Sakat chauth vrat katha in hindi : सकट चौथ की संपूर्ण व्रत कथा पढ़ें यहां, इनमें से एक कथा को पढ़ अपना व्रत करें पूरा| happy sakat chauth images | sakat chauth vrat katha hindi pdf download |
चौथ का वास कब है
Sakat (Puja) Chauth Vrat Katha: हर साल माघ मास की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र और सुखी जीवन की भगवान गणेश से प्रार्थना करती हैं। ये व्रत निर्जला रखा जाता है यानी कि इसमें जल और अन्न कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता। sakat chauth vrat katha hindi pdf download
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साल में वैसे को 12 संकष्टी चतुर्थी व्रत आते हैं लेकिन सभी में माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी का खास महत्व माना गया है। ये उपवास बिना व्रत कथा को पढ़े अधूरा माना जाता है। देखिए इस व्रत की पौराणिक कथाएं
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साल में वैसे को 12 संकष्टी चतुर्थी व्रत आते हैं लेकिन सभी में माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी का खास महत्व माना गया है। ये उपवास बिना व्रत कथा को पढ़े अधूरा माना जाता है। देखिए इस व्रत की पौराणिक कथाएं
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Sakat chauth vrat katha 1 पहली कथा: एक समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह की तैयारियां चल रही थीं, इसमें सभी देवताओं को निमंत्रित किया गया लेकिन विघ्नहर्ता गणेश जी को निमंत्रण नहीं भेजा गया। सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह में आए लेकिन गणेश जी उपस्थित नहीं थे, ऐसा देखकर देवताओं ने भगवान विष्णु से इसका कारण पूछा।
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उन्होंने कहा कि भगवान शिव और पार्वती को निमंत्रण भेजा है, गणेश अपने माता-पिता के साथ आना चाहें तो आ सकते हैं। हालांकि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि वे नहीं आएं तो अच्छा है। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता।Sakat Vrat Katha | Aaj Ka Chand Kitne Baje Niklega | Ganesh Chauth Vrat Katha | Sakat Chauth Vrat 2018 | Sankat Chauth Katha | Til Chauth Kab Ki Hai | Aaj Karva Chauth Ka Chand Kitne Baje Niklega | Chauth Vrat Katha | Karva Chauth Chandra Darshan Time | Ganesh Ji Ki Katha Karwa Chauth | Sankat Chaturthi Ki Kahani | Ganesh Chaturthi Vrat Katha In Hindi | Ganesh Sankat Chauth Vrat Katha | Shiva Vrat Katha | Chauth Katha | Sakat Chauth Chand Time | Sakat Chauth In Hindi | Chand Kitne Baje Niklega | Ganpati Vrat Katha |
इस दौरान किसी देवता ने कहा कि गणेश जी अगर आएं तो उनको घर के देखरेख की जिम्मेदारी दी जा सकती है। उनसे कहा जा सकता है कि आप चूहे पर धीरे-धीरे जाएंगे तो बाराज आगे चली जाएगी और आप पीछे रह जाएंगे, ऐसे में आप घर की देखरेख करें।Karwa Chauth Vrat Kab Hai | Chauth Mata Ki Vrat Katha | Ganesh Chauth Vrat | Karva Chauth In Hindi | Sakat Chauth Vrat Ki Katha | Karva Chauth Ganesh Katha In Hindi | Ganesh Chaturthi Ka Chand Kab Niklega | Karva Chauth Hindi | Karwa Chauth Kab H | Karwa Chauth Vrat Katha 2018 | Magh Chauth Ki Katha | Karwa Chauth Kab Ki Hai | Sankat Chaturthi Vrat Katha | Karva Chauth Ka Vrat | Karwa Chauth 2019 In Hindi | Sakat Chauth | Sakat Chauth Vrat | Sankat Chauth Vrat Katha | Parvati Nadi | करवा चौथ 2020 | Karva Chauth Vrat Katha |
योजना के अनुसार, विष्णु जी के निमंत्रण पर गणेश जी वहां उपस्थित हो गए। उनको घर के देखरेख की जिम्मेदारी दे दी गई। बारात घर से निकल गई और गणेश जी दरवाजे पर ही बैठे थे, यह देखकर नारद जी ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि विष्णु भगवान ने उनका अपमान किया है। तब नारद जी ने गणेश जी को एक सुझाव दिया।Sakat Chauth 2018 Dates | Sakat Chauth Ganesh Katha | 2019 Mein Karwa Chauth Kab Hai | Chauth Mata | Sakat Ki Katha | Varshini Name Images | Karva Chauth Vrat 2018 | Sakat Chauth Puja | Vrat Ki Recipe In Hindi | Somvar Ke Vrat Ki Katha | Ganesh Ji Kahani | Karva Chauth Katha In Hindi | Karwa Chauth Mata Ki Kahani | Karva Chauth Puja Vidhi | Karva Chauth Vrat | Sakat Chauth 2019 | Karva Chauth Date 2017 | Decimal To Katha | सकट चौथ व्रत कथा | Somvar Vrat Khana | Karwa Chauth Mata Ki Katha | Ganesh Chauth Images |
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गणपति ने सुझाव के तहत अपने चूहों की सेना बारात के आगे भेज दी, जिसने पूरे रास्ते खोद दिए। इसके फलस्वरूप देवताओं के रथों के पहिए रास्तों में ही फंस गए। बारात आगे नहीं जा पा रही थी। किसी के समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए, तब नारद जी ने गणेश जी को बुलाने का उपाय दिया ताकि देवताओं के विघ्न दूर हो जाएं। भगवान शिव के आदेश पर नंदी गजानन को लेकर आए। देवताओं ने गणेश जी का पूजन किया, तब जाकर रथ के पहिए गड्ढों से निकल तो गए लेकिन कई पहिए टूट गए थे।
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उस समय पास में ही एक लोहार काम कर रहा था, उसे बुलाया गया। उसने अपना काम शुरू करने से पहले गणेश जी का मन ही मन स्मरण किया और देखते ही देखते सभी रथों के पहियों को ठीक कर दिया। उसने देवताओं से कहा कि लगता है आप सभी ने शुभ कार्य प्रारंभ करने से पहले विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा नहीं की है, तभी ऐसा संकट आया है।
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आप सब गणेश जी का ध्यान कर आगे जाएं, आपके सारे काम हो जाएंगे। देवताओं ने गणेश जी की जय जयकार की और बारात अपने गंतव्य तक सकुशल पहुंच गई। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हो गया।sakat chauth date, sakat chauth katha in hindi, sakat chauth kab hai, sakat chauth vrat katha in hindi, sakat chauth ki katha, sakat chauth 2020 date, sakat chauth in 2019, sakat chauth 2019 date, sakat chauth vrat 2019, sakat chauth kab hai 2020, sakat chauth in 2020, sakat chauth vrat 2020, sakat chauth kab ki hai, sakat chauth 2019 kab hai, ganesh chaturthi, when is sakat chauth, sakat chauth vrat 2020 date, sakat chauth vrat 2019 date,
Sakat chauth vrat katha 2, दूसरी व्रत कथा: एक दिन माता पार्वती नदी किनारे भगवान शिव के साथ बैठी थीं। उनको चोपड़ खेलने की इच्छा हुई, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो खेल में हार जीत का फैसला करे। ऐसे में माता पार्वती और शिव जी ने एक मिट्टी की मूर्ति में जान फूंक दी और उसे निर्णायक की भूमिका दी। खेल में माता पार्वती लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन एक बार बालक ने गलती से माता पार्वती को हारा हुआ और भगवान शिव को विजयी घोषित कर दिया। इस पर पार्वती जी उससे क्रोधित हो गईं।
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क्रोधित पार्वती जी ने उसे बालक को लंगड़ा बना दिया। उसने माता से माफी मांगी, लेकिन उन्होंने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता, पर एक उपाय है। संकष्टी के दिन यहां पर कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना। तुम भी वैसे ही व्रत और पूजा करना। माता पार्वती के कहे अनुसार उसने वैसा ही किया। उसकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गणेश उसके संकटों को दूर कर देते हैं।
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Sakat chauth vrat katha 3 , तीसरी व्रत कथा: राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था। वह मिट्टी के बर्तन बनाता, लेकिन वे कच्चे रह जाते थे। एक पुजारी की सलाह पर उसने इस समस्या को दूर करने के लिए एक छोटे बालक को मिट्टी के बर्तनों के साथ आंवा में डाल दिया। उस दिन संकष्टी चतुर्थी का दिन था। उस बच्चे की मां अपने बेटे के लिए परेशान थी।
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