहा था, पूर्व और पश्चिम के तरीके सीखने के मिश्रण का उद्देश्य. विश्व भारती, एक सौ साल से अब और अधिक, मानविकी में डिग्री पाठ्यक्रम के साथ भारत के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, ललित कला, संगीत, कला, शिक्षा, कृषि विज्ञान और ग्रामीण पुनर्निर्माण प्रदर्शन. टैगोर के इशारे पर, Paus वार्षिक उत्सव एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक घटना बन गया है जहां छात्रों और उनके स्कूल के शिक्षकों के एक सक्रिय हिस्सा है. Paus मेला, इसलिए लिया, शहरी और ग्रामीण लोक लोगों के लिए एक बैठक मैदान बन जाता है. ग्रामीण दस्तकारों batik मुद्रित सामग्री की तरह अपने माल लाने के सबसे प्रसिद्ध शांति निकेतन लेदर बैग, मिट्टी के सामान, चित्र, आदि, जबकि शहरी रिश्तेदारों को स्टालों इतना तय है कि ग्रामीण लोगों को नई औद्योगिक उत्पादन किया है कि माल में क्रांति जीवन था खरीद सकता है मेले में शहर. जबकि उसके परंपरागत मूल्य प्रणाली शिक्षा टैगोर द्वारा स्थापित प्रणाली को खारिज नहीं किया है इस प्रकार की गति भी रखा है और समय बदलने के साथ विकसित साबित होता है.
इन्होंने भौतिकी विषय में स्नातकोत्तर किया था। ये सबसे अधिक गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के कार्यो से प्रभावित थे। [२] तपन सिन्हा ने बांग्ला फ़िल्म अभिनेत्री अरुंधती देवी से विवाह किया था। इनके पुत्र अनिन्द्य सिन्हा भारतीय वैज्ञानिक हैं। तपन जी अपने जीवन की संध्या में हृदय रोग से पीड़ित हो गये थे, और अन्ततः १५ जनवरी, २००९ को परलोक सिधार गये।[३] इनकी पत्नी की मृत्यु १९९० में ही हो चुकी थी।[४] सगीना महतो और सफेद हाथी जैसी उल्लेखनीय फिल्में बनाने वाले सिन्हा विभिन्न श्रेणियों में अभी तक १९ राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं। स्वतंत्रता की ६०वीं जयंती पर भारत सरकार ने उन्हें फिल्म जगत में अद्वितीय योगदान के लिए अवार्ड फॉर लाइफ टाइम अचीवमेंट से सम्मानित किय़ा था।[५] तपन जी की पहली फिल्म उपहार थी जो १९५५ में रिलीज़ हुई थी। १९५६ मे रिलीज़ हुई फिल्म काबुलीवाला दूसरी फिल्म थी। इसके अलावा एक डॉक्टर की मौत, सगीना और आदमी और औरत इनकी बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती हैँ। इन्होंने बावर्ची जैसी कई फिल्मों की कहानी भी लिखी है।[६]
महाभारत के दक्षिण एशिया मे कई रूपान्तर मिलते हैं, इण्डोनेशिया, श्रीलंका, जावा द्वीप, जकार्ता, थाइलैंड, तिब्बत, बर्मा (म्यान्मार) में महाभारत के भिन्न-भिन्न रूपान्तर मिलते हैं। दक्षिण भारतीय महाभारत मे अधिकतम १,४०,००० श्लोक मिलते हैं, जबकि उत्तर भारतीय महाभारत के रूपान्तर मे १,१०,००० श्लोक मिलते हैं।
जामा मस्जिद - जामा मस्जिद पीलीभीत का एक और गौरवशाली धर्मस्थल है। इसका निर्माण हाफिज रहमत खाँ ने ११८१- ८२ हिजरी में करवाया। यह मस्जिद दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद की बहुत शानदार प्रतिकृति है। मस्जिद के प्रवेश द्वार से पहले दरवेश इमाम हाफिज नूरुउद्दीन गजनबी का मजार बना हुआ है। वे इस मस्जिद के पहले इमाम भी थे।
हैदराबाद शहर, अपनी सूचना प्रौद्योगिकी एवं आई टी एनेबल्ड सेवाएं, औषधि, मनोरंजन उद्योग (फिल्म) के लिये प्रसिद्ध है। कई कॉल सेंटर, बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बी पी ओ) कम्पनियां, जो सूचना प्रौद्योगिकी व अन्य तकनीकी सेवाओं से संबंधित हैं, यहां 1990 के दशक में स्थापित की गयीं, जिन्होंने इसे भारत क्के कॉल सेंटर सेटप शहरों में से एक बनाया।
ॐ आपःस्थ युष्माभिः, सवार्न्कामानवाप्नवानि । ॐ समुद्रं वः प्रहिणोमि, स्वां योनिमभिगच्छत । अरिष्टाअस्माकं वीरा, मा परासेचि मत्पयः । - पार०गृ०सू० १.३.१३-१४
चंबा घाटी
5092 गोरखपुर-बंगलोर एक्सप्रेस -- गोरखपुर -- बंगलोर
आचार्य हेमचंद्रने अनेक विषयोंपर विविध प्रकारके काव्य रचे है। अश्वघोषके समान हेमचंद्र सोद्देष्य काव्य रचनामें विश्वास रखते थे। इनका काव्य 'काव्यमानन्दाय' न होकर 'काव्यम् धर्मप्रचारय' है। अश्वघोष और कालिदासके सहज एवम् सरल शैली जैसी शैली नहीं थी किन्तु उनकी कविताओमें ह्रदय और मस्तिष्कका अपूर्व मिश्रण था। आचार्य हेमचंद्रके काव्यमें संस्कृत बृहत्त्रयीके पाण्डित्यपूर्ण चमत्कृत शैली है, भट्ठिके अनुसार व्याकरणका विवेचन, अश्वघोषके अनुसार धर्मप्रचार एवम् कलहणके अनुसार इतिहास है। आचार्य हेमचंद्रका पण्डित कवियोंमें मूर्धन्य स्थान है। 'त्रिषष्ढिशलाकापुरुश चरित' एक पुराण काव्य है। संस्कृतस्तोत्र साहित्यमें 'वीतरागस्तोत्र' का महत्वपूर्ण स्थान है। व्याकरण, इतिहास और काव्यका तीनोंका वाहक द्ववाश्रय काव्य अपूर्व है। इस धर्माचार्यको साहित्य-सम्राट कहनेमें अत्युक्ति नहीं है।
ज़रदोज़ी का नाम फासरी से आया है, जिसका अर्थ है: सोने की कढ़ाई।
रघुवंश कालिदास रचित महाकाव्य है। इसमें उन्नीस सर्ग हैं जिनमें रघुकुल के इतिहास का वर्णन किया गया है। महाराज रघु के प्रताप से उनके कुल का नाम रघुकुल पड़ा। रघुकुल में ही राम का जन्म हुआ था। रघुवंश के अनुसार दिलीप रघुकुल के प्रथम राजा थे जिनके पुत्र रघु द्वितीय राजा थे। उन्नीस सर्गों में कालिदास ने राजा दिलीप, उनके पुत्र रघु, रघु के पुत्र अज, अज के पुत्र दशरथ, दशरथ के पुत्र राम तथा राम के पुत्र लव और कुश के चरित्रों का वर्णन किया है। कुमार सम्भव और अभिज्ञान शाकुन्तलम् कालिदास की अन्य प्रमुख रचनाएँ हैं।
जीनोम किसी भी जीव के डी एन ए में विद्यमान समस्त जीनों का अनुक्रम जीनोम कहलाता है। मानव जीनोम में अनुमानतः 80,000-1,00,000 तक जीन होते हैं।
विपाशा
व्यापक ब्रह्म सबनिमैं एकै, को पंडित को जोगी। रावण-राव कवनसूं कवन वेद को रोगी।
कोणेश्वरम् श्रीलंका में शिलालेख, पांड्य युग
संगम-घाट के उत्तर में समुद्र के ऊपर एक ओर घाट है। इसे चक्र तीर्थ कहते है। इसी के पास रत्नेश्वर महादेव का मन्दिर है। इसके आगे सिद्धनाथ महादेवजी है, आगे एक बावली है, जिसे ‘ज्ञान-कुण्ड’ कहते है। इससे आगे जूनीराम बाड़ी है, जिससे, राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तिया है। इसके बाद एक और राम का मन्दिर है, जो नया बना है। इसके बाद एक बावली है, जिसे सौमित्री बावली यानी लक्ष्मणजी की बावजी कहते है। काली माता और आशापुरी माता की मूर्तिया इसके बाद आती है।
काता के रूप हमला और बचाव की पूर्व व्यवस्थित पद्धतियां हैं जिसका अभ्यास जुडो में जुडो की तकनीकों में महारत हासिल करने के उद्देश्य से किसी साथी के साथ किया जाता है. अधिक विशेष रूप से, उनके उद्देश्यों में शामिल हैं - जुडो के बुनियादी सिद्धांतों को समझाना, तकनीक के सही इस्तेमाल का प्रदर्शन करना, उन दार्शनिक सिद्धांतों की शिक्षा देना जिस पर जुडो आधारित है, उन तकनीकों के अभ्यास की इजाजत देना जिन्हें प्रतियोगिता में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होती है, और उन प्राचीन तकनीकों को सुरक्षित रखना जो ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है लेकिन जिनका अब समकालीन जुडो में इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
नील में नाव, १९००ई।
पिता: महाराज अश्वसेन
एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक राष्ट्र होने के कारण भारत को समय-समय पर साम्प्रदायिक तथा जातीय विद्वेष का शिकार होना पड़ा है। क्षेत्रीय असंतोष तथा विद्रोह भी हालाँकि देश के अलग-अलग हिस्सों में होते रहे हैं, पर इसकी धर्मनिरपेक्षता तथा जनतांत्रिकता, केवल १९७५-७७ को छोड़, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी, अक्षुण्ण रही है।
भारतीय संविधान (Constitution of India) में विधायिका की परिभाषा की जगह विधायिका की शक्तियों का तथा उसके अधिकार तथा कर्तव्यों का वर्णन किया गया है जिसके अंतर्गत विधायिका को विधि बनाने का अधिकार है।
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जोलीग्रांड है। यह चमोली से 221 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
हिन्दी सहकार संस्थान
1933 से 1936 तक सुभाषबाबू यूरोप में रहे।
ओड़िशा का विधानसभा चुनाव परिणाम
हख़ामनी वंश या हख़ामनश (अंग्रेज़ी तथा ग्रीक में एकेमेनिड, Achaemenid, अजमीढ़ साम्राज्य (ईसापूर्व 648 - ईसापूर्व 330) प्राचीन ईरान (फ़ारस) का एक शासक वंश था । यह प्राचीन ईरान के ज्ञात इतिहास का पहला शासक वंश था जिसने आज के लगभग सम्पूर्ण ईरान पर अपनी प्रभुसत्ता हासिल की थी और इसके अलावा अपने चरमकाल में तो यह पश्मिम में यूनान से लेकर पूर्व में सिंधु नदी तक और उत्तर में कैस्पियन सागर से लेकर दक्षिण में अरब सागर तक फैल गया था । इतना बड़ा साम्राज्य इसके बाद बस सासानी शासक ही स्थापित कर पाए थे । इस वंश का पतन सिकन्दर के आक्रमण से हुआ था ।
५४ - चौवन
इसी तरह, एक विशेषण भी एक पूरे समूह या लोगों के संगठन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है:
स्वस्थ महिलाओं की तुलना में, CIN या गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से ग्रस्त महिलाओं के रक्त और गर्भाशय-ग्रीवा कोशिकाओं में उल्लेखनीय तौर पर CoQ10 के निम्न स्तर पाए गए.[उद्धरण वांछित]
भारतीय सेना के समर्थन से थिम्पू एक हजार से अधिक आतंकवादियों को मारने में कामयाब रहा और अनेकानेक अपराधियों अपराधियों को भारत प्रत्यर्पित करने में कामयाब रहा जबकि अभियानपक्ष की ओर से केलव 120 लोग मारे गये. भारतीय सेना ने ULFA के भावी हमलों को विफल करने के उद्देश्य से कई सफल अभियान चलाया है लेकिन ULFA क्षेत्र में सक्रिय बना हुआ है. 2004 में ULFA ने असम में एक पब्लिक स्कूल को निशाना बनाया जिसमें 19 बच्चे और 5 वयस्क लोग मारे गए.
जन्मदिन
जीवन रूपों के द्वारा उत्पन्न प्रदूषण का प्राचीन रूप उनके अस्तित्व का एक प्राकृतिक फलन था व्यवहार्यता और जनसँख्या के स्तर का विशेष महत्त्व प्राकृतिक वरन (natural selection) के दायरे के भीतर गिरा है . इसमें स्थानीय रूप से जनसंख्या का समाप्त होना, या अंततः प्रजातियों का विलुप्त होना शामिल है. वे प्रक्रियाएं जो अपुष्ट थीं, उनके परिणामस्वरूप परिवर्तनों और अनुकूलनों के बीच एक नया संतुलन स्थापित हुआ. जीवन के किसी भी रूप की, चरम सीमा के लिए, प्रदूषण पर विचार की सीमा को अस्तित्व के द्वारा पार किया गया है.
भारतीय नौवहन निगम (shipping Corporation of India या SCI) (हिन्दी: भारतीय नौवहन निगम) (BSE: 523598) एक भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की जहाजरानी कंपनी है। यह भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय नौवहन हेतु जहाज चलाती है।
यह पर्यटक को दिशा सम्बन्धी सूचना प्रदान करता है। जागरूक और सजग पर्यटकों के लिए दिक्सूचक बहुत आवश्यक यंत्र माना जाता है। गाईड भी किसी स्थान का अवलोकन कराते समय पर्यटकों को दिशा सम्बन्धी जानकारी देना नही भूलते हैं। दिक्सूचक मुख्यतः दो प्रकार के पर्यटकों के लिए अधिक उपयुक्त है -
कलिंग युद्ध ने अशोक के हृदय में महान परिवर्तन कर दिया । उसका हृदय मानवता के प्रति दया और करुणा से उद्वेलित हो गया । उसने युद्ध क्रियाओं को सदा के लिए बन्द कर देने की प्रतिज्ञा की । यहाँ से आध्यात्मिक और धम्म विजय का युग शुरू हुआ । उसने बौद्ध धर्म को अपना धर्म स्वीकार किया ।
अफ़ग़ानिस्तान का नाम अफ़ग़ान और स्तान से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है अफ़गानों की भूमि। स्तान इस क्षेत्र के कई देशों के नाम में है जैसे - पाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कज़ाख़स्तान, हिन्दुस्तान इत्यादि जिसका अर्थ है भूमि या देश। अफ़ग़ान का अर्थ यहां के सबसे अधिक वसित नस्ल (पश्तून) को कहते है। अफ़गान शब्द को संस्कृत अवगान से निकला हुआ माना जाता है।
परम्परागत खाने के शौकीन लोगों के लिए नाशिक में बहुत ही कम रेस्तरां है। सबसे बेहतर खाने के लिए आप ताज रेजिडेंसी से स्थित रेस्तरां में जा सकते हैं। इसके अलावा यहां चौबीस घंटे कॉफी शॉप की सुविधा भी है। होटल नटराज में स्थित आमंत्रण रेस्तरां में आप शुद्ध शाकाहारी राजस्थानी थाली का भी स्वाद ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप यहां चाइनीज, कोंटिनेंटल, मुगलई, तंदूरी, दक्षिणी और फास्ट फूड का भी मजा ले सकते हैं।
आरूणकोपनिषद सामवेदिय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
3. बजट मे पिछले वर्ष के वास्तविक आय व्यय का विवरण होता है
कई जीवनी लेखकों ने गाँधी के जीवन वर्णन का कार्य लिया है उनमें से दो कार्य अलग हैं;डीजी तेंदुलकर अपने महात्मा के साथ. मोहनदास करमचंद गाँधी का जीवन आठ खंडों में है और महात्मा गाँधी के साथ प्यारेलाल (Pyarelal) और सुशीला नायर (Sushila Nayar) १० खंडों में है.कर्नल जी बी अमेरिकी सेना के सिंह ने कहा की अपने तथ्यात्मक शोध पुस्तक गाँधी: बेहायिंड द मास्क ऑफ़ डिविनिटी (Gandhi: Behind the Mask of Divinity) के मूल भाषण और लेखन के लिए उन्होंने अपने २० वर्ष[४०] लगा दिए
तब अगले उसने भीम के साथ मल्लभूमि में मल्ल युद्ध किया। लेकिन जितनी बार भीमसेन उसके दो टुकड़े करते वह फिर से जुड़ जाता। इस पर श्रीकृष्ण ने एक डंडी की सहायता से भीम को संकेत किया की इस बार वह उसके टुकड़े कर के दोनों टुकड़े अलग-अलग दिशा में फेंके। तब भीम ने वैसा ही किया और इस प्रकार जरासंध का वध हुआ।
विकलांग श्रद्धा का दौर के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।
इन आधारों को लेकर हम विचार करें तो क्लासिकी भाषा में ऐतिहासिकता होती है, मानकता होती है, किंतु जीवंतता नहीं होती, बोली में मानकता तथा स्वायत्तता नहीं होती, अवभाषा (वर्नाक्यूलर) में मानकता नहीं होती क्रतिम भाषा में केवल मानकता होती है, पिजिन में मात्र ऐतिहासिकता होती है, क्रियोल में अन्य सभी होती है, किंतु मानकता नहीं होती। मानक भाषा में ये चारो ही विशेषताएँ होती हैं। वस्तुतः स्टिवर्ट की ये बातें यह तो बतलाती हैं कि मानक भाषा में उपर्युक्त चार विशेषताएँ होती हैं, ‘किंतु मानक भाषा में मानकता भी होती है’ का तब तक कोई अर्थ नहीं, जब तक कि हम यह न बताएँ कि मानकता क्या है।
कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं । हिन्दू श्रीकृष्ण को ईश्वर मानते हैं, और उन पर अपार श्रद्धा रखते हैं ।
महिलाओं के लिए पारंपरिक भारतीय कपडों में शामिल हैं , साड़ी , सलवार कमीज़ (salwar kameez) , और घाघरा चोली (लहंगा)धोती, लुंगी (Lungi),और कुर्ता पुरुषों (men) के पारंपरिक वस्त्र हैं बॉम्बे , जिसे मुंबई के नाम से भी जाना जाता है भारत की फैशन राजधानी है भारत के कुछ ग्रामीण हिस्सों में ज़्यादातर पारंपरिक कपडे ही पहने जाते हैं दिल्ली, मुंबई,चेन्नई, अहमदाबाद, और पुणे ऐसी जगहें हैं जहां खरीदारी करने के शौकीन लोग जा सकते हैं दक्षिण भारत के पुरुष सफ़ेद रंग का लंबा चादर नुमा वस्त्र पहनते हैं जिसे अंग्रेजी में धोती और तमिल में वेष्टी कहा जाता है धोती के ऊपर , पुरुष शर्ट, टी शर्ट या और कुछ भी पहनते हैं जबकि महिलाएं साड़ी पहनती हैं जो की रंग बिरंगे कपडों और नमूनों वाला एक चादरनुमा वस्त्र हैं यह एक साधारण या फैंसी ब्लाउज के ऊपर पहनी जाती है यह युवा लड़कियों और महिलाओं द्वारा पहना जाता है.छोटी लड़कियां पवाडा पहनती हैं पवाडा एक लम्बी स्कर्ट है जिसे ब्लाउज के नीचे पहना जाता है.दोनों में अक्सर खुस्नूमा नमूने बने होते हैं बिंदी (Bindi) महिलाओं के श्रृंगार का हिस्सा है.परंपरागत रूप से, लाल बिंदी (या सिन्दूर ) केवल शादीशुदा हिंदु महिलाओं द्वारा ही लगाईं जाती है, लेकिन अब यह महिलाओं के फैशन का हिस्सा बन गई है .[२०]भारतीय और पश्चिमी पहनावा (Indo-western clothing) , पश्चिमी (Western) और उपमहाद्वीपीय (Subcontinental) फैशन (fashion) का एक मिला जुला स्वरूप हैं अन्य कपडों में शामिल हैं - चूडीदार (Churidar), दुपट्टा (Dupatta) , गमछा (Gamchha), कुरता , मुन्दुम नेरियाथुम (Mundum Neriyathum) , शेरवानी .
इस क्षेत्र की जलवायु अत्यंत स्वास्थ्यवर्द्धक है। कर्क रेखा के आसपास स्थित इस क्षेत्र में न अधिक ठंड पड़ती है, न ही अधिक गर्मी। बारिश साधारणतया ४० इंच होती है। एक किवदंती के अनुसार यहाँ की अजस्र जल देने वाली बदली लंगड़ी है। अतः उन पर दया करके बड़े-बड़े बादल यहाँ जल बरसा जाते हैं। यहाँ कभी सूखा नहीं पड़ता। विदिशा के समीप से ही विंध्य पर्वतों की श्रेणियों का सिलसिला पूर्व से पश्चिम की ओर गया है। ये श्रेणियाँ न तो अधिक ऊँची है, न ही लंबी।[१]
जौली ग्रांट (देहरादून) और पंतनगर (ऊधमसिंह नगर) में हवाई पट्टियां हैं। नैनी-सैनी (पिथौरागढ़), गौचर (चमोली) और चिनयालिसौर (उत्तरकाशी) में हवाई पट्टियों को बनाने का कार्य निर्माणाधीन है। 'पवनहंस लि.' ने 'रूद्र प्रयाग' से 'केदारनाथ' तक तीर्थ यात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर की सेवा आरम्भ की है।
पिंजर को फिल्म और तमस को प्रसिद्ध दूरदर्शन धारावाहिक के रूप में रूपांतरित किया गया है। इसके अलावा गरम हवा, दीपा महता की अर्थ (ज़मीन), कमल हसन की हे राम भी भारत के विभाजन पर आधारित हैं।
रामनवमी से प्रारंभ होने वाले डभरा (चंदरपुर) का मेला दिन की गरमी में ठंडा पड़ा रहता है लेकिन जैसे-जेसे शाम ढलती है, लोगों का आना शुरु हो जाती है और गहराती रात के साथ यह मेला अपने पूरे शबाब पर आ जाता है । संपन्न अघरिया कृषकों के क्षेत्र में भरने वाले इस मेले की खासियत चर्चित थी कि यह मेला अच्छे-खासे कँसीनो को चुनौती दे सकता था । यहां अनुसूचित जाति के एक भक्त द्वारा निर्मित चतुर्भुज विष्णु का मंदिर भी है । कौड़िया का शिवरात्रि का मेला प्रेतबाधा से मुक्ति और झाड़-फूंक के लिए जाना जाता है । कुछ साल पहले तक पीथमपुर, शिवरीनारायण, मल्हार, चेटुआ आदि कई मेलों की चर्चा देह-व्यापार के लिए भी होती थी । कहा जाता है कि इस प्रयोजन के मुहावरे पाल तानना और रावटी जाना जैसे शब्द, इन मैलों से निकले हैं । रात्रिकालीन मेलों का उत्स अगहन में भरने वाले डुंगुल पहाड़ (जशपुर) के रामरेखा में दिखता है । इस क्षेत्र का एक अन्य महत्वपूर्ण व्यापारिक आयोजन बागबहार का फरवरी में भरने वाला मेला है । धमतरी अंचल को मेला और मड़ई का समन्वय क्षेत्र माना जा सकता है । इस क्षेत्र में कंवर की मड़ई, रुद्रेश्वर महादेव का रुद्री मेला और देवपुर का माघ मेला भरता है । एक अन्य प्रसिद्ध मेला चंवर का अंगारमोती देवी का मेला है । इस मेले का स्थल गंगरेल बांध के डूब में आने के बाद अब बांध के पास ही पहले की तरह दीवाली के बाद आने वाले शुक्रवार को भरता है । मेला और मड़ई दोनों का प्रयोजन धार्मिक होता है, किन्तु मेला स्थिर-स्थायी देव स्थलों में भरता है, जबकि मड़ई में निर्धारित देव स्थान पर आस-पास के देवताओं का प्रतीक- डांग लाया जाता है अर्थात् मड़ई एक प्रकार का देव सम्मेलन भी है । मैदानी छत्तीसगढ़ में बइगा,-निखाद और यादव समुदाय की भूमिका मड़ई में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है । बइगा, मड़ई लाते और पूजते हैं, जबकि यादव नृत्य सहित बाजार परिक्रमा, जिसे बिहाव या परघाना कहा जाता है, करते है । मेला, आमतौर पर निश्चित तिथि-पर्व पर भरता है किन्तु मड़ई सामान्यतः सप्ताह के निर्धारित दिन पर भरती है, क्योंकि यह साल भर लगने वाले साप्ताहिक बाजार का एक दिवसीय सालाना रुप माना जा सकता है । ऐसा स्थान, जहां साप्ताहिक बाजार नहीं लगता, वहां ग्रामवासी आपसी राय कर मड़ई का दिन निर्धारित करते हैं । मोटे तौर पर मेला और मड़ई में यही फर्क है ।
गज् को अलग अलग देशों मे अलग अलग नाम से पुकारा जाता है, भारत और इसके पड़ोसी देशों मे इसे बड़ा दिन यानि महत्वपूर्ण दिन कहा जाता है। किसी देश पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिये सबसे अच्छा तरीका है कि वहां की संस्कृति, सभ्यता, धर्म पर अपनी संस्कृति, सभ्यता, और धर्म को कायम करो। 210 साल पहले, अंग्रेजों ने भारत में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। यह वह समय था जब ईसाई धर्म फैलाने की जरूरत थी। अंग्रेज, यह करना भी चाहते थे। उस समय 25 दिसंबर वह दिन था, जबसे दिन बड़े होने लगते थे। हिन्दुवों में इसके महत्व को भी नहीं नकारा जा सकता था। शायद इसी लिये इसे बड़ा दिन कहा जाने लगा ताकि हिन्दू इसे आसानी से स्वीकार कर लें।[१]
खाद्य श्रृंखला में पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न जीवों की परस्पर भोज्य निर्भरता को प्रदर्शित करते हैं। किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र में कोई भी जीव भोजन के लिए सदैव किसी दूसरे जीव पर निर्भर होता है। भोजन के लिए सभी जीव वनस्पतियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर होते हैं। वनस्पतियां अपना बोजन प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा बनाती हैं। इस भोज्य क्रम में पहले स्तर पर शाकाहारी जीव आते हैं जो कि पौधों पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर होते हैं। इसलिए पौधों को उत्पादक या स्वपोषी और जन्तुओं को उपभोक्ता की संज्ञा देते हैं।
आप्तोपदेश-योग्य अधिकारी, तप और ज्ञान से संपन्न होने के कारण, शास्त्रतत्वों को राग-द्वेष-शून्य बुद्धि से असंदिग्ध और यथार्थ रूप से जानते और कहते हैं। ऐसे विद्वान्‌, अनुसंधानशील, अनुभवी, पक्षपातहीन और यथार्थ वक्ता महापुरुषों को आप्त (अथॉरिटी) और उनके वचनों या लेखों को आप्तोपदेश कहते हैं। आप्तजनों ने पूर्ण परीक्षा के बाद शास्त्रों का निर्माण कर उनमें एक-एक के संबंध में लिखा है कि अमुक कारण से, इस दोष के प्रकुपित होने और इस धातु के दूषित होने तथा इस अंग में आश्रित होने से, अमुक लक्षणोंवाला अमुक रोग उत्पन्न होता है, उसमें अमुक-अमुक परिवर्तन होते हैं तथा उसकी चिकित्सा के लिए इन आहार विहार और अमुक औषधियों के इस प्रकार उपयोग करने से तथा चिकित्सा करने से शांति होती है। इसलिए प्रथम योग्य और अनुभवी गुरुजनों से शास्त्र का अध्ययन करने पर रोग के हेतु, लिंग और औषधज्ञान में प्रवृत्ति होती है। शास्त्रवचनों के अनुसार ही लक्षणों की परीक्षा प्रत्यक्ष, अनुमान और युक्ति से की जाती है।
|एक युवा गांधी ई.पू. (१८८६ . मोहनदास करमचंद गांधी गुजराती(एल में गांधी का अर्थ है " पंसारी " आर गाला, पापुलर कम्बाइन्ड डिक्शनरी, अंग्रेजी-अंग्रेजी-गुजराती एवं गुजराती-गुजराती-अंगेजी, नवनीत) अथवा हिंदी में परफ्यूमर भार्गव की मानक व्याख्‍या वाली हिंदी-अंग्रेजी डिक्शनरी, का जन्म पश्चिमी भारत के वर्तमान गुजरात, में पोरबंदर नामक स्थान पर २ अक्तूबर १८६९ .एक तटीय शहर में हुआ। उनके पिता करमचंद गांधी हिंदु मोध समुदाय से संबंध रखते थे और अंग्रेजों के अधीन वाले भारत के काठियावाड़ एजेन्सी में एक छोटी सी रियासत पोरबंदर प्रांत के दीवान अर्थात प्रधान मंत्री थे। परनामी वैष्णव हिंदु समुदाय की उनकी माता पुतलीबाई करमचंद की चौथी पत्नी थी, उनकी पहली तीन पत्नियां प्रसव के समय मर गई थीं। भक्ति करने वाली माता की देखरेख और उस क्षेत्र की जैन पंरपराओं के कारण युवा मोहनदास पर प्रारंभिक प्रभाव जल्दी ही पड़ गए जो उनकी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले थे। इन प्रभावों में दुर्बलों में जोश की भावना, शाकाहारी जीवन, आत्मशुद्धि के लिए उपवास तथा विभिन्न जातियों के लोगों के बीच सहिष्णुता शामिल थीं।
किसी सदस्य को इस आधार पर निरर्हित नहीं किया जाएगा यदि वह राज्य सभा का उप-सभापति निर्वाचित होने के पश्चात् अपने राजनीतिक दल की सदस्यता स्वेच्छा से छोड़ देता/देती है।
यह बैंगनी रंग का पारदर्शी पत्थर होता है।
कबीरदास (१३९९)-(१५१८) मलिक मोहम्मद जायसी (१४७७-१५४२) सूरदास (१४७८-१५८०) तुलसीदास (१५३२-१६०२)
आधुनिक कर्नाटक के भागों पर ९९०-१२१० ई. के बीच चोल वंश ने अधिकार किया। [२०] अधिकरण की प्रक्रिया का आरंभ राजराज चोल १ (९८५-१०१४) ने आरंभ किया और ये काम उसके पुत्र राजेन्द्र चोल १ (१०१४-१०४४) के शसन तक चला। [२०] आरंभ में राजराज चोल १ के द्वारा "गंगापाड़ी, नोलंबपाड़ी एवं तड़िगैपाड़ी' जो आधुनिक मैसूर के भाग थे, अधिकार किया गया। उसने दोनूर तक चढ़ाई की और बनवसी सहित रायचूर दोआब के बड़े भाग तथा पश्चिमी चालुक्य राजधानी मान्यखेत तक हथिया ली। [२०] चालुक्य शसक जयसिंह की राजेन्द्र चोल १ के द्वारा हार उपरांत, तुंगभद्रा नदी को दोनों राज्यों के बीच की सीमा तय किया गया था।[२०]राजाधिराज चोल १ (१०४२-१०५६) के शासन में दन्नड़, कुल्पाक, कोप्पम, काम्पिल्य दुर्ग, पुण्डूर, येतिगिरि एवं चालुक्य राजधानी कल्याणी भी छीन ली गईं।[२०] १०५३ में, राजेन्द्र चोल २ चालुक्यों को युद्ध में हराकर कोल्लापुरा पहुंचा और अपनी राजधानी गंगाकोंडचोलपुरम वापस पहुंचने से पूर्व वहां विजय स्मारक स्तंभ बनवाया।[२१] १०६६ में पश्चिमी चालुक्य सोमेश्वर की सेना अगले चोल शसक वीरराजेन्द्र से हार गयीं। इसके बाद उसी ने दोबारा पश्चिमी चालुक्य सेना को कुदालसंगम पर मात दी और तुंगभद्रा नदी के तट पर एक विजय स्मारक की स्थापनी की।[२२] १०७५ में कुलोत्तुंग चोल १ ने कोलार जिले में नांगिली में विक्रमादित्य ६ को हराकर गंगवाड़ी पर अधिकार किया।[२३] चोल साम्राज्य से १११६ में गंगवाड़ी को विष्णुवर्धन के नेतृत्व में होयसालों ने छीन लिया।[२०]
चट्टान मुख्यतः आग्नेय अवसादी एवं कायांतरित तीन प्रकार के होते हैं। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के तप्त, पिघले मैग्मा के ठंडा होकर ठोस हो जाने से निर्मित होती हैं। हमारी पृथ्वी प्रारम्भ में गर्म एवं पिघली अवस्था में थी। अतः पृथ्वी के ऊपरी आवरण के ठंडा होने से पृथ्वी पर सर्वप्रथम आग्नेय चट्टानें ही बनीं। इसी से आग्नेय चट्टानों को प्रारम्भिक चट्टानें भी कहते हैं।[१] स्थिति के आधार पर ये अन्तर्निर्मित या बहिनिर्मित प्रकार की होती हैं। सूर्य-ताप, वर्षा, पाला आदि द्वारा चूर्ण किए गये पदार्थों को नदी या हिमनदी बहाकर अथवा हवा उड़ाकर किसी झील, समुद्र या अन्य निचले भागों में परत के ऊपर परत जमा कर देती हैं। इन जमा किए गये पदार्थों को आवसाद तथा इनसे निर्मित चट्टानों को अवसादी चट्टानें कहते हैं। चूँकि इन चट्टानों में परते पायी जाती हैं अतः इन्हें परतदार चट्टानें भी कहते हैं। पृथ्वी के आन्तरिक ताप, दबाव अथवा दोनों के प्रभाव से आग्नेय, अवसादी अथवा अन्य परिवर्तित चट्टानों के मूल रूप में परिवर्तन हो जाने से बनने वाली चट्टानों को परिवर्तित या रूपान्तरित चट्टान कहते हैं।
आज भी पहले स्नान करने पर झगड़ा होता है। अतएव जब यह विवाद तय न हो सका तो दोनों दलों ने बादशाह से फ़रियाद की। दोनों के ही अपने-अपने दावे थे, पर बादशाह को कोई भी निश्चित प्रमाण न मिल सके। जान पड़ता है, युवक अकबर को कुछ मसखरी सूझी। उसने कहा- दोनों आपस में लड़ लें, जिस दल की जीत हो जाए वही पहले स्नान करे।
मुख्य चुनाव आयुक्त (indian-elections.com)
मुंबई भारतीय चलचित्र का जन्मस्थान है। [६४]—दादा साहेब फाल्के ने यहां मूक चलचित्र के द्वारा इस उद्योग की स्थापना की थी। इसके भाद ही यहां मराठी चलचित्र का भी श्रीगणेश हुआ था। तब आरंभिक बीसवीं शताब्दी में यहां सबसे पुरानी फिल्म प्रसारित हुयी थी।[६५] मुंबई में बड़ी संख्या में सिनेमा हॉल भी हैं, जो हिन्दी, मराठी और अंग्रेज़ी फिल्में दिखाते हैं। विश्व में सबसे बड़ा IMAX डोम रंगमंच भी मुंबई में वडाला में ही स्थित है।[६६]मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव[६७] और फिल्मफेयर पुरस्कार की वितरण कार्यक्रम सभा मुंबाई में ही आयोजित होती हैं।[६८] हालांकि मुंबई के ब्रिटिश काल में स्थापित अधिकांश रंगमंच समूह १९५० के बाद भंग हो चुके हैं, फिर भी मुंबई में एक समृद्ध रंगमंच संस्कृति विकसित हुयी हुई है। ये मराठी और अंग्रेज़ी, तीनों भाषाओं के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी विकसित है।[६९][७०]
आत्मदर्शन के लिए विश्व की सभी छोटी-बड़ी, तात्विक तथा तुच्छ वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। इन तत्वों के ज्ञान के लिए प्रमाणों की अपेक्षा होती है। न्यायशास्त्र में प्रमाण का विशेष विचार है, किंतु वैशेषिक में मुख्य रूप से प्रमेय का विचार है।
उनके अन्य उपन्यासों में दुर्गेशनंदिनी, मृणालिनी, इंदिरा, राधारानी, कृष्णकांतेर दफ्तर, देवी चौधरानी और मोचीराम गौरेर जीवनचरित शामिल है। उनकी कविताएं ललिता ओ मानस नामक संग्रह में प्रकाशित हुई। उन्होंने धर्म, सामाजिक और समसामायिक मुद्दों पर आधारित कई निबंध भी लिखे।
यह दिल्ली से मात्र १० किमी. की दूरी पर स्थित है। सरकार ने इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित कर दिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से पर्यटक आसानी से फरीदाबाद तक पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग के अलावा रेल मार्ग से भी आसानी से फरीदाबाद तक पहुंचा जा सकता है। दिल्ली-मथुरा रेल लाइन पर फरीदाबाद में रेलवे स्टेशन भी बनाया गया है। यहां आने वाले पर्यटक कहीं भी नीरसता या बोरियत महसूस नहीं करते। वह यहां पर शानदार छुट्टियां मना सकते हैं और अनेक पर्यटक स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं।
यह जान कर कि सनकादिक ऋषिगण भेंट करने आये हैं भगवान विष्णु स्वयं लक्ष्मी जी एवं अपने समस्त पार्षदों के साथ उनके स्वागत के लिय पधारे। भगवान विष्णु ने उनसे कहा, "हे मुनीश्वरों! ये जय और विजय नाम के मेरे पार्षद हैं। इन दोनों ने अहंकार बुद्धि को धारण कर आपका अपमान करके अपराध किया है। आप लोग मेरे प्रिय भक्त हैं और इन्होंने आपकी अवज्ञा करके मेरी भी अवज्ञा की है। इनको शाप देकर आपने उत्तम कार्य किया है। इन अनुचरों ने ब्रह्मणों का तिरस्कार किया है और उसे मैं अपना ही तिरस्कार मानता हूँ। मैं इन पार्षदों की ओर से क्षमा याचना करता हूँ। सेवकों का अपराध होने पर भी संसार स्वामी का ही अपराध मानता है। अतः मैं आप लोगों की प्रसन्नता की भिक्षा चाहता हूँ।"
Niger's colonial history and development parallel that of other French West African territories. France administered its West African colonies through a governor general in Dakar, Senegal, and governors in the individual territories, including Niger. In addition to conferring French citizenship on the inhabitants of the territories, the 1946 French constitution provided for decentralization of power and limited participation in political life for local advisory assemblies.
सूरज का सातवां घोड़ा धर्मवीर भारती का प्रसिद्ध उपन्यास है.
Taxicabs can usually be found on the streets and are painted black with yellow roofs; unmarked taxis may be called up by telephone (Radiotaxis). Colectivos are shared taxicabs that carry passengers along a specific route, for a fixed fee.
महेष्वासो महीभर्ता श्रीनिवासः सतां गतिः ।
मंदोदरी रामायण के पात्र, लंकापति रावण की पत्नी थी।
राजाओं और महाराजाओं के हाथ से तांबूलप्राप्ति को कवि, विद्वान, कलाकार आदि बहुत बड़ी प्रतिष्ठा की बात मानते थे। नैषधकार ने अपना गौरववर्णन करते हुए बताया है कि कान्यकुब्जेश्वर से तांबूलद्वय प्राप्त करने का उन्हें सौभाग्य मिला था। मंगलकार्य में, उत्सवों में, देवपूजन तथा विवाहादि शुभ कार्यों में पान के बीड़ों का प्रयोग होता है और उसके द्वारा आगतों का शिष्टाचारपरक स्वागत किया जाता हे। सबका तात्पर्य इतना ही है कि भारतीय संस्कृति में तांबूल का महत्वपूर्ण और व्यापक स्थान रहा है। भारत के सभी भागों में इसका प्रचार चिरकाल से चला आ रहा है। उत्तर भारत की समस्त भाषाओं में ही नहीं दक्षिण की तमिल (वेत्तिलाई), तेलगू (तमालपाडू नागवल्ली), मलयालम (वित्तिल्ला, वेत्ता) और कनाड़ी (विलेदेले) आदि भाषाओं में इसके लिये विभिन्न नाम हैं। बर्मी, सिंहली और अरबी फारसी में भी इसके नाम मिलते हें। इससे पान की व्यापकता ज्ञात होती है।
1919 मे हुए जलियां वाला बाग नरसंहार ने उन्हें काफी व्यथित किया 1921 मे जब महात्‍मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन प्रारंभ किया तो उन्होने उसमे सक्रिय योगदान किया। यहीं पर उनका नाम आज़ाद प्रसिद्ध हुआ । इस आन्दोलन में भाग लेने पर वे गिरफ़्तार हुए और उन्हें १५ बेतों की सज़ा मिली। सजा देने वाले मजिस्ट्रेट से उनका संवाद कुछ इस तरह रहा -
कोवलम नारायण पणिकर को सन २००७ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये केरल से हैं।
कांदिवली के निकट उत्तरी मुंबई में मिले प्राचीन अवशेष संकेत करते हैं, कि यह द्वीप समूह पाषाण युग से बसा हुआ है। मानव आबादी के लिखित प्रमाण २५० ई.पू तक मिलते हैँ, जब इसे हैप्टानेसिया कहा जाता था। तीसरी शताब्दी इ.पू. मेँ ये द्वीपसमूह मौर्य साम्राज्य का भाग बने, जब बौद्ध सम्राट अशोक महान का शासन था। कुछ शुरुआती शताब्दियों में मुंबई का नियंत्रण सातवाहन साम्राज्य व इंडो-साइथियन वैस्टर्न सैट्रैप के बीच विवादित है। बाद में हिन्दू सिल्हारा वंश के राजाओं ने यहां १३४३ तक राज्य किया, जब तक कि गुजरात के राजा ने उनपर अधिकार नहीं कर लिया। कुछ पुरातन नमूने, जैसे ऐलीफैंटा गुफाएं व बालकेश्वर मंदिर में इस काल के मिलते हैं।
प्रगतिशील और तेजी से फैलते हुए दुर्दम रोग का कैंसर रोगी के जीवन की गुणवत्ता पर काफी प्रभाव पड़ता है, और कई कैंसर उपचार (जैसे कीमोथेरपी) के गंभीर पार्श्व दुष्प्रभाव हो सकते हैं. कैंसर के उन्नत चरणों में, कई रोगियों को व्यापक देखभाल की जरुरत होती है, यह उसके परिवार के सदस्यों और मित्रों को प्रभावित करता है.प्रशामक देखभाल समाधान में स्थायी या "राहत" धर्मशाला नर्सिंग शामिल हो सकती है.
इस्लामी कैलेण्डर की कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ हैं:
श्री महेश अनघ
(8) गुटिका प्लेग, जिसमें रोग कंठ में होता है तथा
6574 हैक्‍टेयर में फैले इस पार्क का निर्माण 1994 में मॉरिशस के जंगलों को बचाने के उद्देश से किया गया था। यह पार्क सैलानियों को खूबसूरत प्राकृतिक नजारे और अदभूत पौधे व पक्षियों को करीब से देखने का मौका देता है। चसेकेओस या क्‍यूरपाइप से ला मैरी और मारे ऑक्‍स वेकेओस के रास्‍ते यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। ली पेट्रिन में पर्यटन सुचना केंद्र बनाया गया है जहां पर पिकनिक की सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं। इस राष्‍ट्रीय उद्यान में पैदल चलने के लिए रास्‍ते बनाए गए हैं जिनमें से एक रास्‍ता इस द्वीप की सबसे ऊंची चोटी ब्‍लैक रिवर पीक तक जाता है।
भारत मे ये पांचों लक्षण सविन्धान मे मौजूद है अत्ः यह संघात्मक है परंतु
डच विकिपीडिया विकिपीडिया का डच भाषा का अवतरण है, और इसपर लेखों कि कुल संख्या ५.३ लाख+ है (स्थिति १५ अप्रैल, २००९), जो इसे विकिपीडिया का सातवाँ सबसे बड़ा संस्करण बनाता है।
१. संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है,
शेरशाह सूरी का वास्तविक नाम फरीद खाँ था। वह वैजवाड़ा (होशियारपुर १४७२ ई. में) में अपने पिता हसन की अफगान पत्‍नी से उत्पन्न पुत्र था। उसका पिता हसन बिहार के सासाराम का जमींदार था। दक्षिण बिहार के सूबेदार बहार खाँ लोहानी ने उसे एक शेर मारने के उपलक्ष्य में शेर खाँ की उपाधि से सुशोभित किया और अपने पुत्र जलाल खाँ का संरक्षक नियुक्‍त किया। बहार खाँ लोहानी की मृत्यु के बाद शेर खाँ ने उसकी बेगम दूदू बेगम से विवाह कर लिया और वह दक्षिण बिहार का शासक बन गया। इस अवधि में उसने योग्य और विश्‍वासपात्र अफगानों की भर्ती की। १५२९ ई. में बंगाल शासक नुसरतशाह को पराजित करने के बाद शेर खाँ ने हजरत आली की उपाधि ग्रहण की। १५३० ई. में उसने चुनार के किलेदार ताज खाँ की विधवा लाडमलिका से विवाह करके चुनार के किले पर अधिकार कर लिया।
उत्तरकाण्ड राम कथा का उपसंहार है। सीता, लक्ष्मण और समस्त वानरसेना के साथ राम अयोध्या वापस पहुँचे। राम का भव्य स्वागत हुआ, भरत के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और शिव की स्तुति के साथ राम का राज्याभिषेक हुआ। अभ्यागतों की विदाई दी गई। राम ने प्रजा को उपदेश दिया और प्रजा ने कृतज्ञता प्रकट की। चारों भाइयों के दो दो पुत्र हुये। रामराज्य एक आदर्श बन गया।
परवलय के वर्ग की गणना में, आर्किमिडीज़ ने साबित किया कि एक परवलय और एक सीधी रेखा से घिरा हुआ क्षेत्रफल इसके भीतर उपस्थित त्रिभुज के क्षेत्रफल का 4⁄3 गुना होता है, जैसा कि दायीं और दिए गए चित्र में दर्शाया गया है. उन्होंने इस समस्या के हल को सामान्य अनुपात से युक्त एक अपरिमित ज्यामितीय श्रृंखला के रूप में व्यक्त किया1⁄4:
पौराणिक कथाओं मे सती को शिव की पूर्व पत्नी बोला जाता है,और राजा दक्ष की कन्या का नाम दिया जाता है.मगर सती शब्द शक्ति नाम का अपभ्रंश है,शक्ति का दूसरा नाम ही सती है.
यहां भारत का एकमात्र सक्रिय है ज्वालामुखी है। यह द्वीप लगभग 3 किमी. में फैला है। यहां का ज्वालामुखी 28 मई 2005 में फटा था। तब से अब तक इससे लावा निकल रहा है।
एनक्रिप्शन के अलावा, सार्वजानिक कुंजी क्रिप्टोग्राफ़ी का उपयोग डिजिटल हस्ताक्षर (digital signature) योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए भी किया जा सकता है.एक डिजिटल हस्ताक्षर एक साधारण हस्ताक्षर (signature) की याद ताजा करता है; उन दोनों के पास ऐसे लक्षण होते हैं की एक उपयोगकर्ता के लिए उनका उत्पादन आसन होता है, लेकिन किसी और के लिए जालसाजी (forge)करना मुश्किल होता है.डिजिटल हस्ताक्षर को हस्ताक्षर किए जा रहे संदेश के अवयव से स्थायी रूप से बंधा जा सकता है; फ़िर उन्हें किसी भी प्रयास के लिए एक दस्तावेज से दूसरे दस्तावेज तक नहीं भेजा जा सकता है. डिजिटल हस्ताक्षर योजनाओं में, दो एल्गोरिथम होते हैं; एक हस्ताक्षर के लिए जिसमें संदेश (या संदेश का एक हेश या दोनों )पर कार्यवाही करने के लिए एक गुप्त कुंजी का प्रयोग किया जाता है, और दूसरा सत्यापन, के लिए जिसमें हस्ताक्षर की वैद्यता की जांच करने के लिए संदेश के साथ एक सार्वजनिक मिलान कुंजी प्रयुक्त की जाती है.आर एस ऐ (RSA)और डी एस ऐ (DSA) दो सबसे लोकप्रिय डिजिटल हस्ताक्षर योजनाएं है. डिजिटल हस्ताक्षर सार्वजनिक कुंजी बुनियादी संरचना (public key infrastructure) की गतिविधि के लिए और कई नेटवर्क सुरक्षा योजनाओं (उदाहरण एस एस एल/टी एल एस (SSL/TLS)कई वी पी एन (VPN)आदि )के लिए केन्द्रीय होते हैं.[१५]
2. मानसून सत्र जुलाई अगस्त के मध्य होता है
कांग्रेस के अधिवेशनों के अलावा भी आजादी के आंदोलन के दौरान इस गीत के प्रयोग के काफी उदाहरण मौजूद हैं। लाला लाजपत राय ने लाहौर से जिस जर्नल का प्रकाशन शुरू किया उसका नाम ‘वंदे मातरम’ रखा। अंग्रेजों की गोली का शिकार बनकर दम तोड़नेवाली आजादी की दीवानी मातंगिनी हजारा की जुबान पर आखिरी शब्द ‘वंदे मातरम’ ही थे। सन 1907 में मैडम भीखाजी कामा ने जब जर्मनी के स्टटगार्ट में तिरंगा फहराया तो उसके मध्य में ‘वंदे मातरम’ ही लिखा हुआ था।।
सुरा सो पहचानिये, जो लडे दीन के हेत ।
भारतीय पंजाब का आधारभूत ढांचा पूरे भारत में सर्वाधिक बेहतर में से है। यहां के निवासी औसत के आधार पर भारत के सर्वाधिक धनी लोग हैं।
उन प्रतिरोधों में मई 1933 की भूख-हड़ताल का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें उन राजनैतिक बंदियों ने अपने तीन साथियों की शहादत के बाद भी अपना घोषित उद्देश्य प्राप्त कर लिया था, तथा न केवल उन्होंने ब्रिटिश-औपनिवेशिक दंड-न्याय व्यवस्था की वास्तविक्ता को जगजाहिर कर दिया था, बल्कि कारावास-प्रशासन को अपना दमनात्मक रवैया त्यागने के लिए मजबूर भी कर दिया था। 1947 में भारत की आजादी के बाद अंडमान की इस दंडी-बस्ती को सदैव के लिए समाप्त कर दिया गया तथा 1950 में इसे भारतीय गणतंत्र का संघ शासित क्षेत्र बना दिया गया। उसके पश्चात अंडमान व निकोबार द्वीप समूह महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हुआ तथा आतंक का पर्याय बन चुका वहां का सेलूलर जेल स्वतंत्रता संग्राम के एक राष्ट्रीय-स्मारक के रूप में दर्शनीय स्थल बना दिया गया।
भारतवर्ष में प्राचीन हिंदू वर्ण व्यचस्था में लोगों को उनके द्वारा किये जाने वाले कार्य के अनुसार अलग-अलग वर्गों में रखा गया था।
(झ) कादम्बरस्वीकरणसूत्र राजर्षि पुरुरवा कृत  :-यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित चौखंबा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी से प्रकाशित है।
ऐतिहासिक साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि १६वीं तथा १७वीं शताब्दी तक गंगा-यमुना प्रदेश घने वनों से ढका हुआ था। इन वनों में जंगली हाथी, भैंस, गेंडा, शेर, बाघ तथा गवल का शिकार होता था। गंगा का तटवर्ती क्षेत्र अपने शांत व अनुकूल पर्यावरण के कारण रंग-बिरंगे पक्षियों का संसार अपने आंचल में संजोए हुए है। इसमें मछलियों की १४० प्रजातियाँ, ३५ सरीसृप तथा इसके तट पर ४२ स्तनधारी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।[१४] यहाँ की उत्कृष्ट पारिस्थितिकी संरचना में कई प्रजाति के वन्य जीवों जैसे नीलगाय, सांभर, खरगोश, नेवला, चिंकारा के साथ सरीसृप-वर्ग के जीव-जन्तुओं को भी आश्रय मिला हुआ है। इस इलाके में ऐसे कई जीव-जन्तुओं की प्रजातियाँ हैं जो दुर्लभ होने के कारण संरक्षित घोषित की जा चुकी हैं। गंगा के पर्वतीय किनारों पर लंगूर, लाल बंदर, भूरे भालू, लोमड़ी, चीते, बर्फीले चीते, हिरण, भौंकने वाले हिरण, सांभर, कस्तूरी मृग, सेरो, बरड़ मृग, साही, तहर आदि काफ़ी संख्या में मिलते हैं। विभिन्न रंगों की तितलियां तथा कीट भी यहाँ पाए जाते हैं।[१५] बढ़ती हुई जनसंख्या के दबाव में धीरे-धीरे वनों का लोप होने लगा है और गंगा की घाटी में सर्वत्र कृषि होती है फिर भी गंगा के मैदानी भाग में हिरण, जंगली सूअर, जंगली बिल्लियाँ, भेड़िया, गीदड़, लोमड़ी की अनेक प्रजातियाँ काफी संख्या में पाए जाते हैं। डालफिन की दो प्रजातियाँ गंगा में पाई जाती हैं। जिन्हें गंगा डालफिन और इरावदी डालफिन के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा गंगा में पाई जाने वाले शार्क की वजह से भी गंगा की प्रसिद्धि है जिसमें बहते हुये पानी में पाई जानेवाली शार्क के कारण विश्व के वैज्ञानिकों की काफी रुचि है। इस नदी और बंगाल की खाड़ी के मिलन स्थल पर बनने वाले मुहाने को सुंदरवन के नाम से जाना जाता है जो विश्व की बहुत-सी प्रसिद्ध वनस्पतियों और प्रसिद्ध बंगाल टाईगर का गृहक्षेत्र है।[१६]
पर्व और प्रसंग
एक व्यापारिक बंदरगाह के रूप में आबाद होने के बाद हाँग काँग 1842 में यूनाइटेड किंगडम का विशेष उपनिवेश बन गया। 1983 में इसे एक ब्रिटिश निर्भर क्षेत्र के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया। 1997 में जनवादी गणराज्य चीन को संप्रभुता हस्तांतरित कर दी गई। अपने विशाल क्षितिज और गहरे प्राकृतिक बंदरगाह के लिए प्रख्यात, इसकी पहचान एक ऐसे महानगरीय केन्द्र के रूप में बनी जहां के भोजन, सिनेमा, संगीत और परंपराओं में जहां पूर्व में पश्चिम का मिलन होता है। शहर की आबादी 95% हान जाति के और अन्य 5% है। 70 लाख लोगों की आबादी और 1,054 वर्ग किमी (407 वर्ग मील) जमीन के साथ हांग कांग दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।
संगम के निकट स्थित यह मंदिर उत्तर भारत के मंदिरों में अद्वितीय है।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का चौथा महीना जो ईस्वी कलेंडर के जून या जुलाई माह में पड़ता है। इसे वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्यों कि इस समय भारत में काफ़ी वर्षा होती है।
काठमांडु शहर से 29 किमी. उत्तर-पश्चिम में छुट्टियां बिताने की खूबसूरत जगह ककानी स्थित है। यहां से हिमालय का खूबसूरत नजारा देखते ही बनता है। ककानी से गणोश हिमल, गौरीशंकर 7134 मी., चौबा भामर 6109 मी., मनस्लु 8163 मी., हिमालचुली 7893 मी., अन्नपूर्णा 8091 मी. समेत अनेक पर्वत चोटियों को करीब से देखा जा सकता है।
नीम के फूल, चार मोती बेआब, पेपरवेट, रिश्ता और अन्य कहानियां, शहर -दर -शहर, हम प्यार कर लें, जगत्तारनी एवं अन्य कहानियां, वल्द रोजी, यह देह किसकी है?, कहानियां पांच खण्डों में (प्रवीण प्रकाशन,महरौली),'मेरी राजनीतिक कहानियां' व हमारे मालिक सबके मालिक आत्मा राम एण्ड संस से प्रकाशित
महत्वपूर्ण नेता और राजनीतिक गतिविधियाँ गाँधी से प्रभावित थी अमेरिका के नागरिक अधिकार आन्दोलन (civil rights movement) के नेताओं में मार्टिन लूथर किंग (Martin Luther King) और जेम्स लाव्सन (James Lawson) गाँधी के लेखन जो उन्हीं के सिद्धांत अहिंसा को विकसित करती है से काफी आकर्षित हुए थे.[४१] विरोधी-रंगभेद कार्यकर्ता और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, गाँधी जी से प्रेरित थे.[४२] और दुसरे लोग खान अब्दुल गफ्फेर खान (Khan Abdul Ghaffar Khan),[४३]स्टीव बिको (Steve Biko), और औंग सू कई (Aung San Suu Kyi) हैं.[४४]
७. सम्यक स्मृति : स्पष्ट ज्ञान से देखने की मानसिक योग्यता पाने की कोशिश करना
द्वितीय विश्व युद्ध के तुंरत बाद विश्व शांति के लिए एक औजार के रूप में इसको खूब प्रचार मिला.[तथ्य वांछित] हालाँकि इसको एक प्रोग्राम में तब्दील नहीं किया गया, लेकिन विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय उपयोगों के लिए इसी प्रकार के अन्य संस्करण बनाये गए.
नोट: गैर हिन्‍दुओं को लिंगराज मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है।
2. जो मोक्ष के लिए योग्य नहीं हैं। वे हैं:
उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणी का पूर्वी हिस्सा से लेकर दक्षिण में बंगाल की खाड़ी तक प्रदेश की भौगोलिक दशा में खासी विविधता नजर आती है । उत्तर में दार्जिलिंग के शिखर, हिमालय पर्वतश्रेणी के अंग हैं । इसमें संदक्फू चोटी आती है जो राज्य का सर्वोच्च शिखर है । दक्षिण की ओर आने पर, एक छोटे तराई के बाद मैदानी भाग आरंभ होता है । यह मैदान दक्षिण में गंगा के डेल्टा के साथ खत्म होता है । यही मैदानी क्षेत्र, पूर्व में बांग्लादेश में भी काफी विस्तृत है । पश्चिम की ओर का भूखंड पठारी है ।
जॉर्जिया (საქართველო, "साखार्थ्वेलो") — ट्रांसकाकेशिया क्षेत्र के केंद्रवर्ती तथा पश्चिमी अंश में कृष्ण सागर के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। सन् 1991 तक यह जॉर्जियाई सोवियत समाजवादी गणतंत्र के रूप में सोवियत संघ के 15 गणतंत्रों में से एक था। जॉर्जिया की सीमा उत्तर में रूस से, पूर्व में अज़रबैजान से और दक्षिण में आर्मीनिया तथा तुर्की से मिलती है।
सितम्बर माह में आने वाली आनन्द चतुदर्शी के अवसर पर हजारों की संख्या में भक्तगण यहां आते हैं। माना जाता है कि जिनकी संतान नहीं होती है वह इस मंदिर में आकर संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
जनसंख्या घनत्व - ६८२ कि.मी.२ / ( वर्ग १७६६.४ / मील )
मार्गों के निर्माण से पहले 1956 के संघीय सहायता राजमार्ग अधिनियम के तहत, फ्लोरिडा में एक लंबी राज्य पार टोल रोड का निर्माण शुरू हुआ, फ्लोरिडा'स टर्नपाइक. 1957 में फोर्ट पियर्स से दक्षिण गोल्डन ग़्लेडस इन्टरचेन्ज का पहला अनुभाग, पूरा किया गया. दूसरे भाग में उत्तर के ऑरलैंडो से वाइल्डवूड के लिए (वर्तमान के गांवों) और दक्षिण की ओर विस्तार होकर मियामी से होमस्टेड जाकर यह 1974 में पूरी हो गयी थी.
चुम्बकत्व अन्य रूपों में भी प्रकट होता है, जैसे विद्युतचुम्बकीय तरंग में चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति।
घोडबंदर रोड मुंबई के निकट ठाणे का एक क्षेत्र है।
साँचा:Geographic Location (8-way)
भारतीय रेल के दो मुख्‍य खंड हैं भाड़ा/माल वाहन और सवारी/भाड़ा खंड लगभग दो तिहाई राजस्‍व जुटाता है जबकि शेष सवारी यातायात से आता है। भाड़ा खंड के भीतर थोक यातायात का योगदान लगभग 95 प्रतिशत से अधिक कोयले से आता है। वर्ष 2002-03 से सवारी और भाड़ा ढांचा यौक्तिकीकरण करने की प्रक्रिया में वातानुकूलित प्रथम वर्ग का सापेक्ष सूचकांक को 1400 से घटाकर 1150 कर दिया गया है एसी-2 टायर का सापेक्ष सूचकांक 720 से 650 कर दिया गया है। एसी प्रथम वर्ग के किराए में लगभग 18 प्रतिशत की कटौती की गई है और एसी-2 टायर का 10 प्रतिशत घटाया गया है। 2005-06 में माल यातायात में वस्‍तुओं की संख्‍या 4000 वस्‍तुओं से कम करके 80 मुख्‍य वस्‍तु समूह रखा गया है और अधिक 2006-07 में 27 समूहों में रखा गया है। भाड़ा प्रभारित करने के लिए वर्गों की कुल संख्‍या को घटाकर 59 से 17 कर दिया गया है।
विश्वामित्र जी ने बताया, यह स्थान कभी महर्षि गौतम का आश्रम था। वे अपनी पत्नी अहिल्या के साथ यहाँ रह कर तपस्या करते थे। एक दिन जब गौतम ऋषि आश्रम के बाहर गये हुये थे तो उनकी अनुपस्थिति में इन्द्र ने गौतम ऋषि के वेश में आकर अहिल्या से प्रणय याचना की। यद्यपि अहिल्या ने इन्द्र को पहचान लिया था तो भी यह विचार करके कि मैं इतनी सुन्दर हूँ कि देवराज इन्द्र स्वयं मुझ से प्रणय याचना कर रहे हैं, अपनी स्वीकृति दे दी। जब इन्द्र अपने लोक लौट रहे थे तभी अपने आश्रम को वापस आते हुये गौतम ऋषि की दृष्टि इन्द्र पर पड़ी जो उन्हीं का वेश धारण किये हुये था। वे सब कुछ समझ गये और उन्होंने इन्द्र को शाप दे दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को शाप दिया कि रे दुराचारिणी! तू हजारों वर्षों तक केवल हवा पीकर कष्ट उठाती हुई यहाँ राख में पड़ी रहे। जब राम इस वन में प्रवेश करेंगे तभी उनकी कृपा से तेरा उद्धार होगा। तभी तू अपना पूर्व शरीर धारण करके मेरे पास आ सकेगी। यह कह कर गौतम ऋषि इस आश्रम को छोड़कर हिमालय पर जाकर तपस्या करने लगे।
Siliqua
तब मिश्रजी की पत्नी शारदा ने कामशास्त्र पर प्रश्न करने प्रारम्भ किए। किंतु आचार्य शंकर तो बाल-ब्रह्मचारी थे, अत: काम से संबंधित उनके प्रश्नों के उत्तर कहाँ से देते? इस पर उन्होंने शारदा देवी से कुछ दिनों का समय माँगा तथा पर-काया में प्रवेश कर उस विषय की सारी जानकारी प्राप्त की। इसके बाद आचार्य शंकर ने शारदा को •ाी शास्त्रार्थ में हरा दिया। काशी में प्रवास के दौरान उन्होंने और •ाी बड़े-बड़े ज्ञानी पंडितों को शास्त्रार्थ में परास्त किया और गुरु पद पर प्रतिष्ठित हुए। अनेक शिष्यों ने उनसे दीक्षा ग्रहण की। इसके बाद वे धर्म का प्रचार करने लगे। वेदांत प्रचार में संलग्न रहकर उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना •ाी की।अद्वैत ब्रह्मवादी आचार्य शंकर केवल निर्विशेष ब्रह्म को सत्य मानते थे और ब्रह्मज्ञान में ही निमग्न रहते थे। एक बार वे ब्रह्म मुहूर्त में अपने शिष्यों के साथ एक अति सँकरी गली से स्नान हेतु मणिकर्णिका घाट जा रहे थे। रास्ते में एक युवती अपने मृत पति का सिर गोद में लिए विलाप करती हुई बैठी थी। आचार्य शंकर के शिष्यों ने उस स्त्री से अपने पति के शव को हटाकर रास्ता देने की प्रार्थना की, लेकिन वह स्त्री उसे अनसुना कर रुदन करती रही। तब स्वयं आचार्य ने उससे वह शव हटाने का अनुरोध किया। उनका आग्रह सुनकर वह स्त्री कहने लगी- ‘हे संन्यासी! आप मुझसे बार-बार यह शव हटाने के लिए कह रहे हैं। आप इस शव को ही हट जाने के लिए क्यों नहीं कहते?’ यह सुनकर आचार्य बोले- ‘हे देवी! आप शोक में कदाचित यह •ाी •ाूल गर्इं कि शव में स्वयं हटने की शक्ति ही नहीं है।’ स्त्री ने तुरंत उत्तर दिया- ‘महात्मन् आपकी दृष्टि में तो शक्ति निरपेक्ष ब्रह्म ही जगत का कर्ता है। फिर शक्ति के बिना यह शव क्यों नहीं हट सकता?’ उस स्त्री का ऐसा गं•ाीर, ज्ञानमय, रहस्यपूर्ण वाक्य सुनकर आचार्य वहीं बैठ गए। उन्हें समाधि लग गई। अंत:चक्षु में उन्होंने देखा- सर्वत्र आद्याशक्ति महामाया लीला विलाप कर रही हैं। उनका हृदय अनिवर्चनीय आनंद से •ार गया और मुख से मातृ वंदना की शब्दमयी धारा स्तोत्र बनकर फूट पड़ी।
विराट फलक पर तूलिका चलाने का सबसे पहला श्रेय आधुनिक हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद को है. अपने वृहद् कथा साहित्य में उन्होंने इतने कथानकों, पात्रों, मनोभावों इत्यादि को स्पर्श किया है कि उनका सानी मिलना मुश्किल है. यहाँ सिर्फ पात्र-संख्या की ही बात नहीं है, वरन् लेखक की उनके चरित्र पर पकड, उनकी भिन्न-भिन्न मनोदशाओं का वर्णन, उनके संवाद, भाषा का प्रवाह इत्यादि कुल मिल कर युग-प्रवर्तक साहित्य की सृष्टि करते हैं.
प्रकिण्व (अंग्रेज़ी:एंजाइम) रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करने वाले प्रोटीन को कहते हैं।[१][२] इनके लिये एन्ज़ाइम शब्द का प्रयोग सन १८७८ में कुह्ने ने पहली बार किया था। प्रकिण्वों के स्रोत मुख्यतः सूक्ष्मजीव, और फिर पौधे तथा जंतु होते हैं। किसी प्रकिण्व के अमीनो अम्ल में परिवर्तन द्वारा उसके गुणधर्म में उपयोगी परिवर्तन लाने हेतु अध्ययन को प्रकिण्व अभियांत्रिकी या एन्ज़ाइम इंजीनियरिंग कहते हैं। एन्ज़ाइम इंजीनियरिंग का एकमात्र उद्देश्य औद्योगिक अथवा अन्य उद्योगों के लिये अधिक क्रियाशील, स्थिर एवं उपयोगी एन्ज़ाइमों को प्राप्त करना है।[३]पशुओं से प्राप्त रेनेट भी एक प्रकिण्व ही होता है। ये शरीर में होने वाली जैविक क्रियाओं के उत्प्रेरक होने के साथ ही आवश्यक अभिक्रियाओं के लिए शरीर में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करते हैं। इनकी भूमिका इतनी महत्वपूर्ण है कि ये या तो शरीर की रासायनिक क्रियाओं को आरंभ करते हैं या फिर उनकी गति बढ़ाते हैं। इनका उत्प्रेरण का गुण एक चक्रीय प्रक्रिया है।
कोलकाता, पश्चिम बंगाल- 700017
विकास महाराज हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में सरोद प्रसिद्ध वादक हैं। ये स्व>पंडित किशन महाराज के भतीजे और स्व.पंडित ननकू महाराज के पुत्र हैं।
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१९७८ में नीलपक्षी, बाइबिल का हिंदी अनुवाद.
इस मत में सत्य दो प्रकार का होता है -
इस संग्रहालय में कोलिकोड के समृद्ध इतिहास की झलक देखी जा सकती है। संग्रहालय शहर के पूर्व में ५ किमी.की दूरी पर स्थित है। राज्य का पुरातत्व विभाग इस संग्रहालय की देखभाल करता है। संग्रहालय में प्राचीन सिक्के, कांसे की वस्तुओं, प्राचीन मूरल की प्रतिलिपियां आदि इस क्षेत्र की विरासत को प्रदर्शित करती है।
एक फूल, जिसे पुष्पन या खिलना (blossom) भी कहा जाता है, जनन संरचना है जो पौधों (flowering plant) में पाया जाता है (मेग्नोलियोफाईटा (Magnoliophyta) प्रकार के पौधों में पाया जाता है, जिसे एग्नियो शुक्राणु भी कहा जाता है ). एक फूल की जैविक क्रिया यह हैं की वह पुरूष शुक्राणु और मादा बीजाणु के संघ के लिए मध्यस्तता करे. प्रक्रिया परागन से शुरू होती है, जिसका अनुसरण गर्भधारण से होता है, जो की बीज के निर्माण और विखराव/ विसर्जन में ख़त्म होता है. बड़े पौधों के लिए, बीज अगली पुश्त के मूल रूप में सेवा करते हैं, जिनसे एक प्रकार की विशेष प्रजाति दुसरे भूभागों में विसर्जित होती हैं. एक पौधे पर फूलों के जमाव को पुष्पण (inflorescence) कहा जाता है.
इनमें मथुरा का स्थान अयोध्या के पश्चात अन्य पुरियों के पहिले रखा गया है। पदम पुराण में मथुरा का महत्व सर्वोपरि मानते हुए कहा गया है कि यद्यपि काशी आदि सभी पुरियाँ मोक्ष दायिनी है तथापि मथुरापुरी धन्य है। यह पुरी देवताओं के लिये भी दुर्लभ है। २ इसी का समर्थन 'गर्गसंहिता' में करते हुए बतलाया गया है कि पुरियों की रानी कृष्णापुरी मथुरा बृजेश्वरी है, तीर्थेश्वरी है, यज्ञ तपोनिधियों की ईश्वरी है यह मोक्ष प्रदायिनी धर्मपुरी मथुरा नमस्कार योग्य है।
यह एक अनुपम विश्वबन्धु नगर (कॉस्मोपॉलिटन) है, जहाँ ईसाइयत, हिन्दू धर्म, इस्लाम, जैनधर्म व जरथुष्ट्र धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। हैदराबादियों ने अपनी खुद की एक भिन्न संस्कृति विकसित कर ली है, जिसमें प्राचीन तेलुगु लोगों की हिन्दू परंपराओं तथा सदियों पुरानी इस्लामी परंपराओं का मिश्रण है। तेलुगु, उर्दू व हिन्दी यहाँ की प्रमुख भाषाएँ हैं (यद्यपि बाद की दो अपने मानक स्वरूप में नहीं पायी जातीं और दक्कनी बोली की ओर अग्रसर रहती हैं)। यहाँ बोली जाने वाली तेलुगु भाषा में अनेक उर्दू शब्द भी मिल सकते हैं। तथा यहाँ बोली जाने वाली उर्दू भी मराठी व तेलुगु से प्रभावित है, जिससे एक बोली बनी है जिसे हैदराबादी उर्दू या दक्कनी कहा जाता है। यहाँ का प्रसिद्ध उस्मानिया विश्वविद्यालय भारत का पहला उर्दू माध्यम विश्वविद्यालय है। यहाँ की एक बड़ी जनसंख्या अंग्रेजी बोलने में भी कुशल है।
वास्को द गामा का जन्म अनुमानतः १४६० में [१] या १४६९[२] में साइन्स, पुर्तगाल के दक्षिण-पश्चिमी तट के निकट हुआ था। इनका घर नोस्सा सेन्होरा दास सलास के गिरिजाघर के निकट स्थित था। तत्कालीन साइन्स जो अब अलेन्तेजो तट के कुछ बंदरगाहों में से एक है, तब कुछ सफ़ेद पुती, लाल छत वाली मछुआरों की झोंपड़ियों का समूह भर था। वास्को द गामा के पिता एस्तेवाओ द गामा, १४६० में ड्यूक ऑफ विसेयु, डॉम फर्नैन्डो के यहां एक नाइट थे। [३] डॉम फर्नैन्डो ने साइन्स का नागर-राज्यपाल नियुक्त किया हुआ था। वे तब साइन्स के कुछ साबुन कारखानों से कर वसूलते थे।एस्तेवाओ द गामा का विवाह डोना इसाबेल सॉद्रे से हुआ था। [४] वास्को द गामा के परिवार के बारे में आरंभिक अधिक ज्ञात नहीं है।
दुर्योधन के साथ शांति वार्ता के विफल होने के पश्चात, श्रीकृष्ण, कर्ण के पास जाते हैं, जो दुर्योधन का सर्वश्रेष्ठ योद्धा है। वह कर्ण का वास्तविक परिचय उसे बतातें है, कि वह सबसे ज्येष्ठ पाण्डव है और उसे पाण्डवों की ओर आने का परामर्श देते हैं। कृष्ण उसे यह विश्वास दिलाते हैं कि चुँकि वह सबसे ज्येष्ठ पाण्डव है, इसलिए युधिष्ठिर उसके लिए राजसिंहासन छोड़ देंगे, और वह एक चक्रवती सम्राट बनेगा।
अमृतलाल नागर हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं।
"आपने राम कथा, जिसे अनेक इतिहासकार मात्र पौराणिक आख्यान या मिथ ही मानते हैं, को यथाशक्ति यथार्थवादी तर्कसंगत व्याख्या देने का प्रयत्न किया है. अहल्या की मिथ को भी कल्पना से यथार्थ का आभास देने का अच्छा प्रयास. यशपाल (८.२.१९७६) [३२] मूर्धन्य आलोचक तथा इतिहासकार हजारीप्रसाद द्विवेदी भारतीय संस्कृति के अन्यतम विशारदों में से एक माने जाते हैं, वे भी युवा कोहली की प्रतिभा के कायल हुए बिना न रह सके:
इस अनुच्छेद को विकिपीडिया लेख Yoga के इस संस्करण से अनुवादित किया गया है.
ऑस्ट्रेलियन सिनेमा उद्योग की शुरुआत ऑस्ट्रेलियाइ बुश रेंजर नेड केली की 70 - मिनट की फिल्म द स्टोरी ऑफ द केली गैंग के प्रदर्शनि के साथ 1906 में शुरू हुई, जिसे दुनिया की पहली लम्बी फिल्म माना जाता है.[९९]द न्यू वेव ऑफ ऑस्ट्रेलियन सिनेमा 1970 के दशक में उत्तेजक और सफल फिल्मे लाइ, कुछ देश के आदिवासियों के भुत-काल का वर्णन करती है, जैसे पिकनिक ऐट हैगिंग राक और द लास्ट वेव .बाद के सफल में मैड मैक्स और गालिपोली शामिल है.हाल ही की सफलता में शाइन , रैबिट-प्रूफ फेंस और हैप्पी फीट शामिल है.ऑस्ट्रेलियाइ के विविध भूमि प्रदेश और शहर कई दूसरे फिल्मों के प्राथमिक स्थान रहे है, जैसे- द मैट्रिक्स , पीटर पैन , सुपरमैन रीटर्न्स और फाइंडिंग नेमो के.हाल के अच्छी तरह विख्यात ऑस्ट्रेलियाई अभिनेता में जुडिथ अन्देरसों, एर्रोल फ़्लाइन, निकोले किडमन, हघ जक्क्मन, हेथ लेजर, गेओफ्फ्रे रश, रुस्सेल्ल क्रोवे, टोनी कोलेट्टे, नओमी वॉट्स और सिडनी रंगमंच कंपनी के संयुक्त निर्देशक- केट ब्लैनकेट शामिल है.
गूगल खोज परिणामों को इस संदेश के साथ दिखाता है "यह साइट आपके कंप्यूटर को नुकसान पहुंचा सकती है", अगर साइट पृष्ठभूमि में चुपके से या दुर्भावनापूर्ण रूप से सॉफ़्टवेयर स्थापित करने के रूप में जानी जाती है. गूगल ऐसा इसलिए करता है कि उपयोगकर्ताओं को इन साइटों पर जाने से उनके कंप्यूटरों के नुकसान से रक्षा की जा सके. 31 जनवरी 2009 को लगभग 40 मिनट तक सभी खोज परिणामों को भूल से मालवेयर के रूप में वर्गीकृत किया गया और उसके बाद उन पर क्लिक नहीं किया जा सकता, इसके बदले में एक चेतावनी संदेश प्रदर्शित किया गया था और उपयोगकर्ता को अपने से यूआरएल (URL) का अनुरोध दर्ज करने की जरूरत पड़ी. यह बग मानव त्रुटि के कारण हुआ था.[२१][२२][२३][२४] "/" का यूआरएल (URL)(जो सभी URLs तक विस्तारित है) गलती से मालवेयर पैटर्न फाइल से जोड़ दिया गया था.[२२][२३]
तत्काल ही दूसरा प्रश्न सिर उठाता है. 'सांस्कृतिक पुनर्जागरण के युग' का प्रारंभ क्यों न अमृतलाल नागर की अभिनव कृति 'मानस का हंस' (१९७२) से मान लिया जाये? 'मानस का हंस' एक श्रेष्ठ औपन्यासिक कृति है, नागरजी की प्रतिभा इसमें चरम पर है, यह पर्याप्त लोकप्रिय भी हुआ और प्रायः इसी के पश्चात् आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की दो कृतियाँ प्रकाशन में आयी  : 'पुनर्नवा' () एवं 'अनामदास का पोथा'(१९७७) ; तथा नरेंद्र कोहली की कालजयी कृति 'दीक्षा' (१९७५) का प्रकाशन भी इसी काल-खंड का हिस्सा माना जा सकता है. ????????????????
समुद्र के भीतर भूकंप से या भूकंप के कारण हुए भू स्खलन के समुद्र में टकराने से सुनामी आ सकता है. उदाहरण के लिए , २००४ हिंद महासागर में आए भूकंप.
स्वप्न में जो कुछ दिखाई देता है, वह शरीर के अंदर ही स्थित होता है, वहाँ उसके लिये पर्याप्त स्थान नहीं। स्वप्न देखनेवाला स्वप्न में दूर के स्थानों में जाकर दृश्य देखता है, परंतु जो काल इसमें लगता है वह उन स्थानों में पहुँचने के लिये पर्याप्त नहीं और जागने पर वह वहाँ विद्यमान नहीं होता।
इस नक्षत्र में जितना भी योग्य वर्ष होता है, वह लगभग बचपन से लेकर युवावस्था तक यही दशा चंद्र के अनुसार रहती है। इनके प्रारंभिक जीवनकाल में शुक्र, चंद्र,सूर्य का विशेष महत्व रहेगा। इसी दशा-अंतरदशा में पढ़ाई, विवाद, सर्विस आदि के योग बनेंगे। इनका जन्म लग्न में शुभ होकर बैठना अति उत्तम फलदायी रहेगा।
परंपरानुसार लखनवी आम (खासकर दशहरी आम), खरबूजा एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में उगाये जा रहे अनाज की मंडी रही है।यहां के मशहूर मलीहाबादी दशहरी आम को भौगोलिक संकेतक का विशेष कानूनी दर्जा प्राप्त हो चुका है। मलीहाबादी आम को यह विशेष दर्जा भारत सरकार के भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री कार्यालय, चेन्नई ने एक विशेष क़ानून के अंतर्गत्त दिया गया है।[११] एक अलग स्वाद और सुगंध के कारण दशहरी आम की संसार भर में विशेष पहचान बनी हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मलीहाबादी दशहरी आम लगभग ६,२५३ हैक्टेयर में उगाए जाते हैं और ९५,६५८.३९ टन उत्पादन होता है।[१२]
भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है ।
भाषा साहित्य पर और साहित्य भाषा पर अवलंबित होते है। इसीलिये भाषा और साहित्य साथ-साथ पनपते है। परन्तु हम देखते है कि छत्तीसगढ़ी लिखित साहित्य के विकास अतीत में स्पष्ट रुप में नहीं हुई है। अनेक लेखकों का मत है कि इसका कारण यह है कि अतीत में यहाँ के लेखकों ने संस्कृत भाषा को लेखन का माध्यम बनाया और छत्तीसगढ़ी के प्रति ज़रा उदासीन रहे।इसीलिए छत्तीसगढ़ी भाषा में जो साहित्य रचा गया, वह करीब एक हज़ार साल से हुआ है।
मानव ही रहि मोरद मोद, दमोदर मोहि रही वनमा।माल बनी बल केसबदास, सदा बसकेल बनी बलमा ॥
2. संसद जम्मू कश्मीर से संबंध रखने वाला ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती है जो इसकी राज्य सूची का विषय हो
विश्व के देशओं की सूची के अनुलग्नक, में एक रूपरेखा दी गई है, उन प्रविष्टियों की जो इसमें शामिल नहीं किए गए हैं । इसमें सुभिन्न राजनैतिक एवं वैधिक सत्तएं आती हैं, जो कि देश हैं परंतु एक सार्वभौम राष्ट्र के समूचे भाग माने जाते हैं, खासकर यूनाइटेड किंग्डम एवं जर्मनी के अन्तर्गत आने वाले देश ।
नामरूपाभ्यां व्याकृतस्य अनेककर्तृभोक्तृसंयुक्तस्य प्रतिनियत देशकालनिमित्तक्रियाफलाश्रयस्य मनसापि अचिन्त्यरचनारूपस्य जन्मस्थितिभंगंयत:
15 मार्च 2006 को, समान्य सभा ने संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकारों के आयोग को त्यागकर संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद की स्थापना की ।
जयन्त विष्णु नार्लीकर (मराठी: जयन्त विष्णु नारळीकर) (जन्म 19 जुलाई 1938) प्रसिद्ध भारतीय भौतिकीय वैज्ञानिक हैं जिन्होंने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए अंग्रेजी, हिन्दी और मराठी में अनेक पुस्तकें लिखी हैं। ये ब्रह्माण्ड के स्थिर अवस्था सिद्धान्त के विशेषज्ञ हैं और फ्रेड हॉयल के साथ भौतिकी के हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त के प्रतिपादक हैं।
हमार पीपुल्स कोन्वेशन (एचपीसी-डी)
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ह्रदय के कपाटों की खोज चौथी सदी में हिप्पोक्रेटन स्कूल के एक चिकित्सक के द्वारा की गयी. हालाँकि तब इन के कार्य को ठीक प्रकार से समझा नहीं गया था.क्योंकि मृत्यु के बाद रक्त शिराओं में संचित हो जाता है, धमनियां खाली हो जाती हैं.प्राचीन शारीरिकी विज्ञानी, मानते थे कि ये हवा से भर जाती हैं, और वायु का परिवहन करती हैं.
चारुलता के बाद के काल में राय ने विविध विषयों पर आधारित फ़िल्में बनाईं, जिनमें शामिल हैं, कल्पनाकथाएँ, विज्ञानकथाएँ, गुप्तचर कथाएँ और ऐतिहासिक नाटक। राय ने फ़िल्मों में नयी तकनीकों पर प्रयोग करना और भारत के समकालीन विषयों पर ध्यान देना शुरु किया। इस काल की पहली मुख्य फ़िल्म थी नायक (নায়ক), जिसमें एक फ़िल्म अभिनेता (उत्तम कुमार) रेल में सफर करते हुए एक महिला पत्रकार (शर्मिला टैगोर) से मिलता है। 24 घंटे की घटनाओं पर आधारित इस फ़िल्म में इस प्रसिद्ध अभिनेता के मनोविज्ञान का अन्वेषण किया गया है। बर्लिन में इस फ़िल्म को आलोचक पुरस्कार मिला, लेकिन अन्य प्रतिक्रियाएँ अधिक उत्साहपूर्ण नहीं रहीं।[२५]
सकारात्मक फल
जोन-1, महाराणा प्रतापनगर, भोपाल, मध्यप्रदेश-462011
(5) उदात्त शैली।
सूर के कृष्ण प्रेम और माधुर्य प्रतिमूर्ति है। जिसकी अभिव्यक्ति बड़ी ही स्वाभाविक और सजीव रूप में हुई है।
मुख्य यूआरएल google.com के अलावा, गूगल इंक प्रत्येक देशों/क्षेत्रों के 160 डोमन नामों का स्वामित्व रखता है, जो स्थानीयकृत किये गये हैं.[४१] चूंकि गूगल एक अमेरिकी कंपनी है, इसलिए मुख्य डोमन नाम अमेरिकी ही माना जा सकता है. मौजूदा डोमन नामों की सूची के लिए देखेंसाँचा:Google.com.
गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिए वकालत भी की। उन्होंने आत्म-निर्भरता वाले आवासीय समुदाय में अपना जीवन गुजारा किया और पंरपरागत भारतीय 'पोशाक धोती और सूत से बनी शॉल पहनी जिसे उसने स्वयं ने 'चरखे ' पर सूत कात कर हाथ से बनाया था। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि तथा सामाजिक प्रतिकार दोनों के लिए लंबे-लंबे उपवास भी किए।
5.
1501–1975  Portuguese E. Africa (Mozambique)
विस्तृत पट्टी या ब्रॉडबैंड दूरसंचार से संबन्धित शब्द है। ब्रॉडबैंड का उपयोग अलग-अलग क्षेत्रों में अन्य अर्थों में भी किया जाता है। यह शब्द इंगित करता है कि संकेत (सिग्नल) भेजने के लिये प्रयुक्त अधिकतम एवं न्यूनतम आवृत्तियों का अन्तर (अर्थात बैण्ड की चौड़ाई) अपेक्षाकृत बड़ी है। उदाहरण के लिये परम्परागत डायल-अप कनेक्शन से 56 किलोबाईट (किबा) प्रति सेकंड या 64 किबा प्रति सेकंड की गति प्राप्त होती थी। जबकि ब्राडबैण्ड 200 किबा प्रति सेकंड से लेकर कई मेगाबाइट प्रति सेकंड तक हो सकती है।
हिन्दी उपन्यास में यह युग 'प्रेमचंद युग' के नाम से प्रसिद्ध है. परन्तु पहले भी कहा जा चुका है कि मानवीय मूल्यों में आस्था रखते हुए भी प्रेमचंद सांस्कृतिक विचारधारा के लेखक नहीं कहे जा सकते.
जननो जनजन्मादिर भीमो भीमपराक्रमः ।।(१०१)
व्याकरण का दूसरा नाम "शब्दानुशासन" भी है। वह शब्दसंबंधी अनुशासन करता है - बतलाता है कि किसी शब्द का किस तरह प्रयोग करना चाहिए। भाषा में शब्दों की प्रवृत्ति अपनी ही रहती है; व्याकरण के कहने से भाषा में शब्द नहीं चलते। परंतु भाषा की प्रवृत्ति के अनुसार व्याकरण शब्दप्रयोग का निर्देश करता है। यह भाषा पर शासन नहीं करता, उसकी स्थितिप्रवृत्ति के अनुसार लोकशिक्षण करता है।
कांचीपुरम तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई का एक क्षेत्र है। यहां चेन्नई उपनगरीय रेलवे-दक्षिण लाइन का एक स्टेशन है।
निर्देशांक: 13°25′N 75°15′E / 13.42, 75.25 शृंगेरी (कन्न्ड : ಶೃಂಗೇರಿ), कर्नाटक के चिकमंगलूर जिला का एक तालुका है। यहां आदि गुरु शंकराचार्य ने ने यहाँ कुछ दिन वास किया था और श्रृगेंरी तथा शारदा मठों की स्थापना की थी। शृंगेरी मठ प्रथम मठ है। यह आदि वेदांत से संबंधित है। यह शहर तुंग नदी के तट पर स्थित है, व आठवीं शताब्दी में बसाया गया था।
তোমার বাতাস,
३६ - छत्तीस
अखबारों के अलावा, ब्रिटिश पत्रिकाओं और जर्नल ने दुनिया भर में संचलन हासिल किया द इकोनोमिस्ट और नेचर सहित.
अमूर्तिरनघो-अचिन्त्यो भयक्ड़ित भयनाशनः ।।(८९)
आयरिश आयरलैंड की भाषा तथा साहित्य को 'आयरिश' नाम से जाना जाता है। आयरलैंड में अंग्रेजों के प्रभुत्वकाल में तो अंग्रेजी की ही प्रधानता रही, पर देश की स्वाधीनता के बाद वहाँ की अपनी भाषा आयरिश (गैली) को फिर से महत्व दिया गया। गैली का साहित्य पाँचवी शताब्दी ई. तक का मिलता है। आयरिश भारत यूरोपीय कुल की केल्टिक शाखा के गोइडेली वर्ग से संबद्ध नहीं मानी जाती है।
गुलबर्गा कर्नाटक प्रान्त का एक शहर है। गुलबर्गा भारत की स्वतंत्रता के पूर्व निजाम राज्य हैदराबाद का एक हिस्सा था। इस नगर की स्थापना १४वी शताब्दी मे बहमनी सुल्तान अलाउद्दिन हसन गंगू बहमनी ने की थी। बहमनी सल्तनत की राजधानी १०० वर्षो तक गुलबर्गा थी और बाद मे बिदर को राजधानी बनाया गया।
लाहौर के उत्तर-पश्चिम किनारे में स्थित यह किला यहां का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। किले के भीतर शीश महल, आलमगीर गेट, नौलखा पेवेलियन और मोती मस्जिद देखी जा सकती है। यह किला 1400 फीट लंबा और 1115 फीट चौड़ा है। यूनेस्को ने 1981 में इसे विश्वदाय धरोहरों सूची में शामिल किया है। माना जाता है कि इस किले को 1560 ई. में अकबर ने बनवाया था। आलमगीर दरवाजे से किले में प्रवेश किया जाता है जिसे 1618 में जहांगीर ने बनवाया था। दीवाने आम और दीवाने खास किले के मुख्य आकर्षण हैं।
राज परिवार व भारदारो के बीच गुटबन्दी की वजह से युद्ध के बाद अस्थायित्व कायम हुआ। सन् १८४६ मे शासन कर रही रानी का सेनानायक जंगबहादुर राणा को पदच्युत करने के षडयन्त्र का खुलासा होने से कोतपर्व नाम का नरसंहार हुवा। हथियारधारी सेना व रानी के प्रति वफादार भाइ-भारदाररो के बीच मारकाट चलने से देश के सयौँ राजखलाक, भारदारलोग व दुसरे रजवाड़ों की हत्या हुई। जंगबहादुर की जीत के बाद राणा खानदान उन्होने सुरुकिया व राणा शासन लागु किया। राजा को नाममात्र में सीमित किया व प्रधानमन्त्री पद को शक्तिशाली वंशानुगत किया गया। राणाशासक पूर्णनिष्ठाके साथ ब्रिटिश के पक्ष मे रहते थे व ब्रिटिश शासक को १८५७ की सेपोई रेबेल्योन (प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम), व बाद मे दोनो विश्व युद्धसहयोग किया था। सन १९२३ मे संयुक्त राजशाही व नेपाल बीच आधिकारिक रुप मे मित्रता के समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमे नेपल की स्वतन्त्रता को संयुक्त राजशाही ने स्वीकार किया । दक्षिण एशियाई मुल्कों में पहला, नेपाली राजदूतावास ब्रिटेन की राजधानी लंदन मे खुल गया ।
अपुर संसार के बाद राय की पहली फ़िल्म थी देवी, जिसमें इन्होंने हिन्दू समाज में अंधविश्वास के विषय को टटोला है। शर्मिला टैगोर ने इस फ़िल्म के मुख्य पात्र दयामयी की भूमिका निभाई, जिसे उसके ससुर काली का अवतार मानते हैं। राय को चिन्ता थी कि इस फ़िल्म को सेंसर बोर्ड से शायद स्वीकृति नहीं मिले, या उन्हे कुछ दृश्य काटने पड़ें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 1961 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के आग्रह पर राय ने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की जन्म शताब्दी के अवसर पर उनके जीवन पर एक वृत्तचित्र बनाया। ठाकुर के जीवन का फ़िल्मांकन बहुत कम ही हुआ था, इसलिए राय को मुख्यतः स्थिर चित्रों का प्रयोग करना पड़ा, जिसमें उनके अनुसार तीन फ़ीचर फ़िल्मों जितना परिश्रम हुआ।[२०] इसी साल में राय ने सुभाष मुखोपाध्याय और अन्य लेखकों के साथ मिलकर बच्चों की पत्रिका सन्देश को पुनर्जीवित किया। इस पत्रिका की शुरुआत इनके दादा ने शुरु की थी और बहुत समय से राय इसके लिए धन जमा करते आ रहे थे।[२१] सन्देश का बांग्ला में दोतरफा मतलब है — एक ख़बर और दूसरा मिठाई। पत्रिका को इसी मूल विचार पर बनाया गया — शिक्षा के साथ-साथ मनोरंजन। राय शीघ्र ही ख़ुद पत्रिका में चित्र बनाने लगे और बच्चों के लिये कहानियाँ और निबन्ध लिखने लगे। आने वाले वर्षों में लेखन इनकी जीविका का प्रमुख साधन बन गया।
अफ़ग़ानिस्तान के प्रमुख नगर हैं - राजधानी काबुल, कंधार । यहाँ कई नस्ल के लोग रहते हैं जिनमें पश्तून (पठान या अफ़ग़ान) सबसे अधिक हैं। इसके अलावा उज्बेक, ताजिक, तुर्कमेन और हज़ारा शामिल हैं । यहाँ की मुख्य भाषा पश्तो है। फ़ारसी भाषा के अफ़गान रूप को दारी कहते हैं।
साँचा:Astrology
पूर्वपुण्यनिचयेनलभ्यतेविश्वनाथनगरीगरीयसी॥
भारत में इससे पूर्व जीएम राइस जैसी फसलों पर प्रयोग हो चुके हैं जिसमें प्रोटीन की अधिक मात्र मौजूद रहती है। इससे पूर्व देश में फसलों के हाइब्रिडाइजेशन भारतीय परिवेश के लिहाज से सही साबित नहीं हुए थे। जिस कारण महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और कई अन्य हिस्सों में फसलों को नुकसान पहुंचा था और किसानों द्वारा कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्याएं करने का एक बड़ा कारण यह भी रहा है।
ओडिशा में ईसाई मिश्नरियां आयीं।
चेन्नई में तमिल लोग बहुसंख्यक हैं। यहां की मुख्य भाषा तमिल ही है। व्यापार, शिक्षा और अन्य अधिकारी वर्ग के व्यवसायों एवं नौकरियों में अंग्रेज़ी मुख्यता से बोली जाती है। इनके अलावा कम किंतु गणनीय संख्या तेलुगु तथा मलयाली लोगों की भी है। [५५] चेन्नई में तमिल नाडु के अन्य भागों व भारत के सभी भागों से आये लोगों की भी अच्छी संख्या है। २००१ के आंकड़ों के अनुसार शहर के ९,३७,००० प्रवासियों (चेन्नई की कुल जनसंख्या का २१.५७%) में से; ७४.५% राज्य के अन्य भागों से आये थे, २३.८% देश के अन्य भागों से तथा १.७% विदेशियों की जनसंख्या थी। [५६] कुल जनसंख्या में ८२.२७% हिन्दू, ८.३७% मुस्लिम, ७.६३% ईसाई और १.०५% जैन हैं।[५७]
उत्तराखण्ड में बहुत से पर्यटन स्थल है जहाँ पर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं, जैसे नैनीताल और मसूरी। राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं:
छठी सदी ईसा पूर्व (मौर्यों के उदय के कोई दो सौ वर्ष पूर्व) तकभारत में धार्मिक सम्प्रदायों का प्रचलन था । ये सभी धर्म किसी न किसी रूप से वैदिक प्रथा से जुड़े थे । छठी सदी ईसापूर्व में कोई ६२ सम्प्रदायों के अस्तित्व का पता चला है जिसमें बौद्ध तथा जैन सम्प्रदाय का उदय कालान्तर में अन्य की अपेक्षा अधिक हुआ । मौर्यों के आते आते बौद्ध तथा जैन सम्प्रदायों का विकास हो चुका था । उधर दक्षिण में शैव तथा वैष्णव सम्प्रदाय भी विकसित हो रहे थे ।
बस यही वक्त है, जब आपके अवचेतन में पडे़ विज्ञापन अपना खेल खेलते हैं, वे कहते है................कोई भी चलेगा मत कहिये ............. क ख ग ही मांगिये। या मैं सिन्थाल इस्तेमाल करता हूँ - विनोद खन्ना बरसों से फिल्म अभिनेत्रियँ लक्स इस्तेमाल करती है।
“मैने तुम्हें जो बीज दिया था, उसको तुमने ठीक वृक्ष के रूप में विकसित कर लिया है | अब इसके मीठे फ़ल समाज में बाँटों | पाप, ताप, शोक, तनाव, वैमनस्य, विद्रोह, अहंकार और अशांति से तप्त संसार को तुम्हारी जरूरत है |”
संत कबीर नगर जिला उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य 70 जिलों में से एक है । खलीलाबाद शहर जिला मुख्यालय है संत कबीर नगर जिला बस्ती मंडल का एक हिस्सा है । यह जिला उत्तर में सिद्धार्थ नगर और महाराजगंज जिलों से पूर्व में गोरखपुर जिले से दक्षिण में अम्बेडकर नगर जिले से और पश्चिम में बस्ती जिला द्वारा घिरा है । इस जिले का क्षेत्रफल 1659.15 वर्ग किलोमीटर है । बखीरा, हैंसर, मगहर और तामा आदि यहां के प्रमुख स्थलों में से हैं । घाघरा और राप्‍ती यहां की प्रमुख नदियां है ।
वेल्स राष्ट्रीय सभा वेल्स में शिक्षा के लिए ज़िम्मेदार है.वेल्श छात्रों की एक महत्वपूर्ण संख्या को या तो पूरी तरह या मोटे तौर पर वेल्श भाषा में सिखाया जाता है; वेल्श में सबक 16 साल की उम्र तक सबके लिए अनिवार्य हैं.वेल्श मीडियम स्कूलों का प्रावधान बढ़ाने के लिए योजना है ताकि एक पूर्णत द्विभाषिक वेल्स की योजना पूरी हो सके.
नलिनि कान्त गुप्त (1889-1983) श्री अरविन्द के एक प्रमुख शिष्य।
णुकारांत होती है-हलणु (चलना), बधणु (बाँधना), टपणु (फाँदना) घुमणु, खाइणु, करणु, अचणु (आना) वअणु (जानवा, विहणु (बैठना) इत्यादि। कर्मवाच्य प्राय: धातु में-इज-या-ईज (प्राकृत अज्ज) जोड़कर बनता है, जैसे मारिजे (मारा जाता है), पिटिजनु (पीटा जाना); अथवा हिंदी की तरह वञणु (जाना) के साथ संयुक्त क्रिया बनाकर प्रयुक्त होता है, जैसे माओ वर्ञ थो (मारा जाता है)। प्रेरणार्थक क्रिया की दो स्थितियाँ हैं-लिखाइणु (लिखना), लिखराइणु (लिखवाना); कमाइणु (कमाना), कमाराइणु (कमवाना), कृदंतों में वर्तमानकालिक-हलंदों (हिलता), भजदो (टूटता) -और भूतकालिक-बच्यलु (बचा), मार्यलु (मारा)-लिंग और वचन के अनुसार विकारी होते हैं। वर्तमानकालिक कृदंत भविष्यत् काल के अर्थ में भी प्रयुक्त होता है। हिंदी की तरह कृदंतों में सहायक क्रिया (वर्तमान आहे, था; भूत हो, भविष्यत् हूँदो आदि) के योग से अनेक क्रिया रूप सिद्ध होते हैं। पूर्वकालिक कृदंत धातु में-इ-या -ई लगाकर बनाया जाता है, जैसे खाई (खाकर), लिखी (लिखकर), विधिलिंग और आज्ञार्थक क्रिया के रूप में संस्कृत प्राकृत से विकसित हुए हैं-माँ हलाँ (मैं चलूँ), असीं हलूँ (हम चलें), तूँ हलीं (तू चले), तूँ हल (तू चल), तब्हीं हलो (तुम चलो); हू हले, हू हलीन। इनमें भी सहायक क्रिया जोड़कर रूप बनते हैं। हिंदी की तरह सिंधी में भी संयुक्त क्रियाएँ पवणु (पड़ना), रहणु (रहना), वठणु (लेना), विझणु (डालना), छदणु (छोड़ना), सघणु (सकना) आदि के योग से बनती हैं।
मानक - भारत सरकार के Indic layout के आधार पर
हमें यह समझना होगा कि देश में जो भी विकास अभी तक हुआ है, वह वास्तव में स्वदेशी के आधार पर ही हुआ है। कुल पूंजी निवेश में विदेशी पूंजी का हिस्सा २ प्रतिशत से भी कम है और वह भी गैर जरूरी क्षेत्रों में विदेशी पूंजी निवेश जाता है। आज चिकित्सा के क्षेत्र में भारत दुनिया का सिरमौर देश बन चुका है। इसके लिए जिम्मेदार विदेशी पूंजी नहीं, बल्कि भारतीय डाक्टरों की उत्कृष्टता है। आज अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र, जो पूरी तरह से भारतीय प्रौद्योगिकी के आधार पर विकसित हुआ है, ने दुनिया में अपनी कामयाबी के झंडे गाड़ दिये हैं। आज दुनिया के जाने-माने देश भी अपने अंतरिक्ष यानों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने के लिए भारतीय 'पी.एस.एल.वी.' का सहारा लेते हैं। सामरिक क्षेत्र में आणविक विस्फोट कर भारत पहले ही दुनिया को अचंभित कर चुका है। उधर अग्नि प्रक्षेपपास्त्र का निर्माण हमारे दुश्मनों को दहला रहा है। दुनियाभर में भारत के वैज्ञानिकों, डाक्टरों और इंजीनियरों ने अपनी धाक जमा रखी है। सरकार के तमाम दावों के बावजूद आयातों पर निर्भरता बढ़ने के बावजूद हमारे निर्यातों में वृद्धि नहीं हो रही, लेकिन हमारे सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की अथक मेहनत के कारण हमारे सॉफ्टवेयर के बढ़ते निर्यात सरकार की गलत नीतियों के बावजूद देश को लाभान्वित कर रहे हैं।
यहां का छोटा तालाब, बडा तालाब, भीम बैठका, अभयारण्य तथा भारत भवन देखने योग्य हैं| भोपाल के पास स्थित सांची का स्तूप भी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। भोपाल से लगभग २८ किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर मन्दिर एक एतिहासिक दर्शनिय स्थल है।
स्रोत : कलेजी, अण्डे, फलियां, दालें, गिरी, तिलहन, खमीर, अनाज, सेला चावल।
कार्यक्रम छात्रों से यह अपेक्षा करता है कि वे अपनी अनुसंधान करने की क्षमताओं को प्रदर्शित करें. यह उन विद्वानों को ढूंढता है जिनके पास निम्न विषयों में पी.एचडी की उपाधि हो कम्प्यूटर विज्ञान, सांख्यिकी, परिचालन अनुसंधान इत्यादि. चयन पिछले अनुसंधान, प्रयोजन वर्णन, सिफारिशों के बाद कैम्पस में प्रस्तुतीकरण और साक्षात्कार के आधार पर होता है.
स्वामी रामानंद ने राम भक्ति का द्वार सबके लिए सुलभ कर दिया. उन्होंने अनंतानंद, भावानंद, पीपा, सेन, धन्ना, नाभा दास, नरहर्यानंद, सुखानंद, कबीर, रैदास, सुरसरी, पदमावती जैसे बारह लोगों को अपना प्रमुख शिष्य बनाया,जिन्हे द्वादश महाभागवत के नाम से जाना जाता है. इनमें कबीर दास और रैदास आगे चलकर काफी ख्याति अर्जित किये. कबीर औऱ रविदास ने निर्गुण राम की उपासना की.इस तरह कहें तो स्वामी रामानंद ऐसे महान संत थे जिसकी छाया तले सगुण और निर्गुण दोनों तरह के संत-उपासक विश्राम पाते थे.जब समाज में चारो ओर आपसी कटूता और वैमनस्य का भाव भरा ङुआ था, वैसे समय में स्वामी रामानंद ने नारा दिया-जात-पात पूछे ना कोई-ङरि को भजै सो हरी का होई. उन्होंने सर्वे प्रपत्तेधिकारिणों मताः का शंखनाद किया और भक्ति का मार्घ सबके लिए खोल दिया. उन्होंने महिलाओं को भी भक्ति के वितान में समान स्थान दिया. उनके द्वारा स्थापित रामानंद सम्प्रदाय या रामावत संप्रदाय आज वैष्णवों का सबसे बड़ा धार्मिक जमात है. वैष्णवों के 52 द्वारों में 36 द्वारे केवल रामानंदियों के हैं. इस संप्रदाय के संत बैरागी भी कहे जाते हैं. इनके अपने अखाड़े भी हैं. यूं तो रामानंद सम्प्रदाय की शाखाएं औऱ उपशाखाएँ देश भर में फैली हैं. लेकिन अयोध्या,चित्रकूट,नाशिक ,हरिद्वार में इस संप्रदाय के सैकड़ो मठ-मंदिर हैं. काशी के पंचगंगा घाट पर अवस्थित श्रीमठ,दुनिया भर में फैले रामानंदियों का मूल गुरुस्थान है. दूसरे शब्दों में कहें तो काशी का श्रीमठ हीं सगुण और निर्गुण रामभक्ति परम्परा और रामानंद सम्प्रदाय का मूल आचार्यपीठ है.वर्तमान में जगदगुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज,श्रीमठ के गादी पर विराजमान हैं.वे न्याय शास्त्र के प्रकांड विद्वान हैं और संत समाज में समादृत हैं.
इनमे से आख़िरी के तीन इराक़ी कुर्दिस्तान में आते हैं जिसका एक अलग प्रशासन है ।
प्राचीनकाल में कश्मीर (महर्षि कश्यप के नाम पर) हिन्दू और बौद्ध संस्कृतियों का पालना रहा है । मध्ययुग में मुस्लिम आक्रान्ता कश्मीर पर क़ाबिज़ हो गये । कुछ मुसलमान शाह और राज्यपाल हिन्दुओं से अच्छा व्यवहार करते थे पर कई ने वहाँ के मूल कश्मीरी हिन्दुओं को मुसलमान बनने पर, या राज्य छोड़ने पर या मरने पर मजबूर कर दिया । कुछ सदियों में कश्मीर घाटी में मुस्लिम बहुमत हो गया ।
(३) यह सार्वलौकिक भाईचारे का युग है।
द्रविड़ परिवार (तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम),
रांगेय राघव ने जीवन की जटिलतर होती जा रही संरचना में खोए हुए मनुष्य की, मनुष्यत्व की पुनर्रचना का प्रयत्न किया, क्योंकि मनुष्यत्व के छीजने की व्यथा उन्हें बराबर सालती थी। उनकी रचनाएँ समाज को बदलने का दावा नहीं करतीं, लेकिन उनमें बदलाव की आकांक्षा जरूर हैं। इसलिए उनकी रचनाएँ अन्य रचनाकारों की तरह व्यंग्य या प्रहारों में खत्म नहीं होतीं, न ही दार्शनिक टिप्पणियों में समाप्त होती हैं, बल्कि वे मानवीय वस्तु के निर्माण की ओर उद्यत होती हैं और इस मानवीय वस्तु का निर्माण उनके यहाँ परिस्थिति और ऐतिहासिक चेतना के द्वंद से होता है। उन्होंने लोग-मंगल से जुड़कर युगीन सत्य को भेदकर मानवीयता को खोजने का प्रयत्न किया तथा मानवतावाद को अवरोधक बनी हर शक्ति को परास्त करने का भरसक प्रयत्न भी। कुछ प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों के उत्तर रांगेय राघव ने अपनी कृतियों के माध्यम से दिए। इसे हिंदी साहित्य में उनकी मौलिक देन के रूप में माना गया। ये मार्क्सवादी विचारों से प्रेरित उपन्यासकार थे।[१] ‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ के उत्तर में ‘सीधा-सादा रास्ता’, ‘आनंदमठ’ के उत्तर में उन्होंने ‘चीवर’ लिखा। प्रेमचंदोत्तर कथाकारों की कतार में अपने रचनात्मक वैशिष्ट्य, सृजन विविधता और विपुलता के कारण वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो , दशकं धर्म लक्षणम् ॥
शंघाई, चीन
यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण किला है। भारत के मुगल सम्राट बाबर, हुमायुं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां व औरंगज़ेब यहां रहा करते थे, व यहीं से पूरे भारत पर शासन किया करते थे। यहां राज्य का सर्वाधिक खजाना, सम्पत्ति व टकसाल थी। यहां विदेशी राजदूत, यात्री व उच्च पदस्थ लोगों का आना जाना लगा रहता था, जिन्होंने भारत के इतिहास को रचा।
इसी समय गोपाल ने बंगाल में एक स्वतन्त्र राज्य घोषित किया । जनता द्वारा गोपाल को सिंहासन पर आसीन किया गया था । वह योग्य और कुशल शासक था, जिसने ७५० ई. से ७७० ई. तक शासन किया । इस दौरान उसने औदंतपुरी (बिहार शरीफ) में एक मठ तथा विश्‍वविद्यालय का निर्माण करवाया । पाल शासक बौद्ध धर्म को मानते थे । आठवीं सदी के मध्य में पूर्वी भारत में पाल वंश का उदय हुआ । गोपाल को पाल वंश का संस्थापक माना जाता है ।
राजा (वर्तमान में अल्बर्ट द्वितीय) राज्य का मुखिया है, हालांकि उसके विशेषाधिकार सीमित हैं. वह एक प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की नियुक्ति करता है, जिनके पास संघीय सरकार बनाने के लिए प्रतिनिधि मंडल का विश्वास मौजूद है. डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या संविधान द्वारा निर्धारित संख्या के बराबर है.[२१] न्यायिक प्रणाली नागरिक कानून पर आधारित है और इसकी उत्पत्ति नेपोलियन कोड से हुई है. कोर्ट ऑफ़ केसेसन अंतिम फैसले की अदालत है, जिसके एक स्तर नीचे है कोर्ट ऑफ़ अपील.
साहित्यिक आन्दोलन उस विचारधारा का नाम जो किसी विशेष कारण से किसी विशेष काल के साहित्य को प्रभावित करते हैं। साहित्य को प्रभावित करने वाले ये विशेष कारण राजनैतिक, सामाजिक या धार्मिक हो सकते हैं।
कूचबिहार भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है । इसका मुख्यालय है कूचबिहार।
गांधी जी ने १९४६ में कांग्रेस को ब्रिटिश केबीनेट मिशन (British Cabinet Mission)के प्रस्ताव को ठुकराने का परामर्श दिया क्योकि उसे मुस्लिम बाहुलता वाले प्रांतों के लिए प्रस्तावित समूहीकरण के प्रति उनका गहन संदेह होना था इसलिए गांधी जी ने प्रकरण को एक विभाजन के पूर्वाभ्यास के रूप में देखा। हालांकि कुछ समय से गांधी जी के साथ कांग्रेस द्वारा मतभेदों वाली घटना में से यह भी एक घटना बनी (हालांकि उसके नेत्त्व के कारण नहीं) चूंकि नेहरू और पटेल जानते थे कि यदि कांग्रेस इस योजना का अनुमोदन नहीं करती है तब सरकार का नियंत्रण मुस्लिम लीग के पास चला जाएगा। १९४८ के बीच लगभग ५००० से भी अधिक लोगों को हिंसा के दौरान मौत के घाट उतार दिया गया। गांधी जी किसी भी ऐसी योजना के खिलाफ थे जो भारत को दो अलग अलग देशों में विभाजित कर दे।भारत में रहने वाले बहुत से हिंदुओं और सिक्खों एवं मुस्लिमों का भारी बहुमत देश के बंटवारे के पक्ष में था। इसके अतिरिक्त मुहम्मद अली जिन्ना, मुस्लिम लीग के नेता ने, पश्चिम पंजाब, सिंध, उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत और ईस्ट बंगाल (East Bengal).में व्यापक सहयोग का परिचय दिया। व्यापक स्तर पर फैलने वाले हिंदु मुस्लिम लड़ाई को रोकने के लिए ही कांग्रेस नेताओं ने बंटवारे की इस योजना को अपनी मंजूरी दे दी थी। कांगेस नेता जानते थे कि गांधी जी बंटवारे का विरोध करेंगे और उसकी सहमति के बिना कांग्रेस के लिए आगे बझना बसंभव था चुकि पाटर्ठी में गांधी जी का सहयोग और संपूर्ण भारत में उनकी स्थिति मजबूत थी। गांधी जी के करीबी सहयोगियों ने बंटवारे को एक सर्वोत्तम उपाय के रूप में स्वीकार किया और सरदार पटेल ने गांधी जी को समझाने का प्रयास किया कि नागरिक अशांति वाले युद्ध को रोकने का यही एक उपाय है। मज़बूर गांधी ने अपनी अनुमति दे दी।
गढ़िया कोलकाता का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता नगर निगम के अधीन आता है।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर को पल्लवों ने बनवाया था। बाद में इसका पुर्ननिर्माण चोल और विजयनगर के राजाओं ने करवाया। 11 खंड़ों का यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे ऊंचे मंदिरों में एक है। मंदिर में बहुत आकर्षक मूर्तियां देखी जा सकती हैं। साथ ही यहां का 1000 पिलर का मंडपम भी खासा लोकप्रिय है।
साँचा:फरवरी कैलंडर२०१० 4 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 35वॉ दिन है। साल मे अभी और 330 दिन बाकी है (लीप वर्ष मे 331)।
शिक्षा · पशु · कलाएंकैलेंडर · बच्चे · जनसांख्यिकीत्यौहार · मस्जिदें · फलसफाराजनीति · विज्ञान · महिलाएं
खान ने अपना निर्माण कंपनी, आमिर खान प्रोडक्सन्स बनाकर अपने पुराने दोस्त आशुतोष गोवारिकर (Ashutosh Gowariker) की स्वप्निल फ़िल्म लगान को वित्तीय सहायता किया. यह फ़िल्म 2001 में रिलीज हुई, जिसमें आमिर खान मुख्य अभिनेता थे.यह फ़िल्म आलोचकों और कॉमर्शियल की नज़र से सफल रही[१३] और इसे सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फ़िल्म (Best Foreign Language Film) के लिए 74 वें एकेडमी पुरस्कार (74th Academy Awards) में भारत के आधिकारिक सूची (India's official entry) में चुन लिया गया. फलतः यह चुन लिया गया और अन्य चार विदेशी फिल्मों के साथ उसी वर्ग में नामांकन हुआ, लेकिन नो मेंस लैंड (No Man's Land) से हार गया. इसके अलावा फ़िल्म को कई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल्स में सराहा गया, साथ ही बोलीवुड के कई पुरस्कार मिले जिनमे राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार भी शामिल है.खान अपना दूसरा फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीता जबकि ओस्कर में लगान को निराशा मिला.परन्तु चीज़ें हमारा उत्साह बनाये रखती है, कि सारा देश हमारे साथ है."
डॉ.योहाना ने वारबर्ग के शोध को जारी रखा। वर्षों तक शोध करके पता लगाया कि इलेक्ट्रोन युक्त, अत्यन्त असंतृप्तओमेगा–3 वसा से भरपूर अलसी, जिसे अंग्रेजी में Linseed या Flaxseed कहते हैं, कातेल कोशिकाओं में नई ऊर्जा भरता है, कोशिकाओं की स्वस्थ भित्तियों का निर्माण करताहै और कोशिकाओं में ऑक्सीजन को आकर्षित करता है।परंतु इनके सामने मुख्य समस्या यह थी की अलसी के तेल, जो रक्त में नहीं घुलता है, को कोशिकाओं तक कैसे पहुँचाया जाये? वर्षों तक कई परीक्षण करने के बाद डॉ. योहाना ने पाया किअलसी केतेल कोसल्फर युक्त प्रोटीन जैसे पनीर साथ मिलाने पर अलसी का तेल पानी में घुलनशील बन जाता है और तेल को सीधा कोशिकाओं तकपहुँचाता है। इससे कोशिकाओं को भरपूर ऑक्सीजन पहुँचती है व कैंसर खत्म होने लगताहै।
चन्द्रशेखर वेङ्कट रामन् की प्रारम्भिक शिक्षा वाल्टीयर में हुई। १२ वर्ष की अवस्था में प्रवेशिका परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने भौतिकी में स्नातक और एमए की डिग्री मद्रास (अब चेन्नई) के प्रेसीडेंसी कालेज से पूरी की। इस कालेज में उन्होंने १९०२ में दाखिला लिया और १९०४ में पूरे विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उन्होंने १९०७ में मद्रास विश्वविद्यालय से गणित में प्रथम श्रेणी में एमए की डिग्री विशेष योग्यता के साथ हासिल की।[१] तत्पश्चात इन्होंने सहायक वित्तीय मैनेजर के रुप मे भारतीय वित्तीय निगम कोलकाता में नौकरी शुरु की। लेकिन इस काम में उनकी रुचि नहीं थी अतः १९१७ में उन्होंने सरकारी सेवा से त्यागपत्र दे दिया और इंडियन अशोसिएशन फार कल्टीवेशन आफ़ साईंस में भौतिकी के अपने प्रयोग शुरु किए। शोध कार्य के प्रति इनकी रूचि को देखकर कलकत्ता विश्वविद्यालय के उप कुलपति सर आशुतोष मुखर्जी ने इनसे भौतिक विज्ञान विभाग के प्रधान अध्यापक के पद पर कार्य करने का अनुरोध किया। भौतिक विज्ञान में खोजों के फलस्वरूप कलकत्ता विश्वविद्यालय ने इनको डीएससी की डिग्री से विभूषित किया। १९२४ में ये फेलो ऑफ रायल सोसाइटी के सदस्य निर्वाचित हुए। १९३० में इन्हें रमन प्रभाव पर नोबेल पुरस्कार मिला।[२]१९४८ में सेवानिवृति के बाद उन्होंने रामन् शोध संस्थान की बैंगलोर में स्थापना की और इसी संस्थान में शोधरत रहे। १९५४ ई. में भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित रामन को १९५७ में लेनिन शान्ति पुरस्कार भी प्रदान किया था।
अरुणाचल प्रदेश में मुख्यत: चार राजनैतिक दल हैं-
इतना कह कर राजा परीक्षीत ने उस पापी शूद्र राजवेषधारी कलियुग को मारने के लिये अपनी तीक्ष्ण धार वाली तलवार निकाली। कलियुग ने भयभीत होकर अपने राजसी वेष को उतार कर राजा परीक्षित के चरणों में गिर गया और त्राहि-त्राहि कहने लगा। राजा परीक्षित बड़े शरणागत वत्सल थे, उनहोंने शरण में आये हुये कलियुग को मारना उचित न समझा और कलियुग से कहा - "हे कलियुग! तू मेरे शरण में आ गया है इसलिये मैंने तुझे प्राणदान दिया। किन्तु अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक उपद्रवों का मूल कारण केवल तू ही है। अतः तू मेरे राज्य से तुरन्त निकल जा और लौट कर फिर कभी मत आना।"
पुष्यमुत्र के शासनकाल में पश्चिम से यवनों का आक्रमण हुआ । इसी काल के माने जाने वाले वैयाकरण पतञ्जलि ने इस आक्रमण का उल्लेख किया है । कालिदास ने भी अपने मालविकाग्निमित्रम् में वसुमित्र के साथ यवनों के युद्ध का जिक्र किया है । इन आक्रमणकारियों ने भारत की सत्ता पर कब्जा कर लिया । कुछ प्रमुख भारतीय-यूनानी शासक थे - यूथीडेमस, डेमेट्रियस तथा मिनांडर । मिनांडर ने बौद्ध धर्म अपना लिया था तथा उसका प्रदेश अफगानिस्तान से पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था ।
उपर्युक्त मत में मीमांसक लोग अनवस्था दोष बताते हैं (अनवस्था उसे कहते हैं जिसमें कल्पना का विश्राम न हो।) जिससे ज्ञानमत प्रामाण्य कभी सिद्ध नहीं हो सकता। अर्थात् लोकव्यवहार विच्छिन्न हो जाएगा। अत: ज्ञानगत प्रामाण्य स्वत: उत्पन्न और स्वत: गृहीत होता है। अभिप्राय यह है कि जिस समाग्री से ज्ञान उत्पन्न होता है, उसी सामग्री से प्रामाण्य भी उत्पन्न होता है; और जिस सामग्री से ज्ञान गृहीत होता है उसी सामग्री से प्रामाण्य भी गृहीत होता है। यही स्वत:प्रामाण्यवादी मीमांसकादिकों का प्रामाण्य का स्वतस्त्व है, जिसका कुमारिल भट्ट ने अपने ग्रंथ भाट्ट वार्तिक में अनेक युक्तियों से समर्थन किया है -
यह प्रभाग स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना और भूतपूर्व पश्चिमी पाकिस्तान / पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए योजनाएं बनाता है और उन्हें कार्यान्वित करता है तथा श्रीलंकाई और तिब्बती शरणार्थियों को राहत प्रदान करने की व्यवस्था करता है।
वागर्थ
31. रयाजान
ओट्टपलक्कल नीलकंदन वेलु कुरुप (मलयालम: ഒറ്റപ്ലാക്കല്‍ നീലകണ്ഠന്‍ വേലു കുറുപ്പ്), प्रचलित नाम ओ.एन.वी.कुरुप, एक मलयाली कवि, और गीतकार थे जो भारत के केरल राज्य से हैं।
किसी भी हिन्दू का शाकाहारी होना आवश्यक है, क्योंकि शाकाहार का गुणज्ञान किया जाता है। शाकाहार को सात्विक आहार माना जाता है। आवश्यकता से अधिक तला भुना शाकाहार ग्रहण करना भी राजसिक माना गया है। मांसाहार को इसलिये अच्छा नही माना जाता,क्योंकि मांस पशुओं की हत्या से मिलता है, अत: तामसिक पदार्थ है। वैदिक काल में पशुओं का मांस खाने की अनुमति नहीं थी, एक सर्वेक्षण के अनुसार आजकल लगभग ३०% हिन्दू, अधिकतर ब्राह्मण व गुजराती और मारवाड़ी हिन्दू पारम्परिक रूप से शाकाहारी हैं। वे भी गोमांस कभी नहीं खाते, क्योंकि गाय को हिन्दू धर्म में माता समान माना गया है। कुछ हिन्दू मन्दिरों में पशुबलि चढ़ती है, पर आजकल यह प्रथा हिन्दुओं द्वारा ही निन्दित किये जाने से समाप्तप्राय: है।
रीतिकाव्य मुख्यत: मांसल शृंगार का काव्य है। इसमें नर-नारीजीवन के स्मरणीय पक्षों का सुंदर उद्घाटन हुआ है। अधिक काव्य मुक्तक शैली में है, पर प्रबंधकाव्य भी हैं। इन दो सौ वर्षों में शृंगारकाव्य का अपूर्व उत्कर्ष हुआ। पर धीरे धीरे रीति की जकड़ बढ़ती गई और हिंदी काव्य का भावक्षेत्र संकीर्ण होता गया। आधुनिक युग तक आते आते इन दोनों कमियों की ओर साहित्यकारों का ध्यान विशेष रूप से आकृष्ट हुआ।
नगर का प्रशासन ग्रेटर हैदराबद नगरमहापालिका द्वारा संचालित है। [२] इस पालिका के अध्यक्ष यहां के महापौर हैं, जिन्हें कई कार्यपालक क्षमताएं निहित हैं। पालिका की मुख्य क्षमता नगरमहापालिका आयुक्त, एक आइ ए एस के पास है, जो आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त होता है।
देश की राजनीति में राष्ट्रपति संवैधानिक प्रधान होता है, जबकि प्रधानमंत्री देश का प्रशासनिक प्रमुख होता है। राष्ट्रपति को हर पाँच साल बाद चुना जाता है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, प्रधानमंत्री ऐसे व्यक्ति को चुना जाता है जो उस समय संसद का सदस्य हो और राष्ट्रपति को विश्वास दिलाये कि उसे संसद में बहुमत का समर्थन हासिल है। प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों की कैबिनेट गठित करता है जिसके नियुक्ति की मंजूरी राष्ट्रपति देता है।
5651 लोहित एक्सप्रेस -- गुवहाटी -- जम्मू तवी
द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की हार के बाद, नेताजी को नया रास्ता ढूँढना जरूरी था। उन्होने रूस से सहायता माँगने का निश्चय किया था।
ईसापूर्व 3300-1800 के बीच यहाँ सिन्धुघाटी सभ्यता का विकास हुआ । यह विश्व की चार प्राचीन ताम्र-कांस्यकालीन सभ्यताओं में से एक थी । इसका क्षेत्र सिन्धु नदी के किनारे अवस्थित था पर गुजरात (भारत) और राजस्थान में भी इस सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं । मोहेन्जो-दारो, हड़प्पा इत्यादि स्थल पाकिस्तान में इस सभ्यता के प्रमुख अवशेष-स्थल हैं । इस सभ्यता के लोग कौन थे इसके बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है । कुछ इसे आर्यों की पूर्ववर्ती शाखा कहते हैं तो कुछ इसे द्रविड़ । कुछ इसे बलोची भी ठहराते हैं । इस मतभेद का एक कारण सिन्धु-घाटी सभ्यता की लिपि का नहीं पढ़ा जाना भी है ।
ज्वालाजी में रहने के लिए काफी संख्या में धर्मशालाए व होटल है जिनमें रहने व खाने का उचित प्रबंध है। जो कि उचित मूल्यो पर उपलब्ध है। ज्वालामुखी मंदिर के पास का नजदीकी शहर पालमपुर व कांगडा है जहां पर काफी सारे डिलक्स होटल है। यात्री यहां पर भी ठहर सकते है यहा से मंदिर तक जाने के लिए बस व कार सुविधा मुहैया है।
इस अंतिम शाखा के अंतर्गत उड़िया, असमी, बँग्ला और पुरबिया भाषाओं की गणना की जाती है। पुरबिया भाषाओं में मैथिली, मगही और भोजपुरी - ये तीन बोलियाँ मानी जाती हैं। क्षेत्रविस्तार और भाषाभाषियों की संख्या के आधार पर भोजपुरी अपनी बहनों मैथिली और मगही में सबसे बड़ी है।
उनके उत्तराधिकारियों ने, मध्य एशियाई देश के कम यादों के साथ जिसके लिए उन्होंने इंतज़ार किया, उपमहाद्वीप की संस्कृति का एक कम जानिबदार दृश्य लिया, और काफी आत्मसत बने, उन्होंने कई उपमहाद्वीप के लक्षण और प्रथा को अवशोषित किया.भारत की इतिहास में अन्य की तुलना में मुग़ल काल ने भारतीय, ईरानी और मध्य एशिया के कलात्मक, बौद्धिक और साहित्यिक परंपरा का एक और अधिक उपयोगी का सम्मिश्रण देखा.मुग़लों को जीवन की अच्छी बातों का स्वाद था- खूबसूरती से कलात्मक डिजाइन और आनंद और सांस्कृतिक गतिविधियों की प्रशंसा के लिए.मुग़ल जितना देते थे उतना उधर लेते थे; भारतीय उपमहाद्वीप के दोनों हिन्दू और मुस्लिम परंपराएँ उनकी संस्कृति और अदालत शैली व्याख्या पर भारी प्रभाव थे.फिर भी, वे उपमहाद्वीप के समाजों और संस्कृति के लिए कई उल्लेखनीय बदलाव लाए, जिसमें शामिल हैं:
ऑस्ट्रेलियाई प्रदर्शन कलाओं की कुछ कंपनियाँ संघीय सरकार की ऑस्ट्रेलिया परिषद से आर्थिक सहायता पाती है.हर राज्य के प्रधान शहर में एक स्वररचना वादक यंत्र है और राष्ट्रीय ओपेरा कंपनी, ओपेरा ऑस्ट्रेलिया, जो गायक जॉन सुथेरलैण्ड के द्वारा निकला.निली मेल्बा उनकी विख्यात पूर्वीधिकारी थी.नाटक और नृत्य ऑस्ट्रेलियाई बैलेट और विमित्र राज्य नृत्य कंपनियों के द्वारा प्रदर्शित की जाती हैं.हर राज्य के पास सार्वजनिक निधि प्राप्त रंगमंच कंपनी हैं.
कोलकाता में ढेरों स्मारक एवं दर्शनीय स्थल हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार से हैं:-
ताम्ब्रम, तंजावुर, तिनसुकिया, तिरूनेलवेली, तुमकुर, तुरा, तुएनसांग, तूतीकोरन,दरभंगा, दमोह, दार्जिलिंग, दुमका, दुर्ग, दुर्गापुर, दिल्ली, दीमापुर, देवरिया, देवघर, देहरादून, धनबाद, धर्मशाला, धारवाड़, नई दिल्ली या दिल्ली, नलगोंडा, नरकटियागंज, नागपुर,नागदा,नागरकोइल, नासिक,निम्बाहेडा ,नीमच,नेल्लूर, नोएडा, नैनीताल, नौगाँव, नांदेड़, नरवर, नजीबाबाद, नाथद्वारा
आई आई टी में शिक्षित अभियंताओं तथा शोधार्थियों की पहचान पूरे भारत, और कुछ हद तक, अमेरिका में भी है। यद्यपि, यह पहचान मुख्यतः उन अभियंताओं से है जिन्होने यहाँ से बी टेक की डिग्री ली है। आई आई टी की प्रसिद्धी के कारण, भारत में इंजीनियरिंग की पढाई करने का इच्छुक प्रत्येक विद्यार्थी इन संस्थानों में प्रवेश पाने की 'महत्वाकांक्षा' रखता है। इन संस्थानों में स्नातक स्तर की पढाई में प्रवेश एक संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) के आधार पर होता है। यह परीक्षा बहुत कठिन मानी जाती है और इसकी तैयारी कराने के लिये देश भर में हजारों 'कोचिंग क्लासेस्' चलाये जा रहे हैं। आई आई टी तन्त्र की कभी कभी आलोचना की जाती है कि भारत की गरीब जनता के पैसे से इसमें पढकर निकलने वाले पैसा कमाने के लालच में देश छोडकर यूएसए या किसी अन्य देश में चले जाते हैं, जिसके कारण इससे भारत को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया है।
इस घटना का उल्लेख काशी खंड में इस प्रकार है-
गुरुजी ने धर्म के सत्य ज्ञान के प्रचार-प्रसार एवं लोक कल्याणकारी कार्य के लिए कई स्थानों का भ्रमण किया। आनंदपुर से कीरतपुर, रोपण, सैफाबाद के लोगों को संयम तथा सहज मार्ग का पाठ पढ़ाते हुए वे खिआला (खदल) पहुँचे। यहाँ से गुरुजी धर्म के सत्य मार्ग पर चलने का उपदेश देते हुए दमदमा साहब से होते हुए कुरुक्षेत्र पहुँचे। कुरुक्षेत्र से यमुना किनारे होते हुए कड़ामानकपुर पहुँचे और यहाँ साधु भाई मलूकदास का उद्धार किया।
बहमनी सल्तनत (1317-1518) दक्कन का एक इस्लामी राज्य था । इसकी स्थापना ३ अगस्त १३४७ को एक तुर्क-अफ़गान सूबेदार अलाउद्दीन बहमन शाह ने की थी । इसका प्रतिद्वंदी हिन्दू विजयनगर साम्राज्य था । १५१८ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप - गोलकोण्डा, बीजापुर, बिदर, बिरार और अहमदनगर के राज्यों का उदय हुआ । इन पाँचों को सम्मिलित रूप से दक्कन सल्तनत कहा जाता था ।
९२१ मीटर की ऊंचाई पर यह सुंदर पिकनिक स्थल इंफ़ाल से १६ किलोमीटर दूर है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रारंभिक दिनों में , "डॉलर" वह सिक्का समझा जाता था जिसे स्पेन द्वारा ढाला गया है और इसे "स्पेनी मिल्ड डॉलर" बुलाया जाता था। ये सिक्के उस समय देश में मानक मुद्रा के रूप में उपयोग में थे। २ अप्रैल, १७९२ को, अलेक्जेंडर हैमिल्टन, जो उस समय राजकोष सचिव थे, ने चांदी की "स्पेनी मिल्ड डॉलर" के सिक्कों में (जो उस समय प्रचलन में थे)वैज्ञानिक ढंग से राशि निर्धारित कर राष्ट्रीय कांग्रेस के सामने एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस प्रतिवेदन के परिणामस्वरूप, डॉलर परिभाषित किया गया जिसे माप की इकाई माना गया जिसका मूल्य शुद्ध चांदी के ३७१ अन्नाग्रामों का ४/१६ वां भाग या मानक चांदी ४१६ अन्नाग्रामों के बराबर था।
बिरला भवन ( या बिरला हॉउस ), नई दिल्ली जहाँ पर ३०जन्वरी, १९४८ को गाँधी की हत्या की गयी का अधिग्रहण भारत सरकार ने १९७१ में कर लिया तथा १९७३ में गाँधी स्मृति के रूप में जनता के लिए खोल दिया. यह उस कमरे को संजोय हुए है जहाँ गाँधी ने अपने आख़िर के चार महीने बिताये और वह मैदान भी जहाँ रात के टहलने के लिए जाते वक्त उनकी हत्या कर दी गयी. एक शहीद स्तम्भ अब उस जगह को चिन्हित करता हैं जहाँ पर उनकी हत्या कर दी गयी थी.
थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसके नेत्रों से आंसुओं की झड़ी लग गई। उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया। देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे। घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की। तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए'।
विश्वकर्मा जी
संज्ञा में विभक्तियों का प्रयोग नहीं होता। वाक्य में संज्ञा का संबंध बताने के लिये सहायक शब्द या सहायक क्रियाएँ लगाई जाती हैं। ऊपर के वाक्य में "मैं" को प्रकट करने के लिये "वाताकुशि" में कोई रूपपरिवर्तन नहीं हुआ है। कर्ता कारक को व्यक्त करने के लिये सहायक शब्द "व" लगाया है। संज्ञा में लिंगभेद नहीं है, परंतु मनुष्य, जानवर आदि चेतन और अचेतन वस्तुओं में कुछ भेद है। संज्ञा के रूप में कोई भेद नहीं होता परंतु बाद में आनेवाली क्रिया में, एकवचन बहुवचन के रूप में भेद आ जाते हैं।
निर्देशांक: 21°13′41″N 74°08′32″E / 21.228, 74.1422 नंदुरबार भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है ।जिले का मुख्यालय नंदुरबार है। आदिवासी पावड़ा नृत्‍य के लिए प्रसिद्ध नंदुरबार महाराष्ट्र का एक नवगठित जिला है। इस जिले को धूले जिले से पृथक कर 1 जुलाई 1998 में गठित किया गया था। 5055 वर्ग किमी. में फैला यह जिला नंदुरबार, नवापुर, अक्कलकुवा, तलोदा और शहादा ताल्लुकों में बंटा हुआ है। यहां का तोरणमल हिल स्टेशन पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। साथ ही तोरणमल सिटी टेंपल, प्रकाश, दत्तात्रेय मंदिर, हिडिंबा का जंगल, मछिन्द्रनाथ गुफा, पुष्पदंतेश्वर मंदिर, चीनी मिल, वालहेरी तलोडा, सतपुड़ा की पहाड़ियां और अक्का रानी यहां के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग नियमित रूप से आते रहते हैं।
यूरोपीय संघ का भौगोलिक क्षेत्र 27 सदस्य देशों की भूमि है जिनमें कुछ अपवादीय स्थितियाँ शामिल हैं। यूरोपीय संघ का क्षेत्र पूरा यूरोप नहीं है चूँकि कुछ यूरोपीय देश जैसे स्वीटजरलैंड, नार्वे, एवं सोवियत रूस इसका हिस्सा नहीं हैं। कुछ सदस्य राष्ट्रों के भूमि क्षेत्र भी यूरोप का हिस्सा होते हुए भी संघ के भौगोलिक नक्शे में शामिल नहीं है, उदहारण के तौर पर चैनल एवं फरोर द्वीप के हिस्से। सदस्य देशों के वे हिस्से जो यूरोप का हिस्सा नहीं हैं वे भी यूरोपीय संघ की भौगोलिक सीमा से परे माने गये हैं:- जैसे ग्रीनलैंड, अरूबा, नीदरलैंड के कुछ हिस्से और ब्रिटेन के वे सारे क्षेत्र जो यूरोप का हिस्सा नहीं हैं। कुछ खास सदस्य देशों का भौगोलिक क्षेत्र जो यूरोप का अंग नहीं है, फिर भी उन्हें यूरोपीय संघ की भौगोलिक सीमा में शामिल माना गया है, उदहारण के तौर पर अजोरा, कैनरी द्वीप, फ्रेंच गुयाना, गुडालोप, मदेरिया, मार्तीनीक एवं रेयूनियोन.[२८][२९][३०]
यूनाइटेड किंगडम द्वितीय विश्व युद्ध के सहयोगियों में से एक थी. युद्ध के पहले वर्ष में अपने यूरोपीय सहयोगियों की हार के बाद, यूनाइटेड किंगडम ने जर्मनी के खिलाफ हवाई अभियान के युद्घ जारी रखा जिसे ब्रिटेन की लड़ाई कहा जाता है. इस जीत के बाद, लड़ाई के बाद की दुनिया की योजना में मदद करने वाली शक्तियों में से एक UK था. द्वितीय विश्व युद्ध ने यूनाइटेड किंगडम को आर्थिक रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया था.हालांकि, मार्शल सहायता और संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा दोनों से लिए महंगे ऋण ने ब्रिटेन की पुनः प्राप्ति में मदद करी.
आआआएस. अहमद खाँ : दि ईस्ट इंडिया ट्रेड इन द ट्वेल्फ़्थ सेंचुरी इन इट्स पोलिटिकल एेंड इकोनोमिक ऐस्पेक्ट्स; डब्ल्यु. फोस्टर : दि इंगलिश फैक्टरीज़ इन इंडिया 1618-1669 .
उर्दू फ़ारसी तथा अरबी के अतिरिक्त संस्कृत से भी जन्मी एक हिन्द आर्य भाषा है ।
पुर्तगाली गणराज्य यूरोप खंड में स्थित देश है । यह देश स्पेन के साथ आइबेरियन प्रायद्वीप बनाता है। इस राष्ट्र का भाषा पुर्तगाली भाषा है। इस राष्ट्र का राजधानी लिस्बन है।
ताप के बढ़ने के साथ साथ गैसों का श्यानता का गुणांक बढ़ता है। इसके संबंध में सदरलैंड (Sutherland) ने एक सूत्र दिया है, जो इस प्रकार है :
दूरदर्शन, एन. डी. टी. वी., बी.बी.सी.लंदन, रोज ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन,डरबन तथा मॉरिशस रेडियो पर साक्षात्कार। दूरदर्शन द्वारा फिल्म, ओ. एच. एम. नीदरलैण्ड द्वारा डॉक्यूमेन्टरी तैयार ।
उनके पिता का नाम मलिक राजे अशरफ़ बताया जाता है और कहा जाता है कि वे मामूली ज़मींदार थे और खेती करते थे। स्वयं जायसी का भी खेती करके जीविका-निर्वाह करना प्रसिद्ध है। जायसी ने अपनी कुछ रचनाओं में अपनी गुरु-परंपरा का भी उल्लेख किया है। उनका कहना है, सैयद अशरफ़, जो एक प्रिय संत थे मेरे लिए उज्ज्वल पंथ के प्रदर्शक बने और उन्होंने प्रेम का दीपक जलाकर मेरा हृदय निर्मल कर दिया।
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रुप में नियुक्त किया गया था। वो गोविंद बल्लभ पंत के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में प्रहरी एवं यातायात मंत्री बने। यातायात मंत्री के समय में उन्होनें प्रथम बार किसी महिला को संवाहक (कंडक्टर) के पद में नियुक्त किया। प्रहरी विभाग के मंत्री होने के बाद उन्होने भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए लाठी के जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारंभ कराया। 1951 में, जवाहर लाल नेहरु के नेतृत्व मे वह अखिल भारत काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किये गये। उन्होने 1952, 1957 व 1962 के चुनावों मे कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जिताने के लिए बहुत परिश्रम किया।
6 = ट ठ ड ढ ण 6 ड़ ढ़
पं. नेहरू का व्यक्तित्व यद्यपि राष्ट्रीय था परन्तु कश्मीर का प्रश्न आते ही वे भावुक हो जाते थे। इसीलिए जहां उन्होंने भारत में चौतरफा बिखरी ५६० रियासतों के विलय का महान दायित्व सरदार पटेल को सौंपा, वहीं केवल कश्मीरी दस्तावेजों को अपने कब्जे में रखा। ऐसे कई उदाहरण हैं जब वे कश्मीर के मामले में केन्द्रीय प्रशासन की भी सलाह सुनने को तैयार न होते थे तत्कालीन विदेश सचिव वाई.डी. गुणडेवीय का कथन था, "आप प्रधानमंत्री से कश्मीर पर बात न करें। कश्मीर का नाम सुनते ही वे अचेत हो जाते हैं।" प्रस्तुत लेख के लेखक का स्वयं का भी एक अनुभव है-१९५८ में मैं एक प्रतिनिधिमण्डल के साथ पं. नेहरू के निवास तीन मूर्ति गया। वहां स्कूल के बच्चों ने उनके सामने कश्मीर पर पाकिस्तान को चुनौती देते हुए एक गीत प्रस्तुत किया। इसमें "कश्मीर भला तू क्या लेगा?" सुनते ही पं. नेहरू तिलमिला गए तथा गीत को बीच में ही बन्द करने को कहा।
प्राकृतिक भूरचना की दृष्टि से इटली निम्नलिखित चार भागों में बाँटा जा सकता है :
भगवान पशुपतिनाथ का यह खूबसूरत मंदिर काठमांडु से करीब 5 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है। भागमती नदी के किनारे इस मंदिर के साथ और भी मंदिर बने हुए हैं। पशुपतिनाथ मंदिर के बारे में माना जाता है कि यह नेपाल में हिंदुओं का सबसे प्रमुख और पवित्र तीर्थस्थल है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर प्रतिवर्ष हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। गोल्फ कोर्स और हवाई अड्डे के पास बने इस मंदिर को भगवान का निवास स्थान माना जाता है।
वर्ष 1970 के मध्‍यंतर में भारतीय वैमानिकी क्षेत्र में एनएएल प्रमुख कर्ताधर्ता बन गया1 एनएएल को सीएसआईआर के एक उत्‍तम प्रबंधक राष्‍ट्रीय प्रयोगशालाएं, जिसने वांतरिक्ष क्षेत्र के सैकडों उच्‍च विज्ञान, उच्‍च प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं की जिम्‍मेदारी लिया, के रूप में मान्‍यता प्राप्‍त हुआ1 एनएएल के अ एवं वि प्रयास के तत्‍व हैं - उत्‍कृष्‍टता की ओर लक्ष्‍य, राष्‍ट्रीय रणनीति में अत्‍म-नर्भिरता, प्रौद्योगिकी प्रमाण (अधिकतर पाइलट प्‍लांट प्रदर्शन तत्‍व के माध्‍यम से) और उत्‍कृष्‍ट परीक्षण व सेवा सुवधिाओं का सृजन1 दख:द की बात है कि 1960 की प्रचण्‍ड सफलता के उपरांत 1970 की भारतीय वायुयान विकास कार्यविधियों में अवनति के कारण एनएएल की स्थिति ऐसी रही कि बहुत सुंदर एवं सजी हुई दुल्‍हन मगर जाएगी कहॉं1
१९६२ में भारत और श्रीलंका के बीच एक संधि हुई जिसके अंतर्गत अगले पंद्रह वर्षों में छः लाख तमिलों को भारत भेजा जाना था और पौने चार लाख तमिलों को श्रीलंका की नागरिकता देनी थी। लेकिन ये तमिल श्रीलंका से भारत नहीं लौटे। बिना नागरिकता, बिना अधिकार वे श्रीलंका में ही रहते रहे। वर्ष २००३ तक उन्हें श्रीलंका की नागरिकता नहीं मिली।
मत भिन्नता पर एक अपत्ति की जाती है कि जब कुरान इतनी ‎सिध्द पुस्तक है तो उसकी टीका में हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) से अब तक ‎विद्वानों में मत भिन्नता क्यों है।
कोटिन हूँ कलधौत के धाम करील के कुंजन वा पर वारौं।।
बाल ठाकरे ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि अमिताभ बच्चन एक खुले दिमाग वाला व्यक्ति है और महाराष्ट्र के लिए उनके मन में विशेष प्रेम है जिन्हें कई अवसरों पर देखा जा चुका है।इस अभिनेता ने अक्सर कहा है कि महाराष्ट्र और खासतौर पर मुंबई ने उन्हें महान प्रसिद्धि और स्नेह दिया है। .उन्होंने यह भी कहा है कि वे आज जो कुछ भी हैं इसका श्रेय जनता द्वारा दिए गए प्रेम को जाता है। मुंबई के लोगों ने हमेशा उन्हें एक कलाकार के रूप में स्वीकार किया है। उनके खिलाफ़ इस प्रकार के संकीर्ण आरोप लगाना नितांत मूर्खता होगी। दुनिया भर में सुपर स्टार अमिताभ है .दुनिया भर के लोग उनका सम्मान करते हैं। इसे कोई भी नहीं भुला सकता है। अमिताभ को इन घटिया आरोपों की उपेक्षा करनी चाहिए और अपने अभिनय पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।"[५०] कुछ रिपोर्टों के अनुसार अमिताभ की राज के द्वारा की गई गणना के अनुसार जिनकी उन्हें तारीफ करते हुए बताया जाता है, को बड़ी निराश हुई जब उन्हें अमिताभ के बेटे अभिषेक की ऐश्वर्या के साथ विवाह में आमंत्रित नहीं किया गया जबकि उनके रंजिशजदा चाचा बाल और चचेरे भाई उद्धव[४७][४८] को आमंत्रित किया गया था।
भारत की प्राचीन आदशॅ नारियाँ
अलंकार- रीतिकालीन प्रभाव के कारण हरिऔध जी अलंकार प्रिय है, किंतु उनकी कविता-कामिनी अलंकारों से बोझिल नहीं है। उनकी कविता में जो भी अलंकार हैं, वे सहज रूप में आ गए हैं और रस की अभिव्यक्ति में सहायक सिद्ध हुए हैं। हरिऔध जी ने शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों ही को सफलता पूर्वक प्रयोग किया है। अनुप्रास, यमक, उपमा उत्प्रेक्षा, रूपक उनके प्रिय अलंकार हैं।
प्रथम समिति- उद्योग शिल्पों का निरीक्षण करता था ।
किशन महाराज को वर्ष 2002 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें वर्ष 1973 में पद्मश्री, वर्ष 1984 में केन्द्रीय संगीत नाटक पुरस्कार, वर्ष 1986 में उस्ताद इनायत अली खान पुरस्कार, दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार और ताल विलास के अलावा उत्तरप्रदेश रत्न, उत्तरप्रदेश गौरव भोजपुरी रत्न, भागीरथ सम्मान और लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से भी नवाजा गया।
• तरुण मजूमदार
पिछले कुछ सालों में गाज़ियाबाद में कई सारे शॉपिंग मॉल एवं सिनेमा हॉल खुल गये हैं। इनमें बेहतरीन रेस्तरां एवं छविगृह हैं। इनमें से कुछ यहाँ नीचे दिये गए हैं।
डी-180, सेक्टर-10, नोएड़ा उत्तरप्रदेश
राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिलापुरी के वन उपवन आदि देखने के लिये निकले तो उन्होंने एक उपवन में एक निर्जन स्थान देखा। राम बोले, "भगवन्! यह स्थान देखने में तो आश्रम जैसा दिखाई देता है किन्तु क्या कारण है कि यहाँ कोई ऋषि या मुनि दिखाई नहीं देते?"
शिव पुराण मे शिव जी के बारे मे विस्तार से लिखा है। इसमे शिव जी के अवतार आदि विस्तार से लिखित है।
यह मकबरा मुगलकालीन है। यह मेरठ के ओल्ड शाहपुर गेट के निकट स्थित है। शाहपीर मकबरे के निकट ही लोकप्रिय सूरज कुंड स्थित है।
ज्वालामुखी मंदिर के संबंध में एक कथा काफी प्रचलित है। ध्यानुभक्त माता जोतावाली का परम भक्त था। एक बार देवी के दर्शन के लिए वह अपने गांववासियो के साथ ज्वालाजी के लिए निकला। जब उसका काफिला दिल्ली से गुजरा तो मुगल बादशाह अकबर के सिपाहियों ने उसे रोक लिया और राजा अकबर के दरबार में पेश किया। अकबर ने जब ध्यानु से पूछा कि वह अपने गांववासियों के साथ कहां जा रहा है तोउत्तर में ध्यानु ने कहा वह जोतावाली के दर्शनो के लिए जा रहे है। अकबर ने कहा तेरी मां में क्या शक्ति है और वह क्या-क्या कर सकती है? तब ध्यानु ने कहा वह तो पूरे संसार की रक्षा करने वाली हैं। ऐसा कोई भी कार्य नही है जो वह नहीं कर सकती है। अकबर ने ध्यानु के घोड़े का सर कटवा दिया और कहा कि अगर तेरी मां में शक्ति है तो घोड़े के सर को जोड़कर उसे जीवित कर दें। यह वचन सुनकर ध्यानु देवी की स्तुति करने लगा और अपना सिर काट कर माता को भेट के रूप में प्रदान किया। माता की शक्ति से घोड़े का सर जुड गया। इस प्रकार अकबर को देवी की शक्ति का एहसास हुआ। बादशाह अकबर ने देवी के मंदिर में सोने का छत्र भी चढाया। यह छत्र आज भी मंदिर में मौजूद है।
ॐ तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत् । पश्येम शरदः शतं, जीवेम शरदः शत , शृणुयाम शरदः शतं, प्र ब्रवाम शरदः शतमदीनाः, स्याम शरदः शतं, भूयश्च शरदः शतात् । -३६.२४
आओ इसे शत्रुओं के विरुद्ध चमकने दें,
मीमांसा दर्शन में भारतवर्ष के मुख्य प्राणधन धर्म का वर्णाश्रम व्यवस्था, आधानादि, अश्वमेधांत आदि विचारों का विवेचन किया गया है।
सपने कहाँ गए (स्वाधीनता संग्राम पर आधारित पुस्तक)
निर्देशांक: 38°54′00″N 77°2′39″W / 38.9, -77.04417
उपनिषद् ब्रह्म विद्या का द्योतक है। कहते हैं इस विद्या के अभ्यास से मुमुक्षुजन की अविद्या, नष्ट हो जाती है (विवरण); वह ब्रह्म की प्राप्ति करा देती है (गति); जिससे मनुष्यों के गर्भवास आदि सांसारिक दु:ख सर्वथा शिथिल हो जाते हैं (अवसादन) । फलत: उपनिषद् वे ‘तत्त्व’ प्रतिपादक ग्रंथ माने जाते हैं जिनके अभ्यास से मनुष्य को ब्रह्म अथवा परमात्मा का साक्षात्कार होता है।
आकाशवाणी विदेश सेवा प्रभाग का विश्‍व के विदेशी रेडियो नेटवर्क में ऊंचा स्‍थान है। यह 100 देशों के लिए 27 भाषाओं जिनमें 16 विदेशी तथा 11 भारतीय हैं, में रोजाना 70 घंटे 30 मिनट का प्रसारण करता है। आकाशावाणी अपने विदेशी प्रसारणों से विदेशी श्रोताओं को खुले समाज के रूप में भारत के विचारों और उपलब्धियों को उजागर कर भारत के संस्‍कार और भारतीय वस्‍तुओं से जोड़े रखता है।
चूंकि उपर्युक्त समस्याएं आज भी वर्तमान हैं, इसलिए आश्चर्य नहीं की यह उच्छृंखलतावाद, भोगवाद, निराशावाद एवं अन्य पतानोन्मुखी वृत्तियाँ आज भी हिन्दी साहित्य के कई रचनाकारों एवं आलोचकों में पर्याप्त प्रबल हैं. आश्चर्य नहीं कि नरेन्द्र कोहली का निर्माणोन्मुखी एवं आदर्शवादी साहित्य उनके लिए विस्मय, उपेक्षा एवं भय का विषय है।
रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डर्स ने अपने 2007 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक, पर बेल्जियम को (फिनलैंड और स्वीडन के साथ) 169 देशों में 5वें स्थान पर रखा.[३२]
Fishing boats at the Port of Karachi.
बीजिंग, शांघाई, चोंगिंग, त्यांजिन
(3) अन्वयव्यतिरेक- जब लिंग और साध्य का सहअस्तित्व और सहअभाव दोनों ही अनुभव में आते हों। आँग्ल तर्कशास्त्री जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपने ग्रंथों में आगमन की पाँच प्रक्रियाओं का विशद वर्णन किया है। आजकल की वैज्ञानिक खोजों में उन सबका उपयोग होता है।
आत्मज्ञान की प्राप्ति
फोन पर हिन्दी साइटों को देखने हेतु ऑपेरा मिनी तथा ऑपेरा मोबाइल मुफ्त एवं बेहतरीन ब्राउज़र हैं। यह यूनिकोड समर्थन युक्त हिन्दी मित्र ब्राउजर हैं। इनका मुफ्त संस्करण फोन के ब्राउजर से http://m.opera.com पर जाकर डाउनलोड किया जा सकता है। यह हिन्दी साइटों और चिट्ठों को सही तरीके से दिखाने के अलावा वॅबसाइटों को मोबाइल स्क्रीन के हिसाब से संपीड़ित करके भी दिखाता है ताकि उन्हें फोन की छोटी स्क्रीन पर आसानी से पढ़ा जा सके। इसके अलावा भी इनमें बहुत सी फीचर हैं जो कि फोन के डिफॉल्ट ब्राउज़र में नहीं होती। ऑपेरा मोबाइल हिन्दी समर्थन के मामले में बेहतर है, यदि फोन में हिन्दी का फॉण्ट हो तो यह हिन्दी साइटों के केवल कुछ संयुक्ताक्षर छोड़कर सही तरीके से दिखाता है। ऑपेरा मिनी लगभग हर फोन प्लेटफॉर्म के लिये उपलब्ध है जबकि ऑपेरा मोबाइल केवल सिम्बियन (S60) तथा विण्डोज़ मोबाइल के लिये उपलब्ध है।
बंगलौर विमानक्शःएत्र सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बंगलौर सेंट्रल रेल स्टेशन से करीब 3० किलोमी. की दूरी पर स्थित है। कई प्रमुख शहरों जैसे कलकत्ता, मुम्बई, दिल्ली, हैदराबाद, चैन्नई, अहमदाबाद, गोवा, कोच्ची, मंगलूर, पुणे और तिरूवंतपुरम से यहां के लिए नियमित रूप से उड़ानें भरी जाती है। अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी इसी एयरपोर्ट से निकलती हैं।
19वीं शताब्दी के उदारवादी और कैथोलिक दलों की विशिष्टताओं से यक्त बेल्जियम के राजनैतिक परिदृश्य की दोहरी संरचना को प्रतिबिंबित करते हुए, शिक्षा प्रणाली को एक धर्मनिरपेक्ष और एक धार्मिक वर्ग के बीच पृथक किया गया है. स्कूली शिक्षा की धर्मनिरपेक्ष शाखा का नियंत्रण समुदायों, प्रांतों, या नगर पालिकाओं द्वारा किया जाता है, जबकि धार्मिक का, मुख्य रूप से कैथोलिक शाखा शिक्षा का प्रबंधन धार्मिक अधिकारियों द्वारा होता है, यद्यपि यह समुदायों द्वारा सब्सिडी प्राप्त और उनकी निगरानी होती है.[७५]
अलसी में दूसरा महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व लिगनेन होता है। अलसी लिगनेन कासबसे बड़ा स्रोत हैं। अलसी में लिगनेन अन्य खाद्यान्नों से कई सौ गुनाज्यादा होते हैं। लिगनेन एन्टीबैक्टीरियल, एन्टीवायरल, एन्टी फंगल औरकैंसर रोधी है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। लिगनेन कॉलेस्ट्रोल कमकरता है और ब्लड शुगर नियंत्रित रखता है। लिगनेन सचमुच एक सुपर स्टार पोषकतत्व है। लिगनेन पेड़ पौधों में ईस्ट्रोजन यानी महिला हारमोन के तरह कार्यकरता है। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ईस्ट्रोजन का स्त्राव कम हो जाताहै और महिलाओं को कई परेशानियां जैसे हॉट फ्लेशेज़, ओस्टियोपोरोसिस आदिहोती हैं। लिगनेन इन सबमें बहुत राहत देता है। लिगनेन मासिक धर्म संबंधीअनियमितताएं ठीक करता है।
उर्दू साहित्य में चार पंक्तियों की उस कविता को रुबाइ कहते हैं जिनमें एक ही विचार प्रकट किया गया हो। इनमें हर प्रकार के विचार लाए जा सकते हैं। पर प्रायः इसमें लाए जाने वाले विचार दार्अशनिक होते हैं।
मध्यकाल में कई अफ़ग़ान शासकों ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया या करने का प्रयत्न किया जिनमें लोदी वंश का नाम प्रमुख है। इसके अलावा भी कई मुस्लिम आक्रमणकारियों ने अफगान शाहों की मदद से हिन्दुस्तान पर आक्रमण किया था जिसमें बाबर, नादिर शाह तथा अहमद शाह अब्दाली शामिल है। अफ़गानिस्तान के कुछ क्षेत्र दिल्ली सल्तनत के अंग थे।
श्री सत्यव्रत
कबीर की वाणी का संग्रह 'बीजक' के नाम से प्रसिद्ध है। इसके तीन भाग हैं- रमैनी, सबद और साखी यह पंजाबी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूरबी, ब्रजभाषा आदि कई भाषाओं की खिचड़ी है।कबीर परमात्मा को मित्र, माता, पिता और पति के रूप में देखते हैं।यही तो मनुष्य के सर्वाधिक निकट रहते हैं।
टीपू पैलेस व किला बंगलूरू के प्रसिद्व पर्यटन स्थलों में से है। इस महल की वास्तुकला व बनावट मुगल जीवनशैली को दर्शाती है। इसके अलावा यह किला अपने समय के इतिहास को भी दर्शाता है। टीपू महल के निर्माण का आरंभ हैदर अली ने करवाया था। जबकि इस महल को स्वयं टीपू सुल्तान ने पूरा किया था।
नगर में अनुशासन बनाये रखने के लिए तथा अपराधों पर नियन्त्रण रखने हेतु पुलिस व्यवस्था थी जिसे रक्षित कहा जाता था ।
1471–1550  Arzila (Asilah)
Mydeathandme@gmail.com
पाण्डु महाराज विचित्र वीर्य के अम्बालिका से उत्पन्न पुत्र थे. महर्षि व्यास के डर से अम्बालिका का मुख पीला पद गया था इसी से ये पाण्डु रोग से ग्रस्त पैदा हुए और इनका नाम पाण्डु पड़ा. धृतराष्ट के अंधे होने की वजह से ये राजा बने. ऋषि कंदम के श्राप से ये पुत्र प्राप्ति में असमर्थ थे इसलिए ये अपनी दोनों पत्नियों कुंती और माद्री के साथ वन चले गए. वहां कुंती और माद्री द्वारा महर्षि दुर्वासा के दिए मंत्र के प्रभाव से पांच पांडवो का जन्म हुआ. भूलवश माद्री के साथ समागम करने से श्राप के प्रभाव से इनकी असमय मृत्यु हो गयी.
नवपाषाण युग का अन्त होते होते धातुओं का प्रयोग शुरू हो गया था । ताम्र पाषाणिक युग में तांबा तथा प्रस्तर के हथियार ही प्रयुक्त होते थे । इस समय तक लोहा या कांसे का प्रयोग आरम्भ नहीं हुआ था । भारत में ताम्र फाषाण युग की बस्तियां दक्षिण पूर्वीराजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिमी महाराष्ट्र तथा दक्षिण पूर्वी भारत में पाई गई है ।
ও মা, ,
बाइबिल कुल मिलाकर 72 ग्रंथों का संकलन है - पूर्वविधान में 45 तथा नवविधान में 27 ग्रंथ हैं।
भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1885) को हिन्दी-साहित्य के आधुनिक युग का प्रतिनिधि माना जाता है. उन्होंने कविवचन सुधा, हरिश्चन्द्र मैगजीन और हरिश्चंद्र पत्रिका निकाली. साथ ही अनेक नाटकों की रचना की. उनके प्रसिध्द नाटक हैं- चंद्रावली, भारत दुर्दशा, अंधेर नगरी. ये नाटक रंगमंच पर भी बहुत लोकप्रिय हुए. इस काल में निबंध नाटक उपन्यास तथा कहानियों की रचना हुई. इस काल के लेखकों में बालकृष्ण भट्ट, प्रताप नारायण मिश्र, राधा चरण गोस्वामी, उपाध्याय बदरीनाथ चौधरी प्रेमघन, लाला श्रीनिवास दास, बाबू देवकी नंदन खत्री, और किशोरी लाल गोस्वामी आदि उल्लेखनीय हैं. इनमें से अधिकांश लेखक होने के साथ साथ पत्रकार भी थे. श्रीनिवासदास के उपन्यास परीक्षागुरू को हिन्दी का पहला उपन्यास कहा जाता है. कुछ विद्वान श्रद्धाराम फुल्लौरी के उपन्यास भाग्यवती को हिन्दी का पहला उपन्यास मानते हैं. बाबू देवकीनंदन खत्री का चंद्रकांता तथा चंद्रकांता संतति आदि इस युग के प्रमुख उपन्यास हैं. ये उपन्यास इतने लोकप्रिय हुए कि इनको पढने के लिये बहुत से अहिंदी भाषियों ने हिंदी सीखी. इस युग की कहानियों में शिवप्रसाद सितारे हिन्द की राजा भोज का सपना महत्त्वपूर्ण है.
त्रिपुर सुन्दरी मन्दिर जबलपुर शहर से करीब १४ कि.मी. कि दूरी पर भेडाघाट रोड पर "हथियागड" नाम के स्थान में स्तिथ है, मन्दिर के अन्दर माता महाकाली, माता महालछ्मी, और माता सरस्वती की विशाल मुर्ती स्थापित है . कहा जाता रहा है कि राजा "करन" जो कि हथियागड के राजा थे वे देवी के सामने खौलते हुये तेल के कडाहे मे स्वयं को समर्पित कर देते थे और देवी प्रसन्न होकर उन्हें (राजा को) उनके वजन के बराबर सोना आशीर्वाद के रूप मे देती थीं.
यह दरगाह सूफी संत तवक्कल मस्तान की है। इस दरगाह में मुस्लिम व गैर-मुस्लिम दोनों ही श्रद्धालु आते हैं।
यूरोपियन संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यत: यूरोप में स्थित 27 देशों का एक राजनैतिक एवं एवं आर्थिक मंच है जिनमें आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रो पर लागू होती है। इसका अभ्युदय 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपिय आर्थिक परिषद के माध्यम से छह यूरोपिय देशों की आर्थिक भागीदारी से हुआ था। तब से इसमें सदस्य देशों की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती रही और इसकी नीतियों में बहुत से परिवर्तन भी शामिल किये गये। 1993 में मास्त्रिख संधि द्वारा इसके आधुनिक वैधानिक स्वरूप की नींव रखी गयी। दिसंबर 2007 में लिस्बन समझौता जिसके द्वारा इसमें और व्यापक सुधारों की प्रक्रिया 1 जनवरी 2008 से शुरु की गयी है।
हुमायूं ने अपनी पत्नी के साथ मकरन के खुरदुरे इलाकों को पार किया, लेकिन यात्रा की निठरता से बचाने के लिए अपने शिशु बेटे जलालुद्दीन को पीछे छोड़ गए.जलालुद्दीन को बाद के वर्षों में अकबर के नाम से बेहतर जाना गया था, वे सिंध के राजपूत शहर उमेरकोट में पैदा हुए जहाँ उनके चाचा अस्करी ने उन्हें पाला.वहाँ वे मैदानी खेल, घुड़सवारी, और शिकार करने में उत्कृष्ट बने, और युद्ध की कला सीखी.तब पुनस्र्त्थानशील हुमायूं ने दिल्ली के आसपास के सेंट्रल पठार पर कब्ज़ा किया, लेकिन महीनों बाद एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई, जिससे वे दायरे को अस्थिर और युद्ध में छोड़ गए.
কি আঁচল বিছায়েছ,
गुम्फा का शब्दिक अर्थ गुफा होता है। सीता गुम्फा पंचवटी में पांच बरगद के पेड़ के समीप स्थित है। यह नाशिक का एक अन्य प्रमुख आकर्षण जगह है। इस गुफा में प्रवेश करने के लिए संकरी सीढ़ियों से गुजरना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने सीताहरण इसी जगह से किया था।
प्राचीन हिंदू व्यवस्था में वर्ण व्यवस्था और जाति का विशेष महत्व था। चार प्रमुख वर्ण थे - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। पहले यह व्यवस्था कर्म प्रधान थी। अगर कोइ सेना में काम करता था तो वह क्षत्रिय हो जाता था चाहे उसका जन्म किसी भी जाति में हुआ हो।
भारत (और आधुनिक पाकिस्तानी क्षेत्र) की सिन्धु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के कई निशान मिलते हैं। इनमें एक अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ, शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ, लिंग, पीपल की पूजा, इत्यादि प्रमुख हैं। इतिहासकारों के एक दृष्टिकोण के अनुसार इस सभ्यता के अन्त के दौरान मध्य एशिया से एक अन्य जाति का आगमन हुआ, जो स्वयं को आर्य कहते थे, और संस्कृत नाम की एक हिन्द यूरोपीय भाषा बोलते थे। एक अन्य दृष्टिकोण के अनुसार सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग स्वयं ही आर्य थे और उनका मूलस्थान भारत ही था। आर्यों की सभ्यता को वैदिक सभ्यता कहते हैं। पहले दृष्टिकोण के अनुसार लगभग १७०० ईसा पूर्व में आर्य अफ़्ग़ानिस्तान, कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में बस गये। तभी से वो लोग (उनके विद्वान ऋषि) अपने देवताओं को प्रसन्न करने के लिये वैदिक संस्कृत में मन्त्र रचने लगे। पहले चार वेद रचे गये, जिनमें ऋग्वेद प्रथम था। उसके बाद उपनिषद जैसे ग्रन्थ आये। बौद्ध और जैन धर्मों के अलग हो जाने के बाद वैदिक धर्म मे काफ़ी परिवर्तन आया। नये देवता और नये दर्शन उभरे। इस तरह आधुनिक हिन्दू धर्म का जन्म हुआ। दूसरे दृष्टिकोण के अनुसार हिन्दू धर्म का मूल कदाचित सिन्धु सरस्वती परम्परा (जिसका स्रोत मेहरगढ की ६५०० ईपू संस्कृति में मिलता है) से भी पहले की भारतीय परम्परा में है। निरुक्त
8.
रामकुंड गोदावरी नदी पर स्थित है, जो असंख्य तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां भक्त स्नान के लिए आते हैं। यह माना जाता है कि जब भगवान श्री राम नासिक आए थे तो उन्होंने यही स्नान किया था। यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
एक ब्राह्मण के गले में द्रौपदी को वरमाला डालते देख समस्त क्षत्रिय राजा-महाराजा एवं राजकुमारों ने क्रोधित हो कर अर्जुन पर आक्रमण कर दिया। पाण्डवों तथा क्षत्रिय राजाओं में घमासान युद्ध होने लगा।
कार्बी पीपुल्स फ्रंट (केपीएफ)
मणि रत्नम की फ़िल्म गुरु , 2007 में बालन की पहली फ़िल्म थी जिसमें वह एक अपाहिज (disability) की भूमिका में थी , को आलोचकों द्वारा काफी सराहा गया Iइस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस[८] पर बहुत अच्छा किया और उसके अभिनय के लिए उन्हें सराहा गया I[९]उनकी बाद की दो प्रदर्शित फिल्में, Salaam-e-Ishq: A Tribute To Love(2007) और Eklavya: The Royal Guard (2007) हांलांकि ज्यादा चली नहीं[८] लेकिन दूसरी फ़िल्म को ऑस्कर की (India's official entries to the Oscars) 80 वीं अकादमी पुरस्कार के लिए भारत की ग्द्र्ग्ग्थ्व्॑व्॑वे ओर से नामित किया गया.[१०] साल के दो रिलीज में हे बेबी (Heyy Babyy) (2007) और भूल भूलैया (Bhool Bhulaiyaa) (2007) ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा किया.[८]
हिन्दु धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से कियी था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है।
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गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों की शिक्षा पूरी होने पर हस्तिनापुर में एक रंगभूमि का आयोजन करवाया। रंगभूमि में अर्जुन विशेष धनुर्विद्या युक्त शिष्य प्रमाणित हुआ। तभी कर्ण रंगभूमी में आया और अर्जुन द्वारा किए गए करतबों को पार करके उसे द्वंद्वयुद्ध के लिए ललकारा। कब कृपाचार्य ने कर्ण के द्वंद्वयुद्ध को अस्वीकृत कर दिया और उससे उसके वंश और साम्राज्य के विषय में पूछा - क्योंकि द्वंद्वयुद्ध के नियमों के अनुसार केवल एक राजकुमार ही अर्जुन को, जो हस्तिनापुर का राजकुमार था, द्वंद्वयुद्ध के लिए ललकार सकता था। तब कौरवों मे सबसे ज्येष्ठ दुर्योधन ने कर्ण को अंगराज घोषित किया जिससे वह अर्जुन से द्वंदयुद्ध के योग्य हो जाए। जब कर्ण ने दुर्योधन से पूछा कि वह उससे इसके बदले में क्या चाहता है, तब दुर्योधन ने कहा कि वह केवल ये चाहता है कि कर्ण उसका मित्र बन जाए।
जिले का मुख्यालय बलरामपुर है ।
सूर्य और ध्रुव के बीच जो चौदह लाख योजन का अन्तर है, उसे स्वर्लोक कहते हैं।
भगवान शंकरजी की प्रेरणा से रामशैल पर रहनेवाले श्री अनन्तानन्द जी के प्रिय शिष्य श्रीनरहर्यानन्द जी (नरहरि बाबा) ने इस बालक को ढूँढ़ निकाला और उसका नाम रामबोला रखा। उसे वे अयोध्या ( उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक जिला है।) ले गये और वहाँ संवत्‌ १५६१ माघ शुकला पञ्चमी शुक्रवार को उसका यज्ञोपवीत-संस्कार कराया। बिना सिखाये ही बालक रामबोला ने गायत्री-मन्त्र का उच्चारण किया, जिसे देखकर सब लोग चकित हो गये। इसके बाद नरहरि स्वामी ने वैष्णवों के पाँच संस्कार करके रामबोला को राममन्त्र की दीक्षा दी और अयोध्या ही में रहकर उन्हें विद्याध्ययन कराने लगे। बालक रामबोला की बुद्धि बड़ी प्रखर थी। एक बार गुरुमुख से जो सुन लेते थे, उन्हें वह कंठस्थ हो जाता था। वहाँ से कुछ दिन बाद गुरु-शिष्य दोनों शूकरक्षेत्र (सोरों) पहुँचे। वहाँ श्री नरहरि जी ने तुलसीदास को रामचरित सुनाया। कुछ दिन बाद वह काशी चले आये। काशी में शेषसनातन जी के पास रहकर तुलसीदास ने पन्द्रह वर्ष तक वेद-वेदांग का अध्ययन किया। इधर उनकी लोकवासना कुछ जाग्रत्‌ हो उठी और अपने विद्यागुरु से आज्ञा लेकर वे अपनी जन्मभूमि को लौट आये। वहाँ आकर उन्होंने देखा कि उनका परिवार सब नष्ट हो चुका है। उन्होंने विधिपूर्वक अपने पिता आदि का श्राद्ध् किया और वहीं रहकर लोगों को भगवान राम की कथा सुनाने लगे।
Western यूरोप:Austria • Belgium • British Crown Dependencies • Denmark • Faroe Islands (Denmark) • Finland • France • Germany • Gibraltar (United Kingdom) • Greece • Iceland • Ireland • Italy • Luxembourg • Malta • Monaco • Netherlands • Norway • Portugal • Spain • Sweden • Switzerland • United Kingdom of Great Britain and Northern IrelandCentral यूरोप:Czech Republic • Hungary • Poland • Slovakia • SloveniaEastern यूरोप (including all of Russia and Turkey):Albania • Belarus • Bosnia and Herzegovina • Bulgaria • Croatia • Cyprus • Estonia • Latvia • Lithuania • Macedonia, Former Yugoslav Republic of • Moldova, Republic of • Montenegro • Romania • Russian Federation • Serbia • Turkey • Ukraine
पुरानी बँगला में कोई बड़ा प्रबंध काव्य रचा गया हो, इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। उस समय ऐसी रचनाएँ बंगाल में भी प्राय: अपभ्रंश में ही होती थीं। जो हो, मिथिला (बिहार) के प्रसिद्ध कवि विद्यापति ने जब प्रसिद्ध ऐतिहासिक काव्य (कीर्तिलता) की रचना की (लगभग 1,410 ई.) तब उन्होंने भी इसका प्रणयन अपनी मातृभाषा मैथिली में न कर अपभ्रंश में ही किया, यद्यपि बीच-बीच में इसमें मैथिल शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। 15वीं शती तथा विशेष रूप से 16वीं शती से ही बड़े प्रबंध काव्यों एवं वर्णनात्मक रचनाओं का निर्माण प्रारंभ हुआ, उदाहरणार्य आदर्श नारी बिहुला और उसके पति लखीधर की कथा, कालकेतु और फुल्लरा का कथानक, इत्यादि।
से अधिक अंतर ना हो पंरपरानुसार संसद के तीन नियमित सत्रॉ तथा विशेष सत्रों मे आयोजित की जाती है
1 नवंबर 2006 से आधिकारिक रूप से इस शहर का नाम बदलकर बेंगळूरु कर दिया गया है ।
आदि शंकराचार्य, जिन्हें शंकर भगवद्पादाचार्य के नाम से भी जाना जाता है, वेदांत के अद्वैत मत के प्रणेता थे। उनके विचारोपदेश आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित हैं जिसके अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरूपों में रहता है। स्मार्त संप्रदाय में आदि शंकराचार्य को शिव का अवतार माना जाता है।
नगर के कार्यक्षेत्र का एक बड़ा भाग केन्द्र एवं राज्य सरकारी कर्मचारी बनाते हैं। मुंबई में एक बड़ी मात्रा में कुशल तथा अकुशल व अर्ध-कुशल श्रमिकों की शक्ति है, जो प्राथमिकता से अपना जीवन यापन टैक्सी-चालक, फेरीवाले, यांत्रिक व अन्य ब्लू कॉलर कार्यों से करते हैं। पत्तन व जहाजरानी उद्योग भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से ढ़ेरों कर्मचारियों को रोजगार देता है। नगर के धारावी क्षेत्र में, यहां का कूड़ा पुनर्चक्रण उद्योग स्थापित है। इस जिले में अनुमानित १५,००० एक-कमरा फैक्ट्रियां हैं।[३२]
भारतीय कंसर्ट बांसुरी मानक स्वरबद्ध लहरियों (पिचों)पर उपलब्ध हैं. कर्नाटक संगीत में इन स्वरबद्ध लहरियों को नंबर के द्वारा जाना जाता है जैसे कि (सी को स्वर मानते हुये) 1 (सी के लिये), 1-1/2 (सी#), 2 (डी), 2-1/2 (डी#), 3 (ई), 4 (एफ), 4-1/2 (एफ#), 5 (जी), 5-1/2 (जी#), 6 (ए), 6-1/2 (ए#) एवं 7(बी). हालांकि किसी रचना का स्वर अपने आप में नियत नहीं है अतः कंसर्ट के लिये किसी भी बांसुरी का प्रयोग किया जा सकता है (जब तक कि संगत वाद्ययंत्र,यदि हो, भलीभांति स्वर बद्ध न हो जाये) एवं यह मुख्यतः कलाकार की व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है.[उद्धरण वांछित]
4.
यहूदियों के लिए साखालिन के पास एक स्वायत्त राज्य स्तालिन के समय से बना हुआ है ।
टर्की के पूर्व में पॉण्टस तथा टॉरस पर्वतश्रेणियाँ मिलकर आरमीनिया के पहाड़ी भाग का निर्माण करती हैं। यहीं से दजला और फरात नदियाँ निकलती हैं। उत्तर और दक्षिण की ओर से पहाड़ी श्रेणियाँ मध्य के पठार को घेरती हैं। दक्षिण की ओर टॉरस की क्षेणी कुर्दिस्तान तथा उत्तर की ओर पॉण्टस की श्रेणी कारावाग, इस भाग को घेरे हुए हैं। ज्वालामुखी पर्वत तथा लाबा के विस्तार से धरातल और भी ऊँचा नीचा हो गया है। ऊँचाई के कारण यह भाग अधिक ठंडा रहता है और बहुत से दरें वर्ष में करीब आठ महीने तक बर्फ से ढके रहते हैं। पूर्व की ओर अरादार ज्वालामुखी पर्वत (19,916 फुट) टर्की, ईरान और रूस की सीमा पर स्थित है। कृषि की अपेक्षा चरागाही इस क्षेत्र में अधिक महत्वपूर्ण है।
धर्मशाला में ओक, सेदार, पाइन और इमारती लकड़ी देने वाले पेड़ बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं और यहां उत्‍कृष्‍ट दृश्‍यों के साथ कुछ मनोहारी रास्‍ते हैं। भारत के ब्रिटिश वाइसराय (1862-63) लॉड एल्गिन को धर्मशाला की प्राकृतिक सुंदरता इंग्‍लैंड में स्थित उनके अपने घर स्‍कॉटलैंड के समान लगती थी।
भारत में टेलिविज़न प्रसारण का प्रारम्भ १५ सितंबर, १९५९ में हुआ जब एक प्रायोगिक परियोजना के रुप में दिल्ली में टी.वी केन्द्र खोला गया तथा दूरदर्शन नाम से सरकारी टीवी चैनल की नींव पड़ी। दूरदर्शन में सेटेलाइट तकनीक का प्रयोग १९७५-१९७६ में प्रारम्भ हुआ।
विश्व के विभिन्न देशों में (इसराइल, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमरीका, कनाडा, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि) जहाँ कहीं भी भूतपूर्व सोवियत संघ या रूस के प्रवासी बसे हुए हैं, वहाँ कई जगहों पर रूसी पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं, रूसी भाषा में रेडियो और दूरदर्शन काम करते हैं तथा स्कूलों में रूसी सिखाई जाती है। कुछ वर्ष पहले तक पूर्वी यूरोपियाई देशों के स्कूलों में रूसी भाषा विदेशी भाषा के रूप में पढ़ाई जाती थी। कुल मिला कर विश्व में रूसी भाषा बोलने वालों की संख्या ३० - ३५ करोड़ है, जिस में से 16 करोड़ लोग इसे अपनी मातृभाषा मानते हैं। इसके आधार पर रूसी संसार की भाषाओं में पाँचवे स्थान पर है और वह सँयुक्त राष्ट्र (UN) की ५ आधिकारिक भाषाओं में से एक है।
-सिंचाई नाली भूमि की सतह से ऊपर बनाई जाये, जो आधार पर 30 सेमी गहरी तथा शीर्ष पर 120 सेमी हो |
२६ दिसंबर २००४ को सुनामी लहरों के कहर से इस द्वीप पर ६००० से ज्यादा लोग मारे गये।
डांडी पौहा डांडी पौहा गोल घेरे में खेला जाने वाला स्पर्द्धात्मक खेल है । गली में या मैदान में लकड़ी से गोल घेरा बना दिया जाता है । खिलाड़ी दल गोल घेरे के भीतर रहते है । एक खिलाड़ी गोले से बाहर रहता है । खिलाड़ियों के बीच लय बद्ध गीत होता है । गीत की समाप्ति पर बाहर की खिलाड़ी भीतर के खिलाड़ी किसी लकड़े के नाम लेकर पुकारता है । नाम बोलते ही शेष गोल घेरे से बाहर आ जाते है और संकेत के साथ बाहर और भीतर के खिलाड़ी एक दुसरे को अपनी ओर करने के लिए बल लगाते है, जो खींचने में सफल होता वह जीतता है । अंतिम क्रम तक यह स्पर्द्धा चलता है । गीत इस प्रकार है -
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।
29 साल की तेजस्विनी ने रूसी निशानेबाज मरीना बोबकोवा के 12 साल पुराने रिकॉर्ड की बराबरी की। इसके बाद उन्हें हथियार बनाने वाली प्रसिद्ध कंपनी वाल्दनर ने अनुबंधित कर लिया। इस तरह पैसों की उनकी किल्लत दूर होने के कुछ आसार तो बन गए हैं।
वैद्य बृहस्पतिदेव त्रिगुण भारत सरकार ने १९९२ में [[ ]] के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये दिल्ली से हैं।
अधिकतर रुप से आइएऍसटी ISO 15919 का एक उपसमुच्चय है। निम्नलिखित पाँच अपवाद The following five exceptions are due to the ISO standard accommodating an extended repertoire symbols to allow transliteration of Devanāgarī and other Indic scripts as used for languages other than Sanskrit.
वरुण देव की बात सुनकर उस दैत्य ने देवर्षि नारद के पास जाकर नारायण का पता पूछ।। देवर्षि नारद ने उसे बताया कि नारायण इस समय वाराह का रूप धारण कर पृथ्वी को रसातल से निकालने के लिये गये हैं। इस पर हिरण्याक्ष रसातल में पहुँच गया। वहाँ उसने भगवान वाराह को अपने दाढ़ पर रख कर पृथ्वी को लाते हुये देखा। उस महाबली दैत्य ने वाराह भगवान से कहा, "अरे जंगली पशु! तू जल में कहाँ से आ गया है? मूर्ख पशु! तू इस पृथ्वी को कहाँ लिये जा रहा है? इसे तो ब्रह्मा जी ने हमें दे दिया है। रे अधम! तू मेरे रहते इस पृथ्वी को रसातल से नहीं ले जा सकता। तू दैत्य और दानवों का शत्रु है इसलिये आज मैं तेरा वध कर डालूँगा।"
पन्ना निवास(साईकिल मार्केट) के पास
उपर्युक्त नामों के अलावा उसके और भी कई नामों का उल्लेख मिलता है, जैसे विष्णुगुप्त। कहा जाता है कि उसका मूल नाम विष्णुगुप्त ही था। उसके पिता ने उसका नाम विष्णुगुप्त ही रखा था। कौटिल्य, चाणक्य और विष्णुगुप्त तीनों नामों से संबंधित कई संदर्भ मिलते हैं, किंतु इन तीनों नामों के अलावा उसके और भी कई नामों का उल्लेख किया गया है, जैसे वाल्सायन, मलंग, द्रविमल, अंगुल, वारानक्, कात्यान इत्यादि इन भिन्न-भिन्न नामों में कौन सा सही नाम है और कौन-सा गलत नाम है, यह विवाद का विषय है, परन्तु अधिकांश पाश्चात्य और भारतीय विद्वानों ने 'अर्थशास्त्र' के लेखक के रूप में कौटिल्य नाम का ही प्रयोग किया है। इसलिए हम भी कौटिल्य नाम का प्रयोग करना ही श्रेयस्कर समझते हैं।
५. संपर्कपरीक्षा तथा
मंत्री संसद की किसी भी सभा से हो सकते हैं। इस संबंध में संविधान सभाओं के बीच कोई भेद नहीं करता है। प्रत्येक मंत्री को किसी भी सभा में बोलने और उसकी कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार होता है, लेकिन वह उसी सभा में मत देने का हकदार होता है जिसका वह सदस्य होता है।
वे रत्न जो प्राकृतिक रचनाओं अर्थात चट्टान, भूगर्भ, समुद्र आदि से प्राप्त किए जाते हैं।
साबरमती नदी के किनारे की उबड़-खाबड़ टेकरियो (मिटटी के टीलों) पर भक्तों द्वारा आश्रम के रूप में दिनांक : 29 जनवरी, 1972 को एक कच्ची कुटिया तैयार की गयी | इस स्थान के चारों ओर कंटीली झाड़ियों व बीहड़ जंगल था, जहाँ दिन में भी आने पर लोगों को चोर-डाकुओं का भय बराबर बना रहता था | लेकिन आश्रम की स्थापना के बाद यहाँ का भयानक और दूषित वातावरण एकदम बदल गया | आज इस आश्रमरूपी विशाल वृक्ष की शाखाएँ भारत ही नहीं, विश्व के अनेक देशों तक पहुँच चुकी है | साबरमती के बीहड़ों में स्थापित यह कुटिया आज ‘संत श्री आसारामजी आश्रम’ के नाम से एक महान पवित्र धाम बन चुकी है | इस ज्ञान की प्याऊ में आज लाखों की संख्या में आकर हर जाति, धर्म व देश के लोग ध्यान और सत्संग का अमृत पीते है तथा अपने जीवन की दुःखद गुत्थियाँ को सुलझाकर धन्य हो जाते है |
1988 में बेनज़ीर भारी मतों से चुनाव जीत कर आईं और पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं। वे किसी इस्लामी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। दो साल बाद 1990 में उनकी सरकार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ग़ुलाम इशाक ख़ान ने बर्ख़ास्त कर दिया। 1993 में फिर आम चुनाव हुए और वे फिर विजयी हुईं। उन्हें 1996 में दोबारा भ्रष्टाचार के आरोप में बर्ख़ास्त किया गया। पहली बार प्रधानमंत्री निर्वाचित होने के समय बेनज़ीर लोकप्रियता के शिखर पर थीं। उनकी ख्याति विश्व स्तर पर सर्वप्रमुख महिला नेता की थी। लेकिन दूसरी बार सत्ता से बेदखल किए जाने तक उनकी छवि पूरी तरह बदल चुकी थी। पाकिस्तान का एक बड़ा तबका उन्हें भ्रष्टाचार और कुशासन के प्रतीक के रूप में देखने लगा। अनेक विश्लेषकों के अनुसार बेनज़ीर के पतन में उनके आसिफ़ ज़रदारी का हाथ रहा है, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी। भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद बेनज़ीर ने 1999 में पाकिस्तान छोड़ दिया और संयुक्त अरब इमारात के नगर दुबई में आकर रहने लगीं। उनकी अनुपस्थिति में पाकिस्तान की सैनिक सरकार ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों की जाँच की और उन्हें निर्दोष पाया गया। वे 18 अक्तूबर 2007 में पाकिस्तान लौटीं। उसी दिन एक रैली के दौरान कराची में उन पर दो आत्मघाती हमले हुए जिसमें करीब 140 लोग मारे गए, लेकिन बेनज़ीर बच गईं थी। इसके कुछ ही दिन बाद 27 दिसंबर 2007 को एक चुनाव रैली के बाद उनकी हत्या कर दी गई। उनकी हत्या तब हुई जब वे रैली खत्म होने के बाद बाहर जाते वक्त अपने कार की सनरूफ़ से बाहर देखते हुए समर्थकों को विदा दे रही थीं । उनकी मौत से पाकिस्तान में लोकतंत्र की बहाली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
(1) गायन, (2) वादन, (3) नर्तन, (4) नाटय, (5) आलेख्य (चित्र लिखना), (6) विशेषक (मुखादि पर पत्रलेखन), (7) चौक पूरना, अल्पना, (8) पुष्पशय्या बनाना, (9) अंगरागादिलेपन, (10) पच्चीकारी, (11) शयन रचना, (12) जलतंरग बजाना (उदक वाद्य), (13) जलक्रीड़ा, जलाघात, (14) रूप बनाना (मेकअप), (15) माला गूँथना, (16) मुकुट बनाना, (17) वेश बदलना, (18) कर्णाभूषण बनाना, (19) इत्र यादि सुगंधद्रव्य बनाना, (20) आभूषणधारण, (21) जादूगरी, इंद्रजाल, (22) असुंदर को सुंदर बनाना, (23) हाथ की सफाई (हस्तलाघव), (24) रसोई कार्य, पाक कला, (25) आपानक (शर्बत बनाना), (26) सूचीकर्म, सिलाई, (27) कलाबत्, (28) पहेली बुझाना, (29) अंत्याक्षरी, (30) बुझौवल, (31) पुस्तकवाचन, (32) काव्य-समस्या करना, नाटकाख्यायिका-दर्शन, (33) काव्य-समस्या-पूर्ति, (34) बेंत की बुनाई, (35) सूत बनाना, तुर्क कर्म, (36) बढ़ईगरी, (37) वास्तुकला, (38) रत्नपरीक्षा, (39) धातुकर्म, (40) रत्नों की रंगपरीक्षा, (41) आकर ज्ञान, (42) बागवानी, उपवनविनोद, (43) मेढ़ा, पक्षी आदि लड़वाना, (44) पक्षियों को बोली सिखाना, (45) मालिश करना, (46) केश-मार्जन-कौशल, (47) गुप्त-भाषा-ज्ञान, (48) विदेशी कलाओं का ज्ञान, (49) देशी भाषाओं का ज्ञान, (50) भविष्यकथन, (51) कठपुतली नर्तन, (52) कठपुतली के खेल, (53) सुनकर दोहरा देना, (54) आशुकाव्य क्रिया, (55) भाव को उलटा कर कहना, (56) धोखा धड़ी, छलिक योग, छलिक नृत्य, (57) अभिधान, कोशज्ञान, (58) नकाब लगाना (वस्त्रगोपन), (59) द्यूतविद्या, (60) रस्साकशी, आकर्षण क्रीड़ा, (61) बालक्रीड़ा कर्म, (62) शिष्टाचार, (63) मन जीतना (वशीकरण) और (64) व्यायाम।
जैसे जैसे मुग़ल शक्ति का ह्रास होता गया, और शहंशाहों की ज़ोर कम होने लगा, वे धीरे धीरे पहले अपने जागीरदारों के कठपुतले और अंततः उनके क़ैदी बनते गए, साथ ही साथ अवध और शक्तिशाली व अधिक स्वाधीन होता गया। इसकी राजधानी फ़ैज़ाबाद थी।
मुख्य लेख देखें: पटना में दशहरा
देवताओं के चले जाने के बाद विश्वामित्र भी ब्राह्मण का पद प्राप्त करने के लिये पूर्व दिशा में जाकर कठोर तपस्या करने लगे‌।‌ इस तपस्या को भ़ंग करने के लिए नाना प्रकार के विघ्न उपस्थित हुए किन्तु उन्होंने बिना क्रोध किये ही उन सबका निवारण किया। तपस्या की अवधि समाप्त होने पर जब वे अन्न ग्रहण करने के लिए बैठे, तभी ब्राह्मण भिक्षुक के रुप में आकर इन्द्र ने भोजन की याचना की विश्वामित्र ने सम्पूर्ण भोजन उस याचक को दे दिया और स्वयं निराहार रह गये इन्द्र को भोजन देने के पश्चात विश्वामित्र के मन में विचार आया कि सम्भवत: अभी मेरे भोजन ग्रहण करने का समय नहीं आया है इसीलिये याचक के रूप में यह विप्र उपस्थित हो गया। मुझे अभी और तपस्या करना चाहिये। अतएव वे मौन रहकर फिर दीर्घकालीन तपस्या में लीन हो गये। इस बार उन्होंने प्राणायाम से श्वाँस रोक कर महादारुण तप किया। इस तप से प्रभावित देवताओं ने ब्रह्माजी से निवेदन किया कि भगवन्! विश्वामित्र की तपस्या अब पराकाष्ठा को पहुँच गई है। अब वे क्रोध और मोह की सीमाओं को पार कर गये हैं। अब इनके तेज से सारा संसार प्रकाशित हो उठा है। सूर्य और चन्द्रमा का तेज भी इनके तेज के सामने फीका पड़ गया है। अतएव आप प्रसन्न होकर इनकी अभिलाषा पूर्ण कीजिये।
मुख्य रूप से यह भारत के दक्षिणी राज्य तमिल नाडू, श्री लंका के तमिल बहुल उत्तरी भागों, सिंगापुर और मलेशिया के भारतीय मूल के तमिलों द्वारा बोली जाती है। भारत, श्रीलंका, और सिंगापुर में इसकी स्थिति एक आधिकारिक भाषा के रूप में है। इसके अतिरिक्त यह मलेशिया, मॉरिशस, वियतनाम, रियूनियन इस्त्यादि में भी पर्याप्त संख्या में बोली जाती है। लगभग ७ करोड़ लोग तमिल भाषा का प्रयोग मातृ-भाषा के रूप में करते हैं। यह भारत के तमिल नाडु राज्य की प्रशासनिक भाषा है, और यह पहली ऐसी भाषा है जिसे २००४ में भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।
यह भार मापन इकाई है ।
संस्कृत के विकिपिडिया प्रकल्प
Etymology
आकाशवाणी में परामर्श और प्रसारण के क्षेत्र में संपूर्ण समाधान प्रदान करने के लिए इसकी एक वाणिज्यिक शाखा के रूप में 'आकाशवाणी संसाधन' को आरंभ किया गया। इसकी वर्तमान गतिविधियों में निम्‍नलिखित शामिल है।
शैक्षणिक वर्ष अप्रैल में शुरू होता है और 8 वर्गों में विभाजित होता है- 4 मुख्या वर्ग और 4 ऐच्छिक वर्ग, प्रत्येक वर्ग की अवधि 6-7 हफ्तों की होती है. मुख्या वर्गों के दौरान, सभी छात्र विविध प्रकार के पाठ्यक्रम लेते है जैसे लेखा, विपणन, वित्त, संगठनात्मक व्यवहार, सूचना प्रौद्योगिकी, रणनीति, आदि जो कि एक व्यापार की डिग्री के लिए आधार प्रदान करते है. वैकल्पिक वर्गों में, छात्र को अपनी एकाग्रता का अनुशीलन करने के लिए ऐच्छिक विकल्पो के बीच में से विकल्प चुन सकते हैं. प्रत्येक पाठ्यक्रम 1 क्रेडिट के लिए उत्तरदायी होता है, और केन्द्रीकरण (कौन्सनट्रेशन) के लिए एक ट्रैक से 6 क्रेडिट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है. यह अनिवार्य है कि किसी भी एक क्षेत्र में केन्द्रीकरण प्राप्त हो, हालांकि एक छात्र अधिकतम दो केंद्रीकृत विषयों को चुन सकता है.
समय मण्डल पृथ्वी के ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर समय का एक सा मानकीकरण कर दिया गय है।यह सारे क्षेत्र अपने स्थानीय समय को ग्रीनविच मीन टाईम(ग्रीनविच मानक समय) के अनुसार गणते हैं।
दोनो में से कोई भी संकल्प अभी तक लागू नही हो पाया है ।
1506–1525  Mogador (Essaouira)
किर्गिज़ एक तुर्कीक भाषा है और रूसी भाषा के अतिरिक्त यह किर्गिज़स्तान की आधिकारिक भाषा है। कुल के हिसाब से यह अल्तेय से बहुत निकट से और कज़ाख से दूर से जुड़ती है। हालांकि वर्तमान समय में भाषीय सम्मिलन की वजह से किर्गिज़ और कज़ाख के बीच ज्यादा निकटता नजर आती है।
भगवान मुरुगन के छ: निवास स्थानों में से एक तिरुप्परनकुंद्रम मदुरै से १० किमी. दक्षिण में स्थित है। यहां साल भर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। इसी स्थान पर भगवान मुरुगन का देवयानी के साथ विवाह हुआ था इसलिए यह स्थान शादी करने के लिए पवित्र माना जाता है। चट्टानों को काट कर बनाए गए इस मंदिर में भगवान गणपति, शिव, दुर्गा, विष्णु आदि के अलग से मंदिर भी बने हुए हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके सबसे भीतरी मंदिर को एक ही चट्टान से काटकर बनाया गया है। इस मंदिर की एक और विशेषता यहां के गुफा मंदिर हैं जिनमें तराशी गई भगवान की प्रतिमाएं समान दूरी पर बनाई गई हैं। उनकी यह समानता सभी को आकर्षित करती है। इन गुफाओं तक आने के लिए संकर अंधियारे रास्ते से होकर जाना पड़ता है।
संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी महाराज जी
फारसी भोजन से जबर्दस्त प्रभाव भारतीय रसोई के परंपराओं में देखा जा सकता है जो इस अवधि में प्रारंभिक थे.
भुवनेश्‍वर जाने पर यहां का राज्‍य संग्रहालय जरुर घूमना चाहिए। यह संग्रहालय जयदेव मार्ग पर स्थित है। इस संग्रहालय में हस्‍तलिखित तारपत्रों का विलक्षण संग्रह है। यहां प्राचीन काल के अदभूत चित्रों का भी संग्रह है। इन चित्रों में प्रकृति की सुंदरता को दर्शाया गया है। इसी संग्रहालय में प्राचीन हस्‍तलिखित पुस्‍तक 'गीतगोविंद' है जिससे जयदेव ने 12वीं शताब्‍दी में लिखा था।
राष्‍ट्रीय संग्रहालय: यह संग्रहालय शहर के शाहबंग क्षेत्र में स्थित है। इस संग्रहालय में हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध धर्म से संबंधित चित्रों तथा हस्‍तशिल्‍पों को रखा गया है। इस संग्रहालय के बगल में पब्लिक लाइब्रेरी है।
1. इस याचिका से जनता मे स्वयं के अधिकारों तथा न्यायपालिका की भूमिका के बारे मे चेतना बढती है यह मौलिक अधिकारों के क्षेत्र को वृहद बनाती है इसमे व्यक्ति को कई नये अधिकार मिल जाते है
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12. कृष्ण-काव्य व्यंग्यात्मक है। इसमें उपालंभ की प्रधानता है। सूर का भ्रमरगीत इसका सुंदर उदाहरण है।
पाण्डु पौत्र मारन चले, ले करमें धनुवान॥
फल - प्रश्नकर्ता का प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।
इन्हें संगीत नाटक अकादमी सम्मान १९६९ में मिला। इसके बाद इन्हें पद्मश्री १९७५ में मिला। १९९४ में इन्हें कालीदास सम्मान से सम्मानित किया गया। बाद में इन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण दिया गया जिसे इन्होंने लेने से मना कर दिया। इन्होंने कहा कि क्या सरकार मेरे योगदान को नहीं जानती है। ये मेरे लिये सम्मान नहीं अपमान है। मैं भारत रत्न से कम नहीं लूंगी। मात्र १६ वर्ष की आयु में इनके प्रदर्शन को देखकर भावविभोर हुए गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने इन्हें नृत्य सम्राज्ञी की उपाधि दी थी।
गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से निवेशक सोने को डीमैट फॉर्म में खरीद सकते हैं, और इससे भौतिक रूप में सोने को खरीदने से जुड़े खतरे कम हो जाते हैं। इसके भंडारण और सुरक्षा से जुड़े बिन्दु निवेश की होल्डिंग यूनिट्स में दिखाई जाती है जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती हैं।[१] यह पूर्णतया संचालित निधि होती हैं जिनमें स्पॉट मार्केट में सोने के मूल्य के सूचकांक के अनुसार क्रय-विक्रय किया जाता है।
(९) स्त्रीपुंसधर्म, विभाग धर्म, धूत, कंटकशोधन, वैश्यशूद्रोपचार;
उन्‍होंने महिलाओं के कल्‍याण के लिए कार्य किया और मुम्‍बई, दिल्‍ली में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास, ग्रामीण युवाओं के लाभ हेतु जलगांव में इंजीनियरिंग कॉलेज के अलावा श्रम साधना न्यास की स्‍थापना की। श्रीमती पाटिल ने महिला विकास महामण्‍डल, जलगांव में दृष्टिहीन व्‍यक्तियों के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण विद्यालय और विमुक्‍त जमातियों तथा बंजारा जनजातियों के निर्धन बच्‍चों के लिए एक स्‍कूल की स्‍थापना की। श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने अनेक यात्राएं की है और इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ सोशल वेलफेयर कॉन्‍फ्रेंस, नैरोबी और पोर्टे रीको में भाग लिया। उन्‍होंने १९८५ में इस सम्‍मेलन में शिष्‍टमण्‍डल के सदस्‍य के रूप में बुल्‍गारिया में, महिलाओं की स्थिति पर ऑस्ट्रिया के सम्‍मेलन में शिष्‍टमण्‍डल की अध्‍यक्ष के रूप में, लंदन में १९८८ के दौरान आयोजित राष्‍ट्रमण्‍डलीय अधिकारी सम्‍मेलन में, चीन के बीजिंग शहर में विश्‍व महिला सम्‍मेलन में भाग लिया।
क्रांतिकारी रष्ट्र भक्ति और बलिदान की भावना से प्रेरित-संचालित युवक थे। अवसर आने पर उन्होंने हमेशा बलिदान से इसे प्रमाणित भी किया। लेकिन यशपाल अपने साथियों को ईर्ष्या-द्वेष, स्पर्धा-आकांक्षावाले साधारण मनुष्यों के रूप में देखे जाने पर बल देते हैं। अपने संस्मरणों में आज राजेन्द्र यादव जिसे आदर्श घोषित करते हैं—‘वे देवता नहीं हैं’—उसकी शुरुआत हिन्दी में वस्तुतः यशपाल के इन्हीं संस्मरणों से होती है। ये क्रांतिकारी सामान्य मनुष्यों से कुछ अलग, विशिष्ठ और अपने लक्ष्यों के लिए एकांतिक रूप से समर्पित होने पर भी सामान्य मानवीय अनुभूतियों से अछूते नहीं थे। हो भी सकते थे। शरतचंद्र ने पथेरदावी में क्रांतिकारियों का जो आदर्श रूप प्रस्तुत किया, यशपाल उसे आवास्तविक मानते थे, जिससे राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा मिलती हो, उसे क्रांतिकारी आंदोलन और उस जीवन को वास्तविकता का एक प्रतिनिधि और प्रामाणिक चित्र नहीं माना जा सकता। सुबोधचंद्र सेन गुप्त पथेरदावी में बिजली पानीवाली झंझावाती रात में सव्यसाची के निषक्रमण को भावी महानायक सुभाषचंद्र बोस के पलायन के एक रूपक के तौर पर देखते हैं, जबकि यशपाल सव्यसाची के अतिमानवीय से लगने वाले कार्य-कलापों और खोह-खंडहरों में बिताए जानेवाले जीवन को वास्तविक और प्रामाणिक नहीं मानते। क्रांतिकारी जीवन के अपने लंबे अनुभवों को ही वे अपनी इस आलोचना के मुख्य आधार के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
चन्द्रगुप्त मौर्य के विशाल साम्राज्य में काबुल, हेरात, कन्धार, बलूचिस्तान, पंजाब, गंगा-यमुना का मैदान, बिहार, बंगाल, गुजरात था तथा विन्ध्य और कश्मीर के भू-भाग सम्मिलित थे, लेकिन चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना साम्राज्य उत्तर-पश्‍चिम में ईरान से लेकर पूर्व में बंगाल तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक तक विस्तृत किया था । अन्तिम समय में चन्द्रगुप्त मौर्य जैन मुनि भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला चला गया था । २९८ ई. पू. में उपवास द्वारा चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना शरीर त्याग दिया ।
धर्मशाला भारत के हिमाचल प्रदेश प्रान्त का शहर है। धर्मशाला की ऊंचाई 1,250 मीटर (4,400 फीट) और 2,000 मीटर (6,460 फीट) के बीच है। यह पर्वत 3 तरफ से कस्‍बे से घिरा हुआ है और यह घाटी दक्षिण की ओर जाती है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां पाइन के ऊंचे पेड़, चाय के बागान और इमारती लकड़ी पैदा करने वाले बड़े वृक्ष ऊंचाई, शांति तथा पवित्रता के साथ यहां खड़े दिखाई देते हैं। वर्ष 1960 से, जब से दलाई लामा ने अपना अस्‍थायी मुख्‍यालय यहां बनाया, धर्मशाला की अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति भारत के छोटे ल्‍हासा के रूप में बढ़ गई है।
The flora of Sikkim includes the rhododendron, the state tree, with a huge range of species occurring from subtropical to alpine regions. Orchids, figs, laurel, bananas, sal trees and bamboo in the lower altitudes of Sikkim, which enjoy a sub-tropical type climate. In the temperate elevations above 1,500 metres, oaks, chestnuts, maples, birchs, alders, and magnolias grow in large numbers. The alpine type vegetation includes juniper, pine, firs, cypresses and rhododendrons, and is typically found between an altitude of 3,500 metres to 5,000 m. Sikkim boasts around 5,000 flowering plants, 515 rare orchids, 60 primulas species, 36 rhododendrons species, 11 oaks varieties, 23 bamboos varieties, 16 conifer species, 362 types of ferns and ferns allies, 8 tree ferns, and over 424 medicinal plants. The orchid Dendrobium nobile is the official flower of Sikkim.
आत्म-साक्षात्कार पद को प्राप्त करने के बाद उससे ऊँचा कोई पद प्राप्त करना शेष नहीं रहता है | उससे बड़ा न तो कोई लाभ है, न पुण्य…| इसे प्राप्त करना मनुष्य जीवन का परम कर्त्तव्य माना गया है | जिसकी महिमा वेद और उपनिषद अनादिकाल से गाते आ रहे है…| जहाँ सुख और दुःख की तनिक भी पहुँच नहीं है…जहाँ सर्वत्र आनंद-ही-आनंद रहता है…देवताओं के लिये भी दुर्लभ इस परम आनन्दमय पद में स्थिति प्राप्तकर आप संत श्री आसारामजी महाराज बन गये |
लक्ष्मीचंद जैन का जन्म 1909 ईं में नौगाँव में हुआ। अंग्रेज़ी तथा संस्कृत में एम.ए. किया। कुछ दिनों तक दिल्ली के रेडियो केंद्र से संबद्ध रहे। इसके बाद साहू जैन औद्योगिक प्रतिष्ठान और भारतीय ज्ञानपीठ मे रहते हुए, दिल्ली प्रकाशनों के संपादक तथा नियोजक के पद पर कार्य किया। वे ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित 'ज्ञानोदय' मासिक पत्र के संपादक भी रहे। हिंदी के नये साहित्य के प्रकाशन तथा प्रसार में आपका योगदान महत्वपूर्ण है।
वर्तमान में टाइपराइटर द्वारा हिन्दी टाइपिंग का स्थान कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग ने ले लिया है तथा इसका प्रयोग बहुत ही कम देखने को मिलता है।
1945 Kolkata street
नेपाल का ध्वज नेपाल का राष्ट्रीय ध्वज है।
तिथिक्रम से प्राचीन अभिलेख मिस्र की चित्रलिपि के माने जाते हैं। फिर प्राचीन इराक के अभिलेखों का स्थान है, जो पहले अर्धचित्र और पुन: इराक के अभिलेखों का स्थान है, जो पहले अर्धचित्रलिपि और पुन: कीलाक्षरों में अंकित हैं। सिंधुघाटी के अभिलेख इराकी अभिलेखों के प्राय: समकालीन हैं। इनके पश्चात् क्रीट, यूनान और रोम के अभिलेखों की गणना की जा सकती है। ईरान के कीलाक्षर और आरामाई लिपि के लेख भी प्रसिद्ध हैं। चीन में चित्र एवं भावलिपि के लेख बहुत प्राचीन काल से पाए जाते हैं। भारत में सिंधुघाटी के परवर्ती अभिलेखों का मोटे तौर पर निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है:
देश का नाम माउंट केन्या पर रखा गया है, जो एक महत्वपूर्ण प्रतीक है और अफ्रीका का दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। 1920 से पहले, जिस क्षेत्र को अब कीनिया के नाम से जाना जाता है, उसे ब्रिटिश ईस्ट अफ्रीका संरक्षित राज्य के रूप में जाना जाता था।
हिन्दी हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार परिवार के अन्दर आती है । ये हिन्द ईरानी शाखा की हिन्द आर्य उपशाखा के अन्तर्गत वर्गीकृत है। हिन्द-आर्य भाषाएँ वो भाषाएँ हैं जो संस्कृत से उत्पन्न हुई हैं। उर्दू, कश्मीरी, बंगाली, उड़िया, पंजाबी, रोमानी, मराठी नेपाली जैसी भाषाएँ भी हिन्द-आर्य भाषाएँ हैं।
यह एक 2000 वर्ष पुराना विशाल पेड़ है जो आज भी हरा-भरा है। डोड्डा सैमपिगे मारा का अर्थ है चंपक का बड़ा पेड़। स्थानीय सालिगा जनजाति इस वृक्ष का बहुत आदर करती है। उनके अनुसार इस वृक्ष में भगवान रंगास्वामी का निवास स्‍थान है। यह भी माना जाता है यहां अन्य देवी-देवताओं का वास है जिन्हें पत्थर के 101 लिंगों द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
सबसे पहले गांधी ने रोजगार अहिंसक सविनय अवज्ञा प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका, में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष हेतु प्रयुक्त किया। १९१५ में उनकी वापसी के बाद उन्होंने भारत में किसानों , कृषि मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्याधिक भूमि कर और भेदभाव के विरूद्ध आवाज उठाने के लिए एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद गांधी जी ने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण, आत्म-निर्भरता के लिए अस्पृश्‍यता का अंत आदि के लिए बहुत से आंदोलन चलाएं। किंतु इन सबसे अधिक विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाले स्वराज की प्राप्ति उनका प्रमुख लक्ष्‍य था।गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नमक कर के विरोध में १९३० में दांडी मार्च और इसके बाद १९४२ में , ब्रिटिश भारत छोड़ो छेडकर भारतीयों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा।
44. सेन्ट्रल मार्केट, सोजती गेट, स्टेशन रोड़, सरदार मार्केट, त्रिपोलिया बाजार, मोची बाजार, लखेरा बाजार, जोधपुर में कुछ सबसे अच्छे खरीददारी स्थानों में हैं।
किसी भी हिन्दू का शाकाहारी होना आवश्यक है, क्योंकि शाकाहार का गुणज्ञान किया जाता है। शाकाहार को सात्विक आहार माना जाता है। आवश्यकता से अधिक तला भुना शाकाहार ग्रहण करना भी राजसिक माना गया है। मांसाहार को इसलिये अच्छा नही माना जाता,क्योंकि मांस पशुओं की हत्या से मिलता है, अत: तामसिक पदार्थ है। वैदिक काल में पशुओं का मांस खाने की अनुमति नहीं थी, एक सर्वेक्षण के अनुसार आजकल लगभग ३०% हिन्दू, अधिकतर ब्राह्मण व गुजराती और मारवाड़ी हिन्दू पारम्परिक रूप से शाकाहारी हैं। वे भी गोमांस कभी नहीं खाते, क्योंकि गाय को हिन्दू धर्म में माता समान माना गया है। कुछ हिन्दू मन्दिरों में पशुबलि चढ़ती है, पर आजकल यह प्रथा हिन्दुओं द्वारा ही निन्दित किये जाने से समाप्तप्राय: है।
के बोलोना विश्वविद्यालय (University of Bologna), का एक चित्रण
श़िया राजवंश का अस्तित्व एक लोककथा लगता था पर हेनान में पुरातात्विक खुदाई के बाद इसके अस्तित्व की सत्यता सामने आई। प्रथम प्रत्यक्ष राजवंश था - शांग राजवंश, जो पूर्वी चीन में १८वीं से १२वीं सदी इसा पूर्व में पीली नदी के किनारे बस गए। १२वीं सदी ईसा पूर्व में पश्चिम से झाऊ शासकों ने इनपर आक्रमण किया और इनके क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इन्होंने ५वीं सदी ईसा पूर्व तक राज किया। इसके बाद चीन के छोटे राज्य आपसी संघर्षों में भिड़ गए। २२१ ईसा पूर्व में किन राजाओं ने चीन का प्रथम बार एकीकरण किया। इन्होंने राजा का कार्यालय स्थापित किया और चीनी भाषा का मानकीकरण किया। २२० से २०६ ईसा पूर्व तक हान राजवंश के शासकों ने चीन पर राज किया और चीन की संस्कृति पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। यह प्रभाव अब तक विद्यमान है। हानों के पतन के बाद चीन में फिर से अराजकता का दौर गया। सुई राजवंश ने ५८० ईस्वी में चीन का एकीकरण किया जिसके कुछ ही वर्षों बाद (६१४ ई.) इस राजवंश का पतन हो गया।
अन्त्येष्टि को अंतिम अथवा अग्नि परिग्रह संस्कार भी कहा जाता है। आत्मा में अग्नि का आधान करना ही अग्नि परिग्रह है। धर्म शास्त्रों की मान्यता है कि मृत शरीर की विधिवत् क्रिया करने से जीव की अतृप्त वासनायें शान्त हो जाती हैं। हमारे शास्त्रों में बहुत ही सहज ढंग से इहलोक और परलोक की परिकल्पना की गयी है। जब तक जीव शरीर धारण कर इहलोक में निवास करता है तो वह विभिन्न कर्मो से बंधा रहता है। प्राण छूटने पर वह इस लोक को छोड़ देता है। उसके बाद की परिकल्पना में विभिन्न लोकों के अलावा मोक्ष या निर्वाण है। मनुष्य अपने कर्मो के अनुसार फल भोगता है। इसी परिकल्पना के तहत मृत देह की विधिवत क्रिया होती है।
मुग़ल सम्राटों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण विवरण नीचे सारणीबद्ध है:
कैल्कटा ट्रामवेज़ कंपनी कोलकाता में ट्राम और बसें संचालित करने वाली पश्चिम बंगाल सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है।
चित्रकूट से 8 किमी. की दूरी कर्वी निकटतम रेलवे स्टेशन है। इलाहाबाद, जबलपुर, दिल्ली, झांसी, हावड़ा, आगरा, मथुरा, लखनऊ, कानपुर, ग्वालियर, झांसी, रायपुर, कटनी, मुगलसराय, वाराणसी आदि शहरों से यहां के लिए रेलगाड़ियां चलती हैं। इसके अलावा शिवरामपुर रेलवे स्टेशन पर उतकर भी बसें और टू व्हीलर लिए जा सकते हैं। शिवरामपुर रेलवे स्टेशन की चित्रकूट से दूरी ४ किलोमीटर है।
थाईलैण्ड जिसका प्राचीन भारतीय नाम श्याम्देश है दक्षिण पूर्वी एशिया में एक देश है । इसकी पूर्वी सीमा पर लाओस और कम्बोडिया, दक्षिणी सीमा पर मलेशिया और पश्चिमी सीमा पर म्यानमार है। थाईलैण्ड को सियाम के नाम से भी जाना जाता है जो ११ मई, १९४९ तक थाईलैण्ड का अधिकृत नाम था। थाई शब्द का अर्थ थाई भाषा में आज़ाद होता है। यह शब्द थाई नागरिको के सन्दर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है । इस वजह से कुछ लोग विशेष रूप से यहाँ बसने वाले चीनी लोग, थाईलैंड को आज भी सियाम नाम से पुकारना पसन्द करते हैं। थाईलैण्ड की राजधानी बैंकाक है|
प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को व्‍यापक कृषि जलवायु परिस्थितियां प्रदान की हैं जिसकी वजह से किसानों को विविध फल उगाने में सहायता मिली है। बागवानी के अंतर्गत आने वाले प्रमुख फल हैं-सेब, नाशपाती, आडू, बेर, खूमानी, गुठली वाले फल, नींबू प्रजाति के फल, आम, लीची, अमरूद और झरबेरी आदि। 1950 में केवल 792 हेक्‍टेयर क्षेत्र बागवानी के अंतर्गत था, जो बढ़कर 2.23 लाख हेक्‍टेयर हो गया है। इसी तरह,1950 में फल उत्‍पादन 1200 मीट्रिक टन था, जो 2007 में बढकर 6.95 लाख टन हो गया है।
१) प्लूटो
यदि किसी को कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, तो हैदराबाद, उभरता हुआ सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक है, उपचार हेतु। नगर पहले ही औषधि का केन्द्र है, जहां औषधियों का कई करोड़ का व्यापार है। यहां कई सस्ते व अच्छे अस्पताल भी हैं।
लेकिन इसके बाद से इंडोनेशिया का इतिहास उथलपुथल भरा रहा है, चाहे वह प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हो, भ्रष्टाचार की वजह से, अलगाववाद या फिर लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया से उत्पन्न चुनौतियां हों। वर्ष २००४ के अंत में आये सूनामी लहरों की विनाशलीला से यह देश सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। यहाँ के आचे प्रान्त में लगभग डेढ लाख लोग मारे गये थे और हजारो करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
महर्षि चित्र आगे बताते हैं-'हे गौतम! ब्रह्मवेत्ता बन साधक अपनी सम्पूर्ण इन्द्रियों में ब्रह्मगन्ध, ब्रह्मरस, ब्रह्मतेज, ब्रह्मयश तथा ब्रह्मनाद का अनुभव करता है। तब ब्रह्मा जी उस ब्रह्मज्ञानी से प्रश्न करते हैं-'तुम कौन हो?' उस समय ब्रह्मा जी द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर ब्रह्मज्ञानी को इस प्रकार देना चाहिए—
(६) वानप्रस्थ, मोक्ष, संन्यास;
हनुमान सीता के पास पहुँचे। सीता ने अपनी चूड़ामणि] दे कर उन्हें विदा किया। वे वापस समुद्र पार आकर सभी वानरों से मिले और सभी वापस सुग्रीव के पास चले गये। हनुमान के कार्य से राम अत्यंत प्रसन्न हुये। राम वानरों की सेना के साथ समुद्रतट पर पहुँचे। उधर विभीषण] ने रावण को समझाया कि राम से बैर न लें इस पर रावण ने विभीषण को अपमानित कर लंका से निकाल दिया। विभीषण राम के शरण में आ गया और राम ने उसे लंका का राजा घोषित कर दिया। राम ने समुद्र से रास्ता देने की विनती की। विनती न मानने पर राम ने क्रोध किया और उनके क्रोध से भयभीत होकर समुद्र ने स्वयं आकर राम की विनती करने के पश्चात् नल और नील के द्वारा पुल बनाने का उपाय बताया।
अधिकतर संगणक, संचिकाओं को सोपान के आधार पर आयोजित करते हैं और इसके लिए फ़ोल्डर, निर्देशिका या कैटलाग का इस्तेमाल करते हैं। शब्द जो भी हो विचार एक ही है। हर फ़ोल्डर में कुछ संख्या में संचिकाएँ हो सकती हैं, और उनमें अन्य फ़ोल्डर हो सकते हैं। इन अन्य फ़ोल्डरों को उपफ़ोल्डर कहते हैं। इनमें और संचिकाएँ व फ़ोल्डर हो सकते हैं, आदि-आदि, ऐसे कर के एक वृक्ष-रूपी ढाँचा निर्मित होता है जिसमें एक "गुरु फ़ोल्डर" या ("जड़ फ़ोल्डर" - प्रणाली के अनुसार नाम अलग अलग है) होता है जिसके अधीन कितने भी स्तर तक संचिकाएँ व फ़ोल्डर हो सकते हैं। फ़ोल्डरों के भी संचिकाओं की तरह नाम हो सकते हैं (सिवाय जड़ फ़ोल्डर के जिसका अक्सर कोई नाम नहीं होता है)। फ़ोल्डरों के जरिए संचिकाओं को तार्किक तरीके से आयोजित करना सरल हो जाता है।
इसी महाचेतना में सब संसार की सृष्टि, स्थिति और लय है। "अहम्‌' अर्थात "मैं' आत्मा का स्वरूप है। "एतन्‌' अर्थात्‌ "यह' अनात्मा का स्वरूप है। इन दोनों का संबंध निषेध रूप है। "मैं यह नहीं हूं' इस भावना, इस धारणा, इस संवित्‌ को यदि क्रमदृष्टि से देखिए तो इसमें तीन बातें अवश्य मिलती हैं। पहले तो "मैं' के सामने "यह' पदार्थ आता है। इस क्षण में ज्ञान होता है। इसके पीछे "मैं' और "यह' के संयोग वियोग का संभंव होता है। यही इच्छा है। तीसरे क्षण में संयोग वियोग होता है। यह क्रिया है। संयोग वियोग दोहरा क्षण में संयोग वियोग होता है। यह क्रिया है। संयोग वियोग दोहरा शब्द इसलिए कहा जाता है कि पहले संयोग होकर पीछे वियोग होता है। पहले राग, पीछे द्वेष, पहले प्रवृत्ति पीछे निवृत्ति, पहले लेना पीछे देना, पहले जन्म पीछे मरण, पुन: जन्म पुन: मरण, यही संसरण क्रिया है।,
फुन्त्सोंग नामग्याल के पुत्र, तेन्सुंग नामग्याल ने उनके पश्चात १६७० में कार्य-भार संभाला। तेन्सुंग ने राजधानी को युक्सोम से रबदेन्त्से स्थानान्तरित कर दिया। सन 1700 में भूटान में चोग्याल की अर्ध-बहन, जिसे राज-गद्दी से वंचित कर दिया गया था, द्वारा सिक्किम पर आक्रमण हुआ। तिब्बतियों की सहयता से चोग्याल को राज-गद्दी पुनः सौंप दी गयी। 1717 तथा 1733 के बीच सिक्किम को नेपाल तथा भूटान के अनेक आक्रमणों का सामना करना पड़ा जिसके कारण रबदेन्त्से का अन्तत:पतन हो गया।[३]
जिन्ना कश्मीर तथा हैदराबाद पर पाकिस्तान का आधिपत्य चाहते थे। उन्होंने अपने सैन्य सचिव को तीन बार महाराजा कश्मीर से मिलने के लिए भेजा। तत्कालीन कश्मीर के प्रधानमंत्री काक ने भी उनसे मिलाने का वायदा किया था। पर महाराजा ने बार-बार बीमारी का बहाना बनाकर बातचीत को टाल दिया। जिन्ना ने गर्मियों की छुट्टी कश्मीर में बिताने की इजाजत चाही थी। परन्तु महाराजा ने विनम्रतापूर्वक इस आग्रह को टालते हुए कहा था कि वह एक पड़ोसी देश के गर्वनर जनरल को ठहराने की औपचारिकता पूरी नहीं कर पाएंगे। दूसरी ओर शेख अब्दुल्ला गद्दी हथियाने तथा इसे एक मुस्लिम प्रदेश (देश) बनाने को आतुर थे। पं. नेहरू भी अपमानित महसूस कर रहे थे। उधर माउंटबेटन भी जून मास में तीन दिन कश्मीर रहे थे। शायद वे कश्मीर का विलय पाकिस्तान में चाहते थे, क्योंकि उन्होंने मेहरचन्द महाजन से कहा था कि "भौगोलिक स्थिति" को देखते हुए कश्मीर के पाकिस्तान का भाग बनना उचित है। इस समस्त प्रसंग में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका श्री गुरुजी (माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर) ने निभाई। वे महाराजा कश्मीर से बातचीत करने १८ अक्तूबर को श्रीनगर पहुंचे। विचार-विमर्श के पश्चात महाराजा कश्मीर अपनी रियासत के भारत में विलय के लिए पूरी तरह पक्ष में हो गए थे।
DVD को मूल रूप से अनधिकृत डिजिटल विडियोडिस्क के प्रथमाक्षर के रूप में इस्तेमाल किया गया था. [१५]
इस भाग में दो मंदिर हैं। एक भगवान शिव से संबंधित दुलादेव मंदिर है और दूसरा विष्णु से संबंधित है जिसे चतुर्भुज मंदिर कहा जाता है। दुलादेव मंदिर खुद्दर नदी के किनारे स्थित है। इसे 1130 ईसवी में मदनवर्मन द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर में खंडों पर मुंद्रित दृढ़ आकृतियां हैं। चतुर्भुज मंदिर का निर्माण 1100 ईसवीं में किया गया था। इसके गर्भ में 9 फुट ऊंची विष्णु की प्रतिमा को संत के वेश में दिखाया गया है। इस समूह के मंदिर को देखने लिए दोपहर का समय उत्तम माना जाता है। दोपहर में पड़ने वाली सूर्य की रोशनी इसकी मूर्तियों को आकर्षक बनाती है।
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर,
गाँधी ने १९३० के अंत-अंत में विभाजन (partition) को लेकर इस्राइल के निर्माण के लिए फिलिस्तीन के विभाजन के प्रति भी अपनी अरुचि जाहिर की थी (partition of Palestine to create Israel). २६ अक्तूबर १९३८ (26 October) को उन्होंने हरिजन में कहा था:
प्राचीन मिस्रवासी अवकाश में खेल और संगीत सहित कई गतिविधियों का आनंद लेते थे. सेनेट, एक बोर्ड गेम, जिसमें टुकड़े यादृच्छिक मौके के मुताबिक चलते थे, आरंभिक काल से विशेष रूप से लोकप्रिय था; एक और इसी तरह का खेल मेहेन था, जिसका गेम बोर्ड वृत्ताकार था. करतब दिखाना और गेंद के खेल बच्चों में लोकप्रिय थे, और बेनी हसन में एक कब्र में कुश्ती को भी प्रलेखित किया गया है.[१२८] प्राचीन मिस्र के समाज के धनी सदस्य, शिकार और नौका विहार का भी आनंद लेते थे.
• बिमल राय
"शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।"
आगे वाक्यार्थ निर्णयोपयोगी सहस्रों न्यायों का वर्णन किया गया है। यहाँ तक छह अध्यायों का संक्षिप्त विषयनिर्देश किया गया।
यह संपूर्ण भाग पहाड़ी है जिसके बीच में अपेनाइंस रीढ़ की भाँति फैला हुआ है तथा दोनों ओर नीची पहाड़ियाँ हैं। इस भाग की औसत चौड़ाई 50 मील से लेकर 60 मील तक है। पश्चिमी तट पर एक सँकरा "तेरा डी लेवोरो" नाम का तथा पूर्व में आपूलिया का चौड़ा मैदान है। इन दो मैदानों के अतिरिक्त सारा भाग पहाड़ी है और अपेनाइंस की ऊँची नीची श्रंखलाओं से ढका हुआ है। पोटेंजा की पहाड़ी दक्षिणी इटली की अंतिम सबसे ऊँची पहाड़ी (पोलिनो की पहाड़ी) से मिलती है। सुदूर दक्षिण में ग्रेनाइट तथा चूने के पत्थर की, जंगलों से ढकी हुई पहाड़ियाँ तट तक चली गई हैं। लीरी तथा गेटा आदि एड्रियाटिक सागर में गिरनेवाली नदियाँ पश्चिमी ढाल पर बहनेवाली नदियों से अधिक लंबी हैं। ड्रिनगो से दक्षिण की ओर गिरनेवाली विफरनो, फोरटोरे, सेरवारो, आंटों तथा ब्रैडानो मुख्य नदियाँ हैं। दक्षिणी इटली में पहाड़ों के बीच स्थित लैगोडेल-मोटेसी झील है।
2. तुर्कीस रिपब्लिक आफ नार्थ साइप्रस।टीआरएनसी के राष्ट्रपति (मेहमत अली तलत) हैं।
अजातशत्रु ने उत्तर दिया-'हे विप्रवर! मैं इस विषय में कुछ नहीं कहना चाहता। यह तो पूर्ण, प्रवृत्ति-रहित (क्रिया-रहित) ब्रह्म, सभी से विशाल है। अवश्य ही मैं इसी रूप में इसकी उपासना करता हूं। जो ऐसे दिव्य ब्रह्म की उपासना करता है, वह समस्त प्राणियों में निर्विकार हो जाता है। समय से पूर्व उसकी मृत्यु नहीं होती।'
दण्डक वन रामायणकाल के एक वन का नाम है।
मुद्रिका अँगूठी को कहा जाता है।
इनकी अर्धाङ्गिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र स्कन्द और गणेश हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा लिंग के रूप में की जाती है। भगवान शिव को सन्हार का देवता कहा जाता है ।
कमला रिट्रीट एग्रीकल्चर कॉलेज के पश्चिम में स्थित है। इस खूबसूरत संपदा पर सिंहानिया परिवार का अधिकार है। यहां एक स्वीमिंग पूल बना हुआ है, जहां कृत्रिम लहरें उत्पन्न की जाती है। यहां एक पार्क और नहर है। जहां चिड़ियाघर के समानांतर बोटिंग की सुविधा है। कमला रिट्रीट में एक संग्रहालय भी बना हुआ है जिसमें बहुत सी ऐतिहासिक और पुरातात्विक वस्तुओं का संग्रह देखा जा सकता है। यहां जाने के लिए डिप्टी जनरल मैनेजर की अनुमति लेना अनिवार्य है।
मराठी, भारतीय राज्य महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है, और गोआ, केन्द्र शासित प्रदेशों दमन और दीव, और दादर और नागर हवेली में सह-आधिकारिक भाषा है या आधिकारिक कार्यो में उपयोग में लाई जाती है। भारत का संविधान मराठी को भारत की २२ आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में स्वीकार करता है।
आगरा का एक अन्य विश्व धरोहर स्थल है आगरा का किला। यह आगरा का एक प्रधान निर्माण है, जो शहर के बीच सर उठाए खड़ा है। इसे कभी कभार लाल किला भि कहा जाता है। यह अकबर द्वारा 1565 में बनवाया गया था। बाद में शाहजहां द्वारा इस किले का पुनरोद्धार लाल बलुआ पत्थर से करवाया गया, व इसे किले से प्रासाद में बदला गया। यहां संगमर्मर और पीट्रा ड्यूरा नक्काशी का क्महीन कार्य किया गया। इस किले की मुख्य इमारतों में मोती मस्जिद, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, जहांगीर मह्ल, खास महल, शीश महल एवं मुसम्मन बुर्ज आते हैं।
इनकी मृत्यु १८३५ में होने पर राज्य इनके उत्तराधिकारी भतीजे ईश्वरी प्रसाद नारायण सिंह, झी.सी.एस.आई, केसर-ए-हिन्द (१८२२-जून १८८९) को मिला था।
१ नवंबर, १९६६ को पंजाब के हिन्दी-भाषी पूर्वी भाग को काटकर हरियाणा राज्य का गठन किया गया, जबकि पंजाबी-भाषी पश्चिमी भाग को वर्तमान पंजाब ही रहने दिया था। चंडीगढ़ शहर दोनों के बीच सीमा पर स्थित था, जिसे दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी के रूप में घोषित किया गया, और साथ ही संघ शासित क्षेत्र भी घोषित किया गया था। १९५२ से १९६६ तब ये शहर मात्र पंजाब की राजधानी रहा था। [६] अगस्त १९८५ में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच हुए समझौते के अनुसार, चंडीगढ़ को १९८६ में पंजाब में स्थानांतरित होना तय हुआ था। इसके साथ ही हरियाणा के लिए एक नयी राजधानी का सृजन भी होना था, किन्तु कुछ प्रशासनिक कारणों के चलते इस स्थानांतरण में विलंब हुआ। इस विलंब के मुख्य कारणों में दक्षिणी पंजाब के कुछ हिन्दी-भाषी गांवों को हरियाणा, और पश्चिम हरियाणा के पंजाबी-भाषी गांवों को पंजाब को देने का विवाद था।
संस्थान
12. केमेरोवो
अलसी ब्लड शुगर नियंत्रित रखती है, डायबिटीज़ के शरीर पर होने वालेदुष्प्रभावों को कम करती हैं। चिकित्सक डायबिटीज़ के रोगी को कम शर्करा औरज्यादा फाइबर लेने की सलाह देते हैं। अलसी व गैंहूं के मिश्रित आटे में 50 प्रतिशत कार्ब, 16 प्रतिशत प्रोटीन व 20 प्रतिशत फाइबर होते हैं। यानीइसका ग्लायसीमिक इन्डेक्स गैंहूं के आटे से काफी कम होता है। डायबिटीज़ केरोगी के लिए इस मिश्रित आटे से अच्छा भोजन क्या होगा ? मोटापे के रोगी कोभी बहुत फायदा होता है। अलसी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इस कारणअलसी सेवन से लंबे समय तक पेट भरा हुआ रहता है, देर तक भूख नहीं लगती है।यह बी.एम.आर. को बढ़ाती है, शरीर की चर्बी कम करती है और हम ज्यादा कैलोरीखर्च करते हैं।
स्कॉटलैंड के योगदान में जासूस लेखक आर्थर कॉनन डोयल, सर वॉल्टर स्कॉट द्वारा रोमांटिक साहित्य और रॉबर्ट लुईस स्टीवेनसन की महाकाव्य रोमांच.इसने प्रसिद्ध कवि रॉबर्ट बर्न्स प्रस्तुत किया है, साथ ही विलियम मैकगोनागल, जो दुनिया का निकृष्ट माना जाता है.[२१८]?हाल ही में, आधुनिकतावादी और राष्ट्रवादी ह्यूग मैकडिअर्मिड और नील एम. गन ने स्कॉटिश नवजागरण में योगदान किया. इयान रैंकिन की कहानियों और इयान बैंक्स की मनोवैज्ञानिक कंपकंपी-हास्य में एक और अधिक गंभीर दृष्टिकोण पाया जाता है.स्कॉटलैंड की राजधानी, एडिनबर्ग, UNESCO का पहला विश्व व्यापक साहित्य का शहर है.[२१९]
राज्य के प्रमुख बस अड्डे हैं:
जवाहरलाल नेहरू · गुलज़ारीलाल नन्दा† · लालबहादुर शास्त्री · गुलज़ारीलाल नन्दा† · इन्दिरा गांधी · मोरारजी देसाई · चौधरी चरण सिंह · राजीव गांधी · विश्वनाथ प्रताप सिंह · चन्द्रशेखर · पी. वी. नरसिंह राव · अटल बिहारी वाजपेयी · ऍच. डी. देवगौड़ा · इन्द्र कुमार गुजराल · मनमोहन सिंह
योजना की स्वीकृति के पश्चात् नागरीप्रचारिणी सभा ने जनवरी, 1957 में विश्वकोश के निर्माण का कार्यारंभ किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देशानुसार "विशेषज्ञ समिति" की संस्तुति के अनुसार देश के विश्रुत विद्वानों, विख्यात विचारकों तथा शिक्षा क्षेत्र के अनुभवी प्रशांसकों का एक पचीस सदस्यीय परामर्शमंडल गठित किया गया। सन् 1958 में समस्त उपलब्ध विश्वकोशों एवं संदर्भग्रंथों की सहायता से 70,000 शब्दों की सूची तैयार की गई। इन शब्दों की सम्यक् परीक्षा कर उनमें से विचारार्थ 30,000 शब्दों का चयन किया गया। मार्च, सन् 1959 में प्रयोग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग भूतपूर्व प्रोफेसर डॉ. धीरेंद्र वर्मा प्रधान संपादक नियुक्त हुए। विश्वकोश का प्रथम खंड लगभग डेढ़ वर्षों की अल्पावधि में ही सन् 1960 में प्रकाशित हुआ।
जब 1498 ई. में वास्को दी गामा ने उत्तमाशा द्वीप यानी केप ऑव गुड होप द्वारा भारतयात्रा के लिए नया समुद्री मार्ग खोज निकाला, तब संसार के इतिहास में एक क्रांतिकारी मार्ग खुला। अब यूरोपीय देशों का भारत तथा पूर्वी द्वीपों से प्रत्यक्ष संपर्क हो गया। स्वभावत: सुदृढ़ नाविक शक्ति के कारण इस मार्ग पर सर्वप्रथम पुर्तगाल का एकाधिकार स्थापित हुआ; किंतु, शीघ्र ही पहले हालैंड और बाद में इंग्लैंड ने पुर्तगाल की राह में गतिरोध पैदा कर दिया।
महाराज सगर के पुत्रों के पृथ्वी को खोदने से जम्बूद्वीप में आठ उपद्वीप बन गये थे जिनके नाम हैं।:
आधुनिक भारत के निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों , जैसे साहित्य , विज्ञान एवम् प्रौद्यौगिकी , राजनीति , संस्कॄति , पाण्डित्य , धर्म में ब्राह्मणों का अपरिमित योगदान है | प्रमुख क्रन्तिकअरि और स्वतन्त्रता-सेनअनियोन मे बाल गंगाधर तिलक, चंद्रशेखर आजाद इत्यअदि है। लेखको और विद्वन मे कालिदास, रबिन्द्रनाथ थाकुर,गंगा धर शर्मा "हिंदुस्तान" है। --Dk.bajpai १६:४७, ५ जुलाई २०१० (UTC)
"ग्लोबल वॉर्मिंग" से आशय हाल ही के दशकों में हुई वार्मिंग और इसके निरंतर बने रहने के अनुमान और इसके अप्रत्‍यक्ष रूप से मानव पर पड़ने वाले प्रभाव से है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र समझौते की रूपरेखा में "मानव द्वारा किए गए परिवर्तनों के लिए "जलवायु परिवर्तन और अन्‍य परिवर्तनो के लिए "जलवायु परिवर्तनशीलता" शब्‍द का इस्तेमाल किया है। यह शब्द " जलवायु परिवर्तन " मानता है कि बढ़ते तापमान ही एकमात्र प्रभाव नहीं हैं यह शब्द " एन्थ्‍रोपोजेनिक ग्लोबल वॉर्मिंग " कई बार प्रयोग उस समय प्रयोग किया जाता है जब मानव प्रेरित परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित होता है।
दक्षिण मध्य रेलवे भारतीय रेल की एक इकाई है। इसे लघुरूप में दमरे कहा जाता है।
भुवनेश्‍वर से 12 किलोमीटर दूर राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 5 पर कटक जाने वाले रास्‍ते पर पाहाल गांव में प्रसिद्ध कलिंग स्‍वीट दुकान है। यहां भारत के तीन प्रसिद्ध मिठाईयां रसगुल्‍ला, चेन्‍नापोडा (छेनापोड) तथा चेन्‍नागाजा (छेनागजा) मिलती हैं। अगर आप भुवनेश्‍वर जाएं तो इन मिठाईयों का जरुर स्‍वाद लें। साथ ही यहां का दहीबाड़ा भी काफी प्रसिद्व है जोकि इमली की चटनी के साथ परोसा जाता है।
१०. गोविमठ- यह मैसूर के कोपवाय नामक स्थान के निकट है ।
हिंदी साहित्य के मुख्य इतिहासकार और उनके ग्रंथ निम्नानुसार हैं -
महत्वपूर्ण भारतीय सॉफ्टवेर कंपनियाँ - इन्फोसिस, टाटा, फ्ल्युएंट, क्सांसा, टी.सी.एस., टेक महिंद्रा, विप्रो, पटनी, सत्यम, सायबेज, के.पी.आय.टी. कमिन्स, दिशा, पर्सिस्टंट सिस्टम्स, जियोमेट्रिक सॉफ्टवेयर, नीलसॉफ्ट व कॅनबे पुणे मे है।
सामवेद से संबद्ध एक ही आरण्यक है। जिसमें चार अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में कई अनुवाक। चतुर्थ अध्याय के दशम अनुवाक में प्रख्यात तवलकार (या केन) उपनिषद् है।
डा. भगवान्‌दास ने सभी धर्मो के अनुयायियों की नासमझी में भी समता दिखाई है। मेरा मजहब सबसे अच्छा है, दूसरे मजहबवालों को जबरदस्ती से अपने मजहब में लाना चाहिए, यह अहंकार सबमें देखा जाता है। यह नहीं समझते कि खास तरीके खास खास देशकाल अवस्था के लिए बताए गए हैं। अंत में डा. भगवान्दास ने इस बात पर बल दिया है कि आदमी की रूह इन सबों में बड़ी है। आदमियों ने ही मजहब की शक्ल समय-समय पर बदल डाली है।
• तरुण मजूमदार
रागी तो गाए रागिनी,
GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के इस उपयोग के बारे में कई विवाद हैं.
उपवास पूर्ण हो या अधूरा, थोड़ी अवधि के लिए हो या लंबी अवधि के लिए, चाहे धर्म या राजनीति पर आधारित हो, शरीर पर उसका प्रभाव अवधि के अनुसार समान होता है। दीर्घकालीन अल्पाहार से शरीर में वे ही परिवर्तन होते हैं जो पूर्ण उपवास में कुछ ही समय में हो जाते हैं। उपवास तोड़ने के भी विशेष नियम हैं। अनशन: प्राय: फलों के रस से तोड़ा जाता है। रस भी धीरे-धीरे देना चाहिए, जिससे पाचकप्रणाली पर विशेष भार न पड़े। दो तीन दिन थोड़ा रस लेने के पश्चात् आहार के ठोस पदार्थों को भी ऐसे रूप में प्रारंभ करना चाहिए कि आमाशय आदि पर, जो कुछ समय से पाचन के अनभ्यस्त हो गए हैं, अकस्मात् विशेष भार न पड़ जाए। आहार की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए। इस अवधि में शरीर विशेष अधिक मात्रा में प्रोटीन ग्रहण करता है, इसका भी ध्यान रखना आवश्यक है।
सॉफ्ट स्ट्रोक खेलने के लिए हिटिंग कार्रवाई के धीमे हो जाने से पहले शक्तिशाली स्ट्रोक के द्वारा चालबाज़ीके इस स्टाइल को उलट देना भी संभव है. रिअरकोर्ट में सामान्यतया चालबाज़ीकी पिछली शैली बहुत आम है (उदाहरण के लिए, ड्रॉपशॉर्ट खास तरह का स्मैश है), जबकि बादवाली शैली फोरकोर्ट और मिडकोर्ट में (उदाहरण के लिए लिफ्ट खास तरह का नेटशॉर्ट है) बहुत आम है.
प्रथम महायुद्ध समाजवादी आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। एक ओर तो इसके आरंभ होते ही समाजवादी आंदोलन और उनका अंतरराष्ट्रीय संगठन प्राय: छिन्न-भिन्न हो गया और दूसरी ओर इसके बीच रूस में बोल्शेविक क्रांति (अक्टूबर-नंवबर 1917) हुई और संसार में प्रथम सफल समाजवादी राज्य की नींव पड़ी जिसका संसार के समाजवादी आंदोलन पर गहरा असर पड़ा। प्रथम महायुद्ध के पूर्व समाजवादी दलों का मत था कि पूंजीवादी व्यवस्था ही युद्धों के लिए उत्तरदायी है और यदि विश्वयुद्ध आरंभ हुआ तो प्रत्येक समाजवादी दल का कर्तव्य होगा कि वह अपनी पूँजीवादी सरकार की युद्धनीति का विरोध करे और गृहयुद्ध द्वारा समाजवाद की स्थापना के लिए प्रयत्नशील हो। परंतु ज्यों ही युद्ध आरंभ हुआ, रूस और इटली के समाजवादी दलों को छोड़कर शेष सब दलों के बहुमत ने अपनी सरकारों की नीति का समर्थन किया। समाजवादियों के केवल एक नगण्य अल्पमत ने ही युद्ध का विरोध किया और आगे चलकर इनमें से कुछ लेनिन और उसके साम्यवादी अंतरराष्ट्रीय संगठन के समर्थक बने। परंतु विभिन्न देशों के समाजवादी आंदोलनों की परस्पर विरोधी युद्धनीति के कारण उनका ऐक्य खत्म हो गया।
ये पृथ्वी आदि वे ही नहीं है जो हमें नित्यप्रति स्थूल जगत्‌ में देखने को मिलते हैं। ये पिछले सब तो पूर्वोक्त पांचों तत्वों के संयोग से उत्पन्न पांचभौतिक हैं। वस्तुओं में जिन तत्वों की बहुलता होती है वे उन्हीं नामों से वर्णित की जाती हैं। उसी प्रकार हमारे शरीर की धातुओं में या उनके संघटकों में जिस तत्व की बहुलता रहती है वे उसी श्रेणी के गिने जाते हैं। इन पांचों में आकाश तो निर्विकार है तथा पृथ्वी सबसे स्थूल और सभी का आश्रय है। जो कुछ भी विकास या परिवर्तन होते हैं उनका प्रभाव इसी पर स्पष्ट रूप से पड़ता है। शेष तीन (वायु, तेज और जल) सब प्रकार के परिवर्तन या विकार उत्पन्न करने में समर्थ होते हैं। अत: तीनों की प्रचुरता के आधार पर, विभिन्न धातुओं एवं उनके संघटकों को वात, पित्त और कफ की संज्ञा दी गई है। सामान्य रूप से ये तीनों धातुएं शरीर की पोषक होने के कारण विकृत होने पर अन्य धातुओं को भी दूषित करती हैं। अत: दोष तथा मल रूप होने से मल कहलाती हैं। रोग में किसी भी कारण से इन्हीं तीनों की न्यूनता या अधिकता होती है, जिसे दोषप्रकोप कहते हैं।
संविधान के अनुसार, भारत एक प्रधान, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक राज्य है, जहां पर सरकार जनता के द्वारा चुनी जाती है । अमेरिका की तरह, भारत में भी संयुक्त सरकार होती है, लेकिन भारत में केन्द्र सरकार राज्य सरकारों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है, जो कि ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है । बहुमत की स्थिति में न होने पर सरकार न बना पाने की दशा में अथवा विशेष संवेधानिक परिस्थिति के अंतर्गत, केन्द्र सरकार राज्य सरकार को निष्कासित कर सकती है, और सीधे संयुक्त शासन लागू कर सकती है, जिसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है ।
एक भारतीय उपनाम ।
ऐसा हमारा देश है।
इन्हें भी देखें
घटक की एकमात्र प्रमुख व्यावसायिक सफलता फिल्म मधुमति (1958) थी, जो एक हिंदी फिल्म है और उन्होंने इसकी पटकथा लिखी थी. पुनर्जन्म के विषय वाली यह सबसे पहली फिल्मों में से एक थी और यह माना जाता है की यह फिल्म बाद के कई भारतीय सिनेमा, भारतीय टेलीविजन, और शायद विश्व सिनेमा में पुनर्जन्म के विषय का स्रोत बनी रही. यह अमेरिकी फिल्म दी रीइंकारनेशन ऑफ़ पीटर प्राउड (1975) और हिंदी फिल्म कर्ज़ (1980) के लिए प्रेरणा स्रोत बनी, जिनमें से दोनों ही फ़िल्में पुनर्जन्म से सम्बंधित थी और अपनी-अपनी संस्कृतियों पर प्रभावशाली रही.[७] विशेष रूप से कर्ज़ को कई बार पुनर्निमित किया गया: कन्नड़ फिल्म युग पुरुष (1989), तमिल फिल्म एनाकुल ओरूवन (1984), और हालिया बॉलीवुड फिल्म कर्ज (Karzzzz) (2008) के रूप में. कर्ज़ और दी रीइंकारनेशन ऑफ़ पीटर प्राउड ने संभवतः अमेरिकी फिल्म चांसेज आर (1989) को प्रेरित किया.[७] सबसे हालिया फिल्म जो सीधे मधुमति से प्रेरित हुई वह है हिट बॉलीवुड फिल्म ओम शांति ओम (2007) है, जिसके कारण बिमल रॉय की बेटी रिंकी भट्टाचार्य ने इस फिल्म पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगाया और उसके निर्माता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी.[८][९]
दूसरे चेहरे-१९७१,अलग-अलग अस्वीकार (१९७३), काल विदूषक-१९७६, धरातल-१९७७, केवल पिता-१९७८, सिलशिला-१९७९, अकर्मक क्रिया (१९८१), टापू पर अकेले (१९८३), खंडित-संवाद-१९८५,२००९, नया सम्बन्ध -१९८७, भूख तथा अन्य कहानिया-१९९३, अभयदान १९९४, पुल टूटते हुए -१९९४, चर्चित कहानियां (१९९४) ख़ारिज और बे दखल-१९९८, विरोधी स्वर-२०००,२१ पुरस्कृत कहानियां-२००१, परजीवी-२००२
1. बजट सत्र वर्ष का पहला सत्र होता है सामान्यत फरवरी मई के मध्य चलता है यह सबसे लंबा तथा महत्वपूर्ण सत्र माना जाता है इसी सत्र मे बजट प्रस्तावित तथा पारित होता है सत्र के प्रांरभ मे राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है
भारत के ३५०० करोड़ के रेशम उद्योग से अधिकांश भाग कर्नाटक राज्य में आधारित है, विशेषकर उत्तरी बंगलौर क्षेत्रों जैसे मुद्दनहल्ली, कनिवेनारायणपुरा एवं दोड्डबल्लपुर, जहां शहर का ७० करोड़ रेशम उद्योग का अंश स्थित है। यहां की बंगलौर सिल्क और मैसूर सिल्क विश्वप्रसिद्ध हैं।[७५][७६]
23. नेहरू पार्क, एक सुंदर बगीचा भरतपुर संग्रहालय के पास में है।
यह स्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। गंगा नदी के तट पर स्थित शुक्रतल जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि इस जगह पर अभिमन्यु के पुत्र और अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पश्चात् केवल महर्षि सुखदेव जी ने भागवत गीता का वर्णन किया था। इसके समीप स्थित वट वृक्ष के नीचे एक मंदिर का निर्माण किया गया था। इस वृक्ष के नीचे बैठकर ही सुखदेव जी भागवत गीता के बारे में बताया करते थे। सुखदेव मंदिर के भीतर एक यज्ञशाला भी है। राजा परीक्षि‍त महाराजा सुखदेव जी से भागवत गीता सुना करते थे। इसके अतिरिक्त यहां पर पर भगवान गणेश की 35 फीट ऊंची प्रतिमा भी स्‍थापित है। इसके साथ ही इस जगह पर अक्षय वट और भगवान हनुमान जी की 72 फीट ऊंची प्रतिमा बनी हुई है। लेखक्---ताबिश नगला मोबाइल न्०--००९१९७१९५०९१७२
Hej Indien. Hvad er I ude på? I virker til at være rigtig mange mennesker. Hilsen Danmmark.
किंगफिशर कोरासीफोर्म्स वर्ग के छोटे से मध्यम आकार के चमकीले रंग के पंक्षियों का एक समूह है. इनका एक सर्वव्यापी वितरण है जिनमें से ज्यादातर प्रजातियाँ ओल्ड वर्ल्ड और ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती हैं. इस समूह को या तो एक एकल परिवार एल्सिडिनिडी के रूप में या फिर उपवर्ग एल्सिडाइन्स में माना जाता है जिनमें तीन परिवार शामिल हैं, एल्सिडिनिडी (नदीय किंगफिशर), हैल्सियोनिडी (वृक्षीय किंगफिशर) और सेरीलिडी जलीय किंगफिशर). किंगफिशर की लगभग 90 प्रजातियां हैं. सभी के बड़े सिर, लंबे, तेज, नुकीले चोंच, छोटे पैर और ठूंठदार पूंछ हैं. अधिकांश प्रजातियों के पास चमकीले पंख हैं जिनमें अलग-अलग लिंगों के बीच थोड़ा अंतर है. अधिकांश प्रजातियां वितरण के लिहाज से उष्णकटिबंधीय हैं, और एक मामूली बड़ी संख्या में केवल जंगलों में पायी जाती हैं. ये एक व्यापक रेंज के शिकार और मछली खाते हैं, जिन्हें आम तौर पर एक ऊंचे स्थान से झपट्टा मारकर पकड़ा जाता है. अपने वर्ग के अन्य सदस्यों की तरह ये खाली जगहों में घोंसला बनाते हैं, जो आम तौर पर जमीन पर प्राकृतिक या कृत्रिम तरीके से बने किनारों में खोदे गए सुरंगों में होते हैं. कुछ प्रजातियों, मुख्यतः द्वीपीय स्वरूपों के विलुप्त होने का खतरा बताया जाता है.
इस पिटक के पाँच भाग हैं जो निकाय कहलाते हैं। निकाय का अर्थ है समूह। इन पाँच भागों में छोटे बड़े सुत संगृहीत हैं। इसीलिए वे निकाय कहलाते हैं। निकाय के लिए "संगीति" शब्द का भी प्रयोग हुआ है। आरंभ में, जब कि त्रिपिटक लिपिबद्ध नहीं था, भिक्षु एक साथ सुत्तों का पारायण करते थे। तदनुसार उनके पाँच संग्रह संगीति सहलाने लगे। बाद में निकाय शब्द का अधिक प्रचलन हुआ और संगीति शब्द का बहुत कम।
आख़िर अंतिम नबी हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) क़ुरआन के साथ इस ‎धरती पर आए और क़ुरआन ईश्वर की इस चुनौती के साथ आई कि इसकी ‎रक्षा स्वयं ईश्वर करेगा। १५०० वर्षों का लम्बा समय यह बताता है कि क़ुरान विरोधियों के सारे प्रयासों के बाद भी क़ुरान के एक शब्द में भी ‎परिवर्तन संभव नहीं हो सका है। यह पुस्तक अपने मूल स्वरूप में प्रलय ‎तक रहेगी। इसके साथ क़ुरान की यह चुनौती भी अपने स्थान पर अभी ‎तक बैइ हुई है कि जो इसे ईश्वरीय ग्रंथ नहीं मानते हों तो वे इस जैसी पूरी ‎पुस्तक नहीं बल्कि उसका एक छोटा भाग ही बना कर दिखा दें।
पथेर पांचाली (1955) • अपराजितो (1957) • पारश पत्थर (1958) • जलसाघर (1958) • अपुर संसार (1959) • देवी (1960) • तीन कन्या (1961) • रवीन्द्रनाथ ठाकुर (1961) • कांचनजंघा (1962) • अभियान (1962) • महानगर (1963) • चारुलता (1964) • टू (1965) • कापुरुष (1965) • महापुरुष (1965) • नायक (1966) • चिड़ियाखाना (1967) • गुपी गाइन बाघा बाइन (1969) • अरण्येर दिनरात्रि (1970) • प्रतिद्वंद्वी (1971) • सीमाबद्ध (1971) • सिक्किम (1971) • द इनर आइ (1972) • अशनि संकेत (1973) • सोनार केल्ला (1974) • जन अरण्य (1976) • बाला (1976) • शतरंज के खिलाड़ी (1977) • जॉय बाबा फेलुनाथ (1978) • हीरक राजार देशे (1980) • पिकूर डायरी (1981) • सद्गति (1981) • घरे बाइरे (1984) • सुकुमार राय (1987) • गणशत्रु (1989) • शाखा प्रशाखा (1990) • आगन्तुक (1991)
गुरुद्वारे के आसपास कई अन्य महत्वपूर्ण स्थान हैं। थारा साहिब, बैर बाबा बुड्ढा जी, गुरुद्वारा लाची बार, गुरुद्वारा शहीद बंगा बाबा दीप सिंह जैसे छोटे गुरुद्वारे स्वर्ण मंदिर के आसपास स्थित हैं। उनकी भी अपनी महत्ता है। नजदीक ही ऐतिहासिक जालियांवाला बाग है, जहां जनरल डायर की क्रूरता की निशानियां मौजूद हैं। वहां जाकर शहीदों की कुर्बानियों की याद ताजा हो जाती है।
निर्देशांक: 26°12′N 89°00′E / 26.2, 89 कूचबिहार (बांग्ला: কোচবিহার জেলা, राजबोंग्शी/कामतापुरी: কোচবিহার) पश्चिम बंगाल और बिहार की सीमा पर स्थित एक शहर है।पश्चिम बंगाल में स्थित कूच बिहार अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक स्थलों के अलावा यह अपने आकर्षक मन्दिरों के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है। अपने बेहतरीन पर्यटक स्थलों और मन्दिरों के अतिरिक्‍त यह अपनी प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। शहर की भाग-दौड़ से दूर कूच बिहार एक शांत इलाका है। यहां पर छुट्टियां बिताना पर्यटकों का बहुत पसंद आता है क्योंकि इसकी प्राकृतिक सुन्दरता उनमें नई स्फूर्ति और ऊर्जा का संचार कर देती है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहां पर कोच राजाओं का शासन था और वह नियमित रूप से बिहार की यात्रा किया करते थे। इस कारण इसका नाम कूच बिहार पड़ा।
सुआ गीत करुण गीत है जहां नारी सुअना (तोता) की तरह बंधी हुई है। इसालिए अगले जन्म में नारी जीवन पुन न मिलने ऐसी कामना करती है। सुआ का अर्थ होता है मिट्ठू या तोता । सुआगीत नारियों और मुख्य रुप से गोड़ आदिवासी नारियों का नाच गीत है । नारियाँ दीपावली के अवसर पर आंगन के बीच में पिंजरे में बंद हुआ सुआ को प्रतीक बनाकर (मिट्टी का तोता) उसकेचारो ओर गोलाकार वृत्त में नाचती गाती जाती हैं। एक छोटी टोकरी जिसे चुरकी या दौरी कहा जाता है में धान भरकर, धान के उपर मिट्टी से बनाये, हरे रंग से चित्रित सुआ प्रतिस्थापित कर दिया जाता है । नारियाँ चुरकी के चारों ओर मंडलाकार खड़ी हो जाती है । फिर नीचे झुककर क्रमशः एकबार दाहिनी ओर दूसरी बार बायीं ओर ताली बजाती है । साथ ही उसी तरफ दाहिनी तथा बांया पैर भी उठा-उठाकर रखती है । एक टोली गाना गाती है । दूसरी टोली उस गीत को दोहराती है । तालियां बजाकर गायें जाने वाले इस गीत के साथ ककिसी विशेष वाद्य की आवश्यकता नहीं होती है ।
काल के अंगविशेष के रूप में युग शब्द का प्रयोग ऋग्वेद से ही मिलता है (दश युगे, ऋग्0 1।158।6) इस युग शब्द का परिमाण अस्पष्ट है। ज्यौतिष-पुराणादि में युग के परिमाण एवं युगधर्म आदि की सुविशद चर्चा मिलती है।
जन्मकाल के अतिरिक्त आधुनिक भारतीय साहित्यों के विकास के चरण भी प्रायः समान ही हैं। प्रायः सभी का आदिकाल पंद्रहवीं शती तक चलता है। पूर्वमध्यकाल की समाप्ति मुगल-वैभव के अंत अर्थात शती के मध्य में तथा सत्रहवीं शती के मध्य में तथा उत्तर मध्याकाल की अंग्रेजी सत्ता की स्थापना के साथ होती है और तभी से आधुनिक युग का आरंभ हो जाता है। इस प्रकार भारतीय भाषाओं के अधिकांश साहित्यों का विकास-क्रम लगभग एक-सा ही है; सभी प्रायः समकालीन चार चरणों में विभक्त हैं। इस समानांतर विकास-क्रम का आधार अत्यंत स्पष्ट है, और वह है भारत के राजनीतिक एवं सांस्कृतिक जीवन का विकास-क्रम।
प्रति वर्ष ३० जनवरी को, महात्मा गाँधी के पुण्यतिथि पर कई देशों के स्कूलों में अहिंसा और शान्ति का स्कूली दिन (School Day of Non-violence and Peace) ( DENIP (DENIP) ) मनाया जाता है जिसकी स्थापना १९६४ स्पेन में हुयी थी. वे देश जिनमें दक्षिणी गोलार्ध कैलेंडर इस्तेमाल किया जाता हैं, वहां ३० मार्च को इसे मनाया जाता है.
अब्बासी शासन के पतनोन्मुख दिनों में उसका जन्म ख्वारज़्म में सन् 973 में हुआ था । यह स्थान अब उज़्बेकिस्तान में है । उसने गणित और खगोलविज्ञान अबू नस्र मंसूर से सीखी । वे अवेसिन्ना के साथी थे । अफ़ग़ानिस्तान और दक्षिण एशिया की यात्रा पर वो महमूद गज़नवी के साथ उसके काफ़िले में गया । भारत में रहते हुए उसने भारतीय भाषाओं का अध्ययन किया और 1030 में तारीख़-अल-हिन्द (भारत के दिन) नामक क़िताब लिखी । उसकी मृत्यु ग़ज़नी, अफ़ग़ानिस्तान (उस समय इसे अफ़गानिस्तान नहीं कहा जाता था बल्कि फ़ारस का हिस्सा कहते थे) में हुई ।
मध्यपूर्व में स्थित यह देश विश्व राजनीति और इतिहास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है । इतिहास और ग्रंथों के अनुसार यहूदियों का मूल निवास रह इस क्षेत्र का नाम ईसाइयत, इस्लाम और यहूदी धर्मों में प्रमुखता से लिया जाता है । यहूदी, मध्यपूर्व और यूरोप के कई क्षेत्रो में फैल गए थे । उन्नीसवी सदी के अन्त में तथा फ़िर बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में यूरोप में यहूदियों के उपर किए गए अत्याचार के कारण यूरोपीय (तथा अन्य) यहूदी अपने क्षेत्रों से भाग कर येरूशलम और इसके आसपास के क्षेत्रों में आने लगे । सन् 1948 में आधुनिक इसरायल राष्ट्र की स्थापना हुई ।
   क.    ^ "देखने में एक अस्थिपंजर किन्तु आँखों में अनन्त ज्योतिराशि, मन में अजस्र आत्म शक्ति, माथे की चिन्तित रेखाओं में युग का संघर्ष, वाणी में निसंग निष्ठा, संकेतों में विश्वास और अस्त-व्यस्त केशों तथा रूखे सूखे कलेवर में अनन्त जीवन रस। छेड़िये तो तपस्वी की विभूति मिले, मौन रूप देखिये तो निर्विकल्प समाधि की परिधि तक चले जाइये। विरोध करिये तो फौलाद के स्पर्श का भान मिले। स्वीकृति दीजिए तो एक दिव्य आलोक की अनुभूति।"[१]
अजातशत्रु—'हे ब्रह्मन! ऐसा नहीं है। यह श्वेत वस्त्रधारी सूर्य तो सभी से महान है। यह सबसे उच्च स्थिति में केन्द्रित, सबका शीश है। जो मनुष्य इस विराट पुरुष की इस प्रकार से आराधना करता है, वह सबसे उच्च स्थिति में पहुंचता है।'
चंद्रिका देवी मंदिर में मां भगवती की विशाल प्रतिमा अत्यंत भव्य आकर्षक है। हजारों देवी भक्त मानते है कि ग्रेनाइट शिला पर उत्कीर्ण हजारों वर्ष पुरानी मां चंद्रिका देवी की यह प्रतिमा दिन में 16 कलाएं बदलती है। इसे परखने के लिये सैकड़ों भक्त दिन में कई बार उनका दर्शन करने जाते है।
4.
चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल कला-साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है । उसके दरबार में विद्वानों एवं कलाकारों को आश्रय प्राप्त था । उसके दरबार में नौ रत्‍न थे- कालिदास, धन्वन्तरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बेताल भट्ट, घटकर्पर, वाराहमिहिर, वररुचि उल्लेखनीय थे ।
Switzerland, although not a member of the European Union, adheres to the same principle, stating that "neither a political unit needs to be recognized to become a state, nor does a state have the obligation to recognize another one. At the same time, neither recognition is enough to create a state, nor does its absence abolish it."[६]
वेदों के सर्वांगीण अनुशीलन के लिये शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष- इन ६ अंगों के ग्रन्थ हैं। प्रतिपदसूत्र, अनुपद, छन्दोभाषा (प्रातिशाख्य), धर्मशास्त्र, न्याय तथा वैशेषिक- ये ६ उपांग ग्रन्थ भी उपलब्ध है। आयुर्वेद, धनुर्वेद, गान्धर्ववेद तथा स्थापत्यवेद- ये क्रमशः चारों वेदों के उपवेद कात्यायन ने बतलाये हैं।
हर घाट की अपनी अलग-अलग कहानी है। तुलसीघाट प्रसिद्ध कवि तुलसीदास से संबंधित है। तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी। कहा जाता है कि तुलसीदास ने अपना आखिरी समय यहीं व्‍यतीत किया था। इसी के समीप बच्‍चाराजा घाट है। यहीं पर जैनों के सातवें तीर्थंकर सुपर्श्‍वनाथ का जन्‍म हुआ था। अब यह जैनघाट के नाम से जाना जाता है। चेत सिंह घाट एक किला की तरह लगता है। चेत सिंह बनारस के एक साहसी राजा थे जिन्‍होंने 1781 ई. में वॉरेन हेस्टिंगस की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। महानिर्वाणी घाट में महात्‍मा बुद्ध ने स्‍नान किया था। हरिश्‍चंद्र घाट का संबंध राजा हरिश्‍चंद्र से है। मणिकर्णिघाट पर स्थित भवनों का निर्माण पेशवा बाजीराव तथा अहिल्‍याबाई होल्‍कर ने करवाया था। 'दूध का कर्ज' मंदिर को जरुर देखना चाहिए। लोक कथाओं के अनुसार एक अमीर घमण्‍डी पुत्र ने इस मंदिर को बनवाया और इसे अपनी मां को समर्पित कर दिया। उसने अपनी मां से कहा मैंने तेरे लिए मंदिर बनवाकर तेरा कर्ज चुका दिया। तब उसकी मां ने कहा कि दूध का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता। तभी से इस मंदिर का नाम दूध का कर्ज मंदिर पड़ गया। पंचगंगा घाट भी काशी के ऐतिहासिक गंगा घाटों में एक है.ये विष्णु काशी क्षेत्र में आता है. यहां कार्तिक माह में स्नान का बड़ा पुण्य माना गया है. कार्तिक में आकाशी द्वीप जलाने की सदियों पुरानी परम्परा है. यहीं पर ऐतिहासिक विन्दु माधव भगवान का मंदिर , रामानंदाचार्य पीठ के नाम से विख्यात श्रीमठ और तैलंग स्वामी का समाधी स्थल भी है. पंचगंगा घाट की सीढियों पर हीं कभी कबीर दास को स्वामी रामानंद ने तारक राममंत्र की दीक्षा दी थी और उन्हें अपना शिष्य बनाया था. देव दीपावली के दिन यहां मेला सजता है. श्रीमठ के पास हीं रानी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित हजारा द्वीप स्तम्भ भी दर्शनीय है. गांगा घाटों की सैर करने वाले हजारो तीर्थयात्री प्रतिदिन वहां रूके वगैर आगे नहीं बढ़ते.
आक्सीजन पृथ्वी के अनेक पदार्थों में रहता है और वास्तव में अन्य तत्वों की तुलना में इसकी मात्रा सबसे अधिक है। आक्सीजन वायुमंडल में स्वतंत्र रूप में मिलता है और आयतन के अनुसार उसका लगभग पाँचवाँ भाग है। यौगिक रूप में पानी, खनिज तथा चट्टानों का यह महत्वपूर्ण अंश है। वनस्पति तथा प्राणियों के प्राय: सब शारीरिक पदार्थों का आक्सीजन एक आवश्यक तत्व है।
किंगफिशर रेड दिल्ली ,नागपुर ,हैदराबाद ,इंदौर ,पुणे
जिस भोजन में प्रोटीन, विटामिन और खनिज अधिक पाये जाते हैं उसे संरक्षण देने वाला भोजन कहते हैं। दूध और दूध के उत्पाद, अंडे, कलेजी, हरी पत्तेदार सिब्जयां और फल इस वर्ग में आते हैं।
हिंदी शिक्षक-प्रशिक्षण के स्तर को समुन्नत करने और राष्ट्रीय स्तर पर उसमें एकरूपता लाने के प्रयास में भारत सरकार के निर्देश पर देश के कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अपने-अपने क्षेत्रों में हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालयों, संस्थाओं को स्थापित किया गया है और उन्हें संस्थान से संबद्ध किया है। इन संबद्ध महाविद्यालयों/संस्थाओं में प्रांतीय आवश्यकताओं के अनुरूप संस्थान के पाठ्यक्रम संचालित एवं आयोजित किए जाते हैं और संस्थान ही इन पाठ्यक्रमों की परीक्षाएँ नियंत्रित करता है। कुछ प्रमुख महाविद्यालयों/संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं-
अगर एक बल्लेबाज मैदान छोड़ के जाता है (आम तौर पर चोट के कारण) और वापस नहीं लौट पता है तो वह वास्तव में "नॉट आउट" होता है और उसका बहार जाना आउट नहीं माना जाता है, परन्तु उसे बर्खास्त कर दिया जाता है क्योंकि उसकी पारी समाप्त हो चुकी होती है. प्रतिस्थापित बल्लेबाज को अनुमति नहीं होती है.
बुख़ारी
पंजाबी और मुगलई खान पान जैसे कबाब और बिरयानी दिल्ली के कई भागों में प्रसिद्ध हैं।[३४][३५] दिल्ली की अत्यधिक मिश्रित जनसंख्या के कारण भारत के विभिन्न भागों के खानपान की झलक मिलती है, जैसे राजस्थानी, महाराष्ट्रियन, बंगाली, हैदराबादी खाना, और दक्षिण भारतीय खाने के आइटम जैसे इडली, सांभर, दोसा इत्यादि बहुतायत में मिल जाते हैं। इसके साथ ही स्थानीय खासियत, जैसे चाट इत्यादि भी खूब मिलती है, जिसे लोग चटकारे लगा लगा कर खाते हैं। इनके अलावा यहाँ महाद्वीपीय खाना जैसे इटैलियन और चाइनीज़ खाना भी बहुतायत में उपलब्ध है।
अतिथि का अर्थ होता है पाहुन।
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका और सोवियत रूस मे शीत युद्ध छिड गया । ये कोइ युद्ध नही था पर इससे सारा विश्व दो केन्द्रोँ मे बट गया ।
भारत-एशियाई साहित्य अकादमी
विवेकानंद सेतु भारत के पश्चिम बंगाल प्रान्त में हुगली नदी पर हावड़ा एवं कोलकाता को जोड़ता है इस सेतु का निर्माण १९३२ में हुआ था।
प्रमुख राष्ट्रवादी व विद्वान आचार्य नरेन्द्र देव, डा॰ राजेन्द्र प्रसाद, जीवत राम कृपलानी, बाबू श्री प्रकाश, बाबू सम्पूर्णानन्द आदि महान् लोग इसमें शिक्षण कार्य किये। भारत के पूर्व प्रधान मंत्री स्व॰ लाल बहादुर शास्त्री ने भी इस विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण की थी।
विषय की गम्भीरता तथा विवेचन की विशदता के कारण १३ उपनिषद् विशेष मान्य तथा प्राचीन माने जाते हैं। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने १० पर अपना भाष्य दिया है- (१) ईश, (२) ऐतरेय (३) कठ (४) केन (५) छांदोग्य (६) प्रश्न (७) तैत्तिरीय (८) बृहदारण्यक (९) मांडूक्य और (१०) मुंडक। उन्होने निम्न तीन को प्रमाण कोटि में रखा है- (१) श्वेताश्वतर (२) कौषीतकि तथा (३) मैत्रायणी।
इन्होंने अक्षरी शब्द का प्रयोग किया, जो प्रचलन में नहीं आ सका; क्योंकि उसी समय लेखक ने सिलेबिल के लिए अक्षर का प्रयोग अपने डॉक्टरेट के ग्रंथ हिंदी भाषा में ‘अक्षर’ तथा शब्द की सीमा’ में स्थिर कर दिया। उस समय तक बिहार में ‘विवरण’ बंगाल में ‘बनान’ शब्द हिज्जे स्पेलिंग के लिए चल रहे थे। इसके अलावा प्रचलन में कुछ अन्य शब्द थे -अक्षरन्यास, अक्षर विन्यास, वर्णन्यास, वर्ण विन्यास, आदि। शिक्षा के प्रोफेसर कृष्ण गोपाल रस्तोगी ने अक्षर विन्यास शब्द का प्रयोग बहुत समय तक किया। यही वर्ण विन्यास है। अमरकोश में लिपि के लिए अक्षर विन्यासः तथा लिखितम् का प्रयोग भी पर्याय के रूप में मिलता है।
मुंबई में बहुत से समाचार-पत्र, प्रकाशन गृह, दूरदर्शन और रेडियो स्टेशन हैं। मराठी पत्रों में नवकाल, महाराष्ट्र टाइम्स, लोकसत्ता, लोकमत, सकाल आदि प्रमुख हैं। मुंबई में प्रमुख अंग्रेज़ी अखबारों में टाइम्स ऑफ इंडिया, मिड डे, हिन्दुस्तान टाइम्स, डेली न्यूज़ अनालिसिस एवं इंडियन एक्स्प्रेस आते हैं।[९९] मुंबई में ही एशिया का सबसे पुराना समाचार-पत्र बॉम्बे समाचार भी निकलता है। [१००]बॉम्बे दर्पण प्रथम मराठी समाचार-पत्र था, जिसे बालशास्त्री जाम्भेकर ने १८३२ में आरंभ किया था। [१०१]
कंबोडिया जिसे पहले कंपूचिया के नाम से जाना जाता था दक्षिणपूर्व एशिया का एक प्रमुख देश है जिसकी आबादी १,४२,४१,६४० (एक करोड़ बयालीस लाख, इकतालीस हज़ार छे सौ चालीस) है। नामपेन्ह इस राजतंत्रीय देश का सबसे बड़ा शहर एवं इसकी राजधानी है। कंबोडिया का आविर्भाव एक समय बहुत शक्तिशाली रहे हिंदू एवं बौद्ध खमेर साम्राज्य से हुआ जिसने ग्यारहवीं से चौदहवीं सदी के बीच पूरे हिन्द चीन क्षेत्र पर शासन किया था। कंबोडिया की सीमाएँ पश्चिम एवं पश्चिमोत्तर में थाईलैंड, पूर्व एवं उत्तरपूर्व में लाओस तथा वियतनाम एवं दक्षिण में थाईलैंड की खाड़ी से लगती हैं। मेकोंग नदी यहाँ बहने वाली प्रमुख जलधारा है।
पुराणों के अनुसार[१] सती के शव के विभिन्न अंगों से बावन शक्तिपीठो का निर्माण हुआ था। इसके पीछे यह अन्तर्पथा है कि दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में `बृहस्पति सर्व' नामक यज्ञ रचाया। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया। शंकरजी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी यज्ञ में भाग लेने गयीं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे। इस अपमान से पीड़ित हो, सती ने यज्ञ-अग्नि पुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शंकर के आदेश पर उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता और त्र+षिगण यज्ञस्थल से भाग गये। भगवान शंकर ने यज्ञपुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कर कंधे पर उठा लिया और दुःखी हो इधर-उधर घूमने लगे। तदनन्तर जहाँ-जहाँ सती के शव के विभिन्न अंग और आभूषण गिरे, वहाँ बावन शक्ति पीठो का निर्माण हुआ। अगले जन्म में सती ने हिमवान राजा के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिवजी को पुन पति रूप में प्राप्त किया।
महाभारत युद्ध होने का मुख्य कारण कौरवों की उच्च महत्वाकांक्षाएँ और धृतराष्ट्र का पुत्र मोह था। कौरव और पाण्डव आपस में सहोदर भाई थे। वेदव्यास जी से नियोग के द्वारा विचित्रवीर्य की भार्या अम्बिका के गर्भ से धृतराष्ट्र और अम्बालिका के गर्भ से पाण्डु उत्पन्न हुए। धृतराष्ट्र ने गान्धारी के गर्भ से सौ पुत्रों को जन्म दिया, उनमें दुर्योधन सबसे बड़ा था। पाण्डु के युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव आदि पाँच पुत्र हुए| धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे अतः उनकी जगह पर पाण्डु को राज दिया गया जिससे धृतराष्ट्र को सदा पाण्डु और उसके पुत्रों से द्वेष रहने लगा। यह द्वेष दुर्योधन के रुप मे फलीभूत हुआ और शकुनि ने इस आग में घी का काम किया। शकुनि के कहने पर दुर्योधन ने बचपन से लेकर लाक्षागृह तक कई षडयंत्र किये। परन्तु हर बार वो विफल रहा। युवावस्था में आने पर जब युधिष्ठिर को युवराज बना दिया गया तो उसने उन्हें लाक्षागृह भिजवाकर मारने की कोशिश की परन्तु पाण्डव बच निकले। पाण्डवों की अनुपस्थिति में धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को युवराज बना दिया परन्तु जब पाण्डवों ने वापिस आकर अपना राज्य वापिस मांगा तो उन्हें राज्य के नाम पर खण्डहर रुपी खाण्डव वन दिया गया। धृतराष्ट्र के अनुरोध पर गृहयुद्ध के संकट से बचने के लिए युधिष्ठिर ने यह प्रस्ताव भी स्वीकार कर लिया। पाण्डवों ने श्रीकृष्ण की सहायता से इन्द्र की अमारावती पुरी जितनी भव्य नगरी इन्द्रप्रस्थ का निर्माण किया। पाण्डवों ने विश्वविजय करके प्रचुर मात्रा में रत्न एवं धन एकत्रित किया और राजसूय यज्ञ किया। दुर्योधन पाण्डवों की उन्नति देख नहीं पाया और शकुनि के सहयोग से द्यूत में छ्ल से युधिष्ठिर से उसका सारा राज्य जीत लिया और कुरु राज्य सभा में द्रौपदी को निर्वस्त्र करने का प्रयास कर उसे अपमानित किया। सम्भवतः इसी दिन महाभारत के युद्ध के बीज पड़ गये थे। अन्ततः पुनः द्यूत में हारकर पाण्डवों को १२ वर्षो को ज्ञातवास और १ वर्ष का अज्ञातवास स्वीकार करना पड़ा। परन्तु जब यह शर्त पूरी करने पर भी कौरवों ने पाण्डवों को उनका राज्य देने से मना कर दिया। तो पाण्डवों को युद्ध करने के लिये बाधित होना पड़ा, परन्तु श्रीकृष्ण ने युद्ध रोकने का हर सम्भव प्रयास करने का सुझाव दिया।
राज्‍य के अहमदाबाद स्थित मुख्‍य हवाई अड्डे से मुम्बई, दिल्‍ली और अन्‍य नगरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्‍ध है। अहमदाबाद हवाई अड्डे को अब अन्तरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिल गया हैं। अन्‍य हवाई अड्डे वड़ोदरा, भावनगर, भुज, सूरत, जामनगर, काण्डला, केशोद, पोरबन्दर और राजकोट में है।
वैदिक काल में अस्त्रशस्त्रों का वर्गीकरण इस प्रकार था :
इस स्तोत्र को पढने के बाद एक सौ आठबार "ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां ऊँ द्रां " का जाप मानसिक रूप से करना चाहिये.इसके बाद दस माला का जाप नित्य इस मंत्र से करना चाहिये " ऊँ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा"।
हरि को भजै सो हरि का होई.
h v1/3 = AeC/vT ..... ..... .... (6)
गुरुवायुर मंदिर का प्रवेश द्वार
जनकपुर में भगवान जगन्नाथ दसों अवतार का रूप धारण करते हैं..विभिन्न धर्मो और मतों के भक्तों को समान रूप से दर्शन देकर तृप्त करते हैं। इस समय उनका व्यवहार सामान्य मनुष्यों जैसा होता है। यह स्थान जगन्नाथ जी की मौसी का है। मौसी के घर अच्छे-अच्छे पकवान खाकर भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। तब यहाँ पथ्य का भोग लगाया जाता है जिससे भगवान शीघ्र ठीक हो जाते हैं। रथयात्रा के तीसरे दिन पंचमी को लक्ष्मी जी भगवान जगन्नाथ को ढूँढ़ते यहाँ आती हैं। तब द्वैतापति दरवाज़ा बंद कर देते हैं जिससे लक्ष्मी जी नाराज़ होकर रथ का पहिया तोड़ देती है और हेरा गोहिरी साही पुरी का एक मुहल्ला जहाँ लक्ष्मी जी का मंदिर है, वहां लौट जाती हैं। बाद में भगवान जगन्नाथ लक्ष्मी जी को मनाने जाते हैं। उनसे क्षमा माँगकर और अनेक प्रकार के उपहार देकर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। इस आयोजन में एक ओर द्वैतापति भगवान जगन्नाथ की भूमिका में संवाद बोलते हैं तो दूसरी ओर देवदासी लक्ष्मी जी की भूमिका में संवाद करती है। लोगों की अपार भीड़ इस मान-मनौव्वल के संवाद को सुनकर खुशी से झूम उठती हैं। सारा आकाश जै श्री जगन्नाथ के नारों से गूँज उठता है। लक्ष्मी जी को भगवान जगन्नाथ के द्वारा मना लिए जाने को विजय का प्रतीक मानकर इस दिन को विजयादशमी और वापसी को बोहतड़ी गोंचा कहा जाता है। रथयात्रा में पारम्परिक सद्भाव, सांस्कृतिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता का अद्भूत समन्वय देखने को मिलता है।
बाबा इशवर ह्ऐन। बाबा ज्ऐसा कोइ नही। ।
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3. वह राज्य के बाहर का रहने वाला हो
भूटान में भूटानी अध्ययन का केंद्र वर्तमान में विभिन्न डोमेन मानकों (स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिस्थितिक तंत्र की विविधता और लचीलापन, सांस्कृतिक जीवन शक्ति और विविधता, समय प्रयोग और संतुलन, अच्छा नियंत्रण, सामुदायिक जीवन और मनोवैज्ञानिक जीवन) में 'राष्ट्रीय ख़ुशी' के मापन के लिए विषय परक और विकल्पी संकेतक के एक जटिल समुच्चय पर काम कर रहा है.
श्री माधवाचार्य ने प्रस्थान-त्रय-ग्रंथों से अपने द्वैतवाद सिद्धांत का विकास किया। यह `सद्वैष्णव´ भी कहा जाता है, क्योंकि यह श्री रामानुजाचार्य के श्री वैष्णवत्व से अलग है।
चांदी का शालीमार बाग
जिस रत्न में रंग बिल्कुल ही न हो।
विपक्ष के नेता
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समाजवादी शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया. यह अपने सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित करता है. जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव किए बिना सभी को बराबर का दर्जा और अवसर देता है. सरकार केवल कुछ लोगों के हाथों में धन जमा होने से रोकेगी तथा सभी नागरिकों को एक अच्छा जीवन स्तर प्रदान करने की कोशिश करेगी.
संस्कृत साहित्य की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार है:
2. राष्ट्रपति की अनुमति हो
यह गहरे कत्थई रंग का अपारदर्शी होता है।
टमाटर चटनी एक बंगाली व्यंजन है।
यह मंदिर निर्वाण स्तूप से लगभग 400 गज की दूरी पर है। भूमि स्पर्श मुद्रा में महात्मा बुद्ध की प्रतिमा यहां से प्राप्त हुई है। यह प्रतिमा बोधिवृक्ष के नीचे मिली है। इसके तल में खुदे अभिलेख से पता चलता है कि इस मूर्ति का संबंध 10-11वीं शताब्दी से है। इस मंदिर के साथ ही खुदाई से एक मठ के अवशेष भी मिले हैं।
इस अनोखे नाम का कारण इस पुल पर रात को जलने वाली रंगबिरंगी रोशनी हैं। यह पुल मिनटोकु और ओडैबा को जोड़ता है। यहां पर आठ यातायात लेन और दो रेलमारग हैं। पैदल चलने वालों के लिए भी रास्ता है। यह पुल १९९३ में चालू किया गया था। इस पुल की सुन्दरता को देखने का एक अन्य उपाय है मोनोरल, जो शिम्बाशी से चलती है। इसके अतिरिक्त हिनोक पीयर से असाकुसा के बीच क्रूज से यात्रा करके इसकी सुन्दरता को निहारा जा सकता है।
विज्ञान के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉनिकी वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार के माध्यमों ( निर्वात, गैस, धातु, अर्धचालक, नैनो-संरचना आदि) से होकर आवेश ( मुख्यतः इलेक्ट्रॉन) के प्रवाह एवं उसके प्रभाव का अध्ययन करता है।
संसदीय शासन का अर्थ होना चाहिए संसद द्वारा शासन। किंतु संसद स्‍वयं शासन नहीं करती और न ही कर सकती है। मंत्रिपरिषद के बारे में एक तरह से कहा जा सकता है कि यह संसद की महान कार्यपालिका समिति होती है। जिसे मूल निकाय की ओर से शासन करने का उत्तरदायित्‍व सौंपा जाता है। संसद का कार्य विधान बनाना, मंत्रणा देना, आलोचना करना और लोगों की शिकायतों को व्‍यक्‍त करना है। कार्यपालिका का कार्य शासन करना है, यद्यपि वह संसद की ओर से ही शासन करती है।
देवताओं का वर्गीकरण कई प्रकार से हुआ है,इनमे चार प्रकार मुख्य है:-
अन्य आधिकारिक जालस्थल
आज़ादी के समय कश्मीर में पाकिस्तान ने घुसपैठ करके कश्मीर के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया । बचा हिस्सा भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर का अंग बना । हिन्दू और मुस्लिम संगठनों ने साम्पदायिक गठबंधन बनाने शुरु किये । साम्प्रदायिक दंगे 1931 (और उससे पहले से) से होते आ रहे थे । नेशनल कांफ़्रेस जैसी पार्टियों ने राज्य में मुस्लिम प्रतिनिधित्व पर ज़ोर दिया और उन्होंने जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों की अनदेखी की । स्वतंत्रता के पाँच साल बाद जनसंघ से जुड़े संगठन प्रजा परिषद ने उस समय के नेता शेख अब्दुल्ला की आलोचना की । शेख अब्दुल्ला ने अपने एक भाषण में कहा कि "प्रजा परिषद भारत में एक धार्मिक शासन लाना चाहता है जहाँ मुस्लमानों के धार्मिक हित कुचल दिये जाएंगे ।" उन्होने अपने भाषण में यह भी कहा कि यदि जम्मू के लोग एक अलग डोगरा राज्य चाहते हैं तो वे कश्मीरियों की तरफ़ से यह कह सकते हैं कि उन्हें इसपर कोई ऐतराज नहीं ।
संवैधानिक प्रावधान स्वतः जम्मू तथा कश्मीर पे लागू नहीं होते केवल वहीं प्रावधान जिनमे स्पष्ट रूप से कहा जाए कि वे जम्मू कश्मीर पे लागू होते है उस पर लागू होते है
कहानियाँ
गृहस्याथर्व्यवस्थायां, मन्त्रयित्वा त्वया सह । संचालनं करिष्यामि, गृहस्थोचित-जीवनम्॥६॥ गृह व्यवस्था में धर्म-पत्नी को प्रधानता दूँगा । आमदनी और खर्च का क्रम उसकी सहमति से करने की गृहस्थोचित जीवनचयार् अपनाऊँग ।
प्रेमचन्द की रचना-दृष्टि, विभिन्न साहित्य रूपों में, अभिव्यक्त हुई। वह बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की किन्तु प्रमुख रूप से वह कथाकार हैं। उन्हें अपने जीवन काल में ही ‘उपन्यास सम्राट’ की पदवी मिल गयी थी। उन्होंने कुल १५ उपन्यास, ३०० से कुछ अधिक कहानियाँ, ३ नाटक, १० अनुवाद, ७ बाल-पुस्तकें तथा हजारों पृष्ठों के लेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की लेकिन जो यश और प्रतिष्ठा उन्हें उपन्यास और कहानियों से प्राप्त हुई, वह अन्य विधाओं से प्राप्त न हो सकी। यह स्थिति हिन्दी और उर्दू भाषा दोनों में समान रूप से दिखायी देती है। उन्होंने ‘रंगभूमि’ तक के सभी उपन्यास पहले उर्दू भाषा में लिखे थे और कायाकल्प से लेकर अपूर्ण उपन्यास ‘मंगलसूत्र’ तक सभी उपन्यास मूलतः हिन्दी में लिखे। प्रेमचन्द कथा-साहित्य में उनके उपन्याकार का आरम्भ पहले होता है। उनका पहला उर्दू उपन्यास (अपूर्ण) ‘असरारे मआबिद उर्फ़ देवस्थान रहस्य’ उर्दू साप्ताहिक ‘'आवाज-ए-खल्क़'’ में ८ अक्तूबर, १९०३ से १ फरवरी, १९०५ तक धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ। उनकी पहली उर्दू कहानी दुनिया का सबसे अनमोल रतन कानपुर से प्रकाशित होने वाली ज़माना नामक पत्रिका में १९०८ में छपी। उनके कुल १५ उपन्यास है, जिनमें २ अपूर्ण है। बाद में इन्हें अनूदित या रूपान्तरित किया गया। प्रेमचन्द की मृत्यु के बाद भी उनकी कहानियों के कई सम्पादित संस्करण निकले जिनमें कफन और शेष रचनाएँ १९३७ में तथा नारी जीवन की कहानियाँ १९३८ में बनारस से प्रकाशित हुए। इसके बाद प्रेमचंद की ऐतिहासिक कहानियाँ तथा प्रेमचंद की प्रेम संबंधी कहानियाँ भी काफी लोकप्रिय साबित हुईं। नीचे उनकी कृतियों की विस्तृत सूची है।
जगतसिंहपुर भारतीय राज्य उड़ीसा का एक जिला है ।
भारतीय चुनाव आयोग एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विभिन्न से भारत के प्रातिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए गया था। भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गयी थी।
हिंदू धर्म के पवित्र ग्रन्थों को दो भागों में बाँटा गया है- श्रुति और स्मृति। श्रुति हिन्दू धर्म के सर्वोच्च ग्रन्थ हैं, जो पूर्णत: अपरिवर्तनीय हैं, अर्थात् किसी भी युग में इनमे कोई बदलाव नही किया जा सकता। स्मृति ग्रन्थों मे देश-कालानुसार बदलाव हो सकता है। श्रुति के अन्तर्गत वेद : ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद ब्रह्म सूत्र व उपनिषद् आते हैं। वेद श्रुति इसलिये कहे जाते हैं क्योंकि हिन्दुओं का मानना है कि इन वेदों को परमात्मा ने ऋषियों को सुनाया था, जब वे गहरे ध्यान में थे। वेदों को श्रवण परम्परा के अनुसार गुरू द्वारा शिष्यों को दिया जाता था। हर वेद में चार भाग हैं- संहिता -- मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ -- गद्य भाग, जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक -- इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद् -- इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है। अगर श्रुति और स्मृति में कोई विवाद होता है तो श्रुति ही मान्य होगी। श्रुति को छोड़कर अन्य सभी हिन्दू धर्मग्रन्थ स्मृति कहे जाते हैं, क्योंकि इनमें वो कहानियाँ हैं जिनको लोगों ने पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया और बाद में लिखा। सभी स्मृति ग्रन्थ वेदों की प्रशंसा करते हैं। इनको वेदों से निचला स्तर प्राप्त है, पर ये ज़्यादा आसान हैं और अधिकांश हिन्दुओं द्वारा पढ़े जाते हैं (बहुत ही कम हिन्दू वेद पढ़े होते हैं)। प्रमुख स्मृतिग्रन्थ हैं:- इतिहास--रामायण और महाभारत, भगवद गीता, पुराण--(18), मनुस्मृति, धर्मशास्त्र और धर्मसूत्र, आगम शास्त्र। भारतीय दर्शन के ६ प्रमुख अंग हैं- साँख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त।
१८. इण्डिया ऐण्ड ए एम्पायर - १९१४
अफसढ़ लेख के अनुसार मगध उसका मूल स्थान था, जबकि विद्वानों ने उनका मूल स्थान मालवा कहा गया है । उसका उत्तराधिकारी हर्षगुप्त हुआ है । उत्तर गुप्त वंश के तीन शासकों ने शासन किया । तीनों शासकों ने मौखरि वंश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध कायम रह ।
जम्मू एक प्रमुख नगर और जिला है। यह एक प्रान्त भी था। जम्मू राज्य की नींव राय जम्बुलोचन ने डाली।
हरिषेण समुद्रगुप्त का मन्त्री एवं दरबारी कवि था । हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति से समुद्रगुप्त के राज्यारोहण, विजय, साम्राज्य विस्तार के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है ।
एक सनातन मित्र के समान,
14. कोस्त्रोमा
अंटार्कटिका पृथ्वी का दक्षिणतम महाद्वीप है, जिसमें दक्षिणी ध्रुव अंतर्निहित है। यह दक्षिणी गोलार्द्ध के अंटार्कटिक क्षेत्र और लगभग पूरी तरह से अंटार्कटिक वृत के दक्षिण में स्थित है। यह चारों ओर से दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है। अपने 140 लाख वर्ग किलोमीटर (54 लाख वर्ग मील) क्षेत्रफल के साथ यह, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के बाद, पृथ्वी का पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है, अंटार्कटिका का 98% भाग औसतन 1.6 किलोमीटर मोटी बर्फ से आच्छादित है।
प्राचीन हिंदू व्यवस्था में वर्ण व्यवस्था और जाति का विशेष महत्व था। चार प्रमुख वर्ण थे - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। पहले यह व्यवस्था कर्म प्रधान थी। अगर कोइ सेना में काम करता था तो वह क्षत्रिय हो जाता था चाहे उसका जन्म किसी भी जाति में हुआ हो।
यह मूर्ति 65 फीटर ऊंची है। इस मूर्ति में भगवान शिव पदमासन की अवस्था में विराजमान है। इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में कैलाश पर्वत, भगवान शिव का निवास स्थल तथा प्रवाहित हो रही गंगा नदी है।
सन १५०९ में जब ये अपने पिता का श्राद्ध करने गया गए, तब वहां इनकी भेंट ईश्वरपुरी नामक संत से हुई। उन्होंने निमाई से कृष्ण-कृष्ण रटने को कहा। तभी से इनका सारा जीवन बदल गया और ये हर समय भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहने लगे। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति इनकी अनन्य निष्ठा व विश्वास के कारण इनके असंख्य अनुयायी हो गए। सर्वप्रथम नित्यानंद प्रभु व अद्वैताचार्य महाराज इनके शिष्य बने। इन दोनों ने निमाई के भक्ति आंदोलन को तीव्र गति प्रदान की। इन्होंने अपने इन दोनों शिष्यों के सहयोग से ढोलक, मृदंग, झाँझ, मंजीरे आदि वाद्य यंत्र बजाकर व उच्च स्वर में नाच-गाकर हरि नाम संकीर्तन करना प्रारंभ किया।
• माया तिवारा लिखती हैं कि आयुर्वेद कुछ लोगों की माँस की छोटी मात्रा की अनुशंसा करता है, हालांकि, “स्थानीय लोगों में प्रचलित पशुओं के शिकार और हत्या के नियम बहुत विशिष्ट एवं विस्तृत थे. अब जबकि शिकार व हत्या के ऐसे नियमों का पालन नहीं किया जाता, वे “किसी भी प्रकार के जानवर, यहाँ तक कि वात प्रकार के भी, के माँस की भोजन के रूप में” अनुशंसा नहीं करतीं.
यह मंदिर हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। हिन्दू मान्यतानुसार एक हिंदू के लिए मुक्ति प्राप्ति की यात्रा बनारस में शुरु होती है और रामेश्‍वरम में खत्म होती है। हिंदू महाकाव्यों के अनुसार यहीं पर भगवान राम ने शिव की उपासना की थी। इसलिए वैष्णव और शैव दोनों के लिए यह स्थान महत्व रखता है। समुद्र के पूर्वी किनारे पर स्थित रामनाथस्वामी मंदिर अपने अद्भुत आकार और खूबसूरती से तराशे गए स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का गलियारा एशिया का सबसे बड़ा गलियारा है। इस मंदिर का निर्माण १२वीं शताब्दी के बाद के विभिन्न वंशों ने विभिन्न समय अवधियों के दौरान किया था।
जिस प्रकार भारतीय अंकों को उनकी वैज्ञानिकता के कारण विश्व ने सहर्ष स्वीकार कर लिया वैसे ही देवनागरी भी अपनी वैज्ञानिकता के कारण ही एक दिन विश्वनागरी बनेगी।
यह पाषाण-शिल्पित मंदिर समूह लगभग ६,००० वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला है, जिसमें मुख्य कक्ष, दो पार्श्व कक्ष, प्रांगण व दो गौण मंदिर हैं। इन भव्य गुफाओं में सुंदर उभाराकृतियां, शिल्पाकृतियां हैं व साथ ही हिन्दू भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर भी है। ये गुफाएँ ठोस पाषाण से काट कर बनायी गई हैं। [४]यह गुफाएं नौंवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक के सिल्हारा वंश (८१००–१२६०) के राजाओं द्वारा निर्मित बतायीं जातीं हैं। कई शिल्पाकृतियां मान्यखेत के राष्ट्रकूट वंश द्वारा बनवायीं हुई हैं। (वर्तमान कर्नाटक में)।
(लैक्टो) शाकाहार के प्रारंभिक रिकॉर्ड ईसा पूर्व 6ठी शताब्दी में प्राचीन भारत और प्राचीन ग्रीस में पाए जाते हैं.[१२] दोनों ही उदाहरणों में आहार घनिष्ठ रूप से प्राणियों के प्रति नान-वायलेंस के विचार (भारत में अहिंसा कहा जाता है) से जुड़ा हुआ है, और धार्मिक समूह तथा दार्शनिक इसे बढ़ावा देते हैं.[nb १] प्राचीनकाल में रोमन साम्राज्य के ईसाईकरण के बाद शाकाहार व्यावहारिक रूप से यूरोप से गायब हो गया.[१४] मध्यकालीन यूरोप में भिक्षुओं के कई नियमों के जरिये संन्यास के कारणों से मांस का उपभोग प्रतिबंधित या वर्जित था, लेकिन उनमें से किसीने भी मछली को नहीं त्यागा.[१५]पुनर्जागरण काल के दौरान यह फिर से उभरा,[१६] 19वीं और 20वीं शताब्दी में यह और अधिक व्यापक बन गया. 1847 में, इंग्लैंड में पहली शाकाहारी सोसायटी स्थापित की गयी,[१७] जर्मनी, नीदरलैंड, और अन्य देशों ने इसका अनुसरण किया. राष्ट्रीय सोसाइटियों का एक संघ, अंतर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ, 1908 में स्थापित किया गया. पश्चिमी दुनिया में, 20वीं सदी के दौरान पोषण, नैतिक, और अभी हाल ही में, पर्यावरण और आर्थिक चिंताओं के परिणामस्वरुप शाकाहार की लोकप्रियता बढ़ी.
अशोक (२७३ ई. पू. से २३६ ई. पू.)- राजगद्दी प्राप्त होने के बाद अशोक को अपनी आन्तरिक स्थिति सुदृढ़ करने में चार वर्ष लगे । इस कारण राज्यारोहण चार साल बाद २६९ ई. पू. में हुआ था ।
वेद की संहिताओं में मंत्राक्षरॊं में खड़ी तथा आड़ी रेखायें लगाकर उनके उच्च, मध्यम, या मन्द संगीतमय स्वर उच्चारण करने के संकेत किये गये हैं। इनको उदात्त, अनुदात्त ऒर स्वारित के नाम से अभिगित किया गया हैं। ये स्वर बहुत प्राचीन समय से प्रचलित हैं और महामुनि पतंजलि ने अपने महाभाष्य में इनके मुख्य मुख्य नियमों का समावेश किया है ।
साँचा:जनवरी कैलंडर२०११ 25 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 25वॉ दिन है। साल मे अभी और 340 दिन बाकी है (लीप वर्ष मे 341)।
९) बुद्ध अवतार: इसमें विष्णु जी बुद्ध के रूप में असुरों को वेद की शिक्षा के लिये तैयार करने के लिये प्रकट हुए।
कौषीतकि ऋषि ने अपने अनुभव से सूर्योपासना तीन बार-प्रात:काल, मध्याह्नकाल और सांयकाल- करने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि प्रात:काल यज्ञोपवीत को सव्य भाव से बाएं कन्धे पर रखकर आचमन करें। फिर जलपात्र को तीन बार शुद्ध जल से भरकर, उदय होते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें—'ॐ वर्गोऽसि पाप्मानं मे वृडधि।'[१] इस प्रकार मध्याह्नकाल में, भगवान भास्कर को स्मरण करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें-'ॐ उद्वर्गोऽसि पाप्मानं में संवृडधि।'[२] इसी प्रकार सांयकाल में, अस्त होते हुए सूर्य की उपासना करें और इस मन्त्र का उच्चारण करें-
17 वीं सदी के दौरान, अनेक संदर्भ इंग्लैंड के पूर्व दक्षिण में क्रिकेट के विकास का संकेत देते हैं.इस सदी के अंत तक, यह उच्च दांव के लिए खेली जाने वाली एक संगठित गतिविधि बन गया था, और ऐसा माना जाता है कि 1660 में पुनर्संस्थापन (Restoration) के बाद पहले पेशेवर प्रकट हुए. 1697 में ससेक्स में ऊँचे दांव पर यह खेल खेला गया जो एक "बड़ा क्रिकेट मैच" था जिसमें एक पक्ष में ११ खिलाड़ी थे, इसकी रिपोर्ट एक अखबार में छापी गई, इतने महत्वपूर्ण रूप में यह क्रिकेट का पहला ज्ञात सन्दर्भ है.
धूप और कुहरे में तुलना
कोहिमा भारतीय राज्य नागालैंड का एक जिला है ।
मनोविज्ञान की मूलभूत एवं अनुप्रयुक्त - दोनों प्रकार की शाखाएं हैं। इसकी महत्वपूर्ण शाखाएं सामाजिक एवं पर्यावरण मनोविज्ञान, संगठनात्मक व्यवहार/मनोविज्ञान, क्लीनिकल (निदानात्मक) मनोविज्ञान, मार्गदर्शन एवं परामर्श, औद्योगिक मनोविज्ञान, विकासात्मक, आपराधिक, प्रायोगिक परामर्श, पशु मनोविज्ञान आदि है। अलग-अलग होने के बावजूद ये शाखाएं परस्पर संबद्ध हैं।
कोलकाता, चेन्नई और विशाखापट्टनम से जलयान पोर्ट ब्लेयर जाते हैं। जाने में दो-तीन दिन का समय लगता है। पोर्ट ब्लेयर से जहाज छूटने का कोई निश्चित समय नहीं है।
यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं ।
मौर्य साम्राज्य का पतन
हर प्रमुख शहरों से कोलकाता जाया जा सकता है। स्थानीय साधन लकाता में मीटर से टैक्सी चलती है। बस, मेट्रो रेल, साइकल रिक्शा तथा ऑटो रिक्शा चलते हैं।
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, हिन्दी भवन
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सुप्रिय नामक एक बड़ा धर्मात्मा और सदाचारी वैश्य था। वह भगवान्‌ शिव का अनन्य भक्त था। वह निरंतर उनकी आराधना, पूजन और ध्यान में तल्लीन रहता था। अपने सारे कार्य वह भगवान्‌ शिव को अर्पित करके करता था। मन, वचन, कर्म से वह पूर्णतः शिवार्चन में ही तल्लीन रहता था। उसकी इस शिव भक्ति से दारुक नामक एक राक्षस बहुत क्रुद्व रहता था। भगवान्‌ शिव का यह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रांत में द्वारकापुरी से लगभग 17 मील की दूरी पर स्थित है। इस पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन की शास्त्रों में बड़ी महिमा बताई गई है। कहा गया है कि जो श्रद्धापूर्वक इसकी उत्पत्ति और माहात्म्य की कथा सुनेगा।
१३. अहरौरा- यह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित है ।
1974 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है।

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