सोमवार, 10 अप्रैल 2023

साँप, एक बढ़ई

 


एक दिन एक साँप, एक बढ़ई की औजारों वाली बोरी में घुस गया। घुसते समय, बोरी में रखी हुई बढ़ई की आरी उसके शरीर में चुभ गई और उसमें घाव हो गया । जिससे उसे दर्द होने लगा, और वह विचलित हो उठा। गुस्से में उसने, उस आरीको अपने दोनों जबड़ों में जोर से दबा दिया। अब उसके मुख में भी घाव हो गया, और खून निकलने लगा। अब इस दर्दसे परेशान हो कर, उस आरीको सबक सिखाने के लिए, अपने पूरे शरीरको उस साँपने उस आरीके ऊपर लपेट लिया, और पूरी ताकतके साथ उसको जकड़ लिया। इससे उस साँपका सारा शरीर जगह जगहसे कट गया, और वह मर गया। ठीक इसी प्रकार कई बार, हम तनिकसा आहत होनेपर आवेशमें आकर सामने वालेको सबक सिखानेके लिए, अपने आप को अत्यधिक नुकसान पहुंचा देतें हैं। यहीं पर सत्गुरुका ज्ञान और शिक्षा, हमारे जीवनमें हमारा मार्गदर्शन करते हैं, और हमारे विवेक को जागृत करते हैं। यह जरूरी नहीं कि हमें हर बात की प्रतिक्रिया देनी है, हमें दूसरों की गल्तियों को नजरअंदाज करते हुए, अपने परम पथ पर अग्रेसर होना है, और यह नहीं कि दूसरे को उसकी गलती की सजा देने के लिए हम अपने लक्ष्य और पथ से विचलित हो जायें। सत्गुरु यही तो हमें समझाते हैं कि, हमे गुरुमत को अपने जीवनका आधार बनाना है, और अपने कर्मों के द्वारा इस मानवता के लिए वरदान बनना है।

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